राध्या की पूरी दुनिया ही हिल गई जब उसका बेस्ट फ्रेंड ही उसका स्टेप ब्रदर बन गया। यह कहानी एक इमोशनल रोलरकोस्टर राइड है रिश्तों और प्यार की... क्या रक्षित और राध्या कभी एक हो पाएंगे, या समाज के डर से हमेशा के लिए एक-दूसरे से दूर हो जाएंगे? जानने के ल... राध्या की पूरी दुनिया ही हिल गई जब उसका बेस्ट फ्रेंड ही उसका स्टेप ब्रदर बन गया। यह कहानी एक इमोशनल रोलरकोस्टर राइड है रिश्तों और प्यार की... क्या रक्षित और राध्या कभी एक हो पाएंगे, या समाज के डर से हमेशा के लिए एक-दूसरे से दूर हो जाएंगे? जानने के लिए पढ़ें Unbroken Bond by NovelFairy!
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"A rejected kiss" "Kiss her ,kiss her!" चारों तरफ से आती यह एक्साइटमेंट से भरी आवाज़ें मेरे दिल की धड़कनें और तेज़ कर रही थीं। हंसी-मज़ाक और चिढ़ाने की आवाज़ों के बीच, कोने में रखे स्टीरियो से धीमी आवाज़ में बजता संगीत माहौल को और भी रोमांटिक बना रहा था। मैंने बगल में बैठी अपनी सबसे अच्छी दोस्त आलिया का हाथ कसकर पकड़ लिया, । और खुद को यकीन दिलाने की कोशिश कि, क्या यह सच में हो रहा है?, या फिर यह मेरा कोई मीठा सपना है, जो हर बार की तरह इस बार भी टूट जाएगा। दिल की बेकाबू धड़कनों को खुद में ही समेटते हुए, मैं किसी की नज़रों की गर्माहट में पिघलती जा रही थी। बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटाकर मैंने अपनी नज़रें उठाईं और सामने बैठे उस शख्स को देखने की कोशिश की, जिसका चेहरा दीवार पर लटकी फेरी लाइट्स की रोशनी में दमक रहा था। "My God, ये वाकई बहुत हैंडसम है। शायद 'हैंडसम' शब्द इसी के लिए बना है!" "रक्षित आहूजा"— मेरा बरसों पुराना क्रश, मुझे बिना किसी भाव के देख रहा था। उसके चेहरे के हाव-भाव से कुछ भी समझ पाना मुश्किल था। वह हमेशा से ऐसा ही था—जिसे समझना नामुमकिन। "क्या वो भी उतना ही एक्साइटेड है, जितनी मैं?" "क्या इस किस के बाद हमारे बीच सबकुछ नॉर्मल रहेगा?" "जब उसके नरम होंठ मेरे होंठों को छूएंगे, तो कैसा महसूस होगा?" ये ख्याल ही मेरी रीढ़ में सिहरन दौड़ाने के लिए काफी थे। लेकिन तभी— "उसने बीयर का कप उठा लिया!" शिट! "बोरिंग! बोरिंग!" पूरा ग्रुप एक साथ निराशा में चिल्लाया। जहाँ मैं अपनी कल्पनाओं के मुलायम बादलों पर सवार थी, वहीं इन आवाज़ों ने मुझे हकीकत की कठोर ज़मीन पर ला पटका। "क्या बेइज़्ज़ती हुई है मेरी!" "उसने मुझे रिजेक्ट कर दिया?" मैने अपनी हथेली भींची, नाखून हथेलियों में चुभने लगे ,मैने खुद को यह एहसास दिलाया कि यह कोई सपना नहीं, बल्कि सच्चाई है।