ये कहानी है आशी अग्रवाल की जिसकी तक्षक रायजादा जैसे इमोशनलेस इंसान से जबरदस्ती शादी हो जाती है। तक्षक को प्यार से इतना गहरा धोखा मिला है कि अब उसे हर दूसरी लड़की गोल्ड डिगर लगती है । पर आशी के आने से उसकी पूरी जिंदगी जैसे बदल जाती है, उसे अपना हर वो... ये कहानी है आशी अग्रवाल की जिसकी तक्षक रायजादा जैसे इमोशनलेस इंसान से जबरदस्ती शादी हो जाती है। तक्षक को प्यार से इतना गहरा धोखा मिला है कि अब उसे हर दूसरी लड़की गोल्ड डिगर लगती है । पर आशी के आने से उसकी पूरी जिंदगी जैसे बदल जाती है, उसे अपना हर वो नियम भूलना पड़ता है जो उसने कभी बनाया था प्यार को खुद से दूर रखने के लिए! उसका दिल जैसे आशी के आगे गुलाम बनने को तैयार हो जाता है। ये सब कैसे हुआ इसे जानने के लिए पढ़िए " सूफियाना इश्क " स्टोरी मैनिया ऐप पर इश्की के साथ।
Aashi Agrwaal
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Mumbai, रात 8 बजे
अग्रवाल भवन
" जब वो हम से शादी नहीं करना चाहते हैं तो क्यों हमे जबरदस्ती उनके गले बांध रहे हो आप लोग"
एक 19 साल की लड़की अपने सामने खड़े अपने मा बाप से रोते हुए सवाल कर रही थी!
" आप तो मुझ से बहुत प्यार करती है ना!! तो फिर क्यों जीते जी मारना चाहती है?"
वो लड़की बच्चों की तरह रोते हुए बोली
" शांत हो जाओ आशी बच्चे हम तुम्हारे भले के लिए ही कर रहे हैं तक्षक दिल का बुरा नहीं है बस थोड़ा शख्त मिजाज का है"
आशी की मां रूपाली ने कहा ओर फिर उसके पिता कर्मवीर जी ने अपनी पत्नी की बात आगे बढ़ाते हुए कहा
" ओर हमारी गुड़िया रानी तो इतनी प्यारी है कि किसी के भी दिल मै अपनी जगह बना ले!"
आप दोनों सच बोल रहे हो ना
आशी ने मासूमियत से अपनी गालों पर आए आंसू पोंछते हुए कहा तो रूपाली ने तुरंत उसे अपनी गले से लगाते हुए कहा
" हां मेरा बच्चा मैं बिल्कुल सच बोल रही हूं भला हम तुम्हारा बुरा क्यों चाहेंगे "
इस वक्त आशी ने दुल्हन का लीवाज पहन रखा था जिसमें वह स्वर्ग से आई कोई अप्सरा लग रही थी उसकी मोती जैसी नीली आंखें और उन पर घनी पलके गालों पर छाई लाली और चेरी जैसे होठ ऐसे लग रहा था भगवान ने बड़ी फुर्सत से तराशा था उसे
रूपाली जी ने आशी को बेड पर बैठाया और उसका touch up करने लगी क्योंकि रोने के कारण उसका make अप खराब हो गया था
कुछ देर बाद
बारात आ गई है रूपाली दी!
रूपाली जी की देवरानी स्वरा ने कहा...
आशी ने एक नजर स्वरा को देखा ओर फिर उठ कर उनके गले लगते हुए बोली
" बहुत डर लग रहा है चाची जी!"
स्वरा ने आशी की पीठ सहलाते हुए कहा
" कुछ नहीं होगा बच्चे सब ठीक होगा आगे तुम्हे बहुत खुश रखेगा तुम्हारा होने वाला पति बस शर्त एक है कि तुम भी उसे खुश रखो!"
आशी ने हा मै सर हिलाया तो रूपाली जी ने कहा
रो मत फिर से मेक अप खराब हो जाएगा
ओर स्वरा तुम ले आना इसे मै जा रही हु बाहर मेहमानों का welcome भी करना है ना...
Marrige hall..
कर्मवीर जी ओर राजवीर जी ( चाचा जी) मिल कर मेहमानों का welcome कर रहे थे और उन्ही के पास राजवीर जी के बेटा " साहिल खड़ा था जिसकी उम्र 18 साल है!"
रूपाली जी भी उनके पास आकर सबका welcome करने लगी
तक्षक अंदर आकर गुस्से में सोफे पर बैठा और अपने फोन मै बिजी हो गया उसे ये सब बहुत अजीब लग रहा था... उसे अपनी लाइफ मै शादी नहीं करनी चाहती ओर उसके घर वाले उसके पीछे हाथ धो कर पड़े थे
" महिमा रायजादा" तक्षक की मां
" धर्मेश रायजादा" तक्षक के पिता
" हर्ष रायजादा " तक्षक का छोटा भाई...
हर्ष बहुत ज्यादा एक्साइटेड लग रहा था अपने बड़े भाई की शादी को लेकर..
महिमा जी भी काफी हद तक खुश थी उनके बेटे की ज़िंदगी मै भी खुशियां आएंगी...
थोड़ी देर बाद
मंडप सज चुका था और शादी की विधियां शुरू हो गई
स्वरा जी आशी को लेकर आई और तक्षक के बगल में मंडप मै बैठा दिया
आशी का दिल जोरो से धड़क रहा था उसकी नज़रे बार बार अपने पास बैठे तक्षक की तरफ उठ रही थी जो उसे नजर भर के भी नहीं देख रहा था...
देखते ही देखते शादी की सारी विधियां सम्पन्न हो गई..
ओर तक्षक और आशी दोनों ने सब बड़ों के एक एक कर के आशीर्वाद लिए...
आशी ने एक नजर भर के अपने पूरे घर को देखा जिसमें उसने हंसते खेलते हुए पूरा बचपन गुजारा था...
यह सोचकर कि अब वो यहां से जा रही है आशि की आंखें नम हो चुकी थी..
साहिल ने आगे बढ़कर आशि को गले लगा लिया हंसी ने उसके बाल सहलाते हुए कहा बहुत याद आएगी मुझे तुम्हारी...
साहिल ने भी भरे गले से कहा
मुझे भी दी...!
ओर दोनों बहन भाई एक साथ रो पड़े...
रूपाली जी और कर्मवीर जी दोनों अपनी गुड़िया को बहुत प्यार करते थे उनके आंसु भी उनके गालों पर आ चुके थे
तक्षक ने अपनी रिस्ट वॉच को देखते हुए कहा कब तक यह फैमिली ड्रामा झेलना पड़ेगा हमें...
हर्ष ने उसका कंधा पढ़ते हुए कहा
" भाई क्या बोल रहे हो! चुप हो जाओ.. हे कोई ड्रामा नहीं है.. वो अपना घर छोड़ रही है अपने घर वाले छोड़ रही है और आपको ड्रामा लग रहा है?"
सीरियसली... !!!
Look at her कितनी छोटी है वो अपने mumma papa के बगैर रहने का सोच कर रोना तो आएगा ना उसे...
तक्षक ने एक नजर बोरियत से आशी को देखा...
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तक्षक और आशी एक कार के अंदर थे आशी सिसक रही थी..
उसे रोता देख कर तक्षक को चिढ़ मच रही थी ...
उसने एकदम से ड्राइवर से कहा
" Stop the car right now!"
उसकी गुस्से भरी आवाज सुन आशी सहम उठी... ओर ड्राइवर भी बेचारा काफी डरा हुआ था उसने तुरंत कार रोक दी और अगले ही पल तक्षक ने एक फोर्स के साथ गाड़ी का दरवाजा खोला और नीचे उतर गया और दरवाजे को इतनी जोर से बंद किया कि आशी अपनी जगह बैठी बैठी चिहुंक उठी और अगले ही पल तक्षक चिल्लाते हुए बोला
" अब निकलो यहां से इस crying fairy को लेकर "
यह सब तक्षक बहुत ही गुस्से में बोल रहा था बेचारे ड्राइवर के तो पसीने छूट रहे थे उसने तुरंत ही हां में सर हिलाया और कार को speed से आगे बढ़ा दी आशि को तो कुछ समझ नहीं आया इतनी ही देर में हुआ क्या ?
क्या उसका पति उससे इसलिए नाराज हो गया कि वह रो रही है अब क्या इंसान रो भी नहीं सकता है अपने घर वालों से दूर जा रहा है रोना तो आएगा ना
वही तक्षक काफी गुस्से में लग रहा था उसने तुरंत किसी को फोन किया
आशी मुड़ते हुए तक्षक को देखने की कोशिश कर रही थी पर जल्द ही कार की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि तक्षक उसकी आंखों से ओझल हो गया
और उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह कैसे किसी अनजान के साथ जा रही है उसे पता नहीं था ना कि तक्षक के ड्राइवर उसके लिए कितने ज्यादा लॉयल हो सकते हैं और कितने नहीं
उसे तो डर लग रहा था वह किसी अब अजनबी के साथ एक कार में जा रही है
वही उसके जाते ही तक्षक ने एक गहरी सांस लेकर कहा
" थैंक गॉड वह चली गई कितनि रोतलू है huu"
उसके कुछ देर बाद ही उसका ड्राइवर आया और तक्षक दूसरी कार में बैठ कर एक क्लब के लिए निकल गया क्योंकि उसका घर जाने का मन तो बिल्कुल नहीं था फिर उस रोटलू बीवी को देखने का तो बिल्कुल भी नहीं
वही आशी अब मुड़ते हुए कभी पीछे देख रही थी तो कभी डरते हुए उस ड्राइवर को कहीं वह उसका किडनैप ना कर ले
आशी बहुत ज्यादा सेल्फ ऑबसेस्ड लड़की थी उसे लगता था उससे सुंदर तो इस दुनिया में कोई है ही नहीं तो जरूरी है ड्राइवर उसको किडनैप करके ले जाएगा
इसलिए वह मुंह बनाते हुए अब तक्षक को कोस रही थी
" कोई इतनी सुंदर लड़की को ऐसे अकेले छोड़ता है वह भी एक अजनबी के साथ मेरे पतिदेव बहुत गंदे हैं!! मैं उनसे कभी बात ही नहीं करूंगी कितने बुरे हैं "
फिर खुद ही बोली
नहीं-नहीं पति को तो देवता मानते हैं ना तो मुझे उनसे बात करनी पड़ेगी क्या भगवान जी आप क्यों ना इंसाफी कर रहे हो मुझ जैसी मासूम लड़की के साथ मैं कभी माफ नहीं करूंगी आपको भी और अपने उसे खडूस पतिदेव को भी ...
कुछ ही देर बाद गाड़ी रायजादा हाउस के सामने जाकर रुक गई
आशी ने आज से पहले ये घर नहीं देखा था पर डेकोरेशन देख कर अंदाजा लगाया जा सकता था कि ये शादी वाला ही घर है तो आशी ने गहरी सांस ली चलो इस अनजान आदमी ने उसे किडनैप तो नहीं किया..
रायजादा हाउस मुंबई
आशी जैसे ही उतर कर आई उसने 4देखा पूरा इंट्रेंस बहुत ही खूबसूरत से सजाया हुआ है और एक red carpet बिछा है सामने...
जिसके दोनों तरफ आर्टिफिशियल पौधे और उन पर लाइटिंग डेकोरेशन.. आर्टिफिशियल जुगनू उड़ रहे थे
बिल्कुल किसी fairytale की डेकोरेशन लग रही थी..
आशी जो अब तक बुरी तरह परेशान ओर गुस्सा थी अब तक उसका गुस्सा छू मंत्र हो चुका था और वो एक लंबी मुस्कान लिए...
आगे बढ़ गई उसने जो हल्का सा घूंघट लिया था इस डेकोरेशन की एक्साइटमेंट मै वो भी उतर गया...
ओर उसका खूबसूरत चेहरा सबके सामने थे
Video बन रहा था, उसकी पिक्स ली जा रही थी जो सब कुछ तक्षक के भाई हर्ष ने प्लान किया था अपनी कजन sister सिया के साथ मिल कर
वही उसे अकेला गाड़ी से उतरते देखकर सब घरवाली परेशान हो गए आखिर तक्षक कहां गया
महिमा जी और सिया तेज कदमों से चलकर आशी के पासआए
" बच्चे तक्षक कहां गया? " महिमा जी ने परेशानी भरी आवाज में आशी से पूछा
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koi rating bhi de do jo padh raha hai 😒😒...
आशी जो इस डेकोरेशन में कहीं कोई हुई थी उसके चेहरे की मुस्कान पर घर में कहीं गायब हो गए जब उसे तक्षक का गुस्सा याद आया और वह डरते हुए बोली मुझे मुझे नहीं पता वह कहां गए बस कहीं चले गए
आशी के इस जवाब पर महिमा जी के परेशानी और ज्यादा बढ़ गई
वहीं सिया को आशी के लिए बहुत बुरा लग रहा था वह आगे आई और आशि का हाथ पकड़ते हुए कहा
" कोई बात नहीं भाभी आप ही ग्रैंड एंट्री ले लो, आप सच में ऐसी लग रही है जैसे कोई परी आ गई हो यहां
और यह डेकोरेशन स्पेशली आपके लिए की गई थी मेरे उस खड़ूस भाई के लिए नहीं
वह नहीं आया तो कोई बात नहीं हम आपका ही वेलकम कर लेंगे
सिया की बात सुनकर आशी के चेहरे की मुस्कान वापस लौट आई और वह फिर से एक्साइटमेंट में बोली
सच्ची तुम लोगों ने मेरे लिए यह सब कुछ प्लान किया है
सिया ने कहा और नहीं तो क्या आप हमारे घर की न्यू मेंबर होना इसलिए आपका यह ग्रैंड वेलकम कर रहे हैं हम
आशी ने पढ़ते झुकते हुए कहा मुझे भी अपनी शादी के बाद ऐसा ही ग्रैंड वेलकम चाहिए था और फिर अचानक की मायूस होते हुए बोली पर अपने पति के साथ ऐसे अकेले अकेले नहीं पर कोई बात नहीं मेरे पति तो बड़े गंदे हैं मैं आपके साथ ही एंट्री कर लेती हूं भाभी और नंद की जोड़ी भी कुछ काम नहीं होतीहै
आशी की बात पर सिया और भी ज्यादा खुश हो गई कि उसकी भाभी बाकियों के जैसी खडूस नहीं है बहुत ही प्यारी और चुलबुली है
कुछ देर बाद आशी घर के अंदर आ चुकी थी नई नवेली दुल्हन वाले कोई रिवाज नहीं किए गए थे क्योंकि बिना पति के तो ये पॉसिबल नहीं थे..
