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Risk vala Ishq

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Aarushi Aarushi

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यह कहानी है एक माफिया और एक बहुत ही प्यारी और इनोसेंट लड़की की। जिसे गलती से उसने किडनैप कर लिया। वह उसे मारना चाहता था। लेकिन वह मर नहीं पाया और कैसे हुई दोनों की लव स्टोरी शुरू.? जाने के लिए जरूर पढ़ें

Total Chapters (17)

Page 1 of 1

  • 1. Risk vala Ishq - Chapter 1

    Words: 1186

    Estimated Reading Time: 8 min

    एक जंगल में बने एक तहखाने के बड़े डार्क रूम में  एक लड़की जिसकी उम्र कोई  20 साल के आसपास होगी। उसके दोनों हाथ पीछे करके बंधे हुए थे। आंखों पर भी एक ब्लैक पट्टी बंधी हुई थी और मुंह पर भी। यह लड़की यहां करीब पिछले 4 घंटे से बंधी हुई थी। भूख प्यास और गर्मी के मारे बुरा हाल हो रहा था। बंधे होने की वजह से मुंह और हाथ तो नहीं चला सकती थी । लेकिन पर वह बार-बार पैर पटक रही थी, आगे पीछे घिस रही थी। ताकि  कोई हो आसपास तो उसे पता चले, उसके पास आए। मदद करने के लिए। लेकिन यह डार्क रूम। ऐसी जगह पर था जहां लोगों के दूर-दूर तक आने की कोई उम्मीद नहीं थी। वह कुछ देर तक पैर पटकती। फिर जब पैर दर्द होने लगता तो शांत हो जाती। और कान लगाकर सुनने की कोशिश करती । कहीं कोई आया तो नहीं। आसपास किसी आदमी की आवाज तो नहीं। और जब ऐसा कुछ कुछ सुनाई नहीं देता तो वह सामान्य होकर बैठ जाती।बार-बार पैर पटकने और घिसने की वजह से अब तक उसके दोनों पैर लाल हो चुके थे। कहीं-कहीं हल्का छिल भी गए थे। लग रहा था मानो अब खून निकल आएगा तब निकल आएगा।कौन.? आखिर कौन है? किसने मुझे किडनैप किया? किससे मेरी दुश्मनी हो सकती है? मेरी लाइफ में तो कोई ऐसा नहीं है। फिर कौन हो सकता है? ओह गॉड प्लीज सेव मी! तभी दरवाजा खुला। दरवाजे से हल्की से रोशनी अंदर आई जो उस लड़की ने महसूस किया। और उसी के साथ किसी के पैरों की आहट महसूस हुई।  जिससे डर की लहर उसके पूरे तन-बदन पर साफ दिखने लगी। वह  शख्स अंदर आया और सामने चेयर खींचते हुए पैर पर पैर चढ़ा कर बैठ गया। और उस बंधी हुई लड़की को देखकर एक डेविल मुस्कान दिया। अब तक तो तेरे घर में खलबली मच गई होगी। तेरे बाप को इस बार ब्रेन स्ट्रोक नहीं हार्ट अटैक आएगा। तेरे किडनैपिंग  की बात सुनकर। मुझसे पंगा लेने चला था। अनुभव ठाकुर से पंगा लेना उसे कितना महंगा पड़ सकता है। उसे अब पता चलेगा। बोलकर वह ज़ोर से डेविल की तरह हंसा। जिसे सुनकर वह लड़की डर से ना में सिर हिलाने लगी। उसे इस तरह से डरते देख एक बार और जोर से हंसा और आवाज़ लगाई। राजन ! जरा जल्दी से इस नंबर को डायल करो और उस  राणा को कॉल लगाओ। " भाई अभी क्यों? कुछ देर रुक जाइए। बौखला कर वह खुद सामने से कॉल करेगा। " "नहीं, अब और नहीं रुकना मुझे। तुम जल्दी से फोन लगाओ और यह गुड न्यूज़ दे दो। कि उसकी बेटी अब हमारे कब्जे में है। हां और, कह देना कि वह तब तक सही सलामत है जब तक वह मेरे पूरे पैसे नहीं लौटा देता।" " ल.लेकिन भाई!" "लेकिन वेकिन कुछ नहीं! जल्दी से उसे फोन करो।" वह फोन करने के लिए वहां से दूर गया और कुछ देर बाद बोला,भाई मैंने कॉल किया। पर वह तो चौंकने के बजाय उल्टा हम पर जोर से हंसने लगा और बेवकूफ..! कह कर फोन काट दिया। एक पल के लिए उसका सर घूम गया तभी उसके मोबाइल पर एक कॉल आया। हेलो अनुभव! शायद तुमने किसी गलत लड़की को उठा लिया। बात कंफर्म करो। अगर सच है। तो उसे छोड़ दो। वह बहुत इनोसेंट लड़की है। और इस दुनिया में कोई नहीं है उसका। "नहीं, ऐसा नहीं हो सकता।  गलती और मुझसे.!  हो ही नहीं सकती। यह राणा की ही बेटी है।" बोलते हुए उसने फोन काट दिया ,और तुरंत एक नंबर डायल किया। रिंग बजते ही  हेलो बोलने से पहले ही एक जोर की अट्टहास सुनाई दी। हाहाहाहा..तुमसे बड़ा बेवकूफ इस दुनिया मे ना कोई है, और ना होगा। बेवकूफ कौन है? बहुत जल्द पता चल जाएगा। फिर जो तेरा हाल होगा। तब तो लाफिंग गैस सुंघाने के बाद भी तुम नहीं हंस पाओगे। " देख राणा..! तू ये जबरदस्ती की हंसी हंसना बंद कर!  तेरी बेटी अब मेरे क़ब्ज़े में है। अगर तुम उसकी और अपनी सलामती चाहता है। तो मेरा सब कुछ  वापस कर । वरना.! " "वरना क्या.! कुछ नहीं..! मिस्टर अनुभव! मेरा अनुभव कह रहा है। अब तुम्हारी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। तुम्हारे बुरे दिन शुरू हो गए, शीघ्र अतिशीघ्र तुम बर्बाद हो जाओगे। अरे तू 28 साल का है। और 5 साल का अनुभव है तो इतना शातिर है। मैं 45 साल का हूं। 20 साल का अनुभव है तो  जरा भी दिमाग नहीं मेरे पास।  ब्रेन स्ट्रोक आने का मतलब यह नहीं कि मेरा ब्रेन डेड हो गया है। माफिया बनने के लिए मर्द बनना पड़ता है।  किसी स्त्री को किडनैप कर, उसे आगे कर  ब्लैकमेल करना यह तुम जैसे नामर्द करते होंगे।" " जबान संभाल कर राणा! ध्यान रहे  तुम्हारी बेटी मेरे कब्जे में है और मैं गन उसके सिर पर प्वाइंट कर चुका हूं। एक लफ्ज़ और बोला तो खाली कर दूंगा उसके सिर में।" "जबान और कान खोलकर तुम सुनो। तुम्हें जो करना है करो। वह मेरी बेटी नहीं है। और एक बात कहूं, तुम्हें क्या लगता है मुझे सच में ब्रेन स्ट्रोक आया था या सिर्फ तुम्हें दिखाने के लिए? वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं बहुत हेल्थ कॉन्शियस इंसान हूं।" और एक बार फिर जोर से अट्टहास गुंजी। और फोन कट गया।उसने गुस्से में फोन पटक दिया।राजन.इस लड़की का हाथ खोल। और इसके आंख, मुंह पर से भी पट्टी हटाओ जरा।" राजन रस्सी खोलने के लिए बैठा कि अनुभव ने फिर कहा,"तुम छोड़ दो। और जाओ यहां से मैं खोलता हूं।" राजन बाहर निकल गया। तब वह तेज रौशनी वाली लाइट ऑन किया। वह लड़की जरा घबरा गई, और फिर डर के मारे चारों तरफ देखने लगी। अनुभव ने जमीन पर बैठकर सबसे पहले उसके मुंह से पट्टी हटाया।वह जोर से चिल्ला कर बोली, "कौन है..? कौन है यहां? प्लीज मेरी मदद कीजिए।" "चुप बिल्कुल चुप ! पूरे प्लान पर पानी फेर दिया तुमने।" तेज आवाज सुनकर वह लड़की डर गई। और चुपचाप खुद में ही सिमट गई। अनुभव अब धीरे से  उसके हाथों की रस्सी खोली, फिर आंखों से पट्टी हटाया। काफी देर से आंख पर पट्टी होने की वजह से जब अचानक तेज रौशनी में आंखें खोली। तो  देख नहीं पाई। आंखें चौंधिया गई और उसने  सिर झुकाकर आंखें मींच ली। "हे.! सिर उठा अपना.! कौन है तू .? चेहरा तो दिखाना जरा।" उस लड़की ने धीरे से अपना चेहरा उठाकर उसकी तरफ देखा।अनुभव की नजर उस पर पड़ी तो वह चौंक गया। मुश्किल से 20 साल के आसपास उम्र की वह एक बेहद मासूम लड़की थी। गोरा रंग, काली गहरी आंखें, बड़ी बड़ी पलकें गुलाब के पंखुड़ी से कोमल मुलायम होंठ। उसे देखकर अनुभव एक पल के लिए ठिठक गया। मानो खो सा गया। "त..तुम.तुम.. तुम कौन हो? प्लीज मुझे यहां से निकालो! मुझे यहां बहुत डर लग रहा है।" उसने बिना कुछ जवाब दिएअपने पाॅकेट से मोबाइल निकाला और उस लड़की की फोटो से मैच किया। सच में यह तो कोई और है। मुझसे इतनी बड़ी गलती कैसे हो गई? "ऐ. तुम कौन हो.? क्या नाम है तुम्हारा?" यह सुनते ही लड़की ने एक जोरदार थप्पड़ अनुभव के गाल पर रसीद दिया और अनुभव भौंचक्का रह गया। क्रमशः रत्ना ©®

  • 2. Risk vala Ishq - Chapter 2

    Words: 1097

    Estimated Reading Time: 7 min

    उस लड़की ने इतने जोर से थप्पड़ मारा कि अनुभव का चेहरा एक तरफ हो गया। सेकेंड भर के लिए वो कुछ सोच समझ नहीं पाया। और वह भौंचक्का देखता रह गया। वहीं बाहर राजन ने जब सुना तो अपने दोनों कान बंद कर लिए। ओह गॉड! इस लड़की की शामत आ गई। क्यों हाथ उठाया? अब पता नहीं, भाई उसके साथ क्या करेंगे? इधर अनुभव ने जब कुछ नहीं कहा, तो उस लड़की ने एक बार फिर हाथ उठाया। अभी दूसरा थप्पड़ गाल पर लगता उससे पहले ही अनुभव ने उसकी कलाई पकड़ मरोड़ते हुए पीछे कर दिया। " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की? जानती हो कौन हूं मैं?" उस लड़की ने भी  झटके में अपना हाथ छुड़ा लिया और अकड़ते हुए कहा, "वैसे ही हुई जैसे तुम्हें, मुझे किडनैप करने की हिम्मत हुई। आखिर तुम हो कौन? मुझे क्यों किडनैप किया, मैंने क्या किया है, मेरी गलती क्या है? मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है,अपराध क्या है मेरा, तुम्हारा क्या नुकसान क्या है, कौन लगती हूं मैं तेरा? इतने कम उम्र में मैंने क्या गुनाह कर दिया जो तुमने मुझे किडनैप कर लिया? और इस जंगल में लेकर आ गए हो। जहां आसपास इंसान के नामों निशान नहीं है। और तुम कौन हो? तो तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि, दिखते तो इंसान हो। पर इंसान हो नहीं। इस जानवरों के बीच रहकर तुम भी एक खूंखार जानवर बन गए हो। है ना! सही कहा ना मैंने।" उसके बोलने की रफ्तार और लहज़ा सुनकर अब तक अनुभव की पेशेंस की ऐसी की तैसी हो चुकी थी।  गुस्से के मारे उसका चेहरा कस गया। और उसने भी अपना थप्पड़ उठा लिया। यह देखते ही डर वह लड़की आंखें बंद कर सर टेढ़ा कर झुका लिया । उसके कमर तक लंबे बाल खुलकर पूरा चेहरे पर गिर पड़ा। जिससे उसका पूरा चेहरा ढका गया।  और वो दोनों हाथ  आगे कर उसे रोकने लगी। थप्पड़ मारते मारते अचानक अनुभव का हाथ रुक गया। जब उस लड़की को आभास हुआ कि थप्पड़ नहीं लगा तो उसने धीरे से अधखुली आंखों से उसे देखा। तो अनुभव का हाथ अभी भी हवा में  था, और वो उसे ही एक टक देख रहा था। पता नहीं क्या हुआ उसे? गुस्से की चरम सीमा होने के बावजूद उसने थप्पड़ नहीं उठाया।  लड़का हो या लड़की स्त्री हो या पुरुष किसी पर रहम नहीं खाने वाले अनुभव को आज उस लड़की के चेहरे और आंखों में कुछ अलग ही मासूमियत दिखाई दे रही थी। वह लड़की भी अधखुली आंखों को धीरे-धीरे पूरा खोलकर उसे देखने लगा। करीब 6 फुट हाइट, गोरा रंग, लंबी नाक बड़ी बड़ी आंखें,जिम में बनाई हुई बॉडी। कुल मिलाकर बड़ा ही किलर लुक था उस अनुभव ठाकुर का। उस लड़की ने कुछ देर तक देखा फिर  उसने अपने सिर को सीधा कर लिया। और बाल भी समेट कर कान के पीछे कर लिया। दिखता तो इतना हैंडसम है। क्या टॉल मैन है, क्या मस्कुलर बॉडी है, ऊपर से यह जुल्फें । उफ़ किसी भी लड़की को पागल करने के लिए काफी है। लेकिन शक्ल तो ऐसे बना कर रखा है जैसे इंसान नहीं दैत्य  हो। हां सच में यह इंसान नहीं दैत्य है। वो उसे देख कर मन ही मन बोल रही थी। इधर राजन धीरे से कान पर से हाथ हटाकर सुनने की कोशिश कर रहा था। कि अब थप्पड़ की आवाज गूंजेगी तब गुंजेगी। लेकिन जब नहीं गूंजी तो उसे मानो 440 वोल्ट का झटका लगा। आज भाई को क्या हो गया? I am damn sure थप्पड़ तो उस लड़की ने भाई को ही मारा था । फिर भाई ने पलट कर उसे मारा नहीं, कुछ कहा नहीं? आखिर यह चमत्कार कैसे? लगता है आज भगवान ने मेरी सुन ली। नहीं नहीं मेरी नहीं, शायद उस लड़की की। तभी तो बच गई वरना इसकी जगह कोई और होता तो तब तक सांस खत्म हो गई होती। वह कान लगाकर सुनते-सुनते थोड़ा दरवाजे के और करीब आ गया। इधर अंदर अनुभव अब तक उस लड़की की आंखों में देख रहा था। और वह लड़की भी उसे ही आंखें छोटी कर देख रही थी। जरा भी डर और घबराहट उसकी आंखों में नहीं दिखाई दे रही थी। "अरे हाथ नीचे कर लो यार! वरना दर्द होने लगेगा।" अनुभव को मानो एक तंद्रा सी हो गई थी। उसके भंग होते ही।  फिर एक बार दांत कीचते हुए उसका जबड़ा कस दिया। " तुम कितना बोलती हो, कितना नॉनस्टॉप! और मुझे घूरते हुए मन में क्या बोल रही थी? मुझे गाली दे रही थी ना!" वह लड़की अब उसका हाथ पकड़ कर छुड़ाने की कोशिश करने लगी ,अपने सर को दाएं बाएं झटकने लगी । लेकिन जब अनुभव की पकड़ ढीली नहीं हुई।  तो उसने घुटना उठाकर उसे मारने की कोशिश की। लेकिन जब तक वह मारती उससे पहले ही अनुभव उसका जबड़ा छोड़ उसके घुटने को एक हाथ से पकड़ कर आगे खींच लिया। वह लड़की  पीछे की तरफ गिरने को हुई। लेकिन उससे पहले ही अनुभव ने पीछे  बांह लगा दिया और वह लड़की सीधे उसकी बाहों में आ गिरी। 'तुम 5 फुट की लड़की! ज्यादा होशियारी दिखा रही हो। एक बार कुछ नहीं कहा, तो यह मत समझना कि मैं कुछ नहीं बोलूंगा। बार-बार वही गलती दोहराने की हिम्मत मत करना। और  अपने हाथ पैर संभाल कर रखो। वरना वो हाल कर दूंगा कि, चलना फिरना तो दूर खड़े रहने लायक नहीं छोडूंगा। इस बार अनुभव के सख्त चेहरे को देखकर उस लड़की को थोड़ी घबराहट सी हुई और डर के मारे चेहरे पर पसीना आ गया। फिर भी खुद को संभालते हुए कहा, अबे मैं 5 फुट नहीं 5 फुट 1 इंच की हूं और छोड़ मुझे जल्दी । "अगर नहीं छोड़ा तो.?" बात पूरी होने तक उस लड़की ने अपने सैंडल का हील उसके पैर की अंगूठें में जोर से चुभो दिया। अनुभव के मुंह से एक हल्की सी आह निकली और तुरंत अपनी बांहें हटा दी। इसके साथ ही वह लड़की धड़ाम से नीचे गिरी। पीछे कमर और हिप्स पर जोर की चोट लगी। और जोर से आह निकल गई। "अबे पागल है क्या! तुम्हारी खोपड़ी में भूसा भरा है! मैंने कहा छोड़ने के लिए। नहीं कि गिरा देने के लिए। देखो कितनी जोर से चोट लगी। चलो उठाओ मुझे!"  उसने अपना हाथ देते हुए कहा। सुनकर अनुभव का गुस्से में दांत किटकिटाने लगा और टर्न हो गया। "ओ मिस्टर दैत्य ! तुम नहीं उठाओगे तो कौन उठायेगा? चलो और उठाओ मुझे।" लेकिन उसने उसकी बातों को अनसुना कर आगे बढ़ गया। फिर अचानक पता नहीं क्या हुआ!  वह तुरंत उसकी तरफ मुड़ा और उसका हाथ पकड़ कर  खड़ा कर दिया। और उसकी आंखों में एक बार फिर गौर से देखने लगा। क्रमशः

