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Devil's passion&love

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🌹deepika07(⁠✷कविता05✷⁠)🌹

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हमने आम प्यार की कहानी तो बहुत सुनी है लेकिन क्या कभी ने किसी वैंपायर को किसी इंसान के प्यार में पढ़ते देखा है यह कहानी भी है कुछ इसी तरह की विद्युत ओबेरॉय जो की एक वैंपायर किंग है और वह धरती पर अपने किसी मकसद से आया है एक दिन उसे हो जाता है तन्वी से...

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Tanvi Heroine

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Vidyut Oberoi vampire king Hero

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Total Chapters (16)

Page 1 of 1

  • 1. trailer Devil's passion&love - Chapter 1

    Words: 571

    Estimated Reading Time: 4 min

    वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ
    निर्विघ्नम कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा

    दोस्तों पहली बार वैंपायर पर कहानी लिखने जा रही हूं , मुझे नहीं पता मैं अच्छी लिख पाऊंगी या नहीं , बस आप लोग अपना सपोर्ट बनाए रखिएगा और अपनी रेटिंग कमेंट जरुर दीजिएगा और मुझे फॉलो भी कर लेना।

    और हां एक चीज और वैसे तो मैं 18 प्लस कंटेंट लिखती नहीं हूं लेकिन इस बार कोशिश की है ये कंटेंट 18+ प्लस है तो प्लीज जो लोग किसिंग सीन या थोड़े वाइल्ड सीन पढ़ना पसंद नहीं करते , वो इसे मत पढ़ना , क्योंकि ये वैंपायर की स्टोरी है तो इसमें किसिंग सीन तो होंगे ही इसीलिए आप लोग मेरी बाकी कहानियां पढ़ लेना।

    _____________________________



    चारों तरफ घना अंधेरा फैला हुआ था , वो एक गहरी काली रात थी, जब एक लड़की बदहवास सी पागलों की तरह रोड पर भागे जा रही थी। उसके चेहरे पर डर साफ दिख रहा था। वो बार-बार अपने पीछे मुड़कर देख रही थी। कि कहीं वो उसके पीछे तो नहीं आ रहा , उसकी सांसे बहुत तेज चल रही थी। वो थककर चूर हो चुकी थी, लेकिन रुकने को तैयार नहीं थी , मानो उसके पीछे मौत पड़ी हो।

    तभी अचानक उस लड़की को जमीन पर पड़े पत्थर से ठोकर लगी जिससे वो लड़की लड़खड़ा गई और जमीन पर मुंह के बाल गिर पड़ी, जिससे उसके सुंदर घने लंबे बाल आगे उसके चेहरे पर आ गए , जिससे उसका खूबसूरत चांद सा चेहरा बालों की वजह से छुप गया। वो लड़की अपने सीने पर हाथ रख लंबी लंबी सांस लेकर खुद को शांत करने लगी, कि तभी एक कर्कश डरावनी आवाज उसके कानों में पड़ी, जिससे उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया और उसका पूरा बदन जम सा गया, वो कांपने लगी।

    रुक जाओ जाना तुम मुझसे दूर नहीं जा सकती , तुम मेरी हो सिर्फ और सिर्फ मेरी , तुम मुझे छोड़कर नहीं जा सकती , मैं तुम्हें खुद से दूर नहीं जाने दूंगा , वापस आओ मेरे पास , तुम्हें मेरा होना होगा।

    ये आवाज वहां पर चारों तरफ गूंजने लगी , जिससे वो लड़की घबरा कर रोते हुए चारों तरफ देखने लगी। तभी उसे कुछ अजीब सा महसूस हुआ जैसे कोई उसके पास से उड़ते हुए गुजर हो , जिससे वो लड़की घबरा गई और डरते हुए खड़ी होकर इधर-उधर देखने लगी। वही वो आवाज अभी भी गूंज रही थी, वो लड़की उसे सुनकर कांप रही थी, तभी उस लड़की को लगा जैसे वो उसके पीछे आ गया है , उसने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा तो उसे खुद से थोड़ी दूरी पर दो डरावनी भयानक लाल आंखें दिखाई दी , जो एक टक उसे ही घूर रही थी, ये देख उस लड़की का बदन थर थर कांपने लगा और वो लड़की जल्दी से वापस आगे मुड़कर भागने लगी।

    तभी अचानक से कोई उड़ते हुए आया और उसने उस लड़की को एकदम से अपनी बाहों में उठा लिया और उसे अपने साथ लेकर वहां से उड़ा ले गया। वही उस लड़की की एक जोरदार चीख वहां पर गूंज गई, जिसके बाद वहां सन्नाटा फैल गया।


    ______________________

    मेरी नई कहानी जो की है एक वैंपायर की उसके जुनून से भरे प्यार की , उसकी दीवानगी से भरी मोहब्बत की,  उसके इंतजार की , उसकी तड़प की, और उसकी सनक की उसकी सालों पुरानी मोहब्बत की , जिसका इंतजार उसने सदियों से किया , जिसे अब अपना बनाने के लिए वो कर जाएगा हद पार। अपनी रेटिंग कमेंट देना ना भूले🙏🙏

  • 2. मिलिए तन्वी से - Chapter 2

    Words: 690

    Estimated Reading Time: 5 min

    एक लड़की बदहवास सी भागी जा रही थी, चारों तरफ घना अंधेरा था। जिस वजह से उसे कुछ साफ दिखाई भी नहीं दे रहा था। लेकिन एक बात साफ थी कि उस लड़की के पीछे कोई तो था, जिससे बचकर वो भाग रही थी। वही उसे जगह पर एक आवाज गूंज रही थी,। मुझे छोड़कर मत जाओ जाना, मेरे पास आओ तुम सिर्फ मेरी हो , आज नहीं तो कल तुम्हें मेरे पास आना होगा, मेरा होना होगा , मुझसे दूर मत भागो तुम मेरी हो सिर्फ और सिर्फ मेरी। तभी उस लड़की को तेज ठोकर लगी और वो गिरने लगी ... तभी किसी ने उसे अपनी बाहों में थाम लिया। जिसके साथ ही वो लड़की चीखते हुए उठकर बैठ गई , उसका पूरा बदन से भीगा हुआ था। वो गहरी गहरी सांस लेने लगी और इधर-उधर देखने लगी, इस वक्त वो अपने कमरे में थी, जिसे देख उसे राहत महसूस हुई और वो खुद से बोली!" हे दुर्गा मां आज फिर से वही सपना..... आखिर क्या है ये सब ? क्यों ये सपना मुझे बार-बार आता है , कौन है ये इंसान जो मुझे सपने में आकर रोज डराता है , इस कमीने ने मेरी रातों की नींद हराम कर दी है। एक बार मिल जाए ना तो मुंह तोड़ दूंगी साले का कहते हुए उसने अपने ऊपर से कंबल को हटा दिया और उठकर खड़ी हो गई। उसने अपने लंबे घने बालों का जुड़ा बनाया और फिर बेड पर पड़े हुए दुपट्टे को उठाकर अपने सीने पर डाल लिया और बाथरूम में चली गई। चलिए बात कर लेते हैं इन मोहतरमा की , तो ये है इस कहानी की मुख्य नायिका यानी कि मेन लीड तन्वी। जैसा नाम वैसी ही शख्सियत ... भोली भाली मासूम सी , देखने में बेहद खूबसूरत कोई एक बार देखे तो इनसे नजर ना हटा पाए , गोरा दूधिया रंग चमकता हुआ मासूम चेहरा ... बड़ी-बड़ी हेजल आंखें , गुलाब की पंखुड़ी से गुलाबी नाजुक होंठ , पतली लंबी नाक , सुराही दार गर्दन पतली कमर और छरहरी काया , बदन इतना नाजुक की किसी के छूने भरसे ही उस पर निशान पड़ जाए , उसकी खूबसूरती ऐसी की स्वर्ग की अप्सराओं की खूबसूरती भी उसके आगे फीकी पड़ जाए । अब किसे पता था की तन्वी की यही खूबसूरती आगे चलकर उसके लिए किसी को इतना दीवाना करने वाली थी , जो उसे अपना बनाने के लिए हर हद पार कर जाने वाला था, जुनून की हदों को तोड़ने वाला था। थोड़ी देर में तन्वी नहा कर बाथरुम से बाहर आई उसके गीले बालों से पानी टपक रहा था और वो टावल से उन्हें सुखा रही थी। उसने अपनी बालकनी की खिड़की खोली और बालकनी में चली गई और आसपास के मोहल्ले के घरों को देखने लगी दिन निकल आया था सूरज भी आसमान में चमक रहा था , वो कुछ देर वहीं खड़े रहकर मुस्कुराते हुए इधर-उधर देखते हुए सूरज के रोशनी को अपने ऊपर लेने लगी , सूरज की रोशनी में उसका गोरा चेहरा चमक रहा था। उसकी त्वचा हल्की गुलाबी गुलाब के फूल की तरह खिली हुई दिख रही थी, सामने बालकनी से नीचे एक रास्ता जाता था जिसमें से आते जाते लोग गुजरते थे उसमें से गुजरते लड़कों की नजरे वहां से गुजरते हुए उस पर जरूर ठहर रही थी। आखिर उसकी खूबसूरती ही ऐसी थी जिसे कोई नजर अंदाज न कर पाए। तन्वी अभी सुकून के कुछ पल वहां गुजार ही रही थी कि तभी किसी की गुस्से भरी आवाज उसके कानों में पड़ी। अरि ओ करम जली कहां मर गई, सूरज सर पर निकल आया है लेकिन इन महारानी की सुबह होने की नाम ही नहीं ले रही , अरे कहां मर गई अब उठेगी कि नहीं, या दिन भर बिस्तर पर ही पड़ी रहेगी , घर का काम क्या तेरी मरी हुई मां करेगी , पूरा घर कबाड़ खाने की तरह पड़ा है लेकिन मजाल है महारानी बिना कहे अपने आप कोई काम कर दे। ये सब सुनते हुए तन्वी एकदम से घबरा गई और तेज आवाज में!" हां चाची आ रही हूं मैं ! कहकर जल्दी से वो अपने कमरे में आई और फिर अपना दुपट्टा लेकर अपने कमरे से बाहर निकल गई ।

