ये कहानी है रूद्राक्ष सिंग ठाकुर जोकि एक बहुत बड़ा डोक्टर है पर हंमेशा गूस्सेल ओर सीरियस रहने वाला |वो ढूंढ रहा है किसी लडकी को। वही हमारी शिव्या समजदार मासूम ,चंचल ओर तेज तर्रार जिसे समजना है बड़ा मुश्किल | प्यार मोहोब्बत से रेहने वाली जीसे अपने आत... ये कहानी है रूद्राक्ष सिंग ठाकुर जोकि एक बहुत बड़ा डोक्टर है पर हंमेशा गूस्सेल ओर सीरियस रहने वाला |वो ढूंढ रहा है किसी लडकी को। वही हमारी शिव्या समजदार मासूम ,चंचल ओर तेज तर्रार जिसे समजना है बड़ा मुश्किल | प्यार मोहोब्बत से रेहने वाली जीसे अपने आत्मसम्मान से है बहुत प्यार | पर वो है अपनी ही पहचान से आंजना | दोनों की पहली मूलाकात में ही हुआ कछु ऐसा जिसे दोनों एक दूसरे को देखना भी नहीं चाहते | क्या होगा जब दोनों को रेहना होगा हरपल साथ? क्या रूद्राक्ष को वो लडकी मीलेगी जीसे वो ढुढ़ रहा है ? वो है कोन ओर क्यों ढुढ रहा है रूद्राक्ष उसे? क्या होगा जब लडते झगड़ा करते रूद्राक्ष को होजायेगा शिव्या से प्यार? क्या वो लडकी शिव्या ओर रूद्राक्ष के बिछ आयेगी? क्या कभी शिव्या को भी होगा हमारे रूद्राक्ष सहाब से प्यार? क्या होगा जब रूद्राक्ष को पता चलेगा शिव्या कि सचाई तब भी वो कर पायेगा शिव्या से प्यार . . . ? क्या होगा आगे क्या मोड लेगी उन दोनों का रिश्ता जानने के लिए जूडे रहिये मेरे साथ story mania पर . . . .
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पहला सीन :- एक कार सुनसान सड़क पर तेजी से दोडे जा रही थी उसमें एक 25 - 26 साल का लड़का बैठा हुआ था उसके चेहरे पर परेशानी साफ-साफ झलक रही थी । वह तेजी से अपनी कार को सड़कों पर दौड़ाया जा रहा था और परेशानी से खुद से ही बातें किए जा रहा था। वह लड़का अपनी परेशान आवाज में अपने आप से ही केह रहा था :- " "मैं कुछ भी करके उस क**** के साथ तूम्हारी शादी नहीं होने दूंगा। मुझे उसके खिलाफ आब सबूत मिल गया है । मैं कैसे भी करके जल्द से जल्द वहा पहोचना चाहता हूं ताकि मैं तूम्हारी शादी होने से रोक सकु . . . . . . . . . . . . . . . . . .. । _________________________ सेकंड सीन :- एक आलीशान कमरे में एक लड़की खूबसूरत शादी के जोड़े में तैयार होकर बैठी हुई थी । उसके चेहरे पर इस शादी की बिल्कुल भी खुशी नहीं थी । उसके बगल में ही उसकी दोस्त उसे कह रही थी :- जब तुम्हें यह शादी करनी ही नहीं है तो फिर क्यों कर रही है। तू जानती है कि तू उस नालायक आदमी के साथ बिल्कुल भी खुश नहीं रहेगी तो फिर यह शादी क्यों कर रही है। " वह लड़की अपने होठों पर फिकी मुस्कान सजा कर उसकी दोस्त को देखते हुए कहती है :- मेरी किस्मत में वही लिखा है क्यूटीपाइ ओर रही बात सादी की तो वो इस लिए कर रही हू क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मेरे पापा का दिया हुआ वादा टुडे। मेरे पापा ने मेरे लिए इसे चुना है तो कुछ सोच समझकर ही चुना होगा तो फिर मैं वहां क्यों खूश नहीं रहूंगी। " दूसरी लड़की फिर एक बार उस लड़की को समझाते हुए कहती है :- पर तुम्हें तो वह पसंद नहीं है ना तो फिर तुम वहां कैसे खुश रहोगी। तुम कहो तो मैं अंकल से एक बार बात करती हूं। यह बोल वह वहां से जाने लगती है । पहली लड़की खडी हो कर उस लडकी के हाथ को पकड कर :- नहीं मैं शादी के लिए तैयार हूं इसलिए अब तुम थोड़ी देर मुझे अकेला छोड़ दो । मैं थोड़ी देर अकेला रहना चाहती हूं और इस बारे में मुझे कुछ नहीं सुनना। वह लड़की वहां से चली जाती है उसके जाते ही पहले वाली लड़की के चेहरे पर उदासी और आंखों में नमी छा जाती है . . . . . . . . . . . . . . . . . . . । वो खुद के मन में अपने कान्हा जी से प्रार्थना कर रही थीं कि ये सादी रूक जाये। _________________________ तीसरा सीन:- एक कमरे में एक लड़का बैठा हुआ था और वह बहुत ही खुश नजर आ रहा था । उस कमरे में बिलकुल अंधेरा था ओर सिर्फ ऐक ही बल्ब 💡जल रहा था जिसमें से हलकी रोशनी उस कमरे में आ रही थि | वो लडका खुदको ही आईने में देखते हूऐ पागलों की तरह कह रहा था :- "आज फाइनली में उस लड़की को अपना बना लूंगा और फिर इतने दिनों की तड़प उसके साथ पूरी करूंगा । आज तक उसने मुझे अपने आपको एक बार हाथ भी नहीं लगाने दिया है। पर अब मैं उसकी ऐसी हालत करूंगा कि वह मुझे फिर कभी मना नहीं कर पाएगी । यह सब कहते हूऐ वह पूराकापूरा सनकी दिख रहा था . . . . . . . . . . . . . . . . . .. । तो अपको क्या लगता है कोन है ये तिन लोग। क्या वो लडका सादी रोक कर अपने प्यार को बचा पाये गा . . . . . . . . . . . . . . . . .??? क्या वो लडकी कर देगी अपनी शादी से इंकार . . . . . . . . . . . . . . . . .??? ये सनकी पागल लडका कोन है ओर वो क्या करने वाला है . . . . . . . . . . . . . . . . .???
हमारि यह कहानी सूरु होती हैं राजस्थान के जयपुर सिटी से . . .| जयपुर जो राजस्थान का ऐक खुबसूरत सी.टी. है . . .| जिसे हम सब गुलाबी शहर यानि पिंक सिटी के नाम से जानते हैं . . . | उस प्यारे से सहर में हमारी शिव्या अपने छोटे से ओर प्यारे से परिवार के साथ में रहती है . . . . | उनका घर इतना बड़ा महलों जैसा तो नहीं था पर बहुत ही सूंदर था | उन सबका साथ ओर ऐक दूसरे के लिए प्यार इस घर को घर बनाता था | उनके घर के आंगन में छोटा सा गार्डन है जिसमें तरह तरह के फूल ओह गार्डन के बिचो बिच ऐक तुलसी का पोधा था | घर जितना बहार से सुंदर था उस्से भी कहीं ज्यादा अंदर से सूंदर था | घर में ऐक बडा सा होल ऐक ओर किचन ओर तिन बेडरूम थे | होल के बिच मे ऐक मेज (टेबल) था ओर उसकी चारो ओर सोफे रखे हूऐ थे | उसके पिछे से ऐक सीढ़ी (strecher) उपर की ओर जाती थी | उसके दोनों तरफ दो दो कमरे थे | चलो अब हम हमारी कहानी की हिरोइन यानि शिव्या कपूर के बारे में थोड़ा जानते हैं . . . . . . . . . . . वह है तो बहुत प्यारी सी चूलबचली ओर मासूम पर जब उसे गुस्सा आता है ना तो कीसिकी नहीं सूनती है . . . . | मानो काली माँ स्वयं उसके अंदर आ गई हो . . . . .|उसके इस गुस्से को सांत सिर्फ दो लोग ही कर सकते हैं . . . . . . | ऐक उसका छोडा भाइ अनिक कभी कब्हाही . . . . | ओर दूसरा उसकी बेस्ट फ्रेंड लावन्या हंमेशा अपनि चिकनी चुपली बातों में उसे फसा कर उसका गुस्सा छु मंतर कर देती है . . . . . | इस के बारे में हम कहानी में आगे जाने गे | शिव्या बहुत ही खुबसूरत है . . . . . | उसकि खूबसूरती देख कोई भी देखता हि रह जाये . . . . . . . | मानो भगवान ने उसे बड़ी ही फूरसत से बना या हो . . . | अगर कोई उसे एक बार देखले तो कभी भूल नहीं सकता . . . . उसने अपनी डोक्टरी की पढ़ाई आभी - अभी ही पूरी की है | वह जयपूर के सबसे बडे होस्पिटल संजीवनी में इंटर्नशिप करने के लिए सिलेक्टेड हूइ है | जो कि उसका बचपन का सपना भी था . . . . . . .| वह ऐक बेस्ट हार्ट सर्जन बंना चासती थि | शिव्या ने अपनी डोक्टरी की पढ़ाई जयपूर के बेस्ड कोलेज से कि थि | वह भी कोलरसिप के बैज पर . . . . . .| वह अपने क्लास में सबसे फस्ट आती थी | शिव्या ओर लावन्या दोनों दसवीं क्लास से ही साथ में पढ़ते थे. . . . . . . .| शिव्या की खुबसूरती के कारण ओर उसकी ओर लावन्या की दोस्ती के कारण सब उस्से जलते थे. . . . . . . इस लिए उसकी लावन्याके अलावा कोई ओर उसका दोस्त नहीं था. . . . | कूछ ऐक दो को छोड़ कर । कोलेज में भी ऐसा ही होता था | सब लडके तो उसकी इस खुबसुरती पर मरते थे. , . . . . . | पर शिव्या कभी किसी को आंख उठाकर देखले वह भी कोलेज का होट टोपिक बन जाये . . . . | क्योंकि उसे तो सिर्फ अपनी पढाई से मतलब था | उसने अपने खूबसूरती के दम पर पूरे कॉलेज में ब्यूटी क्वीन का खिताब हासिल किया था | वह पढ लिख कर ऐक बड़ी डॉक्टर बन ना चाहती है . . . . .| उसने गरिबो को पैसो के कारण ही बिमारी से कहि लोगों को मरते देखा था | वह ऐक अछी डॉक्टर होकर उन गरीबों के लिए ऐक ऐसा होस्पिटल खोलना चाहती थी जहाँ गरीब लोग कम पैसो में भी अपना इलाज करवा सकते हैं | ओर अगर कोय ज्यादा गरीब है तो उसका इलाज वो फ्रिमे कर सके ऐसा ही वह खूद का एक होस्पीटल खोलना चाहती थी | ऐसे ही उसने अपनी ऐक दोस्त को भी ऐक गंभीर बिमारी मे पैसे ना होने के कारण खो दिया था | उसने अपने दादा जी को हार्ट की बिमारी मे खोया था क्योंकि उसके दादा को हार्ट का ओपरेशन करने के वक्त कोइ अछा हार्ड सर्जन नहीं मिला था | ओर जो थे वो बहुत ज्यादा रकम ले रहे थे ओर तब उसके फेमिली बिजनेस में भी बहुत लोस हूआ था | इस लिए वह अपने दादा जी को विदेश में इलाज नहीं करवा सके थे | ओर उसने अपने दादा जी को खो दिया था | वह अपने दादाजी को बहुत प्यार करती थि ,इस लिए तबसे ही उसने यह सोच लिया था कि वह ऐक आछी ओर बहतर हार्ड सर्जन बनेगी | यह उसका ऐक सपना भी था. . . . . . . . . . | वह इतना हसती खिलखिलाती रहति थि पर उसके दिलमें भी कही र्दद भरे हुए थे जो वह अपनी मूस्कान के पिछे हमेशा छूपा कर रखती थी . . . . . . . . . . . | जीसे वह लावन्या के सिवा किसी को भी बताया नहीं करती थि . . . . | उसके हर राज हर बात ओर अपने दिल का दर्द होया खूशी जोभी हो वह किसी को बता ना सकती वह सिर्फ अपने दिल की हर बात दिल खोल के लावन्या को बता दिया करती है | अब मिलते है शिव्या के परिवार के सदस्यों से . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . शिव्या के परिवार में उसके पापा आदित्य कपूर - जो कि ऐक ऐ ऐस पि है. . . . | जो अभी हि कुछ महीने पहले रिटायर्ड हुऐ है . . . . | ओर अब वह अपना फेमेलि बिजनेस संभालते है . . . . . | उसकि मम्मा महिमा आदित्य कपूर - जो ऐक बेस्ट टिचर है | वह भी अभी सिर्फ ऐक हफते पहले ही रिटायर्ड हुइ है . . . . . .| ओर अब वो अनाथ बच्चों को पढाती है | ऐक दादि है राधिका कपूर - जिस्से उनकी बिलकुल भी बनति नहीं है . . . | ऐसा नहीं की वह ऐक दूसरे से प्यार नहीं करते है . . . | प्यार तो बहुत करती हैं दोनों पर तकरार वाला | दोनों पूरा दिन बच्चों की तरह लडते रहते हैं | दादि पूरा दिन उसे चिढाते रहती है ओर शिव्या चिढ़ भी जाति है | ऐक छोटा भाई अनिक आदित्य कपूर - जो शिव्या से सिर्फ तीन साल हि छोडा है . . . | हंमेशा शिव्या को परेशान करता है ओर लडता रहता है . . . . . . | पर फिक्र भी उतनी ही करता है | घर में सबका लाडला है वह . . . . . | खास तोर पर अपनी दादि माँ का . . . . | वह अभी कोलेज के सेकंड यर में है | शिव्या की फेमेलि ज्यादा अमिर तो नहि है . . . . | पर मिडल क्लास सें थोड़ी उपर है . . . . . . | बस कमी नहीं है किसी चिजकी . . . . . . . | हर ख्वाहिश ओर हर सपने पूरे करते हैं उनके पापा | हाँ पहले बिजनेस में मंदि थी पर फिर आदित्य जी ने सब सही से संभाल लिया था | वो एक हैप्पी फेमिली है | और अब उनका बिजनेस भी बहुत अच्छे से चल रहा है | तो यह थी हमारी शिवि ( शिव्या को सब घरमें प्यार से शिवि हि कहते हैं ) की फेमेलि . . . . . . . . . . . . . . . . . ________________________________ तो केसे लगि आपको हमारी शिव्या . . . . . . ? ? ? ? केसी लगी आपको हमारी शिव्या ओर उसकी फेमेलि . . . . . . . . . . . . . . . ? ? ? ? ? आगे अब हम हमारे अगले चेप्टर में जाने गे की केसे होगी शिव्या रूद्राक्ष की पहली मुलाकात ओर रूद्राक्ष के बारेमे . . . . . . . . . . . . . . आगे जान्ने के लिए पढते रहिये मेरी कहानी " falling in true love : impossible to possible "
अब मिलते हैं हम हमारी कहानी के हिरो यानी रूद्राक्ष सिंग ठाकुर ओर उनके परिवार से . . . . . . . . उनके बारे में तो हम क्या ही बात करे . . . . . . . दीखने में बहुत ही हेंडस्म है . . . . . | 6 फिट 9 इच की हाइट . . . . . . . . चिकना गोरा रंग . . . . . . परफेक्ट बाइ सेप . . . . . . . . परफेक्ट जो लाइन . . . . . . . हेंडस्म सा चेहरा . . . . चेहरे पर बिखरे हुए बाल . . . . . . . चेहरे पर हलकी हलकी दाढ़ी | जिसपे लडकीया नजरें हि नहीं हटा पाती है | या ये कहो की जिसपे लटकीया मरती है | रूद्राक्ष विदेश से अपनी डोक्डरी की डिग्री लेकर अपने सहर उदयपुर वापस आये है | उसका घर उदयपुर में था . . . . | उसके पापा यानि शिवाय सिंग ठाकुर जोकि वहा के राजा थे . . . . . . | वह राज घराने के लोग थे . . . | उनके पूर्वज राजस्थान के राजा महाराज हुआ करते थे |पर वह अब वहा सासन ना कर के सरकार को अपना काम करने देते थे | ओर वह अगर कोई ओर प्रोबलम हो कीसी भी लोगों को तो वह उसको न्याय दीलवाने है | उन्होने उन गाव के बिछ ऐक बडासा होस्पिटल बनवाया है . . . . | जिस बजह से गाँव के लोगों को इलाज कराने के लिए शहर जाना न पडे . . . . | ओर कोई भी तात्कालिक सारवार की जरूरत हो तो यही से मिल जाये ओर वह उन लोगों का इलाज करवा सके . . . . . | ओर तो ओर उनका सपना था कि वह इस होस्पिटल को सबसे अच्छा ओर कम दाम में इलाज कर सके ऐसा बनाना चाहते हैं . . . . . . | क्योंकि वह चाहते थे कि लोगों को अपना इलाज कराने के लिए कहि बहार ना जाना पडे ओर ज्यादा पैसे भी ना चुकाने पडे . . . . . . . . . . . . . | इस लिए रूद्राक्ष विदेश से आकर उसि होस्पिटल में सब सेट करता रहा | ओर उसने होस्पिटल को सबसे बेस्ड होस्पिटल बना दिया है | _______________________________ अब मिला जाये रूद्राक्ष सिंग ठाकुर की फेमिली से . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . रूद्राक्ष की फेमिली में उसके माँ - पापा , चाचा - चाची, चाचा की बेटी,भाई - भाभी ओर ऐक भतीजा है | रूद्राक्ष के पापा शिवाय सिंग ठाकुर . . . . . . | जो उदयपुर के राजा है . . . | ओर एक बहुत अच्छे इंसान जो हरपल दूसरो के बारेमे ज्यादा सोचते थे | उसकी माँ गौरी शिवाय सिंग ठाकुर . . . . . . . | वह ऐक हाउस वाइफ है | बडा भाई रिहाना सींग ठाकुर . . . . . . . | जोकि अब उदयपुर के राजा है | ओर अपने फेमिली बिजनेस को अपने पिता जी के साथ मिल कर संभालते है भाभी रूहानी रिहान सिंह ठाकुर जोकि रूद्राक्ष की दोस्त भी है . . . . . . . | जोकि बहुत खूबसूरत है , . . . . . | वह ऐक नेकदिल हंसाने है . . . . . | रिहान ओर रूहानी की लव मैरिज थी पर यह बात सिर्फ रूद्राक्ष ओर लावन्या को ही पता थी | बाकी सब को तो अभी भी यही लगता है कि उनकी अरेंज मेरीज है . . . 