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Hate by mistake

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Ishqi

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तू किस तरह की ओरत है अगर तुझ से तेरा पति ही मुंह मोड़ चूका है?" तू इस परिवार पर एक बोझ है?" तू मेरे बेटे की जिंदगी में एक श्राप की तरह है?" ये सब ताने बेला बनर्जी को हर रोज सुनने को मिल रहे थे जब से उसकी शादी एक अमीर परिवार के बेटे से हुई थी! उसकी को...

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IRAA VAGHORA

Healer

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DHRUV VAGHORA

Warrior

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Bella

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RAJVEER VAGHORA

Hero

Total Chapters (81)

Page 1 of 5

  • 1. Hate by mistake - Chapter 1

    Words: 935

    Estimated Reading Time: 6 min

    "आज जब वीर जी आयेंगे, मैं सबसे पहले उन्हें ये खुशी बताऊँगी। वो पापा बनने वाले हैं। कितना खुश हो जायेंगे ना वो! हाँ, बहुत खुश होंगे।" एक प्यारी सी लड़की अपने पेट पर हाथ रखे ये बोल रही थी। उसकी नीली आँखों में खुशी की चमक थी! उसने इस वक्त घाघरा-चोली पहना था, सर पर दुपट्टा था। वह किचन में खड़ी थी, शायद कड़ाही चढ़ा रखी थी कुछ उबलने के लिए। वह खुद से बातें कर ही रही थी कि उसे किसी के आने की आहट हुई और उसने तुरंत अपना घूंघट ले लिया! "सब्जी जल रही है, बेला! तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है हर वक्त!" बेला ने तुरंत चमचा टटोला क्योंकि उसकी आँखें देखने के काबिल नहीं थीं, पर वह घर के काम की आदि हो चुकी थी। उसे घर के काम करने के लिए किसी की हेल्प की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। उसकी सास, श्रीमती देवकी वघोरा, एक मौका नहीं छोड़ती थी उसे ताने मारने का! देवकी जी: "आज राजवीर घर आ रहा है। कोई गड़बड़ नहीं होनी चाहिए! तेरे पैर जब से इस घर में पड़े हैं, मेरे बेटे की ज़िंदगी में क्लेश ही क्लेश भरा हुआ है। कम से कम आज का दिन अच्छे से चलने देना! वह पूरे दो महीने बाद घर लौटकर आ रहा है।" बेला ने डर के मारे हाँ में गर्दन हिला दी, पर मुँह से एक शब्द नहीं निकाला। देवकी जी मुँह बनाते हुए किचन से निकल गईं और उनके जाने के तुरंत बाद एक मेड आई और बेला के हाथ से चमचा लेते हुए बोली, "दीदी, आप कब तक इस बुढ़िया के जुल्म सहोगी? अपने घर क्यों नहीं चली जाती?" बेला ने एक प्यारी सी मुस्कान के साथ कहा, "गायत्री, तुम हमारा कितना ख्याल रखती हो! पर हमें यकीन है, हमारे वीर जी बुरे इंसान नहीं हैं। एक न एक दिन तो हमें अपना ही लेंगे। तब तक मम्मी जी हमें कुछ भी कहें, हम mind नहीं करेंगे।" इतना बोल बेला खिल-खिला कर हँस पड़ी क्योंकि उसके दिल में अजीब सी गुदगुदी हो रही थी। वह दो महीने बाद राजवीर की आवाज़ सुनेगी! उसे यह बताएगी कि वह पापा बनने वाला है। हो सकता है राजवीर उसे खुशी के मारे गले भी लगा ले। बस यही ख्यालात उसके मन में खुशी के लड्डू खिला रहे थे! गायत्री और बेला ने मिलकर ब्रेकफास्ट तैयार किया और डाइनिंग टेबल पर, और दो सर्वेंट की मदद से, लगा दिया। तभी डोरबेल बजी और बेला का दिल जोरों से धड़कने लगा! जैसे अभी सीने से बाहर निकल आयेगा। उसने अपने दिल पर हाथ रखकर खुद से ही धीमे से कहा, "तू इतना क्यों वाइब्रेट हो रहा है? सब ठीक है। बस मेरे वीर जी आये हैं! अब थोड़ी देर शांति रख।" पर अगले ही पल उसके कानों में अनजानी आवाज़ आई, "नमस्ते आंटी जी! नमस्ते अंकल जी! मेरा नाम ताशा है।" देवकी जी और उनके पति, कर्मवीर जी, सोफे पर बैठे थे और उनके सामने लॉन्ग वन-पीस पहने एक एलिगेंट सी लड़की खड़ी थी! गायत्री तुरंत बेला के करीब आकर बोली, "देखा दीदी, तुम्हारे वीर जी एक विदेशी को ले आए हैं साथ! मैंने पहले ही कहा था! आप यहाँ से चली जाइए।" बेला ने जबरदस्ती मुस्कुराकर कहा, "दोस्त भी तो हो सकती है, गायत्री! तुम ही ज़्यादा सोच रही हो। वीर जी इतना बुरा नहीं कर सकते हमारे साथ।" गायत्री ने अफ़सोस से अपने सर पर हाथ मार लिया। पर अगले ही पल बेला की इस उम्मीद ने भी दम तोड़ दिया जब राजवीर की भारी आवाज़ उसके कानों में पड़ी, "मॉम, ये ताशा है। मेरे साथ मेरी कंपनी में काम करती है और हमारी कंपनी का न्यू फ़ेस है, और साथ में आपकी होने वाली बहू!" आखिरी के चुनिंदा शब्दों ने बेला को बुरी तरह जकझोर कर रख दिया था। यह सब क्या बोल रहा था राजवीर, जबकि उसकी शादी तो दो महीने पहले हो चुकी थी! बेला की आँखों में नमी छा गई और उसने गायत्री का हाथ कसकर पकड़ लिया। गायत्री की आँखों में भी बेला की इस कंडीशन को देखकर पानी आ गया। उसने खुद को कंट्रोल करते हुए कहा, "संभालिए दीदी खुद को! आपको मजबूत बनना पड़ेगा!" बेला बुरी तरह फूट-फूट कर रोने लगी, पर उसे सुनने वाला कोई नहीं था सिवाय गायत्री के! राजवीर ने तिरछी नज़रों से बेला को देखा और फिर भारी कदमों से उसकी तरफ़ बढ़ गया। बेला ने जैसे ही महसूस किया कि उसकी तरफ़ किसी के कदम बढ़ रहे हैं, उसने गायत्री के हाथ को कसकर थामते हुए धीरे से कहा, "क... क्या वीर जी मेरे पास आ रहे हैं!" गायत्री ने धीमी सी आवाज़ में हाँ भरी और तुरंत बेला से दूर हो गई। बेला ने अपने लहंगे को कसकर अपने हाथ में जकड़ लिया और राजवीर उसके पास आकर उसके हाथ में पेपर थमाते हुए बोला, "ये तलाक़ पेपर हैं! मैं तुम जैसी गवार लड़की के साथ एक जन्म तो क्या, एक दिन भी नहीं रह सकता!" "ओह हाँ... सिग्नेचर तो तुम्हारे बस का नहीं, इसलिए अंगूठा ही लगा देना इस पर।" बेला तलाक़ का नाम सुनकर बुरी तरह काँप उठी! वह यह तो सपने में भी नहीं सोच सकती थी... कभी उसके वीर जी उसे तलाक़ भी देंगे! क्योंकि शादी से पहले भी एक-दो बार बेला राजवीर से मिली थी। यह उनके खानदान का रिवाज़ था, वे शादी से पहले एक-दूसरे का चेहरा नहीं देख सकते थे, इसलिए वह मिली तो हमेशा पल्लू में ही पर तब राजवीर इस तरह का रूड बिहेवियर नहीं करता था। बेला ने काँपती आवाज़ में कहा, "प... पर मैं तो पहले भी गवार ही थी... अगर तलाक़ ही लेना था तो हमसे शादी ही क्यों की? क्यों हमें अब तक उम्मीद दे रखी थी?" To be continued....

  • 2. Hate by mistake - Chapter 2

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजवीर ने गुस्से में जाड़ भींचकर कहा, "शादी तो दादी की इच्छा थी!"

    "मैंने तुम्हें कोई उम्मीद नहीं दी थी। तुम खुद बेबुनियाद की उम्मीद लिए दो महीने से यहां पड़ी थीं। मैंने कभी भी तुम्हें अपनी पत्नी नहीं कहा था।"

    बेला के मन में अपनी प्रेगनेंसी का ख्याल आया। उसने झिझकते हुए कहा,

    "और... और वो मिलन की रात... उसको क्या नाम दोगे?"

    राजवीर ने कहा,

    "वो नशे में की गई एक भूल थी, जिसे तुम जितनी जल्दी भूल जाओ, उतना तुम्हारे लिए अच्छा है।"

    बेला की आँखों के आँसू निकल कर उन पेपर्स पर गिरने लगे।

    कर्मवीर जी निराशा भरी नज़रों से राजवीर को देख रहे थे। देवकी जी के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे और ताशा के चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी!

    राजवीर ने थंब इंप्रेशन के लिए इंक से भरा बॉक्स उसके सामने रखा और बेला की आँखों से बेहिसाब आँसू गिरने लगे।

    राजवीर ने गुस्से से काँपते हुए कहा,

    "ड्रामा बंद करो! और जो बोल रहा हूँ, वो जल्दी से करो। मेरे पास और भी बहुत ज़रूरी काम है, समझी तुम?"

    बेला के हाथ बुरी तरह काँप रहे थे, पर उसने हिम्मत करके उस पर अपना थंब इंप्रेशन लगा दिया और दर्द भरी आवाज़ में बोली,

    "बहुत पछताएँगे आप! आप मेरे पास आने के लिए एक दिन ज़रूर तड़पेंगे और तब मैं आपके करीब बिल्कुल नहीं आऊँगी!" इतना बोलकर एक बार फिर बेला रो पड़ी।

    गायत्री उसके करीब आकर उसे संभालने लगी।

    राजवीर ने एक smirk के साथ कहा,

    "राजवीर की डिक्शनरी में पछताने जैसा कोई शब्द नहीं है, समझी तुम? अब दफ़ा हो जाओ इस घर से। तुम्हारा अब कोई वास्ता नहीं है इस घर से!"

    बेला पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसे समझ नहीं आया... वो इस वक्त घर छोड़कर जाएगी भी कहाँ! उसका गाँव तो शहर से बहुत दूर है और मुंबई जैसे शहर में अकेले रहना बिल्कुल भी सेफ नहीं है। ऊपर से वो देख भी नहीं सकती!

    वो खुद को प्रोटेक्ट नहीं कर सकती। अपनी पेट में पल रही नन्ही सी जान को कैसे प्रोटेक्ट करेगी?

    राजवीर ने तेज़ आवाज़ में गुस्से में कहा,

    "I said get out... Right now! निकल जाओ मेरे घर से और मेरी ज़िन्दगी दोनों से!"

    बेला पैनिक होते हुए बोली,

    "पर... पर हम कहाँ जाएँगे? हम किसी को नहीं जानते यहाँ!"

    राजवीर ने गुस्से से बेला की एक बाह कसकर पकड़ी और घर के मेन डोर की तरफ़ ले जाने लगा।

    कर्मवीर जी ने कहा,

    "ये क्या कर रहे हो राजवीर! माना माँ इस वक्त यहाँ नहीं है, तो क्या तुम इस बच्ची पर इस तरह जुल्म करोगे?"

    राजवीर ने कहा,

    "ये सब इसी के वजह से तो हुआ है डैड। अब दादी आएंगी तो मैं उन्हें समझा दूँगा। ताशा इससे लाख गुना ज़्यादा अच्छी है और दादी समझदार हैं, वो मना नहीं करेंगी! उन्होंने मेरी शादी इससे इसलिए करवाई थी क्योंकि उन्हें डर था मैं ज़िन्दगी में कभी शादी नहीं करूँगा! पर अब तो love of my life, my future wife Tasha मेरे साथ है और दादी इसे ज़रूर एक्सेप्ट करेंगी!"

    बेला राजवीर से छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी, पर उसकी हर कोशिश बेकार जा रही थी।

    वो रोते हुए बोली,

    "प्लीज़, हमें घर से मत निकालिए..."

    पर राजवीर ने उसकी एक नहीं सुनी और धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया!

    बेला धक्का लगते ही सामने मुँह के बल ज़मीन पर जा गिरी और राजवीर ने डोर अंदर से बंद कर दिया!

    गायत्री जैसे ही बाहर जाने लगी,

    देवकी जी ने तेज़ आवाज़ में कहा,

    "हमें ब्रेकफास्ट करना है। जल्दी टेबल पर अरेंज करो सब।"

    गायत्री ने देखा ब्रेकफास्ट टेबल पर सही से लगा हुआ है, पर अब उन्हें सर्व भी करना है। उसके बाहर जाते क़दम रुक गए और वो वापस टेबल के पास आ गई।

    राजवीर, ताशा, कर्मवीर जी और देवकी जी चारों बैठकर ब्रेकफास्ट करने लगे।

    वहीं बेला का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था। वो जैसे-तैसे उठी और फिर अपने हाथों की मदद से गार्डन में अपने कपड़े सही किए जो गिरने की वजह से तितर-बितर हो गए थे। वहाँ खड़े गार्ड गंदी नज़रों से बेला को देख रहे थे और उनकी नज़रों की तपिश बेला को बखूबी महसूस हो रही थी।

    वो पूरी कोशिश कर रही थी खुद को ढकने की।

    और फिर वो गार्डन की तरफ़ बढ़ गई जहाँ अक्सर वो जाया करती थी।

    और वहाँ लगी बेंच जैसे उसके लिए सुकून की जगह थी, पर आज वहाँ उसे सुकून महसूस नहीं हो रहा था। बहुत डर लग रहा था!

    ...अंदर सब नॉर्मल था। किसी को बेला की कोई फ़िक्र नहीं थी और देवकी जी जान-बूझकर गायत्री को काम में उलझाए हुए थीं...

    ताकि वो बेला की मदद ना कर पाएँ।

    देखते ही देखते सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम हो गई, पर बेला के ना आँसू रुके, ना दिल में उठने वाला दर्द।

    रात के करीब 8 बजे अचानक ही ज़ोरों की बिजली कड़की और बारिश होने लगी।

    बेला को बारिश से बेहद नफ़रत थी। बिजलियों की गड़गड़ाहट से उसका काला अतीत उसे याद आता था!

    बेला ने सिसकते हुए कहा,

    "आज फिर वैसी ही काली रात है जिसने मुझसे मेरी आँखों की रोशनी छीनी थी... आज फिर से मेरी किस्मत मुझसे बहुत प्यारी चीज़ छीनने वाली है!" वो काँपते हुए खुद में सिमट गई!

    पर अब उसके कपड़े उसके बदन पर चिपककर ट्रांसपेरेंट हो गए।

    गार्डन में एक लाइट जल रही थी, पर बेला को नहीं पता था, क्योंकि उसके दिल के लिए तो दिन भी वैसा और रात भी वैसी...

    और वहाँ खड़े बॉडीगार्ड्स की नज़र अब बेला पर गहरी होती जा रही थी...

    बेला का हर परफेक्ट कर्व उभरकर दिखाई दे रहा था...

    और दो बॉडीगार्ड्स ने अपने क़दम उस तरफ़ बढ़ा दिए।

    उन्हें देखकर ही लग रहा था कि वो बेला को किस अभद्र तरीके से ऊपर से नीचे तक घूर रहे हैं।

    To be continued

  • 3. Hate by mistake - Chapter 3

    Words: 1056

    Estimated Reading Time: 7 min

    बैला खुद में सिमटी बैठी थी कि उसे अपने दोनों कंधों पर भारी हाथ महसूस हुए और वह एकदम से चीख पड़ी!

    "अरे मैडम! आप तो डर गईं! हम तो आपकी मदद के लिए आए हैं!" पहला बॉडीगार्ड बोला।

    "हमें जनसेवा का बहुत शौक है। आज यह मौका मिला है तो हम कैसे जाने दे सकते हैं?" दूसरा बॉडीगार्ड बोला।

    बेला डरते हुए बोली,
    "हमें कोई मदद नहीं चाहिए आपकी। प्लीज़, चले जाइए यहां से, वरना हम चिल्लाएँगी!"

    "और तुम्हें लगता है कोई बचाने आएगा?" पहला बॉडीगार्ड बोला।

    "तुझे अब तक समझ नहीं आया कि ये घर वाले तुझसे किस हद तक नफ़रत करते हैं!" दूसरा बॉडीगार्ड बोला।

    दोनों बेला को देखकर जोर-जोर से हँसने लगे। फिर दोनों ने एक-दूसरे को देखकर आई-विंक किया और पहला बॉडीगार्ड बोला,

    "तुम्हारे प्यारे पति ने ही हमें तुम्हारी देखभाल के लिए कहा है!"

    "क्योंकि वह नई वाली के साथ बिज़ी है!" दूसरा बॉडीगार्ड बोला।

    इतना बोलकर दोनों ने एक-दूसरे को हाई-फाइव दिया। यह सुनकर बैला का दिल काँप उठा। क्या सच में उसके वीर जी उसके साथ ऐसी घिनौनी हरकत भी कर सकते हैं? उसकी आँखों में नमी तैर गई, पर उसके दिल के किसी कोने ने कहा- राजवीर ऐसी गिरी हुई हरकत कभी नहीं करेगा! उसकी आँखों की नमी आँसू बनकर उसके गालों पर लुढ़क गई और वे दोनों उसके एकदम करीब आकर बेंच पर बैठ गए। पर अगले ही पल बैला बेंच से उठ गई और अपने हाथों को टटोलने लगी।

    वे दोनों बैला की बेबसी पर मुँह फाड़कर हँसने लगे क्योंकि उन्हें अच्छे से पता था बैला यहां से कहीं नहीं जा पाएगी क्योंकि वह अंधी है। उन्होंने एक-दूसरे को देखा और उनमें से एक ने कहा,

    "बाहें फैलाकर खड़ा हो जा। यह छमक-छलो खुद चलकर तेरी बाहों में आ जाएगी। बस आवाज मत करना।"

    यह सुनकर दूसरे वाले ने अजीब तरीके से अपने सीने पर हाथ फेरा और सच में बाहें फैलाकर खड़ा हो गया। बैला ने महसूस किया कि वहाँ एकदम से शांति आ गई थी। सिर्फ़ बैला की गहरी-गहरी साँसों की आवाज आ रही थी। उसकी पूरी बॉडी पसीने से भीग गई और वह डर से थूक गटकते हुए धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ाने लगी। और वे दोनों आँखों में हवस लिए उसे घूरने लगे।

    अचानक ही बैला एक के पैरों से टकराई और मुँह के बल जमीन पर गिर पड़ी। उसे अचानक अपने बच्चे का ख्याल आया और उसने झट से अपने पेट पर हाथ रख लिया और एक बार फिर उसकी दर्द भरी सिसकी निकल गई! उस बॉडीगार्ड ने उसे बालों से पकड़कर उठाते हुए कहा,

    "ज़्यादा नाटक कर रही है। अभी तो हमने कुछ किया भी नहीं!"

    बेला रोते हुए बोली,
    "प्लीज़, हमें छोड़ दीजिए! भैया!" पर वह आदमी अपनी पकड़ कसता जा रहा था। बैला ने झट से उसके हाथ पर जोर से काटा और वह आदमी दर्द से चिल्ला उठा। और बैला वहाँ से भागने लगी।

    वह इधर-उधर भाग रही थी पर उसे कुछ नहीं दिख रहा था, ना समझ आ रहा था और इसी चक्कर में उसका सर एक पेड़ से जा लगा और वह अगले ही पल चीखते हुए वहीं गिर गई!

    राजवीर जो अपने रूम में गया ही था, उसकी बालकनी गार्डन की तरफ़ थी। उसे बैला के चीखने की आवाज़ साफ़-साफ़ सुनाई दी थी। वह तुरंत भागते हुए नीचे की तरफ़ आया और वे दोनों तेज़ी से बैला के पास आए।

    "बहुत दांत चल रहे हैं तेरे! अभी सबक सिखाते हैं तुम्हें!"

    इतना बोलकर वह बैला का पल्लू खींच लेता है और बैला की खूबसूरती देखकर दोनों की आँखें फटी की फटी रह जाती हैं। आज तक बेला ने किसी को अपना चेहरा नहीं दिखाया था और उन दोनों की आँखों में उसकी इस खूबसूरती को देखकर लस्ट भर जाती है। और वे उसके करीब बढ़ने लगते हैं पर बैला भागते हुए गार्डन से निकल जाती है और वे दोनों एक-दूसरे को देखकर बेला का पीछा करने लगते हैं!

    बेला भागते हुए मेन डोर से बाहर आ गई थी और वह अपनी पूरी ताकत से दौड़ रही थी। उसे हाईवे का पता था, वह उसी तरफ़ दौड़ रही थी पर शायद किस्मत ने भी आज बेला को तबाह करने की पूरी ठान ली थी। स्पीड से चलती हुई गाड़ी तुरंत बेला को टक्कर मारते हुए आगे निकल गई और बेला खून से लथपथ वहीं गिर पड़ी और शायद कुछ ही पल तड़पकर बेहोश हो गई।

    राजवीर जब तक नीचे आया, बेला का एक्सीडेंट हो चुका था और राजवीर अब उन दोनों बॉडीगार्ड्स का पीछा कर रहा था जो बेला के एक्सीडेंट से बहुत डर चुके थे और अब वहाँ से भागने की फिराक में थे। पर अफ़सोस, वे जल्दी ही राजवीर की पकड़ में आ गए।

    दोपहर में राजवीर डार्क कैसल में बैठा था, जो उसका अपना अलग बंगला था, शहर से थोड़ी दूर। वह किसी किंग की तरह एक चेयर पर बैठा था और उसके सामने डरे-सहमे से वे दोनों बॉडीगार्ड। राजवीर के हाथ में एक अजीब सा खंजर था जो दिखने में ही भयानक लग रहा था। अगर किसी पर इस्तेमाल होगा तो क्या ही क़यामत ढाएगा!

