बचपन में अपने मां-बाप को खोकर 19 साल तक अपने ही चाचा चाची के जुल्म का शिकार हुई रिद्धि की जिंदगी में खुशी भरा मोड़ तब आता है, जब उसकी शादी इंडियास मोस्ट पावरफुल बिजनेसमैन ऋषि जिंदल के साथ तय होती है। लेकिन एक पार्टी में कुछ ऐसा होता है जिसने रिद्धि क... बचपन में अपने मां-बाप को खोकर 19 साल तक अपने ही चाचा चाची के जुल्म का शिकार हुई रिद्धि की जिंदगी में खुशी भरा मोड़ तब आता है, जब उसकी शादी इंडियास मोस्ट पावरफुल बिजनेसमैन ऋषि जिंदल के साथ तय होती है। लेकिन एक पार्टी में कुछ ऐसा होता है जिसने रिद्धि की जिंदगी पूरी तरह से खत्म कर दी । क्या वापस आएगी रिद्धि अपनी आप पर हुए जुल्म का बदला लेने? किस की एंट्री हुई है रिद्धि के शरीर में क्या वो लेगी रिद्धि पर हुए हर जुल्म का बदला? कौन है वह लड़की और क्या है उसका अस्तित्व?कहां से आई है वह, क्या रिश्ता है उसका रिद्धि के साथ? जानने के लिए पढ़िए,"Heartless Ceo " सिर्फ
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एक लड़का और एक लड़की जंगल के बीचो बीच झाड़ियों को पार करते हुए भागे जा रहे थे, उनके शरीर पर जगह-जगह चोटों के निशान दिखाई दे रहे थे। लेकिन दोनों में से ना ही वह लड़का रुकने वाला था और ना ही वह लड़की। उन दोनों के ही चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं थे। दोनों ही इमोशनलेस अपने शरीर की अनगिनत चोटों को नजरअंदाज कर भागे जा रहे थे।
वही झाड़ियों को चीरते हुए, पत्तों में छेद करते हुए एक बुलेट सीधा उस लड़के के पैर में लग जाती है। वहाँ एक दर्द भरी चीख गूंजती है। उस भरे, गहरे अंधेरे जंगल में उस लड़के की चीख ऐसी लग रही थी मानो किसी की मौत का तांडव होने वाला था। तभी उनके पीछे तीनों आदमी दिखाई देने लगे जिनसे बचकर वह दोनों भाग रहे थे।
लड़के को गोली लगता देख लड़की पीछे मुड़ उसे पकड़ लेती है। वह अपने पैरों में छुपाया खंजर उठा सीधा निशाना मार एक इंसान की छाती में भोंक देती है। वह इंसान वहीं गिर जाता है। उस आदमी को गिरता देख उसके दो पार्टनर भी उसे नजरअंदाज कर उन दोनों के पीछे लग जाते हैं।
अभी जिसे गोली लगी थी वह लड़का करहाते हुए अपने पास में खड़ी लड़की को इमोशनलेस चेहरे से कहता है, "कमांडो शायद तुम्हें अभी यहां से जाना चाहिए। मेरे पैर में गोली लगी है और मैं अब ज्यादा देर तक भाग नहीं सकता।"
"तुम यहां से जाओ, अपने बेस के सभी कमांडोज को कंफर्म कर दो।"
लड़की ना हिली और ना ही अपनी जगह से टस से मस हुई। उसने उस लड़के को अपने कंधों पर उठा एक बड़े झाड़ियों के पीछे छुपा लिया और उसके मुंह पर हाथ रख चारों तरफ देखने लगी। जब उसे लगा कि वह दो आदमी वहां से चले गए हैं तब जाकर उसने उस लड़के के मुंह से अपना हाथ हटाया और उसे ऐसे देखने लगी जैसे किसी पागल को।
जब उसे महसूस हुआ कि वह दोनों आदमी उनसे काफी दूर निकल गए हैं, तब नीचे झुक उस लड़के का पैर अपनी तरफ खींच कर अपने दूसरे पैर में छुपाया हुआ धारदार चाकू निकाल उस लड़के के पैर में लगी बुलेट को निकलने लगती है। यह देखकर वह लड़का भी चुप हो गया और उसे एकटक देखने लगा, शायद उसकी नजरों में कुछ और ही था जो शायद इस लड़की के लिए था। लेकिन वह लड़की किसी इमोशन के बिना अपना काम करने में लग गई। उसने उस धारदार चाकू को उसके पैर में घुसा उस बुलेट को निकालने लगी।
उस लड़के की चीख गूंजती उससे पहले ही उस लड़की ने अपने हाथ को उसके मुंह पर रख दिया और उस लड़के की चीख उसके मुंह में ही दब गई।
जब उस लड़की ने अपने हाथों को उसके मुंह से हटाया लड़का गहरी सांसे लेते हुए उसे घूर कर कहता है, "क्या तुम इसे प्यार से नहीं कर सकती थी?"
इसके जवाब में ना ही उस लड़की ने कुछ कहा बल्कि वहीं पड़े एक कपड़े से उसके पैर को बांध दिया, क्योंकि बुलेट को निकालने से उसके पैरों से खून बह रहा था और उसे रोकना बेहद जरूरी हो गया।
कमांडो कहता है, "लगता है तुम मेरे 'लव' में पड़ चुकी हो इसलिए तो मेरी इतनी केयर कर रही हो।" उस लड़के ने दर्द को अपने चेहरे पर ना लाते हुए मजाकिया लहजे में कहा।
उसकी बातों को सुन वह लड़की अपना सर ऊपर उठा उसकी तरफ देखकर पहले तो उसे घूरती है, फिर कहती है, "अपनी बकवास बंद करो।"
"वह ज्यादा दूर नहीं गए होंगे, उन्हें पता लग जाएगा कि हम यहीं कहीं छुपे हैं इसलिए उनका ध्यान मैं डाइवर्ट करती हूं तो तुम उसी का फायदा उठा यहां से चले जाओ। तुम इंजर्ड हो इसलिए वह तुम पर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे। अगर तुम ऐसे ही करते रहे तो हम दोनों यहां पर मर जाएंगे।" उसने बिना इमोशन के कहा।
कमांडो, वह लड़का खड़ा होने की कोशिश करता है, लेकिन उसके पैर में बेहद दर्द हो रहा था। लेकिन फिर भी इस दर्द को सहन करते हुए वह उठा। अपने दांत भिंचते हुए चलने की कोशिश करने लगा।
वह लड़की उसको देख रही थी, लेकिन इस वक्त ना हीं उसके चेहरे पर कोई इमोशंस थे और ना ही उस लड़के की चिंता। वो उसे वहां अकेला छोड़ कर आगे की तरफ बढ़ने लगी। उसको भी बहुत चोट आई हुई थी लेकिन अपनी चील जैसी नजरों से वहां का एरिया स्कैन करते हुए वह लड़की आगे बढ़ती चली गई। तभी किसी ने उस पर हमला कर दिया।
लेकिन वह लड़की शार्प ट्रेन थी इसलिए उसने हमले को रोक उसकी पैंट पर अपने चाकू से हमला कर दिया और उसके आंतड़े को भी निकाल दिया। लेकिन तभी इसी का फायदा उठा एक आदमी अपनी गन उस पर पॉइंट करते हुए खड़ा था।
तभी पीछे से वह लड़का आया और उसके सिर पर पीछे से डंडे से मार कर वहीं बेहोश कर दिया। इसी का फायदा उठा वह लड़की उसके हाथों की बंदूक छीन कर उसी में से उसको शूट कर देती है और वह आदमी वहीं ढेर हो जाता। वह दोनों उन दो आदमी की लाशों को पत्तों से ढक देते हैं, और आगे बढ़ते हैं।
कमांडो बोला, "क्या तुम सच में मुझसे प्यार नहीं कर सकती? मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा जब तक कि तुम हां नहीं कर देती।"
"क्या तब तक तुम जिंदा रहोगे?" उस लड़की ने बिना कोई इमोशन के कहा।
वह लड़का नासमझी में उसे देखने लगा और उसकी बातों का मतलब समझाने की कोशिश करने लगा।
"तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?"
"तुम्हारी अभी जो हालत है मुझे नहीं लगता तुम ज्यादा दिन तक जिंदा रहोगे तो क्यों तुम अपने प्यार को कंफेस कर रहे हो, मुझे कर रहे हो? जिंदा बच भी गए तो तुम्हारी बातें मुझे गुस्सा दिला रही है क्या पता मैं ही तुम्हारी जान ले लूं।"
उसकी बातों को सुन वह लड़का स्पीचलेस हो गया और अपनी जगह पर खड़ा रह उसे घूरने लग गया।
वो लड़की जिसे वह लड़का कमांडो कह रहा था वह आगे की तरफ बढ़ चली गई उस लड़के को पूरी तरह से इग्नोर कर।
उसे आगे जाते देख वह लड़का बस उसे देखता ही रह गया। वह अपने मन में सोचता है, "शायद ये पत्थर दिल भी कभी किसी के सामने पिघल जाए, पता नहीं आखिर वह कौन होगा जो इसके पत्थर दिल को पिघलाएगा। लेकिन...! मैं इसका आखिरी दम तक इंतजार करूंगा। इस अकड़ू और इमोशनलेस चेहरे के पीछे वाला क्यूट सा चेहरा मुझे एक बार देखना है। पता नहीं उस दिन मेरा दिल क्या करेगा...? कहीं उछल कर बाहर ही ना आ जाए......"
"अभी चलना है या यहीं पर रुकने का इरादा है तुम्हारा?"
सुनकर वह लड़का उसके पीछे-पीछे चलने लगा और अपने मन में ही कहता है, "Such a heartless women...! और मेरा दिल इसी पर ही आना था।"
अभी वो दोनों चल ही रहे थे, कि तभी वह लड़की अचानक से रुक गई और अपने हाथ को मजबूती से कस लिया जिस हाथ में उसने गन रखी हुई थी।
तभी उस लड़की ने अचानक पीछे मुड़कर उस लड़के की तरफ गन पॉइंट कर दिया।
यह देखकर वह लड़का घबरा गया, उसे लगा कि उसकी बातें उसने कहीं सुन तो नहीं लीं। लेकिन...! उसे कुछ कहता इससे पहले ही गोली चलने की आवाज आई, गोली उसके बगल से लगभग छूकर ही गई।
तभी उसके पीछे से किसी के चिल्लाने की आवाज आई। जब उस लड़के ने पीछे मुड़कर देखा तो अपने पीछे एक आदमी को हाथों में खंजर लिए देखने लगा। उसने एक नजर नीचे पड़े उस आदमी को देखा और एक नजर कमांडो को जिसने अभी-अभी उसकी जान बचा ली थी।
उसकी आवाज से सभी छुपे हुए आदमी बाहर निकलने लगे और यह कहकर सबको मारने लगे। वहीं वह लड़का और लड़की ने जब इतने सारे आदमियों को देखा तो उनकी आंखें सर्द हो गईं।
कुछ लोगों ने मिलकर उस लड़की पर हमला किया तो कुछ ने उस लड़के पर। तभी एक आदमी पीछे से हाथ में डंडा लेकर उस लड़के के सिर पर मार देता है जिससे उस लड़के की आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और वह धीरे-धीरे बेहोश होने लगा।
झुकी हुई उसकी नजर उस लड़की पर ठहर गई जैसे वह कमांडो कहकर बुला रहा हो।
उस लड़की की आंखें सर्द हो गईं। उसने अपनी पॉकेट में रखी मिनी रिवाल्वर को निकाल सभी को शूट करने लगी और भागकर उस लड़के के पास जाकर उसे अपने साथ खींचते हुए ले जाने लगी।
एक सेफ जगह देखकर उस लड़के को वहां पर लिटाया और खुद पानी की तलाश में आगे की तरफ बढ़ने लगी।
उसने जब अपने सामने इतना बड़ा पानी का झरना देखा तो भागकर वहां गई और अपने हाथों से पानी लेने की कोशिश करने लगी। वो पानी लेती इससे पहले ही किसी ने उसके सिर पर डंडे से मार दिया और वह कमांडो मुंह के बल झरने में गिर गई। उसके दोनों हाथ हवा में थे और उसका शरीर पानी की तरफ खींचा चला जा रहा था।
और एक ही पल में उस पानी में गिर गई, धीरे-धीरे उसकी आंखें बंद हो पानी में ही बहकर जाने लगी।
... दूसरी तरफ
दिल्ली में सुबह के 4:00 बजे।
सफेद सलवार सूट में एक प्यारी सी, नाजुक सी गुड़िया अपने बिस्तर पर सोई हुई थी। तभी किसी ने उसकी ख्वाबों पर पानी फेरते हुए पानी का बकेट उसके चेहरे पर उड़ेल दिया।
वह लड़की हड़बड़ा कर उठ गई और अपने सामने खड़े 2 चेहरे को देखकर थर-थर कांपने लगी।
"अभी ओए महारानी अगर सोना हो गया हो तो चलो जल्दी से काम पर लग जाओ आज मेरे फ्रेंड्स आने वाले हैं यहां पर...., तुम्हें मुफ्त की रोटी तुड़वाने नहीं लाई हूं समझी!"
वह लड़की डरी सहमी नजरों से अपना सिर नीचा कर कहती है, "जी चाची।"
"और याद रखना अच्छे से काम करना नहीं तो देख लेना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा अगर तुमने मेरे दोस्तों के सामने मुझे नीचा दिखाने की हिम्मत भी की तो तुम्हारी खाल उधेड़ दूंगी।"
तभी वह दूसरी लड़की आगे पर उसकी बालों को खींचते हुए कहती हैं, "सब तैयारी 5:00 बजे तक हो जानी चाहिए नहीं तो........." कहकर उसे धकेल देती है और अपने हाथों को पोंछने लगती हैं जैसे उसके हाथ को गंदगी ने छू लिया हो।
वो लड़की ठंडे पानी पानी की वजह से पहले से ही कांप रही थी फिर भी अपनी नजरें नीचे कर हां में सिर हिलाकर कहती है, "जी शाइना दी।"
इतना सुनते ही मां-बेटी वहां से चली गईं। दोनों के ही चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान थी जो जाते वक्त एक दूसरे के चेहरे पर दिखाई दे रही थी और दोनों रूम में जाकर आराम से मखमली बिस्तर पर लेट कर सो जाती हैं।
वहीं हमारी रिद्धि अपने भीगे हुए कपड़ों को संभाले वहां के ही बने एक वॉशरूम में चली जाती है जहां पर वह रहती थी। वह कमरा किसी स्टोरेज रूम से कम नहीं था। इतनी आलीशान महल जैसे बंगले में ऐसे रहती थी जैसे कोई नौकरानी।
जब रिद्धि ने घड़ी में देखा तो सुबह के 4:00 बज रहे थे और अभी खाना बनाने के लिए सिर्फ 1 ही घंटा बचा था।
वह फटाफट तैयार हो किचन में आ जाती है। जब वह देखती है तो कोई भी नौकर या घरवाले अब तक जगे नहीं थे तो फटाफट से किचन में जाकर खाना बनाने लगती है। उसने 1 घंटे में लगभग सारा पार्टी का खाना तैयार कर लिया था।
रिद्धि के हाथों में साक्षात अन्नपूर्णा थी, वो कम उम्र से ही खाना बनाने लग गई थी इसलिए उसे खाना बनाना अच्छी तरह से आता था।
तभी चाची और उसकी बहन शाइना डाइनिंग टेबल पर से ही जोर से चिल्लाने लगती हैं, "ओए.... महारानी नाश्ता बन गया है या नहीं या फिर भूख से मरने का इरादा है...! तुम्हारा हमें।"
अपनी चाची की आवाज सुन वह घबरा जाती है और तभी उसके हाथों से एक बर्तन नीचे गिर जाता है।
"देखा मां इस महारानी से तो एक बर्तन भी संभाला नहीं जाता देखा हमारा एक और नुकसान कर दिया उसने ....;" शाइना ने आग में घी डालने का काम कर दिया।
वहीं उसकी चाची चेतना तमतमाती हुए किचन रूम की तरफ बढ़ती है और पीछे से उसके बालों को पकड़ खींचते हुए कहती हैं....., "महारानी यह क्या तुम्हारे बाप ने दिया है जो इसे तोड़ रही हो।"
"नहीं... नहीं... चाची....!"
"और उपर से मुझसे जुबान लड़ाती हूं।"
नहीं... नहीं... चाची.... गलती से हो गया, मैंने ये जानबूझकर नहीं किया!
"आजकल तुम्हारी जुबान बहुत चलने लगी है! अभी इसको सबक सिखाती हूँ," कह चाची ने गैस जलाकर वहां पर ही रखा चम्मच उठाया और उसे गर्म करने लगी। फिर वही गरम-गरम चम्मच उसने उसके हाथ पर रख दिया।
रिद्धि के हाथ जलने लगे और उसकी चीखें उस किचन में गूंजने लगीं। यह देखकर बाहर बैठी शाइना के चेहरे पर एक जंग जीतने वाली मुस्कान थी।
चाची उस चम्मच को उसके हाथ पर दबाने लगी। जैसे ही चाची ने उस चम्मच को निकाला, रिद्धि के हाथ पर एक बड़ा-सा घाव नजर आने लगा, जो उसे बहुत दर्द पहुंचा रहा था। वह अपने हाथ को पकड़कर उसे फूँक मारने की कोशिश करने लगी, तभी चाची ने उसके बाल पकड़कर कहा, "आइंदा से याद रखना, गलती से भी मुझसे जुबान लड़ाने की हिम्मत की तो तुम्हारी ये जुबान ही खींच लूँगी।"
तभी डोर बेल की आवाज सबके कानों में सुनाई दी।
उसकी आवाज सुन चाची रिद्धि को घूरती हुई बोली, "अब महारानी मेरा मुंह क्या देख रही हो? जा, जाके दरवाजा खोल, देख कौन आया है।"
रिद्धि ने अपना सिर हां में हिलाया और वहां से चली गई। उसके जाते ही चाची के चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट आ गई।
डाइनिंग एरिया में जाकर वह चेयर पर बैठ गई और अपनी बेटी को आंखों से इशारा कर दिया। उसका इशारा देखकर उसकी बेटी ने भी उसे थम्सअप का इशारा कर दिया।
दोनों मां-बेटी मजे से नाश्ता करने लगीं, जो अभी-अभी रिद्धि ने बनाया था।
तभी चाची जोर से चिल्लाई, "अबे ओए महारानी कहां मर गई? कौन है दरवाजे पर.....!"
वह अभी इतना ही कह पाई थी कि सामने खड़े शख्स को देखकर उसका खाना उसके मुंह में ही फंस गया और वह जोर-जोर से खांसने लगी।
"मिस्टर जिंदल, आप यहां?" चाची ने खुद को संभालते हुए कहना शुरू किया।
रामचंद्र जिंदल...
एक अधेड़ उम्र के आदमी को अपने सामने देखकर चेतना खुद को संभालते हुए चेयर से खड़ी हो गई और उनके पास जाने लगी।
जब रामचंद्र जिंदल ने उसे ऊपर से नीचे तक घूरा, तब जाकर चेतना अपने होश में आई और वह हड़बड़ाकर यह भी भूल गई कि इस वक्त वो सिर्फ एक नाइटी पहने हुई थी।
वहीं चेतना इम्बैरिश के मारे अपना सिर नीचे झुकाकर बोली, "आप बैठिए, मैं एक पल में आती हूं," और अपनी बेटी को घूरकर बोली, "जाओ बेटा, इनके लिए पानी लेकर आओ।" अपनी मां के शब्द सुन शाइना उन्हें घूरकर देखती है। उसे तो समझ में नहीं आ रहा था कि आज उसकी मां कड़वा-कड़वा करेले से वाटरमेलन कैसे हो गई।
लेकिन...! फिर भी अपने पैर पटकते हुए पानी लेने के लिए चली गई।
वहीं रामचंद्र जी उन्हें घूर-घूर कर देख रहे थे। उन्हें इन दोनों का व्यवहार बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उनके चेहरे पर सर्द एक्सप्रेशन थे और ना ही कोई इमोशंस, तभी उनके कानों में एक मीठी-सी आवाज गूंजी, जो रिद्धि की थी। वह उनसे कह रही थी, "अरे दादा जी, आप खड़े क्यों हैं? आइए ना बैठिए, मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूं।"
"और मैं शर्मिंदा भी हूं जो आपको यह सब देखना पड़ा।"
उसकी बातों को सुनकर राम चंद्र जी के होठों पर मुस्कान आ गई और वह अपने हाथ को उसके सर पर फिराते हुए बोले, "कोई बात नहीं बेटा जी...!" कह सोफे पर बैठ गए।
वो इस घर को बड़ी इंटेंस नजरों से देख रहे थे और कुछ याद करने की कोशिश कर रहे थे, तभी किचन से शायना पानी का ग्लास ट्रे में लेकर आती है और उन्हें पानी दे देती है, तभी वहां चेतना जी भी आकर उनके अपोजिट वाले सोफे पर बैठ जाती है और उनसे कहती है, "अरे जिंदल साहब, आपने यहां आने की तकलीफ क्यों की? आपने हमें बुला लिया होता, हम आपसे मिलने आ जाते।"
अपनी तीखी नजरों से चेतना जी को घूरकर रामचंद्र जी कहते हैं, "इसमें तकलीफ की क्या बात है? मैंने हरीश को वादा किया था, उसे निभाने तो आना ही था।"
"जी जी आपने सही कहा," और खिसियानी बिल्ली की तरह हंसने लगती है।
उसकी झूठी हंसी रामचंद्र जी की नजरों से कैसे बचती।
उन्होंने आते ही उन दोनों का व्यवहार रिद्धि की तरफ कैसा है, महसूस कर लिया था और वह जल्द से जल्द उसको यहां से ले जाना चाहते थे।
तभी वहां पर वकील जी भी आ पहुंचते हैं और रामचंद्र जिंदल को सोफे पर बैठा देखकर उन्हें मुस्कुराते हुए नमस्ते करते हैं। वह उन्हें अच्छे से जानते थे।
"अरे वकील तुम यहां कैसे?" राम चंद्र जी का सवाल सुन वकील हंसते हुए कहते हैं, "अरे जिंदल साहब, मेरा काम ही यह है तो यही होऊंगा ना, मतलब...!