महिमा जी की आंखो मै नमी छाई थी उन्हें नहीं पता था उनका बेटा इस मासूम लड़की का दिल भी इस तरीके से तोड़ देगा वो भी शादी की पहली ही रात वो कितने सपने सजा कर आई होगी इस घर में ओर उनका नालायक बेटा उसे ऐसे ही बीच रास्ते में छोड़ गया
वही घर के अंदर जाते ही आशी को सब अच्छे लग रहे थे सब लोग बहुत अच्छे थे
वही एक लड़की जो सिया की मम्मी यानि कि तक्षक की बुआ के साथ आई थी वो तक्षक को बहुत पसंद करती थी वो आशी पर टोंट मारते हुए बोली
" जो शादी की पहली ही रात एक गाड़ी मै तुम्हे 8पूरे रास्ते साथ नहीं दे पाया तुम उससे पूरी जिंदगी साथ देने के सपने सजा रही हो"
सिया ने उसे जैसे ही गुस्से में घूरा वो अपनी बात को घुमाते हुए बोली
" अरे मेरा मतलब है कि तक्षक ने कितना बुरा व्यवहार किया ना बेचारी के साथ कोई ऐसा करता है भला शादी की पहली रात तो प्यार करने की रात होती है और वो जनाब गायब है"
वही तक्षक ड्रिंक पर ड्रिंक किए जा रहा था जो उसके दोस्त को बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था
" यार तू उस छोटी सी बच्ची जैसी दिखने वाली लड़की से डर कर क्लब आ गया शर्म नहीं आई तुझे "
हरमन जान बूझ कर तक्षक के इगो को छेड़ रहा था क्या पता तक्षक घर चला जाए
ओर उसका असर हो भी रहा था तक्षक गुस्से में गरजते हुए बोला
" नहीं डरता मै उस crying fairy से पिद्दी सी तो है वो मेरा क्या ही बिगाड़ लेगी अपने मोटे मोटे आंसुओ से "
हरमन ने उसे ओर चिढ़ाते हुए कहा " तो फिर क्यों आ गया डर के यहां जा उसके पास "
" हा अभी जाता हूं मेरे सामने कैसे रो सकती है वो "
हरमन खुश हो गया और उठते हुए बोला
" चल मै छोड़ कर आता हु तुझे "
कुछ देर बाद हरमन की कार रायजादा हाउस के सामने आकर रुकी अब तक सब लोग बेमन से ही सही पर सो चुके थे क्योंकि बिना दूल्हे के कोई celebration तो बिलकुल नहीं हो सकता था
हरमन तक्षक के साथ अंदर आया और उसे मैन डोर पर छोड़ कर ही भागते हुए वहा से चला गया
क्योंकि उसे महिमा जी या कर्मवीर जी की कोई डाट नहीं सुननी थी और आज तो बुआ जी भी आई हुई थी जिनसे उसका छत्तीस का आंकड़ा रहता है
तक्षक खुद मै बड़ बड़ा ते हुए सीढ़ियों से अपने रूम की तरफ बढ़ गया
उसने रूम का दरवाजा खोला और उसने जैसे ही नजरे उठा के देखी तो उसके लंबे चौड़े बेड पर उसकी प्यारी सी बीवी लेटी हुई थी पर उसकी आंखे खुली हुई थी और एक टक तक्षक को ही घूर रही थी
" क्या मेरा पति बेवड़ा भी है?"
आशी ने खुद से कहा ओर फिर उसकी नज़रे तक्षक पर ओर भी ज्यादा गहरी हो गई वहीं तक्षक के होठों पर एक तिरछी मुस्कान तैर गई
" Hello fairy तुम इतनी जल्दी कैसे सो गई आज तो हमारी वेडिंग नाइट है"
आशी ने अपने मन में कहा " ओह अच्छा तो इन्हें याद आ गया आज हमारी वेडिंग नाइट है"
तक्षक लड़खड़ाते कदमों से उसके पास आया और एकदम से किसी शिकारी की तरह उस पर झपट पड़ा
जिससे आशी की आंखे घबराहट के मारे फैल गई
" कितने भारी हो आप हटो यहां से मुझे सांस भी नहीं आ रही है हटो"
तक्षक की नजर आशी की हिलते गुलाबी होठों पर टिकी थी जो बिल्कुल गुलाब की पंखुड़ी जैसे लग रहे थे और साथ में बहुत ही मुलायम
तक्षक ने अपने होठों पर जीभ फेर कर धीरे से कहा
" क्या तुम टेस्टी हो फेरी "
आशी तो उसकी बातों को बिल्कुल समझ नहीं पा रही थी और अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रही थी शायद उसे कुछ समझ आ जाए
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कुछ देर बाद तक्षक के हाथ आशी के तन पर लिपटे उन लिबाजों को हटाने का काम कर रहे थे
जिससे घबराहट के मारे आशी का गला सुख चुका था
कुछ ही पलों मै आशी बिना किसी पर्दे के तक्षक की बेताब
नजरों के सामने थी
तक्षक ने एक बार अपने होठों पर अपनी जीभ घुमाई और अगले ही पल फिर से उसके होठों पर टूट पड़ा
वो पड़े प्यार से उसके नर्म होठों को लीक कर रहा था.. आशी पसीने से तर बतर हो चुकी थी
तक्षक ने अपने चेहरे को उसकी गर्दन पर मै छुपाया और अगले ही पल आशी के होठों से एक चीख निकल गई
एक पल के लिए तक्षक का दिल धक से रह गया पर अगले ही पल उसने अपना चेहरा उसके चेहरे के सामने करते हुए उसकी नीली आंखो मै देखा जिनसे अब झर झर आंसु बह रहे थे
" Don't.. don't cry fairy.. "
इतना बोल कर उसने उसके आंसुओ की बूंदों को अपने लबों मै कैद कर लिया
आशी के पूरे शरीर में एक सिहरन सी दौड़ गई...
ओर उसके बाद तक्षक की गर्म सांसे ओर आशी की सिसकिया एक rythm की तरह पूरे रूम में बज रही थी
पता नहीं कौनसे पहर तक्षक का ये जुनूनी कहर बंद हुआ और वो आशी को अपनी बाहों में भरे सो गया....
Next morning...
तक्षक की नींद किसी के चीखने से टूटी
उसने आंखे मलते हुए इधर उधर देखा और वो जैसे ही पलटा उसके सामने सिया खड़ी थी जिसकी आंखे हैरानी से बड़ी हो रखी थी और वो मुंह खोले सामने देख रही थी
तक्षक अपने सामने सिया को देख कर बस पलके झपका रहा था उसे समझ नहीं आया उसकी बहन उसे देख कर चिल्ला क्यों रही है
क्या वो इतना अजीब दिख रहा है आज के दिन?
या उसने कुछ ऐसा पहन रखा है जिससे सिया उससे डर गई?
ओर जैसे ही उसने खुद को देखा तो उसकी कमर तक ब्लैंकेट थी और उसने शर्ट नहीं पहनी थी!
पर ये भी इतनी बड़ी बात तो नहीं थी जिसे देख कर कोई चिल्लाए..
वो तो हमेशा ऐसे ही सोता है?
तक्षक ने कंफ्यूज होते हुए इधर-उधर अपनी नज़रें घुमाई तो उसकी आंखें हैरानी से फैल गई क्योंकि उसके पास पीठ के बाल आशी सो रही थी उसकी पीठ बिल्कुल साफ चमक रही थी धूप में और उसे पर तक्षक के दिए लव बाइट साफ-साफ दिखाई दे रहे थे ऐसा लग रहा था पेट का कोई हिस्सा नहीं बचाया जहां तक सपना बीते ना किया हो और इसी रंगारंग कार्यक्रम को देखकर सिया ने चिल्ला दिया था
तक्षक ने जल्दी से ब्लैंकेट आशी के ऊपर डाल दे और सिया की तरफ देखते हुए बोला बदतमीज तुम्हें पता नहीं है यह एक शादीशुदा जोड़े का कमरा है तुम ऐसे ही गुस्सा आई
और अब मुंह फाड़े क्या खड़ी हो मच्छर घुस जाएंगे मुंह में निकलो यहां से
सिया ने जल्दी से मुंह बंद करते हुए अपना सलाइवा गुटका और फिर अपने सर पर एक शपथ लगाते हुए कहा हम रियली सॉरी और जाने को मुड़ गईलेकिन फिर वापस तक्षक की तरफ देखते हुए आंखें छोटी करके बोली इतनी तमीज तो भाई आप में भी होनी चाहिए थी आप यह दरवाजा बंद नहीं कर सकते थे मुझ पर चिल्ला रहे हो और बेचारी भाभी!!!!?
तक्षक ने अपने दोनों हाथों से अपना सर पकड़ लिया क्योंकि महाशय को याद ही नही था रात को हुआ क्या था...
सिया ने फ़िर से गुस्से में कहा
" अगर मेरी जगह कोई और होता तो... वो भी भाभी को इस हालत में देख लेता माना आप निहायती बेशर्म हो पर भाभी को तो शर्म आएगी ना.."
तक्षक ने साइड से पिलो उठाते हुऐ सिया की तरफ फेंकते हुए कहा
" मैने कहा दफा हो जा यहां से!"
तक्षक की फ्रस्ट्रेशन देख अब सिया को हंसी आ गई और वो रूम से निकलते हुए बोलि
" बाहर मॉम वेट कर रही हैं भाभी का जल्दी भेजो!"
तक्षक ने घुर कर उसे देखा पर इतने मै सिया वहां से भाग चुकी थी..
ओर वो भागते हुए हर्ष से टकरा गई..
" ओह तूफान कहा जा रही है इतनी तेजी से?"
हर्ष ने अपना माथा पकड़ते हुए कहा
" सिया तुरंत हर्ष के दोनो हठ पकड़ कार घूमने लगी "
हर्ष ने कंफ्यूज होते हुए कहा
" ए... यह किस बात की खुशी मनाई जा रही है जरा मुझे भी बताओ और मुझे बच्चों की तरह घूमाना बंद करो "
सिया ने खुश होते हुए फूल एक्साइटमेंट में कहा तुझे पता आज मैंने अपने खड़ूस भाई को एकदम लवी डवी पोज में देखा !"
उन दोनों ने अपनी फर्स्ट नाइट सेलिब्रेट की है वरना मैं तो कल सोच रही थी भाभी का दिल टूट गया है उन्होंने कितने अरमान सजा होगे भाई ने सबको कुचल दिया पर नहीं भाई तो हमारे हिमेश रेशमिया को भी पीछे छोड़ गए इतनी रोमांटिक है....
हर्ष ने आंखें पड़ी करते हुए कहा और तुझे शर्म नहीं आई उन्हें ऐसे देखेहुए
सिया ने कहा नहीं मैं तो पैदाइशी बेशर्म हूं मुझे कोई शर्म वरम नहीं आती है...
दूसरी तरफ...
तक्षक शावर के नीचे खड़ा था उसकी आंखे बंद थी वह कल की बातों को याद करने की कोशिश कर रहा था पर बेहद कोशिश करने के बावजूद उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था उसे बस इतना याद था वह हरमन के पास गया था उसने ड्रिंक की थी उसके बाद क्या हुआ उसे याद नहीं और उसके साथ यह पहली बार नहीं हुआ था हमेशा ही वह ड्रिंक करने के बाद क्या करता है उसे कभी याद नहीं रहता है जिससे वह बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड भी रहता है...
तक्षक ने अपने हाथ की मुट्ठी बनाते हुए जोर से बाथरूम की दीवार पर मरते हुए चिल्ला कर कहां
" What the hell is this मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है क्या उस। लड़की ने मुझे शेड्यूस किया है क्योंकि मैंने आज तक अपनी हद नहीं तोड़ी है नशे में तो कल कैसे मैं यह सब कुछ कर गया वह भी उसकी मर्जी पूछे बिना तक्षक रायजादा always have manners! और वह किसी लड़की की मर्जी के खिलाफ कभी नहीं जा सकता चाहे वह कितने भी नशे में क्यों ना हो "
वही रूम में आशि की भी धीरे-धीरे आंख खुली रही थी
और उसके जैसे ही आंख खुली उसके माथे पर बल पड़ गए क्योंकि उसकी पूरी बॉडी में बहुत तेज दर्द हो रहा था
उसने तुरंत अपने सर पर हाथ रख लिया और फिर धीरे-धीरे आंखें खोलते हुए इधर-उधर देखने की कोशिश की
और सब कुछ समझने की भी आखिर उसके साथ हो क्या रहा है कल रात तक जरूर नशे में था पर वह नहीं इसलिए उसे सब कुछ याद था और उसने तुरंत ब्लैंकेट अपने पूरे शरीर पर डाल ली...
" कितने बेशर्म है मेरे पतिदेव "
आशी ने हल्के गुस्से में कहा
और तुरंत बेड से नीचे उतर गई फ्रेश होने के लिए पर उसने जैसे ही नीचे पांव रखा उसकी लोअर बॉडी में इतना तेज दर्द हुआ कि उसके पांव लड़खड़ा गए पर तुरंत ही दो मजबूत बाहों ने उसे संभाल लिया आशी ने घबराहट से फैली अपनी आंखों को उठाते हुए सामने देखा तो सामने अपनी west पर एक towel लपेटे तक्षक खड़ा था
आशी ने दर्द के मारे अपने होंठ भींच लिए पर उसकी आंखों में तुरंत आंसू आ चुके थे...
तक्षक ने एक नजर bed की तरफ देखा जहां blood stain साफ-साफ नजर आ रहे थे
और उसने एक झटके से आशि को अपनी गोद में उठा लिया
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तक्षक ने आशी को बाथटब में लेटा दिया जिसमें हल्का गुनगुना पानी था जिससे आशी की आंखे तुरंत सुकून से बंद हो गई उसे काफी relaxing फील हो रहा था।
वही तक्षक अगले हि पल बाहर आ गया.. उसने पहले वार्डरोब से अपने कपड़े पहने और फिर जल्दी से उस bed sheet को चेंज कर दिया।
तक्षक जल्दी-जल्दी पिलो कवर चेंज कर रहा था कि इतने में तेजी से चलता हुआ हर्ष आया और तक्षक को देखकर एक स्माइल करते हुए बोला पहले ही दिन बीवी ने कम पर लगा दिया आपको
तक्षक ने घर कर हर्ष को देखा वह ऑलरेडी आशि की वजह से इतना फ्रस्ट्रेटेड था और अब उसके बहन और भाई दोनों से जीने नहीं दे रहे थे चैन से
उसे किसी नई नवेली दुल्हन की तरह बार-बार छेड़ने आ रहे थे
हर्ष ने अपने मुंह पर हाथ रखकर अपनी हंसी कंट्रोल करने की कोशिश की और फिर कहा
" भाई मॉम बहुत ज्यादा गुस्सा कर रही है आप इतने लेट तक तो कभी नहीं सोते हैं अभी पंडित जी भी बहुत देर से आ चुके हैं उन्हें पूजा शुरू करनी है तो प्लीज जल्दी आएगा मैं जा रहा हूं बाय बाय "
हर्ष के जाते ही तक्षक एकदम से चीड़ गया था..
