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दो अजनबी जिसने कभी एक दूसरे को देखा तक न हो और अचानक उन्हें करनी पड़ती है शादी। क्या होगा इस शादी की मंजिल ? जहां 18 साल की परम्परा को बनना पड़ता हैं अपनी ही बहन की जगह दुल्हन और करती हैं अपने से दस साल बड़े नियम से शादी। क्या कभी वो एक दूसरे से प्या... दो अजनबी जिसने कभी एक दूसरे को देखा तक न हो और अचानक उन्हें करनी पड़ती है शादी। क्या होगा इस शादी की मंजिल ? जहां 18 साल की परम्परा को बनना पड़ता हैं अपनी ही बहन की जगह दुल्हन और करती हैं अपने से दस साल बड़े नियम से शादी। क्या कभी वो एक दूसरे से प्यार कर पाएंगे? दोनों के बीच है उम्र का फासला, सोच का फासला। आखिर क्यों बनती हैं परम्परा अपनी बहन के जगह दुल्हन? जानने के लिए पढ़िए unplanned jeewansathi .
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एक बड़ी सी हवेली जो दिखने में सालों पुरानी लग रही थी। पर उसे मॉडर्न तरीके से पुनर्निर्माण किया गया था। हवेली में प्रवेश करते ही सबसे पहले एक आंगन होती है। जिसके बीचों बीच एक लहराती खिलखिलाती तुलसी का पौधा लगा था। जिसकी हरियाली से ही लग रहा था कि उसमें उसमें नियमित रूप से जल पड़ता है। आंगन साधारण सी दिख रही थी। कुछ लोग उसे पीले फूलों से सजा रहे थे। आंगन से थोड़ा और भीतर जाने पर एक हॉल नज़र आता है। एक शाही अहसास दिल को छू जाता है। दीवारें पर हल्के सुनहरे और क्रीम कलर की थीम थी जिस पर कुछ प्राचीन और विशेष प्रकार की तस्वीर लगी थी। हॉल के बीचों बीच रखा आलीशान सेट गहरे मखमली कपड़े में लिपटा हुआ, बैठते ही आराम और सुकून महसूस करता। सामने दीवार पर पर LED screen लगी हुई थी जिसके चारों और लकड़ी की अलमारियां थी। जिसमे सुन्दर कलाकृतियां और किताबें रखी थी। ऊपर लगे झूमर से छन कर आती हल्की सुनहरी रोशनी पूरे कमरे में एक गर्माहट दे रही थी। उसी के एक तरफ रसोई थी जिसमे एक महिला सिलबट्टे पर हल्दी पिस रही थीं। तभी वहां एक और महिला आती और कहती "छोटी हल्दी पिस गई" पहली महिला जो हल्दी पिस रही थी वो कहती है "नहीं दीदी बस कुछ समय और लगेगा" दूसरी महिला कहती हैं "जल्दी करो वरना देर हुई तो नियम को गुस्सा न आ जाए तुम्हे तो पता है न वो समय का कितना पाबंद है" पहली महिला कहती हैं "हां दीदी इसीलिए तो हम जल्दी-जल्दी हल्दी पिस रहे हैं वरना का पता देर होने पर वो हल्दी लगवाने से इनकार न कर दे।" दूसरी महिला कहती हैं "अरे शुभ शुभ बोलो तुम्हें पता है न कितनी मुश्किल से उसे इस शादी के लिए राजी क्या हैं" तभी हॉल से एक बूढ़ी महिला की आवाज आती है"अरे दोनों क्या कर रही हो अंदर हल्दी पीसा हुआ कि नहीं?" दूसरी महिला रसोई से बाहर निकल कर वहां आती हैं और कहती "हां मां जी हल्दी बस पिस ही गई हैं " बड़ी महिला कहती हैं "अगर हल्दी पिस गई है तो तुम जाकर तैयार हो जाओ अब मेहमान भी धीरे धीरे आने लगे हैं। तुम दूल्हे की मां हो ऐसे ही सादे सादे कपड़े में घूमे जा रही हो।" वो महिला कहती हैं"मां जी हम बस एक बार फूल वाले को देख कर आ जाते है कि उसने ठीक से फूल लगाया कि नहीं " बूढ़ी महिला कहती है "उ कम कोई भी कर लेगा पहले तुम जाकर तैयार हो जाओ छोटी बहु भी हल्दी पिस के आए तो हम उसको भी तैयार होने भेज दे। ठाकुर खानदान का बेटा का शादी है और यहां उसकी मां और चाची साधारण से कपड़े में घूम रही है। कोई देखेगा तो का कहेगा ? और तुम उ जो कल नरेश तुम्हारे लिए पीला बनारसी साड़ी लाया है उ पहना समझी। " वो महिला जानती थी अब बहस करने से कोई फायदा नही है तो वो बिना कुछ कहे वहां से अपने कमरे चली जाती हैं। कुछ ही देर में वो महिला जो हल्दी पिस रही थी वो आती है तो बूढ़ी औरत पूछती हैं "हल्दी पिस गई " तो वो कहती "जी मां जी" "अच्छे से ढककर कर दी हो न " बूढ़ी महिला पूछती हैं वो हां कहती हैं तो बूढ़ी महिला उसको भी तैयार होने भेज देती हैं। उसी घर के एक बेडरूम जिसमें ज़्यादा सजावट नहीं थी। एक बिस्तर थी जिस पर काले और सफेद कॉम्बिनेशन से चादर, पिल्लों और ब्लैंकेट व्यवस्थित थी उसके दोनों तरफ टेबल लैंप रखी थीं, एक अलमारी थी और ड्रेसर टेबल जिस में एक बड़ी सी मिरर भी लगी थी और सामने एक लकड़ी की चेयर रखी थी।बेड के सामने एक छोटा सा सोफा भी लगा था और एक छोटी सी कॉफी टेबल भी। दीवारों पर ब्लैक और ग्रे कॉम्बिनेशन की कलर थे, ब्लैक कलर के पर्दे और ब्लाइंड्स भी खिड़कियों पर लगी थी जो प्रकाश नियंत्रण प्रदान करते थे। फर्श पर कालीन बिछी हुई थी।एक तरफ बड़ी सी रैक लगी थी जिसमें कुछ किताबें और फाइल रखी थी, कमरा काफी साफ-सुथरा था। कुल मिलाकर, यहां एक शांत और आरामदायक वातावरण था। जो आरामदायक नींद के लिए आदर्श है। इसी रूम के सोफे पर एक आदमी बैठा कान पर फोन लगाए कह रहा था "हम किसी भी हाल में बगल वाले गांव के लिए rural electrification project पास करना ही होगा मार्च खत्म होने को आया है अब गर्मी शुरू होने ही वाली है और हम नहीं चाहते कि इस बार भी गांव वाले गर्मी से परेशान हो इसलिए इस पर जितनी जल्दी हो सके कम शुरू करो पास वाले गांव में बिजली की बहुत जरूरत है। " दूसरी तरफ से आवाज आती हैं "जी सर हम अभी से ही कम पर लग जाते है।" वो आदमी फोन कट कर वही टेबल पर रखता। तभी गेट पर एक महिला खड़ी थी वो जैसे ही अपना हाथ गेट की तरफ नॉक करने बढ़ती है कि तभी उस आदमी की आवाज आती हैं "मां आज से पहले अपने कभी भी इस कमरे में आने से पहले नॉक नहीं क्या फिर आज क्यों ?" तभी वो महिला अंदर आकर कहती हैं "क्योंकि की कल से इस कमरे में आपके साथ कोई और भी रहने वाली आ जाएगी और हम नहीं चाहती कि कोई हमारे बेटे बहु की जिंदगी में जरा भी