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इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव

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rimjhim Sharma

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कहानी शुरू होती हैं तीन साल बाद से कैलिफोर्निया की सुंदर सी चमचमाती सड़कों पर वह घूम सी रही थी । आंखों में अजीब सा दर्द और बैचेनी साथ ही उदासी लिए उसकी आंखें आंसु बहा रही थी । कभी रोने को हर किसी की कमजोरी बताने वाली वह पांच फुट आठ इंच की खुबसूरत सी...

Total Chapters (11)

Page 1 of 1

  • 1. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 1

    Words: 1147

    Estimated Reading Time: 7 min

    पार्ट +1 कहानी शुरू होती हैं तीन साल बाद से कैलिफोर्निया की सुंदर सी चमचमाती सड़कों पर वह घूम सी रही थी । आंखों में अजीब सा दर्द और बैचेनी साथ ही उदासी लिए उसकी आंखें आंसु बहा रही थी । कभी रोने को हर किसी की कमजोरी बताने वाली वह पांच फुट आठ इंच की खुबसूरत सी लड़की पता नहीं क्यों हर पल बस आंसु ही बहाती रहती थी और उस खुबसूरत लड़की का नाम था अहनिका अहलावत । इतनी खूबसूरत की हर किसी की नजरें उस पर टिक जाये लेकिन उसकी आंखें तो किसी और के ही इंतजार में थी । खैर वो अपने ओवर कोट की जेब में दोनों हाथ डाले आगे बढ़ती जा रही थी । चारों रात की बढती वह चहल-पहल , ऊंची और चमकती दिवारे भी उसका मन नहीं बहला पा रही थी । वह अपनी ही धून में मस्त चल रही थी कि एक जगह उसकी नजरे टिक गयी और फिर क्या था वह एकटक उस तरफ ही देखती रही ... दरअसल वहां पर एक अमेरिकी कपल आपस में मुस्कराते हुए एक आइसक्रीम को खा रहे थे । जहां लडकी के हाथ , लडके के हाथ को जकड़ रखे थे वही लड़का एक बाइट खुद खाता और एक उस लड़की को खिलाता । वो दोनों साथ में काफी खुश नजर आ रहे थे लेकिन अहनिका की निगाहे तो उन दोनों में कुछ और ही तलाश रही थी ..... फ्लैशबैक दिल्ली के एक बाजार में रात के वक्त वह उसके हाथों में हाथ डाले घूम रही थी और वह उसकी एक ख्वाहिश पूरी करने के लिए भागा भागा इतनी भीड़भाड़ भरी जगह पर आया था और वह खुशी से पूरी दुनिया भूले उसके हाथों में हाथ डाले‌‌ मुस्करा रही थी और वह उसे अपने हाथों से आइसक्रीम खिला रहा था । अनाहिका पिछले तीन‌ साल से खुशी के इन छोटे छोटे पलों को बहुत मिस कर रही थी । बीते वक्त में उसके बेइंतहा प्यार के आगे उसे पता ही नही लगा कि वक्त इस तरह करवट बदलेगा जब उसके लिए जान भी हाज़िर करने वाला उसका प्यार , उसका इश्क़ , उसकी मोहब्बत , उसकी सारी दुनिया और उसकी सारी खुशियां अपने अंदर समेटने वाला वह शख्स उससे इस कदर नफरत करेगा कि उसकी परछाई के लिए भी तरस जायेगी वह ...... लेकिन अब उसके पास कुछ नहीं था ना मोहब्बत , ना खुशियां और ना ही मुस्कराहट। बस वक्त किसी तरह कट रहा था और वह आंसु बहा रही थी । उसके आंसु गालों को पूरी तरह भींगो चुके थे । तभी एक उम्रदराज लेडी जो सामने से आ रही थी वह उसे रोते देख रुककर , " हाय ! स्वीटहार्ट आर यूं ओके । " जिस पर वह मुस्कराते हुए , " नो नो आई एम ओके ब्युटीफुल लेडी " उसके ब्युटीफुल कहने पर वह बुढ़ी महिला जिसने अपने आपओ पूरी तरह माॅर्डन पहनावे में ढाल रखा था वह हंसते हुए , अनाहिका के काॅम्पलिमेंट पर हंसकर , " थैंक्यू प्रिटी गर्ल " इतना कहकर वह आगे निकल गयी और अनाहिका की नजरे फिर वही चली गयी और फिर उसके मुंह से निकला , "काश ....." काश एक ऐसा शब्द जो अनाहिका को हर पल चुभता था लेकिन चुभते हुए भी हर पल उसके जहन में चलता था । लेकिन आज पहली बार उस काश .... निराशा नहीं, नाउम्मीदी थी । तीन साल में बहुत मुश्किल से संभाला उसने अकेले खुद को , अब तो अकेलेपन की आदी हो चुकी थी । खुद को पूरी तरह बदल लिया था उसने , वक्त पूरी तरह बदल गया था उसे और यह सब कुछ उन बुरे हालातो की वजह से ही हुआ पर सजा तो मिली थी उसे , किसी से बेइंतहा प्यार करने की सजा , किसी को जिंदगी से बढकर चाहने की‌ सजा‌, किसी को अपनी पूरी जिंदगी बनाने की सजा और इस सजा का परिणाम आज यह निकला कि वह कांच के टुकड़ों की तरह बिखर गयी । अनाहिका अपने ही ख्यालों में गुम थी कि तभी उसका फोन बजा .... फोन पर लारा आंटी शो हो रहा था जो पिछले तीन सालों से उसके घर की केयरटेकर थी । फोन उठाते ही सामने से आवाज आयी , " एनी कहां हो तुम " जिस पर अनाहिका , " बस आ रही हूं " इतना‌ कहकर उसने काॅल कट कर दिया और वापिस मुडकर अपने अपार्टमेंट की तरफ चल दी । लारा आंटी , अनाहिका के सुख दुख की साथी समझ लिजिए । जो उसके साथ पिछले तीन साल से रह रही हैं । तीन साल पहले जब वह अमेरिका आयी थी तो उसे वही मिली थी और पता चला कि वो इंडिया से थी और अपने बच्चों के साथ अमेरिका घूमने आयी थी लेकिन उसके बेटे और बहूं , उन्हें धोखे से अमेरिका एयरपोर्ट पर ही छोडकर चले गये और बस अकेली अनाहिका को उनका दर्द भी अपना सा लगने लगा और वो उन्हें अपने साथ , अपने अपार्टमेंट ले आयी और तब से लारा आंटी उसके साथ हैं । लारा आंटी , अनाहिका पर बोझ नहीं बनना चाहती थी । बहुत खुद्दारी थी उनमें और फिर उन्होंने अनाहिका के घर की केयरटेकर बनकर रहने का फैसला लिया और उनकी जिद्द के आगे आखिर अनाहिका ने घूटने टेक ही दिये । अनाहिका चलते हुए खुद से , " काश वो वक्त ही ना होता तो आज हम साथ होते हैं । बहुत मुश्किल हैं तुम्हारे बीना एक भी पल गुजारना । रातों को नींद नहीं आती और दिन बैचेनी से गुजरते हैं । पता नहीं कभी तुम्हारी बांहे नसीब भी होगी या नहीं , अब तक तो किसी को अपनी जिंदगी में शामिल भी कर चुके होगे और देखो यहां मैं तुम्हारे इंतज़ार में अब तक भी सब कुछ रोके बैठी हूं । खुद को सबसे दूर कर लिया , यह सोचकर की शायद तुम्हारे अकेलेपन की जिम्मेदार मैं हूं पर गलत निकली , तुम तो मुझे ही जिम्मेदार ठहरा चुके थे । तुम्हें जोड़ने चली थी और मैं खुद टुकड़ों में बिखर गयी ‌। मेरी मोहब्बत मुझे तोड गयी और मैं आस से तुम्हें देखती रही ।‌काश ... तुम मुझ पर विश्वास करते तो ... आज हम साथ होते और मेरे चेहरे पर उदासी ना होकर मुस्कराहट होती । कभी इस मुस्कराहट पर मरने वाले आज मेरी परछाई से भी नफरत करते हो ‌। काश कभी तुम भी मेरे इश्क की इंतहा समझ पाओ । तुम्हें छूने के लिए भी तडप रही हूं पर डर लगता हैं तुम मेरे सामने तो आये लेकिन तब तक यह दिल पत्थर बन चुका होगा तो क्या करूंगी मैं ..... जीते जी मर ही जाउंगी ‌। " अपने ख्यालों में गुम वह अपने अपार्टमेंट में पहुंच चुकी थी जो उसे कंपनी की तरफ से मिला था ‌। जारी हैं ....... क्या होगा आगे ? अनाहिका को किससे इस हद तक प्यार हैं ? कौन हैं वह जिसका वह इंतजार कर रही हैं ? जानने के लिए अगला पार्ट जरुर पढ़िएगा और कमेंट करके बताये की आपको‌पहला पार्ट कैसा लगा