"वह मैं.... रिद्धि अब 19 की होने वाली है तो मैं उसके हाथों में अब सब कुछ सौंपना चाहता हूं। हरीश जी की विल के अनुसार, जब उनकी बेटी 19 साल की हो जाती है, तब उन्हें यह घर, यह बंगला और गाड़ी और कंपनी उनके हाथ में सौंपना है....!
यही विल उन्होंने आखिरी समय में बनाई थी और अब दो महीने बाद रिद्धि 19 की हो जाएगी, तब वह इन सभी की कानूनन मालकिन बन जाएगी।"
ये सब सुनकर तो चाची और शाइना को जैसे सांप सूंघ गया और वह अपनी आंखें फाड़े उस वकील को घूरने लगीं।
"इसीलिए तो मैं यहां आया हूं उसका सिग्नेचर लेने, इस महीने के पैसे उसे देने, बस इसलिए। लेकिन...! आप यहां कैसे मैं समझा नहीं...!"
"वह बात बहुत सिंपल सी है वकील साहब, मैं रिद्धि को अपने घर की बहू बनाना चाहता हूं, अपने ऋषि के लिए...!"
"आपको तो पता है ऋषि पिछले 5 सालों से लंदन में है और वह यहां कभी भी नहीं आना चाहता, इसलिए मैंने सोचा कि अब उसकी शादी करवा दूं, इसी वजह से तो वह यहां रहेगा।"
"सही सोचा है आपने, पैरों में बेड़ियां होगी तो कहीं जा नहीं पाएगा।"
और हंसने लगता है, लेकिन दो आंखों में गुस्सा भरा हुआ था, वह कोई और नहीं शाइना और चाची की, जो जलन भरी नजरों से रिद्धि को देख रही थीं, वहीं रिद्धि इस सब का मतलब भी नहीं जानती...
क्या करेगी रिद्धी जब किसी अनजान के साथ करनी पड़ेगी शादी..? क्या अपनी चाची और बहन के चुंगल से बच पाएगी रिद्धि की जिंदगी..?
अगर रिद्धि इन सब की मालकिन है तो क्यों उसे घर में नौकर जैसा रखा जाता है?
आंखें इन सब की गुत्थी कब समझेंगी, जानेंगे हम अगले एपिसोड में, तो बने रहे मेरे साथ और पढ़िए मेरी न्यू नोवेल।
अलविदा 💞💞💞💞✍️✍️✍️
कुछ ही वक्त में मां-बेटी को लगने लगा कि अब सबकुछ उनके हाथों से चला जाएगा वह जलन भरी नजरों से रिद्धि को घूरे जा रहे थे तभी वकील खड़ा हो अपने पास मैं रखा एक पेपर रिद्धि की तरफ बढ़ाकर कहता है बेटा इस पर अंगूठा लगा दो।
मैं इस महीने की पैसे देता हूं।
यह सब देखकर जिंदल हैरानी से रिद्धि को घूरते हैं और चेतना जी की तरफ मुंह करके कहती है ,_"क्या रिद्धि कॉलेज नहीं जाती।",,
उसके सवालों पर चेतना जी को जैसे मानो सांप ही सूंघ गया वह हंसते हुए इस बात को टालना चाहती थी लेकिन रामचंद्र जी की घूरती नजरों को देखकर वह कहती हैं,_" कि हमारा तो बहुत मन था उसे पढ़ाने का फॉरेन भेजने का लेकिन...! इसका दिमाग ही नहीं चलता और क्या ही बताओ आपको इसके बारे में मुझे कहने में भी शर्म आती है इसलिए आप इसके बारे में ना ही पूछे तो ही बेहतर होगा।"
और अब वह आपके घर की बहू बने जाने वाली है तो धीरे-धीरे आप को सब पता चल ही जाएगा।
उसकी बातों में छुपा जहर रामचंद्र जी पहचान गए लेकिन उन्होंने वहां पर कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा और खड़े हो वहां से जाने लगे जाते वक्त उन्होंने एक बार फिर प्यार से रिद्धि के सिर पर हाथ फेरा और वहां से चले गए उनके जाने के बाद वकील भी चले गए उनके जाते ही चाची ने घूर कर रिद्धि को देखा और उसके बाल को खींचते हुए कहने लगी,__" यह मत समझ लेना कि यह सब तुम्हारा है यह मेरा है और मेरा ही रहेगा समझी करम जली जाओ अब बर्तन मांज लो और उसके हाथों के पैसे छुड़ा उसे नीचे जमीन पर ढकेल देती है। "
इस वक्त रिद्धि की आंखों में आंसू थे लेकिन वह उनको कुछ भी नहीं कह सकती थी उसने जल्दी से अपनी आंखों से आंसू को पूछा और अपने काम के लिए किचन में चली गई।
उसके जाते ही शाइना ने अपनी मां को देखकर कहने लगी ," _मां उस बूढ़े के सामने आप इतनी अच्छे से क्यों बिहेव कर रही थी आपने तो मुझे पानी भी लाने को भी कहा, आप तो उस गवार को भी कह सकती थी पानी लाने के लिए। आपको पता है ना मैंने कल ही दो हजार के नेल्स किए हैं मेरे नेल्स खराब हो जाते तो।"
लेकिन इस वक्त चेतना किसी और ही ख्यालों में गुम थी उसने अपनी बेटी की बातों को नजरअंदाज कर उसे कहने लगी तमीज से बात करना उस बुड्ढे से तुम नहीं जानती कि वो कौन है..?
अगर तुम्हें पानी लाने को कह भी दिया तो क्या हुआ उस बुड्ढे के सामने थोड़ी बहुत अच्छी होने का नाटक कर लिया करो जिससे कि वह तुम्हारी शादी अपने पोते से करवाए ना कि उस करम जली की....
समझी..!
लेकिन मां मे शादी नहीं करना चाहती ओ भी उस बूढ़े के पोते से पता नहीं खुद को क्या समझता है मैं तो एक ऐसे लड़के से शादी करोगी जो दिखने में बेहद हैंडसम और रिच हो उसके पास दुनिया भर की सारी ऐशो आराम हो....
पागल लड़की यही तो मैं तुम्हारे लिए चाहती हूं उस बुड्ढे का पोता और कोई नहीं बल्कि ऋषि जिंदल है जो बेहद हैंडसम और घमंडी किशम का का लड़का है लेकिन बहोत रिच भी है इसीलिए तो मैं उसकी शादी तुम्हारे साथ करना चाहती हो।
मैं नहीं चाहती कि उस करम जली की शादी उससे हो लेकिन कोई बात नहीं मैंने तो उसे पढ़ने जाने ही नहीं दिया तो इतना पढ़ा लिखा बड़ा बिजनेसमैन कैसे उस जैसी अन पढ से शादी करेगा...
मां लेकिन बुड्ढे को देख कर तो ऐसा लग रहा है कि वह किसी भी हालत में रिद्धि की शादी उसके पोते से करवा देगा फिर हम उसकी शादी कैसे रुकेंगे मुझे अब किसी भी हालत में ऋषि चाहिए उसे सिर्फ मेरे पास होना चाहिए ना कि उस अनपढ़ के पास मैं उससे कई गुना ज्यादा दिखने में सुंदर और स्मार्ट हूं ।
उसने अगर मुझे एक बार देखा तो कभी ना नहीं कह पाएगा।
और दोनों मां-बेटे हंसने लगते हैं और अपने अपने रूम की तरफ चले जाते हैं वहीं रिद्धि किचन में अपने आंसू बहा कर बर्तन साफ कर रही थी सारे नौकर उसकी हालत देख रहे थे लेकिन किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी उसे बचाने की या फिर कुछ उस का काम बांटने की।
तभी एक बूढ़ी नौकरानी जो काफी सालों से उस बंगले में काम करती थी उसने रिद्धि को छोटे से बड़े होते हुए देखा था वही थी जो सिर्फ इस घर में इंसान कहलाने के लायक थी नहीं तो सभी रोबोट की तरह उसके साथ बिहेव करते वह बूढ़ी आंटी रिद्धि के पास आकर उसके बालों पर हाथ फिराने लगती है और कहती है बेटा कब तक यह सब सहोगी यह सब तुम्हारा है तुम इस घर की मालकिन हो लेकिन तुम किसी नौकरानी के जैसे काम करती हो क्या यह अच्छी बात है।
तुम उन्हें क्यों कुछ नहीं कहती आंटी आप तो अच्छे से जानते हैं ना वह मेरे साथ कैसा बिहेव करते हैं अगर मैं उनसे कुछ कहती तो वह चाचा से कह कर मुझे मार खिलवाती। बचपन से ही यह सब होता आ रहा है अब मेरे अंदर कुछ भी सहने की ताकत नहीं है।
भले ही यह सब मेरा है लेकिन इस का मैं क्या करूंगी जब अपने ही इसी की वजह से अपने ना रहे। चाचा चाची और शाइना को यह सब चाहिए तो मैं हंसी खुशी उन्हें देने के लिए मान जाती लेकिन...!
इतना कहकर वह चुप हो गई और अपने काम में लग गई।
वहीं लंदन में........
इस समय वहां स्नो गिर रही थी।।
एक लड़का चेयर पर बैठ कर शराब का घूंट पिए जा रहा था उसके सामने उसके दोस्त थे जो उसी के साथ बैठ ड्रिंक कर रहे थे।
यार ऋषि तुम्हें आए अब 5 साल हो गए क्या तुम्हारा मन नहीं करता इंडिया वापस जाने का,
उसने यह सवाल कर तो लिया था लेकिन...! खुद भी डर रहा था कहीं उसका सवाल सुन वो उसे मेंशन से बाहर ना फेंक दे क्योंकि वह ऋषि था कुछ भी कर सकता था।
आखिर कैसा होगा ऋषि और रिद्धि का आमना सामना क्या ऋषि समझ पाएगा रिद्धि को या फिर उसे अनपढ़ केह छोड़ देगा जाना इंटरेस्टिंग रहेगा तो बनते रहे मेरे साथ और पढ़िए मेरी नोवेल जिसका नाम है।
बाय द वे नाम में क्या रखा है जो आंखों को भाए बस. अगर आपको ये स्टोरी
अच्छी लग रही होगी
मुझे कमेंट करके बता देना
लम्बा कोट जिसमें सफेद कलर के मखमली फर लगे हुए थे, हाथों में ग्लव्स, तीखे नैन-नक्श, 6.6 इंच हाइट, देखने में बेहद हैंडसम और अट्रैक्टिव पर्सनैलिटी का मालिक, ऋषि जिंदल......!
शराब का घूँट ले वह उस लड़के को घूर रहा था जिसने अभी-अभी यह सवाल किया था। उसकी घूरती हुई नजरों को खुद पर पाकर वह लड़का चुप हो गया।
"यार ऋषि, समीर सच तो कह रहा है। तुम इतने सालों से यहाँ हो, क्या तुम्हें अपने परिवार की याद नहीं आती? दादाजी कब से तुम्हें कॉल कर रहे हैं लेकिन तुम एक बार भी उनका कॉल रिसीव नहीं करते। लेकिन...! इस वक्त वह काफी गुस्से में हैं। उन्होंने मुझे कल ही कॉल किया था, अगर तुमने उनसे बात नहीं की तो क्या पता वह फ्लाइट लेकर यहाँ ही ना आ जाए।"
इस पर ना ही ऋषि कुछ बोला और ना ही किसी की हिम्मत हुई उससे कुछ बोलने की....
तभी दरवाजा खोल एक लड़की अंदर आकर सीधा ऋषि के गले में बाहें डाल कर उसके गालों को चूम कर कहने लगी, "बेबी कैसे हो तुम? तुम मुझे पिक करने भी नहीं आए। मैंने तुमको कितना मिस किया।"
ऋषि अपने गले से उसकी हाथों को हटा उसे घूर कर कहता है, "समीरा स्टॉप इट और वहाँ बैठो।"
उसका रुखा जवाब सुनकर समीरा मुँह बनाकर कहती है, "क्या तुमने मुझे मिस नहीं किया? मैं तो तुम्हें कितना मिस करती थी लेकिन तुम ही हो जिसे काम से फुर्सत नहीं...."
सब लड़के चुप हो गए, वहाँ सिर्फ समीरा के बोलने की आवाज गूंज रही थी। वही उसका सवाल सुन ऋषि उसकी तरफ देख कर कहता है, "मैंने भी तुम्हें बहुत मिस किया।" यह सुनकर वह लड़की के होठों पर स्माइल आ गई।
समीरा ऋषि के बचपन की दोस्त थी। ऋषि सिर्फ उसे अपना दोस्त मानता था, लेकिन उसकी परवाह भी किया करता वहीं समीरा उसे अपने दोस्त से भी ज्यादा कुछ समझती थी।
लेकिन...! ऋषि को इसमें कोई भी ऑब्जेक्शन नहीं था। वह तो बस अपने बिजनेस पर फोकस करता था, सबकी हालत खराब हो जाती है उससे बातें करने में, लेकिन...! एक वही थी जो सिर्फ उसके करीब थी, उसके बिजनेस पार्टनर के साथ-साथ उसकी बचपन की दोस्त भी।
"तुम सिंगापुर गई थी उस डील का क्या हुआ....?"
"तुम्हें तो पता है ना जान अगर.....! मैं चाहूँ तो ऐसी कोई भी चीज नहीं जो मैं हासिल ना कर पाऊँ....... और खुद के मन में सिवाय तुम्हारे.. ..... लेकिन जल्द ही मैं तुम्हें भी पाकर रहूँगी!"
समीरा कपूर एक बहुत बड़े बिजनेसमैन की बेटी थी।
उसका सिर्फ एक ही गोल है, ऋषि को पाना। उसी के लिए तो वह उसके साथ उसकी बिजनेस पार्टनर बनकर रह रही थी। कब उसके बचपन का प्यार धीरे-धीरे कर जुनून में बदल गया यह तो शायद वह भी नहीं जानती।
लेकिन ऋषि के सामने उसके दोस्त बैठे हुए थे, वह समीरा को देखकर समझ रहे थे कि समीरा को ऋषि में इंटरेस्ट है लेकिन ऋषि ही उसे भाव नहीं दे रहा। उन्होंने एक गहरी सांस लें और वहाँ से उठकर जाने लगे।
"सी यू टुमारो ब्रो," कह सब लोग चले गए।
लेकिन समीरा वहाँ रह गई। समीरा ऋषि को काफी इंटेस नजरों से घूर रही थी लेकिन ऋषि किसी सोच में गुम था।
"व्हाट हैपन बेबी, तुम परेशान दिख रहे हो, क्या मैं तुम्हें मसाज दे दूँ।"
उसकी बातों को सुन ऋषि बिना उसकी तरफ देखे उसे कहता है, "काफी लेट हो गया है समीरा, अब तुम्हें यहाँ से जाना चाहिए।"
उसकी बातों को ना चाहते हुए भी समीरा को मानना पड़ा और वह उठकर वहाँ से चली गई, लेकिन जाते वक्त उसने मुड़कर ऋषि पर एक नजर डाली और "कब तक मुझसे भागोगे जान, एक ना एक दिन तुम्हें इस समीरा के पास आना ही होगा," कह वहाँ से चली गई।
वह अभी यह सोच ही रहा था कि तभी उसका फोन बजा। उसने एक नजर स्क्रीन पर फ्लैश होते हुए नाम को देखा, उसने गहरी सांस लें फोन को उठा अपने कान पर लगा लिया।
तभी रिसीवर से एक गंभीर और सर्द आवाज आई, "मैंने तुम्हारी शादी फिक्स की है, तुम्हारे लिए अच्छा होगा कि तुम कल यहाँ वापस आ जाओ नहीं तो तैयार रहना मेरा मरा हुआ मुंह देखने के लिए।"
और इतना कह उस आदमी ने फोन रख दिया।
ऋषि अपने होठों पर शैतानी मुस्कुराहट ले, "ठीक है.....! आप यही चाहते हैं ना कि मैं वापस आ जाऊं तो यह जरूर होगा लेकिन मैं शादी कभी नहीं करूँगा और मुझे पता है कि आखिर ऐसा क्या करना है जिससे यह शादी नहीं होगी। मैं भी आप का ही पोता हूँ, आपसे ही सीखा है बिजनेस और जिंदगी के दांवपेंच इसलिए तैयार रहना मिस ...? जितनी भी सपने तुमने मेरी लिए सजाएं है मैं उसको चकनाचूर करने आ रहा हूँ, लिटिल गर्ल.!"
अगले ही दिन ऋषि इंडिया पहुंच जाता है और उसके साथ खड़े थे उसके 4 फ्रेंड समीर, जय, राज और शैलेश।
शैलेश उसका दोस्त होने के साथ-साथ उसका असिस्टेंट भी था। इसीलिए उसे पता था कि ऋषि किसलिए इंडिया आया है। एयरपोर्ट से निकलने के बाद तीनों अलग गाड़ी में और ऋषि सीधा अपनी ऑफिस की तरफ चला जाता है।
उसे जाता देख शैलेश ने गहरी सांस ली और खुद भी गाड़ी में बैठ चला गया।
शैलेश ने ऋषि के दादू को बता दिया था कि वह लोग सभी इंडिया पहुंच गए हैं और वह तीनों सीधा विला आएंगे लेकिन ऋषि ऑफिस चला गया है। यह सुनकर दादू ने अपने दांत भींच ले और खुद से ही कहा, "ए लड़का कभी नहीं सुधर सकता। सालों पहले भी सिर्फ इसी बात के लिए वह घर छोड़कर चला गया था अब तक नहीं आया और आज अगर उन्होंने उसे धमकी ना दी होती तो वह भी कभी नहीं आता।"
लेकिन...! फिर जाने दिया उन्हें तसल्ली तो हुई कि वह अभी इंडिया आ गया है तो कहीं नहीं जाएगा।
वही ऑफिस में आज भूडकंप मचा हुआ था। किसी को भी पता नहीं था कि आज उनके बॉस आने वाले थे इसीलिए सब अपनी मनमानी करने लगे लेकिन लास्ट आधे घंटे पहले ही मैंने पता चल गया कि बॉस आने वाले हैं तो सभी हड़बड़ा कर इधर-उधर भागने लगे।
आखिर इस शादी को रोकने के लिए क्या करने वाला है ऋषि और क्या होगा ऋषि से मिलने के बाद एक बार फिर उसका दिल टूट जाएगा या आएगा इस कहानी में कोई इंटरेस्टिंग मोड?
कैबिन में...
"क्या तुम्हारा अब काम करने से जी भर गया है, या फिर मैं तुम्हें एक लंबी छुट्टी पर भेज दूं?" ऋषि ने अपनी एक आइब्रो उचकाते हुए कहा।
"तुम मेरे असिस्टेंट हो या दादू के जासूस... हम्म...!" पहले मुझे यह बताओ।
ऋषि घूरकर शैलेश को देख रहा था जो इस वक्त उसकी आंखों के सामने अपने सर को झुकाए खड़ा था।
"अरे यार...!" वह अभी कुछ कहता ऋषि उसे टोकते हुए कहता है, "तुम अपने बॉस से इस लहजे में बात करते हो...?"
