चाहत की खुशियों का संसार तब बिखर गया जब उसकी शादी के दिन ही वह विधवा हो गई। चाहत चाहकर भी इस कड़वी सच्चाई को नकार नहीं पा रही थी। लेकिन उसकी जिंदगी तब और उलझ जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी शादी उसी शख्स से हो गई है, जिसने उसके पति को मौत के घाट उ... चाहत की खुशियों का संसार तब बिखर गया जब उसकी शादी के दिन ही वह विधवा हो गई। चाहत चाहकर भी इस कड़वी सच्चाई को नकार नहीं पा रही थी। लेकिन उसकी जिंदगी तब और उलझ जाती है जब उसे पता चलता है कि उसकी शादी उसी शख्स से हो गई है, जिसने उसके पति को मौत के घाट उतार दिया था। तपिश रंधावा, जिसके नाम से दुश्मन थर्राते हैं, जो अपने शिकार को ऐसी तड़प देता है कि वे खुद मौत की भीख मांगने लगते हैं। पर आख़िर ऐसा क्या हुआ कि तपिश ने उस मासूम चाहत से शादी कर ली, जिसने अपना सब कुछ खो दिया था? क्या यह सिर्फ इत्तेफाक है, या फिर किस्मत का एक अनसुलझा खेल? जानने के लिए पढ़िए,
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नटराज नृत्य शाला .... बड़े से हाल के बीचों-बीच एक 20 साल की लड़की है। जिसने लाल रंग का अनारकली सूट पहना हुआ था और उसने अपने दुपट्टे को अपनी कमर से बांधा हुआ था. पैरों पर घुंघरू की ताल और हाथों में बन रही अलग-अलग मुद्राएं। किसी शास्त्रीय संगीत पर वह लड़की ऐसे नाच रही थी जैसे कि स्वयं भगवान नटराज वहां पर नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं। जैसे ही म्यूजिक खत्म होता है और उस लड़की के पैर रुकते हैं. वैसे ही वहां पर मौजूद बाकी लड़कियां और गुरु मां उस लड़की को देखकर जोरो से तालियां बजाने लगते हैं। वह लड़की मुस्कुराते हुए गुरु मां को देख रही थी, गुरु मां उस लड़की के पास आती है. और उसके गालों पर हाथ रखते हुए कहती है…“आज तो मुझे सच में ऐसा लग रहा था कि मैंने जो तुम्हें सिखाया है वह तो बहुत कम है। तुम उससे बहुत ज्यादा अच्छा करती हो।” उस लड़की के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह झुक कर गुरु मां के पर छूती है। गुरु मां उसे आशीर्वाद देते हुए कहती है,"चाहत मुझे बहुत खुशी है कि मैंने तुम्हें इस कला में परांगत किया है। लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम इससे कहीं ऊंचाइयों पर जाओ, तुम सिर्फ मेरी स्टूडेंट नहीं हो. मेरी बच्ची जैसी हो। मैंने तुम्हें बचपन से नृत्य सिखाया है इसीलिए मैं चाहती हूं कि मेरी यह शिष्य पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन करें।” चाहत अपनी गुरु मां को देखती हैं और अपने हाथ जोड़ते हुए कहती है,"गुरु मां! मैंने जो कुछ भी सीखा है आपसे ही सीखा है। मुझे खुशी है कि आपको मेरा नृत्य पसंद आया है और सच कहूं तो एक डांस स्कूल खोलने का सपना तो मेरा भी है लेकिन आप तो जानती है ना कि मेरी कुछ मजबूरियां है।” गुरु मां एक गहरी सांस छोड़ती है और कहती है,"हम इस बारे में बाद में बात करेंगे. तुम जाओ पहले जाकर पानी पी लो।” चाहत बंसल। 20 साल की सुंदर, सुशील और कत्थक में निपुण एक नृत्यांगना। उसका पतला सा शरीर और पतले पतले हाथ, पैरों से जब वह डांस करती है तो ऐसा लगता है कि यह पल यही ठहर जाए और उसका डांस यूं ही चलता रहे। काली आंखें और लंबे बाल जिसकी चोटी करके वह अक्सर सामने की तरफ किया करती है। माथे पर गोल्डन कलर की बिंदी और नाक में गोल्ड नोज रिंग. टेढ़े मेढ़े दांतों से जब वह मुस्कुराती है तो उसकी मुस्कान किसी को भी मंत्र मुग्ध कर देती है। चाहत वाटर कूलर के पास जाती है और वहां से एक गिलास निकालते हुए उससे पानी पीती है कि तभी वहां पर चाहत की हम उम्र उसकी सहेली प्रेरणा आती है। प्रेरणा चाहत को देखकर उसके कंधे पर अपने हाथ रखती है और उसे एक साइड हग देते हुए कहती है… हाय मेरी जान! तूने तो कमाल कर दिया. तेरे जैसा डांस सीखने के लिए ना मुझे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा।” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत हंसने लगती है और कहती है... “चल झूठी! तू भी मेरे साथ इसी अकादमी में डांस सिखती है और मुझ से कह रही है कि तुझे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा। तू भी कोई कम अच्छा नहीं नाचती है। मैंने देखा है तेरा डांस. बहुत अच्छा करती है।” प्रेरणा ने मस्ती में कहा,"हां.. मैं अच्छा नाचती हूं। लेकिन तू बहुत अच्छा डांस करती है। तेरा डांस देखकर तो ऐसा लगता है कि बस तू नाचती रहे और मैं तेरी बीट पर घुंघरू की ताल बजाती रहूं।” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत भी हंसने लगती है। उनकी डांस क्लास खत्म हो जाती है और वह दोनों डांस स्कूल से बाहर आती हैं। प्रेरणा अपनी गाड़ी में बैठते हुए चाहत से कहती है,"तू कहे तो तुझे तेरे घर छोड़ दूं? लेकिन चाहत जल्दी से कहती है,"अरे नहीं नहीं! इसकी जरूरत नहीं है। मैं आज स्कूटी लेकर आई हूं।” प्रेरणा मुंह बनाते हुए कहती है,"तू फिर उस खटारा को लेकर आई है।” चाहत ने बेचारी नजरों के साथ प्रेरणा को देखा और कहा,"ऐसा मत बोल यार. मैंने किस्तों पर खरीदी सेकंड हैंड है।” प्रेरणा अपना सर पीट लेती है और कहती है,"अरे पागल! अगर किस्तों पर ही खरीदना था तो कम से कम ब्रांड न्यू तो खरीदती।” चाहत ने बेचारगी के साथ कहा,"लेकिन मेरे पास इतने पैसे कहां है कि मैं ब्रांड न्यू स्कूटी खरीद सकूं। वह तो डबल शिफ्ट में काम करके बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. तब जाकर कहीं तो यह सेकंड हैंड स्कूटी मिली है। वरना मुझे तो यह भी नहीं मिलता।” प्रेरणा कहती है,"क्या फायदा इतने बड़े घर की बेटी होने का. जब तुझे पाई पाई के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। बंसल परिवार का इस पूरे शहर में एक नाम है, एक रुतबा है। और तू! तू उस घर की बेटी होकर एक-एक रुपए जोड़कर काम चलती है। तेरे दोनों भाई इतने बड़े बिजनेसमैन है। कल ही तेरे बड़े भाई की तस्वीर मैगजीन में छपी है और तेरे छोटे भाई का नाम भी तो इस साल के बिजनेस ऑफ द ईयर के लिए नॉमिनेट हुआ है। बताओ भला इतने बड़े खानदान की लड़की होकर तू ऐसी सेकंड हैंड स्कूटी चला रही है? तेरे भाइयों को शर्म नहीं आती है क्या?” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत का चेहरा नीचे झुक जाता है। सच ही तो कह रही थी, उसका परिवार इस शहर का जाना माना रईस परिवार है और फिर भी वह एक-एक पैसे जोड़कर अपना खर्च चलाती है। अब वह क्या बताए प्रेरणा को कि वह क्यों अपने भाइयों के पैसे नहीं लेती है या फिर किसलिए उसकी यह हालत है। चाहत जल्दी से कहती है,"तू वह सब छोड़ और यह बता.. मैंने तुझे जॉब के लिए पूछा था ना. यार प्लीज कोई काम हो तो मेरे लिए बताना. मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है।” प्रेरणा एक गहरी सांस छोड़ती है और कहती है,"हां.. मैंने बात की है एक दो जगह पर. जैसे ही वहां से कोई अपडेट मिलता है मैं तुझे कॉल करूंगी।” चाहत खुश होती है और हां में सर हिलती है। प्रेरणा और चाहत अपने-अपने गाड़ी में बैठकर वहां से निकल जाती हैं ।चाहत अपनी स्कूटी से जा ही रही थी की तभी एक ब्लैक कार उसे क्रॉस करती हुई तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही थी, चाहत ने जल्दी से अपनी स्कूटी रोक ली. वरना उस कार की रफ्तार इतनी तेज थी की चाहत की स्कूटी का बैलेंस बिगड़ गया था। चाहत हैरानी से अपनी स्कूटी को देख रही थी कि कहीं उसकी स्कूटी को कोई नुकसान तो नहीं हुआ. तभी उसे एक तेज चीख सुनाई दी।
चाहत ने जब उस तरफ देखा तो उसकी आंखें डर से बड़ी हो गई। उस ब्लैक कार ने एक मासूम साइकिल वाले को उड़ा दिया था, और उस साइकिल पर बैठा आदमी अब सड़क पर तड़प रहा था। लेकिन चाहत ने देखा कि वह कार उस आदमी को टक्कर मारने के बाद वहां रुकती नहीं है. बल्कि वह सीधी चली जा रही थी, लोगों की भीड़ उस आदमी के आसपास जमा होने लगी थी, चाहत को बहुत गुस्सा आया. कैसे वह कार में बैठा ड्राइवर इतना लापरवाह हो गया कि किसी भी सड़क चलते आदमी को इस तरीके से घायल कर वहां से चला गया और उसने पलट कर उसकी मदद तक नहीं की। चाहत को यहां के सारे शॉर्ट रास्ते पता थे, उसने अपनी स्कूटी स्टार्ट की और जल्दी से एक शॉर्टकट लेते हुए वहां से दूसरी तरफ चली गई। उस ब्लैक कार ने अभी-अभी पहला टर्न ही लिया था कि तभी उसने एक झटके में ब्रेक मार के गाड़ी रोक दी. क्योंकि सामने चाहत अपनी स्कूटी पर खड़ी थी, वह शॉर्टकट लेते हुए यहां पर उस गाड़ी से पहले आ गई थी। चाहत अपनी गाड़ी से बाहर निकलती है और गुस्से में उस ब्लैक कार के पास आती है और उसके बोनट पर हाथ मारते हुए कहती है… “ए ड्राइवर! बाहर निकालो” पहले 2 मिनट तो उस गाड़ी का दरवाजा नहीं खुलता है. लेकिन फिर चाहत ने एक और बार उसके बोनट पर जोर से हाथ मारते हुए कहा… “सुनाई नहीं दे रहा है क्या? मैं कह रही हूं बाहर निकालो।” तभी गाड़ी का दरवाजा खुलता है और उसमें से एक आदमी बाहर निकलता है। चाहत उस आदमी को देखती हैं तो उसकी आंखें बड़ी हो जाती है। 6 फीट हाइट मस्कुलर बॉडी और पर्सनैलिटी एकदम कतल और कतई जहर दिख रहा वह बंदा अपनी गाड़ी से बाहर निकला। उसकी हल्के बाल जो हवा में लहरा रहे थे. चेहरे पर हल्की बीयर्ड और होंठ के नीचे तिल। हाय यह इंसान क्या जान लेकर ही मानेगा। उसके लिप्स हल्के डार्क थे, ऐसा लग रहा था जैसे कि स्मोक करने की वजह से उसके लिप्स डार्क हुए हैं और उसकी कंजी आंखें। इस समय वह उन आंखों से चाहत को ही देख रहा था। वह आदमी जो अभी-अभी गाड़ी से बाहर निकलता है. वह चाहत को देखकर गुस्से में दांत पीसते हुए कहता है… “मरने का शौक है तो कहीं और जाकर मरो।” चाहत जो अभी तक उसकी पर्सनालिटी को कामदेव की पर्सनैलिटी समझकर उसमें खोई हुई थी, उसके ऐसा कहने पर होश में आती है और तब याद आता है कि उस आदमी ने क्या किया है। चाहत के चेहरे पर भी गुस्सा आ गया था और उसने कहा… “इतनी महंगी गाड़ी रखते हो और नियत दो पैसे की नहीं रखती हो। यह सड़क क्या तुम्हारे बाप की है। जो इस पर गाड़ी चला नहीं रहे थे, उड़ा रहे थे। और गाड़ी क्या उड़ा रहे थे, तुम तो सड़क पर चलने वाले इंसानों को भी उड़ा देते हो। पर कम से कम थोड़ी सी इंसानियत तो दिखाओ. तुम जाकर उसकी मदद कर सकते थे।” उस कंजी आंख वाले ने कहा… “क्या बकवास कर रही हो? पागलखाने से भाग कर आई हो क्या? हटो सामने से वरना मेरी गाड़ी तुम्हें कुचलती हुई चली जाएगी।” उसके ऐसा कहने पर चाहत का मुंह खुला का खुला रह जाता है. लेकिन वह गुस्से में उस कंजी आंख वाले को देखती हैं. और अगले ही पल वह उस कांजी आंख वाले का हाथ पकड़ लेती है। ऐसा होते ही वह आदमी हैरानी से चाहत को देखता है. पर चाहत बिना किसी डर के उस आदमी को सड़क पर खींचते हुए लाने लगती है और वह आदमी हैरान नजरों से बस चाहत को देखता हुआ उसके पीछे-पीछे चलता रहता है। चाहत उस आदमी को लेकर उस एक्सीडेंट की जगह पर लाती है जहां पर वह आदमी तड़प रहा था। चाहत उस कंजी आंख वाले को उस आदमी के पास लाती है और उस कहती है… “तुम्हारी वजह से इनका एक्सीडेंट हुआ है। तुमने अपनी गाड़ी से इन्हें उड़ा दिया है। अब तुम्हारा फर्ज बनता है कि इन्हें अस्पताल लेकर जाओ और इनका इलाज करवाओ।” उस कंजी आंख वाले आदमी ने पहले तो अपनी तीखी नजरों से उस एक्सीडेंट से तड़प रहे आदमी को देखा और फिर चाहत को देखकर कहा… “तो तुम्हारा कहने का मतलब यह है कि इस आदमी का एक्सीडेंट मेरी गाड़ी से हुआ है? और तुम चाहती हो कि मैं इसे उठाकर अपनी गाड़ी में रखूं और इसे अस्पताल ले जाऊं?” चाहत बड़ी सी हां में अपना सर हिलाती है। उस कंजी आंख वाले आदमी ने बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ कहा… “और अगर मैंने ऐसा नहीं किया तो?” चाहत ने भी उसी कॉन्फिडेंस के साथ कहा… “तो मैं तुम्हारी पुलिस में कंप्लेंट करूंगी। तुमने ट्रैफिक रूल्स तोड़े हैं. और एक आदमी की जान लेने की कोशिश की है।” नटराज नृत्य शाला .... बड़े से हाल के बीचों-बीच एक 20 साल की लड़की है। जिसने लाल रंग का अनारकली सूट पहना हुआ था और उसने अपने दुपट्टे को अपनी कमर से बांधा हुआ था. पैरों पर घुंघरू की ताल और हाथों में बन रही अलग-अलग मुद्राएं। किसी शास्त्रीय संगीत पर वह लड़की ऐसे नाच रही थी जैसे कि स्वयं भगवान नटराज वहां पर नृत्य प्रस्तुत कर रहे हैं। जैसे ही म्यूजिक खत्म होता है और उस लड़की के पैर रुकते हैं. वैसे ही वहां पर मौजूद बाकी लड़कियां और गुरु मां उस लड़की को देखकर जोरो से तालियां बजाने लगते हैं। वह लड़की मुस्कुराते हुए गुरु मां को देख रही थी, गुरु मां उस लड़की के पास आती है. और उसके गालों पर हाथ रखते हुए कहती है…“आज तो मुझे सच में ऐसा लग रहा था कि मैंने जो तुम्हें सिखाया है वह तो बहुत कम है। तुम उससे बहुत ज्यादा अच्छा करती हो।” उस लड़की के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वह झुक कर गुरु मां के पर छूती है। गुरु मां उसे आशीर्वाद देते हुए कहती है,"चाहत मुझे बहुत खुशी है कि मैंने तुम्हें इस कला में परांगत किया है। लेकिन मैं चाहती हूं कि तुम इससे कहीं ऊंचाइयों पर जाओ, तुम सिर्फ मेरी स्टूडेंट नहीं हो. मेरी बच्ची जैसी हो। मैंने तुम्हें बचपन से नृत्य सिखाया है इसीलिए मैं चाहती हूं कि मेरी यह शिष्य पूरी दुनिया में अपना नाम रोशन करें।” चाहत अपनी गुरु मां को देखती हैं और अपने हाथ जोड़ते हुए कहती है,"गुरु मां! मैंने जो कुछ भी सीखा है आपसे ही सीखा है। मुझे खुशी है कि आपको मेरा नृत्य पसंद आया है और सच कहूं तो एक डांस स्कूल खोलने का सपना तो मेरा भी है लेकिन आप तो जानती है ना कि मेरी कुछ मजबूरियां है।” गुरु मां एक गहरी सांस छोड़ती है और कहती है,"हम इस बारे में बाद में बात करेंगे. तुम जाओ पहले जाकर पानी पी लो।” चाहत बंसल। 20 साल की सुंदर, सुशील और कत्थक में निपुण एक नृत्यांगना। उसका पतला सा शरीर और पतले पतले हाथ, पैरों से जब वह डांस करती है तो ऐसा लगता है कि यह पल यही ठहर जाए और उसका डांस यूं ही चलता रहे। काली आंखें और लंबे बाल जिसकी चोटी करके वह अक्सर सामने की तरफ किया करती है। माथे पर गोल्डन कलर की बिंदी और नाक में गोल्ड नोज रिंग. टेढ़े मेढ़े दांतों से जब वह मुस्कुराती है तो उसकी मुस्कान किसी को भी मंत्र मुग्ध कर देती है। चाहत वाटर कूलर के पास जाती है और वहां से एक गिलास निकालते हुए उससे पानी पीती है कि तभी वहां पर चाहत की हम उम्र उसकी सहेली प्रेरणा आती है। प्रेरणा चाहत को देखकर उसके कंधे पर अपने हाथ रखती है और उसे एक साइड हग देते हुए कहती है… हाय मेरी जान! तूने तो कमाल कर दिया. तेरे जैसा डांस सीखने के लिए ना मुझे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा।” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत हंसने लगती है और कहती है... “चल झूठी! तू भी मेरे साथ इसी अकादमी में डांस सिखती है और मुझ से कह रही है कि तुझे दूसरा जन्म लेना पड़ेगा। तू भी कोई कम अच्छा नहीं नाचती है। मैंने देखा है तेरा डांस. बहुत अच्छा करती है।” प्रेरणा ने मस्ती में कहा,"हां.. मैं अच्छा नाचती हूं। लेकिन तू बहुत अच्छा डांस करती है। तेरा डांस देखकर तो ऐसा लगता है कि बस तू नाचती रहे और मैं तेरी बीट पर घुंघरू की ताल बजाती रहूं।” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत भी हंसने लगती है। उनकी डांस क्लास खत्म हो जाती है और वह दोनों डांस स्कूल से बाहर आती हैं। प्रेरणा अपनी गाड़ी में बैठते हुए चाहत से कहती है,"तू कहे तो तुझे तेरे घर छोड़ दूं? लेकिन चाहत जल्दी से कहती है,"अरे नहीं नहीं! इसकी जरूरत नहीं है। मैं आज स्कूटी लेकर आई हूं।” प्रेरणा मुंह बनाते हुए कहती है,"तू फिर उस खटारा को लेकर आई है।” चाहत ने बेचारी नजरों के साथ प्रेरणा को देखा और कहा,"ऐसा मत बोल यार. मैंने किस्तों पर खरीदी सेकंड हैंड है।” प्रेरणा अपना सर पीट लेती है और कहती है,"अरे पागल! अगर किस्तों पर ही खरीदना था तो कम से कम ब्रांड न्यू तो खरीदती।” चाहत ने बेचारगी के साथ कहा,"लेकिन मेरे पास इतने पैसे कहां है कि मैं ब्रांड न्यू स्कूटी खरीद सकूं। वह तो डबल शिफ्ट में काम करके बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. तब जाकर कहीं तो यह सेकंड हैंड स्कूटी मिली है। वरना मुझे तो यह भी नहीं मिलता।” प्रेरणा कहती है,"क्या फायदा इतने बड़े घर की बेटी होने का. जब तुझे पाई पाई के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। बंसल परिवार का इस पूरे शहर में एक नाम है, एक रुतबा है। और तू! तू उस घर की बेटी होकर एक-एक रुपए जोड़कर काम चलती है। तेरे दोनों भाई इतने बड़े बिजनेसमैन है। कल ही तेरे बड़े भाई की तस्वीर मैगजीन में छपी है और तेरे छोटे भाई का नाम भी तो इस साल के बिजनेस ऑफ द ईयर के लिए नॉमिनेट हुआ है। बताओ भला इतने बड़े खानदान की लड़की होकर तू ऐसी सेकंड हैंड स्कूटी चला रही है? तेरे भाइयों को शर्म नहीं आती है क्या?” प्रेरणा की बात सुनकर चाहत का चेहरा नीचे झुक जाता है। सच ही तो कह रही थी, उसका परिवार इस शहर का जाना माना रईस परिवार है और फिर भी वह एक-एक पैसे जोड़कर अपना खर्च चलाती है। अब वह क्या बताए प्रेरणा को कि वह क्यों अपने भाइयों के पैसे नहीं लेती है या फिर किसलिए उसकी यह हालत है। चाहत जल्दी से कहती है,"तू वह सब छोड़ और यह बता.. मैंने तुझे जॉब के लिए पूछा था ना. यार प्लीज कोई काम हो तो मेरे लिए बताना. मुझे नौकरी की बहुत जरूरत है।” प्रेरणा एक गहरी सांस छोड़ती है और कहती है,"हां.. मैंने बात की है एक दो जगह पर. जैसे ही वहां से कोई अपडेट मिलता है मैं तुझे कॉल करूंगी।” चाहत खुश होती है और हां में सर हिलती है। प्रेरणा और चाहत अपने-अपने गाड़ी में बैठकर वहां से निकल जाती हैं ।चाहत अपनी स्कूटी से जा ही रही थी की तभी एक ब्लैक कार उसे क्रॉस करती हुई तेज रफ्तार से आगे बढ़ रही थी, चाहत ने जल्दी से अपनी स्कूटी रोक ली. वरना उस कार की रफ्तार इतनी तेज थी की चाहत की स्कूटी का बैलेंस बिगड़ गया था। चाहत हैरानी से अपनी स्कूटी को देख रही थी कि कहीं उसकी स्कूटी को कोई नुकसान तो नहीं हुआ. तभी उसे एक तेज चीख सुनाई दी। आंख वाले आदमी की निगाहें तीखी हो गई और वह अपनी तीखी निगाहों से चाहत को ऊपर से नीचे तक देखने लगता है। सभी लोग वहां पर हैरानी से यह दृश्य देख रहे थे। तभी एक पल में सब कुछ पलट गया और किसी को कुछ समझ ही नहीं आया। उस कंजी आंख वाले आदमी ने अपने कमर के पीछे से एक गन निकाली और सड़क पर पड़े उस घायल आदमी के सीने पर गोली मार दी। चाहत ने अपने मुंह पर हाथ रख लिया और उसकी जोर की चीख निकल गई। चाहत का पूरा चेहरा डर से भर गया और उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। कंजी आंख वाले आदमी ने अपने जेब से एक नोटों की गड्डी निकाल कर उस घायल आदमी. जो अब मर चुका था उसके ऊपर फेंक दिया। वह चाहत के पास आता है और उसके कान के पास झुकते हुए अपनी गर्म सांसे उसके कान में छोड़ते हुए कहता है… “अब चाहो तो शौक से इसका अंतिम संस्कार कर सकती हो। और चाहो तो पुलिस स्टेशन में जाकर मेरे खिलाफ कंप्लेंट भी कर सकती हो। कह सकती हो उनसे कि मैंने सड़क पर किसी की जान ली है।” चाहत डर के मारे उस कंजी आंख वाले आदमी को देखती रहती है। चाहत के चेहरे पर पसीना देखकर उस आदमी के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है और वह अपनी गन से उसके माथे के पसीने को साफ करते हुए कहता है… “तपिश रंधावा” जब तुम कंप्लेंट करने जाओगी तो नाम जरूरी होगा। उन्हें मेरा नाम जरूर बताना।”
चाहत की गाड़ी एक मेंशन के सामने आकर रूकती है। वह जल्दी से अपनी स्कूटी से निकलकर सीधे घर के अंदर भाग जाती है। घर के अंदर पहुंचते ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है क्योंकि लिविंग रूम में उसके दोनों भाई दोनों भाभियां और कुछ लोग बैठे हुए थे, वह लोग चाहत को देखकर हैरान हो जाते हैं लेकिन चाहत उन सबको इग्नोर करते हुए सीधे अपने कमरे की तरफ चली जाती है। कमरे में पहुंच कर चाहत सबसे पहले अपने कमरे का दरवाजा बंद करती है और उसके बाद सीधे बाथरूम में चली जाती है। चाहत शावर ऑन करती है और उसके नीचे जमीन पर बैठ जाती है। उसने अपने दोनों घुटनों को अपने सीने से लगाया हुआ था और अपने हाथों को घुटनों पर लपेटते हुए अपने घुटनों में अपने मुंह को छुपा कर सुबक रही थी, चाहत बहुत डर गई थी जब तपिश ने उस आदमी को गोली मारी थी, तो चाहत बहुत डर गई। उसके हाथ पैर कांपने लगे। यह पहला दृश्य था जो उसके सामने हो रहा था, उसे इस हादसे की उम्मीद नहीं थी। तपिश तो वहां से चला गया था, लेकिन चाहत वहीं पर खड़ी थी, वह काफी देर तक वहां पर खड़े होकर उस सीन को देख रही थी, जब पुलिस की गाड़ी वहां पर आई तब भी चाहत वहीं पर खड़ी थी और उस मरे हुए आदमी को देख रही थी। चाहत अपने अंदर के डर का सामना कर ही रही थी कि तभी बाथरूम के दरवाजे पर दस्तक होती है। चाहत की दोनों भाभियां दरवाजे पर खड़ी थी और वह चाहत को बुलाती है… “चाहत बाहर आओ हमें तुमसे कुछ बात करनी है।” चाहत हैरानी से दरवाजे पर देखती है। वह अपनी भाभियों का सामना कैसे करेगी. उसके तो पूरे चेहरे पर डर बिखरा हुआ है। लेकिन फिर भी वह सारे समय बाथरूम में तो नहीं रह सकती है। चाहत अपनी जगह से खड़ी होती है और अब एक टॉवल को अपने ऊपर लपेटते हुए वह दरवाजा खोलती है। उसकी दोनों भाभियां जब चाहत को देखती हैं तो हैरान हो जाती है। उसकी छोटी भाभी ने चाहत से कहा.. “तुम क्या कपड़े पहन कर नहाती हो?” चाहत कुछ नहीं कहती है। बस अपनी भाभियों को ही देख रही थी। तभी उसकी बड़ी भाभी ने चाहत को कंधे से पकड़ते हुए बाहर लाते हुए कहती है… “अरे मेघा! तुम क्यों से परेशान कर रही हो. वह कपड़े पहनकर नहाये या जैसे मर्जी वैसे नहाए. हमारी चाहत तो वैसे ही बहुत सुंदर है। बिना नहाए धोए भी बहुत साफ सुथरी लगती है।” चाहत के मन में अब तक जो भी डर था, जो भी घबराहट थी और जो भी खौफ उसके दिल में तपिश के लिए पैदा हुआ था, वह एक पल में छूमंतर हो गया और वह अपनी भाभियों को हैरानी से देखने लगी। यह नीम के पेड़ पर आम कैसे उग रहे हैं? उसकी भाभियों के मुंह से उसके लिए यह मीठे मीठे बोल. चाहत को हजम नहीं हो रहे थे. उसकी भाभियां तो सुबह उठते ही चाहत के लिए जहर उगला करती हैं। लेकिन आज वह इतना मीठा कैसे बोल रही हैं? चाहत हैरानी से अपनी भाभियों को देख रही थी, तभी उसकी छोटी भाभी मेघा चाहत के पास आती है और टॉवल से उसका सर पोंछते हुए कहती है… “आप सही कह रही हैं. अनीता भाभी! हमारी चाहत है ही इतनी सुंदर कि उसे कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ती है।” चाहत हैरानी से अपनी दोनों भाभियों अनीता और मेघा को देख कर कहती है… “आप दोनों क्या बातें कर रही है? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है?” तभी अनीता सोफे पर रखी हुई एक साड़ी उठाते हुए चाहत को देती है और कहती है... “तुम्हें कुछ समझने की जरूरत नहीं है बल्कि तैयार होने की जरूरत है। यह लो साड़ी और जल्दी से तैयार हो जाओ।” चाहत हैरानी से उस साड़ी को देखती है। वह साड़ी को अच्छी तरह से पहचानती है। यह साड़ी तो पिछले ही महीने उसकी भाभी ने खरीदी थी. ये सबसे महंगी दुकान की सबसे महंगी साड़ी है। उसकी भाभी ने अभी तक यह साड़ी एक भी बार पहनी नहीं है और वह तो इस साड़ी की तरफ किसी को देखने भी नहीं देती है। आज वह सामने से यह साड़ी चाहत को देकर कह रही है कि उसे तैयार हो जाना है। चाहत हैरानी से अपनी भाभी को देखकर कहती है… “भाभी! आप मुझे अपनी साड़ी क्यों दे रही है?” मेघा ने कहा… “क्योंकि तुम्हारे पास जो कपड़े हैं। वह पहन कर तो मेहमानों के सामने नहीं जा सकती हो. इसीलिए चुपचाप यह साड़ी पहनकर तैयार हो जाओ।” चाहत अभी भी कुछ नहीं समझी थी और हैरानी से उन दोनों को देख रही थी. अनीता ने मेघा को आंखें दिखाते हुए ना में सर हिलाया और चाहत से मुस्कुराते हुए कहा… “चाहत! तुम मेघा की बातों का बुरा मत मानो। तुम तो जानती हो यह कहीं पर भी, कुछ भी बोल देती है। दरअसल बात यह है ना कि तुम्हारे भैया के कुछ खास मेहमान घर पर आए हैं और वह तुमसे मिलना चाहते हैं। बस इसीलिए हम चाहते हैं कि तुम उनके सामने यह साड़ी पहन कर जाओ। क्या तुम अपने परिवार के लिए इतना नहीं करोगी?” चाहत हैरान तो हुई थी लेकिन फिर भी उसने कुछ नहीं कहा और चुपचाप उस साड़ी को लेकर बाथरूम में चली जाती है। अनीता और मेघा एक दूसरे को देखकर एक मिस्टीरियस स्माइल देती हैं। चाहत साड़ी पहनकर तैयार हो गई थी उसकी दोनों भाभियों ने मिलकर उसे तैयार किया था। चाहत वैसे तो बहुत हैरान थी कि एक मेहमान से मिलने के लिए उसे इतना क्यों सजाया जा रहा है. पर फिर भी उसने कुछ नहीं कहा क्योंकि बात उसके परिवार के सम्मान की थी। चाहत की दोनों भाभियां उसे लेकर बाहर आती है। चाहत देखती है कि उसके दोनों भाई.. जय बंसल और पुष्कर बंसल सोफे पर बैठे हुए हैं. और उनके सामने एक 50 साल की महिला. जिसने हैवी साड़ी और गले में हैवी सेट पहना हुआ था, वह बैठी हुई है और उसके बगल में एक 55 साल का आदमी। जिसने सफारी सूट पहना हुआ था और उस आदमी के बगल में एक 30 साल का आदमी बैठा हुआ था, जिसकी मूछें थी और जिसने बिजनेस सूट पहन रखा था।
