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Wife With Benefits

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Aarvi Nair

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मैंने अपने पिता के साथ एक शर्त लगाई थी, वो शर्त यह थी :- मुझे 1 साल में अपने पति के साथ मिलकर एक बच्चे को पैदा करना है। मगर मेरा पति किसी और लड़की से प्यार करता था, वह चाहकर भी मुझे एक पत्नी की तरह नहीं रख सकता था। और ना हीं मुझसे वह ऐस...

Characters

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आशिकी

Heroine

Total Chapters (40)

Page 1 of 2

  • 1. Wife With Benefits - Chapter 1

    Words: 1774

    Estimated Reading Time: 11 min

    अगर आप एक लड़की हैं, तो क्या होगा यदि मैं आपसे कहूँ कि आपकी शादी किसी ऐसे लड़के से हो जो आपसे प्यार नहीं करता, फिर भी आपको 1 साल में एक बच्चा पैदा करना है?

    लड़का बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं दिखाता, और न ही आगे दिलचस्पी दिखाने की कोई संभावना है। तब आप क्या करेंगी?

    क्या आप उसे ज़बरदस्ती लुभाएंगी ताकि वह आप में दिलचस्पी दिखाए और बच्चा पैदा करने में मदद करे?

    यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब देना आसान नहीं है। मेरी कहानी कुछ ऐसी ही है। मैंने एक ऐसे लड़के से शादी कर ली जिसे मुझमें बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है, और न ही भविष्य में वह दिलचस्पी दिखाने वाला है। फिर भी, कुछ मजबूरियों के कारण मुझे 1 साल में बच्चा पैदा करना है। मुझे नहीं पता आपको यह कहानी कैसी लगेगी, लेकिन शायद इसे लिखकर मैं अपनी ज़िंदगी का एक यादगार हिस्सा आपके सामने रख दूँगी।

    मेरी कहानी की शुरुआत उस दिन से होती है जब मैं शादी की पहली रात खूबसूरत गोल्डन कलर के डीप नेक गाउन में बिस्तर पर बैठी थी। मैं खुद को इतना खूबसूरत बनाने की कोशिश कर रही थी कि मेरा पति कमरे में दाखिल होते ही मुझ पर लट्टू हो जाए और खुद पर काबू न रख पाए। इसका नतीजा मुझे 9 महीने बाद एक बच्चे के रूप में मिले। लेकिन मुझे क्या पता था कि यह रात मेरी ज़िंदगी की सबसे बेकार रात होने वाली है।

    तकरीबन 2 घंटे बीत चुके थे। शादी की सारी रस्में पूरी करने के बाद मुझे इस कमरे में छोड़ दिया गया था ताकि मेरा पति आकर आगे का काम करे। लेकिन मेरे पति के आने की कोई खबर नहीं थी। खबर तो दूर की बात, मुझे तो बाहर उसकी कोई आवाज़ भी सुनाई नहीं दे रही थी। बाहर मेहमानों का शोर सुनाई दे रहा था, मगर मेरे पति की आवाज़ नहीं। आख़िरी बार जब मैं अपने पति के साथ थी, तब मैंने देखा था कि उसे कोई कॉल आया था और फिर वह चला गया था। तब से उसका कोई अता-पता नहीं है।

    तरह-तरह के ख़्याल मेरे मन में आ रहे थे। जैसे कि मुझे लग रहा था मेरे पति की कार किसी दूसरी कार से टकरा गई होगी और उसका सारा खून सड़क को लाल कर रहा होगा। अगर ऐसा हुआ तो क्या होगा? मेरे पास तो कोई सफ़ेद साड़ी भी नहीं है जिसे पहनकर मैं अपने पति की मौत का मातम मना सकूँ।

    सिर्फ़ इतना ही नहीं, अगर मेरे पति के साथ कुछ भी होता है तो मुझे घरवालों के ताने भी सुनने पड़ेंगे। सब मुझे मनहूस कहेंगे। कहेंगे, "कैसी मनहूस बहू है जिसने आते ही शादी की पहली रात अपने पति को छीन लिया।" पता नहीं और क्या-क्या कहेंगे।

    मैं जानती हूँ कि इस तरह की चीज़ें नहीं सोचनी चाहिए, लेकिन क्या करूँ? जब आप किसी का इंतज़ार कर रही हों और वह वापस न आए तो ऐसे ही ख़्याल दिमाग में आते हैं।

    मैं अपने पति का इंतज़ार कर ही रही थी कि मेरे फ़ोन पर किसी का कॉल आया। मेरा फ़ोन दूर पड़ा था, मगर जैसे ही फ़ोन बजा मैंने उसे जल्दी से उठा लिया, यह सोचकर कि कहीं यह मेरे पति का कॉल तो नहीं है। क्या पता वह बताना चाह रहा हो कि उसे देरी होगी या फिर आज उसे इतना ज़रूरी काम है कि वह आ ही नहीं पाएगा। या फिर यह किसी अनजान इंसान का कॉल हो सकता है जो यह बताए कि तुम्हारे पति का रोड एक्सीडेंट हो गया है। मगर जब मैंने फ़ोन देखा तो यह मेरे पिता का कॉल था।

    मेरे पिता, रवि सक्सेना, एक अरबपति हैं। उन्होंने बहुत मेहनत की है अरबपति बनने के लिए। मैं उनकी इकलौती बेटी, आशिका सक्सेना, ख़ुशी से एक अरबपति हूँ। बिना अपने डैड की प्रॉपर्टी के, मैंने 16 साल की उम्र में अपना पहला बिजनेस शुरू कर लिया था और 21 साल के होते-होते बिजनेस की दुनिया में अपनी पहचान बना ली थी। इस वक़्त मैं 23 साल की हूँ और मेरी कुल आय 1.3 अरब डॉलर है। मेरे पिता के पास तो इससे भी ज़्यादा पैसे हैं, लेकिन एक दिन मैं उनकी बराबरी कर लूँगी। एक और चीज़ जो मुझे बतानी है, मेरा हस्बैंड भी एक अरबपति है और उसकी कुल प्रॉपर्टी 2.9 अरब डॉलर है। उसने भी खुद के दम पर अपना सारा साम्राज्य खड़ा किया है। हालाँकि, मैं उससे ज़्यादा पीछे नहीं हूँ, और अगर सही से काम करती रही तो उसे पीछे छोड़ दूँगी।

    "तुम अपना वादा भूल तो नहीं रही हो ना? तुम्हारे पास पूरा एक साल है। अगर तुमने 1 साल में अपना वादा पूरा नहीं किया तो भूल जाना तुम्हें कुछ भी मिलने वाला है। मैं फिर सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे छोटे भाई को दे दुंगा और तुम्हारे हाथ खाली रह जाएँगे।" कॉल की दूसरी ओर से आवाज़ आई जिसे सुनकर मेरे हाथों की मुट्ठियाँ कस गईं।

    यही वह कारण था जिसकी वजह से मेरे दिमाग में इस वक़्त बस एक ही बात थी: 1 साल के अंदर किसी तरह से एक बच्चा पैदा करना। वह बहुत ही मनहूस दिन था जब मैंने अपने पिता से शर्त लगाई थी कि मैं 1 साल के अंदर अपने पति के साथ मिलकर आपको एक बच्चा पैदा करके दिखाऊँगी, और अगर मैंने ऐसा किया तो उनकी सारी प्रॉपर्टी मेरी होगी, और अगर मैं नाकामयाब रही तो फिर वह प्रॉपर्टी का जो चाहें करें। मेरे डैड ने मुझे कहा कि वह सारी प्रॉपर्टी मेरे छोटे भाई के नाम कर देंगे। जो अभी बस 10 साल‌ का है।

    मेरी और मेरे पिता की बचपन से कभी भी नहीं बनी। जो चीज़ मुझे चाहिए थी वह मेरे पिता ने कभी नहीं खरीदकर दी और जो चीज़ मुझे नहीं चाहिए वह जबरदस्ती मेरे गले बाँधी, चाहे वह मुझे अच्छी लगे या न लगे। उन्होंने मुझे आज तक एक भी बॉयफ्रेंड नहीं रखने दिया। स्कूल से लेकर कॉलेज तक सब गर्ल्स स्कूल थे, और जब बड़ी हुई तो उन्होंने अपनी देखरेख में ही मुझे काम करने दिया। मेरे ऑफ़िस के स्टाफ़ में भी सिर्फ़ लड़किया हैं और अगर लड़के हैं तो 50 साल से ऊपर की उम्र के, क्योंकि मेरे डैड ने मुझे जवान लड़कों को अच्छे एम्प्लॉई के तौर पर हायर नहीं करने दिया। फिर मेरी सौतेली मां भी मेरे लिए सरदर्द थी।

    शादी के मामले में जब बात आई थी तो मेरे डेड कई सारे रिश्ते लेकर आए थे, लेकिन मैंने हर एक रिश्ते को मना कर दिया था क्योंकि मैं जल्दी शादी नहीं करना चाहती थी। जिस तरह से मैं ज़िद्दी हूँ उसी तरह से मेरे पिता भी ज़िद्दी हैं। बार-बार रिश्तों को मना करने की वजह से वह गुस्से में आ गए और उन्होंने मुझे कह दिया कि अगर मैं शादी नहीं करती हूँ तो फिर वह अपनी प्रॉपर्टी का 1% हिस्सा भी मुझे नहीं देंगे। हालाँकि, वैसे तो मुझे उनकी प्रॉपर्टी नहीं चाहिए, लेकिन क्योंकि मैं एक बिजनेस गर्ल हूँ तो उनकी प्रॉपर्टी को ऐसे छोड़ भी नहीं सकती हूँ। इन सबके चलते हमारे बीच में एक सौदा हो गया जिसमें मैं 1 साल के अंदर अपने पति के साथ मिलकर एक बच्चा पैदा करूँगी और जैसे ही यह होगा मेरे पिता सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर देंगे।

    बस एक बच्चा ही तो पैदा करना है, और कुछ नहीं। अगर सिर्फ़ एक बच्चा पैदा करने से मुझे 33 अरब डॉलर की कैश अमाउंट और 50 अरब डॉलर का फ़ैक्ट्री बिजनेस मिल रहा है तो मैं भला क्यों मना करूँगी? इतने सारे पैसों के लिए तो वह मुझे जिसके साथ भी बच्चे को पैदा करने के लिए कहेंगे मैं उसके साथ बच्चा पैदा कर लूँगी।

    इस डील के ठीक 3 महीने बाद मेरे पिता मेरे लिए एक और रिश्ता लेकर आ गए थे जिसके लिए मैंने तुरंत हाँ कह दिया था। यहाँ तक कि मैंने उस लड़के की तस्वीर भी नहीं देखी थी जो मेरे पिता मेरे लिए लेकर आए थे। क्योंकि मुझे कोई मतलब नहीं था। मेरे दिमाग में बस एक ही चीज़ थी: लड़का चाहे जो भी हो, मुझ उससे शादी करनी है, बच्चा पैदा करना है और फिर तलाक लेकर मैं अपने रास्ते निकल जाऊँगी और लड़का जो चाहे वह करे।

    थोड़े दिनों बाद मुझे पता चला कि लड़के वालों की तरफ़ से हाँ हो गई है। एक बार मैं अपने पिता के साथ उस लड़के से मिलने गई थी। वह एक कैजुअल मीटिंग थी और हमने 5 मिनट से ज़्यादा आपस में बात नहीं की और नंबर शेयर करके अपने-अपने काम में लग गए। फिर अगले 6 महीनों तक हम लोगों ने एक-दूसरे को पाँच बार से ज़्यादा कॉल नहीं किया होगा। अगली मुलाकात सीधे शादी के दिन हुई। शादी के दिन भी मैंने उसे ठीक से नहीं देखा। यहाँ तक कि अगर कोई मेरे पति को बदल भी देता तो भी शायद मैं पहचान नहीं पाती कि यह मेरा वही पति है जिससे मैं शादी करने जा रही हूँ या कोई और है। मैं पागल लड़की हूँ और मुझे पैसों के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं देता है। यह बात मैं खुद भी मानती हूँ।

    "हाँ, हाँ, मुझे अच्छे से याद है कि मुझे क्या करना है। मुझे समझ में नहीं आ रहा आप इस तरह से कॉल कर-करके मुझे परेशान क्यों कर रहे हैं?" ज़ाहिर है मेरे पति के न आने का गुस्सा मुझे अपने पिता पर ही उतारना था। शुक्र है मैंने अपने पति को यह नहीं बताया कि मेरा पति यहाँ पर नहीं है और शायद मेरी शादी की पहली रात अकेले ही गुज़रने वाली है। तब तो वह पूरी तरह से पागल हो जाते।

    मैंने जल्दी से फ़ोन काट दिया क्योंकि इसके अलावा बात करने के लिए कुछ और था ही नहीं। फिर मैंने फ़ोन में कुछ और देखना शुरू कर दिया। रात के 2:00 बजने वाले थे लेकिन अभी भी मेरे पति का कोई नामोनिशान नहीं था। मुझे मेरे कपड़े बोझ लगने लगे थे।

    ये ऐसे कपड़े थे जिसमें लड़की अक्सर खूबसूरत लगती है, जितनी होती है उससे भी ज्यादा। वैसे तो किस्मत से मुझे एक अच्छी शक्ल और एक अच्छा फिगर मिला है, की मुझे इन कपड़ों की जरूरत भी नहीं सुंदर दिखने के लिए। मगर फिर भी मैंने इसे पहना हुआ था ताकी मेरा पति जब इन्हें धीरे धीरे उतारे तो वो मुझमें खो‌ जाए।

    मगर, सब मुझे बस सपने जैसा ही लग रहा था। क्योंकि की मैं अकेली थी। आख़िरकार, मैं खड़ी हुई और अपना भारी-भरकम गाउन उतार दिया, सिंपल कपड़े पहने और सोने के लिए लेट गई।

    अब कौन आधी रात तक जागता रहेगा? ज़रूरी नहीं है कि शादी की पहली रात ही सब कुछ किया जाए, बाकी की रातें भी तो यह सब करने के लिए ख़ाली ही होती हैं। सोते वक़्त फिर से कुछ बुरे ख़्याल मुझे आ रहे थे, मगर ठीक है अब क्या कर सकते हैं। कोई नहीं जानता, मेरा पति इस वक्त कहा है?

  • 2. Wife With Benefits - Chapter 2

    Words: 1301

    Estimated Reading Time: 8 min

    सुबह मेरी आँख 7:00 बजे के करीब खुली। मैं हमेशा इससे भी जल्दी उठती थी मगर रात को लेट सोई थी तो इस वजह से मेरी आँख लेट खुली। उठते ही मैंने अपने बगल में देखा, यह सोचकर कि क्या पता मेरा पति रात को आ गया हो और मेरे बगल में लेट गया हो, मगर ऐसा कुछ भी नहीं था। मेरा बिस्तर ख़ाली था और वहाँ बस गुलाब की कुछ पंखुड़ियों के अलावा और कुछ भी नहीं था। मैं उठी और नहाने के लिए चली गई।

    नहाते वक़्त मुझे बस एक ही चीज़ खाए जा रही थी कि आख़िर वह रात को रुका कहाँ होगा और ऐसा कौन सा ज़रूरी काम होगा कि वह शादी की पहली रात अपनी पत्नी को अकेले छोड़कर चला गया और वापस आने के बारे में भी नहीं सोचा। वापस आना तो दूर की बात, उसने एक बार फ़ोन करके बताया भी नहीं कि आखिर वह कर क्या रहा है और वह आज रात वापस नहीं आएगा। दुनिया में ऐसा कौन सा पति होगा जो अपनी खुबसूरत पत्नी के साथ ऐसा करता है?

    मैं नहा रही थी कि तभी बाहर मेरा फ़ोन बजने लगा। मैंने तुरंत शावर बंद किया और बाहर आकर कॉल पिक किया। कॉल की दूसरी ओर मेरी सेक्रेटरी हिना थी।

    "मैडम, क्या मैं आज की आपकी मीटिंग कैंसिल कर दूँ? मुझे नहीं लगता आप आज की मीटिंग में आ पाएँगी।"

    मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या जवाब दूँ। अगर मेरी शादी की पहली रात अच्छे से बीती होती तो शायद मैं छुट्टी कर लेती। मगर क्योंकि कुछ हुआ ही नहीं तो छुट्टी करने का कोई मतलब नहीं बनता था।

    "नहीं, मैं आ रही हूँ। कोई भी मीटिंग कैंसिल नहीं होगी," यह कहकर मैंने कॉल काट दिया।

    फिर मैं वापस जाने के लिए मुड़ी कि तभी मुझे दरवाजे पर किसी के ज़ोर से चीख़ने की आवाज़ सुनाई दी। जब मैं दरवाजे की तरफ मुड़ी तो वहाँ पर एक हैंडसम लड़का खड़ा था जिसे देखते ही कोई भी लड़की उस पर पूरी तरह से पागल हो जाए।

    नीली आँखों वाला एक लड़का, जो दिखने में इतना खूबसूरत था कि उसकी खूबसूरती को बयाँ नहीं किया जा सकता। यह मेरा पति था। 6 फीट की हाइट, परफेक्ट बॉडी, व्हाइट कलर की टाइट शर्ट, उस पर रेड कलर की टाई और ब्लैक कलर की पेट, यह इस वक्त की उसकी आउटफिट थी।

    हाँ, मेरा पति देखने में बहुत हैंडसम है, इतना कि अगर मैं भी इसे एक नॉर्मल लड़की की तरह देखूँ तो पूरी तरह से उस पर लट्टू हो जाऊँ। हालाँकि, इस वक़्त उसका चेहरा डरा हुआ लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे उसने कुछ ऐसा देख लिया जो उसे नहीं देखना चाहिए था।

    तभी मैंने खुद को देखा और मैं समझ गई कि उस लड़के के चिल्लाने की वजह क्या है। इस वक़्त मैंने कुछ भी नहीं पहन रखा था। मैं पूरी तरह से बिना कपड़ों के थी। और वह मुझे इस तरह से देखकर ही चिल्लाया था। थोड़ी ही देर में मेरे गाल शर्म से लाल हो गए। शरीर ऐसे गरम हो गया था जैसे मैं किसी चिमनी के सामने खड़ी हूँ। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं फ़ोन उठाने के लिए इस तरह से बाहर कैसे आ गई। हाँ, मुझे पता था कि मेरे कमरे में कोई नहीं है मगर फिर भी मुझे कम से कम एक टॉवल तो ले ही लेना चाहिए था। मैंने अपनी आँखों को कसकर बंद किया और फिर दौड़कर बाथरूम की तरफ़ चली गई। थोड़ी देर बाद मैं टॉवल पहनकर बाहर आई।

    "क्या तुम एक बेवकूफ़ लड़की हो? कोई इस तरह से किसी अनजान आदमी के सामने बिना कपड़ों के कैसे खड़ा हो सकता है?" उसके शब्दों में डांट थी। मेरे पति का चेहरा भी पूरी तरह से लाल था। अब यह बात मुझे नहीं पता थी कि यह गुस्से की वजह से लाल था या फिर शर्म की वजह से। क्योंकि मैं तो अभी भी अपनी बॉडी का टेंपरेचर महसूस कर सकती थी। इस वक़्त अगर कोई मुझे हाथ लगाकर देखता तो शायद उसे यही लगता है कि मुझे बुखार हुआ पड़ा है।

    "मुझे लगा इस कमरे में कोई नहीं है, इसलिए ऐसे ही बाहर आ गई। अगर मुझे पता होता कि यहाँ पर कोई है तो मैं पहले से ही कुछ पहनकर बाहर निकलती," मैंने जवाब दिया। अब इसके अलावा भला मैं क्या जवाब देती? ग़लतियाँ इंसानों से ही होती हैं।

    "मगर फिर भी एक अनजान आदमी के सामने इस तरह से?" उसने दोबारा मुझसे कहा।

    "आखिर मैं तुम्हारे लिए कैसे अनजान हुई? तुम तो मेरे पति हो, और एक पति अपनी पत्नी को इस तरह से देख सकता है, तो इतना भी ओवररिएक्ट मत करो?" आखिरकार मैंने वह कहा जो मुझे कहना चाहिए था, क्योंकि अगर वह मेरा पति है तो इसमें ओवररिएक्ट करने वाली कोई बात नहीं थी, उसका तो मुझ पर हक़ बनता है।

    "हाँ, लेकिन मेरी जगह कोई और होता तो क्या होता? तुम्हें पता है मुझे भी तुम्हें इस तरह से देखकर कितनी शर्म आ रही थी?" उसने फिर से गुस्से में अपनी बात कही।

    "अगर तुम्हें शर्म आ रही थी तो तुमने अपनी आँखें बंद क्यों नहीं कर लीं? उल्टा तुम तो मुझे और भी गौर से देखने लगे थे। खासकर मेरे सीने को, यह आखिर किस तरह की शर्म है जिसमें आप सामने वाले को गौर से देखने लग जाओ?"

    "क्या...क्या...क्या यह क्या कह रही हो तुम?" मैंने जो बात कही थी उसके बाद मेरे पति की ज़ुबान लड़खड़ाने लगी थी।

    "वही कह रही हूँ जो मुझे कहना चाहिए? मुझे तो समझ में नहीं आ रहा तुम्हें सबसे पहले आकर मुझे सफाई देनी चाहिए थी कि कल रात तुम कहाँ पर थे, और तुम हो कि किसी और वजह से लड़ाई कर रहे हो।"

    "मैं कल रात अपनी ज़रूरी मीटिंग में बिजी था, इसलिए नहीं आ पाया।"

    "ज़रूरी मीटिंग? आखिर रात को ऐसी कौन सी ज़रूरी मीटिंग थी, और कौन सी ऐसी कंपनी है जो रात को ज़रूरी मीटिंग रखती है? आई नो, मैं तुम्हारे बिजनेस के बारे में ज्यादा नहीं जानती, लेकिन मैं भी एक बिजनेस गर्ल हूँ, तो मुझे भी पता है मीटिंग कौन-कौन से वक्त पर होती है। मुझे सच-सच बताओ, क्या तुम्हारा कहीं अफेयर चल रहा है?" मुझे हमेशा से स्ट्रेट फॉरवर्ड बात करने की आदत थी, और मेरे पति का यह कहना कि मैं रात को ज़रूरी मीटिंग में था, इससे यही पता चलता था कि उसका कोई अफेयर चल रहा है, और वह रात को अपने इस अफेयर के पास था।

    "यह तुम क्या कुछ भी कह रही हो? मेरा किसी के साथ अफेयर नहीं चल रहा है। लगता है रात की थकावट अभी भी उतरी नहीं है। खैर छोड़ो, मैं यहाँ पर तुम्हें लेने आया था। हम अब जा रहे हैं। तुम्हारे पास आधा घंटा है, तैयार होकर नीचे आ जाना। मैं वहाँ तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ।"

    यह कह कर मेरा पति जाने को हुआ। मुझे अभी भी मेरे सवालों का जवाब नहीं मिला था, मैं उसे रोकना चाहती थी और पूछना चाहती थी आखिर कल रात मुझे अकेले छोड़ने के पीछे का कारण क्या था?

    मैं उसके इंतजार में कितना तैयार होकर बैठी थी, मैंने शादी की भारी भरकम ड्रेस को रात के 2:00 बजे तक पहन कर रखा था। पता नहीं किस तरह के सपने देखे थे, मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए था। मेरे सोते सोते वह कमरे से चला गया।

    शादी की पहली रात बुरी थी, अब पहला दिन भी बुरा ही जाएगा, क्योंकि पहले दिन ही मैंने अपने पति से लड़ाई कर ली। क्या मेरा अफेयर वाली बात कहना सही था? शायद बिल्कुल भी नहीं। अगर मैं किसी सीधी-सादी बहू की तरह सोचूँ तो मुझे अपने पति से इस तरह के सवाल कभी नहीं करने चाहिए थे। क्या मतलब सवाल नहीं करने चाहिए थे? अगर वह पूरी रात से गायब था, तो एक पत्नी को पता होना चाहिए कि वह रात भर क्या कर रहा था।

  • 3. Wife With Benefits - Chapter 3

    Words: 1987

    Estimated Reading Time: 12 min

    मैंने जल्दी से तैयार होना शुरू कर दिया। मेरे पास पूरे 30 मिनट थे और मुझे हर हाल में तैयार होना था। मेरे पिता को भी लगता था कि मैं एक अच्छी पत्नी नहीं बन पाऊंगी और बच्चा पैदा करने का तो दूर-दूर तक कोई चांस ही नहीं है, इसलिए वो इतना कॉन्फिडेंट थे कि सब कुछ देने को तैयार हो गए। लेकिन मैं सबको गलत साबित करके दिखाऊंगी।

    मैंने अपने वॉर्डरोब से एक सिंपल सी ड्रेस निकाली। मैं जानती थी कि मेरे पति को ब्रांडेड चीजों से कोई मतलब नहीं है, इसलिए मैंने बिना सोचे-समझे एक साधारण सी ड्रेस पहनी और नीचे चली गई।

    जब मैं नीचे पहुंची तो मेरे पति मेरे लिए दरवाजे के पास ही इंतजार कर रहे थे। वह काले रंग के सूट में बहुत हैंडसम लग रहा था। हालांकि मेरा उस पर कोई क्रश नहीं था, लेकिन फिर भी वह देखने में एक कमाल का हस्बैंड था। थोड़े बहुत ही रिश्तेदारों से मिलना जुलना हुआ और मैं सबसे इजाजत लेकर बाहर निकल गई।

    "चलो", उसने मुझसे कहा और कार का दरवाजा खोल दिया।

    मैं बिना कुछ कहे कार में बैठ गई। पूरे रास्ते हम दोनों में से किसी ने भी एक भी शब्द नहीं कहा। कार शहर से दूर एक शांत इलाके में जा रही थी। मुझे नहीं पता था कि मेरा पति कहां जा रहा है और ना ही मैं उससे पूछना चाहती थी। मुझे लग रहा था कि शायद वह मुझे अपने घर लेकर जा रहा है, और मैं वहां पर अपनी एक नई जिंदगी की शुरुआत करूंगी। भले ही वह जिंदगी थोड़ी कड़वी हो, लेकिन जिंदगी तो जिंदगी ही होती है।

    तकरीबन 1 घंटे के बाद हमारी गाड़ी एक बहुत बड़े फार्म हाउस के सामने रुकी। यह फार्म हाउस इतना बड़ा था कि कोई भी आसानी से इसमें गुम हो सकता था। अगर मैं फिल्मी दुनिया की दीवानी होती तो पहली नजर में मुझे यही लगता कि मेरा पति यहां पर मुझे जान से मारना चाहता है, क्योंकि यहां पर अगर किसी को मारने की कोशिश की जाए तो वह कितना भी क्यों न चिल्ला ले, दूर-दूर तक उसकी आवाज सुनने वाला कोई नहीं था।

    "यह तुम्हारा घर है?" मैंने अपने पति से पूछा।

    "हां, यही मेरा घर है। मैं यहीं पर रहता हूं।"

    "वाह, यह तो बहुत सुंदर है। मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं किसी सपने में हूं।" अब घर शानदार था तो यह तो कहना बनता ही था। हां मेरे पास भी पैसों की कमी नहीं है और ना ही मेरे डैड के पास, मगर हमने कभी किसी दूर दराज के इलाके में घर खरीदने पर अपने पैसे वेस्ट नहीं किए।

    "सपने में नहीं, हकीकत में हो। चलो अब अंदर चलते हैं।" मेरे पति ने मुस्कुराते हुए कहा। मैंने जो उसकी तारीफ की थी उससे वह मन ही मन खुश हो गया था। पता नहीं लड़के इतनी जल्दी कैसे खुश हो जाते हैं?

    मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे फार्म हाउस के अंदर लेकर चला गया। अंदर का नजारा बाहर से भी ज्यादा सुंदर था। हर तरफ एंटीक चीजें लगी हुई थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे मैं किसी राजा-महाराजा के महल में आ गई हूं। मानना पड़ेगा मेरे पति ने इस पूरे घर पर खुलकर खर्च किया है, बिना किसी कंजूसी के। शायद इसे शौक होगा एंटीक चीजों से घर को भरने का और खुद को इतनी आलीशान जिंदगी देने का जिसके बारे में कोई सपना भी ना देख सके। मुझे इस बात से खुशी हो रही थी कि मैं भी अब इस आलीशान जिंदगी का एक हिस्सा हूं चाहे कुछ वक्त के लिए क्यों ना सही, क्योंकि 1 साल के बाद तो मैं अपने इस पति को छोड़कर जाने वाली हूं।

    "तुम यहां पर अकेले रहते हो?" मैंने अपने पति से पूछा।

    "हां, मैं यहां पर अकेले ही रहता हूं। मुझे लोगों के बीच में रहना पसंद नहीं है।"

    "ओह, मुझे माफ करना। मुझे नहीं पता था।" मुझे ऐसी फीलिंग आ रही है जैसे मैं किसी अनजान आदमी से ही बात कर रही हूं, जबकि शादी से पहले ही आपको अपने पति की इन सब चीजों के के बारे में पता होना चाहिए।

    "कोई बात नहीं। अब तुम्हें पता चल गया है।"

    तभी एक नौकरानी हमारे पास आई और उसने मेरे पति से कहा, "सर, आपके लिए नाश्ता तैयार है।"

    "ठीक है, हम अभी आते हैं।" मेरे पति ने कहा।

    "चलो, हम नाश्ता करते हैं।" मेरे पति ने मुझसे कहा।

    हम दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठ गए और नाश्ता करने लगे। नाश्ता बहुत स्वादिष्ट था। मैंने अपनी जिंदगी में ऐसा नाश्ता पहले कभी नहीं खाया था। या फिर मैंने कल रात से खाना नहीं खाया था इसलिए मुझे ही यह कुछ ज्यादा स्वादिष्ट लग रहा था।

    "तुम्हें कैसा लग रहा है?" मेरे पति ने मुझसे पूछा।

    "यह बहुत स्वादिष्ट है। शुक्रिया।"

    "मुझे खुशी है कि तुम्हें पसंद आया।"

    नाश्ता करने के बाद मेरे पति ने मुझसे कहा, "आज मैं तुम्हें पूरा फार्म हाउस घुमाता हूं।"

    "यह बहुत अच्छा होगा।" मैंने कहा।

    और फिर मेरे पति ने मुझे पूरा फार्म हाउस घुमाया। फार्म हाउस बहुत बड़ा था और उसमें बहुत सारे अलग-अलग कमरे थे। एक कमरा लाइब्रेरी था जिसमें हजारों किताबें थी। एक कमरा गेमिंग रूम था जिसमें हर तरह के गेम्स थे। एक कमरा मूवी थिएटर था जिसमें हर तरह की फिल्में थी। और एक कमरा स्विमिंग पूल था।

    शाम हो गई थी और हम दोनों फार्म हाउस के बाहर बैठे थे। आसमान में तारे टिमटिमा रहे थे और ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी।

    "तुम्हें कैसा लग रहा है यहां पर?" मेरे पति ने मुझसे पूछा।

    "यह बहुत सुंदर है। मैं यहां पर बहुत खुश हूं।" मैंने कहा।

    "मुझे खुशी है कि तुम्हें पसंद आया।"

    तभी मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, "आशिका, मैं तुम्हें कुछ बताना चाहता हूं।"

    मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मुझे नहीं पता था कि मेरा पति क्या कहने वाला है। मैं अपने दिमाग के घोड़े भी दौड़ा रही थी ताकि मैं सही से गैस कर पाऊं आखिर उसे किस बारे में बात करनी होगी, उसके चेहरे को देखकर कहीं से भी ऐसे नहीं लग रहा था जैसे वह प्यार भरी बात करने वाला है, जरूर उसकी बात मुझे झटका देने वाली ही होगी।

    “बताओ तुम्हें क्या बताना है?” मैंने उसे बताने के लिए कहा।

    उसके चेहरे का रंग बदलने लगा, चेहरा लाल हो गया और उसके हाथ बार-बार उसकी गर्दन पर घूमने लगे। जरूर यह ऐसी बात थी जिसे वह खुलकर नहीं बता सकता, इसे बताने से पहले उसके दिमाग में भी एक जंग चल रही है जो या तो उसे बताने के लिए कह रही होगी या नहीं बताने के लिए कह रही होगी।

    “तुम सही थी।” उसने कहा।

    मैं सही थी? आखिर में किस मामले में सही थी?