इतने में ही bathrob पहने छोटे कदम भरते हुए आशी आई
उसकी रंगत गर्म पानी से नहाने की वजह से लाल पड़ चुकी थी और उसके भीगे मुलायम होठ बिल्कुल रशभरे लग रहे थे
तक्षक को जब एहसास हुआ की एक बार फिर वह आशि की खूबसूरती में बह रहा है उसे खुद पर और आशी पर दोनों पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था
वो तेज कदम भरते हुएआशी के करीब गया और उसकी बाजुओं को कस कर पकड़ ते हुए उसकी आंखो में आंखे डाल कर दांत पीसते हुऐ बोला
" मिल गई तसल्ली अपनी भूख मिटा कर कितनी गिरी हुई लड़की हो तुम लड़कियों मै कितना self respect होता है पर नहीं तुम निहायती बेशर्म हो तुमने कोई कसर नहीं छोड़ी अपना गंदा कैरेक्टर मुझे दिखाने मैं
काश जितनी बाहर से खूबसूरत हो उतनी अंदर से भी हो पाती
आशि को समझ नहीं आ रहा था तक सब किस बारे में बात कर रहा है पर उसे इतना जरूर समझ आ रहा था कि तक्षक उसे गलत समझ रहा है उसके कैरेक्टर पर सवाल उठा रहा है और यह सुनकर उसकी प्यारी आंखों में आंसू भर चुके थे उसके हाथों में भी तेज दर्द हो रहा था क्योंकि तक्षक की पकड़ हाथ से ज्यादा मजबूत थी
तक्षक ने जब आशी के चेहरे पर दर्द देखा उसके दिल में भी कुछ तो हो रहा था
उसने अपनी नज़रे आशी के चेहरे से हटा ते हुए उसके हाथो को एक झटके से छोड़ दिया
और आशी रोते हुए अपनी बाजुओं को सहलाने लगी
वही नीचे हॉल मै महिमा जी भी आंखो में परेशानी लिए ऊपर सीढ़ियों की तरफ देख रही थी
क्योंकि बखूबी वाकिफ थी अपने बेटे के गुस्से से कही उसने आशी को ज्यादा हर्ट ना कर दिया हो बस इसी बात से उनका दिल बुरी तरह घबरा रहा था
उन्होंने कुछ देर और इंतजार किया फिर सोचा खुद ही उनको बुलाने चली जाए
पर इतने मै ही उन्हें सीढ़ियों से तेज कदमों से उतरता हुआ तक्षक दिख गया और उनकी नजरे उसके पीछे आशी को तलाशने लगी
पर जब उन्हें पता चला वो अकेले ही आ रहा है उनका दिल और भी घबरा गया
वो तुरंत ही तेज कदमों से तक्षक की तरफ बढ़ते हुए बोली
" आशी कहा है तक्षक आई क्यों नहीं तुम्हारे साथ"
तक्षक ने नॉर्मल लहजे मै कहा
Make ups करने मै टाइम लगता है ना मॉम बस इसलिए नहीं आई
मै जा रहा हूं ऑफिस मै कुछ काम है ""
इतना बोल कर तक्षक बिना किसी के जवाब का इंतजार किए आगे बढ़ गया तो महिमा जी तुरंत बोली
" Break fast???"
तक्षक ने फ्रस्ट्रेशन मै रुक कर पीछे मुड़ते हुए कहा
" ऑफिस मै कर लूंगा मॉम don't worry"
महिमा जी ने बेबसी से अपना सर ना मै हिला दिया...
लेकिन फिर तुरंत बोली
" रात को रिसेप्शन पार्टी है उसके लिए तो आ जाना!"
तक्षक ने हा मै सर हिलाया और तेजी से बाहर निकल गया
वही आशी जो अब रेडी हो कर बस बाहर निकली थी उसने जब तक्षक को यूं जाते देखा
उसका मासूम दिल एक बार फिर टूट गया
पर उसने अपने आंसुओं को कंट्रोल कर लिया
तभी उसके कानों में हर्ष की आवाज पड़ी
" OMG.. कितनी ब्यूटीफुल लग रही हो भाभी जान, भैया के भाग खुल गए पता नहीं हमारे कब खुलेंगे"
सिया तुरंत बोली
" तू तो पूरी जिंदगी कुंवारा रहने वाला है भूल गया तुझे किसी महान ज्ञानी ने श्राप दिया था पूरी उम्र वैराग्य मै जीने का"
हर्ष ने मुंह फूलाते हुए कहा
" JUST SET UP"
और सिया हंसते हुए जल्दी से आशी के पास पहुंच गई
आशी थोड़ा लंगड़ा कर चल रही थी जिससे महिमा जी को और ज्यादा टेंशन हो रही थी कही उनके बेटे ने आशी के साथ जबरदस्ती तो नहीं कर ली?
पर फिर उन्होंने अपने ख्यालों को झटका और मंदिर की पूजा शुरू कर दी
आशी ने दिया जलाया और माता रानी को प्रणाम करते हुए अपनी आंखे बंद कर ली
आरती के बाद आशी ने सब के लिए खाना बनाया
जो बेशक लाजवाब नहीं था पर खाने लायक था
सब खुश थे आशी को अपने परिवार मै घुलता मिलता देख कर
धर्मेश जी ने आशी को एक कागज देते हुए कहा
" बेटा ये हमारि तरफ से आपकी पहली रसोई का तोहफा"
आशी ने हैरानी से उस पेपर को देखा
धर्मेश जी ने मुस्कुराते हुए कहा
" अब रायजादा कंपनी मै 51% हिस्सा तुम्हारा है और 49% तक्षक का"
हर्ष का अपना बिजनेस था और तक्षक का अपना इसलिए हर्ष को इससे कोई दिक्कत नहीं थी
पर आशी के लिए ये बहुत बड़ी बात थी वो जैसे ही वो पेपर वापस देने लगी
महिमा जी ने कहा
" बेटा नेग को वापस देना अपशगुन होता है"
और बेचारी आशी का मुंह छोटा सा हो गया
कैसा धर्म संकट था 4ये वो मना भी नहीं कर सकती ओर ले भी नहीं सकती
तक्षक ऑलरेडी उसे gold digger समझता है अब तो उसका शक यकीन मै बदल जाएगा
महिमा जी ने भी अपना पुस्तैनी ज्वैलरी सेट आशी को दे दिया
सिया और हर्ष भी आशी के लिए gifts लेकर आए थे
बस कमी थी तो बस तक्षक की जो कब पूरी होगी कुछ कह नहीं सकते
To be continued thank you so much for choosing this novel
आज का दिन भी ढल चुका था
रायजादा हाउस के लोग आशी को बहुत पसंद आए थे छोड़ कर बस अपने पति को जिसे आशी मै दुनिया जहां की कमी नजर आती है
शाम 7 बजे
महिमा जी ने आशी के लिए एक खुशबसूरत सी ड्रेस सेलेक्ट की थी रिसेप्शन पार्टी मै पहनने के लिए
सिया आशी को रेडी कर रही थी
और आशी को सरप्राइस देने के लिए
रूपाली जी और कर्मवीर जी भी आए हुए थे जो आशी को पता नहीं था
आशी तो बस तक्षक के उस बर्ताव के बारे मै सोच रही थी जो सुबह उसने उसके साथ किया था
रात को तो कितने प्यार से उसके साथ पेश आ रहा था
उसे fairy बुला रहा था सुबह होते ही पता नहीं क्या हो गया कौनसा भूत घुस गया उसके अंदर
आशी ने फ्रस्ट्रेटेड होते हुए धीरे से कहा
" याद तो रहता नहीं कुछ बेवड़ा कही का! Hmmm!!!"
सिया ने तुरंत कहा
"कुछ कहा भाभी आपने ?"
आशी ने शक पका ते हुए कहा
"न न नहीं तो बस यूं ही..."
"यू ही क्या भाभी भैया के ख्यालों में हो hmm hmm बोलो..."
सिया ने आशी को चिढ़ाते हुए कहा
आशी के गाल शर्म से लाल हो गए
"नहीं ऐसा नहीं है"
उसने अटकती आवाज मै कहा
तभी महिमा जी अंदर आते हुए बोली
"सिया मेरी बहू को छेड़ो मत"
सिया ने रोनी शक्ल बनाते हुए कहा
" इतनी जल्दी भेदभाव "
तुम छोड़ो इस की बातो को चलो नीचे पार्टी शुरू हो गई
महिमा जी ने आशी को देखते हुए कहा
जो आज सच मै FAIRYTAIL की FAIRY लग रही थी
हाय किसी की नजर ना लग जाए मेरी बहू को
इतना बोलते हुए महिमा जी ने अपनी आंखों में से थोड़ा सा काजल निकलते हुए आशिक के कान के पीछे लगा दिया और फिर उसका हाथ पकड़ते हुए उसे अपने साथ ले जाने लगी
सिया ने एकदम से कहा
" पर मॉम अभी भाई तो नहीं आए "
आशि खीला हुआ चेहरा पल भर में मायूस हो गया जिसे देख कर महिमा जी ने गुस्से से सिया को घुरा और फिर झूठी हंसी हंसते हुए बोली
मेरा बेटा है वह टाइम से आ जाएगा अभी तो बस पार्टी शुरू हुई है ना खत्म थोड़ी हो गई है!"
यह कह कर शायद महिमा जी आशी को CALM करने की कोशिश कर रही थी
वही दूसरी तरफ
IN A CLUB
तक्षक हरमन के साथ था
और उसके मुंह पर मोके झड़ते हुए उस सवाल कर रहा था
" कल जब मैं इतनी पी ली थी तो मुझे घर भेजना जरूरी था तो अपने साथ भी तो मुझे ले जा सकता था "
हरमन ने बच्चों सा मुंह बनाते हुए कहा
" भलाई का तो जमाना ही नहीं रहा कर भला तो हो बुरा मैंने सोचा तेरी फर्स्ट नाइट कही खराब ना हो जाए इसलिए तुझे घर छोड़ कर आया था और तू तो बम की तरह मेरे ऊपर आकर फट रहा है"
तक्षक ने जाट भेजते हुए कहा क मि ने तुझ जैसा दोस्त होने से अच्छा दुश्मन पाल लो
हरमन ने बत्तीसी दिखा दी
तभी उन्हीं का एक बिजनेस फैलो अरुण वहां आया जिसके हाथ में एक ड्रिंक का ग्लास था
" अरे तक्षक हमे तो आज तुम्हारी रिसेप्शन पार्टी का इनविटेशन मिला है और तू यहां आखिर मांजना क्या है?"
तक्षक ने अपनी आंखें छोटी करते हुए कहा
" तुझे मतलब ? तुझे पार्टी में जाना है तो जा नहीं जाना है तो मत जा!"
CHILL BRO इतना गुस्सा क्यों??
अरुण ने अजीब सी हंसी हंसते हुए कहा
तक्षक उसे घूरते हुए वहां से चला गया
वहीं उसके पीछे से अरुण ने डेविल स्माइल करते हुए कहा
हम भी तो देखे तुम्हारी बीवी उसमें क्या खराबी है जो वह तुम्हें पसंद नहीं है तुम उसके पास नहीं जाना चाहते अगर तुम नहीं जाना चाहते तो हम चले जाएंगे बिचारी अकेले जीवन थोड़ी जी सकती है
TO BE CONTINUED
PLEASE 🥺 FOLLOW MEEEEEEEÉ ❤️🩹
सिया महिमा जी और आशी तीनों जैसे ही सीढ़ियों से उतरती हैं
Focus light उन पर गिरती है
और सब की नजरे बस आशी पर जम जाती है, क्योंकि वो बहुत ज्यादा नाजुक और खूबसूरत दिख रही थी
आशी अपने छोटे छोटे हाथो से अपना हेवी गाउन संभालते हुए धीरे धीरे एक एक सीढ़िया उतर रही थी
उसकी नर्वस नेस उसके चेहरे पर साफ साफ दिखाई दे रही थी...
वो बार अपने निचले होठ को चबा रही थी शायद नर्वस नेस कम करने की कोशिश कर रही थी
ठीक उसी वक्त तक्षक हॉल में आया उसने जैसे ही आशी को देखा एक पल के लिए जैसे उसका दिल धड़कना ही भूल गया
और वो सांसे रोके बस आशी को देखता रहा
पीछे से हरमन ने उसके कंधे पर टेप करते हुए कहा
" जाहिल इंसान इतनी खूबसूरत बीवी मै कोई कैसे कमियां निकाल सकता है एंड शक्ल से मासूम भी लग रही है है ना!"
तक्षक ने अपने सूखते गले को तर करते हुए अपना सर हा मै हिला दिया
पर अगले ही पल अपने सेंसेज मै वापस आते हुए बोला
" Just set up उसे इतने करीब से देखने की कोई जरूरत नहीं है"
Hmm hmm possesive...
हरमन ने उसे छेड़ ते हुए कहा
तो वही अरुण भी एक टक आशी को देख रहा था
फिर अपनी गर्दन पर अजीब तरीके से हाथ घुमाते हुए बोला
" तक्षक की किस्मत तो बहुत खुशबसूरत है पर उसे नहीं चाहिए ये उसकी बदकिस्मती है
कोई नहीं अरुण को किसी खूबसूरत लड़की को ठुकराना पसंद नहीं
ये तो मेरी एक बार होके रहेगी
आशी हॉल मै आकर एक साइड सिया के पास खड़ी हो गई क्योंकि उसे इतने लोगों के बीच थोड़ा डर लग रहा था
की तभी अचानक किसी ने उसकी आंखो पर हाथ रख दिया
और आशी एक दम से डर गई उसने हाथ को टटोला तो अचानक ही उसके होठों पर प्यारी सी मुस्कान खिल गई
उस के मुंह से निकला
" Mumma"
रूपाली जी तुरंत उसके सामने आ गई और आशी ने मुस्कुराते हुए उन्हें गले लगा लिया
आशी की आंखो मै नमी भी तैर गई थी क्योंकि उसने अपनी मम्मा ओर अपने पापा दोनों को बहुत ज्यादा miss किया था
थोड़ी देर ऐसे ही गले लगे रहने के बाद आशी उनसे अलग हुई और तुरंत ही कर्मवीर जी के गले लग गई
उसकि ऐसी लाल आंखो को देख कर कर्मवीर जी ने उसकी पीठ सहलाते हुए कहा
" क्या हुआ गुड़िया रो क्यों रो रही हो hmmm"
आशी ने अपनी बच्चों जैसी आवाज मै कहा
" मैने आप लोगो को बहुत miss किया mumma papa"
कर्मवीर जी ने उसके बालों पर हल्का सा kiss करते हुए कहा
तभी तो हम आ गए आप से मिलने hmmm "
सिया ने धीरे से कहा
" भाभी ज्यादा मत रोइए make up उतर जाएगा "
ये सुन कर रूपाली जी को हंसी आ गई
वही आशी ने मुस्कुराते हुए धीरे से हा मै सर हिला दिया
वही दूर खड़े तक्षक की निगाहें अब भी बस आशी पर टिकी थी वो drink की एक एक शिप लेते हुए उसे देख रहा था
और वो जितना उसको देख रहा था उसकी आंखो मै उतना ज्यादा नशा बढ़ता जा रहा था...
अरुण की नजरे भी आशी पर टिकी थी उसकी वो प्यारी सी मुस्कान किसी का भी दिल जीत सकती थी और अरुण तो था ही निहायती ठरकी किस्म का और उसे तक्षक को नीचा दिखाने मै सब से ज्यादा मजा आने वाला था
कुछ देर बाद हर्ष ने हाथ मै माइक पकड़ते हुए announcment की
" Hello beautiful ladies and handsome gentle men Today we are going to celebrate my big bro's marriage reception party so this is time for cake cutting!"