😁😁😁 ऐक भतीजा है यूग सिंग ठाकुर जोकि रूद्र { रूद्राक्ष को घरमें सब प्यार से रूद्र कहते हैं | } की जान है. . . . | वो बहूत ही क्यूट ओर नटखट है | ओर धर मे सबका लाडला है | वो घर में रूद्राक्ष के सिवा किसी की नहीं सूनता है | हां बस अपने पापा से थोड़ा बहोत डरते हैं महाशय | _________________________________ रूद्राक्ष के चाचा - चाची ओर उनकी ऐक बेटी वह जयपुर में रहते हैं . . . .| उसके चाचा अभय सिंग ठाकुर ओर चाची सारिका अभय सिंग ठाकुर दोनों ही प्रोफेसर हैं . . . . . . | जोकि उनकी खूदकि मेडिकल कॉलेज चलाते हैं . . . . . | अभय जी को अपने फेमिली बिजनेस में जरा भी इंटरेस्ट नहीं था ओर नाही उदयपुर की राजगद्दी में | उनके दूश्मनो ने उनको उनके भाई सा के खिलाफ खूब भडकाया ओर उनके रिश्ते में दरार लाने की कोशिश की पर मजाल है किसी की जो उन्हें अलग कर सके | उनका सपना था कि वो एक काबिल प्रोफेसर बन के अपने देश के लिए उसे आगे बढाने के लिए गरीब ओर काबिल बच्चे जिन्हें उनकी काबिलियत के हीसाब पर ऐडमिशन इस लिए नहीं मिले हो कि उनके पास पैसा नहीं था | ऐसे विध्यार्थी ओ को पठा कर उसे अच्छा जिवन देना चाहते थे | उसमें उनका पूरा साथ उनकी धर्म पत्नी सारीका जिने दीया | उनकी बेटी लावन्या जीसे पूरा परिवार जानसे भी ज्यादा प्यार करता है . . . .| क्योंकि वह पुरे खानदान में ऐक लोती लड़की है . . . . . . | वह बहुत ही सूंदर है . . . . . . . | मानो स्वयं स्वर्ग से अप्सरा आ गइ हो . . . . .पर हमारी शिव्या जितनी नहीं . . . . . . . उसका यह गोरा रंग ओर उपरसे उसके चेहरे पर पडते यह डींपल उसे ओर भी खूबसूरत बनाते हैं . . . वह बहुत ही चूलबुली है. . . . . | उसमें अभी भी बचपना भरा पड़ा है . . . . | वह बहुत भोली , मासूम ओर क्यूड है . . . . . . .. |यह है हमारी कहानी की सेकंड फीमेल लीड . . . . सबसे ज्यादा अपने भाई रूद्र से ओर अपनी बेस्ट फ्रेंड शिवि से प्यार करती है | लवि ( लावन्या को सब यही निकनेम से बूलाते हे घर पे ओर सब फ्रेंड ) रूद्राक्ष ओर रिहान की तो वह लाडली बहन है . . . . . . | यह दोनों उसकि हर जीद पूरी करते हैं . . . . . | उसे अपनी पलको पर बिठाकर रखते हैं . . . . | चाचा ओर चाचि तो रूद्र के दोस्त जेसे ही है | उसके चाचु तो उसके बेस्ट फ्रेंड के तरह है | रूद्राक्ष अपने चाचा के साथ आपनी हर बात उनसे शैर करता था | रूद्र अपनी होस्पिटल संभालता था सब अच्छे से चल रहा था . . . .| पर ऐक दिन उदयपुर में रूद्रक्ष का बहुत बूरी तरिकेसे जगडा हो गया | जोकि शिवाय जी के दूस्मनो ने उनको निचा दिखाने के लिए किया था | जिसके बाद सब रूद्र को बहुत गलत समजने लगे थे . . . . . . . . . तो वह उसके पापा के जोर देने पर अब अपने चाचु अभर सिंग ठाकुर के घर जयपुर जा रहा है . . . . | वहा संजिवनी होस्पिटल में वह as a senior heart surgeon appoint हूआ है . . . . . . . | रूद्र अपनी फिल्ड का सबसे अच्छा सर्जन है . . . . . . | वह सबसे बेस्ट हार्ड सर्जन है . . . . . . | उसे तो विदेश में ही वहाके सबसे बडे होस्पिटल में जोब मिल रही थीं. . . | पर उसने अपने पापा के सपने को पुरा करने के लिए वह जोब छोड़ दी थीं . . . . . | पूरी दुनिया में वह सबसे ज्यादा प्यार वह अपने पापा से करता है . . . . . . | कभी जता ता नहीं पर प्यार तो उनसे ही करता है . . . . . . | ओर अपने पापा के लिए वो कूछ भी कर सकता है | वो जयपुर आनातो नहीं चाहता था पर वो अपने पापा की बात टाल भी नहीं सकता था | वेसे तो वह बहुत सांत रहने वाला ओर सिरियस इंसान है . . . . . . | पर अगर बात उसके परिवार कि हो . . . . | उसमें भी खास उसके पापा ओर लवी पर कोइ बात आये तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर होता है . . . . . . . | फिर वह किसी की नहीं सूनता है . . . . . , | गूस्से में वह किसी भुखे सेर की तरह लगता है . . . . . . अपने नाम की तरह वो शिवजी का रूद्र अवतार ही है गुस्सेमें . . . . . उसे जुठ बोलने वाले ओर धोखेबाज लोग बिलकुल पसंद नहीं तो केसा लगे अपको हमारे डॉक्टर सहाब . . . . . , . . . . . . . . . . . . . . ? ? ? ? ? अब जब रूद्र जा रहा है जयपुर तो देखते हैं क्या होगा . . . . . . . . . . . . ? ? ? क्या होगा जब जयपुर में आकर उसकी मूलाकात होगी हमारी शिवी से . . . . . . . . . . . . . . . . ? ? ? ? केसी होगी रूद्र ओर शिवि की पहली मूलाकात . . . . . . . . . . . . . ? ? ? ? ? आप बता सकते हैं कहा होगी उनकी पहली मूलाकात . . . . . . . . लावन्या के घर या संजिवनी होस्पिटल या फिर ओर कही पर . . . . . . . . . . आगे हम अपने अगले ऐपिसोड में जाने गे क्या होता है आगे आगे . . . . . तब तक पठते रहीऐ मेरी कहानी . . . . . . . . .
रूद्र का जगडा हो गया था क्योंकि रूद्राक्ष अपने बाबासा के बारेमे कोय गलत बात नहीं सून सकता तो यह तो उसके बाबासा के खिलाफ अनाप सवाल बोल तो उसका रूद्र रूप तो आना तय था |
फ्लैश बैक . . . . . . . . . .
उदयपुर सहर के ऐक गाव में ऐक बडेसे महल के बाहार उदयपुर के सभी लोग इकढा हुए थे| ऐसा लगरहा था कि वहा पर कीसी बातका फैसला हो रहा हो | वहा पर तीन लोग सामने खूरसि पर बैठे हुए थे | ओर उनके सामने कही सारे लोग बैठे थे |
वहा बैठे हूए वह तिन लोग कीसी राजा से कम नहीं लग रहै थे | उनका ओरा ही कूछ ऐसा था कि उनकी प्रेजन्स को सब महसूस कर सकते थे |उनकी पर्सनालिटि ही कुछ ऐसी थि की कोई भी डर जाये | उनके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे वो बहुत ही ऐरोगेंट लग रहै थे | उनके मन में क्या चल रहा है वो कोई नहीं जान सकता है | उनकी वैस भूसा किसी महाराज के जैसी थी |
वह तिनो लोग ओर कोय नहीं रूद्राक्ष सिंग ठाकुर उनका बड़ा भाइ रिहान सिंग ठाकुर ओर उनके बाबा सा शिवाय सिंग ठाकुर थे | ठाकुर शिवाय सिंग यहा केहे की उदयपुर के राजा | यहाँ विरोध राज्य वाले कूछ लोग रूद्राक्ष के पापा को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ बोले जा रहे थे |
एक आदमी :- ठाकुर सहाब आप यहाँ 15 साल से इन सभी उदयपुर वासीयों के राजा है पर आपने अभी तक कीया कुछ भी नहीं है . . . . . . . . . . . . .
उसकी बात सभी विदोही जो कि गाव वालो के बिछ छुपे हुए थे वह उसकी हां मैं हां मिलाने लगे |
एक दूसरा आदमी बोला :- हां हां सही बात है भाई उन्होंने गरिबो के नाम पर यह होस्पिटल खोला है पर वो तो सिर्फ पैसो के लिए है | यहाँ सब काम पैसे कमाने के लिए है नाकी हमारी मदद के लिए|
ओर एक आदमी गाव वालो को भडकाने के इरादे से बोला :- हां सही बात है बोल रहे थे फिर में ओर कम पैसे में इलाज होगा पर अब क्या हो रहा है आप सब लोग देख ही रहे हैं |
तभी वही खड़े लोगों में से किसीने ऐक पथ्थर उठा कर ठाकुर सहाब को मारा जो कि उनके सिर पर लगा ओर वहाँ से खून निकलने लगा |
रूद्र जो अब तक अपना गुस्सा सांत करके बैठा था वो अब गुस्से मे आगबबुला हो रहा था | पर अपने बाबा सा का आदेश नहीं टाल शकता था | इस लिए अब तक वह अपने गूस्से को अपने अंदर ही दबा रखा था वरना अबतक वहाँ खड़े जितने भी लोग है जो शिवाय सिंग ठाकुर के उपर उगली उढा रहे हैं वो सब जिंदा नहीं बचे होते |
गलती तो उन लोगों से यह होगय की उन्होने ठाकुर शिवाय सिंग को गाली निकाल दी जब रूद्र ने यह सुना तो हंमेशा शांत रहने वाले रूद्र में अपने रूद्र अवतार में आ गया ओर फिर क्या था उसने उस आदमी पर हाथ उठा दिया | फिर हो गया सबके साथ मार पिट ओर जिस सक्ष ने गाली दी उसकी तो अब बुरी हालत हो गइ थी | उसे तो मार मार कर रूद्र ने अधमरा कर दिया था | पर फिर भी उसका गुस्सा सांत नहीं हो रहा था | रुहान ओर शिवाय जी उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे और कुछ गाव वाले भी उन्हें रोक रहे थे पर मजाल है जो कोई उन्हें रोक सके | आखिर में शिवाय जि ने रूद्र को अपनी कसम देदी ओर ये सूनते ही हमारे रूद्र बाबू एकदम सांत हो गये | पर उनकी आंखे अभी भी आग की तरह जल रही थीं |
मारपीट तो होनी ही थि | आखिर बात जो रूद्राक्ष के बाबा सा की थी | आप तो जानते ही है हमारे रूद्र अपने बाबा सा के खिलाफ कूछ नही सून सकता तो फिर वह यह बात केसे सहन करता |
रीहान ने रूद्राक्ष को केसे भी कर के सांत किया ओर उसे वहासे लेकर चला गया शिवाय सिंग जी ने सभाको संभाला | वह तो यहां का माहोल जानते ही थे पर हमारे रूद्र बाबू तो अभी अभी बस दो महीने पहले ही विदेश से यहा लोडे थे | ओर उदयपुर से इतने सालों दूर रहे उन्हें कोइ चालबाज़ी नहीं आती थी यह सब उनके विरोध पक्ष की चाल थी यह बात शिवाय जी बहुत अछे से जानते थे | ओर वह उसमें कामियाब भी है गये थे |
गाव वाले ने रूद्र को खरी खोटी सूना ना चालू कर दिया था इस लिए ठाकुर सहाब ने सबको फैसला किया कि वह रूद्र को यहाँ से बहार भेज देगे ओर सभी गावो में जीसे जो समस्या है वो सूचना देगे | ऐसे ही ठाकुर सहाब ने सब संभाल लिया ओर दूस्मनो को भी मात दे दी थी | पर वह जानते थे कि वो लोग इस हार के बाद सांत नहीं बैठे गै | इस लिए ही वो अब रूद्र को वहाँ से दूर भेजने वाले थे |
जो इन दो सालों में उन्होंने होस्पिटल बनाया ओर सबकी मदद की | वह सबकी नजरों में उन्हें गिराना चाहते थे | ओर आज वो थोड़ा उनमें कामियाब भी हो गये थे | रूद्र के बाबा सा ने रूद्राक्ष को कुछ दिन के लिए उसे यहा से दूर भेजने का फेसला लिए | रूद्र अपने बाबा सा की बात मान गया ओर रूद्र का दोस्त लव जो जयपुर में रहता है ओर संजिवनी होस्पिटल में ऐक डोक्टर है | रूद्र को भी वहा कही बार बुलाया गया था पर वह अपने होस्पिटल को संभालने के लिए नहीं आया था | अब वही पर रूद्र ने जोयनिंग कर ली ओर अब वह कल सुबह वहा के लिए निकलने वाला था . . . . . . . . . . |
दूसरे दिन सूबह . . . . . .
शिव्या के घर पर आज सूबह - सुबह बहुत ही ज्यादा चहल पहल थी |आज उनके घर पर माता रानी का पूजन था | महिमा जी ( शिवी की माँ ) रसोई में माता रानी का प्रसाद बना रहि थी | दादी माँ बहार खूरसि पर बेठकर शिवी को सब तैयारी करते हुए देख रहि थी | तभी कुछ गिरने की आवाज आती है . . . . . |
महिमा जी रसोई से चिंता से आवाज लगाति है : - शिवी क्या किया | अब क्या गिराया तूने बेटा | संभलकर काम किया कर कही चोट न लग जाये तूजे . . . . . . . . . दादि शिव्या को परेशान करने ओर चिढाने के लिए कहती है :- पूजा के फूलो कि टोकरी गिरा दी तेरी लाडली बेटी ने . . . . . फिर शिवी को ओर परेसान करने के लिए ताना देते हुए कहती है :- मेने कहाथा ना तूजे बहु कि कुछ काम मेरे प्यारे अनिक को भी देदो पर तूता हंमेशा शिवि को हि आगे कर देती है . . . . . आब देख कर दियाना सत्यानाश ओर कर अपनी लाडली से दूल्हार. . . . आब देख कर दियाना सत्यानाश ओर कर अपनी लाडली से दूल्हार. . . .
शिवी उनकी बात सून कर चिढ़ जाती है . . . . . |उसे ऐसे चिढा हूआ देख दादि को तो बहुत मजा आ रहा था | वह उसे ओर तंग करने के लिए कहती है :- तूजे तो सिर्फ शिवी ही नजर आती है मेरे अनी ( अनिक को सब प्यार से अनी कहकर ही बुलाते हैं ) को तो सब भूल ही जाते हैं |ओर फिर अपना मुंह बनाने लगती है महिमा जी काम करते हुए ही कहती है :- माँ आपका लाडला अभी भी सो रहा है | वह इतनी जलदी नहीं उठता आपको पता तो है | आप भी ना पता है मूजे क्यों बोल रही है आप इतना कह कर हसने लगती है | दादि भी उसकी यह बात सून कर शरारत से मूह दबाये हसने लगती है | ताकि शिवी को पता ना चले कि वह हसने रही है . . . | उनकी बात सून कर चिढ़ जाती है . . . . . |उसे ऐसे चिढा हूआ देख दादि को तो बहुत मजा आ रहा था | वह उसे ओर तंग करने के लिए कहती है :- तूजे तो सिर्फ शिवी ही नजर आती है मेरे अनी ( अनिक को सब प्यार से अनी कहकर ही बुलाते हैं ) को तो सब भूल ही जाते हैं |ओर फिर अपना मुंह बनाने लगती है महिमा जी काम करते हुए ही कहती है :- माँ आपका लाडला अभी भी सो रहा है | वह इतनी जलदी नहीं उठता आपको पता तो है | आप भी ना पता है मूजे क्यों बोल रही है आप इतना कह कर हसने लगती है | दादि भी उसकी यह बात सून कर शरारत से मूह दबाये हसने लगती है | ताकि शिवी को पता ना चले कि वह हसने रही है . . . |
असल में बात तो यह थि की शिवी से पंगे लिए बिना, उसे परेशान किये बिना ओर उसे चिढाये ओर तंग किऐ बिना दादी मां की सुबह नहीं होती थीं| शिवी को तंग कर परेसान कर के दादि को जेसे सूकुन मिलता था| अगर वह यह न करें तो उसे मानो चेन ही नहीं आता था | इस लिए वह हंमेशा शिवी के सामने उसके छोटे भाई अनी से ज्यादा प्यार करती है जिस से देख शिवी अक्सर चिढ़ जाया करती है . . . . . . | ओर शिवी को ऐसे चिढा हूआ देख कर दादि को बहुत ही मजा आता था | पर प्यार तो वह शिवी से की सबसे ज्यादा करती है | ओर यह बात शिव्या भी जानती है पर वह भी दादि को तंग कर के उनके मजे लेती है | दोनो को एक दूसरे के बिना मन ही नहीं लगता |
वही दुसरी ओर रूद्र के धर पर . . . . . . . .
सूबह रूद्राक्ष जयपुर के लिए निकल रहा था | उसने अपना सारा समान पहले ही कार के जरिये भेज दिया था |
कारमे उका लाडला भतीजा युग ओर भाभी रुहानी रीहान प्रताप सिंह ठाकुर ओर उसका बड़ा भाइ रिहान शिवाय सिंह ठाकुर भी थे | युग को ऐक महिने की छूटी थी | तो वह रूद्राक्ष के साथ जयपुर चलने की जिद करने लगा . . . . . . . . |
तो ठाकुर सहाब ने उसकी भाभी ओर भाइ को भी उके साथ कुछ दिन के लिए जयपुर भेज दिया | जओ उन सब को यहाँ के माहोल से दूर रखना चाहते थे | रिहान जाना तो नहीं चाहता था पर शिवाय जि ने कहने पर वो भी हां कर देता है | वैसे भी यहाँ अब सब सही हो गया था | हमारे ठाकुर साहब ( रूद्राक्ष) तो खुद अपनी बूलेट लेकर जा रहे थे |
सबके पैर छू कर रूद्राक्ष वहा से जयपू जाने के लिए नहिकलगया | पर उसे बचाये को क्या पता था की जिस शांति के लिए उसे यहां जयपुर भेजा है वह शांति यहां भंग होने वाली थी | उसके लिए भगवान ने पहले ही यहाँ एक तुफान मेल को भेज रखा है | जो उसकी सांती हंमेशा के लिए भंग करने वाला है | क्योंकि उसका सामना ऐक तूफान से होने वाला है जओ जिंदगी भर उसका पिछा नहीं छोडने वाला था . . . .
