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Rebirth: pyar ya mout?

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Zarna Parmar

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प्यार का शब्द कितना बढ़िया है .. उसे महसूस करना ,उसमें जीना कितना अच्छा लगता है ... लेकिन अगर वही प्यार हमे खतरे में डाले तो????ओर वो प्यार कोई आत्मा निकली तो??? क्या हैं नाता नायरा का अवीक के साथ ?? आखिर क्यों एक प्रेत नायरा के पीछे पड़ा है .?????ये...

Total Chapters (7)

Page 1 of 1

  • 1. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 1

    Words: 1648

    Estimated Reading Time: 10 min

    अंधेरे का निमंत्रण Shimla की सर्द हवाएं अपने साथ रहस्यमयी कहानियों को लेकर चलती हैं। हर गली, हर मोड़ पर कोई न कोई कहानी छुपी होती है—कुछ प्रेम की, कुछ दर्द की, और कुछ ऐसी जो रूह तक कंपा देती हैं। रात का समय था। पहाड़ों पर फैली बर्फ की सफेद चादर चांदनी में चमक रही थी। पेड़ों की शाखाएं ठंडी हवा में धीरे-धीरे रही थीं, जैसे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें छू रही हो। नायरा ने अपने हाथों को जैकेट की जेब में डाला और तेज़ी से कदम बढ़ाने लगी। वह एक छोटी सी बुकशॉप से घर लौट रही थी। रास्ते में बर्फ गिरी हुई थी, जिससे उसके जूते हर कदम पर सरसराहट की आवाज़ कर रहे थे।। "आज फिर देर हो गई," उसने खुद से बड़बड़ाया। Shimla में अजीब बातें होने लगी थीं। पिछले कुछ हफ्तों से, लोग अजीब-अजीब आवाजें सुनने की शिकायत कर रहे थे। कोई कहता कि उसने रात के अंधेरे में किसी को रोते सुना, तो कोई कहता कि उसे अपने पीछे किसी के चलने की आहट महसूस होती है। लेकिन जब मुड़कर देखा जाता, तो वहां कुछ नहीं होता। नायरा ने इन बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया था। वह तर्कशील लड़की थी और भूत-प्रेत की कहानियों में विश्वास नहीं करती थी। लेकिन आज… आज कुछ अलग महसूस हो रहा था। रास्ता सुनसान था, सिर्फ हवा की आवाज़ और उसके जूतों की सरसराहट सुनाई दे रही थी। लेकिन अचानक… टप… टप… किसी और के कदमों की आहट… नायरा के दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उसने धीरे से मुड़कर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था। "शायद मेरा वहम है," उसने खुद को समझाने की कोशिश की और चलने लगी। पर फिर वही आहट! और इस बार ज्यादा तेज़… जैसे कोई उसके और करीब आ रहा हो। उसके कदम तेज़ हो गए। ठंडी हवा उसकी गर्दन पर सरसराने लगी। उसने सोचा कि किसी को फोन कर ले, लेकिन उसका फोन जैकेट की गहरी जेब में था और उसे निकालने में देर लग सकती थी। फड़ाक! एक झटके से हवा इतनी तेज़ चली कि पास का सूखा पेड़ चरमरा उठा। नायरा का दिल जोर से धड़कने लगा। वह अब लगभग दौड़ने लगी थी। घर पास था—बस दो गलियां और। पर तभी… "नायरा…" एक धीमी, ठंडी, और किसी अजनबी की आवाज़ ने उसे रोक दिया। वह थम गई। उसके पैरों ने जैसे चलने से इनकार कर दिया। उसने धीरे-धीरे पीछे मुड़कर देखा। सामने कोई खड़ा था—एक लंबा, छायामय अक्स। उसकी आँखें अजीब तरीके से चमक रही थीं, जैसे चांदनी ने उन्हें रौशनी दी हो। नायरा का गला सूख गया। "त… तुम कौन हो?" उसकी आवाज़ कांप रही थी। लेकिन जवाब नहीं मिला। वो आकृति बस खड़ी रही, उसे घूरती हुई। नायरा ने डरते हुए एक कदम पीछे लिया, और तभी वो आकृति तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ी। उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। वह भागी, पूरी ताकत से। लेकिन उसके कानों में वो आवाज़ फिर गूंजी—"तुम मुझसे भाग नहीं सकती, नायरा…" वह सड़क के मोड़ पर पहुँची और ठिठक गई। सामने उसका घर था—सुरक्षित, परिचित, लेकिन आज अजनबी सा लग रहा था। उसने जल्दी से दरवाज़ा खोला और अंदर घुसते ही ज़ोर से बंद कर दिया। धड़क… धड़क… धड़क… उसका दिल पागलों की तरह धड़क रहा था। उसने गहरी सांस ली, खुद को संयमित किया और खिड़की से झांका। बाहर कुछ नहीं था—वही बर्फीला रास्ता, वही शांत अंधेरा। "शायद मेरी कल्पना थी," उसने खुद को समझाया। लेकिन तभी… पीछे से किसी के सांस लेने की आवाज़ आई। ठंडी… धीमी… और खौफनाक। नायरा ने झटके से मुड़कर देखा— एक परछाईं! कोई उसके पीछे खड़ा था, एकदम करीब… "मैं आ गया हूँ, नायरा…" नायरा का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसकी साँसें बेतहाशा चल रही थीं। पीछे से आती ठंडी साँसों की सरसराहट ने जैसे उसकी रूह तक जमा दी थी। वह धीरे-धीरे मुड़ी। सामने कोई नहीं था। बस कमरे में हल्का अंधेरा था, और खिड़की से चाँदनी अंदर झाँक रही थी। लेकिन फिर भी, उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे वहाँ कोई था—कोई जो उसे देख रहा था… किसी की नज़रें उसकी गर्दन पर चुभ रही थीं। "नायरा…" वही आवाज़। यह असली थी। उसने अपने कानों से सुनी थी। "क… कौन है यहाँ?" उसकी आवाज़ काँप गई। कोई जवाब नहीं आया। उसने लाइट ऑन की। कमरा बिल्कुल खाली था। हर चीज़ अपनी जगह पर थी—वही किताबें, वही फोटो फ्रेम, वही पर्दे… लेकिन फिर भी, उसे सब कुछ बदला-बदला सा लग रहा था। उसने लंबी साँस ली और खुद को समझाने की कोशिश की। "यह सब मेरा वहम होगा। हो सकता है मैं ज़्यादा डर गई हूँ, और मेरी दिमाग ने ये सब गढ़ लिया।" लेकिन उस ठंडी सांसों का क्या? उस परछाई का क्या? नायरा ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और बिस्तर पर लेट गई। उसने कम्बल अपने सिर तक खींच लिया, जैसे वो उसे किसी अनजान खतरे से बचा लेगा। लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी? हर छोटी सी आवाज़ उसे चौका रही थी। पत्तों की सरसराहट भी उसे डराने लगी थी। करीब एक घंटे बाद, उसकी पलकें भारी होने लगीं। लेकिन तभी— क्लिक! उसके कमरे की लाइट बंद हो गई। नायरा का पूरा जिस्म सुन्न हो गया। उसने झटके से अपना फोन उठाया और टॉर्च ऑन की। कमरे की रोशनी में कुछ भी अजीब नहीं था, लेकिन उसका दिल कह रहा था कि कुछ ग़लत हो रहा है। उसने धीमे से करवट बदली, लेकिन तभी… किसी के ठंडे हाथ ने उसका हाथ पकड़ लिया। नायरा का शरीर झटके से सुन्न हो गया। उसके पास चीखने की भी हिम्मत नहीं बची थी। उसने अपनी आँखें हल्के से खोलीं और देखा— कोई उसके बिस्तर के पास बैठा था। लंबा, काला, धुंधला सा अक्स… उसकी साँसें धीमी और भारी थीं। और फिर, उस आकृति ने धीरे से कहा— "मैं तुम्हें बहुत पहले से जानता हूँ, नायरा…" नायरा की आँखों से आँसू बहने लगे। "त… तुम कौन हो?" परछाईं ने धीरे से अपना सिर झुकाया, जैसे मुस्कुरा रहा हो। "क्या तुम्हें सच में नहीं पता?" नायरा ने सिर हिलाया। "मैं… तुम्हारा इंतज़ार कर रहा था।" "क्यों?" नायरा की आवाज़ अब और भी हल्की हो गई थी। आकृति धीरे-धीरे उसके और करीब झुक गई। उसकी ठंडी साँसें नायरा के चेहरे से टकरा रही थीं। "क्योंकि…" वह एक पल को रुका, और फिर— "क्योंकि तुम सिर्फ मेरी हो।" नायरा की आँखें फैल गईं। उसकी पूरी आत्मा जैसे इस एक वाक्य में कैद हो गई थी। और तभी… आकृति गायब हो गई। कमरे की लाइट अचानक से फिर जल गई, और सब कुछ पहले जैसा लगने लगा। पर नायरा जानती थी—यह कोई सपना नहीं था। वह बिस्तर पर बैठ गई, उसका शरीर अभी भी डर से काँप रहा था। "यह कौन था? क्या यह वही शख्स था, जिसे मैंने रास्ते में देखा था?" या फिर… यह कोई और था? उसका दिमाग सवालों से भर चुका था, लेकिन एक बात वह अच्छे से समझ गई थी—अब उसकी ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रहने वाली। नायरा रातभर सो नहीं सकी। वह बस एक ही बात सोच रही थी—"वो कौन था?" क्या यह कोई सपना था? या कोई बुरा वहम? लेकिन अगर वहम होता, तो उसके हाथ पर वो ठंडा स्पर्श कैसा था? सुबह की पहली किरण कमरे में दाखिल हुई। नायरा ने बिस्तर से उठने की कोशिश की, लेकिन जैसे ही उसने अपना हाथ आगे बढ़ाया, उसकी कलाई पर कुछ अजीब दिखा। एक काला निशान। उसके पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गई। "ये क्या है?" निशान जलने के निशान जैसा लग रहा था, जैसे किसी ने उसकी कलाई पर अपनी उंगलियाँ जोर से दबाई हों। उसने जल्दी से अपने हाथ को पानी से धोया, पर वो निशान जस का तस था। उसका मन अब और बेचैन होने लगा। क्या ये वही रहस्यमयी परछाई थी? लेकिन अब डरने से कोई फायदा नहीं था। उसे अपनी दोस्त रिया से बात करनी थी। कॉफ़ी शॉप में एक अजनबी नायरा अपने डर से बचने के लिए रिया से मिलने एक कॉफ़ी शॉप गई। रिया पहले से वहाँ उसका इंतज़ार कर रही थी। "क्या हुआ? इतनी परेशान क्यों लग रही है?" रिया ने पूछा। नायरा ने संक्षेप में उसे पूरी बात बता दी—रास्ते में किसी का पीछा करना, घर में किसी के होने का अहसास, और फिर उसकी कलाई पर ये अजीब सा निशान। रिया कुछ देर तक चुप रही, फिर बोली, "तुझे लग रहा है ये सब तेरा वहम है, लेकिन मैं जानती हूँ कि ये पहली बार नहीं हो रहा।" "मतलब?" रिया ने धीरे से कहा, "तुझे याद है, तेरा बचपन का हादसा?" नायरा की साँसें एक पल को रुक गईं। बचपन… एक धुंधली याद… एक रात जब वो लगभग मर गई थी। लेकिन इससे इसका क्या संबंध था? "रिया, तू क्या कहना चाह रही है?" रिया कुछ कहने ही वाली थी कि तभी— "अगर मैं तुम्हारे पास बैठ जाऊँ, तो कोई दिक्कत तो नहीं?" एक गहरी, दिलकश लेकिन ठंडी आवाज़ आई। नायरा ने सिर उठाकर देखा। सामने एक अजनबी लड़का खड़ा था। लंबा कद, काले घने बाल, भूरी आँखें… और चेहरे पर एक रहस्यमयी मुस्कान। लेकिन सबसे अजीब बात थी—उसकी उंगलियों के पास हल्का सा जलने का निशान था… ठीक वैसा ही जैसा नायरा की कलाई पर था। नायरा का दिल ज़ोर से धड़क उठा। "हम पहले भी मिल चुके हैं..." "तुम कौन हो?" नायरा ने धीरे से पूछा। लड़के ने हल्की मुस्कान दी और कहा— "मेरा नाम अविक है। लेकिन असली सवाल ये है… क्या तुम्हें सच में नहीं पता कि मैं कौन हूँ?" नायरा और रिया एक-दूसरे को देखने लगीं। "नहीं… मैंने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा," नायरा ने जवाब दिया। अविक की आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने धीरे से कहा— "झूठ मत बोलो, नायरा। मैं तुम्हें तुम्हारे बचपन से जानता हूँ। बल्कि, मैंने तुम्हें बचाया था…" नायरा की आँखें चौड़ी हो गईं। "बचाया था?" अविक ने धीरे से उसकी कलाई को देखा, जहाँ वो काला निशान था। फिर उसने धीरे से फुसफुसाकर कहा— "क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम बचपन में मरी क्यों नहीं? क्योंकि मैंने तुम्हें मरने नहीं दिया…" नायरा के हाथ से कॉफ़ी कप छूटकर ज़मीन पर गिर पड़ा। to be continued 💫 🦋 💙