"सॉरी...; मैं और क्या करता दादू ने मुझे फ़ोर्स किया था कि अगर यह बातें मैंने उन्हें नहीं बताई तो मुझे अफ्रीका भेज देंगे और वहीँ मेरे लिए एक लड़की ढूंढ मेरी शादी करवा देंगे, इसलिए ना चाहते हुए भी मुझे उन्हें सब बताना पड़ा।"
"वैसे दादू ने मुझे बताया है कि वह लड़की बहुत प्यारी है, सॉफ्ट हार्टेड है। पता नहीं तुम जैसे निर्दयी और हार्टलेस इंसान के साथ कैसे रहेगी।" उसने यह बात धीरे से ही कही थी लेकिन...! ऋषि के कानों से बच ना पाई। उसकी बातों को सुनकर ऋषि उसे घूरकर देखता है, फिर कहता है, "अगर तुम नहीं चाहते कि मैं भी तुम्हें अफ्रीका भेजूँ, तो मुझे आधे घंटे के अंदर-अंदर उस लड़की की सारी इन्फॉर्मेशन चाहिए, उसका कैरेक्टर सर्टिफिकेट, सब कुछ। और वह किस वजह से मुझसे शादी कर रही है, मुझे सब कुछ जानना है उसके बारे में... गॉट इट...!"
शैलेश जल्दी में हाँ में अपना सिर हिला वहां से चला जाता है।
उसके जाते ही ऋषि अपने चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट ले "तुम्हारी जिंदगी का यह डरावना ख्वाब होगा... मेरी होने वाली फ्यूचर वाइफ। तुम खुद इस शादी के लिए मना करोगी।"
ऋषि जिंदल जो चाहता है वही होता है, लड़कियां उसके पीछे भागती हैं, वह लड़कियों के पीछे नहीं। और अपने होठों पर शैतानी मुस्कुराहट लिए अपने काम में लग जाता है।
कुछ ही वक्त बाद शैलेश अपने हाथों में एक फाइल लिए केबिन में इंटर होता है। अपने हाथों की फाइल ऋषि की तरफ बढ़ा।
शैलेश उसे छेड़ते हुए कहता है, "यार क्या कमाल की लड़की तुम्हारे लिए ढूंढी है दादू ने, हीरा है हीरा। मानना पड़ेगा दादू की चॉइस को।"
"अब उसकी तारीफ हो गई हो तो थोड़ा काम कर लिया जाए..." उसकी बातों को विराम लगाते हुए ऋषि उसे घूरकर कहता है।
वहीँ हमारा बेचारा शैलेश अपने बॉस से डांट खाकर चुपचाप से केबिन से चला जाता है।
शैलेश के जाने के बाद ऋषि सामने टेबल पर रखी उस लड़की की फाइल उठाकर देखने लगता है। जब उसने उसकी तस्वीर देखी तो खुद से ही कहने लगा, "तुम बिल्कुल भी नहीं बदली, पहले भी ऐसी ही थी और अब भी वैसी की वैसी ही हो। खैर मुझे क्या...; मुझे तो तुमसे शादी नहीं करनी तो तुम्हारी तस्वीरों को देखकर मैं क्या ही करूंगा... लिटिल गर्ल...!"
जैसे-जैसे ऋषि उस फाइल को पढ़े जा रहा था, वैसे-वैसे उसकी आंखों में चमक आ रही थी। "पहले भी तुम्हारी ही वजह से मैं यहाँ से चला गया था और अब भी तुम्हारी ही वजह से मैं शादी नहीं करना चाहता। एक ऐसी लड़की जो दूसरों के सामने खुद को कमजोर समझती है, वह कभी भी ऋषि जिंदल की वाइफ नहीं बन सकती लिटिल गर्ल... तैयार रहो मुझसे मिलने के लिए बेबी गर्ल। BECAUSE... Little girl, I have such surprises planned for you, seeing which you will become fond."
सेनोरिटा क्लब में...
एक लड़की एंट्रेंस से अपने गले के दुपट्टे को ठीक करके आगे देख रही थी। इस वक्त उसके हाथों में पसीना छाया हुआ था, उसने कसकर अपने दुपट्टे का एक सिरा पकड़ कर रखा था। नर्वसनेस के मारे उसका हाल बुरा हो गया था। आते-जाते लोग उसे अजीब नज़रों से घूर रहे थे।
वहीँ उसके बगल में खड़ी शायना उसे जलन और नफरत से घूरे जा रही थी, लेकिन इस वक्त उसके चेहरे पर मुस्कुराहट थी, वह भी तिरस्कार भरी।
वह उस बहनजी को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरकर कहने लगी, "कौन ऐसी आंटी टाइप लड़की को पसंद करेगा...! आई एम श्योर ऋषि जब मुझे देखेगा तो सिर्फ मुझे ही देखता रहेगा।" उसने अपने आप पर घमंड और इतराते हुए कहा।
वहीँ हमारी रिद्धि इधर-उधर देखकर शायना का हाथ पकड़ते हुए कहने लगी, "शायना दी हम यहाँ पर क्यों आए हैं? यह कैसी जगह है? मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी।"
"चुप बैठो गवार, पता नहीं उस बुड्ढे को तुमने ऐसा क्या नजर आया जो तुम्हें अपने घर की बहू बनाने पर तुला है। इतने बड़े और फेमस क्लब में लेकर आई हूँ लेकिन इसी तो देखो..." साइना ने चिढ़ते हुए कहा।
उसकी बातों को सुनकर रिद्धि चुप हो गई।
वह आगे बढ़ती इससे पहले ही काले कपड़े वाले बॉडीगार्ड्स उनका रास्ता रोककर कहता हैं, "मैडम आपको बॉस ने ऊपर अपने प्राइवेट रूम में बुलाया है।"
उस बॉडीगार्ड्स को शायना अच्छे से पहचान गई और इतराते हुए अपना हाँ में सिर हिलाने लगी। उसे लगा कि शायद वह उसे ही बुला रहा है, लेकिन...! जब वह आगे बढ़ी तब उस बॉडीगार्ड ने साफ-साफ लफ्जों में कहाँ, "मिस हमारे बॉस ने आपको नहीं, उनकी होने वाली फ्यूचर वाइफ को बुलाया है।"
यह सुनकर तो शायना के तन बदन में जैसे आग लग गई थी।
वहीँ हमारी रिद्धि उस बॉडीगार्ड्स की बात सुनकर घबरा गई। वह पहले ही इस जगह से बिल्कुल अनजान और ऊपर से अकेले में उस इंसान से मिलने जाना जिसे वह जानती भी नहीं, इसलिए उसने डरकर शायना का हाथ पकड़ लिया।
लेकिन जब साइना ने उसे घूरकर देखा तो रिद्धि ने अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ा लिया।
यह देखकर शायना उस बॉडीगार्ड की तरफ देखकर कहने लगी, "देखिए आप अपने बॉस से कहिए कि रिद्धि उनसे अकेले में मिलने के लिए थोड़ी अनकंफरटेबल फील कर रही है, इसलिए मैं भी आपके साथ चलूंगी। वैसे भी तो मैं उसकी बहन हूँ।"
"सॉरी मिस, हमारे बॉस ने स्ट्रिक्ट आर्डर दिए हैं कि उनसे मिलने सिर्फ उनकी होने वाली वाइफ ही आएगी और कोई नहीं।" इसलिए ना चाहते हुए भी रिद्धि को बॉडीगार्ड के पीछे-पीछे जाना पड़ा।
तो क्या लगता है आपको क्या प्लान किया है ऋषि ने रिद्धि के लिए...?
सॉफ्ट हार्टेड रिद्धि बच पाएगी ऋषि के चंगुल से...?
क्या करेगा यह शादी को तोड़ने के लिए ऋषि जानेंगे हम अगले एपिसोड में तो बनते रहे मेरे साथ और आपका प्यार मेरी इस कहानी को देते रहे।
जब रिद्धि ने उस प्राइवेट रूम का दरवाजा खोला तो उसकी आंखें बाहर आने को हुई।
उसका शरीर डर से कांपने लगा उसने कसकर अपने दुपट्टे को हाथों में भिंच लिया और सामने अपनी आंखें बड़ी बड़ी कर देखने लगी , उसके माथे से एक बूंद लुढ़क कर नीचे की तरफ आ रही थी।
वही ऋषि अपने दोस्तों के साथ मिलकर ड्रिंक कर रहा था। और उसके आसपास लड़कियां छोटे छोटे कपड़े पहन कर उन लड़कों के लैब पर बैठ उन्हें सिड्यूस कर रही थी।
वहीं ऋषि के भी लैब पर एक लड़की बैठ कर अपने हाथों को उसके गले से होते हुए उसके शर्ट के बटन खोले जा रही थी।
तभी एक लड़का जो ऋषि के ही उम्र का दिख रहा था वह उसके पास खड़ी लड़की को अपनी हसरत भरी नजरों से देख कर कहता है _"बेबी....! यू आर लुकिंग वेरी हॉट लेकिन...! तुमने इतने कपड़े क्यों पहने हैं अपने कपड़े उतारो सेक्सी..."
उसकी बातों को सुनकर वह लड़की अपने गुलाबी होठों पर स्माइल लाकर कहती है,__" नॉटी...!"
और अपने कपड़े उतारने के लिए कपड़ों पर हाथ रख देती है।
वही ऋषि के लैब पर बैठी लड़की ऋषि के शर्ट उतारने के लिए उसके बटन पर हाथ रख देती है, लेकिन ...!जैसे ही उस लड़की के हाथ उसके बटन को छूते ऋषि ने उसके हाथों को कस कर पकड़ लिया और उसे अपने गुस्से भरी नजरों से घूर ही रहा था कि तभी उसकी नजर दरवाजे पर खड़ी रिद्धि पर चली गई।
उसे वहां इतनी डरी सहमी हालत में देखकर ऋषि के होठों पर तिरछी स्माइल आ गई।
__" तुम वहां क्यों खड़ी हो अंदर आओ....!"
__ऋषि ने रिद्धि की तरफ देखकर कहा उसकी आवाज इतनी दमदार थी कि सभी लोग अपनी जगह पर बैठ उस दिशा की ओर देखने लगे जहां देखकर ऋषि बोल रहा था।
सब लोगों की नजर दरवाजे पर डरी सहमी सी खड़ी रिद्धि पर चली गई वही सब की नजर खुद पर पाकर रिद्धि और भी ज्यादा कांपने लगी नर्वसनेस के कारण उसने कसकर अपने दुपट्टे को हाथों में झगड़ा हुआ था और वह उस लड़के की तरफ देख रही थी जिसने अभी अभी उसका नाम पुकारा था।
वही ऋषि अपने लैब पर बैठी लड़की को खड़ा कर कहता है,_" बेबी ...! अभी नहीं मेरी जान आ गई है।"
ऋषि ने रिद्धी की तरफ देख कर कहा।
ऋषि खड़ा हो रिद्धी की तरफ बढकर कहता है ,___" मिलिए मेरी फियोंशी सी जो बहोत जल्द मेरी फ्यूचर वाइफ बनने वाली है।"
आओ रिद्धि ऋषि अपने हाथों से उसके बैक को सपोर्ट कर आगे की तरफ ले जाते हुए कहता है । वहीं उस का हाथ अपने बैंक पर पाकर रिद्धि बूरी तरह से डर गई और पसीने से लथपथ हो गई, उसकी बॉडी ना चाहते हुए भी कांपने लगी वह खुद को रोकना चाहती थी लेकिन ...! अपने सामने यह सब नजारा देखकर रिद्धि खुद को कांपने से नहीं रोक पाई
वही रिद्धि के शरीर को कांपता हुआ ऋषि अच्छे से महसूस कर पा रहा था और वह अपने हाथ को और भी नीचे की तरफ ले जाने लगा इस वक्त उसके होठों पर शैतानी मुस्कुराहट थी।
वही रिद्धि के हालत बहुत खराब होती जा रही थी उसके मुंह से तो एक भी शब्द निकल नहीं रहा था उसने अपने आप को सिकुड़ कर रखा हुआ था।
_" हेलो मिस यू लुकिंग वेरी गॉर्जियस....." उसी में से एक लड़का खड़ा हो रिद्धि की तरफ देखकर कहता है। और उससे फ्रेंडशिप करने के लिए अपना हाथ बढ़ा देता है
वही अपने सामने किसी को अचानक ऐसे खड़ा देखकर रिद्धि डर जाती है, रिद्धि कभी उस लड़के का हाथ तो कभी उसका चेहरा देखती ।
क्या हुआ बेबी हाथ मिलाओ।
__"तभी ऋषि के अट्रैक्टिव और सिडयुव सिंग वॉइस रिद्धि के कानों में सुनाई दी। अपने इतने करीब किसी लड़के की आवाज सुनकर एक बार फिर रिद्धी कि बॉडी कांपने लगी।"
लगता है हमारी होने वाली मिसेस जिंदल काफी शर्मी ली है।
एक लड़की खड़ी हो बड़ी ही आराम से रिद्धी तरफ देखकर कहती है जब रिद्धि ने उसकी ड्रेस को देखा तो बस अपनी आंखें बंद कर लेना चाहती थी।
उसने सिर्फ नाम मात्र की स्ट्रेपलेस ब्रा और शॉर्ट्स पहने हुए थे जो कि सिर्फ उसके इनर पार्ट को ढक रहे थे बाकी सब रिवीलिंग था।
वही उसके बगल में बैठा लड़का उसकी थाई और क्लीवेज पर हाथ रख सहला रहा था।
यह देख कर रिद्धि सिर्फ वहां से भाग जाना चाहती थी। वही अपने हाथ को आगे बढ़ाएं वह लड़का अब अनकंफरबल फील कर रहा था इतने लोगों के सामने वह अपना हाथ हैंड शेक के लिए रिद्धि के सामने बड़ा लेकिन रिद्धि ने कोई रिस्पांस नहीं किया यह देखकर उस लड़के को हल्का-हल्का गुस्सा भी आने लगा
__"। मिस ब्यूटीफुल क्या हुआ क्या आप मुझसे हाथ मिलाना नहीं चाहती।"
उस लड़की की आवाज रिद्धि के कानों में सुनाई दी
वही रिद्धि ने एक नजर ऋषि की तरफ देखा बाद में हिम्मत कर अपना हाथ आगे बढ़ा उस लड़के के हाथ में दे हैंडशेक करने लगी वो लड़का हैंड शेक के बहाने रिद्धि के हाथों को कुछ और ही इरादे से छू रहा था जो महसूस कर रिद्धि अपना हाथ झट से उसके हाथों से खींच लेती है।
यह देखकर उस लड़के के होठों पर एक अलग ही चमक दिखाई देने लगती है।
वही ऋषि उसे अपने साथ में ले अपनी काउच पर बैठ जाता है।
मानना पड़ेगा मिस्टर जिंदल ने अपने लिए हूर की परी तलाशी है।
पहले जो ऋषि के लैब पर बैठी हुई लड़की जलन से कहती है। कम ऑन अलिशा तुम्हें क्या लगता है बिजनेस मे राज करने वाला किसी को भी अपनी वाइफ बनाएगा कुछ तो होगा रिद्धि में जो ऋषि उससे शादी करने जा रहा है।
है ना ऋषि ......
एक लड़की रिद्धि को घूरते हुए ऋषि से कहती है।
सो रिद्धि अब तुम भी ऋषि के साथ हमें ज्वाइन कर सकती हो आफ्ट्रॉल अब तुम भी हमारे सर्कल का एक हिस्सा हो ।
वही अपनी आंखों में शैतानी चमक ले ऋषि रिद्धी को घूरे जा रहा था उसे अच्छी तरह से रिद्धि की कमजोरी पता थी । रिद्धि एक गरीब और इनोसेंट लड़की थी जो इस माहौल को तो क्या इस जगह पर आना भी पसंद नहीं कर सकती थी।
ऋषि ने जानबूझकर उसे आज यहां मिलने बुलाया था वह उसे यह दिखाना चाहता था कि वह कैसा है.!
अब लास्ट टेप स्वीटहार्ट अब तुम्हारे सिर से मुझसे शादी करने का भुत हमेशा हमेशा के लिए उतर जाएगा।
आखिर ऐसा क्या करने वाला है ऋषि जिसके बाद रिद्धि उसे शादी करने के लिए मना कर देगी..?
क्या इस आखरी फैसले से रिद्धि ऋषि के चेहरे से भी नफरत करेगी..?
क्या है ऋषि का अगला प्लान.?
जानेंगे हम अगले एपिसोड में तो बनते रहे मेरे साथ और बताएं मुझे कि ए चैप्टर आपको कैसा लगा।
अलविदा 💞💞💞💞✍️✍️✍️✍️✍️
ऋषि के हाथ धीरे-धीरे रिद्धि के बैंक पर फिसल रहे थे। वह अपने होठों पर शैतानी मुस्कुराहट लिए उसे ही देख रहा था। वह जानबूझकर ऐसी हरकतें रिद्धि के सामने कर रहा था जिससे रिद्धि इस शादी को खुद ही तोड़ दे।
तभी एक लड़की ऋषि के पास आकर उसके बगल में बैठ कर कहती है, "क्या जान, तुम इसे क्यों इस पार्टी में लेकर आए? आज तो मैं तुम्हारी पार्टनर थी ना? और वैसे भी इस पार्टी का रूल है जो भी हारेगा उसके जिस्म से एक-एक कपड़े उतार दिए जाएंगे। क्या तुम्हारी मंगेतर यह सब करेगी...?"
यह बात सुनकर रिद्धि की आंखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उसके हाथ पैर बुरी तरह से कांपने लगे। वहीं ऋषि उसकी तरफ देखकर शैतानी स्माइल लेकर कहता है, "ऑफ कोर्स यह जरूर करेगी। ऋषि जिंदल की होने वाली वाइफ अपने होने वाले पति की इज्जत बचाने के लिए कुछ भी करेगी।"
"क्यों जान, मैंने सही कहा ना...!" ऋषि ने उसकी तरफ देख कर कहा।
वहीं रिद्धि ने इस वक्त अपने हाथों की मुठिया भींच रखी थी। वह अपने आप को कुछ भी कहने से रोक रही थी। उसने अपनी पलकें उठाईं, एक नजर ऋषि की तरफ देखा। उसकी आंखों में आंसू देख कर ऋषि झुंझला कर कहता है, "क्या हुआ? यह सब तो तुम ही चाहती थी ना? तुम ही मिसेस जिंदल बनना चाहती थी, तो फिर यह नाटक क्यों कर रही हो?"
ऋषि ने उसकी आंखों में आए आंसूओं को इग्नोर कर कहा।
वहीं इस वक्त रिद्धि की हालत देखकर सब लोग उस पर हंसने लगे थे।
धीरे से मगर हकलाते हुए रिद्धि ऋषि की तरफ देखकर कहती है, "मुझे वॉशरूम जाना है।"
वहीं उसके बातों को सुनकर ऋषि एक नजर उसको देखता है, फिर हां में अपनी गर्दन हिला देता है और फिर अपने दोस्तों के साथ मशरूफ हो जाता है।
वहीं रिद्धि अभी उसी जगह पर बैठी हुई थी। उसने एक नजर ऋषि की तरफ देखा, फिर अपने हाथों की तरफ जो इस वक्त बुरी तरह से लाल पड़ चुका था। उसने अपने हाथों के नाखून इस कदर अपनी हथेलियों में चुभाए थे जिससे उसे ही तकलीफ हो।
वह अपनी आंखों से बह रहे आंसू को पोंछ वहां से उठकर वॉशरूम की तरफ बढ़ गई। अभी वह जा ही रही थी कि किसी ने उसके पैरों के आगे अपना पैर फंसा दिया जिससे रिद्धि खुद को संभाल ना पाई और नीचे जमीन पर गिर गई।
ऋषि यह सब अपनी आंखों से देख रहा था लेकिन उसने रिद्धि की मदद नहीं की और वैसे ही उसे इग्नोर कर अपने दोस्तों के साथ मजे करने लगा। वहीं अपने आप को संभालते हुए रिद्धि खड़ी हो गई और अंदर की तरफ बढ़ गई। इस वक्त उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वह उन्हें पोंछते हुए अंदर जा रही थी तभी पीछे से किसी ने उसके बालों को पकड़ अपनी तरफ घुमाया और एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया।
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे ऋषि के पास बैठने की और उससे शादी करने की? तुम्हें क्या लगा वह तुम्हें इतनी आसानी से अपनी वाइफ बना देगा? वह सिर्फ मेरा है और मेरा ही रहेगा, समझी...!"