अनीता और मेघा चाहत को लाकर सोफे पर एक तरफ बैठा देती है। चाहत धीरे से वहां बैठती है और उन सबको देखकर नमस्ते कहती है। वह लड़का जो बिजनेस सूट पहने हुए बैठा था. वह चाहत को ऊपर से लेकर नीचे तक देख रहा था, जैसे उसकी निगाहें चाहत के कपड़ों के अंदर झांक रही हों। चाहत को उस लड़के से पॉजिटिव वाइब नहीं आ रही थी, उसने जल्दी से अपना चेहरा नीचे कर लिया। चाहत के बड़े भाई जय ने कहा… “मिस्टर गुप्ता! यह है मेरी बहन चाहत.” चाहत हैरानी से अपने भाई को देख रही थी. उसकी भाई ने उसका परिचय यह कहकर के दिया कि वह उसकी बहन है। चाहत की आंखों में लगभग आंसू आ गए थे, लेकिन तभी अनीता चाहत के बगल में बैठती है और उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुई कहती है। मिसेज गुप्ता! आपको हमारी चाहत से कभी कोई शिकायत नहीं होगी। यह हर चीज में परफेक्ट है। खाना बहुत अच्छा बनाती है, एंब्रॉयडरी का तो इसे इतना शौक है। मेरी ज्यादातर साड़ी और चुन्नी पर कढ़ाई तो इसने खुद ही की है। और इतना ही नहीं क्लासिकल डांस, कत्थक में इसने मास्टर की डिग्री ली है।” श्रीमती गुप्ता चाय का कप टेबल से उठाते हुए कहती है… “अरे डांस वांस का हमें क्या करना है। हमें कौन सा इससे मुजरा करवाना है।” उनके यह कहते ही वहां पर बैठे सब लोग हंसने लगते हैं। पर चाहत को उनकी बातों का बहुत बुरा लगता है। वह बहुत हैरान भी होती है कि उसकी भाभियां उसकी तारीफ ऐसे क्यों कर रही है? लेकिन जब उन्होंने चाहत के डांस की तुलना किसी मुजरे वाले डांस से की.. तो उसके दिल में एक दर्द सा उठा। कत्थक उसका पैशन है, उसकी कला है और उसकी कला का इस तरीके से मजाक उड़ाया जा रहा है। लेकिन सबसे बड़े दुख की बात तो यह है कि इन सब ने उसका परिवार भी शामिल है। मिस्टर गुप्ता ने कहा… “देखिए बंसल साहब! जो बात है वह साफ-साफ यही है। वैसे भी हमें क्या ही करना है। बस आपकी बहन भानु को खुश रख सके। आखिर शादी तो उसकी भानु से होनी है ना।” चाहत में जैसे ही यह सुना उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। यहां उसके रिश्ते की बात हो रही है। *** चाहत गुस्से में अपने कानों में पहनी हुई इयररिंग्स को टेबल पर पटकती है और अपनी भाभियों को देखकर कहती है… “आप लोगों ने मुझे इस बारे में कुछ बताया क्यों नहीं? क्यों नहीं बताया कि यह लोग मेरे रिश्ते के लिए आए हैं? आप लोग ऐसा कैसे कर सकती हैं? मेरी जिंदगी का इतना बड़ा फैसला मुझसे पूछे बिना कैसे ले सकती हैं?” तभी पुष्कर और जय अंदर आते हुए कहते हैं… “इसमें तुमसे क्या पूछना है. हम तुम्हारे भाई हैं। तुम्हारे लिए क्या अच्छा है, क्या बुरा है। यह हम तुमसे ज्यादा बेहतर जानते हैं।” चाहत अपने दोनों भाइयों को देखकर कहती है… “सच में..? आप लोग मुझसे बेहतर मुझे जानते हैं? अगर ऐसी बात है तो बताइए मेरा फेवरेट कलर क्या है? खाने में क्या पसंद है मुझे? कौन सी जगह पर जाना अच्छा लगता है? बताइए अगर आप लोगों को सच में मुझसे इतना ही प्यार है.. तो आपको यह सब तो पता ही होगा ना?” जय और पुष्कर दोनों एक दूसरे को देखते हैं. लेकिन उन दोनों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था. चाहत ने कहा… “देखा.. कोई जवाब नहीं है आपके पास। क्योंकि आप इस बारे में कुछ जानते ही नहीं है। आप लोगों को मेरे बारे में कुछ भी नहीं पता है। अनीता चाहत के पास आती है और उसकी बाजू पकड़ते हुए उसे अपनी तरफ करती है और कहती… “नहीं पता है तो क्या हो गया? इसका मतलब यह तो नहीं है कि तुम उनकी बहन नहीं हो. और हम तुम्हारे बारे में कुछ बुरा सोचेंगे? अरे शादी करवा रहे हैं तुम्हारी। यह तो हर लड़की का सपना होता है कि उसकी शादी किसी अच्छे घर में हो और भानु से अच्छा लड़का तुम्हें मिल ही नहीं सकता है।” चाहत ने कहा… “आप लोगों ने कैसे डिसाइड कर लिया कि भानु से अच्छा लड़का मुझे नहीं मिल सकता है? क्योंकि वह आपको पसंद है सिर्फ इसलिए.. आप लोगों को पता भी है वह इंसान कौन है? कुछ महीने पहले एक लड़की के रेप केस में उसका नाम आया है और आप चाहते हैं कि मैं ऐसे इंसान से शादी करके घर बसा लूं?” लेकिन जय आगे आते हुए कहता है… “चाहत! भानु के ऊपर गलत इल्जाम लगा है। उस लड़की ने खुद कोर्ट में यह कबूला है कि भानु ने कुछ भी नहीं किया है. और कोर्ट ने भी उसे क्लीन चैट दी है। और मत भूलो वह लोग रुतबे और पैसे में भी बहुत अमीर है। तो तुम वहां पर खुश रहोगी।” चाहत ने कहा… “मेरी खुशी की फिक्र आपको कब से होने लगी? कल तक तो आपको मेरी शक्ल भी पसंद नहीं थी और आज आपको मेरी पसंद और ना पसंद की इतनी परवाह हो रही है?” मेघा चाहत को देखकर कहती है… “हां सही कहा तुमने। हमें तुम्हारी शक्ल भी पसंद नहीं है क्योंकि तुम इस घर की नाजायज बेटी हो।” जैसे ही मेघा ने यह कहा… “चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और वह बस मेघा को देखती रहती है। मेघा आगे कहती है क्यों? क्या हुआ सच बर्दाश्त नहीं हुआ क्या? यही तो सच है। तुम इस घर की नाजायज बेटी हो। हमारे ससुर जी के रंग रलियों का नतीजा हो। एक नौकरानी के साथ उन्होंने अपनी रातें रंगीन की है. जिसका अंजाम निकली तुम। वह तो शुक्र मनाओ तुम अपने दादाजी का. जिनकी इच्छा थी कि उनके घर में एक लड़की हो। लेकिन अफसोस उनके सिर्फ दो पोते थे कोई पोती नहीं थी। इसीलिए तुम्हें इस घर में मां ने बेटी तरह अपने साथ रखा। लेकिन उनके जाने के बाद. हम सब तुम्हें चाह कर भी इस घर से नहीं निकाल पाए। और तुम हमारे सीने पर मूंग डालती रही। हम सब तो बस इंतजार कर रहे थे उस दिन का जब शादी करके तुम्हें यहां से विदा कर दे। या फिर यह कहूं कि तुमसे हमारा पीछा छूट जाए। वह तो अपने आप को नसीब वाली समझो कि तुम्हारे लिए भानु का रिश्ता सामने से आया है।”
10 दिन बाद चाहत अपने कमरे की ड्रेसिंग टेबल पर दुल्हन की जोड़े में बैठी हुई थी, और उसकी दोनों भाभियां उसका श्रृंगार कर रही थी, आज चाहत की शादी है भानु के साथ। वैसे तो चाहत अपनी शादी के जोड़े में बहुत खूबसूरत लग रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर कहीं पर भी दुल्हन वाला निखार नहीं है। उसकी आंखों में एक उदासी सी है. और चेहरे पर जो रौनक दुल्हन के होना चाहिए था, वह गायब है। मेकअप से उसके चेहरे पर रौनक तो लाई गई है. लेकिन उसके उदास मन को कहां से रोशन किया जाएगा।” अनीता और मेघा चाहत का मेकअप कर रही थी, तभी कमरे का दरवाजा खुलता है और प्रेरणा अंदर आते हुए कहती हैं… “अनिता भाभी,मेघा भाभी ! आपको बाहर बुला रहे हैं।” मेघा के हाथों में जो गजरा था वह उसने वही टेबल पर रखते हुए प्रेरणा से कहा… “अच्छा ठीक है. तुम इसके बालों को सेट कर दो और उस पर दुपट्टा लगाकर पिन लगा देना। हम दोनों बाहर जाकर तैयारी देखते हैं।” अनीता और मेघा वहां से चली जाती है उनके जाने के बाद प्रेरणा दरवाजा बंद करती है और चाहत के पास आती है। वह चाहत के सामने बैठते हुए कहती है… “दिमाग खराब हो गया है क्या तेरा? तू उस गधे से कैसे शादी कर सकती है? तेरी अकल घास चढ़ने गई है क्या? यहां पर इतना बड़ा झोल हो रहा है और तुझे समझ नहीं आ रहा है। शादी के आड़ में यहां पर हर चीज एक डील है। मैं बाहर अपनी आंखों से देख कर आई हूं।” दोनों भाई ने तेरी शादी एक डील की तरह से की है. और भानू ने इसके बदले तेरे भाई को कोई टेंडर दिया है। मैं उन दोनों की बातें सुनकर आई हूं। और इतने सबके बाद भी तू शादी के लिए राजी हो गई है? मत मारी गई है क्या तेरी?” चाहत की आंखों में आंसू थे और उसने कहा… “मैं और कर भी क्या सकती हूं? मैंने कोशिश की थी इन लोगों से कहने की कि मुझे यह शादी नहीं करनी है. लेकिन तू नहीं जानती उसके बाद क्या हुआ? चाहत रोते हुए प्रेरणा को उस दिन के बारे में बताने लगती है। जब वह इस शादी के लिए मना कर रही थी और अपने परिवार से लड़ रही थी। चाहत ने चिल्लाते हुए कहा… “हां मानती हूं मैं इस घर की नाजायज बेटी हूं. लेकिन हूं तो मैं इसी घर की बेटी ना। आप दोनों की बहन हूं। फिर कैसे आप दोनों मुझे इस तरीके से जलील कर सकते हैं? मुझे पता है आप दोनों ने कभी मुझसे प्यार नहीं किया है। यहां तक कि जब तक दादाजी थे, बस उन्हें ही मेरी फिक्र थी. पर उनके जाने के बाद आप लोगों ने मुझे इस घर में एक कामवाली की हैसियत भी नहीं दी। मैं बहुत पहले यह घर छोड़ कर चली जाती. पर आप भी अच्छी तरह से जानते हैं कि मैं इस घर से क्यों नहीं जा सकती हूं। भले ही आप लोग मुझसे प्यार ना करती हो। लेकिन मैं गुड़िया से बहुत प्यार करती हूं।” इसलिए मैं उसे छोड़कर नहीं जा सकती। आप लोगों का तो पता नहीं. लेकिन इस पूरे घर में सिर्फ एक गुड़िया ही है जो मेरे जीने की वजह है। मैं आप लोगों के सामने हाथ जोड़ती हूं। मुझसे मेरे जीने की वजह मत छिनिये। मेरी गुड़िया को मुझसे अलग मत कीजिए। भानु मेरे लिए सही इंसान नहीं है। अगर आप लोग कहें तो मैं इस घर को छोड़कर कहीं चली जाऊंगी. कहीं किराए के कमरे में रह लूंगी। दो वक्त की रोटी तो कमा ही लूंगी। लेकिन इस तरीके से मुझे किसी घटिया इंसान के हाथों में मत दीजिए. भाई होने का आज तक कोई फर्ज नहीं निभाया है आप लोगों ने। कम से कम इस फर्ज को तो निभाइए। अगर मेरे लिए एक अच्छा लड़का नहीं ढूंढ सकते हैं तो मुझे मेरे हाल पर छोड़ दीजिए।” जय और पुष्कर यह सुनकर हैरान रह जाते हैं। उनका पूरा चेहरा गुस्से से भर जाता है। जय ने गुस्से में चाहत को देखते हुए कहा.. “हमने तुम्हें अपने घर में रहने दिया. हमारे बाप की नाजायज औलाद होने के बावजूद भी हमने तुम्हें अपनी बहन की तरह सबके सामने लाए और उसके बाद तुम यह कह रही हो कि हमने भाई होने का कोई फर्ज नहीं निभाया है? ठीक है अगर यह बात है तो यही सही. और क्या कहा तुमने.. तुम्हें गुड़िया की फिक्र है? तुम उससे प्यार करती हो? अगर तुम्हें सच में गुड़िया की फिक्र होती ना. तो तुम इस शादी से मना नहीं करती। सच बात तो यह है कि तुम्हें गुड़िया की कोई फिक्र ही नहीं और वैसे भी गुड़िया का जीने का फायदा ही क्या है? वह तो वैसे भी सब पर बोझ है। अच्छा है अगर वह मर ही जाए तो. उसका मर जाना ही बेहतर है।” यह कहते हुए चाहत के कमरे से निकल जाता है। उसे इस तरीके से गुस्से में जाता देख अनीता,मेघा और पुष्कर तीनों हैरान हो जाते हैं। मेघा जल्दी से कहती है… “भाभी! कुछ करिए. भाई साहब गुस्से में है और गुस्से में वह गुड़िया को कुछ कर ना दें।” मेघा की बात सुनकर चाहत का दिल कांप जाता है। वह जल्दी से दौड़ते हुए जय के पीछे जाती है। जय सीडीओ से होता हुआ ऊपर एक कमरे में जाता है। जहां पर एक 12 साल की लड़की व्हीलचेयर पर बैठी हुई थी। यह गुड़िया है। जय और अनीता की बेटी.. बचपन में एक बीमारी की वजह से इसके पैर खराब हो गए हैं। जिस वजह से इसे व्हीलचेयर पर ही रहना पड़ता है। अपने पापा को देखकर गुड़िया कहती है… “पापा” पर तभी जय गुस्से में गुड़िया के पास आता है. और उसे व्हीलचेयर से नीचे जमीन पर धकेल देता है। गुड़िया तेज दर्द से चीखने लगती है। जय अपना हाथ उठाकर गुड़िया को मारने के लिए आगे ही आ रहा था, कि तभी चाहत गुड़िया के सामने आ जाती है और वह उसे अपने गोद में उठाकर अपने सीने से लगा लेती है। चाहत रोते हुए अपने भाई को देखती है और कहती है… “क्या कर रहे हैं भैया? क्यों इस अपाहिज को मार रहे हैं? क्या मिलेगा आपको इसे मार के?” जय गुस्से में चाहत से कहता है… “इस अपाहिज को सारी जिंदगी बोझ की तरह ढोने से अच्छा है कि इसे मारकर खत्म कर दिया जाए।” अनीता बेड पर बैठकर जोर-जोर से रोने लगती है. और चाहत से कहती है… “देखा! तुम्हारी वजह से क्या हो रहा है। आज तुम्हारी वजह से तुम्हारा भाई मेरी बच्चे की जान का दुश्मन बन गया है। तुम समझ क्यों नहीं रही हो चाहत। गुड़िया के इलाज के लिए हमें पैसे चाहिए। वरना वह सारी जिंदगी इसी तरीके से अपाहिज़ बनी रहेगी। गुड़िया का इलाज यहां मुमकिन नहीं है। उसके लिए हमें अमेरिका जाना होगा और वहां इसका इलाज करवाना होगा। इसमें बहुत खर्चा आएगा लेकिन भानु जी ने कहा है कि वह गुड़िया के इलाज का सारा खर्चा उठा लेंगे. लेकिन बदले में तुम्हें उनसे शादी करनी होगी। क्या तुम गुड़िया के लिए इतना नहीं कर सकती हो?” अरे हम कौन सा तुम्हें उठाकर नाली में फेंक रहे हैं। एक इज्जतदार घराने में तुम्हारी शादी करवा रहे हैं। हां भानु उम्र में तुमसे थोड़ी बड़ा है तो क्या हुआ? 10 15 साल का उम्र का फैसला तो आजकल कुछ भी मायने नहीं रखता है।” मेघा भी गुस्से में आगे आती है और चाहत को देखते हुए अनीता से कहती है… “भाभी आप क्यों अपना खून जला रही है। इस नाजायज लड़की की वजह से आप अपनी औलाद को क्यों दाव पर लगाएंगे। हमारे लिए गुड़िया सबसे पहले है. मैं तो कहती हूं सारा बिजनेस, घर, प्रॉपर्टी सब कुछ बेचकर हमें अमेरिका जाना चाहिए और गुड़िया का इलाज करवाना चाहिए। तो क्या हुआ उसके बाद हमारे पास कुछ नहीं रहेगा. हमारी बच्ची तो ठीक हो जाएगी। क्या यह हमारे लिए बड़ी बात नहीं है? और यह चाहत.. यह खाली मुंह से बोलती है की गुड़िया से बहुत प्यार करती है। दिल में तो इसके यही है ना की गुड़िया जल्द से जल्द मर जाए।” चाहत रोते हुए अपनी भाभियों को देखते हैं और कहती है… “यह आप क्या कह रही है भाभी? मैं ऐसा क्यों चाहूंगी? मैं गुड़िया से बहुत प्यार करती हूं. और मैं भी दिल से चाहती हूं कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए और अपने पैरों पर खड़ी हो जाए।” पुष्कर कहता है… “अगर तुम सच में ऐसा चाहती हो. तो भानु से शादी के लिए हां कर दो।” चाहत का रोना तेज हो जाता है और वह फूट-फूट कर रोने लगती है। जय का गुस्सा बढ़ गया। उसने गुड़िया को चाहत से खींचकर अलग किया और कमरे के एक कोने में फेंकते हुए कहा.. “कोई इसके सामने हाथ पैर नहीं जोड़ेगा. वैसे भी गुड़िया मेरी बेटी है। इसके साथ क्या करना है। क्या नहीं करना है यह मेरा फैसला है।” लेकिन इससे पहले की जय अपने कदम आगे बढ़ा पाता.. चाहत ने उसके पैरों को पकड़ लिया। जय गुस्से में चाहत को देखने लगा और चाहत जय के पैरों को पकड़ते हुए कहती है… “मैं शादी के लिए तैयार हूं। बस अब गुड़िया को कुछ मत करिए। उसे छोड़ दीजिए।” चाहत ने प्रेरणा को सब कुछ बता दिया कि किस तरीके से उसे शादी के लिए हां करनी पड़ी। अगर वह शादी के लिए हां नहीं करती. तो शायद आज गुड़िया उनके बीच नहीं होती। प्रेरणा की आंखों में आंसू आ गए थे. प्रेरणा ने अपने आंसू पोंछते हुए कहा… “मैं सोच भी नहीं सकती थी, की जय भैया ऐसा कुछ कर सकते हैं। वह अपनी ही बेटी की जान की दुश्मन बन गए. सिर्फ तेरी शादी भानु से करवाने के लिए। देख चाहत में यह तो नहीं कहूंगी कि तूने जो किया है वह गलत है। पर जरा अपने बारे में भी तो सोच. भानु अच्छा इंसान नहीं है। तू तो जानती है ना उस पर रेप का इल्जाम लगा है। ऐसे में तेरा उससे शादी करना मुझे कहीं से भी सही नहीं लग रहा है।” चाहत अपने आंसू पोंछती है. और ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ कंपैक्ट उठाते हुए अपने मेकअप को सही करती है. और कहती है… “क्या फर्क पड़ता है कि क्या सही है क्या गलत। मैं बस इतना जानती हूं कि अगर मेरी जिंदगी के बदले मेरी गुड़िया की जिंदगी मिल रही है.. तो मैं अपनी गुड़िया पर ऐसी सो जिंदगियां कुर्बान कर दूं।” प्रेरणा इसके आगे कुछ नहीं कहती है। वह ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ गजरा उठाती है. और चाहत के बालों में लगाने लगती है। लेकिन चाहत के बालों में गजरा ठीक से लग नहीं रहा था. प्रेरणा के बहुत कोशिश करने के बावजूद चाहत के बालों में गजरा ठीक से नहीं लगा। प्रेरणा ने एक पिन से उसका गजरा लगाना चाहा.. तो उसके बाल ही खुल गए। चाहत परेशान होते हुए कहती है… “अरे यार यह सारे बाल कैसे खुल गए? अभी इन्हें बनाऊं कैसे?” प्रेरणा ने कहा… “मैं क्या करूं? तेरे बालों में यह गजरा लग ही नहीं रहा है। रुक जा 1 मिनट. मैं तेरे बाल फिर से बनाती हूं और इस बार सही से बनाती हूं।” प्रेरणा चाहत के बाल बनाने के लिए आगे आ ही रही थी कि तभी दरवाजा खुलता है. और एक लड़की अंदर आते हुए कहती है… “दीदी! पंडित जी आपको बाहर बुला रहे हैं।” जैसे ही उस लड़की ने यह कहा… “चाहत और प्रेरणा दोनों हैरानी से उसे देखने लगती हैं। प्रेरणा कहती है… “ठीक है. तुम पंडित जी से कहो की लड़की 2 मिनट में आ रही है। मुझे बस इसके बाल बनाने हैं।” तभी अनीता और मेघा अंदर आती है और कहती है… “चलो बाहर चलो! पंडित जी बुला रहे हैं। मुहूर्त निकला जा रहा है।” चाहत अपनी जगह पर खड़े होते हुए कहती है… “लेकिन भाभी! मेरे बाल खुल गए हैं।” अनीता और मेघा दोनों यह देखती है। मेघा कहती है… “यह बाल कैसे खोले है तुमने?” कोई कुछ कहता उससे पहले ही अनीता चाहत के सर पर दुपट्टा रखते हुए कहती है… “अरे खुल गए हैं तो रहने दो. अभी इसे बनाने का समय नहीं है। वैसे भी दुपट्टे के अंदर नजर नहीं आएगा। चलो ऐसे ही चलो।”
चाहत इस समय एक कुर्सी पर बैठी हुई थी। मुन्ना चाहत के पास कोल्ड ड्रिंक लाते हुए कहता है… “भाभी कोल्ड ड्रिंक पी लीजिए, बाहर मौसम कितना गर्म हो रखा है।” चाहत हैरानी से मुन्ना को देखकर कहती है… “मुन्ना भैया तपिश जी को रोकिये, वो क्या कर रहे हैं!” मुन्ना ने हंसते हुए कहा… “अरे भाभी, आपने सुना नहीं है क्या? कर्म इस रिटर्न, बस इन लोगों को वही मिल रहा है जो इन्होंने आपके साथ किया था।” चाहत हैरानी से सामने की तरफ देख रही थी, जहां तपिश कुर्सी पर अपने एक पैर पर दूसरा पैर चढ़ा कर बैठा हुआ था और उसके एक हाथ में गन थी। वहां पर आए सभी मेहमानों को तपिश के आदमियों ने एक तरफ खड़ा करके रखा हुआ था और तपिश के सामने इस समय चाहत और भानू का परिवार था। लेकिन जितने भी जेंट्स और लेडीज थे दोनों अलग-अलग खड़े थे। भानु के पिता और चाहत के दोनों भाई इस समय गंजे हुए खड़े थे। तपिश ने उनके सारे बाल मुंडवा दिए थे। भानु की मां, चाहत की दोनों भाभी और शेफाली इस समय उन अंगारों के सामने खड़ी थी। तपिश अपनी घूरती हुई निगाहों से उन्हें देख रहा था और वह लोग अपने आंखों में रहम लिए तपिश को देख रही थी। तपिश बोरियत के साथ उन औरतों को देख कर कहता है… “सारा दिन नहीं है मेरे पास।” भानु की मां तपिश को देखकर रहम की उम्मीद से कहती है… “बेटा हम सब तो औरतें हैं, हम पर थोड़ा सा तो रहम करो।” तपिश घूरते हुए भानु की मां को देखकर कहता है… “मेरी बीवी क्या तुम्हें मर्द नजर आ रही थी?” तभी पंडित उस नाई को लेकर आता है और उसे लाकर तपिश के पैरों पर पटक देता है। तपिश घूरते हुए उस नई को देख रहा था, दरअसल जब नाई ने सारे आदमियों के बाल छील दिए तो,उस आदमी को लगा कि इसके बाद तपिश उसे जान से मार देगा या फिर चाहत के बाल काटने की वजह से उसके हाथ ही कटवा देगा, इसीलिए वह वहां से भाग गया लेकिन पंडित उसे पकड़ कर ले आया। तपिश में घूरते हुए उस आदमी को देखकर कहा… “भागा क्यू था बे?” वह आदमी डरते हुए कहता है… “हमें माफ कर दीजिए, हमने यह सब जान बूझकर नहीं किया। ये हमसे करवाया गया था, हमारे छोटे-छोटे बच्चे हैं।” तपिश में एक नजर घूरते हुए आदमी को देखा और फिर लेडिस को देखकर कहता है… “आप लोगों ने अभी तक चलना शुरू नहीं किया क्या?” वह सभी औरतें हैरानी से एक दूसरे को देख रही थी। तपिश अपनी जगह से खड़ा होता है और उनके पास आते हुए अपने गन से अपने माथे को खुजाते हुए कहता है… “अगर अगले 5 मिनट में आप लोग इस अंगारे पर नहीं चलते हैं. तो यह जो आदमी आपने मेरी बीवी के बाल काटने के लिए बुलवाया था, इसका उसतरा आप सबके बालों पर लगेगा। भानु की मां, शेफाली,अनीता और मेघा चारों हैरानी से एक दूसरे को देखती हैं। शैफाली ने तो जल्दी से अपने सर पर आंचल रखकर अपने बालों को छुपाने की कोशिश की। तो वहीं पर दूसरी तरफ जय और पुष्कर गुस्से में तपिश को देख रहे थे। जय ने कहा… “क्या साबित करना चाहते हो तुम इन सब से? और तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई हमारे साथ यह करने की?” तपिश ने घूरते हुए जय को देखकर कहा… “वैसे ही जैसे तुम लोगों की हिम्मत हुई थी मेरी बीवी के साथ इस तरीके का सलूक करने की।” पुष्कर ने भी गुस्से में कहा… “चाहत तुम्हारी बीवी नहीं है, वह नहीं मानती है इस शादी को. वह सिर्फ भानु की विधवा है। इसीलिए वह विधवा होने के सारे धर्म निभा रही थी।” तपिश घूरते हुए जय और पुष्कर को देखकर कहता है… “आज तक भाई होने का फर्ज तो तुमसे निभाया नहीं गया और मेरी बीवी से वह सारे फर्ज निभाने के लिए कह रहे थे, जिसकी उसे जरूरत भी नहीं है और क्या कह रहे हो.. वह विधवा है?” उसके बाद तपिश अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए ना में सर हिलाता है और फ्रास्टेड होते हुए कहता है... “साला पूरी दुनिया मुझे मारने पर तुली है।” तपिश एक नजर औरतों को देखता है जो अभी भी डरी हुई नजरों से उन अंगारों को देख रही थी, पर उस पर चल नहीं रही थी। तपिश अपने हाथ में पकड़ी हुई गन को उन औरतों की तरफ करते हुए कहता है… “मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है अगर तुम लोग घायल पैरों से भी इन अंगारों पर चलोगे तो।” अब तो उन चारों की जान सूख गई थी। वह डरते हुए एक दूसरे को देख रही थी। अनीता अपना एक पैर आगे बढ़ाती है और उन अंगारों पर रखती है, तभी उसके पैर में अंगारों के छाले पड़ जाते हैं और वह चिल्लाते हुए अपने पैर पीछे लेने लगती है। अनीता को ऐसा चीखते देख बाकी तीनों की जान भी गले में अटक गई थी, लेकिन एक तरफ कुआं और एक तरफ खाई वाली सिचुएशन में फंसे हुए थे सब! या तो नंगे पैरों अंगारों पर चलते या फिर तपिश उनके पैरों पर गोली मार देता। तपिश अपनी गन को लोड करते हुए उनकी तरफ फायर करने ही वाला था, कि तभी चाहत आती है और तपिश का हाथ पकड़ लेती है। तपिश घूरते हुए चाहत को देखने लगता है, तो चाहत अपना चेहरा ना में हिलाते हुए कहती है... “मुझे घर जाना है।” पुष्कर और जय दोनों गुस्से में चाहत को देखते हैं। पुष्कर चिल्लाते हुए कहता है… “चाहत यह क्या बदतमीजी है! तुम कैसे इस इंसान के साथ जा सकती हो? तुमने खुद कहा था कि तुम इस शादी को नहीं मानती हो, तो जब तुम इस शादी को मानती ही नहीं हो, तो किसी हक से इस आदमी के साथ जाने की बात कर रही हो?” चाहत ने घूरते हुए पुष्कर को देखकर कहा… “अपने पत्नी होने के हक से। हां मैंने कहा था कि मैं तपिश जी से अपनी शादी को नहीं मानती हूं, क्योंकि मैंने आप लोगों को अपना माना था, पर शुक्रिया भाई आपने एक पल में ही मेरे सारे भ्रम को तोड़ दिया। देख लिया है मैं यहां पर. की कौन मेरा अपना है और कौन मेरी परवाह करता है। शुक्रिया तो मुझे आप लोगों को इस बात के लिए भी कहना चाहिए कि आप लोगों ने मुझे एहसास दिलवा दिया। कि मैं एक झूठे रिश्ते की बुनियाद पर जी रही थी। मेरी आंखों के ऊपर से मेरा पर्दा हटाने के लिए आप सबका शुक्रिया। अब मैं सब कुछ देख सकती हूं। कौन अपना है कौन पराया है। किसने सच में रिश्ता निभाया है और कौन रिश्ते निभाने का नाटक कर रहा था।” जय ने कहा… “धोखे से हुई शादी को तुम कैसे मान सकती हो?” चाहत में घूरते हुए जय को देखकर कहा… “धोखे से कराई गई शादी से तो बेहतर ही है। और मुझे पता है, मैंने आप लोगों से कहा था कि मैं तपिश जी से अपनी शादी को नहीं मानती हूं, लेकिन यह मेरी गलतफहमी थी। एक ऐसे इंसान के लिया जो अब मर चुका है,उसके लिए आप लोग मुझे जीते जी मार रहे थे।” जय गुस्से में कहता है… “हम लोग बस तुम्हें सही सलामत तुम्हारे घर लेकर आए थे।” चाहत ने घूरते हुए जय को देखकर कहा… “और मैं अपने पति के साथ अपने घर ही जा रही हूं।” पुष्कर ने घूरते हुए चाहत को देख कर कहा… “चाहत बेवकूफ मत बनो, तुम्हें पता भी है यह कौन है? इसकी सच्चाई जानती हो तुम? इसका नाम कई इल्लीगल कामों में जुड़ा हुआ है,कितने सारे लोग हैं जो इसकी जान की दुश्मन बने हुए हैं। और कितने लोग हैं जो इसकी जान के पीछे पड़े हुए हैं। अगर कल को यह किसी हादसे में मर जाएगा तब तुम क्या करोगी?” चाहत ने कहा... “तब मैं इस सफेद लिबास को अपनी किस्मत समझ कर अपना लूंगी। और तपिश जी के नाम का वह सफेद लिबास भी,मुझे उनसे जोड़े रखेगा।” तपिश हैरानी से चाहत को देखता रह जाता है! चाहत पलट कर तपिश को देखती है और उसके हाथों को अपने हाथों में लेते हुए कहती है… “जिसने दुनिया के सामने मेरा हाथ थामा है,उसका दिया हर रंग मुझे मंजूर है।” चाहत की बात सुनकर तपिश के चेहरे पर एक लंबी और तिरछी मुस्कान आ जाती है। चाहत तपिश की तरफ देखते हुए बड़ी मासूमियत से कहती है…“मुझे घर जाना है, अपने घर जाना है।” तपिश हां में सर हिलाते हुए चाहत को देखता है और कहता है… “चलेंगे बीवी अपने घर ही चलेंगे, पर पहले तुम्हारे घर वालों से तो निपट ले।” उसके बाद तपिश औरतों को देखकर कहता है… “मुझे लगता है आप लोगों को भी अपने बाल ही कटवाने हैं।” उसके बाद तपिश नाई की तरफ देखते हुए कहता है… “चलो अपना उस्तरा निकालो और काम पर लग जाओ।” वह आदमी डरते हुए हां में सर हिलता है और अपने झोले से उस्तरा निकालता है। वह चारों औरतें हैरानी से एक दूसरे को देखती हैं और भागते हुए पैरों से अंगारों पर चलने लगती है। वह गरम-गरम लावे की तरह अंगारे, उनके हर एक कदम पर उनके पैरों पर छाले डाल रहे थे। चाहत ने कसके अपनी आंखें बंद कर ली और अपना सर तपिश के बाजू पर छुपा लिया। उन सब को सजा देने के बाद तपिश ने चाहत का हाथ पकड़ा और सबको देखते हुए कहा… “लड़की की विदाई हो रही है रोओगे नहीं आप लोग!” लेकिन सबके चेहरे पर सिर्फ गुस्सा था, किसी की आंखों में आंसू नहीं आ रहे थे। तपिश ने घूरते हुए सबको देखा और फिर पंडित को आवाज लगाते हुए कहा… “पंडित!” पंडित अपनी गन को अनलॉक करते हुए कहता है… “1 मिनट भाई, यह क्या इनके फरिश्ते भी रोएंगे।” यह कहते हुए पंडित सबके पैरों के पास दो-चार फायर करता है। और सब लोग एक दूसरे का गला पकड़ कर दहाड़े मारकर रोने लगते हैं..😫😩😫 उन लोगों के इस तरीके से जबरदस्ती रोने पर चाहत की हंसी छूट जाती है। चाहत मुस्कुराते हुए तपिश को देखती है। तपिश के चेहरे पर भी एक मुस्कान थी, उसने चाहत का हाथ कसके थामते हुए सबको देखा और कहा… “इस बार मैं अपनी बीवी को पूरे होशो हवास में लेकर जा रहा हूं। और अगर किसी को मेरी बीवी से मिलना हो तो साहिब मेंशन आ जाना।” तपिश चाहत का हाथ पकड़ कर उसे वहां से ले जाने लगता है और इस बार चाहत तपिश के साथ अपनी मर्जी से गई थी, लेकिन मुन्ना और पंडित पीछे कहां रहने वाले थे। गोलियों की बौछार पहले भी हुई थी, जब तपिश चाहत को शादी कर के लेकर गया था और अभी भी हो रही है। पूरे आसमान पर कान फाड़ देने वाली गोलियों की गूंज जा रही थी। और उन आतिशबाजियों के बीच.. दिलवाला अपनी दुल्हनिया ले जा रहा था। तपिश की गाड़ी एक-एक करके वहां से निकलती है और चाहत तपिश के साथ वहां से जा चुकी थी। सब लोग हैरानी से उन गाड़ियों को जाता हुआ देखते रह जाते हैं। और अब वहां पर सिर्फ चाहत और भानू के परिवार वाले मौजूद थे और वह लोग जो पूजा में शामिल होने आए थे, पहले तो सिर्फ कुछ लोगों को ही पता था की चाहत की शादी किस्से हुई थी, लेकिन अब तो पूरी दुनिया को पता चल गया था। चाहत और भानू के साथ यहां पर वह आदमी भी था जिसने चाहत के बाल काटे थे। बेचारे की तो इतनी बुरी हालत की वह खुद अपने घर जाने से डर रहा था। मुन्ना ने उसकी आधी मूंछ काट दी थी और आधे बालों को गंजा कर दिया था। बेचारा आधी मूंछ और आधे बाल लेकर कहां जाएगा, क्योंकि मुन्ना ने उसे साफ-साफ कह दिया था कि अगर उसने अपनी बची हुई आधी मूंछ और आधे बाल को काटने की कोशिश की, तो मुन्ना उसके सर को ही नहीं रहने देगा।
