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Uncontrollable Passion

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Sakshi sheth

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noooooo no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no no...

Total Chapters (3)

Page 1 of 1

  • 1. Uncontrollable Passion - Chapter 1

    Words: 628

    Estimated Reading Time: 4 min

    लॉर्ड्स क्रिकेट स्टेडियम, लंदन वर्ल्ड कप फाइनल – भारत vs ऑस्ट्रेलिया पूरा स्टेडियम चीख रहा था। पूरा स्टेडियम खींचों खींच भरा था । हर किसी की नजरें बस एक शख्स पर टिकी थीं—दिवित आचार्य। सब यही सोच रहे थे ... "अगर वो आउट हुआ, तो इंडिया हार जाएगा!" "अगर उसने सिक्स मारा, तो वो लीजेंड बन जाएगा!" स्टेडियम के बड़े स्क्रीन पर दिवित की शक्ल थी— एक ऐसा चेहरा, जिसमें डर नाम की कोई चीज़ नहीं थी! वो हेलमेट उतार चुका था। गर्मी से भीगे उसके बाल बिखरे हुए थे, माथे से पसीना बह रहा था, लेकिन उसकी वो Icy grey आँखें—डार्क, इंटेंस और किलर स्माइल से भरी हुई! वो मैदान के बीचों-बीच खड़ा था, अपने हाथों में बैट घुमाते हुए—वो अभी उस तरह गेम में डूबा हुआ था मानो जैसे पूरी दुनिया उसके लिए कोई मायने ही नहीं रखती। अभी हाल यूं था कि आखिरी ओवर थी और– 20 रन चाहिए थे ! पिच पर अभी ऑस्ट्रेलियन बॉलर: जॉर्ज डेविस – दुनिया का सबसे खतरनाक बोलर। और बैटिंग स्ट्राइक: दिवित आचार्य – क्रिकेट का सबसे बेकाबू सितारा। दिवित ने धीरे से बेट उठाया, हल्की मुस्कान उसके चेहरे पर खेल गई। उसने धीरे से बोला "तो, तुम मुझे आउट करना चाहते हो?" बॉलर ने घूरा, लेकिन कुछ नहीं बोला। अंपायर ने हाथ उठाया—ओवर शुरू! जॉर्ज ने पहली बॉल डाली – यॉर्कर! बोल सीधे स्टंप्स पर… लेकिन दिवित के बैट से टकराते ही बॉल सीधा स्टैंड्स में! "सिक्स्स्स्स्स्स!" पूरा स्टेडियम गूंज उठा। ____________________ दूसरी बॉल – बाउंसर! लेकिन दिवित झुका नहीं, बल्कि बेट सीधा ऊपर की तरफ किया और—"एक और छक्का!" अब सिर्फ 8 रन चाहिए! ____________________ तीसरी बॉल – फुल टॉस! इस बार उसने हल्का शॉट