  • 2. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 2

    Words: 1481

    Estimated Reading Time: 9 min

    आगे .... उसका अपार्टमेंट कैलिफोर्निया की उस अस्सी मंजिला इमारत पर बीसवे माले पर था । उसके अपार्टमेंट की एक तरफ की दिवार कांच की थी और दूसरी और एक अच्छा बालकनी व्यू था । जहां वो घंटों बैठा करती थी और दूर तक जगमगाते कैलिफोर्निया की उन रंग बिरंगी लाइटों का निहारती रहती । अभी भी वह खाना खाने के बाद अपनी डायरी लेकर बालकनी में लगे झुले पर‌ ही बैठी थी । उसके बाल हवा में लहरा रहे थे जो कंधे के थोड़ा ही नीचे तक आ रहे थे । सर्दी की वजह से उसने ओवर कोर्टा पहना था सिर पर टोपी और गले में एक मोटा ऊन का मफलर पहने वह खुबसूरत गुड़िया लग रही थी । लेकिन चारों तरफ निहारते हुए वह खुद से कुछ लिखने लगी डायरी में , तेरी यादों की बारिश में भीग रही हूँ, तेरे बिना मैं खुद से ही रूठ रही हूँ। जिसे अपना जहां समझ बैठी थी, आज उसी की नफरत में टूट रही हूँ। कभी तेरा साथ मेरी दुनिया था, अब तेरा नाम ही सज़ा बन गया। जिसे पाने की ख्वाहिश में जी रही थी, वही मेरा सबसे बड़ा ग़म बन गया। काश! तू एक बार मुड़कर देख ले, मेरे बिखरे अरमानों को समेट ले। पर तू दूर है, मैं भी मजबूर हूँ, तेरी बेरुख़ी का हर दर्द हंस कर , कबूल करती हूँ। इसके बाद उसने डायरी बंद करके अंदर बेड के साइड ड्रावर में रख दी और बालकनी का दरवाजा बंद कर , मफलर , टोपी और कोट साइड में रखते हुए सीधे बेड पर जाकर गिर पड़ी और थकान के कारण जल्दी ही सो गयी । इधर इंडिया में, एक आलिशान घर में चारों तरफ धूप और बत्ती की खुशबू फैली थी और एक औरत अच्छी सी साड़ी लपेटे चारों तरफ आरती करती हुई अंदर किचन में चल गयी । तब तक उसे बाहर से चिल्लाने की आवाज आयी , " भाभी मां मेरा नाश्ता लगा दीजिए । " अभी आयी इतना कहकर वह औरत नौकरों के साथ मिलकर बाहर डायनिंग टेबल पर नाश्ता लगवाने लगी , तब तक एक औरत और एक लडका और लडकी भी आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गये । वह औरत सबको नाश्ता सर्व करने लगी थी तब तक उसकी सास सुचित्रा जी बोली , " बेटा श्रुति , अन्नी नहीं आया अभी तक ..." जिस पर श्रुति , " नहीं मां , भैया रात को देर तक स्टडी रुम में काम कर रहे थे तो सो रहे हैं । " सुचित्रा जी , जिस पर सिर हिला देती हैं । तभी विरल , " श्रुति , मुझे एक पराठा और डालना ..." जिस पर श्रुति सिर हिलाते हुए , " जी " तभी घर के छोटे और लाडले नवाब शिवांश , " भाभी मां , आपके हाथ में ना जादू हैं , मन करता हैं आपके हाथ चूम लूं " इतना कहते ही उसके पैर पर किसी का पैर आकर लगता हैं और वह , " आ......" उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर , सभी लोग उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगते हैं और वह कुछ नहीं बस ऐसे ही कहकर अपने पास बैठी लड़की से , " शिवी की बच्ची , तुमने अभी मुझे इतनी जोर से क्यों मारा ?" शिवी भी गुस्से से , " इसलिए क्योंकि अभी मैं नहीं मारती तो तुम्हारे इतने‌प्यारे शब्दों की वजह से भाई तुम्हें जलन के मारे बहुत अच्छे से पीट चुके होते और विश्वास नहीं हो तो भाई की तरफ देख लो । " जिस पर शिवांश‌ की नजर जैसे ही विरल पर जाती हैं । उसे खुद को घूरता हुआ पाकर वह सकपकाते हुए खाने लगता हैं । इधर श्रुति खुद भी खाने के लिए बैठते हुए , " मां , भैया की उम्र हो रही हैं । आपको नहीं लगता अब हमे उनकी शादी के बारे में सोचना चाहिए । " उसके इतना कहते ही विरल और शिवांश को एक साथ ठसका लगता हैं और सुचित्रा जी भी खांसने लगती हैं ‌। जिस पर श्रुति सवालिया निगाहों से शिवी को देखती हैं जो अपने खाने में मस्त थी । शिवी को जैसे ही उनकी नजरों का अहसास होता हैं वह सामने की एक नजर श्रुति को देखती हैं और अपने हाथ नैपकिन से पोछते हुए , " भाभी मां आप इस घर में कुछ भी कीजिए , आपको कोई रोका टोकी नहीं हैं । आपको सबका प्यार और सम्मान सब कुछ मिलेगा लेकिन आगे से भाई की शादी की बात बिल्कुल मत करना ।" फिर सबकी तरफ देखते हुए , " मेरा हो गया " इतना कहकर वह कमरे में चली जाती हैं । इधर श्रुति फिर से कुछ बोलने की कोशिश करती तब तक विरल उसका हाथ पकडकर दबा देता हैं । इसके बाद सब लोग नाश्ता करकर अपने काम में लग जाते हैं और शिवांश काॅलेज के लिए निकल जाता हैं ‌। इधर कैलिफोर्निया में उसकी कार आकर एक बड़ी सी बिल्डिंग के सामने रुकती हैं । अन्दर से अहनिका रेड कलर के बिजनस सुट में बाहर निकलती हैं , पैरों में गोल्डन हिल्स और आंखों पर गाॅग्लस लगाये वो बहुत खुबसूरत लग रही थी । पिछले दो साल से वह युएस‌ए के साथ बाकी कंट्रीज में अपने डिजान्स के लिए फैमस कम्पनी लेविश फैशन ग्रुप में हेड आॅफ फैशन डिजाइनर डिपार्टमेंट की पोस्ट पर काम कर रही थी ‌ । खैर वह अंदर जाने लगती हैं और अंत में एक कान्फ्रेंस हाॅल में आ जाती हैं जहां आज उसके साथ सभी डिपार्टमेंट्स के हेड्स की सीईओ के साथ मीटिंग थी । डेविड मर्चेंट कम्पनी का सीईओ था जो कुछ ही देर में आने वाला था । कुछ देर बाद डेविड के आते ही मीटिंग स्टार्ट हो चुकी थी । डेविड , "हमारा अगला फैशन शो इंडिया में होगा और ऐसा हेड सर चाहते हैं ‌। " इस पर सब हैरानी से उन्हें ही देखने लगते हैं क्योंकि आज तक कोई भी फैशन शो युएस‌ए के बाहर नहीं हुआ था। जिस पर डेविड , " जानता हूं । आप सब हैरान हैं लेकिन हेड सर की मां इंडिया से बिलोंग करती थी और इस कम्पनी की नींव भी उन्होंने ही रखी थी और उनकी मौत को पन्द्रह साल पूरे होने वाले हैं और हेड सर इस पल को यादगार मनाना चाहते हैं ‌। इसलिए उन्होंने इंडिया में फैशन शो के दौरान अपने टाॅप थर्टी डिजान्स को लाॅन्च करने के बारे में भी सोचा हैं , एनीवन हेव एनी डाउट " जिस पर रिचर्ड जो माॅडल्स सलेक्ट करता था वह , " बट अब तो लगभग तीन महिने ही बचे हैं तो सब कुछ कैसे होगा ।" जिस पर डेविड , " यही हमे डिसाइड करना , इसके लिए हम पांच लोगों की एक टीम भेजने वाले हैं । आप वहां जाओगे और इसकी सारी स्ट्रेटजी बनाओगे । " जिस पर सभी सिर हिला देते हैं । तब डेविड ओके ," यह पांच लोग हैं ....... रिचर्ड , विल्सन , लियाना , राॅबर्ट और हेड होगी अहनिका अहलावत । आप सभी को तीन महिने इनके ही अंडर काम करना हैं ‌। " डेविड फिर अहनिका से , " तुम सारी रिपोर्ट्स डेली मुझे मेल करोगी ।" इंडिया के नाम से अहनिका की सांसे रुक चुकी थी । वह कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं थी इसलिए वह खडे होकर , " सीईओ , आई डाॅन्ट वान्ट टू गो , इंडिया " डेविड हैरानी से खडे होकर , "वाट , इट्स अनप्रोफेशनल बिहेवियर बट अब कुछ नहीं हो सकता टिकट्स के साथ होटल रूम बुक हो चुके हैं । आप लोगों को वहां पर लेविश फैशन ग्रुप की नई ब्रांच भी डालनी पड़ेगी और इसके लिए हम एक विश्वास पात्र कैंडिडेट चाहिए । आई एम सॉरी टू से मिस अहनिका अहलावत पर आपने मुझे बहुत डिसएप्वाइंट किया" कुछ भी रास्ता नजर ना आने से अहनिका निराशा से , " ओके सीईओ आई एम एंग्री बट 3 महीने तक होटल रूम में रहना यह हमारे काम को डिस्टर्ब कर सकता है । इसलिए आप वहां पर हम पांचों के लिए रहने के लिए कोई होम रेंट पर ले लिजिए । " डेविड जिस पर सिर हिलाते हुए , "ओके , मिस अहनिका , हम आपकी डिमांड को ध्यान में रखेंगे । " बाकी डिटेल्स आप मुझसे ले लीजिएगा और वन मोर थिंग आप सभी को तीन दिन बाद इंडिया के लिए निकलना है तो तब तक के लिए आप सभी को ऑफिस से छुट्टी दी जाती है । सभी कैंडिडेट खुश थे क्योंकि उनके लिए एक बड़ी अपॉर्चुनिटी साबित हो सकती थी लेकिन इससे वह खुश नहीं थी । उसने कभी इंडिया वापस आने के बारे में सोचा भी नहीं था तो कैसे स्वीकार कर सकती थी पर अब कुछ नहीं हो सकता था तो भगवान से वह मन में यही प्रार्थना कर रही थी.... उस शख्स से वापस मुलाकात ना हो कुछ ऐसा हो कि उनके रास्ते इन तीन महीना में टकराये ही ना ......." जारी हैं ...... क्या होगा आगे , जानने के लिए पढते रहिए यह कहानी वैल अगला पार्ट और भी इंटेरेस्टिंग होने वाला हैं