    वे दोनों बॉडीगार्ड एक सुर में बोले, "हमने कुछ नहीं किया। वह ही हमसे हेल्प माँग रही थी और बदले में हमें सेड्यूस कर रही थी। हमारा यकीन कीजिए।"

    राजवीर के चेहरे पर भयानक गुस्सा था इस वक्त और वह उस गुस्से भरे चेहरे पर कातिलाना स्माइल लाते हुए बोला,

    "झूठ पर झूठ! वो भी इस तरीके के... नॉट बैड... नॉट बैड! पर पहले एक बार चेक करना था ना सामने कौन बैठा है, किससे तुम ये झूठ बोल रहे हो! कॉमन सेंस!!! वेल, अभी बहुत लेट हो चुकी है। तुम वो समय गँवा चुके हो जो मैंने तुम्हें दिया था। अब तुम दोनों का घर जाने का वक्त हो गया है। सो नाउ गुड बाय... सी यू नेक्स्ट टाइम इन द हेल!!!"

    और राजवीर ने वो खंजर फेंका जो सीधा एक की आँख में जाकर लगा और उसकी चीख गूंज गई और उसके साथ ही राजवीर की भयानक हँसी भी। दूसरा वाला तो डर के मारे पेशाब तक कर चुका था।

    क्रमशः

  • 4. Hate by mistake - Chapter 4

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    जब पहली बार वो और राजवीर मिले थे, रात के ग्यारह बज चुके थे। बारह, एक और दो भी बज गए। पर बेला के इंतज़ार की घड़ी पल-पल और लंबी होती जा रही थी। अब तक मोमबत्तियाँ भी आधी से ज़्यादा दम तोड़ चुकी थीं, बस कुछ-कुछ झिलमिला रही थीं। बेला का सब्र भी टूट रहा था। आखिर राजवीर अब तक आया क्यों नहीं था?

    "वीर जी ठीक तो होंगे ना? वो अब तक आए क्यों नहीं? कहीं वो किसी मुसीबत में तो नहीं?"

    बेला के दिल में घबराहट होने लगी। उसका दिल-दिमाग घबराहट के बारे में बुरे-बुरे ख्याल सोच रहा था।

    पर कुछ ही पलों बाद राजवीर के कदमों की आहट हुई और बेला के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होठों पर एक मुस्कान तैर गई। राजवीर भारी कदमों से अंदर आया और आते ही दरवाज़े के पास रखे फ्लावर वॉज़ की टेबल से टकरा गया। वो वॉज़ टूटकर वहीं फर्श पर बिखर गया। और बेला एकदम से डर गई और घबराहट के मारे बेड से खड़ी हो गई। राजवीर ने नशीली आँखों से उसे देखा और उसके करीब आने लगा।

    बेला को ना कुछ दिखाई दे रहा था, ना ही कुछ समझ आ रहा था। अचानक उसे अपनी बाजू पर एक मज़बूत पकड़ का एहसास हुआ और बेला का दिल धड़क सा गया क्योंकि राजवीर से बहुत तेज़ शराब की महक आ रही थी।

    "क्या हुआ बीवी? क्या तुम डर गईं? हाँ!!"

    इतना बोलकर राजवीर हँसने लगा और बेला के चेहरे पर घबराहट के मारे पसीना आ गया। वो हकलाकर बोली,

    "वीर जी, आप आज के दिन शराब पीकर आए हैं।"

    राजवीर ने अपनी पकड़ कसते हुए कहा,

    "क्यों नहीं पीनी चाहिए?"

    राजवीर की आवाज़ बेहद नशीली थी जो बेला के दिल में तितलियाँ उड़ा रही थी। राजवीर ने अपना हाथ बेला की कमर पर कस दिया और उसका घूँघट हटाने लगा। उसने आधा ही घूँघट उठाया था, जिससे बेला के गुलाबी होठों को वो साफ़ अपनी आँखों के सामने देख पा रहा था। अचानक ही बेला ने उसे रोकते हुए कहा,

    "बिना नेग दिए दुल्हन का मुँह देखना अशुभ होता है वीर जी!"

    राजवीर के चेहरे पर मुस्कान आ गई। उसने कहा,

    "कितनी भोली हो ना तुम..."

    इतना बोलकर राजवीर ने धीरे से बेला के होठों को अपनी कैद में ले लिया! और बेला का शरीर एकदम जड़ हो गया। उसके पूरे शरीर में एकदम से रोएँ खड़े हो गए। उसके हाथ राजवीर की शर्ट पर कसने लगे। और अब बची-कुछी मोमबत्तियाँ भी कुछ पल फड़फड़ाकर बुझ गईं। राजवीर ने बेला का दुपट्टा गिरा दिया और उसके लहंगे और ब्लाउज़ से भी उसे आज़ाद करने के लिए अपने हाथ चलाने लगा।

    बेला का दिल जोरों से धड़क रहा था। ना वो राजवीर का साथ दे रही थी, ना उसे रोक रही थी। बस आँखें बंद किए राजवीर के होठों के नर्म एहसास को महसूस कर रही थी और उसके ठंडे हाथों की छुअन से बार-बार सिहर रही थी! राजवीर को उसका यूँ सिहरना भा रहा था। और कुछ पलों बाद वो उसे अपनी बाहों में उठाते हुए बेड पर ले गया और किसी गुड़िया की तरह आहिस्ता से लेटाते हुए उसके होठों को एक बार फिर अपनी कैद में कर लिया!

    राजवीर बहुत softly पेश आ रहा था बेला के साथ, क्योंकि उसे कहीं ना कहीं अंदाज़ा था उसकी बीवी पूरी तरह पवित्र है! उसका फ़र्स्ट टाइम वो दर्दनाक नहीं बनाना चाहता था।

    अगली सुबह...

    बेला उठी तो खुद को राजवीर की बाहों में पाया और उसके होठों पर मुस्कान बिखर गई। बस ये सोचकर कि उसका पति उससे कितने अच्छे से पेश आया और अब भी उसे किसी छोटे बच्चे की तरह बाहों में समाए हुए लेटा है।

    वो हिम्मत करके उठी और हाथ टटोलते हुए अपने कपड़े ढूँढ़े। कल रात को उसे राजवीर के घर की एक मेड, गायत्री ने सब कुछ दिखा दिया था। तो वो अपने आप से कदम गिनते हुए पहले अलमारी के पास गई और वहाँ से जो लहंगा देवकी जी ने उसे दिया था, वो सबसे आगे रखा था। वो उठाया और फिर से दीवार पकड़ते हुए और कदम गिनते हुए बाथरूम के दरवाज़े के पास पहुँची और फिर फ़्रेश होने बाथरूम में चली गई!

    कुछ पल बाद बेला पूरी तरह तैयार थी। आज उसकी मुँह-दिखाई थी। उसने बड़ा सा घूँघट निकाला। गायत्री ने दरवाज़ा खटखटाया और बेला उसके साथ नीचे चली गई।

    सुबह करीब आठ बजे राजवीर की आँख खुली। वो आँखें मलते हुए उठकर बैठा और फिर खुद को देखा तो उसके सीने पर नाखूनों के स्क्रैच लगे थे। उसके चेहरे पर स्माइल आ गई।

    "तो तुमने भी एन्जॉय किया बीवी!"

    वो उठा और फ़्रेश होकर आया। उसका चेहरा बहुत खिला हुआ था! शायद ये उसकी खूबसूरत फ़र्स्ट नाइट का ही असर था। वो रेडी होकर एक ब्लैक टक्सीडो पहन लेता है। पर अचानक उसका फ़ोन रिंग करता है और वो फ़ोन उठाकर सामने वाले की बात सुनता है। और उसके चेहरे पर कभी कन्फ़्यूज़न तो कभी गुस्से के भाव आ रहे थे! उसने गुस्से में कहा,

    "क्या बकवास कर रहे हो? ऐसा कभी नहीं हो सकता।"

    तो सामने वाले ने कहा,

    "मेरे पास प्रूफ़ भी है इस बात को साबित करने के लिए।"

    और उसने राजवीर को कुछ तस्वीरें भेजीं और राजवीर गुस्से से बौखला उठा। और वो फ़ोन बेड पर फेंकते हुए सीधा हॉल में गया जहाँ सारी तैयारियाँ चल रही थीं! उसने देखा बेला एक चेयर पर बैठी थी, घूँघट लिए और गायत्री उसके हाथ में कुछ थाल जैसा रख रही थी। राजवीर गुस्से में उसके पास गया और बेला के हाथ से वो थाल लेकर ज़मीन पर फेंकते हुए बोला,

    "नहीं होगी कोई रस्म! ये लड़की एक नंबर की फ़रेबी है। मैं नहीं मानता इसे अपनी पत्नी।"

    और बेला का दिल एक पल में हज़ार बार टूटकर बिखर गया!

    क्रमशः

  • 5. Hate by mistake - Chapter 5

    Words: 1670

    Estimated Reading Time: 11 min

    उसी दिन राजवीर घर छोड़कर चला गया और पूरे दो महीने बाद अपनी नई गर्लफ्रेंड के साथ आया।


    राजवीर की आँखों में नमी आ चुकी थी। उसने खुद से कहा,
    "वो फ़ोटो; वो मेहँदी: क्या वो सब एक फ़रेब था? क्या बैला ये शादी निभाना चाहती थी?"

    राजवीर के मन में ऐसे कई सवाल चल रहे थे जिनके जवाब देने के लिए आज बैला उसके पास नहीं थी!

    ...वही हॉस्पिटल वार्ड में! डॉक्टर ने कहा,
    "इस बॉडी का अंतिम संस्कार करो और वाघोरा फ़ैमिली को फ़ोटो भेज देना!"


    सात साल बाद...

    राजवीर का ऑफ़िस केबिन!

    राजवीर अपनी चेयर पर बैठा फ़ाइल पढ़ रहा था। तभी उसका असिस्टेंट आकर उसके सामने खड़ा हो गया।
    "बोलो आहान! कब तक ऐसे ही खड़े रहोगे?"

    आहान ने हिचकिचा कर कहा,
    "आई एम... आई एम सॉरी सर। हम आज भी... फ़ेल हो गए उन बच्चों को वहाँ से हटाने के लिए।"

    राजवीर गुस्से से लाल होते हुए बोला,
    "व्हाट द हेल आर यू सेइंग! तुम लोगों से वो छोटे-छोटे बच्चे नहीं संभल रहे हैं? हद होती है!"

    आहान डरते हुए दो कदम पीछे हटकर बोला,
    "सर, हम अपनी पूरी कोशिश कर चुके हैं पर कुछ नहीं हो रहा। पता नहीं उनके पास पैसे कहाँ से आ रहे हैं और ऐसे आइडियाज़ जिनसे हम उनका बाल भी बाँका नहीं कर पा रहे।"

    राजवीर ने अपनी दो उंगलियों से अपना माथा रगड़ते हुए कहा,
    "गेट आउट! किसी के काम के नहीं तुम! मैं खुद देखूँगा उस मैटर को। फ़िलहाल सुजॉय वाला मैटर हैंडल करो!"

    आहान के चेहरे पर अचानक ही चमक आ गई।
    "सर, वो काम हो गया है! हमने सुजॉय को डार्क कैसल में रखा है। आप खुद उससे मिल सकते हो।"

    यह सुनकर राजवीर के चेहरे पर डार्क एक्सप्रेशन आ गए और वह एक स्मर्क करके बोला,
    "दैट्स वेरी गुड न्यूज़! लेट्स गो। हम पहले सुजॉय बाबू से ही मिल लेते हैं ना।"

    आहान थोड़ा मायूस हो गया। उसे लगा उसका बॉस अब उसकी तारीफ़ करेगा, पर राजवीर का ऐसा कोई इरादा नहीं था! और वे दोनों डार्क कैसल के लिए निकल गए।


    डार्क कैसल...

    सुजॉय डरा सहमा बैठा था। यह करीब तीस साल की उम्र के आसपास का शख्स था।

    राजवीर हॉल में एंटर करता है जहाँ सुजॉय सोफ़े पर बैठा था। राजवीर अंदर आकर किसी किंग की तरह सोफ़े पर बैठते हुए बोला,
    "हेलो सुजॉय बाबू! कैसे हो! बड़े दिनों बाद आए अमेरिका से!"

    सुजॉय ने डर का घूंट गटकते हुए कहा,
    "देखो राजवीर! हमारा रिश्ता एक डील तक ही था। तुम... तुम मुझे यूँ ब्लैकमेल नहीं कर सकते!"

    राजवीर सोफ़े की हेडरेस्ट पर सर टिकाकर जोर से हँसने लगा।

    और फिर एकदम से सुजॉय की आँखों में आँखें डालते हुए बोला,
    "ये तो राजवीर वाघोरा के साथ फ़रेब करने से पहले सोचना था ना!"

    सुजॉय ने कहा,
    "मैं... मैंने कोई फ़रेब नहीं किया! मुझे नहीं पता अचानक उस ज़मीन पर वो बच्चों का प्लेग्राउंड कैसे आ गया। वो ज़मीन सच में मैंने खरीदी थी और प्रोजेक्ट के लिए तुम्हें बेची थी।"

    इतना बोलकर सुजॉय ने टेबल पर रखा पानी का ग्लास उठाया और एक ही साँस में पूरा पानी पी गया।

    राजवीर ने कहा,
    "अच्छा ऐसी बात है तो फिर चलो अब निपट लेते हैं बच्चों से! लेट्स गो।"


    मुंबई! स्टार कॉलोनी... !

    कॉलोनी के पास ही एक खुला मैदान था जहाँ बहुत सारे पेड़-पौधे लगे थे और उसके बीचों-बीच एक छोटा सा घर था जो दिखने में ही जुगाड़ू लग रहा था। ईंटों को जोड़कर बस उस पर पन्नी लगा रखी थी। आसपास उस कॉलोनी के करीब पंद्रह बच्चे खेल रहे थे!

    वे सब राउंड बनाकर नीचे घास पर बैठे थे!

    और उनमें से एक बच्चा, जो बिलकुल किसी लीडर की तरह उनके बीच में खड़ा होकर उन्हें कुछ समझा रहा था। इसकी उम्र करीब पाँच या छह साल होगी। सभी बच्चों की उम्र पाँच से आठ साल के बीच की ही थी!

    "देखो! मैं हर वक़्त तो तुम सब के साथ नहीं रह सकता क्योंकि मम्मा शाम को पाँच बजे घर आ जाती हैं! और हमारा बजट भी बहुत कम है इसलिए हम उन बिग डर्टी अंकल से ज़्यादा दिन तक फ़ाइट नहीं कर सकते। अगर उन्हें पता चला कि हम सब यहाँ सिर्फ़ शाम को रहते हैं तो वो इस स्टार गार्डन को हमसे छीन लेंगे!

    इसलिए हमें अपना बजट बढ़ाना होगा और एक बॉडीगार्ड हायर करना होगा जो हमें पल-पल की खबर दे!"

    इस बच्चे की बातें सामने बैठे सारे बच्चे ध्यान से सुन रहे थे। एक लड़की ने मुँह बनाकर कहा,
    "ध्रुव, तुम सबको ध्यान में रखकर क्यों नहीं कोई आइडिया सोचते हो? अब रश्मि कैसे अपनी माँ से बजट की बात कर सकती है? क्योंकि आंटी तो दूसरों के घर जाकर मेहनत से पैसा कमाती हैं इसे पढ़ाने के लिए!"

    उसकी बात सुनकर उसके पास बैठी छोटी सी बच्ची रश्मि ने कहा,
    "हाँ ध्रुव भाई... इरा बिलकुल सही कह रही है।"

    ध्रुव ने कहा,
    "मेरा मतलब था जो जो अपनी पॉकेट मनी बढ़वा सकता है। मैं सबको नहीं बोल रहा।"

    यह सुनकर इरा ने मुँह सिकोड़कर कहा,
    "तो ऐसे बोलो ना फिर!"

    ध्रुव ने गुस्से से इरा को घूरा। तभी अचानक उस गार्डन के सामने दो कार आकर रुकीं और उन बच्चों के चेहरों पर चिंता की लकीरें उभर आईं।

    एक लड़के ने पैनिक होते हुए कहा,
    "ध्रुव, तुम कब तक ऐसे करोगे? मुझे इन बड़े अंकल लोगों से बहुत डर लगता है।"

    ध्रुव कुछ बोलता उससे पहले इरा बोली,
    "डोंट वरी गोल्डी! इरा है, तब तक डरने की ज़रूरत नहीं।" और सब बच्चों ने एक साथ अपना माथा पीट लिया।

    वहीं कार से राजवीर, आहान और सुजॉय उतरकर आए और दूसरी कार से उनके बॉडीगार्ड!

    राजवीर ने आँखें बड़ी करके कहा,
    "अरे ये इतने छोटे बच्चे अकेले कैसे घूम रहे हैं!"

    आहान ने डरते हुए कहा,
    "सर, ये बच्चे ही तो असली सरदर्द हैं!"

    और राजवीर ने गुस्से से आहान को देखकर कहा,
    "ब्लाडी इडियट! पहले नहीं बोल सकता था कि ये इतने छोटे हैं? कम से कम दस-पन्द्रह साल वाले होते तो मैं आता भी। ये तो चॉकलेट लेकर ही मान जाएँगे।"

    आहान ने आई ब्लिंक करते हुए कहा,
    "आप ट्राई कर सकते हैं सर।"

    राजवीर तेज कदमों से आगे गया और बाकी सब उसका पीछा करने लगे। राजवीर जैसे ही उनके करीब गया, सबने मिलकर एक अजीब सा घेरा बना लिया।

    और इरा राजवीर की तरफ़ उंगली पॉइंट करके बोली,
    "क्या चाहिए डर्टी अंकल?"

    राजवीर हैरानी से देखा। एक पिद्दी सी बच्ची उसे डर्टी बुला रही है! और तो और वो इतनी क्यूट थी। राजवीर का मुँह उसे डाँटने के लिए खुल ही नहीं रहा था।

    ध्रुव ने कहा,
    "ये ज़्यादा डेयरिंग दिखाने की ज़रूरत नहीं है यहाँ! हम मूवी शूट नहीं कर रहे!"

    इरा ने घूरकर ध्रुव को देखा और कहा,
    "तू चुप रह, वरना मम्मा से बोल दूँगी तूने मुझे परेशान किया!"

    राजवीर आँखें फाड़े उनकी फ़ाइट देख रहा था कि रश्मि ने कहा,
    "अंकल, आप क्यों हमसे हमारा प्यारा सा स्टार गार्डन छीनना चाहते हैं?"

    राजवीर ने अब रश्मि को देखा जो बहुत छोटी लग रही थी।

    राजवीर ने तेज आवाज़ में कहा,
    "पर ये मेरी प्रॉपर्टी है! मैंने खरीदा है इसे। तुम सब घर में खेलो। और भी बहुत जगह है वहाँ जाओ!"

    ध्रुव ने कहा,
    "नहीं, हम कहीं नहीं जाएँगे।"

    राजवीर ने मुड़कर ध्रुव को देखा जिसके चेहरे पर गर्व झलक रहा था और उसकी एम्बर आँखें उसे बाकी बच्चों से यूनिक बना रही थीं।

    राजवीर ने कहा,
    "पूरा पन्द्रह किलो का है। एक हाथ से उड़ा दूँगा तुम्हें यहाँ से!"

    ध्रुव को गुस्सा आ गया और उसने कहा, "गोल्डी, चलो अंकल को शो दिखाते हैं।" और राजवीर के चेहरे पर हैरानी आ गई।

    उनमें से कुछ बच्चे तुरंत झुके और इरा, गोल्डी और ध्रुव तीनों उन पर चढ़कर जम्प करते हुए राजवीर पर टूट पड़े। ध्रुव पहले उसकी एक साइड चढ़कर गन निकाल ली और इरा तो किसी बिल्ली के बच्चे की तरह लपक गई थी। और गोल्डी भाई साहब का तो वज़न राजवीर संभाल ही नहीं पाया और धम्म से ज़मीन पर जा गिरा।

    आहान भागते हुए आया और बॉडीगार्ड बच्चों को पकड़ने लगे। पर सबके हाथ में कुछ ना कुछ था जिससे वे बॉडीगार्ड को डरा रहे थे। पर काफ़ी मशक्कत के बाद राजवीर ने सबको काबू में कर ही लिया।

    ध्रुव घूरते हुए राजवीर को देख रहा था।

    आधे घंटे बाद...

    शाम के पाँच बज गए। ध्रुव और इरा टेंशन में बोले, "मम्मा आ गई होंगी।" ध्रुव के चेहरे पर भी टेंशन दिखने लगी।

    वहीं राजवीर अब पैंट की जेब में हाथ डाले उनके सामने था। सारे बच्चों के हाथ बंधे हुए थे और कोई रो भी रहा था।

    वहीं दूसरी तरफ़ एक छोटा सा प्यारा सा घर था...

    जिसमें एक लड़की एंटर करती है। उसने इस वक़्त व्हाइट अनारकली पहन रखी थी। बालों की गुंथकर चोटी बनाई थी। बड़े-बड़े झुमके। बेहद प्यारी लग रही थी।

    उसने एंटर करते ही कहा,
    "ध्रुव, इरा, बच्चा... मम्मा इज़ कमिंग... कहाँ हो आज दोनों?" पर उसे कोई आवाज़ नहीं आई और उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं। इतने में उसके पड़ोस में रहने वाली एक आंटी आई।

    "बैला बेटा, आज बच्चे कहाँ गए हैं? रूहानी भी घर नहीं आई और पड़ोस वाला गोल्डी भी नहीं। ध्रुव, इरा भी नहीं दिख रहे।"

    अब तो बैला का चेहरा और ज़्यादा टेंशन से भर गया। उसके माथे पर पसीना उभर आया।

    उसने कहा,
    "शायद गार्डन में हों आंटी। आपका अभी ऑपरेशन हुआ है ना? आप आराम कीजिए। रूहानी को मैं ले आऊँगी।"

    उस आंटी ने हाँ में सर हिलाया और बैला अपना पर्स हॉल में रखते हुए घर से बाहर निकल गई।

    क्रमशः

  • 6. Hate by mistake - Chapter 6

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    आधे घंटे बाद शाम के पाँच बज गए थे। इरा ने ध्रुव से चिंता में कहा, "मम्मी आ गई होंगी।"

    ध्रुव के चेहरे पर भी चिंता दिखने लगी। वहीं राजवीर, पेंट की जेब में हाथ डाले, उनके सामने खड़ा था। सारे बच्चों के हाथ बंधे हुए थे, और कोई रो भी रहा था।

    ध्रुव बेहद गुस्से से राजवीर को घूर रहा था। राजवीर ध्रुव को घूर रहा था; दोनों की आँखों ही आँखों में जंग छिड़ चुकी थी।

    तभी इरा एकदम से बोली,
    "मम्मी!!!!!!"

