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" बेहद इश्क "

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miss Sharma

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Description

ये कहानी है ऐसे दो लोगों की जो बचपन से एक दूसरे से मोहब्बत करते थे लेकिन किसी वजह से दोनों अलग हो गए और जब मिले तो किसी न जान लिया किसी ने नहीं, इनकी मोहब्बत क्या मुकम्मल हो पाएगी या नहीं या किस्मत में कुछ और ही लिखा होगा क्या किस्मत दोनो को कर देगी...

Characters

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रुद्रांश सिंह शेखावत

Hero

Total Chapters (65)

Page 1 of 4

  • 1. " बेहद इश्क " - Chapter 1( ट्रेलर

    Words: 842

    Estimated Reading Time: 6 min

    रात का समय था। सुनसान सड़क पर एक काली रंग की कार बहुत तेज गति से दौड़ रही थी। कार की एक तरफ़ की खिड़की खुली हुई थी, जिससे उस लड़की के बाल हवा में उड़ रहे थे। उस लड़की की आँखों से आँसू बह रहे थे।

    उस लड़की के बगल वाली सीट पर रखे उसके फ़ोन पर अभी-अभी किसी का फ़ोन कट चुका था। उसमें समय दिखा रहा था – रात के नौ बज चुके थे।

    वो लड़की स्टीयरिंग पर अपने हाथ कसकर कार की गति और तेज कर देती थी। उसकी आँखों के आँसू अभी भी नहीं रुक रहे थे, कि अचानक उसने कार के ब्रेक लगाए और कार रोककर बाहर की ओर देखा। और कार से बाहर आ गई।

    वह बाहर आकर उस बड़े से बंगले को देख रही थी, जो एकदम सुनसान सा था। उसने वहाँ पर लगी नेम प्लेट को देखा, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था – "शेखावत मेंशन"। उसे देखने के बाद उसने उसे पूरी तरह अनदेखा कर दिया और सीधा अंदर चली गई।

    वह बिना किसी को देखे, बेहद गुस्से में बंगले के अंदर आ गई जहाँ सोफ़े पर एक लड़का कुछ कर रहा था।

    उस लड़के ने जैसे ही उस लड़की को देखा, वह सोफ़े से खड़ा हो गया और उस लड़की की ओर देखकर मुस्कुरा दिया।

    वो लड़की अभी भी उस लड़के को बेहद गुस्से से देख रही थी। उस लड़की ने एक नज़र चारों ओर की और थोड़ा तेज और गुस्से से कहा,
    "कहाँ है वो...?"

    वो लड़का बिना कुछ बोले सीढ़ियों की ओर देखने लगा। उसकी नज़र को देख वो लड़की भी अपना चेहरा सीढ़ियों की ओर करती है, तो सामने से आ रहे लड़के पर उसकी नज़र एक पल के लिए ठहर जाती है।

    पर उस लड़के पर से वो अपनी नज़रें हटाकर बेहद गुस्से में बोली,
    "मेरे भाई कहाँ है? बताओ।"

    वो लड़का उस लड़की की ओर देखकर मुस्कुराया और सोफ़े पर बैठ गया। उसने अपने दोनों हाथ गर्दन के पीछे लगा लिए और एक पैर दूसरे पैर पर रख लिया।

    लड़की: "देखो, मेरे भाई को छोड़ दो। चाहते क्या हो तुम?"

    लड़का: (मुस्कुराते हुए) हाँ, छोड़ दूँगा, लेकिन पहले...

    लड़की: "प्लीज, उन्हें कुछ मत करो, प्लीज।"

    लड़का: "ठीक है, मैं तुम्हारे भाई को छोड़ दूँगा, लेकिन उसके लिए..."

    लड़की: (बीच में ही) "तुम जो बोलोगे, मैं करूँगी वो।"

    लड़का: "हम्म... सही बोला। तो तुम मुझसे शादी कर लो।"

    लड़की: (बेहद गुस्से से) "व्हाट...? तुम पागल हो! तुमसे शादी कभी नहीं! तुम जैसे इंसान से शादी करने से अच्छा है मैं मर जाऊँ।"

    लड़का: (सोफ़े से उठकर) "सोच लो। मरने से अच्छा है मुझसे शादी कर लो और अपने भाई को बचा लो। वैसे भी तुम मर जाओगी तो तुम्हारा भाई..."

    लड़की: "नहीं, प्लीज, मेरे भाई को कुछ मत करना, प्लीज।"

    लड़का: "हम्म... ठीक है। कल सुबह दस बजे तक मुझे तुम्हारा हाँ का जवाब चाहिए। और अगर तुमने मना किया तो... तुम्हारा भाई..."

    लड़की: "नहीं, प्लीज, भाई को छोड़ दो।"

    लड़का: उसके करीब आकर उसे कमर से पकड़कर बोला, "बोला ना, मिसेज़ चाहत रुद्र सिंह शेखावत, तुम्हारा जवाब आने पर सब सही होगा!"

    लड़की: "छोड़ो मुझे, समझें..."

    लड़का: "हम्म... समझ गया।" इतना बोलकर वो लड़का उस लड़की को जोर से छोड़ देता है, जिससे वह लड़की सीधा जमीन पर गिर जाती है।

    वो लड़की अपने हाथ को देखती है और खड़ी होकर जाने लगती है, तो वो लड़का वापस उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर करता है और उसके हाथ से उसका फ़ोन लेकर अपना नंबर लगा देता है और वापस उसे फ़ोन दे देता है।

    वो लड़का वहाँ से उस पहले वाले लड़के की ओर आता है और उसे धीरे से बोलता है,
    "घर छोड़ दे इसे।"

    पहला लड़का: "हम्म..." इतना बोलकर वह घर से बाहर आकर गाड़ी के पास चला जाता है।

    वो लड़की जैसे ही घर से बाहर जाती है, उसके सामने वो लड़का कार लाकर रोक देता है।

    लड़का: "बैठो। भाई ने कहा है घर छोड़ने को। रात बहुत हो गई है, अकेले जाना ठीक नहीं है।"

    वो लड़की: "ओह, और तुम्हारे उस भाई के साथ रहना वो ठीक है? मुझे कुछ नहीं होगा, मैं चली जाऊँगी।"

    तो वही बालकनी में खड़ा वो लड़का अभी भी सब कुछ सुन रहा था, जिसके हाथों में सिगरेट थी। उसने अपनी सिगरेट वहीं फेंककर नीचे आ जाता है और उस पहले वाले लड़के को जाने को बोलकर उस लड़की का हाथ पकड़कर उसमें बिठा लेता है।

    वो लड़की खिड़की से बस एकटक बाहर देख रही थी, और वो लड़का बस उसे देखकर कार चला रहा था।

  • 2. " बेहद इश्क " - Chapter 2

    Words: 1735

    Estimated Reading Time: 11 min

    रात का समय था। एक बड़ा सा घर, जिसके चारों ओर लाइटें जली हुई थीं। उस घर के बाहर कुछ बॉडीगार्ड खड़े थे। उस घर की नेम प्लेट पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था: "मेहरा हाउस"।

    और उस घर के अंदर बने बड़े से हॉल में बीचों-बीच एक सोफा रखा हुआ था। जिस पर एक लड़की, पीहू, आलती-पालती मारकर अपना मुँह फुलाए बैठी थी। और उसके पास ही एक औरत, मीरा काकी, अपने हाथ में खाने की प्लेट लेकर खड़ी हुई थी।

    मीरा काकी: "पीहू बिटिया, खाना खा लीजिए ना। अगर बाबा को पता लगा कि आपने अब तक खाना नहीं खाया तो हमें डाँट पड़ेगी।"

    पीहू: "हाँ तो काकी, मैं नहीं खाऊँगी। बोलो आप के बाबा से, जब तक वो नहीं आते मैं नहीं खाऊँगी।"

    एक आदमी, रामू काका, किचन की ओर से आते हुए बोला, "अरे मीरा दीदी, आप क्यों उसके पीछे पड़ी हैं? वो नहीं खाने वाली जब तक बाबा नहीं आ जाते।"

    पीहू (सोफे पर से उठकर उस पर खड़े होते हुए): "हाँ रामू काका, आपने सही बोला। जब तक आपके बाबा नहीं आ जाते, मैं खाना नहीं खाऊँगी।"

    मीरा काकी (उसके पीछे खाने की प्लेट वापस लेकर जाते हुए): "बिटिया, खा लो थोड़ा सा। अगर बाबा को पता लगा तो बहुत डाँटेंगे आपको।"

    पीहू (अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर): "ओफ्फो! आप इतने बड़े होकर उनसे डरते हो? मैं तो नहीं डरती।"

    तभी सबके कानों में किसी की आवाज़ आई, "ओह, तो आप मुझसे नहीं डरती?"

    पीहू (बिना उस ओर देखे सोफे पर बैठ गई और अपना मुँह दूसरी ओर कर लिया।)

    वो लड़का (वहाँ से अंदर आया और पीहू के पास सोफे पर बैठकर बोला), "ओह, तो मेरा बच्चा नाराज़ हो गया।" और खाना क्यों नहीं खाया आपने अभी तक?

    पीहू (मुँह बनाते हुए): "मुझे भूख नहीं है।"

    मीरा काकी: "देखिए ना बाबा, मैं कब से बोल रही हूँ, लेकिन पीहू बिटिया खाना ही नहीं खा रही।"

    वो लड़का: "पीहू, खाना क्यों नहीं खाया? काकी ने बोला फिर भी नहीं?"

    पीहू: "देखिए ना काका, इन्हें पता तो है फिर भी..."

    वो लड़का: "फिर भी...?"

    पीहू: "आपको पता है ना, मैं आप के बिना खाना नहीं खाती, फिर भी आप काकी को बोलते हो मुझे खाना खिला दे।"

    वो लड़का: "पर बच्चा, आपको खा लेना चाहिए। मैं लेट हो जाता हूँ ना कभी-कभी।"

    पीहू (मासूम सा चेहरा बनाकर): "फिर आप लेट क्यों करते हो? आपको मालूम है ना साहिल भाई, हम आप के बिना खाना नहीं खाते, फिर भी..."

    साहिल: "उम्मम्म्... लेकिन अब क्या? मेरा पेट ऐसे बातों से ही भरोगी? वैसे ना, मुझे ना भूख लगी है बहुत।"

    पीहू: "मुझे भी बहुत जोरों की।"

    काकी: "लेकिन आपको तो अभी भूख नहीं थी ना?"

    पीहू (मासूमियत से): "पर अभी लगी ना, वो भी इतनी बड़ी वाली।"

    साहिल: "मैं चेंज करके आता हूँ। तुम बैठो।"

    पीहू: "हाँ, जल्दी जाइए।"

    साहिल मुस्कुराते हुए अपने कमरे में गया, और वॉर्डरोब से अपने कपड़े लेकर वाशरूम में चला गया। थोड़ी देर में चेंज करके बाहर आया और एक नज़र बेड पर रखे अपने फोन को उठाकर देखा और मुस्कुराते हुए नीचे आ गया।

    पीहू (डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई अजीब-अजीब हरकतें कर रही थी।)

    साहिल: "ओह पीहू, क्या कर रही हो?"

    पीहू: "कुछ नहीं।"

    साहिल: "हम्मम, काकी, काका, आप दोनों भी बैठ जाइए ना।"

    काकी ने सबका खाना लगाया और खाने बैठ गई।

    पीहू: "भाई!"

    साहिल: "हाँ बच्चा।"

    पीहू: "मैं ना क्या सोच रही थी...कि क्यों ना मैं भी आपके साथ ऑफिस ज्वाइन कर लूँ।"

    साहिल: "व्हाट...? नहीं, तुम अभी ऑफिस ज्वाइन नहीं कर रही हो।"

    पीहू: "मैं घर पर बोर हो जाती हूँ।"

    साहिल ने एक बाइट पीहू को खिलाया, और पीहू ने भी साहिल को खिलाया।

    पीहू (मुँह लटकाकर): "हम्मम..." इतना बोल पीहू ने डिनर किया और सोफे पर आकर बैठ गई। साहिल भी खाना खत्म कर चुका था, वो भी अपना फोन लेकर सोफे पर आ गया।

    पीहू: "कल का क्या प्लान है?"

    साहिल (फ़ोन में देख मुस्कुराते हुए): "रोज़ जैसा ही है...ऑफिस जाना है।"

    पीहू (साहिल को घूरते हुए): "रियली?"

    साहिल: "हाँ...कुछ सोच कर...नहीं-नहीं, कल तो संडे है ना।"

    पीहू: "अरे वाह! आपको याद है।"

    साहिल: "येस...और ये भी याद है कल हम शॉपिंग करने जाएँगे।"

    पीहू: "हाँ, पहले शॉपिंग, फिर डिनर, फिर आइसक्रीम, और फिर..."

    साहिल: "आह बच्चा, मुझे सब मालूम है। लेके चलूँगा मैं पक्का।"

    पीहू: "हम्मम, ठीक है। अभी मैं सोने जा रही हूँ।"

    साहिल: "हम्मम, चलो।"

    पीहू: "वो भाई नहीं आ रहे।"

    साहिल: "पता नहीं कब आएगा।"

    इतना बोल पीहू अपने कमरे की ओर चली गई। थोड़ी देर वैसे ही रहने के बाद साहिल भी अपने कमरे की ओर आ रहा था कि उसकी नज़र पीहू के कमरे में गई, जिसका दरवाज़ा खुला हुआ था। उसके क़दम पीहू के कमरे की ओर बढ़ गए। उसने कमरे में देखा तो पीहू बेड पर आराम से सो रही थी।

    साहिल ने उसे ब्लैंकेट से ढँका और उसके माथे पर किस करके, उसके माथे पर हाथ फिरते हुए सोचने लगा।

    साहिल (मन में): "तुम कितनी मासूम हो पीहू। तुम्हें अभी किसी से कोई मतलब नहीं है। भगवान तुम्हारी खुशियों को किसी की नज़र न लगने दे।"

    इतना बोल साहिल ने कमरे की लाइट्स ऑफ की और एक कम रोशनी वाली लाइट ऑन करके अपने कमरे में आ गया और सोने चला गया।

    तो वहीं दूसरी ओर एक बड़ा सा बंगला, जो दिखने में खूबसूरत था, लेकिन रात के अंधेरे से ढँक चुका था। लेकिन अंदर हॉल में कुछ लाइटें जली हुई थीं।

    तो वहीं एक कमरा, जिसके सोफे पर एक लड़का, रुद्र, कुछ सोच रहा था। सोचते हुए उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई थी।

    उसी के सामने बैठा एक और लड़का, शिवांश, अपने लैपटॉप में कुछ काम कर रहा था और किसी से फोन पर बात कर रहा था।

    रुद्र: "और उसका पता लगा...?"

    शिवांश: "उसका भी अभी नहीं पता लगा।"

    रुद्र: "और तू कब तक पता लगाएगा?"

    शिवांश: "बहुत जल्द।"

    रुद्र: "हम्मम..." इतना बोल उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

    तभी उनके कान में किसी की आवाज़ आई, "साहब, खाना लगा दिया है। आ जाइए।" एक नौकर इतना बोल वहाँ से चला गया।

    रुद्र: "चल!"

    शिवांश: "हम्मम, चलो।"

    इतना बोल दोनों नीचे आए और डाइनिंग टेबल पर आकर खाना खाने लगे। थोड़ी देर में दोनों खाना खाकर अपने-अपने कमरे में आ गए थे।

    शिवांश अपने कमरे में लैपटॉप पर जल्दी-जल्दी उंगलियाँ चला रहा था और कोई काम कर रहा था।

    और रुद्र अपने कमरे में खिड़की के पास खड़ा सिगरेट पी रहा था। चाँद की चाँदनी उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई दे रही थी।

    अगली सुबह थी। आज संडे था। पीहू अपने कमरे में अभी भी सो रही थी। साहिल भी अपने कमरे में सोया हुआ था कि उसके फ़ोन का अलार्म बजने लगा। साहिल ने एक बार उसे बंद किया और वापस से सो गया, लेकिन कुछ ही मिनटों में उसके पास टेबल पर रखी क्लॉक का अलार्म फिर से बजने लगा।

    साहिल के कानों में जैसे ही अलार्म की आवाज़ आई तो साहिल उठकर बैठ गया और बोला, "पीहू की बच्ची, ये सब तेरा काम है।"

    इतना बोल साहिल उठा और वॉर्डरोब से अपने कपड़े लेकर वाशरूम में चला गया। थोड़ी देर में रेडी होकर साहिल पीहू के कमरे में आया तो देखा पीहू अभी भी आराम से सो रही थी।

    साहिल (उसके पास जाकर): "वहाँ बेटा, हमारी नींद खराब करके खुद सो रही है।"

    इतना बोल साहिल पीहू के पास गया और उसके मुँह पर पानी का जग डाल दिया।

    अचानक पानी आने से पीहू जल्दी से उठी और बोलने लगी, "भाई-भाई! बाढ़ आ गई! बचाओ मुझे!" इतना बोलते हुए उसकी नज़र जैसे ही साइड में गई जहाँ साहिल खड़े होकर हँस रहा था।

    पीहू: "मतलब ये सब आपने...?"

    साहिल: "हाँ, तो तूने भी तो मेरी नींद खराब की।"

    पीहू (बेड पर खड़े होकर अपनी कमर पर हाथ रखकर): "अच्छा, मैंने क्या किया?"

    साहिल: "अलार्म तूने लगाया था ना।"

    पीहू (बेड से उतरकर): "हाँ, क्योंकि नहीं लगाती तो आप जल्दी नहीं उठते, फिर हम शॉपिंग के लिए लेट हो जाते ना।"

    साहिल: "हम्मम, चलो अब जल्दी से रेडी होकर आ जाओ, मैं नीचे वेट कर रहा हूँ।"

    पीहू: "ओके।"

    साहिल वहाँ से नीचे आ गया और सोफे पर बैठकर पीहू का इंतज़ार करने लगा। धीरे-धीरे दस मिनट से पंद्रह मिनट और पंद्रह से अब पूरा आधा घंटा हो चुका था। आखिरकार परेशान होकर साहिल उठा और जैसे ही जाने को हुआ उसकी नज़र सीढ़ियों पर गई जहाँ से पीहू आ रही थी।

    ब्लैक जीन्स, ग्रीन कलर का शॉर्ट कुर्ता, ऊपर से जैकेट डाला हुआ, बालों को खुला छोड़ा हुआ जो कमर से नीचे तक आ रहे थे। आँखों में काजल जो और भी प्यारी लग रही थी, और लाइट लिपस्टिक, एक हाथ में बहुत प्यारा ब्रेसलेट और एक में वॉच।

    साहिल: "ओये, ऐसे जाएगी ना तो बीमार हो जाएगी।"

    पीहू (असमंजस में): "मतलब...?"

    साहिल: "अरे, बाबा, नज़र लग जाएगी।"

    मीरा काकी: "और नहीं तो क्या?" इतना बोल उन्होंने अपनी आँखों के कोरों से थोड़ा काजल लेकर पीहू को लगा दिया।

    पीहू (मुस्कुराते हुए): "काकी, मुझे नहीं लगती नज़र-वज़र।"

    साहिल: "अब चलो मेरी जान।"

    पीहू (नौटंकी करते हुए): "चलो पुत्र।"

    इतना बोल दोनों हँसते हुए शॉपिंग के लिए मॉल के लिए चले गए।

    रुद्र भी उठ गया था और रेडी होकर नीचे हॉल में बैठा हुआ था।

    शिवांश (रुद्र से): "रुद्र, आज संडे है तो कहीं चलें।"

    रुद्र: "कहाँ जाना है?"

    शिवांश: "शॉपिंग।"

    रुद्र (उसे घूरते हुए): "तू लड़की है?"

    शिवांश: "क्यों? शॉपिंग लड़कियाँ ही करती हैं? मैं नहीं कर सकता?"

    रुद्र: "अच्छा, ठीक है, मैं चलूँगा, लेकिन नौटंकी बंद कर।"

    शिवांश (मुस्कुराते हुए): "थैंक यू।" इतना बोल वो रुद्र के गले लग गया।

    रुद्र अभी भी शिवांश को घूर रहा था। शिवांश को अपनी गलती का अहसास हुआ तो वो तुरंत रुद्र से लगा हुआ और सॉरी बोलता हुआ बाहर चला गया।

    रुद्र भी थोड़ी देर सोचने के बाद बाहर चला गया।

    क्रमशः

  • 3. " बेहद इश्क " - Chapter 3

    Words: 1515

    Estimated Reading Time: 10 min

    थोड़ी देर में साहिल ने कार आकार मॉल के आगे रोक दी। पीहू ने उसकी ओर देखा और मुस्कुराते हुए जल्दी से कार से बाहर आ गई।

    साहिल ने एक नज़र पीछे देखा और कार पार्किंग में लगाने चला गया।

    पीहू वहीं खड़ी होकर चारों ओर देख रही थी। साहिल जैसे ही आया, पीहू उसे घूरने लगी।

    साहिल: "चल ना अब।"

    पीहू: "हाथ बांधकर...ये लोग भी हमारे साथ चलेंगे।"

    साहिल: (मन में) सोचा नहीं था इसे पता लगेगा। "पीहू, चलने दे ना।"

    पीहू: "हाथ बांधकर...अच्छा, ठीक है चलो। लेकिन अभी सिर्फ़ ये लोग शाम को मेरे साथ नहीं जाएँगे।"

    साहिल: "हम्म। चल अब।"

    पीहू बिना बोले पैर पटकते हुए साहिल के साथ अंदर आ गई।

    साहिल एक तरफ़ खड़ा होकर बस पीहू को देख रहा था जो खुशी से कपड़े ले रही थी। साथ ही वह अपना फ़ोन देख रहा था जिसमें किसी के मैसेज दिखाई दे रहे थे। उन मैसेज को देख साहिल के चेहरे के भाव थोड़े अजीब हुए। लेकिन तभी पीहू उसके पास आकर...

