विशाखापट्टनम की रत्नामनी के लिए उसका छोटा भाई ही उसकी पूरी दुनिया थी. लेकिन जब उसका भाई जिंदगी और मौत के बीच लड़ने लगा तब जैसे रत्ना का पूरा जीवन ही बिखर गया. और तभी उसकी जिंदगी में एक ऐसा प्रस्ताव आता है जो उसकी पूरी दुनिया ही बदल कर रख देता है, एक... विशाखापट्टनम की रत्नामनी के लिए उसका छोटा भाई ही उसकी पूरी दुनिया थी. लेकिन जब उसका भाई जिंदगी और मौत के बीच लड़ने लगा तब जैसे रत्ना का पूरा जीवन ही बिखर गया. और तभी उसकी जिंदगी में एक ऐसा प्रस्ताव आता है जो उसकी पूरी दुनिया ही बदल कर रख देता है, एक अनजान शख्स से शादी का सौदा। एक ऐसा शख्स जिसे उसने ना तो कभी देखा है और ना ही उसके बारे में कुछ जानती है. वह एक रहस्यमई इंसान है जिसकी पूरी जिंदगी एक नकाब के पीछे छुपी हुई है। पर यह सौदे की शादी सिर्फ एक शादी नहीं है बल्कि एक चुनौती है रत्ना के लिए.. उसे उस मस्क मैन को इंप्रेस करना होगा उसका दिल जीतना होगा क्या रत्ना यह करने में कामयाब होगी या वह फस रही है किसी जाल में..। जाने के लिए पढ़ते रहिए मेरी यह नॉवेल Blind Love Behind the Mask
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हमें बहुत अफसोस है, लेकिन पैसों के बिना हम उनका इलाज आगे नहीं कर सकते और हो सकता है कि इसकी वजह से उनकी जान भी चली जाए... "नहीं डॉक्टर, नहीं! प्लीज, आप ऐसा मत कहिए... मैं वादा करती हूँ कि मैं सारे पैसों का इंतज़ाम कर दूंगी," 24 साल की रत्ना ने काँपते हुए होठों से डॉक्टर से गुहार लगाई, लेकिन डॉक्टर ने उसे बस सहानुभूति भरी नज़रों से देखा। रत्ना ने अपनी आँखें बंद कीं और एक नज़र अपने भाई पर डाली, जो वेंटिलेटर पर लेटा हुआ था। उसके बाद वो अस्पताल से बाहर निकल आई। वो बस सड़क पर चलती जा रही थी, उसका दिमाग शून्य हो चुका था, आँसू बह रहे थे और दिल में अब कोई उम्मीद नहीं बची थी। आसमान में धीरे-धीरे अंधेरा घिरने लगा था, और उसका अस्तित्व भी उसी अंधेरे में डूबता जा रहा था। बेजान होकर वो सड़क पर बस आगे बढ़ती जा रही थी। उसने दक्षिण भारतीय परिधान पहना हुआ था। उसका छोटा भाई सिर्फ 11 साल का था और मौत से जूझ रहा था, लेकिन वो उसकी मदद के लिए कुछ नहीं कर पा रही थी। वो इतनी बेबस थी कि उसे बचाने के लिए पैसे तक नहीं जुटा पा रही थी। हारकर रत्ना ने ठान लिया कि वो कुछ भी करने के लिए तैयार है, अगर अपने भाई को बचाने के लिए उसे खुद का सौदा भी करना पड़े, तो भी वो पीछे नहीं हटेगी। आखिर, वो एक साधारण लड़की थी, उसके पास इतने पैसे कहाँ से आते? हाँ, देखने में वो बेहद सुंदर थी, उसके नैन-नक्श तीखे थे। विशाखापट्टनम के माधवरम नामक गाँव से आई रत्ना आज मुंबई जैसे विशाल शहर में अपनी जगह ढूँढ रही थी। 24 साल की रत्ना छह महीने पहले अपने भाई को लेकर मुंबई आई थी, क्योंकि उसके हार्ट में प्रॉब्लम थी और गाँव में इसका इलाज संभव नहीं था। रत्ना पढ़ी-लिखी थी। साउथ के कई इलाकों में फ्री शिक्षा उपलब्ध होती है, जहाँ कान्वेंट स्कूलों में बेहतरीन पढ़ाई होती है। इसी वजह से उसकी अंग्रेज़ी बहुत अच्छी थी और वो काफी समझदार भी थी। उसका साँवला चेहरा, लेकिन तीखे नैन-नक्श उसे अलग पहचान दिलाते थे। उसके लंबे, हल्के घुंघराले बाल थे, जिन्हें वो हमेशा चोटी में बाँधकर रखती थी। दक्षिण भारतीय कपड़ों में, बालों में गजरे का फूल लगाए वो अपनी परंपरा से जुड़ी रहती थी। उसे देखकर ही लोग समझ जाते थे कि वो दक्षिण भारतीय संस्कृति की मिसाल है। पिछले छह महीनों से रत्ना मुंबई के फोर्ट हॉस्पिटल में अपने भाई का इलाज करवा रही थी। इस दुनिया में उसका भाई ही उसका सब कुछ था। लेकिन आज जब उसने डॉक्टर से सुना कि अब इलाज के लिए पैसे नहीं हैं, तो जैसे उसकी दुनिया ही उजड़ गई। अपने ख्यालों में गुम रत्ना को एहसास तक नहीं हुआ कि कब सड़क सुनसान हो गई और वो अब भी एक बेंच पर अकेली बैठी हुई थी। ऐसे में वो और कर भी क्या सकती थी? शायद किसी चमत्कार का इंतज़ार कर रही थी... आम इंसान और कर भी क्या सकता है? लेकिन चमत्कार होते नहीं... बाकियों के लिए शायद ये सच हो, मगर रत्ना के मामले में एक चमत्कार हुआ। अचानक, एक ब्लैक सेडान कार उसके सामने आकर रुकी। रत्ना अपनी परेशानी में इतनी डूबी थी कि उसने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। वो अब भी अपने विचारों में गुम थी। उसके हाथ में एक कीपैड वाला पुराना सा फोन था, और वो उम्मीद कर रही थी कि किसी को मदद के लिए कॉल कर सके। लेकिन किसे? इस दुनिया में वो अनाथ थी। माता-पिता के गुजर जाने के बाद उसका भाई ही उसका एकमात्र सहारा था... और अब वो भी मर रहा था। ऐसे में वो मदद के लिए किसे पुकार सकती थी? इस बड़े शहर में वो किसी को जानती तक नहीं थी। तभी, सेडान कार का दरवाज़ा खुला और उसमें से एक 26 साल का लड़का बाहर निकला। उसने सफेद शर्ट और काली पैंट पहन रखी थी। हाथ में एक फाइल थी और चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वो सीधे रत्ना के पास आया और दो कदम की दूरी पर खड़े होकर बोला, "मैडम, क्या आपको इस वक्त पैसों की जरूरत है?" ये सुनकर भी रत्ना अपने दुखों से बाहर नहीं आई। वो अब भी अपने ख्यालों में डूबी थी। उसने बस हल्के से सिर हिलाया और धीरे से कहा, "हाँ, मुझे पैसों की बहुत जरूरत है..." "तो आप पैसों के लिए क्या कर सकती हैं?" लड़के का यह सवाल सुनकर भी रत्ना अपनी दुखभरी दुनिया से बाहर नहीं आई। उसने बिना कुछ सोचे-समझे कहा, "कुछ भी..." "क्या आप वर्जिन हैं?" यह एक ऐसा सवाल था जिसे सुनकर रत्ना एकदम से होश में आ गई और उसने लड़के को पलटकर देखा। अब जाकर पहली बार रत्ना ने देखा कि उसके सामने कौन खड़ा है, लेकिन आदमी से ज्यादा हैरानी उसे इस सवाल पर हुई कि वह उससे इस तरह का सवाल क्यों पूछ रहा है। "क्या मतलब है आपका?" रत्ना ने थोड़ी तमिल-मिश्रित हिंदी में सवाल किया। लड़का मुस्कुराते हुए रत्ना को देखकर बोला, "सवाल साफ है, मैडम। अगर आप वर्जिन हैं, तो पैसों के लिए मैं आपकी मदद कर सकता हूं... बताइए, क्या आप वर्जिन हैं?"
रत्ना हैरानी से उस आदमी को देख रही थी, जो उसके सामने इस वक्त अपने चेहरे पर बत्तीसी मुस्कान लिए उसे घूर रहा था। उसने इतनी आसानी से ये सवाल पूछ लिया था, जैसे कि ये कोई बड़ी बात नहीं थी। हालांकि, एक लड़की के लिए ये बहुत बड़ी बात होती है। रत्ना ने हैरानी से उस आदमी को देखते हुए कहा, "इसका क्या मतलब है?" उस लड़के ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मतलब साफ है, मैडम। अगर आप वर्जिन हैं, तो आपकी जो भी पैसों की जरूरत है, वो पूरी हो जाएगी। इन फैक्ट, जितनी आपकी जरूरत है, उससे ज्यादा ही मिलेगी। लेकिन इसके लिए आपको पहले टेस्ट करवाना होगा, ताकि ये कंफर्म हो जाए कि आप सच में वर्जिन हैं। अगर आप तैयार हैं, तो आपको मेरे साथ चलना होगा।" वो लड़का एकदम नॉर्मल तरीके से रत्ना से ये कह रहा था और रत्ना बस उसे सुन रही थी। एक नजर उसने उस लड़के को देखा और फिर दूसरी दिशा में देखने लगी। उसके दिमाग में बस एक ही सवाल चल रहा था—ये कोई मौका है, या सच में कोई चमत्कार हुआ है, या फिर ये कोई मजाक है? "मैम, क्या आप इस बारे में सोचेंगी?" लड़के ने फिर से रत्ना से सवाल किया। रत्ना ने अपना सिर न में हिलाते हुए कहा, "नहीं… अपने भाई के इलाज के लिए मुझे पैसों की जरूरत है, और उन पैसों के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूं। मुझे तुम्हारा सौदा मंजूर है। बताओ, क्या टेस्ट करना है?" लड़के के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने सिर हिलाते हुए कहा, "जी, बिल्कुल। मैं आपको सब कुछ समझाऊंगा, लेकिन पहले ही बता दूं कि इसमें बहुत खतरा हो सकता है। अगर आपका टेस्ट नेगेटिव निकला, तो क्या होगा?" रत्ना खड़ी हो गई और अपने आंसू पोंछते हुए बोली, "अगर मेरा टेस्ट नेगेटिव निकला, तो मुझे जान से मार देना।" उसकी आंखों में विश्वास झलक रहा था। उसने पूरे आत्मविश्वास के साथ ये बात कही थी। लड़के के चेहरे पर चमक आ गई। उसने हल्का सा सिर हिलाया और आगे बढ़कर गाड़ी का दरवाजा खोल दिया। रत्ना के हाथों में पसीना आ गया था। उसने जल्दी से अपने साउथ इंडियन कपड़ों की स्कर्ट को कसकर पकड़ा, गहरी सांस ली और आखिरकार गाड़ी की तरफ कदम बढ़ा दिए। वो गाड़ी में बैठ गई और लड़का भी दूसरी तरफ से जाकर उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया। फिर उसने ड्राइवर को गाड़ी चलाने का ऑर्डर दिया। जैसे ही गाड़ी स्टार्ट हुई, लड़के ने अपने हाथ में रखी फाइल रत्ना की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "ये रही वो शर्तें, जो आपको पूरी करनी होंगी। इन्हें एक बार पढ़ लीजिए। आपको पैसे कैसे मिलेंगे, वो सब इसमें लिखा हुआ है।" रत्ना ने फाइल ली और हैरानी से देखने लगी। वो लड़का सच में अपने साथ एक कॉन्ट्रैक्ट फाइल लेकर आया था। उसने हैरानी से लड़के की तरफ देखते हुए कहा, "लेकिन अभी तक टेस्ट हुआ नहीं है।" लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, "जितने विश्वास के साथ तुमने कहा कि अगर टेस्ट फेल हुआ तो तुम्हें जान से मार दिया जाए, उससे मुझे नहीं लगता कि टेस्ट फेल होगा। इसलिए मैं चाहता हूं कि तुम एक बार कांट्रैक्ट पेपर पढ़ लो और तय करो कि तुम्हें सच में पैसे चाहिए या नहीं। अगर तुम्हें पैसे चाहिए, तो तुम्हें ये सारी शर्तें माननी होंगी। वरना ड्राइवर तुम्हें वापस अस्पताल के एंट्रेंस पर छोड़ देगा।" रत्ना ने एक नजर फाइल पर डाली, लेकिन तभी उसकी आंखों के सामने उसके भाई का चेहरा आ गया। उसने अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश की और फिर दूसरा हाथ आगे बढ़ाकर कहा, "पेन।" लड़का चौंक गया और हैरानी से बोला, "तुमने अभी तक कॉन्ट्रैक्ट पढ़ा नहीं है, एक बार पढ़ तो लो।" रत्ना ने ठंडे स्वर में कहा, "मुझे फर्क नहीं पड़ता इसमें क्या टर्म्स एंड कंडीशंस लिखी हैं। जितनी दर्द भरी जिंदगी मैंने देखी है, कम से कम इससे तो आसान ही होगी। इस वक्त मुझे सिर्फ पैसों की जरूरत है, और अगर इस पर साइन करने से मुझे पैसे मिल रहे हैं, तो मुझे फर्क नहीं पड़ता इसमें क्या लिखा है और क्या नहीं। तुम मुझे पेन दो, मैं साइन कर रही हूं। जहां तक इसे पढ़ने की बात है, तो वो मैं बाद में पढ़ लूंगी। इस वक्त मुझे अपने भाई को बचाना है।" लड़का हैरानी से रत्ना को देख रहा था। मुनाजुक सी दिखने वाली ये लड़की सच में नाजुक नहीं थी। वो अंदर से बहुत मजबूत और आत्मविश्वास से भरी हुई थी। उसकी आंखों में एक अटूट दृढ़ता नजर आ रही थी। उस लड़के ने अपनी जेब से पेन निकालते हुए रत्ना की तरफ बढ़ाया और कहा, "मैं फिर भी आपको वार्निंग देना चाहूंगा, एक बार ये डॉक्यूमेंट पढ़ लीजिए। ये कोई मजाक नहीं है।" लेकिन रत्ना ने खुद अपना हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथों से वो पेन छीन लिया और पेन का ढक्कन खोलते हुए कहा, "मेरी खुद की जिंदगी इतनी मजाक बन चुकी है कि अब मुझे किसी मजाक पर हंसी नहीं आती। आपकी जो भी शर्तें हैं, मुझे मंजूर हैं… बस मुझे मेरे भाई को बचाना है। और इसकी कीमत चाहे कुछ भी हो, मैं चुकाने के लिए तैयार हूं।" ऐसा कहते हुए रत्ना ने वो फाइल खोली और एक-एक करके सारे पन्नों के आखिर में साइन कर दिए, बिना ये पढ़े कि इसमें क्या लिखा हुआ है और इसमें क्या-क्या शर्तें हैं। अगर वो इन्हें पूरा नहीं कर पाई, तो उसे और क्या करना पड़ेगा—इसमें से कोई शर्त उसने नहीं पढ़ी थी। या यूं कहें कि उसे कुछ नजर ही नहीं आ रहा था। हर पन्ने पर उसे अपने भाई का चेहरा दिख रहा था, जो जिंदगी के लिए अपनी बहन के सामने भीख मांग रहा था। और इसके लिए उसकी बहन ने जो सौदा किया था, इस बारे में उसे खुद भी नहीं पता था। साइन करके रत्ना ने वो सारे डॉक्यूमेंट लड़के की तरफ वापस बढ़ा दिए और अपना चेहरा खिड़की की तरफ कर लिया, क्योंकि इससे ज्यादा वो अपने आंसू नहीं रोक सकती थी। लेकिन उसका दिल न जाने क्यों एक अजीब सी जकड़न में फंस गया था। वो नहीं जानती थी कि वो किन शर्तों को मान रही है। पर देखा जाए तो ये सारी चीजें उसके लिए मायने भी नहीं रखतीं। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? इन शर्तों में शायद ये लिखा होगा कि अगर वो पैसे वापस नहीं कर पाई, तो उसकी जान ले ली जाएगी। पर कम से कम उसके भाई की जान तो बच जाएगी।
10 दिन बाद... शहर के सबसे बड़े अस्पताल के वीआईपी कमरे में रत्ना खिड़की के पास खड़ी थी। इन 10 दिनों में बहुत कुछ बदल चुका था, जिसकी रत्ना ने कभी कल्पना तक नहीं की थी। 10 दिन पहले, जब उस अनजान शख्स ने उससे डॉक्यूमेंट पर साइन करवाए, तब से उसकी पूरी जिंदगी ही बदल गई थी। वो लड़का, जो उसे टेस्ट करवाने के लिए ले जा रहा था, अचानक गाड़ी वापस मोड़कर अस्पताल की तरफ आने लगा। रत्ना ने हैरानी से पूछा, "आप वापस क्यों जा रहे हैं?" उस लड़के ने भरोसे भरी नजरों से रत्ना को देखा और कहा, "आपकी बातों में सच्चाई है, टेस्ट की जरूरत नहीं है।" अस्पताल में वापस छोड़ने के बाद वो लड़का गाड़ी लेकर चला गया, लेकिन रत्ना हैरान रह गई। उसे तो पैसे मिले ही नहीं! निराशा के साथ वो अपने भाई के कमरे की तरफ लौट रही थी, जब उसने देखा कि कुछ डॉक्टर और सर्जन उसके भाई के कमरे के बाहर खड़े होकर चर्चा कर रहे हैं। रत्ना घबरा गई—कहीं उसके भाई को कुछ हो तो नहीं गया? वो तेजी से डॉक्टरों के पास पहुंची। रत्ना को देखते ही एक सर्जन ने कहा, "सर, यही हैं वो लड़की... पेशेंट की बड़ी बहन।" रत्ना ने हैरानी से उन लोगों को देखा और घबराई हुई आवाज़ में पूछा, "मेरा भाई ठीक तो है ना?" सर्जन बोले, "हम यहां आपके भाई का चेकअप करने के लिए आए हैं। कृपया हमारे साथ सहयोग करें। हमें जल्द से जल्द उनका ऑपरेशन करना होगा, और इसके लिए हमें आपकी अनुमति चाहिए।" रत्ना के हाथ-पैर कांपने लगे। उसकी आंखों में आंसू आ गए। उसने सर्जन से कहा, "मेरे पास ऑपरेशन के पैसे नहीं हैं।" सर्जन ने नर्म लहजे में कहा, "इसकी चिंता मत कीजिए, सब इंतज़ाम हो चुका है। हमें बस आपकी अनुमति चाहिए ताकि हम तुरंत ऑपरेशन शुरू कर सकें। पेशेंट की हालत बहुत ज्यादा खराब है।" रत्ना हैरान रह गई। उसने डॉक्टर की तरफ देखा, जो उसके भाई का इलाज कर रहे थे। डॉक्टर स्नेहा ने सिर हिलाया और कहा, "सर सही कह रहे हैं। आपके भाई के ऑपरेशन का पूरा खर्च चुका दिया गया है। और ये कोई मामूली सर्जन नहीं हैं, ये इस शहर के सबसे बड़े और नामी सर्जन हैं। ये खास तौर पर सिर्फ आपके भाई का केस देखने आए हैं।" रत्ना अवाक् थी, लेकिन भाई की चिंता ज्यादा थी। उसने तुरंत हामी भर दी। ऑपरेशन टीम अपने काम में जुट गई। 8 घंटे बाद... लंबे ऑपरेशन के बाद उसके भाई को नॉर्मल वार्ड में नहीं, बल्कि शहर के सबसे महंगे अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया। जो कमरा उन्हें मिला था, वो किसी फाइव-स्टार होटल से कम नहीं लग रहा था। पिछले 10 दिनों से रत्ना अपने भाई के साथ वहीं थी। उसकी हर जरूरत समय से पहले पूरी कर दी जाती थी। ये सब उसके लिए बहुत अजीब था। हर चीज़ महंगी और बेहद कीमती लग रही थी। यहां तक कि उनके खाने के लिए भी महंगे-महंगे पकवान परोसे जाते थे। इन 10 दिनों में उसकी जिंदगी इतनी बदल चुकी थी कि वो खुद सोच में पड़ गई—आखिर ऐसा क्या था उन पेपर्स में, जिन पर साइन करते ही उसकी पूरी दुनिया बदल गई? अब सवाल ये था कि आगे क्या? 10 दिन हो गए थे, उसका भाई पहले से काफी बेहतर था। डॉक्टर और अस्पताल का स्टाफ उसकी बेहतरीन देखभाल कर रहे थे। रत्ना को खुद से कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ रही थी। वो खिड़की के पास खड़ी बाहर मौसम को देख रही थी और यही सब सोच रही थी, तभी कमरे का दरवाजा लॉक होने की आवाज़ आई। रत्ना चौंक गई—इस वक्त कौन आ सकता है? अभी-अभी तो डॉक्टर चेकअप करके गए थे। किसी नर्स की भी ड्यूटी नहीं थी। उसने दरवाजा खोला, तो सामने ब्लैक कपड़ों में एक बॉडीगार्ड खड़ा था। रत्ना थोड़ा घबरा गई और हिचकिचाते हुए बोली, "जी?" बॉडीगार्ड ने एक कैरी बैग उसकी ओर बढ़ाया और कहा, "आप जल्दी से तैयार हो जाइए, हमें आपको अपने साथ लेकर जाना है।" रत्ना हैरान हो गई। उसने धीरे से हाथ बढ़ाकर वो कैरी बैग उठाया, लेकिन तभी वो बॉडीगार्ड वहां से चला गया। रत्ना कुछ पूछ पाती, उससे पहले ही वो वहां से जा चुका था। "मुझे तैयार होना है... मुझे जाना है..." उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है? उसने एक नजर अपने भाई को देखा, जो इस वक्त आराम से सो रहा था। फिर उसने बैग खोला, और उसकी आंखें थोड़ी बड़ी हो गईं। उसके सामने एक लाल रंग की बनारसी साड़ी थी, जिस पर शायद गोल्डन वर्क किया गया था। रत्ना को समझ नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है? तभी उसे याद आया—जब उस लड़के ने उसे गाड़ी से बाहर निकाला था, तो जाने से पहले कहा था, "जब तक आपका भाई ठीक नहीं हो जाता, तब तक आप उसके साथ रह सकती हैं। उसके बाद आपको वो करना होगा जो बॉस कहेंगे।" "बॉस कहेंगे?" रत्ना ने एक-दो बार इस बात को दोहराया, लेकिन इसका क्या मतलब था, ये उसे नहीं पता था। शायद अब वो वक्त आ गया था जब उसे उस कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करना था, जिस पर उसने साइन किए थे। ये उसी की शुरुआत थी... साड़ी लेकर रत्ना सीधे वॉशरूम चली गई। जब वो साड़ी बदलकर वापस आई, तो हैरान रह गई। उसके भाई के पास पहले से ही दो नर्स और एक हॉस्पिटल स्टाफ का लड़का मौजूद था। रत्ना को देखते ही एक नर्स मुस्कुराकर बोली, "मैम, आप निश्चिंत रहिए। हम सर की अच्छे से देखभाल कर लेंगे। अगर हमें आपकी जरूरत हुई, तो आपको इन्फॉर्म कर देंगे।" रत्ना ने अपने भाई को देखा, फिर धीरे से उसके माथे को चूमा। इस बार उसके चेहरे पर निराशा नहीं थी, बल्कि सुकून भरी मुस्कान थी। उसका भाई अब पहले से बेहतर था। इसके बाद वो कमरे से बाहर निकल गई और सीधे पार्किंग एरिया में पहुंची, जहां वो बॉडीगार्ड पहले से उसका इंतजार कर रहा था। पर इस बार कुछ अलग था। रत्ना की नजरें उस खूबसूरत गोल्डन कलर की कार पर टिक गईं, जिसके पास वो बॉडीगार्ड खड़ा था। ब्लैक या रेड कलर की कारें तो आम होती हैं, पर गोल्डन कलर? रत्ना को ये थोड़ा अजीब लग रहा था। जैसे ही वो गाड़ी के पास पहुंची, बॉडीगार्ड ने पीछे का दरवाजा खोल दिया। रत्ना चुपचाप अंदर बैठ गई। ड्राइवर ने बिना कुछ कहे गाड़ी चला दी। कुछ देर बाद गाड़ी रुकी। रत्ना अपने ख्यालों से बाहर आई और बाहर देखा। वो हैरान रह गई। "ये... मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस?" ड्राइवर बाहर निकला और उसके लिए दरवाजा खोला। रत्ना धीरे से गाड़ी से बाहर आई, और ड्राइवर ने उसे आगे बढ़ने का इशारा किया। रत्ना डर रही थी... पर उसे पता था कि अब उसके पास कोई और ऑप्शन नहीं था। उसने कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था, और अब उसे इसे पूरा करना ही होगा। वो धीरे-धीरे मैरिज रजिस्ट्रार ऑफिस के अंदर गई। वहां एक वकील पहले से मौजूद था। जैसे ही उसने रत्ना को देखा, वो खड़ा हो गया और मुस्कुराते हुए बोला, "हेलो, मैम।" रत्ना ने सिर्फ हल्की मुस्कान दी और सिर हिला दिया। उसे नहीं पता था कि ये वकील उसकी इतनी रिस्पेक्ट क्यों कर रहा है? "मैम, कुछ लेंगे आप? चाय या कॉफी?" वकील ने बहुत ही विनम्रता से पूछा। रत्ना ने मुस्कुराते हुए ना में सिर हिलाया। तभी पीछे खड़ा बॉडीगार्ड बोला, "वकील साहब, जल्दी कीजिए। मैम को वैसे भी काफी देर हो गई है।" वकील जल्दी से कुछ डॉक्यूमेंट्स निकाला और एक पेपर रत्ना की तरफ बढ़ाते हुए बोला, "मैम, ये लीजिए..." जैसे ही रत्ना ने वो पेपर देखा, उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। ये... मैरिज सर्टिफिकेट था! और हैरानी की बात ये थी कि इस पर पहले से ही रत्ना के साइन मौजूद थे...
