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Love again in my life

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Rani jaiswal

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पाखी का खोया हुआ प्यार जब लौट आता है फिर से उसकी जिंदगी में एक तूफान बन कर..जिस अतीत को पीछे छोड़ कर उसने नई जिंदगी शुरू की ,वहा फिर से वो आ चुका था, एक बार फिर उसकी जिंदगी में, कैसा रहेगा उसका फिर से लौटना ,जानने के लिए पढ़िए " love again in my lif...

Total Chapters (5)

Page 1 of 1

  • 1. Love again in my life - Chapter 1

    Words: 614

    Estimated Reading Time: 4 min

    देहरादून के पहाड़ों पर मौजूद उस घर में वो अभी अभी सो कर उठी थी,उठ कर वो अलसाई,ओर फिर उठ गई,उसने खिड़की के पर्दे हटा कर सामने का नजारा देखा ,उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गई। सामने कुछ चरवाहे जा रहे होते है,रोजाना उनका यही वक्त होता था जाने का,उसके दिमाग में खटका.. "ओह नो आज दिल्ली वाले कस्टमर को ले जाना था" कहते हुए वो अपना सिर पीट लेती है,ओर जल्दी से भागते हुए अपने कपड़े लेकर बाथरूम में घुस जाती है। फटाफट नहा कर वो तैयार होकर भागते हुए नीचे आती है,नीचे बैठे आदमी ओर औरत उसको भागते देख कर अपना सिर पीट लेते है। वो औरत उसे आवाज देकर कहती है.." पाखी नाश्ता तो करते जाओ.."..! वो लड़की जिसका नाम पाखी था, वह चप्पल पहनते हुए कहती है,"रोजी आंटी आज नहीं, आज तो मुझे लेट हो गया है, मैं बाहर से ही कुछ खा लूंगी ,मैं अब निकल रही हूं बाय" ये कहते हुए वो हवा कि तरह निकल जाती है। रोजी मुंह बना कर कहती है." रोजाना ये लड़की यही करता है,पहले लेट उठता है,फिर भागते हुए जाता है,ओर नाश्ता भी नहीं करता है,बाहर का कुछ खाता नहीं,दिनभर भूखा रहता है,ओर रात को भी लेट आता है, ऐसा भी क्या नौकरी करने का ,जोजो"। रोजी अपने हस्बैंड जोजो से कहती है जो जो मुस्कुराते हुए टेबल पर रखा पेपर उठाकर पढ़ाने लगते हैं, वह रोजी से रोजाना यही सुनते हैं, जब भी पाखी लेट हो जाती थी, तो वह भागते हुए निकल जाती थी,ओर रात को फिर रोजी ही उसके लिए खाना गर्म करके उसे खिलाती फिर सोने देती थी,, पाखी उन दोनो के साथ ही रहती हैं, कहने को तो वो उनकी किरायेदार थी,लेकिन दोनो हसबैंड वाइफ अकेले ही रहते थे, उनकी कोई संतान नहीं थी, जब से पाखी उनके पास आई थी रोजी को उससे कुछ ज्यादा ही लगा हो चुका था,वो पाखी को अपनी बेटी की तरह रखती थी। पाखी भागते हुए होटल पहुंचती है वह देखी है कि उसके कस्टमर जी ने आज उसे घुमाने ले जाना है वह लोग बाहर ही खड़े हैं सभी का मुंह बना हुआ था, पाखी उनके पास जाती है, और उन लोगों में जो न्यू मैरिड कपल था उनकी तरफ फूल बढ़ाते हुए कहती है.." हमारे यहां मेहमानों को फूल देकर स्वागत किया जाता है, मैं आप लोगों के लिए बस यही फूल लेने के लिए गई थी, इसलिए लेट हो गया सॉरी"। वो 4 लोग थे 2 उनके माता पिता थे,फूल देख कर उस लड़के की वाइफ का चेहरा जो अब तक उखड़ा हुआ था वह खिल जाता है वह फूल लेकर कहती है" वो यह फूल कितने सुंदर है थैंक यू।" पाखी चैन की सांस लेती है, जब भी वह लेट हो जाती थी, तो वह अक्सर फूल देकर अपने कस्टमर को मना लिया करती थी, यहां के पहाड़ी फूल बहुत ही सुंदर होते थे ,जिसे देखकर हर कोई खुश हो जाता था। पाखी उन लोगों को लेकर निकल जाती है,वो उन लोगों की आसपास की कही जगह लेकर जाती है,पहाड़ों का खुशनुमा माहौल ओर खूबसूरती उन्हें बहुत पसंद आ रही होती है,पाखी उन लोगों को वहा की जगह के बारे में बताती जाती थी,इस तरह से वो दिनभर उन लोगों को देहरादून की सैर कराती है,फिर रात के वक्त उनको होटल छोड़ देती है,जल जल्दी आने का कह कर वो निकल जाती है,उन लोगों को भी पाखी की गाइड अच्छी लगती है। पाखी के पेट में चूहे दौड़ रहे होते है,सब लोगों ने तो खाना खा लिया था लेकिन उसने कुछ नहीं खाया था वो अपने घर की तरफ लौट रही होती है। तभी उसके मोबाइल पर एक मैसेज आता है,वो मैसेज देख कर अपना मोबाइल बंद कर देती है,उसका मूड उखड़ जाता है। soon..