तपिश की गाड़ी का काफिला इस समय साहिब मेंशन की तरफ जा रहा था। चाहत और तपिश एक साथ बैठे हुए थे। चाहत के चेहरे पर एक सुकून था और वह खिड़की से बाहर देख रही थी और तपिश की नजरे रह रह कर चाहत को ही देख रही थी। तभी अचानक से चाहत को एक मॉल नजर आता है और वह जोर से चिल्लाते हुए कहती है… “तपिश जी गाड़ी रोकिए!” अचानक से चाहत को देखते हुए तपिश ड्राइवर से कहता है… “गाड़ी रोको।” ड्राइवर गाड़ी रोक देता है और उसके साथ बाकी की गाड़ियां भी रुक जाती है। तपिश हैरानी से चाहत को देखकर कहता है… “क्या हुआ? ऐसे बीच रास्ते पर गाड़ी क्यों रूकवाई है?” चाहत मॉल की तरफ इशारा करते हुए कहती है… “मैं आपके साथ ऐसे घर नहीं जाना चाहती हूं, बल्कि वैसे ही जाना चाहती हूं जैसे आप मुझे पहली बार लेकर गए थे।” तपिश हैरानी से चाहत को देखकर कहता है… “मतलब फिर से गोद में उठाकर ले जाना होगा?” चाहत मुस्कुराते हुए ना में सर हिलाती है और कहती है… “नहीं आपके साथ इस बार मैं अपनी मर्जी से आई हूं और मैं नहीं चाहती हूं कि मेरी नई जिंदगी की शुरुआत मैं इन सादे रंगों से करूं, बल्कि मैं आपके साथ घर में पहला कदम बिल्कुल वैसे ही रखना चाहती हूं जैसे पहली बार आप मुझे लेकर गए थे, दुल्हन की तरह!” चाहत की बात सुनकर तपिश के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है। चाहत दरवाजा खोलकर बाहर निकली ही थी कि इतने में तीन-चार बॉडीगार्ड जाकर उसे घेर लेते हैं। चाहत एक पल के लिए डर जाती है और हैरानी से तपिश को देखने लगती है। तपिश अपने कंधे उचकाते हुए कहता है… “आदत डाल लो!” चाहत अफसोस के साथ उन चारों मुस्टंडे बॉडीगार्ड को देखती है और फिर मॉल की तरफ जाने लगती है। आधे घंटे बाद चाहत वापस आती है। तपिश इस वक्त गाड़ी के बाहर टिक कर खड़ा था और चाहत के इंतजार में अब तक 10 से ज्यादा सिगरेट खत्म कर चुका था। मुन्ना और पंडित तपिश के पास आते हैं। मुन्ना कहता है… “भाई, भाभी क्या पूरा मॉल खरीद कर आएगी? आधा घंटा हो गया है इन्हें मॉल के अंदर गए हुए, अभी तक आई नहीं है, लगता है आज आपका अच्छा खासा बिल बनेगा।” तपिश मुस्कुराते हुए सिगरेट के आखिरी टुकड़े को अपने जूते से मसलते हुए कहता है… “वह औरत ही क्या जो मर्द की औकात के बाहर न जाए और तुझे किस बात की टेंशन हो रही है? मेरी बीवी है आधा घंटा शॉपिंग करें चाहे एक घंटा, तुझे नहीं कहूंगा बिल देने के लिए।” तभी मुन्ना अपना मुंह खोले सामने देखने लगता है। तपिश मुन्ना को देखकर कहता है… “इतना बड़ा मुंह क्यों खोल रखा है,मक्खी घुस जाएगी!” मुन्ना हक बकाते हुए कहता है… “आप भी सामने देखो, आपका भी मुंह खुल जाएगा मक्खी के लिए।” मुन्ना के यह कहने पर तपिश सामने देखता है तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। चाहत ने एक लाल, मैरून कलर की साड़ी पहनी हुई थी, उसने अपने बालों का जुड़ा बनाया हुआ था और उसमें गजरे लगा रखे थे। हाथों में भर भर कर लाल रंग की चूड़ियां। चाहत अपनी शादी वाले दिन से भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। चाहत जैसे-जैसे तपिश के पास आ रही थी, तपिश की धड़कनें उसे खुद अपने कानों में सुनाई दे रही थी। चाहत तपिश के बिल्कुल सामने आकर खड़ी हो जाती है और अपनी कजरारी आंखों से तपिश को देखते हुए कहती है… “चले!” लेकिन तपिश तो चाहत की उन कजरारी आंखों में ही खोया हुआ था। मुन्ना और पंडित हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं और फिर एक साथ अपना सर ना में हिलाते हैं। पंडित तपिश के पास आता है और धीरे से उसे हिलाते हुए कहता है… “भाई अब बस भी करो, भाभी को नजर लगाकर मानोगे क्या?” तपिश जल्दी से होश में आता है और गाड़ी का दरवाजा खोलकर अंदर बैठ जाता है। चाहत भी अंदर बैठती है और अब उनकी मंजिल सिर्फ और सिर्फ साहिबा मेंशन ही थी। उनकी गाड़ी जैसी ही साहिबा मेंशन के सामने आकर रूकती है। तपिश, चाहत गाड़ी से बाहर निकलते हैं और एक साथ अंदर आने के लिए आगे बढ़ते हैं, लेकिन इससे पहले की दरवाजे से चाहत एक कदम और अंदर बड़ा पाती.. आतिश की एक दमदार आवाज उन्हें सुनाई देती है। “वहीं रुक जाओ चाहत..!” चाहत तपिश और बाकी सब दरवाजे पर ही रुक जाते हैं। चाहत हैरानी से आतिश को देखने लगती है, यहां तक की तपिश मुन्ना और पंडित भी हैरानी से आतिश को देख रहे थे। तपिश अंदर आते हुए कहता है… “क्या हुआ भाई! आपने चाहत को दरवाजे पर खड़े रहने के लिए क्यों कहा है?” आतिश ने चाहत को घूरते हुए देखा और कहा… “किस हक से तुम इस घर में अपने कदम रख रही हो?” चाहत, तपिश, मुन्ना और पंडित सब हैरान हो जाते हैं। तपिश कहता है… “यह आप क्या कह रहे हैं भाई?” लेकिन आतिश अपने हाथ दिखाकर तपिश को रोक देता है और फिर चाहत को देखते हुए कहता है… “बताओ चाहत, किस हिसाब से तुम इस घर के अंदर अपना कदम रख रही हो?” चाहत ने धीरे से अपना चेहरा नीचे करते हुए कहा… “तपिश जी की पत्नी होने की हक से!” आतिश ने घूरते हुए चाहत को देखकर कहा… “लेकिन तुम तो इस रिश्ते से इनकार कर रही थी, तुमने तो ये शादी मानने से इनकार कर दिया था और तुम खुद अपनी मर्जी से इस घर को छोड़कर गई थी, क्योंकि तुम्हें तपिश के साथ नहीं रहना था!” चाहत ने धीरे से और अफसोस के साथ कहा… “मुझसे गलती हो गई थी, अपनों को छोड़ गैरों को अपना समझ रही थी। मैं समझ ही नहीं पाई थी कि वह लोग मुझसे क्या करवाने जा रहे हैं, पर अब मुझे मेरी गलती का एहसास है और इसीलिए मैं अपनी उस हरकत के लिए आपसे माफी मांगती हूं!” आतिश की तीखी निगाहें अभी भी चाहत के ऊपर थी, उसने कहा... “क्या तुम तपिश के साथ अपनी शादी को मानती हो?” चाहत ने धीरे से हां में सर हिलाया। आतिश ने आगे कहा… “और तुम तपिश को अपना पति मानती हो?” चाहत एक नजर तपिश को देखती है और फिर धीरे से हां में सर हिलाती है। चाहत के जवाब पाते ही आतिश के चेहरे पर एक लंबी सी मुस्कान आ जाती है और वह किचन की तरफ देखते हुए कहता है... “माई.. आरती की थाली ले आईये आपकी बहू आ गई है!” आतिश के एसा कहते ही तपिश, मुन्ना और पंडित तीनों हैरानी से किचन की तरफ देखने लगते हैं। तपिश कहता है… “क्या, माई वापस आ गई है? आपने बताया क्यों नहीं?” तभी किचन के दरवाजे से एक आवाज आती है जो गुस्से में तपिश से कहती है... “तुझे अपनी बीवी लाने से फुरसत मिलेगी तब तो मुझ पर ध्यान देगा ना!” चाहत जब उस तरफ देखती है तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है, पर मुन्ना, पंडित और तपिश तीनों माई के पास जाते हैं और उन्हें गले लगा कर उनसे मिलने लगते हैं। माई उन तीनों को देखकर हल्के गुस्से और खुशी जाहिर करते हुए कहती है… “बस बस रहने दो, पहले मुझे बहू का स्वागत करने दो।” माई आरती की थाली लेकर दरवाजे पर आती है, लेकिन चाहत की आंखें अभी भी हैरानी से बड़ी थी। तपिश जाकर चाहत के साथ खड़ा हो जाता है और माई को देखकर कहता है… “तो बताओ माई कैसी है मेरी पसंद?” माई चाहत को देखकर मुस्कुराती है और अपने एक हाथ से दोनों की बलाएं लेकर अपने माथे पर मारते हुए कहती है… “नजर ना लगे, बहुत खूबसूरत जोड़ी लग रही है तुम दोनों की!” चाहत हैरानी से तपिश को देखती है और कहती है… “यह तो वो है न!” लेकिन तपिश जल्दी से चाहत का हाथ पकड़ लेता है और उसकी आंखों में देखते हुए कहता है… “यह वह कोई नहीं, यह बस माई है।” चाहत अभी भी हैरानी से माई को देख रही थी, तो माई मुस्कुराते हुए चाहत को देखकर कहती है… “क्या सोच रही हो बहू! यही ना कि एक किन्नर इनकी माई कैसे हो सकती है?” दरअसल सामने जो माई खड़ी थी वह एक किन्नर है। जो तैयार तो बिल्कुल औरतों की तरह हुई थी, लेकिन उसके भाव में पुरुष झलक रहा था। माई ने आरती की थाली से तपिश और चाहत का स्वागत किया, चाहत का गृह प्रवेश करवाया। चाहत घर के अंदर प्रवेश करती है। आतिश मुस्कुरा कर चाहत को देखता है और कहता है… “ इस परिवार में तुम्हारा स्वागत है।” यहां पर तो चाहत का बहुत अच्छा खासा ग्रह प्रवेश हो गया था, लेकिन वहां पर शायद नफरत की आग जल चुकी थी। भानु के घर में सब लोग हाल में बैठे हुए थे। जय और पुष्कर गुस्से में इस समय भानु के परिवार को देख रहे थे। भानु के पिता ने कहा… “अब और क्या देखना बाकी रह गया है, चली गई तुम्हारी बहन हमारे मुंह पर कालिख पोत कर!” जय गुस्से में खड़ा होता है और कहता है… “यह लड़की इस तरीके से मेरे प्लान पर पानी नहीं फेर सकती है। अब बात सिर्फ एक बिजनेस डील की नहीं है, अब बात मेरी उस बेज्जती की है। चाहत ने उस तपिश का हाथ थामकर अच्छा नहीं किया, देखना जिन हाथों से वह तपिश का हाथ थाम कर गई है, कल को वही हाथ जोड़कर मुझसे तपिश की जान की भीख मांगेगी।” वहीं दूसरी तरफ सारी औरतें अपने पैरों पर बर्फ की क्यूब लगा रही थी।अनीता ने गुस्से में जय को देखते हुए कहा… “लेकिन इस बार चाहत को वापस लाओ तो ऐसे लाना कि वह दोबारा कभी लौट ना सके। उसने हमें अंगारों पर चलाया था ना, उसे आग पर ना चलवा दिया तो मेरा भी नाम अनीता नहीं।” यहां पर सब लोग अपनी नफरत चाहत और तपिश के लिए दिखा रहे थे, लेकिन शेफाली के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। हमदर्द कॉलोनी.. तेज हमदर्द कॉलोनी में था और उसे चाहत के घर वापसी का पता चल चुका था। वह खुश होते हुए उस्मान के गैराज में जाता है और कहता है… “उस्मान तुम्हें पता है, भाभी वापस आ गई है!” उस्मान गाड़ी ठीक करते हुए हैरानी से तेज से कहता है… “कौन भाभी?” तेज अपना सर पीटते हुए कहता है… “अरे तुम्हें तो पता ही नहीं होगा, मैं किसकी बात कर रहा हूं। तपिश भाई की पत्नी चाहत भाभी, वह वापस आ गई है।” अचानक से उस्मान के हाथ से पाना गिरकर नीचे छूट जाता है और वह हैरानी से तेज को देखते हुए कहता है… “तपिश भाई ने शादी कब की?” तेज हंसते हुए कहता है… “तुम्हें भी उनकी शादी का सुनकर शौक लगा न, हम सब भी ऐसे ही चौंक गए थे।” उसके बाद तेज मुस्कुराते हुए साबिया के घर की तरफ देख रहा था। उसको ऐसा देखता पाकर उस्मान तेज के पास आता है और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है… “जब पता हो कि मंजिल नहीं मिल सकती तो रास्ते पर नजर नहीं डालनी चाहिए।” तेज अफसोस से अपना चेहरा नीचे कर लेता है और हां में सर हिलाता है। तेज गैराज से निकलता है और साबिया के घर को देखता हुआ, ऊपर बने मकान में चला जाता है। वह कमरे से एक गिटार उठाता है और उसे लेकर खिड़की के पास बैठ जाता है, सामने ही साबिया का कमरा था। लेकिन इस वक्त उसके कमरे की खिड़की बंद थी और पर्दा लगा हुआ था। तेज खिड़की के पास बैठता है और अपना गिटार बजाते हुए उस खिड़की को देखकर गाना गाना शुरू करता है। 🎶🎶🎼🎵🎵🎼🎵🎶 ऐ अजनबी तू भी कभी आवाज़ दे कहीं से मैं यहाँ टुकड़ों में जी रहा हूँ तू कहीं टुकड़ों में जी रही है ऐ अजनबी... तेज कंटिन्यू साबिया की खिड़की पर ही देख रहा था... पर उस खिड़की पर पर्दा लगा हुआ था। रोज़-रोज़ रेशम सी हवा आते-जाते कहती है बता रेशम सी हवा कहती है बता वो जो दूध धुली मासूम कली वो है कहाँ, कहाँ है वो रौशनी कहाँ है वो जान सी कहाँ है मैं अधूरा तू अधूरी जी रहे हैं ऐ अजनबी... उस्मान गेट से टिक्कर खड़ा था.. वह तेज की सारी हरकतें नोट कर रहा था। लेकिन खिड़की पर कोई नहीं था तो तेज गाना किसके लिए गा रहा है। प्यार में लोग पागल हो जाते हैं यह तेज को देखकर पता चलता है😊 तू तो नहीं है, लेकिन तेरी मुस्कुराहटें हैं चेहरा कहीं नहीं है, पर तेरी आहटें हैं तू है कहाँ, कहाँ है तेरा निशाँ कहाँ है मेरा जहाँ कहाँ है मैं अधूरा तू अधूरी जी रहे हैं ऐ अजनबी... गाना खत्म होने के बाद. तेज गिटार को वही टेबल पर रखता है और उस्मान की तरफ आता है तो उस्मान उससे पूछता है.. तेज भाई.. सामने तो कोई भी नहीं है। गाना किसी सुना रहे थे खाली पर्दे को 😛 तेज ने मुस्कुराते हुए उस्मान से कहा... जब कोई शख्स हमारे लिए बहुत खास हो जाता है. तो उसकी मौजूदगी का एहसास हमें पता होता है 😊 तेज ऐसा कहकर नीचे चला जाता है लेकिन उस्मान अभी भी कुछ समझने की कोशिश कर रहा था। वह देखता है तेज अपना गिटार ऊपर ही छोड़ गया पर जैसे ही वह उस गिटार को उठाकर वापस जाने को मुड़ता है तभी उसकी नजर सामने खिड़की पर जाती है। वो देखता है खिड़की के पीछे साबिया खड़ी थी.. और थोड़ा सा झांक कर तेज को देखने की कोशिश कर रही थी। उस्मान अपने मन में सोचता है.. साबिया खिड़की पर ही खड़ी थी..😳
अनीता, मेघा चाहत को लेकर मंडप के पास आती हैं। जहां पर भानु सहरे में उसका इंतजार कर रहा था, चाहत को देखकर भानु के चेहरे की मुस्कान और ज्यादा चौड़ी हो जाती है। चाहत अपने लहंगे में धीमें कदमों से मंडप की तरफ आती है और अनीता उसे भानु के बगल में बैठा देती है। भानु एक जंग जीतने वाली मुस्कान के साथ चाहत को देखता है. और फिर उसके दोनों भाइयों को देखता है। जो एक तरफ खड़े होकर यह नजारा देख रहे थे, भानु को देखकर उन दोनों के चेहरे पर एक राज दिखाई दे रहा था और दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगे। सीडीओ के पास गुड़िया अपनी केयरटेकर के साथ खड़ी थी, और अपनी बुआ की शादी को देख रही थी। हालांकि गुड़िया एक छोटी बच्ची ही है। लेकिन वह इतनी नासमझ नहीं है. कि उसे ना पता चल रहा हो कि सामने क्या हो रहा है। गुड़िया को बहुत बुरा लगा। जब उसकी बुआ ने उसे बचाने के लिए. शादी के लिए हां कर दिया। उसे भानु की शक्ल ही पसंद नहीं आ रही थी। गुड़िया घर के मंदिर की तरफ देखती. जहां पर माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति रखी हुई थी। गुड़िया ने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा… “भगवान जी! बुआ कहती है कि आप सबकी मदद करते हो। और सबको उनके पापों का फल इसी जन्म में भुगतना होता है। मुझे नहीं पता कि मैंने क्या पाप किए हैं. कि आपने मुझे अपाहिज बना दिया है। लेकिन मेरी बुआ ने कुछ भी गलत नहीं किया है। वह बहुत अच्छी है। वह कभी किसी का बुरा नहीं कर सकती हैं। यह जो अंकल है. जिनके साथ मेरी बुआ की शादी हो रही है। यह मुझे बिल्कुल अच्छे नहीं लग रहे हैं। यह मेरी बुआ से उम्र में कितने बड़े हैं। और इनसे मुझे पॉजिटिव वाइब भी नहीं आती है। प्लीज भगवान जी आपको तो बहुत सारे चमत्कार करने आते हैं ना.. तो एक चमत्कार मेरे लिए भी कर दो। मैंने आज तक आपसे सिर्फ अपने लिए मांगा है. लेकिन आज मैं आखिरी बार आपसे अपनी बुआ के लिए खुशियां मांग रही हूं। यह शादी मत होने दो। प्लीज भगवान जी कोई चमत्कार करो।” इंसानों की पुकार में इतनी सच्चाई होती है या नहीं। यह तो पता नहीं लेकिन बच्चों का मन बहुत साफ होता है. इसीलिए भगवान तक उनकी आवाज जल्दी पहुंचती है। वही शादी के मंडप पर चाहत की नजरे उस अग्नि वेदी पर थी, जो धधक रही थी। चाहत की आंखों में आंसू थे. देखने वालों को यह लग रहा था, कि चाहत अपनी शादी के बाद परिवार से बिछड़ने के लिए यह आंसू बहा रही है। पर उन्हें क्या पता था, कि इस समय चाहत के मन में क्या चल रहा है। चाहत को कभी भी इस घर में वह प्यार और सम्मान नहीं मिला। जो इस घर की बेटी को मिलना चाहिए था। उसने हमेशा से ही यहां पर तिरस्कार ही पाया है। चाहत की मां इस घर की नौकरानी थी। जब जय और पुष्कर के पिता की नजर उन पर पड़ी। तो उनके पिता की नियत एक नौकरानी के ऊपर खराब हो गई। दो बच्चे, हंसता खेलता परिवार। इतना बड़ा बिजनेस होने के बावजूद भी। जय और पुष्कर के पिता अपनी नियत पर काबू नहीं रख सके। एक दिन जब उन्हें यह पता चला कि चाहत की मां प्रेग्नेंट है तो वह बहुत ज्यादा डर गए थे, क्योंकि उनकी पत्नी भी कोई छोटे परिवार से नहीं थी, वह भी काफी ऊंचे खानदान से थी। अगर उन लोगों को पता चल जाता. तो वह चाहत के पिता का सारा बिजनेस डूबा देते और उसे सड़क पर ला देते । इसीलिए उन्होंने अपने किए हुए कांड को छुपाने के लिए उस नौकरानी को बहुत सारे पैसे देकर दूसरे शहर जाने के लिए कह दिया। और साथ ही यह कहा कि वह इस बच्चे को गिरा दे। क्योंकि मैं कभी भी इस बच्चे को अपना नाम नहीं दूंगा। चाहत की मां चाहत को लेकर दूसरे शहर चली गई। लेकिन गरीबी और मजबूरी ने उनका पीछा तब भी नहीं छोड़ा। भले ही उस अमीर आदमी ने चाहत की मां का इस्तेमाल किया हो. लेकिन चाहत की मां ने तो उनसे सच्चा प्यार किया था। इसीलिए अपने प्यार की निशानी को समझ कर उन्होंने चाहत को जन्म दिया। लेकिन चाहत के जन्म के बाद भी उनकी हालत दिन ब दिन बिगड़ती चली गई। एक भी दिन ऐसा नहीं रहा कि जब वह सही सलामत अपने पैरों पर खड़ी रहे। जिस आश्रम में वह चाहत को लेकर रहती थी, वहां के लोगों ने उनका बहुत इलाज करवाया और एक बार जब चाहत 5 साल की हुई तो डॉक्टर ने उनको जवाब दे दिया। अपने इस अंतिम समय में वह अपनी बेटी को बेसहारा नहीं करना चाहती थी। इसीलिए उन्होंने चाहत के पिता को एक खत लिखा और उसमें अपनी सारी स्थिति लिख दी। वह बस चाहती थी, कि भले ही उसके पिता चाहत को ना अपनाएं. लेकिन वह उससे नजरे न फेरे। आखिर थी तो वह उन्हीं का खून। वह चाहती थी की चाहत की पढ़ाई, लिखाई और उसकी परवरिश की जिम्मेदारी का खर्चा उसके पिता उठाएं। उन्हें लगा उनकी एक छोटी सी कोशिश इस बे सहारा बच्चों को इतनी बड़ी दुनिया में अनाथ और लावारिस होने से बचा लेगी। लेकिन उन्होंने चाहत के पिता को जो पत्र लिखा था, वह गलती से चाहत के दादा जी के हाथों लग गया। और उन्हें अपने बेटे की अय्याशी के बारे में पता चल गया। वैसे तो चाहत के दादाजी को उनके परिवार से कोई शिकायत नहीं थी, उनका परिवार पूरा था। दो पोते हैं, इतना बड़ा बिजनेस है. खुशहाल फैमिली है। लेकिन फिर भी उन्हें अपने घर में एक बेटी की कमी हमेशा महसूस होती है। उनका यह मानना है कि जिस घर में लक्ष्मी ना हो उस घर में बरकत नहीं होती है। जब उन्हें चाहत के बारे में पता चला तो उन्होंने अपने बेटे को बहुत सुनाया। यहां तक कि उसे सिर्फ बिजनेस का केयरटेकर बनाकर रख दिया। उन्होंने अपने बेटे को बिजनेस से एक पैसा नहीं दिया। लेकिन वो इस बात से इनकार नहीं कर सकते थे। कि चाहत उनके बेटे की बेटी है। अपने घर में एक बेटी की चाहत में दादाजी चाहत को अपने साथ ले आए। मां के गुजर जाने के बाद चाहत अक्सर उदास रहने लगी थी, लेकिन उसके दादा जी ने उसका पूरा साथ दिया था। घर में एक वही तो थे जो चाहत के साथ अच्छे से बिहेव किया करते थे। बस उन्हें ही फिक्र थी चाहत की। वरना चाहत के पिता और उसकी सौतेली मां तो कभी चाहत की तरफ देखते भी नहीं थे। जैसा रवैया मां बाप का होता है। वैसा ही रवैया उनके बच्चों का भी हो जाता है। चाहत अपने भाइयों से प्यार पाना चाहती थी, उनके साथ खेलना चाहती थी। लेकिन चाहत के पिता ने और उसकी सौतेली मां ने उनके भाइयों के मन में भी इतना जहर डाला था, कि चाहत कभी अपनी मुस्कान से उस जहर को कम नहीं कर पाई। घर में जब भी कोई खुशी का फंक्शन होता। तो चाहत को एक समान की तरह घर के एक कोने में ही रखा जाता है। उसे किसी के सामने नहीं आने दिया जाता है और ना ही किसी से उसका इंट्रोडक्शन होता है। यहां तक कि जब जय और पुष्कर की शादी हुई। तब भी चाहत ने छुपकर ही अपने भाइयों की शादी देखी थी। शुरू शुरू में चाहत की सौतेली मां ने चाहत को बहुत ताने दिए और उन्होंने कई ऐसे काम किए थे, जिससे चाहत को नुकसान हो। जैसे कि सीडीओ से गिरा देना या फिर उसके ऊपर गर्म दूध गिरा देना। जब उसके दादाजी ने देखा की चाहत का यहां पर रहना दुश्वार हो रहा है। तो उन्होंने चाहत को पढ़ने के लिए हॉस्टल भेज दिया था। पर धीरे-धीरे दादाजी की तबीयत खराब होती गई। चाहत अपनी पढ़ाई भी पूरी नहीं कर सकी और उसके दादाजी गुज़र गए। वही तो थे उसकी जिंदगी में. जो उसका परिवार थे और वह परिवार भी छीन लिया गया। सारा बिजनेस और सारा कारोबार जय और पुष्कर संभालते थे। इसीलिए उनके माता-पिता ने इन सब से रिटायरमेंट लेकर बाली में एक छोटा सा घर ले लिया और वहीं पर अपना रिटायरमेंट एंजॉय करने लगे। उन्हें बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी कि यहां पर क्या हो रहा है. या फिर बिजनेस का क्या हाल है। उन्होंने मुड़ कर दोबारा देखा तक नहीं। लेकिन यहां पर चाहत की पढ़ाई रुक गई थी, क्योंकि उसके दोनों भाइयों ने उसकी पढ़ाई के लिए पैसे देने से मना कर दिया था, और चाहत को अपना सपना, अपना डांस स्कूल भी खोलना था। जिसके लिए उसने छोटी-मोटी नौकरीया करनी शुरू कर दी। चाहत पढ़ी-लिखी इंडिपेंडेंट लड़की है। वह चाहती तो यह सब छोड़ कर जा सकती थी, लेकिन फिर भी वह यहां पर एक ही मजबूरी से रुकी हुई थी और उस मजबूरी का नाम है गुड़िया। गुड़िया को नहीं छोड़ना चाहती थी, क्योंकि दादा जी के जाने के बाद एक गुड़िया ही है. जिसने चाहत को फिर से मुस्कुराना सिखाया था। और आज गुड़िया के लिए ही चाहत अपनी जिंदगी भानु के साथ बांध रही थी। चाहत इस घर से जुड़ी अपनी हर एक याद को अपनी आंखों के सामने देख रही थी, उसका उसके दादाजी के साथ खेलना या फिर उसकी सौतेली मां का उसको टॉर्चर करना। उसके पिता ने कभी उसकी सूरत तक नहीं देखी. लेकिन फिर भी वह अपने पिता के पीछे पीछे चला करती थी, सिर्फ उनका एक अटेंशन पाने के लिए। दोनों भाइयों से प्यार की उम्मीद करना। हर राखी उनके लिए राखी जरूर लेती थी लेकिन कभी बांध नहीं सकी। और वह सारी राखियां मंदिर के एक कोने पर बंधी हुई है । सोचा था भाभी आएंगी तो उनसे थोड़े प्यार की उम्मीद होगी। लेकिन वह भी उसके भाइयों की तरह ही निकली। उन्होंने तो पहले दिन से ही चाहत को ताने देने शुरू कर दिए थे। चाहत एक बार चेहरा उठा कर वहां पर अपने परिवार को देखती है। फिर उसके बाद उसकी नजर कोने पर बैठी गुड़िया पर जाती है। गुड़िया को देखकर चाहत के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। और वह गुड़िया को मुस्कुराने के लिए कहती है। लेकिन गुड़िया की आंखों से आंसू बह रहे थे। और वह बहुत ही उम्मीद के साथ भगवान जी से उम्मीद लगाए बैठी थी। भानु के माता-पिता एक तरफ थे। और वह अपनी बेटे की शादी देख रहे थे। तभी चाहत की नजर एक लड़की पर जाती है। उसने इस लड़की को पहले ही देखा था, यह उसके और भानू की सगाई वाले दिन भी थी। यह लड़की कौन है? चाहत के दिमाग में बार-बार यही सवाल आ रहा था। संगीत वाली रात यह लड़की जिस तरीके से भानु के साथ डांस कर रही थी, वह कहीं से भी शादी में एंजॉय किए जाने वाला डांस नहीं था, बल्कि यह दोनों एक दूसरे के बहुत ज्यादा करीब होकर कपल डांस की तरह डांस कर रहे थे. यहां तक की भानू ने इस लड़की की कमर पर हाथ रखकर इसे अपने करीब किया हुआ था। और मेहंदी पर यह लड़की चाहत से पहले मेहंदी लगवाने के लिए बैठ गई थी। मेहंदी वाली जब चाहत के हाथ पैर में मेहंदी लगा रही थी और उसने दूल्हे का नाम पूछा तो इसी लड़की ने आगे आकर कहा कि उनके खानदान में दुल्हन के हाथ पर लड़के का नाम नहीं लिखवाते है। वैसे तो चाहत को यह रस्म बहुत अजीब लगी. लेकिन फिर भी उसने कुछ नहीं कहा उसे लगा कि यह लड़की शायद उनकी कोई रिश्तेदार है। क्योंकि शादी में और हर रस्म में यह लड़की ऐसे बढ़-चढ़कर आगे आ रही थी, जैसे की चाहत की नहीं बल्कि इसकी शादी है। पंडित जी ने भानु का हाथ मांगा गठबंधन के लिए। भानू ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और फिर पंडित जी ने चाहत के हाथ को भानु के हाथ पर रखने के लिए कहा। मेघा आगे आती है और चाहत का हाथ उठाकर भानु के हाथ पर रख देती है। पर भानू ने चाहत का हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था की चाहत के पूरे शरीर में दर्द की लहर दौड़ गई। वह हैरान नजरों से भानु को देखने लगी जो अपनी आंखों में बेशर्मी लिए चाहत को देख रहा था। भानु धीरे से चाहत के कानों के पास झुकते हुए कहता है… “शादी के कपड़ों में बहुत खूबसूरत लग रही हो। उम्मीद करता हूं बिना कपड़ों के और भी ज्यादा खूबसूरत लगोगी। चाहत हैरान नजरों से भानु को देखने लगी है. जिसके चेहरे पर एक बेशर्मी वाली मुस्कान थी, उसने चाहत को देखकर अपनी एक आंख झपक दी। चाहत को भानु की इरादे कहीं से भी शरीफ नहीं नजर आ रहे थे. ऐसा पहले भी हुआ था। भानू ने सगाई वाली रात को चाहत की कमर पर हाथ डाल दिया था। चाहत को उसका टच बहुत गंदा लगा और उसने जल्दी से खुद को उसकी पकड़ से बाहर कर लिया था। और संगीत वाली रात को जब सब लोग नाच रहे थे, तब भानु ने चाहत का हाथ पकड़ कर उसे एक कोने में ले जाता है और जबरदस्ती उसे अपनी बाहों में भरते हुए कहता है… “मुझे लगता है कि मैं शादी तक इंतजार नहीं कर पाऊंगा। और इसके बाद भानु चाहत के होठों की तरफ बढ़ने लगता है. चाहत भानु के कंधे पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर करती है और कहती है… “भानू जी! प्लीज मत कीजिए। मुझे अच्छा नहीं लगता है। भानु चिढ़कर चाहत को देखता है और कहता है… “क्यों अच्छा नहीं लगता है? होने वाला पति हूं तुम्हारा। कुछ दिनों में शादी होने वाली है हमारी। उसके बाद तो मुझे यह सब करना ही है ना। क्या फर्क पड़ता है अगर मैंने अभी कर लिया तो? तुम दिखने में इतनी टेस्टी हो तो चखने में कैसी होगी।” भानु दोबारा से चाहत के करीब आने वाला होता है. कि तभी वह लड़की वहां आती है । और जोर से भानु का नाम चिल्लाती है। भानु उस लड़की को देखकर चाहत को छोड़ देता है और चाहत वहां से अंदर भाग जाती है। लेकिन चाहत ने यह बात नोटिस कर ली थी कि उस लड़की के चेहरे पर गुस्सा था। जब उसने भानु और चाहत को एक साथ देखा था। पंडित जी शादी के मंत्र पढ़ रहे थे और फिर उन्होंने मंगलसूत्र पर गंगाजल छिड़क कर उस पर मंत्र पढ़ा और भानू की तरफ बढ़ाते हुए कहा… “अब आप कन्या के गले में मंगलसूत्र पहनाइए।” चाहत के आंसू तेज हो गए थे और साथ में गुड़िया का विश्वास भी टूटने को हो रहा था। भानु ने अपने हाथ में मंगलसूत्र पकड़ा और डेविल स्माइल के साथ उसने चाहत को देखा। वह धीरे-धीरे चाहत के गले की तरफ बढ़ता गया और चाहत को अपनी गले पर एक फंदा सा महसूस होने लगा। भानु चाहत के गले में मंगलसूत्र बांध देता है. और जैसे ही वह अपने हाथ आगे करता है.. एक गनशॉट की आवाज आती है और एक गोली भानु के माथे के बीचो-बीच लगती है। भानु का शरीर मंडप पर गिर जाता है. और वह वहीं दम तोड़ देता है।