    “तुम आखिर किस चीज की बात कर रहे हो?”

    “तुमने सुबह मुझसे कहा था क्या मेरा कहीं अफेयर चल रहा है, तो तुम इस मामले में बिल्कुल सही थी। इसे अफेयर कहना गलत होगा क्योंकि मैं उस लड़की से प्यार करता हूं, वह भी तुम्हारे आने से पहले, मैं पिछले 4 सालों से उसके साथ रिलेशन में हूं। कल रात उसकी मॉम बीमार हो गई थी और उसकी लाइफ में उसकी मॉम और उसके छोटे भाई के अलावा और कोई नहीं है, उसकी मदद करने वाला कोई नहीं था तो मुझे हीं जाना पड़ा और पूरी रात वहीं पर निकल गई।”

    मुझे समझ में नहीं आ रहा था मेरा पति आखिर क्या बकवास कर रहा है। मैंने सुबह इस तरह से भी नहीं कहा था कि मुझे सामने से यही सुनने को मिले कि हां मेरा अफेयर चल रहा है। वह बस एक टोंट था, एक टोंट जो सिर्फ इसलिए सामने वाले को सुनाया जाता है क्योंकि वह देरी से घर पर आया था। वह भी अपनी शादी की पहली रात को इग्नोर करके जहां उसे अपनी पत्नी की बाहों में होना चाहिए था। मेरी मुठिया गुस्से में बंद थी और मेरे होंठ बुरी तरह से कांप रहे थे। मेरा मन कर रहा था मैं अभी के अभी एक जोरदार मुक्का अपने पति के मुंह पर दे मारूं।

    “अगर ऐसा था तो तुमने मुझसे शादी क्यों की? तुम शादी के लिए मना भी कर सकते थे?” ओफकोर्स मुझे यह सवाल पूछना ही था, अगर वह पहले से ही किसी और से प्यार करता है तो मुझसे शादी करने का क्या मतलब। वह एक अमीर बिजनेसमैन है तो ऐसे भी नहीं था किसी ने जबरदस्ती उसके हाथ पकड़ कर मेरे साथ सात फेरे दिलवा दिए हो।

    “क्योंकि मेरे ग्रैंडफादर ऐसा चाहते थे, जब तुम्हारा रिश्ता आया था तब मेरे ग्रैंडफादर को हार्ट अटैक आया था, डॉक्टर ने कहा था उनका ध्यान रखना जरूरी है और हम कुछ भी ऐसा नहीं कर सकते जिससे उनके इमोशंस पर फर्क पड़े। उन्होंने मुझसे यह भी नहीं पूछा क्या तुम्हें शादी करनी है या फिर नहीं, वह मुझसे बोले यह मेरे दोस्त की बेटी है, और मैंने उसे वादा किया था मेरा पोता तुम्हारी बेटी के साथ ही शादी करेगा, मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था सिवाय तुम्हें हां कहने के”

    यहां कोई फिल्म चल रही है जो ग्रैंडफादर बीमार हुआ नहीं और किसी तरह के वादे के चक्कर में लड़के ने शादी के लिए हां कर दी। मैंने भी शादी के लिए हां बोली है मगर कम से कम मेरा रीज़न इतना घटिया और फ्रस्ट्रेशन से भरा हुआ नहीं है।

    “मुझे लगा था जब मेरे ग्रैंडफादर की तबीयत ठीक हो जाएगी तब मैं शादी के लिए मना कर दूंगा” मेरे पति ने आगे की बात बताई “लेकिन शादी के दिन नजदीक आते गए मगर ग्रैंडफादर की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ, इसलिए मैंने सोचा जब शादी हो जाएगी तब मैं तुम्हें सारी सच्चाई बता दूंगा, मेरे ग्रैंडफादर के पास ज्यादा वक्त नहीं है, डॉक्टर ने कहा है वह बड़ी मुश्किल से एक साल और बच पाएंगे, मैं अपने ग्रैंडफादर से बहुत प्यार करता हूं और जब तक वह जिंदा है तब तक मैं उन्हे परेशान नहीं करना चाहता। बस एक साल की बात है और इसके बाद हम तलाक ले लेंगे।”

    मेरा चेहरा और भी ज्यादा गुस्से से लाल हो गया था और अब मेरे हाथ भी गुस्से के मारे कांपने लगे थे। मैंने किसी मकसद के चलते शादी की थी मगर यहां पर मेरा पति है कि वह अपनी अलग ही कहानी लेकर बैठा है।

    “हमारे बीच में कोई पर्सनल इमोशनल अटैचमेंट नहीं है, और ना ही मैंने किसी तरह के इमोशनल अटैचमेंट को बनाने की कोशिश की, इसलिए जब से रिश्ता हुआ है तब से मैंने तुमसे ज्यादा फोन पर बात भी नहीं की और ना ही मैं तुमसे मिलने आया, ताकि जब मुझे तलाक लेना हुआ तो हमें ज्यादा तकलीफ ना हो, और अब शादी के बाद भी हम किसी तरह का पर्सनल अटैचमेंट नहीं बनाएंगे। हम पति-पत्नी तो रहेंगे और एक घर में भी रहेंगे लेकिन हम अपने-अपने काम पर ध्यान देंगे। कुछ महीनों तक यही सब होगा और फिर हम दोनों अलग हो जाएंगे।”

    मुझे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मेरे शरीर के आर पार तलवारों से हमला कर दिया हो या फिर किसी ने मुझे गोलियों से भून दिया हो, अगर मैंने अपने पिता से वह फालतू का वादा नहीं किया होता तो शायद यह सब सुनकर मुझे तकलीफ नहीं होती और ना ही मुझे गुस्सा आता, लेकिन इस वक्त मेरे पति ने जो भी मुझसे कहा था वह सीधे-सीधे मेरे सपनों को लगने वाला एक धक्का था, एक ऐसी धक्का जिसने मेरे सपनों को बस दूर ही नहीं धकेला बल्कि उन्हें चकनाचूर भी कर दिया।

    अगर मेरा पति ही मुझ में किसी तरह की दिलचस्पी नहीं लेगा, अगर मेरे पति का पहले से ही किसी के साथ अफेयर है और वह उस लड़की से पिछले 4 सालों से जुड़ा हुआ है, तो फिर मैं कैसे अपने पति के साथ मिलकर 1 साल के अंदर अंदर एक बच्चा पैदा करूंगी। यहां पर तो यह भी नहीं है मैं किसी और के साथ किसी तरह का नाजायज रिश्ता बना कर एक बच्चे को पैदा कर लूं, क्योंकि मुझे अपने पति का ही बच्चा चाहिए था, उस पति का जिससे मैंने कानूनी तौर पर शादी की है।

  • 4. Wife With Benefits - Chapter 4

    Words: 1927

    Estimated Reading Time: 12 min

    "तो ये सब नाटक था?" मैंने पूछा, मेरी आवाज़ में दर्द और गुस्सा दोनों घुले हुए थे। "तुमने मुझे सिर्फ इसलिए चुना क्योंकि तुम्हारे ग्रैंडफादर चाहते थे? तुम अपनी ज़िंदगी का इतना बड़ा फ़ैसला सिर्फ इसलिए ले सकते हो कि कोई बीमार है?"

    उसने नीचे देखा, मानो शर्मिंदगी महसूस कर रहा हो। "मेरे पास कोई और रास्ता नहीं था, आशिका। मैं उन्हें दुखी नहीं कर सकता था।"

    "और मुझे? मेरे बारे में क्या? तुमने ये भी नहीं सोचा कि इस शादी से मेरी ज़िंदगी पर क्या असर होगा? क्या मेरी भी कोई ख़्वाहिश नहीं हो सकती?" मैंने अपनी आवाज़ को ऊँचा किया, पर मैं चिल्लाना नहीं चाहती थी। मैं उसे अपनी कमज़ोरी नहीं दिखाना चाहती थी।

    "मुझे पता था कि ये ग़लत है," उसने कहा। "लेकिन मैंने सोचा कि हम इसे सँभाल लेंगे। मैंने सोचा कि एक साल के बाद तुम आगे बढ़ जाओगी।"

    "आगे बढ़ जाऊँगी?" मैं हँसी, लेकिन मेरी हँसी में कोई ख़ुशी नहीं थी। "तुम्हें लगता है ये इतना आसान है? तुम मेरे साथ ये सब करके मुझसे उम्मीद करते हो कि मैं बस आगे बढ़ जाऊँ? तुम्हें क्या लगता है, मैं क्या हूँ? एक खिलौना जिसे तुम जब चाहे इस्तेमाल कर सकते हो और जब चाहे फेंक सकते हो?"

    "नहीं, आशिका। तुम समझ नहीं रही हो-"

    "नहीं, तुम नहीं समझ रहे हो," मैंने उसे बीच में रोका। "मैं तुम्हें एक बात बता दूँ, ये एक साल का नाटक अब ख़त्म हो गया है। मैं तुम्हें और तुम्हारे ग्रैंडफादर को खुश रखने के लिए अपनी ज़िंदगी बर्बाद नहीं करने वाली। मैं जा रही हूँ।"

    मैं उठ खड़ी हुई, मेरी आँखों में आँसू थे लेकिन मैं उन्हें गिरने नहीं देना चाहती थी। मेरा दिल भी धीमा धड़क रहा था, मगर हार्ट बीट की आवाज़ तेज़ थी। मैंने अपना पर्स उठाया और दरवाज़े की ओर चल दी।

    "कहाँ जा रही हो?" उसने पूछा।

    "ये अब तुम्हारी टेंशन नहीं है," मैंने कहा और बिना रुके दरवाज़े से बाहर निकल गई।

    मैंने फ़ार्महाउस के बाहर टैक्सी बुलाई। मेरे दिमाग़ में बस एक ही बात चल रही थी – मुझे यहाँ से दूर जाना है। मुझे एक ऐसी जगह जाना है जहाँ मैं इस धोखे और झूठ से दूर रह सकूँ।

    जैसे ही टैक्सी आई, मैंने पीछे मुड़कर फ़ार्महाउस को देखा। ये आलीशान, खूबसूरत जगह अब मेरे लिए एक कैदखाने से ज़्यादा कुछ नहीं थी। मैंने गहरी साँस ली और टैक्सी में बैठ गई, टैक्सी धीरे-धीरे फ़ार्म हाउस से दूर जाने लगी। अबकी बार मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा, लेकिन मुझे मेरे पति की आवाज़ सुनाई दे रही थी, शायद वह टैक्सी के पीछे दौड़ते हुए मुझे रुकने के लिए कह रहा था।

    मुझे इस वक़्त कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था और न ही मुझे ये पता था कि इस वक़्त मुझे कहाँ जाना चाहिए। मैं अपने घर पर भी नहीं जा सकती, क्योंकि वहाँ पहुँचते ही सबसे पहले मुझे मेरे पिता के सवालों के जवाब देने होंगे और उन्हें ये बताना होगा कि मैं क्यों घर पर आई हूँ। कोई पागल लड़की ही होगी जो अपनी शादी की दूसरी रात ही अपने घर पर वापस आ जाए। मैं भी वहाँ अपने पिता को क्या बताऊँगी कि मेरे पति का अफ़ेयर किसी और के साथ चल रहा है और उसने मुझसे बस इसलिए शादी की क्योंकि उसके ग्रैंडफादर बीमार हैं? शायद ये सुनकर मेरे पिता को भी हार्ट अटैक आ जाए और उनका बेड भी मेरे पति के ग्रैंडफादर के बगल में लग जाए। फिर वो दोनों वहाँ पर शादी-शादी खेलते रहेंगे।

    तकरीबन 1 घंटे बाद मैंने टैक्सी को एक पार्क के सामने रुकने के लिए कह दिया, पार्क के ठीक सामने होटल था जहाँ पर मैं रात को एक कमरा लेकर रहने वाली थी, लेकिन अभी मुझे कुछ देर खुली हवा में रहना था। मैं पार्क में आकर बैठ गई। कुछ देर तक शांत रही, इसके बाद मेरा खुद के बालों को नोचने का मन करने लगा। आख़िर किसी की ज़िंदगी इस तरह की कैसी हो सकती है? क्या भगवान भी मेरे साथ मज़ाक कर रहे हैं? या मेरी ज़िंदगी की कहानी एक सड़े हुए लेखक ने लिखी है?

    मैं पार्क में तकरीबन 1 घंटे तक बैठी रही, तभी एक सफ़ेद कार आकर रुकी, जो बेशक मेरे पति की कार थी और वह कार से उतरकर दौड़ते हुए मेरे पास आया। इस वक़्त मेरा अपने पति की शक्ल देखने का भी मन नहीं कर रहा था। उसके पास आने से पहले ही मैंने अपना मुँह फेर लिया।

    उसने हाँफते हुए मुझसे कहा, "आशिका! प्लीज़, मेरी बात सुनो।"

    मैंने मुँह फेरे रखा था। "तुम्हारी कौन सी बात सुनूँ? कि तुमने मेरी ज़िंदगी का मज़ाक बना दिया? या कि तुम्हारे पास अपनी ग़लती के लिए एक और घटिया बहाना है?"

    "मैं जानता हूँ मैंने ग़लत किया," उसने कहा, उसकी आवाज़ में सचमुच पछतावा था। "मैं ये नहीं कहूँगा कि मुझे माफ़ कर दो, क्योंकि मैं जानता हूँ मैं माफ़ी के लायक़ नहीं हूँ। लेकिन प्लीज़, मुझे एक मौक़ा दो। मुझे अपनी ग़लती सुधारने का एक मौक़ा दो।"

    मैंने उसकी तरफ़ देखा। उसकी आँखों में एक अजीब सी बेबसी थी। "सुधारोगे? क्या सुधारोगे? तुम उस लड़की को छोड़ दोगे जिससे तुम प्यार करते हो? या तुम अपने ग्रैंडफादर को बता दोगे कि तुम मुझसे प्यार नहीं करते? हमारी शादी बस एक दिखावा थी?"

    "मैं...मैं नहीं जानता," उसने कहा, वो सचमुच उलझन में था। "मुझे सोचने का वक़्त चाहिए। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ, मैं तुम्हें दुखी नहीं रहने दूँगा। मैं तुम्हारे लिए हर वो चीज़ करूँगा जो तुम चाहो।"

    "मुझे तुम्हारी कोई चीज़ नहीं चाहिए," मैंने कहा। "मुझे बस एक ऐसी ज़िंदगी चाहिए थी जिसमें प्यार और ईमानदारी हो। और तुमने मुझसे वो छीन लिया।"

    "मैं जानता हूँ," उसने कहा। "और मैं जानता हूँ कि शायद मैं ये सब ठीक नहीं कर सकता। लेकिन प्लीज़, मुझे कोशिश करने दो। मेरे साथ रहो, सिर्फ़ एक साल के लिए। अगर उसके बाद भी तुम ख़ुश नहीं हो, तो मैं तुम्हें जाने दूँगा, बिना किसी शर्त के।"

    मैंने उसकी बात पर गहराई से सोचा। एक साल। क्या मैं एक साल और इस नाटक को झेल सकती थी? क्या मैं अपनी ज़िंदगी का इतना हिस्सा और बर्बाद कर सकती थी? और इसका क्या मतलब है 'मैं तुम्हें जाने दूँगा'? एक साल बाद तो मुझे वैसे भी जाना होगा क्योंकि तब उसे अपने प्यार से शादी करनी होगी।

    लेकिन फिर मुझे एक ख़्याल आया। कहीं न कहीं मैं भी तो 1 साल के बाद अपने इस रिश्ते को तोड़ने के बारे में सोच रही थी। हाँ, वो बात अलग है कि मेरी कोई मजबूरी नहीं थी, अगर हमारे बीच का रिश्ता अच्छा रहता तो शायद मैं इसी के साथ अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ा सकती थी। मेरा तलाक़ लेना कम्पलसरी नहीं था, मगर इसका तलाक़ लेना कम्पलसरी है। शायद ये मेरे लिए एक सुनहरा अवसर था। एक ऐसा सुनहरा अवसर जहाँ मैं पछतावे के बोझ तले दबे अपने पति से अपने उस मक़सद को पूरा करवा सकती हूँ, जिसके लिए मैंने शादी की। और जब हमारे अलग होने की बारी आएगी तब इस बात की ज़िम्मेदारी भी मेरे पति के कंधों पर ही पड़ जाएगी कि हम क्यों अलग होना चाहते हैं। बेशक उसकी लाइफ़ में पहले से ही एक लड़की थी और उसे उसके साथ अपना जीवन आगे बढ़ाना था, न कि मेरे साथ, जबकि मेरे मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है। मेरे पीछे ऐसा कोई भी नहीं जो मेरा इंतज़ार कर रहा है।

    अगर मैं पूरे 1 साल के बाद की घटनाओं को अपने दिमाग़ में लाने की कोशिश करूँ तो हम अलग हो रहे होंगे और हमारे अलग होने का कारण यही होगा कि मेरे पति को किसी और के साथ शादी करनी है। मेरी गोद में एक बच्चा होगा जो मेरे पिता के साथ की गई शर्त को पूरा करेगा। मेरे चेहरे पर एक बेबसी होगी क्योंकि मेरा पति मुझे छोड़ रहा है, लेकिन मैं अंदर से खुश होऊँगी क्योंकि मुझे मेरे पिता की सारी जायदाद मिल गई है, मेरे पति के तलाक लेने की वजह से उसकी आधी प्रॉपर्टी भी अब कानूनी तौर पर मेरी है, और फिर शादीशुदा ज़िंदगी से छुटकारा भी। आख़िर मैंने पहले इस बारे में क्यों नहीं सोचा? किस्मत मुझे इतने अच्छे मौके दे रही है और मैं हूं कि अपनी जिंदगी के रोने रो रही हूं।

    "ठीक है," मैंने कहा। "मैं तुम्हारे साथ एक साल रहूँगी। फिर हम अलग हो जाएँगे, लेकिन मेरी कुछ शर्तें हैं।"

    उसने उत्सुकता से मेरी तरफ़ देखा। "क्या शर्तें?"

    "पहली शर्त, तुम उस लड़की से कोई ताल्लुक़ नहीं रखोगे। न फ़ोन, न मैसेज, न मिलना-जुलना। कुछ भी नहीं। तब तक, जब तक मैं तुम्हारे साथ हूँ। जब तक हम दोनों साथ हैं तुम्हें एक ईमानदार पति की तरह अपनी ज़िंदगी बितानी होगी, और एक ईमानदार पति की ज़िंदगी में अपनी पत्नी के होते हुए किसी पराई लड़की के बारे में सोचना भी ग़लत है।"

    उसका चेहरा उतर गया। "ये बहुत मुश्किल है, आशिका। मैं उससे प्यार करता हूँ। मैं उसे इस तरह से इग्नोर नहीं कर सकता हूँ? अगर वो मुझे कॉल करेगी तो मुझे उसका जवाब देना होगा, अगर वो मुझे बुलाएगी तो मुझे उससे मिलने भी जाना होगा, उसकी माँ बीमार रहती है और ज़रूरत पड़ने पर उसे मुझे कॉल करना पड़ता है। ये मेरे लिए सच में काफ़ी मुश्किल है।"

    मैंने उसे व्यंग्य से भरी नज़रों से देखा। "तो तुम्हें फ़ैसला करना होगा कि तुम्हें क्या चाहिए: मैं, या वो।"

    उसने कुछ देर सोचा, फिर हार मान ली। "ठीक है। मैं उससे कोई ताल्लुक़ नहीं रखूँगा, लेकिन कम से कम जब तक उसकी माँ ठीक नहीं हो जाती तब तक तुम अपनी शर्तों में थोड़ी छूट दे सकती हो।"

    "मुझे मंज़ूर है। दूसरी शर्त, हम दुनिया को दिखाएँगे कि हम एक ख़ुशहाल जोड़ा हैं। हम पार्टियाँ अटेंड करेंगे, रिश्तेदारों से मिलेंगे, और हर वो चीज़ करेंगे जो एक असली जोड़ा करता है।"

    "लेकिन क्यों?" उसने पूछा। "ये तो सिर्फ़ एक नाटक होगा। मैं चाहता था कि इन 12 महीनों में हम बस अपने घर पर रहें और अपने काम के सिलसिले में ही बाहर जाएँ, ताकि दुनिया को भी इस बारे में कम ही पता चले कि हमारी पर्सनल लाइफ़ में क्या हो रहा है।"

    "नॉर्मल लाइफ़ कभी भी इस तरह से नहीं जी जाती, हाँ, ये एक नाटक होगा, लेकिन बाहरी दुनिया के लिए नहीं," मैंने कहा। "बाहरी दुनिया में हमें पति-पत्नी की तरह ही दिखना होगा और वैसा ही बिहेव भी करना होगा जैसा वो लोग करते हैं।"

    "और तीसरी शर्त," मैंने कहा, मेरी आवाज़ धीमी और ख़तरनाक थी। "ये एक साल सिर्फ़ मेरे लिए होंगे। मैं वो सब करूँगी जो मैं हमेशा से करना चाहती थी, और तुम्हें मेरा साथ देना होगा, बिना किसी सवाल के। तुम कभी भी किसी चीज़ के लिए 'ना' नहीं कहोगे।"

    उसने हिचकिचाते हुए हामी भरी। "ठीक है, आशिका। तुम्हारी शर्तें मंज़ूर हैं।"

    उसके चेहरे पर एक संतोष झलक रहा था। मैंने उसकी आँखों में देखा और उससे कहा, "एक बार और सोच लो, क्योंकि तुम्हारे पास अब इसके बाद पीछे हटने का कोई ऑप्शन नहीं होगा।"

    "हाँ, मैंने अच्छी तरह से सोच लिया है, मुझे सब मंज़ूर है।"

    मैंने एक गहरी साँस ली। "तो फिर चलो चलते हैं," मैंने कहा। "हमारे एक साल का नाटक शुरू होता है, अभी।"

    मैंने उसका हाथ थामा और हम दोनों साथ में खड़े हो गए। सफ़ेद रंग की कार की तरफ़ चलते हुए, मैंने मन में सोचा, 'तुमने मुझे हल्के में लिया, मेरे प्यारे पति। अब तुम देखोगे कि ये एक साल तुम्हारी ज़िंदगी के सबसे मुश्किल महीने होने वाले हैं।' मेरे दिमाग़ में एक प्लानिंग बन रही थी, और मैं उसे अंजाम देने के लिए तैयार थी। क्योंकि मेरे पति ने मुझसे कहा है वह मेरी हर एक शर्त मानेगा चाहे वह कुछ भी क्यों ना हो? अब इसमें बच्चा पैदा करना भी शामिल हो सकता है।

  • 5. Wife With Benefits - Chapter 5

    Words: 1529

    Estimated Reading Time: 10 min

    देर रात हम वापस आ गए थे। इस वक्त में काफी थक चुकी थी मगर मेरा सोने का कोई इरादा नहीं था। वह शानदार फार्म हाउस जिसे मैं छोड़कर जा चुकी थी अब वह एक बार फिर से मेरी आंखों के ठीक सामने था। चीजों को देखने का नजरिया किस तरह से हालातो के हिसाब से बदल जाता है यह बात मुझे समझ में आ रही थी। सुबह के वक्त यह फार्म हाउस मुझे किसी राजकुमार के महल की तरह लग रहा था, शाम को किसी कैद की तरह और अब यह मुझे बस एक फार्म हाउस लग रहा था, जहां पर दो लोग जिन्हें आगे चलकर अलग होना है वह रहने वाले हैं।

    जैसे ही हम घर में आए मुझे नौकरानी नहीं दिखाई दी। “हमारी नौकरानी कहां पर चली गई?’ मैंने सवाल किया।

    “मुझे लगा पूरी रात मुझे तुम्हें ढूंढना होगा तो मैंने उसे घर भेज दिया..” उसने मुझे जवाब दिया

    “ओ, तो तुम अब उसे घर पर रहने के लिए ही कहना, मैं नहीं चाहती इस घर में हम दोनों के अलावा कोई और रहे, यहां तक की नौकरानी भी, घर के सारे काम हम दोनों मिलकर संभाल लेंगे।”

    मेरे ऐसा कहने पर वह मुझे अजीब नजरों से देखने लगा, मगर फिर उसने हां में सिर हिला दिया। उसने कहा , “मुझे कोई एतराज नहीं है। अगर तुम्हें ठीक लग रहा है तो तुम्हारी हां में मेरी हां है, मगर फिर भी एक बार सोच लेना, यह फार्म हाउस काफी बड़ा है और तुम अकेले इतने बड़े फार्म हाउस को संभाल नहीं सकती हो।”

    उसका कहना बिल्कुल सही था। शायद मैं कुछ ज्यादा ही भावनाओं में बह गई थी। अपने पिता के घर पर मैं अपने रूम को भी ठीक से नहीं संभाल पाती थी, तो इतने बड़े फार्मर्स को संभालना मेरे लिए कहीं से भी आसान नहीं। मैंने इस बारे मे सोचा और फिर कहा , “ठीक है, लेकिन फिर भी तुम्हें उसे रात को घर भेजना होगा क्योंकि मैं नहीं चाहती वह रात को भी यहां पर रुके?”

    मेरे पति ने इस बार सिर्फ हां में सिर हिलाया। आने से पहले मेरे पति ने कुछ खाना पैक करवा लिया था क्योंकि घर पर खाना बना हुआ नहीं था। उसने मुझे प्यार से डाइनिंग टेबल पर बिठाया और फिर मेरे लिए प्लेट में खाना लगाया।

    उसने मेरे बाल सहलाए और कहा, "खा लो, बहुत थक गई होगी।"

    उसकी आवाज़ में चिंता थी, शायद वह मेरे मूड को भांप गया था। खाना खाते वक्त भी मेरे दिमाग में उथल-पुथल मची हुई थी। क्या हम वाकई इसे ठीक कर सकते हैं? क्या हमारी शादी सिर्फ एक दिखावा बनकर रह जाएगी? क्या मैं कभी इस फार्म हाउस को अपना घर मान पाऊंगी? मैं जानती हूं मुझे यहां पर बस एक साल रहना है, लेकिन जिस जगह से हम जुड़ ना पाए वहां पर 1 साल रहना भी आसान नहीं।

    मैंने बिना कुछ बोले खाना खत्म किया। हर निवाले के साथ एक कड़वाहट गले से उतर रही थी। गुस्सा अभी तक मेरे मन में ही था, हालांकि यह मेरे चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा था।

    "चलो, तुम्हें आराम करना चाहिए," उसने कहा और मेरे हाथों को पकड़कर उठाया।

    कमरे में पहुंचते ही मैंने देखा कि उसने बिस्तर तैयार कर दिया था। वह वाकई मेरी परवाह करता था, यह बात दिल को छू गई। फिर भी, एक अविश्वास की परत मेरे मन पर जमी हुई थी।

    "थैंक्स," मैंने कहा और बिना उसकी आंखों में देखे बिस्तर पर लेट गई।

    उसने लाइट बंद कर दी और कमरे में हल्की सी रोशनी छोड़ दी। मैं आंखें बंद करके लेटी रही, लेकिन नींद कोसों दूर थी। कमरे में सन्नाटा था, लेकिन मेरे अंदर विचारों का शोर मचा हुआ था। मैं अपने पति का वेट कर रही थी। अचानक वह बाहर जाने को हुआ और मेरे चेहरे पर हैरानी छा गई। क्या वह मेरे साथ नहीं सोएगा?

    “तुम कहां जा रहे हो?” मैंने उससे सवाल किया।

    “मैं अपने कमरे में जा रहा हूं, मेरा और तुम्हारा कमरा अलग-अलग है, मेरा कमरा तुम्हारे कमरे के ठीक बगल में ही है।”

    मेरे चेहरे पर एक बार फिर से गुस्सा आ गया। “अब यह क्या बकवास है? अगर हम पति-पत्नी है तो हम यहां एक ही कमरे में सोएंगे, क्या मतलब हो गया तुम एक कमरे में सोओगी और मैं एक अलग कमरे में सोऊंगा?”

    अब मुझे हैरानी उसके चेहरे पर दिखाई दे रही थी। “लेकिन हम असली पति-पत्नी नहीं है, हम बस एक नाटक कर रहे हैं, एक असली पति-पत्नी ही एक कमरे में एक साथ होते हैं?”

    “अच्छा तो अब तुम कहोगे तुम मेरे साथ सेक्स भी नहीं करोगे?”

    वह हड़बड़ा गया। जैसे उसने कोई बुरी खबर सुन ली हो। “आशिका यह सब तुम क्या कह रही हो? आखिर हमारे रिलेशन में सेक्स कहां से आ गया?”

    “हम शादीशुदा हैं, और एक शादीशुदा जोड़ा शादी के बाद यही सब करता है, हमारी शादी अगर नकली है तो इसका मतलब क्या हम वह सब भी नहीं करेंगे जो एक शादीशुदा जोड़ा करता है। आखिर तुम्हारा दिमाग में चल क्या रहा है और तुम किस तरह की शादीशुदा लाइफ जीना चाहते हो?”

    “तुम्हारी सारी बातें मेरे दिमाग के ऊपर से जा रही है, अगर हम एक शादीशुदा जिंदगी का नाटक कर रहे हैं तो इसमें यह चीज कैसे आएगी? और दूसरी बात, मैं पहले ही किसी और से प्यार करता हूं और जब मैं किसी और से प्यार करता हूं तो उसके होते हुए मैं किसी और के साथ शारीरिक संबंध नहीं बना सकता?”

    “तो तुम क्या चाहते हो, मैं शादी के बाद किसी पराए मर्द के साथ फिजिकल रिलेशन बना? एक लड़की होने के नाते और शादीशुदा होने के के बाद यह एक औरत की जरूरत होती है और इसे उसका पति ही पूरा करता है। तुम यह सब कह कर अपने उसे काम से पीछे हट रहे हो जो एक पति को करना चाहिए।”

    मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं इस वक्त क्या बोल रही हूं? मैं सही हूं भी या नहीं, मुझे यह भी नहीं पता है। लेकिन मेरे पास इन सब के अलावा खाने के लिए और कुछ नहीं था। मेरे पति के चेहरे पर एक सन्नाटा छाया हुआ था और उसके होठों पर चुपी थी। वह इस वक्त किसी असमंजस में था, जो शायद यही थी कि वह अपनी प्यार के लिए वफादार रहना चाहता था।

    मैं अपने बिस्तर से उठी और उसके पास पहुंची। मैंने उसे प्यार से कहा “शादी से पहले मैं कभी भी किसी लड़के से नहीं मिला हूं और ना ही मैंने किसी लड़के के लिए इस तरह की फीलिंग रखी है, अभी तक मैंने किसी के साथ भी फिजिकल रिलेशन नहीं बनाया, मैंने बस यही सोचा था कि जो भी होगा वह मेरे पति के साथ होगा, मगर तुम ही पीछे हट जाओगे तो मैं कहां जाऊंगी? मैं अपनी जगह पर बिल्कुल सही हूं, मैं सो सपने देखकर शादी की थी, भले ही हमारी शादी झूठी हो और आगे जाकर हमें एक दूसरे से अलग होना हो, लेकिन जब तक हम शादीशुदा हैं ...तब तक हमें वह फर्ज अदा करने हीं होंगे जो एक शादीशुदा जोड़ा अदा करता है।”

    उसकी आंखों मायूसी झलक रही थी और शब्द उसके जैसे खत्म ही हो गए थे “लेकिन यह करना बिल्कुल गलत होगा, मैं कभी भी अपने गर्लफ्रेंड को चिट नहीं करना चाहता हूं?”