एक कड़वी सच्चाई। मेरे so called"क्रश" ने मुझे सबके सामने किस करने से मना कर दिया। "क्या मैं इतनी अनअट्रैक्टिव हूँ? इतनी नापसंद?" यह ख्याल ही मेरे दिल को चोट पहुंचाने के लिए काफी था। मैं अपनी आँखों में छलकते आँसू रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी। "ये सबसे बुरा सपना था, है ना?" उसने मेरा पूरी ग्रुप के सामने मज़ाक बना दिया था। "बूउउउ!" पूरे ग्रुप ने एक साथ हूटिंग शुरू कर दी, उसके बाद कुछ हंसी और चिढ़ाने वाली आवाज़ें। हर किसी की नज़रें अब जैसे मुझे चुभ रही थीं। अचानक माहौल में एक भारी खामोशी सी छा गई। भारी मन से, अपनी भावनाओं को छिपाते हुए, मैंने रक्षित की आँखों में देखने की कोशिश की। पर वहाँ कुछ भी नहीं था। कोई सुकून, कोई पछतावा—कुछ नहीं। और फिर… उसने अपना ग्लास उठाया, मेरी तरफ इशारा किया, और हल्की-सी मुस्कान के साथ मेरा मज़ाक बना दिया। "मैं कितनी बेवकूफ़ हूँ, जो यह उम्मीद कर रही थी कि वह मेरा साथ देगा!" मैंने गहरी सांस ली, सीने में frustration का भार महसूस किया । पता नहीं पर क्यों, उसका यह रिजेक्शन मुझे इतना चुभ रहा था। मैं भारी कदमों से हॉल से बाहर निकल गई। पीछे से आती हंसी और संगीत की आवाज़ धीमी होती गई, जैसे ही मैंने बैक डोर खोला और ठंडी रात की हवा में कदम रखा। मैंने अपने बाहों को खुद के चारों ओर लपेटा और धीरे-धीरे पूल की तरफ बढ़ने लगी। "राध्या!" एक जानी-पहचानी आवाज़ ने मुझे पीछे से पुकारा। मैंने मुड़कर देखा—आलिया! वह जल्दी-जल्दी मेरी तरफ बढ़ रही थी, उसके चेहरे पर चिंता की लकीरें थी। "अरे, रुको! तुम ठीक तो हो?" मैंने कंधे उचकाए, एक नकली हंसी के साथ—"हाँ, मैं ठीक हूँ... बस ताज़ी हवा लेने आई थी।" आलिया भौंहें चढ़ाकर मेरे और पास आई। उसकी आँखों में एक संदेह था। "रक्षित एक गधा है, तुम जानती हो ना?" वह गुस्से से बोली। "पता है," मैंने जवाब दिया, लेकिन मेरी आवाज़ हल्की-सी कांप गई। "बस… उफ़!" अब तक रोके हुए आँसू आखिरकार छलक पड़े। आलिया ने तुरंत अपनी बाँहें बढ़ाई और मैंने भी आगे बढ़कर उसे कसकर गले लगा लिया। "उसने सबके सामने मेरा मज़ाक उड़ाया! देखा तुमने?" मैंने शिकायत भरे लहज़े में कहा। "क्या मैं इतनी बेकार दिखती हूँ कि उसने मुझे एक गेम के लिए भी किस करने से मना कर दिया?" नहीं राध्या आलिया कुछ कहने ही वाली थी, तभी— "अरे देखो ज़रा, यहाँ कौन बैठा रो रहा है?" एक तंज़ भरी आवाज़ सुनाई दी। मैंने सिर घुमाया—कियारा! रक्षित की किसी एक रात की गर्लफ्रेंड में से एक। उसने परफेक्ट तरीके से बालों का hairstyle बनाया हुआ था , हमेशा की तरह flawless मेकअप, और उसके पीछे पीछे खड़ी उसकी फ्रेंड्स जिन्हें सिर्फ लोगो पे हंसने के अलावा कोई काम आता नहीं था । "तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है, कियारा?" आलिया ने गुस्से से कहा। कियारा ने एक नाटकीय मुस्कान दी। "ओह, कुछ नहीं। बस सोच रही थी कि यहाँ बैठकर रोने का क्या फायदा? रक्षित ने आखिर तुम्हें तुम्हारी औकात दिखा ही दी, है ना?" मेरा चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "क्या बकवास कर रही हो?" कियारा ने आँखें घुमाई, "प्लीज़! क्या तुम्हे सच में लगा था कि वह तुम्हें किस करेगा?" "कियारा, बकवास मत करो और जाओ यहां से !" आलिया ने उसे चेतावनी देते हुवे कहा। पर कियारा नहीं रुकी। वह मेरे और करीब आई, और अचानक… उसने मुझे धक्का दे दिया! "राध्या!" आलिया चिल्लाई, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। मैं