" रुद्रांश ओबेरॉय जिसे अपनी बहन के साथ हुए कुछ हादसे के कारण नफरत है राठौड़ से, और इसी के चलते वो गलतफहमी में कर देता है रुहानिका शर्मा जी जिंदगी खराब लेकिन क्या होगी इनकी दास्तान
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एक सड़क पर एक लड़की, सुर्ख लाल दुल्हन के जोड़े में, भाग रही थी। उसका माँग टीका माथे से साइड हो गया था; उसका गजरे का जूड़ा, जो अब ढीला हो चुका था, कंधे तक आ रहा था। उसने अपने हाथ में अपने लहंगे को पकड़ा हुआ था और उस रोड पर वह बेहद तेज़ भाग रही थी। उसकी आँखों में आँसू थे जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। माथे का सिंदूर, जो उसके पूरे माथे पर फैल चुका था, इस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी शादी हो चुकी है। भागते हुए उसका पूरा चेहरा पसीने से भीग चुका था।
उस लड़की ने एक नज़र पीछे देखा तो उसकी जान गले में ही अटक गई। उसके थोड़े ही पीछे एक ब्लैक कलर की कार आ रही थी, जिसकी स्पीड काफी तेज थी।
उस लड़की ने वापस अपना लहंगा अपने दोनों हाथों से उठाया और वापस भागने लगी। लेकिन थोड़ी ही दूर भागने के बाद उसके सामने एक कार आकर रुक गई!
कार को देखकर वह लड़की बहुत ज़्यादा डर गई थी। उसने कस के अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी कार जोर से एक ब्रेक के साथ रुकी और उसका दरवाज़ा खुला। उसमें से एक हाथ बाहर निकला जो कि दरवाज़े पर था; उसके हाथ में एक ब्लैक कलर की वॉच थी। थोड़ी ही देर में एक लड़का निकला, जिसे देखकर कोई भी बता सकता था कि उसकी आँखें गुस्से से लाल हैं!
उस लड़के ने उस लड़की को घूरकर देखा और उसके पास आ गया।
उस लड़के को अपने पास आता देख उस लड़की ने अपने कदम पीछे कर लिए, लेकिन डर की वजह से उसकी साँसें फूलने लगी थीं। पर उसने हिम्मत की और जैसे ही पीछे होकर भागने को हुई, उस लड़के ने गुस्से से उस लड़की का हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया!
"प्लीज़ मुझे छोड़ दो, प्लीज़ मुझे जाने दो! ये शादी धोखा है, मैं इस शादी को नहीं मानती!" वो लड़की उस लड़के से अपने हाथ को छुड़ाते हुए बोल रही थी।
"कैसे छोड़ दूँ? तुम्हें पाने के लिए मैंने क्या कुछ नहीं किया? और ये शादी धोखा नहीं है, हमारी शादी हो चुकी है, अब तुम्हें माननी भी पड़ेगी!" वो लड़का उस लड़की की बात सुनकर बोला।
वो लड़की बहुत ज़्यादा डर गई थी और उस लड़के के ऐसे खुद के करीब खींचने से वह लड़की उस लड़के के सीने से जा लगी।
वो लड़का उस लड़की का हाथ पकड़कर घसीटते हुए अपनी कार के पास लाया और उस लड़की का हाथ पकड़कर कार के अंदर धक्का दे दिया!
अचानक धक्के से वो लड़की कार में गिर गई। उस लड़के ने उस लड़की को सही किया और एक साइड खुद बैठ गया। और कार का दरवाज़ा बंद कर लिया और ड्राइवर से कार चलाने को कहा, खुद उस लड़की को देख रहा था।
"ये रोना बंद करो, समझी?" उस लड़के ने उस लड़की को रोते हुए देखा और कहा।
"क्यों? मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी! मुझसे जबरदस्ती शादी कर ली और मैं अब रो भी नहीं सकती! वाह! मिस्टर रुद्रांश ओबेरॉय, तुम्हारे जैसा इंसान मैंने पहली बार देखा है जो इतना गिरा हुआ भी हो सकता है!" वो लड़की उस लड़के की बात सुनकर और तेज़ रोते हुए बोली।
रुद्रांश ने उस लड़की की बात सुनी और गुस्से से कहा, "अपना मुँह बंद करो, समझी ना मिस रुहानिका शर्मा?"
रुहानिका ने रुद्रांश की बात सुनी और वह कुछ नहीं बोलती और अपना मुँह दूसरी ओर कर लेती है। उसकी आँखों से आँसू लगातार बह रहे थे।
थोड़ी ही देर में वो ब्लैक कार एक बड़े से बंगले के बाहर आकर रुकती है। उस कार को देख वो गार्ड जल्दी से दरवाज़ा खोलता है।
कार तुरंत उस बंगले के सामने आकर रुकती है जहाँ एक साइड से रुद्रांश बाहर आता है और अपने कदम घर की ओर बढ़ा देता है। लेकिन वापस रुककर देखता है तो रुहानिका अभी भी कार से नहीं निकली थी!
रुद्रांश को यह देखकर अब गुस्सा आ रहा था। उसने अपने कदम वापस कार की ओर बढ़ाए और कार का दरवाज़ा खोलकर अपने एक हाथ से रुहानिका को पकड़कर जोर से बाहर निकाल लिया!
अचानक खींचने से रुहानिका अपना बैलेंस खो देती है और ज़मीन पर आ गिरती है।
"अब सही जगह हो, यही तो है तुम्हारी असली जगह और तुम्हारी औकात!" रुद्रांश ने रुहानिका को ज़मीन पर गिरा देखा और कहा।
रुहानिका रुद्रांश की बात सुनकर बस रुद्रांश को देखे जा रही थी। तभी रुद्रांश ने उसका हाथ पकड़ा और घसीटते हुए अंदर ले आया।
रुहानिका के हाथ की सारी चूड़ियाँ एक-एक करके टूटने लगी थीं। उसके हाथों से खून बह रहा था और उसकी आँखों से आँसू वो भी लगातार बह रहे थे! तभी दोनों के कानों में किसी की आवाज़ पड़ी, किसी की आवाज़ से रुद्रांश के कदम वहीं रुक गए थे!
तभी रुद्रांश ने सामने से आ रही एक बूढ़ी औरत को देखते हुए कहा, "क्या हुआ काकी?"
काकी ने रुद्रांश की बात सुनी और उसके साथ रुहानिका को देखते हुए बोली, "तू बहू ले आया तो आरती तो करने दे।"
रुद्रांश ने उनकी बात सुनी और एक अलग ही तरह से कहा, "उसकी कोई ज़रूरत नहीं है।" इतना बोल रुद्रांश ने रुहानिका का हाथ पकड़ा और वापस अपने रूम की ओर चला गया।
रुहानिका अपने लड़खड़ाते कदमों को संभाले चल रही थी। रुद्रांश ने रूम का दरवाज़ा जोर से खोला और रुहानिका को जोर से धक्का देकर बेड पर पटक दिया। बेड पर गिरते ही रुहानिका की तो मानो साँसें ही अटक गई हों। उसने अपने दोनों हाथ जोड़े और बोली, "प्लीज़, प्लीज़ मुझे जाने दो रुद्रांश! मैंने किया क्या है?"
रुद्रांश ने रुहानिका को देखा और एक स्माइल करते हुए कहा, "क्या वाइफी? आज हमारी शादी हुई है और आज तो हम दोनों एक हो जाएँगे, मतलब समझ रही हो ना? आज हमारी सुहागरात है।" इतना बोल वो उसकी ओर झुकने लगा।
सुहागरात का नाम सुनते ही रुहानिका को अजीब लगने लगा, उसे अंदर ही अंदर डर लग रहा था! उसकी धड़कनें मानो जैसे थम सी गई हों।
और वहीं रुद्रांश रुहानिका के करीब जा रहा था। उसने धीरे से उसके माथे पर से दुपट्टा हटाया और जोर से साइड में फेंक दिया!
रुहानिका ने रुद्रांश के आगे अपने हाथ जोड़े और कहा, "प्लीज़ ऐसा कुछ मत करो कि तुम्हारे पास पछताने को कुछ न बचे। तुमने वैसे भी मेरी लाइफ़ खराब कर दी है, अब ऐसी हरकत मत करो कि पछताना पड़े!"
रुद्रांश ने रुहानिका को देखा और कहा, "अभी तो शुरुआत हुई है तुम्हारी इस बर्बादी की। तड़पोगी तुम अपनी मौत के लिए, पर मौत इतनी आसानी से तुम्हें नहीं मिलेगी।" इतना बोल रुद्रांश ने उसे बेड पर धक्का दे दिया।
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रुहानिका ने रुद्रांश के आगे हाथ जोड़े और कहा, "प्लीज ऐसा कुछ मत करो कि तुम्हारे पास पछताने को कुछ न बचे। तुमने वैसे भी मेरी लाइफ खराब कर दी है, अब ऐसी हरकत मत करो कि पछताना पड़े!"
रुद्रांश ने रुहानिका को देखा और कहा, "अभी तो शुरुआत हुई है तुम्हारी इस बर्बादी की। तड़पोगी तुम अपनी मौत के लिए, पर मौत इतनी आसानी से तुम्हें नहीं मिलेगी।" इतना बोलकर रुद्रांश ने उसे बेड पर धक्का दे दिया।
रुद्रा के अचानक धक्का देने से रूही बेड पर गिर गई। रुद्रा ने उसके बाल पकड़े और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। और उसे चूमने लगा।
रुद्रा के होठों पर होठ रखने से रूही ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और अपने हाथों से बेडशीट कसकर मुट्ठी में ले ली। रुद्रा थोड़ी देर बाद उससे दूर हुआ तो देखा रूही बेहोश हो चुकी थी! रुद्रा ने उसे घूरकर देखा और उठ गया। उसने रूही को एक तरफ किया और खुद बाथरूम में चला गया।
बाथरूम में आकर रुद्रा ने शॉवर ऑन किया और उसके नीचे खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद बाहर आया और बेड पर एक तरफ सो गया।
अगली सुबह, सुनहरी चमचमाती धूप सीधे रूही के चेहरे पर गिर रही थी। उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और कमरे को देखा। उसे रात की सारी बातें याद आ गईं। रूही ने एक नज़र खुद को देखा तो उसे कुछ अजीब लगा। उसकी सारी ज्वैलरी खुली, पूरे बेड पर गिरी हुई थी! होठों पर हल्का सा खून अभी भी था!
रूही ने एक नज़र खुद को देखा और बेड से उठकर खिड़की के पास आ गई। उसने एक नज़र कमरे पर डाली तो देखती ही रह गई। रुद्रा का कमरा बहुत प्यारा था! काफी बड़ा कमरा था, एक तरफ वॉर्डरोब, एक तरफ बाथरूम, बीचों-बीच बड़ा सा बेड, पूरे कमरे का रंग काला था! जिस पर हल्के और कॉफी कलर के पर्दे लगे हुए थे। एक तरफ बुकसेल्फ़ था। एक तरफ छोटी सी टेबल और एक काउच था। कुल मिलाकर कमरा बहुत ही प्यारा था।
रूही की आँखें एकदम लाल थीं। उसने एक हाथ से अपना लहंगा उठाया और खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर नीचे देखने लगी। नीचे गार्डन में लोग काम कर रहे थे। रूही वहीं खड़ी सब आराम से देख रही थी। उसका गोरा बदन उस लाल जोड़े में बहुत अच्छा लग रहा था। लेकिन उसे आज इस लाल जोड़े से नफ़रत सी हो रही थी। वह अपनी ही सोच में खोई हुई थी कि किसी के ठंडे हाथ उसकी कमर से होकर पेट पर चलने लगे। रूही अचानक होश में आई और पीछे मुड़कर देखा तो रुद्रा उसकी कमर पर हाथ रखे, उसकी पीठ पर अपना सर रखे हुए था।
रूही ने उसे देखा और कहा, "छोड़ो मुझे!"
रुद्रा ने उसकी कमर पर अपने हाथ कसते हुए कहा, "क्या, वाइफी? अब मुझे खुद से दूर भी करोगी?" उसके बोलने में एक नफ़रत, गुस्सा और एक रोब भी था। रूही ने बिना रुद्रा की ओर देखे कहा, "प्लीज छोड़िए।"
रुद्रा ने उसे पूरी तरह इग्नोर किया और अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की ओर चला गया। रूही की आँखें वापस किसी अनहोनी के डर से एक बार को बंद हो गईं।
रुद्रा ने उसे बाथरूम में बने बाथटब में लाकर पटक दिया। अचानक ऐसे गिरने से रूही की कमर में अचानक दर्द हो गया और उसकी "आह..." निकल गई। रूही ने अपनी आँखें खोलीं तो रुद्रा की ओर देखा जो उसे गुस्से से देख रहा था।
"ये सब क्या है? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब करने की…!!" रूही ने रुद्रा की ओर देखकर चिल्लाते हुए कहा।
रुद्रा उसकी ओर झुक कर उसके मुँह को पकड़ते हुए बोला, "हिम्मत तुमने देखी नहीं मेरी, और हाँ, जल्दी रेडी होकर नीचे आओ, समझी ना!" इतना बोलकर रुद्रा वहाँ से नीचे आ गया और सोफ़े पर बैठ गया।
"काकी, मेरी कॉफी का क्या हुआ…?" रुद्रा ने थोड़ी तेज आवाज़ में काकी को आवाज़ दी।
काकी, अपने हाथ में कॉफी लेकर आते हुए कहा, "जी बेटा, ये रही आप की कॉफी।"
रुद्रा ने "हम्म" इतना बोलकर कॉफी का कप लिया और कॉफी पीने लगा।
काकी— "वो बहू रानी नीचे नहीं आई बेटा…?"
रुद्रा— "हम्म…" और कुछ बोलता उससे पहले उसकी नज़र सीढ़ियों पर गई जहाँ से रूही अपनी साड़ी को हाथों में पकड़े नीचे आ रही थी।
काकी ने रूही को देखा तो उसके पास जाते हुए कहा, "आ जाओ बिटिया।"
रूही अभी भी डरी हुई थी! उसने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई और काकी के साथ आ गई।
काकी— "क्या लोगी बिटिया?"
रूही— "कुछ नहीं, हम चाय नहीं पीते…"
काकी— "अच्छा, कोई ना, लेकिन ये साड़ी क्यों पकड़ी हुई है तुमने…?"
रूही ने एक नज़र रुद्रा को देखा और अपनी गर्दन नीचे करते हुए कहा, "वो हमें साड़ी पहनना नहीं आती, तो बस इसलिए…!"
काकी हँसते हुए— "अच्छा, ये बात है। रुद्रा बेटा, तुम पहना देते ना…"
रूही— "नहीं नहीं, हम खुद पहन लेंगे…"
रुद्रा— "हम्म… काकी पहना देंगी।"
काकी— "आओ बिटिया, हम पहना देते हैं…"
रूही— "हाँ, चलिए…"
रूही काकी के साथ कमरे में आ गई। काकी ने उसे साड़ी सही से पहना दी। और उसकी ओर ध्यान से देखा तो ना तो उसके माथे पर सिंदूर था, ना हाथों में दुल्हन का चूड़ा था, और ना ही गले में मंगलसूत्र।
काकी— "अरे बिटिया, तुमने मंगलसूत्र नहीं पहना, ना सिंदूर लगा रखा है और ना ही चूड़ा…"
रुद्रा दरवाजे पर खड़ा ये सब सुन रहा था। उसने काकी को देखकर कहा, "काकी, वो ये सब मेरे हाथ से पहनेगी, इसलिए…" इतना बोलकर रुद्रा मुस्कुराते हुए अंदर आ गया।
रूही फिर से डर गई थी, क्योंकि जब भी रुद्रा उसकी ओर देखकर मुस्कुराता था तो उसके दिमाग में ज़रूर कुछ न कुछ चलता था।
काकी— वहाँ से जाते हुए, "अच्छा, मैं बाद में आती हूँ, तुम पहना दो।" इतना बोलकर काकी वहाँ से चली गई!
रुद्रा ने गर्दन हाँ में हिलाई और काकी के जाते ही कमरे का दरवाज़ा लॉक किया और अंदर आ गया। उसने अपने हाथ में मंगलसूत्र लिया और रूही की ओर बढ़ गया और उसके गले में दोनों हाथों से मंगलसूत्र पहना दिया।
"मैं इसे नहीं पहनूँगी, समझे? क्योंकि मैं इस जबरदस्ती वाली शादी को नहीं मानती!" रूही ने रुद्रा पर चिल्लाते हुए कहा।
रुद्रा— उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए, "मानना तो तुम्हें पड़ेगा, और वैसे भी ये मंगलसूत्र तुम्हारे लिए एक फाँसी का फंदा है!"
रूही— "कभी नहीं! मैं जब ये शादी मानती ही नहीं तो तुम्हारे साथ ना मैं रहने वाली हूँ और ना ही ये सब करने वाली हूँ।"
रुद्रा— सिंदूर लेते हुए, "अच्छा, मेरी इजाज़त के बिना कोई पता नहीं हिल सकता यहाँ से, और तुम जाने की बात कर रही हो… कोशिश भी मत करना, अंजाम बहुत बुरा होगा।"
इतना बोलकर रुद्रा ने उसकी मांग में सिंदूर लगा दिया। रूही को उसने खुद से थोड़ा दूर किया और आईने के सामने जाकर रेडी होने लगा। उसने आईने में देखा तो रूही अभी भी वहीं खड़ी हुई थी! उसने येलो कलर की साड़ी, डीप ब्लाउज़, रेड चूड़ियाँ, मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र, माथे पर रेड बिंदी, कमर तक आते काले बाल! मोटी-मोटी गोल आँखें, गोरा रंग, मासूम चेहरा। रुद्रा ने अपनी गर्दन झटकी और वॉर्डरोब से कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया। थोड़ी देर में वह वापस आया और एक नज़र खुद को देखकर एक फाइल टेबल से ली और वहाँ से निकल गया।
रूही ने रुद्रा के जाते ही चैन की साँस ली और नीचे काकी के पास आ गई। सुबह से दोपहर हो गई थी! रूही ने कुछ नहीं खाया था, वह अपने कमरे में बैठी हुई कुछ सोच रही थी! सोचते-सोचते उसकी आँख लग गई। तो वहीं रुद्रा ऑफ़िस का काम कर रहा था! यह एक अंडरवर्ल्ड डॉन के साथ-साथ मुंबई का नंबर वन बिज़नेस मैन भी था!
रुद्रा ने अपने सामने बैठे लड़के से कहा, "साहिल, मीटिंग का क्या हुआ…?"
साहिल ने रुद्रा को देखा और कहा, "सर, आज की मीटिंग मिस्टर कपूर ने तीन दिन बाद करने की बोली है।"
"हम्म… ठीक है, जाओ! और हाँ, मैं घर जा रहा हूँ!" इतना बोलकर रुद्रा वहाँ से चला गया था! शाम से रात भी हो गई थी। रुद्रा घर आ गया था। उसने देखा तो घर पर एकदम शांति थी। उसने हॉल में एक नज़र देखा और कमरे में आ गया। उसकी नज़र कमरे के बेड पर गई जहाँ रूही अभी भी आराम से सो रही थी।
रुद्रा ने एक नज़र उसे देखा और अपना कोट उतारकर टेबल पर रख दिया और अपनी टाई की नॉट निकालने लगा। वह रूही के करीब गया और उसके ऊपर रखा पानी का जग डाल दिया।
अचानक पानी से रूही की आँख खुल गई। उसकी नज़र रुद्रा पर चली गई!
to be continue…
"हम्मम ठीक है, जाओ!" और "हाँ, मैं घर जा रहा हूँ!" इतना बोलकर रुद्रा वहाँ से चला गया। शाम से रात हो गई थी। रुद्रा घर आ गया था। उसने देखा तो घर पर एकदम शांति थी। उसने हॉल में एक नज़र देखा और रूम में आ गया। उसकी नज़र रूम के बेड पर गई जहाँ रूही अभी भी आराम से सो रही थी।
रुद्रा ने एक नज़र उसे देखा और अपना कोट उतारकर टेबल पर रख दिया, और अपनी टाई की नॉट निकालने लगा। वह रूही के करीब गया और उसके पास रखे पानी के जग को उसके ऊपर डाल दिया।
अचानक पानी से रूही की आँख खुल गई। उसकी नज़र रुद्रा पर चली गई।
"मेरे होते हुए तुम इतना आराम से कैसे सो सकती हो? मतलब, पति ऑफिस से घर आया है और उसकी वाइफ आराम से सो रही है?" रुद्रा ने कहा।
रूही ने बात सुनकर मुँह दूसरी साइड कर लिया।
रुद्रा — "उसका मुँह पकड़ कर खाना यहाँ लेकर आओ!"
रूही जल्दी उठकर नीचे आई और रुद्रा के लिए खाना लेकर रूम में वापस आ गई।
रूही ने खाने की प्लेट रखी और एक साइड बैठ गई। रुद्रा ने उसे देखा और कहा, "तुमने खा लिया..?"