    ध्रुव ने डर से आँखें बंद कर लीं और सामने देखा जहाँ बैला अपना दुपट्टा संभालते हुए अंदर की ओर बढ़ रही थी।

    राजवीर ने मुड़कर देखा और उसकी आँखें बैला की सादगी पर जैसे जम गईं। उसके दिल ने कहा,
    "क्या कोई सादगी में भी इतना प्यारा लग सकता है?"

    बैला की आँखें हैरानी से फैल गईं जब उसने इतने सारे बच्चों को बंधा हुआ देखा। वह तेजी से उनके करीब आई।

    राजवीर अब भी बैला को देख रहा था। बैला ने सबसे पहले झुककर रश्मि के हाथ खोले, जो बहुत रो रही थी।

    और उसके बाद वह इरा की ओर बढ़ गई और उसके हाथ खोलने लगी।

    राजवीर अब भी हैरान उसे देख रहा था कि पीछे से आहान ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा,
    "बॉस, वो ले जा रही हैं अपने बच्चों को!"

    यह सुनकर राजवीर तुरंत होश में आ गया और बैला को घूरते हुए बोला,
    "मिस, तुम जो भी... तुम्हें नहीं पता इन शैतानी बच्चों ने क्या किया है? तुम इन्हें ऐसे नहीं ले जा सकती।"

    राजवीर की बात सुनकर ध्रुव और इरा की आँखें डर से फड़क गईं। उनकी मम्मी पहले से ही कम गुस्सा करती हैं, और यह अंकल उसमें घी डाल रहे हैं! दोनों ने लाचारी से एक-दूसरे को देखा।

    बैला का कोई रिएक्शन ना देखकर राजवीर की मुट्ठी गुस्से से कस गई।

    बैला ने ध्रुव के हाथ खोलने शुरू किए और राजवीर ने अपने बॉडीगार्ड को बैला को पकड़ने का इशारा किया।

    बैला ने जैसे ही ध्रुव के हाथ की रस्सी की एक गाँठ खोली, उस बॉडीगार्ड ने बैला की बाजू पकड़ ली और उसे जबरदस्ती उठा लिया।

    ध्रुव ने गुस्से से अपने हाथ को झटकते हुए आखिरी गाँठ भी खोल ली और इरा के हाथ पहले से खुले थे। वह बॉडीगार्ड को धक्का देते हुए बोली,
    "छोड़ो मेरी मम्मा को! I said leave her!"

    पर उसमें इतनी ताकत कहाँ थी कि वह उसे हटा सके! लेकिन तभी ध्रुव गुस्से से उठा और एक लात घुमाकर उस बॉडीगार्ड के पेट पर मारी, और उसके बाद तो जैसे लातों की बारिश हो रही थी।

    इरा भी अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे पीछे धकेलने लगी थी। राजवीर बस आँखें फाड़े उन्हें देख रहा था।

    ध्रुव ने गुर्राते हुए कहा,
    "How dare you to touch her! Bloody रास्कल!"

    और बैला ने चिल्लाकर कहा, "स्टॉप इट ध्रुव! स्टॉप इट इरा!"

    और इरा एकदम से रुक गई, पर ध्रुव अब भी पागलों की तरह उस बॉडीगार्ड को पीट रहा था। बॉडीगार्ड ने एक हाथ से बैला को पकड़ा हुआ था, और एक हाथ से ध्रुव जैसे बम को रोक पाना मुश्किल था।

    राजवीर ने कहा, "छोड़ दो इसकी मम्मा को।"

    और बॉडीगार्ड ने एक राहत की साँस लेते हुए बैला को छोड़ दिया। पर अगले ही पल राजवीर की हैरानी और बढ़ गई जब बैला को छोड़ते ही बैला ने एक जोरदार थप्पड़ ध्रुव के गाल पर जड़ा, और एक इरा के गाल पर!

    इरा की आँखों में तुरंत पानी आ चुका था, और ध्रुव तो गुस्से से लाल हो गया था, पर वे दोनों गुस्से से बैला को नहीं, कभी राजवीर को तो कभी उस बॉडीगार्ड को देख रहे थे।

    ध्रुव का पूरा चेहरा टमाटर जैसा लाल हो गया था, जो बहुत क्यूट लग रहा था राजवीर को। उसके होठों के कोने हल्के मुड़कर एक स्माइल कर रहे थे। वह देखना चाह रहा था ध्रुव का अगला रिएक्शन और क्यूट इरा का अगला रिएक्शन!

    पर ये बच्चे उसे झटके पर झटके दे रहे थे, "पल में शोला, पल में शबनम।"

    बैला ने ध्रुव और इरा से कहा,
    "Say sorry to them."

    ध्रुव और इरा की पलकें झुक गईं और दोनों घुटनों के बल आते हुए कान पकड़कर बोले,
    "सॉरी अंकल।"

    राजवीर मानो सदमे में जाने वाला था। यह क्या हो रहा था? और राजवीर और उसके आदमियों पर गुस्सा करने की बजाय अपने ही बच्चों को सुना रही थी, उनसे सॉरी बुलवा रही थी। यह मां-बापना कुछ समझ नहीं आ रहा था राजवीर को।

    आहान ने राजवीर के कान में कहा, "सर, लगता है इनकी पूरी फैमिली पागल है!"

    राजवीर ने घूरकर आहान को देखा और फिर जेब में हाथ डालकर बैला के करीब जाकर कहा,
    "मिस ब्यूटीफुल! तुम्हें नहीं लगता तुम्हारे ये क्यूट-क्यूट बच्चे सिर्फ सॉरी बोलकर तो मेरा नुकसान नहीं भर सकते!"

    बैला थोड़ा डरकर पीछे हटते हुए बोली,
    "एक तो डिस्टेंस मेंटेन करके बात कीजिए, दूसरा! पहले आप नुकसान बताइए, फिर सोचूंगी सॉरी इनफ है या नहीं!"

    और फिर ध्रुव और इरा की तरफ देखकर कहा,
    "Get up both of you."

    "सॉरी मम्मी!"

    दोनों ने कहा और चुपचाप पीछे मुड़ते हुए बाकी बच्चों के हाथ खोलने लगे। बैला ने कहा,

    "बच्चों, तुम सब घर जाओ। तुम्हारे मम्मी-पापा वेट कर रहे हैं तुम्हारा। और हाँ, इन दोनों से ज्यादा दोस्ती अच्छी नहीं है, वरना रोज-रोज आप लोग ऐसी मुसीबत में फँसते रहोगे, ठीक है!"

    सब ने हाँ में गर्दन हिलाई और वहाँ से चले गए।

    राजवीर ने कहा,
    "इतना रूड बिहेवियर? क्या ये तुम्हारे अपने बच्चे नहीं हैं? और फिगर देखकर भी लग रहा है तुम दो बच्चों की माँ तो बिलकुल नहीं हो सकती?"

    राजवीर के ऐसे बोलते ही बैला की आँखें फैल गईं, जैसे उसे पता हो अब क्या होने वाला है।

    और अब वही हुआ। राजवीर के कराहने की आवाज आ रही थी। उसके सर से खून बह रहा था और उसने अपना हाथ अपने सर पर रख रखा था।

    बैला ने आँखें भींचते हुए चिल्लाकर कहा,
    "इराaaaaa!!!!"

    वहीं इरा की साँस फूली हुई थी। उसने एक पत्थर उठाकर राजवीर के सर पर मारा था और फिर गुस्से से बोली,
    "आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी मम्मी के फिगर को घूरने की!"

    राजवीर आँखों में हैरानी लिए उसे देखने लगा।

    क्रमशः

  • 7. Hate by mistake - Chapter 7

    Words: 1187

    Estimated Reading Time: 8 min

    राजवीर ने कहा,

    "इतना rude behaviour? क्या ये तुम्हारे अपने बच्चे नहीं हैं? और फिगर देखकर भी लग रहा है तुम दो बच्चों की माँ तो बिलकुल नहीं हो सकती?"

    राजवीर के ऐसे बोलते ही बैला की आँखें फैल गईं, जैसे उसे पता हो अब क्या होने वाला है!

    और अब वही हुआ। राजवीर के कराहने की आवाज़ आ रही थी। उसके सर से खून बह रहा था और उसने अपना हाथ अपने सर पर रखा हुआ था।

    बैला ने आँखें भींचते हुए चिल्लाकर कहा,

    "Iraaaaaa!!!!"

    वहीँ इरा की साँस फूली हुई थी। उसने एक पत्थर उठाकर राजवीर के सर पर मारा था और फिर गुस्से से बोली,

    "आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी मम्मा के फिगर को घूरने की!"

    राजवीर आँखों में हैरानी लिए उसे देखने लगा। उसने एक नज़र ध्रुव को देखा, जिसके माथे पर बल पड़ चुके थे।

    राजवीर ने गहरी साँस लेकर इरा से कहा,

    "इतना गुस्सा?"

    इरा ने दाँत पीसकर कहा, "गुस्सा तो देखा कहाँ है आपने? अभी तो सिर्फ़ सर फूटा है आपका। अगर मेरी मम्मा को फिर से घूरा तो थोड़े का नक्शा ही बदल दूँगी!"

    राजवीर मन ही मन मुस्कुरा रहा था।

    बैला ने शांति से कहा,

    "I am sorry for Ira's misbehaviour! But she is right, आपको मेरे फिगर से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। आप बताइए इन्होंने क्या किया है?"

    ये सुनकर इरा ने आँखें बड़ी करके ध्रुव को देखा और ध्रुव ने भी एक पल उसकी आँखों में देखा, और दोनों की पलकें झुक गईं।

    राजवीर ने रुमाल से सर की चोट का खून साफ़ करते हुए कहा,

    "गुंडागर्दी कर रहे हैं तुम्हारे ये नन्हे शैतान! यहाँ मेरी फैक्ट्री बननी है, पर इन्होंने इस जगह को सार्वजनिक समझ रखा है और मेरे आदमियों को यहाँ से अजीब-अजीब ट्रिक लगाकर भगा रहे हैं। इनके चक्कर में काम लगभग पाँच दिन से लेट हो चुका है! थक-हारकर मुझे ही आना पड़ा यहाँ!"

    बैला confuse होकर बोली,

    "आपसे पहले किसकी थी ये प्रॉपर्टी?"

    सुजॉय आगे आते हुए बोला,

    "ज...जी मेरी थी।"

    सुजॉय डरते हुए आगे आया जो अब तक उन सब के पीछे छिपा हुआ था।

    उसे देखकर ध्रुव को और भी ज़्यादा गुस्सा आया, पर उसकी जुबान उसके कंट्रोल में थी। पर हमारी इरा तो इरा ही है, उसे बोलने से तो भगवान भी खुद नहीं रोक सकते।

    इरा ने गुस्से से कहा,

    "ये गंदे इंसान! तुम फिर आ गए? पहले वाला सबक भूल गए तुम!"

    सुजॉय ने डरते हुए अपने दोनों गालों पर हाथ रख लिए और उसे कुछ flashback याद आने लगे।

    "ये चिल्लर पार्टी! कल ये ज़मीन देखने लोग आएंगे। अपनी ये जानवरों वाली धर्मशाला बंद करो, वरना एक-एक का मुँह सूजा दूँगा मार-मार के।"

    अक्षी (एक पाँच साल की बच्ची): "आप ऐसे कैसे बोल रहे हो? हम कहीं नहीं जाएँगे। ये स्टार गार्डन हमारा है!"

    सुजॉय को गुस्सा आ गया और उसने एक थप्पड़ अक्षी के गाल पर जड़ दिया। अक्षी तुरंत ही रोने लगी और घास पर गिर पड़ी। ध्रुव ने आगे बढ़कर उसे संभालते हुए कहा,

    "रोना नहीं, बटरफ़्लाई। मैं अभी सबक सिखाता हूँ इसे। तो ये क्या हमारे मुँह लाल करेगा? इसका खुद का मुँह लाल ना किया तो मेरा नाम भी ध्रुव नहीं!"

    अक्षी सुबकने लगी और इरा ने अक्षी को अपने सीने से लगाकर सुजॉय से कहा,

    "गंदे इंसान! अब देख तेरा ये गोबर जैसा चेहरा कैसे बंदर जैसा लाल-लाल बनता है!"

    और अक्षी की उंगली पकड़कर गार्डन से बाहर जाने लगी और बाकी सब बच्चे भी उसे फॉलो करने लगे।

    सुजॉय कन्फ़्यूज़ हो गया था। उसका मुँह लाल करने का बोलकर वो बच्चे जा कहाँ रहे थे!

    सब बच्चे बाहर निकल गए। बस ध्रुव एटीट्यूड से वहाँ खड़ा सुजॉय को घूर रहा था।

    इरा ने गार्डन की बाउंड्री पर बना दरवाज़ा बंद कर दिया और गोल्डी ने उस पर कुंडी लगा दी।

    सुजॉय ने मुड़कर सामने देखा तो अब ध्रुव भी गायब था।

    सुजॉय ने घूमते हुए इधर-उधर देखा, पर उसे ध्रुव नहीं दिखा।

    फिर अचानक उसे सीटी सुनाई दी। जो ध्रुव बजा रहा था। वो बाउंड्री की दीवार पर चढ़ा था और अपने हाथ में एक पत्थर ले रखा था और उसे उछालते हुए सुजॉय को देख रहा था। सुजॉय तेज कदमों से उसकी तरफ़ बढ़ते हुए बोला,

    "मुझे बेवकूफ़ बना रहे हो तुम सब!"

    वो जैसे ही थोड़ा और करीब पहुँचा, ध्रुव ने वो पत्थर एक पेड़ पर मारा और तुरंत ही बाउंड्री से बाहर की तरफ़ छलांग लगा दी।

    और ध्रुव का निशाना एकदम सटीक मधुमक्खी के छत्ते पर जाकर लगा था और वो जहरीली मधुमक्खियाँ अब सुजॉय पर टूट पड़ीं।

    सुजॉय जान बचाने के चक्कर में इधर-उधर भागने लगा। सारे बच्चे दूर से उसे देखकर जोर-जोर से पेट पकड़कर हँस रहे थे।

    ध्रुव अक्षी के पास जाकर बोला,

    "अब खुश हो, बटरफ़्लाई?"

    अक्षी ने मुस्कुराते हुए ध्रुव को हग कर लिया।

    वहीँ सुजॉय के चेहरे पर इतनी मधुमक्खियाँ चिपक चुकी थीं कि दर्द के मारे वो तड़पने लगा था।

    Flashback end

    "आह! आह! बचाओ!"

    सुजॉय flashback में इतना खो चुका था कि एक बार फिर उस दर्द को महसूस कर चीखने लगा था, पर सबको देखकर वो एकदम से झेंप गया।

    आहान ने कहा, "क्या कोई बुरा सपना था?"

    सुजॉय ने डरते हुए कहा, "ऐसे ही समझ लो।"

    बैला अपने बच्चों को जानती थी। वो ज़रूर कुछ ना कुछ तिगड़म करते रहते हैं और वो उन्हें समझा-समझाकर थक चुकी है।

    राजवीर ने डायरेक्ट ध्रुव से पूछा,

    "क्यों नहीं देना आपको ये गार्डन?"

    आहान और राजवीर के बॉडीगार्ड उसे हैरानी से देखने लगे। आखिर राजवीर ध्रुव से ये stupid सवाल पूछ ही क्यों रहा था? बच्चों को खेलने के लिए जगह चाहिए, बस, और इसीलिए उन्हें ये गार्डन चाहिए, पर ध्रुव टस से मस नहीं हुआ।

    बैला ने गहरी साँस लेकर इरा से पूछा,

    "बच्चा, क्यों रहना है आपको यहाँ?"

    इरा ने रोते हुए कहा, "वो मम्मा, यहाँ एक फैमिली रहती है। हमें उन्हें प्रोटेक्ट करना है। उनको हमारी हेल्प चाहिए।"

    बैला ने हैरानी से कहा,

    "What?"

    इरा ने उस अजीब से जुगाड़ू घर की तरफ़ इशारा करते हुए कहा, "वहाँ देखो मम्मा। प्लीज़ इन्हें बोलो...ये उन्हें ना निकाले।"

    सब अब वहाँ पहुँच गए। आहान को एकदम से हँसी आ गई क्योंकि वहाँ कुत्ते के छोटे-छोटे बच्चे थे और दो-तीन स्ट्रीट डॉग! जिनमें से किसी के पैर पर बैंडेज बंधी थी तो किसी के सर पर!

    वहाँ वो छोटे-छोटे बच्चे अपनी माँ के इर्द-गिर्द बैठे थे और वो female dog बुरी तरह इंजर्ड थी, जिस पर दवाई लगाने की पूरी कोशिश की गई थी, पर शायद उन नन्हे हाथों में इतनी perfectly काम करने का एक्सपीरियंस नहीं था, इसलिए वो बैंडेज सही नहीं थी।

    उसे देखकर इरा फिर से रोने लगी। बैला ने आगे बढ़कर उसे अपने गले से लगा लिया।

    "रोते नहीं, बच्चा। ये ठीक हो जाएगी।"

    To be continued...

  • 8. Hate by mistake - Chapter 8

    Words: 1027

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजवीर हैरानी से इरा को, कभी ध्रुव को देख रहा था। फिर उसने गहरी साँस लेकर कहा, "ठीक है, हम इनका इलाज करवा देंगे!"

    इरा बैला से अलग होकर राजवीर के पास गई और खुश होते हुए बोली, "सच्ची अंकल!"

    राजवीर झुककर इरा के सर पर हाथ फेरते हुए बोला, "हाँ सच्ची-सच्ची छोटी सी बच्ची!"

    ध्रुव को राजवीर का इरा के साथ ऐसा व्यवहार बिलकुल अच्छा नहीं लगा। उसे इरा पर तब सबसे ज़्यादा गुस्सा आता था जब वह किसी भी अजनबी के सिर्फ़ एक अच्छे काम की वजह से उसके साथ पूरी तरह फ़्रैंक हो जाती थी! और उसे वे लोग पसंद नहीं थे जो उसकी बहन का लाड़-दुलार करते थे, वह भी फ़ालतू में, जब उनका कोई रिश्ता नहीं होता था उनसे!

    ध्रुव आगे बढ़ा और राजवीर का हाथ इरा के सर से झटक दिया। और गुस्से से इरा को घूरते हुए उसका हाथ कसकर थाम लिया और फिर बैला के पास जाकर खड़ा हो गया।

    इरा बस ध्रुव को घूर कर रह गई, पर उसने कुछ नहीं कहा।

    राजवीर के चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कान तैर गई। उसने ध्रुव के पास जाकर झुकते हुए उसके सर पर भी हाथ फेरकर कहा,
    "Very protective! You are such a good boy."

    ध्रुव ने लाल आँखों से राजवीर को घूरते हुए कहा,
    "This is your illusion, uncle. I am not a good boy."
    "I am a bad boy... actually, not only bad but a very bad boy!"

    राजवीर चाहकर भी अपनी हँसी नहीं रोक पा रहा था। उसने ध्रुव के गाल खींचते हुए कहा,
    "Okay, bad boy. Oh, sorry, sorry, very bad boy. See you soon!"

    ध्रुव ने एक बार फिर राजवीर का हाथ झटक दिया।

    बैला ने कहा,
    "मुझे लगता है सब matter solve हो चुका है, तो अब आपको भी घर जाना चाहिए और हमें भी। रात भी होने वाली है!"

    राजवीर ने एक नज़र बैला को देखा और फिर सर हिलाते हुए वहाँ से चला गया।

    और बैला ध्रुव और इरा को अपने साथ अपने घर ले गई।

    उनके घर के बोर्ड पर ध्रुव-इरा लिखा था। डिजाइन से वह बहुत ही ज़्यादा प्यारा लग रहा था!

    बैला उन दोनों को डाँटते हुए ही गुस्से में डिनर बना रही थी।
    "एक पल शांति से नहीं रह सकते तुम दोनों! हर वक्त बस यही डर रहता है कि आज तुम दोनों कुछ नया कांड न कर दो!"

    ध्रुव ने मासूम सी शक्ल बना रखी थी और चुपचाप बैला की डाँट खा रहा था।

    पर इरा की जुबान कभी बंद नहीं हो सकती। उसने अफ़सोस भरे लहजे में कहा,
    "मुम्मा, हम ना उन पप्पी को बचाकर कर्म ही कर रहे थे! अब आपको वह कांड लग रहा है? इसमें हमारा कोई दोष नहीं है! वैसे भी इस कर्म और कांड के चक्कर में मैं नहीं पड़ती! जो करना होता है वह यह सोचकर बिलकुल नहीं किया जाता कि यह कर्म हो रहा है या कांड बस हो रहा है!"
    "और आप ही तो कहती हैं जो होता है भगवान की वजह से होता है, तो गलती भगवान की है। वही हमारे हाथ पकड़कर हमसे सब कुछ करवाते हैं! आप उन्हें डाँट लगाओ ना, बेवजह मासूम बच्चों पर जुल्म कर रही हैं!"

    इरा ने कन्फ़्यूज होकर कहा,
    "पर एक मिनट, कोनसे भगवान जी करवाते हैं यह सब? आपको कुछ आइडिया है क्या?"

    बैला ने गुस्से में कहा, "आइडिया ना सही, पर बेलन ज़रूर है हाथ में! जो तुम्हारी बुद्धि ठिकाने लगा सकता है!"

    बेचारा ध्रुव इन दोनों माँ-बेटियों के बीच फँस चुका था! एक में झाँसी की रानी तो दूसरी है क्वीन विक्टोरिया, जिसे लगता है इस दुनिया में कुछ भी गलत हो सकता है, पर वह कभी नहीं। उसके पास हर बात का एक्सप्लेनेशन होता है! और उसकी जुबान बुलेट ट्रेन से भी तेज़ चलती है!