क्या होगा आगे . . . ? ? ? ? ? ? ? ?
यह जानने के लिए जुड़े रहिये में री कहानी के साथ . . . . .
हेलो मेरे प्यारे दोस्तों अगर आपको मेरी यह कहानी पसंद आ रही हो तो आप मुझे कहानी आपको कैसी लग रही है यह बताने के लिए कमेंट जरूर करें और साथ ही में प्रोत्साहन के लिए रेटिंग देना भी ना भूले और आप मुझे स्टीकर भी दे सकते हैं प्लीज प्लीज प्लीज आप मेरी कहानी को कमेंट करके मुझे जरूर बताना कि आपको मेरी यह कहानी कैसी लग रही है दादी मुझे यह स्टोरी आगे लिखने में पता चले कि मुझे यह कैसे लिखना है
Thank you so much meri story ki read karne ke liye. ........... ☺☺☺☺☺☺☺☺
Or apna kimti samay meri story padhane ke liye aap ne diya is liye
शिव्या जो खड़े होकर अपनी माँ ओर दादि की बातें सून रहि थि . . . . . |अब गुस्से से गिरि हुइ टोकरी उठा अपने पैर पटकती हुई घर के बने मंदिर में चली गई . . . . . .ओर वहा पर पूजा की सारी तैयारी करने लगी ओर बड़बड़ाने लगती है . . . . |
शिव्या बड़बडाते हूऐ कहती है :- हां . . . . . . हाँ . . . . . . सब काम तो आपका वह लाडला बेटा अनि ही करता है . . हु . . . . . . . . ओर जेसे मे तो ऐसे ही बेठि रहती हु . . . . हु हु . . . .कहकर मुह बिगाड़ है . . . . . . | वोतो राजकुमार है इस घर का ओर मूजे तो जेसे कुडे से उठा कर लाये है . . . . . . हुउ. . . हुउ . . .😒😏😒😏ओर वापस से मुह बिगाड़ ते हुऐ काम करने लगती है . . . . . |
उसकि यह सारी बातें ओर उसका बनता बिगटता चेहरा दादि देख ओर सुन रहि होती है वह शिव्या को ओर सताने के लिए कहती है :-हां तूजे केसे पता . . . . . ..दादि यह कहते हुए मुस्कुरा रहि थी . . . .. |
शीवी दादि की बात सुन गुस्से 😡 से उन्हें देखती है पर कूछ कहती नही है ओर फिरसे अपना काम करने लगती है . . . . . . . . . . . |
बहार से आते हुऐ आदित्य जी ( शिव्या के पापा) कहते हैं :-माँ. . . . . . . . क्यो आप मेरी प्यारी बचिको तंग करती है . . . . . | दादि उन्हें अपने पास बूलाकर उस्के कान में कहती है :- तूजे तो पता है ना की उस्से पंगे लिए बिना मेरा दिन नहीं निकलता . . . . . |
उनकी बात सुन कर आदित्य जी उन्हें कहते हैं :- आपका भी मां केसे बच्चों जेसे हो . . . . . . . . . .यह कहते हुए वह मुस्कुरा कर अपने कमरे के ओर चले जाते है |
दादि शिवी की माँ को अपने पास बुलाते हुए कहती है :- महिमा बेटा . . . . . . बात सुन . . . . . . . महिमा जी जेसे ही उनके पास जाती है तो दादि उन्हें धिम्मी आवाज में उनके करमे कहती है . . . . . . . . . . . . शिवी से ही आजके प्रसाद के लिए खिर बनवा ना . . . . . . . .
महिमा जी कहती है :- माँ . . . . . आप भी नां . . . . . .खिर वही बनायेगी पर आप मेरी बचि को कम तंग किया करो मेरी बचि ऐक तो सारा काम करे उपरसे आप उसे सताने का ऐक भी मोका नही छोट है . . . . . . . . . | क्यो आप उसे तंग करती है |
दादि महिमा जी को समजाते हुये कहति है :- अरे बेटा तूम क्या जानो . . . . . . यही तो प्यार है मेरा . . . . |
जब मेने उसे पहली बार अपनी गोद में उठाया तो लगा था मेरी सहेलि आ गइ हो बस उसे चिढाने में ओर तंग करने में बहुत मजा आता है . .
शिवि अभी भी बहुत गुस्से😤 से लगी थी सब तैयारी या करने में . . . . . . . | जेसे ही वह सब काम खत्म करके जाने वाली थी तभी उसे उसकी माँ की आवाज़ आई . . . . |
महिमा जी उसे कह रहि थि :- शिवी . . . .खिर बनादे आकर मे तेरे पापा को बूलाकर तेरे लाडले भाइ को उठाने जा रही हू
शिवी अपनी मां से मूह बनाकर कहति है :- माँ . . . . . . . . मेने तो अभी तक कपड़े भी नहीं बदले . . . . .
महिमा जी उसे से अपनी बात मनवाने के लिए बडे प्यार से कहती है :- बना दे ना मेरा बच्चे . . . . मुजे अभी थोड़ा कम भी है |
पता नहीं तेर पापा अभी रेडि होगये या नहीं ओर वह हमारा राजकुमार उठा की अभी भी घोड़े बेचके सो रहा है जरा देखके आती हु दोनों को | यह कह कर वो वहां से दादि को एक थम👍 दीखा कर उपर अपने कमरे की ओर चली जाती है |
शिवी बडबडाती हूइ रसोई में जाकर खिर बनाने लगती है . . . . |
वह खुद से ही बडबडाये जा रही थीं :- हंमेशा लेट उठता है कूंभकरन कहि का |ओर फिर लेड होने पर मूजे कहता है कि तेरी बजह से लेड हो गया आज तू सुबह जलदी उठाती तो मैं लेड नहीं होता | तूने ही मूजे नहीं उठाया time पर इस लिए में लेट हो गया | ओर फिर उसकी प्यारी दादि मूजे ही सूनामी है 😏😏
महिमा जी रसोई घर से बहार आकर इसारो में ही दादि से कहती है :- आपका काम हो गया कहा था | उसकी बात समज कर दादि बहुत 😃 खुश हो जाती है . . . .
दादि धिरे से अपने आप से कहती है :- तेरे हाथो से बनी खिर खा कर तो जेसे मूजे जनत मील जाती है मेरे बच्चे . . . . . .पर तूजे तंग करने का जो मजा आता है उसके आगे तो सब खूसी कम है |सूकून मिलता है तूजे ऐसे परेशान करके . . . . . . . . . ऐसा लगता है में अपनी सहेलियों को तंग कर रही हू | तेरे साथ रेह कर में अपना बचपन तूमे जिती हू | 😜😜😜
महिमा जी आदित्य जी ( शिवी के पापा ) को पूजा के लिए बुलाती है . . . . . . ओर फिर वहासे वह अनि को उठाने के लिए उसके कमरे में चली जाती है | तो देखती है वो अभी भी पूरे बेड पर फैल कर सो रहा है |अनिक को उठा कर उसे नहाने को बोल वह निचे चली जाती है | उनके जाते ही अनि फिर से ऐक बार धोडे बेचकर बेड पर ऐसे ही सो जाता है |
महिमा जी निचे अब वापस से रसोय में आ जाती है . . . | वह देखती है कि अब शिवी का गुस्सा खत्म हो गया था . . . | अब वह बडे आराम से प्रसाद के लिए खिर बनाने में लगी थी . . . . . . . . |
महिमा जी उसे देख कर उसके सरपर हाथ फेर कर बडे ही प्यार से कहति है. . . . .दादि तो तूजे ऐसे ही तंग करने के लिए यह सब करती है . . . . .तूतो जानती ही है की वह तूजसे प्यार भी कीतना करती है |
शिवी उनकी ये बात सुन मूस्कुरा😊☺☺ देती है |
महिमा जी खिर देखते हुए कहती है :- अछा चल अब तु जाके रेडि हो जाता मे इसे देख लगी . . . . . अब जा ओर तेरे उस नलायक भाई कोभी बुलाती आना . . . . . . . . . . .सब होही गया है फिर हमें पुजा भी करनी है | ओर पे पंडित जी अभी तक क्यो नही आये है पूजा का मुहरत निकल रहा है |
शिवि उनकी बात सूनकर कहती है :- माँ आप इतना टेंशन क्यों ले रही है आते ही होगे अभी में तैयार होकर आती हु तबतक वो भी आ जायेंगे | यह कह के वह उपर जाने लगती है अभी वो होल में पहचान ही थी कि तभी घर की घंटी बजती है शिवी दरवाजा खोलती है तो सामने पंडित जी खड़े थे | शिवी उन्हें अंदर बेठा कर अनि के रूमकी ओर चली जाती है |
अनि के कमरे में पहुंच कर वह देखती है कि अनिक अभी तक सो रहा है |तो शिव्या को ऐक सरारत सूज है . . . . . . . . . . .
वह ऐक बालडी मे पानीला कर उसे अनिक के उपर उडेल देती है |
अनि पर जेसे ही पानी गिरता है वह चिल्ला कर उढता है :- आह ऐ आचानक से बाड कहां से आ गई मुजे बचाओ कोई मे बह जाउगा इस बाड में . . . . .मुझे बचालो . . . . 😧😧😧
उसेकि ऐसि हालत देख कर शिवी हसने🤣 लगती है |
उसकी आवाज सून अनिक को अब सब कुछ समजमे आता है . . . |ओर वह शिवी से कहता है अभी बताता हूँ तुजे छिपकली ओर उसके पिछे उसे बालटी लेकर उसे पकडने के लिए दोडने लगता है . . . . |
शिवी भागते हुऐ निचे होलमे चली जाती है . . . . . ओर अनि उसके पिछे पिछे चीला कर भाग रहा था | रुकजा छिपकली अभी बताता हु तूजे एकबार हाथमें आजा छोडुगा नहीं तूजे मे . . . . . . |
शिवी उसे चिढाते 😝😝😝 हूऐ अपनी जिभ निकाल कर कहती है :- पहले पकडके तो दीखाओ . . . . . . .ओर हसते हुऐ भागने लगती है |
दादि माँ ओर आदित्य जि उन दोनों को ऐसे बच्चों के जेसे लडता देख मूस्कुरा रहे थे ☺☺☺☺☺☺
भागते भागते जब दोनों ही थक गये थे अब अवी रसोई से आ रही महिमा जी के पिछे चली जाती है ओर उसे कहती है :-मम्मा देखो न भाइ मुजे परेसान कर रहे हैं |
अनिक उसकी बात सून कर महिमा जी से कहता है :-मम्मा इसे पुछो सूरु किसने किया था ओर मुजपे पानी की पूरी बालडि क्यों डाली थी |
शिवी मासूम🥺🥺 सी सकल बनाकर कहती है :-वह तो मम्मा आपके उठा ने के बाद भी यह महाशय अभी तक सोये हुए थे इस लिए |
शिवी की बात सुन महिमा जी अनिक का कान पकड कर मरोते हूऐ कहती है :-क्या शिवी सच कह रही है आप अभी तक सो रहे थे |🤨🤨🤨
अनिक मासूम सा मूह बनाकर करता है :- माँ . . . . . . . कान छोडो ना मेरा दर्द कर रहा है |
शिवी उसे ऐसे देख मुस्कुरा रहि थी . . . . . . उसे तो बडा मजा आ रहा था अनि कि ऐसि हालत पर |
तभी महिमा जी उसका कान भी मोडते हुये कहती है :- " तूजे बहुत हसी आ रही है | क्यों तूने इसे परेसान किया | सांति से नहीं उठा सकती थी इसे "
दोनों मासूम🥺 सी सकल बना कर महिमा जी से कहते हैं :- सोरी मम्मा छोददो ना हमारा कान दूख रहा है |
महिमा जी दोनों को छोडकर कहती है :- चलो आप दोनों अब जलदी से रेडि होकर आओ . . . . . | पूजा का समय हो गया है . . . . . | अनिक ओर शिव्या दोनों ही जलदी से अपने अपने कमरे में दोडकर चले जाते हैं . . . . . . | उन दोनों को ऐसे जाते देख कर महिमा जी, आदित्य जी ओर दादी माँ मूस्कुराने लगते हैं . . . . . . . . . . . 😀😀😀😀
अब इस से आगे हम अपने अगले ऐपिसोड में जाने गे की क्या होगा आब आगे . . . . . . . ? ? ?
शिवी जलदी से उपर अपने कमरे में तैयार होने चले जाती है . . . . . . |
अनि भी अब अपने कमरे में चला गया बाकी सब बाकी बची पुजाकी तैयारी करने लगे
अनि थोड़ी देर में तैयार होकर आ जाता है. . . . . . |
उसने सफेद कलर का शेरवानी और उनके ऊपर जैकेट पहरे हूऐ था . . . . . . . |

❤ अनिक कपूर ❤
वह उन कपडो में बहुत ही हेंडसम लग रहा था |
वह निचे आकर सब बडों के पैर छूता है ओर फिर होलमे लगे सोफे पर अपनी दादि के पास बेठ जाता है . . . . . . . |
दादि अनि को देख कर कहती है :- " अब यह लडकी कहां रह गइ "
तभी आदित्य जी कहते हैं :- " आगइ देखो हमारी राजकुमारी
सब एक साथ सिडियो से निचे उतर रहि शिवी को देखने लगे . . . . . . . . . . .
उसने आज हलके गूलाबि ( पिंक) रंग का अनारकली सूट पहन रखा था जिसमें वह कहर ढा रही थीं . . . . . . . . . . |
चेहरे पर कोय मेकप नहीं किया था . . . . . . . सिर्फ उसकि बड़ी बड़ी आंखे गहरे काजल से सनि हूइ थी . . . . . . . . . . . |उसने अपने नाजुक ओर मखमली होठों पर हलके गूलाबि रंगकि ही लिपस्टिक लगाइ थी ओर माथे पर छोटी सी ब्लैक रंगकि बिंदी लगाके रखा हूआ था . . . . . . . . . |
कानो मे बडे बडे जूमखे पहन कर रखे थे . . . . . . . . ओर गलेमें सिर्फ एक लोकेट पहना हुआ था जिसमें कानाह जी की ऐक फोटो थी . . . . . . . |
यह लोकेड उसे उसकी बेस्ट फ्रेंड लवि ने दीया था उसके जन्म दिन पर यह लोकेड लवी ने अपने प्यारे भाई को कहकर विदेश से बनवाया था . . . . . . . . | वह बहुत खुबसूरत था ओर उसे ऐक सोने की चेन में लगाकर पहना था . . . . . . . . . | टोटली वह आभी बहुत ज्यादा प्यारी ओर खूबसूरत लग रही थीं . . . . . . |
उसे अभी कोय देखे तो आपनी नजरे हटाना भुल जाये इतनी प्यारी ओर क्युट दिख रही थीं . . . . . . . . . . | निचे खड़े सब उसे मूह खोले देख रहे थे . . . . . . . . .आखिर देखते भी क्यों नहीं शिवी कयामत जो ठाह रही थीं . . . . . . |

❤शिव्या ❤
शिव्या निचे होलमे आकर सबका आसिरवाद लेती है. . . . . |
अनिक ओर दादि शिवी को परेशान करने के लिए कहते हैं :- इतनी देर लगती है क्या रेडि होने के लिए . . . . | इतनी देर में तो हम 100 बार रेड्डी हो सकते हैं | पर इसे 1 बार में ही 1 धंटा लगता है
शिवी उनकी बात समज जाती है कि वह उसे परेशान करने के लिए सब कह रहे हैं तो वह कुछ बोले बिना ही मंदिर कि ओर चली जाती है. . . . . | बाकी सब भी उसके पिछे वहा चले जाते हैं | तभी वहां उनके पडोसी ( लवि के मांता - पिता) भी आ जाते हैं |
पंडीत जी कुछ पुजा कराते हैं ओर फिर वह आरती करने को कहते हैं . . . . . . . |
शिवी आरती की थाल लेकर दादि माँ को देती है ओर आरती गाना सूरु करती है . . . . . . . . . . . . . . . .
ओ पालन हारे नीरगुन ओर न्यारे
तोहरे बिन हमरा कोना नही . . . . . . . .
हमरी उलझन , सुलजाओ भगवन
तोहरे बिन हमरा कोन नहीं . . . . . . . . .
ओ पालन हारे नीरगुन ओर न्यारे
तोहरे बिन हमरा कोना नही . . . . . . . .
दादि आरती कि थाल को आदित्य जी ओर महिमा जी को देती है . . . . . शिवि आगे गाने लगती है . . . . . . . . .
तूम्हि हमका हो संभाले तूम्हि हमरे रखवाले . . . . . . . .
तोहरे बिन हमरा कोना नही . . . . . . .. . .. . .
चंदा ने तूम्हि तो भरे हो चांदनी सूरज में उजाला तूम्हि से . . . . . . . . . . . ||
आब आरती की थाल शिवि ओर अनि को दे देते हैं . . . . . | सब के सब अवी की मधुर ओर प्यारी आवाज में कही खोये हुए थे . . . . . . . . ऐसे ही सब आरती करते हैं |
ये गगन है मगन , तूम्हि हो दिया हो हसे तारे . . . . .