  • 2. Love again in my life - Chapter 2

    Words: 667

    Estimated Reading Time: 5 min

    पाखी को आते आते काफी वक्त हो गया था,उसका चेहरा उदास हो चुका था,रोजी की आंख बार बार लग रही थी,लेकिन फिर भी वो पाखी का इंतजार कर रही थी। पाखी अंदर आती है,रोजी को टेबल के पास बैठा देख कर वो उसे कहती है.." आंटी आप जाकर सो जाओ,मेने आज बाहर ही खा लिया खाना ,मुझे भूख नहीं है ,आप क्यों मेरे लिए इतना परेशान होते हो "।। पाखी की बात सुन कर रोजी उसे ध्यान से देखने लगती है,पाखी अपना मुंह घूमा लेती है,रोजी उठ कर उसके पास आती है। क्या बात है बच्चे..?? पाखी ये सुन कर डबडबाई आंखो से रोजी को देखती है,ओर उसके गले लग जाती है,रोजी उसका सिर सहला रही होती है। " आंटी में सब कुछ छोड़ कर आ चुकी ही,फिर भी वो कभी न कभी मेरे सामने आ ही जाता है,,आज भी उसने मुझे फिर से मैसेज किया, में उससे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती हु।" पाखी बोलते हुए रुक जाती है,ओर खामोश हो जाती है,रोजी उसकी तरफ देख कर कहती है.." में ओर जोजो तुम्हारे बारे के कुछ नहीं जानता है,लेकिन इतना जानता है,तुम बहुत अच्छी लड़की हो,दिल की साफ हो,तुम कभी कुछ गलत नहीं करेगा,ओर जो भी तुम्हे परेशान कर रहा है,तुम्हे उससे लड़कर आगे बढ़ना होगा बच्चे,हम हमेशा तुम्हारे साथ है।" पाखी रोजी को हग करके जल्दी से ऊपर चली जाती है,रोजी उसे जाते देख रही होती है। रोजी को वो दिन याद आता है,जब पाखी यहां आई थी,उसकी हालत ठीक नहीं थी,वो सहमी सहमी थी,बेसुध थी,उसने एक शब्द नहीं कहा था सिवाय इसके कि क्या वो यहां कुछ दिन रह सकती है। रोजी को उसको देख कर दया आ गई ,उसने पाखी का बहुत ध्यान रखा,ओर धीरे धीरे पाखी उन दोनो से घुल मिल गई,लेकिन आज तक भी वो उसके बारे में कुछ नहीं जानते है,कि वो कहा से आई है,ओर क्या हुआ है उसके साथ..?? पाखी ने वही गाइड की जॉब करना शुरू कर दिया था, रोज़ी ओर जोजो के मना करने पर भी वो हर महीने उन्हें रेट देती थी। अब वो दोनों ही उसकी दुनिया बन चुके थे,कभी कभी वो अक्सर चुप हो जाती थी ,तो कभी इतना खुश होकर दिखाती है जैसे की तकलीफ नहीं हो,लेकिन कौन जानता है कि पाखी की जिंदगी आखिर क्या थी..?? पाखी अपने कमरे में आकर अपना बैग रखती है,ओर लेट जाती है,आज का दिन बहुत थका देने वाला था,लेकिन अब उसकी आंखो में नींद नहीं थी। रोजी आंटी खाना गर्म करके ऊपर लेकर आती है,पाखी के ना कहने पर भी वो खुद उसे हाथों से खिलाती है,ओर उसे सुला देती है। खाना खाते ही पाखी को भी अपनी आँखें भारी लगने लगती है,कुछ दी में वो सो जाती है। रोजी आंटी पाखी सर पर हाथ फेर कर, उसके कमरे से चली जाती है। अगले दिन पाखी जल्दी उठ जाती है,लेकिन वो नाश्ता अपने साथ लेकर जाती है,ओर होटल भी जल्दी पहुंच जाती है,वो लोग भी तैयार होकर बाहर आ चुके थे,पाखी उन्हें देहरादून की खास जगह पर ले जा रही होती है। वह उन्हें टपकेश्वर महादेव मंदिर ले जाती है, वहा जाकर सभी लोग खुश हो जाते है,उन्हें अच्छे से दर्शन भी हो जाते है,उसके बाद पाखी उन्हें सहस्त्र धारा ले जाती है। वहा की खूबसूरती कुछ ओर ही थी,हजार गुना झरनों के कारण उसका ये नाम था। सभी लोग बहुत एंजॉय कर रहे होते है,ओर पाखी उन्हें देख रही होती है,कई बार फैमिली को देखकर उसके दिल में अजीब सा दर्द उठने लगता था। उसकी भी तो इसी ही फैमिली थी छोटी सी, मम्मी पापा, एक बड़ा भाई ओर छोटी बहन..! लेकिन फिर सब खो गया, यह सोचते हुए पाखी की आंखें नम हो जाती है, वो अपना चेहरा घूमा लेती है।पाखी शाम के वक्त उन्हें घंटाघर ले जाती है,रात के वक्त वो बहुत ही अच्छा लग रहा था। उसके बाद वो लोग बाकी को उसकी पेमेंट दे देते हैं, सभी लोग पाखी की गाइड से बहुत खुश थे, उन कपल मां पाखी को आशीर्वाद भी देती है। पाखी हल्के से मुस्कुरा कर उनसे विदा लेकर अपने घर की तरफ बढ़ जाती है। soon..