  • 3. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 3

    Words: 1243

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे ..... आगे ..... इधर रुम में श्रुति , विरल से , " विरल , भैया की शादी की बात पर शिवी इतनी रुड तरीके से क्यों बोली थी जैषे वो चाहती ही नहीं कि भैया कि शादी हो .... कुछ ऐसा हैं जो मुझे नहीं पता ...." विरल , " तुम्हें अभी तक इस घर के बारे में कुछ नहीं पता हैं बहुत कुछ ऐसा हैं जो मुझे भी नहीं पता ... बहुत कोशिश के बाद भी मां का मुंह नहीं खुलता हैं और भैया से कुछ पुछने की हिम्मत नहीं हैं ..... अब मैने भी सब कुछ वक्त पर छोड दिया । तुम्हें सबसे बहुत प्यार मिलेगा यहां श्रुति बस इतनी सी कोशिश करना कि तुमसे कोई ऐसी बात ना हो जिससे सालों पुराने जख्म हरे हो जाये । " इतना‌ कहकर वह श्रुति को अपने गले से लगा लेता हैं जिसपर श्रुति , उसके सीने से लगे हुए ही , " आई प्राॅमिस , मैं कभी किसी को हर्ट नहीं करुंगी । " तभी उन्हें नीचे से किसी के चिल्लाने की आवाज आती हैं । एक लडकी जिसने कट घूटनों तक का वन पीस पहन रखा था और अभी जमीन पर गिरी पडी थी और अनिरुद्ध राणा , उस पर बहुत बुरी तरीके से चिल्ला रहा था । विरल और श्रुति हाॅल में आ चुके थे लेकिन दोनों ही अनिरुद्ध राणा के इस बिहेवियर से हैरान और हक्के बक्के थे । हमेशा सबके सामने शांत रहने वाला और औरतों की इज्जत करने वाला अनिरुद्ध आज किसी लड़की पर बुरी तरीके से चिल्ला रहा था पर इसका कारण क्या था यह उन दोनों की समझ के बाहर था । आई तो मिलते अनिरुद्ध राणा से , अनिरुद्ध राणा उदयपुर का एक जाना माना नाम ..... जिसके गुस्से से पूरा राजस्थान कांपता था । एक ऐसा किरदार जो अपने शांत स्वभाव और रॉयल्टी के लिए जाना जाता था । करोड़ों का बिजनेस उसने पिछले 3 साल में खड़ा किया था और पिछले साल उसे बिजनेसमैन ऑफ द ईयर का अवार्ड भी मिला था । इसकी जिंदगी के कुछ गहरे राज जो कुछ कितने चुने लोगों के अलावा कोई नहीं जानता है । ऐसा क्या हुआ होगा इसकी जिंदगी में ..... 6 फुट हाइट और लगभग 28 की उम्र होगी गहरी नीली आंखें और ब्राउन एंड ब्लैक हेयर्स । एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के साथ फैशन डिजाइन कंपनी का भी मालिक है और अपने परिवार का चहेता भी है । जिसकी डिक्शनरी में सॉरी शब्द एग्जिट करता ही नहीं है । इसके लिए एक बात फिट बैठती है फर्स्ट इंप्रेशन इस लास्ट इंप्रेशन । एक बार उसने किसी के बारे में कोई भावना बना ली तो उसे कोई नहीं बदल सकता । वेल तो अब चलते कहानी पर अनिरुद्ध उसे लड़की पर बुरी तरीके से चिल्ला रहा था । तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे टच करने की , तुम जो हर बार मुझे डोमिनेट करती रहती हो तुम्हें क्या लगता है मेरे सब कुछ समझता नहीं हूं । इस घर में आती हो मेरी मां की वजह से तो सिर्फ उन तक सीमित रहो । " "बट व्हाय अनिरुद्ध , तुम्हें तो पता ही है आंटी हम दोनों की शादी करवाने वाली तो इस हिसाब से हस्बैंड वाइफ को एक दूसरे को समझने का टाइम तो होना चाहिए ना । बाद में दिक्कत नहीं होती हैं । " वह लड़की जिसने अपने पूरे चेहरे पर डार्क मेकअप रखा था वह खिलाते हुए फर्श पर गिरी गिरी ही बोली । अनिरुद्ध आगे कुछ बोलता तब तक वह ताली बजाते हुए वहां पर आ जाती है विरल और श्रुति तो अभी सब कुछ हैरानी से ही देख रहे थे । शिव नीचे झुकते हुए कठोरशब्दों में , " तुम्हारी गिरने की हद तो हर सीमा पर गई मिस मोनिशा । वेल ख्वाब बहुत अच्छे देखती हो ..... पर अफसोस कभी पूरे होने वाले नहीं ..... तुम्हें क्या लगता है हमें पता नहीं है तुमने हमारी जिंदगी में कौन सा चरस बोया है । आज यह सब कुछ हो रहा है ना यह तुम्हारी वजह से और सच बता दो जिस दिन हमें वो मिली .... तुम्हारी हालत गली के कुत्ते से भी बदत्तरकर दूंगी । याद रखना कब दोस्तों के एहसान नहीं भूलती तो दुश्मनों के वार भी नहीं भूलती । वेट एंड वॉच इतनी नीचे गिरोगी टूटने के काबिल भी नहीं रहोगी ....." मोनिशा अपनी इतनी बेज्जती संभाल नहीं पाई इसलिए वह उठकर लंगड़ाते हुए राणा मेंशन से बाहर निकल गई । श्रुति , विरल से , " यह सब कुछ क्या हो रहा है विरल , भैया को इतने गुस्से में तो कभी नहीं देखा मैंने ..... और किसी लड़की की बेवजह इतनी इंसल्ट तो नहीं करेंगे लगता है बात कुछ बडी हैं क्या तुम्हें पता है" विरल , " आई डॉन्ट नो श्रुति बट , मोनिशा कोई इस घर में कोई पसंद नहीं करता इवं मां भी नहीं पर रीजन मुझे नहीं पता ..." शिवि अनिरुद्ध से बिना बोले ही निकल रही थी । जिस पर अनिरुद्ध , " क्या अब मेरी बहन मुझसे बात भी नहीं करेगी । " जिस पर व मुंह दूसरी तरफ घूमाए हुए , " जिस दिन आपको आपकी की माफी मिल गई उस दिन की आपको आपकी बहन मिलजाएगी" इस पर अनिरुद्ध चिढ़ते हुए , " गलती उसकी थी तो माफी मैं क्यों मांगू । एक बार मैं उसे माफ़ भी कर सकता था पर वह तो बिना कुछ बोले सब कुछ छोड़ कर भाग गई ..... पर अफसोस अपने भाई को सबसे ज्यादा समझने वाली आज खुद मुझे नहीं समझ पा रही हो." जिस पर शिवि , " अफसोस तुम मुझे बीएफ कि आप भी उसे पर विश्वास नहीं करपे ..." इतना कहकर शिवि निकल जाती है । अनिरुद्ध मन में , " तुमने मेरे पूरे परिवार को मेरे खिलाफ खड़ा कर दिया इसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करुंगा । दुआ करना कि हम दोनों कभी ना मिले जिस दिन हम टकराये तुम नफरत की इंतहा देखोगी । कैलिफोर्निया जैसे ही अनाहिका ने घर की बेल बजाई लारा आंटी ने गेट खोलते हुए " "आज इतनी जल्दी आ गयी । " " "यस आंटी तीन दिन बाद इंडिया के लिए निकलना है" इतना करते हुए वह अपना पर्स लेकर अंदर जाकर सोफे पर निढालल हो जाती है । लारा आंटी उसके पीछे-पीछे आते हुए हैरानीसे , " क्या ! बट क्यों तुम तो कभी इंडिया नहीं जाने वाली थी जिस देश में इतना दर्द मिला क्या तुम सब कुछ सहन कर पाओगी वापस वंहा लौटकर " देखते हैं इतना कहकर वह अपने रुम में चली गयी और कांच की दिवार से बाहर देखते हुए सोचने लगी , "। अहनिका की आंखों में छुपी एक गहरी कहानी थी, जिसे वह किसी से नहीं कह पाती थी। उसकी जिंदगी में एक ऐसा इंसान आया था, जिसने उसके दिल को छू लिया था, पर फिर भी उसके पास नहीं रहा। उसकी आंखों में उस इंसान के लिए एक अजीब सी बेचैनी थी, जो उसे हर वक्त उसकी याद दिलाती थी। अहनिका की जिंदगी में एक समय ऐसा भी आया था, जब वह खुश थी। उसके चेहरे पर मुस्कान थी, उसकी आंखों में खुशी की चमक थी। पर फिर भी, कुछ ऐसा हुआ जिसने उसकी जिंदगी को पलट दिया। उसके प्यार को छीन लिया गया, उसकी खुशियों को चीर दिया। अहनिका ने उस इंसान को खो दिया था, जिसके बिना उसकी जिंदगी अधूरी थी। उसकी आंखों में अब सिर्फ उसके इंतजार की आस थी, जो कभी पूरी नहीं हो सकती थी। उसके दिल में एक खालिश थी, जो किसी से नहीं मिट सकती थी। " जारी हैं

  • 4. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 4 क्या अनिरुद्ध का गुस्सा कर देगा अहनिका को बर्बाद?