  • 3. रीता की खरी खोटी अविका का जवाब- Chapter 3

    Words: 1084

    Estimated Reading Time: 7 min

    थोड़ी देर बाद तन्वी ने पूरे घर को साफ कर दिया था और अब किचन में जल्दी-जल्दी नाश्ता बना रही थी। वो अभी सब्जी काटने में बिजी थी, कि तभी उसी की हम उम्र लड़की पीछे से धीमे कदमों से चलकर उसके करीब आई, और एकदम से उसके कान के पास आकर चिल्ला पड़ी। जिससे तन्वी चीखते हुए घबरा कर पलट गई। और अपने दिल पर हाथ रखे लंबी लंबी सांस लेते हुए आंखें बड़ी करके मुंह खोले उस लड़की को देखने लगी। वही वो लड़की उसकी हालत पर जोरों से हंसी जा रही थी ..... ये देख वो लड़की आंखें छोटी कर उसे घूरने लगी। और उसे घूरते हुए हल्के गुस्से में उससे बोली!" अविका दी क्या हरकत है ये, आपने डरा दिया मुझे .... ऐसा कौन करता है भला ? अभी मेरा हाथ कट जाता तो। उसकी बात पर वो लड़की यानी कि अविका अपनी हंसी रोकते हुए उससे बोली!" सॉरी तन्वी मैं तो बस तेरे साथ मजाक कर रही थी , मुझे क्या पता था तू इतना डर जाएगी .... पर यार इतना क्यों डरती है तू , अगर इतना डरेगी तो जीएगी कैसे , अंधेरे से डरती है , भूतों से डरती है, खून से डरती है , आग से डरती है , पानी से डरती है कोई तेज बोल दे तो डर जाती है , आखिर ऐसी कौन सी चीज है जिससे तुझे डर नहीं लगता , यहां तक की मम्मी के चिल्लाने भर से तू डर जाती है , आखिर क्या होगा तेरा , थोड़ी तो हिम्मत वाली बन , वरना एक दिन डर-डर कर ही मर जाएगी तू। उसकी बात सुनकर तन्वी उससे बोली!" ऐसी बात नहीं है दी मैं इतना भी नहीं घबराती , जितना आप बोल रही हो..   अब मैं अंधेरे से नहीं डरती , (बात बनाते हुए) आपने देखा नहीं पिछले दो रातों से हमारे यहां लाइट नहीं रहती तो भी मैं अपने कमरे में ही सोती रहती हूं , आपके कमरे में नहीं आती , अगर मैं डरती तो अपने कमरे में थोड़े ना सोती!.... इतना कहकर अविका को अपने दांत दिखा दिए। तो अविका आंखें छोटी कर उसे घूरते हुए बोली!" अच्छा बेटा तुझे अंधेरे से डर नहीं लगता , तो फिर शर्मा अंकल से ये क्यों कहा , कि वो अपनी बालकनी की लाइट को रात में ऑन रहने दे , सब पता है मुझे कि कैसे तूने अपनी पॉकेट मनी से आधे पैसे शर्मा अंकल को दिए हैं , ताकि वो रात में अपनी बालकनी की लाइट ऑन रहने दे , क्योंकि उनके बालकनी की लाइट तेरे कमरे में जो आती है। अविका की बात सुनकर तन्वी ने दांतों तले जीव दवा ली.... और वो आंखें बंद कर खुद में बडबडाते हुए खुद से बोली।" ये शर्मा अंकल भी ना, किसी भी बात को सीक्रेट नहीं रहने देते , हर बात का ढिंढोरा पीटना जरूरी है इनके लिए , फिर अविका की तरफ देखते हुए बनावटी हंसी के साथ बोली ।" हे हे हे क्या दी आप भी क्या फालतू की बातें लेकर बैठ गई , आप (एक प्लेट में पराठा रखकर उसकी तरफ बढ़ते हुए) ये आलू का पराठा खाओ ना देखो मैंने कितनी प्यार से आपके लिए बनाया है ! अब खाना था अविका की कमजोरी , इसीलिए अपने मनपसंद आलू के पराठे को देखते ही अविका का सारा ध्यान पराठे पर आ गया और उसने मुस्कुराते हुए एकदम से तन्वी हाथ से प्लेट ले ली और स्लैब पर एक साइड बैठते हुए वो तन्वी से बोली।" वाओ मेरा फेवरेट आलू का पराठा , तन्वी टू बेस्ट है ... आई लव यू यार कहते हुए पराठे का एक निवाला तोड़कर अपने मुंह में रख लिया उसके स्वाद से उसकी आंखें बंद हो गई। वही तन्वी मुस्कुराते हुए वापस और पराठे बनाने लगी। अविका एक निवाला तोड़कर तन्वी की तरफ बढ़ते हुए उससे बोली।" उम्म तन्वी बहुत टेस्टी बना है , ले तू भी खा कर देख ... तन्वी ने जैसी ही उसके हाथ से खाने के लिए मुंह खोला कि तभी उसके कानों में गुस्से से भरी आवाज पड़ी ! अच्छा तो मुझे वहां भूख पका कर यहां खुद पेट पूजा कर रही है मनहूस , आज क्या मुझे पूरे दिन भूखा रखकर मारने का इरादा है तेरा ,, मैं वहां कब से इंतजार कर रही हूं कि खाना बन जाए और यहां तू ठूस ठूस कर खा रही है.. अरे इस घर का राशन क्या तेरा बाप रख कर गया है... जो सबसे पहले भरने के लिए बैठ गई , तेरी हिम्मत कैसे हुई बिना काम खत्म किए खाने की। कहते हुए तन्वी की चाची रीता किचन में आ गई और गुस्से से तन्वी को घूरने लगी। वही उनकी बात सुनकर पहले तो तन्वी डर गई , लेकिन फिर उनकी कड़वी बातों से उसकी आंखें भी नम हो गई। तभी अविका तन्वी के लिए स्टैंड लेते हुए गुस्से में अपनी मां से बोली!" मां क्या बकवास कर रही हो तुम .... होश में तो हो ना , वो बेचारी यहां तुम्हारे लिए नाश्ता बना रही है और तुम उसे ही सुना रही हो ...अगर तुम्हें इतनी ही भूख लग रही थी  तो खुद से क्यों नहीं बना लिया अपने लिए खाना , तन्वी क्या तुम्हारी नौकर है , जो हर वक्त तुम्हें बना कर देगी , कभी तो अपने हाथ पैर भी चला लिया करो , वरना खा खा कर किसी दिन बुलडोजर बन जाओगी ! अपनी बेटी की बात सुनकर रीता हैरानी से मुंह खोले उसे घूरने लगी। पर अविका को उसके घूरने से कोई फर्क नहीं पड़ा। तभी रीता गुस्से में अविका से बोली!" तू इस जाहील लड़की के लिए मुझसे जुबान लड़ा रही है अपनी मां से,अरे मैं मां हूं तेरी ... ! तभी अविका उनकी बात बीच में काटते हुए बोली!" बस मां तमीज से बात करो वो कोई जाहील लड़की नहीं है वो मेरी बहन है समझी आप और अगर आप मेरी मां हो तो मां की तरह बनकर रहना सीखो , तभी आपको मुझसे बेटी के जैसे प्यार और इज्जत मिलेगी समझी आप। फिर तन्वी का हाथ पकड़ कर अपनी प्लेट में दो पराठे रखते हुए !" चल तन्वी हम दोनों कमरे में चलते हैं,वहीं पर नाश्ता करेंगे ... इनके लिए ये पराठे ही बहुत है अगर इन्हें और खाने होंगे तो ये खुद बना लेंगी , जैसे जुबान चला रही हैं वैसे ही थोड़े हाथ भी चला लेंगी तो थक नहीं जाएंगी हमें वैसे भी कॉलेज निकालने के लिए लेट हो रहा है तु चल मेरे साथ , कहकर तन्वी को हाथ पकड़ कर खींचते हुए अपने साथ ले गई , वही रीता गुस्से में उन्हें घूरती रह गई ।

  • 4. अविका तन्वी की बहस - Chapter 4

    Words: 763

    Estimated Reading Time: 5 min

    थोड़ी देर बाद तन्वी और अविका ऑटो में बैठी हुई थी, तन्वी बिल्कुल खामोश थी और शांत नजरों से बाहर रोड पर देख रही थी। वही अविका की नजरे उस पर थी, थोड़ी देर बाद भी जब तन्वी कुछ नहीं बोली ,तो अविका अपने हाथ को हल्के से उसके हाथ पर रखते हुए उससे बोली ।"क्या हुआ इतनी उदास क्यों है, मां की बातों का बुरा लगा तुझे , तू उनकी बातों पर ध्यान मत दिया कर , वो तो ऐसे ही कुछ भी बकती रहती हैं। तो तन्वी बिना उसकी तरफ देखे ही उससे बोली।" नहीं दी मैं चाची की बातों से नाराज नहीं हूं , मुझे उनकी बातों का बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा... उसकी बात पर अविका हैरान होते हुए बोली!" हे तो फिर तू इतनी उदास क्यों है ... तो तन्वी उसकी तरफ देखते हुए बोली!" में आपकी बातों से उदास हूं दी! तो अविका अपना हाथ पीछे खींचते हुए हैरानी से उससे बोली!" मतलब ? मेरी किस बात से तुझे बुरा लगा ?. तो तन्वी उसे देखते हुए बोली !"आपने जिस तरह मेरी वजह से चाची से बात की मुझे वो बिल्कुल अच्छा नहीं लगा ... वो बड़ी है हमसे आपकी मां है मेरी भी मां समान है , ऐसे में अगर वो मुझे दो बातें सुना भी देती हैं तो इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं दी , लेकिन आपने मेरी वजह से उन्हें कितना सुना दिया पता नहीं वो क्या सोच रही होगी आपके और मेरे बारे मे , आपको इस तरह मेरी वजह से उनकी इंसल्ट नहीं करनी चाहिए थी । तो अविका हल्के गुस्से में उससे बोली!" अच्छा और वो जो हर वक्त तुझे उल्टा सीधा बोलती रहती हैं , तेरी इंसल्ट करती हैं उसका क्या ? तेरे साथ घर में नौकरों जैसा बर्ताव करती हैं उसका क्या ? तुझे अच्छा लगता है जब वो पूरे दिन नौकरों की तरह तुझसे सारा काम करवाती हैं और फिर भी बदले में तुझे शाबाशी देने की जगह खरी खोटी सुनाती हैं, अगर इतना कुछ होने के बावजूद भी तुझे महान बनना है तो तू बन , पर मुझसे उम्मीद मत कर कि वो कुछ गलत करेंगी तो मैं उसमें उनका साथ दूं और चुप रहूं , मैं उनमें से नहीं हूं तन्वी ..   मुझे गलत के खिलाफ आवाज उठाना आता है समझी । तो तन्वी उसे समझाते हुए बोलीं ।"दी आप क्या बोले जा रही हो, मैंने आपको कहा ना वो बड़ी है मेरी मान सम्मान है , ऐसे में वो मुझे दो-चार बातें सुना भी देती है तो उनका क्या बुरा मानना , वैसे भी मैं उनके घर में रह रही हूं उन्होंने बचपन से मुझे पाला-पोसा है मुझे संभाला है , ऐसे में अगर मैं घर के कामों में उनका हाथ बता दूंगी, तो इसमें कोई बड़ी बात तो है नहीं , आप खा मा खा मेरी वजह से उनसे बदतमीजी करती हैं। उसकी बात सुनकर अविका ने गहरी सांस खींची और हल्के गुस्से में उससे बोली!" यू नो व्हाट तन्वी तुझे समझाना ना पत्थर पर अपना सर फोड़ने के बराबर है मेरी  ही मत मारी गई है जो मैं बार-बार तुझे समझने के बहाने पत्थर पर अपना सर फोड़ने के लिए आ जाती हूं , तू ना इस वक्त मुझसे बात मत कर वरना गुस्से में मैं तेरा खून कर दूंगी , मां की जली कटी बातों में भी तुझे उनका प्यार दिख रहा है , और मैं जो तेरे लिए उनसे लड़ जाती हूं, उसमें तुझे बुराई दिख रही है , मेरा प्यार नहीं दिख रहा तू ना अब मुझसे बात मत कर । कहकर अविका उससे मुंह मोड़ते हुए दूसरी तरफ पलट कर बैठ गई , उसकी इस हरकत पर तन्वी मुस्कुरा दी। थोड़ी देर बाद वो दोनों कॉलेज पहुंच गए ,,, कॉलेज पहुंचकर अविका ऑटो वाले को पैसे देकर बिना तन्वी को देखे उसे इग्नोर करके आगे जाने लगी, वही तन्वी भी दी  कहते हुए उसके पीछे आने लगी , अभी वो दो कदम आगे बड़ी ही थी , की तभी अचानक से किसी ने उसके सामने अपना पैर अड़ा दिया , जिससे तन्वी लड़खड़ा गई उसके मुंह से आह निकल गई पर उसने खुद को गिरने से बचा लिया, वही उसकी आवाज सुनकर अविका जो थोड़ी आगे चली गई थी , वो पीछे पलट गई , तो तन्वी के सामने कुछ लोगों को खड़े देख उसकी आंखें सिकुड़ गई और वो गुस्से में उन्हें घूरने लगी , वही तन्वी ने अपना सर उठाकर सामने देखा तो सामने अरुण उसका सीनियर अपने कुछ दोस्तों के ग्रुप के साथ खड़ा था और तन्वी को अपनी गंदी हवस भरी नजरों से देख रहा था , उसके होठों पर शैतानी मुस्कुराहट थी।

