"One Night, One Mistake… or a Fateful Bond?" आन्या ठाकुर—एक प्रतिभाशाली डॉक्टर जिसकी ज़िंदगी पूरी तरह से प्लान्ड थी। एक प्यार करने वाला फ़ियांसे, कुछ दिनों में होने वाली ड्रीम वेडिंग… लेकिन एक रात ने सब कुछ बदल दिया! नशे की हालत में,... "One Night, One Mistake… or a Fateful Bond?" आन्या ठाकुर—एक प्रतिभाशाली डॉक्टर जिसकी ज़िंदगी पूरी तरह से प्लान्ड थी। एक प्यार करने वाला फ़ियांसे, कुछ दिनों में होने वाली ड्रीम वेडिंग… लेकिन एक रात ने सब कुछ बदल दिया! नशे की हालत में, उसने खुद को एक अजनबी—समर ठाकुर—की बाहों में पाया। Who was he? और क्यों उसकी मौजूदगी उसे अजीब तरीके से अट्रैक्ट कर रही थी? सुबह सब कुछ एक ब्लरी याद था, लेकिन किस्मत ने उसे भूलने नहीं दिया। On her wedding day, वही स्ट्रेंजर वापस आया… सिर्फ़ उसका हस्बैंड बनने के लिए! एक फोर्स्ड मैरिज, एक मिस्टीरियस पास्ट, और सीक्रेट्स जो बाहर आने का इंतज़ार कर रहे थे… क्या यह सिर्फ़ एक एक्सिडेंट था, या फिर डेस्टिनी अपना कोई गेम खेल रही थी? एक पैशन, मिस्ट्री, और एक अनवांटेड बॉन्ड की कहानी… क्या लव कभी अपनी राह ढूंढ पाएगा?
समर ठाकुर
Hero
आन्या ठाकुर
Heroine
दर्शिल सिंघाल
Hero
अभय जिंदल
Villain
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शाम का वक्त था। मुंबई के सबसे पॉश इलाकों में से एक में स्थित ठाकुर विला, आज दुल्हन की तरह सजा हुआ था। दूर-दूर तक रंग-बिरंगी लाइट्स की चमक, ताज़े फूलों की खुशबू और गूंजते शहनाई के सुर, माहौल को और भी रॉयल बना रहे थे। पूरी हवेली बारातियों और मेहमानों से खचाखच भरी हुई थी। बाहर, ग्रैंड गार्डन एरिया में स्टेज और मंडप तैयार था। कमिश्नर ऑफ़ पुलिस, दानिश ठाकुर, अपनी पत्नी दीपिका ठाकुर के साथ, अपने समधी और होने वाले दामाद का बड़े गर्मजोशी से स्वागत कर रहे थे। आज उनकी इकलौती बेटी आन्या ठाकुर की शादी थी—The Wedding of The Year!
हर किसी के चेहरे पर उत्साह और खुशी साफ़ झलक रही थी, पर इस भव्य शादी की चमक-धमक के बीच, उस रॉयल हवेली के एक कमरे में एक खूबसूरत दुल्हन अकेली बैठी थी—आन्या।
गोर्जियस रेड ब्राइडल लहंगा, विथ इंट्रिकेट गोल्ड एम्ब्रोइडरी। उसकी दूध जैसी गोरी, बेदाग त्वचा पर सुर्ख रंग की लाली और भी खिल रही थी। गहरी golden-brown आँखें, आज कुछ बेचैन सी लग रही थीं। उसके कटा हुआ होंठ जिन्हें उसने आपस में दबा रखे थे। मॉडल जैसा परफेक्ट बॉडी फिगर। इस ब्राइडल लुक में वो किसी फ़ेरी टेल की प्रिंसेस से कम नहीं लग रही थी।
आज उसकी शादी थी। ब्राइड बनकर बैठी वो अपने ग्रूम का इंतज़ार कर रही थी, पर उसके चेहरे पर न तो खुशी थी और न ही कोई उत्साह। वो कुछ खोई-खोई सी लग रही थी।
रूम में मौजूद फुल साइज़ मिरर के सामने बैठी आन्या ने अपने लॉन्ग गोल्डन इयररिंग्स को एडजस्ट किया और हल्के काँपते हुए उंगलियों से अपनी नथ को सही करने लगी। उसकी आँखों में अजीब सी बेचैनी थी, दिल किसी अनजाने डर से धड़क रहा था। देखने में वो काफी नर्वस लग रही थी। सब ठीक करने के बाद उसने एक बार फिर पलकें उठाकर खुद के इस रूप को निहारा, और उसी पल…
उसे कुछ अजीब सी चीज़ नज़र आई। आईने में एक परछाई उभरी।
आन्या का चेहरा अचानक पीला पड़ गया। उसकी साँसें थम सी गईं, और दिल एक अनजाने डर से तेज़ी से धड़कने लगा। घबराहट में उसने झटके से कुर्सी छोड़ दी और पीछे मुड़ते ही चिल्लाई।
"त... तुम?"
अपने सामने खड़े इस अनचाहे व्यक्ति को देखकर आन्या शॉक्ड रह गई थी।
"त.... तुम सच...... सच में यहाँ हो?" आन्या ने हैरान-परेशान निगाहों से उसे देखते हुए सवाल किया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि जो उसकी आँखों के सामने था वो सच था या उसकी इमेजिनेशन?
"तुम्हें क्या लगता है?" उस शख्स ने अपनी आइब्रो चढ़ाते हुए अपनी काली डरावनी आँखों से उसे घूरते हुए सवाल किया। उसकी ठंडी आवाज़ आन्या के कानों से टकराई और उसके चेहरे पर हैरानी की जगह अजीब सा डर झलकने लगा। घबराहट के मारे माथे पर पसीने की बूँदें चमकने लगीं।
आन्या ने गहरी साँस छोड़ते हुए खुद को संभाला। वो कमज़ोर नहीं थी, एक कॉन्फिडेंट लड़की थी।
"तुम क्यों आए हो यहाँ? मेरे रूम तक कैसे पहुँचे? मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि हमारे बीच जो भी हुआ या नहीं हुआ वो बस एक एक्सीडेंट था। फिर तुम मेरे पीछे-पीछे यहाँ तक क्यों आए और यहाँ आने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी?"
आन्या ने उसकी निगाहों से निगाहें मिलाते हुए बेहद गुस्से में सवाल किया। पर उसकी आँखों में अजीब सा डर झलक रहा था जिसे छुपाने की पूरी कोशिश कर रही थी वो। उससे उलट वो शख्स बिल्कुल शांत था और उसके चेहरे पर ठंडा भाव मौजूद था, आँखों में जुनून झलक रहा था।
"मैं यहाँ कैसे आया, ये जानना तुम्हारे लिए इम्पॉर्टेंट नहीं। हाँ, क्यों आया ये जानना बहुत इम्पॉर्टेंट है तुम्हारे लिए क्योंकि मैं इस वक्त यहाँ सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए आया हूँ।"
"क........ क्या मतलब....." आन्या उसकी बात सुनकर और ज़्यादा घबरा गई, उसकी ज़ुबान भी लड़खड़ा गई। कुछ तो था जो वो छुपा रही थी, उसके डर के पीछे कोई वजह थी।
आन्या का सवाल अधूरा ही रह गया। वो शख्स धीरे-धीरे उसके करीब आने लगा। उसकी हर बढ़ते कदम के साथ आन्या की घबराहट बढ़ती जा रही थी।
"मतलब तो मैं तुमसे पूछने आया हूँ कि जब उस दिन मैंने तुम्हें साफ़ शब्दों में समझाया था कि अपनी सगाई तोड़ दो, तुम अब सिर्फ मेरी हो और मैं कभी किसी कीमत पर तुम्हें किसी और को नहीं दूँगा। तुम्हारी हाँ का इंतज़ार लाइफटाइम करूँगा, पर अगर तुमने मेरे अलावा किसी और के बारे में सोचा भी या उसे अपनी लाइफ़ में शामिल करने का ख्याल भी अपने मन में लाया तो तुम्हें अपना बनाने से पहले एक पल नहीं सोचूँगा..... मेरी इस वार्निंग के बाद भी तुम आज दुल्हन बनकर मेरे सामने खड़ी हो..... आखिर करना क्या चाहती हो तुम? मुझे चैलेंज कर रही हो या मेरे पेशेंस लेवल को टेस्ट कर रही हो? मेरी शराफ़त रास नहीं आई तुम्हें, जो इस तरह मुझे मजबूर कर रही हो कि मैं अपनी शराफ़त छोड़कर अपने पर उतरूँ..... या तुमने ये सब किया ही इसलिए है ताकि मुझे अपने पास आने पर मजबूर कर सको?....."
वो लंबा-चौड़ा शख्स, जो सर से लेकर पाँव तक ब्लैक कलर से कवर था। उसकी दूध सी सफ़ेद स्किन और उस पर छाया हुआ ठंडा अहंकार, जैसे ये एटीट्यूड खास उसी के लिए बना हो। शार्प जॉलाइन, इंटेंस ब्लैक आइज़ जो सीधे आन्या की आँखों में झाँक रही थीं, और उनकी गहराई में कुछ ऐसा था जिसने आन्या के पूरे जिस्म में सिहरन दौड़ा दी।
उसकी ब्रांडेड एक्सपेंसिव स्टाइल, बोल्ड पर्सनैलिटी और ठंडी ऑरा उसे भीड़ से अलग बनाते थे। उसका अद्भुत आकर्षण लड़कियों के लिए एक सपना था, मगर आन्या के लिए वो किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
"देखो, तुम गलत समझ रहे हो। मेरा तुम्हें यहाँ बुलाने का कोई इरादा नहीं था और मैं उस दिन ही तुमको कह चुकी हूँ कि तुम जो चाहते हो वो पॉसिबल नहीं है। मेरा रिश्ता सालों पहले किसी और से जुड़ चुका है और मेरी शादी उसी से होगी, तो तुम मेरा पीछा छोड़ दो और जैसे यहाँ आए हो वैसे ही शांति से यहाँ से चले जाओ। आज शादी है मेरी और मैं आज के दिन कोई तमाशा नहीं चाहती।"
उस शख्स की बातें और अंदाज़ देखकर आन्या की दिल की धड़कनें बढ़ गईं। उसने अपनी घबराहट को छुपाते हुए सॉफ्ट वॉइस में उसे समझाने की कोशिश की।
"शादी...." उस शख्स की शैतानी हँसी की आवाज़ वहाँ गूंज उठी, जिससे आन्या मन ही मन सहम गई। उस शख्स के कदम आन्या के सामने आकर ठहरे और वो उसे गहन निगाहों से देखते हुए वो रहस्यमय अंदाज़ में मुस्कुराया।
"शादी..... हाँ, शादी तो होगी आज तुम्हारी आन्या..... शादी आज ही होगी और जिससे होगी वो इस वक्त तुम्हारे सामने खड़ा है।"
उसकी गहरी काली डरावनी आँखों में अजीब सा जुनून झलक रहा था, वो आत्मविश्वासी था और गंभीर भी। जिसने आन्या की धड़कनों को बढ़ा दिया था।
जल्द ही...
“शादी.....हाँ, शादी तो होगी आज तुम्हारी आन्या.....शादी आज ही होगी और जिससे होगी वो इस वक्त तुम्हारे सामने खड़ा है।”
उसकी गहरी काली, डरावनी आँखों में अजीब सा जुनून झलक रहा था। जिसने आन्या की धड़कनों को बढ़ा दिया था।
“ये क्या कर रहे हो तुम? मेरी शादी तुमसे नहीं, विनय से होगी।”
“नहीं होगी, क्योंकि मैं ऐसा होने ही नहीं दूँगा।”
“मेरी शादी विनय से ही होगी और तुम क्या, दुनिया की कोई ताकत ऐसा होने से नहीं रोक सकती। वैसे भी, ये मेरी ज़िन्दगी का फैसला है, जिसे लेने का हक सिर्फ मुझे है और मैं तुमसे नहीं, विनय से शादी करना चाहती हूँ।”
आन्या का जवाब सुनकर उस शख्स के लबों पर कुटिल मुस्कान फैल गई।
“और क्या ये जानने के बाद कि उसकी मंगेतर मेरे साथ होटल रूम में एक रात बिता चुकी है, विनय भी तुमसे शादी करना चाहेगा?.......और क्या उसके पैरेंट्स एक ऐसी लड़की को अपने घर की बहू बनाएँगे जिसका किसी स्ट्रेंजर लड़के के साथ इंटीमेट रिलेशन रहा हो?.......और सोचो, जब ये बात सबके सामने आएगी तो तुम्हारे डैड ये सदमा कैसे बर्दाश्त करेंगे?”
उसने आइब्रो चढ़ाते हुए सवाल किया। उसकी बात सुनकर आन्या का चेहरा बिल्कुल सफ़ेद पड़ गया था। उसका सारा कॉन्फिडेंस और हिम्मत इस लम्हे में कमज़ोर पड़ गई थी और उन बड़ी-बड़ी सुरमई आँखों में गुलाबी पानी तैरने लगा था।
“तुम ऐसा नहीं करोगे और वैसे भी, तुमने कहा था कि उस रात हमारे बीच कुछ नहीं हुआ था।”
“मैंने कहा था ना और मैं कोई सत्यवादी हरिशचंद्र नहीं कि कभी झूठ बोलता ही नहीं। खुद सोचो, तुम जिस तरह नशे की हालत में मेरे कमरे में आई थीं और सुबह जिस कंडीशन में तुमने खुद को देखा, क्या ऐसा पॉसिबल है कि मेरे जैसे यंग, हैंडसम एंड डैशिंग लड़के और तुम्हारी जैसी ब्यूटीफुल यंग लड़की पूरी रात एक कमरे में उस कंडीशन में रहें पर उनके बीच कुछ हुआ नहीं। वो भी तब जब तुम खुद उस लड़के, यानी मुझे, अपने मूव्स से सैड्यूस करने की कोशिश कर रही थीं और खुद अपनी मर्ज़ी से मेरे करीब आ रही थीं।”
उस शख्स ने तिरछी, ईविल मुस्कान होंठों पर बिखेरते हुए अजीब नज़रों से उसे ऊपर से नीचे तक देखा और उसके देखने के इस अंदाज़ से आन्या खुद में सिमटने लगी।
“झूठ बोल रहे हो तुम।”
आन्या ने अपने बिखरते वजूद को किसी तरह समेटा, पर अब वो कमज़ोर पड़ने लगी थी। ये देखकर उस शख्स के फेस पर कुछ अलग से एक्सप्रेशन नज़र आए।
“उस रात की पूरी रिकॉर्डिंग है मेरे पास, जिस तरह तुम मेरे कमरे में घुसी थीं, मेरे क्लोज़ आ रही थीं, मेरे साथ इंटीमेट होने के लिए एक्साइटेड थीं। बाद में कहीं उल्टा मुझे ना फँसा दो, इसलिए मैंने उस रात की रिकॉर्डिंग की थी। अगर मेरी बातों पर विश्वास नहीं तो अभी नीचे जाकर सबको वीडियो दिखा देता हूँ, तब तुम क्या, यहाँ तुम्हारी शादी अटेंड करने आया हर शख्स मेरी बातों पर विश्वास करेगा।.....कहो, दिखा दूँ जाकर सबको हमारी उस रात की हाई क्वालिटी वीडियो?”
उस शख्स ने भौंह उछालते हुए सवाल किया। आन्या जो वीडियो वाली बात सुनकर शॉक्ड थी, उसका चेहरा बिल्कुल काला पड़ गया। उसने हड़बड़ाते हुए इंकार में सर हिला दिया।
“न......नहीं, किसी को कुछ नहीं दिखाना......”
बेचारी आन्या बुरी तरह से घबरा गई थी। घर मेहमानों से भरा था, बारात आ चुकी थी, उसके पापा की पूरे शहर में इतनी इज़्ज़त, मान, प्रतिष्ठा थी, एक रुतबा था उनका, जो उन्होंने सालों की कड़ी मेहनत से बनाया था और उसकी एक गलती सब कुछ बर्बाद कर सकती थी। उसे यूँ घबराते देखकर उस शख्स के लबों पर विक्ट्री स्माइल उभर आई।
उसे यूँ मुस्कुराते देखकर आन्या क़िल्लस गई और अपनी भीगी आँखों को अपनी हथेलियों से पोंछते हुए, उसने तड़पते हुए गुस्से से सवाल किया।
“क्या चाहते हो तुम मुझसे, क्यों कर रहे हो मेरे साथ ऐसा? जानते हो, उस दिन नशे में थी मैं, तुम चाहते तो रोक सकते थे मुझे, पर तुमने मेरे नशे में होने का फ़ायदा उठाया, उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग की और अब मुझे ब्लैकमेल कर रहे हो......तुमने उस दिन कहा था कि हमारे बीच कुछ नहीं हुआ तो मैंने विश्वास किया तुम पर क्योंकि तुम मुझे इतने घटिया आदमी नहीं लगे थे, जो एक लड़की के नशे में होने का फ़ायदा उठाए, पर अब तुमने मुझे और मेरी सोच को गलत साबित कर दिया था।
मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे हासिल करने के लिए तुम इस क़दर नीचे गिर जाओगे कि भरी महफ़िल में मेरी इज़्ज़त उछालने को भी तैयार हो जाएँगे। पर यहाँ भी तुमने बड़ी ही बेरहमी से मेरे विश्वास का क़त्ल कर दिया। आखिर हासिल क्या करना चाहते हो तुम ये सब करके?”