    Words: 1016

    Estimated Reading Time: 7 min

    तीन दिन बाद दिल्ली एयरपोर्ट पर वह ब्लैक बिजनेस सुट में अपनी पूरी टीम के साथ थी । वहां उनके लिए एक कार वेट कर रही थी जिसमें बैठकर वो लोग उदयपुर के लिए निकल चुके थे इस बात से अंजान अहनिका अपने मंजिल की तरफ बढ रही थी कि उसका अतीत वहां बेइंतहा नफरत के साथ इंतजार कर रहा हैं तो आगे का सफर अनिरुद्ध और अहनिका के लिए कैसा होगा ।

    अहनिका , लियाना से , " लियान तुमने सभी बड़ी कम्पनीज को मेल कर दिया हैं ना इस प्रोजेक्ट डिल के बारे में ..... हमें एक बेस्ट इवेंट प्लानर कम्पनी को हायर करना हैं । "

    लियाना , " यस मैम , कल उसी के सिलसिले में मीटिंग करनी हैं ‌।"

    अहनिका , " राॅबर्ट , तुमने टाॅप टेन डिजाइनर्स हायर कर लिये ‌। "

    राॅबर्ट , " यस मैम बस कल इंटरव्यू लेकर कैंडिडेट्स फाइनल करने हैं । "

    अहनिका , " गुड , रिचर्ड माॅडल्स सिलेक्ट करने का क्राइटेरिया बना लिया । "

    रिचर्ड , " यस मैम , बस शो की थीम , डिजान्स और सब कुछ सिलेक्ट होने के बाद माॅडल्स सिलेक्ट करने हैं । "

    इसके बाद किसी में कोई बात नहीं है सब शांति से बैठे थे । कुछ वक्त बाद उनकी कार होटल के सामने रूकी ।
    जिस पर लियाना हैरानी से "बट मैम हम तो होम में रुकने वाले थे ना "

    जिस‌पर अहनिका,"नहीं, आज वहां की सफाई होगी तो हम कल वहां जायेगे । "
    फिर इसके बाद वो सब हाॅटेल में अपने अपने रुम में चले गये और अपना अपना काम करने लगे । अहनिका उस ऊंची सी‌ बिल्डिंग में अपने रुम की बाल्कनी में हाथ में काॅफी कप लिये खड़ी थी । वह बाहर देखते हुए खुद से सोच रही थी कि सबकी जिंदगी भागदौड़ में बदल चुकी थी लेकिन उसमें भी उनको सुकून था कि वो अपनी पसंद की जिंदगी के पीछे दौड़ रहे थे लेकिन उसकी पसंद की जिंदगी तो कब की खत्म हो चुकी थी फिर वह किसके पीछे भाग रही थी ।‌ सारे दिन आॅफिस , काम की ढेरों टेंशन , सुबह जल्दी उठना , रात को देर तक जागना , यह सब किसके लिए बस वक्त के साथ भागने के अलावा‌ कोई आॅप्शन ही नहीं बचा था उसके पास , सब कुछ तो छिन गया उसका अब तो बस बोझ भरी जिंदगी बितानी थी और खुशी वो तो अब महसूस होनी ही बंद हो गयी ।

    इधर आज अनिरुद्ध का‌ गुस्सा पुरे आॅफिस पर निकल रहा था ।‌सुबह से हर एम्प्लाॅय डर से कांप रहा था । हर कोई बस शांत निगाहों से अपने काम में ध्यान दे रहा था कि अगला नम्बर उसी का ना हो ।
    अनिरुद्ध इस वक्त लेदर राॅलिग चेयर पर बैठा था और उसखे सामने उसका असीस्टेंट नीतिन हाथ बांधे सिर झुकाए खड़ा था ।
    अनिरुद्ध चिल्लाते हुए , " तुममें थोड़ा भी सेंस बचा‌ भी हैं या नहीं । तुमने बीना मुझसे पूछे उस तनिष्का खन्ना के साथ मेरी मीटिंग क्यों फिक्स करी । मुझे उस लड़की के साथ कोई मीटिंग नहीं करनी लेकिन नहीं , तुम्हें हमेशा कुछ ना कुछ गड़बड़ करनी होती हैं। "
    जिस पर नीतिन‌," साॅरी बाॅस लेकिन हम उनके इंवेट आर्गेनाइज करने के लिए पहले ही डिल साइन कर चुके थे और फिर कान्ट्रेक्ट आपने ही बनवाया था कि जिस पार्टी की तरफ से कान्ट्रेक्ट तोड़ा गया उसे सौ करोड़ पे करने होगे और आपकी उनके साथ बहस हो गयी तो हमें उनके साथ सेटलमेंट करना ही होगा वरना हमें सो करोड़ देने होंगे। "

    जिस पर अनिरुद्ध गुस्से से "‌सौ करोड़ दे दो लेकिन मैं अब उस लड़की की शक्ल‌ भी देखना नहीं चाहता । "
    जिस पर नीतिन , " पर बाॅस ...."
    जिस पर अनिरुद्ध गुस्से से ," उसे सौ करोड़ देकर इस कान्ट्रेक्ट को रफा दफा करो और मुझे अब बहस नहीं चाहिए । जब काम हो जाये तभी , मुझे अपनी शक्ल दिखाना वरना .. आज के लिए मेरे सामने आने की भी‌ हिम्मत मत करना । "
    अनिरुद्ध के गुस्से से हर कोई वाकिफ था और उसके गुस्से को आगे भडकाना मतलब खुद के पैर पर कुल्हाड़ी मारना‌ इसलिए नितिन शांति से ही केबिन से बाहर निकल गया लेकिन वह अपने मन में सोच रहा था कि अगर उसके बाॅस को लड़कीयों से इतनी ही एलर्जी हैं तो उसे पहले ही दूर रहना चाहिए था इस तरह एक लड़की के साथ डिल साइन करने की जरुरत क्या थी और फिर डिल साइन कर ही ली थी तो फिर बीच में तोड़ने की जरुरत क्या थी । उनका भी कुछ समझ नहीं आता , इस तरह पैसे लूटाते रहे तो एक दिन सड़क पर सोने की जरुरत पड़ जायेगी । मेरी ही किस्मत खराब थी जो इनके साथ काम करने को अपनी खुशनसीब समझ रहा था ।
    नीतिन अनिरुद्ध के सामने बिल्कुल चुप रहता था गाय की तरह लेकिन मन ही मन अपनी सारी भड़ास निकालना उसकी आदत बन चुकी थी ।
    इधर नीतिन के जाने के बाद अनिरुद्ध ने आंखें बंद करके चेयर के पीछे अपना सिर टिका लिया और खुद से ही सोचने लगा कि इन तीन सालों में वह क्या से क्या बन गया । जहां पहले हमेशा उसके चेहरे पर मुस्कुराहट जाती नहीं थी वहां आज चेहरे पर मुस्कान आने का नाम तक नहीं लेती । पहले वो कभी गुस्सा करता ही नहीं था और अब गुस्सा करे बिना उसका एक पल भी नहीं गुजरता । सही में वक्त ने उसे पूरी तरह बदल दिया ।
    अनिरुद्ध खुद से ," इतना‌ सब कुछ करने के बाद भी मैं , तुम्हें माप कर देता लेकिन तुम सबकुछ छोड़कर भाग गयी और सबके सामने बेचारी बनकर सिम्पैथी भी गेन कर ली । मैं कभी नहीं भूल सखता कि मेरी बहिन, तुम्हारी वजह से आज भी मुझसे नाराज होकर बैठी हैं । बस दुआ करना कि मेरे सामने ना आओ तुम , वरना मेरी नफरत , तुम्हें पूरी तरह से बर्बाद करके रख देगी और मैं नहीं चाहता , जिससे कभी बेइंतहां प्यार किया , उसकी बर्बादी की वजह बनूं। "

    जारी हैं ......
    अबसे यह कहानी कंटिन्यू होगी तो कमेंट जरुर करीयेगा कि यह पार्ट कैसा लगा आपको ?

  • 5. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 5 क्या वह सच में अहनिका थी ?

    Words: 1216

    Estimated Reading Time: 8 min

    आगे .....

    हाॅटेल में
    सभी लोग अभी एक टेबल पर बैठकर लंच कर रहे थे । अहनिका लंच करते हुए - विल्सन , तुम कुछ मीटिंग्स आज ही शेड्यूल करो क्योंकि वक्त बहुत कम हैं हमारे पास , इतना‌ बड़ा फैशन शो आर्गेनाइज करवाना‌ हैं और सिर्फ‌ तीन‌ महिने ।

    जिस पर विल्सन हां में सिर हिलाते हुए - ओके मैम , इसके साथ ही मैं सारे डाॅक्यूमेंट्स भी डिटेल में बना लेता हूं ।
    जिस पर अहनिका - डैट्स गुड
    फिर वह रिचर्ड से - रिचर्ड , माॅडल्स सिलेक्ट‌ करने से पहले , उन सभी को अपने रुल्स अच्छे से समझा देना
    उनकी फालतु की चिक-चिक और नखरे , लैविश फैशन शो बर्दाश्त नहीं करेगा तो बाद में वो मेरा टाइम बर्बाद करे उससे अच्छा‌ हैं पहले ही सबकुछ अच्छे से समझ ले ।

    लियाना कुछ सोचकर - मैम , मुझे लगता हैं कि हमें इस फैशन शो के लिए राणा ग्रुप आॅफ कम्पनीज़ को हायर करना चाहिए क्योंकि मैंने यहां कि जो स्टडी की हैं ‌उसके अकाॅर्डिग वह कम्पनी इसके लिए बेस्ट रहेगी ।

    अहनिका , जिसने‌ पिछले तीन साल‌ में इंडिया की कोई खोज खबर नहीं ली थी , उसे एहसास तक नहीं था कि राणा ग्रुप किसका था ।
    लेकिन वह कुछ सोचकर बोली - नहीं , हो सकता‌ हैं कि उससे भी अच्छी कोई कम्पनी या फिर आइडिया मिल जाये इसलिए हम और दूसरी कम्पनी को नजरदांज नहीं करेगे ।