  • 5. अरुण के नापाक इरादे - Chapter 5

    Words: 1101

    Estimated Reading Time: 7 min

    तन्वी गुस्से में अरुण को देखते हुए उससे बोली!" अरुण सर ये क्या बदतमीजी है अभी मैं गिर जाती तो, इतने बड़े रास्ते में आपको मेरे सामने ही आना था मुझे ही टकराना था। तो अरुण गंदी हंसी हंसते हुए उसकी तरफ अपना एक कदम बढ़ाते हुए उससे बोला !"अरे जानेमन अभी मैंने बदतमीजी की ही कहा है ? रही बात तुम्हारे सामने आने की तो मुझे तो तुम्हारे अलावा कोई और दिखता ही नहीं तो फिर तुमसे नहीं टकराऊंगा तो किससे टकराऊंगा , और रही तुम्हारे गिरने की बात तो चिंता मत करो मेरे रहते हुए मैं तुम्हें कभी गिरने नहीं दूंगा , बल्कि तुम्हारे इस कोमल नाजुक बदन को अपनी बाहों में थाम लूंगा , इतना कहते हुए उसने उसके चेहरे को छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया , वहीं तन्वी अरुण को अपने करीब आते देख थोड़ा पीछे हट गई और डरते हुए उससे बोली।"अरुण सर ये क्या कर रहे हैं आप, आप दूर रहकर बात कीजिए (इधर-उधर देखते हुए) और मेरे सामने से हटिए , मेरी क्लास शुरू हो गई है मुझे लेट हो रहा है ‌। तो अरुण वापस उसकी तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए मुस्कुरा कर उससे बोला!" अरे जानेमन तुमसे दूर ही तो नहीं रहा जाता , तुम जान हो मेरी , तुमसे दूर जाने के ख्याल से ही मेरी जान निकलने लगती है , इसीलिए खुद से दूर जाने को मत कहो , बस मुझे एक मौका दो मां कसम सच कहता हूं रानी बनाकर रखूंगा तुम्हें , बस एक बार मेरी हो जाओ । इतना कह कर फिर से उसके करीब जाने लगा वही तन्वी घबरा कर अपने कदम पीछे ले रही थी , उसकी आंखें भर आई थी , आसपास खड़े और स्टूडेंट तमाशा देख रहे थे , लेकिन कोई भी तन्वी की मदद करने के लिए आगे नहीं आ रहा था! जिसकी वजह भी थी अरुण इस कॉलेज के सबसे बड़े ट्रस्टी का बेटा था, जिस वजह से अरुण का दबदबा पूरे कॉलेज में था। तन्वी घबराते हुए अपने कदम पीछे लेते हुए और उससे बोली!" सर देखिए मैं कह रही हूं , दूर रहिए मुझसे वरना अच्छा नहीं होगा , मैं आपकी शिकायत प्रिंसिपल सर से कर दूंगी । तो अरुण एक पल के लिए रुका और उसे देखने लगा ,, अचानक ही वो जोर-जोर से हंसने लगा और हंसते हुए तन्वी से बोला !"तुम मेरी शिकायत प्रिंसिपल सर से करोगी , तो ठीक है जाओ करो शिकायत , मैं भी तो देखूं इस कॉलेज में किस के अंदर इतनी हिम्मत है जो अरुण जयसवाल का बाल भी बांका कर सके , (एकदम से तन्वी के करीब अपना चेहरा ले जाकर दांत पीसते हुए) तुम जानती नहीं हो मेरे बारे में मेरे पापा इस कॉलेज के सबसे बड़े ट्रस्टी हैं , पूरे कॉलेज में मेरा दबदबा चलता है मेरे एक इशारे पर ये कॉलेज वाले तुम्हें यहां से बाहर उठाकर फेंक देंगे और तुम कुछ नहीं कर पाओगी समझी तुम , इसीलिए प्यार से समझा रहा हूं मान जाओ मेरी बात मेरी हो जाओ , इसी में तुम्हारी भलाई है वरना मैं अपनी पर आया ना तो तुम्हारा वो हाल करूंगा कि किसी के सामने आना तो दूर किसी को मुंह दिखाने लायक भी नहीं रहोगी समझी तुम। उसकी बात सुनकर तन्वी की आंखों से आंसू बह निकले जो उसके गालों पर आ गए , ये देख अरुण उसका चेहरा छूने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया और उससे बोला।!" अरे जानेमन तुम तो रोने लगी , ऐसा भी क्या ग़लत कह दिया मैंने , आओ मेरे पास आओ मैं तुम्हें चुप कराता हूं , चलो हम दोनों कहीं चलकर घूम कर आते हैं, आज क्लास व्लास छोड़ो एक दिन नहीं पढ़ोगी , तो कौन सा पहाड़ टूट जाएगा । अभी वो तन्वी को छु पता कि तभी किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया , जिससे अरुण को अपने हाथ में तेज दर्द महसूस हुआ और वो गुस्से में पलटते हुए!" कौन है बे साले तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा हाथ पकड़ने की,,,,कहते हुए जैसे ही पीछे पलटा तो सामने हिस्ट्री प्रोफेसर आयुष खुराना को देखकर चुप हो गया , उनके सामने उसकी बोलती बंद हो गई। क्योंकि आयुष खुराना उसके प्रोफेसर होने के साथ उसका रिलेटिव भी था यानी की उसका बड़ा भाई और बुआ का बेटा। तभी तन्वी के पास अविका आकर खड़ी हो गई। तन्वी ने अविका को देखा और जल्दी से आगे बढ़कर उसके गले लग गई। तो अविका तन्वी की पीठ को सहलाते हुए उसको शांत कराने लगी।  वही आयुष ने एक नजर अविका के सीने से लिपटी तन्वी को दिखा और फिर अविका की तरफ देखते हुए उससे बोला!" तुम दोनों अपनी क्लास में जाओ , तुम्हारी क्लास शुरू हो चुकी है यहां अब क्या करना है वो मैं देख लूंगा। तो अविका ने हां मैं सर हिला दिया और तन्वी का हाथ पकड़ कर वहां से आगे बढ़ गई। वही आयुष को बुलाकर लेकर आई थी ताकि वो अरुण को तन्वी के साथ बदतमीजी करने से रोक सके‌ , क्योंकि पूरे कॉलेज में सिर्फ एक आयुष था जिसकी अरुण सुनता था। उन दोनों के जाने के बाद आयुष गुस्से में अरुण की तरफ पलटा और उसे घूरते हुए दांत पीसते हुए उससे बोला।'' सुधरोगे नहीं ना तुम कितनी बार कहा है तुमसे अपनी ये घटिया हरकतें बंद कर दो , लेकिन मजाल है कि तुम्हारे कान पर जूं तक रेंगे , क्यों परेशान कर रहे थे उस लड़की को , कितनी बार बोलूं तुमसे कि वो लड़की बाकी लड़कियों जैसी नहीं है , फिर क्यों परेशान करते हो उसे उसकी बात सुनकर अरुण चिड़ते हुए बोला!" भाई मैं उसे परेशान नहीं कर रहा था , मैं उसे बस अपने करीब लाने की कोशिश कर रहा हूं , मैं उसे पसंद करता हूं इसीलिए उसे अपना बनाना चाहता हूं उससे एक मौका चाहता हूं आप मुझे गलत समझ रहे हैं। तो आयुष उसे घूरते हुए बोला!" अच्छा तो तुम तन्वी को पसंद करते हो , लेकिन जहां तक मुझे याद है एक महीने पहले तक तो रिया तुम्हारी पसंद थी , उसके लिए भी तुमने मुझसे यही सारी बातें कही थी , इतनी जल्दी तुम्हारी पसंद कैसे बदल गई (फिर गुस्से में उसे वार्निंग देते हुए) अपनी ये घिसी पिटी लाइन किसी और के लिए संभाल कर रखो , मेरे सामने अब ज्यादा बनने की कोशिश मत करना समझे, और हां अब जितना हो सके तन्वी से दूर रहना , वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा आज तुम्हें सिर्फ वार्निंग देकर छोड़ रहा हूं , अगली बार तुम्हारी शिकायत में मामा जी से करूंगा , उसके बाद जो होगा उसकी जिम्मेदार तुम खुद होंओगे समझे तुम। इतना कहकर आयुष वहां से चला गया और अरुण उसे गुस्से में घूरते हुए रह गया।

  • 6. अरुण का प्लान , वैंपायर किंग विद्युत ओबेरॉय - Chapter 6

    Words: 809

    Estimated Reading Time: 5 min

    उसके जाने के बाद अरुण ने गुस्से में वहां रखे गमले मैं जोर से लात मार दी जिससे वो टूट गया, अरुण गुस्से में खुद से बोला!" बस बहुत हो गया बहुत बर्दाश्त कर लिया मैंने अब और नहीं , मैंने उस तन्वी को कितना समझाया, जो अरुण जायसवाल कभी किसी को घास तक नहीं डालता वो उसके आगे पीछे दीवानों की तरह भागता रहा ताकि उसे अपने करीब ला सकूं , लेकिन वो नहीं मानी और आज उसकी वजह से आयुष ब्रो ने मुझे इतना सुनाया मुझे धमकी दी , अब चाहे जो हो जाए अब मैं उस तन्वी को नहीं छोडूंगा, उसे उसकी औकात दिखा कर रहूंगा उसका वो हाल करूंगा जिसके बाद वो कभी मुझसे उलझने की हिम्मत नहीं करेगी । लेकिन तू करेगा क्या ? कहते हुए उसका दोस्त विनोद उसके पास आकर खड़ा हो गया और आगे बोला!" उस लड़की और तेरे बीच सबसे बड़ी दीवार बनकर तो तेरा भाई खड़ा है , उनसे कैसे निपटेगा तू और अगर तूने कुछ किया और इसका पता तेरे भाई को लग गया तो यह भी तो सोच वो तेरा क्या हाल करेंगे? तो अरुण के होठों पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई और वो विनोद की तरफ देखकर उसका कंधा थपथपाते हुए उससे बोला!" उसकी चिंता तुम मत करो मेरे पास एक ऐसा फूलप्रूफ प्लान है जिससे मैं तन्वी को सबक भी सीखा पाऊंगा और भाई को हम पर शक भी नहीं होगा एंड मैं जो करना चाहता हूं उसे भी अंजाम दे पाऊंगा और किसी को भी हमारे बारे में कुछ पता नहीं चलेगा। बस इस काम में तुम लोगों को मेरा साथ देना है कहते हुए उसने अपने दोस्तों की तरफ देखा। तो उसके दोस्त उसकी बात के लिए राजी हो गए उनके होठों पर भी शैतानी मुस्कुराहट उभर आई। वही अरुण उन लोगों को अपना प्लान बताने लगा। दूसरी तरफ वो जंगल का एरिया था जिसमें से अजीब सी डरावनी आवाज आ रही थी , साथ ही एक आदमी चिल्ला चिल्ला कर रो रहा था , वो बस अपने सामने बड़ी सी कुर्सी पर बैठे हुए आदमी से एक ही बात बोल रहा था !" किंग मुझे छोड़ दो , मुझे नहीं पता वो कहां है मैं उसके बारे में कुछ नहीं जानता मुझे माफ कर दो , मुझे जाने दो । वही उसके सामने बैठा वो आदमी देखने में बेहद खूबसूरत था , लेकिन उसकी आंखें इस वक्त बहुत डरावनी थी , ये शख्स कोई और नहीं ये वही था, वैंपायर किंग विद्युत ओबेरॉय हमारी कहानी का मुख्य किरदार और कहानी का नायक खलनायक , जो करता है इंसानी दुनिया और इंसानों से बेइंतहा नफरत क्योंकि इंसानी दुनिया में इसमें इंसानों के वजह से अपने किसी बेहद खास को खोया है , और उसी इंसान की मौत का बदला लेने और उसे इंसाफ दिलाने के लिए फिलहाल ये इस दुनिया में आया है । देखने में बंदा इतना हैंडसम है कि दुनिया की हर लड़की इन पर फिदा हो जाए इसके लिए अपनी जान न्योछावर कर दें। इसकी नीली आंखें समुद्र की जैसी शांत और गहरी है लेकिन गुस्सा आने पर दुनिया को खत्म करने की ताकत रखती हैं , जैसे समुद्र में तूफान आने पर बड़े-बड़े जहाज के साथ कश्तियां डूब जाती है ,और यही इस वक्त हुआ , उस आदमी की बात सुनकर वैंपायर किंग विद्युत गुस्से में आ गया , उसकी आंखों का रंग धीरे-धीरे बदलने लगा , देखते ही देखते उसकी आंखें काली पड़ गई और उसके होठों पर गुस्से भरी भयानक हंसी उभर आई , वो गुस्से में अपनी भारी आवाज में दहाड़ते हुए उस आदमी से बोला!" हमारे काॅम के होकर तुम हमसे गद्दारी करोगे , वो भी उस गद्दार के लिए तो ठीक है तुम्हें उसका साथ देना है तुम वो करो और तुम्हारी गद्दारी के लिए मुझे जो करना है मैं वो करूंगा। तो वो आदमी डरते हुए पीछे खिसकते हुए बोला!" नहीं किंग आप मुझे मार नहीं सकते प्लीज मुझे एक मौका दीजिए , इस बार माफ कर दीजिए आगे से,,,,, तभी विद्युत की आंखों से आग निकलने लगी जो सीधा उस आदमी के बदन को जलने लगी , जिससे वो आदमी चीखने चिल्लाने लगा उसकी चीख पूरे जंगल में गूंजने लगी , देखते ही देखते वो आदमी जलकर भस्म हो गया। उसके मरते ही विद्युत की आंखें काले से लाल रंग में बदल गई और वो शैतानों की तरह जोर-जोर से हंसने लगा , तभी उसने अपना हाथ एकदम से आगे की तरफ बढ़ाया जिससे एक पीले रंग की रोशनी निकालकर आगे की तरफ बढ़ गई , अचानक ही वो रोशनी एक पेड़ के पास गई और वहां से एक आदमी के पैर से लिपट गई और उस आदमी को खींचते हुए  विद्युत के पास लाने लगी , जिससे वो आदमी चिल्लाने लगा , वही ये देख विद्युत  मुस्कुराने लगा , उस रोशनी ने उस आदमी को लाकर विद्युत के पैरों में पटक दिया और वापस से उसके हाथ में समा गई ।