  • 2. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 2

    Words: 1572

    Estimated Reading Time: 10 min

    कॉफी कप के टूटने की आवाज़ पूरे कैफ़े में गूंज गई। लोग पलटकर देखने लगे, लेकिन नायरा के लिए इस वक्त दुनिया की सारी आवाज़ें फीकी पड़ गई थीं। अविक की आँखें उसके चेहरे पर टिकी थीं, जैसे वह उसकी आत्मा के अंदर तक झाँक रहा हो। "मैंने तुम्हें मरने नहीं दिया…" ये शब्द उसके दिमाग में गूँज रहे थे। "तुम बकवास कर रहे हो," नायरा ने खुद को सँभालते हुए कहा। "मैंने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा। और तुम मेरे बचपन के बारे में कुछ भी नहीं जानते।" अविक मुस्कुराया। "शायद तुम्हें याद नहीं… लेकिन मैं तुम्हें अच्छे से जानता हूँ, नायरा।" वह थोड़ा आगे झुका और धीरे से फुसफुसाया— "या फिर मैं तुम्हें ओविया बुलाऊँ?" नायरा के पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ गई। ओविया। ये नाम सिर्फ उसे और उसके माता-पिता को पता था। यह उसका असली नाम था, लेकिन एक हादसे के बाद उसके परिवार ने उसे छुपाने के लिए "नायरा" नाम दे दिया था। "त… तुम्हें ये नाम कैसे पता?" उसकी आवाज़ काँप गई। अविक ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बस एक गहरी, अजीब मुस्कान दी और कहा— "तुम्हें सच्चाई जाननी होगी, नायरा। लेकिन अभी नहीं… सही वक्त पर।" फिर वह उठकर जाने लगा। "रुको!" नायरा ने घबराकर कहा। अविक पलटा, उसकी भूरी आँखें चमक उठीं। "मुझे जवाब चाहिए," नायरा ने कहा। अविक कुछ देर उसे देखता रहा, फिर धीरे से बोला— "अगर सच जानना चाहती हो, तो आज रात 12 बजे पुराने चर्च के पास आना। लेकिन याद रखना… वहाँ से वापस लौट पाना तुम्हारे हाथ में नहीं होगा।" नायरा के शरीर में एक ठंडक सी दौड़ गई। अविक ने उसकी तरफ एक आखिरी नज़र डाली और फिर भीड़ में गायब हो गया। रात का बुलावा रिया, जो अब तक चुप थी, अचानक बोली, "नायरा, मुझे ये लड़का बिल्कुल ठीक नहीं लग रहा।" "मुझे भी," नायरा ने कहा। "तू चर्च नहीं जाएगी, ठीक है?" नायरा ने कोई जवाब नहीं दिया। क्योंकि उसका दिल कह रहा था कि उसे जाना ही होगा। --- रात गहरी होती जा रही थी। ठंडी हवा ने पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले लिया था। नायरा चर्च की ओर बढ़ रही थी। हर कदम के साथ उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। जैसे ही वह चर्च के पास पहुँची, हवा एकदम ठहर गई। चारों ओर एक अजीब सन्नाटा था। फिर अचानक— घड़ी ने 12 बजाए। और उसी पल, चर्च की घंटी खुद-ब-खुद बज उठी। टन्न… टन्न… टन्न… नायरा की साँसें तेज़ हो गईं। और तभी— पीछे से किसी ने उसका नाम पुकारा। "ओविया…" वह झटके से मुड़ी। अविक वहाँ खड़ा था। लेकिन अब वह वैसा नहीं लग रहा था जैसा दिन में था। उसकी आँखें अब हल्की लाल चमक रही थीं। उसकी परछाई अजीब तरीके से हिल रही थी, जैसे वह इंसान नहीं… कुछ और हो। "अब मैं तुम्हें सच्चाई दिखाने वाला हूँ," अविक ने कहा। और फिर, नायरा की आँखों के सामने अंधेरा छा गया। चर्च की घंटियों की आवाज़ अब धीमी पड़ गई थी, लेकिन नायरा के कानों में अब भी गूंज रही थी। अविक उसके सामने खड़ा था, पर अब वह पहले जैसा नहीं लग रहा था। उसकी आँखें हल्की लाल चमक रही थीं, जैसे उसके अंदर कोई अजीब सी शक्ति थी। नायरा ने घबराकर एक कदम पीछे लिया। "त… तुम क्या हो?" अविक हल्का मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान में कुछ था… कुछ ऐसा जिसने नायरा के अंदर तक सिहरन दौड़ा दी। "मैं तुम्हारी भूली हुई यादें हूँ, ओविया।" "मेरा नाम नायरा है!" वह चिल्लाई। अविक ने धीरे से सिर हिलाया। "नहीं… तुम्हारा असली नाम ओविया है, और तुम्हें ये नाम देने वाला मैं ही था।" नायरा का दिमाग जैसे सुन्न पड़ने लगा। "झूठ…" वह बड़बड़ाई। "मैंने तुम्हें पहले कभी नहीं देखा।" अविक ने एक गहरी साँस ली, और फिर धीरे से अपना हाथ बढ़ाया। "अगर तुम सच देखना चाहती हो, तो मेरा हाथ पकड़ो।" नायरा के पैर जम गए। वह जानती थी कि अगर उसने उसका हाथ पकड़ लिया, तो कुछ भयानक होने वाला था। लेकिन साथ ही, उसका दिल यह भी कह रहा था कि यही एक रास्ता था सच तक पहुँचने का। थरथराते हाथों से उसने अविक का हाथ थाम लिया। और फिर… अंधकार में गिरती एक लड़की एक झटके में, सब कुछ घूमने लगा। नायरा की आँखों के सामने अंधेरा छा गया, जैसे वह किसी गहरे कुएँ में गिर रही हो। और फिर… अचानक… वह एक पुराने महल में खड़ी थी। चारों ओर अंधेरा था, सिर्फ दीवारों पर जलती हुई टॉर्च की हल्की रोशनी थी। "ये… कहाँ हूँ मैं?" फिर उसने किसी के रोने की आवाज़ सुनी। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ी। और सामने जो दिखा, उससे उसकी साँसें थम गईं। एक लड़की ज़मीन पर पड़ी थी, खून से लथपथ। नायरा की आँखें चौड़ी हो गईं। "ये… कौन है?" लड़की के कपड़े फटे हुए थे, उसकी कलाई पर चोट के निशान थे… और उसके चेहरे पर वही काला निशान था, जो अब नायरा की कलाई पर था। "नायरा…!" उसने चौंककर देखा। अविक उसके पास खड़ा था, लेकिन इस बार वह वैसा नहीं दिख रहा था। उसके कपड़े पुराने जमाने के थे, उसकी आँखों में अजीब सी बेचैनी थी। "अविक, ये सब क्या है?" नायरा ने घबराकर पूछा। अविक ने गहरी साँस ली और धीरे से कहा— "तुम्हें याद नहीं… लेकिन ये लड़की तुम ही हो।" "क्या?" नायरा का सिर चकराने लगा। "यह तुम्हारा ही अतीत है, ओविया। सौ साल पहले, तुम यहीं मरी थीं। और मैं… मैं तुम्हें बचा नहीं सका।" नायरा की आँखें फटी की फटी रह गईं। "तुम… सौ साल पहले भी थे?" अविक की आँखें भर आईं। "हाँ… और मैं आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ।" नायरा की साँसें तेज़ हो गईं। "तुम कौन हो, अविक?" अविक ने उसकी आँखों में गहराई से देखा और धीरे से कहा— "मैं तुम्हारा प्रेमी था, ओविया… और आज भी हूँ।" नायरा को ऐसा लगा जैसे उसका दिल धड़कना बंद कर देगा। "मैं… मैं तुम्हारी प्रेमिका थी?" अविक की गहरी भूरी आँखें उस पर टिकी थीं। उनमें एक अजीब सा दर्द था, एक अधूरी चाहत… "हाँ, ओविया," उसने धीरे से कहा। "तुम मेरी थी… और अब भी हो।" नायरा का दिमाग जैसे सुन्न पड़ गया था। "ये सब सच है? क्या मैं सच में किसी पिछले जन्म में थी?" उसकी नज़र उस खून से लथपथ लड़की पर पड़ी—जो खुद उसकी ही शक्ल की थी। "मैं… मरी थी?" उसकी आवाज़ काँप गई। अविक की मुट्ठियाँ कस गईं। "हाँ… और मैं तुम्हें बचा नहीं सका।" उसके शब्दों में एक ऐसा दर्द था जिसने नायरा की आत्मा तक को झकझोर दिया। सौ साल पहले… चारों ओर अंधेरा छाने लगा। अचानक, पूरा महल किसी चलचित्र की तरह जीवंत हो उठा। अब वह एक अलग समय में थी—सौ साल पहले। महल के भव्य गलियारे, जलते हुए मशालों की हल्की रोशनी, और दूर से आती संगीत की आवाज़… नायरा ने देखा—वह एक खूबसूरत राजकुमारी की तरह सजी हुई थी। उसने खुद को शीशे में देखा—वही चेहरा, लेकिन आँखों में मासूमियत और होठों पर एक हल्की मुस्कान। तभी दरवाज़ा खुला, और अंदर एक शख्स आया— अविक। लेकिन वह अब वैसा नहीं लग रहा था जैसा आज है। वह एक योद्धा की पोशाक में था, आँखों में जुनून, और चेहरे पर वही रहस्यमयी मुस्कान। "ओविया," उसने धीमे से कहा। नायरा—या कहें ओविया—ने उसे देखकर मुस्कुरा दिया। "तुम फिर से बिना इजाज़त के महल में आ गए," उसने शरारती लहजे में कहा। अविक हँस पड़ा। "और तुम फिर से मुझसे भागने की कोशिश कर रही हो?" ओविया ने सिर झुका लिया। "अगर मेरे पिता को पता चला कि मैं एक साधारण सैनिक से प्यार करती हूँ, तो वो मुझे मार डालेंगे, अविक।" अविक की आँखों में दर्द झलकने लगा। "तो भाग चलो मेरे साथ," उसने धीरे से कहा। "हम कहीं दूर चले जाएँगे, जहाँ कोई हमें अलग न कर सके।" ओविया की आँखें भर आईं। "काश ये इतना आसान होता…" लेकिन भाग्य ने उनके लिए कुछ और ही सोच रखा था। विश्वासघात और मृत्यु महल के गलियारों में साज़िशें बुनने लगी थीं। ओविया का प्रेम उसके पिता को कबूल नहीं था। उन्होंने उसे किसी और राजा से शादी के लिए तय कर दिया था। लेकिन… अविक को हटाने के लिए उन्होंने एक और घिनौनी चाल चली। उस रात, जब अविक और ओविया भागने की योजना बना रहे थे, तभी अचानक महल के सैनिकों ने उन पर हमला कर दिया। अविक ने तलवार खींच ली और बहादुरी से लड़ा, लेकिन संख्या बहुत अधिक थी। ओविया चिल्लाई, "उसे मत मारो!" पर तभी— एक तलवार उसकी छाती के पार हो गई। अविक की आँखों के सामने उसका प्यार दम तोड़ रहा था। "ओविया!" उसने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे। "मैंने तुम्हें बचाने की कसम खाई थी…" उसकी आवाज़ टूट गई। ओविया ने उसकी आँखों में देखा और धीरे से मुस्कुराई। "मैं… फिर लौटूँगी, अविक।" और फिर, उसकी आँखें हमेशा के लिए बंद हो गईं। भूतकाल से वर्तमान तक नायरा की आँखों के सामने सब कुछ घूमने लगा। वह झटके से वर्तमान में लौट आई। वह अभी भी चर्च के बाहर खड़ी थी, लेकिन अब उसकी आँखों में आँसू थे। "मैं… वो लड़की थी?" उसकी आवाज़ काँप रही थी। अविक ने धीरे से सिर झुका लिया। "हाँ, नायरा। तुम ही ओविया थी।" "और तुम…" नायरा ने धीरे से पूछा, "तुम इंसान हो या…" अविक की आँखें चमकीं। "मैं आज भी वही हूँ, नायरा," उसने धीरे से कहा। "मैंने तुम्हारा इंतज़ार किया… सौ साल तक।" नायरा की साँसें तेज़ हो गईं। "पर तुम ज़िंदा कैसे हो?" अविक मुस्कुराया। "क्योंकि मैंने तुम्हें खोने के बाद… अपनी आत्मा बेच दी थी।" to be continued 💫🦋💙