सीधे पूल में जा गिरी। ठंडा पानी मेरे चारों तरफ फैल गया। कुछ सेकंड बाद जब मैं ऊपर आई, खांसते हुए, मेरे बाल चेहरे से चिपके हुए थे। "Oopsie!" कियारा और उसकी सहेलियाँ ज़ोर-ज़ोर से हँस रही थीं। "अरे, पूल यहाँ था? पता ही नहीं चला!" आलिया घबराकर पूल के किनारे पर झुकी। "राध्या, तुम ठीक हो? चलो, बाहर आओ!" उसने अपना हाथ मुझे देते हुवे कहा। मैंने कोई जवाब नहीं दिया। जैसे ही मैं आलिया की मदद से पूल से निकली, मेरी नज़र हॉल की तरफ गई। वहां दरवाजे पे खड़ा रक्षित एक रेड-बालों वाली लड़की को किस कर रहा था। मेरे अंदर कुछ टूट सा गया । एक लड़का, जिसने अभी मुझे सबके सामने रिजेक्ट किया, अब सबके सामने किसी और को किस कर रहा था। और कियारा के शब्द मेरे कानों में फिर से गूंज रहे थे। काश यह ज़मीन फट जाती और मैं उसमें समा जाती। मैं अपने भीगे कपड़ों में, खुद को खुद में समेटते हुए वहाँ से निकल गई। ... और तभी— "अरे, तुम ठीक हो?" किसी की अंजान आवाज ने मुझे आगे बढ़ाने से रोक दिया मैने धीरे-धीरे सिर उठाया और अपने सामने खड़े लड़के को देखा। रियांश। उसकी तेज़ नीलगिरी जैसी नीली आँखें अंधेरे में भी चमक रही थीं। हल्के गीले बाल, शार्प जॉ लाइन, और एक ऐसा आत्मविश्वास, जो किसी को भी अपनी ओर खींच सकता था। लेकिन इस वक्त, उसके चेहरे पर हल्की चिंता थी। क्या वो मेरे लिए चिन्तित था? "मैं ठीक हूँ," मैने ने बुझे हुए लहज़े में , उससे नज़रें चुराते हुए कहा । में अपने भीगे हुवे कपड़ों से पानी निचोड़ने की नाकाम कोशिश करने लगी। रियांश ने मेरी तरफ गौर से देखा— मेरे भीगे बाल गालों से चिपक चुके थे, सफेद ड्रेस शरीर से लिपट गई थी, और मैं खुद को सबकी नज़रों से बचाने की कोशिश कर रही थी। बिना कुछ कहे, उसने अपनी जैकेट उतारी और मेरे कंधों पर डाल दी। "ये लो," उसने सहजता से कहा।उसकी आवाज में एक कंसर्न था। मैं अचानक से हुवे इस एक्शन पे ठिठक गई। हालांकि उसकी जैकेट गर्म थी, और उसमें से एक हल्की महक आ रही थी—cedarwood और कुछ ताज़गी भरी गंध, जिसे मैं पहचान ही नहीं पा रही थी। या सच कहूं तो में इस समय किसी भी चीज को पहचान और समझ पाने को हालत में नहीं थी और मैने बस धीरे से जैकेट को अपने चारों ओर कस लिया। "थैंक यू," मैने हल्के से, लगभग बुदबुदाते हुवे कहा। रियांश ने मुस्कुरा दिया। "कोई बात नहीं।" "तुम राध्या हो ना , रक्षित की बेस्टफ्रेंड, है ना?" मेरी सांस हल्की-सी अटक गई। वो मुझे जनता था, मेरा नाम जानता था , हां !"कुछ ऐसा ही," मैने हल्के स्वर में कहा। "हां, वही बेवकूफ इंसान जिसने मुझे पूरी भीड़ के सामने ज़लील किया है।"