    पीहू: हाथों में कपड़े साहिल के हाथ में रखते हुए, "लीजिए और जल्दी से चेंज करके देखो कैसे हैं।"

    साहिल: "तुम अपनी शॉपिंग करो, मेरे पास बहुत सारे कपड़े हैं।"

    पीहू: "जाओ ना...और हाँ, दस मिनट में सब ट्राई कर लेना। अगर एक मिनट भी ज़्यादा लगाई ना तो और कपड़े दे दूँगी।"

    साहिल: "ओके।" इतना बोलकर साहिल चेंजिंग रूम में चला गया।

    पीहू अपने लिए कुछ कपड़े देखने थोड़ा साइड में चली गई।

    साहिल ने कपड़ों को चेयर पर रखा और एक नज़र उन्हें देखने लगा। तभी उसके चेंजिंग रूम का दरवाज़ा खुला और एक लड़की उसकी ओर देखते हुए...

    लड़की: "सॉरी, सॉरी। मैंने देखा नहीं था आप थे। आई एम सॉरी।"

    इतना बोलकर वो लड़की जाने को पलटी तो साहिल ने उसका हाथ पकड़कर अपनी ओर खींच लिया और उसकी पीठ अपने सीने से लगाकर...

    साहिल: "कहाँ जा रही हो?"

    लड़की: "प्लीज़ मुझे छोड़िए। मैंने बोला ना मैं गलती से अंदर आ गई।"

    साहिल: "हम्म...तो तुम गलती से यहां आई थी?" इतना बोलते हुए साहिल ने अपने दोनों हाथ उस लड़की के पेट पर कस लिए।

    अचानक ही उस लड़की की आँखें बंद हो गईं। "हम्म..." इतना बोलकर उस लड़की ने अपने हाथ की कोहनी से साहिल के पेट पर जोर से मारा।

    साहिल: "अरे, धीरे! लग गई मुझे।"

    लड़की: "छोड़ो मुझे।"

    साहिल: "मैं नहीं छोड़ूँगा।"

    लड़की: "मेरा फोन क्यों नहीं उठाया कल?"

    साहिल: "सॉरी, कल बिजी था ऑफिस में।"

    लड़की: "हम्म...ठीक है। बहाने बहुत हैं तुम्हारे पास।"

    साहिल: "सच्ची।" वैसे तुम यहां क्या कर रही हो?

    लड़की: "जो तुम करने आए हो यहां।"

    साहिल: (मुस्कुराते हुए) "हम्म...तो मैं करवा दूँ चेंज?"

    लड़की: "पागल हो? नो, नो। मैं कर लूंगी।"

    साहिल: "सच्ची?" इतना बोलकर उसने उसके बालों को पीछे करके अपने होंठ उसकी गर्दन पर रख दिए।

    लड़की: "स...स...साहिल क्या कर रहे हो?"

    साहिल: "जो तुम यहां करने आई थी।" इतना बोलकर साहिल ने उस लड़की को पकड़कर सीधा किया।

    लड़की: उसकी नाक खींचकर, "ज़्यादा बनो मत। समझे नहीं तो जो तुम यहां करने आए हो वो मैं कर दूंगी। समझे ना?"

    साहिल: "सच्ची में तो भूल गया। वो पीहू आती होगी अभी। उसने कहा था दस मिनट में चेंज करने हैं वरना वो लाकर देगी।"

    वो लड़की वहीं साइड में टेक लगाकर हँसने लगी।

    साहिल: "अच्छा, अब बाहर जाओ।"

    लड़की: "यहीं कर लो मेरे सामने।"

    साहिल: "पागल! जाओ यहां से।"

    लड़की: "ठीक है, जा रही हूँ।" इतना बोलकर जैसे ही उसने दरवाज़ा खोला तो अचानक से पीहू से टकरा गई।

    पीहू उसे मुँह खोले देख रही थी कि अचानक ही उसने अपने हाथ बाँधे और एक आईब्रो उठाकर उस लड़की को देखा।

    वो लड़की: अपनी नज़रें नीचे करके, "हाय पीहू।"

    पीहू: "हैलो वेदु भाभी।" इतना बोलकर पीहू ने स्माइल की और वापस कहा, "मिल लिए भाई से?"

    वेदिका: "हाँ, तुम बताओ।"

    पीहू: "मैं बहुत अच्छी हूँ। भाई आपको टाइम नहीं देते ना, इनके कान पकड़कर खींचा करो।"

    वेदिका उसकी बात पर हँस रही थी।

    तभी पीछे से आकर साहिल ने पीहू के कान पकड़कर, "अच्छा जी, मैं बताऊँ तुझे?"

    पीहू: "क्या भाई? मेरे कान क्यों पकड़े हैं? छोड़ो ना, वरना टूट जाएँगे। फिर लोग कहेंगे देखो साहिल की बहन का एक कान नहीं है।" इतना बोलकर पीहू खिलखिलाकर हँसने लगी। (उसकी हँसी बहुत प्यारी थी। जब भी वो हँसती तो किसी छोटे बच्चे जैसी मासूम लगती थी। उसके गाल पर पड़ते डिम्पल...)

    साहिल और वेदिका दोनों उसे हँसता हुआ देख रहे थे।

    साहिल: "चले?"

    पीहू: "हाँ, मैंने सब खरीद लिया और काउंटर पर रख दिया।"

    वेदिका: "मैं भी चलती हूँ।"

    पीहू: "आप भी हमारे साथ चलिए ना।"

    वेदिका बस साहिल को देख रही थी।

    साहिल: "चलो।"

    इतना बोलकर तीनों काउंटर के पास आ गए। पीहू वहीं काउंटर के पास खड़ी हुई थी। साहिल किसी से फोन पर बात कर रहा था।

    पीहू के थोड़ी ही दूरी पर रुद्र और शिवांश खड़े हुए थे। रुद्र के हाथ बार-बार पीहू के बालों को छू रहे थे।

    पीहू ने बिल लिया और देखा तो दांतों तले जीभ दबाकर...मर गई।

    वो लड़का: "मैम, बिल पे कर दीजिए।"

    पीहू: "बिल में नहीं, वो पे करेंगे।" इतना बोलकर पीहू ने बिल हाथ में लिया और साहिल के आगे आकर खड़ी हो गई।

    साहिल: (फ़ोन पर) "अच्छा, मैं आपसे बाद में बात करता हूँ।" इतना बोलकर साहिल ने फ़ोन पॉकेट में रखा और पीहू को देखकर कहा, "क्या हुआ?"

    पीहू: उसके आगे बिल देते हुए...

    साहिल: साहिल ने जैसे ही बिल देखा उसने एक नज़र पीहू को देखकर कहा, "ओह! इतना बिल? मेरे प्यारे महीने की इनकम नहीं है ये।"

    पीहू: "हाँ, वही तो! एक दिन की तो है ना! अब पे करो।"

    साहिल: "अगर मैं तुझे हर हफ़्ते शॉपिंग करवाऊँ ना तो मैं रोडपति हो जाऊँगा।"

    पीहू: "जाओ अब!" साहिल का हाथ पकड़कर ले जाते हुए...

    रुद्र वहीं खड़ा बिल पे कर रहा था। उसके हाथ की वो रिंग बार-बार पीहू के बालों से खेल रही थी।

    पीहू अभी भी वहीं साहिल के साथ खड़ी थी। उसने बिना देखे जोर से कहा, "आह! मेरे बाल!"

    पर इस पर रुद्र का न तो ध्यान गया ना ही पता था।

    साहिल: "तो कर दो बिल पे। अब डिनर के लिए चलें।"

    वेदिका: "आप दोनों जाओ, मैं घर चली जाती हूँ।"

    साहिल: "पर...?"

    पीहू: बीच में ही, "घर क्यों? क्या काम है? मैंने बोला ना आप मेरे साथ डिनर पर चलोगे, मतलब चलोगे।" (पीहू को बार-बार बोलने की आदत नहीं है!)

    साहिल: "हाँ, पीहू ने बोला ना एक बार..." उसके कान के पास जाकर, "रुक जाओ ना प्लीज़!"

    वेदिका साहिल की बात सुनकर मुस्कुराने लगी।

    पीहू: "उम्मम्म...अब कोई इतने प्यार से प्लीज़ बोल रहा है तो आपको रुकना चाहिए।"

    पीहू की बात सुन साहिल तुरंत वेदिका से दूर हो गया। (मन में) "ओह गॉड! ये लड़की भी ना..."

    पीहू: "चलो अब, मुझे भूख लगी है।"

    साहिल: "हम्म...चलो।"

    इतना बोलकर तीनों मॉल से बाहर आ जाते हैं और कार में बैठ जाते हैं। साहिल कार ड्राइव कर रहा था। वेदिका उसके बगल वाली सीट पर बैठी थी। और पीहू पीछे बैठी कभी अपना फोन चला रही थी तो कभी खिड़की से बाहर अपना हाथ, तो कभी अपना सिर निकाल रही थी। ये सब करते हुए पीहू एकदम मासूम लग रही थी।

    साहिल कब से उसे विंडो से ये सब करते देख मुस्कुरा रहा था।

    थोड़ी ही देर में तीनों एक होटल में आ गए। साहिल और वेदिका आमने-सामने थे और पीहू बगल में।

    थोड़ी ही देर में वेटर ऑर्डर लेने आया तो पीहू ने सब के पसंद का खाना मँगवाया।

    साहिल: (वेटर से) "भैया मिर्च मत डालना।"

    वेटर: "जी सर।" इतना बोलकर वहाँ से चला गया।

    पीहू हल्का सा मुस्कुरा देती है।

    थोड़ी ही देर में तीनों डिनर करके वहाँ से निकल गए थे।

    पीहू कार में बैठते ही, "भाई..."

    साहिल: "हम्म...बोलो।"

    पीहू: "इनको साथ नहीं ना अब?"

    वेदिका: "मैं यहाँ से चली जाऊँगी।"

    साहिल: "वो तुम्हारे लिए नहीं बोल रही, वो बॉडीगार्ड्स के लिए बोल रही है।"

    पीहू: "हाँ, आपके लिए नहीं बोला। और भाई प्लीज़ बोलो अब उन्हें..."

    साहिल: "ओके।" इतना बोलकर साहिल ने किसी को फोन किया और माना कर दिया।

    थोड़ी देर में तीनों अपनी कार से एक सुनसान सड़क पर आ गए जहाँ कुछ ही लोग आ जा रहे थे। साहिल ने कार एक साइड लगाई और पीहू की ओर देखा जो कार से बाहर आ गई थी।

    पीहू: "आप दोनों यहाँ टाइम स्पेंड कीजिए, मैं अभी आती हूँ।" इतना बोलकर पीहू ने कुछ बैग्स लिए और चली गई।

    साहिल ने उसके जाते ही किसी को फोन करके कुछ कहा और वेदिका को कार से बाहर आने को बोला। खुद कार से टेक लगाकर खड़ा हो गया।

  • 4. " बेहद इश्क " - Chapter 4

    Words: 1665

    Estimated Reading Time: 10 min

    साहिल ने उसके जाते ही किसी को फ़ोन करके कुछ कहा और वेदिका को कार से बाहर आने को कहा। वह स्वयं कार से टेक लगाकर खड़ा हो गया।


    पीहू वहाँ से थोड़ा आगे आई तो सामने एक आइसक्रीम का स्टॉल दिखाई दिया। पीहू ने उसे देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।


    पीहू स्टॉल के पास आकर खड़ी हो गई। आइसक्रीम वाले ने पीहू को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "आ गई पीहू बिटिया?"


    पीहू— "हाँ काका।" (आइसक्रीम को देखते हुए)


    काका— "टेंशन मत लो बिटिया, तुम्हारे लिए बचाकर रखी है।"


    पीहू— "मासूमियत से? रखकर ही रखोगे क्या काका? अब दे भी दो।"


    काका— "हाँ, अभी देते हैं।"


    पीहू— "चारों ओर देखकर...वो सब कहाँ हैं?"


    काका— "अभी थोड़ी देर पहले तुम्हारे बारे में ही पूछकर गए हैं। पर तुम आज थोड़ा लेट हो।"


    पीहू— "हाँ, पर आप बुला देंगे।"


    काका— "हाँ।" इतना बोलकर काका ने किसी को इशारा किया और आइसक्रीम निकालने लगा।


    पीहू अभी भी वहीं खड़ी होकर देख रही थी।


    तभी एक सफ़ेद रंग की कार आकर रुकी। कार से दो लड़के निकले। शिवांश बाहर आया और एक तरफ़ चला गया।


    रुद्र ने एक नज़र उसे देखा और वहाँ से दूसरी तरफ़ आकर दीवार से टेक लगाकर खड़ा हो गया।


    पीहू अभी भी आइसक्रीम ही देख रही थी कि तभी उसने अपने पेट पर किसी का हाथ महसूस किया। उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।


    क्यूँकि सात-आठ बच्चे उसके चारों ओर चिपके हुए थे। उन्हें देखकर कोई भी बता सकता था कि वे यहाँ भीख माँगते हैं। उनके मासूम चेहरे और फटे हुए कपड़े...


    पीहू ने अपने हाथ के बैग्स को साइड रखकर दोनों हाथ अपनी कमर पर रख लिए। "कहाँ थे तुम सब? पता नहीं कब से इंतज़ार कर रही थी। एक तो आइसक्रीम मेरे सामने और मैं खा भी नहीं सकती।"


    सब बच्चे एक साथ— "सॉरी दीदी, अब हम आइसक्रीम खाएँगे।"


    पीहू ने हाँ कहा और सबको एक-एक आइसक्रीम दी। वह खुद भी खाने लगी। वह आइसक्रीम खाते हुए किसी मासूम बच्चे जैसी लग रही थी।


    साहिल कार से टेक लगाकर खड़ा था और वेदिका उसके बगल में उसका हाथ पकड़े खड़ी थी।


    वेदिका— "पीहू को यह जगह कितनी पसंद है ना।"


    साहिल— "हम्मम, बहुत ज़्यादा...वैसे तुम्हारी जॉब का क्या हुआ?"


    वेदिका— "कुछ नहीं। क्या होना था? कहीं नहीं मिली।"


    साहिल— "तो मेरा ऑफ़र एक्सेप्ट कर लीजिए।" इतना बोलकर साहिल वेदिका की ओर झुका।


    वेदिका— (साहिल को दूर करते हुए) "नेवर, मिस्टर खु...सॉरी मेहरा!"


    साहिल— (वेदिका की ओर देखकर) "इट्स ओके।" मेरा क्या है? ढूँढ़ो जॉब।


    वेदिका— ""यह मेरी समस्या है,"" मिस्टर मेहरा।


    साहिल— (वेदिका की बाजू को पकड़कर अपनी ओर करते हुए) "यह क्या मिस्टर मेहरा, मिस्टर मेहरा लगा रखा है? तुम मुझे सिर्फ़ साहिल ही बोल लिया करो।"


    वेदिका— (उसके गाल पर उंगली फेरकर) ""मेरी मर्ज़ी कुछ भी बोलूँ।""


    साहिल— "अच्छा जी!"


    वेदिका— "हाँ जी!"


    तो वहीं पीहू अभी भी बच्चों के साथ खेल रही थी। उसने आइसक्रीम के स्टॉल पर गाने चला रखे थे।


    वह बच्चों के साथ गोला बनाकर खेल रही थी कि तभी एक छोटी सी बच्ची बोली, "दीदी, मुझे वह बैलून चाहिए।"


    पीहू ने उस ओर देखा तो बैलून रोड के दूसरी तरफ़ था।


    पीहू— "वह चाहिए? हम अभी लाते हैं। तुम सब बैठो।"


    पीहू बच्चों को बिठाकर वहाँ से रोड के दूसरी तरफ़ जाने को हुई। उसका ध्यान बस सामने ही था। उसके बगल से तेज स्पीड में आ रहे ट्रक पर उसका ध्यान ही नहीं था कि तभी किसी ने उसे जोर से पकड़कर अपने सीने से लगा लिया।


    पीहू ने अपने दोनों हाथ उस लड़के के सीने पर रखे हुए थे और उस लड़के ने अपना एक हाथ पीहू की कमर पर और दूसरे हाथ से उसके बालों पर हाथ फिरा रहा था।


    पीहू अभी भी उसके सीने से लगी हुई खड़ी थी और वह उसके बालों में हाथ फिरा रहा था। और पास में ही गाना चल रहा था—


    "एहसास तेरे और मेरे तो
    इक दूजे से जुड़ रहे
    इक तेरी तलब मुझे ऐसी लगी
    मेरे होश भी उड़ने लगे
    मुझे मिलता सुकून तेरी बाहों में
    जन्नत जैसी एक राहत है
    इक बात कहूँ..."


    पीहू को जब अचानक होश आया तो वह तुरंत उस लड़के से दूर हो गई।


    पीहू— (अपनी गर्दन ऊँची करके) "सॉरी।" इतना बोलकर पीहू ने उसे देखा तो एक पल के लिए देखती ही रह गई। (उसकी लाल आँखें जो बहुत कुछ बोल रही थीं, काले बाल जो माथे तक आ रहे थे, एकदम फ़िट बॉडी, ब्लैक शर्ट जिसके बाजू तक आस्तीन थी, ब्लू जीन्स...यह कितना प्यारा है! अरे भाई यह हमारे रुद्र ही हैं!)


    रुद्र— "तुम ठीक हो ना? देखकर नहीं चल सकती।"


    पीहू— "सॉरी।"


    रुद्र— ""इट्स ओके।""


    पीहू उससे कुछ कदम दूर हुई। जैसे ही वह जाने को हुई कि उसे कुछ याद आया और वह वापस रुद्र के सामने आकर, बड़ी ही मासूमियत से बोली, "थैंक यू हमारी जान बचाने के लिए।"


    रुद्र— "हम्मम।" इतना बोलकर रुद्र वहाँ से चला गया।


    पीहू— (अपनी कमर पर हाथ रखकर) "अकडू हूँह्ह्ह्ह..."


    सभी बच्चे वापस पीहू के पास आ गए और आइसक्रीम वाले काका भी।


    काका— "तुम ठीक हो ना बिटिया?"


    पीहू— "अरे काका, मैं एकदम मस्त हूँ।"


    बच्चे— "अब हम जाएँ दीदी।"


    पीहू— "हाँ, अब तुम सब जाओ लेकिन उससे पहले अपने गिफ़्ट लेकर जाओ।" इतना बोलकर पीहू स्टॉल के पास आई और एक-एक बैग सबको दे दिया। और एक बैग काका को देते हुए बोली, "यह लीजिए आपके लिए।"


    काका— "और बिटिया, इसकी क्या ज़रूरत थी?"


    पीहू— "ज़रूरत कैसे नहीं थी? और अब रखिए, मुझे ना सुनना पसंद नहीं है। अब मैं जा रही हूँ।" इतना बोलकर पीहू वहाँ से चली गई।


    वेदिका— "पीहू कितना टाइम बिताती है ना इनके साथ।"


    साहिल— "है, संडे को वह यहीं आती है और एक महीने में शॉपिंग।"


    वेदिका— "अच्छा, बिल बनवाया है उसने अपना?"


    साहिल— (मुस्कुराते हुए) "अपना नहीं, सबका।"


    वेदिका— "मतलब...?"


    साहिल— "उसने अपने से ज़्यादा सबके लिए शॉपिंग की है...उन बच्चों के लिए सबसे पहले।"


    वेदिका— "हम्मम।"


    पीहू वहाँ से कार के लिए जा रही थी कि उसकी नज़र अचानक किसी पर गई तो वह भी उसी ओर चली गई।


    पीहू ने पास आकर देखा तो रुद्र कार से टेक लगाकर एक हाथ से सिगरेट पी रहा था और दूसरा हाथ उसकी जीन्स की पॉकेट में था।


    पीहू ने एक नज़र उसे देखा और उसके सामने आकर अपने एक हाथ से उसके मुँह से सिगरेट निकालकर नीचे फेंक दी जो अभी रुद्र ने जलाई थी।


    पीहू की इस हरकत पर रुद्र उसे घूरने लगा तो पीहू ने कहा,


    पीहू— "मुझे घूरना बाद में। सिगरेट सेहत के लिए हानिकारक होती है। इसे पीकर क्या मिलेगा? पुरानी यादें ताज़ा होंगी ना कि मिट जाएँगी या तुम भूल जाओगे। सिर्फ़ सिगरेट से तुम्हारा दिल जलेगा।"


    रुद्र— "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? एक बार बचा लिया, क्या समझती हो खुद को?"


    पीहू— (रुद्र को घूरते हुए, अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रखकर, अपने फ़ेस को किसी मासूम बच्चे जैसे बना लेती है और बड़े ही प्यार से बोलती है) "आपने भी तो मेरी जान बचाई ना, तो मैं भी आपकी जान बचा रही हूँ।"


    रुद्र बस पीहू की मासूमियत में खोता जा रहा था। (रुद्र ने उसे बड़े गौर से देखा—उसने ग्रीन कलर का शॉर्ट कुर्ता, जीन्स, जैकेट, कमर से नीचे तक आते बाल जो खुले थे, उसकी मोटी-मोटी आँखें, सुरख गुलाबी होंठ, गोरा रंग, किसी मासूम बच्चे जैसी उसकी स्माइल, गालों पर डिम्पल...)


    पीहू— "अकडू!" इतना बोलकर पीहू वहाँ से चली गई।


    तभी रुद्र के पास शिवांश आया। उसने देखा रुद्र कहीं खोया हुआ था। उसकी पूरी सिगरेट ज़मीन पर गिरी हुई थी।


    शिवांश— (उसके कंधे पर हाथ रखकर) "ओए रुद्र, क्या हुआ?"


    रुद्र— "क...कुछ नहीं। चले।"


    शिवांश— "भाई, किसने तेरी सिगरेट नीचे फेंक दी?"


    रुद्र— "चल ना अब।"


    इतना बोलकर दोनों कार में बैठ गए और घर के लिए निकल गए।


    पीहू भी कार के पास आ गई थी और आकर कार में बैठ गई। साहिल ने उसे देखा और वेदिका को भी गाड़ी में बैठने को कहा। वह स्वयं ड्राइविंग करने लगा।


    पीहू अभी भी शांत बैठी थी। वह बस खिड़की से बाहर देख रही थी।


    साहिल— "कितनी आइसक्रीम खाकर आई?"