  • 3. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 3

    Words: 1831

    Estimated Reading Time: 11 min

    "अपनी आत्मा बेच दी?" नायरा के होंठ बमुश्किल हिले। ठंडी हवा उसके चारों ओर चक्कर काट रही थी, जैसे कोई अदृश्य ताकत उसे छूने की कोशिश कर रही हो। अविक की आँखें गहरी, डरावनी, और दर्द से भरी हुई थीं। "हाँ, नायरा," उसने धीरे से कहा। "तुम्हें खोने के बाद… मैंने खुद को हमेशा के लिए अंधेरे के हवाले कर दिया।" नायरा ने धीरे-धीरे कदम पीछे लिए। "मतलब… तुम अब इंसान नहीं रहे?" अविक हँसा, लेकिन उसकी हँसी में कड़वाहट थी। "नहीं।" फिर वह एकदम शांत हो गया और धीरे से आगे बढ़ा। "मैं अब एक श्रापित आत्मा हूँ, जो इस दुनिया में अटका हुआ है। मैंने अंधकार से सौदा किया, ताकि मैं वापस आ सकूँ… ताकि मैं तुम्हारा इंतज़ार कर सकूँ।" नायरा की धड़कन तेज़ हो गई। "कैसा सौदा?" अविक ने धीरे से अपनी हथेली खोली। वहाँ एक काली आकृति थी, जो किसी जीवित छाया की तरह हिल रही थी। "मैंने अपनी आत्मा एक छायादेव को सौंप दी थी। बदले में, उसने मुझे इस दुनिया में वापस आने दिया… जब तक कि मैं तुम्हें वापस नहीं पाता।" नायरा काँप उठी। "छायादेव?" "हाँ," अविक ने गहरी साँस ली। "वो एक ऐसी शक्ति है, जो हर इंसान के सबसे गहरे डर में रहती है। वही मेरी आत्मा का मालिक है, और उसने मुझसे एक वादा लिया है…" नायरा ने डर से निगल लिया। "कैसा वादा?" अविक ने उसकी आँखों में देखा—गहरी, अंधेरी, दर्दभरी आँखें। "कि मैं तुम्हें अपना बना लूँगा। इस बार कोई हमें जुदा नहीं कर सकेगा, नायरा। न समय, न मौत… और न ही तुम्हारी किस्मत।" अंधकार का इशारा ठीक उसी पल, हवा और भी ठंडी हो गई। चर्च की घंटियाँ एक बार फिर बजने लगीं, लेकिन इस बार उनकी आवाज़ भयानक थी—जैसे वे किसी अदृश्य शक्ति के प्रभाव में हों। "टन्न… टन्न… टन्न…" नायरा के रोंगटे खड़े हो गए। कुछ सही नहीं था। फिर अचानक, चर्च के पीछे की झाड़ियों में कुछ हिला। नायरा ने एक परछाई को सरकते हुए देखा—लंबी, काली, बिना आकार की… "वो आ गया," अविक ने फुसफुसाकर कहा। "क… कौन?" नायरा की आवाज़ काँप गई। अविक ने उसकी कलाई पकड़ ली। "छायादेव," उसने धीरे से कहा। "अब तुम्हारा भी हिसाब करने आया है।" नायरा ने जोर से सिर हिलाया। "मैं… मैंने उससे कुछ नहीं माँगा!" अविक मुस्कुराया। "लेकिन मैं तुम्हें माँग चुका हूँ, नायरा। और अब वो तुम्हें लेने आया है।" छायादेव का आगमन अचानक, अंधेरा और गाढ़ा हो गया। नायरा ने देखा—चर्च की दीवारों पर अजीब-सी आकृतियाँ उभरने लगीं, जैसे कोई अंदर से बाहर आने की कोशिश कर रहा हो। फिर, अंधेरे में से दो चमकती लाल आँखें उभरीं। एक गहरी, भयानक आवाज़ आई—"समय पूरा हुआ, अविक। अब इस लड़की को सौंप दो।" नायरा की साँसें थम गईं। "अविक, ये क्या है?" उसने घबराकर पूछा। अविक ने धीरे से उसकी कलाई पर उंगलियाँ फेरीं। "तुम मेरी हो, नायरा," उसने फुसफुसाया। "अब हमेशा के लिए।" और फिर… उसने नायरा को अंधेरे की ओर खींच लिया। नायरा की धड़कनें तेज़ हो गई थीं। अविक ने उसकी कलाई पकड़ रखी थी, और अंधेरे से झांकती लाल चमकती आँखें धीरे-धीरे नज़दीक आ रही थीं। "समय पूरा हुआ, अविक," छायादेव की गहरी, डरावनी आवाज़ गूँजी। "उसे मेरे हवाले करो।" नायरा ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की। "अविक, मुझे जाने दो!" लेकिन अविक की पकड़ और मज़बूत हो गई। "अब तुम मेरी हो, नायरा।" तभी— "अविक, उसे छोड़ दो!" एक भारी आवाज़ ने माहौल को कंपा दिया। नायरा चौंककर उस दिशा में देखी— एक लंबे कद का आदमी चर्च के दरवाज़े के पास खड़ा था। उसकी आँखों में गहरी चमक थी, चेहरे पर हल्की दाढ़ी, और कंधों तक लंबे काले बाल हवा में उड़ रहे थे। उसने काली जैकेट पहनी थी, और उसकी उँगलियों में एक अजीब-सा कड़ा था, जिस पर कोई रहस्यमयी मंत्र उकेरा हुआ था। अविक ने धीरे से नायरा की कलाई छोड़ी और उस आदमी की तरफ देखा। "रुद्र…" "रुद्र?" नायरा फुसफुसाई। रुद्र ने उसकी ओर देखा। उसकी आँखों में चिंता और दृढ़ता थी। "डरो मत, मैं तुम्हारी मदद करने आया हूँ," उसने कहा। छायादेव की लाल आँखें क्रोध से चमक उठीं। "यह इंसान यहाँ क्या कर रहा है?" अविक ने रुद्र की तरफ कदम बढ़ाया। "तुम यहाँ क्यों आए हो?" रुद्र मुस्कुराया। "तुम्हारी काली दुनिया की सच्चाई उजागर करने।" रुद्र कौन है? नायरा का दिमाग सवालों से भर गया। "यह आदमी कौन है? और इसे अविक और छायादेव के बारे में सब कैसे पता है?" रुद्र ने जेब से एक ताबीज निकाला और नायरा की ओर बढ़ा दिया। "इसे पकड़ो, ये तुम्हारी रक्षा करेगा," उसने कहा। जैसे ही नायरा ने ताबीज छुआ, अचानक हवा में हलचल होने लगी। चर्च की घंटियाँ और तेजी से बजने लगीं। अविक पीछे हट गया, जैसे उसे किसी चीज़ से जलन हो रही हो। छायादेव की गहरी आवाज़ गूँजी—"रुद्र! तुम फिर से हमारी राह में आ रहे हो।" रुद्र ने ठंडी नज़रों से उसे देखा। "हाँ, क्योंकि तुम्हारी जगह अंधेरे में है। नायरा का नहीं।" अविक का क्रोध अविक की आँखों में गहरा अंधकार फैलने लगा। "नायरा मेरी थी, मेरी है और मेरी ही रहेगी!" उसने गुर्राकर कहा। रुद्र हँस पड़ा। "वही पुराना पागलपन। तुमसे तुम्हारा प्यार छीन लिया गया था, अविक… लेकिन क्या तुमने कभी सोचा कि असली गुनहगार कौन था?" अविक ने गुस्से से उसे घूरा। "क्या मतलब?" रुद्र ने धीरे से कहा—"जिससे तुमने सौदा किया… वही तुम्हारा सबसे बड़ा दुश्मन है, अविक। छायादेव ने ही तुम्हें श्रापित किया।" छायादेव की लाल आँखें तेजी से चमक उठीं। "चुप रहो!" लेकिन रुद्र ने नज़रें नहीं झुकाईं। "तुमने अपनी आत्मा बेची थी, अविक," रुद्र ने आगे कहा, "लेकिन बदले में क्या पाया? सिर्फ अंधेरा, सिर्फ दर्द… और अब तुम वही दर्द नायरा को देना चाहते हो?" नायरा हिल गई। "क्या अविक का प्यार सिर्फ एक जुनून बन चुका है?" अविक के चेहरे पर दर्द और गुस्से की लकीरें उभर आईं। "नायरा मेरी है!" उसने जोर से कहा। रुद्र ने एक कदम आगे बढ़ाया। "नायरा का कोई मालिक नहीं है, अविक। प्यार ज़ंजीर नहीं होता, उसे बाँधा नहीं जा सकता।" अविक की आँखों में नायरा के लिए प्रेम और अजीब-सा दर्द झलक रहा था। लेकिन छायादेव अब और इंतज़ार नहीं कर सकता था। "बहुत हो गया!" अचानक, वह धुंधली परछाईं एक बड़े दैत्य के आकार में बदलने लगी। उसकी लंबी काली उँगलियाँ नायरा की ओर बढ़ने लगीं। "नायरा अब मेरी है!" भागने का रास्ता रुद्र ने तुरंत एक तांत्रिक मंत्र पढ़ा और ज़मीन पर एक सफेद घेरा बना दिया। "नायरा, अंदर आओ!" नायरा झट से उस घेरे में कूद गई। छायादेव की उँगलियाँ जैसे ही घेरे को छूने वाली थीं, वह अचानक एक ज़ोरदार चीख के साथ पीछे हट गया। "नहीं!!" रुद्र मुस्कुराया। "पुराने मंत्र अब भी तुम्हारे लिए खतरा हैं, छायादेव।" अविक ने गुस्से से देखा। "ये मत समझना कि तुम जीत गए, रुद्र। नायरा मेरी थी और मेरी ही रहेगी।" रुद्र ने नायरा की ओर देखा। "यह सिर्फ शुरुआत है, नायरा। तुम्हें अब सच और झूठ के बीच खुद फैसला लेना होगा।" नायरा का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। क्या वह अविक की भावनाओं को समझेगी? या रुद्र सही कह रहा है—कि अविक सिर्फ अंधेरे का गुलाम बन चुका है? रुद्र ने नायरा की कलाई पकड़कर उसे चर्च के बाहर खींच लिया। हवा अभी भी भारी और ठंडी थी, लेकिन वह अब छायादेव के अंधेरे से थोड़ी दूर आ चुकी थी। अंदर, अविक अब भी क्रोध में तड़प रहा था। "तुम मुझे नायरा से अलग नहीं कर सकते, रुद्र!" उसने गरजकर कहा। रुद्र ने पलटकर देखा। उसकी आँखों में एक अजीब सी दृढ़ता थी। "अगर तुम्हें वाकई नायरा से प्यार था, तो तुम उसे एक बंदिश नहीं, आज़ादी देते, अविक।" छायादेव की गहरी हँसी गूँजी। "हा...हा...हा... यह लड़की मेरे अंधेरे में आने से नहीं बच सकती, रुद्र! चाहे तुम कितने भी तंत्र-मंत्र कर लो।" रुद्र ने एक ताबीज नायरा की ओर बढ़ाया। "इसे पकड़ो। जब तक यह तुम्हारे पास रहेगा, छायादेव तुम्हें छू नहीं पाएगा।" नायरा ने कांपते हाथों से ताबीज लिया। अविक ने एक गहरी साँस ली। उसकी आँखें दर्द से भरी थीं, लेकिन वह वहाँ से हिला नहीं। "तुम जा सकती हो, नायरा। लेकिन याद रखना... तुम एक दिन खुद लौटकर मेरे पास आओगी।" नायरा का दिल धड़क उठा। वह यह शब्द सुनकर अजीब-सी बेचैनी महसूस कर रही थी। रुद्र ने उसका हाथ कसकर पकड़ा। "चलो!" और वे दोनों अंधेरे को चीरते हुए चर्च से बाहर निकल गए। असली लड़ाई की तैयारी रुद्र उसे शहर से दूर एक छोटे से कुटीर में ले आया। यह जगह पुराने ज़माने के किसी गुप्त आश्रम जैसी लग रही थी। नायरा अब भी सदमे में थी। "ये सब क्या हो रहा है, रुद्र? तुम कौन हो? और तुम्हें इन सबके बारे में इतना कुछ कैसे पता है?" रुद्र ने गहरी साँस ली। "मैं एक अघोरी हूँ, नायरा। मैं उन आत्माओं से लड़ता हूँ, जिन्हें अधूरी इच्छाओं ने श्रापित बना दिया है।" नायरा का मुँह खुला का खुला रह गया। "तो तुम जानते थे कि अविक कौन है?" "हाँ," रुद्र ने सिर हिलाया। "लेकिन जो तुम नहीं जानती, वो ये है कि… अविक अब सिर्फ एक प्यादा है। असली खेल छायादेव का है।" "मतलब?" नायरा ने पूछा। रुद्र की आँखें चमकीं। "छायादेव ने सिर्फ अविक से सौदा नहीं किया था… उसने तुम्हारे पिछले जन्म से ही तुम पर नज़र रखी थी।" नायरा के हाथ से ताबीज गिरते-गिरते बचा। "क्या?" रुद्र गंभीर स्वर में बोला—"छायादेव को तुम्हारी आत्मा चाहिए, नायरा। अविक बस उसका जरिया है।" नायरा ने घबराकर पूछा, "लेकिन क्यों? मैं कौन हूँ?" रुद्र ने धीरे से कहा—"तुम सिर्फ ओविया नहीं थी, नायरा। तुम एक विशेष आत्मा हो। और छायादेव तुम्हें हमेशा के लिए अपने अंधकार में कैद करना चाहता है।" अविक की उलझन दूसरी तरफ, अविक अकेला चर्च में खड़ा था। उसके भीतर अजीब सा द्वंद्व चल रहा था। "क्या मैं सच में सिर्फ एक मोहरा हूँ?" उसने अपने हाथों की ओर देखा। वहाँ हल्की काली लकीरें दौड़ रही थीं, जैसे कोई अंधेरा उसमें समा रहा हो। "छायादेव…" उसने धीमी आवाज़ में कहा। "तूने मुझसे झूठ बोला?" छायादेव की हँसी गूँजी। "झूठ और सच का कोई मतलब नहीं, अविक। तुम्हें तो बस नायरा को मेरे पास लाना है।" अविक की आँखों में एक पल के लिए शंका झलकी। "क्या मेरा प्यार सिर्फ एक चाल थी?" लेकिन फिर, उसने खुद को सँभाला। "नायरा मेरी है। और मैं उसे किसी को भी नहीं लेने दूँगा।"****" छायादेव ने मन ही मन मुस्कुराया। "यही तो मैं चाहता हूँ, अविक…" क्या नायरा को बचाया जा सकता है? रुद्र ने नायरा के सामने एक नक्शा रखा। "ये क्या है?" नायरा ने पूछा। "छायादेव का असली ठिकाना," रुद्र ने कहा। "अगर हम वहाँ पहुँच जाएँ, तो उसे हमेशा के लिए खत्म कर सकते हैं।" नायरा ने हिम्मत जुटाई। "क्या मैं मदद कर सकती हूँ?" रुद्र ने उसे ध्यान से देखा। "तुम्हें लड़ना सीखना होगा, नायरा। और सबसे पहले, तुम्हें अपने दिल की सच्चाई को पहचानना होगा।" नायरा ने सिर झुका लिया। "क्या मेरा दिल अब भी अविक के लिए धड़कता है?" रुद्र ने गहरी साँस ली। "समय कम है। हमें जल्दी करना होगा, वरना अविक दोबारा तुम्हें लेने आ जाएगा।" और वहीं दूसरी तरफ, चर्च में खड़ा अविक अब नायरा को वापस पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था। to be continued 💫 🦋 💙