भगवन ये जिवन,तुम्ही ना सवारोगे तो क्या कोई सवारे . . . . . . . |
ओ पालन हारे निर्गुण ओर न्यारे, तूमरे बिन हमरा कोनो नहीं . . . . . . ||
आरती खतम हो जाती है फिर शिवी सबको प्रसाद देती है ओर शिवी के पापा पंडित जी को उनको दक्षिणा देते हैं . . . . . . . |
आब सब डापनिंग होलमे बेठे थे | लवि के पापा ओर मम्मी को भी उन्होंने यही रोक लिया था | शिवी ओर महिमा जी सबको नास्ता सर्व करके खुद भी खाने बेठ जाती है . . . . . . . . | रवीश ओर उसकी फेमिली ओर कपूर फेमिली पडोसी की जगह एक परिवार की तरह रहते थे |
खाते खाते आदीत्य जी शिवी से कहते हैं :- प्रिंसेस आपकी जोयनिंग कब है . . . . . . |
शिवी exited ( उत्सुख ) होकर कहती है :- कल से पापा . . . . . . मेरा सपना था कि मैं संजिवनी होस्पिटल में काम करु ओर ऐक अछी हार्ट सरजन बनू ओर अब मैंरा ये सपना जलद ही साकार होने वाला है . . . . . . | ओर आपको पता है वर्ल्ड के बेस्ट हार्ट सर्जन संजीवनी हॉस्पिटल मैं कल से ज्वाइन कर रहे हैं |
अभय जी शिवि को खूस होकर कहते हैं :- ये तो बहुत अच्छा हूआ | तुम ओर लवि ऐक ही होस्पिटल में हो | तुम उसके साथ हो तो हमें उसकी चिंता नहीं रेहती वरना पता नहीं उस जल्लि लडकी का क्या होता |
अभय जी की बात सून कर शिवि उनसे कहती है :- अंकल वो लडाकू मेरे साथ है इसलिए में सेफ हू | यह केह कर वह आपने दात दीखा ने 😁😁😁 लगती है |
अनिक शिवि से कहता है :- " इस बात पर तो पार्टी 🎉🍻🎈 होनी चाहिए कि आपका सपना पूरा हो गया . . . . . . | "
शिवी उस्से कहती है : " ठीक है सम को हम तैरी पसंद का खाना खाने चले गे . . . . . . हां पर तू खाना थोड़ा ठूस ना . . . . . . पैसे नहीं है ज्यादा मेरे पास . . . . .
उसकी इस बात पर सब ठहाके लगा कर हसने 🤣 लगते है | वही अनिक का मूह बिगड जाता है | पर सबको खूस देख वो भी मूस्कुरा देता है |
तभी दादी उनसे कहती है शिवी तू ओर अवी चले जाना बहार खाने हमे साम को मंदिर जाना है | फिर वो उन्हें चिढाते हूऐ कहती है - वैसे भी में तेरे जैसी कंजूस के पैसे 💵 से नहीं खाना चाहती कही फिर मूजे वह पचेगा नहीं |
उसकी बात सून शिवी का मूह बन जाता है😏 जिसे देख फिर से सब हसने लगते हैं |
दी हम कीसी ओर दिन चलेंगे मूजे कल मेरे दोस्त से मिलने जाना है | अनी शिवी को कहता है तो सिटी भी हां कर देती है |
तभी महीमा जी अनी की बात सून कर कहती है - अनिक बच्चे फिर तेरी पढा़ई सूरू हो जायेगी ओर शिव्या को भी तो होस्पिटल जाना होगा| तब तूम दोनों को समय नहीं मिलेगा इस लिए आप दोनों ऐक काम करो आप पहेले खाना खाने चले जाना फिर अनि तूम अपने दस्तक के साथ चले जाना |
महिमा जि कि बात पर दोनों ही सहमत हो जाते हैं | सब खाना खत्म करते हैं फिर शिवी सबको खिर देती है . . . . |
अनिक खिर देख कर कहता है :- " वाव दि आपने आज खिर बनाया है . . . . . . " | वह जट से खिर लेकर खाने लगता है ओर फिर खाते खाते हि कहता है वाव दि खिर बहुत टेस्टी है | दूनिया का सबसे स्वादिष्ट खिर है | दी आप के हाथोमे तो जादू है . . . . . . . इतना कह कर फिर से खाने लगता है . . . . . |
उसकी बात सुन सब लोग मूस्कुरा देते हैं . . . .
आदित्य जी हसते हुऐ ही अपने उपर प्राउड करते हुए कहते हैं :- " आखिर बेटी कीसकी हैं "
सब उन्हें ऐक साथ कहते हैं :- महिमा कपूर की ओर कीसकी ओर सब हमने लगते हैं | ये सून आदित्य जी का मूह बन जाता है | तो शिवि जो उनके बगल में बेठी थी वो उन के करीब जाकर उनके कान में फूसफूसाती है :- पापा आप चिंता मत करो मेतो अपकी ही प्रिंसेस हू ये सब इन लोगों को थोडिना पता है | उसकी बात सून कर आदित्य जी के चेहरे पर एक स्माइल आ जाती है | ओर वो खीर खाने लगते हैं |
दादी अवी को चीठाने के लिए कहती है :- ठीक ठाक बना है | सब लोग तारीफ करके शिरपे ना चठालो इसे फिर ससूराल जाकर सास ताने देगी की घर पर मां ओर दादी ने कूछ सिखाया नहीं है क्या तूजे . . . .
शिवि यह बात सुन उनसे हसते हुऐ कहती है :- बस बस दादि माँ अब बस भी करिये . . . . . . कबतक नाटक करोगे आप . . . . . मूजे पता है माँ को आपने ही कहा था कि खिर में बनाउ . . . . .. . .. ओर फिर हसने लगती है . . . . . . .
दादि माँ अपनी चोरी पकडे जाने पर आपने दात दिखा 😁 देती है . . . . . . . . आखिर उनकी चोरी जओ पकडि गई थी | थोदी देर बाद सब अपने अपने काम में लग जाते हैं |
शिवी भी कूछ डैक्योमेन्ट देने के लिए होस्पिटल चली जाती है . . . . . . . . | वहा उसे दो दिन बाद को जोयनिंग करने को कहा जाता है . . . . . . | वो वहां से सो पिंग करने चली जाती है |
सामका वक्त . . . . . . . . . . . . . . . .
हमारे प्यारे रूद्राक्ष जी अब एक या फिर देढ धंटे में जयपुर पहुचने ही वाला था . . . . . . | वो फूल स्पिड में अपने बूलेट को रोड पर डोदाये जा रहे थे कि तभी उनका फोन बजता है | वो एक तरफ अपनी बूलेट को रोक कर फोन को देखते हैं तो उसके चेहरे पर मूस्कुराहट छा जाती है | वो फोन पिक करके अपने कान पर लगाते हैं कि उस ओर से किसी की आवाज आती है :- हेलो . . . .रूद्र तु कब आ रहा है यहाँ ( जयपुर) .
रूद्र उसे कहता है :- में अभी थोड़ी देर में पहोचने ही वाला हु . . . . . . . .
फोन के दूसरी तरफ से :- ठीक है तो हम कल मिलते हैं ओर कलके दिन तुजे होस्पिटल भी जोईनिंग करना है |
रूद्र उसे मूस्कुरा कर कहता है :- हां . . . . हां . . . . . मूजे याद है लव |अभी तो आराम करने दे कल मिलते हैं | चल अब फोन रख ताकि मैं टाईम से धर पहूंच जाउ वरना तूजे पता तो है ही सब मेरी चिंता करेगे . . ..
तिर्थ :- ठीक है फिर फोन रख देता है | रूद्र वापस से निकल पडता है जयपुर की ओर |
तिर्थ रूद्र का बचपन का दस्त है | वो दोनों बचपन से ही साथ पते थे | पर विदेश में अपने मेडिकल की पढाई पुरी करने के बाद रूद्र अपने पापा का सपना पूरा करने के लिए गाव चला गया ओर लव अपने पिता के होस्पिटल को संभालने के लिए यहाँ जयपुर आ गया था |
रूद्र बाइक चलाते हुए कानमे इयरफोन लगा कर गाने सून रहा था . . . . . . . . | ओर बडे ही इतमिनान से अपनी बुलेट चला रहा था . . . . . . . . . . . .
दूसरी तरफ. . . . . . .
शाम शिवी के घर में शिव्या ओर अनिक बहार जाने के लिए रेडि हो रहे थे . . . . . . . . | थोड़ी ही देर बाद शिव्या अनिक के साथ अपनी स्कुटी पर सवार होकर दोनों निकल गये अपनी मंजिल की ओर . . . . . . . . . . . .
वह दोनों थोड़ी देर बाद एक रेस्टोरेंट के सामने थे . . . . . . . . . . वह रेस्टोरेंट बडातो नहीं था पर वहा पर बहुत अच्छी सजावट की थि . . . . . . . . | वह ऐक ऐसा रेस्टोरेंट था . . . . . . . . जहाँ से खुले आसमान को देख सकते थे . . . . . |ओर रातको तो वहाका नज़ारा बहुत लुभावना होता है . . . . | यह शिवी की एक पसंदीदा जगह थी . . . . . | जहाँ वह अकसर आया करती थी . . . . . . . .. . |
वह दोनों अपनी स्कुटी पार्क करके रेस्टोरेंट के अंदर चला जाता है | वहा शिवी अपनी पसंदीदा टेबल पर अनी के साथ बेठ जाती है . . . . . . | ओर वह दोनों अपने लिए अपने पसंदीदा डिस ओडर कर देते हैं . . . . . . . . .. |उन दोनों ने खाना खाया ओर खुब मस्ती की . . . . . . . . . . . . फिर दोनों ने अपनी प्यारी दादि माँ ओर घर वालो के लिए खाना पेक करा कर घर जाने के लिए निकल पड़े . . . . . . . . | पहले शिव्या अवी को उसके दोस्तों के पास छोड़ ने वाली थी ओर फिर वह घर जाने वाले थे | वह दोनों अभी कुछ ही दूर पहुचे थे कि उनकी स्कूटी में पेट्रोल खत्म हो जाता है. . . . . . . . . . . . | वह पर थोड़ी दूर पर ही ऐक पेट्रोल पंप दिखा वह दोनों उस तर्फ चलने लगे. . . . . . |
दूसरी ओर रूद्र जयपुर की गलियों में अपनी बूलेट दओदाये जा रहा था | की तभी सामने से कोई उस्से टकरा जाता है . . . . .. . . . .
कोन है वो जओ रूद्र से टकरा गया है . . . . . . . . . . ?
कब होगी शिवी ओर रूद्र की मूलाकात . . . . . .. ? ? ?
कैसी होगी उनकी मूलाकात, . . . . . . ? ? ?
वो लडकीतो ऐक गीरे की उन्हें चोट नहीं आइ | बच्चारा वह बुलेट पर बेठा रूद्र सिधा जाकर रोड पर गिर गया ओर उपर सेबचारे पर बुलेट भी गिर गया | जिस बजह से उसे हाथ - पाव थोड़ी चोट लग गई |
वो लडकी ओर उसके साथ वाला लडका खड़े हो गयेउस लडके ने रूद्र को भी बूलेट हटा कर खडा कर दिया . . . . . . . . . . |उसके पेरो में पहले से ही चोड थि ओर उसने सीर्फ सिंपल सी चपल पहनी थी इस बजह से उसकी चोट से खून निकलने लगा . . . . . . . |
रूद्र थोड़ा गूस्से में था उसे ऐसे लोगों बिलकुल पसंद नहीं थे जो रूल्स ओर रेग्युलेसन फोलो नहीं करते थे |
रूद्र ने जेसे ही हेलमेंट उतारा . . . . . . . . . .वो लटकी तो आंखे फाडे उसे ही एक टक देखती रह गइ. . . . . ऐसा ही कुछ हाल रूद्र का भी था . . . . . ओर अब रूद्र का सारा गूस्सा छु मंतर हो गया था |
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बेकग्राउंड म्यूजिक . . . . . . . . . . . . . .. .
आंखें कहति है बेठे तु मेरी रूबरू
तूझको देखू इबादत करता रहू |
तेरे सजदों में धडके दील ये मेरा
मेरी सासों में चलता बस एक तु |
इसकदा रंग तेरे मूखडेपे छाया
जदोदा में तके आए चेन न आया |
किन्ना सोणा.....
कीन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया |
जिस करे वेखदा रवा |
हो जदोदा तेरे ते दील आया
जि करे वेखदा रवा|
में रे होठों की खामोशी यो मे जो बातें हैं |
वो आंखों से बता दु |
में रे होठों की खामोशी यो मे जो बातें हैं |
वो आंखों से बता दु |
मेरे दिल की है यही ख्वाइशें
तेरी धटकन में हर लम्हा में बिताने |
तेरे चहरे से आगे जा नहीं पाया
जदोदा में तके आऐ चैन न आया |
किन्ना सोणा.....
कीन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया |
किन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया
जिस करे वेखदा रवा |
किन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया.......
सोचिये तेरी आँखिया ते
सोणे तेरे खाब वे |
तेरी या करिब आके
लिखिया किताब वे |
लब जा पे प्यार वाला रंग चढवाया |
लब जा पे प्यार वाला रंग चढवाया |
किन्ना सोणा....
कीन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया |
किन्ना सोणा तेनु रब ने बनाया
जिस करे वेखदा रवा |
जदोदा तेरे ते दील आया
हो जदोदा तेरे ते दील आया
जि करे वेखदा रवा
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वो लडकी 23 - 24 सालकी थी . . . . . . | गोरा रंग , उसके होढो के पास एक छोडा सा तील . . . . . . . उउफफफफफफफफ . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
देखने में इतना आकर्षक की देखने वाला चाहकर भी अपनी नजर उस पर से नहीं हटा सकता . . . . . . . . . . | उसके चिन के बिचो बिच ऐक ओर तील जो कयामत ठा रहा था . . . . . . . . | उसकी काली झील सी गहरी आंखे कहि राज ओर दर्द छूपाये बेठी थी . . . . . . . . . . . |
लंबी लंबी घनी पलकें . . . . . . . काले ओर कमर के निचे तक आते बात . . . . . . . . . अभी इस वक्त वाइड पेन्ट ओर ब्लैक सर्ट पहनने हुऐ थी . . . . . . . . . . . . | आज उसने अपने बालो को ऐक चोटी बना कर रखी थी . . . . . . . . . . | कानमे बड़ी बड़ी इयरिंगस पहन रखी थी . . . . . . . . . | चेहरे पर कूछ नही लगा या था . . . . . . . सिर्फ आंखो में गहरा काजल . . . . . . . . . .ओर होठों पर हलके लाल रंग की लिप्सटिक लगा रखी थी . . . . . . . . . . . . . . . |
माथे पर लाल रंग की बिंदी लगा ये हूए थि . . . . . . . . . . वह इतनी ज्यादा खूब सूरत लग रही थि की कोय भी देखता रह जाता . . . . . . . . . . . . . . .
तो फिर रूद्र कीस खेतकी मूली हे जो वह हमारी प्यारी ओर क्युड सी शिवी को देखता नह रह जाता. . . . . वह भी जातो एक इंसान हि ओर उसमें भी दील तो था हि . . . . . . . . . |
हां दोस्तों यह हम अब तक जिसकी बात कर रहे थे वह ओर कोई नहीं हमारा कहानी कि हीरोइन यानि हमारी क्युट शिव्या हि थी . . . . . . |
अब बात करते हैं हमारे रूद्र की बात करे तो . . . . . . . . . . .
26 - 27 साल का रूद्र छह फीट लंबा गोरा चिडा रंग , बडे बाल जो कि पीछे कर के छोटी सी चोटी की थी . . . . . |
आंखे नीले रेग की, उसकी आंखे ही सबको अपनी तरफ अट्रैक्ट करती थी . . . . . . खास करके लडकीयो को . . . . . . |
चहरे के सार्प फिचरस . . . . . . . . . ओर उसने अपने ऐक कानमे ब्लैक रंगकी बाली पहनी हुई थी . . . . . . |
ब्लैक पेन्ट ओर वाइट शर्ट पहनी थी . . . | ऐक हाथमें बडासा कडा ओर दुसरे हाथमें महंगी धडि पहन रखी है. . . . |
गले में गाव वालो की तरह गमछा डाला हुआ था | पैरों में चपल पहन रखे थे. . . . . | वह दीखने में बहुत हेटसम लग रहा था . . . . . . .. . . |
पर अभी तो शिवी उन लडको की बजह से गुस्सा थि तो गुस्से में तमतमाता हुआ उसका लाल चेहरा ओर भी खूबसूरत लग रहा था . . . .
क्रमशः
शिवि इतने गूस्से में क्यो है . . . . . . .. ? ? ?
क्या होगा आब . . . . . .. . ? ? ?
क्या शिवी गूस्से में आब रूद्र का क्या करे गि . . . . . . . . ? ? ?
रूद्र गुस्सा हो गा या फिर उनके बिछ कूछ ओर ही बात होगी . . . . . . . . . ? ? ? ? ?
हमारी शिव्या तो पहले से ही गुस्से 😡😤 में थी . . . | ओर अब वह सारा गुस्सा उसने हमारे बचारे रूद्र बाबु पर निकाला . . . . . . |
गलती न होते हुए भी वो रूद्र को गुस्से में सूना ने लगी . . . . . . . |
रूद्र अभी गाव से आया था ओर उसे गाँव में रहकर उनके जैसे कपड़े पहनना अच्छा लगता था | इसलिए उसका लूक अभी गाव के लोगो की तरह लग रहा था ओर इतनी स्पिड में बूलेट चलाने की बजह से उसके कपड़े भी थोडे अस्त व्यस्त हो गये थे इस लिए वह कोई टपोरी जेसे दिख रहा था उसका लूक देख शिवी का गूस्सा इसपर निकल रहा था. . . . . . . | हमारे रूद्र बाबु तो बूलेट से टेक लेकर खड़े थे. . . . . ओर शिवी को ऐसे गूस्सा करते हुए देख रहे थे. . . . . . . . . |
शिवी का चेहरा गूस्से में तमतमा रहा था ओर लाल सेब जेसा हो गया था . . . . . . . |
दरसल थोड़ी देर पहले शिवी की कीसी आवारे बतमिज गाव के लडकों से टकर हो गई थी !। अब वो रूद्राक्ष को भी उनही में से ऐक समज रही थीं |
थोड़ी देर पहले . . . . . . . . ..
शिव्या ओर अनिक अपनी स्कुटी लेकर जा रहे थे | वही पर पास में कुछ लड़के खड़े थे | उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि वह अमिर बाप के बिगड़े हुए सहजादे ओर कोइ लफंगे लडके थे . . . . | उन्होने शिवी को देख कर उसपर कोमेंट पास कर रहे थे |
उनमे से एक लटके ने कहा :-यार क्या माल से ये . . . . . . . ? ? ?