  • 3. Risk vala Ishq - Chapter 3

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनुभव को जब अपनी तरफ इस तरह घूरते हुए देखा। तो  उस लड़की ने भी उसकी तरफ देखा। फिर अपने कमर को सहलाते हुए बोली। "देखो तुम्हारी वजह से कितनी चोटें आई मुझे। एक तो पहले से ही हालत खराब है। इतनी देर से मुझे बांध कर रखा था उसकी वजह से। ऊपर से इतनी जोर से गिरा दिया। कितनी चोटें आ गई। वैसे प्यास के मारे मेरा गला सूख रहा है। इधर पानी है क्या? " बोलते हुए उसने  एक बार फिर से खुल आए अपने बाल को ऊपर किया और लपेट कर उसका पोनी बनाने लगी। अनुभव अब भी उसकी तरफ देख रहा था और मन ही मन सोच रहा था, "इस लड़की को जरा भी डर है या नहीं? मैंने इसका किडनैप किया है। कुछ भी हो सकता है इसके साथ, जान भी जा सकती है। यहां इतनी देर से बंधी थी। फिर भी इतनी हिम्मत है, इतना कॉन्फिडेंट है। सच में आखिर कौन है यह लड़की? और वह अनुज कैसे बोल रहा था की इनोसेंट लड़की है? कहीं से भी तो इनोसेंट लग नहीं रही। "ओ मिस्टर दैत्य! इतनी देर से क्यों मुझे घूरे जा रहे हो? खुद ही खुद में क्या बात कर रहे हो? इतनी सुंदर भी नहीं हूं मैं। कि तुम्हारा दिल आ जाए मुझ पर! और जाओ मैंने तुम्हें माफ किया।" "लेकिन मैंने तुमसे माफी कब मांगी? और किस लिए तुमने मुझे माफ किया?" उसने हाथ बांधते हुए कहा। "तेरे चेहरे से पता चल रहा है। कि तुमने गलत लड़की का किडनैप कर लिया है , और तुम्हें पछतावा हो रहा है। सो तुम्हें पछताने की जरूरत नहीं। मैंने तुम्हें माफ किया। और जरूरी नहीं माफी हमेशा मुंह खोलकर ही मांगी जाए। तो चलो पछताना बंद करो। और तुम बस  मेरी बातों पर ध्यान दो। मैंने तुमसे पानी मांगा है पीने के लिए। पानी है तो जल्दी दो। और हां, मुझे वहीं छोड़ दो जहां से किडनैप किया था। क्योंकि जंगल बहुत बड़ा और घना भी मालूम पड़ रहा है। ऐसे में मैं अकेले नहीं जा पाऊंगी । एक बात और , बाहर जो  जानवर जैसे शक्ल वाला तुम्हारा आदमी है। उसके साथ मुझे मत भेजना। मुझे तुम्हारे साथ ही जाना है। अपने मुंह में दबाए क्लचर को हटाकर बाल में लगाते हुए उस लड़की ने कहा। कैंची की तरह चलती उसकी जबान और बेखौफ बातें सुनकर अनुभव दांत कींचकर अपनी आंखें बंद कर ली, और अपना सर पकड़ लिया। सच में पहली बार इतनी बड़ी गलती हो गई । किस आफत की पुड़िया को उठा लिया मैंने? और तो और मुझे क्या हो गया है? जो मैं इसकी बातें इतना ध्यान से सुन रहा हूं? अब तक तो मुझे इसे खत्म कर देना चाहिए था। 'अरे तुम बार-बार चुप होकर क्या सोचने लगते हो? ठीक है समझ गई जहां से तुमने मुझे उठाया था वहां तक छोड़ने में  अब रिस्क है। तो तुम्हें वहां तक जाने की जरूरत नहीं। पर मुझे कम से कम से जंगल से बाहर तो निकाल दो। मैं बाहर अकेले भी चली जाऊंगी और हां, चिंता मत करना मैं पुलिस में कंप्लेंट नहीं करूंगी। " सुनकर अनुभव को और बर्दाश्त नहीं हुआ। उसने जोर से डांटते हुए कहा, " चुप .!बिलकुल चुप ! अब एक लफ्ज़ बोला तो झापड़ मार दूंगा। और पानी चाहिए तुम्हें? तो बता दूं कि यहां पीने के लिए पानी तो नहीं लेकिन हां, खाने को है। अगर तुम्हें खाना है तो बोलो।" "अरे खाने को भी है। चलेगा.! दे दो क्या है खाने को? बहुत जोरों की भूख लगी है।" अनुभव ने झटके में उसे घुमा दिया। जिससे वह लड़की सीधा उसके सीने से जा लगी । फिर उसने उसे अपनी एक बाहों में भर कर तुरंत गन उसके कनपटी पर लगा दिया। इसमें बुलेट भरा हुआ है। बोलो तो सब तुम्हारे भेजे में उतार दूं मैं।" डर के मारे उस लड़की के तो चेहरे के साथ गर्दन पर भी पसीने की बूंदें टपक आई । सांस ऊपर नीचे होने लगी। कलेजा धक-धक करने लगा। जो अनुभव बहुत अच्छे से महसूस कर रहा था। बोलो कौन हो तुम? उसे लड़की ने बेखौफ होकर कहा, "जो मुझे पूछना चाहिए तुम मुझसे पूछ रहे हो। तुम बताओ तुम कौन हो? और किसकी दुश्मनी का बदला मुझसे ले रहे हो? एक निर्दोष लड़की का किडनैप कर क्यों उसके गुनहगार बना रहे हो तुम?" यह जानने की तुम हैसियत और हिम्मत नहीं रखती।" "हिम्मत और हैसियत दोनों है। तुम माफिया बने हो और मैं माफिया खानदान से हूं। माफिया का खून मेरे रगों में है। मुझे भोली और नादान समझ रहा है। मैं अपनी असली पहचान बता दिया तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी। उस लड़की ने अपने मन में कहा। अनुभव की पकड़ अभी भी मजबूत थी। तो उस लड़की ने भी कोई कोशिश नहीं कि, उसकी पकड़ से छूटने की। उल्टा अपने बदन को थोड़ा ढीला छोड़ दिया। यह देखकर अनुभव को एक सुकून मिला। बहुत हिम्मत दिखा रही थी। लेकिन बुलेट  देख कर सारी हिम्मत हवा हो गई। पर जो भी है यह एक सामान्य लड़की तो नहीं है। इसकी बातें, हरकतें देखकर लग रहा है हमारी कैटेगरी की ही है, वैसे परिवार से ही आई है। "क्या हुआ? तब से बहुत बोल रही थी तुम। अब तुम्हारी बोलती क्यों बंद हो गई ? " "डर लग रहा है यार।" क्या.? डर लग रहा है और तुम्हें सच में? "तो क्या! अब इस तरह तुम किसी के सर पर गन रख दोगे तो डर तो लगेगा ही ना। क्या तेरे सर पर कोई इस तरह गन रखेगा तो डर नहीं लगेगा? "अनुभव ठाकुर नाम है मेरा! लोग मेरा नाम सुनकर कांपने लगते हैं, डरने लगते हैं। मैं नहीं डरता किसी से।" तभी उसका फोन बज देखा तो राणा का कॉल आ रहा था। देख कर उसकी भवें तन गई, चेहरा कस गया मुठ्ठियां बंधने लगी, गुस्से में गर्दन की नसें तन गई । और उस लड़की पर उसकी पकड़ और मजबूत हो गई। "अरे यार! मेरा गला दब जाएगा। और मैं कहीं नहीं जा रही। जिसका भी फोन आ रहा है तुम बात कर लो तुम।" सुनकर अनुभव की पकड़ थोड़ी ढीली हुई पर उसे छोड़ा नहीं। एक 20 साल की लड़की से इतना क्यों घबरा रहे हो, परेशान हो रहे हो? मैंने अभी कहा इतना बड़ा जंगल है। मैं अकेले  बाहर नहीं जा पाऊंगी तब भी तुम्हें ऐसा लग रहा है कि, मैं भाग जाऊंगी मैं यही हूं तुम आराम से बात करो। क्रमशः

  • 4. Risk vala Ishq - Chapter 4

    Words: 1077

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तुम्हें ऐसा लग रहा है कि मैं भाग जाऊंगी। अरे मैं यही हूं तुम आराम से बातें करो।" परंतु अनुभव ने उस लड़की की बातों पर ध्यान नहीं दिया। पर पकड़ जरा और ढीली हो गई। उसने फोन रिसीव किया तो उधर से राणा ने हंसते हुए जवाब दिया। "कहां हो जंगल के उसी डार्क रूम में या हॉस्पिटल में? हार्ट अटैक आया या ब्रेन स्ट्रोक। अरे मैंने कहा तुम नौ सीखिए हो। अरे दो चार किडनैपिंग का मर्डर से कोई माफिया नहीं बन जाता है। और माफिया बनना ऐसा बच्चों का खेल नहीं है। खैर छोड़ो इन बातों को। और जो लड़की भेजी है। वह तो पसंद आई ही होगी। उसके साथ चाहो तो तुम अपना घर बसा सकते हो।  बहुत प्यारी है। अगर घर गृहस्थी के सामान की जरूरत होगी तो बोलना। सब व्यवस्था कर दूंगा। पर हां, तुम जो यह सोच रहे हो कि तुम्हारे बाप की प्रॉपर्टी तुम्हें मिल जाएगी तो उस भूल में मत रहना। " "राणा! तुम्हारा तो मैं वह हश्र करूंगा कि तुमने सोचा भी नहीं होगा।" "अरे सोचा तो तुमने नहीं होगा। अगर मैं सच बता दिया ना.. खैर छोड़ो अभी नहीं बताऊंगा। सही समय आने दो। और हां, उस लड़की के साथ तुम जो करना चाहो कर लो। वो मेरी कोई नहीं लगती। एक तरह से मेरे ऊपर वह बोझ ही थी।" "यह तेरे जीवन की आखिरी हंसी होगी। आई स्वेयर अपने हाथों मारूंगा तुम्हें। बोलते हुए अनुभव ने गुस्से में फोन एक तरफ फेंका। अब तक उसकी पकड़ उस लड़की पर से पूरी तरह छूट चुकी थी। तो  उस लड़की ने भी आव देखा ना ताव जोर से उसके घुटने पर एक लात मारा, और तुरंत उसके हाथ से गन छिनकर उसके कनपटी पर लगा दिया, और कहा,"अपने दोनों हाथ ऊपर करो और जो पूछ रही हूं। उसका जवाब सही-सही दो वरना!" "वरना कुछ नहीं!" बोलकर अनुभव पीछे से उसका गर्दन पकड़ने लगा । "कुछ भी उलटी सीधी हरकतें करने की कोशिश मत करना! वरना ट्रिगर दबाते हुए देर नहीं लगेगी। और तुम सीधे-सीधे यहां पृथ्वी लोक से सीधा स्वर्ग लोक पहुंच जाओगे। अपने खानदान का अगर इकलौता होगा,  फिर तो चिराग, दीया, मोमबत्ती जो भी हो तुम  बेटा! हमेशा हमेशा के लिए बुझ जाओगे। अनुभव ने उसकी बातें एक नहीं सुनी। और गन छीनने की कोशिश करने लगा। तो उस लड़की ने ट्रिगर दबा दिया और बुलेट दरवाजे से आर पार हो गई। जो बाहर दरवाजे से कान लगाए बैठा राजन के बेहद करीब से गुज़री। राजन वहीं बैठे-बैठे लुढ़क गया। फिर झटके में उठकर अंदर आया। "भाई.! भाई आप  ठीक तो है ना!" तो सामने उसने अनुभव को दोनों हाथ हवा में उठाए, और गन उस लड़की के हाथ में देखा। तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। "ऐ लड़की गन इधर दो! अरे! यह कोई खिलौना नहीं है जो तुम खेल रही हो। अरे दो इधर! नहीं तो तुम्हें भी तुम्हें भी लग सकती है। छोड़ो. छोड़ो..! जल्दी छोड़ो उसे।" "अबे चुप.! कितना बोलता है। और बाहर जा तू.! हम दो के बीच में बोलने वाला तू तीसरा कौन है बे? चल निकल यहां से।" सुनकर राजन ने अपने कमर से गन निकल लिया। "भाई! आप कहो तो यहीं खेल खत्म कर देता हूं इसका। बहुत देर से तमाशा कर रही है। और यह देख देखकर अब मेरा माथा सटक गया है। और तो और मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि, आपको क्या हो गया है? इस छोटी सी लड़की से आप क्यों इतना डर रहे हैं? जैसे-जैसे यह बोल रही है वैसा क्यों कर रहे हैं? इस तरह हाथ उपर कर खड़े हैं। अरे कसकर एक लाफा लगाओ और उसके हाथ से गन लो ना।" "नहीं राजन नहीं। गन अंदर रखो और तुम बाहर जाओ।" राजन सवाल भरी नजरों से अनुभव की तरफ देखने लगा। मैं बेवकूफ नहीं हूं जो इसके नखरे झेल रहा हूं। यह लड़की राणा के थ्रू आई है। उसी ने जानबूझकर इसका किडनैप करवाया है। मेरे बारे में जानकारी हासिल करने के लिए। लेकिन इसका फायदा मैं उठाउंगा। अब मैं इसे इतनी आसानी से ना तो मारूंगा और ना ही छोडूंगा। राणा के काले और सफेद सभी कारनामे, सारे राज मैं इस लड़की से उगलवा लूंगा। यह लड़की तुरूप का इक्का साबित हो सकती है। अनुभव ने मन ही मन कहा। अनुभव को इस तरह कुछ सोचते हुए जब राजन ने देखा तो फिर कहा, "मैं नहीं जाऊंगा भाई! आपकी जान को खतरा है। मैं हरगिज़ नहीं जाऊंगा।" "राजन तुम बाहर जाओ।" "अबे! तू शक्ल से नहीं अक्ल से भी जानवर ही लगता है। कहा ना तेरे को बाहर जाने के लिए। तो जा ना! यह हमारे बीच का मामला है।" "ऐ लड़की. जबान संभाल कर बात करना।" "अगर नहीं किया तो?" "अगर नहीं किया तो अंजाम अच्छा नहीं होगा।" "अंजाम हम बाद में देखेंगे।  फ़िलहाल तू अभी के अभी यहां से नहीं निकला बाहर। तो इस बार मेरा निशाना चूकेगा नहीं। सीधा हेड शॉट मारूंगी और यही ढेर हो जाओगे।" "भाई की वजह से चुप हूं। वरना इतना जो हवा में उड़ रही हो ना। एक लाफा लगेगा तो जमीन पर रेंगने लगोगी।" "राजन.! बाहर जाओ। मुझे कुछ नहीं होगा।" इस बार अनुभव ने डपटते हुए कहा। परंतु राजन फिर भी नहीं गया। "अरे.? बड़े ढीठ मालूम पड़ रहे हो। अपने बॉस का ऑर्डर भी नहीं मान रहे। तुम्हारे भाई के जान को खतरा हो सकती है। इसकी बड़ी चिंता हो रही है आज तुझे। आज तक जिससे लोगों की जान की खतरा होती थी। भला उसकी जान को खतरा मुझ जैसी छोटी सी लड़की से भी हो सकती है।" उस लड़की ने तंज भरे लहजे में कहा। "भाई! बहुत बोल रही है। अब बर्दाश्त के बाहर हो रहा है।" बोलते हुए राजन ने एक बार अनुभव की तरफ देखा और उसने इशारों में बाहर जाने के लिए कहा। तो अबकी बार वह बाहर निकल गया। पता नहीं भाई को हो क्या गया है? आज इतना क्यों नरम पड़ रहे हैं?  कहीं मामला गड़बड़ तो नहीं । वह लड़की भाई के दिल को भा तो नहीं गई। नहीं नहीं ऐसा कतई नहीं हो सकता। फिर क्या वजह हो सकती है? अभी पिछले महीने की बात है। जब उस नेता की बेटी को किडनैप किया था। उसने जरा सी बदतमीजी की और कैसे खड़े-खड़े उसका जीभ काट कर गिरा दिए थे। बाहर आकर वह अभी भी धीरे-धीरे भन भनाकर बोले जा रहा था। इधर अब तक अनुभव अपने दोनों हाथों उपर कर खड़ा था। गुस्सा अपने चरम सीमा पर था। बस खुद को सामान्य दिखा रहा था, और मौके की तलाश कर रहा था। क्रमशः