    बैला के गुस्से को देखकर इरा की जुबान बंद हो जाती है, पर मन ही मन बहुत कुछ चल रहा था जो उसके चेहरे पर साफ़-साफ़ दिखाई भी दे रहा था!

    वहीं दूसरी तरफ़, राजवीर अब अपने प्राइवेट बंगले में था, जहाँ सिर्फ़ वह अकेला ही रहता था और उसके दो सबसे भरोसेमंद कुक, "उम्मीद काका और लवकेश!"। वह राजवीर के बंगले के बाहर दो ट्रेंड बाउंसर रहते हैं, साहू और आमिर!

    राजवीर अपने बाथरूम में शावर के नीचे भीग रहा था। उसकी तीखी भूरी आँखें इस वक़्त बंद थीं और उसके दिमाग में सिर्फ़ इरा और ध्रुव घूम रहे थे!

    कोई इतनी छोटी उम्र में इतना समझदार कैसे हो सकता है? और ध्रुव के चेहरे पर झलकता गुरूर और तेज तो उसे सबसे अलग बनाता है। उसका बैला और इरा के लिए इतना प्रोटेक्टिव होना बहुत अलग था। पर राजवीर को बैला शादीशुदा नहीं लग रही थी क्योंकि इंडियन होने के सारे गुण थे उसमें, उसका ड्रेसिंग सेंस और तमीज़ से बात करना। बस सिंदूर और मंगलसूत्र की कमी थी जो राजवीर को खल रही थी। ऊपर से उन बच्चों को लेने उनका पापा क्यों नहीं आया, यह भी बहुत बड़ा सवाल था!

    राजवीर ने आहान को बैला की विस्तृत जानकारी निकालने के लिए कहा और... डिनर करके सो गया।

    अगली सुबह...

    बैला जल्दी-जल्दी टिफ़िन रेडी करके बच्चों को स्कूल बस तक ड्रॉप करती है और खुद भी काम पर चली जाती है। वह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में एक डिज़ाइनर के तौर पर काम करती है।

    कंपनी की मॉडल्स के लिए ड्रेस और ज्वैलरी डिज़ाइनिंग करना उसका मुख्य काम है, पर उसकी सीनियर बहुत लालची लड़की है जो उन सब का क्रेडिट खुद ले लेती है और बैला को सिर्फ़ एक असिस्टेंट की तरह अपने साथ रखती है!

    इसलिए बैला का काम कोई अप्रिशिएट नहीं करता। सब को लगता है यह सब मिस टीना करती हैं, जो वहाँ की हेड हैं!

    वहीं राजवीर का ऑफ़िस...

    राजवीर के सामने बैला की पूरी जानकारी की फ़ाइल रखी थी! उसने जैसे ही पहला पेज पलटा, उस पर बैला की एक तस्वीर लगी थी और साथ में नाम, उम्र और काम लिखा था।

    बैला का नाम देखकर तो राजवीर की आँखें फटी की फटी रह गई थीं...

    क्रमशः

  • 9. Hate by mistake - Chapter 9

    Words: 1169

    Estimated Reading Time: 8 min

    राजवीर का ऑफ़िस

    राजवीर के सामने बैला की पूरी जानकारी की फ़ाइल रखी थी। उसने जैसे ही पहला पन्ना पलटा, उस पर बैला की एक तस्वीर लगी थी और साथ में नाम, उम्र और काम लिखा था। बैला का नाम देखकर तो राजवीर की आँखें फटी की फटी रह गई थीं।

    "बैला," वो होठों से धीरे से बुदबुदाया, पर अगले ही पल उसके चेहरे पर दर्द झलक आया। उसने सिर को पीछे चेयर के हेडरेस्ट पर टिकाते हुए कहा,

    "आज भी तुम्हारा नाम याद करके आँखों में दर्द उभर आता है। काश मैं कभी तुम्हें समझ पाता, और काश तुम कभी मुझे समझ पातीं, तो शायद हम दोनों के दरमियान आज इतनी दूरियाँ ना आतीं!"

    राजवीर ने अपने ख़यालों को झटका और फिर से बैला की बाकी जानकारी पढ़ने लगा। क्योंकि नाम भले ही सेम था, पर इस बैला में और उस बैला में बहुत ज़्यादा अंतर था। और बैला तो देख भी नहीं सकती थी, पर कल जो मिली थी, उसे सब दिखाई दे रहा था और वो दो बच्चों की माँ भी थी।

    राजवीर ने जैसे ही काम की जानकारी पढ़ी, उसके होठों पर एक मुस्कान आ गई क्योंकि बैला उसी की कंपनी में जॉब करती थी। राजवीर ने अगला पन्ना खोला, जिसमें बैला का बाकी बायोडाटा लिखा था। वो एक सिंगल मदर थी।

    राजवीर ने खुद से कहा,

    "इंटरेस्टिंग, मिस बैला!"

    बच्चों की स्कूल जानकारी भी थी, पर बैला की कोई पिछली जानकारी नहीं थी, ना कोई फैमिली बैकग्राउंड। राजवीर ने इंटरकॉम पर एक कॉल किया, जिसके अगले पाँच मिनट बाद ही आहान सर झुक कर राजवीर के आगे खड़ा था। राजवीर ने वो फ़ाइल टेबल पर पटकते हुए कहा,

    "पूरी जानकारी क्यों नहीं है इसमें?"

    आहान ने हकला कर कहा,

    "सर, मैडम के बारे में बस यही जानकारी पता लगी है। उनकी कोई फैमिली या कोई फैमिली बैकग्राउंड नहीं है।"

    राजवीर ने दाँत पीसते हुए कहा,

    "क्यों? आसमान से टपकी है वो? उसे किसी ने पैदा ना करके जनरेट किया है कहीं से? या वो कोई एलियन है? आखिर तुम्हारा मतलब क्या है इस चीज़ से कि उसकी कोई फैमिली नहीं है? हाँ! ऐसे बोल सकते हो कि ज़िंदा नहीं है, पर है ही नहीं का क्या मतलब हुआ?"

    आहान ने डरते हुए कहा,

    "सॉरी सर, पर उनका कोई भी बायोडाटा कहीं भी अवेलेबल नहीं है। हमने हर तरीके से चेक करके देख लिया, यहाँ तक कि उनकी मैरिज वगैरह का भी कोई सबूत नहीं है!"

    राजवीर ने कहा,

    "सबसे पहले तो इसके पति को ढूँढना होगा। अगर वो नहीं, तो उसका डेथ सर्टिफिकेट! बैला की हर छोटी-मोटी हरकतों पर नज़र रखो, और इसके बच्चों के स्कूल में सबसे ज़्यादा डोनेशन अब हमारी कंपनी, यानी कि 'वर्ल्ड फ़ेस' का होना चाहिए। गॉट इट!"

    आहान ने हड़बड़ा कर हाँ में सर हिलाते हुए कहा, "जी जी सर, समझ गया! यू डोंट वरी, ये काम जल्दी हो जाएगा।"

    राजवीर ने अपना माथा रगड़ते हुए कहा,

    "नउ गेट लॉस्ट फ़्रॉम हियर!"

    आहान तेज़ कदमों से केबिन से निकल गया। राजवीर ने चेयर पर लीन होते हुए उसे रोटेट करते हुए कहा,

    "तुम्हें तो ढूँढ कर रहूँगा! उन बच्चों को ऐसे कैसे अकेला छोड़ सकती हो तुम, हूँ!"

    राजवीर उठा और अपना कोट पहनते हुए केबिन से बाहर निकल गया। ऑफ़िस में अब तक सभी एम्प्लॉयी काम में बिज़ी थे, पर राजवीर के बाहर निकलते ही कुछ फ़ीमेल एम्प्लॉयी काम छोड़कर अब उसे ताड़ने लगी थीं। राजवीर की पर्सनैलिटी ही कुछ ऐसी थी: 6.1 फ़ुट हाइट, एट पैक ऐब्स वाली बॉडी, जो जिम में खूब पसीना बहाकर बनाई गई थी; भूरी तीखी आँखें, जिनमें किसी का भी डूब जाने का दिल करे! वो स्टाइल से चलता हुआ ऑफ़िस से बाहर निकल गया।

    पार्किंग एरिया में एक ड्राइवर पहले से राजवीर के लिए एक लिमिटेड एडिशन वाली कार लेकर खड़ा था। राजवीर तेज़ कदमों से कार के पास जाता है। राजवीर का ड्राइवर सुरेश जल्दी से राजवीर के लिए कार का बैक साइड डोर ओपन करता है और फिर ड्राइवर सीट पर बैठते हुए राजवीर से पूछता है,

    "जी सर, कहाँ चलना है?"

    राजवीर ने सीट पर लीन होते हुए गहरी साँस छोड़कर कहा,

    "डिज़ाइनिंग डिपार्टमेंट स्टूडियो ले चलो!"

    सुरेश हाँ में गर्दन हिलाते हुए कार स्टार्ट कर देता है कि अचानक ही कार ब्रेक के साथ रुकती है। राजवीर का सर आगे की सीट से लगते-लगते बचा। उसने सुरेश पर चिल्लाते हुए कहा,

    "अरे क्या कर रहे हो! अब तक गाड़ी ड्राइव नहीं करनी आती?"

    सुरेश ने डरते हुए कहा,

    "सर, गाड़ी के आगे अचानक ही ये मैडम आ गई!"

    राजवीर ने दाँत पीसकर गुस्से से झल्लाते हुए कहा,

    "किसी को अब अपनी जान प्यारी नहीं है?"

    ये ताशा थी। ब्लू थाई लेंथ वन पीस ड्रेस में वो कमाल की खूबसूरत लग रही थी और उसका बोल्ड मेकअप उसे एक कॉन्फ़िडेंट लुक दे रहा था। उसने राजवीर की सीट का मिरर नोक किया। तो राजवीर ने फ़्रस्ट्रेशन में डोर ओपन करते हुए कहा,

    "अब क्या प्रॉब्लम है?"

    ताशा ने कहा, "प्रॉब्लम मुझे नहीं, तुम्हें है!"

    इतना बोलकर ताशा राजवीर की बगल में आकर बैठ जाती है और ड्राइवर से बोलती है,

    "अब स्टार्ट कर दो कार! और पार्टीशन ऑन कर दो।"

    सुरेश फिर से कार स्टार्ट कर देता है और पार्टीशन लगा देता है। ताशा जब भी कार में होती थी, वो पार्टीशन ऑन करके ही राजवीर के साथ बैठती थी ताकि बाकी किसी को, तो कम से कम राजवीर के साथ काम करने वालों को तो लगे कि वो दोनों एक रिलेशनशिप में हैं। क्योंकि उसके हज़ार बार ट्राई करने के बाद भी राजवीर उसे भाव नहीं दे रहा था।

    ताशा ने मुँह बनाते हुए कहा,

    "तुम घर क्यों नहीं आ रहे हो? आंटी-अंकल सब बहुत परेशान रहते हैं! ना तुम अपना ख़्याल रखते हो और ना मुझे पूछ रहे हो, मुझे प्रॉब्लम क्या है!"

    ताशा ये सब राजवीर से चिपकते हुए बोल रही थी।

    राजवीर ने कहा, "पहले तो चिपको मत मुझसे!" और ताशा को दूर झटक देता है। ताशा की आँखों में नमी आ जाती है, पर वो जल्दी से उस नमी को पोछते हुए स्माइल के साथ बोलती है,

    "क्यों? तुम्हें कोरोना हो गया है क्या जो ऐसे बिहेव कर रहे हो?"

    राजवीर ने कहा, "हाँ, मुझे बहुत कुछ हो गया है। तुम मुझसे दूर रहा करो।"

    ताशा की स्माइल और ज़्यादा बड़ी हो गई और उसने हँसते हुए कहा, "मतलब सब मेरे करीब आने से ही होता है! कहीं तुम मुझे पसंद तो नहीं करते?"

    राजवीर ने कहा,

    "ताशा, स्टॉप इट प्लीज़! मेरे सर में बहुत तेज़ दर्द है, उसे और मत बढ़ाओ। घरवालों के सामने ये नाटक ठीक है, पर कम से कम ऐसे अकेले में तो चैन से रहने दो मुझे!"

    ताशा ने आगे कुछ नहीं बोला।

    क्रमशः

  • 10. Hate by mistake - Chapter 10

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ देर बाद, ड्राइवर ने कार डेस्टिनेशन पर रोक दी। राजवीर तुरंत दरवाजा खोलकर अंदर जाने लगा।

    "बाहर खड़े बॉडीगार्ड्स ने राजवीर और ताशा दोनों को ग्रीट किया।"

    राजवीर अंदर गया तो उसकी कंपनी के नए प्रोडक्ट की शूटिंग चल रही थी। सब बहुत ज़्यादा व्यस्त थे और राजवीर को वहाँ देखकर सबकी सारी गतिविधियाँ रुक गई थीं।

    वहाँ की मैनेजर शीला ने हड़बड़ाते हुए कहा,
    "डायरेक्टर सर आप!"

    राजवीर वहीं लगी एक चेयर पर बैठते हुए बोला, "क्यों, मैं नहीं आ सकता यहाँ?" मैनेजर दूसरी चेयर ताशा के लिए खिसका देती है, तो ताशा भी मुस्कुराते हुए उसकी बगल में बैठ जाती है।

    शीला जल्दी से एक लड़के को बोलती है, "डायरेक्टर सर के लिए जूस और स्नैक्स लेकर आओ!" और फिर राजवीर के सामने सर झुकाते हुए बोलती है, "नो नो सर, मेरा मतलब ये नहीं था। आई एम सॉरी अगर आपको ऐसा फील हुआ हो तो।"

    राजवीर ने आराम से कहा,
    "आपकी मॉडल दिखाई नहीं दे रही? क्या शूटिंग खत्म हो चुकी है?"

    शीला ने कहा, "नो नो सर, अभी तो पहला टेक भी नहीं लिया हमने। मॉडल रेडी हो रही है।" मिस टीना और उनकी असिस्टेंट उन्हें रेडी कर रही हैं, बस आ ही रही होंगी।" वही मेकअप रूम में। मॉडल जूही सचदेवा, जिसका आज शूटिंग का बिल्कुल मूड नहीं था, उसे जैसे ही पता चलता है कि आज की शूटिंग देखने खुद कंपनी के डायरेक्टर आए हैं, उसके अंदर एक्साइटमेंट आ जाती है और साथ ड्रेस को लेकर गुस्सा भी, क्योंकि ये ड्रेस कोई हॉट ड्रेस नहीं थी, ना उसका क्लीवेज शो हो रहा था, ना उसका फिगर। ये एक प्रिंसेस फ्रॉक ड्रेस थी जो बहुत सॉफ्ट गर्ल लुक दे रही थी।

    वह जल्दी-जल्दी हाथ चलाने को बोलती है।

    बेला को मन ही मन उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसकी हेड चेयर पर बैठकर बस मोबाइल चला रही थी और वह ही अकेले सारा काम कर रही थी। ऊपर से जूही की किचकिच उसे काम पर फोकस भी नहीं करने दे रही थी।

    बड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार बेला ने अपना काम कंप्लीट कर ही दिया! और जूही फुल ऑन तेजस्वी स्टेज पर परफॉर्म करने गई।

    बेला भी उसके पीछे-पीछे उसके टच-अप का सामान लेकर आई और वहीं रखी एक चेयर पर उन सब चीज़ों को रख दिया।

    उसे सामने से उसका एकमात्र फ़्रेंड नील जूस लेकर आ रहा था। थकी हुई बेला को जैसे जन्नत दिख रही थी। वह आगे बढ़कर वह जूस का ग्लास उठा लेती है। नील कुछ बोल पाता उससे पहले बेला एक साँस में पूरा जूस गटक जाती है।

    शीला गुस्से से बोलती है,
    "व्हाट द हेल इज़ दिस, मिस बेला?"

    बेला आँखें बड़ी करके डरते हुए शीला को देखती है। तब जाकर उसकी नज़र राजवीर और ताशा पर पड़ती है। राजवीर को देखते ही उसे कल हुई बातें याद आती हैं! और फिर वह कन्फ़्यूज़ होकर शीला की तरफ देखती है!

    शीला बोलती है,
    "ये सब डायरेक्टर सर के लिए था। तुम्हें तमीज़ नहीं है बिल्कुल, बेला! तो राजवीर को देखकर ही शौक हो गई थी और एक नया शौक ये कि वह उसका बॉस भी है!" वह आँखें टिमटिमाते हुए राजवीर तो कभी ताशा को देख रही थी। उसके हाथ में अब बस खाली जूस का ग्लास था!

    राजवीर भी बेला के एक्सप्रेशन देख-देखकर मन ही मन खुश हो रहा था, पर चेहरे पर उसका गुस्सा साफ़-साफ़ झलक रहा था।

    बेला ने डरते हुए शीला से कहा, "आई एम सॉरी मैम, मेरा ध्यान नहीं था!"

    शीला ने बेला को फटकार लगाते हुए कहा, "ध्यान रखोगी तब रहेगा, समझी?"

    बेला ने सर हां में हिलाते हुए कहा, "जी मैडम, समझ गई।"

    ताशा ने कहा, "इट्स ओके। शायद ज़्यादा ही थकी हुई थी वह!"

    बेला ने रिस्पेक्ट भरी नज़रों से ताशा को देखा जो अब उसे एक वार्म स्माइल दे रही थी, शायद कम्फ़र्टेबल करने के लिए!

    वहीं वह मॉडल जूही सचदेवा भी बेला को हज़ारों गालियाँ दे रही थी। उसका फ़ोटोशूट तो कोई देख ही नहीं रहा था कैमरा मैन के अलावा, क्योंकि सब का ध्यान तो बेला की गलती पर था और ये देखने पर कि डायरेक्टर सर बेला को क्या पनिशमेंट देने वाले हैं और बेला आज और क्या-क्या खरी-खोटी सुनने वाली है!

    पर राजवीर ने कुछ नहीं कहा और एक स्मर्क के साथ बेला को देखा, जैसे उसे कुछ ना कहकर उस पर बहुत बड़ा एहसान कर रहा हो!

    अचानक ही शूट कर रहे लड़के ने कहा,
    "कट!" मैडम क्या कर रही हैं आप? आपको कैमरे की तरफ देखना है ना कि उधर!

    जूही ने तुरंत अपनी नज़रें कैमरा मैन की तरफ की, लेकिन फिर कुछ देर बाद बोली, "ड्रेस ज़्यादा ही हैवी है। 10 मिनट का ब्रेक चाहिए!"

    इतना बोलकर वह राजवीर जहाँ बैठा था उस तरफ बढ़ गई। बेला ने आगे बढ़कर जूही के लिए चेयर निकाली और नील बेचारा एक बार फिर कैंटीन की तरफ चला गया जूस लेने के लिए।

    ताशा घूर-घूरकर जूही को देख रही थी। वह जिस तरह राजवीर के पास आकर बैठी थी, उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगा था। जूही की नियत कुछ साफ़ नहीं लग रही थी!

    जूही ने बेला से कहा, "चलो अब मेरा टच-अप करो। खड़ी-खड़ी मेरा मुँह क्या देख रही हो?"

    ताशा और राजवीर दोनों ने आँखें बड़ी करके जूही को घूरा। वह ऐसे कैसे यहाँ किसी भी एम्प्लॉयी से बदतमीज़ी कर सकती थी?

    पर बेला को शायद इन सब की आदत थी, इसलिए वह आगे आई और जूही का टच-अप करने लगी!

    बेला झुकते हुए जूही का टच-अप कर रही थी, जिस चक्कर में उसके अनारकली का दुपट्टा कंधे से सरक चुका था और उसका हल्का-हल्का क्लीवेज शो होने लगा था।

    वहीं खड़ा एक लड़का, जो शायद शूटिंग के वक़्त लाइटिंग वगैरह का काम करता था, बेला को घूरने लगा!

    क्रमशः

  • 11. Hate by mistake - Chapter 11

    Words: 1381

    Estimated Reading Time: 9 min

    वही बैला को जब खुद पर किसी की नज़रों की तपिश महसूस हुई, उसने आँखें उठाकर चारों ओर देखा। राजवीर अपने फ़ोन में व्यस्त था। शीला पहले ही जा चुकी थी। जूही और ताशा राजवीर को देखने में व्यस्त थीं। कैमरामैन भी अब तक क्लिक हुई पिक्चर का रिव्यू ले रहा था और आखिरकार उसकी नज़रों में कोने में खड़ा वो लड़का भी आ गया।

    (हम मानें या ना मानें! पर हमारी सोसाइटी में कुछ लोग ऐसे होते ही हैं जिन्हें हम चाहकर भी सुधार नहीं सकते, ना उनकी गंदी सोच को, ना उनके गंदे नज़रिए को!)

    राजवीर ने तिरछी नज़रों से बैला को देखा और उसे अनकम्फ़र्टेबल देखकर उसकी नज़रों का पीछा किया। अगले ही पल राजवीर की मुट्ठी गुस्से में कँसी गई और आँखें लाल होने लगीं, पर उसने कुछ नहीं कहा। वह बैला का रिएक्शन देखना चाहता था। पर बैला ने उस लड़के से कुछ नहीं कहा और अपना दुपट्टा सही कर लिया। अब राजवीर को बैला पर भी गुस्सा आ रहा था। वह चाहती तो एक थप्पड़ जड़ सकती थी उस लड़के के चेहरे पर, लेकिन उसने चुप रहना ज़्यादा बेहतर समझा!

    वही, बैला के पॉइंट ऑफ़ व्यू से, उसने जो किया सही किया क्योंकि उसे इस जॉब की सख्त ज़रूरत थी। मुंबई जैसे शहर में उसकी जैसी अंडरग्रेजुएट लड़की को जॉब मिल पाना बहुत मुश्किल था, और तब तो और भी ज़्यादा जब आपके पास कोई स्पेसिफिक डिग्री ना हो।

    राजवीर का गुस्सा पल-पल बढ़ता जा रहा था क्योंकि उस लड़के की नज़र बैला से एक पल के लिए भी नहीं हट रही थी!