वो मेरा बेस्टफ्रेंड है। लेकिन वो यह शब्द मैने अपने दिमाग में ही रखे, कुछ कहा नहीं, और सच पूछो तो कहती भी क्या । मैने एक उड़ती नज़र उसी दरवाजे की तरफ देखा — रक्षित अब वहां अकेला खड़ा था, लेकिन उसकी आँखें सीधे मुझ पर ही टिकी थीं। एक ऐसी नज़र, जिसे समझ पाना मुश्किल था। पर इस बार मैने उसे पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया और वापस रियांश की ओर मुड़ गई। "फिर से थैंक यू, लेकिन मुझे अब घर जाना चाहिए।" रियांश ने हल्का सिर हिलाया, लेकिन फिर धीरे से कहा, "कियारा जैसी लोगों की बातें दिल पे मत लो।" मैने एक कड़वी सी हंसी दी। "कहना आसान , मुश्किल करना होता है।" रियांश ने अपने कंधे उचकाए। "हो सकता है। लेकिन लोग तभी जीतते हैं जब हम उन्हें खुद पर हावी होने देते हैं। और कियारा जैसे लोग… वो इस लायक नहीं हैं कि तुम उन पर अपना वक्त बर्बाद करो।" मैने उसकी आंखों में देखा। उसकी आँखों में सहानुभूति नहीं थी— बल्कि एक अजीब-सा भरोसा था, जैसे वह सच में समझता हो। पहली बार, मुझे थोड़ी सी राहत महसूस हुई। "थैंक यू," मैने दुबारा कहा, इस बार मेरी आवाज़ थोड़ी मजबूत थी। "Any time," रियांश ने हल्की मुस्कान के साथ कहा और एक कदम पीछे हट गया। इतने में ही आलिया वहाँ पर आ गई। "राध्या, तुम ठीक हो?" वह हाँफते हुए बोली। उसकी नज़रें संदेह से रियांश पर टिकी थीं। "हाँ, मैं ठीक हूँ," मैने ने हल्का मुस्कुराते हुए कहा। और इस बार उस जैकेट को कसकर पकड़ लिया। रियांश ने एक हल्की सी स्माइल दी और दूर चला गया। आलिया ने तुरंत सवाल किया, "ये क्या था?" और बस मैने हल्के से मुस्कान दबाई। "कुछ नहीं। बस किसी ने पहली बार मुझे महसूस करवाया कि मैं पूरी तरह से इनविजिबल नहीं हूँ।" Hey lovelies, कैसा लगा ये चैप्टर? अपने विचार कमेंट में ज़रूर बताना और इसे लाइक, शेयर करना मत भूलना! मिलते है नेस्ट चेप्टर में तब तक के लिए , take care, हैप्पी रीडिंग आपकी अपनी , Novelfairy
"अगली सुबह" अलार्म की तेज़ आवाज़ से राध्या की नींद खुल गई। उसने कराहते हुए अपनी आँखें मलीं और अलार्म बंद करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। सूरज की रोशनी पर्दों से छनकर कमरे में आ रही थी, और एक और नए दिन का इशारा कर रही थी । "आह, ये सोमवार इतनी जल्दी क्यों आ जाता है?" राध्या झुंझलाकर खुद से पूछा। राध्या ने नाइटस्टैंड पर चार्जिंग के लिए रखे अपने फोन को उठाया, । और उसकी आँखें स्क्रीन पर चमकती नोटिफिकेशन को देखकर हैरान रह गईं— "पिछली रात के 30 मिस्ड कॉल्स!" उसने भौंहें चढ़ाकर स्क्रीन देखी, 1 नहीं पूरे 30 कॉल वो भी रक्षित के । एक हल्की सी निराशा की लहर उसके दिल में उठी, क्योंकि रात की धुंधली यादें फिर से उसके ज़ेहन में तैरने लगी थीं। उसने अपने मन से ये ख्याल झटक दिया कि वो रक्षित को टेक्स्ट करके अपने कॉल न उठाने की सफाई देगी। वह जल्दी से बिस्तर से उतरी और बाथरूम की ओर बढ़ गई। पानी गिरने की आवाज़ और उसके गुनगुनाने की हल्की धुन कमरे में गूंज उठी। तैयार होते ही उसने अपनी पसंदीदा जींस और एक सिंपल स्वेटर पहना, और कंधे पर अपना बैग डालकर बाहर आ गई। डाइनिंग टेबल पर… Kitchen से ताज़े टोस्ट और कॉफी की खुशबू पूरे घर को महका रही थी । टेबल पर उसके पापा, आदित्य मित्तल, अखबार पढ़ते हुए बैठे थे। "गुड मॉर्निंग किड्डो, अच्छी नींद आई?" उन्होंने मुस्कुराते हुए पूछा। राध्या ने हँसते हुए जवाब दिया, "मॉर्निंग पापा! हाँ, पर आज उस