    मैं उसकी इस बात को समझ सकती हूं, जब आप किसी से प्यार करते हो तो आप यह बिल्कुल भी नहीं चाहोगे आप उसे छोड़कर किसी और के साथ फिजिकल रिलेशन के बारे में सोचो। “तुम सही हो, लेकिन यह तब गलत होगा जब तुम फीलिंग अटैचमेंट फिल करोगे, लेकिन अगर हम बिना किसी फीलिंग अटैचमेंट के एक साथ मिलकर कुछ भी करते हैं तो वह किसी तरह के धोखे में नहीं गिना जाएगा। जिस तरह से हम शादीशुदा हैं और एक साल तक इसी नाटक को आगे जारी रखेंगे, यह किसी तरह के धोखे में नहीं आता बल्कि एक तरह से एक नाटक है, इस तरह से यह भी एक नाटक का हिस्सा माना जाएगा। क्या तुम समझ पा रहे हो मैं क्या कहना चाह रहा हूं?”

    शायद मेरे पति का दिमाग अब काम करना बंद कर चुका था। “ तो तुम कह रही हो यह वैसा ही रिलेशन होगा, जैसा फ्रेंड विद बेनिफिट में होता है, उसमें कोई इमोशनली अटैच नहीं होता, मगर उनके बीच में वह सब कुछ होता है जो गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड के बीच में होता है। तुम वाइफ विद बेनिफिट बनोगी?”

    वाइफ विद बेनिफिट!! यह मुझे कुछ ठीक से समझ में नहीं आया लेकिन अगर मेरे पति को यह सब कहने से सब कुछ सही लग रहा था तो मुझे कोई दिक्कत नहीं। “ हां मैं तुम्हारी वाइफ बनूंगी, तुम्हारी वाइफ विद बेनिफिट”

    वह अभी भी कसमकश में था। मैंने अपने व्हाइट कलर की ड्रेस की तरफ हाथ बढ़ाया और उसे खोल दिया। लाल रंग की धीमी लाइट में जैसे ही मेरी ड्रेस खुलते ही नीचे गिर गई। मेरी स्कीन का वाइट कलर लाल रंग की रोशनी में और भी निकल कर सामने आने लगा। मेरी पति की आंखें न चाहते हुए भी मुझे निहार रही थी। वह गोरे कंधों की तरफ देख रहा था। उसने खुद पर कंट्रोल किया और अपने चेहरे को फेर कर दूसरी तरफ कर लिया। क्योंकि वह मुझे इस तरह से नहीं देखना चाहता था। मगर मैं अब पीछे नहीं हटने वाली थी।

  • 6. Wife With Benefits - Chapter 6

    Words: 1594

    Estimated Reading Time: 10 min

    ____

    आगे बढ़ने से पहले मैं एक बात कहना चाहूंगी, मुझे फॉलो करना मत भूलना। मैं आपके लिए रोज मेहनत करती हूं, तो कम से कम आप मुझे फॉलो तो कर सकते हैं ना।

    _____


    मैं उसके पास जाने लगी तो वह पीछे हटने लगा। वह तब तक पीछे हटता रहा जब तक दीवार के पास नहीं पहुंच गया। जैसे ही वह दीवार के पास पहुंचा, मैंने उसके दोनों तरफ हाथ रखकर उसका रास्ता रोक लिया। एक तरह से मैंने उसे अपनी गिरफ्त में कैद कर लिया था।

    “ तुम्हें पता है अगर शादीशुदा होने के बावजूद भी मैं किसी और लड़के के साथ जाकर यह सब करूंगी तो मुझे बदचलन कहा जाएगा, क्या तुम यह चाहते हो तुम्हारी पत्नी एक बदचलन पत्नी बने? एक लड़की को खुश करना उसके पति की जिम्मेदारी होती है, क्या तुम एक गैर जिम्मेदार पति बनना चाहते हो?” मेरी बातें उसे पर गर्म तीरों की तरह असर कर रही थी।

    हालांकि मैं अपनी जगह पर बिल्कुल भी गलत नहीं थी। अगर यहां पर कोई गलत था तो वह मेरा पति ही था। मुझे तो अपने पत्नी के सारे हक चाहिए थे। अगर यह हक देने से कोई पीछे हट रहा था तो वह मेरा पति ही था। सेक्स एक शादीशुदा जोड़े की आम जिंदगी का एक जरूरी हिस्सा होता है। ठीक उसी तरह से जिस तरह से खाना पीना और रिश्तेदारों से मिलना एक शादीशुदा जोड़े की जिंदगी का एक हिस्सा होता है। खुद के बारे में ना सोचकर अपने पार्टनर के बारे में भी सोचना और उसे खुश रखना, यह एक शादीशुदा जोड़े की जिंदगी का हिस्सा होता है। अगर एक पत्नी को शादी के बाद में अपनी सारी जिम्मेदारी पूरी करनी चाहिए तो एक पति को भी अपनी सारी जिम्मेदारी को पूरा करना चाहिए।

    उसने अपनी आंखों को बंद कर लिया। वो पूरी तरह से कंफ्यूज था और अभी भी किसी डिसीजन पर नहीं आ पा रहा था। उसने कांपते हुए शब्दों में कहा , “मगर मैं यह नहीं कर पाऊंगा”

    मैं उसके पास गई। इतना पास कि वह मेरे सांसों की गरमाहट को महसूस कर सके और मैंने धीरे से कहा,”कोशिश करोगे तो सब कुछ हो जाएगा, तुम्हें एक बार अजीब लगेगा लेकिन इसके बाद तुम खुद ही साथ दोगे”

    यह कह कर मैंने उसे कंधों से पकड़ा और खुद के करीब करके उसे गले से लगा लिया। उसका शरीर इस वक्त काफी गर्म था। मै भी गर्म थी। मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगी। वह इस वक्त मेरी बाहों में किसी ऐसे बच्चे की तरह था जिसे अपना मनपसंद खिलौना नहीं मिला और वह किसी के गले मिलकर अपने दर्द को बांट रहा है। वह किसी बच्चे की तरह बेजान मुझसे चिपका हुआ था। शायद अब उसका खिलोना मैं बनने वाली थी।

    मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा,”इसमें कुछ भी गलत नहीं है तो किसी भी बोझ के तले मत दबो। हम दोनों की शादी हो चुकी है, ऐसे तो है नहीं कि हम दोनों शादीशुदा नहीं है और फिर भी एक दूसरे के साथ रिलेशन में आ रहे हैं। तुम पर आगे भी कोई बोझ नहीं रहेगा, क्योंकि हमारे बीच में कभी भी फीलिंग अटैचमेंट क्रिएट नहीं होगा। हमारी यह शादी एक झुठी शादी होगी और हमेशा ऐसे ही रहेगी। मैं कसम खाती हूं, मुझे कभी भी तुमसे प्यार नहीं होगा”

    मुझे पता था वो पूरी तरह से बेसहारा है और उसका दिमाग काम नहीं कर रहा, इससे पहले उसका दिमाग काम करने लग जाए, मैंने तेजी दिखाई और उसके होठों पर अपने हॉठ रख दिए। वह पूरी तरह से हक्का-बक्का रह गया और इससे पहले वह कुछ और सोच पाता वह मेरे मुलायम होठों के मीठे रस में खो गया। थोड़ी देर बाद वह खुद ही मेरे होठों को चूमने लगा। अब मुझे कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी बल्कि उसकी होंठ खुद ब खुद चल रहे थे।

    धीरे-धीरे उसके हाथ मेरी कमर पर आए और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया। वो मुझे खुद के और करीब करना चाहता था। उसने एक झटके से मुझे और करीब कर लिया। अब उसके होंठ ही नहीं बल्कि उसके दांत भी मेरे होंठों को खा रहे थे।

    जल्द ही हम दोनों एक मोटे कंबल के बीच में आ गए। हमारे बीच की जो भी दीवारें थी वह एक-एक करके खत्म होने लगी। जो भी चीज हमारे बीच में आ रही थी हम उसे हटा रहे थे। हमारे सारे कपड़े फर्श पर बिखर गए थे‌। एक बात माननी पड़ेगी, मैं नहीं जानती मेरे पति ने आज से पहले किसी के साथ फिजिकल रिलेशन बनाया है या फिर नहीं, लेकिन वह अपने काम में पूरी तरह से परफेक्ट था।

    भावना में बहने के बाद उसने खुद ही सब कुछ करना शुरू कर दिया। वह मेरे होठों के बाद मेरी गर्दन पर आते हुए उसे गिला करने लगा। फिर मेरे सीने पर आया और रूक कर उसे देखने लगा। ऐसे लग रहा था जैसे वह मेरी तारीफ करना चाहता था। वह कुछ देर तक रुका रहा और फिर वो मेरे सीने से चिपक गया। यह अहसास थोड़े अलग थे।

    कुछ देर बाद वह पेट तक पहुंचा, और फिर और नीचे तक, वह किसी प्ले बाॅय की तरह अपने काम को कर रहा था और उसे यह बात अच्छे से पता थी एक लड़की के कौन से हिस्से पर किस तरह से काम किया जाए। तकरीबन आधे घंटे में ही उसने मुझे पूरी तरह से मदहोश कर दिया था, वह भी तब जब मेनकोर्स शुरू नहीं हुआ था।

    वह अचानक उठा और परेशानी के साथ बोला, “मेरे पास प्रोटक्शन नहीं है, क्या तुम्हारे पिरियड...? हमें फ्यूचर के बारे में भी पहले से सोच कर रखना होगा, हम रिस्क नहीं ले सकते हैं”

    क्या इसका मतलब यह था वह किसी भी तरह का बच्चा पैदा नहीं करना चाहता? मगर यह सब करने के पीछे मेरा मकसद यही भी था कि जो भी होगा उसका रिजल्ट मुझे 9 महीने बाद जरूर मिले लेकिन अगर यह इस तरह बात करेगा तो फिर मुझे मेरा रिजल्ट कैसे मिलेगा। हालांकि मेरे लिए अभी परेशानी की बात नहीं थी क्योंकि मेरे पिरीयड कोसों दूर थे।

    मैंने हां में सिर हिलाया, “हां सब पूरी तरह से सेफ है।”

    वह दोबारा बिस्तर पर आया और फिर मेनकोर्स शुरू करने के लिए आगे बढ़ा। यह पहली दफा था जब मैं फिजिकल हो रही थी और मुझे नहीं पता था इसमें किस तरह के एहसास होते हैं, जैसे ही उसने पहली कोशिश की मुझे तेज दर्द हुआ और मैं चिल्ला पड़ी। मेरे चिल्लाने की वजह से वह इतना डर गया कुद कर दूर खड़ा हो गया।

    “मुझे माफ कर देना, क्या तुम्हें दर्द हुआ? क्या मैं इसे यहीं पर बंद कर दूं?” मैं डरा हुआ था।

    मैंने ना में सिर हिलाया, “नहीं बिल्कुल भी नही, मैं झेल लूंगी” मैंने बहादुरी से कह तो दिया मैं झेल लूंगी लेकिन मुझे नहीं पता था कि क्या मैं सच में झेल लूंगी।

    उसने दोबारा कोशिश की और एक बार फिर से वही हुआ जो पहली बार हुआ था। उसने फिर से पीछे हटने की कोशिश की लेकिन इस बार मैंने उसे पकड़ लिया और आगे बढ़ने के लिए कहा। मैंने अपने दर्द को पूरी तरह से छुपा लिया और अपने होठों को कसकर बंद कर लिया।

    मेरा पति आगे बढ़ा और मैंने अपने चेहरे को दूसरी तरफ करके अपने आंसूओं को छुपा लिया जो मेरी आंखों से निकल रहे थे। अपनी दर्द भारी चीख को मैंने अपने मुंह में ही दबा लिया। मैं जानती थी, मैं इस वक्त दर्द में हूं लेकिन यह मेरी सफलता की तरफ मेरा पहला कदम था। कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है और अगर दर्द हो तो उसे सहना भी पड़ता है।

    यह दर्द मैं अगले 25 मिनट तक झेलती रही। जब तक मैं इसकी आदी नहीं हो गई, और फिर यह दर्द के एहसास कम हो गए और धीरे-धीरे यह और कम होने लगे, हालांकि यह पूरी तरह से बंद तो नहीं हुए थे लेकिन हां अब उतना दर्द नहीं हो रहा था जितना पहली बार में हुआ था या शुरुआती 25 मिनट में हुआ था।

    मुझे इस बात से भी खुशी थी मेरे पति का स्टैमिना अच्छा है। अपने पहले प्रयास में वह तकरीबन 55 मिनट तक जंग लड़ता रहा, इसके बाद उसने तकरीबन 20 मिनट तक इंतजार किया और फिर हमने पोज बदलकर इस लड़ाई को दोबारा आगे बढ़ाया। इस बार की यह लड़ाई 40 मिनट तक चली और रात के 2:00 बजे के बाद एक बार और हमने इस लड़ाई को आगे जारी किया जो इस बार 30 मिनट तक ही चली थी, अब तक हम दोनों की हालत खराब हो चुकी थी और हम दोनों में इतनी जान नहीं बची थी कि आगे कुछ भी और हो सके।

    हम दोनों एक दूसरे की बाहों में ऐसे गिरे हुए थे जैसे हमें महीनों से खाना ना मिला हो और पीने को पानी की एक बूंद के लिए भी हम तरस चुके हो, शरीर से पसीने की बदबू आ रही थी, सांस उखड़ी हुई थी और हम हांफ भी रहे थे, मुझे नहीं पता मेरा पति इस वक्त क्या फील कर रहा है, लेकिन मैं इस वक्त खुश थी, आखिरकार शादी के बाद हमने शादी की पहली रस्म को पूरा कर लिया। जिसे पहली रात को पूरा होना चाहिए था ,उसे हमने दूसरी रात को पूरा किया और वह भी बहुत सारे ड्रामों के साथ।

    ____

    मैं अपनी कहानी के भाग रोज डालती हूं। मुझे फॉलो कर लीजिएगा, मेरी कहानी लाइब्रेरी में भी ऐड कर लेना। इसके बाद भी नोटिफिकेशन ना आए तो रोज रात के 10:00 के करीब आकर आप मेरी कहानी का अगला भाग देख सकते हैं। यह एप्लीकेशन नया है, मगर बहुत अच्छा है। जो भी ऐरर है वो एप्लीकेशन वाले सही कर देंगे।

  • 7. Wife With Benefits - Chapter 7

    Words: 1874

    Estimated Reading Time: 12 min

    अगले दिन सुबह की शुरुआत के साथ ही मैंने अपने पति के लिए कॉफी बनाई, मुझे याद भी नहीं मैंने आखिरी बार कब कॉफी बनाई थी, लेकिन ऐसे लग रहा था जैसे मैं आज भी कॉफी बनाने के तरीके को भूली नहीं थी। मेरी कॉफी का टेस्ट अभी भी वैसे ही था जैसे पहले हुआ करता था। कॉफी बनाने के मामले में मैं माहिर थी।

    मैं अपने पति के कमरे में पहुंची तो काॅफी की खुशबू ने पूरे कमरे को महका दिया और उसकी आंख खुल गई। अपनी आंखों के खुलते ही मेरे पति ने मेरी तरफ देखा। उसकी मुझे देखने की नजर काफी अजीब थी। मैंने अभी भी कपड़ों के नाम पर कुछ भी नहीं पहना था। बस एक एप्रन ही था जो मैंने कॉफी बनाने के लिए पहना था।

    उसकी नज़रें मुझे पर से हट हीं नहीं रही थी। ऐसे लग रहा था जैसे सुबह की शुरुआत मुझे इस तरह से देखने पर उसके लिए एक अच्छी शुरुआत बन गई।

    “कॉफ़ी की खुशबू अच्छी आ रही है, क्या तुमने यह कॉफी बनाई है?” वह उठा और एक तकीए को अपनी गोद में रखकर बैठ गया। इस वक्त उसने भी कुछ नहीं पहना था।

    मैंने अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान दी और हां में सिर हिलाते हुए कहा , “हां मैं काॅफी के साथ-साथ खाना भी अच्छा बना लेती हूं, मैंने उसे ब्रेकफास्ट की तरफ देखने को कहा जो मैं काॅफी के साथ ही लेकर आई थी। यह पैन केक थे जो मैंने खुद बनाए थे।

    उसने उन्हें उठाया और खाने के बाद मेरी तरफ देखते हुए बोला, “इसका टेस्ट तो लाजवाब है, सुबह-सुबह तुम्हें इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत थी?”

    उसकी यह बात सुनकर मैंने उसे जवाब दिया , “अगर तुम अपने पति के सारे फर्ज अदा करोगे तो मेरा भी फर्ज बनता है, मैं भी अपने पति के लिए सुबह-सुबह नाश्ता बनाऊ, अपनी पत्नी होने के सारे हक अदा करुं।”

    यह सुनकर उसके चेहरे पर फिर से एक बार मायूसी आ गई थी। ऐसे लग रहा था जैसे वह अभी भी किसी तरह की कशमकश में फंसा हुआ है लेकिन मैं उसे इस बार ज्यादा सोचने देने वाली नहीं थी।

    “तुम्हारी एनर्जी खत्म हो चुकी है, तुम खाना खा लो और शाम तक एक बार फिर से अपने शरीर में एनर्जी भर लो, क्योंकि इसकी जरूरत रात को पड़ेगी।” वह मेरे कहने का मतलब समझ चुका था।

    “इतनी जल्दी नहीं, तुम कुछ ज्यादा ही बेसब्र हो रही हो, कम से कम दो-तीन दिनों तक का इंतजार करो, हम साथ ही रह रहे हैं।”

    मैंने मना कर दिया, “बिल्कुल नहीं, मैं इंतजार नहीं करने वाली हूं। तुम्हें खुद को रात तक तैयार करना होगा”

    मैं नहीं चाहती मैं अपने पति को अब सोचने के लिए थोड़ा सा भी मौका दूं, तब तक तो बिल्कुल भी नहीं जब तक उसे आदत नहीं हो जाती। एक बार अगर उसे आदत हो गई तब मुझे इसे लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। फिर मैं बस एक सही वक्त का इंतजार करूंगी और दोबारा अपने पति को यह सब करने के लिए कहूंगी। एक सही वक्त जिसका रिजल्ट मुझे 9 महीने बाद मिलेगा”

    उसने हां में सिर हिला दिया और फिर हम दोनों खाना खाने लगे। मुझे पैन केक बहुत पसंद था और मैं काफी सारे पेन केक खा चुकी थी। मेरा पति मुझे हैरानी से देखने लगा।

    उसने मुझसे पूछा, “आखिर तुम इतना कैसे खा लेती हो? इसके बावजूद तुमने खुद को अच्छे से मेंटेन करके रख रखा है, यह कैसे पॉसिबल है कि कोई इतना कुछ खाने के बाद भी मोटा नहीं होता”

    मैं उसे आंखें उठा कर देखने लगी। आखिर इसका कहने का मतलब क्या था, “क्या तुम चाहते हो मैं मोटी हो जाऊं? क्या तुम्हें मोटी औरतें पसंद है?”

    वह फिर से घबरा गया, “नहीं नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मुझे माफ करना अगर तुम्हें ऐसा लगा तो, मेरा कहने का बस यही मतलब था कि तुमने खुद को अच्छे से मेंटेन करके रख रखा है।”

    “हां क्योंकि मैं जिम करती हूं, शादी से पहले मैं रोज जिम जाती थी अब भी कुछ दिनों के बाद में दोबारा जिम जाना शुरू कर दूंगी।”

    “आह” उसने एक लंबी आह भरी।

    कुछ देर के बाद मैंने उससे सवाल किया, “आखिर तुम्हें किस तरह की लड़कियां पसंद है?”

    वह मुझे हैरानी से देखने लगा, ऐसे लग रहा था जैसे वह मुझ में खो सा गया। क्या मैं उसे पसंद आ रही हूं? नहीं, ऐसा नहीं हो सकता है हमारा यह रिश्ता बिना फीलिंग का रिश्ता है तो मैं उसे पसंद आ जाऊं, इस बात का सवाल ही नहीं उठाता है। वह धीरे से बोल “मेरी कोई खास पसंद नहीं है, जो मेरे दिल को छू जाए मुझे वह पसंद आ जाता है, मेरी गर्लफ्रेंड भी मेरे दिल को छू गई थी इसलिए मैं आज उससे प्यार करता हूं”

    समझ में नहीं आ रहा सुबह-सुबह उस कलमुंही का नाम लेने की क्या जरूरत थी। और यह क्या मतलब है जो मेरे दिल को छू जाए मुझे वह पसंद आ जाता है? क्या यहां पर कोई ड्रामा चल रहा है? यह किसी को पसंद करने के लिए कोई कारण नहीं हुआ, आपको उसकी पर्सनालिटी अच्छी लगती है, उसका बिहेवियर अच्छा लगता है, यह पसंद करने का एक कारण बन सकता है लेकिन कोई दिल को छू गया अब यह कौन सा घटिया कारण है?

    मैंने माहौल को बिगड़ने नहीं दिया और दोबारा टॉपिक को बदलकर और मुद्दे को छेड़ दिया। दिन भर हमने एक दूसरे से बातें की और घर के दूसरे काम में एक दूसरे की हेल्प की क्योंकि आज नौकरानी की छुट्टी की गई थी, कल से वह काम पर आ सकती है।

    रात होते ही हम दोनों एक बार फिर से बिस्तर में थे। पूरा कमरा मेरी सिसकीयों से गूंज रहा था। आज वो फिर से बीच में दो बार रुक गया था, उसे खुद से ज्यादा मेरी फिक्र हो रही थी और उसे यह लग रहा था वह मुझे कुछ ज्यादा ही दर्द दे रहा है।

    हालांकि दर्द हो तो रहा था और आज कल से भी ज्यादा हो रहा था, मगर क्योंकि मेरे पास कोई और ऑप्शन नहीं था तो मैं खुद पर किसी तरह से कंट्रोल कर रही थी।

    वह मेरी खुशबू में खोया हुआ था, और बीच-बीच में वह मेरे सीने पर गिरकर अपनी रफ्तार को और बढ़ा रहा था। कई बार उसके होंठ भी मेरे सीने को चुम रहे थे। मुझे नहीं पता वह बिजनेस में कैसा है और बाकी के कामों में कैसा है, लेकिन इस काम में तो वह परफेक्ट था। मिस्टर परफेक्ट या फिर मेरा मिस्टर परफेक्ट हसबैंड।

    बेडरूम में काफी देर तक जंग लड़ने के बाद उसने मुझे अपनी गोद में उठाया, मेरा नाजुक शरीर, पतली कमर, यह उसके लिए वजनी नहीं थे। फिर उसने गोद में उठाते हुए ही एक पोज बनाया और कंटिन्यू किया। यह और भी ज्यादा इंटरेस्टिंग और मजेदार था।

    आज की रात उसने 2 बार ही कोशिश की, मैंने उसे तीसरी बार भी कोशिश करने के लिए कहा था लेकिन उसने मना कर दिया और कहा वह काफी थक चुका है। ठिक है, मुझे कम से कम उसे आराम करने का वक्त तो देना ही चाहिए।

    यह सोचकर मैं उसके सीने पर लेट गई। ऐसे लग रहा था जैसे इस वक्त वह फिजिकली तो मेरे साथ जुड़ा हुआ था मगर मेंटली अभी उसका झुकाव नहीं हुआ था, इसलिए वह जल्दी थक जाता था, मुझे इसके लिए इंतजार करना होगा और जब तक उसे इसकी आदत नहीं हो जाती तब तक उसे बराबर मौका भी देना होगा।

    मैं यह सब सोच रही थी, तभी वह मेरे बालों में हाथ फैरने लगा और मुझे कहा , “क्या तुम्हें स्ट्रॉबेरी पसंद है? ”

    मुझे नहीं पता था उसने यह सवाल क्यों किया? मैंने हां में सिर हिलाया और कहा , “हां मुझे स्ट्रॉबेरी खाना पसंद है, मगर तुम यह क्यों पूछ रहे हो? ”

    उसने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुराते हुए कहा , “क्योंकि मैं देखना चाहता हूं तुम स्ट्रॉबेरी कैसे खाती हो? ”

    मैं उसके कहने का मतलब समझी नहीं थी, आखिर इस वक्त स्ट्रॉबेरी बीच में कहां से आ गई? मैंने उठने की कोशिश की और कहा , “ठीक है मैं लेकर आती हूं।”

    मैं जाने लगी तो उसने मेरे हाथ को पकड़ कर रोक लिया और कहा , “मैं उस स्ट्रॉबेरी की बात नहीं कर रहा...” यह कहकर उसने खुद के नीचे की तरफ देखा।

    उसके यह कहते ही मैं समझ गई वह क्या कहना चाह रहा था। मेरा चेहरा लाल हो गया था। पहली बार मैं लेस कॉन्फिडेंट फील कर रही थी, जबकि अभी तक तो मुझ में कॉन्फिडेंट की कोई कमी नहीं थी। क्या मैं ऐसा कर सकती हूं? मेरे पति ने ऐसा हर बार किया, कल उसने यह दो बार किया था और आज भी दो बार, मैंने एक बार भी कोशिश नहीं की, लेकिन वह चाहता था मैं भी ऐसा करूं।

    अगर उसने यह करने के लिए कहा है तो कम से कम इतना तो जरूर है वह इंटरेस्ट लेने लगा है। यह भी मेरी एक कामयाबी है, पर उसने जो काम करने के लिए कहा है वह..... मैंने गहरी सांस ली और अपने बालों को पकड़ कर ऊपर की तरफ कर लिया। फिर उसे रबर बैंड लगाकर पैक किया ताकि वह बीच में ना आए।

    फिर फाइनली, मैंने हिम्मत जुटाई। असली स्ट्रॉबेरी खाने में टेस्टी होती है मगर इसका स्वाद फिका था। एक दो बार मुझे झिझक हुई, फिके और चिपचिपे स्वाद की वजह से मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं आ रहा था, क्या मेरे पति को भी ऐसा ही लगता होगा जब वह यह करता होगा, मगर थोड़ी देर बाद मुझे इसकी फिक्र होना बंद हो गई। मुझे स्वाद से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    कमरा मेरे पति की सिसकारियां से अब गुंज रहा था, और इससे मुझे हौसला मिल रहा था। मेरी स्पीड बढ़ रही थी। हालांकि उसने स्ट्रॉबेरी खाने जैसे वर्ड युज किए थे, मगर यह लोलीपॉप... रहने दो, इतना भी अच्छे से बताने की जरूरत नहीं है। मेरा पति भी खुलकर यह नहीं बोल सका इसलिए उसने स्ट्रॉबेरी वर्ड का इस्तेमाल किया तो मैं कैसे बोल सकती हूं।

    20 मिनट के बाद मेरा मुंह दर्द करने लगा था, मैंने पीछे हटने की कोशिश की तो उसने दोनों हाथों से मेरे सर के बालों को पकड़ लिया। वह नहीं चाहता था मैं पीछे हटूं। उसकी खुशी के लिए मैंने पीछे हटने का ख्याल छोड़ दिया। जब मैं खुद से सब कर रही थी तब मैं इस बात का ध्यान रख रही थी मैं इसे गहराई तक ना लुं, मगर अब उसके हाथों के जोर की वजह से मैं इसे काफी गहराई तक महसूस कर पा रही थी।

    यहां तक की मुझे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी, और उल्टी की उबकाई आ रही थी, यह मेरे लिए नया था, मैंने धीरे-धीरे खुद को एडजस्ट किया, और किसी तरह से 50 मिनट तक अपने पति की खुशी के लिए यह सब कुछ किया। इसके बाद वो थक चुका था, और उसे वह खुशी भी मिल गई थी जो मिलनी चाहिए थी।

    मैं वॉशरूम गई और माउथ प्रेस करके वापस आकर अपने पति के बगल मेंही लेट गई। उसने मुझे खुद के करीब किया और कहा , “थैंक्स...”

    मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी। वह वाइफ विद बेनिफिट का अच्छे से इस्तेमाल कर रहा था। जब मेरी बारी आएगी तब बेशक मैं भी इस मौके का फायदा उठाऊंगी।

  • 8. Wife With Benefits - Chapter 8

    Words: 1582

    Estimated Reading Time: 10 min

    अगले कुछ दिनों तक हमारी जिंदगी खुशी के साथ बितती गई। ऑफिस के मामले में मैंने भी कुछ दिनों की छुट्टी ले ली थी और वह भी छुट्टी पर था। सुबह हम एक दूसरे की अपने-अपने कामों में मदद करते थे, कई बार बाहर घूमने चले जाते थे, और रात को उसी रुटीन को फॉलो करते थे जो मैंने यहां पर आने के बाद किया था।

    मुझे इस बात से हैरानी हो रही थी, मेरा पति दिखने में उतना भी सीधा-साधा नहीं है जितना यह लगता था। इसके शौक़ कुछ अलग ही थे। एक रात मेरे पति ने मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी थी, और मेरे हाथों को बिस्तर से, पता नहीं इसमें क्या अलग था... मगर हां जब आप बीच में छटपटाते हो तो आपके हाथ सही जगह पर नहीं पहुंच पाते, और इससे अलग तरह की फीलिंग क्रिएट होती है।

    सब कुछ ठीक चल रहा था, मगर एक दिन सुबह-सुबह 5:00 के करीब, किसी के कॉल आ जाने की वजह से हम दोनों की आंखें खुल गई। मेरे पति ने फोन उठाया, नंबर देखा और फिर उठकर बाहर चला गया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था, इतनी सुबह-सुबह किसका कॉल होगा, मैं उठी और थोड़ा सा आगे जाकर उसकी बातों को सुनने की कोशिश की।

    यह कॉल उसकी गर्लफ्रेंड का था। उसकी वह गर्लफ्रेंड, जिसे वह बहुत प्यार करता था। इतना कि वह मुझे भी छोड़ने के लिए तैयार था। मैंने उसकी गर्लफ्रेंड को देखा नहीं, लेकिन अगर देखा भी होता, तो इतना मैं यकीन के साथ कह सकती हूं, वह मुझसे सुंदर नहीं होगी। मेरे बाॅडी का हर एक पार्ट परफेक्ट है, मगर इसके बावजूद मेरे पति के लिए उसका प्यार ही सब कुछ है।

    मैंने थोड़ा सा आगे जाकर कोशिश की उसकी गर्लफ्रेंड को देखने की, उसने वीडियो कॉल किया था तो मैं उसके चेहरे को देख सकती थी। मैने आगे जाकर देखा तो मुझे एक खूबसूरत बड़ी आंखों वाली लड़की दिखाई थी। उसकी स्कीन व्हाइट टोन की थी। अंडे के शेप जैसा चेहरा थोड़ा फुला हुआ लग रहा था। वह काफी रो चुकी थी। इस वक्त उसके चेहरे पर जो फीलिंग थी, उसे देखकर यही लग रहा था, वह किसी बड़ी प्रॉब्लम में फंसी हुई है। उसके बात करने के टोने और चेहरे की हालत की वजह से, मैंउ इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया कि मैं तो यह देखना चाहती थी, वह कितनी खूबसूरतहै।

    “आयरा... क्या हुआ सब ठीक है ना?” मेरे पति ने उस लड़की का नाम लिया और उससे पूछा‌। वह उसे शादी का नहीं बताने वाला था। इसलिए वह इस तरह से बात कर रहा था कि आयरा को हमारा कमरा न दिखाई दे।

    “बताओ भी अब क्या हुआ है बेबी..? तुम आखिर इस तरह से रो क्यों रही हो?” मेरे पति ने दोबारा पूछा।

    बेबी, वो उसे बेबी कहता है। यकक... मेरा तो उल्टी करने का मन कर रहा है।

    सामने से आयरा जवाब दिया , “मैंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी है, मुझे नहीं लगता मैं पीएचडी के लिए आगे और मेहनत कर पाऊंगी। घर पर मेरी मॉम ठीक नहीं है, मेरे छोटे भाई के स्कूल भी अच्छे से नहीं चल रहे हैं। मुझे अपनी पढ़ाई छोड़कर लंदन से वापस आना पड़ रहा है....”