उस गोली की आवाज से वहां का शादी का खुशनुमा माहौल अचानक से डर में तब्दील हो जाता है। जैसे ही भानू ने चाहत के गले में मंगलसूत्र बांधकर अपने हाथ आगे किया ही था, कि एक गोली अचानक से भानु के माथे के बीचो-बीच लगती है। और वह मंडप पर ही गिर जाता है। चाहत अपनी जगह से उछल कर खड़ी हो जाती है। और अपनी आंखें फाड़े भानु के उस मरे हुए शरीर को देख रही थी। भानु के माथे से खून निकल रहा था, और वह खून उसके सर से होता हुआ धीरे-धीरे पूरा मंडप पर फैल रहा था। भानु की मां और वह लड़की एक साथ जोर से चीखती है। भानु के पिता भी भानु को संभालने के लिए मंडप की तरफ भागते हैं। वहां पर अचानक से हड़कंप मच गई थी। बारातियों में चीखने की और चिल्लाने की आवाज आने लगी थी, यहां तक की चाहत का परिवार भी सदमे में खड़ा था। चाहत अपनी आंखें फाड़े सिर्फ भानु के उस शरीर को देख रही थी, जिसमें अब जान नहीं थी। चाहत के कान सुन्न हो गए थे, और उसे कोई आवाज सुनाई नहीं दे रही थी। उसकी आंखें सिर्फ भानु के उन आंखों को देख रही थी, जो मरने के बाद खुली हुई थी। चाहत की दोनों भाभियां चाहत के पास आती है। चाहत लगभग गिरने को ही हो रही थी, उसकी दोनों भाभियों ने जल्दी से आकर चाहत को संभाला। अनीता ने मेघा को देखकर कहा… “यह क्या हो गया मेघा?” मेघा खुद हैरान थी और उसने भानु के मरे हुए शरीर को देखकर कहा… “भाभी..! भानु मर चुका है।” जय और पुष्कर भी हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं और कहते हैं… “यह कैसे हो सकता है?” भानु का परिवार भानु की बॉडी के पास था, वह लड़की और भानू की मां दोनों भानू के सीने से लिपटे हुए उससे लिपटकर रो रही थी। वह लड़की तो लगभग भानु के सर को अपनी गोद में रखकर, उसके चेहरे को कस के पकड़ कर बिलख बिलख कर रो रही थी। भानु की मां भानु को उठाते हुए कहती है… “भानु.. भानु उठ ना भानु! यह क्या हो गया तुझे भानु. उठ जा तू ऐसे गिर कैसे गया।” भानु के पिता, भानु की मां को संभाल रहे थे, लेकिन उनके चेहरे पर भी हताश और गुस्सा साफ नजर आ रहा था। उनका बेटा उनकी आंखों के सामने मर चुका था। जय और पुष्कर चाहत के पास आते हैं और भानु के पिता को देखकर कहते हैं… “गुप्ता जी! यह क्या हो रहा है यहां पर? यह भानु अचानक से.....। लेकिन भानु के पिता गुस्से में जय को देखते हैं। और उसपर चिल्लाते हुए कहते हैं… “यह तो तुम मुझे बताओ जय बंसल. की यहां पर क्या हुआ है? मेरे बेटे को अचानक से गोली किसने मार दी है?” जय और पुष्कर दोनों हैरानी से एक दूसरे को देख रहे थे। जय ने कहा… “हमें कैसे पता होगा इस बारे में। देखिए गुप्ता जी हम इस बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। अरे यहां तो हम अपनी बहन की शादी आपकी बेटे के साथ करवा रहे थे, आपको लगता है कि ऐसे में हम आपके बेटे को कुछ करेंगे?” भानु के पिता ने गुस्से में भड़कते हुए कहा… “तुमने नहीं किया है तो और किसने किया है? यह घर तुम्हारा है, शादी तुम्हारी बहन की है, यहां पर आए हुए लोग भी तुम्हारे हैं तो जाहिर सी बात है तुम्ही ने मेरे बेटे को मरवाया है।” वहां पर इतनी बहस हो रही थी, इतनी लड़ाई झगड़ा हो रहा था, सब एक दूसरे पर इल्जाम लगा रहे थे, लेकिन चाहत वहां पर किसी जिंदा लाश की तरह खड़ी थी। उसे न तो कुछ सुनाई दे रहा था और ना ही कुछ दिखाई दे रहा था। उसे सिर्फ दिख रहा था, वह था भानु का मरा हुआ शरीर। चाहत अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थी। पुष्कर ने मिस्टर गुप्ता को रोकते हुए कहा… “देखिए गुप्ता जी! आपके साथ जो हुआ है उसका अफसोस है हमें। लेकिन हमारे साथ भी कुछ अच्छा नहीं हुआ है। अभी-अभी आपके बेटे ने हमारी बहन के गले में मंगलसूत्र पहनाया है और उसी के साथ उसकी जान चली गई है। इसका मतलब समझ रहे हैं आप..? हमारी बहन शादी के मंडप पर ही विधवा हो गई है। और आप कह रहे हैं कि आपके बेटे को मरवाने में हमारा हाथ है? आपका दिमाग खराब हो गया है क्या? क्या बेटे की मौत के सदमे में आप अपने होश हवास खो बैठे हैं?” भानु की मां गुस्से में खड़ी होती है और चाहत के पास आती है। वह चाहत के सामने आकर चाहत के दोनों बाजुओं को अपने हाथ से पकड़ती है और लगभग उसे हिलाते हुए कहती है… “तेरी वजह से गई है मेरे बेटे की जान। तू ही मनहूस है। तू ही मेरे बेटे को खा गई है।” चाहत की दोनों भाभियों हैरान थी. उन्होंने जल्दी से भानु की मां को चाहत से दूर किया और अनीता ने भानु की मां से कहा… “देखिए आंटी जी! आपके बेटे की मौत की वजह चाहत नहीं है। आपको दिखाई नहीं दिया क्या गोली बाहर से चली है।” वहां पर खड़े मेहमान भी आपस में खुसर खुसुर करने लगे थे, कोई चाहत को मनहूस कह रहा था, तो कोई उसपर अफसोस जाता रहा था। एक औरत ने कहा है… “कैसी लड़की है. अभी अभी तो मंगलसूत्र पहना था इसने और अगले ही पल विधवा हो गई।” किसी दूसरे ने कहा… “तभी तो लड़के की मां उसे मनहूस कह रही है। अब ऐसी लड़की मनहूस नहीं होगी तो और क्या होगी? जरा सोचो मां को खा गई। बाप ने कभी अपनाया नहीं। सौतेली भाई है दोनों। लेकिन फिर भी बहन की शादी करवा रहे थे। अब देखो शादी होते ही विधवा हो गई है। ऐसी लड़की समाज पर कलंक होती है।” तभी पीछे से एक आदमी ने कहा… “मैंने सुना है कि इन दोनों की शादी कोई बिजनेस डील थी. चाहत के छोटे भाई पुष्कर को इस बार जो बिजनेस संगठन अवार्ड देने वाला था। वह भी खरीदा हुआ है। वह अवार्ड भानू ने ही पुष्कर को दिलवाया है। और शहर के बाहर जो खाली जमीन है.. उसका टेंडर जो गवर्नमेंट भर रही थी, वह पास होने से पहले ही जय के नाम ट्रांसफर हो चुका है।” तभी एक दूसरे आदमी ने कहा… “तुम लोगों ने बस इतना ही सुना है.. अरे मैंने तो यह भी सुना है की चाहत और भानू की शादी सिर्फ एक साल का कॉन्ट्रैक्ट थी। और वह जो लड़की भानु से लिपटकर रो रही है ना.. यह भानु की मिस्ट्रेस है।” सब लोग यहां पर चाहत और भानू की बात कर रहे थे और उनके शादी में हो रहे डील की बात हो रहे थे, लेकिन किसी ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया की गोली कहां से चली थी और किसने चलाई थी। तभी माहौल में हड़कंप मच गई। बाहर से 10 से 15 हथियारों को अपने हाथ में लिए बॉडीगार्ड पूरे हॉल में फैल गए थे, सब लोग डर और हैरानी से उन लोगों को देख रहे थे। वह बॉडीगार्ड कहीं के ब्लैक कमांडो लग रहे थे। जय, पुष्कर ,अनीता और मेघा उन लोगों को इस तरीके से देखकर हैरान थी, पुष्कर ने उनमें से एक से पूछा… “कौन हो तुम लोग और ऐसे अंदर कैसे आ गए हो?” तभी वहां पर एक जोरदार और कड़कती हुई आवाज आती है… “मौत कभी पूछ कर नहीं आती है।” सबका ध्यान दरवाजे की तरफ जाता है जहां से मौत अंदर आ रही थी। ब्लैक जूते, ब्लैक पैंट, ब्लैक शर्ट.. कुछ व्हाइट था तो वह थी उसके होठों में दबी हुई सिगरेट। सिगरेट के धुएं को हवा में उड़ाता हुआ एक शख्स अंदर की तरफ आ रहा था और दूर से ही देखने पर वह डेविल गॉड की तरह प्रतीत हो रहा था। वहां पर खड़े कुछ लोगों के चेहरे पर पसीना आ गया था, तो कुछ के चेहरे पर दहशत आ गई थी। उस हाल में इस समय बहुत सारे लोग खड़े थे, लेकिन उस शख्स के एंट्री लेने के साथ ही वहां पर ऐसा सन्नाटा था, जैसे की किसी की मौत हो गई हो...... (😝 इस डायलॉग का भानु से कोई लेना-देना नहीं है ) वो शख्स सिगरेट के धुएं को हवा में उड़ाता हुआ हाल में दाखिल होता है। और सीधे मंडप के सामने आकर रुक जाता है। तभी दरवाजे से दो और इंसान अंदर आते हैं। एक उसके राइट साइड में आकर खड़ा हो जाता है और दूसरा उसके लेफ्ट साइड में आकर खड़ा हो जाता है। उसके राइट साइड में जो इंसान खड़ा था उसने उस शख्स को देखकर कहा… “क्या परफेक्ट निशाना है तुम्हारा। ओलंपिक में क्यों नहीं ट्राई करते हो।” उसकी बात सुनकर सामने खड़े उस शख्स के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई। उसके लेफ्ट साइड में जो लड़का खड़ा था, वह भानु के पास आता है। और उसका एक हाथ उठाकर छोड़ देता है। वह लड़का उस शख्स को देखकर कहता है… “भाई! यह तो निकल लिया।” उस शख्स ने अपने सिगरेट के आखिरी कश को धुएं में उड़ाते हुए उसे पैरों के नीचे मसल दिया और भानु के मरे हुए शरीर को देखकर कहता है… “कुत्ता कुत्ते की मौत मर गया।” भानु की मिस्ट्रेस जो अभी तक उस आदमी को देखकर हैरान थी.. वह अपनी जगह पर खड़ी होती है और उस शख्स को देखकर कहती है… “ तपिश ..” वहां पर लोगों में भी दबी हुई आवाज में बात हो रही थी… “अरे यह तो अंडरवर्ल्ड का माफिया.. तपिश रंधावा है ना?” "हां! वही तो है, इसने भानु को मारा है.. जरूर भानू ने कुछ किया होगा। तभी तो अंडरवर्ल्ड इसके पीछे पड़ी हुई है।” " भानु का नाम तो वैसे भी इलीगल कामों में जुड़ा हुआ था, लेकिन इसने तपिश का क्या बिगाड़ा है? मैंने तो सुना है तपिश अपने दुश्मनों को तड़पा तड़पा के मारता है” "मारने का तो पता नहीं.. लेकिन तड़पाता बहुत है। मैंने तो एक बार सुना था इसने अपने एक दुश्मन की आंखों में तेजाब डाल दिया था " जय वैसे ही बहुत ज्यादा गुस्से में था और अपने सामने तपिश को देखकर वह उसके पास आता है और कहता है… "कौन हो तुम? और यहां क्या कर रहे हो? और कौन है यह लोग? तुम लोग अंदर कैसे आ गए? सिक्योरिटी ने तुम्हें रोका क्यों नही?” तपिश के राइट साइड में जो लड़का खड़ा था, उसने हंसते हुए कहा… “तुम्हारी वह दो कौड़ी की सिक्योरिटी. वह तो तपिश को देखकर सैल्यूट करने लग गई थी।” पुष्कर भी जय के पास आता है और तपिश को देखकर गुस्से में कहता है… “क्या बदतमीजी है यह? हमारे घर में आकर हमारे साथ ही बदतमीजी कर रहे हो? चलो निकलो यहां से.. तुम लोग हो कौन जो इस तरीके से हमारे घर में घुस आए हो?” तुम कौन हो, तुम कौन हो, तुम कौन हो? साला पक गया हूं इस सवाल से। लगता है तुम्हें बताना ही पड़ेगा कि मेरी पहचान क्या है।” तभी तपिश अपने हाथ में ली हुई गन को जय और पुष्कर के तरफ पॉइंट कर देता है। ऐसा होते ही उन दोनों की जान सूख जाती है। अनीता और मेघा भी हैरान हो जाती है। और वह जल्दी से जय और पुष्कर के पास आकर उन्हें बाजू से पकड़ लेती है। तपिश जय और पुष्कर को देखकर कहता है… “अपनी पहचान मैं जरूर बताऊंगा। लेकिन उसके बाद क्या तुम मेरी पहचान बताने के लिए जिंदा रहोगे?” मेघा डरते हुए कहती है… “क्या कर रहे हो? गन नीचे करो गोली चल जाएगी।” तभी तपिश के साथ वाले दूसरे लड़के ने कहा… “हां तो भाई ने गन गोली चलाने के लिए ही ली है। तुम्हें क्या लगा इससे डांडिया खेलेंगे।” तपिश ने कहा...। " मुन्ना...पंडित” तपिश के राइट साइड में खड़ा मुन्ना और लेफ्ट साइड में खड़ा पंडित। दोनों आगे आते हैं और कहते हैं… “जी भाई” तपिश अपने शर्ट की पॉकेट में और फिर पेंट की पॉकेट में हाथ डालकर कुछ ढूंढता है और फिर उन दोनों को देखकर कहता है… “सिगरेट खत्म हो गई है यार. तलब हो रही है.” पंडित ने कहा…. “भाई! मैं भी नहीं लाया अपने साथ।” और मुन्ना ने कहा… “भाई! मैं तो पीता ही नहीं हूं।” तपिश ने जय और पुष्कर को देखते हुए कहा… “तुम लोगों के पास है क्या सिगरेट?” उन चारों के चेहरे पर परेशानी आ गई और चारों ने एक साथ ना में सर हिलाया। तपिश के चेहरे पर फ्रस्ट्रेशन उतर आया। पुष्कर ने जल्दी से कहा… “देखिए हम नहीं जानते हैं कि आपकी इन लोगों से क्या दुश्मनी है. लेकिन प्लीज अब आप लोग यहां पर कुछ नया हंगामा मत कीजिए। वैसे भी भानु के साथ हमारी बहन की शादी हुई है। और अब तो यह शादी का माहौल मातम में भी बदल गया है। अब हम लोग यहां पर और कोई खून खराबा नहीं चाहते हैं। अगर आप लोगों की इससे कोई दुश्मनी है भी.. तो वह आप इन्हीं पर उतारिएगा। इन सब में हमें घसीटने की जरूरत नहीं है।” वैसे भी हमारी बहन शादी के मंडप पर ही विधवा हो गई है। अब इससे ज्यादा बुरा हमारे साथ और क्या ही होगा।” तपिश की आंखें छोटी हो गई। पुष्कर की बात सुन कर। अभी तक तो उसका ध्यान सिर्फ भानु और सामने जय और पुष्कर के ऊपर ही था। लेकिन अब उसका ध्यान मंडप के एक तरफ खड़ी लाल जोड़े में चाहत पर गया। तपिश को चाहत की आकृति तो नजर आ रही थी, पर उसका चेहरा नजर नहीं आ रहा था, क्योंकि वह जय के पीछे थी। तपिश ने अपनी गन जय की कनपटी पर रखी.. बाकी सब की तो जैसे हालात ही खराब हो गई। लेकिन जय की हालत तो ऐसी थी कि मानो अभी खड़े-खड़े सू सू कर देगा। तपिश ने जय की कनपटी पर गुण को प्रेस करते हुए उसे अपने सामने से हटाया.. और तभी तपिश के सामने चाहत का दुल्हन से श्रृंगार किया हुआ वह खूबसूरत चेहरा आ गया।
तपिश अपनी उन कंजि आंखों से चाहत को ऊपर से लेकर नीचे तक देखा रहा था, कि तभी उसकी नज़रें चाहत की चेहरे पर जाकर रुक जाती है, और तपिश की आंखें छोटी हो जाती है... "और वह अपने दिमाग पर जोर देकर याद करने की कोशिश करता है। कि इस चेहरे को उसने पहले कहां देखा था ?" तपिश को ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा और उसे याद आ गया कि उसने चाहत को कहां देखा था, बात सिर्फ 10 दिन पुरानी ही तो है।" अचानक से ही तपिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है, और वह जय और पुष्कर के बीच में से निकलता हुआ ! चाहत की तरफ अपने कदम बढ़ने लगता है.!" उसको ऐसा करता देख जय पुष्कर अनीता और मेघा चारों हैरान रह जाते हैं ,जय तो उसे रोकने के लिए भी आगे भी बढ़ रहा था। लेकिन अनीता ने जय का हाथ पकड़ कर उसे रोक दिया और ना में सिर हिलाया क्योंकि। तपिश के हाथों में गन उसे अभी भी दिखाई दे रही थी।" तपिश मंडप पर चढ़ता है, और भानू के शरीर के ऊपर से क्रॉस करता हुआ। चाहत के सामने पहुंच जाता है।" चाहत की आंखें अभी भी शून्य भाव से सिर्फ भानु को ही देख रही थी। चाहत वहां पर किसी बेजान गुड़िया की तरह खड़ी थी ! बस उसकी सांसे चल रही थी, लेकिन उसके शरीर में जान नहीं थी, ऐसा लग रहा था जैसे हजारों सुइया ने उसके शरीर को चुभोकर उसे सुनन कर दिया है।" तपिश अपनी कंजि निगाहों से चाहत की उस खूबसूरत से चेहरे को देख रहा था। उसके चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गई, और उसने चाहत को देखते हुए कहा.. "द रोडसाइड गर्ल । उस दिन उस मुलाकात के बाद सोचा नहीं था, की दूसरी मुलाकात इतनी खूबसूरत होगी।" तभी तपिश की नजर चाहत के गले में पड़े मंगलसूत्र पड़ जाती है। तपिश अपनी एक आईब्रो उठाता है और उस मंगलसूत्र को देखने लगता है। और फिर वह पलट कर भानु कि डेड बॉडी को देखता है।" यह सीन देखकर तपिश की हंसी छूट जाती है और वह हंसते हुए मुन्ना को देखकर कहता है.. "मुन्ना यह तो मोय मोय हो गया।" पंडित और मुन्ना भी तपिश की बात पर हंसने लगते हैं। तपिश हंसते-हंसते फिर से भानु को देखा है और उसकी हंसी धीरे-धीरे कम होती जाती है और एक खतरनाक हंसी में बदल जाती है..। वह भानु की लाश के पास घुटनों के बल बैठता है और उसके चेहरे को अपने बंदूक से दाएं बाएं करते हुए कहता है, "साल लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने का तुझे लाइसेंस मिला हुआ है क्या ? मरते मरते भी एक लड़की की जिंदगी खराब कर गया कमिना।" तपिश खड़ा होता है और फिर से चाहत की तरफ देखने लगता है लाल जोड़े में चाहत अभी भी किसी पुतले की तरह वहीं पर खड़ी थी। और उसकी पथराई आंखें सिर्फ और सिर्फ भानु के चेहरे पर टिकी हुई थी।" तपिश चाहत के पास आता है, और अपने बंदूक से उसके हाथ की हथेली से लेकर बाजू तक सहलाने लगता है।.. तपिश अपनी कंजि आंखों से चाहत के सुर्ख पड़े चेहरे को देखते हुए कहता है.. "लाल जोड़ा लाल मेहंदी लाल चूड़ी लाल श्रृंगार.. इस लाल रंग में तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। पर अफसोस की बात यह है की अब यह लाल रंग तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा नहीं है।" तपिश यह सब कह तो रहा था.. लेकिन चाहत के कान इस समय बंद पड़े हुए थे,, वह कुछ सुन ही नहीं पा रही थी ! उसके कानों में अभी भी उसे तेज गोली की आवाजें गूंज रही थी.. जो भानु को लगी थी। इसके अलावा ना उसे कुछ दिखाई दे रहा था और ना ही कुछ सुनाई दे रहा था। भानु की लाश के अलावा बाकी सारी दुनिया उसके लिए ब्लैक हो गई थी।" पुष्कर आगे आता है, और तपिश से कहता है.. "यह क्या बदतमीजी है. तुम्हें शर्म नहीं आती है ! एक लड़की के साथ इस तरीके से बातें करते हुए। तुम्हारी वजह से हमारी बहन विधवा हो गई है। और तुम यहां पर उसके विधवा होने का मजाक उड़ा रहे हो। अगर इसकी जगह तुम्हारी बहन होती तो क्या तभी भी तुम यही करते।" पुष्कर के ऐसा कहते ही तपिश की आंखें तीखी हो जाती है और वह अपनी गन पुष्कर की तरफ पॉइंट कर देता है। पुष्कर और मेघा दोनों घबरा जाते हैं.. और पुष्कर दो कदम पीछे हो जाता है और तपिश गुस्से में पुष्कर को देखते हुए कहता है.. "अगर मेरी बहन होती तो उसकी शादी में भानु जैसे क**** के साथ तो हरगिज नहीं करवाता। और फिर भी अगर उसकी शादी इसके जैसे शैतान के साथ हो भी जाती तो मुझे खुशी होती कि मेरी बहन विधवा हो गई है। क्योंकि यह इंसान उसकी जिंदगी नरक बना देता।. इसीलिए इस घड़ी का अफसोस मनाने के बजाय तुम लोगों को खुशियां माननी चाहिए कि, तुम्हारी बहन इस लीचड़ के कैद में जाने से पहले ही आजाद हो गई। " मेघा पुष्कर को संभालती है और तपिश से कहती है।... "हम कैसे खुशियां बना सकते हैं सारी जिंदगी का दाग लगा हुआ है इसके ऊपर. यह विधवा का ठप्पा लेकर सारी जिंदगी घर पर पड़ी रहेगी। अब कोई इस से शादी नहीं करेगा और ना हीं कोई इसका हाथ थमेगा क्योंकि, अब यह सब की नजरों में मनहूस हो गई है।" तपिश अपनी आंखों छोटी कर के चाहत की तरफ अपना चेहरा करके उसे देखा है और कहता है...। "पंडित यह मनहूस क्या होता है बे।" पंडित कहता है..। "भाई मनहूस वह होता है जिसके होने से सारे काम में पनौती लग जाती है, और सारे काम खराब हो जाते हैं।" ये सुनकर तपिश के चेहरे पर हैरानी के भाव आ जाते हैं और वह मेघा और पुष्कर को देखकर कहता है..। "लेकिन इस लड़की की वजह से तो भानु मर गया है तो यह लड़की मनहूस कैसे हुई. यह तो अच्छी बात है ना, इसकी वजह से एक शैतान खत्म हो गया है। और जहां तक बात रही शादी की. साला पता नहीं लोगों को शादी करने की इतनी चुल क्यों रहती है। ऐसा होता क्या है शादी में की सबको शादी करनी है। किया हो गया अगर यह सारी जिंदगी बिना शादी के रहेगी तो। ऐसा तो नहीं है कि अगर यह शादी नहीं करेगी तो, सूरज की किरणें इस पर नहीं पड़ेगी। यह सांस नहीं लगी. फूलों की खुशबू नहीं आएगी जैसे.. भूख नहीं लगेगी। बिना शादी के भी यह वह सारे काम कर सकती है, जो तुम आम इंसान कर सकते हो। तो फिर क्यों इसकी शादी करवा कर इसे किसी के घर भेज रहे हो रोटी पानी करने के लिए। " सब लोग हैरानी से एक दूसरे को देखते हैं तभी अनीता कहती है ...! "ऐसा नहीं होता है समाज में लड़की को शादी करना जरूरी होता है. विधवा लड़की ही हमेशा सबकी नजरों में रहती है। हर कोई उसे पर बुरी नजर रखता है। उस पर हाथ डालना चाहता है, यह सोचकर की वह लड़की उसके लिए मौका है। और चाहत तो शादी के मंडप पर विधवा हुई है। अगर भानु उसकी जिंदगी नरक बना देता तो अब तो इसकी जिंदगी नरक से भी बेहतर होगी। हर इंसान इसे बुरी नजर से दिखेगा. इसे छूना चाहेगा इसके साथ गलत करना चाहेगा यह सोच कर कि अब इसका कोई सहारा नहीं है।" अनीता की बात तपिश के सिर से ऊपर जाती है वह अपने बंदूक की नली से अपने माथे को खुजलाते हुए कहता है.. "साला यह टीवी सीरियल वाले डायलॉग कभी समझ में ही नहीं आए हैं। पता नहीं तुम लोगों के लिए शादी ना हो गई, कोई अलादीन का खजाना हो गया है. कि मिलना जरूरी है इतना ही जरूरी है तो करवा दो ना किसी और से शादी.. यहां इतने सारे लोग खड़े हैं इनमें से किसी एक से करवा दो.।" उसके बाद तपिश एक लड़के की तरफ इशारा करते हुए कहता है.. "ए तू कर ले रे इससे शादी।" "वह लड़का यह सुनते ही घबरा जाता है और जल्दी से पीछे की तरफ चला जाता है।" यह देखते ही तपिश की निगाहें तीखी हो जाती है और वह उसे लड़के की तरफ बंदूक करते हुए कहता है..! "मेरी बात को न करने की हिम्मत कैसे हुई तेरी।"🤨 लेकिन इससे पहले की तपिश गोली चला पाता मुन्ना उसके सामने आ जाता है और कहता है..। "भाई गुस्से पर काबू रखो.उस लड़के की इसमें कोई गलती नहीं है. और ऐसी लड़की से कोई शादी नहीं करना चाहेगा ।" तपिश घूर कर मुन्ना को देखकर कहता है ..! "ऐसी लड़की बोले तो.." और फिर तपिश चाहत को देखकर कहता है...। "ठीक ही तो दिख रही है।" पंडित ने कहा...। "भाई इसके कहने का मतलब है ऐसी लड़की जो शादी के मंडप पर ही विधवा हो गई हो और, उस पर मनहूस का ठप्पा लगा हो. ऐसी लड़की से समाज में कोई शादी नहीं करना चाहता है।" तपिश फ्रस्ट्रेटेड होते हुए अपने सिर को खुजलाता है और कहता है...! "साला यह समाज की मां की आंख करवा रहा है.. चल छोड़ वैसे भी यह हमारा काम नहीं है...इसकी शादी होगी नहीं होगी. कैसी होगी किस से होगी. इसका परिवार जाने हम लोग के यहां पर पंडित बनकर आए हैं। क्या।" तपेश भानु को देखकर कहता है, "इसका बाप कहा हैं। " वही भानु के पापा जो भानु की मां को संभाल रहे थे वह आगे आता है और कहते है।.. "अब क्या चाहिए तुम्हें. हमारा सब कुछ तो ले चुके हो तुम. हमारी बेटे को जान से मार दिया है हमारी बहू विधवा हो गई है, अब और क्या चाहिए तुम्हें हमसे।" भानु के बाप के इस तरीके से बोलने पर तपिश के चेहरे पर गुस्सा झलक आता है और वह भानु के बाप की आंखों में आंखें डालकर उसे देखा है और कहता है।.. "समझाया था मैंने तेरे बेटे को कि मुझसे पंगा मत ले। पर साले को मेरी बात हजम नहीं हुई। पर कोई नहीं अब ऊपर जाकर आराम से बैठकर सोचेगा। और हां वह जमीन की फाइल कल सुबह तक मेरे पास होनी चाहिए। अगला नंबर तेरा और तेरी बीवी का होगा।" लेकिन भानु की मां कुर्सी से उठकर आती है, और तपिश के सामने आकर उसके सीने पर जोर-जोर से मुक्के मारते हुए उसे रहती है.. "तूने मेरे बेटे को मार दिया ! तूने मेरी औलाद मुझसे छीन ली तूने मुझे बे औलाद कर दिया क**** तू मर क्यों नहीं जाता है। देखना तुझे कुत्ते की मौत नसीब होगी, तू मरेगा। तेरे अपने तक को भी तेरी लाश नहीं मिलेगी। ..तूने मुझसे मेरी औलाद छीनी नहीं है भगवान तुझे तेरी औलाद छीन लेगा। " मुन्ना और पंडित तपिश के पास आते हैं और भानु की लाश को उसे अलग करके दूर करते हैं। तपिश गुस्से में भानु की मां को देख कर कहता है... "औरत हो इसीलिए हाथ नहीं उठा रहा हूं.. वरना मेरी बंदूक में गोली अभी भी है।" जय तपिश के पास आता है और गुस्से में उसे कहता है... "हां तो क्या करोगे तुम हम सबको भी जान से मार दोगे, जैसे भानु को मार दिया है ! तुम्हें जरा भी शर्म नहीं आ रही है यह कहते हुए, तुम सोच भी नहीं सकते हो हम पर क्या बीत रही है। इनका बेटा मर गया है मेरी बहन विधवा हो गई है। " तपिश के चेहरे पर जो गुस्सा था. वह और ज्यादा भड़क जाता है वह अपनी बंदूक को जय के माथे पर रखते हुए गुस्से में कहता है.. "साले तो मैं क्या करूं अगर तेरी बहन विधवा हो गई है तो, तू क्या चाहता है मैं शादी कर लूं उससे।" "अनीता के चेहरे पर अचानक से कुछ आकर गुजर जाता है। और वह अपने गिरगिट जैसे दिमाग में एक षड्यंत्र रचने लगती है।" अनीता जल्दी से जय को तपिश की बंदूक के सामने से हटती है.. और कहती है.. "हां तो कर लो ना।" तपिश की आंखें तीखी हो जाती है, लेकिन जय और पुष्कर दोनों अनीता को हैरान नजरों से देख रहे होते हैं। तभी जय ने गुस्से कहा, "दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा क्या बकवास किए जा रही हो।" पुष्कर भी गुस्से में तपिश को देखकर कहता है, "यह साला हमारी बहन से शादी करेगा। इसकी जान ले लूंगा मैं.!" तपिश ने अपनी तीखी निगाहों से पुष्कर को देख कर कहा... "साला शब्द मुझ पर अच्छा नहीं लगता है, लेकिन तुझ पर बहुत अच्छा लगता है। गाली के रूप में भी और वैसे भी। चल जब तुझ पर इतना अच्छा लगता ही है यह साल,.. तो तुझे सच का ही साल बना लेता हूं।"
अनीता तपिश से कहती है… “हां तो तुम कर लो ना इससे शादी। वैसे भी तुम्हारी वजह से इसकी जिंदगी बर्बाद हुई है। तपिश ने अनीता को घूरकर देखा और कहा... “जिंदगी बर्बाद हुई है. अगर मेरे साथ गई तो बची कुछ जिंदगी बर्बाद नहीं जहन्नुम हो जाएगी। इसीलिए बेहतर यही है कि इस बात को यही खत्म करो। और कोई अच्छा सा लड़का देखकर इसकी शादी कर दो। और अगर शादी नहीं भी हुई तो क्या ही फर्क पड़ेगा। अपनी बहन को बिठाकर नहीं खिला सकते हो?” जय ने गुस्से में कहा… “हम अपनी बहन के साथ क्या कर सकते हैं, क्या नहीं। यह तुम्हें सोचने की जरूरत नहीं है। अब हम देखेंगे कि तुम्हारा क्या करना है। तुम्हारी वजह से हमारी बहन की जिंदगी बर्बाद हुई है। मैं तुम्हें कोर्ट में ले जाऊंगा। और पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें फांसी की सजा हो।” तपिश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है। और वह जय की आंखों में देखते हुए कहता है… “मुझे ख़ाक में मिलाने वाले खाक में मिल गए हैं। एग्जांपल के तौर पर भानु को देख लो।” लेकिन जय ने भी कहा… “उससे क्या होता है। तुम्हारी वजह से एक इंसान की जान गई है। और यहां पर इतने सारे गवाह है। तुम देखना मैं तुम्हें जेल की सलाखों के पीछे भेज कर रहूंगा। फांसी की सजा दिलवाऊंगा। भले ही इसके लिए मुझे सुप्रीम कोर्ट ही क्यों न जाना पड़े। जब तक तुम्हें सजा नहीं मिल जाती। मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोडूंगा।” तपिश की आंखें छोटी हो जाती है। लेकिन उसे जय की बातों में एक मजाक नजर आता है। तपिश के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ जाती है। और तभी उसकी नजर चाहत पर जाती है। तपिश अपने मन में सोचता है कि क्यों ना इस खेल को और थोड़ा इंटरेस्टिंग बनाया जाए। वह अनीता और जय को देखकर कहता है… “अगर मैं जेल चला गया तो तुम्हारी बहन का क्या होगा?” जय और अनीता एक दूसरे को देखते हैं। जय कहता है … “कहना क्या चाहते हो तुम?” तपिश ने कहा… “अभी-अभी तुम्हारी बीवी ने कहा ना. कि मैंने तुम्हारी बहन की जिंदगी बर्बाद कर दी है। उसे विधवा बना दिया है। तो ठीक है अब मैं ही उसकी जिंदगी सावरूंगा। मैं तैयार हूं तुम्हारी बहन से शादी करने के लिए।” तपिश की बात सुनकर वहां खड़ा हर शख्स दंग रह जाता है। पुष्कर आगे आता है और गुस्से में तपिश से कहता है … “यह साला हमारी बहन से शादी करेगा। इसकी जान ना ले लूं मैं।” पुष्कर ने लगभग तपिश की कॉलर को पकड़ लिया था। यह होते ही सबकी जान सूख गई थी, क्योंकि सब तपिश के खौफ से अब तक वाकिफ हो चुके थे । मेघा जल्दी से आती है और जय से कहती है… “भाई साहब इन्हे पीछे कीजिए. कहीं ये पागल इंसान गुस्से में आकर पुष्कर पर गोली ना चला दे।” लेकिन तपिश ने कुछ नहीं कहा। वह बस अपनी सर्द निगाहों से पुष्कर को देख रहा था और फिर उसकी नज़रें उसके हाथ पर गई। जिससे पुष्कर ने उसके कॉलर को पकड़ा है। तपिश ने पुष्कर को देखते हुए कहा.. “साला शब्द मुझ पर अच्छा नहीं लगता है। पर तुम पर बहुत अच्छा लगता है। गाली के रूप में भी और वैसे भी. और जब तुम्हारे ऊपर साल शब्द इतना अच्छा लगता ही है। तो चलो तुम्हें सच का साला ही बना लेता हूं।” पुष्कर गुस्से में तपिश को देख रहा था। तपिश ने अपने दोनों हाथों से पुष्कर के हाथ को अपने कॉलर से झटकते हुए कहा… “जीजा है तुम्हारे। थोड़ी इज्जत करना सीख लो।” तपिश अपने कदम मंडप की तरह बढ़ा देता है। पर उसने दो कम ही आगे बढ़ाए थे की जय और पुष्कर उसके सामने आ जाते हैं। वह दोनों गुस्से में तपिश को रोकते हुए कहते हैं… “हिम्मत भी मत करना चाहत के पास जाने की। तुमने पहले ही उसकी जिंदगी बर्बाद कर दी है। अब कम से कम से चैन से जीने तो दो। उससे शादी करके क्यों उसे जीते जी मार रहे हो।” तपिश कस की अपनी आंखें खींच भींच लेता है। और अपने बंदूक की नली से अपने सर को खुजाते हुए कहता है… “साला तुम लोगों की प्रॉब्लम क्या है? अभी तक तो तुम लोग इस बात के लिए चिल्ला रहे थे, कि उसकी शादी कैसे होगी, कौन उसका हाथ थामेगा, उसकी जिंदगी बर्बाद हो गई है। और जब मैं खुद सामने से कह रहा हूं कि मैं कर रहा हूं उससे शादी। उसकी जिंदगी सवार देता हूं। तो तुम लोगों को इसमें भी मौत आ रही है।” जय गुस्से में कहता है… “सोचना भी मत कि हमारी बहन से शादी कर लोगे। तुम जैसे इंसान के साथ शादी करवा कर हम अपनी बहन की जिंदगी बर्बाद नहीं करेंगे। अपने कदम पीछे ले लो।” तपिश के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो जाती है। और वह कहता है… “तपिश रंधावा ने कभी झुकना नहीं सीखा है।” तपिश अपनी गन जय और पुष्कर की तरफ करते हुए कहता है… “इस समय मेरा मूड शादी करने का कर रहा है। लेकिन उससे पहले अगर थोड़ी सी आतिशबाजी हो जाए. तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है। जहां एक लाश पड़ी है वहां दो और सही. पर वह क्या है ना एक कहावत है.. सारी खुदाई एक तरफ और जोरू का भाई एक तरफ। दुल्हन की तरफ से कोई तो रहना चाहिए शादी में।” तपिश उन दोनों को अपने हाथ से साइड करता है। और मंडप की तरफ बढ़ जाता है। तपिश मंडप पर पहला कदम ही रखता है कि मुन्ना और पंडित वहां आ जाते हैं। वह दोनों तपिश की बात सुनकर हैरान हो गए थे। वह दोनों तपिश को देखकर कहते हैं… “भाई क्या कर रहे हो? हम यहां पर सिर्फ भानु से बदला लेने आए थे, हमारा काम पूरा हुआ। अब यह सब करने की क्या जरूरत है?” तपिश ने कहा… “तुम्हारे भाई की शादी हो रही है। खुश नहीं हो क्या?” पंडित अपनी आंखें कस के बंद करते हुए कहता है… “जरूर खुश होते भाई. आपकी शादी में पूरे शहर में आतिशबाजियां होती। और बारात में सबसे आगे मैं नाचता हुआ जाता। लेकिन इस तरीके से आप शादी नहीं कर सकते हो. आप कितना जानते हो इस लड़की को? अभी अभी तो मिले हो इससे। ठीक से आपने बात भी नहीं की है इससे और इससे शादी करने का फैसला कर लिया है?” तपिश ने कहा.. जितना जानना था पहली मुलाकात में ही जान चुका हूं। अब बाकी सारी जान पहचान शादी के बाद होती रहेगी। अब तुम दोनों मेरी शादी में टांग मत फांसाओ । मुझे बड़ी कस के शादी करने का मन कर रहा है।” मुन्ना तपिश से कहता है… “अरे भाई! जरा सोच समझ कर दिमाग से काम लो। एक मुसीबत पहले ही आपके साथ है। आपको क्या लगता है. वह इस शादी को हजम कर लेगी?” तपिश अपनी एक आंख छोटी करते हुए कहता है… “अब लोगों का हाजमा खराब है तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं। यह मेरी प्रॉब्लम तो नहीं है ना। और तुम दोनों मेरे साथी हो. साले किसी को तो रहना चाहिए मेरी तरफ से शादी में। कोई बात नहीं जिंदगी में सारे काम अकेले किए हैं। शादी भी अकेले ही कर लूंगा।” पंडित गहरी सांस छोड़ता है और कहता है… “आपने सच में फैसला कर लिया है कि आपको इस लड़की से शादी करनी है?” तपिश घूरते हुए पंडित को देख कर कहता है… “तो अब तक क्या मैं चुटकुला सुना रहा था? मैं सीरियस हूं। मुझे सच में इससे शादी करनी है। क्यों करनी है? किस लिए करनी है? किस वजह से करनी है? बस यह बताने का मेरा मन नहीं है। पहले शादी हो जाए फिर आराम से बैठकर पार्टी करते हुए बताऊंगा।” मुन्ना और पंडित एक दूसरे को देखते हैं और फिर तपिश के रास्ते से हट जाते हैं। तपिश वापस मंडप पर चढ़ जाता है और चाहत को देखने लगता है। अपने एक-एक कदम चाहत की तरफ बढ़ाते हुए गाना गा रहा था। दिल का धड़कना यही चाहत है.. नींद ना आना यही चाहत है.. चाहत ना होती.... कुछ भी ना होता...। तू भी ना होती.....