अलार्म ने मेरी जान ही निकाल दी थी।" उसने अपने लिए कॉफी का कप उठाया और प्लेट में ऑमलेट और टोस्ट रखकर खाने के लिए टेबल पर बैठ गई। आदित्य (चिढ़ाते हुए): "अगर तुम इतनी देर रात तक जागी न होती, तो अलार्म की ज़रूरत ही न पड़ती!" "पापा, ये वीकेंड था!" राध्या ने अपनी आँखें घूमते हुवे कहा । और दोनों एक दूसरे को देख कर हँस पड़े। इस हल्की-फुल्की बातचीत के साथ उनका दिन शुरू हो चुका था । राध्या अपनी घड़ी देखती हुई खड़ी हो गई, "थैंक्स फॉर ब्रेकफास्ट, पापा! बट अब मुझे जाना होगा, वरना बस छूट जाएगी।" "रुको राध्या!" पापा की आवाज़ सुनकर वह उनकी तरफ मुड़ी। उन्होंने अपनी प्लेट टेबल पर छोड़ दी और अपनी जगह से खड़े हो गए। "क्या हुआ, पापा?" उसने संदेह से पूछा। "तुम्हें आज जल्दी घर आना होगा।" आखिरी शब्द कहते हुए उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक थी, उनकी आँखें कुछ ज्यादा ही खुशी से चमक रही थीं। राध्या (भौंहें चढ़ाते हुए): "क्यों? क्या कोई ख़ास बात है?" "तुम्हे शाम को पता चल जाएगा ।" उन्होंने लगभग अपनी 1000 वाट की मुस्कुराहट बिखेरते हुवे कहा । राध्या: "पापा, प्लीज़, बताइए ना!" "नहीं, अब जाओ, तुम्हारी बस छूट जाएगी!" वह कुछ सेकंड तक उन्हें घूरती रही, फिर हल्का सिर हिलाते हुए बाहर निकल गई। कुछ तोह बात थी, उसने आज से पहले अपने पिता को इतना खुश नहीं देखा था । जैसे ही राध्या मैंन गेट से बाहर निकली , राध्या का मुँह खुला का खुला रह गया। रक्षित अपनी कार के पास लापरवाही से खड़ा था, बाहें सीने पर क्रॉस किए हुए, चेहरे पर अपना सिग्नेचर टेढ़ा-सा स्माइल लिए हुवे । "रक्षित?" उसने आँखें संकरी कर लीं। "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" "हे, वॉट्स अप?" रक्षित ने कार के हुड से अनदेखा सा धूल झाड़ते हुए पूछा, जैसे सब कुछ नॉर्मल हो। "तुम्हें क्या लगता है?" उसने भौंहें उठाते हुए कहा। "तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया हूँ। और हाँ, मिस, तुम्हें मुझे ये समझाना होगा कि तुम कल रात पार्टी से बिना बताए क्यों चली गईं और मेरी कॉल्स क्यों नहीं उठाईं?" उसने कार का पैसेंजर डोर खोला और राध्या की तरफ देखा। उसका चेहरा हमेशा की तरह शांत था, मगर उसकी आँखें कुछ और ही कह रही थीं। कार के अंदर… राध्या ने बिना कुछ कहे सीट बेल्ट लगा ली। कार स्टार्ट होते ही, अंदर अजीब सी खामोशी छा गई। राध्या खिड़की से बाहर देखने लगी, उसके हाथ क्रॉस थे। "बीती रात के बारे में…" रक्षित की आवाज़ ने सन्नाटे को चीर दिया। "हूँ?" राध्या ने उसकी ओर देखा, उसका चेहरा पढ़ने की कोशिश की। "तुम कल रात से अजीब बिहेव कर रही हो।" उसकी आँखों में कुछ था, कुछ ऐसा जिसे समझना मुश्किल था। राध्या का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। लेकिन अपनी अवॉकवर्डनेस को दूर करने के लिए उनका बात करना जरूरी थी , "क्या मैं तुम्हे इतनी नापसंद हूँ कि तुम एक गेम के लिए भी मुझे किस नहीं कर सकते थे?" उसने भारी मन से पूछा। रक्षित ने झटके से कार ब्रेक