दुसरा लडका शिवी को लदचाती नजरों से देखते हुए कहता है :- क्या कमर से, कसम से उपर वाले ने इसे बडी फूरसत से बनाया लागे से , हाय यह मेरे पास होती तो का मजा ही आ जाता . . . . . . . . . . .. |
तिसरे ने कहा :- यार सच्चि बात की से तूने उपर से निचे तक कयामत से ये छोरी . . . . . . . . |
बाकी के दोनों कहते हैं :- हा यार कितनी बवाल लग रही से . . . . . . . . . . | ये छोरी तो मेरी बाहोंमे मेरे पास मेरी बाहो में होना चाहिए |
पहला लडका शिवी के पास जाकर कहता हे :-कठे (कहाँ) जा रही से मेरी जान थोड़ा हमारे साथ भी रह ले | खूस हो जावे गी तु माहरे साथ . . . . . . |उन में से ऐक शिव्या को देख कर कहता है :- ओय छमिया मारे साथ ऐक रात गूजारेगी क्या . . . . . . .???
वह इतना ही बोला था कि उसके चेहरे पर ऐक जोर दार थप्पड पडता है . . . . . . | वो इतना जोरो से लगा था कि उसकी आवाज चारो ओर गूज रही थीं |
यह थप्पड शिवी ने उस लडके को मारा था | उनकी कोमेंट सुनकर बहुत गुस्से में आ गई थी . . . . . . . . . . . . . . . | ऐक ही थप्पड में वह लडका जमीन पर था |
दूसरा लडका जिसका नाम लखन था वो अपने दोस्त को ऐसे निचे गिरा हुआ देख गूस्से से घूमते हूऐ शिव्या के उसे मारने आते हूऐ कहता है :- का छोरी तने चरबी कूछ ज्यादा ही चल गइ से के जो ये गलती करदी तने (ते)
वो ये बोल कर शिव्या को ऐक थप्पड़ मारने जाता है कि शिव्या उसका हाथ अपने एक हाथ से पकड कर उसके चेहरे पर एक के बाद एक ऐसे ही कही सारे थप्पड़ मारने लगती है | लाखन के मूह से अब खून निकलने लगा था |शिव्या उसके पैरो के बिच अपने पैर के घूटने की मदद से मारते हुए कहती है :- बहुत सोख चढा है ना तूजे लडकी ओ के साथ सोने का अब दिखाना अपनी मर्दानगी हां 😡😡😡ओर फिर ऐसे ही लाखन को मारने लगती है |
लाखन के दोस्त उसे ऐसे देख गूस्से से शिव्या को मारने आने लगते हैं कि तभी शिव्या लाखन को अपने से दूर धकेल देती है ओर दूसरे लडकों को पिटने लगती है ओर अब तो अनिक भी उनके साथ उन लडकों की सूताई (पिटने) करने लगता है |
लाखन जो की अपने पहले वाले दोस्त जिसका नाम अजय था उस के पास जमीन पर पडे हूऐ तडप रहा था वो जब शिव्या को ऐसे सबकि पिलाया करते देख वहाँ से धिरे से खड़े होकर लडखडाऊं हूऐ अजय के साथ वहाँ से जाने लगता है कि तभी वहाँ पूलिस आ जाती है ओर उन दोनों को पकड लेती है |पूलिस को अनिक ने ही फोन किया था |
शिवी ओर अनिक ने मिल कर उन लडको की खुब पिटाई कर दी थी | पूलिस ओफिस उन लडकों को लेकर वहाँ से अपनी जिप में बिठा देता है | पूलिस ओफिस शिव्या के पास आकर उसे कहता है :- अपने ये बहुत अच्छा किया मिस जो इन को इस तरह सबक सिखा कर | हमारे देश की सभी लडकी ओ को आपकी तरह ही बहुत होना चाहिए | ताकि इन जैसे हजारों लोगों को सजा मिल सके |
शिव्या उस ओफिस से मुस्कुरा कर कहती है :- धन्यवाद सर ये तो मेने अपने लिए किया है ओर मे हमारे देश की सभी लडकी ओ से यही कहना चाहती हु की उन्हें ऐसे लफंगों से डर कर रात को घर पर ही नहीं बैठना चाहिए उसके बजाय उनका विरोध करना चाहिए ओर उन्हें सबक सिखाना चाहिए |
वो ओफिस भी शिव्या को देख मूस्कुरा😊 कर कहता है :- हां आपने सही कहा मिस सबको अपके जैसा ही बहादुर ओर निडर होना चाहिए ताकि इन जैसे लोगो को सजा मिल सके |
फिर वो शिव्या से कहता है:- मिस आपको इन लोगों की रिपोर्ट लिखवाने थाने आना हओगा | शिव्या भी हां कर देती है | पर तभी वहाँ ऐक दूसरा ओफिस आता है ओर शिव्या को देख उस ओफिस से कहता है :- ओफिस इन्हें पूलिस स्टेशन आने की जरूरत नहीं है | ये एसीपी आदित्य कपुर की बेटी है |
उसकी बात सून कर वो ओफिस भी अपना शिर हां मैं हिलाते हूऐ कहता है :- जि सर ओर फिर वहाँ से चला जाता है |
वो ऐसिपी शिव्या को देख कर कहते हैं :- आप ठीक है ना बेटा
शिव्या उन्हें देख स्माइल करते हुए कहती है :- 😀 हां अंकल हम ठीक है |
ये ऐसिपी अजय थे जोकि आदित्य जी के दोस्त है | वो शिव्या ओर अनिक से थोड़ी देर बात करते हैं | शिव्या उन्हें आदित्य जी से यह सब बता ने से मना करती है क्योंकि वो नहीं चाहती थी कि उसकी वजह से घर पर सब बैजल परेशान हो | अजय जी भी उसकी बात मान जाते हैं | ओर फिर वओ सब वहाँ से निकल जाते हैं |
शिव्या का मुड अब बुरी तरह खराब हो गया था ओर वो अब गुस्से में भी थि . . . . . .. | वो वहां से पेट्रोल भरा कर अनिक को उसके दोस्तो के पास छोड़ने के फैसले की ओर निकल जाती है |
शिव्या के स्कुटी के सामने ऐक क्युट सा पपी आ जाता है | तो उस अबोल जीव को बचाने के लिए शिवी को स्कुटी गलत मोड पर मोडनी पडी ओर वह सामने से आ रहे बूलेट से टकरा गई . . . . . . . . . .
फ्लैशबैक एंड . . . . . . . . . . . . . . . . .
शिवी गूस्से से रूद्र को देखते हूए कहती है :- तूम . . . . तुम गाव वाले लोग आपने आप को समझते क्या हो . . . . . . . . . ? ? ? जो मन कीया ऐसा बोल दिया |जो मन किया कर लिया |ओर जब मन 😏 कीया ऐसे ही चले आते है हमारे जयपुर | सिर्फ लडकीया ताडने के लिए . . . हु . . हु 😒😏 गाव के गवार कहि के जाहिल बतमीजी इंसान |जब दखो तब लडकी को ताडते रहते ओर सूदर लडकी दीखी नहीं की सूरू हो जाते हैं 😏 😠 😡 🤬
शिवी गुस्से में जो अपने मन में आया वह बके जा रही थीं ओर रूद्र को सूना ये जा रही थीं | रूद्राक्ष का चेहरा अबतक गूस्से से लाल हो गया था ।
क्रमशः
क्या होगा रूद्राक्ष का जवाब . . . . . . . . . . . . . . .???
क्या शिव्या की बातें सून रूद्राक्ष क्या करेगा उसके साथ . . . . . . . . . . . . . . .???
क्या रूद्राक्ष का ज्वालामुखी फूटेंगा शिव्या के उपर . . . . . . . . . . . . . .???
Spiritual lover. . . . . .
Always be happy . . . .. . . .
Thanks all reader for read my novel . . . . . . . . .
कैसे हैं सब मेरे प्यारे दोस्तों
मुझे लगता है आप सब ठीक ही होंगे मेरे श्री कृष्ण की कृपा से
Thank you 🙏 आप लोगों ने मेरी स्टोरी को अपना कीमती समय निकालकर पढा़ है इसके लिए मैं आप सब लोगों का आभार व्यक्त करती हूं पर प्लीज आप लोग मुझे रेटिंग और समीक्षा देना ना भूलें ताकि मुझे आपके विचार जानकर मेरी स्टोरी को आगे लिखने में मदद हो और अगर आपको मेरी स्टोरी में कहीं भी कोई गलती नजर आए तो आप मुझे जरुर बता सकते हैं |
चलो अब हम अपनी स्टोरी में आगे बढते हैं
शिवी गूस्से से रूद्र को देखते हूए कहती है :- तूम . . . . तुम गाव वाले लोग आपने आप को समझते क्या हो . . . . . . . . . ? ? ? जो मन कीया ऐसा बोल दिया |जो मन किया कर लिया |ओर जब मन 😏 कीया ऐसे ही चले आते है हमारे जयपुर | सिर्फ लडकीया ताडने के लिए . . . हु . . हु 😒😏 गाव के गवार कहि के जाहिल बतमीजी इंसान |जब दखो तब लडकी को ताडते रहते ओर सूदर लडकी दीखी नहीं की सूरू हो जाते हैं 😏 😠 😡 🤬
शिवी गुस्से में जो अपने मन में आया वह बके जा रही थीं ओर रूद्र को सूना ये जा रही थीं | शिवी की बातें सून कर अब रूद्र को भी गुस्सा 😡 😡 😡 😡 आ रहा था ओर शिवी की हरकतों पर हसी भी आ रही थीं |
हसी आती भी क्यों नहीं हमारी शिवी गूस्से में हरकते ही ऐसी कर रही थीं कि अछे अछो को भी हसी आ जाती तो फिर रूद्र किस खेत की मछलियों था जो वो हसे बिना रहता 😀 पर वो अपने इस भाव को अच्छी तरह से छूपा लेता है | ओर अभी उसके चेहरे पर सिर्फ बेतहाशा गूस्सा जलक रहा था | पर हमारी शिव्या तो न आव देखा न ताव बस रूद्र को सूना ये जा रही थीं ओर अब तो रूद्र का भी पारा हाय हो गया था |
अनिक को तो पता ही था की शिवी खामखा ही दूसरो का गूस्सा उस बचारे लडके पर नीकाल रही है | बिना उस के कोय गुन्हा के ही शिवी उसपर भडक रही है | इस लिए शिवी के पिछे से ही अनिक रूद्र से हाथ जोड कर माफी मांग रहा था |
रूद्र जो कि अब अपने पर लगे ऐसे जूठे इलज़ाम से गूस्से में था| वो जब अनिक को देख ता है तो रूद्र भी कूछ कहे बिना उन्हें इगनोर कर के अपनी बूलेट स्डार्ड करता है ओर वहासे चला जाता है . . . . . . . . |
रूद्र को ऐसे जाते देख कर शिवी पिछे से च्चिला कर रूद्र को कहती है :- अरे . . . . अरे . . . . . रुक . . . . . . अरे . . . . . . एसे केसे जा कहा रहा है |अभी तो तुम्हे मुजसे माफी भी नहीं मागि है | मेरी स्कुटी के नूकसान के लिए सोरी भी नहीं बोला सडु कहिका . . हुह . . . हु . . . हुह . . . 😏 😏 😏
ओऐ रुक जरा अभी बताती हु तूजे , यह कह कर निचे से एक पथर उठा कर रूद्र की ओर फेक के मारती है |
पर तब तक हमारे रूद्र बाबु थोडे दूर निकल गये थे | रूद्र बूलेट के काच में शिवी की हय सारी हरकतों को देख रहा था | उसे इसकी हरकत पर हसी भी आ रहा था ओर गूस्सा तो पूछो ही मत 😡 🤬
हमारी शिवी गुस्से में अब कुछ ज्यादा ही बोल गइ थी | उस पर गुस्सा तो बहुत आ रहा था रूद्र को पर क्या करे हमारी शिवी इतनी प्यारी है की कोय उसे चाहते हूऐ मी डांट ही नहीं सकता
रूद्र खूदसे ही है :- " कीतनी बतमीजी है यह खूद गलती करके मूजे सूना रही थीं " | ओर ऐक बार सूरुर हुई तो किसी की सूने बिना ही बोले जा रही थीं तूफान ऐक्सेस . . . . . . . . . . . 😒😒😒
सहसाही उसके मूसे निकलता है :- पर क्यूट ओर इनोसेंट भी लग रही थी ओर खूबसूरती तो . . . .🥰 😍 🥰 😍
फिर जब उसे अहसास होता है कि वह क्या सोचे जा रहा था अभी | तो वह अपना शीर जिटक कर बूलेट चलाते हुए खुदसे कहता है | क्या था यह अभी . . . .. क्या सोच रहा था में . . . . . .
इधर अनी शिव्या को सांत करते हुए कहता है :- दी. . . दी . . . . बस करो अभी क्या कर रही थीं आप ये . . . . . ? ? आपभी ना कमाल है | गलती आपने की चोड उस बचारे को लगि | फिर भी आपने दूसरो की गलती का गुस्सा 😡 😡 😡 😡 उस बचारे पर निकाल दिया ओर वह बचाय बिना कूछ कहे जा रहा तो उसके पिछे पथ्थर भी मारदी आप . . . . . . .
शिवी को अब एहसास हुआ की उसने अभी अभी गुस्से में आकर क्या गलती कर दी थी |
वही रूद्र भी कीसी सोच में गूम ओर उसके होठों पर हलकी मूस्कान थी ओर वो अपने चाचा के घरकी ओर चला जाता है |
शिवी अनी को केफे छोड़ कर खूद भी अपने घर 🏠 की ओर निकल जाती हैं | शिव्या अपनी जिंदगी में आने वाले तूफानो से अंजान मस्तमोला अपने घर जा रही थीं |
आखिर क्या चल रहा है रूद्र के दीमाग में . . . . . . . . . . . . . .. . . . . .????
क्या करने वाला है रूद्राक्ष . . . . . . . . . . . . . .. . . . . .????
क्या मोड लेगी अब इन दोनों की जिंदगी . . . . . . . . . . . . .. . . . . .????
क्या तूफान आने वाला है शिव्या की जिंदगी में आगे . . . . . . . . . . . .. . . . . .????
वैसे कैसी लगी अपको इन दोनों की मूलाकात ये जरुर हमे समीक्षा में बताना |
Thank you my all reders for read my novel
Episode :- 9
शिव्या ओर अनिक इस बात से अंजान की उनकी जिंदगी में अगे क्या क्या तूफान आने वाले है | अपनी ही धून में कही मग्न थे | शिवी घर पहूच कर देखती है कि अभी तक कोई भी घर नहीं आया था ओर अभी सांम के 8 बज रहे थे | शिव्या सारा खाना फिज में रख कर सीधा अपने कमरे में चले जाती है. . . . |
फ्रेस होकर अपने बेड पर लेट जाती है . . . . . पर अभी उसकी आँखों में निंद नहीं थी वह बेड पर करवटें बदल ती रहती है । उसके मन में आज जो भी हूआ था उसके साथ वही सब किसी फिल्म कि तरह ऐक के बाद ऐक घूम रहा था | उसको अब अपने पर भी गूस्सा आ रहा था कि उसने उस लडके (रूद्राक्ष) पर बेवजह ही गुस्सा कर दिया | उसे रूद्राक्ष के बारे में सोचते सोचते ही कब निंद आ जाती है पता ही नहीं चलत
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ऐक अलिसान कमरे में
एक लडकी अपने घुटनो में अपना सर छिपा कर कूछ याद कर रो रही थीं |
फ्लैश बैक . . . . . . . . . . . . . . . .
कूछ ऐक दो महीने पहले की बात है।
शांम का वक्त था हल्की हल्की सी सर्द हवाएं चल रही थीं, दिन अभी तक पूरी तरह नहीं ढला था . . . . 🌅 🌅 🌇 🌇 | आसमान में सूरज हल्की हल्की लालीमां बिखेर रहा था |
एक आलिशान रेस्टोरेंट के सामने एक BMW कार 🚗 🚗 🚗 आकर रुकती है |
उसमें से एक लडकी बहार निकलती है | उसने व्हाइट सर्ट ब्लेक पेंट ओर पेरो में ब्लैक हिल्स पहन रखे थे 🧍♀️ 🧍♀️ 🧍♀️ |
कानो में व्हाइट डायमंड की यरिंग्स | बालो को पोनीटेल बना रखी थी ओर उसमें से दो लडे उसके चेहरे पर जुल रही थीं . . . . . |
होठों पर हलकी पिंक लिप्सटिक आंखों में बस थोड़ा सा काजल |
फिर भी इस वक्त बला कि खुबसूरत 😍 😍 😍 😍 लग रही थीं | कोइ भी उसे देखे देखता ही रह जाये | सब पर कहर ठा रही थीं . . . . 😍 😍 😍 |ये लडकी हमारी शिव्या को टक्कर देने में सक्षम थी खूबसूरती में ।
वहां पर आस पास खड़े सभी लोग एक टक उसे ही देख रहे थे |
पास में जो एक आदमी बूड पोलिस कर रहा था वो उसे देखने में इतना खो गया था कि वो बुड की जगह उस आदमी के पेन्ट को पोलिस करने लगता है . . . . . 😅 😅 😅 | उसे इस बात का जराभी ऐहसास नहीं था |
वह लडकी अदा से चलते हुए रेस्टोरेंट के अंदर चली जाती है । रेस्टोरेंट में बेठे सभी लोग भी उसे ही निहार रहे थे . . . . . 🙂 🙂 🙂 🙂 |
कीतने ही लडके उसे अपना बना ने का सोच रहे थे | वही लडकी आ तो जलभुन कर राख हो रही थीं |
वही पर पासमें एक कपल बेटा था |उनमें लडकी खाना खाने में बिज थि ओर उसके बगल में बैढा लडका अपने लिए एक सैंडविच 🥪 🥪 🥪 बना रहा था |
वो उस खूबसूरत लडकी को देखने में यह भी भुल गया कि उसने अपने ब्रेड के बिच्छमे cheese की जगह अपनी वाइफ का हाथ रख दिया है . . . . . 😜 😜 😜 😜 |
वो तो उस लडकी को देखते हुए ही उस सैंडविच की एक बाइड ले लेता है | उसकी पत्नी की एक चिख निकल जाती है | पर अब भी वो लटका उस बला (कमाल) की खूबसूरत लडकी को ही देखने में मग्न था |
जब उसकी पत्नी अपने पती को ऐसे किसी ओर को देखते देखती है तो वो गूस्से में आग बबुआ हो जाती है। वह डेबल से खड़े होकर अपने सेंडल 👡 👠 👡 👠 से उसे गूस्से 😠 😡 🤬 😠 😡 🤬 में पिटने 👊 👊 👊 लगती है |
जब उसे लडके को अपने चेहरे पर ऐक सेंडल लगता है तब उसे ऐहसास होता है कि उसने अभी क्या किया | वो अपनी वाइफ से मांफी मांग ते हुए कहता है :- सोरी बैबी में . . . . .
