"तुमने अच्छा नहीं किया मेरे साथ..मै वापस जरूर आऊंगी अपना बदला लेने ...तबाह कर दिया मुझे देखना तुम को भी नहीं खुशी मिलेगी ..मेरे शिव मेरा बदला जरूर लेंगे।"
सौर्यम् (सुनि)
Time Traveler
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मत करो ऐसा ..सोचा नहीं था तुम ऐसे निकलोगे,!मेरे प्यार का मजाक बना दिया और अब मुझे ही बेवफा बता रहे हो,?कमी मुझ में मेरे प्यार में नहीं तुममें है सुबोत राणा!देखना आयेगा कोई जो करके रख देगा तुम्हे तबाह ..मेरे शिवजी की कसम ..कभी खुश नहीं रह पाओगे।" ये कहकर आवामी आंखों में आंसू लिए वहां से चली गई। सुबोत की आंखों में एक ऐसा खालीपन नजर आ रहा था जिसकी भरपाई अब कभी नहीं होनी थी। चलिए चलते है पीछे जहां से सुबोत ओर आवामी की कहानी की शुरुआत हुई थी। बृंदाबाई लॉ कॉलेज में .. आवामी जल्दी जल्दी में कदम उठाते हुए चली जा रही थी और अकेले ही बोलती जा रही थी"ज्यादा स्मार्ट बन रही थी न...देख लेट हो गई जब देखो आवामी हीरोइन गिरी नहीं छोड़नी बस मौका दिखा नहीं अंदर का टैलेंट दिखाना है पर आज प्रोफेसर छेड़ा से कौन बचाएगा।" वो बोलती हुई चली जा रही थी और एकदम से वो किसी से टकरा गई "आवामी का सर सामने वाले के सीने से टकराया और उसकी सारी बुक्स ओर नोट्स नीचे गिर गए और वो देखे बिना झल्लाते हुए बोली,"देख कर नहीं चल सकते मेरी सारी बुक्स गिरा दी अब इन नोट्स को कैसे अरेंज करूंगी प्रोफेसर तो मेरी आज वाट लगा देंगे पागल इंसान!" जब सामने वाले ने उसकी बातें सुनी ओर वो ये देख रहा था कि उसने उसे नजर उठा के देखा भी नहीं ओर अपनी ही धुन में बोले जा रही है तो उसने कुछ नहीं बोला और चुपचाप उसकी बेतुकी गुस्से भरी बातें सुनता रहा ।जब आवामी ने अपना सारा सामान उठा लिया और खड़ी हुई तब उसकी तरफ देखते हुए बोली"एक तो गलती की ऊपर से माफी भी नहीं मांगी कितने बेशर्म किस्म के इंसान है आप!" ये बोलते ही आवामी ने जब उसकी आंखों।में देखा तो वो देखती ही रह गई और उसके अल्फाजवाही रुक गए तब वो इंसान बोला ,"जल्दी आपको थी तो मुझे भी थी आपके चक्कर में मै भी लेट हो गया।" ये कोई ओर नहीं सुबोत का जुड़वा भाई अबोध था दोनों की शक्ल एक सी थी बस एक चीज का फर्क था वो थी इनकी आँखें ... सुबोत की आँखें जहां गहरी काली थी वहीं अबोध की आंखों का रंग नीला था पर फिर भी हर कोई धोखा खा जाता था सिर्फ घर वाले ही उन्हें पहचान पाते थे खास कर उनकी मां परिणीति राणा जो उन्हें उनकी आहट से जान लेती थी कि दोनों में से कौन आया है?? अबोध ने जब आवामी को खुद को एक तक देखते पाया तो उसने चुटकी बजाई और बोला,"हेलो मिस कहां खो गई i am really sorry . मेरे कारण आपको लेट हुआ मै भी जल्दी में था और आप भी जल्दी में थी तो गलती दोनों की थी पर मैने सारी बोल दिया अब जाइए वरना प्रोफेसर छेड़ा आपकी वाट लगा देंगे जल्दी जाइए अभी वो क्लास में नहीं गए पर पांच मिनट में पहुंच जाएंगे।" ये बोल कर अबोध जैसे ही जाने को हुआ तो आवामी ने खुद से कहा,"पागल कहीं का मुझे लेट किया ऐसे चल रहा है जैसे कॉलेज इसके बाप का है।"" अब बहुत जैसे ही यह बात सुनता है उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वह वहां से चुपचाप चला जाता है क्योंकि बोध के पापा इस कॉलेज के में ट्रस्टी थे और सबसे ज्यादा फंड कॉलेज में वही देते थे और जिस जगह पर यह कॉलेज बना हुआ था। वह जगह भी अबोध के पापा वीर राणा की थी पर आवामी इस कॉलेज में नहीं थी और आज उसका कॉलेज में दूसरा दिन ही था पढ़ने में होशियार होने के कारण और ट्वेल्थ में टॉपर रहने के कारण मुझे स्कॉलरशिप मिल गई थी जिसकी वजह से उसका इस कॉलेज में एडमिशन हो गया था वरना वृंदाबाई कॉलेज में एडमिशन लेना बहुत मुश्किल था बच्चे सिर्फ सपने ही देते थे । लेकिन उनके सपने सच नहीं होते थे क्योंकि इस कॉलेज में परसेंटेज रेट बहुत हाई जाता था ।पर अब आवामी के दिल में कहीं ना कहीं उसकी गहरी कालीआंखें बस गई थी और वह जाते-जाते यह भी बड़बड़ा रही थी कि कुछ भी कहो कैसा भी था लेकिन इसकी आंखें कसम से दिल में ही बस गई है ऐसे लग रहा है जैसे मैं उसको देख ही जा रही हूं और वह मुझे देखे जा रहा है ।" अबोध ये सब सुन रहा था क्योंकि वहां से गया नहीं था वहीं पर रुका हुआ था जैसे ही आवामी पीछे मुड़कर देखती है तो उसे एहसास होता कि वह क्या बोल जा रही है?? अकेली ही बड़बढ़ाती हुई वहां से चली जाती है । अबोध वहां से प्रिंसिपल के ऑफिस चला जाता है अबोध ने लॉ में इसी कॉलेज से मास्टर्स की थी और अब वह आगे पढ़ने के लिए लंदन जा रहा था इसी सिलसिले में वह कॉलेज के प्रिंसिपल मिस्टर सहाय से मिलने आया था। अबोध को भी अब क्यूरियोसिटी होने लगी थी वह भी आवामी के बारे में जानना चाहता था क्योंकि उसे भी वह लड़की पहले ही