  • 7. Vidyut ka gussa - Chapter 7

    Words: 988

    Estimated Reading Time: 6 min

    वही वो आदमी डरते हुए उठकर खड़ा हुआ। उसका पूरा बदन पसीने से भीग गया था , वो कांपते हुए अपने हाथ जोड़कर रोते हुए विद्युत से बोला !"मुझे जाने दो प्लीज मुझे जाने दो! तो विद्युत ने एकदम से हाथ आगे बढ़ाकर उस आदमी की गर्दन को पकड़ लिया और उसे खींचकर अपने करीब कर लिया फिर उसकी गर्दन को सुघंते हुए आंखें बंद कर नशे भरी आवाज में बोला! आह ये इंसानी खुशबू तुम्हारे खून की खुशबू मुझे तुम्हारे करीब खींच रही है , जिससे मेरी भूख बढ़ती जा रही है ‌। तो वो आदमी उससे छूटने की कोशिश करते हुए रोते हुए बोला!" नहीं प्लीज मुझे मत मारो मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं प्लीज मुझे जाने दो , यहां जो कुछ हुआ मैं किसी से नहीं कहूंगा प्लीज मुझे छोड़ दो । तो विद्युत उस पर अपनी पकड़ कसते हुए बोला!" ये तो तुम्हें यहां इस जंगल में आने से पहले और वो सब देखने से पहले सोचना चाहिए था , लेकिन फिर भी मैं तुम्हें छोड़ भी देता अगर तुम इंसान नहीं होते तो पर तुम्हारी सबसे बड़ी गलती तो यही है कि तुम इंसान हो और मुझे इंसानों से नफरत है , जब मैं अपने असली रूप में होता हूं अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करता हूं तो मैं चाह कर भी खुद पर काबू नहीं रख पाता , इंसानों के प्रति अपनी नफरत को नहीं दबा पता और तुमने अब मेरा असली रूप देख लिया है, ऐसे मैं तुम्हें मैं बिल्कुल नहीं छोड़ सकता , वैसे भी मैंने अगर तुम्हें छोड़ दिया , तो कौन सा तुम चुप रहने वाले हो, यहां से जाकर गवर्नमेंट को मेरा सच बताने वाले हो ताकि सरकार से लाखों का इनाम जीत पाओ और अमीर बन जाओ है ना, इतना कह कर शैतानी मुस्कुराहट के साथ उसे देखने लगा , वही विद्युत की बात सुनकर वो आदमी थर-थर कांपने लगा , उसकी आंखें डर से बड़ी हो गई ये बातें तो उसकी मन की थी तो फिर विद्युत को कैसे पता चला , लेकिन वो ये भूल गया था कि वैंपायर्स मन की बातों को सुन सकते हैं। वो आदमी घबराते हुए विद्युत को देखने लगा , वही धीरे-धीरे विद्युत के बड़े-बड़े दांत निकाल कर बाहर आ रहे थे , उसके चेहरे पर अजीब सी सिलवटें उभर रही थी और चेहरा सफेदी के जैसा सफेद पड़ता जा रहा था। उसके हाथों पर बड़े-बड़े काले बाल निकल आए थे और उंगलियों से बड़े-बड़े नाखून निकल आए थे , देखते ही देखते उसका रूप बेहद भयानक हो गया , जिसे देखकर वो आदमी और उसका शरीर दर से पीला पड़ गया  उसे अपने सामने साक्षात मौत नजर आ रही थी , तभी वो रोते हुए चिल्लाने लगा!" बचाओ कोई बचाओ मुझे,,,, तभी विद्युत ने एकदम से उसकी गर्दन को टेढ़ा किया और उसकी गर्दन पर अपने दांत गड़ा दिए जिससे उस आदमी की एक जोरदार चीज निकल गई , उसकी चीख इतनी भयानक थी कि उस चीख से पूरे जंगल में सनसनी सी मच गई  जानवर इधर-उधर भागने लगे , आसमान में पक्षी झुंड में मंडराने लगे , देखते ही देखते उस आदमी का शरीर सफेद पड़ने लगा , जैसे ही विद्युत ने उसे छोड़ा तो वो सूखे पत्ते की तरह जमीन पर गिर गया , विद्युत ने अपनी लाल आंखों से उसे देखा इसके बाद उसकी आंखों से एक रोशनी निकली जिसके साथ ही उस आदमी का शरीर वहां से गायब हो गया , धीरे-धीरे विद्युत की आंखें नॉर्मल होकर अपने नीले रंग में वापस आ गई , विद्युत भी वापस नॉर्मल इंसान के रूप में आ गया , इंसानों के रूप में .... वो अपने मकसद को कामयाब करने के लिए विद्युत ओबेरॉय बनकर रह रहा था। जो की इंडिया का नंबर वन बिजनेसमैन था। अभी विद्युत नॉर्मल होकर खड़ा हुआ ही था , कि तभी कोई एकदम से उसके सामने आकर खड़ा हो गया , उसकी आंखें भी विद्युत के जैसी नीली थी और उसकी शक्ल भी हल्की विद्युत से मिल रही थी , वो विद्युत की तरफ देखते हुए अपना सर झुकाया और फिर धीरे से उससे बोला!" ब्रो वो मिल गया है हमने उसे ढूंढ लिया है। उसकी बात सुनकर विद्युत जो अभी नॉर्मल हुआ था उसकी आंखें फिर से लाल रंग में बदलने लगी , उसके चेहरे पर वापस से गुस्सा देखने लगा और वो गुस्से में अपने सामने खड़े अपने भाई से बोला!" कहां है वो ? तो उस के भाई यानी कि रियांश ने उसे देखा और फिर उससे बोला !" यही नीलगिरी पहाड़ी पर! उसकी बात सुनकर विद्युत ने उसे देखा और गुस्से में दहाड़ते हुए उससे बोला!" चलो अब वक्त आ गया है एक आखरी जंग का , कहते हुए वो एकदम से गायब हो गया ,रियांश ने उसे गायब होते देख अपना सर हिलाया और फिर वो भी गायब हो गया। वही तन्वी अविका अपनी क्लास में पहुंच गई थी , तन्वी को अविका ने शांत कर दिया था लेकिन फिर भी अभी भी तन्वी अरुण की बिहेवियर की वजह से घबराई हुई थी , अविका भी उसके साथ बैठी हुई थी , तन्वी के बाकी दोस्त रितिका इशिता उसकी पीछे वाली सीट पर ही बैठी हुई थी , वही उनके बगल वाली सीट पर उनके दोस्त अमन और रजत बैठे हुए थे। उन लोगों ने जब तन्वी के उतरे हुए चेहरे को देखा तो उन्हें शक हुआ , जिस पर उन्होंने इशारे से अविका से बातें पूछी तो अविका ने धीमी आवाज में उन्हें बाहर हुई सारी बातें बता दी , जीने सुनकर अमन और रजत का तो खून ही खोल गया उनका वश चलता तो वो अभी बाहर जाकर अरुण की खाल उधेड़ देते , लेकिन फिलहाल लड़ाई झगड़े के लिए वो क्लास को बीच में छोड़कर नहीं जा सकते थे इसके साथ ही वो आयुष के भी शुक्रगुजार थे , जो उसने तन्वी की ठीक वक्त पर मदद की थी , इसी वजह से फिलहाल अब दोनों अपने गुस्से को अंदर दवांए शांत बैठ गए थे । रितिक और इशिता भी इसी वजह से शांत थी

  • 8. Rajat plans to propose Tanvi - Chapter 8

    Words: 1059

    Estimated Reading Time: 7 min

    घंटे भर बाद जब लेक्चर खत्म हुआ तो सभी क्लास से बाहर आ गए सभी ने प्लान बनाया कि वो फिलहाल अगली क्लास में ना जाकर कैंटीन जाएंगे , यही सोच कर सब कैंटीन चले गए और वहां अपने लिए कुछ खाने के लिए आर्डर कर एक टेबल पर बैठ गए , तन्वी अभी भी खामोश थी ये देख रितिका उसके हाथ पर धीरे से अपना हाथ रखकर उससे बोली!" तन्वी तु ठीक तो है ना ? तो तन्वी ने उसकी तरफ देखा और फिर उसे खुद के लिए परेशान देख उसे अच्छा नहीं लगा वो हल्का मुस्कुराते हुए उससे बोली!" मैं ठीक हूं रितिका  मैं बस अरुण सर की बातों और उनकी हरकत की वजह से थोड़ा डर गई थी , और कुछ नहीं तुम लोग चिंता मत करो , मैं जल्दी ही कल तक नॉर्मल हो जाऊंगी। तभी इशिता अपने हाथ की मुट्ठी बनाकर गुस्से में उसे दिखाते हुए उससे बोली!" यार जब वो अरुण तुझे परेशान कर रहा था , तो तूने मुझे क्यों नहीं बुलाया उस साले को ऐसा मारती कि उसके मुंह का नक्शा बिगाड़ देती। उसकी बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए , तभी रजत सभी की तरफ देखते हुए बोला अच्छा चलो सब लोग शांत हो जाओ , (फिर तन्वी से) वैसे तन्वी क्या तुम सच में ठीक हो , उस अरुण ने ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना तुम्हें (तन्वी ने ना में अपना सर हिलाया) तो रजत आगे बोला!" वैसे तुमने मुझे क्यों नहीं बुलाया जब अरुण तुम्हें परेशान कर रहा था तब । एक बार तुम मुझे बता दें देती कॉल करके मैं फौरन तुम्हारी मदद करने आ जाता,  मुझे ना सही तो एकलिस्ट अमन को ही बुला लेती या फिर तुम हमें बस अपना नाम का दोस्त मानती हो कहते हुए उसके चेहरे पर हल्का गुस्सा दिखाने लगा , वो तन्वी से अपनी नाराजगी जाहिर कर रहा था उसकी बात पर तन्वी ना में सर हिलाते हुए उससे बोली!" नहीं रजत ऐसी कोई बात नहीं है तुम सब लोग मेरे लिए क्या हो ये तुम लोग कभी नहीं जान पाओगे , मैं बस खुद की वजह से तुम लोगों को प्रॉब्लम में नहीं डालना चाहती थी तुम लोग जानते हो ना अरुण कैसा है उसका बैकग्राउंड क्या है , ऐसे में वो तुम्हारे लिए मुश्किल खड़ी करता जिससे तुम्हारा यहां पर पढ़ना मुश्किल हो जाता , बस यही सोच कर मैंने तुम्हें इस मामले में नहीं घसीटा क्योंकि मैं जानती हूं तुम सब मुझसे कितना प्यार करते हो मेरे लिए उस अरुण से तो क्या उसके जैसे हजारों लोगों से लड़ जाओगे। उसकी बात सुनकर सभी लोगों के होठों पर मुस्कुराहट आ गई , वहीं रजत एकटक तन्वी को देखने लगा , तो अमन ने उसे कोहनी मारी , जिस पर रजत इधर-उधर देखने लगा। तभी इशिता बोली!" यार सुनो ना सब लोग मैं क्या बोल रही हूं आज ना हम सब लोग कहीं घूमने चलते हैं , तन्वी का भी मूड सही नहीं है और इन सारी बातों को जानने के बाद अब हम लोगों का मन भी पढ़ाई में नहीं लगेगा तो क्यों ना आज हम सब कहीं घूमने चलें , जिससे तन्वी को भी अच्छा लगेगा और उसके साथ साथ हम लोगों का माइंड भी फ्रेश हो जाएगा। उसकी बात पर सभी हंसी खुशी राजी हो गए , तन्वी अभी भी खामोश बैठी थी , तो अविका ने उसके कंधे को छुआ , जिस पर चौक कर तन्वी ने उसकी तरफ देखा तो अविका उसे देखते हुए बोली!" क्या हुआ तू अभी भी उदास है ? तो तन्वी उसकी तरफ देखते हुए मासूमियत से बोली!" दी अगर मैं घूमने जाऊंगी तो चाची डांटेंगी इसीलिए आप लोग चले जाओ मैं घर चली जाऊंगी । तो अविका मुस्कुराते हुए उससे बोली!" तू मां की चिंता मत कर उन्हें मैं संभाल लूंगी , तू बस अब अपने इस प्यारे से चेहरे पर थोड़ी सी मुस्कुराहट ले आ। तेरे चेहरे पर ये उदासी अच्छी नहीं लगतीं हम लोगों को और ये घूमने जाने का प्लान भी हम लोगों ने तेरी वजह से बनाया है , अगर तू नहीं जाएगी तो कोई नहीं जाएगा तेरे बगैर किसी को अच्छा नहीं लगेगा, इसीलिए तू भी हमारे साथ जाएगी। उसकी बात पर रितिका भी हां में हां मिलाते हुए बोली!" हां तन्वी तुम जाओगी तो ही हम जाएंगे वरना नहीं जाएंगे प्लान कैंसिल हो जाएगा इसलिए प्लीज चलो ना । तो तन्वी हार मानते हुए उनसे बोली !"अच्छा-अच्छा ठीक है मैं चलूंगी तुम लोगों के साथ , प्लीज तुम लोग अब अपना मुंह मत लटकाओ , मुझे अच्छा नहीं लगेगा अगर मेरी वजह से तुम लोग उदास हो गए तो , उसकी बात पर सभी मुस्कुरा दिए। तीनों चारों लड़कियां वहां से उठकर आगे बढ़ गई। रजत भी उनके पीछे जाने लगा , तो अमन ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया। रजत ने मुड़कर उसकी तरफ देखा तो अमन उससे बोला!" कब तक तू अपने दिल की बात तन्वी से छुपाए रखेगा उसे बता क्यों नहीं देता , कि तू उसे पसंद करता है, देख मेरी बात मान जितनी जल्दी हो सके तन्वी को अपने दिल की बात बता दे , कहीं ऐसा ना हो तेरी ये देरी तेरे लिए सजा बन जाए , और तन्वी को कोई और ले जाए,  वैसे भी जितनी वो सुंदर है ऐसे में उसके लिए लड़कों की कमी तो नहीं होगी ना। उसकी बात पर रजत अमन से बोला !" नहीं अमन ऐसा मत बोल इस जन्म में अगर तन्वी किसी की होगी तो वो सिर्फ रजत की , मैं उसे कभी खुद से दूर नहीं जाने दूंगा , वो सिर्फ मेरी है। और हां मैं आज शाम को ही उससे अपने दिल की बात कह दूंगा अंजाम फिर चाहे जो भी हो.. पर अब मैं और देर नहीं करूंगा ! तो अमन ने मुस्कुरा कर उसे गले लगा लिया और उससे बोला!" ये हुई ना बात चल अब शाम को तन्वी जब मन जाए तो ट्रीट तू देना सबको , वैसे तन्वी तुझे मना तो नहीं करेगी आखिर तू किसी से कम थोड़ी है और वो तुझे जानती भी है तु उसका दोस्त भी है और अभी उसने कहा भी कि हम सब उसके लिए बहुत मायने रखते हैं जिसमें तू भी शामिल था तो हो ना हो उसके दिल में तेरे लिए कहीं ना कहीं खास जगह तो होगी , और तेरे प्यार के इजहार के बाद वो जगह और खास हो जाएगी। तो रजत मुस्कुरा दिया और दोनों आगे बढ़ गए। ।