  • 3. Love again in my life - Chapter 3

    Words: 591

    Estimated Reading Time: 4 min

    पाखी आज देर तक सो रही होती है,उसे आज कोई काम भी नहीं था,वो देर से उठती है,उसके बाद वो रोजी आंटी की हेल्प करने चली जाती है। रोजी खाना बना रही होती है,पाखी ओर दोनो मिल कर खाना बनाते है,आज का दिन पाखी का उन दोनो के साथ ही बीत जाता है। रात को सोते हुए पाखी के पास कॉल आता है, कस्बे में रहने वाला हरि पाखी के लिए कभी कभी क्लाइंट भेज देता था गाइड के लिए,पाखी और उसकी थोड़ी बहुत बनने लगी थी,हरि का कॉल देख कर पाखी कॉल उठा लेती है। पाखी :- हा बोल..! हरि :- हेलो कहा जाता है कॉल उठाने पर ,हरि चिढ़ते हुए कहता है। पाखी : - तू बोल रहा या में रख दूं। हरि :- अरे बोल रहा ही मेरी मां.." सुन कुछ लोग आने वाले है,काका उन्हें जानते है तो उन्होंने कहा था ,पाखी को बता दे वो देख लेगी ,पैसे की बात भी तू कर लेना वो लोग कल यहां पहुंच जायेगे।" पाखी : - एड्रेस मुझे भेज देना ,और उन लोगों को मेरी फोटो भेज देना। इतना कह कर पाखी फोन रख देती है, हरि हेलो हेलो कहता रह जाता है। पाखी कॉल कट करके अपना फोन रख देती है,हरि ने उसे कुछ लोगों की डीटेल्स भेजी, लेकिन पाखी तो फोन रख चुकी थी। अगले दिन पाखी जब जगह देखती है,की कहा से लोग आए है तो वो थोड़ी परेशान हो जाती है,लेकिन फिर भी खुद को तैयार करके वो उन्हें लेने होटल पहुंच जाती है,ओर हरि को कॉल करके बता देती है। पाखी उन लोगों का इंतजार कर रही होती है, तभी कुछ लोग उसके सामने आते है,उन्हें देख कर पाखी जम जाती है,वो औरत ओर आदमी उसकी तरफ बढ़ रहे होते है,उसके पीछे से आता हुआ वो पाखी को देख कर मुस्कुरा रहा होता है। वो औरत चिढ़ते हुए मुंह बना कर कहती है:- तुम यहां क्या के रही हो..?? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे सामने आने की..?? सोचा नहीं था कि तुम्हारी शक्ल फिर से देखने को मिलेगी,वो औरत नफरत भरी नजरों से देखते हुए कहती है। वही वो आदमी भी मुंह बना लेता है,तब वो लड़का कहता है..: मॉम आप ये सब क्यों कह रही है,ये हमारी गाइड है और आज हम लोगों को यही घुमाने वाली है। वो मुस्कुराते हुए कहता है,तभी एक लड़की उन लोगों के पास आती है,पाखी को देख कर उसका भी मुंह बन जाता है। पाखी तो जैसे होश में ही नहीं थी। वो लड़की कहती है:- देवर जी आपको यही जगह मिली थी घूमने के लिए..? इस मनहूस को फिर से देखना पड़ रहा है। तभी वो आदमी कहता है:- आरव हम लोग इसके साथ कही नहीं जा रहे है,अभी हरि को कॉल करो वो किसी ओर का नंबर देगा। इस लड़की के पास बस अब यही काम बचा हुआ था। बाकी इतनी देर से हम लोगों की कड़वी बातें सुन रहीथी, आखिर में वो जवाब देती है:- में भी आप लोगो के लिए फ्री नहीं हु,ओर आप लोग क्या मेरे साथ आयेगे ,मुझे ही आपको ले जाने में कोई इंटरेस्ट नहीं है। ये कहते हुए पाखी जाने लगती है, लेकिन तभी आरव उसका हाथ पकड़ लेता है। पाखी गुस्से से उसे घूरती है,आरव मुस्कुराते हुए कहता है:- तुम्हे हमे ले जाना ही होगा वरना में क्या कर सकता हु तुम जानती हो..!! पाखी उसका हाथ झटक देती है,ओर गुस्से से कहती है"तुम्हे जो करना है कर लो में तुम लोगो के साथ कभी नहीं जाऊंगी। " आरव :- सोच लो .. पहले तुम्हे वहा से भागना पड़ा था अब यहां से भी भगाना ना पड़े। soon