मारा—गेंद बाउंड्री पार, चौका! अब सिर्फ 4 रन! ____________________ ऑस्ट्रेलियन बॉलर गुस्से में आगबबूला हो चुका था । कहते है न कि गुस्से में इंसान अपना काबू खो देता है और पागल सा हो जाता है यहां भी कुछ ऐसा ही होने वाला था । ____________________ आखिरी बॉल – सिर्फ 4 रन चाहिए! दिवित की आंखें बॉलर से टकराईं। उसके होंठों पर वही कातिलाना स्माइल थी। जैसे वो पहले से जानता था कि ये मैच कौन जीतेगा। बॉलर ने बॉल फेंकी—सुपर फास्ट यॉर्कर! बॉल सीधी स्टंप्स की तरफ…लेकिन…धड़ाम!!! बॉल सीधा स्टैंड्स में!!! "SIXXXXX!!! INDIA WINS THE WORLD CUP!!!" दिवित आचार्य – The Legend is Born! सभी जगह यही एक लाइन गूंज गई। पूरा स्टेडियम दिवित के नाम से गूंज उठा! फैंस पागल हो गए, हर जगह "King Divit! King Divit!" के नारे गूंजने लगे। टीम के प्लेयर्स उसे उठाने दौड़े, लेकिन उसने किसी को घास तक नहीं डाली। वो सिर्फ अपना बेट उठाए खड़ा था, आँखें बंद कीं, और हल्की मुस्कान दी— "ये सिर्फ मेरी जीत थी, किसी और की नहीं!" कैमरा उसकी आँखों के ठीक सामने था। रिपोर्टर चीख रहा था, "दिवित सर , आपने ये मैच अपनी टीम के लिए जीता या अपने लिए?" उसने सिर्फ एक जवाब दिया— "I don’t play for the team… I play for myself!" दूसरी तरफ न्यूयॉर्क, USA (Brand Strategy Headquarters) बड़े से केबिन में एक लड़की बैठी थी। वाइन कलर की बॉडीकॉन ड्रेस , पेंसिल हिल सेंडल, ब्लैक वॉच , लोग स्ट्रेट्स बाल और सिंपल पर्ल वाली चैन और इयरिंग्स। वो थी निर्वा जैन । वो अभी अपने ऑफिस में बैठी थी। केबिन में सब कुछ एक्सपेंसिव था। हाथ में वाइन का ग्लास, और सामने दिवित आचार्य का लाइव इंटरव्यू! उसकी एमरल्ड ब्ल्यू आंखों में दिवित का चहरा चमक रहा था। उसने स्क्रीन की तरफ देखा, उसकी आँखों में एक अजीब-सा ठंडा इंटरेस्ट झलक रहा था। "I don’t play for the team… I play for myself!" उसके होंठों पर हल्की सी स्माइल आई। "Interesting… तुम खुद को कंट्रोल नहीं होने देते, लेकिन अब तुम मेरे कंट्रोल में आने वाले हो, दिवित!" उसने इंटरकॉम उठाया— "शोभित, अगले हफ्ते दिवित आचार्य के साथ मीटिंग फिक्स करो!"

