"My Mr. Chef" एक रोमांटिक कहानी है जहां तेज़-तर्रार अनीशा की मुलाकात हैंडसम शेफ मानिक से होती है। तकरार के बीच नज़दीकियां बढ़ती हैं—क्या ये नोकझोंक सच्चे प्यार में बदल पाएगी?
Anisha singhania
Heroine
Manik mehta
Hero
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हेलो दोस्तो कहानी के शहर में आपका स्वागत है उम्मीद है सब ठीक होगे...... अपना कीमती वक्त निकाल कर कॉमेंट जरूर कीजिएगा.......🥰 मुंबई शहर की भाग दोड़ भरी ज़िंदगी मे कोई खुशनसीब ही होता है जो चेन से सो सकता है और शायद ऐसा सिर्फ मुंबई मे ही नहीं हर शहर हर जगह हर इंसान के साथ होता है की वो भले ही कोई भी हो अमिर हो या गरीब हर किसी की ज़िंदगी मे परेशानी जरूर होती है कोई दिखाता है तो कोई उसे छिपाता है हर किसी का तरीका अलग होता है अपनी मुश्किलों से सामना करने का इस कहानी मे हम कुछ ऐसे ही लोगों को देखने वाले है। मुंबई के गोरेगाव मे एक बिल्डिंग थी जिसका नाम था "सन राइस" जिसके 12th फ्लोर पर फ्लेट नंबर 148 जो की एक 1 bhk का था उसमे दो भाई रहते थे शोर्य मेहता और मानिक मेहता आईए इनसे रूबरू होते है। "क्या तुम जानते हो की मुझे क्या पसंद नहीं है?" शोर्य चेहरा मासूम छोटे बाल बिखरे हुए,आंखे गहरी काली छोटी सी,दिखने मे जितना मासूम उतना ही शेतानी उम्र 24 साल लेकिन अभी वो डोरेमोन देख रहा था,कुछ साल पहले हुए एक हादसे ने उसकी ज़िंदगी बदल दी,उसके ब्रेन मे एक इंजरी के कारन अक्सर उसे पागल पन के दोहरे पड़ते। "हा शायद मे बता सकता हु,क्या वो हमारी लेंड लॉर्ड है?" मानिक किचन से आवाज देता है वो डिनर बना रहा था शायद,उसका चेहरा जितना मासूम अदाये उतनी ही कातिलाना उसकी एक मुस्कान से मानो कोई भी उसमे खो जाए उम्र 26 साल,उसकी वो छोटी आंखे, आंखो तक आते बिखरे हुए बाल सेक्सी बॉडी और वो क्यूट सा चश्मा जिसके पीछे दो भूरी आंखे टमटमा रही थी उफ़....... उसके चेहरे मे और डूबने का मन कर रहा था, वो एक बोहोत बड़े होटल "डार्क वल्ड" मे एक जूनियर शेफ था,होटल डार्क वल्ड मुंबई का बेस्ट होटल माना जाता था,जिसकी सबसे खास चीज थी क्रियेटीवीटि जिससे वो होटल हर साल और बेहतर बन जाता उस होटल की कई सारी ब्रांच थी। "गलत जवाब,सही जवाब है लड़किया जब वो मेरे इस सुंदर चेहरे मे खो कर बस देखती रहती है[अब तक उसके एक्स्प्रेशन ऐसे थे जेसे एक सेलिब्रिटी अपने फैन्स फेन्स से अब थक चुका हो] और फिर....और फिर आखिर मे 'भईया यू आर सो क्यूट' बोल कर चली जाती है,आउच............तब बोहोत दर्द होता है मानिक मेरे यार।" आखिर मे शोर्य का चेहरा ऐसा था जेसे किसी ने उसकी तारीफ करते करते उसे धो डाला हो। "तुम गधे कही के मे तुम्हारा बड़ा भाई हु समझे मुझे ये यार बार मत बुलाया करो।" मानिक ने चिल्ला कर कहा तो शोर्य का मुह बन गया। तभी टीवी पर पर कार रेसिंग दिखाई देने लगी जिसे देख कर शोर्य अपना आपा खोने लगा और डर के सोफ़े पर दुबक कर बेठ गया और चिल्ला ने लगा। "नहीं नहीं मम्मी पापा,नहीं बचाओ कोई....।" शोर्य के चेहरे पर पसीने आ गई उसे पेनिक अटेक आया था शायद, मानिक जल्दी से उसके पास जाता है और उसे गले लगाने की कोशिश करता है लेकिन शोर्य उसे अपने करीब आने नहीं दे रहा था,लेकिन मानिक जबरदस्ती उसे गले से लगा लेता है कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद वो शांत हो जाता है,मानिक की आँखों मे आँसू आ गए थे वो अपने भाई की ऐसी हालत नहीं देख पा रहा था। कुछ देर मे शोर्य सो गया,मानिक ने खाना ढक कर अपने रूम की खिड़की के पास चला गया और चांद को देखने लगा। "दुनिया का सबसे बदनसीब इंसान हु मे,माफ कर दो शोर्य मुझे मे ही जिम्मेदार हु तुम्हारी इस हालत का।" मानिक खुद को शोर्य का दोषी समझ रहा था उसकी इस हालत का ,लेकिन क्यू? वही दूसरी तरफ मुंबई का सबसे पोर्श इलाका जिसमे बस 8 बंगलों थे जिसमे से एक था "डार्क पेलेस" ये बंगलों मुंबई के सबसे शानदार होटल "डार्क वल्ड" की ऑनर का घर था,जीमे हमेशा शांति रहती शोर शराबा इस बंगलों के आसपास तक नहीं फिर्कता था। "अनिशा....तुम सुन रही हो अनिशा कहा हो तुम सामने आओ बुज़दिल कही की सामने आओ अब छिप क्यू रही हो।" बंगलों के लिविंग रूम मे आ कर एक मिडल एज ऑरत गुस्से से चिल्लाए जा रही थी दिखने मे वो काफी आमिर लग रही थी,बरेंडेड कपड़े,जूते और पर्स केरी कर के 2 किलो मेकअप के साथ वो तैयार थी अपनी जवानी के आखिरी पालो को जीने के लिए। "तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम मेरे ही घर मे आ कर मुझ पर चिल्लाओ,सिक्योरिटी....सिक्योरिटी कहा मर गए सब।" सीढ़ियों से उतर ते हुए, एक 25 साल की लड़की जो दिखने मे किसी अप्सरा जेसी लेकिन उसकी गहरी काली आँखों मे बस सुना पन और क्रूरता था,माना जाता था की उस लड़की पर किसी का काला साया है इसलिए वो हमेशा अकेली और गुस्से मे रहती है,ना ही वो अपने परिवार से मिलती है ना ही किसी दोस्त से। "जी जी मेडम ये आपकी चाची है तो हम इन्हे केसे रोकते?' गार्डन ने सर झुकाए हुए कहा। "कल को तुमसे कोई भी रास्ते का भिखारी आ कर बोल दे की वो मेरा रिश्तेदायर है तो क्या तुम किसी भी जाहिल को मेरे घर मे घुसने दोंगे हा,क्या तुम्हें अपनी जान प्यारी नहीं,और तुम कमिनी कुत्ती आगे से मेरे घर मे दिखाई मत देना समझी।" अनिशा जुबान की जितनी तीखी उतनी ही चालक उसकी नजरे उसकी आँखों से आज तक कोई बच नहीं सका था शायद इसी वजह से वो आज इतनी सक्सेस फूल थी। "हाह........... तुम अपनी चाची को गाली देती हो हा,तुम में तमीज नाम की कोई चीज है भी या नहीं,पागल लड़की तुम्हारा दिया चैक बाऊंस हो गया है,अगर मेरी बेटी पर कोई भी आंच आई तो तुम्हे ज़िंदा नही छोडूंगी समझी तुम।" उर्मिला सिंघानिया,रिश्ते से अनीशा की चाची लेकिन अनीशा सिंघानिया हाउस में नहीं रहती थी उसको घर छोड़े कई साल हो गए थे। "लोग ऐसे ही होते है महाकाल,जब पैसे मांगने आई थी तब हाथ जोड़ रही थी और अब जब पैसे लोटाने का टाइम आया तो ऐसा नाटक, बट तुम भूल रही हो हराम खोर की मेने तुम पर लीगल पेपर साइन करवाए थे और वीडियो भी रिकॉर्ड करवाया था जब तुम पैसे ले रही थी।" अनीशा ने सीढियां चढ़ते हुए कहा। उसके जाते ही गार्ड्स ने उर्मिला के दोनो हाथ पकड़े और उसे बाहर ले जाने लगे,उर्मिला चिल्लाती रही लेकिन अनीशा को कोई फर्क नही पड़ा वो शायद एक डेविल थी जिसने इस धरती पर गलत जन्म ले लिया था। रात के अंधेरे में, वैसे तो कहा जाता है की मुंबई शहर कभी नही सोता लेकिन इस कभी ना सोने वाले शहर में गुनाह चुपके चुपके हो ही जाता है,इन गुनाहों की रात के लिए माफिया में कदम रखा, "रेड टायलाइट" की गैंग माफिया वर्ल्ड में सबसे आगे सबसे ताकतवर थी। "आज 3 बजे जो ड्रग्स डील ठाकुर के लोग करने वाले थे उन्होंने अपनी जगह बदल ली है।" शिव माफिया की दुनिया में एक गेहरा नाम,दिखने में कठोर साथ ही आवाज में भी कठोरता, उम्र होगी यही कोई 28 साल, रेड टायलाइट टीम के हेड "रेड टाईगर" का सबसे ख़ास सबसे पास है। "उसने जगह बदली है तुम लोग बदलो।" रेड टायगर ने कहा और वहां से चला गया शिव समझ गया की अब उसे क्या करना है। इन सबका कोई ना कोई अतीत है,लेकिन क्या?आखिर कोन है ये रेड टायगर?अनीशा की जिंदगी क्या ऐसी ही रहेगी?आखिर क्या हुआ था शोर्य और मानिक के साथ? आगे जाने के लिए कॉमेंट की बरसाद कीजिए❤️🥰 Jay bajrangbali 🙏💞jay mahakal🙏❤️
हेलो दोस्तो कहानी के शहर में आपका स्वागत है उम्मीद है सब ठीक होगे.…..... अपना कीमती वक्त निकाल कर कॉमेंट जरूर कीजिएगा.......🥰...........................................................................................................।. अब तक हमने देखा................................................................................। रात के अंधेरे में, वैसे तो कहा जाता है की मुंबई शहर कभी नही सोता लेकिन इस कभी ना सोने वाले शहर में गुनाह चुपके चुपके हो ही जाता है,इन गुनाहों की रात के लिए माफिया में कदम रखा, "रेड टायलाइट" की गैंग माफिया वर्ल्ड में सबसे आगे सबसे ताकतवर थी। "आज 3 बजे जो ड्रग्स डील ठाकुर के लोग करने वाले थे उन्होंने अपनी जगह बदल ली है।" शिव माफिया की दुनिया में एक गेहरा नाम,दिखने में कठोर साथ ही आवाज में भी कठोरता, उम्र होगी यही कोई 28 साल, रेड टायलाइट टीम के हेड "रेड टाईगर" का सबसे ख़ास सबसे पास है। "उसने जगह बदली है तुम लोग बदलो।" रेड टायगर ने कहा और वहां से चला गया शिव समझ गया की अब उसे क्या करना है। इन सबका कोई ना कोई अतीत है,लेकिन क्या?आखिर कोन है ये रेड टायगर?अनीशा की जिंदगी क्या ऐसी ही रहेगी?आखिर क्या हुआ था शोर्य और मानिक के साथ? अब आगे...........................................................................................................। अनिशा अपने कमरे मे खिड़की के पास खड़ी हो कर चाँद को देख रही थी रात के 12 बजे भी उसकी आँखों मे नींद नहीं थी दरसल उसे नींद की प्रॉबलम थी अक्सर उसे नींद ही नहीं आती थी उसे गोली लेनी पड़ती ताकि वो कुछ घंटे तो कम से कम सो सके। "जो समझे हमे आग से हम तो है अंदर से राख से, कोई कहे पत्थर का बना कोई कहे बेरहम है हम, ना जाने कोई मेरा गम हम भी तो थे कभी फूल से।" अनिशा की आँखों मे उसके बचपन की जो यादे थी उसे वो चाह कर भी कभी भूल नहीं सकती थी,वो कहते है ना हर गुनह गार बचपन से गुनाह नहीं जानता ये दुनिया ही है जो उसे गुनाह करवाती है और फिर मारती है। "तुम सोई नहीं अभी तक?क्या नींद की गोली नहीं ली तुमने?" "वीर महेश्वरी" अनिशा के बचपन का इकलोता दोस्त जो उसके बदलने के बाद भी उसके साथ है,इनकी दोस्ती बोहोत ही अजीब थी वीर के पापा एक जाने आने बिजनेसमेन थे लेकिन वीर की अपने पापा से नहीं बनती थी वो अनिशा के साथ ही रहता था। "काम की बात करो इस वक्त तुम मेरे कमरे मे क्या कर रहे हो?" अनिशा ने सीधे मुद्दे पर आते हुए कहा। "वो..वो..मे तो वो मुझे 1 करोड़ चाहिए।" वीर ने पहले इधर उधर देखा फिर जल्दी से बोल दीया। "क्या?लेकिन क्यू?" अनिशा थोड़ी हेरान जरूर थी लेकिन शायद उसे इस बात का अंदाजा हो गया था की वीर को पेसे क्यू चाहिए। "वो मेरे एक दोस्त की मा खतरे मे है इसलिए।" वीर ने जल्दी से बोल दिया जेसे उसने ये याद किया हो कई बार। "अच्छा तो इसमे मे पेसे क्यू दु अगर तुम्हारे दोस्त की मा की जान खतरे मे है तो,इसमे मेरा क्या फायदा?" अनिशा ने अपनी एक आइब्रो ऊपर उठाते हुए कहा। "अपने महाकाल से तो डरो,तुम्हें किसी की मदद करने मे भी अपना फायदा देखना है अरे दया करो बेशर्म ऑरत वहाँ एक मा की जान खतरे मे है।" वीर ने फूल ऑन नोटंकी करते हुए कहा। "अच्छा तो क्या तुम्हें ये पेसे मेनका के लिए नहीं चाहिए?" अनिशा ने सोफ़े पर बेठते हुए कहा,वीर हेरान हो गया। "अ हा..ना मतलब तुम्हें केसे पता? वीर का सवाल सुन अनिशा के चेहरे पर मुस्कान आ गई। "क्युकी अभी तुम्हारी होने वाली सास आई थी और यहाँ पर अपनी बेटी के लिए ड्रामा कर के गई है।" अनिशा अपनी चाची यानि की उर्मिला सिंघानिया की बात कर रही थी। "क्या मोम यहाँ आई थी?अच्छा तो तुमने उन्हे पेसे दिए कि नहीं?" वीर ने कहा तो अनिशा ने अपनी आंखे छोटी कर के उसे घूरा,जिसके बाद वीर ने अपनी बत्तीसी दिखा दी। "अच्छा मतलब उन्हे नहीं दिए,लेकिन मुझे तो दोगी ना?"मेरी प्यारी दोस्त।" वीर ने क्यूट सा चेहरा बना कर कहा वेसे तो वीर बोहोत ही ज्यादा क्यूट दिखता था कोई भी उसे देखे तो पिघल जाए लेकिन अनिशा तो अनिशा थी वो केसे पिघल सकता था। "और तुम्हें ऐसा क्यू लगता है?" अनिशा ने अपना हाथ अपनी ठुड्डी पर रखते हुए कहा, वीर की हसी अब गायब हो चुकी थी। "तो क्या तुम अपने दोस्त की मदद नहीं करोगी,आखिर ये मेरी हो ने वाली पत्नी के करियर का सवाल है या हो सकता है प्रोडक्शन वाले केस भी करे, उसे जेल भी जाना पड़े यार केसी इनसान हो तुम?" वीर ने छोटे बच्चों की तरफ रोते हुए कहा,वीर अनिशा की चचेरी बहन मेनका से बेहद प्यार करता था उनकी सगाई भी हो चुकी थी मेनका भी वीर से बोहोत प्यार करती थी लेकिन उसमे दिमाग थोड़ा कम था। अगर वीर सिर्फ अनिशा का दोस्त होता तो उर्मिला इस शादी के लिए कभी नहीं मानती,ना ही कभी सिंघानिया परिवार मानता,लेकिन वीर इकलोता बेटा था आज नहीं तो कल उसके पापा के बाद वीर का ही सब होने वाला था। "ठीक है पेसे दूँगी लेकिन एक शर्त है मेरी।" अनिशा की बात सुन कर वीर हेरानी से उसे देखने लगा ये ऑरत कितनी चालक थी। "तुम मे शर्म नाम की चीज है भी या बेच कर तुमने होटल खरीद लिया,देखो मुझे सब पता है तुमने कल क्या किया था एक तो तुमने मोम के साथ धोखा किया ऊपर से अब तुम शर्त रख रही हो हद है।" वीर ने मुह फुलाये हुए कहा,वो आज काफी गुस्से मे था। "ओह अच्छा तो जाओ जा कर पुलिस को बताओ की मेने गलत किया है तुम्हारी उस कमीनी मोम ने नहीं।" अनिशा ने अपनी नींद की गोली पी और सोने चली गई। "ओके मुझे शर्त मंजूर है।" वीर ने गुस्से से पेर पटकते हुए कहा,अनिशा के चहरे पर मुस्कान आ गई। -----------::::::::::फ्लेशबेक:::::::::::::-----------एक दिन पहले अनिशा के घर रात का समय था। अनिशा अपने स्टडी रूम मे थी,तभी वहाँ एक नॉकर आया। "मेडम आपसे मिलने आपकी चाची आई है।" उस नॉकर ने कहा और वहाँ से चला गया। "वो लोमड़ी यहाँ क्या कर रही है?" अनिशा ने खुद से कहा और बाहर निकली,उर्मिला लिविंग रूम मे सोफ़े पर बेठ कर बस उसी का ही इंतजार कर रही थी। "अरे अनिशा बेटा केसी हो तुम?