'प्यार' ढाई अक्सर का ये शब्द प्यार, आखिर होता क्या है? किसके लिए उनका पागलपन, दीवानापन, सनक ही प्यार है तो किसके लिए आदत, मोह, लत उनका प्यार है। प्यार में ऑब्सेशन जरूरी है मगर ऑब्सेशन में प्यार? प्यार में सनक जरूरी है मगर सनक ही प्यार? क्या मोड़ लेगी... 'प्यार' ढाई अक्सर का ये शब्द प्यार, आखिर होता क्या है? किसके लिए उनका पागलपन, दीवानापन, सनक ही प्यार है तो किसके लिए आदत, मोह, लत उनका प्यार है। प्यार में ऑब्सेशन जरूरी है मगर ऑब्सेशन में प्यार? प्यार में सनक जरूरी है मगर सनक ही प्यार? क्या मोड़ लेगी उसकी जिंदगी जब बिना प्यार के प्यार में वो पड़ेगी, क्या कभी बिना प्यार किए भी प्यार किया जा सकता है?
Risabh Bajaj
Villain
Mahek Risabh Bajaj
Villain
Tara Bajaj Singhania
Heroine
Akshat Singhania
Villain
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ऋषिकेश… रात के अँधेरे में, सुनसान सड़क पर, महक हल्के गुलाबी रंग का शादी का जोड़ा पहने, अपने लहंगे को पकड़ भाग रही थी। वह भागते हुए बीच-बीच में पीछे मुड़कर देख भी रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसके पीछे कई लोग पड़े हों और वह उनसे बचने के लिए भाग रही हो। महक सड़कों में पागलों की तरह भाग रही थी, तभी सड़क पर सामने से बहुत तेज रफ्तार से एक कार आ रही थी। कार की हेडलाइट्स की रोशनी सीधा महक की आँखों पर पड़ रही थी, जिस वजह से महक को कुछ दिखाई नहीं दिया और वह वहीं सड़क के बीचों-बीच रुककर खड़ी हो गई। डर के मारे महक ने अपना चेहरा अपनी हथेलियों के पीछे छुपा लिया। कार एकदम से महक से ठीक दो कदम की दूरी पर आकर रुकी। और अगले ही पल उस कार के ड्राइविंग सीट का दरवाज़ा खुलते हुए, ब्लैक सूट पहना एक आदमी उतरा। उस आदमी को देखकर किसी का बॉडीगार्ड जैसा लग रहा था। वह आदमी महक के पास जाकर पूरे सम्मान के साथ उससे पूछा, "मैम, आर यू ओके?" पर महक ने कुछ जवाब नहीं दिया और न ही उसने अपने चेहरे से अपने हाथ हटाए। महक का कोई जवाब ना देते हुए देख, वह आदमी एक बार फिर महक से सवाल किया, "आर यू ओके, मिस? कैन यू हियर मी?" महक ने पहले अपनी उंगलियों से अपने सामने खड़े आदमी को देखा, और फिर अपनी हथेलियाँ अपने चेहरे से दूर कर रोते हुए बोली, "प्लीज, प्लीज हेल्प मी! प्लीज मुझे उन लोगों से बचा लीजिए। प्लीज, प्लीज…" महक कह ही रही थी कि तभी उसे अपने पीछे से बहुत सारी गाड़ियों के आने की आवाज आई और वह पीछे मुड़कर देखी कि ये गाड़ियाँ उन्हीं लोगों की थीं, जो उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे पड़े हुए थे। महक उन गाड़ियों को देखकर एकदम से डर के मारे कांप उठी। वह उस आदमी के सामने हाथ जोड़कर रोते हुए, उनसे एक बार फिर मदद के लिए भीख मांगती हुई बोली, "वो लोग आ रहे हैं, प्लीज… प्लीज मुझे उन लोगों से बचा लीजिए। प्लीज…!" वहीं कार की बैक सीट पर बैठा शख्स ने जब अपने बॉडीगार्ड को अभी तक वापस कार के अंदर आते हुए नहीं देखा, तो उसने अपने आदमी को कॉल किया। "क्या हुआ है अंगद? इतना टाइम क्यों लग रहा है?" कार के अंदर बैठा शख्स ने अपनी गहरी आवाज में पूछा। बाहर खड़ा अंगद ने कहा, "बॉस, वो लड़की हमसे मदद मांग रही है, उसके पीछे कुछ लोग पड़े हैं जो उसे पकड़ना चाहते हैं…" "ओके, जो करना है करो, पर जल्दी।" उसने इस बात पर ज्यादा गौर नहीं किया और इतना बोलकर ही कॉल काट दिया। फ़ोन को वापस रखने से पहले उसकी नज़र फ़ोन के वॉलपेपर पर गई और वह उस लड़की की तस्वीर को देखते हुए, उस लड़की के चेहरे पर अपनी उंगलियाँ फिराते हुए बोला, "और कितना छुपोगी तुम? जितना छुपना है छुप लो, बेबी डॉल! बस कुछ दिन और, बहुत जल्दी मैं तुम्हें अपने बाहों में कैद करके रखूँगा! बहुत जल्द…" और फिर फ़ोन को अपने पास सीट पर फेंक दिया। फिर उसने अपना सिर पीछे की सीट पर टिका कर, हाथों को माथे के पीछे रख अपनी आँखें बंद कर गुनगुनाने लगा… "मैं भी बरबाद हूँ, तू भी बरबाद है! मैं भी बरबाद हूँ, तू भी बरबाद है!" फिर एक डेविल स्माइल किए मन ही मन कुछ सोचने लगा। वहीं कार के बाहर महक के पीछे जिन लोगों की कारें थीं, उनमें से कुछ कारें वहाँ उनके पास आ गई थीं। वो लोग महक को पकड़ने के लिए उसके और आगे बढ़ रहे थे। उन लोगों को अपने पास आते हुए देख वह बहुत डर गई। डर के मारे वह अपने कदम पीछे करने लगी। वहीं अंगद ने जब महक को उन लोगों से डरते हुए देखा तो उसे समझने में देर नहीं लगी कि ये वही लोग हैं जो महक के पीछे पड़े हुए हैं। इससे पहले कि वो लोग महक तक पहुँच पाते, अंगद उन पर गोली चलना शुरू कर दिया। वहीं गोली चलने की आवाज से जहाँ महक डर से अपने कानों पर हाथ रख लेती है, वहीं दूसरी तरफ अंगद की कार के पीछे वाली कारों में से बाकी बॉडीगार्ड्स भी बाहर आ गए। अंगद उन्हें आर्डर देते हुए बोला, "बाहर आओ!" और फिर अगले ही पल महक से धीरे से बोला, "मैम, घबराइए मत। प्लीज आप कार के अंदर जाकर बैठ जाइए।" महक अंगद की बात मानते हुए कार में जल्दी से जाकर बैठ गई और कार के खिड़की से बाहर का नजारा देखने लगी। बाहर महक के जाने के बाद ही फायरिंग तेजी से होने लगी। अंगद और उसके आदमी उन लोगों पर भारी पड़ने लगे, और भारी पड़ेंगे भी क्यों ना? ये सभी एक से एक वेल ट्रेन्ड बॉडीगार्ड्स थे। बस कुछ ही मिनटों में अंगद और बाकी बॉडीगार्ड्स उन लोगों का काम तमाम कर दिए। जहाँ कुछ देर पहले शोर मचा हुआ था, वहाँ अब ऐसी शांति पसरी हुई थी मानो यहाँ कभी कुछ हुआ ही नहीं था। अंगद ड्राइवर सीट पर बैठकर महक से बोला, "डोंट वरी मैम, यू आर सेफ नाउ। मैम आप कहाँ जाना चाहती हैं? हमें बताएँ हम आपको वहीं छोड़ देंगे।" महक: "थैंक्स! थैंक्स अ लॉट, आज अगर आप नहीं होते तो… मैं तो सोच भी नहीं पा रही हूँ कि क्या होता मेरे साथ…" मगर तभी अंगद ने उसे बीच में रोकते हुए बोला, "नो, नो मैम, मुझसे नहीं, मैंने कुछ नहीं किया है। आप थैंक्स मेरे बॉस को कहिए, जो आपके बगल में ही बैठे हुए हैं। अगर वो हमें आपकी हेल्प करने के लिए नहीं कहते तो हम… आई वोंट! सॉरी टू से, बट व्हाट इज़ योर नेम मैम?" महक झूठी मुस्कान लिए बोली, "महक!" फिर अपने साइड में मुड़कर अंगद के बॉस से बोली, "देन अ…" मगर महक उस आदमी का चेहरा देखकर ही दंग रह गई, उसके दिल की धड़कन चलना बंद हो गई थी। वहीं वो आदमी, जो महक के कार में आकर बैठने तक से लेकर अब तक चुप रहकर अपनी आँखें बंद किए बैठा हुआ था, उसे महक के पास होने से एक जानी-पहचानी खुशबू आ रही थी। पर जिस वक्त से उसने महक की आवाज सुनी, तभी से उसे कुछ अलग सा महसूस हुआ और जब महक ने अपना नाम बताया तो वह एक झटके में अपनी आँखें खोल दिया। महक उस आदमी का चेहरा देखकर अपनी कांपती हुई आवाज में हकलाते हुए बोली, "ऋ… ऋ… ऋषभ…" वही ऋषभ उसे देखते हुए गंदी मुस्कान करते हुए बोला, "या बेबी डॉल! इट्स मी, तुम्हारा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा ऋषभ बजाज। किसी और को एक्सपेक्ट कर रही थी?" ऋषभ को वहाँ देखकर महक के गले से आवाज ही नहीं निकली, वह बिना एक पल गँवाए कार का दरवाज़ा खोलकर वहाँ से बाहर निकलने लगी… पर ऋषभ उससे तेज था। उसने जल्दी से महक के गले में कुछ किया, जिस कारण महक वहीं पर बेहोश होकर ऋषभ के बाहों में गिर पड़ी। वहीं ऋषभ, महक को अपने बाहों में पकड़े एक विनिंग स्माइल किए अंगद को आर्डर देते हुए बोला, "अंगद, वापस चलो।" कौन था ऋषभ बजाज? क्या रिश्ता था ऋषभ और महक के बीच? कौन थे वो लोग जो महक के पीछे पड़े हुए थे और क्यों? आगे जानने के लिए पढ़िए मेरे साथ इस कहानी को, लवलेस लव।
शाम ढल रही थी, महक को धीरे-धीरे होश आने लगा। अचानक आँखों में पड़ी रोशनी से महक ने अपनी आँखें बंद कर लीं। कुछ देर बाद, धीरे-धीरे पलकें झपकते हुए उसने आँखें खोलीं। आँखें खुलते ही सबसे पहले उस शख्स का चेहरा दिखाई दिया, जिसकी कल्पना उसने अपने बुरे सपनों में भी नहीं की थी। महक ने इसे बुरा सपना समझकर फिर से अपनी पलकें बंद कर लीं और कुछ देर बाद फिर खोलीं। पर फिर भी, पलकें खोलने पर उसे ऋषभ का वही चेहरा दिखाई दिया। ऋषभ महक के पास ही बैठा था और पता नहीं कब से वह महक के सुंदर चेहरे को निहार रहा था। ऋषभ महक को इतनी शिद्दत से निहार रहा था कि उसे शायद यह भी पता नहीं चला कि रात कब दिन में और दिन कब शाम में बदल गया। महक ने ऋषभ को खुद को इतनी शिद्दत से देखते और इतने करीब पाकर डर गया। वह जल्दी से ऋषभ से थोड़ी दूर हट गई और हकलाती हुई आवाज़ में बोली, "तुम...तुम...तुम यहाँ क्या कर रहे हो? और यह तुम मुझे कहाँ ले आए हो?" महक को खुद से दूर जाते देख ऋषभ को उस पर गुस्सा आया। वह महक के करीब गया और उसके गालों पर उंगली फेरते हुए, जुनून भरी नज़रों से उसे देखते हुए बोला, "हाँ बेबी डॉल, मैं और कौन? क्या तुमने मेरे अलावा किसी और को यहाँ होने की कल्पना की थी? बोलो बेबी डॉल...?" महक को ऋषभ के स्पर्श से घिन आने लगी। उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ़ कर लिया और बेड के पीछे खुद को खींचते हुए ऋषभ से दूर हट गई। "दूर...दूर...दूर रहो मुझसे। छूना मत मुझे, मेरे पास मत आना।" एक बार फिर महक को खुद से दूर जाते देख ऋषभ को उस पर गुस्सा आया। उसने अपनी गर्दन इधर-उधर घुमाई और फिर अचानक महक के चेहरे को अपने चेहरे के बहुत करीब लाकर उसके बालों को अपनी मुट्ठी में भर लिया। और उसके बाल खींचते हुए उसे अपनी तरफ़ देखने पर मजबूर किया। इस समय ऋषभ और महक के चेहरे एक-दूसरे के बेहद करीब थे। महक को ऋषभ के ठंडे साँस अपने चेहरे पर महसूस हुए। वहीं, ऋषभ ने महक की आँखों में एक सनक देखी तो महक को ऋषभ से बहुत डर लगा। उसे हमेशा से ऋषभ की नज़रें डराती रहीं थीं, यहाँ तक कि उसके सपनों में भी ये नज़रें उसका पीछा नहीं छोड़ती थीं। उसे हमेशा लगता था कि वह चाहे कितनी भी दूर क्यों ना चली जाए, लेकिन ऋषभ की ये आँखें हमेशा उसके पीछे ही पड़ी रहेंगी। महक जब भी ऋषभ की आँखों को देखती, तो उसे एक अलग ही बेचैनी महसूस होती थी, जिसे शब्दों में बयां करना मुमकिन नहीं था। ना जाने क्यों वह ऋषभ की भूरी आँखों को ज्यादा देर तक नहीं देख पाती थी। उसे हमेशा यह लगता था कि इन भूरी आँखों में बहुत सारे गहरे राज दफ़न हैं। कुछ तो ऐसा है जो ऋषभ सब से छुपा रहा है, पर क्या? ऋषभ ने महक की आँखों में आँखें डालकर कहा, "तुम्हें मुझसे दूर जाना है ना? तुम्हें बिल्कुल पसंद नहीं है ना मेरा तुम्हें छूना? मेरा तुम्हारे करीब आना? तुम मुझसे दूर जाना चाहती हो ना?" "अब देखो मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूँ! तुम कभी मुझसे दूर जाने की कोशिश, तो क्या सपनों में भी मुझसे दूर जाने के ख्वाब से भी डरोगी। अब से तुम ना तो कभी मुझसे दूर जा पाओगी और ना ही कोई तुम्हें मुझसे अलग कर सकेगा। कोई नहीं। खुद तुम भी नहीं। कोई भी नहीं।" ये कहते हुए ऋषभ की आवाज़ में महक के लिए एक जुनून था, जो अब उसकी सनक बन चुका था। एक दीवानापन, जो कब उसके पागलपन में तब्दील हो चुका था, यह महसूस किया जा सकता था। ऋषभ ने महक को वहीं बेड पर छोड़कर कमरे से बाहर चला गया और जाते वक़्त कमरे को बाहर से लॉक करना नहीं भूला। महक को ऋषभ की बातें सुनकर बहुत डर लगा। महक रोते हुए भगवान से शिकायत करने लगी, "क्यों भगवान, क्यों? आखिर मेरे साथ ही क्यों हर बार? मैं जितनी कोशिश करती हूँ, पर हर बार मुझे हार मिलती है, क्यों? मैंने कितना कोशिश किया था उससे दूर जाने की! अपने पास्ट से भागने की, पर आपने मुझे उसी के पास वापस क्यों भेज दिया? क्या चाहते हैं आप? क्या आपको मेरा खुश रहना पसंद नहीं है, जो आप मेरे नसीब में इतना तकलीफ लिखा है? क्यों आखिर क्यों?" वहीं कमरे के बाहर ऋषभ ने अंगद को बुलाकर उसे कुछ आदेश दिए और वापस उसी कमरे में चला गया जहाँ महक थी। रूम के दरवाज़े के खुलने की आवाज़ सुनकर महक ने अपना चेहरा उठाकर दरवाज़े की तरफ़ देखा, पर दूसरे ही पल दरवाज़े पर ऋषभ को खड़ा देखकर उसने अपनी नज़रें फेर लीं। ऋषभ को महक का यह बर्ताव बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। वह अपने लम्बे-लम्बे कदमों से महक के पास जाने लगा। उसके पास जाकर उसने अपने होंठ महक के कानों के पास ले जाकर, हस्की आवाज़ में कहा, "तैयारी हो जाओ बेबी डॉल। अब से तुम कभी भी मुझसे दूर नहीं जा पाओगी। अब से तुम मेरे पास, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे पास, इसी कमरे में, मेरी नज़रों की कैद में बंदी रहोगी। वो भी हमेशा-हमेशा के लिए, तैयार हो जाओ बेबी डॉल।" उसने आगे कहा, "वैसे मुझे नहीं लगता कि तुम्हें फिर से तैयार होने की कोई ज़रूरत है। तुम तो पहले से ही तैयार हो। तो अब चलते हैं नीचे, वो क्या है ना बेबी डॉल, मुझसे अब एक और पल के लिए भी तुमसे दूरी बर्दाश्त नहीं हो रहा है।" इतना बोलकर ऋषभ, बिना महक को सोचने या जवाब देने का वक़्त दिए, उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे कमरे से बाहर ले जाने लगा। वहीं महक ऋषभ की बाहों से छूटने की नाकाम कोशिशें करने लगी। पर इससे ऋषभ को ज़रा सा भी फर्क नहीं पड़ा। वह ऐसे ही महक को अपनी बाहों में लिए हुए एक नज़र महक पर डाला और कहा, "कोशिश करना बेकार है बेबी डॉल, तुम मुझसे कभी भी दूर नहीं जा पाओगी, कभी नहीं।" बोलते हुए उसकी आवाज़ में एक वादा था, जो उसने खुद से और महक से किया था। कुछ ही पलों में ऋषभ महक को नीचे हॉल में लाकर खड़ा कर दिया। वहीं महक ने अपने सामने बने हुए मंडप को देखकर एकदम से हैरान हो गई। वहीं ऋषभ ने बिना कोई वक़्त गँवाए महक के हाथ को कसकर पकड़कर एक झटके में उसे मंडप पर बिठा दिया। और वहीं जलती हुई हवन कुंड के सामने बैठते हुए पंडित जी से बोला, "पंडित जी, शादी शुरू करवाएँ।" "जी यजमान!" और पंडित जी शादी के मंत्र पढ़ने लगे। कुछ समय बाद, जब ऋषभ से और रहा नहीं गया, तो वह गुस्से में पंडित जी के कॉलर को पकड़कर अपनी तरफ़ खींचा। और फिर गुस्से से अपनी दाँत पीसते हुए उन्हें डराते हुए बोला, "ऐ पंडित! मेरे पास तेरे जितना फ्री का समय नहीं है, जो यहीं पर सारा दिन बैठा रहूँ। जल्दी-जल्दी शादी करवा नहीं तो... शायद यह शादी ही तेरी करवाई गई आखिरी शादी होगी। अगर ऐसा होना नहीं चाहता है तो जल्दी कर।" इतना कहकर उसने पंडित जी के कॉलर को छोड़ा। वहीं पंडित जी ऋषभ से डरकर अब जल्दी-जल्दी शादी के रस्मों को निपटाने लगे... वहीं महक, जो यह शादी बिल्कुल नहीं करना चाहती थी, वह इस शादी से, ऋषभ से दूर भाग जाना चाहती थी। पर ऋषभ को महक के दिल की हर बात पता थी। वह महक के हाथ को कसकर पकड़े हुए बैठा था, जिससे महक चाहकर भी वहाँ से उठ नहीं पा रही थी। ऐसे ही पल बीतते गए, और बीतते पलों के साथ शादी के रस्म भी होते गए। और अब वह पल भी आ गया जब ऋषभ ने जबरदस्ती से महक के गले में अपना नाम का मंगलसूत्र पहनाया और उसके सुने माँग को अपने नाम के गहरे लाल रंग के सिंदूर से भर दिया। अब क्या होगा? क्या महक कभी भी ऋषभ से दूर जा पाएगी? या वह और भी पास आ जाएँगे? आगे क्या होगा, यह जानने के लिए पढ़ते रहिए...
महक ऋषभ के कमरे में थी। वह खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर के काले आसमान को देख रही थी। उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी ज़िंदगी में भी एक पल में ही अँधेरा छा गया हो। ठीक उसी तरह जिस तरह उस वक्त आसमान में काला अँधेरा छाया हुआ था, काले कोहरे के बीच सफ़ेद आसमान छिप गया था। महक की आँखों से आँसू की बूँदें निकल आईं। वह अपने किस्मत को कोस रही थी। वह उस पल को किस रही थी, जिस पल उसकी ऋषभ से पहली मुलाकात हुई थी। और वह डेढ़ साल पहले की बातों को याद कर रही थी... आज से करीब डेढ़ साल पहले उसकी मुलाकात ऋषभ से हुई थी। वह वही पल था जिस पल से ऋषभ उसकी ज़िंदगी में दाखिल हुआ था। महक ने बहुत कोशिश की थी ऋषभ से दूर जाने की। इतना ही नहीं, वह उससे बहुत दूर चली गई थी। पर कहते हैं ना किस्मत का लिखा कोई नहीं बदल सकता। और ज़िंदगी ने उसे फिर से ऋषभ के पास लाकर खड़ा कर दिया। ऋषभ महक की ज़िंदगी का वो सच था, जो महक अपनी हज़ार कोशिशों के बावजूद मिटा नहीं पाएगी। वह महक का वो बुरा सपना और कड़वा सचाई है जो उसका पीछा कभी नहीं छोड़ेगा, शायद मरने के बाद भी नहीं छोड़ेगा। डेढ़ साल पहले, मुंबई... होटल बूबिना पैलेस—महक यहाँ अपनी दोस्त कथा के साथ आई थी। वे दोनों अपने किसी दोस्त की बर्थडे पार्टी में आई हुई थीं। पार्टी में उनके कॉलेज के सभी स्टूडेंट आए हुए थे। पार्टी का इंतज़ाम देखकर यह पता चल रहा था कि वे लोग कितने अमीर हैं। पर महक यहाँ आना नहीं चाहती थी। कथा उसे जबरदस्ती यहाँ लाई थी। वे लोग होटल के पाँचवें फ़्लोर के पार्टी हॉल में थे। महक तब भी वहाँ से जाना चाह रही थी और वह कथा को समझाते हुए बोली, "यार कथा, देख यहाँ पर कितने लोग आए हुए हैं। देख, मुझे यहाँ पर कुछ अच्छा नहीं लग रहा। मैं वापस हॉस्टल चली जा रही हूँ। और तुझे जब मन करे तब वापस आ जाना। मैं तुझे रोक नहीं रही हूँ। तूने मुझे यहाँ आने को कहा था, मैं आ गई और कुछ देर रह भी ली। पर प्लीज़ मुझे और मत रोक। अब मुझे जाने दे प्लीज़ यार।" महक की बात सुन कथा अपनी आँखों में झूठा गुस्सा लिए महक को देखने लगी और बोली, "अगर तू एक और बार यहाँ से जाने के लिए मुझसे बोलेगी ना तो मैं तुझे यहीं इस होटल के पाँचवें फ़्लोर की बालकनी से धकेलकर नीचे फेंक दूँगी। फिर जितना जाना है हॉस्टल में चली जाना, कोई नहीं रोकेगा तुझे।" कथा की बात सुन महक अपना मुँह बना लिया और वहीं पर अपना मुँह बंद करके खड़ी हो गई। वह वहाँ खड़ी बोर हो रही थी। इसलिए वह वहाँ से जा रहे वेटर से एक ऑरेंज जूस का गिलास ले लेती है। महक धीरे-धीरे जूस पी रही थी कि किसी से टकराने से उसके हाथ से गिलास हिल जाता है और कुछ जूस उसके कपड़ों में भी गिर जाता है। वह कथा को बताकर वाशरूम की तरफ़ जाना चाहती थी, पर उसे कथा कहीं दिखाई नहीं दी, तो वह अपना कंधा ऊँचा करके चली गई। महक अब पार्टी हॉल के बाहर थी, और वह अपने ड्रेस को झाड़ते हुए अपने में ही बड़बड़ा रही थी। "आज का दिन नहीं, रात ही खराब है। मैं मना कर रही थी पर इस कथा की बच्ची को कौन समझा सकता है? पहले ही इस ड्रेस को उधार लेने के लिए कितना पैसा चला गया। और अब इस जूस के गिरने पर! पता नहीं कितना पैसा देना पड़ेगा। खामखा लेने के देने पर गए।" महक अपने में बड़बड़ाने में इतना मग्न थी कि उसने यह ध्यान ही नहीं दिया कि वह वाशरूम की तरफ़ ना जाकर वीआईपी एरिया की तरफ़ चली जा रही थी। और वह गलती से किसी कमरे में चली गई। उसने यह ध्यान ही नहीं दिया कि वह किसी कमरे में दाखिल हुई है। उसके ध्यान में तब आया जब वह किसी से टकरा गई। महक अपने सर पर हाथ रखकर सामने वाले इंसान को लगा भाग डाँट ही दिया। महक गुस्से में उस इंसान पर चिल्लाती हुई बोली, "अंधे हो क्या? दिखाई नहीं देता? पता नहीं आज मेरे साथ क्या-क्या होगा? शिव जी पहले ही उधार की ड्रेस पर जूस गिरा दिया, वो क्या कम था? जो अब किसी से टकरा भी दिया। मतलब अपने आज सोच ही लिया है ना!" इससे पहले कि वह शख्स महक को उसकी गलतियाँ सुधारता, तभी महक की नज़र अपने आस-पास पड़ी और अगले ही पल उसे खुद की गलती समझ में आ गई। वह फिर से अपने आप में ही बड़बड़ाते हुए बोली, "महक, फ़ूटी किस्मत है तेरी। पता नहीं आज तेरे साथ क्या-क्या होना बाकी है। हूँ देख लूँगी मैं आपको महादेव।" यह कहते हुए वह उस कमरे से बाहर चली गई। वहीं उस कमरे में वह शख्स, जिससे अभी महक टकराई थी, वह महक के जाते ही अपने होश में वापस आया और खुद में ही बड़े घमंड के साथ बोला, "महक! तुमने मुझे...ऋषभ बजाज को एक बार भी घूम के नहीं देखा? जिसे एक बार देखने के लिए सड़कों पर हर लड़की लाइन लगाकर खड़ी हो जाती है। उसे...उसे तुमने अपने सामने खड़ा पाकर भी नहीं देखा?! मुझे तुम्हारी यह बात पसंद आई। और जो चीज़ एक बार ऋषभ को पसंद आ जाती है, वह हर हाल में उसका होता है। और तुम भी मेरी होगी।" ऋषभ अपने असिस्टेंट अंगद को कॉल कर उसे निर्देश दिया, "पता करो, अभी-अभी मेरे रूम से एक लड़की निकली है। उसका नाम महक है। उसकी सारी डिटेल्स मुझे अगले घंटे में मिल जानी चाहिए...सारी मतलब सारी।" फ़ोन कट कर ऋषभ महक के बारे में सोचने लगा। वह महक के बारे में सोचते हुए खुद से कहा, "महक, जितना तुम्हारा नाम सुंदर है, उससे भी ज़्यादा खूबसूरत तुम खुद हो। महक, महक, महक...तुम्हारी महक मुझे पागल कर रही है। बस अब यह महक तो सिर्फ़ मेरा होगा। सिर्फ़ मेरा...हा हा हा!" यह कहते हुए ऋषभ एक शैतान की तरह हँसने लगा। क्या हुआ था डेढ़ साल पहले? ऋषभ का महक की ज़िंदगी में आना कौन सा नया तूफ़ान ले आने वाला था? महक कैसे इस तूफ़ान से खुद को बचाएगी, जानने के लिए पढ़िए...