  • 5. Risk vala Ishq - Chapter 5

    Words: 1192

    Estimated Reading Time: 8 min

    अनुभव का गुस्सा अपने चरम सीमा पर था। बस खुद को सामान्य दिखा रहा था, और मौके की तलाश कर रहा था। "ए हीरो.! हाथ ऐसे ही ऊपर रखो और अपनी दोनों टांगों को जितना हो सके फैलाओ।" "जबान को काबू में रख कर बात करो। लड़की जानकर छोड़ रहा हूं। वरना अब तक कोई और होता तो अपने जान से हाथ धो बैठा होता। " वह लड़की जोर से हंसी। "मैंने तुम्हें दैत्य से हीरो कहा और तुम मुझे ऐ लड़की..! अरे जरा प्यार से बोलो, मेरा नाम लेकर बोलो। अच्छा समझ गई तुम्हें मेरा नाम नहीं पता। अद्रिका नाम है मेरा। अद्रिका का अर्थ जानते हो पर्वत। हां, कठोर पर्वत सी हूं मैं। मुझे कोई झुका नहीं सकता। मेरे जबान को काबू में वह राणा नहीं कर पाया तो तुम क्या खाक करोगे?" अब उस लड़की ने तेवर भरे लहजे में कहा। "क्या कहा राणा..? राणा को कैसे जानती  हो?" "अरे कुछ नहीं! और तुम्हें जो कहा वह करो। अपने दोनों पैर को जितना हो सके दोनों तरफ फैलाओ और मैं जो सवाल पूंछू उसका सीधे-सीधे जवाब दो। वरना सारे के सारे बुलेट तुम्हारे टोंड चेस्ट में उतार दूंगी। " गुस्से में लग रहा था अनुभव के दिमाग की सारी नसें फट जाएगी। लेकिन फिर भी उसने अपने दोनों पैर दोनों तरफ फैला दिए। "हम्मं गुड.! वेरी गुड! और हां इसी पोजीशन में तब तक रहो। जब तक मैं ना कहूं तुम्हें सामान्य पोजीशन में आने के लिए।" नहीं चाहते है भी उसने जैसे कहा अपने दोनों पैरों का फैला कर ऊपर हवा में कर खड़ा रहा। "अब ठीक है। सबसे पहले यह बताओ तुम्हें क्या लगा इस खिलौने से डर जाऊंगी मैं? अरे बचपन से ही इस खिलौने के साथ खेलती आई हूं, इसी के बीच पली बढ़ी हूं। डर नहीं लगता मुझे। ना तो तुम जैसे माफियाओं से, ना हीं उनके इस टाइप के खिलौनों से। और अगर तुमने मुझे मार भी दिया तो कोई बात नहीं । वो राणा भी तो मुझे मारना ही चाहता है।" अनुभव चुपचाप उसकी बातों को सुन रहा था। समझने की कोशिश कर रहा था आखिर यह लड़की है कौन? राणा से कैसा रिश्ता है इसका। "अच्छा तो तुम यह सोच रहे थे कि मेरी धड़कन बुलेट ट्रेन की रफ्तार क्यों पकड़ चुकी थी, सांस  ऊपर नीचे क्यों हो रही थी? तो वो डर से नहीं। किसी और वजह से। वो किस वजह से बताऊं?" "किस वजह से?' "तुम्हारे करीबी से।" "व्हाट.! " अरे हां सच कह रही हूं। तुम्हारे करीब से मेरी यह हालत हो रही थी।" अनुभव ने आश्चर्य से उसे देखा। "अरे तुम हो ही इतने हैंडसम हॉट बंदा किसी भी लड़की के साथ ऐसा हो सकता है यार!" उसके मुंह से अपने बारे में ऐसी बातें सुनकर सेकंड भर के लिए अनुभव को एक अलग सी फीलिंग आई। चेहरे के भाव बदल गए। "कॉमन बातें हैं यार! इसमें आश्चर्य की क्या बात है? बस अब ये बात बताओ तुम किसका किडनैप करने जा रहे थे जो मेरा कर लिए ?कौन है दुश्मन तेरा?" "मैं सब बताता हूं लेकिन तुम पहले पहले अपने  हाथ से गन नीचे रखो।" "इतनी बुद्धू दिखाई देती हूं मैं तुम्हें। गन तुम्हें नहीं दूंगी जितना पूछ रही हूं उतना जवाब दो पहले तुम।" "देखो मेरा पेशंस अब खत्म हो रहा है मैं तुम्हें कुछ नहीं कह रहा हूं कि तुम सच में बहुत कम उम्र की लड़की हो, बच्ची हो। तो इसका फायदा मत उठाओ। और हां, मैं सच में गलत लड़की को उठा लिया। तुम जो भी हो अपने रास्ते चले जाओ। गन छोड़ो मैं तुम्हें कुछ नहीं करूंगा।" "हा हा हा तुम मुझे कुछ नहीं करोगे। अरे मेरे पास गन है तुम मेरे कब्जे में हो। और तुम मेरी हाइट और उम्र पर मत जाओ। मैं चाहूं तो अभी के अभी सारे बुलेट तुम्हारे खोपड़ी में उतार दुंगी। लेकिन..लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी। और क्यों नहीं करूंगी यह तुम्हें जानना है?" अनुभव ने उसकी तरफ देखा। "नहीं अभी नहीं! पहले मेरा मकसद पूरा हो जाएगा तब। खैर मैं जब तक ना कहूं तब तक तुम इसी पोजीशन में खड़े रहो। मैं पहले पानी पीती हूं। फिर अपन बात करेंगे बैठकर। अब प्यास बर्दाश्त नहीं हो रहा।" बोलते हुए उसने  चारों तरफ नजरें दौड़ाई तो सामने टेबल पर एक बोतल पड़ा मिला। वह झटके में आगे बढ़कर बोतल मुंह में लगा लिया। "ऐ लड़की.! रुको. रुको .रुको छोड़ो उसे। अरे वो पानी नहीं है। छोड़ो उसे.!' लेकिन तब तक वह मुंह से लगाकर आधा गटक चुकी थी। अनुभव ने तुरंत हाथ नीचे किया। अपने पैर को सही पोजीशन में कर तुरंत आगे बढ़कर बोतल मुंह से छीन लिया। और डपटते हुए बोला, "पागल हो क्या? मना कर रहा हूं तो समझ में नहीं आ रहा ?" "पागल तो नहीं हूं लेकिन तुमने मुझे पागल कर दिया है। यह तो बताओ कि तुम कौन हो, और तुमने मुझे किडनैप क्यों किया? अरे मेरा तो कोई अपना है भी नहीं इस दुनिया में। जो तुम्हें फिरौती दे।  तो फिर क्या वजह है? मुझसे क्या चाहिए तुम्हें?" "मेरे बारे में जाने से पहले तुम बताओ कि तुम कौन हो? और राणा को कैसे जानती हो? वह कौन लगता है तुम्हारा? "ओह तो तुम राणा के आदमी हो। वह मे..रे..." बोलते बोलते उसकी जुबान लड़खड़ाने लगी थी और आंखें भी  झिलमिलाने लगी थी। शायद ड्रिंक का असर होने लगा था। आगे और कुछ बोलती तब उसकी आंखें बंद हो गई, गन उसके हाथ से छूट गया और लड़खडाते कदमों के साथ वह गिरने लगी। परंतु वह गिरती उससे पहले ही अनुभव ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। अनुभव ने उसे बाहों में थामें ही गन को उठा लिया और उसकी तरफ एक टक देखने लगा जो निढाल होकर उसकी बांहों में सो रही थी इधर अपने घर के बने बार में बैठा राणा लगातार ड्रिंक किये जा रहा था। और जोर-जोर से हंस रहा था। मेरी बेटी को किडनैप करने का सपना देख रहा था, मुझे ब्लैक मेल करना चाहता था।। मुझसे फिरौती के फिराक में था हा हा। राणा को काबू में करना खाना खाने जितना आसान थोड़ी ना है। चलो मैं जो चाहता था वह मुझे मिल ही गया। और अब मेरे रास्ते के कांटे भी लगभग खत्म। वह अनुभव तो उस लड़की को छोड़ने से रहा। "चल जय! एक पेग और बना और हां उसमें पानी मत डालना।" "लेकिन भाई ऑलरेडी आप बहुत पी चुके हो।" "अरे इतनी बड़ी खुशी मिली है आज मुझे। मेरे भाई के करोड़ों की प्रापर्टी मेरा हो गया। और वो लड़की अद्रिका जो मुझ पर आंख बंद कर भरोसा कर रही थी । वो भी हमेशा के लिए इस दुनिया से चली गई होगी। मैं जैसा चाहता था सब वैसा ही हुआ । तो थोड़ी बहुत पार्टी तो बनती है। चलो बनाओ एक आध पेग और हो जाए। और हां, एक बार फिर उस अनुभव को कॉल करो जरा। अब तक तो वो उस लड़की को खलास किया या अपने लिए रख लिया। "भाई बस आप अपना पेग लो ना। उसे लड़की के बारे में क्या और क्यों सोचना? छोड़िए ना अनुभव वो खतरनाक इंसान! अरे इंसान कहा वो खूंखार जानवर है। जब पता चला होगा कि वो आपकी अमायरा नहीं है। तभी मार दिया होगा। "हां सही कह रहे हो।" बोलकर वो ठहाके लगाकर हंसने लगा। क्रमशः

  • 6. Risk vala Ishq - Chapter 6

    Words: 1042

    Estimated Reading Time: 7 min

    "भाई , वो इंसान कहां वो तो खूंखार जानवर है। उसे जब पता चला होगा वो आपकी अमायरा नहीं है तभी मार दिया होगा।" "अगर जिंदा छोड़ दिया होगा तो?" "अगर जिंदा भी छोड़ दिया उसने तो आपका क्या बिगाड़  लेगी? अब तो सारी प्रॉपर्टी सब कुछ आपका हो गया। तो वो अकेली लड़की क्या कर लेगी? और आपको लगता है उस अनुभव को उससे प्यार होगा। उसके दिल से नरम तो पत्थर होता है। याद है पिछले महीने उस विधायक की बेटी ने  बदतमीजी की तो कैसे उसका  जबान काट दिया। अब भी आपको लगता है अद्रिका उसके सामने टिक पाएगी। वह जितना बोलता है जितना इरिटेटिंग है।" "हां तुम्हारी बातों में दम तो है। पर वह लड़की भी शातिर दिमाग की है। इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं है। खैर छोड़ो जो भी हो कल परसों पता लग जाएगा। चलो एक पेग और बनाना।" "भाई आपको याद है ना कल हमारे हथियारों की एक खेप आ रही है।" "हां हां याद है।" "भाई आप मत निकलना। वो अनुभव बौखलाया होगा। हो सकता है घात लगाए बैठे हो।मैं देख लूंगा।" "तुझे जो ठीक लगे करो।" अब तक राणा पीकर टल्ली हो चुका था। जय  ने एक और पेग बनाया तभी अचानक उसकी पत्नी दनदना कर आई। और शराब की सभी बाटल एक साथ गिरा दिया। सारे के सारे बोतल फूट कर चूर-चूर हो  हो गया। राणा शेर की भांति गरज उठा और उसका बाल पकड़ लिया। "तेरी हिम्मत कैसे हुई बीच में आने की और यह बोतल गिराने की?"  उसने थप्पड़ मारने के लिए हाथ उठाया। लेकिन उससे पहले उसकी बीवी ने दो थप्पड़ खींच दिया। " तुम बड़े बेवकूफ हो। मुझे पहले ही शक हो रहा था। वो लड़की शांत नहीं शातिर है। अपना दिमाग लगा दिया। अच्छे से खेल गई वो बीस साल की लड़की।" बोलते हुए उसने एक छोटा सा ब्रीफकेश सामने रख दिया। लो खोलो इसे और देखो। इधर अनुभव ने उस लड़की को गोद में उठा कर उस रूम के छोटे से खाट पर लिटा दिया और एक चादर उसके उपर डाल दिया। कुछ देर तक जब शांति रही तो राजन को रहा नहीं गया और वह अंदर आ गया। और अनुभव को उसे लड़की को घूरते हुए देखा तो उसका खून खौल गया। "भाई आप क्या कर रहे हो ? आज तो मुझे आपका कोई और ही रूप देखने को मिला है पिछले 8 साल से मैं आपके साथ साये  की तरह हूं । पर यह रूप दूर दूर तक नहीं देखा कभी कल्पना भी नहीं थी । पर आज आपको देखकर लगता है आपको प्यार हो गया है।" "जबान काबू में रहे राजन!" "काबू में रहता है भाई! पर पता नहीं आज की आपकी हरकतें देख बेकाबू हो रही है।" "चल छोड़ काम की बात कर! अपने आदमी को लगाया था काम पर। क्या खबर है?क्या पता चला? "भाई कल राणा के अवैध हथियारों का एक खेप इंडिया आ रहा है। " "कुछ भी करो  हथियार राणा के हाथ नहीं लगना चाहिए।" "जी भाई, ऐसा ही होगा भाई। आप निश्चिंत रहिए।" बोलकर राजन निकलने लगा। तभी उसकी नजर खाट पर लेटी अद्रिका पर गई। और वो रूक गया। "क्या हुआ कोई प्रॉब्लम, कुछ कहना चाहते हो?" राजन ने सर झुका लिया। सर उठा कर बात करो जो भी बात करनी है। "भाई आप भी सिर्फ अपने काम पर ध्यान दीजिए आपका मकसद क्या है? एक सुकून भरे जीवन को छोड़कर इसमें क्यों आए थे? इसपर फोकस रखिए । इस प्यार व्यार के चक्कर में मत पड़िए। यह प्यार व्यार, इश्क-मोहब्बत बहुत बुरी चीज है भाई। और यह लड़कियां कभी लॉयल नहीं होती है। यह जितनी भोली और मासूम दिखती है उतनी ही शातिर होती है। मत फंसिए इस प्यार के दलदल में। यह जीवन में आती तो बसंत के तरह है, और जाती है पतझड़ करके, जीवन को वीरान कर जाती है। और इस कदर वीरान कर देती है, कि फिर कभी वसंत ना लौटे। आपके इकलौते दिल को हजार टुकड़ों में कर चली जाती है भाई।" "राजन स्टॉप इट! तुम्हारे इस बकवास ज्ञान की जरूरत नहीं है किसी को यहां पर। और मुझ पर  ऐसा कुछ असर नहीं होगा।  इस लड़की की बात मैं बस इसलिए  मान रहा था। क्योंकि वह राणा के थ्रू आई है। उसी ने भेजा है मुझे लग रहा है उसने जानबूझकर उसका किडनैप करवाया है। मुझे इससे सब सच उगलवाना है। बस इसीलिए इसको जिंदा छोड़ा है। जैसे ही मेरा काम पूरा हुआ इसकी आयु भी पूरी हो जाएगी। जब मेरा इससे काम खत्म तब इसका जीवन भी खत्म। तो ज्यादा दिमाग मत लगाओ। थोड़ी बहुत जो बुद्धि है उसे यूं खर्च मत करो। राजन तुरंत फोन निकाल कर अपने लोगों से कांटेक्ट करते हुए वहां से निकल गया। उसके जाने के बाद अनुभव ने पूरा ब्लैक आउटफिट पहना। ब्लैक मास्क और गॉगल्स लगाया और बाहर से डोर बंद कर वहां से निकल गया। लेकिन जाते-जाते एक नजर वह अद्रिका पर डालते गया। लगता है लड़की फर्स्ट टाइम ड्रिंक किया है तभी इतना नशा चढ़ा हुआ है। मन में बोलते हुए वह वहां से निकल गया। अभी कार में बैठने लगा। तभी ख्याल आया कि इसको इस तरह अकेले छोड़ना ठीक नहीं। इसकी बातों और हरकतों से साधारण लड़की तो नहीं लग रही है। कहीं बीच में उसकी आंख खुली ड्रिंक का असर कम हुआ ,तो भाग न जाए। उसने कुछ देर सोचा फिर तुरंत कुछ आदमियों को बुलाया, और पहरा लगा दिया। ताकि यह सेफ रहे, और भाग भी ना सके। फिर वह वहां से निकल गया पर आज बार-बार दिमाग में वही लड़की घूम रही थी। अगर यह लड़की राणा से मिली हुई है। उसने जानबूझकर किडनैप करवाया है। तो फिर उसने ऐसा क्यों कहा, अपना घर बसा लो, जो चाहे कर लो, आखिर माजरा क्या है? खैर बाद में हैंडल करता हूं इसे। इधर राणा की बीवी रक्षा ने सामने ब्रीफकेस रखते हुए कहा, "खोल कर देखो इसमें क्या है? 20 साल की वह लड़की तुम्हारे नाक के नीचे इतना बड़ा खेल खेल गई ,और तुम्हें भनक तक नहीं लगी। मैं पहले ही बोल रही थी वह लड़की भले ही सीधी सादी दिख रही है। लेकिन उसके दिमाग में हमेशा कुछ ना कुछ अलग ही खिचड़ी पकती है , कुछ चलता रहता है। लेकिन तुमने तो कभी मेरी बातों को तवज्जो नहीं दिया। रक्षा आंखें फाड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी।" क्रमशः