देखो तो कितनी पतली हो गई हो तुम कुछ खाया पिया करो बेटा या घर आ जाया करो मे तुम्हें अपने हाथों से खिलाऊँगी।" उर्मिला के चेहरे सो शहद टपक रहा था अनिशा को लग रहा था जेसे खईओ वो हार्ट अटेक से मर ना जाए। "रहने दो वरना कही मुझे डायबीटीस ना हो जाए,अब मुद्दे पर आओ वरना मे जाती हु मेरे पास बोहोत काम है वो क्या है ना वेली नहीं हु दूसरों की तरह।" अनिशा की बात सुन उर्मिला को गुस्सा तो बोहोत आ रहा था लेकिन वो क्या करती,उसके पेरिवार मे से तो उसकी बेटी के लिए कोई पेसे देने से रहा। "हाहाहा...तुम ये क्या बोल रही हो बेटा,मे तो तुम्हें अपना मान कर बस एक छोटी सी मदद मांगने आई थी,तुम जेसे अपने पेरो पर खड़ी हुई वेसे मेनका भी अपना नाम बॉलीवुड मे बनाना चाहती है,लेकिन डाइरेक्टर पेसे मांग रहा है तो मुझे तुमसे 60 लाख चाहिए,तुम तो समझ सकती हो ना उन लोगों ने तुम्हें भी सपोर्ट नहीं किया और अब मेनका को भी नहीं कर रहे लेकिन मे तो उसकी मा हु ना मुझे तो कुछ ना कुछ करना ही होगा।" उर्मिला ने बड़े ही दुखी हो कर ये सब कहा। "ओह सो सेड मेरी तो आंखे ही भरी आई,ठीक है मे पेसे देती हु लेकिन आप मुझे ये पेसे वापिस दोगी इसके लिए आपको एक कॉन्ट्रेक्ट साइन करना होगा और एक वीडियो भी वरना क्या पता आप पेसे ले कर रफूचक्कर हो जाओ।" अनिशा ने कहा तो उर्मिला को गुस्सा तो आया लेकीन अभी उसके पास कोई रास्ता नहीं था,वो माँ गई,अनिशा से चेक ले कर वो वहाँ से चली गई। उसके जाते ही अनिशा ने किसी को कॉल किया। "घर से चेक ले जाओ और हा याद रखना ये चेक उसी समर पर पास होना चाहिए जीस टाइम पर अविराज प्रोडक्शन मे से कोई बेंक जाए समझ आई मेरी बात।" अनिशा के चेहरे पर ईवल स्माइल थी,उसकी चालाकी कोई नहीं पकड़ सकता था ना ही वो सुबूत छोड़ती अपने पीछे। --------------:::::::::::::::फ्लेश बेक एंड:::::::::::::------------------ "पेसे भी नहीं दिए और उधारी का कोन्टरेकट भी हाथ आ गया,और अब वीर भी मेरा काम खुशी खुशी करेगा।" अनिशा ने कहा तब तक उसकी आंखे बंद होने लगी शायद ये गोली का असर था। वही वीर भी अपने कमरे मे गुस्से से ही सही लेकिन सो गया उसने आज णा जाने कितनी ही गालिया अनिशा को दे दी थी। आखिर क्या थी अनिशा की शर्त?वीर इतना परेशान क्यू है? क्या सच मे अनिशा इतनी बुरी है? आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ...............................................जय महाकाल......................................................जय बजरंग बलि............................................................कॉमेंट करना ना भूले...............................................................।
हैलो दोस्तो कहानी के शहर में आपका स्वागत है उम्मीद है सब ठीक होगे...... अपना कीमती वक्त निकाल कर कॉमेंट जरूर कीजिएगा.......🥰...........................................................................................................................................................।....।
अब तक हमने देखा...।....
"हाहाहा...तुम ये क्या बोल रही हो बेटा,मे तो तुम्हें अपना मान कर बस एक छोटी सी मदद मांगने आई थी,तुम जेसे अपने पेरो पर खड़ी हुई वेसे मेनका भी अपना नाम बॉलीवुड मे बनाना चाहती है,लेकिन डाइरेक्टर पेसे मांग रहा है तो मुझे तुमसे 60 लाख चाहिए,तुम तो समझ सकती हो ना उन लोगों ने तुम्हें भी सपोर्ट नहीं किया और अब मेनका को भी नहीं कर रहे लेकिन मे तो उसकी मा हु ना मुझे तो कुछ ना कुछ करना ही होगा।" उर्मिला ने बड़े ही दुखी हो कर ये सब कहा।
"ओह सो सेड मेरी तो आंखे ही भरी आई,ठीक है मे पेसे देती हु लेकिन आप मुझे ये पेसे वापिस दोगी इसके लिए आपको एक कॉन्ट्रेक्ट साइन करना होगा और एक वीडियो भी वरना क्या पता आप पेसे ले कर रफूचक्कर हो जाओ।" अनिशा ने कहा तो उर्मिला को गुस्सा तो आया लेकीन अभी उसके पास कोई रास्ता नहीं था,वो माँ गई,अनिशा से चेक ले कर वो वहाँ से चली गई।
उसके जाते ही अनिशा ने किसी को कॉल किया।
"घर से चेक ले जाओ और हा याद रखना ये चेक उसी समर पर पास होना चाहिए जीस टाइम पर अविराज प्रोडक्शन मे से कोई बेंक जाए समझ आई मेरी बात।" अनिशा के चेहरे पर ईवल स्माइल थी,उसकी चालाकी कोई नहीं पकड़ सकता था ना ही वो सुबूत छोड़ती अपने पीछे।
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"पेसे भी नहीं दिए और उधारी का कोन्टरेकट भी हाथ आ गया,और अब वीर भी मेरा काम खुशी खुशी करेगा।" अनिशा ने कहा तब तक उसकी आंखे बंद होने लगी शायद ये गोली का असर था।
वही वीर भी अपने कमरे मे गुस्से से ही सही लेकिन सो गया उसने आज ना जाने कितनी ही गालिया अनिशा को दे दी थी।
अब आगे...........................................................................................................।
रात के तीन बज रहे थे,दरिया किनारे बड़े बड़े बॉक्सिस को ले कर कुछ लोग जहाज पर चढ़ रहे थे,ये वो शिप थी जिससे की ड्रग्स मुंबई से भारत के कोने कोने मे पोहचाया जाता था।
"चलो ये हो जाए ना तो मे जाऊ छूटी पर गोवा,कई दिनों से इनजॉय नहीं किया यार।" "फिरोज़ खान" उम्र 38 साल,बचपन से ही जुर्म की दुनिया मे पला बड़ा,अब अपने भाई का काम संभालता था, समंदर का बेताज बादशा जो पानी के रास्ते स्मग्लिंग के लिए जाना जाता था।
"क्यू नहीं! अब मे भी बोहोत थक गया हु, सोच रहा हु साथ ही चलू।" फिरोज़ के साथ खड़े एक आदमी ने कहा।
"चलो सब समान तो रखवा दिया अब हम चलते है खुदा हाफ़िज़।" फिरोज़ ने कहा।
"खुदा हाफ़िज़ भाई जान,बादशाह सलामत को हमारा सलाम कीजिएगा।" उस आदमी ने झुक कर कहा जो फिरोज़ के साथ बात कर रहा था।
"इतनी भी क्या जल्दी है है जाने की अभी तो हमसे मुलाकात बाकी है मेरी जान।" शिप से एक आवाज आई सब इधर उधर देखने लगे फिर जेसे ही ऊपर देखा सब चोंक गए,शिप के टॉप पर तीन लोग खड़े थे,और वो आवाज उस बीच मे खड़े इंसान की थी।
"कोन हो तुम और यहाँ क्या कर रहे हो।" फिरोज़ ने कहा।
"तुम्हारी मोत हु मे,और यहाँ मे तुम्हारी जान लेने आया हु और कुछ जानना है?" उस बीच मे खड़े आदमी ने कहा और जट से अपनी गन निकाल कर शूट करने लगा,फिरोज़ के आदमियों ने भी अपनी गन निकाल ली और चारों तरफ बस शूट आउट की ही आवाज सुनाई दे रही थी।
"ये ये तो 'रेड टायलाइट' टीम है,अब हम जिंदा नहीं रहेंगे मे तो जा रहा हु।" फिरोज़ के साथ जो आदमी अभी बात कर रहा था उसने उन लोगों को पहचान लिया और भागना चाहा लेकिन फिरोज़ ने ही उसे गोली मार दी।
"हमारे धंधे मे डर कर भागना मरने के बराबर है तो मर ही जा कमीने।" फिरोज़ ने कहा और गोली चलाने लगा।
कुछ ही देर मे सब मारे गए,शिव फिरोज़ की तरफ बढ़ने लगा,फिरोज़ की अब सारी गोलियां खत्म हो चुकी थी,फिरोज़ बोखला गया उसके सामने तीन लोग खड़े हुए थे उसकी जान लेने के लिए।
"तुम बच सकते हो अगर अपने भाई का पता बता दो तो।" रेड टायगर यानि की रेड टायलाइट की टीम के हेड ने कहा।
"कभी नहीं अपने भाई जान से गद्दारी कभी नहीं।" फिरोज़ ने कहा तो शिव ने जल्दी से अपनी गन मे गोलीय लोड की और सारी की सारी फिरोज़ के शरीर मे उतार दी।
"उम्मीद है तुम जहन्नुम मे जाओगे।" रेड टायगर ने कहा और वो तीन लोग वहाँ से जाने लगे,वो तीसरा इंसान जो शिव और हेड के साथ आया था वो एक बार अच्छे से उस जगह को देखता है की कही कोई सबूत तो नहीं है ना उनके खिलाफ,जाते जाते उसने एक चील का पंख वही छोड़ दिया और वहाँ से चला गया।
"मिशन सक्सेस फूल।" रेहान रेड टायलाइट की टीम का तीसरा सबसे खास मेम्बर हमेशा ये तीन ही होते खास मिशन पर,रेहान जितना चालाक था उतना ही वो इमोशनल भी था इसलिए शिव हमेशा उसके साथ रहता कही कोई गलती ना हो जाए उससे लेकिन अब रेहान पहले से काफी समझदार हो गया था।
अगली सुबह,
अनीशा तैयार हो कर अपने होटल के लिए निकल ही रही थी की तभी उसका फ़ोन रिंग हुआ,अनिशा ने स्क्रीन को देखा और एक लंबी साँस छोड़ी ना चाहते हुए भी उसने कॉल पीक किया।
"तुम चाहती थी ना की मे तुम्हारी बड़ी मा को डाइवॉरस् दे दु,तो उसके लिए मे तैयार हु लेकिन मेरी एक शर्त है।" "हिमेश सिंघानिया" अनिशा के बड़े पापा और सिंघानिया परिवार का बड़ा बेटा,उनके कोई बच्चे नहीं थे जिसका हर ताना अनिशा की बड़ी मा यानि की "देविका हिमेश सिंघानिया" को ही सुननें को मिलता अनिशा चाहती थी जब उसने अपनी पहचान बनाई तो उसकी बड़ी मा भी उसके साथ आ कर रहे लेकिन हिमेश ने उसे तलाख देने से मना कर दिया था,क्युकी अगर वो चली जाती तो उनकी मार कोन सहन करता।
"ठीक है बोलिए क्या चाहिए?" अनिशा ने एक दम कोल्ड आवाज मे कहा।
"घर आओ पेहले।" हिमेश ने कहा और कॉल काट दिया,अनिशा ने घड़ी मे टाइम देखा और सिंघानिया होऊस के लिए निकल गई।
सिंघानिया परिवार मुंबई शहर का जाना माना परिवार अक्सर इनकी खबर्रे अखबार मे छाई रहती,अनिशा सिंघानिया को कोन नहीं जानता,सबसे बड़ी बिजनेस वुमेन जो अपने ही परिवार की राईवल है,हर दिन कोई ना कोई खबर छपती रहती।
"उसूल रहा है दुनिया का,जब भी मुसीबत आई है,
सबसे पेहले अपनों ने ही खंजर मारे है....।" अनिशा कार की सीट से अपना सर टिकाए बेठी थी,कार सिंघानिया परिवार के बंगलों पोहचि जो की दिखने मे बेहद खूबसूरत था,आसपास रंग बेरंगी फूलों से घिरा हुआ एक शानदार बंगलों,जो दिखने मे किसी राजा शाही इमारत की तरह लग रहा था था,कहा जाता था की अंग्रेज उस पेलेस मे अक्सर अपनी छूटिया बिताने आते थे,ऐन्टिक चीजों औरे खूबसूरत तरीके से बना वो बंगलों अपने आप मे ही एक अजूबा था।
"सनराइज पेलेस" मे,
"शोर्य देख ये तेरी ड्रॉइंग बुक और कलर्स सब यही रखे है ओके,अब मे निकल रहा हु होटल के लिए तु अपना ख्याल रखना।" मानिक ने अपना बेग उठाया ही था की तभी उसका फोन रिंग हुआ,स्क्रीन पर भाभी लिखा था।
"हैलो।" मानिक ने कुछ देर रुक कर कॉल पीक किया।
"केसा है तू? कुछ खाया? शोर्य ठीक है ना ? कही तुझे परेशान तो नहीं करता? क्या तू यहाँ वापिस नहीं आ सकता ? भूल जा ना बुआ की बातों को? आ जाना वापिस घर।" "भाविका मेहता" मानिक के बड़े भाई "धीरज मेहता" की पत्नी इनका रिश्ता देवर भाभी जेसा बिल्कुल नहीं था, एक मा और बेटे की तरह था भाविका की आंखे नम हो गई बोलते बोलते।
"भाभी बुआ की बात गलत कहा थी,मे तब तक घर नहीं लोटूँगा जब तक शोर्य ठीक नहीं हो जाता वो तो अब तक ये समझता है की मा पापा जिंदा है मुझे समझ नहीं आता केसे बताऊ उसे की मा पापा अब इस दुनिया मे....[कहते कहते मानिक की आँखों मे आँसू आ गए] आप बस अपना,भाई और चीकू का ख्याल रखिए हमारी फिक्र मत कीजिए यहाँ मे और शोर्य दोनों ही ठीक है।" मानिक ने अपने आप को संभाल कर कहा।
"केसे ना करू फिक्र,तुम दोनों को मेने अपने बच्चे से कम नही समझा कभी सबसे पहले तुम दोनों ही थे जिन्होंने मुझे मा होने का एहसास करवाया,अगले महीने चीकू का जन्म दिन है वो 5 साल का हो जाएगा उम्मीद करती हु तुम दोनों आओगे।" भाविका ने कहा और कॉल काट दिया,मानिक ने एक गहरी साँस भरी और वहाँ से निकल गया।
💕💕आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ...............................................।जय महाकाल....जय बजरंग बलि................................................जय महाकाल...।....।कॉमेंट करना ना भूले...।....।💕💕
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे......कहानी को पढ़ कर ऐसे ही ना निकले कॉमेंट करके जाना यार🙁.............