“तुम्हें..........और तुम ये बात बहुत अच्छे से जानती हो। मैं यहाँ तुम्हें बदनाम करने के इरादे से नहीं आया। मुझे बस तुम चाहिए और तुम्हें हासिल करने के लिए मुझे जो करना पड़ेगा मैं करूँगा, पर तुम चाहो तो ये सब होने से रोक सकती हो। मेरी बात मानो, जो मैं कहता हूँ करो। बदले में मैं उस वीडियो को अपने पास सेफ़ रखूँगा और तुम्हारे ऊपर आँच तक नहीं आने दूँगा.......
पर अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मजबूरन मुझे इस शादी को रोकने के लिए तुम्हारी वो वीडियो तुम्हारे होने वाले हस्बैंड और ससुराल वालों को दिखानी पड़ेगी। उसके बाद वो खुद इस रिश्ते से इंकार करेंगे और तुम्हारे डैड तुम्हारी इज़्ज़त को बचाए रखने के लिए तुम्हारी शादी मुझसे करवा देंगे।”
आन्या के फेस पर इस वक्त कोई एक्सप्रेशन नहीं था, पर आँखें गुस्से से जल रही थीं और उसे घूरते हुए वो उसकी बातें सुन रही थी।
“अगर तुम्हें ऐसा लगता है कि ये सब करके तुम मुझे हासिल कर लोगे, मेरे डैड मेरी शादी तुम्हारे साथ करवा देंगे......तो बहुत बड़ी गलतफ़हमी में जी रहे हो तुम। मेरे डैड को अगर तुम्हारी इन हरकतों के बारे में पता चला तो वो खड़े-खड़े तुम्हें गोलियों से भून देंगे, इतनी मोहब्बत करते हैं वो मुझसे।”
“यकीनन, मोहब्बत तो वो बहुत करते हैं तुमसे और उनकी यही मोहब्बत तुम्हें मुझ तक पहुँचाएगी।”
उस शख्स ने रहस्यमयी अंदाज़ में जवाब दिया, जिसे सुनकर आन्या चौंक गई।
“क्या मतलब है इस बात का?”
वो शख्स कुटिलता से मुस्कुराया और आन्या के गाल पर बिखरी लटों संग अठखेलियाँ करते हुए इंटेंस निगाहों से उसे देखने लगा।
“मतलब ये, स्वीटहार्ट, कि जब तुम्हारा रिश्ता टूटेगा। जिस लड़के पर बहुत विश्वास करके वो तुम्हारा हाथ उसे सौंपने जा रहे थे, वो लड़का मंडप में तुम्हें अकेला छोड़ जाएगा। उस वक्त मैं उनके पास जाऊँगा और उस रात की अपनी मिस्टेक को एक्सेप्ट करते हुए, उनसे माफ़ी मांगकर तुम्हें अपने लिए माँग लूँगा। तब उन पर लोगों का इतना प्रेशर होगा और तुम्हारे फ़्यूचर की इतनी चिंता होगी कि वो चुपचाप तुम्हारी शादी मुझसे करवा देंगे और तुम कुछ नहीं कर सकोगी। पर इससे तुम्हारी और तुम्हारे पैरेंट्स की काफ़ी बदनामी होगी, जो मैं नहीं चाहता, इसलिए एक आसान सा रास्ता दिखा रहा हूँ तुम्हें। मेरे कहे अनुसार अपने पैरेंट्स को एक लेटर लिखो कि तुम ये शादी नहीं करना चाहती, तुम किसी और को पसंद करती हो और मेरे साथ यहाँ से चलो।”
आन्या जो उसके स्पर्श से कसमसा उठी थी, उसने गुस्से में उसका हाथ झटक दिया।
“अच्छा, और मैं अपनी शादी के टाइम ऐसे घर से भाग जाऊँगी, उससे मेरी फैमिली की कोई बदनामी नहीं होगी, मेरे कैरेक्टर और मेरे पैरेंट्स के संस्कारों पर सवाल नहीं उठेंगे.......और क्यों कहूँ मैं किसी से झूठ? मैं तुमसे प्यार नहीं करती।”
“तुम बस मेरे साथ चलो, जो मैं कहता हूँ करो। उसके बाद यहाँ सब मैं संभाल लूँगा और वादा रहा तुमसे कि रिश्ता भी टूटेगा, पर तुम्हारे या तुम्हारी फैमिली पर कोई सवाल भी नहीं उठेगा।”
“ओह, तो तुम चाहते हो कि तुमने जो मेरे साथ किया उसके बाद भी मैं तुम पर ट्रस्ट करूँ?” आन्या ने व्यंग्य भरे लहज़े में कहा और तीखी निगाहों से उसे घूरने लगी। जवाब में वो शख्स कुटिलता से मुस्कुराया और गहरी इंटेंस नज़र उसके वजूद पर डालते हुए कठोर स्वर में बोला।
“इसके अलावा अभी कोई रास्ता भी नहीं तुम्हारे पास। या तो मेरी बात मानो, वरना फिर मैं तुम्हें मजबूर कर दूँगा मेरी बात मानकर मुझसे शादी करने के लिए। दो रास्ते हैं तुम्हारे पास, अगर अपनी मर्ज़ी से मेरा हाथ थामती हो तो मैं तुम्हारे और तुम्हारे परिवार पर एक आँच नहीं आने दूँगा। पर अगर तुम मेरे खिलाफ़ गई तो अंजाम अच्छा नहीं होगा....... ”
साफ़-साफ़ धमकी दी थी उसने आन्या को और आन्या के माथे पर उभरी लकीरें उसकी परेशानी ज़ाहिर कर रही थीं। क्या फैसला लेगी आन्या? कौन है ये शख्स और क्यों आन्या के साथ ऐसा कर रहा है? क्या वो अपने इरादे में कामयाब हो जाएगा या आन्या इस मुसीबत से निकलने का कोई तरीका ढूँढकर इस शख्स से अपना पीछा छुड़ा लेगी? जानने के लिए बने रहिए मेरे साथ।
नेवी ब्लू जगुआर रफ्तार से सड़क पर दौड़ रही थी; उसकी चमक और शान हर नज़र खींच रही थी। ड्राइविंग सीट पर बैठा लंबा, स्वैग से भरपूर शख्स स्टीयरिंग थामे था, जबकि बगल में सुर्ख जोड़े में सिमटी आन्या की आँखों में आँसू, बेबसी और गुस्से के भाव एक साथ नज़र आ रहे थे।
"देखो, तुम ये ठीक नहीं कर रहे हो मेरे साथ। मैं कितनी बार तुम्हें कहूँ कि मैं तुमसे प्यार नहीं करती और तुम ऐसे फोर्सफुल्ली मुझे हासिल नहीं कर सकते। मैं एक जीती जागती इंसान हूँ, कोई बेजान चीज़ नहीं जिस पर तुम्हारा दिल आया और तुमने ले लिया।... मैं नहीं जाना चाहती तुम्हारे साथ, प्लीज़ तुम मुझे फोर्स मत करो। वो वीडियो डिलीट कर दो। मुझे वापिस मेरे घर जाने दो। वहाँ सब बहुत परेशान हो रहे होंगे मेरे लिए।"
आन्या मजबूरी में उसके साथ आई थी, या यूँ कहें कि जबरदस्ती लाई गई थी। उसे अपने घर और परिवार की चिंता सता रही थी, जबकि उसके बगल बैठा यह शख्स उसे एक साइको लग रहा था। गुस्से और नफ़रत के बावजूद वह उससे बार-बार रिक्वेस्ट कर रही थी, मगर उसका कोई असर नहीं हो रहा था।
कार रफ्तार से बढ़ती जा रही थी, और आन्या की उम्मीदें टूटने लगी थीं। उसने गुस्से और बेबसी से उसे घूरा, फिर चेहरा फेर लिया। अब उसे यकीन हो गया था—यह आदमी उसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ेगा, और अपनी एक गलती की वजह से वह इस जल्लाद के चंगुल में फँस चुकी थी।
आन्या की आँखों से आँसू की एक बूंद फिसलकर उसके गाल पर आ गई। धुंधली नज़रों से उसे कुछ अंजान रास्ते नज़र आए। कार मुंबई से बाहर की ओर सुनसान रास्तों पर दौड़ने लगी थी।
आन्या ने तुरंत ही अपनी आँखों को अपनी हथेलियों से पोंछते हुए गौर से रास्तों को देखा, फिर उसकी घबराहट भरी नज़रें उस शख्स की ओर घूम गईं।
"ये... ये कहाँ लेकर जा रहे हो तुम? ये रास्ता तो मुंबई से बाहर की तरफ़ जाता है।"
वह शख्स अब भी चुप रहा। आन्या के सवाल को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया उसने; यह देखकर आन्या का चेहरा गुस्से और फ़्रस्ट्रेशन से लाल हो गया।
"सुनाई नहीं दे रहा तुम्हें? मैं तुमसे पूछ रही हूँ कि कहाँ लेकर जा रहे हो मुझे? ...एक तो तुम मुझे जबरदस्ती मेरे घर से ले आए, मुझे धमकी देकर अपनी घटिया बात मानने पर मजबूर कर दिया, अब और क्या करना चाहते हो तुम मेरे साथ? ...कहाँ लेकर जा रहे हो अब तुम मुझे?"
उसकी आवाज़ में दर्द और बेबसी के साथ गुस्सा भी झलक रहा था, पर वह शख्स अब भी आराम से कार ड्राइव कर रहा था।
आन्या तब से सब कुछ कह चुकी थी—रिक्वेस्ट, गिड़गिड़ाना, समझाना—मगर वह शख्स यूँ बेफिक्र था, जैसे उसके शब्द कोई मायने ही न रखते हों। जब इस बार भी उसने जवाब नहीं दिया, तो आन्या का खून खौल उठा; जबड़े भींचते हुए वह उस पर चीख पड़ी।
"मिस्टर समर ठाकुर, तुम्हें सुनाई दे रहा है, कुछ पूछ रही हूँ मैं तुमसे... कहाँ लेकर जा रहे हो तुम मुझे?... जवाब दो... क्या करना चाहते हो अब तुम मेरे साथ? इन सुनसान रास्तों पर क्यों लेकर जा रहे हो मुझे?... जवाब दो मेरे सवालों का।"
आन्या के लहज़े में धमकी थी जिसे उसके बगल में बैठे समर ने पूरी तरह से इग्नोर कर दिया था। उन सुनसान रास्तों को देखकर आन्या के मन में अजीब सा डर पनपने लगा। वह जानती थी कि कार लॉक थी; वह ऐसे नहीं उतर सकती थी, पर वह इस आदमी के साथ जाना भी नहीं चाहती थी।
समर का ध्यान ड्राइविंग पर था। मौके का फ़ायदा उठाकर आन्या आगे की ओर झुकी और जैसे ही कार अनलॉक करने के लिए बटन प्रेस करने लगी, समर ने उसकी कलाई थामते हुए उसे रोक दिया।
उसकी पकड़ इतनी सख्त थी कि आन्या के थरथराते होंठों से सिसकी निकल गई।
"Don't you dare to do this... अभी मैं शांत हूँ और तुम्हारे साथ प्यार से पेश आ रहा हूँ। मजबूर मत करो कि मैं तुम्हारे साथ रूड बिहेव करूँ या तुम्हें हर्ट करूँ। पहली गलती समझकर छोड़ रहा हूँ। अब चुप करके एकदम शांति से बैठी रहो, जो कर रहा हूँ मुझे करने दो और शराफ़त से बस वो करो जो तुम्हें करने कहा जा रहा है।
अगर कोई उल्टी-सीधी हरकत की या मेरे अगेंस्ट जाने का सोचा भी, तो हाथ-पैर बाँधकर पीछे पटक दूँगा और उस रात की वीडियो सीधे तुम्हारे डैड के पास जाएगी। होगा तब भी वही जो मैं चाहता हूँ, पर उसके बाद तुम दोबारा कभी अपने पैरेंट्स को फ़ेस नहीं कर सकोगी।"
समर ने अपनी डरावनी आँखों से आन्या को घूरते हुए बेहद सर्द लहज़े में उसे चेतावनी दे दी; जिसे धमकी कहना ज़्यादा ठीक होता। उसका यह अंदाज़ देखकर आन्या सहम गई। अपने डैड का ज़िक्र सुनकर उसकी आँखों में बेबसी से आँसू छलक आए।
"क्यों कर रहे हो तुम मेरे साथ ऐसा? मैंने तो कुछ भी नहीं बिगाड़ा तुम्हारा। मैं तो तुम्हें जानती तक नहीं... उस रात जो हुआ वो एक हादसा था।... किस बात का बदला ले रहे हो तुम मुझसे?"
"आज शादी है मेरी और तुम मुझे जबरदस्ती यहाँ ले आए। मुझसे मेरा फ़ोन भी छीन लिया। पता नहीं कहाँ लेकर जा रहे हो मुझे। वहाँ घर पर बारात आ रखी थी मेरी, जब दुल्हन नहीं मिलेगी तो पता नहीं वहाँ क्या हो रहा होगा? मेरे मॉम-डैड कितने परेशान होंगे, मेरा फ़ोन भी नहीं लग रहा होगा तो कितनी टेंशन हो जाएगी उन्हें और सबके सामने जब मेरे भागने की बात सामने आएगी तो कितनी इन्सल्ट होगी उनकी..."
समर के चेहरे के भाव सख्त से थोड़े सॉफ्ट हो गए, पर लहज़ा अब भी गंभीर ही रहा।
"मैंने कहा ना तुमसे कि ऐसा कुछ नहीं होगा। तुम्हें वहाँ की चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं सब में संभाल लूँगा। तुम्हारे मॉम-डैड वहाँ बिल्कुल ठीक हैं और अभी तुम्हारा उनसे बात करने का वक़्त नहीं आया है, इसलिए जब तक मैं सारी सिचुएशन अपने तरीके से हैंडल नहीं कर लेता, तुम्हें तुम्हारा फ़ोन वापिस नहीं मिलेगा और रही बात हम कहाँ जा रहे हैं तो वो भी जल्दी ही पता चल जाएगा तुम्हें। अपनी मंज़िल के बहुत करीब हैं हम, तो थोड़े देर और सब्र रखो और चुपचाप शांति से बैठी रहो। याद रखो अगर तुम मेरी बात मानोगी तभी मैं अपना किया प्रॉमिस पूरा करूँगा। अगर तुम मेरे अगेंस्ट गई तो मेरी धमकी सच भी हो सकती है।"
एक बार फिर समर ने तीखी चेतावनी भरी निगाहों से घूरते हुए उसे धमकाया था। उसकी ये बातें सुनकर अपनी बेबसी और लाचारी पर आन्या का तन-बदन गुस्से से सुलग उठा और उसकी साँसें तेज़ चलने लगीं। साथ ही दुख आँखों से नमी बनकर छलकने लगा।
अभी कुछ मिनट बीते ही थे कि कार एक झटके के साथ रुकी और आन्या आगे की ओर झुक गई। समर ने उसके आगे अपनी बाँह लगा दी और उसकी चिंता भरी आवाज़ आन्या के कानों से टकराई।
"ठीक हो तुम?"
तब से किसी जल्लाद जैसे रूड बिहेव करने वाला लड़का एकदम से सॉफ्ट और केयरिंग बन गया था। आन्या, जो पहले घबरा गई थी, उसकी हैरानी भरी निगाहें समर के चेहरे पर पड़ीं, जिस पर चिंता साफ़ झलक रही थी।
पल भर को आन्या के चेहरे पर कोमल भाव उभरे, अगले ही पल उसे याद आया कि समर ने अब तक उसके साथ क्या-क्या किया है। उसके वजह से अभी वो यहाँ इस हाल में है; गुस्सा एक बार फिर उसके सर पर सवार हो गया।
"ठोक ही दो ना मुझे, एक बार में मेरा काम ही तमाम कर दो। मेरे मरते के साथ सारा फ़साद ही ख़त्म हो जाएगा। मुझे भी तुम्हारी इस जुनूनी इश्क़ और ज़िद से छुटकारा मिल जाएगा। वैसे भी तुम्हारे जैसे शख्स के साथ जाने से अच्छा है कि मैं मर ही जाऊँ।"
समर, जो फ़िक्रमंद निगाहों से परेशान सा उसे देख रहा था, आन्या की कही बात, उसका यह एटीट्यूड और इरिटेशन से भरा लहज़ा समर के चेहरे के भावों को एक बार फिर सख्त कर गया। उसने त्योरियाँ चढ़ाते हुए आँखें छोटी-छोटी करके तीखी निगाहों से उसे घूरा।
"इतनी आसानी से मौत नहीं आने दूँगा मैं तुम्हें, इसलिए जागती आँखों से सपने देखना बंद करो और बाहर निकलो।"
बेरुखी भरे लहज़े में अपनी बात कहते हुए समर ने उसे ऑर्डर दिया और सीट बेल्ट खोलते हुए बाहर निकल गया। आन्या आँखें फाड़े और मुँह खोले हैरान-परेशान सी उसे देखती ही रह गई। जितनी जल्दी उसका लहज़ा और व्यवहार बदला था, इतनी जल्दी तो गिरगिट भी अपना रंग नहीं बदलता।
आन्या ने गुस्से और नफ़रत से अपना चेहरा फेरा तो नज़र अनायास ही बाहर की ओर चली गई और सामने का नज़ारा देखकर आन्या की आँखें फटी की फटी रह गईं।
कहाँ लाया है समर आन्या को और क्या करने वाला है वह उसके साथ?