  • 4. Love again in my life - Chapter 4

    Words: 614

    Estimated Reading Time: 4 min

    हरि में इन लोगों के साथ कही नहीं जाऊंगी..!! पाखी गुस्से से हरि को देखते हुए कहती है,जिसपर हरि उदास होकर कहता है.."पाखी मेने तुझे कभी कुछ नहीं कहा,,ये पापा की इज्जत की बात है,पापा के कहने पर मेने तुझे ये काम दिया था,अब तू मना कर देगी तो पापा को कितना बुरा लगेगा,ओर तू इन लोगों को क्यों घुमाना नहीं चाहती है..??" पाखी हरि के चेहरे को देखते हैं, ओर उसके पीछे खड़े आरव को जो तिरछी नजर से मुस्कुराते हुए उसे ही देख रहा होता है। पाखी हरि की फैमिली से मिली हुई थी, जानती थी वह कितने अच्छे और सिंपललोग हैं, हरि के पापा तो उसे कितना मानते है,कितनी बात उन्होंने कई लोगों को उसके पास भेजा था। पाखी आंखे मूंद लेती है,दूर खड़े आरव के पापा मोहन ओर मां सरिता भाभी कीर्ति मुंह बनाए हुए उसे देख रहे होते है। पाखी :- आंखे खोलते हुए :- ठीक है में इन लोगों को के जाने के लिए तैयार हु,लेकिन मुझे इन लोगों से कोई पेमेंट नहीं चाहिए, अंकल से कहना पाखी ने मना किया है,इतना कहते हुए पाखी एक गाड़ी रोक कर बिना आरव की तरफ देखे कहती है..:- चलो या तुम लोगों में उठा कर बैठाऊ गाड़ी में भी। उसकी बात सुन कर आरव के मम्मी पापा तुनक कर उसकी तरफ देखते है,आरव उन लोगों को बैठने का इशारा करता है,सभी बैठ जाते है। पाखी अपने लिए दूसरी गाड़ी रोक लेती है,वो उन लोगों के साथ एक गाड़ी में नहीं जा सकती थी। हरि को आज पाखी बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी, जो बाकी अपने क्लाइंट के साथ इतने प्यार से पेश आती थी, उसका यह व्यवहार उसके लिए बहुत हीअजीब था,, लग रहा था कि कहीं ना कहीं वो इन लोगों को जानती है, और कुछ बात जरूर है। ये सोच कर हरि भी पाखी के साथ गाड़ी में बैठ जाता है,उसे साथ आता देख कर पाखी कुछ नहीं कहती ,बल्कि वो खुद उन लोगों के साथ अकेले नहीं जाना चाहती थी। कुछ देर बाद वो एक जगह पर रुकते है ,आरव अपने परिवार के साथ खड़ा कुछ बाते कर रहा होता है,पाखी