सब ने एक साथ तालिया बजाई और तक्षक और आशी दोनों की तरफ देखने लगे
आशी थोड़ा सहमते हुए छोटे छोटे कदम स्टेज की तरफ बढ़ा रही थी जिसके सामने राउंड टेबल पर एक बड़ा सा खूबसूरत cake रखा था
तक्षक भी आशी के साथ ही वहा आ चुका था
तक्षक ने साइड मै रखा नाइफ उठाया और एक नजर आशी को देखा जिसका हाथ हल्का हल्का कांप रहा था
तक्षक ने आगे बढ़ कर उसके कोमल से हाथ को अपने मजबूत हाथ से कस कर पकड़ लिया और आशी का दिल एकदम से रोलर कोस्टर की तरह भागने लगा
तक्षक ने आहिस्ता से आशी के हाथ से वो केक कट करवा दिया
जिसके साथ ही सबने फिर से तालिया बजाई
तक्षक ने एक कोर आशी की तरफ बढ़ाया आशी ने झिझकते हुए वो बाइट खा लिया
थोड़ा सा कैक उसके होटों पर लग गया जो उसके गुलाबी होठों को और ज्यादा अट्रैक्टिव बना रहा था
पर इतने लोगों के बीच तक्षक को ये अच्छा नहीं लगा
उसने धीरे से कहा
" जाओ मुंह धो के आओ"
आशी ने तुरंत सर हिलाया और जल्दी से तक्षक से दूर हो गई क्योंकि उसके करीब रहने से उसका दिल बहुत धक धक कर रहा था
वो जैसे ही पार्टी से साइड हटकर किचन की तरफ लगे वास बेसन के पास आई किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया
वही ये अनजान touch महसूस कर के आशी डर गई उसने मुड़ते हुए पीछे देखा
ये और कोई नहीं बल्कि अरुण था
आशी ने अटकती आवाज मै कहा
" ज.. जी आप कौन हो मेरा हाथ क्यों पकड़ा है?"
अरुण ने गंदी स्माइल करते हुए कहा
बहुत जल्दी पता चल जाएगा मै कौन हु और कौन नहीं?
अरुण ने खींचते हुए आशी को अपने करीब कर लिया
पर आशी को अरुण का टच बहुत गंदा लग रहा था
वो उसकी बाहों मै कस मसाने लगी
जिसे देख कर अरुण ने उसकी कमर पर पकड़ कसते हुए कहा
" मुझे तो तुम्हारे डियर हसबैंड ने भेजा था तुम्हारी मदद करने के लिए"
ये सुन कर आशी के स्ट्रगल करते हाथ एकदम से रुक गए उसने हैरानी से आंखे बड़ी करते हुए अरुण की तरफ देखा
अरुण ने हा मै सर हिलाते हुए कहा
" हा यही सच है वो बता रहा था तुम उसे पसंद नहीं हो और तुम्हे तुम्हारी नीड्स पूरी करने के लिए अब कोई ना कोई तो चाहिए हम बहुत अच्छे दोस्त है और मुझे तुम बहुत पसंद हो बस इसलिए मैं अब तुम्हारी हर चीज मै हेल्प करने के लिए तैयार हु और शायद तुम भी"
इतना बोल कर अरुण उसके होठों की तरफ झुकने लगा
पर आशी को अरुण के टच से घिन आ रही थी उसने अरुण के सीने पर हाथ रखते हुए उसे पीछे धकेलने की कोशिश की और अपना चेहरा दूसरी तरफ फेर लिया
अरुण ने जबरस्ती उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ करने की कोशिश की और उसके होठों को देखते हुए आंखो मै हवस लिए एक बार फिर उसे किस करने की कोशिश करने लगा
जिससे आशी बुरी तरह घबरा गई और उसकी खूबसूरत आंखो मै आंसु आ गए
अरुण और उसके होठों के बीच बस एक इंच का ही फासला था कि अचानक किसी ने उसका कॉलर पकड़ते हुए एक झटके से उसे आशी से दूर कर दिया
अरुण ऐसा करने से एकदम से हड़ बड़ा गया और डरते हुए पीछे देखा तो उसका चेहरा डर के मारे पिला पड़ गया
क्योंकि पीछे तक्षक खड़ा था और उसकी आंखो को देख कर लग रहा था उसके अंदर का शैतान जाग गया हो
अरुण के हाथ पांव ठंडे पड़ गए और वो अटकते हुए कुछ कहने की कोशिश करने लगा
पर उस से पहले ही उसके मुंह पर आके जोर दार पंच लगा जिस से उसका पूरा जबड़ा हिल गया
अरुण के मुंह से खून निकलने लगा था
सिया ने जल्दी से आशी को अपने गले से लगा लिया क्योंकि आशी डर के मारे बुरी तरह शिविर कर रही थी...
महिमा जी ने सिया को आशी को ऊपर ले जाने के लिए इशारा किया और तक्षक के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली
" तक्षक पार्टी चल रही है लोग है और उससे भी बड़ी बात आशी के मां और पापा है उनके सामने ये सब अच्छा नहीं लगता"
वो सब साइड मै थे जिस वजह से किसी को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था...
वही अरुण अपने जबड़े पर हाथ रखे गुस्से में तक्षक को देख रहा था
तक्षक गुस्से से बिल्कुल तम तमा रहा था जैसे अभी के अभी अरुण का कत्ल कर देगा!
वही महिमा जी वहा से जल्दी ही वापस पार्टी मै चली गई और मेहमानों को संभालने लगी
रूपाली जी ने जब देखा आशी कई देर से पार्टी मै नहीं आई है तो उन्होंने चिंता भरे लहजे में कहा
" ये आशी कहा रह गई?"
कर्मवीर जी ने भी उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा
" हा बहुत देर से दिखाई नहीं दे रही"
महिमा जी ने मुस्कुराते हुए कहा
" वो heavy dress वगैरा की वजह से उसे थोड़ा सफ़ॉकेटिंग फील हो रहा था इसलिए वो चली गई"
रूपाली जी ने हा मै सर हिला दिया...
धीरे धीरे रात गहराने लगी थी और पार्टी भी खत्म हो गई थी
" रूपाली जी और kamrveer जी ने कहा"
" अब हम चलते हैं अगर आशी ने देख लिया तो हमें जाने नहीं देगी फिर"
महिमा जी ने भी हाथ जोड़ते हुए उन्हें जाने के लिए कहा ओर खुद उन्हें दरवाजे तक छोड़ने गई..
वही तक्षक का रूम..
आशी अब भी सिया के सीने से लगी सिसक रही थी! जिसे सुन कर सिया उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे चुप करवाने की कोशिश कर रही थी
आशी के जहन में एक ही बात घूम रही थी
" तुम्हारे हसबैंड ने भेजा है मुझे तुम्हारी needs पूरी करने के लिए!!!!!"
मुंबई।
रात का वक्त।
रायजादा हाउस।
तक्षक इस वक्त घर के बैक साइड बने फ़ार्महाउस में था। वह एक चेयर पर किसी हेल किंग की तरह बैठा था, और उसके सामने घुटनों के बल अरुण था, जिसके हाथ बंधे हुए थे। जिसके मुँह से अब भी खून निकल रहा था, पर उसके चेहरे पर डरने की बजाय एक व्यंग्य भरी मुस्कान थी। क्योंकि इतनी मार खाकर भी तक्षक को नीचा दिखाने का उसका इरादा चेंज नहीं हुआ था, और उसकी इसी मुस्कान से तक्षक को चिढ़ मची हुई थी। उसके जबड़े बुरी तरह कसे हुए थे। तक्षक ने एकदम से उसके बालों को पकड़ते हुए, उसकी आँखों में आँखें डालकर कहा, "हरामज़ादे! तेरी हिम्मत कैसे हुई तक्षक रायजादा की बीवी पर गंदी नज़रें डालने की?"
अरुण बुरी तरह हँसते हुए बोला, "यह तो तुम अपनी बीवी से भी पूछ सकते हो। बहुत डेस्परेट है वह! और तुम उसकी डेस्परेसी को पूरा नहीं कर पा रहे हो। इसी वजह से तो वह मुझे रिक्वेस्ट कर रही थी, पर तुमने आकर सारा माहौल बिगाड़ दिया। बेचारी, उसके साथ बहुत बुरा हुआ!"
तक्षक ने एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ते हुए कहा, "जस्ट शट अप! अपनी गंदी जुबान से उसके लिए ऐसे घटिया शब्द बोलना बंद कर। मैं तुम्हें बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ, तुम किस हद तक गिर सकते हो।"
अरुण के चेहरे पर तक्षक के हाथों के निशान साफ़-साफ़ दिख रहे थे। उसके होठों के किनारे से खून निकलने लगा था। दर्द के मारे एक पल के लिए उसकी आँखें बंद हो गई थीं, पर अगले ही पल उसने फिर से मक्कारी भरी स्माइल के साथ कहा, "तुम मुझे बहुत अच्छी तरह से जानते हो तक्षक, पर शायद अपनी बीवी को नहीं। उसे अच्छी तरह से जानने की बहुत ज़रूरत है तुम्हें।"
कुछ वक़्त बाद…
तक्षक नशे में झूमता हुआ अपने रूम के सामने आया और एक धक्का देते हुए रूम खोल दिया। उसने इतनी तेज आवाज से रूम खोला था कि आशी की जो हल्की सी नींद लगी थी, वह झट से खुल गई। और अरुण की वजह से उसके दिल में एक खौफ भी बैठ चुका था; कहीं वह फिर से उसके साथ जबरदस्ती ना करे। पर अपने सामने तक्षक को इस हालत में देखकर उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। भूली नहीं थी वह सब जो आज सुबह हुआ था। वह डरते हुए उठकर बैठ गई और धीरे से बेड से नीचे उतरने लगी। तक्षक के डार्क ब्राउन होठों पर एक कातिल सी मुस्कान आ गई। उसने अपनी नशीली आवाज़ में कहा, "क्या हुआ, लिटिल फ़ेयरी? कहाँ भाग रही हो? मैं तो तुम्हें प्यार करने आया था।"
आशी ना में गर्दन हिलाते हुए, काँपते होठों से बोली, "न…न…नहीं, मुझे नहीं चाहिए आपकी खैरात का प्यार। अपने पास रखिए। सुबह होते ही आपके अंदर का मॉन्स्टर जाग जाएगा और आप मुझे ही ब्लेम करोगे…मैं…मैं नहीं आऊँगी आपके पास।"
तक्षक ने गर्दन टेढ़ी करके आशी को घूरा और फिर हँसते हुए कहा, "तो फिर कहाँ जाओगी, फ़ेयरी? आना तो मेरे पास ही है?"
आशी कुछ तो सोच रही थी। उसने अपने कदम बेड से दूर बढ़ाए, तो तक्षक भी उसके बिल्कुल करीब आ गया, और इस स्पीड से आया कि आशी के तो साँस ही अटक गईं उसे इतने करीब देखकर… उसने फिर से उससे दूर जाने के लिए कदम बढ़ाए, तो तक्षक ने उसकी पतली सी कमर में अपना हाथ फँसाते हुए उसे अपने सीने से चिपका लिया। आशी की ठंडी पीठ अब तक्षक की मस्कुलर चेस्ट से चिपकी थी। आशी ने गहरी साँस भरते हुए कहा, "प्लीज़, आप ऐसा मत करो। मुझ में हिम्मत नहीं है सुबह आपकी डाँट झेलने की!"
तक्षक ने अपने होठ उसकी गर्दन पर टिकाते हुए, हल्के-हल्के उसे चूमते हुए कहा, "पर फ़ेयरी, मैं तो तुम्हें डाँट नहीं रहा!"
आशी ने कसकर अपनी आँखें मीन लीं और अचानक ही उसके दिमाग में एक आइडिया आया और उसने झट से आँखें खोल लीं… आखिर क्या चल रहा है आशी के दिमाग में? वह बच पाएगी तक्षक की इस प्यार भरी कैद से आज? जानने के लिए नेक्स्ट एपिसोड का वेट करें। मुझे फ़ॉलो करें। थैंक यू सो मच फ़ॉर चूज़िंग दिस नॉवेल। 🐥
hii everyone 🦋 how are you i hope all of you enjoy the story
follow kar lena mujhe jaldi update ke liye
let's start the story
तक्षक के होठों की छाप बस बनती जा रही थी आशी की गर्दन पर की अचानक ही आशी ने गहरी सांसे काबू करते हुए धीरे से कहा
" क्या आप नहीं चाहते आपकी fairy भी आपसे प्यार करे जैसे आप उससे करते है?"
तक्षक के हाथ ओर होठ दोनों रुक गए उसने तुरंत आशी को मोड़ते हुए एकदम से उसका प्यारा छोटा सा चेहरा अपनी तपती आंखो के सामने किया
जो आशी की आंखो मै शर्म ओर होठों से निकले इन चुनिंदा शब्दों की वजह से बढ़ते पल के साथ नशीली होती जा रही थी
जिन्हें देख कर आशी ने एकदम से अपनी पलके झुका ली और तक्षक के होठों पर एक तिरछी स्माइल आ गई..
ओर उसकी पकड़ आशी पर ढीली हो गई उसने सारगोशी भरे अंदाज में कहा
". मै तो बस वेट कर रहा हूं fairy "
ये बोलते वक्त उसकी नजरे लगातार आशी के गुलाबी नर्म होठों पर टिकी थी
उसका दिल कर रहा था बस अभी आशी को चूम डाले
पर आशी के अपनी तरफ से आगे बढ़ने की बात से उसके दिल मै गुदगुदी होने लगी थी
कैसा फील होगा उसे जब आशी अपनी तरफ से उसे प्यार करेगी
आशी उसके चेहरे की तरफ बढ़ने लगी और तक्षक की आंखे बंद हो गई ओर अगले ही पल धम की आवाज आई
क्योंकि आशी ने तक्षक को बेड पर धक्का दे दिया था और अगले 4ही पल
भागते हुए रूम से बाहर भाग गई
उसने जल्दी से डोर को बाहर से बंद कर दिया और अपने सीने पर हाथ रखते हुए आंखें बंद कर के लंबी लंबी सांसे लेने लगी
कुछ ही देर 4मै उसके होठों पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई जैसे पता नहीं कितनी बड़ी जंग जीत ली उसने...
Next morning...
महिमा जी सुबह जल्दी उठ कर हॉल मै आ चुकी थी
उन्होंने किसी नौकर को आवाज लगाते हुए कहा
" मानव आज लॉन्ड्री वाले को कपड़े देने है "
वो ये कहते हुए आगे बढ़ ही रही थी कि अचानक उनकी नजर सोफे पर सिकुड़ कर सो रही आशी पर पड़ी और उनकी आंखे हैरानी से बड़ी हो गई
वो जल्दी से आशी के पास गई और उस के सर पर हाथ रखते हुए हल्के से बोली
" आशी बेटा आप यहां क्यों सो रही हो?"