    पीहू— (अपनी उंगलियों पर जोड़ते हुए) "ज़्यादा नहीं...दो पहले, तीन बाद में, एक फिर बाद में और एक...छह...नहीं-नहीं, सात आइसक्रीम बस और ज़्यादा नहीं!"


    साहिल पीहू की हरकत पर बस मुस्कुरा रहा था। वेदिका भी मुस्कुराते हुए बोली, "यह कम है क्या?"


    पीहू— "हाँ..."


    थोड़ी देर में साहिल ने वेदिका को घर ड्रॉप किया और पीहू के साथ घर आ गया।


    पीहू सीधे अपने रूम में आई और कपड़े लेकर बाथरूम में चली गई।


    साहिल भी बाथरूम से बाहर आया तो उसके फ़ोन पर वेदिका का फ़ोन आने लगा। साहिल ने फ़ोन कान से लगाया और कहा,


    साहिल— "मैं घर आ गया।"


    वेदिका— "फ़ोन करके बता नहीं सकते थे?"


    साहिल— "सॉरी, मैं चेंज कर रहा था। वह मैं बहुत थक गया आज।"


    वेदिका— "कोई बात नहीं, सो जाओ। बाय।"


    साहिल— "तुम भी...सो जाओ। बाय!"


    पीहू ने भी एक नज़र फ़ोन को देखा और बेड पर सो गई।


    रुद्र भी चेंज करके सो गया था। उसने अपना टी-शर्ट उतारकर एक तरफ़ रखा और बेड पर पेट के बल सो गया।


    शिवांश भी रूम में बिना चेंज करे सो गया था।


    क्रमशः

  • 5. " बेहद इश्क " - Chapter 5

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह, पीहू उठ गई और अपने कमरे में तैयार होने लगी। साहिल भी तैयार होकर नीचे आया और देखा कि पीहू भी नीचे आ गई है।

    साहिल: "गुड मॉर्निंग बच्चा।"

    पीहू: "गुड मॉर्निंग भाई।"

    साहिल: "आओ, नाश्ता कर लेते हैं।"

    पीहू: "हम्म। आप ऑफिस जा रहे हो?"

    साहिल: "हाँ, क्यों?"

    पीहू: "मैं यहाँ अकेली बोर हो जाती हूँ।"

    साहिल: "जानता हूँ। तुम मुंबई घूम लो। वैसे भी हमें यहाँ आए कुछ ही दिन हुए हैं।"

    पीहू: "हाँ, हमें यहाँ कुछ ही दिन हुए हैं! लेकिन मैं मुंबई पहली बार नहीं आई हूँ।"

    साहिल: "ये भी है।"

    पीहू: "भाई, कार्तिक कहाँ है? वो नहीं आ रहे क्या?"

    "उफ्फ! आपने याद किया और हम ना आए!" यह आवाज़ सुनकर साहिल और पीहू ने दरवाज़े की ओर देखा। वहाँ एक लड़का खड़ा था; आँखों पर चश्मा, हाथ में घड़ी, सफ़ेद शर्ट, काले पैंट और काले कोट में वो बहुत प्यारा लग रहा था।

    साहिल: "उसे देखकर, आजा, तेरी ही बातें कर रहे थे!"

    पीहू: "कौन कर रहा था इनकी बात?"

    "ओह माय गॉड! ओह माय गॉड! इतना गुस्सा... कि तेरी नाक टमाटर की तरह लाल हो गई है!" इतना बोलकर वह लड़का पीहू के पास आया और जैसे ही उसके गाल पकड़ने को हुआ, पीहू ने तुरंत अपना चेहरा घुमा लिया।

    पीहू: (चेहरा दूसरी ओर घुमाए हुए) "Don't touch my cheek!"

    लड़का: "बड़ी आई... 'Don't touch my cheek' करने वाली!"

    पीहू: (उस लड़के की ओर मुँह करके) "हाँ, तो..."

    इतने में ही उस लड़के ने पीहू के दोनों गालों को पकड़कर खींच लिया। पीहू के गाल खींचने से एकदम टमाटर की तरह लाल हो गए थे।

    पीहू: "भाई! ये सब क्या है?" यह बोलते हुए उसने अपने दोनों हाथ अपने गालों पर लगा रखे थे।

    साहिल: "कार्तिक, क्या किया?"

    कार्तिक: "क्या किया? मतलब मैं अपनी बहन से बात भी ना करूँ, प्यार भी ना करूँ, लड़ाई भी ना करूँ? बताओ, मैंने क्या गलत किया? (नाटक करते हुए) अरे बताओ, कोई मुझ मासूम को इंसाफ़ दो कोई!"

    कार्तिक की बात पर पीहू खिलखिलाकर हँसने लगी। दोनों उसे यूँ हँसता देखकर बहुत खुश हो गए, लेकिन जब पीहू की नज़र उन दोनों पर गई तो वह अचानक चुप हो गई और अपना नाश्ता करने लगी।

    साहिल और कार्तिक ने एक-दूसरे को देखा और अपनी हँसी को गायब कर दोनों नाश्ता करने बैठ गए।

    साहिल: "ऑफिस चल रहे हो ना?"

    कार्तिक: "येस।" "तुम क्या करने वाली हो पीहू?"

    पीहू: "घर पर रहकर बोर तो बिलकुल नहीं होना मुझे।"

    साहिल: "तो कहीं घूम आ।"

    कार्तिक: "अच्छा, तो ये कर, वाणी के साथ घूम आ।"

    साहिल: "हाँ बच्चा, तुम आज घूम लो।"

    पीहू: "भाई, मैं ना क्या सोच रही थी..."

    साहिल: "मैंने ऑफिस के लिए मना किया है ना।"

    पीहू: "ऑफिस की नहीं... बात तो सुनिए ना... मैं ये बोल रही हूँ... आप अपनी जो मीटिंग्स होती हैं, उसकी कुछ फाइल्स घर ले आओ ना। मैं घर से काम कर सकती हूँ। मेरा मन भी लग जाएगा, मैं बोर भी नहीं होऊँगी, आपका काम भी हो जाएगा।"

    कार्तिक: "है तुझमें दिमाग भी है! मुझे आज पता लगा।"

    पीहू: "आज ही पता लगेगा ना, क्योंकि आपने कभी अपना दिमाग लगाया ही नहीं!"

    साहिल: "ठीक है, मैं तुम्हें कुछ फाइल्स दे दूँगा। कार्तिक, अब चलो, हम लेट हो रहे हैं।"

    कार्तिक: "जा चल।"

    साहिल और कार्तिक दोनों वहाँ से अपना-अपना सामान लेकर जैसे ही दरवाज़े के पास आए, तो अचानक ही साहिल रुक गया।

    साहिल: "तुम कहीं जा रही हो पीहू?"

    पीहू: "हम्म, हम शाम तक आ जाएँगे।"

    साहिल: "हम्म, ध्यान से। बाय बच्चा।"

    कार्तिक: "बाय मेरी मोटू।"

    पीहू: "मैं आपको मोटी नज़र आती हूँ? साहिल भाई, इन्हें लेकर जाओ, वरना मैं... मैं ये चाकू फेंककर मारूँगी!"

    कार्तिक: "नो! पागल हो गई क्या? अच्छा, नहीं बोलूँगा। चल, बाय।"

    साहिल: (हँसते हुए) "बाय बच्चा, चल अब कार्तिक।"

    इतना बोलकर दोनों वहाँ से अपनी कार में बैठ गए। थोड़ी ही देर में दोनों एक बड़ी सी बिल्डिंग के बाहर थे, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था: "मेहरा इंटरप्राइजेज़"।

    कार्तिक: "चले?"

    साहिल: "हम्म," बोलकर वह बिल्डिंग के अंदर चला गया।

    कार्तिक और साहिल को देखकर वहाँ सब लोग उन्हें विश करने लगे। फ़ीमेल एम्प्लॉयी की तो मानो दिल की मुराद पूरी हो गई हो, दोनों को एक साथ देखकर। आज काफी दिनों बाद दोनों एक साथ ऑफिस में थे। हमारे हीरो थे ही इतने अच्छे!

    वहीं पीहू ने एक नज़र सबको देखा और रूम से अपना फ़ोन और पर्स लेकर बाहर आ गई और कार के पास आई। पीहू को देखकर ड्राइवर कार के पास आ गया।

    पीहू: "ड्राइवर, आप रहने दीजिये, मैं खुद जाऊँगी।"

    ड्राइवर: "पर साहिल सर ने मना किया है।"

    पीहू: "कुछ नहीं बोलेंगे वो, मैं चली जाऊँगी।"

    ड्राइवर: "पर..."

    पीहू: "अपने 'पर' को जेब में रखिये, मैं चली जाऊँगी। Don't worry!" इतना बोलकर पीहू वहाँ से अपनी कार लेकर चली गई।

    कोई था जो उस पर नज़र रखे हुए था। उसने एक नज़र जाती हुई पीहू को देखा और किसी को फ़ोन लगाकर कहा:

    "सर, वो खुद कार ड्राइव करके गई है।"

    उस ओर से कुछ कहा गया, जिसे सुनकर उस आदमी ने अपना फ़ोन पॉकेट में रखा और दूसरी कार लेकर पीहू की कार के पीछे चल गया।

    थोड़ी ही देर में पीहू ने अपनी कार को एक साइड पार्किंग में रोका और खुद कार से निकलकर किसी को फ़ोन करने लगी। पीहू ने फ़ोन पर बात की और फ़ोन वापस रखकर वहीं कार के बोनट के पास खड़ी हो गई और चारों ओर देखने लगी। जहाँ बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था: "अपना आशियाना"।

    पीहू ने एक नज़र उसे देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।

  • 6. " बेहद इश्क " - Chapter 6

    Words: 1100

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू ने फ़ोन पर बात की और फ़ोन रख दिया। वह कार के बोनट के पास खड़ी हो गई और इधर-उधर देखने लगी। वहाँ बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, "अपना आशियाना"।

    पीहू ने एक नज़र उसे देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    थोड़ी देर में किसी ने पंखुड़ी के कंधे पर हाथ रखा। पीहू मुस्कुराते हुए बोली, "वाणी और भाभी!"

    "तूने पहचान लिया ना?" वाणी ने कहा।

    "अरे पहचानेंगी क्यों नहीं?" वेदिका बोली।

    "और नहीं तो क्या? चलें अब।" पीहू ने कहा।

    "हाँ, चलो।" वेदिका और वाणी ने कहा। तीनों "अपना आशियाना" में चली गईं।

    तीनों ने वहाँ के स्टाफ़ से थोड़ी देर बात की और वहाँ रह रहे छोटे-छोटे बच्चों के साथ खेलने लगीं। पीहू बच्चों के साथ बहुत प्यार से खेल रही थी; उन सब के बीच बैठकर वह भी बच्चों जैसी हरकतें कर रही थी।

    थोड़ी देर वहाँ रहने के बाद तीनों वहाँ से निकल गईं और पैदल चलने लगीं। अचानक पीहू की नज़र रोड पर गई।

    पीहू ने अपना फ़ोन और पर्स वाणी को दिया और उस ओर भाग गई। अचानक सामने से तेज गति से आ रही कार को देखकर पीहू ने आँखें कसकर बंद कर लीं, वहीं वाणी और वेदिका दोनों चिल्ला पड़ीं।

    "पीहूऊऊऊ..." दोनों ने एक साथ आवाज़ दी और पीहू की ओर भागने लगीं।

    कार वाले ने भी अचानक ब्रेक लगा दिए, लेकिन पीहू को फिर भी हलका सा धक्का लगा जिससे वह दोनों हाथ जमीन पर टिका गई।

    कार वाला एक नज़र बाहर देखा और कार से बाहर आ गया। वाणी और वेदिका भी वहाँ आ गई थीं।

    "चाहत, तू ठीक है ना?" वाणी ने पूछा।

    "चाहत, नाइस नेम," कार वाला लड़का बोला।

    "पीहू, तुम ठीक हो ना?" वेदिका ने पूछा।

    पीहू सही से उठते हुए नीचे गर्दन करके बोली, "तुम ठीक हो ना?"

    कार वाला लड़का बोला, "मैं ठीक हूँ, मुझे क्या होगा? और वैसे भी, मैं आपकी तरह मरने को नहीं आता ऐसे बीच रोड पर।"

    पीहू ने अपने हाथ से कुत्ते को नीचे उतारते हुए कहा, "मैंने आपसे नहीं पूछा।" जैसे ही उसने उसे देखा, वह देखती रह गई।

    "तुम...!" पीहू ने कहा, "कल तो तुमने मुझे किसी ट्रक से बचाया था, और आज अपनी कार से उड़ाना चाहते हो? मतलब तुमने मुझे इसीलिए बचाया था? बताओ।"

    "शटअप!" रुद्र ने कहा, "मुझे तुम्हें बचाने और तुम्हें बचाने में दोनों का शौक नहीं है। सो अब आगे से देखकर चलना।"

    "पीहू, चल ना अब।" वेदिका ने कहा।

    "चाहत, तुझे चोट तो नहीं लगी ना?" वाणी ने पूछा।

    "नहीं, मैं ठीक हूँ, चलो।" पीहू ने कहा।

    इतना बोलते ही तीनों चलने को हुईं कि रुद्र ने पीहू का हाथ पकड़कर जोर से अपनी ओर खींच लिया। ऐसे अचानक खींचने से पीहू का एक हाथ रुद्र की कमर पर आ गया, जिससे उसने रुद्र की कमर को कसकर पकड़ लिया।

    "ये सब क्या है?" पीहू ने पूछा।

    "तुम बहुत बोलती हो, इतना मत बोला करो, सेहत के लिए अच्छा नहीं होता।" रुद्र ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और पीहू के हाथ पर बांध दिया। "घर जाकर दवाई लगा लेना।"

    पीहू ने अभी भी उसे कमर से पकड़ा हुआ था। रुद्र बोला, "मुझे ऐसे ही पकड़े रहने का विचार है या छोड़ोगी भी? वैसे मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।"

    वेदिका और वाणी दोनों अभी भी उन दोनों को देख रही थीं, जो एक-दूसरे के बेहद करीब थे।

    पीहू रुद्र से तुरंत दूर होकर वेदिका और वाणी का हाथ पकड़कर निकल गई। उसने वेदिका और वाणी का हाथ पकड़ा और अपनी कार के पास आ गई।

    "तू उसे जानती है, पीहू?!" वेदिका ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा।

    "कौन था वो लड़का? तुम दोनों एक-दूसरे को जानते हो? तुम दोनों एक-दूसरे से प्यार..." वाणी ने पूछा।

    "अरे क्या प्यार-व्यापार लगा रखा है! हाँ, मैं जानती हूँ उसे... पर नहीं भी जानती उसे!" पीहू बीच में ही बोली।

    "मतलब...?" दोनों ने एक साथ कहा।

    पीहू मुँह बनाकर वेदिका की ओर देखकर बोली, "जब कल हम आइसक्रीम खाने गए थे तो हमारा ध्यान रोड पर नहीं था, और सामने से आ रहे ट्रक से हमारा एक्सीडेंट हो जाता, लेकिन इन्होंने मुझे बचा लिया। इन्होंने मुझे पकड़कर अपनी ओर खींचा तो मैं सीधा इनके सीने..." अचानक ही पीहू बोलते हुए रुक गई।

    "फिर... फिर क्या हुआ, बता ना।" वाणी ने कहा।

    वेदिका उसे घूरने लगी।

    "फिर क्या? ये वहाँ से चला गया तो मैं भी चली गई।" पीहू ने कहा।

    "तो फिर अभी उसने ये क्यों बोला कि तुम कम बोलो? उसे कैसे पता कि तू ज़्यादा बोलती है?" वाणी कुछ सोचते हुए बोली।

    पीहू ने उसे अपनी कमर पर हाथ रखकर घूरते हुए कहा, "क्या मतलब तेरा?"

    "मेरा मतलब ये है कि उसे कैसे पता, जब तेरी उससे बात ही नहीं हुई तो?" वाणी ने कहा।

    "हाँ, वो जब मैं वहाँ से जा रही थी, तो ये फिर से मुझे दिखाई दिया; जो कार के पास खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था। तो मैंने जाकर उसके मुँह से सिगरेट निकालकर फेंक दी, और थोड़ी सी... बस थोड़ी सी सुना दी।" पीहू ने कहा।

    "तूने सुनाया और उसने सुन लिया? बड़ा अजीब नहीं है ये लड़का।" वेदिका ने कहा।

    "हम्मम..." वाणी ने कहा।

    "क्या सोच रही है इतना?" पीहू ने पूछा।

    "यही कि कहीं उस लड़के को तुझे प्यार तो नहीं हो गया?" वाणी ने कहा।

    अचानक सुनने से पीहू को जोर की खाँसी आने लगी। उसने एक नज़र वाणी और वेदिका को देखा और कहा, "अबे तू पागल है! ये क्या प्यार-प्यार की रामायण लगा रखी है? और अब चलो, मुझे इस रामायण से निकलकर महाभारत स्टार्ट नहीं करनी।"

    "और हाँ, फिर होगी कृष्णलीला... अरे नहीं-नहीं, पीहूलीला!" वाणी ने कहा।

    "पर पीहू, तुमने बताया नहीं ना कल के बारे में।" वेदिका ने कहा।

    "ऐसा कुछ हुआ नहीं तो मैंने बताना ज़रूरी नहीं समझा, और भाई का तो पता है ना।" पीहू ने कहा।

    "चल, अब शाम होने को आई है।" वेदिका ने कहा।

    वहीं कोई था जो इन सब पर नज़रें रखे हुए था। उसने अपना फ़ोन लिया और किसी को फ़ोन लगा दिया। दूसरी ओर से जैसे ही फ़ोन उठाया, उस लड़के ने किसी से थोड़ी देर बात की और वापस अपने फ़ोन को पॉकेट में रखकर वहीं खड़ा हो गया।

    "हम्मम, चलो।" पीहू ने कहा।

    वाणी ने पीहू के चोट को देखते हुए कहा, "पहले हम ना हॉस्पिटल चलेंगे।"

    पीहू ने वाणी की बात सुनते हुए अजीब से भाव चेहरे पर लाते हुए कहा, "क्यों?"

    वाणी ने पीहू को देखते हुए कहा, "और तुझे चोट लगी है ना।"

    क्रमशः

  • 7. " बेहद इश्क " - Chapter 7

    Words: 1036

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू ने कार की शीटबेल्ट बांधते हुए कहा, "इतनी सी चोट पर हॉस्पिटल? नहीं, मैं घर जाकर दवाई लगा लूँगी।"

    वेदिका ने कहा, "हाँ, घर चलके कर लेना।"

    पीहू ने कार स्टार्ट की और वहाँ से निकल गईं। उनकी कार के पीछे थोड़ी दूर तक एक कार और चल रही थी। पीहू ने एक नज़र आईने में से बाहर देखा और वापस कार चलाने लगी।

    वह कार थोड़ी ही देर में वहाँ से गायब हो गई।

    रुद्र अभी भी वहीं खड़ा था। उसका ध्यान अभी भी पीहू की चोट पर ही जा रहा था। उसका ध्यान तब टूटा जब उसका फ़ोन बजने लगा।

    उसने फ़ोन देखा तो शिवांश का था। उसने फ़ोन उठाया और कान के लगाकर कहा, "हम्मम, बोल।"

    शिवांश ने कहा, "तू कब तक आएगा? हमें ऑफ़िस जाना है। हमारी मीटिंग है ना। कहीं तू भूल तो नहीं गया ना?"

    रुद्र ने पूछा, "कुछ पता लगा उस खुराना के बारे में?"

    शिवांश ने जवाब दिया, "नहीं, अभी कोई पता नहीं लगा। यह बहुत शातिर है रुद्र!!"

    रुद्र ने कहा, "हम्मम, चल मैं आता हूँ थोड़ी देर में।"


    पीहू ने कार को पार्किंग में खड़ी की और तीनों एक साथ अंदर आ गए।

    तीनों बातें करते हुए अंदर आ ही रहे थे कि पीहू की नज़र सामने गई तो वह चौंक गई। उसकी नज़र सामने से हट ही नहीं रही थी। उसने एक नज़र सामने देखा और वाणी और वेदिका की ओर देखने लगी।

    वाणी और वेदिका ने सामने देखा तो एक पल को उन्हें भी अजीब लगा, लेकिन अगले ही पल दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गई। क्योंकि सामने सोफ़े पर साहिल बैठा हुआ था, उन्हें ही घूर रहा था, और कार्तिक सोफ़े के हाथे पर बैठा हुआ था, और एक साइड सोफ़े पर एक लड़का बैठा हुआ था।

    पीहू आगे आते हुए बोली, "भाई आप...?"

    साहिल ने पीहू का हाथ पकड़कर सोफ़े पर बिठाते हुए कहा, "हम्मम, यह सब क्या है पीहू?"

    पीहू सोफ़े पर बैठ गई। उसके एक साइड साहिल और दूसरी साइड कार्तिक, दोनों उसके दोनों हाथ पकड़कर बैठे हुए उसे देख रहे थे। और उसके सामने वेदिका, वाणी और वह लड़का खड़े हुए पीहू को देखकर हँस रहे थे।

    साहिल ने कहा, "तुम्हारा ध्यान कहाँ था? अगर कुछ हो जाता तो... ऐसे कार के सामने कौन आता है? अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो..." साहिल ने पीहू के हाथ को देखते हुए कहा।

    कार्तिक ने कहा, "तू पागल है पीहू! ध्यान कहाँ था? अगर ज़्यादा चोट लग जाती तो..."

    पीहू ने कहा, "अभी लगी तो नहीं ना ज़्यादा चोट।"

    साहिल ने पूछा, "यह रुमाल किसने लगाया है?"

    पीहू ने कहा, "जल्दी से... मेरा है।"

    कार्तिक ने रुमाल को देखकर कहा, "तू यह जर्सी रुमाल कब से रखने लगी?"