एक लड़की जो अभी-अभी उस रूम में इंटर हुई थी और ऋषि का रिद्धि की तरफ इतना प्यार भरा व्यवहार देखकर जलन से भर गई थी। उसने जैसे ही रिद्धि को वहां से वॉशरूम की तरफ जाता देखा तो वह उसके पीछे आ गई।
"समीरा... समीरा कपूर नाम है मेरा और तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी ऋषि को मुझसे छीनने की?" समीरा इस वक्त बेहद गुस्से में थी और पागल भी हो चुकी थी। जब उसने देखा कि ऋषि के बगल में और कोई नहीं उसकी होने वाली वाइफ बैठी है तो उसका खून इस तरह से खोला जिससे वह रिद्धि को एक ही नज़र में जान से मार देने का मन किया।
ऋषि से मिलने के बाद समीरा अपने घर गई थी। वह अभी अपने घर पहुंची ही थी कि तभी उसे शशांक का कॉल आ गया और उसने बातों ही बातों में उसको बता दिया था कि वह सब इंडिया जाने वाले थे क्योंकि दादाजी ने ऋषि की शादी तय की हुई थी।
यह सुनते ही उसका गुस्सा मानो आपे से बाहर हो गया और वह भी फौरन इंडिया आ गई।
इस वक्त समीरा गुस्से में रिद्धि को देख रही थी। उसने एक और थप्पड़ उसके गाल पर रसीद दिया। इस वक्त समीरा पागलों की जैसी व्यवहार कर रही थी। उसने उसकी आंखों में घूरते हुए कहा, "ऋषि सिर्फ मेरा है अगर तुमने उससे शादी करने की सोची भी तो मैं तुम्हें इस दुनिया से ही दूर भेज दूंगी, समझी..." उस वक्त उसकी आंखों में एक जुनून और पागलपन था जो सिर्फ और सिर्फ ऋषि को पाने के लिए था।
डरी सहमी रिद्धि अपने गालों पर हाथ रखकर बस सिसक रही थी। उसने मन ही मन कहा, "आखिर क्या गलती की मैंने जो आप मुझे इस तरह से दर्द दे रहे हैं? एक बार ही क्यों मुझे आपके पास नहीं बुला लेते भगवान...!"
इस वक्त रिद्धि बुरी तरह से टूट चुकी थी। पहले ही ऋषि के बिहेवियर से अब वह इस लड़की से, वह मानो टूट सी गई थी। उसे अब सिर्फ अपनी जान देने के सिवा कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। वह अपना दुख बता तो किसे बताती...
आखिर इस दुनिया में उसका था ही कौन जो उसे समझ सके? हर कोई सिर्फ उसे मारने पर तुला हुआ बैठा है। यह सब रिद्धि सोच रही थी कि तभी वाशरूम का दरवाजा किसी ने खटखटाया।
"क्या तुम अंदर हो...?"
एक लड़के की आवाज रिद्धि के कानों में सुनाई दी। वह इस आवाज को अच्छी तरह से पहचान गई। यह आवाज किसी और की नहीं ऋषि की थी।
उसने अपने आपको जैसे तैसे संभाल कर अपने मुंह से कुछ शब्द कहे, "हां...!"
"तो जल्दी से बाहर आओ। मुझे तुम्हें किसी से मिलवाना है।" कह ऋषि वहां से चला गया बिना उसका जवाब सुने।
वही रिद्धि कुछ कहने ही वाली थी लेकिन उसे एहसास हुआ कि बाहर किसी की आवाज अब सुनाई नहीं दे रही थी। वही रिद्धि को अपने आप पर ही हंसी आने लगी। उसने अपने आप को संभाला और बेसिन की तरफ बढ़ गई और अपने मुंह पर पानी की कुछ छींटे मारते हुए खुद को आईने में देखने लगी।
आखिर किस से ऋषि रिद्धी को मिलवाने वाला था...?
यह शादी तोड़ने के लिए किस हद तक जाएगा ऋषि...?
क्या रिद्धि खुद को बदल पाएगी या फिर ऐसे ही कमजोर दिल होकर सबका टॉर्चर सहती रहेगी...?
जैसे ही रिद्धि वॉशरूम से बाहर निकली, वैसे ही उसके सामने का नज़ारा देख पैरों तले ज़मीन खिसक गई। इस वक्त ऋषि एक लड़की को बेतहाशा चूमे जा रहा था। दोनों के जिस्म आपस में जुड़े हुए थे और बेहद पैशनेट होकर एक-दूसरे को किस कर रहे थे। यह सब देख कर ही रिद्धि की आँखों में एक बार फिर से आँसू आने लगे।
अपनी भारी कदमों से उस ओर जाने लगी जहाँ पर वह दोनों खड़े थे।
रिद्धि को अपने पास आता देख ऋषि उस लड़की से दूर हट अपने होठों को अंगूठे से पोंछ रहा था, वहीं वह लड़की सिडक्टिव वे में ऋषि को ही घूर रही थी। उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा कि ऋषि उससे दूर हुआ, वह तो और भी उसके एहसासों में भीगना चाहती थी।
"लगता है तुम दोनों काफी बिजी हो, शायद मुझे अभी यहाँ से चले जाना चाहिए," रिद्धि ने धीरे से मगर ऋषि की आँखों में देखते हुए कहा।
"अभी कहाँ बेबी, अभी तो पार्टी शुरू हुई है और तुम जाने का नाम ले रही हो," ऋषि ने उसकी बातों को इग्नोर कर कहा।
तभी उसके बगल में खड़ी लड़की घूर कर रिद्धि को देख कर कहती है, "बेबी वैसे ये कबाब में हड्डी कौन है...? जो हमारे प्यार की दुश्मन बनी बैठी है।"
"शट अप यू सिली गर्ल! यह मेरी होने वाली वाइफ है, इससे तमीज़ से बात करो, समझी," ऋषि ने रिद्धि की तरफ जाकर उसके कमर पर हाथ रख खुद से चिपकाते हुए कहा।
"बेबी चलो, अगर तुम्हारा पार्टी में मन नहीं लग रहा तो हम कुछ इंटरेस्टिंग करते हैं," और उसके होठों की तरफ बढ़ना शुरू कर देता है।
रिद्धि को अब ऋषि से घिन आने लगी थी। उसे अब खुद के फैसले पर रिग्रेट हो रहा था कि आखिर वह क्यों यहाँ पर चली आई और इस लड़के से शादी...... शादी तो बहोत दूर की बात है, अब तो वह इस शादी से पहले खुद को खत्म कर लेना बेहतर समझेगी।
वहीं ऋषि ने उसकी आँखों में अपने लिए नफरत देख ली थी। ये देख उसके होठों पर शैतानी स्माइल आ गई और वो एक बार फिर उसके होठों के करीब बढ़ने लगा।
लेकिन...! वह उसके होठों के करीब जा पाता, इससे पहले ही उसके गाल पर रिद्धि के हाथों की उंगलियों के पाँचों निशान छप गए...
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे छूने की इन गंदे हाथों से...!" रिद्धि ने लगभग चिल्लाते हुए कहा।
जहाँ सभी अपने आप डांस में मग्न थे, एक दूसरे में खोए हुए थे, इस एक थप्पड़ की गूंज ने सभी को अपनी जगह शांत रहने पर मजबूर कर दिया। वह बस एकटक उस लड़की को देख रहे थे जिसने यह हिम्मत की, बिजनेस पार्टनर होने पर भी आज तक उनमें से किसी की हिम्मत नहीं हुई ऋषि जिंदल पर हाथ उठाने की और आज ये हिम्मत एक लड़की ने की... वह भी उसकी होने वाली वाइफ ने।
"हाउ डेयर यू... तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे थप्पड़ मारने की," ऋषि ने लगभग चिल्लाते हुए कहा। उसने कसकर रिद्धि की बाजू को पकड़ रखा था और झंझोड़कर उसे पूछ रहा था। इस वक्त वह गुस्से से लाल हो गया था।
"तुम जैसी लड़कियाँ सिर्फ मेरे पैसों के लिए मेरे साथ सोना चाहती है, अगर तुम्हें भी यही हसरत है तो चलो, मैं आज तुम्हारी यह भी हसरत आज पूरी कर ही देता हूँ।"
उसकी बातों को सुन रिद्धि की आँखों से आँसू आने लगे। वह खुद को ऋषि के पकड़ से छुड़ाकर यहाँ से भाग जाना चाहती थी, लेकिन...! ऋषि की पकड़ उसके बाजू के ऊपर वक्त के साथ कसती ही जा रही थी।
उसने गुस्से से एक-एक शब्द चबाकर कहा, "तुम ही थी ना जो मेरे पीछे पड़ी थी, हमेशा दादू से कहकर मुझसे शादी करने का तुम्हारा इरादा जो था, यह हसरत भी आज मैं तुम्हारी पूरी कर देता हूँ," और एक हाथ से उसके दुपट्टे को निकाल ऊपर की तरफ उछाल देता है।
इस वक्त रिद्धि के हाथ अपने आप को ढके हुए थे। वह आँखों में भरे आँसू से ऋषि को देख रही थी, उसे छोड़ देने की मिन्नतें कर रही थी, लेकिन...! ऋषि इस वक्त गुस्से में था और वह रिद्धि की एक भी बात को सुनना नहीं चाहता था या फिर सुनने की कोशिश भी नहीं कर रहा था।
उसने रिद्धि को पीछे चेयर पर धक्का दे उसके ऊपर झुक कर कहा, "क्यों यही इरादा था ना तुम्हारा मेरे साथ शादी कर मिसेस जिंदल का हक़ पाने का, सही कहा ना मैंने...."
इस वक्त रिद्धि की नज़रें चारों और देख रही थी। सब लोग उसे ऐसे देख रहे थे मानो किसी पागल को। उसने अपनी नज़रें नीचे झुका अपने दोनों हाथों से अपने चेस्ट को कवर कर रखा था। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। उसे आज अपने आप पर ही तरस, दया और घिन आ रही थी। उसने अपने ऊपर झुक रहे ऋषि को एक नजर देखा, फिर अपने दोनों हाथों से उसके चेस्ट पर दबाव बना पीछे धकेल कर वहाँ से भाग गई...
इस वक्त रिद्धि ऐसे भाग रही थी जैसे उसे किसी का होश ना हो। अपने आसपास क्या चल रहा है, कुछ भी सोचने समझने की हालत वह खो चुकी थी।
ऋषि का यह व्यवहार उसे बुरी तरह से चोटिल कर गया था, वहीं ऋषि उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि अभी-अभी कुछ हुआ ही नहीं। उसने एक नजर आसपास देख रहे लोगों को देखा, उसकी नजर अपने आप पर पाकर वह सब वहाँ से जाने लगे, वहीं ऋषि के बगल की लड़की उसकी तरफ आने ही वाली थी कि ऋषि ने उसे उंगली दिखा कर वहीं पर ही रोक दिया। तभी अपने असिस्टेंट शशांक को आवाज दे कहने लगा, "सभी को अपनी अपनी पेमेंट दे दो और यह बात ध्यान रखना, यह बात इस रूम से बाहर नहीं जानी चाहिए।" उसकी आवाज से शशांक भी डर गया।
"क्या यह सब करना जरूरी था ऋषि, एक बार उसे कह कर तो देख लेते, वह मान जाती, लेकिन....! तुम्हारे इस कदम से ऐसा ना हो कि आगे चल तुम्हें ही पछताना पड़े।"
आज उसे अफसोस हो रहा था कि आखिर क्यों वह इस निर्दयी इंसान का असिस्टेंट बना और उससे भी पहले दोस्त।
किसी लड़की को इतना हर्ट करने वाला क्या उसका दोस्त हो सकता है...?
उसने शुरू से अब तक सब कुछ रिद्धि के साथ जो कुछ हुआ वह अपनी आँखों से देखा। उसे एक पल के लिए लगा कि वह जाकर उसे रोक ले लेकिन...! ऋषि उसे तो कोई फर्क नहीं पड़ा अपनी हरकतों से ...... क्या कभी ऋषि को अपनी इन हरकतों का रिग्रेट होगा?
"मॉम ......! आपको पता है ऋषि ने अभी अभी क्या किया?"
उसने अपने असिस्टेंट से कहकर रिद्धि को बुलाया।
"और मुझे उस दो कौड़ी के बॉडी ने बाहर रहने के लिए कह दिया। मैं उस रिद्धि को छोडूंगी नहीं, उसी की वजह से आज मेरी इतनी इंसल्ट हो गई है। मैं उसे ऐसा सबक सिखाऊंगी कि वह अपनी जिंदगी में कभी भी नहीं भूलेगी।"
"पागल मत बनो बच्चा, उसे घर आने दो, मैं उसे अच्छा सबक सिखाऊंगी। अभी तुम उसे कुछ मत करना। मैं नहीं चाहती कि हमारी इन सालों की मेहनत ऐसे जाया हो...."
"COME ON MOM..., मैं उसे कुछ नहीं करूंगी। लेकिन मैं उसे सबक जरूर सिखाऊंगी, उसने मुझसे मेरे ऋषि को चुराया है। मैं उसे इतनी आसानी से तो जाने नहीं दूंगी।" शनाया इस वक्त गुस्से में थी और उसे रिद्धी का बिहेवियर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। वह कैसे उसे अकेला यहां छोड़कर उससे मिलने जा सकती है? अगर उस बॉडीगार्ड ने कहा भी था तो अगर वह चाहती तो उसे उसके साथ ले जाती लेकिन...! नहीं उस डम को तो अकेले जाना था अपनी होने वाली पत्नी से मिलने.....
"बेटा सुनो मेरी बात....!" दूसरी और बात पूरी होती इससे पहले शनाया ने कॉल कट कर दिया और अपने ही कुछ दूरी पर खड़े लड़कों की और देख कर कहने लगी, "अब तुम पछताओगी रिद्धि, अब तुम्हें भी पता चलेगा कि कैसा लगता है जब हम उस चीज को चाहते हैं लेकिन...! हम उसे पा नहीं सकते। मैं तुम्हें अब किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोडूंगी। अब तुम खुद ऋषि से शादी तोडोंगी।" इस वक्त शायना के चेहरे पर तिरछी मुस्कुराहट थी, वह भी शैतानी भरी.......!
उसका चेहरा इस वक्त गुस्से से लाल हो गया था। वह अपनी पलकें उठाए उस ओर देखने लगी जहां से कुछ देर पहले रिद्धि अंदर गई थी लेकिन...! जैसे ही उसे रिद्धि दौड़ते हुए बाहर आती नजर आई उसके होठों पर शैतानी मुस्कुराहट छाने लगी।
"अब आएगा मजा रिद्धि........."
रिद्धि अपनी आंखों को पोंछते हुए बाहर की तरफ भागी चली जा रही थी। उसे न किसी चीज का होश था और ना ही एहसास की वह इस वक्त कहां जा रही है लेकिन...! वह बस इस जगह से दूर जाना चाहती थी।
इस वक्त उसके जिस्म पर उसका दुपट्टा भी नहीं था। अपने एक हाथ से अपने एड्रेस को संभाले और दूसरे हाथ से आंखों को पोंछ वह बाहर की तरफ भागती है। उसने अब ठान लिया था कि अब वह इस शहर में एक पल नहीं रहेगी। वह इस शहर को छोड़कर हमेशा हमेशा के लिए चली जाएगी ना ही उसे ऋषि चाहिए था और ना ही उस घर में वो वापस जाना चाहती थी।
"जहां पर उसकी कोई अहमियत ही नहीं .....!"
वह अभी क्लब से बाहर निकल कर एक सुनसान रास्ता देख वहां से जा ही रही थी कि तभी उसके सामने 4 लड़के आ गए, जो उसे काफी गंदी नजर से देख रहे थे। यह देखकर रिद्धि ने अपनी आंखें ऊपर की तरफ कर सामने देखा तो उसकी डर से हालात और भी खराब होने लगी। वह वहां से भागने की कोशिश करती इससे पहले ही उन लड़कों ने उसे घेर लिया था।
"भाई क्या कमाल का माल आज इतने दिनों बाद हाथ लगा है, आज तो सभी की रातें रंगीन होगी।" एक लड़का रिद्धि को देखकर घूरते हुए दूसरे लड़के से कहता है।
"देखिए आप नहीं जानते कि मैं कौन हूं प्लीज मुझे जाने दीजिए" रिद्धि ने डरी सहमी आवाज में कहां।
"ऐसे कैसे जाने दूं जानेमन, इतनी दिनों बाद जो कोई कमशन कली हाथ लगी है, और तुम कह रही हो जाने दूं। चली जाना लेकिन इससे पहले हमारी प्यास तो बूझा ती जाना,,,,जानेमन....!" और अपने होठों पर हाथ फिराने लगता है। उसकी भद्दी हंसी देखकर ही रिद्धि के रोंगटे खड़े होने लगे। वह वहां से भागती इससे पहले एक लड़के ने उसे पकड़ लिया और उसके कपड़ों से उसे टच करने लगा।
रिद्धि उसे खुद को छुड़वाने के लिए झटपटाने लगी लेकिन...! उस लड़के ने उसे कसकर झकड़ा हुआ था। लेकिन ....! जब रिद्धि की झटपटाहट बढ़ने लगी तब उस लड़के ने उसकी गाल पर एक थप्पड़ रसीद कर कहा, "साली बहुत उड़ रही है, चलो इसे अपनी अड्डे पर लेकर चलते हैं फिर उसे दिखाते हैं।"
सुनसान गली होने के वजह से किसी ने रिद्धि आवाज नहीं सुनी बल्कि उस लड़के ने देखकर उसका मुंह अपने हाथों से बंद कर दिया और 2 लड़कों ने उसके पैरों को पकड़ और एक ने उस के हाथों को पकड़कर ले जाने लगे।
इस वक्त रिद्धि अपने होठों से कुछ कहना चाहती थी, अपने सर से इशारा कर छोड़ देने की भीख मांग रही थी लेकिन...! कोई भी उस की सुनने वाला वहां नहीं था।
"महहहम... म्ममम्मम ..!"
"प्लीज हेल्प मी.....! हेल्प मी कोई तो मेरी मदद करो शायना दी आप कहां हो ...? प्लीज मुझे बचाओ ऋषि प्लीज.......; प्लीज मुझे यहां से ले जाओ।" रिद्धि अपने मन में चीखती चिल्लाती रही लेकिन...! इसका कोई भी असर दिखता हूं उसे नजर नहीं आ रहा था।
वही एक पेड़ के पीछे से एक साया उसे देख रहा था। उसके होठों पर शैतानी मुस्कुराहट थी, "अब तुम्हें पता चलेगा किसी और की चीजों पर नजर डालने का अंजाम क्या होता है।"
उसे अपने अंदर उम्मीद जाती हुई नजर आने लगी थी अब उसे अपने सामने सिर्फ और सिर्फ अंधेरा दिख रहा था वह कैसे भी कर यहां से भाग जाना चाहती थी।
वह लोग उसे एक पत्र के झोपड़ी में ले आए। और उसके मुंह को एक कपड़े से बंद कर दिया।
"भाई क्या कमाल कि चिज हाथ लगी है, ना पैसे भी मिले और यह हसीना भी हमारे हाथ लग गई आज तो पूरा इंजॉय करेंगे हम सब....... हां बिल्कुल...!" वही यह रिद्धि भी सुन रही थी उसे यह सुनकर बुरा लगा उसे लगा कि शायद यह सब भी ऋषि ने ही करवाया होगा उस से पीछा छुड़ाने के लिए......
"नहीं.....! नहीं.......! रिद्धि तुम्ह ऐसे हार नहीं मान सकती तुम्हें यहां से निकलना ही होगा कैसे भी करके" इस वक्त रिद्धि ने ठान लिया था। वह कैसे भी करके इस जगह से निकाल कर भाग जाएगी.....।
और जिसने भी उसके साथ यह सब किया है उससे वह बदला लेकर ही रहेंगी।
क्या बच पाएंगी रिद्धि उन लोगों से...?
किसका साया था पेड़ के पीछे कौन मारना चाहता है रिद्धि को क्या वह शायना थी।
"तुम्हें ऐसा मेरे साथ नहीं करना चाहिए था ऋषि..."
"अगर तुम्हें मुझसे शादी नहीं करनी थी तो साफ़-साफ़ कह देते, यह सब करने की क्या ज़रूरत थी।"
इस वक़्त रिद्धि खुद को बेसहारा समझ रही थी, उसकी आँखों से आँसू बहना बंद ही नहीं हो रहे थे। तभी उसकी नज़र पास में रखी लैंप पर चली गई जो की कांच का बना हुआ था।
"नहीं, मैं खुद को ऐसे ही इन दरिंदों के हाथों बर्बाद होने के लिए नहीं छोड़ सकती, उससे तो बेहतर मैं मरना पसंद करूंगी। मैं आपके पास आ रही हूँ मामा पापा, शायद तभी चाचा-चाची और शायना दी को भी खुशी होगी और ऋषि को भी..."
उसने अपने पैरों से उस लैंप को धकेला और जैसे ही वह लैंप फ़र्श पर गिरा, उसके टुकड़े-टुकड़े हो गए।
वही दूसरी ओर...