  • 4. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 4

    Words: 1617

    Estimated Reading Time: 10 min

    नायरा की आँखों में एक अजीब-सा डर था। रुद्र ने नक्शे पर उँगली घुमाई। "हमें यहाँ जाना होगा—काली पहाड़ी। ये वही जगह है जहाँ छायादेव की असली शक्ति छुपी है।" नायरा ने नक्शे को ध्यान से देखा। "लेकिन... ये तो वही जगह है जहाँ मैंने पहली बार अविक को देखा था!" रुद्र ने उसकी तरफ देखा। "हाँ। क्योंकि अविक हमेशा से वहीं था। उसी श्रापित दुनिया का हिस्सा।" नायरा की साँसें तेज़ हो गईं। "क्या तुम सच में कह रहे हो कि अविक सिर्फ छायादेव का एक मोहरा है?" रुद्र ने कुछ सोचते हुए कहा, "हो सकता है कि अविक भी किसी भ्रम में जी रहा हो।" लेकिन इससे पहले कि वे आगे कुछ कहते, अचानक खिड़की के शीशे काँपने लगे। एक ठंडी हवा कमरे में फैल गई। छायादेव की गूँजती हुई आवाज़ आई—"नायरा... तुम मुझसे भाग नहीं सकती!" नायरा ने झट से ताबीज को कसकर पकड़ लिया। रुद्र तुरंत उठा और हवा में कोई मंत्र फूँकते हुए आग जला दी। "छायादेव, यहाँ से चले जाओ!" लेकिन उसकी हँसी और तेज़ हो गई। "तुम चाहो या न चाहो, नायरा मेरे पास आएगी। क्योंकि उसकी आत्मा मुझसे जुड़ी हुई है!" नायरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "क्या मतलब?" छायादेव की गहरी, ठंडी आवाज़ गूँजी—"वो पिछले जन्म में मेरी थी... और इस जन्म में भी मेरी होगी!" अविक का दर्द उधर, चर्च में बैठे अविक के अंदर एक अलग ही जंग चल रही थी। "क्या मैं सच में सिर्फ एक मोहरा हूँ?" छायादेव के शब्द उसके कानों में गूँज रहे थे। "तुमने अपनी आत्मा मेरे नाम की थी, अविक। बदले में मैंने तुम्हें ताकत दी, लेकिन उसका एक मकसद था।" अविक के अंदर एक बेचैनी उठी। "मैंने ये सौदा सिर्फ इसलिए किया था ताकि नायरा मुझसे अलग न हो! मैंने कभी नहीं चाहा कि..." "कि वो मरे?" छायादेव की हँसी गूँजी। "लेकिन तुम्हें क्या लगा, अविक? मैं उसे तुम्हारे पास ज़िंदा छोड़ दूँगा?" अविक की मुट्ठियाँ कस गईं। "नायरा मेरी है। मैं उसे किसी कीमत पर खोने नहीं दूँगा।" छायादेव मुस्कुराया। "तो फिर जाओ... उसे लेकर आओ। लेकिन याद रखना, इस बार उसे ज़िंदा वापस मत लाना।" अविक ने चौंककर छायादेव की ओर देखा। "क्या?" "हाँ," उसकी आवाज़ फुसफुसाई, "नायरा को ज़िंदा रहने मत दो। अगर वो मर गई, तो उसकी आत्मा हमेशा के लिए तुम्हारी हो जाएगी।" अविक के अंदर अजीब-सी बेचैनी उठी। "क्या मैं सच में नायरा को मार सकता हूँ?" लेकिन छायादेव का अंधकार उसके दिल को जकड़ चुका था। काली पहाड़ी की ओर सफर नायरा और रुद्र घने जंगलों से होते हुए काली पहाड़ी की ओर बढ़ रहे थे। रुद्र ने कहा, "वहाँ जाने के बाद तुम्हें खुद को बहुत मजबूत रखना होगा। छायादेव तुम्हारे मन को तोड़ने की कोशिश करेगा।" नायरा ने हिम्मत से सिर हिलाया। "लेकिन एक बात बताओ, रुद्र..." उसने झिझकते हुए कहा, "अगर अविक भी छायादेव के जाल में फँसा है, तो क्या उसे बचाया नहीं जा सकता?" रुद्र रुक गया। उसने गहरी नजरों से नायरा को देखा। "क्या तुम अब भी उससे प्यार करती हो?" नायरा चुप रही। रुद्र ने ठंडी साँस भरी। "अगर तुम्हारा दिल अब भी अविक के लिए धड़कता है, तो याद रखना, ये लड़ाई और भी मुश्किल हो जाएगी।" अविक की एंट्री – आखिरी चेतावनी अचानक जंगल में एक हलचल हुई। रुद्र ने तुरंत नायरा को पीछे खींचा। "कोई आ रहा है..." पेड़ों के बीच से एक काली छाया निकली। और जैसे ही वह पास आई, नायरा की साँसें थम गईं। अविक! वह अब भी वही था—गहरी आँखें, मजबूत कद, लेकिन कुछ बदल गया था। उसकी आँखों में अजीब सा अंधेरा था। अविक ने नायरा की तरफ देखा। "नायरा, मेरे पास वापस आ जाओ।" नायरा ने सिर हिलाया। "नहीं, अविक। मैं अब तुम्हारे जाल में नहीं फँसूँगी।" अविक की आँखों में दर्द झलकने लगा। "मैंने तुमसे हमेशा प्यार किया है, नायरा। लेकिन तुम समझ क्यों नहीं रही? अगर तुम मुझसे दूर गई, तो ये दुनिया तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ेगी!" रुद्र ने आगे बढ़कर कहा, "अगर तुम वाकई नायरा से प्यार करते हो, तो उसे छोड़ दो, अविक।" अविक ने गहरी साँस ली। फिर उसकी आवाज़ ठंडी हो गई—"अगर मैं उसे नहीं पा सकता, तो कोई नहीं पा सकता।" और फिर, उसने हाथ बढ़ाया। उसके चारों ओर काले धुएँ की लपटें उठने लगीं। "नायरा, अगर तुम मेरी नहीं हो सकती... तो मैं तुम्हें इस दुनिया में रहने भी नहीं दूँगा!" नायरा की आँखें भय से फैल गईं। रुद्र ने जल्दी से उसके आगे मंत्र पढ़ते हुए एक सुरक्षा घेरा बना दिया। अविक ने जोर से गरजते हुए कहा—"तुम मुझे रोक नहीं सकते, रुद्र!" हवा और तेज़ हो गई। पेड़ झुकने लगे। और फिर... अचानक! चारों ओर एक चमकदार रोशनी फैल गई। छायादेव की गूँजती हुई चीख़ सुनाई दी—"नहीं!!" नायरा की आँखों के सामने अंधेरा था चारों ओर अंधेरा घना हो गया। नायरा की धड़कनें तेज़ हो गईं। अविक उसकी ओर बढ़ रहा था—उसकी आँखों में काला जादू चमक रहा था। रुद्र ने तुरंत मंत्र पढ़ते हुए सुरक्षा घेरा और मजबूत किया। "नायरा, पीछे हटो!" लेकिन इससे पहले कि नायरा कुछ समझ पाती, अविक ने हाथ उठाया। तेज़ हवा चली और ज़मीन फटने लगी। रुद्र झटका खाकर पीछे हटा। "छायादेव उसे पूरी तरह अपने वश में कर चुका है!" अविक की आवाज़ गूँजी—"मैंने तुमसे कहा था, नायरा। अगर तुम मेरी नहीं हो सकती, तो मैं तुम्हें किसी और का भी नहीं होने दूँगा!" "बस, अविक!" नायरा की आवाज़ अब गूंज उठी। अविक ठिठक गया। "अगर तुम्हें लगता है कि प्यार किसी को कैद करना है, तो ये प्यार नहीं, जुनून है। और मैंने तुमसे कभी ऐसा प्यार नहीं किया था!" अविक की आँखों में दर्द झलक आया। "नायरा..." "अगर तुम्हें सच में मुझसे प्यार था, तो तुम मुझे मरने नहीं दोगे।" अविक के अंदर जैसे हलचल मच गई। नायरा की नई शक्ति अचानक, हवा में एक अलग कंपन उठा। नायरा के हाथ से ताबीज चमक उठा। रुद्र चौक गया। "ये रोशनी…!" अविक पीछे हटने लगा। छायादेव की गूँजती हुई आवाज़ आई—"नहीं!!" रुद्र को अब सब समझ आ चुका था। "नायरा... तुम सिर्फ एक आम लड़की नहीं हो। तुम्हारे अंदर एक शक्ति है, जिसे छायादेव हमेशा से कैद करना चाहता था!" नायरा चौंक गई। "क्या?" अविक ने दर्द से कराहते हुए कहा—"इसलिए... छायादेव तुम्हें छोड़ना नहीं चाहता था..." "और इसलिए मैं तुमसे इतना जुड़ा हुआ महसूस करता था," उसकी आँखों में अब भी प्यार की एक चमक थी। लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। नायरा के शरीर से एक रोशनी निकली, और जैसे ही उसने आँखें बंद कीं, छायादेव की चीख़ गूँज उठी। अविक ज़मीन पर गिर पड़ा। "नायरा…" उसने धीमी आवाज़ में कहा। लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता, चारों ओर अंधेरा छा गया। अब क्या होगा? ओर गहरी शांति थी। नायरा ने धीरे से आँखें खोलीं। वह ठंडी ज़मीन पर पड़ी थी, और हल्की-हल्की रोशनी उसके चारों ओर फैली हुई थी। रुद्र उसके पास बैठा था, लेकिन उसकी आँखों में चिंता थी। "तुम ठीक हो?" उसने पूछा। नायरा ने सिर हिलाया। "मैं ज़िंदा हूँ... लेकिन अविक...?" रुद्र ने एक लंबी साँस ली। "वो अब भी जिंदा है, लेकिन बहुत कमजोर हो गया है।" नायरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "तो क्या छायादेव खत्म हो चुका है?" रुद्र की आँखों में एक अजीब-सा संदेह था। "अगर ऐसा होता, तो हमें अभी भी उसकी ऊर्जा महसूस नहीं होती।" और जैसे ही उसने यह कहा, अचानक हवा में एक अजीब-सी फुसफुसाहट गूँजी— "मैं खत्म नहीं हुआ, नायरा..." नायरा और रुद्र दोनों ने चौंककर चारों ओर देखा। अविक की हालत अविक ज़मीन पर पड़ा था। उसकी साँसें धीमी थीं, और उसकी आँखों में एक अधूरा-सा दर्द था। नायरा उसके पास पहुँची। "अविक, तुम ठीक हो?" अविक ने धीरे से आँखें खोलीं। उसकी आँखों में अब छायादेव की अंधकारमयी शक्ति नहीं थी, लेकिन वो पहले जैसा भी नहीं लग रहा था। "नायरा..." उसकी आवाज़ टूट रही थी। "तुम छायादेव के वश में नहीं हो, अविक। तुम्हें अब बस अपनी सच्चाई को अपनाना होगा," नायरा ने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया। अविक ने कांपते हुए उसके हाथ को पकड़ लिया। लेकिन तभी, उसकी आँखों में दर्द झलका और वह अचानक ज़मीन पर गिर पड़ा। रुद्र तुरंत आगे बढ़ा। "हमें उसे यहाँ से ले जाना होगा। छायादेव अब भी उस पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहा है।" छायादेव की आखिरी चाल लेकिन इससे पहले कि वे कुछ कर पाते, हवा में एक तेज़ कंपन उठा। नायरा के चारों ओर एक काली धुंध फैलने लगी। "तुम्हें लगा कि तुम मुझसे बच सकती हो, नायरा?" छायादेव की ठंडी, गहरी हँसी गूँजी। नायरा ने डरते हुए पीछे देखा। चारों ओर अंधेरा फैल चुका था, और उसमें से एक परछाईं बन रही थी—छायादेव फिर से आकार ले रहा था! रुद्र तुरंत मंत्र पढ़ने लगा, लेकिन छायादेव की शक्ति अब और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी। "तुम मुझे कभी खत्म नहीं कर सकते, रुद्र," छायादेव की आवाज़ गूँजी। "जब तक नायरा जिंदा है, मैं हमेशा वापस आऊँगा!" नायरा के चेहरे पर घबराहट फैल गई। "क्या इसका मतलब है कि जब तक मैं ज़िंदा हूँ, छायादेव मुझे कभी नहीं छोड़ेगा?" रुद्र के हाथ रुक गए। उसे अब सब समझ आ रहा था। छायादेव का असली मकसद सिर्फ नायरा की आत्मा को कैद करना नहीं था—वो उसे पूरी तरह नष्ट करना चाहता था! अंत की शुरुआत? नायरा ने एक गहरी साँस ली। "अगर तुम्हें मेरी आत्मा चाहिए, तो आकर ले लो, छायादेव!" रुद्र चौंक गया। "नायरा, तुम क्या कर रही हो?" लेकिन नायरा अब तय कर चुकी थी। "अगर छायादेव को हराने का यही तरीका है, तो मैं खुद को उसके सामने पेश करती हूँ।" अविक ने कमजोर आवाज़ में कहा—"नायरा, नहीं..." लेकिन इससे पहले कि कोई कुछ कर पाता, छायादेव ने तेजी से नायरा की ओर झपट्टा मारा। अचानक! चारों ओर एक सफेद रोशनी फैली। छायादेव की चीख़ें हवा में गूँज उठीं। नायरा की आँखें चमक उठीं, और उसके हाथों से रोशनी निकलने लगी। रुद्र और अविक देख रहे थे—नायरा अब पहले जैसी नहीं रही।