रूही — "हाँ, मुझे भूख लगी थी तो मैंने खा लिया।"
रुद्रा ने थोड़ी देर में डिनर किया और बेड पर आ गया। उसने अपना लैपटॉप खोला और काम करने लगा।
जैसे ही रूही बेड पर आकर सोई, रुद्रा के हाथ उसकी कमर पर आ गए। रूही जल्दी से बैठ गई। रुद्रा ने उसका हाथ पकड़ा और बालकनी में निकाल दिया।
"प्लीज, मुझे अंदर आने दो," रूही ने रुद्रा को देखते हुए कहा।
रुद्रा — "ये तुम्हारी जगह है। तुम मेरे कभी बराबर नहीं होगी, समझी?" इतना बोलकर रुद्रा अपने बेड पर आकर सो गया। रूही चुपचाप बालकनी में लगी चेयर पर आकर बैठ गई।
अगली सुबह...
रुद्रा रोज़ की तरह जल्दी उठ गया था। उसने उठते ही पहले अपने बगल में देखा और बेड से खड़ा होकर अपनी रोज़ की दिनचर्या के काम करने लगा। थोड़ी देर में सुबह हो गई थी और सूरज की सीधी किरणें रूही के चेहरे पर गिर रही थीं। सूरज की तेज किरणों से रूही ने अपनी आँखें खोल लीं।
रूही जल्दी से उठी और रूम के अंदर आने को हुई तो उसने देखा रुद्रा ने गेट अभी भी लगाया हुआ था। रूही चुपचाप वापस वहीं बैठ गई और कुछ सोचने लगी। उसने चेयर पर पैर रखे और अपने हाथ टिकाकर मन में सोचने लगी — "मुझे नहीं मालूम था शादी ऐसी होती है। पति ऐसा भी हो सकता है। एक गलतफहमी से सब बर्बाद कर दिया तुमने रुद्र। अब तो सिर्फ़ नफ़रत है मुझे तुमसे और हमारी नफ़रत तुम्हारे लिए कभी कम नहीं होगी। हमें तो ये भी नहीं पता ये नफ़रत क्या अंजाम लेगी!" रूही ये सब सोच ही रही थी कि अचानक ही बालकनी का गेट खुला और रुद्रा अंदर आ गया।
रुद्रा को देखकर रूही ने कुछ नहीं कहा, बल्कि अपना मुँह दूसरी साइड कर लिया।
रुद्रा ने रूही की ऐसी हरकत देखी और मुस्कुराते हुए कहा, "क्या वाइफी अपने पति को देखकर ऐसे करती है क्या?"
रूही ने रुद्र की बात सुनी और उसकी ओर देखकर कहा, "पति? वो भी तुम? तुम्हारे जैसे पति नहीं होते मिस्टर ओब्रॉय, और मैं तो भगवान से यही बोलूँगी कि भगवान तुम्हारे जैसा पति किसी को न दे!"
रुद्रा ने रूही के मुँह से ये सुना तो उसने उसका हाथ पकड़कर मरोड़ते हुए कहा, "अभी तो तुमने कुछ नहीं देखा है। तो अपने पति से इतनी नफ़रत और जब मैं कुछ करूँगा तो कितनी नफ़रत करोगी तुम?"
रूही ने रुद्रा से हाथ छुड़ाते हुए कहा, "तुम कुछ नहीं कर सकते।"
रुद्रा ने उसको पकड़कर खींचा और उसके ब्लाउज़ की डोर खोलते हुए कहा, "अभी तो तुम्हारा सरनेम पता करके ये सब कर दिया मैंने, तो सोचो जिस दिन तुम्हारे बारे में मुझे पूरा सच पता लगा, उस दिन मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा ये तुम तो क्या मैं भी इसका अंदाज़ा नहीं लगा सकता। इशिका राठौड़।"
रूही ने उससे छूटने की कोशिश करते हुए कहा, "इशिका नहीं है मेरा नाम। रही है, रही शर्मा।" इतना बोल वो अपने एक हाथ से रुद्रा को मार रही थी, लेकिन उस पत्थर जैसे बॉडी पर रूही के हाथों से कोई फ़र्क नहीं हो रहा था।
"छोड़ो मुझे, समझे!" इतना बोल रूही ने जोर से अपने हाथों से रुद्रा को धक्का मारा जिससे रुद्रा अचानक गिरते-गिरते बचा।
रुद्रा ने उसे घूरकर देखा और उसके पास आते हुए कहा, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कि रुद्रांश ओब्रॉय को धक्का दोगी?" इतना बोल उसने रूही को कमर से पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठों से किस करने लगा।
रुद्रा रूही को डीप किस कर रहा था, और रूही अपने हाथ-पैरों को झटपटा रही थी।
कुछ मिनटों बाद जब रुद्रा अलग हुआ तो दोनों की साँसें फूल रही थीं और रूही के होंठों से खून भी आ रहा था। रूही ने अपने होंठों पर हाथ लगाए और कहा, "बस यही है ना तुम आदमियों का काम? मिल गया सुकून, निकल गया गुस्सा। तुम जैसे लोग इंसान हो ही नहीं सकते।" इतना बोल रूही वहाँ से अंदर गई और वॉर्डरोब से कपड़े लेकर वाशरूम चली गई।
रुद्रा ने एक नज़र उसे देखा और वहाँ से चला गया और किसी को फ़ोन करने लगा। रुद्रा ने सामने से फ़ोन उठाते ही कहा, "जो मैंने बोला था वो काम हुआ?"
सामने से साहिल की आवाज़ आई, "नहीं, अभी कुछ पता नहीं चला पर मैं कोशिश कर रहा हूँ तो जल्दी पता लग ही जाएगा।"
रुद्रा ने गुस्से से कहा, "और ये काम कब होगा साहिल? मुझे ये सब जल्दी चाहिए, समझे तुम?"
साहिल ने रुद्रांश को गुस्से में देखकर कहा, "मैं कोशिश कर रहा हूँ रुद्रांश।"
रुद्रा ने फ़ोन रखा और नीचे आकर बैठ गया। उसने कॉफी पी और नाश्ते की टेबल पर बैठ गया।
काकी ने रुद्रांश को देखा और कहा, "रात को लेट आया था बेटा।"
रुद्रा ने काकी की बात सुनी और कहा, "हाँ काकी।"
काकी ने रुद्रांश को देखते हुए वापस से पूछा, "खाना खा लिया था तुमने?"
रुद्रा ने पेपर पढ़ते हुए कहा, "हाँ, मैंने खा लिया था!"
काकी ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, "पर बिटिया ने नहीं खाया। वो तो तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी। उसने कल सुबह से कुछ नहीं खाया था।"
रुद्रा ने सुना तो उसे बहुत गुस्सा आया, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। थोड़ी देर में रूही कुर्ती और प्लाज़ो पहने नीचे आई और काकी के पैर छू लिए।
रूही ने टेबल पर बैठते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग काकी!"
काकी ने रूही को सर पर हाथ रखते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग बिटिया, कैसी हो?"
रूही ने कहा, "मैं अच्छी हूँ!"
काकी ने रूही को देखा और कहा, "चलो नाश्ता कर लो!"
रूही ने उनकी बात सुनकर कहा, "मेरा मन नहीं है। आप कीजिए।" इतना बोल रूही जैसे ही जाने को हुई, रुद्रा की आवाज़ उसके कानों में आई, "चुपचाप बैठकर नाश्ता करो, समझी!"
रूही ने एक नज़र उसे देखा और कहा, "मुझे नहीं करना, समझे आप?" इतना बोल रूही बिना कुछ बोले और सुने रूम में वापस चली गई।
काकी ने रुद्रांश को देखा और कहा, "इसे क्या हुआ बेटा? कोई झगड़ा हुआ है तो माना ले बेटा, बहुत प्यारी बच्ची है!"
रुद्रा ने काकी को देखा और कहा, "आप जाइए, आराम कीजिए!"
रुद्रा को ऐसे कोई किसी काम के लिए मना नहीं करता था। रुद्रा को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था। उसने टेबल से प्लेट में खाना रखा और किचन में जाकर थोड़ी देर में वापस बाहर आया और रूम में चला गया। उसने रूही को देखा जो जमीन पर बैठी हुई थी, की तभी रूही के सामने रुद्रा का हाथ आया जिस पर एक बाइट लिया हुआ था।
रूही ने देखा तो उसे बहुत अजीब लगा, लेकिन उसने अपना मुँह दूसरी ओर फेर लिया।
रुद्रा ने उसकी ये हरकत देखते हुए कहा, "मुझसे गुस्सा हो ना, तो खाने पर क्यों निकालती हो? खाना खा लो, तुमने वैसे भी कल से कुछ नहीं खाया ना?"
रूही एकटक उसे देख रही थी और उसने जैसे ही बोलने के लिए मुँह खोला, तभी रुद्र उसके मुँह में खाने का निवाला डाल दिया।
रूही ने जैसे ही उसे खाया, उसकी आँखों से झर-झर आँसू आने लगे। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। उसने प... प... पा... नी,,,, पानी, आह... उसकी आवाज़ उसका बिलकुल साथ नहीं दे रही थी।
रुद्रा ने उसके मुँह में एक और बाइट डालते हुए कहा, "चुपचाप खाओ, समझी? तुम्हें पूरा खाना है और किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि वो रुद्रांश ओब्रॉय को माना कर सके।" इतना बोल वो रूही को ज़बरदस्ती मुँह में ठूस रहा था।
रूही की हालत बहुत ज़्यादा खराब हो चुकी थी। उसने अपना गला दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था। उसने जल्दी से टेबल से जैसे ही पानी उठाना चाहा, उससे पहले ही रुद्रा ने उसे ले लिया।
रुद्रा को किसी भी काम के लिए मनाना आसान नहीं था। रुद्रा को बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने टेबल से प्लेट में रखा खाना उठाया और किचन में गया। थोड़ी देर बाद वह वापस बाहर आया और रूम में चला गया। उसने रूही को जमीन पर बैठी देखा। तभी रूही के सामने रुद्रा का हाथ आया, जिस पर एक बाइट लिया हुआ था।
" "
रूही ने देखा तो उसे बहुत अजीब लगा, लेकिन उसने अपना मुँह दूसरी ओर फेर लिया।
" "
रुद्रा ने उसकी यह हरकत देखते हुए कहा, "मुझसे गुस्सा हो ना, तो खाने पर क्यों निकालती हो? खाना खा लो। तुमने वैसे भी कल से कुछ नहीं खाया ना?"
रूही एकटक उसे देख रही थी। जैसे ही उसने बोलने के लिए मुँह खोला, रुद्र ने उसके मुँह में खाने का निवाला डाल दिया।
" "
जैसे ही रूही ने उसे खाया, उसकी आँखों से झर-झर आँसू आने लगे। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। उसने प...प...पा...नी,,,, पानी, आह... उसकी आवाज़ उसका बिलकुल साथ नहीं दे रही थी।
" "
रुद्रा ने उसके मुँह में एक और बाइट डालते हुए कहा, "चुपचाप खाओ, समझी? तुम्हें पूरा खाना है। और किसी की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह रुद्रांश ओब्रॉय को माना कर सके।" इतना बोलकर वह रूही को जबरदस्ती मुँह में खाना ठूँस रहा था।
रूही की हालत बहुत ख़राब हो चुकी थी। उसने अपना गला दोनों हाथों से पकड़ा हुआ था। जैसे ही उसने टेबल से पानी उठाने की कोशिश की, रुद्रा ने उसे ले लिया।
" "
रूही: प्लीज, पानी दे दो।
रुद्रा ने पानी का जग लिया और जाते हुए कहा, "बाय वाइफ़ी।" इतना बोलकर रुद्रा वहाँ से नीचे चला गया। रूही खड़ी हुई और जैसे ही वाशरूम की ओर जाने को हुई, वह वहीं बेहोश होकर गिर गई।
रुद्रा नीचे आराम से बैठा अपना काम कर रहा था। तभी उसे किसी का फ़ोन आया। उसने फ़ोन कान से लगाया और कहा, "हम्मम, बोलो?"
" "
उस ओर से कुछ कहा गया। जिसे सुनकर रुद्रा ने कहा, "मैं आता हूँ थोड़ी देर में, तब तक सब कुछ तुम संभाल लो।"
" "
और इतना बोलकर रुद्रांश ने फ़ोन रखा और उठकर रूम में आ गया। जैसे ही उसने रूम का दरवाज़ा खोला, तो एक बार को वह खुद भी चोक गया। रूही को इस तरह बेहोश देखकर, उसने रूही को तुरंत नीचे झुककर गोद में उठाया और बेड पर लिटा दिया। उसने उसे ब्लैंकेट से कवर करके डॉक्टर को फ़ोन करने लगा।
रुद्रा ने रूही के माथे पर हाथ रखकर देखा तो उसे फीवर भी था। थोड़ी देर में डॉक्टर आ गए थे। डॉक्टर रूही को चेक कर रहे थे, और रुद्रा पास में खड़ा सब बड़े ध्यान से देख रहा था।
रुद्रा ने डॉक्टर को देखा और कहा, "डॉक्टर, ये ठीक है ना?"
डॉक्टर ने रुद्रांश को देखा और कहा, "हाँ सर, ये ठीक है। बस हल्का सा फीवर है और इन्हें इन्फेक्शन है, शायद किसी चीज़ से। अगर और ज़्यादा देर होती, तो इनकी जान भी जा सकती थी। अभी मैं कुछ दवाई दे देता हूँ।"
रुद्रा: शटअप!
डॉक्टर: सॉरी सर, आप ये दवाई मैडम को दे दीजिये। इतना बोलकर डॉक्टर वहाँ से चला गया।
रुद्रा ने एक नज़र रूही को देखा और बाहर आ गया।
रुद्रा नीचे आकर बोला, "काकी, इसका ध्यान रखना। मैं थोड़ी देर में आ जाऊँगा।"
काकी: जी बेटा। इतना बोलकर काकी रूही के पास रूम में आ गई।
काकी रूही के माथे पर हाथ रखकर देख रही थी। उसे अभी भी हल्का-हल्का फीवर था।
रुद्रा अपनी कार लेकर कहीं निकल गया था। उसने कार की स्पीड काफी तेज की हुई थी। थोड़ी देर में उसने अपनी कार एक सुनसान जगह आकर रोकी। वहाँ आस-पास कुछ नहीं था, पर रुद्रा कार से बाहर आया और थोड़ी दूर पैदल चलने लगा।
थोड़ी ही दूर चलने के बाद रुद्रा के सामने एक बिल्डिंग थी। रुद्रा उसमें चला गया।
उस बिल्डिंग में साहिल पहले से ही बैठा हुआ था। साहिल रुद्रा को देखकर जल्दी से खड़ा हो गया। रुद्रा साहिल की जगह उस चेयर पर बैठ गया। उसके सामने एक आदमी था, जिसके हाथ, पैर और मुँह तीनों बंधे हुए थे।
रुद्रा: कुछ बोला इसने?
साहिल: नहीं, कब से कोशिश कर रहा हूँ, पर जैसे इसे कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा हो।
रुद्रा: आखिर है तो उस वाडिया का आदमी, कैसे फर्क पड़ेगा? उसकी बर्बादी हम तय करेंगे।
रुद्रा: चल, बता। वो वाडिया अभी कहाँ है? उसकी प्यारी बेटी मेरे पास है।
वो आदमी: मुझे नहीं पता और तुम्हें मैं कुछ नहीं बताऊँगा...
रुद्रा बिना कुछ सोचे-समझे उस आदमी के माथे पर गोली चला देता है और उठकर वहाँ से जाते हुए साहिल से कहता है।
साहिल: उस आदमी को देख लेता हूँ भाई, मैं लगा दूँगा ठिकाने।
रुद्रा वहाँ से वापस घर के लिए निकल गया था।
अब घर पर रूही को भी होश आ गया था। उसने अपना सर पकड़ा हुआ था। उसे अभी भी अजीब लग रहा था।
रूही (मन में सोचते हुए): तुम ऐसे भी होगे? मैंने कभी नहीं सोचा था। क्या सोचते हो तुम? मुझे तुमसे प्यार अब नहीं है, लेकिन सब नफ़रत में बदल गया है। तुमने सब बदल दिया। कुछ ही दिनों में कैसी हो गई मेरी ज़िंदगी! कितने खुश थे ना हम सब...
पास्ट में.....!!
एक छोटा सा घर, जिसके हॉल में सोफ़े पर एक आदमी बैठा हुआ था। उनकी उम्र लगभग 50-55 होगी। उनकी गोद में सोई हुई एक लड़की थी, जो उनसे बड़े आराम से बोल रही थी।
लड़की: ओफ़्फ़ो पापा, आप इन बड़े लोगों के घर क्यों काम करते हो? मुझे ये लोग बिलकुल पसंद नहीं हैं।
आदमी: करना पड़ता है बेटा, काम नहीं करेंगे तो कैसे काम चलेगा?
लड़की: मुझे नहीं पसंद वो आपका बॉस।
एक औरत आते हुए: हा हा, तेरा बस ना चले, वरना तू तेरे पापा को काम ही ना करने दे।
लड़की: हाँ माँ, मेरा बस चले तो मैं पापा को वहाँ काम न करने दूँ।
औरत: तुझे क्या पता घर में कितना खर्चा होता है? तेरी पढ़ाई, अनु की पढ़ाई, घर का खर्चा।
लड़की: मेरी पढ़ाई पूरी हो गई ना, अब देखना मैं जॉब करूँगी, फिर सब सही होगा।
रूही अपने इस पास्ट से बाहर तब आई जब उसे रूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। उसने अपनी नज़रें उठाकर देखा तो सामने रुद्रा था। रुद्र को देखकर रूही की नफ़रत और बढ़ गई। उसने एक भी बार उसे नहीं देखा और बेड से उतरकर बाहर बालकनी में आ गई।
रूही बालकनी में खड़ी आराम से ताज़ी हवा ले रही थी, कि तभी उसे उसकी कमर पर रुद्रा के हाथ महसूस हुए। इस बार वह बिलकुल नहीं हिली थी, ना ही उसने कोई प्रतिक्रिया दी। रूही अभी भी चुपचाप खड़ी हुई थी और रुद्रा को यह बात और ज़्यादा गुस्सा दिला रही थी।
रुद्रा ने उसकी कमर पर हाथ लपेटे और उसे अपनी ओर घुमाने लगा। रूही उसकी ओर घूमकर उसी की आँखों में देख रही थी।
रुद्रा ने रूही को शांत देखा तो कहा, "आज तुम्हें गुस्सा नहीं आ रहा वाय?"
रूही ने रुद्रांश को देखा और कहा, "क्योंकि तुम कुछ नहीं कर सकते, और करोगे भी क्या? ये किस या मुझे जबरदस्ती मिर्च खाना खिला सकते हो?"
रुद्रा: उफ़्फ़, मिस इशिका वाडिया, तुम भूल रही हो। अभी तुम्हारा सरनेम पता किया है तो तुमसे शादी कर ली, तो सोचो जिस दिन खुद तुम्हारे बाप अपना जुर्म कबूल करेगा, उस दिन तुम्हारा क्या होगा, तुम्हें नहीं पता!
रूही: मेरा नाम इशिका नहीं है और मेरे पापा के बारे में बोलना बंद करो, समझे? वो बहुत अच्छे इंसान हैं, उनकी बराबरी तुम ही नहीं, इस मुंबई में कोई नहीं कर सकता!
रुद्रा को रूही का उसके पापा को अच्छा बताना बहुत गुस्सा दिला रहा था। उसने रूही को खुद से धक्के से दूर किया और उसके गाल पर खींचकर एक थप्पड़ मार दिया।
रुद्रा ने उसके बालों को पीछे से पकड़ा और कहा, "तुम्हारे बाप ने मेरी पूरी ज़िन्दगी मुझसे छीन ली और तुम बोल रही हो तुम्हारा बाप अच्छा इंसान है। आज उस इंसान की वजह से मैं यहाँ हूँ।"
रूही अपने गाल पर हाथ रखे सिर्फ़ रुद्रा को देख रही थी। आज उसकी आँखों में गुस्सा था। रुद्रा को अचानक से अहसास हुआ कि वह क्या बोल रहा था। वह कमज़ोर नहीं पड़ना चाहता था।
रूही ने रुद्रांश को देखा और कहा, "मानती हूँ तुम्हारे साथ गलत हुआ है, लेकिन क्या बाप की गलतियों की सज़ा बच्चों को देना सही होगा? जिस बात की हमें इतनी सी भी खबर नहीं है, उसकी सज़ा हम क्यों भुगतें? बताओ रुद्र।"
रुद्रा ने उसके बाल छोड़े और उसकी बाजू पकड़कर कहा, "क्योंकि वो तुम्हारा बाप है और तुम उसका खून!"
रूही की आँखों में वापस आँसू आ गए थे। रुद्रा ने उसका बाजू कसकर पकड़ा हुआ था। रूही (मन में सोचते हुए): काश तुम्हें सच बता पाते, लेकिन हमारी मजबूरी है। हम तुम्हें कुछ नहीं बता सकते!
रुद्रा ने जोर से रूही को धक्का दे दिया जिससे रूही जमीन पर जा गिरी, रूही ने रुद्र को देखा और कहा–" बदले की आग अच्छी नही होती तुम्हारे इस बदले के चक्कर में तुमसे और कुछ न छीन जाए ?"