आशी ने जल्दी से अपनी आंखे खोली और महिमा जी का हाथ झटक दिया क्योंकि एक्चुअल मै वो बहुत डर गई थी ऐसे अचानक जगाने की वजह से
महिमा जी ने फिर से चिंता भरे स्वर मै पूछा
" क्या हुआ बेटा तक्षक ने कुछ कहा आपसे ?"
आशी ने ना मै गर्दन हिला दी और धीरे से बोली
"वो.. वो मै.. ब.. बस ऐसे ही हॉल मै सो गई थी"
महिमा जी को पता था आशी उन से झूठ बोल रही है पर आशी की ये डरी हुई हालत देख कर महिमा जी उसे सवाल पूछ कर और ज्यादा एम्बेरेसिंग फील नहीं करवाना चाहती थी क्योंकि अपने सुपुत्र जी को वो बहुत अच्छी तरह से जानती थी वो अपनी पर आ जाए तो कीस हद तक किसी को परेशान कर सकता है
उन्होंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा
" ठीक है कोई बात नहीं जाओ आप फ्रेश होके आओ मै कॉफी बनाती हु hmm "
रूम मै जाने के नाम से ही आशी के पूरे बदन में एक डर की लहर दौड़ गई थी
वो कैसे उस खूंखार शेर का सामना करेगी ... तक्षक की आंखे जैसे ही खुली उसके सर मै अचानक तेज दर्द होने लगा
वो थोड़ा सा हिला तो उसकी कमर मै तेज दर्द हुआ
उसे समझ नहीं आया आखिर इतनी सुबह सुबह उसके साथ ये सब क्या हो रहा है
उसने मुश्किल से आँखें खोलते हुए इधर उधर देखा तो उसे समझ आया वो दरवाजे से टेक लगाकर फर्श पर बैठा है
और शायद उसे ऐसे ही नींद आ गई थी रात को!
ये सोचने भर से उसका चेहरा गुस्से से जलने लगा
उसने फिर से नजरे घूमा कर इधर उधर देखा पर उसे आशी कही नजर नहीं आई
अब उसका दिमाग और ज्यादा खराब हो गया
आखिर आशी के अलावा उसके साथ ऐसी घटिया हरकत और कौन ही कर सकता है
वो अपने दोनो हाथों से अपने सर को पकड़ते हुए रात में क्या हुआ याद करने की कोशिश कर रहा था
पर बहुत कोशिश करने के बाद भी उसे कुछ याद नहीं आया और उसे पता भी था उसे ड्रिंक करने के बाद का वैसे भी कुछ याद नहीं रहता उसकी सारी कोशिशें नाकाम ही हैं
उसने दरवाजे का सहारा लिया और खड़ा हो गया. उसे इसी वक्त अब आशी से बात करनी थी उसने दरवाजे को धक्का दिया पर वो नहीं खुला और तक्षक का चेहरा गुस्से से तम तमा गया
" What the hell is this "
उसने दरवाजे को लात मारते हुए कहा
और फिर हर्ष को को कॉल किया
कुछ ही मिनिट्स मै हर्ष उसके रूम के सामने आ चुका था हर्ष ने दरवाजा बाहर से खोला
और सामने तक्षक को देखा जिसका हुलिया बिगड़ा हुआ था और हर्ष को बहुत तेज हंसी आ गई
" भाई आपकी बीवी तो एकदम राऊडी निकली आपको रूम मै बंद करके चली गई"
इतना बोलने के साथ ही वो पेट पकड़ कर जोरो से हंसने लगा
" इस पिद्दी सी लड़की की इतनी हिम्मत मै छोडूंगा नहीं इसे ब्लडी इडियट"
उसने गहरी सांस ली और हर्ष की तरफ आंखे दिखाते हुए जाड़ भींच कर कहा
" सारी बत्तीस अभी बाहर आ जाएगी अगर अभी के अभी तुम्हारा हंसना बंद नहीं हुआ तो"
हर्ष ने बहुत मुश्किल से अपनी हंसी कंट्रोल की
और तक्षक वॉशरूम की तरफ चला गया....
उसके जाते ही हर्ष की फिर से हंसी छूट गई
वही आशी अब भी हॉल मै थी महिमा जी किचन से निकल कर आई और आशी को वही देख कर फिर से बोली
" बेटा तुम गई नहीं अभी तक?"
आशी ने जबरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा
" ब.. बस जा रही हु मम्मी जी!"
इतना बोल कर वो धीमे कदमों से सीढ़ियों की तरफ बढ़ गई
to be continued thank you so much for reading this novel
आशी सीढ़ियों से होते हुए ऊपर जा रही थी और हर्ष हंसते हुए नीचे आ रहा था उसने जैसे ही आशी को देखा उसे थम्स अप दिखाते हुए बोला
" Good job भाभी जान! क्या काबिले तारीफ काम किया है आपने"
आशी ने कन्फ्यूज हो कर हर्ष को देखा तो हर्ष ने कहा
" अरे भाभी मै उसकी बात कर रहा हूं जो कारनामा आपने रात को किया है डेविल भाई को रूम में बंद कर के "
आशी ने घबराते हुए अपनी पलके झुका ली और तेजी से सीढ़ियों पर चढ़ने लगी
अब तो उसे और ज्यादा डर लग रहा था जरूर हर्ष ने तक्षक को भड़का दिया होगा और ज्यादा अब तो उसकी खैर नहीं "
हर्ष हंसते हुए वहा से महिमा जी के पास चला गया
वही आशी धीमे कदमों से रूम के पास पहुंची और कुछ देर वही खड़ी रह कर मन ही मन भगवान जी को याद करने लगी
" कृष्णा आज इस इंसान रूपी राक्षस के प्रकोप से मुझे बचा लेना वरना मुझे आपके पास आना पड़ जाएगा... सोच लो आप झेल नहीं पाओगे मुझे तो आपसे अनुरोध है.. i hope आपने मेरी सुन ली होगी deal final..!"
इतना सोच कर उसने एक गहरी सांस छोड़ी और दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया ओर अचानक ही दरवाजा खुला और तक्षक ने उसका छोटा सा हाथ पकड़ते हुए उसे अंदर की तरफ खींच लिया और अगले ही पल आशी की पीठ दरवाजे से चिपकी थी और डर के मारे उसकी आंखे बंद थी...
तक्षक के ठंडे हाथ जैसे ही उसे अपनी खुली कमर पर फील हुए उसने चिहुंकते हुए अपनी आंखे खोल ली...
और उसके सामने आ गया तक्षक का कातिलाना लुक
तक्षक बस शावर लेके आया था उसकी वेस्ट पर एक टॉवल लिपटा था एब्स पर पानी की बुंदे फिसल रही थी
उसके मैसी बाल उसके फोर हेड पर बिखरे थे और उसे बेहद हॉट लुक दे रहे थे
शायद उसने hot water shower लिया था जिस वजह से उसकी स्किन रेडिश हो गई थी
आशी उसे देखने मै खोई थी कि अचानक तक्षक ने उसकी कमर पिंच करते हुए कहा
" Bloody dramamaker. तूने मुझे रूम मै बंद किया "
और आशी के डर के मारे सांसे अटकने लगी...
तक्षक की करीबी ओर गुस्सा दोनों की वजह से आशी को सांस भी नहीं आ रही थी
वो डरते हुए अपनी नज़रे झुका कर बोली
" वो मै.... वो.."
तक्षक का एक हाथ जो दरवाजे पर था अब वो आशी की गर्दन पर पहुंच चुका था
उसने हाथ को मूव करते हुए उसके बालों मै उलझाया और उसका चेहरा जबरदस्ती ऊपर की तरफ करते हुए बोला
" बहुत बहादुरी है ना तुम मै की तुम तक्षक रायजादा को रूम मै लॉक कर के जा सकती हो! तो मेरी आंखों मै आंखे डाल कर बात करो समझी "
आशी की आंखे भर आई थी
उसने अपने बालों पर एक हाथ रख कर तक्षक का हाथ हटाने की कोशिश करते हुए भरे गले से कहा
" प...! पर मै ऐसा नहीं करती तो भी आप मुझे डाट लगाते.. मुझे दर्द भी सहना पड़ता पूरी रात और फिर सुबह आपका ये गुस्सा..!"
तक्षक ने आंखे छोटी करते हुए जाड़ पीसते हुए कहा
" क्या बकवास कर रही हो "
आशी के आंसु उसके गाल पर आ गए
और उसने अपनी मासूम आवाज मै कहा
" मै... मै बकवास नहीं कर रही हु कल भी तो यही हुआ था आपने मुझे ब्लेम किया था कि मैं आपको सिड्यूस करती हूं पर मैने कुछ नहीं किया था आज भी वही होता.... आप... आप बिना कुछ सोचे मेरे कैरेक्टर पर आ जाते हैं थोड़ी immature हु मुझे पता है पर इतनी भी नहीं कि आपसे रोज अपनी self respect के बारे मै ऐसे गंदे वर्ड्स सु नू!...
तक्षक ने जबड़े कसते हुए कहा
" थोड़ी immature नहीं हो तुम कुछ ज्यादा ही चालाक हो मेरी फैमिली के सामने ये दिखाना चाहती हो कि मैं तुम्हें टॉर्चर कर रहा हूं"
आशी ने रोते हुए कहा
" न न नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है आप.. आप बहुत गन्दे आदमी हो.. मै... मै कुछ भी करूं आप हर.. हर बात पर मुझे डाट लगाते हो हर बात पर "
इतना बोलते हुए आशी बिल्कुल बच्चों की तरह कुहक पड़ी
क्योंकि उसके मम्मी पापा ने बड़े लाड प्यार से पाला था उसे कभी कोई परेशानी नहीं होने दी ना कभी उसे इस तरह डाट फटकार लगाई
तक्षक को अजीब सी घुटन हो रही थी आशी को रोता देख कर
वो उस पर विश्वास नहीं करना चाहता था पर उसका दिल उसे यू रोता देख कर अजीब तरीके से धक धक कर रहा था
उसकी पकड़ आशी की मखमली कमर पर कसती जा रही थी
अचानक ही उसने आशी को अपने सीने से लगाते हुए उसके बालों को सहलाते हुए कहा
" Shh.. shh.. रोते नहीं हैं मै डाट रहा हूं तो तुम भी मुझसे लड़ाई कर सकती हो प्लीज़ ये आंसु मत बहाया करो मुझे चुप करवाना नहीं आता है "
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तक्षक आशी को अपने सीने से लगाए धीरे धीरे उसके बाल मै हाथ घुमा रहा था पर आशी बस सिसक रही थी उसका रोना कम नहीं हो रहा था
उसने धीरे से कहा
" क.. कल वो... वो गंदा आदमी बोल रहा था.. की.. की आप ने उसे मुझे छूने के लिए परमिशन दी है क्योंकि... क्योंकि मै आपको पसंद नहीं हु "
ये सुन कर तक्षक का चलता हाथ रुक गया और उसकी आंखे एक पल के लिए हैरानी से बड़ी हो गई और अगले ही पल उन मै बेहिसाब गुस्सा उतर आया उसने आशी को खुद से अलग किया और उसका आशुओं से भीगा चेहरा अपने सामने करते हुए उसके गालों पर आए आंसु अपने हाथ से पोंछ दिए और फिर हल्की आवाज मै बोला
" तुम्हे लगता है मैने ऐसा कुछ कहा होगा "
आशी ने झट से ना मै सर हिलाते हुए कहा
" न न नहीं.. "
और फिर से रोने लग गई
जिससे तक्षक को फिर से अजीब सी घुटन होने लगी उसने फिर से उसे अपनी बाहों मै जकड़ते हुए कहा
" ये मोटे मोटे आंसु बहाना बंद करो समझी.. तुम्हे खुद के लिए स्टैंड लेना आना चाहिए crying fairy "
चाहे सामने तुम्हारा पति हो या कोई और शक्श अगर तुम यू रोने लग जाओगी तो रुलाने के लिए हजार लोग तैयार बैठे हैं
जैसा प्रिंसेस ट्रीटमेंट तुम्हारी फैमिली ने तुम्हे दिया है जरूरी नहीं तुम्हे हर इंसान से मिलेगा "
आशी धीरे धीरे सिसकते हुए बस hmm hmm बोल रही थी...
इतने मै ही दौड़ नोक होने लगा और तक्षक ने हड़ बड़ा ते हुए एकदम से आशी को खुद से दूर कर दिया
आशी तुरंत ही तक्षक से अलग होती हुई बाथरूम की तरफ चली गई और तक्षक ने गहरी सांस छोड़ते हुए डोर ओपन किया तो सामने सिया खड़ी थी
सिया ने एक चिकी स्माइल के साथ कहा
" भाई वो भाभी...."
तक्षक ने आंखें छोटी करते हुए कहा
" क्या अब वॉशरूम मै भी तुम उसके साथ जाओगी "
सिया एकदम से हड़बड़ाते हुए बोली
" छी छी कैसी बातें कर रहे हैं ये आप ही को शोभा देता है मुझे नहीं मै तो बस ये बोलने आई थी कि भाभी को डैड बुला रहे हैं उनकी स्टडी के बारे मै कुछ डिस्कस करना है और आपको भी बुला रहे हैं आपकी आधी प्रोपर्टी उड़ चुकी है "
ये सुन कर तक्षक ने आंखे बड़ी करते हुए कहा
" क्या बकवास कर रही हो "
सिया ने कहा
" बकवास नहीं सच है अब मैं चलती हु "
तक्षक बस उसे देखते रह गया..
और उसने खुद से कहा
" पहले तो इस अरुण नाम के कमिने को ठिकाने लगाना है प्रॉपर्टी गई भाड़ में इसकी हिम्मत कैसे हुई fairy.... ... को ये बोलने की?"
तक्षक गुस्से से बाहर निकल रहा था महिमा जी ने एकदम से उसे बीच में रोकते हुए कहा
" कहा जा रहे हो तक्षक, और आशी कहा है?"