ऋषभ के कमरे में, महक खिड़की के सामने खड़ी होकर बाहर आसमान को देख रही थी। अपने ही किस्मत को कोस रही थी कि अचानक उसे एक खुशबू आई। उसे आभास हुआ कि कोई कमरे में दाखिल हुआ है। जैसे-जैसे वह शख्स उसके करीब आ रहा था, महक को उस शख्स की मनमोहन कर देने वाली खुशबू और भी ज़्यादा आने लगी। और दूसरे ही पल वह किसी के बाहों में कैद थी... उसे बहुत अच्छे से पता था कि यह शख्स कौन हो सकता है। हाँ, यह ऋषभ ही था। और वैसे भी, ऋषभ के अलावा और कौन हो सकता था? अगर कोई गलती से भी महक को देख लेता, तो उसका कितना बुरा हश्र होता, यह भली-भाँति पता था महक को। और यहाँ तो बात उसे छूने की है, उसके इतने करीब आने की। महक को आज भी वह सीन याद आते ही उसकी रूह कांप जाती थी। उसे आज भी वह पल याद है। डेढ़ साल पहले एक लड़के का क्या हश्र किया था ऋषभ ने, उसे आज भी अंदर ही अंदर यह बातें खाए जाती हैं। ऋषभ पीछे से महक को अपनी बाहों में भर लिया। अपनी ठुड्डी को महक के कंधों पर रखा और फिर महक के पेट को अपने हाथों से सहलाने लगा। वह अपनी आँखें बंद किए, महक के कान के पास जाकर बोला, "क्या कर रही हो बेबी डॉल? मेरे बारे में सोच रही हो, है ना बेबी डॉल?" वहीं महक, ऋषभ के छूने भर से ही अंदर तक सिहर गई। उसने उसे कोई जवाब नहीं दिया। वह बस उसी तरह ऋषभ के बाहों में कैद रहकर आसमान को देखने लगी। अपना जवाब ना पाकर, ऋषभ ने, महक को पनिशमेंट के तौर पर, उसके कान को काटा और जिस हाथों से महक के पेट को प्यार से सहला रहा था, उसे अब मसल दिया। ऋषभ के इस हरकत से महक के मुँह से हल्का 'आह' निकल गया। वहीं ऋषभ महक के पेट को मसलते हुए कहा, "क्या हुआ बेबी डॉल? कुछ पूछ रहा हूँ ना मैं? जवाब दो।" महक, ऋषभ के करीब होने से, अपने बेकाबू हुए दिल के धड़कनों को काबू कर, अपने डर को छुपाते हुए हकलाते हुए बोली, "हाँ...न...नहीं भला मैं तुम्हारे बारे में क्यों सोचूंगी?" महक के जवाब सुनकर ऋषभ ने महक को अपने तरफ पलटाया। और महक के गालों को सहलाते हुए बोला, "गलत जवाब बेबी डॉल, तुम मेरे बारे में ही सोच रही थी। तुम पूरे दुनिया से झूठ कह सकती हो पर मुझसे नहीं। मेरे नज़रें हर वक़्त तुम पर ही रहते हैं, यहाँ तक कि तुम्हारे ख़यालों में भी। और एक बात हमेशा याद रखना, चाहे मैं तुम्हारे पास रहूँ या ना रहूँ, तुम्हें कोई हक़ नहीं, अपने करीब तो क्या, अपने ख़यालों में भी मेरे अलावा किसी और को लाने की।" उसने आगे कहा, "क्योंकि तुम, तुम्हारी लाइफ पर, तुम्हारी लाइफ के हर एक डिसीज़न पर, तुम्हारे साँसों पर, तुम्हारे जिस्म पर, तुम्हारी रूह पर और इस दिल पर, यहाँ तक कि इस दिल के धड़कनों पर भी सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरा हक़ है, सिर्फ़ मेरा, ऋषभ बजाज का।" ऋषभ महक की खुली पीठ को अपने हाथ से सहला रहा था। वहीं महक को उसके छूने से खुद पर ही घिन आ रही थी। ऋषभ अपना सर महक के सर से टिकाए, अपने सर्द आवाज़ में उससे बोला, "तुम्हें याद है ना बेबी डॉल डेढ़ साल पहले की वो बातें? मैंने उस लड़के के साथ क्या किया था, है ना? अगर नहीं भी है तो कोई नहीं, आज एक बार फिर तुम्हें याद दिला देता हूँ।" फिर थोड़ी देर रुककर आगे बोला, "डेढ़ साल पहले... सिटी कॉलेज... तुम... मैं..." फिर कहते-कहते वो दोनों वहीं पुरानी यादों में खो गए... डेढ़ साल पहले, एम आर कॉलेज..... प्रिंसिपल के ऑफिस में, ऋषभ प्रिंसिपल के दूसरी तरफ़ कुर्सी पर बैठे, अपना सर झुकाए, पेपरवेट को हाथों से घुमा रहा था। वहीं दूसरी तरफ़ ऋषभ के सामने बैठा हुआ प्रिंसिपल अंदर से बाहर तक डरा हुआ था। फिर भी वो खुद को नॉर्मल रख, चेहरे पर फीकी मुस्कान के साथ ऋषभ से बोला, "सर, हम इस बात का ख़्याल रखेंगे कि महक को हर वो सुविधा मिले जो आपने कहा है और साथ ही में, यह बात भी ध्यान रखेंगे कि महक के आस-पास कोई लड़का ना भटके और उसकी पढ़ाई में कोई भी दिक्कत ना हो। ह..." प्रिंसिपल बोल ही रहा था कि तभी उसे रोक दिया गया। ऋषभ अपने गहरे आवाज़ में ऐलान करते हुए बोला, "मुझे अभी उससे मिलना है, उसके साथ कुछ समय बिताना है। कैसे करना है, क्या करना है, ये मेरी नहीं, आपकी प्रॉब्लम है। आपके पास पाँच मिनट हैं। अगले पाँच मिनट में मुझे अपने सामने महक खड़ी चाहिए।" ऋषभ के बाद सुनकर प्रिंसिपल के चेहरे पर पसीना आ गया। वह रुमाल से अपने माथे पर आए हुए पसीने को पोछने लगा। प्रिंसिपल सर हकलाते हुए ऋषभ से बोला, "जी.....जी सर, हम...हम देखते हैं क्या...क्या कर पाते हैं। आप टेंशन मत लीजिए, हम करते हैं कुछ।" यह कहकर वह किसी को कॉल कर कुछ कहता है और अगले ही मिनट के अंदर प्रिंसिपल के ऑफिस के दरवाजे पर खटखटाने की आवाज़ आई। प्रिंसिपल सर अंदर आने को बोलते हैं तो दरवाजे के उस पार से महक, एक पीला कलर की कुर्ती और ब्लू कलर जींस पहने अंदर आई और बड़े ही पोलाइटली प्रिंसिपल सर से बोली, "सर, आपने हमें बुलाया?" महक की आवाज़ सुनकर ऋषभ ने अपना सर घुमाकर उस तरफ़ देखा, और उसको देखते ही ऋषभ की नज़र महक पर ही रुक गई। बिना पलक झपकाए वो महक को ही देखने लगा। प्रिंसिपल महक को देखकर बोला, "महक आओ ना, आओ यहाँ आकर बैठो, कुछ बात करनी है, बैठो यहाँ पर।" महक प्रिंसिपल के दूसरी ओर, ऋषभ के पास वाली कुर्सी पर बैठ गई। प्रिंसिपल महक को ऋषभ से मिलवाते हुए बोले, "इनसे मिलो, ये हैं मिस्टर ऋषभ बजाज। हमारे कॉलेज के सबसे बड़े ट्रस्टी और पता है, ये कॉलेज भी उनकी ही है।" महक ऋषभ के तरफ़ मुड़कर एक स्माइल के साथ पोलाइटली बोली, "हेलो सर।" ऋषभ महक की आवाज़ से होश में वापस आया और... क्या हुआ था डेढ़ साल पहले? क्यों डरती है महक ऋषभ से? जानने के लिए पढ़ते रहिए।
एम आर कॉलेज (डेढ़ साल पहले)
प्रिंसिपल के ऑफिस में प्रिंसिपल महक को ऋषभ से मिलवाते है, ताकि महक को कुछ शक न हो।
प्रिंसिपल सर ने कहा, ″और मिस्टर बजाज ये है महक! महक वर्मा , महक बहुत ही होनहार बच्ची है वो पढ़ाई में बहुत ही अच्छी है।″
महक प्रिंसिपल सर के किये गए तारीफ से हल्का मुस्कुरा कर बोली, ″ थैंक यू सर पर ऐसी भी कुछ नहीं हूं मैं। सर को मैं बहुत पसंद हूँ और इसी लिए सर मेरे तारीफ करते रहते है ″
जहां ये कहते हुए महक के होठों पे एक प्यारी हसीं थी तो वहीं उसके पास बैठे ऋषभ के पकड़ उस पेपर वेट पर एकदम से कसते हुए बोला, " खास तो तुम हो, क्यों प्रिंसिपल। " बोलते हुए उसने एक नजर प्रिंसिपल को घूरा।
वहीं प्रिंसिपल सर का चेहरा महक कि बात सुन उतार गया था, उने ऋषभ के गुस्से भारी नजरें खुद पर महसूस हो रहा था। उन्हें ऐसा लग रहा था कि आज ही उनका आखरी दिन है इस कॉलेज में और क्या पता इस दुनिया में भी|
महक प्रिंसिपल सर के चेहरे पर एक शिकन देखा तो वह प्रिंसिपल सर से चिंतित होकर पूछी, ″क्या हुआ सर क्या मैंने कुछ गलत कह दिया है? और आप इतना... आपको इतना पसीना क्यों आ रहा है? जबकि यहाँ तो ऐसी तो चल रहा है तो फिर ?″
महक के बातें को नकारते हुए प्रिंसिपल सर हकलाते हुए बोले, ″पसीना नहीं कहां मुझे कहां पसीना आ रहा है? नहीं नहीं नहीं आ रहा है मुझे पसीना ″
और फिर धीमे आवाज में खुदसे बोले, ″गलत? तुमने कहा गलत कहा है? तुमने बस ये बात जिस इंसान के सामने कहां है, वो गलत है। अब पता नहीं है इंसान इस बात के लिए मुझे कौनसी सजा देगा हे भगवान आखिर मुझे यहां ही जॉब क्यूँ मिला था?″
महक ने जब प्रिंसिपल सर को अपने आप में ही बड़बड़ आते हुए देखा तो उसे कुछ अजीब लगा ओर वो सर से फिर से पूछी, ″सर.... आपने कुछ कहा?″
प्रिंसिपल सर महक के तरफ देखते हुए इनकार भरे आवाज में बोले, ″नहीं तो नहीं नहीं हमने कुछ नहीं कहा कुछ भी तो नहीं ″
″ओह शायद मेरी ही वहम होगी। ″ महक अपने में बोली ओर चुप हो गई।
प्रिंसिपल सर गरम हो चुके मोहल को ठंडा करने के लिए महक से बोले, ″महक, मिस्टर बजाज एक बार हमारे कॉलेज को घूम कर देखना चाहते हैं दरअसल वह यहां पर थे नहीं, अब्रॉड गए हुए थे, अभी कुछ महीने पहले वह इंडिया वापस आए हैं मैं खुद उन्हें पूरे कॉलेज घुमाकर दिखाता, पर अभी मुझे एक मीटिंग अटेंड करना पड़ेगा, वो बहुत ही इम्पोर्टेंट है। "
फिर आगे वो अपनी बात जारी रखते हुए महक को कन्विंस करने की पूरा कौशिश करते हुए बोले, "और मिस्टर बजाज को कॉलेज घुमाने के लिए, मैं ऐसे किसी भी नहीं कह सकता था इसीलिए मैं तुम्हें पर्सनली बोल रहा हूं, कि तुम अगर मिस्टर बजाज को कॉलेज देखने मे मदत करो मैं तुम्हें अपनी बेटी की तरह देखता हूं, और भरोसा भी है तुम पर , तो तुम समझ पा रही हो मैं क्या कह रहा हूं, प्लीज ना मत कहना ″ बोलते हुए प्रिंसिपल सर बड़े ही आस भरी नजरों के साथ महक को देखने लगे।
महक ने ज्यादा कुछ नहीं सोचा और हा कर दी, क्यों कि वैसे भी उसकी सारी क्लासेज हो चुकी थी। ओर वो दोनों प्रिंसिपल के ऑफिस से निकल गए।
वहीं महक और ऋषभ ऑफिस से निकलने के बाद प्रिंसिपल सर ने राहत के साँस लेते है, जैसे अब उनके जान में जान आई हो।
इस वक्त महक और ऋषभ कॉलेज के पीछे के हिस्से मे थे, इस समय इस तरफ ज्यादातर कोई लोग आते जाते नहीं थे ये हिस्सा सुनसान ही रहता था।
मेहक ऋषभ के आगे चलकर उसे सब कुछ समझा रही थी, वैसे तो महक को थोड़ा सा डर लग रहा था, एक तो कालेज के इस हीस्सा हमेशा से सुनसान रहता था, लोगो का आना जाना नहीं है और ऊपर से ऋषभ का प्रेजेंस अच्छे,अच्छे को डराने के लिए काफी था और यहां पर तो महक थी |
दोनों घूम रहे थे तभी ऋषभ अचानक से कहा, " पुणे की एक नॉर्मल मिडिल क्लास फैमिली से बिलोंग करती हो। मुंबई आयी हो अपना सपना पूरा करने एम आर कॉलेज की टॉपर, पढ़ाई मे तेज यहाँ हॉस्टल मे रहती हो। ज्यादा किसी से बात नहीं, दोस्त के नाम पर कथा और परिवार में पापा, मम्मी और एक 12 साल का भाई। सुबह कॉलेज, कॉलेज से हॉस्टल वापस, फिर रात को बुक्स पढ़ना ओर हफ्ते में दो बार मंदिर जाना, बस यही है तुम्हारा हर दिन का काम। सही कहा ना मैंने महक वर्मा? कुछ मिस तो नहीं कर दिया?″
अचानक से ऋषभ चलते चलते बोल उठता है कि महक ऋषभ कि बात सुन एकदम से चौक गई। ऋषभ के एक एक बात सुन महक अपनी जगह पर जम जाती है, डर के मारे वो अपनी एक कदम भी आगे बढ़ा नहीं पाती है |
महक हैरानी से ऋषभ के तरफ पलट कर उससे पूछी, ″आप... आपको ये सब कैसे पता? मेरे बारे मे इतनी सारी बातें तो प्रिंसिपल सर ने आपको नहीं बताया तो फिर कैसे?″
ऋषभ महक की बातें सुन उसकी तरफ देखते हुए एक एविल स्माइल करने लगा ओर फिर महक की बातों को नजरअंदाज कर एकदम से उससे कहा, ″शादी कर लो मुझसे!″
ये सुन महक को लगा जैसे उसने कुछ गलत सुन लिया होगा इसलिए वह ऋषभ से पूछी, ″सॉरी क्या कहा आपने? मैंने सुना नहीं ठीक से ″
″शादी कर लो मुझसे, बहुत खुश रखूंगा तुम्हारे हर सपने को पूरा करने की एबिलिटी है मुझमें। एक रानी की तरह जिंदगी जियोगि तुम, तुम्हारे कदमों में मैं हर वह खुशियां ला कर रख दूंगा। कभी कोई भी दुःख तन्हां आस पास भी नहीं आने दूँगा ″ ऋषभ ने बिना किसी झिझक, हिचकिचाहटके महक से बोला|
महक को ऋषभ के बातें कुछ समझ मे ही नहीं आ रही थी, महक सपाट लहजे मे ऋषभ के सामने अपने बात रखती है वो बोली, " मिस्टर बजाज आप को बीवी की नहीं एक डॉक्टर की जरूरत है कोई एक अच्छा सा साइकैटरिस्ट दिखा लीजिये जो आपके इस पागलपन का इलाज कर सके ″
महक के बातों का सुन ऋषभ अपना सर झुकाये जोड़ जोड़ से हँसने लगा। धीरे धीरे उसके ये हसीं भयानक रूप ले रहा था, महक को ऋषभ से डर लगने लगा। पर वो अपनी डर को ऋषभ के सामने जाहिर नहीं होने दिया और ऋषभ के सामने डट कर खड़ा रही।
पर अचानक एक दम से ऋषभ हसना बंद कर दिया और महक को उसके कंधो से पकड़े, पास के पिलर में उसके बैक को सता दिया।
ऋषभ इतना फ़ास्ट था कि महक को जब कुछ समझ मे आता तब तक वो ऋषभ और पिलर के बीच मे फंसी थी। महक को इस बात की भनक नहीं थी कि ऋषभ कुछ ऐसा भी कर सकता है उसके साथ।
महक के कंधों पर अपना पकड़ मजबूत करते हुए, वो अपने आँखो मे महक के लिए जूनून किये उसके आंखों में देखते हुए बहुत ही कठोर शब्द में कहा, ″हां पागल हो चुका हूं मैं। तुमने मुझे पागल कर दिया है। "
ऋषभ , महक गालो पर बहुत ही गंदे तरिके से ऊँगली फेराते हुए बोला , " तुम्हारी इस ख़ूबसूरती ने मुझे पागल कर दिया है" महक को ऋषभ के छूने से घिन आ रही थी वो अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर देती है|
फिर महक के गर्दन के पास अपने नाक ले जा कर उसकी खुश्बू सूंघते हुए आगे बोला, " तुम्हारी इस महक ने, मुझे अपना दीवाना बना लिया है। तुम्हारी ये महक मुझे रातों को सोने नहीं देता। कहीं पर भी अपना मन नहीं लगा पा रहा हूँ, हर जगह बस तुम ही तुम। मेरे ख्यालों में ख्वाबों में आस पास हर जगह बस तुम ही तुम नज़र आ रही हो| "
" तुम मेरी रातों का नींद, चैन ले कर मुझे बेकाबू कर खुद ऐसे आजाद नहीं जी सकती। तुम्हें इसकी सजा भुगत नई ही पड़ेगी। तुम मेरी ज़िन्दगी मे कदम रखी हो, मैंने तुम्हें आने के लिए नहीं कहा था पर अब तुम यहां से जा भी नहीं सकती। "
" तुम्हें मेरे होना पड़ेगा तुम्हें मुजसे शादी करना ही पड़ेगा। तुम्हें अपना बनाने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं | किसी भी हद तक गिर सकता हूँ, कोई भी हद पार सकता हूं। तुम मुझे जानती नहीं, मैं जो चाहता हूं वो मैं हर हाल में, हर कीमत में हासिल करके ही रहता हूं और तुम मुझे हार हाल मे चाहीए, किसी भी कीमत में। ″
बोलते हुए उसके आखों में महक के लिए एक सनक था।
ऋषभ की बात तो सुन महक को बहुत तेज गुस्सा आया, वो अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाई रो और वो फट पड़ती है ऋषभ पर।
महक गुस्से से ऋषभ के गालों पर एक थप्पड़ मारी, साथ ही उस को खुद से दूर धकेल कर अपनी गुस्से भरी आवाज में बोली, ″मिस्टर ऋषभ बजाज मैं बाजार में बिकने वाली कोई चीज नहीं हूं, जो आपको पसंद आए और आप उसे खरीदने के लिए उसपर अपना हक जमाते फिरे। और एक बात ध्यान से सुन लीजिए, मैं कभी भी आपसे शादी नहीं करुँगी, कभी भी नहीं और हां आइंदा मुझसे दूर रहिये।"
यह कहकर महक वहां से जाने लगी।
वहीं ऋषभ महक के द्वारा थप्पड़ मारे गाल पर हाथ रख उसे रब करते हुए गुस्से से उसे वेरिंग भरी लहजे में कहा, ″बहुत बड़ी गलती कर दी है तुमने महक मुझे, ना कह कर, मुझे ना सुनना गवारा नहीं। तुमने मुझ पर हाथ उठाया है, है ना ऋषभ बजाज पर।
इसकी भरपाई तो तुम्हें करना ही पड़ेगा। जिस हाथ से तुमने आज मुझे थप्पड़ मारा है, उसी हाथ से मैं तुम्हें अपने सामने माफी ना मंगवाया तो मैं भी ऋषभ बजाज नहीं।
आज कि तारीख याद रखना| तुम भूलना भी चाहोगी तो भूल नहीं पायोगि, तुम पछताओगी महक पछताओगी बहुत बड़ी पछतायोगि।"
इतना बोलकर ऋषभ महक को पीछे से जाते हुए देखने लगा।
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महक कथा के साथ कॉलेज में इंटर हुई, उनके साथ उनके और भी क्लासमेट्स थे। वे सभी एंट्रेंस से होते हुए अपने क्लास में जा रहे थे|
महक जैसे ही मेन बिल्डिंग के अंदर अपना कदम रखी कि तभी उसके सामने एकदम अचानक से आसमान से कुछ गिड़ा ओर वो सभी डर के मारे एकदम से अपने कदमों को पीछे कर लेते है| सभी जब उस चीज की तरफ देखते हैं तो उनकी आंखें हैरानी और डर से फटी की फटी रह जाती हैं।
क्योंकि वो किसी लड़के का लाश था |
किसी ने इस लड़के का इतनी बेरहमी से खून किया था कि देखने वाले का रूह कांप जाए। इतनी बुरी तारीखे से इसका मर्डर किया गया था, कि पहेचान ने भी ना आये।
पर सभी ने जब उस लड़के की चेहरे को गौर से देखा तो उन्हें उस लड़के को जाना पहचाना लगा। तभी सभी मे काना फुंसी होने लगी...
वो सभी एक दूसरे से बातें करने लगे, ″अरे यह तो वही लड़का है! हा यह तो वही लड़का है, जो उस दिन महक को सब के सामने प्रपोज किया था! क्या नाम था इसका र.….रा...… हा राहुल। पर इसे इतनी बेरहमी से किसने मारा?″
राहुल के सर पर किसीने बहुत भारी पत्थर से घायल क्या था और चेहरे पर तेज नाखून के निशान थे। देखने से तो ये किसी जानवर का नाख़ून लगे पर सच्चाई... उसके आंखें निकाले गए हुए थे| उसके वो हाथ जिस हाथ से उसने महक को गुलाब के गुलदस्ते दिए थे, उसी हाथ के उन उंगलियों के छोटे छोटे टुकड़े मे काटा किया गया था।
वो भी ऐसे कि वो सभी शरीर से आधा जुड़ा रहे और दूसरी हाथ को शराब डाल कर जलाया गया था। राहुल के पेट पर, नाभी के पास शराब कि बॉटल के एक टुकड़ा घुसा कर उसे बहुत बार घुमाया गया था।
और छाती पर ?
बहुत बार लग भाग 20, 25 बार छुरा घुसाया गया था |
और आखिर में उसके पीठ पर एक स्माइल के ऐसे निशान बने हुए थे, इसका मुस्कुराहट बहुत ही गहरा था ये दिल दहलानेवाली मंजर देख वहां पर मौजूद सभी से रूह कांप रहे थे|
महक बहुत बुरी तरीके से डर गई थी, उसे अपने ऊपर किसी की नज़रों की तपिश महसूस हुई तो महक ने अपने नजरें उठाकर आस पास देखने लगी। तभी उसे उन लोगों से कुछ ही दूरी पर ऋषभ खड़ा दिखा ऋषभ वहां पर खड़े होकर महक को एक डेविल स्माइल दिया और वहां से जाने लगा|
वही वहां पर मौजूद किसी का भी ध्यान ऋषभ पर नहीं गया। महक ऋषभ को अपने सामने इतने महीने बाद देख कर, डर गई थी उसे वहीं कुछ महीने पहले कि पुरानी यादें, वो सब कुछ याद आ गई।
ऋषभ को जाता देख महक भी उसके पीछे-पीछे चलने लग गई उस तरफ जिस तरफ ऋषभ गया था। वही किसने भी उन पर ध्यान नहीं दिया था, सभी का ध्यान राहुल के डेथ बॉडी पर था |
वो दोनों वही कॉलेज के पीछे वाले हिस्से मे थे।
महक ने देखा ऋषभ सिटी बजाते हुए वह के एक रूम में एंटर हुआ। वो भी उसके पीछे पीछे उसी रूम मे दाखिल हुई|
महक के उस कमरे मे एंटर करते ही कमरे के दरवाजा एक दम अचानक से बंद हो जाता है। दरवाजे कि बंद होने कि आवाज सुन महक पीछे मुड़ कर देखती है और तभी उसे वो आवाज आया।
″आ गई तुम"
ऋषभ ने अपने गहरी आवाज में बोला|
ऋषभ की आवाज सुन महक पीछे कि और मोदी तो एकदम से अपने करीब ऋषभ को खाड़ा पाकर वो डर गई।
महक अपनी एक कदम पीछे ले लिया और हकलाते हुए ऋषभ से सवाल किया , ″तुम्हें कैसे पता कि मैं हूँ?″
ऋषभ महक के सवाल को नजरअंदाज कर महक के चेहरे पर झूम रहे उसके बालों के लाटों को कानों के पीछे करते हुए उससे बोल , ″आखिरकार तुम्हें मेरे पास आना ही हुआ।"
फिर उसने आगे कहा, ″आप से सीधा तुम?! हम्म नोट बैड! बड़ी जल्दी प्रोग्रेस कर रही हो तुम आई लाईक ईट!″
अगले ही पल महक ऋषभ के हाथ को झाटला कर बोली, ″मैंने तुमसे कहा था ना कि मुझसे दूर रहना तो फिर मुझे तुम छू क्यों है?″
ऋषभ महक के द्वारा झाटला गए अपने उस हाथ को देखता है और फिर अगले ही पल किसी सनकी कि तरह हंसने लगा।
उसे यूं हस्ता देख अपने मन में बड़बड़ाई, ″पागल सनकी कहीं का!″
फिर अगले ही पल एकदम से ऋषभ अपने हंसी रोक कर महक को बोला, ″चलो यही सही इस ही बहाने से तुम ने मुझे छुआ तो।"
महक यहां ऋषभ से शांति से बात करने आयी थी पर ऋषभ के हरकतों ने एक बार फिर महक को गुस्सा दिला रहा था।
अचानक से महक के दिमाग में एक बात आई| उसे अभी कुछ देर पहले ऋषभ कि वो स्माइल याद आ जाता है। ओर कुछ सोच कर ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और चेहरे पर एकदम से डर छा जाता है।
महक अपनी सोच को सही साबित करने के लिए ऋषभ से सपाट लहजे मे पूछती है, ″कहीं राहुल को तुम्हें तो नहीं मारा है?″
महक की सवाल को सुनते ही ऋषभ के चेहरे का भाव एकदम से बदल गया।
महक जो गौर से ऋषभ के चेहरे के बदले हुए हर भाव को नोटिस कर रही थी, उसने देखा कि ऋषभ के चेहरे पर कोई डर का शिकन तक नहीं है। बल्कि महक को तो ये लग रहा था, उसने जो सोचा ये तो इसके बिल्कुल ऑपोजिट हुआ।
महक की बातें सुन ऋषभ डरने की वजह उससे बेफिक्री से कहा, " या तुमने गलत नहीं बेबी डॉल, मैंने ही तुम्हारे उस आशिक को मारा है। मैं ही.. क्या नाम था हां राहुल, मैने ही उसका खून किया है, ओर पता तो चल ही गया है कैसे ? ″
ये सुन महक बोली, ″ जब तुमने खून किया है तो उसका सजा भी तुम भुक्तोगे। मैं सभी को ये बात बताऊंगी कि तुम ने मारा है राहुल को। गलती क्या थी उसकी क्यों मारा तुमने उसे इतना बेरहमी से?″
ऋषभ डरने का नाटक करते हुए बोला, ″ मैं... मैं तो डर गया। प्लीज किसी को कुछ मत बताना प्लीज मेरी लाइफ बर्बाद हो जाएगा प्लीज़ बेबी डॉल।″
ओर फिर अगले ही पल जोर, जोर से हंसते हुए बोला, ″ किसे बताना चाहती हो, अपने दोस्तों को ? उस बूढ़े प्रिंसिपल को ? पुलिस को ? या पूरी दुनिया को? जिसे भी बताना चाहती हो बताओ, जाओ दरवाजा उधर है... जाकर बता सकती हो, मैं नहीं रुकूंगा तुम्हें। जाओ जा कर सबको ये बताओ कि उस राहुल का मर्डर मैंने किया। "
फिर कुछ पल पोज लेते हुए बोला, " पर... कौन करेगा तुम्हारी बात पर यकीन? तुम्हारी दोस्त कथा, प्रिंसिपल या इंस्पेक्टर, कौन करेगा ? कोई नहीं करेगा क्योंकि, भला ऋषभ बजाज को एक मामूली सी कॉलेज स्टूडेंट से किस बात कि दुश्मनी हो सकती है? ना ही कभी मैं राहुल से मिला हूं और ना ही वो मुझसे मिला तो दुश्मनी किस बात की होगी, मैं उसे मारूंगा। जवाब है तुम्हारे पास ? तुम्हारे पास कैसे हो सकता है इसका जवाब है मेरे पास। "
ये कहते हुए एकदम से महक के करीब आकर महक के कंधो को पकड़कर, अपने आँखो मे महक के लिए एक जूनून ले कर बोला, " उसकी गलती ये थी कि उसने तुम्हें प्रपोज करने की हिम्मत किया। उसने तुम्हें पाने की ख्वाब देखा था, उसका हिम्मत कैसे हुआ तुम्हें रेड रोज देना का ? यह हक सिर्फ मेरा है, तुम्हें रेड रोस देने का, तुम्हें पाने का सपना अपने आँखो में बसाने का, तुम्हें अपने प्यार का इजहार करने का हक तो सिर्फ और सिर्फ मेरा है। मैंने पहले भी कहा था और आज एक बार फिर कहता हूँ, तुम सिर्फ और सिर्फ मेरी हो बेबी डॉल। जब से तुम्हें देखा था उसी पल से तुम ऋषभ बजाज के हो चुकी हो तुम मानो या ना मानो तुम्हें मेरा होना ही पड़ेगा। ″
महक जो ऋषभ के आंखों में देख रही थी वो अपनी आंखों में पूरी यकीन के साथ बोली, ″ कभी नहीं कभी नहीं। मैं कभी भी तुम्हारा नहीं होंगी। जीते जी तो कभी तुम मुझे हासिल नहीं कर पाओगे मिस्टर ऋषभ बजाज। ″
″ तो फिर ठीक है मैं भी देखता हूं कि तुम कैसे मेरी नहीं होती। अच्छा बेबी डॉल तुम बताओ, कल के अखबारों के फ्रंट पेज पर कैसा खबर होना चाहिए ? क्या कुछ ऐसा, जैसे कि....
एम आर कॉलेज के टेरेस से एक स्टूडेंट ने कि सुसाइड, लड़की का नाम कथा है, ओर उमर 19 20 के आस पास। क्या कारण था आत्महत्या के पीछे ? क्या ये आत्महत्या थी या किसी ने कथा कि मर्डर किया ?
या फिर ये पुणे में रहने वाले एक मिडिल क्लास फैमिली के गर में लगी आग और उस आग में २ परिवार वालो की डेथ हुई है एक १२ साल का लड़का और एक का अनुमान लगाना मुश्किल है। "
ऋषभ ने अपने गहरे आवाज में बोला।
" अब तुम ही बताओ कौन सा खबर ज्यादा अच्छा होगा? सोचना अब तुम्हें है, तुम्हें क्या चाहिए अपनी आजादी अपना जीवन या फिर अपने दोस्तों का अपने परिवार का किसका?″ ऋषभ ने उसे डराते हुए बोला।
ऋषभ के बातें सुनकर महक को बहुत तेज गुस्सा आने लगा और उसे अपनों के लिए डर भी होने लगी।
महक उसके बातों पर उसे अंबिलिविबल वाला लुक देते हुए बोली, ″तुम ऐसा कैसे कर सकती हो? क्या तुम एक इंसान नहीं हो? क्या तुम्हार रूह नहीं कांपता? सॉरी मैं भी किस से उम्मीद बैठा लेती हूं, तुम तो एक इंसान हो ही नहीं। राइट है नह। ″
ऋषभ महक को सही करते हुए बोला, ″ गलत बेबी डॉल मेरे अंदर दिल है, पर वो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी। मुझे दुख होगा तुम्हें तकलीफ में देखकर और हा क्या कह रही थी, मैं क्या इंसान नहीं हूँ?
ये गलत बात तुम्हें किसने कह दिया कि मैं इंसान हूं मैं तो इंसान हूं ही नहीं बल्कि इंसानों के भेष में रहने वाला एक......″
″ हैवान हो तुम हैवान शैतान हो तु। ″
ऋषभ को बीच में ही रोक कर महक ने एकदम से बोली।
महक की बातें को सुन ऋषभ के होठों पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गया और वो महक से इंप्रेस होकर उससे बोला, ″हम्म एकदम सही, हैवानी शैतान हूं मैं। बड़े जल्दी समझ गए तुम, आई लाइक ईट। अब तुम ही सोचो कि ये हैवान, तुम्हारी लाइफ का शैतान तुम्हारे लिए क्या क्या कर सकता है, किस हद तक गिर सकता है।″
महक ऋषभ की पकड़ से खुद को छुड़ाते हुए बोली, ″खुले आँखो से सपना नहीं देखा जाता मिस्टर बजाज। मैं तुम्हें अपने मकसद पर कभी कामयाब नहीं होने दूंगी। मैं कभी नहीं तुम्हारी होंगी कभी नहीं। ″
ये बोलकर वो ऋषभ को एक धक्का मार कर उस कमरे से बाहर कि तरफ भाग गई।
वही ऋषभ उसे जाते हुए पीछे से बोला, ″मुझ से भाग रही हो पर कहां तक भागोगि कितने दूर तक भागोगि? तुम जहां भी जाओगी मुझे हर तरफ अपने पास ही पाओगी। भागो भागो जितना भाग सकती हो भागो, पर वापस तो लौट कर तुम्हें मेरे पास ही आना है ″
ये कहते हुए ऋषभ जोड़ जोड़ से किसी शैतान कि तरह हासने लग गया।
ऋषभ हस्ते हुए एक गाना गुनगुनाने लगा, ″तुम्हें अपना बनने का जूनून सर पे है, कबसे है। मुझे आदत बना लो एक बुरी, कहना ये तुमसे है.......″
महक भागते हुए अपने हॉस्टल वापस आई और हॉस्टल पर अपने जो जो ज़रुरत के सामान था वो उन सभी को पैक करने लग गई।
पहले तो उसे सोचा था कि वो कथा को सब बताएगी, पर उसने खुद को रोक लिया ये सोच कर, कि अगर ऋषभ को ये भनक लग गई कहीं से भी, तो कथा की लाइफ पर भी खतरा मंडरा सकता है।
वो कथा के लाइफ को रिस्क में नहीं डाल सकती थी इसीलिए उसने किसी को बिना कुछ बताए मुंबई छोड़ने का फैसला कर लिया और वो पुणे की तरफ रवाना हो गई।
महक बिना कुछ बताए पुणे अपने परिवार आ गई थी, उसने पहले ये सोचा था कि कुछ दिन यहां पर रहकर अपने माँ पापा, भाई के साथ समय बिता कर यहां से भाग जाएगी। पर उसके दिमाग में ऋषभ की कही गई वह बातें याद आने लगी, कहीं अगर उसने महक को ना पाकर उसके घरवालों के साथ कुछ कर दिया, अगर उने मार दिया तो ?
ये खयाल आते ही उसने अपने मम्मी पापा को पुनर छोड़ने की बात की तो वो लोग एकदम से नकारने लगे आखिर में जब बो लोग ना माने तो महक ने अपने कसम देकर उने ऊनी छोड़ने के लिए मना लिया। और रातो रात सभी पुणे छोड़ कर जाने लगे।
क्या महक ने मुंबई छोड़ कर सही किया? क्या करेगा ऋषभ महक के साथ जब उसे महक का मुंबई छोड़ने का खबर आएगा? अब आगे क्या होगा इस कहानी मे जानने के लिए पढ़िए..........
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प्रेजेंट टाइम, ऋषभ का कमरा...
ऋषभ महक के फोरहेड पर हल्का सा किस किए बोला, ″ चलो बेबी डॉल रात बहुत हो गई है और तुम थक भी गए होंगे अभी फ्रेश हो कर सो जाओ। ″
महक जो ऋषभ के इस हरकत से शोक में थी वो ऋषभ के बातें सुन वापस होश मे आई और ऋषभ को अपने आप से अलग करते हुए जोड़ से धक्का दिया, ओर अपने पैर पटकते हुए वाशरुम के तरफ जाने लगीं।
महक के बैक को देखते हुए ऋषभ ने टेडी मुस्कान के साथ उससे कहा, ″ बेबी डॉल तुम्हें नहीं लगता तुम्हारी हिम्मत कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है, मुजसे दूर जा कर इन बीते महीनों मे?″
″नहीं! हिम्मत मेरी शुरू से ही बहुत है।″
महक ने बिना पीछे मुड़े ही ऋषभ के सवालों का जवाब दिया और वाशरुम में घुस गई।
″हाय! तुम्हारी इस अदा पे ही तो मैं मरता हूं।″
ऋषभ एक टेडी मुस्कुरा कर किसी सिरफिरे आशिक की तरह बोला |
फ्रेश होने के बाद महक को ख्याल आता है की जल्दबाजी में उसने तो पहनने के लिए कुछ कपड़ा अंदर लाया ही नहीं है हालांकि वाशरुम में बथ्रोब था। पर वो ऋषभ के सामने बथ्रोब पहन के तो हरगिज नहीं जाने वाली थी। अब चाहे उसे पूरी रात तो क्या पूरी दिन भी वाशरुम के अंदर क्यूँ ना बिताना पड़े।
वही अब महक को वाशरुम में गए हुए बहुत समय हो गया था| ऋषभ घड़ी में टाइम देखकर वाशरुम के डोर के पास जा कर उसे नोक करते हुए कहा, ″ बेबी तुम मुझे परेशान कर रही हो! तुम हमारी फर्स्ट नाईट को ऐसे बर्बाद नहीं कर सकती। वो वाशरुम है, ओर हमारा बेड यहाँ पर है। अगर तुम वहां ज़्यादा कंफर्टेबल हो तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, अब दरवाजा तुम खोलोगि या मैं ? पसंद तुम्हारा।″
तभी दरवाजा खुलता है और महक दरवाजा को थोड़ा सा गैप मे से अपना सर बाहर निकले ऋषभ तीखे पन से बोली, ″हेलो अपने ख्यालों के घोड़े को वहीं पर लगाम लगाओ और मेरे लिए कपड़े का इंतजाम करो। मेरे पास कोई कपड़े नहीं है, बिना कोई कपड़े पहने मैं बाहर कैसे आऊं?″
ऋषभ दरवाजे के गैप से महक को ऊपर से नीचे तक देखा ओर फिर एक टेडी मुश्कान के साथ कहा, ″क्यों तुम्हें कपड़े पहनने की जरूरत क्या है ? ऐसे ही बाहर आ जाओ, बिना कपड़ों के तुम ज्यादा खूबसूरत लगोगी। वैसे भी यहां कौन है जो तुम्हें देखेगा?″
″क्या कमरे में तुम मौजूद नहीं हो?″
ऋषभ की बात सुनकर महक बोली।
ऋषभ वैसे ही बड़े बेशर्मी से महक को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला, ″बेबी डॉल मेरे सामने तुम्हे कपड़े पहनने कि ज़रुरत क्या है? वैसे भी आज हमारी फर्स्ट नाईट है! कुछ देर बाद तो मैं तुम्हारे कपड़े उतार ही दूँगा, बाद मे करुँ या अब क्या फर्क पड़ता है?″
″तुम...! अपनी हद मे रहा करो समझे। ″
महक ने गुस्से से बोली।
″मैं अभी भी अपने हद में हूँ, इसीलिए बाहर खड़ा हूं। बढ़ना अब तक हम वाशरुम के अंदर बहुत कुछ कर चुके होते। ″
ऋषभ अपने आँखो मे महक के लिए लस्ट लेकर कहा|
″हवसी कहीं का!″
महक ने अपने में बड़बड़ाती है
और आगे बोली, ″अगर मेरे पहनने के लिए कोई ढंग के कपड़े के का इंतजाम कर पाए तो ही अगले बार दरवाजे पर नोक करना, वरना दूसरी बार अपना शकल मत दिखाना। ″
ये कहकर महक ने बिना ऋषभ के जवाब सुने ही उसके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया|
और दरवाजे पर अपनी पीठ टिकाई अपनी बेकाबू सांसो को कण्ट्रोल करने लगी, महक अपने दिल पर हाथ रखे खुदसे बोली, ″ये... ये क्या हो रहा था मुझे? कुछ नहीं कुछ भी नहीं|"
" महक तू कुछ ज़्यादा सोच रही है आज तो बाल बाल बची, वरना इस हवसी का कोई भरोसा नहीं। देख तो ऐसा रहा था जैसे अपने आँखो से मुझे खा जाएगा। हवस कि पुजारी कहीं का ।″
वही ऋषभ एक बार फिरसे वाशरुम का दरवाजा नोक किया तो महक ने दरवाजा खोलकर, दरवाजे के गैप से थोड़ा सा अपनी मुंडी बाहर निकले उससे बेरुखी से बोली, ″क्या?″
ऋषभ उसके तरफ कपड़े करते हुये बोला, ″अभी इसे पहन लो, कल तक तुम्हारी सारी ज़रुरत का सामना आ जाएगा |"
महक ऋषभ के हाथो से कपड़े लेते हुये उसे taunt मारते हुए बोली, ″कमाल है लड़की से जबरदस्ती शादी करने से पहले ये बात ध्यान में नहीं आया कि लड़की कि जरूरत के कुछ सामान भी होते हैं और चला आया मुंह उठा कर शादी करने। ″
ये बोलकर उसने एक बार फिर से ऋषभ के मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया |
कपड़े पहने के बाद शीशे के सामने खड़ी होकर वो अपने अक्स को देखी तो, उसकि आंखें फटी की फटी रह गई। महक को फिर से वही मनमोहन कर देने वाली खुशबू आ रही थी, ध्यान से सूंघने पर उसे पता चला कि ये खुशबू तो उससे ही आ रही है। उसे ये समझने में देर नहीं लगि कि ये जो कपड़ा अभी उसने पहनी हुई है ये किसकी है?