अब तक हमने देखा.............................
"शोर्य देख ये तेरी ड्रॉइंग बुक और कलर्स सब यही रखे है ओके,अब मे निकल रहा हु होटल के लिए तु अपना ख्याल रखना।" मानिक ने अपना बेग उठाया ही था की तभी उसका फोन रिंग हुआ,स्क्रीन पर भाभी लिखा था।
"हैलो।" मानिक ने कुछ देर रुक कर कॉल पीक किया।
"केसा है तू? कुछ खाया? शोर्य ठीक है ना ? कही तुझे परेशान तो नहीं करता? क्या तू यहाँ वापिस नहीं आ सकता ? भूल जा ना बुआ की बातों को? आ जाना वापिस घर।" "भाविका मेहता" मानिक के बड़े भाई "धीरज मेहता" की पत्नी इनका रिश्ता देवर भाभी जेसा बिल्कुल नहीं था एक मा और बेटे की तरह था भाविका की आंखे नम हो गई बोलते बोलते।
"भाभी बुआ की बात गलत कहा थी,मे तब तक घर नहीं लोटूँगा जब तक शोर्य ठीक नहीं हो जाता वो तो अब तक ये समझता है की मा पापा जिंदा है मुझे समझ नहीं आता केसे बताऊ उसे की मा पापा अब इस दुनिया मे....[कहते कहते मानिक की आँखों मे आँसू आ गए] आप बस अपना,भाई और चीकू का ख्याल रखिए हमारी फिक्र मत कीजिए यहाँ मे और शोर्य दोनों ही ठीक है।" मानिक ने अपने आप को संभाल कर कहा।
"केसे ना करू फिक्र,तुम दोनों को मेने अपने बच्चे से कम नही समझा कभी सबसे पहले तुम दोनों ही थे जिन्होंने मुझे मा होने का एहसास करवाया,अगले महीने चीकू का जन्म दिन है वो 5 साल का हो जाएगा उम्मीद करती हु तुम दोनों आओगे।" भाविका ने कहा और कॉल काट दिया,मानिक ने एक गहरी साँस भरी और वहाँ से निकल गया।
अब आगे............................
मानिक होटल पोहचा रोज के मुकाबले आज का महोल थोड़ा गरम लग रहा था,मानिक सोच रहा था की आखिर हुआ क्या है आज सबको,ना कोई बात कर रहा है ना ही कोई हसी मज़ाक चल रहा था,वो चुप चाप किचन मे गया जहा हेड शेफ मिस्टर "राधेश्याम वाघेला" जो काफी तीखे मिजाज़ के थे।
"गुड मॉर्निंग हेड।" मानिक ने झुक कर कहा।
"तो अब मॉर्निंग हुई है आपके शहर मे जूनियर शेफ? हमारे यहाँ तो आधे घंटे पहले ही हो गई और हम आ भी गए,और तुम सब क्या देख रहे हो मुझे जल्दी हाथ चलाओ आज हमारे खास मेहमान आने वाले है मेनेजर ने कहा है उन्हे कोई भी शिकायत का मोका नहीं मिलना चाहिए।" राधेश्याम जी ने कहा,उनकी बढ़ती उम्र के साथ उनका बिहेवीयर बिगड़ता जा रहा था,वो कहते है ना बुढ़ापे मे लोग बच्चे बन जाते है।
"सॉरी शेफ आगे से देरी नहीं होगी।" मानिक ने माफी मांगी और अपना ड्रेस पहन कर काम पर लग गया।
"rv...rv सुना क्या आपने कल रात को क्या हुआ?" किचन मे दोड़ती हुई आई और सीधे राधेश्याम जी के पास आ कर रुकी,वो लड़की दिखने मे एक कॉलेज स्टूडेंट लग रही थी,उसकी बात सुन कर राधेश्याम जी ने उसे घूर कर देखा,मानिक को हंसी आ रही थी आखिर यही तो थी जो rv यानि की राधेश्याम जी के सामने कुछ बोल सकती थी।
"कितनी बार कहा है तुमसे हर्षिता की मेरा नाम पूरा लिया करो या फिर हेड कहा करो,ये rv rv मुझे सही नहीं लगता और क्या ही हुआ होगा कल रात कयामत तो नहीं आई ना?" राधेश्याम जी की डांट का हर्षित पर कोई असर नहीं होता था,लेकिन रात वाली बात के ठंडे रिएक्शन को देख हर्षित को अच्छा नहीं लगा।
"अरे कयामत ही समझो,rv मे बताती हु कल रात क्या हुआ आज के न्यूज मे है हर जगह की कल रात पुलिस ने बोहोत सारे ड्रग्स जप्त कीये और जीस जगह से उन्हे वो ड्रग्स मिले वही पर कुछ लोग मरे हुए भी थे जिन मे से एक था फिरोज़ खान भी था वो जिसको पुलिस कितने वक्त से ढूंढ रही थी,पता नहीं कोन आया और उनको मार कर चला गया।" हर्षिता की बात सुन सभी उसकी तरफ देखने लगे ये हादसा आम तो नहीं था,फिरोस खान को मारना एक बोहोत बड़ी बात थी ये किसने किया था ये अब तक राज था।
"इन सब बातों से हमारा क्या लेना देना चलो हम अपना काम करते है।" मानिक ने कहा तो सभी ने हामी भरी और सब अपने अपने काम मे लग गए।
"हाय मानिक सर आपको कुछ चाहिए पानी या जूस?" हर्षिता ने बड़े ही प्यार से पूछा और ये उसका काम भी था स्टाफ को हर वो चीज देना जिसकी उनको जरूरत हो, लेकिन हर्षिता के बिहेवीयर से ऐसा लग रहा था जेसे वो मानिक को पसंद करती है और करे भी क्यू ना आखिर मानिक था ही एक दम ग्रीक गॉड की तरह तो ये आम बात थी।
"नहीं कुछ नहीं चाहिए पूछने के लिए शुक्रिया।" मानिक ने बिना उसकी तरफ देखे कहा और अपने काम मे लग गया।
सिंघानिया पेलेस जिसका नाम था "शांति सदन" ये नाम अनिशा की परदादी के नाम पर था।
अनिशा जेसे ही घर के अंदर ऐन्टर हुई वो एक लड़के से टकरा गई उसने खुद को तो संभाल लिया लेकिन वो लड़का गिर गया।
"अनिशा कही तुम्हें लगी तो नहीं।" वो लड़का उठा और खुद की बजाय अनिशा को देखने लगा की कही उसे कोई चोट तो नहीं लगी।
"'ओह नो गिरे हुए लोग और गिर गए,अपनी ये फिक्र अपनी फेमिली को दिखाना मुझे नहीं समझे नाजायज कही के।" अनिशा के कडवे शव्द किसी तीर से काम नहीं थे,वो लड़का बस आँखों मे पानी लिए अनिशा की बात सुनता गया।
"अनिशा तुम्हारी हिम्मत केसे हुई मेरे बेटे से इस तरीके से बात करने की,यहाँ आओ श्रवण वहाँ उस मनहूस के पास मत खड़े रहो।" दामिनी ने उस लड़के यानि श्रवण को अपने पास आनए को कहा,वो लड़का चुप चाप वहाँ से बाहर निकल गया।
"ओह तो अब एक नॉकर भी मालिक के सामने भोंकने लगे,लगता है तुम्हें किसी ने सिखाया नहीं की मालिक के सामने सर और आखे दोनों ही झुकी होनी चाहिए।" अनिशा की बात ने दामिनी का गुस्सा और बढ़ा दिया था।
"तुम होती कोन हो हा मुझे नॉकर बोलने वाली,जिसे उसका खुद का परिवार नहीं अपनाना चाहता वो अब मुझे सलाह देंगी हा।" दामिनी ने गुस्से से कहा।
"और अब क्या मेरे इतने बुरे दिन आ गए है की मे अपनी बाप की रखेल से बात करू[उसके चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान थी] नो नेवर,मिस्टर हिमेश सिंघानिया....[वो जोर से चिल्लाई]बाहर आओ।" अनिशा की चीख सुन सब बाहर आने लगे,दामिनी को ऐसा महसूस हुआ उसकी छोटी सी मुस्कान देख कर जेसे वो उसका मज़ाक उड़ा रही हो,दरसल जब कुछ सालों पहले अनिशा के पिता की मोठ हो गई थी एक एक्सीडेंट मे तब उन्हे पता चला था की उनकी सेकेटरी दामिनी से उन्हे एक बेटा है श्रवण,परिवार की इज्जत और पोते के मोह मे अनिशा के दादा "रघुनाथ सिंघानिया" के कहने पर अनिशा की मा ने उस लड़के को अपना नाम दिया की उन्होंने श्रवण को जन्म दिया है।
"तुम्हारी इतनी हिम्मत....।" दामिनी ने जेसे ही अनिशा पर हाथ उठाने की कोशिश की अनिशा ने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया।
"यहाँ क्या हो रहा है?" रघुनाथ जी ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा,बाकी सब के मन मे भी यही सवाल चल रहा था।
"क्या सिंघानिया साहब,आप अपने मेहमानों को बुला कर ऐसा स्वागत करते है क्या? ये मुझे नहीं पता था।" अनिशा ने दामिनी का हाथ जटक दिया,दामिनी के चेहरे से पता चल रहा था की उसे कितना दर्द हो रहा था,अनिशा की बात से रघुनाथ जी को गुस्सा तो बड़ा आया लेकिन अभी उन्होंने कुछ ना बोलना ही सही समझा।
"तो बोलिए आप को क्या चाहिए बड़ी मा से डाइवॉरस् के बदले।" अनिशा ने अपने कदम हिमेश सिंघानिया की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
"डाइवॉरस् के बदले शादी।" अनिशा के पीछे से आवाज आई उसने मूड कर देखा तो ये उसकी मा थी जिससे वो सबसे ज्यादा नफरत करती थी,"मनीषा दिनेश सिंघानिया" जब से मनीषा ने अपनी पहचान और हाय फाय स्टेटस के लिए अपने मरे हुए पति के नाजायज बेटे को अपनाया था तब से अनिशा की नज़रों मे उसकी मा गिर चुकी थी।
अब क्या करेगी अनिशा? डाइवॉरस् के बदले शादी?ये क्या बवाल है? क्या अनिशा मान जाएगी?