    अच्छा तो वह लंदन में रहती है। अपनी बात को पूरी करने के बाद वह फिर से रोने लगी थी। कुछ देर तक रोने के बाद उसने आगे कहा , “मुझे मेरी स्कॉलरशिप की परवाह नहीं है, मैं अगले हफ्ते तक वापस आ जाऊंगी। मेरे पास ज्यादा स्किल नहीं है, लेकिन मैं छोटी-मोटी जॉब कर लूंगी। ताकि हमारे घर का खर्चा चल सके। मॉम के बीमार होने की वजह से उन पर भी काफी खर्चा आ रहा है।”

    मेरा पति कुछ देर तक शांत रहा और फिर उसने कहा , “आयरा, मैं तुम्हारी सारी प्रॉब्लम बस एक पल में दूर कर सकता हूं, तुम मेरी हेल्प ले लो, मैंने जब भी हेल्प करने की कोशिश की है तुमने मना ही किया है, अगर तुम मुझसे थोड़ी सी हेल्प ले लोगी तो तुम्हारा कुछ भी नहीं चला जाएगा। वैसे भी मेरा सब कुछ तुम्हारा ही है, मेरे जितने भी पैसे हैं, सब तुम्हारे हैं।”

    आयरा ने तुरंत मना कर दिया , “बिल्कुल भी नहीं, अगर मैंने ऐसा किया तो तुम्हारी मां एक भी मौका नहीं छोड़ेगी मुझे फिर से गोल्ड डिगर कहने का, पिछली बार रेस्टोरेंट का बिल भरने की वजह से ही उन्होंने मुझे कितना कुछ सुना दिया था। ”

    आयरा मेरे पति की मां से भी मिल चुकी थी। मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता था। मेरे पति को कितना तरस आ रहा है इस लड़की पर, जबकि मेरा मन तो उसकी जान लेने को कर रहा था।

    आयरा ने दोबारा से रोते हुए कहा , “शायद मेरी किस्मत में आगे बढ़ना नहीं लिखा है, कोई बात नहीं, मुझे इस बात की परवाह नहीं है। मैं बस यह चाहती हूं, अगर मैं कुछ नहीं कर पाऊंगी, तो अपने भाई को ही इस काबिल बना दूं कि वह आगे जाकर कुछ कर सके और अपनी मां का भी ध्यान रखें। अगले हफ्ते में तुमसे आकर मिलती हूं। ”

    यह कहकर उसने कॉल कट कर दिया। मेरे पति के चेहरे पर उदासी आ गई। पिछली बार जब हमारी बात हुई थी और हमने इस बात का फैसला किया था की हम 1 साल तक साथ में रहेंगे, इसके बाद एक दूसरे को छोड़ देंगे, तब मेरे पति ने अपनी गर्लफ्रेंड के बारे में ज्यादा कुछ बताया नहीं था। मगर ऐसे लग रहा है वो पढ़ाई के लिए बाहर गई हुई थी‌। इसलिए मेरे पति को ज्यादा टेंशन नहीं थी, मगर वो वापस आ रही है तो मेरे पति के लिए भी यह एक प्रॉब्लम थी। उसे मुझे भी मैनेज करना था। अपनी शादी को भी पब्लिक होने से बचाना था और अपनी गर्लफ्रेंड को भी अब उसे ही संभालना था। काफी कुछ था जो यहां पर मेरे पति को करना था।

    मैं आगे गई और एक लंबी गहरी उबासी लेते हुए पूछा , “क्या यह तुम्हारी गर्लफ्रेंड का कॉल था? ”

    मेरे पति ने मेरी तरफ देखा तो उसकी आंखों में आंसू थे। मैंने आज से पहले इसे कभी रोते हुए नहीं देखा था। मगर यह आज पहली बार रो रहा था। मुझे यह देखकर काफी अजीब लगा, क्योंकि मैंने कभी अपनी जिंदगी में अपनी आंखों के सामने किसी को रोते हुए नहीं देखा। क्या वो अपनी गर्लफ्रेंड के परेशान होने की वजह से इतना दुखी हो गया की अपनी आंखों के आंसुओं को नहीं छुपा पा रहा? क्या वो सच में उसे बहुत ज्यादा प्यार करता है? मुझे भी गिल्टी फील हो रहा था कि मैंने अपने पति के साथ इतना बुरा कैसे किया?

    “वह अगले हफ्ते वापस आ रही है...” उसने रोते गले के साथ कहा। , “और वह ठीक नहीं है, उसकी फैमिली में हजारों तरह की प्रॉब्लम चल रही है, उन प्रॉब्लम की वजह से वह अपनी पढ़ाई को छोड़ने जा रही है। ”

    मुझे समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या कहूं? इस मौके पर क्या कहना चाहिए, मुझे इस बारे में किसी ने नहीं बताया। मैंने थोड़ा सोचने की कोशिश की लेकिन फिर भी कुछ बोलने को नहीं मिला तो मैंने पूछा, “क्या तुम्हारी गर्लफ्रेंड गरीब है?”

    वह मुझे घुर कर देखने लगा। जैसे मैंने कोई बहुत बड़ा अपराध कर दिया हो। लेकिन अब मेरे पास कुछ और था ही नहीं पूछने के लिए। उसने हां में सिर हिलाया और कहा , “हां, वह मिडिल क्लास फैमिली से आती है। उसके फादर की डेथ हो जाने के बाद वह अकेले ही अपनी फैमिली को संभालती थी। फिर उसकी मां बीमार हो गई।‌ और उसकी मां की जिम्मेदारी भी उसके सिर पर आ गई। अपनी पढ़ाई को वह जैसे तैसे करके पूरा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अब हालात इतने खराब हो गए हैं कि कुछ भी उसके बस में नहीं है। मैंने उसे मुझसे भी मदद लेने के लिए कहा लेकिन वह कभी भी मेरे पैसे इस्तेमाल नहीं करनाचाहती है।”

    मैं उसके पास गई और उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा , “तुम्हारी गर्लफ्रेंड का बिहेवियर काफी अच्छा है। लेकिन अगर उसके हालात अच्छे नहीं है, तो उसे तुम्हारी मदद ले लेनी चाहिए, उधारी समझ कर ही चाहे.. जब उसके हालात अच्छे होंगे तब वह लौटा दे।।”

    मेरे पति ने मेरी तरफ देखा और कहा , “तुम्हें क्या लगता है, मैंने कोशिश नहीं की थी? मैंने सारी कोशिश करके देख ली, मगर कुछ भी काम नहीं किया। हमारी शादी से पहले मैं एक बार उसे मेरी मां से मिलवाने लेकर आया थाष ताकि मेरी मां उसे पसंद करे, लेकिन जब मेरी मां को पता चला वह मिडिल क्लास फैमिली से है, तब उन्होंने उसे इतना कुछ सुना दिया, की अब वो चाह कर भी मेरी मदद नहीं लेती। उसने उस दिन ही कहा था की देखना, वो इतनी मेहनत करेगी कि मुझसे भी ज्यादा अमीर बन कर दिखाएंगी। तब मेरी मां को आकर बोलेगी उसे मुझसे शादी करनी है। इसलिए वो पढ़ाई करने के लिए लंदन गई थी। वह भी एंटर्स एग्जाम को पास करके, मगर अब सब गड़बड़ हो गई है। अब सब खत्म हो गया है। ”

    वह यह कहकर वापस अपने कमरे में जाने लगा तो मैंने उसे कसकर गले से लगा लिया। यह सोचकर कि अगर वह दुखी है तो क्या पता इससे उसका दुख कम हो जाए। मगर उसने मेरे हाथों को अलग किया और बोला , “मेरा इस वक्त कुछ भी करने का मूड नहीं है। प्लीज मुझे अकेला छोड़ दो। ”

    यह कह कर वह चला गया। उसके इस तरह से जाने की वजह से मुझे बेचैनी होने लगी। मेरा शरीर गुस्से की वजह से गर्म होने लगा।

  • 9. Wife With Benefits - Chapter 9

    Words: 1657

    Estimated Reading Time: 10 min

    मैं कमरे में आई तो वह बिस्तर पर बैठा था। वह भी अपने सर को नीचे रखकर। मैं उसके पास आई और उसके पास बैठकर कहा , “फिक्र मत करो, सब ठीक हो जाएगा। ”

    उसने मेरी तरफ देखा और बुरी तरह से चिल्लाते हुए कहा , “कुछ भी ठीक नहीं होगा...” यह कहकर वह दोबारा उठा और चला गया।

    मैंने इस बार उसके पीछे जाने की कोशिश नहीं की। रात को हम दोनों एक ही बेड पर थे, मगर एक दूसरे के करीब नहीं आए। ना हीं हमने कोशिश की। यह सिलसिला अगले 7 दिनों तक ऐसे ही चला और इन 7 दिनों में हमारे बीच में ज्यादा बातचीत भी नहीं हुई। वह परेशान सा रहता था। बीच में मैं ऑफिस भी चला गया था। मैं उसका हाल-चाल पूछती थी तो वह बस इतना ही कहता था कि मैं ठीक हूं।

    7 दिनों के बाद वह दिन आ गया था जिसका इंतजार मुझे था या नहीं, मैं नहीं जानती। मगर मेरे पति को जरूर था। उसकी गर्लफ्रेंड आ गई थी और वह उसे एयरपोर्ट पर लेने गया था। उसे यह बात नहीं पता थी। मैं भी उसके पीछे गई थी। पता नहीं क्यों मगर मैं चली गई थी।

    जब उसकी गर्लफ्रेंड एयरपोर्ट से बाहर निकली तब उसके चेहरे पर निराशा दिखाई दे रही थी। वह बेहद ही खूबसूरत थी। मैं गलत थी। मुझे लगता था, मुझसे ज्यादा खूबसूरत कोई नहीं है लेकिन ऐसा नहीं था। मेरे पति की यह गर्लफ्रेंड मेरे इस अहंकार को तोड़ रही थी। आयरा के लंबे लहराते काले बाल एक ढीली पोनीटेल के साथ बंधे हुए थे। कुछ बाल बिखरे हुए थे, मगर वो भी काफी अच्छे लग रहे थे। उसका फिगर मुझसे भी अच्छा था और वह वेट में भी मुझसे चार-पांच किलो ज्यादा होगी। उसकी हर चीज मुझसे बड़ी थी।

    उसने आते ही मेरे पति को कसकर गले से लगा लिया। इतना कसकर तो मैंने भी कभी उसे गले नहीं लगाया था।

    वह अपने पति से बोली , “मुझे तुम्हारी बहुत याद आई...”

    मेरे पति ने सामने से जवाब दिया , “मैंने भी तुम्हें बहुत याद किया था आयरा...” उन दोनों ने जिस तरह से खुद को गले से लगा रखा था वो अजीब था। आसपास के लोग उन्हें देखने लगे थे। अगर मेरा पति और उसकी गर्लफ्रेंड दोनों बंद कमरे में होते तो इस तरह से, वह बिना कपड़ों के एक दूसरे को गले लगाते।

    आयरा ने आसपास देखा और मुस्कुराते हुए कहा , “ऐसे क्यों लग रहा है, इन लोगों ने पहली बार किसी को गले लगते हुए देखा है..” यह कहकर वह अलग हो गई।

    मगर मेरे पति ने दोबारा उसे अपने करीब किया और फिर से गले लगा लिया , “मुझे किसी की परवाह नहीं है। मैं तुमसे बहुत दिनों बाद मिला हूं तो मैं तुम्हारे गले लगा रहना चाहता हूं। ”

    उसने मुझे कभी इतना प्यार से गले नहीं लगाया, यहां तक की बिस्तर पर भी अगर हम कुछ कर रहे होते हैं तब भी वह इस तरह से मुझे प्यार से गले नहीं लगाता था।

    मेरे पति ने उसे अपनी शादी के बारे में कुछ भी नहीं बताया था और वह बताता भी किस मुंह से। फिर वह उसे उसके घर ले गया। उसका छोटा भाई अपनी बहन को और मेरे पति दोनों को साथ देखकर काफी खुश था। हालांकि मुझे उनकी मां दिखाई नहीं दी क्योंकि वह अस्पताल में भर्ती थी।

    आयरा के भाई ने अपनी बहन पर टोंट मारते हुए कहा , “तुम यह सब बाद में कर लेना, अब मां बीमार है तो जाकर पहले उसे देखो, ना की इस तरह से अपने बॉयफ्रेंड से चिपको...”

    यह सुनकर आयरा ने मुंह बनाते हुए अपने भाई से कहा , “चुप करो विशाल, लगता है तुम कुछ ज्यादा ही बड़बोले हो गए हो, ऐसे किसी से बात नहीं करते हैं, मैं अभी थोड़ी देर में मां से मिलने के लिए जाऊंगी।”

    मेरा पति कुछ देर और वहां पर रुका और फिर वह आयरा को को घर छोड़कर वापस आ गया। वापस आने से पहले उसने आयरा से इस बात का वादा किया की वो दोनों मिलकर जल्दी एक रोमांटिक डेट पर जाएंगे।

    हर एक बात पर मुझे गुस्सा ही आ रहा था। मैं वापस घर पर आ गई और मेरे आने के बाद मेरा पति भी मेरे पीछे-पीछे घर पर आ गया था। मुझे अपनी पति की उस गर्लफ्रेंड की वजह से ईर्ष्या हो रही थी।

    “अरे! तुम इतनी जल्दी घर कैसे आ गए?” मैंने अपने चेहरे से ऐसे हैरानी दिखाई जैसे मुझे पता ही ना हो वह कहां था। किसी का इस तरह से पीछा करना गलत है।

    मैं रसोई में थी और पकोड़े तल रही थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया और उल्टा मुझे देखकर हंसने लगा। वह बोला, “यह तुम क्या कर रही हो? अपनी हालत तो देखा, तुमने खुद को बेसन में कर रखा है.. तुम पकोड़े तल रही हो या खुद कढ़ाई में कूदने की तैयारी कर रही हो।”

    जल्दबाजी की वजह से मैंने ध्यान ही नहीं दिया मेरे कपड़े बेसन की वजह से खराब हो गए थे। बेसन मेरे चेहरे पर, मेरे बालों पर और मेरे कपड़ों पर लगा हुआ था। वह मुझे देखकर जोर-जोर से हंस रहा था। पिछले 7 दिनों के बाद मैंने अब जाकर उसके चेहरे पर खुशी देखी थी।

    मैंने मुंह बनाते हुए कहा , “तुम हंस क्यों रहे हो...? इस तरह से हंसकर तुम मेरा मजाक बना रहे हो?”

    वह मेरे पास आया और बोला , “एक बार अपनी हालत तो देखो, तुम जोकर लग रही हो। ” उसने आकर मेरे बालों पर लगा बेसन हटाया और फिर मेरे चेहरे के बेसन को भी साफ किया।

    मैंने उसे जवाब देते हुए कहा , “मैंने ज्यादा पकोड़े नहीं बनाए हैं, इसलिए कभी-कभी बेसन में काम करती हूं तो इस तरह की हालत हो जाती है। ”

    उसने मेरे चेहरे पर लगे बेसन को हटाते हुए कहा , “तुमने कहा था नौकरानी को आने की इजाजत है लेकिन तुमने अभी तक उसे यहां पर आने नहीं दिया है, वह खुद ही यह सब कुछ संभाल लेगी। तुम्हें इतना कुछ करने की जरूरत ही नहीं है। ”

    “मैं कल से ऑफिस शुरू कर रही हूं, तुम उसे कह सकते हो अब आ जाया करें, क्योंकि अगर मैंने ऑफिस जाना शुरू कर दिया, फिर मेरे पास भी वक्त नहीं रहेगा। ”

    मेरे पति ने मेरी परवाह करते हुए कहा , “ठिक है, और तुम तेल से दूर ही रहा करो, तुम्हारी स्किन सोफ्ट हैं। यह तेल से जल जाएगी, तुम खुद का काफी अच्छे से ध्यान रखती हो, लेकिन एक बार चेहरा खराब हो गया तब भगवान ही तुम्हारा मालिक है। ”

    मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया। फिर वह मेरे खाने की खुशबू में खो गया। मैंने उसे हाथ धोने के लिए कहा और फिर उसके आने तक मैंने सारा खाना डाइनिंग टेबल पर लगा दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों ही खाना खा रहे थे। खाना बनाने के मामले में चाहे मैं कैसे भी रहूं, लेकिन मेरे पति को मेरा खाना पसंद आता था। वह हर बार इस बात के इंतजार में रहता था कि मैं उसके लिए खाने में क्या बना रही हूं।

    उसने खाना खाते हुए कहा , “यह पकोड़े लाजवाब है, मैंने पहले भी कई बार खाए हैं मगर इसका स्वाद अलग ही आ रहा है... क्या तुमने बेसन में कुछ और भी मिक्स किया है? ऐसे लग रहा है जैसे तुमने चावल का आटा मिलाया है?”

    ओह!! इसके सेंस तो काफी अच्छे हैं। मैंने काफी कम चावल का आटा डाला था। यह मेरी पर्सनल रेसिपी है। इससे पकोड़े टेस्टी हो जाते हैं। आमतौर पर इतने कम चावल के आटे के बारे में किसी को पता नहीं चलता, मगर मेरे पति को चला गया था।

    मैंने हां में सिर हिल्लाते हुए कहा , “हां ,मगर ज्यादा नहीं थोड़ा सा, क्या तुम्हारी आयरा भी अच्छा खाना बनाती है?”

    पता नहीं मैंने बातों बातों में उसका नाम क्यों ले लिया। शायद मेरे फ्रस्ट्रेशन की वजह से या फिर अपने पति को उस लड़की के साथ देखकर। मेरी आंखों के सामने अभी भी वह सीन घूम रहा था जब मेरे पति ने आयरा को गले से लगाया था।

    मेरे पति ने जैसे ही आयरा का नाम सुना, वह पूरी तरह से खामोश हो गया। उसके हाथ भी अपनी जगह पर रूक गए। इससे पहले वो बड़े ही चाव से पकोड़े खा रहा था, लेकिन अब ऐसे लग रहा था जैसे उसकी भूख ही मर गई।

    मैंने माहौल को बदलने के बारे में सोचा , “अरे, तुम तो कुछ ज्यादा ही सीरियस ले गए। मैंने तो नॉर्मल पूछा था, खैर तुमने बताया नहीं मुझे? तुम इतनी जल्दी घर पर क्यों आ गए?”

    मेरे पति ने अपने सर को नीचे कर लिया। जैसे वह इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था। आखिर में बताता भी क्या? हालांकि वह एयरपोर्ट मुझसे पूछ कर ही गया था, लेकिन वह उसके घर भी गया है और उसने एक रोमांटिक डेट प्लान की है, यह सारी जानकारी उसके मुंह से कैसे बाहर निकल सकती थी।

    उसने गहरी सांस ली और फिर मेरी तरफ देखते हुए कहा , “मैं आयरा के घर पर गया था, सोचा था सारा दिन उसके साथ रहूंगा पर उसे अपनी फैमिली के साथ कुछ वक्त स्पेंड करना था। मैंने ऑफिस से भी छुट्टी ले ली थी और उसके साथ भी नहीं रह सकता था, तो फिर मैंने जल्दी घर आने का फैसला किया। ”

    मुझे लगा वह झूठ बोलेगा, कहेगा मुझे कोई काम नहीं था या फिर मेरा ऑफिस में मन नहीं लग रहा था तो मैं जल्दी आ गया। मगर उसने सब कुछ बिना हिचकिचाए बता दिया था। रोमांटिक डेट के बारे में तो अभी भी नहीं बताया।

    मुझे उसके ध्यान को भटकना था। मैंने एक पकोड़े को उठाया और उसे कामुकता भरें अंदाज में मुंह में लेते हुए कहा , “चलो अच्छा है, पिछले 7 दिनों से हमने कुछ नहीं किया... आज कुछ करते हैं... मैं जब स्ट्रॉबेरी खाती हूं तब तुम्हें अच्छा लगता है.. आज मैं तुम्हारी स्ट्रॉबेरी खाऊंगी, वो भी आइसक्रीम के साथ..”

    मुझे उसके चेहरे पर ना नहीं दिख रही थी। दिखेंगी भी कैसे... मेरा स्ट्रॉबेरी खाना उसे पसंद था।

  • 10. Wife With Benefits - Chapter 10

    Words: 1654

    Estimated Reading Time: 10 min

    कमरा काफी शांत था। लाल रंग की हल्की लाइट के बीच ऐसे लग रहा था, जैसे यह हमारे हनीमून की ही रात है। कमरे में आते ही वह अपने कपड़े उतार कर बेड पर लेट गया था। उसे अगर इंतजार था तो सिर्फ मेरा ही। मैं वॉशरूम में थी। अपने कपड़े बदल रही थी। मैंने एक सिल्की डीप नेक गाउन पहना। सिर्फ गाउन इसके अलावा और कुछ भी नहीं। यहां तक की गाउन के नीचे भी कुछ नहीं था।

    मैं बाहर आई तो उसने मेरे चेहरे की तरफ देखा। इसके बाद मेरे कपड़ों की तरफ। शायद हम दोनों ही इस वक्त ऐसे फील कर रहे थे जैसे हम दोनों सालों बाद मिले हैं। सिर्फ 7 दिन ही तो बीते थे जब हम आखरी बार इस तरह से मिले थे।

    मैं उसके पास आई। मेरा मन तो कर रहा था मैं उसे आयरा को लेकर पूछूं, क्या वह भी कभी इस तरह से आई है? अगर यह दोनों लंबे वक्त से रिलेशन में है तो कभी ना कभी तो कुछ हुआ ही होगा। फिर मेरा पति हर काम में परफेक्ट भी है, तो उसे यह एक्सपीरियंस कहीं ना कहीं से तो मिला ही होगा।

    मैं घुटनों के बल बैठी, उसने अपने दोनों पैरों को फैला लिया। फिर मैंने एक बार फिर से उसकी स्ट्रॉबेरी को टेस्ट किया। इसका स्वाद बिल्कुल भी नहीं बदला था। यानी कि इसमें कोई स्वाद नहीं था। मेरे उसे छुते ही मेरे पति की आह निकली। मैंने उसकी स्ट्रॉबेरी को ऐसे छुआ था जैसे आइसक्रीम खाते वक्त हम उसे जीभ से छूते हैं।

    धीरे-धीरे मैंने अपने प्रोसेस को आगे बढ़ाया और उसकी स्ट्रॉबेरी को गहराई तक लिया। मेरी हर एक बार की कोशिश मेरे पति को आनंद दे रही थी। यह सिलसिला अगले 30 मिनट तक चला। फिर उसने मेरे बालों को पकड़कर मेरी स्पीड बढ़ा दी। ऐसे लग रहा था जैसे वह किसी चीज को भूलने की कोशिश कर रहा है। वरना आज से पहले उसने अपनी स्पीड को कभी भी इतना तेज नहीं किया था। पिछली बार भी उसने मेरे बालों को पकड़ा था, मगर स्पीड नॉर्मल थी। मगर आज वो किसी रेस कार की तरह दोड़ रहा था।

    मेरा मुंह थक गया था। मुझे सांस नहीं आ रही थी। मैं पीछे हटना चाहती थी, मगर मेरे पति की पकड़ इतनी मजबूत थी की मैं पीछे भी नहीं हट पा रही थी। अब मेरे पास इंतजार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। इंतजार तब तक जब तक मेरा पति पूरी तरह से थक नहीं जाता।

    जैसा मैंने सोचा था वैसा कुछ भी नहीं हुआ, आमतौर पर 50-55 मिनट में थकने वाला मेरा पति 80 मिनट से भी ज्यादा ले चुका था। मुझ में हिम्मत नहीं बची थी। वहीं वो और ज्यादा इंटेंस होता जा रहा था। मेरा मुंह बहुत बुरी तरह से दर्द कर रहा था। तभी फाइनली वह मोमेंट आया जब वह थक गया।

    मैंने राहत की सांस ली। यह सोचकर की चलो मुझे तो कम से कम चैन मिला। आगे से मेरे पति का मूड ठीक नहीं हुआ तो मैं कभी भी स्ट्रॉबेरी खाने का प्रपोजल नहीं रखूंगी। मुझे पता चल गया यह कितना महंगा पड़ता है।

    हम दोनों ही बेड पर लेट गए। तकरीबन 1 घंटे बाद अब वह मुझे खुश करने लगा। मेरे सिल्क के गाउन को उसने धीरे से ऊपर किया और वही काम करने लगा जो मैंने उसके लिए किया था। एक पल के लिए मुझे ऐसे लगा जैसे कोई ठंडी चीज आकर मुझसे टकरा गई हो। फिर धीरे-धीरे यह किसी चिपचिपी चीज में बदलती गई और मुझे आनंद आने लगा।।

    उसने 15 मिनट तक ही यह काम किया था। जबकि मेरे मामले में मुझे पूरे 80 मिनट लग गए थे। फिर उसने मेनकोर्स शुरू किया। इस मामले मे भी वो इंटेंस था, जैसे उसको होश ही नहीं था। इससे पहले जब भी मुझे अधिक दर्द होता था तो वह झट से पीछे हट जाता था। जबकि आज में तीन बार बीच में जोर से चिल्ला पड़ी थी, लेकिन उसने यह भी नहीं पूछा क्या हुआ या फिर तुम ठीक तो हो?

    ऐसे लग रहा था जैसे मैं बस अपने पति के लिए एक चीज बनकर रह गई हूं। यह इसलिए हुआ क्योंकि उसकी गर्लफ्रेंड आई है। उसकी गर्लफ्रेंड के आने से पहले उसे मेरे दर्द होने पर मेरी केयर होती थी, लेकिन अब तो जैसे उसे होश ही नहीं है। क्या वो अपना गुस्सा उतारने के लिए मेरा इस्तेमाल कर रहा है या फिर अपना फ्रस्ट्रेशन उतारने के लिए? अगर ऐसा है तो यह गलत है?

    मैंने अपने आनंद की परवाह नहीं की और उसे कहा , “रुक जाओ, मुझे ऐसा लग रहा है तुम ठीक नहीं हो....”

    वह मेरी तरफ हैरानी से देखने लगा। किसी का भी इस प्रोसेस के बीच में रुकना आसान नहीं होता और ना ही रुकने के लिए कहना। उसे मेरे चेहरे पर नाराजगी दिखाई दे रही थी, यही वजह थी कि वह आगे नहीं बढ़ा और रुक गया।

    उसने रूककर मुझसे पूछा , “क्या हुआ क्या मैं गलत कर रहा हूं? मेरे तरीका तो सही है। ”

    मैंने तकिया उठाया और उसे अपने सीने पर रखते हुए कहा , “नहीं, तुम बिल्कुल ठीक कर रहे हो, बट मुझे ऐसे लग रहा है जैसे तुम्हारा इसमें बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है। ”

    उसने कोई जवाब नहीं दिया। वो शांत होकर मेरे बगल में ही बैठ गया। उसकी आंखों में मायूसी थी। वह कुछ देर तक शांत रहा और बोला , “मुझे मेरी गर्लफ्रेंड के लिए बुरा लग रहा है, ऐसे लग रहा है जैसे मैं उसे धोखा दे रहा हूं। मैं उसे बहुत प्यार करता हूं, लेकिन तुम्हारे साथ शादी, और ये सब, मुझे ऐसे फीलिंग आ रही है जैसे मैंने किसी का कत्ल कर दिया हो। मुझे अपनी गर्लफ्रेंड को धोखा नहीं देना चाहिए था। ”

    तो उसे अपनी गर्लफ्रेंड के लिए बुरा लग रहा है। मतलब उसे अपनी गर्लफ्रेंड की परवाह है लेकिन मेरी परवाह नहीं है। मैंने कोई जवाब नहीं दिया और उठकर कपड़े पहनकर किचन में चली गई। मैंने फ्रिज से एक गिलास ठंडे पानी का निकाला और उससे अपने मुंह को धोया। फिर बचे हुए पानी को पी लिया क्योंकि मैं गुस्से से लाल हो रही थी।

    मैं वापस आई और कमरे में आकर उसे कहा , “तो तुम्हें बुरा लग रहा है.... तुम्हें ऐसे लग रहा है जैसे तुम अपनी गर्लफ्रेंड को धोखा देकर एक बेवफा बॉयफ्रेंड बन गए हो।”

    उसने बिना कुछ सोच समझ हां में सिर हिला दिया। जैसे मैंने किसी टीचर की तरह उसे कोई चीज समझाई हो और वह समझ में आ गई हो।

    मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा , “बस करो यह सब, वह तुम्हारी गर्लफ्रेंड है जबकि मैं तुम्हारी पत्नी हूं, इस वक्त तुम धोखा उसे नहीं बल्कि मुझे दे रहे हो। एक पति शादी के बाद‌ भी किसी और लड़की के बारे में सोचे, यह धोखा होता है। परेशान तुम्हें नहीं बल्कि मुझे होना चाहिए। लेकिन फिर भी मैं सब कुछ एडजस्ट कर रही हूं और तुम हो कि धोखे का रोना रो रहे हो। ”

    वो पूरी तरह से हड़बड़ा गया। उसने उम्मीद नहीं की थी मैं इस तरह से चिल्ला कर बोलुंगी या फिर अपना गुस्सा उस पर उतारूंगी। मुझे भी ऐसे लग रहा था जैसे मेरी सारा दिन की भड़ास अब एक ही पल में निकल जाएगी क्योंकि मैं अब अपने पति से लड़ने वाली हूं। वह भी बुरी तरह से।

    मैं उसके पास आई और बोली , “यह सब करने की बजाय तुम्हें मेरा एहसान मंद होना चाहिए की, पत्नी होने के बावजूद भी मैं तुम्हें तुम्हारी गर्लफ्रेंड से मिलने दे रही हूं, और तो और मैंने तुम्हें यह तक कह दिया मैं इमोशनली तुम्हारे साथ अटैच नहीं होऊंगी। एक साल बाद हम आराम से अलग हो जाएंगे। मैं तुम्हें.... मैं तुम्हें एक काॅल गर्ल की तरह खुश कर रहीं हूं... तुम्हारी स्ट्रॉबेरी खा रही हूं... मेरे मुंह की बैंड बज रही तुम्हारी वजह है। जरा खुद अपना दिमाग लगाओ और सोचो, यहां पर इस वक्त किसे गिल्टी फील होना चाहिए? तुम्हें या फिर मुझे...”