महक वाशरुम से चिल्ला कर बोली, ″ये क्या पहन ने के लिए दिया है तुमने, मुझे?″
″पहन कर बाहर आना है तो आओ वरना मैं अंदर आ जाऊंगा और अगर मैं अंदर गया तो तुम्हारे बदन पर ये कपड़ा भी नहीं होगा। ″
ऋषभ सपाट लहजे में उसे धमकी देकर बोला|
ऋषभ के धमकी को सुनकर महक ने जल्दी से दरवाजा खोल वाशरुम से बाहर आ गई।
ऋषभ ने जब अपने सामने महक को उसके बीज कलर के शर्ट मे देखा तो वो बस एक तक महक को देखता ही रह गया|
ऋषभ ने जान बूझकर महक को ये शर्ट दिया था, शर्ट ट्रांसपेरेंट होने के करन महक कि बॉडी बहुत अच्छे से ऋषभ को दिखाई दे रहा था।
इस शर्ट मे महक ऋषभ को और भी आकर्षक लग रहा था| ऋषभ महक को ऐसे देख रहा था जैसे मानो महक ने उसके सामने बिना कपरो में खड़ी हो।
वही महक, ऋषभ के नज़रों मे खुद के लिए हवस और जूनून देख गुस्से और शर्म से लाल हो गई|
ऋषभ के बीज कलर के शर्ट जो महक के निस तक आ रहे थे, महक उसे नीचे खींच कर अपने सुंदर लंबे गोरे टांगो को ऋषभ के नज़रों से छुपाने कि कोशिश कर रही थी।
ये देखकर ऋषभ ने बड़े ही बेशर्मी से महक से कहा, ″क्या हुआ बेबी डॉल? मैं क्या कुछ मदत कर दूँ?″
″कोई ज़रुरत नहीं है। मुझसे दूर रहा करो, और ऐसे हवसी कि तरह घूरना बंद करो। मैं कभी भी तुम्हें अपने आपको नहीं सोपुंगी, समझे। अब हटो मेरे रास्ते से ″
महक ने बड़े ही रूखे स्वर में सामने खड़े ऋषभ से ये बोली ओर अपनी बात कहकर वो उसके बगल से निकालने लगी।
पर तभी ऋषभ, महक कि बाजु को पकड़े उसे अपने तरफ खींच कर उसे वहीं रोक लिया| ओर अपने एक हाथ महक के पीठ पर रखकर, दूसरे हाथ से शर्ट के ऊपर से ही महक के पेट पर चलाने लगा।
ओर फिर ऋषभ उसकी आँखो मे देखते हुये बोला, ″बेबी डॉल, तुम्हें नहीं लग रहा है कि तुम कुछ ज़्यादा ही बोलने लगी हो मेरे सामने? ये मत भूलो मैं वहीं पुराना ऋषभ बजाज हूँ, जिसे किसीका भी मुँह बंद करने मे बस कुछ चांद सेकंडस लगता है।″
ऋषभ इतना फ़ास्ट था कि महक ने अपना कोई रिएक्शन दे नहीं पाई और नतीजा वो ऋषभ के बाहों के कैद मे थी। इस समय उन दोनों के बीच एक पेपर जितना फासला था|
ऋषभ के इतने करीब होने कि वजह से महक कि सांसें हरबार कि तरह एक बार फिर बेकाबू होने लगी। किसी भी लड़की को पागल कर देने वाली ऋषभ का वो मनमोहक खुसबू मे एक बार फिर महक खोने लगी| साँस बेकाबू होने कि वजह से महक कि छाती बारबार आप्स एंड डाउनस हो रहे थे और वहीं ऋषभ कि नज़र भी महक के छाती पर ही था।
ऋषभ महक के छाती को देखते हुए अपने हस्की वॉयस में बोला, ″बेबी डॉल यू लुक इवेन मोर व्यूटीफुल, हॉट सेक्सी डिस ड्रेस|"
महक जो कही खो गई थी, वो ऋषभ के बात सुने वापस से होश में आया।
ओर ऋषभ के बातों का मतलब समझे उसने जब ऋषभ के नज़रों का पीछा किया तो उसकी गाल एक बार फिर शर्म से और ऋषभ पर गुस्से दोनों से ही लाल हो गई। शर्ट, ट्रांसपेरेंट होने के कारण ऋषभ बड़े मज़े से उस नज़रे लुफ्त उठा रहा था।
महक गुस्से और शर्म से ऋषभ को देख रही थी, वो ऋषभ से कुछ बोलने के लिए अपना मुँह खोली ही थी कि, ऋषभ ने उसके होंठों के अलग होने का झट से फ़ायदा उठाया।
ओर फुर्ती के साथ अपने होंठ महक के कोमल होठों पर रखकर उने लॉक कर दिया।
ऋषभ महक के नरम होठों को किसी प्यासे मुसाफिर कि तरह बेतहशा चुमे जा रहा था, जिसे ना जाने कितने समय बाद अपने प्यास बुझाने का मौका मिला हो।
वहीं महक जो ये सब सोची भी नहीं थी, वहीं सब आज उसके साथ हो रहा था। वो ऋषभ के किये गए इस एक्शन से बिलकुल चौक गई थी। उसकी आँखो के पुतलियां हैरानी और चौकने के कारण बड़ी हो गई थी|
महक एकदम शुन्य हो गई थी वो ना तो ऋषभ को खुद से दूरकर पा रही थी, और ना ही ऋषभ के किस का जवाब दे रही थी और यही बातों का फ़ायदा उठाय ऋषभ उसके शर्ट के अंदर अपना हाथ घुसा दिया।
शर्ट ऋषभ का था, महक के छोटे आकर शरीर के लिए ऋषभ के हट्टा कट्टा, जिम किए बनाया परफेक्ट मस्कुलर बॉडी से बहुत बड़ी होगी ये बात तो लाजमी थी, और इस बात का फ़ायदा ऋषभ ने बहुत अच्छे से उठाया था।
ऋषभ महक के पेट पर बेहद ही प्यार के साथ अपना हाथ फेरा रहा था और बीच बीच उसके पेट को हल्का सा दबा भी देता था|
वहीं महक जो ऋषभ के पेशनेट किस के वजह से धीरे धीरे अपनी होश खोने लगी। एक तो पहले से ही वो ऋषभ के इतने करीब थी, मनमोहक कर देने वाले ऋषभ के वो खुश्बू जो उसे बेकाबू कर रहे थे| वही दूसरी तरफ बाकी का कसर ऋषभ के किस और एक्शन ने पूरा कर दिया था।
महक ऋषभ के बाहों मे उसके छूयान से पिघलने लगी थी, ऋषभ के हर एक छूयान उसे मदहोश कर जा रहे थे |
ऋषभ किस करते हुए कब , महक को बेड के पास लाया, ये महक को पता भी ना चला। वो महक के होठों को छोड़ कर अब धीरे धीरे उसके गर्दन के तरफ बढ़ रहा था, वो महक को किस करते हुए ही बेड पर ले आया था |
महक जो अपनी पूरी होश खो चुकी थी उसे होश तब आई जब उसे महसूस होता है कि, ऋषभ के हाथ उसके पेट से नीचे उस तरफ बढ़ रहे थे।
और तभी ऋषभ महक के एयरलव को चुमते हुए बेहद ही सेडक्टिव वे मे बोला, ″ बेबी डॉल तुम्हारी वजह से हमने बहुत समय गांवा दी। पर रात अभी भी बाकी है और आज हमारी फर्स्ट नाईट... "
अब आगे क्या हुआ इस कहानी में जानने के लिए पढ़िए...
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Chapter 1
इंदौर, मध्य प्रदेश
रात का वक्त
एक कार्निवल लगा हुआ था आज इंदौर में। आज नहीं, पिछले एक हफ्ते से था, बस आज आखिरी दिन था। इस कार्निवल में एक लड़की ऐसे ही अकेले घूम रही थी।
उसके हाथ में दो-तीन पैकेट्स थे, शायद वो घर जा रही थी। आज आखिरी दिन था, तो बहुत भीड़ भी थी वहाँ पर। वो वहाँ से निकल रही थी कि तभी पीछे से किसी ने उसे हल्का सा धक्का दिया। वो लड़की गिरते-गिरते बची।
उसके मुँह से बस इतना निकला, "ये क्या तमाशा है?" बोलकर उसने तुरंत अपनी नज़रें घुमाईं।
उसकी कॉस्मिक ब्लू आँखों के सामने कुछ लड़के थे, तीन से चार लड़के, जो चिल्लाते हुए धक्का-मुक्की कर रहे थे। उस लड़की ने नजरे घुमाकर थोड़ा से पीछे देखा। पीछे कुछ औरतें थीं, बच्चे थे, वे सब परेशान हो रहे थे उन चार लड़कों की वजह से।
वो लड़की मन में बोली, "नहीं, शिविका दीक्षित, गड़बड़ हो जाएगी, भीड़ इकट्ठा हो जाएगी।" सोचते हुए उसने एक लंबी, गहरी सांस ली और वापस अपने कदम आगे बढ़ाने लगी। तभी पीछे से उनमें से किसी एक लड़के ने अचानक से उसकी लोअर बैक पर हाथ रखा।
शिविका ने बिना एक पल गँवाए घूमते हुए सीधे उसी लड़के के गाल पर एक थप्पड़ दे मारा। एकदम से मानो शांति छा गई थी। आसपास की भीड़ तुरंत रुक गई थी।
उस लड़के ने अपने गाल पर हाथ रखा और हैरानी से शिविका की तरफ देखा। उसने हल्के से अपने कान को टच किया , कान से उसके खून आने लगा था। इतनी जोर से झटका लगा था उसके गाल पर, कह सकते थे कि गाल से पूरे कान तक। बाकी लड़कों में तो कुछ बोलने की हिम्मत ही नहीं बची थी। अगर एक लड़की किसी को थप्पड़ मार रही थी, तो फिर वे बाकी छिछोरे क्या कर सकते थे, बस चुपचाप उसे देख रहे थे।
शिविका ने कुछ पल उन सबको घूर कर देखा और फिर वो तुरंत वहाँ से निकल गई। वो सीधे अपनी स्कूटी के पास पहुंची।
शिविका खुद से ही बोली, "लाइक सीरियसली! कुछ नहीं करो तो हाथ चलने लगते हैं। उनके हाथ चलेंगे, तो मेरे भी तो हाथ चल सकते हैं, ना?" बोलकर उसने वो सारे पैकेट्स आगे रखे और आराम से स्कूटी पर बैठकर उसे स्टार्ट कर दिया।
रास्ता खाली था, तो उसने अपनी स्कूटी की स्पीड बढ़ा दी थी। तभी अचानक से उसके सामने से एक जीप आने लगी। शिविका की आँखें एकदम से फैल गईं।
उसने तुरंत अपनी स्कूटी का रास्ता थोड़ा सा मोड़ा और सीधे वो एक ठेले से टकरा गई। वो जीप थोड़ा सा आगे जाकर रुक गई।
शिविका धीरे से बोली, "माय गॉड! एक के बाद एक चीज़ हो रही है यहाँ पर," बोलते हुए उसने हल्के से अपने सीने पर हाथ रखा। एक्सीडेंट होने के डर की वजह से उसके दिल की धड़कनें बुरी तरीके से शोर करने लगी थीं।
वही जीप जो कि आगे रुकी हुई थी, उसमें ड्राइविंग सीट पर बैठे हुए इंसान ने हल्का सा अपना चेहरा बाहर निकाल कर पीछे की तरफ देखा। वो शिविका को देख रहा था, उसकी पीठ की तरफ देख रहा था।
उसने हेलमेट पहना हुआ था, तो शक्ल तो उसे दिखी नहीं थी, पर उसकी आँखों की चमक से ये साफ था कि उसने थोड़ी सी पी रखी थी और वो ड्रिंक एंड ड्राइव कर रहा था, जो कि लीगल तौर पर नहीं करनी चाहिए थी, पर वो तो कर रहा था।
इधर शिविका, जैसे ही शांत हुई उसने तुरंत अपनी नज़र घुमाते हुए उस जीप की तरफ देखा। अब तक वो इंसान जो कि उसे देख रहा था, वो सीधा होकर बैठ चुका था, तो शिविका को कुछ नजर नहीं आया।
वो गुस्से में बोली, "गाड़ी क्या मिल गई है, रोड पर ऐसे चलते हैं जैसे रोड उनके खानदान ने बनवाई हो! सरकारी माल को अपनी प्रॉपर्टी समझने की खानदानी आदत बन रही है लोगों की। जिसको देखो, सब पागल है।”
शिविका अपनी स्कूटी से उतरने वाली थी कि उसी इंसान ने वो जीप आगे बढ़ा दी, मानो उसे तो कोई फर्क नहीं पड़ा था।
शिविका हैरानी से बोली, "व्हाट द हेल! किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता , वॅटीवर ! किसी दिन ये जीप मेरे सामने आए ना, इस जीप की क्या हालत करूंगी मैं, किसी ने सोचा भी नहीं होगा। और जब मैं करूंगी, तब इंसान देख लेगा। पता चलना चाहिए ना कि आखिर हर बार नहीं बच सकते तुम," बोलकर उसने अपनी स्कूटी स्टार्ट कर दी और फिर वहाँ से निकल गई।
अगली सुबह
शिविका इस वक्त आराम से बेड पर सो रही थी कि तभी उसका फोन बजा। उसने नींद में कॉल पिक किया।
दूसरी तरफ से एक लड़के की आवाज़ आई, "कहां हो तुम? कॉलेज का फर्स्ट डे है और तुम्हारा कोई अता-पता नहीं है! किधर हो? मैं बाहर खड़ा हूं, वेट कर रहा हूं पिछले 10 मिनट से। तुम नहीं आई।" ये सुनते ही शिविका तुरंत उठकर बैठ गई।
उसने एक बार टाइम चेक किया, सुबह के 9:00 बज रहे थे। 9:30 तक उसे कॉलेज पहुंचना था। उसका पहला दिन था।
वो धीरे से बोली, "बस मैं तो फ्रेश हो रही हूं, थोड़ी देर में आती हूं," और तुरंत एक टॉप और डेनिम उठाकर वो सीधे वॉशरूम भाग गई।
10 मिनट के अंदर उसने जैसे-तैसे करके शावर लिया और जल्दबाजी में कपड़े पहनकर अपने बालों को ऐसे ही पोनीटेल में बांधा। अपना कॉलेज बैग और फोन लेकर तुरंत वहां से निकल गई। छोटा सा घर था उसका और फिलहाल घर में कोई नहीं था। कोई था या नहीं था, वो तो बात की बात थी।
शिविका जैसे ही बाहर पहुंची, उसकी नज़रें सीधे एक लड़के पर चली गईं जो अपनी बाइक के पास खड़ा था।
शिविका तुरंत उसके पास आकर बोली, "मैं आ गई बस।"
वो लड़का उसे देखकर बोला, "अभी आ रही हो? लाइक, आई मीन क्या हो तुम?"
शिविका जल्दी से बोली, "रूद्र प्लीज, मैं रात को थक गई थी। यू नो ना कि मुझे देर हो गई थी कार्निवल के चक्कर में।"
रूद्र कुछ पल रुक कर बोला, "मैंने तो मैं पहले ही मना किया था, शिविका। कॉलेज का फर्स्ट डे है और तुम्हें कार्निवल की पड़ी थी। तुम्हें पता है अब जब तुम जाओगी ना, तो तुम्हें जो कॉलेज के सीनियर मिलेंगे ना, पता नहीं क्या हालत करेंगे तुम्हारी। और यू नो व्हाट, वहां मैं भी तुम्हें नहीं बचा पाऊंगा क्योंकि मैं खुद सेकंड ईयर में हूं। थर्ड और फोर्थ ईयर वालों का तो कोई इलाज नहीं है मेरे पास।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "जो होगा देखा जाएगा। अभी चलो।"
रूद्र गहरी सांस लेकर बोला, "ओके फाइन," बोलकर वो बाइक पर बैठा। शिविका तुरंत उसके पीछे बैठ गई और वे दोनों वहां से निकल गए।
1 घंटे बाद, रूद्र ने अपनी बाइक रोकी। शिविका बाइक से उतरी और चुपचाप सामने देखने लगी। उसका ड्रीम कॉलेज, इंडिया का ही नहीं, पूरे एशिया का वन ऑफ द बिगेस्ट कॉलेज ऑफ मैकेनिकल इंजीनियरिंग, IITMS (इंपीरियल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैकेनिकल साइंस)। यही था वो कॉलेज।
रूद्र उसके पास आकर बोला, "क्या हुआ? सपना सच होते देख नर्वस हो रही हो?"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "इस सपने के लिए बहुत मेहनत की है मैंने। एंट्रेंस क्लियर करना, एक के बाद एक टेस्ट क्लियर करना, ट्यूशन वगैरा। फाइनली मैं यहां पर हूं। फाइनली, मेरी 4 साल की दुनिया है यह।"
रूद्र हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, "बहुत खतरनाक भी है।"
शिविका उसे देखकर बोली, "मैं खतरों से कभी डरती नहीं हूं। जानते हो ना तुम?"
रूद्र उसे देखते हुए बोला, "जानता हूं मैं। पर यहां पर एक इंसान है, जिससे दूरी बनाकर रखना सबसे जरूरी है तुम्हारे लिए," बोलते हुए उसने शिविका का हाथ पकड़ा और उसे लेकर अंदर आया।
शिविका चारों तरफ देखते हुए बोली, "ऐसा भी कौन है जिसे शिविका दीक्षित दूर रहे, ये जरूरी है?"
रूद्र उसे देखकर बोला, "गुरु।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "गुरु कौन?"
वहीं कॉलेज के बास्केटबॉल कोर्ट में एक बहुत बड़ी लड़ाई चल रही थी। दो टीमें थीं। और उनमें से एक थी रेजर्स टीम, जो कि हमेशा लीड करती थी। आज उस टीम का एक भी गोल नहीं हुआ था।
ऊपर से सामने वाली टीम उन्हें ट्रिगर कर रही थी, इसी वजह से वहां एक बहुत बड़ी लड़ाई हो रही थी। आधे से ज्यादा कॉलेज वहां पर कलेक्ट हो रखा था और सबसे बड़ी बात ये थी कि लड़ाई करने वाला गुरु था।
यहां रूद्र, शिविका को देखकर बोला, "गुरु वो है जो इस कॉलेज का राजा लगता है। तुम्हें पता है, थर्ड ईयर में है। वो 23 साल का है, इतना मुझे पता है क्योंकि 2 साल का ड्रॉप लेने के बाद उसने एडमिशन लिया। तो अब वो थर्ड ईयर में है। और जब से वो यहां पर आया है, तब से उसने प्रोफेसर से लेकर के स्टूडेंट्स सबकी नाक में दम कर रखा है। चलता-फिरता बम है वह, जिसे अगर कोई देख भी ले तो फटने को तैयार होता है।"
शिविका गहरी सांस लेकर बोली, "नाम बड़े, दर्शन छोटे वाली बात हुई ना रूद्र? तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगी। जितनी बातें तुम बोल रहे हो ना, वो इंसान होता भी चाहिए।"
रूद्र हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, "मैं मजाक नहीं कर रहा और वो भी गुरु के केस में। यहां पर कोई मजाक कर भी नहीं सकता।"
इधर बास्केटबॉल कोर्ट में एक लड़का जमीन पर गिर पड़ा था और उसके ऊपर कोई और भी था। वही, उसकी जेमस्टोन ग्रीन आंखें, जो कि गुस्से से लाल हो रही थीं। वो बेधड़क उसे गिरे हुए लड़के को मुक्के मार रहा था।
कुछ लोग चीयर कर रहे थे, बाकी लोग उसे रोकने की कोशिश कर रहे थे और वहां पर एक ही वोटिंग चल रही थी, "गुरु! गुरु! गुरु!"
अब तक वे दोनों प्रिंसिपल ऑफिस तक पहुंच चुके थे।
शिविका, रूद्र को देखकर बोली, "मैं अपना टाइम टेबल ले लूं वैसे….”
रूद्र बीच में ही बोला, "मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रही हो तुम, यहां पर लड़कियां बहुत कम होती हैं। शायद तुम्हारे बैच में तुम पहली लड़की हो।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "हां माय गॉड! इसका मतलब सारे लड़के मेरे पीछे पढ़ने वाले हैं! मुझे पता था ये होगा ज़रूर।”
रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "अब ये तो तुम्हें सोच कर आना चाहिए था। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में लड़कियों की संख्या ना के बराबर होती है। और जब कोई आएगी, तो लड़के उसके पीछे तो जाएंगे ही well वो तो…”
इसी बीच, आगे दो लड़के वहां से जाते हुए बोले, "गुरु उसे मारे जा रहे हैं, पता नहीं जान से मारने की प्लानिंग कर रखी है उसने। शायद रुकने को तैयार ही नहीं है।"
रूद्र धीरे से बोला, "ओ माय गॉड! जान से मारने की प्लानिंग।"
शिविका कन्फ्यूजन से बोली, "क्या मतलब?"
रूद्र उसका हाथ पकड़ कर बोला, "चलो मेरे साथ," बोलकर वो उसे सीधे वहां से ले गया।
इधर एक लड़का गुरु को खींचने की कोशिश करते हुए बोला, "गुरु रिलैक्स यार, मर जाएगा वो फालतू में। कैसे बनेगा? स्टॉप इट। किसी को मारना नहीं है। इस बार प्रिंसिपल को पता चला तो फिर सस्पेंशन आ जाएगी हाथ में।"
गुरु एकदम से चिल्ला कर बोला, "चुप! बिल्कुल चुप!" ये सुनते ही वो लड़का एकदम से खामोश हो गया और दो कदम पीछे हट गया। उसने बाकी दो लड़कों को देखा, उसे पता था कि अब कोई फायदा नहीं होने वाला था।
इधर गुरु वापस उस लड़के की तरफ आया। उसने उसका कॉलर पकड़ कर बोला, "उंगली करने का बहुत शौक है ना तुझे? बहुत ही ज्यादा वाला शौक है इतना कि तुझे ये भी होश नहीं है कि तुझे उंगली कहां करनी है और कहां नहीं करनी है, किससे बोलना है और किससे नहीं बोलना है।"
बोलकर वो उसके नाक पर एक जोर का पंच मारने वाला था कि तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया। गुरु ने हल्के से नजर उठाते हुए एक लड़के को देखा, जो बेहद शांति से उसे देख रहा था।
वो लड़का कुछ पल रुक कर बोला, "रिलैक्स, ओके? इसका हिसाब हम शांति से करेंगे। मेरी बात माननी पड़ेगी, ओके?"
गुरु न जाने क्यों, एकदम से शांत हो गया। वो धीरे से बोला, "जस्ट बिकॉज ऑफ यू, संकल्प," बोलकर वो खड़ा हो गया।
वो दूसरा लड़का, जो बहुत शांत था, कोई और नहीं संकल्प था।वो स्पेशली अपनी क्लास छोड़कर यहाँ पर गुरु को रोकने के लिए आया था। संकल्प ने गुरु का हाथ पकड़ा और बाकी सब को वहाँ से जाने का इशारा किया।
अब तक रुद्र और शिविका वहाँ पर आ चुके थे। शिविका हैरानी से अपने सामने का नज़ारा देख रही थी। उसने कभी ये सब कुछ तो नहीं देखा था।
वो धीरे से बोली, "क्या नौटंकी है, कॉलेज का अखाड़ा।"
रुद्र उसे देखकर बोला, "आवाज नीचे, गुरु के कानों तक तुम्हारी बकवास नहीं पहुँचनी चाहिए, गड़बड़ हो जाएगी।
शिविका इरिटेट होते हुए उसे देख रही थी। गुरु के बारे में इतनी बातें सुनकर उसे गुस्सा आ रहा था। उसकी नज़र सीधे संकल्प के साथ खड़े गुरु की तरफ चली गई। उसने गुरु की शक्ल तो नहीं देखी थी, सिर्फ नाम ही सुना था। उसे नहीं पता था, पर उस इंसान को देखकर वो समझ रही थी कि वो बहुत गुस्से में था।
रुद्र, शिविका को देखकर बोला, "जैसे तुम देख रही हो, वही गुरु है।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "आ रहा है समझ में मुझे।"
संकल्प गुरु का हाथ पकड़े हुए उसे वहाँ से लेकर जाने लगा। वे दोनों रुद्र और शिविका की तरफ ही आ रहे थे। रुद्र ने शिविका का हाथ पकड़ते हुए उसे एक तरफ किया।
इधर गुरु उसके साइड से होकर निकल रहा था कि तभी शिविका धीरे से बोली, "डिस्गस्टिंग, creepy इंसान।"
ये सुनते ही गुरु अचानक से रुका। उसने हल्के से नज़रें घुमाते हुए शिविका की तरफ देखा, जो खुद उसे देख रही थी। वे दोनों कुछ पल एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे और फिर संकल्प उसे खींचते हुए वहाँ से ले गया।
Chapter 2
IITMS, इंदौर
शिविका इस वक्त रुद्र के साथ कैंटीन में थी। वो अपनी पहली क्लास खत्म करके आई थी। उसे टाइम टेबल सब कुछ मिल चुका था। एक दिन में दो से तीन क्लास होती थी और वो भी अच्छे-अच्छे टाइम पर। क्या करती, इसीलिए उसे जहाँ टाइम है, तो कैंटीन में निकलना था या फिर लाइब्रेरी में, क्योंकि पहले जाने का तो कोई फायदा था नहीं, क्लास में सो जाती।
रूद्र उसे देखकर बोला, "शिविका, why are you so lost? ध्यान कहां है तुम्हारा?"
शिविका उसे देखकर बोली, "वो तो यहीं पर है, पर पता नहीं, मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है। I mean, तुम्हें पता है मेरी बैच में 30 स्टूडेंट्स हैं और उन 30 में से 30th मैं हूं। बाकी 29 सारे लड़के हैं, माय गॉड! प्रोफेसर ने मुझे देखा, उन्होंने मुझे आगे बिठाया और मेरी बेंच पर कोई नहीं बैठा था, गोद कोई नहीं बैठा वरना पता नहीं मैं क्या करती।"
रूद्र हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, "अब इतना तो झेलना पड़ेगा, तुम जानती हो ना कि तुम जिस फील्ड में हो, जहां तुम पढ़ रही हो, वहां पर लड़कियां न के बराबर दिखती हैं।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "I know, भूख लगी है मुझे।"
रूद्र जल्दी से बोला, "ओके, मैं लेकर आता हूं और मुझे पता है कि तुम्हें क्या खाना है।" बोलकर वो सीधे काउंटर की तरफ चला गया।
इधर शिविका ने एक गहरी सांस ली। उसने एक बार टाइम चेक किया, 1:00 बज रहे थे दोपहर के।
वो खुद से बोली, "एक आखरी क्लास ले लूं, आज तो दो ही क्लास हैं। बस 2:00 बजे की क्लास अटेंड करके 3:00 तक, 3:30 तक मैं निकल जाऊंगी यहां से, मेरा काम खत्म।" उसने इतना ही कहा था कि तभी उसे कुछ अजीब लगा। कैंटीन में काफी ज्यादा हलचल शुरू हो चुकी थी।
वो धीरे से बोली, "कौन सा नाटक होने वाला है यहां पर? ये सब क्या चल रहा है?" जो भी लोग कैंटीन के राइट साइड पर थे, वो सभी वहां से उठकर फिर लेफ्ट साइड पर आने लगे जहां पर ऑलरेडी शिविका बैठी हुई थी।
लेफ्ट साइड की सारी टेबल भर चुकी थी, जो राइट साइड था वहां पर अब कोई नहीं था, एक भी इंसान नहीं था। शिविका को समझ में नहीं आता कि आखिर ये सब चल क्या रहा था। उसने अपना सर झटका और अपने फोन पर कुछ करने लगी कि तभी अचानक से उसके सर पर कुछ आकर लगा। शिविका ने हल्के से अपने बाल पर हाथ रखा और फिर अपना हाथ चेक किया।
वो धीरे से बोली, "अंडा?" इतना बोलकर वो खड़ी हो गई।
शिविका ने हैरानी से सीधे अपने सामने देखा, उसे राइट साइड के एक तरफ गुरु खड़ा था। उसके हाथ में एक अंडा था और शिविका को समझ में आ चुका था कि उसके सर पर अंडा करने वाला वही था।
गुरु ने बिना एक पल गंवाए शिविका की तरफ अंडा फेंका। शिविका ने अपना हाथ आगे कर लिया और इस बार उसके हाथ पर वो अंडा जाकर फूटा था। उसे बहुत अजीब लग रहा था, सीरियसली डिस्गस्टिंग लग रहा था। एक्चुअली वो कुछ कर पाती कि तभी एक के बाद एक उसके ऊपर अंडे गिरने लगे। लगातार पांच अंडे फूट चुके थे उसके ऊपर। रूद्र अब तक वहां पर आ चुका था।
वो धीरे से बोला “ shit !”
शिविका सर झुकाए खड़ी थी। वहां पर जितने भी सीनियर्स मौजूद थे, वो सभी लोग उसे देखकर हंसने लगे थे। उन सब की आवाज सुनते हुए शिविका ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
उसकी नजर टेबल पर रखे हुए पेस्ट्री की तरफ थी जो रूद्र अभी लेकर आया था। शिविका को पेस्ट्री बहुत पसंद थी। गुरु के हाथ में अभी भी एक अंडा था। उसने अपने कदम शिविका की तरफ बढ़ा दिए। कुछ ही पल में वो उसके सामने आकर रुक गया, बस थोड़ी दूरी पर ही खड़ा था। वो कुछ पल रुक कर बोला, "वेरी बेड। मुंह खोलने से पहले 100 बार सोचोगी, जूनियर।"
शिविका अभी भी वैसे ही खड़ी थी। गुरु हल्का सा मुस्कुराया। वो जाने के लिए मुड़ा ही था कि तभी शिविका ने एकदम से उसका कॉलर पकड़कर उसे अपनी तरफ घुमाया और उसने तुरंत वो पेस्ट्री उठाकर सीधे उसकी तरफ फेंकी। गुरु हल्का सा साइड हो गया था।
उसने अपना सर टेढ़ा कर लिया था। पेस्ट्री उसके गाल पर लगते हुए नीचे गिर गई। वहां जितने भी लोग मौजूद थे सभी लोग हैरान हो गए थे। पहली बार पिछले तीन सालों में पहली बार किसी ने गुरु के साथ ये हरकत की थी। उसके मुंह पर पेस्ट्री फेंकना?
किसी की इतनी औकात नहीं थी कि वो गुरु को देख भी ले और यहां पर तो औकात से भी ऊपर की बात निकल गई थी। गुरु ने एक बार गिरी हुई पेस्ट्री को देखा और हल्के से नजरें उठाकर शिविका की कॉस्मिक ब्लू आंखों में देखा। उसकी जेमस्टोन ग्रीन आंखें इस वक्त गुस्से से लाल होने को तैयार थी।
शिविका उसका कॉलर पकड़ते हुए बोली, "होगी तुम कहीं के गुरु कॉलेज है यहां के ना, तो राजा हो तो ना कि यहां के आप। इसीलिए ऐसी हरकतें मत करना और मेरे साथ तो दोबारा मत करना क्योंकि मुझे जवाब देना आता है। नहीं होगी इनमें से किसी के भी औकात तुम्हारे सामने खड़े होने की लेकिन शिविका दीक्षित ना, तुम्हें नहीं छोड़ेगी और I mean it।"
इतना बोलकर वो वहां से जाने लगी कि तभी गुरु ने एकदम से उसकी कलाई पकड़कर उसे झटके से अपने पास खींच लिया। शिविका तुरंत उसके सीने से टकरा गई। ऑलरेडी वो अंडे से भीगी पड़ी थी। कह सकते थे ऊपर से गुरु के कपड़ों पर भी वही चीज लग रही थी लेकिन शायद ही उसे फर्क पड़ रहा था।
गुरु बेहद धीमी सी आवाज में बोला, "क्लीन इट राइट नाउ।"
शिविका उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "I will."
गुरु बीच में बोला, "क्लीन इट राइट नाउ।" ये बात उसने काफी तेज बोली थी और बोलते हुए वो शिविका की कलाई बहुत बुरी तरीके से मरोड़ रहा था।
शिविका कुछ पल उसके जेमस्टोन ग्रीन आंखों में देखते रही और अचानक उसके दिमाग में कुछ आया। वो हल्का सा आगे आई और गुरु के गाल को लिक करते हुए जिस पर पेस्ट्री लगा हुआ था, उसने उसे गाल पर एकदम से बीते कर लिया।
गुरु ने तुरंत उसे धक्का दिया। शिविका दो कदम लड़खड़ा गई, पीछे अगर टेबल नहीं होता तो वो नीचे गिर जाती। गुरु ने अपने गाल को हल्का सा टच किया। इधर शिविका के होठों पर एक हल्की सी मुस्कुराहट आ गई थी।
गुरु कुछ पल उसे देखता रहा और अचानक उसके होठों पर एक अजीब सी मुस्कुराहट आ गई। उसकी स्माइल देखते हुए शिविका की स्माइल फीकी पड़ चुकी थी।
वो कुछ समझ पाती की गुरु ने एकदम से उसकी गर्दन पकड़ते हुए उसे सीधे दूसरी टेबल की तरफ ले गया और उसने सीधे टेबल की तरफ शिविका का चेहरा झुकाया।
शिविका ने कसकर अपनी आंखें बंद कर ली। एक बार फिर से शिविका के कान में सबके हंसने की आवाज आ रही थी। गुरु ने तुरंत उसकी गर्दन छोड़ दी। शिविका तुरंत खड़ी हुई। उसने हल्के से आंखें खोल कर गुरु की तरफ देखा। इधर गुरु के होठों की मुस्कुराहट और भी ज्यादा बड़ी हो चुकी थी। शिविका के पूरे चेहरे पर केचप लगा हुआ था। गुरु शिविका के पास आया।
वो उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "जूनियर, इससे ज्यादा तुम कुछ नहीं कर सकती और करने की सोचो तो भी नहीं कर पाओगी और एक बात।" इतना बोलकर वो पीछे हटा। गुरु कुछ पल शिविका को देखता रहा और फिर वो सीधे बाहर गया।
शिविका अभी भी वहीं पर खड़ी थी। रूद्र चुपचाप उसे देख रहा था।
वो बीच में नहीं आ सकता था। तभी वहां जो स्पीकर्स लगे हुए थे, उनमें से आवाज आई, "शिविका दीक्षित, मैकेनिकल इंजीनियरिंग की फर्स्ट ईयर की न्यू बैच की स्टूडेंट, फर्स्ट ईयर बैच की इकलौती लड़की, गुरु का टारगेट है। वो ना तो कोई उसके पास जाएगा, ना कोई उससे बात करेगा, ना ही कोई उसकी हेल्प करेगा। याद रखना, अगर किसी ने गुरु के टारगेट पर अपनी नजर भी डाली या फिर उसके पास भी जाकर उससे दोस्ती बढ़ाने की कोशिश की, तो उसे इंसान को गुरु का टारगेट बनने से खुद गुरु भी नहीं रोक पाएगा।"
रुद्र धीरे से बोला, "ओ माय गॉड।"
शिविका ने तुरंत उसे देखा। उसने बिना कुछ बोले टिशू पेपर उठाया और अपना चेहरा साफ करते हुए सीधे गर्ल्स वॉशरूम की तरफ चली गई।
गर्ल्स वॉशरूम में पहुंचकर शिविका ने एक गहरी सांस ली। उसने अपना चेहरा साफ कर लिया था, लेकिन उसके पूरे कपड़े खराब हो चुके थे। अब वो अपनी दूसरी क्लास अटेंड करने की हालत में नहीं थी। उसे इस वक्त गुरु पर इतना गुस्सा आ रहा था कि वो खुद भी बोल नहीं सकती थी। ऊपर से उसकी वो अनाउंसमेंट सुनने के बाद उसे समझ में आ चुका था कि 4 साल उसके लिए जहन्नम बनने वाले थे।
शिविका धीरे से बोली, "I will kill you, गुरु, जो भी नाम है तुम्हारा। छोड़ूंगी नहीं मैं तुम्हें, मेरा पहला दिन खराब कर दिया तुमने।"
थोड़ी देर बाद शिविका बाहर निकली। वहां आसपास लोग जमा हो चुके थे और वो सभी लोग उसे देख रहे थे। सबको जानना था कि शिविका दीक्षित यानी कि गुरु का टारगेट कौन थी। 2 महीने बाद गुरु का टारगेट बना था। इससे पहले टारगेट एक लड़का था, क्या कोर्स और वो कहां था, शायद किसी को पता था। कॉलेज छोड़कर, क्या वो तो पूरा का पूरा इंदौर छोड़कर भाग चुका था।
रुद्र अब तक शिविका के पास आ चुका था। वो धीरे से बोला, "मना किया था मैंने तुमसे तुम..."
शिविका चिल्ला कर बोली, "जस्ट शट अप! अगर तुमने गलती से भी उस इंसान की साइड लेने की कोशिश की..."
रूद्र ने एक गहरी सांस ली। उसने शिविका का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए वहां से बाहर ले गया। वो लोग अब तक कॉलेज से बाहर निकल चुके थे।
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, " I hate it ! ये नहीं चाहिए था मुझे।"
रूद्र उसे देखकर बोला, "किसी को भी नहीं चाहिए था। मुझे पहले ये बताओ कि उसने जाकर सबसे पहले तुम्हारे ऊपर अंडा फेंका, क्यों किया था तुमने?"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "डिस्गस्टिंग, क्रीपी इंसान बोला था मैंने उसे, जो कि वो है। और अगर वो है, तो उसे सुनना पड़ेगा।"
रूद्र उसे घूरते हुए बोला, "दिमाग खराब है क्या तुम्हारा? तुम्हें आइडिया भी है कैसा इंसान ने तुम्हें टारगेट बनाया है? कहीं का नहीं छोड़ेगा वो तुम्हें।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "आज तक उसका शिविका दीक्षित से सामना नहीं हुआ है। मुझे नहीं पता उस इंसान का नाम क्या है, और ये गुरु, ये शब्द मैं उसे बोलना नहीं चाहती हूं, तो मैं उसे बोलूंगी, डिस्गस्टिंग क्रीपी इंसान। वो डिस्गस्टिंग इंसान मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा, और उसे कुछ करने तो कोशिश कर ले, मैं हार नहीं मानूंगी।"
रूद्र कुछ पल रुक कर बोला, "तुम नहीं जानती तुम जिन लोगों से मिली हो, जिन लोगों से तुमने लड़ाई की है, वो उसके आगे कुछ नहीं हैं। मैंने देखा है उसे पिछले दो सालों में।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "और मैं अब देख लूंगी।" बोलकर वो सीधे ऑटो लेने के लिए चली गई। रूद्र तुरंत उसके पीछे चला गया।
Chapter 3
इंदौर, अगली सुबह
IITMS
कल के बाद से शिविका के दिमाग में कुछ चल रहा था और जो भी उसके दिमाग में चल रहा था, उसने रूद्र को तो बिल्कुल नहीं बताया था।
रूद्र उसके पास आकर बोला, "इधर कॉलेज के बाहर खड़ी हो तुम, अंदर चलोगी और पहले मुझे बताओ कि क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?"