नजर में भा गई थी। लेकिन यह तो वह ऊपर वाला ही जानता था कि उनकी किस्मत में क्या लिखा था मिलेंगे या एक दूसरे को दर्द देने का कारण बनेंगे । पर हां... इतना जरूर था कि इनका मिलन तय था अब वह जब प्रिंसिपल सहाय के ऑफिस से अपना काम करके बाहर निकाल तो किस्मत में उसे वापस से आवामी से मिलवा दिया और अवामी उसके पास से निकलती हुई बोली कैसे लोग हैं गलती खुद की होती है दोस्त दूसरे का निकलते हैं यह सुनकर अबोध को थोड़ी सी किड महसूस होती है तो वह हवा में की बात का जवाब देते हुए कहता है गलती नहीं थी तो भी माफी मांगी और अगर गलती होती तो पता नहीं शायद मुझे गोली मार देती कितनी मोहब्बत लड़की है मैं तो इसको इतना अच्छा समझ रहा था कि जितनी यह सुंदर है अपनी ही इसकी नेचर अच्छी है लेकिन यह तो बम का गोल है जब सुनती है तो बोध के पास आकर रहती है तो मैं बम का गोला हूं अभी तो मैं फटी नहीं हूं तुम्हारे ऊपर अगर मैं फटती तो तुम्हारा चित्र उड़ जाते यह सुनकर बहुत हंसने लगता है तुम मेरे ऊपर पटती पटती और मेरे चित्र उड़ती तुम जानती हो मैं कौन हूं मैं अब बहुत रहना हूं अबोध राणा वीर राणा का बेटा और मैं खुद एक वकील हूं मैं चाहूं तो तुम पर बदतमीजी करने का आरोप लगाकर तुमको जेल भेज सकता हूं एक बार तो आप मम्मी डर जाती है लेकिन वह भी कहां काम थी मैं भी यहां पर पढ़ने के लिए आई हूं कोई डोलने के लिए नहीं गलती आपकी थी आप देखकर नहीं चल सकते थे अब मेरी गलती निकाल रहे हैं और मुझे ही जेल भेजने की बात कर रहे हैं दोनों की आवाज सुनकर प्रिंसिपल सहाय ऑफिस से बाहर आते हैं और कहते हैं क्या हुआ बहुत कोई बात हो गई क्या और फिर वह आगामी की ओर देखकर कहते हैं तुम यहां पर क्या कर रही हो तुम्हारी क्लास नहीं है क्या तो आप हमें कहती है सर क्लास तो है पर अभी 1 घंटे बाद है यह खुद ही मेरे से टकराए थे और मुझे जेल भेजने की बात कर रहे हैं प्रिंसिपल सहायक स्वामी की बातें सुनकर हैरान हो जाते हैं और अबोध को कहते हैं यह हमारे कॉलेज की ब्रिलिएंट स्टूडेंट है जिसने दो दिन पहले ही यहां एडमिशन लिया है तुमने आवामी सक्सेना का नाम तो सुना ही होगा जो की गोल्ड मेडलिस्ट है यह वही है उसको तो उसका नाम जानना था और नाम पता चल चुका था उसने वापस से अब आर्मी को सॉरी कहा और वहां से जाने लगा तो अब आर्मी ने कहा ऐसी छोटी-मोटी बातें बड़े-बड़े शहरों में होती रहती हैं लेकिन दिमाग नहीं लगना चाहिए मैं भी अपनी गलती मानती हूं कि मुझे इस तरह से बात नहीं करनी चाहिए थी थी मैं भी आपसे माफी मांगती हूं यह कहकर आवामी चली जाती है जब तक कि वह उसकी आंखों से ओझल नहीं हो जाती वह उसे देखता रहता है आगामी की मासूम सी आंखों में बोध का दिल खो गया था उसे लग रहा था जैसे-जैसे दूर जा रही थी वह अपने साथ बोध का सुख चैन भी ले जा रही थी लेकिन कहते हैं ना जिसका जैसे मिलना तय हो वैसे मिलता ही है बाकी कहानी अगले भाग में अदिति राही नई हूं इस प्लेटफॉर्म पर उम्मीद करती हु आप लोगों को पसंद आए,,🙏🙏🙏
वह उसे देखता रहता है आवामी की मासूम सी आंखों में बोध का दिल खो गया था उसे लग रहा था जैसे-जैसे दूर जा रही थी वह अपने साथ बोध का सुख चैन भी ले जा रही थी लेकिन कहते हैं ना जिसका जैसे मिलना तय हो वैसे मिलता ही है अब आगे..... सूर्यंम जिसे घर में सब सुनी कह के बुलाते थे आज बहुत ज्यादा गुस्सा थी सुबोत से । सुबोत ने सूर्योम के लिए दो बॉडीगार्ड रखे थे जो हर पल अब उसके साथ रहने वाले थे। सुबोत का इस तरह का बिहेवियर देख के सूर्योम के सारे दोस्त उसका मजाक बनाते थे और कहते है " देखो भाई की बहना आ गई!""और अब तो बॉडीगार्ड के कारण लड़के तो बहुत दूर हो गए थे उससे उसके बॉडीगार्ड्स के गुस्से और उनकी मार को देख कर अब लड़के तो दूर लड़कियां भी उससे कोई बात नहीं करती थी ।क्योंकि फीमेल गार्ड ने सूर्योम की दोस्त अवंता पर अपना हाथ आजमा लिया था वो भी एक छोटी सी बात के कारण.... उस दिन सूर्यम ओर अवंता दोनों में कॉलेज के गार्डन में कॉलेज की बात को ले के कहासुनी हो गई तो अवंता ने सूर्यम को डांट दिया और बोला,"umlimited हो तुम कुछ भी समझ नहीं आता तुमको कितनी बार कहा है कि दूर रहो करो मेरे दोस्त से ..पर तुम तो चिपके हो जा रही हो जब वो मना कर रहा है कि वो तुमको नहीं समझा पाएगा फिर भी उसे फोन करके परेश। किए जा रही हो इतना पैसा है तुम्हारे पास चाहो तो कितनी भी कोचिंग ले सकती हो पर नहीं तुम्हे तो उसे ही परेशान करना है क्या चाहिए तुम्हे नहीं सहन होता कि वो मुझसे बात करकटा है और तुम्हे भाव नहीं देता । छोड़ दो उसे और कोचिंग ज्वाइन कर लो सारी टेंशन खत्म हो जाएगी। " सूर्यम कब से उसे सुने जा रही थी अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उसे गली देते हुए कहा,"you bitch.. तुम मुझे बताओगी मुझे क्या करना है जानती हो न मै किसकी बेटी हूं फिर भी बोले जा रही हो अब तो मेरी जिद है पढूंगी तो उसी से नहीं तो नहीं..!" सूर्यम के मुंह से अपने लिए गली सुन के अवंता का गुस्सा आसमान पर हो गया और उसने खींच के एक चांटा सूर्यम के गाल पर रख दिया सूर्यम को इसकी उम्मीद नहीं थी पर वो समझ गई थी उसने क्या बोल दिया ।