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वो रात...

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Vihan Thakur (Nitya)

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अरमान और नंदिनी की दास्तां।

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Page 1 of 1

  • 1. वो रात... - Chapter 1

    Words: 1442

    Estimated Reading Time: 9 min

    काली अंधियारी और डरावनी रात थी वो, सुनसान सड़क जिस के किनारे लगी ट्यूबलाइट बार बार जल बुझ रही थी,,पेड़ों के सूखे पत्ते सड़क को ढके हुए थे,,आसमान में काले बादल सायों की तरह घुमड़ रहे थे और सरसराती रोम रोम में चुभने बाली हवा चल रही थी,,अगर ऐसे में कोई सांस भी ले उसकी सांस लेने की आवाज तक माहौल में गूंज जाए।।। ऐसी काली रात में एक 25 साल का युवक उसी सड़क पर बेतहाशा भागा चला आ रहा था,,,दिसंबर की बो कड़कती सर्द भरी रात थी मगर कोहरे का नामो निशान नहीं था,,,, शरीर को जमा देने बाली ऐसी सर्द रात में भी उस सख्श का पूरा बदन पसीने से ऐसे नहाया हुआ था जैसे अभी अभी बारिश ने उसे भिगोया हो।। लड़खडाते उसके कदम और बंद होती आंखें दोनो गवाह थे की बो अब भागते भागते बुरी तरह थक चुका था मगर फिर भी दौड़ रहा था जैसे जिंदगी को बचाने की कोशिश आखिरी सांस तक करना चाहता हो,, बेबाक भाग रहीं उसकी सांसे और धड़कनों की आवाज उसके भीतर और भी खौफ पैदा कर रही थी,,लाल हुई आंखों में इतना खौफ जैसे मौत अभी अभी छूकर गई हो मगर पीछा अभी भी कर रही हो।। हर बढ़ते कदम के नीचे दबते पत्तो से उठने बाली चर चर की आवाज उसके भय में वृद्धि कर रही थी,,,मुंह सूख चुका था जुबान मानो चिपक गई थी फिर भी बो बस भागे जा रहा था,,, उसके बिखरे बाल भी पसीने से भीग चुके थे और रोम रोम बार बार खड़ा हो रहा था,,,बो बार बार पीछे मुड़ देखता और उसकी आंखें भय से बाहर आने को होती साथ ही जिंदगी के बचे पल कम होते नजर आते......... बार बार बो लड़का अपने हाथ में पहनी घड़ी की ओर देखता जिसकी सुई मानो आगे बड़ने से मना कर रही हो,,,बो अपने थके शरीर को किसी भी तरह आगे धकेल रहा था ये सोच की सुबह होने में बचे ये चंद पल कैसे भी करके कट जाए।।। चंद घंटों में बदली उसकी जिंदगी यकीन करने लायक नही थी,,,उसे याद आने लगा कुछ घंटे पहले का समय जब सब सामान्य था..... ////////////////////////// कुछ घंटे पहले..........