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Love Again

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rimjhim Sharma

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Description

वक्त के साथ तकदीर बदल जाती हैं । शख्स बदल जाते हैं लेकिन क्या हो अगर दो लोग हमेशा के लिए एक दूसरे से जुड जाये । वक्त बदल गया और शख्स बदल गये लेकिन प्यार नहीं बदला और ना ही बदला महबूब लेकिन किरदार बदल गये और ऐसी ही कहानी हैं यह - समय शेखावत और अद्विका...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. Love Again - Chapter 1

    Words: 1507

    Estimated Reading Time: 10 min

    आगे .....
    वक्त हर किसी के लिए ठहर जाये ऐसा हो नहीं सकता हैं लेकिन क्या हो अगर किसी के लिए ठहर जाये ....और ऐसा ही हैं मिराया‌ सुर्यवंशी के साथ .... मिराया सुर्यवंशी जैसा नाम वैसी करनी .... जिसे ना पहनने का सलिका और ना बोलने का ... बिल्कुल अकड़ और लापरवाही की खान ... मां बचपन में गुजर गयी और बाप , राघव सुर्यवंशी एक बहुत बड़ा डाॅन ... और वो भी पूरे महाराष्ट्र का ... और उसे प्यार हो गया एक शरीफ से लड़के से ... अयंक जिंदल... जो करता हैं ‌किसी और से प्यार ..
    जिसका नाम हैं खुशी श्रीवास्तव.. इसके लिए तीन लोग ही लाइफ में इम्पोर्टेंट हैं ... पहला फैमिली .. दुसरा इसकी जाॅब और तीसरी हैं खुशी ... और जब मिराया को पता चला कि अयंक किसी और से प्यार करता हैं तो उसने अपने रास्ते बदल लिये लेकिन कहते हैं ना किस्मत के आगे किसी कि नहीं चलती तो ....

    आज खुशी और अयंक की शादी थी एक सिम्पल से रिजाॅर्ट में लेकिन मंडप में खुशी की जगह एक दुसरी ही लड़की बैठी थी । अयंक की सारी फैमिली बंदुक की नोक पर थी और अयंक की आंखों में नफ़रत भरे भाव ..
    लेकिन वो तो बीना किसी भाव से शादी की हर रस्म पुरी कर रही थी ना तो दुल्हन की तरह हाथों में मेहंदी सजी थी और ना ही शादी का जोड़ा पहन रखा था ... एक साधारण से शर्ट और ब्लैक ढिले से कार्गो पेंट में वह बिल्कुल भाव शुन्य थी । ऐसा नहीं था उसे अंदाजा नहीं था जो वह कर रही थी वह गलत हैं लेकिन हालातों ने उसे मजबुर कर दिया वरना उसने तो अपना रास्ता ही बदल लिया ।

    अयंक जो उसके बगल में बैठा था वह पंडित के कहने पर उसकी मांग में सिंदूर भरते हुए , " वेलकम टू द हैल मिसेज मिराया अयंक जिंदल , बहुत पछताओगी तुम... "

    मिराया मुस्कराते हुए , " पछताना मेरी आदत नहीं हैं मिस्टर जिंदल...वैसे भी मेरा फैसला हमेशा सही रहता हैं।  "
    कुछ वक्त बाद

    शादी सम्पन्न हुई अब से आप दोनों पति-पत्नी हैं । पंडित के इतना कहते ही राघव सुर्यवंशी जो इतनी देर से खामोशी से बैठे थे वो खड़े होते हुए मिराया को गले लगा लेते हैं और खुशी से , " आज तक जो भी तुमने मांगा सब कुछ दिया और आज यह इच्छा भी पूरी कर दी । अब बस तुम खुश रहो । "
    जिस पर अयंक गुस्से , " बहुत ग़लत किया आपने मि. सुर्यवंशी , मैं कोई सामान नहीं जो आपकी बेटी ने मांगा और आपने दे दिया । जीता जागता इंसान हूं जिसके गले में अपनी बत्तमिज बेटी को बांध चुके हैं आप.. चलिए आपकी टेंशन भी कुछ कम हुई । "