गहरी रात थी और घना अंधेरा छाया हुआ था। दूर से झींगुरों की आवाज़ गूंज रही थी। वीरान सड़क पर खड़ी नेवी ब्लू जैगुआर की हेडलाइट्स धुंध को चीर रही थीं।
आन्या की साँसें तेज थीं, दिल ज़ोरों से धड़क रहा था। उसने लहंगे का दामन कसकर पकड़ा और समर की ओर देखा। समर ड्राइविंग सीट पर बेरहमी से बैठा था, गियर पर हाथ जमाए हुए, उसकी काली आँखों में ठंडी, खतरनाक चमक थी।
"ये......ये किस जगह लाए हो तुम मुझे?" आन्या ने अपनी घबराहट को छुपाते हुए सवाल किया। परंतु उसके दिल को पता था कि वह अंदर से कितनी डरी हुई थी।
"बाहर आओ, पता चल जाएगा।" समर ने सरसरी तौर पर उसे देखा और मुस्कराते हुए कार से बाहर निकलने लगा। उसके रहस्यमय लुक्स देखकर आन्या और अधिक घबरा गई।
"नहीं.....मैं बाहर नहीं जा रही। तुम मुझे जबरदस्ती यहाँ लेकर आए हो, मैं नहीं जाऊंगी तुम्हारे साथ कहीं भी।"
आन्या ने हिम्मत करके उसकी बात मानने से साफ इंकार कर दिया। उसने खुद को सीट पर मजबूती से जकड़ लिया।
समर, जो हैंडल पकड़कर दरवाज़ा खोलने ही जा रहा था, उसके हाथ ठिठक गए। उसने आइब्रो चढ़ाते हुए खतरनाक अंदाज़ में आन्या को घूरा।
"मैंने कहा बाहर आओ, मतलब बाहर आओ। डोंट फॉर्गेट, अभी तुम मेरे खिलाफ जाने की स्थिति में नहीं हो। तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहूँगा।"
आन्या को लगभग आदेश देने के बाद वह कार से नीचे उतर गया। उसकी बात सुनकर आन्या के चेहरे पर गुस्से और बेबसी के भाव उभर आए।
समर घूमकर दूसरे तरफ आया और आन्या के तरफ का दरवाज़ा खोल दिया।
"बाहर आओ।"
"मैं कहीं नहीं जा रही!" उसकी आवाज़ काँपी, लेकिन उसकी ज़िद में कोई कमी नहीं थी।
समर ने ठंडी नज़रों से उसे देखा, होंठों पर वही जानलेवा मुस्कान थी। वह झुका और सख्त उंगलियों से आन्या की कलाई थाम ली। उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि लगा हड्डियाँ चटक जाएँगी।
"तुम्हें लगता है कि तुम्हारे पास कोई चॉइस है, आन्या?" उसकी आवाज़ में इतनी ठंडक थी कि आन्या को अपने रोंगटे खड़े होते महसूस हुए। "अगर तुम्हें लगता है कि तुम यहाँ बैठी रहोगी और मैं तुम्हें छोड़ दूँगा, तो तुम बहुत बड़ी गलतफहमी में हो।"
उसकी कलाई पर समर की पकड़ और कस गई। आन्या ने दर्द से कराहते हुए हाथ छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन उसकी हर कोशिश नाकाम रही।
"समर, छोड़ो मुझे!" उसने गुस्से से चिल्लाया। "तुम मुझे ऐसे जबरदस्ती कहीं नहीं ले जा सकते!"
"मैं कुछ भी कर सकता हूँ आन्या और अब तक तुम्हें इसका अंदाज़ा हो जाना चाहिए था।"
समर के होंठों पर एक दुष्ट मुस्कान फैल गई। उसने बिना किसी चेतावनी के झटके से आन्या को अपनी ओर खींच लिया। यह इतनी तेज़ी से हुआ कि आन्या कुछ समझ नहीं सकी। संभलने की स्थिति में न होने के कारण उसका संतुलन बिगड़ गया, और वह सीधा समर के चौड़े, सख्त सीने से टकरा गई।
"अब भी इनकार करोगी?" समर की आवाज़ इतनी करीब से आई कि आन्या को उसकी साँसें अपनी गर्दन पर महसूस हुईं।
आन्या ने घबराकर पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन समर ने उसकी कमर में एक मजबूत पकड़ डाल दी।
"छोड़ो मुझे!" आन्या बेचैनी से छटपटाते हुए खुद को उसकी कैद से आज़ाद करने की कोशिश करने लगी, लेकिन उसकी सख्त पकड़ से छूटना असंभव था।
समर ने उसकी ठुड्डी अपनी उंगलियों में थाम ली और जबरदस्ती उसका चेहरा ऊपर उठाया।
"तुम्हें लगता है, तुम्हारी ये ज़िद मुझे रोक सकती है? तुम अब मेरी हो, आन्या। तुम्हें वही करना होगा जो मैं कहूँगा, वरना तुम्हारी वो स्पेशल परफॉर्मेंस वाली वीडियो तुम्हारे घर पहुँचाने में मुझे ज़्यादा समय नहीं लगेगा।"
समर ने एक बार फिर उसकी कमज़ोर नस को दबाया और आन्या गुस्से और दर्द से तिलमिला उठी। आन्या की आँखों में नफरत और असहायता साफ झलक रही थी। अपनी एक गलती के कारण वह समर जैसे आदमी के साथ फँस गई थी, जो जानता था कि उससे कैसे अपनी बात मनवानी है, उसकी हिम्मत को कैसे तोड़ना है।
उसे धमकाने के बाद समर ने बिना कोई और शब्द बोले झटके से उसे अपनी बाहों में उठा लिया। आन्या ने थरथराते होठों से जोर से चीख निकाली।
"छोड़ो.....छोड़ो मुझे......नीचे उतारो मुझे।"
आन्या उसकी बाहों से नीचे उतरने के लिए बुरी तरह छटपटाने लगी। अगले ही पल समर की कड़क, रौबदार आवाज़ उस सन्नाटे में गूंज उठी।
"चुप.....एकदम चुप...खबरदार जो मुँह से एक शब्द भी निकला या ज़रा भी हिली। बंद करो अपनी ये बेकार की कोशिशें। मेरी मर्ज़ी के बिना तुम मेरी कैद से आज़ाद नहीं हो सकती और यहाँ कोई नहीं है जो तुम्हें बचाने आएगा। अगर चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ कुछ भी गलत न करूँ तो मुँह बंद करो अपना और जो मैं करता हूँ मुझे करने दो।"
आन्या की आँखों में आँसू भर आए। उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। वह समझ नहीं पा रही थी कि उसकी दुनिया इतनी जल्दी कैसे बदल गई। वह तो अपनी शर्तों पर जीने वाली बेबाक, अल्हड़ और आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी लड़की थी। जो गलत के खिलाफ आवाज़ उठाती थी और सच्चाई का साथ देने से ज़रा भी नहीं डरती थी। वही करती जो उसका मन करता था, पर आज वह खुद को इतनी असहाय और लाचार महसूस कर रही थी कि अपने लिए आवाज़ उठाने की भी आज़ादी नहीं थी उसे।
उसके आँसू देखकर समर के चेहरे के भाव कुछ बदले और उसने उसे नीचे उतारते हुए उसकी कलाई को कसकर थाम लिया।
"चलो मेरे साथ।"
कहा नहीं था, बल्कि आदेश दिया था। आन्या के होंठ फड़फड़ाए, पर आवाज़ बाहर नहीं आई। अब तक उसका दुपट्टा एक तरफ खिसक चुका था, और उसके गहने बेतरतीब से लटक रहे थे।
समर ने उसकी कलाई थामकर उसे अपने साथ लगभग खींचते हुए उस पुराने, खंडहर जैसे दिखने वाले मंदिर की ओर बढ़ना शुरू कर दिया।
आन्या की नज़रें पहली बार वहाँ पड़ीं। वह एक पुराना, टूटा-फूटा मंदिर था। उसकी दीवारों पर दरारें थीं, और कुछ हिस्सों पर काई जमी हुई थी। पत्थरों की मूर्तियाँ धुंधली रोशनी में डरावनी लग रही थीं। मंदिर के चारों तरफ बड़े-बड़े पेड़ थे, जो अंधेरे में और भी भयानक लग रहे थे। हवा में एक अजीब सी ठंडक थी, जिससे बदन सिहर उठा।
"तुम...तुम मुझे यहाँ क्यों लेकर आए हो?" आन्या ने जगह देखकर घबराते हुए सवाल किया।
समर रुका नहीं। उसने उसी अंदाज़ में आगे बढ़ते हुए कठोर स्वर में जवाब दिया।
"चुप रहो, और चलो। ज़्यादा सवाल-जवाब पसंद नहीं है मुझे और अभी तो मैं इस मूड में बिल्कुल भी नहीं हूँ। इसलिए मुझे इरिटेट करते मेरे गुस्से को मत जगाओ और एक अच्छी बच्ची जैसे चुपचाप वो करो जो मैं कहता हूँ, इसी में अभी तुम्हारी भलाई है।"
उसके शब्दों में चेतावनी थी जिसे आन्या बखूबी समझ रही थी।
अभी वो कुछ कदम आगे बढ़े ही थे कि अचानक ही आन्या की साँसें बेचैनी से तेज़ चलने लगीं। मन किसी अनजाने भय से काँप उठा। उसके कदम अनजाने में ही पीछे हटने लगे, जब उसकी नज़र उस वीरान मंदिर के अंदर फैले दृश्य पर पड़ी।
"ये सब...ये सब क्या है?" उसकी आवाज़ लड़खड़ा गई। न चाहते हुए भी घबराहट और डर चेहरे पर झलकने लगा।
समर, जो अब भी उसकी कलाई को अपनी मज़बूत पकड़ में जकड़े हुए था, उसकी घबराहट को पूरी तरह एन्जॉय कर रहा था। उसके होंठों पर वही जानलेवा मुस्कान खेल रही थी, जो उसकी आदत में शुमार थी।
आगे......
देखने में मंदिर काफी पुराना था और देखकर लग रहा था जैसे सालों से वहाँ कोई नहीं आया। लेकिन इस उजड़े हुए मंदिर के बीचों-बीच, एकदम साफ़-सुथरा मंडप सजा हुआ था—फूलों से महकता, रौशनी से जगमगाता, जैसे अभी-अभी किसी ने इसे खास इस वक्त के लिए तैयार किया हो।
"ये सब... यह सब क्या है?" आन्या की आवाज़ लड़खड़ा गई। न चाहते हुए भी घबराहट और डर उसके चेहरे पर झलकने लगा।
समर, जो अब भी उसकी कलाई को अपनी मज़बूत पकड़ में जकड़े हुए था, उसकी घबराहट को पूरी तरह एन्जॉय कर रहा था। उसके होंठों पर वही जानलेवा स्मिरक खेल रही थी, जो उसकी आदत में शुमार था।
"शादी का सेटअप है।"
समर ने गंभीरता से जवाब दिया। यह सुनकर आन्या की साँसें थमने लगीं। कहीं न कहीं उसे अंदाज़ा हो गया था कि यह सब क्या और क्यों है? उसका दिल बुरी तरह घबरा गया था। आन्या ने सहमी निगाहों से उसे देखते हुए, धड़कते दिल के साथ सवाल किया,
"श... शादी..... किसकी शादी?"
"हमारी शादी, स्वीटहार्ट...... तुम्हारी और मेरी शादी। मैंने कहा था न तुम्हें कि आज शादी तो होगी तुम्हारी, पर उससे नहीं जिससे तुम चाहती हो, उससे होगी जो तुम्हें चाहता है... यानी मैं। आज यहाँ हमारी शादी होगी और ये सब उसी की तैयारियाँ हैं।"
समर का बेपरवाही भरे अंदाज़ में दिया गया यह जवाब, होंठों पर तिरछी मुस्कान सजी थी, जुनूनियत भरी निगाहों में कुछ अजीब से एहसास झलक रहे थे। यह जवाब सुनकर आन्या के दिमाग में एकदम से समर की पहले घर पर कही बात कौंध गई, जब उसने कहा था कि शादी तो होगी पर उससे। सोचकर ही उसका मन अजीब सी बेचैनी से घिर गया और चेहरे का रंग उड़ गया।
"श... शादी क्यों?"
"क्योंकि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। पहले तो मैं तुम्हारी हाँ का इंतज़ार करने वाला था, पर तुमने जो किया उसके बाद मैं अब तुम्हें और वक़्त नहीं दे सकता। क्या पता कल को मेरे पीठ पीछे किसी और से शादी कर लो, इसलिए आज अभी इसी वक़्त, यहाँ हमारी शादी होगी और अगर तुमने इंकार करने के बारे में सोचा भी तो उससे पहले यह सोच लेना कि वो वीडियो अब भी मेरे पास है और देर अब भी नहीं हुई है।"
"यहाँ तुम शादी से इंकार करोगी और वहाँ तुम्हारे पैरेंट्स तक उस रात की वीडियो पहुँच जाएगी। अब फैसला तुम्हारा है। मुझसे शादी करोगी या अपने पैरेंट्स की दी आज़ादी का तुम किस तरह से फ़ायदा उठाती हो, इसका वीडियो उन्हें दिखाओगी।"
एक बार फिर वही कठोर चेहरा और ज़हरीला अंदाज़। उसकी धमकी सुनकर आन्या बेबस निगाहों से उसे देखने लगी। बार-बार वही धमकी सुनकर उसका चेहरा गुस्से से दहक उठा।
"तुम पागल हो समर। मुझे हासिल करने की अपनी ज़िद में इतने अंधे हो चुके हो कि तुम्हें यह तक नज़र नहीं आ रहा कि तुम क्या कर रहे हो और यह सब करके मेरी नज़रों में कितना नीचे गिरते जा रहे हो।... मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाकर तुम मुझे अपनी बात मानने पर मजबूर तो कर सकते हो, पर मेरे दिल में अपने लिए एहसास नहीं जगा सकते, मेरी नज़रों में अपना मुकाम नहीं बना सकते।"
"जिसे तुम प्यार कह रहे हो, वो प्यार नहीं, तुम्हारी ज़िद और जुनून है। अगर प्यार होता तो तुम कभी ऐसे मुझे हर्ट नहीं करते। अगर तुम्हें मुझसे सच्ची मोहब्बत होती तो तुम्हें एहसास होता कि प्यार यूँ जबरदस्ती हासिल नहीं किया जाता और जिससे मोहब्बत हो उसके दर्द और तकलीफ़ की वजह नहीं बना जाता। अपनी इच्छा को उस पर थोपकर उसे हर्ट नहीं किया जाता।"
"तुम्हें कोई प्यार नहीं मुझसे। ज़िद बन गई हूँ मैं तुम्हारी और तुम बस किसी भी कीमत पर मुझे हासिल करके अपनी ज़िद पूरी करना चाहते हो, अपने इगो को सैटिसफ़ाइ करना चाहते हो। अपनी सेल्फ़िशनेस में तुम मेरी लाइफ़ स्पॉइल कर रहे हो।... यह तुम बहुत गलत कर रहे हो। ऐसे मुझे ब्लैकमेल करके, मुझे शादी के लिए मजबूर करके क्या हासिल होगा तुम्हें? तुम जबरदस्ती मेरी लाइफ़ में घुस तो जाओगे, पर मैं तुम्हें कभी अपने दिल में जगह नहीं दूँगी। तुम मुझे हासिल करके भी कभी मुझे पा नहीं सकोगे।"
"मत करो ऐसा समर। मैं तुमसे प्यार नहीं करती और इन सबके बाद कभी कर भी नहीं पाऊँगी। अगर आज तुमने मेरी मजबूरी का फ़ायदा उठाकर मुझसे शादी कर भी ली, तब भी मैं कभी इस रिश्ते को नहीं मानूँगी, तुम्हें अपने हसबैंड के रूप में कभी एक्सेप्ट नहीं करूँगी... कभी नहीं करूँगी।"
बोलते हुए आन्या का गला रुँध गया। यह उसके तरफ़ से एक आख़िरी कोशिश थी कि शायद समर को उसकी गलती का एहसास हो जाए और वह उसे छोड़ दे।
समर का चेहरा एक्सप्रेशनलेस था। उसने खामोशी से उसकी पूरी बात सुनी, फिर उसकी नज़रों से नज़रें मिलाते हुए, गुरूर से भरे अंदाज़ में जवाब दिया,
"गलत हो या सही, पर होगा वही जो मैं चाहता हूँ। तुम इसे मेरा प्यार कहो, ज़िद कहो, जुनून कहो या पागलपन, पर मैं तुम्हें किसी और का होते नहीं देख सकता। तुम सिर्फ़ मेरी हो और तुम्हें मैं अपना बनाकर रहूँगा, चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी क्यों न करना पड़े। तुम जो मर्ज़ी कहो, पर आज यह शादी होकर रहेगी। तुम चाहो या न चाहो, पर तुम्हें इस रिश्ते को एक्सेप्ट करना ही होगा।"
समर इस वक़्त बिलकुल जुनूनी सनकी आशिक जैसे बिहेव कर रहा था और उसका यह जुनूनी इश्क़ आन्या के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गई थी। समर ठान चुका था और उसका फैसला किसी कीमत पर बदलने वाला नहीं था।
"बहुत हो गया बातें। कितना टाइम इसमें बर्बाद हो गया, मुहूर्त का वक़्त भी हो गया। चलो अब जल्दी बताओ, मंडप पर चलोगी या मैं उस रात की तुम्हारी परफ़ॉर्मेंस की हाई क्वालिटी वीडियो तुम्हारे पैरेंट्स तक पहुँचाऊँ?"