दखल दे। " "मां आप लोग क्यों हमारी ज़िंदगी में साथ किसी को जोड़ रहे हैं।" वो आदमी कहता है तभी वो महिला कहती है" जिंदगी अकेले सिर्फ कटती है नियम, जिंदगी जीने के लिए किसी की साथी की जरूरत पड़ती है। " वो आदमी कहता है" मां आप और पूरा परिवार है तो हमारा साथी अब हमे किसी की जरूरत नहीं है" वो महिला कहती हैं"सबकी अपनी एक निजी जिंदगी होती हैं अभी तुम्हारा परिवार है तुम्हारे साथ कच दिन बाद तुम्हारे भाइयों की शादी हो जाएगी फिर उसकी अपनी जिदगी होगी और रही बात हमारी तो हम सब पूरी जिंदगी तुम्हारे साथ नहीं रह सकते हैं एक न एक दिन हमे भगवान के घर जाना ही पड़ेगा" तभी वो आदमी उसे रोकते हुए कहता है " मां " वो महिला कहती हैं "तुम्हारे रोकने से ये सच नहीं बदल सकता है नियम एक न एक दिन हमें इस दुनिया को छोड़कर जाना ही पड़ता हैं और हमारे जाने के बाद तुम खुद को अकेला महसूस करोगे। इसलिए हम चाहते हैं तुम्हारी शादी हो तुम्हारा अपना परिवार हो। " "पर हमे डर लगता हैं मां कही किसी को अपनी जिंदगी में लेकर दुख न पहुंचा दूं आप तो जानती हैं न मेरा अतीत" वो आदमी कहता है "नहीं हम कुछ नहीं जानते हम बस इतना जानते है कि पीछे जो कुछ भी हुआ उसमें मेरे बेटे का कोई दोष नहीं है" वो महिला कहती हैं "आपके कहने से कुछ नहीं होगा मां पूरे गांव के आदमी को लगता हैं हम" वो आदमी अभी बोल ही रहा था कि तभी वो औरत कहती हैं "किसी को कुछ नही लगता अगर कुछ लगता तो तुम इतने बड़ी मतों से विधानसभा का इलेक्शन नहीं जीतते नियम यहां के लोगों को सही गलत का समझ है इसलिए अपने अतीत को तुम पीछे छोड़ों और आने वाले कल के बारे में सोचो। " फिर आगे कहती हैं"और ये क्या तुम ऐसे ही बैठे हो जाकर तैयार हो जाओ हल्दी लगने का वक्त हो गया है।" तो ये है नियम ठाकुर। वैसे तो ठाकुर खानदान का बहुत सारे फैक्ट्री और अपना बिजनेस है। पर नियम ने अपना करियर राजनीति में बनाने का सोचा था और वो आज अपने विधानसभा के विधायक हैं। ये सब से ज्यादा करीब अपनी मां से। इसकी मां ममता ठाकुर जैसे नाम वैसे ही स्वभाव ये दिल की बड़ी कोमल है। और जो हल्दी पिस रही थी वो नियम की चाची देविका ठाकुर इनके दो बच्चे हैं पर ये सबसे ज्यादा प्यार नियम से करती हैं वजह जब वो इस घर में आई थी तो वरदान ही इकलौता बच्चा था। और उसे अकेला पन न हो इस कारण ममता जी नियम को देविका जी को दे देती उसके साथ खेलने और उसका ध्यान रखने। और वो बूढ़ी महिला नियम की दादी निर्मला ठाकुर थी। ये ऊपर से तो सख्त पर अन्दर से नर्म हैं बिल्कुल नारियल की तरह। ............................ To Be Continue