  • 7. Risk vala Ishq - Chapter 7

    Words: 1063

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तुमने तो कभी मेरी बातों को तवज्जो नहीं दिया।" रक्षा आंखें फाड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी। रक्षा का यह रूप देखकर जय मन ही मन मुस्कुरा रहा था। दुनिया को अपनी आंखों से डराने वाला इंसान, अपनी बीवी की आंखों से डर रहा है। "अरे क्या है बताओगी?" "तुम खोलो तो इसे।" "जय तुम खोलो।" इस औरत पर भरोसा नहीं किया जा सकता है। क्या पता इसके अंदर बम हो और खोलते ही फट जाए। और मेरी मौत आ जाए। राणा ने मन ही मन कहा। जय ने ब्रीफकेस खोला और सामने रखा। "भाई इसमें कुछ पेपर है।" देख कर राणा खी खी करके हंसने लगा। "अरे बेवकूफ औरत! तुम अच्छे से देखो। उसमें मेरे भाई राजा की करोड़ों की प्रॉपर्टी के पेपर हैं। जो मैंने उस लड़की आद्रिका के नाम से अपने नाम पर करवाया है। बेवकूफ लड़की आंख बंद कर भरोसा कर रही थी। मुझ पर तो उसका फल मिलना ही चाहिए ना। पता है वह बिल्कुल अपने आप के जैसे है। उसका बाप भी मुझ पर आंख मूंद कर भरोसा करता था। और उसका फायदा उठाकर उसकी गद्दी मैंने छीन ली।  पर शायद अंत में उसे भनक लग गई थी।और इसलिए सारी प्रॉपर्टी अपनी बेटी के नाम पर कर दिया। और मैं उसकी बेटी के नाम से अपने नाम पर कर लिया और उसकी बेटी को उस खतरनाक माफिया अनुभव के नाम कर दिया।" बोलकर एक बार फिर ठहाका लगाने लगा। "एक बार आंखें खोल कर देखो। यह जो नशा चढ़ा हुआ है, सारा का सारा एक क्षण में उतर जाएगा।" "क्या है तुम ही पढ़ कर बताओ जय?" सर इसमें लिखा है कि आपके सौतेले भाई राजा की जितनी भी प्रॉपर्टी है। वह अपनी बेटी आद्रिका के नाम पर है। और जब उसकी शादी होगी तो सारी प्रॉपर्टी का बराबर मालिकाना हक अद्रिका और उसके पति का होगा।" राणा जो दारू के नशे में टल्ली हो रहा था, कभी खी खी कर, तो कभी ठहाके लगाकर हंस रहा था। उसका सारा नशा एक क्षण में दूर हो गया। वह तुरंत कमर से कटार निकाल कर गरजता हुआ उठकर खड़ा हुआ। "जय। इतनी बड़ी गलती और हमसे कभी नहीं हो सकती। ठीक से पढ़ो। नहीं तो अभी के अभी तुम्हारे जुबान को काटकर फेंक दूंगा।" जय तुरंत हाथ बांधकर सर झुका कर खड़ा हो गया। "भाई, माफ कीजिए। पर इसमें जो लिखा है मैंने वही पढ़ा है। अगर आपको यकीन नहीं हो रहा है तो मैम को बोलिए पढ़ने के लिए।" यह औरत तो और नागिन है। यह तो मेरा अच्छा भी होता रहेगा तो बुरा कर देगी। मन में बोलते हुए ब्रीफकेश को अपने सामने खींचा, और एक-एक पेपर खुद से देखने लगा। तो सच में जो जय ने बोला था वही था। "यह.. यह कैसे हो गया.? वह लड़की.! नहीं नहीं यह उस लड़की का काम नहीं है। उसमें इतनी हिम्मत नहीं। जरूर इसमें कोई और मिला है। पेपर किसी ने बदला है।" तभी उसे याद आया साइन करते समय अद्रिका ने एक बार कहा था चाचू आपको पेपर पढ़ना है। तभी उसने कहा अरे नहीं मेरा बच्चा, तुम साइन करो ना मैं ऑलरेडी पढ़ चुका हूं। एक बार पढ़ूंगा तो भी वही रहेगा, बार-बार पढ़ूंगा तो भी वही रहेगा। कुछ बदलने वाला नहीं है। याद आते ही उसने अपना सिर पकड़ लिया। और हांफते हुए बोला, मुझे लगता है हो ना हो कोई इसी घर का है। जो उससे मिला हुआ है। वरना उस लड़की में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह ऐसा कर सके। कौन है इस घर का जयचंद सामने आ जाओ। वरना मिनट के अंदर सब का सिर धड़ से अलग रहेगा। "अब तुम सोचो कौन किस पर आंख बंद कर भरोसा कर रहा था? वह या फिर तुम!" "भाई यह सब बहस करना बंद कीजिए और याद कीजिए क्या लिखा है पेपर पर? शादी होते ही सारी प्रॉपर्टी उस लड़की के साथ उसके पति का भी हो जाएगा। फिर तो आपको मिलना मुश्किल नहीं नामुमकिन सा है। और यह भी याद करिए आपने उसे लड़की को अनुभव के हवाले कर दिया है। और इतना ही नहीं शादी करके घर  गृहस्थी भी बसा लेने को कहा है। कहीं उसने आपकी बातों को मान लिया तो? यह बात अगर उसे लड़की को पता है तो हो सकता है प्रॉपर्टी का लालच देकर अनुभव से शादी कर ले फिर! और अनुभव यही तो चाहता है अगर उसे पता चल गया तो फिर उसे लड़की से तो शादी जरूर कर लेगा। राणा को चक्कर सा आने लगा वह चेयर पर धम से बैठ गया। "भाभी आप फैमिली डॉक्टर को बुलाइए।" "डॉक्टर को तुम बुलाओ जय।" "भाई हथियार का जखीरा आ रहा है। मुझे वहां भी जाना है।" उधर रक्षा डॉक्टर को कॉल करने लगी। राणा ने मोबाइल लिया और जोर से दीवार पर दे मारा। " मुझे कुछ नहीं हुआ है जय! तुम कुछ आदमियों के साथ उधर जाओ। और मैं अनुभव से बात करता हूं, उस लड़की के बारे में पता करता हूं। अगर उसने मार दिया तो फिर ठीक है अगर वह जिंदा है तो पाताल में भी होगी तो मैं ढूंढ निकालूंगा।" अब तक रात गहरी हो गई थी। राणा अपने गाड़ी में बैठकर निकल गया पर मन में अजीब सी बेचैनी थी आखिर इतने भारी गलती कैसे? आज तक मैं सबको मात देता आ रहा था।और आज 20 साल की लड़की मुझे मात दे दी। इधर जय अभी कुछ आदमियों के साथ हथियार बरामद करने के लिए पहुंच गया। इधर राजन भी अपने आदमियों के साथ गया। पर राजन के जाने की भनक जय को लग गई और उसने तुरंत राणा को बता दिया। "जय! अनुभव बड़ा शातिर है अगर उसने राजन को भेजा है। मतलब वह भी होगा और वह आ गया। तो हथियार हमारे हाथ आने से रहा। तो एक काम करो तुम उसको रास्ते में उलझाओ मैं पहुंच रहा हूं।" "पर भाई वह लड़की।" "बाद में निपटता हूं। यह कई करोड़ का माल है। अगर पुलिस को भनक लग गई तो फिर हमारे हाथ आने से रहा।" जय ने राणा के कहे अनुसार राजन और उसके आदमियों को रास्ते में उलझा लिया। दोनों गुटों में गोलीबारी होने लगी। राजन ने चुपके से अनुभव को कॉल किया। लेकिन अनुभव का फोन स्विच ऑफ था। राजन ने कई बार ट्राई किया पर हर बार फोन स्विच ऑफ रहा था। अब तक वह झल्ला गया। और फोन रख उससे निपटने लगा। इधर राणा भी खुद निकल पड़ा लेकिन जब तक वह पहुंचा हथियार गायब हो चुकी थी। कुछ नामोनिशान नहीं था।

  • 8. Risk vala Ishq - Chapter 8

    Words: 1095

    Estimated Reading Time: 7 min

    इधर राणा भी खुद निकल पड़ा। लेकिन जब तक वह पहुंचा हथियार गायब हो चुकी थी। कुछ नामोनिशान नहीं था। उसका दिमाग ऐसा भन्ना गया मानो फट जाएगा। यह क्या हो रहा है? एक-एक कर मेरे हाथों से सब कैसे निकलता जा रहा है? कहां गलतियां हो रही है? वह तुरंत जय को  कॉल लगाया । पर तब तक  उसके मोबाइल पर एक अननोन नंबर से कॉल आया। "राणा! क्या हुआ? घर पर डाॅक्टर बुला लिया। अगर नहीं तो बुला लो। इस बार पक्का तुम्हें हार्ट अटैक आएगा।" "तुम क.कौन..!" "हथियार तुम्हें नहीं मिला उसकी बौखलाहट है? कोई नहीं, अब मिलेगा भी नहीं! तुझे एक बात और बताऊं। सिर्फ हथियार नहीं उसके साथ कई टन गोल्ड भी था। " "तुम.! तुम कौन हो?" "मैं जो भी हूं। बहुत जल्द पता चल जाएगा। और हां, तुम्हारे रिटायरमेंट का समय आ गया। माफिया के किंग से भी, और अपने जीवन से भी। बहुत जल्दी तुम दोनों से हाथ धो बैठोगे। " बोलते ही उसने फोन काट दिया। राणा बौखला गया कौन है आखिर? कहीं अनुभव तो नहीं?" इधर उस आदमी ने फोन जेब में रख कर चेहरे पर से मास्क और गॉगल्स हटाया। और एक तिरछी मुस्कान चेहरे पर आ गई। वह आदमी कोई और नही अनुभव ही था। वो कार में बैठा और राजन को कॉल किया। "जो भी कर रहे हो अभी स्टॉप कर दो। और हां जय को छोड़ दो।" "जी भाई।" अनुभव अब अपनी विला के तरफ बढ़ गया। अचानक उसे उस लड़की की याद आई। और उस तरफ गाड़ी बढ़ा दिया। जब वो वहां पहुंचा तो खाट पर लड़की नहीं दिखी। वह चौंक गया। ये लड़की इतनी नशे में थी।कि कहीं जा नहीं सकती। फिर कहां चली गई? वह कुछ देर तक इधर-उधर देखा।। पर वह नहीं दिखी, तो वहां निगरानी कर रहे कुछ लोगों से कड़ी पुछताछ की। पर किसी ने उसे कहीं आते जाते नहीं देखा। वो जरा परेशान हो गया और उस कमरे में इधर-उधर चहल कदमी करते हुए कुछ सोचने लगा। फीर पीछे खुल रहे छोटे से खिड़की के पास चला गया। अचानक बाहर से कुछ आवाज आई । वह फोन रख और तेज कदमों से बाहर जाकर देखा। तो उसी के दो आदमी उस लड़की को जबरदस्ती उठा कर ले जा रहे थे। "और वह दोनों बातें कर रहे थे। उधर अनुभव बॉस की पार्टी होगी इधर हमारी । चलो आज तो खूब मज़े करेंगे।" तभी एक साइलेंट गन से दोनों के पैर में एक गोली लगी। "कौन है.? कौन है? कहीं वो खूंखार अनुभव तो नहीं आ गया?" "अरे..वो आज़ इधर नहीं आने वाला।" "फिर कौन हो सकता है?" बोलते हुए दोनों इधर-उधर देखने लगा। तभी अनुभव सामने आकर खड़ा हो गया। उसे देखते ही दोनों थर थर कांपने लगा। अब उसकी नजर अद्रिका पड़ गई। वह अभी नशे में थी और उसकी शर्ट फट चुकी थी। गुस्से में अनुभव की मुठ्ठियां कस गई, सारी नसें टाइट हो गई, पूरा चेहरा सख्त हो गया। वो कुछ नहीं बोला। बस अपना कोट निकाला और उसे पहना दिया। फिर उसे अपनी बाहों में उठाकर  कार में लिटा दिया। और मुड़कर दोनों के पास आया। इसे खाट पर से किसने उठाया? "स..स.स..सर..! "मैंने पूछा इसे खाट पर से किसने उठाया,पहले किसने छुआ?" बोलने का प्रयास करने के बावजूद दोनों के मुंह से आवाज नहीं निकली। "वह लड़की खाट पर सो रही थी। तो उसे किसने सबसे पहले हाथ लगाया, उसे किसने उठाया? किसके कहने पर हाथ लगाया? डर के मारे दोनों की घिग्घी बंध चुकी थी, मुंह से आवाज नहीं निकल रही थी। गुस्से में अनुभव अपने बालों में हाथ फिराने लगा और अगले ही पल चॉपर से दोनों के हाथ काट डाले। पैर में पहले ही गोली लग चुकी थी। अब हाथ कट गया। दोनों जोर-जोर से चिल्लाने लगा। "भाई मुझे माफ कर दो! मुझे बहुत बड़ी गलती हो गई। पर हमने इसके साथ कुछ भी गलत नहीं किया।" "एक सो रही लड़की को नींद में उठा लिया उसके शर्ट फाड़ डाले तूने। और फिर भी बोल रहा है कुछ नहीं किया!" "वो.वो. देखकर मन मचल गया। तो हमने इसे उठा तो लिया। पर अब तक इसके साथ हमने कुछ गलत नहीं किया था। "वह तो मैं समय पर पहुंच गया इसलिए। अगर नहीं पहुंचा होता तो.?" दर्द और डर दोनों से वह कराह रहा था। चाह कर भी कुछ बोला नहीं गया। अरे मैंने पूछा अगर हम समय से नहीं पहुंचते तो!" "तो.. तो..!" अपनी बात पूरी करता है उससे पहले ही गोली सिर के आर पार हो चुकी थी । और वह दोनों वहीं ढेर हो गया। अनुभव उसे वही छोड़ कर अपने कार के पास आ गया। और डोर खोल अंदर जाकर उसके पास बैठ गया। उसे एक टक देखने लगा। अचानक उसकी कही बातें दिमाग में कौंध गई। 'अरे तू है ही इतना हॉट, डैशिंग बंदा कि किसी के साथ भी ऐसा हो सकता है यार।' याद आते ही एक छोटी सी मुस्कान चेहरे पर आ गई। उसने उसके कोट ठीक से पहनाया, फिर उसे पिछली सीट पड़ छोड़कर खुद ड्राइविंग सीट पर आ गया। और ड्राइव करने लगा। पर पता नहीं मन में क्या हुआ? कुछ दूर जाने के बाद अचानक गाड़ी रोका और उसे अगले सीट पर ले आया। उसे अपनी गोद में रख लिया और ड्राइव करने लगा। ड्राइव करते-करते बीच-बीच में वह उसे भी देख लेता। पता नहीं यह क्या हो रहा है मेरे साथ? ये बदलाव कैसे और क्यों हो रहा है? पिछले आठ सालों में इतना रहम दिल कभी नहीं बना। फिर आज क्यों? ये अपने आप है या फिर इस लड़की का असर है?  मैंने इसे किडनैप किया था, मारने के लिए लाया था। फिर मैं क्यों उसे बचा रहा हूं? कुछ पल के लिए ड्राइविंग स्लो कर दिया। और उसे एक टक देखने लगा और ना चाहते हुए भी अनायास उसके सर को चूम लिया। नींद में ही अद्रिका थोड़ी कसमसाई और दोनों बांहों को मोड़ कर कान के नीचे रखते हुए खुद में सिमटने लगी। यह देखकर अनुभव ने तुरंत ऐसी का टेंपरेचर सेट किया और कोर्ट के बटन को अच्छे से लगा दिया। फिर गाड़ी तेज कर सीधे अपने विला की तरफ बढ़ गया। अनुभव की बात सुनकर इधर राणा बौखलाया हुआ था। और बार बार अपने आदमी को कॉल कर रहा था। रिंग तो पूरी जा रही थी। पर कोई कॉल नहीं रिसीव किया तो गुस्से का ठिकाना नहीं रहा। वह कार में बैठा और स्टेरिंग घूमते हुए वहां से भाग कर उस जंगल में आया। जहां  अद्रिका को किडनैप करके रखा था। और उसी के दो आदमी अनुभव के आदमियों के बीच में घुसकर उसका गार्ड बन कर उसकी पहरेदारी कर रहा था। वह जब यहां आया तो अद्रिका नहीं दिखी। क्रमशः

