आपका इस कहानी मे स्वागत है
सृजन ठाकुर
Hero
आयत
Heroine
आलोकि सृजन ठाकुर
Heir
Page 1 of 1
यूएसए, एक होटल रूम में
हल्की डिम लाइट में एक परछाईं उभरती है। बाथरूम का दरवाजा खुलता है, और एक शख्स अपनी कमर पर टॉवल लपेटे बाहर आता है। उसकी हल्की भीगी बॉडी पर पानी की कुछ बूँदें अब भी मौजूद थीं, जो उसके उभरे हुए मसल्स पर फिसलती हुई नीचे गिर रही थीं। लाइट धीमी थी, जिससे उसका चेहरा साफ़ नज़र नहीं आ रहा था, लेकिन इतना ज़रूर पता चल रहा था कि इस आदमी ने अपनी बॉडी पर काफी मेहनत की है। वह बेड के पास जाकर अपनी शर्ट उठाता है, धीरे-धीरे बटन बंद करने लगता है, तभी मोबाइल की रिंगटोन कमरे की खामोशी तोड़ देती है।
वह फोन उठाकर स्क्रीन देखता है और जैसे ही कॉल पिक करता है, उसकी आवाज़ में हल्की गर्माहट घुल जाती है—
"प्रणाम माँ, कैसी हैं आप?"
फोन को कान से लगाकर वह कहता है और साथ ही, वह कमरे की लाइट भी ऑन कर देता है। रोशनी में अब उसका चेहरा साफ़ दिखाई देने लगता है—गहरी आंखें, हल्की बढ़ी हुई दाढ़ी, और एक ऐसी शांति, जिसमें गहरा सूनापन छुपा था। वह कोई और नहीं बल्कि सृजन ठाकुर था।
जी हाँ, सृजन ठाकुर।
सालों पहले जो कुछ हुआ था, उसके बाद उसने उस आदमी का दिया हुआ सरनेम तक छोड़ दिया था। उसके चेहरे पर अब पहले जैसी नटखट हंसी नहीं थी, बल्कि एक अजीब सी ख़ामोशी थी—एक ऐसा खालीपन, जो किसी ने गहरे ज़ख्म देकर उसमे भर दिया था।
फोन पर माँ की आवाज़ आती है—
"हमेशा खुश रहो, बेटा। मैं ठीक हूँ। तुम कैसे हो और कब आ रहे हो?"
सृजन एक पल को चुप हो जाता है, फिर धीमी आवाज़ में पूछता है—
"क्या वो बहुत नाराज़ है?"
माँ गहरी सांस लेती है, और फिर बोलती है—
"हम्म... इसलिए कह रही हूँ, जल्दी आ। वो तो बस प्रिंसी के साथ समय बिता रही है, और आयु की भी नहीं सुन रही।"
"अभी मेरी थोड़ी देर में फ्लाइट है, देर रात तक मैं वहाँ पहुँच जाऊँगा।"
"अच्छा! तो मैं उसे बताऊँ, बहुत खुश हो जाएगी।"
"नहीं माँ, मैं उसे सरप्राइज़ देना चाहता हूँ, तो अभी कुछ मत बताइए।"
"देवर जी, आपके इस सरप्राइज़ के चक्कर में कहीं आपको उसे मनाने में पापड़ न बेलने पड़ जाएं, क्योंकि इस बार वो सच मे आपसे बहुत नाराज है।" आयरा की हँसती हुई आवाज़ फोन पर आती है।
"भाभी, आप चिंता मत कीजिए, मैं उसे मना लूँगा।" सृजन मुस्कुराते हुए कहता है।
" मै अभी कॉल रखता हूँ, कुछ ही देर मे मेरी फ्लाइट है "
कॉल कटने के बाद सृजन अपने मोबाइल में एक तस्वीर देखने लगता है—वो मुस्कुराती हुई तस्वीर, जिससे उसकी हर धड़कन जुड़ी थी। वह हल्के से उंगलियों से तस्वीर को छुकर और धीमे से बोलता है—
"आई मिस यू, माय लव... बस कुछ देर और, फिर मैं तुम्हारी सारी नाराज़गी दूर कर दूँगा।" यह कहकर वह तस्वीर पर होंठ रख देता है , और फिर सामान पैक करने लगता है।
---
ठाकुर विला, देर रात
सृजन की कार जब ठाकुर विला के गेट से अंदर दाखिल होती है , तब हल्की ठंडी हवा के झोंके ने उसका स्वागत किया। उसने सबसे पहले अपने कमरे की तरफ़ जाने के बजाय प्रिंसी के कमरे में जाना सही समझा।
प्रिंसी अपने टेडी को गले लगाए चैन से सो रही थी। सृजन प्यार से उसके माथे पर किश करता है और उसे अच्छे से ब्लैंकेट ओढ़ा देता है। फिर, वह अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है , जहाँ उसकी छोटी सी दुनिया उसकी राह देख रही थी।
कमरे में घुसते ही उसने देखा—आलोकि अपने छोटे-छोटे हाथ सीने पर बाँधकर बैड पर मुँह फुलाए बैठी थी।
सृजन मुस्कुराते हुए पास जाता है और हल्की आवाज़ में बोलता है—
"हाउ इज़ माय प्रिंसेस?"