  • 9. Tanvi kidnapped , war between Aryan and Vidyut - Chapter 9

    Words: 902

    Estimated Reading Time: 6 min

    शाम को सभी लोकल एरिया में घूमने आए थे , पहले सभी लड़कियों ने थोड़ी शॉपिंग की , जो  उनका पसंदीदा काम था । उसके बाद सभी पहले मूवी देखने गए जिसे देखते देखते शाम हो गई और फिर सभी ने रोड साइड पर से चाट पकौड़ी खाई और फिर सब लोग मार्केट में इधर-उधर घूमने लगे। अविका ने अपनी मां को झूठ बोल दिया था कि वो और तन्वी आज अपनी फ्रेंड के साथ रुक रहे हैं और कल ही वापस आएंगे , शाम को सभी लोग एक रेस्टोरेंट में खाना खाने बैठे थे , जो की बहुत सुंदर डेकोरेट किया गया था। ये सब रजत का प्लान था वो यहां आज तन्वी को अपने दिल की बात बताने वाला था , तन्वी भी अपनी चेयर पर बैठी वहां की सुंदर डेकोरेशन को देखकर मुस्कुरा रही थी , तभी पास से गुजरती बच्ची की आइसक्रीम उसकी ड्रेस पर गिर गई , जिससे उसकी ड्रेस खराब हो गई , उस बच्ची की मां तन्वी को सॉरी कहने लगी , तो तन्वी भी उनसे इट्स ओके कह कर अपने दोस्तों को ड्रेस साफ करके आने का कहकर वॉशरूम में चली गई। काफी देर बाद जब तन्वी वापस नहीं आई , तो सभी उसके लिए परेशान होने लगे , अविका और रितिका दोनों उसे वॉशरूम की तरफ देखने गई , पर थोड़ी देर बाद ही वो दोनों हड़बड़ाती हुई भाग कर सबके पास वापस आ गई और उन्हें तन्वी के वॉशरूम में न होने के बारे में बता दिया , जिसके बाद सभी लोग तन्वी के लिए परेशान हो गए और उसे रेस्टोरेंट में हर जगह ढूंढने लगे , जब तन्वी उन्हें कहीं नहीं मिली तो उन्होंने उसे फोन लगाया लेकिन उसका फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था , ये देख सभी को घबराहट होने लगी अविका के आंसू बहने लगे , रजत ने उसे दिलासा दिया और वापस से सभी तन्वी को ढूंढने लगे। दूसरी तरफ नीलगिरी पहाड़ी पर हवाओं ने अपना रुख बदल लिया था,  आसमान काले बादलों से घिर आया था जो किसी अनहोने के होने का संकेत दे रहा था , मौसम तूफान के जैसा हो गया था काले बादलों के बीच से बिजली गर्ज रही थी और उसकी तेज आवाज किसी को भी डरा कर कांपने पर मजबूर कर रही थी। वह रात अमावस की उस काली रात की तरह प्रतीत हो रही थी , जब चंद्रमा आकाश से गायब हो जाता है जिससे पूरी रात भयावह होकर अपनी मनहूसियत फैलाने को तैयार होती है , इतनी भयानक रात से इंसान तो क्या जानवर भी डरे हुए थे। सभी अपने-अपने ठिकाने पर छुप कर बैठे थे। पंछी भी अपने घोंसले में बैठे इस भयानक रात के बीत जाने का इंतजार कर रहे थे , वहीं पूरे आसमान में चमगादड़ों का जमावड़ा था पूरे आसमान में चमगादड़ झुंड में मंडरा रहे थे जैसे किसी की मौत का पैगाम लेकर आए हो  , और उनकी चीखने-चिल्लाने की आवाज कानों को चीरती हुई महसूस हो रही थी। तभी वहां पर दो तलवारों की टकराव की आवाज गूंज गई। जिसके साथ ही वहां दो लोग दिखाई देने लगे जो की साक्षात मौत के देवता लग रहे थे , तभी दोनों एक दूसरे की तरफ भागे और दोनों ने फिर से एक दूसरे पर प्रहार किया , जिससे एक एक बार फिर दोनों की तलवार एक दूसरे से टकराई और एक तेज रोशनी दोनों की तलवार से निकलकर आपस में टकरा गई और आसमान को चीरते हुए ऊपर चली गई , जिससे बादल में भी एक तेज आवाज हुई और दोनों फिर से तेजी से अपनी-अपनी जगह पर वापस आ गिरे , तभी एक शख्स वहां पर आया और वो अपने सामने जमीन बैठे उसे शख्स से बोला !" भाई आप उसे ऐसे नहीं मार सकते जब तक आप उस इंसान को नहीं ढूंढ लेते जिसके लिए आप इस इंसानी दुनिया में आए हैं जिसके पास शैतान को मारने की शक्ति है आप अभी यहां से चलिए क्योंकि आर्यन ने कई लोगों की बलि देकर अपने आप को पहले से कई गुना शक्तिशाली कर लिया है और उसके पास हमारी खानदानी तलवार भी है , इसलिए अभी आप उसे नहीं हरा पाएंगे , और आप ऐसे ही उसके साथ लड़ते रहे तो आप दोनों की इस लड़ाई में पूरी दुनिया नष्ट हो जाएगी। इसीलिए प्लीज चलिए यहां से। तो उसके सामने बैठा विद्युत जो अपनी सांसों को संयमित कर रहा था,  क्योंकि उनके बीच में पिछले कई घंटे से लड़ाई चल रही थी वो रियांश को देखते हुए उससे बोला!" नहीं आज अगर मैंने इस आर्यन को छोड़ दिया तो ये पूरी दुनिया को खत्म कर देगा और मैं ऐसा होने नहीं दे सकता , आज मुझे कैसे भी करके इसे खत्म करना होगा चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यों ना दांव पर लगानी पड़े । उसकी बात सुनकर आर्यन एक पल के लिए उसे देखने लगा , उसके दिल पर अजीब सा भारीपन महसूस हुआ। एक वक्त था जब वो और विद्युत बहुत अच्छे दोस्त थे लोग उनकी दोस्ती की दुहाई देते थे वो दोनों एक दूसरे पर मर मिटने के लिए तैयार रहते थे लेकिन फिर एक दिन (उसे याद कर आर्यन ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली) वो उस दिन को अपने जहन से मिटाना चाहता था जिस दिन सब कुछ खत्म हो गया था। उनकी दोस्ती खत्म हो गई थी और आज उनके बीच ऐसी दुश्मनी हो गई थी कि दोनों एक दूसरे के खून के प्यासे थे एक दूसरे की जान लेने को उतारू थे।

  • 10. आर्यन का विद्युत पर वार - Chapter 10

    Words: 1126

    Estimated Reading Time: 7 min

    वहीं विद्युत उठकर खड़ा हो गया उसके कानों में किसी की खिलखिलाहट गूंज रही थी कोई भाई-भाई कहते हुए उसके आगे भाग रहा था जिसे पकड़ने के लिए वह उसके पीछे भाग रहा था उसके होठों पर मुस्कुराहट थी तभी वहां एक दर्दनाक चीख गूंज गई जिससे एक पल में विद्युत ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली उसने गुस्से में अपनी आंखें खोली फिर मुट्ठी में तलवार की मुठ को कसकर पकड़ लिया और सामने खड़े आर्यन को गुस्से में देखते हुए दहाड़ते हुए उससे बोला !" आर्यन में आखिरी मौका दे रहा हूं तुम्हें चुपचाप से खुद को मेरे हवाले कर दो , और मुझे बताओ वो कहां छुपा है वरना तुम्हें ऐसी मौत दूंगा कि अगला जन्म लेने से पहले तुम सौ बार सोचोगे। तो आर्यन उसकी बात सुनकर शैतानी हंसी हंसने लगा उसकी हंसी इतनी भयानक थी , कि आसमान में उड़ रहे चमगादड़ उसके हंसने से मृत्यु को प्राप्त होकर जमीन पर गिरने लगे। लेकिन उसकी इस हंसी के पीछे उसके दिल का दर्द साफ बयां हो रहा था जिसे सिर्फ कोई मासूम इंसान ही समझ सकता था विद्युत जो इस वक्त उससे दुश्मनी निभा रहा था वो समझ ही नहीं पाया की आर्यन की हंसी के पीछे कितना दर्द छुपा है और शायद वह कभी समझ भी नहीं सकता था क्योंकि वो एक बे दिल बेरहम वैंपायर था जिसे इंसानों से नफरत थी जो इंसानों को खत्म करना चाहता था जिससे उसके वैंपायर वर्ल्ड के सभी वैंपायर्स डरते थे। वही आर्यन ने इस वक्त खुद को ऐसा बना लिया था की कोई उसका चेहरा नहीं देख सकता था उसने अपनी शक्ति से इस वक्त अपनी शरीरी काया को त्याग दिया था इस वक्त आर्यन का सिर्फ शरीर दिख रहा था , जो उसकी शक्तियों से बना था इसीलिए वो इस वक्त पूरी तरह से काले लिवाज से ढका हुआ था , बाकी उसके चेहरे की जगह सिर्फ आग का कंकाल जैसा चेहरा बना हुआ था , और उसकी आंखों की जगह काले गड्ढे थे। जिसके आर पार देखा जा सकता था उसका रूप इतना भयानक था कि अगर कोई इंसान उसे इस वक्त देख ले तो देखते ही मर जाए  , किसी बिना चेहरे वाले इंसान को देखना उस पर भी उस इंसान के चेहरे वाली जगह पर आग से बना हुआ कंकाल जैसा चेहरा देखना किसी आम इंसान की बस की बात नहीं है , वो बेचारा तो ये देखकर ही सदमे में चला जाएगा या फिर हार्ट अटैक से ईश्वर को प्यारा हो जाएगा , लेकिन उसके सामने खड़ा विद्युत इंसान ना होकर वैंपायर किंग था जो इन सारी चीजों से भली भांति वाकिफ था। तभी आर्यन अपने दर्द को छुपा कर भद्दी हंसी के साथ हंसते हुए विद्युत से बोला !"बस विद्युत अब तेरी इस खोखली धमकी से मैं नहीं डरने वाला इसीलिए अपनी खोखली धमकी देना बंद कर , अब तु मुझे नहीं मार सकता  पिछले 5 सालों में मैंने जो तपस्या की है उसके बाद तुम मुझे नहीं हरा सकते जब तक तुम्हें वो इंसान नहीं मिल जाता जिसके लिए तुम इस दुनिया में आए हो और यकीन मानो तुमसे पहले मैं उसे ढूंढ लूंगा और उसकी बलि देकर खुद को अमर कर लूंगा फिर उसके बाद तुम तो क्या मुझे इस दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं पाएगी , पिछले 5 सालों में मैंने जितनी बलि देकर अपनी ये शक्ति हासिल की है उसके बलबूते पर मैं इस पूरी दुनिया पर राज कर सकता हूं बस अब जल्द ही मुझे वो इंसान मिल जाए तो उसके बाद तुम और तुम्हारा वैंपायर वर्ल्ड भी मेरी मुट्ठी में रहोगे। उसके बाद मैं तुम्हें इतनी दर्दनाक मौत दूंगा कि तुम अगला जन्म लेने से भी डरोगे। तुम्हारी रूह को नर्क में कैद कर दूंगा और तुम्हें तड़पा तड़पा कर खत्म कर दूंगा। उसकी बात पर विद्युत दहाड़ते हुए गुस्से में बोला !" बस वैंपायर वर्ल्ड को अपना बनाने का तुम्हारा ख्वाब ख्वाब ही रह जाएगा ,  तुम उसे कभी हासिल नहीं कर पाओगे वैंपायर वर्ल्ड कल भी मेरा था और आज भी मेरा है और हमेशा मेरा रहेगा , उस पर उठने वाली हर बुरी आंख को में नोज डालूंगा साथ में उस इंसान को भी और आज मैं तुम्हारा भी यही हाल करूंगा , इतना कहकर उसने अपने दोनों हाथों को ऊपर उठकर गोले की आकार में घुमाया जिससे उसके दोनों हाथों के अंदर एक पीले रंग की रोशनी का निर्माण होने लगा , जो कि गोले के रूप में थी ये देख आर्यन ने भी अपनी तलवार को गायब करके अपने हाथों को ऊपर उठाया और वो भी अपने हाथ में शक्ति का निर्माण करने लगा , उसके हाथ से लाल रंग की रोशनी का निर्माण हो रहा था , दोनों ने एक साथ रोशनी को एक दूसरे के ऊपर फेंका , जिससे दोनों रोशनी एक दूसरे से टकरा गई और एक जोरदार धमाका हुआ , जिससे वहां उगी हुई हरियाली पेड़ पौधे जल कर नष्ट हो गए , वही आसमान में बिजली तेजी से कड़कने लगी। विद्युत और आर्यन एक दूसरे को गुस्से में घूर कर देखने लगे , आर्यन ने अभी शक्ति का निर्माण किया था और अभी भी उसकी तपस्या अधूरी थी इसीलिए वो कमजोर पढ़ने लगा लेकिन विद्युत के सामने दिखा नहीं रहा था , साथ ही वह विद्युत से इस वक्त बचकर यहां से निकलना चाहता था वह ना तो अभी विद्युत को मारना चाहता था और ना ही उसके हाथों मरना चाहता था वह मन ही मन सोचने लगा तुम मानो ना मानो पर तुम आज भी मेरे दोस्त हो विद्युत में चाह कर भी तुम्हें नहीं मार सकता लेकिन जब तक मैं खुद को बेगुनाह साबित नहीं कर देता तब तक तुम्हारे हाथों मरना भी नहीं चाहता इसीलिए अब मुझे कैसे भी करके तुम्हें चकमा देकर यहां से निकलना होगा तभी उसकी नजर विद्युत पर गई जो उस पर वापस से वार करने के लिए शक्ति का निर्माण करने लगा था , ये देख आर्यन भी कुछ सोचते हुए शक्ति का निर्माण करने लगा लेकिन उसकी पावर कम हो गई थी जिस वजह से उसकी शक्ति का निर्माण धीरे-धीरे हो रहा था विद्युत अपनी शक्ति को आर्यन के ऊपर फेंकने ही वाला था कि तभी उसके कानों में एक लड़की की चीखने चिल्लाने की आवाज पड़ी , जिससे उसका ध्यान आर्यन पर से हट गया और वो दूसरी तरफ देखने लगा , जिस वजह से उसकी शक्ति उसके हाथों में ही नष्ट हो गई। इसी बात का फायदा उठाकर आर्यन ने अपनी शक्ति को अपनी तलवार में समाहित किया और उसे विद्युत की तरफ फेंक दिया। वो जानता था इससे कुछ समय के लिए विद्युत कमजोर पड़ जाएगा , जिससे वो यहां से निकल जाएगा। वो तलवार सीधा विद्युत के सीने में दिल वाली जगह पर समा गई, जिससे विद्युत को एक तेज झटका लगा वो उस तलवार को पकड़ कर जमीन पर घुटनों के बाल गिर गया