तक्षक ने बिना रुके कहा " शुभ काम करने ही जा रहा हूं, ऐसे टोकते नहीं है और वो ऊपर ही है मै जेब मै डाल कर उसे बाहर नहीं लेकर जा रहा"
महिमा जी ने आंखे छोटी करते हुए अपने नालायक बेटे को देखा जो उनसे ऐसे बाते करता है जैसे वो उसकी बेस्ट फ्रेंड हो, मां नहीं "
तक्षक तुरंत ही कार मै बैठते हुए अपने फार्म हाउस के लिए निकल गया क्योंकि उसके सारे काले धंधे वही से होते हैं जो बेसिकली लोगों को देखने मै काले धंधे लगते हैं बट एक्चुअल में तक्षक उन्हीं लोगों को मारता है जिनका पाप का घड़ा भर चुका होता है
कुछ ही देर बाद तक्षक फार्म हाउस पहुंच जाता है
उसके वहां एंटर होते ही सब बॉडी गार्ड अलर्ट हो जाते हैं वही तक्षक बिना किसी पर ध्यान दिए तेज कदमों से चलते हुए अंदर पहुंच जाता है जहां अरुण को कैद कर रखा था
वहां जाते ही तक्षक उसके सामने एड़ी के बल बैठा और उसके बाल पकड़ते हुए उसका चेहरा ऊपर कर के बोला
" क्यों बे मेरी बीवी को देखने और छूने की परमिशन मैने दी तुझे, तक्षक रायजादा अपनी चीजों तक को प्राइवेट रखता है वो तो फिर भी मेरी बीवी है जिस पर किसी की नजरे हुई तो उन आंखो को निकालने मै मुझे एक सेकेंड भी नहीं लगेगा "
ये सब तक्षक जाड़ पीसते हुए बोल रहा था
उसकी इतनी डरावनी आवाज सुन कर अरुण जो अधमरी हालत मै था मुश्किल से अपनी आंखों को खोल कर उसे देखने की कोशिश करता है
और जैसे ही उसकी नजर गुस्से से लाल तक्षक पर पड़ती है उसकी सांसे अटक जाती है कल से वह सिर्फ मरने की मिन्नतें मांग रहा था और तक्षक के आदमी उसे बुरी तरह पीट रहे थे
अब तो साक्षात रुद्र उसके सामने आ चुका है उसने डर से अपना थूक निगलते हुए थर थराते होठों से कहा
" आई एम सॉरी तक्षक आगे से कभी ऐसा नहीं होगा मुझे बख्श दे "
तक्षक ने अपने जबड़े करते हुए कहा यह तो तक्षक की बीवी पर नज़रें डालने से पहले सोचना चाहिए था कि तुम्हारा हाल क्या होने वाला है तुम्हारे गिड़गिड़ाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा
इतना बोलकर तक्षक ने अपने पीछे खड़े बॉडीगार्ड की तरफ देखा जिसके साथ ही बॉडीगार्ड ने कांपते हाथों से एक अजीब सा खंजर उसके हाथ में दे दिया
इसके अगले ही पल तक्षक ने किसी साइको की तरह उस खंजर को अरुण की आंखों में घोंप दिया जिसके साथ ही अरुण की दिल दहला देने वाली दर्दनाक चीख पूरे फार्म हाउस में गूंज गई और सारे बॉडीगार्ड के भी पसीने छूट गए क्योंकि तक्षक इस वक्त कुछ ज्यादा ही भयानक लग रहा था
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follow me if you enjoy the story
रायजादा हाउस
आशी तैयार होकर नीचे आई और उसे देख कर महिमा जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई पर आज आशी के चेहरे पर चमक थी आखिर पहली बार उसके खडूस पति ने उससे इतने प्यार से जो बात की थी
सिया ने उसका चमकता चेहरा देखकर उसे छेड़ते हुए कहा
वाह भाभी जान आज तो काफी चमक रही हो लगता है रात को पति देव से झगड़ा नहीं हुआ
उसके इतना बोलते ही महिमा जी को याद आया की पूरी रात तो आशी सोफे पर सो रही थी मतलब झगड़ा तो पक्का हुआ था
पर उन्होंने इस बात को अपने सर से झटक दिया क्योंकि इसका जिक्र करके वह आशि को भी अपसेट नहीं करना चाहती थी
उन्होंने एक मुस्कुराहट के साथ कहा
सिया मेरी बहू को छेड़ना बंद करो तुम आओ बेटा बैठो हम साथ में मिलकर ब्रेकफास्ट इंजॉय करते हैं
हर्ष भी अपने रूम से उनकी तरफ आते हुए बोला
सास बहू के बीच यह प्यार वाली बातें शोभा नहीं देती है हमने तो सिर्फ सुना है सास बहू के बीच सिर्फ लड़ाइयां होती है और यही तो टीवी सीरियल में भी दिखाया जाता है आप दोनों भी लड़ो ना फिर हम भी इंजॉय करेंगे आपकी लड़ाई
इतना बोल कर उसने सिया को हाई-फाई दिया और सिया भी जोर-जोर से हंसने लगी
धर्मेश जी भी वहां आते हुए बोले
सुबह-सुबह कौन सा कॉमेडी शो खुला है हमारे घर में जो इतने दांत फाड़े जा रहे हैं
महिमा जी एक चेयर पर बैठते हुए बोली
जब तक ये दो कॉमेडियन हमारे घर में है किसी कॉमेडी शो की क्या जरूरत है आपके बच्चे ही किसी कॉमेडियन से कम नहीं है
वही आशि की नजरे तक्षक को ढूंढ रही थी उसे पूछने में शर्म आ रही थी लेकिन फिर भी वह महिमा जी की बगल में बैठते हुए धीरे से बोली
क्या वो हमारे साथ ब्रेकफास्ट नहीं करेंगे
उसकी बात सुन कर महिमा जी को हंसी आ गई और उन्होंने कहा तुम्हारे वो जो है तुम उन्हीं से पूछो क्योंकि वह हमारी तो कोई बात सुनता नहीं है
सिया ने गला सही करते हुए कहा
वाव भाभी क्या बात है आप तो इतना ज्यादा पतिव्रता पत्नी बन चुकी है कि आप अपने पति का नाम भी नहीं लेती हैं
ये सुन कर आशि के गाल तो शर्म से मारे टमाटर की तरह लाल हो चुके थे पता नहीं क्यों तक्षक का नाम उसके जुबान पर नहीं आ रहा था उसे बहुत अजीब सी फीलिंग आ रही थी तक्षक के बारे में सोच के ही
वो सब अपना ब्रेक फास्ट जैसे ही शुरू करते हैं तक्षक की एंट्री होती है और सब हैरान हो जाते हैं वो इतनी जल्दी वापस भी आ गया
तक्षक भी आशी के बगल में आकर बैठ जाता है जिससे आशी की धड़कने तेजी से धक धक करने लगती हैं जो तक्षक को साफ साफ सुनाइ दे रही है जिससे उसके होठों पर कातिल मुस्कान आ चुकी थी
धर्मेश जी ने थोड़ा गंभीर लहजे मै कहा
" तक्षक हमे तुम से कुछ बात करनी है "
तक्षक ने कोई जवाब नहीं दिया वो चाप खाना खा रहा था
उसे इस तरह अपनी बातों को इग्नोर करता देख धर्मेश जी ने एक गहरी सांस छोड़ी और फिर आशी की तरफ देखते हुए शांत लहजे मै बोले
" तुम्हारी आधी प्रॉपर्टी अब आशी के नाम है "
और तक्षक ने हाथ खाना खाते खाते रुक गए
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तक्षक ने तिरछी नजरो से आशी को देखा और फिर चुप चाप अपना खाना खाने लगा
वही आशी का दिल जोरो से धक धक कर रहा था पता नहीं अब तक्षक उसके बारे मै क्या सोच रहा होगा वो उसे पहले से गोल्ड डिगर समझता है
खाना खत्म होने के बाद सब अपने अपने काम मै लग जाते हैं आशी भी अपने कमरे मैं चली जाती है जहां फिलहाल तक्षक नहीं था इसलिए उसे थोड़ी राहत महसूस हो रही थी
वो बुक सेल्फ से एक बुक निकाल रही थी कि अचानक ही उसे अपनी कमर पर एक मजबूत पकड़ का अहसास होता है और उसकी बुक उसके हाथ से छूट कर फर्श गिर जाती है
उसकी सांसे जैसे बिल्कुल अटक गई थी कि अचानक ही तक्षक ने उसे झटके से मोड़ते हुए अपने सामने कर लिया
आशी की पलके बंद थी और उसके होठ कांप रहे थे
तक्षक ने उसके मुलायम होठों को अपने अंगुठे से सहलाया जिससे अचानक ही उसके पूरे शरीर में सिहरन सी दौड़ गई
उसने मुश्किल से कांपते होठों से कहा
" वो मे.. मैने जान बुझ के न.. नहीं कहा था कि मुझे प्रॉपर्टी दे दो... वो तो उस दिन "
तक्षक ने उसकी गर्दन पर अपने होठों को रगड़ते हुए कहा
" फेरी जब तुम्हे लगता है तुम्हारी गलती नहीं है तो सफाई किस बात की दे रही हो मुझे hmm "
आशी को समझ नहीं आया वो तक्षक की इस बात का क्या जवाब दे वो तो बस उसकी गलतफहमी दूर करना चाहती थी
आशी को खामोश देख कर तक्षक ने उसकी चीन पकड़ते हुए उसका चेहरा बिल्कुल अपने करीब कर के कहा
" और अगर इतना ही डर था मेरे गुस्से का तो फिर वो प्रॉपर्टी के पेपर लिए ही क्यों तुमने तुम्हारे भी तो सिग्नेचर वहा लगे होंगे ना "
आशी के चेहरे पर अचानक ही राहत बिखर गई और उसने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ कहा
" म... मैने नहीं किए हैं सिग्नेचर मतलब वो सब आपका ही है "
तक्षक के चेहरे पर कन्फ्यूजन आ गया ये लड़की सच मै इतनी भोली है या सिर्फ बनती है उसके सामने
आशी के चेहरे पर अब चमक थी मतलब उसने तक्षक का कुछ नहीं लिया है
तक्षक ने गर्दन टेढ़ी करते हुए कहा " अब ये कौनसा नया तरीका है मैनिपुलेट करने का "
आशी की खुशी पल भर में गायब हो गई कितना अजीब पति है उसका हर बात मै गलत मतलब ढूंढ ही लेता है
आशी ने रोनी सूरत बना कर कहा
" मैं कहां मेनू प्लेट कर रही हूं मैं तो खुश हो रही हूं ना क्योंकि आप भी खुश हो गए हो जैसे ही आपको पता चला कि आपकी प्रॉपर्टी सिर्फ आपकी है "
इतना कह कर वो तक्षक की बाहों से निकलने के लिए स्ट्रगल करने लगी जिसे महसूस कर तक्षक ने उससे अपनी पकड़ ढीली कर दी
आशी तुरंत ही उससे अपनी पकड़ छुड़ाते हुए बाहर चली गई
और तक्षक अपने खाली हाथों को देखने लगा
उसके जहन में एक लड़की की धुंधली तस्वीर घूम रही थी जो बिल्कुल आशी की तरह हरकते करती थी लेकिन उसे धोखा देके चली गई
यही वजह थी कि अब तक्षक को आशी की भोली सूरत से नफरत थी उसे लगता है जो भी लड़कियां भोले बनने का नाटक करती हैं सब एक जैसी होती हैं
वो लड़की भी तक्षक की जिंदगी मै मासूमियत का मुखौटा पहन के आई थी और जिस दिन उसका असली रंग तक्षक के सामने आया उसका दिल हजार टुकड़ों मै टूट गया
फ्लैश बैक
" तक्ष आप मुझे कब इंडिया लेके जाओगे "
एक लड़की ने अपनी मीठी आवाज मै तक्षक के गले मै बाह डालते हुए कहा
" डॉल मुझे काम करने दो एक बार हम कल ही इंडिया चैलेंज तुम्हे मेरा घर परिवार ऑफिस सब दिखाऊंगा ओके"
इतना बोल कर उसने उस लड़की के होठों पर हल्का सा पैक किया और फिर चेयर पर बैठते हुए अपने लैपटॉप को ऑन कर लिया
उस लड़की ने इस वक्त नी लेंथ फ्रॉक पहनी थी जिसमें वो बिलकुल गुड़िया लग रही थी उसके बाल कमर तक थे जो खुले हुए थे उसकी आंखे गहरी काली जिनमें किसी का भी डूबने का दिल करे
वो झट से तक्षक की गोद मै बैठ गई और तक्षक ने गहरी सांस लेकर लैपटॉप बंद कर दिया और उसे कमर से पकड़ते हुए बोला
" अब क्या चाहिए डॉल "
उस लड़की ने आंखे छोटी करते हुए कहा " आप ने मुझे किस कर लिया इसका पेमेंट लगेगा अब "
तक्षक ने उसके गालों पर आए बालों को आहिस्ता से उसके कान के पीछे टक करते हुए कहा
" और वो क्या है ? "
वो लड़की पप्पी फेस बनाते हुए बोली " इंडिया की टिकट "
तक्षक के होठों पर एक मुस्कान खिल गई और उसके चेहरे को अपने करीब करते हुए कहा
" किस और पैक मै डिफरेंस नहीं पता तुम्हे डॉल"
उस लड़की के चेहरे पर कन्फ्यूजन आ गया
लेट me एक्सप्लेन यू डॉल
इतना बोल कर तक्षक ने उसके होठों को अपने मुंह में भरते हुए उसे डिप्ली किस करना शुरू कर दिया
उसके हाथ इस वक्त उस लड़की के बदन पर इधर उधर घूम रहे थे
अचानक ही किसी ने डोर नोक किया और तक्षक अपनी सोच से बाहर आया उसकी आंखे इस वक्त बेहद लाल थी और उनमें दुनिया जहां का गुस्सा नजर आ रहा था
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तक्षक ने पीछे मुड़ के देखा तो वहां हरमन खड़ा था तक्षक ने खुद को नॉर्मल करते हुए कहा
" बस निकल ही रहे हैं हम अमेरिका के लिए "
हरमन ने हा मै सर हिलाया और तक्षक कुछ फाइल्स वगैरा निकालने लगा हरमन भी उसकी हेल्प करने लगा
वही आशी और महिमा जी हॉल मै थी और वहां धर्मेश जी भी थे
धर्मेश जी आशी को कॉलेज ज्वाइन करने के लिए कह रहे थे आशी ने सिर्फ 12th पास की थी और उसकी उम्र 19 साल है, सिया और हर्ष भी आशी को कॉन्सवेंस कर रहे थे कि आशी उन्हीं की कॉलेज में एडमिशन ले ले आशी ने कुछ देर सोचा और फिर धीरे से कहा अगर उन्हें अच्छा नहीं लगा तो
महिमा जी ने हंसते हुए कहा तुम्हारे उनको मैं समझा दूंगी तुम उसकेफिक्र ना करो
बस यह बताओ कि तुम कल से कॉलेज जाओगी या नहीं अगर जाओगे तो आज ही धर्मेश जी जाकर तुम्हारा एडमिशन करवा देंगे इनकी वहां अच्छी जान पहचान है
आशी ने हां में सर हिला दिया असलियत में तो उसे पढ़ाई के नाम से भी मौत आती है उसे पढ़ना बिल्कुल पसंद नहीं है उसका आईक्यू लेवल अच्छा है और उसके मार्क्स भी हमेशा अच्छे ही आते हैं पर उसे पढ़ाई कभी इंटरेस्टिंग नहीं लगी है
तक्षक और हरमन हाल से तेज कदमों के साथ चलते हुए निकलते हैं तो महिमा जी कन्फ्यूजन के साथ रहती हैं आप अभी आए थे हरमन और अभी वापस जा रहे हो और तक्षक तुम भी
हरमन ने महिमा जी की तरफ देख कर एक स्माइल के साथ कहा
हमें अभी जल्दबाजी में अमेरिका के लिए निकलना है आंटी एक हफ्ते में वापस आ जाएंगे
इतना बोलकर उसने लगभग भागते हुए तक्षक की स्पीड मैच करने की कोशिश की क्योंकि उसने बिना किसी का जवाब दिए सामने की तरफ रुख कर रखा था
वही आशि की भी आंखें झपकते हुए जाते हुए तक्षक को देख रही थी कितना अन रोमांटिक हसबैंड था उसका एक नजर उसको देख कर भी नहीं गया और एक हफ्ते के लिए कहीं जा रहा है
आशि का चेहरा मुरझा गया था वही यह देख कर सिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
भाभी अब तो आपकी टेंशन भी दूर हो गई कि भैया कॉलेज जाने के लिए कुछ कहेंगे या नहीं कहेंगे अब तो आप आराम से कॉलेज ज्वाइन कर सकती हूं और वहां आपकी बहुत सारे फ्रेंड भी बनेंगे
आशि ने कंफ्यूजन में सिया को देखा हैं जैसे यह पूछने की कोशिश कर रही हो आखिर पढ़ाई करने में कौन सा मजा आता है और ये मजा आज तक उसे क्यों नहीं आया
तक्षक को हरमन कुछ ही पलों मै एयरपोर्ट पहुंच जाते हैं और फिर अमेरिका के लिए निकल जाते हैं
रात का समय
तक्षक इस वक्त फ्लाइट मै था पर उसे नींद नहीं आ रही थी उसके सामने बार बार आशी घूम रही थी तक्षक चाह कर भी उसकी मासूमियत भरी बातों को भूला नहीं पा रहा था
हरमन भी उसकी बगल में बैठे बैठे सो चुका था
वही आशी को भी आज ये इतना बड़ा कमरा खाने को दौड़ रहा था जब तक्षक उसके करीब नहीं होता है तो उसे यू बेचैनी होती है और जब वो करीब होता है तब उसका चैन पूरा ही उड़ जाता है उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे
इसलिए थक हार के वो कर्मवीर वीर जी को कॉल लगाती है और उनसे बाते करने लगती है
जैसे कि अब वो कॉलेज ज्वाइन करने वाली है वगैरा वगैरा
उसकी बॉन्डिंग अपने पापा के साथ काफी अच्छी थी इसलिए जब भी उसे लहता है वो उदास है वो अपने पापा से बात कर लेती है
Next morning
Mumbai University of arts and science
आशी सिया और हर्ष तीनों एक ही कार से उतरते हुए कॉलेज के अंदर दाखिल होते हैं
वहां अमीर से अमीर घरों के बच्चे थे कुछ थे जो मिडिल क्लास थे जो स्कॉलरशिप के बेसिस पर यहां पढ़ने आए थे
ये मुंबई की एक जानी मानी यूनिवर्सिटी है
हर्ष और सिया आशी से सीनियर थे और दोनों ही साइंस स्टूडेंट्स थे इसलिए वो जल्दी से अपनी क्लासेज के लिए चले जाते हैं वही फ्रेशर्स के लिए एक ओरियंटेशन सेशन रखा गया था आशी वो अटेंड करना था इसलिए वो हॉल की तरफ चली जाती है
उसका सब्जेक्ट आर्ट्स था
वही दूसरी तरफ एक ग्रुप फ्रेशर्स की रैगिंग करने के लिए अलग अलग प्लान बना रहे थे.....