  • 5. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 5

    Words: 1679

    Estimated Reading Time: 11 min

    नायरा के शरीर से निकलती सफेद रोशनी पूरे जंगल में फैल चुकी थी। छायादेव की चीख़ें गूँज रही थीं, लेकिन उसका अंधेरा धीरे-धीरे पीछे हटने लगा। रुद्र मंत्र पढ़ते हुए पीछे हट गया। उसकी आँखों में आश्चर्य था। "ये शक्ति... ये तुम्हारे अंदर थी, नायरा।" नायरा की आँखें धीरे-धीरे सफेद चमकने लगीं। "ये क्या हो रहा है मुझमें?" उसकी आवाज़ भारी हो चुकी थी। रुद्र ने कहा, "तुम्हारा असली रूप जाग रहा है। तुम सिर्फ एक आम लड़की नहीं हो, नायरा। तुम ओविया की पुनर्जन्मी आत्मा हो—वो आत्मा जो अंधेरे को खत्म करने के लिए चुनी गई है।" अविक का सच अविक ज़मीन पर पड़ा हुआ था। उसकी साँसें तेज़ चल रही थीं। उसकी आँखों में दर्द था—उस दर्द का, जिसने उसे सौ साल तक छायादेव का गुलाम बना रखा था। नायरा उसके पास झुकी। "अविक… क्या तुम सच में मुझसे प्यार करते हो?" अविक ने कांपते हुए उसकी ओर देखा। "मैंने तुमसे हमेशा प्यार किया है, नायरा... लेकिन मैंने कभी नहीं चाहा कि तुम मेरी बंदिश बनो। मैं बस तुम्हें खोने से डरता था।" नायरा की आँखों में आँसू आ गए। "अगर प्यार किसी को बाँधने की इजाज़त देता है... तो वो प्यार नहीं, पागलपन है।" अविक की आँखों में पहली बार पछतावे की चमक थी। छायादेव की चाल लेकिन छायादेव अब भी ज़िंदा था। उसकी परछाई धीरे-धीरे फिर से आकार ले रही थी। "तुम मुझे कभी खत्म नहीं कर सकते, ओविया... मैं तुम्हारे खून में बसा हूँ।" रुद्र ने तेजी से ताबीज हवा में लहराया। "ये तेरा आखिरी मौका है, छायादेव! या तो तू खुद लौट जा, या हमेशा के लिए खत्म हो जा!" छायादेव की हँसी गूँजी—"मैं तब तक खत्म नहीं हो सकता, जब तक नायरा की आत्मा मेरी नहीं हो जाती!" नायरा की कुर्बानी नायरा ने गहरी साँस ली। उसने अविक की ओर देखा—वो प्यार जो एक सदी तक उसके इंतज़ार में तड़पता रहा। उसने रुद्र की ओर देखा—जो उसकी रक्षा के लिए हर खतरे से लड़ रहा था। और फिर उसने छायादेव की ओर देखा। "अगर मेरी आत्मा तुम्हें चाहिए, तो मैं तुम्हें खुद देने को तैयार हूँ। लेकिन सिर्फ एक शर्त पर..." छायादेव की लाल आँखें चमक उठीं। "बोलो, लड़की!" नायरा की आवाज़ ठंडी हो गई। "तुम मुझे ले सकते हो... लेकिन बदले में, अविक को आज़ाद छोड़ दोगे।" अविक ने घबराकर उसकी तरफ देखा। "नायरा, नहीं!" लेकिन नायरा के चेहरे पर सुकून था। "कभी-कभी प्यार का मतलब होता है… किसी को आज़ादी देना।" छायादेव हँसा। "तुमने सौदा कर लिया, ओविया।" वह नायरा की ओर बढ़ने लगा, लेकिन तभी— रुद्र का आखिरी मंत्र रुद्र ने जोर से मंत्र पढ़ते हुए ताबीज को हवा में उछाला। "ओम कालीम महाकालाय नमः!" ताबीज से तेज़ सफेद रोशनी निकली और सीधे छायादेव पर गिरी। छायादेव चीख़ता हुआ पीछे हट गया। "नहीं... नहीं...!" अंतिम लड़ाई नायरा ने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसने अपने अंदर की शक्ति को महसूस किया—वो शक्ति जो शायद पिछले जन्म से उसके साथ थी। उसने अपना हाथ हवा में उठाया। "अंधकार तभी जीतता है, जब हम उससे डरते हैं। लेकिन मैं अब तुमसे नहीं डरती...!" छायादेव जोर से चीखा और उसके शरीर की परछाईं हवा में घुलने लगी। धीरे-धीरे उसकी आवाज़ गूँजती रही… और फिर हमेशा के लिए गायब हो गई। अविक की मुक्ति अविक की आँखों से आँसू बह निकले। उसकी आँखों में पहली बार शांति थी। "मैं... अब आज़ाद हूँ?" नायरा ने सिर हिलाया। "हाँ। तुम अब आज़ाद हो, अविक।" रुद्र की विदाई रुद्र ने अपनी किताब बंद की। "तुमने जो किया, वो आसान नहीं था, नायरा। लेकिन याद रखना, प्यार कभी किसी को कैद नहीं करता… वो हमेशा आज़ाद करता है।" नायरा ने उसकी ओर देखा। "अब तुम कहाँ जाओगे?" रुद्र ने हल्की मुस्कान दी। "जहाँ भी अधूरा प्यार होगा... वहाँ मेरा इंतज़ार होगा।" नई शुरुआत कई दिनों बाद, नायरा ने अपनी पुरानी ज़िंदगी में लौटने की कोशिश की। लेकिन कुछ चीज़ें कभी पहले जैसी नहीं होतीं। अविक ने हमेशा के लिए उसे छोड़ दिया था। शायद प्यार करने का मतलब था—किसी को जाने देना। नायरा ने धीरे से आँखें खोलीं। सूरज की हल्की किरणें उसके चेहरे पर पड़ रही थीं। सब कुछ शांत था। न कोई अंधेरा, न कोई डर। क्या सच में सब खत्म हो गया था? वो बिस्तर से उठी और खिड़की से बाहर देखा। हरी-भरी पहाड़ियों के बीच एक अजीब सुकून था। "अब सब कुछ नॉर्मल है..." उसने खुद से कहा। पर क्या सच में? छायादेव की परछाईं शाम होते ही नायरा को एक अजीब बेचैनी होने लगी। वो बरामदे में बैठी थी, जब अचानक उसे किसी के आने का अहसास हुआ। हल्की हवा चली, और एक धीमी फुसफुसाहट उसके कानों में गूँजी— "नायरा..." उसका दिल एक पल के लिए थम गया। "ये... ये अविक की आवाज़ थी!" पर अविक तो अब आज़ाद हो चुका था, फिर ये कैसे...? उसने पीछे मुड़कर देखा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। पर उसकी छाया... कुछ अलग थी। वो अकेली क्यों नहीं थी? भूल या हकीकत? नायरा को लगा कि शायद ये सब उसका भ्रम है। "सब कुछ खत्म हो चुका है... मुझे बस आराम की ज़रूरत है," उसने खुद को समझाया। पर जैसे ही वो दरवाजा खोलने लगी, उसकी परछाईं फिर से हिली। इस बार, वो उसके साथ नहीं, बल्कि उसके विपरीत दिशा में हिल रही थी। नायरा ठिठक गई। "ये... ये कैसे संभव है?" रुद्र की चेतावनी अचानक, फोन बजा। रुद्र की आवाज़ आई, "नायरा, तुम ठीक हो?" "हाँ... पर कुछ अजीब हो रहा है।" रुद्र की आवाज़ गंभीर हो गई। "मैंने कुछ अजीब महसूस किया है। छायादेव भले ही खत्म हो गया हो, लेकिन उसकी छाया अभी भी कहीं मौजूद हो सकती है।" नायरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "तो क्या मतलब है... वो अभी भी जिंदा है?" रुद्र चुप हो गया। फिर उसने एक धीमी आवाज़ में कहा— "अगर तुमने अविक को फिर से देखा... तो याद रखना, वो अविक नहीं होगा।" अविक की वापसी? फोन रखते ही नायरा की सांसें तेज़ हो गईं। वो सोच ही रही थी कि अचानक दरवाजे पर दस्तक हुई। धड़कते दिल से उसने दरवाजा खोला। और सामने खड़ा था— अविक! नायरा की आँखें फैल गईं। "ये... ये कैसे हो सकता है?" अविक मुस्कुरा रहा था, वैसे ही जैसे वो हमेशा करता था। "क्या हुआ, नायरा? तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो?" उसकी आवाज़ वही थी, उसका चेहरा वही था... पर उसकी आँखों में कुछ अलग था। कुछ... जो इंसानी नहीं था। नायरा के होठों से सिर्फ एक शब्द निकला— "छायादेव...?" और फिर नायरा के होठों से नाम निकला—"छायादेव...?" सामने खड़ा शख्स मुस्कुराया। "क्या हुआ, नायरा? तुम मुझे देखकर खुश नहीं हो?" नायरा के शरीर में एक अजीब-सी ठंडक दौड़ गई। ये अविक जैसा दिख रहा था… उसकी आवाज़ भी वही थी… पर कुछ था जो गलत लग रहा था। उसने बिना कुछ बोले दरवाजे की चौखट पर कदम पीछे खींचा। अविक ने एक कदम आगे बढ़ाया। "मैं सच में वापस आ चुका हूँ, नायरा। छायादेव अब खत्म हो चुका है। अब हम साथ रह सकते हैं, हमेशा के लिए।" पर उसकी आँखें… उसकी आँखों में एक अजीब काली चमक थी। रुद्र