समर ने उसे संभलने का भी मौका ना दिया। आन्या की सुरख आँखों में गुलाबी पानी तैर गया था। चेहरे पर बेबसी, लाचारी, मजबूरी, दुःख, निराशा जैसे कई भाव उभर आए। पर उसने खुद को कमज़ोर नहीं पड़ने दिया। अपने आँसुओं को अपनी हथेलियों से रगड़कर साफ़ कर लिया। समर को सूनी निगाहों से घूरते हुए सवाल किया,
"अगर मैं तुमसे शादी करूँगी तो तुम उस रात की वीडियो को मेरे सामने डिलीट करोगे और उस रात का ज़िक्र दोबारा कभी किसी के सामने नहीं करोगे।"
आन्या को एहसास हो गया था कि अब यह शादी किसी कीमत और सूरत में नहीं रुकने वाली, तो उसने भी इस मौके का अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करने का फैसला किया। उसकी बात सुनकर समर के होंठों पर अजीब सी मुस्कान उभरी।
"डील।" समर ने बड़ी ही आसानी से उसकी बात मान ली। आन्या ने अपनी पलकों को झपकाते हुए अपने आँसुओं को आँखों में ही सुखा लिया और भावहीन चेहरे के साथ जाकर मंडप में बैठ गई। उसके मन में कोई भाव नहीं थे, आँखों में भविष्य के कोई सपने नहीं थे, दिल में शादी को लेकर कोई अरमान, ख्वाहिश, कोई उत्साह नहीं बचा था। एक जीती जागती कठपुतली बन गई थी, जो अपने और अपने परिवार की इज़्ज़त के लिए समर के इशारों पर चलने को तैयार थी।
आन्या को देखते हुए समर के चेहरे पर कुछ अजीब से भाव उभरे और सर्द निगाहों से उसे देखते हुए उसने उस ओर कदम बढ़ा दिए, साथ ही वहाँ खड़े अपने असिस्टेंट को आँखों से कुछ इशारा भी कर दिया तो उसने कैमरा निकालकर अपनी पोजिशन ले ली।
क्यों कर रहा है समर आन्या के साथ ऐसा और क्या है उस रात का सच?
विंडो से टेक लगाए बैठी आन्या गुमसुम और उदास सी लग रही थी। उसकी सुनी, सुर्ख निगाहें जाने बाहर क्या तलाश रही थीं। उसका माँगटीका एक ओर को लुढ़का हुआ था जिससे सुर्ख रंग में सिंदूर से रंगी उसकी मांग दिख रही थी। गले में मौजूद वरमाला में उलझा उसका मंगलसूत्र चीख-चीखकर उसकी बेबसी की गवाही दे रहा था।
शादी हो गई थी उसकी समर से और वह उससे विवाह के अटूट बंधन में बंध गई थी। मजबूरी में जुड़ा यह रिश्ता उसके पैरों की बेड़ियाँ बन गया था। एक झटके में जैसे उसकी ज़िंदगी उजड़ गई थी, सारे ख्वाब बिखर गए थे। टूटे सपनों की कीचड़ों से उसका दिल घायल था, दर्द इतना कि आँखों में आँसुओं का सैलाब उमड़ रहा था, पर बेबसी ऐसी कि आँसू का एक कतरा भी उसकी आँखों से बाहर नहीं गिरा था।
रह-रहकर बार-बार उसके दिल में टीस सी उठती और लबों से सिसकी निकल जाती। समर कार ड्राइव कर रहा था; उसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। न तो उसने एक बार भी अपने बगल में बैठी आन्या को देखने की ज़हमत उठाई और न ही उससे बात करने की कोई कोशिश की। कार एक होटल के पार्किंग लॉट में जाकर रुकी। समर खुद बाहर निकला और दूसरे तरफ से दरवाजा खोलते हुए उसने आन्या की ओर अपनी हथेली बढ़ा दी। पर आन्या ने नफरत और रोष भरी नज़रों से उसे घूरते हुए उसके हाथ को झटक दिया और खुद बाहर निकल गई। उदास निगाहों से उसने उस होटल को देखा और अपनी निगाहें झुका लिया।
समर ने आगे बढ़कर जैसे ही उसकी कलाई थामनी चाही, आन्या ने अपने हाथ को पीछे हटा लिया और गुस्से से चीखी,
"Don't you dare touch me, शादी कर ली तुमने जबरदस्ती... मेरी मजबूरी का फायदा उठाकर मुझे इस रिश्ते की बेड़ियों में जकड़ दिया। पर ये मत समझना कि तुम जीत गए!"
वह एक कदम पीछे हटी, नफरत से उसे घूरने लगी।
"तुम्हें क्या लगा? कि इस जबरदस्ती की शादी से तुम मुझे हासिल कर लोगे? भूल जाओ। इस जन्म में तो यह कभी मुमकिन नहीं! मैं तुमसे नफरत करती हूँ... न मैं इस शादी को मानती हूँ, न तुम्हें अपना पति।"
समर से हुई शादी याद करते हुए उसकी आँखों में आँसू थे, मगर कमज़ोर नहीं थी वह... उसकी आँखें जलते अंगारों सी दहक उठीं।
"तुमने जबरदस्ती मुझे अपना नाम दे दिया, पर मुझे कभी अपना नहीं बना पाओगे। बहुत जल्द मैं इस रिश्ते की जंजीरों को तोड़कर आज़ाद हो जाऊँगी... और उस दिन तुम्हारी यह जीत तुम्हारी सबसे बड़ी हार बन जाएगी।"
उसने एक तीखी नज़र से उसे देखा, लेकिन नज़रें जैसे ही समर के सर्द चेहरे और घूरती आँखों पर पड़ीं, उसके कानों में उसके कहे शब्द पड़े। आन्या के चेहरे के भाव बदल गए।
"यहाँ पब्लिक में ज़्यादा तमाशा करने की ज़रूरत नहीं है। Don't forget कि वह वीडियो अब भी मेरे ही पास है और तुम्हारी इन गुस्ताखियों की सज़ा के तौर पर मैं उसका use कर सकता हूँ। इस वक़्त तुम्हारी भलाई इसी में ही है कि चुपचाप मेरी बात मानो।"
समर ने आँखें दिखाते हुए उसे धमकाया, फिर कदम उसकी ओर बढ़ाते हुए संजीदगी से आगे कहा,
"अभी कुछ देर पहले ही शादी हुई है हमारी। तुम मानो या न मानो, पर अब मैं हसबैंड हूँ तुम्हारा और अब तुम्हें छूने का, तुम्हारे करीब आने का राइट सिर्फ़ मुझे है। इसके बावजूद मैं तुम्हारे साथ कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं करूँगा, पर तुम मुझे खुद को छूने से रोक भी नहीं सकती। रही बात मेरी जीत और हार की तो अभी तो यह खेल सिर्फ़ शुरू ही हुआ है... आने वाला वक़्त यह भी बता ही देगा कि जीत किसकी होगी और हारेगा कौन?"
समर ने अपनी बात पूरी की और पूरे अधिकार के साथ आन्या की कलाई थाम ली। इस बार आन्या कुछ कह तक न सकी क्योंकि सच ही तो कहा था उसने। शादी की थी उसने और अब समर उसका हसबैंड था, उसका हक़ था उस पर और अब भी उसकी वह कमज़ोर कड़ी उसके पास थी, जिसका इस्तेमाल करके वह उसकी ज़िंदगी बर्बाद कर सकता था।
आन्या की कलाई थामे समर लिफ्ट की ओर बढ़ गया। दोनों रूम नंबर 109 के बाहर पहुँचे। समर ने कार्ड से दरवाज़ा खोला और आन्या की हथेली थामे अंदर की ओर कदम बढ़ा दिए।
"यह रूम तो याद ही होगा तुम्हें।"
समर ने गहरी नज़रों से आन्या को देखा और लबों पर एक ईविल स्माइल के साथ उसे छेड़ा। आन्या जो नीचे हुई बहस के बाद से बिल्कुल खामोश थी, उसने अपनी पलकें उठाईं और कुछ अजीब से भाव उसके चेहरे पर उभर आए।
"इस कमरे को कैसे भूल सकती हूँ? यहीं से मेरी बर्बादी की कहानी शुरू हुई थी।"
आन्या का लहज़ा ठंडा था और शब्दों में अजीब सा दर्द झलक रहा था। समर के मुस्कुराते लब सिमट गए। पल भर को वह उसके चेहरे को देखता ही रह गया, फिर उस पर से निगाहें फेरते हुए बोला,
"हमारी कहानी की शुरुआत तो उसी पल हो गई थी, जब हम दोनों एक-दूसरे से टकराए थे, हमारी ज़िंदगी की राहें एक-दूसरे की राहों से उलझी थीं और हमारा साथ तुम्हारी ज़िंदगी की बर्बादी का कारण है या आबादी की वजह, यह तो तुम्हें आने वाले वक़्त में पता चलेगा।
फिलहाल तो तुम यहाँ आराम करो, जाकर फ्रेश हो जाओ। खाना ऑर्डर कर रहा हूँ, आएगा तो खाकर सो जाना। यहाँ से भागने की कोशिश भी मत करना। मुझे किसी इम्पॉर्टेन्ट काम से बाहर जाना है, डेढ़-दो घंटे में वापिस आ जाऊँगा।"
लहज़ा गंभीर था पर नर्मी से उसने अपनी बात कही थी; उसे चेतावनी भी दी थी और फिर खाना ऑर्डर करने के बाद वापिस भी चला गया। आन्या कुछ पल उस बंद दरवाजे को घूरती रही, फिर वही लिविंग रूम में लगे सोफे पर बैठ गई। अपनी हील्स उतारकर उसने अपने पैरों को देखा जो हल्के सूज गए थे और हील्स पहनने की वजह से छिल भी गए थे; दर्द भी कर रहे थे।
पैरों को अपनी हथेली से दबाते हुए शाम से अब तक जो हुआ सब किसी चलचित्र जैसे उसकी आँखों के आगे घूमने लगा। शिद्दत से उसे अपने मॉम-डैड की याद सताने लगी और कब उसकी आँखों से बहते आँसू उसके चेहरे को भिगोने लगे, उसे खुद को इसका एहसास नहीं हुआ।
आन्या खुद में ही सिमटकर बैठ गई, दोनों पैरों को सोफे पर रखकर मोड़ते हुए अपने सीने से लगा लिया और अपनी बाहों को पैरों के आस-पास लपेटते हुए अपने चेहरे को घुटनों के बीच छुपाए सिसकने लगी। उन भीगी निगाहों के आगे वह दिन घूमने लगा जिसने आज उसकी ज़िंदगी को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था।
फ्लैशबैक
आज से लगभग डेढ़ महीने पहले की बात थी। आन्या के कॉलेज का आखिरी दिन था। फाइनल पेपर और प्रैक्टिकल खत्म होने के बाद अब उनकी छुट्टियाँ स्टार्ट होनी थीं। बीते कुछ महीने जिस तरह एग्ज़ाम की टेंशन में वह बाकी सारी दुनिया को भुलाए अपनी किताबों में घुसे थे, जब पेपर्स से छुटकारा मिला तो इसी खुशी में उसके दोस्तों ने क्लब जाने का फैसला किया, जो इसी होटल का पार्ट था। आन्या ने पहले तो मना करना चाहा, फिर दोस्तों के ज़ोर देने पर वह क्लब आ गई और साथ ही विनय को भी बुला लिया।
पार्टी ज़ोरों पर थी, खूब मस्ती और डांस हो रहा था। इतने दिनों के एग्ज़ाम के स्ट्रेस के बाद आन्या को भी यहाँ आकर काफी रिलैक्स फील हो रहा था। उसने अपने फ्रेंड्स के साथ एक-दो ड्रिंक कीं, डांस फ्लोर पर उनके साथ डांस भी किया और इन बेफ़िक्री भरे लम्हों को खुलकर जीने लगी। विनय भी उसके साथ ही था। दोनों साथ ही डांस कर रहे थे, फिर विनय उसे लेकर ड्रिंक काउंटर की ओर चला आया, जिस पर आन्या ने ऐतराज भी जताया।
"विनय, मुझे अब ड्रिंक नहीं करनी। चलो ना वहाँ सबके बीच। देखो बस कितना एन्जॉय कर रहे हैं।" आन्या ने विनय की हथेली थामकर उसे डांस फ्लोर की ओर लेकर जाना चाहा, जहाँ उसके बाकी दोस्त मस्ती में झूम रहे थे।
पर विनय ने उसे खींचकर अपने बगल में बिठा लिया और काउंटर पर रखा ड्रिंक का ग्लास उसकी ओर बढ़ाते हुए रोमांटिक अंदाज़ में बोला,
"उन्हें वहाँ एन्जॉय करने दो और तुम यहाँ मेरे साथ अकेले में एन्जॉय करो।"
ड्रिंक का असर था कि आन्या को हल्का-हल्का नशा चढ़ने लगा था। विनय की बात सुनकर वह मुस्कुरा उठी और ड्रिंक का ग्लास थामकर अपने लबों से लगा लिया। पल भर को विनय के लबों पर कुटिलता भरी रहस्यमयी मुस्कान उभरी और वह ड्रिंक पीती आन्या को अजीब तरह से देखने लगा। पर आन्या ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। उसने ग्लास खाली किया और आगे बढ़कर विनय के गाल को चूम लिया।
"हैप्पी, अब मैं वापिस डांस फ्लोर पर जा रही हूँ।"
इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए अपने दोस्तों के पास चली गई और ड्रिंक काउंटर पर बैठे विनय ने जल्दी से किसी को मैसेज किया और ड्रिंक पीती हुई आन्या को देखने लगा।
आगे…
आन्या को यहाँ छोड़कर रात के इस वक़्त समर कहाँ गया है? कौन है विनय? और क्या होने वाला है आन्या के साथ?
“हैप्पी, अब मैं वापिस डांस फ्लोर पर जा रही हूँ।”
इतना कहकर वह मुस्कुराते हुए अपने दोस्तों के पास चली गई और ड्रिंक काउंटर पर बैठे विनय ने जल्दी से किसी को मैसेज किया और ड्रिंक पीते हुए आन्या को देखने लगा।
कुछ देर तक तो सब ठीक रहा। आन्या अपने बाकी दोस्तों संग मस्ती भरा डांस करती रही। फिर उसे अजीब सा महसूस होने लगा, गर्मी सी लगनी लगी, अजीब सी बेचैनी होने लगी। उसके चेहरे के बदलते भाव देखकर विनय के लबों पर ज़हरीली मुस्कान फैल गई और उसने ग्लास वापिस काउंटर पर रखते हुए आन्या की ओर कदम बढ़ा दिए।
“ऐना, क्या हुआ तुम्हें? तुम मुझे कुछ ठीक नहीं लग रही, तबियत तो ठीक है तुम्हारी?”