तभी सूर्यम की फीमेल गार्ड कल्कि ने अवंता के चेहरे पर एक नहीं बल्कि तीन थप्पड़ मारे ओर कहा,"stay away from mam otherwise i will have to punish u more ." इसके बाद अवंता ने कुछ नहीं कहा और आंखों में आंसू लिए चली गई और सूर्यम ने जलती निगाहों से कल्कि को देखा और वहां से जल्दी जल्दी चलती हुई अपनी कार में बैठ के निकल गई और कल्कि उसे आवाजें देती रही पर सूर्यम ने जवाब देना तो दूर उसे देखा तक नहीं। कल्कि ने सुबोत को मैसेज किया और वहां से एक बाइक उठा कर सूर्यम के पीछे निकल गई । थोड़ी देर में कल्कि के फोन पर फोन आता है सुबोत का कल्कि फोन उठा कर सुबोत को बताती है कॉलेज में जो कुछ भी हुआ। सुबोत को इतना तो समझ आ गया था कि आज सुनी के घर आने के बाद बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है । उसने अबोध को फोन लगाया पर कहा,"सुनी को फोन लगा ओर पूछ कहां है गुस्से में ड्राइव कर रही है कहीं पिछली बार की तरह फिर से कोई हादसा न हो जाए" जैसे ही अबोध ये सुनता है तो कुछ कहे बिना फोन काट देता है और सुनी को फोन लगाता है और साथ ही उसकी लोकेशन ट्रेस करता है तो उसे पता चला जाता है और सुनी के फोन न उठाने पर वो झील के पास पहुंच जाता है जहां पर उसे सुनी की कार नजर आती है जो।इसे उसके पापा वीर ने उसके इक्कीसवें जन्मदिन पर उसे गिफ्ट की थी ।इसे देख कर अबोध के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो लंबी सांस लेते हुए खुद से कहता है,"ये दोनों एक जैसे है ढीठ नहीं सुधरने वाले ये भी जिद्दी ओर वो भी जिद्दी पर क्या करूं बहुत प्यार करता है इस पागल से ओर उसको लगता है कि बंदिशे लगाते है पर नहीं समझ रही बिजनेस के चक्कर में कितने दुश्मन बन गए है और हम कोई रिस्क नहीं ले सकते। पर अब मुझे ही कुछ सोचना पड़ेगा।" उसे वहां बैठी देख कर वो भी वही जा कर बैठ जाता है और कहता है ,"आज कल्कि ने किसे पीटा जो तेरा मुंह सुजा हुआ है मतलब मैटर सीरियस है नहीं तो तू रोने वाली नहीं! बता मुझे ..."
वह उसे देखता रहता है आवामी की मासूम सी आंखों में बोध का दिल खो गया था उसे लग रहा था जैसे-जैसे दूर जा रही थी वह अपने साथ बोध का सुख चैन भी ले जा रही थी लेकिन कहते हैं ना जिसका जैसे मिलना तय हो वैसे मिलता ही है अब आगे.....
सूर्यंम जिसे घर में सब सुनी कह के बुलाते थे आज बहुत ज्यादा गुस्सा थी सुबोत से । सुबोत ने सूर्योम के लिए दो बॉडीगार्ड रखे थे जो हर पल अब उसके साथ रहने वाले थे। सुबोत का इस तरह का बिहेवियर देख के सूर्योम के सारे दोस्त उसका मजाक बनाते थे और कहते है " देखो भाई की बहना आ गई!""और अब तो बॉडीगार्ड के कारण लड़के तो बहुत दूर हो गए थे उससे उसके बॉडीगार्ड्स के गुस्से और उनकी मार को देख कर अब लड़के तो दूर लड़कियां भी उससे कोई बात नहीं करती थी ।क्योंकि फीमेल गार्ड ने सूर्योम की दोस्त अवंता पर अपना हाथ आजमा लिया था वो भी एक छोटी सी बात के कारण....
उस दिन सूर्यम ओर अवंता दोनों में कॉलेज के गार्डन में कॉलेज की बात को ले के कहासुनी हो गई तो अवंता ने सूर्यम को डांट दिया और बोला,"umlimited हो तुम कुछ भी समझ नहीं आता तुमको कितनी बार कहा है कि दूर रहो करो मेरे दोस्त से ..पर तुम तो चिपके हो जा रही हो जब वो मना कर रहा है कि वो तुमको नहीं समझा पाएगा फिर भी उसे फोन करके परेश। किए जा रही हो इतना पैसा है तुम्हारे पास चाहो तो कितनी भी कोचिंग ले सकती हो पर नहीं तुम्हे तो उसे ही परेशान करना है क्या चाहिए तुम्हे नहीं सहन होता कि वो मुझसे बात करकटा है और तुम्हे भाव नहीं देता । छोड़ दो उसे और कोचिंग ज्वाइन कर लो सारी टेंशन खत्म हो जाएगी। "
सूर्यम कब से उसे सुने जा रही थी अब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उसे गली देते हुए कहा,"you bitch.. तुम मुझे बताओगी मुझे क्या करना है जानती हो न मै किसकी बेटी हूं फिर भी बोले जा रही हो अब तो मेरी जिद है पढूंगी तो उसी से नहीं तो नहीं..!"
सूर्यम के मुंह से अपने लिए गली सुन के अवंता का गुस्सा आसमान पर हो गया और उसने खींच के एक चांटा सूर्यम के गाल पर रख दिया सूर्यम को इसकी उम्मीद नहीं थी पर वो समझ गई थी उसने क्या बोल दिया ।तभी सूर्यम की फीमेल गार्ड कल्कि ने अवंता के चेहरे पर एक नहीं बल्कि तीन थप्पड़ मारे ओर कहा,"stay away from mam otherwise i will have to punish u more ."