    जिसपर लियाना ने सिर हिला दिया । वो सभी अपने काम की बाते करने में व्यस्त थे और अहनिका, उसके चेहरे पर चिंता वाले भाव भी थे क्योंकि वो कुछ और भी सोच रही थी । जब से वह इंडिया आयी थी , उसके चेहरे पर एक ही डर समाया था कि कही वह अपने अतीत से ना टकरा जाये ।
    कुछ वक्त बाद उनका डिस्कसन खत्म हो गया ।
    तभी उन्हें अपने से दो टेबल दूर बहुत शोर उठता सुनायी दिया ।
    जैसे ही अहनिका की नजर उधर गयी , उसके चेहरे पर वहां कुछ काॅलेज स्टूडेंट्स को मस्ती करते देख हल्की सी मुस्कान आ गयी और वह अपने अतीत में ‌खो गयी ।

    इस वक्त उसने घूटनो से हल्का नीचे तक का फ्लोरल प्रिंट फिरोक पहन रखा था और वह अपने सभी दोस्तों के साथ एक रेस्टोरेंट में साइड एरीया में बनी जगह पर हल्के‌ म्युजिक पर थिरक रही थी और इस वक्त उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कराहट थी लेकिन जैसे ही उसकी नजर साइड में ब्लैक जींस के ऊपर वाइट टी-शर्ट और उसके ऊपर लेदर जैकिट पहने लड़के पर गयी तो , वह भागते हुए उसके पास आकर उससे पूछने लगी कि वह इतनी शांति से इधर क्यों बैठा हैं । वह उसका हाथ पकड़ कर अपने साथ लेकर चलने लगी ताकि वह भी उनके साथ मस्ती कर सके ।
    जिस पर वह लड़का - तुम तो जानती हो ना कि मुझे इस तरह शोर और भीड़भाड़ पसंद नहीं।
    जिस पर अहनिका - जानती हूं लेकिन हम मेमोरीज तो बना सकते हैं ना क्योंकि यह काॅलेज टाइम वापिस नहीं आयेगा , अनी ...।
    जिस पर अनि - मैं यहां से तुम्हें देख रहा था । चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान और थिरकते पैर ... मेरे लिए सुकून यही हैं कि तुम खुलकर मुस्कराओं और मैं तुम्हें बस देखता रहूं तो मैं यहां बैठा सिर्फ अपना सुकून महसूस कर रहा हूं तो तुम्हें इसमें प्राॅब्लम नहीं होनी चाहिए ।
    जिस पर अहनिका उसकी गोद में बैठकर उसके गले लग गयी ।
    अनि हंसते हुए - तुम्हारा यह ठीक हैं । तुम जब चाहों करीब आ सकती हो और मैं .....।
    जिस पर अहनिका ने अपना सिर ऊपर करते हुए , उसके होंठों पर अंगुली रख दी और मुस्कराते हुए - मैंने हर हक दिया हैं तुम्हें, यह अलग बात हैं कि तुम लेना पसंद नहीं करते हो ।
    जिस पर अनी - तुम हमेशा मेरे साथ रहोगी ना ।
    अहनिका उसी तरह उसके सीने से लगे हुए - जब तक तुम चाहोंगे।
    जैसे ही लियाना ने उसके हाथ को टच किया , वो होश में आयी ।
    लियाना - आप उस तरफ देखते हुए क्या सोच रही थी ।
    जिस पर अहनिका - नहीं कुछ भी तो नहीं ‌बस काॅलेज के दिन याद आ गये ।
    फिर उस टेबल पर खुद को और लियाना को देखते हुए - बाकी सब कहां गये ।
    जिस पर लियाना - वो सब अपना अपना काम करने गये । मुझे बस यह जानना था कि इंवेट प्लानर कम्पनीज़ के साथ मीटिंग कब रखनी हैं।
    जिस पर अहनिका खड़े होते हुए - सभी कम्पनीज़ को शाॅर्ट टाइम नोटिस मेल कर दो कि मीटिंग कल ही होगी । इतना कहकर वह खड़ी हो गयी

    इधर दूसरी और पार्टी कर रहे टिएन‌एज बाॅयज और गर्ल्स के साथ मस्ती कर रही लड़की की नजर अहनिका की हल्की सी झलक पर पड़ी तो वह शाॅक से उस तरफ जाने लगी लेकिन अहनिका तब तक मुड़ चुकी थी इसलिए उसे , उसका चेहरा नहीं दिख पाया ।
    जिस वजह से वह लगातार उसके पीछे जाने लगी । इस वक्त उसकी नजरे सिर्फ सामने की तरफ थी जहां से वह लड़की जिसकी सिर्फ पीठ दिख रही थी , वो जा रही थी ।

    और उसका ध्यान नीचे ना होने के कारण वह टेबल से टकराकर नीचे गिर पड़ी लेकिन वह गिरती तब तक एक लड़का उसे संभाल चुका था और जैसे ही उसकी नजरे सामने खड़े लडके पर पड़ी, वह घबराहट से सामने‌ की तरफ इशारा करने लगी ।

    जिस पर वह लड़का, उसे संभालते हुए - तुम इतना‌ घबरायी हुई क्यों हो और ध्यान‌ कहां था तुम्हारा , शिवी ?

    जिस पर शिवि की नजरे सामने गयी तो वह हैरान रह गयी क्योंकि वहां कोई नहीं था । वह फिर से उस लड़के की तरफ देखते हुए - शिव , वो अभी यही थी ।

    जिस पर शिव इरिटेट होते हुए - कबसे तुम्हारी सिल्ली हरकते देख रहा हूं मेरी प्यारी बहन और कौन थी वहां ?

    जिस पर शिवि कांपती आवाज में - अह ... भाभी मां।
    जिस पर शिव हैरानी से - वाॅट , तुम होश में तो हो क्या तुमने चेहरा देखा ।
    जिस पर शिवि ना में सिर हिलाते हुए - नहीं लेकिन मैंने हाफ फेस देखा था और शायद वो भाभी मां ही थी ।

    जिस पर शिव - वो भाभी मां नहीं हो सकती , समझी क्योंकि वो यहां हो ही नहीं सकती । उन्होंने सालों पहले हमें और इस जगह को छोड़ दिया था तो फिर उनका वापिस आना इम्पोसिबल.... वो कभी भी नहीं आ सकती क्योंकि उन्होंने जाने से पहले कहां था कि मां भवानी की कसम जो आपके शहर वापिस कदम रखे तो मैंनेऔर वो आना भी क्यों चाहेगी , ऐसी जगह जहां उन्होंने अपना प्यार , आत्मसम्मान सब कुछ खो दिया ।

    जिस पर शिवि - तुम सही हो शिव लेकिन मैंने देखा था वो वही थी ।
    जिस पर शिव - तुम ना दिन ब दिन पागल होती जा रही हो तो प्लीज अब सबकुछ छोड़कर वहां चलों अपने सभी फ्रेंड्स अपना वेट कर रहे हैं और आगे से तुम इस बारे में बात भी नहीं करोगी वरना‌ भाई का गुस्सा तो जानती हो ना ।
    जिस पर शिवि ने गर्दन तो हिला दी लेकिन उसका ध्यान‌अब भी उसी तरफ था और वह सोच रही थी कि क्या उसे सच में वहम हुआ था ? और अगर वहम था तो इतने सालों बाद

    जारी हैं .......

  • 6. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 6

    Words: 1001

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे ......


    कहते हैं , अगर आपका प्यार‌‌ आपको मिल जाये तो आपसे खुशनसीब कोई नहीं और ना मिले तो आपसे बदनसीब कोई नहीं.....और मिलकर भी ना मिले तो आप सच में बहुत कुछ सहने की ताकत रखते हो - शिवि के पूछने पर श्रुति का जवाब , शिवि की आंखें नम कर गया ।

    फिर श्रुति , उसकी नम होती आंखें देख - तुम जब से अपने फ्रेंड्स से मिलकर आयी हो कुछ अलग ही बिहेव कर रही हो और तुम्हें तो प्यार शब्द से भी नफरत हैं ना तो फिर

    जिस पर शिवि अपने आंखों को मींच कर खोलते हुए ‌- आपसे किसने कहां ‌कि‌ मुझे प्यार शब्द से नफरत हैं ।

    जिस पर श्रुति - जब भी प्यार की बात होती हैं इस घर‌ में तो या तो गुस्सा करती हो या बात बदलने कोशिश करती हो या फिर उठकर चली जाती हो तो इसका मतलब यही हैं ना कि तुम्हें प्यार शब्द से नफरत होगी ।

    जिस पर शिवि - हर बार हालात एक जैसे नहीं होते भाभी । कुछ वक्त ऐसा होता हैं जो इतनी दर्द‌भरी यादे दे जाता हैं कि वो हमेशा चुभती रहती हैं । ऐसा नहीं हैं कि मुझे प्यार शब्द से नफरत हैं लेकिन मोहब्बत शब्द ने इस परिवार को इतने गम दिये कि जब भी प्यार शब्द‌का जिक्र होता‌ हैं तो वो यादे दिल को जला कर रख देती हैं ।
    इतना कहकर शिवि तो उठकर चली गयी लेकिन श्रुति के मन में गहरे सवाल छोड़ गयी ।