"हम आपसे गुच्छा (गुस्सा) हैं!" आलोकि अपने हाथ बाँधकर दूसरी ओर मुंह करके कहती है।
" वाय माय प्रिंसेस?, आप गुस्सा क्यो है।"
यह कहते हुए सृजन उसे गोद में उठाने के लिए हाथ बढ़ाता है, लेकिन आलोकि अपपा एक हाथ आगे कर रोक देती है। सृजन उसके इस प्रतिक्रिया को देखकर हैरान हो जाता है क्योंकि उसने आज से पहले ऐसा कभी नही किया था।
"क्या हुआ प्रिंसेस?"
"पहले फ्रेस हो कल (कर ) आए, बली (बड़ी) मम्मा कहती है, जब भी बाहल (बाहर) से आओ, पहले पैल (पैर) हाथ धोकल (धोकर) आना चाहिए!"
सृजन को उसकी मासूमियत पर प्यार आ जाता है। वह बिना कोई देरी किए बाथरूम का रुख करता है। जब वह बाहर आया, तब वह लोअर और टी-शर्ट में था। वह बैड पर लेट जाता है और आलोकि को अपने पेट पर बैठा लेता है।
"अब बताओ, मेरी प्रिंसेस मुझसे गुस्सा क्यों है?"
"क्योंकि आप हमे अपने साथ नही ले कल (कर) गये, औल (और) जाने से पहले हमसे मिले भी नही, औल (और) अब हमे आपसे बात भी नही कलनी (करनी) "
सृजन को अपनी इस छोटी सी जान को यूँ उदास देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा।
"हमम्म... जब मेरी प्रिंसेस मुझसे नाराज़ है, तो जो चॉकलेट मैं लाया हूँ, उसका क्या करू?"
" चॉकलेट,,,,,(चॉकलेट का नाम सुनकर एक पल के लिए आलोकि खुशी से चहक उठती है) नही हमे नही चाहिए हम आपसे गुच्छा है। " आलोकि अपनी नाराज़गी जारी रखते हुए कहती है
" ठीक है फिर मै सारी चॉकलेट प्रिंसी को दे दूंगा ।"
"नो डैड! दी अगल (अगर) इतनी सारी चॉकलेट अकेले खायेंगी, तो उनके दाँत खराब हो जायेंगे! इसलिए हम आपके चॉकलेटस् एक्सेप्ट कर लेते है।"
सृजन अपनी नन्ही शहजादी की बात सुनकर हँस पड़ता है, " अच्छा जी! तो बस दी के दाँत खराब हो जाऐंगे इसी लिए हाँ ?"
यह कहकर सृजन उसे गुदगुदी करनी शुरू कर देता है, जिससे आलोकि हँसते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगती है।
"अब तो माफ किया ना?"
आलोकि हँसते हुए बोलती है, "हाँ! लव यू, डैड! प्लीज़ हमें छोलकर (छोड़कर) मत जाया कीजिए। आपको पता है, हम आपको कितना मिस करते हैं?"