इसके बाद अवंता ने कुछ नहीं कहा और आंखों में आंसू लिए चली गई और सूर्यम ने जलती निगाहों से कल्कि को देखा और वहां से जल्दी जल्दी चलती हुई अपनी कार में बैठ के निकल गई और कल्कि उसे आवाजें देती रही पर सूर्यम ने जवाब देना तो दूर उसे देखा तक नहीं।
कल्कि ने सुबोत को मैसेज किया और वहां से एक बाइक उठा कर सूर्यम के पीछे निकल गई । थोड़ी देर में कल्कि के फोन पर फोन आता है सुबोत का
कल्कि फोन उठा कर सुबोत को बताती है कॉलेज में जो कुछ भी हुआ।
सुबोत को इतना तो समझ आ गया था कि आज सुनी के घर आने के बाद बहुत बड़ा भूचाल आने वाला है । उसने अबोध को फोन लगाया पर कहा,"सुनी को फोन लगा ओर पूछ कहां है गुस्से में ड्राइव कर रही है कहीं पिछली बार की तरह फिर से कोई हादसा न हो जाए"
जैसे ही अबोध ये सुनता है तो कुछ कहे बिना फोन काट देता है और सुनी को फोन लगाता है और साथ ही उसकी लोकेशन ट्रेस करता है तो उसे पता चला जाता है और सुनी के फोन न उठाने पर वो इसी झील के पास पहुंच जाता है जहां पर उसे सुनी की कार नजर आती है जो इसे उसके पापा वीर ने उसके इक्कीसवें जन्मदिन पर उसे गिफ्ट की थी ।इसे देख कर अबोध के चेहरे पर स्माइल आ जाती है और वो लंबी सांस लेते हुए खुद से कहता है,"ये दोनों एक जैसे है ढीठ नहीं सुधरने वाले ये भी जिद्दी ओर वो भी जिद्दी पर क्या करूं बहुत प्यार करता है इस पागल से ओर उसको लगता है कि बंदिशे लगाते है पर नहीं समझ रही बिजनेस के चक्कर में कितने दुश्मन बन गए है और हम कोई रिस्क नहीं ले सकते। पर अब मुझे ही कुछ सोचना पड़ेगा।"
उसे वहां बैठी देख कर वो भी वही जा कर बैठ जाता है और कहता है ,"आज कल्कि ने किसे पीटा जो तेरा मुंह सुजा हुआ है मतलब मैटर सीरियस है नहीं तो तू रोने वाली नहीं! बता मुझे ..."
बोध की बात सुनकर सुन ए रहती है मैं क्या करूं सुबोध भाई का मेरे पीछे ऐसे गार्ड छोड़ रखे हैं कि मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर सकती ।मेरे सारे दोस्त मुझसे बात करने से कतराने लगे हैं मजाक मस्ती भी नहीं कर सकते नहीं तो एक सेकंड में ये गार्ड आकर मार कुटाई शुरू कर देते हैं आज तो हद ही कर दी कल्कि ने अवंता को तीन थप्पड़ मार दिए। हमारा तो रोज का ही काम है हम रोज लड़ते हैं और फिर एक हो जाते हैं मुझे कोई गार्ड नहीं चाहिए प्लीज आप सुबोत भाई से बात कीजिए ना नहीं तो मैं कॉलेज जाना बंद कर दूंगी और खुद को कमरे में बंद कर लूंगी फिर अगर आवाज पर लगाएंगे ना तो मैं बाहर नहीं आऊंगी और कभी उनसे बात नहीं करूंगी ।"
"यह कहकर वह रोने लगती है अबोध समझ जाता है और बोला,"" अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है पर अब इसका हल मुझे खुद को ही निकालना पड़ेगा तो चिंता मत कर मैं बात करता हूं ...देख बेटा गार्ड गलत नहीं है पर उसको हर रोज इतना स्ट्रिक्टली रूल फॉलो करने के लिए कहना गलत है कुछ सोशल लाइफ भी होती है पर तू यह भी जानती है ना कि इतने बड़े बिजनेस अंपायर के चलाते हैं कितने दुश्मन बन चुके हैं किसी का भी बाहर इस तरह अकेले रहना ठीक नहीं है कुछ भी हो सकता है मेरा बेटा है वैसे भी समझदार है बाकी मैं सुबोध से बात करता हूं। तुझे एक बात बताऊं तुझे इस कैद खाने से निकालने के लिए मैंने तेरा एडमिशन भी लंदन के बेस्ट कॉलेज में करवा दिया है और एक बात और बताओ वहां तो अकेली नहीं जाएगी अवंता भी जाएगी मैंने उसके पापा से पहले ही बात कर ली है। लेकिन यह बात तो किसी के साथ शेयर नहीं करेगी यह बात हम दोनों के बीच में रहनी चाहिए। ठीक है डील मजूर है।"
" वो हंसते हुए बोलती है हां डन मुझे मंजूर है पर अभी तो मुझे अवंता को मनाना पड़ेगा नहीं तो वह कभी बात नहीं करेगी क्योंकि आज वह जिस तरह गई है मुझे नहीं लगता वह मुझसे कभी बात करेगी।"
" यह सुनकर अबोध कहता है ,""फिक्र मत कर वह बहुत समझदार है वह भी इस चीज को समझती है एक बार का गुस्सा सबको आता है लेकिन कोई बात नहीं मैं खुद उससे बात करूंगा ।"
"जैसे ही अबोध यह बात कहता है सुनि उसके गले लग जाती है और कहती है,"" थैंक यू सो मच भाई कि आप हो है जो मुझे समझते हो वरना सुबोध भाई... उनका तो अगर उनका बस चले तो मुझे अपनी नजरों में ही कैद कर ले कहीं हिलने भी ना दे हिटलर है पूरे हिटलर ...!"
"यह कहकर सुनि अपना मुंह फुलाने की लेती है अबोध उसको देखकर मुस्कुरा देता है और कहता है ,""पता है तो कैसी लग रही है लाल मुंह वाली बंदरिया !"
"जैसे यह बात सुनती है वह जोर-जोर से हंसने लगती है तो अबोध कहता है ""अच्छा चल चल अब बहुत देर हो गई है घर चले मां इंतजार कर रही होगी और तुझे पता है मां ने आज तेरे लिए कुछ स्पेशल बनाया है।"
" सुनी वैसे भी खाने की शौकीन थी यह सुनते ही बोलती है ,""किसका इंतजार है फिर उठो चलो मुझे बहुत तेज भूख लग रही है ।"
"तो अबोध कहता है ,""चल मैं इस बात पर तुझे कविता सुनाता हूं ।"
"तो सुनी रहती है ,""पकाओ मत भाई मुझे भूख लग रही है खाना खाना है भूख खत्म नहीं करनी।"" अबोध अपना मुंह लटका लेता है और कहता है ""देखा तू मेरा मजाक उड़ा रही है सब कुछ बरदाश्त है और मेरी कविता के बारे में कुछ मत कहना ।वरना मैं गुस्सा हो जाऊंगा ।"
"तो सुनी हंसते हुए कहती है,"" अच्छा ठीक है सुना दो ना अब जो आपने लिखा है मुझे लगता है आपने शायद मां के खाने पर लिखा है की भी खाने की बात चल रही है और यह कविता आपने लिखी नहीं है ।""अभी आप मुझे हाथों-हाथ ही सुनाओगे तो अबोध बहुत मुस्कुरा देता है
बेचैन है दिल आज, तेरे हाथ का खाने को,
वो प्यार भरा स्वाद, वो मसालों का बहाने को।
चूल्हे की आंच में जो महक उठती थी,
तेरी ममता की खुशबू उसमें बसती थी।
हल्की-सी मुस्कान संग चखाती थी जब,
हर कौर में जैसे जादू बरसाती थी तब।
पराठों की सोंधी खुशबू बुलाती है अब,
तेरी रसोई की यादें सताती हैं अब।
सिर्फ स्वाद नहीं, वो अपनापन भी था,
तेरे हाथों में जैसे कोई जादू सा था।
आज फिर वही रसोई महका दे ज़रा,
तेरे हाथ का बना प्यार चखा दे ज़रा।
बाकी अगले पार्ट में
आपकी अदिति राही
"तो सुनी हंसते हुए कहती है,"" अच्छा ठीक है सुना दो ना अब जो आपने लिखा है मुझे लगता है आपने शायद मां के खाने पर लिखा है की भी खाने की बात चल रही है और यह कविता आपने लिखी नहीं है ।""अभी आप मुझे हाथों-हाथ ही सुनाओगे तो अबोध बहुत मुस्कुरा देता है
आगे....