    मेरे पति के पास इस सवाल का कोई जवाब नहीं था। वह बस हक्का-बक्का होकर मेरी तरफ देख रहा था। कुछ देर तक मेरी तरफ देखने के बाद उसने अपनी गर्दन को नीचे किया और कहा , “शायद तुम सही कह रही हो, तुम अपनी जगह पर बिल्कुल सही हो, अगर इस वक्त कोई गलत है तो वह मैं हूं। मैं इस बारे में कुछ ज्यादा ही सोच रहा हूं... जब मेरी पत्नी मेरे लिए इतना सब कुछ कर रही है और इस बारे में ज्यादा नहीं सोच रही फिर मैं क्यों सोच रहा हूं...”

    मुझे नहीं पता यह सब कहकर या फिर मेरी बातों को सुनकर उसे क्या समझ में आया है, लेकिन उसकी बातों से ऐसे लग रहा था जैसे वह अपने मन के बोझ को कुछ हद तक हल्का कर चुका है।

    उसने मुस्कुराकर मेरी तरफ देखा और फिर उठकर मेरे पास आया। उसने मुझसे पूछा भी नहीं और मेरे हाथ को पकड़कर मुझे दिवार के पास कर लिया। वो मुझे किस्स करने लगा। जबकि इससे पहले हमने बिना किस्स के ही मेन प्रोसेस शुरू किया था।

    उसने मेरी ड्रेस को ऊपर किया और मुझे अपनी बाहों में उठाकर गोद में ले लिया। मुझे नहीं पता अगर प्रोसेस को बीच में छोड़ दिया जाए तो एक लड़का कैसे जल्दी खुद को तैयार कर लेता है। मेरा पति काफी जल्दी तैयार हो गया था। इसके बाद अगर कुछ हो रहा था वो बस मेरी सिसकारियां को‌ शोर था।

    इस बार मुझे फीलिंग भी महसूस हो रही थी और यह भी लग रहा था कि पति सब कुछ मन से कर रहा है। हालांकि जहां तक मेरे पति की बात है, उसका नेचर इस तरह का है की उसे एक बार अगर चीज समझा दी जाए, तो इसका असर दो दिन तक ही रहता है और फिर दोबारा उसका दिमाग खराब हो जाता है। मुझे नहीं पता मैंने जो भी समझाया अब इसका असर कितने दिनों तक रहेगा और कब दोबारा वो फिर से अपनी गर्लफ्रेंड के लिए दुखी महसूस करने लगेगा।

    ___

    जाने से पहले मुझे फॉलो करना मत भूलना।

  • 11. Wife With Benefits - Chapter 11

    Words: 1497

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगले दिन सुबह की शुरुआत फिर से मेरे हाथों की बनाई हुई कॉफ़ी और नाश्ते के साथ हुई। मेरा पति अभी भी सो रहा था। कल रात हमारे बीच में जो कुछ भी हुआ था वह पहले तो गुस्से में हुआ था और बाद में प्यार से। इसमें दर्द भी था और एन्जॉयमेंट भी।

    मैंने टेबल पर कॉफ़ी और नाश्ता रखा और अपने पति को कहा, “गुड मॉर्निंग, अब उठो भी जो आलसी कहीं के...” कल रात उसने मुझे बताया था कि उसे सुबह आयरा से मिलने जाना है। तो मैंने उसे याद दिलाया, “तुम भूल गए क्या, तुम्हें आयरा से मिलने जाना है।”

    मेरे पति ने एक लंबी अंगड़ाई ली और कहा, “हाँ, मिलने जाना है, मैं तो भूल ही गया था। नाश्ता करके मैं जल्दी तैयार होता हूँ।”

    यह कहकर वह उठ खड़ा हुआ और एक लंबी गहरी साँस लेकर मेरी कॉफ़ी की खुशबू को महसूस किया। उसने मेरे चेहरे की तरफ़ देखा और कहा, “तुम्हारी कॉफ़ी की खुशबू मेरी हर दिन की सुबह को अच्छा कर देती है।”

    फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया। वापस आया और उसने कॉफ़ी के साथ मेरे बनाए पैनकेक खाए।

    उसे मेरे पैनकेक का टेस्ट अलग सा लग रहा था, “यह पहले जैसा नहीं है। अब तुम इसमें क्या कर रही हो?”

    “कुछ एक्सपेरिमेंट कर रही हूँ, मुझे अपने पैनकेक के टेस्ट को और भी बढ़िया करना है। तुम्हारा फ़ूड सेंस काफ़ी अच्छा है, अगर तुम गेस कर पा रहे हो तो मुझे बता सकते हो मैंने इसमें क्या अलग किया है?” मैंने उसे प्यार से देखना शुरू कर दिया, जैसे मानो मैं उसे खुद पर टूट पड़ने का प्रपोज़ल दे रही हूँ। हालाँकि मैं बस उसे इम्प्रेस करने की कोशिश कर रही थी ताकि वह गेस कर सके मैंने क्या नया किया है।

    वह सोचने लगा, “नहीं, मैं नहीं गेस कर पा रहा हूँ, बट मुझे ऐसा लग रहा है जैसे तुमने इसमें इलायची का काफ़ी मामूली मात्रा में इस्तेमाल किया है।”

    मैं हैरान रह गई कि आखिर उसने इसे भी कैसे गेस कर लिया। मैंने हाँ में सिर हिलाया और फिर वह मुस्कुरा पड़ा। उसने अपने चेहरे पर जैसे कुछ बहुत बड़ा कर लिया हो, जैसे भाव दिखाए और कहा, “यार, मेरा फ़ूड सेंस तो काफ़ी अच्छा हो गया है।”

    कुछ देर तक हम लोग कॉफ़ी पीते रहे और साथ में पैनकेक खाते रहे। फिर मैंने उसे एक नॉर्मल सा सवाल किया, “क्या तुम मुझे बता सकते हो तुम्हारे घर वाले आयरा को पसंद क्यों नहीं करते हैं?”

    शायद मैं भी आयरा को लेकर कुछ ज़्यादा ही सोच रही थी, तो मैं खुद को उसके लेकर कम्फ़र्टेबल करना चाहती थी, जिसके लिए ज़रूरी था कि मैं उसके बारे में और जानूँ। मेरे पति के घर वालों के आयरा को पसंद नहीं करने का कारण मेरे ख्याल से रेस्टोरेंट वाला वह सीन हो सकता है, मगर वहाँ पर तो सिर्फ़ उसकी माँ थी।

    मेरे पति के चेहरे पर एक अलग सी मायुसी आ गई। वह बोला, “सबसे बड़ा कारण बस यही है कि वह ग़रीब है... इसके अलावा कोई और दूसरा कारण नहीं है... मेरे घर वालों को एक ऐसी बहू चाहिए जो इनकम और हैसियत में उनके बराबर हो...”

    ओह..! मैं इस पर क्या ही कहूँ। मैंने उसे पूछा, “क्या बस यही है कारण है? इसके अलावा कोई और वजह?”

    उसने ना में सिर हिलाया और फिर कहा, “हाँ, बस यही एक वजह है। इसी वजह से तो मेरी गर्लफ़्रेंड मुझसे कहती थी कि मैं अमीर बनकर दिखाऊँ, लेकिन उसे नहीं पता है अमीर बनना आसान नहीं है। अगर आपके पास बिज़नेस चलाने का एक्सपीरियंस ना हो और फ़ंड भी नहीं हो, तो आप एक ही दिन में या फिर कुछ ही सालों में अमीर नहीं बन सकते हैं।”

    मैंने हल्की साँस ली और फिर कहा, “हाँ, मैं जानती हूँ। सारी फैमिली ऐसी ही होती है, लेकिन तुम अपनी फैमिली के इकलौते बेटे हो, बेटे के मामले में घरवाले कम्प्रोमाइज़ कर लेते हैं। शायद अगर तुम अपने घर वालों को अच्छे से समझाने की कोशिश करते तो वे तुम्हारी गर्लफ़्रेंड के लिए मान जाते। अगर तुम अपने ग्रैंडफ़ादर को भी समझने की कोशिश करते तो वे भी तुम्हारी शादी के लिए हां कर देते। रेदर दन बस उनकी बात सुनने के।”

    मेरे पति ने कोई ख़ास रिएक्शन नहीं दिया। वह खड़े होते हुए बोला, “जो भी हो, लेकिन सच्चाई यही है कि... इस वक़्त हालात मेरे हक़ में बिल्कुल भी नहीं हैं।”

    वह जाने लगा तो मैंने उसे पीछे से कहा, “इस मामले में मैं तुम्हारी मदद कर सकती हूँ...” यह सुनकर वह रुक गया। उसे अजीब ना लगे, इसलिए मैंने उससे कहा, “हाँ, बिल्कुल, मैं तुम्हारी और तुम्हारी गर्लफ़्रेंड के लिए तुम्हारी मदद कर सकती हूँ, क्योंकि मुझे पता है तुम भी तो फिर बाद में मेरे लिए एक अच्छा पति ढूँढ़ोगे...”

    मुझे लगा उसे यह सुनकर खुशी होगी कि मैं उसकी और उसकी गर्लफ़्रेंड के लिए घरवालों को मनाने के तरीके बताऊँगी या फिर उसके लिए कुछ करूँगी, लेकिन जब मैंने कहा कि वह भी मेरी मदद करेगा मेरे नए पति को ढूँढ़ने में, तब उसके चेहरे के एक्सप्रेशन खुशी वाले बिल्कुल भी नहीं दिखे। ऐसा लग रहा था जैसे उसे जलन हो रही हो। आखिरकार वह एक लड़का था और एक लड़का हमेंशा दूसरे लड़के का नाम आते ही जल जाता है। लड़कियाँ भी ऐसी होती हैं, लेकिन वे इतनी भी जलती नहीं हैं।

    मेरा पति मेरे पास आया और तकिए को उठाकर जोर से मुझे मारते हुए बोला, “अच्छा तो तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे लिए पति ढूँढ़ूँ? कैसी पत्नी हो तुम... अपने ही पति से दूसरे पति ढूँढ़ने के लिए कह रही हो...”

    मैंने भी तकिया उठा लिया और हम दोनों ही तकिए से लड़ने लगे। मैंने भी उसे कहा, “तो मैं भी तो तुम्हारी मदद कर रही हूँ तुम्हारी गर्लफ़्रेंड का ताल्लुक़ तुम्हारी फैमिली से बढ़ाने के लिए, अब तुम मेरे लिए इतना तो कर ही सकते हो।”

    खेलते-खेलते वह मेरे ऊपर गिर गया और फिर उसने मुझे किस किया। यह हमारी पहली ऐसी किस थी जो हमने रात के अलावा किसी और वक़्त में की हो। उसने कुछ देर तक किस करना जारी रखा और फिर पीछे हटते हुए कहा, “ठीक है, अगर तुम मेरी मदद करोगी तो मैं भी तुम्हारी मदद करूँगा। वैसे, जब तुम्हारा पति आ जाएगा तो क्या उसके बाद हम दोस्त बनकर रह सकते हैं? मैं नहीं चाहता कि मैं तुम्हें पूरी तरह से छोड़ दूँ?”

    “उम्म्म्...” मैंने कुछ देर सोचा और फिर बोला, “हाँ, रह सकते हो, लेकिन अगर यह मेरे पति को पसंद नहीं हुआ तो? कोई पति नहीं चाहेगा कि शादी के बाद उसकी पत्नी किसी और लड़के के साथ फ़िज़िकल रिलेशन बनाए।”

    उसने मुझे घुरकर देखा और कहा, “मैं तुम्हें बस नॉर्मल फ़्रेंड बनने के लिए कह रहा हूँ, पागल लड़की... तुम हर किसी चीज़ में फ़िज़िकल रिलेशन को घुसा देती हो...”

    हम दोनों यह सुनकर हँसने लगे। वह मुझे दोबारा किस करने लगा। इस रोमांटिक माहौल का सिलसिला तब टूटा जब किसी का कॉल आया। वह अपने बिस्तर से उठा और कॉल पर जो भी कोई था उससे बात की।

    सामने से मेरे पति की बुआ का फ़ोन था। उसने कहा, “काफ़ी दिन हो गए हैं तुमसे मिले हुए, आज हम सब घर पर एक छोटी पार्टी अरेंज कर रहे हैं, आशीष, तुम्हारा कजन युरोप से आया है। तुम्हारे पेरेंट्स भी आ रहे हैं, मैंने सोचा मैं तुम दोनों को भी इनवाइट कर लेती हूँ। वैसे तो आई नो तुम दोनों अपने हनीमून में बिज़ी रहोगे, लेकिन अपनी बुआ के लिए तुम एक दिन तो निकाल ही सकते हो ना?”

    इस बुआ के बारे में मैं सिर्फ़ इतना ही जानती थी कि यह जो भी है बस मौके ढूँढती थी, वह भी बस ताने मारने के लिए। वह मेरे पति पर भी ताने मारती थी और जब मेरी शादी हो रही थी तो उसने शादी के दिन मुझ पर भी कई सारे ताने मारे थे। वह मेरे पति की एक अच्छी बुआ नहीं, बल्कि एक बुरी बुआ थी। हालाँकि संस्कारी लड़का होने की वजह से मेरा पति उसे मना भी नहीं कर सकता था।

    उसने मेरी तरफ़ देखा और फिर फ़ोन के माइक को साइलेंट करके मुझे बताया, “बुआ का फ़ोन है, हम दोनों को बुला रही है, क्या तुम जाना चाहती हो? देख लो, अगर तुम वहाँ पर गई... कुछ बड़ा ही होगा। क्योंकि ये बुआ इसी के लिए जानी जाती है। जो भी वहां से आता है, खराब मुड के साथ‌ ही आता‌ है। इसमें मैं कोई ज़िम्मेदारी नहीं लूँगा... मेरी बुआ बहुत इरिटेट करती है... और ताने मारने के मामले में एक भी मौका नहीं छोड़ती है।”

    मैं इसका क्या ही जवाब देती। पिछले काफ़ी दिनों से हम रिश्तेदारों से मिले नहीं थे तो शायद ऐसे ना कहना भी ठीक नहीं। मैंने हाँ में सिर हिलाया और कहा, “ठीक है, चलते हैं। जो होगा देखा जाएगा।”

    उसने फिर से मुझे घूर कर बुरा चेहरे बनाते हुए कहा, “तुम्हारी बैंड बज जाएगी बुआ के घर पर, मैं तुम्हें वहाँ पर छोड़ दूँगा, लेकिन मैं खुद वहाँ पर नहीं रुकने वाला,” और यह कहकर अपनी बुआ को कह दिया, “ठीक है बुआ, हम दोनों आ रहे हैं।”

  • 12. Wife With Benefits - Chapter 12

    Words: 1567

    Estimated Reading Time: 10 min

    दिन के तकरीबन 9:00 बज रहे थे जब हम दोनों ही मेरे पति की बुआ, शालिनी के यहाँ जाने की तैयारी कर रहे थे। पार्टी तो वैसे रात की थी, मगर हमें सुबह ही जाना था। मैंने ब्लैक कलर का एक डीप नेक गाउन पहना था, जो मुझ पर काफ़ी खूबसूरत लग रहा था, एक हल्के लाइट डायमंड के नेकलेस के साथ। मुझे मेकअप करने की आदत नहीं थी। बालों को मैंने लाइट वेवी रखा था।

    मेरा पति भी मेरे बगल में ही तैयार हो रहा था, जिसने एक ब्लैक कलर का बिज़नेस सूट पहना था। उसके चेहरे पर कहीं से भी खुशी की झलक नहीं थी, यानी कि वह बुआ के घर जाकर खुश नहीं था। मेरे कहने की वजह से उसे हाँ करनी पड़ी, वरना वह किसी तरह का कोई बहाना बना लेता।

    थोड़ी देर बाद हम गाड़ी में थे। मैंने अपने पति से कहा, “तुम्हें इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, मैं समझ सकती हूँ तुम्हारी बुआ अच्छी नहीं है। तुम कोई बहाना बनाकर चले जाना, बाद में तुम मुझे वापस लेने आ जाना।”

    उसने सिर हिला दिया। फिर थोड़ी देर बाद वह बोला, “तुम मुझे झूठ बोलने के लिए उकसा रही हो, तुम्हें पता है ना फैमिली से दूर जाना इतना आसान नहीं है।”

    “अरे, मैं तुमसे झूठ बोलने के लिए कहाँ कह रही हूँ? तुम्हें आज आयरा से भी तो मिलने जाना है। समझ लो आयरा तुम्हारी क्लाइंट है और तुम उससे मीटिंग करने जा रहे हो। बस सिंपल है, घर वालों को कहना कि मैं मीटिंग करने जा रहा हूँ और तुम निकल जाना।”

    मेरे पति ने मेरी तरफ़ देखा, “और उसके बाद तुम्हारा क्या? क्या मैं तुम्हें वहाँ पर अकेले छोड़कर चला जाऊँ? मेरी बुआ तुम्हें जान से मार डालेगी, वह भी ताने मार-मारकर।”

    मेरे चेहरे पर हँसी आ गई, “फ़िक्र मत करो, मुझे रिश्तेदारों को संभालना आता है, तो मैं तुम्हारी बुआ को संभाल लूँगी।”

    उसने तुरंत सिर हिलाते हुए मना कर दिया, “नहीं, मैं तुम्हें अकेले छोड़कर नहीं जाऊँगा।”

    यह सुनकर मैं अंदर से खुश हो गई कि यह मेरी कितनी परवाह कर रहा है। एक लड़का जब आपकी इतनी परवाह करता है तो आपको खुशी ही होती है।

    मैं इतना ही बोल पाई थी कि उसके फ़ोन पर आयरा का फ़ोन आ गया। मेरे पति ने फ़ोन उठाया तो सामने से आयरा ने परेशानी भरी आवाज़ में कहा, “तुम्हें जल्दी आना होगा, मैं इस वक़्त अस्पताल में हूँ और माँ की हालत काफ़ी सीरियस है। मुझे डर लग रहा है।”

    मेरा पति यह सुनकर परेशान हो गया और वह बोला, “फ़िक्र मत करो, मैं जितना जल्दी हो सकता है उतनी जल्दी आने की कोशिश करूँगा।”

    यह कहकर उसने कॉल काट दिया और मुझसे कहा, “शायद मेरे पास कोई रास्ता नहीं है, मुझे तुम्हें वहाँ पर अकेले छोड़कर ही जाना पड़ेगा।”

    थोड़ी देर पहले मैं अंदर से खुश थी, मगर अब फिर से अकेलापन सा छा गया था। लगता है मुझे बुरी ख़बरें काफ़ी जल्दी मिल जाती हैं।

    उसने गुस्से से अपने हाथ को स्टीयरिंग पर मारते हुए कहा, “मुझे समझ में नहीं आ रहा मैं क्या करूँ, तुम दोनों ही मेरे लिए ज़रूरी हो और मैं तुम दोनों को ही अकेले नहीं छोड़ सकता हूँ।”

    मुझे समझ में नहीं आया यह अब क्या कर रहा है। मैंने उसे घूरती हुई आँखों से देखा और फिर कहा, “तुम हर बार कुछ ज़्यादा ही जल्दी कन्फ़्यूज़ हो जाते हो। तुम्हारे लिए जो ज़रूरी है, तुम उसके साथ रहो, यह फैसला फ़ाइनल है। इसमें इतना कन्फ़्यूज़ होने वाली कौन सी बात है?”

    यह कहकर हम दोनों ही सामने की खाली सड़क को देखने लगे।

    उसने मुझे जवाब दिया, “थैंक्स, मैंने डिसीज़न ले लिया है। मुझे आयरा के पास जाना होगा।”

    यह सुनकर मैंने अपने चेहरे पर एक मुस्कराहट दे दी। एक झूठी मुस्कराहट, क्योंकि यह सुनकर मुझे काफ़ी दुख हो रहा था। कुछ ही देर में मैंने अपनी इस फ़ीलिंग को खुद से दूर किया, क्योंकि मुझे अपने पति से अटैच्ड नहीं होना था। उसकी लाइफ़, उसके फैसले, मुझे क्या मतलब!

    जल्द ही हम शालिनी आंटी के घर पहुँच गए। दिन के 10:00 बज रहे थे, मगर अभी से काफ़ी सारे मेहमान उनके घर आ गए थे। मेरे पति के पेरेंट्स अभी तक नहीं आए थे। हम दोनों ने सभी रिश्तेदारों के पैर छुए और थोड़ी-थोड़ी बात की, जिसके बाद हम दोनों उन सब से दूर जाकर खड़े हो गए।

    मेरे पति ने मेरे कान के पास आकर धीरे से कहा, “हमारी फैमिली बहुत लंबी-चौड़ी है, शादी वाले दिन आधे से ज़्यादा लोग आए नहीं थे, मगर ऐसा लग रहा है आज मेरी बुआ ने सभी लोगों को बुला लिया है। छोटी सी पार्टी..!! हुंह.. यह कहीं से भी छोटी पार्टी नहीं लग रही... ऐसा लग रहा है जैसे यह अपने बेटे की शादी करने जा रही है, जिसे कोई लड़की भाव तक नहीं देती।”

    मैंने उसे जवाब देते हुए कहा, “मुझे टीवी सीरियल वाली फ़ीलिंग आ रही है, इतनी बड़ी फैमिली को मैंने आज से पहले टीवी सीरियल में ही देखा था।”

    मेरा पति यह सुनकर हँस पड़ा, “शुक्र मनाओ मेरे ग्रैंडफ़ादर बीमार हो गए, वरना उनके 13 बच्चे हैं, अगर वह सही हालत में रहते तो अब तक दो बच्चे और पैदा कर चुके होते। मेरे पापा के दो भाई ऐसे हैं जो मुझसे भी छोटे हैं।”

    मुझे नहीं पता था मेरे पति की फैमिली में इतना कुछ चल रहा है। कभी जानने की कोशिश ही नहीं की। जब हम दोनों की शादी होने वाली थी तब तो मैंने यह तक नहीं पूछा था कि इसके खुद के कितने भाई-बहन हैं और ना ही मुझे अभी तक पता है। अब पता चल रहा है इसके पिता के तेरह भाई-बहन हैं, इसके ग्रैंडफ़ादर ने खुद तो अपनी मर्ज़ी से पूरी ज़िन्दगी जी ली और ज़िन्दगी के आखिरी पड़ाव में भी कुछ बच्चों को पैदा कर दिया, और मेरी बारी में जहाँ मुझे बस एक ही बच्चा पैदा करना था, एक ऐसे पति को मेरे गले बाँध दिया जो पहले ही किसी और से प्यार करता था।

    “क्या तुम्हारे ग्रैंडफ़ादर की दिमागी हालत ठीक नहीं थी जो उन्होंने बच्चे पैदा करने के मामले में नॉन-स्टॉप परफ़ॉर्मेंस दिया?”

    मैंने यह बात मज़ाक में कही थी। मेरे पति ने हल्की मुस्कराहट के साथ कहा, “नहीं, यह सब कुछ उन्होंने बस एक बात को झूठा करने के लिए किया है, जब वे जवान थे और शादी के 3 साल तक उन्हें कोई बच्चा नहीं हुआ था, तब किसी ने कह दिया था कि वे नामर्द हैं। इस बात से उन्हें इतना गुस्सा आ गया कि फिर मेरी दादी के साथ मिलकर तब तक बच्चे पैदा करते रहे जब तक दादी इस दुनिया को अलविदा नहीं कहकर चली गईं। ओह, लड़के किसी बात को प्रूफ़ करने के लिए किस हद तक चले जाते हैं।”

    क्या हुआ अगर मैं भी अपने पति को ऐसा ही कुछ कह दूँ या फिर किसी से कहलवा दूँ? तो फिर वह भी मेरे साथ मिलकर इसी तरह से बच्चों की लाइन लगा देगा? नहीं-नहीं, मुझे लाइन नहीं चाहिए, मुझे बस एक बच्चा चाहिए।

    हम दोनों बातें कर ही रहे थे तभी पीछे से किसी की आवाज़ आई, “क्या बात है भाई, आप तो यहाँ पर नाना की ढेर सारी बुराइयाँ कर रहे हैं, वह भी अपनी नई वाइफ़ के साथ...”

    मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मेरी आँखों के सामने एक कैज़ुअल ड्रेस पहने कोई 24-25 साल का लड़का था। उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह अभी-अभी उठकर आया है। उसके हाथ में ड्रिंक थी और वह सुबह के 10:30 बजे ही नशे में धुत होने जैसे हालत में था।

    मेरे पति पीछे मुड़कर देखा और फिर कहा, “ओह, आशीष, तुम्हें कितनी बार कहा है दिन में ड्रिंक मत किया करो, तुम बुआ के सबसे बड़े बेटे हो, तो यह सब करते हुए अच्छे नहीं लगते हो...”

    उसने अपनी आँखें बड़ा करते हुए कहा, “मैं सुबह ही यूरोप से आया हूँ, इतना थका हुआ था कि शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं थी, लेकिन जब मुझे पता चला तुम अपनी पत्नी के साथ आ रहे हो तो मैंने थोड़ी सी ड्रिंक कर ली ताकि मेरे शरीर में जान आए और मुझे नींद भी ना आए। मुझे देखना तो था तुम्हारी पत्नी कैसी है।”

    यह कहकर वह मेरी तरफ़ देखने लगा और उसकी आँखें मुझे भूखी दरीदें भरी नज़रों से देख रही थीं। वह मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक ऐसे स्कैन कर रहा था जैसे मेरे कपड़ों के पार की चीज़ भी उसे दिखाई दे रही हो। खासकर मेरे सीने को और मेरी बेक को।

    मेरा पति उसके सामने गया और उसे हल्का सा धक्का लगाते हुए, “ठीक है, मैं तुम्हारी एक्साइटमेंट समझ सकता हूँ, अगर तुम्हें मेरी पत्नी को देखने का इतना ही शौक था, तो मेरी शादी में क्यों नहीं आए...?

    मुझे लगा था मेरा पति उससे लड़ने जाएगा क्योंकि वह मुझे अजीब नज़रों से देख रहा था, मगर शायद लड़कों का पता नहीं चलता कौन सा लड़का किसी लड़की को अजीब नज़रों से देख रहा है जबकि लड़कियाँ इस मामले में तेज होती हैं।

    उसने नॉर्मल अंदाज़ में जवाब दिया, “आप जानते ही हैं यूरोप में मैं तीन कंपनियों को संभालने में बिज़ी हूँ, इस वजह से मेरा शेड्यूल इतना टाइट है कि मैं चाहकर भी कुछ चीज़ों के लिए टाइम नहीं निकाल पाता।”

    मेरा पति उससे अलग हुआ और फिर मेरी तरफ़ इशारा करते हुए, “यह लो, मिल लो मेरी पत्नी से, आशीष!”

    मेरे पति के कज़िन, आशीष के मुँह से सच में लार टपक रही थी। अगर मैं उसकी बीवी होती तो शायद वो यही‌ पार्क में शुरू हो‌ जाता।

  • 13. Wife With Benefits - Chapter 13

    Words: 1719

    Estimated Reading Time: 11 min

    आशीष मेरे पास आया और फिर मिलने के बहाने मेरे गले लग गया। मुझे उसके मुंह से शराब की बदबू आ रही थी। उसके हाथ मेरी पीठ पर ऐसे फिर रहे थे जैसे वह मेरा पति हो। मैंने उसे खुद से अलग करने की कोशिश की, मगर पहली बार में वह अलग नहीं हुआ, जबकि दूसरी बार जोर लगाने की वजह से वह खुद ही पीछे हो गया।

    मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था। वह मेरे पति के पास गया और उसके कान में जाकर कहा, “भाई, मानना पड़ेगा, तुम्हारी बीवी तो बहुत खूबसूरत है।”

    मेरे पति ने यह सुनकर बस एक मुस्कराहट दी। फिर वह दोनों ही यहां से दूर चले गए और मैंने चैन की साँस ली। मैंने ठंडे गिलास का पानी पिया। इस आशीष के साथ मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। ऐसे में जितना मैं आशीष से दूर रहूँ, उतना ही मेरे लिए अच्छा है।

    थोड़ी देर बाद मेरा पति आयरा से मिलने के लिए चला गया। जाने से पहले उसने बहाना बना लिया था कि उसे किसी जरूरी मीटिंग की वजह से जाना पड़ रहा है। किसी को भी यह अजीब नहीं लगा, मगर आशीष के मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था। वो मेरे पति को शक की निगाहों से देख रही थी। जब मेरा पति चला गया था, तब उसने शायद उसके जाने के बाद किसी को कॉल भी किया था।

    उस कॉल के बाद उसके चेहरे पर एक बुरी मुस्कराहट थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह मन ही मन कह रहा हो, “वाह मेरे भाई! तुमने तो मुझे एक अच्छा-खासा मौका दे दिया, तुम्हारी बीवी के साथ रोमांस करने का।”

    कुछ देर बाद शालिनी आंटी मेरे पास आ गई और वह मुझे अपने साथ किचन में ले गई, यह कहते हुए, “चलो आओ बहू रानी, देखें तुम्हारे हाथों में कितना स्वाद है... आजकल की लड़कियाँ अच्छा खाना बनाना नहीं जानती हैं, मगर मुझे पता है तुम ऐसी नहीं हो...”