आगे जाने के लिए कॉमेंट की बरसाद कीजिए❤️🥰
Jay bajrangbali 🙏💞jay mahakal🙏❤️
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब कहानी के इस शहर मे आपका सवागत है उम्मीद करती हु सब ठीक होंगे...।....अपना कितमी वक्त निकाल कर कॉमेंट करना ने भूले...।....।
अब तक हमने देखा...।....।
"तुम्हारी इतनी हिम्मत....।" दामिनी ने जेसे ही अनिशा पर हाथ उठाने की कोशिश की अनिशा ने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया।
"यहाँ क्या हो रहा है?" रघुनाथ जी ने सीढ़ियों से नीचे आते हुए कहा,बाकी सब के मन मे भी यही सवाल चल रहा था।
"क्या सिंघानिया साहब,आप अपने मेहमानों को बुला कर ऐसा स्वागत करते है क्या? ये मुझे नहीं पता था।" अनिशा ने दामिनी का हाथ जटक दिया,दामिनी के चेहरे से पता चल रहा था की उसे कितना दर्द हो रहा था,अनिशा की बात से रघुनाथ जी को गुस्सा तो बड़ा आया लेकिन अभी उन्होंने कुछ ना बोलना ही सही समझा।
"तो बोलिए आप को क्या चाहिए बड़ी मा से डाइवॉरस् के बदले।" अनिशा ने अपने कदम हिमेश सिंघानिया की तरफ बढ़ाते हुए कहा।
"डाइवॉरस् के बदले शादी।" अनिशा के पीछे से आवाज आई उसने मूड कर देखा तो ये उसकी मा थी जिससे वो सबसे ज्यादा नफरत करती थी,"मनीषा दिनेश सिंघानिया" जब से मनीषा ने अपनी पहचान और हाय फाय स्टेटस के लिए अपने मरे हुए पति के नाजायज बेटे को अपनाया था तब से अनिशा की नज़रों मे उसकी मा गिर चुकी थी।
अब क्या करेगी अनिशा? डाइवॉरस् के बदले शादी?ये क्या बवाल है? क्या अनिशा मान जाएगी?
अब आगे...।....।
अनिशा को लगा ही था की जरूर कुछ तो डाल मे काला है लेकिन उसे ये नहीं पता था इन लोगों ने डाल लाल पीली कर दी है।
"तो इस उम्र मे आपको दूसरी शादी करनी है? शोख से कीजिए इसका मुझसे क्या लेना देना।" अनिशा ने अपनी मा से एक दम कूल अंदाज़ मे कहा,दामिनी और उर्मिला दोनों को ही अनिशा की बात पर हंसी आ गई उन दोनों ने एक दूसरे को हाय फाय देने के लिए हाथ उठाए फिर कुछ सोच कर वापिस से दोनों ने हाथ खींच लिए।
"दिमाग तो ठिकाने है तुम्हारा मे अपनी नहीं तुम्हारी शादी की बात कर रही हु,ये रहे देविका दीदी और हिमेश भाई के डाइवॉरस् पेपर और ये रहे तुम्हारे मेरेज पेपर जेसे ही तुम इस पर साईन करोगी हिमेश भाई भी इस पर साइन कर देंगे,फेसला तुम्हारा है।" मनीषा ने टेबल पर दो पेपर रखते हुए कहा,अनिशा काफी हेरान थी।
"वाह इतनी जल्दी बकरा भी ढूंढ लिया आपने,लेकिन आपको क्या लगता है शादी कर के मे अपने पति की गुलाम बन जाऊँगी,नहीं ऐसा तो आपके सपनों मे हो सकता है,गुलाम तो उसे मे अपना बनाऊँगी ।" अनिशा ने गुस्से से कहा।
"नहीं बेटा तुम्हें बिना मर्जी के शादी करने की कोई जरूरत नहीं है।" सीढ़ियों से नीचे उतर रही देविका ने कहा,अनिशा ने जल्दी से हिमेश को पेपपर और पेन पकड़ाया और उसने भी जल्दी से साइन कर दिए इससे पहले की देविका उसे रोकती,हिमेश ने भी साइन कर दिए।
"लो हो गया काम पूरा,अब आज से मेरी बड़ी मा आजाद है और वो मेरे साथ ही रहेंगी,रहोगी ना?" अनिशा ने देविका के पास जा कर कहा,देविका की आँखों मे आँसू आ गए उसका खुद का कोई बच्चा नहीं था लेकिन अनिशा और उसका रिश्ता खून के रिश्तों से भी बढ़ कर था अनिशा उसके लिए कुछ भी कर सकती थी।
"मेरी बच्ची।" देविका ने अनिशा को गले से लगा लिया।
"दो दिन बाद डाइवॉरस् की एयरिंग है तब डाइवॉरस् फाइनल होगा।" मनीषा ने कहा,उसे अनिशा और देविका का गले लगना बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।
"ठीक है फिर मिसिस सिंघानिया दो दिन बाद मिलते है कोर्ट मे।" अनिशा ने कहा और देविका का हाथ पकड़ कर वहाँ से जाने लगी।
["दो दिन बाद एक नहीं दो डाइवॉरस् होंगे एक तो बड़ी मा का दूसरा मेरा,वेसे पता करना चाहिए की मेरा दो दिन का पति आखिर है कोन।"] अनिशा ने अपनए मन मे कहा और वीर को एक मेसेज भेजा।
ऐरिटिक स्टूडियो,
वीर मेनका की शूटिंग देखने आया था,जेसे ही मेनका का शूट खत्म हुआ मेनका सीधे वीर के पास आ गई।
"ओसम बेबी क्या एक्टिंग की है सुपर।" वीर ने मेनका के आते ही उसकी तारीफ़ों मे ताजमहल बांध दिया।
"सच मे डार्लिंग? मुझे पता ही था कोई समझे या ना समझ टूम मेरा टेलेंट जरूर समझोगे।" मेनका ने वीर के गले लगते हुए कहा,सच बात तो ये थी की एक सिम्पल से सीन मे भी मेनका ने 67 टेक्स लिए थे उसके बाद भी वीर उसकी तरफ कर रहा था जब की बाकी के करू और डाइरेक्टर का हाल बेहद बुरा था लेकिन वो अब करते भी क्या परोडीयूसर का आदेश जो था मेनका को रखने का,और वो परोडीयूसर थे हमारे वीर बाबा जिसका पता बस अनिशा को था।
अभी वो दोनों बात कर ही रहे थे की तभी वीर का फोन वाइब्रेट हुआ,वीर ने फोन देखा तो मेसेज था अनिशा का।
"अगर तुम्हारा इश्क लड़ाना बंद हो गया हो तो पता करो अपनी जारा से की मेरा पति कोन है?" ये मेसेज देख कर वीर का फोन अपनी जान देते देते बचा।
"क्या हुआ बेबी? कही उस अनिशा ने फिर तुम्हें परेशान तो नहीं किया ना?" मेनका ने गुस्से से कहा।
"नहीं बेबी वो भला मुझे क्यू परेशान करेगी उसके लिए तुम्हारी फेमिली है ना।" वीर फलों फलों मे बोल गया फिर जेसे ही उसे ये एहसास हुआ कि उसने क्या बोल है तो उसकी आंखे बड़ी हो गई और गर्दन फटाक से मेनका की तरफ घूम गई ।
"क्या मतलब था इसका?" मेनका ने वीर को घूरते हुए कहा।
"कुछ नहीं बेबी वो मे तो बस ये सोच रहा था की अनिशा का हसबेन्ड पता नहीं केसे उसके साथ रहेगा?" वीर को तो यही सोच कर हार्ट अटेक आ गया था की अनिशा की शादी हुई कब और उसे इस बारे मे क्यू नहीं पता उसे छोड़ो शादी होने के बाद भी अनिशा को क्यू नहीं पता।
"हा वो एक मिडल क्लास इंसान है उसका नाम क्या था....उम्म हा मानिक मेहता वो एक शेफ है अनिशा की ही होटल मे,बेचारी की क्या किस्मत है उसे नॉकर पसंद नहीं और अब देखो नॉकर से ही उसकी शादी हो रही है,मम्मा ने बताया था मुझे।" मेनका ने याद करते हुए कहा वो वीर को बताना भूल ही गई थी।
वीर ने जल्दी से अनिशा को मेसेज किया "जीजा का नाम है "मानिक मेहता" हमारी होटेल्स मे से किसी एक मे होटल मे वो शेफ है,थेनक्स मत बोलो मे हु ही स्मार्ट वेसे तुम्हारी स्मार्टनेस का क्या हुआ तुमने शादी की लेकिन पति का कुछ पता नहीं ये क्या बात हुई हा? "मिसिस अनिशा मानिक मेहता" ये मेसेज देख कर अनिशा का पारा हाय हो गया लेकिन आखिर के शब्दों ने उसके दिल मे एक अलग ही छाप छोड़ दी,उसने अपने मेनेजर वाले ग्रुप मे एक मेसेज सेंड किया।
"सेंड मी आल शेफस डिटेलीलस विथ फ़ोटोज़ इमिजेटली।" मेसेज ग्रुप जाते ही सब होटल के मेनेजर के चेहरे पर पसीने आ गए,सब ने जल्दी से से अपने होटल के सारे शेफ की डिटेल भेज दी।
"ओह तो ये है मानिक मेहता इसकी इतनी हिम्मत की मुझसे शादी करने के सपने देख रहा है ये।" अनिशा के टेबलेट पर मानिक की फोटो थी,अनिशा के एक्सप्रेशन उसके शब्दों से मेच नहीं हो रहे थे,उसकी नज़ारे मानिक के चेहरे पर टिक गई थी।
अब क्या करेगी अनिशा?क्या सच मे हो जाएगा इन दोनों का डाइवॉरस्? आखिर मानिक को ही क्यू चुना सिंघानिया परिवार ने?
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अब तक हमने देखा...।....।
"हा वो एक मिडल क्लास इंसान है उसका नाम क्या था....उम्म हा मानिक मेहता वो एक शेफ है अनिशा की ही होटल मे,बेचारी की क्या किस्मत है उसे नॉकर पसंद नहीं और अब देखो नॉकर से ही उसकी शादी हो रही है,मम्मा ने बताया था मुझे।" मेनका ने याद करते हुए कहा वो वीर को बताना भूल ही गई थी।
वीर ने जल्दी से अनिशा को मेसेज किया "जीजा का नाम है "मानिक मेहता" हमारी होटेल्स मे से किसी एक मे होटल मे वो शेफ है,थेनक्स मत बोलो मे हु ही स्मार्ट वेसे तुम्हारी स्मार्टनेस का क्या हुआ तुमने शादी की लेकिन पति का कुछ पता नहीं ये क्या बात हुई हा? "मिसिस अनिशा मानिक मेहता" ये मेसेज देख कर अनिशा का पारा हाय हो गया लेकिन आखिर के शब्दों ने उसके दिल मे एक अलग ही छाप छोड़ दी,उसने अपने मेनेजर वाले ग्रुप मे एक मेसेज सेंड किया।
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अब क्या करेगी अनिशा?क्या सच मे हो जाएगा इन दोनों का डाइवॉरस्? आखिर मानिक को ही क्यू चुना सिंघानिया परिवार ने?
अब आगे...।....।
होटेल "डार्क वल्ड" मे भगदड़ मची हुई थी,आज कुछ खास मेहमान जो आने वाले थे होटेल मे,मानिक और बाकी का स्टाफ सब तैयारी करने मे लगे थे तभी जो गेस्ट आने वाले थे वो भी आ गए।
"welcom sir welcome maa'm,i am "vishal desayi" the manager of this hotel,we are fortunate that you have come here" विशाल देसाई होटेल के मेनेजर ने होटेल एंड रेस्टोरेंट अप्रूवल एंड क्लासीफेक्शन कमिटी के हेड "मिस्टर श्रीवास्तव" का स्वागत किया ये कमिटी ही फेसला करती है लिगली की कॉनसा होटेल 3 स्टार है 5 स्टार है या फिर 7 स्टार है,तीन लोग आए हुए थे मिस्टर श्रीवास्तव जो की कमिटी के हेड थे उनके साथ दो और लोग थे कमिटी के मेंबर्स मिस्टर नायक और मिसिस यादव तीनों की उम्र लगभग एक सी थी 60 साल के आसपास,दिखने मे तीनों ही सख्त नजर आ रहे थे।
हालाकी जब भी इस कमिटी से कोई किसी होटेल मे जाता है तो उस होटेल के ऑनर कही से भी भाग का आ ही जाते है इनसे मिलने के लिए और अपने होटेल का टूर कराने के लिए लेकिन "डार्क वल्ड" होटेल की मालकिन "अनिशा सिंघानिया" की बात ही कुछ और थी।
"मिस अनिशा नहीं दिख रही?" मिस्टर नायक ने सीधे सवाल किया।
"वो सर मेडम on the way है,आप आईए हमारे शेफ ने आपके लिए खास तैयारी की है।" विशाल ने बात को संभाल ने की कोशिश की।
"उनके इतने सारे होटेल है इसका मतलब ये नहीं है की वो कमिटी की वेलयु भूल जाए।" मिसिस यादव ने गुस्से कहा।
"हमे होटेल को देखना है उसके ऑनर को नहीं।" मिस्टर श्रीवास्तव ने कहा और आगे चलने लगे,विशाल ने उन्हे एक पोर्श एरिया मे vip टेबल पर बैठाया।
मानिक,हर्षिता और दो और लोग अलग अलग डिश ले कर आए,पूरा टेबल अलग अलग देश की डीशीश सजी हुई थी खुशबू बेहद अच्छी आ रही थी,वेटर ने उन तीनों को सर्व किया,rv भी वही खड़े थे एक साइड वो चाहते थे की मानिक का टेलेंट निखरे इसलिए वो ये मोका मानिक को दे रहे थे।
तीनों ने टेस्ट किया,डिश का टेस्ट काफी अच्छा था ये उनके चहरे ही बता रहे थे।
"वॉव कुकिंग टेलेंट इस जस्ट वाव।" मिस्टर नायक ने मुस्कुरा कर कहा।
तभी मिसिस यादव के फोन पर एक मेसेज आया जिसे देख उनके माथे पर पसीने आने लगे,उन्होंने चुप के से अपने सर से एक बाल खिचा और अपनी डिश के साथ मिक्स कर दिया,इतनी चालक थी वो की किसी को पता तक नहीं चला।
"ओ नो ये क्या है?" मिसिस यादव ने फिर उस डिश मे रखे बाल को उठाया जो की इटालियन नूडल्स के साथ लटक रहा था स्पून पर,उस बाल को देख कर मिस्टर श्रीवास्तव और मिस्टर नायक भी खड़े हो गए।
"वोट द हेल ये सब क्या है,कोन है यहाँ का शेफ?" मिस्टर श्रीवास्तव ने गुस्से से कहा,rv तुरंत आगे आए वो नहीं चाहते थे मानिक का नाम खराब हो,अभी अभी तो उसका करियर बन रहा है।
"राधेश्याम वाघेला,आइ एम अ हेड शेफ।" rv ने आगे आते हुए कहा।
"नहीं सर ये सारी प्रिरीपरेशन मेने की है।" मानिक rv को ऐसे केसे फसने देता,वही खड़े विशाल को तो समझ नहीं आ रहा था की क्या करे।
"ये क्या हरकत है जब तुम लोग हमे ऐसा खाना दे सकते हो तो आम लोगों के साथ तो तुम क्या ही करते होंगे ब्लड़ी....।" इससे पहले की मिसिस यादव आगे कुछ बोल पाती एक कठोर आवाज हॉल मे खड़े सभी के कान मे गूंज उठी।
"इतने बड़े पद पर हो कर ऐसी लेंगवेज यूज़ करना शोभा नहीं देता मिसिस यादव।" ये आवाज थी अनिशा की,अनिशा को देख मिसिस यादव के चेहरे पर पसीना आने लगा।
"फेल गया रायता।" मानिक ने धीरे से कहा जिसे कोई सुन नहीं पाया उसे डर था कही उसकी जॉब ना चली जाए।
"ये क्या बिहेवीयर है मिस अनिशा? आपके होटेल मे ऐसी सर्विस मिलती है? देखिए खाने मे बाल है।" मिस्टर नायक ने कहा।
"मुझे मेरे होटेल की सर्विस के बारे मे बताने की आपको जरूरत नहीं है,अगर आप अपनी टीम पर ध्यान देंगे तो आपके लिए अच्छा होगा।" अनिशा की बात सुन सभी चोंक गए खास कर के मानिक,उसे समझ नहीं आ रहा था आज उसकी बॉस उनके होटेल मे केसे?