की चेतावनी याद आई नायरा को रुद्र की बात याद आई—"अगर तुमने अविक को फिर से देखा... तो याद रखना, वो अविक नहीं होगा।" उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। "अगर तुम सच में अविक हो, तो मुझे बताओ... हमारी पहली मुलाकात कब हुई थी?" अविक ठिठक गया, फिर हल्का हँसा। "क्या ये कोई टेस्ट है? हमें पहली बार शिमला के उस पुराने होटल में मिलना था, लेकिन तुमसे मेरी असली मुलाकात तब हुई थी जब मैंने तुम्हें झील में गिरने से बचाया था।" नायरा का मन डगमगाया। ये सच था! क्या ये सच में अविक था? परछाई की चाल अचानक, हवा में एक हलचल हुई। नायरा की नज़र अविक के पैरों पर गई—उसकी परछाईं उल्टी थी! नायरा के रोंगटे खड़े हो गए। उसने धीरे से कदम पीछे लिया और कहा, "तुम अविक नहीं हो।" अविक ने सिर झुका लिया और हल्की हँसी हँसी। "तो तुमने पहचान ही लिया…" अचानक, उसकी आँखें पूरी तरह से काली हो गईं, और उसके होंठों से फुसफुसाहट निकली— "पर अब बहुत देर हो चुकी है, नायरा!" अंधेरे का जाल नायरा कुछ बोल पाती, इससे पहले ही एक झटके से दरवाजा बंद हो गया। कमरे में घना अंधेरा फैल गया। चारों ओर वही फुसफुसाहट गूँजने लगी— "तुमने सोचा था कि तुम मुझसे बच जाओगी, ओविया? मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने नहीं दूँगा!" नायरा ने कांपते हुए पीछे हटने की कोशिश की, लेकिन उसकी टांगें जैसे जकड़ गई थीं। अचानक, एक जोड़ी ठंडी उंगलियाँ उसके चेहरे को छूने लगीं। "अब तुम सिर्फ मेरी हो, नायरा..." रुद्र का आगमन तभी, दरवाजे के बाहर एक ज़ोरदार आवाज़ आई— "नायरा! दरवाजा खोलो!" रुद्र! नायरा ने पूरी ताकत लगाकर चीख़ा—"रुद्र! मुझे बचाओ!" अगले ही पल, दरवाजा ज़ोर से खुला, और अंदर आते ही रुद्र ने एक ताबीज़ हवा में घुमाया। तेज़ रोशनी फैली और "अविक" पीछे हट गया। उसका चेहरा दर्द से विकृत हो गया, और उसकी काली आँखें लाल हो उठीं। "नहीं...!" सच सामने आया रुद्र ने मंत्र पढ़ते हुए ताबीज़ नायरा के हाथ में रख दिया। "अब बोलो, कौन हो तुम? छायादेव तो खत्म हो चुका था, फिर तुम कौन हो?" "अविक" धीरे-धीरे अंधेरे में बदलने लगा। और फिर... उसकी असली शक्ल सामने आई— छायादेव सच में खत्म नहीं हुआ था! वो अब भी ज़िंदा था, लेकिन इस बार उसने अविक का रूप ले लिया था। "मैं अमर हूँ, मूर्खों! मैं तब तक खत्म नहीं हो सकता, जब तक नायरा ज़िंदा है!" रुद्र के चेहरे पर गुस्सा था। "अगर तेरा अंत करने के लिए नायरा की ज़िंदगी दाँव पर लगानी पड़े, तो मैं ऐसा कभी नहीं होने दूँगा!" अगला कदम क्या होगा? छायादेव ने ज़ोर से हँसते हुए कहा— "अगर मैं नहीं रह सकता, तो नायरा भी नहीं बचेगी!" अचानक, एक ज़ोरदार धमाका हुआ और पूरा कमरा हिल गया। रुद्र ने नायरा को पकड़ लिया। "हमें इसे हमेशा के लिए खत्म करने का कोई रास्ता खोजना होगा!" नायरा की आँखों में अब डर की जगह गुस्सा था। "अब बहुत हो गया... अगर छायादेव को खत्म करने के लिए मुझे खुद उसकी जगह लेनी पड़े, तो मैं तैयार हूँ!" रुद्र चौंक गया। "नायरा, नहीं! ये मत कहो!" लेकिन नायरा की आँखों में कुछ था—एक फैसला, जो अब बदला नहीं जा सकता था। to be continued 💫🦋💙

  • 6. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 6

    Words: 1724

    Estimated Reading Time: 11 min

    छायादेव के ठहाके कमरे में गूँज रहे थे।

    "नायरा, तुम मुझे खत्म करने की बात कर रही हो?"

    उसकी आँखें चमक उठीं।

    "मैं वो अंधकार हूँ, जो इंसान की परछाई में छुपा रहता है। मैं वो डर हूँ, जिससे तुम भाग नहीं सकतीं।"

    रुद्र ने मंत्र पढ़ते हुए ताबीज़ को कसकर पकड़ा।

    "तेरा खेल अब खत्म हुआ, छायादेव!"

    छायादेव मुस्कुराया।

    "मेरा खेल अभी खत्म नहीं हुआ, रुद्र। असली खेल तो अब शुरू होगा!"

    अचानक, चारों ओर की दीवारें हिलने लगीं, और पूरा कमरा अंधेरे में समा गया।

    नायरा का सपना या हकीकत?

    नायरा को महसूस हुआ कि वो कहीं और पहुँच चुकी थी।

    चारों तरफ घना कोहरा था।

    अचानक, उसे अपने सामने अविक दिखा—वही चेहरा, वही आँखें, पर उनमें दर्द था।

    "अविक...?"

    उसने हाथ बढ़ाया, लेकिन जैसे ही उसने अविक को छूने की कोशिश की, उसकी शक्ल बदलने लगी।

    अविक की जगह एक अजीब परछाईं खड़ी थी।

    "तुमने मुझे मारा, नायरा। अब तुम मेरी जगह लोगी।"

    नायरा घबराकर पीछे हट गई।

    "नहीं... तुम अविक नहीं हो।"

    रुद्र का आखिरी मंत्र

    तभी, नायरा की आँखें खुलीं।

    रुद्र ज़ोर-ज़ोर से मंत्र पढ़ रहा था।

    "ओम नमः काली!"

    छायादेव दर्द से चीख़ा।

    "नहीं... नहीं...!"

    अचानक, हवा में एक अजीब ऊर्जा फैल गई।

    छायादेव की परछाईं धुँधली पड़ने लगी।

    रुद्र ने नायरा को देखा—"बस एक आखिरी कदम, नायरा! तुम्हें खुद छायादेव का सामना करना होगा!"

    अंतिम बलिदान?

    नायरा ने गहरी सांस ली।

    उसने अपनी आँखें बंद कीं और अपनी पूरी शक्ति को महसूस किया।

    "छायादेव, मैं तुम्हें खुद में समेटकर खत्म करने के लिए तैयार हूँ!"

    छायादेव ज़ोर से हँसा।

    "अगर तुमने ऐसा किया, तो तुम खुद इस अंधकार का हिस्सा बन जाओगी!"

    पर नायरा के चेहरे पर डर नहीं था।

    "अगर ये अंधेरा मुझे ले भी ले, तो भी मैं तुम्हें वापस इस दुनिया में नहीं आने दूँगी!"

    वो आगे बढ़ी, और जैसे ही उसने छायादेव को छुआ—

    एक ज़ोरदार धमाका हुआ, और सब कुछ सफेद रोशनी में डूब गया।

    क्या हुआ नायरा का?

    जब रोशनी थमी, तो रुद्र ने चारों ओर देखा।

    छायादेव खत्म हो चुका था।

    पर नायरा भी कहीं नहीं थी।

    रुद्र घुटनों पर गिर पड़ा।

    "नायरा..."

    क्या नायरा सच में बलिदान हो चुकी थी?

    अंधेरे के पार...

    रुद्र अभी भी ज़मीन पर घुटनों के बल बैठा था।

    चारों ओर शांति थी।

    नायरा… कहीं नहीं थी।

    "नायरा!" उसने ज़ोर से चिल्लाया, पर कोई जवाब नहीं आया।

    कमरे में छायादेव का अंधकार पूरी तरह मिट चुका था, लेकिन इसके साथ ही नायरा भी चली गई थी।

    क्या उसने सच में खुद को बलिदान कर दिया था?

    रुद्र की आँखों में आँसू थे।

    "मैंने तुझसे वादा किया था कि तुझे कुछ नहीं होने दूँगा, लेकिन फिर भी तुझे खो दिया..."

    पर तभी…

    एक धीमी फुसफुसाहट

    हवा में हलचल हुई।

    "रुद्र..."

    रुद्र के शरीर में सिहरन दौड़ गई।

    ये नायरा की आवाज़ थी।

    उसने तेजी से चारों ओर देखा, पर वहाँ कोई नहीं था।

    "नायरा! तुम कहाँ हो?"

    एक हल्की सी रोशनी उसके सामने उभरी।

    और फिर… नायरा दिखाई दी!

    पर वो अब पहले जैसी नहीं थी।

    क्या ये नायरा थी?

    उसकी आँखें गहरी और चमकदार थीं।

    उसके चेहरे पर कोई डर नहीं था, बल्कि एक अजीब-सा सुकून था।

    "नायरा!" रुद्र आगे बढ़ा, लेकिन जैसे ही उसने उसे छूने की कोशिश की, नायरा का शरीर हल्का पड़ने लगा।

    "मैं यहाँ हूँ, रुद्र... लेकिन मैं अब इस दुनिया में नहीं हूँ।"

    रुद्र का दिल धड़क उठा।

    "क्या मतलब?"