मैं भी ना होता...। तपिश चाहत के बिल्कुल पास आ जाता है। और अपनी कंजी निगाहों से चाहत के चेहरे को देखने लगता है। जो इस समय सफेद पढ़ रखा था। तपिश को महसूस हो गया था, की चाहत इस वक्त अपने होश में नहीं है। वह गहरे सदमे में है। तभी तपिश की नजर चाहत के गले में पड़े हुए मंगलसूत्र पड़ जाती है। तपिश अपनी छोटी आंखों से उस मंगलसूत्र को देखता है और फिर पीछे खड़े पंडित को देखता है। जो डर से अपनी धोती पकड़े हुए खड़ा था। तपिश पंडित को देखकर कहता है… “पंडित जी! शादी करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी क्या होता है?” पंडित ने डरते हुए कहा… “सबसे ज्यादा जरूरी मंगलसूत्र और सिंदूरदान होता है।” तपिश अपनी बंदूक की नोक से चाहत के गले में पड़े हुए मंगलसूत्र को उठाता है और फिर उसे एक झटके से चाहत के गले से अलग कर देता है। तपिश वह मंगलसूत्र सीधे भानु के मुंह पर फेंकता है। तपिश भानु को देखकर कहता है… “जब बीवी मेरी है। तो मंगलसूत्र तेरे नाम का कैसे पहन सकती है। और वैसे भी मैंने सुना था कि मंगलसूत्र पहनने से पति की उम्र लंबी होती है। मुझे तो लगता है. तेरे मंगलसूत्र में पावर ही नहीं था। इसीलिए तो 2 मिनट में तेरी बैटरी खत्म हो गई।” तपिश फिर से चाहत की तरफ देखता है और अपनी बंदूक को अपने कमर के पीछे टक करते हुए कहता है… “कोई महंगा और फैंसी मंगलसूत्र इस वक्त नहीं है मेरे पास। लेकिन जो है वह इस बात का सबूत होगा. कि आज के बाद तुम पर कोई उंगली तो क्या, नजरे भी नहीं उठाएगा।” तपिश अपने गले में पहनी हुई चैन को निकालता है। यह गोल्ड की चेन थी जिसमें बुलेट के आकार का पेंडल लगा हुआ था। तपिश अपने गले से उस चैन को निकाल कर चाहत के गले में बांध देता है। चाहत को चेन पहनाने के बाद तपिश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई थी। और उसने पंडित को देखकर कहा… अगला क्या था?” पंडित डर के मारे अपनी धोती संभालता है और कहता है… “अगला सिंदूरदान है। वह उधर रखा हुआ है।” तपिश सिंदूर की डिब्बी में से मुट्ठी भरकर सिंदूर उठाता है। और चाहत को देखते हुए कहता है... “मैंने अपनी जिंदगी में बहुत से लाल रंग देखे हैं। लेकिन अब से तुम्हारी जिंदगी भी इसी लाल रंग से जुड़ी होगी।” तपिश ने चाहत के माथे से लेकर मांग तक का सिंदूर भर दिया था। तपिश तीखी निगाहों से पंडित को देखता है तो पंडित जी कहते हैं… “विवाह संपन्न हुआ। आज से आप दोनों पति-पत्नी है।” तपिश के चेहरे पर एक विनिंग स्माइल थी, उसने चाहत का हाथ पकड़ा और मंडप से नीचे लाने लगा। चाहत किसी कठपुतली की तरह तपिश के पीछे-पीछे चल रही थी। जय, पुष्कर, अनीता और मेघा चारों हैरानी से उसे देख रहे थे, लेकिन अनीता के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल थी, जैसे की वह तो दिल से यही चाहती थी। लेकिन जय और पुष्कर के तो होश उड़ गए थे। वह दोनों हैरानी से एक दूसरे को देख रहे थे। मुन्ना और पंडित भी हैरान थे, पंडित ने कहा… “यह क्या हो गया भाई! यह सब तो हमारे प्लान में शामिल भी नहीं था. तभी मुन्ना का फोन बजता है। फोन पर आए नंबर को देखकर मुन्ना की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। और वह पंडित से कहता है… “पंडित! आतिश भाई का फोन आ रहा है।” पंडित हैरानी से मुन्ना को देखता है। तो मुन्ना हां में सर हिलता है। पंडित कहता है… “अब इसमें मैं क्या कर सकता हूं। फोन उठा ले और बता दे भाई को।” मुन्ना घबराई आवाज में कहता है… “क्या बताऊ?” पंडित कहता है…. “यही बात कि दुल्हन घर आ रही है। स्वागत की तैयारी करें। मुन्ना फोन साइड में ले जाता है। लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हो रही थी, कुछ कहने की.. सामने से कोई मुन्ना से कुछ कहता है। जिसे सुनकर मुन्ना हैरान हो जाता है। वह जल्दी से पंडित के पास आता है। और कहता है… “साले यहां पर शादी की खुशियां मनाई जा रही है। और घर पर आतंक आ गया है।” पंडित हैरान नजरों से मुन्ना को देखकर कहता है… “मल्लिका वापस आ गई।”
चाहत जैसे ही मंडप से नीचे आती है। वैसे ही उसके पैर लड़खड़ा जाते हैं। और उसकी आंखें बंद हो जाती है। चाहत बेहोश होकर नीचे गिरने को होती है। पर उससे पहले ही तपिश उसे अपनी बाहों में संभाल लेता है। जय और पुष्कर आगे आए थे चाहत को संभालने के लिए, पर उससे पहले ही तपिश ने उसे अपनी गोद में ब्राइडल स्टाइल में उठा लिया था। जय और पुष्कर हैरानी से तपिश को देख रहे थे, पर तपिश के चेहरे पर एक जंग जीतने वाली मुस्कान थी, और उसने चाहत को अपनी गोद में उठाकर कहा… “साले साहब! मैं हूं ना। तुम्हारी बहन की चिंता और तुम्हारी चिता दोनों के लिए।” जय और पुष्कर आगे आते। उससे पहले ही अनीता और मेघा ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें रोक लिया। अनीता ने अपनी आंखों से ना में इशारा करते हुए शांत रहने के लिए कहा। तपिश चाहत को अपनी गोद में लिए हुए मुन्ना और पंडित के पास आता है। और कहता है… “चलो अब यहां हमारा कोई काम नहीं है।” पंडित ने कहा… “वैसे काम तो यह भी नहीं था, पर वह भी तो कर ही लिया ना. तपिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है और वह घूम कर उन चारों को देखकर कहता है…. “बहन की विदाई हो रही है । आंसू नहीं बहाओगे?” अनीता और मेघा के चेहरे पर तो हैरानी थी, पर जय और पुष्कर का चेहरा गुस्से से भरा हुआ था। उन दोनों को इस तरीके से गुस्से में देख कर तपिश के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो जाती है। और वह कहता है… “रहने दो. झूठे अंसुओ का क्या फायदा। वैसे भी अब तुम्हें सारी जिंदगी रोना है। “ गुड़िया के कमरे में.. प्रेरणा इस समय गुड़िया के साथ उसके कमरे में थी, लेकिन उसने खिड़की से झांक कर बाहर का सारा माहौल देख लिया था, और यह देखकर उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई थी. जब गोली चली तो गुड़िया बहुत ज्यादा डर गई थी इतनी कि वह लगभग रोने लगी थी, इसलिए प्रेरणा उसे संभालने के लिए, उसे कमरे में ले आई। पर बाहर जब उसने चाहत की शादी तपिश से होती हुई देखी। तो उसके तो होश ही उड़ गए. गुड़िया ने प्रेरणा से कहा… “प्रेरणा बुआ! चाहत बुआ कहां है? वह अभी तक आई क्यों नहीं? और बाहर वह आवाज कैसी थी?” प्रेरणा ने गुड़िया को संभालते हुए कहा… “गुड़िया कुछ भी नहीं हुआ है। आपकी चाहत बुआ ठीक है। और वह बस अभी थोड़ी सी परेशान है। इसीलिए अभी आपसे मिलने नहीं आ सकती है। अभी-अभी उनकी शादी हुई है ना। तो अभी उन्हें अपने घर जाना है। आप परेशान मत हो. जैसी ही हुआ ठीक हो जाएगी. वह आपसे मिलने जरूर आएगी. तब तक मैं हूं ना आपके पास।” गुड़िया उदास मन से कहती है… “अब चाहत बुआ उस गंदे अंकल के साथ चली जाएगी। मतलब भगवान जी ने मेरी नहीं सुनी है। मैंने भगवान जी से बात नहीं करूंगी और उनसे कट्टी कर लूंगी।” प्रेरणा हैरानी से कहती है… “यह आप क्या कह रहे हो गुड़िया? भगवान जी ने आपकी कौन सी बात नहीं मानी है?” गुड़िया उदास मन से कहती है…. “मैंने भगवान जी से कहा था, कि मेरी चाहत बुआ को उस गंदे अंकल के साथ मत भेजना। वह अंकल मुझे बिल्कुल अच्छे नहीं लगते हैं। वह मेरी बुआ को गंदे तरीके से हाथ लगाते हैं बेड टच की तरह। आपको पता है.. चाहत बुआ ने मुझे गुड टच और बेड टच में अंतर बताया था, जब कोई आपको बेड टच करता है. तो आपको अच्छा नहीं लगता है। वह गंदे अंकल चाहत बुआ को बेड टच करते हैं। और अब चाहत बुआ उनके साथ जा रही है। वह अंकल बिल्कुल अच्छे नहीं है. और मैंने भगवान जी से कहा था. उन अंकल को बदल देने के लिए। किसी अच्छे अंकल को भेजने के लिए। लेकिन भगवान जी ने मेरी नहीं सुनी। भगवान जी बहुत गंदे हैं. मैं अब उनसे बात नहीं करूंगी।” गुड़िया की बात सुनकर प्रेरणा हैरान हो जाती है। और वह खिड़की से झांकते हुए बाहर प्रांगण में बने हुए मंदिर को देखने लगती है। जहां पर भगवान की मूर्ति रखी हुई थी, और वह अपने मन में कहती है… “इंसानों से ज्यादा बच्चे का मन साफ होता हैं। और आप तो सच्चे मन से सबकी भक्ति को स्वीकार करते हैं। गुड़िया की इस इच्छा को आपने किस तरीके से स्वीकार किया है महादेव। यह शख्स जिसने चाहत से शादी की है क्या है वह? गुड़िया ने आपसे कहा था कि गंदे अंकल की जगह किसी अच्छे अंकल को भेजना और आपने इस अजनबी को चाहत की जिंदगी में भेजा है. क्या यह आपका कोई संकेत है.. या बस एक इत्तेफाक है? यह जो भी है महादेव. बस आप चाहत की रक्षा करना। वह आपकी शरण में है।” बाहर तपिश चाहत को लेकर गेट की तरफ कदम बढ़ा रहा था, जय और पुष्कर उसके सामने आ जाते हैं और उसे रोकते हुए कहते हैं… “हिम्मत भी मत करना हमारी बहन को अपने साथ ले जाने की. चाहत को यहीं छोड़ो. वह तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाएगी।” तपिश ने घूरते हुए जय और पुष्कर को देखकर अपनी दमदार आवाज में कहा… “मुन्ना, पंडित” तभी मुन्ना और पंडित सामने आ जाते हैं। और जय और पुष्कर की तरफ अपनी गन पॉइंट कर देते हैं। वह दोनों यह देखकर घबरा जाते हैं। और तपिश उन्हें गुस्से में देखकर कहता है… “मेरी बीवी के रिश्तेदार हो इसीलिए अभी तक सही सलामत खड़े हो। वरना इतनी बात के बाद तो सामने वाला बात करने के लायक ही नहीं रहता है। वैसे भी तुम लोग मेरे साथ अपना समय क्यों बर्बाद कर रहे हो? मैंने तुम्हारी बहन से शादी कर ली है और अब उसे अपने साथ ले जा रहा हूं। लेकिन तुम लोग मुझसे बहस करने के बजाय जाकर भानु का क्रिया कर्म क्यों नहीं करते हो? अरे वह भी तो तुम्हारा जीजा है, भले ही कुछ पल के लिए ही रहा हो। पर शादी तो हुई थी ना। तो जाओ जाकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करो। क्योंकि मुझे सुहागरात की तैयारी करनी है।” लेकिन तभी मुन्ना तपिश से कहता है… “भाई जब एंट्री धांसू हुई थी तो एग्जिट भी तो दमदार होनी चाहिए। आखिर आपकी शादी हुई है. थोड़ी सी आतिशबाजी तो होनी बनती है।” तपिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है। और वह अपनी पलके झुका के हां में इशारा करता है । तभी मुन्ना वहां मौजूद सभी बॉडीगार्ड से कहता है… “ऐसी दमदार आतिशबाजी करो. कि आसमां तक को खबर होनी चाहिए. हमारे तपिश भाई की शादी हुई है।” सारे बॉडीगार्ड अपनी गन निकालते हैं और हवा में फायरिंग करने लगते हैं। सब लोग वहां पर डर कर इधर से उधर भागने लगते हैं। तपिश उन सभी गोलियों की आवाज के बीच में से चाहत को लेता हुआ बाहर की तरफ आ जाता है।” बाहर आठ स्कॉर्पियो गाड़ी खड़ी थी। एक बॉडीगार्ड जल्दी से जाकर एक गाड़ी का दरवाजा खोलता है। और तपिश चाहत को गाड़ी के बैक सीट पर लेटा देता है। चाहत की आंखें बंद थी, और उसका चेहरा सफेद पड़ा हुआ था, लेकिन उसके नाक से लेकर माथे तक का सिंदूर उसके उस सफेद चेहरे पर रंगोली का काम कर रहा था। तपिश बस अपनी कंजी आंखों से चाहत के उस चेहरे को देखता है। वह दरवाजा बंद करता है और गाड़ी के आगे वाली सीट पर आकर बैठ जाता है। एक बॉडीगार्ड जल्दी से गाड़ी स्टार्ट करता है और आतिशबाजियों के बीच तपिश, चाहत को अपने साथ लेकर चला जाता है। तपिश की नजरे रह रहकर पीछे बेहोश हो चुकी चाहत पर थी। और अब उसके दिलों दिमाग में कुछ चल रहा था, जो शायद उसके चेहरे पर दिखाई नहीं दे रहा था। 1 घंटे के सफर के बाद तपिश की गाड़ी एक सफेद संगमरमर के चमकते हुए बंगले के सामने आकर रूकती है। बंगले के बाहर नेम प्लेट पर सुनहरे अक्षरों में लिखा हुआ था... साहिबा मेंशन। एक-एक करके वह सारी स्कॉर्पियो उस बंगले के गार्डन में आकर रूकती है। वहां पर और भी बहुत सारे बॉडीगार्ड थे, ऐसा लग रहा था जैसे बॉडीगार्ड की पूरी फौज है वहां पर। 100 से ज्यादा बॉडीगार्ड गार्डन एरिया और बंगले के आसपास तैनात थे। तपिश गाड़ी से बाहर आता है। और पीछे का दरवाजा खोलकर चाहत को अपनी गोद में फिर से उठा लेता है। उसके पीछे वाली गाड़ी से मुन्ना और पंडित निकलते हैं और वह दोनों एक दूसरे को देखकर कहते हैं… “अब क्या होगा?” पंडित ने कहा… “होना क्या है. तपिश भाई ने कब, कौन सा काम पूछ कर किया है. जो अब यह करने से पहले किसी से पूछते। अब तो जो हो गया है। सो हो गया है। देखना यह है कि तपिश भाई इस बात का जस्टिफिकेशन कैसे देंगे?” तपिश चाहत को गोद में लेकर मेंशन के अंदर आता है. मेंशन का मुख्य द्वार जो 10 फीट का सुनहरे रंग का दरवाजा था. दो गार्ड उसे खींचकर खोलते हैं। और सामने एक खूबसूरत सफेद और गोल्ड कलर के कॉन्बिनेशन का बंगला नजर आता है। बड़ा सा लिविंग हॉल, सीढ़ियां जो ऊपर की मंजिल की तरफ जा रही थी। वहां पर लगी बड़ी-बड़ी तस्वीर और एंटीक चीजों से उस बंगले की शोभा और बढ़ रही थी. तपिश चाहत को गोद में लेता हुआ बंगले में पहला कदम ही रखता है.. कि तभी एक जोरदार आवाज उसके कानों में पढ़ती है… “अपने कदम वहीं पर रोक लो तपिश रंधावा।” तपिश के कदम रुक गए थे और उसने कस के अपनी आंखें बंद कर ली। तभी वहां पर कुछ चर चर की आवाज आने लगी। तपिश ने अपना चेहरा घूमा कर देखा तो स्टडी रूम से एक व्हीलचेयर बाहर आ रही थी। उस व्हीलचेयर पर बैठा हुआ आदमी अपनी ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को हिलाता हुआ तपिश के सामने लाता है। और गुस्से में उसे देखता हुआ कहता है... “मुझे तुमसे यह उम्मीद नहीं थी।” तपिश उस आदमी को देखकर कहता है… “आतिश भाई! मेरी बात सुन लीजिए. उसके बाद कुछ कहिएगा..” आतिश, तपिश का बड़ा भाई है। आतिश ने तपिश को देखकर गुस्से में कहा…. “क्या सुनू तुम्हारी बात.. जिंदगी में बस यही देखना बाकी रह गया था। अब तुम लड़कियां भी घर लाने लगे। पहले ही वह कम है क्या. अब एक और लड़की उठा ले हो?” तपिश की आंखें छोटी हो जाती है. और वह आतिश को देखकर कहता है… “पहली बात भाई! मैं किसी भी लड़की को उठाकर नहीं लाया हूं. ब्याह कर लाया हूं बीवी है मेरी। और आपकी बहू है. और इसके अलावा जो है वह बस यही है। उसका मेरी जिंदगी में कितना रोल है यह तो आप भी अच्छी तरह से जानते हैं।” तपिश की बात सुनकर आतिश की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है. और वह तपिश के गोद में बेहोश चाहत को देखकर कहता है.. “क्या बकवास कर रहे हो तुम? क्या मतलब है तुम्हारा. कि बीवी है तुम्हारी? यह तुम्हारी बीवी कैसे हो सकती है?” तभी मुन्ना और पंडित भी अंदर आते हैं। और वह आतिश को देखकर कहते हैं… “भाई हमने तपिश भाई को रोकने की बहुत कोशिश की थी, पर उनके सर पर तो शादी का भूत सवार था. इन्होंने हमारी एक भी नहीं सुनी और लड़की से शादी कर ली।” आतिश की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। और वह गुस्से में तपिश को देखकर कहता है… “दिमाग खराब हो गया है क्या तुम्हारा? तुम किसी लड़की से शादी करके आ गए हो और अब मेरे सामने खड़े होकर यह कह रहे हो कि यह इस घर की बहू है? दिन में भी पीने लगे हो क्या?” तपिश ने कहा… “भाई मैंने दिन में शराब नहीं पी है। मैं पूरे होश में हूं. और हां मैंने इस लड़की से शादी की है। इसका नाम चाहत है। और आज से यह इस घर की बहू है। अब मैंने इससे शादी क्यों की है, किस लिए की है, किस वजह से की है.. यह मैं अभी आपको आकर बताता हूं। पहले मुझे इसे कमरे में छोड़कर आने दीजिए। यह बस दिखने में ही हल्की है।” यह बात तपिश ने मजाक में कही थी, क्योंकि चाहत का वजन बिल्कुल भी नहीं था, वह तो चाहत बेहोश थी, तो तपिश उसे लेकर तो खड़ा नहीं रह सकता था ना। तपिश चाहत को लेकर अंदर आता है और सीडीओ से होता हुआ ऊपर अपने कमरे में चला जाता है। ब्लैक और ग्रे थीम का कमरा. जिसमें सिर्फ ऐसी चीज रखी थी. जो किसी डेविल और शैतान होने का आभास करवाती थी, चाहत को उस कमरे के बीचो-बीच लगे किंग साइज बेड पर लेटा कर तपिश अपने कमरे से बाहर आता है। और सीधे नीचे आते हुए आतिश से कहता है… “आप स्टडी रूम मेरे साथ चलिए. मैं आप को बताता हूं।”
आतिश और तपिश इस समय स्टडी रूम में बैठे हुए थे. आतिश ने घूर कर तपिश को देखकर कहा… “तो इस वजह से तूने इस लड़की से शादी की है।” तपिश हां में सर हिलाता है और कहता है… “वैसे सोचा नहीं था, कि मुझे शादी ही करनी होगी. लेकिन इसके अलावा मुझे और कोई रास्ता नजर ही नहीं आया।” आतिश गहरी सांस छोड़ता है और कहता है…. “नाम क्या है इसका?” तपिश के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ जाती है. और वह कहता है… “चाहत।” आतिश एक गहरी सांस छोड़ता है और कहता है… “तुम्हें यकीन है. तुम इस चीज को हैंडल कर लोगे?” तपिश के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल थी, और उसने आतिश को देखते हुए कहा… “आप फिकर मत कीजिए भाई. अगर मैं यह भी नहीं संभाल पाया। तो फिर क्या फायदा है मेरे होने का।” तपिश का कमरा.. कमरे में एक स्ट्रांग खुशबू फैली हुई थी. जिसकी सुगंध से चाहत को धीरे-धीरे होश आने लगा था। उसकी पलके फड़फड़ा रही थी, और हाथों की उंगलियां हिलने लगी थी, धीरे-धीरे चाहत अपनी आंखें खोलती है और पलकें झपकाते हुए उसकी नजर छत पर लगे झूमर पर जाती है। चाहत अपना सर पकड़ कर उठकर बैठ जाती है। चाहत का सर ऐसा हो रहा था, जैसे कि किसी ने उसके सर पर बहुत तेज हथोड़ा मारा है। शादी का इतना भारी लहंगा, उसके ऊपर इतने भारी गहने। जिसकी वजह से चाहत की हालत अलग खराब हो रही थी, ऊपर से इतनी स्ट्रेस की वजह से उसका बेहोश हो जाना। तेज सर दर्द की वजह से चाहत इस बात पर भी ध्यान नहीं दे रही थी, कि वह इस वक्त है कहां पर। उसने साइड टेबल पर रखा हुआ पानी देखा। तो झट से बोतल उठाकर उसमें से पानी पीने लगी. 1 मिनट के अंदर ही चाहत ने एक सांस में सारी बोतल खत्म कर दी। तेज तेज सांस लेने के बाद चाहत खुद को शांत करती है. और अब जाकर उसे थोड़ा-थोड़ा होश आया था। अब जाकर चाहत ने इस जगह को थोड़ी बारीकी से देखा था, और उसने इस बात पर ध्यान दिया था कि यह उसका कमरा नहीं है। चाहत हैरानी से बेड से खड़ी हो जाती है। और उस कमरे को देखने लगती है। वहां पर रखे शेर, चीते और तेंदुए की मूर्तियां. जो मूर्ति कम और असल ज्यादा प्रतीत हो रही थी, और उन सबके मुंह में खून लगा हुआ था। उन मूर्तियों को देखकर चाहत की लगभग चीख निकल गई। चाहत चीखते हुए दो कदम पीछे जाती है। तभी वह किसी दूसरी चीज से टकरा जाती है। चाहत खुद को संभालते हुए पीछे देखती है. तो यह और ज्यादा डरावना था। वह दीवार पर लगी एक तस्वीर से टकरा गई थी। उस तस्वीर को देख कर चाहत अपने मुंह पर हाथ रख लेती है। उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। उस तस्वीर में नरक की तस्वीर दिखाई गई थी, जिसमें एक शैतान कुर्सी पर बैठा हुआ था और उसके आसपास सिर्फ मौत का मंजर बिखरा हुआ था। चाहत डर से इधर-उधर देखने लगती है। यह कमरा कहीं से भी आम कमरा नहीं लग रहा था, ऐसा लग रहा था, जैसे वह किसी अलग दुनिया में आ गई है। जैसे वह सच में ही नरक में बैठी हुई है। चाहत के चेहरे पर घबराहट और पसीने की बूंद दिखाई दे रही थी. ऐसी चल रहा था पर चाहत को बहुत ज्यादा सफोकेशन हो रही थी, उसे सांस लेने में भी दिक्कत हो रही थी। तभी कमरे का दरवाजा खुलता है। चाहत हैरानी से दरवाजे की तरफ देखती है। दरवाजे में देखकर उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। एक लड़की लॉन्ग स्कर्ट और क्रॉप टॉप में दरवाजे पर खड़ी थी, उसके बाल कर्ल थे। और उसने लिप्स पर डार्क लिपस्टिक लगाई हुई थी। दिखने में वह किसी मॉडल से कम नहीं नजर आ रही थी, लेकिन उसके चेहरे पर गुस्सा साफ नजर आ रहा था। वह लड़की गुस्से में अंदर आती है। और चाहत को ऊपर से लेकर नीचे तक देखने लगती है। चाहत हैरानी से उस लड़की को देख रही थी। उसने इस लड़की को पहले कभी नहीं देखा था, और ना ही वह इसे पहचानती थी, तो फिर यह लड़की इतने गुस्से में चाहत से क्यों बात कर रही है? चाहत इतनी ज्यादा स्ट्रेस में थी, कि वह तो यह बात भी भूल गई थी, कि आज उसकी शादी थी। अभी-अभी तो उसे होश आया था और होश में आते ही इस कमरे की अतरंगी चीजों ने उसके होश उड़ा रखे थे। वह लड़की गुस्से में चाहत को देखते हुए कहती है… “तेरी हिम्मत कैसे हुई इस कमरे में आने की?” चाहत हैरान नजरों से उस लड़की को देखती है और कहती है… “जी! आप क्या कह रही है? मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा है?” लड़की गुस्से में चाहत को घूरते हुए देखती है और कहती है… “समझ में नहीं आ रहा है? रुक तुझे तो मैं बहुत अच्छे से समझाती हूं। तू मेरे बंदे के कमरे में आई है ना। रुक अभी तुझे यहां से धक्के मार कर बाहर निकालती हूं।” चाहत कुछ सोच पाती या कुछ समझ पाती या उस लड़की से कुछ सवाल जवाब कर पाती.. उससे पहले ही वह लड़की चाहत के चूड़ियां भरे हाथों को अपने हाथों में कसते हुए बाहर की तरफ खींचने लगती है। चाहत के हाथ में तेज दर्द होने लगा था, और वह अपना हाथ उस लड़की के हाथ से खींचते हुए कहती है... “क्या बदतमीजी है? हाथ छोड़ो मेरा. कौन हो तुम?” वह लड़की चाहत को कमरे से बाहर निकाल कर खींचते हुए सीधे सीडीओ से नीचे लाने लगती है. इस समय हाल में सिर्फ कुछ सर्वेंट ही मौजूद थे, इसके अलावा कोई भी नहीं था, वह जब इस तरीके से उस लड़की को किसी को ले जाते हुए देखते हैं. तो हैरानी से उनकी आंखें बड़ी हो जाती है। क्योंकि चाहत अभी भी दुल्हन के जोड़े में थी। वह लड़की चाहत को सीधे घर के दरवाजे पर लाती है. और चाहत को घर के दरवाजे से बाहर की तरफ धक्का दे देती है। पर इससे पहले की चाहत नीचे गिरती.. वह जाकर किसी के सीने से जा लगी. और किसी ने उसे अपनी बाहों में संभाल लिया। चाहत तेज़ तेज़ सांस लेते हुए पहले उस लड़की को देखती है और फिर कहती है… “तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है क्या? इस पल चाहत को एहसास होता है कि किसी ने उसे अपनी बाहों में भर रखा है। चाहत हैरानी से अपना चेहरा उठा कर देखती है तो सामने तपिश होता है। जो अपनी ठंडी निगाहों से चाहत को ही देख रहा था। तपिश को अपने सामने देखकर चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। वह बस अपनी आंखें फाड़े तपिश को ही देख रही थी। तपिश ने एक ठंडी निगाहों से चाहत को देखा और फिर सामने खड़ी उस लड़की को देखकर कहा… “मल्लिका! यह क्या कर रही है?” मल्लिका ने भी गुस्से में चाहत को देखकर कहा… “यह लड़की तेरे कमरे में क्या कर रही थी? मुझे एक सर्वेंट ने बताया कि तेरे कमरे में कोई लड़की है। क्या कर रही थी यह तेरे कमरे में?” तपिश अपनी आंखें छोटी करते हुए मल्लिका को देख कर कहता है… “तू क्या करने गई थी मेरे कमरे में? मैंने मना किया है ना. मेरे कमरे में कोई भी नहीं जाएगा. तो तू क्यों गई थी?” चाहत को तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था, वह तो तपिश को देखकर ही हैरान हो गई थी, पहले कुछ मिनट तो उसे याद ही नहीं आया कि उसने इस शक्ल को कहां देखा था, फिर अचानक से सड़क का हादसा याद आते ही चाहत के रोंगटे खड़े हो गए। मल्लिका ने गुस्से में चाहत को देखते हुए कहा… “जब तेरे कमरे में कोई भी नहीं जा सकता है. तो यह लड़की वहां क्या करने गई थी? कौन है यह लड़की और क्या कर रही थी तेरे कमरे में?” तपिश ने घूरती हुई निगाहों से मल्लिका को देखकर कहा.. मेरी बीवी है इसलिए मेरे कमरे में थी। अब तेरे सवाल जवाब खत्म हो गए हैं तो रास्ते से हट जा।” मल्लिका के तो होश उड़ चुके थे, तपिश की बात सुनकर। उसे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हो रहा था, वह बस आंखें फाड़े तपिश को ही देख रही थी, और कुछ ऐसा ही हाल इस समय चाहत का भी था। उसे भी यकीन नहीं हुआ कि अभी-अभी तपिश ने क्या कहा। और तभी चाहत को याद आता है कि आज तो उसकी शादी भानु के साथ थी. फिर अचानक से वहां एक गोली की आवाज आती है. और फिर उसे लाल खून दिखाई देता है। उसके बाद से उसके आसपास सिर्फ काला काला ही हो जाता है उसे और कुछ दिखाई ही नहीं देता है। और ना ही कुछ सुनाई दे रहा था। अब जब उसे होश आया है, तो यह इंसान कह रहा है कि इसकी शादी चाहत से हुई है। तपिश, चाहत का हाथ पकड़ता है और उसे घर के अंदर लाने वाला होता है कि मल्लिका गुस्से में सामने आती है. और कहती है… “क्या बकवास कर रहा है? होश में तो है? तेरी बीवी कैसे हो सकती है? जब मैं तेरी गर्लफ्रेंड हूं।” तपिश की नजरे तीखी हो जाती है। वह मल्लिका को देखकर कहता है… “तू मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है. मेरी जरूरत है। और वैसे भी मुझे बिस्तर पर कभी तेरी जरूरत नहीं पड़ी है। तू सिर्फ मेरे काम में मेरी जरूरत है।” मल्लिका का पूरा चेहरा गुस्से से भर गया था। वह आगे कुछ कहती या तपिश से और ज्यादा बहस करती. उससे पहले ही वहां पर आतिश की आवाज आती है। जो चिल्लाते हुए कहता है… “मल्लिका! यह क्या बदतमीजी है? घर की बहू दरवाजे पर खड़ी है. रास्ता छोड़ो उसका।” मल्लिका गुस्से में आतिश को देखते हुए कहती है… “आतिश भाई! आप ऐसा कैसे कह सकते हैं। यह तपिश किसी भी उठाई, गिरी लड़की से शादी कर लेगा और आप इस रिश्ते को मंजूरी दे देंगे?” तभी मल्लिका की सांस गले में अटक जाती है. क्योंकि तपिश ने अपनी बंदूक की नोक को मल्लिका के माथे पर रख दिया था, यह देखते ही चाहत की भी आंखें हारने से बड़ी हो जाती है। मल्लिका हैरान नजरों से तपिश को देखती है। जो गुस्से भरी नजरों से मल्लिका को देखते हुए कहता है… “आज के बाद अगर मेरी बीवी को उठाई गिरी कहा.. तो तुझे उठाकर इस घर से बाहर फेंक दूंगा।” आतिश ने कहा… “तपिश! गुस्से पर काबू रखो. यह मत भूलो की मल्लिका हमारे इल्लीगल काम का एक मोहरा है।” तपिश ने भी अपनी घूरती हुई नजरे मल्लिका पर रखते हुए कहा… “जानता हूं कि यह सिर्फ एक मोहरा है. और मैं बादशाह हूं।” मल्लिका, तपिश की बंदूक को अपने हाथों में पकड़ते हुए नीचे करती है. और उसकी आंखों में देखते हुए कहती है… “जानती हूं. कि तू इस काली दुनिया का बादशाह है, और बादशाह के साथ सिर्फ मल्लिका ही तख्त पर बैठती है।” तपिश के चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है। वह मल्लिका को देखकर कहता है… “बादशाह जिसे अपने साथ बैठाता है. वही असली मल्लिका होती है।” चाहत को तो इन लोगों की कोड लैंग्वेज समझ में ही नहीं आ रही थी, कौन बादशाह? कौन सी मल्लिका? कौन सी दुनिया है? वह कहां पर है? और यहां पर यह लोग कौन है? चाहत का सर यह सोच सोच के फटा जा रहा था, एक तो वैसे ही वह पहले बहुत ज्यादा टेंशन में थी, ऊपर से इन लोगों की बातों ने तो उसे और परेशान कर दिया था। आतिश ने कहा… “मल्लिका! इस बारे में बाद में बात करेंगे। तपिश. चाहत को कमरे में ले जाओ। तुम दोनों अपने झगड़े में यह भी नहीं देख पा रहे हो कि वह बेचारी बच्ची कितना घबरा रही है।” तपिश, चाहत की कलाई पकड़ता है. और उसे अपने साथ अंदर ले जाता है। मल्लिका बस गुस्से में उन दोनों को जाता हुआ ही देखते रह जाती है। जैसे-जैसे तपिश चाहत को लेकर कमरे की तरफ बढ़ रहा था.. वैसे-वैसे चाहत के दिमाग में हर एक चीज किसी रील की तरह चल रही थी, उसकी और भानू की शादी और फिर अचानक से भानु के सर पर गोली लगकर उसकी मौत हो जाना। चाहत घबराई नजरों से बस तपिश को देख रही थी, और तपिश चाहत का हाथ पकड़ते हुए उसे कमरे में लेकर आता है। कमरे में लाकर तपिश चाहत का हाथ छोड़ देता है. चाहत हैरान नजरों से तपिश को देख रही थी। चाहत ने तपिश को देखते हुए कहा… “तुम कौन हो..? मेरे पति कहां है?