"ये क्या बकवास है मिस अनिशा? आपके पास अब भी एक मोका है अगर आप इस शेफ को निकाल देती है तो आपका होटेल बच सकता है।" मिसिस यादव ने हिम्मत करते हुए कहा,अनिशा को बस एक बात समझ नहीं आ रही थी मिसिस यादव आखिर मानिक के पीछे क्यू पड़ी है।
"मेरा होटेल है मे देख लूँगी और रही बात शेफ को निकालने की तो वो तो भूल ही जाओ।" अनिशा के इस जवाब की तो किसी को उम्मीद ही नहीं थी मानिक तो बस आंखे फाड़े बस अनिशा को ही देखे जा रहा था।
"क्या? अब एक दो कोडी के शेफ के लिए आप अपना होटेल गवाएगी?" मिसिस यादव ने हेरानी से कहा,बाकी खड़े लोगों को समझ नहीं आ रहा था यहाँ हो क्या रहा है?
"जुबान संभाल कर हेमा,पति है वो मेरा उसकी ओकात तेरी सात पुश्ते मिला कर ना हो सके उतनी है समझी,और रही बात मेरे होटेल की सर्विस की तो मिस्टर श्रीवास्तव इस पर जरा नजर डालिए।" अनिशा ने अपना फोन मिस्टर श्रीवास्तव की तरफ किया लेकिन मिस्टर श्रीवास्तव शोक मे थे आखिर ये केसे हो सकता है की एक मामूली शेफ अनिशा का पति हो,सबसे ज्यादा शोक तो हर्षिता और मानिक को खुद लगा हुआ था।
"क्या?ये कब हुआ" जेसे ही ये मानिक के मुह से निकला अनिशा की आंखे छोटी हो गई।
"मानिक आपने शादी कर ली और आपने मुझे बताया भी नहीं।" हर्षिता ने गुस्से से कहा।
"केसे बताता मुझे खुद अभी पता चला ना।" मानिक ने धीरे से कहा।
"हे क्या कहा आपने?" हर्षिता ने मानिक के करीब आ कर कहा,अनिशा ने धीरे से अपनी नजर उठाई और हर्षिता को घूरा,उसकी नजर ही काफी थी हर्षिता को मानिक से दूर करने के लिए।
मिस्टर श्रीवास्तव ने वीडियो देखा,जिसमे cctv फुटेज थी जो अभी थोड़ी देर पहले हेमा यानि की मिसिस यादव ने किया था वो साफ दिख रहा था उस वीडियो मे जिसे देखने के बाद मिस्टर श्रीवास्तव शर्मिंदा महसूस कर रहे थे।
"दिस काइन्ड ऑफ बिहेवीयर इस नोट ऐकसेपिटींग मिस्टर श्रीवास्तव।" अनिशा की कोल्ड आवाज से हर कोई डर गया,मिस्टर श्रीवास्तव ने माफी मांगी और वहाँ से गुस्से से चले गए वो उस जगह पर और तमाशा नहीं चाहते थे,मिस्टर नायक भी उनके साथ चले गए,मिसिस यादव भी वहाँ से जाने लगी धीमे कदमों से।
"तुम सबको क्या मेरा चेहरा देखने के लिए इतने पेसे देती हु,जाओ उस ऑरत को पकड़ो।" अनिशा ने अपने बॉडीगार्ड्स से कहा उन्होंने ने जल्दी से हेमा को पकड़ लिया वो चिल्लाने लगी।
"छोड़ो मुझे छोड़ो मेने कुछ नहीं किया।" हेमा रोने लगी,अनिशा धीरे से उसके पास आई,उसके हिल की आवाज से हेमा की दिल की धड़कन बढ़ रही थी।
"तुम्हें ये पहले सोचना चाहिए था,अनिशा किसी को नहीं बकश्ती,ले जाओ इसे।" अनिशा ने कहा और मानिक की तरफ बढ़ गई।
"चलो मेरे साथ।" अनिशा ने कहा और फिर मूड कर आगे बढ़ गई,मानिक अपने बॉस की बात नहीं टाल सकता था वो अनिशा के पीछे पीछे चला गया एक मासूम बच्चे की तरह...।....।
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मिस्टर श्रीवास्तव ने वीडियो देखा,जिसमे cctv फुटेज थी जो अभी थोड़ी देर पहले हेमा यानि की मिसिस यादव ने किया था वो साफ दिख रहा था उस वीडियो मे जिसे देखने के बाद मिस्टर श्रीवास्तव शर्मिंदा महसूस कर रहे थे।
"दिस काइन्ड ऑफ बिहेवीयर इस नोट ऐकसेपिटींग मिस्टर श्रीवास्तव।" अनिशा की कोल्ड आवाज से हर कोई डर गया,मिस्टर श्रीवास्तव ने माफी मांगी और वहाँ से गुस्से से चले गए वो उस जगह पर और तमाशा नहीं चाहते थे,मिस्टर नायक भी उनके साथ चले गए,मिसिस यादव भी वहाँ से जाने लगी धीमे कदमों से।
"तुम सबको क्या मेरा चेहरा देखने के लिए इतने पेसे देती हु,जाओ उस ऑरत को पकड़ो।" अनिशा ने अपने बॉडीगार्ड्स से कहा उन्होंने ने जल्दी से हेमा को पकड़ लिया वो चिल्लाने लगी।
"छोड़ो मुझे छोड़ो मेने कुछ नहीं किया।" हेमा रोने लगी,अनिशा धीरे से उसके पास आई,उसके हिल की आवाज से हेमा की दिल की धड़कन बढ़ रही थी।
"तुम्हें ये पहले सोचना चाहिए था,अनिशा किसी को नहीं बकश्ती,ले जाओ इसे।" अनिशा ने कहा और मानिक की तरफ बढ़ गई।
"चलो मेरे साथ।" अनिशा ने कहा और फिर मूड कर आगे बढ़ गई,मानिक अपने बॉस की बात नहीं टाल सकता था वो अनिशा के पीछे पीछे चला गया एक मासूम बच्चे की तरह...।....।
अब आगे...।....।
अनीशा और मानिक एक अनीशा की लग्ज़री कार मे बैठे हुए थे,अनिशा थोड़ी हेरान थी की उसका ये दो दिन का पति शायद पहली बार ऐसी लग्जरी कार मे बेठा होगा लेकिन उसके चेहरे पर ऐक्साइटमेंट जरा भी नहीं थी उस कार को ठीक से देखने की उसने अपने सामने बेठे लड़के को ठीक से देखा।
"क्या तुम्हें पता नहीं था की तुम्हारी शादी मुझसे हुई है?" अनिशा ने मानिक को घूरते हुए कहा।
"अ..नहीं पता था।" मानिक ने कुछ सेकेंड का पोज ले कर कहा।
"तो तुमने साइन केसे कर दी और किसने कहा था तुमसे साइन करने को।" अनिशा की बात सुन कर मानिक सोच मे पड़ गया।
---------:::::::::::फ्लेशबेक::::::::::------------
मानिक अपने एक दोस्त आदि के साथ आया था शोर्य के डॉक्टर के पास, "हेल्थ केर हॉस्पिटल" जो एक काफी मशहूर अस्पताल है।
"देखिए मे एक बेस्ट न्यूरॉसर्जन को जानती हु जिन्हे मे यहाँ मुंबई बुला भी लूँगी और वो ज्यादा फ़िज़ भी नहीं लेंगे क्युकी मेरे दोस्त है लेकिन फिर भी सर्जरी मे कम से कम दस लाख रुपे लगेंगे आप जल्द से जल्द अरेंज कीजिए तो हम सर्जरी की तैयारी शुरू करे।" डॉक्टर स्मृति की बात सुन कर मानिक एक पल के खामोश हो गया,दस लाख कोई मामूली रकम नहीं थी,शोर्य के ब्रेन मे एक ब्लड कलोट हो गया था जिससे उसकी जान भी जा सकती थी हा सर्जरी के बाद वो तो बच जाएगा लेकिन पहले जेसा एक ठीक हो जाएगा इसकी कोई गेरेंटि नहीं थी।
"ठीक है डॉक्टर आप बुलवाइए अपने दोस्त को मे पेसे ले कर जल्दी ही मिलूँगा।" मानिक ने कहा और खड़ा हो गया,आदि भी खड़ा हो गया।
"जल्दी कीजिएगा हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है।" डॉक्टर ने कहा क्युकी हो सकता था ज्यादा टाइम निकलने की वजह से शोर्य की जान खतरे मे आ जाए।
"तू उन पेसो का इस्तेमाल करेगा?" आदि ने धीरे से कहा।
"नहीं वो मेरे नहीं है तो इस्तेमाल भी मे नहीं कर सकता।" मानिक ने कहा और डोर खोल कर जेसे ही बाहर निकला एक लेडी से टकरा गया।
"हैलो मेरा नाम है 'मनीषा सिंघानिया' मेने तुम्हारी और डॉक्टर की बात सुनी,मे तुम्हें दस लाख दे सकती हु अगर तुम मेरी बेटी से शादी करो तो,वो थोड़ी बिगड़ी हुई है मे बस उसे सुधारना चाहती हु।" मनीषा,अनिशा की मा उस अस्पताल मे अक्सर जाती थी अपनी स्किन डॉक्टर से ट्रीटमेंट लेने।
"मंजूर है।" मानिक ने बिना सोचे समझे बोल दिया।
"बेड़ा गरक।" आदि ने अपना माथा कूटते हुए कहा।
-----------::::::::::फ्लेश बेक एंड::::::::::---------
"तो मेरी मा थी वो?" अनिशा ने एक लंबी गहरी साँस छोड़ते हुए कहा,उसे अपनी मा से तो कोई उम्मीद नहीं थी लेकिन उसे ये जान कर दुख हुआ था की मानिक ने ये शादी पेसो के लिए की है।
"हम्म...मेरा भाई बीमार है तो मे उन्हे मना नहीं कर पाया,आप इस शादी मे जितना समय चाहे ले सकती है।" मानिक ने धीमी मगर कडक आवाज मे कहा,उसकी आवाज सुन कर पता नहीं क्यू अनिशा को एक सुकून मिल रहा था।
"उन्हे पता था मे ये शादी टिकने नहीं दूँगी शायद इसलिए इस गरीब को मेरे पल्ले बांध दिया ताकि डाइवॉरस् के बाद के पेसे इसे उल्लू बना कर वो ले जाए हूह..................।" अनिशा जानती थी उसे ऐलेम्नी देनी होगी क्युकी डाइवॉरस् वो चाहती है तो उसके परिवार वाले जरूर उससे पेसे वसूल करने कई कोशिश करेगे,अनिशा ने ये सब धीरे से कहा था जिसे मानिक सुन नहीं पाया था।
"अभी हम कहा जा रहे है?" मानिक ने धीरे से कहा।
"तुम्हारे अपार्टमेंट तुम्हारे भाई को लेने उसके बाद मेरे बंगलों,आज तुम्हारा ग्रह प्रवेश जो है।" अनिशा को अपनी ही बात पर हंसी आ रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था वो उस लड़के को अपने घर क्यू ले जा रही है।
मानिक शोर्य को नीचे ले आया,अनिशा वही कार मे बैठी थी,जेसे ही शोर्य ने अनिशा को देखा उसने अनिशा को देख कर तालिया बजाई।
"वाव ये तो एक पारी है मानिक।" शोर्य ने बेठते हुए कहा,मानिक जानता था अनिशा को शोर्य का उसके क्लोज़ होना पसंद नहीं आएगा उसे ये भी डर था कही अनिशा गुस्से मे आ कर शोर्य को कुछ कह ना दे।
लेकिन अनिशा ने कुछ नहीं कहा बस अपना सर विंडो की तरफ घुमा लिया,शोर्य पूरे रास्ते कुछ ना कुछ बोलता रहा लेकिन अनिशा ने ध्यान नहीं दिया,मानिक को ये बुरा लगा था लेकिन वो कुछ नहीं कर सकता था,परसो सर्जरी थी शोर्य की कम से कम तक तक उसे शांत रहना था।
घर पोहोचते ही शोर्य खुश हो गया इतना बड़ा बंगलों उसने आज तक बस टीवी मे ही देखा था।
"येह मानिक देख रहे हो ना तुम कितना बड़ा घर है,एक दम राजा के जेसे क्या हम यही रहेंगे बोलो ना मानिक?" शोर्य आज बोहोत खुश था इसलिए उसके इमोशन्स काबू मे नहीं रह रहे थे,लेकिन अब अनिशा की बर्दाश्त की हद पार हो रही थी।
"जस्ट शट अप ओके,अब कोई आवाज नहीं और चुप चाप चलोगे तुम" अनिशा ने गुस्से से कहा उसए शोर बिल्कुल भी नहीं पसंद था,लेकिन शोर्य की आँखों मे आँसू आ गए उसने रोते हुए अनिशा को धक्का दे दिया इससे पहले की अंसीहा गिरती मानिक ने उसे संभाल लिया अनिशा की नज़ारे मानिक की नज़रों से मिली उसके दिल मे एक अलग सा एहसास हुआ,जेसे ये छुअन जानी पहचानी हो।
"तुम गंदी हो तुम परी नहीं हो सकती।" शोर्य ने कहा और रोते हुए भाग गया।
"सॉरी मेडम आइ एम रियली वेरी सॉरी,शोर्य भले ही बड़ा हो लेकिन वो दिमाग से अभी बच्चा ही है।" मानिक ने सफाई देते हुए कहा।
"इट्स ओके।" अनिशा ने कहा और वहाँ से अंदर चली गई,मानिक भी अपना और शोर्य का समान ले कर अंदर चला गया,उसने देखा हॉल मे अनिशा एक लेडी के साथ बात कर रही थी।
"तो ये है हमारे दामाद जी,बेटा हमेशा खुश रहना।" देविका जी ने कहा तो मानिक ने उनके पेर छूए।