मारी। "क्या? क्या तुम पागल हो?" वह गुस्से से बोला। "तुम्हें लगता है कि मैंने तुम्हें इसलिए नहीं चुना क्योंकि मैं तुम्हें पसंद नहीं करता?" राध्या ने चौंककर उसकी तरफ देखा। "मैंने तुम्हें इसलिए नहीं चुना क्योंकि मैं तुम्हें असहज नहीं करना चाहता था।" "तुम सिर झुकाकर बैठी थी, तुम्हारे हाथ पसीने से भीगे हुए थे, तुम पूरी तरह नर्वस थी। मैं तुम्हें एक स्टूपिड गेम के लिए ज़बरदस्ती नहीं कर सकता था।" "मैं अपनी बेस्ट फ्रेंडशिप को सिर्फ एक किस के लिए अजीब नहीं बनाना चाहता था।" सही तोह कह रहा था वो पर फिर भी उसका राध्या को किस ना करना उसे कही न कही हर्ट कर गया था। राध्या ने नकली उबकाई लेते हुए कहा, "पर तुम्हें पता होना चाहिए कि तुमने कल।बहुत बड़ी चीज़ मिस कर दी। मेरी किसिंग स्किल्स लैजेंडरी हैं!" ( उसने माहौल को लाइट करने के लिए कहा ) रक्षित ने मज़ाकिया गंभीरता से कहा, ओह हां "कल की हेडलाइंस होगी – 'लोकल बॉय का जीवन बर्बाद, अफसोस में डूबा!' राध्या हँस पड़ी। "ओह, चुप रहो! You are impossible!" रक्षित ने मुस्कराते हुए कहा, "पर फिर भी, तुम मुझसे प्यार करती हो!" राध्या ने आँखें घुमाई, "प्यार बहुत बड़ा शब्द है, फिलहाल तुम्हें सहने तक ही सीमित रखते हैं!"वाट से हुह करीब 10 मिनट की दूरी तय करने के बाद, उनकी कार कॉलेज के मेन गेट से होते हुए पार्किंग में पहुँची। रक्षित ने गाड़ी पार्क की और हमेशा की तरह राध्या के कंधे पर अपना हाथ रखकर, वो दोनों कॉलेज कैंपस में दाखिल हुए। "वॉच आउट , राध्या!" एक तेज़ और चिंतित आवाज़ सुनकर मैंने उसकी ओर देखा। इससे पहले कि राध्या कुछ समझ पाती, एक तेज़ बॉल उसकी तरफ़ आ रही थी। राध्या डर गई , कोई शक नहीं था कि यह बॉल उसे बहुत ज़ोर से लगेगी। उसका दिमाग़ सुन्न हो गया, राध्या वहीं की वहीं जम गई। पैर जैसे ज़मीन से चिपक गए थे, वो हिल भी नहीं पा रही थी। डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी एक तेज़ हवा उसके कान के पास से गुज़री, जिससे उसकी बालों की कुछ लटें उड़ गईं। हवा इतनी तेज़ थी कि उसने कोई प्रतिक्रिया भी नहीं दी । उसने अपनी आँखें कसकर भींच लीं, इस बात की परवाह किए बिना कि आगे क्या होगा। "तुम ठीक हो?" एक मुलायम और गहरी आवाज़ ने उसे हकीकत में वापस खींचा। राध्या ने धीरे से आँखें खोलीं और उस आवाज़ की ओर देखा। और उसकी नज़रें उन गहरी नीली आँखों से टकराईं, जो उसकी आत्मा में जैसे झाँक रही थीं। वे इतनी गहरी थीं जैसे किसी महासागर की गहराइयाँ। "हाँ, मैं ठीक हूँ," राध्या ने इधर-उधर देखते हुए जवाब दिया। अचानक, एक हल्की सिडरवुड (cedarwood) की खुशबू उसके नथुनों में समा गई, जिसने उसे बेचैन कर दिया। "ये वही है... कल रात वाला हीरो..." डर के कारण उसे पता ही नहीं चला कि वो कब रक्षित के पास से खिसककर रियांश की बाहों में पहुँच गई। उसने उसे कमर से पकड़कर अपनी छाती के करीब थामे हुए था। यह काफ़ी था राध्या के घबराने के लिए... या फिर किसी और के लिए, जो जलती हुई आँखों से उन्हें ही घूर रहा था। राध्या ने खुद को सँभालते