    श्रुति खुद से - ऐसा क्या हुआ होगा अतीत में इस घर के साथ कि आज प्यार शब्द का जिक्र भी नफरत घोल देता हैं और ऊपर से कोई कुछ बताना‌ भी नहीं चाहता ।
    विरल ऊपर रुम में सो रहा था और जब नींद खुलने पर श्रुति नहीं दिखी तो वह नीचे आ गया और जब उसने श्रुति को अकेले बैठे किसी सोच में गुम देखा तो वह उसके पास आते‌ हुए - तुम इतनी रात को अकेले क्यों बैठी हो ?
    जिस पर श्रुति का ध्यान‌ घड़ी पर गया , जिसमें रात के एक बज रहे थे ।
    वो होश‌ में आते हुए - नहीं, मैं तो बस पानी लेने आयी थी और शिवि यहां बैठी थी तो उसके पास बैठ गयी ।
    जिसपर विरल सिर हिलाते हुए -ओके तो अब चले । जिस पर श्रुति खड़े होते हुए उसके साथ ऊपर रुम में चली गयी और कुछ पल बाथ ही एक कार पोर्च में ‌आकर रुकी और उसमें से अनिरुद्ध अपने हाथ में ब्लेजर लिए बाहर निकला ‌।
    उसका दिमाग आॅलरेडी गर्म था क्योंकि तनिष्का ने कम्पनी में आकर इतना तमाशा‌ किया था कि उसको टाॅलरेट करना उसकी बर्दाश्त से बाहर हो रहा था और उस गुस्से को कंट्रोल करने के लिए वह अब तक भी फाइलों में उलझा था ना‌ खाने का होश और ना घर जाने का , वह अब भी नहीं आता अगर शिवि का काॅल नहीं आता । शिवि एक इकलौती शख्स थी उसकी लाइफ में जिसकी बात वह कभी भी नहीं टाल सकता था और ना ही वह उसकी नाराजगी बर्दाश्त कर सकता था और इसलिए उसके एक मैसेज पर वह‌ बीना कुछ और सोचे सीधे घर के लिए निकल आया ।
    जैसे ही वह अंदर गया , उसकी नजरे हाॅल से होते हुए सामने सीढ़ियों पर गयी जहां शिवि घड़ी में टाइम देखते हुए - नाॅट बेड , टाइम पर आ गये । मुझे लगा नहीं था कि आप टाइम के इतने पाबंद निकलोगे ।
    जिस पर अनिरुद्ध - तुम टोंट मारना बंद करोगी ।
    जिस पर शिवि किचन की तरफ जाते हुए - बहन की बाते अब टोंट ही लगेगी एनीवे मैं खाना‌गर्म करके ला रही हूं तब तक फ्रेश होकर डायनिंग टेबल पर मिलिए।

    उसके इतना‌कहते ही अनिरुद्ध ऊपर अपने रुम में चला गया और इधर शिवि खुद से - जब तक आपको टोनिक ना दिया जाये तब तक आप लाइन पर नहीं आते ।

    इधर अहनिका अपने रुम में सो रही थी लेकिन बैचेनी उसके चेहरे पर साफ देखी जा सकती थी । वह नींद में भी झटपटा रही थी और कुछ बड़बड़ा रही थी ।
    चारों तरफ अंधेरा था और उसमें एक लड़की, एक लड़के का हाथ पकड़े भाग रही थी और जोर से हंस रही थी । तभी अचानक‌से जमीन हिलने लगी और उन दोनों का हाथ छूट गया और वह तेजी से उठते हुए चिल्लायी - अनी....ईईईईई
    उसकी सांसे बिल्कुल भारी हो गयी और वह बैचेनी से इधर उधर देखने लगी ओर घबराहट से पास रखे टेबल पर बाॅक्स में कुछ ढूंढने लगी और जैसे ही उसके हाथ एक शीशी लगी , उसमें से एक टेबलेट निकालते हुए लेली । कुछ वक्त तक वह खुद से बड़बड़ा रही थी कि यह यादें और सपने उसका कब पीछा छोड़ेंगे । कब तक वह इस तरह की दर्द भरी जिंदगी जियेगी और कब उसकी जिंदगी में सुकून आयेगा । कुछ पल में ही उसकी आंखें भारी होने लगी और धीरे-धीरे बंद हो गयी ।
    इधर अनिरुद्ध शांति से डायनिंग टेबल पर बैठा था और शिवि गुस्से से सारे बर्तन टेबल‌पर रखने लगी । उसकी गुस्से भरी नजरे अनिरुद्ध पर ही टिकी थी और वह टेबल पर प्लेट रखते हुए उसमें खाना सर्व करने लगी ।
    जिस पर अनिरुद्ध - अब तुम घूरो तो मत
    जिस पर शिवि गुस्से से - आपको अब मेरे घूरने से भी प्राब्लम होने लगी ।
    जिस पर अनिरुद्ध - अरे मेरा‌ मतलब
    जिस पर शिवि खड़े होते हुए - नहीं आप‌ आज समझा ही दिजिए कि आपका मतलब क्या था यहां हम सब तो पागल हैं ना जो घंटों आपका वेट करते रहते हैं लेकिन आप तो नजर ही नहीं आते और तो और फिर गुस्सा भी करते रहते हो ।
    जिस पर अनिरुद्ध - ओके ! इतना‌ कहकर वह नाश्ता करने लगा लेकिन शिवि अब भी बैठी , उसको घूर रही थी ।

    अहनिका बहुत तेजी से कार चला रही थी और उसकी कार जाकर रोड़ के दूसरी तरफ से आती एक तेज कार से टकरा गयी , जो अनिरुद्ध राणा की थी
    जैसे ही वो दोनों कार से बाहर निकले

    जारी हैं ......

  • 7. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 7

    Words: 1057

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे .......

    सुबह का सूरज हर किसी के लिए नये राज लाने वाला था । इन सब के बीच हाॅटेल में

    वो सभी लोग लंच कर रहे थे और तभी विल्सन , मैम हमारी सभी कम्पनीज़ से बात हो‌गयी और जो भी कम्पनी हमारे साथ काम करना चाहती हैं वो अपने आइडिया के साथ हमें राणा ग्रुप आॅफ कम्पनी में मिलेगी ।‌फिलहाल‌ हमारे पास यहां कोई आॅफिस नहीं हैं तो मुझे मीटिंग वहां अरैंज करनी पड़ी। उनके हैंड मैनेजर से सारी बातचित हो गयी हैं और मुझे और सभी को सारी चीजे देखने के लिए पहले जाना होगा ।
    जिस पर अहनिका - ओके , तुम, रिचर्ड और राबर्ट उधर जाओ । मैं और लियाना को कुछ काम हैं इसलिए ...

    वो आगे कुछ बोलती तब तक लियाना हैरानी से - लेकिन मैम
    जिस पर अहनिका - तुम जाकर कार स्टार्ट करो , मैं कुछ देर में आ रही हूं ।
    जिस पर परेशानी‌ से लियाना पार्किंग एरीया की तरफ चली गयी । असल में तो उसे पता भी नहीं था कि उसकी सीनियर अहनिका , उसको कहां लेकर जाने वाली थी ।
    इधर अहनिका , विल्सन‌ से - तुमने राणा ग्रुप की सारी डिटेल्स निकाल ली ना ।‌कोई फ्राॅड तो नहीं ना , उनका बिजनस इस वक्त लाॅस में या प्रोफिट में , उनकी मार्केट इमेज , लोगो में उनके लिए ट्रस्ट सब कुछ देख लिया हैं ना ।

    जिस परर विल्सन - मैम , सबकुछ देख दिया हैं और उसके बाद ही डिसाइड किया हैं वहां मीटिंग्स आॅर्गेनाइज करने का ।
    जिस पर अहनिका हां में सिर हिलाते हुए - ओके तुम तीनों निकलो । मैं लियाना के साथ आ जाऊंगी ।

    इधर

    राणा मेंशन में


    अनिरुद्ध का सपना था कि वह अपनी कंपनी को इंटरनेशनल मार्केट में उतारे और इसलिए वह पिछले साल से बहुत मेहनत कर रहा था लेकिन उसे अब मौका मिला था जब लैविश ग्रुप ने आगे से हाथ बढ़ाया , अब बस उसे इस काॅन्ट्रेक्ट को खुद की तरफ करना था ।
    इसलिए आज अनिरुद्ध राणा , आज चमचमाते ब्लैक बिजनेस सूट में ‌खडा़ था और उसके सामने सुचित्रा जी खडी थी हाथ में दही चीनी लेकर ...
    जैसे ही उन्होंने दही चीनी की चम्मच अनिरुद्ध की तरफ बढ़ायी, वह अपना मुंह फेर चुका था ।
    जिस पर सुचित्रा जी ने आंखों में नमी लिये - तुम मुझे कब माफ करने वाले हो ।
    जिस पर अनिरुद्ध सख्त आवाज में - आपने , मेरा वह सबकुछ छीन लिया जिसकी मुझे कभी ख्वाहिश थी । वो जिसके बीना में जीने की सोच भी नहीं सकता तो प्लीज आप इस तरह आंसु ना बहाये । आपको अपनी‌ गलती का अहसास होगा लेकिन आपकी गलती मेरा सबकुछ बर्बाद कर चुकी हैं और अब आबाद होना मेरी किस्मत में नहीं और अब चाह भी नहीं तो प्लीज आप मुझसे दूर ही रहा करे क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरी बाते आपको हर्ट करे।

    उन दोनों के बीच बातचित हो ही रही थी कि तब तक विरल और श्रुति रेंडी होकर नीचे आ गये । आज श्रुति भी उनके साथ आॅफिस जने वाली थी । जैसे ही वो दोनों नीचे आये , नीचे का माहौल उन दोनों को अजीब लगा लेकिन श्रुति को कुछ डाउट होता तब तक पीछे से आती शिवि ने सुचित्रा जी से दही चीनी की कटोरी लेते हुए तेज आवाज - आज भाई के लिए इतना स्पेशल दिन हैं तो दही चीनी तो मैं ही खिलाऊंगी और फिर धीरे से - आप दोनों के बीच जो कुछ भी हैं उसे खुद तक सीमित रखिए , इस तरस तमाशा मत किया किजिए ।
    इतना कहते हुए उसने दहीचीन , अनिरुद्ध को खिलाते हुए - आप इसी तरह आगे बढ़ते रहे और आज आपको अपने काम में सक्सेस मिले ।‌
    तब तक पीछे से आता शिवांश , शिवि के हाथ से दही चीनी लेते हुए - तुम्हारा अकेली का हक नहीं हैं भाई पर , मेरा भी हैं तो ...
    इतना‌ कहते हुए एक चम्मच दहीं चीनी , शिवांश ने भी अनिरुद्ध को‌ खिला ही दी - भाई आप इसी‌ तरह आगे बढ़ते रहे और एक दिन राणा ग्रुप वर्ल्ड बेस्ट कम्पनी बन जाये ।

    जिस पर अनिरुद्ध सख्त आवाज में - और तुम दोनों भी जल्द ही आॅफिस जाॅइन कर लो ।
    बस शिवि और शिवांश दोनों को बोलती बंद हो गयी । वो इस दुनिया में दो‌ही चीजों से डरते थे पहला अनिरुद्ध राणा और दूसरा आॅफिस वरना हर जगह वो अपने भाई के नाम से धाक जमाते थे ।
    वो दोनों वहां से निकलने का रास्ता ढूंढ ही रहे थे कि तब तक विरल आते हुए - एक चम्मच मेरी तरफ से भी भाई ..