    नायरा मुस्कुराई, लेकिन उसकी मुस्कान में दर्द था।

    "मैं छायादेव को खत्म करने के लिए उसकी जगह लेने को तैयार थी... और अब मैं उसी अंधेरे में फँस गई हूँ।"

    रुद्र ने सिर हिलाया। "नहीं! मैं तुम्हें वहाँ नहीं रहने दूँगा! कोई न कोई तरीका होगा तुम्हें वापस लाने का!"

    नायरा ने सिर झुका लिया। "शायद... लेकिन इसके लिए तुम्हें बहुत बड़ा जोखिम उठाना होगा।"

    "जो भी करना पड़े, मैं करूँगा!" रुद्र की आँखों में दृढ़ निश्चय था।

    एक नया रहस्य

    नायरा ने गहरी सांस ली।

    "मुझे बचाने के लिए तुम्हें 'कायरा वन' जाना होगा। वहाँ... एक आखिरी मौका हो सकता है मुझे वापस लाने का।"

    रुद्र ने फौरन पूछा, "कायरा वन? वो कहाँ है?"

    नायरा ने धीरे से कहा, "जहाँ छायादेव पहली बार जन्मा था… वही जगह जहाँ सब शुरू हुआ था।"

    रुद्र के चेहरे पर हैरानी थी।

    तो क्या छायादेव का अंत वहीं से हो सकता था जहाँ से उसकी शुरुआत हुई थी?

    नायरा की छवि धीरे-धीरे धुँधली होने लगी।

    "जल्दी करो, रुद्र… मेरे पास ज़्यादा समय नहीं है।"

    रुद्र ने उसका नाम पुकारा, लेकिन अगली ही पल वो गायब हो गई।

    अब आगे क्या होगा?

    रुद्र के पास अब एक ही रास्ता था—कायरा वन जाना।

    पर क्या वो वहाँ जाकर सच में नायरा को वापस ला पाएगा?

    या ये सिर्फ छायादेव का एक और जाल था?

    रुद्र ने बिना देर किए कायरा वन की ओर जाने का फैसला किया।

    नायरा को बचाने के लिए उसे किसी भी हद तक जाना था।

    पर कायरा वन कहाँ था?

    "जहाँ से छायादेव की शुरुआत हुई थी…"

    रुद्र ने किताबों में पढ़ा था कि कायरा वन हिमालय के पास स्थित एक रहस्यमयी जंगल है, जहाँ जाना मना था।

    कहा जाता था कि जो वहाँ गया, वो फिर कभी लौटकर नहीं आया।

    पर रुद्र के लिए अब डरने का समय नहीं था।

    वो कार में बैठा और एक अजनबी रास्ते पर चल पड़ा…

    रास्ते में अजनबी मदद

    कायरा वन के पास पहुँचते ही घना कोहरा फैलने लगा।

    चारों ओर सन्नाटा था।

    रुद्र गाड़ी से उतरकर आगे बढ़ा, लेकिन तभी किसी ने पीछे से पुकारा—

    "तुम यहाँ क्यों आए हो?"

    रुद्र चौंक गया।

    सामने एक बूढ़ा आदमी खड़ा था—लंबे सफेद बाल, गहरी झुर्रियों वाला चेहरा और आँखों में अजीब चमक।

    "मैं… मुझे किसी को बचाना है।"

    बूढ़े आदमी ने ठंडी साँस ली।

    "जो यहाँ आया, वो खुद को खो बैठा। तुम क्यों अपनी जान खतरे में डाल रहे हो?"

    रुद्र ने दृढ़ता से कहा, "क्योंकि मैं उसे खोने नहीं दे सकता।"

    बूढ़े आदमी ने उसकी आँखों में देखा।

    फिर वो धीरे से मुस्कुराया।

    "अगर तुम सच में तैयार हो, तो एक बात याद रखना—कायरा वन तुम्हें वो दिखाएगा, जो तुम देखना चाहते हो। पर हर चीज़ हकीकत नहीं होगी।"

    रुद्र ने सिर हिलाया।

    "मैं किसी भी भ्रम में नहीं फँसूँगा। बस मुझे वहाँ जाने का रास्ता बता दो।"

    बूढ़े आदमी ने इशारा किया—"सीधा जाओ, जब तक कि तुम्हें अपना सबसे बड़ा डर न दिखे। वही असली रास्ता होगा।"

    कायरा वन की पहली परीक्षा

    रुद्र घने जंगल में घुसा।

    चारों ओर अजीब-सी फुसफुसाहट थी, जैसे कई आवाज़ें उसे बुला रही हों।

    तभी उसके सामने एक दृश्य उभर आया—

    नायरा!

    वो एक पेड़ के नीचे खड़ी थी, आँसू बहा रही थी।

    "रुद्र… मुझे यहाँ से बाहर निकालो।"

    रुद्र का दिल जोरों से धड़कने लगा।

    "नायरा!"

    वो उसकी तरफ दौड़ा, पर तभी…

    नायरा का चेहरा अचानक बदल गया।

    उसकी आँखें काली हो गईं, और उसने एक भयानक चीख़ मारी।

    "तुम्हें कभी यहाँ नहीं आना चाहिए था, रुद्र!"

    क्या ये सच में नायरा थी?

    रुद्र एक पल के लिए लड़खड़ा गया।

    "क्या ये सच में नायरा है, या कायरा वन का भ्रम?"

    तभी उसे बूढ़े आदमी की बात याद आई—"कायरा वन तुम्हें वही दिखाएगा, जो तुम देखना चाहते हो।"

    रुद्र ने खुद को संभाला।

    उसने अपनी जेब से ताबीज़ निकाला और मंत्र पढ़ा—

    "ओम नमः काली!"

    अचानक, नायरा की छवि हवा में बिखर गई और जंगल की चीख़ें गूँज उठीं।

    असली रास्ता खुल गया

    जैसे ही भ्रम टूटा, जंगल के बीच एक पत्थर की गुफा दिखाई दी।

    रुद्र समझ गया—यही असली रास्ता था!

    पर अब सवाल ये था—क्या गुफा के अंदर सच में नायरा थी, या ये सिर्फ एक और छलावा था?

    रुद्र गहरी सांस लेकर गुफा में दाखिल हुआ।

    अंदर घना अंधेरा था, लेकिन हवा में एक अजीब-सी सरसराहट थी, जैसे कोई उसकी हर हरकत देख रहा हो।

    "अगर नायरा यहाँ है, तो मैं उसे ढूँढकर ही रहूँगा।"

    हर कदम पर उसे ऐसा लगता कि कोई उसकी परछाई में चल रहा है।

    "क्या ये कोई जाल है?"

    अचानक, गुफा के अंदर एक टॉर्च जैसी हल्की रोशनी चमकी।

    रुद्र चौकन्ना हो गया।

    "कौन है वहाँ?"

    नया किरदार – रेहान

    रोशनी के पीछे से एक आदमी निकला—लंबा, पतला, चेहरे पर दाढ़ी और आँखों में एक अजीब सी शांति।

    "तुम्हें यहाँ नहीं आना चाहिए था," उस आदमी ने कहा।

    रुद्र ने उसे गौर से देखा।

    "तुम कौन हो?"

    आदमी ने गहरी सांस ली।

    "मेरा नाम रेहान है। मैं भी कभी इसी गुफा में फँसा था।"

    रुद्र चौका, "क्या?"

    रेहान ने उसकी तरफ देखा, "तुम भी किसी को बचाने आए हो, है ना?"

    रुद्र ने बिना झिझक के कहा, "हाँ, नायरा को।"

    रेहान की आँखों में एक हल्की चमक आई।

    "तो इसका मतलब है कि छायादेव का अंत हो चुका है…"

    रुद्र ने हैरानी से पूछा, "तुम्हें छायादेव के बारे में कैसे पता?"

    रेहान हल्के से मुस्कुराया।

    "क्योंकि… मैं उसकी कैद में था। और शायद अब भी हूँ।"

    भ्रम या हकीकत?

    रुद्र का दिल ज़ोरों से धड़कने लगा।

    "मतलब?"

    रेहान ने अपने हाथ की तरफ इशारा किया—उसकी कलाई पर वही अजीब काले निशान थे, जो नायरा के शरीर पर होने लगे थे।

    "ये निशान तब बनते हैं, जब कोई कायरा वन के अंधेरे में ज्यादा समय बिता लेता है।"

    रुद्र ने घबराकर कहा, "तो इसका मतलब तुम बाहर नहीं जा सकते?"

    रेहान ने सिर झुका लिया।

    "शायद नहीं… लेकिन तुम जा सकते हो। पर उससे पहले तुम्हें नायरा को ढूँढना होगा।"

    रुद्र ने तेजी से पूछा, "क्या तुम जानते हो वो कहाँ है?"

    रेहान ने गहरी सांस ली।

    "हाँ… पर वहाँ जाना आसान नहीं होगा।"

    नायरा की कैद

    रेहान ने गुफा के आगे की तरफ इशारा किया।

    "वो वहाँ है—अंतिम कमरे में। लेकिन वो अब पहले जैसी नहीं रही।"

    रुद्र का दिल बैठ गया।

    "मतलब?"

    रेहान की आँखों में दर्द था।

    "कभी-कभी, जब कोई आत्मा छायादेव के अंधेरे में ज्यादा समय बिता देती है, तो वो खुद ही अंधकार का हिस्सा बन जाती है।"

    रुद्र ने ज़िद्दी लहजे में कहा, "नायरा को कुछ नहीं हुआ। मैं उसे वापस लाऊँगा।"

    रेहान ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अगर तुम वाकई में उसे बचाना चाहते हो, तो तुम्हें उसकी सबसे बड़ी परीक्षा लेनी होगी।"

    अगली परीक्षा – नायरा की यादें

    रुद्र ने रेहान की तरफ देखा, "कैसी परीक्षा?"

    रेहान ने एक दरवाजे की तरफ इशारा किया।

    "ये दरवाजा तुम्हें नायरा की सबसे गहरी यादों में ले जाएगा। अगर तुमने उसे पहचान लिया, तो वो वापस आ जाएगी। अगर नहीं… तो तुम दोनों हमेशा के लिए इस अंधेरे में खो जाओगे।"

    रुद्र ने बिना एक पल गंवाए दरवाजा खोला।

    और अगली ही पल—

    वो अतीत में था।

    to be continued 💫 🦋 💙

  • 7. Rebirth: pyar ya mout? - Chapter 7

    Words: 1572

    Estimated Reading Time: 10 min

    जैसे ही रुद्र ने दरवाज़ा पार किया, सब कुछ धुंधला हो गया।

    उसके सामने अजीब-अजीब दृश्य बन रहे थे—कोई हंस रहा था, कोई रो रहा था, कोई चीख रहा था।

    "क्या ये नायरा की यादें हैं?"

    अचानक, सब कुछ शांत हो गया।

    और अब रुद्र खुद को एक जानी-पहचानी जगह पर खड़ा पाया—

    नायरा का पुराना घर!

    पहली याद – पहली मुलाकात

    रुद्र ने चारों ओर देखा।

    सामने एक लड़की खड़ी थी—नायरा!

    पर वो वैसी नहीं लग रही थी जैसी अब थी।

    वो हंस रही थी, उसकी आँखों में चमक थी।

    "तो ये वो दिन है जब हम पहली बार मिले थे..." रुद्र बुदबुदाया।

    नायरा अपने दोस्तों के साथ थी।

    वो हंस रही थी, मजाक कर रही थी, लेकिन तभी…

    अचानक, चारों ओर अंधेरा छा गया।

    नायरा के चेहरे पर डर आ गया।

    "नहीं… नहीं… वो आ रहा है!"

    छायादेव की छाया

    रुद्र चौका।

    "कौन आ रहा है?"

    पर तभी उसे एहसास हुआ—यादें टूट रही थीं!

    चारों ओर दरारें पड़ने लगीं, और सबकुछ धुंधला होने लगा।

    "अगर ये याद टूट गई, तो मैं नायरा तक नहीं पहुँच पाऊँगा!"

    रुद्र ने तेजी से कदम बढ़ाए और नायरा का हाथ पकड़ा।

    "नायरा! मैं यहाँ हूँ!"

    पर जैसे ही उसने उसे छुआ—

    सबकुछ बदल गया।

    दूसरी याद – अधूरा प्यार

    अब रुद्र एक नए दृश्य में था।

    नायरा अकेली बैठी थी।

    उसकी आँखों में आँसू थे।

    रुद्र का दिल बैठ गया।

    "ये कब का समय है?"