    पीहू ने कहा, "नहीं...वो...वो... जिसकी कार के सामने आई थी ना, उसने ही दिया था। उसी का है। मुझे दे दो, मैं वापस दे दूँगी।"


    साहिल पीहू के एक हाथ पर दवाई लगा रहा था, जिस पर रुद्र ने रुमाल बांधा था। और एक हाथ पर कार्तिक दवाई लगा रहा था, जिस पर थोड़ी ज़्यादा चोट आई थी। और दोनों पीहू को डाँट भी रहे थे। और पीहू बस दोनों को देखकर कभी मुँह बिगाड़ती तो कभी अपने सामने खड़े तीनों को देखती, जो उसे देखकर हँस रहे थे।


    पीहू सबसे ज़्यादा उस लड़के को घूर रही थी जो उनके साथ खड़ा हुआ था।

    पीहू ने कहा, "वेदू भाभी..."

    सब पीहू को देखने लगे तो पीहू ने कहा, "मुझे पानी पीना है।" सब वापस अपने अपने काम में लग गए। तो पीहू ने वेदिका को आँखों से इशारा किया (जैसे कह रही हो, भाई को यहाँ से लेकर जाओ)।

    वेदिका ने उसे पानी का ग्लास आगे करते हुए अपनी आँखों से उसे कुछ इशारा किया।

    पीहू ने कहा, "भाई मुझे पानी पीना है।"

    साहिल ने थोड़ी नाराज़गी से कहा, "हाँ, तो पी ले। मैंने कब मना किया?"

    पीहू ने कहा, "पर हाथ..."

    साहिल ने अपने दूसरे हाथ से वेदिका से ग्लास लिया और पीहू के होठों से लगा दिया। पीहू ने ध्यान से साहिल को देखा, जिसकी आँखों में हल्की नमी आ गई थी। उसने जल्दी से पानी पिया और साहिल के सीने से लग गई।

    पीहू ने कहा, "सॉरी भाई, आगे से ध्यान रखूँगी। पक्का।"

    साहिल ने उसे गले लगाते हुए कहा, "पता है मैं कितना डर गया था... अगर तुझे कुछ हो जाता तो..."

    पीहू ने कहा, "कुछ हुआ तो नहीं ना?"

    वेदिका ने कहा, "साहिल, मुझे तुमसे बात करनी थी।"

    साहिल ने कहा, "हम्मम, बोलो।"

    वेदिका ने कहा, "वो...वो...यहाँ नहीं।"

    वेदिका की बात पर सब धीरे से हँसने लगे। साहिल ने एक नज़र सबको देखा और पीहू के माथे पर हाथ फेरकर कहा, "मैं अभी आता हूँ।"

    इतना बोलकर साहिल ने वेदिका का हाथ पकड़ा और बाहर गार्डन में आ गए।


    पीहू ने एक नज़र अपना हाथ देखा और जल्दी से खड़ी होकर अपनी कमर पर हाथ रखकर कहा, "हाँ, तो देव भाई, यह सब आपने भाई को बताया ना?"

    देव ने कहा, "व्हाट? मैं क्यों बताऊँगा?"

    पीहू ने कहा, "मुझे अच्छे से पता है आप मेरे पीछे थे। आपकी ही कार थी मेरे पीछे। यह सब आपने किया है। आप क्यों मेरे पीछे करते हो? कहीं तो कभी तो मुझे अकेले जाने दिया करो।"

    देव ने पीहू को देखते हुए कहा, "कल गई थी ना अकेली? वो तो शुक्र है उस लड़के का जिसने तुझे बचा लिया। और बोलती है अकेली जाने दे..."

    पीहू ने कहा, "इसका मतलब कल भी थे आप मेरे पीछे? मैंने भाई को कितना बोला था, पर नहीं, उन्हें मेरी सुनी नहीं है ना। ठीक है तो..."

    कार्तिक ने कहा, "ऐसा नहीं है पीहू।"

    पीहू ने कहा, "कार्तिक भाई, देव भाई, दोनों सुन लो। भाई से बोल देना कल से मेरे पीछे किसी को ना लगाएँ। वरना मैं उनसे बात नहीं करूँगी।"

    इतना बोलकर पीहू अपने रूम की ओर चली गई।

    देव सोफ़े पर पसरते हुए बोला, "गई बला! मुझे लगा आज तो मैं गया। लेकिन बच गया मैं तो!"

    कार्तिक ने कहा, "तू पागल है देव! तुझे उसे नहीं बताना चाहिए था।"

    देव ने कहा, "उसे सब पता लग जाता है, और उसे वैसे भी झूठ पसंद नहीं है तो सच बोल दिया।"

    कार्तिक ने कहा, "हम्मम, वो तो है।"

    वाणी ने कार्तिक का हाथ पकड़कर कहा, "चलो ना हम बाहर चलते हैं। वो तो गई रूम में।"

    कार्तिक ने वाणी को आँखें दिखाते हुए कहा, "चुप बैठ जा और जाकर अपनी बहन को मना।"

  • 8. " बेहद इश्क " - Chapter 8

    Words: 1025

    Estimated Reading Time: 7 min

    कार्तिक ने कहा, "चुप बैठ जा और जाकर अपनी बहन को मना।"

    वाणी ने कहा, "ओह गॉड! उसका गुस्सा... या तो उसे गुस्सा आता ही नहीं है, और जब आता है, तो कोई टिक नहीं सकता उसके सामने।"

    वाणी ने कहा, "मैं साहिल भाई और वेदिका भाभी को बुलाकर लाती हूँ।"


    बाहर, गार्डन में, साहिल और वेदिका दोनों गार्डन में लगे झूले पर बैठे थे।

    साहिल ने कहा, "मैं कब से पूछ रहा हूँ, अब तो बता दो तुम्हें क्या बात करनी है।"

    वेदिका ने कहा, "क्या साहिल, हम थोड़ी देर टाइम भी स्पेंड नहीं कर सकते साथ में?"

    साहिल ने उसके हाथ की उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसाते हुए कहा, "कर सकते हैं।" इतना बोलकर साहिल ने उसे अपने और खींच लिया।

    दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब थे। साहिल वेदिका की ओर झुक रहा था और वेदिका के दिल की धड़कनें बढ़ती ही जा रही थीं, कि अचानक इन धड़कनों पर किसी ने ब्रेक लगा दिया। और वह थी ऊपर बालकनी में खड़ी पीहू।

    "अरे, बस करो! गार्डन है ये, रूम नहीं!" पीहू ने रेलिंग पर हाथ रखकर नीचे झुकते हुए कहा।


    साहिल और वेदिका ने जैसे ही यह सुना, दोनों झट से अलग हो गए और ऊपर पीहू की ओर देखने लगे।

    पीहू वहाँ से मुस्कुराते हुए अपने कमरे में आ गई और बेड पर लेटकर अपनी आँखें बंद कर ली। लेकिन उसे अभी भी वही सब याद आ रहा था जो रुद्र ने कल किया था।


    वेदिका ने कहा, "चलो अब अंदर।"

    साहिल ने कहा, "वो रूम में गई।" इतना बोलकर साहिल वापस वेदिका की ओर झुकने लगा कि तभी फिर से उसके कानों में आवाज़ आई।

    वाणी ने गार्डन में आते हुए कहा, "भाई, भाभी, अंदर चलिए ना।"


    उस आवाज़ को सुनकर दोनों फिर से अलग हो गए।

    वेदिका ने कहा, "अब दूर ही रहो।"

    साहिल ने कहा, "अबे, कोई अपनी ही वाइफ़ के पास नहीं जाने देता? पहले पीहू और अब वाणी मेरे रोमांस की बैंड-बाजा बजाती हैं।"

    वेदिका मुस्कुराते हुए अंदर चली गई।


    थोड़ी देर में सबने खाना खाया। पीहू किसी से बात नहीं कर रही थी, खासकर साहिल और देव से। थोड़ी देर में पीहू वापस अपने कमरे में आ गई और सो गई।

    साहिल ने कहा, "ये पीहू को अचानक क्या हुआ?"

    कार्तिक ने कहा, "अचानक नहीं हुआ। उसे पता लग गया कि तूने देव को उसके पीछे लगाया था। लेकिन आज वाला नहीं, कल भी लगाया था।"

    साहिल ने कहा, "उफ़्फ़! बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।"


    थोड़ी देर में सब अपने-अपने कमरों में जाकर सो गए थे।


    उधर, रुद्र भी ऑफिस का काम करके घर आ गया था। दोनों ने डिनर बाहर ही किया था और वह बहुत थकान की वजह से बिना कपड़े बदलें बेड पर पेट के बल उल्टा सो गया था।

    शिवांश ने कपड़े बदले और किसी से फ़ोन पर बात करने लगा। थोड़ी देर बात करने के बाद उसने फ़ोन को बेड पर रखा और बाहर बालकनी में आ गया और वहीं चेयर पर बैठ गया। थोड़ी देर बैठने के बाद जब उसे नींद आई तो वह अपने कमरे में आया और सो गया।


    अगली सुबह...


    सब उठ चुके थे और पीहू अपने बेड पर आराम से सो रही थी। उसने व्हाइट कलर का ब्लैंकेट अपने मुँह पर डाला हुआ था और कान पर तकिया लगाकर सो गई थी क्योंकि उसके पास टेबल पर रखी क्लॉक बार-बार बज रही थी।

    पीहू ने अपना मुँह बिगाड़ा और अपने हाथ को ब्लैंकेट से निकालकर घड़ी को हाथ से उठाकर बंद किया और उसे दूसरे तकिए के नीचे रखकर वापस सो गई।


    साहिल रोज़ से भी जल्दी उठ गया था और जॉगिंग करके अपने रूम में आया और रेडी होकर नीचे आ गया जहाँ देव, कार्तिक, वाणी और वेदिका एक साथ बैठे बातें कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे।

    साहिल ने कहा, "गुड मॉर्निंग एवरीवन।"

    सब ने एक साथ कहा, "गुड मॉर्निंग।"

    साहिल ने पूछा, "पीहू कहाँ है?"

    कार्तिक ने कहा, "अभी उठी नहीं है, तो रूम में होगी।"

    साहिल ने कहा, "लगता है सारा गुस्सा आज ही निकालना होगा उससे।"

    देव ने कहा, "बहन भी तो तेरी ही है।"

    साहिल ने कहा, "शटअप!" इतना बोलकर साहिल वापस ऊपर पीहू के रूम की ओर चला गया। उसने दरवाज़ा खोलकर देखा तो वह शॉक हो गया। पीहू रेडी होकर अपने बाल सही कर रही थी। यह पहली बार था जब पीहू बिना उठाए खुद से उठी थी।

    साहिल ने अंदर आते हुए कहा, "क्या बात है बच्चा? आज आप खुद ही उठ गईं?"

    पीहू ने कहा, "उठना तो था ही।" इतना बोलकर पीहू ने अपने बालों को जूड़े में सँभाला और बिना साहिल की ओर देखे रूम से निकल गई।

    साहिल ने कहा, "उफ़्फ़! बहुत मेहनत लगेगी साहिल बेटा। चल, अब शुरू हो जा।" इतना बोलकर साहिल भी नीचे आ गया।


    नीचे पीहू आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गई, लेकिन उसने केवल पानी पिया और उठ गई।

    पीहू ने वाणी से कहा, "तुझे कॉलेज जाना था ना?"

    वाणी ने कहा, "हाँ यार, चल ना, लेट हो जाएँगे।" (सोरी, बताना भूल गए, वाणी पीहू की फ़्रेंड है। ये दोनों कॉलेज एक साथ जाती हैं, लेकिन अलग-अलग पढ़ाई करने की वजह से पीहू जल्दी पढ़ाई कंप्लीट कर चुकी थी इस बार और वाणी कॉलेज में है लास्ट ईयर में।)

    पीहू ने कहा, "चल नाश्ता कर ले।"

    वाणी ने कहा, "हाँ, आ जाओ। सब भाई, आप भी आ जाइए और भाभी आप भी।"

    वाणी के साथ कार्तिक, देव और वेदिका तीनों डाइनिंग टेबल के पास आ गए।

    पीहू बिना किसी की ओर देखे सोफ़े पर बैठ गई।

    साहिल भी आ गया था। उसने पीहू को सोफ़े पर बैठा देखा तो कहा, "पीहू, आजा नाश्ता कर ले।"

    पीहू ने कहा, "मुझे भूख नहीं है।"

    साहिल ने कहा, "थोड़ा सा कर ले।"

    पीहू ने कहा, "मैंने मना किया ना।"

    कार्तिक ने कहा, "तू आजा साहिल।" सब एक साथ बैठकर नाश्ता करने लगे, लेकिन साहिल ने नाश्ता नहीं किया, बल्कि सबके साथ बैठा हुआ था।

    किसी ने भी पीहू से खाने को जबरदस्ती नहीं की क्योंकि सब जानते थे उसके गुस्से को।


    थोड़ी ही देर में कार्तिक और साहिल दोनों ऑफिस के लिए निकल गए थे।

    वेदिका को देव उसके घर छोड़ने गया था। वाणी और पीहू दोनों कार से कॉलेज की ओर चली गईं।


    थोड़ी ही देर में दोनों कॉलेज आ गईं। वाणी ने पीहू का हाथ पकड़ा और अंदर ले आई।

    पीहू ने कहा, "एक साइड खड़ी होकर तू जा, मैं यहाँ सही हूँ।"

    वाणी ने कहा, "ठीक है, मैं अभी आती हूँ, यहीं मिलना।"


    क्रमशः...

  • 9. " बेहद इश्क " - Chapter 9

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू एक तरफ़ खड़ी होकर बोली, "तू जा, मैं यहाँ सही हूँ।"

    वाणी ने उत्तर दिया, "ठीक है, मैं अभी आती हूँ। यहीं मिलना।"

    पीहू ने कहा, "ठीक है।"

    वाणी वहाँ से प्रिंसिपल के केबिन में चली गई। जैसे ही वह केबिन में पहुँची, वहाँ एक लड़का बैठा हुआ था। वाणी ने उसे देखा और कुछ सोचकर प्रिंसिपल से बात करने लगी।

    पीहू वहाँ एक तरफ़ खड़ी होकर अपना फ़ोन देख रही थी, कि तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा। उसने पीछे देखा; उसके पीछे एक लड़की खड़ी थी जिसने ब्लैक जींस, टॉप पहना हुआ था और बालों का पोनी बनाया हुआ था।

    पीहू ने उसे देखकर कहा, "शीतल, तुम?"

    शीतल ने पूछा, "कैसी है? और तू आज यहाँ क्या कर रही है?"

    पीहू ने बताया, "अरे, मैं ना वाणी के साथ आई थी।"

    शीतल ने कहा, "अच्छा,"

    तभी दोनों के कानों में किसी की आवाज़ आई। दोनों ने अपने कदम उस ओर बढ़ा दिए।

    दोनों ने उस ओर आकर देखा तो एक लड़का एक लड़की को जबरदस्ती किस करने की कोशिश कर रहा था। पास में खड़े लोग सब देख रहे थे और कुछ वीडियो बना रहे थे।

    पीहू ने एक नज़र उसे देखा तो उसका पूरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने एक कदम आगे बढ़ाया ही था कि...

    शीतल ने कहा, "नहीं चाहत, प्लीज़ नहीं!"

    पीहू ने कहा, "रुक, तू।"

    पीहू उस लड़के के पीछे आई और उसके कंधे पर हाथ रखा। वह लड़का पीहू का हाथ हटा दिया और उस लड़की को वापस किस करने लगा।

    पीहू ने उस लड़के का कंधा पकड़कर जोर से घुमाया, खींचा और एक थप्पड़ मारा।

    वह लड़का पीहू को घूर रहा था, हैरान था; सिर्फ़ कुछ लोगों को छोड़कर।

    शीतल ने कहा, "गया बेचारा!"

    पीहू ने उस लड़के को पकड़ा और उसके पेट पर मुक्के मारने लगी।

    वह लड़का पीहू का हाथ पकड़कर मोड़ देता है, लेकिन अगले ही पल पीहू ने अपने पैर से उसके पेट पर जोर से लात मारी।

    सब अभी भी उन दोनों को देख रहे थे।

    पीहू ने उस लड़के को मारते हुए कहा, "मरते हुए शोक है ना लड़कियों को किस करने का? मैं करवाती हूँ तुझे किस।"

    शीतल ने एक लड़के को कुछ इशारा किया तो वह लड़का वहाँ से चला गया।

    वह लड़की अभी भी वहीं खड़ी यह सब देख रही थी।

    लड़का बोला, "अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए... बर्बाद कर दूँगा मैं तुम्हें।" इतना बोलकर उस लड़के ने एक हाथ पीहू का पकड़ा और उसके गाल पर थप्पड़ मारा।

    पीहू के गोरे गाल एकदम लाल हो गए, फिर भी पीहू पर कोई असर नहीं हुआ। उसने पूरे गुस्से में कहा, "देखा जाएगा, पहले तुम यहाँ से बचकर निकल लो, वही काफी है।" इतना बोलकर पीहू ने उसे जमीन पर धक्का दिया और लात मारने लगी।

    कोई था जो यह सब देख रहा था; उसकी आँखों में गुस्सा और मुस्कान दोनों थे। उसने गुस्से में अपने हाथों की मुट्ठी कस ली।


    प्रिंसिपल वाणी से कुछ बात कर रहे थे कि किसी ने आकर कहा,

    लड़का: "सर, सर! बाहर चाहत एक लड़के को पीट रही है!"

    केबिन में बैठे तीनों लोगों के चेहरे के भाव बदल गए।

    वाणी ने कहा, "लग गई लंका, गया बेचारा।"

    शिवांश वाणी के थोड़ा करीब आकर बोला, "कौन लड़का...?"

    वाणी ने उत्तर दिया, "वही जो चाहत से पिट रहा है...!!"

    प्रिंसिपल वहाँ से तुरंत गार्डन कैंपस में आ गए। शिवांश और वाणी भी वहाँ से कैंपस में आ गए।

    चाहत उसे अभी भी पैरों से मार रही थी। शीतल और एक लड़का उसे वहाँ से हटा रहे थे, लेकिन चाहत इस तरह उस लड़के को मार रही थी कि उसके होठों से खून निकलने लगा।

    तभी एक रौबदार आवाज़ सबके कानों में पड़ी।

    प्रिंसिपल: "यह सब क्या हो रहा है...?"

    सब ने उस ओर देखा तो प्रिंसिपल थे। चाहत ने भी मारना बंद कर दिया और उस ओर देखा।

    प्रिंसिपल: "मिस चाहत..."

    जैसे ही चाहत ने अपना नाम सुना, वह तुरंत पलटकर खड़ी हो गई।

    प्रिंसिपल: "यह सब क्या हो रहा है? यह क्या मारपीट लगा रखी है?"

    चाहत गुस्से में उस लड़के को घूरते हुए बोली, "मैंने कुछ नहीं किया। इसने ही पीटने का काम किया है। यह लड़का आपकी कॉलेज में खड़ा इस लड़की को जबरदस्ती किस करने की कोशिश कर रहा था। सब ने देखा था।"

    प्रिंसिपल ने उस लड़की को देखा और कहा, "क्या चाहत सच बोल रही है?"

    वह लड़की बोली, "नहीं सर, चाहत झूठ बोल रही है। यह मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर रहा था।"

    वहाँ जितने भी लोग थे, सबको सुनकर शॉक लगा, लेकिन किसी ने कुछ नहीं कहा।

    प्रिंसिपल ने कहा, "तो आपने फिर इसे क्यों मारा? देखिए, मेरे कॉलेज की आप अब स्टूडेंट नहीं हैं। अगर होतीं, तो मैं आपको कॉलेज से निकाल देता, लेकिन सिर्फ़ वार्निंग दे रहा हूँ।" इतना बोलकर प्रिंसिपल वहाँ से चले गए।

    चाहत ने एक नज़र सबको देखा और जमीन पर पड़े उस लड़के को जोर से एक लात मारकर साँस ली और उस लड़की के पास आ गई।

    वह लड़की अभी भी चाहत को देख रही थी। चाहत ने एक नज़र उसे देखा और उसके गाल पर थप्पड़ मारा।

    चाहत बोली, "भाड़ में जाओ तुम और तुम्हारी जैसी लड़कियाँ, जो सिर्फ़ डरना जानती हैं। सबके सामने झूठ बोल दिया।" इतना बोलकर पीहू वहाँ से एक तरफ़ आ गई और तेज़-तेज़ साँस लेने लगी। अब चाहत को साँस लेने में प्रॉब्लम हो रही थी।

    वाणी बोली, "बज गई बैंड।"

    शिवांश ने पूछा, "क्यों? वह अब आपको पीटेगी क्या?"

    वाणी ने कहा, "नहीं... आपको ज़रूर पीटेगी...!!"

    इतना बोलकर वाणी उसके पास आ गई और अपने बैग से पानी की बोतल निकालकर चाहत के होठों से लगा दिया।

    चाहत ने एक ही साँस में सारी बोतल खत्म कर दी। वाणी ने उसका हाथ पकड़ा और कैंटीन की ओर जाने को हुई कि वह लड़का उसके सामने आ गया।

    लड़का बोला, "तूने मुझे मारा है ना... तुझे मैं बाद में देख लूँगा।"

    क्रमशः

  • 10. " बेहद इश्क " - Chapter 10

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    लड़का— "तूने मुझे मारा है ना? तुझे मैं बाद में देख लूँगा।"

    चाहत— "ओह भाई, बाद में क्यों? अभी देख ले, यहीं खड़ी हूँ। और जब देख ले ना, तो फिर से पीटने को रेडी हो जाना।"

    लड़का— "बर्बाद कर दूँगा तुम्हारी ज़िन्दगी।"

    रुद्र, जो कब से यह सब सुन रहा था, उसकी गुस्से में मुट्ठी भींच गई।

    चाहत— "If you are, do that too."