अपने हाथ में मैरिज सर्टिफिकेट देखकर रत्ना एकदम से चौंक गई। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब क्या हो रहा है। उसके हाथ में एक मैरिज सर्टिफिकेट था, जिसमें उसका साइन पहले से ही था। लेकिन सबसे हैरानी की बात ये थी कि इसमें एक और साइन थे—मगर वो इतने पेचीदा और अलग स्टाइल में लिखे गए थे कि रत्ना वो नाम ही नहीं पढ़ पा रही थी। लेकिन उसने ये जरूर पढ़ लिया था कि ये साइन वहां किए गए थे जहां शादी करने वालों के नाम होते हैं, यानी उसके नाम के ठीक ऊपर। इसका मतलब था कि उसकी शादी हो चुकी थी! ये देखकर रत्ना हैरान रह गई। उसने मैरिज रजिस्ट्रार को घूरते हुए कहा, "ये क्या बकवास है?" मैरिज रजिस्ट्रार चौंक गया। उसने रत्ना से कहा, "मैडम, ये आपका मैरिज सर्टिफिकेट है। आप इसे लेने ही तो यहां आई हैं।" रत्ना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रजिस्ट्रार क्या कह रहा है। उसने जल्दी से अपने बॉडीगार्ड की तरफ देखा और सख्त लहजे में पूछा, "ये किसने दिया है? और कहां है वो लड़का जिसने मुझसे इन डॉक्यूमेंट्स पर साइन करवाए थे?" बॉडीगार्ड ने मैरिज रजिस्ट्रार की तरफ देखा और कहा, "मैडम को वो डॉक्यूमेंट्स की फाइल दीजिए, ताकि वो अपना कॉन्ट्रैक्ट फिर से पढ़ सकें।" मैरिज रजिस्ट्रार ने तुरंत एक और फाइल निकाली और उसे रत्ना के सामने रखते हुए बोला, "ये देख लीजिए, मैडम। आपने इन सारे डॉक्यूमेंट्स पर साइन किए हैं, और इसी वजह से कोर्ट ने आपको मैरिज सर्टिफिकेट जारी किया है।" रत्ना जब फाइल खोलकर देखने लगी तो उसकी आंखें हैरानी से फैल गईं। ये वही फाइल थी, जिस पर उसने दस दिन पहले साइन किए थे—बिना पढ़े! लेकिन उसने किन डॉक्यूमेंट्स पर साइन किए थे, ये बात अब उसके दिमाग में अजीब उलझन पैदा कर रही थी। उसने जल्दी से फाइल खोली और एक-एक करके क्लॉज़ पढ़ने लगी। जैसे-जैसे वो नियम पढ़ती जा रही थी, उसकी सांसें तेज होती जा रही थीं। "कॉन्ट्रैक्ट मैरिज!" रत्ना का कॉन्ट्रैक्ट मैरिज हुआ था। मगर किसके साथ? उसका नाम तक उसे नहीं बताया गया था! वो हैरान रह गई ये जानकर कि इस कॉन्ट्रैक्ट में कुछ ऐसे नियम थे, जिनके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था। उसे अपने भाई के इलाज के लिए जितने पैसे चाहिए थे, उससे ज्यादा दिए जाएंगे। लेकिन इसके बदले उसे एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज करनी होगी और तब तक अपने 'पति' के साथ रहना होगा, जब तक वो उसे एक बच्चा नहीं दे देती। इस नियम को पढ़ते ही रत्ना के कदम लड़खड़ा गए। उसने जल्दी से कुर्सी के हैंडल को पकड़कर खुद को गिरने से बचाया और आगे पढ़ने लगी। बाकी नियम इससे भी खतरनाक थे— वो किसी से मिल नहीं सकती। किसी को अपनी शादी के बारे में बता नहीं सकती। प्रेगनेंसी से लेकर डिलीवरी तक का समय उसे अपने परिवार से दूर रहकर बिताना होगा। बच्चा होने के बाद उसे अपने 'पति' को सौंपना होगा, और इसके बाद उसका न तो अपने पति से, न ही बच्चे से कोई रिश्ता रहेगा। इसके बदले उसे इतने पैसे दिए जाएंगे कि वो अपनी पूरी जिंदगी सुकून से जी सकती है। लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात थी— वो न तो अपने पति का चेहरा देख सकती थी और न ही उसके बारे में कुछ जान सकती थी! इसका मतलब था कि वो सिर्फ एक बच्चे के लिए इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में बांध दी गई थी। और अब, वो पहले ही इस शादी में बंध चुकी थी, क्योंकि सर्टिफिकेट उसके हाथ में था। इसका मतलब अब उसे सीधे उस इंसान के घर जाना था, जिससे उसकी शादी हो चुकी थी! रत्ना पूरी तरह अवाक थी। वो इन नियमों में कैद हो चुकी थी, और साफ लिखा था कि अगर उसने इनमें से कोई भी नियम तोड़ा, तो या तो उसे भारी जुर्माना भरना पड़ेगा, या फिर उसे जान से मार दिया जाएगा! उसका दिमाग उलझन से भरा हुआ था, और नजरें बस मैरिज सर्टिफिकेट पर टिकी थीं। लेकिन अब, वो पछता नहीं सकती थी। ना ही अफसोस कर सकती थी। क्योंकि वो इस कॉन्ट्रैक्ट मैरिज में कैद हो चुकी थी। अब उसे उन नियमों का पालन करना था। अब उसे उस इंसान के पास जाना था... जिसे उसने कभी देखा तक नहीं था। उलझन और जिज्ञासा से भरी रत्ना इस वक्त काफी ज्यादा कन्फ्यूज नजर आ रही थी। हताशा तो उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। बॉडीगार्ड और मैरिज रजिस्ट्रार, दोनों उसे देख रहे थे। तभी बॉडीगार्ड के फोन पर एक मैसेज आया। उसे देखते ही वो जल्दी से रत्ना से बोला, "मैम, प्लीज जल्दी कीजिए। बॉस का दो बार मैसेज आ चुका है।" घबराते हुए रत्ना अपनी जगह से खड़ी हुई और धीरे-धीरे दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी। उसका हर कदम भारी होता जा रहा था। जैसे-तैसे करके वो दोबारा से गाड़ी की तरफ बढ़ी और बॉडीगार्ड गाड़ी ड्राइव करने लगा। रत्ना के हाथ में अभी भी मैरिज सर्टिफिकेट था, और वो उसे बार-बार ऐसे पढ़ रही थी जैसे हर शब्द में कोई नया राज छिपा हो। उसे होश भी नहीं था कि गाड़ी कब रुकी। ड्राइवर ने गाड़ी का दरवाजा खोला और बाहर आकर कहा, "मैडम, हम पहुंच गए हैं।" रत्ना होश में आई और घबराते हुए ड्राइवर को देखा। उसने इधर-उधर नजर घुमाई तो पाया कि गाड़ी एक जगह पार्क थी। वो हल्के से सिर हिलाते हुए जल्दी से बाहर निकली, लेकिन जैसे ही उसने चेहरा उठाया, वो थोड़ी सी दंग रह गई। सामने एक बेहद खूबसूरत बंगला था। उसकी दीवारें सफेद थीं, जिन पर गुलाबी रंग से नक्काशी की गई थी। आसपास देसी और विदेशी फूलों का एक बड़ा गार्डन था, जिसके बीच में खूबसूरत सा फाउंटेन था। गाड़ी का दरवाजा बंद करके जैसे ही रत्ना ने पहला कदम आगे बढ़ाया, वो थोड़ा हैरान हो गई। उसने हल्की स्लीपर पहनी हुई थी, इसलिए उसे एहसास हुआ कि उसके पैरों के नीचे कुछ रखा हुआ है। उसने नीचे देखा तो चौंक गई—उसके पूरे रास्ते पर गुलाब के फूल बिछाए गए थे। ये फूलों का रास्ता सीधा बंगले के अंदर की तरफ जा रहा था। रत्ना घबरा गई। उसने हैरानी से इधर-उधर देखा। बॉडीगार्ड गाड़ी के दूसरी तरफ खड़ा था और पूरी तरह सतर्क नजर आ रहा था। तभी वहां दो नौकरानियां आईं। दोनों कम उम्र की थीं और नौकरानियों वाले कपड़े पहने हुई थीं। जैसे ही रत्ना ने उन्हें देखा, वो हल्का सा सिर झुकाकर बोलीं, "हेलो, मैडम। वेलकम!" रत्ना ने उनके हेलो का कोई जवाब नहीं दिया। वो खुद इतनी कन्फ्यूज थी कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि अब उसके साथ क्या हो रहा है। दूसरी लड़की बोली, "चलिए मैडम, हम आपको अंदर ले चलते हैं।" दोनों नौकरानियां रत्ना को अंदर ले जाने लगीं। रत्ना घबराए कदमों से धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। जैसे-जैसे उसके कदम आगे बढ़ते, उसकी घबराहट और ज्यादा बढ़ती जा रही थी। फूलों के रास्ते से गुजरते हुए वो आखिरकार बंगले के दरवाजे तक पहुंची। लेकिन जैसे ही उसने दरवाजे पर कदम रखा, उसके पैर वहीं रुक गए। सामने एक उम्रदराज औरत खड़ी थी, जिसके हाथों में आरती की थाली थी। लेकिन सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि उस औरत के दाएं-बाएं करीब दस से ज्यादा नौकर खड़े थे। जैसे ही रत्ना ने दरवाजे पर कदम रखा, सारे नौकरों ने अपना सिर झुका लिया। रत्ना एकदम से चौंक गई। वो औरत, जो आरती की थाली लिए खड़ी थी, उसने धीरे से रत्ना की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए उसकी आरती उतारने लगी। लाल बनारसी साड़ी में रत्ना दरवाजे पर खड़ी थी, उसके हाथ में मैरिज सर्टिफिकेट था, और उसका गृहप्रवेश हो रहा था। ये सब उसके लिए बहुत अनएक्सपेक्टेड और अजीब था। सुबह तक तो उसे ये भी नहीं पता था कि उसकी शादी हो चुकी है, और शाम तक वो अपने गृहप्रवेश की रस्म निभा रही थी! आरती करने के बाद उस औरत ने दरवाजे पर चावल से भरा कलश रखा और कहा, "मैडम, अंदर आइए।" रत्ना ने हल्के से अपने पैर से ठोकर मारकर चावल का कलश गिराया और घर के अंदर पहला कदम रखा। लेकिन... अभी तक किसी नौकर ने अपना चेहरा ऊपर नहीं उठाया था। सबका चेहरा नीचे झुका हुआ था। सिर्फ वो उम्रदराज औरत थी जो रत्ना के साथ खड़ी थी। रत्ना को लगा कि शायद ये घर की कोई सदस्य है। उसने धीरे से अपनी साड़ी का आंचल कंधे पर डाला और झुककर उनके पैर छूने लगी। लेकिन जैसे ही रत्ना झुकी, वो औरत घबराकर पीछे हट गई और बोली, "अरे मैडम! ये क्या कर रही हैं? आप मेरे पैर क्यों छू रही हैं?" रत्ना हैरान होकर उसे देखने लगी। उस औरत ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "मैं तो इस घर की सिर्फ एक सर्वेंट हूं... और आप इस घर की मालकिन है !"