    इतना‌ कहते हुए एक चम्मच उसने भी अनिरुद्ध को खिला दी।
    जिस पर अनिरुद्ध - अब बस हो गया यह दही चीनी शुगुन । नाश्ता करके हमें आॅफिस भी जाना हैं ।
    सुचित्रा जी नम आंखों के साथ दूर से ही सबको आपस में घुलते - मिलते देख रही थी लेकिन इनसब में अनिरुद्ध के चेहरे पर एक कसक , एक दर्द और एक तड़प उन्हें दूर से ही दिख रही थी ।
    और श्रुति , उसकी नजरे सुचित्रा जी पर थी वह खुद से - मां और जेठ जी का बिहेव कुछ समझ नहीं आता । कुछ दिनों में ही यह घर एक पहेली लगने लगा हैं ।

    इधर लियाना कार के पास खड़े हुए अहनिका का वेट कर रही थी और सोच रही थी कि आखिर वो और अहनिका मैम कहां जायेगे लेकिन उसके कुछ समझ नहीं आ रहा था ।
    तभी लियाना का मुंह हैरानी‌से खुला‌रह गया जब उसने अहनिका को एक फूल लेंथ वाइट अनारकली‌सूट में आते देखा जिसका दुप्पटा रेड कलर का था जिस पर वाइट धागे से महिन कढ़ाई हो रखी थी ।

    अहनिका के आते ही , लियाना हैरानी से - मैम , यू आर लुकिंग‌ गाॅर्जियस ।
    अहनिका मुस्कराते हुए - थैंक्यू फोर योवर काम्पलीमेंट , अब चले ।
    जिस पर लियाना - ओके मैम , बट जाना कहां ‌हैं।
    जिस पर अहनिका - मंदिर जाना‌ है ।
    लियाना , जो हमेशा विदेशी कल्चर में पली‌ बढ़ी थी वह क्या जाने म़दिर इसलिए हैरानी‌ से - मंदिर

    जिस पर अहनिका कुछ सोचकर - जैसे तुम्हारे चर्च होते हैं जहां तुम वर्शिप करते हो । वैसे ही इंडिया में मंदिर होते हैं ।


    जारी हैं ...
    अगला एपिसोड धमाकेदार होने वाला हैं तो रिडर्स क्या अहनिका और अनिरुद्ध मिलेगे , कार की‌ टक्कर से ?
    प्लीज कमेंट

  • 8. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 8

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे ......

    अहनिका इस वक्त शिवजी के मंदिर में हाथ जोड़े खड़ी थी और उसकी आंखें बंद थी वह खुद से ही प्रार्थना कर रही थी कि वह चाहती तो नहीं थी वापिस इंडिया आना लेकिन फिर भी उसकी किस्मत उसे उसी जगह ले आयी जहां उसने सबकुछ खो दिया । वह नहीं चाहती कि उसका अतीत वापिस उससे टकराये इसलिए जब तक उसका काम खत्म हो तब तक वह किसी ऐसे से ना टकराये , जिसका अतीत उससे जुड़ा हो ।
    इतना सोचते हुए उसने आंखें खोली और हाथ जोड़ माथा टेककर , मंदिर की परिक्रमा करने लगी । परिक्रमा करते हुए वह‌ खुद से - मैं नहीं जानती शिवजी कि आप मुझे वापिस यहां क्यों ले आये पर प्लीज अब और दर्द सहने की हालत में नहीं हूं मैं तो अब और दर्द मत देना ।
    कुछ देर बाद , वह वापिस मूर्ति के सामने खड़ी थी और पंडित जी से आशीर्वाद लेकर बाहर निकल आयी । मंदिर की सीढ़ियों से होते हुए वह मंदिर के पीछे चली गयी और वहां पीपल के पेड़ पर मन्नत का धागा बांधते हुए - हे ! शिवजी , मेरे परिवार की रक्षा करना । आज मंदिर आने की वजह आप तो जानते हैं ना तो बस उन सबकी रक्षा करना ।

    इतना‌ कहकर वह बाहर निकल गयी जहां हल्की धूप में खड़ी लियाना चारों तरफ की भीड़ देख रही थी । अहनिका आते हुए - लियाना । लियाना जो चारों तरफ की आवाजाही में खोयी थी ,वह एकदम से उसकी तरफ देखते हुए - हां ।
    जिस पर अहनिका ,उसके हाथ में थोड़ा सा प्रसाद रखते‌ हुए - यह प्रसाद , तुम्हारे लिए और अब गाड़ी जल्दी से पास के माॅल ले लो । आलरेडी लेट हो चुके हैं और अब हाॅटेल गये तो और लेट हो जायेगे ।

    इतना‌ कहकर वह कार‌ में बैठने ही वाली थी कि तब तक लियाना - लेकिन मैम माॅल क्यों जाना हैं ?
    जिस पर अहनिका‌ कार में बैठते‌ हुए - इन‌ कपडो़ में मीटिंग अटैंड नहीं कर सकती हूं ना इसलिए?
    जिसपर लियाना कुछ नहीं कहते हुए ड्राइविंग सीट पर बैठ गयी इधर जैसे ही उनकी कार निकली वैसे ही सामने से एक कार आकर वहां रुकी ।

    कार‌ में बैठा विरल , " भाई , आप श्योर हैं क्या मंदिर में रुकने के बारे में "
    जिस पर अनिरुद्ध की घूरती नजर उसपर पड़ी, जिससे विरल - नहीं ,वो क्या हैं ना‌ आपके लिए आज का दिन इतना‌ स्पेशल हैं और आप ऑफिस की बजाय , यहा पर कोई पूजा करने वाले हैं ।
    श्रुति तो अनिरुद्ध की लाल होती आंखें देख ही सहम रही थी क्योंकि अभी एक दिन पहले ही उसने अनिरुद्ध का‌गुस्सा देखा था और शादी के बाद अभी राणा मेंशन‌ में रहते हुए , उसे कुछ दिन ही हुए थे ......
    अनिरुद्ध जो‌अब तक सब सुन रहा था , "मीटिंग की सारी रिस्पांसिबिलिटी तुम्हारे पास होगी । तुम्हारे पास मौका हैं खुदकी काबिलियत साबित करने का ...और मीटिंग से ज्यादा जरुरी यह काम हैं , मेरे लिए ...।"
    इतना‌ कहकर अनिरुद्ध कार से बाहर निकल गया , " नितिन, मुझे लेने आ रहा हैं तो अब तुम मेरा वेट करने से बेहतर ऑफिस जाओ । "
    जिसपर सिर हिलाते हुए विरल ने कार मोड़ ली । अनिरुद्ध जैसे जैसी एक एक कदम मंदिर की सीढ़ियों पर रख रहा था , वैसे वैसे उसका दिल भारी होता जा रहा था । हमेशा सबके सामने खुदको मजबूत दिखाने वाले अनिरुद्ध के दिल में कितना‌ गहरा दर्द दबा था , उसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था , यह ऐसा दर्द था जिसका किसी को पता भी नहीं था और ना ही कभी अनिरुद्ध ने इसे अपने दिल‌से बाहर निकलने दिया और आज के दिन आंसु अपनेआप निकलते थे , जिनको रोकना उसके बस में नहीं था ।
    कुछ देर में वह आखिरी सीढ़ी चढ़ते हुए मंदिर के सामने खड़ा था और सामने खड़े पंडित से - पंडित जी पूजा की सारी तैयारी हो गयी ।
    जिसपर पंडित जी , उसके पास आते हुए - अरे! अनिरुद्ध बेटा , पूजा की सारी तैयारी हो गयी पर तुम यह पूजा किसके लिए करवा रहे हो ।
    जिस पर अनिरुद्ध - ऐसा समझ लिजिए पंडित जी कि यह पूजा दिल के सबसे दिल के अजीज टुकड़े के लिए हैं जिसकी खुशियां मुझे हर जहां में चाहिए ।
    उसकी बात सुनकर पंडित जी , अनिरुद्ध को उस जगह लेकर चले गये जहां पूजा कि तैयारीया चल रही थी ‌। पूजा में बैठे अनिरुद्ध के सामने अतीत की हर कहानी रील‌की तरह चल रही थी और दिल में दबा दर्द उफान पर था । वह चाहकर भी अपने इमोशन में कंट्रोल छूटता महसूस कर रहा था और‌ बहुत कोशिशों के बाद‌ भी एक आंसु टपककर नीचे गिर ही गया ।
    वह आंखें बंद करते हुए - तुम जहां भी हो खुश रहो ।

    इधर कार में बैठी अहनिका की आंखें बंद थी और उन आंखों से आंसुओं की बूंदें टपक रही थी । वह मन में - तुम्हें आज का दिन तो याद होगा ना अनि या फिर सबकुछ पीछे छूट गया ।
    कार चलाती लियाना‌ बस फ्रंट मिरर से उसके चेहरे पर फिसलते आंसु देख रही थी ।

    इधर शिवि और शिवांश कॉलेज के लिए निकल चुके थे शिवांश कार चला रहा था और शिवि अपनी ही सोच में खोई थी और शिवांश उसे अपनी ही दुनिया में खोये हुए देख रहा था । उसने कार की स्पीड स्लो करते हुए , उसके सिर पर हाथ से एक टेप मार दिया ।
    जिसपर शिवि चिढ़ते हुए - क्या हुआ ?
    जिसपर शिवांश‌ हंसते हुए - यह तुम आज किस चीज में खोयी हो जो यह भी ध्यान नहीं कि क्या हो रहा हैं ।
    जिस पर शिवि गहरी सांस लेते हुए - वह भाभी मां ही थी ।

    उसकी इस बात पर शिवांश - लेकिन वह भाभी मां नहीं हो‌ सकती हैं शिवि , कल‌ इतने अच्छे से समझाया था पर तुम्हारे दिमाग‌ में कुछ नहीं घूसा और आज फिर वही बात लेकर बैठी हो

    जिसपर शिवि फटाफट से शिवांश की तरफ मुड़ते हुए - काॅलेज से हम उस हाॅटेल जा रहे हैं और रिसेप्शन से पता लगायेगे कि भाभी मां वहां रुकी हैं या नहीं ?