  • 11. खतरे में तन्वी - Chapter 11

    Words: 761

    Estimated Reading Time: 5 min

    वो तलवार सीधा विद्युत के सीने में दिल वाली जगह पर समा गई, जिससे विद्युत को एक तेज झटका लगा वो उस तलवार को पकड़ कर जमीन पर घुटनों के बाल गिर गया क्योंकि फिलहाल वो शक्तिहीन होकर कमजोर पड़ गया था कुछ पल के लिए क्योंकि जिस तलवार से उस पर वार हुआ था , वो उसकी पुस्तैनी तलवार थी , उनकी रक्त पिशाच वध तलवार , वो तलवार सर्व शक्तिशाली वैंपायर को भी करने की ताकत रखती थी , उसकी हल्की सी खरोच बड़े से बड़े वैंपायर को कमजोर करके घुटनों पर ला सकती थी , पर फिलहाल विद्युत उस तलवार का असली मालिक था और वैंपायर वर्ल्ड का किंग था इस वजह से वो तलवार उसे मार नहीं सकती थी , लेकिन फिर भी उसने विद्युत को कमजोर कर दिया था , कुछ पल के लिए उससे उसकी सारी शक्तियां छीन ली थी , जिससे एक मामूली वैंपायर या शैतान भी उसे मार सकता था , वही उसे घायल होते देख उसका भाई रियांश घबरा गया , वो जल्दी से विद्युत के पास आया और उसे पकड़ते हुए घबराते हुए उससे बोला!" भाई क्या हुआ आपको आप ठीक तो है (तलवार की तरफ देखते हुए) आप चलिए मेरे साथ हमें अभी वैंपायर वर्ल्ड जाना होगा , ये तलवार आम तलवार नहीं है इससे आपकी जान भी जा सकती है , । तो विद्युत खुद को संभाल कर गहरी सांस लेते हुए उससे बोला!" तुम फिलहाल मेरी चिंता मत करो रियांश तुम आर्यन को पकड़ो उसे इस वक्त पकड़ना जरूरी है , मैं ठीक हूं ये तलवार मुझे फिलहाल कुछ समय के लिए कमजोर तो कर सकती है , लेकिन मुझे मार नहीं सकती , क्योंकि इस वक्त वैंपायर वर्ल्ड का किंग मैं हूं तो ये मेरी जान नहीं ले सकती , इसीलिए तुम मुझे छोड़ो और आर्यन को पकड़ो , तो रियांश घबराते हुए उसे देखकर बोला !"पर भाई मैं आपको ऐसी हालत में ऐसे अकेला छोड़कर कैसे जा सकता हूं ? उसकी बात सुनकर विद्युत गुस्से में उससे बोला!" ये तुम्हारे भाई नहीं बल्कि तुम्हारे किंग का आर्डर है जाकर आर्यन को पकड़ो , मुझे वो चाहिए किसी भी हालत में उसकी बात सुनकर रियांश ने हा में सर हिलाया और गुस्से में आर्यन को देखा। वही आर्यन जिसने अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल विद्युत को हराने के लिए कर दिया था , वो जल्दी से वहां से गायब हो गया , क्योंकि अगर अब वो यहां रुकता तो रियांश उसको जरूर बंदी बना लेता  , क्योंकि इस वक्त उसकी शक्ति क्षीण हो गई थी जिससे वो कमजोर हो गया था , इसीलिए उसने अब भाग कर वापस से अपनी तपस्या करना ही सही समझा ताकि वो उसे ढूंढ सके जो उसे अमर बनाने में मदद करने वाला है। वही उसे गायब होते देख रियांश भी अपने वैंपायर रूप में आ गया और अपनी सभी इंद्रियों को जागृत करके आर्यन के पीछे चला गया ताकि उसे पकड़ सके। दूसरी तरफ उसी पहाड़ी पर एक लड़की बदहवास सी भागे जा रही थी , वो लड़की डरते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी , साथ ही वो मदद के लिए भी चिल्ला रही थी उसके पीछे ही कुछ लोग भागते हुए आ रहे थे ये लड़की कोई और नहीं बल्कि तन्वी थी और उसके पीछे आते हुए लोग अरुण और उसके दोस्त थे। दरअसल तन्वी से बदला लेने के लिए अरुण ने उसे किडनैप करने का प्लान बनाया था जिस वजह से वो सुबह से तन्वी पर नजर रखे हुए था, और जब तन्वी अकेले बाथरूम गई कपड़े साफ करने के लिए तो उसे तन्वी को किडनैप करने का मौका भी मिल गया और उसने उसी वक्त अपने दोस्तों की मदद से तन्वी को किडनैप कर लिया फिर उसे यहां पहाड़ी पर ले आया। वो तन्वी को यहां लाकर अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसके साथ बदसलूकी करने की कोशिश करने लगा, उसकी इज्जत उसकी आबरू को तार तार करने की कोशिश करने लगा , जिससे तन्वी उसके आगे गिड़गिड़ाने लगी , उससे मिन्नतें करने लगी , ताकि वो उसे छोड़ दे पर अरुण जो इस वक्त हवस का भूखा भेड़िया बना हुआ था उसे तन्वी पर बिल्कुल दया नहीं आई और वो अपने दोस्तों के साथ उस पर हावी हो गया , पर इसे तन्वी की किस्मत कहें या ईश्वर का चमत्कार की तभी तन्वी ने हिम्मत दिखाई और जमीन पर से मिट्टी उठाकर सभी की आंखों की तरफ उड़ा दी , जिससे वो लोग अपनी आंखें मलते हुए पीछे हट गए  और तन्वी मौका पाकर उठकर खड़ी होकर तेजी से भागने लगी , जिससे वो लोग संभल कर उसके पीछे उसे पकड़ने के लिए भागने लगे।