सोरी माइ फूड तूम मेरे ही सामने कीसी ओर लडकी को ताड रहे हो में आज तूजे छोडूंगी नहीं यह कहते हूए उस लडके की बिवी उसे मारे जा रही थीं |
फिर ऐक बार वो लडका कूछ कहने को होता है कि उसकी बिवी उसे गूस्से 😡 😠 से मारते 👊 हूऐ कहती है :-मूजे तूम्हारी कोई भी सफाई नही सुन्नी इस बार मैंने तुम्हें रंगे हाथों पकड़ा है । वरना मैं किसी की बातों पर विश्वास नहीं करती थी । मैं तो तुम्हें अंधा प्यार करती थी मुझे क्या पता था तुम सच में धोखेबाज हो ।
मूजे अब तेरे जैसे पागल ओर आवारा आदमी के साथ नहीं रेहना जो दुसरी लडकी ओ को ही गंदी नजर से देखता हो में जा रही मेरे डेड के घर तलाक के पैपर आ जाये गे तेरे घर पर- इतना केह कर वओ लडकी वहाँ से गूस्से में चली जाती है | उसके पीछे उसका पती भी उसे समझाने के लिए रेस्टोरेंट से उसके पीछे बाहर निकल जाता है।
वही वह लडकी तो इन सब से अंजान जाकर अपनी दोस्तों के पास बेढ जाती है | ओर वो सब बातो में बिजी हो जाते हैं |
उसकी एक फ्रेंड जो कबसे वह सब देख रही थि वो उसे कहती है :- यार आज तो तू कमाल की लग रही है . . . . . . . . |
तूने आते ही सब का ध्यान अपने ओर एड्रेस कर लिया़ | वो उस कपल जो अभी रेस्टोरेंट्स के दौर पर झगड़ा कर रहा था उसकी और अपनी उगली से इशारा कर बोली वो देख . . . . . . |
वहां देख वो सब पहले तो सोक रह जाता है फिर ऐक साथ सब उसे देख जोर - जोर से हसने लगते हैं . . . . . . . 😜 😜 😂 😂 😂 |
वो लडकी धमंड ( एटीट्यूड ) से :- हा में हुही इतनी खूबसूरत तो ये सब होना ही था | इस पर सब एक बार फिर से ठहाके मार के हसने🤣🤣 लगते हैं |
उसकी दूसरी फ्रेंड कूछ सोच कर उसे कहती है :- " अरे माही कल रात तूम कहां थी |
माही उसे देख कर कहती है :- " अरे यार क्या बताउ में तूम्हे कल रात तो मैं ऐसे फसी . . . . . ऐसे फसी की में . . . . . . . . वह इतना ही बोल पाइ थि की वहां पर सोर की आवाज़ आती है | वह सब उस ओर देखने लगते हैं |
वहां पर कुछ बोडिगार्ड के साथ ऐक आदमी खडा था | ओर उसके सामने ही एक waiter खडा था | वह waiter उस आदमी से टकरा गया था |
ओर उसके हाथमें जो ड्रे थि उसमें रखे हुए ग्लास का सारा जुस उस आदमी पर गिर गया था |
ओर वहां पर एक आदमी उस waiter को बूरी तरह से डांट रहा था |
पहला आदमी उस आदमी जोकि उसका assistance था उसे रोकते हुए कहती है :- " गुस्सा नहीं करते केह कर उसे सांत करवा देता है | यह सब वहां बेठे बेठे वो चारों भी देख रहे थे |
माही उसे देखते हुए कहती है :- " कमाल का आदमी है | इसके पुरे के पुरे कपड़े खराब हो गये पर माथे पर गुस्से😡 😡 😡 की एक सिकन तक नहीं आने दी | वेसे कोन है ये महान बंदा . . . . . . . .
नेहा " अरे देवता पुरूष हैं . . . . . . .
रिया " गुस्सा 😡 😡 👿 😡 क्या होता है यह इन्हें मालुम ही नहीं है |
किंजल " बापु का दुसरा रुप हे | लोग उन्हें सांती पती कहते हैं |
माही टेबल से उठकर चूटकी बजाकर बोली :- " इसकी सांती तो मैं दो मिनट में खत्म कर सकती हु | "
किंजल उसे समजाते हुए " रेहने दे माही तू सर पटक कर रह जायेगी पर इसे गुस्सा 😡 नहीं आने वाला |
माही उसे देख कर चेलेंज देते हुए " तो लगी सर्त में बिना कुछ बुरा भला कहे | इसकी वो हालत करुगी की वो अपने कपड़े काड कर पागलो की तरह चिलाने लगे गा ओर यही मेने जर उसे पागल खाने भेजेगा . . . . . . . . . |
किंजल एटिट्युड से " इट इस इंपोसिबल "
माही भी ऐटिटूड से " एवरीथिंग इस पोसीबल . . . . . . . . . . ओर अगर मैं ये करदू तो तुम अपना जूता अपने सर पर मारोगी . . . . . . मंजुर है तुम्हे . . . . . . . .
किंजल हाथ आगे कर " डन "
माहि उसे हाथ मिला कर " ओके डन . . . . . . . . . ओर वह उस आदमी की ओर चले जाती है |
क्रमशः
कोन है यह माही . . . . . . . . . ? ? ?
कोन है वो आदमी . . . . . . . . ? ? ?
क्या माही जीत लेगी अपनी र्सत . . . . . . . . ? ? ?
आखिर माहि के दिमाग में क्या चल रहा है क्या करने वाली है मखही उस आदमी के साथ . . . . . . . . ? ? ?
Please comment karke jarur bataye aap ko aaj ka part kesha laga
माही कोन है ओर उसका इस स्टोरी में क्या केरेक्टर है ये आप लोगो को आगे पता चल जायेगा . . . . . . . . . . . . . . . .
चलिये अब हम अपनी स्टोरी में आगे बढ़ते हैं |
______________________
माही उस आदमी की ओर चले जाती है | ओर बोलती है " नमस्ते सर " वो आदमी जिसका नाम राकेश था | वो माही को देख " नमस्ते . . . . . . . . कहिये ना | "
महि " क्या सर में यहां बठ सकती हु | मूजे आपसे दो मिनट आपके बिजनेस के रिलेटेड बात करनी है | "
राकेश उसे " जी . . . . जी . . . . . बैठी ये न . . . . . "
माही चैर पर बेठते हुए " ओह थैंक्यू सर . . . "
राकेश माही को देख कर :- " बताये क्या बात है "
माही " बात ये है कि मैंएएएए . . . . . . " फिर मासूम सा चेहरा 😟 😟 बना कर " पहेले आय वादा किजीये आप गुस्सा नहीं होगे "
राकेश हश के कहता है :- हां मैं आपसे वादा करता हू आप बात तो कही ये ।
माही 🙂 🙂 " जी बात तो बता देती . . . . 🙁 🙁 🙁 मुजे डर है कि आपको गुस्सा 😡 😡 आ गया तो | "
राकेश समजाते हुए " नहीं . . . . नहीं . . . . नहीं . . . आपतो खामखां डर रही है | मुजे तो गूस्सा कभी भी आता ही नहीं है | आप अपनी बात निसंकोच होकर बताये |
माही 😊 " ठीक है . . . . बात ये है कि . . . . . 😟 😟 नहीं जाने दीजिये आपको गूस्सा आ जाये गा . . . . .
राकेश इरीटेट होकर 😤 " देखिये में आपको समजा रहा हुकी मुजे गुस्सा.... नहीं . . . आता आप अपनी बात मूजे बताये " आखरी के सबद पर वह थोड़ा भार देकर कहा था | "
माही उसे देख कर " देखिये . . . . देखिये . . . . देखिये आपको थोड़ा गुस्सा 😡😡 तो आ रहा है |
राकेश 🙂 " मूजे गूस्सा नहीं आता मैमममम . . . . . 😤 प्लीज आप बताये की आपकी बात क्या है |
माही उसके चेहरे को देख " आप जूढ बोल रहे हैं आपको गुस्सा😡 आ रहा है देखिये |
राकेश डेबल पर हाथ मार कर हलके 😤 गूस्से में " भगवान कसम मुझे गुस्सा नहीं आ रहा है | प्लिज मेहरबानी कर के आप अपनी बात बताये |
माही टैबल से खड़े होते हुए " जाने दीजिये आप तो गुस्सा हो रहे हैं |
राकेश माही का हाल पकड कर " एक मिनट मैडम . . . . . . . एक मिनट रूकीये | माही उसकी ओर पलड कर अपने कमर पर हाथ रख कर उसे देखने लगते हैं |
राकेश अपने पास बेठे अपने असिस्टेंट से " मनिष मेरी तरफ देख कर बताओ मूजे गूस्सा आ रहा है |आखरी सब्द वो थोड़ा गूस्से में ओर तेज आवाज में बोल रहा था |
मनिष उसे देख ते हूए थोड़ा डर कर " जी . . . . . जी सर थोड़ा थोड़ा आ रहा है |
राकेश चिल्ला कर " आआआआ . . . . . . . आआआआआ . . . . . . . गूस्सा नहीं है ये |
माही उसे अपनी ओर पलड़ा कर उसे देखते हुए " ये गूस्सा है . . . . . आपके माथे को देखो वहाँ पसिना आ रहा है | राकेश अपने माथे पर हाथ रख देता है |
माही आगे बोली " आपकी आंखों में खून उतर आया है | आपकी नाक गूस्से फुल रही है | आपके हाथो की नसे दीख रही है | हां . . . . हां . . . . . 😦 😦 😦 😦 ओर . . . . ओर आपके मुह से आग बरस रही है |
राकेश बस परेशान 😟 🥺 😤 सा माही को देख रहा था |
माही राकेश को अपनी ओर देखते पाकर उसे उपर से निचे देखते हुए " ओर ये क्या आपकी नसे गुस्से में तन गइ है | ओर आप कह रहे हैं आपको गूस्सा नहीं आ रहा है |
राकेश गुस्से से चिल्ला कर माही को उगली दिखाते हुए " नहीं आ रहा है . . . . . . . . मूजे गूस्सा नहीं आता | उसे देख माही भी दो कदम पिछे ले लेती है | आदमी अपनी केप गुस्से में उतार कर फेक देता है ओर टेबल का सामना इधर उधर पटकते हुए " नहीं आता . . . . . . नहीं आता. . . . . . . नहीं आता . . . . . . . मैनेजर . . . . . . मैनेजर . . . . . .
मैनेजर डरते हुऐ उसके सामने आकर " यस . . . . . . यस . . . . . . सर . . .. . . . यस सर . . . . .
राकेश आपने चेहरे की ओर उगली पोइंट कर के " मेरे चेहरे पर तूजे गूस्सा नजर आ रहा है | मैनेजर डर ते हुए " जी . . . जी सर आ रहा है |
राकेश उसकी कोलर पकड कर उसे एक थप्पड मार कर बोला " गूस्सा लग रहा है यह . . . . . . . . गूस्सा लग रहा है | 😡 😡 😡 मूजे गूस्सा नहीं आता . . . . . . . " ओर फिर मैनेजर को सायड में पटक देता है | उसे खुद नहीं पता था कि वो अभी क्या कर रहा है |
माही तो बस आब साइट में खड़े होकर यह तमाशा देख कर मजे ले रही थीं ओर हश रही थीं . . . . . . 😀 😃 😄 😆 😅 😂 🤣 |
मनिष तो बस अपने बोस को ऐसे देख कर शोक में था ओर बस अपने बोस को देख कर उसे रोकने की कोशिश कर रहा था |
वहां पर उन के बगल में ऐक गंजा आदमी बेठा था |
राकेश उसके पास जाकर 🥺 😢 😢 😢 " अरे यार टकलू . . . . . . . मेरे यार . . . . . . . मैरे हम दर्द . . . . . . . . मेरे दोस्त . . . . . . . . . मेरे चेहरे पर तूजे यह गूस्सा नजर आ रहा है |
वो टकलू आदमी " गूस्सा तो है "
इतना सूना ही था कि अब राकेश का गूस्सा 🤬 🤬 🤬 🤯 🤯 🤯 आपे से बहार हो जाता है | ओर उस टकलू के टकले में मारने लगता है |
फिर चिल्ला कर बोलता है " ये गूस्सा नहीं है . . . . . . . . . गूस्सा नहीं है . . . . . . . . . नहीं है . . . . . . नहीं है . . . . . . . . नहीं है . . . . . . .
वो गूस्से में बिलकुल पागल हो गया था वो उह टकले का गला पकड लेता है ओर उसे कहता है " बोल मूजे गूस्सा नहीं आता . . . . . . . बोल . . . . बोल . . . . . . . बोल गूस्सा नहीं हु मैं . . . . . . . सब उस टकले को उस्से छुडाने लगते हैं | मेनेजर उसे पागल खाने भीजवा देता है |
माही हशते हुए अपनी दोस्तो के पास चला जाती है |
नेहा हशते हूऐ माही को हाई-फाई देते हूऐ कहती है :- वाह यर तूने तो कमल कर दिया।
रिया एक्टिंग करते हुऐ कहती है :- कल के न्यूज़ में हेडलाइन्स आयेगी जयपुर के बिजनेस मैन राकेश जिन्हें बापु के दूसरे रूप में ओर सांती पती माना जाता है जो हूऐ गूस्से से पागल | ये बोल नेहा माही ओर रिया हसने😅🤣 लगती है
माही अपनी सिट पर आकर बेठ जाती है ओर किंजल को देखते हुए बटे ही ऐटिटूड से कहती है :- " चलिये मेडम तो अब अपना जूता उतारे ओर अपने सरकी सोभा बढाये | फिर वो, रिया ओर नेहा हसने लगते हैं |
किंजल बेमन से अपना जुता निकाल कर अपने सर पर मारती है | उसका चेहरा गूस्से ओर र्शम से लाल हो गया था | उसे माही पर बहुत गूस्सा आ रहा था | वो अपने मन ही मन माही को सबक सिखाने के लिए सोच ती है |
माही उसे वोटिंग भरी टोन में :- " ओर आइंदा मूझसे सर्त मत लगाना | ओर वो हमने लगती है . . . . . . . . . . 😅 😅 😅 😅 😅 |
किंजल उसे देख डेबल पर हाथ पटक खडी होकर उसके पास जाते हुए बोलती है :- " अरे जित पर इतना इतरा क्यों रही है | ऐक मोका मुझे भी दे अपना टेलेंट दिखाने का |
माही " अच्छा चल दिया | "
क्रमशः
अब क्या होगा | किंतु क्या करने वाली है . . . . . . . .????
यह सब जान ने के लिए पढते रेहे मेरी कहानी |
Thank you so much all reader . . . . . . . . 😍 🥰 🥰 🥰 . . . . . . . .😍 😍 🥰 😘 😘 . . . . . . .😍 😍 😘
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किंजल उसे देख डेबल पर हाथ पडक खडी होकर उसके पास जाते हुए गूस्से😠 से कहती है :- " अरे जित पर इतना इतरा क्यों रही है | ऐक मोका मुझे भी दे अपना टेलेंट दिखाने का |
माही एटीट्यूड से " अच्छा चल दिया | "
किंजल अपनी जेब से ऐक सिक्का निकाल कर दिखाते हुए बोली " ये सिक्का देख रही है | " फिर एक आदमी की ओर उगली से इसारा कर के बोली " इसे टेबल पर रख कर उछालु गि ओर सिधा उस आदमी के कप में जाकर गिरेगा . . . . . . .