  • 2. Uncontrollable Passion - Chapter 2

    Words: 1055

    Estimated Reading Time: 7 min

    मुंबई, इंडिया The Royal Suite, Taj Hotel बालकनी में ठंडी हवा बह रही थी। मुंबई की रातें हमेशा से चकाचौंध से भरी होती थीं, लेकिन इस वक्त सिर्फ एक ही चीज़ चमक रही थी— दिवित आचार्य की आइस ग्रे आँखें। वो अपने हाथ में ग्लास घुमा रहा था, उसकी उंगलियां शराब के किनारे पर खेल रही थीं, लेकिन उसका दिमाग कहीं और अटका था। निर्वा जैन... नाम नया था, लेकिन आवाज़ में अजीब-सी पावर थी। ये पहली बार था जब किसी औरत की आवाज़ में इतना सधा हुआ कंट्रोल था। "तुम्हारी पूरी क्रिकेट लाइफ अब मेरे कंट्रोल में आने वाली है!" उसके दिमाग की गियर तेज़ी से घूमने लगे। आखिर ये औरत थी कौन? और इसका उससे क्या लेना-देना था? उसने फोन उठाया और गूगल में नाम टाइप किया— Nirva Jain. जैसे ही स्क्रीन पर रिजल्ट्स आए, उसकी भौंहें हल्की-सी उभरीं। Founder & CEO – NJ Sports Branding The woman who turned athletes into global brands Most powerful businesswoman in the sports industry दिवित ने हल्की-सी मुस्कान दी। "तो ये खेल था..." निर्वा जैन कोई आम PR मैनेजर नहीं थी। वो खेल के सबसे बड़े ब्रांड्स को कंट्रोल करती थी। उसने फोन नीचे रखा और फिर से ग्लास उठाया। हल्की-सी स्माइल के साथ उसने बुदबुदाया— "खेल इंट्रेस्टिंग हो रहा है..." --- New York, USA NJ Branding Headquarters निर्वा अपने ऑफिस में बैठी थी। उसके सामने उसकी असिस्टेंट शोभित खड़ा था, जो फाइल्स लेकर आया था। "मैम, हमने सारी डीटेल्स कलेक्ट कर ली हैं। दिवित आचार्य का पूरा करियर ट्रैक किया गया है। वो भले ही वर्ल्ड कप हीरो हो, लेकिन उसकी इमेज बहुत कंट्रोवर्शियल है।" निर्वा ने हल्की स्माइल दी। "यही तो उसे परफेक्ट बनाता है, शोभित। एक किंग तभी किंग बनता है जब उसकी कहानी में थोड़ा रिबेलियन हो!" "पर मैम, वो आपकी कोई भी डील एक्सेप्ट करेगा या नहीं, ये कैसे कन्फर्म करें?" निर्वा ने एक पैनी नज़र डाली। उसकी एमरल्ड ब्लू आँखें ठंडी और शार्प थीं। "डील्स को एक्सेप्ट नहीं करवाया जाता, शोभित... डील्स को इस तरह रखा जाता है कि सामने वाला उसे लेने के लिए मजबूर हो जाए।" वो ठंडी शरारती मुस्कान के साथ बोली— "और दिवित आचार्य… उसे तो मैं मजबूर नहीं, बल्कि उसके खुद के खेल में फंसा दूँगी।" उसने अपने फोन की स्क्रीन पर मैसेज टाइप किया— "Welcome to the real game, Mr. Acharya. See you in New York. - Nirva Jain" --- Mumbai, India अगली सुबह सुबह होते ही दिवित के फोन पर मैसेज चमका। उसने स्क्रीन देखी और फिर से वही हल्की मुस्कान आई। "New York?" उसने फोन उठाया और अपने मैनेजर राघव को कॉल लगाया— "फ्लाइट बुक कर दो। मैं न्यूयॉर्क जा रहा हूँ।" राघव ने हैरानी से पूछा, "पर इतनी जल्दी? और वो भी न्यूयॉर्क?" "हाँ," दिवित ने ठंडे लहजे में कहा। "क्योंकि अब खेल शुरू हो चुका है।" ----- New York, USA JFK International Airport न्यूयॉर्क की ठंडी हवाएँ चेहरे पर लगते ही दिवित के होठों पर हल्की स्माइल आई। उसके चारों तरफ क्रेज़ी भीड़ थी—कैमरामेन, रिपोर्टर्स, और क्रिकेट फैंस, जो बस उसकी एक झलक पाने के लिए उतावले हो रहे थे। "दिवित! दिवित! इंडिया वापस जाने से पहले कोई बड़ा प्रोजेक्ट साइन कर रहे हैं