खाने की बात सुन के सुनि को भूख लग गई थी और वो अबोध की कविता का मजा लेते लेते उसके साथ दस मिनट में घर आ गई थी। अबोध के अलावा ओर किसी को पता नहीं था कि जब वो परेशान या उदास होती है तो वो इस झील के पास जा के बैठ जाती है और अपने मन को सारी बातें इस झील के पानी में कंकर मार कर करती है जैसे जैसे वो पानी में कंकर मारती है वैसे ही उसका दुख परेशानी दर्द सब बाहर आ जाता है और वो नोर्मल हो कर घर आ जाती है।
पर आज तो सुनि ने ठान लिया था कि कल्कि नाम की इस आफत को वो छोड़ने वाली नहीं! उसके कारण उसकी सबसे अच्छी दोस्त उससे नाराज हो गई थी और इंसल्ट ही जो अलग।
अबोध जानता था कि अब तूफान आने वाला है तो इस तूफान को रोकने के लिए उसने खाना खाते वक्त अपने पापा से कहा,"पापा..मैने लन्दन के बेस्ट कॉलेज में सुनि और अवंता की एडमिशन का फॉर्म फिल किया है वो यहां से दूर रहेगी और इसकी आइडेंटिटी भी रिवील नहीं होगी और हम लोग भी इसकी तरफ से टेंशन फ्री रहेंगे और सबसे बड़ी बात मै भी वहीं रहूंगा ।"
सुनि के चेहरे की ओर देखते हुए उसकी मां परिणीति बोली,"पहले सुनि से तो बात कर लेते ओर अवंता के पापा से बात कर ली तुमने और ये एकदम से मिड सेशन में एडमिशन कैसे होगा ?"
अबोध ने कहा,"मां आप भूल गई शायद ..वहां पर सेशन इस वक्त शुरू होता है। ओर ये भईया का कल्कि ड्रामा भी खत्म हो जाएगा।"
जैसे ही अबोध ने ये कहा ।उसी वक्त सुबोत अंदर आते हुए कहता है,"कौनसा ड्रामा और एक बात कल्कि सुनि की सेफ्टी के लिए है ओर आज क्या किया सुनि बच्चा तुमने ..कल्कि को लिए बिना ओर बिना बताए कहां चली गई थी जानती हो न कितना परेशान हो गया था मैं!"
सुबोत के शब्द पूरे हुए बिना ही सुनि ने अपनी प्लेट में चम्मच रखा और हाथ जोड़ के खड़ी हुई ओर बोली,"मुझे आपसे बात ही नहीं करनी ..मेरी जिंदगी जेल से बुरी हो गई है अब कोई मुझसे बात नहीं करता और न मेरे साथ रहता है।आज तो उस कल्कि ने अवंता को थप्पड़ मारे वो भी एक नहीं तीन तीन..।"
ये सुन के सुबोत की आँखें जैसे बर्फ सी जम गई वो बोला,"अच्छे से जानती हो तुम..की किसी की भी बदतमीजी कल्कि को बर्दाश्त नहीं..ओर फिर ये उसकी जॉब का हिस्सा है ।"
सुनि ने गुस्से में कहा,"अवंता ने मुझ पर हमला नहीं किया था और साफ अब अगर मैं कॉलेज गई तो कल्कि नाम का जानवर मेरे साथ नहीं जाएगा और अगर वो गई तो मैं कॉलेज नहीं जाऊंगी। सपने टूटेंगे कोई बात नहीं..पर जेलखाने से तो मेरा कमरा अच्छा है।"
ये सुन के सारे अवाक रह गए और तब उसके पापा बोले,"मैने इसीलिए ये बोला था तुमको.. सुबोत...इतना भी इनसिक्योर होना ठीक नहीं..पर तुम कहां मानते हो ?"
अपने पापा की बात सुनकर सुबोत को बहुत बुरा लगता है और वह कहता है ,"" मैं तो सुनि की भलाई के लिए ही कल्कि को अप्वॉइंट किया है पर आपको अगर लगता है कि मैं गलत हूं तो ठीक है मैं आगे से कुछ भी नहीं कहूंगा। पर फिर भी आपको एक बात बता दूं ..."
जैसे ही ये बात सुबोत ने बोली तो सब एक दम से चौंके और फिर उसने कहा""हमारे अराइवल संयुक्त अग्रवाल अग्रवाल कंपनी के मालिक ने अभी थोड़े दिन पहले ही सुनि को किडनैप करने का काफी स्ट्रांग प्लान बनाया था पर हमारी किस्मत अच्छी थी और इसकी किस्मत तेज थी जो यह उसे दिन किडनैप होने से बच गई... नहीं तो शायद... यह आज हमारे साथ नहीं होती!"
" उसकी बात सुनकर अबोध ने कहा,"" ऐसा नहीं है कि हम इसकी सिक्योरिटी नहीं चाहते पर इस तरह के सिक्योरिटी नहीं चाहिए इस तरह से सुरक्षा हो जिससे ये अपने आप को कैद महसूस न करे.. पर आप चिंता छोड़ दीजिए वैसे भी इसको पढ़ने के लिए बाहर जाना था और काफी वक्त से मैं इसके लिए कॉलेज देख रहा था तो मैंने इसका इंतजाम कर दिया है अभी यहां पर नहीं पढ़े। मैं इसको अपने साथ लंदन ले जा रहा हूं पढ़ने के लिए ...और मैं इसके साथ रहूंगा तो सब की चिंता कम होगी और इसके लिए मैंने सारे इंतजाम कर लिया है बाकी जो फॉर्मेलिटी पापा ने पूरी कर दी हैं और बस अगले में हफ्ते निकालना है और इसका पासपोर्ट वीजा भी रेडी है और अवंता का भी सब रेडी है और अवंत को को पता नहीं है कि वह भी बाहर जा रही है पढ़ने के लिए ....पहले उसे रायते को समेटना है जो कल्कि अपने गुस्से से फैला कर आई है।"
फिर अबोध सूर्यम से कहता है,""तुम्हारा खाना हो गया हो तो उठो बेटा... चलते हैं और जाकर अवंता से सॉरी बोलते हैं नहीं तो वह तुमसे नाराज ही रहेगी और बात नहीं करेगी ।"
कुर्सी से उठती हुई सूर्यम सुबोत को तरफ आंखों में पानी लिए हुए देखती हैहै और कहती है,"" मेरा खाना हो गया है चलते हैं।"
" और अपनी मम्मी के गले लग कर बोली,""थैंक यू मां मेरी पसंद का खाना बनाने के लिए ....!"