शिविका उसे देखकर बोली, "मैंने कब बोला कि मेरे दिमाग में कुछ चल रहा है? कुछ भी नहीं चल रहा है।"
रुद्र हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, " मैं न 10th क्लास से जानता हूं तुम्हें, तो फिर ज्यादा कुछ नहीं तो 3 साल से जान तो मैं तुम्हें रहा हूं, पता है मुझे ठीक है कि तुम कैसी हो और क्या-क्या कर सकती हो। कोई तुम्हारे को उंगली करके चला जाएगा, तो तुम चुप तो रह नहीं सकती हो। तो मुझे बताओ, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में?"
शिविका हल्का सा मुस्कुरा कर बोली, "क्या बात है रुद्र, बड़े अच्छे से जानते हो मुझे, तो बस देखते जाओ कि मैं क्या करती हूं।"
रूद्र जल्दी से बोला, "गुरु से पंगा नहीं लेना शिविका, बिल्कुल भी नहीं। मैं नहीं पंगा लेने दूंगा तुम्हें। गुरु बहुत डेंजरस है और तुम्हें पता है, चार दिन बाद फ्रेशर्स पार्टी है। तुम्हारे लिए रखेंगे, तुम्हारे साथ जो बैच में जितने भी आए हैं, आई थिंक हंड्रेड स्टूडेंट्स इनरोल हुए हैं, वो सब के लिए पार्टी रखी गई है और फ्रेशर्स पार्टी में गड़बड़ हो जाएगी। तो क्यों कर रही हो तुम? मत करो प्लीज। ऑलरेडी उससे..."
शिविका बीच में ही बोली, "आई डोंट केयर। अगर मैं टारगेट बन चुकी हूं, सब कुछ हो चुका था और खुलेआम करते हैं ना, और मैं खुलेआम ऐसे करूंगी कि कोई भी नहीं बचेगा। सबसे पहले मुझे प्रिंसिपल से कंप्लेंट करनी है।"
रुद्र सारकास्टिकली बोला, "प्रिंसिपल के ऊपर तुम्हारी बातों का असर होगा? 3 सालों से प्रिंसिपल कुछ नहीं है।"
शिविका धीरे से बोली, "ओ रियली? प्रिंसिपल भी कुछ नहीं है? तानाशाही नहीं चलेगी और मैं नहीं चलने दूंगी। मीडिया के सामने बात ले जाऊंगी। तुम देखते जाओ कि मैं क्या करती हूं।"
इतना बोलकर वो तुरंत अंदर चली आई। शिविका सीधे प्रिंसिपल ऑफिस की तरफ जा रही थी। इधर रूद्र को समझ में नहीं आता कि वो क्या करें। वो बस शिविका के पीछे जाने लगा। शिविका प्रिंसिपल ऑफिस के दरवाजे तक पहुंची थी कि तभी वहां से दो-तीन स्टूडेंट्स भागते हुए जाने लगे।
शिविका के दिमाग में न जाने क्या आया, वो सब के पीछे चल दी। कुछ पल में वो दूसरी बिल्डिंग के सामने थी। बिल्डिंग के 10th फ्लोर पर यानी कि जो टेरस था, वहां पर एक लड़का खड़ा था।
शिविका धीरे से बोली, "ओ माय गॉड, ये सब क्या हो रहा है?"
रुद्र अब तक उसके पास आ चुका था। वो उसके पास आकर बोला, "जो भी हो रहा है, दूर रहो। ये पक्का उन सीनियर्स के गैंग का हाथ है।"
शिविका उसे देखकर बोली, "तो फिर करने दोगे क्या उसे? और वो पागल है क्या, जो करने चला गया है?"
रुद्र उसे देखकर बोला, "तुम पागल ही समझो। नहीं समझना है तो चुप रहो।"
शिविका कुछ पल उसे देखती रही, फिर वो भागते हुए बिल्डिंग के अंदर चली गई। रुद्र का ध्यान उस लड़के की तरफ था, जो कि टेरस पर खड़ा था और वो नीचे देख रहा था। उसने ध्यान ही नहीं दिया कि शिविका कब वहां से चली गई।
इधर, शिविका लिफ्ट से सीधे 10th फ्लोर पर पहुंची।
वो उस लड़के के पास पहुंच कर बोली, "पागल हो क्या तुम?" ये सुनते ही वो लड़का तुरंत नीचे उतर गया। उसने एकदम से शिविका की तरफ देखा।
वो लड़का धीरे से बोला, "पास मत आना मेरे।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "ओके, नहीं आऊंगी। नाम क्या है तुम्हारा?"
वो लड़का कुछ पल रुक कर बोला, "मयंक नाम है मेरा। सेकंड ईयर बैच।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "So, what the hell are you doing?"
मयंक चिल्ला कर बोला, "मेरे पास कोई ऑप्शन नहीं है। परेशान हो चुका हूं मैं। कॉलेज नहीं छोड़ सकता क्योंकि बहुत मुश्किल से मिला है। मां-बाप ने बहुत पैसे लगाए कॉलेज के लिए। स्कॉलरशिप वाले स्टूडेंट नहीं हूं मैं कि छोड़ दूं, तो कोई बात नहीं। परेशान हो गया हूं मैं। सीनियर्स ने मेरा जीना हराम करके रख दिया है। मुझसे नहीं होगा।"
शिविका गहरी सांस लेकर बोली, "तो इस मैसेज पर खुद को खत्म करना सही होता है? पढ़ाई कर रहे हो, कॉलेज में हो, तुम मैकेनिकल इंजीनियर बन जाओगे। तुम्हें इंजीनियरिंग करनी है। अपने मां-बाप के बारे में सोचो, अपने बारे में सोचो। व्हाट the हेल आर यू डूइंग यार?"
मयंक उसे देखकर बोला, "तुम नहीं समझोगी।"
शिविका सारकास्टिकली बोली, "सुन तो होगा ना तुमने कल जो गुरु ने अनाउंसमेंट की थी, तो उसका टारगेट मैं हूं ना। मैं तो कोशिश नहीं कर रही हूं मरने की।"
मयंक उसे देखते हुए बोला, "एक हफ्ते टिक जाओ तो देखता हूं मैं।"
शिविका बिना किसी भाव के बोली, "टिक जाऊंगी मैं।” बोलते हुए वो धीरे-धीरे अपने कदम मयंक की तरफ बढ़ा रही थी। तभी मयंक वापस से रेलिंग पर खड़ा हो गया।
वो शिविका को देखकर बोला, "कोई नहीं रोक सकता मुझे। मैं नहीं रुकूंगा। मुझे मरना, मतलब मरना। मुझसे नहीं हो रहा है बर्दाश्त।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "क्यों नहीं हो रहा है? क्या किया उन्होंने? Tell me."
मयंक लाचारी से बोला, "हॉस्टल में रह रहा था मैं। मेरा हॉस्टल रूम खराब कर दिया। मुझे कोई कमरा नहीं मिल रहा है। वहां पर चूहे छोड़ दिए। मेरा लैपटॉप खराब करके, मेरे सारे कपड़े खराब कर दिए। सब कुछ खराब हो चुका है। मैं अपने घर वालों को क्या बोलूं? बहुत मुश्किल से पैसे दिए थे उन्होंने पढ़ाई के लिए। अब उनको नहीं बोल सकता मैं।"
शिविका अब तक उसके काफी ज्यादा पास आ चुकी थी और अब जाकर मयंक ने नोटिस किया।
वो चिल्ला कर बोला, "दूर रहो तुम और दूर हो जाओ, मुझसे पास मत आना मेरे।"
शिविका धीरे से बोली, "मयंक, नीचे उतरो। मैं तुम्हारी हेल्प करूंगी। ओके?"
मयंक उसे देखते हुए बोला, "नहीं, बिल्कुल भी नहीं। दूर रहो।"
इससे पहले कि वो कुछ और कहता, शिविका ने एकदम से उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींच लिया। मयंक एकदम से नीचे गिरा और उसके चक्कर में शिविका भी नीचे गिरने वाली थी कि तभी किसी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसे गिरने से रोक लिया।
मयंक जो नीचे गिरा था, उसने एकदम से अपनी नजर उठा कर देखा। सामने देखी उसकी आंखें डर के मारे फैल गईं।
इधर शिविका धीरे से बोली, "गुरु..."
उसे गुरु ने कमर से पकड़ा हुआ था। वो लगभग गिरी हुई थी, बस जमीन को टच होते-होते बची हुई थी।
गुरु ने एकदम से शिविका को छोड़ दिया, और शिविका तुरंत नीचे गिर गई। उसकी कमर पर चोट लग गई थी। उसने घूरकर गुरु को देखा, जो मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था।
मयंक खड़ा होकर बोला, "गुरु!"
तभी गुरु उसे देखकर बोला, "अगर मरना था तो इतना ड्रामा क्यों करना था? सीधे कूद जाना था ना नीचे? पूरी भीड़ कलेक्ट करके क्या साबित करना चाहते हो? तू चाहता है कि मैं तुझे बोलूं कि जाकर मर जा? मैंने कब बोला?"
गुरु ने आगे कहा, "और तुम जूनियर, तुम तो मदर टेरेसा निकली।" बोलते हुए वो पंजों के बल उसके सामने बैठ गया।
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "तुम्हारी तरह हार्टलेस नहीं हूं मैं, और तुम्हारी तरह किसी को इस हालत में नहीं लाया। समझे?"
गुरु बीच में बोला, "अरे मदर टेरेसा, इतनी भारी-भरकम बातें मत बोलो। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में गलती से आ गई हो तुम, सीरियल में कास्ट होना चाहिए था तुम्हें। अच्छा-खासा हीरोइन का रोल मिल जाता। रोती, कुछ भी करती। वैसे, एक्टिंग तो तुम अच्छी कर रही हो। इतनी केयर करने की, रेड कलर की साड़ी लपेट लो और 'पति मेरा देवता' का लाइन शुरू कर दो, अच्छा-खासा रोल मिल जाएगा तुम्हें।"
शिविका चिल्ला कर बोली, "व्हाट?"
गुरु आराम से बोला, "आवाज़ नीचे।" बोलते हुए वो उसकी कॉस्मिक ब्लू आंखों में देख रहा था। इधर मयंक की हालत तो अलग ही खराब हो रही थी। उसके सामने गुरु था, उसकी क्या हालत हो रही थी, ये शायद वही जानता था।
शिविका गुरु को घूरते हुए बोली, "मुझे आवाज़ नीचे करने की बात कर रहे हो? तुमने अपनी हरकतें देखी हैं? तुम्हारी हरकतें देखने के बाद किसी की भी आवाज़..."
तभी गुरु ने उसके होठों पर अपनी इंडेक्स फिंगर रखकर उसे एकदम से चुप कर दिया। शिविका उसे ऐसे घूर रही थी कि अगर उसे मौका मिलता, तो वो गुरु को कच्चा खा जाती।
गुरु हल्का सा सिर टेढ़ा करके बोला, "बहुत ज़ुबान चलती है तुम्हारी। कोई बात नहीं जूनियर, तुम्हारी अकड़ और तुम्हारी ज़ुबान, सब जाएगी। जस्ट वेट एंड वॉच। पता चलेगा तुम्हें कि तुम किसका टारगेट बनी हो।"
बोलकर वो खड़ा हो गया। शिविका भी अब तक खड़ी हो चुकी थी। उसकी कमर में हल्का-फुल्का दर्द था, पर वो उसे पूरी तरह से इग्नोर करके गुरु को घूरते हुए बोली, "तुम्हारी वजह से कोई इंसान अपनी जिंदगी लेने की कोशिश कर रहा था।"
गुरु अपने दोनों हाथ पॉकेट में डालकर बोला, "तो?"
शिविका चिल्ला कर बोली, "से सॉरी टू हिम।"
ये सुनकर मयंक हैरानी से उसे देखने लगा। वो लगा रहा था, शिविका अभी भी उसे घूर रही थी।
गुरु अचानक से रुका, उसने शिविका के बालों को मुट्ठी में भरते हुए उसे अपने पास खींच लिया।
वो उसकी आंखों में देखकर बोला, "गुरु सॉरी बोलेगा? और वो भी इसे या किसी और को? औकात है तुम्हारे गुरु के मुंह से सॉरी सुनने की?"
शिविका ने कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोला था कि तभी गुरु ने उसे छोड़ दिया।
वो मयंक को देखकर बोला, "मरना हो तो मर जाना, बिना बताए। सामने से ड्रामा करने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि अब तुझे मुझसे कोई नहीं बचा सकता। अभी तक तो मैं भूल भी गया था, एक हफ्ते तक मुझे याद भी नहीं था कि तू भी है। पर तू फाइनली आ गया मेरे नजरों में वापस।"
मयंक एकदम से घुटनों के बल गिरकर बोला, "सॉरी गुरु, प्लीज़, आई एम सॉरी। प्लीज़ अब मुझे कुछ मत करो। मैं कॉलेज छोड़कर चला जाऊंगा।"
गुरु मुस्कुराते हुए बोला, " whatever यू वांट।" उसने शिविका को देखा और वहां से चला गया।
शिविका मयंक को देखकर बोली, "दिमाग खराब है तुम्हारा।"
मयंक खड़ा होकर बोला, "तुम्हारा दिमाग खराब है, जो तुम्हें ये नहीं पता कि तुम किससे पंगा ले रही हो। रूद्र की दोस्त हो ना तुम? उसने बताया नहीं तुम्हें?"
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "बहुत कुछ बताया उसने मुझे।"
लेकिन मयंक बीच में बोला, "मुझे तुमसे बात नहीं करनी। तुम उसका प्राइवेट पर्सनल टारगेट हो, जो भी बोलो। तुमसे बात नहीं कर सकता मैं।" बोलकर उसने अपना बैग उठाया और तुरंत वहां से भाग गया।
शिविका खुद से बोली, "क्या मतलब था इसका? यहां पर मैं इसे बचाने आई थी और यह... गुरु, तुम्हें छोडूंगी नहीं।" बोलकर वो तुरंत वहां से चली गई।
ग्राउंड फ्लोर पर पहुंचते ही शिविका बिल्डिंग से निकली। उसने चारों तरफ देखा, रूद्र कहीं नजर नहीं आ रहा था। इधर रूद्र खुद उसे ढूंढ रहा था। कॉलेज के दूसरे हिस्से में उसने प्रिंसिपल ऑफिस में देखा था, लेकिन वहां भी वो नहीं थी।
शिविका सीधे प्रिंसिपल ऑफिस की तरफ गई। वो बिना दरवाजा खटखटाए अंदर चली आई।
प्रिंसिपल उसे देखकर बोले, "एक्सक्यूज़ मी, ये कैसे मैनर्स हैं?"
शिविका बिना किसी भाव के बोली, "सर, ई रिस्पेक्ट यू और उसे रिस्पेक्ट के साथ में रहती हूं, कि आपको अपना कॉलेज संभालना नहीं आता है। आई एम सॉरी इफ आई एम फाइंडिंग रूड, लेकिन यहां जो हो रहा है वो गलत हो रहा है। यहां पर रैगिंग हो रही है, वो गुरु..."
प्रिंसिपल बीच में बोले, "शिविका दीक्षित, फर्स्ट ईयर फ्रेश बैच, न्यू स्टूडेंट, राइट?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "राइट।"
प्रिंसिपल उसे देखते हुए बोले, "शिविका, अपने काम से काम रखो।"
शिविका जल्दी से बोली, "इसका मतलब इन सारी चीजों में आप भी इनवॉल्व हैं, सर? अगर मैं यही चीज लेकर के सीधे मीडिया तक चली जाऊं, तो..."
प्रिंसिपल कुछ पल उसे देखते रहे और फिर उन्होंने अपना टेलीफोन उठाकर किसी को कॉल किया। थोड़ी देर बाद प्रिंसिपल ऑफिस का दरवाजा खुला। शिविका की नजर सीधे गुरु की तरफ चली गई, जो कि आराम से अंदर आ रहा था।
प्रिंसिपल गुरु को देखकर बोले, "व्हाट आर यू डूइंग?"
गुरु आराम से चेयर पर बैठकर बोला, "नथिंग, मैं तो बस एंजॉय कर रहा था। क्या हुआ? मेरी जूनियर कंप्लेंट करने आ गई?"
शिविका ने एक नजर उसे देखा, पर वो वापस प्रिंसिपल को देखने लगी। वो गुरु से बात ही नहीं करना चाहती थी।
प्रिंसिपल कुछ पल रुककर बोले, "मयंक, सेकंड ईयर स्टूडेंट, सुसाइड अटेम्प्ट किया उसने। अगर ये बात बाहर गई तो तुम्हें पता भी है क्या हो सकता है? आई एम सॉरी, लेकिन मुझे एक हफ्ते के लिए तुम्हें सस्पेंड करना पड़ेगा। हां, चार दिन बाद फ्रेशर्स पार्टी में तुम आ सकते हो, लेकिन उसके अलावा तुम कॉलेज नहीं आओगे।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "कॉलेज नहीं आऊंगा?"
प्रिंसिपल गहरी सांस लेकर बोले, "कॉलेज में आ सकते हो तुम, लेकिन तुम किसी क्लास में नहीं जाओगे, किसी के साथ इनवॉल्व नहीं होंगे, एक हफ्ते तक। समझे? दिस इस योर पनिशमेंट।"
शिविका धीरे से बोली, "व्हाट द हेल! ये कैसा सस्पेंशन है?"
गुरु खड़ा होकर बोला, "ओके, सो नो प्रॉब्लम।" वो मुस्कुराते हुए वहां से निकल गया।
शिविका बस उसे जाते देखती रह गई। वो कुछ कहती, तभी प्रिंसिपल बोले, "शिविका, फोकस ऑन योर स्टडीज और किसी चीज पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है।"
शिविका को समझ में आ चुका था कि यहां पर कुछ नहीं होने वाला। वो तुरंत वहां से निकल गई। वो बस ऐसे ही चली जा रही थी, कि तभी अचानक से कुछ लोगों ने उसे घेर लिया। शिविका ने उन सभी को देखा, वे सारे लड़के थे और उनमें दो लड़कियां थीं। करीब पांच लोगों ने उसे घेर रखा था।
Chapter 5
इंदौर, रात का वक्त
वाइल्ड वाइब्स क्लब
गुरु ने अपनी जीप उसी क्लब की पार्किंग में रोकी। वो तुरंत जीप से उतरा, उसके साथ संकल्प भी था।
वो दोनों अंदर पहुंचे तभी संकल्प उसे देखकर बोला, "हम यहां पर क्या करने आए हैं?"
गुरु उसे देखकर बोला, " What do you mean by क्या करने आए है? पार्टी, तमाशा, और कुछ स्मोकिंग एंड नशा।"
संकल्प उसे देखते हुए बोला, "आर यू सीरियस गुरु? अगर तुमने पी लिया तो फिर पीने के चक्कर में तुम ड्राइव नहीं करोगे। और आई एम वार्निंग यू, यू आर नॉट गोइंग टू ड्राइव।"
गुरु हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "मुझे ड्राइव करने से रोकेगा कौन?"
संकल्प उसे देखते हुए बोला, "मैं रोकूंगा, यानी की संकल्प अग्रवाल, समझे?"
उसकी बात सुनकर गुरु हल्का सा मुस्कुराया और वो सीधे बार काउंटर के पास चला गया। तभी अचानक पूरे क्लब की लाइट ऑफ हो गई और एक स्पॉटलाइट सीधे स्टेज पर पड़ी। गुरु की वाइन आ चुकी थी।
अपनी वाइन पीते हुए उसने स्टेज की तरफ देखा। एक लड़की खड़ी थी स्टेज के बीचों-बीच। डांसर थी वो। उसके चेहरे पर एक कपड़ा बंधा हुआ था, सफेद रंग का, और उसने सफेद रंग की ही ड्रेस पहन रखी थी।
संकल्प कुछ पल रुककर बोला, "ओके, तो इस क्लब में डांस भी होता है, ये नहीं पता था मुझे।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "पता तो मुझे भी नहीं था बहुत कुछ।" कहते हुए उसकी जेमस्टोन ग्रीन आंखें उस लड़की पर टिकी हुई थीं।
इधर, उस लड़की ने एकदम से अपनी नजर उठाई। उसकी आंखें ब्राउन कलर की थीं और बस उसकी आंखों के अलावा कुछ नजर नहीं आ रहा था।
कुछ ही देर में गाना शुरू हो चुका था और उस लड़की ने डांस करना शुरू कर दिया। वो लड़की पोल डांस करते हुए स्टेज से उतरी और इधर-उधर घूमते हुए डांस कर रही थी। यहां पर इन सारे स्टेप्स में भी कोई उसे छू नहीं रहा था और जो भी उसे छूने की कोशिश कर रहा था, वालंटियर्स वहां पर थे जो उसे लोगों से दूर रख रहे थे। गुरु अपनी जगह से खड़ा हुआ और वो उस लड़की की तरफ बढ़ने लगा।
संकल्प धीरे से बोला, "ये क्या कर रहा है?" इधर, गुरु ने अपनी वाइन की गिलास खाली कर दी थी।
वो लड़की अचानक से मुड़ी और सीधे गुरु से टकरा गई। गुरु को देखते ही उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं। वो कुछ पल उसे देखती रही और फिर वो पीछे जाने लगी। कुछ पल में उसका डांस कंप्लीट हो चुका था और वो वहां से सीधे बैकस्टेज की तरफ चली गई। यहां पर सारी लाइट्स ऑन हो चुकी थीं और जो भी चल रहा था, वो कंटिन्यू हो गया।
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "इतनी आसानी से तो नहीं।"
इतना बोलकर उसने चारों तरफ नजर घुमाई और फिर एक वालंटियर को अपने पास बुलाकर उसे कुछ पैसे दिए और वो वालंटियर के साथ बैकस्टेज की तरफ चला गया।
कुछ पल में गुरु एक कमरे के बाहर था। उसने एकदम से दरवाजा खोलकर अंदर देखा ही था कि वो तेज आवाज में बोला, "क्या बात है, आई लाइक इट जूनियर!"
ये सुनते ही शिविका ने एकदम से अपनी नजरें उठाकर गुरु को देखा। इस वक्त वो अपनी ड्रेस उतार रही थी, उसने पीछे से दो हुक भी खोल दिए थे। एक आखिरी हुक बचा था।
शिविका तुरंत उसकी तरफ मुड़कर बोली, "एक्सक्यूज मी, यहां क्या कर रहे हो तुम?"
गुरु हल्का सा मुस्कुराया। अंदर आते हुए उसने दरवाजा बंद कर दिया। उसकी नजर शिविका की ब्राउन आंखों पर थी; उसने लेंस लगा रखे थे।
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "रिमूव योर लेंस, राइट नाउ।"
शिविका कुछ पल उसे देखती रही और फिर उसने बिना कुछ बोले अपने लेंस उतार दिए। अब उसकी कॉस्मिक ब्लू आंखें गुरु के सामने थीं।
वो वापस उसे देखकर बोली, "यहां क्या कर रहे हो तुम मेरे पीछे?"
गुरु बीच में बोला, " तुमने इंजीनियरिंग करते-करते किसी और लाइन में चली आई, जूनियर? लेट मी गेस, जूनियर को बार डांसिंग करने में मजा आता है।"
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "मेरी पर्सनल लाइफ है, मुझे किसी भी चीज में मजा आए सीनियर, वो मेरी मर्जी है। डोंट इंटरफेयरिंग इन माय लाइफ।"
गुरु उसके सामने आकर रुका। उसने शिविका के दोनों तरफ ड्रेसिंग टेबल पर हाथ रखा और उसके चेहरे पर हल्का सा झुक कर बोला, "ऐसे कैसे, जूनियर? अब गुरु की जूनियर अगर बार डांसर बनकर काम करेगी तो फिर सीनियर को तो आना पड़ेगा ना? आई मीन, गुरु को आना पड़ेगा।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "तुम्हें कैसे पता मेरे बारे में?"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "जूनियर, पता कैसे है, कैसे नहीं, वो तो मैटर नहीं करता। बस बात इतनी है कि पता है।"
शिविका इरिटेट होते हुए बोली, "पहले तो तुम मुझसे दूर हो, अभी के अभी!"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "ट्राई करके देख लो।"
शिविका कुछ पल उसकी जेमस्टोन ग्रीन आंखों में देखती रही। उसने गुरु को धक्का देने के लिए अपना हाथ उठाया था कि तभी गुरु ने उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए उसकी पीठ से लगा दिया।
उसकी नजरें सीधे पीछे मिरर की तरफ चली गईं। शिविका का आखिरी हुक भी खुल चुका था, जो कि शिविका को भी महसूस हो रहा था। उसने नर्वस होते हुए गुरु की तरफ देखा।
गुरु हल्का सा झुका और उसके कान के पास ठहर कर बोला, "जूनियर, राज आया है तुम्हारा मेरे हाथ। अब सोचो, अगर राज सबके सामने आ गया तो क्या होगा?" ये सुनते ही शिविका की आंखें हैरानी से फैल गईं। उसने तुरंत गुरु की तरफ देखा।
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "चेंज योर क्लॉथ और फिर करते हैं तमाशा," बोलकर वो बाहर निकल गया।
इधर शिविका ने अपने सिर पर हाथ रख लिया। वो खुद से बोली, "ओ माय गॉड, फंस गई मैं। पूरी दुनिया है यहां पर और उसने मुझे पहचान कैसे लिया? लेंस लगाती हूं मैं, चेहरा ढक कर रखती हूं मैं, फिर कैसे पहचान लिया इसने मुझे?"
उसे बिल्कुल समझ में नहीं आता कि आखिर गुरु ने उसे पहचाना कैसे। शिविका कुछ पल वैसे ही खड़ी रही और फिर वो अपने कपड़े चेंज करने के लिए चली गई।
थोड़ी देर बाद वो अपने नॉर्मल से बूटे शॉर्ट्स और टॉप में तैयार थी। उसने अपना ओवरकोट उठाया और उसे पहनते हुए बाहर चली आई। मेकअप रिमूव नहीं किया था उसने अभी तक।
गुरु ऑलरेडी वहीं पर खड़ा था। वो उसे देखकर बोला, "यू आर रेडी?" कहते हुए उसने शिविका को ऊपर से नीचे तक देखा।
शिविका उसके पास आकर बोली, "तुम अगर किसी के सामने भी अपना मुंह खोलोगे, सीनियर, तो फिर-"
गुरु बीच में बोला, "तो फिर तुम मुझे रोकने की कोशिश करोगी? यू कांट! तुम मुझे नहीं रोक सकती, और फॉर योर काइंड इनफॉरमेशन, मैं रुकने वाला भी नहीं हूं। लेट मी टेल यू वन थिंग वेरी क्लियर, जूनियर, बहुत बड़ा फंदा है तुम सच में, बहुत ही ज्यादा बुरा।"
शिविका एकदम से उसका कॉलर पकड़ कर बोली, "तुम फंसाने की कोशिश कर रहे हो मुझे? जस्ट टेल मी कि तुम-"
इससे आगे वो कुछ कहती कि तभी गुरु ने अपने पॉकेट से उसका वॉलेट निकाल कर उसकी आंखों के सामने किया। वॉलेट देखते ही शिविका की आंखें बड़ी हो गईं। उसे याद ही नहीं था कि उसका वॉलेट गिर गया था या फिर कहां था।
गुरु धीमी सी आवाज में बोला, "सरप्राइज, जूनियर।"
शिविका ने वो वॉलेट लेने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया कि गुरु ने अपना हाथ ऊपर कर लिया। शिविका उसे घूरते हुए बोली, "मेरा वॉलेट!"
गुरु बीच में बोल पड़ा, "ले लो।"
शिविका पंजों के बल खड़ी हुई। उसने भी अपना हाथ ऊपर किया, लेकिन फिर भी गुरु का हाथ ज्यादा ऊपर था। शिविका ने एकदम से घूर कर उसे देखा। उसने उछलते हुए अपना वॉलेट लेने की कोशिश की, तभी गुरु पंजों के बल खड़ा हो गया।
शिविका गुस्से में बोली, "मेरा वॉलेट वापस दो, अभी के अभी!"
गुरु हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "ऐसे ही दे दूं? बट ऐसे कैसे दे दूं, जूनियर! इसके लिए तुम्हें कुछ करना पड़ेगा।"
शिविका ढंग से खड़ी होकर बोली, "व्हाट डू यू मीन? क्या करवाना चाहते हो तुम मुझसे?"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "जो मैं बोलूं, वो हर बात 24 घंटे के लिए। यू विल बी ओबेडिएंट लिटिल जूनियर, क्या ये मंजूर है?"
शिविका कुछ कहने ही वाली थी कि तभी गुरु फिर से बोल पड़ा, "वरना सोच लो, वॉलेट तो मिलेगा नहीं, और वॉलेट में जो कार्ड रखा हुआ है, वो बहुत काम की चीज है तुम्हारे इस क्लब के लिए भी - तुम्हारे कुछ आईडी कार्ड्स और एनीथिंग।"
शिविका चिल्लाकर बोली, "किसी का वॉलेट चेक करना इस अ बैड मैनर्स! सिखाया नहीं है कभी तुम्हें किसी ने?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "बिल्कुल नहीं सिखाया।"
शिविका इरिटेट होते हुए बोली, "ओके, फाइन! लेकिन सिर्फ 24 घंटे।"
गुरु उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "जहन्नम में जा रही हो तुम, जूनियर! बी रेडी। बताऊंगा मैं तुम्हें कि क्या होता है यहां पर," बोलते हुए वो हल्का सा उसके चेहरे पर झुका, कुछ पल उसकी आंखों में देखता रहा, और eye wink करके तुरंत वहां से निकल गया।
इधर, शिविका ने अपने सिर पर हाथ रख लिया। वो खुद से बोली, "अब मैं क्या करूंगी? इट्स ओके, शिविका दीक्षित, सिर्फ और सिर्फ 24 घंटे की बात है। जो होगा, देखा जाएगा।"
बोलकर वो सीधे मैनेजर के ऑफिस में गई।
मैनेजर उसे देखकर बोला, "हेलो शिविका, यू आर ओके? आई मीन आज कुछ ज्यादा ही लोग तुम्हारे पास आने की कोशिश कर रहे थे।"
शिविका मुस्कुराते हुए बोली, "नो प्रॉब्लम अंकल, आई एम ऑल ओके।"
मैनेजर उसे देखते हुए बोले, "तुम्हारे फीस क्लियर हो चुके ना सारे, लाइक कॉलेज के जो भी खर्चे थे?"
शिविका जल्दी से बोली, "हां, वैसे भी स्कॉलरशिप था, तो सब कुछ क्लियर है। बाकी जो मुझे खर्च करने थे, वो मैंने क्लियर कर दिया है। बट आई नीड मनी राइट नाउ, मुझे पापा को एक बार फिर से रिहैब सेंटर भेजना है।"
मैनेजर उसे देखते हुए बोला, "शिविका, तुम ऑलरेडी पहले दो से तीन बार ट्राई कर चुकी हो। कोई फायदा नहीं होता, आखिर में तुम्हें हर बार उन्हें घर वापस लाना पड़ता है। और ऑनेस्टली, मैं नहीं चाहता कि तुम अपनी मेहनत की कमाई ऐसे ही इन चीजों पर बर्बाद करो।"
शिविका हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "अंकल, वो मेरे पापा हैं। इकलौती फैमिली है मेरी। मैं मर भी जाऊंगी, तब भी तो उन्हें छोड़ नहीं सकती हूं। आई विल डू एनीथिंग। दोबारा भेजूंगी, दोबारा वापस आएंगे, कोई बात नहीं। मैं कोशिश करती रहूंगी। कभी न कभी तो कुछ तो होगा, और इस बार मैं उन्हें बाहर नहीं भेजूंगी। जो करूंगी, खुद घर से करूंगी।"
मैनेजर कुछ पल रुककर बोला, "जैसे तुम्हारी मर्जी, इट्स योर लाइफ, इट्स योर चॉइस," बोलकर उन्होंने ड्रॉअर से कुछ कैश निकालकर शिविका को दे दिया।
शिविका वो पैसे लेकर तुरंत बाहर निकल गई। उसकी नजर सीधे रुद्र की बाइक की तरफ चली गई।
वो तुरंत वहां पर आकर बोली, "रुद्र कहां है?"
उसके पीछे से आवाज आई, "यहां पर।"
शिविका ने मुड़कर रुद्र को देखा। वो आइसक्रीम लेकर खड़ा था। शिविका हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "थैंक यू," बोलकर उसने एक आइसक्रीम ले ली।
रुद्र उसे देखते हुए बोला, "आर यू ओके, शिवी? तुम ठीक हो ना?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "आई थिंक मैं ठीक हूं। मुझे ठीक होना पड़ेगा। आई मीन, पापा की टेंशन है और कुछ नहीं। यू नो व्हाट, डांस करना पसंद है मुझे। डांसिंग इज माय हैबिटेट। नहीं पता था कि ऐसे करना पड़ेगा।"
रुद्र उसे देखते हुए बोला, "आई एम सॉरी, बट मैं भी कोई हेल्प नहीं कर सकता।"
शिविका बीच में बोल पड़ी, "रुद्र, आई एम नॉट टेलिंग यू टू हेल्प मी। मैं किसी की हेल्प लेकर सर्वाइव कर भी नहीं सकती हूं। तुम्हें पता है कि मैं एक्सपीरियंस लेकर नहीं बैठी हूं और जब कोई मुझे जॉब देगा नहीं, आई एम वेरी इंटेलिजेंट पर्सन, यू नो। पर जॉब नहीं मिलेगी और जब ऐसे जॉब नहीं मिलती है, तो कुछ तो करना पड़ता है। कमाना है, खाना है, अपने बाप को भी खिलाना है, तो करूंगी।"
रुद्र उसे देखते हुए बोला, "घर छोड़ दूं?"
शिविका मुस्कुरा कर बोली, "ओके।"
रुद्र बाइक पर बैठा। शिविका उसके पीछे बैठने वाली थी कि तभी उसके फोन पर एक नोटिफिकेशन आया। उसने अपना फोन चेक किया। अननोन नंबर से मैसेज आया था, जिसमें लिखा था, "चॉकलेट आइसक्रीम? आई हेट चॉकलेट।"
ये पढ़ते ही शिविका की आंखें एकदम से बड़ी हो गईं। वो कुछ रिएक्ट करती कि तभी दोबारा मैसेज आया, जिसमें लिखा था, "विल जूनियर, यू विल ऑलसो हेट चॉकलेट?"
शिविका धीरे से बोली, "सीनियर?"
बोलते हुए उसने अपनी नजर उठा कर चारों तरफ देखा। उसकी नज़रें थोड़ी दूरी पर चली गईं, जहां एक जीप खड़ी थी। उसे देखते ही शिविका को याद आ गया कि कार्निवल वाली रात को वही जीप टकराने वाली थी।
तभी रुद्र बोला, "क्या हुआ शिवी? व्हाट आर यू डूइंग?"
शिविका जल्दी से बोली, "कुछ नहीं," इतना बोलकर वो रुद्र के पीछे बैठ गई।
अगली सुबह
सुधीर का नशा अब तक उतर चुका था। शिविका जब फ्रेश होकर नीचे आई, तब ऑलरेडी सुधीर किचन में थे।
वो शिविका को देखकर बोले, "शिवी, मैंने तुम्हारा फेवरेट राजमा चावल बनाया है। खाओगी ना?"
शिविका मुस्कुराते हुए बोली, "खा लूंगी।"
सुधीर ने प्लेट में खाना निकालकर डाइनिंग टेबल पर रखा और बोले, "अच्छा, वह..."
शिविका बीच में बोली, "पापा, बस।"
सुधीर उसे देखकर बोले, " वो... तुम घर आना, मैं ना रात को तुम्हारे लिए बहुत अच्छा खाना बना कर रखूंगा। मुझे पता है कि तुम्हें खाना कितना पसंद है, तुम्हें..."
शिविका बीच में बोली, "पापा, स्टॉप इट।"
सुधीर सिर झुका कर बोले, "आई एम सॉरी, शिवी। आई नो, आई एम नॉट ए गुड फादर, पर नहीं कंट्रोल होता है मुझे। मैं कोशिश कर लूं तो भी, वो नशा... आई कैन'टी टेल यू कितनी गंदी तलब उठती है। कंट्रोल करने की कोशिश करूं तो भी कंट्रोल नहीं कर पाता। ऐसा लगता कि मैं मर जाऊंगा।"
शिविका जल्दी से बोली, "क्या बोल रहे हो आप? मैं आपके लिए जी रही हूं, आपके लिए कर रही हूं सब कुछ, और आप यहां पर मरने की बात करेंगे मेरे सामने?"