सृजन की आँखें हल्की नम हो जाती है, वह उसे गले लगाकर गहरी सांस लेता है और धीरे से कहता है—
"लव यू टू, माय प्रिंसेस!" सृजन उसे अपने गले से लगा लेता है और उसके बाद पर हल्के से किश कर अपनी आँखे बंद कर लेता है जिससे आँसू की एक बूंद उसके आँख से बह जाती है।
---
अगली सुबह,
एक छोटे से घर मे, अलार्म की आवाज़ से कमरे की खामोशी टूटती है। लड़की ने झट से अलार्म बंद करती है और बाथरूम में चली जाती है। बाहर आकर वह अपनी बहन को उठाती है, जो बैड पर आराम से हाथी घोड़े सब बेचकर सो रही थी।
" दी बस पाँच मिनट " उसकी बहन की उनिंदी सी आवाज आती है।
"छोटी, अगर तू दस मिनट में तैयार होकर नीचे नहीं आई, तो इस महीने तेरी पॉकेट मनी कट!" वह कहती है और रूम से चली जाती है
"दी, आप बहुत गन्दी हैं!" वह लड़की बैड पर बैठकर चिल्लाती है।
********
"गुड मॉर्निंग, माँ!" वह लड़की किचन में खड़ी अपनी माँ को पीछे से गले लगाकर कहती है।
"मैने तूझे कितनी बार कहा है, अचानक आकर मुझे डराया मत कर " माँ हल्का झुंझला कर कहती है।
" सॉरी "
" ठीक है तू बैठ मै तेरे लिए नास्ता लाती हूँ, और वो नलायक उठी की नही।"
" उठ गई है माँ कुछ देर मे नीचे आती होगी " वह जवाब देती है।
" बेटा मुझे तुझसे एक जरूरी बात करनी थी " माँ नास्ते की प्लेट उसके सामने रखते हुए कहती है
" हाँ कहिए ना माँ। " वह नास्ता करते हुए कहती है।
"बेटा, वो पडोस वाली शर्मा जी है ना उन्होने एक रिश्ता बताया है... लड़का बहुत अच्छा है, कंपनी में अच्छी नौकरी करता है। अगर तू कहे तो...?"
लड़की के हाथ रूक जाते है। वह गहरी सांस लेती है,
" माँ मैने आपसे कितनी बार कहा है मुझे शादी नही करनी है "
" पर बेटा ऐसे अकेले ज़िन्दगी नही गुजरती है, और पता नही मै कब तक तेरे साथ रहूँ " माँ उसके गाल पर हाथ रख कर कहती है।
ठीक है एक बार के लिए मै तैयार भी हो जाऊ शादी के लिए पर बाकियो की तरफ अगर वो भी मेरा पास्ट जानकर इस रिश्ते से मना कर दे, तब?" ये कहते हुए उसके आँखो मे आसूँ आ जाते है।
क्रमश:-
अगर कहानी पसंद आए तो इस पर लाइक और कमेंट करना बिल्कुल ना भूले , और हमे फॉलो करना भी 😊
"आप समझती क्यों नहीं हैं, माँ?" उसकी आँखों में आँसू छलक आए थे । "मुझे किसी से भी शादी नहीं करनी, और अगर आपकी खुशी के लिए हाँ भी कर दूँ, तो भी कोई मेरा अतीत जानने के बाद मुझसे शादी नहीं करेगा!"
माँ उसकी आँखों में झाँकती है, और फिर उसका चेहरा अपने हाथों में ले कर कहती है। "तो हम उन्हें कुछ नहीं बताएंगे, मेरी बच्ची।"
वह अपनी माँ के हाथों को हटाती है और अपनी जगह से खड़ी हो जाती है। "माँ आप ये क्या कह रही है,मैं किसी को धोखे में रखकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत नहीं कर सकती।"
"पर बेटा…"
"माँ, आप छोटी को देखिए, वो अब तक तैयार नहीं हुई? हमें देर हो रही है!" वह माँ की बात काट कर कहती है, क्योंकि वह इस विषय पर और बहस नहीं करना चाहती थी।
माँ एक गहरी साँस लेकर अवनी को देखने चली जाती है। वह अपनी आँखें बंद करती है और मन में कहती है, "आप क्यों नहीं समझतीं, माँ? मै नहीं कर सकती किसी से भी शादी…!"