    यानी कि सावधान! अगर मैंने अच्छा खाना नहीं बनाया तो उसने मेरी बुराई पहले ही कर दी, क्योंकि फिर मैं उन लड़कियों में आ जाऊँगी जिन्हें आजकल के टाइम में अच्छा खाना बनाना नहीं आता।

    किचन में जाते ही उन्होंने ढेर सारे बर्तन मेरे आगे रख दिए और फिर मुझे अकेला ही वहाँ पर छोड़कर चली गई। मैंने गहरी साँस ली और अपने खुले बालों को बांधकर पोनीटेल बना ली। फिर मैंने ब्रेड केक बनाने का फैसला किया और अपने इस काम में लग गई।

    कुछ देर बाद शालिनी आंटी वापस आई तो उसके साथ आशीष भी था। शालिनी आंटी ने एक लंबी गहरी साँस ली और केक की खुशबू को महसूस करते हुए कहा, “यह काफी अच्छा लग रहा है, तुम्हारे हाथों में तो सच में जादू है।”

    वहीं आशीष ने कहा, “माँ, सच में, भाभी के हाथ में सच में जादू है, देखना जब आप इन्हें केक को पलटते हुए देखेंगे तो आपको ऐसा लगेगा जैसे कोई स्वर्ग की अप्सरा केक को पलट रही है।”

    यह सुनकर शालिनी आंटी बड़े-बड़े दांत निकालकर हँसने लगी। वह अपने हाथों को झटकते हुए बोली, “मेरा बेटा कितना मजाकिया है!” आशीष ने कहा केक को पलटते हुए देखना? क्या वह मुझे स्टॉक कर रहा था जो उसे यह बात पता थी।

    मेरा मन कर रहा था मैं शालिनी आंटी को कहूं, आपका बेटा मजाकिया नहीं है शालिनी आंटी, बल्कि वह एक नंबर का ठरकी है। थोड़ी ही देर बाद मैंने केक बनाकर तैयार कर लिया था और कुछ और चीजें भी बन गई थीं जो शालिनी आंटी ने बनाई थीं। इस दौरान आशीष किचन में ही रहा और मुझे ही घूरता रहा।

    सब बनने के बाद शालिनी आंटी ने कहा, “चलो सब बाहर लेकर चलते हैं। तुम्हारे ससुराल वाले भी आने ही वाले होंगे। तुम्हारे पति को तो आज के दिन भी फुरसत नहीं, वरना वो अपने घर वालों से मिलने का मौका कैसे छोड़ सकता था।”

    मैंने अपने चेहरे पर एक मुस्कराहट दी और जवाब दिया, “आप फिक्र मत कीजिए आंटी, वे शाम से पहले वापस आ जाएँगे। उनका काम काफी जरूरी था इसलिए उन्हें जाना पड़ा।”

    मेरी यह कहने पर आशीष ऐसे हँस रहा था जैसे वह मेरा मजाक बना रहा हो। हम बाहर आ गए और थोड़ी देर बाद ही मेरे ससुराल वाले आ गए। विजय सिंह शेखावत और उनकी पत्नी अर्चना शेखावत। मेरे पति के अमीर माँ-बाप, जिनके पास मेरे डैड से भी दोगुनी प्रॉपर्टी है। इनका कारोबार बड़ी फैमिली होने की वजह से काफी जगह पर फैला हुआ है, यहाँ तक कि यूरोप में भी जहाँ पर आशीष काम करता है।

    मैंने दोनों का आशीर्वाद लिया। विजय सिंह शेखावत ने मेरे सर पर हाथ रखते हुए कहा, “जीते रहो बेटी, तुम तो पहले से भी ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। मेरा बेटा तुम्हें खुश रखता है या फिर नहीं, अगर वह तुम्हें परेशान करे तो बता देना।”

    उन्होंने मुझे प्यार से कहा था। यही बात अर्चना आंटी ने भी मुझसे कही, “हाँ, मेरा बेटा एक नंबर का निकम्मा है, उसे काम के अलावा और कुछ भी नहीं सुझता है। देखा नहीं आज भी वह कैसे यहाँ से भाग गया। अगर वह तुम्हारे साथ भी ऐसा करे तो जरूर बताना, फिर हम उसे डाँट लगायेंगे।”

    आशीष जो दूर खड़ा था, वह बोला, “क्या आप लोग एक नई बात सुन रहे हैं? आज संडे है, और संडे के दिन ऑफिस में छुट्टी होती है। मुझे समझ में नहीं आ रहा आज के दिन ऐसी कौन सी मीटिंग है जो अद्विक भाई करने गए है। मुझे तो ऐसा लग रहा है जैसे वह किसी लड़की से मिलने गया है, वह भी मेरी भाभी को धोखा देकर...” अद्विक मेरे पति का नाम है, मगर मैंने कभी यह नाम नहीं लिया, मैं हमेशा उसे ‘मेरा पति’ ही कहती हूँ।

    आशीष के यह कहने पर सब उसे घूर कर देखने लगे, जैसे उसने एक बहुत बड़ा बम फोड़ दिया हो। माहौल काफी गर्म हो गया था क्योंकि सब उसे गुस्से से ही देख रहे थे।

    इससे पहले कि हालात और बिगड़ते, मैंने बीच में आकर चीजों को संभालने की कोशिश की, “नहीं, ऐसा कुछ भी नहीं है, वह किसी जरूरी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं, इसलिए संडे को भी उन्हें मीटिंग पर जाना पड़ा।”

    मैंने यह कहा तो माहौल फिर से थोड़ा शांत हुआ। मैं सबको खाना परोसने लगी। कुछ खाना परोसने के बाद मुझे किचन में और खाना लेने के लिए जाना पड़ा, जहाँ आशीष भी मेरे पीछे-पीछे आ गया।

    किचन में आते ही उसने मेरे हाथ को पकड़ा और अपने चेहरे को मेरे काफी करीब कर लिया। मैंने उसे गुस्से से धक्का दिया और कहा, “यह क्या बदतमीज़ी कर रहे हो...?”

    वह बोला, “मैं बदतमीज़ी नहीं कर रहा भाभी, मैं बस बताने आया हूँ आपका पति इस वक्त क्या कर रहा है, वह आपको धोखा दे रहा है। इस वक्त वह अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड से मिलने गया है जिसका नाम आयरा है।”

    शायद उसे नहीं पता था कि मैं यह बात पहले से ही जानती हूँ। मैंने अपने चेहरे के गुस्से को कम नहीं किया और कहा, “वो चाहे कहीं भी जाऊँ, किसी से भी मिले, इससे तुम्हें कोई मतलब नहीं है। और हाँ, अगर वह मुझे धोखा दे रहा है या फिर नहीं दे रहा है... यह हमारा पर्सनल मैटर है, तो तुम इसमें अपनी नाक मत घुसाओ।”

    यह सुनकर उसके भी तेवर बदल गए। शायद उसे इस बात की उम्मीद नहीं थी, मैं ऐसा कोई जवाब दूंगी। वह फिर से मेरे करीब आ गया, “तुम दोनों के बीच आखिर क्या चल रहा है...? तुमने अपने पेरेंट्स को तो बेवकूफ बना लिया, मगर तुम मुझे बेवकूफ नहीं बना पाओगी... बताओ आखिर तुम दोनों में क्या चल रहा है?”

    मैंने उसे फिर से धक्का मारकर दूर किया, “सबसे पहले तुम मुझसे दूर रहो। अगर तुमने एक बार फिर से मेरे करीब आने की कोशिश की तो मैं तुम्हारे घर वालों को यहाँ बुला लूँगी और उन्हें बता दूँगी कि तुम यहाँ पर क्या कर रहे हो।”

    मैं किचन से सामान लेकर जाने लगी तो आशीष पीछे से जोर से बोला, “सच-सच बताओ मेरे भाई ने तुम्हें कितने रुपयों में खरीदा है...? 10 मिलियन? 20 मिलियन? या फिर 50 मिलियन? तभी तुम उसका साथ दे रही हो... मैं तुम्हें उससे भी दुगुना दूँगा... जितना वह तुम्हें पूरी जिंदगी के लिए दे रहा है, उतना मैं तुम्हें मेरे साथ एक रात बिताने के लिए दूँगा!”

    मुझे पहले ही उस पर काफी गुस्सा आ रहा था, मगर यह सुनकर मेरे गुस्से की सारी सीमा टूट चुकी थी। मैंने खाना टेबल पर रखा और पीछे जाकर जोर से उसके मुँह पर थप्पड़ मारा। इतनी जोर से कि उसका गाल लाल हो गया। उसका चेहरा दूसरी तरफ घूम गया था। हां मैं बहुत मतलबी थी। पैसों के मामले में किसी भी हद तक जा सकती थी। लेकिन मैं इतनी भी बेवकूफ नहीं थी कि पैसों के लिए कुछ भी करूं।

    उसने अपने मुँह पर हाथ रखा और मेरी तरफ घूमकर बोला, “तुम्हें यह बहुत महँगा पड़ेगा आशिकी... तुम्हारी हरकत के लिए मैं तुम्हें और तुम्हारे पति दोनों को बर्बाद कर दूँगा... तुम जानती नहीं हो मेरी पहुँच कहाँ तक है और मैं क्या-क्या कर सकता हूँ...? तुम्हारे पति के पास सिर्फ़ एक ही कंपनी है, जबकि मैं तीन कंपनियाँ संभालता हूँ और उससे तीन गुना ज़्यादा कमाता हूँ...”

    क्या वह मुझे धमकी दे रहा था? मुझे बर्बाद करने की धमकी दे रहा था? आखिर किस मामले में वह मुझे बर्बाद करेगा? मेरे बिज़नेस के मामले में? वह मेरे पति को बर्बाद करने के लिए भी कह रहा है? क्या उसे भी बिज़नेस के मामले में बर्बाद करेगा? मगर उसे नहीं पता था, आई डोंट केयर वह क्या करता है क्या नहीं... लेकिन अगर कोई मेरे बारे में यह सब कुछ सोचेगा तो मैं उसकी जान ले लूँगी।

    मैंने उसे जवाब दिया, “मुझे पैसे पसंद हैं और मैं पैसों के लिए कुछ भी कर सकती हूँ, लेकिन मैं इतनी गिरी हुई नहीं हूँ कि पैसों के लिए किसी के साथ सोने को तैयार हो जाऊँ... और तुम मुझे या मेरे पति को बर्बाद करो या नहीं... लेकिन अगर तुमने दोबारा मेरे रास्ते में आने की कोशिश की तो मैं तुम्हें जरूर बर्बाद कर दूँगी।”

    यह कहकर मैंने खाना उठाया और किचन से बाहर चली गई। मुझे नहीं पता था मैंने सही किया या फिर नहीं। शायद मुझे यहाँ पर आना ही नहीं चाहिए था। मेरे आने की वजह से बेवजह मेरे पति और उसके कज़िन के बीच दुश्मनी पैदा हो गई और वह भी ऐसी दुश्मनी, जिसमें आशीष सब कुछ बर्बाद करने पर तुला हुआ था।

  • 14. Wife With Benefits - Chapter 14

    Words: 1545

    Estimated Reading Time: 10 min

    मेरे पति की बुआ के घर मैंने एक बहुत बड़ी आफ़त खड़ी कर दी थी और वह आफ़त आशीष के रूप में थी। उसकी नज़रें मेरे ऊपर ठीक नहीं थीं और अब वह मुझसे दुश्मनी भी पाल बैठा था, जिसका नतीजा अच्छा नहीं रहने वाला था। मगर यह इकलौती मुसीबत नहीं थी जो हमारे ऊपर आने वाली थी, बल्कि मेरा पति भी एक और मुसीबत को तैयार कर रहा था।

    वह आयरा से मिलने के लिए अस्पताल गया था। हॉस्पिटल की सारी ज़रूरी फ़ॉर्मेलिटी करने के बाद वह दोनों लंच के लिए बाहर एक रेस्टोरेंट में आ गए थे।

    मेरे पति ने आयरा से कहा, “शुक्र है तुम्हारी माँ अब ठीक है, तुम्हें अब खाना खा लेना चाहिए। तुम्हारे भाई ने मुझे बताया तुमने कल से कुछ भी नहीं खाया है।”

    यह कहकर उसने खाने में काफी सारी चीज़ें ऑर्डर कर दीं। आयरा ने मेरे पति के दोनों हाथों को अपने हाथों में पकड़ा, “बेबी, तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया, मुझे समझ में नहीं आ रहा तुम्हारा यह एहसान मैं कैसे चुकाऊँगी? मेरे पास कोई भी नौकरी नहीं है। आज तुम्हारे जितने भी रुपये खर्च हुए हैं, मैं एक अच्छी नौकरी लगते ही तुम्हें लौटा दूँगी।”

    मेरे पति ने उसके हाथों को कसकर पकड़कर बोला, “मेरे साथ ऐसी बकवास मत करो, मैं तुम्हें कितनी बार कह चुका हूँ मेरे सारे पैसे तुम्हारे ही हैं। तुम्हारी माँ के इलाज के लिए अगर मुझे अपनी सारी ज़मीन ज़ायदाद भी लगानी पड़े तो मैं वह भी लगा दूँगा।”

    आयरा ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, “अद्विक, मैं ज़िन्दगी भर तुम पर डिपेंड नहीं रह सकती हूँ। आई प्रॉमिस, जल्दी ही यहाँ पर नौकरी ढूँढ लूँगी ताकि तुम्हें मुझ पर और खर्च न करना पड़े और तुम्हारे पैसे भी चुका दूँगी। मुझे तुम पर किसी भी तरह का बोझ नहीं बनना है।”

    जो हाथ आयरा ने पीछे खींच लिए थे, मेरे पति ने दोबारा उन्हें अपने हाथों में लिया और उन्हें करीब करके कहा, “तुम कभी भी मुझ पर बोझ नहीं हो और ना ही कभी बनोगी।” फिर उसने उसके दोनों कंधों पर हाथ रखा और उसे हौसला दिया।

    मेरा पति इस वक़्त यही सोच रहा था कि यार, ये कितनी अच्छी लड़की है जो एक बॉयफ़्रेंड के सारे पैसे देने के बावजूद भी उसके पैसे इस्तेमाल नहीं करना चाहती है। ऐसी लड़की को कोई कैसे मना कर सकता है? उसके माँ-बाप पता नहीं इस मामले में उसकी क्यों नहीं सुनते, क्योंकि ऐसी लड़की हज़ारों में एक नहीं, बल्कि करोड़ों में एक होती है।

    इसके बाद दोनों में काफी देर तक बातचीत हुई। फिर आयरा ने कहा, “मैंने कुछ जगहों पर अप्लाई किया था, कल मेरे कुछ इंटरव्यू हैं तो मैं वहाँ पर जाऊँगी। देखती हूँ वह मुझे जॉब पर रखते हैं या फिर नहीं?”

    इसके बाद दोनों ने मिलकर खाना खाया और दोपहर को वे एक साथ मूवी देखने के लिए चले गए। फिर वे पार्क में एक साथ बैठकर बातें करने लगे जहाँ वे काफी खुशी के साथ बातें कर रहे थे, मगर मेरे पति को एक दुख अंदर से खा रहा था।

    वह इस बात को लेकर असमंजस में था कि क्या उसे अपनी शादी के बारे में बात करनी चाहिए। क्योंकि अगर उसने शादी के बारे में नहीं बताया तो वह खुद को...

    मेरे पति ने गहरी साँस ली और फिर आयरा की तरफ़ देखते हुए कहा, “आयरा सुनो, मुझे तुमसे कोई ज़रूरी बात करनी है... मुझे समझ में नहीं आ रहा मैं तुमसे कैसे कहूँ, लेकिन मैं कहे बिना भी रह नहीं सकता हूँ।”

    आयरा मेरे पति की तरफ़ हैरानी से देखने लगी, “अद्विक, तुम क्या ज़रूरी बात करना चाहते हो? और ज़रूरी बात करने के लिए तुम्हें मेरी इजाज़त कब से लेनी पड़ गई? तुम्हें जो भी बात करनी है, तुम करो।”

    मेरे पति को समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपनी बात को आगे बढ़ाएँ। उसने अपनी हिम्मत को इकट्ठा किया और फिर एक ही साथ में सब कुछ बता दिया। वह बोला, “मुझे शादी करनी पड़ी क्योंकि मैं मजबूर था। मेरे ग्रैंडफ़ादर की तबीयत काफी ख़राब हो गई थी और उनकी बस एक ही इच्छा थी कि मैं उस लड़की से शादी कर लूँ, जिससे वे शादी करने के लिए कह रहे थे। तो इस वक़्त मैं एक शादीशुदा शख़्स हूँ।”

    उसने अपनी गर्लफ़्रेंड को सच्चाई बता दी। उसने आयरा को बता दिया कि वह शादीशुदा है। यह बात आयरा के लिए किसी झटके से कम नहीं थी। वह एकटक मेरे पति को देखे जा रही थी। काफी देर तक सन्नाटा छाया रहा। उसका मुँह तक नहीं खुल रहा था। मेरा पति चुप रहा।

    मेरे पति ने उसकी तरफ़ हाथ बढ़ाया और कहा, “मेरी बात समझने की कोशिश करो आयरा...”

    इससे पहले कि मेरा पति आगे कुछ बोल पाता, आयरा बीच में बोली, “तुम फ़िक्र मत करो, मैं ठीक हूँ। तुमने वही किया जो तुम्हारे माता-पिता तुम्हें करने के लिए कह रहे थे। जो तुम्हारी ग्रैंडफादर ने तुम्हें करने के लिए कहा था। इसमें तुम्हारी कोई ग़लती नहीं।” यह कहते-कहते वह रो पड़ी और फिर अचानक से बोली, “आखिर तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? क्या तुमने एक बार भी अपने माता-पिता को समझाने की कोशिश नहीं की? क्या तुमने एक बार भी अपने ग्रैंडफ़ादर को नहीं कहा कि मैं किसी और लड़की से प्यार करता हूँ? तुमने उन्हें नहीं बताया कि हम दोनों एक-दूसरे के बिना जी नहीं सकते हैं?”

    अब जाकर वह अपना गुस्सा निकाल रही थी, जबकि पहले तो उसने किसी तरह से खुद पर कंट्रोल रखा हुआ था। मेरे पति ने अपने चेहरे को नीचे की तरफ़ कर लिया और फिर थोड़ी देर नीचे करने के बाद उसने दोबारा आयरा की तरफ़ देखा और कहा, “मेरे ग्रैंडफ़ादर अभी भी अस्पताल में हैं, डॉक्टर ने कहा है वे बड़ी मुश्किल से 1 साल तक और जी सकते हैं, तो हम उन्हें दुखी नहीं कर सकते। इसलिए जब उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हें शादी करनी होगी, वह भी उनकी बताई हुई लड़की से, तो मैं मना नहीं कर सका। मेरे ग्रैंडफ़ादर ने आज से पहले मुझसे कुछ नहीं माँगा, यह पहली चीज़ थी जो उन्होंने मुझसे माँगी थी।”

    आयरा अपनी जगह से खड़ी हुई और जाने लगी, मगर मेरे पति ने उसका हाथ पकड़कर उसे रोक लिया, “मैंने अपनी पत्नी को बता दिया है कि मैं किसी और लड़की से प्यार करता हूँ। हम दोनों के बीच में यह समझौता हुआ है कि हम मेरे ग्रैंडफ़ादर के ज़िंदा रहने तक एक साथ रहेंगे और फिर अलग हो जाएँगे। उसे इससे कोई ऐतराज़ नहीं है। फिर हम दोनों शादी कर लेंगे।”

    आयरा अपनी जगह पर रुकी रही और फिर पीछे मुड़कर अद्विक से पूछा, “और तुम्हें क्या लगता है तुम्हारी पत्नी इतनी आसानी से मान जाएगी? कोई पत्नी ऐसा नहीं चाहेगी कि वह शादी के 1 साल बाद बस ऐसे ही तलाक ले ले? मुझे नहीं पता तुमने उससे क्या बातें की हैं, लेकिन तुम जो बता रहे हो वह बस फिल्मों और सीरियल्स में होता है, रियल लाइफ़ में नहीं।”

    मेरा पति उसके पास आया और उसके दोनों कंधों पर हाथ रखकर उसे गले से लगा लिया, “तुम फ़िक्र मत करो। हम दोनों ने आपस में सब कुछ डिसाइड कर लिया है। वह खुद इसमें मेरी हेल्प करेगी।”

    ऐसा लग रहा था जैसे आयरा को गले लगाने की वजह से वह सहज महसूस कर रही थी, मगर अपनी पत्नी के साथ हुई इतनी सारी बातों से उसके मन में एक और शक पैदा हो गया था। क्या उसके संबंध अपनी पत्नी के साथ अच्छे हैं?

    वह अलग हुई और पूछा, “क्या तुम अपनी पत्नी से प्यार करते हो?”

    मेरे पति ने तुरंत जवाब दिया, “ऐसा कुछ भी नहीं है आयरा, बेबी, मेरे लिए जो भी है, तुम हो। वह बस मेरे लिए एक अनजान है जिसके साथ मुझे कुछ दिनों के लिए रहना है, इसके अलावा और कुछ भी नहीं।” मेरे पति साफ़-साफ़ झूठ बोल रहा था, मगर एक बार भी उसके माथे पर शिकन नहीं आया था। वह नहीं बता सकता था कि वह अपनी पत्नी के साथ रहता तो है, मगर एक फ़िज़िकल रिलेशन के साथ या फिर नॉर्मल से भी ऊपर की फ़ॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए।

    आयरा ने दोबारा अद्विक को देखा और कहा, “क्या सच में? मुझे तो यकीन नहीं हो रहा, आजकल की दुनिया में यह सब कुछ भी हो जाता है? आखिर किस तरह पत्नी तुम्हारी है जो यह सब कर रही है...”

    मेरे पति ने आयरा को जोर से गले से लगा लिया और इस बात को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा, “तुम इस बारे में कुछ भी मत सोचो। बस यह याद रखना कि इस ज़िन्दगी में और इस पूरी दुनिया में, मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूँ। मेरी ज़िन्दगी में कभी भी कोई भी तुम्हारे अलावा नहीं आएगा।”

    आयरा को यह सुनकर खुश होना चाहिए था, मगर पता नहीं उसके मन में क्या आया, वह तेज़ी से अलग हुई और दौड़ते हुए जाने लगी। मेरे पति ने उसे पीछे से आवाज़ लगाकर उसे रोकने की कोशिश की, “आयरा, रुक जाओ आयरा...”

    मगर आयरा एक भी बात नहीं सुनी। मेरे पति ने तो अपनी तरफ़ से सारी बात करके चीज़ों को सही करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा लग रहा था उसने भी चीज़ों को बिगाड़ दिया है। यही वो मुसीबत थी जो मेरे पति ने तैयार की थी। यहां मेरे पति के कज़िन आशीष से उसके रिश्ते ख़राब हो गए थे, तो उधर मेरे पति ने अपनी गर्लफ़्रेंड से अपने रिलेशन को ख़राब कर लिया था।

  • 15. Wife With Benefits - Chapter 15

    Words: 1626

    Estimated Reading Time: 10 min

    मुझे शालिनी आंटी के यहाँ आए हुए काफी देर हो गई थी। मेरा पति अभी तक नहीं आया था और इस वक़्त तकरीबन रात के 9:00 बज रहे होंगे। सब लोग कई बार मुझसे आकर पूछ चुके थे कि वह कब आएगा? मेरे पास उन्हें बताने के लिए कुछ भी नहीं था। आखिर मैं क्या बताती? प्रोग्राम में शामिल सारे लोग जा चुके थे, बस मेरे पति के पेरेंट्स ही अब यहां थे।

    यह बताती कि वो इस वक़्त अपनी गर्लफ़्रेंड के साथ होगा और ना जाने क्या कुछ कर रहा होगा। क्योंकि मुझे नहीं पता था कि उसने अपनी गर्लफ़्रेंड को सब कुछ बता दिया है और उसके बाद उसे इतना दुःख हुआ कि वह अकेले वक़्त बिताने के लिए काफी दूर चला गया। उसे पार्क में अकेला छोड़ने के बाद वह दुख में दूर चला गया था।

    9:00 के करीब मेरा पति वापस आया। कार पार्क करने के बाद दरवाज़ा खोलकर घर के अंदर पहुँचा। हम सब इस वक़्त डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए थे और अलग-अलग टॉपिक पर बातें कर रहे थे। मैं तो इसमें कुछ भी नहीं बोल रही थी, मगर मेरे पति की बुआ और उनके पेरेंट्स ज़रूर अलग तरह के किस्से सुना रहे थे। वे ग्रैंडफ़ादर की बुराइयाँ कर रहे थे जिन्होंने 13 बच्चे पैदा कर रखे थे।

    जैसे ही मेरा पति आया, उसने अपने पेरेंट्स को देखा तो उसका चेहरा पसीने से भर गया। वह काफी देरी से आया था। कोई भी मीटिंग से कभी भी इतनी देर करके नहीं आता है। वह क्या जवाब देगा इसका? उसके पास कुछ भी नहीं था और इसी वजह से वह डरा हुआ था।

    आशीष ने जैसे ही मेरे पति की तरफ़ देखा, उसके चेहरे पर स्माइल आ गई। वह सभी का ध्यान मेरे पति की तरफ़ करते हुए बोला, “लो, जिसका इंतज़ार था वह आ गया है! पता नहीं कौन सी मीटिंग करके आया है जो इसे आने में इतनी देर हो गई? संडे की मीटिंग और वह भी लेट नाइट तक...?”

    उसे तो बहाना चाहिए था, मेरे पति को किसी कठघरे में खड़े करने का ताकि वह सबके सामने उसे शर्मिंदा कर सके और अपना बदला ले सके।

    मेरा पति पास पहुँचा तो उसके ससुर विजय शेखावत खड़े हुए और पूछा, “बेटा, आखिर क्या बात है? कौन सी मीटिंग में थे जो आज तुम्हें आने में इतनी देरी हो गई? तुम्हें पता है तुम्हारी पत्नी तुम्हारे इंतज़ार में दो बार खाना बना चुकी है...? चलो अब जल्दी आ जाओ, खाना खाते हैं क्योंकि हम सभी तुम्हारा इंतज़ार कर रहे थे।”

    इस बात ने एक बार के लिए आशीष की बात को फ़ीका कर दिया। सब भूख से तड़प रहे थे, और उन्हें बस खाना खाना था। मैंने जल्दी से डाइनिंग टेबल को सजाना शुरू कर दिया। वहाँ पर अलग-अलग तरह के खाने रख दिए। मेरा पति फ़्रेश होने गया था। मैं उसे बुलाने गई तो वह परेशान सामने आईने की तरफ़ देख रहा था।

    मैं उसके पास पहुँची और पूछा, “क्या हुआ? सब ठीक है ना? तुम काफी परेशान लग रहे हो?”

    उसने मेरी तरफ़ देखा और फिर एक ही झटके में आज के दिन की सारी बातें बता दीं। उसने बताया कैसे आयरा को उसने सच्चाई बताई और उसने क्या रिएक्शन दिया। उसने तो अपनी सारी बातें बता दी थीं, मगर मुझे नहीं पता था कि मैं आशीष के बारे में बता सकती हुं।

    शायद मुझे इस बात को छिपाना ही सही लगा क्योंकि मैं बता दूँगी तो यह दो भाइयों के बीच में आपसी रंजिश पैदा कर देगा। आशीष तो पहले से ही दुश्मनी के पत्ते खोलकर बैठा है, मगर मैं नहीं चाहती थी कि मेरा पति भी उसके ख़िलाफ़ हथियार खोलकर बैठ जाए।

    थोड़ी ही देर बाद सब डाइनिंग टेबल के चारों तरफ़ बैठे थे और मेरे हाथों का बनाया हुआ अलग-अलग खाना टेस्ट कर रहे थे। सभी मेरे खाने की तारीफ़ कर रहे थे और मुझे “अच्छी बहू, अच्छी बहू” कहकर मुझे चैन की साँस लेने नहीं दे रहे थे।

    तभी आशीष ने मेरे पति की तरफ़ देखा और कहा, “भाई, तुम्हें नहीं लगता अगर बीवी इतनी ख़ूबसूरत हो तो उसे इतनी देर तक अकेला नहीं छोड़ते? अगर तुम्हारे पीछे कोई तुम्हारी बीवी को ले जाता तो?”

    आशीष की बातें... मुझे नहीं पता, हमेशा से ही ऐसी होती हैं या फिर वह अभी ही ऐसी बातें करने लगा है। क्योंकि उसकी बातें सुनने पर सब उसकी तरफ़ देखते तो थे, मगर उसे पर कोई ख़ास रिएक्शन नहीं देते थे। वे उसकी बात को एक नॉर्मल बात का हिस्सा मानते थे।

    मेरे पति के पास इसका कोई जवाब नहीं था। उसने कुछ देर तक सोचा और फिर कहा, “काम काफी ज़रूरी था तो मैं आ नहीं पाया, वरना मैं इसे कभी भी इतनी देर अकेला नहीं छोड़ता।”

    यह सुनकर मैंने सबके बीच में अपने चेहरे पर एक मुस्कराहट दे दी। मेरा पति अब और क्या कहता? यह कहने से तो रहा नहीं कि मैं इसे 1 साल बाद छोड़ दुगा। अगर तब कोई इसे लेकर जाना चाहता हैं तो लेकर चले जाएँ। यहां तक की वो‌ भी। पर शायद कोई भाई ऐसा नहीं चाहेगा कि उसके तलाक़ के बाद उसकी पत्नी उसके भाई के पास जाकर बैठ जाए।

    तभी शालिनी बुआ ने सबके बीच में कहा, “अद्विक , तुम अपने भाई के लिए भी कोई अच्छी सी बीवी ढूँढो, कब तक यह अकेला इस दुनिया में घूमता रहेगा? मुझे आशिकी जैसी ही सुन्दर और समझदार बहू चाहिए जो अच्छा खाना बनाना भी जाने।”

    मैं और मेरे पति दोनों ने एक-दूसरे की तरफ़ देखा। फिर हमने एक-दूसरे को मुस्कराहट दी। मेरे पति ने सबके बीच में कहा, “आशिकी, क्या तुम्हारी नज़र में कोई तुम्हारी फ़्रेंड है जो मेरे भाई के लिए फ़िट बैठे?”

    माहौल काफी खुशनुमा था, मगर ऐसा लग रहा था जैसे आशीष को यह खुशनुमा माहौल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसने सबके बीच में कह दिया, “मगर भाई, क्या होगा अगर मैं कहूँ मुझे आशिकी ही चाहिए?”

    अब ऐसा लग रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा बम फूट गया हो। अब तक तो सब उसकी बातों को सुनकर नज़रअंदाज़ कर रहे थे और नॉर्मल रिएक्ट कर रहे थे, मगर इस बात पर सबके चेहरे बदल गए। जो भी लोग डाइनिंग टेबल पर मौजूद थे, उनकी आँखें आशीष की तरफ़ टिक चुकी थीं।

    विजय शेखावत ने घर के छोटे बच्चों की तरफ़ देखा और फिर उन्हें वहाँ से जाने के लिए कहा। आशीष ने अपनी लिमिट क्रॉस कर दी थी और इसका गुस्सा विजय शेखावत के चेहरे पर दिख रहा था।

    उनके जाने के बाद विजय शेखावत ने आशीष की तरफ़ देखा। शालिनी ने आशीष से सख़्त लहजे में पूछा, “आखिर क्या बकवास है? तुम इस तरह की बात कैसे कह सकते हो? तुम्हें पता है ना व़ो तुम्हारे भाई की बीवी है?”

    विजय शेखावत ने तुरंत बाद शालिनी से कहा, “लगता है तुम्हारा बेटा होश में नहीं है? तभी वह मेरी बहू के बारे में इस तरह की सोच रख सकता है। समझाओं इसे शालिनी, वरना तुम भूल जाना कि तुम्हारा कोई विजय शेखावत नाम का भाई भी है।”

    शालिनी आंटी खुद को शर्मिंदगी से भरा हुआ महसूस कर रही थीं। आशीष आधे से ज़्यादा वक़्त नशे में ही रहता था और ऐसा लग रहा था इस वक़्त भी वह नशे में था। यह नशा किसी तरह के ड्रग्स का होगा। वरना परिवार के बीच में कोई इस तरह की बात कैसे कर सकता है? चाहे उसे किसी पर कितना भी क्रश क्यों ना हो या फिर वह किसी के लिए कितनी भी ठरक भरी नज़र क्यों ना रखता हो।

    अचानक आशीष अपनी जगह पर खड़ा हुआ और बिना किसी शर्मिंदगी के बोला, “अरे, मैं तो इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि इन दोनों को थोड़े वक़्त में तलाक़ लेना ही है, जब तलाक़ हो जाएगा तो आशिकी अकेली थोड़ी ना रहेगी? मैं इससे शादी कर लूँगा।”

    हम दोनों के चेहरों पर पसीना आ गया क्योंकि तलाक़ की बात हम दोनों के बीच में थी, लेकिन यह आशीष तक कैसे पहुँची? क्या वो हवा में ही तीर मार रहा है या फिर बस उसका दिमाग़ ख़राब है।

    विजय शेखावत अपनी जगह पर खड़े हुए और किसी टीवी सीरियल ड्रामा की तरह जोर से टेबल पर हाथ पटकते हुए बोले, “शालिनी, इसका मुँह बंद करवा दो, वरना तुम समझती हो मेरे साथ बदतमीज़ी करने का क्या नतीजा होता है? इसके बाद मैं इसके मुँह से एक शब्द भी नहीं सुनूँगा।”

    शालिनी ने आशीष की तरफ़ देखी और उसे समझाने की कोशिश करते हुए बोली, “बेटा, आखिर तुम्हें क्या हो गया है? शादी कोई मज़ाक नहीं होती है? इस तरह से कोई तलाक़ नहीं लेता है।”

    आशीष ने गुस्से से मेरे पति की तरफ़ देखा और कहा, “अगर शादी एक मज़ाक नहीं होती है तो पूछो इससे... यह सारा दिन कहाँ पर था? इसके जाने के बाद मैंने इसकी मैनेजर को कॉल किया था, जिसने बताया आज कोई मीटिंग नहीं है। पूरा का पूरा शेड्यूल खाली है।” अब सब मेरे पति की तरफ़ देखने लगे थे। आशीष ने आगे कहा, “जब मुझे पता चला तब मैंने अपने एक आदमी को इसके पीछे भेजा, और पता है यह कहाँ पर था? यह अपनी पुरानी गर्लफ़्रेंड के पास था... अपनी पुरानी गर्लफ़्रेंड आयरा के साथ और यह उसके गले लग रहा था... वहाँ इसने अपनी गर्लफ़्रेंड को कहा कि वह अपनी पत्नी को 1 साल बाद तलाक़ दे देगा....”