क्या?" "आपका न्यूयॉर्क आने का असली रीजन क्या है?" "सूत्रों से पता चला है आप NJ स्पोर्ट्स ke sath koi डील करने वाले हो क्या ये सच है ? "क्या NJ Sports Branding के साथ डील फाइनल हो गई है?" दिवित ने ब्लैक शेड्स आँखों पर एडजस्ट किए और बिना कुछ बोले आगे बढ़ गया। उसे अच्छे से पता था कि मीडिया सिर्फ वही सुनता है जो कोई उन्हें सुनाना चाहता है। और फिलहाल, उसे कुछ भी कहने की जरूरत नहीं थी... at least, not yet. सिक्योरिटी उसे डायरेक्ट लिमोज़ीन तक लेकर गई। ड्राइवर ने बैक सीट का डोर खोला। जैसे ही वो अंदर बैठा, ड्राइवर ने उसे एक लेटर थमाया। "मैम ने आपको ये देने के लिए कहा है।" "मैम?" "निर्वा जैन ma'am।" दिवित ने बिना किसी एक्सप्रेशन के लेटर खोला। अंदर सिर्फ एक सिंपल व्हाइट कार्ड था, जिस पर गोल्डन इंक में लिखा था— "Welcome to my city, Mr. Acharya. गेम स्टार्ट हो चुका है। See you at 7 PM. - Nirva Jain" उसके होठों पर हल्की-सी स्मिर्क आई। "गेम तो वाकई इंटरेस्टिंग होने वाला है..." --- Evening – NJ Branding Headquarters निर्वा अभी अपने ऑफिस की फ्लोर-टू-सीलिंग विंडो से न्यूयॉर्क का व्यू देख रही थी। चारों तरफ फैली ब्राइट लाइट्स, बिज़ी सड़कों की हलचल, और ऊपर चमकते स्काईस्क्रेपर्स... लेकिन उसे फिलहाल सिर्फ एक चीज़ का इंतज़ार था— गेम के सेकंड प्लेयर का। "मैम, दिवित आचार्य सर बिल्डिंग में एंटर कर चुके हैं," असिस्टेंट शोभित ने रिपोर्ट दी। "Good... टाइम पर है," निर्वा के होठों पर एक शार्प स्माइल आई। कुछ मिनट बाद, ऑफिस के डबल डोर्स खुले और दिवित अंदर एंटर हुआ। उसकी चाल में वही कैज़ुअल कॉन्फिडेंस था, आँखों में वही अनब्रेकेबल डॉमिनेंस। उसने धीरे से ब्लैक शेड्स उतारे और निर्वा की तरफ देखा। "Interesting welcome, Ms. Jain." निर्वा अपनी सीट से उठी, उसकी आँखों में हल्की प्लेफुलनेस चमकी। "I like to make an impression, Mr. Acharya." ये कहते हुए दोनों ने शेकेहैंड किया और दोनों बैठ गए। दिवित ने उसे अच्छे से ऑब्ज़र्व किया। उसकी वॉइस जितनी कंट्रोल्ड थी, उसका ओवरऑल प्रेजेंस भी उतना ही पावरफुल। ब्लैक पेंसिल स्कर्ट और सिल्वर क्लर के सिल्क शर्ट में वो परफेक्ट corporate queen लग रही थी। लेकिन उसकी आँखों में जो शाइन थी... वो किसी मास्टरमाइंड से कम नहीं थी। "So... मेरी क्रिकेट लाइफ अब तुम्हारे कंट्रोल में आने वाली है how?" दिवित ने हल्का तंज कसा और डायरेक्ट प्वाइंट पर आते हुए कहा । "Already आ चुकी है," निर्वा ने कूल टोन में कहा। "बस तुम्हें अब तक रियलाइज़ नहीं हुआ।" "Oh?" दिवित ने हल्का आईब्रोज़ उचकाया। "तो फिर मुझे बताओ, मैं यहाँ क्यों हूँ?" निर्वा ने सामने टेबल पर एक फाइल स्लाइड की। "ये तुम्हारे करियर की अब तक की सबसे बड़ी डील है। लेकिन इसमें सिर्फ तुम्हारी मर्ज़ी नहीं चलेगी, दिवित।" दिवित ने फाइल खोली और स्लोली पेजेज़ पलटने लगा। लेकिन उसकी नज़र सिर्फ पेपर्स पर नहीं थी— निर्वा पर भी थी। "Hmm... और अगर मैं डील एक्सेप्ट करने से मना कर दूँ?" उसने लो वॉइस में पूछा। "तो फिर तुम गेम हार जाओगे," निर्वा की वॉइस में वही स्ट्रॉन्ग कॉन्फिडेंस था। "और दिवित आचार्य... हारने वालों में से नहीं है, है ना?" दोनों के बीच एक टेंशन भरी साइलेंस फैल गई। गेम स्टार्ट हो चुका था। --- To Be Continued...