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वहां सिर्फ आर्ट्स के टीचर मौजूद थे जो यूनिवर्सिटी की हिस्ट्री नए बच्चों के साथ शेयर कर रहे थे
आशी के बगल में एक लड़की बैठी थी उसने आशी को देख कर कहा
" Hii माइसेल्फ रिया "
आशी ने उसकी तरफ देख कर एक स्माइल पास की ओर फिर कहा
" मेरा नाम आशी है "
कुछ ही देर मै दोनों ने अच्छी खासी दोस्ती कर ली थी वही रिया एक मिडिल क्लास फैमिली से बिलॉन्ग करती है इसलिए उसकी फ्रेंडशिप इतनी जल्दी जो जाना उसके लिए बहुत सरप्राइजिंग था
क्योंकि अक्सर लोग उसकी दोस्ती को रिफ्यूज कर देते हैं ये बोलके की वो उनकी दोस्ती के लायक नहीं है या उनके स्टेंडर उससे मैच नहीं करते पर आशी मै ऐसा कोई एटीट्यूड नहीं था
कुछ देर बाद वो लोग हॉल से क्लास रूम की तरफ जाने लगते हैं एक एक करके बच्चे निकलते हैं पर कॉलेज ग्राउंड मै ही एक लड़कों और लड़कियों का ग्रुप सबको रोक लेता है
सब मै खुसर फुसर चालू हो जाती है कि ये इस कॉलेज का सबसे बिगड़ा हुआ रैगिंग ग्रुप है जिसमें तीन लड़के और दो लड़कियां हैं
ऊषा जो प्रिंसिपल की बेटी है दूसरी नायशा जो यहां के सबसे बड़े ट्रस्टी की बेटी है तीसरी है जॉली जिसके पापा प्रिंसिपल के खास दोस्त हैं
वही लड़कों मै एक है रघुवेंद्र चौहान जो मुम्बई के एमएलए का बेटा है और दूसरा सौरव चौहान जो रघुवेंद्र का कजन brother है
ऊषा एक लड़की के पास जाकर उसकी बंधी हुई चोटी को देख कर कहती है
" तो है हमारी टीवी सीरियल वाली बेचारी और मासूम अबला लड़की जिसकी रैगिंग करेगा रूथलेस रघुवेंद्र चौहान
ये सुन कर वहां कुछ लोग हंस रहे थे तो किन्हीं के कलेजे डर के मारे मुंह में आ गए थे
वही आशी को ये देख कर उस लड़की के लिए बेहद बुरा लग रहा था उस लड़की की आंखों मै आंसु तक आ चुके थे
आशी अपने कदम आगे बढ़ाती है और ऊषा का हठ उस लड़की के बालों से झटकते हुए बोलती है
" शर्म नहीं आती एक लड़की होते हैं दूसरी लड़की की इंसल्ट करते हुए "
ऊषा गुस्से मै एक बार अपने हाथ को घूरती है और फिर आशी को और इतनी खूबसूरत लड़की देख कर वो अंदर ही अंदर गुस्से के साथ बुरी तरह जल उठती है और अगले ही पल एक झन्नाटेदार थप्पड़ आशी के गाल पर जड़ देती है थप्पड़ पड़ते ही आशी के कदम लड़खड़ा जाते हैं और वो गिर पड़ती है
चारों तरफ एकदम सन्नाटा छा जाता है और एकदम से ऊषा नायशा और जोली आपस में हाइ फाई देते हुए जोर जोर से हंसने लगती हैं
ये सब बहुत एम्बेरेसिंग था रिया जल्दी से आगे आते हुए आशी को उठाने की कोशिश करती है ये देख कर रघुवेंद्र उसके करीब आते हुए उसके बालों को अपनी मुट्ठी मै भर कर जाड़ पीसते हुए कहता है
तेरे दिल मै बड़ी दया भावना जाग रही है किसकी पर्मिशन से इसकी हेल्प कर रही हैं हा
उसने रिया के बालों को इतना कस के पकड़ा था कि रिया की हल्की सी चीख निकल जाती है। और वो उसकी पकड़ से निकलने के लिए झटपटाने लगती है
आह छोड़ो मुझे प्लीज दर्द हो रहा है
रघुवेंद्र रिया के नर्म गालों को अपने हाथ से भींचते हुए कहता है
" बाकी सब अंधी बहरी हो कर खड़ी हैं ना तुम्हे क्यों इतनी खुजली मची है इसकी हेल्प करने की हा "
रिया के आंखो के कोनों से पानी की बुंदे निकलते हुए उसके गालों को भिगोने लगती हैं इतने मै ही वहां एक टीचर आते हुए बोलते हैं
" क्या चल रहा है यहां इतनी भीड़ क्यों लगा रखी है पहले दिन ही बंक मारने का इरादा है क्या "
राघवेंद्र एक झटके से रिया के चेहरे को छोड़ देता है और रिया लड़खड़ाते हुए दो कदम पीछे हो जाती है उसके चेहरे में बुरी तरह दर्द हो रहा था राघवेंद्र की उंगलियों के निशान भी उसके गालों पर छाप चुके थे क्योंकि उसकी स्किन कुछ ज्यादा ही सेंसिटिव थी
सारी भीड़ धीरे-धीरे कम होने लगी और रिया पहले खुद के आंसू पूछता और फिर आशिक को उठती है
वह दोनों क्लास के अंदर चली जाती है सब बच्चे उन्हें अजीब नजरों से देख रहे थे किन्हीं की नजरों में उनके लिए दया थी तो कोई उनके बारे में बातें करते हुए उनका मजाक बना रहे थे
वहां के हर टीचर को पता था यह सब किसने किया है और क्यों किया है लेकिन फिर भी प्रिंसिपल की पावर के आगे उनकी पावर कुछ नहीं थी वह उन्हें कुछ नहीं कह सकते थे
वही दूसरी तरफ अमेरिका में
तक्षक और हरमन दोनों अपनी मीटिंग अटेंड कर रहे थे पर तक्षक के दिल मै अजीब सी बेचैनी हो रही थी उसका मन कर रहा था वो एक बार आशी से बात कर ले पर क्यों? इसका जवाब उसके पास नहीं था
हरमन भी ये नोटिस कर रहा था पर इतने लोगों के बीच उसने तक्षक से कुछ नहीं कहा
करीब आधे घंटे बाद वो दोनों वापस होटल आ चुके थे जहां वो रहने के लिए ठहरे थे
हरमन ने अंदर आते ही कहा
" तक्षक मुझे लगता है कुछ रह गया है तुम्हारा घर पर ? "
तक्षक ने हैरानी से कहा
" क्या ?"
हरमन बाथरूम की तरफ जाते हुए बोला
" तेरा दिल, मै देख रहा था मीटिंग मै तेरा ध्यान बिल्कुल नहीं था बात बात पर कमी निकालने वाला तक्षक रायजादा आज की मीटिंग मै एक बार भी नहीं बोला how it's possible?"
सोचना एक बार इस बारे मै
इतना बोल कर वो बाथरूम के अंदर चला गया
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3 बजे इंडिया
कॉलेज से आते वक्त हर्ष सिया भी आशी के साथ एक ही कार मै थे
हर्ष कार ड्राइव कर रहा था और सिया और आशी पीछे बैठे थे
आशी ने अपना गाल उन दोनो से छुपाने की बहुत कोशिश की पर अचानक ही हर्ष की नजर उस पर चली गई उसने सामने वाले
मिरर से आशि का चेहरा देखते हुए कहां
" भाभी आपके चेहरे को क्या हुआ है "
सिया ने भी तुरंत आशी की तरफ देखते हुए कहा
" हां और आप बहुत ज्यादा उदास लग रही हैं कुछ हुआ है क्या कॉलेज में "
उन दोनों की बात सुन कर आशि को वह सब कुछ याद आ गया जो कॉलेज में आज हुआ था और उसकी आंखों में नमी तैर गई पर उसने झट से अपने आंसू पूछते हुए कहा
" नहीं कुछ नहीं हुआ है मैं ठीक हूं "
सिया ने झट से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा
" भाभी आपको तो झूठ बोलना भी नहीं आता आपकी आंखों में पानी है और आप बोल रही हैं कि कुछ नहीं हुआ था
अगर मॉम को पता चला हमने आपका ख्याल नहीं रखा तो वह हमें बहुत सारी डांट लगाएंगे आप बताओ हमें क्या दिक्कत है "
हर्ष एक टक आशि के चेहरे को देख रहा था उसने आइब्रो सिकुड़ते हुए कहा
" क्या किसी ने तंग किया आपको कॉलेज में "
और यह आशिकी के लिए एक ट्रिगर प्वाइंट था उसकी आंखों से अब लगातार आंसू बहने लगे और वह रोते हुए सिया के गले से लिपट गए और फिर रोते हुए ही बताया
जो रघुवेंद्र और उसके दोस्तों ने उसके और माही के साथ किया था
और यह सुनने भर से हर्ष की मुठिया स्टेरिंग पर कश गई उसने जबड़े
भींचते हुए खुद से कहा
" इसका बहुत हो गया है इसके अकल ठिकाने लगानी पड़ेगी "
फिर उसने कार रोक कर आशि की तरफ पानी की बोतल बढ़ते हुए कहा
" आप चिंता मत कीजिए कल वह घुटनों के बल आकर आपसे माफी मांगेगा आप यह पानी पी लीजिए "
आशी सुबकते हुए अपने दुपट्टे से अपने आंसू पोंछ लेती है और फिर हर्ष के हाथ से वह पानी की बोतल ले लेती है
कुछ वक्त बाद आशि को नॉर्मल फुल हो रहा था उसने अपना दिल का दर्द जब दो लोगों को बता दिया था तो अब उसके दिल का बोझ काफी हद तक निकल चुका था हर्ष ने फिर से कार स्टार्ट कर दी और कुछ ही वक्त बाद वह
रायजादा मेंशन के सामने थे
कार से उतरते ही हर्ष और सिया को थोड़ा डर लग रहा था अगर आशी ने महिमा जी के सामने बता दिया कि उसके साथ क्या हुआ तो वह उन पर फुट पड़ेगी कि सब उनकी वजह से हुआ है उन दोनों नहीं उनकी बहू का ख्याल नहीं रखा होगा
वहीं उन तीनों के अंदर जाते ही महिमा जी जो बेसब्री से आशी और हर्ष और सिया का इंतजार कर रही थी उनके होठों पर एक मुस्कान खिल गई और उन्होंने जल्दी से एक नौकर को कहा
" जाओ इनके लिए कॉफी बना कर लाओ "
आशी मुस्कुराते हुए अंदर आई तो महिमा जी ने उसे रोकते हुए पूछा
" कैसा था बच्चा आपका कॉलेज का दिन
आपको कॉलेज पसंद आया ? "
हर्ष और सिया के दिल की धड़कनें बिल्कुल थम चुकी थी पर अगले ही पल उन दोनों ने सुकून की सांस ली जब आशी ने मुस्कुराते हुए कहा
" जी मॉम बहुत अच्छा था मुझे एक दोस्त भी मिल गई "
यह सुन कर महिमा जी के चेहरे पर भी सुकून उतर आया और वह तीनों अपने-अपने कमरे में चले गए फ्रेश होने
हर्ष ने अपने रूम मै जाते ही सबसे पहले तक्षक को कॉल लगाया तक्षक जो अभी तक हरमन की बातो मै उलझा था और आशी के बारे में सोच रहा था अचानक रिंग बजने से उसका ध्यान आशी से हटा
और उसने फोन उठाते हुए अपने कान से लगा लिया
उधर से हर्ष ने कुछ कहा जीस वजह से तक्षक के माथे की नशे बिल्कुल चटकने को तैयार हो गई और उसने बस hmm बोलते हुए कॉल कट कर दिया
To be continued thank you so much for reading this
Next morning
7 बजे
रघुवेंद्र अपने बेड पर पेट के बल लेटा हुआ था कि अचानक उसके रूम का दरवाजा धड़ाम की आवाज के साथ खुला और उसके पापा विजय सिंह गुस्से मै आग बबूला हुए अंदर आए
उसकी आवाज इतनी तेज थी कि रघुवेंद्र एकदम चिहुंक ते हुए उठ कर बैठ गया
विजय सिंह ने गुस्से में जाड़ पीसते हुए कहा
" आज तेरी एक गलती की वजह से मेरी सीट दाव पर लगी है, मुझे पार्टी के लोग धमकियां दे रहे हैं कि मै अपनी एमएले पद से स्तीफा दे दूं "
रघुवेंद्र जो हल्की नींद मै था विजय सिंह की बात सुनकर उसकी पूरी नींद हवा हो गई और वो बेड से उठते हुए बोला
" पर डैड मेरी क्या गलती है "
इतने मै ही वहां एक थप्पड़ की आवाज गूंज उठी और रघुवेंद्र का चेहरा एक तरफ झुका हुआ था
शायद उसके पापा ने जिंदगी मै पहली बार उस पर हाथ उठाया था
उसके जबड़े बुरी तरह गुस्से में कस गए थे उसने अपनी लाल हो चुकी आंखों को उठाकर विजय सिंह की तरफ देखा तो
विजय सिंह ने गुस्से में उसकी तरफ उंगली पॉइंट करते हुए कहा
मैंने कहा था रैगिंग करना पर लोगों की पर्सनैलिटी स्टैंडर्ड सब देखकर कल तुमने जिस लड़की को परेशान किया वह अंडरवर्ल्ड के माफिया की बीवी थी और अब वह सबको धमका रहा है कि अगर उसकी बीवी से तुमने माफी नहीं मांगी तो वह जिसके पास जो जो है वह सब छीन लेगा और साथ में सांस भी