अपने होठों पर शैतानी मुस्कुराहट लिए वह लड़की किसी से बात कर रही थी,
"उसे जान से मार दो और उसकी फ़ोटोज़ और वीडियो मुझे सेंड करो। काम होने के बाद तुम्हें पूरे पैसे मिल जाएंगे, लेकिन...! याद रखना मेरा नाम कहीं पर भी आना नहीं चाहिए... वरना तुम जानते हो अंजाम क्या होगा।"
"तुम उसकी चिंता मत करो, तुम सिर्फ पैसे तैयार रखो। काम होने के बाद हम उसे लेने आएंगे, लेकिन...! याद रखना ज़रा सी भी होशियारी नहीं करना, नहीं तो तुम जानते हो हम लोग कैसे हैं।"
"वैसे तुम भी कुछ कम नहीं हो। तुम भी बला की खूबसूरत हो, याद रखना अगर तुमने पैसे टाइम पर नहीं दिए तो हम क्या-क्या कर सकते हैं।"
और उसे ऊपर से नीचे तक घूरने लगता है, उसके होठों पर ठहरी भद्दी हंसी को देखकर उस लड़की का खून खोलने लगा।
"रास्कल...!"
लेकिन...! वह चुप रही।
"यह लो आधे पैसे, काम पूरा होने के बाद तुम्हें तुम्हारी फुल पेमेंट मिल जाएगी, लेकिन याद रखना मैंने जैसा कहा है मुझे फोटोस और वीडियो चाहिए उस लड़की की, उसके बाद तो तुम उसके साथ कुछ भी कर सकते हो आई डोंट केयर..."
अपने हाथों में पकड़े उस पैसों को देखकर उस आदमी की आँखें ललचा गई और वह बेहद डरावने तरीके से हंसने लगा।
"हिसाब की बहुत पक्की है आप..."
कह उस नोटों की गड्डी को चूम कर वहां से चला गया। इस वक़्त उसके होठों पर मुस्कुराहट थी, लेकिन...! शैतानी।
"मैं भी देखना चाहती हूँ रिद्धि, आखिर तुम इन सबको कैसे झेल पाओगी। अगर इनसे बच भी गई तो मेरे हाथों से कभी भी नहीं बच पाऊंगी तुम।"
वह भी अपने होठों पर मुस्कुराहट लिए वहां से चली गई।
वही रिद्धि उस कांच के टुकड़े को अपने हाथों में ले रस्सियां खोलने की कोशिश करने लगी। उस वक़्त उसकी आँखों में डर और माथे पर पसीना साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था। उसे डर था अगर कोई गलती से अंदर आया तो वह कैसे बचेगी, उन लोगों का इरादा उसे पहले ही पता था।
धीरे-धीरे कर उसने सारे रस्सों को कांटना शुरू कर दिया। पहले उसने अपने हाथ की रस्सी को खोला, फिर पैर की। वह पैर की रस्सी को काटती इससे पहले ही 2 लोग अंदर की तरफ़ आए। उसे आता देख कर रिद्धि ने अपने हाथों को पीछे ले उसी पोजीशन में लेटी रही....
"इस चिड़िया के तो बहुत पैसे मिलेंगे हमें, इसके साथ मजे करने के और इसे मार डालने के।" एक आदमी दूसरे आदमी से कहता है।
"यार मैं क्या सोच रहा हूं, इसे हम नहीं मारते हैं। इससे हम अपनी हर रातें रंगीन कर सकते हैं।"
"देखो तो अभी भी कमसिन कली की तरह दिख रही है। मेरे ख्याल से इसे अभी किसी ने हाथ भी नहीं लगाया होगा और यह कली हमारे हाथों में लगी है।"
"आज तो हमारी चांदी चांदी है।"
"क्या चांदी चांदी......!" एक लड़का पीछे से आकर उसके सिर पर मारते हुए कहता है।
"उस लड़की ने इसकी भारी कीमत दी है इसे मारने के लिए, हम इसे जिंदा नहीं रख सकते वरना हमें हमारे पैसे नहीं मिलेंगे।"
"तैयारी करो.....! किसके पास स्मार्ट मोबाइल है हमें इस लड़की का वीडियो और फोटो खींचना है, वह भी न्यूड..."
"अरे शाम के पास है ना, अभी तो उसने लिया है मैं अभी उसे बुला कर लाता हूं।"
और उसके साथ एक और निकल जाता है। रिद्धि के आंखें भले ही इस वक़्त बंद थी लेकिन...! कान खुले, उसने उन सभी की बातें सुन ली थी।
"सो जाओ चिड़िया कुछ ही वक़्त बच्चे हैं तुम्हारे पास, उसके बाद तुम कहीं की नहीं रहोगी..."
कह हंसने लगता है, इस वक़्त उसके चेहरे की हंसी बिल्कुल उसी की तरह थी और वह इंसान कोई और नहीं उस लड़की के साथ मिला हुआ वही इंसान था।
वह आगे बढ़ने लगता।
वह जैसे जैसे आगे बढ़ता वैसे वैसे रिद्धि की दिल की धड़कनें तेज होने शुरू हो गई थी। उसे महसूस हो रहा था कि वह इंसान अपनी गलत इंटेंशन के साथ उसके पास बढ़ रहा था, लेकिन...! वो घबराई नहीं।
उसने कसकर अपने हाथों में उस कांच के टुकड़े को पकड़ लिया था।
"आह्ह्ह्ह्ह्ह..... कमीनी.... तुम्हारी इतनी हिम्मत।"
रिद्धि ने आज पहली बार किसी को हर्ट किया था। उसने उस कांच के टुकड़े से उस इंसान के गाल पर एक बहुत बड़ा कट मार दिया था और जैसे ही वह इंसान चिल्लाया इसी का फायदा उठा रिद्धि वहां से भाग गई।
"पकड़ो उस कमीनी को हाथ से जाने नहीं चाहिए वरना तुम सबकी जान मैं ले लूंगा।" उस आदमी ने चिल्लाते हुए कहा।
"साली मुझे मार कर चली गई, उसकी इतनी हिम्मत...."
इस वक़्त रिद्धि बुरी तरह से चोटिल थी। रस्सी को काटते काटते उसने खुद को भी चोट पहुंचा ली थी। वह थी तो एक 19 साल की लड़की, वह पीछे मुड़-मुड़ कर भाग रही थी। जब उसे लगा कि उसके पीछे गुंडे हैं तो उसने और भी जोरो से भागना शुरू कर दिया.....
वह भाग-भाग कर इतना थक गई थी कि उसके पसीने से पूरी तरह से भिंग चुकी थी, लेकिन फिर भी उसने भागना नहीं छोड़ा। वह एक नजर पीछे मुड़ कर आगे भाग रही थी कि तभी किसी ने उसे गाड़ी से उड़ा दिया....
एक धड़ाम की आवाज़ से रिद्धि जमीन पर गिर गई।
उसके माथे से खून बह रहा था, उसकी हालत इस वक़्त काफ़ी ख़राब थी।
खून से लथपथ रिद्धि जमीन पर गिरी हुई थी, उसकी सांसें धीमी-धीमी सी चल रही थीं, उसके सर से खून बह रहा था। इस वक्त रिद्धि का काफी खून बह चुका था। धीरे-धीरे कर उसकी आंखें बंद होने लगी थीं।
चेतना अभी-अभी आई, अपनी बेटी के सामने खड़ी हो उसके कान के नीचे एक थप्पड़ लगा देती है।
"मॉम....!"
शायना अपने गाल पर हाथ रखकर कहती है।
"आप क्या कर रही हैं? आप पागल तो नहीं हो गईं? आपने मुझ पर हाथ उठाया, मुझ पर...!"
वहीं चेतना सभी बातों को इग्नोर कर गुस्से से पूछती है, "रिद्धि कहां है?"
"मुझे क्या पता मॉम? क्या मैं उसकी कोई नौकर हूं जो उसके बारे में पता लगवाती रहूंगी?"
"जस्ट शट अप... शायना, मैंने कुछ पूछा तुमसे, रिद्धि कहां है? वह अभी तक घर नहीं आई? और क्या करने वाली थी तुम उसके साथ?"
"आपको बड़ी फिक्र हो रही है उसकी? आपने उसकी वजह से मुझे थप्पड़ मारा मॉम...!"
"तुम इसे प्यार से क्यों पूछ रही हो, एक थप्पड़ और लगा दो। हमारे पूरे प्लान पर पानी फेर के आई है ये लड़की, क्या इसे थोड़ी सी भी अक्ल है भी या नहीं।"
एक ऊंची आवाज शायना के कानों में सुनाई दी, यह देखकर उसकी नजर उस ओर चली गई तो उसने देखा कि उसके पिता वहां पर बैठे उसे गुस्से से घूर रहे थे, यह देखकर शायना डर गई।
रमेश गुस्से से चिल्लाते हुए शायना के पास आकर एक थप्पड़ उसके गाल पर रसीद कर कहने लगा, "बताओ...! रिद्धि कहां है?"
वहीं एक बार फिर थप्पड़ खाकर शायना की आंखों में आंसू आ गए और वह अपने आंसू भरी आंखों से अपनी मां को देखकर कहने लगी, "मां मुझे नहीं पता, वह तो उस रूम से अकेले ही भाग कर जा रही थी, मुझे लगा कि वह घर आ गई होगी।"
"बेवकूफ लड़की, अगर उसे कुछ हो गया तो तुम जानती हो क्या होगा? यह सारी प्रॉपर्टी, ऎशो आराम ट्रस्ट में चला जाएगा, समझी तुम? हम रोड पर आ जाएंगे। भीख मांगनी पड़ेगी हमें, समझ आ रहा है तुम्हें कुछ...!"
वहीं अपने पति को इतने गुस्से में देखकर चेतना उन्हें शांत करवाते हुए कहती है, "आप चिंता क्यों कर रहे हैं, आ जाएगी। एक बार आ गई तो मैं उसकी टांगें ही तोड़ दूंगी, फिर घर से बाहर कभी जाने की सोचेगी भी नहीं।"
"और आप तो जानते हैं कि हमने उसे पढ़ाया-लिखाया नहीं है तो उसे क्या ही मालूम कौन सी जगह... थक हार कर वापस घर ही आ जाएगी।"
"तुम समझ नहीं रही हो चेतना, अगर यह बात जिंदल को पता चली कि हमने रिद्धि के साथ क्या-क्या किया है तो जानती हो वह हमारा क्या हाल करेंगे और अगर रिद्धि यहां से भाग गई तो हमारी सालों पुरानी मेहनत पर पानी फिर जाएगा, समझ में आ रहा है कुछ तुम्हें...!" रमेश ने चिल्लाते हुए कहा।
"आप चिंता मत कीजिए, हम अभी जाकर उसकी रिपोर्ट करवा देते हैं, मिल जाएगी। एक बार यह सारी प्रॉपर्टी हमारे नाम हो जाए फिर वह जिए या मरे हमें उससे कोई मतलब नहीं...."
1 महीने बाद-----
"आपको क्या लगता है डॉक्टर, क्या यह होश में आ जाएगी? 1 महीना हो चुका लेकिन...! यह लड़की अभी भी कोमा में है।"
"हमारा फर्ज है पेशेंट को जिंदा रखना, बाकी सब उस पर। अगर उसे जीने की चाह है तो वह जरूर कुछ ना कुछ मूवमेंट करेगी।"
"ठीक कहां डॉक्टर, लेकिन...! 1 महीना हो गया इसके घर वाले अब तक उसे ढूंढते हुए भी नहीं आए..."
"एक बार फिर न्यूज़पेपर में और अपने सोर्सेस पर इसकी खबर दे दो, क्या पता उन तक हमारी खबर पहुंची ना हो? और उसे अब भी ढूंढ रहे हों।"
"हम्म.... सही कहा आपने।"
वहीं एक लड़की हॉस्पिटल बेड पर अपनी आंखें बंद किए लेटी हुई थी, उसके चेहरे, हाथ, पैरों को पूरी तरह से सफेद पत्तियों से ड्रेसिंग की हुई थी।
वहीं साइड में रखे ईसीजी में उसके हार्ट रेट गिरती हुई दिखाई दे रही थी, धीरे-धीरे उसके हार्ट रेट और भी नीचे जाने लगी और एक बीप-बीप की आवाज उस कमरे में सुनाई दी।
रिद्धि को एडमिट किए हुए आज पूरा 1 महीना हो गया, अब तक उसे होश नहीं आया, वह कोमा में जा चुकी थी, उसके सिर पर काफी गहरी चोट आने से वो इस पल एक गहरी नींद में चली गई थी, जहां से वापस लौटना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं, नामुमकिन सा था।
जिसे जीने की चाह ही नहीं वह वापस आकर भी क्या करेगा...!
वहीं इस दरमियान वकील ने एक बार फिर कपूर मेंशन में दस्तक दी थी....!
लेकिन.....! जब उसे रिद्धि नजर नहीं आई तो वह वापस से चला गया, यह देखकर चेतना, रमेश और शायना का मुंह लटक गया। और जाते-जाते उन्हें हिदायत भी दी कि अगर उन्हें रिद्धि नहीं दिखी तो विल के मुताबिक उनकी सारी संपत्ति ट्रस्ट में चली जाएगी।
यह सुनकर सभी को सांप सूंघ गया, उन्होंने रिद्धि को ढूंढने की न जाने कितनी कोशिश की लेकिन...! रिद्धि उन्हें कहीं नहीं मिली।
"जमीन खा गई या आसमान वो कलमुही, अपना मुंह काला कर पता नहीं कहां चली गई, हमारे मुंह का निवाला छीन....!"
तभी एक थप्पड़ उसके गाल पर भी पड़ा।
उसने हैरानी भरे लहजे में सामने देखा तो रमेश गुस्से से उसे ही देख रहा था।
"कितनी बार कहा था तुम्हें उससे प्यार से पेश आओ जब तक के हमारा काम नहीं निकल जाता लेकिन ....! तुम्हें और तुम्हारी बेटी को तो उसे बेइज्जत करना था, मारना था पीटना था। देख लिया इसका अंजाम क्या हुआ, चली गई ना घर छोड़कर, इतने सालों की मेहनत पर पानी फेर..... अब अगर 1 हफ्ते के अंदर हमें रिद्धि नहीं मिली तो भूल जाओ यह ऐशो आराम, यह नौकर चाकर, और सड़क पर भीख मांगने की तैयारी करो....!"
"यह आप कैसी बात कर रहे जी।"
चेतना को थप्पड़ से ज्यादा उसकी बातों से फर्क पड़ा था, अब उसे सच में ऐसा लग रहा था कि उसे रिद्धि से इतनी गुस्से में बात नहीं करनी चाहिए थी जब तक कि उनका काम नहीं निकल जाता, लेकिन उस उपर गुस्सा भी आ रहा था कि उसकी वजह से आज उसे थप्पड़ खाना पड़ा।
"एक बार मिल जाओ रिद्धि, तब नहीं तुम्हारी खाल उधेड़ दी तो मेरा नाम भी चेतना नहीं....!"
वहीं हॉस्पिटल में......
अचानक से ही... जिस मशीन में अब तक हार्ट रेट बिल्कुल भी दिखाई नहीं दिया उसमें धीरे-धीरे कर हार्ट रेट आना शुरू हो गया था।
जब मशीन से आवाज आने शुरू हो गई तो एक डॉक्टर भाग कर उसे रूम के अंदर आया, जब उसने एक नजर ईसीजी के उपर डाली तो उसकी आंखें भी हैरानी से बड़ी हो गई, उसे बिलीव नहीं हो रहा था कि कैसे मुमकिन हो गया लेकिन...! शायद इसे ही चमत्कार कहते...!
यही डॉक्टर पिछले 1 महीने से रिद्धि का ख्याल रख रहा था, उसका चेकअप कर रहा था, उसे रिद्धि की सिचुएशन अच्छी तरह से मालूम थी, उसने फौरन वहां का एक बटन दबा दिया जिससे एक नर्स और डॉक्टर भाग कर उसे वार्ड में चले आए...
"इट्स मिरेकल...!"
"क्या यह अब भी जिंदा है..?"
"आपको क्या लगता है डॉक्टर...!"
"शायद यह कोई चमत्कार होगा या फिर इसके जीने की चाह ने इसे वापस जिंदा कर दिया।"
और उसका चेकअप करने लगा।
"शायद हमें इसकी रिपोर्ट सीनियर को दे देनी चाहिए, यह किसी मिरेकल से कम नहीं है।"
"आपने सही कहा..!"
और चेकअप करके वह डॉक्टर वहां से चले गए।
रात के 12:00 बजे-----
जब पूरे रूम में सन्नाटा छाया हुआ था तभी वहां पर से सिर्फ बीप-बीप... करने की आवाज सुनाई दे रही थी।
तभी कुछ हिला जो किसी ने नहीं देखा, रिद्धि की पलकें और जिस हाथ में उसे सलाइन लगाई गई थी उस हाथ की उंगलियां.....
धीरे-धीरे कर उसकी आंखें खुलने सी लगी थीं।
जब उसने अपनी आंखें खोली तो अपने आसपास के सभी चीजों को एक नजर देखने लगी।
क्या लगता है आपको क्या रिद्धि को होश आ गया है? क्या सच में उसमें जीने की चाह थी?
जो दोबारा से वापस आई?
आगे क्या ट्रेजरी होगी हम अगले ही एपिसोड में जानेंगे तब तक के लिए बनते रहे मेरे साथ।
अलविदा 💞💞💞💞✍️✍️✍️
रिद्धि अपनी आंखें खोल आसपास देखने लगी, शायद उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। एक-दो बार अपनी पलकें झपका कर उसने उठने की कोशिश की लेकिन...! उसे दर्द भी हो रहा था। जब उसने गौर से खुद को देखा कि वह कहां है, तब उसे एहसास हुआ कि वह हॉस्पिटल के एक बेड पर लेटी हुई है।
इतने दर्द के बावजूद भी वह उस बेड पर उठकर बैठ गई। उसने गौर से आसपास देखा, शायद कोई मिले जिससे वह पूछ सके लेकिन...! सुबह का वक्त होने की वजह से उसे कोई नजर नहीं आया।
एक हाथ से उसने अपने हाथों में लगे सभी इंजेक्शन निकाल कर नीचे फेंक दिए और सिर पर हाथ रख वहां से बाहर निकल गई।
जैसे ही उसने बाहर कदम रखा, रोशनी ने उसकी आंखों को बंद कर दिया। 1 महीने हॉस्पिटल में आंखें बंद कर लेटने की वजह से उसे रोशनी आंखों में चुभ सी रही थी।
ब्लू कलर के हॉस्पिटल सूट में वह बाहर की तरफ जाने लगी लेकिन...! उसकी आंखों में कुछ था जो शायद रिद्धि की आंखों में नहीं था.....
एक बेखौफ अंदाज......
वह आगे की तरफ बढ़े जा रही थी। उसे यह जगह बिल्कुल ही नई-नई सी दिखाई दे रही थी, जैसे वह यहां कभी आई ही ना हो। जब उसकी नजर एक मॉल पर पड़ी तो उसने खुद को देखा।
लोग उसे बड़ी ही अजब नजरों से घूर कर देख रहे थे। जब उसे एहसास हुआ तो उसने उस मॉल में जाने की ठानी...
वह मॉल दिखने में लग्जरियस, एक्सपेंसिव था। वहां पर सिर्फ अमीर लोग आते थे, वहीं रिद्धि को ऐसी पागलों की तरह अंदर जाता देख वहां का गार्ड उसे रोकते हुए कहने लगा, "तुम कहां अंदर जा रही हो? देखने में किसी चोर जैसी दिखती हो और इतने बड़े मॉल में ऐसी ही भिखारियों की तरह घुसी चली जा रही हो। जाओ यहां तुम्हारे स्टैंडर्ड का यहां कुछ भी नहीं है।"
वहीं रिद्धि ने उसकी बातों को इग्नोर कर आगे की तरफ जाने लगी। यह देखकर वह गार्ड गुस्से में आ गया और अपनी लाठी उठा उसे मारने ही वाला था कि रिद्धि ने एक हाथ से उस लाठी को पकड़ अपनी लाल आंखों से उसे घूरने लगी।
यह देखकर वह गार्ड घबरा गया और दो कदम पीछे हो गया लेकिन...! अपनी घबराहट को छुपाते हुए कहने लगा, "तुम्हें क्या लगा मैं इन तुम्हारी घूरती आंखों से डर जाऊंगा? जाओ यहां से कहा ना।"
लेकिन अगले ही पल रिद्धि ने उस लाठी के दो टुकड़े कर दिए। यह देखकर वह घबराकर पीछे हट गया और रिद्धि उसे इग्नोर कर आगे बढ़ गई।
"पागल दिखती है, साइको कहीं की! कैसे घूर कर देख रही थी जैसे आंखों से ही मार डालेगी!"
मुझे सब लोगों को अलर्ट कर देना चाहिए वरना क्या पता मेरे लिए ही मुसीबत पैदा कर देगी। यह कह वहां का एक बटन प्रेस कर देता है जिससे कि उस मॉल में अलार्म बजने शुरू हो गए।
वहीं रिद्धि सबको इग्नोर कर आगे की तरफ बढ़ एक वेस्टर्न ड्रेस के सेक्शन में चली गई, जो कि थर्ड फ्लोर पर था।
वहीं पर उसे देखकर सब लोग भी डर गए लेकिन...! वह आगे बढ़ वहां का एक ड्रेस उठा सीधे चेंजिंग रूम में चली गई।
जब वह चेंजिंग रूम से बाहर आने ही वाली थी कि तभी उसकी कानों में किसी की आवाज गूंजी, जो की जानी पहचानी थी,,,,,
"बेबी चलो ना, यहां कितनी प्यारी-प्यारी ड्रेसेस हैं। एक बार मुझे ट्राई करना है, तुम मुझे बताना मैं इनमें कैसे दिखती हूं..."