  • 3. Uncontrollable Passion - Chapter 3

    Words: 1437

    Estimated Reading Time: 9 min

    NJ Branding Headquarters 7:30 PM ऑफिस के बड़े ग्लास विंडोज़ से बाहर, न्यूयॉर्क अपनी पूरी लाइट्स के साथ शाइन कर रहा था। लेकिन इस रूम में... सिर्फ दो प्लेयर्स थे। दिवित ने एक बार फिर फाइल पर नज़र डाली, फिर निर्वा को देखा। "तो, ये मेरी अब तक की बिगेस्ट डील है?" उसने हल्के sarcasm के साथ कहा। "Absolutely," निर्वा ने एक परफेक्ट स्माइल के साथ जवाब दिया। "Global Sports Branding का मोस्ट एक्सक्लूसिव प्रोजेक्ट। तुम्हारी ब्रांड वैल्यू ट्रिपल हो सकती है... अगर तुम सही मूव लो।" "और अगर मैं ‘No’ कह दूँ?" "Then you should know कि तुम्हारे पास कोई दूसरा ऑप्शन नहीं बचेगा, Mr. Acharya," निर्वा की वॉइस सॉफ्ट थी, लेकिन उसमें एक डेंजरस शार्पनेस थी। दिवित की ब्राउन आइज़ में हल्की चमक आई। उसने फाइल बंद की और स्लोली अपनी चेयर पीछे पुश की। "तुम्हें लगता कि तुम मुझे अंडरएस्टीमेट कर रही हो, Ms. Jain?" निर्वा ने अपने आर्म्स क्रॉस किए और हल्के से स्माइल की। "Oh, believe me, दिवित… मैं कभी किसी को अंडरएस्टीमेट नहीं करती। खासकर उनको नहीं, जो मेरे गेम का पार्ट बनने वाले होते हैं।" दिवित ने हल्की स्मिरक के साथ सांस छोड़ी। "Interesting... but there’s a problem." "And what is that?" "मैं किसी के भी कंट्रोल में नहीं आता, Ms. Jain।" "Let’s rephrase that," निर्वा ने टेबल पर हल्की नॉक करते हुए कहा। "तुम अब तक किसी के कंट्रोल में नहीं आए। But there’s always a first time, isn’t it?" दिवित के चेहरे पर स्लोली एक स्मिरक आया। "तो तुम्हें लगता है कि तुम वो पहली इंसान हो?" "No," निर्वा एक स्टेप उसकी ओर बढ़ी। "But I’m definitely the first one जो तुम्हें सच में चैलेंज कर सकती है।" दिवित ने बिना मूव हुए उसे देखा। परफेक्टली स्टिल, सुपर कूल। लेकिन उसकी आइज़ में जो flicker था... वो कुछ और ही कह रहा था। निर्वा ने अपनी wristwatch पर नज़र डाली। "It’s getting late. तुम्हें अपने होटल जाना चाहिए।" दिवित स्लोली उठा, शेड्स वापस आँखों पर लगाए, और डोर की ओर बढ़ा। लेकिन जैसे ही वो डोर के पास पहुँचा, उसने लोअर टोन में कहा— "You’re playing a dangerous game, Ms. Jain." निर्वा ने हल्की स्माइल के साथ जवाब दिया। "I always do, Mr. Acharya." Game on. ----- NJ Branding Headquarters – 11:00 PM दिवित अपनी लिमोज़ीन की बैकसीट पर बैठा था, लेकिन उसका ध्यान बाहर की सिटी लाइट्स पर नहीं था। उसके हाथ में वो सिंपल-सा फाइल फोल्डर था, जो निर्वा ने उसे दिया था। लेकिन उसके लिए ये सिर्फ एक डील पेपर नहीं था— ये एक चाल थी। उसने फोल्डर खोला और फिर से पेजेज स्कैन किए। Numbers, Contract Terms, Brand Expansion Strategies… सबकुछ परफेक्ट था। Almost… बहुत परफेक्ट। "Too clean," उसने हल्की आवाज़ में कहा। ड्राइवर ने मिरर में देखा। "Sir?" दिवित ने एक सेकंड के लिए सोचा, फिर फोल्डर