    नील जल्दी से जूस सर्व करता है और राजवीर गुस्से से एक ही साँस में पूरा जूस निगल जाता है। ताशा और जूही उसे अजीब नज़रों से देखने लगती हैं!

    जूही मुस्कुराते हुए बोलती है,
    "मिस्टर राजवीर! आपको मेरा काम पसंद तो आया ना! वैसे मुझे आपने अपॉइंट किया है तो मुझमें कमी निकालने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता! मैं सही कह रही हूँ ना मिस्टर राजवीर जी?"

    राजवीर बिना किसी भाव के बोला,
    "ऑफ़कोर्स! मिस सचदेवा!"

    कुछ देर बाद फिर से शूटिंग शुरू हुई!

    शीला ने राजवीर के सामने सर झुकाते हुए कहा,
    "डायरेक्टर, अगर हमारे काम में कोई गलती हुई हो तो हमें माफ़ करे! बाकी हमने हमारा हंड्रेड परसेंट दिया है।"

    राजवीर ने जबरदस्ती मुस्कुराकर हाँ में सर हिला दिया और फिर बैला की तरफ़ देखकर बोला,
    "अच्छा, मेकअप करती हो! कल मुझे मैगज़ीन के लिए फ़ोटोशूट करवाना है, तो मेरा मेकअप तुम करोगी, गॉट इट!"

    बैला ने आँखें बड़ी करके राजवीर को देखा। उसके पास तो एक से बढ़कर एक मेकअप आर्टिस्ट होंगी और वह एक असिस्टेंट से मेकअप करवाना चाहता है!

    ताशा ने कहा,
    "राजवीर, तुम ये क्या बोल रहे हो? उस नाज़मीन का वर्क है ना ये, कितने सालों से!"

    राजवीर ने ताशा को आँखें दिखाते हुए कहा,
    "मैंने तुमसे कोई राय माँगी? नहीं ना! तो चुपचाप शांति से बैठी रहो! एंड यू, मिस बेला! मैं तुमसे पूछ नहीं रहा हूँ, इट्स माई ऑर्डर! एंड इट विल नेवर चेंज!"

    ओके! राजवीर अपनी आँखों पर ग्लासेज़ लगाते हुए चेयर से उठ जाता है और फिर एक नज़र उस आदमी को देखता है और फिर तेज कदमों से बाहर जाने लगता है।

    ताशा को खुद की इन्सल्ट फील हो रही थी। उसकी आँखों में नमी तैर चुकी थी, पर फिर भी वह हिम्मत करके उठी और राजवीर के पीछे चल दी।

    बाहर जाते ही जैसे ही राजवीर कार में बैठा, उसने कार स्टार्ट कर दी। ड्राइवर बाहर ही खड़ा था। ताशा ने कहा,
    "! राजवीर, मुझे भी चलना था!"

    राजवीर ने मिरर नीचे करते हुए कहा,
    "मैं प्राइवेट बंगले में जा रहा हूँ, डार्क कैसल। तुम ड्राइवर के साथ घर चली जाना। एक कार आ रही है।" इसी के साथ राजवीर वहाँ से हवा की रफ़्तार से चला गया!

    और जो नमी ताशा की आँखों में ठहरी थी, अब गालों पर आ गई! राजवीर की बातें उसे अंदर ही अंदर तोड़ डालती थीं, पर एकतरफ़ा प्यार उसे राजवीर को छोड़ने की अनुमति नहीं दे रहा था!

    वही शूटिंग एरिया में, नील और उस लाइटिंग मैन की लड़ाई हो रही थी। उसका नाम वीरेंद्र था, जो बैला को ऐसे ही घूरता था और नील को कभी ये बर्दाश्त नहीं होता था!

    बैला चिल्लाते हुए बोल रही थी, "स्टॉप इट! नील, रुक जाओ!"

    पर नील मुक्के पर मुक्के मार रहा था! वीरेंद्र उसे मार रहा था और वह वीरेंद्र को!

    अब तक करीब ढाई बज चुके थे, जिसका साफ़ मतलब था बच्चे स्कूल से आ गए थे। बैला को आज जल्दी घर जाना था। उसने बच्चों से प्रॉमिस किया था आज वह उनके साथ स्टार पार्क में उन डॉग्स को देखने जाएगी, पर वह इस फ़ाइट के वजह से नहीं जा पा रही थी। उसका काम भी ख़त्म हो चुका था, पर फिर भी वह यहाँ फ़ँस चुकी थी! उसे डर बस एक ही बात का था, बच्चे यहाँ ना आ जाएँ! या फिर यूँ कहो, यकीन था कि अगर वह नहीं गई टाइम पर तो उनका फ़िक्रमंद होना लाज़मी था और उसके बाद ध्रुव और इरा कुछ भी कर सकते थे!

    और उसका यकीन आखिरकार सच भी हो गया जब दो नन्हे शैतान भागते हुए उसके करीब आए,
    "मम्मा.. मम्मा!"

    बैला ने घबराकर पीछे देखा! शीला, जो सब पैक कर चुकी थी बाहर जाने के लिए, वह बैला के पास आकर बोली,
    "अरे बेला, ये क्यूट बच्चे यहाँ क्या कर रहे हैं!" मिस शीला इनसे पहले भी मिल चुकी थी!

    फिर शीला ने कहा,
    "आई एम सॉरी बेला, मैंने आज तुमसे ऐसा बिहेव किया! पर मेरे ऊपर इतना प्रेशर रहता है ना कि क्या ही बताऊँ!"

    बैला ने छोटी सी स्माइल के साथ कहा,
    "इट्स ओके मैम! आई एम ऑलराइट।"

    वहीँ, ध्रुव की नज़र नील पर टिकी थी जो वीरेंद्र को मारते हुए एक ही बात बोल रहा था,
    "तेरी हिम्मत कैसे हुई बैला को फिर से बुरी नज़रों से देखने की, हाँ! कमीने, तुझे मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा!"

    शीला ने कहा,
    "गाइस, क्या यहाँ कोई फ़ाइटिंग सीन शूट हो रहा है? तुम क्यों लड़ रहे हो दोनों! मुझे घर जाना है, इसे जल्दी निपटाओ।"

    मिस शीला को यह नॉर्मल फ्रेंड्स फ़ाइट लग रही थी क्योंकि नील और वीरेंद्र एक साथ यहाँ काम करने आए थे और आए दिन ऐसे ही झगड़ते रहते थे!

    कुछ देर बाद नील उसे पीट-पीटकर थक चुका था।

    और बेला ध्रुव और इरा की क्लास ले रही थी, "कितनी बार कहा है तुम दोनों से, घर से अकेले मत निकला करो, hmm! समझ नहीं आता है थप्पड़ खाए बिना!"

    दोनों सर झुकाकर खड़े थे! ना बैला को कुछ बोल रहे थे, ना कुछ रिएक्ट कर रहे थे!

    नील ने उनके पास आकर कहा,
    "हेलो लिटिल चैंप्स!"

    "हाय नील अंकल!" दोनों ने एक साथ कहा।

    और ध्रुव ने तिरछी नज़रों से वीरेंद्र को देखा, जो टूटी-फूटी हालत में खुद को संभाल रहा था यहाँ से बाहर जाने के लिए! पर उससे सामान उठ नहीं रहा था।

    ध्रुव ने चुपके से बैला का फ़ोन लिया और उसे वहीँ चेयर पर रख दिया! और फिर वो सब वहाँ से बाहर निकल गए!

    नील ने कैब बुक कर रखी थी...

    कैब में सब बैठ गए तो नील ने बाहर से कहा,
    "बैला, मुझे लोकेशन सेंड करती रहना।"

    बैला ने मुस्कुराकर कहा,
    "अरे, इतनी फ़िक्र करने की ज़रूरत नहीं है, हम जल्दी ही पहुँच जाएँगे।"

    नील ने जिद करते हुए कहा,
    "नहीं, मुझे है तुम्हारी फ़िक्र, तुम भेज देना, ओके।"

    बैला ने पर्स में फ़ोन निकालने के लिए हाथ डाला, पर उसमें फ़ोन नहीं था! बैला ने कहा,
    "अरे, मेरा फ़ोन?"

    नील ने कहा,
    "अच्छे से देखो, यहीं कहीं होगा।"

    ध्रुव ने मासूम बनते हुए कहा,
    "मम्मा, शायद वहीं रह गया, मैं अभी लेकर आता हूँ।"

    ध्रुव कैब से निकलकर भागते हुए अंदर की तरफ़ जाने लगा।

    नील ने मुस्कुराकर कहा,
    "ये लड़का भी ना!"

    बैला ने कहा,
    "मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है! मैंने जब फ़ोन उसे ही नहीं दिया तो वह वहाँ रह कैसे गया?"

    क्या करेगा ध्रुव वीरेंद्र के साथ?

  • 12. Hate by mistake - Chapter 12

    Words: 1085

    Estimated Reading Time: 7 min

    कैब में सब बैठ गए। नील ने बाहर से कहा,

    "बैला, मुझे लोकेशन सेंड करती रहना।"

    बैला ने मुस्कुरा कर कहा, "अरे, इतनी फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है। हम जल्दी ही पहुँच जाएँगे।"

    नील ने ज़िद करते हुए कहा,

    "नहीं, मुझे है तुम्हारी फिक्र। तुम भेज देना, ओके।"

    बैला ने पर्स में फ़ोन निकालने के लिए हाथ डाला, पर उसमें फ़ोन नहीं था! बैला ने कहा, "अरे, मेरा फ़ोन?"

    नील ने कहा, "अच्छे से देखो, यहीं कहीं होगा।"

    ध्रुव ने मासूम बनते हुए कहा,

    "मम्मा, शायद वही रह गया। मैं अभी लेकर आता हूँ।"

    ध्रुव कैब से निकल कर भागते हुए अंदर की तरफ़ जाने लगा।

    नील ने मुस्कुरा कर कहा, "ये लड़का भी ना!"

    बैला ने कहा, "मुझे दाल में कुछ काला लग रहा है! मैंने जब फ़ोन यूज़ ही नहीं किया, तो वो वहाँ रह कैसे गया?"

    नील को भी यह बात अटपटी लगी क्योंकि ध्रुव कोई काम बिना कहे कर दे, यह तो असंभव है! और आज तो वो दौड़ते हुए अंदर गया है।

    बैला तुरंत कैब से उतर गई और नील ने कैब वाले से कहा,
    "भैया, सॉरी। आपका टाइम वेस्ट होगा। हम दूसरी कैब बुला लेंगे!"

    बैला ने कहा,

    "हाँ, इरा, बाहर आ जा बच्चा!"

    इरा तुरंत कैब से उतर गई।

    नील और बैला तेज़ कदमों से वापस उस बिल्डिंग के अंदर जाने लगे। पर इरा वहीं खड़ी थी। उसके दिमाग में अलग ही खिचड़ी चल रही थी!

    इरा ने देखा, मिस शीला फ़ोन पर बात कर रही थी और कार की बैक सीट पर बैठी थी। उनका ड्राइवर शायद अभी तक आया नहीं था और वो फ़ोन में बिज़ी थी!

    इरा ने पीछे मुड़कर देखा, बैला और नील अब तक बिल्डिंग में एंटर कर चुके थे!

    इरा अब तेज़ कदमों से मिस शीला की कार के पास गई और अपने हेयर से एक पिन निकालते हुए पूरी ताकत से उस टायर पर जोर से धँसा दी। और एक तेज आवाज़ से टायर पंक्चर हो गया।

    यह आवाज़ अंदर बैठी शीला को भी सुन गई थी। उसने आँखें बड़ी की, तुरंत कॉल कट कर दिया और तेज़ी से कार से बाहर उतर गई।

    बाहर निकल कर उसने इरा को देखा और फिर अपनी कार के टायर को! और फिर अपने सर पर हाथ रखते हुए बोली,

    "ओह गॉड! व्हाट द हेल इज़ दिस! क्या किया है पागल लड़की तूने ये? मुझे जल्दी घर जाना था, इसमें अब और वक़्त लगेगा!"

    किसने कहा है तुमसे यह बदतमीज़ी करने के लिए? हाँ! बेशर्म लड़की! अब हँस क्या रही हो? और तुम्हारी मॉम कहाँ है?

    इरा हँसते हुए बोली,

    "इसे कहते हैं बी फॉर बदला और आर फॉर रेवेंज, समझी आंटी जी!"

    शीला की गुस्से से मुट्ठी कस गई। वो जबड़े भींचते हुए बोली,

    "हाउ डेयर यू! तुम्हारे चेहरे पर गिल्ट क्यों नहीं है इतनी बड़ी गलती करने के बाद भी!"

    इरा ने मुस्कुरा कर कहा,

    "क्योंकि आपने मम्मा को बेवजह डाँटा और मेरे सामने यह बात कॉन्फ्रेंस भी की! आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरी मम्मा की बेइज़्ज़ती करने की!"

    शीला गुस्से से लाल हो चुकी थी! उसने गुस्से में कहा,

    "तुझे डर नहीं लग रहा तेरी मम्मी आकर तुझे इस बेशर्मी के लिए डाँट लगा सकती है!"

    इरा ने दोनों हाथ सीने पर बाँधते हुए कहा,

    "नो, नो, नो! यह आपकी गलत फ़ैमी है कि मम्मा मुझे डाँटेगी!"

    शीला ने कहा,

    "उसी ने सर पर चढ़ा रखा है! मेरी बेटी होती तो मैं उसे इतनी डाँट लगाती, वो सपने में भी ऐसी शैतानी करने की नहीं सोचती!"

    इरा ने जोर-जोर से हँसते हुए कहा,

    "मेरी मम्मा डाँट नहीं लगाती, थप्पड़ लगाती है!"

    शीला ने आँखें बड़ी कर के कहा, "और तुझे डर नहीं लग रहा!"

    इरा ने ना में सर हिलाते हुए कहा,

    "ऊँ हूँ! बिल्कुल नहीं! मेरी मम्मा को जो परेशान करेगा, उसे परेशान करना मेरा कर्तव्य है!"

    शीला ने कहा,

    "इतनी सी भी नहीं ना ही अच्छे से बोलना आ रहा है और बातें इतनी बड़ी वाली!"

    तू चल, तेरी मम्मा के पास। वो वही क्लास लगाएगी तेरी!

    शीला ने गुस्से से लाल होते हुए कहा और जबरदस्ती इरा का हाथ पकड़कर बिल्डिंग के अंदर जाने के लिए बढ़ गई।

    वहीं दूसरी तरफ़!

    बैला और नील जैसे ही अंदर पहुँचे, उनकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गई! वीरेंद्र बुरी तरह घायल तो था ही नील से पीटने की वजह से! लेकिन अब तो ध्रुव ने उसे रस्सियों से बाँध रखा था क्योंकि वीरेंद्र के पैर और हाथ में बुरी तरह चोट लगी थी, वो ध्रुव को रोक नहीं पाया था!

    ध्रुव वहाँ रखी हर वुडन चेयर को तोड़ चुका था, वीरेंद्र के ऊपर फेंक-फेंक कर! वीरेंद्र की दर्द भरी चीखें निकल रही थीं, जिसे सुनकर किसी का भी दिल दहल जाए।

    वीरेंद्र ने जैसे ही बैला और नील को देखा... वो मिन्नतें करते हुए बोला,

    "आई एम सॉरी, मिस बैला। मैं आगे से आपकी तरफ़ आँखें उठाकर भी नहीं देखूँगा। प्लीज़ मुझे इस शैतान से बचा लीजिए। प्लीज़, मैं आपके पाँव पकड़कर माफ़ी माँगूँगा सबके सामने। प्लीज़ मुझे इससे छुड़ा लीजिए!"

    ध्रुव को बैला के आने का पता चल चुका था, पर वो बिल्कुल नहीं रुक रहा था। उसका छोटा सा चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था!

    ध्रुव ने टूटी हुई चेयर से वीरेंद्र को मारते हुए कहा,

    "कॉल हर दीदी, बास्टर्ड!"

    "दीदी, आई एम सॉरी। प्लीज़ मुझे बचा लीजिए। आई एम रियली सॉरी। मैं आगे से आपको दीदी ही बोलूँगा!"

    बैला तो बुरी तरह डर चुकी थी ध्रुव को इस तरह देखकर। उसे पता था ध्रुव और इरा दोनों में बहुत गुस्सा है, बिल्कुल अपने बाप की तरह। पर ध्रुव जिस क़दर सनकी और पॉसेसिव बिहेवियर करता था, आज उसे इस रूप में देखकर उसका दिल एक अजीब से डर से घिर चुका था। उसके क़दम ना ध्रुव को रोकने के लिए आगे बढ़ रहे थे, ना उसकी जुबान से कोई शब्द बाहर आ रहे थे।

    वहीं नील खुश भी था और परेशान भी। ध्रुव का प्रोटेक्टिव होना ज़रूरी था, पर इस उम्र में इस क़दर बेरहम होना बिल्कुल सही नहीं था। वो ध्रुव को रोकने के लिए आगे बढ़ा!

    "डोंट टच मी, नील अंकल।"

    ध्रुव ने तेज़ आवाज़ में कहा, जिसे सुनकर नील भी बुरी तरह डर गया और मिस शीला, जो अभी-अभी अंदर आई थी, उनकी एक चीख निकल गई। इरा के चेहरे पर एक स्माइल आ गई।

    क्रमशः

  • 13. Hate by mistake - Chapter 13

    Words: 1130

    Estimated Reading Time: 7 min

    मिस शीला की चीख सुनकर नील को बेला की जॉब के लिए डर लगने लगा। वह हिम्मत करते हुए बोला, "ध्रुव बेटा, वह माफ़ी मांग रहा है ना? तुम अब उसे छोड़ दो। वह तुम्हारी मम्मी को अब आगे से फिर कभी परेशान नहीं करेगा!"

    ध्रुव ने लाल आँखों से नील को देखा। उसकी छोटी-छोटी मुट्ठियाँ बुरी तरह कटी हुई थीं, और वह अब फिर से वीरेंद्र की तरफ गर्दन टेढ़ी करके अजीब तरीके से उसे देखने लगा, जिससे वीरेंद्र का दिल बुरी तरह काँप उठा!

    नील ने आगे कदम बढ़ाए, पर उसके हाथ काँप रहे थे; ध्रुव को टच करने से भी...

    वहीं मिस शीला बेहोश हो चुकी थी।

    जिसे देखकर इरा मुँह बनाते हुए बोली,
    "बड़ी कमजोर दिल वाली निकली आप तो, शीला आंटी जी!"

    नील और बेला ने भी उसके गिरने की आवाज सुनी। बेला जैसे कई देर से होश में आई हो, वह जल्दी से पीछे मुड़कर देखती है जहाँ अब शीला फर्श पर बेहोश पड़ी थी!

    नील अब ध्रुव की तरफ ना जाकर शीला की तरफ चला गया और जल्दी से उसे हिलाकर बोला,
    "शीला मेम।"

    इरा ने कहा, "इन्हें, आई थिंक, डॉक्टर की ज़रूरत है।"

    नील ने हाँ में सर हिलाते हुए जल्दी से अपना फ़ोन निकाला और डॉक्टर को कॉल किया।

    कुछ ही देर बाद राजवीर के पास भी कॉल जा चुका था कि स्टूडियो में कुछ हुआ है और मिस शीला बेहोश हो गई हैं। उनके लिए डॉक्टर को बुलाया गया है।

    राजवीर ने यह सुना तो उसे तुरंत बेला का ख्याल आया। बेला भी वहीँ स्टूडियो में थी। उसकी मैनेजर पहले निकल चुकी थी, और वह मॉडल भी... पता नहीं क्यों, राजवीर को बेला के बारे में सोचकर थोड़ी घबराहट हो रही थी। इसलिए वह तुरंत ही डार्क कैसल से वापस स्टूडियो आने के लिए निकल पड़ता है!

    वहीं बेला अब अपने आँसू पोछते हुए मुट्ठी कस लेती है और तेज कदमों से ध्रुव के पास जाकर उसके हाथ में पकड़े उस लकड़ी के टुकड़े को जबरदस्ती छीन लेती है।

    वह टुकड़ा टूटा हुआ था, इसलिए ध्रुव की छोटी सी नाजुक हथेली बुरी तरह छिल चुकी थी और एक खून की धार बहने लगी!

    इरा भागते हुए वहाँ आई और ध्रुव का हाथ पकड़ते हुए बोली,
    "मम्मी... मम्मी! इसे लगी है... मम्मी! रोको ना इस खून को!"

    इरा बुरी तरह पैनिक करने लगी थी ध्रुव के हाथ में चोट देखकर! दिल तो बेला का भी बहुत दुख रहा था, पर फ़िलहाल वह ध्रुव से हमदर्दी जताने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी।

    उसने एक नज़र वीरेंद्र को देखा और फिर उसके हाथ-पैर खोलने लगी।

    उसके आँसू लगातार बह रहे थे, जिन्हें वह अपनी अनारकली की बाजू से बीच-बीच में पोछ रही थी।

    वहीं ध्रुव ने इरा से झटके से हाथ छुड़ाते हुए धीरे से कहा, "तेरी ओवर एक्टिंग बिल्कुल काम नहीं करने वाली! कितनी बार कहा है तुझे? सीरियस मोमेंट पर अपनी एक्टिंग स्किल्स मत दिखाया कर! यहाँ मूवी शूटिंग नहीं हो रही है! पोछ अपने ये आँसू!"

    कुछ देर इरा ने ध्रुव को घूरकर देखा और फिर एटीट्यूड से अपने गालों पर आए आँसुओं को एक उंगली से झटक दिया।

    जिसका साफ़ मतलब था, वह सच में एक्टिंग कर रही थी...

    उन दोनों ने एक नज़र बेला को देखा, जिसका चेहरा रोने की वजह से लाल हो चुका था...

    थोड़ी देर में ही डॉक्टर भी आ गई। उसने पहले शीला का चेकअप किया।

    कुछ देर बाद,
    "ये बस शॉक के कारण बेहोश हुई है। इन्हें जल्दी होश आ जाएगा! मैंने एक इंजेक्शन दे दिया है!"

    नील हाँ में सर हिला देता है और एक नज़र बेला, ध्रुव और इरा को देखता है...