    वाणी— "चल चाहत, कैंटीन चलते हैं।"

    शीतल और वाणी दोनों चाहत को कैंटीन की ओर ले आईं। शीतल और वाणी दोनों उसके पास बैठे हुए थे, और एक लड़का, जो चाहत के लिए कैंटीन से आइस क्यूब लेकर आया था।

    वह चाहत के पास आकर बैठ गया और उसके आगे आइस क्यूब रखकर कहा, "अपने फेस पर लगा लो।"

    चाहत ने एक नज़र उस लड़के को देखा और आइस क्यूब लेते ही जैसे ही अपने गाल पर लगाने लगी, उसकी आह निकल गई। उसके गाल एकदम लाल हो गए थे।

    वाणी— "क्या ज़रूरत थी यह सब करने की?"

    चाहत— "देख लेती हूँ सब।"

    वह लड़का— "क्या मिला? उस लड़की ने सबके सामने तुझे झूठा कर दिया।"

    शीतल— "इसका गाल देख समर।"

    चाहत— "अच्छा, तुम सब बात करो, मैं घर जा रही हूँ।"

    समर— "अच्छा सुन, कल मेरा बर्थडे है तो तुम सब आ रहे हो? पार्टी है पब में।"

    चाहत— "ओके, फिर कल मिलते हैं।"

    कोई पास में बैठा यह सब सुन रहा था।

    शिवांश— "क्या रुद्र, तुम इस लड़की पर नज़रें गड़ाए क्यों बैठे हो? कितनी खतरनाक लड़की है।"

    रुद्र— "हम्म, चल, वो दोनों भी वहाँ से चले गए।"

    थोड़ी देर में वाणी और पीहू दोनों घर के लिए निकल गईं।

    साहिल और कार्तिक को आज पूरा दिन ऑफिस में हो गया था। आज कुछ मीटिंग थीं, जिस वजह से वे दोनों आज थोड़ा लेट घर गए थे।

    वाणी पीहू के कमरे में थी और पीहू सो रही थी।

    वाणी— "तू खाना खा ले पीहू।"

    पीहू— "मेरा मन नहीं है।"

    वाणी— "तुझे पता है ना साहिल भाई भी नहीं खाएँगे।"

    पीहू— "जानती हूँ, लेकिन तू खाना ऊपर लेकर आएगी। मैं भाई के सामने ऐसे नहीं जाने वाली।"

    वाणी— "मैं खाना ले आती हूँ।"

    थोड़ी देर में वाणी खाना ले आई। पीहू ने खाना टेबल पर रखा और सो गई।

    साहिल और कार्तिक लेट घर आए थे।

    साहिल— "वाणी, पीहू कहाँ है?"

    वाणी— "भाई, वो तो सो गई आज।"

    साहिल— "पर डिनर नहीं किया?"

    वाणी— "उसने डिनर कर लिया। अब आप दोनों भी कर लीजिए।"

    साहिल और कार्तिक दोनों चेंज करके वापस नीचे आए और खाना खाकर अपने-अपने कमरे में चले गए।

    साहिल ने अपने फ़ोन से वेदिका को कॉल किया और थोड़ी देर बात करने के बाद फ़ोन रखकर सो गया।

    अगली सुबह, पीहू अभी भी कमरे में सो रही थी। कल की बात साहिल को किसी ने नहीं बताई थी। पीहू के बाल माथे पर बिखरे हुए थे, उसके गाल पर उंगलियों के निशान थे, उसके चेहरे पर सूजन आ रही थी। और इतना सब हाथ-पैर चलाने की वजह से उसे नींद भी गहरी आ रही थी।

    साहिल अपने कमरे में जॉगिंग से आकर रेडी हो रहा था। उसने आज बिज़नेस सूट पहना रखा था। आज उसकी कोई मीटिंग थी। उसने आईने के सामने देखा और बालों में हाथ फिराया और मुस्कुराने लगा। उसने एक बार खुद को देखा और बेड पर से अपना फ़ोन लेकर वेदिका को कॉल कर दिया।

    साहिल— "गुड मॉर्निंग मिसेज़ साहिल मेहरा।"

    वेदिका— "गुड मॉर्निंग।"

    साहिल— (मुँह बनाते हुए) "सिर्फ़ गुड मॉर्निंग? और कुछ नहीं?"

    वेदिका— (जो अपने आईने के सामने खड़ी रेडी हो रही थी, उसने फ़ोन को अपने कान और कंधे के बीच लगाया हुआ था) "जी, और कुछ नहीं।"

    साहिल— "सही है, यह अच्छा है तुम लड़कियों का।"

    वेदिका— "क्या अच्छा है हम लड़कियों का?"

    साहिल— "बहाने बनाना।"

    वेदिका— "अच्छा जी। अच्छा बताओ, पीहू कैसी है? उसका गुस्सा कम हुआ कि नहीं?"

    साहिल— (थोड़ा सीरियस होकर) "यार, मेरी कल मॉर्निंग के बाद उससे बात ही नहीं हुई। मैं ऑफ़िस से आया तब तक वो डिनर करके सो गई थी।"

    वेदिका— "पीहू ने तुम्हारे बिना डिनर कर लिया? और इतना जल्दी सो भी गई? कोई ठीक तो है ना? तुम्हें अजीब नहीं लगा?"

    साहिल— "लगा बहुत, लेकिन मुझे लगा वो गुस्से में है बस इसलिए। मैं अभी उसे उठाने ही जा रहा हूँ।"

    वेदिका— "हम्म। देखो उसे।"

    साहिल— "हम्म। बाय। अच्छा, तुम्हारे ऑफ़िस का क्या हुआ?"

    वेदिका— "कुछ नहीं, बस वही। आज एक बार और इंटरव्यू के लिए जा रही हूँ।"

    साहिल— "मेरा ऑफ़र एक्सेप्ट कर लीजिए मिस।"

    वेदिका— "रहने दो। और जाकर पीहू को देखो। बाय।"

    साहिल— (मुस्कुराते हुए) "बाय।"

    साहिल ने फ़ोन रखा और मुस्कुराते हुए पीहू के कमरे की ओर आ गया। साहिल ने देखा कमरे का दरवाज़ा खुला हुआ था। उसने एक नज़र कमरे को देखा और पीहू के पास आ गया जो अभी भी सो रही थी। साहिल उसके पास बेड पर बैठ गया और उसके माथे पर हाथ फिराने लगा, लेकिन अचानक ही उसकी नज़र जब पीहू के चेहरे पर गई तो उसकी आँखों में बेहद गुस्सा था, क्योंकि पीहू के चेहरे पर हल्की सूजन और उंगलियों के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे।

    साहिल ने जैसे ही अपने हाथ से पीहू के गाल पर लगाया, पीहू को दर्द की वजह से आँखें खुल गईं। उसने जैसे ही आँखें खोलकर देखा तो साहिल को देख वो जल्दी से बैठ गई।

    पीहू— "हा भाई आप..." (पीहू साहिल की आँखों में गुस्सा साफ़ देख सकती थी।)

    साहिल— "यह सब कैसे हुआ?"

    पीहू— "क्या हुआ? कुछ नहीं।"

    साहिल— "सच बोलो बच्चा, यह सब कैसे हुआ? किसने किया?"

    पीहू— "किसी ने नहीं।" इतना बोल पीहू बेड से उठकर अपने कपड़े लेकर जल्दी से वाशरूम में चली गई।

    क्रमशः

  • 11. " बेहद इश्क " - Chapter 11

    Words: 1011

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू को दर्द के कारण आँखें खुल गईं। आँखें खोलते ही उसने साहिल को देखा और झट से बैठ गई।

    पीहू: "हा भाई आप..." पीहू साहिल की आँखों में गुस्सा साफ देख सकती थी।

    साहिल: "ये सब कैसे हुआ?"

    पीहू: "क्या हुआ? कुछ नहीं!!"

    साहिल: "सच बोलो बच्चा, ये सब कैसे हुआ? किसने किया?"

    पीहू: "किसी ने नहीं..." इतना बोलकर पीहू बेड से उठी, अपने कपड़े लेकर जल्दी से वाशरूम में चली गई।

    साहिल ने गुस्से से पीहू को एक नज़र देखा और अपना फ़ोन निकालकर देव को कॉल किया। देव ने तुरंत फ़ोन उठा लिया।

    साहिल: "पता करो कल पीहू कहाँ गई थी और क्या-क्या हुआ था। और तुम कल पीहू के साथ क्यों नहीं थे?"

    देव: "मैं कल भाभी को छोड़ने उनके घर गया था। और मैं पता करता हूँ।"

    साहिल: "हम्म..." इतना बोलते ही पीछे मुड़कर देखा तो पीहू हाथ बाँधे खड़ी साहिल को देख रही थी।

    साहिल: "अब बता भी दे, ये सब कैसे हुआ है?"

    पीहू: "कुछ नहीं हुआ। क्या भाई आप भी इतनी सी बात को लेकर बैठ गए?"

    दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले ही वाणी हाथों में कॉफ़ी की ट्रे लिए कमरे में आती हुई बोली, "चाहत, तेरी कॉफ़ी..."

    वाणी की नज़र जैसे ही साहिल पर पड़ी, उसके मुँह से धीरे से निकला, "मर गई बेटा!!"

    साहिल: वाणी को देखते हुए, "इधर आओ वाणी..."

    वाणी: "जी... जी... साहिल भाई... कॉफ़ी लेनी थी आपकी, ये रही..." वाणी साहिल को बोलने का मौका ही नहीं दे रही थी।

    साहिल: "वाणी..." थोड़ा लंबा खींचकर बोलते हुए...

    वाणी: "हाँ भाई..."

    चाहत: "अरे आप उसे क्यों ऐसे डरा रहे हो?"

    साहिल: "तू नहीं बोलेगी पीहू बीच में, मैं वाणी से बात कर रहा हूँ। बताओ वाणी, पीहू को ये चोट कैसे आई?"

    वाणी: "वो... वो भाई, कल कॉलेज में पीहू की किसी से लड़ाई हो गई थी..." वाणी ने कल कॉलेज की सारी बात साहिल को बता दी।

    साहिल: "क्या ज़रूरत थी पीहू ऐसे मारपीट करने की? तुम प्रिंसिपल से बोल देतीं..."

    चाहत: "मुझे गुस्सा आ गया था..."

    साहिल: "अभी दवाई लगा ले, दर्द हो रहा होगा ना? और हाँ, आज के बाद तू कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं करेगी, किसी भी मामले में नहीं उलझेगी, समझी? चाहे कुछ भी हो जाए..."

    चाहत: "पर भाई..."

    साहिल: "पर...वर...कुछ नहीं (उसका हाथ अपने माथे पर रखकर) तुझे मेरी कसम, तू मुझे अपना भाई मानती है ना? प्लीज़ पीहू..."

    चाहत: "ओके, फ़ाइन, नहीं करूँगी कुछ भी, चाहे कोई भी प्रॉब्लम क्यों ना हो, मैं मारपीट, लड़ाई-झगड़ा नहीं करूँगी..." बस अब ठीक है ना?"

    साहिल: "हाँ, बिल्कुल ठीक है..." इतना बोलकर उसने पीहू को गले लगा लिया।

    वाणी उन दोनों को बड़े गौर से देख रही थी। साहिल ने उसे भी गले लगा लिया।

    साहिल: "मेरी दोनों प्यारी बहनें, अब जाओ, तुम्हारे चक्कर में मेरी कॉफ़ी ठंडी हो गई..."

    वाणी: "हमारी वजह से क्यों?"

    चाहत: "अच्छा भाई सुनिए, आज मेरे फ़्रेंड का बर्थडे है, तो मैं उसकी पार्टी में जा सकती हूँ? प्लीज़... प्लीज़ ना भाई..."

    साहिल: "ओके, चली जाना लेकिन..."

    चाहत: "नो, कोई बॉडीगार्ड्स नहीं भाई..."

    साहिल: "हम्म..." इतना बोलकर साहिल ने एक नज़र पीहू को देखा और वापस कहा, "कहाँ जाएगी?"

    चाहत: "अभी बताया नहीं, शाम को बता देंगे। वैसे भी सब कॉलेज फ़्रेंड हैं..."

    साहिल: "वाणी, तुम नहीं जा रही..."

    वाणी: "नहीं, मुझे घर जाना है..."

    साहिल: "हम्म, ठीक है। चलो अब ब्रेकफ़ास्ट कर लेते हैं..."

    तीनों साथ में नीचे आ गए।

    चाहत: चेयर खींचकर उस पर बैठते हुए, "मीरा काकी... मीरा काकी... आपने क्या बनाया है?"

    मीरा काकी: "तुम्हारे पसंदीदा... पराठे..."

    चाहत: "सच्ची? फिर तो मैं दो... नहीं नहीं तीन... नहीं तीन नहीं चार खाऊँगी..."

    सब पीहू को ऐसे देखकर बहुत खुश थे, ख़ासकर साहिल। वह काफ़ी दिनों बाद पीहू को इतना खुश देख रहा था।

    थोड़ी देर में सब ने एक साथ नाश्ता किया और अपने-अपने कामों में लग गए।

    साहिल ऑफिस के लिए निकल गया था और वाणी अपने घर चली गई थी। पीहू सोफ़े पर बैठी कोई मीटिंग की फ़ाइल देख रही थी।

    वेदिका घर पर से इंटरव्यू के लिए चली गई थी, लेकिन उसके आज के इंटरव्यू में भी उसे कोई जॉब नहीं मिली।

    रुद्र सोफ़े पर बैठे अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था कि तभी उसका फ़ोन बजा।

    रुद्र ने फ़ोन कान के लगाया और सिर्फ़ "हम्म..." कहा। उस ओर से कुछ कहा गया, जिसे सुनकर रुद्र ने सिर्फ़ हाँ कहा और फ़ोन काट दिया।

    सब अपने-अपने कामों में मशगूल थे। सुबह से शाम हो गई थी।

    पीहू ने एक बार टाइम देखा और वापस लैपटॉप को देखा कि उसके फ़ोन पर किसी नोटिफ़िकेशन की आवाज़ आई। पीहू ने झट से फ़ोन देखा जिसमें शीतल का मैसेज था, जिस पर पब का नाम था।

    पीहू ने उसे देखा और लैपटॉप बंद करके रखा और अपने रूम में चली गई। उसने रूम में आकर अपने लिए कपड़े निकालने लगी।

    काफ़ी टाइम बाद पीहू ने एक ड्रेस निकाली और वाशरूम में चली गई।

    थोड़ी देर में चाहत रेडी होने लगी। उसने हल्का सा मेकअप किया और रेडी होकर नीचे आ गई।

    चाहत: "मीरा काकी... मैं जा रही हूँ... भाई आए तो बोल देना, मैं जल्दी आ जाऊँगी..."

    मीरा काकी: अंदर से आते हुए, "हाँ, बोल देंगे बिटिया... पर पहले काला टीका लगवा ले..." इतना बोलकर उन्होंने आँखों के कोरे से थोड़ा सा काजल पीहू के कान के पीछे लगा दिया।

    चाहत: "ओफ्फ़ो काकी, मुझे नहीं लगती नज़र..."

    मीरा काकी: "लग जाएगी बिटिया... खुद को देखा है आज आपने? आज तो आपको इस काले टीके की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है..."

    चाहत: "ओफ्फ़ो, आपसे बात करने के चक्कर में मैं लेट हो जाऊँगी। बाय!"

    चाहत घर से बाहर आई और कार लेकर चली गई।

    क्रमशः

  • 12. " बेहद इश्क " - Chapter 12

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    पीहू कार से घर से निकल पब के लिए गई थी।


    चाहत ने अपना फ़ोन चलाया और शीतल के बताए पते पर पहुँचकर कार रोक दी। उसने कार पार्क की और बाहर आ गई। उसकी नज़र सामने लगे बाजार बोर्ड पर पड़ी, जिस पर लिखा था-


    "ब्लू नाईट पब" (काल्पनिक नाम)


    चाहत ने गहरी साँस ली और अंदर गई। उसने कुछ कदम ही बढ़ाए थे कि किसी ने उसे गले लगा लिया।


    चाहत ने देखा तो उसके कॉलेज का ग्रुप था, लेकिन उनके साथ दूसरा ग्रुप भी था। और जिसने चाहत को गले लगाया था, वह शीतल थी।


    "तू आ गई!!" शीतल बोली।


    "आगे बढ़ते हुए नहीं, मेरा भूत है।" चाहत ने कहा।


    "वैसे तू कमाल लग रही है। पक्का आज कोई तुझ पर मरने वाला है।" शीतल ने कहा।


    "क्यूँ? जीने की कमी हो रही है क्या?" चाहत ने पूछा।


    इतना बोलकर चाहत एक सोफ़े पर बैठ गई और अपने सभी दोस्तों से, साथ ही दूसरे ग्रुप के लोगों से भी मिलने लगी।


    एक और व्यक्ति था जो एक तरफ़ चेयर पर बैठा, पेग लगाए, बस पीहू को देख रहा था। वह उसकी सुंदरता पर फ़िदा हो गया था।


    (चाहत ने काले रंग की स्लीवलेस ड्रेस पहनी थी, जो घुटनों तक थी। हाथ में एक घड़ी और एक ब्रेसलेट था। बाल खुले छोड़े हुए थे, जो उसकी कमर से नीचे तक आ रहे थे। उसकी आँखें गोल और मोती जैसी थीं, जिन पर लाइनर लगा हुआ था। होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक और कानों में इयररिंग थे। कुल मिलाकर चाहत एक मासूम गुड़िया सी लग रही थी।)


    वह लड़का बस चाहत को घूर रहा था और इन सब से बेख़बर चाहत सब से हँस-बोल रही थी।


    और एक और व्यक्ति था जो साइड में लगी टेबल पर बैठा चाहत को घूर रहा था। उसकी सुंदरता ने उस इंसान को भी एक पल के लिए दीवाना बना दिया था।


    चाहत ने समर को बर्थडे विश किया और एक छोटा सा गिफ़्ट देकर उसके गले लग गई।


    टेबल के पास बैठे लड़के की मुट्ठी बँध गई। उसने अपनी लाल आँखों से चाहत को देखा और कोल्ड्रिंक पीने लगा।


    "चाहत, तू बहुत अच्छी लग रही है।" समर बोला।


    "थैंक यू। चल जा अब।" चाहत ने कहा।


    "कोल्ड्रिंक ले ले।" समर ने कहा।


    "हाँ, मैं लेती हूँ।" चाहत ने कहा।


    "रुक, मैं बोलता हूँ। वेटर (वेटर की ओर इशारा करके) एक ऑरेंज कोल्ड्रिंक।" समर ने वेटर से कहा।


    वेटर ने समर के शब्द सुने और ऑरेंज कोल्ड्रिंक बनाने लगा।


    वह लड़का, जो पेग लगा रहा था, उसने वेटर को कुछ पैसे दिए और कुछ कहा, फिर वापस ड्रिंक करने लगा।


    वेटर ने चाहत को कोल्ड्रिंक दी। चाहत ने उसे लिया और पीने लगी। सब पार्टी एन्जॉय कर रहे थे। चाहत कोल्ड्रिंक पी ही रही थी कि किसी ने गलती से उस पर ड्रिंक गिरा दी।


    "सॉरी। आई एम सॉरी। मेरा ध्यान नहीं रहा।" वह लड़की बोली।


    "इट्स ओके। मैं साफ़ कर लूँगी।" चाहत ने कहा।


    "सॉरी।" लड़की ने फिर कहा।


    "इट्स ओके। ये बताओ वाशरूम कहाँ है?" चाहत ने पूछा।


    "पीछे की साइड।" लड़की ने बताया।


    "थैंक यू।" इतना बोलकर चाहत, अपनी ड्रेस साफ़ करते हुए, वाशरूम की ओर चली गई।


    चाहत वाशरूम में आई और अपनी ड्रेस को टिशू से साफ़ करने लगी।


    "ओह यार, ये तो जा ही नहीं रहा।" चाहत अपने आप से बड़बड़ा रही थी। अचानक किसी ने वाशरूम का गेट लगाया। उसकी आवाज़ सुनकर चाहत ने पीछे देखा तो वही लड़का था जो पेग लगा रहा था।


    "क्या है ये सब?" चाहत ने पूछा।


    लड़का उसकी ओर आते हुए बोला,


    "तुम्हें तो मैं..."