तुम कौन हो? मेरे पति कहां है? चाहत ने जैसे ही यह सवाल किया. तपिश की आंखें छोटी हो गई। वह हैरान नजरों से चाहत को देखता है और कहता है… “अभी भी नशे में हो क्या? मैं तुम्हें नजर नहीं आ रहा हूं?” चाहत की आंखों से आंसू आ गए और वह हैरान नजरों से तपिश को देखती है। वह फिर एक बार उस कमरे को देखती हैं। फिर तपिश से कहती है… “कोई मजाक चल रहा है क्या यहां पर? भानु जी कहां है? मेरे पति कहां है?” चाहत ने जब एसा कहा तो तपिश की आंखें छोटी हो गई। वह एक-एक कदम चाहत की तरह बढ़ाने लगा। उसे अपनी तरफ आता देख चाहत घबराई नजरों से अपने कदम पीछे लेने लगती है। चाहत फिर से उस पेंटिंग से जा लगती है जो दीवार पर बनी हुई थी, डेथ डेविल की पेंटिंग। वह डेविल कुर्सी पर बैठा था, और अपने दोनों हाथ फैला कर हर चीज को अपनी आगोश में ले रहा था। तभी चाहत उस पेंटिंग से लग जाती है। यह कुछ इस तरीके से लगता है. जैसे कि उस डेविल ने चाहत को अपनी आगोश में ले रखा है। तपिश चाहत के बिल्कुल करीब आ जाता है. और एक हाथ दिवार पर रखते हुए चाहत पर हल्का सा झुकता है। चाहत उसकी कंजी आंखों में देख रही थी। तपिश की यह निगाहें चाहत की रीड की हड्डी तक को कपा दे रही थी। तपिश ने अपनी निगाहों की तपिश से चाहत को देखते हुए कहा… “कमरे में कोई इसलिए नहीं आता क्योंकि मुझे अच्छा नहीं लगता है, जब कोई मेरी चीजों को हाथ लगाता है। जरा सोचो जब मैं अपनी चीजों के लिए इतना पजेसिव हूं. तो अपनी बीवी के लिए कितना रहूंगा। वह भी तब, जब मेरी बीवी अपने मुंह से किसी गैर मर्द का नाम ले रही है।” चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। वह तपिश से कहती है… “मैं आपकी बीवी नहीं......।” तपिश ने तुरंत चाहत के मुंह पर उंगली रख दी. जिससे चाहत के आगे के बोल उसके मुंह में ही रह गए। लेकिन तपिश के हाथ अपने चेहरे पर महसूस होते ही चाहत की सांस गले में अटक गई। वह आंखें फाड़े सिर्फ तपिश को ही देख रही थी। तपिश ने चाहत को अपनी आंखों से घूरते हुए. धीरे-धीरे उसके होठों को अपने अंगूठे से सहलाते हुए कहता है… “मुझे अपनी बात दोहराने का शौक नहीं है. पर तुम्हारे मामले में यह नियम लागू नहीं होता है। तुम 10 बार सवाल करोगी और मैं 10 बार यही जवाब दूंगा कि तुम मेरी बीवी हो।” उसके बाद तपिश चाहत की होठों से धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को ले जाता हुआ उसके गर्दन पर लाता है। चाहत के तो जैसे रोंगटे खड़े हो रहे थे, तपिश के हर एक मूव से। लेकिन उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि उसके पैरों में किसी ने कील गढ़ा के वहीं खड़ा कर दिया है। वह अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रही थी। चाहत के गर्दन पर आकर तपिश ने उस चैन को चाहत के गले से हल्का सा ऊपर उठकर चाहत के सामने करते हुए उसे दिखाते हुए कहा... “इससे बड़ा सबूत तुम्हारे लिए और कुछ भी नहीं हो सकता है।” चाहत हैरानी से उस बुलेट के पेंडेंट को देख रही थी। उसे याद आया कि किस तरीके से भानू ने उसके गले में मंगलसूत्र पहनाया था, और अब उसके गले में कोई मंगलसूत्र नहीं है। बल्कि एक चैन में डाला हुआ पेंडेंट है। तपिश चाहत की बाजू को पकड़ता है और उसे अपने साथ ड्रेसिंग टेबल के सामने लाता है। चाहत के पूरे शरीर में हजारों सुइयां चुभी हुई थी, वह कुछ सोचने समझने की हालत में नहीं लग रही थी। तपिश चाहत को ड्रेसिंग टेबल के सामने लाता है। और आईने में उसके अक्स को दिखाते हुए कहता है… “भले ही श्रृंगार तुमने किसी और के नाम का किया था, पर सिंदूर मेरे नाम का ही है।” चाहत में अब अपने आप को आईने में देखा था, उसकी नाक से लेकर माथे और माथे से लेकर पूरा सर सिंदूर से भरा हुआ था। यह सिंदूर उसके मांग में कब भरा गया? क्योंकि भानू ने तो उसे सिर्फ मंगलसूत्र ही पहनाया था। तो क्या यह सच कह रहा है? यह सिंदूर इसने लगाया है? नहीं ऐसा नहीं हो सकता है। चाहत दो कदम पीछे होती है. और तपिश को देखते हुए घबराई आवाज में कहती है… “मैं इस शादी को नहीं मानती हूं। मैं उस वक्त होश में नहीं थी।” तपिश ने अपनी सर्द आवाज में कहा… “तो ठीक है सारी जिंदगी भी बेहोश रहो। मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं होगी. तुम्हें अपनी गोद में उठाकर घूमने में।” चाहत घबराई नजरों से तपिश को देख रही थी, और तभी वह दरवाजे की तरफ जाते हुए कहती है… “मुझे नहीं रहना यहां पर। इससे पहले की चाहत अपने कदम आगे बढ़ा पाती.. तपिश उसकी कलाई को पकड़ता है. और उसे दीवार से लगा देता है। चाहत अपनी आंखें बड़ी किए हुए तपिश को देख रही थी, तपिश ने चाहत की आंखों में देखते हुए कहा... “माना बीवियां रूठ जाती है तो घर छोड़ने की बात करती हैं। पर गलती से भी इस ख्याल को अपने दिमाग में मत लाना कि तुम इस घर से जा सकती हो।” चाहत अपने हाथों को तपिश की हाथ से खींचती है. और उसे देखते हुए कहती है… “मुझे जाने दो. प्लीज मुझे यहां से जाने दो. मुझे अपने घर जाना है।” लेकिन तपिश की पकड़ चाहत की कलाई पर और कस जाती है। वह चाहत की कलाई को उसके पीठ पर लगाते हुए कहता है… “अपने ही घर में हो। और शादी के बाद पति का घर ही लड़की का असली घर होता है। बस इससे ज्यादा प्यार से बात करना मुझे नहीं आता है। मैं तुम्हारे ऊपर सख्ती नहीं दिखाना चाहता हूं. क्योंकि अगर ऐसा हुआ तो लोग क्या कहेंगे.. दुल्हन के हाथों की मेहंदी तक नहीं उतरी और पति ने जोर जबरदस्ती करना शुरू कर दिया है।” चाहत की आंखों से आंसू गिरने लगे थे. और उसके आंसुओं को देखकर तपिश के हाथों की पकड़ ढीली हो गई। उसने चाहत को छोड़ा और एक कदम पीछे होते हुए कहा… “फिलहाल तो तुम्हारे लायक कोई कपड़े है नहीं यहां पर। पर मैं मंगवा दूंगा....” फिर तपिश चाहत की कानों के पास आते हुए कहता है.. “वैसे साइज क्या है तुम्हारा?” चाहत हैरान नजरों से तपिश को देखने लगती है। तपिश अपने चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान लिए कहता है… “सैंडल का. अपने पैर का साइज बताओ. सैंडल भी तो आएगी।” चाहत बस आंखें फाड़े तपिश को देख रही थी, तपिश अपने चेहरे पर एक मजाकिया मुस्कान लिए उस कमरे से चला जाता है। अब उस कमरे में सिर्फ चाहत थी, जो सबसे पहले तो हैल जैसे दिखने वाले कमरे को हैरानी से देख रही थी। और फिर उसने पलट कर खुद को शीशे में देखा. अपनी मांग में तपिश के नाम का सिंदूर देखकर चाहत की रूह कांप गई। वह जल्दी से अपने सीने पर हाथ रखती है और कहती है… “ऐसा नहीं हो सकता है. यह सब झूठ है. यह आदमी झूठ कह रहा है. इसने मुझसे शादी नहीं की है। यह बस मुझे यहां पर कैद करने के लिए यह सब कह रहा है। मुझे यहां पर नहीं रहना. मैं यहां से भाग जाऊंगी।” तपिश अपने शर्ट की बाजू को फोल्ड करता हुआ सीडीओ से नीचे उतर रहा था, तभी आतिश अपनी व्हीलचेयर पर आते हुए कहता है… “तपिश! तुम कहां जा रहे हो और चाहत कहां है?” तपिश कहता है… “मैं किसी काम से बाहर जा रहा हूं. वह कमरे में है।” आतिश ने कहा… “सब कुछ ठीक तो है ना? चाहत में कुछ रिएक्ट तो नहीं किया?” तपिश, आतिश के पास आता है और उसके व्हीलचेयर के पास बैठते हुए कहता है... “आप क्यों फिक्र कर रहे हो भाई। मुझे अच्छी तरह से पता है कि अपनी बीवी को कैसे हैंडल करना है। और वैसे भी माफिया क्वीन है। सीधी साधी निकलती तो मुझे टेंशन हो जाती है। अच्छा है कि पंजा मरती है।” आतिश ने कहा… “देखो तपिश! मैं यह तो नहीं जानता कि तुम्हारे और चाहत के बीच इस समय क्या हो रहा है. या फिर चाहत ने कैसा रिएक्ट किया होगा। लेकिन जहां तक मैंने चाहत को देखा है. वह बहुत ही मासूम है। तुम्हें यकीन है कि तुम उसे संभाल लोगे? मैं तो कह रहा हूं उसे सच बता दो।” तपिश कहता है… “बिल्कुल नहीं. अगर अभी उसे सच बताऊंगा तो डर जाएगी। आप यह सब मुझ पर छोड़ दीजिए। मैं चाहत को सच जरूर बताऊंगा. पर अभी नहीं. सही वक्त आने पर।” तपिश खड़ा होता है और इधर-उधर नजर दौड़ाते हुए कहता है… “तेज कहां है? 2 दिन से नजर ही नहीं आया?” आतिश कहता है… “वह तो दो दिन से हमदर्द कॉलोनी में ही है। उसे तो पता ही नहीं कि तुम्हारी शादी हो गई है। पता चलेगा तो तुम्हारी खैर नहीं।” तभी मुन्ना और पंडित वहां आते हैं और कहते हैं… “चलिए आतिश भाई! सारी तैयारी हो गई है।” तपिश हैरानी से आतिश को देखते हुए कहता है… “आप कहां जा रहे हैं?” आतिश अपनी व्हीलचेयर को आगे बढ़ाते हुए कहता है… “मुझे कुछ काम है. हमदर्द कॉलोनी जा रहा हूं।” तपिश की आंखें छोटी हो जाती है. और वह कहता है… “आप फिर वहां जा रहे हैं. वह बुड्ढा फिर भड़केगा आप पर। पता नहीं साले की प्रॉब्लम क्या है? आपकी वजह से चुप है. वरना अब तक तो उसे ऊपर पहुंचा दिया होता।” आतिश ने गुस्से में तपिश को देखते हुए कहा… “तपिश! अपनी जुबान पर काबू रखो। मैंने तुमसे कहा ना. यह मेरे और मास्टर जी के बीच की बात है। खबरदार जो तुम बीच में आए तो। वह जो कुछ कहते हैं मुझे कहते हैं। तुम्हारा इन सब से कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी शादी हो गई है तुम्हारी. अपनी बीवी पर ध्यान दो।” तपिश गहरी सांस छोड़ता है और मुन्ना और पंडित को देखकर कहता है… “भाई के साथ ही रहना और अगर इस बार मास्टर जी ने फालतू बकवास की ना.. तो हवा में 10 12 फायरिंग कर देना. पूरी हमदर्द कॉलोनी 1 महीने तक भाई की तरफ नजर उठा कर भी नहीं दिखेगी।” मुन्ना, आतिश के पास आता है और उसकी व्हीलचेयर के हैंडल को पकड़ते हुए कहता है… “अरे भाई पूरी कॉलोनी ना देखे. लेकिन यह मास्टर जी है ना.. इनका कुछ नहीं हो सकता। यह पहले भी आतिश भाई पर भड़क रहे थे, और आगे भी उन्हें कुछ और बातें सुनाएंगे।” मुन्ना और पंडित, आतिश को लेकर हमदर्द कॉलोनी के लिए निकल जाते हैं। और तपिश अपने किसी काम से चला जाता है। घर में कोई नहीं था और इसी बात का फायदा मल्लिका ने उठाया। वह धीरे से अपने कमरे से निकलती है। और सीडीओ से होते हुए ऊपर तपिश के कमरे के बाहर खड़ी हो जाती है। वह गुस्से में दरवाजे को देखते हुए कहती है… “तू ऐसे ही किसी लड़की को बीवी बना कर ले आएगा और मैं मान लूंगी। तेरी बीवी तो बस मैं बन सकती हूं। मैंने तेरे लिए क्या कुछ नहीं किया। तूने जिसके साथ कहा उसके साथ सो गई। इसीलिए नहीं की एक दिन तू अपने बिस्तर पर किसी दूसरी लड़की को ले आएगा। आज तक तूने मुझे खुद को छूने तक नहीं दिया. और इस लड़की का हाथ पकड़ कर इसे घर के अंदर ले आया। मन तो कर रहा है के इसे जान से मार दूं। पर मुझे लगता है कि मुझे यह करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. क्योंकि मैंने इसकी आंखों में इस शादी को लेकर हैरानी देखी है। इसके चेहरे के एक्सप्रेशन बता रहे थे, कि वह इस शादी को मानती ही नहीं है। जब वह खुद ही शादी को नहीं मानती है. तो फिर मुझे ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं है। अब देख मैं कैसे इस लड़की को तेरी जिंदगी से और इस घर से बाहर निकलती हूं।” मल्लिका कमरे के हैंडल को घुमाते हुए कमरे का दरवाजा खोलती है.. चाहत जो इस समय ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपने गहने उतार रही थी। दरवाजा खुलते ही वह डर जाती है और पलट कर देखती है। दरवाजे पर मल्लिका खड़ी थी, और मल्लिका को देखकर चाहत के चेहरे पर डर एक बार फिर से आ जाता है। खुद से डरता देख मल्लिका के चेहरे पर एक मुस्कान थी, और उसने चाहत से कहा… “मैं अंदर नहीं आ सकती बाहर आओ।” चाहत को मल्लिका कि वह हरकत याद आ गई। जब वह उसे खींचते हुए इस कमरे से ले गई थी, चाहत डर से दो कदम पीछे हो जाती है और कहती है… “देखो मेरे पास मत आना. मैं कह रही हूं. मैंने कुछ भी नहीं किया है। मैं नहीं मानती हूं इस शादी को. मुझे नहीं रहना है यहां पर।” मल्लिका कहती है… “अगर तुम यहां नहीं रहना चाहती हो.. तो मैं तुम्हें यहां से निकलने में मदद करूंगी। पर उससे पहले तुम्हें कमरे से बाहर आना होगा। क्योंकि अगर इस बार तपिश को पता चला कि मैं उसके कमरे में आई हूं. तो इस बार पक्का मेरी जान ले लेगा।”
हमदर्द कॉलोनी....। आतिश अपने साथ एक पैकेट लेकर हमदर्द कॉलोनी में आता है। वहां पर मौजूद इंसान आतिश को देखकर हैरान रहता है। मुन्ना और पंडित आतिश को हमदर्द कॉलोनी के बने एक नॉर्मल से मकान में लेकर जाते हैं। नीचे गैराज का काम चल रहा था और ऊपर रहने के लिए घर बने हुए थे, जैसे ही वह लोग गैराज के पास पहुंचते हैं। गैराज से एक आदमी बाहर आता है और कहता है….। “अरे आतिश भाई! अपने आने की सहमत क्यों उठाई? हमें बुला लिया होता।” आतिश ने कहा… “कुछ काम करने के लिए खुद ही आना पड़ता है इकबाल, तेज कहां है? 2 दिन से ना घर आया है ना फोन उठा रहा है?” इकबाल ने कहा… “अरे बच्चा पढ़ाई कर रहा है। तभी मुन्ना, पंडित के कंधे पर मरते हुए कहता है… “हमें अच्छी तरह से पता है वह यहां पर कौन सा पाठ पड़ता है।” इकबाल अपने गैराज से निकलकर ऊपर घर की तरफ देखते हुए कहता है… “तेज! नीचे देखो आतिश भाई आए हैं।” तभी ऊपर का दरवाजा खुलता है और एक लड़का तेजी से उतरता हुआ नीचे आता है. यह एक 25 साल का लड़का था जिसके हल्के हल्के दाढ़ी मूछ आ रहे थे, सिंपल सी शर्ट और डेनिम की जींस पहने हुए उसे लड़के ने अपने एक हाथ में सोने का ब्रेसलेट डाल रखा था, वह आता है और आतिश के पास आते हुए कहता है… “अरे भाई! आप यहां पर?” आतिश तेज को देखकर कहता है… “तुम्हें तो घर आना नहीं है. तो सोचा हम ही तुम्हारे पास आ जाते हैं । तेज ने कहा… “ऐसी बात नहीं है भाई! वह दरअसल बात ऐसी है कि मुझे कॉलेज का असाइनमेंट पूरा करना था। आप तो जानते हैं ना कि घर पर इतना शोरगुल होता है कि मुझसे काम ही नहीं होता है।” आतिश ने कहा… “अच्छा ठीक है. एक काम करो, यह सामान रख दो और उसके बाद घर चलो। तुम्हें कुछ जरूरी बात बतानी है। तभी इकबाल कहता है… “अरे भाई थोड़ा रुक कर जाइए ना. मैंने चाय मंगवाई है।” तेज आतिश के पास से वह पैकेट लेता है और उसे ले जाते हुए सीधे सामने वाले घर की तरफ चला जाता है. जहां नीचे एक टेलर की दुकान थी। और ऊपर रहने के लिए मकान बने हुए थे। तेज उस पैकेट को सीडीओ के पास रख देता है और ऊपर बने घर की खिड़की को देखने लगता है। तभी उस खिड़की का पर्दा हल्का सा खुलता है. और एक आंख जिसमें सुरमा लगा हुआ था, वह नीचे तेज को देखती हैं. धीरे-धीरे वो पर्दा पूरा खुलता है. और उसमें से एक प्यारी सी सूरत तेज को देख रही थी. एक 20 साल की लड़की जिसने अपनी आंखों में सुरमा लगाया हुआ था और नाक में नोज रिंग पहनी हुई थी. इसके गालों पर प्राकृतिक गुलाबी रंग था, और चेहरे पर मासूमियत झलक रही थी, पर जैसे ही तेज की नजरे उन आंखों से टकराती है.. वह पर्दा दोबारा बंद हो जाता है। तेज के चेहरे पर एक मुस्कान आ जाती है। तेज मुस्कुराता हुआ वापस गैराज में आता है। अब तक आतिश, इकबाल के साथ अंदर बैठ चुका था और बाहर सिर्फ मुन्ना और पंडित थे, तेज को आया देख मुन्ना तेज के कंधे पर हाथ रखते हुए कहता है… “क्या बे मजनू!, बाप सुधरा नहीं है, और बेटा पहले ही बिगड़ रहा है। पंडित हंसते हुए कहता है… “जाने दे मुन्ना! कौन सा कभी बात करता है. हमेशा दूर से ही तो देखता है यह सबिया को।” तीनों मुस्कुराने लगते हैं। तेज एक बार मुस्कुराते हुए दोबारा से उस बंद खिड़की को देखने लगता है। वह तीनों अंदर आतिश के पास आते हैं। इकबाल सबको चाय देता है. सब लोग एक साथ बैठकर चाय पी रहे थे, लेकिन आतिश ने सबको तपिश की शादी के बारे में बताने से मना किया था। आतिश चाहता था घर की बात घर में ही हो। आतिश ने तेज से कहा… “तूने सामान दिया? तेज हां में सर हिलता है. आतिश कहता है… “किसी ने देखा तो नहीं?” तेज ने कहा… “भाई! वह सबिया ने देखा है.आतिश मुस्कुराते हुए कहता है… “वह कुछ नहीं कहेगी।” तभी बाहर से किसी के चिल्लाने की आवाज आती है। 😡😡.. अरे ओ कमी*** , ले जाओ अपने पाप की कमाई , अभी मरा नहीं हूं मैं 😡 आतिश एक असंतोष के साथ अपनी आंखें बंद कर लेता है 😔। मुन्ना खड़ा होते हुए कहता है… “यह टेलर मास्टर फिर भड़क गया? भाई इस बुड्ढे की प्रॉब्लम क्या है? आप के चलते बर्दाश्त करता हूं इसे। मेरा बस चले तो छह की छह गोली उतार दूं और इस बुड्ढे की कैंची जैसी जबान भी बंद कर दूं।” 😠 लेकिन आतिश कहता है… “शांत हो जाओ। वो जो भी बोल रहे है, मुझे बोल रहे हैं। तुझे बीच में पढ़ने की जरूरत नहीं है।” वह सभी इकबाल की गैराज से निकल कर बाहर आते हैं। पंडित आतिश की व्हीलचेयर को लेकर बाहर आता है। सामने एक 55 साल का बुजुर्ग आदमी। गुस्से में उन सब को घूर रहा होता है। इकबाल अपने गैरेज से निकलते हुए उस आदमी से कहता है… “अरे किस बात का घमंड है तुम्हें चचाजान? इतनी उम्र हो गई है तुम्हारी. आंखों की रोशनी कम हो गई है. इसीलिए.कोई तुम्हें अपना कपड़ा सिलवाने तो देता नहीं है। ऊपर से 100 तरह की बीमारियां हैं। दवाइयों तक के पैसे नहीं है तुम्हारे पास। साबिया का कॉलेज छूट गया है, क्योंकि तुम फीस नहीं भर पा रहे थे। चाची को अस्थमा है। खुदा ना करे अगर चाची के अस्थमा का पंप सही समय पर ना आया ना. तो कहीं ऐसा ना हो की चाची अल्लाह को प्यारी हो जाए। मास्टर जी गुस्से में भड़कते हुए कहते हैं... “अपनी बकवास बंद कर नामुराद कहीं का।” 😠 तेज देखता है कि जो पैकेट वो साबिया के घर के बाहर रख कर आया था, वह पैकेट गली में फेंका पड़ा है. और उसमें से दवाइयां अस्थमा के पंप और कुछ पैसे कुड़े की तरह बिखरे पड़े हैं। साबिया और उसकी मां, टेलर मास्टर को संभालकर अंदर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। टेलर मास्टर अपने गुस्से के आगे किसी को नहीं देख रहा था। तेज़ एक नजर साबिया को देखता है. तो साबिया अपनी नजरें झुका लेती है। 😔. आतिश आगे आता है और बहुत ही नर्म लहजे के साथ उनसे कहता है… “क्या बात है मास्टर जी? क्यों इतना शोर मचा रहे है? मास्टर जी गुस्से में आतिश को घूरते हुए कहते हैं… “यह तुम्हारी पाप की कमाई का सामान तुम मेरे घर पर भिजवा रहे थे? क्या सोचा तुमने हम मरे जा रहे हैं इसके लिए?😡 इन बुढी हड्डियों में अभी भी इतना जान है, अपनी बीवी बच्चों का पेट पाल सकूं. 😡 तुम्हारी खैरात की मुझे जरूरत नहीं है। आतिश अपने चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान लिए उनसे कहता है… “कोई खैरात नहीं है मास्टर जी! आंटी की दवाइयां है और पैसे साबिया के कॉलेज के लिए है। बच्ची को कॉलेज जाने दीजिए। उसकी पढ़ाई बर्बाद हो रही है। मास्टर जी गुस्से में कहते हैं... “इसका अनपढ़ रह जाना मुझे मंजूर है. पर तुम्हारी इस पाप की कमाई से इसे तालीम नहीं दिलवाऊंगा।” आतिश वैसे ही अपने चेहरे पर मुस्कान लिए कहता है... “आप गलत सोच रहे हैं। मुझे पता था कि आप गलत तरीके से कमाए गए पैसा हाथ नहीं लगाएंगे। यह जो भी सामान है यह गैराज की कमाई से हैं। मैं बस आपकी मदद.......” मास्टर जी गुस्से में चिल्लाते हुए कहते हैं.. “किस हक से मेरी मदद कर रहे थे? लगते क्या हो हमारे? ना तो तुम मेरे बेटे हो और ना दामाद। तो किस हक से मेरी मदद कर रहे हो?” 😡 मास्टर जी के सवाल पर आतिश अपनी नजरें झुका लेता है और कहता है… “इंसानियत के नाते।” मास्टर जी एक व्यंग से मुस्कुराते हैं और कहते हैं… “देख रहे हो मोहल्ले वालों। यह मुझे इंसानियत का पाठ पढ़ा रहा है। अरे खुद ने तो इंसानियत कहीं बेच खाई है और आया बड़ा मुझे इंसानियत सिखाने वाला। 😡 हथियारों का धंधा है इसका। वह हथियार जो लाखों लोगों की जान लेते हैं। हवाला का पैसा इधर से उधर करवाते हैं। जिससे लाखों लोग भूखे मरते हैं और यह जनाब मुझे इंसानियत का पाठ पढ़ा रहे हैं?😡 तुम्हारा वह भाई, वह तो अंडरवर्ल्ड का डॉन है ना? सारा खानदान गलत कामों में शामिल है और मुझे ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे हो? उठाओ अपने पाप की कमाई और निकल जाओ यहां से. आज के बाद मेरे सामने मत आना।” सबिया और उसकी मां जबरदस्ती खींचते हुए मास्टर जी को अंदर ले जाती है. और दरवाजा लगा देती है। तेज आगे जाता है और सड़क पर फेके उन चीजों को वापस उठाकर पैकेट में रखने लगता है। मुन्ना गुस्से में आतिश को देखकर कहता है… “भाई! अपने नाम से अखी मुंबई डरती है। साला किसी की हिम्मत नहीं अपने सामने जबान खोलने की। पर यह बुड्ढा कुछ ना कुछ सुना कर चला जाता है और आप कुछ नहीं बोलते?” आतिश तेज के हाथों से वह पैकेट लेता है और उन सबको देखते हुए कहता है… “मैंने कहा ना यह मेरे और मास्टर जी का मामला है। तुम सभी इससे दूर रहोगे।” उसके बाद आतिश वह पैकेट पंडित को पकडाते हुए कहता है… “वो साबिया की सहेली है ना, क्या नाम है उसका?” पंडित कहता है… “हां ज्योति! यही पास में रहती है।” आतिश कहता है… “हां उसे यह सामान दे देना और कहना कि अपनी तरफ से सबिया को दे दे।” चाहत घर से भाग गई थी और उसे भगाने में मल्लिका ने मदद की थी. मल्लिका ने चाहत को घर के पीछे वाले रास्ते से बाहर भगा दिया था। चाहत इस वक्त एक टैक्सी में बैठी हुई थी। वह टैक्सी जैसे ही उसके घर के सामने आकर रूकती है। चाहत तेजी से टैक्सी से निकलती है और घर के अंदर चली जाती है। वह जैसे ही अपने घर पहुंचती है दरवाजे पर खड़े होकर जोर-जोर से सांस लेते हुए कहती है… “भाभी” हाल में मौजूद अनीता और मेघा जब चाहत को देखते हैं तो उनकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। चाहत का पूरा चेहरा पसीने से भीगा हुआ था, उसने अब गहने नहीं पहने हुए थे, लेकिन शादी का लहंगा उसने अभी भी पहन रखा था। चाहत देखती है उसकी शादी का मंडप अब उतार लिया गया है और धीरे-धीरे सजावट हटाई जा रही है। वह हताशा के साथ अपने परिवार को देख रही थी। अनीता और मेघा सोफे से खड़ी होती है और हैरानी से एक दूसरे को देखने लगती है। तभी वहां पर जय और पुष्कर आ जाते हैं। वह दोनों जब चाहत को अपने सामने देखते हैं तो वह दोनों भी काफी हैरान होते हैं। अनीता कहती है… “चाहत! तुम यहां क्या कर रही हो?” चाहत तेजी से सांस लेते हुए अंदर आती है और अनीता और जय के सामने खड़े होते हुए कहती है… “भाभी! घर वापस आ गई हूं. मुझे अब कहीं नहीं जाना है।” चाहत की बात सुनकर उन चारों के होश उड़ गए थे. वह चारों हैरानी से एक दूसरे को देखने लगते हैं। मेघा कहती है… “तुम कहना क्या चाहती हो? क्या मतलब है तुम्हारा कि तुम घर वापस आ गई हो? तुम्हारी शादी हो गई है। अब तुम घर वापस नहीं आ सकती हो. जाओ अपने पति के घर जाओ।” चाहत की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह अपने भाई और भाभियों को देखकर रोते हुए कहने लगती है… “कौन सा पति? जिस इंसान से मेरी शादी हुई थी वह तो है ही नहीं और जो मेरे सामने है. उससे मेरी शादी कब हुई? कैसे हुई? मुझे कुछ पता ही नहीं है।” अनीता ने कहा… “वह सब हम कुछ भी नहीं जानते हैं। वह इंसान किसी आंधी की तरह आया और सब कुछ बर्बाद करके तुम्हें अपने साथ किसी तूफान की तरह ले गया। अब जब ले गया, सो ले गया तुम दोबारा इस घर में नहीं आ सकती हो। तुम्हारे होश में रहते हुई है या फिर तुम्हारे होश होने के बाद हुई। सच तो यह है कि उस इंसान ने तुमसे शादी की है वह भी सारी दुनिया के सामने। अब जो भी है, जैसा भी है तुम्हारा पति है।” चाहत रोते हुए कहती है… “मैं नहीं मानती हूं शादी को. जय ने गुस्से से कहा… “तुम्हारे मानने या ना मानने से सच बदल तो नहीं जाएगा ना?” चाहत रोते हुए कहती है… “लेकिन आप लोगों ने ऐसा होने कैसे दिया? आप लोग अच्छी तरह से जानते थे, कि मैं सदमे में हूं फिर भी आप लोगों ने यह होने दिया?” पुष्कर ने कहा… “हम लोगों ने बहुत कोशिश की उस पागल इंसान को रोकने की. पर उसके सर पर तो जैसे तुमसे शादी करने का भूत सवार था, और इसके लिए वह हम सबको भी मारने वाला था। अब सिर्फ तुम्हारे लिए हम अपनी जान तो नहीं दे सकते हैं ना?” चाहत हैरान रह गई थी, अपने भाइयों की बात सुनकर। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके परिवार ने अपने बदले उसकी जिंदगी दांव पर लगा दी है।
चाहत अनीता और जय को हैरानी से देख रही थी, यह उसके भैया भाभी थे, पर यह उसके लिए ऐसा कैसे कह सकते हैं? चाहत ने कभी अपने घर वालों से कोई उम्मीद नहीं की थी, क्योंकि उसे पता था कि यहां से उम्मीद लगाना बेकार है. इसीलिए उसने अपने जीवन में संघर्ष करना शुरू किया। उसने हर चीज के लिए संघर्ष किया था,लेकिन जब भानु से उसकी शादी की बात चल रही थी, तो उसने यह सोचा कि उसका परिवार उसके लिए कहीं तो सही फैसला ले रहा है। अब इससे क्या फर्क पड़ता है की चाहत ने शादी के लिए हां किसी मजबूरी में की थी। शादी की सारी तैयारियां देखकर चाहत बहुत खुश थी, कि उसका परिवार उसकी शादी इतनी धूमधाम तरीके से करवा रहा है। वैसे भी भानु से उसकी शादी अरेंज मैरिज थी, अरेंज मैरिज में धीरे-धीरे इंसान को समझते समझते ही समझ में आता है। हो सकता है उसके भाइयों ने कुछ देख कर ही भानु को उसके लिए पसंद किया होगा। आखिर सौतेली ही सही चाहत उनकी बहन है. बचपन से उनके साथ ही रह रही है। वह उसके साथ कितना ही बुरा क्यों न कर ले. पर उसे कभी भी किसी गलत इंसान के हाथों नहीं देंगे। चाहत ने भानु के साथ अपनी शादी को अपनी किस्मत मान लिया था, पर इस वक्त जिस तरीके से वह अपने दोनों भाइयों को देख रही थी, उससे ऐसा लग रहा था जैसे कि वह किसी गैर इंसान को देख रही है। भले ही दोनों ने कभी चाहत से प्यार से बात नहीं की थी, लेकिन आज तो वो ऐसा महसूस करवा रहे थे की चाहत उनकी जिंदगी में कोई वैल्यू रखती ही नहीं है। चाहत में रोते हुए कहा… “भाई! आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? मैं आपकी बहन हूं।” पुष्कर कहता है… “यहां पर इमोशनल ड्रामा करने से कुछ हासिल नहीं होगा तुम्हें. तुम्हारी शादी हो चुकी है. अब तुम अपने पति के पास जाओ। कभी कबार गुड़िया से मिलने के लिए घर आ सकती हो। हम तुम्हें मना नहीं करेंगे, लेकिन वापस तुम्हें अपने पति के पास ही जाना होगा। अगर तुम यहां पर रहने के विचार से आ रही हो तो भूल जाओ। लड़की का असली घर उसका ससुराल ही होता है।” चाहत चिल्लाते हुए कहती है… “कौन सा ससुराल? मैं उन लोगों को जानती तक नहीं हूं। आप ऐसे किसी से भी मेरी शादी नहीं करवा सकते हैं? आप लोगों को यह शादी रोकनी चाहिए थी, मैं उस हालत में नहीं थी कि अपने लिए कोई फैसला कर सकूं। आप दोनों मुझसे बड़े है. कम से कम मेरे लिए यह फैसला किया होता।” जय ने चाहत को देखते हुए कहा… “हमने कोशिश की थी उसे रोकने की. पर वह आदमी सरफिरा है। एक नंबर का पागल इंसान है. उसने जबर्दस्ती तुमसे शादी की है।” चाहत भी रोते हुए कहती है… “वही तो! वह आदमी पागल है. और उसने जबर्दस्ती मुझसे शादी की है. तो मैं इस शादी को क्यों मानूं? जब मुझे पता ही नहीं कि इस शादी के मायने क्या है?” अनीता और मेघा ने एक दूसरे को देखा. बात हद से ज्यादा बढ़ रही थी, चाहत पैनिक करने लगी थी, और यह बात ठीक नहीं थी। शादी में आए सारे मेहमानों को पता चल चुका था की चाहत की शादी किसी इंसान से हुई है. और अब तक तो इन चारों ने भी तपिश की हिस्ट्री, जियोग्राफी और केमिस्ट्री सब निकाल लिया था। जो इंसान सिर्फ कुछ लोगों के साथ यहां आकर हंगामा कर सकता है! सोचो जब वह अपनी बीवी के गायब होने पर यहां आएगा. तो क्या बवाल करेगा? अनीता ने दिमाग से काम लिया और चाहत से कहा… “चाहत हमारी बात सुनो! देखो हम यह नहीं कह रहे हैं कि तुमने कुछ गलत किया है. लेकिन सच्चाई यही है और तुम इसे एक्सेप्ट करो। अब हम तुम्हें अपने साथ नहीं रख सकते हैं. क्योंकि तुम्हारी शादी तपिश से हो चुकी है.वह तुम्हारा पति है। वह तुम्हें जहां रख रहा है, जैसे रख रहा है तुम्हें उसके साथ ही रहना है। वैसे भी अगर तुम यहां पर रही. तो समझ सकती हो ना कि हम लोगों के साथ भी परेशानी हो सकती है। क्या तुम अपने परिवार को मुसीबत में डालना चाहोगी?” तुम्हारा पति एक नंबर का पागल इंसान है। तुमसे शादी करने के लिए उसने हम सबको बंदूक की नोक पर रख दिया था, अगर कहीं उसे यह पता चल गया कि हम लोगों ने तुम्हें अपने पास रखा हुआ है.. फिर तो वह कुछ सोचे समझे बिना हम सबको जान से भी मार देगा।” क्या तुम यही चाहती हो? अपने परिवार की मौत को अपनी आंखों के सामने देख पाओगी? चाहत हमें पता है तुम इस समय बहुत ज्यादा इमोशनल हो रही हो. लेकिन थोड़ा ठंडे दिमाग से सोचो। तुम्हारा यह फैसला हम सब की जान ले सकता है. और हमारे बाद गुड़िया का क्या होगा? उसे भी अपनी तरह एक अनाथ बनाकर छोड़ोगी तुम?” चाहत के आंसू नहीं रुक रहे थे, अपनी भाभी की बात सुनकर वह रोते हुए उन चारों को देखकर कहती है… “मैंने सारी जिंदगी आप लोगों को ही अपना परिवार माना है। भले ही आप लोगों ने मुझे अपना कुछ भी नहीं माना हो, पर मेरे लिए तो आप ही सब कुछ थे। मेरे भाई, मेरी भाभी आप ही मेरे माता-पिता थे, मैंने कब उन लोगों के साथ जिंदगी गुजारी है? मैंने सारा जीवन तो आप लोगों के साथ ही गुजारा है. पर आज ऐसा लग रहा है जैसे मैं किसी झूठ में थी, किसी धोखे में थी, पहले सोचती थी कि शायद आज नहीं तो कल आप लोग मेरी तरफ कभी ना कभी तो प्यार से देखेंगे! मुझे कभी तो अपनाएंगे. पर सब झूठ था, सब धोखा था, सब मेरे मन का वहम था। आप लोग कभी मुझे नहीं अपना सकते हैं, और न ही कभी मुझसे प्यार से बात करेंगे।” आप लोग यही चाहते हैं ना कि मैं इस घर में दोबारा ना आऊं? तो ठीक है. मैं इस घर से जा रही हूं, कभी ना लौटने के लिए। लेकिन हां मैं गुड़िया से मिलने आती रहूंगी। भले ही आप लोगों ने मुझसे कोई रिश्ता ना रखा हो, लेकिन गुड़िया से मेरा रिश्ता हमेशा रहेगा। न ही आप और ना ही दुनिया की कोई ताकत मुझे मेरी गुड़िया से अलग कर सकती है।” चाहत रोते हुए वापस दरवाजे से बाहर भाग जाती है. वह चारों उसे हैरानी से देखते रहते हैं। पुष्कर जय के पास आता है और कहता है… “सब ठीक तो हो रहा है ना? कहीं ऐसा तो नहीं है कि हम चाहत के साथ जो कर रहे हैं उसका खामियाजा हमें ही भुगतना पड़े?” जय बस अपनी निगाहों से दरवाजे से जाती हुई चाहत को ही देख रहा था, इस वक्त उसके दिमाग में कुछ चल रहा था। चाहत वहां से बाहर निकलती है. और सड़क पर चलने लगती है। चलते हुए सड़क पर वह अपने जिंदगी के बारे में सोच रही थी। क्या उसकी किस्मत इतनी बुरी थी कि उसे यह दिन देखना पड़ रहा है? जिस इंसान से शादी हुई है. उस इंसान को वह जानती तक नहीं है, और जिससे होने वाली थी उसका..... 