    जिसपर शिवांश - अगर नहीं हुई तो ?
    जिसपर शिवि हाथ झाड़ते हुए - तो फिर मैं यह ख्याल‌ भी अपने दिमाग से निकाल दूंगी कि वह भाभी मां ही थी तो डिल डन ...

    जिस‌पर शिवांश भी - डिल डन ।

    जारी हैं ...........

  • 9. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 9 एक अनकही मुलाकात

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    आगे .....

    अनिरुद्ध जैसे ही मंदिर से उतरकर नीचे आया , वहां नीतिन अपनी कार के‌ साथ खड़ा था । उसके हाथ में एक मास्क और एक कैप थी ।

    अनिरुद्ध ने नीचे आकर अपना हाथ आगे बढाया तो नीतिन ने बीना‌ कहें वह मास्क उसकी तरफ बढ़ा दिया और कैप भी ।

    कैप पहनते हुए अनिरुद्ध कार में बैठ गया और नीतिन ने कार की ड्राइविंग सीट संभाल ली ।‌अब कार हवा से बातें करते हुए राणा ग्रुप की तरफ जा रही थी ।

    कार में बैठा अनिरुद्ध अपने फोन में मेल चैक करते हुए - क्या अपडेट हैं ?

    जिसपर नीतिन - सर मि. विल्सन और उनकी टीम राणा ग्रुप में पहुंच गयी और अब वह सब कुछ उनके अकाॅर्डिग रेड़ी करवा रहे हैं । आपके कहने पर मैंने अपनी स्पेशल टीम को उनसे मिलवा दिया ताकि उनको कोई परेशानी ना हो और अपनी टिम प्रजेंटेशन के साथ तैयार‌ हैं ।

    जिसपर - ओके ग्रेट !

    नितिन आगे - सभी कंपनीज जिन्होंने खुद को रजिस्टर्ड किया था वो सब भी आ चुकी हैं ।

    जिसपर अनिरुद्ध आगे - तब तो मीटिंग स्टार्ट हो गयी होगी।

    अनिरुद्ध की बात पर नितिन - नो सर मीटिंग स्टार्ट नहीं हुई हैं क्योंकि उनकी हेड बाॅस अभी मीटिंग के लिए नहीं पहुंची ।

    जिसपर अनिरुद्ध, जिसे सिर्फ इतना‌ पता था कि सिर्फ मि.विल्सन ही आने वाले थे वो हैरानी से - वाॅट बट वी डोंट नो ।

    नीतिन गहरी सांस लेते हुए - उन्होंने आज सुबह ही‌ बताया क्योंकि उनकी इन्फोर्मेशन हाइड करके रखी गयी थी ।

    जिसपर अनिरुद्ध सिर हिलाते हुए बाहर देखने लगा ।‌

    इधर

    जैसे ही अहनिका , रेड बिजनस सूट में लियाना के साथ बाहर निकली तो उसने लियाना को माॅल से मास्क लाने को कहां और खुद जाकर कार में बैठ गयी ।

    जैसे ही लियाना मास्क लेकर आयी , वह डाइरेक्ट कार के पास चली गयी और अहनिका को मास्क देकर खुद जाकर कार की ड्राइविंग सीट के बगल की सीट पर बैठ गयी क्योंकि इस वक्त ड्राइविंग सीट पर आहनिका बैठी थी

    राणा ग्रुप थोड़ी दूर ही था कि अचानक से अहनिका की कार के आगे एक छोटा बच्चा भागते हुए आ‌ गया और इसके कारण उसे एकदम से ब्रेक लगाना‌ पड़ा और इसके साथ ही उसने कार का रुख भी मोड़ दिया और उसकी कार , दूसरी साइड से आती कार से जाकर टकरा गयी ।

    झटके से दोनों कार रुक गयी और टक्कर हल्की‌ सी‌‌ ही‌ होकर रह गयी ।

    अहनिका की‌ आंखों में एक अजीब सी शांति आ गयी , जैसे‌ ही उसकी नजरे उस छोटे बच्चे पर‌ गयी , जिसे गले लगाये उसकी मां बहुत परेशान‌ हो रही थी ।

    वह शांति से गहरी सांस लेते हुए पीछे सीट पर अपना‌सिर टिका‌‌ चुकी‌ थी ।‌इधर लियाना परेशानी से - मैम, अब‌ क्या होगा ? हमसे किसी की कार का एक्सीडेंट हो गया ।‌

    जिसपर अहनिका शांति से - कुछ नहीं ‌होगा , मैं सबकुछ संभाल लुंगी।

    इतना‌ कहकर वह मास्क लगाये ही कार से बाहर निकल गयी । नीतिन घबराहट से बैठा था उस एक्सीडेंट की वजह से उसकी सांसे रुक सी गयी थी और अनिरुद्ध के पीछे आ रही , उसकी सिक्योरिटी टिम अलर्ट हो चुकी थी और वो लोग बस अनिरुद्ध के एक आॅर्डर का वेट कर रहे थे लेकिन अनिरुद्ध की निगाहे तो उस बच्चे पर ही टिकी थी जो अपनी मां के गले लगकर रो रहा था और उसकी मां कि हालत घबराहट से खराब होती जा रही थी ।

    अनिरुद्ध ने एक बार कार में से ही आसमान की तरफ देखा और खुद से - अगर उस बच्चे को कुछ हो जाता तो उसके पैरेट्स की क्या हालत होती ? यह दर्द उन्हें जिंदा रखकर भी मार देता ।

    नीतिन गुस्से से - इसको तो मैं छोड़ूंगा नहीं , इस तरह कार चलाता हैं क्या कोई?

    इतना सोचते हुए वह गुस्से से कार से बाहर निकला तब तक अहनिका भी कार से बाहर निकल चुकी थी और घबराहट से उसके साथ लियाना भी बाहर निकल गयी ।

    नीतिन जैसे ही गुस्से से आगे बढ़ने को‌ हुआ .... लियाना , अहनिका के आगे आकर खड़ी हो‌ गयी ।

    वह अपने आपको शांत दिखाते हुए - देखो मिस्टर ! हमने जानबुझकर आपकी कार को टक्कर नहीं ‌मारी ।

    अहनिका‌ अभी‌ भी नीतिन को ही देख रही थी ।‌मास्क के ऊपर से उसकी वह आंखें सिर्फ नीतिन पर टिकी थी और वह खुद से सोच रही थी कि यह इंसान‌ उसे इतना जाना‌ पहचाना‌ क्यों लग रहा था । ऐसा क्यों लग रहा हैं कि इसे कही देखा हैं ।

    तब तक उसके कानों में नीतिन की गुस्से भरी आवाज टकराई - क्या आपको कार चलाने नहीं आती तो सड़क पर कार लेकर निकलती ही क्यों हैं ? आपकी वजह से हमें कुछ भी हो सकता था ।

    जिस पर लियाना शांति से - देखिए मि. मैम ने पूरी कोशिश करी थी लेकिन .....।

    नितिन गुस्से - लेकिन क्या ? फिर एक नजर अहनिका के ढके हुए मुंह को देख - लेकिन क्या ? अब मुंह भी छूपाना पड़ गया ?
    वो आगे कुछ बोलता तब तक लियाना गुस्से से - आप अपनी हद पार कर रहे हैं ।
    तब तक अनिरुद्ध कार से बाहर निकल आया था और उसकी नजर लियाना के पीछे खड़ी अहनिका पर गई जिसकी सिर्फ आंखें दिख रही थी और अहनिका की नजर भी कार से निकलते हुए अनिरुद्ध पर गई जिसकी सिर्फ आंखें नजर आ रही थी । वो दोनों एकटक एक दूसरे की आंखों में देखने लगे और सोचने लगे कि यह आंखे उनके लिए जानी पहचानी हैं जैसे सदियों से बस एक दूसरे का ही इंतजार कर रही थी लेकिन चेहरा ढका होने के कारण वो लोग एक दूसरे को नहीं पहचान पाये ।
    लियाना और नीतिन का झगड़ा बहुत बढ़ चुका था लेकिन किसी तरह अहनिका और अनिरुध्द ने उनको कार में बैठाया और अपने अपने रास्ते निकल गये लेकिन इस पूरे मोमेंट में उनकी नजरे एक दूसरे पर ही टिकी थी और उनका दिल बहुत तेज धड़क रहा था जैसे किसी अपने का अहसास हुआ हो ।
    बहुत वक्त बात यह दिल धड़क रहा है लगता है इसे इसकी मंजिल मिल गई है।
    अब तक कुछ यादों के सहारे जी रहा था पर अब चाहते मिल गई है ।

    जारी हैं .......

  • 10. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 10

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 11. इश्क हद से ज्यादा : स्टोर आॅफ ए प्योर लव - Chapter 11

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min