    नायरा बुदबुदाई, "मैं रुद्र को कभी अपने सच के बारे में नहीं बता सकती। अगर उसने जान लिया कि छायादेव मुझे बचपन से ढूंढ रहा है, तो वो मुझे छोड़ देगा।"

    रुद्र हिल गया।

    "नायरा... तुमने मुझसे छुपाया?"

    पर उसे याद आया—ये बस यादें थीं।

    लेकिन अगर वो इन यादों से निकलना चाहता था, तो उसे नायरा से सच कहलवाना होगा।

    तीसरी याद – नायरा का डर

    अचानक, दृश्य फिर बदल गया।

    अब नायरा एक अंधेरे कमरे में थी।

    "कृपया... मुझे छोड़ दो!"

    रुद्र चौक गया।

    छायादेव की छाया उसके सामने खड़ी थी!

    "तुम मुझसे भाग नहीं सकती, नायरा," छाया की आवाज़ गूँजी।

    "तुम मेरी हो... सिर्फ मेरी।"

    नायरा काँप रही थी।

    पर तभी…

    उसने अचानक ज़ोर से कहा, "नहीं! मैं किसी की नहीं हूँ!"

    और जैसे ही उसने ये कहा, पूरा अंधकार बिखर गया।

    नायरा वापस आई?

    अचानक, रुद्र को एक हल्की रोशनी महसूस हुई।

    उसके सामने नायरा खड़ी थी—पर इस बार वो पहले जैसी नहीं लग रही थी।

    उसकी आँखों में वही प्यार था, जो पहले था।

    "रुद्र…?" उसकी आवाज़ हल्की थी।

    रुद्र की आँखों में चमक आ गई।

    "नायरा!"

    उसने तेजी से उसे पकड़ लिया।

    "तुम ठीक हो?"

    नायरा की आँखों से आँसू बहने लगे।

    "मुझे लगा था कि मैं हमेशा के लिए खो जाऊँगी..."

    रुद्र ने उसके गालों को छूकर कहा, "नहीं, मैं तुम्हें कभी खोने नहीं दूँगा।"

    अब आगे क्या?

    पर तभी, रेहान की आवाज़ आई—

    "जल्दी करो! तुम्हारे पास ज्यादा समय नहीं है!"

    रुद्र और नायरा ने एक-दूसरे को देखा।

    रेहान की चेतावनी सुनते ही रुद्र और नायरा सतर्क हो गए।

    "हमें यहाँ से जल्दी निकलना होगा," रेहान ने कहा।

    नायरा अब भी कमजोर महसूस कर रही थी, लेकिन रुद्र ने उसका हाथ कसकर पकड़ लिया।

    "तुम ठीक हो?"

    नायरा ने हल्की आवाज़ में कहा, "हाँ, लेकिन हमें जल्दबाज़ी करनी होगी… मुझे लग रहा है कि छायादेव की छाया अब भी कहीं आसपास है।"

    रेहान ने उनकी बात सुनकर सिर हिलाया।

    "तुम लोग तैयार हो?"

    रुद्र ने दृढ़ता से कहा, "हाँ!"

    गुफा में खतरा मंडराने लगा

    जैसे ही वे गुफा से बाहर निकलने लगे, हवा में अजीब-सी सरसराहट गूंजने लगी।

    "तुम मेरी कैद से भाग नहीं सकते…"

    एक गहरी, भयावह आवाज़ गूँजी।

    नायरा की साँसें तेज हो गईं।

    "नहीं… ये छायादेव की आवाज़ है!"

    रुद्र ने चारों ओर देखा, लेकिन कुछ नज़र नहीं आ रहा था।

    पर अचानक…

    गुफा की दीवारों से काली परछाइयाँ निकलने लगीं!

    "भागो!" रेहान चिल्लाया।

    कायरा वन की आखिरी परीक्षा

    तीनों तेजी से दौड़ने लगे, लेकिन जंगल अब पहले जैसा नहीं रहा।

    रास्ते अपने-आप बदलने लगे, पेड़ हिलने लगे, और ज़मीन काँपने लगी।

    रुद्र ने गहरी साँस ली और नायरा को कसकर पकड़ा।

    "डरना मत! हम बाहर निकलेंगे!"

    पर तभी…

    एक काली परछाईं नायरा की ओर बढ़ी और उसे पकड़ लिया!

    "रुद्र!" नायरा चीख पड़ी।

    रुद्र ने तुरंत उसकी ओर हाथ बढ़ाया, लेकिन परछाईं उसे अंधेरे में खींचने लगी।

    "नायरा को छोड़ दो!"

    रेहान का बलिदान?

    रेहान ने तेजी से अपनी जेब से एक चमकता हुआ पत्थर निकाला।

    "रुद्र, इसे पकड़ो!"

    रुद्र ने पत्थर पकड़ा, और जैसे ही उसने उसे परछाईं पर फेंका—

    गहरा अंधकार अचानक बिखर गया!

    परछाईं गायब हो गई, और नायरा गिर पड़ी।

    रुद्र ने तेजी से उसे उठा लिया।

    "तुम ठीक हो?"

    नायरा ने धीरे से सिर हिलाया।

    पर तभी, रेहान लड़खड़ा गया।

    "रेहान!"

    रेहान की आँखों में हल्की चमक थी।

    "मेरा काम पूरा हो गया…" उसने धीरे से कहा।

    "अब मेरी आत्मा आज़ाद है।"

    और फिर, उसके शरीर से हल्की रोशनी निकली, और वो धीरे-धीरे हवा में घुलने लगा।

    कायरा वन से आज़ादी

    जैसे ही रेहान गायब हुआ, जंगल फिर से सामान्य होने लगा।

    रुद्र और नायरा ने तेजी से आगे बढ़ना शुरू किया।

    अब रास्ता सीधा था।

    आखिरकार, वे जंगल के बाहर आ गए।

    सूरज की रोशनी उनके चेहरे पर पड़ी।

    नायरा की आँखों में आँसू आ गए।

    "हम… हम बच गए?"

    रुद्र ने उसे गले लगाकर कहा, "हाँ, नायरा। अब सब खत्म हो गया।"

    लेकिन…

    क्या सब सच में खत्म हो गया?

    जैसे ही वे जंगल से निकले, हवा में एक धीमी फुसफुसाहट गूँजी—

    "तुम सोचते हो कि ये खत्म हो गया… लेकिन मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँगा…"


    रुद्र और नायरा जंगल से बाहर आ चुके थे।

    सामने खुला रास्ता था, हल्की ठंडी हवा बह रही थी, और सूरज ढलने को था।

    "हम सच में बच गए?" नायरा ने धीमे स्वर में पूछा।

    रुद्र ने उसकी उंगलियाँ कसकर पकड़ लीं। "हाँ, नायरा। अब कोई खतरा नहीं।"

    पर उसके दिल के किसी कोने में अब भी हल्की बेचैनी थी।

    नायरा की बेचैनी

    जैसे ही वे शहर की ओर जाने लगे, नायरा ने अजीब-सा महसूस किया।

    उसका सिर भारी लग रहा था, और उसकी आँखें थकान से झुकने लगीं।

    "रुद्र... मुझे कुछ अजीब लग रहा है," उसने धीमे स्वर में कहा।

    रुद्र ने उसकी तरफ देखा।

    "शायद तुम बहुत थक गई हो। आराम करो, सब ठीक हो जाएगा।"

    पर नायरा का दिल अजीब तरह से धड़क रहा था।

    छायादेव की वापसी?

    शहर पहुँचने से पहले ही रास्ते में अचानक हवा ठंडी हो गई।

    हवा में वही जानी-पहचानी फुसफुसाहट गूँजी—

    "तुम सोचते हो कि ये खत्म हो गया?"

    रुद्र का पूरा शरीर सिहर उठा।

    "ये... ये आवाज़ फिर से!"

    नायरा की आँखें डर से फैल गईं।

    और तभी, हवा में एक परछाईं बनी—

    छायादेव!

    अंधकार फिर लौट आया

    रुद्र और नायरा भागने लगे, लेकिन उनका शरीर भारी लगने लगा।

    "तुम मेरी कैद से बच नहीं सकते…" छायादेव की गूंजती आवाज़ आई।

    रुद्र ने नायरा को पकड़ा, "हम फिर से फँस नहीं सकते!"

    पर तभी, नायरा का शरीर काँपने लगा।

    उसकी आँखें लाल होने लगीं।

    "रुद्र... मुझे बचाओ!"

    नायरा छायादेव के वश में?

    रुद्र ने देखा—नायरा की कलाई पर वही काले निशान लौट आए थे।

    "नहीं... ऐसा नहीं हो सकता!"

    छायादेव ने ज़ोर से हँसते हुए कहा,

    "मैं कभी नहीं हारता, रुद्र। अब नायरा मेरी है।"

    और फिर, नायरा की आँखों से आँसू निकलने लगे, लेकिन वो अब अपनी जगह से हिल नहीं पा रही थी।

    रुद्र के सामने अब सबसे बड़ा सवाल था—

    रुद्र के सामने नायरा खड़ी थी, लेकिन वो नायरा नहीं थी जिसे वो जानता था।

    उसकी आँखें सुर्ख हो चुकी थीं, चेहरे पर एक अजीब-सी स्याही लहराने लगी थी, और उसकी साँसें बोझिल हो रही थीं।

    "नायरा!" रुद्र ने उसे झकझोरते हुए पुकारा, "मेरी तरफ देखो!"

    पर नायरा की पलकें जमी हुई थीं, जैसे उसकी आत्मा कहीं और कैद हो गई हो।

    छायादेव की चाल

    हवा में फिर वही ठंडी फुसफुसाहट गूँजी—

    "रुद्र, तुम कभी नहीं जीत सकते।"

    रुद्र ने दाँत भींच लिए। "अगर तुम इतने ताकतवर हो, तो खुद सामने आकर लड़ो! एक लड़की के शरीर का सहारा क्यों ले रहे हो?"

    छायादेव की हँसी अंधेरे को चीरती हुई गूँजी।

    "क्योंकि मैं चाहता हूँ कि तुम देखो…"

    और तभी, नायरा की देह हवा में ऊपर उठने लगी। उसकी बाहें फैलीं, और उसकी उंगलियों से काले धुएँ की लकीरें निकलने लगीं।

    रुद्र ने एक कदम आगे बढ़ाया, लेकिन उसके पैर अचानक ज़मीन से चिपक गए—जैसे किसी अदृश्य जंजीर ने उसे बाँध दिया हो।

    नायरा के भीतर की जंग

    नायरा के अंदर कहीं दूर उसकी आत्मा चीख रही थी। वो एक अंधेरे कमरे में खड़ी थी, जहाँ बस एक दरवाज़ा था—लाल, डरावना, और किसी की चीखों से भरा हुआ।

    "नायरा…"

    उसने आवाज़ सुनी—बहुत जानी-पहचानी।

    वो कौन था? रुद्र?

    नहीं…

    कोई और था।

    नायरा का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, लेकिन उसके हाथों पर जंजीरें बंधी थीं।

    तभी, अचानक उसके सामने एक परछाईं उभरी।

    "तुम अब मेरी हो, नायरा।"

    रुद्र की अंतिम कोशिश

    बाहर, रुद्र ने पूरा ज़ोर लगाकर अपने पैरों की जंजीरें तोड़ीं और नायरा की ओर भागा।

    "नायरा! मैं तुम्हें नहीं खोने दूँगा!"

    उसने अपनी कलाई की माला को पकड़कर ज़ोर से मंत्र पढ़ा।

    जैसे ही मंत्र पूरा हुआ, हवा में एक ज़ोरदार गूंज हुई, और नायरा की देह अचानक कांप उठी।

    उसकी आँखों से आँसू बहे, और उसकी चीख पूरे जंगल में गूँज उठी।

    छायादेव की हँसी अचानक गुस्से में बदल गई।

    "नहीं! ये नहीं हो सकता!"

    रुद्र ने अपनी पूरी ताकत लगाकर नायरा का हाथ पकड़ा—"तुम मेरे साथ हो, नायरा! जागो!"

    नायरा के अंदर अंधकार और रौशनी की जंग छिड़ चुकी थी।

    पर क्या रुद्र उसे सच में बचा पाएगा?


    to be continued 💫🦋💙