बंद करके अपनी वॉलेट से एक Black Card निकाला। "तुरंत राघव को कॉल करो।" ड्राइवर ने सिर हिलाया और वायरलेस सिस्टम पर नंबर डायल किया। Seconds later… कॉल कनेक्ट हो गई। "Boss?" "राघव, मुझे इस डील की पूरी डीटेल्स चाहिए।" "Already on it, sir. But there's something you should know..." दिवित ने हल्की स्मिरक के साथ आँखें बंद कीं। "बोलो?" "निर्वा जैन सिर्फ NJ Branding की ओनर नहीं है... वो इससे भी ज्यादा कुछ है।" दिवित की आँखें धीरे-धीरे खुलीं। "Define 'more' for me, Raghav." फोन के दूसरी ओर एक सेकंड की खामोशी रही, फिर राघव ने एक सिंपल लेकिन शॉकिंग स्टेटमेंट दिया— "She owns a whole damn empire, Boss. And… she plays dirtier than you think." ("वह एक पूरे साम्राज्य की मालिक है, बॉस। और... वह जितना आप सोचते हैं उससे कहीं ज़्यादा गंदा खेल खेलती है।") लिमोज़ीन अब Manhattan's Upper East Side की सड़कों पर तेज़ी से मूव कर रही थी, लेकिन दिवित का ध्यान बाहर की सिटी लाइट्स पर नहीं था। फोन अभी भी उसके हाथ में था, और दूसरी तरफ से राघव की आवाज़ आ रही थी— "She owns a whole damn empire, Boss. And… she plays dirtier than you think." दिवित की आँखों में हल्की चमक आई। उसने आराम से सीट की बैक पर सिर टिकाया और हल्की स्मिरक के साथ पूछा— "कितना डर्टी?" राघव की हल्की हंसी आई। "इतना कि तुझे भी सोचने पर मजबूर कर दे।" "I don't get surprised easily, Raghav." "तो फिर ये सुन— NJ Branding सिर्फ एक ब्रांडिंग कंपनी नहीं है। ये बस 'फ्रंट' है। असली गेम इसके पीछे है।" "Go on." "निर्वा जैन के पास multiple हाई-प्रोफाइल कंपनियों के स्टॉक्स हैं— टेक्नोलॉजी, मीडिया, स्पोर्ट्स, और… underground networks।" दिवित की उंगलियाँ हल्के से उसकी जैकेट की स्लीव पर ड्रम करने लगीं। "Underground networks?" "इलीगल डीलिंगस, कंट्रोवर्शियल इन्वेस्टमेंट और कॉन्फिडेंशियल डेटा ट्रांसफर। NYPD और FBI को उस पर शक है, लेकिन उसके खिलाफ कोई solid proof नहीं मिला।" "Interesting." राघव ने एक सेकंड रुककर कहा, "और एक चीज़… निर्वा ने सिर्फ तुझे NJ Branding के साथ साइन करने के लिए अप्रोच नहीं किया। ये पर्सनल है, दिवित।" "Personal?" "Yes. उसने तुझे टारगेट किया है, और तेरे खिलाफ गेम प्लान कर रही है।" अब दिवित पूरी तरह अलर्ट मोड में था। उसकी आँखों में वो पुरानी शरारत थी, लेकिन साथ में एक शार्पनेस भी थी— एक शिकारी की शार्पनेस। "तो... गेम सच में इंट्रेस्टिंग होने वाला है।" --- वहीं NJ Branding Headquarters निर्वा अपने ऑफिस में थी, लेकिन उसके सामने सिर्फ डील पेपर्स नहीं थे। उसकी टेबल पर एक डिजिटल स्क्रीन थी, जिस पर दिवित की हर मूव की लाइव लोकेशन ट्रैक हो रही थी। उसकी उंगलियाँ बड़े आराम से एक क्रिस्टल ग्लास के रिम पर चल रही थीं। उसने हल्की स्माइल के साथ स्क्रीन पर नज़र डाली और खुद से कहा— "अब देखना ये है, Mr. Acharya… तुम पहले अपना पहला मूव लेते हो या मैं ? ये बोल वो स्क्रीन