"तुम खुद देखो, मैं बिजी हूं," और उससे हाथ छुड़ा एक चेयर पर बैठ जाता है और अपने फोन में नजरे डाल कर देखने लगता है।
न जाने लेकिन.....! उस आवाज को सुनकर रिद्धि के सिर में दर्द होना शुरू हो गया था। उसने कसकर अपने बालों को अपनी मुट्ठियों में भींच कर आंखें बंद किए रखा था।
"आहहहंहह......!"
धीरे-धीरे कर उसके दिमाग में एक-एक तस्वीर आ जा रही थी। जैसे-जैसे वह तस्वीर उसके दिमाग में दिखनी शुरू हो गई तभी उसने अपनी आंखें खोल कर देखा। जब उसकी नजर वहीं ड्रेसिंग टेबल में लगे मिरर पर गई तो उसकी आंखें बड़ी-बड़ी हो गई और वह अपना हाथ बढ़ा उस चेहरे को घूरने लगी।
"कौन हो तुम_______..?"
यह मेरा चेहरा नहीं है। उसने अपना हाथ उस आईने में दिख रहे तस्वीर पर रखा।
"यह तो मैं नहीं हूं ...? तो यह चेहरा किसका है...? उसने अपने चेहरे को छूते हुए कहा, तुम विधि नहीं हो फिर तुम कौन....?"
धीरे-धीरे अपने बालों को खींचते हुए विधि सोचने लगी, "मैं तो....! मैं तो उस गहरे झरने में गिर गई थी और जैसे-जैसे में गहरे पानी में डूबती गई वैसे मेरी आंखें बंद हो गई और फिर.....?"
"और यह आवाज मुझे क्यों इतनी जानी पहचानी सी लग रही है....?"
बहुत से सवाल लेकिन जवाब एक भी नहीं। आखिर कौन है यह विधि और क्या रिश्ता है उसका रिद्धि के साथ.....!
उसने एक गहरी सांस ले अपनी आंखों को बंद किए हुए सोचने लगी, लेकिन वह कुछ सोच पाती इससे पहले ही उसके कानों में एक अलार्म गूंजा
और एक तीखी आवाज
"बाहर आ जाओ ए पागल लड़की, हमें पता है तुम अंदर ही छुपी हुई हो।"
अचानक से 5 से 10 गार्ड्स भागते हुए उस सेक्शन में आए। सभी के हाथों में बड़ी-बड़ी राइफल्स थी जो पॉइंट किए हुए चेंजिंग रूम की तरफ इशारा कर रहे थे।
"हम तुम्हें 5 मिनट तक का वक्त दे रहे हैं, बाहर आ जाओ नहीं तो....!"
"व्हाट नॉनसेंस यह क्या बकवास चल रही है, इतने बड़े मॉल में कोई पागल कैसे घूम सकता है", अब तक जो आदमी अपने फोन में नजरे घुसाए बैठा था उसने चिढ़ कर कहा।
यह देखकर मॉल का मैनेजर भागते हुए वहां आकर कहने लगा, "अरे जिंदल साहब आप चिंता मत कीजिए, मैडम को और आपको कोई भी तकलीफ नहीं होगी इसका हम ध्यान रखेंगे।"
वह मैनेजर ऋषि की चापलूसी करते हुए कहता है।
वहीं यह देखकर समीर ऋषि का हाथ पकड़ते हुए कहती है, "ऋषि मुझे तो डर लग रहा है, ऐसे कैसे एक पागल यहां घुस सकता है।"
"काम डाउन समीरा, यहां इतने सारे लोग हैं उसे यहां से ले जाएंगे तुम घबराओ मत....
3.....2....1 आखरी बार कह रहा हूं बाहर आ जाओ वरना....!"
उसने बस इतना ही कहा था कि तभी चेंजिंग रूम का दरवाजा खुला और एक फिगर बाहर कि तरफ आती हुई नजर आ गई।
जिसे देख सभी के मुंह खुले के खुले रह गए....
आखिर किसका चेहरा दिखा है रिद्धि को उस आईने में और यह विधि कौन..?
और वह झरने में कैसे गिरी यह भी हम आगे आने वाले एपिसोड में देखेंगे।
काश...!
जिस तरह मेरे नोवेल का नाम 'cruel' है, शायद उसी तरह से मेरा भी हार्ट भगवान उसी तरह बना देते। कमबख्त यह कहानियों की दुनिया भी कितनी हसीन और खूबसूरत होती है जहाँ सिर्फ मर मिटने का दिल करता है।
और एक हमारी दुनिया खूबसूरत है लेकिन...! यहाँ रहने का दिल नहीं करता क्योंकि लोग हमें जीने ही नहीं देते।
आखिर गलती किसकी है, ये तो मुझे भी नहीं मालूम। एक बार फिर मेरा भी दिल रोने का कर रहा है लेकिन...! रो तो कितना रो........
यह तो खुद मुझे भी समझ में नहीं आता आखिर कहाँ अपने तकलीफ का पिटारा खोलूँ।
चलिए सबकी जिंदगी में अपने-अपने कुछ दुख जरूर होते हैं लेकिन...! सबको भूल कर हम अपनी कहानी की ओर रुख करते हैं।
पतली सी नाजुक फिगर, उस पे व्हाइट शर्ट और ब्लैक कलर की जींस में वह फिगर ऐसी दिख रही थी मानो किसी ने अभी-अभी उसे तराशा हो।
वही उसके बिखरे हुए बाल जो उसके चेहरे को छू रहे थे लेकिन...! उसका मासूम सा चेहरा।
जब सब लोगों की नजर खुले चेंजिंग रूम की तरफ जाती है तब सब की नजर बस उस पर ही ठहर जाती है जब वह फिगर बाहर की तरफ आने लगती है।
"मैनेजर, वही है वो पागल जो अभी अभी यहाँ से कपड़े उठा कर चेंजिंग रूम की तरफ भागी थी," वहाँ की एक एंप्लॉय मैनेजर को बताते हुए कहती हैं।
जब ऋषि और समीरा की नजर उस लड़की पर गई तो समीरा की आँखों में खून उतर आया। वह नफरत भरी नजरों से रिद्धि को घूरने लगी, वही ऋषि के भी आँखों में कुछ भाव नहीं थे।
वही अपने सामने चुपचाप खड़ी लड़की को देखकर सब लोग इशारों से एक दूसरे से बातें करने लगे।
वही उस एम्पलाई की बातें सुन मैनेजर अपने बॉडीगार्ड्स को इशारा कर कहता है, "पकड़ो इसे और इसके बदन पर से कपड़े निकालो। इस पागल की हिम्मत कैसे हुई हमारे शॉप में घुसने की...! और इतने महंगे कपड़े चुराने की!"
वही समीरा मैनेजर की बातें सुनकर अपने होठों पर शैतानी मुस्कुराहट ले ऋषि का हाथ पकड़ते हुए कहती है, "बेबी देखो, यह तो तुम्हारी वही सो कॉल्ड मंगेतर है जिसके साथ दादाजी ने तुम्हारी इंगेजमेंट फिक्स की थी!"
"सोचो अगर उन्हें पता लगेगा कि यह लड़की एक चोर है तो...? उन्हें कितना बुरा लगेगा।"
वही विधि अपने चेहरे पर बिना एक्सप्रेशन लिए सबके बातें सुन रही थी और सबको एक-एक कर घूर कर देख रही थी। तभी उसकी नजर उन दो आँखों से मिली जो उसे ठंडी नजरों से घूरे जा रही थी।
जब विधि की नजर उसकी आँखों से मिली तो एक-एक कर एक बार फिर उसकी यादें पर से मिट्टी हटने लगी और एक चेहरा उसकी आँखों के सामने आ गया और वह मन में ही बुदबुदाने लगी, "ऋषि...!"
उसकी बातें, उसकी हरकतें विधि की आँखों के सामने आने लगी और यह सब याद आते ही उसकी आंखें बर्फ से भी ठंडी हो गई।
"किसका इंतजार कर रहे हो...!"
"जो कहा है वह करो, निकालो इसके बदन से कपड़े, पता भी है कितने मंहगे है।"
तभी मैनेजर की बातें सुन बॉडीगार्ड्स एक कदम आगे बढ़ गए। उन्होंने बंदूक का निशाना विधि के ऊपर पॉइंट किया था और वह आगे बढ़ उसके बदन से कपड़े निकालने ही वाले थे कि तभी वहाँ एक आवाज गूंजी, "रूको...!"
जब सबकी नजर उस आवाज की तरफ गई तो सब ने देखा एक आदमी अपने लंबे कदमों से उस लड़की के पास चला आ रहा था।
जब मैनेजर ने देखा कि वह कौन है तो वो भाग कर उस आदमी की तरफ आया और कहने लगा, "अरे जिंदल साहब आप यह क्या कर रहे हैं...? ये एक पागल लड़की है और आप उसके पास जाएंगे तो वह आपको नुकसान पहुंचाएगी...?"
"मैं अभी इसको बाहर निकाल फेंक देता हूँ, पता नहीं कहाँ-कहाँ से आते हैं ऐसे गरीब लोग।"
कह बॉडीगार्ड को ऑर्डर देने ही वाला था कि ऋषि उसको देखकर कहता है, "क्या मैंने तुम्हें ऐसा करने के लिए कहा...?"
उसकी बातों को सुनकर मैनेजर एक पल के लिए तो रुक गया और सकपका गया। फिर उसने गौर से ऋषि को देखा जो एक टक बस उस पागल लड़की को ही देख रहे थे। फिर अपनी लड़खड़ाती जुबान से कहने लगा, "मतलब ....; मतलब मैं समझा नहीं है जिंदल साहब आप कहना क्या चाहते हैं...?"
"लीव...!"
कह उसने अपने कदमों को उस ओर ले जाना शुरू कर दिया जहाँ रिद्धि खड़ी थी।
"क्या तुम्हारे पास इतने भी पैसे नहीं कि तुम यहाँ आकर चोरी कर रही हो...?"
अगर उसकी जगह रिद्धी होती तो शायद उसकी बातों को सुन इस वक्त शर्म से अपनी आंखें झुका लेती लेकिन पलट कर उसे कुछ जवाब नहीं देती लेकिन...! इस वक्त शरीर भले ही रिद्धि का हो लेकिन...! आत्मा...., आत्मा तो किसी और की थी।
वही विधि उसे अपनी आंखों से घूर कर देख रही थी।
"बेबी यह कैसी बातें कर रहे हो।"
"सब लोग जानते हैं यह कि यह एक पागल और चोर है जो यहां सिर्फ चोरी करने आई है, चोर के पास कहाँ होते है पैसे...?"
इस वक्त वह कह तो मासूम सी शक्ल लेकर रही थी लेकिन...! इस वक्त उसकी होठों पर शैतानी चमक थी और आंखों में रिद्धी को लेकर नफरत।
जब विधि की नजर समीरा के आंखों से जा मिली तो वह एक पल में समझ गई कि यह लड़की रिद्धि से कितनी नफरत करती है।
"स्टॉप इट समीरा...!"
फिर अपनी नज़रें रिद्धि की तरफ घूम कर कहता है, "अगर तुम्हारे पास पैसे नहीं थे तो तुम मुझे कॉल कर लेती मैं तुम्हें पैसे दे देता, ऐसी हरकत करने की क्या जरूरत थी...?"
तभी ऋषि अपने पॉकेट में से एक ब्लैक कार्ड निकाल रिद्धि की तरफ बढ़ाकर कहता है, "ये लो और तुम्हें जो चाहिए उसे खरीद लो, ऐसे चोरों की तरह बिहेव करना बंद करो।"
वही उसकी बातों को सुनकर विधि की आंखें और भी ठंडी पड़ गई।
"हाँ.... हाँ ले लो मेरी बेबी के पास बहुत पैसा है और वह तुम जैसी लड़कियों को देने से कम नहीं होगा।"
"वैसे भी तुम इन्हीं पैसों के लिए तो उससे शादी कर रही हो।"
आखिरी का सेंटेंस उसने धीरे से कहा था लेकिन विधि और ऋषि ने सब सुन लिया था।
क्या फैसला होगा विधि का? क्या मुंह तोड़ जवाब देगी वह ऋषि को? या फिर ब्लैक कार्ड लेकर अपनी एड्रेस का पैसा चुका देगी?
उनकी बातों को सुनकर विधि के होठों पर मुस्कान तैर गई, पहली बार वह इस बॉडी में आकर मुस्कुराई थी। अपने इतने सालों की ट्रेनिंग में न ही वह कभी मुस्कुराई और न ही कभी अपने एक्सप्रेशन किसी को जाहिर होने दिए।
तभी तो उसे सब कमांडो कह कर पुकारते थे, वहाँ वो स्ट्रिक्ट और हार्टलेस पर्सन से जानी जाती थी।
उन दोनों को देखकर उसे एहसास हुआ कि इस बॉडी में रहने वाली लड़की को कितना कुछ सहना पड़ा होगा।
एक ऐसा मंगेतर जो उसे छोड़कर किसी और की बाहों में हाथ डाले घूम रहा है और उसे ही नीचा दिखाने कि कोशिश कर रहा है।
इस वक्त उसकी आंखें बेहद शांत जैसे झील का पानी दिख रहा था, लेकिन उसके अंदर का सैलाब और तूफान सिर्फ और सिर्फ वही जानती थी।
विधि ने एक नजर उस कार्ड की तरफ डाली, लेकिन अपनी नजर न हीं उसने ऋषि की आंखों से हटाई और न एक नजर उन बॉडीगार्ड की तरफ देखा जो उस पर गन पॉइंट करके खड़े थे।
वह अपने पॉकेट में हाथ डाले ऋषि को इग्नोर कर आगे की तरफ बढ़ गई।
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई हमें ऐसे इग्नोर करने की?" समीरा पीछे से चिल्लाई।
"बेबी देखा तुमने यह कितनी साइको है और लालची...."
विधि सीधा चल उस मैनेजर के सामने खड़ी हो गई जिसने अभी-अभी कुछ वक्त पहले उन बॉडीगार्ड्स से कहा था कि इसके बदन के कपड़े निकालो।
विधि की निगाहें उस मैनेजर को ऊपर से नीचे तक स्कैन कर रही थी। उसकी आंखें इतनी ठंडी थी कि एक पल के लिए सामने खड़ा मैनेजर भी कांपने लगा।
उसने उस मैनेजर की आंखों में झांककर उसका फोन मांगा।
इस वक्त मैनेजर काफी डरा सहमा सा था। उसने अपने पॉकेट से रुमाल निकाल अपने माथे पर आए पसीनो को पोंछते हुए एक नजर ऋषि की तरफ देखा।
वहीं ऋषि अपने हाथों कि मुठ्ठी भींच कर उस मैनेजर को हां में इशारा कर देता है।
यह इशारा पाकर वह मैनेजर डरते डरते अपने पॉकेट में रखा फोन निकाल विधि के तरफ बढ़ा देता है।
विधि वैसे ही उसे घूर कर उसका फोन ले किसी को मैसेज करती है। कुछ वक्त बाद जब वह उस मैसेज को सेंड करती है तो वह फोन वापस से मैनेजर की और बढ़ा देती है।
यह देखकर समीर से अब रहा नहीं गया और वह दनदना कर अपने पैर पटकते हुए एक बार फिर विधि के सामने आकर रुकी और उसके बाजू को पकड़ अपने सामने करते हुए कहने लगी, "अगर तुम्हें यह दिखावा करना ही है तो कुछ ढंग का करो, ऐसे दिखा कर क्या साबित करना चाहती हो कि तुम यहां चोरी करने नहीं आई थी। सबने देखा है कि तुमने किस तरह के कपड़े पहने थे।"
"और तो और ना ही तुम्हारे पास फोन है और ना ही पैसे की तुम इस ब्रांड के कपड़ों को अफोर्ड कर सको, समझी यह दिखावा किसी और के सामने करना हमारे सामने नहीं...!"
जब विधि ने अपनी नज़रें घूमा कर समीर की हाथ की तरफ देखा तो उसने घूर कर समीरा की आंखों में देखा। उसकी वह बर्फ जैसी ठंडी निगाहें खुद पर पाकर एक पल के लिए तो समिरा दो कदम पीछे हट गई, लेकिन फिर मासूम नजरों से ऋषि की तरफ देखकर कहने लगी।
"देखा बेबी, में सिर्फ तुम्हारी वजह से इसे झेल रही हूं, लेकिन अब तो यह मुझे डराने पर तुली है। मैंने क्या ही कहा था, मैं तो सिर्फ इतना कह रही थी कि यह दिखावा और तमाशा बंद करें और चुपचाप इस ड्रेस की पेमेंट कर यहां से चली जाए।"
"मैनेजर इस ड्रेस की जो भी प्राइज है उसका दुगना इस कार्ड से कट कर लीजिए।"
"बहुत हो गया तमाशा, रिद्धि अभी यहां से चली जाओ...!"
मैनेजर उसकी बातों को सुनकर अपने दांत दिखाते हुए उस कार्ड को लेने के लिए बढ़ ही रहा था कि तभी पीछे से सबकी कानों में कदमों की आहट सुनाई दी।
"रूको........"
"किसकी इतनी हिम्मत हुई उसे हाथ लगाने की...!"
सबकी नजर उस आवाज की ओर देखने लगी।
एक 25 साल का लड़का, डार्क ग्रे कलर का थ्री पीस सूट पहने अपने आंखों पर शेड्स चढ़ाई अपने बालों को बड़ी ही स्टाइल से सेट करते हुए अपनी पॉकेट में हाथ डाले खड़ा था।
उसकी आंखें इस वक्त बेहद शांत थी, यह बताना मुश्किल था कि वह गुस्से में है या शांत, लेकिन उसके शेड्स के पीछे छुपा उसका गुस्सा सब महसूस कर पा रहे थे।
जहां उस लड़के की नजर चारों और घूमी और एक जगह ठहर गई तो उसने अपने कदमों का वही रुख ले लिया।
उसने बड़ी ही पोलाइट वे में उस लड़की की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिस ब्यूटीफुल....! मेरा नाम जयेश गुप्ता है और मैं इस मॉल का ऑनर हूं।"
"सॉरी आपको जो भी मेरे और मेरे इन इररिस्पांसिबल स्टाफ की वजह से आपको जो भी तकलीफ हुई मैं ....?!"
वही विधि की आंखें अपने सामने खड़े लड़के को ही स्कैन किए जा रही थी।
वह आगे कुछ कह ही रह था की विधि उसको हाथ दिखाकर रोकते हुए कहती है।
"लगता है...! आपने आपके स्टाफ को कुछ सिखाया नहीं है मिस्टर गुप्ता, कस्टमर से कैसे बिहेव करते हैं, ना कि सबके सामने उसके कपड़े उतारने को कहते हैं...!"
"और उससे भी मन नहीं भरा तो आपके स्टाफ तो उसे यहां से उठाकर फेंकने के आर्डर दे देते हैं।"
"क्या यही सब आपके इस मॉल में होता है?"
उसका एक-एक शब्द मानो पत्थर की लकीर जैसे लग रहा था।
"तुम्हारा यह मॉल काफी गंदा हो गया है शायद अब इसे तुम्हें बंद कर देना चाहिए। मिस्टर गुप्ता।"
उसकी बातों को सुनकर जयेश का चेहरा डार्क हो गया और वह गुस्से भरी आंखों से उस मैनेजर की तरफ देखने लगा।
वही मैनेजर तो डर से कांपने सा लगा था। उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके सिर्फ फोन देने से उसके लिए ही इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
अगर उसे पता होता कि यह लड़की कौन है तो वह गलती से भी उन बॉडीगार्ड्स को यह आर्डर देने की हिम्मत नहीं करता, लेकिन अब वह क्या ही कर सकता था।
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई ...."
वही अपने मालिक का इस कदर गुस्सा देखकर मैनेजर के पैर डर से कांपने लगे। वह घबराई नजरों से कभी जयेश को देखता।
आखिर क्या करेगा जयेश मैनेजर के साथ...?
और क्या रिश्ता है उसका विधि के साथ जो सिर्फ एक मैसेज पर चला आया?
और इन सबका ऋषि पर क्या असर होगा?