माही उस ओर देख ऐटिटूड से " उस आदमी के . . . . . . . . . . . . इंपोसिबल . . . . "
किंजल सिक्के को हाथमें उगली ओके बिछ धूमाते हुए पूरे कोफिंडन्ट से बोली " तो लगि सर्त . . . . . आगर में जित गइ तो जो में बोलुंगी वो तुम करोगी . . . . . . . "
माही " डन . . . . 👍 👍 👍 👍 👍 "
कींजल " डन . . . . 👍 👍 👍 👍 " ओर वह सिक्के को डेबल पर रख के उछाल ती है |
उन चारो की नजर उस सिक्के पर ही टिकी हुई थी | सिक्का जाकर सिधा उस आदमी के कप में ही गीता है | यह देख माही रिया ओर नेहा कि खूसि पल भर में गायब हो जाती है |
जब कि किंजल खुशी 😅 😅 😅 😆 😆 😆 😊 😊 से चिल्ला कर कूदते हूऐ बोली :- " येएएएएएएए . . . . . . . . . . . "
माही बस उसे मुह बना 😏 कर देख रही थीं |
किंजल माही के पास आकर ऐटिटूड से तिरछा मुस्कुराते हुए " अब में जो बोलूगी तूजे करना होगा माही डायलिंग . . . . . . "
माही मुह 😏 बना के " हां . . . . . . हां . . . . . . ठीक है . . . . . बोल क्या करना होगा |
कींजल मन में " तूने मूजे जूते👞👞👞 से सर पर मरवाया थाना अब देख में क्या करती हु "
ये सोच कर वह माही के चारो तरफ धूमते हुए बोली " सो तूजे यह करना है कि इस रेस्टोरेंट में जोभी पहला बंदा आयेगा उसे तूजे कीस 😘 😗 😙 😚 😘 😗 😙 😚 करना होगा ओर वो भी पुरे 10 मिनट तक | "
माही डेबल से खड़े होकर आश्चर्य से " वोट . . . . तूम ये क्या बोल रही है . . . . . . "
किंजल कुटिल मुस्कान के साथ " जो तूने सुना वही "
माही गुस्से से " मै ये नहीं करने वाली . . . . . . तेरा दीमाग तो ठीक है ना या कहीं घास चरने करने गया है "
रिया समजाते हुऐ " कमोन यार मस्ती मजाक तक ठीक है . . . . . . . . बट धीस इस नोट फैर यार . . . . . . "
किंजल रिया के पास आकर डेविल स्माइल करते हुए " सर्त लगाइ है तो पूरी तो करनी पडेगी "
माही गुस्से 🤬 से " में यह नहीं करने वाली . . . . . तू कूछ ओर बतादे "
किंजल माही के पास जाकर हशते हुए ऐटिटूड से " तो ढिक है तू ये बोल की तू डरपोक हे जो सर्त तक पुरी नही कर पाइ "
माही उस्से घूर🧐 कर " ठीक है सर्त लगाइ है पूरी कर के दीखाउ गी | " माही अपने मन में " तूजे तो मैं बाद में देख लगी |
रिया ओर नेहा कुछ बोलने को हूइ की माही उन्हें चुप रहने का इसारा कर उनके साथ रेस्टोरेंट के गेडकी ओर चली जाती है |
किंजल उसके पिछे मुस्कुरा कर चले जाती है | ओर अपने मन में कहती है " अब आयेगा मजा "
सब बस ऐकटक गेटकी ओर देख रहे थे | माही ओर उसकी दोनों सहेली रिया ओर नेहा के चेहरे पर टेंशन थी कि माही को किस्से किस्स करना पडेगा | जब की किंजल के चेहरे पर यही सोच कर मुस्कान थी |
तभी उन्हें एक मोडा आदमी उस तरफ आता दीखता है | माही तो सांस रोक कर खडी थी |
माही मन में " हे भगवान इसे नहीं . . . . . . . प्लीज . . . . . . मे आपको चार कीलो लड्डू चढाउगी | पर प्लीज इस मोडु से बचालो | उसे देख माही रिया ओर नेहा के चेहरे 😫😦देखने लायक थे | उन्हें ऐसे देख किंजल को तो बहुत मजा आ रहा था |
वो आदमी अंदर आता उस्से पहले ही उसकी पत्नी उसे वहां से ले जाती है |
माही को ये देख आपने सिने पर हाथ रख कर एक चेन की सास लेते हुए कहती है :- " थैक्स भगवान जी आपने मूजे इस मोडे से बच्चा लिया | आपके चार किलो लड्डू पके | " किंजल का तो मूह बन जाता है |
अभी माही ने चेन की सास लिही थि की उसे ऐक बुढा जोकि फूल टली लग रहा था वो उधर आता दिखता है | इस बात तो माही की सांस रुक ही गइ थी |
वो मनमे भगवान को कोसते हुए " है प्रभु आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते | आपके चार कीलो लड्डू केन्सल | ओर रोनी सूरत😫 बना लेती है
किंजल को उसे देख बहुत खुश😆 हो जाती है | ओर मन में कहती है " अरे वाह ये तो ओर भी बढीया है . . . . . .. इसको एक बुढे को कीस्स करना पडेगा जोकि बिलकुल ठरकी है | ओर नसे में भी है | "
वो बुढा जैसे जैसे उसी की ओर कदम बढ़ा रहा था वैसे वैसे ही माही का दील बेठता जा रहा था |
माही मन में " ओह माय गोड . . . . . . . मर गइ | ऐक ठरकी बुड्ढे को किस्स " . . . . . 😰 😰 😰 😰
किंजल माही को देख कर " जाये माही रानी आपके वो आ गये " ओर फिर ठहा के मार कर हशने 😂🤣 लगती है |
माही मन में गुस्से😡😡😡😡 से तुजे तो मैं बाद में देखुगी | फिर वो बड़े ही एटीट्यूड से आगे बढने लगती है ओर वहां जाकर आंख बंध कर के सामने खड़े आदमी का सिर पकड कर उसे किस्स करने लगती है |
वहां का सिन देख कर रिया नेहा ओर किंजल सोक रह जाती है | रिया ओर नेहा खूस थी जब की किंजल की खूशी कही गायब थी |
क्रमशः
आखिर क्या हुआ जिसे देख तिनो सोक थी . . . . . . . . . . . . . . . रिया ओर नेहा क्यों खुस थी और किंजल का चेहरा क्यों पिला पठ गया था . . . . .. . . . . . . .
क्या माही ने उस बूठे को किस्स किया या फिर कूछ ओर ही हुआ वहां पर . . . . . . .
यह सब जान ने के लिए पढते रहे मेरी कहानी |
Thank you so much all reader . . . . . . . . 😍 🥰 🥰 🥰 . . . . . . . .😍 😍 🥰 😘 😘 . . . . . . .😍 😍 😘
मूजे पता है आप सब लोग माही के बारे में पढकर कनफ्यूज होगे की ये स्टोरी में कोन आ गया है । पर आप सब को आगे पता चल जायेगा ओर आज माही को लेकर ये हमारा आखरी ऐपिसोड है। कल से फिर हम अपने रूद्र ओर शिवी से मिलने वाले है।
किंजल माही को देख कर " जाये माही रानी आपके वो आ गये " ओर फिर ठहाके मार कर हशने 😂🤣 लगती है |
माही मन में गुस्से😡😡😡😡 से तुजे तो मैं बाद में देखुगी | फिर वो बड़े ही एटीट्यूड से आगे बढने लगती है ओर वहां जाकर आंख बंध कर के सामने खड़े आदमी का सिर पकड कर उसे किस्स करने लगती है |
वहां का सिन देख कर रिया नेहा ओर किंजल सोक रह जाती है | रिया ओर नेहा खूस थी जब की किंजल की खूशी कही गायब थी | माही जब किस्स कर के उस से जेसे दूर होती है तो देखते ही रह जाली है |
क्योंकि उसके सामने एक हेंडसम लडका खडा था | जीसने ब्लू जिंस ओर वाइड सर्ट पहन रखा था | सर्ट के उपर की दो बटन खूले हुए थे ओर स्लिव को कोहनी तक फोल्ड कर के रखा हुआ था ओर आंखो पर ब्लैक चसमे लगाये हुए थे | वो बहुत ही स्मार्ट ओर हैंडसम लग रहा था | उसके बाल उसके माथे पर थोड़ा बिखर गये थे माही के हाथो की पकड की बजह से |
माही तो उसमें ही कही खो जाती है | उसे यह भी ध्यान नही रहता की वो अभी भी उस लडके के गले में बाहे डाल कर खडी है | वह तो बस उस लडके को ही एक टक देख रही थीं |
उसे तो यह भी समज नही आ रहा था कि उस बुढ्ढे आदमी के जगह यह लडका केसे आया ओर उसने उसे किस्स 😘 😘 😘 कर लिया |
आब में आपको बताती हु की दरसल वहां हुआ क्या था . . . . . . . . . . . . . .
माही जब आंख बंध कर के किस्स करती है तभी उस बुढ्ढे आदमी के आगे से एक लडका अंदर आ जाता है | ओर मोही उसे किस्स 😘 😘 😘 😘 😘 कर लेती है |
लडका माही के हाथ अपने कंधे से हटा कर उसे दूर खड़े होकर अपने चसमे निकाल कर माही को देख गुस्से में देखता है 😡 😡 😡 😡 😡 फिर उसे कहता है :- " ओओओ . . . . . मैडम ये क्या बतमीजी है |
माही तो उसकी ब्लूइस आंखों में खोसी गइ थी | जब उसने उस की गुस्से में भरी आवाज सूनी ओर उसके गुस्से वाले चेहरे को देख वो एक पल तो सहम जाती है |
माही को कुछ न बोलते देख लडका उसके सामने चूटकी बजाते हुए बोला :- " ओ मेडम जी हमने आपसे कुछ पुछा है |
माही उसकी बात सुन झेप जाती है ओर हकलाते हुए कहती है :- " वो . . . . . . वो . . . . . . वो मे सर्त हार गइ थी | उस बूढ़े की ओर उगली करके :- उन्हें किस्स करना था पर आप बिछमे आ गये | आइ . . . . . . आइ एम सो सोरी . . . . . . . . . . . . . |
लडका सख्त लेहजे में चेहरे पर बिना किसी ऐक्सप्रेसन के कहता है :- " देखिये मेडम यह बात माफी मांगने की नहीं है | मेरी जगह यहाँ कोइ होता तो कुछ भी हो सकता था | ओर पहली बार हम लडकी यो की इजत करते |
दुसरी हम लडकी पर हाथ नहीं उठाते वरना अभी आपकी इस हरकत पर आप इस हालत में नही होती |
ओर तिसरी बात किसी को भी उसकी बिना मरजी ऐसे किस्स नहीं करनी चाहिए |
ऐक लडके या लडकी कि पहली किस्स उसके लवर के लिए होती है | जिसे वो बेइंतहा प्यार करते हैं | जिसे अपना दिल दे बेचते हैं | " किसी राह चलते राहगीर के लिए नहीं समजी आखरी लाइन उसने थोड़ा तेज आवाज में ओर गुस्से 😠 😠 😠 में बोली थी | ओर आगे से ये बात ध्यान रखीये गा मेडम की किसी को भी ऐसे ऐरे गेरो को चूमा चाटी नहीं करनी चाहिए |
आप लडकी होकर भी आपको अपनी इजत ओर मानसम्मान का ख्याल नही है | खूद की ना सही अपने माँ बाप का तो सोच लिया करो |
फिर माही को एक नजर देख कर वहाँ से अपने दोस्चत के साथ चला जाता है |
माही बस उसे जाते हुए देखती रहती हैं जीस तरफ अभी वो लडका गया था | तभी वहां पर राया, नेहा ओर किंजल आ जाती है |
नेहा माही को हिलाते हुए जोकि अभी उस लडके को जाते हुए देख रही थीं :- " माही . . . . . . माही . . . . . . . ओ माही कहां खो गइ | "
रिया माही को देख :- " लगता है यह तो गइ अब काम से "
माही अपने में ही " मुझे तो मेरे सपनो का राजाकूमार मिल गया "
किंजल " तु कोनसा उसे पटा लेगी . . . . . . . . . . . बंदे ने तूजे भाव भी नहीं दीया " ओर हसने लगती है |
माही उसे देख ऐटिटूड में " मुजे उसे महोब्बत है ओर में उसे उस महोब्बत का एहसास दिलाते रहुगी "
किंजल माहि से " Impossible माही वो तूजे प्यार तो क्या घास भी नही डालने वाला |
माही एटिट्युड से " मेभी माही दीव्यम प्रताप सिंग हु देखती हु केसे वो मूजे प्यार नहीं करता |
किंजल " लगी 1000 की सर्त "
माही उसे देख " जहाँ दिल लगे हो वहाँ सर्त नहीं लगाइ जाती "
किंजल " सिधा सिधा बोल तुजमें हिंमत नहीं है |
नेहा ओर रिया " माही यह तो तेरी इंसल्ट है यार | हाँ यार लगालो सर्त . . . . . . . . . . .
माही बेमन से " ठीक है लगी सर्त "
किंजल " डन . . . . . 👍 " ओर फिर अपने मन में डेविड स्माइल करते हूऐ सोचती है :- अब मैं करूगीं तेरी जिंदगी बरबाद बहुत धमंड है ना तूजे अपनी पहचान का |
किंजल के इविल प्लान से अंजान माही तो अपने राज कुमार के सपनों में ही कही खोइ हूई थी |
फ्लैट बैक ऐंड . . . . . . . . . . . . . . . . . .
माही अभी ये सब सोच कर रोही रही थीं कि तभी उसके कमरे का डोर नोक होता है ओर बहार से ऐक प्यार भरी आवाज आती है :- " बाई सा आप सो गई है क्या "
अपने भाई सा की आवाज सून कर माही जलदी से अपने आंसू💧 पोछ कर अपना कहती है :- नहीं भाइ सा आप अंदर आ जाईये "
माही का भाई माही के कमरे में आता है ओर माही के पास कसके बेड पर बेठ कर माही को देखते हुए क्षकहता है :- " बाई सा आप रो रह थे ना | कूछ हूआ है क्या आप अपने भाई सा को बता सकती है | "
माही अपने चेहरे पर जजबरदस्ती स्माईल लाते हूऐ कहती है :- नहीं वो शौर्य भाई सा कूछ नही हूआ है वो तो बस हमे कल माँ ओर बाबा सा को छोड़ कर वापस जयपुर जाना है ना तो बस इस लिए ओर कूछ नही |
शौर्य भी माही की बात मान जाता है ओर उसे अपने सिने से लगा कर केहता है :- " हम तो वहाँ आपके साथ होगे ही ना तो आप क्यों रो रही है। "
माही के आंसू पोछते हूऐ आगे कहता है :- " अब आप ये रोना धोना छोटे ओर मूजे ये बताओ कि आपने अपनी सारी पैकिंग करली ना कल हमे सभी ही निकल ना है | "
माही अपनी गर्दन हां मैं हिला कर कहती है :- हां भाई सा हम ने कर लिया है |
शौर्य उसे बेड पर सूला कर उसे कंबल सही से ओढ़ा कर कहता है :- अब आप सो जाओ सूबह जलदी उतना है हमै ओर कमरे में लाईन बूजा बैडके बगल का नाईट लैंप जला देता है ओर कमरे से बहार निकल जाता है |
माही उसके जाते ही फिर ऐक बार रोने लगती है ओर रोते रोते ही सो जाती है |
क्रमशः
क्या माही सर्त जीत जाये गी |
क्या माही उस लडके को प्यार का ऐहसास दीला पयेगी |
कोन था वो लडका |
क्या माही ने ये सर्त लगा कर ठिक किया या नहीं |
अब माही क्या करने वाली है |
किंजल के मन में क्या चल रहा है।
यह सब जानने के लिए आगे जूडे रहे में री कहानी के साथ |
इधर रूद्र भी अब अपने चाचा जी के घर पहुच गया । वो बूलेट पार्किंग में पार्क कर के घर 🏠 के अंदर चला गया . . . . . . . . .
वह सबसे पहले अपने चाचा अभय ओर चाची सारीका से मीलता है ओर उनके पैर छूता है |
रूद्राक्ष होलमे इधर उधर देखते हुए " हमारे छोटे सेतान कहा गये कही दीख नहीं रहे हैं।
सारीका जी उसे कहती है :- रुहानी बिंदनि ओर रूहान तो कब के घर पहुच गऐ थे। बिंदनि अभी हमारे क्युट राजकूमार (यूग को सब राजकुमार कहते थे) को कमरे में सूला रही है। ओर थारा (तेरा) भाई सा अभी कमरे में आराम कर रहा है।
सारिका जी जो रूद्र की ओर देख रही थी वो जब उसकी नजर उसकी चोट पर पडती है तो परेशान हो कर कहती है :- " ये चोट केसे लगी तूजे . . . . . . . 😯 😯 😯 😯 सर से किन्ना खून बह रहा है . . . . . . . 🙁 🙁 🙁 🙁 🙁 "
अभय जी भी रूद्र की चोट देख कर टेंसन में आ गये . . . . .ओर उन्होंने सारीका जी को परेसानी भरी आवाज में कहा :- " सारीका जलदी से फसट्रेड बोक्स लेकर आओ
सारीका जी फसट्रेड लेकर आइ तो अभय जी खुद ही रूद्र के शिर पर लगे घाव को साफ रहने लगे ओर फिर ओइनमेंट ointment लगाने लगे . . . . . . .
Ointment लगाते लगाते ही उन्होंने रूद्र को चूप देख कर उससे चिंतीत स्वर में पूछते हैं :- " बता ता क्यों नहीं क्या हुआ . . 😟😟 कही दूस्मनो तो थारे (तेरे) पर हमला नहीं किया से ना (हैना) । बोल छोरा के हूआ से।
रूद्र अपने चाचु को अपने लिए ऐसे परेसान देख कर मूस्कुरा 😊 कर कहता है :- " ताउ जी कूछ नही हुआ है . . . . . . बस ऐक चलती फिरती भूचाल से बुलेट टकरा गइ थी . . . . . . 😂 😂 😂 😅 😅 😅 🤣 🤣 "
फिर वह जो कुछ भी अभी घर आते वक्त हुआ था वह सब उन को बता देता है . . . . . . . .
सारिका जी उसकी बात सुन कर कहती है :- " यह तो बड़ी ही बतमीजी लडकी थी . . . . . . खूदकी गलती पर भी मेरे प्यारे बेटे को सूना कर चली गइ . . . . . . "
" चाची बतमीजी नहीं भूचाल कहो भूचाल "यह कह कर वह हसने लगता है 🤣😆😅।
ताउ जी ओर ताई जी दोनों भी उसकी बात पर हस देते है . . . . . . . . 😅 😂 😂 🤣
रूद हसते हूऐ ही कहता है :-
" कोई नहीं चाची . . . . . . . अगली बार मीली तो सबक सिखा दुगा . . . . . 😜 😜 😜
पर लग रहा था किसी ओर का गुस्सा 😡 😠 😡 😠 मूजपर निकाल दिया . . . . . उसके साथ सायद उसका छोडा भाइ था जो उसके पिछे से ही मुजसे हाथ जोड़कर माफी मांग रहा था बचारा बहुत ही शर्मिंदा था अपनी बहन की हरकतों से. . . . . . 😂 😅 🤣 😆 😅 😂 🤣
उसकी इस बात पर चाची ओर चाचु दोनों मूस्कुरा देते हैं. . . . . . . . . . 😃 😄
चाचु :- " चलो छोडो यह सब दोनों . . . . . . . सारीका जाकर रुहानी ओर रूहान को बूला लो ओर रूद्र तूम भी फ्रेसहो कर आजा आज कितने दिनों बाद ऐसा मोका आया है जब हम सब साथ बेठ कर ऐसे खाना खाऐगे . . . . . . . . "
जी चाचु कह कर रूद्र फ्रेस होने एक कमरे में चला जाता है . . . . . . . "
थोड़ी देर बाद सब साथ मिलकर खाना खा रहे थे तभी रुहानी की नजर रूद्र की चोट 🤕 😢 पर जाती है . . . . . . .
वह उसे चिंतीत स्वर में पूछती है :- " देवर सा ये चोट कैसे आई आपको . . . . . . . . . . . .
ये सून सारिका ओर अभय हसने लगते हैं ओर रूद्र मूह बना कर चिंढ भरे स्वर में कहता है :- " ऐक नकचडी ओर चलती फिरती भुचाल से बूलेट की टकर हो गइ ओर कुछ नहीं . . . . . . . . "
उसकी बात पर रुहानी हसने लगती है . . . . . . . . . 😂 😅 🤣 😂 😅 🤣 ओर कहती है :- ऐसा भी कोन आ गया जो हमारे भोले भाले देवर सा को भी ऐसे चिंढा दिया।
फिर क्या था रूद्र ने वह सब कुछ अपनी भाभी सा ओर भाई सा को बता देता है. . . . . . |
रुहानी उसकी बात सुन रूद्र का सिर सहलाते हूऐ केहती है :- रूद्र तुम कभी कूछ बोलते क्यों नहीं हो . . . . कूछ कहा क्यों नहीं उसे . . . . . . . पागल . . . . . . . . . .