  • 9. Risk vala Ishq - Chapter 9

    Words: 1223

    Estimated Reading Time: 8 min

    राणा जब वहां आया तो अद्रिका नहीं दिखी। उसने इधर-उधर चारों तरफ नजर दौड़ाई । पर ना तो  वह लड़की दिखी ना वह दोनों गार्ड। लगता है वह दोनों उसे लेकर भाग गया। चलो अच्छा है अब तक तो उसे ठिकाने भी लगा दिया होगा। मन ही मन बोल कर वो खुद को तसल्ली देने लगा। फिर वहां से बाहर निकलने लगा। तो कुछ ही दूर पर दोनों की लाश देखकर वह चौंक गया। इसे किसने मारा ? अनुभव ने या फिर उस लड़की ने? नहीं नहीं वह लड़की अकेले इसे नहीं मार सकती। तो फिर किसने मारा कहीं उसे अनुभव ने तो नहीं? ओह गॉड कहीं उसे यह न पता लग गया , कि दोनों मेरे आदमी थे,   मैंने ही भेजा था। बोलते हुए वह इधर-उधर देखने लगा। तो वहीं एक बुलेट पड़ी मिली। उसे उठा कर देखा फिर वह उल्टे पाव वहां से भागा। इधर अनुभव अद्रिका को लेकर अपने विला के गेट पर पहुंचते ही, गार्ड ने में तुरंत मेन डोर खोला और ग्रीट किया। अनुभव कार अंदर लेकर आया। और पार्किंग एरिया में लगाकर खुद डोर खोलकर उस लड़की को बाहर निकाला। वह अभी भी गहरी नींद में थी। तो खुद से चल नहीं पाई। यह ड्रिंक इतना भी स्ट्रांग नहीं है, जो इतनी गहरी नींद में सो जाए। पता नहीं इसकी आंख क्यों नहीं खुली अब तक? अनुभव ने मन ही मन कहा। फिर उसे अपने  बांहों में उठाकर घर के अंदर चला गया। यह देखकर गार्ड  और वहां काम कर रहे नौकरों के बीच मानो अफरातफरी सी मच गई। कौन है यह लड़की बॉस ने इसे गोद में उठाया है मतलब जरूर कोई इनकी खास होगी। पर है कौन.? कहीं गर्लफ्रेंड तो नहीं.? नहीं नहीं उनकी गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती। लड़की के नाम से ही उन्हें नफरत है। पर जिस तरह से उन्हें उठाए हैं, जो फिक्र उनकी आंखों में दिख रहा है। उससे तो लग रहा है कि यह जरूर उनके दिल के करीब है, बेहद खास है। सभी मन ही मन बोल रहे थे, और अपनी आंखों के सामने देखते हुए भी किसी को यकीन नहीं हो रहा था। आखिर लड़की कौन है जिंदा है या मरी हुई है? लगती तो जिंदा ही है। सब खुद ही खुद में अनुमान लगा रहे थे। तभी अनुभव ने तेज आवाज में कहा, सब अपने काम में लगे रहो। किसी की नजर उठनी नहीं चाहिए। सबका सिर झुका ही रह गया और अनुभव उस लड़की को लेकर अपने बेडरूम में चला गया। और काउच पर लिटा दिया। इस लड़की को अभी भी नींद में देखकर अनुभव को  गुस्सा आ गया। और उसका जबड़ा कसकर पकड़ लिया । मना करने के बावजूद भी पीने की क्या जरूरत थी? इतनी मनमानी तो नहीं चलने दूंगा मैं। फिर अपनी ही कही बातों को गौर करते हैं उसने तुरंत उसका जबड़ा छोड़ दिया। अरे यह मैं क्या और क्यों बोल रहा हूं? यह कुछ भी करें। अपनी लाइफ कैसे भी जिये, मैं कौन होता हूं उसे रोकने वाला। लेकिन इस लड़की को होश में तो लाना पड़ेगा। इस तरह में इसे बाहर छोड़ भी नहीं सकता और अपने बेडरूम में नहीं रख सकता। ओह यह क्या आफ़त पल्ले पड़ गई? कुछ देर तक वो सोचता रहा। फिर उसे अपनी बाहों में उठकर बाथरूम में शाॅवर के नीचे लाकर खड़ा कर दिया। और शाॅवर ऑन कर दिया। वह कुछ देर तक साथ में रहा। लेकिन जब उसकी आंखें थोड़ी खुलने लगी, जरा होश में आने लगी ।तो उसे छोड़कर बाथरूम से बाहर निकलने के लिए मुड़ा। तभी वो लड़की पीछे से उसके पीठ पर आ टिकी। वह अभी भी अध खुली आंखों में थी। अनुभव मुडा़ और उस लड़की को अपने से दूर कर वापस शाॅवर  के नीचे खड़ा करने लगा । लेकिन लड़की ने आगे बढ़कर उससे लिपट गई  और सीने पर सिर रख दिया। वह उसे हटाने के काफी कोशिश कर रहा था पर अद्रिका  छोड़ने का नाम नहीं ले रही थी। अपनी पकड़ ढीली नहीं कर रही थी। तब ना चाहते हुए अनुभव भी उसे पकड़ कर शावर के नीचे खड़ा हो गया, और दोनों भींगने लगे साथ में। वह तो अच्छे से होश में नहीं ही थी। पर अनुभव पूरे होशो हवास में था । वह भींगती हुई अद्रिका को बेहद गौर से देख रहा था। वह बेहद खूबसूरत और मासूम लग रही थी। नहीं, यह सिर्फ मासूम दिखती है वास्तव में है नहीं। अनुभव ने मन ही मन कहा। और अपने ऊपर नियंत्रण रखने के बावजूद एक हल्की सी मुस्कान चेहरे पर आ गई। उसके हाथ अनायास उठ गए और उसके चेहरे पर आ रहे बाल के कुछ लटों को समेटने लगा। पर अपनी सोच को याद कर तुरंत उसके तेवर बदल गए। नहीं मेरा मकसद पूरा नहीं हुआ है। मैं यूं नरम नहीं पड़ सकता। उसकी भवें तन गई दांत कींच लिया और उसे गुस्से में घूर कर देखने लगा। यूं तो गर्म पानी ही था लेकिन काफी देर तक भीगने की वजह से ठंड लगने लगी। और दांत किटकीटाते हुए खुद में सिमटने लगी। उसने उसका जबड़ा पकड़ हिलाते हुए कहा। "ए लड़की नशा कम हुआ? चलो आंखें खोलो अपनी।" "तुम कौन हो? मुझे यहां क्यों लेकर आ गए? पता है उस अनुभव को पता चलेगा तो तुम्हारा क्या हाल करेंगे? बहुत खतरनाक है वह। जिंदा नहीं छोड़ेगा तुम्हें।" बोलते बोलते एक बार फिर उसकी आंखें बंद हो गई। अनुभव को समझ नहीं आया। यह क्या बोल रही है? फिर सोचा शायद नशे में है इसलिए। उसने उसके हाथ में बाथरोब दिया और बोला इसे पहन कर बाहर निकलो। वो पूरी तरह से होश में नहीं थी तो बाथरोब हाथ से गिर गया। इस बार अनुभव ने जोर से कंधा पकड़ झकझोरते हुए कहा, आंखें खोलो और इसे पहनकर बाहर निकलो। नहीं तो ठंड लग जाएगी। अबकी बार अद्रिका बाथरोब पहन लिया और धीरे-धीरे चलकर कमरे में आ गई। वह अभी नींद में थी और धीरे-धीरे बेड के तरफ बढ़ रही थी। यह देखकर अनुभव जोर से चिल्लाया, " मेरे बेड पर मत बैठना । जाओ उस काउच पर बैठो। लेकिन वह लड़की बेड पर बैठ गई और बाथरोब पहने हुए निढाल हो गई। अनुभव भाग कर आया और उसका गाल थपथपाते हुए कहा, "ऐ लड़की उठो यहां से। जाओ काउच पर जाकर सो जाओ। पर वो इतनी गहरी नींद में थी कि , उसकी बात उसके कानों तक पहुंची ही नहीं, वो हिली तक नहीं। तब अनुभव उसे यूं ही छोड़कर क्लोसेट रूम में चला गया चेंज करने। कुछ देर बाद वो उसके लिए भी एक टी शर्ट और निक्कर लेकर बाहर आया। लेकिन उसे चेंज कैसे करवाए? तब उसने एक बार फिर उसके गाल थपथपाया कंधा हिलाया लेकिन वह नहीं उठी। तब उसको यूं ही छोड़कर एक ब्लैंकेट उसके ऊपर डाल दिया। फिर तकिया और ब्लैंकेट लेकर खुद काउच पर लेट गया। वह सोने की काफी कोशिश की परंतु नींद नहीं आई। वह कितनी बार उठ कर बैठा पानी पिया, काफी देर तक करवटें बदलते रहा। पर नींद दूर-दूर तक आंखों में नहीं थी। ओह! लगता है काउच पर कंफर्टेबल नहीं फील हो रहा है इसलिए नींद नहीं आ रही है। उसने तकिया उठाया और बेड के पास आ गया। यह लड़की तो एक कोने पर सो रही है मैं दूसरे कोने पर जाकर सो जाता हूं। मन में सोचते हुए वह एक कोने पर जाकर लेट गया। अभी उसे नींद आ ही रही थी कि तभी अद्रिका ने पलटी मारी और उसके बेहद करीब आकर एक बांह उसके गर्दन में लपेट दी। क्रमशः

  • 10. Risk vala Ishq - Chapter 10

    Words: 1145

    Estimated Reading Time: 7 min

    अभी अनुभव को नींद आ ही रही थी। कि तभी अद्रिका ने पलटी मारी, और उसके बेहद करीब आकर एक बांह उसके गर्दन में लपेट दी। अनुभव की नींद झटके में खुल गई। वह उठकर बैठ गया। कलेजा धक-धक हो रहा था। मन में एक अजीब सी बेचैनी और हलचल हो रही थी। वो बेड से उठकर खड़ा हो गया। और अद्रिका को कुछ देर तक गौर से देखता रहा फिर बालकनी में चला गया। काफी देर तक चहलकदमी करता रहा। पर नींद तो आने से रही। नींद तो क्या मन में भी उस लड़की को लेकर अजीब अजीब से ख्याल आ रहे थे। जी में आया जाकर ड्रिंक कर लूं। वह मुड़ा भी। लेकिन कमरे में सोती अद्रिका पर नजर गई तो ड्रिंक का ख्याल छोड़ दिया। ओह! यह क्या मुसीबत मोल ले लिया मैंने। अपने ही घर में अपने हिसाब से नहीं रह सकता। लेकिन यह मुझे क्या हो रहा है, मैं खुद को उसके लिए क्यों बदल रहा हूं? यह लगती कौन है मेरी? कोई नहीं? मेरा घर है मैं चाहूं जो करूं। मुझे ड्रिंक करने का मन है तो करना चाहिए। वह झट से फर्स्ट फ्लोर पर बने बार में गया और एक रम का बोतल उठा लाया। वह ढक्कन खोल अभी मुंह से लगाने लगा, कि फिर उसकी नजर अद्रिका पड़ गई और रम को यूं ही छोड़ दिया।फिर कुछ देर तक चहलकदमी करने के बाद वहीं बालकनी में सोफे पर टिक कर बैठ गया और अपनी तीन उंगलियां और अंगुठे से सिर का मसाज करने लगा। और इसी तरह बैठे-बैठे न जाने कब आंख लग गई। इधर राणा सीधे अपना कमरे में गया और सो रही पत्नी रक्षा को उठाकर सीधा गन उसके सिर पर लगा दिया। "वह अध खुली नींद में बड़बड़ाई। क्या हुआ मुझे क्यों जगा दिया?" "मेरी नींद उड़ा कर तुम चैन से कैसे सो सकती हो? तुम मेरी पत्नी हो पर मेरी हितैषी नहीं ,मेरी दुश्मन हो। तुमने ऐसा क्यों किया मेरे साथ? तुमने मेरे आदमियों को मार कर उस लड़की को भगा दिया ना?" "यह तुम क्या बोल रहे हो? मैंने कुछ नहीं किया। और उस लड़की को, किस लड़की को तुम्हारी उस भतीजी को? अरे मैं उसे क्यों भगाऊंगी? तो फिर वहां पर जो बुलेट मिली वह तुम्हारे गन की थी ।वहां पर कैसे पहुंचा किसके द्वारा? ओह समझ गया तुम्हारे भाई की मदद नहीं की। इसलिए तुम मेरे पीछे लगी हो? मेरा भला नहीं चाहती।" "देखो मेरे भाई की मदद नहीं की इसलिए मैं सच में गुस्से में हूं। लेकिन इतना नहीं कि तुम्हारे खिलाफ चली जाउंगी, और उस लड़की की मदद करूं अगर मुझे पता होता तो तुमसे पहले मैं उसे मार देती।" "अच्छा ! तो फिर तुमने ऐसा नहीं किया तो फिर कौन कर सकता है? " "कहीं वही तो नहीं जो तुम्हारा दायां हाथ है, सबसे खास है।" "कौन.? तुम्हारा मतलब जय?" "हां जय ! मैं आजकल देख रही हूं। पिछले कुछ महीनों से उसमें अचानक बदलाव आ गया है। तुम नोटिस कर रहे हो कि नहीं यह तो मुझे नहीं पता । पर मैं कर रही हूं। वह जो काम करता है वह काम सक्सेस नहीं हो पाता है। या तो पुलिस को खबर लग जाती है या नहीं तो रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाती है।" "नहीं, ऐसा नहीं है। तुम ज्यादा सोच रही हो। वह मेरे खिलाफ जाने की सोच भी नहीं सकता। एक बार मैं खुद पर अविश्वास कर सकता हूं। लेकिन उस पर नहीं।" "तुम्हें इतना भरोसा है ठीक है पर अपनी आंख और कान खुले रखो। और बुद्धि से काम लो।" राणा वहीं सोफे पर धम्म से बैठ गया और अपने सिर में हाथ फिराते हुए जय के बारे में सोचने लगा। रक्षा की कही बातें भी दिमाग में बार-बार गुंजती रही। यूं तो उसे जय पर बहुत भरोसा था फिर भी अपने कुछ खास आदमियों को बुलाकर उसे पर नजर रखने के लिए कहा। और यह भी कह दिया की जय को इस बारे में कुछ पता ना चले। इधर अगली सुबह जब अद्रिका की आंख खुली तो सर कुछ भारी भारी सा लग रहा था। आंखों के आगे अंधेरा सा मालूम पड़ रहा था। कुछ देर तक समझ में नहीं आया कि वह कहां है किस जगह पर है? कौन लेकर आया किसके वजह से आई ? वह दोनों हाथ से अपना सिर पकड़ कर याद करने की कोशिश करने लगी। और जब याद आया तो झटके में उठ खड़ी हुई। तो सबसे पहले खुद के ऊपर गई ध्यान गया। अरे मैं बाथरोब पहने ही सो रही थी। पर यह मुझे पहनाया कौन और मैं नहाई कब ? और तो और मैं कहां हूं, किसके घर में, कौन लाया मुझे? कोई है कोई है.? प्लीज हेल्प मी। कुछ देर तक आवाज लगाने के बाद भी जब कोई जवाब नहीं मिला। कोई नहीं आया तो वह शांत हो गई और रात की बात याद करने लगी । अरे हां, याद आया रात को वह दोनों गार्ड तो मुझे पकड़ कर ले जा रहे थे। फिर उन्होंने मुझे कुछ पिलाया और मैं गहरी नींद में चली गई। अब समझ में आया यह सारा का सारा किया धरा उस अनुभव ठाकुर का है। उसी का आदमी था वह। क्या मैं उसी के घर में हूं या फिर उस किडनैपर  के घर में?  नहीं, फ़िलहाल मुझे शांत रहना होगा। चुपचाप मुझे पता करना होगा मैं कहां हूं? फिर खुद को गौर करने लगी, नोटिस करने लगी कहीं मेरे साथ कुछ गलत तो नहीं हुआ। मेरे कपड़े कहां गए बाथरोब किसने पहनाया मुझे ? और ये अनुभव कहां गया? सोच सोच कर उसका सर भारी होने लगा। और वह सिर को अपने दोनों हाथों से दबाते हुए वहीं बेड पर बैठ गया। और बातों को समझने और सुलझाने की कोशिश करने लगी। तभी सिर घुमाया तो देखा तो बेड पर कपड़ा रखा दिखा। वह कपड़ा उठाकर उलट पलट कर देखने लगी। यह उसके साइज़ का कपड़ा नहीं था। पर फिर भी उसने बाथरूम में जाकर तुरंत चेंज किया। यह ओवर साइज टीशर्ट था जो काफी लंबी होने के साथ लूज़ भी बहुत था। बार-बार शोल्डर से गिर रहा था। वह कपड़े संभालते हुए धीरे-धीरे कमरे में घूमने लगी पता लगाने लगी आखिर है तो वह है कहां? इतना बड़ा घर है, इतने महंगे महंगे झूमर, यह महंगे पेंटिंग्स पर्दे, शोपीस देखकर तो लग रहा है जरूर यह किसी मिलेनियर बिलेनियर का घर है। पर वह दोनों गार्ड मुझे यहां क्यों लेकर आया? और अब दोनों में से कोई दिखाई भी नहीं दे रहा मैं पूछूं तो किससे पूछूं? उफ यह बेडरूम भी इतना बड़ा है कि मैं अब तक तो कमरे में ही हूं। बाहर तो निकली ही नहीं हूं। पर यह डोर किधर से है। तभी उसकी नजर एक बड़ी सी तस्वीर पर गई। यह कौन है शायद इस घर के मालिक होंगे। मन में बोलते और घूमते घूमते हुए वह अचानक बालकनी की तरफ आ गई, और वहां अनुभव का देखकर चीख पड़ी। "त.त. तुम तुम यहां पर लाये मुझे। पर क्यों और कब?"

  • 11. Risk vala Ishq - Chapter 11

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    अनुभव को देखकर वह चीख पड़ी। त.त. तुम तुम यहां पर लाये मुझे! पर क्यों और कब? देर से सोने की वजह से सुबह होने के बावजूद अनुभव गहरी नींद में सो रहा था। अद्रिका के चिल्लाने से जब अचानक  आंख खुली तो वह चिढ़ गया। और जोर से डांटने को हुआ। लेकिन जब उसकी नजर उसके कपड़ों पर गई तो उसका गुस्सा ना जाने क्यों कम हो गया। एक तो पहले से ही छोटी सी मासूम सी दिख रही थी । ऊपर से ओवरसाइज कपड़ों में वह  बेहद प्यारी दिख रही थी बिल्कुल बच्ची सी। "क्या हुआ क्यों चिल्ला रही हो?  खुद तो कल से सो रही हो। पर मेरा सोना, खाना पीना और जीना सब हराम कर रखी हो। कुछ देर शांति से नहीं रह सकती तुम? उसने अपने दोनों हाथ बांधते हुए कहा, "तुम्हारी वजह से मेरे जीवन की शांति भंग हो गई, और तुम मुझसे उल्टा पूछ रहे हो। अब मुझे यह बताओ उस खंडहर में से इस महल में कब ले आए? और यहां तुम मुझे लेकर आए या वह तुम्हारे वह दो आदमी?" "वह दो आदमी मतलब कौन?? " अनुभव ने जरा चौंक कर पूछा कि उसे सब पता है या नहीं? "कौन दो आदमी तुम्हें नहीं पता है? कल जब तुम मुझे वहां पर छोडकर चले गए थे। तब कुछ देर बाद  मेरा नशा कम हुआ। मैं उठ कर बैठी और सोचने लगी कि तुम कहां हो? और मैं तुम्हें ढूंढने लगी ,आवाज देने लगी। पर तुम कहीं दिखाई नहीं दिया। बाहर कुछ लोग पहरे दे रहे थे। मैं गेट से बाहर निकली और उन दोनों से पूछा कि तुम्हारा बॉस कहां है। तब दोनों ने कहा वह काम से बाहर गए हैं अगर तुम्हें जाना है उनके पास तो चलो हम लेकर चलते हैं। मैंने सोचा यह तुम्हारा आदमी है तो उस पर भरोसा कर लिया और उसके पीछे चल दी। कुछ देर जाने के बाद उसने मुझे कुछ पीने को दिया और उसके बाद जो मैं सोई तो अभी सुबह आंख खुली है। और  मैं यहां तुम्हारे इस कमरे में थी । अब बताओ दोनों आदमी कौन था, उसने मुझे  बेहोश क्यों किया?  मैं अब तक सोचकर डर रही थी कि शायद मैं ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार हो गई। पर अगर उसे तुम्हारे ही घर लाना था तो यूं ही लेकर आ जाता।इस तरह  बेहोश करने की क्या जरूरत थी?" अनुभव उसकी बातें गौर से सुन रहा था। अब उसे याद आया शायद बेहोशी की दवा की वजह से यह गहरी नींद में थी। "अरे इस तरह क्यों देख रहे हो? जैसे तुम कितने अनजान हो इन सबसे! मैं पूछ रही हूं तुम्हारे आदमी ने मुझे बेहोश करके क्यों लाया इधर? मैं अगर होश में रहती तो क्या कर लेती?" अबकी बार अनुभव उठा और उसका शोल्डर पकड़ते हुए कहा, "तुम जो इतना बोलती हो ना इसी वजह से उसने तुम्हें बेहोश किया। और मैंने ही कहा था कि एक बार बोलना शुरू करेगी तो नॉनस्टॉप बोलते जाएगी, चुप नहीं रहेगी। इससे अच्छा है कि तुम बेहोश कर दो तब वह शांति से आएगी। "तुम न.. तुम न.! सच में बहुत बुरे हो। पर तुम्हारा यह घर बड़ा आलीशान है। यह तुम्हारा बेडरूम कितना बड़ा और कितना अच्छा है। पर इस बेडरूम का थीम मुझे पसंद नहीं आया। यह क्या ब्लैक थीम रखे हो? यह हटा करके ब्लू या पिंक कर दो ना।' अनुभव की नींद पूरी नहीं हुई थी। तो सर दर्द हो रहा था ऊपर से उसकी बकवास सुनकर झल्ला पड़ा। उसने उसे  जोर से डांटते हुए कहा, " कितना बोलती हो। और यह मेरा घर है मेरा बेडरूम है। मुझे जो पसंद आएगा वह थीम रखूंगा। तुम्हारे हिसाब से थीम क्यों चेंज करूं तुम लगती कौन है मेरी? तुम्हें इस बेडरूम में रहना है नहीं ना! तो अपना मुंह बंद रखो वरना अबकी बार सच में  थप्पड़ मार दूंगा। " बोलते हुए उसे झकझोर कर छोड़ दिया "ओफ ओह! क्या तुम भी हमेशा मरने और मारने की बात करते रहते हो यार !  कल से सुन सुनकर पक गई हूं। और यह गीदड़ भभकी मुझे नहीं, अपने आदमियों को देना ।मैं डरती नहीं तुम्हारे इस धमकियों से। और रही इस बेडरूम में रहने की बात तो कौन नहीं रहना चाहेगी? पर हां अगर तुम चाहो तब। " अनुभव फिर कुछ बोलने को हुआ लेकिन उससे पहले ही वह बोली, "चलो मुझे बहुत जोरों की भूख लगी है कुछ खाने को है तो दो। या नहीं है तो अपने नौकर से कहो कुछ बना दे मेरे लिए। और हां इस बार गन मत निकलना सच में बहुत भूख लगी है। अनुभव सिर पर हाथ रख लाचारी से उसे देख रहा था। कल से कुछ खाई नहीं है। कितनी भूखी होगी इसका अंदाजा लगा सकता हूं। पर फिर भी  इतना बोल रही है खाना खा लेगी तो कितना बोलेगी.? अनुभव को यूं घूरता देखकर उसने चुटकी बजाते हुए कहा, "ओ हलो.! बार-बार तुम क्या सोचने लगते हो? तुम्हारे घर में कोई नहीं रहता है? नौकर चाकर कोई नहीं रसोईया भी नहीं ?तो खाना क्या तुम खुद बनाते हो? तो चलो मेरे लिए भी कुछ बना दो। अगर तुम नहीं बनाओगे तो मुझे रसोई दिखा दो मैं खुद बना लेती हूं।" इस बार ना चाहते हुए अनुभव ने उसके बालों को हौले से अपने मुट्ठी में भर लिया। "देखो मेरे पेशेंस की परीक्षा मत लो। मैं किसी का इतना नखरा आज तक ना झेला हूं, ना झेलता हूं। झेलना तो दूर मेरे सामने जबान खोलने वालों को सीधा मैं काट देता हूं। तुम्हें जिन्दा छोड़ दिया तो उसका एहसान मानो, फायदा मत उठाओ। अगर भूख लगी है तो कमरे से बाहर निकलो और रसोई में जाकर कुछ बना लो।" बोलकर अनुभव ने उसका बाल छोड़ दिया। पर उस लड़की ने बेहद नरमी से कहा, "तो इतनी सी बातें तुम आराम से भी तो बोल सकते थे ना! यूं इस तरह मेरा बाल पकड़ कर बोलने की क्या जरूरत थी? देखो तो कितने बाल टूट गए मेरे। एक तो वैसे ही हेयर फॉल की समस्या जा नहीं रही है। ऊपर से तुम इस तरह बात करते रहे तब तो मैं बहुत जल्दी ही टकली हो जाऊंगी। अबकी बार अनुभव ने अपने पॉकेट से रुमाल निकाला उसके मुंह पर बांधने लगा।

  • 12. Risk vala Ishq - Chapter 12

    Words: 1015

    Estimated Reading Time: 7 min

    अबकी बार अनुभव ने अपने पॉकेट से रुमाल निकाला, और उसके मुंह पर बांधने लगा।" बहुत बोलती हो तुम। तुम्हारा मुंह तो अब बंद करना पड़ेगा। फिर तुम  शांत रहोगी और मैं भी सुकून से रहूंगा।" "सॉरी सॉरी मैं अब नहीं बोलूंगी। " बोलते हुए आद्रिका ने अपने दोनों हाथों से मुंह दबाकर पीछे की तरफ हटने लगी। अनुभव आगे बढ़ता गया, और वह धीरे-धीरे पीछे हटती गई। अभी वह दीवार से पीछे टकराती उससे पहले ही अनुभव ने उसकी बांह पकड़ अपनी तरफ खींचा। तो वो सीधे उसके सीने पर आ गिरी। अनुभव ने तुरंत उसे अपने से दूर किया और कहा, "तुम्हें इतनी भी ताकत नहीं, कि तुम ढंग से खड़ी रह सको। जरूरी है मुझ पर गिरने पड़ने की!" आद्रिका तुरंत सीधी खड़ी होते हुए बोली, "हर छोटी-छोटी बात पर इतना गुस्सा करना जरूरी है क्या?  चलो छोड़ो इन बातों को। मुझे इस कमरे से बाहर जाने का रास्ता दिखाओ।" उसने एक बार अद्रिका की तरफ देखा फिर जोर से आवाज लगाई , "रामू काका.! रामू काका.. !" "जी साहब . आया.!" "इसे रसोई दिखा दीजिए। और यह जो भी कहे वह बना दीजिए। अगर आपको नहीं बनाने आएगा तो कोई बात नहीं। यह खुद बना लेगी। और हां ध्यान रहे इससे ज्यादा कुछ बात करने की जरूरत नहीं।" "जी साब जी। चलिए आइए मेम साब।" वह लड़की रामू काका के पीछे रसोई की तरफ चली ,और अनुभव फ्रेश होने चला। अद्रिका जब कमरे से बाहर निकल रसोई की तरफ गई, तो घर में चारों तरफ नजर दौड़ाते गई। बहुत बड़ा महल जैसा घर था। जिसका हर एक-एक कोना बेहद सुसज्जित तरीके से सजाया हुआ था। पर एक बात उसे थोड़ी खटक रही थी। वो ये कि घर में सिर्फ और सिर्फ काम करने वाले नौकर आदमी ही थे। औरत एक भी नहीं। यह देखकर आद्रिका को थोड़ा आश्चर्य हुआ। पर तभी वह चुप रही। और चुपचाप रसोई में चली गई। "बोलिए मेम साहब आपको क्या खाना है? मैं बना देता हूं? उसने तुरंत पूछा काका इस घर में सारे आदमी काम करते हैं औरत एक भी नहीं है। और उनकी मां कहां है? रामू काका सकपका गए। वो.. वो.मेम साब..! वो क्या काका ? बोलिए।  उधर बेडरूम में मैंने एक हार चढ़ी तस्वीर देखी  जो शायद उनके पिता होंगे। वहां मां का फोटो नहीं है। मतलब वह जिंदा है। अगर वह जिंदा है तो किधर है? दिख नहीं रही। रामू काका ने इधर उधर देखा और मुंह पर उंगली रख चुप रहने को इशारा किया। "यह सब छोड़ो मेम साब! इन सब के बारे में बात मत करो। आप यह बोलिए क्या खाएंगी?" "पास्ता खाऊंगी आपको बनाने आता है? अगर नहीं तो आप हटिए मैं खुद बना लूंगी।" "मुझे बनाने आता है। मैं बना देता हूं। आप बाहर बैठिए। पर हां, भूल कर भी किसी से कुछ पूछिएगा मत।" "काका आप टेंशन मत लीजिए । मैं किसी से नहीं कुछ पूछूंगी, और आप हटिए  मैं खुद फटाफट बना लेती हूं। आप बस सब्जियां चाॅप करिए।" तब रामू काका ने फटाफट सब्जियां चाॅप करने लगे। पास्ता बनाते-बनाते उसने एक बार फिर पूछा,  "क्या बात है अंकल! उनके घर में एक भी औरतें क्यों नहीं? और यह आपका बॉस अनुभव अकेला ही है? उनके मां बाप नहीं है तो क्या कोई रिश्तेदार भी नहीं है?" रामू काका ने इधर-उधर देखा फिर धीरे से कहा, साहब को कोई भी औरतें या लड़कियां पसंद ही नहीं। उन्हें घर में लाना तो दूर उनकी परछाई भी उन्हें पसंद नहीं है, उससे दूर भागते हैं। इसीलिए तो उनके कामकाज से लेकर जीवन में आज तक एक भी लड़कियां नहीं है।" "पर ऐसा क्यों? उन्हें क्यों पसंद नहीं है?" "वो नहीं बता सकता। " "अच्छा..! वैसे आप यहां कब से काम कर रहे हैं?" बहुत पहले से। मैं और मेरी पत्नी यहां तब से काम कर रहे हैं  जब ये साब पैदा हुए थे। इस घर में काम करने वाली आखिरी औरत मेरी पत्नी ही थी। मेरी पत्नी के गुजरने के बाद और उनकी मां के जाने के बाद। मैंने कितनी बार कहा इन्हें अपना घर बसा लेने के लिए। लेकिन यह साब तैयार नहीं हुए, बहुत नाराज हो जाते हैं। तब मैं मैंने भी बोलना बंद कर दिया।" "फिर मुझे क्यों लेकर आ गया तो?" "वही तो पता नहीं। आप पहली लड़की है जिन्हें यह घर तक ले आए हैं। और इतना ही नहीं इतने अदब से पेश आ रहे हैं। और यह हम सबके लिए बहुत आश्चर्य की बात है।" "ऐसा क्यों है? कुछ तो बात होगी जिस वजह से उनके मन में यह नफरत पैदा हो गई है।" "यह तो मुझे नहीं पता। और अब इसके आगे मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा नहीं तो मेरी खैर नहीं।" तभी रामू काका की कानों में आवाज पड़ी ।काका.! मेरी काॅफी लेकर आइए। लेकर आया साब। रामू काका तुरंत उनके लिए कॉफी लेकर जाने लगे। लेकिन अद्रिका ने रोक लिया।" आप रहने दीजिए मैं लेकर जाती हूं।" "नहीं नहीं आप मत जाइए। इतना इंटरफेयर बर्दाश्त नहीं करेंगे । आप इस घर में है, सही सलामत है वह बहुत बड़ी बात है।" लेकिन वह नहीं मानी और कॉफी लेकर उसके कमरे की तरफ बढ़ गई। उसके आगे बढ़ते ही रामू काका की घबराहट बढ़ गई, और उन्हें वह दिन याद आ गया। जब अनुभव ने अपनी मां की सभी तस्वीरें, सारी यादों को एक-एक कर जला दिया। पानी में प्रवाह कर दिया। और जोर-जोर से चिल्ला कर बोलने लगा आई हेट यू आई हेट यू.! नफरत है मुझे आपसे। और आज के बाद मेरी लाइफ में, मेरे घर में कभी किसी लड़कियों की एंट्री नहीं होगी। इधर राणा अभी भी रक्षा की कही बातें सोच रहा था, उसी उधेड़बुन में था। तभी रक्षा बोली, "यह सब छोड़िए पहले मेरी बेटी  को फोन कीजिए वह कहां पर है सुरक्षित है कि नहीं?" "अरे वह मेरी बेटी है। ऐसे कैसे सुरक्षित नहीं रहेगी? वह ऐसी जगह है जहां अनुभव की परछाई दूर दूर तक नहीं पहुंच सकती।" "लेकिन वो है कहां? यह तो बताइए ।" "वह लंदन में मेरे एक दोस्त के घर है।" "ठीक है हमसे बात करवाइए जब से गई है, तब से बात नहीं हुई है। " राणा ने तुरंत कॉल लगाया। पर उसने रिसीव नहीं किया। क्रमशः

  • 13. Risk vala Ishq - Chapter 13

    Words: 1094

    Estimated Reading Time: 7 min

    "ठीक है हमसे बात करवाइए। जब से गई है तब से बात नहीं हुई है। उन्होंने तुरंत अमायरा को फोन लगाया। तो वो एक पब में अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रही थी। एक बार में फोन नहीं उठाया फिर दोबारा रिंग बजा तो इस बार उसने रिसीव कर लिया। जैसे ही रक्षा ने हेलो कहा तो उसने नशीली आवाज में जवाब दिया। "येस मॉम बोलो!" रक्षा ने चिंता जाहिर करते हुए कहा, "बेटा इतना ड्रिंक करना ठीक नहीं।" "दूसरों को डराने वाली मेरी मॉम कब से डरने लगी? वो भी ड्रिंक से.!" "बेटा, यह डर नहीं, तुम्हारी फिक्र है जो हर मां को होती है अपने बच्चों के लिए।" "इतनी फिक्र करना बंद कर दीजिए । अब मैं बच्ची नहीं रही।" ड्रिंक की बात सुनकर राणा ने फोन लिया। "बेटा, अपना ध्यान रखना।" "पापा! आप मेरी चिंता मत करिए मैं अपना बखूबी ध्यान रखती हूं। आप अपना और खासकर अपनी प्रॉपर्टी का ध्यान रखिए । कैसे 20 साल की लड़की आपकी नाक के नीचे से पेपर बदल लिया और आपको पता तक नहीं चला? पापा मैं तो कहती हूं। अब आप  आराम करिए। और सब मैं देखती हूं। आखिर आपका उत्तराधिकारी मैं ही तो हूं।  फिर देखिए कैसे सबको उंगलियों पर नचाती हूं। और वह अनुभव! वो तो मेरे जूतियों पर नाक रगड़ेगा,नाक। बिल्कुल सच कह रही हूं।" "बेटा, तुम ऐसा कुछ नहीं करोगी। वो तुम्हारे पीछे लगा है। तुम्हारा किडनैप कर मुझे ब्लैकमेल करना चाहता है, झुकना चाहता है। और अपनी मकसद पूरी करने के लिए कुछ भी कर सकता है, किसी भी हद तक जा सकता है। तो फिलहाल इंडिया लौटना मत। और तुम अपने बारे में सोचो। उसके लिए मैं ही काफी हूं।" "ओके डैड!" उसके फोन रखते ही दोस्तों में कहा, "अबे तेरे डैड ने कहा इंडिया लौटना नहीं । लेकिन तू तो ऑलरेडी इंडिया में है। तो पापा को बताया क्यों नहीं?" "अरे  क्यों बताऊं? फालतू का कंसर्न दिखाएंगे।" " अरे.! तुम्हारे पापा को भी कंसर्न होता है?" "अरे वो अनुभव मेरे पीछे पड़ा है। पता है वह मेरा किडनैप करना चाहता था। लेकिन मेरी वो बहन जी टाइप बहन का कर लिया। काश! वह मेरा कर लिया होता।  पता है जब से मैंने उस अनुभव को देखा है। तब से दिल में एक उथल-पुथल सी मची है यार। मैं उसके पीछे पड़ गई हूं। उसी के लिए तो इंडिया लौटी हूं। बड़ा ही हॉट बंदा है ।" अब देखो मैं अपने चाल कैसे चलती हूं कैसे अनुभव को अपने जाल में फंसाती हूं? फिर सारी प्रॉपर्टी के साथ  हैंडसम बंदा भी मेरा होगा। मन में बोलते हुए फिर वह एक ड्रिंक लेकर थिरकने लगी। इधर अद्रिका काॉफी मग लिए अनुभव के कमरे में गई। तो देखा अनुभव खाकी कलर का निक्कर पहने पैर फैलाए बेड पर लैपटॉप लिए बैठा था। ऊपर का पूरा बदन यूं ही खुला हुआ था। कुछ नहीं पहना था उसने। अद्रिका ने जब उसे देखा तो दरवाजे पर ठिठक  गई और उसे गौर से देखने लगी। वाह! क्या बॉडी बनाई है? क्या डोले शोले हैं? अद्रिका मन ही मन बोल कर मुस्कुरा रही थी। काका कॉफी लेकर अंदर आईए यूं दरवाजे पर क्यों खड़े हैं? मेरे कमरे में आने के लिए आपको परमिशन की जरूरत नहीं है। अनुभव ने लैपटॉप में आंख गड़ाए ही कहा। सुनकर अद्रिका ख्यालों से बाहर आई और बोली "अरे काका नहीं, मैं हूं।" अद्रिका की आवाज कानों में पड़ी तो अनुभव ने झट से उसकी तरफ देखा। और तुरंत लैपटॉप रख बेड से उतर कर खड़ा हो गया। और शर्ट पहनने लगा। "क्या स्टुपिड लड़की हो तुम? नॉक नहीं कर सकती थी? यूं इस तरह दरवाजे पर खड़ी होकर किसे देख रही थी? तुम्हें? व्हाट?? हां सच्ची बोल रही हूं। मैं तुम्हें ही देख रही थी क्या बॉडी  बनाई है यार तुमने! ये डोले शोले यह ऐब्स उफ़!! खुले बदन में तो बड़े कातिल दिखते हो तुम। "शट अप जस्ट शट अप! इस तरह बात करते हुए शर्म नहीं आती है तुम्हें? इतनी भी छोटी बच्ची नहीं हो। 20  21 साल के आसपास उम्र है। थोड़ा भी मैनर्स नहीं है समझ नहीं है। इस तरह किसी गैर मर्द को नहीं देखते। इस तरह बात नहीं करते। और ये इस कमरे में तुम क्यों आई हो ? और भी कितने खाली कमरे हैं। जाकर रहो वहां  यहां आने की जरूरत नहीं। "अरे तो इसमें मेरी गलती नहीं तुम्हारी गलती है। तुम इस तरह बैठे ही क्यों थे खुला बदन? और मैं किसी गैर को नहीं अपने को देख रही थी। और मैं इसी कमरे में थी। तो यहां आने में कैसी हिचकिचाहट ?" अपने शब्द सुनकर अनुभव का मन झनझना उठा। फिर भी नाराज होते हुए कहा, "यह मेरा घर है, मेरा कमरा है। मैं कैसे भी रहूं? तुम्हें देखकर चलना चाहिए। अगर तुमने मुझे इस तरह देख लिया तो तुम्हें चले जाना चाहिए था, या नहीं तो सॉरी बोल कर पीछे मुड़ जाना चाहिए था। और एक दिन कमरे में रह जाने से तुम्हें यहां जब तब आने की परमिशन नहीं मिल गई समझी। चलो अब जाओ यहां से।" "अरे हद है.! मैं तुम्हारी तारीफ कर रही हूं। तुम्हें खुश होना चाहिए। पर नहीं नाराज होने का तो तुमने ठीका ले रखा है। इतना कैसे कोई हर नाराज रह सकता है? जब देखो हर बात पर गुर्राते रहते हो। अच्छा बताओ! तुमने इतनी अच्छी बॉडी बनाई है  किसी को दिखाने के लिए ही ना, तारीफ के लिए ना। मैंने तुम्हें मेरी तारीफ की। तो इतना क्यों बुरा लग रहा है तुम्हें? अच्छा समझ गई। जिसे तुम पसंद करते हो उससे तारीफ सुनना चाहते हो। वैसे बताओ ना। कौन है वह लकी गर्ल?" अनुभव ने अंगारों जैसी लाल आंखों से उसे घूर कर देखा। अच्छा ठीक है नहीं बताना है मत बताओ। मुझे जानने में इंटरेस्ट भी नहीं है। और हां, तुम मुझे इस कमरे में आने की परमिशन दो या ना दो। मेरा जब मन होगा मैं तो जरूर आऊंगी। "बड़ी बेशर्म लड़की है थोड़ा भी शर्म लिहाज नहीं है इसे।" अनुभव ने अपना जबड़ा भींचते हुए कहा। हां, तो क्या करूं? ऐसे माहौल  में पली बढ़ी हूं कि शर्म लिहाज का नामों निशान नहीं है मुझ में। उसे तो मैं उठाकर पी गई कब का। चलो अब तुम कॉफी पियो नहीं तो ठंडी हो जाएगी। और हां, मैंने अपने लिए पास्ता बनाया है, तुम पास्ता खाओगे? नहीं, तुम पास्ता नहीं खाते होगे ना! फ्रुट्स,सलाद, केलौग्स वगैरह खाते हो ना। मैं अभी बना कर लाती हूं तुम्हारे लिए। बोल करो कॉफी मग वहीं टेबल पर रख दिया और जाने को मुडी। तभी जोर से कुछ टूटने की आवाज आई। अद्रिका ने पलट कर पीछे देखा तो चीनी मिट्टी का काॅफी मग कई टुकड़ों में टूट चुका था।