😳 अचानक से चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और वह एक जगह रुक जाती है। चाहत अपने मन में सोचने लगती है.. भानु जी! उनसे मेरी शादी हुई है। उनका परिवार मुझे जरूर अपना आएगा। जब मैं उनसे यह कहूंगी कि यह शादी धोखे से हुई है और मैं इस शादी को नहीं मानती हूं। मैं सिर्फ भानु जी से हुई अपनी शादी को ही मानती हूं. तो वह लोग मुझे जरूर अपनाएंगे। हां यही सही रहेगा. मुझे भानु जी के घर जाना चाहिए और उनके परिवार से बात करनी चाहिए। शाम होने को आई थी। चाहत के पास अब पैसे भी नहीं थे, इसीलिए वह पैदल ही भानु के घर के लिए निकल जाती है। साहिबा मेंशन.. शाम को तपिश जब वापस घर आता है तो वह सीधे सीडीओ से होता हुआ अपने कमरे की तरफ जा रहा था, लेकिन इससे पहले वह कमरे तक पहुंच पाता.. मल्लिका तपिश के सामने आ जाती है और अपने दोनों हाथ फैला कर उसका रास्ता रोक देती है। तपिश उसे देखकर एक डेंजरस लुक देता है और कहता है… “मरना है क्या? हट सामने से” लेकिन मल्लिका अपनी अदाओं की तीर चलाते हुए तपिश के पास आती है और उसके शर्ट के कॉलर को छेड़ते हुए कहती है… “हाय तेरे लिए तो मरने को भी तैयार हूं।” तपिश अपने हाथों से मल्लिका का हाथ झड़कते हुए कहता है… “तेरा यह शौक जल्दी पूरा करूंगा। पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है कि तेरी मौत मेरे हाथ ही होगी।” मल्लिका हंसते हुए तपिश के गले में अपनी बाहें डाल देती है. और उसकी आंखों में देखते हुए कहती है… “अरे जालिम! मैं तो तेरे प्यार में पहले ही मर गई हूं.अब मैं भी तेरी और यह जान भी तेरी. चाहे तो निकाल ले।” तपिश उसके हाथ अपने गले से खींच कर हटाता है और उसे दीवार पर धक्का देते हुए कहता है… “दफा हो जा यहां से. पने यह हुस्न के तीर मुझ पर मत चलाया कर। तेरा यह हुस्न का जादू उन लोगों पर ही चलता होगा जिन्होंने कभी हुस्न देखा ना हो। तू खूबसूरत है .. लेकिन खूबसूरती के मामले में तू बस एक चिंगारी है और मेरे पास पूरी आग है।” मल्लिका की आंखें गुस्से से बड़ी हो जाती है और वह अपने दांत पीसते हुए कहती है… “किसकी बात कर रहा है तू? कौन है जो मुझसे ज्यादा खूबसूरत है?” तपिश को मल्लिका के चेहरे पर जलन साफ नजर आ रही थी, उसने फिर से मुस्कान के साथ कहा… “मेरी बीवी को देखा है कभी? नहीं देखा है तो गौर से देखना। खूबसूरती के मामले में वह तुझसे कई ज्यादा खूबसूरत है।” चाहत की तारीफ तपिश के मुंह से सुनकर मल्लिका का चेहरा और गुस्से से भर जाता है। वह गुस्से में तपाक से कहती है… “इनकार नहीं करुंगी,तेरी बीवी वाकई में बहुत खूबसूरत है। अगली बार किसी दुश्मन के पास अपनी बीवी को भेज. साबित कर कि वह मुझसे ज्यादा काबिल है।” तपिश का पूरा चेहरा गुस्से से भर गया और उसकी वह कंजी आंखें एकदम से लाल हो गई। उसने मल्लिका के गले को दबाते हुए दीवार से लगा दिया और गुस्से में दांत पीसकर कहने लगा... “तुझे दुश्मनों के साथ सोने के लिए इसीलिए भेजते हैं ताकि तू उनका राज हम तक ला सके। अपनी बराबरी मेरी बीवी से मत करना. क्योंकि बाजार में बैठी वैश्या, रानी से भले ही सुंदर होती होगी पर रानी बनने के लिए अदाएं नहीं.. मर्यादा देखी जाती है।” मल्लिका पहले तो गुस्से में तपिश को देख रही थी, तपिश की पकड़ से उसका गला सच में घुट रहा था, पर उसने पूरा जोर लगाकर तपिश के हाथ को अपने गले से दूर झटक दिया. हालांकि यह मल्लिका के लिए बहुत मुश्किल था, लेकिन तपिश ने खुद ही उसका गला छोड़ दिया था क्योंकि वह इस वक्त इस पागल औरत को मार नहीं सकता था, उसे अभी इसकी जरूरत थी। मल्लिका जोर-जोर से सांस लेते हुए अपनी लाल आंखों से तपिश को घूरते हुए कहती है… “जिस मर्यादा और इज्जत का डंका पीट रहा है ना तू.. तेरी बीवी उस मर्यादा को अपने पैर के नीचे कुचलकर भाग गई है यहां से।” तपिश का पूरा चेहरा सख्त हो जाता है. और वह गुस्से में मल्लिका को देखते हुए कहता है… “क्या बकवास कर रही है?” मल्लिका के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ जाती है और वह तपिश को देखकर कहती है… “मैं बकवास नहीं कर रही हूं सच कह रही हूं। जा,जा के देख ले तेरी बीवी भाग गई है यहां से. क्योंकि वह तेरे साथ नहीं रहना चाहती है।” तपिश का खून उबाल मारने लगा था. वह गुस्से में और तेज कदमों के साथ अपने कमरे की तरफ बढ़ जाता है. और उसे इस तरीके से जाता देख मल्लिका शैतानी मुस्कान के साथ कहती है… “तपिश की तपिश को सिर्फ मैं बर्दाश्त कर सकती हूं. क्योंकि तुझ जैसे पत्थर से टकराने के लिए ऐसी लड़की का साथ चाहिए, जो खुद पत्थरों से टकराया हो और वह लड़की तो मोम की गुड़िया है। अगर तपिश के पास आएगी तो पिघल जाएगी।”
चाहत पैदल ही भानु के घर के लिए निकल जाती है। उधर तपिश अपने कमरे से निकलता है. और सीडीओ से नीचे उतरने लगता है तभी दरवाजे से आतिश, तेज, मुन्ना और पंडित आते हैं। वह चारों जब तपिश को इतने गुस्से में देखते हैं। तो हैरान हो जाते हैं। तेज, पंडित के कानों में कहता है… “यह तपिश भाई इतने गुस्से में क्यों नजर आ रहे हैं? कुछ हुआ है क्या?” मुन्ना खुद हैरान होता है वह कहता है… “अब यह तो पूछ कर ही पता चलेगा.” तपिश दरवाजे से निकलने वाला होता है कि आतिश कहता है… “कहां जा रहे हो और तुम इतने गुस्से में क्यों हो?” आतिश की बात पर तपिश रुक जाता है और गुस्से में सबको देखने लगता है. लेकिन उसने चाहत के बारे में किसी से कुछ नहीं कहा। वह किसी को परेशान नहीं करना चाहता था, उसने आतिश से कहा… “मैं बस थोड़ी देर में आ रहा हूं। कुछ काम है।” उसके बाद तपिश बाहर चला जाता है वह पलट कर देखता भी नहीं है। आतिश उसे इस तरीके से जाता देख हैरान हो जाता है। दूसरी तरफ चाहत पैदल चलते-चलते आखिरकार भानु के घर पहुंची गई थी। जैसे ही वह भानु के घर के अंदर कदम रखती है तो देखती है.. सब लोग हाल में बैठे हुए हैं और सभी लोगों ने सफेद कपड़े पहने हुए हैं। भानु का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। भानु की मां एक तरफ बदहवासी की हालत में पड़ी हुई थी और उसे कुछ औरतें संभाल रही थी। भानू के पिता अपना सर पकड़कर बैठे हुए थे. उनके साथ उनके दो-तीन रिश्तेदार और बैठे हुए थे। वहीं एक तरफ वह लड़की भी बैठी हुई थी। जो भानु की मिस्ट्रेस थी। चाहत दरवाजे पर खड़े होकर सबको देख रही थी, तभी एक औरत का ध्यान चाहत की तरफ जाता है और वह हैरानी से कहती है… “यह लड़की यहां क्या कर रही है?” उसके कहने पर सब लोग दरवाजे की तरफ देखते हैं. चाहत को देखकर सब हैरान हो जाते हैं। भानु के पिता अपनी जगह से खड़े होते हैं और कहते हैं… “तुम यहां क्या कर रही हो?” चाहत उनसे कहती है... “अंकल जी मैं अपने पति के घर आई हूं। मुझे यहां रहने दीजिए।” इसी के साथ चाहत घर के अंदर कदम रखने को होती है. कि तभी भानु की मां चिल्लाते हुए चाहत के सामने आती है और उस पर बरसते हुए कहती है… “अपने मनहूस कदम मेरे घर के अंदर मत रखना।” चाहत डर कर दो कदम पीछे हो जाती है। भानु की मां गुस्से में दरवाजे के पास आती है और चाहत पर चिल्लाते हुए कहती है… “दफा हो जा यहां से. हमें तेरी मनहुसियत का साया हमारे घर में नहीं चाहिए। निकल जा अभी, इसी वक्त यहां से. इससे पहले तुझे धक्के मार कर घर से बाहर निकाले।” चाहत रोते हुए सबको देख रही थी, उसने भानू की मां से कहा… “ऐसा मत करिए. मैं कहां जाऊंगी? मुझे यहां रहने दीजिए. मैं घर के किसी कोने में पड़ी रहूंगी। मैं आप लोगों के आगे हाथ जोड़ती हूं। कम से कम मुझे इसलिए ही यहां रहने दीजिए कि भानु जी से मेरी शादी हुई है।” तभी भानु के पिता आगे आते हैं और चाहत को गुस्से में देखते हुए कहते हैं... “ए लड़की! तेरा यह जो भी ड्रामा है ना यह जाकर अपने भाइयों के पास करना। निकलो यहां से. और हां उस नाटक को तुम शादी मान सकती हो. हम लोग नहीं। अब जब भानु ही नहीं रहा. तो तुम किस शादी की बुनियाद पर यहां पर रहने की मांग कर रही हो।” चाहत रोते हुए उन लोगों को देखती है। चाहत के आंसू तेज हो गए थे और वह उन लोगों से कहती है… “कोई नाटक नहीं हुआ था, आप सब थे वहां पर. पूरे रस्मों के साथ मेरी भानू जी से शादी हो रही थी, उन्होंने मेरे गले में मंगलसूत्र की पहनाया था।” तभी वह लड़की वहां पर आती है और चाहत के बाजू को पकड़ते हुए उसे ज़ोर से दरवाजे पर धक्का दे देती है. चाहत संभल नहीं पाती है और उसका सर दरवाजे से जा लगता है। चाहत हैरानी से उस लड़की को देखती हैं जो गुस्से में चाहत को घूर रही थी, वह लड़की चिल्लाते हुए चाहत से कहती है… “तेरी समझ में नहीं आ रहा है क्या? निकल यहां से. इससे पहले कि मैं तेरी जान ले लूं। तेरी वजह से मेरे भानू की जान गई है। तेरी वजह से भानू हम सबको छोड़ कर चला गया है, तेरी वजह से मेरी दुनिया उजड़ गई है और तू यहां खड़ी होकर भानू की पत्नी होने का हक जाता रही है? अरे पत्नी तो तू उस तपिश रंधावा की है. उसने तुझसे शादी की है। वह है तेरा असली पति. जा जाकर मर अपने पति के पास क्योंकि मेरे पति को तो मार दिया है उसने।” चाहत जैसे ही उस लड़की के मुंह से यह सुनती है। उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है और उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है। भानु की मां उस लड़की के पास आती है और उसे संभालते हुए कहती है… “शिफाली शांत हो जाओ. तुम्हारे लिए इतना गुस्सा करना ठीक नहीं है।” चाहत अभी भी दंग नजरों से उन सबको देख रही थी। उसने अपनी लड़खड़ाती हुई जबान में कहा… “कि.. क्या कहा तुमने भानु की पत्नी तुम? मतलब कहना क्या चाहती हो तुम?” शेफाली गुस्से में चाहत को देखकर कहती है… “मैं भानु की पत्नी हूं उसकी पहली पत्नी. सुना तुमने। अब निकलो यहां से।” चाहत अभी भी अपनी आंखें फाड़े बस उन्हें देख रही थी। शैफाली ने चाहत की बाजू को पकड़ा और उसे धक्के मारते हुए घर से बाहर ले गई चाहत कुछ रिएक्ट नहीं कर पा रही थी, क्योंकि शेफाली की बातों से ही वह गहरे सदमे में चली गई थी, वह चाहत को धक्के मारते हुए घर से बाहर लाती है और बाहर सड़क पर लाकर फेंक देती है। चाहत हैरानी से शेफाली को देख रही थी तो शेफाली गुस्से में चाहत को देखते हुए वहां से चली जाती है। चाहत हैरानी से उस बंद दरवाजे को देख रही थी। वह अपनी जगह से खड़ी होती है और दरवाजा खोलने के लिए उसे अपने हाथों से पीटने लगती है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ किसी ने दरवाजा नहीं खोला। दरवाजा पीट पीट कर जब चाहत के हाथ थक गए तो वह हार कर पीछे हो जाती है और रोते हुए उस घर को देखने लगती है। चाहत हताश कदमों के साथ सड़क पर चलने लगी थी। शेफाली की बातें उसके कानों में शीशे की तरह घुल रही थी, उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था. अगर शेफाली भानु की पत्नी थी, तो भानु उससे शादी क्यों कर रहा था? और शेफाली उस शादी में शामिल कैसे हो सकती है? चाहत अपनी ही सोच में खोई हुई आगे बढ़ती है. तभी सामने से एक स्कॉर्पियो आती है और चाहत से कुछ कदम की दूरी पर खड़ी हो जाती है। चाहत हताशा से चल रही थी लेकिन जब उसने चेहरा उठाकर उस स्कॉर्पियो को देखा तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गई। ड्राइविंग सीट पर तपिश बैठा हुआ था जो अपनी कंजी आंखों से चाहत को घूर रहा था। तपिश को देखकर चाहत के कदम जम गए थे और उसकी रीड की हड्डी में सिहरन पैदा हो गई थी। तपिश गाड़ी का दरवाजा खोलने ही वाला था की चाहत अपने लहंगे को उठाकर उलटी दिशा में भागने लगती है। उसे ऐसा भागता देख तपिश जल्दी से अपनी आंखें बंद कर लेता है। चाहत तेज कदमों से सड़क पर भागे जा रही थी और उसे भागता हुआ देख तपिश धीरे से कहता है… “सुना था की बीवियां अपने पीछे भगाती है. सोचा नहीं था मुझे भी करना पड़ेगा।” चाहत जितनी हो सके उतने तेज कदमों के साथ वहां से दौड़ लगाती है। हालांकि उसके शरीर में ताकत बिल्कुल खत्म हो चुकी थी, लेकिन तपिश से बचने के लिए उसे शायद एनर्जी बूस्टर मिल गया था। चाहत भागते-भागते उस जगह से दूर चली जाती है और तभी उसकी नजर एक पुलिस की गाड़ी पर पड़ती है। जिसके साथ एक आदमी खड़ा था जिसकी पीठ चाहत की तरफ थी, चाहत पुलिस वाले को देखती है और उनसे मदद की उम्मीद करती है कि कानून जरूर चाहत की मदद करेगा। चाहत भागते हुए उस पुलिस वाले के पास जाती है और हांफते हुए उसे देखकर कहती है… “प्लीज मेरी मदद कीजिए... वह पुलिस वाला फोन पर किसी से बात कर रहा था, पर जैसे वो ही चाहत को देखता है. अपना फोन रखते हुए कहता है… “मैडम आप ऐसे बाहर क्यों घूम रही है? क्या हुआ है? कुछ प्रॉब्लम है क्या? मुझे बताइए मैं आपकी मदद करूंगा।” चाहत रोते हुए कहती है… “वह आदमी, वह आदमी मुझे जबरदस्ती अपने साथ ले जाना चाहता है। मैं उसके साथ नहीं जाना चाहती हूं। प्लीज आप मेरी मदद कीजिए. वह बहुत खतरनाक है उसने मेरे पति को भी मार दिया है।” यह सुनकर उस ऑफिसर के चेहरे पर हैरानी के भाव आ जाते हैं और वह गुस्से में कहते हैं… “मार दिया है..मर्डर? इसका मतलब उसने किसी का मर्डर किया? खून खराबा वह भी मेरे इलाके में? एसीपी अक्षत के इलाके में? मैडम आप फिकर मत कीजिए। कानून आपकी मदद जरूर करेगा और उस अपराधी को तो मैं कड़ी से कड़ी सजा दिलवाऊंगा आप चलिए मेरे साथ. बताइए मुझे की किसने आपके पति को मारा है।” चाहत को बहुत सुकून महसूस हुआ यह सुन कर की कोई उसकी मदद करेगा. चाहत के चेहरे की घबराहट थोड़ी कम होती है। अब कानून उसकी मदद कर रहा था और कानून पर तो चाहत को इतना भरोसा था ही कि वह उसे निराश नहीं करेगा। अक्षत ने चाहत के लिए दरवाजा खोला. चाहत अंदर गाड़ी में बैठ जाती है और अक्षत दूसरी तरफ से जाकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। वह कहता है… “बताइए मैडम कहां है वह खूनी? मैं अभी उसे अरेस्ट करता हूं।” चाहत कहती है… “वह दूसरी तरफ है।” अक्षत गाड़ी स्टार्ट कर देता है और गुस्से में चाहत के बताए हुए डायरेक्शन पर चल देता है। चाहत देखती है कि अक्षत का पूरा चेहरा गुस्से से भरा हुआ है। मतलब कि वह इस वक्त उस खूनी को पकड़ने के लिए बहुत एक्साइड है। अब तपिश पकड़ा जाएगा और कानून उसे सजा देगा। यह सोचकर चाहत को सुकून महसूस हो रहा था। तभी उनकी गाड़ी वापस एक सड़क पर आती है और चाहत देखती है. सामने ही तपिश की स्कॉर्पियो खड़ी है। चाहत उस गाड़ी को देखकर अक्षर से कहती है… “वो रहा खूनी. उस गाड़ी में बैठा हुआ है।” तपिश भी अपने सामने पुलिस की गाड़ी को देखता है तो उसकी आंखें सख्त हो जाती है। वह गुस्से में गाड़ी से बाहर निकलता है। यहां पर अक्षत का भी पूरा चेहरा गुस्से में भर गया था, वह भी अपनी गाड़ी से बाहर निकलता है। चाहत भी तपिश को देखकर घबरा गई थी. धीरे से गाड़ी का दरवाजा खोलती है और बाहर आ जाती है। अक्षत गुस्से में तपिश को देखकर कहता है… “मैडम आपको पूरा यकीन है कि यही है वह आदमी जिसने आपके पति का खून किया है?” चाहत हां में सर हिलाती है और कहती है. “यही है वह आदमी. जिसने मेरे पति को मारा है आप इसे अरेस्ट कीजिए।” अक्षत गुस्से में तपिश को देखते हुए कहता है… “आप फिकर मत कीजिए।” उसके बाद अक्षत एक-एक कदम तपिश की तरफ बढाने लगता है और तपिश अपनी गाड़ी के पास अपने दोनों हाथ कमर पर रखकर बहुत ही स्टाइल से खड़ा था, लेकिन उसकी तीखी नजर अक्षत के ऊपर थी जो उसके पास ही आ रहा था. अक्षत तपिश के बिल्कुल सामने आ जाता है और उसे घूरते हुए देखने लगता है। तपिश की नजरे भी सख्त थी और वह भी अक्षत को घूर कर देख रहा था, अक्षत ने तपिश को ऊपर से लेकर नीचे तक स्कैन किया और गुस्से में दांत पीसते हुए कहा.. “बड़े से बड़ा कमिना देखा है मैंने.. पर तुझ जैसा क**** आज तक नहीं देखा...। मिठाई ना खिलानी पड़े इस वजह से चुप चाप शादी कर ली?” चाहत. 😵
चाहत हैरानी से अपनी आंखें बड़ी किए सामने देख रही थी। उसका मुंह खुला का खुला रह गया था और इतना खुल गया था कि उसमें मक्खी छोड़ो, मच्छी घुस जाए। 😁 अक्षत ने तपिश से कहा… “मिठाई के पैसे बचा लिए हैं कंजूस कहीं का।” और धीरे-धीरे तपिश के चेहरे पर एक चौड़ी मुस्कान आ जाती है. अक्षत के चेहरे पर भी एक मुस्कान आ जाती है। दोनों एक दूसरे को देखकर हंसने लगते हैं। चाहत बस मुंह फाड़े उन दोनों को देख रही थी.. अक्षत और तपिश हंसते-हंसते एक दूसरे के गले लग जाते हैं। अक्षत तपिश के पीठ पर दो-तीन मुक्के मारते हुए कहता है… “मुबारक हो मेरे यार।” तपिश मुस्कुराते हुए अक्षत को देखता है और कहता है… “कंजूस नहीं हूं बस मौका ही नहीं मिला तेरा मुंह मीठा करने का। बहुत जल्द तुझे शादी की पार्टी मिल जाएगी।” चाहत बस हैरानी से उन दोनों को देखे जा रही थी, अक्षत ने चाहत को देखते हुए कहा… “अरे भाभी! आप बाहर क्यों खड़ी है? बाहर कितनी गर्मी हो रही है। तपिश की गाड़ी में एसी चल रहा है आप आराम से जाकर बैठ जाइए।” चाहत का तो पूरा चेहरा हैरानी से भर गया था. अक्षत ने तपिश को देखते हुए कहा… “यार यह भाभी ऐसे भाग क्यों रही है? और यह क्या बोले जा रही थी?” तपिश ने कहा… “कुछ भी नहीं. वह दरअसल अपनो से दूर आई है ना तो थोड़ा इमोशनल हो गई है। इसीलिए कुछ भी बोल जाती है. और जहां तक बात रही इसके भागने की.. तो मुझसे कह रही थी इस साल मैराथन में पार्टिसिपेट करेगी। बस इसीलिए प्रेक्टिस कर रही थी।” अक्षत अजीब सा मुंह बनाते हुए कहता है… “मैराथन की प्रैक्टिस लहंगे में?” तपिश घूरते हुए अक्षत को देखकर कहता है… “तुझे क्या? मेरी बीवी है. लहंगे में भागे या साड़ी में?” अक्षत अपने कंधे उच्चकाते हुए कहता है… “मुझे क्या? तेरी बीवी है जैसे मर्जी वैसे भागा ।” तपिश धीरे-धीरे करके चाहत के पास आने लगता है और चाहत उसे ऐसे अपने पास आता देख और घबराने लगती है। वह भी एक-एक कदम पीछे लेने लगती हैं. लेकिन शायद तपिश की स्पीड ज्यादा ही थी। इससे पहले की तपिश चाहत के पास पहुंच पाता.. चाहत वहां से भगाने के लिए पीछे घूमती है. पर तपिश जल्दी से आगे बढ़कर चाहत का हाथ पकड़ लेता है। चाहत घबराई नजरों से तपिश को देख रही थी तो तपिश कहता है… “तुम्हारे भगाने का शौक पूरा हो गया है तो चुपचाप घर चलो।” चाहत अपनी कलाई को छुड़वाते हुए कहती है… “छोड़ो मुझे! मुझे तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना है। तुमने पुलिस वाले को भी अपने साथ मिला रखा है।” लेकिन तपिश ने चाहत का हाथ नहीं छोड़ा और उसे देखते हुए कहा... “किसी को भी अपने साथ नहीं मिलाया है. दोस्त है मेरा और इसे तुम्हारे सामने इसीलिए भेजा था, कि तुम्हें इस बात का पता चल सके कि मुझसे दूर जाने का कोई रास्ता नहीं है तुम्हारे पास। यहां तक की पुलिस भी मेरे साथ है. इसीलिए जो बेवकूफी कर ली वह कर ली. अब चुपचाप घर चलो।” तपिश चाहत को खींचता हुआ अपने साथ गाड़ी के पास लाता है.तभी चाहत जोर से अपना हाथ खींचते हुए रूकती है और अक्षत को देखकर कहती है… “शर्म आनी चाहिए तुम्हें. पुलिस वाले होकर लोगों की मदद करने की बजाय एक गुंडे का साथ दे रहे हो?” अक्षत गहरी सांस छोड़ता है और कहता है… “देखिये भाभी! मैं नहीं जानता कि आपके और तपिश के बीच में क्या प्रॉब्लम्स है. लेकिन अगर तपिश आपको अपने साथ ले जा रहा है तो प्लीज आप उसके साथ चली जाइए। यह आपको नुकसान नहीं पहुंचाएगा. इतना तो मैं इसे जानता ही हूं।” तपिश चाहत को ले जाकर गाड़ी में बिठा देता है और गाड़ी लॉक करके अक्षत से कुछ बात करने लगता है। चाहत को उनकी बातें तो सुनाई नहीं दे रही थी लेकिन उन दोनों के एक्सप्रेशन इस समय नॉर्मल नहीं थे। थोड़ी देर बाद तपिश वापस आता है. और ड्राइविंग सीट पर बैठकर गाड़ी स्टार्ट कर देता है। चाहत गुस्से से बस उसको देखे जा रही थी। लेकिन तपिश ने एक बार भी चेहरा घूमा कर चाहत की तरफ नहीं देखा। बल्कि वह सीधे ड्राइविंग पर ही फोकस कर रहा था। उनकी गाड़ी जैसे ही साहिबा मेंशन में इंटर होती है। तपिश गाड़ी का दरवाजा खोलकर बाहर आता है और चाहत की तरफ का दरवाजा खोलते हुए कहता है… “बाहर निकलो” चाहत गुस्से में तपिश को देखते हुए कहती है… “मैं नहीं आऊंगी. मुझे नहीं जाना है तुम्हारे साथ।” तपिश कसके अपनी आंखें बंद कर लेता है और चाहत का हाथ पकड़ कर उसे गाड़ी से बाहर खींच लेता है। चाहत गुस्से में तपिश को घूर रही थी और तपिश ने गाड़ी का दरवाजा बंद करते हुए कहा… “रात काफी हो गई है. सब सो गए होंगे। खबरदार जो घर के अंदर अपने मुंह से एक आवाज निकाली तो.” तो क्या करोगे..? चाहत ने भी तपिश को आंखें दिखाते हुए कहा। तपिश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है और वह कहता है… “तो मैं तुम्हारे होठों पर फेविक्विक डालकर परमानेंट चिपका दूंगा।”😈 चाहत बस आंखें फाड़े तपिश को देखे जा रही थी, यह टॉर्चर करने का तरीका हो भी सकता है? यह कहां से ढूंढ ढूंढ कर ऐसे नायाब तरीका लाता है? तपिश चाहत को लेकर अपने साथ वापस घर के अंदर आता है और इस बार उसका हाथ पकड़ते हुए उसे सीडीओ से ले जाता हुआ सीधे कमरे में ले जाता है। चाहत फिर से उस डेविल रूम में आ चुकी थी। दिन में तो इस कमरे को देखकर उसकी हालत खराब हो गई थी, लेकिन रात में तो यह कमरा पूरा हैल की फीलिंग दे रहा था । रात में तो यह और ज्यादा डरावना हो गया था। कमरे में लाकर तपिश चाहत का हाथ छोड़ देता है। चाहत जल्दी से दो कदम पीछे हो जाती है और तपिश को गुस्से में घूरते हुए देखकर कहती है… “चाहते क्या हो तुम मुझसे?” तपिश आराम से चाहत को देखता है और कहता है… “फिलहाल तो मैं बस इतना ही चाहता हूं कि मेरी बीवी मेरे साथ रहे।” चाहत ने गुस्से में कहा… “मैं तुम्हारी बीवी नहीं हूं। मैं नहीं मानती हूं शादी को।” तपिश अपने कोल्ड लुक के साथ कहता है… “वह तुम्हारी प्रॉब्लम है कि तुम शादी को नहीं मानती हो. पर मैं तो मानता हूं ना। और जब मैं मानता हूं तो क्या फर्क पड़ता है कि कोई इसे माने या ना माने। इसीलिए इस बारे में बहस करने से बेहतर है कि चुपचाप मेरे साथ रहो।” उसके बाद तपिश के चेहरे पर एक शरारती एक्सप्रेशन आ जाते हैं. और वह कहता है… “ठीक है लड़ते हुए अच्छी लगती हो. लेकिन सुहागरात पर लड़ना अच्छी बात नहीं है। लड़ने के लिए पूरी उम्र पड़ी है।” सुहागरात का जिक्र होते ही चाहत की सांस गले में अटक जाती है और उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। वह अपनी उंगली दिखाते हुए तपिश से कहती है… “खबरदार जो मेरे करीब आने की कोशिश भी की तो। मैं तुम्हारा सर फोड़ दूंगी।” तपिश अपने चेहरे पर एक मुस्कान लेते हुए धीरे-धीरे चाहत की तरफ कदम बढ़ाता है. और चाहत की बुरी किस्मत वह फिर से उस डेथ डेविल की पेंटिंग की तरफ बढ़ रही थी, पर इससे पहले कि वह उस दीवार से लग पाती.. तपिश ने उसकी कमर को पकड़ते हुए अपने करीब कर लिया। चाहत बस आंखे पड़े हैरानी से तपिश को देख रही थी और तपिश ने अपने चेहरे पर तिरछी मुस्कान रखते हुए कहा… “अगर मुझे तुम्हारे करीब आना है. तो तुम क्या दुनिया की कोई ताकत मुझे यह करने से नहीं रोक सकती है। डेमो दिखाऊ?” चाहत बस आंखें फाड़े तपिश को देख रही थी, कि तभी तपिश ने अपने हाथ से चाहत के ब्लाउज की डोरी पीछे से खींच दी। एक डोरी के सहारे टिका हुआ उसका ब्लाउज पीछे से खुल गया. और उसकी पीठ रिवील होने लगी। तपिश चाहत को छोड़ देता है और चाहत अपने ब्लाउस को संभालते हुए उस डेथ डेविल की पेंटिंग से जाकर लग जाती है। अब तक चाहत की नजरों में जो गुस्सा था अब वह घबराहट में बदल गया और वह घबराते हुए तपिश को देखने लगी. जाहिर सी बात है वह तपिश के साथ उसके कमरे में है। अगर तपिश उसके साथ कुछ भी करता है तो वह मदद के लिए किसे बुलाएगी? चाहत की आंखों में आंसू आ गए थे और वह हैरान नजरों से तपिश को देख रही थी, तपिश ने ड्रोर में से एक सिगरेट की डिब्बी निकलते हुए कहा… “तुम मेरी बीवी हो और तुम्हारे साथ कुछ करने के लिए मुझे तुमसे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है। पर क्या है ना अपनी सुहागरात के लिए मैंने एक ड्रीम फेंटेसी सजा के रखी हुई है। मैंने सोचा है कि मेरी बीवी एक हॉट सी, सेक्सी सी, ट्रांसपेरेंट नाइटी में मेरे सामने आएगी और वह एक सेक्सी सा डांस करके मुझे अपने करीब बुलाएगी.” तपिश एक सिगरेट को अपने होठों से लगाते हुए उसे लाइटर से जलाता है. और उसके धुएं को हवा में उड़ाते हुए कहता है… “लेकिन जिस हालत में तुम हो. मेरा बिल्कुल भी मन नहीं है तुम्हारे पास आने का। इसलिए जाओ बाथरुम में जाकर अच्छे से फ्रेश हो जाओ और उसके बाद अगर तुम्हारा मन करे तो हॉट नाइटी पहनकर भी कमरे में आ सकती हो. आई एम रेडी।” चाहत घबराते हुए तपिश को देखकर कहती है… “क्या मतलब है तुम्हारा? कि तुम रेडी हो?” तपिश सिगरेट के धुएं को हवा में उड़ाते हुए हंसता है और कहता है… “माय डियर वाइफ. मेरा सिर्फ नाम ही तपिश नहीं है बल्कि हॉटनेस मेरे चेहरे पर भी दिखती है। अगर तुमने मुझे बिना कपड़ों के देखा और कहीं मेरी हॉटनेस से अट्रैक्ट होकर तुम खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाई? तो अपनी बीवी को संभालने के लिए मुझे ही तो आगे आना होगा ना?” चाहत का चेहरा हैरानी के साथ गुस्से से भर जाता है. और वह कहती है… “बकवास बंद करो अपनी।” तपिश हंसने लगता है और कमरे के एक कोने में इशारा करते हुए कहता है… “कभी खरीदे नहीं है लड़कियों के कपड़े. जो समझ में आया ले आया। किचन में खाना लेने जा रहा हूं फ्रेश होकर खाओगी या ऐसे ही खाओगी?” चाहत घूरते हुए तपिश को देख रही थी, और तपिश हंसता हुआ सिगरेट के धुएं को हवा में उड़ाता हुआ. कमरे से बाहर निकलते हुए कहता है… “शायद ऐसे ही खाने का इरादा है।” तपिश के जाने के बाद चाहत हैरानी से उस कमरे को देख रही थी. धीरे से उस दीवार से अपने ब्लाउस को संभालते हुए ड्रेसिंग के पास आती है और अपनी पीठ देखने लगती है। उसकी पूरी पीठ खुल चुकी थी. चाहत कमरे के फर्श पर नजर दौडाते हुए अपनी डोरी को ढूंढने लगती है। पता नहीं तपिश ने कैसे उसकी डोरी खींचकर फेंकी है अब मिल भी नहीं रही है। तभी चाहत की नजर उन पैकेट पर जाती है। जाहिर सी बात है पूरा एक दिन हो गया था, उसे इस भारी से लहंगे में घूमते हुए। और अब तो चाहत को खुद के शरीर से भी पसीने की बदबू आने लगी थी. मरता क्या ना करता वाली सिचुएशन में फस कर चाहत धीरे-धीरे उन पैकेट के पास जाती है। वहां पर करीब 5 पैकेट रखे हुए थे, वह धीरे से एक पैकेट उठाती है तो उसमें प्लाजो सूट का एक सेट था। मजबूरी में आकर चाहत को वह कपड़े लेने ही पड़े। चाहत ने दिन में इस कमरे में वॉशरूम का इस्तेमाल किया था इसीलिए उसे वॉशरूम का पता था। वह वॉशरूम में जाती है और उस सूट को निकालती है। तभी उस पैकेट में से कुछ नीचे जमीन पर गिरता है। चाहत हैरानी से नीचे देखती है तो उसकी आंखें और ज्यादा हैरानी से बड़ी हो जाती है। यह एक लॉनजरी का सेट था. चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। वह जल्दी से उस लॉनजरी को उठाकर वापस बैग में डालती है और कहती है… “बदतमीज इंसान. इतना भी नहीं पता है की लड़कियों के ऐसे कपड़े नहीं खरीदने चाहिए. पता नहीं क्या सोचकर उसने मेरे लिए ये खरीदा है?” चाहत फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आती है। वह टॉवल से अपने हाथ पोंछ रही थी कि तभी वह देखती है.. तपिश कमरे में पहले से ही मौजूद है। उसने टेबल पर खाना भी लाकर रख दिया है। पर जब तपिश की नजर चाहत पर जाती है तो वह हैरान रह जाता है। उसका मुंह खुला का खुला रह जाता है। आसमानी रंग के सूट सलवार में चाहत बहुत खूबसूरत लग रही थी। तपिश चाहत की तरफ बढ़ने लगता है और चाहत उसे अपनी तरफ आता देख घबरा जाती है। वह चाहत के पास आते हुए उसके गले में कुछ झांक रहा था। जब चाहत उसे ऐसा करते हुआ देखती है तो जल्दी से अपने हाथ में पकड़े हुए टॉवल को अपने सीने पर रखते हुए कहती है… “क्या देख रहे हो?” तपिश के चेहरे पर एक शरारती मुस्कान आ जाती है. वह कहता है… “देख रहा हूं सारी चीज पहनी है या नहीं?”