रुद्रा ने रही की बात सुनी और गुस्से से तमतमाते हुए कहा–" चुप करो बहुत बोलती हो ना की मैं कुछ कर नही सकता अभी तक तुमने सिर्फ हल्के में लिया है मुझे, लेकिन तुम्हे हर पल अब मुझसे डर लगेगा , और तुम्हे खुद मुझे अपने उस घटिया बाप से मिलाओगी !"
रूही ने रुद्र की बात सुनी और हंसते हुए बोली देखते है रुद्रा, और फिर मन में खुद से बोली–" देखते है रुद्रा मेरा प्यार जीतता है या तुम्हारा बदला!"
रुद्रा ने रूही को हाथ से पकड़ा और घसीटते हुए नीचे ले आया ,रूही रुद्रा के साथ घिसते हुए नीचे आ गई थी ,उसके सर से हल्का सा खून आने लगा था जो की उसे सीढ़ियों से नीचे आते समय लगा था!" रुद्रा उसे एक रूम में ले आया और उसे रूम में डालकर रूम का दरवाजा बंद कर दिया!"
रूही ने चारों और नजरे घुमाई और उठकर दरवाजा खटखटाते हुए बोली –" प्लीज कोई दरवाजा खोल दो प्लीज़ ,मुझे अंधेरे से डर लगता है प्लीज कोई दरवाजा खोल दो!"
रुद्रा वहा से जाकर हॉल में सोफे पर बैठ गया रूही बार बार दरवाजा पीट रही थी,काकी एक साइड खड़ी ये सब देख रही थी उन्हे कुछ समझ नही आ रहा था ,उनकी हिम्मत नही थी की वो रुद्रा से पूछ ले !" रूही की आवाज पूरे घर में आ रही थी , सभी नोकर उसकी आवाज सुन रहे थे पर रुद्रा अपने लैपटॉप में घुसा हुआ था उसे इन सब से कोई फर्क ही नही पड़ रहा था की तभी दरवाजे से आवाज आई हेल्लो काकी ?"
रुद्रा ने देखा तो साहिल खड़ा हुआ था वो आकार सीधे सोफे पर बैठ गया रुद्रा के पास
काकी ने साहिल को देखा और कहा –" केसे हो बड़े दिनों बाद आए हो,
साहिल ने सोफे पर अच्छे से पसरते हुए कहा–" क्या करे काकी टाइम ही नही मिलता आप का ये बेटा मुझे टाइम तो दे,
रुद्रा ने सिर्फ साहिल को घूर के देखा और वापस लैपटॉप पर काम करने लगा
काकी ने दोनो को देखा और कहा –" में कॉफी लाती हूं इतना बोल काकी चली गई, तो वही साहिल ने ध्यान से सुना तो उसे भी रूही की आवाज आई
साहिल ने चारों और नजरे घुमाई और रुद्रांश से कहा –" भाभी की आवाज है भाभी कहा है?"
रुद्रा ने साहिल की बात सुनी और उसे घूरते हुए कहा –" तुझे क्या काम है उससे?
साहिल ने उसकी बात सुनकर कहा –" यार प्लीज निकाल देना उन्हे ,
रुद्रा ने उसे देखा और वापस काम करते हुए कहा–" अपने काम से काम रख साहिल ,,,।।
साहिल ने चुप बैठते हुए कहा –" हम्मम "इतना बोल साहिल चुप होकर बैठ गया लेकिन उसे रूही के लिए बहुत बुरा लग रहा था
( साहिल वास्तव उम्र 25 , गेहुवा रंग ,, बियर्ड, 6 फिट हाइट एक दम मस्तमौला इंसान ये रुद्रा का लेफ्ट और राइट दोनो हैंड है एक तरफ ये रुद्रा का मैनेजर भी है 50 प्रेसेंट पार्टनर है,, भाई भी है दोस्त भी है,। और एक तरफ इनका ये अंडरवर्ल्ड का काम मतलब पूरी मुंबई इनके नाम से डरती है। )
थोड़ी देर में काकी दोनो ने के लिए कॉफी ले आई थी।दोनो आराम से कॉफी पी रहे थे
तभी रुद्रा ने साहिल को देखते हुए कहा –" पता लगा ?"
साहिल ने कॉफी पीते हुए कहा –" आदमी लगा रखे है यार
रुद्रा ने गर्दन हिलाते हुए कहा _" हम्मम, इतना बोल वापस अपने काम में लग गया !"
साहिल बेठे बेठे परेशान हो रहा था इस लिए वो अपने रूम में आ गया ,,उसने रूम में आकार शॉवर लिया और चेंज करके ,वापस बाहर आ गया उसके हाथ में एक फाइल थी जिसे वो बैठा पढ़ रहा था
दोपहर से शाम हो गई थी
रूही उस स्टोर रूम में अभी भी एक कोने में बैठी सिसकियां ले रही थी,उसने डर के मारे अपना सर घुटनो में दिया हुआ था और कस कर अपने सूट को पकड़ा हुआ था ।
उस कमरे में काफी सामान था लेकिन सब पर धूल चढ़ी हुई थी कुछ तस्वीरे थी, काफी कुछ था रूही ने हिम्मत की और उठकर उस कमरे को देखने लगी वहा कुछ तस्वीरे थी जिसे देख रूही ने जेसे ही उन्हें उठाना चाहा उस तस्वीर का कांच निकल कर रूही के पैर पर गिर गया कांच भिरने से रूही की आह निकल गई कांच से पैर पर काफी घाव आ गया था और खून भी आने लगा था , रूही ने तस्वीर को जल्दी से रखा और वापस अपने पैर को लेकर वही बैठ गई,।
रात का समय हो गया था रुद्रा और साहिल डिनर टेबल पर बैठे हुए थे और काकी खाना लगा रही थी,
साहिल ने काकी को देखते हुए कहा –" काकी भाभी को ले आओ
रुद्रा ने दोनो को देखते हुए कहा –" उसकी जरूरत नहीं है, उसे वही रहने दो
काकी ने हिम्मत की और कहा –" पर बेटा उसे खाना तो दे दो,
रुद्रा ने दोनो को देखा और खड़े होकर प्लेट में खाना लेता है और उस स्टोर रूम की और चला गया था, रुद्रा रूम के बाहर आकर रूम का दरवाजा खोलता है और अंदर चला जाता है लेकिन उसे रूही नही दिखाई देती
रुद्रा ने चारों और देखा और रूम में उसे ढूंढने लगा और आवाज देने लगा–" रूही कहा हो तुम , रुद्रा ने ध्यान से सुना तो उसे रोने की आवाज आई ,आवाज़ सुन रुद्रा उसी साइड आया तो रूही जमीन पर अपना पैर पकड़े बैठी हुई थी। उसके पैर से खून निकल रहा था ।रुद्रा ने एक नजर उसे देखा और खाने को साइड में रख उसे गोद में उठाकर बाहर आ गया !"
रुद्रा को ऐसे रूही को गोद में लाता देख साहिल और काकी दोनो खुश थे लेकिन जब उनकी नजर रूही के पैर पर गई तो दोनो जल्दी से हॉल में आ गए रुद्रा ने जल्दी से रूही को सोफे पर बिठाया और साहिल की और देखा जो पहले से ही फर्स्ट एड बॉक्स लेकर खड़ा हुआ था !" रूही की आंखो से लगातार आंसू आ रहे थे रुद्रा ने उसके पैर को अपने पैरो पर रखा और उस पर दवाई लगाने लगा
to be continue.....
फॉलो करना न भूले, ताकि अगले चैप्टर का नोटिफिकेशन मिल जाए
रुद्रा को ऐसे रूही को गोद में लाता देख साहिल और काकी दोनों खुश थे। लेकिन जब उनकी नज़र रूही के पैर पर गई, तो दोनों जल्दी से हॉल में आ गए। रुद्रा ने जल्दी से रूही को सोफे पर बिठाया और साहिल की ओर देखा, जो पहले से ही फर्स्ट एड बॉक्स लेकर खड़ा हुआ था।
"रूही की आँखों से लगातार आँसू आ रहे थे," रुद्रा ने उसके पैर को अपने पैरों पर रखा और उस पर दवा लगाने लगा।
रुद्रा ने रूही को देखा और कहा, "क्या कर रही थी वहाँ? वहाँ भी तुमसे चैन से नहीं बैठा गया। देखो, कितनी चोट लगी है!"
रूही बस रुद्र को देख रही थी। उसे रुद्र से अपनी पहली मुलाक़ात याद आ गई थी, जब रुद्र ने प्यार से उसके पैर पर अपना रुमाल बाँधा था।
साहिल ने रूही को देखते हुए कहा, "कैसे लगी, भाभी?"
रूही ने साहिल को देखते हुए कहा, "वो रूम में किसी की तस्वीर थी। हम उसे ही देख रहे थे, लेकिन अचानक ही उसका काँच गिर गया!"
रुद्रा, जो पट्टी कर रहा था, उसके हाथ वहीं रुक गए। उसने एक नज़र रूही को देखा और कहा, "तो तुम्हें रूम में ये सब करने के लिए बोला था?"
रूही ने रोती सी सूरत बनाते हुए कहा, "तो मैं वहाँ अकेले बैठी क्या करती? एक तो मुझे उस रूम में बंद कर दिया, ऊपर से मुझे ही डाँट रहे हो?"
रुद्रा ने गुस्से से डाँटते हुए कहा, "चुप करो, समझी? मुझे बिलकुल पसंद नहीं है कोई इतनी सी भी गलती करे। समझी, तुम?"
रूही ने रुद्र की बात सुनकर कहा, "हम्म।" आगे से नहीं होगा।
साहिल ने दोनों को देखते हुए कहा, "चलो, अब खाना खाते हैं। मुझे बहुत ज़ोर की भूख लगी है।"
साहिल के बोलते ही रुद्रा उठकर जा चुका था।
रूही ने रुद्र को जाते हुए देखा और कहा, "पता नहीं खुद को क्या समझता है, जल्लाद कहीं का! मुझे बिलकुल पसंद नहीं है गलती करने वाले। हूँह! (रुद्रा की नकल करते हुए)"
साहिल हँसते हुए बोला, "चलो, वरना वो वापस आ जाएगा!"
रूही ने साहिल को देखा और कहा, "हाथ तो दो, कैसे चलूँ?"
साहिल ने रूही को अपना हाथ दिया और उसे पकड़कर डाइनिंग टेबल पर ले आया।
थोड़ी देर में सबने खाना खाया और अपने-अपने रूम में सोने चले गए।
रूही कमरे से बालकनी में आ गई और वहीं चेयर पर बैठ गई। रुद्रा ने उसे कुछ नहीं कहा क्योंकि आज रुद्रा जिसके लिए उसके लिए पिघल गया था, उसी सब पर उसे गुस्सा आ रहा था। रुद्रा उसकी मासूमियत पर फ़िदा हो गया था या उससे उसका दर्द देखा नहीं गया था। रुद्रा ने रूम की लाइट्स ऑफ की और सो गया।
रूही भी चेयर पर बैठी रुद्रा के बारे में सोच रही थी, कैसे उसकी परवाह करना रूही को एक पल को बहुत अच्छा लग रहा था। उसे अपनी पहली मुलाक़ात याद आ गई थी रुद्र से।
पास्ट में.....
रूही एक ऑफिस से निकलकर रोड पर पैदल ही चल रही थी कि अचानक ही उसे रास्ते में कोई दिखाई दिया। रूही ने उसे देखा और बीच रोड पर आ गई। रूही ने एक बूढ़ी औरत का हाथ पकड़ा और उसे रोड से उस ओर छोड़कर वापस जैसे ही इस ओर आई, कि सामने से आती कार के आगे आने से रूही जमीन पर गिर गई थी। उसके पैर में हल्की सी मोच आ गई थी।
कार से एक लड़का बाहर आया तो रूही को देख उसने अपना हाथ आगे किया।
रूही: "एक तो हमें गाड़ी से ठोक दिया और आगे आकर हेल्प करने की जगह हाथ आगे कर रहे हो।"
रुद्रा: "मैंने ठोका? तुम आगे आई थी।" इतना बोल रुद्रा नीचे बैठा और अपनी जेब से रुमाल निकालकर रूही के पैर पर बाँधने लगा।
रूही रुद्रा को बड़े गौर से देख रही थी। तभी रुद्र ने कहा, "पागल हो क्या? दिखाई नहीं देता? देखा कितनी चोट लग गई? तुम ना सामने देखकर चल रही थी, लेकिन इस रोड पर बगल में देखना ज़रूरी है।"
रूही: "सॉरी, पर आपको देखकर चलना चाहिए!"
रुद्रा: "तुम्हें देखकर चलना चाहिए था। वरना कोई सरफिरा इंसान अपनी महँगी कार से तुम्हें उड़ा देता।"
रूही: "एक सॉरी बोलो।"
रुद्रा: "वाय..??"
रूही: "एक बार बोलो तो।"
रुद्रा: "सॉरी।"
रूही: "इट्स ओके एंड थैंक यू। अब जाइए।" इतना बोल रूही वहाँ से चली गई।
ये सब सोचते-सोचते रूही के चेहरे पर एक स्माइल आ गई और उसे वहीं नींद आ गई।
साहिल भी बेड पर लेटते ही सो गया था। उसने आज काफ़ी टाइम घूमने में बर्बाद किया था, इस वजह से थक गया था।
अगली सुबह,
आज रूही की आँखें जल्दी खुल गई थीं। वो चेयर से उठी और धीरे-धीरे रूम की ओर जाने लगी। उसके पैर में अभी भी दर्द था। उसने बालकनी का दरवाज़ा खोला तो थोड़ा हैरान थी, आज रुद्रा ने दरवाज़ा लॉक नहीं किया था।
रूही रूम में आई तो देखा रुद्रा आराम से सो रहा है। उसके बाल उसके फेस पर आ रहे थे। जितना डेंजर वो जागते वक्त लगता था, उतना ही मासूम वो सोते समय लगता था।
रूही उसे बड़े ध्यान से देख रही थी। रूही ने एक बार उसको देखा और उसके पास आकर उसके बालों पर हाथ फिराया।
हाथ का अहसास लगते ही रुद्रा नींद में कसमसा गया और वापस सो गया।
रूही ने उसकी ये हरकत देखी तो उसके चेहरे पर स्माइल आ गई।
रूही ने एक नज़र रुद्रा को देखा और उसके पास में रखे फोन को उठाना चाहा जो दूसरी साइड था। रूही रुद्रा के ऊपर से झुककर जैसे ही फोन उठाने के लिए झुकी, रुद्रा की आँखें खुल गईं। उसने अचानक अपने हाथ ऊपर किए जो जाकर सीधा रूही के सीने पर लगे, लेकिन जैसे ही रुद्रा को अहसास हुआ उसने तुरंत हटा लिए। लेकिन अगले ही पल रूही रुद्रा के ऊपर गिर गई।
रुद्रा के दोनों हाथ उसके कमर पर लिपटे हुए थे और दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद दोनों अचानक दूर हो गए।
रूही ने एक नज़र रुद्रा को देखा और उसके पास रखे फ़ोन को उठाने का प्रयास किया जो दूसरी तरफ़ था। रूही रुद्रा के ऊपर से झुककर जैसे ही फ़ोन उठाने के लिए झुकी, रुद्रा की आँखें खुल गईं। उसने अचानक अपने हाथ ऊपर किए जो जाकर सीधे रूही के सीने पर लगे, लेकिन जैसे ही रुद्रा को अहसास हुआ, उसने तुरंत हटा लिए। लेकिन अगले ही पल रूही रुद्रा के ऊपर गिर गई।
रुद्रा के दोनों हाथ उसके कमर पर लिपटे हुए थे और दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद दोनों अचानक दूर हो गए।
"सॉरी," रूही ने कहा।
"क्या कर रही थी यहाँ?" रुद्रा ने पूछा।
"वो... आपका कुछ नहीं," रूही ने उत्तर दिया।
"पैर कैसा है?" रुद्रा ने पूछा।
"अभी ठीक है," रूही ने जवाब दिया।
रुद्रा उठ गया था। जैसे ही वह बाहर जाने को हुआ, उसकी नज़र घड़ी पर गई। उसने समय देखा और सीधे अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया।
रूही ने उसके जाते ही चैन की साँस ली और वहीं बेड पर से रुद्रा का फ़ोन ले लिया। लेकिन उसके फ़ोन पर लॉक था। रूही ने कई बार ट्राई किया लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। वह अभी भी फ़ोन देख रही थी। जैसे ही उसने गेट खुलने की आवाज़ सुनी, उसने फ़ोन को बेड पर रख दिया, लेकिन यह सब रुद्रा ने पहले ही देख लिया था।
"क्या हुआ?" रुद्रा ने पूछा।
"क...क...कुछ नहीं," रूही ने हड़बड़ाते हुए कहा।
"जाओ, रेडी हो जाओ," रुद्रा ने आदेश दिया।
"हाँ," इतना बोल रूही आगे आकर जैसे ही अपना वॉर्डरोब खोला, उसमें कपड़े नहीं थे। उसने वहाँ रखी एक साड़ी को देखकर अजीब सा मुँह बनाया।
"क्या हुआ?" रुद्रा ने फिर पूछा।
"वो...वो... मेरे पास कपड़े नहीं हैं, तो क्या पहनूँ?" रूही ने कहा।
"हम्मम, रुको," इतना बोल रुद्रा ने अपने वॉर्डरोब से एक टीशर्ट निकालकर रूही की ओर बढ़ा दी।
रूही ने उसे लिया। जैसे ही उसने शर्ट देखी, उसे थोड़ा अजीब लगा, लेकिन वह उसे लेकर वाशरूम में चली गई।
थोड़ी देर बाद रूही बाहर आई तो वह बिलकुल मासूम डॉल जैसी लग रही थी। गोरा रंग, ब्लैक टीशर्ट जो उसके घुटनों तक आ रही थी, उसके खुले बाल जो पीछे थे, हाथों में चूड़ा।
रुद्रा जो आईने के सामने खड़े होकर बाल बना रहा था, उसके हाथ अचानक रूही को आईने में से देखकर रुक गए।
रूही आगे बढ़कर आईने के सामने आ गई, उसी के बगल में रुद्रा खड़ा हुआ था।
"आप हटोगे, मुझे रेडी होना है," रूही ने कहा।
"रेडी होकर नीचे आ जाओ," रुद्रा ने कहा।
"ऐसे सोचते हुए..." रूही ने मन ही मन सोचा।
तब तक रुद्रा जा चुका था। रुद्रा रूम से बाहर आया और सोचने लगा, "मैं इसके सामने इतना कमज़ोर नहीं पड़ सकता। कल भी मैं बहुत कमज़ोर हो गया था। मुझे इस लड़की और इसके इस बर्ताव से बदला लेना है।" इतना बोल रुद्रा नीचे आ गया जहाँ साहिल सोफ़े पर बैठा कोई काम कर रहा था। रुद्रा उसके बगल में बैठा, टेबल पर रखे न्यूज़पेपर को खोलकर पढ़ने लगा।
"गुड मॉर्निंग, रुद्रा," साहिल ने कहा।
"गुड मॉर्निंग, साहिल," रुद्रा ने जवाब दिया।
"भाभी कहाँ है?" साहिल ने पूछा।
"रूम में रेडी हो रही है," इतना बोल रुद्रा रुक गया। उसने पेपर को नीचे किया और साहिल को देखा जो उसी को देख रहा था। "क्या है...?"
"तुझे कैसे पता? बता, तू बहुत ध्यान रखता है भाभी का। कहीं तुझे उनसे प्यार..." साहिल ने कहा, लेकिन रुद्रा ने उसे बीच में ही रोक दिया।
"गुस्से से पेपर को पटककर," रुद्रा ने कहा, "शटअप, साहिल! जितना काम हो, उतना ही बोला कर, समझा?"