"ये मेरी बड़ी मा है और मेरा परिवार भी यही है,एक और लड़का इस घर मे रहता है वीर जो मेरा दोस्त भी है और लीगल एड्वाइज़र भी,काम हो तो कोई भी नॉकर को बुला लेना और हा इस घर मे बोहोत से कमरे है लेकिन मेरे कमरे के आसपास ना मुझे तुम दिखने चाहिए ना ही तुम्हारा भाई समझे।" अनिशा ने जेसे आदेश दिया हो शायद वो भूल गई थी की उसकी बाडी मा उसके सामने ही खड़ी है।
"क्या पागल हो गई हो गोलू,शादी के बाद पति पत्नी अलग अलग नहीं रहते,तुम दोनों एक ही कमरे मे रहोगे ये फायनल है।" देविका जी की बात सुन कर अनिशा ने एक लंबी गहरी साँस छोड़ी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
"बेटा तुम इसकी बात का बुरा मत मानना ये पहले ऐसी नहीं थी कुछ हालत तो कुछ इंसान के चलते वो ऐसी हो गई,लेकिन मुझे यकीन है तुम आ गए हो ना तो उसे बदल दोगे।" देविका जी ने मानिक के सर पर प्यार से हाथ फेर कर कहा।
"मे कोशिश करूंगा।" मानिक ने कहा और अनिशा जीस कमरे मे गई थी उस कमरे की तरफ बढ़ गया,उसने देखा अनिशा कमरे मे नहीं थी शायद वॉशरूम मे घई होगी यही सोच कर मानिक ने अपना बेग एक साइड रखा और सोफ़े पर बेठ गया,वो कुछ सोच रहा था,उसने अपना फोन निकाला और कुछ करने लगा।
आखिर क्या होगा मानिक और अनिशा के रिश्ते का? कॉन् से पेसे की बात कर रहा था आदि?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ...।....।जय बजरंग बलि...।....।जय महकल...।....।कॉमेंट करना ना भूले...।....।
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब कहानी के शहर मे आपका स्वागत है उम्मीद है आप सब ठीक होंगे...।....।
अब तक हमने देखा...।....।
"तो ये है हमारे दामाद जी,बेटा हमेशा खुश रहना।" देविका जी ने कहा तो मानिक ने उनके पेर छूए।
"ये मेरी बड़ी मा है और मेरा परिवार भी यही है,एक और लड़का इस घर मे रहता है वीर जो मेरा दोस्त भी है और लीगल एड्वाइज़र भी,काम हो तो कोई भी नॉकर को बुला लेना और हा इस घर मे बोहोत से कमरे है लेकिन मेरे कमरे के आसपास ना मुझे तुम दिखने चाहिए ना ही तुम्हारा भाई समझे।" अनिशा ने जेसे आदेश दिया हो शायद वो भूल गई थी की उसकी बाडी मा उसके सामने ही खड़ी है।
"क्या पागल हो गई हो गोलू,शादी के बाद पति पत्नी अलग अलग नहीं रहते,तुम दोनों एक ही कमरे मे रहोगे ये फायनल है।" देविका जी की बात सुन कर अनिशा ने एक लंबी गहरी साँस छोड़ी और अपने कमरे की तरफ बढ़ गई।
"बेटा तुम इसकी बात का बुरा मत मानना ये पहले ऐसी नहीं थी कुछ हालत तो कुछ इंसान के चलते वो ऐसी हो गई,लेकिन मुझे यकीन है तुम आ गए हो ना तो उसे बदल दोगे।" देविका जी ने मानिक के सर पर प्यार से हाथ फेर कर कहा।
"मे कोशिश करूंगा।" मानिक ने कहा और अनिशा जीस कमरे मे गई थी उस कमरे की तरफ बढ़ गया,उसने देखा अनिशा कमरे मे नहीं थी शायद वॉशरूम मे घई होगी यही सोच कर मानिक ने अपना बेग एक साइड रखा और सोफ़े पर बेठ गया,वो कुछ सोच रहा था,उसने अपना फोन निकाला और कुछ करने लगा।
अब आगे...।....।
मानिक ने किसी को मेसेज किया और जेसे ही बाहर जाने के लिए सोफ़े से खड़ा हुआ उसके पेर वही जम गए,उसकी आंखे झपकना भूल गई शायद,ac मे भी मानिक के चेहरे पर पसीने आने लगे थे।
अनिशा अभी अभी सहवर ले कर आ रही थी उसके गाल लाल थे बाल भीगे हुए जिससे पानी टपक रहा था वो एक टाइट बाथरोप मे थी जिससे उसकी बॉडी का शेप बिल्कुल साफ देखा जा सकता था,मानिक को लगा जेसे उसे अचानक ही बोहोत तेज प्यास लग रही है।
"क्या तुम अब यही रुकोगे मुझे कपड़े पहनते देखने के लिए।" जब मानिक के कानों मे अनिशा की गुस्से से भरी आवाज आई तब जा कर वो अपनी सोच से बाहर आया वो तुरंत बिना कुछ बोले बाहर भाग गया,अनिशा ने के लंबी साँस छोड़ी उसकी भी धड़कन तेज हो चुकी थी दरसल वो भूल ही चुकी थी मानिक शायद बाहर हो सकता है।
"कही इन दो दिनों मे मुझे हार्ट अटेक ना आ जाए।" उसने कपड़े पहने और बाल सूखा कर मानिक को मेसेज किया,आज उसे और मानिक को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस मे जाना था जो की उनकी होटेल को ले कर था,हर साल ये कॉन्फ्रेंस वीर अटेंड करता था लेकिन आज अनिशा ने उसे शर्त के मुताबिक कही भेजा हुआ था।
"दो घंटे मे हमे निकलना है यरली होटेल कमिटी के लिए समझे ना।" अनिशा ने मेसेज दो बार पढ़ने के बाद मानिक को भेज दिया,अनिशा के पास तो मानिक का नंबर था लेकिन मानिक के पास नहीं था,इसलिए शायद अनिशा ने मानिक को मेसेज किया था वरना ये बात तो वो मानिक को पहले ही बता चुकी होती।
अनिशा तैयार होने लगी,जो लड़की हमेशा से तैयार होने मे 5 मिनिट से ज्यादा नहीं लेती थी आज उसके 15 मिनिट बस कपड़े देखने मे ही चले गए ना जाने ऐसा क्या हुआ था।
वही दूसरी तरफ मानिक एक कार मे बेठा हुआ था उस कार को कोई लड़का ड्राइव कर रहा था,मानिक की आँखों के सामने अब भी वही नजारा था,मानिक ने अपना सर झटक कर आंखे बंद की तो भी उसे अनिशा दिखाई दी जो के एक बाथरोप मे थी।
"तुम्हें नहीं लगता ये शादी एक गलती है।" ये आदि था जो की डार्क होटेल मे एक जूनियर शेफ था मानिक के ही साथ।
"मे भी यही सोच रहा आठ जब तक उसे पहली बार देखा नहीं था,कुछ कनेक्शन सा लग रहा है उसके साथ मुझे नहीं लगता ये शादी मेरा गलत फेसला है।" मानिक ने अपना सर सीट पर टिकाते हुए कहा।
"लो आ गया अब तू उतर मे होटेल के लिए निकलता हु,तू अब मालिक है हम तो अब भी नॉकर है भाई।" आदि ने कहा,वो एक सुमसान जगह थी जहा पर एक बंद पड़ी फेक्टरी के अलावा दूर दूर तक कुछ नहीं था,था तो बस एक खाली रोड,मानिक उस फेक्टरी की तरफ बढ़ गया।
"तुम भूल रहे हो मानिक जनता मे तुम भी आते हो अगर तुम्हें पेसो की जरूरत है तो तुम्हें ये लेने चाहिए समझ रहे हो ना।" शिवा ने गुस्से से कहा,रेड टायलाइट ग्रुप का बेहद खास मेम्बर था शिवा।
"मुझे लगता है शिवा सही बोल रहा है।" रेहान ने भी शिवा का साथ दिया।
"तुम दोनों कुछ दिन बाहर मत निकलना और हमारे ऑफिस के सारे लोगों को अलर्ट कर दो,फिरोज के मर ने के बाद पुलिस और बादशाह भाई दोनों पागलों की तरह ढूंढ रहे है हमे,लेकिन अभी जब तक शोर्य की सर्जरी ना हो जाए हम उनसे मुकाबला नहीं कर सकते।" मानिक का ओरा अभी कुछ और ही लग रहा था।
"लेकिन.......।" शिवा ने कहना चाहा लेकिन मानिक ने बीच मे ही उसे रोक दिया।
"भूलो मत मे बॉस हु तुम्हारा मेरा ओडर मानना तुम्हारा फर्ज है।" मानिक ने की नजर काफी थी शिवा को चुप करने के लिए,रेहान तो बिहोत डरता था मानिक से,शिवा तो फिर भी बोल देता मानिक को लेकिन रेहान कभी बोल नहीं पाता था।
"ठीक है बॉस हो माना लेकिन दोस्त भी हो ये मत भूलो अगर उस लड़की ने तुम्हें छोड़ दिया तो क्या करोगे?" शिवा का सवाल जायज था।
"मे उसे ऐसा नहीं करने दूंगा अब से वो मेरी है।" मानिक की आँखों मे क जानुन था,अभी जो भी मानिक को देखे उसे विश्वास ही ना हो पाए की ये वही मानिक है जो की एक दम सीधा साधा सा है होटेल का शेफ,अभी वो किसी सियासत के राजा से कम नहीं लग रहा था।
तभी मानिक ने अनिशा के मेसेज देखा और तुरंत वहाँ से जाने लगा।
"कहा जा रहे हो ऐसे रुको बात करनी है टाइगर।" शिवा ने उसे आवाज लगाई लेकिन मानिक ने पीछे मूड कर नहीं देखा।
"गायब हो जाओ तुम दोनों कुछ दिन आराम करो,और हा भूलो मत हमने ये काम क्यू शुरू किया था।" मानिक ने जाते हुए बिना पीछे मूड कर कहा और वहाँ से चला गया।
मानिक जब रूहानी पेलेस पोहचा तो उसने देखा अनिशा अपनी कार मे बेठी उसका ही इंतजार कर रही थी।
"कहा थे तुम? जल्दी करो लेट हो रहा है मुझे तैयार हो कर आओ।" अनिशा ने गुस्से से कहा।
"अभी आया।" मानिक ने प्यार से कहा और जल्दी से अंदर गया।
"ये लड़का भी ना बेशर्म कही का।" अनिशा ने वॉशरूम वाली बात याद करते हुए खुद से ही कहा।
आखिर मानिक ने अंडरवल्ड मे क्यू रखा है कदम? क्या करेगा मानिक जब अनिशा देगी उसे डाइवॉरस्?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ............जय बजरंग बलि ..............................जय महकल .......................कॉमेंट करना ना भूले..........................................।....।
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होंगे...।....
अब तक हमने देखा...।....।
"मे उसे ऐसा नहीं करने दूंगा अब से वो मेरी है।" मानिक की आँखों मे क जानुन था,अभी जो भी मानिक को देखे उसे विश्वास ही ना हो पाए की ये वही मानिक है जो की एक दम सीधा साधा सा है होटेल का शेफ,अभी वो किसी सियासत के राजा से कम नहीं लग रहा था।
तभी मानिक ने अनिशा के मेसेज देखा और तुरंत वहाँ से जाने लगा।
"कहा जा रहे हो ऐसे रुको बात करनी है टाइगर।" शिवा ने उसे आवाज लगाई लेकिन मानिक ने पीछे मूड कर नहीं देखा।
"गायब हो जाओ तुम दोनों कुछ दिन आराम करो,और हा भूलो मत हमने ये काम क्यू शुरू किया था।" मानिक ने जाते हुए बिना पीछे मूड कर कहा और वहाँ से चला गया।
मानिक जब रूहानी पेलेस पोहचा तो उसने देखा अनिशा अपनी कार मे बेठी उसका ही इंतजार कर रही थी।
"कहा थे तुम? जल्दी करो लेट हो रहा है मुझे तैयार हो कर आओ।" अनिशा ने गुस्से से कहा।
"अभी आया।" मानिक ने प्यार से कहा और जल्दी से अंदर गया।
"ये लड़का भी ना बेशर्म कही का।" अनिशा ने वॉशरूम वाली बात याद करते हुए खुद से ही कहा।
अब आगे...........................................................................................................।....।
मानिक और अनिशा वहाँ से निकल जाते है,कार मे खामोशी थी लेकिन दोनों के मन मे बोहोत कुछ चल रहा था।
तभी ड्राइवर ने सॉन्ग शुरू कर दिया।
"क्या कहू आँखों मे मेरे सब कह दिया,
एक तू ही जीने का मतलब कह दिया,
अब साँसे चले ना चले क्या फिक्र,
तू चले साथ तो खूबसूरत सफर,
तेरी राहों मे मेरा जहां...."
ये गाना सुनते ही मानिक ने अनिशा को देखा उसे ऐसा लगा जेसे ये गाना उसी के लिए बना है,अनिशा की नजर जब उस पर गई तो मानिक ने अपनी नजरे चुराली और खिड़ के से बाहर देखने लगा।
"के रंग लग गया इश्क दा..