    बेला का गला रोने की वजह से चौक हो चुका था। उसकी आवाज़ में कंपन भी हो रहा था।

    उसने अपना रोना कंट्रोल करते हुए कहा,
    "डॉक्टर, प्लीज़ इन्हें भी चेक करो!" ध्रुव ने घूरकर वीरेंद्र को देखा, जो अब शायद आखिरी साँसें ले रहा था!

    डॉक्टर वीरेंद्र की तरफ़ आई और उसे देखकर अपने मुँह पर हाथ रखते हुए बोली,
    "ओह गॉड! इस तरह कौन बेरहम मारता है!"

    बेला ने कसकर अपनी आँखें मींच लीं और उसके गालों पर आँसू की बूँदें लुढ़क आईं।

    "इरा ने आँखें छोटी करते हुए कहा," इससे आपको क्या लेना-देना? आप इलाज करो ना इनका!"

    ध्रुव ने इरा की तरफ़ देखकर धीरे से कहा,
    "चुप हो जा मेरी माँ! क्यों तू भी मेरे साथ पिटना चाहती है?"

    इरा ने दाँत दिखाते हुए कहा, "पीटना? ही ही ही! वो तो वैसे भी होने वाला है! रोज़ थप्पड़ का जुगाड़ मैं कर लेती हूँ, ठीक है?"

    ध्रुव ने ना में सर हिलाते हुए डॉक्टर को देखा, जो अब नील की हेल्प से वीरेंद्र को सीधा लिटा रही थी और उसकी फटी हुई शर्ट को निकाल रही थी, जो पूरी तरह से खून से सन चुकी थी...

    राजवीर भी उसी पल स्टूडियो में एंटर करता है!

    वह एक नज़र वहाँ के माहौल को देखता है!

    स्टूडियो का हाल बहुत बुरा था। शूटिंग सेट के आस-पास रखी लगभग हर चेयर टूट चुकी थी, और लकड़ी के टुकड़े इधर-उधर बिखरे थे!

    दूसरी तरफ़ मिस शीला बेहोश पड़ी थी, और एक डॉक्टर वीरेंद्र का इलाज कर रही थी। नील भी परेशान सा उसके पास ही बैठा था। बेला सन्न से खड़ी बस वीरेंद्र को देख रही थी। ध्रुव और इरा आपस में ख़ुसफुस कर रहे थे।

    बेला और बच्चों को सही-सलामत देखकर राजवीर ने एक राहत की साँस ली और फिर तेज कदमों से उनकी तरफ़ बढ़ गया।

    तभी वीरेंद्र ने एक दर्द भरी कराह भरी। शायद उसकी सबसे गहरी चोट पर डॉक्टर अब दवा लगाकर इलाज कर रही थी! और उसकी जलन से वह कराह उठा था!

    बेला का गुस्सा पल-पल बढ़ता जा रहा था! उसने ध्रुव की तरफ़ देखते हुए कहा,
    "तुम्हें बिल्कुल बुरा नहीं लग रहा है? तुम्हारी वजह से एक आदमी दर्द से इस क़दर तड़प रहा है!"

    ध्रुव ने कहा, "आपकी तरफ़ जो भी आँखें उठाकर देखेगा, वह इसी क़दर तड़पेगा, और मुझे उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता!"

    बेला बुरी तरह झल्ला उठी थी और वह ध्रुव की तरफ़ बढ़ते हुए बोली, "किन-किन को मारोगे तुम? तुम्हारे इन हाथों में इतनी ताकत नहीं है कि तुम हर गंदी नज़र वालों को मार सको! समझे? तुम खुद को सुपरहीरो समझते हो?" इतना बोलकर बेला ने ध्रुव पर हाथ उठा दिया। ध्रुव की आँखें डर के कारण मचल गई थीं, लेकिन उसे थप्पड़ नहीं लगा था। राजवीर ने बेला का हाथ पकड़ लिया था।

    बेला ने एक बार हाथ छुड़ाना चाहा, पर जैसे ही उसे एहसास हुआ कि उसका हाथ राजवीर ने पकड़ा है, उसने मुड़कर राजवीर की तरफ़ देखते हुए कहा, "सर, आप..."

    To be continued

  • 14. Hate by mistake - Chapter 14

    Words: 1098

    Estimated Reading Time: 7 min

    बैला ने पहले अपने हाथ को देखा, जिसे किसी ने कसकर पकड़ लिया था। फिर पीछे मुड़कर देखा तो राजवीर को देखकर उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

    "आप यहां?"

    बैला हैरानी से राजवीर को देख रही थी और फिर उसने नज़रें झुकाते हुए खुद ही अपना हाथ नीचे कर लिया। राजवीर ने भी उसकी कलाई छोड़ दी।

    राजवीर की नज़र ध्रुव के हाथ पर गई, जहाँ से लगातार खून बह रहा था।

    राजवीर ने बैला से हल्के गुस्से में अपना माथा दो उंगलियों से रगड़ते हुए कहा, "तुम इतनी पत्थर दिल इंसान कैसे हो सकती हो? ध्रुव के हाथ से खून बह रहा है और तुम उस पर हाथ उठा रही हो? मैंने तो सुना था, माँ के दिल से ज़्यादा कोमल इस दुनिया में कुछ भी नहीं होता! पर तुम तो अपने ही छोटे से बेटे को इस तरह ट्रीट कर रही हो।"

    बैला ने कसकर अनारकली को अपनी मुट्ठियों में भर लिया और होंठ भींचते हुए सिसकने लगी। उसके आँसू झरने की तरह बिना रुके बह रहे थे। उसे राजवीर की बातें अपने दिल पर किसी खंजर की तरह चुभती हुई महसूस हो रही थीं।

    इरा को भी बैला का रोना सहन नहीं हो रहा था। वहीं ध्रुव ने राजवीर को घूरते हुए कहा,

    "अभी आपने कहा ना मैं उनका बेटा हूँ, तो आपको हमसे दूर रहना चाहिए। हमारी मम्मा हमें संभालना अच्छे से जानती हैं। आपका कोई हक नहीं होता है उन्हें इस तरह डाँट लगाने का! अगर वो मारेंगी तो मार भी खा लूँगा और अगर प्यार करेगी तो वो भी सिर्फ़ मेरा ही होगा। आपको बीच में बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है, समझे आप? अब निकलिए यहाँ से!"

    इरा आँखें झपकते हुए कभी ध्रुव तो कभी राजवीर को देख रही थी। उसने एकदम से कहा,

    "अरे आप दोनों same same... but different!"

    ध्रुव ने कहा,

    "तू अपना मुँह बंद रख! हमेशा गलत वक्त पर ही तेरा मुँह क्यों खुलता है! ऐसे भद्दे से डायलॉग मारती रहती हो।"

    इरा ने क्यूट सा एक्सप्रेशन बनाते हुए कहा, "वो तुम्हारी गुस्से वाली शक्ल और इन अंकल की गुस्से वाली शक्ल एकदम सेम सेम है! देखो, गुस्से में तुम भी दो उंगली से अपना माथा रगड़ते हो, फिर टेढ़ी गर्दन करके घूरते हो। same ये भी कर रहे हैं उस गंदे अंकल की तरफ़ देखकर।"

    इरा ने वीरेंद्र की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,

    "अब ध्रुव ने भी गौर से राजवीर को देखा तो उसे कुछ-कुछ similarities दिखीं। पर उसने कहा,"कहते हैं ना यहाँ सात लोग एक जैसे दिखते हैं! तो ये हो सकता है उनमें से ही कोई हो। इसमें इतना शोक होने वाली क्या बात है?"

    इरा ने पाउट बनाते हुए कहा, "हाँ, दिखते तो हैं एक जैसे। सात लोग, ऐसा मैंने कॉमिक बुक में पढ़ा था।"

    राजवीर ने कहा, "तुम दोनों अपनी बातें बंद करो! एंड you very bad boy! दर्द नहीं हो रहा है क्या? डॉक्टर से पट्टी करवा लो। इस पर कितना खून बह गया है तुम्हारा।"

    ध्रुव ने एक नज़र अपने हाथ को देखते हुए कहा, "नहीं, ये punishment मम्मा ने दी है! इसे पूरी किए बिना मम्मा मुझे माफ़ नहीं करेगी और मैं अपनी मम्मा को खुद से नाराज़ नहीं देख सकता। इसलिए मैं इलाज नहीं करवाऊँगा और आप जाइए यहाँ से। आपकी बातों से मम्मा रो रही है।"

    ध्रुव जिस तरह मासूमियत से बोल रहा था... कोई पत्थर दिल इंसान हो तो उसका भी दिल पिघल जाए। बैला तो फिर भी उसकी माँ थी।

    बैला तुरंत घुटनों के बल आते हुए झुककर ध्रुव को अपने सीने से लगा लेती है और फिर फूट-फूट कर रोने लगती है।

    "I am sorry mumma,"

    "Please मुझे माफ़ कर दीजिए। मैं आपके ऑर्डर ज़रूर फॉलो करूँगा।"

    बैला को रोते-रोते हँसी आ गई।

    "शायद अगले जन्म में ध्रुव..."

    "अगले जन्म में भी मैं ही तुम्हारी मम्मा रहूँगी। तब शायद तुम मेरे ऑर्डर फॉलो कर लो।"

    इतना बोलकर बैला ने ध्रुव का माथा चूम लिया। तो इरा आँखें झपकते हुए उसके करीब आई और एक उंगली से बैला का कंधा टैप करने लगी। बैला ने उसे गर्दन घुमाकर देखा और फिर उसे भी अपने सीने से लगाते हुए उसके बालों पर किस कर लिया।

    उन तीनों को एक साथ देखकर राजवीर के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है। बैला अपने बच्चों से नाराज़ ज़रूर हो सकती है, पर उन्हें तकलीफ़ में देखकर उसके दिल में जो दर्द उठता है, उसे लफ़्ज़ों में बयाँ नहीं किया जा सकता है।

    थोड़ी देर बाद भी जब तीनों अलग नहीं होते हैं, तो राजवीर गला साफ़ करते हुए थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोलता है,

    "Miss Bella, तुमसे बात करनी है। तुम्हारी जॉब से रिलेटेड!"

    बैला का दिल जोरों से धड़कने लगा, पर उसने एक नज़र बच्चों को देखा, जो उस पर कितना यकीन करते हैं। उनकी मम्मा उन्हें अच्छे से संभाल लेगी! तो फिर बैला भी खुद पर यकीन रख सकती है ना! उसे कोई ना कोई रास्ता ज़रूर मिलेगा! क्योंकि आज जो हुआ, उसके बाद उसकी यह जॉब जाना तो तय रहा, पर अब उसमें ध्रुव और इरा को देखकर अपनी इस जॉब को छोड़ने की हिम्मत और इस प्रॉब्लम को फेस करने की ताकत आ चुकी थी। वो अपने आँसू पोंछकर खड़ी हो गई और राजवीर की तरफ़ रुख करके बोली,

    "I am sorry for all this mess."

    "मेरी वजह से शीला मैडम बेहोश हो गईं। आपके स्टूडियो का फ़र्नीचर टूट गया! इतना नुकसान हो गया, आपका एक एम्प्लॉय घायल हो गया और सबसे ज़रूरी आपका कीमती वक़्त बर्बाद हो गया। शायद इनमें से कुछ चीज़ों की भरपाई मैं कभी ना कर पाऊँ और जो मुझसे होगा मैं ज़रूर करूँगी।"

    "And Sir, I know इतना सब कुछ होने के बाद मुझे आप यहाँ से फ़ायर कर ही देंगे! I am ready. आपको कल तक मेरा रेज़िग्नेशन लेटर भी मिल जाएगा!"

    वहीं दूसरी तरफ़, ताशा राजवीर के बंगले, यानी डार्क कैसल पहुँच चुकी थी। पर उसे वहाँ से पता चला राजवीर यहाँ से वापस स्टूडियो के लिए निकल गया, तो ताशा थोड़ी हैरान रह गई। उसे तुरंत जूही का ख्याल आया, कहीं वो तो राजवीर को फँसाने के चक्कर में उसे वहाँ बुला रही हो!

    ताशा गुस्से से वापस वहाँ से स्टूडियो के लिए निकल गई। वहीं नील राजवीर को वहाँ देखकर हैरान और परेशान दोनों था। परेशान था बैला की जॉब के लिए, क्योंकि नील बैला की कंडीशन बहुत अच्छे से जानता था।

    अब धीरे-धीरे Miss शीला को भी होश आ रहा था।

    To be continued

  • 15. Hate by mistake - Chapter 15

    Words: 1320

    Estimated Reading Time: 8 min

    ताशा रोते हुए कार ड्राइव कर रही थी। वह राजवीर का हर ऑर्डर फॉलो करने के बावजूद भी, राजवीर उसकी बिल्कुल कदर नहीं कर रहा था। जैसे उसने उसे एक चीज़ समझ रखा है—जब जरूरत हो तो काम में ले लिया, वरना अपनी ज़िंदगी से निकाल कर एक कोने में फेंक दिया।

    उसकी आँखों के आँसू बह रहे थे। ना उनकी कोई सीमा थी, ना कोई उपाय। जाने कब तक ये ऐसे बहने वाले थे... वहीं स्टूडियो में,

    राजवीर बेला के इस तरह कंपनी छोड़ने के बारे में बोलते ही आँखें छोटी करके उसे घूरने लगा और फिर गहरी साँस छोड़ते हुए बोला,
    "मिस बेला, तुमको हमेशा नेगेटिव चीज़ ही क्यों दिखाई देती हैं? मैंने तुमसे नहीं कहा मैं तुमको जॉब से निकाल रहा हूँ, लेकिन फिर भी आपको रेज़िग्नेशन लेटर दिख रहा है। वहीं ध्रुव ने भी तुम्हारी इज़्ज़त को ऊपर रखते हुए यहाँ झगड़ा किया, पर नहीं, तुम्हें उसे डाँटना है। मतलब हर चीज़ में नेगेटिविटी। एनीवे, छोड़ो यह सब। मैं अपने आप देख लूँगा। अभी तुम घर जाओ, बच्चों को भूख लगी है, इन्हें लंच करना होगा।"

    इरा और ध्रुव राजवीर को बस घूर रहे थे। वह उनकी मम्मा को जॉब पर रख रहे हैं, यह उनके लिए एक गुड न्यूज़ थी, पर साथ में ऐसे ऑर्डर देना उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। इरा ने कहा,
    "मिस्टर, आप जो भी हों यहाँ पर, आप इनको ऑर्डर सिर्फ़ यहाँ के लिए दे सकते हो कि यहाँ क्या काम करेगी, हमारे लिए नहीं। हमारे लिए यह जो करेंगी वही सही होगा, तो आपको राय देने की ज़रूरत नहीं है।"

    राजवीर ने एक छोटी सी स्माइल के साथ कहा,
    "हाँ जी, नन्ही सी परी, मैं समझ गया तुम क्या कहना चाहती हो।"

    इतने में मिस शीला पीछे से आते हुए बोली,
    "सर, आप यहाँ... ये दोनों बच्चे बहुत शैतान हैं।"

    राजवीर ने पीछे मुड़कर देखा,
    "ओह, आपको होश आ गया? अब आप ठीक हो?"

    इरा को हँसी आ गई। इरा ने हँसते हुए कहा,
    "शीला आंटी जी, आप तो बहुत कमज़ोर दिल वाली निकलीं। खून देखकर ही बेहोश हो गईं।"

    शीला को इरा पर पहले से बहुत गुस्सा था। वह इरा पर हाथ उठाते हुए बोली,
    "और यह तो सबसे बदतमीज़ लड़की है।"

    पर राजवीर ने उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,
    "आप ऐसे कैसे इस पर हाथ उठा सकती हैं? इसने क्या किया है?"

    शीला के इस एक्शन पर तो बेला के चेहरे पर भी गुस्से के भाव आ गए। शीला ने दाँत पीसते हुए कहा,

    "सर, यह पूछो इसने क्या नहीं किया है! इसने मेरी गाड़ी के ऊपर बैठी, यह अलग, और मेरी गाड़ी का टायर पंचर कर दिया। जब मैं इसे सॉरी बोलने को कहा, तो बोलती है, 'नहीं, यह मैंने सही किया है, यह मेरा कर्तव्य है,' और पता नहीं क्या बकवास! एक नंबर की बदतमीज़ लड़की है। मैं इन्हें क्यूट समझ रही थी, पर यह बिल्कुल भी क्यूट नहीं है।"

    ध्रुव ने गर्व से कहा,
    "हमें क्यूट बनना भी नहीं है। और वैसे भी आपने मम्मा की इन्सल्ट की थी, इसलिए इसने ऐसा किया होगा। बेवजह हम कोई काम नहीं करते हैं।"

    राजवीर ने ध्रुव को देखा जो इरा की साइड लेते हुए बहुत प्रोटेक्टिव हो रहा था। वह सच में एक अच्छा भाई था। राजवीर मन ही मन इन दोनों की बॉन्डिंग देखकर बहुत खुश था, क्योंकि उसकी अपनी बहन के साथ बिल्कुल नहीं बनती थी। वह भी अपनी बहन का बिल्कुल इसी तरह ख्याल रखना चाहता था, पर शायद नहीं रख पाया कभी। पर आज इन बच्चों की बॉन्डिंग देखकर उसके दिल को सुकून मिल रहा था।

    आज के ज़माने में भी भाई-बहन एक-दूसरे को प्रोटेक्ट कर सकते हैं, जैसे इरा और ध्रुव करते हैं। वरना तो उनको प्रॉपर्टी में लड़ने के सिवा कुछ दिखाई ही नहीं देता है। राजवीर ने शीला का हाथ झटकते हुए कहा,
    "यह बच्चे बिल्कुल सही बोल रहे हैं। मैं भी मिस बेला की बेइज़्ज़ती करते हुए आपको देखा था। मैं उसे टाइम ही आपको कुछ कहना चाहता था, पर शूटिंग हो रही थी, इसलिए कुछ नहीं कहा।"

    फिर राजवीर ने आराम से कहा,
    "अगर आपको ज़्यादा जल्दी है, तो आप मेरी कार में जा सकती हैं।"

    शीला ने आँखें बड़ी करके राजवीर की तरफ देखा। उसके मन में एक ही सवाल आ रहा था—राजवीर अपनी फेवरेट लिमिटेड एडिशन की कार उसे चलाने कैसे दे सकता है? पर उसके उलट राजवीर ने तुरंत ही अपनी पॉकेट से कार की कीज़ निकालते हुए शीला के हाथ में थमा दी और कहा,
    "जल्दी जाइए आप, वरना लेट हो जाएँगी।"

    राजवीर के शब्दों में ताना साफ़-साफ़ महसूस हो रहा था। पर मिस शीला तो फूली ही नहीं समा रही थी कि आज वह राजवीर की कार चलाने वाली है। वह तुरंत ही खुशी-खुशी बाहर निकल गई। बेला ने राजवीर को अजीब नज़रों से घूरा, पर उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था। राजवीर उसको जॉब दे रहा है, यह भी बहुत बड़ी बात थी। नील भी खुश हो गया था कि बेला की जॉब नहीं जा रही है। बेला ने कहा,
    "ठीक है सर, अगर आपने इन्हें माफ़ कर ही दिया, तो अब हम भी चलते हैं।"

    अब राजवीर ने हाँ में सर हिलाते हुए कहा,
    "हाँ, बिल्कुल। और हाँ, मैं भी आप लोगों के साथ ही चलूँगा।"

    यह सुनकर बेला ने कहा,
    "एक मिनट, आपको हमारे साथ क्यों जाना है? आपके पास तो बहुत सारी कारें हैं ना, आप दूसरी कार मँगवा लो।"

    तो राजवीर ने कहा,
    "नहीं, मुझे पार्क देखना है, इसलिए मैं आपके साथ ही चलूँगा।"

    बेला ने अपने मन में कहा, "बड़ी अजीब ज़बरदस्ती है। मेरे साथ जाने के लिए भी इन्हें मुझे ही ऑर्डर देना है।"

    ध्रुव को भी बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था, पर इरा खुश हो गई थी कि आज वह स्टार गार्डन में फिर से डॉग्स को देखने जाएगी। इसलिए उसने जल्दी से राजवीर का हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "हाँ अंकल, बिल्कुल आप चलिए हमारे साथ स्टार गार्डन।"

    ध्रुव को इरा पर बहुत तेज़ गुस्सा आ रहा था। उसने दूसरी तरफ़ से इरा का हाथ पकड़ते हुए कहा,
    "क्या तुम्हें रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है जो तुम्हें दूसरों के हाथ पकड़ने पड़ रहे हैं?"

    इरा ने गन्दा सा मुँह बनाकर ध्रुव को देखा और फिर राजवीर की तरफ़ देखकर एक स्माइल पास करते हुए उसका हाथ छोड़ दिया, जैसे कह रही हो—उसका भाई जब तक ज़िंदा है, वह किसी का हाथ नहीं पकड़ सकती है। उसके अलावा बेला तो अपने में उलझी थी। उसने बच्चों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और वह बाहर जाने लगी। तब तक नील ने भी दूसरी कैब बुक कर दी थी। कैब वाला बाहर ही खड़ा था और राजवीर, बेला, ध्रुव और इरा, चारों स्टार कॉलोनी के लिए निकल पड़े।

    राजवीर अपने मन ही मन बोल रहा था, "मैं इतने इम्पॉर्टेन्ट के काम को छोड़कर इन बच्चों से इतना अटैच्ड क्यों फील कर रहा हूँ?" लेकिन फिर खुद ही कहा, "कम से कम यहाँ सुकून तो है, मैं जिसकी तलाश कितने दिनों से कर रहा था... दिनों से नहीं, शायद कई सालों से।"

    राजवीर ने एक नज़र बेला को देखा जो खिड़की की साइड बैठी थी। सर पर दुपट्टा लिए वो बहुत प्यारी लग रही थी। हवा से उसका दुपट्टा सर से उड़ रहा था और बेला बार-बार उसे सही कर रही थी। ध्रुव और इरा बीच में बैठे थे।

    बेला ने अपने पर्स से एक रुमाल निकालकर ध्रुव की हथेली पर बाँध दिया और ध्रुव के चेहरे पर राहत भरी स्माइल खिल गई, जैसे उसकी मम्मा का उसे माफ़ करना उसके लिए किसी जंग जीतने जितना बड़ा काम था।

    कैब आराम से ही चल रही थी कि अचानक एक बड़ा सा ट्रक सामने से तेज़ी से चलते हुए आया और कैब ड्राइवर की आँखें हैरानी से फैल गईं।

    To be continued...