रूही भी नीचे आ गई थी। उसने अभी भी वही शर्ट पहन रखी थी। उसके कमर तक आते खुले बाल, हाथों में लाल चूड़ा, माथे पर बिंदी, सिंदूर, गले में छोटा सा मंगलसूत्र—इन सब में वह बिलकुल क्यूट बच्ची जैसी लग रही थी।
साहिल आगे आकर अपना हाथ रूही के हाथ में देकर बोला, "You are looking very cute, Bhabhi." इतना बोल साहिल ने रुद्रा को दिखाने के लिए रूही को एक आई-विंक किया और उसके हाथों पर किस करते हुए कहा, "सच्ची में आप बहुत अच्छे लग रहे हो।"
"थैंक यू सो मच, बट ये सब बहुत ज़्यादा हो रहा है (धीरे से)। अगर आपके उस जल्लाद भाई को पता लगा ना, तो कसम से मार डालेंगे," रूही ने फुसफुसाया।
"उसे ही तो चिढ़ा रहा था! एक मिनट," इतना बोल दोनों ने एक-दूसरे के हाथ में हाथ डालकर सोफ़े तक आ गए। रूही भी उसके साथ सोफ़े पर आकर बैठ गई। दोनों एक साथ पास-पास बैठे हुए थे।
रुद्रा जो कब से दोनों को साथ देखकर आग बबूला हो रहा था, उसने रूही का हाथ पकड़ा और अपनी साइड वाले सोफ़े पर बिठा लिया। साहिल के चेहरे पर स्माइल आ गई, लेकिन रूही अभी भी कन्फ़्यूज़ थी। और रुद्रा बस न्यूज़पेपर को आड़े लगाए दोनों को देख रहा था।
"नाश्ता करो, हम शॉपिंग पर चलेंगे," रुद्रा ने कहा।
"हाँ, मैं रेडी होकर आता हूँ," साहिल ने कहा।
"तू नहीं आ रहा," रुद्रा ने कहा।
"किस खुशी में?" साहिल ने पूछा।
"पता नहीं, मेरा मन," रुद्रा ने जवाब दिया।
"मैं चलूँगा, समझे ना? ये क्या बात हुई? तू मुझे एक दिन शॉपिंग पर नहीं लेकर चल सकता। देखो तो यार, अब यार नहीं रहा। भाभी के आते ही बदल गया," साहिल ने कहा।
"अपनी नौटंकी बंद कर, समझा? और जाकर रेडी हो जा," रुद्रा ने थोड़ा सीरियस होकर कहा।
"हम्मम, बट पहले नाश्ता कर लूँ," साहिल ने कहा।
तीनों नाश्ता करने के लिए बैठ गए। थोड़ी देर में नाश्ता करके तीनों अपने-अपने रूम में थे। रूही बेड पर बैठी थी और रुद्रा वहीं आईने के सामने खड़ा रेडी हो रहा था।
"क्या हुआ है? जल्दी रेडी होकर आओ, दस मिनट हैं तुम्हारे पास," रुद्रा ने कहा।
"पर मेरे पास कपड़े नहीं हैं। एक ये साड़ी है जो मुझसे पहनना नहीं आता," रूही ने कहा।
"मुझे दो, मैं पहना देता हूँ," रुद्रा ने कहा।
"आप...आपको आती है?" रूही ने हैरानी से पूछा।
रुद्रा ने बिना कुछ बोले रूही के कमर पर साड़ी बांधना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे रुद्रा साड़ी दे रहा था, रूही वैसे-वैसे साड़ी पहन रही थी। रुद्रा ने प्लेट बनाई और उसे कमर से पकड़कर पहना दिया, और फ़्री पल्लू उसके कंधे पर रख दिया।
रूही— पर मेरे पास कपड़े नहीं हैं। एक ये साड़ी है, जो मुझसे पहनना नहीं आता।
रुद्रा— मुझे दो, मैं पहना देता हूँ।
रूही— आप...आपको आता है?
रुद्रा ने बिना कुछ बोले रूही के कमर पर साड़ी बांधना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे रुद्रा साड़ी दे रहा था, रूही वैसे-वैसे साड़ी पहन रही थी। रुद्रा ने प्लेट बनाई और उसे कमर से पकड़ कर पहना दिया, और फ्री पल्लू उसके कंधे पर रख दिया।
थोड़ी देर में सब रेडी होकर मॉल के लिए निकल गए।
तीनों घर से मॉल के लिए निकल गए थे। साहिल कार चला रहा था, और रुद्रा उसके बगल में बैठा हुआ था। रूही आराम से पीछे बैठी हुई थी। वह खिड़की से बाहर देख रही थी। उसने अपना एक हाथ थोड़ा सा बाहर निकाल रखा था। वह कभी अपना चेहरा अंदर लेती, तो कभी बाहर।
रुद्रा उसे आगे के साइड मिरर से देख रहा था। रुद्रा के फेस पर स्माइल आ गई। उसने अपनी स्माइल छुपाई और वापस उसी मिरर से रूही को देखने लगा।
रूही ने जैसे ही पीछे देखा, तो उनकी कार के पीछे कुछ और कारें आ रही थीं। रूही को उन कारों को देखकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। वह अब सीधे बैठ गई और आराम से बाहर देख रही थी।
साहिल ने थोड़ी देर में कार को मॉल के पार्किंग में लाकर खड़ा किया और रुद्रा को कुछ इशारा किया।
साहिल— आप लोग चलिए, मैं आता हूँ।
रूही— पर आप भी चलिए ना, सब साथ चलेंगे।
रुद्रा— उसका हाथ पकड़ कर चलो।
रूही ने कुछ नहीं कहा और रुद्रा के साथ चलने लगी। रुद्रा ने मॉल में आने से पहले ही रूही का हाथ छोड़ दिया और आगे निकल गया।
रूही को बहुत बुरा लगा। उसे लगा शायद रुद्रा उसे अपनी पत्नी नहीं मानता, सबके सामने सिर्फ बदला लेने के लिए उसने उससे शादी की है। रूही ने अपनी गर्दन झटकी और मॉल के अंदर आ गई।
रूही अभी भी रुद्रा से दूर थी। वह आस-पास के सामान को घूमकर देख रही थी, और रुद्रा किसी से बात कर रहा था। वहाँ के मैनेजर ने रुद्रा को देखकर उसके पास आया और रुद्रा से बात करने लगा।
थोड़ी देर में एक लेडीज स्टाफ रूही के पास आई और उसे काउंटर के पास ले जाकर ड्रेस दिखाने लगी। रूही को ये सब बहुत अजीब लग रहा था। थोड़ी देर में साहिल भी आ गया था। उसने एक नज़र रुद्रा को देखा और रूही के पास जाकर खड़ा हो गया।
रुद्रा की नज़र दोनों पर बराबर बनी हुई थी। उसने अपना फ़ोन निकाला और किसी से बात करने लगा। रूही सामान देख रही थी, और साहिल उसी के पास हाथ बांधे खड़ा हुआ था।
साहिल— कुछ पसंद आया?
रूही— नहीं भैया।
साहिल— कुछ हैवी दिखाइए, और अच्छा दिखाइए।
रूही— नहीं, हल्के में दिखाइए। मुझे हैवी कपड़े पसंद नहीं हैं।
साहिल उससे थोड़ा दूर हो गया और रूही अपने कपड़े लेने में बिजी हो गई थी कि अचानक किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। तो रूही ने पीछे देखा तो वह पूरी तरह से झोँक कर उसके सामने खड़े शख्स को देख रही थी। उसके सामने एक लड़का खड़ा हुआ था, दिखने में सुंदर था और लगभग 25 साल का होगा।
सामने खड़ा लड़का— हेय! तुम! देख ले, मैंने सही आइडिया लगाया था कि ये तू ही है।
रूही— यार आशु! तू इतना बोल…
दोनों एक-दूसरे के गले लग गए।
रुद्रा ने दोनों को देखा तो उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी बांध ली। साहिल भी ये सब देखकर सोच में पड़ गया।
आशु— रूही का हाथ पकड़ते हुए— हेय रूही! कैसी है? अचानक ही उसकी नज़र उसके हाथ पर गई जहाँ दुल्हन का चूड़ा पहना रखा था। आशु ने अपनी नज़रें उसके माथे और गले पर की और उसकी ओर देखते हुए उसका हाथ अचानक छोड़कर कहा— तूने शादी कर ली? मुझे नहीं बताया। किससे की? और तूने मुझे बताया क्यों नहीं? कौन है वो? बता, बता।
रूही— हाँ, कर ली। और बताने का मौका नहीं मिला।
आशु— पर क्यों? मौका क्यों नहीं मिला?
रूही— छोड़ इन सबको। फिर दुबारा मिलकर सब बताऊँगी।
साहिल— उसके पास आकर— हो गई आपकी शॉपिंग? या और कुछ लेना है?
रूही— हो गया है।
आशु— ये तेरा हसबैंड है?
साहिल— मुस्कुराते हुए— नो…नो। मैं इनका देवर हूँ, काम का भाई ज़्यादा हूँ।
आशु— ओह! मुझे लगा…
रूही— अच्छा, रहने दे। तुझे तो पता नहीं क्या-क्या लगता है।
आशु— तेरे हसबैंड से मिला ना। मैं भी तो देखूँ किसमें इतनी हिम्मत है जो तुझे झेल रहा है।
रूही— क्या मतलब है तेरा “झेल रहा है” से?
साहिल— आइए, मैं मिला देता हूँ। (मन में) पता नहीं तेरे साथ क्या करेंगे भाई, उफ़्फ़! तुझे राम बचाए।
थोड़ी देर में तीनों रुद्रा के पास खड़े हुए थे।
आशु— हैलो! मैं आशुतोष शुक्ला।
रुद्रा— रुद्रांश ओब्रॉय।
आशु— थैंक यू मेरी स्टूपिड की लाइफ में आने के लिए। ध्यान रखना इसका। अच्छा, अब मैं चलता हूँ। फिर मिलूँगा।
इतना बोल उसने रूही को गले लगाया और उसके हाथों पर किस करके जैसे ही जाने को हुआ, आशु ने रूही के कान में कहा— तुझे ये मुंबई शहर का ये गुंडा ही मिला था क्या शादी करने को? रियली, लड़के मरे नहीं हैं मुंबई के!
आशु के बोलने में थोड़ा गुस्सा था। केयरफुली ध्यान रखना, और थोड़ा बच के रहना इसके गुस्से के बारे में नहीं सुना क्या कभी? इतना बोल वो वापस गले लग कर चला गया।
रूही— तू जा, मैं तुझे बाद में मिलती हूँ।
इतना बोल रूही जैसे ही रुद्रा की ओर घूमी तो देखा उसकी आँखों में बेहद गुस्सा था, शायद उसने आशु की बात सुन ली थी। साहिल को एक पल को बहुत बुरा लगा क्योंकि रुद्रा को कोई कुछ बोलता है तो उसे सबसे ज़्यादा बुरा लगता है, और रूही का कुछ ना बोलना भी उसे बुरा लगा। रुद्रा को भी बुरा लगा था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और वहाँ से बिल काउंटर पर आकर बिल पे करने लगा।
दोपहर से ज़्यादा टाइम हो गया था। थोड़ी देर में शाम होने वाली थी। सब मॉल से बाहर आ गए थे। इस बार रुद्रा कार चला रहा था और रूही आगे थी। साहिल इस बार इस कार में नहीं था; वह किसी काम से दूसरी गाड़ी में बॉडीगार्ड के साथ आ रहा था।
रूही ने कहा, "तू जा, मैं तुझे बाद में मिलती हूँ।" इतना बोलकर रूही जैसे ही रुद्रा की ओर घूमी, तो देखा उसकी आँखों में बेहद गुस्सा था। शायद उसने आशु की बात सुन ली थी। साहिल को एक पल के लिए बहुत बुरा लगा क्योंकि रुद्रा को कोई कुछ बोलता है तो उसे सबसे ज़्यादा बुरा लगता है, और रूही का कुछ न बोल पाना भी उसे बुरा लगा। रुद्रा को भी बुरा लगा था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और वहाँ से बिल काउंटर पर आकर बिल पे करने लगा।
दोपहर का ज़्यादा समय बीत चुका था। थोड़ी देर में शाम होने वाली थी। सब मॉल से बाहर आ गए थे।
इस बार रुद्रा कार चला रहा था और रूही आगे बैठी थी। साहिल इस बार कार में नहीं था; वह किसी काम से दूसरी गाड़ी में बॉडीगार्ड के साथ आ रहा था।
रुद्रा कार काफी तेज चला रहा था और रूही को उसके गुस्से से डर लग रहा था।
"सुनिए, कार थोड़ा धीरे चलाओ, मुझे डर लग रहा है," रूही ने कहा।
रुद्रा ने कार की स्पीड बढ़ा दी और रूही का सीट बेल्ट खोल दिया। उसने अपनी पतली कमर पर हाथ रखा, उसे अपनी ओर खींच कर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और गुस्से में उसे किस करने लगा। रूही के हाथ उसके सीने पर थे, जो बार-बार दूर होने के लिए उसके सीने पर मार रही थी।
थोड़ी देर किस करने के बाद रुद्रा ने रूही को किस करना छोड़ दिया, लेकिन उसके हाथ अभी भी उसकी कमर में थे। रूही की आँखों से आँसू निकल आए थे। उसने एक नज़र रुद्रा को देखा, जो अब पहले से काफी शांत था, लेकिन उसने अपना चेहरा खिड़की पर टिका लिया था।
थोड़ी देर में सब घर आ गए थे। रुद्रा अपने रूम में चला गया और रूही हाल में सोफे पर बैठ गई।
रात हो गई थी, लेकिन ना तो रुद्रा आया था, ना ही रूही की हिम्मत थी ऊपर रूम में जाने की। उसने एक नज़र ऊपर देखा और बालों को सही करके किचन में चली गई, जहाँ काकी रात का खाना बना रही थी।
"क्या बना रहे हो, काकी?" रूही ने पूछा।
"डिनर, छोले की सब्जी और पूरी," काकी ने जवाब दिया।
"ये किसे पसंद है?" रूही ने पूछा।
"रुद्रा को, उसे बहुत पसंद है," काकी ने कहा।
"ओह," रूही ने कहा।
"अच्छा, जाओ उसे बुला लाओ!" काकी ने कहा।
"हा हा, जाओ जाओ, बुलाकर लो भाई को," साहिल किचन में आते हुए बोला।
"हम्मम," इतना बोलकर रूही किचन से चली गई।
रूही रूम के बाहर आई और एक गहरी साँस छोड़कर अंदर आ गई। उसने रूम में आकर देखा तो रुद्रा रूम में नहीं था। उसने हिम्मत करके बालकनी में आ गई, जहाँ चेयर पर बैठा रुद्रा किसी सोच में डूबा हुआ था।
"काकी खाने के लिए बुला रही है," रूही ने कहा।
"मुझे नहीं खाना, तुम्हारे उस दोस्त की बातों से मेरा पेट भर गया," रुद्रा ने कहा।
"वो... उसकी ओर से मैं सॉरी बोलती हूँ," रूही ने कहा।
"वो बार-बार गले क्यों लग रहा था तुमसे?" रुद्रा ने पूछा।
"पीछे हटते हैं, वो दोस्त है मेरा," रूही ने जवाब दिया।
"तो मैं भी तो तुम्हारा हसबैंड हूँ, मुझे तो नहीं आने देती, तुम पास नहीं, गले लगाने देती हो," रुद्रा ने कहा।
"वो... वो....!!" रूही ने कहा।
"उसकी बाजू पकड़ कर अपने करीब करते हुए रुद्रा ने कहा," बताओ मेरे पास आने से तुम्हें इतनी प्रॉब्लम है, लेकिन उसके गले लगाने से कोई प्रॉब्लम नहीं है?
"नहीं, ऐसा नहीं है," रूही ने कहा।
"ऐसा नहीं है?" रुद्रा ने पूछा।
"नहीं," रूही ने कहा।
रुद्रा ने उसकी साड़ी के पल्लू को शोल्डर से हटाकर नीचे गिरा दिया और उसके ब्लाउज के हुक पीछे से खोल दिए। रुद्रा ने उसकी साड़ी की प्लेट खोल दी और उसे गोद में उठा लिया।
रूही की तो मानो साँसें ही अटक गई हों रुद्रा को इतने करीब आते देख। रुद्रा ने उसे उठाया और बेड पर लाकर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। रूही ने आगे होने वाली हरकत के लिए अपनी आँखें बंद कर ली थीं। रुद्रा ने उसकी साड़ी पेट से हटाई और उस पर किस करने लगा। जैसे ही रुद्रा उसके गले पर किस करने को झुका, रूही ने बेडशीट को कसकर पकड़ लिया और आँखें भींच लीं।
रुद्रा ने उसे देखा, तो उसे अपनी बाहों में लेकर ब्लैंकेट डाल दिया और सो गया।
साहिल ने बाहर से दरवाजा नॉक किया। उसकी आवाज सुनकर रुद्रा ने कहा, "हमें भूख नहीं है, तू जा।"
साहिल बाहर से ही बोला, "है बड़ा अजीब है, भूख ही नहीं है, मुझे तो लगी है।"
साहिल ने खाना खाया और रूम में सोने चला गया।
अगली सुबह।
रूही की आँख आज काफी देर से खुली थी। उसने देखा तो रुद्रा भी सो रहा था। रूही ने जैसे ही उठने की कोशिश की, तो वह उठ ही नहीं पाई। रुद्रा ने रूही को अपने हाथ पर सुलाया हुआ था और उसके कमर पर अपने हाथ रखे हुए थे।
रूही ने प्यार से रुद्रा के बालों में हाथ फिराया और उसे देखने लगी। उससे उठ नहीं जा रहा था। उसने धीरे से रुद्रा के हाथ को जैसे ही उठाया, रुद्रा ने अपने हाथ से उसकी कमर को पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया।
रूही अचानक उसके ऊपर आ गई। उसके बाल रुद्रा के चेहरे पर थे और दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे। रुद्रा के हाथ उसकी खुली कमर पर लगातार चल रहे थे, जिसका एक अजीब सा अहसास रूही को हो रहा था।
"मुझे जाना है," रूही ने कहा।
"कहाँ जाना है?" रुद्रा ने पूछा।
"मुझे नाश्ता करना है, रात को मैंने खाना नहीं खाया था," रूही ने कहा।
रुद्रा ने रूही को एक झटके से अपने से दूर किया और उठकर रेडी होने चला गया। रूही अभी भी रुद्रा को समझने की कोशिश कर रही थी। कभी अपने करीब करता है और कभी अचानक दूर कर देता है।
रूही ने अपने ऊपर से ब्लैंकेट हटाया और साड़ी को सही करके अपने हाथों में पकड़ लिया, और खड़ी होकर एक हाथ से अपना फोन देखने लगी। उसके फोन पर एक मैसेज था, जिसे देखकर रूही के चेहरे पर स्माइल आ गई। उसने उस मैसेज को देखा और कुछ टाइप करने लगी।
to be continue
रूही ने कहा, "मुझे जाना है।"
रुद्रा ने पूछा, "कहाँ जाना है?"
रूही ने कहा, "मुझे नाश्ता करना है, रात को मैंने खाना नहीं खाया था।"
रुद्रा ने रूही को झटके से अपने से दूर किया और उठकर तैयार होने चला गया।
रूही अभी भी रुद्रा को समझने की कोशिश कर रही थी। कभी वह उसे अपने करीब करता था, और कभी अचानक दूर कर देता था।
रूही ने अपने ऊपर से ब्लैंकेट हटाया और साड़ी को सही करके अपने हाथों में पकड़ लिया। वह खड़ी होकर एक हाथ से अपना फोन देखने लगी। उसके फोन पर एक मैसेज था, जिसे देखकर रूही के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने उस मैसेज को देखा और कुछ टाइप करने लगी।
वाशरूम के दरवाजे पर खड़े रुद्रा को काफी गुस्सा आ रहा था। उसने गुस्से से अपनी मुट्ठी बांध ली और कमरे में आ गया।
रूही ने रुद्रा को देखकर मोबाइल रखा और कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई।
रुद्रा उसकी हरकत को काफी समय से नोटिस कर रहा था। उसने रूही के जाते ही उसका फोन लिया। उस पर आशु नाम से मैसेज था, जिसे देखकर रुद्रा को गुस्सा आया। उसने मोबाइल रखा और तैयार होकर नीचे आ गया।
रूही भी तैयार होकर अपना फोन लेकर नीचे आ गई।
"गुड मार्निंग, भाभी," साहिल ने रूही को देखकर कहा।
"गुड मॉर्निंग," रूही ने उत्तर दिया।
"गुड मॉर्निंग, बिटिया," काकी ने कहा।
रूही ने कहा, "गुड मॉर्निंग, काकी। जल्दी से नाश्ता लगा दो, बहुत भूख लगी है।"
साहिल ने कहा, "हा हा, खाओ। कल किसी ने किसी के लिए अपने पसंद के छोले-पूरी छोड़ दिए थे।"
रुद्रा ने कहा, "मुझे भूख नहीं थी कल।"
साहिल ने कहा, "अच्छा, और भाभी को क्यों नहीं आने दिया? इतना बोलकर साहिल हँसने लगा!"
रूही ने नाश्ता करना शुरू कर दिया। रुद्रा और बाकी सब भी खा ही रहे थे कि अचानक रूही का फोन बजने लगा।
रूही ने फोन देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। रुद्रा ने उसे घूर कर देखा और वापस नाश्ता करते हुए उसकी हरकतें देख रहा था।
रूही ने फोन का स्पीकर खोला और टेबल पर रखकर कहा, "हैलो, आशु।"
"हैलो, कैसी हो डार्लिंग?" आशु ने पूछा।
रूही जैसे ही यह सुना, उसकी साँसें अटक गईं।
रुद्रा ने गुस्से से अपनी मुट्ठी बांध ली। उसका चेहरा लाल हो गया था।
"ओह गॉड! इसे भाई से मरना है क्या? क्यूँ आ जाता है बार-बार?" साहिल ने मन ही मन सोचा।
रूही ने कहा, "हाँ, बोल ना यार।"
आशु ने कहा, "अच्छा सुन ना, हम रात को डिनर पर चलें।"
रूही ने कहा, "हाँ, बट मैं बता दूंगी तुझे, इनसे पूछ लूँगी!"
आशु ने कहा, "क्या यार! आज ना, क्या पूछना? हम पहले भी तो जाते थे ना!"