के रंग लग गया इश्क दा..
मे तेरा होया इस तरह..
के रंग लग गया इश्क दा.."
इससे पहले की मानिक अपने सपनों मे अनिशा के रोमेनस करता कार जोर से ब्रेक के साथ रुकी।
"ईडियट अंधे हो गए हो क्या?" अनिशा ने गुस्से से कहा।
"सॉरी मेडम वो अचानक से एक इंसान सामने आ गया।" ड्राइवर ने डरते हुए कहा,मानिक ने देखा की एक मिडल एज आदमी रोड पर गिरा हुआ था उसे ज्यादा चोट नहीं लगी थी लेकिन हाथ से खून बेह रहा था।
"चलो अब जल्दी हमे लेट हो रहा है।" अनिशा के मुह से ये बात सुन कर मानिक हेरान हो गया,उसने सोचा नहीं था अनिशा इतनी पत्थर दिल होगी,मानिक ने कार का गेट खोलना चाहा तो अनिशा ने उसे रोक दिया।
"मिस्टर शेफ हमे जाना है।" अनिशा ने शांत आवाज मे कहा।
"मुझे लगा नहीं था लोगों की बात मे सच्चाई होगी तुम मे दिल नहीं है ये आज पता चला मुझे।" मानिक अनिशा का हाथ झटक कर कार का डोर खोल कर बाहर निकल गया,उसने उस आदमी को उठाया,और पेसेन्जर सीट पर बैठाया और खुद पीछे बैठा,अनिशा खामोश रही आज ये पहली बार था जब वो किसी के सामने बोल नहीं पा रही थी,वो कही ना कही समझ गई थी वो गलत थी लेकिन पीछे कई सालों से वो ऐसी ही हो गई थी,अब उसे किसी की मदद करने मे भी एक डर सा लगता था उसमे उसकी कोई गलती नहीं थी बस अतीत के कुछ जख्म थे जो अभी तक भर नहीं पाए थे।
"मेरा उन्हे चोट पोहचाने का मकसद नहीं था।" अनिशा ने धीमी आवाज मे कहा।
"भईया हॉस्पिटल ले चलिए।" मानिक ने बिना अनिशा की तरफ ध्यान दिए कहा।
कुछ ही देर वो उनकी कार सिटी हॉस्पिटल पोहोचि,मानिक और ड्राइवर उस आदमी को अंडर ले गए और उन्हे ऐडमिट किया कुछ फोरमीलिटी करने के बाद मानिक ने अपना नंबर दे दिया और वहाँ से निकल गए।
कार एक पार्टी प्लॉट मे आ कर रुकी,
"मेडम हम पोहोच गए।" ड्राइवर ने कहा तो मानिक उतर गया,अनिशा भी उतर गई,दोनों ने इनविटेशन दिखाया गार्ड्स को और अंदर गए,मानिक उससे दूर दूर चलने लगा,अनिशा समझ रही थी की मानिक उससे नाराज है लेकिन वो अभी कुछ मानिक को समझा नहीं सकती थी।
"ओह हैलो मिस अनिशा,आप यहाँ हामे तो लगा था सी बार भी हामे आपके दर्शन नहीं होंगे,वीर ही आएगा लेकिन आपको देख कर तो धन्य हो गई मेरी आंखे।" मिस्टर रायचंद ने कहा,उनकी आँखों मे अनिशा के दरिंदगी साफ झलक रही थी,मानिक दूर से ही उन्हे देख रहा था अनिशा की नजर भी सिर्फ मानिक पर ही थी उसने मिस्टर रायचंद पर कोई ध्यान नहीं दिया।
"मेने जब सुना था की आपको आपकी फेमिली ने निकाल दिया है तो मुझे बड़ा अफसोस हुआ मे आपको सहारा देने के लिए पोहोच नहीं पाया माफ कर दीजिए लेकिन क्या हुआ अब भी देरी नहीं हुई।" जेसे ही मानिक ने ये सुना मिस्टर रायचंद के सामने खड़ा हो गया।
"अनिशा सिंघानिया को किसी के सहारे की जरूरत नहीं है ये बात तो हर कोई जानता है अच्छा होगा आप भी समझ जाए।" मानिक ने उसे घूरते हुए कहा तो वो आदमी थोड़ा दूर हो गया अनिशा से।
"तुम होते कोन हो हमारे बीच मे बोलने वाले।" मिस्टर रायचंद ने धीरे से मगर गुस्से से कहा।
"पति,पति है मेरा।" अनिशा अब तक मानिक को देखने मे बीजी थी इसलिए उसका ध्यान नहीं गया मिस्टर रायचंद पर,लेकिन अब जब मानिक उसके पास था तो उसके सामने कोन भला बोल सकता था,पता नहीं क्यू लेकिन अनिशा को खुद को पति बोलता देख मानिक का मन कई सारे इमोशन्स से भर गया।
"क्या? आप मज़ाक कर रही है ना मिस...।" इससे पहले की मिस्टर रायचंद आगे कुछ बोलता अनिशा की शांत मगर गुस्से भरी आवाज उसके कानों मे पड़ी।
"मिस नहीं मिस्टर रायचंद मिसिस अनिशा मेहता।" अनिशा ने कहा और जाने के लिए मूड गई,वो और मानिक जा कर एक टेबल पर बेठ गए,बाकी सब लोग भी अपने अपने टेबल पर बेठ गए,कुछ लोग खाना पीना देख रहे थे,तो कोई ड्रिंक कर कर रहा था और जो लोग यहाँ कॉन्फ्रेंस अटेंड करने आए थे वो बस टेबल पर बेठ कर होस्ट की बाते सुन रहे थे।
"हैलो लेडीज एंड जेन्टलमेन आइ एम हर्षद चोपड़ा,टुडे आइ रिप्रेजेंट मुंबईस मोस्ट वेलयूएबल होटेल्स एंड रेस्टोरेंट।" होस्ट के इतना बोलते ही स्क्रीन पर एक बायो चार्ट आ गया,जीसमे कुछ अलग अलग होटेल्स की पीक थी जीसमे से एक अनिशा की होटल भी थी।
"इस यर हमारे बीच एक और सक्श मोजूद है,जो है राजवीर खुराना इस साल वो भी हमारी कमिटी के साथ जुडने वाले है उनकी होटल की ओपनिंग कुछ ही दिनों मे होगी।" होस्ट की ये बात सुन कर अचानक अनिशा को खांसी आ गई,मानिक जल्दी से टेबल पर रखी पानी की बोटल अनिशा को खोल कर देता है।
"ये लॉजिए पानी पीजिए।" मानिक ने धीरे से कहा और अनिशा का बेक रब करने लगा,अनिशा ने मानिक को देखा फिर थोड़ा पानी पिया।
"मे ठीक हु।" अनिशा ने धीमी आवाज मे कहा।
"आता हु मे अभी।" मानिक ने रुक कर कहा और जेसे ही उठा और एक कदम बढ़ाया वो किसी से टकरा गया।
"आइ एम सॉरी मेम,आइ एम रियली वेरी सॉरी।" मानिक ने माफी मांगते हुए कहा,हालाकी उसकी कोई गलती नहीं थी लेकिन फिर भी उसने बात को खत्म करना चाहा।
"यू बल्डी ईडियट देखो मेरी ड्रेस खराब कर दी,पता भी है कितने की है ये?" सारिका सक्सेना,अपने बाप के पेसो पर ऐश करने वाली एक घमंडी लड़की,मानिक ने देखा अनिशा अपने फोन मे कुछ कर रही थी।
"मेने ये जानबूझ कर नहीं किया,बस गलती से हो गया।" मानिक ने फिर से माफी माँगनी चाही।
"ओह प्लीज अपने कपड़े देखो तुम लोअर क्लास,तुम्हारी तो ओकात भी नहीं है मेरी ड्रेस के पेसे देने की।" सारिका गुस्से मे थी फ़ंक्शन से अब उसे जाना पड़ता जीस फ़ंक्शन मे वो अपने लिए एक अमीरजादा ढूंढने आई थी,अब वापिस जाने का दुख उसके गुस्से मे बदल गया।
"इसकी ओकात तुझसे तो ज्यादा ही है।" अनिशा ने शांत आवाज मे कहा।
"कोन हो तुम हा जो मुझसे ऐसे बात कर रही हो।" सारिका ने गुस्से से अनिशा को देखते हुए कहा।
"अपने बाप से पूछो जाओ की मे कोंन हु,तुम मेरे पति से उसकी ओकात पूछ रही हो,जितना तुम्हारे साल का खर्चा है ना वो चाहे तो एक दिन मे उड़ा सकता है आई बात समझ।" अनिशा ने अभी कहा ही था की तभी वहाँ सारिका के डेड आ गए।
"वॉट्स हेपनिंग बेटा?" मनीष सक्सेना ने अपनी बेटी के पास आ कर कहा।
"मिस्टर सक्सेना तुम्हारी बेटी मेरे पति को इंसल्ट कर रही है इसलों लगता है हमारी ओकात नहीं है कुछ इसके सामने।" अनिशा की बात सुन कर मिस्टर सक्सेना के पसीने छूट गए।
"ये ये तो बच्ची है मेडम आपको नहीं जानती मे इसकी तरफ से माफी माँगता हु,प्लीज सर माफ कर दीजिए।" मनीष तुरंत मानिक और अनिशा से माफी मांगने लगा,सारिका हेरान हो गई।
"इट्स ओके आप अपनी बेटी को ले जाइए।" मानिक जानता था अब गर एक और पल वो लड़की यहाँ रुकी तो ना जाने अनिशा अब क्या बखेड़ा करेगी,मिस्टर मनीष जल्दी से अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर वहाँ से जाने लगे।
"रुको।" अनिशा की आवाज सुनते ही सब डर गए।
वही दूसरी तरफ हॉस्पिटल मे जीस इंसान को मानिक ने ऐडमिट किया था उनको अचानक होश आ गया और वो जल्दी से वहाँ से भागने लगे,नर्स ने उन्हे रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नर्स को भी धक्का दे दिया।
"मुझे जाना होगा,मुझे जाना होगा वो मेरी बेटी को मुझसे छिन नहीं सकते मुझे जाना होगा।" वो आदमी बड़बड़ाते हुए भागे जा रहा था,तभी वो वॉर्ड बोयज़ ने आ कर उन्हे रोक लिया और वापिस से उन्हे हॉस्पिटल के अंदर ले गए,क्युकी वो अनिशा को जानते थे।
अब क्या करेगी अनिशा?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ.................जय बजरंग बलि ..................जय महाकाल .......................कॉमेंट करना ना भूले................................................................।....।
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब कहानी के शहर मे आपका स्वागत है उम्मीद करती हु आप सब ठीक होंगे...।....।
अब तक हमने देखा................................................................................।....।।
"मिस्टर सक्सेना तुम्हारी बेटी मेरे पति को इंसल्ट कर रही है इसलों लगता है हमारी ओकात नहीं है कुछ इसके सामने।" अनिशा की बात सुन कर मिस्टर सक्सेना के पसीने छूट गए।
"ये ये तो बच्ची है मेडम आपको नहीं जानती मे इसकी तरफ से माफी माँगता हु,प्लीज सर माफ कर दीजिए।" मनीष तुरंत मानिक और अनिशा से माफी मांगने लगा,सारिका हेरान हो गई।
"इट्स ओके आप अपनी बेटी को ले जाइए।" मानिक जानता था अब गर एक और पल वो लड़की यहाँ रुकी तो ना जाने अनिशा अब क्या बखेड़ा करेगी,मिस्टर मनीष जल्दी से अपनी बेटी का हाथ पकड़ कर वहाँ से जाने लगे।
"रुको।" अनिशा की आवाज सुनते ही सब डर गए।
वही दूसरी तरफ हॉस्पिटल मे जीस इंसान को मानिक ने ऐडमिट किया था उनको अचानक होश आ गया और वो जल्दी से वहाँ से भागने लगे,नर्स ने उन्हे रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने नर्स को भी धक्का दे दिया।
"मुझे जाना होगा,मुझे जाना होगा वो मेरी बेटी को मुझसे छिन नहीं सकते मुझे जाना होगा।" वो आदमी बड़बड़ाते हुए भागे जा रहा था,तभी वो वॉर्ड बोयज़ ने आ कर उन्हे रोक लिया और वापिस से उन्हे हॉस्पिटल के अंदर ले गए,क्युकी वो अनिशा को जानते थे।
अब आगे.........................................................।....।।
अनिशा के सामने सब अब डरे हुए से खड़े थे।
"माफ कर दीजिए मेडम ये नादान है इसे समझ नहीं है।" मनीष ने हाथ जोड़ कर माफी मांगी,अभी की वो बैजती सहन कर कर सकते थे लेकिन अगर अभी ये मामला रफा दफा नहीं हुआ तो आगे का नुकसान वो नहीं झेल सकते थे।
"इतनी आसानी से केसे जाने दु?" अनिशा ने अपनी पलके उठा कर कहा,अब तक सभी का ध्यान उनकी तरफ खिच चुका था सभी स्टेज और होस्ट को छोड़ अपना ध्यान बस इस लड़ाई मे दे रहे थे जेसे कोई मुफ़्त का एंटरटेनमेंट हो।
"इतना भी क्या ईगो अनिशा जो तुम इन लोगों को इतना परेशान कर रही हो।" तभी एक आवाज आई सभी लोग उस आवाज की दिशा मे मूड गई,ये था राजवीर खुराना,खुराना ग्रुप का सीईओ अनिशा ने जेसे ही उसे देखा उसकी आंखे लाल हो गई,सारिका की तो नजर बस राजवीर पर टिक गई,हेंडसम के साथ साथ पेसे वाला था वो उसे पता चल गया और वो उसकी तरफ से बोल रहा था ये जान कर तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा।
"ये मेरा पर्सनल मेटर है मे चाहूँगी की कोई बाहर का इस मे टांग ना अड़ाए।" अनिशा के तीखे बोल सुन कर राजवीर की मुस्कान चली गई।
"इतने साल हो गए लेकिन तुम अभी तक नहीं बदली एक दम इमोशन लेस।" राजवीर ने अपनी मुस्कान वापिस अपने चहरे पर लाते हुए कहा,मानिक बस उन दोनों को ही देख रहा था,वो इस इंसान को नहीं जानता था।
"तुम भी कहा बदले दूसरे के मामले मे अपनी चोंच अड़ा ही देते हो।" अनिशा ने भी अपने चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान लाते हुए कहा,तभी के बॉडीगार्ड आया और एक पेकेट अनिशा के हाथों मे थमा दिया,ये आदमी अनिशा का ही था,जो हर वक्त उसकी रक्षा करते थे।
"ये लो तुम ने जो ड्रेस पहनी है उससे दस गुना ज्यादा महंगी है,वेसे तो मे ये दया रेहेम मेरे खून मे ही नहीं है,लेकिन मेरे पति की संगत ने मुझे प्यार करना सीखा दिया है तो मे तुम्हें माफ करती हु और हा आगे से कही भी दिखे मेरे हसबेन्ड तो झुक कर सलाम करना समझी ना।" अनिशा की बात से समझ नहीं आ रहा था रहम का क्या मतलब है?