रत्ना जैसे ही उस औरत के पैर छूने वाली थी, वो औरत अपने कदम पीछे ले लेती है और हैरानी से रत्ना से कहती है, "अरे मैडम! ये क्या कर रही हैं आप? मेरे पैर क्यों छू रही हैं? मैं तो इस घर में नौकरानी हूं और आप इस घर की मालकिन हैं। आप मेरे पैर कैसे छू सकती हैं?" रत्ना चौक जाती है और हैरानी से उसे देखती है। उसे लगा ही नहीं था कि ये औरत इस घर की नौकरानी होगी। यहाँ तक कि इस घर में जितने भी सर्वेंट थे, उनमें से कोई भी सर्वेंट जैसा नहीं लग रहा था। उल्टा, रत्ना उन सबके सामने बहुत नॉर्मल नजर आ रही थी, क्योंकि यहाँ हर एक शख्स की स्किन फेयर थी और उनकी पर्सनालिटी भी बहुत ही अच्छी थी। लेकिन वहीं दूसरी तरफ, रत्ना का रंग दबा हुआ था और शरीर दुबला-पतला। वो दोनों लड़कियाँ, जो रत्ना को घर के अंदर लेकर आई थीं, उनमें से एक कहती है, "मैडम, इनका नाम सुनीता जी है। ये यहाँ की हेड शेफ हैं। बॉस के लिए खाना यही बनाती हैं।" रत्ना उस लड़की की बात सुनकर सुनीता जी को देखती है, जो मुस्कुराते हुए कहती हैं, "आईए मैडम, मैं आपको घर दिखाती हूँ।" सुनीता जी रत्ना को अपने साथ ले जाती हैं, और बाकी सारे सर्वेंट अपने-अपने काम पर चले जाते हैं। सुनीता जी रत्ना को पूरा घर दिखाती हैं—हॉल, लिविंग रूम, किचन एरिया, स्टडी रूम से लेकर गेस्ट रूम तक। लेकिन फिर वो रत्ना को ऊपर की मंज़िल पर लेकर जाती हैं। रत्ना तो पहले ही इस बड़े से घर में इतनी कन्फ्यूज़ हो गई थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो किसी भूल-भुलैया में घूम रही है या किसी महल में। ऊपर की मंज़िल पर पहुँचकर रत्ना देखती है कि वहाँ सिर्फ तीन कमरे हैं। उनमें से एक कमरे पर ताला लगा हुआ था, जबकि बाकी दो कमरों के दरवाजे खुले थे। लॉबी से होते हुए, जब सुनीता जी रत्ना को मास्टर बेडरूम की तरफ ले जा रही थीं, तब रत्ना की नजर उस अजीब से दरवाजे पर जाती है, जिस पर ताला लगा था। वो एक नजर हैरानी से उसे देखती है, लेकिन फिर सुनीता जी के साथ आगे बढ़ जाती है। सुनीता जी उसे मास्टर बेडरूम में ले जाती हैं। जैसे ही रत्ना ने कमरे में कदम रखा, वो एकदम से हैरान रह गई। ये कमरा थोड़ा अजीब सा था। पूरे कमरे में सिर्फ ग्रे कलर किया गया था, ऐसा लग रहा था जैसे कि ये कमरा अंधेरे का प्रतीक हो। जैसे ही रत्ना हैरानी से कमरे के अंदर कदम बढ़ाने लगती है, वैसे ही उसे महसूस होता है कि सुनीता जी शायद वापस जा रही हैं। उसने तुरंत पूछा, "आंटी, आप कहाँ जा रही हैं?" सुनीता जी अचानक से रुक जाती हैं और कहती हैं, "मैडम, मेरा काम बस यहीं तक था। बॉस आने वाले हैं, इसलिए मुझे अपने काम पर वापस जाना है। आप तब तक आराम कीजिए, और अगर कुछ चाहिए तो मुझे बताइए।" रत्ना का दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है। बॉस यानी कि उसका पति! लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसे रिएक्ट करे। उसने बस हल्का सा सिर हिलाया, क्योंकि उसे फिलहाल कुछ नहीं चाहिए था। सुनीता जी वहाँ से जा चुकी थीं और जाने से पहले उन्होंने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया था। अब रत्ना कमरे में अकेली खड़ी थी। उसने इधर-उधर नजर दौड़ाई—ये कमरा सच में अजीब था। सिर्फ एक किंग-साइज़ बेड था और पूरे कमरे में कोई भी फर्नीचर नहीं था—ना कोई कुर्सी, ना कोई टेबल। हाँ, दीवारों पर हल्की नक़्क़ाशी ज़रूर थी, लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे कि काले रंग के ऊपर कुछ उभरते की कोशिश की गई हो। कमरे में अगर कुछ था तो वो था बीचों-बीच टंगा हुआ बड़ा सा क्रिस्टल झूमर, जो बार-बार रत्ना का ध्यान अपनी ओर खींच रहा था। रत्ना पूरे कमरे को हैरानी से देख रही थी, तभी उसकी नजर ड्रेसिंग टेबल के पास रखे एक फिश टैंक पर पड़ी। पूरे कमरे में ये अकेली चीज़ थी जो रंग-बिरंगी थी—छोटी-छोटी गुलाबी, लाल, पीली, हरी, नीली मछलियाँ फिश टैंक के अंदर तैर रही थीं। ये देखकर रत्ना के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वो धीरे से फिश टैंक के पास गई और झुककर मछलियों को ध्यान से देखने लगी। वो रंग-बिरंगी मछलियाँ इतनी प्यारी लग रही थीं कि रत्ना का मन किया कि उन्हें छू ले। उसने धीरे से टैंक का ढक्कन हटाया और अपना हाथ पानी में डाल दिया। लेकिन मछलियाँ इतनी तेज़ी से तैर रही थीं कि कोई भी उसके हाथ में आ ही नहीं रही थी। फिर भी, रत्ना अपनी मासूमियत के साथ उन्हें पकड़ने की पूरी कोशिश कर रही थी। उसके चेहरे पर एक खिलखिलाती हुई मुस्कान थी, मानो वो उन मछलियों के साथ खेलकर बहुत खुश हो। "बाहर मत निकालना, मर जाएँगी..." एक गहरी, भारी मर्दाना आवाज़ सुनते ही रत्ना अचानक असलियत में लौट आई। उसने जल्दी से अपना चेहरा घुमाया और.. 😳 अइयो मुर्गन! वो एकदम से डरकर पीछे हट गई। उसके होंठों से "अह्ह्ह .." की हल्की चीख निकल गई। उसकी आँखें चौड़ी हो गई थीं, और उसने घबराकर दोनों हाथ अपने सीने पर रख लिए। उसके सामने एक लंबा-चौड़ा आदमी खड़ा था, जिसने ब्लैक सूट पहना हुआ था। लेकिन सबसे अजीब बात ये थी कि उसके चेहरे पर एक मास्क था—ब्लैक डेविल मास्क! उसका पूरा चेहरा इस मास्क से ढका हुआ था, सिर्फ नीचे से उसके गुलाबी होंठ दिख रहे थे। उसकी आँखें इस मास्क के पीछे छिपी हुई थीं, लेकिन फिर भी वो रत्ना को घूर रहा था। इस समय, पूरे कमरे में बस दो ही आवाजें गूँज रही थीं—उस आदमी की गहरी साँसों की और रत्ना के डर से तेज़ी से धड़कते दिल की! अब... ये आदमी कौन था? क्या ये उसका पति है ? एक चौड़े कंधों वाला आदमी उसके सामने खड़ा था, जिसने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था और अपनी कत्थई निगाहों से सीधा रत्ना को देख रहा था। "मेरा इरादा तुम्हें डराने का नहीं था।" मास्क मैन ने धीरे से रत्ना की तरफ देखते हुए कहा। उसकी गहरी आवाज सुनकर रत्ना की धड़कनें, जो पहले ही तेज थीं, अब और तेज हो गईं। "न-नहीं... मैं डरी नहीं हूँ... मतलब डरी थी, लेकिन.अब नहीं .. हेलो, मेरा नाम रत्नमणि है।" अपनी काँपती जुबान से रत्ना ने मास्क मैन के सामने चंद शब्द रखे। हालाँकि ये शब्द टूटी-फूटी आवाज में निकले, लेकिन इतना तो साफ था कि वो अपना नाम बता रही थी। मास्क मैन के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने गहरी नजरों से रत्ना को देखते हुए कहा, "मैं अपनी बीवी का नाम अच्छी तरह जानता हूँ।" रत्ना की सांसें अब जैसे थमने लगी थीं। यानी ये शख्स, जो उसके सामने खड़ा है, वही उसका पति है...! तभी उसे याद आया कि उसे अपने पति का चेहरा देखने की इजाजत नहीं है। शायद इसलिए इसने मास्क पहना हुआ था, क्योंकि ये अपना चेहरा उसे दिखाना नहीं चाहता था। रत्ना हैरानी से उसे देख रही थी, लेकिन मास्क मैन की निगाहें इतनी गहरी थीं कि ऐसा लग रहा था जैसे वो उसकी आँखों से उसकी आत्मा तक को देख सकता है। "तो, माय डियर वाइफ... तुम्हें मैं कहाँ से मुर्गा नजर आता हूँ?" मास्क मैन ने अपनी गहरी और ठंडी आवाज में पूछा। रत्ना थोड़ी घबरा गई, लेकिन फिर हैरानी जताते हुए बोली, "मुर्गा...? नहीं तो! अब तो कहीं से भी मुर्गा नहीं लग रहे हैं..." मास्कमैन रत्ना के एक कदम और करीब आया और बोला, "अगर मैं तुम्हें मुर्गा नजर नहीं आ रहा हूँ, तो अभी-अभी तुमने मुझे मुर्गा क्यों कहा? कहीं इस मास्क की वजह से मैं तुम्हें मुर्गे जैसा तो नहीं लग रहा?" उसका सवाल सुनकर रत्ना घबराते हुए उसे देखने लगी और याद करने लगी कि उसने क्या कहा था। तभी अचानक उसे याद आया! उसने झटपट सिर हिलाया और बोली, "न-नहीं! मैंने आपको मुर्गा नहीं कहा... दरअसल, मैं तो अपने भगवान को याद कर रही थी... हमारे मुर्गन देव को... मतलब भगवान कार्तिक को! हमारी साउथ में उन्हें मुर्गन देव के नाम से जाना जाता है, इसलिए घबराहट में मेरे मुँह से उनका नाम निकल गया।" मास्क मैन हल्की मुस्कान के साथ बोला, "तो तुम भगवान में यकीन रखती हो?" रत्ना हल्के से सिर हिलाकर हामी भरती है, क्योंकि वो सच में भगवान में विश्वास रखती थी... और अपने सामने इस शख्स को देखने के बाद तो अब वो शायद शैतान में भी यकीन करने लगी थी। "मुझसे शादी करने के अपने फैसले पर पछतावा हो रहा है?" मास्क मैन का अगला सवाल सुनकर रत्ना डरते हुए सिर हिलाती है और कहती है, "नहीं, मुझे कोई पछतावा नहीं है। हाँ, शुरू-शुरू में अजीब लगा था, लेकिन मैं अपने फैसले पर पछता नहीं रही... क्योंकि आपने उस वक्त मेरी मदद की थी। और अब मेरी बारी है अपना वादा पूरा करने की।" मास्क मैन आगे बढ़ा और फिश टैंक का ढक्कन वापस लगाते हुए बोला, "तुम्हारा कोई सवाल है?" रत्ना ने झिझकते हुए पूछा, "आपका नाम क्या है?" ये सुनकर मास्क मैन के होंठों पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने हल्का सा सिर घुमाया और रत्ना की तरफ बढ़ने लगा। रत्ना के कदम खुद-ब-खुद पीछे चले गए, लेकिन ज्यादा पीछे जा भी नहीं सकती थी—पीछे तो सीधी दीवार थी। मास्क मैन उसके बेहद करीब आ गया। रत्ना को उसके मास्क के पीछे से उसकी गहरी कत्थई आँखें महसूस हो रही थीं। वो उसके ऊपर झुका और धीरे से उसकी साँसों की गर्माहट को महसूस कराते हुए बोला— "RK."
RK… बस यही नाम बताया था उस शख्स ने, और रत्ना ये नाम सुनकर थोड़ी सी हैरान हो गई। सिर्फ दो शब्द—लेकिन इनका क्या मतलब था? वो अपना पूरा नाम क्यों नहीं बता रहा, और ना ही अपना चेहरा दिखा रहा? कमरे में बस खामोशी थी… फिश टैंक में तैरती मछलियों की हल्की सरसराहट ही कमरे में कुछ हलचल पैदा कर रही थी, वरना वो दोनों एकदम चुप थे… बस एक-दूसरे को देख रहे थे। बहुत देर तक दिमाग लगाने के बाद भी जब रत्ना को समझ नहीं आया कि 'R' का क्या मतलब हो सकता है, तो उसने सोचना ही छोड़ दिया। अगर जरूरत होगी, तो वो खुद अपना नाम बता देगा, वरना रत्ना उसे 'RK' कहकर ही पुकारेगी। गला साफ करते हुए रत्ना ने RK की तरफ देखा और कहा, "कॉन्ट्रैक्ट में लिखा था कि मुझे आपका चेहरा देखने की इजाज़त नहीं है… लेकिन क्या होगा अगर मैंने गलती से आपका चेहरा देख लिया?" "ये गलती तुमसे होगी ही नहीं," RK ने अपनी ठंडी और गहरी आवाज़ में जवाब दिया। रत्ना उसे देखकर एकदम स्तब्ध रह गई। क्या ये इंसान भविष्यवाणी कर सकता है, जो इतनी पक्की बात कह रहा कि वो गलती से भी उसका चेहरा नहीं देख पाएगी? रत्ना ने फिर पूछा, "लेकिन… जब आप सोएंगे, तब तो हो सकता है ना? मतलब… क्या आप अपना ये नकाब पहनकर सोएंगे?" RK के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। वो एक कदम और रत्ना के करीब आया और अपनी कोट की जेब से कुछ निकालते हुए धीरे-धीरे उसकी तरफ बढ़ाया। रत्ना की नजरें उस चीज़ पर नहीं थीं… क्योंकि जैसे ही RK उसके करीब आया, वो उसकी कत्थई निगाहों में खो गई—जो इस वक्त सिर्फ उसे ही देख रही थीं। RK ने धीरे से अपना हाथ बढ़ाकर रत्ना की कलाई पकड़ ली। रत्ना एकदम से चौंक गई… उसके पूरे शरीर में जैसे करंट दौड़ गया। उसका पूरा वजूद वाइब्रेट कर रहा था, और RK ये महसूस कर सकता था। उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। उसने रत्ना के हाथ पर कुछ रखते हुए उसकी आँखों में देखा और कहा, "जब मैं सो रहा होऊँगा, तो तुम्हें इसकी जरूरत पड़ेगी।" रत्ना ने धीरे से नीचे देखते हुए अपने हाथ को खोला… और वो हैरान रह गई। उसके हाथ में एक लाल कपड़ा था—या यूं कहें कि वो एक ब्लाइंडफोल्ड था। उसने अविश्वास से RK की तरफ देखा, जो अब भी उसी को देख रहा था। अब वो समझ चुकी थी… RK का मतलब था कि जब वो सोएगा, तब उसे अपनी आँखों पर पट्टी बाँध लेनी होगी, ताकि वो उसे देख ना सके। वो दोनों इस वक्त एक-दूसरे के काफी करीब खड़े थे, तभी दरवाजा अचानक से खुल गया। दोनों चौंक गए और एक साथ दरवाजे की तरफ देखा। दरवाजे पर खड़ा एक शख्स अपनी आँखें बड़ी करते हुए उन्हें देख रहा था। फिर जल्दी से अपना चेहरा घुमाकर बोला, "आई एम सॉरी!" RK ने घूरती निगाहों से उस लड़के को देखा और सख्त लहजे में कहा, "किसी के कमरे में आने से पहले नॉक करना चाहिए।" दूसरी तरफ, रत्ना शर्मिंदगी से अपना चेहरा झुका गई। ये बहुत ऑकवर्ड सिचुएशन थी। वो लड़का हल्की मुस्कान के साथ RK की तरफ देखते हुए बोला, "हाँ, तो ठीक है ना? मैं पहले कौन सा तेरे कमरे में नॉक करके आता था?" RK ने गहरी निगाहों से उसे देखा और कहा, "तब की बात कुछ और थी… अब—" लेकिन इससे पहले कि RK अपनी बात पूरी कर पाता, वो लड़का हँसते हुए अंदर आ गया और बोला, "हाँ हाँ, पता है… अब तू शादीशुदा है और अपने कमरे में अपनी बीवी के साथ रोमांस कर सकता है… ठीक है, समझ गया! लेकिन अभी तक मुझे तेरे शादीशुदा होने का एक्सपीरियंस नहीं हुआ है ना… आदत नहीं पड़ी इन सबकी। और वैसे भी, इसमें मेरी कोई गलती नहीं है… दरवाजा खोलकर रोमांस कौन करता है?" वो शख्स अंदर आया, RK को एक नजर देखा और फिर रत्ना की तरफ मुड़ा। हल्के मज़ाकिया लहजे में बोला, "डरने की जरूरत नहीं है, थोड़े दिनों में आदत हो जाएगी!" वो लड़का हँसते हुए बोला, "रहने दे, इतना इंट्रोडक्शन काफी है मेरा… मैं यहाँ किसी को डराने नहीं आया हूँ। मैं अपना इंट्रोडक्शन खुद दूँगा!" इतना कहकर उसने रत्ना की तरफ देखा, अपना हाथ बढ़ाया और कहा, "हैलो भाभी!" रत्ना अभी भी घबराई हुई थी। उसने RK का चेहरा नहीं देखा था, लेकिन जो लड़का अभी कमरे में दाखिल हुआ था, वो भी काफी हैंडसम और आकर्षक था। पर उसकी आँखों में वो कशिश नहीं थी, जो RK की आँखों में थी—जिसने पहली ही मुलाकात में उसे अपनी तरफ खींच लिया था… RK ने उसके हाथ हटाते हुए घूरकर देखा और बोला, "उसे इन सबकी आदत नहीं है। पहली बार में हेलो कौन कहता है?" "मैं कहता हूँ।" उस लड़के ने बेफिक्री से जवाब दिया और फिर रत्ना की तरफ देखकर बोला, "अगर भाभी को इन सबकी आदत नहीं है, तो कुछ दिनों में हो जाएगी। क्योंकि यहाँ पर मैं मौजूद हूँ ना, उनकी आदत खराब करने के लिए!" फिर उसने अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए मुस्कुराकर कहा, "नमस्ते, भाभी जी! मेरा नाम रॉबी है, और मैं आपके इस मास्क के पीछे चेहरा छुपाए हुए पति का इकलौता दोस्त हूँ।" रत्ना थोड़ी हैरान जरूर हुई। RK की जिस तरह की पर्सनालिटी थी, उसे देखकर उसने कभी नहीं सोचा था कि उसका कोई दोस्त भी होगा। लेकिन जहाँ रॉबी खुशदिल और हँसमुख इंसान लग रहा था, वहीं RK उतना ही शांत और गंभीर स्वभाव का था। दो बिल्कुल विपरीत शख्सियतें दोस्त कैसे हो सकती हैं? ये सोचकर रत्ना थोड़ी चौक गई। रॉबी हँसते हुए बोला, "भाभी, आपको इतना परेशान होने की जरूरत नहीं है। मैं जानता हूँ, आप क्या सोच रही हैं… यही ना कि इस जालिम दरिंदे का कोई दोस्त कैसे हो सकता है?" रत्ना की आँखें एकदम बड़ी हो गईं, लेकिन इससे पहले कि वो कुछ कहती, RK ने घूरकर रॉबी को देखा और सख्त लहजे में कहा, "तू यहाँ मेरी बुराई करने आया है या कोई काम है? अगर कोई काम नहीं है, तो निकल यहाँ से!" रॉबी ने भी RK को घूरकर देखा और हँसते हुए कहा, "ओ हेलो! मुझे कोई शौक नहीं है तेरी नई-नई शादी में तुझे डिस्टर्ब करने का! मैं यहाँ तेरे ही काम से आया हूँ। तूने जो सामान मंगवाया था, वो हॉल में रखा है।" "तो पहले बताना चाहिए था ना! इतनी देर से बकवास किए जा रहा है…" RK झुंझलाया। फिर उसने रत्ना की तरफ देखा और कहा, "कुछ मंगाया है तुम्हारे लिए… देख लो, शायद पसंद आए।" रत्ना हैरान रह गई। RK ने उसके लिए कुछ मंगवाया था? उसे यकीन ही नहीं हो रहा था। अभी-अभी तो वो इस घर में आई थी, अभी-अभी पहली बार RK से मिली थी… फिर RK को उसकी पसंद-नापसंद के बारे में क्या पता? RK, रॉबी और रत्ना तीनों कमरे से बाहर आए और हॉल की तरफ बढ़े। जैसे ही रत्ना ने ऊपर से नीचे झाँका, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं, और उसका मुँह खुला का खुला रह गया। उसके कदम अपनी जगह पर जम गए। RK और रॉबी ने जब उसे ऐसे खड़ा देखा, तो दोनों ने एक-दूसरे को देखा। रत्ना हैरानी से हॉल की तरफ देख रही थी… पूरे हॉल में बड़े-बड़े गुलाब के अनगिनत बुके रखे थे—देसी गुलाब, विदेशी गुलाब, अलग-अलग प्रजातियों के, अलग-अलग रंगों के। इतनी भव्य और खूबसूरत सजावट देखकर रत्ना एकदम से चौंक गई। उसे अपने जीवन में पहली बार इतने सारे गुलाब एक साथ देखने को मिले थे… या यूँ कहें कि इतने सारे फूल ही पहली बार देखे थे! "तुम्हें पसंद नहीं आया?" RK ने सवाल किया। लेकिन रत्ना उन सारे बुके को देखकर इतनी ज्यादा चौंक गई थी कि उसे समझ ही नहीं आया कि वो क्या जवाब दे। RK ने एक नजर रॉबी की तरफ देखा और कहा, "शायद इसे ये पसंद नहीं आया… कुछ और सोचना पड़ेगा।" इतना कहकर RK वहाँ से चला गया। अब वहाँ सिर्फ रॉबी और रत्ना खड़े थे। रॉबी ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "भाभी, आपको सच में ये पसंद नहीं आया क्या?" रत्ना एकदम से हड़बड़ा गई और जैसे होश में आई। अब तक वो सिर्फ फूलों को देखकर सोच ही रही थी कि कैसे रिएक्ट करे। फिर उसने जल्दी से रॉबी की तरफ देखा और कहा, "इतने सारे फूल मंगवाने की क्या जरूरत थी?" रॉबी हँसते हुए बोला, "अरे भाभी, ये सब मैंने नहीं मंगवाए हैं, बल्कि आपके पतिदेव ने मंगवाने के लिए कहा था। वो आपको इम्प्रेस करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने सोचा कि अपनी नई नवेली दुल्हन को फूलों से ज्यादा खूबसूरत और क्या ही दिया जा सकता है! लेकिन शायद आपको पसंद नहीं आया… कोई बात नहीं, आप बता दीजिए, आपको क्या पसंद है? मैं वही मंगवा दूँगा आपके लिए।" रत्ना ने चौंकते हुए जल्दी से जवाब दिया, "नहीं! इसकी कोई जरूरत नहीं है… ये फूल बहुत अच्छे हैं! मैं बस थोड़ी सी हैरान हो गई थी, क्योंकि मैंने इतने सारे फूल पहली बार देखे हैं ना… और मुझे ये बहुत पसंद आए हैं।" फिर उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "आप RKजी को बता दीजिएगा कि मुझे ये फूल पसंद आए हैं।" रॉबी ने अपने ही हाथ पर ताली मारते हुए कहा, "मुझे पता था, भाभी! आपको फूल ज़रूर पसंद आएंगे। सारी लड़कियों को फूल पसंद आते हैं! मेरी जितनी भी 101 गर्लफ्रेंड रही हैं, उन सबको फूल बहुत पसंद थे। अगर आपको हॉल में रखे हुए फूल पसंद आए हैं, तो फिर मैं बाहर ट्रक में रखे हुए फूल भी अंदर मंगवा लेता हूँ!" रॉबी की बात सुनते ही रत्ना का मुँह खुला का खुला रह गया। वो चौंककर बोली, "ट्रक में रखे हुए फूल?" रॉबी हँसते हुए सिर हिलाकर बोला, "हाँ, बिल्कुल! आपके पतिदेव ने आपके लिए दो ट्रक भरकर फूलों का गुलदस्ता मंगवाया था। एक ट्रक तो खाली हो गया है, और वो सारे फूल यहाँ हॉल में रखे हुए हैं, लेकिन दूसरा ट्रक अभी भी घर के बाहर खड़ा है। मैं अभी फोन करके वो सारे फूल अंदर मंगवाता हूँ!" रत्ना अवाक रह गई। "लेकिन इतने सारे फूलों का मैं करूँगी क्या? इंप्रेस करना अलग बात है, ये तो हार्ट अटैक देने जैसा है!" उसने हैरानी से कहा। रॉबी ठहाका लगाकर बोला, "भाभी, आप RK को कम मत समझिए!" रत्ना उसके कहने का मतलब समझ गई थी। RK के पास पैसे और दौलत की कोई कमी नहीं थी। वो चाहे तो दिल खोलकर उस पर पैसे लुटा सकता था। लेकिन ये सिर्फ एक कॉन्ट्रैक्ट मैरिज थी… क्या इसके लिए इतना सब ज़रूरी था? रत्ना अपने कमरे में लौट आई और सोचने लगी कि अब उसे क्या करना चाहिए। उसकी नज़र टेबल पर रखी कॉन्ट्रैक्ट फाइल पर पड़ी। उसने फाइल उठाई और इस बार ध्यान से पढ़ने लगी। जब उसने साइन किए थे, तब उसने ढंग से पढ़ा भी नहीं था कि उसने किन-किन टर्म्स एंड कंडीशन्स पर साइन किया था। लेकिन अब, एक शर्त साफ़-साफ़ उसकी आँखों के सामने थी—उसे RK को सेड्यूस करना था। RK ने अपना वादा बखूबी निभाया था—उसके भाई के ऑपरेशन से लेकर वीआईपी फैसिलिटीज़ तक… लेकिन अब बारी रत्ना की थी। कुछ देर बाद… रत्ना कमरे के पास खड़ी थी। उसने अभी-अभी कपड़े बदले थे। इस वक्त उसने ब्लू कलर की ट्रांसपेरेंट और पतली लेस वाली नाइटी पहन रखी थी। उसके हाथ में एक ब्लाइंडफोल्ड था, जिसे वो देखते हुए धीरे-धीरे बेड की तरफ बढ़ रही थी। "तुम्हें लगता है, इस तरीके से तुम मुझे सेड्यूस कर सकती हो?" RK की भारी आवाज़ सुनते ही रत्ना एकदम से चौंक गई। उसने घबराकर पीछे पलटकर देखा, लेकिन ये सब इतनी जल्दी हुआ कि वो खुद का बैलेंस नहीं बना पाई और घूमते-घूमते सीधे बेड पर गिर गई।