रात के करीब 8 बजे!!! अरमान... एक नई पीढ़ी का पढ़ा लिखा बैचलर,,जो दिखने में बहुत ही हैंडसम और अट्रैक्टिव था!!! अपने कंधे पर बैग लटकाए अंधेरी सड़क की ओर चला जा रहा,,आज बो बहुत खुश था क्योंकि उसकी काबिलियत और मेहनत रंग लाई थी,,ऑफिस में उसके काम को देख उसको बड़ी पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया था और साथ ही साथ रहने के लिए कंपनी ने एक घर भी दिया था।। बो अपने रंगीन सपनो को बुनते हुए उसी नए घर की ओर बड़ा जा रहा था।।।। अरमान का परिवार तो नही था और अगर था बो सिर्फ खुद,,,उसके अलावा उसके परिवार में कोई नही था,,,सारा परिवार एक रोड एक्सीडेंट में मारा गया था जब बो काफी छोटा था, वो एक अनाथ था मगर कहते है जिसका कोई नही होता उसके भगवान होते है कुछ इसी तरह अरमान की जिंदगी में भी उस वक्त एक फरिश्ता आया जिसने उसे पाला पोसा और एक बेहतर जिंदगी नवाजी।।।।। बहुत कुछ खो जाने के बाद अब अरमान के पास कुछ बचा था तो सिर्फ वही इंसान, मुकेश देसाई जिसे वह बाबा कह कर बुलाता था और अपना पिता और भगवान दोनो ह्रदय से मानता था।। उसके हसीन सपनों में से एक सपना अपने बाबा की नजरों में खुद के लिए गर्व देखना भी था।। बस उसी ख्वाहिश के चलते वह अपनी कामयाबी को पाने के लिए दिन रात मेहनत करता था।। अरमान अपने घर की ओर बड़ा चला जा रहा था कि तभी उसका फोन बजा उसने देखा फोन स्क्रीन पर उसके बाबा का नाम फ्लैश हो रहा है,,, अरमान ने बहुत ही खुश होते हुए फोन रिसीव किया तो दूसरी ओर से आवाज आई -- हेलो अरमान बेटा कैसे हो?? अरमान ने खुशी झलकती आवाज में कहा "एकदम ठीक हूं बाबा आप कैसे हैं??" मुकेश जी ने उसकी आवाज की खनक सुन खुश होते हुए कहा, "मैं भी ठीक हूं बस तुम्हारी याद बहुत आती है बेटा।।" ये कहते हुए वो थोड़े उदास हो चुके थे। इस ओर से अरमान बोला "हां बाबा मुझे भी आप बहुत याद आते हो लेकिन क्या करूं इस नए शहर में आना मेरी मजबूरी बन गई थी,,लेकिन मैं जल्दी से सेटल होने के बाद आपको भी हमेशा के लिए यहां ले आऊंगा फिर अपन दोनों साथ में खुश रहेंगे।।" मुकेश जी ने कहा " मेरी खुशी तो मेरे बेटे की खुशी में है,, मैं तो बस चाहता हूं कि तुम्हारा हर सपना पूरा हो,, तुम कामयाबी की ऊंचाइयों को छुओ।।" अरमान मुस्कुरा कर बोला " बाबा ऊंचाइयों पर भी मुझे आपका साथ चाहिए आपके बिना मैं कुछ नहीं।।।" मुकेश हस्ते हुए कहा "तुम कभी नहीं बदलोगे अरमान, आज भी वही हो जो साल में पहले थे।।" अरमान बोला "आप फिक्र न करें मैं आपके लिए हमेशा वही रहूंगा बाबा,, अच्छा यह बताइए आपने खाना खाया या नहीं।।।" मुकेश जी ने जबाव देते हुए कहा " बस खाना खाने जा रहा था तुम बताओ तुम किधर हो??" अरमान ने कहा "बस बाबा कंपनी ने जो घर दिया है उसी में सिफ्ट होने के लिए जा रहा हू।।।" मुकेश ने एकदम से हैरानी के साथ कहा "आज??" अरमान ने कहा " हां क्यों आज क्या हुआ बाबा,, मुझे आज ही वक्त मिला तो बस चला आया।।" मुकेश जी ने चिंता भरे स्वर में कहा "बेटा आज अमावस्या है आज के दिन शुभ काम नहीं किये जाते।।" अरमान ने हस्ते हुए कहा "बाबा यह इक्कीसवी सदी है इसमें ऐसा कोई नहीं सोचता आप भी कहां इन सब बातों में फंसे हुए हैं,किसी