रुद्रा को अब गुस्सा आने लगा था। उसने बिना कुछ बोले या सुने रूही का फोन काट दिया और उठकर चला गया। साहिल, रूही और काकी तीनों उसे देख रहे थे। थोड़ी देर में रुद्रा वापस आया, तो उसके चेहरे के भाव एकदम अलग थे। उसके चेहरे पर गुस्सा था। उसने सभी नौकरों को आवाज दी और तेज आवाज में कहा,
"आज से आप सब छुट्टी पर हो। आज से सारा घर का काम मिस इशिका करेंगी…!!"
रूही को बहुत बड़ा झटका लगा। वह बस रुद्रा को देख रही थी।
"क्या बोल रहा है?" साहिल ने पूछा।
रुद्रा ने कहा, "ये हमारा मैटर है, सो तुम ना बोलो तो अच्छा है।"
साहिल ने कुछ नहीं कहा और वहाँ खड़ा हो गया।
रूही ने कहा, "मैं ऐसा कुछ नहीं करूंगी, मुझे नहीं आता काम करना!"
रुद्रा ने कहा, "जब करोगी तो सीख जाओगी।"
रूही ने कहा, "मुझे नहीं करना।" इतना बोल रूही जैसे ही जाने को हुई, रुद्रा ने उसकी कलाई पकड़ कर जोर से खींच लिया और उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "भूल कुछ नहीं हूँ मैं…!!"
रुद्रा ने कहा, "सो आज से सारा काम आप करोगी, मिस इशिका।"
रूही ने कहा, "मेरा नाम रूही है, समझे?"
रुद्रा ने कहा, "सबूत के साथ तुमसे मिलूँगा। बाय।" इतना बोलकर रुद्रा वहाँ से चला गया।
रूही ने कहा, "ये सब इसे क्या होता है? कौन से दौरे पड़ते हैं इसको? कभी तो इतना प्यार, कभी इतनी जलन, कभी नफ़रत! ये शादी क्यों करके लाया है मुझे यहाँ?"
साहिल ने कहा, "इसे अचानक क्या हुआ? मैं जाता हूँ। बाय।" इतना बोलकर साहिल भी वहाँ से चला गया।
काकी ने पूछा, "ये क्या किया? तुमने क्या किया था जो बेटा इतना नाराज है?"
रूही ने कहा, "मैंने कुछ नहीं किया।" इतना बोल रूही ने एक नज़र नौकरों की ओर देखा और कहा, "अच्छा, जाओ सब यहीं रहो और काम करो, मैं हूँ ना।"
नौकरों में से कोई भी आगे नहीं आया था। रूही ने कहा, "हे राम! भैया, जाओ ना सबको लेकर, मैं हूँ ना।"
राम ने कहा, "सॉरी मेम, सर ने मना किया है।"
रूही ने कहा, "सर से मैं बात कर लूंगी, जाओ सब।"
इतना बोल रूही कमरे में आ गई।
रुद्रा गुस्से में सड़क पर गाड़ी दौड़ा रहा था। उसे बार-बार रूही का आशु के गले लगना, आशु का उसके हाथ पर किस करना, या "डार्लिंग" बोलना याद आ रहा था। उसने गुस्से में गाड़ी की स्टीयरिंग पर अपने हाथ जोर से मार दी।
साहिल भी बहुत तेज कार चला रहा था। उसे रुद्रा के गुस्से के बारे में पता था, और उनके दुश्मन अभी उसके अकेले होने का फायदा उठा सकते थे।
रुद्रा ने गाड़ी रोकी, बाहर आकर गाड़ी से टेक लगाकर कहा, "मैं मेरा बदला नहीं भूल सकता। इसी की वजह से मैंने अपना सब कुछ खो दिया, मम्मा! मैं कुछ नहीं भुला हूँ। तुमसे पता नहीं मुझे बात करने में क्या हो जाता है, लेकिन अब से ऐसा कुछ नहीं होगा। अब से तुम उस रुद्र से मिलेगी जिसे तुमने कभी नहीं देखा। बहुत शौक है ना तुम्हें लड़कों से मिलने और उनके साथ डिनर करने का।"
"बस अब देखती जाओ, मिस इशिका वाडिया, तुम्हारी ज़िंदगी बर्बाद कर दूँगा।"
रूही तो अभी भी रुद्रा के बारे में सोच रही थी। उसे रुद्रा को समझना और मुश्किल होता जा रहा था। वह अभी भी सोफे पर बैठी सोच ही रही थी कि किसी की आवाज से उसका ध्यान टूटा।
उसने नज़रें उठाकर सामने देखा, तो एक नौकर खड़ा हुआ था।
रूही ने पूछा, "बोलो।"
नौकर ने कहा, "मेम, सर ने साफ़ मना किया है, हम नहीं कर सकते काम।"
रूही ने कहा, "मैं रुद्रा से बात कर लूंगी।"
क्रमशः
रूही अभी भी रुद्रा के बारे में सोच रही थी। उसे रुद्रा को समझना और मुश्किल होता जा रहा था। वह अभी भी सोफे पर बैठी सोच ही रही थी कि किसी की आवाज़ से उसका ध्यान टूटा।
उसने नज़रें उठाकर सामने देखा तो एक नौकर खड़ा हुआ था।
रूही— बोलो।
नोकर— मेम, सर ने साफ़ मना किया है, हम नहीं कर सकते काम।
रूही— मैं रुद्रा से बात कर लूँगी।
रूही ने रुद्रा को फोन किया, तो रुद्रा ने फोन नहीं उठाया। रूही ने कई बार फोन किया, लेकिन रुद्रा ने कोई जवाब नहीं दिया। आख़िरकार परेशान होकर रूही ने साहिल को फोन किया, तो उसका फोन नेटवर्क से बाहर था। अब रूही को गुस्सा आने लगा था। उसने फोन लिया और कमरे में आकर फोन को बेड पर पटका और सो गई। रूही को लेटते ही आँख लग गई थी।
सुबह से शाम हो गई थी।
रुद्रा अब घर आ चुका था, लेकिन घर से एक भी नौकर को गया हुआ नहीं देख उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। उसने सभी को जाने को बोला और गुस्से में खुद अपने कमरे में आ गया। उसने कमरे में आकर देखा तो रूही आराम से सो रही थी।
रुद्रा— बहुत शौक़ है ना तुम्हारे बाप को दूसरों की लाइफ़ बर्बाद करने का? एक-एक दिन तड़पोगी तुम। मिस इशिका पर इतना आसान नहीं होगा तुम्हारे लिए।
इतना बोलकर रुद्रा आगे बढ़ा और रूही के पास वाली टेबल से पानी का जग उठाकर उसके ऊपर डाल दिया।
अचानक पानी आने से रूही की आँखें खुल गईं। उसने अपने सामने देखा तो रुद्रा उसे घूर रहा था। एक नज़र रुद्रा को देखकर रूही ने खुद को देखा तो उसके कपड़े गीले हो गए थे, जो कि उसके सीने से चिपक चुके थे।
रुद्रा— उसका हाथ पकड़कर खींचते हुए।
रूही— अचानक हाथ खींचने से नीचे आ जाती है और जल्दी से खड़ी हो जाती है। क्या कर रहे हैं आप?
रूही— अपने आप को देखकर, ये क्या बदतमीज़ी है?
रुद्रा— बदतमीज़ी तो मैंने अभी तक नहीं की है, मिस इशिका।
रूही— झलाते हुए, क्या इशिका-इशिका लगा रखा है? मैंने कहा ना मेरा नाम रूही है!
रुद्रा— तुम होती कौन हो मुझ पर ऑर्डर लगाने वाली? तुम्हारी कोई इज़्ज़त नहीं है मेरे सामने, समझी? और शायद तुम्हें कभी सज़ा मिली नहीं है।
रूही— कौन सी सज़ा?
रुद्रा— उसका हाथ पकड़कर घसीटते हुए नीचे लाया और ज़मीन पर उसे छोड़कर बोला, “आज और अभी से सारे घर का काम जो भी हो तुम करोगी, और इनमें से किसी ने भी तुम्हारी हेल्प की तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा। सुना ना तुम सबने? सैलरी जाएगी वो अलग, और जान जाएगी वो अलग! तो जितना बोला है उतना ही करना।”
इतना बोलकर रुद्रा ने एक नज़र उसे देखा और वहाँ से कमरे में चला गया।
रूही को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने हिम्मत की और उठकर किचन में चली गई। उसने एक नौकर की हेल्प ली और खाना बनाने लगी। आज उसे अपनी माँ की कही बात याद आ रही थी, "(खाना बनाना सीख ले वरना तुझे ससुराल में प्रॉब्लम होगी)"
रूही ने जैसे-तैसे करके किचन में कुछ घंटों में खाना बनाया और डाइनिंग टेबल पर लगा दिया।
साहिल भी घर आ गया था। वह शॉवर लेकर बाहर आया तो किसी ने उसके कमरे को नॉक किया। साहिल ने दरवाज़ा खोला तो सामने रूही थी।
साहिल— आप यहाँ? आइए ना।
रूही— हाँ, डिनर के लिए बुलाने आई थी।
साहिल— अभी आता हूँ।
रूही उसके कमरे से निकलकर अपने कमरे में आई तो उसने देखा कमरे में रुद्रा नहीं था। उसकी हिम्मत नहीं थी कि वह रुद्रा के सामने जाए। आज उसे वापस रुद्रा से नफ़रत हो रही थी। आज तो उसे यकीन भी हो गया था कि रुद्रा सिर्फ़ उससे बदला ले सकता है।
उसने एक साँस ली और बालकनी में आ गई। उसने बालकनी में देखा तो रुद्रा रेलिंग पर हाथ रखकर खड़ा हुआ कुछ सोच रहा था। उसने होठों पर सिगरेट रखी हुई थी।
रूही— डिनर लग गया है, आ जाइए आप।
रुद्रा ने कोई जवाब नहीं दिया और सिगरेट का कस भरने लगा। रूही ने हिम्मत की और आगे बढ़कर उसके होठों से सिगरेट निकालकर नीचे फेंक दी।
रुद्रा ने उसे गुस्से से देखा और उसकी बाज़ू पकड़कर अपने करीब करके पीछे की ओर मोड़ दी।
रूही को दर्द हो रहा था, लेकिन रुद्रा को उससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।
रूही— मुझे दर्द हो रहा है, छोड़ो मेरा हाथ।
रुद्रा— उसका मुँह अपने हाथों से पकड़कर दबाते हुए, “ये दर्द कुछ नहीं है, अभी तो बहुत दर्द सहना है, और दर्दों को सहने की आदत डाल लो।”
रूही— क्यों बिना बात किसी को सज़ा दे रहे हो?
रुद्रा— जो मुझे मिला है ना, तुम्हें वो सब रिटर्न गिफ़्ट के तौर पर मिलेगा, और शायद उससे ज़्यादा मिल जाए।
रूही— बदले के आगे में इतना भी अंधा नहीं होना चाहिए।
रुद्रा— उसके गले पर अपना चेहरा रखकर किस करते हुए, “अभी तो कुछ हुआ नहीं है, दिन-रात दर्द से तड़पोगी तुम।”
रूही— तुम्हें यह सब महंगा पड़ जाए।
रुद्रा उसकी कुर्ती को शोल्डर से नीचे करके उसके कंधों पर किस करने लगा था।
रूही ने अपना चेहरा दूसरी साइड किया और अपना शरीर ढीला छोड़ दिया।
रूही— जानती हूँ, जब तक तुम्हारा बदला पूरा नहीं होता मैं नहीं जा सकती यहाँ से, लेकिन एक दिन यहाँ से जाऊँगी ज़रूर।
रुद्रा ने उसकी कमर से पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रखकर धीरे-धीरे गहरा किस करने लगा, और होठों को जोर से बाइट भी कर लिया जिससे खून आ रहा था।
थोड़ी देर में रुद्रा ने रूही को धक्का देकर ज़मीन पर गिरा दिया और खुद वहाँ से चला गया। और जाते हुए बिना देखे कहा,
रुद्रा— पाँच मिनट में नीचे आ जाओ, वरना एक और सज़ा के लिए रेडी रहना।
रूही अभी भी खुद को नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। उसे खुद की इस हालत पर रोना आ रहा था। उसने रेलिंग से सिर लगाए हुए थोड़ी देर खुद को नॉर्मल किया और धीरे से उठ गई।
रुद्रा ने कहा, "पांच मिनट में नीचे आ जाओ, वरना एक और सजा के लिए रेडी रहना।"
रूही अभी भी खुद को नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी। उसे अपनी इस हालत पर रोना आ रहा था। उसने रेलिंग से सिर लगाकर थोड़ी देर खुद को संभाला और धीरे से उठ गई।
वह कमरे में आई और आईने में खुद को देखा। उसके बाल खराब हो गए थे, होठों पर से खून निकल रहा था। उसने शायद कुछ नहीं खाया था, इसलिए उसे अजीब सा लग रहा था। उसने एक नज़र गौर से देखा और बाथरूम में चली गई।
थोड़ी देर में रूही कपड़े बदलकर बाहर आ गई। उसने समय देखा तो रुद्रा के समय के हिसाब से वह पंद्रह मिनट लेट थी। उसने एक सांस छोड़ी और नीचे चली आई।
नीचे आकर उसने देखा कि सब डाइनिंग टेबल पर बैठे हैं।
रूही ने कहा, "सॉरी, आप लोगों ने स्टार्ट नहीं किया?" इतना बोलते ही, जैसे ही रूही चेयर लेकर बैठने चली, रुद्रा की आवाज उसके कानों में पड़ी।
रुद्रा ने कहा, "तुम्हें किसने बैठने को कहा? चुपचाप से खाना लगाओ सबका।"
रूही आगे बढ़ते हुए बोली, "हम्मम।" इतना बोलकर रूही ने सबको खाना लगाया और एक साइड खड़ी हो गई।
काकी और साहिल को बुरा लग रहा था, और रुद्रा बस खाना खाते हुए उसे घूर रहा था। उसकी नज़र रूही के होठों पर थी, जहाँ खून हल्का सा लगा हुआ था और होठ लाल हो चुके थे।
थोड़ी देर में सबने खाना खा लिया। रूही ने जल्दी से सबके बर्तन लिए और किचन में रख दिए। जैसे ही वह पलटी, रुद्रा हाथ बांधे खड़ा हुआ था।
उसे देखकर रूही ने अपने कदम वहीं रोक लिए।
रुद्रा ने कहा, "इन्हें साफ तुम्हें करना है, और कोई नहीं आएगा।"
रूही ने कहा, "हम्मम।" इतना बोलकर रूही वापस घूमकर बर्तन धोने लगी।
रुद्रा हाथ बांधे उसे देख रहा था, और रूही को उसकी नज़रें अपने ऊपर महसूस हो रही थीं।
रुद्रा वहाँ से बाहर चला गया। थोड़ी देर में रूही भी जैसे ही बाहर आई, उसने देखा रुद्रा डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था। रूही ने उसकी ओर देखा, और जैसे ही जाने को हुई, रुद्रा ने उसका हाथ पकड़कर जोर से खींचा। जिससे रूही सीधा रुद्रा की गोद में आकर गिर गई। उसके बाल रुद्रा के ऊपर आ रहे थे। रुद्रा उसे ही देख रहा था। उसने रूही के बालों को पीछे किया और गर्दन पर अपने हाथ घुमाने लगा।
रूही ने कहा, "प्लीज़, अब कुछ मत करना, प्लीज़।" उसने अपनी आँखें कस के बंद कर रखी थीं।
रुद्रा ने कहा, "इतने से में तुम्हारी हालत खराब हो गई है, तो सोचो जिस दिन हम दोनों के बीच वो सब होगा तो तुम्हारा क्या होगा?"
रूही ने कुछ नहीं कहा, बस रुद्रा को देख रही थी।
रुद्रा ने उसे दूर किया और दूसरी चेयर पर बिठाकर उसके आगे खाने की प्लेट रख दी।
रूही ने कहा, "मुझे भूख नहीं है, मुझे नहीं खाना।"
रुद्रा ने अपने हाथ से एक बाइट लेकर, दूसरे हाथ से उसका मुँह पकड़कर खोलते हुए उसमें निवाला डाला और कहा, "खाओगी नहीं, सहोगी कैसे? बताओ, दर्द सहने के लिए जीना ज़रूरी है, और जीने के लिए खाना ज़रूरी है, सो चुपचाप खाओ।"
रूही ने रुद्रा को देखा और खुद से एक बाइट खाया और उठ गई। उसने घूरकर रुद्रा को देखा।
रुद्रा ने डेविल स्माइल देते हुए कहा, "क्या हुआ, इशू बेबी? खाना पसंद नहीं आया?"
रूही ने कहा, "इसमें तो इतना नमक है।"
रुद्रा ने कहा, "थोड़ी सी ही सजा है, पूरी नहीं है अभी।" इतना बोलकर रुद्रा ने एक बाइट ज़बरदस्ती खिला दिया। रूही की आँखों से फिर से आँसू आ गए थे।
थोड़ी देर में सब अपने कमरे में थे। रूही कमरे में आई तो देखा रुद्रा लेटा हुआ लैपटॉप चला रहा था। वह भी वहीं उसके साइड आकर जैसे ही बैठने को हुई, रुद्रा ने तुरंत उसका हाथ पकड़कर अपने ऊपर ले लिया।
रूही की मानो साँसें ही अटक गई हों। उसे रुद्रा की बातें तुरंत याद आ गईं—"इतने से में तुम्हारी हालत खराब हो गई है, तो सोचो जिस दिन हम दोनों के बीच वो सब होगा तो तुम्हारा क्या होगा?"
रूही कुछ बोलती, उससे पहले रुद्रा ने उसके गले पर किस कर दिया और उठकर उसे गोद में उठा लिया।
रूही को अब रुद्रा की हरकतों से डर लगने लगा था। वह बार-बार रुद्रा को मार रही थी, लेकिन उसके ऊपर कोई असर नहीं हो रहा था।
रुद्रा उसे लेकर बाथरूम में आया और उसे शॉवर के नीचे खड़ा करके शॉवर चालू कर दिया। उसने अपने दोनों हाथ दीवार से लगा लिए और रूही को देख रहा था, जो आँखें बंद किए हुए अपने दोनों हाथों की मुट्ठियाँ भींच रखी थी।
जब रूही पूरी तरह से भीग गई, तो उसके कपड़े उसके शरीर से चिपक गए थे। रुद्रा ने उसे वापस कमर से पकड़कर खींचा और उसके होठों पर किस करने लगा। रुद्रा ने उसे पहले वाली जगह वापस बाइट कर लिया, तो उसमें वापस खून आने लगा।
थोड़ी देर किस करने के बाद रुद्रा ने रूही को वापस गोद में उठाया और बालकनी में आ गया और गोद में से रूही को नीचे छोड़ दिया।
अचानक छोड़ने से रूही की आह निकल गई। उसने रुद्रा को देखा जो उसे घूर रहा था। रूही ने अपनी कमर पकड़ ली।
रुद्रा ने कहा, "आराम से सो जाओ, सुबह तुम्हें फिर सब काम करना है, थक जाओगी।" इतना बोलकर रुद्र वहाँ से चला गया। उसने जानबूझकर बालकनी का दरवाजा लगा लिया।
रूही गीले होने की वजह से कांप रही थी। सर्दियों का मौसम था, हल्की-हल्की हवा चल रही थी। रूही की आँखों के आँसू अब नहीं रुक रहे थे। उसने पास में रखी टेबल पर सिर टिकाया और वहीं सो गई। रुद्रा अंदर आया और बेड पर सो गया।
क्रमशः
अगली सुबह, रूही बालकनी में चेयर पर टेक लगाकर सो रही थी। कमरे में रुद्रा आराम से पूरे बेड पर सो रहा था। अचानक उसकी नींद खुली, उसने समय देखा तो सुबह पाँच बज रहे थे। सर्दियों के हिसाब से अभी काफी अंधेरा था।
रुद्रा बेड से उठा और बालकनी के दरवाजे के पास आकर देखा। रूही सोती हुई नज़र आई। उसने एक डेविल स्माइल दी और वाशरूम में चला गया। थोड़ी देर बाद रुद्रा आया, उसके हाथ में एक बाल्टी थी। रुद्रा ने बालकनी का गेट खोला और रूही के पास जाकर बाल्टी का पूरा पानी रूही पर डाल दिया!
"अचानक पानी आने से रूही एकदम नींद से जाग गई थी। बैठे-बैठे सोने से उसकी गर्दन और कमर अकड़ गई थी।" रूही ने अपना चेहरा हाथों से साफ़ किया और देखा तो रुद्रा हाथ बाँधे उसे ही देख रहा था।
रूही खड़े होते हुए बोली, "ये सब क्या है?"
रुद्रा बोला, "अच्छी और संस्कारी पत्नियाँ इतना लेट तक नहीं सोतीं। अब जब तुम्हारा पति उठ गया, तो तुम्हें भी उठ जाना चाहिए!"