सुधीर उसे देखकर बोले, "शिवी, चली जाओ मुझसे दूर। मैं अच्छा इंसान नहीं हूं।"
शिविका उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "पापा, यू आर द रीज़न आई एम इन द वर्ल्ड राइट नाउ। उसके बाद तुम।"
सुधीर ने चुपचाप अपनी आंखें बंद कर लीं। इसके आगे उन दोनों के बीच कोई बात नहीं हुई।
खाना खाने के बाद शिविका अपनी स्कूटी की तरफ जा रही थी कि तभी पीछे से सुधीर आते हुए बोले, "शिवी, सुनो।"
शिविका तुरंत उन्हें देखकर बोली, "क्या हुआ पापा?"
सुधीर कुछ पल रुक कर बोले, "ये टिफिन... अगर कॉलेज में तुम्हें एंबार्रास्मेंट ना हो तो तुम लेकर जा सकती हो। उसमें कुछ रखा है मैंने तुम्हारे लिए।"
शिविका मुस्कुरा कर बोली, "मुझे कोई एंबार्रास्मेंट नहीं होती," बोलकर उसने वो टिफिन अपने कॉलेज बैग में रखा।
सुधीर ने हल्के से उसके फोरहेड पर किस किया और धीरे से बोले, "सॉरी।"
शिविका ने एक नजर सुधीर को देखा और अपनी स्कूटी पर बैठकर वहां से निकल गई।
थोड़ी देर बाद वो कॉलेज पहुंच चुकी थी। शिविका ने जल्दी से अपनी स्कूटी पार्क की। वो अंदर पहुंची कि तभी उसके फोन पर वापस उसे अननोन नंबर से नोटिफिकेशन आया, "4th फ्लोर, लास्ट सेकंड रूम, कम फास्ट जूनियर। इंतजार करना पसंद नहीं है मुझे।"
शिविका धीरे से बोली, "क्या करने वाला है ये इंसान मेरे साथ? कुछ भी किया ना, मैं भी इसे नहीं छोडूंगी। कोई बात नहीं, शिविका दीक्षित बड़ी हाथ में आकर रहेगी। कभी न कभी तो आएगी।"
इतना बोलकर वो तुरंत लिफ्ट की तरफ भाग गई।
Chapter 6
इंदौर, IITMS
शिविका सीधे चौथे फ्लोर पर पहुंची। गुरु के मैसेज के अनुसार वो उस रूम के बाहर खड़ी थी, जहाँ गुरु ने उसे आने के लिए कहा था। शिविका कुछ सोच रही थी कि तभी अचानक से दरवाजा खुल गया। उसकी नज़र सीधे गुरु की नज़रों से जा मिली।
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "अंदर आना था, बाहर खड़े रहने के लिए नहीं बुलाया मैं तुम्हें, जूनियर।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "तो फिर अंदर क्यों?"
गुरु बीच में बोला, "इट्स इंपॉर्टेंट। अब हर सवाल का जवाब मैं तुम्हें यहाँ पर खड़े होकर दे दूं, लैला?"
ये सुनते ही शिविका की आँखें हैरानी से फैल गईं। "लैला" ये नाम उसके कानों में बज रहा था। उस क्लब में उसका निकनेम "लैला" था। किसी ने उसकी शक्ल नहीं देखी थी; इनफैक्ट, वो अपनी आँखें तक भी छुपा कर रखती थी। लोग बस उसे "लैला" के नाम से जानते थे और शायद गुरु ने ये नाम सुन लिया था। शिविका के एक्सप्रेशन देखते हुए गुरु के होठों पर एक तिरछी मुस्कान तैर गई।
वो धीमी आवाज़ में बोला, "क्या बात है, लैला?"
शिविका चिल्ला कर बोली, "डॉन्ट यू डेयर, सीनियर! अगर मुझे तुमने दोबारा इस नाम से बुलाया तो..."
गुरु बीच में बोला, "तो फिर जूनियर क्या करेगी? लेट मी गेस, जूनियर मेरा मुँह बंद करने की कोशिश करेगी। लेकिन जूनियर को पता होना चाहिए कि गुरु का मुँह तो खुद गुरु बंद कर सकता है; उसके अलावा कोई दूसरा हो ही नहीं सकता जो मेरा मुँह बंद कर दे।"
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "24 घंटे इसलिए बुलाया ना तुमने मुझे यहाँ पर? क्या करना है मुझे जल्दी बताओ और मेरा वॉलेट वापस दो।"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "इतनी आसानी से कैसे बता दूं।" बोलकर वो आराम से एक सोफे पर बैठ गया। वो एक खाली कमरा था जहाँ पर तीन-चार सोफे लगे हुए थे और ये कमरा कॉलेज के सिर के लिए था। गुरु एक स्टूडेंट था जो पूरे कॉलेज को कंट्रोल करता था।
शिविका को नहीं पता था, लेकिन वो स्टूडेंट कोई और नहीं बल्कि गुरु ही था। उसे गुरु के अकादमिक मार्क्स के बारे में कुछ नहीं पता था, परंतु गुरु पिछले दो सालों से पूरे इंदौर का टॉपर रह चुका था, और ये तीसरा साल था। इस साल भी उसका प्लान वही था - बीइंग ए टॉपर।
शिविका अपने दोनों हाथ बांधकर बोली, "क्या चाहिए तुम्हें अब?"
गुरु बीच में ही बोला, "जूनियर, इधर आओ।" बोलते हुए उसने अपनी दो उँगलियों से शिविका को अपने पास आने का इशारा किया। शिविका ने धीरे-धीरे अपने कदम उसकी तरफ बढ़ा दिए। कुछ पल में वो गुरु के सामने खड़ी थी।
गुरु ने अपना पैर आगे बढ़ाते हुए शिविका के सामने किया और कुछ पल रुक कर बोला, "नहीं, ऐसे नहीं," बोलकर उसने अपने दोनों पैर कॉफी टेबल पर रख लिए।
शिविका ने एक बार उसके स्पोर्ट्स शूज की तरफ देखा और फिर वापस उसके चेहरे की तरफ देखने लगी।
गुरु उसे देखते हुए बोला, "क्लीन इट। नीचे से ऊपर आने के चक्कर में थोड़े से गंदे हो गए हैं। जूनियर, इतना तो कर सकती हो ना तुम, अपने वॉलेट के लिए?"
शिविका धीरे से बोली, "मैं नहीं करूंगी।"
गुरु मुस्कुराते हुए बोला, "जूनियर, तुम नहीं करोगी तो फिर वॉलेट वायरल हो जाएगा और फिर लैला सामने आ जाएगी।"
शिविका ने इरिटेट होते हुए अपनी आँखें बंद कर लीं। कुछ पल बाद उसने अपनी आँखें खोलकर गुरु को देखा और अगले ही पल वो घुटनों के बल नीचे बैठ गई। शिविका कभी गुरु के स्पोर्ट्स शूज की तरफ देखती तो कभी उसके चेहरे की तरफ।
गुरु फिर से बोला, "आई एम वेटिंग। देखना है मुझे कि सफाई करते हुए जूनियर कैसी लगती है।"
शिविका कुछ कहती कि तभी गुरु बोला, "कॉफी टेबल के नीचे वाले स्लैब पर क्लीनिंग क्लॉथ रखा हुआ है। उसे उठाओ।"
शिविका ने वहीं रखा हुआ एक कपड़ा उठाया। वो वाइट कलर का कपड़ा था, जो क्लीनिंग के लिए रखा हुआ था। उसने गुरु की तरफ देखा और फिर सिर झुकाकर उसके जूते साफ करने लगी। इधर गुरु के होठों पर एक तिरछी मुस्कान तैर गई थी; वो मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था। तभी उसका फोन बजा। गुरु ने कॉल पिक किया और वो कॉल पर बात करने लगा, जिसमें शिविका को थोड़ा भी इंटरेस्ट नहीं था।
शिविका ने हल्के से नज़र उठाकर गुरु को देखा और फिर उसने धीरे से उसके पैरों की तरफ देखा।
वो मन में बोली, "जैसे को तैसा होगा सीनियर, और मैं अच्छे से करूंगी।" थोड़ी देर बाद गुरु कॉल कट करके बोला, "हो गया, जूनियर? अब हम नीचे मिलते हैं, ओके?" बोलकर वो खड़ा हुआ। उसने एक कदम आगे बढ़ाया ही था कि तभी वो लड़खड़ा गया और इसी चक्कर में उसने शिविका का हाथ पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया।
शिविका ज़ोर से चिल्लाई और अगले ही पल दोनों नीचे गिर गए। शिविका जमीन पर थी और गुरु उसके ऊपर।
गुरु उसे घूरते हुए बोला, "तुमने किया ना ये हरकत?"
शिविका मुस्कुरा कर बोली, "क्या बात है सीनियर, आपने तो बड़ी जल्दी पहचान लिया। अब आपने मुझे कहा था कि मैं आपके जूते साफ करूँ, लेकिन आपने ये तो नहीं कहा था कि मैं कुछ और नहीं कर सकती। तो मैंने आपके जूतों के लेस बाँध दिए।"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "अच्छा लग रहे थे?" बोलते हुए उसने शिविका के कंधों के दोनों तरफ अपने हाथ रखे और उसके चेहरे पर झुकने लगा।
शिविका धीरे से बोली, "एक्सक्यूज मी!" बोलते हुए उसने तुरंत गुरु के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे हल्का सा धक्का दिया, जिसका असर गुरु पर तो बिलकुल नहीं हुआ।
शिविका जल्दी से बोली, "तुम उठ सकते हो मेरे ऊपर से, सीनियर।"
गुरु धीरे से बोला, "बट आई डॉन्ट वांट टू गेट अप, जूनियर। अब तुमने गिराया है तो उठाओगी भी तुम ही।" इतना बोलकर उसने अपना पूरा बॉडी वेट शिविका के ऊपर डाल दिया।
शिविका चिल्ला कर बोली, "मेरे ऊपर से हटो! आई कांट हैंडल योर बॉडी वेट।"
गुरु उसे देखकर बोला, "हरकत करने के लिए मैं नहीं बोला था, जूनियर। जहाँ अपर हैंड मेरा है, वहाँ पर तुम ये कैसे सोच सकती हो कि तुम मुझसे आगे निकल जाओगी? निकलना है तुम्हें मुझसे आगे, तो निकलती रहो।"
शिविका को सांस लेने में प्रॉब्लम होने लगी थी। उसकी अपर बॉडी सबसे ज्यादा दब रही थी। शिविका धीरे से बोली, "ओके, फाइन। आई एम सॉरी।"
गुरु ने एक नज़र उसे देखा और अगले पल वो उसके ऊपर से हटकर उसके बगल में बैठ गया। शिविका तुरंत उठकर बैठी। वो इस वक्त लंबी गहरी सांस ले रही थी।
उसने अपने सीने पर हाथ रखा और कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। गुरु ने अपने शोलेस खोल दिए; शिविका ने गुरु के दोनों जूतों के लेस एक साथ बाँध दिए थे जब वो कॉल पर बात कर रहा था। इधर शिविका की साँस कुछ ही पल में कंट्रोल हो चुकी थी।
उसने एकदम से अपनी आँखें खोलीं और उसकी नजर सीधे गुरु की नज़रों से जा मिली जो खुद उसे देख रहा था।
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "इतना आसान नहीं है गुरु को हरा देना या फिर कुछ भी कर जाना, ओके जूनियर? तो अगली बार ऐसी हरकत मत करना। वॉलेट चाहिए ना तुम्हें? और सोचो, तुम्हारी इस हरकत के बाद में 24 घंटे को 48 घंटे कर दूं तो?"
शिविका धीरे से बोली, "यू कांट।"
गुरु खड़ा होकर बोला, "आई कैन, जूनियर। लेकिन मैं नहीं करूंगा। 24 घंटे में तुम्हारी जो हालत होगी, 48 घंटे करके मुझे तुम्हें मेंटल हॉस्पिटल नहीं भेजना है।" इतना बोलकर वो वहाँ से चला गया।
शिविका खुद से बोली, "ये मुझे मेंटल हॉस्पिटल भेजेगा? मैं इसे खुद हॉस्पिटल छोड़कर नहीं चली जाऊँ? 24 घंटे तुम्हारे होंगे गुरु, लेकिन वेट एंड वॉच, कोई ना कोई मौका आएगा जब वो पूरी की पूरी बाज़ी मेरी होगी और मैं लेकर रहूंगी बोलकर वो खड़ी हो गई और तुरंत वहां से निकल गई।
Chapter 7
इंदौर, IITMS
शिविका सीधे नीचे पहुंची। सबसे पहले उसकी मैथ्स की क्लास थी और उसके बाद दूसरी क्लास इंजीनियरिंग मैकेनिक्स की थी। शिविका अपनी क्लास में बैठी हुई थी।
प्रोफेसर पढ़ा रहे थे पर उसका ध्यान बार-बार गुरु की तरफ जा रहा था। वही सोच रही थी कि 24 घंटे यानी कि आज का पूरा दिन अब इसके आगे वो क्या करना चाहता था। अपने जूते से साफ करवा लेते उसने शिविका से और थैंक गॉड की ये चीज उसने अकेले में करवाई थी।
शिविका मन में बोली, "इतना भी ज्यादा क्या सोने की जरूरत है, जो होगा देखा जाएगा।"
शिविका तभी प्रोफेसर उसे देखकर बोले, "शिविका, गेटअप!"
शिविका तुरंत खड़ी हो गई। वो जल्दी से बोली, "यस, प्रोफेसर।"
प्रोफेसर उसे देखते हुए बोले, "कौन सा टॉपिक चल रहा है अभी क्लास में?"
शिविका ने एक बार अपनी नजर चारों तरफ घुमाई। उसका ध्यान बिल्कुल भी नहीं था इस वक्त पढ़ाई पर।
वो कुछ कहती कि तभी प्रोफेसर गुस्से में बोले, "अभी के अभी क्लास से बाहर निकालो! स्कॉलरशिप से आए हुए स्टूडेंट्स को पढ़ना-लिखना कुछ आता नहीं है।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "सर, बिना पढ़े-लिखे तो स्कॉलरशिप नहीं मिलती।" प्रोफेसर उसे देखते हुए बोले, "जुबान चल रही है तुम्हारी? सीरियसली, अब इतनी भी मेहनत नहीं है तुम्हारे अंदर कि प्रोफेसर से बदतमीजी नहीं करते?"
शिविका जल्दी से बोली, "मैं बदतमीजी नहीं कर रही हूं, मैं तो बस अपनी बात एक्सप्लेन कर रही हूं। अगर आपको ये बदतमीजी लग रही है तो इट्स नॉट माय फॉल्ट, सर। मैं चली जाऊंगी क्लास से बाहर।" बोलकर उसने अपना बैग उठाया और जाने लगी।
वो दरवाजे तक पहुंची थी कि तभी प्रोफेसर तेज आवाज में बोले, "अगले एक हफ्ते तक यू विल नॉट एंटर माय क्लास।"
शिविका बिना कुछ बोले बाहर निकल गई। उसे गुस्सा आ रहा था। वो सीधे कैंटीन की तरफ बढ़ते हुए बोली, "सबसे पहले वो गुरु और उसके बाद क्लास, एक सीनियर और दूसरे तक प्रोफेसर, सब ने एक साथ सोचा होगा कि मेरा दिन खराब करेंगे।" अब तक वो कैंटीन में पहुंच चुकी थी।
शिविका जैसे ही चेयर पर बैठी, तभी अचानक से वही ग्रुप कैंटीन में एंटर हुआ। गुरु और उसके साथ संकल्प था। साथ में दो-तीन लड़के और थे जिन्हें वो जानती नहीं थी। संकल्प का नाम तो उसने सुना था, तो वो पहचान गई थी कि संकल्प कौन था।
गुरु की नजर जैसे ही शिविका पर पड़ी, उसके होठों पर एक तिरछी मुस्कान तैर गई। शिविका चुपचाप उसे देख रही थी। गुरु आराम से एक टेबल पर बैठ गया।
वो शिविका की तरफ इशारा करके बोला, "ऑर्डर कौन लेगा मेरा?"
वहीं आसपास कैंटीन में जितने भी स्टूडेंट्स थे, सब शिविका को देखने लगे। पिछले कुछ दिनों में जो चल रहा था वो सबको पता था। दो ही दिन में शिविका गुरु का टारगेट बन चुकी थी। सब जानते थे कि गुरु अपने टारगेट को नहीं छोड़ता था।
शिविका खड़ी हुई और उसने अपने कदम चुपचाप गुरु की तरफ बढ़ा दिए।
संकल्प उसके बगल में बैठकर बोला, "ये ऑर्डर क्यों लेगी हमारा?"
गुरु उसे देखकर बोला, "बिकॉज आई एम टेलिंग हर। मैं कह रहा हूं, इसीलिए जूनियर मेरा ऑर्डर लेकर आएगी, राइट जूनियर?"
शिविका जबरदस्ती मुस्कुराते हुए बोली, "क्या ऑर्डर है आपका, सीनियर?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "पास्ता, रेड सॉस पास्ता और संकल्प, व्हाट डू यू वांट?"
संकल्प एक नजर शिविका को देखकर बोला, "वही रेड सॉस पास्ता और कोल्ड ड्रिंक भी।"
शिविका धीरे से बोली, "और कुछ?"
गुरु उसे देखकर बोला, "मैंने बोला और कुछ नहीं न, तो जाकर लेकर आओ।"
शिविका उसे भूलते हुए सीधे काउंटर की तरफ चली गई। थोड़ी देर बाद वो ट्रे लेकर आ रही थी कि तभी गुरु ने एकदम से अपना पैर आगे कर दिया। शिविका बहुत जोर से लड़खड़ाई, वो नीचे गिरने वाली थी कि तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ते हुए उसे बचा लिया।
शिविका ने एक बार उसके हाथ की तरफ देखा और फिर हल्के से नजर उठाकर अपने सामने खड़े एक लड़के को देखा। वो उसे नहीं जानती थी।
शिविका सीधे खड़ी होकर बोली, "थैंक यू," बोलकर उसने ट्रे टेबल पर रख दिया।
तभी गुरु तेज आवाज में बोला, "क्या बात है, हीरोइन को बचाने के लिए हीरो आया है?"
वो लड़का उसे देखकर बोला, "गुरु, आई एम नॉट ए हीरो। मुझे तो विलन बनने की आदत है, राइट गुरु?"
गुरु सारकास्टिकली बोला, "नॉट एट ऑल अबीर। विलन तो मैं बनूंगा ना। लोगों को परेशान करने से लेकर के जिंदगी जहन्नम बनाने का काम तो मैं करता हूं, तो विलन भी मैं ही हूं।"
अबीर कुछ पल उसे देखता रहा और फिर वो शिविका को देखकर बोला, "आर यू ओके? एनी प्रॉब्लम?"
शिविका जल्दी से बोली, "नहीं, कोई प्रॉब्लम नहीं है। थैंक यू।"
अबीर कुछ कहता कि तभी गुरु बोला, "हो गया? यू कैन लीव। जूनियर इस वक्त बिजी है।"
शिविका धीरे से बोली, "का कोर्स बिजी करो जो रखा है मुझे।"
अबीर उसे देखकर बोला, "अगर तुम चाहती हो तो आई विल हेल्प यू।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "नहीं, मुझे हेल्प की जरूरत नहीं है। अपनी हेल्प मुझे करना आता है। डोंट वरी, आई विल हैंडल माइसेल्फ।"
अबीर गहरी सांस लेकर बोला, "ओके, जैसे तुम्हारी मर्जी," बोलकर वो वहां से चला गया। बस जाते वक्त उसने एक बार गुरु को घूर कर देखा था।
इधर शिविका को समझ में आ चुका था कि गुरु और अबीर की कोई तो हिस्ट्री थी। फिलहाल यहां पर तो इस केमिस्ट्री बिगड़ी पड़ी थी। हिस्ट्री पर क्या ध्यान देती वह?
गुरु चुटकी बजाकर बोला, "जूनियर, ट्रे में रखी हुई प्लेट सामने रखो। सॉल्व करना है, साथ में मुझे खिलाना भी है। आई एम वेटिंग।"
शिविका हैरानी से बोली, "एक्सक्यूज मी?"
गुरु उसे देखकर बोला, "व्हाट? कम करो, काम करना है तुम्हें, राइट?"
शिविका ने अपनी नजर चारों तरफ घुमाई और फिर वो वही गुरु के बगल में चेयर पर बैठ गई। उसने संकल्प की प्लेट उसके सामने रखी और फिर गुरु की प्लेट उसके सामने रखकर वो चम्मच उठाते हुए बोली, "आई हेट यू।"
गुरु के होठों पर एक तिरछी मुस्कान तैर गई। उसका सारा ध्यान इस वक्त अपने फोन पर था। हां, वो शिविका की बातें भी सुन रहा था। शिविका ने एक बाइट उसकी तरफ बढ़ाया। गुरु ने अपना मुंह नहीं खोला था।
शिविका उसे देखते हुए बोली, "दिखता नहीं है क्या तुम्हें?"
गुरु तुरंत उसे देखकर बोला, "जूनियर, जब मेरा मन करेगा, मैं खाऊंगा। हाथ ऐसे ही रखो। आई लाइक इट।”
शिविका हैरानी से बोली, "व्हाट?" उसकी बात का गुरु ने कोई जवाब नहीं दिया।
इधर संकल्प चुपचाप खाते हुए ये सब कुछ एंजॉय कर रहा था। वो कभी भी गुरु को किसी को परेशान करने से नहीं रोकता था। क्यों रोकता? वो कोई महान इंसान नहीं था। वो गुरु का दोस्त था, बेस्ट फ्रेंड कह सकते थे उसका। शिविका अपना हाथ नीचे करने वाली थी कि तभी गुरु उसे देखकर बोला, "मैंने बोला हाथ नीचे करने के लिए।"
शिविका ने एक लंबी गहरी सांस ली और उसने बस अपना हाथ हवा में कर रखा था। चम्मच था उसके हाथ में और गुरु के मुंह के पास ही था। वो थोड़ी देर बाद गुरु ने अपना मुंह खोला, शिविका ने चुपचाप उसे खिलाया।
कैंटीन में कुछ लोग थे और कुछ लोग जा चुके थे, और जो लोग थे उन्होंने ये चीज रिकॉर्ड करनी शुरू कर दी थी।
शिविका की नजरें सीधे उन सब की तरफ चली गईं जिनके पास कैमरा थे। वो तेज आवाज में बोली, "यहां पर कोई दिल्ली शॉप चल रहा है तो तुम सबको रिकॉर्ड करना है?"
गुरु उसे देखकर बोला, "दिल्ली शॉप? नीचे आइडिया, जूनियर! वैसे भी तुम तो मदर टेरेसा से भी आगे निकली लोगों को बचाने में, गुरु की नजर में आने में। तो फिर तुम दिल्ली शॉप की हीरोइन हो, आई टोल्ड यू ना एकता कपूर की हीरोइन मिल चुकी है।"
शिविका धीरे से बोली, "24 घंटा निकल जाए, फिर मैं देखती हूं कि क्या करोगे तुम।"
गुरु हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, "जूनियर, मैं जो करूंगा, वो तुम झेल नहीं सकती। और तुम ट्राई कर रही हो चलने का, लेकिन सी, आई कैन अंडरस्टैंड, हैंडल नहीं हो रहा है तुमसे।"
शिविका जल्दी से बोली, "आई कैन हैंडल एनीथिंग एंड आई मीन आईटी।"
उसकी बात गुरु बस हंस दिया। थोड़ी देर में गुरु ने अपना पास्ता खत्म कर दिया था। कोल्ड ड्रिंक के दो कैन ले आई थी शिविका। एक तो संकल्प ले चुका था, लेकिन एक अभी बचा हुआ था। शिविका खड़ी होकर बोली, "अब हो गया, मैं जा रही हूं।"
इतना बोलकर वो जाने के लिए मुड़ी ही थी तभी गुरु ने उसकी कलाई पकड़ ली। शिविका ने एकदम से गुरु के हाथ की तरफ देखा और फिर उसके चेहरे की तरफ।
गुरु उसके कॉस्मिक ब्लू आंखों में देखते हुए बोला, "तुमसे कोल्ड ड्रिंक मंगाई थी मैंने अपने लिए, हां या ना?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "नहीं मंगाई थी बट मुझे लगा..."
गुरु बीच में बोला, "जूनियर, ऐसे लगा नहीं चाहिए, बिल्कुल भी नहीं।" बोलते हुए वो खड़ा हो गया।
शिविका कन्फ्यूजन से बोली, "क्या मतलब? नहीं पीना है तो वापस कर दो।"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "नहीं, वो भी नहीं किया जा सकता।" बोलकर उसने संकल्प की तरफ देखा।
संकल्प ने बिना कुछ बोले वो दूसरी कोल्ड ड्रिंक का कैन खोलकर टेबल पर वापस रख दिया। शिविका कुछ कहती कि गुरु ने एकदम से उसे अपने पास खींचा और वो कैन उठाकर उसके मुंह से लगाया।
शिविका ने पीछे हटने की कोशिश की, पर गुरु उसे छोड़ने को तैयार नहीं था। ना चाहते हुए भी शिविका को एक ही सांस में पूरा कैन खाली करना पड़ा।
गुरु एकदम से उसे छोड़कर बोला, "परफेक्ट।"
इधर शिविका को खांसी आ रही थी। वो बहुत जल्दी कोल्ड ड्रिंक पीती नहीं थी बिकॉज़ ऑफ टेस्ट, जो गले में जाकर के कड़वाहट महसूस होती थी, इस वजह से वो कोल्ड ड्रिंक नहीं पीती थी।
शिविका ने एकदम से अपनी नजर उठाते हुए गुस्से में गुरु को देखा और बिना कुछ बोले वहां से निकल गई। उसके जाते ही गुरु हल्का सा मुस्कुरा दिया।
संकल्प उसे देखते हुए बोला, "कैसे परेशान कर रखा है तुमने अपने टारगेट को।"
गुरु उसे देखकर बोला, "अब इतना तो करना पड़ेगा, संकल्प। यू नो वेरी वेल कि गुरु जिसे अपना शिकार बनाता है, उसे जीने लायक भी नहीं छोड़ता ! डिस्गस्टिंग और क्रीपी बोला था ना, इसने मुझे तो बन के दिखाऊंगा कि मैं क्या-क्या बन सकता हूं।"
संकल्प खड़ा होकर बोला, "आई कैन अंडरस्टैंड, बेचारी ने पहले दिन ही गलती कर दी। कहां नजर में नहीं आती और कहां नजरों से अब हट नहीं सकती।" इसके बाद सुनकर गुरु बस मुस्कुरा दिया।
इसके बाद शिविका की 1 घंटे तक इंजीनियरिंग मैकेनिक्स की क्लास चलती रही और उसे क्लास के बीच किसी ने भी उसे परेशान नहीं किया और वो इस बात से खुश थी।
क्लास खत्म होने के बाद शिविका अब घर जाने वाली थी, तभी उसे याद आया कि सुधीर ने उसे जो लंच दिया था, वो तो उसने खाया ही नहीं।
वो खुद से बोली, "अगर बिना खाए गई तो फिर पापा को बुरा लग जाएगा, खाकर जाना पड़ेगा।" बोलते हुए वो गार्डन में आ गई थी। वो वही बेंच पर बैठ गई।
तभी रूद्र उसके पास आकर बोला, "मैं तुम्हें ढूंढ रहा था और तुम मुझे यहां मिल गई। कॉलेज बहुत बड़ा है, शिविका। अपनी लोकेशन मुझे भेज दिया करो या फिर मुझे मैसेज कर दिया करो कि कहां जा रही हो। मैं तुम्हारी क्लास के पास पहुंच गया था, अच्छा हुआ कि वहां से सामने यहां पर दिख गई तुम।" बोलते हुए वो उसके बगल में बैठ गया।
शिविका अपने बैग से बॉक्स निकालते हुए बोली, "मैं बाहर ही निकल रही थी बट पापा ने ये बॉक्स दिया था खाने का। सो आई थॉट कि खाकर जाऊं वरना उन्हें बुरा लगेगा कि मैंने खाया नहीं।"
रूद्र कुछ कहता कि तभी उसका फोन बजा। एक नोटिफिकेशन आया था। उसने वो अपना फोन चेक करते हुए बोला, "ओ माय गॉड, लाइक सीरियसली ये सब क्या हो रहा है?" शिविका ने सिर उठाकर उसके फोन की तरफ देखा।
कैंटीन वाली वीडियो पूरे कॉलेज में डिस्ट्रीब्यूट हो चुकी थी और उसके नीचे एक कैप्शन था, "एकता कपूर की हीरोइन विलन को खाना खिलाते हुए।”
रूद्र उसे देखकर बोला, "क्या चल रहा है? तुम इसे झेल क्यों रही हो?" शिविका उसे देखते हुए बोली, "मैं जानबूझकर खिलाऊंगी तो ऐसा लगता है?"
रुद्र जल्दी से बोला, "तुम जानबूझकर नहीं खिलाओगी, बट तभी मैं पूछ रहा हूं कि आखिर ऐसी नौबत क्यों आई होगी? तुम्हें क्या जरूरत पड़ गई?"
शिविका धीरे से बोली, "उसे मेरे बारे में पता चल गया कि मैं क्लब में डांस करती हूं। ऊपर से 'लैला' नाम, वो मुझे इस नाम को लेकर परेशान कर रहे हैं। और तीसरी बात ये है कि उसके पास मेरा वॉलेट है और मुझे मेरा वॉलेट वापस चाहिए। उसमें मेरे सारे आईडी कार्ड्स हैं और क्लब की एंट्री का दूसरा कार्ड भी। मेरे पास दो कार्ड हैं, कल मैं वालंटियर कर रही थी। मुझे होश नहीं था कि मेरा वॉलेट कहां गया था।"
रुद्र हैरानी से बोला, "माय गॉड, शिविका! और तुम मुझे ये बात अब बता रही हो?"
शिविका धीरे से बोली, "मुझे खुद नहीं पता था मैं क्या कर रही थी।"
रुद्र कुछ पल रुक कर बोला, "अब क्या? ये जो वायरल हुआ है, इसका क्या?"
शिविका जल्दी से बोली, "अरे तो कौन सा मैं इसमें कुछ गलत कर रही हूं जो कोई फर्क पड़ेगा? कुछ नहीं कर रही हूं ना मैं, तो इट्स ओके।" बोलकर वो अपने खाने पर ध्यान देने लगी।
इधर रुद्र को टेंशन हो रही थी क्योंकि उसे पता था कि गुरु जो कुछ कर रहा था, उसका अंजाम कुछ ना कुछ तो होने वाला था।
थोड़ी देर में शिविका खड़ी होकर बोली, "अब मैं जा रही हूं, और एक बात बताना भूल गई - गुरु के पास मेरा फोन नंबर है।"
रुद्र धीरे से बोला, "शिविका, तुम बहुत बड़ी फसी हो। गुरु के पास तुम्हारा फोन नंबर है, सब कुछ बहुत बड़ी गड़बड़ हो सकती है।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "मैं कुछ नहीं कर सकती यार अब इसमें। चल।"
रुद्र खड़ा होकर बोला, "ओके," बोलकर वो उसे लेकर वहां से जाने लगा। वे लोग बाहर पहुंचे थे। शिविका अपनी स्कूटी स्टार्ट करने वाली थी कि तभी उसका फोन बजा। कॉल आ रही थी, वो भी गुरु के फोन नंबर से, जिसका नाम उसने 'डिस्गस्टिंग सीनियर' लिखकर सेव किया था।
शिविका कॉल पिक करके बोली, "हेलो?"
दूसरी तरफ से गुरु की आवाज आई, "कॉलेज से 10 मिनट की दूरी पर बॉयज हॉस्टल है, और वेटिंग... जल्दी आओ, जूनियर। 24 घंटे में अभी एक पूरी रात बाकी है।"
इसी के साथ कॉल कट हो गया। शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "रुद्र, अगर आज मेरे हाथों किसी का कत्ल हुआ तो फिर मेरी जिम्मेदारी नहीं है। हैंडल कर लेना।"
रुद्र कुछ पल रुक कर बोला, "क्या मतलब?"
शिविका उसे देखकर बोली, "बॉयज हॉस्टल जा रही हूं। मैं या तो मर जाऊंगी या फिर... मुझे नहीं पता। लेकिन पता नहीं यार, मैं जा रही हूं।"
बोलकर वो सीधे वहां से निकल गई।
20
इंदौर, IITMS
रात का वक्त
शिविका बालकनी के गेट के पास खड़ी अपने दोनों हाथ बाँधे गुरु को देख रही थी, जो कि आराम से सोफे पर बैठा हुआ अपने लैपटॉप पर कुछ कर रहा था। उसे बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा था इस वक्त गुरु के ऊपर।
एक तो उसने शिविका को उठाया नहीं, और वो कहीं जा नहीं सकती थी। वो पूरी रात गुरु के साथ हॉस्टल रूम में रहने वाली थी और ये बहुत बड़ी बात थी।
शिविका मन में बोली, "मेरी पूरी रात खराब करके ये इंसान लैपटॉप पर इतने आराम से काम कर रहा है। मतलब, क्या इसे कोई फर्क नहीं पड़ता? कितना बुरा इंसान है!"