सभी देखेंगे हम अगले एपिसोड में।
REBORN MY CRUAL SISTER
एक 25 साल का लड़का, डार्क ग्रे कलर का थ्री पीस सूट पहने, अपनी आँखों पर शेड्स चढ़ाए, अपने बालों को बड़ी ही स्टाइल से सेट करते हुए अपनी पॉकेट में हाथ डाले खड़ा था।
उसकी आँखें इस वक्त बेहद शांत थीं, यह बताना मुश्किल था कि वह गुस्से में है या शांत।
लेकिन....!
उसके शेड्स के पीछे छुपा उसका गुस्सा सब महसूस कर पा रहे थे।
जहां उस लड़के की नजर चारों ओर घूमी और एक जगह ठहर गई, तो उसने अपने कदमों का रुख वही ले लिया।
उसने बड़ी ही पोलाइट वे में उस लड़की की तरफ हाथ बढ़ाते हुए कहा, "हेलो मिस ब्यूटीफुल...! मेरा नाम जयेश गुप्ता है और मैं इस मॉल का ऑनर हूं।"
"सॉरी, आपको जो भी मेरे और मेरे इन इररिस्पांसिबल स्टाफ की वजह से आपको जो भी तकलीफ हुई, मैं ....?!"
वहीं विधि की आँखें अपने सामने खड़े लड़के को स्कैन किए जा रही थीं।
वह आगे कुछ कह ही रहा था कि विधि उसको हाथ दिखाकर रोकते हुए कहती है, "लगता है...! आपने आपके स्टाफ को कुछ सिखाया नहीं है मिस्टर गुप्ता, कस्टमर से कैसे बिहेव करते हैं, ना कि सबके सामने उसके कपड़े उतारने को कहते हैं....!"
"और उससे भी मन नहीं भरा तो आपके स्टाफ तो उसे यहां से उठाकर फेंकने के आर्डर दे देते हैं।"
"क्या यही सब आपके इस मॉल में होता है?"
उसका एक-एक शब्द मानो पत्थर की लकीर जैसे लग रहा था।
"तुम्हारा यह मॉल काफी गंदा हो गया है शायद अब इसे तुम्हें बंद कर देना चाहिए मिस्टर गुप्ता।"
उसकी बातों को सुनकर जयेश का चेहरा डार्क हो गया और वह गुस्से भरी आंखों से उस मैनेजर की तरफ देखने लगा।
वहीं मैनेजर तो डर से कांपने सा लगा था, उसे उम्मीद नहीं थी कि उसके सिर्फ फोन देने से उसके लिए ही इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी हो जाएगी।
अगर उसे पता होता कि यह लड़की कौन है तो वह गलती से भी उन बॉडीगार्ड्स को यह आर्डर देने की हिम्मत नहीं करता, लेकिन...! अब वह क्या ही कर सकता था।
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई..."
वहीं अपने मालिक का इस कदर गुस्सा देखकर मैनेजर के पैर डर से कांपने लगे, वह घबराई नजरों से कभी जयेश को देखता।
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसी हुई इन्हें ओफेन्ड करने की? क्या तुम इनके कपड़े उतारना चाह रहे थे? तो ठीक है, अब तुम्हारा भी हश्र वही होगा जो तुम इनके साथ करने वाले थे।"
वहीं अपनी बॉस की बातें सुनकर तो मैनेजर के पैरों तले जमीन ही खिसक गई।
उसने एक नजर ऋषि की तरफ डाली शायद उसे यकीन हो कि वह उसे बचा लेगा लेकिन...! उन्हें अपनी जगह ऐसे खड़े देखकर मैनेजर की हिम्मत टूट गई।
फिर उसने एक नजर समीरा की तरफ डाली जो उसे ही घूर कर देख रही थी।
मैनेजर के मन की बात शायद समीरा समझ गई, उसने एक नजर उस हैंडसम लड़के की तरफ डाली वह देखने में बेहद खूबसूरत था लेकिन ऋषि से कम।
वहीं समीरा अपनी आवाज को तेज कर कहती है, "मिस्टर गुप्ता यह आप कैसे बात कर रहे हैं? मॉल में आ रहे सभी की सिक्योरिटी का ध्यान रखना मैनेजर का काम है और वह अपनी ड्यूटी ही निभा रहे थे, और आप उनकी बातों पर यकीन करने के बजाय किसी बाहरी लड़की पर यकीन कर रहे हैं।"
समीरा के दिल की जलन अब भी उसकी आंखों से झलक रही थी, उसे ये कैसे मंजूर होता कि रिद्धि सही और वह गलत...।
"शट अप.... मिस कपूर क्या मैंने आपको कहने के लिए कहा? आप यहां कपड़े खरीदने आई हैं तो वही कीजिए। इस मॉल में कौन आएगा और कौन नहीं यह मैं डिसाइड करुंगा ना कि आप।"
वहीं जयंत की बातों को सुनकर समीरा कुछ उसे कहने ही वाली थी कि तभी ऋषि उसे रोकते हुए कहता है, "चुप रहो समीरा...."
वहीं उसकी बातों को सुनकर समीरा दांत भींचते हुए कहती है, "बेबी यह तुम कैसी बात कर रही हो? तुम्हारे सामने यह मेरी इंसल्ट कर रहा है और तुम.....!"
"जस्ट शट अप समीरा, चुप।"
यह कहते वक्त भी ऋषि की नजर समीरा पर ना होकर रिद्धि पर थी, उसे यकीन नहीं हो रहा था।
इतनी घबराई, डरी सहमी सी रहने वाली रिद्धि आज इतनी बोल्ड और एरोगेंट कैसे हो गई? बोलते वक्त उसकी आंखों में जो चमक थी, शायद वह ऋषि की आंखों से बच नहीं पाई लेकिन...! कैसे...? वही ऋषि को भी समझ में नहीं आ रहा था कि ऐसा क्या हो गया जो रिद्धि इतनी बदल गई।
जब जयंत की नजर ऋषि पर गई जो रिद्धि को ही घूर कर देख रहा था, तो वह उसकी आंखों के बीच में आकर ऋषि को घूर कर कहता है, "मिस्टर जिंदल आपको नहीं लगता आप ज्यादा ही गहरी सोच में चले गए हो।"
"और रही बात आपके बात की तो आपको एक बात बताऊं, आप इतने भी बड़े नहीं हुए कि आप मुझे सलाह दे सकें और मैं आपको एक ही एडवाइस देना चाहूंगा कि आप अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर यहां से चले जाइए वरना आगे क्या होगा यह तो मैं भी नहीं जानता और उसे ऐसे घूरना बंद कीजिए वरना वह आपको कहीं का नहीं छोड़ेगी, समझे आप....."
वहीं उसकी बातों को सुनकर ऋषि घूर कर जयंत को देखता है, उसकी आंखों में कुछ था लेकिन...! उसने अपने चेहरे पर उसे जाहिर होने नहीं दिया।
वह एक नजर घूर कर रिद्धि की तरफ देखता है जो उसे बिल्कुल ही इग्नोर कर उस शॉप में सभी को देख रही थी, जब उसे सब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह समीरा का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए वहां से ले जाने लगा।
जब उसके कदम रिद्धि के आगे पहुंचे तो उसने एक नजर मुड़कर देखा लेकिन...! तभी उसकी आंखों की तपिश्त खुद पर महसूस कर कर भी रिद्धि ने उसे एक नजर नहीं देखा, यह देख ऋषि वहां से चला गया।
"तुम सब खड़े-खड़े मेरा मुंह क्या देख रहे हो? पकड़ो इस मैनेजर को और जैसा कहा है वैसा करो। इसके बदन के सारे कपड़े निकाल इसे वह सजा दो जो वह अपनी जिंदगी में कभी नहीं भुलेगा।"
जब मैनेजर के कानों में अपनी बॉस की आवाज गूंजी तो वह फिर से डर गया।
जब उसने मिस कपूर को अपनी साइड लेते देखा चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन अगली ही पल वह मुस्कान डर में बदल गई, जब उसके कानों में जयंत की आवाज गूंजी।
आखिर क्या करेगा जयेश मैनेजर के साथ...?
और क्या रिश्ता है उसका विधि के साथ जो सिर्फ एक मैसेज पर चला आया?
और इन सबका ऋषि पर क्या असर होगा?
सभी देखेंगे हम अगले एपिसोड में।
उस वक्त उस मैनेजर की हालत अपने बॉस की बात सुनकर और भी खराब हो गई।
मैनेजर को जब बचने की कोई उम्मीद नजर नहीं आती, तो वह अपने घुटनों के बल बैठकर निधि से माफी मांगते हुए कहता है, "प्लीज मैम, मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे गलती हो गई, आइंदा से ऐसा नहीं होगा।"
लेकिन... शायद निधि इतनी भी दयावान नहीं थी कि उस झुके हुए इंसान को माफ कर दे, जिसने समीरा की बातों में आकर उसके साथ इतना घटिया सलूक किया। अगर वह उस वक्त इस आदमी को यहां न बुलाती, तो यह मैनेजर उसके जिस्म से कपड़े निकलवाने में एक सेकंड नहीं लगाता।
निधि एक नजर उस इंसान की तरफ देखती है, फिर अपनी नज़रें जयेश की तरफ कर उसे अपनी सर्द आंखों से घूरते हुए बस कुछ लफ्ज़ कहती है, जिसे सुनकर जयेश सिर्फ हां में अपनी गर्दन हिला देता है।
"HANDLE THIS MATTER...!"
और वहां से बिना किसी जवाब का इंतजार किए वहां से चली जाती है।
इस वक्त निधि के सामने बहुत सारे सवाल थे और उसे उन सवालों के जवाब तलाशने थे। वह अपना वक्त इन फालतू चीजों पर नहीं वेस्ट करना चाहती थी। पहले उसे यह समझना था कि आखिर यह रूप, यह रंग, यह शक्ल और यह लड़की कौन थी, जिसके शरीर में वह आई थी।
और वही निधि जो एक बंजारों की तरह अपनी जिंदगी जंगलों में बिताती...
उन्हें रंग बदलते गिरगिटों से अच्छा उन जानवरों में रहना पसंद था जो जंगल में रहते हैं।
उसे उन दोनों को देखकर नफरत होने लगी थी। उसे इस बात से गुस्सा आ रहा था कि वह दोनों इंसान होकर भी एक इंसान की कदर नहीं कर सकते....
वही इन उधेड़बुन में निधि चलकर जा ही रही थी कि तभी किसी ने उसके हाथों को पकड़ दीवार से सटा दिया।
निधि के रिफ्लेक्शन बहुत फास्ट थे, लेकिन इस वक्त वह ऐसे कमजोर शरीर में थी जो अभी-अभी हॉस्पिटल बेड से उठा था। लेकिन उसकी आंखों की तपिश लोगों को मार डालने के लिए काफी थी और ऊपर से कुछ न खाने की वजह से उसे कमजोरी सी होने लगी थी। इस वजह से जब उस इंसान ने उसे खींचा तो वह वक्त रहते मुंह नहीं कर पाई और सीधा जा दीवार से टकरा गई, लेकिन टकराते ही किसी के हाथों ने उन्हें पकड़ लिया जिससे उसका सर और पीठ उस इंसान के हाथों पर लगा।
"हो कौन तुम...?"
वह अभी यह सब सोच ही रही थी कि उसके कानों में यह शब्द गूंजे, जिससे उसकी पलकें ऊपर की तरफ उठीं और जब उसने देखा कि उसकी आंखों के सामने कोई और नहीं, वही शख्स है जिसे वह अब देखना भी बर्दाश्त नहीं करना चाहती।
ऋषि जिंदल।
वही निधि एक पल के लिए तो उसको ही देखती रही। हमारा हीरो कम डेविल था ही इतना हैंडसम, कोई भी उससे अपनी नजर ना हटा पाए, लेकिन...!
निधि अलग थी। वह उस चेहरे को गौर से देख रही थी, जो अभी कुछ वक्त पहले उसे नीचा दिखा रहा था।
वही उसका सवाल सुनकर भी रिद्धि को कुछ ना कहता देखकर, ऋषि अपने दांतों को भिंजते हुए अपने हाथों को उसके बाजू पर कसते हुए कहता है, "कौन हो तुम? रिद्धि ऐसी नहीं थी, वह तो एक डरी सहमी सी लड़की थी, लेकिन....! तुम ...?
तुम काफी अलग हो।
तुम्हारी आंखों की तपिश मुझे यह बताने के लिए काफी है कि तुम रिद्धि नहीं हो, तो बताओ तुम कौन हो...?"
वहीं अब तक जो उस लड़के को पूरी तरह से इग्नोर करती निधि, उसकी आंखों में घूरते हुए अपने हाथों से उसके हाथों को अपनी बाजुओं से हटाते हुए घूर कर उसकी आंखों में देखकर कहती है, "लगता है जिंदल साहब को मुझसे प्यार हो गया है या फिर ऐसी बातें मिस्टर जिंदल की आप मुझे अपनी लाइफ से निकालने के लिए इतने डेसपरेट हैं कि मुझे कोई और ही कहने लगे..?
"LET ME GUESS..."
MR JINDAL...
लेकिन...! आप मुझसे तो प्यार नहीं करते, फिर यह सब करने की वजह?
ऊपर से आपने मुझे अपनी जिंदगी निकालने के लिए जो भी किया, खैर जाने दीजिए, मुझे इससे अब कोई लेना-देना नहीं है, तो मैं कौन हूं, यह आपको जानने की जरूरत नहीं है।
आप सिर्फ अपनी गर्लफ्रेंड पर ध्यान दीजिए, जो आपका इंतजार बाहर कर रही होगी।
समझे मिस्टर... जिंदल!"
शायद आज पहली बार ऋषि को अपनी गलती का एहसास हो जब कोई आपकी इंसल्ट करता हो तो कैसा लगता है और खुद सामने होकर नजर अंदाज कर दे तो...!
वही निधि यह सब कह कर तो चली गई, लेकिन...! पीछे छोड़ गई उस ऋषि को, जो उसे बिना पलकें झपकाए घूर कर देख रहा था।
उसे पता था कि उसने रिद्धि के साथ क्या-क्या किया था और उसे यह भी मालूम था कि वह उसकी बातों से और हरकतों से उससे गुस्सा होगी, लेकिन ....! उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह उसकी बातों से इतना हर्ट हो जाएगी कि खुद को ही बदल देगी।
लेकिन...! वह क्या ही जानता था रिद्धि के बारे में और उस पर बीते उन दिनों के बारे में। अगर कोई जान भी लेता तो हर किसी के जिस्म की रूह कांप जाती।
लेकिन...!
ऋषि को एक बात समझ नहीं आ रही थी कि इतनी डरी सहमी और उसके सामने मुंह ना खोलने वाली रिद्धि आज उसे इतने दिनों बाद ऐसे मुंह पर जवाब देकर कैसे जा सकती है...? क्या उसने उसको इतना हर्ट कर दिया कि वह एक पत्थर दिल में बदल गई? यह सवाल करने से ऋषि खुद को रोक नहीं पाया।
वह तो यह सोचकर वापस आया था कि एक बार वह रिद्धि से बात करेगा, उसे समझाएगा कि वह और रिद्धि कभी एक नहीं हो सकते। उसने तो बस मजबूरी में शादी के लिए हां कहा था।
उसे उस जैसी डरपोक लड़की में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं है जो अपने लिए एक स्टैंड भी नहीं ले सकती, लेकिन ....! उसे क्या मालूम था जिसे वह इतनी डरी सहमी समझ रहा था वह इतनी कोल्ड हार्टेड निकलेगी.....
क्या इस चेंज को समझ पाएगा ऋषि...?
या पता लग पाएगा कि वह रिद्धि नहीं निधि है और अगर रिद्धि के जिस्म में निधि आ गई है तो रिद्धि कहां है..?
क्या रिद्धि मर चुकी है..?
जानेंगे हम अगले episode में।
वही गुस्से से तमतमाता हुआ ऋषि अपने केबिन में अपना गुस्सा फाइल पर निकाल रहा था।
उसके सामने खड़ा शख्स डर से अपने पैरों को जमीन पर गड़ाए हुए खड़ा था, भले ही वह उसका दोस्त हो लेकिन...! इस वक्त वह उसका असिस्टेंट था!
दोस्ती तो बस इस ऑफिस के बाहर, लेकिन...! ऑफिस में सिर्फ उसका एक एंप्लॉय जो उसके लिए काम करता है।
यह ऋषि को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं होता कि वह उसके दोस्त की हैसियत से उससे बात करे, वह सिर्फ यहां एक एंप्लॉय के तौर पर था और ऋषि उसे कभी भी अपनी इस कंपनी से निकाल सकता था।
"अब बोलोगे भी या ऐसे ही भूत बनकर खड़े रहने का इरादा है?"
अपने सवालों के उधेड़बुन में अभी शशांक कुछ सोच ही रहा था कि तभी उसके कानों में गरजती हुई ऋषि की आवाज गूंजी जो उसके रुंह को कांपने पर मजबूर करने के लिए काफी थी।
भले ही ऋषि को कोई नहीं जानता था, भले ही दुनिया के सामने वह एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन था, लेकिन...! लेकिन शशांक अच्छी तरह से ऋषि को जानता भी था और पहचानता भी कि उसकी असली पहचान क्या थी और ऋषि कौन था और क्या है?
वही उसकी बातों को सुनकर शशांक ऋषि की तरफ तिरछा देखकर कहता है, "अब इसमें मेरी क्या गलती, मैंने पहले ही तुमसे कहा था कि उसका इतने बुरी तरीके से दिल मत तोड़ो कि वापस जुड़ ना पाए।
वह पहले से ही इतनी सॉफ्ट हार्टेड थी और तुम्हारी बातों ने उसे इस कदर तोड़ा कि...
अब वह ऐसी बन गई है।
तो इसमें मैं क्या ही कर सकता हूं।
मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि तुम्हारी इन्हीं हरकतों की वजह से आगे चलकर तुम्हें ही पछताना ना पड़े।"
और खुद के मन में "लेकिन...! मुझे उम्मीद नहीं थी कि यह दिन इतना जल्दी आएगा।"
"शट अप, आय से शट अप।" ऋषि ने शशांक पर चिल्लाते हुए कहा।
"मैं तुम्हें इतनी सैलरी यहां मुझे सलाह देने के लिए नहीं देता, समझे तुम...!
पता करो कि आखिर उसके साथ ऐसा क्या हुआ है, अगर मैंने उसका दिल भी तोड़ा था तो वह इतनी कोल्ड हार्टेड नहीं बनती, मुझसे नफरत करती, गुस्सा करती, मुझसे मुंह मोड़ लेती, लेकिन...! एक लड़की इतना चेंज नहीं हो सकती।
उसके साथ कुछ तो हुआ है, पता करो मुझे उसकी हर एक डिटेल्स चाहिए वरना तुम यहां कदम नहीं रख पाओगे..."
वही उसकी बातों को सुनकर शशांक अंदर ही अंदर मुंह बनाकर खुद से ही कहता है, "इसके अलावा तुम्हें आता ही क्या है, देखो तो अब कैसे चिल्ला रहा है, जब मैंने कहा था तब इसकी अकल क्या घास चरने गई थी। इतनी अच्छी तो लड़की दादाजी ने इसके लिए पसंद की थी, लेकिन...! इस नाकुल को तो उसमें इंटरेस्ट ही नहीं था और अब देखो कैसे कह रहा है कि उसकी हर एक डिटेल्स चाहिए।"
"अगर...! मन में मुझे गालियां देना हो गया हो तो कुछ काम भी कर लो, अगर आधे घंटे के अंदर अगर मुझे रिपोर्ट्स नहीं मिली तो तुम इसका अंजाम जानते हो..."
"यस बॉस...!" अपनी बत्तीसी दिखाते हुए शशांक ऋषि की तरफ देखकर कहता है।
अभी वह दोनों डिस्कस कर ही रहे थे कि तभी गुस्से से तमतमाती हुई समीरा केबिन के डोर को धकेलते हुए अंदर आते हुए कहती है, "बेबी तुमने ए अच्छा नहीं किया तुम्हें उस दो कौड़ी की लड़की को अच्छा सबक सिखाना चाहिए था और तुम, तुम मुझे ऐसे वहां से लेकर आए जैसे गलती मेरी ही हो...!"
वही एक बार फिर समीरा की बातों ने ऋषि को उस समय में पहुंचा दिया जहां वह समीरा और रिद्धि थी, वह रिद्धि की ठंडी और सर्द आंखें अभी तक नहीं भूल पाया, अभी भी उसके दिल पर वह गहरी आंखें वार कर रही थी।
"स्टॉप इट समीरा और तुम्हारे मैनर्स कहां गए, किसी के भी केबिन में आते वक्त नॉक करने की तुम्हारी तहजीब कहां गई?"