"ये सब तुम ठीक नहीं कर रहे, और ऐसे बिहेव कौन करता है!" रूही ने कहा।
"कैसा बिहेव? तुम्हारा पति तुम्हें इतने प्यार से उठा रहा है!" रुद्रा ने कहा।
रूही ने रुद्रा की बात का कोई जवाब नहीं दिया। जैसे ही वह जाने को हुई, रुद्रा ने उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया।
रूही अचानक खींचने से उसके सामने आ गई। रुद्रा ने उसकी कमर पर हाथ रखा और धीरे से उसके कान के पास आकर कहा, "मुझे कॉफी चाहिए, अभी।"
रूही ने एक हाथ से रुद्रा का हाथ कमर से हटाया और अपने हाथ से उसके हाथ को छुड़ाकर कमरे में चली गई।
रूही नीचे किचन में काम कर रही थी। उसने आज से पहले कोई काम नहीं किया था और न ही किसी की पसंद का पता था। उसने कॉफी बनाई और दो कप में ले ली।
जैसे ही रूही बाहर आई, उसे सोफे पर साहिल और रुद्रा बैठे हुए दिखाई दिए। साहिल रोज़ जल्दी उठ जाता था।
रूही ने दोनों को कॉफी दी और वहीं एक साइड खड़ी हो गई। दोनों ने कॉफी पी और वापस अपने-अपने कामों में लग गए।
रूही भी अब कमरे में आकर शॉवर लेने चली गई थी। जैसे ही उसने शॉवर लिया, उसे अपने शरीर में थकान महसूस होने लगी। वह वाशरूम से बाहर आई और एक सिम्पल सी कुर्ती पहनकर तैयार हो गई। आज उसने माँग में सिंदूर, गले में मंगलसूत्र, हाथों में ग्रीन कलर की चूड़ियाँ पहनी थीं। वह बहुत प्यारी लग रही थी। रूही जल्दी-जल्दी तैयार हुई और जल्दी-जल्दी नीचे आ गई।
रूही ने देखा तो साहिल किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था और रुद्रा कोई काम अपने लैपटॉप से देख रहा था।
रूही ने सबको देखकर किचन में आ गई और नाश्ता बनाने लगी। रूही ने जल्दी से अपना फ़ोन ऑन किया और उसके हिसाब से पोहा बनाने लगी।
थोड़ी देर में उसने नाश्ता बनाया और बाहर टेबल पर लगाकर एक चैन की साँस ली।
रुद्रा ने एक नज़र लैपटॉप को देखा और अपने फ़ोन में समय देखकर सामने देखा, जहाँ रूही टेबल पर नाश्ता लगा रही थी।
रुद्रा ने उसे देखा और लैपटॉप को रखकर नाश्ता करने आ गया। साहिल भी उसके पीछे-पीछे आकर नाश्ता करने बैठ गया। रूही ने दोनों को जल्दी से नाश्ता लगाया और खुद एक साइड खड़ी हो गई।
साहिल बोला, "वाह! पोहा अच्छा बनाया है आपने। आप भी नाश्ता कीजिए ना!"
"नहीं, आप कीजिए। मुझे नहीं करना अभी।" रूही ने कहा।
रुद्रा ने जल्दी से खाया और वहाँ से कमरे में चला गया। साहिल भी सोफे पर आकर बैठ गया। रूही ने एक नज़र वापस सबको देखा और घर का काम करने लगी। रूही अपने हाथों से झाड़ू-पोछा कर रही थी। पोछा लगाते हुए उसके सारे कपड़े गीले हो गए थे, उसके बनाए हुए बाल पूरे बिखर गए थे। तभी घर की डोरबेल बजी। साहिल ने रूही की ओर देखा तो रूही जल्दी से दरवाजे पर आ गई। उसने जैसे ही दरवाजा खोला, तो सामने एक लड़की खड़ी हुई थी। उसने एक सूट पहना हुआ था, उसकी हाइट अच्छी थी, गोरा रंग, लंबे बाल जो कंधे से नीचे आ रहे थे, उसका पेट हल्का सा बाहर था, शायद वह प्रेग्नेंट थी।
"जी? कौन? किससे मिलना है आप को?" रूही ने पूछा।
"किसी से नहीं मिलना।" इतना बोल वो लड़की अंदर आई और साहिल की आँखों पर हाथ रख लिया।
रूही अभी भी समझने की कोशिश कर रही थी। रूही मन में सोच रही थी, "शायद ये साहिल जी की वाइफ है, बट उनकी तो अभी शादी नहीं हुई ना!"
साहिल को जैसे ही किसी लड़की के हाथ अपनी आँखों पर स्पर्श हुए, तो उसने अपने दोनों हाथों को ऊपर करके उसके हाथों को टच किया। साहिल के चेहरे पर स्माइल आ गई।
"मानसिका? ये तुम ही हो ना बेटा!" साहिल बोला।
"आपने मुझे पहचान लिया यार!" इतना बोल वो लड़की आगे आकर सोफे पर बैठ गई।
रूही अभी भी वहीं खड़ी सोच रही थी।
"साहिल को देखकर एक नज़र रूही की ओर देखते हुए, ये क्या न्यू मेड है क्या? इसने मुझे नहीं पहचाना!" मानसिका बोली।
"वो....." साहिल बोला।
"अच्छा छोड़ो। सुनो (रूही की ओर देखकर) मेरा बैग अंदर ले आओ।" मानसिका ने कहा।
रूही ने गर्दन हिलाई और गेट से बैग लेकर अंदर रख दिया और पानी लेने किचन में चली गई। थोड़ी देर बाद आई तो उसने मानसिका के आगे ग्लास बढ़ाया और एक ग्लास साहिल को देकर खुद वहीं सोफे पर बैठ गई।
मानसिका ने रूही को देखा और साहिल को देखा। उसने वापस रूही की ओर देखकर कहा, "तुम सोफे पर हमारे साथ क्यों बैठी हो?"
"सॉरी।" इतना बोल रूही उठ गई।
"कैसे-कैसे नौकर हैं यहाँ के!" मानसिका बोली।
"भाभी है वो तेरी।" साहिल बोला।
"वो तो ठीक है लेकिन...... व्हाट...? कब हुआ? मुझे नहीं बताया आपने। आपने अकेले शादी कर ली? यार इतने-इतने बड़े सपने थे मेरे, मुझे ना आपसे बात नहीं करनी!" मानसिका बोली।
"अरे मेरी माँ! मेरी नहीं, रुद्रा की वाइफ है वो।" साहिल ने कहा।
रूही ने कहा, "सॉरी, इतना बोलते-बोलते रूही उठ गई!"
मानसिका ने कहा, "कैसे-कैसे नौकर हैं यहां के!"
साहिल ने कहा, "भाभी है वो तेरी।"
मानसिका ने कहा, "वो तो ठीक है, लेकिन... व्हाट...? कब हुआ? मुझे नहीं बताया आपने। आपने अकेले शादी कर ली? यार, इतने-इतने बड़े सपने थे मेरे। मुझे ना, आपसे बात नहीं करनी!"
साहिल ने कहा, "अरे, मेरी मां नहीं, मेरी नहीं, रुद्रा की वाइफ है वो।"
मानसिका ने जैसे ही सुना, उसने तुरंत अपनी नज़रों से रूही को देखा और उससे कहा, "ये क्या हाल बना रखा है आपने? सच्ची, भाई ने शादी कर ली और मुझे नहीं बताया। कहां है भाई? जल्दी बताओ?"
रूही ने कहा, "रूम में ही है।"
मानसिका ने कहा, "मैं आती हूँ।"
इतना बोलकर मानसिका उठकर ऊपर रुद्रा के रूम में चली गई। उसने रूम के बाहर आकर देखा तो रुद्रा रूम में बेड पर लेटा लैपटॉप चला रहा था।
मानसिका ने तेज आवाज़ में कहा, "सरप्राइज़…!" वो अंदर आ गई।
रुद्रा ने उसे देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई। रुद्रा ने कहा, "तूने तो मुझे सरप्राइज़ कर दिया!"
मानसिका ने कहा, "वो तो है, लेकिन सोचा था आपको सरप्राइज़ दूंगी, लेकिन आपने तो मुझे दे दिया।"
इतना बोलकर दोनों एक-दूसरे के गले लग गए। रुद्रा ने उसे देखते हुए कहा, "कैसा है मेरा बच्चा?"
मानसिका ने कहा, "ठीक हूँ। आप बताओ, आपने शादी कर ली, मुझे बताया भी नहीं।" मानसिका रुद्रा के कान के पास जाकर बोली, "वैसे भाभी बहुत क्यूट है। रियली, आपकी पसंद काफी अच्छी है।"
रुद्रा ने उसे देखकर कहा, "अच्छा, जाओ रूम में आराम करो। एक तो ऐसे बिना बताए इतनी दूर से आ गई और अब रेस्ट भी नहीं करना? और वैसे भी, मैं कहीं नहीं जा रहा। शाम को बैठकर बात करेंगे!"
मानसिका ने एक नज़र रुद्रा को देखा और मुँह को अजीब सा बनाकर रूम में आ गई।
मानसिका को देख रुद्रा की आँखें नम हो गई थीं। रुद्रा मन ही मन सोच रहा था, "मुझे दिखाने के लिए कितना स्ट्रांग बनकर आई है। मुझे नहीं मालूम मेरी बहन को कितना दर्द होता है। तेरी हर तकलीफ को मैं दूर कर दूँगा। तेरे साथ जो भी हुआ है, उसका बदला मैं लेकर रहूँगा।"
तभी रूम का दरवाज़ा खटखटाया। रुद्रा ने अपनी सोच को रोककर देखा, जहाँ रूही खड़ी हुई थी। वो रूम में आई और वाशरूम में चली गई।
रुद्रा ने पूछा, "क्या हुआ? तुम रूम में क्यों आई हो? तुम्हारा सारा काम हो गया?"
रूही ने कहा, "हाँ, वो मैं रेडी होने जा रही हूँ।"
रुद्रा ने उसे घूरते हुए पूछा, "क्यों?"
रूही ने कहा, "वो मुझे आशू के साथ बाहर जाना है। मैं शाम को जल्दी आ जाऊँगी!"
रुद्रा ने कहा, "नहीं, तुम कहीं नहीं जा रही हो!"
रूही ने वॉर्डरोब से कपड़े लिए और वाशरूम में चली गई।
थोड़ी देर में वो बाहर आई। उसने रेड कलर का कुर्ता, जो स्लीवलेस था, उसकी बाजू जो कि डोरियों से बनी हुई थी, पहना हुआ था। रेड कलर के कुर्ते और पैंट में रूही बहुत प्यारी लग रही थी। उसने रेड कलर की चूड़ियाँ पहनी हुई थीं।
रूही रेडी हो रही थी कि तभी रुद्रा की नज़र उस पर गई। एक पल के लिए वो देखता ही रह गया। रुद्रा की नज़र उसके गले और माथे पर गई तो उसके हाथ मुट्ठी से भींच गए थे।
रुद्रा रूही के पास आया और उसे बाजू से पकड़कर दीवार से लगा दिया।
रुद्रा ने कहा, "सिंदूर और मंगलसूत्र न पहनने से मुझे पीछा नहीं छूटने वाला तुम्हारा!"
रूही ने कहा, "वो..."
रुद्रा ने उसे दीवार से लगाकर एक हाथ दीवार से लगा दिया और दूसरे हाथ से उसे कमर से पकड़कर अपनी ओर करने लगा। जैसे ही वो उसकी ओर झुकने लगा, तभी दोनों के कान में अचानक मानसी की आवाज़ आई।
मानसी ने कहा, "ओफ्फो, भाभी कितना टाइम लोगे?" जैसे ही मानसी ने देखा, वो तुरंत वहाँ से चली गई।
रुद्रा ने रूही को खुद से दूर किया और उसके हाथ को मरोड़कर कहा, "कहीं नहीं जा रही तुम। और बिना मुझसे पूछे तुम नहीं जा सकती हो। और जब मैंने मना किया है तो फिर इतना रेडी होकर किसे दिखाना है तुम्हें?"
इतना बोलकर रुद्रा ने उसे छोड़ा और वहाँ से चला गया। रूही ने एक बार फ़ोन लिया और किसी को मैसेज किया और वापस ड्रेस चेंज करके सोफ़े पर बैठ गई।
सुबह से शाम हो गई थी। कोई भी अपने रूम से बाहर नहीं आया था। मानसिका अपने रूम में बेड पर बैठी आराम कर रही थी और साथ में एक हाथ से अपने पेट पर हाथ रखे हुए थी।
रात हो गई थी। रूही ने आज भी मोबाइल से देखकर खाना बना लिया था। उसने खाना बनाकर टेबल पर रखा और सबको बुलाने चली गई।
रूही मानसी के रूम के बाहर आकर आवाज़ देते हुए बोली, "दी, आ जाइए, खाना लग गया!"
मानसी ने कहा, "आ रही हूँ।"
रूही वहाँ से रुद्रा के कमरे में आई तो देखा रुद्रा वहाँ भी नहीं था। रूही वहाँ से साहिल के कमरे में आ गई।
उसने वहाँ देखा दोनों कोई बात कर रहे थे। रूही को देखकर दोनों एक साथ चुप हो गए।
रूही ने कहा, "खाना लग गया।"
साहिल ने कहा, "आते हैं।"
थोड़ी देर में सब खाना खाने बैठ गए। रूही ने सबको खाना लगाया और एक साइड खड़ी हो गई।
मानसी ने कहा, "भाभी आप तो बैठो।"
रूही ने रुद्रा की ओर देखकर कहा, "नहीं, आप खाइए ना, मैं बाद में खा लूँगी।"
मानसी ने कहा, "भाई बोलो ना यार।"
रुद्रा ने कहा, "बैठकर खाना खा लो।"
रूही भी मानसी के बगल में बैठ गई और खाना खाने लगी।
थोड़ी देर में सब ने खाना खा लिया था। रूही मानसी के साथ उसके रूम तक आई और उसे सुलाकर चली गई।
रूही रूम में आकर बालकनी में आ गई और वहीं चेयर पर बैठ गई।
रुद्रा भी सो गया था। आज उसके दिमाग में मानसी घूम रही थी। उसने और साहिल ने जो बात की थी, वो उसे ही सोचते हुए सो गया था।
साहिल भी किसी से काफी देर से कॉल पर बात कर रहा था। थोड़ी देर और बात करके साहिल ने टाइम देखा और सो गया।
To be continue...
अगली सुबह, रूही बिना रुके उठ गई थी। उसने रुद्रा को देखा और उसके पास जाकर ध्यान से देखा। रुद्रा नींद में बड़बड़ा रहा था।
"मैं बदला लेकर रहूँगा उससे," रुद्रा नींद में ही बड़बड़ा रहा था।
"हे भगवान! इस डेविल को भी सपने में मुझसे बदला लेना है! अरे, जागते हुए तो जिंदगी खराब की है, कम से कम चैन से सो तो ले! पर नहीं, ऐसा कौन सा भूत लगा है? कौन सा बदला है लेना इसे उस...," रूही ने कहा।
रूही ने रुद्रा को देख अपनी गर्दन झटककर नीचे किचन में आ गई और कमर पर हाथ रख खुद से ही बोलने लगी, "लग जा बेटा, ये सब उठे उससे पहले नाश्ता बना ले, वरना वो डेविल मुझे नई सजा देने को तैयार हो जाएगा।"
इतना बोलकर रूही ने अपना फोन ऑन किया और नाश्ता बना लिया। थोड़ी देर में वह वापस रूम में आई और वॉर्डरोब से कपड़े लेकर वाशरूम में चली गई।
रुद्रा अभी भी सो रहा था। साहिल रोज़ की तरह उठकर जॉगिंग पर जाकर आ गया था। वह भी रूम में आया और रेडी होकर नीचे आया। तब तक सुबह के आठ बज गए थे।
रूही भी रेडी होकर मानसी के रूम में आई तो देखा मानसी रेडी हो गई थी और अपने बालों की चोटी बना रही थी। रूही दरवाजे पर खड़ी देख रही थी। उसने दरवाज़ा नॉक किया और मानसी की ओर देखा तो मानसी भी उसी ओर देख रही थी।
"अरे भाभी, आइए ना, कुछ काम था?" मानसी ने पूछा।
"नहीं, मैं तो बस आपको देखने आ गई थी। आप कैसे हो?" रूही ने पूछा।
"मैं अच्छी हूँ। आप बैठो," मानसी ने कहा।
रूही ने एक नज़र मानसी को देखा और उसके प्रेग्नेंसी के पेट को देख उसकी नज़र उसके बालों पर गई। मानसी रूही को खुद को देखते हुए कांच में देख रही थी। उसे अजीब सा लग रहा था।
"मैं बना दूँ आपके बाल?" रूही ने पूछा।
"हाँ, वैसे भी ये मुझसे नहीं हो रहे। आप पता नहीं कैसे संभाल लेते हो इतने बड़े बाल! मुझसे तो इतने भी नहीं संभलते। पर भाई या साहिल भाई मेरे बाल हमेशा बना देते थे," मानसी ने कहा।
"और अब ससुराल में किससे बनवाते हो? जीजू से?" रूही ने उसके बाल बनाते हुए कहा।
मानसी ने जैसे ही ससुराल और जीजू का नाम सुना तो वहीं चुप हो गई। उसकी आँखों में हल्की नमी और गुस्सा साफ था।
बाहर दरवाज़े पर खड़े रुद्रा ने जैसे ही ये बात सुनी तो गुस्से से उसके हाथों की मुट्ठी भींच गई। उसने थोड़े गुस्से में रूही से कहा, "अगर तुम्हारा हो गया हो तो मुझे कॉफी पीनी है।"
"हाँ हाँ, मैं आती हूँ," रूही ने कहा।
"आप जाइए, मैं आती हूँ अभी नीचे," मानसी ने कहा।
मानसी और रुद्रा के बोलने से रूही जल्दी से नीचे आ गई। रुद्रा भी मानसी के पास आया और उसके सर पर हाथ रख जैसे ही कुछ बोलने को हुआ, मानसी पहले ही बोल पड़ी।
"इट्स ओके भाई, शायद उन्हें पता नहीं है। आपने बताया नहीं है। आप सॉरी मत बोलिए," मानसी ने कहा।
"हम्मम, चलो नीचे चलते हैं, नाश्ता टाइम से करा करो यार," रुद्रा ने कहा।
"येस, चलो," मानसी ने कहा।
इतना बोलकर दोनों नीचे आ गए जहाँ डाइनिंग टेबल पर बैठे रूही, साहिल और काकी हँस-हँसकर बातें कर रहे थे।
रुद्रा जैसे ही वहाँ आया, सब चुप हो गए। रूही ने सबको नाश्ता लगाया और जैसे ही बैठने को हुई, किसी ने घर की डोरबेल बजाई। रूही ने आँखों से एक नज़र सबको देखा और दरवाज़ा खोलने चली गई।
रूही ने जैसे ही दरवाज़ा खोला तो सामने आशू था। उसने रूही को देखते ही सीधा गले से लगा लिया।
"तू ठीक है ना? पता है मुझे कितनी फ़िक्र हो रही थी तेरी," आशू ने कहा।
"ओह गॉड! मैं ठीक हूँ। बाबा, तू इतना परेशान मत हो," इतना बोलकर उसने हल्की तिरछी नज़र से रुद्रा को देखा और आशू के हाथ में हाथ डालकर डाइनिंग एरिया की ओर ले आई।
रुद्रा की तो आशू को देखकर ही मुट्ठी कस गई, और साहिल बेचारा आशू के लिए दुआ कर रहा था।
"ये कौन है बिटिया?" काकी ने पूछा।
"काकी, ये हमारा दोस्त है," रूही ने कहा।
"हम सिर्फ़ दोस्त हैं?" आशू ने पूछा।
"उसे घूरते हुए, क्या है?" रूही ने पूछा।
"काकी, हम दोस्त नहीं बल्कि..." अपनी बात को बीच में रोककर,
रुद्रा उसे गुस्से से घूर रहा था, मानसी भी आशू को देख रही थी।
"...बल्कि बचपन के पक्के से भी पक्के वाले दोस्त हैं," आशू ने कहा।
"ओह अच्छा, हमें तो लगा..." साहिल ने कहा।
रूही साहिल को घूर रही थी।
"वैसे आपको क्या लगा? वन सेकंड, वन सेकंड! कहीं आपको हम दोनों के बीच..." अपना मुँह अजीब बनाते हुए, "छी छी! क्या सोच रहे हो! हम सिर्फ़ दोस्त हैं, बट मुझे इस छिपकली में इंटरेस्ट नहीं है। ये तो जिसकी भी किस्मत में होगी, बेचारा पछताएगा।" रूही को देखकर, जो उसे ही घूर रही थी, आशू ने अपने दाँत दिखाए। "नहीं, मतलब इसे खाना बनाना नहीं आता, और तो और ये इतनी मासूम है ना, क्या बताऊँ!"
"लेकिन खाना और नाश्ता बिटिया बहुत अच्छा बनाती है। देखो, इसी ने नाश्ता बनाया है," काकी ने कहा।
आशू रूही को घूरते हुए, "तू बदल गई! तू सच में बदल गई! तुझे कब से ये सब काम करने अच्छे लगने लगे? पहले तो बड़ा बोलती थी कि तुझे घूमना ही पसंद है, खाना बनाना नहीं!"