  • 16. Hate by mistake - Chapter 16

    Words: 1206

    Estimated Reading Time: 8 min

    कैब आराम से चल रही थी कि अचानक एक बड़ा सा ट्रक सामने से तेजी से आ गया और कैब ड्राइवर की आँखें हैरानी से फैल गईं।

    बेला का दिल एकदम से थम गया। ड्राइवर ने आँखें बंद करते हुए जोरदार ब्रेक लगाया। पर भगवान का लाख-लाख शुक्र था कि कैब को कुछ नहीं हुआ और वह जाकर सड़क किनारे लगी एक पोल से टकरा गई।

    राजवीर ने ईरा को कसकर पकड़ रखा था और बेला ने ध्रुव को। इनमें से किसी को भी कुछ नहीं हुआ था। बस कैब के बोनट से धुआँ निकल रहा था।

    राजवीर तुरंत ईरा को संभालते हुए कैब से उतरा और बेला भी नीचे उतर गई।

    बेला ने उतरते ही कैब ड्राइवर से कहा,
    "भैया, आप ठीक हो ना? आपको कुछ हुआ तो नहीं ना?"

    कैब ड्राइवर ने कहा,
    "जी मैडम, मैं बिल्कुल ठीक हूँ। बस शायद अब आपको आपकी मंजिल तक नहीं पहुँचा पाऊँगा!"

    बेला ने कहा,
    "नहीं, कोई बात नहीं। हमें और कैब मिल जाएगी। आप अपना नुकसान बताइए।"

    कैब ड्राइवर ने कहा,
    "मैडम, कौन सा आपकी वजह से नुकसान हुआ है? वो तो सब उस ट्रक की वजह से हुआ। आप बेवजह परेशान हो रही हैं!"

    बेला ने मुड़कर राजवीर को देखा जो एकटक सड़क की तरफ देख रहा था जहाँ से अब वह ट्रक धीरे-धीरे ओझल हो रहा था।

    बेला को राजवीर की इस हरकत पर irritation हो रही थी। उसका दिल इतनी जोर से धड़क रहा था कि उसे heart arrest हो जाएगा सा लग रहा था और एक राजवीर है जो उधर देखे जा रहा है, ना तो ड्राइवर से पूछ रहा है वह ठीक है या नहीं, ना बच्चों से!

    बेला ने झल्लाते हुए कहा,
    "क्या आपके ऐसे घूरने से वह ट्रक वापस आ रहा है यहाँ?"

    राजवीर ने पीछे मुड़कर कन्फ्यूजन भरे लहजे में कहा,
    "व्हाट??? व्हाट यू मीन बाय दिस? कहना क्या चाहती हो तुम?"

    बेला ने अपने माथे पर हाथ मारते हुए कहा,
    "यही कि आप कोई मिरेकल करने वाले हैं क्या? वह ड्राइवर वापस आने वाला है यहाँ? जो उधर ही उधर देखे जा रहे हैं। जो चला गया उसे छोड़ो, इधर जो हैं उन इंसानों को तो देखो ठीक है या नहीं। आप तो उसे ही घूरने में लग गए हो?"

    राजवीर को अब समझ आया कि बेला उसे ताना मार रही है।

    राजवीर ने बच्चों को देखा जो उसे टकटकी लगाकर देख रहे थे, जैसे बेला ने जो पूछा उसका जवाब उन्हें भी चाहिए।

    राजवीर ने बेला की तरफ आँखें छोटी करके देखा और फिर कहा,
    "नहीं, यह आपकी गलतफहमी है। मैं ऐसा कुछ नहीं करने वाला। मैं बस उस ट्रक के नंबर देखने की कोशिश कर रहा था।"

    बेला ने कहा,
    "ओह रियली? आपको लगता है वह जानबूझकर यह कर रहा था? आजकल के लोगों को तेज ड्राइविंग का फितूर चढ़ा है। कोई दुश्मनी नहीं है हमारी किसी के साथ भी।"

    राजवीर ने कहा,
    "तुम्हारी नहीं होगी पर मेरी जरूर है। इसलिए मुझे चेक करना पड़ता है। मेरे हर कदम के साथ मुझे होशियार रहना पड़ता है। कौन कब और क्यों मेरे पीछे पड़ा है।"

    बेला ने आगे कुछ नहीं कहा और राजवीर ने अपनी पेंट की पॉकेट से फोन निकालते हुए अपने ड्राइवर को कॉल किया। अगले 15 मिनट बाद ही राजवीर के लिए एक कार आ चुकी थी। राजवीर ने कैब ड्राइवर को उसके नुकसान की भरपाई के लिए कुछ पैसे दे दिए।

    बेला, ईरा और ध्रुव साइड में खड़े थे और राजवीर कार में बैठते हुए बोला,
    "अब आप लोगों को मैं अलग से इनविटेशन दूँ? बैठ जाओ कार में। स्टार कॉलोनी ही जाऊँगा।"

    बेला ने कहा,
    "नहीं, शुक्रिया। हमें आपका एहसान नहीं चाहिए। हम चले जाएँगे।"

    राजवीर ने अपना माथा रबड़ते हुए कहा,
    "इस खुद्दार औरत का क्या करूँ मैं?"

    और फिर वापस कार से उतरते हुए बोला,
    "मेरी माँ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ रहा हूँ। प्लीज चलो। मैं रिक्वेस्ट कर रहा हूँ। कोई एहसान नहीं कर रहा हूँ तुम पर। मैं इन बच्चों को मुश्किल में नहीं डालना चाहता। तुम चलो मेरे साथ। अब और कोई बहाना नहीं चलेगा।"

    बेला ने राजवीर को अजीब तरीके से घूरा, जैसे पूछ रही हो, "एक एम्प्लॉयी के साथ ऐसा बर्ताव?"

    पर अब वह बिना बहस किए कार में बैठ गई। वे तीनों बैक सीट पर बैठे थे।

    ध्रुव ने पलकें उठाकर बेला को देखा जो कार में बैठकर नाखुश लग रही थी। ध्रुव ने एकटक बेला को देखते हुए कहा,
    "मम्मा... आप परेशान मत होइए! मैं बड़ा होकर एक अच्छा डॉक्टर बनूँगा! और आपके लिए बहुत सारी कार लेके आऊँगा। फिर आपको भी बस एक कॉल करने की देरी होगी और कार आपके सामने होगी।"

    बेला ने ध्रुव को देखा और फिर प्यार से उसके सर को सहलाते हुए उसके फोरहेड को चूम लिया।

    ध्रुव की ऐसी बातें बेला को इमोशनल कर देती थीं। वह बेला को हमेशा हर तकलीफ से बचा के रखना चाहता था।

    राजवीर भी साइड मिरर से उन दोनों को देख रहा था। उसके चेहरे पर बेला के लिए सिम्पैथी और ध्रुव के लिए एक प्राउड वाली स्माइल थी। क्यों थी, उसे नहीं पता, पर इतना काबिल बच्चा उसे बहुत भा रहा था!

    डॉक्टर बनना ध्रुव का सपना था क्योंकि उसने एक डॉक्टर की देरी की वजह से किसी के सर से माँ-बाप का साया छिनते हुए देख लिया था। बस उस दिन से ठाना था वह डॉक्टर बनकर रहेगा! अब उसका यह सपना सच होगा या नहीं, यह तो पता नहीं!

    ईरा ध्रुव को देखकर आँखें छोटी करते हुए बेला के करीब आ जाती है और उसे टाइट हग करते हुए बोलती है,
    "मम्मा, मुझे भी किस करो! मैं आपके लिए एयरोप्लेन लाऊँगी! यह तो सिर्फ गाड़ी लाएगा।"

    बेला को हँसी आ गई और उसने ईरा का फोरहेड चूमते हुए कहा,
    "हाँ, मेरा बच्चा!"

    ध्रुव ने मुँह बनाते हुए कहा,
    "जलकुक्कड़ी कहीं की! हम्म्! नकलची बंदर!"

    ईरा ने उंगली दिखाते हुए कहा,
    "सारे दाँत तोड़ दूँगी तुम्हारे! चुजे!"

    "ईरा! उससे पंगा मत लिया करो! कितनी बार बोला है!"

    बेला ने बीच में ईरा को पकड़ते हुए कहा,
    "बस! लड़ना बंद करो! घर आने वाला है!"

    ईरा और ध्रुव एक-दूसरे को घूरते हुए वापस सीट पर बैठ गए। वे दोनों बेला के अगल-बगल बैठे थे इसलिए उनके हाथ-पैर एक-दूसरे पर नहीं चल सकते थे।

    कुछ देर बाद गाड़ी स्टार कॉलोनी में एंटर करती है तो बेला बोलती है,
    "भैया, यहीं उतार दीजिए!"

    राजवीर ने कहा,
    "क्यों? पहरेदारी करोगी यहाँ गेट पर? क्यों उतरना है तुम्हें?"

    बेला ने कहा,
    "हमारी कॉलोनी बहुत छोटी सी है। कोई बहुत बड़ी कंट्री नहीं है और हमारा घर पास ही है। अब आप गार्डन की डायरेक्शन में चले जाइए।"

    राजवीर ने गुस्से से कहा,
    "तुम खुद को समझती क्या हो? जब जी में आए मेरी इंसल्ट कर देती हो।"

    बेला ने कहा,
    "तो मैं खुद इनवाइट नहीं करती हूँ आपको बातें करने के लिए और जैसे आपके सवाल होते हैं उससे तो ज्यादा ही तमीज़दार मेरे जवाब होते हैं!"

    क्रमशः

  • 17. Hate by mistake - Chapter 17

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    बेला का जवाब सुनकर राजवीर मुँह खोले उसे देखता ही रह गया। ड्राइवर ने भी अपने बॉस को इस तरह हक्का-बक्का देखकर तुरंत कार को ब्रेक लगा दिया। अगले ही पल बेला दोनों बच्चों के हाथ पकड़कर कार से नीचे उतर गई। इरा ने मुड़कर राजवीर को बाय-बाय किया और ध्रुव ने घूरकर देखा। फिर तीनों अपने घर की तरफ चल दिए।

    राजवीर ने ड्राइवर को घूरते हुए कहा, "तुम्हें किसने कहा था कार रोकने के लिए?"

    ड्राइवर हड़बड़ाकर बोला, "वह मैडम... आई एम सॉरी सर!"

    राजवीर ने झल्लाकर कहा, "अपना सॉरी अपने पास रखो और अब उनके पीछे-पीछे चलो!"

    ड्राइवर आँखें बड़ी करके बोला, "सर, हमें स्टार गार्डन जाना है।"

    राजवीर ने ड्राइवर को आँखें दिखाकर कहा, "बॉस तुम हो या मैं?"

    ड्राइवर फिर हड़बड़ा गया, "आ... आप सर!"

    राजवीर ने ज़ोर से कहा, "तो जैसा बोल रहा हूँ, चुपचाप करो। अपना दिमाग मत लगाओ ज़्यादा।" और फिर जाते हुए बेला को देखकर कहा, "सब अपना दिमाग लगा रहे हैं। मेरे फ़ैसले की तो कोई क़द्र ही नहीं रह गई है।"

    ड्राइवर डर से लार गटकते हुए कार स्टार्ट कर दी।

    बेला लगभग सात-आठ मिनट में ही अपने घर पहुँच चुकी थी। राजवीर की कार भी ठीक उसी वक़्त वहाँ आकर रुकी। बेला दरवाज़ा खोल रही थी कि कार के ब्रेक की आवाज़ सुनकर पीछे पलटकर देखती है और राजवीर को देखकर आँखें बड़ी कर लेती है!

    इरा के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है! ध्रुव भी कंफ़्यूज़ होकर राजवीर को देखने लगा जो अब कार से उतरकर उनकी तरफ़ बढ़ रहा था।

    बेला ने दरवाज़ा खोला और फिर राजवीर को देखते हुए बोली, "रुकिए यहीं, अभी दे देती हूँ आपका किराया।"

    राजवीर ने घर के नेम प्लेट (ध्रुव-इरा) को देखते हुए कहा, "इतना बेशर्म समझा है तुमने मुझे? अपनी एम्प्लॉयी से किराया लूँगा?"

    बेला ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा, "माय मिस्टेक। आप बेशर्म तो नहीं, पर बेवकूफ़ हैं शायद!"

    राजवीर ने तुरंत बेला को घूरते हुए कहा, "आई एम योर बॉस, यू नो दैट! जिसकी परमिशन के बिना तुम अपनी जॉब नहीं कर सकती। तुम ऐसे इंसान को बेवकूफ़ बोल रही हो। हाउ डेयर यू!"

    बेला ने जबरदस्ती मुस्कुराकर कहा, "तो और क्या कहूँ? आप यहाँ मुझसे किराया लेने नहीं आए, तो क्या यह देखने आए हैं कि हम घर पहुँच गए या नहीं? सीरियसली? हम एक दिन में अपने घर का पता तो नहीं भूल जाएँगे। और रही बात बॉसगिरी की, तो आप बस ऑफ़िस में बॉस हो। यह मेरा घर है, यहाँ की बॉस मैं हूँ। तो यहाँ आने के लिए आपको मेरी परमिशन लेनी पड़ेगी!"

    ध्रुव आगे आकर अपने हाथ सीने पर रखते हुए बोला, "और मैं असिस्टेंट! बॉस से मिलने के लिए मेरी परमिशन लेनी पड़ेगी।"

    राजवीर ने बेला को घूरते हुए कहा, "मैंने तो सुना था मेहमानों की मेहमानवाज़ी की जाती है, पर तुम तो निहायती बेशर्म हो!"

    बेला ने अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए कहा, "मेहमानों की की जाती है, बिन बुलाए मेहमानों की नहीं।"

    राजवीर ने आइब्रो चढ़ाते हुए कहा, "मतलब तुम मुझे अंदर आने के लिए इनवाइट नहीं करोगी? ऐसे ही दरवाज़े पर खड़ा करके रखोगी?"

    बेला गुस्से से अपनी मुट्ठी बांधते हुए मन में बोली, "एक नंबर के ढीठ इंसान है!"

    तभी पीछे से एक औरत की आवाज़ आई, "बेटा, ये कौन है? और ये इतनी महँगी गाड़ी!"

    "अरे शर्मिला आंटी आप!" बेला ने कहा। इरा ने कहा, "क्या रूहानी गार्डन में गई अम्मा?"

    शर्मिला ने कहा, "हाँ बच्चे! रूहानी स्कूल से आते ही नाश्ता करके चली गई थी। पता नहीं क्या गाँठ रखा है ऐसा उस गार्डन में इन बच्चों ने!"

    शर्मिला की बात सुनकर पता नहीं क्यों पर ध्रुव परेशान हो गया।

    इरा ने जल्दी से कहा, "ठीक है मम्मा, मुझे भी जाना है गार्डन!" बेला ने उसे रोकते हुए कहा, "तुमने खाना नहीं खाया...?"

    "मम्मा, भूख नहीं है। प्लीज़ जाने दो ना, प्लीज़! आप अपने मेहमान को संभालो!" इरा ने राजवीर की तरफ़ इशारा करते हुए कहा जो कब से वेट कर रहा था कि उसे कोई नोटिस कर ले।

    शर्मिला ने फिर से कहा, "बेला बेटा, तुम्हारे ये कौन से रिश्तेदार हैं? जो तुम्हारी मजबूरी के वक़्त तुम्हारे साथ नहीं थे और आज इतनी बड़ी गाड़ी लेकर तुमसे मिलने आए हैं?"

    शर्मिला की बातों में नाराज़गी साफ़ झलक रही थी। वहीं उनकी बात सुनकर बेला की आँखें बड़ी हो गईं। कहीं वो राजवीर को उसके अतीत के बारे में कुछ ना बता दे...

    इसलिए उसने शर्मिला को रोकते हुए कहा, "नहीं आंटी, इरा को तो आप जानती हैं कितनी शैतान हैं। ये मेरे रिश्तेदार नहीं हैं। और मैंने साफ़-साफ़ तो बता दिया था आपको... मेरे कोई रिश्तेदार नहीं हैं।"

    राजवीर हैरानी से बेला को देखने लगा।

    शर्मिला ने कहा, "तो तुम्हारे बच्चों का बाप भी तो हो सकता है! कितनी बुज़दिल इंसान होगा वो जिसने ज़िम्मेदारी उठाने की बजाय तुम्हें ऐसे अनाथों की तरह छोड़ दिया।"

    बेला को समझ नहीं आ रहा था शर्मिला जी को कैसे रोके और राजवीर से अपना सच कैसे छुपाए!

    बेला ने जबरदस्ती मुस्कुराकर कहा, "आंटी जी, हम इस टॉपिक पर फिर कभी बात करेंगे। फ़िलहाल... इन्हें मैं चाय वगैरह पिलाती हूँ। ये मेरे बॉस हैं, कंपनी के डायरेक्टर।"

    शर्मिला एकदम से बड़ी सी मुस्कान लिए बोली, "अच्छा, ये तुम्हारे बॉस हैं? पहले बताती ना! और आप बेटा, हमारी बेला बहुत हार्ड वर्किंग है। इसे एक्स्ट्रा पेमेंट दिया करो ताकि ये अपने दोनों बच्चों को अच्छी लाइफ़स्टाइल दे सके!"

    बेला ने राजवीर का हाथ पकड़ा और घर के अंदर ले गई। फिर वापस आकर शर्मिला आंटी से बोली, "ठीक है आंटी जी, बाद में मिलते हैं!"

    इतना बोलकर दरवाज़ा बंद करने लगी। उसे एकदम से बच्चों का ख़्याल आया, पर अब तक दोनों बच्चे जा चुके थे। बेला ने ना में गर्दन हिलाते हुए डोर लॉक कर लिया।

    बेला जैसे ही पीछे मुड़ी, किसी के मज़बूत सीने से टकरा गई। बेला एकदम से डरते हुए बोली, "हे शिव!!! और आप क्यों भूत की तरह सर पर ही खड़े हो गए हैं? सोफ़ा नहीं दिखाई दिया आपको?"

  • 18. Hate by mistake - Chapter 18

    Words: 1048

    Estimated Reading Time: 7 min

    राजवीर बेला की तरफ कदम बढ़ाने लगा और बेला एक-दो कदम चलकर ही दरवाजे से टकरा गई। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा।

    राजवीर दरवाजे पर बेला के दोनों तरफ हाथ रखते हुए बोला,
    "वो मैं घर के बॉस के ऑर्डर का इंतज़ार कर रहा था। आपकी इजाज़त बहुत मायने रखती है ना।"

    राजवीर ने यह सब बेला के काँपते होठों को एकटक देखते हुए कहा।

    बेला कुछ बोलना चाह रही थी, पर राजवीर की उपस्थिति उसे इतना प्रभावित कर रही थी कि उसके होठ सिर्फ़ हिल रहे थे; उनसे अल्फ़ाज़ नहीं निकल रहे थे।

    बेला ने राजवीर के सीने पर हाथ रखकर पीछे धकेलते हुए कहा,
    "आ... आप हटो प्लीज़!"

    राजवीर ने एकदम से बेला की कमर को पकड़ते हुए कहा,
    "क्यों? कुछ देर पहले तो बड़ी बोल्डगी दिखा रही थी, और जरा सी करीबी में इस कदर काँप रही हो जैसे जनवरी का महीना चल रहा हो!"

    बेला ने कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। वह राजवीर के स्पर्श को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। राजवीर का हाथ हल्का-सा उसकी कमर पर कसा था कि बेला ने पूरी ताकत से उसे पीछे धकेलते हुए कहा,

    "देखिए, मैं आपकी बदतमीज़ी बर्दाश्त नहीं करूँगी। अकेली ज़रूर हूँ, पर कमज़ोर नहीं! अपनी सस्ती ट्रिक्स अपनाना बंद करो आप! एक तो जबरदस्ती मेरे घर आ गए, ऊपर से ये सब!"

    राजवीर फिर से बेला के करीब आते हुए बोला,
    "कितनी झूठी हो तुम बेला! तुम खुद मेरा हाथ पकड़कर अपने घर लाई थी!"

    बेला नज़रें फेरते हुए बोली,
    "क्योंकि बाहर के लोग अजीबोगरीब बातें बनाते हैं!"

    राजवीर एक स्माइल के साथ बोला,
    "अजीबोगरीब बातें नहीं बनाते, मुझे तुम्हारा भाग्यवान पति बनाते हैं!"

    बेला गुस्से में चिल्लाकर बोली,
    "Enough is enough sir!!!! मेरे पति के बारे में बोलने वाले आप कौन होते हैं?"

    राजवीर स्माइल करते हुए बोला,
    "इतना प्यार? काश हम पर भी कोई इस कदर फ़िदा होता!"

    बेला गुस्से से लाल हो चुकी थी और उसकी आँखें नम हो चुकी थीं। वह राजवीर की जमकर धुलाई करना चाहती थी, पर शायद राजवीर का ओढ़ा बीच में आ रहा था।


    इरा और ध्रुव दौड़ते हुए गार्डन में एंटर करते हैं। वहाँ एक छोटी बच्ची रो रही थी।

    ध्रुव एकदम से घुटनों के बल उस बच्ची के सामने गिरते हुए उसका छोटा-सा चेहरा अपने हाथों में भरकर बोला,
    "क्या हुआ बटरफ़्लाई? क्या इस रूहानी ने फिर से तुम्हारे साथ बदतमीज़ी की?"

    यह अक्षी थी। अक्षी तुरंत ध्रुव को गले लगाते हुए बोली,
    "ये... ये रोज़ मुझे गन्दा-गन्दा बोलती है! जब तुम होते हो बस तब ही नहीं बोलती। आज तुम इतने लेट क्यों आए हो?"

    ध्रुव ने अक्षी का सर सहलाते हुए गुस्से से रूहानी को घूरा, और फिर अक्षी से प्यार से कहा,
    "वो मम्मी को कुछ काम था, इसलिए लेट हो गया!"