सोचते हुए उसका मुँह बन गया। तभी अचानक किसी ने दरवाजा खटखटाया। शिविका की आँखें एकदम से फैल गईं। वो तुरंत बालकनी में जाकर छुप गई। गुरु ने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने एक लड़का खड़ा था।
वो लड़का जल्दी से बोला, "गुरु, ये संकल्प ने देने के लिए बोला था," बोलकर उसने एक पैकेट आगे बढ़ाया। गुरु ने वो पैकेट ले लिया और उसके मुँह पर दरवाजा बंद कर दिया।
उसने वो पैकेट टेबल पर रखा और बालकनी में चला आया। शिविका वहीं पर आँखें बंद किए खड़ी थी। गुरु कुछ कहने वाला था, पर शिविका की शक्ल देखकर वो चुप हो गया। वो बस उसका रिएक्शन देख रहा था।
वहाँ पर चाँद बड़े अच्छे से नजर आ रहा था, और उसकी चाँद की रोशनी शिविका के चेहरे पर पड़ रही थी। गुरु आराम से वहीं टिक गया। वो अपने दोनों हाथ पॉकेट में डालकर उसे देखने लगा।
थोड़ी देर बाद शिविका ने हल्के से अपनी आँखें खोलीं। उसकी नजरें गुरु की जेमस्टोन ग्रीन आँखों से जा मिलीं।
वो कुछ पल रुक कर बोली, "व्हाई आर यू लुकिंग एट मी लाइक दिस सीनियर?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "जूनियर को डर भी लगता है, बस वही देख रहा था।"
शिविका जल्दी से बोली, "मुझे कोई डर नहीं लगता। मैं बस परेशान हो रही हूँ कि अगर मुझे किसी ने यहाँ पर देख लिया तो…"
गुरु सारकास्टिकली बोला, "बालकनी में खड़े होकर तुम्हें यही डर लग रहा है? आई मीन, अगर इतना ही डर लग रहा है तो बालकनी में क्यों खड़ी हो? यहाँ से तो तुम्हें कोई भी देख सकता है।"
उसकी बात सुनकर शिविका ने चारों तरफ अपनी नजर घुमाई और अगले पल वो अंदर चली आई। गुरु कुछ पल वैसे ही खड़ा रहा और अंदर आते हुए उसने बालकनी का स्लाइडिंग डोर बंद कर दिया।
शिविका उसे देखते हुए बोली, "मैं क्या करूँ?"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "व्हाट डू यू मीन बाय 'मैं क्या करूँ'? जो करना है करो, मैं कुछ करने से रोकूँगा?" बोलकर वो वापस जाकर सोफे पर बैठ गया।
उसने पैकेट से दो-तीन बॉक्स निकाले। वो खाने का बॉक्स था; संकल्प ने उसका खाना भिजवाया था। गुरु खुद कभी कैंटीन नहीं जाता था, न ही हॉस्टल में जाकर खाना लेता था। संकल्प ही उसके लिए ये सब कुछ भिजवाता था। भूख तो शिविका को भी लगी थी। वो चुपचाप खाना देख रही थी।
तभी गुरु उसे देखकर बोला, "यू वांट टू ईट?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, " नो थैंक यू," बोलकर उसने अपने दोनों हाथ बाँधे और इधर-उधर घूमने लगी।
गुरु ने सारे बॉक्स खोलकर टेबल पर रखे प्लेट में खाना निकाला – पालक पनीर, रोटी, जीरा राइस और साथ में सलाद भी था।
गुरु एक बाइट लेकर बोला, "इट्स सो यम्मी।"
ये सुनते ही शिविका रुक गई। उसने सीधे गुरु की तरफ देखा। वो चुपचाप उसे खाते हुए देख रही थी। वहीं गुरु तो आराम से खा रहा था, मानो कमरे में कोई और था ही नहीं।
शिविका मन में बोली, "कितना गंदा सीनियर है, सामने वाला यहाँ पर कुछ नहीं खा रहा है, और ये ऐसे खा रहा है जैसे… आई हेट यू सीनियर!" सोचते हुए उसने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली। उसका खुद का खाने का मन हो रहा था, भूख भी लगी थी, पर बीच में अड़ गई थी।
शिविका ने एक लंबी गहरी सांस ली और वो वॉशरूम की तरफ जाने को ही थी कि तभी गुरु उसे देखकर बोला, "जूनियर!" ये सुनते ही शिविका के कदम रुक गए।
वो गुरु को देखकर बोली, "यस सीनियर, कुछ कहना है आपको?" बोलते हुए वो जबरदस्ती मुस्कुराने लगी।
गुरु उसे देखते हुए बोला, "हाँ, वो तुम्हारे साइड वाले टेबल पर एक बोतल रखी हुई है, उसमें लस्सी है। बोतल दे देना मुझे, लस्सी बहुत पसंद है।"
शिविका कुछ पल उसे देखती रही और फिर वैसे ही मुस्कुराते हुए बोतल टेबल पर रखकर वॉशरूम के अंदर चली गई। वॉशरूम बहुत ज्यादा बड़ा नहीं था, न बहुत छोटा, एक अच्छा-खासा जनरल साइज का था। एक तरफ शावर था। इनफैक्ट, इस शावर को पूरे वॉशरूम से अलग करके बनाया गया था। साइड में ग्लास लगे हुए थे।
वो खुद से बोली, "ऐसा वॉशरूम तो मेरे घर पर भी नहीं है, हॉस्टल नहीं है। सच में, हॉस्टल के नाम पर पूरा का पूरा बेडरूम है। अच्छी लाइफ तो इसी की चल रही है, स्ट्रगल तो हम कर रहे हैं," बोलकर उसने अपना फेस वॉश किया।
उसने एक बार अपने कपड़ों की तरफ देखा। क्रॉप टॉप और जींस पहना हुआ था। जींस पहनकर सोना बहुत मुश्किल होता था, इरिटेशन होती थी।
शिविका खुद से बोली, "क्या करूँ? अभी कुछ नहीं कर सकती। शिविका दीक्षित, बाहर निकलो फटाफट!" बोलकर उसने वॉशरूम का दरवाजा खोला और बाहर आई।
उसने अपनी नजर चारों तरफ घुमाई, पर गुरु वहाँ कहीं नजर नहीं आ रहा था। कॉफी टेबल पर खाना रखा हुआ था। शिविका के पेट से अब आवाज आ रही थी। उसने एक बार अपने पेट पर हाथ रखा और चुपचाप जाकर सोफे पर बैठ गई।
वो कुछ पल रुककर बोली, "अभी वो है तो नहीं यहाँ पर। एक-दो बाइट्स ले लेती हूँ। पूरी रात काम चलाना है ना," बोलकर उसने एक बाइट लिया और फिर वो कंट्रोल नहीं कर पाई। उसने प्लेट अपनी गोद में रख ली और आराम से खाना खाने लगी।
तभी सामने से सीट बजाने की आवाज आई। शिविका ने एकदम से अपनी नजर उठाई, गुरु बालकनी के दरवाजे पर खड़ा था। शिविका के हाथ में निवाला भरा पड़ा था, वो खा रही थी।
गुरु उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला, "सारा एटीट्यूड कहीं और चला गया, जूनियर? तुम्हें पता है, एटीट्यूड वहाँ दिखना चाहिए जहाँ उसका कोई रिजल्ट निकले। जहाँ तुम्हें आखिर में हार माननी हो, वहाँ चौड़े होकर बकवास करने का कोई फायदा नहीं होता," बोलते हुए वो बेड पर बैठ गया।
शिविका ने उसके बाद तो कोई जवाब नहीं दिया। उसने जल्दी से थोड़ा बहुत जो भी खाना था, वो खा लिया और फिर एक नजर गुरु को देखकर दूसरी तरफ देखने लगी।
तभी गुरु चुटकी बजाकर बोला, "पूरी रात बैठती रहोगी? लाइट ऑफ करूँगा।"
शिविका जल्दी से बोली, "क्यों? मैं क्या करूँगी?" बोलते हुए उसने गुरु की तरफ देखा।
गुरु बेफिक्र अंदाज में बोला, "मुझे क्या मतलब है तुमसे? करो, आई डोंट केयर।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "लेकिन आई केयर।"
गुरु हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "तो फिर अपने केयर अपने पास रखो। मुझे नहीं पता कि तुम क्या करोगी, ओके जूनियर? और हाँ, मुझे मेरी नींद खराब करने वाले लोग पसंद नहीं हैं, तो नींद खराब मत करना मेरी। गॉट इट?" बोलकर वो तुरंत बेड पर लेट गया और उसने लाइट्स ऑफ कर दी। अगले पल पूरे कमरे में अंधेरा छा चुका था।
शिविका ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली। अंधेरे में उसे डर लगता था। असल में ऐसा लगता था कि उसे साँस नहीं आ रही है, क्लस्ट्रोफोबिक फील होता था।
शिविका धीरे से बोली, "आई हैव टू डू समथिंग," बोलकर वो तुरंत खड़ी हो गई।
30
इंदौर, अगला दिन
सब लोग इंदौर वापस आ चुके थे और वापस आने के बाद आज शिविका कॉलेज नहीं गई थी। वो चुपचाप पेट के बल बेड पर लेटी हुई थी और अपना फोन देख रही थी। उसका फोन गुरु ने उसे वापस कर दिया था। उसे कुछ भी नहीं पता था, पर जब घर आकर उसने अपना बैग चेक किया, तो उसके बैग में उसका फोन पड़ा हुआ था।
तभी उसके कानों में आवाज पड़ी, "शिविका!"
ये सुनते ही शिविका एकदम से उठकर बैठ गई। उसने सुधीर की तरफ देखा, जो खाने की प्लेट लेकर खड़े थे।
वो उसके पास आकर बोले, "जब से आए हो, तब से देख रहा हूं, बहुत शांत हो। वहां पर कुछ हुआ था क्या, पैसे चोट लगने के अलावा?"
शिविका जल्दी से बोली, "नहीं पापा, और कुछ नहीं हुआ। पार्टी हुई थी और बस। फिर कुछ नहीं।"
सुधीर उसके पास बैठकर बोले, "तुम आज कॉलेज नहीं गई, तो मैंने ये सोचा कि शायद तुम थक गई होगी। लेकिन शिवी, तुम और मैं दोनों जानते हैं कि बात कुछ और है। तुम मुझे बताओ।"
शिविका उनके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "पार्टी में मैं वॉशरूम में लॉक हो गई थी और वहां पर अंधेरा था। इसीलिए मैं डर गई थी और बस, उसी वजह से मेरा मूड ऑफ है।"
सुधीर धीरे से बोले, "तो ये बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई?"
शिविका जल्दी से बोली, "पापा, बात बड़ी नहीं थी, तो मैं आपको बताकर क्या करती? इट्स वेरी नॉर्मल, हो जाता है कभी-कभी। इसलिए नहीं बताया।"
सुधीर उसे खुद से दूर करते हुए बोले, "शिविका बेटा, मेरी बात सुनो। जो भी तुम्हारी लाइफ में चल रहा है, वो बातें तुम्हें बतानी होंगी मुझे। और तुम जानती हो ना कि मैं तुम्हारी बातें सुन लूंगा बिना किसी जजमेंट के। Remember every time I am your father। बेटा, तुम मुझसे सब कुछ शेयर कर सकती हो।"
शिविका हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "I know।"
सुधीर बीच में बोले, "मुझे जॉब मिल गई है।"
शिविका कुछ पल उन्हें देखती रही और फिर अगले पल उसकी आंखें एकदम से फैल गईं। वो धीरे से बोली, "Are you serious, Papa? आप मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रहे हो ना, मेरा मूड ठीक करने के लिए?"
सुधीर उसे देखते हुए बोले, "तो क्या लगता है, मैं तुम्हारे साथ इतना बड़ा मजाक करूंगा? मैं सच बोल रहा हूं। I got a job। और वही जॉब जो मैं पहले करता था। I mean, काम वही है, पर कंपनी दूसरी है और….” वो इससे आगे कुछ कहते कि शिविका एकदम से उनके गले लग गई। उसने कसकरअपनी आंखें बंद कर रखी थीं।
सुधीर ने एक लंबी गहरी सांस ली और उन्होंने शिविका के सिर पर हाथ रखा। शिविका की आंख से एक कतरा आंसू बह गया।
उसने जल्दी से अपना आंसू साफ किया और सुधीर से अलग होकर बोली, "I am very happy, Papa। Finally आप अपनी लाइफ में आगे बढ़ रहे हो।"
सुधीर धीरे से बोले, "सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी वजह से। लोग कहते हैं कि पार्टनर कभी भी साथ छोड़ने पर..." इतना बोलते हुए वो रुक गए।
शिविका चुपचाप उन्हें देख रही थी। सुधीर ने उसके फोरहेड पर हल्की सी किस करके कहा, "यहां मेरी बेटी ने मुझे खोने नहीं दिया, कहीं जाने नहीं दिया और वापस भी ले आई।"
ये सुनते ही शिविका मुस्कुरा दी। वो दोनों बातें कर रहे थे और फिर सुधीर वहां से चले गए।
शिविका बहुत खुश थी। वो सुधीर के खाने में दवाइयां मिलाकर के दे रही थी ताकि उनकी शराब की आदत छूट सके। और वो दवाइयों का असर भी देख रही थी। पिछले कुछ समय से सुधीर को उसने पीते हुए नहीं देखा था। अगर देखा भी, तो इतने नशे में नहीं देखा कि वो अपने आप को संभाल न पाए।
शिविका ने वहीं नाइट स्टैंड पर रखा हुआ अपना और सुधीर का एक फोटो उठाया। वो उसके 18th बर्थडे का था। उसका 19th बर्थडे आने वाला था, बस एक महीने में।
वो मुस्कुराते हुए बोली, "आपने मेरी लाइफ का सबसे बड़ा बर्थडे गिफ्ट दिया है, पापा। I am very happy।" ये कहकर उसने हल्के से उस फोटो पर किस कर लिया और फिर फ्रेश होकर बेड पर लेट गई।
आज तो वो कॉलेज नहीं गई थी, लेकिन कल उसे जाना ही था। शिविका खुद से बोली, "जो होगा देखा जाएगा और क्या फर्क पड़ता है उसे। इंसान से आई हैव टू फोकस ऑन मायसेल्फ।"
ये कहकर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और कुछ ही पल में उसकी आंख लग गई।
अगली सुबह
शिविका लगभग रेडी हो चुकी थी। वो ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी थी और खुद को देख रही थी। कुछ सोच रही थी। कुछ क्या, गुरु के बारे में ही सोच रही थी।
वो खुद से ही बोली, "What the hell! उसके बारे में सोच रही हूं? उसने जो मेरे साथ किया, उसके बाद मुझे उसके बारे में नहीं सोचना चाहिए। शिविका दीक्षित, अपना दिमाग कंट्रोल में रखो। ऐसे इंसान के बारे में नहीं सोचना जो तुम्हारी कमजोरी का फायदा उठाकर तुम्हें रुला सकता है।" ये कहकर उसने एक गहरी सांस ली। कुछ पल तक खुद को देखते रहने के बाद शिविका ने अपना कॉलेज बैग उठाया और तुरंत वहां से निकल गई।
थोड़ी देर में वो कॉलेज पहुंच चुकी थी। आज रुद्र नहीं आने वाला था। उसे किसी वजह से इंदौर से बाहर जाना पड़ा था। दो दिन तक वो नहीं आने वाला था।
कॉलेज में शिविका अपनी क्लास की तरफ जा रही थी कि तभी उसके पीछे से आवाज आई, "शिविका, लिसन।"
शिविका एकदम से रुक गई। उसने एक बार मुड़कर संकल्प को देखा और वापस जाने लगी।
संकल्प उसके पास आकर बोला, "एक बार मेरी बात तो सुनो।"
शिविका चलते हुए बोली, "लिसन संकल्प, मुझे तुम्हारी कोई बात नहीं सुननी। मुझे पता है कि तुम यहां पर अपने दोस्त की तरफदारी करने आए हो, तो प्लीज जाओ यहां से। उसने जो किया है, उसकी कोई माफी नहीं है।"
संकल्प बीच में बोला, "तुम्हें सच में लगता है कि वो ऐसा कुछ करेगा?" ये सुनते ही शिविका के कदम रुक गए।
वो उसकी तरफ मुड़कर बोली, "पूरे कॉलेज में सिर्फ और सिर्फ दो लोगों को पता है कि मुझे अंधेरे से कितना डर लगता है। एक रुद्र और दूसरा गुरु। और तीसरे शायद तुम बन चुके हो। तो तुम बताओ, कौन करेगा? रुद्र कभी ऐसा कुछ नहीं करेगा। वो दोस्त है मेरा। तो बचा कौन? गुरु, जो मुझे अपना टारगेट कहता है। और उसने साबित कर दिया कि मैं उसके टारगेट से ज्यादा कुछ नहीं हूं।"
अपनी बात कहकर वो वहां से जाने लगी। तभी संकल्प ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "तुम्हें लगता है कि तुम सिर्फ उसकी ताकत हो?"
शिविका उसे देखकर बोली, "मेरे लगने न लगने से क्या फर्क पड़ता है? यहां पर बात ये है कि उसे क्या लगता है। I am just a target for him जिससे वो सैटिस्फाइड होता है। मुझे परेशान करके उसे सुकून मिलता है। तो फिर ले लो सुकून। तैयार हूं मैं। चार साल इस कॉलेज में हूं और दो साल वो है। तो दो साल मेरी जिंदगी जहन्नम बनानी है, तो कर सकते हैं वह। I don’t have any problem। बोल देना उसे, तैयार हूं मैं उसकी हर हरकत के लिए।"
ये कहकर उसने एकदम से अपना हाथ छुड़ाया और सीधे क्लासरूम के अंदर चली गई।
संकल्प कुछ पल वैसे ही खड़ा रहा और फिर वो वहां से चला गया। अपनी क्लास खत्म करने के बाद, जो कि डेढ़ घंटे की थी, शिविका सीधे कैंटीन में पहुंची।
वो अपनी जगह पर बैठी थी कि तभी सारे स्टूडेंट्स एकदम से शांत हो गए। शिविका की नजर सीधे गुरु की तरफ चली गई, जो अपने ग्रुप के साथ वहां पर आ रहा था। वो कुछ पल उसे देखती रही और फिर वापस अपने फोन पर कुछ करने लगी।
तभी उसके कानों में एक बहुत जोर की आवाज आई। शिविका ने तुरंत अपनी नजर उठाकर देखा। गुरु के सामने एक लड़का खड़ा था और उसके हाथ से पूरा एक ट्रे छूटकर नीचे गिर गया था। ट्रे में जो भी सामान था, वो गुरु के ऊपर गिर गया था, जैसे केचअप, बर्गर, मेयोनेज़। ये सब कुछ। गुरु बहुत बुरी तरह से उसे घूर रहा था, ऐसा लग रहा था कि वो उसे मार डालेगा।
शिविका धीरे से बोली, "ओ माय गॉड।"
तभी गुरु ने उसका कॉलर पकड़कर कहा, "दिखता नहीं है? सारे अंधे भरे पड़े हो क्या यहां पर? इंजीनियरिंग करने के लिए कॉलेज में आए हो, लेकिन दिखता नहीं है? साफ कर अभी के अभी!"
वो लड़का जल्दी से बोला, "सॉरी गुरु, मैं अभी साफ करता हूं।"
गुरु ने झटके से उसे छोड़ दिया। लड़के ने जल्दी से टिशू पेपर उठाया और साफ करने लगा। वो साफ तो करने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके चक्कर में वो फैलता चला जा रहा था। जो भी चीज लगी पड़ी थी, गुरु की जैकेट पूरी तरीके से खराब हो गई थी। गुरु ने एकदम से उसे धक्का दिया और अपनी जैकेट उतारकर लड़के को एक मुक्का दे मारा।
शिविका एकदम से खड़ी होकर बोली, "व्हाट द हेल!"
गुरु उसे दोबारा मुक्का मारने वाला था, लेकिन वो एकदम से रुक गया। उसका हाथ लड़के के चेहरे के बेहद पास आकर रुक गया। उसने तुरंत अपनी नजर घुमाकर शिविका की तरफ देखा। दोनों एक-दूसरे की आंखों में देख रहे थे। पूरे कैंटीन में बिल्कुल शांति थी। उन दोनों के बीच की इंटेंसिटी सिर्फ वही दोनों नहीं, बल्कि पूरा कैंटीन महसूस कर सकता था।
गुरु ने एकदम से लड़के को छोड़ दिया। लड़का झटके से नीचे गिर गया। उसने एक बार शिविका को देखा और एक तरफ हो गया। उसे बहुत डर लग रहा था कि गुरु उसके साथ क्या करेगा।
गुरु धीमे कदमों से चलते हुए शिविका की तरफ आने लगा। शिविका के आसपास जो भी लोग थे, वे जल्दी से एक तरफ हो गए। कुछ ही पल में गुरु शिविका के सामने आकर रुक गया।
वो कुछ पल रुककर बोला, "हाउ डेयर यू?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "रियली? सेम क्वेश्चन फॉर यू।"
गुरु ने एकदम से शिविका के कंधे को पकड़ते हुए उसे झटके से अपने करीब खींचा। शिविका ने तुरंत उसके कंधे पर हाथ रखा और हैरानी से उसे देखने लगी।
गुरु हल्का सा झुका और उसकी आंखों में देखकर बोला, "Be in your limits, junior। समझ में आई मेरी बात? मेरे रास्ते में और मेरे काम के बीच आने की गलती दोबारा मत करना। वरना यहां से उठाकर कहां फेंकूंगा, समझ नहीं पाओगी।"
शिविका धीरे से बोली, "वो तो तुमने साबित कर दिया है।"
वो दोनों जो बातें एक-दूसरे को कह रहे थे, वो उनके अलावा कोई और नहीं सुन सकता था। उनकी बातें इतनी धीरे हो रही थीं। गुरु की पकड़ शिविका के कंधे पर बहुत ज्यादा मजबूत होती जा रही थी।
शिविका ने एक बार अपने हाथ की तरफ देखा और कुछ पल रुककर बोली, "अपनी गलतियां एक्सेप्ट करना तो आता नहीं है तुम्हें, है ना, सीनियर? तुम सामने वाले के साथ कुछ भी करो और फिर?" इससे पहले कि वो कुछ और कहती, गुरु ने एकदम से उसे छोड़ दिया।
वो कुछ पल रुककर बोला, "सब अपना काम करेंगे।"
बोलकर उसने अगले ही पल शिविका की कलाई पकड़ी और उसे खींचते हुए वहां से ले जाने लगा।
शिविका चिल्लाते हुए बोली, "लीव मी! हाथ अभी के अभी छोड़ो!" पर गुरु सुनने को तैयार नहीं था।
इधर संकल्प खुद से बोला, "ओ माय गॉड! अब क्या करेगा ये लड़का?" बोलते हुए उसने अपने सर पर हाथ रख लिया।
गुरु शिविका को लेकर सीधे एक खाली क्लासरूम में पहुंचा। उसने शिविका को अंदर धक्का दिया और खुद अंदर आते हुए गेट बंद कर दिया।
शिविका ने तुरंत मुड़कर उसे देखा और चिल्ला कर बोली, "फिर से मुझे यहां पर छोड़ने की प्लानिंग कर रहे हो तुम? अंधेरे में? एक बार तो मन नहीं भरा तुम्हारा?"
तभी गुरु ने उसे घुमाकर दीवार से लगा दिया और उसके चेहरे के करीब आकर बोला, "बात खत्म हो चुकी है। तो बार-बार मेरे सामने आकर क्या साबित करना चाहती हो तुम? बार-बार एक ही बात बोलकर क्या करना चाहती हो तुम?"
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "तुम्हारे लिए बात खत्म हो चुकी होगी, लेकिन फॉर मी, नहीं। बिल्कुल नहीं। तुमने मेरे इमोशंस का मजाक बनाया।"
गुरु उसकी आंखों में देखकर बोला, "कौन से इमोशन?"
शिविका एकदम से चुप हो गई। वो चुपचाप उसकी गहरी, जेमस्टोन ग्रीन आंखों में देख रही थी।
गुरु उसे घूरते हुए बोला, "इमोशंस की बातें वो नहीं करते, जिन्हें इतनी ज्यादा ट्रस्ट इश्यूज हों।"
शिविका उसे देखकर बोली, "उसकी वजह भी तो तुम ही हो ना? तुम मुझे अपना टारगेट रखते हो। तुम रखते हो कि तुम मुझे हर्ट करके सेटिस्फाई होते हो। तो फिर ठीक है। I can believe कि तुम्हें ऐसा करना आता है, क्योंकि तुम ही जानते थे।"
गुरु चिल्ला कर बोला, "जानने का मतलब? तो फिर रूद्र भी जानता था ना, जूनियर? अगर तुम्हारा दोस्त जानता था, तो मैं भी जानता था। अगर मुझे ऐसा कुछ करना होता, तो मैं पहले भी करता। समझ में आती तुम्हें मेरी बात? तुम मेरे साथ एक कमरे में थी। तुम्हें वॉशरूम में बंद कर सकता था, मैं कुछ भी कर सकता था। Did you get it or not?"
शिविका उसे घूरते हुए बोली, "नहीं आ रहा है मुझे कुछ भी समझ में और मुझे नहीं समझना। I want to go."
गुरु उसके और भी करीब आकर बोला, "क्यों? पास आने से प्रॉब्लम हो रही है, जूनियर?"
इस वक्त वो उसके चेहरे के बेहद करीब था। उन दोनों की नाक आपस में टच हो रही थी। शिविका ने हल्के से अपनी आंखें बंद कर लीं और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। तभी गुरु ने और भी चेहरा झुकाया और अपने होंठ शिविका के गाल पर टिकाए।
शिविका धीरे से बोली, "Stay away."
गुरु धीरे से बोला, "Not at all. What do you think? गुरु किस के कहने से ही दूर हो जाएगा? कभी नहीं होता मैं ऐसा, और ना कभी होने वाला हूं।"
शिविका एकदम से उसकी तरफ अपनी नजरें करके बोली, "तो हर किसी पर अपनी मर्जी चलाने की बहुत गंदी आदत पड़ी हुई है तुम्हें। शिविका दीक्षित पर तुम्हारी मर्जी नहीं चलेगी।"
ये सुनते ही गुरु के होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आ गई। अगले ही पल उसने शिविका को घुमाया और अब शिविका का फ्रंट दीवार से लगा हुआ था।
गुरु ने हल्का सा सर झुकाया और उसने शिविका के दोनों हाथों को पकड़ते हुए उसकी पीठ से लगाया। उसने एक हाथ से शिविका के दोनों हाथों को पकड़ा हुआ था।
शिविका गुरु की गर्म सांसें अपने कान और गर्दन पर साफ महसूस कर सकती थी। उसने एक बार फिर से अपनी आंखें बंद कर लीं।
गुरु अचानक से बोला, "तुम्हारे लिए मुश्किल नहीं है ना, जूनियर? मुझे धक्का देकर, मुझे साइड करके यहां से निकलना? तो फिर रुकी क्यों हुई हो?"
ये सुनते ही शिविका ने अपनी आंखें खोलीं। गुरु सारकास्टिकली बोला, "या फिर मुझसे दूर जाना नहीं चाहती?"
शिविका धीरे से बोली, "लीव मी।"
गुरु हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "24 घंटे। 24 घंटे में तुम मेरे हॉस्टल रूम के सामने खड़ी रहोगी, मुझसे बात करने के लिए तरसोगी। और I mean it. Just wait and watch. 24 घंटे, जूनियर।"
बोलकर उसने हल्के से शिविका के कान पर किस किया और उसे छोड़कर वहां से निकल गया।
39
इंदौर, रात का वक्त
शिविका अपने कमरे के बालकनी में चुपचाप बाहर चांद की तरफ देख रही थी कि उसके पीछे से आवाज आई, "मैं कब से आवाज लगा रहा हूं तुम्हें। तुम नीचे क्यों नहीं आ रही?" शिविका ने एकदम से मुड़कर सुधीर को देखा।
वो जल्दी से बोली, "सॉरी पापा, मैंने सुना नहीं।"
सुधीर उसकी तरफ बढ़ते हुए बोले, "काम की बात तुम कभी नहीं सुनती हो। सच में शिविका, मैं कब से आवाज लगा रहा हूं। टेंशन हो गई थी मुझे। कहां पर बिजी हो तुम? और यहां पर खड़ी होकर क्या कर रही हो?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "बस ऐसे ही, चांद की तरफ देख रही हूं और कुछ सोच रही थी।"
सुधीर कुछ पल रुककर बोले, "क्या?"
शिविका जल्दी से बोली, "अरे, कोई खास बात नहीं है। जल्दी से डिनर करने के बाद मुझे क्लब भी जाना है।" बोलकर वो जाने लगी कि तभी सुधीर ने उसका हाथ पकड़कर कहा, "तुम अब नहीं जाओगी वहां पर।"
शिविका एकदम से रुक गई। उसने तुरंत मुड़कर सुधीर को देखा। उसकी आंखों में सवाल साफ नजर आ रहे थे।
वो धीरे से बोली, "क्यों पापा? मैं रोज नहीं जाती हूं। हफ्ते-दस दिन में एक बार जा रही हूं तो..."
सुधीर बीच में बोले, "मैं नहीं चाहता कि तुम जाओ। पहले सिचुएशन अलग थी। पहले मैं होश में नहीं था। मुझे खुद नहीं पता था कि क्या चल रहा था। आई एम सॉरी कि मेरी वजह से तुम्हें वो सब कुछ करना पड़ा। वो लोगों के सामने डांस करना, सारी चीज खुद हैंडल करना। लेकिन नहीं शिविका अब बिल्कुल भी नहीं।"
शिविका धीरे से बोली, "पापा, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है क्लब में डांस करने से। मैं सिर्फ और सिर्फ उस चीज को एक कला के तौर पर देखती हूं। एंड इसके अलावा मैं उसको लेकर कुछ और नहीं सोचती।"
सुधीर उसे देखते हुए बोले, "लेकिन पूरी दुनिया बहुत कुछ सोचेगी, शिविका। तुम मैकेनिकल इंजीनियरिंग कर रही हो। तुम इंजीनियर बनो, इसके अलावा तुम्हें कुछ और करने की जरूरत नहीं है।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "आप बातें अपनी तरफ से चेंज कर रहे हैं, पापा। प्लीज, आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। वहां मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होती।"
सुधीर बीच में बोले, "मैंने बोला ना, तुम नहीं जाओगी मतलब नहीं जाओगी। तुम अपने मैनेजर को कॉल करोगी और सीधे-सीधे मना करोगी कि तुम वहां से काम छोड़ रही हो।"
शिविका हैरानी से बोली, "क्यों?"
सुधीर कुछ पल रुककर बोले, "क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी बेटी क्लब में डांस करे। समझ में आया तुम्हें?" अपनी बात बोलकर वो तुरंत वहां से जाने लगे।
सुधीर दरवाजे के पास ही पहुंचे थे कि तभी शिविका तेज आवाज में बोली, "पापा, एक वक्त था जब यहां पर एक रुपए भी नहीं थे। एक वक्त था जब आप अपने नशे में इतनी बुरी तरीके से डूब चुके थे कि आप भूल गए थे कि आपकी कोई बेटी भी है।"
उसकी बात सुनते हुए सुधीर ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
शिविका उनकी तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए बोली, "एक वो वक्त था जब मुझे नहीं पता था कि मुझे क्या करना है। एक वो वक्त था जब मुझे आपको संभालना पड़ रहा था, सारी चीज देखनी पड़ रही थी। उस वक्त पर वो क्लब, वो डांस, वो सब कुछ मेरा सहारा बना। और अब आप चाहते हो कि मैं वो सब कुछ छोड़ दूं। क्यों छोड़ दूं? मुझे आदत है उसकी। जिस चीज ने मुझे खाने के पैसे दिए, मैं वो चीज नहीं छोड़ने वाली।"
सुधीर उसकी तरफ मुड़कर बोले, "वो मजबूरी थी, शिविका। और आई नो कि मेरी गलती की वजह से तुम्हें वो सब करना पड़ा। अगर मैं हार नहीं मानता तो तुम कभी उस जगह पर नहीं जाती। तुम कभी वो सब नहीं करती।" शिविका उनके सामने आकर रुकी।
वो उनकी आंखों में देखते हुए बोली, "लेकिन मैं अभी कर रही हूं और अब मैं अपनी मर्जी से कर रही हूं, पापा। आप चाहो या ना चाहो, कोई फर्क नहीं पड़ता। मुझे अच्छा लगता है, मैं कर रही हूं। और बिलीव मी, वहां पर कोई भी मुझे हाथ नहीं लगा सकता। कोई भी मुझसे बदतमीजी नहीं कर सकता। कोई कुछ नहीं कर सकता। ना तो मेरा चेहरा दिखता है। प्लीज पापा, आप मुझे मेरा सुकून मत छीनो। पहले वो मेरी जिम्मेदारी थी, लेकिन अब वो मेरा सुकून भी बन चुका है।"
सुधीर उसकी आंखों में देखते हुए बोले, "एंड व्हाट अबाउट योर इंजीनियरिंग? अगर इसकी वजह से तुम्हारी इंजीनियरिंग या तुम्हारी पढ़ाई पर कोई भी इंपैक्ट पड़ा तो?"
शिविका जल्दी से बोली, "आज तक नहीं पड़ा, पापा। मैंने स्कॉलरशिप अचीव की है। मैंने एग्जाम दिया। मैंने एंट्रेंस क्लियर किया। मैंने सब कुछ किया। आज तक तो कोई इंपैक्ट नहीं पड़ा तो फिर आगे भी नहीं पड़ेगा। अगर आपको डाउट होगा तो आप मेरे सेमेस्टर के मार्क्स देख लेना। आई प्रॉमिस कि मैं अपने नंबर्स में कोई कमी नहीं आने दूंगी। प्लीज, मुझसे मेरा सुकून मत छीने।"
सुधीर को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। शिविका उनकी इकलौती बेटी थी। अपनी बेटी की रिक्वेस्ट वो मान नहीं सकते थे, लेकिन उन्हें बिल्कुल नहीं अच्छा लग रहा था कि शिविका किसी क्लब में जाकर डांस करती थी। किसी क्लब डांसर के तौर पर कैसे कोई अपनी बेटी को ऐसे डांस करने देता?
वो भी लोगों के सामने। और वो भी तब, जब वो खुद जॉब कर रहे हैं। वो इतने पैसे कमा सकते हैं कि शिविका की हर ख्वाहिश पूरी कर सकें।
शिविका फिर से बोली, "पापा, आई एम वेटिंग फॉर योर आंसर।"
सुधीर उसे देखते हुए बोले, "खाना खाकर सो जाना।" बोलकर वो वहां से चले गए।
उनके जाते ही शिविका की आंख से एक कतरा आंसू बह गया और उसने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
अगली सुबह
शिविका कॉलेज पहुंची। उसका मूड आज कुछ अच्छा नहीं था। ऊपर से कल रात रोने की वजह से अभी सिरदर्द कर रहा था। वो सीधे सबसे पहले कैंटीन की तरफ गई क्योंकि कुछ खाकर नहीं आई थी। और फिर उसके बाद मेडिकल रूम जाने वाली थी। उसे पेन किलर की बहुत जरूरत थी।
कैंटीन में पहुंचते ही शिविका के कदम रुक गए। सब लोग उसकी तरफ देख रहे थे। आफ्टर ऑल, गुरु की गर्लफ्रेंड के तौर पर वो सबके सामने थी। शिविका बिना किसी पर ध्यान दिए सीधे काउंटर के पास गई। उसने अपने लिए एक बर्गर लिया और सीधे जाकर के एक कोने में टेबल पर बैठ गई।
सब लोगों की नजर अभी भी उसकी तरफ ही थी। आखिर में शिविका ने इरिटेट होकर अपनी हूडी का cap लगा लिया। उसका चेहरा अच्छे से कवर हो चुका था।
वो धीरे से बोली, "एंटरटेनमेंट का मुद्दा बन चुकी हूं मैं या फिर पता नहीं, ऐसा लग रहा है आठवां अजूबा बनकर सबके सामने आई हूं। किसी की नजर ही नहीं हट रही है।"
वो आराम से अपना बर्गर खा रही थी कि तभी कोई उसके सामने आकर बैठा। शिविका ने हल्के से नजर उठाकर देखा।
वो धीरे से बोली, "सीनियर?"
गुरु बैठा हुआ था उसके सामने। वो शिविका की तरफ देखते हुए तेज आवाज में बोला, "कोई और काम नहीं है क्या? कल क्या बोला था मैंने?"
उसके इतना कहते ही कैंटीन में जितने भी लोग मौजूद थे, सभी इधर-उधर देखने लगे। अब उनमें से कोई भी इंसान उनकी तरफ नहीं देख रहा था। शिविका ने एक बार सबको देखा और फिर वापस गुरु को देखने लगी। गुरु खड़ा हुआ, अपनी चेयर शिविका के पास लेकर आया और आराम से उसके बगल में बैठ गया।
शिविका धीरे से बोली, "क्या कर रहे हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, "अपनी फेक गर्लफ्रेंड के साथ बैठा हूं। और तुम... वेट अ मिनट, व्हाट हैपेंड विद योर आइज?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "क्या? कुछ नहीं।" बोलते हुए उसने अपनी नजरें नीचे कर लीं।
गुरु उसे देखते हुए बोला, "ना, जूनियर, तुम रो रही थी क्या?"
शिविका गहरी सांस लेकर बोली, "अगर मैं रो भी रही थी तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "आई हैव प्रॉब्लम, जूनियर। गुरु की गर्लफ्रेंड को कोई रुला नहीं सकता। कौन बुला रहा था तुम्हें?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "कोई नहीं।" बोलकर उसने अपने बर्गर का एक बाइट लिया।
गुरु ने हल्का सा हाथ आगे बढ़ाकर उसके होठों के किनारों को साफ किया। तभी शिविका ने एकदम से उसे देखा।
वो कुछ पल रुककर बोली, "ऐसी हरकतें कर रहे हो ना, लोगों की नजर बार-बार इधर आएगी।"
गुरु तिरछा मुस्कुराकर बोला, "जूनियर, माय जूनियर, डोंट वरी। कोई नहीं दिखेगा ना तुम्हें, ना मुझे, किसी को भी नहीं। जस्ट डोंट वरी, रिलैक्स।"
शिविका कुछ पल उसे देखती रही और फिर वापस अपने बर्गर पर ध्यान देने लगी। थोड़ी देर में उसने अपना बर्गर खत्म कर दिया।
वो खड़ी होते हुए बोली, "मैं मेडिकल रूम जा रही हूं।" बोलकर वो तुरंत वहां से निकल गई।
कॉरिडोर से होती हुई शिविका जा रही थी कि तभी गुरु ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी तरफ खींच लिया। शिविका एकदम से उसके सीने से टकरा गई। उसकी कलाई गुरु ने उसकी ही पीठ से लगा रखी थी।
शिविका हैरानी से बोली, "तुमने मुझे सबके सामने अपनी गर्लफ्रेंड क्या बोल दिया, तुम तो अब सबके सामने मेरे साथ कुछ भी करने लगे हो?"
सीनियर गुरु उसे देखते हुए बोला, "तो तुम्हें क्या लगता है, जूनियर? मैंने तुम्हें सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए बचाया? नो, इट्स अबाउट मी ऑल्सो। अब जब गर्लफ्रेंड बोला है, तो गर्लफ्रेंड का हाथ भी पकड़ूंगा, गर्लफ्रेंड के साथ कुछ भी करूंगा। मेरी गर्लफ्रेंड।"
शिविका इरिटेट होते हुए बोली, "फेक गर्लफ्रेंड! तुमने मुझे गर्लफ्रेंड के लिए राइट दिया, इससे ज्यादा कुछ नहीं।"
गुरु उसके चेहरे पर झुकते हुए बोला, "अब वो तो लोगों की बात है ना, जूनियर। बट तुम्हारे और मेरे बीच क्या है, वो तो मैं और तुम जानते हैं, राइट?"