"तू निकल यहाँ से!" रूही ने कहा।
"नेवर! मिस रूही, सॉरी, सॉरी! मिसेज रूही रुद्रांश ओब्रॉय! मैं नाश्ता करके जाऊँगा, क्योंकि मेरी जान ने बनाया है!" आशू ने कहा।
रूही रुद्रा की ओर देखती है जो आशू को बहुत ज़्यादा गुस्से से घूर रहा था।
"मैं तुझे ना मिलूँगी तब खिलाऊँगी। अभी जा ना," रूही ने कहा।
"नाटक करते हुए, हे भगवान! दोस्त दोस्त ना रहा! ये तो शादी होते ही बदल गई! रुद्र, इसे बोलो, तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं है तो इसे क्यों है?" आशू ने कहा।
"अपनी मुट्ठी कसकर, तुम नाश्ता करके ही जाना, तुम्हारी दोस्त ने बनाया है!" रुद्रा ने कहा।
आशू टेबल पर बैठ गया और रूही का हाथ पकड़कर अपने बगल में बिठा लिया और उसकी प्लेट लगाकर खाना परोस दिया।
थोड़ी देर में सबने नाश्ता किया और वहाँ से हाल में आ गए।
रूही मानसी का पूरा ध्यान रख रही थी और उनमें अब एक ही दिन में काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। रुद्रा और साहिल दोनों ऑफिस चले गए थे। आशू भी ऑफिस चला गया था। सुबह से शाम आज यूँ ही हो गई थी।
रुद्रा और साहिल दोनों ऑफिस से घर आ गए थे। मानसी सोफ़े पर बैठी कुछ देख रही थी। रूही उसके पास बैठी उसके बालों में तेल लगा रही थी।
"ओफ़्फ़ो भाभी, रहने दो अब। आप रेस्ट करो," मानसी ने कहा।
"नहीं, मुझे रात का डिनर बनाना है," रूही ने कहा।
"वाय?? घर के सभी सर्वेंट कहाँ गए?" मानसी ने पूछा।
"वो मुझे पसंद है," इतना बोलकर रूही किचन में चली गई और खाना बनाने लगी।
रुद्रा घर आ गया था। दोनों चेंज करके खाना खाकर सो गए थे। आज रूही को रुद्र से बिल्कुल सजा नहीं मिली, न ही डर लगा था।
रूही आज भी बालकनी में जैसे ही जाने को हुई, रुद्रा ने उसे देखते हुए कहा,
"यहीं रूम में सो जाओ। अगर मनु को पता लगा तो उसके सवालों की लाइन लग जाएगी। इसलिए यहीं सो जाओ।"
रूही भी बिना बोले रुद्रा के बगल में आकर उसकी ओर पीठ करके सो गई।
To be continue
अगली सुबह रूही की आँख देर से खुली। उसने उठते ही अपने बगल में देखा, तो वहाँ रुद्रांश नहीं था। रूही ने जल्दी से समय देखा, तो सात बज गए थे।
"रूही— रूही गई पक्का! आज तो तू वो राक्षस... तेरी सजा और बढ़ा देगा, नो... नो.... नो...." इतना बोलकर रूही बेड से उठी और जल्दी से वाशरूम में चली गई।
थोड़ी देर में तैयार होकर रूही जल्दी से नीचे आई और किचन में देखा, तो नौकर काम कर रहे थे।
रूही ने एक नज़र सबको देखा और कहा— "आप सब क्यों? मैं आ ही रही थी, मैं थोड़ी लेट थी। आप सब रहने दीजिए, ये वैसे भी मेरा काम है, तो मैं कर लूँगी।"
"और आप सब ये क्यों करेंगी?" यह आवाज़ सुनकर रूही ने जैसे ही पीछे देखा, तो मानसी उसके पीछे हाथ बाँधे खड़ी हुई थी।
रूही—"नहीं, वो मतलब हम ही करते हैं, इसलिए।"
मानसी—"बट अब से नहीं। चलो, आ जाओ बाहर।"
रूही और मानसी में काफी अच्छी दोस्ती हो गई थी। रूही ने मानसी को और मानसी ने रूही को बहुत जल्दी अपना बना लिया था।
रुद्रा और साहिल भी नीचे आ गए थे। जहाँ सोफे पर रूही और मानसी पहले से बैठकर बात कर रही थीं।
मानसी—"अच्छा, बताओ ना कुछ अपने बारे में। अच्छा, ये बताओ, आपको भाई से प्यार कब हुआ? बताओ ना जल्दी।"
रूही—"रुद्रा की ओर देखकर... जब हम पहली बार मिले थे।"
रूही की बात सुनकर रुद्रा ने रूही को घूरकर देखा। तो रूही ने उसे एक स्माइल दी और आई विंक कर दी।
मानसी—"भाई, आपको कब प्यार हुआ?"
रुद्रा—"बहुत दिन हो गए। बस, फर्स्ट बार में ही प्यार हो गया था।"
साहिल—"ठीक है। अब प्यार को रखो और नाश्ता करने दो। आज हमारी मीटिंग है।"
रूही—"हाँ, मैं बोलती हूँ।"
साहिल—"मानसी, तुझे क्या करना है? तेरी स्टडी तो हो गई ना?"
रूही—"स्टडी...? आप शादी के बाद भी स्टडी करते थे? अच्छा है!"
रुद्रा (थोड़ा तेज आवाज़ में)—"तुमसे बोला जाए ना, उतना ही किया करो। समझी? जाकर नाश्ता लगाओ!"
रूही ने रुद्रा को देखा, जो गुस्से से उसे ही देख रहा था।
रूही—"मैं आती हूँ।" इतना बोलकर रूही वहाँ से चली गई।
रूही के जाते ही मानसी ने रुद्रा को देखा और कहा—"हम्मम, इट्स ओके भाई। वैसे भी मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। उस गलती की वजह से मैं घुट-घुट कर नहीं जी सकती और न ही हर बात पर परेशान होना चाहती हूँ।"
रुद्रा—"हम्मम। चल, नाश्ता करते हैं। तू बहुत बड़ी हो गई है वैसे भी।"
साहिल—"और नहीं तो क्या? तभी ये आजकल हमें कुछ नहीं बताती!"
मानसी—"क्या बताऊँ, जब कुछ है नहीं तो!"
रूही (वापस आते हुए)—"आ जाइए, नाश्ता लगा दिया!"
सब थोड़ी देर में नाश्ता कर चुके थे। रुद्रा और साहिल दोनों ऑफिस चले गए थे। रूही और मानसी पूरा दिन घर में बैठी बातें कर रही थीं। दोनों का आज का दिन काफी अच्छा जा रहा था।
ऑफिस में...
रुद्रा चेयर पर बैठा लैपटॉप में कुछ देख रहा था। साहिल उसके सामने बैठा हुआ था।
साहिल—"जो बोला था, वो हो गया। उसकी फैक्ट्री में आग लगा दी गई है। पर..."
रुद्रा—"हम्मम। बट पर क्या?"
साहिल—"वो... उसकी ऐसी एक ही फैक्ट्री तो नहीं है। वो आदमी ही बड़ा कामिना है। उससे लगता नहीं कोई फर्क पड़ेगा।"
रुद्रा—"पड़ेगा। बहुत फर्क पड़ेगा। उसकी बेटी तो हमारे साथ ही है ना।"
साहिल (रुद्रा को देखते हुए)—"वो तो ठीक है। लेकिन भाभी...(रुद्रा उसे घूरकर देख रहा था) सॉरी, वो रूही अगर उसकी बेटी नहीं हुई तो..."
रुद्रा—"वो उसी की बेटी है और उसने ही उसे हमारे पास भेजा होगा। बस एक सबूत और वो है उन दोनों बाप-बेटी को साथ में आने का सबूत। उसने जो किया है ना, उसकी सजा दोनों को मिलेगी।"
साहिल—"ओके। ये बता, उस आदमी का क्या करना है?"
रुद्रा—"मार डाल।"
साहिल—"ठीक है। हो जाएगा। बट तुझे पता है, कोई है हमारे आस-पास से जो उसे हमारी खबर दे रहा है। नहीं तो उसे कैसे पता लगता? वो तो तुम्हारा दिमाग है ही। तुमने सही टाइम में प्लान चेंज कर दिया।"
रुद्रा—"हम्मम। बस मुझे मेरा बदला लेना है।"
साहिल—"मेरा भी। मैं तेरे साथ हूँ।"
रुद्रा—"हम्मम। ये बता, उस कपूर वाली मीटिंग का क्या हुआ?"
साहिल—"वो दो दिन बाद है। बट वहाँ से कोई मिस कपूर आ रही है। वो आपसे दो दिन बाद मीटिंग करेंगी।"
रुद्रा—"मिस कपूर? आने दो। मिलते हैं इनसे भी।"
साहिल—"अच्छा। मैं काम करके आता हूँ। शाम को घर पर ही मिलते हैं।"
रुद्रा—"हम्मम।" इतना बोलकर वापस अपने काम में लग गया।
सुबह से रात हो गई थी। रूही और मानसी दोनों की बातें खत्म नहीं हुई थीं। दोनों आराम से सोफे पर बैठी हुई थीं, कि तभी घर की डोरबेल बजी। जिसे सुनकर रूही उठी और दरवाज़ा खोलने आ गई। उसने सामने देखा, तो रुद्रा खड़ा हुआ था। वो जल्दी से सामने से हटकर अंदर आ गई।
रुद्रा भी सोफे पर बैठ गया था। रुद्रा को आया देखकर एक नौकर पानी ले आया। रुद्रा ने पानी पिया और रूम में चला गया।
रूम में आकर रुद्रा थोड़ी देर बेड पर लेट गया और थोड़ी देर बाद वॉर्डरोब से कपड़े लेकर वाशरूम में चला गया।
रुद्रा थोड़ी देर में चेंज करके बाहर आया, तो रूम में रूही थी, जो शायद कुछ लेने आई थी।
रुद्रा (उसे अपने पास खींचकर उसके कानों में बोलते हुए)—"अपने बाप की बर्बादी नहीं देखी तुम्हें?"
रूही—"बर्बादी...?"
रुद्रा (उसे घुमाकर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए और उसे डीप किस करने लगा। रूही के हाथ उसकी कमर पर थे)—"वहाँ तुम्हारे बाप की बर्बादी और यह तुम्हारी। बस एक सबूत फिर तुम और तुम्हारा वो घटिया बाप कभी नहीं बचेगा!"
रूही (उसे दूर करके)—वहाँ से चली गई और नीचे आकर थोड़ी देर सोफे पर बैठ गई और थोड़ी देर बाद टीवी ऑन की, जहाँ मिस्टर बाडिया वाली न्यूज़ लाइव आ रही थी।
रूही ने उसे देखा और टीवी ऑफ कर दी और किसी को मैसेज करने लगी। ऊपर खड़ा रुद्रा उसे घूरकर देख रहा था।
रात का समय...
सब चुपचाप अपना डिनर कर रहे थे, तभी मानसी ने कहा—"क्या हुआ है सबको?"
रूही ने मानसी की बात सुनकर कहा—"कुछ नहीं। मेरा बाप बर्बाद हो गया।" (खाना खाते हुए)
मानसी—"कौन सा बाप? किसका बाप? कैसे बर्बाद हो गया? क्या बोल रहे हो आप?"
रूही—"कुछ नहीं। खाना खाइए। अब खाना खाते समय नहीं बोलना चाहिए।"
थोड़ी देर में सबने खाना खत्म किया और सोने चले गए।
To be continue...
अगली सुबह, रूही आराम से बिस्तर पर सो रही थी। उसके बगल की जगह खाली थी। शायद रुद्र उठ गया था, और शायद वह उस समय कमरे में नहीं था। पूरा कमरा खाली था! घर के पीछे बड़ा गार्डन बना हुआ था और एक झूला दो पेड़ों के बीच लगा हुआ था, जिसके ऊपर फूलों की डाली आ रही थी! और वहीं पर रुद्रा व्यायाम कर रहा था या घूम रहा था, यह बताना मुश्किल था। रुद्रा ने एक नज़र फूलों से लदे पौधों को देखा और जाकर झूले पर बैठ गया।
रुद्रा अपने सर पर हाथ रखकर कुछ सोच रहा था कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। रुद्रा ने जल्दी से अपने माथे से हाथ हटाया और पीछे देखा तो साहिल खड़ा हुआ था।
"क्या सोच रहा है यह अकेले बैठकर? मुझे तो तूने जॉगिंग पर भेज दिया और यह अकेले मज़े ले रहा है।"
साहिल आगे आकर बोला और रुद्रा के बगल में बैठ गया, सामने की ओर देखने लगा।
रुद्रा ने सामने की ओर देखकर कहा, "मैंने क्या किया? तुम्हें जॉगिंग जाना चाहिए था!"
"बात को घुमा मत, मैंने कुछ पूछा है।" साहिल ने कहा।
"मैंने कुछ नहीं घुमाया और अब मुझे रेडी होना है।" इतना बोलकर रुद्रा अपने कमरे में चला गया।
"वही बैठे तुझे समझना बहुत मुश्किल है।" साहिल ने कुछ सोचा और वापस कहा, "आज तो हमारी मीटिंग है ना कपूर्स के साथ। मुझे रेडी होना चाहिए।" इतना बोलकर साहिल उठा और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया।
रूही अभी भी आराम से सो रही थी कि तभी रुद्रा कमरे का गेट खोलकर अंदर आया। उसने एक नज़र रूही को देखा और वॉर्डरोब से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चला गया।
रूही भी अब उठ चुकी थी। उसने सामने लगी घड़ी में समय देखा और जल्दी से बैठ गई। बालों को सही करके, बिस्तर के नीचे से चप्पल पहनकर, वॉर्डरोब से जल्दी से कपड़े लिए और एक पल भी गँवाए बिना सीधा बाथरूम में चली गई। पर अगले ही पल दोनों की चीख के साथ पूरा कमरा गूंज उठा। रूही बाथरूम में घूमकर अपनी आँखों पर हाथ रखे खड़ी बड़बड़ा रही थी।
"ऐसे कौन नहाता है?"
"What do you mean by that?" रुद्रा ने पूछा।
"ऐसे दरवाज़े को खुला छोड़कर कौन नहाता है?"
रुद्रा ने हाथ बाँधकर रूही को पकड़कर अपनी ओर करते हुए कहा, "मेरा घर, मेरा कमरा, एंड मेरा बाथरूम, मेरी मर्ज़ी, चाहे मैं कैसे भी नहाऊँ।"
रूही की डर से आँखें बंद हो गई थीं। उसने अपनी आँखें खोली और अपने हाथों को कमर पर रखकर कहा, "हाँ तो ये मेरा भी घर है, मेरा भी कमरा है, मेरा भी बाथरूम है और हाँ, पति भी मेरा।" इतना बोलकर रूही जल्दी से चुप हो गई।
"और क्या कहा?" रुद्रा ने उसे कमर से पकड़कर अपने करीब करते हुए पूछा।
रूही, जो रुद्रा को इतने करीब से बिना कपड़ों के पहली बार देख रही थी, उसकी साँसें बहुत तेज़ चल रही थीं। "मैंने... मैंने क्या बोला...?"
रुद्रा ने उसकी कमर पर दोनों हाथों को लपेटा और रूही को घुमाकर दीवार से लगा दिया और खुद उसके करीब आने लगा। रूही को दीवार से लगाते ही शॉवर से पानी आने लगा जो दोनों के ऊपर गिर रहा था। रूही का बदन पानी की वजह से साफ़ दिखाई दे रहा था।
रुद्रा ने थोड़ी देर रूही को देखा और उसे गोद में उठा लिया और बाथटब में डालकर खुद उसके ऊपर आ गया।
"हटो, मेरा दम घुट रहा है! हटो!" रूही ने उसके सीने पर मारते हुए कहा।
"नहीं हटूँगा। वैसे मेरे करीब आना था ना तुम्हें?"
रूही रुद्रा को बिना पलक झपकाए देख रही थी। उसे रुद्रा की बात सुनकर झटका लगा था।
"करीब? मैं क्यों करीब आऊँगी?"
"रियली तो मैं आ जाता हूँ।" इतना बोलकर रुद्रा ने उसके गले पर जैसे ही किस करना चाहा, रूही ने उससे पहले ही रुद्रा के हाथ पर काट लिया था। रुद्रा ने अपना हाथ देखा और रूही के शरीर को ढीला छोड़ दिया। रूही ने रुद्रा को धक्का दिया और बाथरूम में जल्दी से बाहर आ गई।
रुद्रा ने एक नज़र रूही को जाते हुए देखा और एक डेविल स्माइल कर दी। अगर वह चाहता तो रूही को आराम से पकड़ सकता था, लेकिन उसने खुद रूही को जाने दिया।
रूही अभी भी कमरे में खड़ी खुद को नॉर्मल कर रही थी कि तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला और रुद्रा बाहर आया। दोनों की नज़रें जैसे ही एक-दूसरे से टकराईं, दोनों एक-दूसरे को देखने लगे कि तभी दरवाज़ा खुला होने से मानसी ने उन दोनों को ऐसे देखा तो उसे हँसी आने लगी। दोनों भीगे हुए थे।
"अरे बस कीजिए भाई-भाभी, एक-दूसरे को देखना!" मानसी ने कहा।
मानसी की आवाज़ सुनकर दोनों का ध्यान टूटा और जैसे ही दोनों की नज़रें मानसी पर गईं, तो दोनों ही झेंप गए। रूही ने बिना कुछ बोले जल्दी से अपने कदम बाथरूम में ले लिए।
"क्या हुआ मानसी? कुछ चाहिए था?" रुद्रा ने आईने के सामने आकर पूछा।
"हाँ भाई, वो मैं आप दोनों को नाश्ता करने के लिए बोलने आई थी।"
"आ रहा हूँ, मेरे लिए परेशान मत हुआ कर बच्चा..."
"ओके, आप लोग आ जाओ।" इतना बोलकर मानसी वहाँ से नीचे चली गई।
रुद्रा भी तैयार होने लग जाता है। रूही थोड़ी देर में बाहर आती है तो आईने के सामने आकर रेडी होने लगती है। उसने रेड कलर की स्लीवलेस कुर्ती विथ व्हाइट पैंट पहना हुआ था। उसने अपने कमर तक आते बालों को हाथ में लिया और हल्का सा जूड़ा बना लिया और हाथों को बालों में फिराकर दो लटें आगे निकाल ली थीं।
रुद्रा जो सोफे पर बैठा अपने लैपटॉप में काम कर रहा था, उसे रूही की चूड़ियों की आवाज़ से इरिटेट हो रहा था। उसकी नज़र जैसे ही रूही पर गई, उसे देखकर वह कहीं खो सा गया था।
to be continue
रुद्रा भी तैयार होने लगा। थोड़ी देर में रूही बाहर आई और आईने के सामने आकर तैयार होने लगी। उसने रेड कलर की स्लीवलेस कुर्ती विथ व्हाइट पेंट पहना हुआ था। उसने कमर तक आते बालों को हाथ में लिया और हल्का सा जूड़ा बना लिया। फिर बालों में हाथ फिराकर दो लटें आगे निकाल ली थीं।
रुद्रा सोफे पर बैठा अपने लैपटॉप में काम कर रहा था। रूही की चूड़ियों की आवाज उसे इरिटेट कर रही थी।
जैसे ही उसकी नज़र रूही पर गई, वह उसे देखकर कहीं खो सा गया।
जैसे ही रूही की नज़र आईने में गई, उसे रुद्रा की नज़र खुद पर महसूस हुई। वह जल्दी से वहाँ से निकलने लगी, कि अचानक पीछे से रुद्रा ने उसका हाथ पकड़ लिया।
"अभी भी वही खड़ी हुई थी!" रूही बोली।
"कल से ये चूड़ियाँ मत पहनना। इसकी आवाज मुझे इरिटेट करती है," रुद्रा ने उसकी कमर पर हाथ लपेटते हुए उसकी गर्दन पर अपने होंठ रखते हुए कहा।
"क्यूँ?" रूही ने पूछा, "मैं तो नहीं खोलूँगी। मेरे हाथ, मेरी चूड़ियाँ, मैं पहनूँगी।"
"उसे घुमाकर मैंने कहा ना, नहीं पहनोगी! मुझे इसका शोर पसंद नहीं है!" रुद्रा ने कहा।
"तुमने ही तो पहनाई थी ना, सजा के तौर पर! तो अब सुनो," रूही ने कहा।
"कुछ पल शांत रहकर, अब मैं ही बोल रहा हूँ ना, खोल देना!" रुद्रा ने कहा।
"नेवर, पतिदेव," रूही ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, इतना बोलकर रूही जल्दी से वहाँ से निकल गई।
"मैंने बोला ना, ये तो तुम्हें उतारनी ही पड़ेगी," इतना बोलकर रुद्रा भी उसके पीछे चलने लगा।
सीढ़ियों के पास आते ही रूही ने पीछे देखा तो रुद्रा उसके पीछे ही आ रहा था। उसके चेहरे पर एक स्माइल थी।
"ये इसकी स्माइल इससे भी ज़्यादा खतरनाक है," इतना बोलकर रूही सीढ़ियाँ उतर रही थी कि अचानक ही उसका पैर मुड़ा और वह सीढ़ियों से गिरते हुए नीचे आ गई।
रूही को गिरता देख रुद्रा जल्दी से नीचे उतरने लगा। सोफे पर बैठे साहिल और मानसी भी रूही को देखकर जल्दी से वहाँ सीढ़ियों के पास आ गए।
रुद्रा ने जल्दी से रूही को उठाया और सोफे पर बिठा दिया। रूही के सर से हल्का सा खून आ रहा था।
"आप ठीक हो ना, भाभी?" मानसी ने पूछा।
"हम्मम..." रूही ने उत्तर दिया।
"और कहीं चोट लगी है?" रुद्रा ने पूछा।
रूही ने एक नज़र खुद को देखकर अपनी गर्दन नीचे करके कहा, "नहीं..."