    "मैंने पूछा क्या है ये सब? और लेडीज़ वाशरूम है, तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" चाहत ने गुस्से में कहा।


    वह लड़का अब बिलकुल पीहू के पास आ गया था। उसने पीहू की कमर से पकड़ा और अपनी ओर खींचा, पीहू ने उसे एक लात मार दी।


    "तुम्हें तो मैं..." इतना बोलकर वह लड़का वापस पीहू के पास बढ़ गया। पीहू ने जैसे ही हाथ उठाया, उसे अपने भाई की कसम याद आ गई। उसके हाथ हवा में ही रह गए।


    उस लड़के ने पीहू के दोनों हाथ पकड़े और पीहू को दीवार से लगा दिया, और उसकी ओर झुकने लगा।


    पब में बैठा लड़का काफी देर से चाहत को देख रहा था, लेकिन उसे वह दिखाई नहीं दे रही थी, तो वह लड़का उठकर वहाँ से चला गया।


    पीहू अपने आप को उस लड़के से छुड़वाने की पूरी कोशिश कर रही थी। उसने उस लड़के को एक और लात मारी और अपने हाथों से उसे जोर से धक्का दिया। गेट के पास आकर जैसे ही गेट का लॉक खोला, उस लड़के ने वापस पीहू को खींच लिया।


    इन सब हाथापाई में पीहू के बाल बिखर गए थे, उसकी ड्रेस थोड़ी फट गई थी। और अब पीहू घूमता हुआ सा नज़र आ रहा था, उसके पैर लड़खड़ा रहे थे।


    और इन सब का फ़ायदा उठाकर वह लड़का पीहू के होंठों को अपने होंठों से छूने ही वाला था कि किसी ने उसकी गर्दन दबोच ली।


    "अबे छोड़ कौन है?" वह लड़का बोला।


    "तेरा बाप हूँ। छोड़ लड़की को।" एक दूसरा लड़का बोला।


    "पहले मैं कर लूँ, फिर तू भी कर लेना।" पहले वाले लड़के ने कहा।


    उस लड़के का इतना बोलना था कि दूसरे लड़के ने पहले वाले लड़के को एक जोरदार मुक्का मारा। वह लड़का सीधे जाकर जमीन पर गिर गया।


    उस लड़के की आँखें लाल हो गई थीं। उसने गुस्से से देखा और चाहत को देखा, जो एक तरफ़ खड़ी ये सब देख रही थी।


    "आप...?" चाहत बोली।


    "हम्मम...?" रुद्र ने कहा।


    रुद्र ने उस लड़के को खूब पीटा और उसे वहाँ से भगा दिया।


    जब रुद्र ने चाहत को देखा तो उसकी हालत बहुत खराब थी। रुद्र ने उसे अपना कोट दिया और अपनी गर्दन घुमा ली।


    चाहत पर अब डर का नशा चढ़ गया था। उसने अभी भी कोट को हाथ में पकड़ा हुआ था।

  • 13. " बेहद इश्क " - Chapter 13

    Words: 1009

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुद्र ने उस लड़के को खूब पीटा और उसे वहाँ से भगा दिया।

    रुद्र ने जब चाहत को देखा तो उसकी हालत बहुत खराब थी। रुद्र ने उसे अपना कोट दिया और अपनी गर्दन घुमा ली।


    चाहत पर अब उस दवा का नशा चढ़ गया था। उसने अभी भी कोट को हाथ में पकड़ा हुआ था।


    रुद्र को जब काफी देर तक कोई आवाज़ नहीं आई तो उसने देखा चाहत अभी भी कोट को हाथ में लिए खड़ी उसे घूर रही थी।


    रुद्र ने उसे देखा और कोट को हाथ में लेकर चाहत को खुद ही पहना दिया और उसका हाथ पकड़कर चलने लगा।


    लेकिन चाहत की हालत अब चलने लायक इतनी भी नहीं थी कि वह रुद्र के कदम से कदम मिला सके।


    वह वहीं एकदम सीधे खड़ी हो गई। रुद्र ने जब उसे आगे बढ़ते नहीं देखा तो वह रुक गया। उसने अपनी गर्दन झटकी और चाहत को गोद में उठा लिया।


    रुद्र ने उसे गोद में उठाया और बाहर अपनी कार के पास पार्किंग में आ गया।

    रुद्र: "उसे उतारकर... चलो अब..."

    चाहत: "तुम... तुम मुझे वहाँ से उठाकर क्यों लाए?" (अपनी आँखें गोल-गोल घुमाकर बोलते हुए)

    रुद्र: "मैं तुम्हें उठाकर लाया कब...?" (इतना बोल रुद्र उसके पास अपने कदम बढ़ाने लगा)

    चाहत: "हाँ तुम... कहीं तुम चोर तो नहीं हो ना... तुम (चारों ओर अपनी गर्दन और शरीर को घुमाते हुए) तुम मुझे चोरी कर रहे थे... नहीं (हाथों को ना में हिलाते हुए) नहीं तुम मुझे यहाँ से चुरा रहे थे..."

    रुद्र: (उसे घूरते हुए) "ये क्या तुम... तुम... तुम... लगा रखा है..." (इतना बोल रुद्र ने चाहत को कमर से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया)

    चाहत: (उसके सीने से लग गई) उसने अपनी गर्दन ऊँची करके देखा और उसके सीने पर एक उंगली रखकर कहा, "तुम... तुम... तुम... अब बताओ क्या करोगे..." ये सब बोलते हुए उसने अपने दोनों हाथ कमर पर रख लिए।

    रुद्र को उस पर बहुत हँसी आ रही थी। चाहत एकदम मासूम लग रही थी।

    रुद्र उसका हाथ पकड़कर उसकी कमर पर अपना हाथ लपेटते हुए...

    रुद्र: "तुमने इतनी क्यों ड्रिंक की है?"

    चाहत: (उसे देखते हुए) उसके गाल खींचकर, "तुमने कभी नहीं पी..."

    रुद्र: (अपनी गर्दन को ना में हिलाकर) "नहीं..."

    चाहत: "सच्ची..." (उसके बालों पर अपनी उंगलियाँ फँसाकर हिलाते हुए)

    रुद्र: "चलो अब... और तुम्हारे घर का एड्रेस बताओ... और ये सब नाटक करना बंद करो..."

    चाहत: जमीन पर आलती-पालती बनकर बैठ गई और रोने लगी। रोते हुए, "तुम मुझे डाँट रहे हो... तुम मुझे डाँट क्यों रहे हो..."

    पार्किंग में जितने भी लोग थे, सब उन दोनों को देख रहे थे।

    रुद्र: (उसे चुप करवाते हुए) "अच्छा, नहीं डाँटूँगा... पर उठ जाओ..."

    चाहत: "नहीं मैं... मैं... तुम्हारे साथ नहीं जाऊँगी। यहीं रहूँगी बस यहीं..."

    रुद्र: "अच्छा, यहीं रहो। मैं जा रहा हूँ..." इतना बोल रुद्र जैसे ही खड़ा हुआ उसका फ़ोन बजा। उसने फ़ोन देखा तो शिवांश का था। उसने फ़ोन को कान से लगाया और थोड़ा आगे आ गया। थोड़ी देर बात करने के बाद रुद्र जैसे ही वापस आया उसे वहाँ चाहत नहीं दिखाई दी। रुद्र के चेहरे पर डर साफ़ दिखाई दे रहा था।

    उसने आस-पास देखा तो सामने गाड़ी के बोनट पर बैठी चाहत दिखाई दी। रुद्र ने अपनी गर्दन ना में हिलाई और उसी ओर चला गया।

    रुद्र: "ये सब क्या है? चुपचाप नीचे आओ..."

    चाहत: (रोते हुए) "आ माँमी देखो ना ये मुझे डाँट रहा है... वो भी सबके सामने... मैं नहीं आ रही नीचे... मुझे जब देखो तब डाँट देता है... मैं क्या करूँ..."


    एक औरत जो पास से जा रही थी: "भाई साहब, आपकी वाइफ को डाँटो मत। उन्हें नीचे उतार लो..."

    रुद्र: "हम्मम्..." इतना बोल चाहत के पास आकर, "अच्छा, प्रॉमिस कभी नहीं डाँटूँगा..." "बट अब नीचे आ जाओ अच्छे बच्चे की तरह..."

    चाहत: (उंगली सामने करके) "पक्का ना... पिंकी प्रॉमिस करो..."

    रुद्र: "हाँ पिंकी प्रॉमिस..."

    चाहत: (हँसते हुए) "ओके..."

    रुद्र: "अब नीचे आओ..."

    चाहत: "नहीं, तुम मुझे गोद में उठाओ..."

    रुद्र: "ओके..." इतना बोल रुद्र ने चाहत को गोद में उठाया और कार की ओर जाने लगा।

    चाहत उसके गले में दोनों हाथ डाले हुए थे और कभी एक हाथ से उसके गाल खींचती तो कभी दूसरे हाथ से उसके बाल बिगाड़ देती।

    रुद्र ने चाहत को कार में बिठाया और खुद कार चलाने लगा।

    उसने रुही का फ़ोन अभी भी अपने पॉकेट में डाला हुआ था। उसने उसमें देखा तो काफी मिस्ड कॉल थे।

    रुद्र ने उसका फ़ोन ऑन किया तो उसमें वाणी को मैसेज किया और फ़ोन वापस कार में ही रख दिया।

    चाहत आराम से कार में सो चुकी थी। रुद्र उसे घर ले आया था।


    साहिल घर पर परेशान हो रहा था। वाणी को जब मैसेज आया तो उसने साहिल को दिखाया और खाना खाकर सोने को बोलकर खुद कमरे में आ गई।

    वाणी: "ये क्या बात हुई... ऐसे मैसेज किया है। फ़ोन ही कर देती..."

    इतना बोल वाणी सो गई।

    साहिल भी सो चुका था, लेकिन अभी भी उसे चाहत की फिक्र थी।


    रुद्र ने उसे गोद में उठाया और घर के अंदर आ गया। जैसे ही अंदर आया उसकी नज़र सामने बैठे शिवांश पर गई जो उसे ही देख रहा था।

    शिवांश: "ये तो वही है..."

    रुद्र: "हम्मम्..." इतना बोल रुद्र ने उसे अपने रूम में बेड पर सुलाया और ब्लैंकेट से कवर करके एक नज़र उसे देखकर खुद शिवांश के रूम में उसी के पास आ गया।

    शिवांश: "ये तेरे साथ कैसे...?"

    रुद्र: "उफ़्फ़, बाद में बताऊँगा..." इतना बोल रुद्र ने अपना शर्ट उतारा और बेड पर एक साइड सो गया।

    क्रमशः

  • 14. " बेहद इश्क " - Chapter 14

    Words: 1005

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह हो गई थी। कमरे के सभी पर्दे हटे हुए थे जिससे चिलचिलाती धूप सीधा चाहत के मुँह पर आ रही थी। धूप से परेशान होकर आखिरकार चाहत को अपनी आँखें खोलनी पड़ीं। उसने अपनी आँखें खोलीं तो उसकी नज़र ऊपर छत पर लगे पंखे पर गई। कमरा देख चाहत ने जल्दी से अपनी आँखें अच्छे से खोलीं और बैठ गई। उसके सिर में बहुत दर्द था। उसने एक हाथ सिर पर रखा और कमरे को गौर से देखने लगी।

    चाहत: "ये किसका कमरा है...? और मैं यहाँ क्या कर रही हूँ...? (अपना सिर पकड़कर) मैं यहाँ कैसे आई...?"


    चाहत ने बेड से अपने पैर नीचे लिए और कमरे को वापस देखने लगी। उसकी नज़र कमरे के बेड के ऊपर लगी रुद्र की तस्वीर पर गई तो वह एक पल को चौंक गई।

    चाहत: "ये इसका घर...? मतलब इसका कमरा है। कल मैं इसके साथ...?? ओह गॉड! मुझे सब याद करना है वापस!"

    तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और रुद्र हाथ में एक गिलास लेकर कमरे में आया।

    रुद्र: "कैसी हो...?"

    चाहत: (गर्दन उठाकर उसे देखते हुए) "मैं ठीक हूँ... बट..."

    रुद्र: "लो, ये नींबू पानी पीओ। तुमने कल ड्रिंक ज़्यादा कर ली थी।"

    चाहत: "क...क्या...? ड...ड्रिंक...? मैं ड्रिंक नहीं करती।"

    रुद्र: "फिर कैसे पी? बताओ।"

    चाहत: (गिलास लेकर पीते हुए) "कल मैंने एक जूस लिया था शायद, क्योंकि मैंने जब से उसे पिया था मुझे अजीब लगा था।"

    रुद्र: (अपनी पॉकेट में हाथ डालकर देखते हुए) "वो लड़का कौन था...?"

    चाहत: "कॉलेज का ही लड़का था।"

    रुद्र: "हम्म... ये पियो, तुम्हारा सिर दर्द कम हो जाएगा।"

    चाहत: "थैंक यू।"

    रुद्र: "नींबू पानी के लिए थैंक यू...?"

    चाहत: "नहीं, कल मेरी हेल्प करने के लिए।"

    रुद्र: "इट्स ओके। अभी आइस पैक और नाश्ता करने नीचे आ जाओ।"

    चाहत: "नहीं, मैं घर कर लूँगी। मुझे घर जाना है।"

    रुद्र: "मैं ड्रॉप कर दूँगा। नाश्ता करके जाना, और हाँ... कुछ नहीं, आ जाओ नीचे।"


    चाहत ने जल्दी से नींबू पानी पिया और रुद्र के पीछे-पीछे ही नीचे जाने लगी। रुद्र जल्दी-जल्दी नीचे आ भी गया था और चाहत अभी भी ऊपर ही घर को देख रही थी। वह जैसे ही नीचे उतरने को हुई, अचानक से किसी कुत्ते के चिल्लाने की आवाज़ आई। चाहत जल्दी से रेलिंग से चिपक कर खड़ी हो गई और कसकर आँखें बंद कर लीं। और जोर-जोर से चिल्लाने लगी।

    चाहत: "आह्ह्ह्ह... बचाओ मुझे!"

    रुद्र और शिवांश जैसे ही देखा, दोनों को हँसी आ गई। रुद्र ने एक नज़र चाहत को देखा और जोर से कहा:

    रुद्र: "शेरू... नहीं..."

    रुद्र की आवाज़ सुनकर वह कुत्ता वहीं सीढ़ियों पर चुपचाप जाकर बैठ गया।

    चाहत ने एक नज़र नीचे देखा और वापस उस कुत्ते की ओर देखकर अपने पतले-पतले हाथों से पर रखकर एक चैन की साँस ली। "बच गई आज तो वरना..." इतना बोल चाहत ने ऊपर देखा और वापस से सीढ़ियों से नीचे आ गई और शिवांश और रुद्र के पास जाकर बैठ गई।

    शिवांश: "आपको शेरू से डर लगता है...?"

    चाहत: "शेरू...? कौन शेरू...?"

    शिवांश: (अपने हाथ को सीढ़ियों की ओर करके) "..."

    चाहत: (मुँह बिगाड़ते हुए) "आह! घर में कुत्ता कौन रखता है? और वो ऐसे..."

    रुद्र: "तुम्हें डर लगता है...?"

    चाहत: (अपनी गर्दन नीचे करके धीरे से) "हम्म... बहुत..."

    चाहत की बात सुनते ही रुद्र के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    शिवांश: "इतना भी कौन डरता है यार...?"

    चाहत: "मैं... क्यों? इसमें कौन सी बड़ी बात है...?"

    शिवांश: "वो तो है... बट वो खाता नहीं तुम्हें।"

    चाहत: "बट फिर भी ऐसे खुलेआम उन्हें घर में कौन रखता है? अगर सोचो रात को कोई चोर आ जाए तो उसे तो मार ही दे... बेचारा मर गया तो..."

    शिवांश: "अरे तो चोर को मारेगा तो बाद में, लेकिन पकड़ लेगा और उसे चोरी करने से रोकेगा ना।"

    चाहत: "पागल..." उसकी भी मजबूरी होगी तभी तो चोरी कर रहा होगा।"

    रुद्र: "शटअप... नाश्ता करो।"

    चाहत: (नाश्ते की ओर देखकर) "उफ्फ! ये क्या है...?"

    शिवांश: "नाश्ता... ब्रेकफास्ट... समझ गई...?"

    चाहत: "मुझे नहीं करना, थैंक यू।" इतना बोल चाहत ने एक एप्पल लिया और खाने लगी।


    रुद्र ने नाश्ता किया और चाहत के साथ बाहर आ गया।

    चाहत: (आगे बैठकर) "एक बार फिर से आपका थैंक्स।"

    रुद्र: (गाड़ी चलाते हुए) "इट्स ओके।"

    चाहत: "ओफ्फो... मैं तो भूल ही गई।"

    चाहत के बोलने पर रुद्र ने कार के ब्रेक लगा दिए। "क्या हुआ...? कुछ भूल गई...?"

    चाहत: "हाँ ना..."

    रुद्र: "बोलो।"

    चाहत: "आपका नाम पूछना तो भूल ही गई मैं तो..." उसने इतनी मासूमियत से कहा कि रुद्र के चेहरे पर मुस्कान आ गई।

    रुद्र: "रुद्र... रुद्र सिंह शेखावत।"

    चाहत: "ओके... काफी बड़ा नाम है।"

    रुद्र: "बट पूरा नाम कोई नहीं लेता, सब रुद्र ही बोलते हैं। अच्छा, वैसे तुम्हारा फोन मेरे पास है।"

    चाहत: (फ़ोन की सुनकर) "ओह नो! मार गई... भाई... और वाणी परेशान हो रहे होंगे। मेरा फोन मैंने बताया भी नहीं उन्हें।"

    रुद्र: "रिलेक्स... डोंट वरी... मैंने तुम्हारे फोन से वाणी को मैसेज किया था कि तुम सुबह घर आ जाओगी।"

    चाहत: "व्हाट...? मुझसे बिना पूछे तुमने... मेरा फोन चलाया... और चलाया तो चलाया, मैसेज भी किया... एक सेकंड, मैसेज तो किया, जो किया, लॉक कैसे पता किया मेरे फोन का...? अब और लड़कों की तरह मत बोलना कि मैं (थोड़ा सा सोचकर) रुद्र सिंह शेखावत हूँ तो कुछ भी कर सकता हूँ।"

    रुद्र: (उसकी बातों को सुनकर) "इसमें कोई शक नहीं है कि मैं कुछ भी कर सकता हूँ।"

    चाहत: "हाँ... कर सकते हो... बट फोन का लॉक तो नहीं पता कर सकते।"

    रुद्र: "बस कर लिया मैंने पता..." इतना बोल रुद्र ने गाड़ी का ब्रेक लगाया।

    चाहत: (गाड़ी को रुका देखा तो कहा) "क्यों रोकी कार...?"

  • 15. " बेहद इश्क " - Chapter 15

    Words: 1002

    Estimated Reading Time: 7 min

    चाहत ने गाड़ी रुकते देख कहा, "क्यूँ रोकी कार?"

    रुद्र ने कहा, "आपका घर कहाँ है?"

    चाहत ने कुछ सोचकर कहा, "मैं चली जाऊँगी, थैंक्स।" इतना बोलकर चाहत कार से उतर गई।

    रुद्र अभी भी चाहत को देख रहा था। चाहत ने एक ऑटो लिया और उसमें वहाँ से चली गई।

    रुद्र भी उसे देखते ही घर के लिए निकल गया। थोड़ी देर में रुद्र घर आ गया और अपना काम करने लगा। शिवांश आज अकेले ही ऑफिस गया था।

    थोड़ी देर में चाहत भी घर आ गई। बाहर आकर उसने एक नज़र घर को देखा और जैसे ही जाने को हुई, किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा।

    चाहत ने डर के मारे आँखें बंद कर लीं और वापस खोलकर पीछे देखा तो देव खड़ा हुआ था।

    देव ने अपना सवाल करते हुए पूछा, "कहाँ थी?"

    चाहत ने कहा, "फ्रेंड के साथ।"

    देव ने पूछा, "वो लड़का?"

    चाहत ने अनजान बनते हुए कहा, "कौन लड़का?" देव का सवाल देव पर ही टाल दिया।

    देव ने कहा, "मैंने देखा तो वो तुझे उसके साथ कार में।"

    चाहत ने कहा, "हाँ, तो वो ही मुझे आधे रास्ते तक छोड़कर गया है।"

    देव ने पूछा, "आधे रास्ते क्यों?"

    चाहत ने कहा, "यार, आम खाओ ना, घुटलियाँ क्यों गिन रहे हो?"

    देव कन्फ्यूज होकर बोला, "इसका यह क्या मतलब?"

    चाहत उसके चारों ओर घूमकर बोली, "इसका मतलब मैं आ गई ना, तो अब क्या काम है आपको? अब आपके सवाल खत्म हो गए तो अंदर चलें।"

    देव ने कहा, "हम्म, चलो।"

    दोनों जैसे ही अंदर आए, सामने खड़े साहिल को देखा। जहाँ चाहत को डर लग रहा था, वहीं देव के चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी।

    साहिल ने पूछा, "पीहू?"

    चाहत ने कहा, "हाँ हाँ भाई।"

    साहिल उसके पास आकर पूछने लगा, "कहाँ थी तुम?"

    चाहत ने कहा, "वो... वो... अपनी फ्रेंड के पास थी, रात को।"

    साहिल ने कहा, "हाँ, तो तुम्हें एक कॉल करना चाहिए था ना। तुम्हें पता है हम कितना परेशान हो गए थे।"

    चाहत ने कहा, "सॉरी भाई, ध्यान नहीं रहा, मैं तो भूल गई।"

    देव ने कहा, "छोटी बच्ची हो क्या जो भूल गई?"

    चाहत ने अपनी कमर पर हाथ रखकर देव को घूरते हुए कहा, "क्यों, बड़े बच्चे नहीं भूल सकते?"

    देव ने पूछा, "बड़े बच्चे? कौन बड़े बच्चे?"

    चाहत ने कहा, "आह... मैं भी भूल सकती हूँ।"

    देव ने कहा, "तो भूली क्यों गई? वही तो पूछा।"

    चाहत इरिटेट होते हुए साहिल की ओर देखकर बोली, "आह भाई..."

    साहिल ने कहा, "थैंक गॉड, मैं तुम्हें दिखा तो सही, वरना मुझे लगा मैं 'आई एम मिसिंग फ्रॉम हियर'!!"

    चाहत ने कहा, "ये देव भाई कर रहे हैं। जब से आए हैं, परेशान किया हुआ है इन्होंने मुझे। बताओ मैं क्या करूँ?"

    देव ने कहा, "ओह हेलो, मैंने कब परेशान किया आपको? मैंने सिर्फ पूछा था।"

    चाहत ने कहा, "अच्छा।"

    चाहत आगे कुछ बोलती, उससे पहले ही साहिल ने दोनों की ओर देखकर गुस्से में कहा, "शटअप! दोनों एकदम चुप! क्या चूहे-बिल्ली की तरह लड़ाई कर रहे हो?"

    दोनों ने एक साथ कहा, "मैंने कुछ नहीं किया।" एक दूसरे की ओर उंगली करके बोले, "इसने किया है।"

    वाणी, जो उनका शोर सुनकर सीढ़ियों से आ रही थी, वो भी वहीं सीढ़ियों पर आराम से बैठकर अपने हाथों को घुटनों पर रख, उसके ऊपर अपना चेहरा रखकर आराम से देखने लगी।

    चाहत सोफे पर बैठते हुए बोली, "मैं बहुत थक गई हूँ, अब नहीं होगी मुझसे लड़ाई।"

    साहिल ने पूछा, "लड़ाई?"

    देव ने पूछा, "लड़ाई?"