Rk अचानक से कमरे में आ गया था, और उसकी मौजूदगी का एहसास होते ही रत्ना एकदम से चौंक गई। वो खुद को संभाल नहीं पाई और बेड पर गिर गई। रत्ना बेड पर गिरी हुई थी, और उसकी शॉर्ट ड्रेस घुटनों से और थोड़ी ऊपर खिसक गई थी। RK अब भी अपने मास्क के पीछे छुपा हुआ था। कमरे में दाखिल होते ही उसकी नजर रत्ना पर ऊपर से नीचे तक घूमी, जबकि रत्ना के होश उड़े हुए थे। जब उसने RK को अपनी तरफ बढ़ते देखा, तो... RK बेड के बिल्कुल करीब आकर अपना हाथ आगे बढ़ाता है और रत्ना की तरफ करता है। रत्ना के चेहरे के तो होश ही उड़े हुए थे, उसका पूरा चेहरा पीला पड़ गया था। वो एक नजर RK को देख रही थी और फिर उसके हाथ को। धीरे से अपनी उंगलियों को उसने RK की हथेली पर रखा, और अगले ही पल RK ने उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ लिया। उसके इस एहसास से रत्ना की धड़कन अचानक तेज हो गई। RK ने उसे खींचकर उठने में मदद की, लेकिन रत्ना बेड पर ही बैठी रह गई। अब वो RK के ठीक सामने थी। जब रत्ना बैठ गई, तो RK ने उसका हाथ छोड़ दिया। रत्ना ने अपने हाथों को आपस में पकड़ते हुए घबराई हुई नजरों से उसे देखा। RK ने अपने कदम पीछे खींचे और दो कदम पीछे हटकर, अपने दोनों हाथ बांधते हुए रत्ना को घूरकर कहा— "तो, माय डिअर वाइफ... तुम इन कपड़ों में मुझे सेड्यूस करना चाहती हो? क्या यही प्लान था तुम्हारा?" रत्ना का चेहरा शर्म से लाल हो गया। वो घबराकर अपनी नजरें झुका लेती है। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि इस पर क्या जवाब दे। वो कभी RK को देखने के लिए नजरें उठाती, तो अगले ही पल घबराकर फिर से नीचे झुका लेती। क्योंकि सच तो यही था, वो वाकई RK को रिझाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन दूसरी बात जो उसे अंदर तक हिला गई थी— RK का उसे "माय डिअर वाइफ" कहना। ये शब्द उसके दिमाग में गूंजने लगे, और उसे लगा जैसे उसकी सांसें गले में अटक गई हों। दो मिनट तक जब RK ने देखा कि रत्ना की हालत और बिगड़ रही है, जबकि कमरे में AC ऑन है, तो उसने अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और रत्ना के गाल पर रख दिया। उसका स्पर्श महसूस होते ही रत्ना के पूरे बदन में झुरझुरी दौड़ गई। RK ने अपनी उंगलियों से उसका चेहरा हल्के से पकड़कर ऊपर किया और उसकी नजरें खुद से मिलवाईं। "बताओ, यही प्लान था ना तुम्हारा?" RK ने अपना सवाल दोहराया। रत्ना का चेहरा अब भी RK की तरफ था, लेकिन उसने हल्के में अपना सिर हिलाकर 'हाँ' कह दिया। उसके इस कबूलनामे पर RK के चेहरे पर हल्की मुस्कान आ गई। उसने रत्ना का गाल छोड़ दिया और अपने हाथ वापस पीछे बांध लिए। रत्ना थोड़ी एंबैरेस हो रही थी, लेकिन अब वो कर भी क्या सकती थी? "ओके, करो मुझे सेड्यूस..." RK के ये शब्द सुनते ही रत्ना की आँखें एकदम बड़ी हो गईं, और वो टुकुर-टुकुर उसे देखने लगी। RK के चेहरे पर वही रहस्यमयी, दिलकश मुस्कान थी। भले ही उसका पूरा चेहरा नहीं दिख रहा था, लेकिन उसके लहजे से साफ था कि वो इस स्थिति को एंजॉय कर रहा था। रत्ना झटके से खड़ी हो गई और बोली— "देखिए, मुझे गलत मत समझिए, लेकिन मुझे ये सब नहीं आता। मैं बस कोशिश कर रही हूँ कॉन्ट्रैक्ट के नियमों का पालन करने की। आपने उस वक्त मेरी मदद की थी, और उसके बदले मैंने आपसे कॉन्ट्रैक्ट मैरिज की। कॉन्ट्रैक्ट में तो यही शर्त है ना कि मुझे आपको..." रत्ना रुककर एक पल के लिए हिचकिचाई, फिर बोली, "मतलब, आप समझ रहे हैं ना? मैं बस अपना वादा पूरा करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन ये सब अचानक से करना मेरे लिए थोड़ा मुश्किल है।" RK उसकी आँखों में देखते हुए हल्के से मुस्कुराया और बोला— "ये तुम्हारे लिए ही नहीं, बल्कि मेरे लिए भी बहुत मुश्किल है।" रत्ना उसकी बात सुनकर चौंक गई। "मतलब?" वो तुरंत पूछ बैठी... "मतलब ये कि लड़कियां मुझे सेड्यूस नहीं कर पातीं। कोई भी लड़की ऐसी नहीं है जो मेरे करीब आने की कोशिश करे और मुझे कोई फीलिंग आए... मुझे लड़कियों से कोई फीलिंग नहीं होती।" RK ने जैसे ही ये कहा, रत्ना एकदम से चौंक गई। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें RK को घूरने लगीं। उसने कई बार पलकें झपकाईं, जैसे RK की बात को समझने की कोशिश कर रही हो। लेकिन जैसे ही उसने RK की बात का सही मतलब समझा, उसका मुँह खुला का खुला रह गया। वो हैरानी से अपना हाथ मुँह पर रखकर बोली— "ओ माय गॉड! आप गे हो?" "व्हाट? व्हाट नॉनसेंस! क्या बकवास कर रही हो? पागल हो गई हो क्या? ऐसा कुछ भी नहीं है!" RK एकदम से भड़क उठा। उसने गुस्से में चिल्लाते हुए कहा, "मैं गे नहीं हूँ!" लेकिन रत्ना अब भी उसकी बात समझ नहीं पा रही थी। उसने हैरानी से कहा, "आपको यकीन है कि आप गे नहीं हो? मतलब, अभी-अभी आपने कहा ना कि आपको लड़कियों से फीलिंग्स नहीं आतीं?" RK गुस्से में भड़कते हुए बोला, "हाँ! लेकिन मैंने ये तो नहीं कहा कि मुझे लड़कों से फीलिंग्स आती हैं! मुझे किसी से भी कोई फीलिंग नहीं आती! मेरे अंदर वो हार्मोंस काम ही नहीं करते, जो किसी के साथ 'लव मेक' करने की जरूरत होती है!" RK आगे झुककर ठंडी और सख्त आवाज़ में बोला, "अब इसके आगे एक भी फालतू शब्द नहीं बोलोगी, वरना तुम्हारे मुँह में यही ब्लाइंडफोल्ड ठूंस दूंगा!" रत्ना अचानक से डरकर पीछे हट गई। सच में, ये इंसान जब प्यार जताने पर आता है, तब क्या कर बैठता है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है! अभी कुछ देर पहले ही तो रत्ना को पता चला था कि उसकी RK से शादी कैसे हुई, और RK ने उसे इंप्रेस करने के लिए फूलों से भरा ट्रक भेजा था। वो सच में इंप्रेस भी हुई थी। लेकिन अब, पहली ही रात RK उससे इस तरह बात कर रहा था, जैसे अगर उसने कुछ गलत बोल दिया तो वो उसे कच्चा ही खा जाएगा। रत्ना घबरा गई। उसने अपना चेहरा नीचे किया और धीमी आवाज़ में बोली, "लेकिन अगर ऐसा है, तो फिर आपने मुझसे शादी क्यों की? मेरा मतलब है... वो कॉन्ट्रैक्ट मैरिज क्यों की?" RK ने ठंडी आवाज़ में जवाब दिया, "क्योंकि मुझे एक बच्चा चाहिए... अपना वारिस चाहिए।" रत्ना एकदम से हैरान रह गई। उसने RK की तरफ देखा और उसके शब्दों को समझने की कोशिश करने लगी। "अरे, जब RK के अंदर फीलिंग्स ही नहीं हैं, तो वो मुझसे अपने रिश्ते को आगे कैसे बढ़ाएगा? और जब हमारा रिश्ता आगे बढ़ेगा ही नहीं, तो मैं उसे बच्चा क्या... डाउनलोड करके दे दूंगी?" रत्ना हैरानी से बोली, "लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है? मैं आपको बच्चा कैसे दे सकती हूँ? जब आपके अंदर फीलिंग्स ही नहीं हैं, तो...?" RK उसकी आँखों में देखते हुए जवाब देता है, "रूल नंबर 9— तुम्हें मुझे इंप्रेस करना होगा। याद है, कॉन्ट्रैक्ट में लिखा था कि तुम्हें मुझे इंप्रेस करना होगा? मुझे सेड्यूस करना होगा? अब तुम्हें समझ आया कि वो रूल वहाँ क्यों लिखा गया था? और तुम इसके लिए तैयार भी हो... तो ठीक है, करो मुझे सेड्यूस।" रत्ना पूरी तरह से सुन्न हो गई थी। उसका दिल और दिमाग जैसे एक साथ जकड़ गए थे। वो एक ऐसी शादी में फँस चुकी थी, जिसका कोई मतलब ही नहीं था। पहले तो उसने बिना कॉन्ट्रैक्ट पढ़े ही ये कॉन्ट्रैक्ट मैरिज कर ली थी, क्योंकि उस वक्त उसकी मजबूरी थी। लेकिन अब उसे इस कॉन्ट्रैक्ट का असली मतलब समझ में आया था। "मतलब... कॉन्ट्रैक्ट में जो लिखा था कि मुझे RK को इंप्रेस करना होगा और उसे एक बच्चा देना होगा, वो इसलिए लिखा गया था? क्योंकि RK के अंदर वो फीलिंग्स ही नहीं हैं, जो उसे किसी के करीब ला सकें?" अब उसे एहसास हुआ कि इस शादी में उसकी सबसे बड़ी चुनौती यही थी— उसे RK को सेड्यूस करना होगा! लेकिन... अगर वो इसमें नाकाम रही तो? रत्ना भले ही सांवली थी, लेकिन उसके नैन-नक्श बेहद सुंदर थे। मगर वो इतनी भी सुंदर नहीं थी कि खुद को 'मेन्का' बना सके! उसे तो डांस भी नहीं आता था। ऐसे में, वो RK को कैसे सेड्यूस करेगी? अचानक उसे एहसास हुआ— "किसी ऊँचे पहाड़ पर चढ़ना और घनघोर तपस्या करना इस आदमी को इंप्रेस करने से ज्यादा आसान काम होगा!" उसके दिमाग में सारी बातें एक-एक करके घूमने लगीं। उसे वो दिन याद आया, जब अस्पताल के बाहर पहली बार RK ने उससे पूछा था कि वो वर्जिन है या नहीं। "अगर RK को लड़कियों से कोई फीलिंग नहीं होती, तो फिर उसने मुझसे ये सवाल क्यों किया था? और अगर उसे कोई सेड्यूस कर सकता है, तो वो मैं कैसे?" उसने मन ही मन सोचा— "RK को तो किसी ऐसे इंसान का चयन करना चाहिए था, जो पहले से ही इन सब में एक्सपीरियंस हो, जिसे लोगों को अपनी ओर आकर्षित करना आता हो। लेकिन मैं? मैं तो इतनी सीधी हूँ कि ऑटो वाले को हाथ दिखाकर भी नहीं रोक पाती! तो फिर मैं इस इंसान को इंप्रेस करके अपनी ओर कैसे बुलाऊँगी?"
रत्ना अभी भी अपनी जगह पर खड़ी-खड़ी इन्हीं सब चीजों को सोच रही थी। वो एक अजीब सी सिचुएशन वाली शादी में फँस चुकी थी, जहाँ उसे वो सब करना था, जो उसने कभी सोचा भी नहीं था। और सबसे बड़ी बात तो ये थी कि उसे अपने पति को इंप्रेस करना था, उसे सेड्यूस करना था, और वो भी ऐसे इंसान को, जिसके अंदर कोई फीलिंग ही नहीं है। वो ऐसे इंसान को कैसे अपनी तरफ अट्रैक्ट करेगी जो फीलिंगलेस है? क्या हो अगर रत्ना कोशिश करे और नाकामयाब रहे? ये उसके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी, क्योंकि उसने ऐसा पहले कभी नहीं किया था। उसे इन सबका कोई एक्सपीरियंस नहीं था। उसने कभी बॉयफ्रेंड नहीं बनाया था, ना ही कभी किसी लड़के के साथ ऐसी दोस्ती रखी थी। रत्ना के दिल में एक डर बैठ गया—क्या होगा अगर वो नाकामयाब रही और बदले में RK ने उसे सजा दे दी? अगर वो उसे खुश नहीं कर पाई, तो RK उसके साथ क्या कर सकता है? क्या वो उसे मारेगा? क्या वो उसे परेशान करेगा? या फिर उसका भाई... क्या वो उसके भाई के इलाज को रुकवा देगा? ये सोचकर ही रत्ना का डर और ज्यादा हावी होने लगा। अगर बात किसी और चीज़ की होती, तो शायद रत्ना अपनी काबिलियत साबित कर सकती थी, लेकिन यहाँ उसे ऐसी चीज़ पर अपनी काबिलियत दिखानी थी, जो उसे आती ही नहीं थी। तभी रत्ना को याद आया कि पहली बार जब वो आदमी उससे हॉस्पिटल के बाहर मिला था, तो उसने क्यों पूछा था कि वो वर्जिन है या नहीं। लेकिन ये उसके लिए भी उतना ही अनकंफर्टेबल था। उसने धीरे से RK की तरफ देखते हुए सवाल किया, "अगर ये आपके लिए इतना ही ज़रूरी था, तो आपने इसके लिए किसी ऐसे इंसान का चयन क्यों नहीं किया, जिसे पहले ही इन सबका एक्सपीरियंस हो?" "मैंने कोशिश की थी, लेकिन एक्सपीरियंस से भी कुछ नहीं होगा।" RK ने सीधे उसकी आँखों में देखते हुए जवाब दिया। उसके जवाब सुनकर रत्ना पूरी तरह से चौंक गई। इसका मतलब RK पहले से ही ये सब ट्राय कर चुका है। इसका मतलब वो पहले भी लड़कियों को अपने पास ला चुका है, लेकिन वो लड़कियाँ RK को इंप्रेस करने में नाकामयाब रही हैं। अगर एक्सपीरियंस लड़कियाँ नाकामयाब रही हैं, तो रत्ना कैसे सफल हो सकती है, जिसे इन सबका कोई अनुभव ही नहीं है? RK धीरे-धीरे रत्ना की तरफ बढ़ने लगा। रत्ना, जो अभी तक अपने विचारों में खोई हुई थी, अचानक से महसूस करने लगी कि RK की खुशबू उसके करीब आ गई है। वो एकदम से उसकी तरफ देखती है। RK उसके इतने करीब आ गया था कि उसका चेहरा रत्ना के चेहरे के बिल्कुल सामने नज़र आ रहा था। रत्ना एक पल के लिए डर गई। सच में, जितनी खतरनाक उसकी पर्सनालिटी दूर से नज़र आती थी, उससे कहीं ज्यादा खतरनाक वो उसके करीब आते हुए लग रहा था। रत्ना बुरी तरह से काँप रही थी, और ये बात RK ने भी महसूस कर ली थी, क्योंकि रत्ना की उंगलियाँ आपस में उलझते हुए काँप रही थीं। अचानक से RK ने अपना अगला कदम रोक लिया और वहीं पर रुक गया। वो शांति से खड़े होकर रत्ना को देखने लगा और फिर उसकी घबराहट को महसूस करते हुए धीरे से बोला, "सॉरी, मेरा इरादा तुम्हें डराने का नहीं था।" उसकी धीमी और मध्यम आवाज़ सुनकर रत्ना अचानक से शांत हो गई। उसने महसूस किया कि RK ने अपने कदम रोक लिए हैं, यानी वो और करीब नहीं आ रहा है। इसका एहसास होते ही उसे थोड़ी राहत मिली, लेकिन वो अब भी घबराई हुई नज़रों से RK को देख रही थी। क्योंकि वो भी जानती थी कि RK और वो इस कमरे में क्यों मौजूद हैं। ऐसे में अगर रत्ना वो नहीं करेगी जो RK चाहता है, तो शायद ये कॉन्ट्रैक्ट की अवहेलना होगी। RK उसकी तरफ देखते हुए बोला, "तो तुम चाहती हो कि तुम्हारे लिए मैं अपनी पावर का इस्तेमाल करूँ? क्या कोई मेडिसिन या कुछ और तरीका है जिससे..." RK अपने शब्द पूरे कर पाता, उससे पहले ही रत्ना ने धीरे से अपने हाथ आगे बढ़ाए और जोड़ते हुए डरती हुई नज़रों से उसे देखा। लड़खड़ाती हुई ज़ुबान में वो बोली, "सॉरी... प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए।" RK की आँखें सिकुड़ गईं। उसने गहराई से रत्ना को देखते हुए कहा, "तुम... ये सब छोड़ने की सोच रही हो?" लेकिन रत्ना ने तुरंत अपना चेहरा उठाया और तेज़ी से सिर हिलाते हुए बोली, "नहीं... नहीं! मैं कॉन्ट्रैक्ट नहीं तोड़ रही हूँ। बस मैं आपसे थोड़ा सा समय माँग रही हूँ।" "क्यों?" RK ने आँखें सिकोड़ते हुए पूछा। रत्ना की आवाज़ हल्की पड़ गई, "क्योंकि... मुझे इन सबका कोई एक्सपीरियंस नहीं है और ना ही मैंने ऐसा पहले कभी किया है। मुझे नहीं पता कि इसे कैसे करना है, शुरुआत कहाँ से करनी है। ऐसे अचानक से ये सब शुरू करना मेरे लिए थोड़ा सा अनकंफर्टेबल हो रहा है। बस, मैं आपसे थोड़ा सा वक्त माँग रही हूँ, ताकि मैं चीज़ों को समझ सकूँ।" "कितना वक्त चाहिए तुम्हें?" RK ने अपनी ठंडी आवाज़ में पूछा, तो रत्ना डर गई। उसे खुद नहीं पता था कि उसे कितना वक्त चाहिए। उसने डरते हुए RK को देखा और कहा, "एक दिन..." लेकिन उसके शब्द उसके हाव-भाव से मेल नहीं खा रहे थे। RK के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने अपना चेहरा हल्का सा घुमाया, अपनी हंसी को कंट्रोल करते हुए रत्ना की तरफ देखा और बोला, "तो तुम्हें एक दिन का वक्त चाहिए? तुम्हें नहीं लगता कि ये बहुत कम समय है एक्सपीरियंस के लिए?" रत्ना घबराई नज़रों से उसे देखने लगी। RK आगे बोला, "कल मैं अपनी बिज़नेस मीटिंग के लिए इंडिया से बाहर जा रहा हूं। मैं कब वापस आऊंगा, इसका कोई तय समय नहीं है। इसलिए जब तक मैं वापस नहीं आता, तब तक तुम्हारे पास वक्त ही वक्त है। जितना समझना है, समझो, जितना एक्सपीरियंस करना है, कर लो और जो सीखना चाहती हो, सीख लो। लेकिन जब मैं वापस आऊंगा, तो उम्मीद करूँगा कि तुम अपना काम बखूबी करोगी।" रत्ना ने डरते हुए उसे देखा। मतलब, कल RK बाहर जा रहा है और उसके लौटने का कोई अता-पता नहीं। लेकिन वो अभी भी घबराई नज़रों से उसे देख रही थी। उसके मन में कुछ चल रहा था, लेकिन RK के अगले शब्दों ने उसे पूरी तरह काबू में कर लिया। RK ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "कोशिश भी मत करना कि तुम इस कॉन्ट्रैक्ट को तोड़ोगी या इसके किसी भी नियम का उल्लंघन करोगी... क्योंकि अगर तुमने ऐसा किया और भागने की कोशिश की, तो तुम्हारे लिए ये पूरी दुनिया भी कम पड़ जाएगी। पर मेरे लिए तुम्हें ढूंढना बहुत आसान होगा। और अगर मुझे तुम्हें ढूंढना पड़ा, तो तुम सोच भी नहीं सकती कि मैं क्या कर सकता हूँ। मेरा एक डार्क साइड है, जिसे मैं तुम्हें दिखाना नहीं चाहता। इसलिए अभी भी कुछ ऐसा मत करना जिससे तुम मुझे मजबूर कर दो कि मैं तुम्हें अपना दूसरा चेहरा दिखाऊं। मैं तुम्हारे सामने जैसा हूँ, वैसा ही रहना चाहता हूँ।" रत्ना उसकी बातें ध्यान से सुन रही थी, लेकिन साथ ही साथ उसका डर भी बढ़ रहा था। वो पहले से ही समझ रही थी कि RK के दो चेहरे हैं—एक उसका असली चेहरा, जिसे देखने की इजाज़त उसे नहीं है, और दूसरा ये नकाब वाला चेहरा, जो अब तक उसकी आँखों के सामने था। अब तो उसे लगने लगा था कि ये नकाब ही उसका असली चेहरा है। RK, रत्ना के करीब आया और बेड के किनारे रखा ब्लाइंडफोल्ड उठाया। रत्ना एक पल के लिए डर गई। उसने RK को देखा, तो वो उसकी खूबसूरत आँखों में झांकते हुए बोला, "अपनी आँखें बंद करो।" "क्यों?" उसने घबराकर सवाल किया। RK ने ठंडी नज़रों से उसे घूरते हुए कहा, "क्योंकि मुझे नींद आ रही है।" रत्ना की सांस गले में अटक गई। उसने घबराते हुए कहा, "हाँ तो... जाकर अपने कमरे में सो जाइए ना।" "🤨 ये मेरा ही कमरा है," RK ने उसे देखते हुए जवाब दिया। रत्ना की आँखें हल्की सी बड़ी हो गईं। उसे लगा था कि RK ने उसे वक्त दिया है, मतलब वो उसे समय देना चाहता है। पर उसकी हरकतें तो कुछ और ही इशारा कर रही थीं—मतलब उसे और RK को इसी कमरे में ही रहना था। RK ने फिर से कहा, "अपनी आँखें बंद करो। मुझे तुम्हारी आँखों पर पट्टी बांधनी है ताकि मैं अपना मास्क उतार सकूं।" रत्ना जानती थी कि कॉन्ट्रैक्ट में लिखा है कि वो मास्क के बारे में कोई सवाल नहीं कर सकती और न ही RK इसके बारे में कोई जवाब देने के लिए बाध्य है। इसलिए उसने कोई और सवाल नहीं किया और चुपचाप आँखें बंद कर लीं। RK ने धीरे से उसकी आँखों पर ब्लाइंडफोल्ड बांधा। जैसे ही उसकी उंगलियाँ रत्ना के गालों को छूकर गुजरीं, उसके पूरे शरीर में एक करंट दौड़ गया। ब्लाइंडफोल्ड बांधने के बाद, RK ने चेक किया कि कहीं रत्ना कुछ देख तो नहीं पा रही। जब उसने देखा कि रत्ना पूरी तरह से अंधेरे में है, तो उसने धीरे से अपने हाथ पीछे ले जाते हुए अपना मास्क उतार दिया। कुछ देर बाद, रत्ना एक कोने में बैठी, बिल्कुल छिपकली की तरह दीवार से चिपकी हुई थी। RK ने अपने हाथ मोड़कर उसे अजीब नज़रों से देखा और कहा, "तुम ऐसे ही सोने वाली हो?" रत्ना को कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन सुनाई तो दे रहा था। उसने हल्के से सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, मैं ऐसे ही सो जाऊँगी। मुझे सोने के लिए ज़्यादा जगह की ज़रूरत नहीं होती। मैं तो कोने में भी फिट हो जाती हूँ। आपको पता है, विशाखापट्टनम से मुंबई आते वक्त मैंने सिर्फ तम्मु के लिए एक टिकट बुक करवाई थी।" RK के चेहरे पर मास्क नहीं था। वो अपनी तीखी नज़रों से रत्ना को घूरते हुए बोला, "तुम विशाखापट्टनम से अपने साथ तंबू लेकर आई हो?"