रूद्र बात बदने के इरादे से रुहानी को " भाभी वह सेतान कब सोया . . . . . . आपको ज्यादा तंग तो नहीं कीया ना आते वक्त . . . . . . . "
" पूरे रास्ते सबको तंग कीया ओर यहाँ आ कर खा - पि कर 😴 😴 😴 😴 😴 सो गया . . . . . . रुहानी यह सब बच्चों की तरह रूद्र को बता रही थीं . . . . . . . .
उसकी बात पर सब हसने लगते हैं 😀 😃 😀 😃 😃 😀 😀 तो वह भी मुस्कुरा देती है । रूहान ने हशते हुए रूद्र से कहा " हां तू ही तो अपने सिर पर चढ़ा के रखा है अब तो किसी की बात भी नहीं सुनता अगर मैं उसे कुछ कहता हूं तो तुम्हारी धमकी देता है मुझे " यूग की नकल करते हूऐ " पापा आप मूज पर गूस्सा मत हो में चाचू से आपकी सिकायत कर दूगा " ।
रोहन की ऐसी एक्टिंग देख कर सभी घर वालों ने हंसने लगते हैं । सब को अपने ऊपर हस्ता देख कर रूहान बच्चों की तरह मुंह फुला लेता है। रूहान को ऐसे मुंह फुलाए बैठे देख कर सभी घरवाले फिर एक बार ठहाके मार के हंसने लगते हैं।
चाची उन तिनो को देख कर मूस्कुरा कर कहती है :- " तूम सब बच्चों के आने से घर 🏠 में रोनक आ गइ है . . . . . . . . . . "
फिर रुक कर कहती है :- " वेसे कल तो हमारी प्रिंसेस भी आने वाली है . . . . . . . 😊
" लवी ( रूद्र प्यार से लावण्या को लवि कहता था ) आज साम ही आने वाली थी ना चाची . . . . . . . . . . . . . " रूद्र सारिका जी को देख कर कहता है।
" हा पर एक ओर दीन रुक गइ वह बनारस कल आ जाये गी . . . . . . . . . . " सारिका जी रूद्र को समझाते हुए कहती है ।
" उसे आने दो में उसे कल बता ता हु . . . . . . मुजे आजके आज बुला कर खूद नहीं आइ . . . . . . . . हु 😏 😏 . . . . हु 😏 😏 . . . . . . मुंह बिगड़ कर ये केहते हुए हुए रूद्र आखिर में अपना मुंह फुला लेता है । इस वक्त वह किसी छोटे बच्चे की तरह लग रहा था।
सब उसकी हरकतों पर हसने लगते हैं . . . . . . . 😅 😂 🤣 😆 😆 😄 😄
" कितने दिनों बाद मिलेगे हम दोनों . . . . . . बहुत मिस कीया में ने उसे . . . . . . . " रूद्र कहता है |
शिवी का कमरा . . . . . . . . . . . . .
शिवी बेट पर लेटे लेटे ही इधर से उधर करवटें बदल रही थीं . . . . . . उसे नींद 😴 😴 ही नहीं आ रही थीं . . . . . . . . | उसे बहुत बूरा लग रहा था कि केसे उसने बेबजह ही सूना दीया . . . . . . . . . . | शिवी अपने दिल की बात सिर्फ अनिक और लवी से ही करती थी और उसका गुस्सा भी यह दोनों ही शांत करा पाते थे |
( अनिक उसके गूस्से 😡 🤬 😠 😡 🤬 😠 को मूस्किल से सात कर पाता था . . . . उसे सांत करने के लिए अनी उसकी बेस्ट फ्रेंड को कोल कर के शिवी के गूस्से को सांत करने के नुसके पुछता था . . . . . . . . . . . . . 😜 😜 😜 😜 😜 😜 ) ये ऐक सिगरेट है हमारे अनिक ओर लवि का जो अब हमे पता है।
पर अभी ना अनिक था वहां ओर ना लवी । जओ उसे वह अपने दिल की बात बता सके। एक बार के लिए वह सोचती है कि लवी से बात करले पर यह सोच कर की वो सफर कर के थक गइ होगी वओ अपना विचार बदल लेती है। थोड़ी देर आजके अपने इतने हेवी दिन के बारे में सोच ती है ओर फिर सब सोचते सोचते ही उसे नहीं आ जाती है |
अनिक भी अबतक धर आ गया था। वो जब धर मे आता है तो देखता है उसके पापा मम्मी ओर दादी खाना खा रहे हैं | वो उन्हें देख फिर अपने कमरे में चला जाता है | उसके चेहरे पर कूछ परेशानी दीख रही थीं |
महिमा जी जब अनिक को ऐसे ही कूछ बोले बिना जाता हुआ देखती है तो उसे पकड़ती है पर आनी अपने ही कुछ विचारों में गुम था इसलिए उसने महिमा जी की बात सुनी नहीं थी और वह ऐसे ही अपने कमरे में चला जाता है
महिमा जी उसे ऐसे ही जाता ओर उसकी बात का जवाब न मिलता देखकर परेशान होते हुए कहती है इसे क्या हुआ है इसका चेहरा इतना उत्तरा हुआ क्यों है
दादी उन्हें समझाते हुए कहती है " कुछ नहीं हुआ होगा महिमा बेटा अपने दोस्तों के साथ पार्टी में गया था ना तो थक गया होगा और इसीलिए उसने तुम्हारी बात नहीं सुनी तुम बेवजह उसकी चिंता मत करो वह ठीक है । "
महिमा जी को भी दादी की बात सही लगती है इसलिए वह भी फिर खाना खाने लगती है । जबकि अनेक अपने कमरे में जाकर परेशान सा कुछ सोचते हुए सो जाता है।
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क्रमशः
अब क्या होगा . . . . . . . आगे यह जानने के लिए जूडे रहे मेरे साथ . . . . . . . .
ओर पढते रहे मेरे ये कहानी . . . . . . . . . . 😍 🥰 😘 💘 💘 💗 😘 🥰 💖 💖 💖 💖 😍 😍 💝 💝 💝 😍
Always be happy . . . . . . . . . . .😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊 😊
Thank you so much all reader . . . . . . . . . . . . . . . . . . ❤ ❤ 😍 🥰 😘
इधर लवी के घर पर . . . . . . . . . . .
सब हशी मज़ाक करते हुए खाना खा रहे थे कि तभी रूद्रका फोन बजता है . . . . . . . . जोकी उसके पापा ठाकुर शिवाय सिंह जी का था . . . . . . . .
रूद्राक्ष फोन उठा कर अपने पापा से :- " खम्माघणी बाबा सा . . . . . . . "
शिवाय जी :- " घणिखम्मा . . . . . केसा है तु छोरे . . . . . सब पहूच गये ना ठीकसे . . . . . . .
रूद्राक्ष उन्हे कहता है :- जी बाबा सा हम सब ताउ जी के घर पहूंच गये हैं ।
शिवाय जी " फोन दे तेरे ताउ जी ने बात करनी से मारे "
रूद्र फोन अपने चाचु को दे देता है . . . . . .
अभय जी फोन लेकर " खम्माघणी भाइसा . . . . . .
शिवाय जी उन्हें प्यार से कहते हैं " घणीखम्मा . . . . . . . केसा हे तू . . . . . . . ओर सारीका बिंदनि केसी है . . . . . . . ? ? ? "
अभय जी " सब ठीक है भाईसा . . . . .. ओर आप सब कैसे हो . . . . . . . "
शिवाय जी " हम भी ठीक है . . . . . . . सब ठीक से पहुँच गये थे ना . . . . . . . . . . . "
अभय जी " हाँ भाई सा . . . . . . . . युग तो शो 😴 😴 😴 भी गया है। थोड़ा भाउक होकर आप भी आ जाते . . . . . . . . . . . . . "
शिवाय जी भी भाउक हो कर " तूजे सब पता ही है छोटे . . . . . . . चल अब ये सब छोड़ ओर सब बच्चों का ख्याल रखना।
" हाँ भाई सा। आप भी सब अपना ख्याल रखना " अभय जी कहते हैं।
शिवाय जी बात बदलते हुए कहते हैं :- " क्या हमारी राजकूमारी आ गई . . . . . . . . . . ? ? ? ? ? "
अभय " कल आ रही है वापस भाई सा . . . . . . . . . . . . "
शिवाय जी " अछा जब वो कल आ जाये तो विडीयो कोल करना . . . . . . . उसे देखे हुए कीतने दिन हो गये से . . . . . . . . . "
अभय उसकी बात पर सहमत हो कर " जी भाइसा . . . . . . . . . "
शिवाय जी थोड़ा सिरियस टोन में " अछा चल आब ख्याल रखना सबका। रूद्राक्ष को तेरे भरोसे भेजा से पता है तु मूझसे ज्यादा ख्याल रखेगा उसका . . . . . . .पर ज्यादा गूस्सा न करें वह किसी पर . . . . . . . . . . . "
अभय " जि भाइसा "
शिवाय जी " चल अब फोन रखूसू में "
अभय जी " ठीक है भाई सा " ओर फोन रख देता है . . . . . . . . . |
अभय जी ने जेसे ही फोन काटा तो देखा कि बाकी के चारों (रूद्राक्ष, रूहानी,रूहान ओर सारीका जी) उसे ही देख रहे थे . . . |
रुहानी " चाचु आप पापा से हमेशा ऐसे ही थोड़ी - थोड़ी बातें क्यों करते हैं . . . . . . . . . . . ? ? ? ? ? "
रूद्राक्ष उसकी हां मैं हा मीलाते हुए कहता है :- " जैसे कि बस जी . . . हां जी . . . . हम्म . . ठीक है . . . . जी भाइ सा . . . . ओके भाइसा . . . . . . . . .
यही शब्द बच्चे हो सीर्फ इस दूनिया मे . . . . . . . . . . . "
सारीका उनका साथ देते हुए :- " मे भी जबसे आपसे शादी करके इस घरमें आइ हु यही देख रही हु । भाइसा मेरे साथ तो बहुत बात कर लेते हैं जब भी करते हैं । पर इनका कुछ समज नही आता मूजे . . . . . . . . . . . . "
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रूद्राक्ष, रुहान ओर रुहानी तीनों ऐक साथ कहते हैं :- " हमें भी . . . . "
उनकी बात सूनके अभय जी कहते हैं :- " भाइसा मेरे लिए मेरे भाइसा ही नहीं है पीता भी है । हम जब छोटे थे तभी हमने अपने माँ - पापा को खो दिया था । भाइसा ने सबकी जिम्मेदारी अपने कंधे पर लेली ओर अपनी पढाई भी छोड़ दी । मुझे पठा लिखा कर इस काबिल बनाया । फिर तेरी चाची ( सारिका की तरफ इसारा कर के कहते हैं ) को लेकर आये मेरी जिंदगी में ये जानते हुए भी की वह हमारे दूश्मन की बेटी है । पर मैं ओर तूम्हारी चाची ऐक दूसरे को बहुत चाहते थे | इस लिये वो हमें साथ देखना चाहते थे क्योंकि वो हमें दूर नहीं देख सकते थे |वह जानते थे सारीका से दूर होकर में कितना दू:खि होता। वह मूजे ऐसे देख नहीं सकते हैं।
यह सब कहते हुऐ उनकी आंखों में नमी आ गई थी |
सबकी ओर देखते हुए :- तूम सब को पता है जब मेरा यहा पर ड्रांसफर हुआ तो मेने तो मना कर दिया था। पर भाइसा ने हमें फिर भी यहाँ भेजा । आज में जोभी इसवक्त हू सीर्फ ओर सीर्फ उनकी बजह से हू । ऐसा नहीं है कि मैं उनसे डरता हू पर मेरे दिल में उनकी इज्ज़त ही उतनी है ओर उन्हें बाबा सा की तरह मानता हू . . . . . . . . . . "
यह सब कहते - कहते अभय जी की आंखे नम हो गइ थी . . . . . . . . . . . . 🥺 🥺 🥺 । उनकी बात सून कर सब की आंखों में नमी तैर आई थी।
सारिका जी माहोल को नोर्मल करने के लिए कहती है :- " बस - बस सेंटी हो लिए आप सब । अब सब के खूस होने की बारी है। मेने सबके लिए आइसक्रीम . . . .🍦 🍨 रखी है। आभी लेकर आती हु । फिर मजाक 😜 😜 करते हुए कहती है :- " भाइसा तो मेरे लिए भाइ है सगे भाई से भी बढकर साथ दीया है मेरा उन्होंने । मै तो उनके साथ बहन होने के नाते 😜 😉 मज़ाक़ करती रहू गी ना की ससूर मानूगी । उनकी यह बात सून कर सब जो अबतक इमोशनल हो गये थे वो हसने लगते हैं . . . . . . . . . . 😀 🤣 😂
उन की बात पर सब हसने लगते हैं। वही आईसक्रीम का नाम सून कर रुहानी चमकते हुए कहती है :- " वाह चाची आईसक्रीम मेना दो दो बाउल खाउगी।
उसकी मासूमियत भरी बात सुन सब मूस्कूरा देते हैं वही रूहान उसे परेसान करते हुए थोड़ी स्ट्रिकट आवाज में कहता है :- आपको आईसक्रीम खाने नहीं मिलेगी।
उसकी बात पर रुहानी छोडा सा मूह बना कर उसे घूरते कहती है :- "ओर वो क्यों भला हमे क्यों नहीं मिलेगी। "
उसकी बात पर रूहान उसकी छोटी सी नाक पर चूडकी लेते हुए कहता है :- " वो इस लिए बिवी जी क्यों की आप को ज्यादा आईसक्रीम खाने से सरदी हो जाती है। "
रूहान की बात सून रुहानी रोनी सी सूरत 🥺 बना कर अभय जी से सिकायत करती है :- " देखो ना चाचू ये हमेंशा ही ऐसा करते हैं मूजे कूछ खाने ही नहीं देते हैं। "
अभय जी रूहान को देख कूछ कहते उसे पहले ही रूहान उसे आंख 😉 मार देता है। तो अभय जी भी समज जाते हैं की रूहान सिर्फ मजाक कर रहा है। "
वह भी उसका साथ देते हूऐ कहते हैं :- " रूहानी बेटी रूहान सही कह रहा है जब आपकी तबियत सही नहीं रेहती है तो आपको ये नहीं खाना चाहिए। "
उनकी बात सून रूहानी का चेहरा जो ये सोच कर खिल गया था कि के प्यारे चाचा जी उसका साथ देंगे । पर अब यहां तो सब कुछ उलट हो गया था।
सारिका जी जो की किचन से आइसक्रीम लेकर आ रही थी। उन्होंने इन सब की बात सुन ली थी। वह रूहानिका उत्तरा हुआ चेहरा देखकर और बाकी सब को मंद मंद मुस्कुराते 😊 हुए देखकर रूहानी के पास आकर उसके सिर पर प्यार से अपना हाथ फिराते हुए कहती है :- " रूहानी बच्चे इन सब को तो आपको परेशान करने का मोका चाहिए होता है ।" और फिर सबकी और देखकर सब को घूरते 🤨 हुए कहती है :- "आप सब मेरी बच्ची को परेशान क्यों कर रहे हैं। "
उनकी घूरती नजर अपने ऊपर महसूस कर कर तीनों को कुछ समझ नहीं आता कि अब वह क्या कहें इस लिए वह अपने दात दिखा देते हैं । 😁
फिर सब मिलकर ऐसे ही हसते बातें करते आइसक्रीम 🍨 🍨 🍨 खाते है ।
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सारिका रुहानी ओर रूद्राक्ष दोनों से कहती है :- " रुहानी , रूहान ओर यूग तिनों गेस्ड रुम में है । तो रूद्र तूम आजके दिन प्रिंसेस के रूम में सो जाओ । कल उसके बगल वाला आपका कमरा साफ कर दूगी आज हो नहीं पाया वो "
रूद्र चाची को सहमति देते हुए " कोय ना चाची में लवि के रूम में चला जाता हु किस ओर है कमरा "
सारिका उपर की ओर इसारा कर के कहती है :- " उपर है तुम दोनों का कमरा । प्रिंसेस ने खास वह कमरा तेरे लिए रेडि कराया है | ताकि जबभी तु यहा आए तो उसके पास ही रहे | "
रूद्र मूस्कुरा ☺ कर उपर कमरे में चला जाता है | ओर बाकी सब भी आपने अपने कमरे में चले जाते हैं।
इस घर में सब के लिए कमरे बनवाये गये थे | पर वो आज साफ नहीं हो पाये थे इस लिए रूहान , रूहानी ओर यूग गेस्ट रूम में और रूद्र को लावन्या के रूम में आज के दिन के लिए रहना था ।
रूद्र कमरे में जाता है ओर फेस होकर बालकनी में ताजी हवा के लिए थोड़ी देर के लिए चला जाता है | वही पर रखे सोफे पर बेठ जाता है ।
वही पर बेठे बेठे उसकी नजर सामने के घर पर चली जाती है . . . . . | उसकी सामने जो कमरा था वह बहुत खूबसूरत सजाया हूआ था | उसको देख कर रूद्र को वो बहुत पसंद आता है | रूद्र को कमरे में खिड़की से सामने के रूम का बेड दिख रहा था । जिस पर कोई लड़की बैठेंगे तरीके से सो रही थी । जब रूद्र उसे देखता है तो उसके दिल में कुछ अजीब था फील करता है । उसे उस लडकी का चेहरा नहीं दिख रहा था। वो उस कमरे में देखने की कोसिस करता है पर उसे ठीक से नहीं दीख रहा था। उसे कूछ समज नहीं आ रहा था कि ये सब क्यों हो रहा है। थोड़ी देर बाद रुद्रा अपने कमरे में आ जाता है ओर सो जाता है।
इधर शिवी को भी सोचते - सोचते निंद आ जाती है | दोनों बहुत ही सुकून से सो रहा थे ।
पर उन्हें क्या पता था कि उनकी जिंदगी में सूभह ऐक ओर भूचाल आने वाला है। आखिर आब हमारी मूलाकात कल सूबह हमारी लव से भी तो होने वाली है . . . . . .
कल सूबह होगा शिवी ओर रूद्र की जिंदगी में एक जबर दस्त धमाका ।
क्रमशः
क्या होगा कल . . . . . ..? ? ? ?
केसी रहेगी इन दोनों की दूसरी मूलाकात ? ? ? ?
क्या होगा जब हमारी ड्रामा क्वीन लवी आये गी . . . . . . . . .? ? ? ? ? ?
Always be happy😊😊😊
thank you so much all reader . . . .