हुए धीरे से उसके हाथों की पकड़ से बाहर निकली । "ओह, सॉरी... ध्यान नहीं दिया," रियांश ने हड़बड़ाते हुए कहा। "कोई बात नहीं," राध्या भी हल्के अंदाज़ में कहा, ताकि माहौल हल्का बना रहे। "थैंक्स, मेरी बेस्ट फ्रेंड को बचाने के लिए," रक्षित, जो अब तक पास खड़ा था, राध्या को घूरता हुआ अचानक बीच में आ गया और रियांश और राध्या के बीच खड़ा हो गया। "कोई बात नहीं," रियांश ने मुस्कुराकर कहा, लेकिन उसकी नज़रें अब भी राध्या को देख रही थीं। "कितना अच्छा लड़का है," राध्या खुद से धीरे से बुदबुदाया। पर शायद किसी और ने भी सुन लिया था... "कुछ कहा तुमने?" रक्षित ने भौंहें उठाते हुए पूछा। "नहीं!" राध्या ने जल्दी से सिर हिलाया। "चलो चलते हैं," उसने जल्दी से ध्यान भटकाने के लिए कहा। "हाँ, पहले ही बहुत समय बर्बाद हो चुका है," रक्षित ने अजीब से अंदाज़ में रियांश को घूरते हुए कहा। राध्या को समझ नहीं आया कि ऐसी क्या बात हो गई जो रक्षित को इतना अजीब बना रही थी। अचानक, वह अपने सामान्य व्यवहार से बिलकुल अलग लग रहा था। पर राध्या ने ज्यादा सोचने के बजाय इसे छोड़ देना ही बेहतर समझी। "थैंक यू, रियांश," राध्या ने मुस्कुराकर अपनी कृतज्ञता जताई। "कभी भी," उसने भी मुस्कुराकर जवाब दिया। रक्षित ने राध्या का हाथ पकड़ा, लेकिन जैसे ही वो क्लास की ओर बढ़ने लगे... "ओह, राध्या, मैं बहुत खुश हूँ!" जैसे कोई जस्टिस मिल गया हो, ऐसा नारा लगाते हुए आलिया ने राध्या को पीछे से कसकर गले लगा लिया। वह इतनी तेज़ी से आई कि राध्या लड़खड़ा ही गई। इससे पहले कि वो गिरती, रक्षित ने मेरे हाथ को ज़ोर से पकड़ा और संतुलन बना दिया। "लो आ गई ड्रामा क्वीन," रक्षित ने तंज़ कसते हुए कहा। "चुप रहो, भैयू!" आलिया ने चिढ़ाते हुए जवाब दिया। (आलिया और रक्षित जुड़वाँ हैं, मेरी ही उम्र के हैं और मैं दोनों की बेस्ट फ्रेंड हूँ।) "तुम दोनों चुप रहोगे?" राध्या ने बीच-बचाव करने की कोशिश की और आलिया की तरफ देखा, जिसके चेहरे पर किसी बड़ी उपलब्धि की चमक थी। "मैं तो पहले से ही चुप हूँ, यह हमेशा बीच में कूदता है," आलिया ने कंधे उचकाए। "पर छोड़ो इसे, मैं अपनी खुशी इस पर बर्बाद नहीं करने वाली।" रक्षित भौंहें उठाए खड़ा था, लेकिन इससे पहले कि वह कुछ कहता, राध्या ने बीच में ही बात काट दी। "अच्छा-अच्छा, बताओ क्या हुआ? राध्या ने उत्सुकता से पूछा। "अरे राध्या, तुमको पता भी नहीं क्या हुआ?" उसने उत्साहित होकर राध्या का हाथ पकड़कर उसे पूरा घुमा दिया। राध्या , जो इस पूरी बात से अनजान थी, खुद को सँभालते हुए उलझन भरी नज़रों से उसे देखने लगी। "तुम्हें पता है वो बिम्बो डंबो कियारा, जो कल बहुत स्मार्ट बनने की कोशिश कर रही थी?" आलिया ने नाटकीय अंदाज़ में कहा। "हाँ, फिर?" राध्या ने पूछा। "किसी ने उस पर वॉशरूम में एक पूरी बाल्टी ठंडा पानी डाल दिया!" "क्या?" राध्या ने हैरानी से कहा। "हाँ!" आलिया खिलखिलाई। "और उसके चमचे पूरे कॉलेज में चिल्ला रहे हैं कि जिसने भी यह किया, उसे वो छोड़ेंगे नहीं।" "वाह!" आलिया ने चुटकी