तुम विशाखापट्टनम से अपने साथ तंबू लेकर आई हो..? RK अजीब नज़रों से घूरते हुए सवाल कर रहा था। उसकी बात सुनकर रत्ना ने जल्दी से ना में सिर हिलाया और बोली, "अरे नहीं, तंबू नहीं, तम्मू!" "तम्मू? बोले तो..?" RK ने पूछा, तो रत्ना उससे भी ज़्यादा हैरानी से उसे देखने लगी। "वो तो मैं आपको बाद में बताऊंगी, पर पहले आप ये बताइए, ये 'बोले तो' का क्या मतलब है?" RK ने जवाब दिया, "ये मुंबई की भाषा है.. धीरे-धीरे तुम्हें आदत पड़ जाएगी। पहले तुम ये बताओ, तम्मू किसे कहते हैं?" रत्ना को RK की आवाज़ तो सुनाई दे रही थी, लेकिन उसकी आँखों पर ब्लाइंडफोल्ड बंधा हुआ था। वो जल्दी से बोली, "तम्मू मतलब छोटा भाई... मेरा छोटा भाई, वीनू! उसका असली नाम वेंकटेश है, लेकिन हम उसे प्यार से वीनू बुलाते हैं। आपको पता है, जब मैं उसे लेकर मुंबई आ रही थी, तो मेरे पास टिकट के पैसे नहीं थे। इसलिए मैंने सिर्फ़ एक ही टिकट बुक करवाई थी, वो भी सिर्फ़ उसके लिए। क्योंकि उसकी तबीयत ख़राब थी ना... उसे आराम की ज़रूरत थी। इसीलिए मैंने उसे सीट पर बैठा दिया और उसकी सीट के पास नीचे ज़मीन पर बैठकर आई हूँ।" रत्ना की बात सुनकर RK पूरी तरह से चौंक गया। वो अपनी पूरी नज़रों से उसे घूरने लगा। "ये लड़की कितनी अजीब है… मतलब विशाखापट्टनम से मुंबई तक अपने भाई को सीट पर बिठाकर आई और खुद ज़मीन पर बैठकर आई? इतना लंबा सफ़र इसने ट्रेन की बोगी में नीचे ज़मीन पर बैठकर काटा?" RK के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई। उसने रत्ना की तरफ देखा और कहा, "परफेक्ट!" रत्ना हैरान रह गई। "ये मुझे परफेक्ट क्यों बुला रहा है?" उसने जल्दी से पूछा, "जी, कुछ कहा आपने?" RK ने ना में सिर हिलाया और खुद को सीधा करते हुए बोला, "नहीं, कुछ नहीं... बस ये कह रहा था कि रात काफ़ी हो गई है, सो जाओ।" रत्ना को थोड़ी घबराहट हो रही थी। एक तो वैसे ही RK उसके लिए अजीब था, ऊपर से उसकी सारी शर्तें भी उससे भी ज़्यादा अजीब थीं। सबसे बड़ी बात तो ये थी कि उसे RK को इंप्रेस करना था। और अब... वो एक ऐसे इंसान के साथ एक कमरे में, एक बिस्तर पर थी, जिसे उसने आज पहली बार देखा था। या फिर यूं कहें... उसने तो RK को देखा भी नहीं था! नकाब के पीछे कौन सा चेहरा है, ये बात वो जानती तक नहीं थी। लेकिन सिर्फ़ एक दिन में मिले किसी अजनबी के साथ बेड शेयर करना... ये उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। इसीलिए वो दीवार से छिपकली की तरह चिपक गई थी। RK जब सोने के लिए लेटने वाला था, तभी रत्ना ने कहा, "आप सो जाइए, मुझे नई जगह पर नींद नहीं आती है। जब नींद आएगी, तब मैं सो जाऊंगी।" RK ने एक नज़र रत्ना को घूरकर देखा और फिर बोला, "ठीक है, तुम्हारी मर्ज़ी... जब नींद आए, सो जाना। लेकिन याद रखना, मुझे नींद में डिस्टरबेंस बिल्कुल पसंद नहीं है। तो बिल्कुल भी आवाज़ मत करना!" रत्ना ने तुरंत कहा, "मैं क्यों आवाज़ करूंगी? इंसान सोते हुए आवाज़ कैसे कर सकता है? मैं आवाज़ नहीं करती... मैं तो ऐसे सो जाती हूँ कि आपको पता ही नहीं चलेगा! कई बार तो मेरी घरवाली मुझे हिलाकर देखती है कि मैं हूँ भी या निकल गई! इसीलिए मैं सोते-सोते भी ऐसे सोती हूँ जैसे मुझे आसपास का होश ही नहीं होता। इसलिए आपको टेंशन लेने की ज़रूरत नहीं है, मैं बिल्कुल भी आवाज़ नहीं करूंगी।" RK ने एक नज़र रत्ना को देखा और फिर आराम से लेट गया। उसने ब्लैंकेट अपनी गर्दन तक खींच लिया और आँखें बंद कर लीं। RK बहुत ज़्यादा थक गया था, इसलिए उसे जल्दी नींद आ गई। लेकिन रत्ना अभी भी वहीं बैठी हुई थी। उसे ब्लाइंडफोल्ड उतारने की इजाज़त नहीं थी, पर इस वक़्त वो डर से ज़्यादा नींद से लड़ रही थी। पिछले दस दिनों से वो ठीक से सो भी नहीं पाई थी। वीनू की देखभाल के लिए उसे बार-बार उठना पड़ता था। "अब मुझे अपनी नींद पूरी करनी होगी..." उसने सोचा। हॉस्पिटल का सोफ़ा भी इतना कंफ़र्टेबल नहीं था कि वो वहाँ चैन से सो पाती। लेकिन यहाँ… RK के कमरे में ये नरम गद्देदार बेड, ऊपर से ये मुलायम तकिया… उसकी नींद का प्रेशर और ज़्यादा बढ़ा रहा था। पर... सबसे अजीब बात तो ये थी कि वो RK के साथ एक ही बेड पर कैसे सो सकती थी? कॉन्ट्रैक्ट अपनी जगह, पर कंफ़र्टेबल होना भी तो ज़रूरी है! न जाने कितनी देर तक रत्ना बैठे-बैठे इन्हीं सब चीज़ों के बारे में सोचती रही। उसने सोच लिया था कि जब RK सुबह उठकर कमरे से बाहर जाएगा, तभी वो सोएगी। लेकिन…वो इतनी ज़्यादा थकी हुई थी… इतनी ज़्यादा प्रेशर में थी… कि बैठे-बैठे ही कब बिस्तर पर लुढ़क गई, उसे खुद भी पता नहीं चला! RK जो सुकून से सो रहा था, अचानक उसकी कमर पर एक ज़ोरदार धक्का लगता है, और वो बिस्तर से नीचे लुढ़क जाता है। हड़बड़ाकर उठते ही गुस्से में इधर-उधर देखने लगा। कमरे में इमरजेंसी लाइट जल रही थी, जिसकी वजह से पूरे कमरे में एक मध्यम पीले रंग की रोशनी फैली हुई थी। उसे वैसे भी कमरे में ये हल्की पीली रोशनी अजीब लग रही थी, लेकिन सबसे ज़्यादा हैरानी उसे तब हुई जब उसने सामने देखा— रत्ना इस किंग-साइज़ बेड पर किसी क्वीन की तरह सो रही थी! उसके दोनों हाथ पूरे बेड पर फैले हुए थे, एक पैर दूसरे पैर के ऊपर बेदर्दी से रखा हुआ था। उसका ब्लाइंडफोल्ड बेड के एक कोने में पड़ा था। लेकिन सबसे ज़्यादा झटका तो RK को तब लगा जब उसने देखा— रत्ना मुँह पूरा खोलकर सो रही थी… और उसके खर्राटे…!! ऐसा लग रहा था जैसे खर्राटे नहीं, बम के धमाके हो रहे हों! RK खड़ा होकर उसे घूरने लगा। उसे अचानक रत्ना की वही बात याद आई, जो उसने सोने से पहले कही थी— "मैं जब सोती हूँ, तो ऐसा लगता है जैसे मर चुकी हूँ!" लेकिन यहाँ तो हालात कुछ और ही थे। उसके खर्राटों से तो मरे हुए भी जाग सकते थे! पहले तो RK को उस पर गुस्सा आ रहा था, लेकिन जब उसने रत्ना को इतने बेफिक्र होकर सोते देखा, तो उसका सारा गुस्सा काफूर हो गया। वो हल्का सा मुस्कुराया और धीरे से फुसफुसाया, "बिलकुल पागल लड़की है!" रत्ना किसी छोटे बच्चे की तरह पूरे बेड पर इधर-उधर पलटी मार रही थी। उसे इतनी रिलैक्स और चैन से सोता देख, RK को अच्छा लगने लगा… सारी टेंशन, सारी चिंता, सारी परेशानियाँ छोड़कर वो इस नरम, मुलायम बिस्तर पर सुकून की नींद ले रही थी… RK धीरे से बेड पर कदम रखता है और हल्का सा उसके ऊपर झुकता है। उसने उसके दोनों हाथ, जो हवा में उठे हुए थे, धीरे से पकड़कर उसके पेट पर रख दिए और ब्लैंकेट से उसे ढक दिया। रत्ना के कुछ बाल उसके चेहरे पर बिखर गए थे। RK ने धीरे से अपनी उंगलियों से वो बाल उसके चेहरे से हटाए। उसकी उंगलियों का हल्का सा स्पर्श पाकर रत्ना के चेहरे पर हल्की-हल्की मुस्कान आ गई… पर मुस्कान के साथ-साथ… खर्राटे भी जारी थे! ब्लाइंडफोल्ड, जो बिस्तर के एक कोने में गिर पड़ा था, RK ने उठाकर धीरे से रत्ना के सिर के पास रख दिया, ताकि जब रत्ना उठे तो उसे लगे कि वो ब्लाइंडफोल्ड में ही सो रही थी। RK उसे देखते हुए हल्का सा सिर हिलाता है और मुस्कुराते हुए कमरे से बाहर चला जाता है, ताकि रत्ना आराम से सो सके… और उसके खर्राटों के बिना RK भी दूसरे कमरे में चैन की नींद ले सके। --- अगली सुबह RK अपने स्टडी रूम की खिड़की के पास बैठा था। उसने अभी भी मास्क पहना हुआ था। तभी स्टडी रूम का दरवाज़ा खुलता है और रॉबी अंदर आते ही कहता है— "तो कैसी रही पहली रात?" RK बिना उसकी तरफ देखे जवाब देता है, "जैसी भी थी, तुम्हें बताना ज़रूरी नहीं समझता।" रॉबी हंसते हुए बोला, "हाँ हाँ, मत बताओ! डिटेल नहीं मांग रहा, बस पूछ रहा था कि कोई प्रॉब्लम तो नहीं हुई?" RK ने रॉबी की तरफ देखा, फिर धीरे से अपने दोनों हाथ पीछे ले जाकर मास्क की डोरी खोल दी। अगले ही पल उसका मास्क उसके हाथ में था, और रॉबी के सामने उसका असली चेहरा था। रॉबी मुस्कुराते हुए बोला, "वैसे, अपने ओरिजिनल चेहरे में भी तू काफ़ी हैंडसम लगता है… तो फिर भाभी के सामने ये मास्क पहनने की क्या ज़रूरत?" RK हल्की मुस्कान के साथ जवाब देता है, "ज़रूरत तो वैसे ही यहाँ तेरी भी नहीं है, पर तू भी तो मौजूद है?" रॉबी उसकी बातों का बुरा नहीं मानता, क्योंकि वो जानता था कि RK की यही आदत है। इसलिए तो वो उसका सबसे भरोसेमंद आदमी था। हंसते हुए बोला, "तू चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, मुझे अपनी ज़िंदगी से धक्के मारकर बाहर निकालने की… लेकिन मैं बेशर्म लोगों में से हूँ, जो फिर से तेरी ज़िंदगी में आकर डेरा जमा लेंगे। लेकिन तुझे छोड़कर नहीं जाऊँगा… क्योंकि मैं जानता हूँ, अगर मैंने तुझे छोड़ दिया, तो तू अकेला हो जाएगा।" "चल, ये सब बातें छोड़… ये बता, तेरी और भाभी की कल रात ठीक से बात हुई ना? तूने सब समझा तो दिया?" रॉबी की बात सुनकर RK ने हल्के से सिर हिलाया, "हाँ, बात तो हुई… मैंने उसे सब समझा भी दिया… लेकिन थोड़ी अजीब है।" रॉबी ने भौंहें चढ़ाते हुए पूछा, "अजीब मतलब? कैसे?" RK मुस्कुराते हुए बोला, "कल रात जब मैंने उससे कहा कि मुझमें फीलिंग्स नहीं हैं… तो उसने मुझसे पूछा— 'क्या मैं गे हूँ?' "
RK ने अपने चेहरे से मास्क हटा रखा था और वो इस समय रॉबी के साथ लाइब्रेरी में था। रॉबी, RK की बात सुनकर जोर-जोर से हँस रहा था। उसने हँसते हुए कहा, "सच में भाई, क्या मज़ेदार लड़की है! तूने सच में एकदम अलग और अनोखी लड़की से शादी की है!" पहले तो RK ने उसे घूरकर देखा, लेकिन जब उसे कल रात रत्ना की हरकतें याद आ गईं, तो उसके खुद के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई। "सच में, रत्ना बहुत ही अजीब है," उसने मुस्कुराते हुए सोचा। तभी दरवाजा खुलता है और एक शख्स अंदर आता है। उसने सफेद शर्ट और काली पैंट पहनी हुई थी, जिससे वो पूरी तरह फॉर्मल लग रहा था। उसके चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान थी और एक अलग ही एटीट्यूड झलक रहा था। जैसे ही वो अंदर आया, RK और रॉबी दोनों उसकी तरफ देखने लगे। ये कोई और नहीं बल्कि वही शख्स था, जिसने रत्ना को RK के लिए सिलेक्ट किया था—जो पहली बार रत्ना से हॉस्पिटल के बाहर मिला था। वो RK के पास आते हुए बोला, "बस आपके साइन चाहिए इस डॉक्यूमेंट में।" "अविनाश..." RK ने लड़के का नाम लिया। तो अविनाश, RK और रॉबी को एक साथ देखकर मुस्कुराया और बोला, "क्या बात है? आप लोग कोई ज़रूरी बात कर रहे थे? मैंने डिस्टर्ब तो नहीं किया?" RK ने अविनाश के कंधे पर हल्की थपकी दी और कहा, "नहीं, तुमने डिस्टर्ब नहीं किया, बल्कि तुमने तो बहुत सही काम किया है। तुमने रत्ना को मेरे लिए सिलेक्ट किया और मैं आज दावे से कह सकता हूँ कि तुम्हारा फैसला बिल्कुल सही था। लेकिन क्या तुम मुझे बताओगे कि रत्ना को मेरे लिए सिलेक्ट करने के पीछे असली वजह क्या थी? तुम्हें कैसे पता चला कि वो मेरे लिए सही लड़की है?" अविनाश मुस्कुराया, हल्के से सिर हिलाया और RK को देखते हुए बोला, "आप मेरे बॉस हैं, अगर बॉस बनकर पूछेंगे, तो मैं ज़रूर बताऊँगा कि मैंने रत्ना को आपके लिए क्यों सिलेक्ट किया। लेकिन आपके हमराज़ होने के नाते मैं कहूँगा कि अभी सही वक्त नहीं आया है।" RK उसकी बात सुनकर उसे हैरानी से देखने लगा, लेकिन वो जानता था कि अविनाश ने अगर ऐसा कहा है, तो इसके पीछे ज़रूर कोई वजह होगी। हालाँकि, उसके चेहरे पर अभी भी वही एटीट्यूड बरकरार था, क्योंकि आखिर वो उन सबका बॉस था। RK ने अपने अंदाज़ में कहा, "ठीक है, अभी के लिए जाने देता हूँ, लेकिन अगली बार अगर इस सवाल का जवाब नहीं दिया, तो तुम्हें जान से मार दूँगा!" अविनाश जानता था कि RK की ये धमकी बस एक दिखावा है। असल में वो दिल से बहुत नेक और नरम इंसान था। इसलिए वो मुस्कुराते हुए बोला, "ठीक है, सही समय आने दीजिए, मैं आपको ज़रूर बताऊँगा।" अविनाश ने फाइल में से कुछ निकालकर RK की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "ये रही आपकी फ्लाइट की टिकट। आप कब निकलेंगे?" RK टिकट अपने हाथ में लेते हुए बोला, "बस, निकलने ही वाला हूँ।" फिर उसने रॉबी की तरफ देखकर कहा, "मेरे पीछे रत्ना का ख्याल रखना।" रॉबी हमेशा की तरह सिर हिलाता है। कमरे में अचानक खामोशी छा जाती है, क्योंकि सबकी आँखों में एक ही सवाल था, और सब एक-दूसरे से उसका जवाब जानने की कोशिश कर रहे थे। --- अगली सुबह, रत्ना की नींद खुली। उसने अंगड़ाई लेते हुए बेड पर बैठते हुए उबासी ली। जब उसने अपना कैमरा देखा, तब जाकर उसे होश आया कि वो शायद गहरी नींद में सो रही थी। उसे ये एहसास ही नहीं हुआ कि वो इस वक्त कहाँ है। पर अब उसे सब याद आ गया—एक अजनबी, ये कॉन्ट्रैक्ट मैरिज, और कल रात... वो उसी के कमरे में सोई थी! ये याद आते ही उसकी बची-कुची नींद भी उड़ गई, और वो हैरानी से इधर-उधर देखने लगी। कमरे में इस वक्त वो अकेली थी, लेकिन सबसे अजीब बात ये थी कि उसे याद था कि उसकी आँखों पर पट्टी बँधी होनी चाहिए थी। लेकिन अब उसकी आँखें खुली हुई थीं और वो सब कुछ देख सकती थी। उसने जल्दी से बेड पर इधर-उधर देखा, तो पट्टी सिरहाने पर पड़ी हुई नज़र आई। उसने जल्दी से पट्टी हाथ में ली और अपना माथा पीट लिया। "कहीं गलती से उन्होंने मेरा चेहरा तो नहीं देख लिया होगा?" उसने घबराते हुए सोचा। रत्ना डर रही थी, पर तभी उसे याद आया कि कॉन्ट्रैक्ट में साफ लिखा था कि उसे RK का चेहरा नहीं देखना है, लेकिन RK तो पहले ही उसका चेहरा देख चुका था। अब उसे अपनी ही बेवकूफी पर शर्म आ रही थी। तभी उसके दरवाजे पर दस्तक होती है। उसने देखा कि वो अभी भी इस अजीबोगरीब ट्रांसपेरेंट नाइटी में थी। उसने जल्दी से खुद को ब्लैंकेट से ढका और दरवाजे की तरफ देखकर बोली, "अंदर आ जाओ।" दरवाजा खुला और मेड रोज़ी अंदर आई। रोज़ी ने उसके पास आकर अपने हाथ में रखा हुआ एक काले रंग का कार्ड उसकी तरफ बढ़ाया और कहा, "मैडम, ये सर ने आपके लिए भेजा है।" रत्ना ने कार्ड अपने हाथ में लिया, उसे उलट-पलट कर देखा और पूछा, "ये क्या है?" रोज़ी ने बताया, "मैडम, ये गोल्ड कार्ड है। सर ने कहा है कि इससे आप अपनी जरूरत के मुताबिक खर्च कर सकती हैं।" "ओह अच्छा... ठीक है, मैं समझ गई, इसे रख लेती हूँ। वैसे, RK कहाँ हैं?" रत्ना ने रोज़ी से सवाल किया, तो रोज़ी ने सिर झुकाए हुए जवाब दिया, "मैडम, सर कब के निकल चुके हैं। उन्हें शायद अपनी मीटिंग के लिए बाहर जाना था।" रत्ना को याद आया कि इस बारे में कल रात ही RK ने उससे बात की थी कि वो अपनी मीटिंग के लिए इंडिया से बाहर जा रहा है। जब तक वो इंडिया से बाहर रहेगा, रत्ना के पास अपने लिए सोचने का समय रहेगा। रत्ना गहरी सोच में पड़ गई और रोज़ी वहाँ से चली गई। --- फ्रेश होकर, जब रत्ना नीचे डाइनिंग टेबल पर आई, तो उसने देखा कि पूरा टेबल शानदार खाने से भरा हुआ था। लेकिन जैसे ही वो बैठी, उसे अजीब-सा महसूस हुआ। जहाँ एक तरफ पूरा टेबल तरह-तरह के व्यंजनों से सजा हुआ था, वहीं घर के सारे नौकर और बटलर सिर झुकाए, मूर्तियों की तरह खड़े थे। "आप लोग खड़े क्यों हैं? बैठ जाइए!" रत्ना ने