"तो परिणीति उसके गाल पर हल्की सी चपत लगाते हुए कहती है,"" मां को कोई थैंक यू नहीं कहता बस तुम लोग खुश रहो और आंखों के सामने रहो यही मेरे लिए बहुत है।"
उधर किस्मत आवामी के लिए एक नया इतिहास रचने की तैयारी कर रही थी और एक नया रंग ले कर सामने आने वाली थी।
कॉलेज शुरू हो चुका था और लगभग पहला सेशन खत्म होने को था और एग्जाम स्टार्ट होने को थे।
उस दिन आवामी कॉलेज से घर जा रही थी कि तभी उसकी स्कूटी को कुछ लोगों ने घेर लिया ये लोग उसके सीनियर्स थे और अक्सर कॉलेज में लड़कियों को परेशान करते थे। उनमें एक था संयुक्त अग्रवाल का बेटा अराज्य अग्रवाल जो पूरे कॉलेज में अपने बाप के नाम पर नाचता था और उसी के दम पर टिका था तीन बार फैल होने के बाद भी वो उस कॉलेज में था जिसका सपना ब्रिलिएंट स्टूडेंट देखते थे कॉलेज की जमीन अबोध की फैमिली की थी और वो लोग ट्रस्टी भी थे और संयुक्त अग्रवाल भी इसका ट्रस्टी था। बहुत बार लोगों ने अराज्य की कंप्लेन की थी पर हर बार वो अपने बाप की धौंस दिखा कर बच जाता था ।
अराज्य को उसके दोस्तों ने बताया था कि आवामी आज अकेले आई है और जिस रास्ते से ये जाती थी वो रास्ता सुनसान था और इसी का फायदा उसने उठाया और आवामी की स्कूटी के आगे अपनी स्कॉर्पियो लगा दी और सारे लड़के उसके आस पास घूमने लगे तो अराज्य ने उन्हें रोकते हुए कहा,"क्यों परेशान कर रहे हो आवामी को ..जाने दो इसे ..।"
"जितने में एक बोला " कैसे जाने दे उस दिन तो बड़ी उछल रही थी आज क्या हुआ जुबान चिपक गई या डर गई!"
उसकी बात सुन के आवामी ने कहा" न डरी हूं और न जुबान चिपकी है ..हमें जाने दो देर हो रही है।"
अराज्य ने कहा" चली जाना जान..पहले हिसाब तो बराबर के ले उस दिन का काफी बाकी है।"
ये कहते ही उसने आवामी की स्कूटी की चाबी निकाल ली और अपनी जेब में रख ली "।।
बाकी कहानी अगले भाग में
बहुत सारा लिखा था पर शायद यहां कुछ दिक्कत है लास्ट का सारा गायब हो गया।
आपकी
अदिति राही
"जितने में एक बोला " कैसे जाने दे उस दिन तो बड़ी उछल रही थी आज क्या हुआ जुबान चिपक गई या डर गई!"
उसकी बात सुन के आवामी ने कहा" न डरी हूं और न जुबान चिपकी है ..हमें जाने दो देर हो रही है।"
अराज्य ने कहा" चली जाना जान..पहले हिसाब तो बराबर के लें उस दिन का... काफी बाकी है।"
ये कहते ही उसने आवामी की स्कूटी की चाबी निकाल ली और अपनी जेब में रख ली "।।
आगे.......
जैसे ही उसने स्कूटी की चाबी निकाली तो आवामी के चेहरे पर घबराहट आ गई और एक खौफ भी आ गया और वो उसकी मिन्नतें करने लगी ,"please जाने दो घर पर बाबा इंतजार कर रहे है अपना गुस्सा किसी ओर दिन निकाल लेना।"
अराज्य ने अपनी स्माइल जिस पर कॉलेज की लड़कियां जान देती थी पर उसके घमंड के कारण उससे नफरत भी करती थी देते हुए कहा "इतनी भी क्या जल्दी है थोड़ा इंतजार अपने बाबा को भी करने दो मरने वाले नहीं वो तुम्हारी बर्बादी देखे बिना...आज मै बताऊंगा तुम्हें कि कैसे बर्बाद होते है!"
ये कहते ही जैसे ही अराज्य ने आवामी का हाथ पकड़ने की कोशिश की तभी पीछे से उसे आवाज सुनाई दी,"रुको..जाने दो लड़की को!"
अराज्य ने पलट के देखा और बोला,"ये कहां से आ गया बीच में..!"
और आवामी का हाथ और कस ले पकड़ते हुए कहा,"मेरा अभी तुमसे कोई मतलब नहीं है इसलिए मुझे परेशान करे बिना जाओ यहां से ..इस लड़की से तो बदला मै ले के रहूंगा इसका घमंड और इसकी अकड़ मै तोड़ के इसे इसकी औकात बताऊंगा और तब सबको पता चलेगा कि अराज्य से पंगा लेने का क्या मतलब है और कितना भारी पड़ता है।"
अबोध को देख कर अराज्य की आंखों में गुस्सा भर गया और अपनी ठंडी आवाज में बोला,"देख अपना झगड़ा ..दुश्मनी एक तरफ अभी तू जा हम बाद में बात करेंगे।"
अबोध जो कि अराज्य की आवाज ओर बात सुन के उसके फेस के एक्सप्रेशंस बदल गए और बोला,"चुपचाप जाने दे इसको..नहीं तू जानता नहीं इसका क्या अंजाम होगा मेरा एक कॉल ओर तेरा सब खत्म ..तू चाहता है ऐसा कुछ हो।"
अराज्य उसकी बात को इग्नोर करते हुए आवामी की ओर देखा और अराज्य को सुनाते हुए बोला "मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता मेरे बाप के पास इतना पैसा है कि खड़े खड़े ये पूरा सिटी खरीद सकता है मेरे लिए..ये लड़की तेरी लगती क्या है जो तू इसकी इतनी फिक्र कर रहा है।"
इसके बाद जो बात अबोध ने कही वो आवामी के दिल को छू गई वो बोला"मेरी जो भी लगे तुझे उससे क्या.. पर तेरी जानकारी के लिए बता दूं आवामी मेरी दोस्त है और मेरे दोस्त को कोई कुछ कहे तो वो मेरी बर्दाश्त से बाहर होगा।"
उसकी बात सुन के अराज्य आवामी को बोला" क्या बात है तूने कितने लड़के पटा रखे है एक ये आया तुझे बचाने ओर कितने है लाइन में हमें भी मौका दे अच्छे पैसे दूंगा साथ में मजे भी...!"