    वहीं इरा गोल्डी के साथ मिलकर उन डॉग्स को खाना खिला रही थी। राजवीर ने उनका इलाज करवा दिया था, जिससे अब वे कुछ-कुछ ठीक हो गए थे।


    ध्रुव तारा हाउस

    "देखिए सर! मेरी एक इज़्ज़त है इस कॉलोनी में, जो बड़ी मुश्किल से मैंने कमाई है! आपका यहाँ आना आपके लिए नॉर्मल होगा, पर मेरे लिए नहीं! एक अकेली रहने वाली लड़की के घर अगर कोई मर्द आता है, तो उसे क्या नाम दिया जाता है, वो आपको अच्छे से पता होगा! और मैं नहीं चाहती कल को मुझे वो नाम दिया जाए, मेरे बच्चों के फ़्यूचर पर कोई सवाल आए, इसलिए आपके आगे हाथ जोड़ रही हूँ, प्लीज़ यहाँ से चले जाइए!"

    राजवीर ने गुस्से से जबड़े कसकर बेला के करीब बढ़ते हुए कहा,
    "तुम्हें लगता है लोग मुझे इस तरह से देखेंगे? मैं यहाँ अपने तन की प्यास बुझाने आया हूँ?"

    बेला ने अपने गालों पर आए आँसू पोछते हुए कहा,
    "जी बिल्कुल ठीक समझे हैं सर आप! और अगर आपके ऐसे गिरे हुए शौक हैं भी, तो बहुत सारे बाज़ार हैं जहाँ आप जैसे तमीज़दार लोग रोज़ सौदा करते हैं! वो भी इज़्ज़त खरीदने का!"

    राजवीर ने बेला का चेहरा एक हाथ से पकड़ते हुए ज़ोर से दबाकर कहा,
    "तुम्हारे ये होठ कुछ ज़्यादा नहीं चल रहे! इतनी गिरी हुई सोच है तुम्हारी?"

    बेला ने अपना चेहरा छुड़ाते हुए कहा,
    "तो क्यों सुन रहे हैं आप मेरी गिरी हुई सोच को? दफ़ा हो जाइए यहाँ से! मेरे घर मोहल्ले की आंटियों का आना लगा रहता है, मैं अपना तमाशा नहीं बनाना चाहती! और अगर आप जबरदस्ती की सोच रहे हैं, तो भूल जाइए! बेला कमज़ोर नहीं है!"

    राजवीर एक स्माइल लिए बोला, "अच्छा, let's see... how strong you are miss Bella."

    इतना बोलकर राजवीर बेला पर झुकते हुए उसके होठों को कैप्चर कर लेता है! बेला की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं! राजवीर बेला की आँखों में देखते हुए उसे स्मूच किए जा रहा था। दोनों को जाना-पहचाना अहसास हो रहा था, पर दोनों ही अपने इस ख्याल को झटक देते हैं! और बेला राजवीर के सीने पर दोनों हाथ रखते हुए उसे पीछे धकेलने लग जाती है! पर राजवीर उसके हाथ पकड़ते हुए उसकी पीठ से लगा देता है और दूसरे हाथ से उसके बालों में ग्रिप बनाते हुए और गहराई से उसे चूमने लगता है!

    बेला को लग रहा था आज वह बिना साँस लिए ही मर जाएगी अगर राजवीर ने उसे कुछ देर और नहीं छोड़ा तो!... कि तभी अचानक डोर नॉक होता है। बेला झटपटाने लगती है! पर राजवीर तो पता नहीं कौन-सी दुनिया में पहुँच चुका था, बेला को छोड़ने को नाम नहीं ले रहा था। बेला की आँखों के आँसू किसी झरने की तरह बह रहे थे!

    "उम्... म्म्..." बेला के मुँह से घुट्टी-घुट्टी आवाज़ें निकल रही थीं। बेला अब राजवीर को और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और डोर पर नॉक हर पल तेज़ी से बढ़ते जा रहा था।

    बेला ने एकदम से राजवीर के होठों को जोर से काटा और दर्द के मारे राजवीर ने बेला को छोड़ दिया! बेला ने घृणा भरी नज़रों से राजवीर को देखा और फिर जल्दी से अपनी अनारकली के दुपट्टे को सही करते हुए अपने आँसू पोछकर दरवाज़ा खोलती है। सामने गुस्से से लाल हुई ताशा खड़ी थी।

    क्रमशः

  • 19. Hate by mistake - Chapter 19

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min

    ताशा ने बैला की ऐसी हालत देखी, तो उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। बैला की पिंक लिप बाम पूरी तरह से फैल चुकी थी, और उसकी आँखें रोने के कारण बिलकुल खून जैसी लाल हो गई थीं। ताशा के चेहरे का गुस्सा पल भर में गायब हो गया, और वह बैला से बोली,

    "Are you all right!"

    बैला ने ताशा से नज़रें फेरते हुए कहा,

    "आप इतनी दूर मुझसे यह पूछने तो आई नहीं होंगी। सीधे-सीधे काम बोलिए!"

    ताशा ने कहा,

    "वह राजवीर यहाँ है?"

    राजवीर नाम सुनकर बैला का दिल जोरों से धड़कने लगा।

    ताशा ने कहा,

    "तुम्हारे चेहरे पर इतना पसीना क्यों आ रहा है? बताओ, राजवीर यहीं है ना? उसकी कार तो यहीं खड़ी है!"

    बैला रास्ते से हट गई, तो ताशा को राजवीर दिख गया जो आँखें छोटी किए अब उसे ही घूर रहा था।

    "तुम मेरे पीछे-पीछे यहाँ तक आ गई! कसम खा रखी है ना तुमने, राजवीर को एक पल सुकून से नहीं रहने दोगी!"

    ताशा ने अंदर आकर राजवीर की आँखों में देखते हुए कहा,

    "इतनी ही बुरी लगती हूँ तुम्हें, तो क्यों अपनी फैमिली को झूठा दिलासा दे रखा है! हाँ, छोड़ क्यों नहीं देते मुझे! ना पूरी तरह से अपना रहे हो, ना छोड़ रहे हो! और आज तो हद ही कर दी! तुम एक एम्प्लॉय के घर क्या कर रहे हो? इतने बुरे दिन आ गए हैं तुम्हारे! तुम यहाँ-वहाँ मुँह मारते फिर रहे हो!"

    "Enough ताशा! बहुत सुन लिया मैंने और बहुत बोल लिया तुमने। अब एक और लफ्ज तुम्हारे मुँह से नहीं निकलना चाहिए। वह मेरी पर्सनल लाइफ है। तुम्हें किसी के सामने उसे इस तरह से जलील करने की ज़रूरत बिलकुल भी नहीं है। वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!"

    ताशा रोते हुए बोली,

    "तुमसे बुरा कोई है भी नहीं राजवीर! मैं कहाँ-कहाँ भटकी हूँ तुम्हें ढूँढ़ते हुए, आज तुम सोच भी नहीं सकते! और तुम यहाँ अपनी एम्प्लॉय के साथ! Shame on you!"

    राजवीर ने ताशा पर हाथ बस उठा ही दिया था कि बैला भागते हुए आई और राजवीर का हाथ रोकते हुए बोली,

    "यह मेरा घर है, कोई गली का नुक्कड़ नहीं है जो आप अपना फैमिली ड्रामा दिखा रहे हैं! और आप मैडम, आपको किसने हक दिया है मेरे किरदार पर उंगली उठाने का! ज़्यादा ही बुरा लगता है अपने पति को खूँटे से बाँधकर रखे! Now get out, both of you!"

    बैला ने झल्लाते हुए कहा।

    राजवीर को शायद आज से पहले कभी इतना इंसल्टेड फील नहीं हुआ होगा जितना बैला उसे जलील कर रही थी। पर ताशा ने जिस तरह से उस पर घटिया इल्ज़ाम लगाए थे, शायद कोई भी लड़की ना बर्दाश्त कर पाए। और राजवीर को खुद को नहीं समझ आ रहा था, वह इस कदर पागल कैसे हो सकता है? कल की मिली लड़की को सीधा किस कर दिया। ताशा के साथ वह कब से रह रहा था, पर आज तक उसने कभी किसी गंदी नज़र से देखा नहीं था। उनके बीच काफी बहस होती थी, पर किस करने की नौबत कभी नहीं आई थी... और उसकी बेशर्म नज़रें तो अब भी बार-बार बैला के होंठों की तरफ जा रही थीं, जो किस करने की वजह से फुल होकर और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव हो गए थे।

    ताशा ने बैला को देखते हुए कहा,

    "मैं अच्छी तरह से जानती हूँ, तुम जैसी लड़कियों को प्रमोशन के लिए किस हद तक गिर सकती हो!"

    बैला ने गुस्से से कहा,

    "मैं जैसी भी हूँ, आप अपने पति को अपने काबू में रखिए, ताकि वह किसी भी लड़की की तरफ नज़रें उठाकर देख भी ना पाए!"

    राजवीर ने ताशा का हाथ पकड़ा और बैला के घर से बाहर निकलते हुए बोला,

    "See you soon.. wild rose."

    बैला गुस्से से राजवीर को देख रही थी।

    वहीं गार्डन में...

    "रूहानी और ध्रुव की फ़ाइट हो गई थी अक्षी की वजह से।"

    रूहानी के हाथ पर चोट लग चुकी थी। वहीं इरा ध्रुव को रोकने की कोशिश कर रही थी, पर ध्रुव जैसा बॉम्ब किसी से रुकने वाला बिलकुल नहीं था।

    राजवीर ताशा के साथ घर के लिए निकल गया। पूरे रास्ते बस ताशा रो रही थी। उनके बीच कोई बात नहीं हो रही थी।

    वहीं वाघौरा में...

    "पंडित जी, ये दोनों कुंडली मिलाकर देखिए। इनकी शादी की तारीख निकालिए, वह भी जल्दी से।"

    "जी बहन जी।"

    देवकी जी ताशा और राजवीर की शादी की डेट निकलवा रही थीं।

    राजवीर और ताशा के जाते ही, बैला ने दरवाज़ा बंद किया, और बंद करते ही उसी के पास धम्म से गिरते हुए बिलखते हुए रोने लगी। आज का दिन उसके लिए जितना लंबा गुज़र रहा था, उसे एक साल जैसा लग रहा था। पहले वीरेंद्र का उसे यूँ देखना, राजवीर के लिए लाया गया जूस पीना, शीला की डाँट, नील और वीरेंद्र का झगड़ा, ध्रुव की फ़ाइट, इरा का शीला को परेशान करना, कैब का एक्सीडेंट, और अब रही-सही कसर राजवीर उसे ज़बरदस्ती किस करके पूरी कर चुका था!

    राजवीर का नाम सुनकर ही उसका दिल बुरी तरह बेचैन हो चुका था। रोने के सिवा उसे कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा था।

    "वीर जी, आप तो चले गए मुझे अकेले छोड़कर, अपने साथ अपनी वह एक रात की याद भी ले जाते जो अंदर ही अंदर मुझे खाए जा रही है। मैं अपनी यादों को अपने दिल से किसी गर्द की तरह पूरी तरह से झाड़ देना चाहती हूँ! मैंने आपके जाने का गम कभी नहीं मनाया है, आपकी यादों की कब्र पर कभी कोई फूल नहीं चढ़ाए, कभी आँसुओं से पानी नहीं छिड़का, पर फिर भी क्यों आपका अक्स मेरे सामने आ रहा है? क्यों आपके जैसी शख्सियत मेरे सामने आकर खड़ी हो गई है? आखिर क्यों!"

    मेरा नसीब इतना खराब है, जब आप मेरे करीब थे तो मैं आपको नज़र भर देख भी ना सकी, और अब जब मेरे पास आँखें हैं, तो चाहकर भी आपको नहीं देख सकती। अगर मौका भी मिला आपको देखने का, तो भी अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए वह मौका भी ठुकरा दूँगी मैं! मैं अब कभी नहीं चाहती आप मेरी आँखों के सामने आएँ! कभी भी नहीं!

    "सुना है हर लड़की बेवफ़ा होती है, काश मैं भी होती!"

    "सुना है हर लड़की सिर्फ़ पैसों पर मरती है, काश मैं भी पैसों के लिए मरती!"

    "और अब जो रो रही हूँ, उसके दूर होने से, काश दूर करने वाली भी मैं होती!"

  • 20. Hate by mistake - Chapter 20

    Words: 1248

    Estimated Reading Time: 8 min

    बेला रोते-रोते थक चुकी थी। शाम के पाँच बजने वाले थे। बेला दरवाजे से सर लगाए, आँखें बंद किए बैठी थी। उसकी उभकियाँ शुरू हो गई थीं। आँसू सूख चुके थे। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। बेला जल्दी से अपना हुलिया ठीक करते हुए दरवाजा खोला तो सामने इरा और ध्रुव खड़े थे, और दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे!

    बेला गहरी साँस छोड़कर उन्हें वैसे ही छोड़कर अपने कमरे की ओर बढ़ते हुए बोली,

    "अपने कमरे में जाकर फ्रेश हो जाओ! मैं बनाती हूँ कुछ तुम दोनों के लिए!"

    बेला अपने कमरे में जाकर शॉवर ली और फिर एक क्रीम कलर की अनारकली पहनकर बाहर आई। उसके बाल हल्के-हल्के गीले थे, इसलिए आधे बालों में एक क्लिप लगा रखा था। वह किचन में आई और बच्चों के लिए खाना बनाने लगी।

    वहीं ध्रुव और इरा का कमरा—

    "इरा, मैं तुम्हारा मुँह तोड़ दूँगा अगर तुमने मम्मा के सामने कोई बकवास की! आज वो बहुत परेशान हैं अपनी ऑफिस की वजह से!"

    इरा ने मुँह बनाते हुए कहा,

    "तो क्या मैं उनके लाडले बेटे की गलतियाँ छुपाऊँ? आखिर तुम्हें उनके दूध का कर्ज़ भी तो उतारना है! और मेरा भी तो एक ही भाई है, मैं उसे गुंडा तो नहीं बनने दे सकती। मम्मा से शिकायत करूँगी तो वो तुम्हें समझाएँगी कि लड़ाई नहीं करनी चाहिए। वैसे समझा तो मैं भी दूँगी, पर तुम समझो के कहाँ!"

    ध्रुव ने दाँत पीसते हुए कहा,

    "एक थप्पड़ में तेरी सारी डायलॉगबाज़ी ना तेरी आँखों से आँसुओं के साथ बाहर आ जाएगी। अपना ये बॉलीवुड का भूत निकाल फेंको, वरना बता रहा हूँ किसी दिन मैं तुम्हें सीधा घर से बाहर फेंक दूँगा! कभी सीरियस बात समझ ही नहीं आती। कल कर लेना जी भर के मेरी शिकायत, आज मम्मा परेशान हैं!"

    इतना बोलकर ध्रुव बाथरूम में चला गया और इरा भी अपने बाथरूम में चली गई। उनके एक ही बाथरूम को सेपरेट करके दो बाथरूम में कन्वर्ट किया गया था क्योंकि इरा को सब कुछ पर्सनल चाहिए होता है।

    कुछ देर बाद बेला डाइनिंग टेबल पर दोनों के लिए पास्ता रखती है। पास्ता देखकर इरा और ध्रुव दोनों खुश हो जाते हैं और जल्दी से चेयर पर बैठकर अपनी-अपनी बाउल अपने हाथ में ले लेते हैं। ध्रुव एक नज़र बेला को देखता है जो हद से ज़्यादा परेशान लग रही थी।

    "मम्मा, आप नहीं खाओगे कुछ?"

    बेला ने कहा,

    "नहीं बच्चा, भूख नहीं है। मैं सीधा डिनर ही करूँगी। तुम दोनों खा लो और उसके बाद अपना होमवर्क कर लेना, ओके!"

    ध्रुव ने कहा,

    "मम्मा, कल संडे है ना, हम कल कर लेंगे।"

    इरा ने भी उम्मीद से बेला को देखा तो बेला ने कहा, "नहीं बेटू, कोई चीज़ कल पर नहीं डालनी चाहिए। अब जा रही हूँ काम करने। तुम दोनों जल्दी-जल्दी होमवर्क कर लेना और प्लीज़ आज दोनों लड़ाई मत करना।"

    इरा और ध्रुव ने एक-दूसरे को तिरछी नज़रों से देखा और फिर मुँह बनाते हुए मुँह फेर लिया।

    बेला अपने कमरे में जाकर बेड पर बैठी और अपना लैपटॉप खोलकर उसमें कुछ काम करने लगी। पर पाँच-दस मिनट बाद ही वो लैपटॉप वापस बंद करके हेडरेस्ट से सर टिकाकर अपनी आँखें बंद कर लेती है। उसके ज़हन से राजवीर निकल नहीं रहा था। ना उसका काम में मन लग रहा था, ना वो आज ढंग से अपने बच्चों के पास बैठकर उनसे बातें कर पाई थी। उसकी आँखों में रह-रहकर नमी आ रही थी।

    वहीं दूसरी तरफ, वाघौरा हाउस—

    "देखो मॉम, मैं शादी के लिए मना नहीं कर रहा, पर मुझे इतनी जल्दी शादी नहीं करनी है।"

    देवकी जी ने गुस्से से कहा,

    "तू खुद को दूध पीता बच्चा समझता है? तुझे पता है अगले महीने ही तू 31 साल का होने वाला है, तो क्या बुढ़ापे में शादी करनी है या मेरे मरने के बाद?"

    कर्मवीर जी ने भी अफ़सोस जताते हुए कहा,

    "शायद हमारे नसीब में दादा बनना लिखा ही नहीं है। हम कभी तेरे बच्चों को अपनी गोद में लें भी पाएँगे या नहीं।"

    "डैड, आप भी!"

    राजवीर ने अजीब सा लुक देते हुए कहा।

    ताशा साइड में खड़ी सब सुन रही थी। उसे इनके घर के मामलों में दखलअंदाज़ी देना पसंद नहीं था, पर वो राजवीर से बहुत प्यार करती थी। अगर राजवीर उससे शादी के लिए हाँ कहेगा तो यकीनन वो बहुत अच्छी तरह उसकी बीवी का फ़र्ज़ निभाएगी।

    देवकी जी सोफ़े पर बैठते हुए अपना सर पकड़कर बोलीं,

    "पता नहीं कब मेरी औलाद मेरी बातें सुनेगी।"

    राजवीर उनके पास जाकर सोफ़े के करीब फर्श पर बैठते हुए बोला,

    "मॉम, ऐसे सर पकड़कर तो मत बैठिए।"

    देवकी जी ने उसका हाथ झटकते हुए कहा,

    "अब तो तेरी पसंद से तेरी शादी हो रही है ना, तो अब क्यों नखरे कर रहा है? कर ले चुपचाप शादी।"

    राजवीर ने एक नज़र ताशा को देखा और फिर बोला,

    "मॉम, बस थोड़ा टाइम।"

    स्टार कॉलोनी—

    यह कॉलोनी की औरतों का एक अड्डा था जहाँ वो आकर सबकी गॉसिप करती थीं। यहाँ चार-पाँच बड़े मिट्टी से बने सोफ़े थे और आस-पास गार्डन था। शर्मिला सब को राजवीर के बारे में बता रही थी तो दूसरी लेडी ने कहा (कमला, गोल्डी की मम्मी),

    "बहन जी, आपने तो जो उस लड़की ने बताया वो मान लिया, पर मैंने अपनी आँखों से देखा था। कुछ देर बाद एक लड़की आई थी, शायद उस आदमी की पत्नी, और फिर वो दोनों गुस्से में लड़ते हुए वहाँ से निकल गए। आप कुछ भी कहो, मुझे इस लड़की का चरित्र ठीक नहीं लगता।"

    सुमन (अभी की मम्मी): "हाँ जी बहन जी, और वो एक और लड़का भी तो आता है कभी-कभी उसे छोड़ने। क्या नाम है उसका? नील। हाँ, वो बच्चे उसे नील अंकल ही कह के बुलाते हैं!"

    उस कॉलोनी की हेड (रुकमणि) ने कहा,

    "हम ऐसी चरित्रहीन लड़की को स्टार कॉलोनी में नहीं रहने दे सकते!"

    कमला: "हाँ, मुझे तो पहले दिन से शक था इस लड़की पर।"

    "हमारी कॉलोनी बहुत पवित्र है। हम कल ही उस लड़की को जगह खाली करने के लिए बोल देंगे!"

    सब औरतों ने एक-दूसरे की हाँ में हाँ मिलाई और अपने-अपने घर चली गईं।

    रात का समय—

    राजवीर का कमरा—

    "अगर तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते हो तो अभी साफ़-साफ़ बोल दो। आंटी जी से जाकर मेरे गले में ये फँदा मत डालो। वो अब मेरे अंदर खोट ढूँढ़ रही है! मुझे समझ नहीं आता। कभी तुम्हें तुम्हारी पहली बीवी धोखेबाज़ लगती थी और आज तक तुम उसे भुला नहीं पाए।"

    राजवीर दाँत पीसते हुए ताशा का गला पकड़ते हुए बोला,

    "उसके खिलाफ़ एक लफ़्ज़ नहीं सुनूँगा। मैं तुमसे जैसी भी थी, मेरी बीवी थी वो! समझी?"

    इतना बोलकर राजवीर ने उसका गला छोड़ दिया। ताशा रोते हुए खांसने लगी और फिर गहरी साँस लेते हुए बोली,

    "और मैं? कभी सोचा है मेरे बारे में? मुझे क्या समझते हैं लोग? मैं उनके लिए एक…"

    "चुप! बिलकुल चुप! एक घटिया शब्द तुम्हारे मुँह से नहीं निकलना चाहिए।"

    राजवीर ने ताशा की बात पूरी होने से पहले कहा और फिर आँखें बंद करते हुए बोला,

    "ठीक है, कल मैं तुम्हें अपना फ़ाइनल डिसीज़न बता दूँगा। अब निकलो यहाँ से।"

    ताशा रोते हुए रूम से निकल गई।

    क्या कल होगी बेला घर से बेघर? क्या फ़ैसला होगा राजवीर का?

    क्रमशः