कहा। जैसे ही उसने ये कहा, सारे बटलर फौरन नीचे ज़मीन पर बैठने लगे। "अरे! आप लोग नीचे क्यों बैठ रहे हैं? डाइनिंग टेबल पर बैठकर ब्रेकफास्ट करिए!" बटलर हैरानी से एक-दूसरे को देखने लगे। तभी सुनीता आंटी आईं और बोलीं, "मैडम, आप क्या कह रही हैं? हम नौकर आपके बराबर में बैठकर कैसे खाना खा सकते हैं?" रत्ना, सुनीता आंटी को देखकर हैरानी से बोली, "तो फिर इतना सारा खाना किसके लिए बना है?" "मैडम, ये सारा खाना आपके लिए ही बना है। आपको जो पसंद आए, आप उसमें से खा सकती हैं।" ये सुनकर रत्ना की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। "दस लोगों के खाने जितनी डिशेज़ टेबल पर रखी हैं और ये सब मुझ अकेले के लिए?" उसने आश्चर्य से सोचा। "मैं इतना सारा खाना अकेले नहीं खा सकती! मेरे लिए तो दो इडली और थोड़ा सा सांभर ही काफी होगा।" सुनीता आंटी जल्दी से उसकी प्लेट में इडली और सांभर रखते हुए बोलीं, "मैडम, अगर आपको ये खाना है, तो आप यही खा लीजिए।" रत्ना ने उनकी बात सुनी और तुरंत पूछा, "अगर मैं सिर्फ इसी से पेट भर लूँगी, तो बाकी इतना सारा खाना क्या फेंकोगे?" सुनीता आंटी उसकी बात सुनकर हैरानी से उसे देखने लगीं। रत्ना ने अपना माथा पीटते हुए कहा, "आंटी, आप ये सारा खाना सर्वेंट्स में बँटवा दीजिए और उनसे कहिए कि अपनी फैमिली के साथ मिलकर इसे खा लें। मेरे लिए इतना सब बनाने की जरूरत नहीं है। मुझे तो इडली-सांभर या फिर मसाला डोसा भी चलेगा। वैसे भी, खाने की कीमत मुझसे बेहतर और कौन समझ सकता है?" ब्रेकफास्ट करने के बाद रत्ना अपना पर्स लेती है और सीधे अस्पताल की तरफ चली जाती है क्योंकि उसे वीनू को भी देखना था। लेकिन शाम होते ही उसे वापस मेंशन लौटने के लिए कहा गया था, इसीलिए पूरे दिन दोनों के साथ रहने के बाद वो शाम को जब अस्पताल से निकलती है, तभी उसकी टक्कर हॉस्पिटल के दरवाजे पर एक लड़की से हो जाती है। रत्ना गिरते-गिरते बचती है, लेकिन लड़की दूसरी तरफ गिर जाती है। रत्ना ने उस लड़की को देखा, तो वो लड़की भी उसे देखकर बोली, "पागल हो क्या? देखकर नहीं चल सकती?" रत्ना की आंखें एकदम बड़ी हो गईं और उस लड़की की भी, क्योंकि वो रत्ना की स्कूल की फ्रेंड थी—कावेरी। रत्ना खुश होते हुए कहती है, "तो कावेरी भी खुश होते हुए रत्ना को देखकर उछल पड़ती है। वो जल्दी से रत्ना के गले लग जाती है। कावेरी और रत्ना हाई स्कूल तक एक-दूसरे की फ्रेंड थीं, लेकिन उसके बाद कावेरी के पिता का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था, जिस वजह से उसे जाना पड़ा। पर ये दोनों स्कूल में इतनी अच्छी दोस्त थीं कि इतने सालों बाद भी एक-दूसरे को देखते ही तुरंत पहचान लिया। दोनों हॉस्पिटल के कैफे में बैठकर कॉफी पीते हुए बातें करने लगीं। उन्होंने बताया कि अलग होने के बाद उनकी जिंदगी में क्या-क्या हुआ। कावेरी फिलहाल एक प्रोडक्शन हाउस में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम कर रही है। उसका सपना है कि एक दिन वो अपना खुद का प्रोडक्शन हाउस खोले। लेकिन जब वो रत्ना से मिली, तो हैरान रह गई। वो अस्पताल भी इसी वजह से आई थी क्योंकि उसे अस्पताल का एक सीन शूट करना था और इसके लिए वो स्टाफ से बात करने आई थी। पर रत्ना को देखकर उसे इतनी खुशी हुई कि वो ये भी भूल गई कि वो किस काम से आई थी। रत्ना ने कावेरी को बता दिया था कि उसने शादी कर ली है, हालांकि उसने अपनी कॉन्ट्रैक्ट मैरिज के बारे में कुछ नहीं बताया। लेकिन उसने ये ज़रूर बताया कि जिससे उसकी शादी हुई है, उसी ने वीनू के इलाज में मदद की है। कावेरी और रत्ना ने एक-दूसरे के नंबर एक्सचेंज किए। पहले रत्ना के पास फोन नहीं था, लेकिन अब उसके पास RK का दिया हुआ एक VIP नंबर वाला फोन था। जब कावेरी का शूटिंग सेट अस्पताल में लगा, तो वीनू को देखने के बाद रत्ना अक्सर सेट पर जाती और वहां पर देखती कि कैसे शूटिंग होती है और लोग काल्पनिक सीन कैसे फिल्माते हैं। हालांकि, रत्ना को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं था। उसे फिल्म शूटिंग और एक्टिंग से बहुत चिढ़ थी, लेकिन कावेरी की खातिर वो सेट पर मौजूद रहती। वो देख रही थी कि कैसे हीरो को इंप्रेस करने के लिए हीरोइन तरह-तरह के हथकंडे अपना रही थी और हीरो उसे पूरी तरह इग्नोर कर रहा था। यही देखकर रत्ना के दिमाग में एक ख्याल आया— "जब RK से मेरी दूसरी मुलाकात होगी, तो मुझे उसे इंप्रेस करने के लिए क्या करना चाहिए?" उसने अपनी डायरी में हर एक चीज़ नोट करनी शुरू कर दी। देखते ही देखते एक हफ्ता बीत गया और कावेरी की शूटिंग हॉस्पिटल में खत्म हो गई। वो अपने स्टाफ के साथ वापस चली गई, लेकिन उसका और रत्ना का मिलना अभी भी जारी था। वीनू की तबीयत भी धीरे-धीरे ठीक हो रही थी। वैसे तो इस एक हफ्ते में रत्ना ने सब चीज़ें अच्छे से संभाल ली थीं, लेकिन एक चीज़ थी जो RK का स्टाफ अभी भी नहीं संभाल पा रहा था— वो थी खुद रत्ना! वो लोग उसे स्पेशल ट्रीटमेंट देना चाहते थे, उसकी खास देखभाल करना चाहते थे। लेकिन रत्ना तो ठहरी मिट्टी से जुड़ी हुई लड़की! उसे स्पेशल ट्रीटमेंट समझ ही नहीं आता। उसे ना तो चम्मच से खाना आता था और ना ही चॉपस्टिक से। बेचारी अब भी हाथ से ही इडली-सांभर खा रही थी। दोपहर का समय था। रत्ना ने देखा कि बगीचा तरह-तरह के फूलों से भरा हुआ है। उसने इधर-उधर देखा, फिर सुनीता आंटी की तरफ देखकर कहा— "आंटी जी, बगीचे में इतने सारे फूल और पौधे हैं, लेकिन यहां तुलसी का पौधा क्यों नहीं है?" "तुलसी का पौधा?" सुनीता आंटी हैरानी से बोलीं। "हां आंटी, तुलसी का पौधा तो घर में जरूरी होता है ना! आपको पता है, विशाखापट्टनम में मेरे घर के आंगन में एक बहुत बड़ा तुलसी का वृंदावन था। शाम को जब मैं उसमें दिया जलाती थी, तो पूरा आंगन दिए की रोशनी से खिल जाता था और वहां तुलसी की भीनी-भीनी महक आती थी।" "यहां तो तरह-तरह के विदेशी पौधे हैं, लेकिन तुलसी नहीं! आपको नहीं लगता कि यहां भी तुलसी का पौधा होना चाहिए? इससे घर में सुख-समृद्धि आती है।" सुनीता आंटी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दीं। कितनी सरल विचारों की थी रत्ना! शायद उसका भोलापन ही था, जो वो RK की जिंदगी का हिस्सा बन गई थी...
सात दिनों बाद RK को गए लगभग सात दिन हो चुके थे, और इन सात दिनों में बहुत कुछ बदल भी गया था। लेकिन एक चीज थी जो नहीं बदली—वो थी खुद रत्ना..।पुरी हवेली तरह उथल-पुथल हो चुकी थी, क्योंकि कोई भी अपनी मालकिन को समझा नहीं पा रहा था। रत्ना इस समय गार्डन में खुद माली बनी बैठी थी। गार्डन का एक हिस्सा, जहां के पेड़-पौधे सूख चुके थे और वहां बिल्कुल वीरानी छाई थी, रत्ना ने जैसे उसे अपना बना लिया था। वो वहां फूलों की क्यारियां लगा रही थी, तुलसी का पौधा लगाया था और कई और पौधे भी। धीरे-धीरे वो वीरान जगह एक खूबसूरत बगीचे में तब्दील हो रही थी। सुनीता आंटी ने बताया था कि जब भी RK बिज़नेस मीटिंग के लिए बाहर जाते हैं, तो कम से कम एक महीने बाद ही लौटते हैं। ये सुनकर रत्ना हैरान जरूर हुई थी, लेकिन उसके लिए ये खुशी की बात थी। उसे सोचने-समझने और ये तय करने के लिए अच्छा-खासा वक्त मिल गया था कि RK के सामने उसे किस तरह पेश आना है। इसके बाद उसने हवेली के बगीचे में बदलाव करने की ज़िद पकड़ ली। वो इस अंधेरे और शांत पड़े बगीचे को एक रोमांटिक जगह में बदलना चाहती थी। वो इसके एक जैसे और नीरस लुक को तोड़कर उसमें रंग भरना चाहती थी, ताकि ये आगे किसी खास मौके के लिए परफेक्ट डेटिंग स्पॉट बन सके। सभी को ये देखकर खुशी हो रही थी कि रत्ना एक सूखी और वीरान पड़ी जगह को हरा-भरा बना रही है। लेकिन जो चीज़ सबसे ज्यादा हैरान कर रही थी, वो ये थी कि वो खुद अपने हाथों से ये सब कर रही थी। सुनीता आंटी और बाकी नौकर-चाकर पूरी तरह हक्के-बक्के रह गए थे, लेकिन वो कुछ कर भी नहीं सकते थे। उनकी लेडी बॉस जितनी ज़िद्दी थी, उतनी ही मनमौजी भी थी। इसलिए उसकी बात न मानने का तो सवाल ही नहीं था। सारे नौकर और सुनीता आंटी गार्डन के एक तरफ खड़े थे और रत्ना को देख रहे थे, जो मिट्टी से पूरी तरह सनी हुई थी। तभी हवेली के सामने एक गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी के अंदर बैठा RK जब गार्डन की तरफ देखता है, तो उसकी आंखें सिकुड़ जाती हैं। उसने सबसे पहले अपना मास्क पहना और तेज़ कदमों से गार्डन की ओर बढ़ गया। नौकरों के पीछे खड़े होकर उसने अपनी सर्द आवाज़ में कहा— "ये सब क्या हो रहा है?" RK की आवाज़ सुनते ही सारे नौकर जैसे कांप गए। ऐसा लगा जैसे उनकी आत्मा खड़े-खड़े ही परमात्मा में लीन हो गई हो। उनके सामने उनकी मालकिन मिट्टी में लथपथ खड़ी थी और पीछे उनका बॉस खड़ा था। और सोने पर सुहागा तो तब हुआ जब रत्ना अपने हाथ में एक पौधा लेकर सुनीता आंटी के पास आई और बड़े गर्व से बोली— "आंटी जी, ये देखो! मैंने आखिरकार ये जंगली पौधा निकाल ही दिया। बहुत ज़िद्दी था, निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। लेकिन देखो, आखिरकार मैंने इसे हटा दिया!" सुनीता आंटी घबराई हुई आंखों से इशारे में पीछे देखने को कहने लगीं, लेकिन रत्ना अपनी ही बातों में मगन थी। "अरे आंटी, आप इधर-उधर क्या देख रही हो? मेरी तरफ देखो ना! आपने कहा था ना कि ये जंगली पौधा आसानी से नहीं निकलेगा? देखो, मैंने इसे निकाल ही दिया!" "इस पौधे के साथ मुझे तुम भी जंगली ही लग रही हो..." पीछे से RK की आवाज़ सुनते ही रत्ना की आंखें बड़ी हो गईं, और वो हैरानी से पलटी। RK अपने चेहरे पर वही मास्क लगाए अपनी तीखी निगाहों से उसे घूर रहा था। उसने एक नजर में ही उसे ऊपर से नीचे तक स्कैन कर लिया। रत्ना बिल्कुल सिपाही की तरह सीधी खड़ी हो गई, मानो उसे RK की डांट का इंतज़ार हो। उसने एक बड़ा सा सफेद टी-शर्ट पहना था, जिसके साथ काले जॉगिंग पैंट थे। उसके बालों का बेतरतीब सा जुड़ा बना था, और उसका चेहरा और गर्दन पसीने से भीगी हुई थी। इससे साफ था कि वो काफी देर से धूप में काम कर रही थी। रत्ना को इस हाल में देखकर RK अचानक ब्लैंक हो गया। उसकी आंखें ठंडी पड़ गईं। अब तक जो गुस्सा उसके चेहरे पर झलक रहा था, वो अचानक बदल गया। उसकी आंखों के सामने कुछ पुराने दृश्य तैरने लगे। अचानक उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया और सख्त आवाज़ में पूछा— "तुम गार्डन में क्या कर रही हो?" "मैं बगीचे में पौधे लगा रही थी," रत्ना ने मुस्कुराते हुए कहा। RK ने एक नजर उसे देखा और फिर चुपचाप अपनी जगह पर खड़ा हो गया, जैसे रत्ना के कुछ कहने का इंतजार कर रहा हो। रत्ना ने RK को देखा और फिर समझ गई कि शायद उससे कुछ छूट गया है। उसने याद करने की कोशिश की और फिर जल्दी से RK को देखते हुए बोली— "वेलकम बैक! घर में आपका स्वागत है..." "ये मेरा ही घर है..." इतना कहकर RK मेंशन की तरफ चला गया, और रत्ना बस उसे जाता हुआ देखती रह गई। उसने हैरानी से RK को जाते हुए देखा और अपने मन में सोचा— "कमाल का आदमी है! इतनी देर से खड़ा होकर मुझसे और क्या सुनने की उम्मीद कर रहा था?" लेकिन अगले ही पल उसे याद आ गया कि RK घर वापस आ गया है, यानी उसे अपने मिशन पर वापस लगना होगा—मिशन RK को इंप्रेस करने का! जिसके लिए उसने पिछले एक हफ्ते से कुछ तैयारियां कर रखी थीं। उसने जल्दी से सुनीता आंटी की तरफ देखा और गार्डन का बाकी काम उन्हें सौंपकर जल्दी से अंदर भाग गई। सुनीता आंटी के चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उन्होंने RK को कई बार देखा था, लेकिन हर बार उनके चेहरे पर गुस्सा और नाराजगी ही नजर आई थी। लेकिन उन्होंने गौर किया कि रत्ना के आने के बाद RK थोड़ा-थोड़ा बदल रहा है... और यही बात उन्हें अच्छा महसूस करवा रही थी। रत्ना जल्दी से अपने कमरे में गई और अलमारी से अपनी डायरी निकाली। हां, डायरी! उसने पिछले एक हफ्ते में इसे तैयार किया था। ये डायरी उसने अस्पताल में हो रही शूटिंग के दौरान बनाई थी, जब कावेरी अपने आर्टिस्ट्स को स्कूल के बारे में समझा रही थी और उन्हें सिखा रही थी कि कैमरे के सामने कैसे एक्टिंग करनी है। रत्ना ने ये सब नोट कर लिया था, क्योंकि उसे महसूस हुआ था कि एक तरह से वो भी तो अभिनय ही कर रही थी—जहां उसे RK को इंप्रेस करना था! रत्ना ने पहला पॉइंट पढ़ा—जब कावेरी ने अपनी फीमेल लीड को कहा था कि उसे हीरो की आंखों में आंखें डालकर बात करनी चाहिए। रत्ना के लिए ये थोड़ा मुश्किल था, क्योंकि RK के चेहरे पर हमेशा मास्क लगा रहता था। उसकी आंखें तो रत्ना को नजर आती थीं, लेकिन आई कॉन्टैक्ट करने में मास्क एक दिक्कत बन सकता था, क्योंकि वो RK के चेहरे का आधा हिस्सा छुपा देता था। फिर भी, वो कोशिश जरूर करेगी। हालांकि उसे नहीं पता था कि ये तरीका काम करेगा या नहीं, लेकिन बिना ट्राई किए वो हार नहीं मानेगी। क्या पता उसकी कोशिश रंग ले आए और ये ट्रिक सच में असर कर जाए! डाइनिंग टेबल पर... रत्ना जल्दी से फ्रेश होकर नीचे हॉल में आई, जहां RK डाइनिंग टेबल पर बैठा था। उसने सिंपल लोअर और टी-शर्ट पहनी थी, लेकिन हमेशा की तरह उसके चेहरे को छुपाने वाला मास्क उसके साथ था। रत्ना उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई और अपनी बत्तीसी चमकाने वाली मुस्कान लिए उसे देखने लगी। RK, जो अपनी प्लेट में खाना रखने वाला था, अचानक चौंक गया। उसने चेहरा उठाकर रत्ना को देखा—वो जबरदस्ती मुस्कुरा रही थी। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जिसे देखकर RK थोड़ा चौकन्ना हो गया। "ये लड़की कुछ प्लान बनाकर बैठी है क्या?" RK के दिमाग में यही सवाल घूम रहा था। रत्ना को नहीं पता था कि उसका प्लान सफल होगा या नहीं, लेकिन उसने अपने मिशन RK के लिए कई प्लान तैयार किए थे। फिलहाल, उसका काम था अपने प्लान A पर काम करना, ताकि वो RK को इंप्रेस कर सके। उसे पता था कि वो आंखें बंद करके गहरे पानी के कुएं में छलांग लगा रही है, बिना ये जाने कि इसकी गहराई कितनी है। उसे तैरना भी नहीं आता, और डूबने की पूरी संभावना है... लेकिन इसके बावजूद, जो भी कदम उठाना होगा, उसे सोच-समझकर उठाना होगा। जल्दबाजी में किया गया कोई भी गलत कदम फेल हो गया, तो अंजाम बहुत बुरा होगा, और वो बुरी तरह हार जाएगी। उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती यही थी—उसे अपने पति को इंप्रेस करना था... एक ऐसे इंसान को, जिससे इंप्रेस करने में एक्सपीरियंस लड़कियां भी हार मान चुकी थीं! इसका मतलब ये था कि रत्ना को और ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, और जरूरत पड़े तो रोमांटिक से रोमांटिक फिल्में भी देखनी पड़ेंगी। लेकिन वो अपनी शादी को अंजाम तक जरूर ले जाएगी! अंजाम तक... यानी बच्चा करने तक! (😂😂😂) डाइनिंग टेबल पर सन्नाटा था... RK बिना कुछ कहे चुपचाप कांटे-छुरी से खाना खा रहा था। हालांकि, उसकी निगाहें रत्ना पर ही टिकी थीं। दूसरी तरफ, रत्ना भी उसे अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से घूरे जा रही थी। लेकिन इस आई कॉन्टैक्ट में सिर्फ रत्ना ही इनवॉल्व थी। RK एक बार उसे देखता, फिर वापस अपनी प्लेट में घूरने लगता। यानी, आई कॉन्टैक्ट हो ही नहीं पा रहा था! तभी रत्ना को याद आया कि शूटिंग के दौरान उसने कौन-कौन सी बातें नोट की थीं, ताकि वो उन्हें यहां अप्लाई कर सके। उसने अपनी डायरी में क्या-क्या लिखा था? RK को सबसे ज्यादा क्या पसंद है? RK का रिश्ता किन-किन लोगों से है? RK को किस तरह की लड़की पसंद होगी? और सबसे जरूरी... RK की फेवरेट लड़की को क्या पसंद आएगा? अब, मिशन RK शुरू हो चुका था! अगर ये सवाल किसी और से पूछे जाते, तो ये नॉर्मल सवाल हो सकते थे। लेकिन RK के मामले में ये थोड़े उलझाने वाले सवाल थे। खासकर लड़कियों से जुड़े सवाल... क्योंकि RK को लड़कियां पसंद नहीं हैं। अब तक कोई भी लड़की उसे इंप्रेस नहीं कर सकी है, लेकिन फिर भी रत्ना के लिए ये जानना जरूरी था। "कुछ कहना चाहती हो?" RK ने अपने पेट से निकला निवाला तोड़ते हुए कहा। रत्ना चौंक गई और हैरानी से RK को देखने लगी। फिर जल्दी से खुद को संभालते हुए बोली— "उह... क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूँ?" "बोलो।" RK ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा। "आपका फेवरेट खाना क्या है?" "कुछ भी।" RK ने साफ जवाब दिया। "ओह... फिल्मों के बारे में क्या ख्याल है? आप कौन-सी फिल्में देखना पसंद करते हो—एक्शन, कॉमेडी, या रोमांटिक?" "मैं फिल्में नहीं देखता।" "अच्छा... तो कोई गेम या कोई खास हॉबी?" "कोई खास नहीं।" "कोई फेवरेट सेलिब्रिटी?" "नहीं।" रत्ना पूरी तरह से स्तब्ध रह गई थी। RK ने उसके सारे सवालों के एक-एक शब्द में जवाब देकर उसका पूरा हफ्ते भर का सिलेबस ही खत्म कर दिया था! उसने कितनी मुश्किल से ये सवाल चुने थे ताकि RK के करीब जा सके, लेकिन RK ने उसकी सारी मेहनत पर पानी छोड़ो, सुनामी फेर दी थी। पर वो इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं थी! अब उसने अपने प्लान में लिखे हुए सवालों को छोड़कर सीधा RK से एक अलग ही सवाल पूछ लिया— "तो फिर आपको किस चीज़ में दिलचस्पी है?" RK ने आखिरी निवाला मुंह में डालते हुए हल्की-सी नजरों से रत्ना को देखा और कहा— "तुम्हें क्या लगता है?" रत्ना हड़बड़ाकर बोली— "ह uh...? मुझे कैसे पता होगा कि आपको क्या पसंद है और क्या नहीं?" RK ने शांति से जवाब दिया— "फिलहाल तो मेरी कोई खास पसंद नहीं है... पर तुम चाहो तो मेरी पसंद बन सकती हो।" रत्ना को एक पल के लिए यकीन ही नहीं हुआ कि RK ने ये कहा है। लेकिन अगले ही पल उसने खुद को संभालते हुए जवाब दिया— "अगर ऐसा है, तो फिर मैं कोशिश करूंगी कि एक दिन मैं आपकी पसंद बन सकूं।" कुछ सेकंड के बाद, RK के होंठों पर हल्की-सी मुस्कान आई। उसने रत्ना को देखा और कहा— "ठीक, मैं इंतजार करने के लिए तैयार हूँ।"
रत्ना और RK अभी भी डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। रत्ना ने जितनी भी तैयारियां की थीं, RK ने एक मिनट में सब बेकार कर दीं। अब वो वहीं मायूस होकर बैठी थी। RK अपना नाश्ता खत्म कर चुका था, लेकिन अब भी अपनी नज़रों से रत्ना को घूरे जा रहा था। उसने अब भी मास्क पहना हुआ था, लेकिन उसकी आंखें साफ दिख रही थीं और रत्ना को महसूस हो रहा था कि वो बस उसे ही देखे जा रहा है। कुछ सोचते हुए, रत्ना ने हिम्मत जुटाकर पूछा, "क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं?" RK वैसे ही उसे घूरता रहा, लेकिन रत्ना के लिए ये सवाल करना ज़रूरी था। उसकी शादी RK से हुई थी, लेकिन उसे उसके बारे में कुछ भी नहीं पता था। उसे बस RK का पहला नाम पता था, यहां तक कि उसका सरनेम भी नहीं जानती थी। RK का मतलब क्या है, उसे ये भी नहीं मालूम था। वैसे, रत्ना खुद के बारे में भी ज्यादा नहीं सोच रही थी, क्योंकि RK ने उससे कोई सवाल ही नहीं किया था। अगर RK कुछ पूछता, तो वो ज़रूर बताती, लेकिन अब तक तो ऐसा हुआ नहीं था, और आगे क्या होगा, इसका कोई भरोसा नहीं। पिछले हफ्ते जब RK यहां से गया था, तब रत्ना ने कॉन्ट्रैक्ट को दोबारा अच्छे से पढ़ा था। उसने हर टर्म और कंडीशन को ध्यान से समझा था और देखा था कि उसे किन नियमों का पालन करना है। उसमें से एक शर्त ये भी थी कि RK बहुत कम यहां आता है। यहां तक कि वो पूरा साल इंडिया में भी नहीं होता। वो ऐसे गायब रहता है जैसे उसका कोई अस्तित्व ही नहीं। अगर RK पहले यहां बहुत कम आता था, तो इस बार रत्ना ने सोचा था कि कम से कम एक महीना तो वो यहां नहीं आएगा। लेकिन वो सिर्फ एक हफ्ते में ही वापस आ गया! इसी बात को ध्यान में रखते हुए, रत्ना ने अपनी अगली प्लानिंग कर ली थी। हालांकि, ये थोड़ा रिस्की था, लेकिन उसे यकीन था कि उसके पति को इन चीजों में कोई खास दिलचस्पी नहीं होगी। अब जब उसने कॉन्ट्रैक्ट अच्छे से पढ़ लिया था और यहां काम करने वाले लोगों से भी RK के बारे में जितना हो सके, उतनी जानकारी हासिल कर ली थी, तो इतना तो समझ ही गई थी कि RK किन छोटी-छोटी चीजों में दिलचस्पी रखता है और किन चीजों में नहीं। उसका प्लान A फेल हो चुका था, अब वो प्लान B पर फोकस कर रही थी। RK को देखते हुए वो थोड़े घबराए हुए स्वर में बोली, "क्या मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूं?" RK ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा, "कहो जो कहना है।" रत्ना को ऐसा लगा कि जैसे RK को उसकी बात से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था, लेकिन वो हार मानने वालों में से नहीं थी। उसने हिम्मत करके कहा, "ठीक है... तो हमारे मैरिज कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, मैं आपका चेहरा नहीं देख सकती, लेकिन इसके अलावा मैं जो चाहूं, वो कर सकती हूं... मेरा मतलब है, जैसे... मैं आपसे बात कर सकती हूं, आपको छू सकती हूं या फिर... मैं आपको गले लगा सकती हूं?" RK ने बिना किसी बदलाव के उसे देखा, लेकिन रत्ना को एहसास हो रहा था कि उसका सवाल हवा में नहीं गया है। RK की आँखें हल्की सी छोटी हो गईं जब उसने रत्ना की आखिरी लाइन सुनी। यहाँ तक कि रत्ना को भी तब एहसास हुआ कि उसने क्या कह दिया, तो वो थोड़ी अनकंफर्टेबल हो गई। वो घबराई हुई आवाज़ में बोली, "नहीं... मेरा मतलब है कि अगर ऐसी सिचुएशन आए कि मुझे आपको गले लगाना पड़े, तो क्या मैं लगा सकती हूँ?" RK ने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा, "ऐसी सिचुएशन कब आ सकती है?" रत्ना जल्दी से बोली, "क्यों नहीं आ सकती? अगर कभी छिपकली आ गई और आप मेरे पास हुए, तो मैं आपके ऊपर ही लटकूंगी ना!" "लटकोगी?" RK ने एक लंबे स्वर में कहा। रत्ना तुरंत बोली, "मेरा मतलब है... आप ही के गले लगूंगी ना!" RK पानी का गिलास उठाते हुए बोला, "ठीक है, अगर ऐसी सिचुएशन आती है, तो तुम मेरे गले लग सकती हो, पर इसके अलावा नहीं। मुझे चिपका-चिपकी पसंद नहीं है।" रत्ना ने तुरंत कहा, "मुझे भी बिल्कुल पसंद नहीं है! लेकिन मैं सिचुएशन के हिसाब से डील कर सकती हूँ... और अगर आप बिज़ी नहीं हो, तो मैं आपके साथ समय भी बिता सकती हूँ।" "हाँ, बिता सकती हो," RK ने नॉर्मल स्वर में कहा। इसका मौका पकड़ते हुए रत्ना ने झट से कहा, "तो क्या मैं आपको अपने साथ बाहर लेकर जा सकती हूँ?" RK, जो पानी पी रहा था, अचानक खांसने लगा। वो हल्का सा हंसा और रत्ना की तरफ देखने लगा। रत्ना की आँखें डर की वजह से बड़ी हो गईं, उसके चेहरे पर घबराहट थी। उसे खुद नहीं पता था कि उसने RK से इतनी हिम्मत के साथ ये कैसे कह दिया! RK उसे देखता रहा। जब उसकी खांसी कंट्रोल हुई, तो उसने रत्ना को किसी ब्रह्मराज की तरह घूरा। उसका चेहरा एकदम एक्सप्रेशनलेस था, लेकिन उसकी तीखी निगाहें रत्ना को छेद रही थीं। सामने बैठी ये छोटी हाइट की लड़की, जिसके चेहरे पर इस वक्त डर साफ़ नजर आ रहा था, RK के सामने डेट का प्रस्ताव रख रही थी! RK ने शांत आवाज़ में पूछा, "कहाँ ले जाना चाहती हो मुझे?" रत्ना जल्दी से अपनी घबराहट छुपाते हुए बोली, "कहीं दूर नहीं, बस यहीं पास में चलेंगे। और आप चाहे तो अपना मास्क पहन सकते हैं। मैंने सब कुछ अरेंज कर दिया है, आपको कुछ करने की ज़रूरत नहीं, बस मेरे साथ चलना है।" RK देख सकता था कि टेंशन से भरा रत्ना का चेहरा अब एक्साइटमेंट में बदल चुका था। वो इतनी एक्साइटेड होकर RK को अपना प्लान सुना रही थी, जैसे कोई बच्चा अपनी पोयम सुनाकर सामने वाले से परमिशन मांग रहा हो। RK ने शांति से पूछा, "कब जाना है?" रत्ना घबराते हुए बोली, "कल... अगर आप कल फ्री हो तो कल चलते हैं?" वैसे RK के मन में भी लड्डू फूट रहे थे, और एक नहीं, पूरे दो! पहला तो इसलिए क्योंकि पहली बार किसी ने उसे डेट पर चलने के लिए पूछा था। और दूसरा इसलिए कि रत्ना उसे इम्प्रेस करने के लिए इतनी मेहनत कर रही थी। RK ने अपना चेहरा वैसे ही सख्त बनाए रखते हुए कहा, "मेरे पास बहुत काम रहता है, मैं फ्री नहीं रहता। कल भी मेरे बहुत सारे शेड्यूल और मीटिंग्स हैं... लेकिन अब तुम इतना कह रही हो, तो मैं अपने मैनेजर से पूछकर देखता हूँ।" RK ने तुरंत अपनी जेब से फोन निकाला और अविनाश को कॉल लगाया। "अविनाश, कल मेरी कोई इम्पॉर्टेंट मीटिंग है क्या?" अविनाश ने जवाब दिया, "जी सर, मैं अभी चेक करके बताता हूँ..." थोड़ी देर बाद, अविनाश ने कहा, "जी सर, कल आपकी बहुत इम्पॉर्टेंट मीटिंग है। आपको शिपमेंट ग्रुप के मालिक से मिलना है। उन्होंने काफी इंतजार के बाद कल का अपॉइंटमेंट दिया है।" इतना कहकर RK ने फोन रख दिया और फिर रत्ना की तरफ देखने लगा, जो बड़ी उम्मीद भरी नजरों से उसे देख रही थी। उसका ऐसा चेहरा देखकर RK के होंठों पर हल्की सी मुस्कान आ गई, लेकिन उसने उसे बखूबी छुपा लिया। हालाँकि, उसके गालों की रंगत वो छुपा नहीं पाया। RK ने रत्ना को देखते हुए कहा, "मैं फ्री हूँ। कल मेरी कोई मीटिंग नहीं है। तुम लकी निकलीं कि कल मेरी कोई इंपॉर्टेंट मीटिंग नहीं है, तो मैं तुम्हारे साथ डेट पर चल सकता हूँ।" जैसे ही रत्ना ने ये सुना, वो खुशी से अपने हाथ हवा में लहराने लगी। उसकी खुशी इतनी ज्यादा थी कि वो तमिल में कोई गाना गाने लगी। ये पहली बार था जब रत्ना RK के सामने इतनी खुश नजर आ रही थी। RK के चेहरे पर मुस्कान तो नहीं थी, लेकिन वो दिल से मुस्कुरा रहा था। हालाँकि, अविनाश ने उसे याद दिलाया था कि उसकी कल एक बहुत इंपॉर्टेंट मीटिंग है, लेकिन इस वक्त RK के लिए रत्ना के साथ डेट प्लान करना उससे ज्यादा इंपॉर्टेंट था। --- थोड़ी देर बाद, RK अपनी लाइब्रेरी की कुर्सी पर बैठा था और उसके सामने वीडियो कॉल चल रही थी। इस वक्त उसने मास्क नहीं पहना हुआ था, क्योंकि सामने रॉबी था। रॉबी उसकी बातें सुनकर लगातार हँसे जा रहा था, और RK उसे अपनी ठंडी निगाहों से देखते हुए बोला, "हँसना बंद कर... तू जानता है, मुझ पर हँसी उड़ाना मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है।" रॉबी ने अपनी हँसी कंट्रोल करते हुए कहा, "सॉरी RK, लेकिन मैं क्या करूँ? तेरी बातें सुनकर मेरी हँसी छूट गई! क्या किया रत्ना ने... उसने तुझे डेट के लिए पूछा है और तूने हाँ भी कर दी है?! मतलब... ये सच में इंपॉसिबल है!" "द ग्रेट RK, जिसकी लाइफ में खुद उसकी प्लानिंग सबसे इंपॉर्टेंट थी, वो कभी किसी और की प्लानिंग का हिस्सा नहीं बना... ...और आज वो किसी लड़की के प्लान में शामिल हो रहा है... वो भी अपनी मीटिंग छोड़कर!" रॉबी ने उसे याद दिलाया, "तुझे पता है ना, अगर तू कल की मीटिंग में नहीं पहुँचा, तो वो लोग ये कॉन्ट्रैक्ट तेरी राइवल कंपनी के साथ साइन कर लेंगे?" RK ने अपने दोनों हाथ सामने बांधते हुए शांत स्वर में कहा, "हाँ, जानता हूँ... और मुझे इस बात की ज़रा भी परवाह नहीं कि वो लोग ये कॉन्ट्रैक्ट किसी और कंपनी के साथ साइन कर लेंगे।" फिर उसकी आँखों में हल्की सी चमक आई, "तूने देखा नहीं, जब मैंने रत्ना को डेट के लिए हाँ कहा, तो वो कितनी खुश नजर आ रही थी? वो तो कुछ गाना भी गा रही थी... मतलब, मुझे वो गाना समझ नहीं आया, लेकिन जिस तरीके से वो खुश होकर गा रही थी, यकीनन कोई अच्छा गाना ही होगा।" --- "एक मिनट... एक मिनट... एक मिनट! ये क्या है?! ये क्या है तेरे चेहरे पर?" रॉबी एकदम हैरानी से बोला। RK ने उसे देखते हुए अपने चेहरे को हाथ लगाया और उलझे हुए स्वर में बोला, "क्या? क्या है मेरे चेहरे पर? कुछ भी तो नहीं है... और मैंने मास्क भी उतार रखा है... तो क्या है मेरे चेहरे पर?" रॉबी आँखें बड़ी करते हुए चिल्लाया, "ओ माय गॉड ! तेरे चेहरे पर स्माइल है... मतलब कि तू मुस्कुरा रहा है!" फिर वो हँसते हुए बोला, "रत्ना, तुम तो ग्रेट हो! इस पत्थर दिल को मुस्कुराना भी सिखा दिया!" यार, तू मुस्कुरा रहा है, मतलब सच में मुस्कुरा रहा है... कहीं सूरज तो पश्चिम से नहीं निकला?" RK (चिढ़ते हुए): "अगर ज्यादा बकवास की तो मैं तुझे सूरज के पास भेज दूँगा।" रॉबी (हँसते हुए): "देख अब गुस्सा भी मत हो! वैसे बता, डेट के लिए क्या पहनने वाला है?" RK (आइब्रो उठाते हुए): "क्यों? तुझे मेरे कपड़े चुनने का शौक कब से हो गया?" रॉबी (शरारती अंदाज़ में): "अरे भाई, पहली डेट है! कुछ अच्छा पहन ले, कहीं तेरा मास्क देखकर रत्ना 'ब्लाइंड डेट' न समझ ले!" RK (गहरी साँस लेते हुए): "मुझे कुछ नहीं चाहिए, जो पहनता हूँ वही ठीक है।" रॉबी (मुँह टेढ़ा करते हुए): "अच्छा? तो मतलब काले सूट में जाएगा? मेरी मान, कोई हल्का कलर पहन ले, कम से कम लड़की को तो लगे कि वो किसी 'सीक्रेट एजेंट' से नहीं अपने पति से मिल रही!" RK (मुँह सख्त बनाते हुए): "तू चुप रहेगा या नहीं?" रॉबी (मज़ाक उड़ाते हुए): "अरे बाबा, डेट पर जाने से पहले तुझे कोई गाइडेंस चाहिए? मेरा एक्सपीरियंस तेरे किसी काम आ सकता है!" RK (आँखें संकरी करते हुए): "तू? डेटिंग एडवाइस देगा मुझे?" रॉबी (घमंड से बोला: "और नहीं तो क्या! भाई, मैं लड़कियों का फेवरेट हूँ! तुझे पता है, लड़कियाँ मुझे कैसे देखती हैं?" RK (सीधा जवाब देते हुए): "हाँ, जैसे कोई बिल्ली दूध देखती है और फिर तय करती है कि इसे पीना भी है या छोड़ना है।" रॉबी (नाक चिढ़ाते हुए): "बहुत मज़ाकिया हो गया है तू! 2 दिन रत्ना के साथ क्या रहा उसका असर आ रहा है लेकिन देख लेना, अगर रत्ना को इंप्रेस करना है, तो मेरी टिप्स पर ध्यान देना पड़ेगा!" RK (सिर झटकते हुए): "मुझे कोई टिप्स नहीं चाहिए। वैसे भी, मैंने हाँ कहकर उसे ही खुश कर दिया, अब और कुछ करने की ज़रूरत नहीं है।" रॉबी (हँसते हुए): "बिलकुल! पहली डेट पर लड़की को सिर्फ हाँ कहकर खुश करने की कोशिश मत कर... नहीं तो अगली बार डेट पर जाने के लिए खुद को भी हाँ सुनने के लिए तरसना पड़ेगा!" RK (हल्की मुस्कान दबाते हुए): "अब चुप होगा या मेरे हाथों से पिटेगा?" रॉबी (हाथ जोड़ते हुए): "बस, बस! अब और नहीं बोलूँगा... लेकिन सुन, कल डेट के बाद मुझे बताना जरूर, कैसा गया!"