    शीट!! यह कुछ ज़्यादा ही हो गया था। एक बहुत बड़ा ड्रामा जो नहीं होना चाहिए था। आशीष ने कई सारी मुसीबतों को एक साथ लाकर खड़ा कर दिया था, जबकि उसने तो सही मौक़े का इंतज़ार भी नहीं किया। आशीष के मामले में एक बात तो साफ़ थी, वह अपनी चीज़ों के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। उसने सुबह मुझसे कहा था कि वह मुझे और मेरे पति को बर्बाद करेगा। मगर कुछ ऐसी सीमाएँ होती हैं जिन्हें हमें कभी पार नहीं करना चाहिए। शायद आशीष को इससे कोई मतलब नहीं था। वह एक सनकी था।

  • 16. Wife With Benefits - Chapter 16

    Words: 1725

    Estimated Reading Time: 11 min

    माहौल काफी गर्म हो चुका था। शायद मेरा पति इस मामले में सही था कि उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था। हालांकि शालिनी आंटी ने कुछ बुरा नहीं किया था, लेकिन उनके बेटे का व्यवहार बेहद गलत था। उसने एक नया बम फोड़ा था, और अब इस बम का असर होने वाला था।

    शालिनी आंटी खड़ी हुईं और ताने मारने वाले अंदाज में बोलीं, “ओह माय गॉड! यह मैं क्या सुन रही हूँ? क्या शादी के बाद भी इस आदमी का चक्कर कहीं और चल रहा है? क्या इसे शर्म नहीं आती यह सब करते हुए?”

    उन्होंने एक बार भी यह नहीं सोचा कि उनका बेटा क्या कर रहा है? क्या मैं शालिनी आंटी को बता दूँ कि सुबह किचन में उनके बेटे ने मेरे साथ क्या करने की कोशिश की थी? अगर मैं उसे धमकी नहीं देती, तो वह मेरा रेप तक कर डालता, और यह है की मेरे पति के बारे में इतना कुछ कह रही हैं।

    शालिनी आंटी ने दोबारा मेरे पति की तरफ देखा और कहा, “बताओ, आशीष ने जो भी कहा है, क्या वह सच कहा है?”

    विजय शेखावत ने भी अपने बेटे की तरफ देखा और कहा, “ तुम्हारे मुँह में अब ज़ुबान नहीं है क्या? बताओ, आशीष ने जो भी कहा है वह सच है?”

    तभी अर्चना शेखावत बोलीं, “बोलो बेटा, बोलो, कह दो कि यह सब झूठ है। मुझे पूरा यकीन है मेरा बेटा ऐसा नहीं कर सकता। वह शादी के बाद अपनी पत्नी को धोखा नहीं दे सकता।”

    मेरा पति, ऐसे हालातों में बोलने में बिल्कुल भी माहिर नहीं था। जब भी ऐसे हालात पैदा होते थे, वह खामोश हो जाता था। कुछ देर ख़ामोश रहने के बाद उसने सबकी तरफ देखा और फिर अपने पेरेंट्स की तरफ देखते हुए बोला, “मुझे नहीं लगता यह इन सब के बारे में बात करने की सही जगह है। यह हमारा फैमिली मैटर है, हमें घर जाकर इस मामले पर बात करनी चाहिए, ना कि यहां सबके सामने।”

    हाँ, उसका यह कहना भी ठीक था। सबने कुछ देर रुक कर सबको अलविदा कहा, और फिर मैं और मेरा पति एक कार में बैठकर विजय शेखावत और अर्चना शेखावत के पीछे-पीछे चल दिए। मैंने उससे कार में बात करने की कोशिश की, लेकिन उसने किसी भी बात का जवाब नहीं दिया। वह बस खामोशी से चला ही जा रहा था। जैसे आज उसने कुछ बड़ा करने की ठान ली हो।

    कुछ ही देर में हम मेरे पति के पेरेंट्स के घर पर थे। घर काफी बड़ा था, मगर माहौल इतना तनावपूर्ण था कि बड़े घर पर भी ध्यान नहीं जा रहा था। विजय शेखावत अपने बेटे के पास आए और जोर से एक थप्पड़ उसके चेहरे पर मार दिया।

    मेरे पति की खामोशी इस बात की पुष्टि करती थी कि उसका चक्कर सच में किसी और लड़की के साथ चल रहा है, और यह सब करके वह मुझे धोखा दे रहा है। मैं तो इस बात को समझ गई थी, और मैं ही वही पत्नी थी जिसे मेरे पति ने "wife with benefits" का नाम दिया था। मगर अब उसके घर वाले थोड़ी ना समझने वाले थे। अब उनके घर वालों को क्या पता यह "wife with benefits" रिलेशन क्या है, और हम कैसे एक साल तक अपनी ज़िंदगी में इसे रिलेशनशिप को रखेंगे।

    विजय ने गुस्से भरी आवाज में कहा, “तुम...?? तुम मेरे बेटे नहीं हो सकते हो... मेरा बेटा शादी के बाद कभी भी अपनी पत्नी को धोखा नहीं दे सकता है...? आखिर तुम्हारे दिमाग में यह बात कैसे आ सकती है? तुम शादी के बाद किसी और औरत से कैसे मिल सकते हो...?"

    लगता है इनका परिवार काफी संस्कारी है, इसलिए इस बात को इतना बड़ा मुद्दा बना दिया गया है कि अगर मेरे पति की जान भी ले लें ये लोग, तो भी इन्हें कोई कुछ नहीं कहेगा।

    अर्चना शेखावत उनके बेटे के पास आई और बोली, “क्या तुमने एक बार भी नहीं सोचा, अगर तुम ऐसा करोगे तो तुम्हारी पत्नी को क्या फील होगा? तुम उसके होते हुए दूसरी लड़की के पास कैसे जा सकते हो? उसकी नज़र बस तुम्हारी जायदाद पर है, वह उन लड़कियों में से है जो अमीर लड़कों को फँसा लेती हैं और फिर उनके पैसे हड़प लेती हैं। मैंने यह बात तुम्हें पहले भी समझाने की कोशिश की थी, मगर तुम हो कि समझने की कोशिश ही नहीं कर रहे हो।”

    मामला काफी बिगड़ रहा था। मैं आगे आई और मैंने अर्चना आंटी को शांत रहने के लिए कहा, “अर्चना आंटी, जो भी है हम इस बारे में आराम से बात कर लेंगे, मगर आप इस तरह से गुस्सा मत होइए...” फिर मैंने यही बात विजय शेखावत से कही, “अंकल, आप भी अपने गुस्से पर कंट्रोल रखिए।”

    वह दोनों ही मुझे ऐसे देखने लगे जैसे मैं उनकी संस्कारी बहू की परिभाषा में बिल्कुल फिट बैठ रही हूँ। अर्चना शेखावत ने अपने बेटे की तरफ देखा और कहा, “ध्यान से देखो अपनी पत्नी के चेहरे की तरफ, कितनी मासूम और संस्कारी है यह। तुमने हमारे खानदान की इज़्ज़त मिट्टी में मिला दी है, मगर तुम्हारी पत्नी अभी भी तुम्हारी केयर कर रही है। तुम हो की तुम्हें अपनी पत्नी से ज़्यादा सिर्फ़ उस लड़की की परवाह है। कहाँ मिलेगी तुमको इतनी अच्छी पत्नी, जो अपने पति को इस तरह से रंगे हाथों पकड़ने के बावजूद भी उसे कुछ नहीं कह रही हैं, और उल्टा हमें ही समझाने की कोशिश कर रही है।”

    क्या इस मौके पर मुझे भी अपनी पत्नी वाली भूमिका निभानी चाहिए थी? क्या अगर में भी ऐसा करती, अपने पति को कोसती, उसे कहती यह तुमने क्या किया? या फिर यह सुनने से पहले मैं मर क्यों नहीं गई? तब इसके घरवाले मेरे पति को पूरी तरह से गुनाहगार समझते? ओह... मैं क्या ही करूँ। मुझे तो बस अब अपने पति पर दया आ रही है।

    सब शांति से सोफ़े पर जाकर बैठ गए थे। मेरे पति का चेहरा थप्पड़ की वजह से लाल हो गया था। मैं घर के किचन में गई और एक कपड़ा और बर्फ ले आई, जिसे मैं अपने पति के चेहरे पर लगा रही थी। मुझसे उसकी हालत देखी नहीं जा रही थी। जब भी मैं ठंडा कपड़ा उसके चेहरे पर लगाती थी, तब उसे और भी दर्द होता था।

    मेरे पति ने मेरे हाथ को रोका और फिर अपने डैड की तरफ देखते हुए कहा, “बस बहुत हो गया, मैं जो कह रहा हूँ, वह मुझे पहले ही कह देना चाहिए था। मैं उस लड़की से प्यार करता हूँ और उसे छोड़ नहीं सकता हूँ। मैं उसे हमेशा से प्यार करता था और आगे भी करता रहूँगा। शादी से पहले भी मैंने मॉम और आपको कहा था कि मैं उस लड़की से शादी करना चाहता हूँ, मगर आपने नहीं मेरी बात नहीं मानी... ग्रैंडफादर ने कह दिया, इसका मतलब यह नहीं है कि वह पत्थर पर लिखी लकीर हो गया। अगर आप समझाने की कोशिश करते हैं तो वह भी इस बात को समझते।”

    विजय शेखावत ने फिर से गुस्सा दिखाया, और अब यह गुस्सा काफी ज़्यादा भड़क चुका था, “क्या तुम जुबान लड़ाने की कोशिश कर रहे हो? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई अपनी पत्नी के सामने हमसे इस तरह से बात करने की...?"

    मेरा पति अपनी जगह से खड़ा हो गया, “मैं कह रहा हूँ क्योंकि मैं उस लड़की को पहले ही छोड़कर पछता रहा हूँ। अब आपको अच्छा लगे या बुरा लगे, मैं तब तक ही इस शादी के रिश्ते को निभाऊँगा जब तक ग्रैंडफादर ज़िंदा हैं। इसके बाद हम दोनों तलाक ले लेंगे और फिर मैं उस लड़की से शादी करूँगा। अगर आप राज़ी नहीं होते हो तो ठीक है, और अगर नहीं होते हो तो मुझे अब उसकी भी परवाह नहीं है। आज मैंने उसे रोते हुए देखा है और इस बात का एहसास हुआ है कि मैंने कितनी बड़ी गलती की है। काश मैंने पहले ही हिम्मत जुटा ली होती और यह गलती ना की होती।”

    विजय शेखावत दोबारा खड़े होकर उसकी तरफ दौड़ने लगे क्योंकि वह दोबारा थप्पड़ मारना चाहते थे। मेरे पति में अचानक से बहुत हिम्मत आ गई थी और वह अब डटकर मुश्किलों का सामना कर रहा था। उसका कई दिनों से दबा हुआ फ्रस्ट्रेशन अब बाहर निकल रहा था।

    इससे पहले कि मेरे पति को थप्पड़ पड़ता, मैं आगे आ गई क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि अब उसे एक और थप्पड़ पड़े और उसका दूसरा गाल भी लाल हो जाए। मेरे पति के डैड अपनी ही जगह पर रुक गए और अब वह मेरी तरफ ग़ौर से देखने लगे।

    अर्चना आंटी भी मेरी तरफ देख रही थीं और विजय अंकल भी, मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अब मैं क्या कहूँ। मैंने हल्की गहरी साँस ली और फिर कहा, “सॉरी, मैं आप लोगों की बात के बीच में आ रही हूँ, जबकि मुझे नहीं आना चाहिए। यह आपकी और आपके बेटे की पर्सनल बात है, मगर चूँकि मैं इसकी पत्नी हूँ, तो इस नाते मैं बीच में आकर अपनी बात आप सबके सामने रख सकती हूँ। मुझे नहीं लगता अगर यह किसी लड़की से प्यार करता है तो इसमें कुछ भी गलत है। अगर यह उस लड़की से प्यार करता है, तो आपको इसे उसके पास जाने देना चाहिए।”

    अर्चना आंटी ने मेरी तरफ देखा, “यह तुम क्या कह रही हो बेटी? यह लड़का पागल है, तुम इसकी बातों को मत सुनो। तुम नहीं जानती वह लड़की किस तरह की लड़की है, वह बस इसके पैसे हड़पना चाहती है और कुछ भी नहीं।”

    मैंने उनकी तरफ देखा और कहा, “तो आप क्या चाहती हैं? क्या आप मुझे जबरदस्ती इसके साथ रहने के लिए कह रही हैं? मुझे नहीं लगता शादी जैसा रिश्ता हम जबरदस्ती निभा सकते हैं... अगर शादी में इनकी रज़ामंदी नहीं है तो यह शादी कहलाएगी ही नहीं।”

    मुझे नहीं पता था मैं यह सब क्यों कह रही हूँ क्योंकि मुझे तो इस मौके पर चुपचाप बैठे रहना चाहिए था और जो भी हो रहा है उसे होने देना चाहिए था। शायद मेरे पति के मुँह पर जब पहला थप्पड़ पड़ा था, मुझे उससे झटका लगा था, और जब मैं बर्फ की मरहम लगा रही थी, तब होने वाले दर्द की वजह से भी मुझे अजीब लग रहा था। मैं सच में नहीं चाहती थी कि उसे एक और थप्पड़ पड़े या फिर उसे और भी कुछ सुनने को मिले।

    इसलिए मैंने बीच में आना सही समझा। एक बार सब कुछ साइड में रखकर अपने पति को सपोर्ट करने का फ़ैसला किया। पता नहीं मेरे द्वारा उठाया गया यह कदम कुछ सही करेगा भी या फिर नहीं।

  • 17. Wife With Benefits - Chapter 17

    Words: 1673

    Estimated Reading Time: 11 min

    मैं अपने ससुराल और अपने पति के बीच में खड़ी थी। मैं अपने पति को बचाने की कोशिश कर रही थी। मैं नहीं जानती थी, मैं सही कर रही हूं या फिर नहीं।

    मेरे पति ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे अपनी ओर घुमा लिया, “तुम कुछ मत कहो, यह मेरा मामला है। तुम इसे मुझे सलटने दो। मैं बहुत चुप रह लिया हूं मगर मैं अब चुप नहीं रहूंगा।”

    यह कहकर उसने मुझे किनारे कर दिया। अर्चना शेखावत ने गुस्से से कहा, “मुझे तो शर्म आ रही है अब अद्विक तुम पर! तुम्हारी पत्नी ने इस वक्त जो भी कहा है, उससे उसकी इज़्ज़त मेरी आँखों में और भी बढ़ गई है। लेकिन... तुम पता नहीं कब अपनी चीजें समझोगे और कब बड़े होगे...उस लड़की के पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं और तुम ही उसका इकलौता सहारा हो... तुम नहीं तो वह नहीं... अगर तुम्हारे पास पैसों के नाम पर कुछ भी नहीं होता, तब वह लड़की खुद ही तुम्हें छोड़कर चली जाती।”

    मैंने अपने पति का हाथ पकड़ लिया क्योंकि यह बात उसे गुस्सा दिला रही थी। विजय शेखावत ने अर्चना शेखावत का साथ दिया और कहा, “सही कह रही है तुम्हारी माँ। अरे, वो एक गरीब लड़की है और ग़रीब लड़कियाँ अमीर लोगों के साथ ऐसा ही करती हैं। जब मैं तुम्हारी उम्र में था, तो काफी सारी गरीब लड़कियों के चक्कर में ऐसे ही पड़ गया था और इसका नुकसान मुझे हुआ था। अगर तुम नहीं समझे, तो तुम्हारा भी नुकसान होगा।”

    मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह का प्रिसेप्शन क्यों दिया जाता है कि एक गरीब लड़की जब किसी अमीर लड़के से प्यार करती है, तो उसका टारगेट उसका पैसा होता है, न कि लड़का। हो सकता है काफी सारी लड़कियाँ ऐसा करें, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप लड़कियों को इस मामले में बदनाम करें।

    मैंने एक समाज सुधारक बनते हुए विजय शेखावत से कहा, “लेकिन अंकल, इसमें बुराई क्या है? क्या पैसों के लिए शादी करना गलत है? अगर ऐसा है, तो मैंने भी शादी करते समय गलती की है क्योंकि मैंने भी पैसों के लिए शादी की, क्योंकि अद्विक अमीर था।”

    मुझे समाज सुधारक बनना था और अपनी बात कहनी थी, लेकिन मुझे इस बात का भी ध्यान रखना था कि कहीं मैं ही इस पूरे मामले में एक विलेन न बन जाऊँ, इसलिए मैंने काफी शांत तरीके से कहा था। विजय शेखावत और अर्चना शेखावत दोनों अब मुझे घूरने लगे थे।

    मैंने तुरंत कहा, “जब अद्विक का रिश्ता आया था, तब मैंने सबसे पहले यह देखा था कि इसके पास कितनी प्रॉपर्टी है। मैं इसे पहले से प्यार नहीं करती थी, जो मैं शादी के लिए हाँ कर देती। गरीब लोग भी अगर यही करते हैं, तो उनकी सोच क्यों गलत है? हर कोई चाहेगा कि उसके पति के पास अच्छा-ख़ासा पैसा हो...”

    पूरे कमरे में सन्नाटा छा गया था। किसी ने उम्मीद नहीं की थी कि मैं इस तरह की बातें कहकर सबकी बोलती बंद कर दूँगी।

    विजय अंकल के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था। वे हक्के-बक्के रह गए थे और जो बातें उनके मुँह से निकलीं, वह बस यही थीं, “यह तुम क्या कह रही हो बेटी? तुम दोनों एक जैसे नहीं हो, तुम दोनों की कंडीशन अलग-अलग है...?”

    मैंने तुरंत जवाब दिया, “क्या सच में? कंडीशन अलग है तो क्या हुआ? लेकिन मकसद तो एक ही था ना? मुझे भी पैसे चाहिए थे और उस लड़की को भी पैसे चाहिए थे। लेकिन हम दोनों के मामले में, वह लड़की बेहतर पोजीशन पर है, क्योंकि मैं आपके बेटे से प्यार नहीं करती थी और सिर्फ़ पैसों के पीछे यहाँ पर आई थी, मगर वह लड़की आपके बेटे से प्यार भी करती है।”

    मैंने अपने पति की ओर देखा और फिर दोबारा उसके पेरेंट्स की ओर देखकर कहा, “अगर आपका बेटा गरीब होता और इसके पास पैसे नहीं होते, तो शादी करना तो दूर की बात, मैं इसकी ओर देखती भी नहीं।”

    मैंने गहरी साँस ली और फिर कहा, “तो मेरे ख्याल से इस वक्त जो भी हो रहा है, उसे होने दीजिये। अगर आपका बेटा उस लड़की के साथ खुश है, तो इसकी शादी उससे करवाइए। रही बात एक साल की, तो मैं इसे जैसे-तैसे करके एडजस्ट कर लूँगी, मगर इसके बाद आपको हम दोनों को अलग होने दे देना चाहिए। इसी में सबकी भलाई है। और मैं एक चीज और कहूंगी, खुद यह डिसाइड करने की बजाय क्या अच्छा है, क्या सही है और क्या गलत है, आप अपने बेटे को डिसाइड करने दीजिये। आपका बेटा कोई छोटा बच्चा नहीं है जिसे अपने फैसले लेना नहीं आते, वह अपनी ज़िन्दगी के फैसले लेने का हक़ रखता है।”

    मैंने अपनी बात ख़त्म कर दी थी। मुझे नहीं पता था मैंने सही किया या फिर गलत, लेकिन मैंने वही किया जो मेरा करने का मन कर रहा था। आशीष ने जो रायता फैलाया था, मैंने उसे समेटने की कोशिश की, पर शायद मेंने इसे और फैला भी दिया, क्योंकि मुझे नहीं लगता हालात ऐसे थे कि इसका कोई समाधान हो सकता था। मेरा पति भी खुलकर अपने पेरेंट्स के ख़िलाफ़ खड़ा हो गया था और ऐसे में मैं भी पीछे नहीं रह सकती थी।

    विजय शेखावत ने जोर से अपने हाथ को सामने पड़े काँच के गिलास पर मारा और उसे पूरी तरह से तोड़ दिया। फिर वह हम दोनों की ओर पलटा और बोला, “लगता है तुम दोनों का ही दिमाग घूम गया है। पता नहीं आजकल के बच्चों को क्या हो गया हैं। रिश्तों की बिलकुल भी समझ नहीं है। तुम दोनों ने आपस में शादी की है, कोई गुड्डे-गुड़िया का खेल नहीं खेल रहे हो, जो इस तरह की बकवास कर रहे हो, वह भी मेरे सामने।”

    अर्चना आंटी ने नाराज़ चेहरा बनाया और अबकी बार वह सिर्फ़ अपने बेटे से नाराज़ नहीं थी, बल्कि मुझसे भी नाराज़ थी, “तुमने कहा तो दिया कि यह बड़ा है, लेकिन अभी भी यह अपने फैसले ठीक से नहीं ले पाता है। ना ही यह ऐसा है की इसे अच्छे-बुरे की समझ हो। अगर इसे अच्छे-बुरे की समझ होती, तो आज भी यह अपनी ऑफिस डील के लिए अपने डेड को अपने साथ नहीं ले जाता। हाल ही में यह एक बड़ी डील करने जा रहा है, जिसमें इसे न्यू यॉर्क के एक सीईओ से होटल का कॉन्ट्रैक्ट करना है, जो इसके बिज़नेस को नई ऊँचाई तक पहुँचा देगा, मगर इतना बड़ा होने के बावजूद भी यह लड़का उस डील को अकेले हैंडल नहीं कर सकता, इसे अपने डैड का सहारा चाहिए।”

    मैंने अपने पति की ओर देखा यह पूछने के लिए कि क्या सच में ऐसा है। उसने हाँ में सिर हिला दिया। मुझे नहीं पता था कि मेरा पति अपनी डील में अपने डैड को साथ लेकर जाता है। अगर ऐसा है, तो सच में इसने मेरे किए किराए पर पानी फेर दिया था। कम से कम डिल की बात तो इसे अकेले ही क्लाइंट के साथ करनी चाहिए, ताकि कल को इस तरह से फैमिली के सामने खड़े होकर शर्मिंदा न होना पड़े।

    मैंने गहरी साँस ली और फिर मेरे पति के पेरेंट्स की ओर देखते हुए कहा, “अच्छा, क्या होगा अगर यह इस डील को अकेले ही हैंडल कर लेता है? क्या आप तब मान लेंगे कि यह बड़ा हो चुका है और इसे इसके फैसले लेने देंगे?”

    विजय शेखावत के चेहरे पर हँसी थी। वह जोर-जोर से हँसने भी लगे। वे बोले, “हाहाहा, उस डील को फ़ाइनल करना बच्चों का खेल नहीं है। वो जिस किसी से भी डील करता है, उसकी चाँदी हो जाती है, यह मेरे बिना डील कर ले, ऐसा इस जन्म में तो क्या अगले सात जन्मों में भी नहीं हो सकता है?”

    मैंने अपने चेहरे पर एक स्माइल दिखाई और कहा, “तो ठीक है, इस बार देखते हैं। अगर अद्विक ने इस डील को अकेले क्रैक कर दिया, तब आप इसे इसकी ज़िन्दगी के फैसले लेने देंगे, लेकिन अगर उसने ऐसा नहीं किया, तो मैं आपसे प्रॉमिस करती हूँ, हम दोनों साथ रहेंगे, बिना किसी हिचकिचाहट के, पूरी तरह से, जैसे दो शादीशुदा लोग रहते हैं। हमारे बीच में कोई तीसरा भी नहीं आएगा।”

    मेरे पति ने मेरी ओर देखा और कहा, “यह तुम क्या कह रही हो... ऐसा मत करो...”

    मैंने अपने पति की ओर देखा और एक फ़िल्मी डायलॉग मारते हुए कहा, “मुझे तुम पर पूरा विश्वास है, तुम ऐसा कर सकते हो। अब सब कुछ तुम्हारे हाथ में है। तुम इस डील को फ़ाइनल करोगे और फिर वही होगा जो तुम चाहोगे। क्या तुम इस मौके को यूँ ही जाने दोगे? मौका खुद तुम्हारे सामने आया है। तुमने अगर डील फ़ाइनल कर ली, तो तुम आयरा से शादी भी कर सकते हो और हम दोनों का तलाक भी खुशी-खुशी हो जाएगा।”

    मेरे पति के दिल में एक घबराहट थी। मैंने उसकी आँखों में देखा और फिर सिर हिलाकर कहा, “फ़िक्र मत करो, मैंने कहा ना, मुझे तुम पर विश्वास है और तुम यह कर लोगे।”

    मेरे पति ने सिर हिलाया और फिर अपने पेरेंट्स की ओर देखते हुए कहा, “जैसा इसने कहा है, वैसा ही होगा। अगर मैं डील को फ़ाइनल कर लेता हूँ, तो आपको मेरी बात माननी पड़ेगी और अगर यह डील फ़ाइनल नहीं होती है, तो मैं आपकी बात मानूँगा। यानी कि हम तलाक़ नहीं लेंगे और एक शादीशुदा कपल की तरह अपनी ज़िन्दगी को आगे बढ़ाएँगे।”

    अर्चना आंटी ने तेज आवाज़ में कहा, “तुम यह भी वादा करोगे कि तुम उस लड़की को भूल जाओगे। बाद में वह लड़की तुम्हारे सामने नहीं आनी चाहिए और न ही उसका नाम तुम्हारे मुँह से निकलना चाहिए।”

    मेरे पति ने सिर हिला दिया। वह खुद नहीं जानता था कि वह डील को पूरा कर पाएगा या नहीं, लेकिन उसके सामने बस यही एक मौका था जहाँ पर सब कुछ वैसा ही हो सकता था जैसा वह चाहता है। हालाँकि, मैं नहीं जानती थी कि ऐसा करके मैंने अपने पति को मुसीबत से बाहर निकाला है या फिर उसे और बड़ी मुसीबत में फँसा दिया है। वही उसके पेरेंट्स पूरी तरह से कॉन्फिडेंट थे कि मेरा पति ऐसा कभी नहीं कर पाएगा। तभी तो उनके चेहरे पर किसी तरह की परेशानी नहीं दिखाई दे रही थी।

  • 18. Wife With Benefits - Chapter 18

    Words: 1598

    Estimated Reading Time: 10 min

    घर आते-आते रात के 1:00 बज गए थे। माहौल इतना खराब हो गया था कि हम मेरे पति के पेरेंट्स के घर पर भी नहीं रह सकते थे। मेरे पति के साथ उनके संबंध पहले ही खराब हो चुके थे, मैंने भी आखिर में बात करके अपने रिलेशन को बिगाड़ दिया था। वरना वे लोग इतना तो जरूर कहते, "बहू रात को अकेले कहाँ जाएगी? जो भी लड़ाई है, हम इसे बाद में शुरू करेंगे, लेकिन अभी यहाँ रुक जाओ।"

    मगर रुकने का कहना तो दूर की बात, उन्होंने यह भी नहीं कहा कि ध्यान से जाना। मेरा पति परेशान था। आते ही वह किचन में गया और ठंडे पानी की बोतल निकालकर उसे गिलास में भरकर पीने लगा। मेरा पति ड्रिंक नहीं करता था, इसलिए जब भी उसे गुस्सा आता था या फिर अजीब लगता था, तब वह एक ठंडा गिलास पानी पी लेता था। या फिर बस वहीं बैठ जाता था जब तक कि उसका गुस्सा शांत नहीं हो जाता था।

    मैं उसके पास गई और मैंने भी एक गिलास में पानी डालते हुए कहा, “चीजों को इतना सीरियसली मत लो। मेरे ख्याल से यही सबसे अच्छा तरीका था तुम्हारी बात मनवाने का। यह मौका तुम्हारे लिए किसी वरदान से कम नहीं है।”

    उसने मेरी तरफ देखा और कहा, “यह वरदान नहीं बल्कि श्राप है। जिस बिजनेसमैन के साथ डील करनी है, तुम उसके बारे में नहीं जानती हो। वह खुद की मर्जी का मालिक है। उसे मुनाफे या फिर नुकसान से कोई लेना-देना नहीं, अगर उसे किसी चीज से लेना-देना है तो वह बस और बस अपनी खुशी से है। अगर सामने वाले से वो खुश नहीं हुआ, तो चाहे तुम कितना भी अच्छा प्रपोज़ल क्यों ना दे दो, वह डील से नहीं करने वाला है। मेरे डैड ये सारे काम अच्छे से कर लेते हैं, लेकिन मुझे यह सब नहीं आता। हम फँस चुके हैं।”

    मुझे उस बिजनेसमैन के बारे में ज्यादा नहीं पता था, लेकिन मेरे पति ने जिस तरह से बताया, मुझे वह भी अच्छा नहीं लग रहा था। या फिर हो सकता है मेरा पति परेशानी की वजह से बस नेगेटिव सोच रहा है। किसी को खुश करना इतना भी मुश्किल नहीं होता जितना वो अपने दिमाग में पाल बैठा है।

    मैंने उसे कहा, “कोई बात नहीं, हम एक अच्छा शेड्यूल और एक अच्छी प्लानिंग बना लेंगे। अगर सब चीजों को सही तरीके से करेंगे तो हो जाएगा। तुम्हारे डैड कोई भगवान नहीं हैं जो वह सब कुछ कर सकते हैं और तुम नहीं कर सकते हो। जो काम तुम्हारे पिता कर सकते हैं, वह काम तुम भी कर सकते हो। बस जरूरत है तुम्हारे खुद पर विश्वास करने की।”

    मैं उसके पास आई और उसके गाल को देखा, वह अभी भी लाल था। उसे एक ही थप्पड़ पड़ा था, मगर यह थप्पड़ इतना जोरदार था कि तीन-चार घंटे बाद भी निशान नहीं गए थे।

    मैंने उसकी गाल को छुआ तो उसे अभी भी दर्द हो रहा था। मैंने उसे कहा, “तुम्हारे डैड का हाथ कितना सख्त है, ना तो अभी तक निशान गए हैं और ना ही दर्द कम हुआ है। सच कहूँ तो जब तुम लोग लड़ रहे थे। मुझे इस बात का डर था कि कहीं तुम्हारे डैड को हार्ट अटैक ना आ जाए। ऐसी लड़ाइयों में अक्सर पेरेंट्स में से किसी को हार्ट अटैक आ जाता है, और फिर हमें मजबूरन उनकी बात माननी पड़ती है। जैसे तुमने अपने ग्रैंडफादर की बात मानी थी।”

    यह सुनकर वह हँसने लगा। मुझे खुशी हुई कि इस तरह के गंभीर माहौल में भी उसके चेहरे पर मैंने हँसी देख ली। मैं उसके पास आई और उसके गाल पर किस किया, “चलो आ जाओ, मैं तुम्हारे इस दर्द को कम करने की कोशिश करती हूँ। हमारा आज का दिन अच्छा नहीं था, लेकिन अब रात को तो अच्छा कर ही सकते हैं।”

    मैंने अपने पति के गाल को अपने करीब किया और उस पर अपनी जीभ फेरने लगी। हल्के दर्द के बीच मेरी जीभ के चिपचिपे स्वाद से उसे आनंद दे रहा था। धीरे-धीरे मैंने उसकी शर्ट के बटन खोले। जिस तरह से मैंने उसके गाल पर जीभ फेरी थी, उसी तरह मैं उसकी बाकी बॉडी पर जीभ फेरने लगी।

    मैंने उसे मुझे गोद में उठाने के लिए कहा और उसने उठा लिया। हम लोग इस वक्त किचन में थे, जिस काम को बेडरूम में होना चाहिए था, वह आज किचन में ही होने वाला था। मैंने उसकी गोद में काफ़ी देर तक उसे किस्स किया। फिर उसने मुझे काउंटर पर बिठा दिया जो काफ़ी ठंडी थी।

    मैंने अपनी ड्रेस उतारी। फिर पता नहीं मेरे माइंड में क्या आया, मैंने बर्फ के एक टुकड़े को उठाकर अपने मुँह में ले लिया। मैं बोली, “आज तुम्हें भी बहुत मज़ा आने वाला है।”

    आमतौर पर किस या जीभ फेरने के अहसास ठंडे नहीं होते, लेकिन इस वक्त मैं ना तो जीभ फेर रही थी ना ही किस कर रही थी। मैं ठंडी बर्फ को उसके शरीर पर घुमा रही थी। हर एक टच के साथ उसके शरीर में झुनझुनी दौड़ रही थी। अंदर तक शरीर काँप रहा था। मैंने यह सब 15 मिनट तक किया। हर बार उसे ऐसा लगा जैसे उसे तेज बुखार है और कोई उसके माथे पर ठंडी बर्फ की पट्टी रख रहा है।

    इसके बाद मैंने यही काम उसकी स्ट्रॉबेरी के साथ किया। मैंने वही किया जैसा मैंने उसके साथ वादा किया था। उसका आज का सारा दिन बुरा था, मगर उसकी रात को अच्छा बना दिया।

    अगर मैं बस स्ट्रॉबेरी से खेलूँ, तो मेरे पति को डेढ़ घंटे का वक्त लग जाता था। डेढ़ घंटे बाद हम दोनों बेडरूम में थे। वह खुद को थका हुआ महसूस कर रहा था, हालाँकि थकावट तो मुझे हो रही थी। क्योंकि यह काम सच में बहुत थका देने वाला था। मेरे मुंह में अंदर तक दर्द हो रहा था।

    “आशिकी…” उसने थोड़ी धुंधली आवाज़ में मेरा नाम लिया।

    मैंने उसके सीने पर अपना सिर रखा हुआ था। अपनी आँखें तिरछी उसकी तरफ करते हुए पूछा, “हुआ क्या?”