**********
छोटी को कॉलेज छोड़ने के बाद, वह अपनी स्कूटी अपने वर्क प्लेस की ओर मोड़ देती है। वह एक प्रतिष्ठित फाइव-स्टार ट्रेडिशनल होटल में वेट्रेस थी। होटल पहुँचकर, वह चेंजिंग रूम में जाकर डार्क ब्लू साड़ी पहनती है, जिसके बॉर्डर पर सुंदर प्रिंटेड डिज़ाइन था। उसने बालों की हाई पोनी बनाई, हल्का सा मेकअप किया और अपने नेम प्लेट को साड़ी पर सही से पिन किया—जिस पर लिखा था "आयत वर्मा"।
***********
ठाकुर विला –
"गुड मॉर्निंग, एवरीवन!" सृजन आलोकि के साथ डाइनिंग एरिया मे आते हुए मुस्कुरा कर सबको विश करता है।
"गुड मॉर्निंग, चाचू! आप कब आए? और हमारे लिए क्या लाए हैं?" प्रिंसी खुशी से चहकते हुए सवाल करती है।
"जब आप घोले (घोड़े)-हाथी बेचकल (बेचकर) सो लही (रही) थीं, तब आए थे डैड।" आलोकि बीच में बोलती है।
"तू आजकल कुछ ज्यादा ही बोल रही है, लौकी!" प्रिंसी उसे चिढ़ाते हुए कहती है।
"बली (बड़ी( मम्मा, देखो न! दी ने फिल (फिर) से हमें लौकी कहा!" आलोकि आयरा से शिकायत करती है।
आयरा हल्का सा सिर हिला देती है और कहती है, "प्रिंसी, बस बहुत हुआ बच्चा! छोटी बहन को तंग नहीं करते।"
"हूँ!" प्रिंसी आलोकि को घूर कर देखती है ,जो अब अपनी जीभ निकालकर उसे चिढ़ा रही थी।
हृदय बच्चों की रोज़ की नोकझोंक को नज़रअंदाज़ करते हुए सृजन से पूछता है, "वहाँ सब कैसा रहा?"
"सब ठीक रहा, भाई। क्लाइंट एक बार यहाँ आना चाहते हैं, फिर डील फाइनल होगी।"
"माँ, बुआजी! आप अपने बेटों को समझा दीजिए, ये घर है, ऑफिस नहीं। यहाँ सिर्फ नाश्ता होगा, बिज़नेस मीटिंग नहीं!" आयरा सख्ती से कहती है।
शारदा जी और गीता जी मुस्कराकर सिर हिला देती है। "सुना आप दोनो ने? यहाँ की बॉस आयरा है। तो यहाँ सिर्फ इनके ऑर्डर फॉलो किए जाएँ!"
सृजन और हृदय एक-दूसरे को देखते है और चुपचाप नाश्ता करने लगते है।
********
रविवार की सुबह, आयत अपनी माँ आशा जी और बहन अवनी के साथ पास के मंदिर गई थी। पूजा करने के बाद, जब वे परिक्रमा कर रहे थे, तब आयत को एक प्यारी सी आवाज़ सुनाई दी—
"आंटी, प्लीज़ ऐसे ही रहीए!"
आयत पीछे मुड़कर देखती है तो एक छोटी बच्ची उसके पीछे छिपने की कोशिश कर रही थी।
वह घुटनों के बल बैठी है और मुस्कुराते हुए पुछती है, "क्या हुआ, बच्चा? आप किससे छुप रही हो?"
"लौकी, तू यहाँ क्या कर रही है?" आलोकि कुछ कहती इससे पहले प्रिंसी कि आवाज आती है जिसे सुनकर वह आयत को कसकर गले से लगा लेती है जैसे उसके गले लगाने पर कोई उसे देख नही पायेगा, और आलोकि के इस हरकत से आयत के लबो पर मुस्कान सज जाती है।
आयत नज़र घुमाकर देखती है एक दूसरी बच्ची उसे बुला रही थी।
"आलू, मैंने कहा ना, यहाँ आ!"
"बेटा, आपकी दी आपको बुला रही है, आपको जाना चाहिए," आयत नर्म लहजे में समझाती है।
"पल (पर)… अगल (अगर) हम दी के पास गए तो वो हमें डाँटेंगी!" आलोकि पाउट बनाते हुए कहती है।
" डाटेगे नही तो क्य करेंगे, तू हमारा हाथ छोड़कर भागी क्यो? " प्रिंसी अपने हाथ अपने कमर पर रखकर कहती है।
" आपकी दी बिल्कुल सही कह रही है बेटा, आपको ऐसे अकेले कही नही जाना चाहिए , आपको पता है बहुत से बैड लोग घुमते रहने है ताकि उन्हे आप दोनो जैसी कोई प्यारी सी परी अकेले मिले और वे उन्हे अपने साथ ले जाए इसलिए आप दोनो ऐसे अकेले कही भी मत जाया करे।" आयत प्यार से आलोकि का गाल थपथपाते हुए कहती है।
"वैसे, आप दोनों किसके साथ आए हो?"