ने अपना चेहरा घूमा रखा था,वो उन लोगों की तरफ देखना भी नहीं चाहती थी। हरि पाखी को परेशान देख कर पास के स्टाल से चाय लेकर आ जाता है,ओर उसे चाय पीने को कहता है,आरव उसे देखने लगता है,हरि का पाखी की केयर करना उसे पसंद नहीं आया था। वो लोग चाय नाश्ता करने लगते है,कुछ देर बाद हरि उन लोगों को अपने पास बुला लेता है,पाखी आगे चल रही होती है,ओर बाकी सब पीछे ना चाहते हुए भी वो उन लोगों को जगह के बारे में बता रही होती है,हालांकि आरव की फैमिली ने मुंह बना रखा था लेकिन वहा की खूबसूरती देख कर उन लोगों का मूड अब ठीक हो चुका था,पाखी उन लोगों को उसके बाद दूसरी जगह ले जाती है,ओर आरव की नजर सिर्फ उस पर ही होती है। लेकिन पाखी उसे एक नजर भी नहीं देखती है,हरि कही न कही ये सब बाते नोटिस कर रहा होता है,धीरे धीरे घूमते हुए काफी वक्त हो जाता है,पाखी उन्हें लंच के लिए एक जगह पर ले जाती है,वहा वो लोग खाना बुला कर खाने लगते है,आरव पाखी के पास आ जाता है, हरि वहा नहीं होता,आरव अपनी प्लेट उसके आगे करके ..! लो तुम भी खा लो,तुम्हे भी भूख लगी होगी। पाखी उसे नहीं देखती है,तभी वहा हरि आ जाता है,ओर पाखी के पास बैठते हुए कहता है.. आरव भाई पाखी बाहर का खाना नहीं खाती है,उसके लिए हम घर से लेकर आए थे,मां ने खास आज बना कर भेजा है। पाखी हरि की तरफ देखने लगती है,वो टिफिन निकाल कर खोल कर उसके आगे बढ़ा देता है। soon..

  • 5. Love again in my life - Chapter 5

    Words: 101

    Estimated Reading Time: 1 min

    आरव चिढ़ती हुई नजरों से हरि को देख रहा होता है,वो पैर पटकते हुए वहा से चले जाता है। ओर सड़क पर आकर रुक जाता है.. आरव खुद से :- इस बार तुम्हे में खुद से दूर नहीं जाने दूंगा पाखी,तुम्हे फिर से वापस लौटना होगा मेरे साथ ,,तुम मेरे साथ वापस मुंबई जाओगी। आरव गुस्से से घूरते हुए हरि ओर पाखी को देखता है,जहां पाखी आराम से टिफिन का खाना खा रही होती है,ओर हरि उसे खाते हुए देख रहा होता है। आरव :- गुस्से से :- इस बार अगर कोई भी बीच में आया तो वो नहीं बचेगा ..!