शिविका कुछ कहती कि तभी गुरु फिर से बोला, "व्हाई आर यू गोइंग टू मेडिकल रूम?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "सर दर्द हो रहा है, पेन किलर चाहिए मुझे।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "ओके, कूल।" बोलते हुए उसने उसकी उंगलियों से अपनी उंगलियां इंटरविंड की और उसे लेकर सीधे मेडिकल रूम की तरफ चला गया।
वहां पहुंचते ही शिविका आराम से एक तरफ बैठ गई। उसने अपने सर पर हाथ रख लिया। थोड़ी देर में उसके पास मेडिसिन आ चुकी थी। उसने मेडिसिन ली और अपनी आंखें बंद कर लीं।
गुरु अपने दोनों हाथ बांधे चुपचाप उसे देख रहा था। उसकी वो बंद आंखें, प्यारा सा चेहरा, और उसके माथे पर शिकन थी। ऐसा लग रहा था कि वो कुछ बहुत ज्यादा सोच रही थी।
गुरु उसके पास आया। उसने हल्के से उसके चेहरे पर आते हुए बालों को पीछे किया। शिविका ने तुरंत अपनी आंखें खोलीं। उसकी नजरें गुरु की नजरों से जा मिलीं।
गुरु उसे देखते हुए बोला, "आई एम गिविंग यू योर लास्ट चांस, जूनियर। तुम मुझे बताओगी कि तुम क्यों रो रही थी या फिर मुझे किसी और तरीके से पता करना पड़ेगा। और यू नो, मेरी पावर सिर्फ कॉलेज तक ही नहीं है। चाहे तो बाहर से भी तुम्हारी लाइफ में क्या चल रहा है, सब पता लगा सकता हूं। इट्स वेरी ईज़ी फॉर मी।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "मेरी लाइफ में घुसना बंद करो, सीनियर। पहली बात। और दूसरी सबसे बड़ी बात कि…”
गुरु बीच में ही बोला, "दूसरी तो कोई बात ही नहीं है, जूनियर।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "तुम्हें क्या लगता है, कौन हो तुम?"
गुरु बिना जवाब दिए धीरे-धीरे उसके चेहरे पर झुकने लगा। शिविका ने एकदम से उसके सीने पर हाथ रखकर उसे रोकने की कोशिश की।
गुरु कुछ पल के लिए रुका। तिरछा मुस्कुराते हुए उसने शिविका की कलाई पकड़ ली और वापस उसके चेहरे पर झुकने लगा।
शिविका की आंखें एकदम से बड़ी हो गईं। उसने कुछ कहने की कोशिश की कि तभी गुरु बोला, "मुझे ये लगता है कि आई एम योर बॉयफ्रेंड। और बॉयफ्रेंड के सामने ऐसे रिएक्ट नहीं करते, जूनियर।"
ये सुनते ही शिविका के दिल की धड़कनें बुरी तरीके से शोर करने लगीं। ये बात गुरु ने जिस तरीके से बोली थी, जिस आवाज में बोली थी, वो फीलिंग शिविका के दिमाग से नहीं निकल रही थी।
वो जल्दबाजी में बोली, "हटो!" बोलकर उसने हल्का सा गुरु को धक्का दिया।
गुरु बिना कुछ बोले तुरंत पीछे हट गया। शिविका तुरंत खड़ी होकर बोली, "मेरी क्लास का टाइम हो चुका है। मैं जा रही हूं।" बोलकर वो तुरंत वहां से भाग गई।
गुरु अभी भी वहीं पर खड़ा था। वो शिविका को जाते हुए देख रहा था।
तभी संकल्प वहां पर आकर बोला, "मैं तुझे ढूंढ रहा था और तू यहां पर है।"
गुरु उसे देखकर बोला, "हां, क्यों? क्या हुआ? जैस्मिन कहां पर है?"
संकल्प उसे देखते हुए बोला, "होगी कहीं, मुझे क्या पता।"
गुरु उसे देखकर बोला, "संकल्प, तुझे कुछ पता ही नहीं चलता ना। यही तो प्रॉब्लम है।"
संकल्प जल्दी से बोला, "हां तो तुझे कौन सा पता चलता है? वो एक हफ्ते बाद पता है ना क्या है।"
गुरु उसे देखकर बोला, "जूनियर का बर्थडे सही याद दिलाया तूने।"
संकल्प अपने सर पर हाथ रखकर बोला, "जूनियर के सीनियर, मैं जूनियर के बाद एडमिन में शिविका की बात नहीं कर रहा हूं। एक हफ्ते बाद तुझे तेरे घर जाना है, इफ यू रिमेंबर।"
गुरु आंखें रोल करते हुए बोला, "मैं नहीं जाने वाला कहीं पर।" बोलकर वहां से निकल गया।
संकल्प उसके पीछे आते हुए बोला, "गुरु, जाना तो पड़ेगा। तुझे पता है कि अगर तू नहीं जाएगा तो यहां पर 10 गाड़ियां आकर खड़ी होंगी, और पूरा का पूरा तमाशा होगा। तुझे गाड़ियां लेने के लिए आएंगे।" ये सुनते ही गुरु के कदम रुक गए।
वो उसे देखकर बोला, "मैंने बोला ना, मैं नहीं जाऊंगा। मुझे नहीं जाना है कहीं पर भी।"
संकल्प कुछ पल रुककर बोला, "अरे, एटलीस्ट उनके लिए..."
गुरु उसे देखकर बोला, "नहीं जाना।" बोलकर वो सीधे क्लासरूम के अंदर चला गया।
संकल्प धीरे से बोला, "ये सुनता क्यों नहीं है?" बोलकर वो भी क्लासरूम में चला आया।
प्रोफेसर पहले से ही वहां मौजूद थे। गुरु पीछे सबसे कोने में, आखिरी वाली डेस्क पर बैठा हुआ था। संकल्प उसके बगल में आकर बैठ गया।
गुरु उसे देखकर बोला, "व्हाट?"
संकल्प धीरे से बोला, "अभी प्रोफेसर हैं यहां पर, बाद में।"
तभी प्रोफेसर उन दोनों को देखकर बोले, "संकल्प युवराज व्हाट इज हैपनिंग?"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "क्वेश्चन सॉल्विंग, प्रोफेसर। यू वांट टू चेक?"
प्रोफेसर उसे देखकर बोले, "नहीं।"
संकल्प कुछ कहता कि तभी गुरु बोला, "मैंने बोला तो समझ में नहीं आया क्या, प्रोफेसर?"
उसके बाद प्रोफेसर ने कोई जवाब नहीं दिया और वापस पढ़ाने पर ध्यान देने लगे।
इधर, संकल्प ने तिरछी नजर से गुरु को देखा, जो सामने देख रहा था।
वो कुछ पल रुककर बोला, "मुझे बचा लिया।"
गुरु सामने देखते हुए बोला, "तुझे फंसा भी दूंगा मैं, अगर तू चुप होकर नहीं बैठेगा। और हां, एक काम करना है। जूनियर रो रही थी, और आई वांट टू नो कि वो रो क्यों रही थी।"
संकल्प एकदम से मुस्कुराकर बोला, "क्या बात है! जूनियर के बारे में सारी चीज़ें पता करने की कुछ ज्यादा ही क्यूरियोसिटी होने लगी है आजकल।"
गुरु उसे देखकर बोला, "तुझे नहीं पता? गर्लफ्रेंड है मेरी।"
संकल्प उसे देखते हुए बोला, "कल तो तुम मुझे बोल रहे थे कि फेक गर्लफ्रेंड है। नथिंग इज सीरियस, सिर्फ और सिर्फ उसकी रेपुटेशन बचाने के लिए बला बला।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "हां, तो ये उसी से रिलेटेड है। लाइक, अब मैं उसे देख रहा हूं... मैं ऐसे किसी को रोते हुए..."
संकल्प बीच में बोला, "ओ माय गॉड! इतनी झूठी स्टेटमेंट हजम नहीं होती मुझे।"
गुरु ने एक गहरी सांस ली और घूरते हुए संकल्प को देखा।
47
इंदौर, अगला दिन,
IITMS
कॉलेज के सारे स्टूडेंट इस वक्त ऑडिटोरियम में इकट्ठा हो रखे थे। वहां पर कोई अनाउंसमेंट होने वाली थी। सब लोग खड़े थे और प्रिंसिपल का इंतजार कर रहे थे। अनाउंसमेंट के लिए डायरेक्टर और प्रिंसिपल आने वाले थे।
शिविका कुछ सोच रही थी कि प्रिशा उसे देखकर बोली, "क्या हुआ? व्हाट आर यू थिंकिंग अबाउट?"
शिविका जल्दी से बोली, "नहीं, कुछ नहीं। बस यही सोच रही हूं कि आखिर अनाउंसमेंट क्या होने वाली है।"
प्रिशा मुस्कुराकर बोली, "क्या होगा? कोई इवेंट होने वाला होगा या तो कोई गेस्ट आने वाला होगा। इसके अलावा क्या ही अनाउंसमेंट होगी? डोंट वरी, से कुछ होगा।"
शिविका हल्का सा मुस्कुराकर बोली, "शायद।" तभी उसकी नज़रें गुरु की तरफ चली गईं, जो एक तरफ खड़ा था और संकल्प उससे कुछ कह रहा था।
शिविका जब से कॉलेज आई थी, तब से उसने गुरु को देखा नहीं था। उसकी नजर अब जाकर उसके ऊपर आकर रुकी थी। वो चुपचाप बस उसे देख रही थी।
प्रिशा धीरे से बोली, "नजर नहीं हटा रही हो?"
शिविका जल्दी से बोली, "किसे? नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। मेरी नजर किसी पर टिकी नहीं तो हटेगी कहां से?"
प्रिशा जल्दी से बोली, "अरे तुम्हारा बॉयफ्रेंड है, डोंट वरी। बॉयफ्रेंड को देख रही हो, तुम्हारा तो पूरा हक बनता है देखने का।" इसके बाद शिविका कोई जवाब नहीं दे पाई। थोड़ी देर में प्रिंसिपल वहां पर आ चुके थे।
वो माइक लेकर सबको देखकर बोले, "गुड मॉर्निंग एवरीवन। फॉर स्टूडेंट्स, हर साल की तरह इस बार भी हमारे पूरे कॉलेज यानी कि इंपीरियल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैकेनिकल साइंस में मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा इवेंट प्लान किया गया है। तरह-तरह के कंपटीशन होंगे, और उन कंपटीशन के विनर को आगे आने वाले नए चांसेस मिलेंगे। इस बार कुछ पेयर्स बनने वाले हैं, और वे पेयर्स कंपटीशन में पार्ट लेकर हमारे कॉलेज के नाम को आगे बढ़ाएंगे। मैं चाहता हूं कि कुछ स्टूडेंट्स, जिन पर पूरे कॉलेज को भरोसा है, वे आगे आएं और इस इवेंट में भाग लेकर हमारे रेपुटेशन को और ऊंचा करें।"
बस प्रिंसिपल का इतना कहना था कि क्लैपिंग शुरू हो गई।
प्रिशा जल्दी से बोली, "शिविका, आई टोल्ड यू। मैंने कहा था ना कि कुछ ना कुछ ऐसा ही होगा। अब मुझे ये देखने में सबसे ज्यादा मजा आएगा कि आखिर पेयर कौन-कौन बनेगा।"
शिविका उसे देखकर बोली, "क्यों? इसे देखने में सबसे ज्यादा मजा क्यों आएगा?"
प्रिशा उसे देखते हुए बोली, "अरे, इसीलिए, क्योंकि पेयरिंग के बाद इक्वेशंस चेंज होती हैं। अगर गुरु का पेयर किसी और के साथ बन गया तो क्या करोगी तुम?"
शिविका जल्दी से बोली, "व्हाट? नो वे। ऐसा क्यों होगा?"
प्रिशा उसे देखते हुए बोली, "अरे, हमें क्या पता कि किस बेसिस पर पेयर बनने वाले हैं। We don’t know!"
शिविका मन में बोली, "सीनियर, और वो भी किसी और के साथ? माय गॉड! मुझे इतना अजीब क्यों लग रहा है? ये वाली सिचुएशन सोच कर भी इरिटेशन सी हो रही है मुझे। सीरियसली, शिविका दीक्षित, स्टॉप थिंकिंग अबाउट ऑल दिस। इरिटेट नहीं होना। बिल्कुल भी नहीं।" सोचते हुए वो सामने देखने लगी।
थोड़ी देर बाद प्रिंसिपल वहां से जा चुके थे। दस मिनट बाद सबको पता चलने वाला था कि आखिर पेयरिंग किसकी हुई थी और उन्हें करना क्या था। शिविका के दिमाग में इतना चल रहा था कि अगर गुरु किसी और के साथ पेयर हो गया, तो पता नहीं क्यों, लेकिन उसे ये बात खटक रही थी।
रुद्र उसके पास आकर बोला, "क्या लगता है, कौन किसके साथ पेयर होने वाला है?"
शिविका गहरी सांस लेकर बोली, "मुझे क्या पता। हो जाए कोई किसी के साथ भी।"
रुद्र उसे देखते हुए बोला, "ऐसा रिएक्शन देने की क्या जरूरत है? नॉर्मली भी तो बोल सकती हो ना ? इतना क्यों इरिटेट हो रही हो तुम?"
शिविका एकदम से उसे देखकर बोली, "नहीं हो रही। मैं बस बता रही हूं। तुम्हें ऐसा लगा कि मैं इरिटेट हो रही हूं? बिल्कुल भी नहीं।"
रुद्र मुस्कुराते हुए बोला, "मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश मत करो। मुझे बहुत अच्छे से पता है कि तुम इरिटेट हो रही हो। इसे इरिटेशन ही कहते हैं।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "शायद ! पता नहीं…..आई रियली डोंट नो।" ये कहकर वो वापस सामने देखने लगी।
रुद्र और प्रिशा ने एक दूसरे को देखा और फिर शिविका को देखने लगे। उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर शिविका इरिटेट क्यों हो रही थी। दस मिनट बाद दो प्रोफेसर आए। उनके पास दो बॉक्स थे। उन्होंने एक-एक करके नाम लेने शुरू कर दिए। दोनों प्रोफेसर के पास से जो-जो नाम आते चले जा रहे थे, वे वैसे ही पार्टनर बनते चले जा रहे थे। रुद्र और प्रिशा का पेयर सिंगिंग के लिए बना।
प्रिशा जल्दी से बोली, "कॉलेज वालों को कैसे पता कि मैं सिंगिंग में अच्छी हूं?"
रुद्र उसे देखकर बोला, "ये तो सिर्फ को-इंसिडेंस है। इसको इतना सीरियस नहीं लो।"
प्रिशा जल्दी से बोली, "ओके, फाइन।"
थोड़ी देर बाद सबसे आखिरी दो नाम बचे हुए थे। वो दोनों नाम निकल गए और फिर प्रोफेसर वे नाम पढ़ते हुए बोले, "युवांश रायचंद और शिविका दीक्षित - फॉर अ डांस।"
सभी की नजरें शिविका और युवांश की तरफ थीं। शिविका की नजरें सीधे गुरु की तरफ चली गईं, जो खुद उसे देख रहा था। देखते-देखते गुरु के होठों पर एक तिरछी मुस्कुराहट आई।
शिविका ने तुरंत अपनी नजर फेर ली और मन में बोली, " इसने जानबूझकर किया है क्या ये सब? I have a doubt।"
रुद्र उसे देखकर बोला, "कंग्रॅचुलेशन! घूम-फिर करके तुम अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही पेयर होने वाली हो। मतलब, क्या किस्मत है!"
शिविका जल्दी से बोली, "एक्सक्यूज मी," बोलकर तुरंत वहां से निकल गई।
थोड़ी देर बाद शिविका वॉशरूम से बाहर निकलने वाली थी कि तभी सामने गुरु खड़ा दिखा। वो जोर से चिल्ला उठी। गुरु अपने दोनों हाथ बांधे खड़ा था।
शिविका जल्दी से बोली, "व्हाट द हेल? यहां क्या कर रहे हो तुम? और ऐसे कौन डराता है किसी को?" बोलते हुए उसने अपने सीने पर हाथ रखा। उसके दिल की धड़कन पूरी तरह से तेज हो गई थी। वो डर गई थी।
गुरु सारकास्टिकली बोला, "जूनियर, व्हाट आर यू स्केयर्ड ऑफ? कीटन्स? व्हाट? जो इतनी ईज़ीली डर गई?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "मैं डरपोक नहीं हूं, समझे? लेकिन तुम अगर ऐसे आ जाओगे, और एक सेकंड! तुम गर्ल्स वॉशरूम में क्या कर रहे हो?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "मैं अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया था, जो कि अब मेरी पार्टनर बनने वाली है डांस पार्टनर।”
शिविका उसके पास आकर बोली, "ये गर्ल्स वॉशरूम है, यहां पर कोई भी लड़की कभी भी आ सकती है और तुम यहां पर चले आए! सीनियर, कुछ तो शर्म कर लो।"
गुरु जल्दी से बोला, "आई एम बेशर्म।"
शिविका चिल्लाकर बोली, "तो मैं नहीं हूं! सुना तुमने? मैं तुम्हारी तरह बेशर्म नहीं हूं। मैं जाऊंगी यहां से, और वॉशरूम में तुम्हें नहीं आना चाहिए। दिस इज़ रियली रॉंग।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "आवाज थोड़ी सी नीचे। जूनियर, बाहर अगर किसी ने आवाज सुन ली, तो ये सोचेंगे कि अंदर कुछ अच्छा सा मेक-आउट सेशन चल रहा है।"
ये सुनते ही शिविका की आंखें तुरंत फैल गईं। वो कुछ पल उसे देखती रही और तुरंत अपनी नजरें फेर लीं।
वो मन में बोली, "क्या बोल रहा है? कुछ भी बोलते हैं। सर के ऊपर जाती है इसकी बातें।"
तभी गुरु ने उसका हाथ पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ घुमाया। शिविका ने एकदम से उसका कॉलर पकड़ा और वो हैरानी से उसकी आंखों में देखने लगी।
गुरु उसके चेहरे के करीब आते हुए बोला, "डांस पार्टनर, व्हाट विल यू डू नाउ?"
शिविका जल्दी से बोली, "क्या? कुछ नहीं! मुझे क्या करने की जरूरत है?"
गुरु ने उसे अपने और भी ज्यादा पास खींच लिया। तभी दो लड़कियां अंदर आईं। उन दोनों ने गुरु और शिविका को देखा और तुरंत वहां से चली गईं।
शिविका ने एंबार्रास्मेंट की वजह से अपनी आंखें बंद कर लीं। गुरु ने हल्के से उसके गाल पर अपने होंठ रख दिए। ऐसा करते ही शिविका ने तुरंत अपनी आंखें खोलीं। उसके मुंह से एक आवाज नहीं निकल रही थी।
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "आई थिंक यू आर हैप्पी नाउ, राइट?"
शिविका गहरी सांस लेकर बोली, "हैप्पी फॉर व्हाट? नो! नहीं, मतलब क्या कर रहे हो तुम?"
गुरु हल्का सा पीछे हटकर बोला, "ना, नॉट एट ऑल। आई जस्ट वांट टू टेल यू कि हमें डांस प्रैक्टिस शुरू करनी है।"
शिविका उसे देखकर बोली, "तो?"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "वे विल प्रैक्टिस एट योर होम।"
शिविका धीरे से बोली, "नहीं, बिल्कुल भी नहीं।"
गुरु मुस्कुराते हुए बोला, "ऑफ कोर्स, जूनियर।" बोलकर वो तुरंत वहां से चला गया।
शिविका जल्दी से बोली, "ये ऐसा कैसे कर सकता है? नहीं, ये ऐसा नहीं कर सकता। लेकिन अगर उसने ऐसा किया, तो मैं क्या करूंगी?" बोलते हुए वो बाहर निकली।
वो यही सोच रही थी कि आखिर गुरु उसके घर पर आएगा तो फिर क्या होगा? मतलब, वो सुधीर के सामने बहुत अच्छा बन रहा था, लेकिन अपनी अच्छी वाली इमेज वो कब तक बनाए रखेगा? वो ज्यादा समय के लिए पॉसिबल भी तो नहीं था।
वो चलते-चलते अचानक प्रिंसिपल से टकरा गई। प्रिंसिपल ने कुछ पल उसे देखा और वो तुरंत वहां से चले गए, उसे पूरी तरह से इग्नोर करते हुए।
शिविका धीरे से बोली, "लगता है उनके भतीजे का दर्द इन्हें कुछ ज्यादा ही हो रहा है। होता रहे, मुझे क्या? मुझे कोई रिग्रेट नहीं है कुछ भी करने का।"
कॉलेज खत्म होने के बाद शिविका तुरंत घर पहुंची। आज वो इतनी ज्यादा थकी हुई थी कि वो सीधे सो गई।
शाम को जब उसकी आंख खुली और वो नीचे पहुंची, उसने मुंह भी नहीं धोया था। आंखों में नींद साफ झलक रही थी।
सामने देखते ही वो चिल्ला दी, "गुरु और सुधीर!" वो दोनों सोफे पर बैठे हुए आराम से कॉफी पी रहे थे।
सुधीर उसे देखकर बोले, "क्या हुआ, शिवानी? ऐसे क्यों चिल्लाई तुम?" बोलते हुए वो तुरंत उसके पास आए।
शिविका धीरे से बोली, "एक्चुअली पापा, अनएक्सपेक्टेड चीज देख लेना मतलब... सीनियर यहां पर है, तो मैं बस..."
सुधीर बीच में बोले, "अरे, तो तुम्हें तो पता ही होगा ना? अब तुम मुझे बिना बताए सो गईं। बताना चाहिए था ना कि डांस कंपटीशन के लिए तुम दोनों का पार्टनर बना है, तो डांस प्रैक्टिस भी करनी है। युवांश हॉस्टल में रहते हैं, लेकिन प्रैक्टिस करनी है तो तुम दोनों यहां पर प्रैक्टिस कर लेना। और वैसे भी एक रूम तो पूरा का पूरा खाली है। तुम वहां पर आराम से डांस प्रैक्टिस करो, कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "पापा..."
सुधीर उसे देखकर बोले, "अगर अभी करना है तो करो, वरना युवांश और तुम दोनों आपस में डिसाइड कर लो कि कब क्या करना है। मैं किचन में जा रहा हूं खाना बनाने।" बोलकर वो वहां से किचन की तरफ चले गए।
शिविका तुरंत गुरु के सामने आकर रुकी। वो अपनी कमर पर दोनों हाथ रखकर बोली, "क्या समझते हो तुम खुद को? मेरा घर तुमने क्या बना रखा है? तुम्हारा कोई गेम है क्या यहां पर, जो तुम खेलने के लिए चले आते हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, "गर्लफ्रेंड है यहां पर। मेकआउट करने के लिए नहीं आ सकता, तो बस देखने चला आता हूं।"
शिविका जल्दी से बोली, "एक्सक्यूज मी! ऐसे गंदे-गंदे शब्द उसे करने की जरूरत नहीं है। अगर पापा ने सुन लिया ना, तो वो तुम्हें छोड़ेंगे नहीं।"
गुरु खड़ा होकर बोला, "जूनियर, यू डोंट नो। तुम्हारे पापा के सामने आना वेरी गुड पर्सन। डोंट वरी, युवांश चांद बड़ा अच्छा इंसान है उनके लिए।"
शिविका जल्दी से बोली, "लेकिन रियलिटी तो मैं जानती हूं ना।"
गुरु धीमी सी आवाज में बोला, "एक्जैक्टली, जूनियर। रियलिटी तो तुम जानती हो, और जो रियलिटी तुम जानती हो, उसे रियलिटी को तो क्या ही कह सकते हैं। इट्स वेरी डिफरेंट फ्रॉम एनीथिंग।"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "ओके, फाइन। डांस प्रैक्टिस करनी है तो फिर हम कल से करेंगे। अभी मैं बहुत थकी हुई हूं।"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "ओके, नो प्रॉब्लम।"
बोलकर उसने अपना फोन उठाया और वहां से जाने लगा।
तभी सुधीर वहां पर आकर बोले, "क्या हुआ युवांश? कहां जा रहे हो तुम?"
गुरु उसे देखकर बोला, "जूनियर, आई मीन शिविका बोल रही है कि प्रैक्टिस हम कल से शुरू करेंगे। तो कल तक मैं गाना भी सेलेक्ट कर लूंगा, और फिर हम डांस स्टेप भी तो फाइनल करेंगे। टाइम लगेगा। एक हफ्ते का ही टाइम हमारे पास है, एक हफ्ते बाद इवेंट है।"
सुधीर जल्दी से बोले, "ओके, एक हफ्ता। वे तुम लोग कर लोगे। लेकिन अभी तुम डिनर करके जाओगे।"
ये सुनते ही शिविका ने तुरंत सुधीर को देखा और उसने वापस गुरु को देखा, जिसकी आंखों से नजर आ रहा था कि उसे तो यही चाहिए था।
गुरु शिविका की तरफ बढ़ते हुए बोला, "एनी क्वेश्चन, जूनियर?"
शिविका कुछ पल उसे घूरती रही और फिर वो सीधे ऊपर बेडरूम की तरफ चली गई। बेडरूम में पहुंचकर वो दरवाजा बंद करने वाली थी कि गुरु ने अपना पैर आगे करके दरवाजा बंद होने से रोक दिया। शिविका दरवाजा खोलकर सीधे जाकर बेड पर बैठ गई।
गुरु अंदर आया। उसने दरवाजा बंद किया और अपना जैकेट उतारते हुए बोला, "तो अब 1 घंटे तक करना क्या चाहिए मुझे? टेल मी, जूनियर, कहां से शुरू करना चाहिए?"
शिविका उसे देखकर बोली, "क्या मतलब कहां से शुरू करना चाहिए? लिसन, सीनियर, पापा ने तुम्हें मेरी हेल्प के लिए बोला है, तो हेल्प करने की बात है ना। जाकर सोफे पर बैठो। मैं तुम्हें क्वेश्चन दे रही हूं, मुझे वो सॉल्व करके दे दो। और अगर वो नहीं करना तो चुपचाप बैठे रहो।"
गुरु उसे देखकर बोला, "जूनियर, यू फॉरगेट आई एम योर सीनियर।"
शिविका एकदम से खड़ी होकर बोली, "और यू फॉरगेट कि मैं योर गर्लफ्रेंड। तो मैं तुम्हें ऑर्डर तो दूंगी।”
गुरु धीरे से बोला, "गर्लफ्रेंड?" ये सुनते ही शिविका की बोलती बंद हो गई।
वो जल्दी से बोली, "मेरा मतलब नहीं था... मतलब वो..." तभी गुरु ने उसके होठों पर उंगली रखकर उसे चुप कर दिया।
शिविका ने एक बार उसकी उंगली की तरफ देखा और फिर वापस उसकी आंखों में देखने लगी।
गुरु धीरे-धीरे उसके चेहरे पर झुकते हुए बोला, "ये क्या मतलब?"
शिविका ने अपनी थूक निगली और तुरंत अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया। गुरु के होंठ, जो उसके होठों को छूने वाले थे, एकदम से उसके गाल पर आकर रुक गए।
उसकी गर्म सांसें शिविका अपने गाल पर साफ महसूस कर सकती थी। उसने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली।
गुरु ने उसकी कलाई पकड़ते हुए उसका हाथ अपनी तरफ किया और उसके गाल पर से अपने होंठ हटाकर उसने धीरे से उसके हाथ पर किस किया।
शिविका ने हल्के से अपनी आंखें खोलीं और कुछ पल रुककर बोली, "व्हाट आर यू डूइंग?"
इतना बोलकर वो वहां से जाने को हुई कि गुरु ने उसकी कलाई को पकड़ा और उसे अपने पास खींच लिया। अगले ही पल उसने कलाई छोड़कर उसके चेहरे को अपने हाथों में भर लिया।
उन दोनों की नाक आपस में टकरा गई।
शिविका जल्दी से बोली, "हर बार पास खींचना जरूरी है क्या? और खींचना क्यों है? तुम बोल सकते हो, मैं रख सकती हूं।"
गुरु उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "खींचना पसंद है मुझे अपनी तरफ।”
48
इंदौर, रात का वक्त
शिविका, गुरु और सुधीर, वो तीनों के तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे। शिविका चुपचाप अपने खाने की प्लेट की तरफ देख रही थी। उसे बहुत ऑकवर्ड लग रहा था। एक तरफ उसके पापा थे, दूसरी तरफ गुरु, यानी कि उसका सीनियर। और उसके नजर में गुरु, उसके पापा के साथ खेल रहा था।
वो मन में बोली, "मैं क्या करूं? इस सिचुएशन से कैसे निकलूं? लेकिन इस सिचुएशन से निकलना है मुझे। ये नहीं हैंडल होगा मुझसे।"
तभी सुधीर उसे देखकर बोले, "तुम खाने पर बैठी हो तो फिर खाना खाना चाहिए ना, शिविका? ये क्या चम्मच घूम रही हो तब से प्लेट में?"
शिविका एकदम से होश में आकर बोली, "नहीं पापा, वो बस ऐसे ही।" बोलकर उसने वापस सर झुका लिया।
तभी गुरु उसे देखकर बोला, "इट्स ओके अंकल। शायद आपकी बेटी पढ़ाई को लेकर ज्यादा सोचती रहती है। इसीलिए ये ऐसे रिएक्ट कर रही है। पर डोंट वरी, मैं समझा दूंगा इसे।"
शिविका जल्दी से बोली, "नहीं! समझने की कोई जरूरत नहीं। मैं खुद समझ जाऊंगी।"
सुधीर उन दोनों को देखकर बोले, "तुम दोनों आपस में देख लेना तो मैं क्या करना है। और युवांश, तुम कल से कॉलेज खत्म होने के बाद आ सकते हो डांस प्रैक्टिस के लिए। कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।"
गुरु उन्हें देखकर बोला, "अवकाश अंकल, मैं आ जाऊंगा। वैसे भी शिविका को डांस बहुत अच्छे से आता है। प्रैक्टिस की जरूरत उससे ज्यादा तो मुझे पड़ेगी।"
शिविका ने एक नजर उसे देखा पर उसने कुछ कहा नहीं। थोड़ी देर बाद डिनर कंप्लीट करने के बाद गुरु सीधे बाहर निकल गया। शिविका ने एक नजर सुधीर को देखा जो अपना कुछ काम कर रहे थे और वो खुद भी गुरु के पीछे बाहर आई। गुरु गार्डन में एक तरफ खड़ा अपने फोन पर कुछ कर रहा था।
शिविका तुरंत उसके पास आकर बोली, "मेरे पापा के इमोशन के साथ बहुत गंदी तरीके से खेल रहे हो तुम।"
गुरु एकदम से उसे देखकर बोला, "मैं इमोशन के साथ खेल रहा हूं, जूनियर? ये तो बहुत गलत बात है। अगर मुझे खेलना होगा तो मैं तुम्हारे साथ, तुम्हारे इमोशन के साथ खेलूंगा। तुम्हारे फादर से मुझे क्या लेना-देना है?"
शिविका उसकी आंखों में देखते हुए बोली, "और तुम्हें लगता है कि मेरे इमोशंस के साथ खेलना मजाक है? या फिर मैं तुम्हें खेलने दूंगी? बिल्कुल भी नहीं! मेरे इमोशंस के साथ तुम कभी नहीं खेल सकते।"
गुरु हल्का सा उसके चेहरे पर झुका। वो अभी भी उसकी आंखों में ही देख रहा था। दोनों के बीच बिल्कुल शांति थी।
वो फिर से बोला, "यू रियली थिंक यू विल स्टॉप मी? कम ऑन, जूनियर। अगर मुझे खेलना होगा तो फिर दुनिया की कोई ताकत मुझे नहीं रोक पाएगी, नॉट इवन यू। तुम तो दूर-दूर तक नहीं हो।"
शिविका जल्दी से बोली, "ये विलेन की तरह बातें करने की जरूरत नहीं है जो यहां से।"
गुरु हल्का सा मुस्कुराकर बोला, "कल आने के लिए।"
शिविका जल्दी से बोली, "कल आने के लिए ही अभी जो? और फिर कल वापस आ जाना मुझे परेशान करने के लिए?"
बोलकर वो दूसरी तरफ देखने लगी। गुरु ने एक गहरी सांस ली और सीधे अपनी गाड़ी की तरफ चला गया।
शिविका ने सीधे उसकी तरफ देखा। अपनी गाड़ी के पास पहुंचते ही गुरु के कदम रुके। उसने एकदम से मुड़कर शिविका को देखा जो खुद उसे देख रही थी।
वो जल्दी से बोली, "क्या? मैं तो बस ऐसे ही देख रही हूं।" इतना बोलकर उसने तुरंत अपनी नजरें फेर लीं। कुछ पल में उसे गाड़ी की आवाज आई। शिविका ने तुरंत सामने देखा। गुरु वहां से जा चुका था।
वो खुद से ही बोली, "मुझे इससे दूर रहना पड़ेगा। ये पास आता है तो मुझे कुछ-कुछ होने लगे हैं। पता नहीं, बहुत अजीब-अजीब चीजें होने लगी हैं। दो दिन नहीं था तो मेरी अजीब सी हालत हो गई थी। ना मन लग रहा था किसी चीज में, ना कुछ करने का मन कर रहा था। और अब आगे है तो फिर तब भी मन नहीं कर रहा है। ध्यान सब कुछ इसी में लगा पड़ा है। या तो मैं पागल हो चुकी हूं या फिर ये सीनियर सच में कोई प्लानिंग कर रहा है मुझे पागल करने की। और अगर ये मुझे पागल करने की प्लानिंग कर रहे थे, ये पक्का सक्सेसफुल हो रहा है।" बोलते हुए वो अंदर चली आई।
सुधीर उसे देखकर बोले, "युवांश चला गया क्या?"
शिविका जल्दी से बोली, "वो यहां पर रहकर क्या करता? और आपको उसके होने-ना-होने से इतना क्यों फर्क पड़ रहा है पापा? आपको कुछ ज्यादा ही अच्छा नहीं लगने लगा है वह।"
सुधीर मुस्कुराते हुए बोले, "क्योंकि अच्छा लड़का लगता है। वो समझदार है, इंटेलिजेंट है, बिहेवियर अच्छा है तो अच्छा ही है।"
इसके आगे शिविका कुछ नहीं बोल पाई। अब वो क्या ही बोलती? बोलने के लिए उसके बाद कुछ बचा नहीं था। वो बिना कुछ बोले सीधे अपने बेडरूम में चली गई।
अगला दिन
कॉलेज में सारी क्लास खत्म करने के बाद शिविका घर के लिए निकल रही थी। वो पार्किंग में पहुंची कि तभी पीछे से सिटी बजाने की आवाज आई। उसके कदम तुरंत रुके। उसने तुरंत नजर घुमाते हुए गुरु को देखा जो अपनी गाड़ी में बैठा उसे देख रहा था।
वो हैरानी से बोली, "तुम यहां पर मेरा वेट कर रहे हो? मैं तुम्हें ऑलमोस्ट आधे घंटे पहले निकलते हुए देखा था।"
गुरु सरकास्टिकली बोला, "क्या बात है, गर्लफ्रेंड? तुम मुझे निकलते हुए देखते भी हो? वेरी गुड।"
शिविका जल्दी से बोली, "बात ये नहीं कि मैं तुम्हें निकलते हुए देखा। बात ये कि तुम आधे घंटे से मेरा वेट कर रहे हो।"
गुरु उसे देखकर बोला, "So what? I am waiting for my girlfriend or I can say junior."
शिविका जल्दी से बोली, "तुम सच में मेरा इंतजार कर रहे थे? I mean..."
गुरु बीच में बोला, "तुम्हारे घर जाना है।"
शिविका धीरे से बोली, "ओके, मेरे घर जाने आए ना। तो..."
गुरु बीच में बोला, "तो गाड़ी में बैठो। तभी तो निकलोगे। I mean घर चलोगे। अपने हाथ में उठाकर तो नहीं लेकर जाने वाला ना मैं तुम्हें।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "लेकिन मेरी स्कूटी?"