जैसे ही अराज्य ने शब्द कहे तभी एक चांटा उसके गाल पर पड़ा और जब उसने देखा कि उसे चांटा मारने वाला कोई ओर नहीं बल्कि आवामी है तो उसने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो आवामी ने कहा"अभी तक चुप थी क्योंकि मन में डर था पर अब बात मेरे कैरेक्टर की है तो अब आई विल नोट टॉलरेट इट्स ओवर नाओ सी द पावर ऑफ अ गर्ल।"
ये कहते ही आवामी ने उसका हाथ पकड़ा और मरोड़े हुए उसकी पीठ पर लगाया और बोली"आज तो तुम इतना बोल गए लेकिन याद रखना आज का दिन ,ये वक्त ...जब एक लड़की ने तुम्हारे चेहरे पर ये निशान दिया है थप्पड़ की गूंज तुम्हे याद दिलाती रहेगी कि कैसे एक लड़की को ट्रीट करना है।""
अराज्य की आंखें हैरानी और गुस्से से फैल गईं। उसके गाल पर पड़ा थप्पड़ सिर्फ एक झटका नहीं था, बल्कि उसके घमंड पर एक सीधी चोट थी।
आवामी की आंखों में अब डर नहीं था—वो अब साहस और आत्मसम्मान से चमक रही थीं। उसने अराज्य की ओर झुकते हुए कहा,
"तुम जैसे लड़कों की सोच को बदलने का वक्त आ गया है। लड़की कमज़ोर नहीं होती, बस अब तक चुप थी। पर अब हर लड़की उठेगी, बोलेगी, और जवाब देगी—जैसे आज मैंने दिया है।"
अबोध ने आगे बढ़ते हुए आवामी के कंधे पर हाथ रखा और धीरे से कहा,
"चलो, यहां से। इससे ज़्यादा गिरा हुआ इंसान किसी जवाब के लायक नहीं।"
आवामी ने एक आखिरी नज़र अराज्य पर डाली और बोली,
"ये सिर्फ शुरुआत है… अब तुम्हें हर उस लड़की से डर लगेगा, जो अब चुप नहीं रहेगी।"
दोनों वहां से निकलने लगे। भीड़ जो अब तक चुपचाप तमाशा देख रही थी, कुछ लड़कियों ने मोबाइल में रिकॉर्ड किया हुआ वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया।
कुछ ही घंटों में वीडियो वायरल हो गया।
#SlapOfSelfRespect #PowerOfAWoman
ट्रेंड करने लगा।
कॉलेज में सीनियर प्रोफेसर ने इस मुद्दे को डीन के सामने उठाया।
अगले दिन अराज्य को डीन ऑफिस बुलाया गया।
उसे सस्पेंड किया गया और कहा गया कि इस हरकत के लिए माफ़ी मांगनी होगी सार्वजनिक रूप से।
कॉलेज की कैंटीन में सबके मोबाइल पर एक ही वीडियो चल रहा था — "आवामी का थप्पड़ और अराज्य की बेइज्जती"।
वीडियो पर कमेंट्स की बाढ़ आ चुकी थी —
"गर्ल पावर!",
"Slap of the century!",
"अराज्य जैसे लड़कों को यही सज़ा मिलनी चाहिए!"
अराज्य, जिसने खुद को कभी किसी से कम नहीं समझा था, अब हर कोने से तानों और हंसी का शिकार बन चुका था।
प्रिंसिपल ऑफिस में—
“तुम्हें आवामी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी होगी, अराज्य। ये कॉलेज का आदेश है। और अगर फिर से कोई शिकायत मिली, तो तुम्हें निष्कासित किया जाएगा।”
अराज्य की मुट्ठियाँ भींच गईं।
उसने धीमे स्वर में कहा, "जी... माफ़ी मांग लूंगा।"
पर उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान तैर गई।
उसी रात...
अराज्य अपनी कार में बैठा था, पीछे बैठा उसका खास दोस्त, विक्रम, जो हमेशा उसकी गलतियों को सही कहता आया था।
"भाई, तुझे सबके सामने झुकना पड़ा... अब क्या करेगा?"
अराज्य ने सिगरेट की राख झटकते हुए कहा,
"अबोध को तो मैं बाद में देखूंगा, पर पहले इस लड़की की अकड़ तोड़नी है... जो मुझे थप्पड़ मार के कॉलेज का हीरो बन गई। अब इस वीडियो की जगह जल्द ही एक और वीडियो वायरल होगा… कुछ ऐसा कि दुनिया फिर उसी को दोषी ठहराएगी।"
"क्या मतलब?" विक्रम ने पूछा।
"मतलब ये कि... अब उसे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा। मैं उसकी इमेज मिट्टी में मिला दूंगा।"
उसकी आंखों में पागलपन झलक रहा था।
---
अगले दिन...
आवामी कॉलेज आई तो कुछ लड़कियां फुसफुसा रही थीं। कुछ लड़के उसे देखकर हंस रहे थे।
जब उसने मोबाइल देखा, तो हैरान रह गई —
एक "Edited Video" वायरल हो चुका था, जिसमें उसे पार्टी में अराज्य के साथ 'घनिष्ठ' दिखाया गया था।
कैप्शन: "Drama Queen Exposed!"
आवामी का चेहरा फक पड़ गया। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वो जानती थी — अब भी चुप रहना कमजोरी होगी।
अबोध को जब पता चला, तो वो आगबबूला हो गया।
"अब ये लड़ाई तेरी अकेली नहीं है, आवामी। अब ये सच और झूठ की जंग है… और इसमें हम सब तेरे साथ हैं।"
sorry friends ab koshish rhegi do din m ek part dene ki padh k btana kaisi lgi story,koi suggestion ho to pls most welcome 🤗 🤗 🤗 🤗
apki Aditi rahi
आवामी का चेहरा फक पड़ गया। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वो जानती थी — अब भी चुप रहना कमजोरी होगी।
अबोध को जब पता चला, तो वो आगबबूला हो गया।
"अब ये लड़ाई तेरी अकेली नहीं है, आवामी। अब ये सच और झूठ की जंग है… और इसमें हम सब तेरे साथ हैं।"
अब आगे..............