दूसरी तरफ एक बहुत ही प्यारा सा घर जो दुल्हन की तरह सजी थी। घर बहुत ज्यादा बड़ा तो नहीं पर बहुत छोटा भी नहीं था। दिखने से यह घर भी किसी अमीर लोग के घर जितने ही था। इसी घर के एक कमरे में "मां हम आपको कितनी बार कहा है कि हमें ये शादी नहीं करनी पर आप लोग मान क्यों नहीं रही हो।" तभी एक अधेड़ उम्र की औरत कहती है "हमे भी तुम्हे कितनी बार कहा है तुम्हे ये शादी करनी ही होगी।" "मां हमे हमे नौकरी करनी है आप लोग क्यों नहीं समझ रहे है। " वो लड़की थोड़ी रुआंसी आवाज में कहती है। वो औरत उसे थोड़ी डपटते हुए कहती हैं। "तुम लड़की जात हो तुम्हे नौकरी चाकरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए। हम तो शुरू से तुमरे पापा को कह रहे थे कि तुम्हे सिर्फ बारवीं करवा दे पर नहीं उनके सर पर तो बेटी मोह चढ़ा हुआ था। जो तुम्हे MA करवा दिया। इतनी अच्छे घर में रिश्ता करवा दिया है लड़का विधायक है। तो तुम अपने सर से नौकरी करने का भूत उतार दो।" "मां हमे इतनी पढ़ाई इसलिए नहीं की है कि हम शादी कर किसी के घर में बस रोटी बनाते रह जाए। आखिर कब आपलोगों को समझ आएगा कि हर लड़की को बस शादी नहीं करनी होती हैं कुछ लड़कियों की कोई सपना होता है।और हमारा भी सपना है। " वो लड़की रोते हुए कहती हैं। तभी एक 18 साल की एक लड़की वहां आकर कहती हैं "चाची दी को आप नौकरी करने दो न।" वो औरत उस लड़की पर भड़कते हुए कहती हैं "तुम तो चुप ही रहो। कुछ काम धाम तो तुम्हे आता नहीं है बस बाते बनवालो कम न सही कम से कम थोड़ा पढ़ ही लेती जिससे भाई साहब और जेठानी जी को तुम्हारी शादी करवाने में आसानी होती। " ये सुनते ही वो लड़की मुंह बनाकर कहती हैं"आपको किसने कहा हम कभी शादी करेंगे। हम हमेशा इसी घर में रहेंगे इसलिए तो तो हम कोई काम करना नहीं सीखते समझी चाची जी और हां हमे पढ़ाई नहीं करते तभी तो कह रहे हैं पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है इसलिए तो हमसे पढ़ाई नहीं होती पर दी ने इतनी मेहनत की है और आप उसे बर्बाद कर रही हो। " वो औरत कहती हैं"तुम अभी छोटी हो इसलिए इस मामले में मत पड़ो। " फिर पहली वाली लड़की की तरफ मुड़ कर कहती हैं"और तुम जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाओ लड़के वाले के यहां से हल्दी आने ही वाली होगी।" इतना कह वो वह से चली जाती हैं वहीं वो लड़की रोने लगती है तभी छोटी लड़की उसके पास आती और उसके आंसू पोछ कर कहती हैं "दी आप रो मत आप वहां अपने ससुराल वाले से कहना की वो आपको जॉब करने दे। और फिर भी न माने तो आप मुझे बुलाना मैं उन लोगों को इतना परेशान करूंगी कि वो हम दोनों को घर से निकल देंगे फिर हम दोनों यहां आ जाएंगे और आप फिर जॉब करने लग जाना।" ये सुनते ही पहली लड़की जो अब तक रो रही थी वो हंसने लगती है और उसके गाल खींच कहती हैं तुम कितनी क्यूट हो। वो लड़की उसके हाथ से अपना गाल छुड़वा कर अपने गाल को सहलाते हुए कहती हैं"दी मैं जानती हूं कि मैं बहुत क्यूट हूं पर आप मेरे गाल मत खींचो मेरी क्यूटनेस चली जाएगी। "