वही उसकी कड़क और भारी आवाज सुनकर शशांक और समीरा अपने जगह ऐसे भूत बनकर खड़े रहे जैसे उन्होंने कोई अजूबा देख लिया हो।
आज पहली बार ऐसा हुआ था की ऋषि समीरा पर चिल्लाया था।
"बट बेबी...!" तभी समीरा कुछ कहने को हुई ही थी कि ऋषि उसे हाथ दिखाकर कहता है,
"जस्ट शट अप समीरा, बिहेव योर सेल्फ, तुम जानती हो ना तुम कहां खड़ी हो, हम ऑफिस में है और ना ही मैं तुम्हारा कोई बेबी हूं और ना कुछ और...
इस वक्त हम यहां सिर्फ एक बॉस और एंप्लॉई के नाते से है सो तुम जानती हो कि मुझे क्या कह कर बुलाना होगा और आइंदा से मेरे केबिन में आते वक्त नॉक करके आना वरना...!"
वही खामोशी से खड़ा वहां सब कुछ सुन और देख रहा शशांक भी आज हक्का-बक्का था, उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके सामने बैठा शख्स ऋषि है जिसे वह बचपन से जानता है। अगर वह उसे अच्छी तरह से नहीं जानता होता तो एक पल के लिए तो धोखा खा जाता।
खुद के ऊपर गुस्सा निकालने की ऋषि की आदत को तो शशांक जानता था। लेकिन...! समीरा, समीरा पर तो वह एक वर्ल्ड भी नहीं चिल्लाता, लेकिन...! आज ऐसा क्या हो गया जिसे यह नजारा ही चेंज हो गया।
वही शशांक को अभी अपनी जगह पर खड़ा देख ऋषि गुस्से से गरजते हुए कहता है, "क्या तुम्हें भी और तरीके से मैं समझाऊं जब मेरी बात तुम्हारे दिमाग में घुस जाएगी...!"
"आउट...!"
वही शशांक जब ऋषि की घूरती नजर खुद पर पाता है तो हड़बड़ा कर वहां से झुक कर चला जाता है। वही समीरा अभी भी भूत बनकर ऋषि को देख रही थी, आज ऋषि का यह बदला बिहेवियर उसे बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और अब वह उसे कंप्लेंट कर ही रही थी कि उसकी वह गहरी आवाज जिससे आज पहली बार समीरा डर गई।
"कुछ कहा मैंने समीरा क्या तुम्हें सुनाई नहीं दिया...!"
एक बार फिर ऋषि की आवाज ने समीरा को हकीकत में ला पटका, उसने अपनी पलके झपकाते हुए ऋषि को देखकर कहा।
"लेकिन...!"
"लेकिन क्या समीरा क्या तुम भूल गई कि तुम यहां एक एंप्लॉय हो और ए ऑफिस है।
मैं पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ इस ऑफिस के बाहर ही रखना पसंद करता हूं समीरा, शायद यह बात तुम्हें समझ नहीं आई या फिर तुम मुझे कभी समझ ही नहीं पाई समीरा।"
वही उसकी बातों को सुनकर समीरा हड़बड़ा कर नहीं में अपना सिर हिला देती है।
"मुझे प्रोफेशनल और पर्सनल रिश्ते को आपस में मिक्स करना पसंद नहीं है समीरा और यह बात तुम जितनी जल्दी समझ सको समझ लो...
ए तुम्हारे लिए ही बेहतर होगा।"
"तुम...: तुम यह सब उस दो कोड़ी की लड़की रिद्धि की वजह से कह रहे हो है ना...?"
ऋषि की बातों ने समीरा की आंखों में आंसू ला दिए थे और वह अपनी आंसू भरी आंखों से ऋषि की तरफ देखकर यह कहती है।
वही उसकी बातों को सुनकर ऋषि घूर कर समीरा की तरफ देकर कहता है।
"ऐसा कुछ भी नहीं है...!
तुम ज्यादा सोच रही हो।"
"ऐसा ही है बेबी तुमने आज पहली बार मुझ पर चिल्लाया है सिर्फ और सिर्फ उस लड़की के वजह से, तुम तो कह रहे थे कि तुम उसे सिर्फ मजबूरी में इंगेजमेंट कर रहे हो लेकिन...! अब लगता है कि शायद तुम उससे प्यार करने लगे हो...!"
वही उसकी बातों को सुनकर ऋषि समीरा से कहता है।
"व्हाट नॉनसेंस समीरा, अगर मैं तुम्हें प्रोफेशनल जगह पर प्रोफेशनली बात करने को कह रहा हूं तो यहां रिद्धि कैसे आ गई?"
वही बड़े से जिंदल मेंशन के अंदर सोफे पर दो व्यक्ति आमने-सामने बैठकर बात कर रहे थे, दोनों के ही चेहरे एक्सप्रेशन लेस थे, तभी वहां एक मीठी लेकिन...! सर्द आवाज गूंजी।
"मैं आपके पोते से शादी नहीं कर सकती...?"
और कैसा रिएक्शन रहेगा ऋषि का जब उसे पता चलेगा कि उसकी डरी सेहमि सी बिल्ली अब उसे काटने पर आ गई है।
क्या होगा इस कहानी में जानेंगे अगले एपिसोड।
वही बड़े से जिंदल मेंशन के अंदर सोफे पर दो व्यक्ति आमने-सामने बैठकर बात कर रहे थे। दोनों के ही चेहरे एक्सप्रेशन लेस थे, तभी वहां एक मीठी लेकिन सर्द आवाज गूंजी।
"मैं आपके पोते से शादी नहीं कर सकती...?"
उस लड़की की आवाज में और आंखों में आज रामचंद्र जिंदल ने कुछ महसूस किया, सालों बाद उन्हें ऐसा लगा कि वही उसके सामने बैठी थी और बिना उनसे डरे उनकी आंखों में आंखें डाल उनसे बात कर रही है।
जिससे उनकी बूढ़ी आंखों में एक चमक सी आ गई, जो वह पिछले कई सालों से उसमें देखना चाहते थे। उन्हें आज वह उसमें देखने को मिल भी रहा है, लेकिन कुछ खोकर।
उन्हें निराशा भी हुई क्योंकि यह सब उनके नालायक पोते की वजह से हुआ।
"मैं जानती हूं मेरे इस फैसले से आपको दुख हुआ होगा, लेकिन सबकी भलाई इसमें ही है कि यह रिश्ता न हो और मैं भी शादी करना नहीं चाहती।" इतना कह रिद्धि वहां से उठ बाहर की तरफ जाने लगी।
तभी पीछे से रामचंद्र जिंदल उसे कुछ कहने ही वाले थे कि तभी उन्हें इंटरेस्ट से ऋषि अंदर आता हुआ नजर आया।
तो उन्होंने अपने शब्द अपने तक ही रखे और जाते हुए रिद्धि को बस अपनी आंखों से ओझल होता हुआ देखने लगे।
उसे जाता देखकर रामचंद्र जिदल ने एक गहरी और लंबी सांस ली, वही सोफे पर बैठ गए।
वही रिद्धि बिना इमोशंस ऋषि को इग्नोर कर वहां से चली गई।
उसे पता था यह बात ऋषि को पता चल ही जाएगी।
वही ऋषि को अंदर आता देखकर रामचंद्र जी वही सोफे पर बैठ गए।
इस वक्त उन्हें ऋषि पर बेहद गुस्सा आ रहा था, इतना कि वह अपनी छड़ी को हाथ में पकड़ कांप रहे थे, जैसे अपनी छड़ी उठाकर ऋषि को मार ही देंगे।
लेकिन...!
उन्होंने अपने आप पर काबू रखने की पूरी कोशिश की।
"दादू वह यहां क्यों आई थी...?"
क्या कहा उसने? ऋषि ने अंदर आते हुए अपने दादाजी से पूछा जो सोफे पर बेहद गुस्से से बैठे हुए थे और उसके किसी भी सवाल का जवाब देना नहीं चाहते थे। उन्हें डर था कि कहीं वह गुस्से से अपना आपा ही न खो दे।
"मैंने कुछ पूछा है आपसे, वह यहां क्यों आई थी? दादू...!"
वही ऋषि की बढ़ती आवाज और गुस्से को देखते हुए आखिरकार रामचंद्र जिंदल का भी गुस्सा फूट पड़ा और वह अपनी छड़ी को नीचे जमीन पर पटककर गुस्से से गरजते हुए कहने लगे।
"क्या तुम्हें मालूम नहीं कि वह यहां क्यों आई थी? अगर नहीं तो सुनो, वह तुमसे शादी तोड़ने आई थी। यही तो चाहते थे ना तुम, खुश हो अब। अब यह शादी नहीं होगी, आखिर तुमने वही किया जो तुम्हें चाहिए था। अब खुश हो न तुम...!"
वही अपने दादू की आवाज और उनकी बातों में छुपे गुस्से को देखकर एक पल के लिए तो ऋषि सुन्न सा रह गया।
"लेकिन दादू..." ऋषि बस इतना ही कह पाया, इतने में रामचंद्र जिंदल उसे हाथ दिखाते हुए कहने लगे।
"बस ऋषि, बस। मैंने देख लिया कि मेरी तुम्हारी नजरों में क्या एहमियत है, और मेरे वादे की। आज मैंने उसकी नजरों में वह देखा जो मैं कभी देखना नहीं चाहता था और उसकी बातों ने मुझे एहसास दिला दिया कि मैं कितना गलत था जो तुम्हारी शादी उससे करवाना चाह रहा था। एक ऐसी लड़की जो मॉम से भी ज्यादा कोमल दिल की थी, आज तुमने उसको एक पत्थर दिल में बदल दिया, इससे ही पता चल रहा है कि मेरा फैसला कितना गलत था।"
"अब मैं तुम्हारी एक भी बात नहीं सुनना चाहता हूं और ना ही अब मेरी इस बूढ़ी हड्डियों में इतनी ताकत रही है कि मैं एक पावरफुल बिजनेसमैन ऋषि जिंदल से कुछ कहूं, जो इस दुनिया पर राज करता है और मेरी इतनी औकात कहां।"
"दादू..." ऋषि बस इतना ही कह पाया।
"और क्या ही फर्क पड़ता है मेरी बातों का तुम पर, जो तुम मेरी बात मानोगे...! जाओ अब तुम्हें जो भी करना है वह कर लो... अब से ना ही मैं तुम्हें रोकने वाला हूं और ना ही कुछ कहने वाला ऋषि जिंदल।" इतना कह रामचंद्र जिंदल वहां से चले गए।
वही आज अपने दादू की इतनी बातें सुनकर ऋषि एक ही जगह खड़ा रहा। उसे इतना गुस्सा आ रहा था कि उसने अपने हाथों का एक पंच बना पास में ही एक दीवार पर दे मारा।
यह देख आसपास के नौकर घबरा गए, लेकिन किसी ने भी कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं की।
उसे इस दुनिया में किसी से कोई फर्क नहीं पड़ता था सिवाय अपने दादू के, क्योंकि उसकी जिंदगी में उनके सिवा कुछ भी नहीं था। अगर वह पिछले 5 सालों से रिद्धि से शादी करने की जिद न करते तो वह यहां से बिल्कुल भी न जाता, लेकिन आज भी सिर्फ रिद्धि की वजह से उसे वहां से यहां आना पड़ा।
इस वक्त उसकी आंखों में बेशुमार गुस्सा था।
"How dare you... Riddhi."
"तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई यहां आने की और मेरे दादू से कहकर इस शादी को तोड़ने की? तुम्हारी इतनी भी औकात नहीं कि तुम इस शादी को मना कर सको, समझी तुम...!"
इस वक्त उसकी आंखें अंगारों की जैसी जल रही थी और गुस्सा तो इतना कि वह किसी को भी जलाकर राख कर दे।
आखिर क्या चल रहा है ऋषि के दिमाग में और क्या सजा देगा अब वह रिद्धि को और वही रिद्धि जो की और कोई नहीं विधि है।
क्या सबक सिखाएगी ऋषि को...?
क्या ऋषि के गुस्से का विधि पर कोई असर होगा?
जानेंगे हम अगले एपिसोड में।
आखिर क्या चल रहा है ऋषि के दिमाग में और क्या सजा देगा अब वह रिद्धि को और वही रिद्धि जो की और कोई नहीं विधि है।
क्या सबक सिखाएगी ऋषि को...?
क्या ऋषि के गुस्से का विधि पर कोई असर होगा?
जानेंगे हम अगले एपिसोड में।
आखिर क्या चल रहा है ऋषि के दिमाग में और क्या सजा देगा अब वह रिद्धि को और वही रिद्धि जो की और कोई नहीं विधि है।
क्या सबक सिखाएगी ऋषि को...?
क्या ऋषि के गुस्से का विधि पर कोई असर होगा?
जानेंगे हम अगले एपिसोड में।
"वो मुझे 15 मिनट के अंदर वहां चाहिए।"
"नहीं तो अगले ही मिनट तुम्हारा रेजिग्नेशन मेरी टेबल पर होना चाहिए।"
"गॉट इट।"
केह गुस्से से ऋषि कॉल कट कर देता है।
इस वक्त वह किसी ज्वालामुखी से कम नजर नहीं आ रहा था, उसके प्यारे दादू ने जो आज उसे एक लड़की के खातिर इतना सुनाया था, जिसे वह बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था।
"रिद्धि कपूर शायद मैंने तुम्हें काफी हल्के में ले लिया।"
"और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे सगाई तोड़ने की?"
"यू वेट एंड वॉच, मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं....."
"लगता है यह आदमी पूरा का पूरा पागल हो चुका है, क्या इसे समझ में नहीं आता कि वह क्या करने जा रहा है!"
"इसे कहते हैं खुद ओखली में सर मारना।"
यह सब कहते हुए शशांक अपने सर को ऐसे हिलाए जा रहा था मानो किसी पागल की बात सुन रहा हो।
बाद में खुद ही सिर हिलाते हुए काम में लग गया। वह जानता था, ऋषि जितना पागल और सनकी इस दुनिया में कोई भी नहीं था। वह क्या कर सकता है और क्या नहीं, वह अच्छी तरह से जानता था।
अगर....
उसने उसका काम नहीं किया तो पता नहीं वह क्या ही कर देगा और ऐसा भी हो सकता है कि वह उसे रेजिग्नेशन देने पर मजबूर कर यहां से कहीं और ही भेज दे.....
वही अपने बॉस के ऑर्डर को फॉलो कर शशांक अपने आदमियों को कॉल कर रिद्धि को अगवा करने का सोच रहा था और उसके कहे अनुसार उसने कॉल भी कर दिया।
वही विधि ऐसे ही चली जा रही थी। उसने एक काम तो कर दिया, इस शादी को तुड़वाकर।
लेकिन....!
अब भी ऐसा कुछ था जिसे वह समझ नहीं पा रही थी।
रह-रह कर उसकी मुट्ठी गुस्से से बंद हुए जा रही थी। उसे वह अपना आखिरी पल याद आ रहा था। भले ही यह किसी और की बॉडी हो लेकिन...! अभी तक विधि इसको काबू में नहीं कर पा रही थी, कुछ खुद की धुंधली सी यादें और कुछ उस रिद्धि की यादें उसके दिमाग में ऐसे घूम रही थी मानो उसके साथ लुका-छुपी का गेम खेल रही हो।
हंटरों के मारने की, किसी के चिल्लाने की, रोने की.....
अब भी एक-एक कर धुंधली सी परछाई उसकी आंखों के सामने आ रही थी। उसने कसकर अपनी आंखों को भिंच जोर से चिल्लाई। अब तक उसे सिर्फ यही याद था कि इस लड़की का नाम रिद्धि है और उसकी ऐसे लड़के से सगाई होने वाली थी जो उसे पसंद नहीं करता।
और उसके साथ सगाई तोड़ने के लिए न जाने क्या कुछ नहीं किया और आगे क्या कुछ नहीं करता, इसलिए यही अच्छा होता कि यह चैप्टर हमेशा के लिए ही बंद हो जाए।
फिर उसने गहरी सांस ले अपनी आंखें खोल ली।
अब उसे सिर्फ अपनी इस कमजोर शरीर को जानने की कोशिश करनी है।
अभी वह यह सब सोच कर चल ही रही थी कि कोई उसके सामने आकर खड़ा हो गया। जब उसने गौर से देखा तो दो बॉडीगार्ड टाइप दिखने वाले आदमी उसके सामने खड़े थे।
तभी उनमें से एक आदमी ने अपनी जेब से फोन निकाल उसमें तस्वीर देखते हुए अपने बगल में खड़े आदमी को कहने लगा, "रॉनी यह तो वही है जिसे हम कब से ढूंढ कर रहे हैं।"
"अब जाकर हाथ में लगी है।"
"पता नहीं कहां छुप कर बैठी थी।"
वही उसकी बातों को सुनकर दूसरा आदमी कहता है, "तो देख क्या रहे हो पकड़ो इसे कहीं फिर से भाग ना जाए और मैडम को कॉल करके बताओ कि हमें वह मिल गई है।"
"हां तुम ठीक कह रहे हो," उसकी बात पर हामी मिलते हुए दूसरा आदमी कहने लगा।
और किसी को फोन लगा उसमें बात करने लगा तब तक उन दोनों ने रिद्धि को अच्छी तरह से पकड़ कर रखा था।
वही अपने आप को किसी आदमियों का ऐसे पकड़ते हुए देखकर विधि का खून खोलने लगा।
उसकी आंखें सर्द हो गई, वह बिना इमोशन के उन दोनों को घूरने लगी।
तब तक उन दोनों में से एक कॉल रख कर उसे ही देखने लगा था।
वह दूसरे आदमी को कहने से खुद को रोक नहीं पाया, "मैडम ने तो कहा था कि यह लड़की बड़ी ही मासूम और डरपोक है, लेकिन....! इसकी नजर तो कुछ और ही बयां कर रही है, क्या हमने किसी गलत लड़की को तो नहीं पकड़ा?"
"तुमने तस्वीर तो अच्छे से देख ली थी ना, नहीं तो हमको मैडम से सजा मिलेगी।"
वही रॉनी जिसका नाम था वह सोचकर कहता है, "तस्वीर में तो यही है हूबहू उसकी जैसी ही है, यही होगी।"
तभी दूसरा जिसका नाम राकेश था वह कहता है, "तो छोड़ो जाने दो हमें क्या ही करना है वही हुई या फिर कोई और हमने तो उसे पकड़ लिया ना आगे यह और मैडम देख लेंगी।"
"चलो ले चलो इसको गाड़ी में......."
वहीं अब तक चुप बैठी विधि उनकी बातें बड़ी गौर से सुन रही थी, उसे समझते देर नहीं लगी कि यह लोग जिस लड़की को ढूंढ रहे थे वह रिद्धि है और जिसने भी उन्हें उसे ढूंढने के लिए कहा था वह उसकी फैमिली वालों में से कोई होगा। इसलिए विधि चुप हो गई और उनकी बातें सुनने लगी।
तभी विधि धीरे से मगर सर्द लहजे में कहती है, "कौन हो तुम लोग..? और मुझे इस तरह से कैसे ले जा सकते हो...? छोड़ो मुझे...!"
तभी दूसरा आदमी हंस कर रॉनी से कहता है।
"लगता है...! इस लड़की को जीने की चाहत नहीं है जो यह मैडम से भाग रही है क्या इसे पता नहीं चेतना कपूर किस बला का नाम है...!"
"हमने तुम्हें छोड़ भी दिया तो कोई और तुम्हें पकड़ लेगा और उनके पास पहुंचा देगा।"
"अगर उनका इससे काम नहीं होता तो वह कब का तुम्हें जान से मार देती।"
"हां मैंने भी सुना है।"
"और मैंने तो यह भी सुना है कि अभी जैसे ही यह लड़की उनके पास पहुंचेगी वह इस लड़की को ऐसा सबक सिखाएंगे की जिंदगी में कभी भी भागने की हिम्मत नहीं करेगी।"
एक बार फिर उनकी बातों को सुनकर विधि उनसे कुछ कहती है जिसकी मासूम सी आवाज सुनकर एक पल के लिए तो वह दोनों रुक जाते हैं लेकिन...! फिर गुस्से से कहते हैं।
"देखो लड़की तुम्हें यह सब भागने से पहले सोचना चाहिए था और उस मैडम ने तो हमें इतना पैसा दिया है सिर्फ तुम्हें ढूंढने के लिए, वैसे भी वह हमारी पुरानी क्लाइंट है इसलिए हम उसके साथ गद्दारी नहीं कर सकते।"
"समझी।"
वहीं उनकी बातों को सुनकर रिद्धि एक बार फिर कहती है, "अगर आप यह सब पैसों के लिए कर रहे हैं तो मैं आपको उनसे भी ज्यादा दे सकती हूं...!"
"अच्छा तो तुम हमें पैसे दोगी, तुम दिखने में तो 19-20 की लग रही हो तुम कैसे हमें पैसे दोगी अपने जिस्म से.........."
कह दोनों हंसने लगते हैं।
तभी उनमें से एक आदमी कहता है जिसका नाम राकेश है वह अपनी गहरी नजर विधी पर डालते हुए कहता है, "वैसे सौदा बुरा नहीं है।"
"तुम चाहो तो......!"