विनय ने नशे में झूलती आन्या को संभालते हुए ऐसा दिखाया जैसे उसके लिए काफी चिंता हो। आन्या, जिसकी आँखें बार-बार बंद हो रही थीं, उसने जबरन अपनी आँखें खोलकर उसे देखा तो उसे विनय का अक्स कुछ धुँधला-धुँधला सा नज़र आया। अपने लड़खड़ाते कदमों के कारण उसका बैलेंस बिगड़ रहा था, तो सहारे के लिए उसने विनय को थाम लिया।
“प… पता नहीं। मुझे बहुत अजीब-अजीब सा फील हो रहा है… ब… बहुत गर्मी लग रही है… बे… बेचैनी सी हो रही है…”
नशा आन्या पर इस कदर हावी होने लगा था कि उसकी ज़ुबान लड़खड़ा रही थी और शब्द बिखरने लगे थे। विनय के चेहरे पर कुछ अलग से भाव उभरे, जिसे उसने जल्दी ही छुपा लिया।
“ऐना, मुझे लगता है इतने दिनों से इग्ज़ाम्स के स्ट्रेस के कारण तुमने ठीक से रेस्ट नहीं किया होगा, इसलिए तबियत खराब हो रही है तुम्हारी। यहाँ भीड़ भी तो कितनी ज़्यादा है और कितना शोर है, इसलिए तुम्हें गर्मी लग रही होगी और बेचैनी महसूस हो रही होगी। एक काम करते हैं, मैं तुम्हें रूम में लेकर चलता हूँ। तुम वहाँ जाकर फ्रेश हो जाना, कुछ देर रेस्ट कर लेना, उसके बाद बेहतर फील करोगी तो मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा। ऐसे जाएँगे तो कहीं बंद कार में सफ़ोकेशन होने से तुम्हारी तबियत और न बिगड़ जाए।”
आन्या इस वक्त ऐसी स्थिति में नहीं थी कि सही-गलत में फ़र्क समझ सके या यह फैसला कर सके कि उसे अभी क्या करना चाहिए। उसे अजीब सी बेचैनी हो रही थी जो विनय की करीबियों से कुछ कम होने लगी थी। उसकी बाहों में सिमटते हुए उसने हामी भर दी। विनय उसे लेकर होटल के दूसरे हिस्से में चला आया। दोनों लिफ्ट में थे और लिफ्ट ऊपर जा रही थी। विनय महसूस कर रहा था आन्या की बेचैनी और बेकरारी को, उसके शरीर के बढ़ते तापमान को।
दोनों लिफ्ट से बाहर निकले ही थे कि विनय का फ़ोन बजा। एक बाह से आन्या को संभालते हुए उसने अपने पॉकेट से फ़ोन निकालकर देखा और स्क्रीन पर झलकते नाम को देखते हुए उसके चेहरे पर तनाव के भाव उभर आए। उसने आन्या को देखा जिस पर नशा पूरी तरह से हावी हो चुका था; वह अनजाने तौर पर उसके करीब होती जा रही थी, जैसे उसमें समा ने को बेताब हो; उसकी आँखें भी नहीं खुल रही थीं और जिस्म भट्टी जैसे तप रहा था।
विनय ने फ़ोन को वापिस अपने जेब में रखा और आन्या के कंधों को थामते हुए उसे खुद से दूर करने के बाद उसके गाल को अपनी हथेली से थपथपाते हुए उसे पुकारने लगा।
“ऐना… ऐना देखो मुझे… ऐना, आँखें खोलो…”
विनय के दो-तीन बार पुकारने पर आन्या ने जबरन अपनी आँखें खोलकर उसे देखा।
“ऐना, मुझे एक ज़रूरी कॉल आई है तो तुम एक काम करो, यहाँ से सीधे जाकर राइट में मुड़ जाना, वहीं कॉर्नर में रूम नंबर 106 है जिसे मैंने तुम्हारे लिए बुक करवाया है। तुम वहाँ जाकर आराम करो, मैं फ़ोन पर बात करके सीधे वहीं तुम्हारे पास आता हूँ… Okay।”
“Hmm,” नशे में झूलते हुए आन्या ने सर हिला दिया, पर विनय को उसकी हालत देखकर डाउट होने लगा।
“ऐना, तुम खुद से चली जाओगी ना? रूम नंबर 106 में जाना है। यहाँ से सीधे जाकर राइट में ही रूम है।”
शायद विनय को भी उसकी हालत देखकर उसे अकेले छोड़ना ठीक नहीं लग रहा था। आन्या ने एक बार फिर मुस्कुराते हुए सर हिला दिया।
“हाँ, मैं चली जाऊँगी, तुम बात करके वहाँ आ जाना।”
इसके बाद आन्या ने हाथ हिलाते हुए उसे बाय किया और दीवार का सहारा लेते हुए लड़खड़ाते कदमों के साथ आगे बढ़ने लगी। विनय कुछ देर तक उसे देखता रहा, फिर उसने सर झटका और वहाँ से चला गया।
आन्या सीधे चलते हुए उस जगह पहुँची जहाँ से लेफ्ट और राइट दो रास्ते जाते थे। उसने अपनी नशीली आँखों को बड़ा-बड़ा करके दोनों ओर देखा, फिर कुछ सोचते हुए खुद ही खुद में मुस्कुराई और आगे बढ़कर पहले रूम के दरवाजे को जैसे ही पकड़ा, वह एकदम से खुल गया।
आन्या, जिसके कदम पहले ही उसका साथ नहीं दे रहे थे, अचानक दरवाजे के खुलने पर वह खुद को संभाल नहीं सकी और मुँह के बल कमरे के अंदर जा गिरी और इसके साथ ही उसकी सिसकियों की आवाज़ वहाँ बिखर गई।
डोरबेल की आवाज़ उस सन्नाटे भरे कमरे में गूंज उठी और आन्या उन अतीत की यादों से बाहर आई। अपने आँसुओं से भीगे चेहरे को अपनी हथेलियों से पोंछते हुए सोफे से नीचे उतरी। उसके पैरों में मौजूद दुल्हन पायल की घुँघरुओं की आवाज़ वहाँ गूंज उठी। आन्या ने दरवाज़ा खोला तो सामने ही रूम सर्विस वाली लड़की खाने की ट्रे लिए खड़ी थी। उसने मुस्कुराते हुए आन्या को ग्रीट किया तो आन्या ने भी फ़ीका सा मुस्कुराहट दिया।
उस लड़की ने डिनर अंदर सेंटर टेबल पर लगाया और एक बार फिर आन्या को ग्रीट करने के बाद वापिस चली गई। आन्या कुछ पल दरवाज़े के पास खड़ी बाहर देखती रही। फिर अंदर आकर वापिस सोफे पर बैठ गई। इस वक़्त बहुत कुछ चल रहा था उसके मन में। कई तरह के भाव उसके चेहरे पर मौजूद थे, दिमाग में ख्यालों का तूफ़ान सा उठ रहा था। अपने दिमाग पर ज़ोर डालते हुए वह उस रात आगे क्या हुआ यह सोचने की कोशिश करने लगी और खुद ही खुद में बड़बड़ाते हुए बोली,
“उस दिन मैंने विनय के साथ ड्रिंक किया था। उससे पहले मैं ठीक थी, पर उसके बाद मेरी तबियत बिगड़ने लगी थी। मुझे अच्छे से याद है विनय आया था मेरे पास। वह मुझे इस फ़्लोर पर लेकर आया था। उसने मुझे रूम नंबर 106 में जाने को कहा था, पर सुबह जब मैंने रूम नंबर देखा तो वह 109 था। मतलब मैं गलत कमरे में चली गई थी। पर गिरने के बाद यहाँ हुआ क्या था? मुझे आगे का कुछ भी याद क्यों नहीं? विनय मेरे साथ था, उसने मुझे रूम नंबर 106 में जाने के लिए कहा था, पर जब मैं यहाँ थी तो उस रूम में जब वह गया होगा तो मुझे वहाँ न पाकर उसने मुझे ढूँढ़ने की कोशिश क्यों नहीं की? और उसके बाद दोबारा उसने मुझसे उस रात के बारे में कभी कोई बात भी नहीं की, मैं भी उससे कुछ नहीं कह सकी।
लेकिन उसे तो बात करनी चाहिए थी। वह तो जैसे उस रात के बारे में भूल ही गया था और किसका फ़ोन आया था उसे कि मुझे उस हालत में अकेला छोड़कर चला गया? अगर मैं उसके साथ होती तो यह सब नहीं होता मेरे साथ… और सबसे बड़ा सवाल, उस दिन मुझे हुआ क्या था? मेरे साथ पहले कभी तो ऐसा नहीं हुआ था। अगर वाकई में मेरी ड्रिंक में कुछ मिला हुआ था तो कौन था इसके पीछे और मेरे साथ ऐसा करके किसी को क्या हासिल हुआ होगा?…”
और भी कई सवाल थे उसके मन में जिनमें वह बुरी तरह उलझ गई थी। सभी कड़ियों को आपस में जोड़ने के बावजूद वह अपने सवालों के जवाब नहीं ढूँढ पा रही थी। अचानक ही उसकी आँखों के आगे समर का चेहरा उभर आया और उसकी शक की सुई उसकी ओर घूम गई। चेहरे पर सख्त भाव उभर आए।
अब क्या करेगी आन्या? जो उसके साथ हुआ वह सिर्फ़ एक हादसा था या किसी की सोची-समझी साज़िश? कौन है इन सबके पीछे? और समर और आन्या के रिश्ते का अब क्या होगा?
"मेरे एक सवाल का सच-सच जवाब दोगे?" लगभग डेढ़ घंटे बाद समर वापस लौटा था। उसके आते ही आन्या उसके सामने आकर खड़ी हो गई। चेहरे पर गंभीर भाव थे और वह अब काफी हद तक शांत लग रही थी। समर अपनी गहरी निगाहों से सब कुछ निहार रहा था।
"पूछो।"
"उस दिन मेरी ड्रिंक स्पाइक करने में तुम्हारा हाथ था?"
आन्या ने बिना बात घुमाए सीधे सवाल पूछ लिया था। यह सुनकर समर के चेहरे के भाव बिगड़ गए और वह गंभीर निगाहों से उसे देखने लगा।
"तुम्हें ऐसा लगता है?"
"मेरे नशे में होने से सबसे ज़्यादा फ़ायदा तुम्हें ही हुआ है, तो मेरा शक तुम पर जाना लाज़मी है।" आन्या का चेहरा सपाट था और लहजा दृढ़, आत्मविश्वास से भरा हुआ था। उसका जवाब सुनकर समर का चेहरा सर्द हो गया।
"अपने सोचने के नज़रिए को बदलो, शायद तुम वो देख सको जो अभी तुम्हें नज़र नहीं आ रहा।"
"नहीं, मुझे अपना नज़रिया नहीं बदलना। मुझे बस अपने सवाल का सच-सच जवाब चाहिए कि क्या मेरी ड्रिंक स्पाइक करने में तुम्हारा हाथ था? उस रात से अब तक मेरे साथ..."
"अगर मैं इंकार करूँगा तो क्या मेरी बात पर विश्वास करोगी तुम?" समर ने आन्या की निगाहों में निगाहें मिलाते हुए सवाल किया और भौंहें सिकोड़ते हुए गहरी निगाहों से उसे देखने लगा। आन्या ने बिना कोई जवाब दिए, उससे अपनी निगाहें फेर लीं। यह देखकर समर के लबों पर व्यंग्य भरी मुस्कान उभर आई।
"जब विश्वास ही नहीं तो मेरे कुछ भी कहने का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। तो जो तुम्हें समझना हो समझ लो, मेरे तरफ़ से तुम पर कोई बंदिश नहीं।"
इतना कहकर उसने वहाँ से जाने के लिए कदम बढ़ाए ही थे कि आन्या की बेरुखी भरी आवाज़ उसके कानों तक पहुँची।
"वो वीडियो डिलीट करो।"
"कौन सी वीडियो?" समर ने उसकी ओर मुड़ते हुए सवाल किया। उसे यूँ अनजान बनते देखकर आन्या, जो पहले से ही बहुत परेशान थी, अब बुरी तरह खीझ उठी।
"वही वीडियो जिसे मेरे पेरेंट्स को दिखाने की धमकी देकर तुमने मुझे इस शादी के लिए मजबूर किया था और वादा किया था कि अगर मैं तुमसे शादी करती हूँ तो तुम उस वीडियो को डिलीट कर दोगे और कभी दोबारा उस रात का किसी के आगे ज़िक्र भी नहीं करोगे।"
समर पल भर के लिए उसके गुस्से से लाल चेहरे को देखता ही रह गया। गुस्से में भी दिलकश लग रही थी वह, अनजाने में उसके होंठ हल्के से खिंच गए। अगले ही पल चेहरा एकदम गंभीर हो गया।
"कोई वीडियो नहीं है।"
"झूठ मत बोलो, अब मैं तुम्हारे इस झूठ के जाल में नहीं फंसने वाली। चुपचाप अभी मेरी आँखों के सामने उस वीडियो को डिलीट करो।"
आन्या को उसकी बात पर विश्वास ही नहीं हुआ। उसे लगा कि एक बार फिर समर उससे झूठ बोल रहा है और गुस्से से वह उस पर भड़क उठी, जबकि समर अब भी गंभीर बना हुआ था।
"झूठ नहीं बोल रहा। उस दिन जैसे अचानक तुम मेरे सामने आई थी और जो हालत तुम्हारी थी मुझे यही नहीं समझ आ रहा था कि तुम्हें संभालूँ कैसे, फ़ोन का तो ध्यान तक नहीं था मुझे। फिर वीडियो कैसे बनाता? और कब बनाता, जब तुम मुझे एक सेकंड के लिए भी छोड़ ही नहीं रही थी?"
समर की बात सुनकर आन्या फटी आँखों से अचंभित सी उसे देखने लगी। उसे अब भी उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ और वह बेचैनी से उसे देखने लगी।
"ऐसा कैसे हो सकता है?.....तुमने तो कहा था कि तुम्हारे पास वीडियो है उस रात की, अगर तुम्हारे पास सच में कोई वीडियो नहीं..."
बोलते हुए अचानक ही वह ठिठकी। दिमाग में कुछ आया जिससे पहले तो हैरानी से आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और अगले ही पल चेहरा गुस्से से जल उठा। "इसका मतलब हुआ कि तुमने मुझसे इतना बड़ा झूठ कहा, मुझे धोखा दिया। तुम्हारे पास कोई वीडियो थी ही नहीं और झूठ बोलकर तुमने मुझे ब्लैकमेल किया और इस शादी के लिए मजबूर किया।"
हैरानी धीरे-धीरे गुस्से और रोष में बदलने लगी थी।
"हाँ, झूठ कहा था मैंने ताकि तुम इस शादी से इंकार न कर सको।...कोई वीडियो नहीं है मेरे पास।"
समर का यह खुलासा आन्या के होश उड़ा गया था। इतने बड़े झूठ की उम्मीद नहीं थी उसे और उसके इस झूठ के जाल में फंसकर उसने जो किया, उसके लिए अब उसे समर के साथ-साथ खुद पर भी गुस्सा आने लगा था।
"उस रात वाकई में हमारे बीच कुछ हुआ था या यह भी तुमने मुझसे झूठ ही कहा था ताकि उस रात के ज़रिए मुझे ब्लैकमेल करके मुझे इस शादी के लिए मजबूर कर सको?"
आन्या ने तीखी निगाहों से उसे घूरते हुए गुस्से में जबड़े भींच लिए। जवाब में समर के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान बनकर थिरक गई।
"खुद याद करने की कोशिश करो क्योंकि तुम्हारे इस सवाल का जवाब नहीं दूँगा मैं तुम्हें।"
समर का गर्व से भरा यह जवाब सुनकर आन्या का चेहरा गुस्से से तमतमा उठा, जबकि समर अपनी बात कहकर कमरे में जा चुका था और आन्या वहीं खड़ी गुस्से से काँप रही थी।
कुछ देर बाद समर फ़्रेश होकर और कपड़े बदलकर वापस वहाँ आया। अब उसने ढीली सी टी-शर्ट और लोअर पहना हुआ था। इस कैज़ुअल लुक में भी उसकी पर्सनैलिटी कमाल लग रही थी और अब भी वह उतना ही हैंडसम, गुड लुकिंग और चार्मिंग लग रहा था, पर आन्या पर उसका यह चार्म बेअसर था।
समर ने जैसे ही लिविंग रूम में कदम रखा, सामने का नज़ारा देखकर उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए और आँखें सामान्य से बड़ी हो गईं। अगले ही पल वह तेज कदमों से आगे बढ़ गया।
समर ने जैसे ही लिविंग रूम में कदम रखा, सामने का नज़ारा देखकर उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए और आँखें सामान्य से बड़ी हो गईं। अगले ही पल वह तेज़ कदमों से आगे बढ़ गया।
आन्या सोफ़े से टेक लगाए फर्श पर खुद में सिमटी हुई बैठी थी और एकटक ज़मीन को घूर रही थी।
"यहाँ नीचे क्यों बैठी हो तुम?"
समर ने उसकी ओर कदम बढ़ाते हुए सवाल किया, पर आन्या अब भी उसकी मौजूदगी से बेख़बर यूँ ही खामोश बैठी फर्श को घूरती रही। उसे तो जैसे अब समर दिखाई दे रहा था और ना ही उसकी आवाज़ सुनाई दे रही थी।
"आन्या, मैं तुमसे बात कर रहा हूँ। ऐसे नीचे क्यों बैठी हो तुम? उठो और जाकर कपड़े बदलकर फ्रेश हो जाओ।"
आन्या अब भी वैसे ही बैठी रही। तो समर ने अब हाथ बढ़ाकर जैसे ही उसके कंधे को छूना चाहा, आन्या उसका हाथ झटकते हुए गरज उठी,
"छूना मत मुझे! तुम एक नंबर के झूठे, धोखेबाज़, फ्रॉड आदमी हो। अपने फायदे के लिए तुम किसी भी हद तक जा सकते हो। तुम्हें दूसरे किसी की इमोशन्स, उनकी फीलिंग्स से कोई मतलब नहीं है। जीते जागते इंसान को तुम अपने इशारों पर चलने वाली कठपुतली समझते हो। तुम स्वार्थी हो, सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बारे में सोचते हो।"
"दूर रहो तुम मुझसे, मुझे छूने की कोशिश भी मत करना तुम। तुम्हें जो चाहिए था मिल गया ना तुम्हें? कर ली तुमने अपनी ज़िद पूरी, मिल गया तुम्हारे दिल को सुकून, बाँध लिया तुमने मुझे इस मजबूरी भरे रिश्ते की बेड़ियों में... अब जाओ अपने जीत का जश्न मनाओ और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो। नहीं है ज़रूरत मुझे तुम्हारी दया, तरस और झूठे परवाह की। अपना यह प्यार का नाटक किसी और के सामने करना अब, क्योंकि मैं नफ़रत करती हूँ तुमसे... बेहद नफ़रत करती हूँ मैं तुमसे... नफ़रत है मुझे तुम्हारे इस चेहरे से, नफ़रत है दिखावे की तुम्हारी इस परवाह से... नफ़रत है मुझे तुम्हारे वजूद से... चले जाओ यहाँ से, मेरी नज़रों से दूर चले जाओ और दोबारा कभी मेरे सामने मत आना।"
चोट खाई घायल शेरनी जैसे वह समर पर झपट पड़ी। उसका बस नहीं चला था, वरना समर को चीर-फ़ाड़कर रख दिया होता उसने।
"यह तो पॉसिबल नहीं ना, स्वीटहार्ट? शादी की है मैंने तुमसे, तो अब तुम्हें रहना तो मेरे ही साथ होगा। मेरे जिस चेहरे से तुम्हें नफ़रत है, अब वह चेहरा हर रोज़ देखना होगा तुम्हें और अपनी पूरी ज़िंदगी अब तुम्हें मेरे ही साथ बितानी है, तो मैं तो तुम्हें यहाँ अकेला छोड़कर कहीं नहीं जा सकता।"
आन्या के गुस्से से उलट समर ने तिरछी मुस्कान लबों पर सजाते हुए रोमांटिक अंदाज़ में जवाब दिया। उसका लहज़ा शांत और नरम था, पर आँखें जैसे आन्या को छेड़ रही थीं। आन्या उसकी बात सुनकर हैरान और गुस्से से भर गई, पर इससे पहले कि वह गुस्से में कुछ और कहती, अपने दाएँ घुटने को फर्श पर टिकाते हुए समर उसके पास बैठ गया और उसके गुस्से और नाराज़गी भरे चेहरे को देखते हुए संजीदगी से उसने आगे कहना शुरू किया,
"बिलकुल सही पहचाना है तुमने मुझे... बहुत बुरा हूँ मैं। अगर एक शब्द में मुझे डिफ़ाइन करना हो तो क्रुएल डेविल हूँ मैं, जिसे कभी किसी पर दया नहीं आती और तरस खाना तो उसने सीखा ही नहीं। और पता है मैं और भी ज़्यादा क्रुएल, रूठलेस एंड डेंजरस कब हो जाता हूँ?"