    चाहत ने कहा, "हाँ हाँ लड़ाई। देव भाई ने कहा था कि वो मुझसे लड़ाई करके रहेंगे।"

    साहिल ने देव को देखकर पूछा, "देव, ये क्या बोल रही है?"

    देव जो पीहू की बातों से शॉक था, वो अचानक साहिल की आवाज से होश में आया और बोला, "मैंने कुछ नहीं बोला सच्ची। यार ये पीहू झूठ बोल रही है।"

    पीहू ने कहा, "मैं क्यों झूठ बोलूँगी यार भाई? आपने कहा था ना कि भाई मुझे डाँटेंगे। लेकिन भाई मुझे क्यों डाँटते? मैंने कल मैसेज किया था।"

    साहिल ने कहा, "शट अप! कोई नहीं बोलेगा। पीहू जाओ रेस्ट करो। देव, ऑफिस जाना है ना हमें।"

    देव ने कहा, "हम्म, चलो, वरना मैं यहाँ पागल हो जाऊँगा।"

    पीहू ने कहा, "जाओ जाओ, पागल मत हो।" इतना बोलकर पीहू जोर से हँसने लगी।

    साहिल ने पीहू के माथे पर किस किया और ध्यान रखने को बोलकर देव के साथ ऑफिस चला गया।

    पीहू भी उठकर सीढ़ियों की ओर बढ़ी तो उसे सीढ़ियों पर बैठी वाणी दिखाई दी।

    वाणी ने पीहू को देखकर पूछा, "कहाँ थी कल?"

    पीहू ने कहा, "बताया तो था।"

    वाणी ने पूछा, "क्या बताया था तूने?"

    पीहू ने मन में सोचा, "ओह गॉड, उसने क्या लिखा था?" और बोली, "मैंने... मैंने..."

    वाणी ने पूछा, "कहाँ खो गई बता।"

    पीहू ने कहा, "क्यों, मैसेज पढ़ना नहीं आता?"

    वाणी ने कहा, "वो तो आता है, लेकिन तू झूठ बोल रही है, ये तो मुझे मालूम है।"

    पीहू ने कहा, "झूठ? क्यों बोलूँगी? मैसेज किया ना मैंने।"

    वाणी ने कहा, "मैसेज? तू कब से मैसेज ऐसे करने लगी?"

    पीहू ने कहा, "कैसे? दिखा जरा।"

    वाणी ने अपना फोन खोलकर उसे दिखाते हुए कहा, "देख, तू कब से शॉर्ट लिखने लगी।"

    पीहू ने मन में सोचा, "ओह गॉड! इसका तो मैं मर्डर कर दूँगी।"

    वाणी ने पूछा, "क्या हुआ? क्या सोच रही है?"

    पीहू ने कहा, "ओफ्फो! कितने सवाल करती है ना तू? तू तो टीचर ही बन गई।"

    वाणी ने पूछा, "अच्छा, बता ना तू किससे मिलकर आ रही है।"

    पीहू हकलाते हुए बोली, "क... क... क्या बोला? मैं... मैं किससे मिलकर आऊँगी?"

    वाणी ने पूछा, "अच्छा, तो तू जेंस परफ्यूम कब से लगाने लगी?"

    पीहू अपने हाथों को सूँघते हुए बोली, "वो... वो... मैं... मैं किसी से टकरा गई थी, तो बस ऐसे टकराने की वजह से ही खुशबू आ रही है।"

    वाणी ने पूछा, "अच्छा, तो यही बता दे किससे टकराई थी।"

    पीहू ने कहा, "वो रुद्र से।"

    वाणी ने पूछा, "कौन रुद्र?"

    पीहू ने कहा, "अरे वही।"

    वाणी हल्की सी हँसी हँसते हुए बोली, "अरे कौन तो? अच्छा वो? जिसने तुझे ठोकने की कोशिश की थी रोड पर?"

    पीहू ने कहा, "हम्म।"

    वाणी ने पूछा, "नाम भी पूछ आई तू उसका?"

    क्रमशः

  • 16. " बेहद इश्क " - Chapter 16

    Words: 1010

    Estimated Reading Time: 7 min

    वाणी, हल्की सी मुस्कान के साथ बोली, "अरे कौन तो... अच्छा वो... जिसने तुझे ठोकने की कोशिश की थी, रोड पर..."

    पीहु— "हम्मम"

    वाणी— "नाम भी पूछा था तू उसका...?"

    पीहु— "हम्मम"


    पीहु— "अच्छा, कम से कम मुझे रेस्ट करने दे। मैं थक गई हूँ।" इतना बोल पीहू अपने कमरे में भाग गई।


    इधर साहिल किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था। उसने फ़ोन नीचे रखा और लैपटॉप पर देखते हुए कहा,

    साहिल— "मीटिंग का क्या हुआ? आज हमारी मीटिंग थी ना?"


    देव— "येस, आज ही मीटिंग है, वो भी दो घंटे बाद।"


    साहिल— "उसकी फ़ाइल रेडी करके मुझे दे दो। बाकी मैं देख लूँगा।"



    तो वहीँ रुद्र अपने केबिन में बैठा अपना काम करने में लगा हुआ था। उसके आगे एक फ़ाइल रखी हुई थी।


    शिवांश— "यही फ़ाइल है जिसमें उनके बारे में सब लिखा हुआ है। वो साहिल मेहरा की बहन है। एंड वो मेहरा नहीं है। साहिल खुराना उसका रियल नाम है।"


    रुद्र— "खुराना..."


    शिवांश— ""डोंट नो व्हाई"", बट वो अपना सरनेम छिपाकर क्यों रह रही है?"


    रुद्र— "वही तो... खैर, उसका भी पता लग ही जाएगा। तुम अभी हमारी मीटिंग का टाइम बता दो।"


    शिवांश— "येस, आज हमारी मीटिंग मिस्टर मेहरा से ही है।"


    रुद्र— "गुड। मिलते हैं फिर।" इतना बोल रुद्र अपना काम करने लगा और शिवांश वहाँ से बाहर चला गया।


    तो वहीँ घर पर पीहू आराम से बिस्तर पर बैठी पॉपकॉर्न खा रही थी।


    वाणी— "यार, क्या करूँ? मैं तो बोर हो रही हूँ।"


    पीहु— "क्यों न कहीं घूम कर आएँ? वैसे भी मुझे बाहर गए काफ़ी दिन हो गए हैं।"


    वाणी— उसे घूरते हुए, "क्या कहा? तुझे बाहर गए कितने दिन हो गए?"


    पीहू— "नहीं, मतलब बाहर तो गई हूँ, लेकिन घूमने नहीं गई ना।"


    वाणी— "तो अभी चलें। पिज़्ज़ा खाकर आते हैं।"


    पीहु— "येस, चल ना! यार, मज़ा आएगा। मैं रेडी होकर आती हूँ।"

    इतना बोल दोनों रेडी होने लगीं। थोड़ी देर में रेडी होकर दोनों नीचे आ गई थीं। पीहू ने पिंक कलर की गोल कुर्ती पहनी हुई थी जिस पर बहुत प्यारी ब्लैक जैकेट थी। उसके खुले बाल, कानों में छोटे-छोटे इयररिंग्स, और हाथ में वॉच थी। वाणी ने भी ब्लू कलर की कुर्ती और ब्लैक जीन्स पहनी हुई थी। उसने अपने बालों को खुला छोड़ रखा था जो कंधे से थोड़ा नीचे थे।


    वाणी— "चलें, मेरी जान।"


    पीहू— "अबे ओ ये जान शान मुझे ना बोला कर, समझी ना?"


    वाणी— "चल चल अब।"

    दोनों थोड़ी देर में स्कूटी लेकर कहीं निकल गई थीं।


    ब्लू आइज़ रेस्ट्रो...


    यह एक होटल था, लेकिन इसके एंट्रेंस पर एक छोटा सा कैफ़े भी था। होटल में जाने के लिए कैफ़े से होकर जाना होता था।


    होटल के बाहर आकर एक ब्लैक कलर की कार रुकी, जिसमें से देव और साहिल बाहर आए। साहिल ने अपने आँखों पर चश्मा लगाया हुआ था, जिसमें वह बहुत ही ज़्यादा हैंडसम लग रहा था।


    देव— "चलें।"


    साहिल— "हम्मम।" इतना बोल दोनों अंदर की ओर चले गए। वहाँ उन्होंने अपने लिए एक छोटा सा केबिन बुक किया हुआ था, जो कि फैमिली वगैरह या पार्टी के लिए या मीटिंग्स के लिए होता था।


    साहिल और देव वहाँ आकर बैठ गए।


    साहिल— "अभी तक नहीं आए मिस्टर शेखावत।"


    देव— "आते ही होंगे।"


    तो वहीँ इसी होटल के सामने एक व्हाइट कलर की कार तेज स्पीड से आ रही थी, और सामने से पीहू अपनी स्पीड में स्कूटी चला रही थी। अचानक टक्कर होते हुए दोनों गिर पड़े।


    वाणी— "जल्दी से उतरकर मरवाएगी क्या यार? पिज़्ज़ा होटल में खाने आए हैं, यमराज के पास नहीं।"


    पीहु— "रुक अबे इसकी तो... पता नहीं दिखाई नहीं देता क्या?" इतना बोल पीहू ने स्कूटी वाणी को पकड़ा और कार के ड्राइवर साइड आ गई और उसके विंडो पर अपनी उंगलियों से खटखटाने लगी।


    पीहू— वाणी की ओर देखकर (उसका ध्यान बिलकुल सीट पर नहीं था कि कौन है), "अबे अंधे हो! दिखाई नहीं देता? जब दिखाई नहीं देता तो कार चलाते क्यों हो?" इतना बोल विंडो के अंदर सर डालकर देखते हुए, "अबे तुम्हारी..." पीहू के शब्द गले में ही अटक गए जब उसने ड्राइवर की सीट पर रुद्र को देखा।


    रुद्र— गेट खोलकर बाहर आते हुए, ""देखकर तो आप भी नहीं चला रही थीं। पता नहीं इस होटल के अंदर स्कूटी से ही जाना चाहती थी क्या?""


    पीहु— "वो... वो... नहीं, सॉरी।"


    रुद्र— ""देखकर चलाया कीजिए। आज तो मैं था। पता नहीं कहीं कोई बेक़सूर मार खा गया तो... खैर... मुझे बख्शने के लिए थैंक यू।"" इतना बोल रुद्र ने शिवांश को इशारा किया और वहाँ से जाते हुए पीहू के हाथ को पकड़कर कहा, ""हाथ तो बड़े नाजुक हैं, फिर इतनी तेज ड्राइविंग। बाप रे!""


    पीहु— "सॉरी।" इतना बोल उसने रुद्र से हाथ छुड़ाया और वाणी का हाथ पकड़कर अंदर जाने लगी।


    रुद्र और शिवांश भी उन्हीं के साथ चल रहे थे कि अचानक पीहू फिर किसी से टकरा गई। पीहू को गिरता देख रुद्र को एक बार तो हँसी आई, लेकिन अगले ही पल उसे गुस्सा आने लगा।


    पीहू ने जब खुद को सेफ़ महसूस किया तो उसने अपनी आँखें खोलकर सामने देखा तो वह देव था जिससे पीहू टकराई थी।


    देव जल्दी-जल्दी में बाहर ही आ रहा था रुद्र और शिवांश को देखने, लेकिन जल्दबाज़ी में वह पीहू से टकरा गया।


    रुद्र— पीहू का हाथ पकड़कर देव से दूर करते हुए, ""तुम ठीक हो ना?""


    पीहू लगातार देव को तो कभी रुद्र को देख रही थी। ""हम्मम, मैं ठीक हूँ।""


    देव— "सॉरी...!!"


    रुद्र— ""आपको देखकर चलना नहीं आता क्या? या दिखाई नहीं देता?""


    पीहू— रुद्र का हाथ पकड़कर, ""रहने दीजिए, वो मेरे...""


    रुद्र— ""शट अप! मैं बात कर रहा हूँ ना, फिर तुम बीच में मत बोलो, समझी?""


    पीहु— ""पर मेरी बात तो...""


    रुद्र— उसके मुँह पर हाथ रखकर, ""शटअप।""

    क्रमशः...

  • 17. " बेहद इश्क " - Chapter 17

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    रुद्र ने कहा, "शट अप। मैं बात कर रहा हूँ ना, फिर तुम बीच में मत बोलो। समझी?"

    पीहू ने कहा, "पर मेरी बात तो..."

    रुद्र ने पीहू के मुँह पर हाथ रखकर कहा, "शटअप।"


    रुद्रा ने थोड़े गुस्से में कहा, "अंधे हो क्या? इतनी बड़ी लड़की दिखाई नहीं दी?"

    देव ने कहा, "देखिए, मैं सॉरी बोल रहा हूँ। और वैसे भी वो मेरी..."

    रुद्रा ने देव की बात बिना सुने कहा, "आज छोड़ रहा हूँ, लेकिन ध्यान रखना।"

    पीहू ने रुद्र का हाथ अपने मुँह से हटाते हुए कहा, "रुद्र, वो मेरे भाई हैं।"

    रुद्र ने यह सुनते ही पीहू को देखा और अपने सामने खड़े देव को देखा जो लगातार पीहू और रुद्र को देख रहा था।

    देव ने पूछा, "पीहू, तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

    पीहू रुद्र से दूर होकर देव के पास आई और बोली, "सॉरी भाई, मैं यहाँ ऐसे ही घूमने आ गई थी। सॉरी।"

    देव ने कहा, "कोई बात नहीं।" फिर रुद्र की ओर देखते हुए बोला, "मिस्टर शेखावत, राइट?"

    रुद्र ने गर्दन हिलाकर कहा, "येस।"

    देव ने कहा, "मैं आपको लेने ही बाहर आ रहा था। मिस्टर मेहरा से आज आपकी मीटिंग है ना?"

    रुद्र ने कहा, "जी, चलिए।" इतना बोलकर उसने एक नज़र पीहू को देखा और उसके पीछे चलने लगा।

    देव ने कहा, "पीहू, वाणी, तुम दोनों भी चलो।"

    वाणी ने पीहू से धीरे से कहा, "गई अब।"

    पीहू ने मुँह बिगाड़ा और उनके साथ चलने लगी।

    रुद्र लगातार पीहू को देख रहा था। शिवांश अपनी धुन में चला जा रहा था। थोड़ी देर में सब केबिन में आ गए थे।

    साहिल ने जैसे ही रुद्र को देखा, चेयर से उठ गया। लेकिन जैसे ही उसने रुद्र के पीछे पीहू और वाणी को देखा, उसके चेहरे के भाव बदल गए।

    रुद्र ने कहा, "हैलो मिस्टर मेहरा।"

    साहिल ने कहा, "हैलो मिस्टर शेखावत।"

    साहिल ने देव से कहा, "देव, ये वाणी और पीहू यहाँ...? पीहू की ओर देखकर बोला, पीहू, तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

    पीहू ने कहा, "भाई, वो मैं तो बस बाहर ऐसे ही घूमने..."

    साहिल ने कहा, "शटअप! तुम दोनों बिना बताए कहीं भी चली जाती हो।"

    पीहू ने कहा, "सॉरी, वो मैं तो बस..."

    साहिल ने पीहू का हाथ पकड़कर कहा, "बच्चा, मैंने माना किया था। चलो, तुम दोनों यहीं बैठो। तब तक मैं मीटिंग देख लेता हूँ।"

    पीहू ने कहा, "ओके।" इतना बोलकर उसने वाणी का हाथ पकड़ा और पीछे चेयर पर जाकर बैठ गई जहाँ से साहिल की पीठ वाणी की ओर थी, लेकिन रुद्र का चेहरा उसकी साइड था।

    साहिल ने रुद्र के साथ अपनी मीटिंग शुरू कर दी थी। सब अपनी बातों में लगे हुए थे।

    लेकिन वाणी चेयर पर बैठी हुई थी! उसके सामने ठीक शिवांश का चेहरा था जो मीटिंग में ध्यान न देकर वाणी को देख रहा था।

    वाणी ने उबासी लेते हुए कहा, "इससे अच्छा तो हम घर पर मूवी देख लेते! यहाँ तो मैं बहुत ज़्यादा बोर हो रही हूँ।"

    पीहू ने कहा, "हा हा, जैसे मैं तो बहुत इन्जॉय कर रही हूँ। यहाँ आना ज़रूरी था क्या?"

    वाणी ने कहा, "लेकिन एक बार बता, ये रुद्र तुम्हें इतना क्यों भाव दे रहा है? इनफैक्ट इसने देव भाई को भी सुना दिया, तेरे मुँह पर हाथ रख लिया। वैसे तो तू किसी को टच नहीं करने देती।"

    पीहू ने कहा, "देख, मुझे कुछ नहीं मालूम।" इतना बोलकर पीहू ने एक नज़र रुद्र की ओर देखा जो बीच-बीच में पीहू को ही देख रहा था।

    रुद्र ने पीहू को देखकर एक हल्की सी स्माइल की और साहिल से बात करने लगा। रुद्र ने एक बार अपना फ़ोन निकाला और उसमें कुछ करने लगा, लेकिन जल्दी ही उसने अपना फ़ोन वापस रख दिया।

    पीहू ने भी अपनी गर्दन वहाँ से हटाकर वाणी की ओर की कि उसके फ़ोन में कुछ नोटिफ़िकेशन आया। उसने फ़ोन देखा तो अननोन नंबर से मैसेज आया था। पीहू ने मैसेज देखा और उसे धीरे से पढ़ा। "मुझे प्यार से मत देखो वरना प्यार हो जाएगा। ऐसे लगातार देखोगी तो सोच लो, कहीं तुम्हें महँगा ना पड़े।" इतना बोलकर रुद्र ने एक इमोजी सेंड किया था। यह मैसेज पढ़कर पीहू की आँखों में एक अलग ही भाव आ गए थे।

    वाणी ने पूछा, "अब क्या देख लिया? कहीं कोई भूत तो नहीं देखा ना? ला, दिखा क्या देखा? ऐसा मैं भी तो देखूँ जो थोड़ा टाइम पास हो।"

    पीहू ने फ़ोन जल्दी से बंद करते हुए कहा, "कुछ नहीं है। बस ऐसे ही।" (पीहू ने ये शब्द काफी तेज़ बोला था जिससे साहिल और सब तक ये आवाज़ पहुँच चुकी थी।) इतना बोलकर पीहू ने सवालिया नज़रों से उस ओर देखा तो सब उन्हीं को ओर देख रहे थे।

    साहिल ने वहीं से चेयर से थोड़ा घूमकर पूछा, "एक मिनट। कुछ चाहिए क्या? शोर क्यों कर रही हो?"

    पीहू ने कहा, "मैंने नहीं, वाणी ने। ये ही चिल्लाई थी अभी। मैंने कुछ नहीं किया।" पीहू ने ये शब्द इतने मासूमियत के भाव से बोला था कि सब उसकी बातों पर मुस्कुराने लगे।

    वाणी अभी भी पीहू को घूर रही थी।

    वाणी ने कहा, "भाई, ये झूठ बोल रही है। पता नहीं खुद ने फ़ोन में ऐसा क्या देख लिया जिससे देखकर ये ऐसे चिल्लाई थी।"

    साहिल ने पीहू को देखते हुए पूछा, "क्या देख लिया? दिखाना जरा।"

    पीहू ने यह सुनते ही मानो साँस ही रोक ली हो। वो... वो... भाई कुछ नहीं था।

    रुद्र मुस्कुराते हुए बोला, "मिस्टर मेहरा, आई थिंक हम ये प्रोजेक्ट आप के साथ कर सकते हैं। आपकी सारी फाइल एंड डिटेल्स काफी अच्छी हैं।"

    साहिल ने कहा, "ओके, थैंक यू।"

    रुद्र ने कहा, "ओके, तो बाद में मिलते हैं। अब हमें चलना चाहिए।"

    साहिल ने कहा, "आप हमारे साथ लंच कर सकते हैं।"

    रुद्र ने कहा, "हाँ, नो प्रॉब्लम, श्योर।" इतना बोलकर रुद्र वापस शिवांश की ओर देखता है।

    साहिल ने पीहू और वाणी को एक साथ बिठा लिया।

    पीहू रुद्र के बगल वाली सीट पर बैठी हुई थी।

    रुद्र ने कहा, "सॉरी।"

    पीहू ने उसके सॉरी का कोई जवाब नहीं दिया और उसे घूर कर देखने लगी।

    शिवांश ने एक वेटर को सबके लिए खाना ऑर्डर कर दिया था। साहिल देव से कोई बात कर रहा था कि तभी उसके फ़ोन पर वेदिका का फ़ोन बजने लगा। जिसे देखकर साहिल ने एक नज़र सबको देखा और उठकर साइड में चला गया।

  • 18. " बेहद इश्क " - Chapter 18

    Words: 1114

    Estimated Reading Time: 7 min

    शिवांश ने एक वेटर को सबके लिए खाना ऑर्डर कर दिया था। साहिल देव से बात कर रहा था कि तभी उसके फोन पर वेदिका का फोन बजने लगा। इसे देखकर साहिल ने एक नज़र सबको देखा और उठकर साइड में चला गया।

    रुद्र: "चाहत... सॉरी।"

    पीहू: "भाड़ में गया सॉरी! आपकी वजह से मैं यहां फंस गई।" पीहू ने बहुत मासूमियत से कहा। रुद्र को उसे ऐसे देखकर मुस्कान आ गई।

    साहिल भी आकर सबके साथ बैठ गया था। इन सब में अच्छी दोस्ती हो गई थी। थोड़ी देर में सबका लंच आ गया। सब खाना खाने लगे, लेकिन पीहू का ध्यान अभी भी साहिल पर था जिसके चेहरे पर कुछ अजीब भाव थे। उसे देखते हुए पीहू ने एक बाउल से थोड़ी सी सब्जी ली और खाने लगी।

    पीहू: "भाई, सब ठीक है ना?"