    जिस पर राघव जी कुछ बोलते तब तक मिराया उन्हें रोक चुकी थी ।
    लेकिन अयंक का परिवार जिन्हें खुशी कभी पसंद नहीं थी वो इस शादी से थोड़े नाखुश जरुर थे लेकिन फिर भी अयंक की मां , रचना जी आगे आते हुए , " तमीज से बात करो अयंक , ससुर हैं अब वो तुम्हारे ...."
    फिर राघव जी की तरफ आते हुए , " जी , अयंक की तरफ से मैं माफी मांगती हूं । "
    खैर उनकी इज्जत से ज्यादा डर इस वक्त उन्हें अपने परिवार पर सजी बंदुक की नोक से था और राघव जी को गुस्सा दिलाकर वो यह खतरा मौल नहीं लेना चाहती थी । खैर आज अयंक की शादी खुशी से ना होकर मिराया से हो  चुकी थी और खुशी का भी कोई अता पता नहीं था ।
    कुछ वक्त बाद राघव जी जा चुके थे और अयंक की फैमिली मिराया के साथ अपने घर आ गयी जहां बीना मर्ज़ी के सबने मिराया का ग्रह प्रवेश करवाया था ।

    रात ग्यारह बजे

    जहां मिराया अयंक के कमरे में उसका इंतजार कर रही थी वही अयंक अपनी मां , रचना जी के साथ उनके कमरे में था ‌।
    अयंक , " मां , मुझे दिल्ली जाना ही होगा । कब तक रहूंगा यहां और जाॅब ......."
    जिस पर रचना जी ," चल ठीक हैं मान लेते हैं तेरी बात लेकिन वो लड़की । उस मुसीबत को हम लोग नहीं झेल सकते हैं ‌। अगर जाना हैं तो उसे लेकर जाओ क्योंकि हम तो उसे नहीं झेल पायेगे ।
    जिस पर अयंक - लेकिन मैंने क्या किया‌‌ हैं मां और प्लीज वो लड़की मेरी कुछ नहीं लगती हैं । मैं खुशी‌ से‌ प्यार करता हूं तो प्लीज आप जबरदस्ती उसका नाम मेरे साथ जोड़ना की कोशिश ना ही करे वो लड़की मेरे परिवार को बंदूक की नोक पर रखकर मेरी जिंदगी से शामिल हुई हैं तो उसे तो कभी अपनी वाइफ मान ही नहीं सकता हूं । कुछ दिनों में दिमाग से भूत उतरेगा तो इस घर से भी चली जायेगी ।

    जिस पर रचना जी - लेकिन मुझे ऐसा नहीं लगता हैं । बहुत ढीठ हैं वो आसानी से नहीं जाने वाली । ना तो मुझे खुशी पसंद थी और ना ही यह ।
    फिर - अब मुझे नींद आ रही हैं तो अपने रुम में जाओ ।
    अब अयंक कुछ कर नहीं सकता था तो हार मानते हुए उनके रुम से बाहर निकर गया ।
    बाहर निकलकर खुद से - अब उस बत्तमिज लड़की को झेलना पड़ेगा । पता नहीं क्या लिखा हैं मेरी किस्मत में
    इतना सोचते हुए वह अपने रुम में चला गया और जैसे ही उसने रुम का दरवाजा खोला । वह सामने देखकर हैरान रह गया । पूरे रुम में धुआं ही धुआं फैला था और वह खिड़की के पास एक ढिले से टिशर्ट और ट्राउजर में खड़ी , सिगरेट के कश लगा रही थी ।
    यह देखकर अयंक का पारा हाई हो गया लेकिन वह कुछ बोलता उससे पहले ही रुम में फैले सिगरेट के धुंए से उसे खांसी होने लगी ।उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था ।

    जिस पर मिराया का ध्यान टूटा उसने सिगरेट को बुझाकर फेंकने के बाद वह सामने की तरफ देखते हुए - इस तरह क्यों खास रहे हो ?