समर सर्द निगाहों से आन्या को देखने लगा, जो आँखें छोटी-छोटी किए उसे गुस्से से घूर रही थी। पल भर ठहरते हुए समर ने इंटेंस निगाहों से उसे देखते हुए अपनी बात पूरी की,
"तब जब कोई मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ जाकर मुझे धोखा देता है, मेरी सच्ची फीलिंग्स को दिखावा कहकर उसकी इंसल्ट करता है, मेरे लगाव, फ़िक्र और परवाह को दया और तरस का नाम देता है, मेरी मोहब्बत को झूठा कहकर उसे ठुकराता है और जो मेरे लिए अहम है उसे चोट पहुँचाता है।"
"कैसा प्यार है तुम्हारा जो सिर्फ़ मेरे दर्द और तकलीफ़ की वजह है? दुनिया में कौन सा मर्द उस लड़की के साथ ऐसा सुलूक करता है जिससे वह मोहब्बत करता है, जैसा तुमने मेरे साथ किया है? यह कैसा सेल्फ़िश प्यार है तुम्हारा जिसमें बस तुम्हारी इच्छा, तुम्हारी ख्वाहिशें मायने रखती हैं, मेरी मर्ज़ी, मेरे सपनों, मेरी ख्वाहिशों की कोई अहमियत ही नहीं... यह कैसी चाहत है तुम्हारी जिसने मुझे मेरे मॉम-डैड तक से दूर कर दिया?"
आन्या दर्द से तड़पते हुए बिफ़र पड़ी। अब उसके चेहरे पर सिर्फ़ दर्द और पीड़ा के भाव मौजूद थे। आज शाम से उसके साथ जो हुआ, समर ने जिस तरह उससे जबरदस्ती शादी की और उसके लिए इतने झूठ कहकर उसे मजबूर किया... आन्या की हिम्मत टूट गई थी। तकलीफ़ में थी और उसकी आँखों में आँसू देखकर समर तड़प उठा था। व्याकुलता से उसने आन्या को अपनी बाहों में भरते हुए अपने सीने से लगा लिया। आन्या पहले तो अपना गुस्सा, नाराज़गी दिखाते हुए उससे दूर होने को छटपटाती रही, फिर उसकी टीशर्ट को अपनी मुट्ठियों में भींचे फफक-फफक कर रो पड़ी,
"क्यों कर रहे हो तुम मेरे साथ ऐसा? क्या बिगाड़ा है मैंने तुम्हारा? क्यों तुमने मुझसे इतना बड़ा झूठ कहा? क्यों धोखा दिया मुझे? क्यों मुझे जबरदस्ती इस रिश्ते में बंधने पर मजबूर किया? क्यों... क्यों..."
ऐसे बहुत से 'क्यों' थे जिसके जवाब आन्या उससे मांग रही थी, पर समर एकदम खामोश था और उसके चेहरे पर तनाव व चिंता के मिले-जुले भाव मौजूद थे।
"कैसे बताऊँ तुम्हें सच, कि वह शादी नहीं, तुम्हारी और मेरी बर्बादी थी। मुझसे बदला लेने के लिए सारी साज़िश रची गई थी और टार्गेट किया गया था तुम्हें, क्योंकि वह जान गया है कि तुम मेरी कमज़ोरी हो और अब मेरी कमज़ोरी का इस्तेमाल मेरे ख़िलाफ़ करके मुझसे अपनी दुश्मनी निभाना चाहता है... कैसे बताऊँ तुम्हें कि वह रिश्ता नहीं, बल्कि एक फरेब का जाल था, जिसमें तुम्हें फँसाया जा रहा था। अगर आज मैं वक़्त पर वहाँ नहीं पहुँचता, तो वहाँ वह होता जिसकी कल्पना भी तुम कभी नहीं कर सकती।"
"अभी तुम्हें मुझसे शिकायत है कि मैंने इस तरह से तुमसे शादी क्यों की, पर अगर आज मैं यह कदम नहीं उठाता, तो तुम मजबूरी में एक ऐसे रिश्ते में बंध जाती, जो रिश्ता नहीं, बेड़ियाँ थीं... जिनमें तुम्हें कैद करके मुझे मजबूर करने का इरादा था उसका। तुम मोहब्बत हो मेरी और वह बहुत ही चालाकी से मेरी ही मोहब्बत को एक मोहरा बनाकर मेरे ख़िलाफ़ इस्तेमाल करना चाहता था ताकि तुम्हारे ज़रिये मुझे शिकस्त दे सके..."
"पर मैं तुम्हारी ज़िंदगी और खुशियों का सौदा होते नहीं देख सकता था। मैं अपनी और उसकी दुश्मनी के बीच तुम्हें मोहरा नहीं बनने दे सकता था। तुम्हें इन सबसे दूर रखने और उसके एविल इंटेंशन्स का शिकार बनने से बचाने का एक यही तरीका था मेरे पास।"
"मैं जिससे मोहब्बत करता हूँ उसे प्रोटेक्ट करने के लिए किसी भी हद तक जा सकता हूँ और मैंने जो किया, सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हें प्रोटेक्ट करने के लिए किया, पर शायद अभी तुम यह सब नहीं समझ सकोगी, क्योंकि इस वक़्त तुम्हारी नज़रों में मैं गलत हूँ, तुम नफ़रत करती हो मुझसे। तुम्हें तो लगता है कि सब कुछ मैंने प्लैन किया है ताकि तुम्हें खुद से शादी करने के लिए मजबूर कर सकूँ... तुम्हें जब मुझ पर विश्वास ही नहीं, तो अभी मेरे तुम्हें कुछ भी समझाने का भी कोई फ़ायदा नहीं। तुम्हारी नज़रों में मैं धोखेबाज़, क्रूर, निर्दयी, अत्याचारी, स्वार्थी इंसान हूँ, तो वही सही। अभी तुम इसी गलतफ़हमी में रहो। सही वक़्त आने पर तुम्हें खुद एहसास हो जाएगा कि मेरा तरीका भले ही गलत था, पर इरादे नेक थे और तुम्हारे लिए मेरी मोहब्बत सच्ची थी।"
समर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे शांत करवा रहा था। उसका स्नेह भरा स्पर्श आन्या के दर्द को चुनता जा रहा था। धीरे-धीरे वह शांत हुई और इसके साथ ही समर के कठोर चेहरे पर सुकून के भाव उभर आए।
पर अचानक ही आन्या ने उसके सीने पर हथेलियाँ रखते हुए उसे खुद से दूर धकेल दिया और समर चौंकते हुए अपने ख्यालों से बाहर आया।
क्या है समर का राज़ और क्यों कर रहा है यह सब? क्या छिपा रहा है आन्या से और क्यों?
"चलो उठो, अपनी विदाई से पहले ही बहुत आँसू बहा लिए तुमने। अब जाकर फ्रेश हो जाओ।"
समर ने आन्या की बाहों को थामते हुए उसे खड़ा किया। कुछ देर पहले तक आन्या उसकी बाहों में सिमटी बिलख-बिलख कर रो रही थी, पर अब एक बार फिर घायल शेरनी की तरह उस पर झपट्टा मारने को तैयार थी।
"फ्रेश होने तो ऐसे कह रहे हो जैसे धूमधाम से मुझसे शादी करके विदा करवाकर लाए हो और मेरे साथ मेरा सारा सामान भी आया होगा, तो जाकर उनमें से कपड़े निकालूँ और फ्रेश हो जाऊँ।"
तीखी निगाहों से समर को घूरते हुए उसने ताना सीधा उसके मुँह पर खींचकर मारा। समर के चेहरे के भाव बिगड़ गए। अगले ही पल उसने भी आन्या को घूरते हुए रौबदार लहज़े में जवाब दिया,
"प्लैन तो मेरा यही था, पर तुम्हारी बेवकूफी और शादी करने की बेसब्री ने मुझे इस तरह से तुमसे शादी करने पर मजबूर कर दिया। खैर, तुम्हारे साथ फ़िज़ूल की बहस में उलझने का मेरा अभी बिल्कुल भी मूड नहीं है, तो मुझ पर तंज कसना बंद करो और अंदर जाकर अलमारी से कपड़े लेकर जाकर फ्रेश हो जाओ।"
समर ने उखड़े अंदाज़ में जवाब दिया। यह सुनकर आन्या नाक-मुँह सिकोड़ते हुए गुस्से में पैर पटकती हुई कमरे में चली गई। समर भावहीन सा जाती हुई आन्या को देखता रहा। फिर, उसकी नज़र आन्या के पैरों पर पड़ी और उसके चेहरे पर चिंता के भाव उभर आए।
कुछ आधे-पौने घंटे बाद आन्या ने कमरे से बाहर कदम रखा। समर की लूज़ टीशर्ट उसे इतनी ढीली थी कि उसके कंधे से सरककर बाँह पर आ गई थी। नीचे उसने शॉर्ट्स पहने हुए थे, जो लहंगे के नीचे पहने हुए थे और अब शर्ट के नीचे छुप गए थे। जिससे उसकी दूध सी गोरी, लंबी, आकर्षक टाँगें नज़र आ रही थीं। मेकअप साफ़ कर दिया था और अब उसका गोरा बेदाग चेहरा, जिस पर नैचुरल लालिमा बिखरी थी, अपनी सादगी भरी खूबसूरती से समर की धड़कनों को बेकाबू कर रहा था।
जुड़े में बंधे बाल अब उसके कंधे और पीठ पर बेतरतीब बिखरे हुए थे; साइड बैंग्स उसके माथे को ढँक रहे थे। माँग में भरा सिंदूर भी उनसे कुछ हद तक छुप गया था, पर मंगलसूत्र टीशर्ट के नीचे से झाँक रहा था। मेहँदी रची कलाइयाँ बिल्कुल सूनी थीं और पैरों में समर की ओवरसाइज़ स्लीपर पहने वह अपने बालों को अपनी उंगलियों से ठीक करते हुए उसकी ओर चली आ रही थी। इस वक़्त एक बिल्कुल अलग रूप में आन्या उसके सामने थी और अपने इस दिलकश रूप से समर के होश उड़ा रही थी।
आन्या समर के ठीक सामने आकर खड़ी हो गई और उसे यूँ एकटक खुद को देखते देख खीझते हुए बोली,
"ये दीदे फाड़े क्या देख रहे हो? पहले कभी किसी लड़की को नहीं देखा क्या?"
समर जो उसके रूप के सम्मोहन जाल में उलझा मंत्रमुग्ध सा अपलक उसे निहार रहा था, उसके लबों के कोने हल्के से मुड़ गए। आन्या की ओर एक कदम बढ़ाते हुए उसने अपने और उसके बीच की दूरी को कम किया और उसकी निगाहों में झाँकते हुए कशिश भरे अंदाज़ में जवाब दिया,
"लड़कियां तो बहुत देखीं, पर सादगी में भी इतनी हसीन और दिलकश लगने वाली परी आज पहली बार देखी है जो बिना कुछ किए भी किसी के दिल को बेकाबू करने का हुनर रखती है।"
"परी…" आन्या की भौंहें सोचने के अंदाज़ में सिकुड़ गईं, जैसे इस शब्द से उसकी कुछ यादें जुड़ी हों जो वक़्त के साथ धुँधली पड़ गई थीं और अब बहुत याद करने पर भी उसे कुछ याद नहीं आ रहा था जिसके कारण वह कुछ इरिटेट हो गई।
"बैठो यहाँ।" समर ने उसे सोफे पर बिठाया। तब जाकर वह अपनी सोच से बाहर आई। जब तक वह समर से कुछ कह पाती, वह लंबे-लंबे डग भरते हुए तेज कदमों से अंदर कमरे में चला गया।
"परी," जाते हुए समर को देखते हुए आन्या मन ही मन बड़बड़ाई, पर इस बार भी वह नाकामयाब ही रही। जब कुछ याद नहीं आया तो उसने सर झटक दिया। अब उसका ध्यान सामने टेबल पर सजे खाने पर गया जो कब का ठंडा हो गया था। इसके साथ ही उसके पेट से कुछ आवाज़ें आने लगीं, जिसने उसे शिद्दत से भूख का एहसास करवाया।
आन्या ने अपने सर को हिलाते हुए इस ख्याल को परे झटक दिया और मुँह फेरकर बैठ गई। कुछ ही मिनट बाद उसे अपने पैर पर किसी की गर्म उंगलियों के ठहरने का एहसास हुआ और उसने चौंकते हुए सर घुमाकर देखा तो समर उसके पैरों के पास बैठा था और उसके पास ही रखा था फर्स्ट एड बॉक्स।
"ये क्या कर रहे हो…" आन्या ने हड़बड़ाते हुए अपने पैर को पीछे खींचना चाहा, पर समर ने उसके पैर को पकड़ते हुए ऐसा करने से रोक दिया।
"Wait," उसका सख्त आवाज़ वहाँ गूँजी और आन्या आँखों की पुतलियाँ फैलाए हैरान-परेशान सी उसे देखने लगी।
समर ने कॉटन में डेटॉल लगाकर पहले उसके पैर के पीछे हिल्स से छिली स्किन को प्यार से फूँक मारते हुए साफ़ किया, फिर उस पर बैंड-एड लगा दी।
"हिल्स पहनने की आदत नहीं है तुम्हें।" उसने फर्स्ट एड बॉक्स बंद करते हुए निगाहें उसकी ओर उठाईं। आन्या जो अब तक उसे देख रही थी कि वह कितने प्यार से उसके ज़ख्म को साफ़ कर रहा था, उसने सकपकाते हुए उस पर से निगाहें फेर लीं और अपनी झेंप को गुस्से के पीछे छुपाते हुए खीझते हुए बोली,
"हाँ, नहीं है मुझे हिल्स पहनने की आदत, तो क्या करोगे तुम?"
"फिर से तुम…" समर ने त्योरियाँ चढ़ाते हुए तीखी निगाहों से उसे घूरा तो आन्या ने भी अकड़ते हुए मुँह बना लिया। समर ने बेबसी और अफ़सोस से सर हिलाया और उठकर वापिस कमरे में चला गया। उसके जाने के बाद आन्या ने अपने पैर पर लगी बैंड-एड को अपनी उंगलियों से छुआ। आँखों के आगे वह सीन उभर आए जब समर बेहद प्यार से उसके ज़ख्म को साफ़ कर रहा था, उसके गंभीर चेहरे पर फ़िक्र साफ़ झलक रही थी और उसकी कोशिश पूरी थी कि आन्या को ज़रा भी दर्द का एहसास न हो।
उस वक़्त समर बेहद आकर्षक और प्यारा लग रहा था। उस लम्हे को याद करते हुए हल्की मुस्कान आन्या के लबों पर ठहरी, पर जैसे ही उसे इसका एहसास हुआ उसने खुद को डाँट लगाई और मुँह बनाकर बैठ गई। एक बार फिर उसके ज़हन में "परी" शब्द घूमने लगा, जैसे इस शब्द से उसका कोई गहरा रिश्ता हो।
"लो, खाना खाओ। इतनी रात हो गई है, भूख लगी होगी तुम्हें।"
समर ने दोबारा डिनर ऑर्डर किया था और प्लेट लगाकर आन्या की ओर बढ़ा दी थी। भूख तो उसे ज़ोरों की लगी थी, पर अपनी नाराज़गी, गुस्सा और अकड़ दिखाते हुए उसने मुँह ऐंठ लिया और तिरछी निगाहों से समर को घूरते हुए तुनकते हुए बोली,
"मुझे नहीं खाना कुछ भी।"
"ज़्यादा नाटक नहीं, चुपचाप खाना खाओ।" समर ने सख्ती से उसे डाँटा, जिससे आन्या भड़क उठी।
"नहीं खाऊँगी तो क्या कर लोगे?"