रुद्रा को उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था।
"साहिल, डॉक्टर को फोन कर!" रुद्रा ने कहा।
"नहीं, मैं ठीक हूँ," रूही ने रुद्रा को देखते हुए कहा। इतना बोलते ही जैसे ही रूही उठने को हुई, उसके पैर में तेज दर्द होने की वजह से उसके पैर लड़खड़ा गए। गिरने से पहले ही उसने रुद्रा के शर्ट को पकड़ लिया, लेकिन रुद्रा के मज़बूत हाथों ने उसकी कमर को कस के पकड़ा हुआ था।
"आह्ह्ह! मेरा पैर बहुत दर्द हो रहा है," रूही ने कहा।
रुद्रा ने बिना कुछ बोले उसे सोफे पर बिठाया और खुद भी उसके पास बैठ गया।
"डॉक्टर आ गए," मानसी ने दरवाजे की ओर देखकर कहा।
"सॉरी, मैं लेट हो गया," डॉक्टर अंदर आते हुए बोले।
"कितना टाइम लगता है आपको आने में?" रुद्रा गुस्से से बोला।
"सॉरी सर," डॉक्टर डरते हुए बोले।
"कोई नहीं, भाई। डॉक्टर को देखकर आप पहले इन्हें देख लीजिए!" मानसी ने कहा।
डॉक्टर ने रूही के सर पर खून साफ किया और पट्टी बाँध दी। और पैर को देखकर कुछ दवाइयाँ दे दी और कहा, "सब सही है। ज़्यादा चोट नहीं लगी, बट पैर मुड़ गया है। उसमें दर्द है तो पैर पर ज़्यादा जोर ना लगे, मतलब ज़्यादा घूमना-फिरना नहीं है।"
रूही छोटे बच्चे की तरह डॉक्टर को देखकर अपनी गर्दन हाँ में हिला रही थी। थोड़ी देर में डॉक्टर भी चले गए थे। रुद्रा भी थोड़ी देर बाद नाश्ता करके साहिल के साथ ऑफिस निकल गया था। आज उनकी मीटिंग थी। रूही और मानसी दोनों सोफे पर बैठी हुई थीं।
"क्या, भाभी! मैंने आज शॉपिंग पर चलने का पूरा प्लान बनाया था, लेकिन सब खराब हो गया," मानसी ने कहा।
"हम्मम, वही तो!" रूही ने कहा।
दोनों बातें ही कर रही थीं कि तभी घर की डोरबेल बजी। जिसे सुनकर रूही और मानसी दोनों एक-दूसरे के चेहरे की ओर देखने लगीं, जैसे पूछ रही हों अब कौन आया होगा।
"मैं देखती हूँ!" मानसी ने कहा।
"हम्मम," रूही ने कहा।
मानसी ने सोफे से उठकर दरवाजे पर आकर जैसे ही दरवाज़ा खोला, सामने आशु खड़ा हुआ था।
"हेलो!" आशु ने कहा।
"हेलो!" मानसी ने कहा।
"रूही कहाँ है?" आशु ने अंदर की ओर देखते हुए पूछा।
"अंदर ही है। आप आइए ना," इतना बोलकर दोनों अंदर आ गए।
रूही जो कि दरवाजे की ओर ही देख रही थी, अचानक आशु को देखकर खुश हो गई। आशु भी जल्दी से उसके पास आ गया। रूही खुशी के मारे जल्दी से खड़ी हो गई, पर अचानक पैर में दर्द होने से वह लड़खड़ा गई, लेकिन गिरने से पहले ही आशु ने उसे पकड़ लिया।
आशु उसे सही से सोफे पर बैठाते हुए उसे घूरकर देखने लगा और बोला, "क्या किया तूने ये बता तो जरा?"
"एक मिनट! क्या किया से क्या मतलब है तेरा? मैं गिर गई थी," रूही ने कहा।
"हाँ तो तू काम गिरने लायक करती है!" आशु ने कहा।
"तूने मुझे एक बार भी नहीं पूछा कि मैं कैसी हूँ, बल्कि सुनाए जा रहा है...," रूही ने मुँह बनाते हुए कहा।
"व्हाट...? मैंने तो कुछ बोला भी नहीं!" आशु ने कहा।
"तू भी मुझसे प्यार नहीं करता, कोई नहीं करता। मैं यहाँ सुबह से बैठी-बैठी परेशान हो गई!" रूही ने कहा।
"तो तुझे कहीं जाना है तो बता!" आशु ने कहा।
"क्यों? तू मुझे गोद में उठाकर घूमने वाला है?" रूही ने कहा।
आशु ने रूही की ओर आई विंक की और उसके कान के पास जाकर बोला, "वैसे आइडिया बुरा नहीं है तेरा!"
मानसी जो सोफे पर बैठी उन दोनों की बातें सुन रही थी, उसे बहुत अजीब लग रहा था। रूही का आशु के इतना क्लोज़ या आशु का रूही की इतनी फ़िक्र करना!
आशु आगे झुका और रूही को गोद में उठा लिया और घर में घूमने लगा।
"तूने आजकल खाना कम कर दिया क्या?" आशु ने पूछा।
"क्यों?" रूही ने पूछा।
मानसी सोफे पर बैठी, दोनों की बातें सुन रही थी। उसे बहुत अजीब लग रहा था; रूही का आशु के इतना क्लोज होना, या आशु का रूही की इतनी फिक्र करना!
आशु आगे झुका और रूही को गोद में उठा लिया। वह घर में घूमने लगा।
"तूने आजकल खाना कम कर दिया क्या?" आशु ने पूछा।
"क्यों?" रूही ने पूछा।
"तू पहले से हल्की हो गई ना!" आशु ने कहा।
"हाँ तो, एक सेकंड, मैं पहले मोटी कब थी?" रूही ने पूछा।
"वो तो कोई मुझसे ही पूछो!" आशु ने कहा।
"उड़े मत और आराम से, कहीं गिरा मत देना!" रूही ने कहा।
मानसी कब से इन दोनों को देख रही थी। उसे रुद्रा के लिए थोड़ा बुरा लग रहा था। उसने इतने दिनों में आज तक रुद्रा को रूही की इतनी फिक्र करते नहीं देखा था। मानसी मन में सोच रही थी, "रूही भाभी भाई से कितना डरी-डरी रहती है, जबकि इन दोनों को देखकर कोई नहीं बोल सकता इनकी लव मैरिज है, और आशु के साथ कितना खुल के रहती है। मुझे कुछ करना होगा!"
"आशु, अब तू थक गया? अब मुझे नीचे बहुत घूम लिया, मैं थक गई!" रूही ने कहा।
"व्हाट...?" आशु ने पूछा।
"क्या हुआ?" मानसी ने पूछा।
"मतलब कब से मैं इसे गोद में लेकर घूम रहा था, तुझे गोद में भी मैंने लिया तो तू कैसे थक गई?" आशु ने पूछा।
"थक गई बस गोद में!" रूही ने कहा।
"अच्छा, बता तू कहाँ से गिरी?" आशु ने पूछा।
"सीढ़ियों से।" मानसी ने उत्तर दिया।
"देखकर नहीं चल सकती!" आशु ने कहा।
"देखकर ही चल रही थी।" रूही ने कहा।
मानसी ने कहा, "पर सीढ़ियाँ नहीं, भाई को इतना बोल..." मानसी हँसने लगी। आशु उसे देख रहा था। अचानक दोनों की नज़रें टकराईं। आशु ने तुरंत अपनी नज़रें फेर लीं।
"अच्छा, तू फ़्री है ना?" रूही ने पूछा।
"येस मेम, मेरे लिए कोई काम?" आशु ने पूछा।
"हाँ है ना।" रूही ने कहा।
"क्या?" आशु ने पूछा।
"अरे मानसी दी को शॉपिंग करनी थी, लेकिन मेरी चोट की वजह से नहीं गए, तो तुम चलो इनके साथ!" रूही ने कहा।
"भाभी, हम और कभी चलेंगे ना...अभी रहने देते हैं ना!" मानसी ने कहा।
"हम्मम, आप दोनों देख लो।" आशु ने कहा।
"चले जाओ, घूमकर आना।" रूही ने कहा।
मानसी रूही के ज़िद करने की वजह से आशु के साथ जाने को रेडी हो गई थी। थोड़ी देर में दोनों शॉपिंग के लिए निकल गए थे। आशु कार चला रहा था और मानसी आगे उसके साथ बैठी हुई थी।
वहीं साहिल और रुद्रा दोनों मिस कपूर का वेट कर रहे थे। तभी केबिन का गेट खुला और एक लड़की अंदर आई। उसने बिज़नेस शूट पहना हुआ था और उसने बालों को चोटी बनाई हुई थी। हाथ में महँगी घड़ी पहनी हुई थी। उस लड़की को देख रुद्रा और साहिल दोनों खड़े होकर उस लड़की से हाथ मिलाने लगे।
"हेलो! रुद्रांश ओबरॉय," रुद्रा ने कहा।
"हेलो! साहिल," साहिल ने कहा।
"हेलो! अहाना कपूर," कपूर ने कहा।
"बैठिए।" इतना बोल तीनों अपनी मीटिंग में बिजी हो गए।
वहीं घर पर रूही बहुत बोर हो रही थी। उसे नींद ही आने लगी थी। आशु ने मानसी को काफी अच्छे से शॉपिंग करवाई थी और उसे परेशान भी नहीं होने दिया था। सुबह से शाम हो गई थी। रूही की आँख खुली तो उसने देखा, उसके बगल में रुद्रा और साहिल दोनों बैठे हुए थे।
"आप कब आए?" रूही ने पूछा।
"जब आप सो रही थीं।" साहिल ने कहा।
"हाँ, मुझे नींद आ गई थी!" रूही ने कहा।
"मानसी कहाँ है? दिखाई नहीं दे रही?" रुद्रा ने पूछा।
"वो दी ना, शॉपिंग पर गई है!" रूही ने कहा।
"अकेले?" रुद्रा ने पूछा।
"नहीं-नहीं, आशु के साथ गई है!" रूही ने कहा।
"व्हाट.....तुम्हारे उस दोस्त के साथ? मेरी बहन? ये सब क्या है? किसने कहा तुमसे उसे भेजने को?" रुद्रा ने गुस्से से पूछा।
"वो उन्हें शॉपिंग करवा के ले आएगा!" रूही ने कहा।
"गुस्से से उसकी बाजू पकड़कर अगर उसकी वजह से मेरी बहन को कुछ हुआ ना, छोड़ूँगा नहीं तुम्हें!" रुद्रा ने कहा।
"मुझे दर्द हो रहा है, छोड़ो! और मेरा दोस्त बहुत अच्छा है!" रूही ने कहा।
दोनों आपस में एक-दूसरे से बात ही कर रहे थे कि तभी मानसी आई, जिसकी आँखों में लगातार आँसू आ रहे थे। रुद्रा की नज़र जैसे ही मानसी पर गई, उसकी आँखों को देखकर रुद्रा को उसकी बहुत फिक्र होने लगी। रुद्रा जैसे ही उसके पास जाने को हुआ, मानसी जल्दी से वहाँ से चली गई।
"मानसी...? मानसी, क्या हुआ बच्चा?" रुद्रा ने पूछा।
रूही जो मानसी को इस तरह देखकर शॉक हुई थी, उसने अपनी नज़रें उठाकर रुद्रा को देखा, जो उसे ही घूर रहा था। रुद्रा मानसी के कमरे की ओर जल्दी से चला गया और दरवाज़े को बजाने लगा, लेकिन मानसी दरवाज़ा ही नहीं खोल रही थी! रुद्रा थोड़ी देर में परेशान होकर नीचे आया और रूही को देखकर कहा, "तुम्हारे उस घटिया दोस्त ने क्या किया है? बताओ, वरना तुम्हारे लिए अच्छा नहीं होगा।" उसने इतने गुस्से से बोला था कि रूही डर के मारे हालत खराब हो गई थी।
"उसने कुछ नहीं किया होगा, और वो उसका फ़ोन बंद आ रहा है।" रूही ने कहा।
"सब तुम्हारी वजह से हुआ है, सज़ा भी तुम्हें ही मिलेगी!" रुद्रा ने कहा।
"मैंने कुछ नहीं किया, रुद्रा।" रूही ने कहा।
रुद्रा ने रूही का हाथ पकड़ा और घसीटते हुए ऊपर रूम में ले आया। रूही की हालत चलने लायक नहीं थी, फिर भी वह रुद्रा के खींचने से चल रही थी। उसके पैर में दर्द हो रहा था और तो और उसे कई और जगह भी चोट लगी थी, वह भी उसे दर्द हो रहा था! रुद्रा ने रूही को लाकर रूम में जोर से छोड़ दिया और उसके पास जाकर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए! रूही ने अपनी हाथों की मुट्ठी बांध ली, क्योंकि रुद्रा उसे किस करते वक्त बहुत दर्द दे रहा था; उसने उसके होठों पर बाइट कर लिया था, जहाँ से खून आ रहा था। रुद्रा ने लगभग बीस मिनट के बाद रूही को दूर किया, क्योंकि रूही उसके सीने पर हाथों से मार रही थी, क्योंकि उसे साँस लेने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी!
रूही के होठ एकदम नीले हो गए थे और खून निकल रहा था। उसकी आँखों से भी आँसू निकल रहे थे। रूही ने अपने सीने पर हाथ रखा और तेज साँसें लेने लगी! रुद्रा उसे देख रहा था, लेकिन उसे इन सब से कोई मतलब नहीं था!
रुद्रा ने रूही का हाथ पकड़ा और घसीटते हुए ऊपर कमरे में ले आया। रूही की हालत चलने लायक नहीं थी, फिर भी वह रुद्रा के खींचने से चल रही थी। उसके पैर में दर्द हो रहा था और उसे कई और जगह भी चोट लगी थी, जिनसे उसे दर्द हो रहा था।
रुद्रा ने रूही को कमरे में जोर से छोड़ दिया और उसके पास जाकर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।
"आह्!" रूही ने अपनी मुट्ठियाँ कस लीं, क्योंकि रुद्रा उसे किस करते वक्त बहुत दर्द दे रहा था। उसने उसके होठों पर काट लिया था, जहाँ से खून आ रहा था।
लगभग बीस मिनट बाद रुद्रा ने रूही को दूर किया, क्योंकि रूही उसके सीने पर हाथों से मार रही थी, क्योंकि उसे साँस लेने में बहुत प्रॉब्लम हो रही थी।
रूही के होठ एकदम नीले हो गए थे और खून निकल रहा था। उसकी आँखों से भी आँसू निकल रहे थे। रूही ने अपने सीने पर हाथ रखा और तेज़ साँसे लेने लगी। रुद्रा उसे देख रहा था, लेकिन उसे इन सब से कोई मतलब नहीं था।
रुद्रा ने उसकी बाँहों को पकड़कर कहा – "चाहती क्या हो तुम..?"
"तुम्हें मुझे बर्बाद करना है ना, प्लीज़ मेरी बहन की क्या गलती है? उसे क्यों यूज़ कर रही हो इन सब में?"
रूही ने अपनी गर्दन ऊँचा करके रुद्रा की ओर देखते हुए बोली – "यूज़"? ... रियली? मैं मानसी दी को यूज़ करूँगी? नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। आप उनसे बात करो ना। हर बार मुझे दोष क्यों देते हो?"
रुद्रा ने उसे जोर से धक्का देकर छोड़ दिया, जिसकी वजह से रूही सीधा जाकर टेबल से टकरा गई। जिससे उसका हाथ स्लिप हुआ और उसके हाथ से हल्का सा खून निकलने लगा था।
"दूर रहो वरना बर्बाद हो जाओगी!" रुद्रा ने कहा।
"हस्ते हुए वो तो मैं हो गई रुद्रा!" रूही ने कहा।
रुद्रा ने एक नज़र रूही को देखा और कमरे से बाहर चला गया। साहिल कब से मानसी से दरवाज़ा खुलवाने की कोशिश कर रहा था। वह गेट तोड़ने ही वाला था कि मानसी ने अंदर से कहा – "भाई, मैं ठीक हूँ। आप जाओ यहाँ से!" साहिल ने उसे ज़्यादा कुछ नहीं कहा और अपने कमरे में चला गया।
आज का दिन शायद सबके लिए बुरा था। किसी ने भी खाना नहीं खाया और न ही किसी की आँखों में नींद थी। रूही बालकनी में खड़ी रेलिंग पर हाथ रखे सिर्फ़ सोच रही थी। तो वहीं उसके ऊपर छत पर खड़ा रुद्रा सिगरेट पी रहा था। उसकी आँखों में गुस्सा साफ़ दिखाई दे रहा था। मानसी बेड पर टेक लगाए ऊपर छत को घूर रही थी। साहिल भी सोफ़े पर बैठा अपनी ही सोच में गुम था। सबके लिए यह रात खराब ही आई थी।
तो वहीं एक बंगला, जिसके कमरे की लाइट कभी बंद तो कभी चालू हो रही थी। उस कमरे में बैठे आशु ने, जो बेड से टेक लगाकर बैठा था, वो लाइट ऑन-ऑफ़ कर रहा था। उसकी आँखों के सामने मानसी का रोता हुआ चेहरा बार-बार याद आ रहा था।
अगली सुबह।
ओब्रोय मेंशन।
दिखने में खूबसूरत, तो है ही, लेकिन इस रात ने शायद सबके लिए अँधेरा किया हुआ था। लेकिन इस सुबह से क्या बदलाव होगा, किसी को कुछ मालूम नहीं था। तो वहीं रूही अभी भी बालकनी की रेलिंग से टेक लगाकर बैठी हुई सो रही थी। उसके हाथ से खून ज़मीन पर निकलकर थोड़ा बहुत फैल गया था, जो कि अब तक सूख गया था। उसके होठों से खून अब सूख गया था, उसके होठ नीले पड़ गए थे।
मानसी का कमरा।
मानसी बेड से उठ चुकी थी। उसके कमरे के बाथरूम से पानी की आवाज़ साफ़ आ रही थी। शायद वह शॉवर ले रही थी। थोड़ी देर में मानसी बाहर आई और आईने के सामने आकर रेडी हो गई और खुद को काँच में देखकर खुद से ही बोलते हुए कहा – "लोगों की आदत है मानसी, लोगों का काम ही बुरा-भला कहने का है, उनके लिए तो क्यों टेंशन ले रही है? बेबी के लिए तो सोच।" इतना बोल मानसी ने खुद को देखा और अपने पेट पर हाथ रखकर कहा – "आपकी मम्मा को किसी की बात का कोई फ़र्क नहीं पड़ता।" इतना बोल मानसी ने एक नज़र खुद को देखा, जिसकी आँखें शायद पूरी रात रोने से सूज गई थीं। मानसी जल्दी से रेडी हुई और कमरे से बाहर आकर हॉल में सोफ़े पर बैठ गई और पास में पड़ा न्यूज़पेपर लेकर पढ़ने लगी। साहिल अभी भी कमरे में था। वह कमरे से ही अपना काम कर रहा था। रुद्रा जो कि सब से बेफ़िक्र होकर छत पर लगे झूले पर सो रहा था, धूप की किरणों की वजह से उसकी आँखें खुलीं। तो उसने खुद को ऐसे सोता देखा, तो उसे रात की सारी बात याद आ गई। वह उठा और जल्दी से नीचे चला गया। रूही कमरे में रेडी हो रही थी। उसके पैर में अभी भी दर्द था, ऊपर से हाथ में भी। उसने हिम्मत करके शॉवर लिया और रेडी होकर नीचे जाने लगी।
सीढ़ियों से उतरती हुई रूही की नज़र मानसी पर गई, तो उसी समय मानसी ने भी ऊपर गर्दन की, तो उसकी नज़र रूही पर गई। रूही की हालत देख मानसी को कुछ समझ नहीं आया।
रूही, अपने पैर से सही से चल भी नहीं पा रही थी। उसने जल्दी-जल्दी से पैर रखे और मानसी के पास आ गई।
"ये आपको क्या हुआ भाभी? आपके हाथ और होठ..." मानसी चुप हो गई।
"कुछ नहीं। कल आपके साथ क्या हुआ था? आशु ने कहीं आपके साथ...?" रूही ने पूछा।
मानसी ने रूही की बात को बीच में ही काटते हुए कहा – "नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ। वो तो बहुत अच्छे हैं।"
साहिल सीढ़ियों से नीचे आते हुए – "फिर क्या हुआ...?"
मानसी ने साहिल को देखकर कहा – "कुछ नहीं, जाने दीजिए ना!"
रुद्रा, जो कि सब की बातें सीढ़ियों पर खड़ा होकर सुन रहा था, वह भी मानसी के पास आकर बैठ गया। उसकी नज़र रूही पर गई, तो उसके होठ नीले पड़ गए थे। उनका खून जो कि सूख गया था, वह कट के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे।