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Pyar ki Anokhi kahani

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The Silent Queen

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"प्यार की अनोखी कहानी" अक्षित, दुनिया का एक मशहूर वकील, जिसकी दलीलों के आगे कानून भी झुक जाता था। लेकिन उसके खुद के अतीत में एक ऐसा दर्द था, जिससे वह कभी उबर नहीं पाया। उसकी ज़िंदगी सिर्फ केस जीतने तक सीमित थी, जब तक कि...

Total Chapters (131)

Page 1 of 7

  • 1. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 1

    Words: 1159

    Estimated Reading Time: 7 min

    ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है। जिसका वास्तविक जीवन से कोई संबंध नहीं है।

    उम्मीद है आपको मेरी यह कहानी जरूर पसंद आएगी!

    6 फीट हाइट, उम्र 25, साँवला रंग, काली गहरी आंखें जिसमें बहुत सारा दर्द था — एक हैंडसम लड़का रात के डेढ़ बजे अपनी गाड़ी ड्राइव कर रहा था।

    लड़के के हाथ में शराब की बोतल थी और आंखें आंसुओं से भरी हुई थीं। वह अपनी गाड़ी तेज़ी से चला रहा था। उसके कानों में बार-बार एक ही आवाज गूंज रही थी, जो उसके गुस्से को और बढ़ा रही थी। उसे होश नहीं था कि वो कहां जा रहा है। उसे एक ही बात याद आ रही थी,"मैं तुमसे प्यार नहीं करती..."

    एक लड़की की आवाज़ जैसे कानों में पिघलता सीसा बनकर चुभ रही थी।

    उसकी आंखें लाल हो गई थीं। उसके आंसू उसके दर्द को बयां कर रहे थे। थोड़ी देर बाद वो लड़का अपनी गाड़ी रोक देता है और बाहर निकलकर बोतल से शराब पीने लगता है। पूरी बोतल खत्म कर वो उसे सड़क पर फेंक देता है — कांच के टुकड़े बिखर जाते हैं। फिर वो अपना हाथ गाड़ी के बोनट पर जोर से मारता है। पैर का दर्द भी बढ़ चुका था, तो उसने पैर गाड़ी के टायर पर मार दिया और ज़ोर से चिल्लाया:

    "क्यों... क्यों मैं ही क्यों? तुमने मेरा दिल तोड़ दिया... क्यों धोखा दिया प्रियंका...?

    तुम तो कहती थी, तुम मुझसे बहुत प्यार करती हो, तुम मेरा सारा दर्द खत्म कर दोगी...

    तो फिर तुमने क्यों मुझे छोड़ दिया...?

    तुम्हारी बाहों में मैं सारा दर्द भूल जाता था,

    और तुमने मेरा दिल तोड़ कर... मुझे अकेला छोड़ दिया... क्यों प्रियंका... क्यों?"

    इतना कहकर वह लड़का रोने लगा। कुछ देर बाद वह वहां से चल पड़ा।

    थोड़ी दूर ड्राइव करने के बाद, उसके सामने अचानक एक लड़की आ गई।

    गाड़ी का ब्रेक लगाया।

    लड़के ने देखा — लड़की ने ब्लू कलर की सुंदर सी ड्रेस पहनी थी जो उसके घुटनों से ऊपर तक आ रही थी। गोरा रंग, नीली आंखें — जो समुद्र से भी ज्यादा खूबसूरत थीं, डार्क रेड लिपस्टिक, और हाथ में डायमंड का ब्रेसलेट। लड़की किसी परी से कम नहीं लग रही थी।

    कोई भी देखता तो देखता ही रह जाता।

    लेकिन लड़के ने एक नज़र देखकर चेहरा फेर लिया और बोला —

    "मरना है तो कहीं और जाकर मरो, मेरी गाड़ी के सामने से हटो!"

    लड़की के हाथ में हॉकी स्टिक थी।

    वो स्टिक से गाड़ी के बोनट पर मारते हुए बोली —

    "दिमाग खराब है क्या? मुझे वर्जन मारोगे? गाड़ी चलानी नहीं आती तो बाहर निकलो कुत्ते... क*!

    मर जाती तो... निकल बाहर...!"**

    वो फिर से गाड़ी पर हॉकी मारती है।

    लड़का पहले से ही चिढ़ा हुआ था। अब ये लड़की और गुस्सा दिला रही थी।

    वो बाहर आया और बोला —

    "हटो मेरे रास्ते से, मुझे जाना है!"

    वो मुड़ता है, गाड़ी में बैठने ही वाला होता है कि लड़की सामने आकर उसकी कॉलर पकड़ लेती है।

    "इतनी सुनसान सड़क पर एक लड़की को अकेले छोड़कर जा रहे हो, दिमाग है कि नहीं?"

    लड़का गुस्से में कॉलर छुड़ाकर लड़की को पलट देता है और उसकी दोनों बाहों को कसकर पकड़ लेता है। उसकी उंगलियों के निशान लड़की की बाजू पर पड़ जाते हैं और लड़की गाड़ी से जा लगती है।

    लड़की एक पल को डर जाती है, लेकिन फिर वो अपने पैर से लड़के की पीठ पर वार करती है। लड़का उसका पैर पकड़ लेता है।

    "छोड़ो मुझे!" — लड़की गुस्से से कहती है।

    लड़का कहता है —

    "ज्यादा स्मार्ट मत बनो। सारी लड़कियां एक जैसी होती हैं।

    पहले प्यार का दिखावा करती हैं, और जब लड़का सच्चा प्यार करने लगता है, तो उसका दिल तोड़ देती हैं..."

    इतना कहकर वो लड़की को झटक देता है। लड़की गिरते-गिरते खुद को संभाल लेती है।

    लड़की फिर कहती है —

    "लड़की कोई मौका नहीं... एक जिम्मेदारी होती है।

    इंडियन स्लोगन है — 'अतिथि देवो भव'..."

    लड़का कहता है —

    "अकेली कहां हो तुम? गज भर की ज़ुबान है, हॉकी स्टिक है... कौन परेशान करेगा!"

    वो उसके पास आता है तो लड़की को शराब की बदबू आती है।

    "अच्छा... तो तुमने पी रखी है?

    तुम्हें पता है, ड्रिंक एंड ड्राइव केस में तुम अंदर जा सकते हो!"

    लड़का अब इरिटेट हो चुका था।

    वो लड़की का हाथ पकड़कर उसे साइड करता है और गाड़ी में जाकर बैठ जाता है।

    "ओ हमदम!" — लड़की ज़ोर से बोलती है।

    "मैं आज ही अमेरिका से आई हूं,

    मुझे रास्ते नहीं पता। प्लीज़ लिफ्ट दे दो, मेरी मदद कर दो... प्लीज़!"

    लड़का बोला —

    "तुम्हारी ज़ुबान देखकर तो नहीं लगता कि अमेरिका की शक्ल भी देखी होगी।"

    लड़की गुस्से से —

    "और तुम्हें देखकर लगता है गलियों के झाड़ू लगाते हो!"

    "Just shut up! हटो सामने से!"

    लड़की मन ही मन सोचती है —

    ‘अरे नहीं! इतनी देर बाद एक गाड़ी मिली और उससे भी लड़ बैठी!

    मुझे इसे किसी भी तरह से मनाना होगा...’

    फिर बोली —

    "हमदम... क्या इंडिया में अकेली लड़की को ऐसे ही छोड़ दिया जाता है?

    प्लीज़ हमदम... मुझे सनशाइन होटल तक लिफ्ट दे दो!"

    लड़का बोला —

    "इतनी जिद कर रही हो तो बैठो..."

    लड़की गाड़ी में बैठ जाती है।

    कुछ देर गाड़ी में खामोशी रहती है।

    फिर लड़की कहती है —

    "दिल टूटा है न तुम्हारा?

    इसलिए पी रखी है... वैसे आज मेरा भी दिल और सपने टूटे हैं...

    पर जब मेरा दिल टूटता है,

    मैं उसे पूरा तोड़ देती हूं..."

    ---

    हमने ऐसी भी क्या खता कर दी जो काबिले माफी नहीं,

    तुमने देखा नहीं मुद्दतों से, क्या इतनी सजा काफी नहीं… 🌙💔

    लड़की ने कहा,"यू नो मिस्टर हमदम,जब दिल टूटता है न... तो बहुत दर्द होता है,लेकिन जब कोई सपना टूटता है, तब भी अंदर कुछ बिखर जाता है। और जब दोनों,दिल और सपना, एक ही दिन टूट जाएं, तो इंसान सच में... टूट जाता है।मेरा दिल और सपना... दोनों आज ही टूटे हैं।"

    थोड़ा रुककर वो आगे बोली,"इसलिए... मैंने उसकी हड्डियाँ तोड़ दी।

    सही किया ना मैंने... हमदम?"

    उसके होंठों पर हल्की मुस्कान थी,

    लेकिन आंखों में जरा भी खुशी नहीं... बस एक अजीब सी बेचैनी।

    फिर वो कुछ देर खुद से ही बातें करती रही।

    लेकिन लड़के ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी —

    जैसे उसने कुछ सुना ही नहीं।

    वो चुपचाप गाड़ी ड्राइव करता रहा...

    जैसे उसके कान अब इस दुनिया की कोई भी आवाज़ सुनने से इंकार कर चुके हों।

    करीब एक घंटे की ड्राइव के बाद,

    गाड़ी होटल सनशाइन के सामने रुकती है।

    लड़के ने वैक्सीन से अपना ब्लेज़र उठाया,

    उसे लड़की की तरफ बढ़ाते हुए कहा —

    "ये पहन लो और निकलो... तुम्हारी मंज़िल आ गई है।"

    लड़की ने आंखें छोटी करके लड़के को घूरा, और हल्की चिढ़ में बोली —

    "प्यार से भी तो दे सकते थे...

    ऐसे घूरने की क्या ज़रूरत थी?"

    लड़का शांत स्वर में बोला —

    "तुम लड़कियां प्यार की भाषा समझती कहां हो?

    और... तुम्हारी ड्रेस पीछे से फटी है — इसलिए ये ब्लेज़र दिया।

    अब उतरो... और जाओ यहां से।"

    लड़की ने थोड़ा मुंह बनाकर गाड़ी का दरवाज़ा खोला और उतरते हुए बोली —

    "Hi... My self Aarika Sinha..."

  • 2. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 2

    Words: 864

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे

    हम खुद ही गुनहगार होते हैं,

    अपनी बर्बादी के कागज़ के बने फूलों से ख़ुशबू की चाहत रखते हैं।

    लड़के ने कहा, "तुम लड़कियों को प्यार की भाषा समझ कहाँ आती है? और तुम्हारी ड्रेस पीछे से फटी है, इसलिए इसे पहनो और यहाँ से निकलो।"

    लड़की मुँह बना कर गाड़ी से उतर गई।

    लड़की ने उतरने के बाद लड़के से कहा, "हाय, मायसेल्फ आरिका सिन्हा।"

    लेकिन लड़के ने उसकी बात नहीं सुनी और वहाँ से चला गया।

    लड़का रात के लगभग 4:00 बजे अपने घर पहुँचा। लड़खड़ाते क़दमों से वो हॉल में पहुँचा, गिरने ही वाला था कि किसी के मज़बूत दो हाथों ने उसे सँभाल लिया और धीरे से कहा, "अक्षित, तुमने ड्रिंक की है?"

    पूरे घर में अंधेरा था।

    अक्षित ने कहा, "अथर्व?"

    अथर्व, 23 साल का लड़का, जो अक्षित के मामा का बेटा है — 5'11'' हाइट, गोरा रंग, ब्राउन आँखें, हैंडसम और खुद का बिज़नेस।

    अथर्व ने कहा, "अक्षित भैया, चलो चुपचाप। दादाजी या कोई और उठ गया ना, तो ग़ुस्सा करेंगे।"

    दोनों कुछ ही क़दम चले थे कि अचानक घर की सारी लाइटें ऑन हो गईं।

    उनके सामने 75 साल के एक बूढ़े आदमी खड़े थे। उन्होंने सफेद रंग का कुर्ता-पायजामा पहना हुआ था, और एक हाथ में छड़ी थी।

    उनकी आवाज़ सुनकर अक्षित और अथर्व दोनों ने घूम कर सिर नीचे करके खड़े हो गए।

    दादाजी ने कहा,

    "तुम क्यों अपने नाना जी की इज़्ज़त को मिट्टी में मिलाना चाहते हो?

    25 साल पहले तुम्हारी माँ ने घर छोड़कर मेरी इज़्ज़त को नीलाम कर दिया था। अब तुम भी वही कर रहे हो।

    हमने हज़ारों बार कहा था कि प्रियंका तुम्हारे लिए सही नहीं है,

    पर तुमने हमारी बात कभी मानी ही नहीं,

    और अब उस लड़की के प्यार में पागल होकर, वही लड़की तुम्हें छोड़ कर चली गई।

    तुम प्रियंका से अपनी बेइज़्ज़ती करवा कर रह गए।"

    तभी एक आवाज़ आई —

    "भैया, इसको देखकर लगता है कोई लड़की इससे शादी करेगी?

    इसका तो रंग ही साँवला है, और प्रियंका कितनी सुंदर और गोरी-चिट्टी थी।

    इन दोनों का कोई मेल नहीं है।

    आख़िर प्रियंका के भी तो कुछ अरमान रहे होंगे,

    वो भी तो किसी सुंदर लड़के से शादी करना चाहती होगी।

    अगर इस अक्षित से शादी करती तो सब उसका मज़ाक उड़ाते,

    और कहते — लंगूर के गले में मोतियों की माला।

    इसलिए उसने अक्षित को छोड़ दिया।"

    तभी वहाँ 17 साल की लड़की आई, और बुआ-दादी को देखकर बोली —

    "तो अच्छा बोलिए दादी, भगवान कृष्ण भी तो साँवले थे,

    फिर भी पूरा जग उनका दीवाना है।

    प्रियंका तो भाई के लायक ही नहीं थी।

    आप देखना, एक दिन प्रियंका पछताएगी कि उसने भाई को क्यों छोड़ा,

    क्यों उनका दिल तोड़ा।

    पर तब भाई अपनी ज़िंदगी में बहुत आगे बढ़ चुके होंगे,

    और वह वहीं पीछे रह जाएगी।"

    बुआ-दादी उसकी बात सुनकर चुप हो गईं।

    शालू बोली —

    "मैं भी कहती हूँ, भाई के लिए इतनी सुंदर भाभी आएगी,

    कि प्रियंका उसके सामने फीकी लगने लगेगी —

    बिलकुल परीलोक की रानी जैसी सुंदर।"

    दादाजी ने शालू को डाँटते हुए कहा —

    "तुम्हें हमने यही सिखाया है कि बड़ों से ऐसे बात करते हैं?

    यह कौन-सा तरीका है दादी से बहस करने का?"

    शालू बोली —

    "दादाजी, आप बुआ-दादी को तो कभी डाँटते ही नहीं,

    जबकि वह अक्षित भाई की हर वक़्त बेइज़्ज़ती करती रहती हैं।

    और अक्षित भाई तो फिर भी उनका आदर करते हैं।"

    इतना कहकर शालू, अक्षित के पास आई, और शालू व अथर्व मिलकर अक्षित को उसके कमरे में ले गए।

    उनके जाने के बाद बुआ-दादी और दादाजी भी अपने-अपने कमरों में चले गए।

    अथर्व और शालू, अक्षित को उसके कमरे में लेकर आए,

    उसे बेड पर बैठाया और अथर्व ने उसके कपड़े बदलवा दिए।

    अक्षित थोड़ा होश में था, और थोड़ा नशे में।

    तभी कमरे का दरवाज़ा खुला, और अंदर शालू की माँ — यानी अक्षित की मामी — आईं।

    वो आकर अक्षित के पास बैठीं, उसके सिर पर प्यार से हाथ फेरा और कहा —

    "बेटा, भूख लगी है क्या? खाना लाऊँ?"

    अक्षित ने अपनी मामी की तरफ देखा और कहा —

    "मामी, धोखा खाकर बैठा हूँ, अब कुछ खाने का मन नहीं है।"

    शालू बोली —

    "भाई, वो लड़की बेकार थी।

    मैंने तो पहले ही कहा था कि वह आपकी लायक नहीं है।

    अच्छा हुआ चली गई, नहीं तो आपकी ज़िंदगी बर्बाद कर देती।

    मैंने तब भी कहा था, मुझे वो बिलकुल पसंद नहीं थी,

    पर आपकी ख़ुशी में मेरी भी ख़ुशी थी।

    देखना, जिसने आपको रुलाया है, वह एक दिन खुद भी रोएगी।"

    अथर्व बोला —

    "अक्षित मेरे भाई, बस कर यार।

    तू समझदार है, इतना बड़ा लॉयर है।

    ऐसे रहेगा तो कैसे चलेगा?

    हमें अच्छा नहीं लगता तुझे यूँ देखकर। चल, अब सो जा।"

    मामी ने कहा —

    "अक्षित बेटा, तू बहुत स्ट्रॉन्ग है।

    ऐसी छोटी-मोटी बातों को दिल से नहीं लगाते।"

    फिर उन्होंने अक्षित के सिर पर प्यार से हाथ फेरा और कमरे से चली गईं।

    अथर्व और शालू भी प्यार से उसे समझाकर सोने की कहकर कमरे से निकल गए।

    पर अक्षित की आँखों में नींद कहाँ थी…

    ---

    "पत्थर की दुनिया जज़्बात नहीं समझती,

    दिल में क्या है — ये बात नहीं समझती।

    तन्हा तो चाँद भी है इन सितारों के बीच,

    पर चाँद का दर्द — बेवफ़ा रात नहीं समझती..."

  • 3. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 3

    Words: 1209

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे

    ""तुम बीन अब ये मेरी उम्र बोझ लगती है

    तुम भी नहीं होता अब जीवन में सवेरा..!!"

    बहुत समय तक बेचैन रहने के बाद और प्रियंका को याद करके आखिर में अक्षित को नींद आ ही गई।

    सुबह जब अक्षित की आंख खुली तो उसके सामने आरिका का चेहरा नजर आया।

    अक्षित दोबारा अपनी आंखों को बंद करके खोला तो उसकी अधखुली आंखों में आरिका ही नजर आई ।

    अक्षित ने कहा, "अब सपनों में भी यही लड़की आने लगी, हद हो गई अब तो।"

    अक्षित ने एक बार फिर से अपनी आंखें बंद करके खोली तो आरिका उसके पास ही खड़ी थी।

    अक्षित ने कहा, " निकलो मेरी गाड़ी से, अब क्या मेरे साथ मेरे घर भी चलोगी? " ऐसा कहके वह उठ कर बैठ गया,उसने देखा गाड़ी में नहीं बल्कि अपने कमरे में है।

    अक्षित गुस्से में आरिका को देखा और बोला, " तुम यहां मेरे कमरे में क्या कर रही हो कौन हो तुम? "

    आरिका ने कहा, "हमदम "मुझे बहुत जोर की सूसू आई थी और मुझे वॉशरूम भी नहीं मिल रहा था, तो मैं यहां आ गई। "

    अक्षित ने आरिका की बात सुनी तो कहा, " हो गयी सुसु, अब निकालो मेरे कमरे से, यहां खड़ी होकर क्या कर रही हो? "

    आरिका ने कहा, " घर पर मेहमान आते हैं तो क्या तुम ऐसे बात करते हो?मैंने अमेरिका में सुना था कि इंडिया में मेहमानों को भगवान के समान समझा जाता है।"

    अक्षित आरिका की बातें सुनकर इरिटेट होकर के आवाज लगाई, "मामी... मामी.. यह कौन लड़की है?जो मेरे कमरे में घुस आई है और जा भी नहीं रही है।"

    अक्षित की आवाज़ सुनकर शांति उसके कमरे में आई।

    शांति ने कहा, "अक्षित बेटा क्या हुआ? क्यों बुला रहे थे? कुछ काम है क्या? फिर उनकी नजर आरिका पर गया, उन्होंने आरिका से कहा,"तुम अक्षित के कमरे में क्या कर रही हो?"

    आरिका ने कहा, " आंटी जी वह मुझे बहुत तेज सूसू आई थी और वॉशरूम भी नहीं मिल रहा था, तो मैं इस कमरे में आ गयी "

    शांति ने आरिका की बात सुनी तो अक्षित से कहा, "अक्षित यह हैं आरिका सिंहा, नाना जी के दोस्त के बेटे की बेटी, अमेरिका से आज ही सुबह आई है, कुछ दिन ये यही रहेगी। "

    अक्षित ने मामी की बात सुनकर आरिका से कहा, "आरिका तुम इस कमरे में गलती से या जानबूझकर या किसी कारण से भी नहीं आऊंगी। मुझे नहीं पसंद मेरे कमरे में कोई आये। उम्मीद है तुम मेरी बात अच्छे से समझ गई होंगी।"

    आरिका ने अक्षित से कहा, "हमदम तुम्हें डर लगता है, कहीं तुम इतनी सुंदर लड़की पर फ़िदा ना हो जाओ, इसलिए मुझे खुद से दूर रहने को कह रहे हो।"

    हमदम 💔दिल टूट गया...... तो क्या जीना छोड़ दोगे? "

    आरिका की बात सुनकर शांति को बहुत बुरा लगा.... उन्होंने आरिका का हाथ पकड़ा और अपने साथ ले गयी।

    शांति ने आरिका को डाटते हुए कहा, "आरिका अक्षित से दूर रहो, उसके साथ दोस्ती करने की कोशिश भी मत करना।"

    शांति ने दुखी हो पर कहा, " मेरा बेटा पहले ही बहुत दुखी है, मैं नहीं चाहती तुम्हारे कारण वह और दुखी।"

    आरिका ने कहा, " आंटी मैं तो बस मजाक कर रही थी, जिसे अक्षित के चेहरे पर मुस्कान आ जाए। "

    शांति ने कहा, "बिलकुल नहीं,अक्षित से किसी भी तरह का कोई मजाक नहीं, दूर रहो मेरे बेटे से।"

    उसके बाद शांति आरिका को लेकर हॉल में चली गई।

    थेरे वास डाइनिंग टेबल पर सब ब्रेकफास्ट के लिए बैठे थे।

    जयदेव ने दादाजी से कहा, " पापा जी काशी में कुछ काम है और मीटिंग भी है, इसलिए मुझे कुछ दिन के लिए जाना होगा? "

    दादाजी ने कहा, " ठीक है जाओ। "

    जय देव नाश्ता करके काशी के लिए चले गए।

    दादाजी ने आरिका को दादी बुआ,अथर्व शालू और मामी- मामा जी के बारे में बताया।

    अक्षित भी तैयार होके हाल में आया।

    अक्षित को देखकर आरिका ने कहा, "दादाजी आपने हमदम के बारे में तो बताया ही नहीं, ये कौन है?"

    अक्षित चुपचाप जाकर चेयर पर बैठने लगा, कि तभी दादी बुआ बोली, "ये अक्षित है, कामचोर। "

    अक्षित के बारे में सुनकर आरिका को बुरा लगा।

    दादी बुआ की बात सुनकर अक्षित खड़ा हो गया और मामी से कहा, "मामी मुझे देर हो रही है, ऑफिस में जाकर ही नाश्ता कर लूंगा।"यह कहकर वह जाने लगा।

    आरिका ने जोर से बुआ दादी से कहा,"बुआ दादी यह आपका घर नहीं है।"

    आरिका की बात को सुनकर दादी बुआ शर्मिंदा हो गई, क्योंकि उनके बेटे और बहू ने उनको घर से निकाल दिया था, तभी से वह अपने भाई के साथ उनके घर में रह रही थी, यह बात आरिका को उसके दादाजी ने बताया था।

    आरिका ने कहा, "क्यूँ शालू सही कह रही हूँ ना मैं?"

    घर मैं दो कामचोर है, एक हमदम एक दादी बुआ। "

    "हमदम तो एक बहुत बड़े लॉयर (वकील) है, पर दादी बुआ तो कुछ नहीं करती, तो कामचोर हुई ना? "

    अगर हमदम का घर नहीं भी रहा तो भी कुछ ना कुछ कर ही लेंगे। पर दादी बुआ का घर नहीं रहा, तो वह कहां जाएंगी? "

    दादाजी ने गुस्से में कहा, " चुपचाप नाश्ता करो। "

    आरिका की बात सुनकर शालू खुश हो गई और उसने आरिका से हाथ मिलाते हुए कहा, " पहले मैं अकेली भाई के लिए लड़ती रहती थी, अब आप भी मेरे साथ हो, आपकी और मेरी खूब जमेगी। "

    आरिका की बात अक्षित ने सुन ली थी पर वो चुपचाप ऑफिस के लिए चला गया।

    अब तक अथर्व भी ऑफिस के लिए निकल गया।

    तभी शांति ने अथर्व को आवाज लगाकर कहा, " अथर्व अपना फोन भूल गए। "

    आरिका ने कहा, " आंटी जी लाइए मैं दे आती हूं। "

    आरिका फोन लेकर अथर्व के पास गई और अथर्व को फोन देते हुए कहा, "अथर्व इतनी सुंदर लड़की तुम्हारे सामने है, तुम्हें कुछ फील नहीं होता क्या?तुम्हारे दिल में घंटी नहीं बजती क्या मुझे देखकर? "

    अथर्व ने स्माइल की और कहा, " बेशक तुम बहुत सुंदर हो।लेकिन मेरे दिल में तो पहले से ही कोई है!इसलिए तुम्हारे लिए घंटी नहीं बजेगी। "

    इतना कह कर अथर्व गाड़ी में बैठकर अपने ऑफिस के लिए चला गया।

    आरिका ने मुँह फुला कर कहा, "हमदम तो मुझसे बात भी नहीं करता और अथर्व की तो पहले से ही लवर है।"

    अमेरिका में तो आधे से ज्यादा लड़के मेरे खूबसूरती के पीछे दीवाने हैं थे और यहां देखो ये एटीट्यूड दिखा रहे हैं। "

    आरिका ने अपना सर पकड़ के कहा, "मैं तो वर्जन ही मरूंगी।"

    जरूर साथी! 😊

    "Ak gjl" से आपका मतलब शायद "एक ग़ज़ल" है?

    अगर हाँ, तो पेश है आपके दिल से जुड़ी एक नई, प्यारी सी ग़ज़ल, खास तौर पर अक्षित और आरिका की तकरार-भरी शुरुआत के अंदाज़ में:

    💔 ग़ज़ल – "हमदम की ख़ामोशी"

    तुझसे उलझ कर भी दिल बहल जाता है,

    तेरी बातों में ही कुछ तो हल जाता है।

    नफ़रत जताकर भी तू पास जो आए,

    हर एक शिकवा तुझसे कम लग जाता है।

    ख्वाबों में तू, जागी आँखों में तू ही,

    हर मोड़ पर तेरा ही चेहरा नजर आता है।

    क्यों डर लगता है तुझसे दिल खोने का,

    जब जानता हूँ, तू मेरा हो नहीं सकता।

    तू जो मुस्काए तो लगती है मेरी,

    तू जो चुप हो — लगता है बेगाना हो गया।

    ________________________________

    जारी हैं..........

  • 4. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 4

    Words: 933

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे

    रात में जब अक्षित घर आया, तब सब डाइनिंग टेबल पर बैठे डिनर कर रहे थे।

    शांति मामी ने अक्षित को आवाज देते हुए कहा, "बेटा हाथ धूल के आ जाओ, खाना खा लो।"

    अक्षित ने मना करते हुए कहा, " मामी मुझे भूख नहीं है। "

    इतना कह कर अक्षित अपने कमरे में चला गया।

    आरिका ने कहा, " आंटी ये हमेशा ही ऐसे ही रहता है क्या सडू सा, ना किसी से बात करना, ना ही साथ खाना खाते हैं। "

    दादी बुआ बीच में ताने देते हुए बोली, " हर कोई तुम्हारी तरह नहीं होता,जो हर वक्त बकबक करती रहती हो,कुछ लोग शांत भी रहते हैं।"

    आरिका ने तुरंत कहा, " मैंने तो आपको तो कभी चुप बैठ नहीं देखा। "

    शांति ने आरिका को डांटते हुए चुपचाप खाने को कहा।

    डिनर फिनिश करने के बाद आरिका किचन में शांति के पास चली गई।

    आरिका ने कहा, "आंटी एक प्लेट में खाना लगा कर दे दीजिए प्लीज। में जाकर अक्षित को जाकर दे दूंगी, तो वह भी खा लेगा। "

    शांति ने आरिका से कहा, " अभी तुम्हें आए हुए एक दिन भी नहीं हुआ और तुम ज्यादा ही फिक्र नहीं कर रही अक्षित की। "

    आरिका ने कहा, "आंटी आप नहीं चाहती कि अक्षित खाना खा ले?"

    शांति ने कहा, "तुम यहां मेहमान हो, इसलिए चुपचाप रहो और चली जाओ यहां से, अक्षित से दूर रहो, उसके आसपास भी मत जाना और अक्षित ने कहा है, वह खाना नहीं खाएगा, तो नहीं खाएगा।

    कोई कितना भी कह ले वह खाना नहीं खाएगा।"

    आरिका ने कहा, " अगर मैं अक्षित को खाना खिला दिया, तो लगाइए शर्त। "

    शांति ने आरिका का हाथ पकड़ के कहा, " अक्षित को तुमसे लगाव हो गया और फिर तुम उसे छोड़ कर चली गई तो, इसलिए दूर रहो अक्षित से, वैसे भी उसका दिल टूट गया है।"

    आरिका ने भी चुपचाप मामी के हाथ के ऊपर अपना दूसरा हाथ रखा और कहा, "अगर अक्षित को मुझसे लगाव हो गया, तो मैं उसे छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी। "

    शांति हैरानी से आरिका को देखने लगी।

    आरिका ने कहा, " वक़्त आने पर आप सब जान जाएंगी, मैं यहां अक्षित के लिए ही तो आई हूं। "

    आरिका की बात सुनकर शांति खुश हो गई।

    शांति ने कहा, " तुम सच में अक्षित के लिए आई हो? "

    आरिका ने कहा, " आपको मेरे ऊपर विश्वास नहीं हो रहा? "

    आरिका ने कहा, " मैं अमेरिका से 10 साल बाद इंडिया क्यों आऊंगी? मैं यहां अक्षित के चक्कर में ही आई हूं। आपको अभी कुछ पता नहीं है।

    शांति ने कहा, " तुम सच में अक्षित को कभी छोड़कर नहीं जाओगी ना? "

    आरिका ने कहा, " नहीं, कभी छोड़कर नहीं जाऊंगी।आंटी में सब कुछ छोड़कर सिर्फ अक्षित के लिए ही आई हूं।पर अक्षित तो मुझसे बात भी नहीं करता, प्यार का खाक करेगा? "

    आरिका ने कहा, " आंटी पहले आप मुझे खाना दे दीजिए।मैं अक्षित को खाना खाने को दे दूंगी और बातें बाद में आपसे करूंगी। "

    शांति ने एक प्लेट में खाना लगाकर आरिका को दे दिया।आरिका प्लेट लेकर अक्षित के रूम की तरफ चली गई।

    आरिका अक्षित के कमरे के बाहर आ गयी। वह थोड़ी घबराई हुई थी। फिर भी आरिका ने हिम्मत करके गेट को नॉक किया।

    कमरे से अक्षित ने कहा, "मामी मुझे बिलकुल भी भूख नहीं हैं।"

    आरिका ने कहा, "अक्षित मैं हूँ आरिका।"

    अक्षित ने कहा, " क्या काम है?क्यों आई हो यहां?जैसे आई हो वैसे ही चली जाओ, मैंने मना किया था ना यहां आने को। "

    आरिका ने कहा, "अक्षित तुम मुझसे इतना डरते क्यूँ हो?"

    अक्षित ने कहा, " किस पागल ने कहा मैं तुमसे डरता हूं। "

    "यही पल जो बाहर खड़ी है, मुझे यकीन है अगर तुम मेरे साथ कुछ वक्त रहे ना, तो तुम्हें मुझसे प्यार हो जाएगा।"आरिका ने पूरे विश्वास के साथ कहा।

    अक्षित ने कहा," दिमाग है या नहीं, कि अमेरिका छोड़कर आई हो? "

    आरिका ने कहा, " मैं तुम्हें चैलेंज देती हूं, अगर तुम मेरे साथ कुछ घंटे के लिए रहे ना तो तुम मुझसे दूर नहीं जा पाओगे, लेकिन तुम्हें तो देवदास बनना है। "

    यह सुनकर अक्षित ने गेट खोल दिया और चिल्लाते हुए कहा, " तुम क्या चाहती हो मुझसे? "

    आरिका ने कहा, " यह खाना खा लो, मैं चुपचाप चली जाऊंगी और तुम्हें परेशान भी नहीं करूंगी। "

    अक्षित को लगा कि अगर वह खाना खा लेगा तो आरिका चली जाएगी।तो वह प्लेट लेकर गेट बंद कर लेता है।

    आरिका ने कहा, " अगर तुमने खाना नहीं खाया और फेंक दिया तो, इसलिए मेरे सामने खाओ। "

    अक्षित ने गेट खोलकर कहा, " तुम क्यों मुझे परेशान कर रही हो? "

    आरिका अक्षित को एक तरफ करके कमरे के अंदर आ गयी और खुश होकर कहने लगी, "जिसके पीछे आधा अमेरिका पागल है और मैं तुम्हारे पीछे पागल हूं।

    "इतनी सुंदर लड़की तुम्हारे कमरे के बाहर खड़े होकर तुम्हें खाने के लिए मना रही है और तुम एटीट्यूड पर एटीट्यूड दिखाए जा रहे हो।"

    आरिका ने कहा, " देखो मैंने तुम्हारा कमरा भी नहीं देखा, सुबह आई थी, तो तुमने भगा दिया था, पर अब देख लेने दो। "

    अक्षित ने कहा, " मेरा कमरा क्या आगरा का ताजमहल है? जो तुम्हें देखना है, बाहर खड़े होकर भी पूरा कमरा दिखता है, तो बाहर खड़े होकर भी तुम देख सकती हो। अब जाओ यहां से।"

    आरिका को भी गुस्सा आ गया और उसने भी अक्षित के गले में बाहें डालकर किस करने लगी।

    "कबूल कर लो मेरे इश्क की बारिश

    भीग कर निखर जाओगे

    हम बदल नहीं सकते हालात की तरह

    साथ रहेंगे तो समझ जाओगे!!"

    _________________________________

    जारी हैं...........

  • 5. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 5

    Words: 1394

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे

    "ख्वाबो के सफर में किस्मत की रजा ना मिली

    ये सजा तो मिली गलतियों की वजह ना मिली

    कैसे करें बयान करें दर्द-ए-दिल का अपने।

    काम काफी आए मगर दिल में जगह ना मिली........"

    आरिका अक्षित को किस कर रही थी,कि अक्षित ने आरिका को धक्का दे दिया।

    ऐसा झटका लगने से आरिका संभल नहीं पाई और पास में रखे टेबल से उसका सर लग गया, जिससे खून निकलने लगा।

    आरिका ने सिर पर हाथ रख के देखा तो खून निकल रहा था, वह अक्षित को देखकर बोली, " क्या तुम पागल हो, तुम्हें अक्ल है या नहीं, एक किसी तो कर रही थी, ऐसे कौन धक्का देता है? "

    अक्षित ने पलट के गुस्से में कहा, " तुम्हारे अंदर शर्म है या नहीं, कितनी बदतमीज हो, निकलो यहां से.......

    जल्दी निकलो मेरे कमरे से........

    आरिका को भी गुस्सा आ गया और कहने लगी, " जा रही हूं दादा जी के पास बोलने की तुमने मेरा सिर्फ फोड़ दिया। "

    अक्षित ने भी गुस्से में कहा, " और क्या कहोगी? तुम मुझे किस कर रही थी और मैं तुम्हें धक्का दे दिया और तुम गिर गई,जिससे तुमने चोट लग गई, तो जाओ और सच्च ही बोलना जाकर नाना जी को।"

    आरिका ने स्माइल करके अक्षित को देखा और फिर बोली, " पहले मेरी चोट पर बैंडेज कर दो। "

    अक्षित ने भी चुपचाप आरिका की चोट को डेटोल से साफ किया और फिर बैंडेज कर दी।

    आरिका ने कहा, "तुम्हें क्या मैं इतनी पागल लगती हूं जो दादाजी को यह कहूंगी कि मैं तुम्हें किस किया, मैं तो उनको ये कहूंगी कि अक्षित ने मुझे जबरदस्ती किस किया और मेरे मना करने पर धक्का दे दिया, जिससे मैं संभाल नहीं पाई और चोट लग गई। "

    आरिका की बात को सुनकर अक्षित को गुस्सा आ गया, उसने गुस्से में कहा, "तुम अमेरिका से ही आई हो ना, तुम्हें देखकर लगता है तुम पागल हो और तुम्हारे अंदर अक्ल तो बिल्कुल भी नहीं है,जाओ जाकर पहले डॉक्टर को दिखाओ, कितना झूठ बोलती हो तुम, झूठी कहीं की, नाना जी से झूठ बोलोगी। "

    आरिका ने भी चिढ़ाते हुए कहा, "हां मैं दादा जी को यही कहूंगी जाकर अक्षित मुझे किस कर रहा था और उसने ही मुझे धक्का दिया, जिससे मेरे चोट लग गई।"

    बाय मैं जा रही दादा जी से तुम्हारी शिकायत करने।

    अक्षित ने देखा की आरिका गेट से बाहर निकल गई है। तो जल्दी से बाहर आया और आरिका की बाजू को पकड़ के अपने कमरे के कमरे में लाकर गेट को लॉक कर दिया।

    अक्षित ने आरिका का हाँथ छोड़ा और पूछा, "क्या चाहती हो तुम?"

    आरिका ने कहा, "जो किस अधूरी रह गयी थी अब वो तुम पूरी करोगे।

    अक्षित ने जब पूरी बात सुनी तो jm गया और उसकी नजरे झुक सी गई उसने हकलाते हुए कहा,"म... म..मैं नहीं करूंगा कुछ भी, जाओ यहां से अब ।"

    आरिका ने कहा, " ठीक हैं, मैं जा रही हूँ दादाजी के पास। "

    अक्षित ने कहा, " तुम क्यों मुझे परेशान कर रही हो, ऐसा कहीं होता है क्या, मैं नहीं करूंगा कुछ। "

    आरिका ने अक्षित के दोनों हाथों को पकड़ के कहा, "क्यूँ नहीं होता ऐसा।"और फिर आरिका ने अक्षित के हाथों को अपनी कमर पर लपेट लिया, और अक्षित की कॉलर को पकड़ करो अपने पास खींच लिया और किस करने लगी।

    आरिका और अक्षित दोनों की आँखे बंद थी। अक्षित कोई रिएक्ट नहीं कर रहा था, पर उसके कान लाल हो गए थे। आरिका अक्षित को फील करो रही थी।

    कुछ मिनट बाद अक्षित ने आरिका को खुद से दूर झटक दिया।

    अक्षित की नज़रे अभी भी झुकी हुई थी, उसने कहा, " तुम जो चाहती थी,हो गया ना, अब चली जाओ मेरे कमरे से। "

    आरिका ने कहा, " ऐसे कैसे चली जाऊं, मैंने तुम्हें किस करना सिखाया, अब तुम मुझे एक डीप किस करो, मैं भी तो देखूं, तुमने किस करना सीखा है या नहीं, वैसे तो तुम फील नहीं कर रहे थे, चुपचाप खड़े थे, जब तक तुम मुझे किस नहीं करोगे, मैं नहीं जाऊंगी। "

    अक्षित तो नजरे भी नहीं मिल पा रहा था। क्योंकि भले ही उसकी गर्लफ्रेंड (प्रियंका) थी। पर उसने कभी कुछ नहीं किया था। उनके बीच कभी कुछ नहीं हुआ था और अक्षित ने कभी नहीं सोचा था, कि कभी उसकी जिंदगी में ऐसी सिचुएशन भी आएगी, कि आरिका को उसे किस करना पड़ेगा।

    आरिका ने कुछ पल सोचा फिर उसे लगा कि अक्षित को बहुत परेशान कर चुकी है, तो अब ज्यादा परेशान करना ठीक नहीं होगा, तो उसने कहा तुम पहले खाना खा लो, मैं चुपचाप चली जाऊंगी और लौट के नहीं आऊंगी। "

    अक्षित को लगा अब कोई रास्ता नहीं है, तो वह खाने की प्लेट लेकर खाना जल्दी-जल्दी खाने लगा।

    आरिका ने कहा, " आराम से खाओ, नहीं तो मैं नहीं जा रही और तुम्हें मुझे किस भी करना पड़ेगा, तो सोच लो और आराम से खाओ। "

    आरिका की बात सुनकर अक्षित सही से खाना खाने लगा और खाना खाने के बाद प्लेट आरिका को दे दी और कहा, "अब जाओ और प्लीज मुझे परेशान मत करना, ना इस तरफ आना। "

    आरिका प्लेट लेकर जाने लगी और गेट के पास खडे होकर बोली, " ओके हमदम कल तो मुझे किस करोगे, भूल मत जाना, वरना दाड़ा जी से शिकायत कर दूंगी। " इतना कहकर आरिका वहां से चली गई।

    अथर्व का ऑफिस

    "तुम ही तो हो जो महसूस होती हो हर लम्हा....

    तुम ना होती तो शायद धड़कने एक शोर सी लगती......"

    अथर्व अपने लैपटॉप में काम कर रहा था। उसके ठीक सामने एक विंडो थी और पूरी कांच से बनी हुई थी। जिसके बाहर का सब देखा जा सकता था, पर बाहर से कोई अंदर नहीं देख सकता था। अथर्व विंडो के बाहर देखने लगा, जहां एक लड़की बैठी हुई थी। जो कुछ काम कर रही थी, उसने हल्के गुलाबी रंग का सूट पहना था और दुपट्टा गले में डाला हुआ था, वह लड़की बहुत सुंदर थी।

    अथर्व काम तो कर रहा था, पर साथ ही साथ वह उस लड़की को भी बार-बार देख लेता था।

    अथर्व ने अपने मन में कहा, "एक साल से ज्यादा हो गया, पर यह लड़की मेरे दिल की बात ही नहीं समझती, कब मैं हिम्मत करके अपने दिल की बात उसे कह पाऊंगा। "

    अथर्व ने फोन करके, " कहा गोरी को मेरे केबिन में भेजो। "

    वह लड़की जिसने गुलाबी रंग का सूट पहना हुआ था, गले में दुपट्टा डाल रखा था, देखने में बहुत सुंदर थी, उम्र करीब 20 के आस-पास होगी, अथर्व की केबिन में आई।

    गौरी की नज़रें झुकी हुई थी, वह अथर्व को देख भी नहीं रही थी, गोरी ने अथर्व से कहा, " सर आपने बुलाया, कुछ काम था क्या आपको? "

    अथर्व की नजरे जो की गोरी के ऊपर थी थी, अथर्व गोरी की झुकी हुई नजरों को देखकर अपने मन में बोला, "इतना समय हो गया साथ काम करते हुए, लेकिन तुमने कभी मेरी तरफ एक नजर देखा भी नहीं, क्या मैं इतना बुरा हूं।"

    अथर्व अपने ख्याल को झटक के एक फाइल लेकर गोरी को देकर कहा, " इसे पड़ कर शाम तक कंप्लीट कीजिए और मुझे दिखाइए। "

    गोरी जाने लगी की अथर्व ने कहा, "मिस गोरी।"

    गौरी रुक कर खड़ी हो गई, तो अथर्व धीरे-धीरे उसके करीब बढ़ने लगा, जिससे गोरी थोड़ी घबराने लगी।घबराहट उसके चेहरे पर दिखाई दे रही थी, उसकी नज़रें अभी भी झुकी हुई थी, वह अथर्व के कदम ही देख रही थी, जो उसके करीब भी बढ़ रहे थे।

    अथर्व गोरी के बिल्कुल पास आकर खड़ा हो गया और धीरे से गोरी के कान में कहा, " मेरे लिए एक कप कॉफी भेज देना। "

    गोरी की आँखे हल्की सी नम हो गई थी और उसकी आंख से एक आंसू बह कर उसके गाल तक आ गया, गोरी ने हां में सिर हिलाया और चली गई।

    "कब उनके लबों से इज़हार होगा

    दिल में किसी कोने में हमारे लिए भी प्यार होगा

    गुजर रही अब तो ये रातें बस इसी सोच में कि शायद उनको भी हमारा इंतजार होगा....!!!!"

    गोरी के जाने के बाद अथर्व के चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गयी, और वो वहीं दिवार से लगकर खड़ा हो गया, और उसने अपनी आँखे बंद कर ली, फिर अपने मन में कहने लगा, "तुम तो बिना देखे ही जान ले लेती हो। एक मैं हूँ जो पूरे दिन तुम्हें देखता रहता हूँ और एक तुम्हारी घबराहट ने तो मेरा कत्ल ही कर दिया।

    _________________________________

    जारी हैं..........

  • 6. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 6

    Words: 1198

    Estimated Reading Time: 8 min

    "मैं रंग दिया हर पन्ना तेरे नाम से

    मेरी किताबों से पूछ इश्क किसे कहते हैं।।"

    अब आगे

    ऑफिस ऑवर खत्म हो गया था। शाम के 5:00 बजे अथर्व अपनी केबिन से बाहर निकल कर घर जाने के लिए आया, तो देखा सभी एम्पलाय काम्या का बर्थडे सेलिब्रेट कर रहे थे। वहीं कुछ दूरी पर गोरी भी खड़ी होकर सबको देख रही थी। अथर्व गोरी के जस्ट पीछे ही खड़ा हो गया और गोरी को ही देखने लगा।

    काम्या केक कट कर रही थी, सभी क्लैपिंग कर रहे थे, काम्या ने सबको केक खिलाया और सब ने काम्या को विश किया और सभी उसको भी खिलाने लगे।

    काम्या ने एक रेड कलर की शॉर्ट ड्रेस पहनी हुई थी जो ऑफ शोल्डर थी। काम्या एक घमंडी लड़की थी। उसके चेहरे पर एटीट्यूड हमेशा बना रहता था।

    काम्या की दोस्त पारुल ने कहा, " जाओ जाकर गोरी को भी खिला दो और साथ ही अथर्व सर भी वहां खड़े हैं,उनको भी खिला देना।"

    काम्या पारुल की बात मानते हुए गोरी की तरफ चली गयी, उसने गोरी को केक खिलाने की जगह उसके कपड़ों पर डाल दिया,जिससे उसके कपड़े खराब हो गए थे, साथ ही उसे धक्का देती है, जिससे वो अथर्व से टकरा गई,ऐसा होने पर गोरी तुरंत अलग होकर देखा तो उसके बॉस थे।

    काम्या गोरी से सॉरी बोल कर, अथर्व को केक खिलाने के लिए दिया, तो उसने मना कर दिया कि मैं केक नहीं खाता।

    काम्या ने कहा, " सर प्लीज मेरा आज बर्थडे है। " पर अथर्व को गुस्सा आ रहा था कि कैसे उसने गोरी को धक्का दिया और केक भी उसके ऊपर गिरा दिया।

    काम्या ने जबरदस्ती खिलाने की कोशिश की तो अथर्व गुस्से से घूरने लगा, जिससे काम्या डर कर चली गयी।

    गोरी आगे बड़ी तो उसका दुपट्टा अथर्व की वॉच में फस गया था। तो गोरी नजरें नीचे करके खड़ी हो गई,पर डर उसके चेहरे पर दिख रहा था।

    अथर्व ने पहले गोरी को देखा, फिर हाथ में अपनी वॉच में फंसे दुपट्टे को निकाल दिया। तो गोरी तुरंत घर जाने के लिए लिफ्ट की तरफ चली गयी। अथर्व ने देखा गोरी गई।तो उसने गुस्से से काम्या को देखा और कहा, " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई गौरी को परेशान करने की? "

    काम्या डर गई और उसने झट से कहा, "आई एम सॉरी सर। "इतना कहकर वह वहां से चली गई।

    अथर्व भी लिफ्ट की तरफ चला गया।वहां जाकर देखा तो गोरी लिफ्ट का इंतजार कर रही थी। लिफ्ट आने पर दोनों उसमें चले गए।अथर्व अपने मन में सोचने लगा काश लिफ्ट रुक जाए। अचानक लिफ्ट खराब हो गयी, पर गोरी परेशान हो गई और वह घबराने लगी।

    "नजर चाहती है दीदार करना

    यह दिल चाहता है तुम्हें प्यार करना!"

    लिफ्ट रुकने पर अथर्व खुश हो गया। उसके मन की इच्छा जो पूरी हो गई थी। वह एक टक गाेरी को देखे जा रहा था।

    करीब 20 मिनट बाद लिफ्ट ठीक हुई और लिफ्ट ओपन हुई तो उसमें एक 40 के करीब का आदमी अंदर आया, उसने अथर्व से हाथ मिलाते हुए कहा, "हैलो मिस्टर अथर्व ठाकुर।काफी टाइम बाद मिलना हुआ आपसे कैसे हैं आप?"

    अथर्व को उसका इस वक्त आना कुछ ठीक नहीं लगा। क्योंकि वह कुछ देर गोरी को देखना चाहता था।लेकिन उसने कहा, " हेलो मिस्टर विमल चौहान आप बताइए। "

    विमल बात तो अथर्व से कर रहा था पर उसकी नज़र गौरी पर थी। जो अथर्व भी नोटिस कर रहा था।थोड़ी देर में लिफ्ट ग्राउंड फ्लोर पर रुकी।तो अथर्व ने गोरी से कहा, " मिस गोरी आप जाइए, मुझे मिस्टर विमल से कुछ जरूरी बात करनी है। "

    गोरी तो चाहती ही थी कि जल्दी से यहां से चली जाए। वह जल्दी से घर के लिए निकल गई।

    अथर्व मिस्टर चौहान से बात करके घर के लिए निकल गया।बाहर पार्किंग में जब आया तो उसने काम्या और पारुल की बातें सुनी जिसमें पारुल चाहती थी, कि गौरी को काम्या बर्थडे पार्टी में आए और वह उसकी बेइज्जती कर सके।

    काम्या ने कहा, "मैं गौरी को नहीं बुला सकती, वह कैसे कपड़े पहनती है, उसके आने से मेरे फ्रेंड्स मेरा मजाक बनाएंगे और मैं क्या कहूंगी, यह बहन जी मेरे साथ ऑफिस में काम करती है, मेरी क्या इज्जत रह जाएगी, इसलिए मैं उसे नहीं बुलाऊंगी।"

    अथर्व को उनकी बात सुनकर गुस्सा तो बहुत आया। पर कुछ सोचकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई और फिर वह घर के लिए चला गया।

    ठाकुर निवास

    सब हॉल में बैठे शाम का नाश्ता कर रहे थे। दादाजी कुछ दिन के लिए काम से बाहर गए हुए थे।

    अथर्व ने पूछा, "मॉम दादाजी कहां है?दिख नहीं रहे।"

    शांति ने कहा, " दादाजी का फार्महाउस गए हैं कुछ काम से, कुछ दिन में आ जाएंगे। "

    तभी शालू ने कहा, " मां पापा कब आएंगे, मुझे उनकी याद आ रही है। "

    शांति ने कहा, "बेटा कुछ दिन में काशी का काम खत्म करके आ जाएंगे, आज ही बात हुई थी फोन पर, पापा ने कहा था। "

    शांति ने कहा, " अब कोई सवाल नहीं चुपचाप नाश्ता करो। "

    आरिका ने कहा, "आंटी जी लास्ट क्वेश्चन प्लीज, अक्षित कब आएगा, नाश्ता करने।"

    शांति ने सवाल सुनकर अक्षित के कमरे की तरफ देखकर कहा, " लो आ गया। "

    अक्षित को देखकर आरिका के चेहरे पर प्यारी सी स्माइल आ गयी। अक्षित जाकर अथर्व और शालू के पास बैठ गया।

    आरिका ने शालू से कहा, " शालू तुम मेरी जगह बैठ जाओ ना। "

    शालू ने पहले अक्षित और फिर आरिका दोनों की तरफ देखा।फिर मुस्कुरा के खड़ी होकर कहा, " जी दी, आप यहां बैठ जाइए। "

    आरिका अक्षित के पास बैठ कर धीरे से बोली, " तुमने अभी तक किस नहीं किया है। दो दिन हो गए हैं। "

    अक्षित हैरानी से आरिका को देखने लगा फिर उसने अपने मन में कहा, "यह लड़की सच में पागल है, कुछ भी कहती है, निकल ले यहां से, इसी में भलाई है।"इतना कहकर वह जाने लगा कि आरिका ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    ऐसा होते हुए बुआ दादी ने देख लिया।वह आरिका से बोली,"आरिका तुमने इसका हाथ तो पकड़ लिया, पर देखना कहीं ऐसा ना हो तुम भी इसकी तरह सांवली ना हो जाओ।"

    आरिका को दादी बुआ की बात पर गुस्सा तो बहुत आया। उसने अक्षित के दोनों हाथ कस के पकड़ लिए और अपना गाल अक्षित के गाल से रगड़ने लगी। फिर उसने शालू की तरफ देखकर पूछा, "शालू देखना तुम्हारे भाई का रंग मुझ पर चढ़ा क्या? "

    शालू हैरानी से आरिका को देखकर ना में गर्दन हिला दी।

    आरिका ने दूसरा गाल भी फिर अक्षित के गाल से रगड़ के अथर्व की तरफ देखकर पूछा, "अथर्व देखना तुम्हारे भाई की तरह मैं सांवली हो गई क्या? "

    अथर्व हैरानी से उसे देखा और ना में सिर हिला दिया।

    फिर आरिका ने हंस करो दादी बुआ से कहा, " मेरे ऊपर तो अक्षित का रंग चढ़ा नहीं, पर मैं दिल से चाहती हूं कि मेरे ऊपर अक्षित का रंग चढ़े। "

    आरिका की बात सुनकर अक्षित ने एक झटके में अपने दोनों हाथों को खींचा और आरिका पर गुस्सा करके कहा, " तुम्हें तमीज नहीं है, छोटे-बड़ों का लिहाज सब भूल गई हो, तुम्हारे अंदर तो रत्ती भर शर्म भी नहीं है, तुम ऐसा कैसे कर सकती हो। " इतना कहकर अक्षित गुस्से में बाहर चला गया।

    _________________________________

    जारी हैं........

  • 7. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 7

    Words: 1060

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    अक्षित गुस्से में बाहर निकल ही रहा था। कि उसे घर के अंदर पुलिस आती दिखी, जिससे वह वहीं रुक गया, तब तक इंस्पेक्टर विवेक और कुछ हवलदार अंदर आ गए।

    विवेक 26 साल का लड़का था। जो ठाकुर फैमिली को बहुत अच्छे से जानता था। उसका अक्षित फैमिली से हमेशा ही मिलना जुलना रहता था। इसलिए अक्षित और विवेक अच्छे दोस्त हैं। दोनों ही बहुत अच्छे से एक दूसरे को जानते हैं। जरूरत पडने पर एक दूसरे की मदद भी करते हैं।

    अक्षित ने विवेक को देखकर पूछा, " तुम यहां इस वक्त क्या कर रहे हो? "

    विवेक ने कहा, " मैं यहां मिस आरिका सिंहा को मर्डर केस में अरेस्ट करने आया हूं। "

    विवेक की बात सुनकर सभी लोग शॉक्ड होकर अपनी जगह पर खड़े हो गए।

    विवेक की बात सुनकर आरिका को घबराहट होने लगी।

    आरिका ने अक्षित और विवेक के पास आकर कहा, "इंस्पेक्टर सर मैंने ऐसा कुछ नहीं किया, फिर आप ऐसा क्यों कह रहे हैं? मैं तो कुछ दिन पहले ही अमेरिका से आयी हूं। "

    इंस्पेक्टर ने कहा, " मैडम जिस रात आप आई थी,उस रात आपने करण खन्ना को जान से मार दिया।

    आरिका ने घबराहट के साथ कहा, " मैं किसी करण खन्ना को नहीं जानती, तो मैं क्यों उसे मारने लगी, कौन है करण खन्ना? "

    अक्षित ने बीच में आते हुए कहा, " विवेक मुझे लगता है तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। आरिका तो किसी को जानती भी नहीं है। और कुछ दिन ही हुए हैं उसे यहां आए हुए। तुम कह रहे हो कि उसने मर्डर कर दिया।"

    . विवेक ने कहा, " जिस रात यह मैडम आई थी उसी रात इन्होंने करण खन्ना को मार दिया। हमारे पास सबूत है, की मर्डर इन्होंने ही किया है और जब खून हुआ तब यह उनके साथ ही थी।"

    अक्षित ने आरिका की तरफ मुड़ कर कहा, " तुम जिस रात आई थी किसके साथ थी और क्या कुछ किया है तुमने? "

    आरिका ने कहा, "वो.. मैं.... वो मैं कारण के साथ ही थी, लेकिन वह तो मेरा एक दोस्त था और मुझे नहीं पता था उसका नाम करण खन्ना है।"

    अक्षित ने गुस्से से आरिका को घूरा फिर कहा, "तुमने उसे जान से क्यों मारा? ऐसा क्या किया था उसने?"

    आरिका ने नज़रे नीचे करके कहा, " वह मेरे साथ बदतमीजी कर रहा था, तो मैंने उसके सर पर दो हॉकी स्टिक मार दिया और वहां से भाग गई, मुझे नहीं पता था कि दो बार हॉकी के मारने से वह मर जाएगा। "

    अक्षित ने अपने सर को हाथ से सहलाया फिर कहा, " तुम समझ नहीं रही हो, तुमने जिस इंसान को मारा है, वह यहां के सबसे बड़े बिजनेसमैन रघुनाथ खन्ना का पोता करण खन्ना था, तुम कहीं भी चली जाओ वह तुम्हें आकाश-पाताल कहीं से भी ढूंढ कर मार देंगे। "

    विवेक ने कहा, " अक्षित अभी हमें इनको पुलिस स्टेशन लेकर जाना होगा और तुम हमें अपना काम करने दो। "

    अक्षित ने कहा, "मैं आरिका की पूरी जिम्मेदारी लेता हूं, तुम जब कहोगे जहां कहोगे मैं लेकर आ जाऊंगा।"

    विवेक ने कहा, " फिर भी लेकर जाना ही होगा, क्योंकि यह एक मर्डर केस। "

    अक्षित ने कहा, " देख विवेक नाना जी भी इस वक्त यहां नहीं है, तू मेरी बात समझ ना। "

    विवेक ने कहा, " मैं तेरी बात समझ रहा हूं, पर मैं तेरी कोई मदद नहीं कर सकता, क्योंकि हमें ऊपर से आर्डर मिला है, मैं इसे लेकर नहीं गया तो वह लोग इसे मार देंगे। "

    अक्षित विवेक की बात समझ रहा था।उसने आरिका को देखकर कहा, " तुम विवेक के साथ जाओ, मैं कुछ ही देर में आता हूं। "

    आरिका डरी हुई थी। उसने अक्षित का हाथ पकड़ लिया और डरते हुए बोली, " मैंने कुछ नहीं किया है। मैं नहीं जाऊंगी, प्लीज तुम इसे कहो ना। "

    अक्षित आरिका को समझाते हुए बोला, " तुम विवेक के साथ जाओ, मैं कुछ देर में आता हूं बेल के पेपर लेकर। "

    विवेक ने कहा, " तुम्हें लगता है कि आरिका को बेल मिलेगी? रघुनाथ खन्ना इसकी बेल नहीं होने देगा। "

    अक्षित ने कहा, " मैं जानता हूं वह लोग कैसे हैं, पर एक कोशिश तो करनी ही पड़ेगी ना और आरिका हमारी मेहमान है, मैं कोई ना कोई तरीका निकाल ही लूंगा, तुम बस आरिका का ध्यान रखना, मुझे नहीं लगता कि करण को इसने मारा होगा। "

    विवेक ने हां में सिर हिलाया और आरिका को लेकर जाने लगा।

    आरिका ने पीछे मुड़कर अक्षित की तरफ देख कर कहा, "प्लीज, 'हमदम' मुझे बचा लो, मैं तुम्हें कभी परेशान नहीं करूंगी।" आरिका की आंखों में आंसू थे।

    अक्षित ने आरिका को देख कर कहा, " भरोसा रखो मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा। "

    अथर्व अक्षित के पास आया और बोला, "अब क्या होगा भाई? यह तो बहुत भोली और मासूम लगती है, मुझे नहीं लगता यह किसी को मार भी सकती है? "

    अक्षित ने कहा, " लगता तो मुझे भी नहीं है कि इसने किसी को मारा होगा, पर किसी ने तो करण खन्ना को मारा है, जिसमें इसको फसाया है, मैं जानता हूं। "

    अक्षित वहां से अपने ऑफिस के लिए निकल गया।

    अथर्व, शालू, बुआ दादी, शांति जहां खड़े थे वहीं खड़े रहे।

    अथर्व ने तुरंत दादाजी को फोन लगाया और सारी बात बता कर जल्दी से जल्दी आने के लिए कह दिया।

    अक्षित अपने ऑफिस आया तो बहुत परेशान था और उसे गुस्सा भी बहुत आ रहा था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करना है और क्या नहीं? वह क्या करें और कैसे करें? क्योंकि आरिका पर खून का इल्जाम लगा था और इसमें बेल मिलना मुश्किल था।

    अक्षित ने बेल बजाई तो उसका असिस्टेंट अंदर आया, जिसका नाम रूद्र हैं।

    रुद्र एक डैशिंग स्मार्ट एंड शार्प माइंड का लड़का है।

    अक्षित को ऑफिस में किसी पर सबसे ज्यादा भरोसा है, तो वह रूद्र पर है।

    रूद्र ने अभी ही लॉ की स्टडी कंप्लीट की है और पिछले 6 महीने से अक्षित के साथ काम कर रहा है।

    रुद्र जब पहली बार शालू को देखा था तब से ही उसे पसंद करता है और उसका अक्षित के साथ जॉब करने का कारण भी शालू ही है, अक्षित के साथ काम करने से वह शालू को देख सकता था।

    ________________________________

    क्या आरिका ने ही करण खन्ना का मर्डर किया हैं?

    क्या अक्षिय बचा पाएगा आरिका को?

    जानने के लिए पढ़ते रहिये.........

  • 8. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 8

    Words: 1239

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे

    अक्षित ने कहा, "मुझे करण खन्ना की सारी इनफार्मेशन चाहिए। जितनी जल्दी हो सके।"

    रूद्र ने कहा, "अब क्या किया करण ने?"

    अक्षित ने कहा, "करण खन्ना की मौत हो गई है। "

    रूद्र ने कहा, " जिसने भी यह काम किया बहुत ही पुण्य का काम किया है। "

    अक्षित ने कहा, " मेरे नाना जी की फ्रेंड की पोती अमेरिका से इंडिया आयी है, उसी रात करण खन्ना का मर्डर हो गया और इसका इल्जाम आरिका पर लगा है। "

    मैं (अक्षित)आरिका की तरफ से केस लड़ रहा हूं, जो जल्दी से सारी इनफार्मेशन लाकर दो। "

    रूद्र ने कहा, "मुझे तो बेल होना मुश्किल लग रहा है।वह लोग आरिका की बेल नहीं होने देंगेm"

    अक्षित ने अपने माथे पर हाथ रख के परेशान होकर कहा, " मुझे पता है वह लोग बेल नहीं होने देंगे।पर कोशिश तो करनी पड़ेगी ना। "

    रूद्र ने कहा, " जी सर, मैं लेकर आता हूं करण खन्ना की सारी इनफार्मेशन। "

    इतना कहकर वह केबिन से चला गया।

    कुछ घंटे बाद रूद्र करण की फाइल लेकर आया।रूद्र ने अक्षित को करण की इनफार्मेशन पढ़कर सुनाने लगा, " करण खन्ना हाइट 5 फुट 10 इंच, ऐज 23 साल, प्ले बॉय, नशेड़ी, जुआरी, किस्म का लड़का था। एक बार एक रेप केस भी हुआ था। लेकिन शायद करण खन्ना ने वह दबा दिया था। "

    " सर शॉट में कहूं तो आरिका मैडम ने बहुत अच्छा काम किया है, एक बड़े राक्षस को दुनिया से कम करके। "

    अक्षित ने अपने मन में सोचा, " पर बेल किस बेस पर करवाऊ? "

    अक्षित और रुद्र ने कुछ घंटे में सबूत इकट्ठे किए ओर पुलिस स्टेशन के लिए निकल गए।

    पुलिस स्टेशन पहुंच के अक्षित विवेक के केबिन में चला गया। विवेक वहां कोई फाइल रीड कर रहा था।

    अक्षित ने टेंशन में कहा, " मुझे यह बताओ कि क्या स्टेटस है? "

    विवेक ने कहा, " पूरे 10 करोड़ दिए हैं खन्ना ने टॉर्चर करने के लिए। "

    यह सुन अक्षित और परेशान हो गया।

    अक्षित ने कहा, " वह बहुत नाजुक है, एक थप्पड़ भी नहीं सह पाएगी और उसको टॉर्चर किया तो जिंदा नहीं बचेगी। "

    विवेक ने कहा, " मैं आज रात उसे टॉर्चर नहीं करूंगा।कल तक तुम उसे कैसे भी बेल करवा लो। नहीं तो आगे मैं कोई हेल्प नहीं कर पाऊंगा। क्योंकि ऊपर के सभी ऑफिसर बिके हुए हैं। वह लोग बिना टॉर्चर के नहीं मानेंगे। "

    अक्षित ने कहा, " मैं आरिका से मिल सकता हूं? "

    विवेक ने मिलने के लिए हां कर दिया।

    अक्षित तुरंत आरिका के सेल के पास आ गया।

    आरिका अक्षित को देख कर जोर-जोर से रोने लगी और अक्षित के गले लग गयी।

    आरिका ने कहा, "अक्षित तुमने कहा था की तुम जल्दी आओगे, पर तुम पूरे 5 घंटे लेट हो।"

    अक्षित ने आरिका की कमर को रब करते हुए कहा, " तुम परेशान मत हो, सब ठीक हो जाएगा, तुम मुझे बताओ क्या तुमने करण को मारा है? सच-सच बताना? "

    आरिका ने कहा, " मैंने उसे नहीं मारा, मैंने तो सिर्फ दो बार हॉकी से सर पर बार किया था, मुझे नहीं पता था वह इतने में ही मर जाएगा।"

    आरिका ने कहा, "अक्षित मुझे यहां अच्छा नहीं लग रहा है, मुझे बहुत डर लग रहा है,

    मुझे यहां नहीं रहना है, मैं कभी तुम्हें परेशान नहीं करूंगी, मुझे यहां से ले चलो।"

    अक्षित ने कहा, " मेरी बात सुनो, परेशान होने से कुछ नहीं होगा, तुम्हें खुद को संभालना होगा, बेल मिलना आसान नहीं है..... तुम समझ रही हो ना, आज बेल नहीं हो पाएगी, कल कोर्ट में कुछ एविडेंस सबमिट करने होंगे, तब कहीं तुम्हारी बेल हो पाएगी, आज रात में यही जेल में रहना होगा। "

    यह सुनकर आरिका फुट-फुट कर रोने लगी। आरिका ने रोते हुए कहा, " मैं यहां नहीं रह सकती, मुझे यहां डर लग रहा है, मैं यहां नहीं रहूंगी। "

    बहुत टाइम तक अक्षित आरिका को समझाता रहा। लेकिन आरिका अक्षित को छोड़ ही नहीं रही थी।

    विवेक के ऑफिस में रूद्र और विवेक बातें कर रहे थे। विवेक ने कहा, " एक घंटा हो गया, अक्षित अभी तक नहीं आया, कहीं मैडम से ही चिपक तो नहीं गया। "

    रूद्र ने कहा, " ऐसी बात नहीं है, अभी उनका दिल टूटा है, तो इतनी जल्दी किसी पर भरोसा नहीं करेंगे, वह तो उनके नाना जी की फ्रेंड की पोती है, इसलिए एफर्ट लगा रहे हैं। "

    अक्षित ने देखा आरिका उसे जाने नहीं दे रही है, तो उसने आरिका को समझाते हुए कहा, " मैं विवेक से मिलकर आता हूं, अगर वह कहेगा तो मैं यहीं रुक जाऊंगा। " आरिका को समझा कर अक्षित विवेक के पास चला गया।

    विवेक ने अकक्षित को देखकर कहा, " मिल आए आरिका से? "

    अक्षित ने कहा, "बहुत डरी हुई हैं, क्या मैं आज यही लॉकअप में रुक सकता हूँ क्या?"

    रुद्र और विवेक में जब यह सुना तो दोनों की आँखे बड़ी-बड़ी हो गयी और शॉक्ड होकर एक दूसरे को देखने लगे।

    विवेक ने कहा, "तुझे पता है यह अलाउड नहीं है, पर मैं अपने रिस्क पर तुझे रुकने दे सकता हूं, क्योंकि आज रात मेरी शिफ्ट हैं, तो रुक सकता है।"

    अक्षित ने कहा, " तो मैं रुक जाता हूं। "

    अक्षित ने रूद्र से कहा, " मेरा लैपटॉप और करन की फाइल ले आओ, मैं यहीं से बाकी का काम करूंगा। "

    अक्षित आरिका के पास आ गया।

    विवेक और रूद्र एक दूसरे को आंखें छोटी करके देख रहे थे।जैसे कह रहे हो यह लड़का तो गया।

    रुद्र विवेक के केबिन से ऑफिस के लिए चला गया।

    अक्षित वहां से आरिका के लॉकअप के पास आ गया। वह बाहर आकर खड़ा होकर आरिका को समझा रहा था।

    आरिका अंदर खड़ी रो रही थी। उसकी हालत रो-रो कर खराब हो गई थी।

    अक्षित लगातार उसे समझा रहा था। अक्षित ने कहा, " तुम ऐसे रोओगी तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा। जब तुमने कुछ किया ही नहीं है, तो क्यों डर रही हो ? "

    आरिका ने कहा, "अक्षित मैंने सोचा था कि जब मैं मुंबई आउंगी तो घूमूंगी, छोले-भटूरे और पाव-भाजी, बड़ा पाव खाऊंगी और मुझे क्या पता था, कि यहां आकर पुलिस पकड़ लेगी।"

    अक्षित ने कहा," तुम्हें इस हालत में भी खाने की पड़ी है। "

    आरिका ने रोते हुए कहा, " अगर मुझे फांसी की सजा हो गई, तो क्या तुम मुझे नान, पनीर, पाव भाजी, समोसा, छोले-भटूरे सब खिला दोगे ना? "

    अक्षित ने आरिका की बात पर हंसते हुए कहा, " अगर तुम्हें फांसी की सजा हो जाएगी, तो तुम्हारे मरने से पहले सब खिला दूंगा डोंट वरी। "

    जब तक रूद्र भी आ गया था।

    रूद्र ने फाइल लैपटॉप और कुछ बुक्स अक्षित को दे दी। अक्षित ने अपना सामान लेकर लॉकअप के बाहर ही जमीन पर बैठ गया।

    अक्षित ने देखा आरिका मछर के कारण परेशान हो रही थी।तो उसने रुद्र की तरफ देखा। रूद्र भी अक्षित की बात समझ गया था। रूद्र ने मन ही मन कहा, " सर इश्क आप फरमाए और काम में करु। चलो कोई बात नहीं बड़े साले साहब इतना तो काम में कर ही सकता हूं। "

    रूद्र ने क्रीम लाकर आरिका को देते हुए कहा, " मैडम इसे लगा लीजिए। फिर मच्छर आपको नहीं काटेंगे। "

    आरिका ने रोते हुए क्रीम लेकर लगा ली।

    अक्षित ने थोड़ी देर बाद पूछा, "आरिका कुछ खाओगी?"आरिका ने मना करते हुए कहा,"नहीं मुझे भूख नहीं हैं।"

    _________________________________

    आरिका को बेल मिल पायेगी?

    क्या आरिका अक्षित के दिल में दे रही हैं दस्तक?

    जानने के लिए पढ़ते रहिये.......

  • 9. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 9

    Words: 1368

    Estimated Reading Time: 9 min

    अब आगे

    अक्षित ने कहा, " आरिका कुछ खाओगी नहीं तो कमजोर हो जाओगे। फिर केस कैसे लड़ पाओगी? "

    आरिका ने आंखें बड़ी करके अक्षित की तरफ देखकर कहा, " केस तो तुम लड़ोगे ना, मैं थोड़ी लडूंगी। "

    अक्षित ने गुस्से में कहा, " आरिका मेरी बात क्यों नहीं समझती हो, तुम्हें देखकर अपने बाल नोचने का जी चाहता है। "

    आरिका ने कहा, "तुम्हारे बाल नहीं रहेंगे, तो तुम बिल्कुल अच्छे नहीं लगोगे।"

    अक्षित ने गुस्से में कहा, "अब कुछ खाओगी? "

    आरिका ने हां में सिर हिला दिया।

    अक्षित ने रूद्र की तरफ देखा तो वो समझ गया।

    रुद्र मन में कहता है, "मैं अच्छा खासा लॉयर हूं। देखो यहां नौकर बना रखा है।कोई बात नहीं आपकी बहन से शादी करने के बाद तो यही काम करना है। थोड़ी मेरी भी प्रैक्टिस हो जाएगी। शालू भी मुझसे यही काम करवाएगी।"

    थोड़ी देर में रुद्र खाने के कुछ पैकेट ले आया और आरिका को देते हुए कहा, " लीजिए मैडम खा लीजिए। "

    आरिका ने खोल के देखा तो उसमें छोले भटूरे थे। उसने जल्दी से एक बाइट तोड़ के अक्षित की तरह बढ़ा दिया।

    रूद्र शॉक्ड होकर देखने लगा।उसने मन ही मन कहा, "काश शालू भी मुझे ऐसे ही खिलाती। "

    अक्षित ने गुस्से से कहा, " मुझे भूख नहीं है। "

    आरिका ने कहा, " तो मैं भी नहीं खा रही। "

    "आरिका तुमने डिग्री ली हैं मुझे परेशान करने की? "

    आरिका ने कहा, "तुम नहीं खाओगे, तो मैं भी नहीं खाऊँगी।"

    अक्षित ने कहा, " मुझे काम करना है,अगर खाने बैठ गया तो कल तुम्हारी बेल नहीं कर पाऊंगा। "

    आरिका ने कहा, " मैं तुम्हें मना कर रही हूं क्या काम ना करो? तुम काम करते जाओ, मैं तुम्हें खिलाता जाऊंगी। "

    आरिका अक्षित को बाइट खिलाती गयी और अक्षित भी काम के साथ खाता गया। उसके बाद आरिका ने भी खाना खा लिया।

    थोड़ी देर में आरिका से मिलने दादाजी, बुआ दादी,अथर्व, शांति और शालू सब पुलिस स्टेशन आ गए।

    दादा जी को पुलिस स्टेशन में देख अक्षित जमीन से खड़ा होने लगा। वह खड़ा हो पाता उससे पहले आरिका ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहने लगी, "अक्षित तुम मुझे छोड़ कर जा रहे हो? "

    अक्षित ने कहा, " आरिका नाना जी आए हैं। "

    आरिका ने कहा, " दादाजी आए हैं, तो तुम मुझे छोड़ कर चले जाओगे? "

    अक्षित ने कहा, " छोड़कर नहीं जा रहा, पहले मेरा हाथ छोड़ो और दादाजी और सबसे मिल लो फिर मैं वापस आ जाऊंगा। "

    अक्षित की बात सुनकर आरिका ने अक्षित का हाथ छोड़ दिया।

    रुद्र उन दोनों को ही देख रहा था।रूद्र ने मन में कहा, " अक्षित सर और आरिका मैडम इश्क फरमाएंगे और मैं उनको देखकर अपना जी जलाऊंगा। "

    तभी रुद्र की नजर शालू पड़ गई तो वहीं ठहर गई।

    रुद्र शालू के पास जाकर कहने लगा, "हाय शालू, कैसी हो?तुम्हारी स्टडी कैसी चल रही है? "

    शालू कुछ कहती उससे पहले ही अथर्व ने कहा, "इसकी पढ़ाई अच्छी चल रही है, तुम क्यों पूछ रहे हो?तुम्हें क्या ट्यूशन देना है इसे? "

    रूद्र ने एक फेक स्माइल अथर्व को दी और कहा, "अथर्व.... अथर्व सर कैसे हैं आप?' अथर्व रूद्र को खा जाने वाली नजरों से देख रहा था।

    रुद्र समझ गया और चुपचाप निकलने में ही अपनी भलाई समझी और अपने मन में कहने लगा," यह छोटे साले साहब तो कुछ ज्यादा ही खतरनाक है, पर चलो कोई बात नहीं, शालू के लिए तो मैं कोई भी खतरा झेल सकता हूं।'

    घर के सारे सदस्य आरिका से मिल रहे थे। शांति ने आरिका से कहा, " तुम बिल्कुल परेशान मत होना, अक्षित है ना, वह तुम्हें कुछ नहीं होने देगा। "

    दादाजी ने कहा, "आरिका मैंने तुम्हारे पापा को फोन कर दिया है, कुछ दिन में वह इंडिया आ जाएंगे, तब तक तुम हिम्मत से काम लेना। "

    थोड़ी देर में सब बाहर आ गए, लेकिन बुआ दादी आरिका के पास ही खड़ी थी।

    बुआ दादी ने आरिका को ताने मारते हुए कहा, " आरिका इस खूबसूरती को बचा कर रख, देख तेरी खूबसूरती ने तुझे कहां पहुंचा दिया।"

    आरिका ने थोड़ी तेज आवाज में बुआ दादी से कहा जिसे अक्षित भी सुन सके, बुआ दादी मुझे और मेरी खूबसूरती दोनों को ही अक्षित ही बचाएगा। "

    आरिका की बात सुनकर ना चाहते हुए भी अक्षित के चेहरे पर मुस्कान आ गयी, कहीं ना कहीं अक्षित को आरिका की शरारते अच्छी लगती थी।

    "तेरी मुस्कुराहटों पर हम, अपनी सांसे भी वार जाएं.....

    तू जो संग चले हमारे,हम ये दुनिया हार जाए!!"

    बुआ दादी ने आरिका की तरफ देखकर ना में गर्दन हिलायी और वहां से चली गयी।

    दादाजी जब बाहर आए तो उन्होंने अक्षित की तरफ देखा। अक्षित ने उनको देखकर अपना सर झुका लिया।

    दादाजी ने कहा, " आरिका हमारी मेहमान है, मैं नहीं चाहता कि हमारे मेहमान पर कोई आंच आए और उम्मीद करता हूं, कि तुम इस बार मुझे निराश नहीं करोगे। "

    अक्षित ने हां में से हिलाया।

    दादाजी पूरे परिवार को लेकर वहां से चले गए।सब के जाने के बाद अक्षित वापस सेल के पास आकर जमीन पर बैठकर अपना काम करने लगा। आरिका भी अंदर बैठकर अक्षित को देखती रही।

    रूद्र ने कहा, "यह दोनों रात भर एक दूसरे को देखेंगे और मैं इन्हे देखकर शालू को याद करूंगा। "

    अक्षित और आरिका दोनों रात भर नहीं सोए, अक्षित अपना काम करता रहा और आरिका उसे देखती रही और रूद्र चेयर पर बैठा सो गया।

    अगली सुबह (अथर्व ऑफिस)

    सुबह के वक्त गोरी जब ऑफिस में आयी तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी।गोरी ने देखा तो ऑफिस के सभी एंपलॉयर्स वाइट रंग के कपड़े पहने हुए थे।जितने मेल थे सब ने वाइट रंग का कुर्ता पजामा पहना था और फीमेल ने वाइट रंग का सूट पहना था और सर के ऊपर दुप्पटा ले रखा था।

    यह सब देखकर गौरी के फेस पर एक मुस्कान आ गई जो अथर्व ने देख ली।

    अथर्व ने मन में कहा, " गोरी मुझे पता होता कि ऐसा करने पर तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान आ जाएगी, तो यह ड्रेस कोड तो कब का लगा देता।"

    गोरी ने पास में एक लड़की से पूछा, " आज सब वाइट क्यों पहन के आए हैं? "

    लड़की ने कहा, " सर (अथर्व) ने दो महीने के लिए ड्रेस कोड चेंज कर दिया है,अब दो महीने तक यही कपड़े पहन के आएंगे और जिन्हें प्रॉब्लम है वह यह जॉब छोड़कर जा सकते हैं। " यह बात सुनकर गोरी के फेस पर स्माइल आ गई तो अथर्व में दोबारा नोटिस कर ली।

    गोरी की नजर काम्या पर पड़ी, तो उसे देखकर हंसी आ गयी, पर वह हंसी नहीं, उसने अपनी हंसी को कंट्रोल कर लिया। पर उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान अभी भी थी।

    काम्या को गोरी की हंसी अच्छी नहीं लग रही थी। इसलिए उसने अपने मन में कहा, "गोरी मुस्कुरा लो जितना मुस्कुराना है, बट याद रखना, तुम्हें इसका अंजाम भुगतना पड़ेगा। "

    अथर्व केबिन में बैठा गोरी को ही देख रहा था।उसने 1 साल में पहली बार गोरी की मुस्कान देखी थी। अथर्व को पता नहीं था गोरी हंसती हुई इतनी सुंदर लगती है। उसका मन कर रहा था गोरी ऐसे ही हस्ती रहे और वह उसे देखता रहे।

    "आशिकी के धागे से

    बांधा ही नहीं मैंने तुझे

    रुह के हर रेशे से जुड़ा है

    तेरा-मेरा रिश्ता.."

    गौरी इस बात से अनजान थी की अथर्व उसे अपने केबिन में बैठकर रोज निहारता रहता है।

    गोरी आज खुश थी और गौरी को देखकर अथर्व भी बहुत खुश था।

    गोरी सबको वाइट रंग के कपड़ों में देखकर बहुत खुश थी।क्योंकि सब ने उसका बहुत मजाक बनाया था कपड़ों को लेकर और बहुत बातें भी उसे सुनने को मिली थी।

    लेकिन अब किसी की इतनी हिम्मत नहीं थी, कोई उसे कुछ कह सके, अथर्व ने बिना कहे ही इनडायरेक्टली सबका मुंह तोड़ जवाब दे दिया था।

    थोड़ी देर बाद अथर्व गोरी को अपने केबिन में बुलाता है।

    गोरी उठी और अथर्व के केबिन में आ गयी। आते ही उसकी नजर अथर्व पर पड़ी और उसको देखकर उसकी हंसी छूट पड़ी। पर वह मुंह पर हाथ रखकर पलट गयी। जिससे अथर्व ना देख ले और नज़रे नीचे करके मुस्कुराने लगी। गोरी मुस्कुरा रही है यह बात अथर्व जानता था।

    अथर्व ने कहा, "मिस गोरी आप मुझे देखकर मुस्कुरा सकती हैं। "

    ________________________________

    जारी हैं...........

  • 10. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 10

    Words: 1304

    Estimated Reading Time: 8 min

    गोरी तुम्हारी मुस्करान अथर्व कि जान ही ले लेगी।

    अब आगे

    "तुम्हारे चेहरे पर ये मुस्कान है,

    क्या कहे यही तो हमारी जान है!!"

    अथर्व को देखकर गोरी को बहुत हसीं आ रही थी। लेकिन गोरी अथर्व के सामने हंसना नहीं चाहती थी। इसलिए पलट गई।

    गोरी ने हँसते हुए कहा, "" सर में अभी 5 मिनट में आती हूँ। फिर केबिन से चली गयी।

    गोरी अपनी डेस्क पे गयी और जोर-जोर से हंसने लगी।

    पूरा स्टाफ गोरी को हंसते हुए देख रहे थे। आज गोरी को किसी कि परवाह नहीं थी, वो आज खुलकर हँस रही थी।

    गोरी को देख कर अथर्व को भी हसीं आ रही थी।

    एक स्टॉफ ने गोरी से कहा, "" आप ठीक तो हो ना, क्या हुआ आपको आप ऐसे क्यों हँस रही हो?

    गोरी ने हँसते हुए कहा, "" वो.. वो..अधर्व सर ने आज बाइट कलर का कुर्ता पजामा पहना हुआ है।"

    उस स्टॉफ ने कहा,"तो क्या हुआ? सर ने ये रुल खुद के ऊपर भी अप्लाई किया है। और आने वाले 2 महीने तक सब वाइट कलर ही पहनेंगे।"

    गोरी ने अपनी हसीं को कण्ट्रोल करते हुए कहा, "हां आप ठीक कह रहे हो, बात करने के बाद गोरी अपनी डेस्क पे आई और पानी पिने लगी। गोरी आज बहुत खुश थी।

    गोरी कि हँसी आज रुक ही नहीं रही थी।

    अथर्व गोरी को हँसते हुए देख रहा था। अथर्व ने अपनी आँखे बंद करके कहा," बस भी करो अब, आज ही अपने अथर्व कि जान लेके रहोगी क्या?

    ""देख के तुम्हारी मुस्कुराहट हम होश गंवा बैठे,

    हम होश में आने ही वाले थे कि तुम फिर मुस्कुरा बैठे........""

    पुलिस स्टेशन

    सुबह हो गई थी अक्षित अपना काम कर रहा था, और आरिका दिवार से टेक लेके बैठी अक्षित को ही देख रही थी।

    थोड़ी देर में अक्षित ने आरिका से कहा, " अब हम कोर्ट जायेंगे। आरिका अपोजिट साइड के लॉयर तुमसे बहुत सारे क्वेश्चन करेंगे, प्लीज तुम डरना नहीं, जो सच हो वही कहना।"

    आरिका ने हां में सिर हिला दिया।

    थोड़ी देर में सब कोर्ट पहुंच गये थे।

    अक्षित के साथ नाना जी, शांति, शालू थे।

    दूसरी तरफ रुघुनाथ खन्ना उनका बड़ा बेटा सौरव खन्ना, उनकी पत्नी रिद्धि, और उनका छोटा बेटा पवन आया था।

    रघुनाथ खन्ना का छोटा बेटा, नैतिक खन्ना, उनकी पत्नी निया खन्ना, बेटी सुहानी खन्ना, बेटा जीवन खन्ना आए हुए थे खन्ना का पूरा परिवार अक्षित को गुस्से से देख रहा था।

    रुघुनाथ खन्ना ने अक्षित को चेतावनी देते हुए कहा-, "तुमने गलत इंसान का केस ले लिया, इसके लिए तुम बहुत पछताओगे।"

    "इस लड़की को मैं छोडूंगा नहीं, ये यहाँ से बच भी गई तो मैं इसे जान से मरवा दूंगा।

    अक्षित बहुत शांत था उसने आराम से कहा, "देखिए मिस्टर रघुनाथ खन्ना उस लड़की ने कोई जुर्म किया है तो उसे सजा मिलेंगी ही, अगर नहीं किया है तो वो यहाँ से बाइज्जत रिहा होके जायेगी।"

    अक्षित ने कहा, "रही बात उसे मारने कि, तो जब तक मैं जिन्दा हूँ, आप उसे छू भी नहीं सकते है।"

    कुछ देर में लेडिस कांस्टेबल आरिका को लेके कोर्ट रूम में आने लगी।

    रिद्धि ने आरिका को देखकर गुस्से में कहा, "तुम ही हो ना वो लड़की जिसने मेरे बेटे को मारा है, तुम्हें तो मैं जिन्दा नहीं रहने दूंगी, नरक के दर्शन करवाऊँगी। तुमको ऐसे बच के जाने नहीं दूंगी। मेरे करण कि आत्मा को शांति तब ही मिलेंगी जब तुम मरोगी।"

    उनकी बाते सुनकर आरिका डर गई और नम आंखों से अक्षित को देखने लगी

    अक्षित ने उसे देख कर अपनी पलकें इापकाई जैसे वो कह रहा हो परेशान मत हो मैं हूँ ना।

    कुछ देर में सब कोर्ट के रूम में थे।

    सबने अपनी-अपनी जगह ले ली थी।

    अक्षित के सामने जो अपोसिट लॉयर था उसका नाम राघव देसाई था, और उसका एक्सपीरियंस अक्षित कि उम्र से ज्यादा था। राघव देसाई के सामने अच्छे - अच्छे नहीं टिक पाते थे। अक्षित ये बात बहुत अच्छे से जानता था। कि राघव के सामने बहस करने में बहुत मुश्किल आएगी, लेकिन फिर भी अक्षित अपना बेस्ट देना चाहता था और उसने अपनी पूरी तैयारी कि थी।

    थोड़ी देर में बहस सुरु हो गई। राघव ने अपनी बात रखते हुए कहा,"जज सहाब केस बिल्कुल सिंपल है, ये लड़की उस रात अमेरिका से इंडिया आई। करण से मिलने गई, करण को इसने ब्लैकमेल किया, जब करण ने इसकी बात नहीं मानी तो इसने हॉकी स्टिक से उसके सिर में मारकर सिर फोड़ दिया।"

    जिससे करण कि जान चली गई इसलिए इसे बड़ी से बड़ी सजा मिलनी चाहिए।

    थोड़ी देर बाद अक्षित ने अपनी बात रखी मिस्टर राघव देसाई मुझे आपसे ऐसी उम्मीद नहीं थी, कि बिना प्रूफ के इस लड़की ने ही करण को मारा है, आपने कह दिया इसे बड़ी से बड़ी सजा मिलनी चाहिए।"

    राघव ने कहा, "बहस करने का कोई रीजन ही नहीं है, साफ है कि इस लड़की ने ही करण को मारा है।"

    राघव ने जज साहब से परमिशन मांगी जिससे वो आरिका से सवाल कर सके।

    जज साहब ने परमिशन दे दी।

    राघव ने पूछा," आरिका आप अमेरिका से क्यों आई?

    आरिका ने कहा," मैं करण से मिलने आई थी।"

    राघव ने पूछा,"तुम करण खन्ना को कब से जानती हो, और क्यों मिलने आई थी?"

    आरिका ने कहा, " मैं करण को 4 साल से जानती हूँ, और सोशल मिडिया के थ्रू मिले थे, और उसके बुलाने पर ही इंडिया आई थी।"

    राघव ने कहा," करण ने तुम्हें बुलाया या तुम खुद आई?"

    आरिका ने कहा, "हां क्युकी उसने मुझसे झूठ बोलकर बुलाया था।"

    आरिका ने कहां, " हां मैं अक्षित से मिलने आई थी, मुझसे करण खन्ना 4 साल तक झूठ बोलता रहा था, कि वह अक्षित हैं। मुझे लगा वह अक्षित हैं, इसलिए मैंने उसकी बात पर विश्वास करके बिना कुछ सोचे मिलने आ गई।"

    उसके बाद वो मेरे साथ बतमीजी करने लगा, तो मैंने उसके सिर पर हॉकी मार दी, मुझे क्या पता था कि 2 बार हॉकी मारने से वो मर जायेगा.......बेबकुफ़ कहीं का!!!"

    राघव और आरिका के बीच बहुत बहस हुई लेकिन उस बहस से कुछ साबित नहीं हुआ !!

    फिर अक्षित ने बीच में टोकते हुए कहा," मिस्टर राघव आप कुछ भी साबित नहीं कर पाए, लेकिन में सबूत के साथ ये साबित कर सकता हूँ कि आरिका ने करण का मर्डर नहीं किया !

    फिर आरिका से कहा, " विहेव योर सेल्फ !!"

    राघव ने कहा, "आरिका झूठ करण ने नहीं तुम यहाँ सबसे बोल रही हो, तुमने 4 साल से करण को मैसेज करके परेशान कर दिया। तुम करण खन्ना के थ्रू अपना बिज़नेस खड़ा करना चाहती थी। जब करण ने तुम्हें मना कर दिया, तो तुम गुस्से में आके होकि स्टिक से मारा, जिससे वो ऑन द स्पोर्ट मर गया।"

    आरिका को गुस्सा आ गया उसने गुस्से से कहा, " ओ बुड्ढे आदमी, तुम्हें शर्म नहीं आती, मैं तुम्हारी बेटी कि उम्र कि हूँ, और तुम मुझसे झूठ बोल रहे हो। तुम्हें पता नहीं है, मेरे डेड आ गए ना तुम्हारी चटनी बना देंगे।"

    आरिका कि बात सुनकर सब को हसीं आ गई।

    अक्षित के फेस पर भी एक स्माइल आ गई।

    जज साहब ने कहा, " ऑर्डर ऑर्डर....."

    राघव ने कहा, " आरिका सच बताओ तुमने करण को क्यों मारा?"

    आरिका ने मुँह बनाते हुए कहा,"क्युकी वो बत्तमीज इंसान मेरे साथ बतमीजी करने कि कोशिस कर रहा था।"

    राघव ने कहा, " तुम्हारे कहने का मतलब है वो तुम्हारे साथ रेप करने कि कोशिस कर रहा था !!"

    ये सुनकर आरिका शोक्ड हो गई।

    आरिका ने कहा, " आपको शर्म नहीं आती, मैं आपसे कितनी छोटी हूँ, आप मेरे साथ ऐसे बात कर रहे है, अरे शर्माना तो अक्षित से सीखिये, वो तो अपने नाना जी के सामने नज़रे भी ऊपर नहीं करता।"

    इस बात पर कोर्ट रूम में फिर से सब हंसने लगे।

    रूद्र ने धीरे से अक्षित से कहा,"सर ये कुछ ज्यादा ही इनोसेंट है। यह राघव देसाई इसके मासूम होने का फायदा उठएगा।

    _________________________________

    Hi friend's story Aapko kasi Ig rhi hai.......

  • 11. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 11

    Words: 1141

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    राघव ने थोड़ा सख्ती से कहा मिस आरिका स्मार्ट मत बनिये, आप -अमेरिका से आई, आप करण खन्ना से मिलने गई, आपने अपने बिज़नेस के लिए उसपे फॉर्स किया, जब करण ने मना कर दिया तो आपने गुस्से में उसके सिर पे हॉकी मार दी, करण उसी वक़्त मर गया।

    आरिका ने मुँह बना के कहा नहीं मिस्टर ओल्ड लॉयर, मैं अमेरिका से इंडिया आई, करण खन्ना ने मुझसे झूठ बोला था, वो मेरे साथ जबजस्ती करने कि कोशिस कर रहा था, तो मैं उसके सिर पे हॉकी मार दी, लेकिन मुझे नहीं पता था वो हॉकी मारने से मर जाएगा।

    राघव ने कहा - करण ने आपसे क्या झूठ बोला?

    आरिका ने कहा-उसने कहा कि वो अक्षित हैं।

    ये बात सुनकर अक्षित शोक्ड हो गया।

    दादा जी, शांति, शालू और रूद्र कि तो आँखे बड़ी बड़ी हो गई थी ये बात सुनकर ।

    अक्षित ने मन में कहा - शिट यार....... मैंने तो आरिका से कोई क्वेश्चन नहीं किया, और ये मुझसे मिलने क्यों आई थी? आरिका मुझे जानती हैं क्या?

    राघव ने आगे पूछा, "तुम यहां अक्षित से मिलने आयी थी?"

    आरिका ने कहां - हां मैं अक्षित से मिलने आई थी, मुझसे करण खन्ना 4 साल तक झूठ बोलता रहा कि बह अक्षित हैं। मुझे लगा वह अक्षित हैं, इसलिए मैंने उसकी बात पर विश्वास करके बिना कुछ सोचे मिलने आ गई!!!

    उसके बाद वो मेरे साथ बतमीजी करने लगा, तो मैंने उसके सिर पर हॉकी मार दी, मुझे क्या पता था कि 2 बार हॉकी मारने से वो मर वबकुफ़ कहीं का!!!

    राघव और आरिका के बीच बहुत बहस हुई लेकिन उस बहस से कुछ साबित नहीं हुआ !!

    फिर अक्षित ने बीच में टोकते हुए कहा," मिस्टर राघव आप कुछ भी साबित नहीं कर पाए, लेकिन में सबूत के साथ ये साबित कर सकता हूँ कि आरिका ने करण का मर्डर नहीं किया !"

    अक्षित ने एक फ़ाइल जज सहाब को देते हुए कहा - जज सहाब ये करण कि पोस्ट- माटर्म रिपोर्ट हैं इसके अकॉडिंग उसकी मौत ड्रग के ओवर डोज़ होने से हुई हैं।

    अक्षित ने आगे कहा- इस बात से साफ हैं कि हॉकी मारने से उसकी मौत नहीं हुई, बल्कि ओवर डोज़ कि वजह से हुई है, आरिका बेगुनाह हैं, उसे बाइज्जत बरी किया जाए।

    राघव ने अक्षित कि बात पे बीच में ही कहा- नहीं ऐसे तो आरिका बरी नहीं हो सकती, ये भी हो सकता हैं, इसने ही करण को ओवर डोज़ ड्रय दिए हो।

    बहुत देर तक बहस होने के बाद फाइनली आरिका को बेल मिल गई।

    अधर्व के ऑफिस में

    सुबह से शाम हो गई अथर्व ने कितनी बार ही गौरी को अपने केबिन में बुलाया पर गौरी हर बार कोई बहाना बना कर मना करती रही।

    शाम को जब ऑफिस ऑवर खत्म हुआ तो सभी एम्प्लॉय अपने घर निकल गए, गौरी भी अपना बैग उठाकर जाने लगी तभी अथर्व ने उसे पीछे से आवाज़ दी "मिस गौरी "।

    गौरी ने पलट के देखा तो उसकी नज़र अथर्व पे चली गई, उसने अथर्व को फिर से देखा तो हसीं आ गई, उसने तुरंत ही अपना सिर झुका लिया, गौरी अपनी हंसी रोकने कि नाकाम कोशिस करती रही पर ऐसा हुआ ही नहीं !!

    "ये तेरे इश्क का कितना, हसीन एहसास है, लगता है जैसे तू हर-पल मेरे साथ है,

    मोहब्बत तेरी दीवानगी बन चुकी है मेरी!

    अब जिंदगी की आरजू सिर्फ तेरा साथ है!"

    अधर्व ने कहा -, "कुरते पजामे में इतना फनी लग रहा हूँ कि आप सुबह से हंस रही हैं।

    गौरी ने नज़रे झुका कर ही कहा आई ऍम सॉरी...

    अथर्व ने कहा- कोई बात नहीं हंस लीजिये वैसे भी आप हंसते हुए बहुत अच्छी लगती हैं।

    गौरी जाने लगी कुछ दूर चलने पे उसका दुपट्टा ऐसा लगा किसी ने पकड़ लिया, गौरी को लगा उसका दुपट्टा अथर्व ने पकड़ा हैं!

    गौरी को गुस्सा आ गया, उसने मन में कहां अथर्व बहुत बत्तमीज हैं, उसने पीछे पलट के देखा तो अथर्व दूर खड़ा था और उसके हाथ में कुछ नहीं था। गौरी ने दूसरी तरफ देखा तो डेस्क में उसका दुप्पटा फसा हुआ था।

    गौरी ने अपना दुप्पटा निकाला और शर्मिंदा होके चली गई। अथर्व के फेस पे स्माइल आ गई।

    दूसरी तरफ कोर्ट रूम के बाहर

    अक्षित ने मामी से कहा- मामाजी आप सब घर जाइए, मैं कुछ पेपर वर्क कम्पलीट करके आरिका को लेके घर आ जाऊँगा।

    1 घंटे बाद अक्षित अपनी गाडी ड्राइव कर रहा था। और आरिका पैसेंजर सीट पे गुमसुम सी बैठी थी। अक्षित उसकी ख़ामोशी को समझ रहा था।

    अक्षित आरिका से बहुत सारे क्वेश्चन पूछना चाहता था, पर ये वक़्त उसे अपने क्वेश्चन पूछने के लिए सही नहीं लगा।

    कुछ देर बाद दोनों घर पहुंच गए। अक्षित ने गाडी पार्क कि और आरिका कि तरफ देखा जो कहीं खोई हुई सी थी, उसकी आँखो में आंसू थे।

    अक्षित ने आरिका से कहा- घर आ गया।

    आरिका ने गाडी का गेट खोला और घर के अंदर चली गई।

    अगले ही पल सब डाइनिंग टेबल पे डिनर कर रहे थे, लेकिन आरिका का ध्यान ही कहीं और था, वो अपनी प्लेट में चम्मच घुमा रही थी, सबका ध्यान आरिका कि तरफ ही था।

    शांति ने कहा - आरिका तुम कुछ खा क्यों नहीं रही हो, थोड़ा सा तो कुछ खा लो। आरिका कुछ नहीं बोली !

    दादी बुआ ने ताने मारते हुए ही कहा- बिचारी के गले से कहा कुछ उतरेगा, इतना बढ़ा इल्जाम जो लगा हैं इसके सिर पर तो खाना कैसे खाइएगी।

    आरिका इतनी दुखी थी उसने आज दादी बुआ कि किसी बात का जवाब नहीं दिया।

    और वो वहाँ से उठकर अपने कमरे कि तरफ चली गई।

    रात में अक्षित अपने कमरे में केस स्टडी कर रहा था। तभी गेट नॉक हुआ, उसने गेट खोला तो वहाँ आरिका खड़ी थी।

    अक्षित ने पूछा- इतनी रात को यहाँ क्या कर रही हो। आरिका बहुत दुखी लग रही थी, ऐसा लग रहा था, जैसे अभी रोकर आई हैं।

    आरिका ने कहा - मुझे नींद नहीं आ रही, क्या मैं तुम्हारे पास सो जाऊं।

    आरिका कि बात सुनकर अक्षित हैरानी से आरिका को देखने लगा।

    अक्षित ने कहा- क्या कह रही हो? समझ भी आ रहा हैं तुम्हें, इसका क्या मतलब हैं, या तुम कुछ भी बिना सोचे समझें कुछ भी बोल देती हो।

    आरिका ने कहा- मुझे पता हैं मैं क्या कह रही हूँ, मुझे तुम्हारे पास सोना। "

    अक्षित ने गुस्से में कहा - आरिका चुपचाप अपने कमरे में जाओ.. जाओ जल्दी........ बिना सोचे समझें जो मन में आया बोल देती हो।

    आरिका अब खुद को रोक नहीं पाई और अक्षित के गले लग कर जोर-जोर से रोने लगी।

    आरिका ने अक्षित को बहुत कसकर पकड़ रखा था जैसे, उसकी पकड़ कम हुई तो अक्षित गायब हो जाएगा!

    "रूठी जो जिंदगी तो मना लेंगे हम... मिले जो गम वो भी सह लेंगे हम.... बस आप रहना हमेशा साथ हमारे तो.. निकलते हुए आंसुओं से भी मुस्कुरा लेंगे हम..."

    _________________________________

    हेलो, फ्रेंड्स स्टोरी आपको कैसी लग रही

  • 12. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 12

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    "इश्क़ में बढ़ रही हैं बेचेंनियां

    थोड़ी शरारत करने दो

    छुपा कर रख लो अपने दिल में या फिर मोहब्बत बेसुमार करने दो। "

    आरिका रो रही थी। अक्षित चाह कर भी आरिका को खुद से दूर नहीं कर पा रहा था।

    अक्षित ने आरिका से कहा, "आरिका मत रो, कुछ नहीं होगा मैं हूँ ना, सब ठीक हो जाएगा।"

    लेकिन आरिका अक्षित की बात ही नहीं सुन रही थी। वो तो बस अक्षित के गले रोये जा रही थी।

    अक्षित एक हाथ से उसकी कमर को रब कर रहा था। दूसरे से सिर सहला रहा था। जिससे आरिका शांत हो जाए। आरिका 2 दिन से नहीं सोई थी।इसलिए अक्षित के गले लगे ही सो गई।

    अक्षित ने महसूस किया की आरिका की सांसे भारी हो गई हैं और वो रो भी नहीं रही हैं, अक्षित ने आरिका को अलग करके देखा तो वह सो चुकी थी।

    अक्षित ने आरिका को गोद में उठाया और रूम से बाहर लेके जाने लगा, क्यूंकि अक्षित आरिका को अपने कमरे में नहीं सुलाना चाहता था।

    अक्षित ने आरिका को कॉरिडोर से लेकर जा रहा था, तभी सामने से शांति ने अक्षित की गोद में आरिका को देखकर शांति की आंखें बड़ी हो गई।

    फिर शांति ने अक्षित के पास आकर बोली, "अक्षित क्या हुआ?"

    अक्षित ने थोड़ा गुस्से में कहा, " इसे क्या होगा?दो दिन से सोई नहीं है, ठीक से कुछ खाया नहीं है, इसलिए मैडम खड़े-खड़े सो गयी। "

    "एक बेकार की जिद कर रही थी, तुम्हारे पास सोना है.... तुम्हारे पास सोना है..... देखो मामी मैं पहले ही बता देता हूं, इसे मुझसे दूर रखो, जितना हो सके उतना दूर। "

    अक्षित ने गुस्से में कहा, "आप बताएंगी कहा लेकर जाऊं अब?"

    शांति ने मुस्कुराते हुए कहा, " एक काम करो, जय जी भी घर पर नहीं है तो इसको मेरे कमरे में ले चलो। "

    अक्षित आरिका को शांति के कमरे में लें गया।

    बुआ दादी ने अक्षित की गोद में आaरिका को देख लिया था। बुआ दादी ने राम-राम जपते हुए कहा, "अभी तो गोद में लेकर घूम रहा है, जब ऊंच-नीच हो जाएगी, तब अपने नाना जी को क्या जवाब देगा?"

    अक्षित आरिका को मामी के कमरे में लिटा कर जाने लगा, वैसे भी आरिका ने उसका हाथ पकड़ लिया। आरिका नींद में कह रही थी, "अक्षित प्लीज मत जाओ ना, अक्षित मुझे छोड़कर मत जाओ।"

    मामी अक्षित की हालत देखकर मुस्कुरा रही थी, अक्षित को मामी के सामने शर्म आ रही थी।

    अक्षित ने मामी को देखकर कहा, "मामी पकड़ो इस पागल लड़की को,इसने मेरा पूरा दिमाग खराब कर रखा है।"इतना कह कर अक्षित अपने कमरे में चला गया।

    शांति आरिका के पास लेट गयी और अक्षित और आरिका, अक्षित के बारे में सोचते हुए सो गयी।

    सुबह जब अक्षित की आँखे खुली तो उसके सामने आरिका खड़ी दिखी। जिसको देखकर उसकी पूरी नींद उड़ गई, अक्षित एकदम से बैठ गया।

    अक्षित ने आरिका को देखकर कहा,"तुम यहां क्या करो रही हो?"

    आरिका गुस्से से अक्षित को देख रही थी।

    आरिका ने गुस्से में कहा, " मैंने कहा था ना मुझे तुम्हारे पास सोना है और तुम मुझे आंटी के कमरे में छोड़ आए। तुम्हारे अंदर मैनर्स है कि नहीं? "

    आरिका की बात सुनकर अक्षित की आँखे शॉक्ड से बड़ी हो गयी। अक्षित ने कहा, " मैनर्स की बात तुम कर रही हो? "

    आरिका ने कहा, "तुम मुझे क्यूँ छोड़ कर आए आंटी के कमरे में? जब मैंने कहा था मुझे तुम्हारे पास सोना हैं।

    अक्षित को भी अब गुस्सा आ गया, उसने कहा,"किस हक से तुम यहां सोओगी?शर्म नहीं है? तुम क्या कह रही हो? यह अमेरिका नहीं है? इंडिया है, यहाँ बिना रिश्ते के एक लड़की किसी लड़के के कमरे में नहीं रहती।"

    आरिका ने कहा, "ऐसी बात हैं तो तुम मुझसे शादी करो लो, फिर मैं यहाँ रह सकती हूँ।"

    आरिका की बात सुनकर अक्षित ने अपना माथा पिट लिया और आरिका का हाथ पकड़ के कमरे से बाहर निकलते हुए कहा, "निकलो यहाँ से, तुम्हारी बकवास सुनने के लिए नहीं उठा हूँ मैं,मुझे बहुत काम हैं।

    अथर्व का ऑफिस सुबह के 10:00 बजे

    अथर्व ने अपने ऑफिस में पार्टी रखी थी और अपने सभी स्टाफ मेंबर को ड्रेस गिफ्ट की थी ताकि वह गोरी को आसानी से गिफ्ट दे सके।

    अथर्व के मैनेजर ने गोरी को एक पैकेट देते हुए कहा, " मिस गोरी प्रोजेक्ट मिलने की खुशी में यह ड्रेस अथर्व सर ने सबको दी है और पार्टी में सबको आना जरूरी है। "

    गोरी ने बेबस नजरों से मैनेजर को देखते हुए कहा, "लेकिन मैं पार्टी में नहीं जाती आप जानते हैं।"

    मैनेजर ने कहा, " गोरी आप इस बारे में अथर्व सर से बात करें तो ज्यादा अच्छा होगा, मुझे तो उन्होंने जो काम करने के लिए कहा वही कर रहा हूं। "

    गोरी ने बेमन से पैकेट खोल कर देखा तो उसमें रेड कलर की बहुत ही सुंदर सी साड़ी थी। गोरी उस साड़ी को देखते ही रह गई। वह सच में बहुत एक्सपेंसिव और बहुत सुंदर साड़ी थी।

    गोरी का मन हुआ कि वह साड़ी रख ले, फिर उसे कुछ याद आया तो उसने उसे वापस पैक कर दी।

    शाम को जब ऑफिस खत्म हुआ तो गोरी हिम्मत करके अथर्व के केबिन में गई।गोरी को देखकर अथर्व के फेस पर स्माइल आ गई।

    अथर्व ने गोरी की तरफ देखकर कहा, " मिस गोरी कुछ काम था क्या? "

    गोरी ने हिम्मत करते हुए कहा, " सर वह... सर वह... आपसे कुछ कहना था। "

    अथर्व ने कहा, "कहिये क्या कहना था?"

    गोरी अथर्व को नहीं देख रही थी, लेकिन अच्छा गोरी को ही देख रहा था। गोरी के चेहरे को देखकर लग रहा था वह किसी बात से परेशान है, गोरी ने हिम्मत करके अपने कांपते हाथों से साड़ी का पैकेट देते हुए कहा, "सर मैं इसे नहीं ले सकती है।"

    अथर्व ने कहा, "आप इसे क्यों नहीं ले सकती?"

    गोरी ने कहा, " सर मुझे पार्टी में जाना पसंद नहीं है, इसलिए मैं इसे नहीं ले सकती। "

    गोरी की आंखों में आंसू आ गए,उसने साड़ी का पैकेट टेबल पर रखा और चली गई।

    गोरी के जाने के बाद अथर्व भी परेशान हो गया। वह गोरी को अपने प्यार का एहसास करना चाहता था, गोरी को रोता हुआ देखकर उसे बहुत बुरा लग रहा था।

    _________________________________

    क्या अथर्व गोरी से अपने प्यार का इजहार कर पाएगा?

    क्या अक्षित आरिका को अपने दिल में जगह दे पाएगा

    जानने के लिए पढ़ते रहिये..........

  • 13. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 13

    Words: 832

    Estimated Reading Time: 5 min

    अब आगे




    "धड़कनें बेताब रहती हैं
    दिल में एक प्यास जगती है
    बाहों में जब यार होता है
    मन में कई उमंगे में मचलती होती है......

    दौलत नहीं, शोहरत नहीं, ना वाह-वाह चाहिए......
    कैसे हो.... कहां हो..... बस दो लफ्जों की परवाह चाहिए......
    आप सामने हो और हम हद में रहे
    मोहब्बत में कोई इतना भी शरीफ नहीं होता.... "

    बहुत देर तक अथर्व गोरी के बारे में सोचता रहा, फिर अपने ऑफिस से गाड़ी लेकर निकल गया।

    अथर्व कुछ दूर ही गया था कि बस स्टॉप गोरी को बस का इंतजार करता हुआ देख वह गाड़ी एक तरफ खड़े करके गोरी को देखने लगा।

    आज अथर्व ने ध्यान दिया की गोरी का चेहरा बहुत ही मुरझाया हुआ था।

    गोरी को देखकर लग रहा था कि गोरी ऑफिस से रोकर आई है।

    गोरी के रोने से अथर्व के दिल में बहुत दर्द होता था और आज अथर्व का दिया हुआ गिफ्ट गोरी के न लेने के कारण भी अथर्व को बहुत बेचैनी हो रही थी।

    " मैंने कब कहा मेरे अल्फाजों की कदर होनी चाहिए....
    बस पढ़ने के बाद दिल पर थोड़ा असर होना चाहिए..... "

    थोड़ी देर में गोरी की बस आ गई तो गोरी उसमें बैठकर चली गई।

    अथर्व भी अपनी गाड़ी को लेकर घर के लिए निकल गया था, जब घर आया तो शांति ने कहा, "आज कुछ हुआ है क्या अथर्व तुम्हारा चेहरा उतरा हुआ क्यूँ लग रहा है? "

    अथर्व ने शांति की बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, " आज ऑफिस में काम ज्यादा था इसलिए। "

    आरिका ने अथर्व को छेड़ते हुए कहा, " ऑफिस में काम था या ऑफिस वाली से कम था। "

    अथर्व ने गुस्से में आरिका को देखा और अपने कमरे में चला गया।

    आरिका भी पीछे-पीछे अथर्व के कमरे में चली गई।

    अथर्व कमरे में जाकर बेड पर बैठ गया और अपनी आंखें बंद कर ली।

    आरिका भी अथर्व के कमरे में जाकर सोफे पर बैठ गयी।

    अथर्व ने कहा, " तुम यहां क्या कर रही हो? " आरिका ने कहा देवर जी क्या बात है? शक्ल से ही आप बहुत परेशान लग रहे हैं तो आप मुझे बता सकते हो अपनी प्रॉब्लम। "

    अथर्व ने कहा, "कौन सा देवर? तुम्हें मेरा भाई घास तो डालता नहीं है और तुमने मुझे देवर भी मान लिया।"

    आरिका ने एटीट्यूड से कहा, " मिस्टर देवर जी, देवर तो तुम ही मेरे बनोगी, तुम्हारा भाई मुझे घास डाले या ना डालें, फॉर योर काइंड इनफॉरमेशन पहले ही दिन मैंने तुम्हारे भाई को किस कर लिया था। "

    किस सुनकर अथर्व की आंखें बड़ी हो गई। अथर्व ने आरिका से कहा, " तुम सच कह रही हो? तुमने मेरे भाई को किस किया, इस स्पीड से तो मैं बहुत पीछे हूं। "

    आरिका ने दोनों हाथ बांधकर एटीट्यूड के साथ कहा, " यकीन ना हो तो अक्षित से पूछ सकते हो। "

    अथर्व ने कहा, " तुम बड़ी फास्ट निकली, कुछ टिप्स मुझे भी दे दो।"

    आरिका ने कहा, " हां तो तुम्हें टिप्स देने ही तो आई हूं, बताओ क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी? "

    अथर्व ने कहा, " मैं जिससे प्यार करता हूं वह मुझे देखती भी नहीं और आज गिफ्ट दिया तो वापस कर दिया। "

    आरिका ने कहा, " इतनी सी बात, इसका मतलब उसके घर में कोई परेशानी है, जिस कारण उसने गिफ्ट नहीं लिया, कोई बात नहीं मिलकर पता करते हैं और उसकी प्रॉब्लम को सॉल्व कर देंगे,तो फिर वह तुम्हें पसंद करने लगेगी। "

    अथर्व ने कहा, "ठीक हैं मैं पता करता हूँ।"

    फिर दोनों लोग शांति के पास आकर बैठ गए और बातें करने लगे, शांति मटर छील रही थी आरिका और अथर्व धीरे-धीरे मटर खाने लगे।

    अथर्व ने फिर से मटर लेने के लिए हाथ आगे किया तो शांति ने उसके हाथ से मारते हुए कहा,"बहुत देर से देख रही हूँ कि दोनों मिलकर मटर खाने में लगे हो, चलो उठो यहां से जल्दी उठो.......

    अथर्व और आरिका अंदर आ गए।

    आरिका ने कहा, " तो तुमने अपनी गर्लफ्रेंड को साड़ी गिफ्ट दिया था? "

    अथर्व ने कहा, "वह मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है।"

    आरिका ने कहा, " तो कौन है? "

    अथर्व ने कहा, " एक तरफा प्यार करता हूं मैं उससे "उसको तो पता भी नहीं है।"

    आरिका ने कहा, " तुम्हारा टास्क तो मुझसे भी ज्यादा टफ है। "

    अथर्व ने कहा, " आरिका टास्क तुम्हारा भी बहुत टफ है, यह मत समझना एक किस करने से भाई पिघल जाएगा, वह नहीं पिघलने वाला। "

    आरिका ने भी पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कहा, " देवर जी अक्षित एक किस से पिघले या ना पिघले पर मैं अपना टारगेट तुम्हारे टारगेट से पहले अचीव कर लूंगी.... देख लेना। "

    अथर्व ने भी पॉइंट करते हुए एटीट्यूड के साथ कहा, " ठीक है आरिका देख लेते हैं पहले गोरी इस घर की बहू बनेगी या तुम मेरी भाभी बनोगी। "

    दोनों एक दूसरे को चैलेंज करके अपने-अपने कमरे में चले गए।




    _________________________________

    क्या अथर्व गोरी की परेशानी का कारण जान पाएगा?

    क्या आरिका अपने चैलेंज में जीतेगी?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए "प्यार की अनोखी कहानी।"

  • 14. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 14

    Words: 982

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे

    "कभी यूं भी आओ मेरे करीब तुम,

    मेरे इश्क मुझे खुदा सा लगे

    मेरे रूम में उतरो तो जरा,

    मुझे अपना भी कुछ पता ना लगे... "

    रात को सब डिनर कर रहे थे, अक्षित ठीक आरिका के सामने बैठा हुआ था।

    अक्षित एक हाथ में अपने फोन में कुछ काम कर रहा था और दूसरे हाथ से खाना खा रहा था।

    शांति ने अक्षित का मोबाइल साइड में रखा और फिर कहा, " पहले खाना खा लो। "

    अक्षित ने कहा, "मामी बहुत जरूरी काम है, काम करते हुए मैं खाना भी अच्छे से खा लूंगा।"

    आरिका ने अपने पैर से अक्षित के पैर को सहलाना शुरू किया, लेकिन अक्षित को तो कोई फर्क ही नहीं पड रहा था।अक्षित तो अपने फोन में देखते हुए ही खाना खा रहा था।

    थोड़ी देर बाद आरिका ने हैरानी से अक्षित को देखा अक्षित अपनी चेयर से उठा और चला गया।आरिका ने हैरानी से टेबल के नीचे देखा तो वह अथर्व का पैर था।

    आरिका ने गुस्से से अथर्व के पैर पर अपना पैर मार दिया।

    अथर्व को हंसी आ गयी, अथर्व ने कहा, "ऐसे पैर सहलाने से इस घर की बहू बनोगी?"

    आरिका ने भी बदले में कहा, "एक लड़की को एक साल तक देखने से वह मेरी देवरानी बन जाएगी?"

    अथर्व ने हंसते हुए कहा, " कॉन्फिडेंस तो देखो, गोरी को अपनी देवरानी कह रही हैं। "

    आरिका ने कहा, " हां क्योंकि वह देवरानी बनेगी और मैं इस घर की बहू पहले बनूंगी। "

    आरिका ने फिर अक्षित की तरफ देखा जो अपने फोन में देखते हुए ऊपर अपने कमरे में जा रहा था।

    आरिका ने अथर्व की तरफ देखते हुए कहा, " अक्षित मुझे देखता क्यों नहीं है? "

    अथर्व ने कहा, " तुम्हारी खूबसूरती का जादू नहीं चला उसके ऊपर, इसलिए नहीं देखता। "

    अक्षित अपना लैपटॉप लेकर हॉल में आकर सोफे पर बैठ गया, अक्षित ने आरिका को देखकर कहा, " आरिका यहां आओ, मुझे तुमसे बहुत सारे सवाल करने हैं 5 दिन बाद हियरिंग है। "

    आरिका ने डिनर कर लिया था, इसलिए अक्षित के पास आकर बैठ गयी।

    अक्षित ने सीरियस होते हुए कहा, " आरिका जो सवाल पूछूँ उसका सही जवाब सही-सही जवाब दोगी? "

    आरिका ने लापरवाही से हां मैं गर्दन हिला दी।

    तुम मुझे पहले से जानती हो? आरिका तुम मुझसे मिलने इंडिया आयी थी और क्यों मिलने आयी थी?

    आरिका ने धीरे से अक्षित के कान में कहा, " अक्षित में तुम्हारे हर सवाल का जवाब दूंगी, पर हर जवाब देने पर मुझे एक किस चाहिए, एक सवाल एक जवाब और एक किस। "

    अक्षित को आरिका की बातों पर बहुत गुस्सा आ रहा था।लेकिन उसने अपने गुस्से को कंट्रोल किया हुआ था।

    अक्षित ने कहा, " आरिका तुम समझ नहीं रही हो तुम मर्डर केस में फसी हो और मेरे सवालों का जवाब दे दो, ताकि मैं केस के लिए तैयारी कर सकूं। "

    आरिका ने कहा, " मैं मना कब कह रही हूं, पूछो जो पूछना है, पूछो सवाल और दे दो एक किस, वैसे भी एक किस मेरी उधार है। " अक्षित ने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा, " आरिका तुम समझ नहीं रही हो, तुम्हें सजा हो जाएगी। "

    आरिका ने अपनी एक आईज ब्लिगं करते हुए कहा, " अक्षित तुम्हें तो गुस्सा आ रहा है। "

    आरिका ने कहा, " मुझे फांसी मंजूर हैं, लेकिन तुम्हारी बेरुखी नहीं। "

    आरिका की बातें सुनकर अक्षित को गुस्सा आ गया और वो सोफे से खड़ा हो गया और आरिका की बाजु पकड़ कर खड़ा किया।

    अक्षित ने गुस्से से कहा, "आरिका मुझे तुम्हारा केस लेना ही नहीं चाहिए था, तुम मेरे जैसा लॉयर डिजर्व ही नहीं करती, मेरी अपॉइंटमेंट लेने के लिए लोग कितने महीने चक्कर काटते हैंतुम्हें नहीं पता और मैं यहां तुम्हारे आगे पीछे घूम रहा हूं। "

    अक्षित ने आरिका को एक झटके से छोड़ते हुए कहा, " मैं तुम्हारा कैसे छोड़ रहा हूं, कोई और लॉयर हायर कर लो। "

    अक्षित की ये बात सुनकर दादा जी को गुस्सा आ गया। दादा जी ने कहा, "अक्षित।"

    दादाजी गुस्से में अक्षित के पास आए हो उन्होंने अपना हाथ अक्षित के ऊपर उठा दिया लेकिन थप्पड़ अक्षित को लगता उससे पहले ही आरिका सामने आ गयी वह थप्पड़ आरिका को लगा।

    थप्पड़ इतना तेज था की आरिका जमीन पर गिरने वाली थी की अक्षित ने उसे पकड़ लिया। अक्षित के उसे पकड़ने से आरिका की पीठ अक्षित के सीने से जा लगी। अक्षित को गुस्सा आ गया और उसने तेज आवाज़ में कहा, "नाना जी ये आप क्या कर रहे हैं?"

    पहली बार अक्षित ने अपने नाना जी से नज़रे मिलाकर तेज आवाज में बात की थी। आज उसने आरिका के लिए स्टैंड लिया था।

    यह सब देखकर शांति, अथर्व और शालू सब हैरान हो गए।

    अथर्व जल्दी से दादा जी के पास आया और बोला, " दादा जी आप क्या कर रहे हैं अक्षित बड़ा हो गया है? "

    दादाजी ने गुस्से में अक्षित को देखकर कहा, " तुम्हारी हिम्मत तुम आरिका का केस छोड़ोगे? तुम यह केस नहीं छोड़ोगे, छोड़ना तो दूर तुम यह केस लड़ोगे भी और जीतोगे भी, क्योंकि आरिका नीरव सिंहा की बेटी है, समझे। " इतना कहकर दादा जी अपने कमरे में चले गए।

    अक्षित ने आरिका को अपनी तरफ घुमा कर देखा तो आरिका का फेस एक साइड सूज गया था और उसके फेस पर उंगलियों के निशान भी छप गए थे। पूरा चेहरा रेड हो गया था। आरिका की आँखो में आँसू थे।

    अक्षित ने हिम्मत करके पूछा, "आरिका तुम ठीक हो ना?"

    आरिका ने एक नज़र अक्षित को देखा और भागते हुए अपने कमरे में चली गयी।

    "इनकार और इकरार की कशमकश में फना हो गई जिंदगी,

    हाँ सुनने को हम तरस गए,

    ना उन्होंने कि नहीं!"

    _________________________________



    क्या अक्षित आरिका का केस लड़ेगा?

    क्या आरिका अक्षित के सवालों का जवाब देगी?

    क्या अक्षित की बेरुखी के बाद भी आरिका अक्षित के सामने जाएगी?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए "प्यार की अनोखी कहानी "

  • 15. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 15

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    अब आगे

    "दुनिया का सबसे खूबसूरत रिश्ता वही होता है,

    जहां एक हल्की सी मुस्कुराहट और छोटी सी माफी से,

    जिंदगी दोबारा पहले जैसी हो जाती है!"

    अथर्व ने अक्षित के पास आकर बोला, " दादाजी का थप्पड़ खाया है, वह भी इतना तेज था छोटी-मोटी बात थोड़ी है उनका थप्पड़ खाना, गुस्सा तो होगी ना और अब यह गुस्से में तुझसे कैसी-कैसी डिमांड करेगी भगवान ही जाने। "

    अक्षित ने अपने मन में कहा, " अब तो यह बिना किस के नहीं मानेगी, इसे किस करने से अच्छा तो थप्पड़ मैं ही खा लेता।"

    थोड़ी देर में अक्षित ने अपना लैपटॉप उठाया और अपने कमरे में चला गया।

    अथर्व ने शांति को देखते हुए कहा, " मॉम आज पहली बार अक्षित के लिए किसी ने स्टैंड लिया है। "

    शांति ने भी हंसते हुए कहा, " हां और आज पहली बार अक्षित ने भी अपने नाना जी से तेज आवाज में बात की है। "

    मां बेटे दोनों एक दूसरे को देखकर हंसने लगे। फिर शांति किचन में जाकर सर्वेंट के साथ काम करने चली गयी।

    अथर्व किचन में आया और शांति को देखकर बोला, " मॉम आपको याद है, एक बार प्रियंका भी घर आयी थी? "

    शांति ने हां में सर हिला दिला।

    फ़्लैश बैक

    अक्षित प्रियंका को लेकर ठाकुर निवास में आया।

    शांति ने प्रियंका को देखकर कहा, " अरे प्रियंका तुम, आओ बैठो। "

    प्रियंका शांति के कहने पर सोफे पर बैठ गयी।

    अक्षित ने कहा, " मामी, मैंने कहा था ना कि मिलवा दूंगा प्रियंका से। "

    शांति ने कहा, "मुझे कितनी बार कहना पड़ा, तब कहीं जाकर तुम लेकर आए हो प्रियंका को घर पर। "

    अक्षित ने कहा, " मामी लेकर तो आ गया ना, अब मिल लो अपनी होने वाली बहू से। " इतना कहकर अक्षित अपने कमरे में चला गया कुछ फाइल्स लेने।

    शांति ने प्रियंका से कहा, " तुम यहां बैठो मैं कुछ खाने के लिए लेकर आती हूं तब तक। "

    इतना कहकर शांति किचन में चली गई और प्रियंका के लिए कुछ खाने को बनाने लगी।

    कुछ देर बाद शांति खाने के लिए ले आयी और प्रियंका के सामने रख दिया।

    प्रियंका ने प्लेट में देखा तो चाय के साथ पकोड़े थे। प्रियंका ने मन में कहा, "ओह गॉड, यह भी कोई खाने की चीज है।"

    प्रियंका ने कहा, "आंटी जी मैं डाइट पर हूं, मैं यह सब नहीं खा सकती।"

    अथर्व भी डाइनिंग टेबल पर बैठा प्रियंका को ही नोटिस कर रहा था। उसे प्रियंका की यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आयी थी। वह सिटिंग एरिया में आया, उसने प्लेट को उठाते हुए कहा, "मॉम इसने कहा ना यह डाइटिंग पर है, तो मॉम मैं डाइटिंग पर नहीं हूं इसलिए मैं खा लेता हूं।"

    अथर्व ने प्लेट लेकर डाइनिंग टेबल पर बैठकर खाने लगा।

    तभी बुआ दादी बाहर से राम-राम जपते हुए आयी और प्रियंका के सामने बैठ गयी, बुआ दादी ने प्रियंका को देखते हुए कहा, " यह लड़की कौन है और यहां क्यों आई है? "

    शांति ने कहा, "बुआ जी यह प्रियंका हैं अक्षित की होने वाली वाइफ।"





    दादी ने ताना मारते हुए कहा, " यह तो देखने में गोरी है और सुंदर भी है, अक्षित तो सांवला है, इनकी जोड़ी तो बिलकुल मिलती नहीं है। "

    फिर बुआ दादी ने प्रियंका को देखकर कहा, " तुमने क्या देखकर पसंद किया अक्षित को? उसमें क्या पसंद आया? साथ ही शादी के लिए भी तैयार हो गई। "

    प्रियंका चुपचाप बैठकर बातें सुनती रही उसने एक बार भी किसी भी बात का जवाब नहीं दिया।

    प्रियंका तुम तो बहुत सुंदर हो, पढ़ी-लिखी भी हो और अच्छे घर की लगती हो, फिर तुमने अक्षित को क्या देखकर पसंद कर लिया? आजकल की लड़कियां बिना अच्छे बुरे की पहचान भी नहीं कर पाती। "दादी बुआ अक्षित की बुराई करती रही। पर प्रियंका ने कोई जवाब नहीं दिया। जैसे उसे किसी भी बात को लेकर कोई फर्क ही ना पड़ रहा हो और यह बात अथर्व और शांति दोनों नोटिस कर रहे थे।

    थोड़ी देर में अक्षित फाइल लेकर नीचे आया, अक्षित ने शांति से कहा," मामी अब मैं चलता हूं, मुझे किसी काम से पुलिस स्टेशन जाना है। " इतना कहकर वह प्रियंका को लेकर जाने लगा, तभी दादी जी सामने से आ गए।

    दादाजी ने प्रियंका को देखते हुए गुस्से में कहा, " मैं जानता हूं, मेरे हजार बार मना करने पर भी तुम इसी से शादी करोगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है जब मन हुआ तब घर लेकर आ जाओ, जब तक तुम्हारी शादी इससे नहीं हो जाती तब तक इसे घर लेकर नहीं आओगे।

    शांति ने बीच में बोलते हुए कहा, " पापा जी मैंने ही अक्षित से कहा था प्रियंका को एक बार घर लें आये मुझसे मिलाने के लिए। "

    दादाजी ने शांति को डांटते हुए कहा, " तुम चुप रहो बहु मैं अक्षित से बात कर रहा हूं। "

    अक्षित ने अपना सर नीचे झुका कर कहा, " जी ठीक है नाना जी, मैं आज के बाद प्रियंका को इस घर में लेकर नहीं आऊंगा। " इतना कह कर अक्षित ने प्रियंका का हाथ पकड़ा और घर से बाहर चला गया।

    फ़्लैश बैक एंड

    अथर्व ने कहा, " मॉम आपने देखा था ना दादी बुआ ने अक्षित की कितनी बुराई की थी, फिर भी प्रियंका ने एक बार भी पलट कर जवाब नहीं दिया था और एक हमारी आरिका है जो बुआ दादी को अक्षित के बारे में बोलते ही नहीं देती है। "

    अथर्व ने थोड़ा हंसते हुए कहा, " मुझे अक्षित के लिए आरिका बिल्कुल परफेक्ट लगती है, आपका क्या ख्याल है इस बारे में और आज आरिका ने अक्षित के लिए किया उसकी तो बात ही अलग है। "


    शांति ने कहा, "आरिका अक्षित के लिए ही इंडिया आयी हैं।"यह सुनकर अथर्व शॉक्ड हो गया।




    अथर्व ने कहा," क्या सच में मॉम?"



    शांति ने अथर्व के गाल पर हाथ रखकर कहां, "हां बेटा आरिका पहले से ही अक्षित को जानती है।"

    अथर्व ने कहा, "कैसे मॉम?"




    शांति ने अपना काम करते हुए कहा, " जब वक्त आएगा तब बता दूंगी, अभी तू भी जा सो जा,कल सुबह ऑफिस भी तो जाना है तुझे। "




    "कहां से ऐसी भी कोई खूबसूरत रात हो,
    एक चांद आसमान में और एक मेरे साथ हो।"





    _________________________________



    क्या अक्षित आरिका को मना पाएगा?
    क्या आरिका अक्षित को आसानी से माफ कर देंगी?
    जानने के लिए पढ़ते रहिए "प्यार की अनोखी कहानी"

  • 16. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 16

    Words: 1086

    Estimated Reading Time: 7 min

    "तेरी गोद में सर रख...

    हम सोए रात भर.....!!

    था तो ख्वाब ही मगर.....

    था बहुत खूबसूरत!!"

    अब आगे

    अक्षित अपने कमरे में काम कर रहा था लेकिन उसका ध्यान काम में नहीं था। उसे रह रह कर आरिका की याद आ रही थी। कि कैसे उसने नाना जी का थप्पड़ खुद के गाल पर ले लिया था।

    अक्षित ने मन ही मन कहा, "आरिका से सॉरी बोलने जाहूंगा तो उल्टे-सीधे सवाल करेगी और फिर से अपना किस पुराण लेकर बैठ जाएगी, रहने देता हूं कल सुबह देखूंगा। "

    अक्षित ने काम करते हुए पानी की बोतल देखी तो उसमें पानी नहीं था,अक्षित अपने कमरे से किचन में पानी लेने चला गया।

    किचन की लाइट पहले से ही ऑन थी, अक्षित धीरे से किचन में गया तो देखा आरिका डाइनिंग टेबल के ऊपर बैठकर सुबक-सुबक के आइसक्रीम खा रही है।

    अक्षित ने एक सेकंड के लिए हैरान हो गया फिर अपने मन में कहा, " यह लड़की क्या खाकर पैदा हुई थी? " अक्षत ने आरिका को देखकर इग्नोर कर दिया।

    अक्षित ने फ्रीज़ खोल कर पानी लेकर जाने लगा।

    आरिका ने सुबकते हुए कहा, " हमदम" तुम्हें शर्म तो आती नहीं है ना, मैंने तुम्हारे तेरे लिए थप्पड़ भी खा लिया और तुमने मुझे एक सॉरी भी नहीं बोला, क्या मेरा यहां रहना तुम्हें पसंद नहीं?अगर तुम चाहते हो तो मैं सुबह होते ही यहां से चली जाऊंगी और चाहो तो तुम्हें मेरा केस भी लड़ने की जरूरत नहीं है।दादाजी को मैं समझा दूंगी। "

    अक्षित को आरिका की बात सुनकर उसके दिल में दर्द सा उठा पर उसने इग्नोर कर दिया।

    अक्षित ने कहा, " अगर मैं सॉरी बोल दूंगा तो क्या तुम मान जाओगी और घर छोड़कर नहीं जाओगी? "

    आरिका ने कहा, "अब सॉरी बोलने का टाइम खत्म हो गया अब प्रैक्टिस करनी पड़ेगी। "

    अक्षित ने आरिका को देखकर ना मैं अपनी गर्दन ना में हिला दी, जैसे कह रहा हो इसका कुछ नहीं हो सकता और अपने कमरे में जाने लगा।

    आरिका ने थोड़ा जोर से कहा, "लगता है तुम्हें अपने सवालों के जवाब नहीं चाहिए?"

    अक्षित ने अपना माथापीट कर कहा, " कहां फंस गया। "

    आरिका ने कहा, " चलो बताओ तुम्हें कितने क्वेश्चन पूछने हैं? "

    अक्षित ने अपना फोन दिखाते हुए कहा, " यह सारे क्वेश्चन के जवाब चाहिए। "

    आरिका ने मन में सारे क्वेश्चन पड़ रही थी और उसकी आंखें बड़ी हो गयी। आरिका ने कहा, "इतने सारे क्वेश्चन, इसके लिए तो पूरी रात लगेगी।"

    आरिका की बात सुनकर अक्षित की आँखे फैल गयी।

    अक्षित ने थोड़ा हैरानी से कहा, "आरिका तुम कुछ भी बोल देती हो, क्या मतलब होता है कभी भी सोचा है इस बात का?"

    आरिका ने कहा, " मुझे पता है सुहागरात किसे कहते हैं। "

    अक्षित ने कहा, " तो तुम्हें यह भी पता होगा कि वह शादी के बाद मानते हैं। "

    आरिका ने आइसक्रीम खाते हुए कहा, "जरूरी तो नहीं है ना जो सब करें वह मैं भी करूं, मैं तो शादी से पहले मनाऊंगी। "

    अक्षित ने गुस्से में अपना फोन आरिका के हाथ से छिनते हुए थोड़ा गुस्से में कहा, "तुम मुझे पागल कर दोगी। " इतना कहकर अक्षित पानी की बोतल लेकर अपने कमरे में चला गया

    आरिका के फेस पर एक प्यारी सी स्माइल आ गयी।

    आरिका ने कहा, " तुमने भी तो मुझे इतनी सालों से परेशान किया है, अब मैं भी करूंगी।

    अगली सुबह

    आरिका ने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी, कानों में झुमके और मैचिंग ब्लाउज पहना हुआ था, आज आरिका बहुत सुंदर लग रही थी। कोई भी देखता तो देखता ही रह जाता।

    आरिका बाहर हॉल में चक्कर लगाने लगी और अक्षित के आने का इंतजार करने लगी अक्षित तैयार होकर आया और ब्रेकफास्ट करके ऑफिस जाने लगा।

    अक्षित ने आरिका को देखा तक नहीं।

    आरिका अक्षित के सामने खड़ी हो गयी, अक्षित ने ध्यान नहीं दिया और सामने खड़ी आरिका से टकरा गया।

    अक्षित ने बिना देखे ही कहा, "सॉरी मिस।"

    अक्षित की बात सुनकर आरिका की आंखें बड़ी हो गई। उसने गुस्से में अपने दोनों हाथ अपने अक्षित के गाल पर रखे और कहा, " मुझे देखो... देखो जल्दी....."

    अक्षित के मुँह से निकला तुम हो आरिका। "





    आरिका ने आंखें छोटी करके अक्षित को देखकर धमकी भरे लहजे में कहा,"मैंने यहां साड़ी तुम्हारे लिए पहनी है। अब जल्दी से मेरी तारीफ करो और अगर थोड़ी सी भी कंजूसी की,तो मैं तुम्हें ऑफिस नहीं जाने दूंगी समझे तुम। "

    अक्षित ने आरिका को ऊपर से नीचे तक देखा और कहा, "अच्छी लग रही हो।"

    आरिका ने अक्षित की कॉलर को पड़कर कहा, " अच्छे से तारीफ करो। "

    अक्षित ने अपने मन ही मन कहा, "मुझे ऑफिस नहीं जाने देगी।"

    अक्षित ने कहा, " बहुत अच्छी लग रही हो, मामी की बहू की तरह सुंदर। "

    यह सुनकर आरिका खुश हो गई। आरिका ने कहा, "अब जाइए पतिदेव।"

    अक्षित के माथे पर बल पड़ गए, उसने मन में कहा, " पतिदेव.... "

    अक्षित ने जाते हुए कहा, " लगता है केस के बाद इसका इलाज भी मुझे ही करना होगा। " इतना कहकर वह जल्दी से घर से निकल गया।

    अथर्व का ऑफिस

    रोज की तरह ही अथर्व अपने ऑफिस में बैठकर गोरी को ही देख रहा था।

    थोड़ी देर बाद आरिका अथर्व के ऑफिस में आती है।

    उसने सब तरफ देखा तो गोरी को देख उसे पहचान लिया, क्योंकि जिस तरह से अथर्व गौरी की बात करता है उसे तरह गोरी को कोई भी बिना देखे ही पहचान सकता है।

    आरिका गोरी के पास जाकर उससे बातें करने लगी।

    अथर्व ने देखा कोई गोरी से बातें कर रहा है जिसका चेहरा उसे नहीं दिख रहा था। क्योंकि आरिका की पीठ अथर्व की तरफ थी।

    अथर्व को गुस्सा आने लगा क्योंकि वह गोरी को देख नहीं पा रहा था। अथर्व ने गुस्से में कहा, " अभी कौन है जो सामने खड़ी हो गई और मुझे गोरी को देखने भी नहीं दे रही है।"

    अथर्व का दिमाग खराब होने लगा, तो बाहर आ गया था।

    अथर्व ने देखा गोरी से बात करने वाली कोई और नहीं आरिका है तो वह खुश हो गया और साथ में हैरान भी हो गया।

    आरिका एक खुश मिजाज लड़की है जिसके चलते उसने गोरी से जल्द ही दोस्ती कर ली। गोरी को भी आरिका से बात करना अच्छा लगा।

    "तमन्ना है कि हर तमन्ना में तुम ही तुम रहो तेरे बगैर मैं ना रहूं और मेरे बगैर तुम ना रहो!"






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    क्या आरिका अक्षित के सवालों के जवाब देगी?
    अथर्व के साथ आरिका को देख कर गोरी कैसे रिएक्ट करेगी?
    जानने के लिए पढ़ते रहिए" प्यार की अनोखी कहानी "

  • 17. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 17

    Words: 1050

    Estimated Reading Time: 7 min

    "साँसो से बंधा रिश्ता हमारा

    कभी तोड़ ना पाओगे

    तुम दूर होकर भी मुझसे

    हमेशा मेरे पास ही रह जाओगे!"



    अब आगे



    अथर्व ने आरिका को ऑफिस में देखकर पूछा, " तुम यहां क्या कर रही हो? "

    आरिका ने अथर्व की बात सुनकर उसके पास जाकर उसके गले लग गयी।

    अथर्व कुछ हैरान हुआ लेकिन, अगले ही पल वह समझ गया, उसने आरिका के कान में धीरे से कहा, " यह तुम क्या करने की कोशिश कर रही हो और यह साड़ी पहनकर क्यों आई हो यहां? "

    आरिका ने भी स्माइल कर उसके कान में कहा, " मेरे प्यारे देवर जी, मैंने सोचा थोड़ा सा तुम्हारा टारगेट भी टफ कर दूं। "

    अथर्व गोरी को ही देख रहा था जैसे कह रहा हो यह मेरी वाइफ नहीं होने वाली भाभी है। लेकिन जिस तरह से आरिका अथर्व के गले लगी हुई थी उसे देखकर गोरी को भी लगा वह सच में उसकी वाइफ ही है।

    थोड़ी देर बाद ने आरिका का हाथ पकड़ते हुए उसे अपने केबिन में ले जाने लगा।

    गौरी ने अथर्व आरिका का हाथ पकड़े देखा तो उसे गलतफहमी हो गई की आरिका अथर्व की वाइफ हैं।

    गोरी को यह देखकर बहुत बुरा फील होने लगा, क्योंकि वह मन ही मन अथर्व को पसंद करने लगी थी, पर आज अथर्व के साथ आरिका को देखकर उसके फेस पर एक कड़वी सी मुस्कान आ गई ,वह मन ही मन कहने लगी, " गोरी तुम्हारी लाइफ में खुशियां नहीं है, अगर कुछ है तो सिर्फ दर्द और जिम्मेदारी बस.... "

    इतना कहकर गोरी फिर से काम करने लगी।

    अथर्व के केबिन में आरिका सोफे पर बैठकर अथर्व को घूर रही थी।

    अथर्व ने गुस्से में कहा, "मेरा टारगेट पहले से ही टफ है, तुम उसे और टफ मत करो।"

    आरिका ने अथर्व की किसी भी बात पर ध्यान नहीं दिया, उसने अथर्व से पूछा, " देवर जी आज में साड़ी में कैसी लग रही हूं? "

    अथर्व ने आँखे छोटी करके आरिका से कहा, " बाहर बताया था तुमने कि मेरी बीवी लग रही हो। "

    अथर्व की बातें सुनकर आरिका जोर-जोर से हंसने लगी।

    अथर्व ने गुस्से में कहा, "तुम क्यों मेरी ऑफिस आयी हो?अक्षित कि ऑफिस जाओ ना।"

    आरिका ने अथर्व की बात को इग्नोर किया और कहने लगी, " तुम मेरी हेल्प करो बदले में मैं तुम्हारी हेल्प कर दूंगी। "

    अथर्व ने कहा, " देखा मैंने कैसे तुमने अभी थोड़ी देर पहले मेरी हेल्प की थी। "

    आरिका ने कहा, " तो ठीक है मैं जा रही हूं, नहीं कर रही अब तुम्हारी कोई हेल्प,अब खुश। "

    आरिका उठकर जाने लगी तो अथर्व ने आरिका को रोकते हुए पूछा, "कैसे करोगी मेरी हेल्प? "

    आरिका रुक गई और उसने कहा, " पहले गोरी को अपने केबिन में आने को कहो। "

    अथर्व ने हैरानी से आरिका को देखा और गोरी को बुला लिया।

    थोड़ी देर में गोरी केबिन में आ गयी।

    गोरी ने कहा, "सर आपने बुलाया?"