वैसे तो रॉबी, RK के साथ मजाक कर रहा था, लेकिन अब वह थोड़ा सीरियस हो गया। उसने हैरानी से पूछा, "अच्छा, ये सब तो ठीक है यार, लेकिन वो तुम्हें लेकर कहां जा रही है? मतलब, कुछ बताया उसने कि डेट के लिए कौन-सी जगह प्लान कर रही है? RK ने अपना चेहरा ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, मुझे इस बारे में कुछ भी नहीं पता। उसने बस मुझे डेट के लिए पूछा, और मैंने हां कर दी। मुझे नहीं पता वो मुझे कहां लेकर जा रही है।" रॉबी अपना सिर पकड़ लेता है। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये आदमी बिना ये जाने कि वो कहां जा रहा है, इतनी आसानी से बाहर जाने के लिए राजी हो गया। "RK, तुम्हें ऐसा नहीं लगता कि तुम चीजों को खुद जानबूझकर मुश्किल बना रहे हो? अरे, उससे पूछ तो लेते कि वो तुम्हें कहां लेकर जा रही है! क्या होगा अगर वो तुम्हें किसी भीड़भाड़ वाली जगह पर ले जाए? अगर वो तुम्हें किसी मॉल ले जाएगी, तो क्या करोगे? तुम जानते हो ना कि तुम ऐसी जगहों पर सेफ नहीं हो?" रॉबी की आवाज में टेंशन साफ झलक रही थी, लेकिन RK बिना किसी एक्सप्रेशन के उसे बस देखे जा रहा था। "क्या तुम्हें सच में लगता है कि वो मुझे किसी मॉल में ले जाएगी?" रॉबी बचपन से RK को जानता था, या यूं कहें कि सबसे बेहतर वही जानता था। उसे पता था कि RK को लापरवाही बिल्कुल पसंद नहीं और वो अपने बनाए नियमों का कितना पक्का है। लेकिन जब से रत्ना उसकी जिंदगी में आई थी, उसके बनाए नियम खुद उसने ही तोड़ने शुरू कर दिए थे। रॉबी के दिमाग में बस एक ही सवाल घूम रहा था—आखिर उसने RK को मनाया कैसे होगा? जब उसने देखा कि RK अभी भी अपनी सर्द निगाहों से उसे देख रहा था, तो रॉबी ने एक गहरी सांस ली और असंतोष भरी नजरों से उसे देखते हुए बोला, "ठीक है, ठीक है, समझ गया तुम क्या कहना चाहते हो... डोंट वरी, मैं डिटेल निकाल लूंगा।" रॉबी ने उसे घूरकर देखा, तो RK के चेहरे पर हल्की-सी मुस्कान आ गई। "कितना अच्छा एक्टर है ये... जब जानता है कि इसे क्या करना है, तो न करने की कितनी अच्छी एक्टिंग करता है!" शाम के वक्त... रत्ना हाल में बैठी अपनी अगली प्लानिंग की तैयारी कर रही थी, तभी मेड रोज़ी अंदर आई और बोली, "मैम, रॉबी सर आ गए हैं।" रॉबी का नाम सुनते ही रत्ना के चेहरे पर मुस्कान आ गई। दरअसल, पिछले कुछ दिनों में जब RK मेंशन में नहीं था, तब रॉबी ही था जिससे वो खुलकर बात कर पाती थी। वो उसके साथ बहुत ज्यादा कंफर्टेबल हो गई थी। यहां तक कि रॉबी, रत्ना के भाई को देखने के लिए अस्पताल भी गया था। उसका स्वभाव सरल और मिलनसार था, इसलिए रत्ना उसे अपना अच्छा दोस्त मानने लगी थी। जैसे ही रॉबी मेंशन के अंदर आया, रत्ना उसे देखकर खुश हो गई और बोली, "रॉबी, तुम आ गए! मैं तुम्हारा इंतजार कर रही थी।" रॉबी हल्का-सा मुस्कराया और बोला, "हां बताइए भाभी, क्या बात है? आपने इतनी जल्दी में क्यों बुलाया? और कहीं RK ने आपसे कुछ कहा तो नहीं?" रत्ना ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं... RK ने तो कुछ नहीं कहा। दरअसल, मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है।" रॉबी ने हंसते हुए कहा, "हां, बताइए ना! मैं तो हमेशा आपकी बात सुनने के लिए रेडी हूं।" रत्ना ने हल्का-सा सिर झटकते हुए कहा, "नहीं, मुझे तुम्हें कुछ बताना नहीं है, बल्कि कुछ दिखाना है।" रॉबी थोड़ा चौंक गया, "दिखाना? क्या दिखाना है?" हालांकि, उसे खुद भी ये जानना था कि रत्ना क्या प्लान कर रही है, लेकिन वो देख सकता था कि ये बताते वक्त उसके चेहरे पर हल्का-सा डर था। शायद इसलिए क्योंकि RK भी इस वक्त मेंशन में ही मौजूद था। शायद वो इसी बात से डर रही थी कि कहीं RK को कुछ पता न चल जाए... रत्ना ने एक नजर कैमरे की तरफ और फिर स्टडी रूम की तरफ डाली। फिर, एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ रॉबी से बोली, "चलो, मेरे साथ..." वो उसे अपने साथ गार्डन एरिया में ले आई, और रॉबी उसके पीछे-पीछे वहां पहुंचा। लेकिन जैसे ही रत्ना उसे गार्डन के उस हिस्से में लेकर आई, जहां वो जाना चाहती थी, रॉबी वहां का बदला हुआ रूप देखकर चौंक गया। उसने चारों तरफ नजर घुमाई और फिर रत्ना से पूछा, "भाभी, ये सब आपने किया है?" "हम्म... रोज़ी और सुनीता आंटी ने मेरी मदद की," रत्ना ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। रॉबी समझ गया कि वो क्या कहना चाह रही थी। लेकिन जब रत्ना ने उम्मीद भरी नजरों से उसकी तरफ देखा, तो रॉबी की हंसी छूट गई। उसने कहा, "डोंट वरी, भाभी! आप फिक्र मत कीजिए, मुझ पर भरोसा कर सकती हैं। मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा। वैसे, आप मुझे यहां क्यों लेकर आई हैं?" रॉबी ने सवालिया नजरों से रत्ना को देखा, तो उसने झुककर एक कुर्सी के नीचे से एक पैकेट निकाला। उसमें कुछ सामान था। रत्ना ने वो सामान रॉबी की तरफ बढ़ाते हुए कहा, "इसलिए..." वो सामान देखकर रॉबी की हंसी छूट गई। उसने मजाकिया लहजे में कहा, "अच्छा, तो आप चाहती हैं कि मैं इस राज में आपका पार्टनर बनूं? डोंट वरी, भाभी! आपका ये सेवक आपकी पूरी हेल्प करेगा। चलिए, आपका काम पूरा करते हैं!" --- सब कुछ निपटाने के बाद रत्ना अपने कमरे में चली गई। वो काफी थक चुकी थी, और RK भी इस वक्त कमरे में नहीं था। शायद वो लाइब्रेरी में होगा या किसी दूसरे कमरे में। लेकिन थकान के कारण उसने इस पर ध्यान नहीं दिया। सोने से पहले उसने कपड़े बदले और वॉशरूम जाने का सोचा। पर जैसे ही वो वॉशरूम से बाहर निकली, उसकी आंखें हैरानी से बड़ी हो गईं। क्योंकि इस वक्त RK बेड की दूसरी तरफ सो रहा था। उसकी पीठ रत्ना की ओर थी, लेकिन वो उसे पीछे से भी पहचान सकती थी। उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए वो आखिरकार बेड के पास पहुंच गई और चुपचाप बैठ गई। उसका दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था, जैसे सीने से निकलकर बाहर आ जाएगा। RK का चेहरा दूसरी तरफ था, लेकिन रत्ना ने हल्की-सी तिरछी नजरों से उसे देखा और तुरंत अपना चेहरा घुमा लिया। 'शायद RK ने इस वक्त मास्क नहीं पहना है... अगर मैंने उसका चेहरा देख लिया तो?' हालांकि ये कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन था, लेकिन अगर गलती से उसकी नजर RK के चेहरे पर चली गई, तो क्या होगा? रत्ना ने अपनी आंखें बंद कर लीं और ऊपर वाले को याद करते हुए बोली, "मुरुगन, आप जानते हो ना कि मैं जानबूझकर ऐसा नहीं कर रही हूं? देखो, वो मेरे पति हैं और इस वक्त बेड पर मेरे साथ हैं। अगर मैंने गलती से देख लिया, तो ये गलती ही कहलाएगी ना? मैंने कॉन्ट्रैक्ट नहीं तोड़ा है... प्लीज़, मुरुगन, जो भी होगा, आप संभाल लेना।" उसने गहरी सांस ली। एक... दो... तीन... और फिर धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। पर अगले ही पल उसका सारा उत्साह खत्म हो गया। उसने निराश होकर तकिए पर अपना सिर पटक लिया। सामने लेटे शख्स ने एक बड़ा सा मास्क पहन रखा था, जिससे उसका माथा और आधा चेहरा छिपा हुआ था। बस उसकी नाक और होंठ दिख रहे थे। 'तो जब उसने कहा था कि कोई गलती नहीं होगी, तो उसका यही मतलब था...' रत्ना टिमटिमाती निगाहों से RK को देख रही थी। भले ही उसने मास्क पहना हुआ था, लेकिन फिर भी उसकी गर्दन, जॉलाइन और बालों की लटें साफ दिख रही थीं। ये RK के साथ एक बेड पर उसकी दूसरी रात थी, लेकिन इस बार उसे पहले जैसी घबराहट महसूस नहीं हो रही थी। "नींद नहीं आ रही?" रत्ना चौंक गई। उसकी साँसें तेज़ हो गईं। 'भगवान! ये कब जाग गया? क्या इसने मुझे इतने देर से इसे घूरते हुए देख लिया?' "उह... नहीं, नहीं! मैं बस लाइट बंद कर रही थी। गुड नाइट!" उसने घबराहट में कहा और झटपट करवट बदल ली।
गाड़ी के अंदर इस समय RK और रत्ना बैठे हुए थे, और दोनों ने एक जैसे कपड़े पहन रखे थे। जहाँ RK ने ब्लैक पैंट के ऊपर व्हाइट शर्ट पहनी थी, वहीं रत्ना ने वाइट रंग के सलवार सूट के ऊपर ब्लैक कलर का दुपट्टा ले रखा था। वो दोनों इस वक्त एक आलीशान कार में ट्रेवल कर रहे थे। रत्ना के चेहरे की मुस्कान इतनी गहरी थी कि वो छुपाए नहीं छुप रही थी।
कुछ घंटों पहले, रत्ना ने RK से कहा था कि वो कुछ सिंपल और कैज़ुअल पहने। RK ने बिना किसी सवाल के वैसे ही कपड़े लिए, जैसे रत्ना ने कहा था। ये देखकर रत्ना को काफी अच्छा लगा, लेकिन अगले ही पल वो सच में चौंक गई। RK, जो हमेशा क्लासी और स्टाइलिश दिखता था, आज भी वैसे ही लग रहा था, भले ही उसने बस एक सिंपल सा आउटफिट पहना था।
ब्लैक शर्ट, जिसके ऊपर के दो बटन खुले हुए थे, और शर्ट की बाजू एल्बो तक फोल्ड की हुई थी, उसकी परफेक्ट बॉडी को और उभार रही थी। वो बिल्कुल एक परफेक्ट बॉयफ्रेंड मैटेरियल लग रहा था।
वो दोनों इस वक्त गाड़ी में थे, और रत्ना बार-बार RK को देखकर मुस्कुरा रही थी। वो इसलिए हंस रही थी क्योंकि RK अभी भी अपना मास्क पहने हुए था। जब से वो घर से निकले थे, तब से ही RK रत्ना की धीमी-धीमी हंसी सुन रहा था, पर अब उससे रहा नहीं गया। उसने रत्ना की तरफ रुख करते हुए कहा, "क्या बात है? तुम इतना हंस क्यों रही हो? मैं जोकर लग रहा हूँ क्या?"
रत्ना तुरंत उसकी तरफ देखते हुए सिर हिलाकर बोली, "नहीं! आप जोकर कैसे लग सकते हैं? आप तो बहुत हैंडसम लग रहे हैं, और काले कपड़ों में तो कहर ढा रहे हैं... लेकिन मैं सोच रही थी कि आपने ये जो मास्क पहना हुआ है, वो बाकी लोगों के लिए थोड़ा अजीब हो जाएगा। मतलब, जब लोगों के बीच जाएंगे, तो सब आपको ही देखेंगे ना?"
"इससे फर्क नहीं पड़ता। मैं मास्क नहीं उतार सकता और वजह तुम्हें बताना जरूरी नहीं समझता," RK ने सख्ती से कहा।
रत्ना तुरंत बोली, "अरे नहीं-नहीं! मैं आपसे मास्क उतारने के लिए कब कह रही हूँ? मैं तो बस ये कह रही थी कि अगर आप इस मास्क की जगह कोई दूसरा मास्क पहन लेंगे, तो भी उसमें आपका चेहरा नहीं दिखेगा... और मैं कॉन्ट्रैक्ट भी नहीं तोडूंगी। और वो मास्क ऐसा होगा कि लोग आपको देखकर भी नहीं देखेंगे।"
RK ने हैरानी से पूछा, "ऐसा कौन सा मास्क है?"
रत्ना जल्दी से अपने बैग से दो मास्क निकालती है और आगे की तरफ एक्साइट होकर बढ़कर कहती है, "ये मैंने आपके लिए खरीदा है ताकि आप लोगों के बीच अजीब ना लगें।"
RK की नजर उसके हाथों में गई, जहाँ वो एक जोड़ी कपल मास्क पकड़े हुई थी। उसने एक को लिया और अपने चेहरे पर बांध लिया। वैसे तो उसे ज्यादा दिक्कत नहीं थी, लेकिन मास्क थोड़े अजीब थे। वो बनी (खरगोश) डिज़ाइन के थे, जिनमें ऊपर कान भी लगे हुए थे। और सबसे हैरान करने वाली बात ये थी कि दोनों मास्क पिंक कलर के थे!
RK ने धीरे से अपना ओरिजिनल मास्क हटाया और नया मास्क पहन लिया। जैसे ही उसने रत्ना की तरफ देखा, रत्ना उसकी कत्थई आँखों में खो गई। अब तक उसने RK की आँखों से नाक तक का हिस्सा ढका हुआ देखा था, लेकिन आज उसने पहली बार RK के नाक से मुंह तक का हिस्सा देखा। RK का माथा काफी चौड़ा था, और उसकी आइब्रो धनुष की तरह मुड़ी हुई थी। मास्क के पीछे से ये कभी नजर नहीं आया था।
लेकिन अगले ही पल, जब रत्ना ने RK को बनी मास्क में देखा, तो उसकी हंसी छूट गई।
RK उसे घूरकर देखता है, लेकिन जब उसने रत्ना को हंसते हुए देखा, तो उसे गुस्सा नहीं आया। बल्कि, मास्क के पीछे उसके चेहरे पर भी हल्की सी मुस्कान थी।
"हम पहुँच गए, बॉस," ड्राइवर ने कहा और कार रुक गई।
RK ने खिड़की से बाहर झांका और हल्के से भौंहें चढ़ा लीं।
उधर, रॉबी पार्क की एक बेंच पर आराम से बैठा इंतजार कर रहा था। लेकिन जैसे ही उसने देखा कि काली कार का दरवाजा खुला, वो झट से खड़ा हो गया। उसकी नजर सबसे पहले रत्ना पर पड़ी, जो अजीबोगरीब बनी मास्क लगाए हुए थी, और ये मास्क उसे और भी क्यूट बना रहा था। आसपास के लोग भी उसे देख रहे थे।
लेकिन अगले ही पल जो हुआ, उसने रॉबी को झटका दे दिया।
उसे तो अचानक नकली खांसी आने लगी, और वो अपने सीने पर हाथ रखकर खांसते हुए सामने देखने लगा, "ये क्या देख लिया मैंने!"
रॉबी को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। कार से RK उतरा—सिंपल कपड़े पहने हुए और… वही बनी मास्क लगाए हुए!
रॉबी पूरी तरह शॉक्ड था। उसने कभी नहीं सोचा था कि उसे ये दिन देखने को मिलेगा। वो RK को हमेशा सीरियस और एलिगेंट अवतार में देखने का आदी था, लेकिन आज...
"ओह गॉड! ऑल ग्रेट रत्ना, योर हाईनेस! तुम सच में बेस्ट हो!" रॉबी धीरे से बुदबुदाया, उसकी नजरें अभी भी उस बनी मास्क लगाए कपल पर टिकी थीं। वो दोनों बिल्कुल किसी रोमांटिक जोड़े की तरह लग रहे थे, और रॉबी बस उन्हें देखता ही रह गया।
RK का चेहरा भले ही मास्क के पीछे छिपा था, लेकिन वो धीरे-धीरे ये समझने लगा था कि वो कहाँ है। वहीं, रत्ना खुद को अपने मिशन पर फोकस करने के लिए समझाने में लगी थी।
उसे याद आया कि आखिरी बार वो अपने भाई के साथ इसी एंटरटेनमेंट पार्क आई थी, जब वो इस शहर में नहीं आई थी। हॉस्पिटल जाने से पहले वो अपने भाई को लेकर यहाँ आई थी। और अब इतने सालों बाद यहाँ आकर उसे थोड़ी उदासी भी महसूस हो रही थी। चारों तरफ रंग-बिरंगे झूले और बड़े-बड़े राइड्स देखकर पुरानी यादें ताजा हो गईं। उसने बगल में खड़े आदमी की तरफ देखा और मुस्कुराई।
अब उसे कुछ एक्सपेरिमेंट करना था और RK के हर रिएक्शन पर ध्यान देना था। वो RK को देखते हुए बोली, "तो फाइनली, हम यहाँ पहुँच गए! वैसे, आपको कोई फेवरेट जगह है जहाँ आप जाना चाहते हैं?"
"ऊपर।" RK ने सामने की तरफ देखते हुए जवाब दिया।
रत्ना को लगा कि RK ऊँचाई पर किसी राइड की बात कर रहा है। उसने अपने कंधे उचकाते हुए कहा, "ठीक है! चलो, पहले फेरी राइड पर चलते हैं!"
लेकिन इससे पहले कि रत्ना आगे बढ़ पाती, RK ने उसकी कलाई पकड़ ली और उसे अपने करीब खींच लिया। रत्ना संभल नहीं पाई और सीधे RK के सीने से जा लगी। RK ने धीरे से अपना एक हाथ रत्ना की कमर में डाला और उसकी आँखों में देखते हुए धीरे से कहा, "ऊपर से मेरा मतलब था... तुम्हारे ऊपर।"
रत्ना की आँखें एकदम बड़ी हो गईं, और वो बड़ी-बड़ी निगाहों से आगे देखने लगी। उसकी धड़कन तेज़ हो गई थी, लेकिन यहाँ सिर्फ उसकी ही नहीं, RK की धड़कन भी बढ़ चुकी थी। उसे थोड़ा अजीब लग रहा था। जैसे ही उसने रत्ना की कलाई पकड़ी, उसके अंदर एक अजीब सा एहसास जाग उठा। उसे खुद पर कंट्रोल करने में मुश्किल हो रही थी।
'मुझे हो क्या रहा है? मैंने बस उसकी कलाई पकड़ी है, इसमें इतना क्या खास है?'
जैसे ही RK ने उसकी कलाई छोड़ी, रत्ना के कदम अपने आप पीछे हटने लगे। उसे इतनी तेज़ घबराहट हो रही थी कि वो खुद पर ध्यान ही नहीं दे पा रही थी। जाने-अनजाने वो तेज़ी से किसी और ही दिशा में बढ़ गई, जो उसकी प्लानिंग में भी नहीं थी। उसके कदम तेज़ होते जा रहे थे, और उसे इसका एहसास भी नहीं था।
शुक्र था कि रास्ते में मौजूद लोग खुद ही साइड हो गए, शायद इसलिए क्योंकि RK रत्ना के पीछे था और वो भी उसी की स्पीड से आगे बढ़ रहा था। दोनों मास्क पहने हुए थे, और इस वजह से लोगों को लग रहा था कि कोई सेलिब्रिटी कपल पहचान छुपाकर घूम रहा है।
RK अब भी कुछ नहीं बोल रहा था, बस चुपचाप रत्ना के पीछे चलते हुए उसकी स्पीड मैच कर रहा था। उसकी नज़र कई बार अपने हाथ पर गई, जिससे उसने अभी कुछ देर पहले रत्ना की कलाई पकड़ी थी।
तभी, एक वर्दी पहनी महिला अचानक उनके सामने आ गई, जिससे दोनों को रुकना पड़ा।
"हमारी हॉन्टेड हवेली में आपका स्वागत है! हम हर 10वें कपल को 50% डिस्काउंट दे रहे हैं, और आप लोग लकी हैं क्योंकि आप दोनों 10वें कपल हो!"
रत्ना ने झटके से ऊपर देखा और आखिरकार समझ आया कि वो कहाँ आ गई थी।
"रुको, क्या? हम यहाँ कैसे आ गए? हम तो डांसिंग फाउंटेन की तरफ जा रहे थे, ना? और ये... हॉन्टेड हाउस??"
"शायद गलती से हम लोग गलत दिशा में आ गए हैं... RK को ऐसी चीज़ों में कभी इंटरेस्ट नहीं होगा... RK को छोड़ो, मुझे खुद भी ऐसी जगह पर नहीं जाना है..."
रत्ना की सबसे बड़ी कमजोरी उसका भाई था, और दूसरे नंबर पर थे भूत! वो डरावनी फिल्में तक नहीं देख सकती थी, और अब भूतों के घर में जाने की नौबत आ गई थी। वो घबराई हुई RK की तरफ देखकर बोली, "आपको तो पसंद नहीं होगा, ना, ऐसी चीज़ें?" उसने हकलाते हुए पूछा।
RK ने एक नज़र सामने बड़े से भूतिया चेहरे और उस अंधेरी गुफा की तरफ डाली, जो उन्हें डिस्काउंट के साथ अंदर बुला रही थी। फिर उसने कंधे उचकाते हुए कहा, "चलो, चलकर देखते हैं... मैं भी देखना चाहता हूँ कि अंदर कौन-सी चीज़ है जो मुझे डरा सकती है।"
इतना कहकर RK टिकट काउंटर की तरफ बढ़ गया, और रत्ना का कलेजा बैठ गया। उसने होंठ काटे और भारी कदमों से उसका पीछा करने लगी। वो खुद को समझा रही थी कि उसका मिशन उसके डर से बड़ा है। और फिर, भूतों से ज्यादा डरावना तो ये आदमी खुद ही था!
RK को लगा कि रत्ना बहुत एक्साइटेड होकर उसे यहाँ खींच लाई थी, क्योंकि जिस रफ्तार से वो चल रही थी, RK को यही लग रहा था... और शायद वो उस 50% डिस्काउंट के पीछे थी।
लेकिन अब, उसके चेहरे के एक्सप्रेशन्स देखकर उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये लड़की अचानक इतनी टेंशन में क्यों लग रही है?