"हम अपनी दादी के साथ आए हैं, वे अंदर पूजा कर रही है और ये यहाँ भाग कर आ गई , थैंक्यू जो आपने इसे पकड़ा " प्रिंसी कहती है।
"तो चलिए, हम आपको आपकी दादी के पास छोड़ देते हैं।"
तभी आशा और अवनी भी वहाँ आ जाते है।
"आयु, क्या कर रही हो यहाँ ?" आशा जी पूछती है।
" दी ये दोनो क्यूटी कौन है?" छोटी सवाल करती है।
"माँ, ये दो अकेले इधर आ गई थीं, मैं इन्हें इनके दादी के पास छोड़ने जा रही थी। वैसे मैने तो आप दोनो से आपका नाम पूछा ही नही ,,,, क्या नाम है आप दोनो का ?"
"हैलो, मायसेल्फ प्रिंसी ठाकुर!"
"और हम हैं आलोकि ठाकुर!"
" सच अ ब्यूटीफुल नेम फॉर द ब्यूटीफुल फेसेस् " आयत दोनो से कहती है, तो दोनो उसे थैंक्यू कहती है। उन्हे लेकर उनकी दादी के पास जाने के लिए उठती है आयत उन्हे लेकर उनकी दादी के पास जाती है
" दादी " प्रिंसी अपनी दादी को देखकर आवाज लगाती है और गीता और शारदा जी उस ओर आ जाते है जहाँ प्रिंसी और आलोकि के साथ आयत और उसका परिवार खड़ा था
"प्रिंसी! आलू!" कहती हुई शारदा और गीता जी वहाँ आते है।
"आप दोनों कहाँ थे? हम कितना परेशान हो गए थे !" शारदा जी ने उन्हें गले लगा कर कहती है।
" खबरदार आज के बाद अगर ऐसे अकेले गईं तो आपकी माँ से शिकायत कर देंगे!" गीता जी ने डांटते हुए कहती है।
"सॉरी, दादी! आज के बाद ऐसा नहीं करेंगे!" आलोकि और प्रिंसी दोनो मासूमियत से बोलती है।
"अब हमें भी चलना चाहिए। आप दोनों अपनी दादी को परेशान मत करना, ओके?" आयत मुस्कुराते हुए कहती है।
"थैंक यू, बेटा, जो तुम इनके साथ थीं," गीता जी आभार जताते हुए कहती है।
"कोई बात नहीं, आंटी! इतनी प्यारी बच्चियों को भला कौन अकेला छोड़ सकता है?" आयत मुस्कराकर कहती है।
*********
रास्ते भर आलोकि आयत की ही बात किए जा रही थी जिसे गीता जी और शारदा जी मुस्कुराते हुए सुने जा रहे थे
घर आने के बाद आलोकि सीधा अपने डैड के रूम मे जाती है जहाँ हमेशा की तरह सृजन काम मे बिजी था
" डैड " आलोकि के कहने पर सृजन अपना लेपटोप साइड मे रख आलोकि को अपने गोद मे बैठा लेता है आलोकि सृजन को आज जो मंदिर मे हुआ वो सब बताने लगती है
" प्रिंसेस आपको ऐसा नही करना चाहिए , और ऐसे किसी भी अंजान से बात नही करते कितनी बार समझाया है मैने आपको , आपको पता है वैसी लडकीयाँ चुड़ैल होती है जो आप जैसी प्रिंसेस को उठाकर कर ले जाती है "
"नहीं, डैड! वो चुड़ैल नहीं, एंजल थी! उनके बाल बिल्कुल रपन्जल की तरह लंबे लंबे थे और ,,,,,,"
"ठीक है, ठीक है। अब चलो, होमवर्क करो!"
"नो नो, डैड! अभी नहीं!"
"यस यस , बेबी! अभी!"
सृजन आलोकि को गोद में उठाता है और प्रिंसी के रूम की ओर बढ़ जाता है।
क्रमश:-
कहानी पसंद आए तो लाइक और कमेंट करना ना भूले
और फॉलो करना भी 🦋