    साहिल: पीहू की ओर देखकर, "हाँ, सब ठीक है। तुम लोग लंच करके घर जाओ।"

    पीहू: "ओके।" इतना बोल पीहू ने जल्दी से एक निवाला खाया। मानो उसकी हालत ही खराब हो गई। उसके चेहरे के भाव एकदम बदल गए, उसका पूरा चेहरा लाल हो गया और पसीने आने लगे। पीहू ने अपनी गर्दन नीचे की और धीरे से उठते हुए कहा, "मैं वाशरूम..." इतना भी पीहू बड़ी मुश्किल से बोल पाई थी। रुद्र की नज़र जैसे ही पीहू पर गई, उसने जल्दी से अपना हाथ टिश्यू से साफ किया और पीहू का चेहरा ऊपर करके देखा। उसकी हालत खराब हो चुकी थी; उसे साँस लेने में भी परेशानी हो रही थी। सबका ध्यान उसके ऊपर गया तो सब एक पल के लिए परेशान हो गए।

    रुद्र: "चाहत... चाहत... तुम ठीक हो ना? क्या हुआ तुम्हें अचानक?"

    साहिल: "ओह गॉड! इसे फिर से एलर्जी हो गई। लंच किसने मँगवाया था?"

    शिवांश: "मैंने।"

    साहिल: "खाने में हरी मिर्च है, जिससे पीहू को एलर्जी है।"

    रुद्र पीहू के हाथों को बार-बार रगड़ रहा था। उसने पीहू को पानी पिलाया और चेयर पर सही से बिठाया।

    साहिल: "वाणी, पीहू के बैग में दवाई होगी ना? देखो, इससे साँस लेने में प्रॉब्लम हो रही है।"

    पीहू लगातार गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था।

    रुद्र: "हमें हॉस्पिटल लेकर चलना चाहिए इसे।"

    साहिल: "डॉक्टर को फोन कर दे, देव।"

    देव: "मैंने कर दिया पहले ही। बस आते ही होंगे। पास में ही बताया है उन्होंने।"

    साहिल: पीहू को गोद में रखकर, "पीहू बच्चा, कुछ नहीं होगा। गहरी साँसें लो।"

    वाणी लगातार पीहू का दूसरा हाथ रगड़ रही थी, और एक हाथ रुद्र। रुद्र के चेहरे के भाव काफी सख्त हो गए थे।

    थोड़ी देर में डॉक्टर आ गए। उन्होंने पीहू को चेक किया और एक टैबलेट दे दी। और उसे एक इंजेक्शन देकर साहिल से कहा:

    डॉक्टर: "देखिए मिस्टर मेहरा, मैंने आपसे पहले भी कहा है, इन्हें एलर्जी है तो ध्यान रखिए। ये एलर्जी इनकी जान तक ले सकती है और ऊपर से इनकी बॉडी इतनी कमजोर है, ध्यान रखो। थोड़ी देर में ठीक हो जाएंगी। बाकी, डोंट वरी।" इतना बोल डॉक्टर वहाँ से चली गईं।

    थोड़ी देर में दवा के असर से चाहत अब ठीक हो चुकी थी। उसने अभी भी अपनी गर्दन नीचे की हुई थी। उसने सबकी ओर देखा और धीरे से कहा:

    पीहू: "सॉरी, मेरी वजह से आप सब परेशान हुए। इनफैक्ट, लंच भी नहीं हुआ।"

    साहिल: "कोई बात नहीं। मुझे कहीं जाना है, तुम घर चली जाओ। देव तुम्हें छोड़ देगा।"

    देव: "लेकिन मुझे तो ऑफिस जाना है ना, उस मीटिंग के लिए।"

    वाणी: "हम चलेंगे।"

    साहिल: रुद्र की ओर देखते हुए मुस्कुराते हुए, "रुद्र, तुम इन्हें घर ड्रॉप कर देना प्लीज।"

    रुद्र: "हाँ, बिलकुल।" इतना बोल रुद्र ने साहिल को एक मुस्कान दी और पीहू की ओर देखने लगा।

    साहिल: "स्कूटी को ड्राइवर ले जाएगा।"

    थोड़ी देर में सब निकल गए थे। साहिल और देव भी ऑफिस के लिए निकल गए थे। शिवांश आगे आकर ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। पीहू पीछे बैठी हुई थी। वाणी जैसे ही पीछे बैठने को हुई, रुद्र ने उसे आँखें दिखाईं और आगे बैठने को कहा, और खुद पीहू के पास आकर पीछे बैठ गया।

    पीहू: (बाहर देख रही थी)

    रुद्र: "तुम ठीक हो ना?"

    पीहू: "मैं ठीक हूँ। और ये क्या, पीछे क्यों बैठे हो? आगे बैठ सकते थे ना। कार रोको, शिवांश।"

    शिवांश ने जैसे ही पीहू की आवाज सुनी, उसने शीशे से ही रुद्र की ओर देखा जो उसे ही देख रहा था। शिवांश ने कार नहीं रोकी।

    रुद्र: (उसके हाथ को पकड़कर अपनी ओर करते हुए) "सॉरी बोल रहा था ना, और तो और कार रोकने की क्यों बोल रही हो? तुम्हें उतरना है क्या?"

    पीहू: "मैं क्यों उतरूँगी? मैं इसमें बैठकर ही घर जाऊँगी।" इतना बोल पीहू वापस खिड़की के बाहर देखने लगी।

    रुद्र भी चुपचाप बैठा हुआ था। उसका फोन दोनों के बीच रखा हुआ था कि तभी उसके फोन पर "जान" नाम शो होने लगा। पीहू की नज़र जैसे ही इस पर गई, उसकी भौंहें तन गईं। उसने रुद्र को घूरकर देखा और मुँह फेरकर बाहर देखने लगी, लेकिन पीहू अभी भी सवालिया नज़रों से रुद्र को देख रही थी।

    रुद्र ने फोन उठाया और कान से लगाकर धीरे से कहा, "बाद में बात करूँ।" इतना बोल रुद्र ने बिना दूसरी ओर से जवाब सुने फोन काट दिया।

    थोड़ी देर में सब घर आ गए थे। वाणी उतरकर आगे निकल गई थी। रुद्र भी पीहू के साइड आकर खड़ा हो गया था।

    पीहू भी उतरकर जैसे ही जाने को हुई, रुद्र ने उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींचकर उसे गले लगा लिया।

    पीहू: "दूर हो, पागल हो क्या?" इतना बोल पीहू उससे अपने हाथ छुड़ाने लगी, लेकिन रुद्र ने बहुत टाइट उसके हाथ पकड़े हुए थे। उसने पीहू को थोड़ा अपने पास किया और उसके माथे पर अपने होंठ रख दिए। पीहू तो उसके माथे पर किस करने से ही जम सी गई थी। उसने नज़रें उठाकर भी रुद्र को नहीं देखा था।

    रुद्र: "टेक केयर, बाय।" इतना बोल रुद्र ने पीहू का हाथ छोड़ा और वहीं गाड़ी से टेक लगाकर खड़ा हो गया। पीहू ने एक बार भी वापस रुद्र को नहीं देखा था; वह सीधा घर के अंदर चली गई।

    ऐसे ही रात भी हो गई थी। सबने डिनर किया और सोने चले गए।

  • 19. " बेहद इश्क " - Chapter 19

    Words: 1012

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगली सुबह, पीहू अपने बेड पर पसर कर सो रही थी। उसने अपना एक पैर वाणी के ऊपर रखा हुआ था और अपना एक हाथ वाणी के पेट पर। उसने अपना सर अपने तकिए में दिया हुआ था।

    "पीहू सही से सोना!" वाणी ने पीहू को देखा और उसके हाथ को हटाकर जोर से चिल्लाते हुए कहा, "ये ऐसे कौन सोता है!"


    "तुम मेरे रूम में कब आई और क्यों आई?" पीहू ने वाणी की आवाज सुनी और उठते हुए कहा, "तुझे जब मालूम है मुझे पूरा बेड चाहिए होता है फैलकर सोने के लिए!"


    "अरे तो सोने दे ना, मैंने कौन सा तेरा बेड छीन लिया!" वाणी ने कहा, "अब सोने दे मुझे इतना बोलकर वाणी ने मुँह पर तकिया रखा और वापस सो गई।"


    पीहू ने वाणी को देखा और बेड पर उठकर बैठ गई। उसने अपने बालों को समेटा और टाइम देखा तो सुबह के चार बज रहे थे। पीहू बेड से उठी और बालकनी में आकर खड़ी हो गई। सुबह का समय था, हल्की-हल्की हवाएँ चल रही थीं, और यही तो असली सुकून था! पीहू ने रेलिंग पर हाथ रखा और नीचे देखने लगी, जहाँ साहिल एक्सरसाइज़ कर रहा था। साहिल को देखते ही पीहू के फेस पर स्माइल आ गई। पीहू वापस रूम में आई और एक नज़र वाणी को देखा जो बेड पर फैलकर सो रही थी। पीहू ने उसे देखा और बड़बड़ाते हुए चली गई।

    "तुझे तो मैं सुबह बताती हूँ..." इतना बोल पीहू घर से बाहर गार्डन में आ गई। वह बिलकुल धीरे-धीरे चल रही थी। उसने साहिल को देखा और जैसे ही उसे डराने को हुई, उससे पहले ही उसके पीछे आ रहे देव ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। अचानक किसी के हाथ रखने से पीहू जोर से चिल्लाई। उधर साहिल जो पानी पी रहा था, उसके मुँह से पानी निकल गया। उसने पीछे देखा तो पीहू आँखें बंद करके गहरी-गहरी साँस ले रही थी। उसने आँखें खोली और जल्दी से पीछे देखा तो देव खड़ा हुआ था।


    "तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो?" साहिल ने दोनों को देखकर अपने हाथ बाँधते हुए कहा। देव कुछ बोलता उससे पहले ही पीहू साहिल के पास आई और कहा, "ये देव भाई...ये मुझे डराने के लिए आए हैं। इन्हें बताओ मैं किसी से नहीं डरती!" इतना बोल पीहू ने साहिल के हाथ से पानी लिया और पीने लगी।


    "झूठी... मैंने कब..." देव इतना बोलकर चुप हो गया था। उसने ही तो पीहू को डराया था! पीहू की बात झूठी भी नहीं थी।


    "अच्छा चलो मान लेता हूँ, पर तुम दोनों इतनी जल्दी उठकर क्यों आ गए?" साहिल पीहू को देखते हुए कहा, "और तुम, पीहू, तुम्हें जल्दी क्यों उठ गई आज?"


    "अब आप उठाने नहीं आओगे तो क्या उठूँगी नहीं?" पीहू ने कहा, "यार, मेरे रूम में वो वाणी आकर सो गई। आपको पता है ना वह मुझे अच्छे से सोने भी नहीं देती, ना मैं उसे सोने देती हूँ। फिर भी मेरे रूम में आकर सो गई इसलिए आँख खुल गई थी मेरी। फिर मैंने आपको देखा तो मैं नीचे आ गई!"


    कुछ देर तीनों ने एक्सरसाइज़ की और वापस अपने-अपने रूम में आ गए थे। पीहू अपने रूम में आई तो देखा वाणी अभी भी सो रही थी। वाणी को सोता देखकर पीहू ने एक बार उसे गुस्से से देखा और मुस्कुराने लगी। वाणी भी सोते हुए किसी बच्चे की तरह प्यारी लग रही थी। पीहू ने अपने कपड़े लिए और रेडी होकर कुछ ही देर में नीचे आ गई। उसे नीचे आकर देखा तो साहिल कोई फ़ाइल चेक कर रहा था। साहिल को फ़ाइल में लगे हुए देखकर पीहू सोफ़े पर बैठते हुए बोली,


    "साहिल भाई, मैं क्या सोच रही थी कि मैं भी ऑफिस ज्वाइन कर लूँ। यार, सच में घर में बैठे-बैठे बोर हो जाते हैं बहुत ज़्यादा। आप लोग तो चले जाते हैं।" पीहू के बोलते ही साहिल ने उसे देखा और एक नज़र देव को देखकर कहा, "मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, तुम ज्वाइन कर सकती हो, लेकिन हाँ यह बात वहाँ किसी को मत बताना कि तुम मेरी बहन हो, प्लीज़!" इस बात का ध्यान रहे। साहिल के यह बोलते ही, पीहू ने अपनी गर्दन को हाँ में हिलाया और साहिल के गले लगते हुए कहा, "आप सच में दुनिया के बेस्ट भाई हो, थैंक यू। तो चले देव भाई, आज आप मुझे सब कुछ सिखाना।" और यह प्यारी सी गुड न्यूज़ मैं वाणी को देकर आती हूँ। इतना बोलकर पीहू ऊपर अपने रूम में चली गई।


    देव ने एक नज़र साहिल को देखा, उसके बगल में सोफ़े पर बैठते हुए कहा, "और क्या सोचकर तुमने यह डिसीज़न लिया है?" देव के बोलते ही साहिल ने देव को देखा और कहा, "क्यों छुपाऊँ यार मैं उसे इस दुनिया से? हम हैं ना हमेशा उसके साथ। इफ़ेक्ट वो हमारी नज़रों के सामने रहेगी। चौबीस घंटे घर में हम उसके साथ होते हैं और ऑफिस में भी हम उसके साथ रहेंगे। और तुम्हें पता तो है कि मैं उसके लिए इतना कुछ कर रहा हूँ। तुम सब जानते हो कि उसने क्या खोया है। अपनी लाइफ़ में पहली बार ऐसी लड़की देख रहा हूँ, इतना कुछ खोने के बाद भी वो मेरे साथ है, उस इंसान के साथ जिसके..." साहिल ने बात को वहीं छोड़ दिया था। "...उससे बात कर लेना!" तुम सब जानते हो यार मैं उसकी जान के लिए उसकी ख्वाहिशों को तो नहीं मार सकता ना? वह हमारे साथ रहेगी तो वो सब कुछ कर लेगी। घर में बैठी बोर हो जाती है, बाकी हम ऑफिस में उसके साथ रहेंगे ना, उसे किसी से डर नहीं रहेगा!" इतना बोलकर साहिल ने अपना लैपटॉप बंद किया और देव की ओर देखकर वापस कहा, "ज़्यादा मत सोचो, जो होगा अच्छा होगा और जो हमने सोचा है बिल्कुल वैसा ही होगा!"


    "हाँ, वह लड़ाई-झगड़ा करे, उसे पसंद है, लेकिन उसे खून-खराबा नहीं पसंद। तुम जानते हो ना साहिल अच्छे से, लड़ाई-झगड़े से कितना डर लगता है!"

  • 20. " बेहद इश्क " - Chapter 20

    Words: 1031

    Estimated Reading Time: 7 min

    चौबीस घंटे घर में हम उसके साथ रहे और ऑफिस में भी हम उसके साथ रहेंगे। तुम्हें पता है कि मैं उसके लिए इतना कुछ कर रहा हूँ। तुम सब जानते हो कि उसने क्या खोया है। अपनी लाइफ में पहली बार ऐसी लड़की देख रहा हूँ, इतना कुछ खोने के बाद भी वो मेरे साथ है, उस इंसान के साथ जिसके..." साहिल ने बात को वहीं छोड़ दिया था। "और उससे बात कर लेना!"

    तुम सब जानते हो यार, मैं उसकी जान के लिए उसकी ख्वाहिशों को तो नहीं मार सकता ना? वह हमारे साथ रहेगी तो वो सब कुछ कर लेगी। घर में बैठी बोर हो जाती है, बाकी हम ऑफिस में उसके साथ रहेंगे ना, उसे किसी से डर नहीं रहेगा।" इतना बोलकर साहिल ने अपना लैपटॉप बंद किया और देव की ओर देखकर वापस कहा—"ज्यादा मत सोचो, जो होगा अच्छा होगा और जो हमने सोचा है बिल्कुल वैसा ही होगा।"

    "हाँ, वह लड़ाई-झगड़ा करना उसे पसंद है, लेकिन उसे खून-खराबा नहीं पसंद। तुम जानते हो ना साहिल, अच्छे से, उसे लड़ाई-झगड़े से कितना डर लगता है!"

    "वह किसी को पीट देती है, यह बात मैं बहुत अच्छे से जानता हूँ, पर उसे लड़ाई-झगड़ा पसंद नहीं, खासकर खून से। जानते हो, कहीं ना कहीं जिम्मेदार वो..." इतना बोल देव चुप हो गया था। साहिल के हाथ लैपटॉप पर काम करते हुए रुक गए थे। उसने देव को देखा और बड़े ही विनम्रता से कहा—"सब कुछ जानता हूँ। वह भी तो सब कुछ जानती है, फिर भी मेरे साथ रह रही है ना?" इतना बोलकर साहिल ने अपना लैपटॉप बंद किया और वहाँ से उठकर चला गया। उसकी आँखों में यह बोलते हुए नमी आ गई थी।

    पीहू, जो कि अपने कमरे में आई थी, उसने देखा वाणी अभी भी सो रही थी। पीहू जल्दी से वाणी के ऊपर बैठ गई और उसका ब्लैंकेट हटाया और कहा—"वाणी के बच्चे, उठ जा। तुझे पता है मैं भी तेरे साथ आज ऑफिस चल रही हूँ।"

    वाणी ने जैसे ही ऑफिस का नाम सुना, उसकी आँखें झटके में ही खुल गईं। उसने पीहू को देखकर कहा—"क्या कहा तुमने अभी...? वापस बोलना। दिमाग के पेंच ढीले हो गए क्या तुम्हारे? तुम और ऑफिस जा रही हो?" इतना बोल वाणी ने पीहू को धक्के से अपने ऊपर से हटा दिया था।

    पीहू बेड के साइड में जाकर गिर गई थी। वाणी की इस हरकत पर पीहू को काफी गुस्सा आया था। उसने जल्दी से वाणी के ऊपर से ब्लैंकेट हटाया और उस पर चिल्लाते हुए कहा—"किस पागल कुत्ते ने काटा है क्या...? चलो उठो, मेरे कमरे से निकल।" इतना बोल पीहू वापस नीचे चली गई।

    पीहू को गुस्से में आता देख देव ने कहा—"क्या हुआ? वाणी ने तुम्हारी बातें नहीं सुनी...?" इतना बोलकर देव हँसने लगा। देव को हँसता देखकर पीहू को गुस्सा आ रहा था। उसने सोफे पर से कुशन उठाया और देव के ऊपर मारते हुए कहा—"आपको बड़ी हँसी आ रही है! आपको पता भी है उस लड़की को यकीन तक नहीं है कि हम ऑफिस जा रहे हैं, किसी को हम पर यकीन ही नहीं है कि हम ऑफिस जा रहे हैं। आप लोगों की वजह से हुआ है। अगर हम पहले से ऑफिस जाते ना तो हमें इस तरह कोई बात नहीं करता! और लोगों को तो छोड़िए, वाणी तक को यकीन नहीं है कि हम ऑफिस जा रहे हैं। बताइए, आप लोगों की वजह से..."

    देव ने पीहू की बात सुनी और उसका हाथ पकड़कर सोफे पर बैठे हुए कहा—"आई नो, जो हो रहा है साहिल और मेरी वजह से ही हो रहा है, लेकिन पीहू तुम बहुत समझदार हो। तुम...तुम सब जानती हो ना कि साहिल तुम्हें किसी की नज़रों के सामने नहीं आने देना चाहता। वह जो भी सोचता है, तुम्हारे लिए सोचता है, तुम्हारे लिए करता है।" इतना बोल देव ने पीहू के सर पर हाथ रखा और थोड़ा सीरियस होकर पीहू से कहा—"और जरा मुझे एक बात बताओ, कल तुम वहाँ क्या कर रही थी और वह रुद्रांश, वह तुम्हें कैसे जानता है? तुम कहीं उससे पहले भी मिली हुई हो क्या...?"

    "जिस तरह वह तुमसे बात कर रहा था, मुझे तो लगता है जैसे तुम दोनों की काफी गहरी दोस्ती हो। तुम जानती हो उसे?" देव ने एक के बाद एक सवाल रख दिए थे। पीहू ने देव को देखा और कहा—"इतने सवाल कौन पूछता है? हाँ भाई, हम जानते हैं उसे। एक-दो बार मिली थी मैं उनसे। तो उन्होंने हमारी हेल्प की थी, बाकी ऐसा कुछ नहीं है।" इतना बोल पीहू उठकर वहाँ से चली गई थी। वह जानती थी अगर वह देव के सामने रहेगी तो देव उसे कुछ ना कुछ और सवाल करेगा।

    पीहू जैसे ही जा रही थी कि तभी सीढ़ियों से वाणी और साहिल आते हुए उसे नज़र आए। उसने दोनों को देखा। सब लोग नाश्ता करने बैठ गए। कुछ ही देर में सब लोग नाश्ता करके ऑफिस चले गए थे। ऑफिस में आज पीहू का पहला दिन था, और वह ऑफिस में आकर काफी खुश नज़र आ रही थी। देव उसे काफी कुछ समझा रहा था। ऑफिस में तो वही, आज रुद्र भी ऑफिस आया हुआ था। उसने जो प्रोजेक्ट साहिल के साथ करना था, वह वहीं तो रहकर करना था, इसलिए वह खुद ऑफिस आया था। पीहू से जब वह मिला था तो उसने उसे कहा था कि वह ऑफिस नहीं जाती, मगर आज उसे ऑफिस में देखकर उसे काफी अजीब लगा था। रुद्र की नज़र तो पीहू से हट नहीं रही थी। पीहू भी बीच-बीच में रुद्रांश को देख रही थी।

    देव ने पीहू को काफी कुछ समझा दिया था। पीहू अब अपने हिसाब से केबिन में बैठकर काम कर रही थी। वह साहिल के केबिन में बैठी हुई थी और साहिल भी फिलहाल वहीं उसी के सामने लैपटॉप पर कोई काम कर रहा था। पीहू ने साहिल को देखा और मुस्कुराते हुए कहा—"आपको पता है भाई, मैं कितना खुश हूँ! आप आइडिया भी नहीं लगा सकते। अब देखना, आपको हेल्प भी मिल जाएगी मेरे काम करवाने से, और मेरा मन भी लग जाएगा और मैं कुछ सीख जाऊँगी।"

    क्रमशः...