अबोध ने सारी सच्चाई पता करने के लिए उस वीडियो को जब अपने लैपटॉप में चला कर देखा तो उसका ध्यान उस पर बनाए गए कैप्शन पर गया।
और उसे सारी बात समझ में आ गई की यह किसकी हरकत है ??क्योंकि यह बहुत जानता था कि अराज्य ऐसी हरकत नहीं कर सकता था क्योंकि उसकी एडिटिंग इतनी अच्छी नहीं थी और ना ही उसको ज्यादा इन चीजों की जानकारी थी। तभी उस ने अपने एक दोस्त को फोन लगाया और कहा ,"" अब वक्त आ गया है उसका हिसाब किताब किया जाए तो अपनी गैंग को रेडी करो और उसे मिलने के लिए बुलाओ ।"
"उधर से आवाज आती है,"" ठीक है ...मैं अभी इंतजाम करता हूं ।""फिर अबोध ने कहा ,""लेकिन ध्यान से ...इस बारे में किसी को भी... मतलब किसी को भी यहां तक की आवामी को भी खबर नहीं होनी चाहिए कि हम क्या करने वाले हैं??"
" तो उसका दोस्त कहता है ,""ओके !"
"और कॉल कट हो जाती है उधर आवामी बहुत परेशान थी इस वीडियो को देखकर उसका दिमाग बहुत ज्यादा खराब हो गया था। वह नहीं चाहती थी कि यह वीडियो उसके घर वालों तक पहुंचे उसके पापा देखें और वह दुखी हो और उनको लगे कि उनकी बेटी किस तरह के कामों में लगी हुई है??
वह लोग उसे पढ़ने के लिए भेजे और वह कैसे हरकतें कर रही है?? इसलिए हड़बड़ी में जा रही थी। कॉलेज में वह किसी से नजर नहीं मिल पा रही थी इसलिए वहां से चुपचाप वह निकाल कर घर जाने की लगती है तो सामने से आता हुआ अबोध नजर आ जाता है जिसे देखकर उसमें थोड़ी सी हिम्मत आ जाती है ।""hy ..तुम कहां जा रही हो अभी तो सारे लेक्चर बाकी हैं और आज तो बहुत इंपॉर्टेंट लेक्चर है तो गलती से इनको मिस कर कर नहीं करके जा सकती ।"
आवामी बोली,"" अभी जिस तरह के हालात चल रहे हैं बेहतर है कि मैं घर ही चली जाऊं ....क्योंकि अगर किसी तरह भी मेरे घर वालों तक यह वीडियो पहुंच गई तो मेरे लिए बहुत समस्या खड़ी हो जाएगी !"
अबोध कहता है ,""उसकी चिंता तुम मत करो अभी थोड़ी देर में यह वीडियो सोशल मीडिया से हट जाएगी और यहां तक की कॉलेज की पेज से भी हट जाएगी इसलिए तुम निश्चिंत रहो जाकर आराम से अपने लेक्चर अटेंड करो ।"
"आवामी कहते हैं ,""नहीं मुझे घर जाना है ।"
"""मेरी बात मानो जाकर लेक्चर अटेंड करो अपना नुकसान मत करो किसी की एक बेवकूफी के कारण क्यों अपने आप को और अपने समय को खराब करना अपने साथ नाइंसाफी है!इसलिए बेहतर है तुम जाकर क्लास अटेंड करो अगर मुझे दोस्त मानती हो!"
" यह सुनकर आवामी अपनी गर्दन हां में हिलाती है और वहां से अपने लेक्चरर्स अटेंड करने के लिए निकल जाती है ।अबोध जिसका आज कोई लेक्चर नहीं था उसने अपना फोन उठाया और एक नंबर डायल किया और बोला ,""आधे घंटे के अंदर अंदर मुझे यह वीडियो सब जगह से हटी हुई नजर आनी चाहिए ऐसे लगना चाहिए कि जैसे यह वीडियो कभी अपलोड ही नहीं हुई थी ।"
"उधर से आवाज आती है ,""इसमें वक्त लग सकता है मैं यह नहीं जानता लेकिन यह वीडियो आधे घंटे के अंदर यहां से हट जाने चाहिए नहीं तो यह समझ लेना तुम्हारी खैर नहीं है।"
"वो बन्दा जल्दी से ओके कहता है और फोन काट देता है अबोध को किसी चीज की चिंता नहीं थी। उधर आवामी अपने लेक्चर अटेंड करती है और जब शाम को घर पहुंचती है तो उसके पापा उसे बताते हैं कि उसके लिए एक रिश्ता आया है ।
आवामी हैरानी से ओर चिढ़ते हुए बोली,""पापा... आप जानते हैं ना कि मैं अभी पढ़ाई कर रही हूं और मेरा अपने पैरों पर खड़ा होना बहुत जरूरी है! क्योंकि आपने देखा है ना कि दीदी की पढ़ाई पूरी नहीं होने के कारण के साथ क्या कुछ हुआ था मैं नहीं चाहती कि मेरे साथी वैसा कुछ हो और मेरी भी जिंदगी खराब और मैं आप पर आकर बहुत इससे पहले मुझे पढ़ने दीजिए उसके बाद जब तक मैं कहीं सेटल नहीं हो जाती मैं शादी नहीं करूंगी।"
" आवामी के पापा कहते हैं ,""बेटा वह बहुत अच्छे लोग हैंऔर उनको तुम्हारे पढ़ने से भी कोई प्रॉब्लम नहीं है ।"
"आवामी ने अपने पैर पटके और गुस्से में पापा को देखी ।पर पापा तो पापा है...उसके पापा कहते हैं"" अच्छा ठीक है मिल लो अगर तुम्हें समझ में आता है तो ठीक है नहीं तो हम बात को टाल देंगे।"
" आवामी बेबसी से अपनी गर्दन हिलाती है और कहती है ,""ठीक है ।"
"उधर पूरे कॉलेज में अब आने की वीडियो को लेकर हलचल मची हुई थी सब जगह आगामी और अराज्य को लेकर बातें हो रही थी। तभी थोड़ी देर में किसी ने कहा,"" अरे वह वीडियो तो यहां सोशल मीडिया पर कहीं नजर ही नहीं आ रहा इसके बारे में सब इतनी बातें कर रहे हैं।"
" तो दूसरे लड़के ने कैसे हो सकता है ,""अभी तो मैं इस वीडियो को देखा था और अभी कैसे वीडियो गायब हो गई ??"
"सब इस बारे में बात करने लगते हैं उधर आराध्य जो कि इस बात से खुश हो रहा था कि उसकी तो जो बेज्जती हुई थी हुई थी साथ में उसने आवामी को भी अपने लपेटे में ले लिया ।
लेकिन वह यह नहीं जानता था कि जिस बेज्जती के लिए वह इतना खुश हो रहा था इसका असर आवामी पर तो नहीं ...पर उसके करियर और उसकी जिंदगी दोनों पर होने वाला था ।
अबोध कॉलेज से निकल चुका था और उधर उसकी पूरी गैंग जिसमें आठ लड़के थे और दो-तीन लड़कियां भी थी सब के सब एक जगह इकट्ठे होते हैं जो की कॉलेज से काफी दूर था।
बाकी कहानी अगले बाग में
उम्मीद करती हु आपको पसंद आएगी
पढ़कर समीक्षा जरूर दें।
अदिति राही