तपिश इस समय बाथरूम में था और चाहत रूम के बीचो-बीच खड़ी थी, उसकी एक नजर पहले उस टेबल पर गई जिस पर खाना रखा हुआ था। सच बात तो यह थी की चाहत ने सुबह से कुछ नहीं खाया था और इस वक्त उसे सच में बहुत ज्यादा भूख लग रही थी, लेकिन उसका एक मन कह रहा था कि उसे यहां का कुछ भी नहीं खाना चाहिए। तपिश बाथरूम के अंदर खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था। वह बस यह चाहता था की चाहत के सामने कुछ ऐसा ना कह दे, जिससे चाहत और डर जाए। फ्रेश होकर तपिश बाहर आता है तो उसकी आंखें छोटी हो जाती है, क्योंकि चाहत दरवाजे पर खड़ी थी और उसके हैंडल को घूमाते हुए दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी, पर दरवाजा खुल ही नहीं रहा था। तपिश धीरे-धीरे करके चाहत के पास आता है और उसके पीछे खड़े होते हुए कहता है… “क्या कर रही हो?” चाहत एक दम से डर जाती है और दरवाजे पर पीठ लगा कर खड़ी हो जाती है। वह डरी हुई नजरों से तपिश को देखकर कहती है… “मैं! कुछ भी नहीं, मैं वह तो..” लेकिन तपिश को एहसास हो गया था की चाहत क्या करने की कोशिश कर रही थी, उसकी आंखें छोटी हो जाती है और वह कहता है… “सारा दिन यहां से वहां भागते हुए तुम थक नहीं गई? चुपचाप खाना खा लो और सो जाओ।” तपिश यह कह कर जाने के लिए मुड़ा ही है, कि तभी चाहत कहती है… “मुझे खाना नहीं खाना है।” तपिश अपनी गर्दन घुमा कर चाहत को देखता है और कहता है… “सच कह रही हो? तुम्हें सच में खाना नहीं खाना है?” चाहत हां में सर हिलाती है। तपिश एक गहरी सांस लेता है और फिर सारा खान एक ट्रे में रखकर चाहत को देखकर कहता है… “ठीक है! जब नहीं खाना हो तो खाना, बाहर रखकर खराब क्यों करना है? वैसे भी बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्हें एक वक्त का खाना नसीब नहीं होता है। इसलिए खाने की कदर करनी चाहिए।” तपिश ट्रे लेकर चाहत के सामने खड़ा होता है। चाहत की नजर खाने के ऊपर से हट ही नहीं रही थी, तपिश कहता है… “हटो सामने से” तपिश के कहने से चाहत होश में आती है और दरवाजे से साइड हो जाती है। अब जाकर चाहत का ध्यान गया था कि दरवाजे के साथ की दीवार पर एक पैनल लगा हुआ है, और उसमें कुछ नंबर्स हैं। पता नहीं तपिश ने कौन सा नंबर इंटर किया कि दरवाजा खुल गया। चाहत मुंह फाड़े बस देखती रह गई! और तपिश बाहर चला गया। दरवाजा बंद होने के बाद, चाहत उस पैनल के पास जाती है और कहती है.. “दरवाजा बंद करने के लिए नंबर कौन लगाता है?” कहां फंस गई मैं! मुझे जल्द से जल्द यहां से निकलना होगा। लेकिन मैं जाऊंगी कहां पर? भाई ने तो अपने घर में आने से मना कर दिया और भानु जी का परिवार.. वो लड़की कह रही थी कि वह भानु की पत्नी है। मुझे इस बारे में पता करना होगा.. मुझे लगता है कि जो चीज जितनी सीधी तरीके से दिखाई जा रही है, उतनी है नहीं। लेकिन इन सब को जानने के लिए मुझे यहां से निकलना होगा। अब मैं यहां से निकलूं कैसे और जाऊंगी किसके पास? तभी चाहत को प्रेरणा का ख्याल आता है और वह कहती है… “प्रेरणा! हां मैं प्रेरणा के घर जा सकती हूं। जब तक कहीं और रहने का इंतजाम नहीं हो जाता, तब तक मैं उसके पास रह लूंगी।” चाहत यह सब सोच ही रही थी, कि तभी दरवाजा फिर से खुलता है और तपिश अंदर आता है। तपिश चाहत के पास आते हुए कहता है… “2512” चाहत मुंह बनाते हुए कहती है… “मुझे नहीं चाहिए तुम्हारा नंबर। तपिश के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ जाती है और वह चाहत के ऊपर झुकते हुए कहता है… “यह मेरा नंबर नहीं है। दरवाजे का कोड है। दरवाजा खोलने के लिए तुम्हें इस कोड का इस्तेमाल करना होगा।” चाहत मुंह बनाते हुए तपिश को देख रही थी. तपिश सीधा खड़ा होते हुए कहता है… “खाना तो खाना नहीं है. सोना है या वह भी नहीं करना है?” चाहत गुस्से में तपिश को देख कर कहती है… “मैं तुम्हारे साथ नहीं सोऊंगी।” तपिश की हंसी छूट जाती है और वह हंसते हुए कहता है… “मैं सिर्फ सोने की बात कर रहा था। मेरे साथ सोने की बात तो तुमने ही की है। वैसे मुझे कोई दिक्कत नहीं है, अगर तुम मेरे साथ सोना चाहती हो तो।” चाहत गुस्से में तपिश को देखने लगती है तो तपिश एक-एक कदम पीछे लेते हुए मुस्कुराते हुए कहता है... “यह कमरा और यह बंदा, दोनों तुम्हारा ही है. बाकी तुम खुद समझदार हो।” ऐसा कहते हुए तपिश अपने शर्ट के बटन खोलने लगा। चाहत जब उसे ऐसा करता देखती है. तो जल्दी से अपनी आंखें बंद करके चेहरा घूमा लेती है। तपिश के चेहरे पर एक मिस्टीरियस मुस्कान थी और उसने अपना शर्ट उतार दिया। अब तो वो सिर्फ अपने पेंट में खड़ा था और उसकी मस्कुलर चेस्ट सामने थी। चाहत में अपनी आंखें बंद किए हुए अपना चेहरा फेर रखा था, वह तपिश की तरफ देख भी नहीं रही थी। और तपिश अपने दोनों हाथ बांधे चाहत को देख रहा था। जब 2 मिनट तक चाहत में अपना चेहरा उठाकर तपिश को नहीं देखा. तो तपिश चाहत के पास आते हुए कहता है… “रोक पाओगी?” चाहत में गुस्से में कहा… “तुम्हें शर्म नहीं आती? एक लड़की के सामने बिना कपड़ों के खड़े हो?” “मैं तो पैदाईसी बेशर्म हूं। जब पैदा हुआ था तब भी बिना कपड़ों के ही था और जहां तक बात रही लड़की के सामने शर्माने की, तो मैं क्या तुम्हारी भाभी हूं जो तुमसे शरमऊंगा? तुम मेरी बीवी हो इसीलिए मुझे तुमसे कोई भी शर्म नहीं है।” चाहत गुस्से में तपिश को देखते हुए कहती है… “देखो तुम्हारी... “😳 तभी अचानक से चाहत की चीख निकल जाती है। वह चीखते हुए अपने हाथों को अपने मुंह पर रख लेती है। तपिश की आंखें छोटी हो जाती है और वह कहता है… “क्या हुआ चिल्ला क्यों रही हो?” चाहत अपने एक हाथ से तपिश के सीने पर इशारे करते हुए कहती है… “तुम्हारे यहां पर एक कीड़ा है।” तपिश अपने सीने पर देखता है और उसकी आंखें छोटी हो जाती है। वह चाहत को देखकर कहता है... “जर्मन डिजाइन का 3D किया हुआ स्कॉर्पियो टैटू तुम्हें कीड़ा नजर आ रहा है?” चाहत हैरानी से तपिश को देखते हुए कहती है… “टेटू?” तपिश हां में सर हिलाते हुए कहता है… “हां यह टैटू है। अब तुम्हारे सवाल जवाब खत्म हो गए हैं तो सोने चले? मुझे नींद आ रही है।” चाहत घूरकर तपिश को देखकर कहती है… “मैंने कहा ना मुझे तुम्हारे साथ नहीं सोना है।” तपिश उबासी लेते हुए कहता है… “तुम्हारे पास इसके अलावा और कोई चारा भी नहीं है। या तो बेड पर मेरे साथ सो लो. या फिर सोफे पर सो जाओ।” चाहत गुस्से में तपिश को देखते हुए कहती है… “एक और रास्ता है मेरे पास.. क्यू ना मैं सारी रात यहीं पर खड़ी रहूं?” तपिश अपने कंधे उचकाते हुए कहता है… “तुम्हारी मर्जी! अगर तुम्हें यह करने में मजा आ रहा है, तो शौक से खड़ी रहो।” कहकर तपिश बेड की तरफ जाने के लिए मुड़ता है, तभी चाहत फिर से घबरा जाती है, और जल्दी से अपने मुंह पर हाथ रख लेती है। क्योंकि तपिश की पूरी पीठ पर एक ईगल का टैटू था, और उसके पंख के डिजाइन तपिश के बाइसेप्स तक आ रहे थे। तपिश के टैटू कहीं से भी नॉर्मल नहीं थे। 3D प्रिंट टैटू बिल्कुल रियल की तरह लगते थे और उसके पीठ पर ईगल के टैटू की आंखें तो बिल्कुल ऐसी थी, कि वह अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से चाहत को ही घूर रहा था। तपिश बेड पर पेट के बल लेट जाता है। और आंखें बंद कर लेता है। चाहत बस उसे देख रही थी। काफी समय हो गया, तपिश वैसे ही पेट के बल लेटा हुआ सो चुका था। बहुत देर तक जब तपिश अपनी जगह से नहीं हिलता है और ना ही कुछ रिएक्ट करता है। तब जाकर चाहत को एहसास होता है कि वह सच में सो चुका है, लेकिन अब चाहत क्या करे? उसने कह तो दिया था कि वह ऐसे ही खड़ी रहेगी, पर सारे दिन की भाग दौड़ की वजह से उससे खड़ा भी नहीं रहा जा रहा है। ऊपर से भूखे पेट तो उसे और नींद नहीं आएगी। चाहत के पेट में से आवाज भी आने लगी थी। उसने अपने पेट को कस के पकड़ते हुए कहा… “बहुत कस्के भूख लगी है। यह पागल आदमी खाना क्यों वापस रख कर आ गया? उसे यही छोड़ देता। मैं इसके सोने के बाद खा लेती। अब क्या करूं? इतने कस के भूख लगी है कि मुझे यहां से भागा भी नहीं जाएगा और भूखे पेट कुछ सोचा भी नहीं जा रहा है।” तभी चाहत को एक आईडिया आता है। वह जल्दी से पहले तपिश को झांक कर देखती है। तपिश की आंखें बंद थी और मुंह हल्का सा खुला हुआ था। चाहत ने अपने मन में कहा… “लगता है सो गया।” उसके बाद चाहत सीधे दरवाजे पैनल पर जाती है, और वहां पर नंबर डायल करती है 2512. एक कटक की आवाज के साथ दरवाजा खुल जाता है, और चाहत धीरे से दरवाजा खोलकर बाहर चली जाती है। वह गैलरी से जाते हुए इधर-उधर देख रही थी। पूरे घर में अंधेरा था. सिर्फ कहीं-कहीं पर इमरजेंसी लाइट जल रही थी। चाहत धीरे से सीडीओ से होते हुए हाल में आती है और इधर-उधर नजर दौड़ने लगती है। तभी उसकी नजर हाल के दूसरे तरफ बने एक जगह पर जाती है और वह अंदाजा लगाती है कि शायद यह किचन है। चाहत दबे पांव किचन की तरफ जाती है और हल्का सा दरवाजा खोलकर देखती है! उसके अंदाज के मुताबिक यह किचन ही था। चाहत खुश हो जाती है और किचन में चली जाती है। किचन को देखकर उसकी आंखें एकदम से बड़ी हो जाती है “बाप रे बाप! यहां इंसानों का खाना बनाया जाता है या बारातियों का? इतना बड़ा किचन और इतना सारा सामान? अब इतने सारे सामान में खाने का सामान कहां ढूंढे?” तभी चाहत को फ्रिज नजर आता है। चाहत फ्रिज खोलकर देखती है तो पूरा फ्रिज खाने के समान से भरा हुआ था। यह देखकर चाहत की भूख डबल हो जाती है। लेकिन फ्रिज में रखे रहने की वजह से सारा खाना ठंडा था। अब चाहत खाना निकालेगी, उसे गर्म करेगी, फिर उसे खाएगी. तब तक तो उसकी भूख के मारे हालत खराब हो जाएगी। यही सोचते हुए चाहत ने फ्रिज बंद किया और कुछ और सोचने लगी। वह देखती है कि किचन में रखे हुए टेबल के बीचो-बीच फ्रूट बास्केट है और उसमें चार पांच एप्पल रखे हुए हैं। चाहत अपने मन में कहती है… “एक काम करती हूं, पहले सेब खा लेती हूं उसके बाद खाना गरम कर लूंगी।” चाहत फ्रूट बास्केट के पास जाती है और उसे उठाकर उसमें से एक एप्पल निकलना चाहती है, पर जैसे ही वह फ्रूट के बास्केट को उठाती है.. उसकी डंडी टूट जाती है और सारा एप्पल नीचे जमीन में गिर जाता है। चाहत अपना सर पीट लेती है और नीचे जमीन में घुटनों के बल बैठकर टेबल के नीचे से एक-एक एप्पल उठकर ऊपर टेबल पर रखने लगती है। वह बस हाथ को ऊपर करके सारे एप्पल को टेबल के ऊपर रख रही थी। सारे एप्पल उठाने के बाद चाहत टेबल के ऊपर हाथ रखती है, तो उसे एहसास होता है कि जहां उसने अभी इतने सारे एप्पल रखे थे, वहां पर एक भी एप्पल नहीं है। चाहत धीरे से टेबल से झांकते हुए ऊपर देखती है तो उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है, क्योंकि सामने एक लड़का खड़ा था। और वह लड़का कोई और नहीं तेज था। तेज किचन में पानी लेने आया था, उसके कमरे में पानी खत्म हो गया था, लेकिन जब वह किचन में आता है तो देखता है कि टेबल पर एक हाथ आ रहा है। जो एप्पल को टेबल पर रख रहा है और यह देखकर तेज की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। चाहत धीरे से अपनी जगह पर खड़ी होती है। तेज और चाहत एक दूसरे को देख रहे होते हैं। दोनों की आंखें एक साथ बड़ी हो जाती है और दोनों एक साथ चिल्लाते हुए कहते हैं… “आआआआ.. चोर..... चोर!”
तेज और चाहत ने एक साथ चोर कहकर चिल्लाया । यह आवाज इतनी तेज थी, कि जो लोग नींद में सोए थे, ऐसे घबरा कर उठ गए जैसे की कोई भूकंप आया हो और एक साथ पूरे घर की लाइट जल जाती है। सब लोग अफरा तफरी में चोर को ढूंढने के लिए लग जाते हैं। आतिश इस वक्त अपने कमरे में सोया नहीं था, बल्कि वह कमरे की खिड़की से बाहर चांद को देख रहा था, तभी उसके कानों में जोर से चोर चोर की आवाज आती है। वह इस वक्त अपने ऑटोमेटिक व्हीलचेयर पर बैठा हुआ था। आतिश व्हीलचेयर का बटन प्रेस करते हुए बाहर आता है, तो देखता है सब लोग चोर को ढूंढने के लिए गन, पिस्टल, लाठी, डंडा और जो मिल रहा है सब लेकर तैयार खड़े हैं। तपिश अभी-अभी अपने कमरे से बाहर निकाला था, दरअसल जब चाहत कमरे से बाहर निकली थी, तब वह सो नहीं रहा था वह सिर्फ आंखें बंद करके पड़ा हुआ था। सोता भी कैसे, चाहत पूरी रात जागने वाली थी। यह सोच कर उसे नींद नहीं आ रही थी। तभी तपिश के कानों में दरवाजा खुलने की आवाज आती है, और उसके चेहरे पर एक तिरछी मुस्कान आ जाती है। जैसे ही चाहत दरवाजे से बाहर निकलती है। तपिश अपनी आंखें खोलते हुए बेड पर बैठ जाता है और कहता है… “लगता है अभी और पापड़ बेलने हैं, इसीलिए सब कहते हैं शादी का लड्डू जो खाए वह भी पछताए, जो न खाए वह भी पछताए. हम खा कर पछता रहे हैं। तपिश बेड से नीचे उतरता है और अपनी शर्ट पहनते हुए उसके बटन लगाते हुए कमरे से बाहर आता है, पर बाहर आते ही उसके कानों में तेजी से चोर चोर के चिल्लाने की आवाज आती है, और एक साथ सारी हवेली की लाइट जल जाती है। तपिश सीडीओ से नीचे उतरता हुआ आता है और कहता है… “कहां है चोर?” मुन्ना और पंडित जो अपने हाथों में झाड़ू और डंडा लेकर खड़े थे। वह तपिश को देखते हैं तो मुन्ना कहता है… “भाई चोर अभी तक मिला तो है नहीं. पर जैसे ही मिलेगा साले की ऐसी हालत करेंगे ना की जिंदगी में कभी अपने घर पर भी चोरी नहीं कर पाएगा। आया हमारे घर पर चोरी करने के लिए।” तभी एक आदमी आकर कहता है… “हमने हर जगह देख लिया है चोर यहां तो नहीं है। मुन्ना कहता है… “आवाज कहां से आई?” पंडित कहता है.. “शायद किचन से आई थी, हो सकता है चोर किचन में हो?” तभी अचानक से तपिश को चाहत का ख्याल आता है। वह तेज कदमों से किचन की तरफ बढ़ जाता है और किचन में दाखिल होती ही उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। तपिश के पीछे-पीछे मुन्ना,पंडित और आतिश भाई भी किचन में आ गए थे, और सामने का नजारा देखकर वह भी दंग रह गए। टेबल के एक तरफ तेज अपने हाथों में रोटी पलटने वाले चिमटी को लेकर उसे किसी हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा था और उसी के ठीक सामने टेबल के दूसरी तरफ चाहत, एक लौकी को किसी हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि दोनों उस टेबल के इर्द गिर्द जंग लड़ रहे हैं, क्योंकि पूरे टेबल पर सामान बिखरे पड़े हैं। कटोरी ,चम्मच प्लेट, बिस्कुट के पैकेट, नमकीन के पैकेट सेब, अंगूर, केले, पपीते । और चाहत और तेज का तो पूछो ही मत। उन दोनों ने तो जैसे टोमेटो केचप से होली खेली हो। उन दोनों को ऐसा देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं. आतिश जोर से चिल्लाते हुए कहता है… “तेज क्या हो रहा है यह सब?” चाहत और तेज का ध्यान उन सब की तरफ जाता है। तेज जल्दी से आतिश और तपिश के पास आते हुए कहता है… “भाई यह लड़की चोर है! यह हमारे किचन से एप्पल चुरा रही थी।” तपिश घूरते हुए तेज को देख रहा था और फिर उसने चाहत की तरफ देखा, जिसने जल्दी से अपना सर ना में हिलाया । आतिश ने तेज को डांटते हुए कहा… “क्या बकवास कर रहे? होश में तो हो? तुम्हें पता है किसके बारे में बात कर रहे हो?” तेज जल्दी से कहता है… “हां! मैं जानता हूं कि किसके बारे में बात कर रहा हूं! इस लड़की के बारे में, यह लड़की चोर है। लेकिन इसे पता नहीं है, इसने किसके घर में चोरी की है। जब इसे पता चलेगा ना तो होश उड़ जाएंगे इसके।” आतिश अपना हाथ बढ़ाकर तेज के कान खींचते हुए कहता है… “बहुत जुबान चल रही है तेरी! कुछ कहने से पहले सोचता नहीं है ना, किसके बारे में कह रहा है? क्या कह रहा है? और उसे क्या पड़ी है अपने ही घर में चोरी करने की?” तेज हैरानी से अपने कान को आतिश की हाथों से खींचते हुए कहता है… “अपने ही घर में? यह घर इस लड़की का कब से हो गया?” मुन्ना ने कहा… “जब से तपिश भाई ने इससे शादी की है।” मुन्ना की बात सुनकर तेज की आंखें हैरानी से बड़ी होती है, और वह मुंह खोलते हुए मुन्ना को देख रहा था। अब जाकर उसने अपना चेहरा घुमा के तपिश को देखा, जो अपनी घूरती हुई निगाहों से तब से तेज की बकवास सुन रहा था। तेज हैरानी से तपिश को देख रहा था और तपिश की निगाहें जो इस समय तेज के ऊपर थी, वह कहीं से भी प्यार तो नहीं जता रही थी। आतिश ने तेज को मारते हुए कहा… “बदतमीज लड़के, अपनी भाभी से ऐसी बात करते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती? उसे चोर साबित कर दिया? उसे क्या जरूरत है यहां चोरी करने की? जाओ जाकर माफी मांगो उससे।” लेकिन तेज तो अभी भी हैरानी सी आंखें फाड़े सिर्फ तपिश को ही देख रहा था और तपिश तेज को घूरता हुआ चाहत के पास जाता है, और चाहत को देखते हुए कहता है… “तुम इस वक्त यहां क्या कर रही हो?” चाहत ने अपना चेहरा हल्का सा नीचे झुका रखा था, उसने तपिश को देखते हुए धीरे से कहा… “मुझे भूख लग रही थी,तो मैं कुछ खाने आ गई थी।” इस पर आतिश ने कहा… “तपिश चाहत ने खाना नहीं खाया है? तपिश ने चेहरा घूमा कर आतिश से कहा… “कोशिश की थी, पर इसको तब भूख हड़ताल पर बैठना था।” तेज तपिश के पास आता है और गुस्से में कहता है… “भाई यह सब क्या है? आपने शादी कर ली मुझे, बताया तक नहीं! तपिश ने कहा… “मुझे खुद नहीं पता था कि मैं शादी करने जा रहा हूं, तो तुझे क्या बताता।” लेकिन तेज अपने गुस्से को कायम रखते हुए कहता है… “वह सब मैं कुछ नहीं जानता हूं! अरे मैंने कितने सपने सजाए थे आपकी शादी को लेकर, आपने सारे सपनों पर पानी फेर दिया और आप शादी करके बैठ गए।अब मेरा क्या होगा? मेरे सपनों का क्या होगा? मैंने सोचा था आपकी घोड़ी के आगे नागिन डांस करूंगा। यहां पर तो आप ही ने मेरी बैंड बजा दी। और ठीक है शादी कर ली..मुझे भाभी से मिलवाया क्यों नहीं?” चाहत में घूरते हुए तेज को देखकर कहा… “मैं तुम्हारी भाभी नहीं हूं! चाहत की यह कहते ही सब हैरानी से देखने लगे, लेकिन तपिश ने बात को संभालते हुए कहा… “इसके कहने का मतलब यह है कि इसकी उम्र इतनी नहीं है ना, कि कोई इसे भाभी बुलाए, इसे अजीब लगता है।” तेज ने हल्की सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए कहा … “अरे भाभी! अब आप तपिश भाई की पत्नी है, तो इस नाते आप हम सब की भाभी हुई ना? तो भाभी को भाभी नहीं बुलाएंगे तो और क्या बुलाएंगे और मैंने जो आपके ऊपर यह टोमेटो केचप फेंका है उसके लिए सॉरी हां। मुझे नहीं पता था कि आप कौन हैं।” आतिश अपनी ऑटोमेटिक व्हीलचेयर को आगे लाते हुए कहता है… “चाहत तेज सबसे छोटा है,इसलिए कभी-कभी उलटी सीधी हरकतें कर देता है। उसकी बातों का बुरा मत मानो और रात काफी हो गई है जाकर सो जाओ।” उसके बाद आतिश, तपिश को देखकर कहता है… “चाहत को खाना खिला दो।” तपिश हां में सर हिलता है और किचन से सब एक-एक करके चले जाते हैं। सबके जाने के बाद तपिश चाहत को देखता है, जो उसे घूरते हुए देख रही थी। चाहत ने तपिश को देखते हुए कहा… “आपने सबको सच क्यों नहीं बताया?” तपिश की आंखें छोटी हो गई और उसने कहा… “कौन सा सच?” चाहत ने कहा… “यही कि मैं आपकी पत्नी नहीं हूं।” तपिश घूरते हुए चाहत को देखकर कहता है… “और मैं ऐसा क्यों कहूंगा? जबकि यह सच नहीं है. बल्कि सच तो यह है कि तुम मेरी पत्नी हो।” तपिश वहां से सीधे रेफ्रिजरेटर की तरफ चला जाता है और वहां से खाना निकाल के माइक्रोवेव में रखना लगता है। वह चाहत को देखकर कहता है… “यही खाओगी या रूम में जाकर?” चाहत गुस्से में तपिश को देखकर कहती है… “मुझे नहीं खाना।” तभी चाहत के पेट से आवाज आने लगती है। जो तपिश को भी सुनाई देती है और उसके चेहरे पर तिरछी मुस्कान आ जाती है, पर चाहत की आंखें हैरानी से बड़ी हो जाती है। सत्यानाश उसके पेट ने उसे गलत वक्त पर ही धोखा दिया। वह जल्दी से अपने पेट पर दोनों हाथ रखकर दबाने लगती है, ताकि आवाज बाहर ना आए। तपिश चाहत को देखकर कहता है… “तुम्हें भले ही ना खाना हो, पर तुम्हारे पेट को बहुत कस के भूख लगी है। उसे इस वक्त खाने की जरूरत है, क्योंकि तुम्हारे दिमाग में जो भी खुराफात करने की चल रही है। उसके लिए तुम्हें एनर्जी की जरूरत होगी, और उसके लिए तो खाना खाना जरूरी होता है ना वाइफी।” चाहत गुस्से में तपिश को देख रही थी। तपिश खाने की ट्रे चाहत के सामने लाता है और कहता है… “अब बताओ यही खाओगी या रूम में?” चाहत जल्दी से तपिश के हाथ से खाने की ट्रे लेती है और उसे लेकर सीधे दरवाजे से बाहर भाग जाती है। तपिश ऐसे उसे जाता हुआ देखकर हंसने लगता है। चाहत सीडीओ से होते हुए जल्दी से रूम पर पहुंचती है और सोफे पर बैठकर जल्दी-जल्दी खाने लगती है, इसलिए कि तपिश के आने से पहले खाना खत्म कर ले, लेकिन उसकी बुरी किस्मत ऐसा हो ही नहीं पाया। दरवाजा अचानक खुलता है और तपिश अंदर आ जाता है। चाहत के मुंह में खाना था और तपिश के एसे आने से, वह अचानक से खांसने लगती है। चाहत आसपास पानी ढूंढने लगती है लेकिन खाने के चक्कर में वह अपने साथ पानी लेकर ही नहीं आई थी। तभी तपिश चाहत के सामने पानी का गिलास कर देता है। तपिश को पता था की चाहत सिर्फ खाना लेकर गई है। पानी नहीं ले गई है, इसीलिए वह अपने साथ पानी लेकर आया था। चाहत खाते हुए तपिश को देख रही थी, तो तपिश ने कहा… “पहले पानी पी लो, खाना अटक जाएगा. और जहां तक मुझे घूरने का काम है.. वह तुम खाना खाने के बाद भी कर सकती हो।” अचानक से चाहत की खांसी और तेज हो जाती है। तपिश जल्दी से पानी का गिलास चाहत की होठों पर लगा देता है और चाहत धीरे-धीरे पानी पीने लगती है। तपिश पानी का गिलास वापस टेबल पर रखते हुए खड़ा होता है, और चाहत को देखते हुए कहता है… “मुझे पता है तुम्हारे मन में बहुत सारे सवाल है और तुम्हें उन सबके जवाब मिलेंगे, लेकिन इसके लिए तुम्हें सबसे पहले दिमाग से शांत होना होगा। और इसके लिए तुम्हारे पास पूरी रात है। इस रूम के साथ एक अटैच रूम और भी है। खाना खाने के बाद तुम वहां जाकर आराम कर सकती हो।” तपिश यह कहता हुआ ड्रेसिंग टेबल के पास जाता है, और वहां से दरवाजा खोलकर अटैच रूम ओपन कर देता है। चाहत यह देखकर हैरान रह जाती है, अटैच रूम! यह तो हिडन रूम था। उसे तो अब तक पता ही नहीं चला कि यह कोई डिज़ाइन नहीं बल्कि दरवाजा है। तपिश वापस आता है और चाहत के सामने आकर उसे कहता है… “जितना वक्त तुम्हें चाहिए उतना वक्त मुझे भी चाहिए।”