पर देखने लगी थी। New York – 12:30 AM रात गहरी हो चुकी थी, लेकिन खेल अभी शुरू ही हुआ था। दिवित की लिमोज़ीन The Ritz-Carlton के प्राइवेट एंट्रेंस पर स्लो हुई। वो बिना किसी एक्स्ट्रा मोशन के बाहर निकला, सूट की स्लीव सही की, और लॉबी की ओर बढ़ गया। लेकिन जैसे ही उसने होटल का ग्लास डोर पुश किया, एक अजनबी फेस उसके रास्ते में आ गया। "Mr. Acharya?" दिवित ने अपनी ब्लैक शेड्स उतारी और सामने खड़े आदमी को देखा— एक FBI एजेंट। "Looks like you had a long night," एजेंट ने हल्की स्माइल के साथ कहा। "लेकिन तुम्हें सोने से पहले हमारे साथ थोड़ा टाइम बिताना पड़ेगा।" दिवित ने बिना किसी सरप्राइज़ के एजेंट को देखा। "वाई? व्हाट शुड आई डू? "Well… कोई और कर रहा है, और तुम्हारा नाम उसमें जुड़ चुका है।" अब दिवित को सच में इंट्रेस्ट आने लगा था। --- NJ Branding Headquarters – At The Same Time निर्वा ने अपनी फोन स्क्रीन पर FBI इंटरोगेशन नोटिफिकेशन देखा और उसकी स्माइल थोड़ी और गहरी हो गई। "That was fast…" उसने खुद से कहा। उसने ग्लास उठाया और एक स्लो सिप लिया। "चलो, Mr. Acharya… अब देखो कि गेम में पहला स्ट्राइक कौन मारता है।" खेल अब और खतरनाक हो चुका था। ----- FBI Headquarters – New York 1:15 AM कमरे में सिर्फ तीन लोग थे। एक FBI एजेंट, एक सिक्योरिटी गार्ड, और दिवित आचार्य— जो चेयर पर एकदम रिलैक्स होकर बैठा था, जैसे ये कोई बिजनेस मीटिंग हो। "So, Mr. Acharya," एजेंट ने फाइल खोलते हुए कहा, "आपको पता है कि आप यहाँ क्यों हैं?" दिवित ने हल्की स्मिरक के साथ जवाब दिया, "मुझे लगता है कि तुम मुझे बताने ही वाले हो।" "Illegal activities. Suspicious transactions. और…" एजेंट ने एक फोटो उसकी तरफ स्लाइड की। "NJ Branding से आपका रिलेशन।" दिवित ने फोटो पर एक नजर डाली। निर्वा जैन। उसकी परफेक्ट स्माइल वाली एक हाई-क्वालिटी तस्वीर थी। दिवित ने हंसते हुए फोटो उठाई और रौशनी की तरफ देखा। "Well, she does take good pictures." एजेंट के एक्सप्रेशन सख्त हो गए। "ये मज़ाक की बात नहीं है, Mr. Acharya। निर्वा जैन सिर्फ एक ब्रांडिंग एक्सपर्ट नहीं है। वो इससे कहीं ज्यादा है। और तुम…" उसने डायरेक्ट दिवित की आँखों में देखा। "तुम उसकी गेम का हिस्सा बन रहे हो।" दिवित ने धीरे से फोटो टेबल पर रखी और कहा, "Or maybe... she's part of mine." कमरे में कुछ सेकंड के लिए साइलेंस छा गया। "Interesting." एजेंट ने फाइल बंद की। "तो तुम कहना चाहते हो कि वो तुम्हें यूज़ नहीं कर रही?" दिवित ने शांति से कहा, "अगर कोई मुझे यूज़ कर सकता है, तो मैं उसे डिज़र्व करता हूँ।" --- वही NJ Branding Headquarters निर्वा अपने ऑफिस में अकेली थी, लेकिन उसकी स्क्रीन पर एक लाइव फीड चल रही थी। FBI इंटरोगेशन रूम का लाइव फीड। उसने अपनी ग्लास टेबल पर उंगलियाँ टेप कीं और हल्की मुस्कान के साथ स्क्रीन पर दिवित को देखा। "Impressive, Mr. Acharya… लेकिन असली टेस्ट अभी बाकी है।" --- To Be Continued...