"कुछ नहीं।" समर ने बेफ़िक्री भरे अंदाज़ में जवाब दिया। जिसे सुनकर आन्या चौंक गई। समर से ऐसे ठंडे रिएक्शन की उम्मीद उसे नहीं थी, सो हैरानी से उसका मुँह खुल गया।
समर ने प्लेट वापिस टेबल पर रखी और उसके पास ही बैठ गया। आन्या आँखें बड़ी-बड़ी किए हैरान-परेशान सी उसे देखने लगी, जैसे समझने की कोशिश कर रही हो कि आखिर अब वो करने क्या वाला है?
"मैं सोच रहा हूँ कि आज हमारी शादी हुई है और साथ में ये हमारी फर्स्ट नाइट है, तो उसे बेकार के झगड़ों और खाने में बर्बाद करना ठीक नहीं। आज की रात को तो हमें साथ में एन्जॉय करना चाहिए, खाने-वाने में क्या रखा है? चलो वो करते हैं जो शादी की पहली रात न्यूली मैरिड कपल्स के बीच होता है। इन लम्हों को साथ में खुलकर जीते हैं और आज की रात को अपनी मोहब्बत से यादगार बना देते हैं।"
चेहरे पर कोमल भाव लिए समर मोहब्बत भरी निगाहों से एकटक आन्या को निहारने लगा, जिसके चेहरे का रंग उड़ गया था उसकी ये बात सुनकर।
"क…क्या मतलब हुआ इसका?"
"वही जो तुम समझ रही हो।" समर हौले से मुस्कुराते और अपनी हथेली आन्या के साइड में सोफे पर टिकाते हुए इंटेंस निगाहों से उसके सुर्ख लबों को देखते हुए उसकी ओर झुकने लगा।
ये देखकर आन्या की साँसें अटक गईं और आँखें फटी की फटी रह गईं। घबराहट के मारे उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगे। उसने हड़बड़ाते हुए समर के सीने पर अपनी हथेली टिकाते हुए उससे दूरी बनाई और पीछे की ओर झुकते हुए घबराहट से बोली,
"दे…देखो, तुम ऐसा नहीं कर सकते मेरे साथ। तुमने जबरदस्ती शादी की है मुझसे, अ…अगर अब तुमने मुझ पर पति होने का हक़ जताने या…या मे…मेरी मर्ज़ी के खिलाफ़ मेरे करीब आने की कोशिश भी की तो अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए। इसलिए अपनी खैरियत चाहते हो तो ये जो फितूर चढ़ा है ना तुम्हारे सर पर, उसे उतार दो और दूर रहो मुझसे…भूलो मत, कमिश्नर की बेटी हूँ मैं।"
घबरा रही थी, फिर भी खुद को मज़बूत दिखाने की कोशिश करते हुए समर को धमकाने से बाज़ नहीं आई थी वो और उसकी इस अदा पर समर दिल ही दिल में हँस पड़ा था। लबों पर कुटिल मुस्कान सजाते हुए उसने कशिश भरी निगाहों से आन्या को देखा।
"तुम भी मत भूलो कि मैं अब हसबैंड हूँ तुम्हारा और अपनी बात मनवाने के बहुत से तरीके हैं मेरे पास। हक़ है मेरा तुम पर और मुझे खुद तुम भी अपनी मनमानी करने से रोक नहीं सकती। इसलिए अगर चाहती हो कि मैं अपने पति होने के हक़ का इस्तेमाल ना करूँ तो चुपचाप बिना कोई नखरे किए खाना खाओ। अगर मुझे उकसाया या चैलेंज किया तो याद रहे कि उसका अंजाम तुम्हारा ये नाज़ुक वजूद सहन नहीं कर सकेगा।"
ऊपर से नीचे तक आन्या को इंटेंस निगाहों से देखते हुए समर कुछ इस अंदाज़ में मुस्कुराया कि आन्या के जिस्म में सिहरन सी दौड़ गई। उसने समर को खुद से दूर धकेला और खुद उससे दूरी बनाते हुए खुद में सिमटने लगी। उसके चेहरे पर बिखरी गुलाबी रंगत, लरजती पलकें, आपस में टकराते खुलते-बंद होते लब, बेचैन धड़कनें और बिखरती साँसें समर के मन को एक्साइटमेंट से भर रही थीं। उसके लबों पर शातिर मुस्कान उभर आई, जिसे छुपाते हुए उसने चेहरा गंभीर बनाया और खाने की प्लेट उठाकर उसकी ओर बढ़ाते हुए बोला,
"अब बिना कोई नखरे दिखाए खाना खाओ और मुझे भी खाने दो, वरना मैं अपना डिनर तुमसे करूँगा और तुम्हें ये शायद पसंद न आए।"
समर ने चेतावनी भरी निगाहों से उसे देखा और अजीब तरह से मुस्कुरा दिया। उसकी बात सुनकर आन्या ने चौंकते हुए निगाहें उसकी ओर उठाईं और जैसे ही नज़र उसके मुस्कुराते लबों पर पड़ी, उसका चेहरा गुस्से से तमतमा उठा। आँखें छोटी-छोटी किए वो खूनी निगाहों से उसे घूरने लगी।
समर ने आँखों से प्लेट की ओर इशारा करते हुए कुछ जताया और गुस्से में भड़की आन्या का खून खौल उठा। उसने खीझते हुए उससे प्लेट छीन ली और सोफे के दूसरे कोने में बैठकर खाना खाने लगी। समर उसे देखकर मन ही मन मुस्कुराया और खुद भी डिनर करने लगा।
"भूखे पेट इंसान को गुस्सा ज़्यादा आता है। अब देखो, पेट भरने के बाद कितनी शांत लग रही हो तुम।"
आन्या जो भरपेट खाना खाने के बाद पानी पीने लगी थी, समर की ये बात सुनकर उसने गौर किया कि वाकई अब उसका गुस्सा शांत हो गया है, पर भला समर को वो ऐसा क्यों दिखाती, सो तिरछी निगाहों से उसे ऐसे घूरा जैसे अब भी बेहद गुस्से में हो।
"ग़लतफ़हमी है तुम्हारी, मैं अब भी बहुत गुस्से में हूँ…समझे तुम।"
आन्या ने उसे घूरते हुए अजीब सा मुँह बनाया और ग्लास को लगभग टेबल पर पटकते हुए उठ खड़ी हुई।
"रूम में जा रही हूँ मैं, खबरदार जो तुमने वहाँ मेरी परमिशन के बिना कदम भी रखा। तुम मुझे यहाँ लेकर आए हो, इसलिए रूम में मैं सोऊँगी, वो भी अकेले। तो तुम यहीं कहीं अपना ठिकाना ढूँढ लो।"
अकेले शब्द पर उसने खासा ज़ोर दिया और मुँह ऐंठते हुए रूम की ओर बढ़ गई। उसका ये एटीट्यूड से भरा अंदाज़ देखकर समर के लबों पर दिलकश मुस्कान बिखर गई। वो वहीं सोफे पर लेट गया।
हालाँकि उसके कद के हिसाब से वो किंग साइज़ सोफा भी छोटा पड़ रहा था, पर उसकी आँखों में नींद भी कहाँ थी? अपनी बांह को मोड़कर सर के नीचे लगाए वो सीलिंग को घूर रहा था और उसके चेहरे पर कुछ अजीब से भाव मौजूद थे।
दूसरे तरफ़ आन्या भी ब्लैंकेट में घुसी हुई थी और बेचैनी से करवट बदल रही थी। आज उसके साथ जो-जो हुआ, सब किसी चलचित्र जैसे उसकी आँखों के सामने घूम रहा था, दिल अजीब सा हो रहा था और अपने मॉम-डैड के बारे में सोचकर बार-बार उसकी आँखें भीग जाती थीं।
"ये आदमी बहुत शातिर है। कितनी चालाकी से इसने मुझे अपने झूठे जाल में फँसाकर शादी के लिए मजबूर कर दिया। अगर मुझे इसकी कैद से आज़ाद होना है तो तुम गुस्से या रोने से नहीं, पेशेंस से काम लेना होगा। अपने दिमाग का इस्तेमाल करके उसे उसी के खेल में हराना होगा। बस एक बार मॉम-डैड से बात कर लूँ, उनके पास चली जाऊँ। उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। मैं उन्हें सब बता दूँगी और वो पता कर लेंगे कि उस रात मेरे साथ जो हुआ वो हादसा था या किसी की सोची-समझी साज़िश। अगर इन सबके पीछे इसका हाथ हुआ तो मैं छोड़ूँगी नहीं इसे। लेकिन इन सबके लिए सबसे पहले मुझे उस सनकी आदमी से अपना मोबाइल वापिस लेना होगा, ताकि डैड से बात करके उन्हें अपने यहाँ इस मुसीबत में होने के बारे में बता सकूँ।"
सोचते हुए अचानक ही उसके मन में कुछ आया और उसकी आँखें चमक उठीं, होंठों पर शातिर मुस्कान फैल गई।
लिविंग रूम में लगे सोफ़े पर किसी तरह खुद को एडजेस्ट करके समर आँखें मूँद लेटा था। सारी लाइट्स ऑफ़ थीं, बस नाइट लैंप की हल्की रोशनी वहाँ बिखरी हुई थी। चारों तरफ गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। रात के करीब एक बज रहे थे, जब उसे किसी के कदमों की आहट सुनाई दी, पर वह तब भी एकदम स्थिर लेटा रहा, जैसे गहरी नींद में सोया हो।
आन्या ने धीरे से अपना सिर रूम के गेट से बाहर निकालकर देखा। सोफ़े पर लेटे समर को देखते हुए उसके होंठों पर शातिर मुस्कान फैल गई। आन्या धीमे कदमों से चलते हुए धीरे-धीरे उसके पास आई। पहले उसने उसके आगे हाथ हिलाकर यह चेक किया कि वह सच में सो रहा है या नहीं? जब समर के शरीर में कोई हलचल महसूस नहीं हुई, तो उसने गहरी साँस छोड़ी।
पहले टेबल पर आस-पास चेक किया, शायद कुछ ढूँढ रही थी, पर मायूसी ही हाथ लगी। फिर उसने झिझकते हुए उसके ट्राउज़र के पॉकेट को टटोला। वहाँ भी उसे कुछ नहीं मिला, तो अब सोफ़े के किनारों को टटोलने लगी। इसी क्रम को दोहराते हुए वह पैर के पास से उसके सिर के पास पहुँची। फिर उसके बाँह को हटाते हुए वहाँ अभी कुछ तलाश ही रही थी कि अचानक ही उसका बैलेंस बिगड़ा और वह समर के ऊपर जा गिरी।
पल भर को आन्या की साँसें थम गईं और सीने में मौजूद दिल घबराहट के मारे ज़ोरों से धड़क उठा, चेहरे का रंग उड़ा और उसने कसके अपनी आँखें भींच लीं। कुछ सेकंड बीते, वहाँ अब भी गहरा सन्नाटा पसरा हुआ था। आन्या ने अब हिम्मत करके समर के सीने से सिर बाहर निकालकर कातर निगाहों से उसके चेहरे की ओर देखा।
उसकी नज़र जैसे ही समर की स्याह रंग में रंगी डरावनी आँखों पर पड़ी, जो उसी पर ठहरी थीं, आन्या की आँखों की पुतलियाँ फैल गईं।
"तुम यहाँ इस वक़्त इस हालत में मेरे इतने करीब होकर क्या करने की कोशिश कर रही हो?"
समर की बर्फ सी सर्द गंभीर आवाज़ आन्या के कानों से टकराई और उसकी तीखी निगाहें उसके मन को अंदर तक भेद गईं। आन्या, जो उसे जागता देखकर शॉक्ड रह गई थी, उसका यह सवाल सुनकर हड़बड़ाते हुए उसके ऊपर से हटने लगी, पर समर ने उसकी कमर पर अपनी बाँह लपेटते हुए उसे ऐसा करने से रोक दिया। आन्या की घबराहट भरी निगाहें हैरानी से उसकी ओर उठीं। समर ने उन बड़ी-बड़ी आँखों में झाँकते हुए उसी सर्द लहज़े में आगे कहा,
"बिना मेरे सवाल का जवाब दिए तुम्हें यहाँ से हिलने की भी परमिशन नहीं। अगर मुझसे छूटना चाहती हो, तो मेरे सवाल का सच-सच जवाब दो.......... इतनी रात गए तुम यहाँ क्यों आई थी? और क्या कर रही थी?"
आन्या के चेहरे के भाव अब कुछ बदले। अपनी कमर पर लिपटी समर की बाँह को हटाने की कोशिश करते हुए उसने तुनकते हुए जवाब दिया,
"मैं यहाँ अपना फ़ोन लेने आई थी और वही ढूँढ रही थी, जब मेरा पैर स्लिप हो गया और मैं तुम्हारे ऊपर गिर गई।........ दे दिया न अब मैंने तुम्हारे सवाल का जवाब, तो छोड़ो मुझे।"
"उहु... पहले ये बताओ कि इतनी रात गए तुम्हें फ़ोन की क्या ज़रूरत पड़ गई कि यहाँ मेरी तलाशी लेने चली आई?"
समर ने उसकी कमर पर अपनी बाँह की पकड़ कसते हुए सवाल किया। आन्या, जो उससे छूटने को छटपटा रही थी, उसने गुस्से में जबड़े भींच लिए।
"मेरा फ़ोन है, जिसे तुमने मुझसे छीन लिया है। मुझे अपने मॉम डैड से एक बार बात तक नहीं करने दी। पता नहीं वो वहाँ कैसे होंगे? मेरे यूँ अचानक गायब होने से उन पर क्या बीती होगी..... मुझे बात करनी है अपने मॉम डैड से, इसलिए अपना फ़ोन लेने आई थी मैं।"
आन्या के लहज़े में गुस्से से ज़्यादा दर्द, उदासी और नाराज़गी घुली थी। समर के चेहरे के भाव अब कुछ कोमल हो गए।
"टाइम देखा है तुमने? इस वक़्त सारी दुनिया सो रही होगी और तुम्हें अभी अपने पैरेंट्स से बात करनी है।...... कहा था न मैंने कि तुम बस मुझसे शादी करो, उसके बाद बाकी सब मैं संभाल लूँगा। तुम्हारे पैरेंट्स को कोई परेशानी नहीं होगी और न ही तुम पर कोई उंगली उठेगी। विश्वास नहीं कर सकी मेरी बातों पर।"
"तुम जैसे धोखेबाज़, झूठे और फरेबी इंसान पर विश्वास करूँ मैं?" आन्या ने व्यंग्य भरे लहज़े में कहा और छुरी जैसी तीखी निगाहों से उसे घूरने लगी। पल भर को समर निशब्द सा उसे देखता ही रह गया और एक साया सा उसके चेहरे पर आकर गुज़र गया। अगले ही पल वह संभल गया और चेहरे पर कठोर भाव उभर आए।
"धोखेबाज़, झूठा, फरेबी, स्वार्थी जैसा भी हूँ, पर इस वक़्त तुम्हारे पास मुझ पर विश्वास करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। तो विश्वास रखो मुझ पर, तुम्हारे मॉम डैड बिल्कुल ठीक हैं, तुम्हारे घर पर हालात भी बिल्कुल ठीक हैं। तुम्हें इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।
I know जो मैंने तुम्हारे साथ किया, उसके बाद तुम्हारे लिए मुझ पर विश्वास करना मुश्किल है, पर एक आखिरी बार विश्वास करो मुझ पर, कम से कम इस बार मैं तुम्हारे विश्वास को टूटने नहीं दूँगा, इसकी गारंटी मैं देता हूँ तुम्हें।"
समर इस वक़्त बेहद संजीदा लग रहा था। अब तक आन्या ने उसके जितने रूप देखे थे, उनसे कुछ अलग लग रहा था वह, और जिस अंदाज़ में उसने यह बात कही थी, आन्या का दिल एक बार धोखा खाने के बावजूद उस पर विश्वास करने पर मजबूर हो गया था।
आन्या कुछ पल टकटकी लगाए उसे देखती रही, फिर उसने अपनी पलकों को झपकाया और उसकी निगाहों से निगाहें मिलाते हुए गंभीरता से बोली,
"कर लूँगी तुम पर विश्वास, बस मेरे इस सवाल का सच-सच जवाब दे दो कि उस रात हमारे बीच कुछ हुआ था या नहीं?"
समर ने आन्या के इस सवाल का जो जवाब दिया, उसने उसके चेहरे का रंग उड़ा दिया और वह समर से नज़रें चुराने पर मजबूर हो गई।
ऐसा क्या कहा समर ने? क्या हुआ था उस रात उनके बीच और क्या सच है उस रात का?
आन्या कुछ पल टकटकी लगाए उसे देखती रही। फिर उसने अपनी पलकों को झपकाया और उसकी निगाहों से निगाहें मिलाते हुए गंभीरता से बोली,
"कर लूँगी तुम पर विश्वास, बस मेरे इस सवाल का सच-सच जवाब दे दो कि उस रात हमारे बीच कुछ हुआ था या नहीं?"