ली। "दिसंबर की ठंड में किसी ने उसे रॉयल बाथ दे दिया – असल में आइस बाथ!" "और मज़ेदार बात यह है कि उसे अब तक यह नहीं पता कि ये 'पुण्य कार्य' किसने किया!" "किसी ने तुम्हारे लिए बदला ले लिया लगता है... टिट फॉर टैट!" उसने मज़ाक में कहा। "टिट फॉर टैट... टिट फॉर टैट..." यही शब्द राध्या के दिमाग में गूंजने लगे। कल रात रियांश ने भी यही कहा था। अचानक उसकी नज़र रियांश पर गई, जो अब भी वहाँ खड़ा था। उसने अभी तक वहाँ से जाने की ज़रूरत भी नहीं समझी थी। राध्या ने उसकी आँखों में सच्चाई तलाशने की कोशिश की, पर वहाँ कुछ नहीं था। "क्या ये रियांश ने किया?" पर क्यों? हम तो दोस्त भी नहीं हैं... "फिर मेरे लिए?" "ये मैंने नहीं किया," रियांश ने लापरवाही से कहा। "तुम्हें कैसे पता कि मैं तुम्हारे बारे में सोच रही थी?" राध्या ने जिज्ञासा से पूछा। अब आलिया और रक्षित भी उसे संदेह भरी नज़रों से देखने लगे। "तुम्हारे चेहरे पर सब कुछ लिखा था," उसने एक रहस्यमयी लहज़े में कहा। "क्या मैं इतनी आसानी से पढ़ी जा सकती हूँ?" राध्या ने सोचा। उसी समय, उसके साथी खिलाड़ी उसे बुलाने आ गए। "चलो यार, प्रैक्टिस करनी है!" रियांश ने जाते-जाते एक नज़र राध्या की ओर डाली और "बाय!" कहा। मैंने हल्की मुस्कान के साथ उसे विदा किया। आलिया ने प्यार से कहा, "यार, ये कितना हैंडसम है!" पर कोई और था जिसे ये सुनकर अच्छा नहीं लगा... रक्षित की भौहें सिकुड़ गई थीं। राध्या ने बिना और कुछ कहे आलिया का हाथ पकड़कर क्लास की ओर बढ़ाया। लेकिन तभी एक हल्की गुनगुनाहट सुनाई दी... "आइस आइस बेबी..." "रक्षित?" राध्या ने हैरानी से सोचा… कॉलेज के बाद: राध्या , "पापा, कौन आने वाला है?" मैं उनके पास सोफे पर बैठी, इंतज़ार करते हुए पूछी। हम लिविंग रूम में पिछले आधे घंटे से किसी का इंतज़ार कर रहे थे। "बस, आने ही वाले हैं!" पापा ने घड़ी देखते हुए कहा। फिर उन्होंने अपने कपड़े ठीक किए और मुझसे पूछा, "वैसे, मैं कैसा लग रहा हूँ?" मैंने हैरानी से उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा। आमतौर पर कैज़ुअल कपड़ों में रहने वाले मेरे पापा आज पूरी तरह से तैयार थे—ब्लैक टक्सीडो, जेल से सेट किए हुए बाल... ये सब देखकर मुझे शक हुआ। "पापा, आप इतनी तैयारी क्यों कर रहे हैं?" मैंने संदेह भरी नज़रों से उन्हें देखा। लेकिन फिर मैंने खुद को टोका, "अरे, वो मेरे पापा हैं, इसमें शक करने वाली क्या बात है!" "आप बहुत अच्छे लग रहे हैं, हमेशा की तरह!" मैंने उन्हें हंसकर जवाब दिया और अंगूठा दिखाया। "थैंक यू, स्वीटी—" लेकिन तभी दरवाजे की घंटी बजी, और पापा के चेहरे पर एक बड़ी-सी मुस्कान फैल गई। "लगता है, वे आ गए!" उन्होंने जोश में कहा। "चलो, मेरे पीछे आओ!" मैं उनके पीछे-पीछे चल पड़ी। पापा ने दरवाज़ा खोला, और सामने जो नज़ारा देखा, उसने मुझे पूरी तरह से चौंका दिया। सामने रक्षित, आलिया और उनकी माँ खड़े थे। "यहाँ ये लोग? लेकिन क्यों?" मेरे दिमाग में सवालों की बौछार हो गई। "यहाँ क्या हो रहा है?" मैंने खुद से बुदबुदाया।