  • 14. Risk vala Ishq - Chapter 14

    Words: 1035

    Estimated Reading Time: 7 min

    अद्रिका ने पलट कर पीछे देखा, तो चीनी मिट्टी का काॅफी मग कई टुकड़ों में टूट चुका था। अनुभव गुस्से में काॅफी सहित मग को लात मार कर नीचे गिरा चुका था। अद्रिका आंखें बड़ी कर एक बार टूटे हुए काॅफी मग को देख रही थी, तो एक बार अनुभव को। तभी अनुभव जोर से चिल्लाया, "काका..! रामू काका..! मैंने आपसे कहा था। मेरी काॅफी लाने के लिए!" डर से रामू काका की घिग्घी बंध गई। "ज..जी. साहब अभी लेकर आया।" उसका गुस्सा और चिल्लाना देखकर अद्रिका कुछ देर के लिए चुप रह गई। तो अनुभव को लगा शायद वह डर गई। ये देख कर उसे थोड़ा सुकून मिला, एक विजय मुस्कान आ गई। चलो कम से कम मेरा डर तो हुआ इस ढीठ लड़की को। तभी अद्रिका ने आगे आकर कमर पर दोनों हाथ रखते हुए कहा, "क्यों इतना गुस्सा करते हो? शांत रहो ना।" अनुभव ने घूर कर उसकी तरफ देखा। और तुरंत उसका गला पकड़ लिया। "ऐ छोड़ो मुझे.! नहीं तो गला दब जाएगा मेरा, मर जाऊंगी मैं।" लेकिन अनुभव की पकड़ कसती गई। तो अद्रिका की आवाज लगभग बंद हो गई और उसकी आंखें भी। जब इसका एहसास अनुभव को हुआ, तो तुरंत उसे छोड़ दिया। वह अपना गला पकड़ कर जोर-जोर से खांसने लगी, उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। अनुभव ने उसे तुरंत पानी पिलाया। लेकिन वह अब भी खास रही थी। तो अनुभव ने पूछा "ऐ लड़की ठीक हो?" अपनी आंखें पोंछ कर गला सहलाते हुए कहा, "हां, मैं ठीक हूं।  पर अगर तुम इसी तरह तुम गुस्सा करते रहे ना। तो मुझे लगता है  रांची या आगरा में तुम्हारे लिए एक सीट एडवांस में बुक करके रखनी पड़ेगी।" अनुभव झल्ला पड़ा। "अरे कितना बोलती हो.. कितना बोलती हो तुम!  पता नहीं किस ग्रह नक्षत्र में इस आफ़त की पुड़िया को उठा लिया। जब से आई है, सब कुछ बदल रहा है, कुछ भी ठीक नहीं हो रहा है। मुझे तो लगता है तुम मेरे साथ रही तो मेरा मकसद क्या है? यह भी भूल जाऊंगा मैं। पता नहीं इसके घरवाले कैसे झेलते होंगे?" "वही तो मैं चाहती हूं। तुम सब कुछ भूल जाओ। सिर्फ मुझे याद रखो।" आद्रिका ने धीरे से कहा। "क्या बोल रही हो तुम?" "अरे यही कि, ठीक तो हो रहा है सब। लेकिन तुम होने नहीं दे रहे हो। अच्छा तुम बैठो मैं तुम्हारे लिए दूसरा कॉफी बनाकर लाती हूं।" "कोई जरूरत नहीं है।" फिर भी वो जाने लगी। तभी रामू काका कॉफी लिए कमरे में आ गया। डर उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था। "काका, आपको मेरा रूटीन और रूल रेगुलेशन नहीं पता?" "पता है साहब जी।" "तो फिर आपसे जो काम कहूं, जो चीज मांगू तो आप ही लाकर दीजिए। किसी और के हाथ मत भेजिए। या नहीं तो फिर अपना इंतजाम कर लीजिए।" "साब आगे से यह गलती नहीं होगी।" रामू काका ने अपना सर नीचे कर कहा। अच्छा जाइए। इधर अद्रिका रूम से बाहर जाने लगी। तो अनुभव ने उसकी कलाई पकड़ खींच लिया। "कहां जा रही हो? इतना महंगा मग तोड़ दिया उसका फाइन कौन भरेगा,और इसे साफ कौन करेगा? आद्रिका रोनी सी सूरत बनाकर अपना सर खुजाने लगी। "देखो पैसे तो नहीं है मेरे पास। लेकिन हां, एक काम करती हूं। मैं तुम्हारे घर में काम करना शुरू कर देती हूं। मुझे भी एक एंप्लॉय के तौर पर रख लो ना। या नहीं तो मैं तुम्हारा कुक बन जाती हूं। तुम्हारे लिए अच्छा-अच्छा खाना बनाऊंगी। फिर देखना तुम जो यह हमेशा हाइपर रहते हो ना कैसे काम और कूल डाउन हो जाओगे। मेरे हाथों बने हुए खाना खाकर।" "कोई जरूरत नहीं है यहां काम करने की। तुम्हारे साथ रहकर, तुम्हारे हाथों का खाना खाकर पागल हो जाऊंगा मैं। पागल!!समझी।" पर अद्रिका को कोई फर्क नहीं पड़ा। वो मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर निकलने लगी। तभी कोने पर रखा एक फ्लावर वास उसके हाथ से लगकर नीचे गिरने लगा। वो जरा घबरा गई और कैच करने लगी। लेकिन उससे पहले ही अनुभव ने फुर्ती से कैच कर लिया। और उसे डपटते हुए कहा, "आंख है ना तो देख कर चला करो ना।" "हां, मैं देख कर ही चल रही थी । पर यह फ्लावर वास गलत जगह पर रखा है।" बोलकर वह फिर से भागने लगी । अरे रुको इसे कौन साफ करेगा। "नौकर और कौन?" "नौकर नहीं तुम करोगी। चलो करो चुपचाप।" अद्रिका वापस मुड़ी और जमीन पर बैठकर हाथों से एक-एक टुकड़ा उठाने लगी। तभी एक टुकड़ा उसके पैर में चुभ गया। और खून निकल आया। अद्रिका के मुंह से जोर की आह निकल गई। अनुभव ने दाएं बाएं अपना सिर हिलाते हुए तुरंत उसे गोद में उठाकर बेड पर रख दिया। फिर नौकर को बुलाकर उसे साफ करने को कहा। और खुद फर्स्ट ऐड बाक्स लाकर उसकी मरहम-पट्टी करने लगा। उसने जैसे ही उसके तलवे को छुआ। तो उसे गुदगुदी हुई। उसने हंसते हुए अपने पैर खींच लिया। अनुभव ने उसके पैर को वापस पकडते हुए कहा, "यह क्या कर रही हो? पैर क्यों खींच रही हो मरहम पट्टी कर देता हूं आराम मिलेगा  और यूं हंस क्यों  रही हो पागल हो गई हो क्या?" अरे गुदगुदी हो रही है। बोल कर फिर से पैर खींचने लगी। तब  अनुभव ने उसके पैर को अपने पैरों के नीचे दबा दिया और तब उसके पैर को मरहम पट्टी करने लगा। अद्रिका उसे गौर से देख रही थी। अपनी आंखें बंद रखो। मुझे इस तरह घूरो मत। "क्यों मेरे घूरने से तुम्हें कुछ-कुछ होता है?" "हां होता है।" "क्या होता है बताना जरा?" अनुभव ने तुरंत गन उसके सिर पर पॉइंट किया और बोला यह ट्रिगर दबा देने का मन होता है। आद्रिका ने बेहद कूल होते हुए कहा, "चलो हटाओ इस खिलौने को। और तुम वाकई बुरे नहीं हो, तो फिर जानबूझकर यह बुरे बनने की, ऐसा खूंखार बनने की क्या जरूरत है? तुम्हें किसी से दुश्मनी है क्या, किसी से बदला लेना है? क्या वजह है?" "तुम्हें कैसे पता कि मैं बुरा नहीं हूं?" "अरे अभी तुम खुद ही देखो ना। मुझे छोटा सा घाव लगा, हल्का सा ब्लड निकला, और तुम देख नहीं सके। मेरी केयर करने लगे, मरहम पट्टी करने लगे। फिर तुम किसी की जान कैसे ले सकते हो?" अब अनुभव को होश आया। सच में! इस लड़की को घाव लगा तो मुझे क्यों फर्क पड़ा? मैं क्यों उसकी मरहम-पट्टी करने लगा?

  • 15. Risk vala Ishq - Chapter 15

    Words: 1017

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब अनुभव को होश आया सच में इस लड़की को घाव लगा तो मुझे क्यों फर्क पड़ा? मैं क्यों उसकी मरहम-पट्टी करने लगा? मन में बोलते हुए वह उठ खड़ा हुआ। और बोला, "तुम्हारी जान बख्श दी ना। इसलिए तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है। वैसे एक बात बताओ। राणा को कैसे जानती हो तुम, कौन लगता है वो तुम्हारा?" "चाचा लगते हैं मेरे। मतलब चाचा हैं। " "तुम्हारे साथ कैसा व्यवहार है उनका?" "दिखाने के लिए अच्छा था, वाकई में नहीं।" "मतलब?" मतलब यह कि मेरे पापा अपनी सारे प्रॉपर्टी मेरे नाम कर गए थे, और मेरी देखभाल उन्होंने इसलिए की ताकि मेरे 18 साल के होते ही सारी प्रॉपर्टी मैं उनके नाम कर दूं।" "तो कर दिया तुमने उनके नाम?" "हां कर दिया।" "फिर उसके बाद?" "फिर उसके बाद क्या जब तक वह अपना असली रंग दिखाते उससे पहले तुमने मेरा किडनैप कर लिया। वैसे तुमने नहीं बताया कि तुमने मेरा किडनैप क्यों किया?" "यह मैं तुम्हें नहीं बता सकता। और हां, मैं कुछ दिनों के लिए बाहर जा रहा हूं। तो तुम यहां आराम करो। जब तुम्हारे घाव ठीक हो जाए तब तुम यहां से चली जाना।" "अरे लेकिन, मैं यहां से कहां जाऊंगी? कोई नहीं है मेरा इस दुनिया में। मेरे चाचा सारी प्रॉपर्टी अपने नाम करवा ली। तो भला अब वह क्यों रखेंगे मुझे? और मेरी वह चाची वह तो पहले ही मुझे मार कर भगा देगी, कि किसके साथ इतने दिनों तक रह कर आई है? जीने नहीं देगी।" वह कुछ देर सोचने लगा फिर कहा, "ठीक है मैं  कुछ इंतजाम करता हूं । पर तुम यहां से निकलना मत।" "लेकिन मैं तब तक पहनूंगी क्या.? मेरे लिए कपड़े तो ला दो। या नहीं तो मुझे ले चलो मैं खुद शॉपिंग कर लूंगी।" "मैंने कहा ना तुम्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं। मतलब जरूरत नहीं। आ जाएगा तुम्हारे लिए कपड़े।" बोलकर अनुभव चला गया और वह आंख बंद कर लेट गई वो अनुभव के ख्यालों में खोई हुई थी। अनुभव निकलने लगा। तो एक बार उस लड़की को देखने के लिए मुड़ा। आंख बंद कर लेटी अद्रिका बेहद प्यारी दिख रही थी। अनुभव न चाहते हुए कुछ पल तक उसे यूं ही देखता रहा। कितनी प्यारी दिख रही है। मुझे यूं तो लड़कियों से नफरत है। पर ना जाने तुम्हें देखकर मुझे बेहद खुशी मिलती है। एक सुकून सा मिलता है। लगता है तुम असर कर रही हो मुझपर। परंतु मैं यह होने नहीं दूंगा।। आद्रिका को जब फील हुआ कि, कोई से घूर रहा है तो  वह आंख खोलने को हुई। उससे पहले ही अनुभव वहां से निकल गया। और घर के सभी नौकरों के साथ रामू काका को भी अच्छे से हिदायत दी,  कि उसे लड़की की देखभाल करना और कमरे से कहीं बाहर न जाए, किसी भी कीमत पर नहीं। अगर वह जिद करें तो बाहर से लॉक कर देना। "जी साब आप चाहिए निश्चित रहिए मैं हूं ना।" अनुभव निकला और जाते-जाते राजन को कॉल कर दिया। फिर कुछ कपड़े उसे लड़की के लिए ला दो और हां नजर रखना वह घर से बाहर न जाए। "जी भाई आप निश्चिंत रहिए।" इधर राणा के आदमियों ने जय पर नजर रखना शुरू किया। दो दिन बाद - जिन सब को कहा था वह सब राणा के पास आए। "भाई हमें कहीं कोई शक नहीं लगा। वह आपका सच्चा आदमी। एकदम प्योर। लेकिन हां , उसने हमारे ग्रुप के एक आदमी को मार दिया ।" "क्या .?लेकिन क्यों मार दिया?" "पता नहीं कुछ बातें हुई और तुरंत उसे गोलियों से भून दिया।" राणा का माथा ठनका। उसे जरूर कुछ पता लग गया होगा इसलिए उसे मार दिया। वो सोच ही रहा था कि तभी जय का फोन आ गया। तुरंत खुद को सामान्य करते हुए कहा हां बोलो जय! "भाई मैंने उस हथियार के बारे में पता लगाया ।वह ना तो पुलिस के हाथ लगी है। और ना हीं अनुभव के। " "तो फिर क्या हुआ?" "कहीं ऐसा तो नहीं भाई! कि कोई तीसरा आ गया है हमारे बीच और उसके हाथ लग गया वो।" "ठीक है तुम रुको मैं अपने तरीके से पता लगाता हूं। वैसे मैं क्या सोच रहा था तुम कुछ दिन अपने परिवार के साथ समय बिताओ।" "भाई, लगता है ड्रिंक ज्यादा हो गया है। आपको पता है ना मेरा कोई नहीं, इस दुनिया में आपके अलावा। आप मेरा सब कुछ हो फिर भी क्यों मजाक उड़ा रहे हो?" "जय तुम बुरा मत मानो। मेरा मतलब था कि तुम भी कोई लड़की देख कर अपना परिवार बसा लो।" "भाई, मेरे मां-बाप, रिश्ते नाते सब आप ही हैं। और किसी परिवार की जरूरत नहीं मुझे।" सुनकर राणा को सुकून मिला? "वैसे कुछ पता चला अनुभव ने उसे लड़की के साथ क्या-क्या उसे मार दिया या जिंदा है?" "अब वही पता करूंगा।" "भाई एक बात कहूं?" "हां कहो!" "मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि अपने कुछ आदमी मुझ पर शक कर रहे हैं। उन्हें ऐसा लग रहा है मैं बदल गया हूं।" "तुम उसकी चिंता मत करो अपना काम करते रहो। बाकी मैं देखता हूं।" "जी भाई। पर आपसे कुछ बात करनी है।" "हां बोलो ना।" "भाई उसमें से एक आदमी को मैंने मार दिया।" " कोई नहीं! मुझे विश्वास है । जरूर उसने ऐसा कदम उठाया होगा कि तुम उसे करने पर मजबूर हो गए। यह इतनी बड़ी बात नहीं है हमारे प्रोफेशन में यह बात आए दिन होती रहती है।  तुम अपना ध्यान रखो। और अनुभव और उस लड़की के बारे में कुछ पता लगे तो खबर करो" "जी भाई आपने मुझको विश्वास दिखाया इसके लिए बहुत मेहरबानी। पर आप जानना नहीं चाहोगे उसने ऐसा क्या कहा जो मैंने गोली मार दी ।" "जानना तो नहीं चाहता पर तुम कह रहे हो तो चलो बताओ।" "आपके खिलाफ मुझे भड़का रहा था, बोल रहा था कि आपने आदमी भेजे हैं। मुझ पर नजर रखने के लिए। सच कहता हूं सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया। मैं उसे मना कर रहा था। लेकिन वो बार-बार कसम खाकर बोलने लगा तो मुझे बर्दाश्त नहीं हुआ है और वहीं टपका दिया।" सुनकर राणा चौक गया और जो थोड़ी बहुत शक की गुंजाइश थी वह भी जाता रहा। इधर फोन रखते ही जय के चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ गई