गुरु बीच में बोला, "तो अपनी स्कूटी यहीं पर छोड़ो और चलो। पूरा दिन नहीं है मेरे पास तुम्हारे ऊपर बर्बाद करने के लिए।"
उसकी बात सुनते ही शिविका उसे बुरी तरीके से घूरने लगी। आखिर में वो बिना कुछ बोले पैसेंजर सीट पर बैठी और चुपचाप बाहर देखने लगी।
गुरु ने गाड़ी स्टार्ट की और इसी के चलते उसका हाथ हल्के से शिविका के हाथ को टच कर गया। शिविका एकदम से उसे देखकर बोली, "तुमने जानबूझकर टच किया मुझे?"
गुरु उसे देखकर बोला, "जानबूझकर।"
बस इतना बोलकर उसने शिविका की गर्दन पकड़ते हुए उसे एकदम से अपने पास खींचा। शिविका तुरंत उसके चेहरे के करीब चली आई। उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं।
गुरु धीमी सी आवाज में बोला, "जानबूझकर। और पूरे हक के साथ। इसे टच करना कहते हैं, जूनियर। जो मैं आराम से कर सकता हूं। कोई मुझे रोक भी नहीं सकता। सुनो, कोई भी नहीं।"
शिविका धीरे से बोली, "क्या?"
गुरु तिरछा मुस्कुराकर बोला, "You get it really good." बोलकर उसने तुरंत उसे छोड़ दिया और वापस सामने देखते हुए वो ड्राइव करने लगा।
शिविका के दिल की धड़कन इस वक्त बुरी तरीके से शोर कर रही थी। वो अभी भी उसे ही देख रही थी।
गुरु सामने देखते हुए बोला, "Take a picture, junior। आराम से। तुम्हारे साथ वो पिक्चर हमेशा रहेगी। जितना चाहे उतना देखो। वैसे भी मैं हूं ही इतना खास और हैंडसम कि नजरें नहीं हटें।"
शिविका ने तुरंत अपनी नजरें फेर लीं और वो चुपचाप बाहर देखने लगी।
50
इंदौर, रात का वक्त
थोड़ी देर बाद गुरु ने शिविका को छोड़ दिया। शिविका उसे देखकर बोली, "ये चॉकलेट हेज़लनट केक तुम मेरे लिए लेकर आए हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, " ऑफ कोर्स फॉर यू। यू वांट टू टेस्ट इट? एक्चुअली टेस्ट क्या है, तो फिर करो।"
शिविका कुछ पल उसे देखती रही। उसने हल्का सा आगे बढ़कर केक काटा। उसने केक का एक स्लाइस उठाया और गुरु की तरफ बढ़ा दिया।
गुरु उसे देखकर बोला, "क्या बात है, जूनियर के खिलौने?"
शिविका जल्दी से बोली, "बर्थडे के दिन केक ना मैं अपने दुश्मन को भी खिला सकती हूं, फिर तुम क्या चीज हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, "मैं तुम्हारा दुश्मन हूं? आई नेवर नो इट।"
शिविका जल्दी से बोली, "दुश्मनी से ही तो सब कुछ शुरू किया था।"
उसकी बात का गुरु ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने हल्के से उसके हाथ से केक का बाइट ले लिया। थोड़ी देर बाद उन दोनों के बीच बिल्कुल शांति थी। शिविका बार-बार उसे देख रही थी। वो कुछ कहना चाहती थी।
तभी गुरु उसे देखकर बोला, "यू वांट टू टेल समथिंग, जूनियर?"
शिविका जल्दी से बोली, "इतनी कोशिश क्यों कर रहे हो तुम? इतने एफर्ट्स तो सिर्फ कोई इंसान अपनी रियल गर्लफ्रेंड के लिए लगा सकते हैं ना?"
गुरु बीच में बोला, "सवाल भी खुद कर रही हो, जवाब भी तुम खुद दे रही हो।"
उसके बाद सुनते ही शिविका कुछ पल के लिए फ्रीज हो गई। उसने हैरानी से उसकी तरफ देखा, पर कुछ कहा नहीं। तभी गुरु का फोन बजा। उसने जैसे अपना फोन देखा, उसके एक्सप्रेशन बदल गए।
शिविका उसे देखकर बोली, "इज एवरीथिंग ओके?"
गुरु तुरंत उसे देखकर बोला, "ये केक लेकर तो मंदिर। जो मुझे कुछ काम है।"
शिविका ने उसके आगे कोई सवाल नहीं किया। वो बस अपना केक उठाकर तुरंत दरवाजे की तरफ जाने लगी। गुरु उसकी तरफ ही देख रहा था।
दरवाजे के पास पहुंचकर शिविका कुछ पल रुकी। उसने तुरंत मुड़कर गुरु की तरफ देखा। अगले पल वो अंदर चली गई। उसने दरवाजा बंद कर दिया। वो सीधे किचन में पहुंची।
केक उसने फ्रिज में रखा और मुस्कुराकर बोली, "बर्थडे केक। हैप्पी 19th बर्थडे, शिविका दीक्षित।" बोलकर वो तुरंत वहां से चली गई।
अगली सुबह
सुधीर ने आज ही पूरी की पूरी पार्टी की प्लानिंग कर रखी थी। उन्होंने बहुत सारी चीजें बनाई थीं। शिविका डाइनिंग टेबल के पास खड़ी हैरानी से सब कुछ देख रही थी।
उसकी फेवरेट हर चीज थी—राजमा, फ्राइड राइस, गाजर का हलवा, गोभी के पराठे, साथ में नूडल्स। उसकी फेवरेट हेज़लनट कॉफी भी थी, जो कि कोल्ड कॉफी थी। कुछ नॉर्मल पराठे भी थे और थोड़ी सी पालक पनीर भी।
शिविका हैरानी से बोली, "पापा, डोंट टेल मी क्या आपने और कुछ भी बनाया है?"
तभी सुधीर वहां आकर बोले, "अभी ये भी बाकी है।" बोलकर उन्होंने एक बर्तन टेबल पर रख दिया।
शिविका ने जल्दी से बर्तन का ढक्कन हटाकर देखा। गुलाब जामुन थे, वो भी घर पर बने हुए। सुधीर ने खुद ही बनाए थे। सुधीर ने स्पेशली आज छुट्टी ली थी क्योंकि शिविका का बर्थडे था।
शिविका जल्दी से बोली, "आर यू सीरियस? इतनी सारी चीजें बनाई आपने? इतना कुछ कौन बनाता है?"
सुधीर मुस्कुराकर बोले, "अब एक ही बेटी है मेरी। अब उसके लिए भी नहीं बनाऊंगा तो फिर कहां जाऊंगा? आज मैंने तुम्हारे लिए छुट्टी ली है। मैं सुबह 7:00 बजे से लगा हुआ था। जितना हो सकता था कर लिया। इतने में खुश हो जाना तुम। ठीक है?"
शिविका बीच में बोली, "और कितना? इतना बड़ा पेट नहीं है मेरा। इतना कुछ मैं खा भी नहीं सकती।"
सुधीर उसे देखकर बोले, "पूरा दिन बेटा। तुम सब कुछ खत्म कर दोगी। मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।"
शिविका चेयर पर बैठकर बोली, "आपको मेरे ऊपर ये भरोसा कि मैं सब कुछ खत्म कर दूंगी? यू वांट टू टेल मी अबाउट खा रही हूं या मैं पूरे दिन में इतना टूट जाऊंगी?"
सुधीर मुस्कुराते हुए बोले, "जब फेवरेट चीज बनती है ना, तो इंसान कंट्रोल नहीं कर पाता।" बोलकर उन्होंने गाजर के हलवे का एक बाइट उसकी तरफ बढ़ाया।
शिविका ने चुपचाप अपना मुंह खोला और वो बाइट लेकर बोली, "वाह, पापा।"
ये सुनते ही सुधीर हल्का सा मुस्कुरा दिए। शिविका जितना खा सकती थी, उसने खा लिया और फिर वो सीधे बेडरूम में चली गई।
आज वो कॉलेज नहीं जाने वाली थी। सुधीर ने छुट्टी ली थी, तो शिविका भी नहीं जा सकती थी। अपना फोन स्विच ऑफ करने के बाद वो सीधे बेडरूम में मूवी देखने चली गई ताकि उसे कोई डिस्टर्ब ना करे।
पूरा दिन ऐसे ही निकल गया। शिविका अपना बर्थडे हमेशा ही सुधीर के साथ सेलिब्रेट करती थी। बिना किसी बहुत बड़ी पार्टी के और ना ही वो अपने बर्थडे के दिन बाहर जाती थी।
शाम को सुधीर ने फिर से कई सारी चीजें बनाई थीं। अपना डिनर आराम से कंप्लीट करने के बाद वो वापस बेडरूम में चली आई। अंदर आते ही उसकी मुस्कुराहट मानो कहीं गायब हो गई।
वो सीधी खिड़की के पास पहुंची और सामने चांद की तरफ देखकर बोली, "आई एम वेरी हैप्पी। खुश होना चाहिए ना मुझे। पर गॉड, अच्छा नहीं लगता। सच में बिल्कुल अच्छा नहीं लगता। एक कमी से फुल होती है और कमी बहुत बड़ी फुल होती है। आई जस्ट डॉन'ट नो इस कमी को मैं क्या नाम दूं।"
उसके होठों पर एक कड़वाहट भरी मुस्कान आ चुकी थी। कुछ था दिल और दिमाग में, जो बस वहीं पर आकर रह गया था। जुबान पर नहीं आ रहा था।
आना चाहता भी था तो भी शिविका उसे आने नहीं देती थी। सुधीर के सामने वो कुछ नहीं बोलना चाहती थी। वरना फिर से दोनों के बीच एक ऐसी शांति, एक ऐसी खामोशी आ सकती थी जो सारी चीजें दोबारा बिगाड़ सकती थी।
इतनी मुश्किल से तो उसे उसके पापा का प्यार ढंग से मिल रहा था। बिना किसी नशे के, बिना किसी आदत के। वो उसे तो नहीं खोना चाहती थी।
अनजाने में ही उसकी आंख से एक कतरा आंसू बह गया। तभी उसका फोन बजा। अभी थोड़ी देर पहले उसने अपना फोन ऑन किया था।
शिविका ने जल्दी से अपने आंसू साफ किए और उसने अपना फोन चेक किया। गुरु उसे वीडियो कॉल कर रहा था।
वो जल्दी से कॉल पिक करके बोली, "हेलो।"
गुरु, जो अपने हॉस्टल रूम में बैठा हुआ था, उसकी शक्ल देखकर बोला, "माय माय, जूनियर। बर्थडे के दिन रोने वाले में से हो क्या तुम?"
शिविका कुछ पल रुककर बोली, "ना। आई एम नॉट क्राइंग। रो नहीं रही हूं मैं। आंख में कुछ चला गया।"
गुरु बीच में बोला, "ये डायलॉग ना बहुत पुराना हो चुका है। डॉन'ट बिहेव लाइक ए एकता कपूर के सीरियल की शो-कॉल्ड डिप्रेसिंग हीरोइन।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "डायलॉग नहीं मार रही हूं मैं। रियलिटी बोल रही हूं। अगर तुम्हें डायलॉग लग रहा है तो मेरी कोई गलती नहीं है।"
गुरु सारकास्टिकली बोला, "रियली, एकता कपूर की शो-कॉल्ड डिप्रेसिंग हीरोइन। लिसन टू मी वेरी केयरफुली। ये वाले गेम ना मेरे सामने नहीं चलेंगे। तो मेरे सामने मत खेलो। मुझे सब समझ में आता है, ओके?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "तो सब समझ में आता है तो समझो ना। मुझे कॉल करके क्यों परेशान कर रहे हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, "तुम्हारी शक्ल देखनी थी। आज तुम कॉलेज नहीं आई तो आई थॉट..."
शिविका जल्दी से बोली, "इस हिसाब से जब तुम दो दिन नहीं आए थे तो मुझे भी तुम्हें वीडियो कॉल करना चाहिए था।"
गुरु सारकास्टिकली बोला, "तो किया क्यों नहीं? तुम्हारा फोन थोड़ी लेकर गया था मैं।"
शिविका इरिटेट होते हुए बोली, "मैं क्यों करूं? तुम्हें करना चाहिए था। तुम्हें मुझे नोटिफाई करना चाहिए था। तुम मुझे बिना बताए गए थे, तो गलती तुम्हारी थी। व्हाई शुड आई कॉल यू? मैं तुम्हें कभी कॉल नहीं करूंगी अगर तुम मुझे बिना बताए जाओगे तो।"
गुरु हल्का सा मुस्कुरा कर बोला, "और मैं तुम्हें बात कर भी क्यों जाऊं?"
शिविका उसे देखकर बोली, "तो मत बात कर, जो। मुझे क्या! मैं कॉल कट कर रही हूं, मुझे नींद आ रही है।"
गुरु उसे देखकर बोला, "रियली? नींद आ रही है?"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "क्यों? तुम्हें मेरी आंखों में क्या दिख रहा है?"
गुरु गौर से उसके कॉस्मेटिक ब्लू आंखों में देखते हुए बोला, "आर यू अपसेट और व्हाट?"
शिविका हैरानी से बोली, "क्या? नहीं, बिल्कुल भी नहीं। आई एम नॉट अपसेट। मेरा बर्थडे है, मैं अपसेट की हो जाऊंगी?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "वो तुम्हें पता है कि तुम अपसेट क्यों हो सकती हो, कैसे हो सकती हो? वो मैं नहीं जानता। तो तुम बताओ।"
शिविका कुछ पल रुक कर बोली, "मैं कोई अपसेट नहीं हूं, ठीक है।" और "ओके" बोलकर उसने तुरंत कॉल कट कर दिया।
उसने एक बार ड्रेसिंग टेबल के मिरर में खुद को देखा। आंखों में कुछ खास नहीं था, पर थोड़ी सी लाल हो चुकी थी, शायद खुद के आंसुओं को रोकने की वजह से।
वो धीरे से बोली, "आंखें पढ़ सकते हैं क्या कोई? ऐसे ही तो नहीं होता। ये... मैं पागल हो जाऊंगी ये सब सोच-सोच के। स्टॉप थिंकिंग अबाउट ऑल थिस। शिविका, डांस के प्रैक्टिस भी करनी है। कल कॉलेज भी जाना है। आज जो चीज छूट गई है, वो सारी चीजें भी चेक करनी हैं। कल बहुत ज्यादा काम हो जाएगा।" बोलकर उसने अपना फोन साइलेंट किया और तुरंत बेड पर लेटकर उसने अपनी आंखें बंद कर लीं।
करीब 5 दिन तक सारी चीजें शांति से होती रहीं। डांस प्रैक्टिस भी हो रही थी, कॉलेज भी चल रहे थे, और गुरु उसे परेशान नहीं कर रहा था। वो डांस प्रैक्टिस के लिए उसके घर पर आता था। दोनों डांस प्रैक्टिस करते थे और फिर वो चला जाता था। ऐसा लग रहा था कि वो भी कहीं और बिजी था।
वो ज्यादा बात नहीं कर रहा था, बस प्रैक्टिस कर रहा था और उसका ध्यान शिविका पर थोड़ा सा कम हो चुका था। और ये चीज भी शिविका को परेशान कर रही थी। उसे गुरु के अटेंशन की आदत पड़ चुकी थी। वैसे ही अटेंशन जो वो उसे देता रहता था। अब दो-ढाई महीनों में इतनी आदत तो पड़ सकती थी इंसान को।
आज फाइनली इवेंट वाला दिन था। कॉलेज की ऑडिटोरियम में पूरी डेकोरेशन हो चुकी थी। बहुत बड़ा इवेंट था और कोई चीफ गेस्ट आने वाले थे, जिनके बारे में शिविका को पता नहीं था। इस वक्त वो कॉलेज के एक खाली क्लासरूम में थी। गुरु वही एक तरफ था और वो अपने फोन पर कुछ कर रहा था।
शिविका उसे देखते हुए बोली, "तुम गाना चेंज करने के बारे में सोच रहे हो क्या?"
गुरु उसे देखकर बोला, "व्हाट? किसने बोला? ना, नॉट एट ऑल।"
शिविका जल्दी से बोली, "अगर तुम गाना चेंज करने के बारे में नहीं सोच रहे तो फिर गाना बार-बार प्ले क्यों कर रहे हो? कोई प्रॉब्लम है क्या?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "जूनियर, तुमने कभी अपने स्कूल टाइम पर किसी कंपटीशन में पार्टिसिपेट नहीं किया है?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "नहीं, बिकॉज मैंने कभी इंटरेस्ट नहीं दिखाया। तो फिर पार्टिसिपेट क्यों कर लेती नहीं किया मैंने ये डांस वगैरह इन चीजों में।"
गुरु धीरे से बोला, "तभी बेवकूफ हो।"
शिविका जल्दी से बोली, "तुमने मुझे बेवकूफ बोला? तुम बेवकूफ हो, समझे? सीनियर, लिसन टू मी वेरी केयरफुली, मैं कोई बेवकूफ नहीं हूं। अगर खबरदार तुमने मुझे दोबारा बेवकूफ बोला तो--" तभी गुरु ने उसे कमर से पकड़ते हुए एकदम से अपने पास खींच लिया।
शिविका ने तुरंत उसके जैकेट का कॉलर अपने मुट्ठी में पकड़ लिया और वो हैरानी से उसे देखने लगी।
गुरु उसके चेहरे पर झुकते हुए बोला, "डोंट यू थिंक, जूनियर, मैं तुम्हें बोलने की थोड़ी सी आजादी कर देता हूं? तुम्हारी जुबान आउट ऑफ कंट्रोल जाने लगी है।"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "तो तुम्हें सच में लगता है कि मुझे तुम्हारे फ्रीडम देने की जरूरत है? जुबां मेरी, जिंदगी मेरी, मैं तो बोलूंगी। और फॉर योर किंड इनफॉरमेशन, तुम मुझे अपनी गर्लफ्रेंड बोलते हो। तो क्या तुम वो वाले टॉक्सिक बॉयफ्रेंड हो जो अपनी गर्लफ्रेंड को बोलने नहीं देंगे?"
गुरु उसकी आंखों में देखकर बोला, "खेल रही हो तुम।"
शिविका मुस्कुराते हुए बोली, "सामने वाले इंसान पर डिपेंड करता है। मैं चाहूं तो बात करूं, लेकिन तुम्हारे साथ खेलना ही पड़ता है, सीनियर। इसका कुछ नहीं कर सकते।"
गुरु कुछ पल रुक कर बोला, "लेकिन बहुत कुछ करना चाहिए।" बोलते हुए उसकी नजर धीरे-धीरे शिविका के होठों पर आकर रुक गई।
शिविका के दिल की धड़कन में शोर करने लगी थी।
वो जल्दी से बोली, "क्या देख रहे हो तुम?"
गुरु उसे देखकर बोला, "योर लिप्स। दे आर वेरी टेंपरिंग। और आई थिंक यू यूज़ थे स्ट्रॉबेरी टिंट और चेरी। आई थिंक इट इज चेरी, राइट?"
शिविका का पूरा चेहरा लाल हो चुका था।
वो जल्दी से बोली, "तुम ये सब नोटिस करते हो?"
गुरु उसे देखकर बोला, "अभी थोड़ी देर पहले तुमने बोला कि तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो, तो मैं अपनी गर्लफ्रेंड को नोटिस नहीं करूं तो क्या करूं? होरिजेंटल हो या वर्टिकल लिप्स, मैं तो दोनों नोटिस करूंगा।"
शिविका ने एकदम से अपनी आंखें बंद कर लीं। थोड़ी देर बाद उसने वापस अपनी आंखें खोलीं और उसे देखकर बोली, "यू नो व्हाट, सीनियर, आई डॉन्ट वांट टू टॉक टू यू। शाम को जब डांस परफॉर्मेंस करनी होगी ना, तब मैं तुम्हारे सामने आऊंगी।" बोलकर उसने तुरंत उसका हाथ अपनी कमर पर से हटाया और भागते हुए वहां से निकल गई।
गुरु धीरे से बोला, "क्यूट जूनियर।"
इधर शिविका कैंटीन में पहुंची और खुद से बोली, "कैसे गंदी-गंदी बातें करता है! मेरे सामने कोई शर्म ही नहीं बची है इंसान के अंदर। इतनी बेशर्मी भी अच्छी नहीं होती है, बिल्कुल भी नहीं।" बोलकर वो सीधे जाकर एक तरफ बैठ गई।
रुद्र और प्रिशा अपनी तैयारी में ही बिजी थे। उन्हें गाना गाना था, तो वे दोनों एक दूसरी जगह पर थे। सब बिजी थे। जिन लोगों का सिलेक्शन हुआ था, वे किसी न किसी एक्टिविटी में व्यस्त थे।
शाम का वक्त था। शिविका बैकस्टेज थी। उनकी परफॉर्मेंस लास्ट परफॉर्मेंस होने वाली थी। आगे इवेंट चल रहा था। शिविका बाहर गई नहीं थी। उसे नहीं पता था कि कौन से चीफ गेस्ट आए हुए थे, कौन आया हुआ था।
वो अंदर रेडी हो रही थी। उसने रेड कलर की एक ड्रेस पहनी हुई थी, जो कि वन-शोल्डर ड्रेस थी। बाल खुले हुए थे और ऑलमोस्ट थोड़े से बिखरे हुए, उनके डांस फॉर्म के हिसाब से।
शिविका परेशान होते हुए बोली, "इस ड्रेस की जिप कहीं खुल न जाए। मुझे ऐसा लग रहा है कि खुल जाएगी। पिन लगानी पड़ेगी। अब तो यहां पर कोई है भी नहीं।"
उसने अपने बाल एक तरफ करके खुद पिन लगाने की कोशिश की, पर उसे हो नहीं रहा था। आखिर में परेशान होकर उसने जैसे ही मिरर में देखा, उसकी नजरें गुरु की नजरों से जा मिलीं।
शिविका जल्दी से बोली, "तुम यहां पर कब आए?"
गुरु उसे देखकर बोला, "जस्ट अभी।" बोलते हुए उसने अपने कदम उसकी तरफ बढ़ा दिए।
शिविका ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बना ली थी। कुछ पल में गुरु उसके पीछे आकर रुका। शिविका इस वक्त नंगे पांव खड़ी थी। उसने कोई सैंडल नहीं पहना हुआ था। उसकी हाइट गुरु के चेस्ट के एग्ज़ैक्ट पास आ रही थी—छोटी सी टीम एट लिस्ट गुरु के लिए।
गुरु ने व्हाइट कलर की शर्ट और पैंट पहनी हुई थी। उसकी शर्ट भी थोड़ी सी ट्रांसपेरेंसी में थी। शिविका एकदम से उसकी तरफ मुड़कर बोली, "तुम—"
तभी गुरु ने उसके होठों पर उंगली रखकर उसे एकदम से चुप कर दिया।
Chap 58
इंदौर , रात का वक्त
शिविका का पैर एकदम से लड़खड़ाया। वो गाड़ी के रूफटॉप से नीचे गिरती कि तभी गुरु ने उसे कमर से पकड़ते हुए संभाल लिया। वो लगभग गिरने की पोजीशन में ही थी।
गुरु ने उसे देखकर कहा, "आसमान से टपके, गोद में अटके।"
शिविका ये सुनकर हंसने लगी। गुरु ने उसे आराम से नीचे उतारा और अब वो अपने पैरों पर खड़ी थी। बस, पैरों पर नाम के लिए खड़ी थी, पूरा सपोर्ट गुरु का ही था। उसने उसे अच्छे से पकड़ रखा था।
शिविका उसे देखकर बोली, "तुम तो मेरी आइसक्रीम लाने गए थे। तुम मेरी आइसक्रीम नहीं लेकर आए? तुम ऐसे ही आगे, तुम कितने गंदे हो। तुम्हें मेरी आइसक्रीम से कोई फर्क नहीं पड़ता। तुमने कपाड़िया को तो नहीं दे दी आइसक्रीम?"
गुरु उसे देखकर बोला, "मैं आइसक्रीम लेकर आया हूं, जूनियर। मुझे पेमेंट करने में देर हो रही थी। यहीं रहना, हिलना मत अब यहां से।"
ये कहकर वो वापस आइसक्रीम पार्लर की तरफ चला गया। थोड़ी देर बाद वो पेमेंट करके वापस आया। उसने सामने देखा, लेकिन शिविका गाड़ी के पास थी ही नहीं और न ही आइसक्रीम थी।
वो धीरे से बोला, "व्हाट द हेल! कहां गायब हो गई है?" ये बोलते हुए उसने अपनी नजर चारों तरफ दौड़ाई। उसकी नजर एक जगह पर जाकर रुक गई। शिविका एक बच्चे के साथ वहीं फुटपाथ पर बैठी हुई थी।
गुरु उसके लिए दो आइसक्रीम लेकर आया था। एक आइसक्रीम उसने उस बच्चे को दे दी थी और वो खुद उसके साथ बैठकर आइसक्रीम खा रही थी। पता नहीं वो बच्चे से क्या बात कर रही थी। गुरु ने अपने कदम उन दोनों की तरफ बढ़ा दिए। कुछ ही पल में वो उनके सामने आकर रुक गया।
शिविका खाते हुए बोली, "पता है, तुम बहुत लकी हो कि तुम्हारे पास जो मम्मा है ना, वो असली mumma है। वो बिल्कुल अच्छी मम्मा है।"
ये सुनते ही गुरु ने सीधे सामने टेंट की तरफ देखा। उसे बच्चे की मां शायद अपने दूसरे छोटे बच्चे को लेकर सो रही थी।
तभी शिविका फिर से बोली, "वरना सबके नसीब में मामा कहां होती है? और अगर होती भी है, तो बड़ी अजीब होती है। और फिर अजीब सी मामा को हैंडल करना ना, बहुत मुश्किल काम होता है। जैसे मेरी लाइफ में है। मेरी लाइफ में तो अजीब नहीं है, मेरी लाइफ में महा अजीब है। कपाड़िया कहीं की। पता नहीं अपनी शक्ल क्यों दिखा दी उसने। नहीं दिखानी चाहिए थी उसे। नहीं आना चाहिए था ना।"
ये कहते हुए उसने बच्चे की तरफ देखा। वो बच्चा करीब 5-6 साल का लड़का था। उसे तो शिविका की बातें समझ में नहीं आ रही थीं। शिविका ने उसे आइसक्रीम दी और वो बस उसके साथ बैठकर खा रहा था।
शिविका धीरे से बोली, "मैं तुम्हें क्यों परेशान कर रही हूं? तुम्हें कहां से कुछ समझ में आएगा। सीनियर सब समझता है। कहां है सीनियर?"
तभी गुरु उसे देखकर बोला, "तुम्हारे सामने।"
शिविका ने तुरंत उसकी तरफ देखा।
वो एकदम से खड़ी होकर बोली, "तुम आ गए?"
इतना बोलकर वो तुरंत उसके सीने से लग गई। गुरु ने हल्के से सिर झुकाकर उसके चेहरे की तरफ देखा। उसने आराम से उसकी पीठ पर हाथ रखा।
शिविका हल्के से मुस्कुराकर बोली, "तुम आ गए। तुम सीनियर। I mean अच्छा हुआ तुम आ गए। तुम्हें पता है, मैं ना इससे कंप्लेंट कर रही थी कपाड़िया को लेकर। लेकिन ये भी नहीं समझता। कोई नहीं समझता ना मुझे।"
गुरु उसे देखकर बोला, "सब समझते हैं तुम्हें।"
ये कहते हुए उसने शिविका को खुद से अलग किया और उसे आराम से अपनी गोद में उठा लिया।
शिविका आसमान की तरफ देखते हुए बोली,
"ये चांद कपाड़िया के पास नहीं जाना चाहता। कोई नहीं जाना चाहता। तो वो मेरे पास क्यों आना चाहती है? गंदी औरत! उसकी शक्ल भी नहीं देखनी मुझे। उसको कुछ नहीं करना मुझे। उसको ना गोली मार दूंगी।" गुरु ने आराम से उसे पैसेंजर सीट पर बैठाया।
वो उसकी शक्ल देखकर बोला, "अगर गोली मार दोगी, तो खुद जेल पहुंच जाओगी। और बिलीव मी, जेल की जिंदगी ना किसी जहन्नम से कम नहीं होती, जूनियर।"
शिविका उसे देखकर बोली, "बोल तो ऐसे रहे हो जैसे तुमने जेल के चक्कर काट रखे हैं। ऐसा तो कुछ नहीं है ना?"
गुरु ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया। उसने बस उसकी तरफ का दरवाजा बंद किया और सीधे जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। उसने गाड़ी में चाइल्ड लॉक पहले ही लगा दिया था।
शिविका अपनी उंगलियों से खेलते हुए बोली,
"तुम मुझे छोड़कर नहीं जाओगे ना?"
उसका सवाल सुनकर गुरु एकदम से उसे देखने लगा। वो सिर झुकाए अपनी उंगलियों से खेल रही थी और इस वक्त बहुत क्यूट लग रही थी। जैसे कोई छोटा सा बच्चा अपनी उम्मीद से पूछ रहा हो कि उसकी उम्मीद कहीं गायब तो नहीं हो जाएगी।
गुरु ने हल्के से आगे बढ़कर उसकी सीट बेल्ट लगाई। तभी शिविका ने तुरंत नजर उठाकर उसे देखा।
गुरु ने उसके चेहरे पर आते हुए बालों को पीछे करते हुए कहा, "मैं तुम्हारी जिंदगी में अपनी मर्जी से आया हूं, तो मैं क्यों जाऊंगा?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "पापा कहते हैं कि किसी पर ट्रस्ट नहीं करना चाहिए। मतलब, कोई भी छोड़कर जा सकता है। कोई साथ नहीं रहता। वो भी तो प्यार करते थे ना, वो भी साथ नहीं रहे। तुम भी चले गए तो? तो मैं क्या करूंगी? तुम नहीं जाओगे ना?"
गुरु हल्के से उसके सिर से अपना सिर जोड़कर बोला, "कभी नहीं जाऊंगा। ओके, जूनियर? अब घर चलें?"
शिविका उसे देखते हुए बोली, "घर? हां, पापा के पास जाना है मुझे।"
गुरु पीछे हटने वाला था कि तभी शिविका ने उसका कॉलर पकड़कर बोला, "लेकिन तुम नहीं जाओगे ना?"
गुरु उसे देखते हुए बोला, "क्या लगता है तुम्हें? मैं जा सकता हूं?"
शिविका उसे देखकर बोली, "मुझे क्या पता। वो तो तुम बताओ ना मुझे और नींद आ रही है। और फिर मुझे मेरा बेड चाहिए। मेरा बेड कहां पर है?"
गुरु गहरी सांस लेकर बोला, "घर पर।"
ये बोलकर वो तुरंत पीछे हटा और उसने गाड़ी स्टार्ट कर दी। शिविका चुपचाप बाहर देख रही थी। पूरे रास्ते वो कुछ ना कुछ बोलती रही और गुरु बस उसकी बातें सुनता रहा।
एक घंटे बाद वो घर पहुंच चुके थे। गुरु तुरंत गाड़ी से उतरा। उसने शिविका को अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर दरवाजे तक पहुंचा।
शिविका ने खुद डोर बेल बजानी शुरू कर दी। वो बिना रुके डोर बेल बजा रही थी कि तभी दरवाजा खुला।
सुधीर हैरानी से बोले, "ये क्या हालत बना रखी है इसने?"
गुरु उन्हें देखकर बोला, "शी इज ड्रंक।"
सुधीर एक तरफ होकर बोले, "व्हाट?"
गुरु तुरंत उसे अंदर लेकर आया। वो उसे सीधे उसके बेडरूम में लेकर गया। सुधीर भी उन दोनों के पीछे आ चुके थे। गुरु ने आराम से शिविका को बेड पर लिटाया।
वो पीछे हटने वाला था कि शिविका ने उसका कॉलर पकड़कर कहा, "आई टोल्ड यू कि तुम मुझे छोड़कर नहीं जाओगे ना? तो तुम जवाब तो दो।"
गुरु उसकी आंखों में देखते हुए बोला, "नहीं जाऊंगा, ओके जूनियर? डोंट वरी।" शिविका ने चुपचाप अपनी आंखें बंद कर लीं।
वो धीरे से बोली, "आई हेट कपाड़िया।" उसके मुंह से 'कपाड़िया' सुनते ही सुधीर को कुछ-कुछ समझ में आने लगा था।
वो तुरंत गुरु को देखकर बोले, "युवांश, ये किसी से मिली थी?"
गुरु बीच में बोल पड़ा, "रिद्धि कपाड़िया की बात कर रहे हैं आप? मिली थी शायद। जब मैं पहुंचा तो, इससे मिलने के लिए तब तक ये ऑलरेडी नशे में थी।"
सुधीर धीरे से बोले, "अब वो क्या चाहती है? मेरी बेटी से क्यों पीछे पड़ी है?"
गुरु ने हल्के से शिविका का हाथ अपने कॉलर पर से हटाया। उसने आराम से उसे ब्लैंकेट से ढका और बाहर निकल गया। सुधीर कुछ पल शिविका को देखते रहे। बाहर आते हुए उन्होंने भी दरवाजा बंद कर दिया।
वो गुरु को देखकर बोले "युवांश, आई एम सॉरी। तुम उसकी पर्सनल लाइफ में इन्वॉल्व हो रहे हो। तुम ऐसी प्रॉब्लम हैंडल कर रहे हो। मतलब, नशे में मेरी बेटी थी। मुझे वहां पर होना चाहिए था।"
लेकिन गुरु बीच में बोल पड़ा, "इट्स ओके अंकल। आपकी बेटी मेरी..."
इतना बोलते ही वो रुक गया। सुधीर उसे देखकर बोले, "गर्लफ्रेंड लगती है।"
गुरु कुछ पल रुककर बोला, "यू नो इट। तो हां, गर्लफ्रेंड है मेरी।"
सुधीर कुछ पल रुककर बोले, "ध्यान रखना। मैं कोशिश करता हूं उसे संभालने की, पर अगर बाहर जा रही हो, तो हर पल उसके साथ नहीं रह सकता। तुम जितना वक्त उसके साथ हो, प्लीज उसे संभालकर रखना। वो बोलती बहुत है, वो डरती नहीं है। किसी को भी बहुत कुछ कहती है। लेकिन बच्ची है। She is just a 19-year-old girl। बिना मन की बच्ची है। मुझे नहीं पता मैं क्या..." इसके आगे उन्हें समझ में नहीं आया कि वो क्या बोलें।
गुरु उन्हें देखते हुए बोला, "मैं हूं उसके साथ, अंकल। डोंट वरी। कम से कम कॉलेज में तो मैं हूं उसके साथ। कुछ नहीं होगा उसे।"
सुधीर उसे देखकर बोले, "थैंक यू उसे यहां पर वापस सही-सलामत लाने के लिए।" गुरु हल्का सा मुस्कुराया।
वो जाने के लिए मुड़ा तभी सुधीर ने आवाज लगाकर कहा, "युवांश!" ये सुनते ही गुरु के कदम रुक गए।
सुधीर उसे देखते हुए बोले, "थैंक यू, रिस्पॉन्सिबिलिटी समझकर उसे घर छोड़ने के लिए, बिना उसका फायदा उठाए।"
गुरु ने एक नजर सुधीर को देखा और फिर बोला, "आई प्रॉमिस अंकल, आपकी बेटी का फायदा नहीं उठाऊंगा मैं। कभी नहीं। कोई उसका फायदा उठाए, वो ऐसी नहीं। और न ही मैं ऐसा हूं कि किसी का फायदा उठाऊं। और एक लड़की का तो बिल्कुल भी नहीं।" इतना बोलकर वो तुरंत वहां से निकल गया।
गुरु सीधे बाहर अपनी गाड़ी में पहुंचा। वो जैसे ही ड्राइविंग सीट पर बैठा, उसकी नजर पैसेंजर सीट की तरफ चली गई। शिविका का ब्रेसलेट वहां पड़ा हुआ था। उसने वो ब्रेसलेट उठाकर देखा। वो चार्म वाला ब्रेसलेट था, जो वो हमेशा पहनती थी।
वो कुछ पल रुककर बोला, "व्हाट इज दिस फीलिंग? आई एम फीलिंग फॉर यू। आई वांट टू मेक यू स्माइल, जूनियर। यू आर सो होपफुल इन द वर्ल्ड लाइक दिस। होप फॉर मी। आई थिंक जस्ट फॉर मी।"
इतना बोलकर उसने वो ब्रेसलेट अपने डैशबोर्ड पर रखा और गाड़ी स्टार्ट करके तुरंत वहां से निकल गया।