"उस रात हमारे बीच जो हुआ, उसे मैं दोनों में से किसी भी एक कैटेगरी में नहीं रख सकता।"
"मतलब क्या हुआ इस बात का?" आन्या ने बेचैनी से सवाल किया। उसका मन घबराने लगा था और एक डर उसे सताने लगा था।
समर कुछ पल उसके बेचैनी भरे, घबराए हुए चेहरे को देखता रहा। फिर हमेशा वाले सर्द लहज़े में जवाब दिया,
"इस वक़्त तुम मेरे जितने करीब हो, उस दिन इससे भी ज़्यादा करीब थीं और नशे की हालत में खुद को मुझ पर फ़ोर्स कर रही थीं। बहुत कुछ हुआ था उस रात हमारे बीच और बहुत कुछ होने से रोक दिया था मैंने। पर तुम्हें डिटेल में कुछ नहीं बता सकता।
बस तुम इतना समझ लो कि मैंने तुम्हारे नशे में होने का फ़ायदा नहीं उठाया था। मुश्किल था, पर अपनी लिमिट्स क्रॉस नहीं की थी मैंने और न ही तुम्हें करनी दी थी। मतलब हमारे बीच बहुत कुछ हुआ था पर उस लिमिट तक आगे नहीं बढ़े थे हम, जो सोचकर तुम इस वक़्त घबरा रही हो। तो तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं, एंड डोन्ट वरी, उस रात का ज़िक्र मैं कभी किसी के सामने नहीं करूँगा।"
आन्या और समर दोनों की निगाहें एक-दूसरे की निगाहों में उलझी थीं। समर का जवाब सुनकर आन्या कुछ असहज सी हो गई और उससे नज़रें चुराने लगी। वहीं एक सुकून सा उतरा था उसके मन में कि समर ने उस रात उसके नशे में होने का फ़ायदा नहीं उठाया था, यानी पहले उससे सच ही कहा था कि उनके बीच कुछ नहीं हुआ।
आन्या ने अब उससे दूर हटना चाहा तो अबकी बार समर ने भी उसे छोड़ दिया। आन्या झट से उठ खड़ी हुई और उलटे पाँव रूम की ओर दौड़ पड़ी। अभी वो चंद कदम आगे बढ़ी ही थी कि समर की आवाज़ उसके कानों से टकराई,
"जिस तरह दबे पाँव तुम यहाँ आई थी और मेरी तलाशी ले रही थी, तुम्हारे इन हरकतों से तुम डॉक्टर कम और चोर ज़्यादा लगती हो।"
समर ने जानकर तंज कसा था और शरारत भरी शैतानी मुस्कान उसके लबों पर उभर आई। आन्या के कानों में जैसे ही समर के कहे शब्द पड़े, उसके आगे बढ़ते कदम ठिठक गए। उसके शब्द ये साफ़ ज़ाहिर कर गए थे कि वो शुरू से सब जानता था और जागा हुआ था, मतलब उसने सब देखा और महसूस किया, पर आन्या को इस बात की भनक तक नहीं लगने दी।
ये सोचते ही आन्या, जो पहले कुछ झेंप गई थी, फिर उसे छिपाते हुए गुस्से से उस पर भड़क उठी,
"और तुम इंसान कम और खून पीने वाले ड्रैकुला ज़्यादा लगते हो?"
समर की ओर पलटते हुए वो उस पर बरस पड़ी।
"चलो ड्रैकुला ही सही, पर अब तो इस चोर को अपनी सारी ज़िंदगी इस ड्रैकुला के साथ ही गुज़ारनी है और मैं यूँ ही लाइफ टाइम तुम्हारा खून पीने वाला हूँ, तो तैयार हो जाओ।"
समर ने निगाहों से उसे छेड़ा और शैतानी मुस्कान उसके लबों पर थिरक गई। उसके बेफ़िक्री से कहे इस बात को सुनकर आन्या खीझ उठी,
"तुम सोए क्यों नहीं थे अब तक? उल्लू जैसे जागकर क्या मेरी निगरानी कर रहे थे कि कहीं तुम्हारे सोते ही मैं तुम्हारी इस कैद से आज़ाद होकर भाग न जाऊँ?"
आन्या ने बात का रुख ही मोड़ दिया था और नाराज़गी से मुँह फुलाए उसे घूरने लगी थी। नाराज़गी जायज़ भी थी, आख़िर समर को सोता समझकर कितनी बेवकूफ़ी भरी हरकतें की थी उसने और वो कम्बख़्त तो बस सोने का नाटक कर रहा था।
आन्या का सवाल सुनकर समर ने गंभीर निगाहों से उसे देखते हुए तुरंत ही एतराज जताया,
"बिल्कुल नहीं... अगर तुम्हें ऐसा करना होता तो जब पहले तुम्हें यहाँ अकेला छोड़कर गया था, तभी भाग गई होती। पर ये बात तुम भी जानती हो कि अब चाहे तुम मुझसे कितना ही दूर क्यों न भाग लो, पर आना तुम्हें वापिस मेरे ही पास है, क्योंकि अब तुम्हारी ज़िंदगी के हर रास्ते की मंज़िल सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं हूँ।
और जब मैं इतने मेहमानों की मौजूदगी में, इतनी टाइट सिक्योरिटी के बावजूद, कमिश्नर के घर में घुसकर उनकी नाक के नीचे से उनकी एकलौती बेटी को उड़ा सकता हूँ... तो तुम्हें अपने पास रखने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ। और अब तो तुम मेरी लीगली वाइफ हो, कानून भी जब तक मैं न चाहूँ, तुम्हें मुझसे दूर नहीं कर सकता, तो भागने का कोई फ़ायदा ही नहीं।"
आन्या उसका जवाब सुनकर खीझकर रह गई, पलटकर कुछ कह ही न सकी। समर ने ही पल भर ठहरते हुए आगे कहा,
"अब जाओ जाकर सो जाओ।"
"पहले मुझे मेरा फ़ोन वापिस करो, क्यों मेरे फ़ोन को हथियाकर बैठे हो?"
आन्या ने तुनकते हुए कहा और गुस्से भरी निगाहों से उसे देखने लगी। समर कुछ पल उसे देखता रहा, शायद कुछ सोच रहा था, फिर उसने अपनी आँखों को मुँदते हुए जवाब दिया,
"फ़ोन अब सुबह मिलेगा तुम्हें, अब रात भर यहाँ खड़ी होकर इंतज़ार करना है या रूम में जाकर आराम, ये तुम्हारा फ़ैसला है। पर याद रहे अगर दो मिनट और तुम यहाँ खड़ी रही तो मैं तुम्हें यहाँ से जाने का मौक़ा नहीं दूँगा और फिर हमारे बीच क्या होगा ये तुम खुद सोच लो।"
एक बार फिर समर ने जानबूझकर ऐसी बात कही कि आन्या सर से लेकर पैर तक सुलग उठी। उसकी बातों का मतलब समझते हुए उसका गोरा मुखड़ा गुस्से से दहक उठा,
"You are such a disgusting man!"
आन्या ने गुस्से में जबड़े भींचते हुए खूनी निगाहों से उसे घूरा और पैर पटकती हुई वापिस कमरे में चली गई। अपना गुस्सा और नाराज़गी दिखाते हुए उसने इतनी ज़ोर से दरवाज़ा बंद किया कि समर भी चौंक गया।
"मुझसे शादी करके तुमने अपनी ज़िंदगी की सबसे बड़ी गलती की है... ये मत सोचना कि मुझे जबरदस्ती ब्लैकमेल करके इस रिश्ते की बेड़ियों में बाँधकर तुम जीत गए और तुमने मुझे हासिल कर लिया, क्योंकि मैं अब तुम्हारी ज़िंदगी जहन्नुम बना दूँगी। इतनी नफ़रत करूँगी तुमसे कि तुम हर पल उस लम्हे को कोसेंगे जब तुमने मुझसे शादी करने का फ़ैसला किया था।"
अंदर कमरे में आन्या गुस्से में यहाँ से वहाँ चहलकदमी करते हुए खुद में ही बड़बड़ाए जा रही थी। समर को लेकर उसके दिल में जो गुस्सा, नफ़रत और रोष भरा था, जाने वो उनकी कहानी में कौन सा नया मोड़ लाने वाला था? वो क्या करने वाली थी, ये तो बस वही जानती थी, पर कुछ तो चल रहा था उसके मन में। समर को इतनी आसानी से तो नहीं छोड़ने वाली थी वो।
आन्या के खतरनाक इरादों से अंजान समर अब भी रूम के बंद दरवाज़े को देख रहा था। उसके ज़हन में बहुत सी बातें घूम रही थीं, चेहरे पर गंभीर भाव मौजूद थे और माथे पर पड़ी सिलवटें उसकी कशमकश और उलझन को ज़ाहिर कर रहे थे। शायद किसी बात को लेकर बहुत परेशान था वो।
" ऐना दरवाजा खोलो फ्रेश होना है मुझे । " सुबह के नौ बजने को थे पर न तो कमरे का दरवाजा खुला था और न ही आन्या ने रूम से बाहर कदम रखा था । पिछले लगभग आधे घंटे से समर दरवाजे पर खड़ा गेट नॉक करते हुए आन्या को आवाज़ दे रहा था , जबकि अंदर रूम मे आन्या पूरे बेड पर हाथ पैर फैलाए नींद की हसीन वादियों मे घूम रही थी । बीती रात बहुत देर से सोई थी उसी का असर था कि अब भी वो गहरी नींद मे सोई हुई थी पर बाहर से बार बार आती आवाज़ें उसकी नींद मे खलल डालने लगी थी ।
आन्या कुछ देर तक तो नींद मे कसमसाते हुए ..... अपने कान को ढके, सोने की कोशिश करती रही पर जब ये डिस्टर्बेंस उससे और बर्दाश नही हुई तो उसने मिचमिचाते हुए अपनी नींद से बोझिल पलकों को उठाया और खींझते हुए उनींदी आँखों से रूम के दरवाजे को देखा । फिर चिढ़ते हुए उठकर आलती पालती मारकर बैठ गयी और कुछ देर रूम के बंद दरवाजे को गुस्से से घूरती रही । उसके बाद उसने अपने बिखरे बालों को समेटा और बेड से नीचे उतर गयी । नींद अब भी उसके सर पर हावी थी और कदम लड़खड़ा रहे थे, पलकें बार बार झपक रही थी ।
समर एक बार फिर गेट नॉक करने ही वाला था कि एकदम से दरवाज़ा खुल गया और आँखों के आगे आन्या का अल्साया हुआ क्यूट सा चेहरा आ गया , जिसे देखते ही समर के लब बेसाख्ता ही मुस्कुरा उठे और सीने मे मौजूद दिल ने ज़ोरों से धड़कते हुए अपनी खुशी का इज़हार कर दी
" Good morning wifey " नींद मे झूलती आन्या के कानों मे समर के मोहब्बत की मिठास से भरे ये शब्द पड़े और साथ ही किसी के होंठों का लम्स उसे अपने गाल पर महसूस हुआ ...... और उसकी आँखे फैल गयी । नजर सीधे सामने खड़े समर पर पड़ी , जो लबों पर दिलकश मुस्कान सजाए उसे बड़े ही प्यार से निहार रहा था । अपनी ज़िंदगी की हकीकत से सामना होते ही उसकी सारी खुमारी एक झटके मे उतरी थी और कल का पूरा वाक्या उसकी आँखों के सामने घूम गया था। अगले ही पल उसके चेहरे के भाव बदल गए और आँखे छोटी छोटी किए वो समर को घूरने लगी
" ज्यादा एडवांटेज लेने की कोशिश मत करो तुम "
" एडवांटेज कहाँ उठाया है मैंने? ....... शादी के बाद ये हमारी पहली सुबह है । मैंने तो बस उसे स्पेशल बनाया है। "
समर ने बेफिक्री भरे अंदाज़ मे जवाब दिया और उसके दूसरे गाल को चूमते हुए आगे बढ़ गया । आन्या स्तब्ध रह गयी , उसका मुह हैरानी से खुल गया और आँखे फटी की फटी रह गयी । जब तक वो संभली समर वॉशरूम मे जा चुका था और पीछे छोड़ गया था गुस्से मे तमतमाई आन्या को ।
कुछ देर बाद वो फ्रेश होकर बाहर निकला तो गुस्से से भड़की आन्या को अपने ठीक सामने खड़ा पाया
" मुझे मेरे घर जाना है । "
" ले चलूँगा पर एक शर्त पर । " समर ने शांत और गंभीर स्वर मे जवाब दिया । आन्या जो पहले ही उसकी उस हरकत के कारण भड़की हुई थी , शर्त की बात सुनकर खींझते हुए एकाएक उसपर बरस पड़ी
" मेरे घर जाने के लिए भी अब मुझे तुम्हारी शर्त माननी पड़ेगी ?...... तुमने ये जो पहरेदारी लगाई हुई है मेरे ऊपर , उसे हटा दो मैं खुद चली जाऊंगी । "
आन्या का इशारा बाहर गेट को कवर करके खड़े गार्ड्स की ओर था । असल मे अभी कुछ देर पहले ही उसने गुस्से मे यहाँ से जाने का फैसला किया था पर उन गार्ड्स ने उसे जाने नही दिया । समर भी समझ गया था कि आन्या को बाहर खड़े गार्ड्स के बारे मे पता चल चुका है फिर भी वो बिल्कुल रिलैक्स लग रहा था ।
" उहु ... जाओगी तो तुम मेरे ही साथ। बोलो तो शर्त बताऊँ?, ..... या फिर भूल जाओ , मैं तुम्हे यहाँ से कही जाने नही दूँगा । " समर ने इतना कहा और आन्या के साइड से निकलकर जाने ही लगा था कि आन्या की गुस्से भरी आवाज़ उसके कानों से टकराई
" क्या शर्त है तुम्हारी ? " समर के लबों पर मिसटीरियस स्माइल उभरी , जिसे छुपाते हुए उसने उसकी ओर पलटते हुए गंभीरता से जवाब दिया
" अगर तुम्हारे पैरेंट्स ने हमारे रिश्ते को एक्सैप्ट करके हमें अपना आशीर्वाद दे दिया तो तुम भी इस रिश्ते को अपना लोगी । "
समर की ये बात सुनकर आन्या का गुस्सा नफरत मे बदल गया ।
" तुम्हारे वजह से जो मैंने किया है , उसके बाद मेरे पैरेंट्स मेरी शक्ल भी नही देखेंगे । इतनी नफरत करने लगे होंगे वो मुझसे ।...........सिर्फ तुम और तुम्हारे इस सैल्फिश प्यार के वजह से मैं अपने मॉम डेड की गुनाहगार बन गयी । उनकी परवरिश पर सवाल उठा दिये मैंने , इतने लोगों के आगे उनका सर शर्मिंदगी से झुका दिया, सालों से कमाई उनकी इज़्ज़त मेरे कारण एक झटके मे मिट्टी मे मिल गयी ।
मुझे ये तक नही पता कि वो मुझे अब घर मे घुसने भी देंगे या नही .......और तुमको अब भी अपने मतलब की पड़ी है ।....... मेरे साथ इतना कुछ करने के बाद भी तुमको लगता है कि मेरे पैरेंट्स दोनों बाँहों को फैलाकर मेरा और तुम्हारा वेलकम करेंगे......जो ऐसी वाहियात शर्त रखी है तुमने ? "
" तुम्हे ये सब सोचने की ज़रूरत नही है, तुम बस इतना बताओ कि तुम्हे मेरी शर्त मंज़ूर है या नही ? अगर तुम वादा करती हो कि अगर तुम्हारे पैरेंट्स ने हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट कर लिया तो तुम भी इस रिश्ते को एक्सेप्ट कर लोगी तो ले चलता हूँ मैं तुम्हे ........ वरना हम यहाँ से सीधे मेरे घर जाएंगे । "
आन्या कुछ पल बेयकिनी से उसे घूरती रही फिर गुस्से मे उसने जबड़े भींच लिये ।
" वैसे तो ये इंपोसिबल है पर अगर मेरे घर वापिस जाने की यही शर्त है तो मुझे तुम्हारी ये शर्त मंज़ूर है ......... मै तुमसे वादा करती हूँ कि अगर मेरे पैरेंट्स हमारे रिश्ते के लिए मान गए और उन्होंने तुम्हे अपने दामाद के रूप मे एक्सेप्ट कर लिया ..... तो मैं भी जबरदस्ती और धोखे के इस रिश्ते को एक्सेप्ट कर लूँगी ..........और अगर मेरे फोन को लौटाने के लिए भी तुम्हें कोई शर्त रखनी है तो वो भी बता दो , मैं उसे भी मानने को तैयार हूँ ...... बस मुझे मुझे मेरा फोन वापिस कर दो । "
" तुम्हारा फोन कार मे है , जाते वक़्त वापिस कर दूंगा तुम्हे , वो भी बिना किसी शर्त के। "
समर चेहरे पर सीरियस लुक्स के साथ आन्या को देख रहा था , शायद कुछ जता रहा था जिसे समझते हुए वो काफी चिढ़ गयी थी । पल भर ठहरते हुए समर ने आगे कहा और अगले ही पल आन्या गुस्से से उसपर चिल्ला उठी।
Coming soon........
ऐसा क्या कहा समर न की आन्या उसपर भड़क गयी?