  • 12. तन्वी हेल्प विद्युत , - Chapter 12

    Words: 944

    Estimated Reading Time: 6 min

    भागते हुए तन्वी की सांस फूलने लगी थी जिस वजह से उसका पूरा चेहरा लाल पड़ गया था। ऊपर से काली अंधेरी रात और जंगली एरिया डर के मारे तन्वी की हालत खराब हो रही थी , उसकी आंखों से बेतहाशा आंसू बह रहे थे। उसका पूरा बदन कांप रहा था , अंधेरे की वजह से उसे रास्ता भी साफ नहीं दिख रहा था इस वजह से उसे घबराहट हो रही थी , लेकिन वो बस खुद को अरुण जैसे भेड़िए से बचाने के लिए हिम्मत करके आगे भाग रही थी। अचानक की भागते हुए उसे नीचे जमीन पर पड़े पत्थर से ठोकर लगी,  जिससे वो लड़खड़ा गई और सीधा किसी शख्स के ऊपर गिर गई , जिससे उस शख्स की दर्द भरी आह निकल गई  , वही किसी के ऊपर गिरने की वजह से तन्वी की भी चीख निकल गई , तन्वी की सांसे तेज थी और उसका दिल जोरो से धड़क रहा था। उसने धीरे-धीरे अपना सर उठा कर उस शख्स की तरफ देखा तभी अचानक आसमान में जोरों की बिजली कड़की जिससे वहां एक पल के लिए रोशनी हुई , जिसमें तन्वी को अपने नीचे लेटे हुए शख्स का चेहरा दिख गया , वो शख्स कोई और नहीं बल्कि विद्युत था , जो की तलवार के वार की वजह से जमीन पर गिर कर बेहोश हो गया था , उसकी हालत देख तन्वी का चेहरा डर से पीला पड़ गया और वो जल्दी से उस शख्स के ऊपर से उठकर उससे दो कदम दूर खड़ी हो गई और रोते हुए कांपने लगी , क्योंकि विद्युत के सीने में अभी भी वो तलवार लगी हुई थी और वो जमीन पर बेहोश पड़ा हुआ था , तन्वी घबराते हुए वहां से आगे बढ़ने लगी , कि तभी एक बार फिर से उसके कानों में विद्युत की करहाने की आवाज पड़ी , जिससे उसके कदम रुक गए , साफ दिल की मासूम सी तन्वी जो कभी छोटे से कुत्ते के पिल्ले को भी दर्द में नहीं देख सकती थी , वो आज अपने सामने किसी इंसान को मरते हुए छोड़कर कैसे जा सकती थी , इंसानियत जिंदा जो थी उसमें हालांकि वो डरी हुई थी लेकिन इस वक्त डर के ऊपर अच्छाई की शख्सियत ज्यादा हावी थी। उसने डरते हुए उस तरफ देखा जिस तरफ से भागते हुए वो आई थी , तो उसे अरुण और उसके दोस्त कहीं नहीं दिखे , ये देख उसने राहत की सांस ली और जल्दी से विद्युत के पास आई और घुटनों पर बैठते हुए विद्युत के गालों को छूते हुए उसे होश में लाने की कोशिश करते हुए उससे बोली!" सुनिए उठिए क्या हुआ आपको ... कहते हुए उसके गालों को हल्का सा थपथपा कर उसे उठाने की कोशिश करने लगी , पर विद्युत आंख नहीं खोल रहा था , तभी एक बार फिर से बिजली कड़कने की वजह से वहां रोशनी हुई , जिससे तन्वी का ध्यान तलवार पर गया जिसे देख पहले तो तन्वी डर गई , पर फिर उसने हिम्मत करके तलवार की मुठ को पकड़ लिया जिसके साथ ही आसमान में तेजी से बिजली कड़की , जिससे तन्वी एक पल के लिए डर गई और तलवार को छोड़ दिया , उसने वापस से डरते हुए हिम्मत कर तलवार को पकड़ लिया तो इस बार बिजली नहीं कड़की , जिससे उसने राहत की सांस ली , वो तलवार को खींचकर विद्युत के सीने से निकलने लगी , पर तलवार विद्युत के सीने में अंदर तक धंस गई थी जिस वजह से वो नहीं निकाल पा रही थी तन्वी उसे खींचने लगी , उसने मुठ को छोड़कर तलवार को पकड़ लिया और दोनों हाथों से दम लगाते हुए उसे बाहर की तरफ खींचने लगी ,  इन सब में तन्वी का ध्यान ही नहीं गया कि उसके हाथों में भी तलवार से चोट लग गई है लेकिन प्रकृति को इस बात का अंदेशा हो गया था , तन्वी के हाथों से निकलता खून तलवार पर से बहते हुए विद्युत के सीने की तरफ जाने लगा , जैसे-जैसे ये होता जा रहा था , वैसे-वैसे हवाओं का रुख बदलने लगा था ,  वो हवाएं तूफान का रूप लेने लगी थी , हवाएं इतनी तेज हो गई थी , कि आज सब कुछ तबाह करने पर तैयार थी। जंगली जानवर चीखपुकार करने लगे थे  , आसमान में काली शक्तियां धुआं बनकर इधर-उधर तन्वी और विद्युत के ऊपर मंडराने लगी ,  बादल गरजने लगे बिजली तेजी से कड़कने लगी , जो की लगातार कड़कती जा रही थी जमीन पर से रेत के बवंडर उठकर जंगल को तहस-नहस करने लगे, इन सबसे तन्वी डर गई पर इस बार उसने तलवार को नहीं छोड़ा , वो अपनी पूरी  जीजान लगाकर उसे बाहर खींच रही थी , उसके बाल हवा की वजह से उड़ रहे थे , जैसे ही तन्वी का खून तलवार से होते हुए विद्युत के सीने में समाया तो वहां का मौसम एक तेज आवाज के साथ एकदम से शांत हो गया और वो तलवार विद्युत के सीने से निकल गई । तन्वी एकदम से बदले हुए मौसम का रुख देखकर हैरान रह गई। तभी उसकी नजर विद्युत की तरफ गई जिससे उसकी आंखें बड़ी हो गई डर से उसका चेहरा पीला पड़ गया। विद्युत के सीन से एक अजीब लाल रंग की रोशनी निकलने लगी थी , जिसे देख तन्वी घबरा गई डर से उसकी चीख निकल गई , वो उठकर भागने को हुई कि तभी एकदम से विद्युत ने उठकर बैठते हुए उसका हाथ पकड़ लिया। उसकी आंखें इस वक्त पूरी तरह से लाल थी और वो अपनी और लाल आंखों से तन्वी को घूर रहा था... वही उसकी लाल आंखों को देखकर तन्वी उससे अपना हाथ छुड़ाकर उसे धक्का देते हुए उठकर खड़ी हो गई और वहां से भागने लगी, तो विद्युत एकटक उसे देखने लगा।

  • 13. विद्युत सेव तन्वी - Chapter 13

    Words: 904

    Estimated Reading Time: 6 min

    तन्वी भागते हुए बार-बार डरते हुए पीछे मुड़कर देख रही थी। वो अभी थोड़ी आगे पहुंची थी , कि तभी किसी से टकरा गई , उसने सामने देखा , तो एकदम से सामने खड़े इंसान ने कसकर उसके बालों को पकड़ लिया और अपने दांत पीसते हुए उससे बोला।" साली हरामजादी बहुत हिम्मत आ गई है तुझ में मुझे चकमा देकर भागेगी अब देख , मैं तेरे साथ क्या करता हूं तेरा वो हाल करूंगा कि तू ना तो जी पाएगी ना मार पाएगी । इतना कह कर उसे उसके बालों से कस कर पकड़ कर खींचते हुए ले जाने लगा , वही तन्वी उससे छूटने की कोशिश करते हुए रोते हुए उससे बोली !" आह छोड़ो अरुण , छोड़ दो मुझे... मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है तुम क्यो मुझे परेशान कर रहे हो  , क्यों मेरी जिंदगी बर्बाद करना चाहते हो ? प्लीज मुझे जाने दो प्लीज छोड़ दो । तभी अरुण ने उसे एकदम जमीन पर धक्का दे दिया , जिससे तन्वी मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ी , के हाथ में चोट लग गई जिससे उसकी दर्द भारी चीख जंगल में गूंज गई , तन्वी सीधी पलटी और डर भरी नजरों से अरुण को देखने लगी , वही अरुण शैतानी मुस्कुराहट लिए अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए उसकी तरफ बढ़ रहा था , अरुण उसे अपनी हवस भरी नजरों से देखते हुए शैतानी मुस्कुराहट के साथ उससे बोला!" तूने तो मेरा बहुत कुछ बिगाड़ा है जानेमन , तेरी इस खूबसूरती ने मेरा ईमान बिगाड़ा है , तेरे इस रूप ने मुझे तेरा दीवाना बना दिया है मेरा चैन सुकून सब कुछ तूने छीन लिया , मैंने कितना समझाया तुझे कितनी बार तुझे मनाने की कोशिश की ताकि तुम मेरी हो जाए , लेकिन नहीं तुझे तो मुझे ही ऐंठ दिखानी थी , मुझे अरुण जायसवाल को मना किया तुने , इतना ही नहीं तेरी वजह से मुझे आयुष भाई से भी कितनी बार डांट पड़ी , कितनी बार मुझे उनसे सुनना पड़ा सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से , तो तुझे आज ऐसे कैसे छोड़ दूं , आज मैं तुझसे अपनी हर एक बेज्जती का हिसाब लूंगा , जो तूने मेरी की और तेरी वजह से भाई ने  की , हर एक बात का बदला लूंगा। तन्वी वापस से उठकर खड़ी होने लगी , तो अरुण ने खींचकर एक चांटा उसके गाल पर मार दिया और गुस्से में उस पर चिल्लाते हुए बोला!" साली रस्सी जल गई पर बल नहीं गया , पूरे जंगल में अकेली है हम लोगों के बीच पर फिर भी हार नहीं मान रही , ये नहीं की अच्छे से हमारे साथ कॉर्पोरेट करें पर नहीं इसे तो झांसी की रानी बनना है (अपने दोस्तों की तरफ देखते हुए) पकड़ो साली को पहले मुझे मजे लेने दो उसके बाद एक-एक करके तुम लोगों की बारी भी आएगी , उसकी बात सुनकर उसके दोस्तों के होठों पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई , उन्होंने जल्दी से आगे बढ़कर तन्वी के हाथ पैरों को पकड़ लिया और उन्हें जमीन से लगाकर दवा दिया । वही तन्वी जो उनकी बात सुनकर घबरा गई थी वो अब हिल भी नहीं पा रही थी  , अपनी लाचारी की वजह से उसकी आंखों से आंसू तेजी से बहने लगे उसकी आंखों में डर साफ दिख रहा था  , तभी अरुण उसके ऊपर झुक गया और उसके करीब आने लगा , ये देख तन्वी ने कसकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और मन ही मन अपने ईश्वर को याद करने लगी। तभी उसे अपनी गर्दन और अपने चेहरे पर कुछ गीला गीला महसूस हुआ कुछ चिपचिपा पानी जैसा जिसके साथ ही अरुण के दोस्तों की उसके हाथ पैरों पर जो पकड़ थी वो ढीली पड़ गई तो उसने धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोला तो अपने ऊपर का नजारा देख उसकी एक जोरदार चीख निकल गई , उसकी आंखें डर से बड़ी-बड़ी हो गई और चेहरा पीला पड़ गया , अरुण जो उसके ऊपर झुका हुआ था उसका इस वक्त सिर्फ शरीर ही दिख रहा था उसका सर ऊपर से गायब ही हो चुका था , जिस वजह से उसकी गर्दन से बहता खून तन्वी की गर्दन और चेहरे को भिगो रहा था , तन्वी जल्दी से अरुण के शरीर को खुद के ऊपर से धक्का देकर उठकर खड़ी हो गई। डर से उसकी सांसे तेज हो गई थी। और खुद के ऊपर गिरे हुए खून की वजह उसकी स्मेल की वजह से उसे उल्टी जैसा महसूस हो रहा था । वही अरुण के दोस्त अभी भी शौक में थे , उन्हें समझ ही नहीं आया , कि अभी अभी हुआ क्या पर जैसे ही वो शौक में से निकाल कर बाहर आए और उन्होंने बिना सर के अरुण के धड़ को देख वो लोग चीख कर वहां से पीछे हो गए , वही जमीन पर पड़ा अरुण का शरीर फड़फड़ा रहा था। उसे इस हालत में देख उसका दोस्त रौनक घबराते हुए अपने बाकी दोस्तों से बोला !" य, ये क्या हुआ अरुण की यह हालात कैसे हुई ये मर कैसे गया ? हम इसके घर वालों को क्या जवाब देंगे! अरुण के सभी दोस्त घबराते हुए जमीन पर पड़े उसके शरीर को देख रहे थे , किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या किया जाए तभी कोई अचानक से एकदम से बिजली से भी तेज रफ्तार से उन सब के बीच से गुजरा जिसकी काली परछाई और लाल आंखों को देखकर उन सब की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और सब का चेहरा डर से सफेद पड़ गया ।

  • 14. विद्युत की बाहों में तन्वी - Chapter 14

    Words: 915

    Estimated Reading Time: 6 min

    अरुण के सभी दोस्त घबराते हुए जमीन पर पड़े उसके शरीर को देख रहे थे , किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आगे क्या किया जाए तभी कोई अचानक से एकदम से बिजली से भी तेज रफ्तार से उन सब के बीच से गुजरा जिसकी काली परछाई और लाल आंखों को देखकर उन सब की सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई और सब का चेहरा डर से सफेद पड़ गया । रौनक डरते हुए अपने सभी दोस्तों से बोला!" य्य, ये क्या था अभी , हम लोगों के बीच से ये क्या गुजरा उसकी वो भयानक लाल आंखें वो कितनी डरावनी थी , मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज तुम लोग कुछ करो। वो आगे कुछ बोलना कि तभी अशोक घबराते हुए चारों तरफ देखकर अपने सभी दोस्तों से बोला!" जितनी जल्दी हो सके यहां से निकलों , यहां कुछ तो ऐसा है जो हम लोगों की समझ से परे है , कुछ ऐसा जो बहुत खतरनाक है जिससे लड़ना हमारे बस की बात नहीं है और हो ना हो उसी न अरुण की ये हालत की है , इसीलिए अगर अपनी जान बचाना चाहते हो , तो भागो यहां से जितना जल्दी हो सके इस जंगल से निकलों । कहते हुए वो तेजी से वहां से पीछे मुड़कर भाग गया , उसके सभी दोस्त भी डरते हुए इधर-उधर देखते हुए उसके पीछे भाग गए । वहीं उन लोगों की बात सुनकर तन्वी भी बहुत घबरा गई थी , आखिर जो कुछ थोड़ी देर पहले उसने देखा था महसूस किया था , उसे वो कैसे भूल सकती थी इसीलिए उन्हें भागते देख वो भी वहां से भागने लगी। तभी भागते हुए उसे अचानक से फिर से अरुण के एक दोस्त की चीख सुनाई दी , जिससे तन्वी डर गई उसने डरते हुए पीछे मुड़कर देखा , तो सामने के खौफनाक मंजर को देख उसकी जोरदार चीख निकल गई और वो वापस आगे देखते हुए भागने लगी , वही उसके पीछे उससे थोड़ी दूरी पर विद्युत अरुण के एक दोस्त को पड़कर उसकी गर्दन को मोड़ते हुए उसका खून पी रहा था और अपनी लाल आंखों से सामने भागती तन्वी को घूर रहा था। थोड़ी देर बाद वहां हो रही चीख पुकार बंद हो गई , अब वहां पर सिर्फ तन्वी और उसकी तेज चलती सांसों के साथ उसकी पायलों की आवाज जो गूंज रही थी, जो की भागने की वजह से शोर कर रही थी , वही भागते हुए तन्वी की सांस फूल रही थी , उसकी आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे तन्वी को बार-बार थोड़ी देर पहले हुई हैवानियत याद आ रही थी , उसकी आंखों के सामने बार-बार वही मंजर घूम रहा था जब उसने अरुण की बिना सर वाली लाश को फड़फड़ाते हुए जमीन पर तड़प तड़प कर मरते देखा था , फिर उसकी आंखों के आगे वो मंजर आने लगा जब उसने पीछे मुड़कर देखा था , तो वो लाल आंखों वाला शैतान अरुण के दोस्त की गर्दन को तोड़कर उसका खून पी रहा था , ये सब याद करते हुए तन्वी बदहवास सी आगे भागे जा रही थी वो अपनी सुद खोने लगी थी। अचानक ही तन्वी भागते हुए सामने किसी से टकरा गई जिससे उसकी हिम्मत जवाब दे गई , उसके पैर कांपने लगे , वो अपने होश गवा कर पीछे गिरने लगी , कि तभी किसी ने उसे अपनी बाहों में थाम उसे अपने सीने से लगा कर गिरने से बचा लिया। तन्वी जो की बेहोशी के आलम में जा रही थी , वो उस शख्स की बाहों की गिरफ्त में आकर खुद को महफूज महसूस करने लगी , वो उस शख्स के सीने से लग गई और गहरी गहरी सांस लेने लगी , उसकी सांस फूल जो गई थी इतनी देर से भागने की वजह से वो लंबी लंबी सांस लेते हुए बिना उस शख्स की तरफ देखे उसके सीने से लगे हुए ही अपने पीछे इशारा करते हुए उससे बोली !" म,,मु, मुझे ब,,, बचा ,ल,लीजिए व, वो मेरे पीछे वो शैतान वो मेरे पीछे आ रहा है। इतना कहकर उस शख्स के सीने पर से उसके कोट को अपनी मुट्ठी में भर लिया और अपनी सांसों को संयमित करने लगी , वही उस शख्स ने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया , उसने धीरे से बस अपने हाथों को ऊपर उठाया और एक हाथ से उसके सर के पीछे से बालों को सहलाते हुए दूसरे हाथ से उसकी पतली कमर को थाम कर उस पर घेरा बना लिया और धीरे-धीरे अपने हाथ से उसकी कमर को भी रब करने लगा।