    आरिका ने कहा, " अथर्व ने नहीं, मैंने तुम्हें बुलाया है। "

    गोरी ने कहा, " जी मैम कहिए? "

    आरिका ने कहा गोरी, " मुझे शॉपिंग पर जाना है, कोई भी नहीं है जो मेरी हेल्प कर सके, तुम मेरे साथ चलो ना,तुम चलोगे ना मेरे साथ? "

    गोरी ने कहा, "मैं आपके साथ नहीं जा सकती, आई एम सॉरी मैम। "

    आरिका ने फिर से कहा, " परमिशन की बात है तो उसकी फिक्र मत करो तुम वह मैं तुम्हें अथर्व से दिलवा दूंगी।लेकिन तुम मेरे साथ शॉपिंग पर चलो ना? "

    गोरी ने फिर भी मना कर दिया।

    अब अथर्व ने ही कहा, " गोरी इसके साथ शॉपिंग पर चली जाओ ना, नहीं तो यह मेरा दिमाग खाती रहेगी। "

    यह बात सुनकर आरिका अथर्व को घूरने लगी जैसे कह रही हो बहुत दिमाग है जो मैं खा लूंगी।

    आरिका के बार-बार कहने पर गोरी आरिका के साथ शॉपिंग पर जाने के लिए तैयार हो गयी।

    गोरी के हां कहने पर आरिका उसे अपने साथ ले गयी।

    आरिका ने बहुत सारी शॉपिंग की, गोरी को भी बहुत सी चीज दिलाने की कोशिश की आरिका ने पर गोरी ने मना कर दिया।

    आरिका ने गोरी से कहा, " चलो कुछ खा लेते हैं? "

    पर गोरी ने तुरंत मना कर दिया।

    आरिका ने फिर कहा, "चलो ना गोरी थोड़ा सा कुछ खा लेते हैं।पर गोरी ने मना कर दिया।

    गोरी आरिका की बात सुन ही नहीं रही थी।

    थोड़ी देर बाद आरिका ने फोन करके अथर्व को शॉपिंग मॉल बुला लिया था। अथर्व भी आरिका के फोन का ही इंतजार कर रहा था। फोन आने के 10 मिनट बाद ही अथर्व शॉपिंग मॉल के बाहर खड़ा था।

    आरिका और गोरी अथर्व के पास आ गए। अथर्व ने आरिका के हाथ से शॉपिंग बैग लेकर गाड़ी में रख दिए।

    आरिका ने कहा,"" चलो गोरी हम तुम्हें ड्रॉप कर देते हैं। "

    गौरी ने कहा, "" नहीं मैडम मैं चली जाऊंगी यहां पास में ही बस स्टॉप है। "


    आरिका ने गोरी को मनाते हुए कहा," चलो ना हम तुम्हें तुम्हारे घर ड्रॉप कर देंगे। तुमने भी तो मेरी इतनी हेल्प की है। "




    आरिका की जिद के आगे गोरी को हां करनी पड़ी और पीछे गाड़ी में बैठ गई।


    आरिका आगे अथर्व के पास बैठ गई। अथर्व मिरर से पीछे गोरी को ही देख रहा था।


    1 घंटे की गाड़ीचलाने के बाद गाड़ी गोरी के घर के सामने रुकी।


    गोरी का छोटा सा घर था, गोरी अपने घर जाने लगी, कि आरिका ने कहा, "" पहली बार हम तुम्हारे घर आए हैं कम से कम एक कप चाय ही पिला दो। "


    आरिका की बात सुनकर गोरी परेशान हो गई वह घर के अंदर आरिका और अथर्व को नहीं बुलाना चाहती थी।

    गोरी ने एक नजर अथर्व को देखा फिर आरिका को देख गोरी ने हिचकीचाते हुए कहा, "चाय मैं किसी और दिन आपको पिला दूंगी। "

    आरिका ने अथर्व से कहा, "अथर्व मैं गौरी के घर जा रही हूं, क्योंकि मुझे गोरी का घर देखना है, यह बहुत सुंदर है,तुम यहीं रुको फिर आरिका गोरी का हाथ पड़कर घर के अंदर ले आती है और अथर्व बाहर ही आरिका का इंतजार करने लगा।




    "क्यों बार-बार पूछते हो मोहब्बत की मंजिल..

    कहा ना आखरी सांस तक बस तेरे हैं।"

    ________________________________

    आरिका क्या करना चाहती हैं?

    गोरी क्यों आरिका को अपने घर नहीं लें जाना चाहती?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए ""प्यार की अनोखी कहानी "

  • 18. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 18

    Words: 569

    Estimated Reading Time: 4 min

    "हर मर्ज का इलाज

    नहीं होता दवा खाने में...

    कुछ दर्द चले जाते हैं,

    सिर्फ मुस्कुराने में..."

    अब आगे...

    आरिका ने गोरी का हाथ थामा और मुस्कराते हुए उसे घर के अंदर ले आई।

    घर छोटा था, लेकिन बेहद खूबसूरती से सजाया गया, जैसे कम साधनों में भी कोई अपनी दुनिया को जीना जानता हो।

    दीवार पर टंगी भगवान की तस्वीर के नीचे रखा दीपक अब भी जल रहा था।

    साफ-सुथरा फर्श, सलीके से रखे सामान यह छोटा सा घर गोरी की मेहनत और सहनशीलता की गवाही दे रहा था।

    गोरी ने अंदर जाकर आरिका का परिचय दादाजी से करवाया।"दादाजी," ये मेरी मैम हैं, आज मुझे घर तक छोड़ने आई हैं।"

    दादाजी (70 वर्ष, नाम: मनोज)

    सफेद दाढ़ी, कांपते हाथों और मधुर मुस्कान के साथ बोले,"आओ बेटा, बैठो।"

    गोरी के परिवार का सच

    पिता विपिन — शराबी और जुआरी

    सौतेली माँ रेखा — पैसों की लालची।

    छोटा भाई समर (5 वर्ष) — मासूम और चंचल

    आरिका बैठी ही थी कि गोरी रसोई में चाय बनाने चली गई।लेकिन चूल्हा जलाने से पहले ही उसकी सौतेली माँ रेखा पीछे से आई और ज़ोर का थप्पड़ मार दिया।

    गोरी की आँखों से आँसू छलक पड़े,

    लेकिन वह चुप रही... जैसे आदत हो गई हो।

    🌪️ फ़्लैशबैक

    वो दिन... जब गोरी 16 साल की थी।

    उसने 12वीं की परीक्षा दी थी और वो कॉलेज जाने का सपना देख रही थी। आँखों में चमक थी, दिल में उम्मीद।

    पर उस दिन जैसे सारी उम्मीदें मर गईं।

    घर आते ही पता चला कि उसके पिता ने

    उसे 15 लाख रुपए में एक अधेड़ आदमी को बेच दिया।

    गोरी ने बहुत रोया, बहुत गिड़गिड़ाई...

    पर उसका बाप विपिन पत्थर बना रहा।

    दादाजी उस दिन शहर से बाहर थे,

    कोई उसकी आवाज़ सुनने वाला नहीं था।

    लेकिन उसी दिन गोरी की जिंदगी में

    एक रोशनी की किरण बनकर विक्रम आया।

    उसने न सिर्फ उस आदमी को बुरी तरह मारा,

    बल्कि गोरी को उस नर्क से आज़ाद भी करवाया।

    "तू कोई चीज़ नहीं है जो बेची जाए,"

    विक्रम ने गुस्से में कहा था, और गोरी की ज़िंदगी बदल दी।

    गोरी ने तब से छोटी-मोटी जॉब करना शुरू कर दिया। विक्रम ने उसकी पढ़ाई में मदद की,

    कॉलेज में एडमिशन करवाया। गोरी होनहार थी, उसे स्कॉलरशिप भी मिली।

    विक्रम की मौजूदगी में, गोरी कभी-कभी मुस्कुराने लगी थी, वरना उसने तो हँसना तक छोड़ दिया था।

    लेकिन 18 की उम्र में,उसकी जिंदगी फिर बदल गई।

    पिता रेखा नाम की महिला को 'तुम्हारी माँ है' कहकर घर ले आए। तभ गोरी का छोटा मासूम भाई समर, जो तब 3 साल का था।

    गोरी के पास कोई विकल्प नहीं था,वो सिर्फ सहन करना जानती थी।

    रेखा ने आते ही गोरी का जीवन और दुर्भाग्यपूर्ण बना दिया।दुखों की एक नई किताब खुल चुकी थी।

    लेकिन गोरी ने हार नहीं मानी।

    1.5 साल पहले उसे एक अच्छी कंपनी में जॉब मिली, जिससे वो उस 'खरीदने वाले' आदमी का कर्ज भी चुका पा रही थी।

    फ़्लैशबैक एन्ड

    गोरी के चेहरे पर फिर से वही पुरानी खामोशी लौट आई थी। पर उस खामोशी के पीछे एक दर्द था …

    एक ऐसी लड़की की जो टूटी जरूर है,

    पर बिखरी नहीं।

    "ज़िंदगी ने जितने भी ज़ख्म दिए,

    वक़्त ने सब भर दिए...

    लेकिन कुछ ज़ख्म ऐसे थे,

    जो सिर्फ ख़ामोशियाँ कहती हैं..."

    _________________________________

    क्या अब आरिका गोरी के इस अतीत को समझ पाएगी?

    क्या अथर्व को इस मासूम चेहरे के पीछे छुपे तूफान का अहसास होगा?

    जानने के लिए पढ़ते रहिए — "प्यार की अनोखी कहानी" ❤️

  • 19. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 19

    Words: 748

    Estimated Reading Time: 5 min

    अब आगे






    💙💕हादसा भी हो और हसीन भी हो,

    ये कमाल तो सिर्फ इश्क को आता है!!💕💙





    थोड़ी देर बाद गौरी ने डाइनिंग टेबल पर खाना लगा दीया, और सबको खाने के लिए बुला लिया।





    गौरी सबको खाना सर्व कर रही थी। सभी खाना खाने लगे लेकिन अथर्व के गले से खाना उतर ही नहीं रहा था।
    साथ ही जबसे गौरी आई थी तबसे किचन में ही  काम कर रही थी।




    अथर्व के दिल में दर्द हो रहा था।उसकी नज़र गौरी के फेस के ऊपर ही थी जहाँ अभी भी थप्पड़ के निसान थे।चेहरा हल्का सूजा हुआ भी था।





    गौरी कि आँखे रोने के कारण लाल और सूजी हुई थी।गौरी ऐसे काम कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो।





    थोड़ी देर बाद आरिका ने गौरी का हाथ पकड़ लिया और उसे भी बैठ कर खाना खाने के लिए कहा।



    आरिका ने कहा - गौरी अब तो सब को सर्व कर दीया अब तो तुम भी खाना खा सकती हो।चलो बैठो और हमारे साथ खाओ।




    गौरी ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा दी मैं बाद में खा लूंगी अभी मुझे किचन में बहुत काम हैं आप खाओ।





    गौरी को पता चल गया था,आरिका अथर्व कि वाइफ नहीं हैं इसलिए अब दी कह रही थी।
    गौरी अपना हाथ छुड़ाते हुए किचन में चली गई थी।




    थोड़ी देर में 21 साल का लड़का घर में आया। देखने में स्मार्ट, हैंडसम ब्लैक हेयर ब्राउन आईज,6 फिट हाईट।
    लड़कियां पागल थी उसे लेकर लेकिन वो किसी लड़की कि तरफ देखता भी नहीं था।




    रेखा ने लड़के को देखकर कहा अरे विक्रम बेटा आओ -आओ बहुत दिनों बाद आए इस बार।
    आओ पहले खाना खा लो फिर बात करेंगे बैठ के।



    विक्रम सभी के साथ बैठ गया।





    विक्रम ने अथर्व को देखा तो पहचान गया,और फिर अथर्व ने आरिका के बारे में भी बताया।
    दोनों लोगों ने बहुत बाते कि।




    विक्रम गौरी को ढूंढ रहा था गौरी ना दिखने पे उसने गौरी को आवाज़ लगाई " गौरी.... गौरी



    गौरी विक्रम कि आवाज़ सुनकर बाहर आई।



    विक्रम ने कहा -पता हैं आज कॉलेज में क्या हुआ। गौरी ने अपने हाथ पोछते हुए विक्रम को चुप रहने के लिए कहने लगी,और किचन में चली गई।




    विक्रम गौरी के घर कि सिचुएशन समझता था।
    इसलिए विक्रम ने अपने लिए एक प्लेट में खाना लगा कर किचन में ही चला गया।






    विक्रम खडे होकर खाना खाता जा रहा था,और गौरी को कॉलेज के बारे में बताता जा रहा था।



    गौरी अपना काम करती जा रही थी,और विक्रम कि बाते सुनकर थोड़ा थोड़ा मुस्करा रही थी।
    यह हर बार का था,जब भी विक्रम कॉलेज से आकर गौरी से मिलता तो ऐसे ही बाते करता, और इसी तरह गौरी भी थोड़ा ख़ुश हो जाया करती थी।





    रेखा ने गुस्सा करते हुए कहा कितनी बार कहा हैं,विक्रम से सबके साथ बैठ के खाया कर पर नहीं ये सुनता कहा हैं,और वो करम जली भी इसको मना नहीं करती।




    ये बाते सुनकर अथर्व के हाथ कि मुठी कस गई और आँखे अँगारे कि तरह लाल हो गई।





    सभी ने खाना खा लिया था। विक्रम अब सबसे बाते कर रहा था उसकी आरिका से दोस्ती हो गई थी। और अथर्व से भी इतने साल बाद मिला था। अब सब जाने के लिए खड़े हुए तो गौरी के दादा जी ने अथर्व और गौरी को रुकने के लिए  कहने लगे तो अथर्व तो अंदर से खुश हो गया।



    विक्रम अब चला गया था उसका घर पास में ही था।


    रात ज्यादा हो गई थी सब सोने चले गए थे।
    अथर्व छत पे खड़ा होकर आँगन में देख रहा था, जहाँ से गौरी अभी भी काम करती हुई नज़र आ रही थी।



    गौरी ने काम खत्म किया और फिर अपने लिए खाना लेने लगी तो रोटी ही बची थी तो उसने रोटी के साथ नमक लेके  खाने लगी।
    जब अथर्व ने ये देखा तो उसके आँखो में आंसू आ गए, क्यूंकि सभी ने इतनी तरह कि चीजे खाने में खाई और गौरी नमक रोटी खा रही थी।



    अथर्व बहुत बेचैन हो रहा था, उसकी बेचैनी कम ही नहीं हो रही थी। वो सोच रहा था ऐसा क्या करे जो गौरी का दर्द खुद में समेट ले।




    💟 क्या लिखूं तुझ पर
    कुछ लफ्ज नहीं है।
    दुरी का एहसास लिखूं
    या बेइंतिहा मोहब्बत की बात लिखूं।
    एक हसीन ख्याल लिखूं
    या तुमको अपनी जान लिखूं।
    तुम्हारा खुबसुरत ख्याल लिखूं
    या अपनी मोहब्बत का इजहार लिखूं।
    तुने ही मुझे लिखा
    अपने प्यार की कलम से
    ए मेरे प्यार बता
    तुझको मैं किस तरह लिखूं।💟



    *************************
    अब अथर्व क्या करेगा?

    गौरी का दर्द कभी कम होगा?

  • 20. Pyar ki Anokhi khani - Chapter 20

    Words: 975

    Estimated Reading Time: 6 min

    अब आगे







    🌷🌷♥️♥️दिल मे ना जाने,,*
              *कैसे तेरे लिए इतनी...*
    *जगह बन गई,💕💕*
           ••----★----••
    *तेरे मन की छोटी छोटी सी,,,*
            *💙"चाह"♥️*
    *मेरे जीने की वजह बन गई🌷🌷♥️♥️





    गौरी सो चुकी थी, लेकिन अथर्व कि आँखो में नींद नहीं थी।




    नींद तो आरिका कि आँखो में भी नहीं थी, आरिका को अक्षित कि याद आ रही थी।



    अथर्व ने मैसेज करके आरिका को छत पर बुला लिया था।




    आरिका भी अथर्व से मिलने छत पे आ गई थी।




    आरिका ने कहा - मिस्टर देवर क्यों बुलाया हैं, तुम्हारी गौरी ने देख लिया तो और गलत समझेगी।




    अथर्व ने कहा- इससे ज्यादा क्या गलत समझेगी? वो तुम्हें मेरी बीवी समझने लगी थी।



    आरिका ने कहा - उप्स............ लगता हैं मिस्टर देवर अभी तक नाराज़ हैं।








    अथर्व ने परेशान होते हुए कहा - आरिका प्रॉब्लम का कोई सलूशन ढूंढो, सिचुएशन को कॉम्प्लिकेटेड मत करो।




    आरिका ने कहा तुम्हारे पास 2 चॉइस हैं गौरी को अपना बनाना के।    




    अथर्व ने कहा - पहला?





    आरिका ने कहा "तुम गौरी का चिरहरण कर लो।"



    अथर्व ने आरिका को हैरानी से देखा।



    आरिका ने अपने कंधे उचका दिए और बोली गलत थोड़ो बोल रही हूँ, उठा के ले जाओ।





    अथर्व ने अपने सर पे हाथ मार कर कहा - उसे चीरहरण नहीं, सीताहरण कहते हैं।




    आरिका ने अपने सर पे हाथ मारकर - कहा दोनों अलग अलग होते हैं क्या?





    अथर्व ने इरिटेट होते हुए कहा - आरिका मैं तुम्हारे साथ प्रॉब्लम शेयर कर रहा हूँ और तुम मजे ले रही हो।




    आरिका ने कहा मैं बिल्कुल ठीक कह रही हूँ पहला तरीका यही हैं कि हम गौरी का किडनैप कर ले और तुम गौरी से शादी कर लेना।




    अथर्व ने कहा - दूसरा?




    आरिका ने कहा दूसरा भी यही  हैं।





    अथर्व ने अपना सर पकड़ लिया।
    और कहने लगा कभी तो सीरियस हो जाया करो।




    आरिका ने कहा - मैं सीरियस हूँ।
    तुम्हें क्या लगता हैं तुम बारात लेके आओगे और सभी खुशी खुशी तुम्हारी शादी कर देंगे। मैं और अक्षित तुम्हारी बारात में नाचेंगे। भूल जाओ ऐसा कुछ नहीं होगा।



    आरिका ने कहा मैं सही सही बता रही हूँ तुम गौरी को मना लो और  अपने भाई के पास जाओ वो तुम्हारी कोर्ट मैरिज करा देगा।


    अथर्व ने कहा - और घर वाले सब हमें घर से बाहर निकाल देंगे।


    आरिका ने कहा - हाँ ये बात तो ये तुम्हारी प्रॉब्लम मेरी से ज्यादा बड़ी हैं।





    अथर्व ने आरिका को निचे देखने को कहा -गौरी ज़मीन पर चटाई बिछा के एक हल्का सा चादर ओड कर सो रही थी अथर्व ने कहा मैं चाहकर भी गौरी के लिए कुछ नहीं कर सकता।



    आरिका ने कहा - तुम एक काम कर सकते हो गौरी को जाके किस कर लो तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा।




    ये सुनकर अथर्व के फेस पे स्माइल आ गई।




    अथर्व ने कहा -और मैं उसे किस ऐसे कैसे करूंगा?



    आरिका ने कहा - तुम पॉकेट नॉवेल पे स्टोरी नहीं पड़ते वहाँ पड़ते तो पता होता कैसे उसमे निहाल ने नव्या को पुशअप करके 98 किस कि थी। नव्या सो रही थी।तुम भी गौरी को पुशअप करके किस कर लो।




    अथर्व ने कहा पुशअप करके किस?






    आरिका ने हाँ में गर्दन हिला दी।और अथर्व का हाथ पकड़ के निचे ले आई।



    थोड़ी देर में आरिका और अथर्व दोनों गौरी के सामने थे और गौरी आराम से सो रही थी।


    आरिका ने कहा- जाओ करो उसके ऊपर पुशअप और ले लो किस।



    अथर्व आरिका के सामने शर्मा रहा था।





    अथर्व ने कहा - मैं ऐसे नहीं लूंगा जब मेरी शादी हो जायेगी तब ले लूँगा।



    आरिका ने कहा - सोच लो शादी कब होगी? आज मौका भी फिर पता नहीं ऐसा मौका मिले या ना मिले? मुझसे ही कुछ सीख लो मैंने पहले दिन ही तुम्हारे भाई को किस कर लिया था।




    अथर्व को भी लगा आरिका ठीक कह रही हैं ऐसा मौका फिर मिले या ना मिले?


    अथर्व पुशअप कि पोजीशन में गौरी के ऊपर आ गया था और उसने दोनों हाथों से जमीन का सहारा ले लिया।




    आरिका ने धीरे से कहा - अब कर लो किस!मैं देख रही हूँ कोई नहीं आएगा यहाँ!


    अथर्व ने भी गौरी को इतनी पास से पहली बार देखा था। अथर्व के dil❤️कि धड़कन बहुत तेल चल रही थी। अथर्व के चेहरे पे एक स्माइल थी 😊।वह बहुत देर तक गौरी को देखता रहा। गौरी के फेस पे बाल से ढका था, अथर्व ने फुक मारकर उन्हें हटा दीया।





    आरिका ने कहा -अथर्व किस भी करोगे या देखते रहोगे।





    अथर्व ने भी पुशअप करना शुरू कर दीया लेकिन गौरी को किस नहीं किया। अथर्व अपना चेहरा गौरी कि गर्दन तक लेके जाता फिर ऊपर आ जाता, फिर गर्दन तक ले जाता इसी तरह उसकी खुशबू को अपने अंदर भरने लगा।





    अथर्व ने 80 पुशअप कर लिए थे लेकिन गौरी को किस नहीं किया फिर अथर्व ने गौरी के माथे पे किस किया और हटने लगा, लेकिन अथर्व कि शर्ट के बटन गौरी के बालों में फस गए। यह देख कर तो अथर्व के दिल ❤️कि धड़कन और बड़ गई।


    अथर्व ने आरिका को इशारा किया, तो आरिका आके शर्ट के बटन को बालो में से सुलझाने लगी पर वो सुलझ ही नहीं रहे थे।

    आरिका ने अथर्व कि तरफ देख कर इशारा किया  गौरी जग गई तो दोनों को मार देगी।




    अथर्व ने स्माइल करके गौरी को देखा उसका तो मन ही नहीं था इस पोजीसन से उठे, लेकिन फिर भी उसे डर था,कि अगर गौरी उठ गई तो उसे गलत ही समझेगी।






    आरिका ने बड़ी मुश्किल से बटन सुलझा दीया लेकिन बटन टूट कर गौरी के कपड़ो में ही गिर गया। अथर्व ने एक लास्ट पुशअप करके गौरी के मैथ पे किस किया और हठ गया।

     


    *रिमझिम सी बारिश और तुम*
    *एक मासूम सी ख्वाहिश बस तुम*
    *जरूरत नहीं है जन्नत की हमें*
    *खुदा से एक गुजारिश सिर्फ तुम....*
    💫💓💫💓💫💓💫💓💫



    💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙💙

    क्या होगा जब गौरी को अथर्व कि बटन अपने पास मिलगी?

    क्या अथर्व और गौरी कि शादी हो पायेगी?