राघवेंद्र की आंखों के सामने आशि का चेहरा घूम गया कल उसने आशि को ही परेशान किया था और उसने जाड़ पीसते हुए कहा
नहीं डैड उसका स्टैंडर्ड कुछ नहीं था वह बहुत नॉर्मल लड़की लग रही थी
विजय सिंह ने गुस्से में बौखलातेे हुए कहा
यही तो आजकल के युवाओं की सोच है जिसके वजह से वह इतनी गिरे हुए हैं तुम लोगों के चेहरे से और कपड़ों से उनका स्टैंडर्ड कैसे बता सकते हो आज तुमने अगर उसके सामने जाकर घुटनों के बल बैठकर माफी नहीं मांगी तो भूल जाना मैं तेरा बाप हूं समझे
रघुवेंद्र का चेहरा झुका गया और उसके मन में आशी के लिए बेइंतहा नफरत पैदा हो गई
दूसरी तरफ ये ही ऊषा का हाल था
उसके पापा महेश उस पर चिल्ला रहे थे
" सिर्फ तुम्हारी एक एंजॉयमेंट की वजह से आज मेरा कॉलेज मेरे हाथों से छीनने वाला है मुझे आज के आज प्रिंसिपल की पोस्ट छोड़ने के ऑर्डर्स आए हैं
तुमने जाकर अगर उस लड़की से माफी नहीं मांगी तो घर मै कदम भी मत रखना समझी"
महेश ने गुस्से में हाफते हुए कहा
ऊषा को इस बात से प्रॉब्लम नहीं हो रही थी कि कल उसने क्यों उस लड़की को परेशान किया या फिर आज उसके पापा का कॉलेज दाव पर लगा है बल्कि उसे आशी की किस्मत से जलन हो रही थी
आखिर उसका पति इतना डेंजरस कैसे है कि उसके पापा जो किसी से नहीं डरते उनका डर से बुरा हाल है
महेश के जाने के बाद ऊषा के चेहरे पर इविल स्माइल आ गई
उसने बेड पर लेट कर एक टक सीलिंग को घूरते हुए कहा
" अब तो मिलना पड़ेगा इस डेंजरस माफिया मेन से आखिर है कौन ये? जिसके जलवे से पूरा मुम्बई हिला हुआ है "
वही दूसरी तरफ रायजादा मेंशन
आशी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रही थी पर मन ही मन कल वाले इंसिडेंट की वजह से बेहद डरी हुई थी उसका बिल्कुल मन नहीं कर रहा था कॉलेज जाने का पर फिर भी वो महिमा जी के सामने ये सब जाहिर नहीं करना चाहती थी इसलिए रेडी हो रही थी
आज उसने डार्क ब्लू कलर का कुर्ता और उसके नीचे ब्लैक लेगिंग पहन रखी थी कुर्ते का साइड कट डीप था जिस वजह से आशी की गोरी मखमली कमर उससे दिख रही थी और उस गोरे रंग मै डार्क ब्लू कलर काफी खिल रहा था
उसने कानों मै बड़े बड़े झुमके पहने थे और बालों को खुला छोड़ा था मांग मै सिंदूर माथे पर छोटी सी बिंदी और होठों पर पिंक लिप ग्लॉस और इतने मै ही उसकी खूबसूरत बेमिसाल लग रही थी
वो बस जाने के लिए मूडी ही थी कि अचानक उसे अपनी कमर पर ठंडे हाथों की मजबूत पकड़ महसूस हुई और वो एकदम से सिहर उठी
और उसके हाथ सीधा सामने वाले शक्श के सीने पर जा टीके जिनकी मजबूत मसल्स आशी अच्छे से फील कर सकती थी
ये और कोई नहीं बल्कि तक्षक था आशी ने अपनी मासूम नजरों को उठा कर तक्षक को देखा और फिर कन्फ्यूज होते हुए लड़खड़ाती आवाज में बोली
" आप? आप तो अमेरिका गए थे ना इतनी जल्दी कैसे वापस आ गए "
तक्षक ने हल्का सा सर झुकाते हुए आशी के बालों को स्निफ करते हुए कहा
" उड़ के वापस आ गया फेरी "
आशी ने कस कर अपनी आंखे भींच ली तक्षक की गर्म सांसे उसकी गर्दन पर गिर रही थी उसने अपने होठों को अपने दांतों तले भींच लिया था और फिर मुश्किल से अपने शब्दों को पूरा करते हुए बोली
" आ आपने ड्रिंक कर रखी है इतनी सुबह "
तक्षक के होठों पर एक कातिल आना मुस्कान तैर गई उसने अपनी गीले होठों को आशी की गर्दन पर रगड़ते हुए कहा ऐसा क्यों लगता है तुम्हें फेरी कि मैं नशा कर रखा है
आशी ने अपने हाथों की पकड़ तक के कंधों पर करते हुए अटकती जुबान मै कहा
क क्योंकि आप मुझे फेरी तभी बुलाते हैं जब आप नशे में होते हैं वरना तो हमेशा आपको मुझ पर गुस्सा ही आता है
आशिकी बात सुनकर तक्षक ने अपने होठों की हरकतें बंद कर दी और उसके गर्दन से अपना चेहरा निकलते हुए हंसी के चेहरे के सामने कर लिया और फिर अपनी उंगलियों से उसके नरम गालों की स्किन को महसूस करते हुए कहा
" अब मैं तुम्हारे नशे मै हु फेरी "
आशी तक्षक के हर एक टच के साथ सीहर रही थी उसने अपनी अटकती जुबान में कहा
मुझे कॉलेज के लिए लेट हो रहा है
तक्षक के चेहरे पर जो सॉफ्ट एक्सप्रेशन थे वह तुरंत ही डार्क हो गए उसने जैसे ही कॉलेज का नाम सुना और फिर वो आशी का हाथ पकड़ते हुए बोला
ठीक है चलो ब्रेकफास्ट कर लो उसके बाद मैं तुम्हें कॉलेज ड्रॉप करूंगा
आशी ने जैसे ही तक्षक की बात सुनी उसके चेहरे पर हैरानी आ गई उसका खडूस पति कब से इतना अच्छा हो गया जो उसे कॉलेज ड्रॉप करके आएगा और इतनी प्यार से बात कर रहा है वह भी बिना ड्रिंक किए
कन्फ्यूजन में आशि के चेहरे का पाउट बना हुआ था जिससे वह बहुत क्यूट लग रही थी जो तक्षक को बेसब्र बना रही थी
तक्षक ने तुरंत ही उसके एक गाल को अपने मुंह में भरते हुए हल्का सा बाइट किया जिससे आशी के मुंह से हल्की सी आह निकल गई
और उसके चेहरे पर चीड़ वाले एक्सप्रेशन आ गए ये देख कर तक्षक ने उसके फोर हेड को चूमते हुए कहा
अगर तुम इस तरह का फेस बनाओगी तो मैं कॉलेज कैसे ड्रॉप कर पाऊंगा तुम्हें
तक्षक की बातें आशी के सर के ऊपर से जा रही थी उसने अपनी गाल पर हाथ रखते हुए कहा
आपने मुझे बाइट किया मुझे लगा आप सुधर गए हो पर नहीं आप तो अभी भी बिगड़े हुए हो
तक्षक के होठों पर एक बेशर्मी वाली मुस्कान खिल गई और उसने उसके होठों पर अपने अंगूठे को रगड़ते हुए कहा
बिल्कुल मैं तो पहले से ही बिगड़ा हुआ हूं बस ध्यान रखना तुम न बिगाड़ जाओ हम्म चलो अभी
इतना बोल कर वह उसे रूम से बाहर ले गया
बाहर होल में महिमा जी सिया और हर्ष को ब्रेकफास्ट सर्व कर रही थी तक्षक को आशि का हाथ पकड़े देख कर उसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान बिखर गई उन्होंने मन ही मन भगवान का लाख-लाख शुक्रिया अदा किया
कि उनका बिगड़ा हुआ बेटा सुधर रहा है अपनी बीवी को इंपॉर्टेंस दे रहा है वरना तो उन्हें लगा था उन्होंने आशि की जिंदगी बर्बाद ना कर दी हो क्योंकि आशी जितनी मासूम थी तक्षक उतना ही गुस्सैल
सिया और हर्ष भी उनकी तरफ देखकर हल्का-हल्का मुस्कुरा रहे थे वही यह सब देखकर आशि के गाल शर्म से लाल पड़ चुके थे उसका मन कर रहा था तक सबको एक थप्पड़ लगाकर पूछे आज कौन सी भांग खाई है सबके सामने उसे शर्मिंदा होना पड़ रहा है
कुछ वक्त बाद हो चारों लोग नाश्ता करके कॉलेज के लिए निकल गए सिया और हर्ष अलग गाड़ी में थे और तक्षक और आशी अलग में
कार में बैठते ही तक्षक के फोन पर किसी का कॉल आ गया था इसलिए वह पूरे रास्ते बस उससे बातें कर रहा था आशी चोर नजरों से बार-बार तक्षक को देख रही थी
और जब उसे लगा तक्षक उसे बिल्कुल इग्नोर कर रहा है वह कार के शीशे से बाहर देखने लगी
उसका मन बहुत ज्यादा बेचैन था कॉलेज में जाकर पता नहीं उसके साथ क्या होने वाला था मन ही मन उसे बहुत डर भी लग रहा था और साथ ही साथ उन लोगों पर गुस्सा भी आ रहा था
कुछ वक्त बाद वो लोग कॉलेज के गेट के बाहर थे
आशी की पकड़ अपने दुपट्टे पर कस गई पर उसके उतरते ही तक्षक भी कार से उतरा और उसने आगे बढ़ कर आशी का हाथ थाम लिया
आशी ने आंखो को बार बार झपकाते हुए तक्षक को देखा जैसे ये पूछने की कोशिश कर रही हो कि क्या अब तक्षक उसे उसकी डेस्क तक ड्रॉप करके आएगा
तक्षक बड़े एटीट्यूड के साथ अपने कदम आगे बढ़ाता है और अपनी गहरी आवाज मै बोलता है
" तुम सही सोच रही हो फेरी मै तुम्हे तुम्हारे डेस्क तक ड्रॉप करके आऊंगा "
आशी ने अपने मन ही मन कहा " मेरे दिल की बात भी सुन जाती है "
तक्षक ने डेविल स्माइल करते हुए कहा
" बिल्कुल फेरी मुझे तुम्हारे दिलों दिमाग की हर बात सुनाई देती है "
तक्षक और आशी जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे आशि की आंखों में हैरानी आ रही थी क्योंकि आज कॉलेज में बहुत से शांति पसरी थी सारे टीचर एक साइड खड़े थे और स्टूडेंट एक साइड
यह देख कर आशि का मन कर रहा था वह यहां से कहीं चली जाए वह तक्षक के पीछे होने की कोशिश कर रही थी पर तक्षक उसका हाथ खींचते हुए उसे आगे लेकर आ रहा था
जहां टीचर खड़े थे उनके बीच दो चेयर रखी थी तक्षक आशि को वहां लेकर गया और उसे चेयर पर बैठा दिया और खुद उसके बगल में बैठ गया
हर्ष और सिया भी होठों पर एक डेविल स्माइल लिए वही स्टूडेंट में जाकर खड़े हो गए
आशि के दिल की धड़कनें तो धक धक कर रही थी उसने सवाल भरी नजरों से तक्षक को देखा पर तक्षक ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए बस अपनी पलकों को झपका दिया और अगले ही पल रघुवेंद्र वहां आया और आशी के चेहरे पर डर के मारे पसीना आ गया
राघवेंद्र आते ही आशी के पास घुटनों के बल बैठ गया और हाथ जोड़ते हुए बोला आई एम सो सॉरी मैडम
ये सुन कर वहां खड़े हर शख्स का मुंह खुला का खुला रह गया
रघुवेंद्र जो किसी के बाप से क्या अपने बाप से नहीं डरता वो एक लड़की से घुटनो के बल बैठते हुए माफी मांग रहा था
वही आशी भी खुद मै सिमटते हुए तक्षक का हाथ कस के पकड़ लेती है
उसके मुंह मै शब्द नहीं थे वो क्या कहे
सब की नजरे उनकी तरफ थी
लेकिन ऐसा सिर्फ आशी को लग रहा था क्योंकि तक्षक की मौजूदगी में कोई आशी को आंख उठा के देख ले ये कैसे पॉसिबल था तक्षक उनकी आंखे ना निकाल ले अगर किसी ने ऐसी जुर्रत भी की तो
वही रघुवेंद्र कुछ वक्त बाद तक्षक की तरफ रुख करते हुए बोला
" I am very sorry sir "
तक्षक ने डेविल स्माइल करते हुए कहा
" उठो यहां से और भी लोगो का नम्बर आने दो "
ये सुन कर भीड़ मै खड़ी ऊषा की मुट्ठीया गुस्से मै कस गई
क्योंकि उसे पता था तक्षक का इशारा उसकी तरफ है
भीड़ मै खड़ी रिया ये सब देख कर बेहद खुश थी उसके होठों पर एक मासूम मुस्कान थी
रघुविंदर खड़ा हो पाता उससे पहले ही आशी ने हिम्मत जुटाते हुए कहा
इसने मेरी दोस्त के साथ भी बदतमीजी की थी उससे भी माफी मांगो
राघवेंद्र के गुस्से में जो बड़े कस गए उसे पता चल चुका था आशीष अक्षर की वाइफ है पर
रिया रिया तो एक मामूली लड़की थी जो स्कॉलरशिप लेने की वजह से इस कॉलेज में आ पाई थी उससे माफी मांगना मतलब सब की नजरों में अपनी इज्जत मिट्टी के समान करना