भी काम के लिए समय नहीं देखा जाता बस सही इनटेंशन रखने चाहिए।।" मुकेश जी ने कहा " बेटा तुम समझते क्यों नहीं मैं ऐसे ही इन सब बातों को नहीं कहता।।" अरमान में कहा "बाबा प्लीज आप इन सब बातों को लेकर स्ट्रेस मत लीजिए और खाना खाकर अपनी दवा ले लीजिए।। और वैसे भी मैं पहुंचने ही बाला हूं।।।" मुकेश जी ने हारते हुए कहा " तुम मानने बाले तो हो नही,,,चली ठीक है बस अपना ध्यान रखना और कुछ भी अजीब लगे तो बहा से वापस आ जाना।।।।" अरमान बोला "जी बाबा आप बेफिक्र रहिए।।।" मुकेश जी ने कहा "हा।।" अरमान ने कहा " रखता हूं,,अपना ध्यान रखिएगा।।" मुकेश जी ने कहा "तुम भी।।" अरमान ने कहा "जी बाय।।" मुकेश ने कहा "बाय।।" अरमान ने फोन रख दिया,,मुकेश ने कहा जरूर था मगर उसका दिल अभी भी अजीब से डर से आतंकित था।। फोन रखते ही अरमान के चेहरे पर एक उदासी सी छा गई जैसे उसे कुछ याद आते ही मायूस कर  गया हो।। बो आगे बड़ा जा रहा था।। अरमान ने खुद से बात करते हुए कहा " कमाल है, तब से चला आ रहा हूं कोई इंसान नजर ही नहीं आ रहा, इतनी ज्यादा रात भी नही है की यहां इंसानों की आवाजाही ना हो, इंसान तो फिर भी ठीक है यहां तो कोई पंछी तक नजर नही आ रहा।।।।।। और ये कैसी अजीब सी रात है।।" सोचते हुए बो आगे बड़ा जा रहा था,,कुछ कदम और चलते ही उसे कब्रिस्तान नजर आया जहां का वातावरण सामान्य नही था,,मगर उसे इस बात से कुछ खास फर्क नहीं पड़ा,क्योंकि उसने सोचा ऐसी शांत पड़ी जगहों पर ऐसा वातावरण रहना सामान्य है ।। रात के सन्नाटे में कीड़े मकोड़ों की आवाज भी बहुत तेज लग रही थी, अरमान हाथ मलते और सब ओर देखते हुए चल रहा था, बो एक बहुत ही मजबूत दिल बाला इंसान था, आसानी से डर जाना उसकी फितरत में नही था और भूत प्रेत के अस्तित्व में तो बो रत्ती भर भी भरोसा नही रखता था।।।। कब्रिस्तान से कुछ ही दूरी पर उसे नजर आया बो घर जिसमे रहने बो आया था।।।।। मगर बो घर नहीं बल्कि कोई हवेली नजर आ रही थी जो शायद सालों से बंद पड़ी थी।।। बाहर मद्धम रोशनी थी ऊपर से हल्का कोहरा जिससे बो हवेली धुंधली धुंधली नजर आ रही थी।। उसके अंदर का वातावरण भी अजीब नजर आ रहा था और अचंभे की बात तो ये थी की उस हवेली के आसपास न तो कोई मकान था और न ही कुछ और,,,बस कुछ था तो बगल में कब्रिस्तान और बड़े बड़े पेड़ उसके अलावा थी बीरानियत और मनहूसियत।। बाहर से ही दिखने में बो हवेली बहुत डरावनी दिख रही थी,,मगर अरमान पर जैसे इन सब चीजों का कोई असर ही नही था।। अरमान ने हस्ते हुए कहा "कंपनी को भी यही भूतिया जगह मिली थी।।।। देखने से लग रहा है जैसे किसी हॉरर फिल्म का सेट हो,,और इस सेट की वजह से बो हॉरर फिल्म सुपर हिट हो जायेगी।।।" बो हस्ते हुए आगे बड़ा मगर उसे क्या पता की बो किस दलदल में पैर रख रहा है........ जारी!!!!!!!!