    जब तन्वी थोड़ा संभल गई तब उसे एहसास हुआ कि वो किसी शख्स के सीने से लगी हुई है , ये महसूस कर तन्वी ने शर्म से एक पल को अपनी आंखों को कसकर बंद किया, फिर वो संभल कर उस शख्स से दूर होने की कोशिश करने लगी तो उस शख्स ने अपनी पकड़ उसकी कमर पर कस दी।

    ये क्या कर रहे हैं आप छोड़ें मुझे आहह,,, कहते हुए जैसे ही तन्वी ने उसके सीने से अपना चेहरा निकाल कर ऊपर करके जैसे ही उसका चेहरा देखा , तो उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया और उसकी जोरदार चीख निकल गई , इस वक्त वो उसी शैतान की बाहों में समाई हुई थी जिसने अभी कुछ देर पहले बेरहमी से उसके सामने इंसानों को जानवरों की तरह नोच नोच कर डाला था , वहीं विद्युत अपनी लाल आंखों से चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट लिए उसे देख रहा था।

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  • 15. विद्युत का तन्वी के लिए जुनून , तन्वी का डर - Chapter 15

    Words: 1253

    Estimated Reading Time: 8 min

    ये क्या कर रहे हैं आप छोड़ें मुझे आहह,,, कहते हुए जैसे ही तन्वी ने उसके सीने से अपना चेहरा निकाल कर ऊपर करके जैसे ही उसका चेहरा देखा , तो उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया और उसकी जोरदार चीख निकल गई , इस वक्त वो उसी शैतान की बाहों में समाई हुई थी , जिसने अभी कुछ देर पहले बेरहमी से उसके सामने इंसानों को जानवरों की तरह नोच नोच कर मार डाला था , वहीं विद्युत अपनी लाल आंखों से चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट लिए उसे देख रहा था।

    उसे देख तन्वी ने थूक निगलते हुए अपना गला तर किया , और डरते हुए विद्युत से बोली!" द,देखो प्लीज मुझे जाने दो.. म,मुझे छोड़ दो .. म,म,मैंने कुछ नहीं किया , बल्कि उल्टा मैंने तो तुम्हारी जान बचाई है इसलिए प्लीज मुझ पर रहम करो , मुझे छोड़ दो , कहते हुए धीरे-धीरे अपने कदम पीछे लेने लगी , वही उसकी बात सुनकर और उसे खुद से दूर जाते देख विद्युत के चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई.. उसके जबड़े कस गए , वो धीरे-धीरे अपने कदम तन्वी की तरफ बढ़ाने लगा , ये देख तन्वी घबरा कर पलट कर भागने को हुई कि तभी बिजली से भी तेज रफ्तार से विद्युत उसके सामने आकर खड़ा हो गया , जिसे देखकर तन्वी चौक गई उसके चेहरे का रंग उड़ गया और वो एकदम पीछे होते हुए लड़खड़ा कर गिरने लगी , तो विद्युत ने आगे बढ़कर उसका हाथ थाम कर उसे गिरने से बचा लिया , साथ ही उसकी कमर में हाथ डाल उसे अपने करीब खींच लिया।

    जैसे ही तन्वी संभल गई , वो विद्युत की बाहों से निकलने के लिए झटपटाने लगी , ये देख विद्युत ने उसकी कमर पर अपनी पकड़ कस दी। तो तन्वी उसकी तरफ देखकर रोते हुए हाथ जोड़कर उससे बोली!"" प्लीज मुझे जाने दो , प्लीज छोड़ दो , मैं किसी को तुम्हारे बारे में कुछ नहीं कहूंगी मेरा विश्वास करो।

    तो विद्युत एकदम से उसके करीब आ गया और अपना चेहरा उसकी गर्दन में छुपा लिया , फिर अपनी आंखें बंद कर तन्वी की बदन से आती मदहोश कर देने वाली खुशबू को अपनी सांसों में समाने लगा।
    वही उसके ऐसे एकदम करीब आ जाने से तन्वी भौचक्की रह गई , उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई धड़कनों ने रफ्तार पकड़ ली , दिल तेजी से धड़कने लगा वो घबराते हुए विद्युत के सीने पर हाथ रख उसे खुद से दूर धकेलने की कोशिश करते हुए उससे बोली!"" छ,छोड़ो मुझे... ये क्या कर रहे हो तुम? द,दूर रहो मुझसे , छोड़ मुझेएए।

    तभी विद्युत मदहोशी से उसके बदन से आती खुशबू को स्मेल करते हुए उसके कान में सरगोशी करते हुए उससे बोला!"" नहीं मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाला, अब से तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी , इसीलिए अब से जिंदगी भर तुम्हें मेरे साथ रहना होगा हमेशा-हमेशा के लिए , वो भी मेरी बनकर , तुमने मेरी जान बचाकर मुझे बचा लिया , लेकिन मेरी नजरों के सामने आकर तुमने ठीक नहीं किया अब तुम खुद को मुझसे नहीं बचा पाओगी , जाना।

    उसकी पागलपन भरी बातों को सुनकर साथ ही उसके मुंह से खुद के लिए जाना शब्द सुनकर तन्वी की आंखे शौक से बड़ी-बड़ी हो गई , उसने पूरी ताकत के साथ विद्युत को खुद से दूर धक्का दिया और डरते हुए उसे उंगली दिखाते हुए बनावटी गुस्से के साथ बोली!" द,,दूर रहो मुझसे शैतान, राक्षस कहीं के , मैंने तुम्हारी जान बचाई बिना ये सोचे कि अगर उन लोगों के हाथ में लग गई तो वो मेरा क्या हाल करेंगे और तुम अब मेरी ही जान लेना चाहते हो , देखो मैं कह रही हूं दूर रहो मुझे वरना अच्छा नहीं होगा तुम्हारे लिए मैं मार दूंगी तुम्हें , याद रखना जब मैं तुम्हें बचा सकती हूं तो तुम्हें मार भी सकती हूं।

    वहीं विद्युत उसके धक्का देने से दो कदम पीछे चला गया लेकिन वो हैरान था , कि तन्वी जैसी मामूली लड़की उसे धक्का कैसे दे सकती है पर जब उसने तन्वी की बात सुनी तो उसका इस बात से ध्यान हट गया और वो अपनी भौंहें उठाते हुए उसे घूरने लगा , साथ ही उसे तन्वी की बातें सुनकर हंसी आने लगी उसने देखा तन्वी उसे उंगली दिखाकर बोर्न करते हुए उससे दूर जा रही थी। ये देख वो अपने कदम तन्वी की तरफ बढ़ते हुए शैतानी मुस्कुराहट के साथ उससे बोला!" अच्छा तो तुम मुझे मरोगी , ठीक है मारो.. देखते हैं तुम मुझे मार पाती हो या नहीं , लेकिन अगर तुम मुझे नहीं मार पाई तो फिर ये तुम ये नहीं जानती मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगा।

    उसकी बात सुनकर तन्वी के चेहरे पर डर उभर आया वो घबराते हुए इधर-उधर देखने लगी , ताकि उसे कुछ मिल जाए जिससे वो विद्युत को मार सके , तभी उसे जमीन पर एक लकड़ी का डंडा दिखाई दिया ये देख तन्वी ने लपक कर उसे उठा लिया और उसे लेकर विद्युत की तरफ आने लगी।

    वही तन्वी के हाथ में डंडा देख विद्युत की आंखें छोटी हो गई वो अब अपनी जगह पर रुक गया और अपने सीने पर हाथ बांधकर आंखें छोटी करके तन्वी को घूरने लगा।
    तभी तन्वी ने एकदम से उसको डंडा मार दिया लेकिन अगले पल ही वो खुद हैरान रह गई विद्युत अपनी जगह वैसा का वैसा ही खड़ा अपनी ठंडी आंखों से उसे घूर रहा था वही तन्वी के हाथ में पकड़ा हुआ वो लकड़ी का डंडा विद्युत को छूते ही टूट कर चकनाचूर हो गया था , जिसे देख तन्वी के होश उड़ गए थे वो बस अपना मुंह खोले अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से विद्युत को देख रही थी।

    तभी विद्युत मुस्कुराते हुए वापस उसकी तरफ कदम बढ़ाते हुए बोला!" तुमने अपनी कोशिश कर ली ना लेकिन मुझे एक खरोच तक नहीं आई , तुम्हारा मौका खत्म हुआ... अब मेरी बारी है, इतना कह कर उसकी तरफ बढ़ने लगा , वहीं उसे अपनी तरफ आते देख तन्वी भागने को हुई कि तभी उसे अपने दोस्तों की आवाज सुनाई दी , उसके दोस्तों की आवाज सुनकर विद्युत भी रुक गया और उस तरफ देखने लगा जहां से आवाज आई थी , उसका ध्यान भटकते देख तन्वी में जल्दी से नीचे झुक कर जमीन से मिट्टी उठाई और उसकी आंखों की तरफ फेंक दी , वहीं विद्युत का ध्यान उससे हट गया था जिससे उस की आंखों में मिट्टी चली गई और उसकी आंखें एक पल के लिए बंद हो गई वो अपने हाथों से आंखों को मलने लगा , इसी मौके का फायदा उठाकर तन्वी भी जल्दी से वहां से भाग गई।

    वहीं विद्युत ने अपनी शक्तियों से अपनी आंखों को सही किया और वो तन्वी के पीछे गुस्से में जाने लगा कि तभी रियांश ने टेलीपैथी के जरिए उससे कनेक्ट किया , रियांश उसे अपने पास बुला रहा था , अब जाकर विद्युत को रियांश और आर्यन का ख्याल आया और वो खुद से बोला !"मुझे धोखा देने की सजा तुम्हें जरूर मिलेगी जाना , इंतजार करना मेरा , अब तुम इस विद्युत ओबेरॉय की नजरों में आ चुकी हो जिसके बाद तुम चाह कर भी मुझसे दूर नहीं भाग सकती , कहते हुए उसका ध्यान नीचे जमीन पर गिरी हुई तन्वी की पायल पर गया , अगले ही पल वो पायल विद्युत के हाथ में थी विद्युत ने उसे अपनी जैकेट की पॉकेट में रखा और वहां से गायब हो गया ।

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    कहानी जारी है दोस्तों , अपनी रेटिंग कमेंट देना ना भूले ये मेरी न्यू फ्रेश स्टोरी है जो मेरी प्रतिलिपि की प्रोफाइल पर भी नहीं है, इसलिए प्लीज आप लोग इसे सपोर्ट करें आपके सपोर्ट से मुझे लिखने के लिए मोटिवेशन मिलता है।🙏🙏😊😊

  • 16. Devil's passion&love - Chapter 16

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