    वह मुस्कुराया और बोला, “थैंक यू… थैंक यू मेरा साथ देने के लिए और वहाँ पर मेरे साथ खड़ा रहने के लिए… तुम एक बहुत अच्छी बीवी हो। काश, काश मेरी ज़िंदगी में मेरी गर्लफ्रेंड से पहले तुम आई होती।”

    मैंने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और बस अपने चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट दे दी। मैंने अपने हाथ को उसके नंगे सीने पर रखा और फिर उसे टेडी बियर की तरह गले से लगाकर सो गई।

    सोते वक्त मेरे दिमाग में बस एक ही चीज आ रही थी, लगता है मेरे कन्वर्सेशन करने की स्किल काफ़ी अच्छी है क्योंकि मैं किसी को भी किसी भी काम के लिए मना लेती हूँ। यहाँ तक कि मेरे पति को भी फिजिकल रिलेशन के लिए मनाना आसान नहीं था, वह भी तब जब वह अपनी गर्लफ्रेंड से काफ़ी ज़्यादा प्यार करता था, और फिर अब उसके पेरेंट्स से। मुझे नहीं पता मेरे पति को इस बात का एहसास होगा या फिर नहीं, लेकिन कभी तो वह दिन आएगा ही जब उसे इस बात का एहसास होगा कि कुछ मामलों में मैं काफ़ी अच्छी हूँ। आज उसने मेरी तारीफ़ तो की थी, मगर यह तारीफ़ मेरे रिश्ते में किसी काम की नहीं थी।

    तक़रीबन एक हफ़्ता बीत चुका था। वह दिन आ गया था जिस दिन मेरे पति को उस बिजनेसमैन से मीटिंग करने जाना था। मार्क लूथरा, यह उस बिजनेसमैन का नाम था और वह अपनी मर्ज़ी का ही मालिक था। मैं नींद में थी और मेरा पति भी हल्की नींद में था, मगर उसके हाथ मेरी बॉडी के ऊपर घूम रहे थे। मैं उसकी नाज़ुक उंगलियों को पहले अपने पेट पर महसूस कर पा रही थी, फिर अपनी पेट से थोड़ा सा नीचे, अपनी जाँघों के बीच।

    अचानक अलार्म बजा और मैं एक झटके से उठ खड़ी हुई और साथ में मैंने उसे भी उठने के लिए कहा, “यह टाइम सुबह-सुबह रोमांस करने का नहीं है, तुम भुल गए क्या? तुम्हारी आज मीटिंग है। तुम इस तरह से लेट नहीं जा सकते हो, तुम्हारा बिज़नेस पार्टनर वैसे भी अपनी मर्ज़ी का मालिक है, तो अगर तुम लेट गए तो पता नहीं उसका मूड अच्छा होगा या फिर बिगड़ जाएगा।”

    मेरा पति तुरंत उठा और वह नहाने के लिए चला गया। कुछ देर बाद वह बाहर आया तो घबराया हुआ था, “लगता है मैं सच में आज लेट हो जाऊँगा, मार्क अपने काम के साथ टाइम के मामले में भी बहुत सख्त बंदा है, उसने आधे से ज़्यादा डील बस इसलिए कैंसिल कर दी क्योंकि सामने वाला देरी से आया था। ओह माय गॉड! मैं लगता है मीटिंग शुरू होने से पहले ही हार जाऊँगा।”

    मैंने उसका हाथ पकड़ा और तेज़ी से कहा, “तुम इतनी जल्दी अपने कॉन्फिडेंस को लूज़ मत करो, सब कुछ सही होगा।”

    मेरे पति ने जल्दी-जल्दी से अपनी पूरी तैयारी को निपटाया और फिर अपनी सेक्रेटरी को कॉल कर लिया ताकि वह सारी फ़ाइल लेकर आ जाए। मगर सामने से उसके सेक्रेटरी ने कहा,

    “सॉरी सर, मुझे समझ में नहीं आ रहा मैं कैसे आपको बताऊँ, मेरे पेट में सुबह से दर्द है, कल रात से बार-बार टॉयलेट जाना पड़ रहा है और अब शरीर में इतनी वीकनेस आ चुकी है कि मुझसे ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा। पेट भी अभी दर्द कर रहा है। मुझे नहीं लगता मैं मीटिंग में आ पाऊँगी।”

    यह बात मेरे हस्बैंड के लिए किसी झटके से कम नहीं थी। मीटिंग के सारे ज़रूरी डॉक्यूमेंट सेक्रेटरी के पास थे और उनकी डिटेल्स भी सेक्रेटरी को ही मालूम थीं। अगर उसकी सेक्रेटरी नहीं आती तो फिर मीटिंग में प्रेज़ेंटेशन कौन देगा? और बिना प्रेज़ेंटेशन के कोई भी मीटिंग सक्सेस नहीं हो सकती… यानी कि मेरा पति सच में हार की कगार पर था।

  • 19. Wife With Benefits - Chapter 19

    Words: 1526

    Estimated Reading Time: 10 min

    सेक्रेटरी के ना आने की वजह से मेरे पति के दिमाग की बत्ती गुल हो गई थी। मैं कमरे में बस चहल-कदमी कर रही थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी सेक्रेटरी रीवा मौके पर मना कर सकती थी। काफी देर तक चहल-कदमी करने के बाद मेरे पति ने दोबारा अपनी सेक्रेटरी रीवा को कॉल लगाया।

    फ़ोन लगाते ही मेरे पति ने रीवा से कहा, “तुम ऐसा कैसे कर सकती हो रीवा..? प्लीज़ मेरे साथ मज़ाक मत करो... तुम्हें आना ही होगा।”

    सामने से रीवा ने परेशान और कराहती हुई आवाज़ में कहा, “सॉरी सर, मुझ में चलने की भी हिम्मत नहीं है और अगर मैं किसी तरह से आ भी गई तो ऐसी हालत नहीं है कि मैं वहाँ पर कुछ भी बोल पाऊँ। मुझ पर दवाइयाँ भी असर नहीं कर रही हैं।”

    आखिर ऐसे मौके पर मेरा पति करता भी तो क्या करता, उसकी सेक्रेटरी रीवा को लूज़ मोशन हो रहे थे। ऐसे में अगर वह उसे जबरदस्ती अपने साथ ले भी जाता तो वह वहाँ पर खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाती और इससे इम्प्रेशन और ख़राब होता।

    मेरे पति ने हल्के गुस्से भरी आवाज़ में कहा, “ठीक है तो जो भी फ़ाइलें हैं वह तुम भेज दो, अब अगर तुम मुझे फ़ाइलें भी नहीं भेज सकती हो तो कल से ऑफ़िस में मत आना।” यह कहकर उसने कॉल काट दिया।

    परेशान चेहरे के साथ वो आईने के सामने गया और दोनों हाथों को रखकर अपनी शक्ल को देखने लगा। उसने कहा, “सब आज के दिन ही होना था और मेरे साथ ही होना था।”

    मुझे भी समझ में नहीं आ रहा था इस मौके पर मैं क्या करूँ। फिर अचानक मैंने कुछ सोचा और उसके पास जाकर कहा, “तुम इस तरह से टाइम बर्बाद नहीं कर सकते हो, तुम्हारे पास यह आख़िरी मौका है। तुम ऑफ़िस पहुँचो, तुम्हारी सेक्रेटरी से फ़ाइले लेकर मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आती हूँ। तुम इस वक़्त हार्ड कॉपी ले जाओ और किसी तरह से उसके ध्यान को भटकाओ, बाकी सब कुछ मुझ पर छोड़ दो।”

    मैंने अपने पति को हौसला देने की कोशिश की। अब इस मौके पर मुझे ही आगे आकर कुछ करने की ज़रूरत थी। उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछा, “मगर तुम यह सब कुछ कैसे हैंडल करोगी? तुम्हें तो यह भी नहीं पता यह प्रोजेक्ट किस बारे में था?”

    मैंने गहरी साँस ली और उसे कहा, “यह सब देख लूँगी, तुम बस अपना लैपटॉप उठाओ और निकलो यहाँ से।”

    मैंने उसे जल्दी से जल्दी जाने के लिए कहा। वह लैपटॉप में जो भी था उसी के सहारे अपने ऑफ़िस के लिए निकल चुका था जबकि मैं उसके जाने के बाद उसकी सेक्रेटरी के घर की तरफ़ निकल गई। मेरा पति बस इसी बात की उम्मीद कर रहा था कि मीटिंग की शुरुआत में ही मार्क लूथर को सारी डिटेल्स ना चाहिए हों। वो हर एक चीज़ के पहलू पर डिस्कस ना करें जिससे उसे थोड़ा सा वक़्त मिल जाए। तब तक मैं उसके पास फाइलें लेकर पहुँच जाऊँ।

    मेरा पति मीटिंग से ठीक 15 मिनट पहले ऑफ़िस पहुँच गया था। मार्क लूथर सच में टाइम का पक्के था क्योंकि वह मीटिंग से 30 मिनट पहले ही आ गए थे और ऑफ़िस में मेरे पति का इंतज़ार कर रहे थे। वहाँ पहुँचते ही उन्होंने हल्की-फुल्की मुलाक़ात की। मार्क लूथर की उम्र तकरीबन 40 साल के आसपास थी और उनका बिज़नेस डेढ़ सौ मिलियन डॉलर के करीब फैला हुआ था। न्यू यॉर्क के साथ-साथ यूरोप में उनकी कई सारी कंपनियाँ थीं और कुछ कंपनियों को उन्होंने एशिया में भी एस्टेब्लिश कर रखा था। फ़िलहाल उन्हें इंडिया में भी कुछ कंपनियों को एस्टेब्लिश करना था जिसमें मेरे पति उनकी मदद कर सकते थे।

    मेरे पति का काम कंस्ट्रक्शन का था। कंपनियों को बनाने के लिए जो भी ज़िम्मेदारी थी वह सब मेरे पति की कंपनी हैंडल करने वाली थी लेकिन यह सब तभी होगा जब मीटिंग सक्सेसफ़ुल हो जाए।

    शुरुआती बातचीत से मेरे पति ने मार्क लूथर का दिल जीत लिया। उसे थोड़ा सा सहज भी कर दिया। मार्क लूथर वैसे तो बड़े मुड़ी इंसान थे लेकिन वह काफ़ी फ़्रेंडली भी थे। जान-पहचान बनाने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगा। मार्क लूथर ने मेरे पति से शुरुआती कंस्ट्रक्शन को लेकर कई सारे सवाल किए जिसका जवाब मेरे पति ने आसानी से दे दिया था। फिर कुछ डाटा के बारे में डिस्कशन हुआ जिसके बारे में भी मेरे पति ने उन्हें बता दिया था। लेकिन फिर एक ऐसी चीज़ आई जहाँ पर मेरा पति अटक गया।

    मार्क लूथर ने मेरे पति से कहा, “यह सब तो ठीक है मिस्टर शेखावत, मगर मैं आपकी कंपनी के पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड देखना चाहता हूँ। मुझे देखना है पिछले 5 सालों में आपने जो भी बिल्डिंगें बनाई हैं उनका स्टेटस क्या है, और आपने किस तरह से उनके काम को अंजाम दिया है।”

    मेरे पति के माथे पर ठंडा पसीना आ गया क्योंकि यह सारी फ़ाइलें उसकी सेक्रेटरी रीवा के पास थीं और मैं अभी तक उन फ़ाइलों को लेकर नहीं पहुँची थी। जब मैं रीवा के घर पर पहुँची थी तब रीवा बाथरूम में बिज़ी थी और तकरीबन 15 मिनट तक उसने दरवाज़ा ही नहीं खोला। जब उसने दरवाज़ा खोला तब उसे फ़ाइलें ढूँढ़ने में देरी लग गई। फिर एक फ़ाइल चाय गिरने की वजह से ख़राब हो गई थी जिसे उसे उसी वक़्त दोबारा बनाना पड़ा।

    सब कुछ लेकर मैं घर से बाहर निकली तो रास्ते में ट्रैफ़िक इतना था कि मैं जल्दी से ऑफ़िस नहीं पहुँच सकी। लेकिन परेशानी सिर्फ़ इतनी ही नहीं थी, अगर मैं चल भी जाऊँ तो भी कोई फ़ायदा नहीं होने वाला था क्योंकि मेरे पास जो फ़ाइलें हैं, उसमें बस 2 सालों के काम-काज का रिकॉर्ड था ना कि 5 सालों का। इस बात में मार्क लूथर को नाराज़ करने की संभावना थी।

    मार्क लूथर ने दोबारा मेरे पति से कहा, “क्या हुआ मिस्टर शेखावत? मैंने आपको कुछ कहा है...”

    मेरे पति ने हड़बड़ाते हुए कहा, “हाँ बिलकुल, मैं आपको अभी डाटा दिखाता हूँ। मुझे इसके लिए अपनी सेक्रेटरी को बुलाना होगा।”

    वह यह बात बोल ही रहा था कि तभी मेंने ऑफ़िस के उस कमरे में एंट्री ली जहाँ पर यह मीटिंग हो रही थी। वह भी एक पेशेवर तरीके से जैसे मैं ही सेक्रेटरी थी। मैंने ब्लैक कलर की एक शर्ट पहन रखी थी शॉर्ट्स के साथ। यह मुझे ऑफ़िस का पूरा लुक दे रही थी। आँखों पर मैंने चश्मा लगा लिया था, वह भी बस इसलिए क्योंकि इससे एक सेक्रेटरी का लुक कूल लगता है।

    जब मैं कमरे में दाखिल हुई तब मेरा पति मुझे देखकर दंग रह गया, सिर्फ़ इतना ही नहीं बल्कि मार्क लूथर की नज़र भी मुझ पर टिक गई थी। शर्ट मेरी नहीं थी बल्कि आने से पहले मैंने रीवा से ही ली थी। रीवा का फ़िगर मुझसे छोटा था। इसलिए उसकी शर्ट की फ़िटिंग मेरे लिए कसावट भरी थी। मेरा फ़िगर उतना भी नहीं था जितना इस ब्लैक कलर की शर्ट की वजह से दिख रहा था।

    मैंने बाहर आने से पहले यह सुन लिया था कि मार्क लूथर को पिछले 5 साल का रिकॉर्ड चाहिए। मैंने अंदर आते ही कुछ फ़ाइलों को मार्क लूथर के सामने रखा और कहा, “यह लीजिए सर, इसमें हमारे काम का पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड है।”

    मार्क लूथर का ध्यान इस वक़्त फ़ाइलों पर कम और मुझ पर ज़्यादा था। मैंने अपने पति की तरफ़ देखा तो उसे आँखों से इशारा किया कि मैं सेक्रेटरी बनकर आई हूँ।

    मार्क लूथर ने फ़ाइलों को उठाया और उन्हें पढ़ने लगा। हालाँकि यह सिर्फ़ दो सालों का रिकॉर्ड था जबकि उसे 5 सालों का रिकॉर्ड चाहिए था और मैं इस बात की उम्मीद कर रही थी कि वह 12-13 फ़ाइलों को पढ़ने की बजाय शुरुआती कुछ फ़ाइलों को पढ़ने के बाद ही बोर हो जाएगा और आगे के रिकॉर्ड को देखने के बारे में भूल जाएगा।

    उसने दो फ़ाइलें पढ़ीं और फिर मेरी तारीफ़ करते हुए बोला, “कमाल है, मिस्टर शेखावत! आपकी यह सेक्रेटरी तो लाजवाब है। इसने डाटा को इतना स्मूथ रखा है कि इसे समझने और पढ़ने में बिलकुल भी मुश्किल नहीं हो रही है। जबकि मैंने आज तक जहाँ भी डील की है, वहाँ का डाटा इतना मुश्किल होता था कि मुझे उसे समझने के लिए ही चार-चार आदमियों को अपने साथ रखना पड़ता था।”

    मैंने अपना सर नीचे झुकाकर अपने चेहरे पर एक हल्की सी स्माइल दी। मेरे पति ने भी एक हल्की सी स्माइल दी। इसके अलावा हम दोनों में से किसी ने भी कुछ नहीं कहा। मेरे पति की धड़कन तो अभी भी तेज थी क्योंकि उसे यह बात पता थी कि इन फ़ाइलों में भी सिर्फ़ 2 साल का रिकॉर्ड है।

    जैसा उम्मीद थी वैसा बिलकुल भी नहीं हुआ क्योंकि मार्क लूथर एक-एक फ़ाइल को पढ़ते जा रहा था। शायद यही एक वजह थी कि उससे डील करना किसी के लिए भी आसान नहीं था। वह बिज़नेस के मामले में आलसी नहीं था और फ़ाइलों के ढेर को देखकर अपने हाथ पीछे नहीं खींचता था। उन्होंने सभी 12 फ़ाइलों को एक के बाद एक पूरा देख लिया और फिर हम दोनों की तरफ़ देखते हुए बोले, “यह तो बस 2 साल का रिकॉर्ड है.... मुझे पिछले 5 साल का रिकॉर्ड चाहिए। बाकी के 3 सालों का रिकॉर्ड कहाँ पर है?”

    इस बात ने मेरे दिल की धड़कनों को भी बढ़ा दिया।

  • 20. Wife With Benefits - Chapter 20

    Words: 1512

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    मार्क लुथर को पिछले पाँच साल का रिकॉर्ड चाहिए था, मगर हमारे पास सिर्फ़ दो साल का रिकॉर्ड था, और वह तीन साल का और रिकॉर्ड माँग रहा था। इसके जवाब में हम क्या कहें, किसी को भी समझ में नहीं आ रहा था।

    मैंने पूरे कॉन्फ़िडेंस के साथ जवाब दिया, “माफ़ करना सर, फिलहाल हमारे पास दो साल से पुराना रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। लेकिन हमें इससे पहले का रिकॉर्ड आपको दिखाकर ख़ुशी होगी। अगर आप हमें थोड़ा सा वक़्त दें, तो हम आपको पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड भी उपलब्ध करवा सकते हैं।”

    शायद कुछ न बोलने से अच्छा तो कुछ न कुछ बोलना। इससे इंप्रेशन अच्छा पड़ता है। मैंने पूरे प्यार के साथ कहा था और पूरे कॉन्फ़िडेंस को भी दिखाने की कोशिश की थी।

    मार्क लुथर को इसमें कुछ भी अजीब नहीं लगा। वह हल्का सा मुस्कुराया और फिर हँसते हुए कहा, “हा हा हा, क्यों नहीं, बिल्कुल। आप लोगों की दो सालों की रिपोर्ट देखकर ही मैं इससे ख़ुश हो गया हूँ। इसलिए मैं पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड देखने के लिए इंतज़ार कर सकता हूँ।”

    इस बात से मेरे पति की घबराहट भी थोड़ी सी कम हुई। फिर मेरे पति बोले, “मगर आप तो कल सुबह ही टोकियो के लिए जाने वाले हैं, क्योंकि आपके वहाँ पर भी ज़रूरी मीटिंग करनी है। तो आप यह सब कुछ कैसे मैनेज करेंगे?”

    मार्क लुथर अपनी जगह से खड़े हुए और बोले, “यह सब मुझे मैनेज नहीं करना है, बल्कि तुम्हें करना है, मिस्टर शेखावत। तुम यह रिपोर्ट आज रात तक तैयार कर देना, मैं रात को डिनर के बाद यह रिपोर्ट देखूँगा।”

    उसने मेरे पति के कंधों को थपथपाया और फिर ऑफ़िस से चले गए। उसके जाने के बाद मेरे पति ने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा और फिर मेरी तरफ़ देखते हुए कहा, “अब यह भी एक नई मुसीबत है। दो सालों का रिकॉर्ड तैयार करने में हमें दो हफ़्ते लग गए थे। अब अगर पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड और तैयार करना है, तो कम से कम एक महीने का वक़्त चाहिए, लेकिन हमारे पास बस थोड़ा सा ही टाइम है। हम दस घंटे के अंदर-अंदर कैसे इस रिपोर्ट को तैयार करेंगे?”

    मैं काफी थक चुकी थी, इसलिए मैं वहीं मौजूद सोफ़े पर बैठ गई। मेरे पति ने अगले ही पल परेशानी के साथ कहा, “और अगर वह पिछले तीन सालों का रिकॉर्ड देखेंगे, तो मुझे नहीं लगता यह डील होगी। चार साल पहले हमने एक बहुत बड़े घाटे का सामना किया था और वह घाटा इतना बड़ा था कि हमारी कंपनी दिवालिया होने के करीब पहुँच गई थी। इसलिए मैंने अपनी सेक्रेटरी को भी सिर्फ़ दो साल का रिकॉर्ड दिखाने के लिए कहा था, जहाँ हम फ़ायदे में थे।”

    मैंने इसका कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि मुझे बस कुछ देर तक फ़ुर्सत की साँस लेनी थी। मुझे मेरे पति के बिज़नेस के बारे में कुछ भी नहीं पता था और जो भी जानकारी मुझे मिल रही थी, वह अभी ही पता चल रही थी।

    मैं थकी हुई आवाज़ में बोली, “इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है, सही जानकारी देना हमारा फ़र्ज़ बनता है। बस अगर किसी चीज़ से फ़र्क पड़ता है, तो वह इस बात पर है कि हम हमारी कमियों को किस तरह से दिखाते हैं। अगर हम उसे घाटे को हमारी कंपनी के लिए एक बड़े नुकसान के रूप में दिखाएँगे, तो यह उसे भी एक नुकसान लगेगा, लेकिन इसी घाटे को अगर हम कुछ एक्सपेरिमेंट से जोड़ दें, जो हमने बस इसलिए किए थे ताकि आने वाले वक़्त में बेहतर नतीजे लेकर आ सकें, तो यह घाटा एक घाटा नहीं, बल्कि बिज़नेस का एक हिस्सा माना जाएगा।”

    मेरा पति मेरी इस बात पर मुझे ऐसे घूर कर देखने लगा जैसे मैंने कोई बहुत बड़ी बात कह दी हो। वह मेरे पास आया और कुर्सी को दोनों तरफ़ से पकड़ते हुए बोला, “तुम तो बहुत तेज़ हो।” यह कहकर उसने कुर्सी को गोल-गोल घुमा दिया। “और थैंक्स, तुमने फिर से एक बार मेरी मदद की। सेक्रेटरी के रोल में तुम जच रही हो, और तुमने यह चश्मा क्यों लगा रखे हैं?”

    मैंने कुर्सी को घूमने से रोका और कहा, “क्योंकि तुम्हारी सेक्रेटरी रीवा भी लगाती थी।”

    मैंने जो आराम करना था वह कर लिया और फिर मैं खड़ी हो गई, “चलो अब हमारे पास ज़्यादा आराम करने का वक़्त नहीं है। हम पिछले तीन सालों की फ़ाइलें तैयार करते हैं। तुम्हारे ऑफ़िस में जो भी स्टाफ़ हमारी मदद कर सकता है, उसे भी काम पर लगा दो ताकि यह काम जल्दी ख़त्म हो जाए।”

    मेरे पति ने भी सिर हिलाया और फिर उसने अपने ऑफ़िस के सारे स्टाफ़ को अल्टीमेटम दे दिया। उसने उन सभी लोगों को काम पर लगा दिया जो इस काम में उसकी मदद कर सकते थे। फ़ाइलें एक बड़े से स्टोर रूम में रखी गई थीं और फिर सारा स्टाफ़ उन फ़ाइलों को वहाँ से उठाकर उन्हें पढ़ने और उनसे डाटा निकालने में बिज़ी हो गया। सारा डाटा मैं देख रही थी और उसे फ़ाइनल कर रही थी। फिर मेरे पति उसे देखकर उसे वेरीफ़ाई कर रहा था।

    दोपहर को हमें लंच करने तक का भी टाइम नहीं मिला क्योंकि काम इतना ज़्यादा था। शाम होते-होते शरीर में बिल्कुल भी जान नहीं रही थी, लेकिन हम लोग रुक नहीं सकते थे। और रात के नौ बजे के करीब सारी फ़ाइलें तैयार हो गईं और स्टाफ़ की छुट्टी कर दी गई। मैं और मेरे पति दोनों काफी थक चुके थे और भूख भी लग रही थी क्योंकि सुबह से हम दोनों ही बस काॅफी पर टिके हुए थे।

    मेरे पति ने कहा, “चलो सबसे पहले नहाते हैं, और फिर खाना खाने चलते हैं...”

    हम दोनों इस वक़्त ऑफ़िस में थे, तो मैंने उसे हैरानी से देखते हुए पूछा, “क्या तुम्हारे ऑफ़िस में नहाने का भी बंदोबस्त है?”

    मैं इस वक़्त फ़ाइलों के ढेर के ऊपर ही लेटी हुई थी और वह भी मेरे पास ही था। पूरा कमरा फ़ाइलों के ढेर से भरा पड़ा था क्योंकि स्टाफ़ भी छुट्टी होते ही सीधे चला गया था और उन्होंने इतनी हिम्मत भी नहीं की कि फ़ाइलें समेटकर रख दी जाएँ। सब के सब लोग थक चुके थे और सभी ने पूरा दिन बिना रुके काम किया था।

    मेरे पति मुस्कुराया और कहा, “हाँ, मैंने यहाँ पर एक छोटा सा गेस्ट रूम भी बनवा रखा है। वहाँ पर मेरे कुछ कपड़े भी पड़े हैं और तुम्हारे कपड़े भी मैं यहीं माॅल से मँगवा लेता हूँ। हम नहाकर, तैयार होकर खाना खाएँगे और फिर यहीं से ही मार्क लुथर से मिलने होटल की तरफ़ निकल जाएँगे।”

    मैं उठी और फिर हम दोनों ने एक-दूसरे को पकड़कर सहारा देते हुए गेस्ट हाउस का सफ़र तय किया। यह गेस्ट हाउस ज़्यादा बड़ा नहीं था, मगर यह आलीशान था, ठीक वैसे जैसे मेरे पति का घर था। ऐसे लग रहा था जैसे यह गेस्ट हाउस मेरे पति के घर के ही किसी हिस्से की तरह था, क्योंकि इंटीरियर से लेकर जो भी सामान पड़ा था, वह हमारे घर के जैसा ही था।

    मेरे पति ने आलमारी से अपने लिए कपड़े ढूँढते हुए कहा, “मैंने अपने बिज़नेस पर काफी मेहनत की है। बीच के दिनों में मुझे इतना काम करना होता था कि मैं घर नहीं जा सकता था, तो मैंने यहीं पर अपने लिए गेस्ट हाउस बनवा लिया था। मैंने इसे अपने घर के साथ ही बनवाया था, इसलिए तुम्हें कुछ हद तक मेरे घर के जैसा भी लगेगा।”

    मैंने सिर हिला दिया। वह अपने कपड़े लेकर वॉशरूम में जाने लगा, तो मैंने पीछे से रोका, “क्या तुम अकेले ही नहाने जाओगे?” वो अपनी जगह पर रुक गई और मेरी तरफ़ मुड़कर मुझे घूरने लगा। मैं तेज़ी से उसके पास गई, उसकी शर्ट को कॉलर से पकड़ा और उसे अपने साथ बाथरूम में खींचते हुए कहा, “हमें रात के ग्यारह बजे मीटिंग करने जाना है, इतना टाइम नहीं है कि हम अकेले-अकेले नहाकर टाइम वेस्ट करें।”

    थकावट के बाद यह एक अच्छा तरीका था शरीर में तेज़ी से एनर्जी इकट्ठा करने का। एक साथ ठंडे पानी में नहाना और एक-दूसरे की गर्मी को महसूस करना। अंदर जाते ही हम दोनों ने अपने-अपने कपड़े उतार दिए थे। मैंने उसे खींचकर अपने करीब कर लिया था। फिर शॉवर चालू कर दिया था। पानी काफी ठंडा था और अचानक से ही हम दोनों के शरीर में सिरहनियाँ दोड़ चुकी थीं। मगर ठंडे पानी की वजह से गर्मी के एहसास इसकी भरपाई हो रही थी।

    हम दोनों ने एक-दूसरे की बॉडी पर शैम्पू लगाया। वह मेरे सीने को काफी जोर से रगड़ रहा था, जिस पर मैंने उसे डाँटा, “हमारे पास इतना वक़्त नहीं है, मिस्टर शेखावत...” यह कहकर मैं हँस पड़ी क्योंकि ‘मिस्टर शेखावत’ ये वह नाम था जो बार-बार मार्क लुथर ले रहा था और जब भी वह नाम लेता था, तो मेरी हँसी मुझसे ही कट्रोल नहीं होती थी।

    उसने अपने हाथ हटाए और हम दोनों ही जल्दी-जल्दी से नहाकर नए कपड़े पहनकर डिनर के लिए चले गए। जाने से पहले हमने सारी ज़रूरी जानकारी और फ़ाइलें अपने साथ ले ली थीं ताकि डिनर करने के तुरंत बाद हम मार्क लुथर से रात की मीटिंग के लिए निकल सकें। यह रात यादगार रहने वाली थी क्योंकि आज की रात मेरे पति की किस्मत का फैसला होने वाला था।