  • 16. Risk vala Ishq - Chapter 16

    Words: 1159

    Estimated Reading Time: 7 min

    इधर अनुभव बाहर निकला और कार में बैठकर एक खंडहर की तरफ चला गया।वहां एक आदमी उसका इंतजार कर रहा था।सर मुझे क्यों बुलाया यहां?अभी तो काम पूरे नहीं हुए हैं।मुझे बोलने दोगे तब बताऊंगा ना ।सॉरी सर।तो कैसी लगी आद्रिका।व्हाट? यह बात करने के लिए आप मुझे यहां बुलाए हैं सर।मैंने जो पूछा उसका जवाब दो कैसी लगी वह लड़की।नॉर्मल ही है। यूं तो हरकतें उसकी एब्नार्मल जैसे है बट ठीक है थोड़ा सा बचपना है उसमें।बात को यूं इस तरह घुमाओ मत अनुभव! मैं पूछ रहा हूं कैसी लगी पसंद आई। सर वह बच्ची है।इतनी भी नहीं 20 साल की है 2 महीने बाद 21 की होने जा रही है।हां तो।शादी करनी है?"व्हाट ! आप क्या कर रहे हैं आप मेरे बारे में जानते हैं ना मेरी सच्चाई जानते हैं ना। और वह कोई मामूली नहीं माफिया राजा की बेटी है। राणा की भतीजी है वो। हां इसीलिए कह रहा हूं शादी कर लो।सॉरी सर मैं शादी नहीं कर सकता। मुझे इसकी जरूरत नहीं।तुम्हें जरूरत नहीं पर उसे जरूरत है।है तो करे ना किसने रोका है और लड़कों की कमी है क्या।लड़कों की कमी तो नहीं। पर तुम्हारे जैसे लड़कों की कमी है। उसे तुम्हारे जैसे जीवनसाथी की जरूरत है।क्या मतलब?बाहर उसके जान के दुश्मन बहुत हैं। खतरे में है वह तुम्हारे साथ रहेगी तो ही सेफ रहेगी।लेकिन सर! लेकिन वेकिन कुछ नहीं मेरा रिक्वेस्ट समझो या ऑर्डर पर तुम उससे शादी कर लो।2 दिन बाद मेरे रिश्तेदारी में एक लड़की की शादी है तुम आओ उसे लेकर।उसी मंडप पर तुम उससे शादी कर लेना।लेकिन उसकी मर्ज़ी जानना भी जरूरी है।तुम यह मत भूलो कि तुम एक माफिया हो । और माफिया अपनी मर्जी चलाता है किसी और की मर्जी नहीं जानता। वैसे तुम्हें लगता है कोई भी लड़की तुम्हें इनकार कर सकती है?और उसके थ्रू तुम राणा तक आसानी से पहुंच सकते हो।सर मैं उसके बिना भी पहुंच सकता हूं । फिर आपसे शादी के लिए क्यों फोर्स कर रहे हैं?क्योंकि इसका पिता मेरा दोस्त था।क्या.?एक बात और यह राजा की बेटी नहीं है।तो किसकी बेटी है?करीब 20 साल पहले। राजा मुंबई का एक जाना माना माफिया था। उसकी तूती बोलती थी यहां पर। अपनी एक इशारे पर वह जो चाहे कर लेता था।एक बार वह किसी काम से शहर से बाहर जा रहे थे। उनकी पत्नी मां बनने वाली थी। वह रोक रही थी कि मुझे आपके साथ की जरूरत है। पर वह नहीं माना और निकल गया। यह कहकर कि जरूरी काम है। और मैं बहुत जल्द आ रहा हूं। दो हफ्ते बाद जब वह लौट रहे थे। अचानक उन तक मैसेज पहुंच कि, उनकी पत्नी राव्या की तबीयत अचानक बिगड़ गई है। समय से पहले लेबर पेन स्टार्ट हो गया है।वह अस्पताल में भर्ती है। डॉक्टर ने कहा कि प्री मैच्योर बच्चे को जन्म देना पड़ेगा।वह तुरंत अस्पताल की तरफ बढ़ रहे थे तभी सड़क किनारे एक महिला लेबर पेन से छटपटा रही थी। उसे मदद की जरूरत थी। पत्थर दिल वाला राजा ने जब उसे देखा तो अपनी पत्नी की स्थिति याद आ गई। और रहा नहीं गया। उसने उसे अपने कार में बिठाकर हॉस्पिटल लेकर पहुंचा।लेकिन जब तक वो पहुंचा तब तक उसकी पत्नी और बच्चे दोनों खत्म हो चुके थे। बेटे को जन्म दिया था राव्या ने। दोनों ने एक साथ दम तोड़ दिया।डॉक्टर का कहना था कि प्री मैच्योर बच्चे होने की वजह से बच्चा बच नहीं सका और इस गम में मां ने भी दम तोड़ दिया। इधर उस औरत ने एक बहुत ही प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। जन्म के बाद सबसे पहले उस औरत ने राजा को याद किया।अपनी पत्नी और बच्चे के खोने के गम में डूबे राजा ने जब उसे बच्ची को पहली बार उठाया तो बेहद खुश हुई। और आज उन्हें एहसास हुआ कि किसी अपने को खोने का दुख क्या होता है? और मारने से ज्यादा किसी एक की जान बचाने में कितनी खुशी मिलती है।बच्चों को गोद में उठाकर उसे बेहद सुकून मिला और उसी दिन उसने प्रण कर लिया कि आज के बाद यह सब धीरे-धीरे छोड़ देगा। एक सामान्य जिंदगी जीएगा।इधर  उनका छोटा भाई राणा। वह तो कब से भाई की जगह हथियाने के फिराक में था। उसने राजा की बात सुनी तो बेहद सुकून मिला और उसी दिन से भाई को अपने रास्ते से हटाने के बारे में सोचने लगा।इधर इस औरत का कोई नहीं था पति कुछ महीने पहले ही मर गए थे। तो ससुराल वालों ने घर से निकाल दिया था। तब राजा ने एक कमरा रहने को दिया और उसका खर्चा पानी देना शुरू किया। बच्ची धीरे-धीरे बढ़ने लगी लेकिन कुछ महीनो बाद उसे औरत को कोई भयानक बीमारी लग गई। और धीरे-धीरे मौत के मुंह में जाने लगी अंतिम समय में उसने राजा के सामने हाथ जोड़ लिया। अपनी बेटी समझ कर इसे पाल लीजिएगा। या नहीं तो किसी अनाथ आश्रम में दे दीजिएगा। मैं जा रही हूं।अब और कोई नहीं है दुनिया में आपके अलावा जिसे मैं यह जिम्मेदारी सौंपू।तब राजा उस बच्ची को अपने घर ले आए ।राणा  और उसकी पत्नी की आंखों में वह लड़की खटकने लगी । क्योंकि राजा ने उसे अपने अपनी बेटी माल दिया था। और अब एक  हिस्सेदार  थी। इसलिए दोनों को  अपने रास्ते से हटाने के फिराक में जुट गया। लेकिन यह बात राजा को पता चल गया। वह चाहता तो एक क्षण में राणा को खत्म कर सकता था। लेकिन अब वो इसमें लौटना नहीं चाहता था। इसलिए उसने चुपके से सारी प्रॉपर्टी इसके नाम कर दिया।इस बात की भनक राणा को लग गई तो तो गूस्से में बौखला गया। और दिन मौका देखकर उसने भाई का मर्डर कर दिया। मरते समय उसने बताया। तुम्हारे बीवी बच्चे को मैंनेमारा। मैंने ही उसे लेबर पेन होने वाला दवाई दे दी ।जिससे उसे समय से पहले दर्द शुरू हो गया और उसी के असर की वजह से दोनों की मौत हो गई।इधर लड़की को मजबूरन जिंदा रखना पड़ा। झूठ ही सही पर प्यार दिखाना पड़ा। वो उसके 18 साल के होने का इंतजार करने लगा। जब वो 18 साल की हो गई तो सारी प्रॉपर्टी उसने अपने नाम करवा लिया।पर इसमें भी एक समस्या आ गई।क्या??किसी ने चालाकी कर दी। प्रॉपर्टी राणा के नाम नहीं हुई। इसी लड़की का नाम है और जो उससे शादी करेगा उसकी आधी प्रॉपर्टी का मालिक होगा।तो आप मुझे उससे शादी करने क्यों बोल रहे हैं? मुझे प्रापर्टी नहीं चाहिए। राणा मेरा दुश्मन है क्योंकि उसने मेरे पिता को मारा है।मैं सब बताऊंगा फिर कभी। फिलहाल जाओ। उसका ध्यान रखो। इधर आद्रिका कमरे से बाहर निकली और रामू काका के साथ काम में हाथ बंटाने लगी।काका मना करते रहे लेकिन वह नहीं मानी।काम करते-करते उसने पूछ लिया काका बताइए ना अनुभव कैसा आदमी है? वह तो बुरा नहीं लग रहा है वह फिर ऐसे बुरा बनने की कोशिश क्यों कर रहा है?रामू काका बताने से इनकार करने लगे।देखिए आप सब जानते हैं क्योंकि सबसे पुराने इस घर में काम करने आप ही वाले आप ही हैं तो आप प्लीज बताइए।रामू काका ने अबकी बार इधर-उधर देखा और बताना शुरू किया। क्रमशः 

  • 17. Risk vala Ishq - Chapter 17

    Words: 1023

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    इधर अनुभव उनकी बात मानकर वापस तो लौटने लगा। लेकिन दिमाग में यही बातें घूमती रही । शादी उस लड़की से? नहीं नहीं ये ठीक नहीं होगा। हम दोनों का कोई मेल नहीं। वह बेहद इनोसेंट और प्योर लड़की है, बड़ी प्यारी लड़की है। मुझ जैसे लड़के के संग उसका ब्याह हुआ, तो कभी खुशी नहीं रह पाएगी। उसका जीवन खराब हो जाएगा। फिर मुझे भी इस शादी ब्याह कर परिवार बसाने में इंटरेस्ट नहीं। नहीं, यह कतई नहीं हो सकता। मैं नहीं होने दे सकता।वह वापस मुड़ गया। "क्या हुआ अनुभव अब क्या समस्या है?" "सर पूरे जीवन भर का सवाल है तो एक बार उस लड़की से भी पूछ लीजिए। क्या वह इस रिश्ते के लिए राजी है? उसका कोई नहीं दुनिया में, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम जबरदस्ती उस पर अपनी मर्ज़ी चलाएं।" "अनुभव मैंने तुम्हें क्या कहा अभी कुछ देर पहले। कि तुम एक माफिया हो। और माफिया किसी की मर्जी नहीं जानते अपनी मर्जी चलाते हैं।" "सर पर इंसानियत है मुझ में अभी भी। और यह आपका खूबी जानते हैं।" "हम्मं, आई नो एवरीथिंग पर अब कुछ नहीं हो सकता। जैसा कहा है वैसा करना पड़ेगा तुम्हें। फिर तुम्हें अपने बाप का बदला लेना है कि नहीं? "सुनकर वह वापस लौट गया। दिमाग में एक अलग ही उथल-पुथल सी मच रही थी। इस लड़की से शादी कर ली पर कहीं ये भी मेरी मां की तरह मुझे छोड़ कर चली गई तो क्या करूंगा मैं? नहीं, इस औरत जात पर भरोसा  नहीं करना चाहिए। भले ही अभय सर ने कहा , लेकिन मैं शादी नहीं करूंगा। अगर उस लड़की की जान का खतरा है तो उसकी रक्षा और भी तरह हो सकती है, और भी लड़के हैं। यहां नहीं तो कहीं और। पर मैं इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहता। इधर आद्रिका के जिद करने पर रामू काका ने बचते बचते बोलना शुरू किया राजा, अभय और अनुभव के पापा देव तीनों बहुत अच्छे दोस्त थे।" अभी बात कर ही रहे थे कि तभी राजन कपड़ों का थैला लिए अंदर आया। अद्रिका ने उसे देखा तो नाक भौं सिकोड़ लिया। "तू यहां क्यों आया है? किसने कहा आने के लिए? " "अरे ये मेरे भाई का घर है मतलब मेरा घर है। मैं कभी भी आ जा सकता हूं। तुम बताओ तुम अब तक जिंदा कैसे बची हो? वैसे भाई के घर में  डेरा जमा लिया तुमने। किस्मत की धनी हो तुम।" "वह तो मैं हूं। पर अगर तुमने अपना मुंह बंद नहीं किया तो तुम किस्मत धनी नहीं रहोगे।" "यह तुम तय नहीं करोगी, तुम्हारे हाथ में नहीं है। लो यह कुछ कपड़े हैं। भाई ने कहा था इसलिए लेकर आया हूं।" "अरे तू कपड़े लेकर आया है। मेरे इतने बुरे दिन नहीं आ गए की मैं तेरे पसंद के कपड़े पहनुंगी ।" अद्रिका ने नाक भौं सिकोड़ते  हुए कहा । "देखो, यह नखरे ना मेरे पास नहीं, भाई के पास दिखाना, वही झेलेगा। तुम्हें लेना है या नहीं, पसंद है या नहीं, किसी ने नहीं पूछा। भाई ने बोला तो मुझे  जो समझ में आया मैंने ले लिया। पहनना है तो सही नहीं पहनना तो सही। पर अब ये कपड़े ना तो वापस होंगे ना एक्स चेंज होंगे।" "सुनकर अद्रिका ने मुंह बनाकर कपड़े का थैला उठाकर कमरे की तरफ बढ़ गई। " "उसके जाते ही राजन बैठते हुए कहा, रामू काका संभल कर बात करिएगा उस लड़की के साथ। और कोई भी बात अनुभव के बारे में  बताने की जरूरत नहीं उसे। वह लड़की अच्छी भोली भाली दिख रही है। पर डॉन की बेटी है ।जितनी सिंपल दिखती है वो उतनी है नहीं। यह शातिर और चालक है। खतरा हो सकता है भाई के लिए। ये भी हो सकता है आप सबके थ्रू सारी जानकारी प्राप्त कर रही है हो।  वह जासूस बनकर आई हो राणा का तो सावधान रहिएगा।" सुनकर रामू काका के कान खड़े हो गए। "ओह तो ये बात है। गलती हो गई। आगे से ध्यान रखूंगा मैं उससे कोई बात नहीं करूंगा।" उधर अद्रिका कमरे में गई और ड्रेस ट्राई करने लगी। सारे के सारे ड्रेस बहुत प्यारे भी। और सब का साइज भी लगभग बराबर था। बस एक आध इंच का अंतर था। वह कमरे से भाग कर आई। "अरे मैं तो तुझे बेवकूफ समझती थी। पर तेरी पसंद तो वाकई बहुत अच्छी है और साईज भी लगभग  परफेक्ट। लगता है तुझे लेडिज गारमेंट्स खरीदने के अच्छे एक्सपीरियंस है" "तुम्हें पसंद आए तो तुम खुश रहो ना।" "अरे तारीफ कर रही हूं सच में सारे कपड़े अच्छे हैं।" " अरे भला मुझे कहां यह सब खरीदना आता है।  मैं एक माॅल में गया। पर कुछ समझ नहीं आ रहा था। क्या लूं क्या नहीं? तभी वहां एक लड़की आई। वह भी कुछ शॉपिंग कर रही थी और लगभग तुम्हारे जैसी ही थी । तो मैंने बस उसे कहा तो उसने ही कलर डिजाइन सब कुछ सिलेक्ट कर दिया।" "अरे वह कौन थी? जो बिल्कुल मेरे जैसी थे।वह तो मुझे नहीं पता और पूछ भी नहीं सकता था।ठीक है अब तुम्हारे कपड़े आ गए शांति से आराम से रहना। किसी से बात करने की जरूरत नहीं। जब तक भाई नहीं आ जाते इधर से निकलना मत।" "जानती हूं तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है।" बोलकर वह कमरे में चली गई और नीले रंग का एक कुर्ता और सफेद ट्राउजर पहन लिया।  बीच मांग निकाल कर एक पोनी टेल बना लिया। और दोनों तरफ से एक लट बाहर निकाल लिया। मेकअप तो कुछ था नहीं। तो उसने वहां रखे नील के डिब्बे में उंगली डुबोकर एक छोटा सा बिंदी जैसा टीका माथे पर लगा लिया। राजन के जाने के बाद अद्रिका कमरे से निकल कर बाहर आई। रामू काका ने जब देखा तो एक पल के लिए आंखों में चमक आ गई । क्षण भर में अनुभव और उसकी जोड़ी बना दिया। फिर अगले ही पल अपनी सोच को झटक दिया। सावधान हो गया। नहीं, मैं जो सोच रहा हूं वह नहीं हो सकता कभी। वैसे कितनी प्यारी लग रही है, कितनी मासूम। यह लड़की घर में रह गई तो जरूर मेरा साहब पहले वाला साहब हो जाएगा। यह पुराने वाले अनुभव को लौटा लाएगी। हे प्रभु! कुछ ऐसा करो जिससे यह बच्ची अब इस घर से ना जाए। क्रमशः