    जिस पर अयंक गुस्से से - बत्तमिजी की भी हद होती‌‌ हैं मिस सूर्यवंशी, तुम इस तरह मेरे रुम में सिगरेट पी रही हो । यह क्या‌ हालत बना रखी हैं तुमने मेरे कमरे की । इतना‌कहकर वह चारों तरफ देखता‌ हैं जहां एक‌ तरफ शूज और एक तरफ गीला टाॅवल पड़ा था । तुममे रहने‌ की भी तमीज नहीं हैं ‌।


    उसके गुस्से के कारण दिमाग की नसें तन चुकी थीं।
    मिराया बड़ी ही शांत नजरों से उसे देखती रही, फिर कंधे उचकाते हुए बोली‌‌ - तमीज... रहने की...? देखो मिस्टर जिंदल, मुझे इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता। मैं यहां जबरदस्ती लाई गई हूं, और तुम्हारे जैसे नकचढ़े इंसान के सामने सफाई देने की तो कतई कोई जरूरत नहीं समझती। जो दिमाग से पैदल और आंखों से अंधा हैं जिसे यह तक नहीं दिखता कि उसके आसपास क्या हो रहा‌ हैं । तुम्हें यह तक नहीं दिख रहा कि सामने खड़ी लड़की मिस नहीं , मिसेज जिंदल हैं।

    अयंक ने गुस्से से उसकी तरफ कदम बढ़ाते हुए कहा‌ - बहुत बत्तमीज हो तुम और याद रखना । इस घर में मेरे रूल्स चलेंगे, तुम्हारे नहीं ? तो भूलकर भी मेरे पर आॅर्डर चलाने के बारे में तो ख्वाब में भी मत लाना ।

    मिराया उसकी आंखों में आंखें डालकर मुस्कुरा दी - रूल्स? बड़े आए रूल्स वाले... तुम तो खुद अपनी लाइफ कंट्रोल नहीं कर पा रहे, और मुझे कंट्रोल करोगे? खैर मुझे तुम पर आॅर्डर चलाने‌का कोई शौक नहीं हैं ।

    अयंक गुस्से से मुट्ठियां भींचते हुए अपने आपको काबू में कर रहा था। उसने पलटकर कमरे की खिड़कियां खोलीं ताकि सिगरेट का धुआं बाहर निकल सके, फिर जाकर अलमारी से अपने कपड़े निकालने लगा।

    मिराया अब भी खिड़की के पास खड़ी थी, हवा में बाल उड़ते हुए... और होठों पर एक अजीब सी मुस्कान थी । वह खुद से - बहुत जल्द तुम्हें अपनों और परायों में फर्क करना आ जायेगा , अयंक जिंदल।

    तभी अयंक ने गुस्से में कहा - कल सुबह सबसे पहले तुम्हें इस घर से बाहर फेंक दूंगा... समझी तुम । तुमने मुझसे मेरा‌ सबकु छीन लिया और अब तुम्हें सुकून की एक सांस भी महसूस नहीं होगी , यह वादा हैं ‌मेरा‌ तुमसे ।‌हर पल पछताओगी कि‌तुम्हारा मेरी जिंदगी में आने का‌फैसला कितना‌ गलत था ।‌

    मिराया ने हंसते हुए जवाब दिया,
    "फेंककर देखो... फिर देखना, यह जो तुम्हारे घर में आज चैन की सांस ले रहे हैं ना... फिर कोई भी चैन से नहीं जी पाएगा। डील करो... मेरे साथ रहना है तो अपनी आंखें बंद कर लो। वरना तुम्हारी जिंदगी और भी नर्क बनाना मुझे अच्छे से आता है।"

    यह सुनते ही अयंक का खून खौल गया, लेकिन वह जानता था कि अभी कुछ भी उल्टा किया तो उसकी फैमिली खतरे में पड़ सकती है। वह दांत पीसते हुए बड़बड़ाया,
    "पता नहीं किस जन्म का पाप है ये।"

    मिराया धीरे से बुदबुदाई,
    "तुम्हारे ही जन्म का... जो आज मेरे हिस्से में आ गये हो।"

    जारी हैं ......
    क्या वजह हैं जो‌ मिराया सुर्यवंशी ने अपने रास्ते बदल लेने के बाद‌ भी वापिस अपना रास्ता बदल अयंक से शादी कर ली

  • 2. Love Again - Chapter 2

    Words: 64

    Estimated Reading Time: 1 min

    आगे ......

    दोनों की यह पहली रात एक बहुत बड़े झगड़े के साथ शुरू हुई और अब बेड के दोनों कोनो‌ पर शांति से सोने के बाद‌खत्म हुई जहां उनके बीच तकियों की एक मोटी दिवार थी ।

    सुबह का सूरज

    जिंदल निवास में चारों तरफ शांति छायी थी और रचना जी अकेले ही रसोई में खड़ी सुबह का नाश्ता बना रही थी ।

  • 3. Love Again - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min