"पति? तो तुमने इस नॉकर से शादी करली? तुम्हें तो नोकारों से सख्त नफरत थी ना तो अब क्या हुआ?" राजवीर ने अनिशा के पास आते हुए कहा।
"मेरे पति मालिक है नॉकर तो तुम दिख रहे हो,खुद को देखो और इन्हे देखो तुम एक गली के कुत्ते और ये मेरे दिल का शेर।" अनिशा की बात सुन जितना राजवीर हेरान हुआ था उतना ही हेरान मानिक भी था उसकी ये आज ही हुई बीवी को उस पर इतना प्यार केसे आ रहा था,उसे दाल मे कुछ तो लाल लगा।
"तुम्हें मुझसे बेहतर ना कोई मिल सकता है ना मिलेगा,मेने तुम्हें ठुकरा क्या दिया,तुमने तो अपना स्टेटस पूरा गिरा दिया,अब तो मे होटल वल्ड मे भी अब मे आ ही गया हु जिससे तुम और गिर जाओगी।" राजवीर की मुस्कान बड़ी होती जा रही थी अपने हर शब्द के साथ,मानिक ये सुन हेरान हो गया क्या अनिशा इस राजवीर से प्यार करती थी?ये सवाल अपने मन मे आते ही मानिक को लगा जेसे उसके अंदर कुछ टूट सा रहा हो।
"तुमसे तो कई गुना ज्यादा बेहतर में रोज पहनती हु मेरी सेंडल,तो मेरे पति का तो तुमसे कंपेयर करना बोहोत दूर की बात है,और रही बात की होटल बिजनेस मे तुम्हारे कदम की तो ध्यान से अनिशा एक आंधी है तुम्हें और तुम्हारे कदम दोनों को उड़ा देगी और तुम्हें पता भी नहीं चलेगा।" अनीशा के इस जवाब से अब राजवीर से कुछ बोलते नही बन रहा था,अनीशा मानिक के साथ वहां से निकल गई अब उस से कांफ्रेंस में एक वक्त भी रहना उसके लिए मुश्किल हो गया था।
"कोन था वो।" मानिक ने कार में बैठते ही तुरंत कहा।
"मेरी सगाई हुई थी,उसके साथ।" अनीशा ने मानिक के सवालों का जवाब देते हुए कहा,मानिक हेरान जरूर हुआ था लेकिन शायद उसे ऐसे ही किसी जवाब का अंदाजा था।
"तो टूट केसे गई? तुमने किया या उसने?" मानिक ने सवाल किया।
"उसने तोड़ी।" अनिशा ने जवाब दिया।
"और तो क्यू तोड़ी ये तुम बता सकती हो मुझे?" मानिक ने एक और सवाल किया।
"सवाल बाद मे पूछ लेना,अभी ये सोचो की अगर मुझे उसे खत्म करना है तो क्या सही रहेगा?" अनिशा ने कहा तो मानिक उसे घूरने लगा,तभी मानिक का फोन रिंग हुआ।
"हैलो सर मे सिटी हॉस्पिटल से बात कर रही हु,आपने जीस आदमी को यहाँ ऐडमिट किया था वो भागने की कोशिश कर रहे है,आप बताइए हमे की हम क्या करे क्या इन्हे जाने दे या यही रोक कर रखे।" मानिक के कॉल पीक करते ही सामने से एक लड़की की आवाज आई।
"जी आप उन्हे वही रोकिए हम आते है।" मानिक ने कॉल काट दिया और अनिशा की तरफ देखा।
"अपना फोन ठीक करालों आवाज यहाँ तक आ रही है।" अनिशा का चेहरा देख मानिक समझ गया की अनिशा का जवाब क्या होगा।
"भईया गाड़ी सिटी हॉस्पिटल ले चलिए।" मानिक ने कहा और अनिशा को देखने लगा।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ..................जय बजरंग बलि............जय महाकाल.............कॉमेंट करना ना भूले..............।....।।
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे.........................
अब तक हमने देखा.............
"तो टूट केसे गई? तुमने किया या उसने?" मानिक ने सवाल किया।
"उसने तोड़ी।" अनिशा ने जवाब दिया।
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"भईया गाड़ी सिटी हॉस्पिटल ले चलिए।" मानिक ने कहा और अनिशा को देखने लगा।
अब आगे......................
सिटी हॉस्पिटल,
अनीशा और मानिक हॉस्पिटल में उस आदमी को देखने आए थे।
"यहां से हमे कॉल आया था एक काका को हमने यहां पर एडमिट किया था उनकी हालत कुछ खराब है?" मानिक ने रिसेप्शन पर आ कर कहा।
"जी सर इस तरफ आइए।" एक नर्स ने कहा और मानिक अनीशा को एक वार्ड की तरफ ले जाने लगी,रूम का दरवाजा खुलते ही वो आदमी यहां से भागने की कोशिश करने लगा लेकिन मानिक ने उन्हें पकड़ लिया,और शांत कराने लगा वो अक्सर शोर्य को शांत कर देता था अपनी बातो से तो उसके लिए शायद ये आसान होने वाला था।
"शांत हो जाइए शांत हो जाइए,देखिए अगर आप शांत नही होगे तो ठीक केसे होगे अपने परिवार के पास वापिस केसे जाओगे।" मानिक के शब्दो का असर हो रहा था।
"हा परिवार मेरी बेटी मुझे मेरी बेटी के पास जाना है वो लोग उसे मुझसे छीन नही सकते मेरी बेटी...." वो आदमी बस यही बड़बड़ाए जा रहा था।
"अगर आपने दवाई और खाना टाइम से लिया बिना कोई शैतानी किए तो में आपको आपकी बेटी से मिलवाऊंगा अभी आप शांति से सो जाइए।" जब मानिक बात कर रहा था तभी एक नर्स ने चुपके से उस आदमी को इंजेक्ट किया और सुला दिया,उनके सोने के बाद मानिक और अनीशा उनके डॉक्टर से मिलने गए।
डॉक्टर देसाई का केबिन,
"हेलो मिस्टर देसाई, आई हॉप की इस आदमी की कंडीशन आप जल्दी ही स्टेबल कर देंगे,जो भी खर्चा हो मुझे लास्ट में बिल दे दीजिएगा।" अनीशा की बात से साफ था की पेसो की चिंता ना करे वो सब संभाल लेगी बस उस आदमी का इलाज सही से हो जाए।
"डोंट वरी मिस अनीशा हम सब संभाल लेंगे।" डॉक्टर देसाई ने एक स्माइल के साथ कहा,लेकिन उन्हें नही पता था की ये उन्हे महंगा पड़ सकता है।
"मिस नही मिसिस, मिसीस मानिक मेहता।" मानिक ने टेबल पर हाथ पटकते हुए कहा एक पल के लिए डॉक्टर देसाई दर ही गए यहां तक की अनीशा भी हैरान थी क्युकी मानिक शांत था हमेशा उसके सामने।
"राजवीर नाम के एक्शन का ये रिएक्शन नोट बेड।" अनीशा ने धीरे से खुद से कहा उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।
"ओह सॉरी मुझे नही पता था आप दोनो शादी शुदा हो।" फोस्टर देसाई के लिए ये थोड़ा ओकवर्ड था।
"इट्स ओके डॉक्टर गलती हमारी ही है जो हमने अब तक प्लब्लिक नही किया हमारा रिलेशनशिप।" मानिक ने अपने आपको शांत करते हुए कहा अनीशा समझ रही थी की मानिक उसे कहना चाह रहा है की अब उन्हें लोगो को बता देना चाहिए लेकिन अनीशा का ऐसा कोई इरादा नहीं दिख रहा था।
"अब हम चलते है कोई काम हो तो कोल मी ओके।" अनीशा ने कहा और वहां से निकल गई उसके पीछे मानिक भी चला गया।
गाड़ी में दोनो खामोश रहे,आज का दिन सच में मानिक के पिए किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं था इतना कुछ हुआ था की उसके लिए तो अब एक कदम चलना भी भारी हो रहा था,वो बस अब घर जा कर सोना चाह रहा था,सबसे पहले वो कमिटी मेंबर्स के साथ झटपट और उसके बाद उसके शादी का बम,उसके बाद सारिका के साथ टक्कर फिर राजवीर की बाते सुनना उसका बाद हॉस्पिटल में वो आदमी इतना सब एक साथ एक दिन होना उसके लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
घर पोहोचते ही दोनो कमरे की तरफ बढ़ क्युकी रात बोहोत हो चुकी थी अब तक तो बड़ी मां और शोर्य दोनो ही सो गए थे।
मानिक चुप चाप वॉशरूम में शावर ले कर सोफे पर लेट गया,पता नही क्यू लेकिन राजवीर की बाते उसे बार बार याद आ रही थी,उसकी बीवी का एक्स अब उसे नीचा दिखायेगा क्या ये दिन आ गए अब मानिक के,माफिया का बड़ा नाम था मानिक वो चाहता तो तभी के तभी राजवीर को जान से मार देता लेकिन बेकसूरों को मारना उसके उसूलों के खिलाफ था।
अनीशा जब शावर ले कर वॉशरूम से बाहर निकली तो उसने देखा की मानिक लेते हुए किसी गहरी सोच में डूबा हुआ सीलिंग को घूर रहा था।
"क्या हुआ राजवीर के बारे में सोच रहे हो?" अनीशा ने अपने बाल सुखाते हुए हेरड्रायर घुमाया,अभी अभी नहा कर बाहर निकली अनीशा एक खिला हुआ सा फूल लग रही थी मानिक को,उसकी नजर अनीशा पर से हट ही नहीं रही थी,अनीशा ने एक नाइट सूट पहना हुआ था जो काफी सिम्पल लेकिन ऐलीगेंट था।
"अब देखते ही रहोगे या कुछ बोलोगे भी?" अनीशा ने मुड़ कर मानिक को देखा और सवाल किया।
"में क्यू सोचूंगा किसी फालतू इंसान के बारे में, में कुछ बना कर लाता हु भूख लगी होगी ना तुम्हे सोरी आपको?" मानिक ने कहा और उठ कर जाने लगा,अनीशा उसे देखती रही।
"तुझे उसे दूर ही रहना चाहिए अनीशा परसो में और वो अलग हो जायेगे।" अनीशा की आंखो में नमी आ गई,जा ये बात सच थी उसे मानिक पहली नजर में पसंद आ गया था लेकिन,उसे इन रिश्तों कसमों वादो और प्यार पर यकीन नही था अब,या शायद वो डरती थी की उसका दिल टूटना ना जाए।
"ज़ख्म भी बड़े नासूर से है ना दाव असर करती है ना दुआ,
केसा इश्क है ये तेरा,ना कुछ छिपाने देता है ना कुछ बताने।"
वही मानिक कुछ ही देर में पास्ता बना कर लाता है,उसने सुना था की होटल की ओनर को वाइट सॉस पास्ता बड़ा पसंद है।
"ये लो अब जल्दी से खा लो।" मानिक ने देखा की अनीशा एक गहरी सोच में डूबी थी।
"तुम भी बैठ जाओ और खा लो।" अनीशा ने जब देखा कि मानिक जा रहा है तो उसने मानिक को रोक दिया।
"नही मुझे भूख नही है आप ही खा लो।" मानिक ने कहा और फिर से मुड़ गया,अनीशा ने उसका हाथ पकड़ लिया,दोनो एक दूसरे की आंखो में खो गए,मानिक भी बस यही चाहता था की अनीशा उसके साथ रहे पास रहे लेकिन अभी वो थोड़ा गुस्सा था।
आगे जनने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानी kj के साथ….आगे जाने के लिए कॉमेंट की बरसाद कीजिए❤️🥰
Jay bajrangbali 🙏💞jay mahakal🙏❤️
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे...............
अब तक हमने देख.............
"में क्यू सोचूंगा किसी फालतू इंसान के बारे में, में कुछ बना कर लाता हु भूख लगी होगी ना तुम्हे सोरी आपको?" मानिक ने कहा और उठ कर जाने लगा,अनीशा उसे देखती रही।
"तुझे उसे दूर ही रहना चाहिए अनीशा परसो में और वो अलग हो जायेगे।" अनीशा की आंखो में नमी आ गई,जा ये बात सच थी उसे मानिक पहली नजर में पसंद आ गया था लेकिन,उसे इन रिश्तों कसमों वादो और प्यार पर यकीन नही था अब,या शायद वो डरती थी की उसका दिल टूटना ना जाए।
"ज़ख्म भी बड़े नासूर से है ना दाव असर करती है ना दुआ,
केसा इश्क है ये तेरा,ना कुछ छिपाने देता है ना कुछ बताने।"
वही मानिक कुछ ही देर में पास्ता बना कर लाता है,उसने सुना था की होटल की ओनर को वाइट सॉस पास्ता बड़ा पसंद है।
"ये लो अब जल्दी से खा लो।" मानिक ने देखा की अनीशा एक गहरी सोच में डूबी थी।
"तुम भी बैठ जाओ और खा लो।" अनीशा ने जब देखा कि मानिक जा रहा है तो उसने मानिक को रोक दिया।
"नही मुझे भूख नही है आप ही खा लो।" मानिक ने कहा और फिर से मुड़ गया,अनीशा ने उसका हाथ पकड़ लिया,दोनो एक दूसरे की आंखो में खो गए,मानिक भी बस यही चाहता था की अनीशा उसके साथ रहे पास रहे लेकिन अभी वो थोड़ा गुस्सा था।
अब आगे................
मानिक ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अनीशा की पकड़ मजबूत थी।
"मुझे आप बुलाने की जरूरत नही तुम बोल सकते हो में तुमसे बडी तो नही होऊंगी है ना?" अनीशा की इस बात पर मानिक को हंसी तो आ रही थी लेकिन वो दिखा नही रहा था क्युकी वो अब भी रणवीर वाली बात से नाराज़ था।
"अच्छा सुनो बताओ कुछ अपने बारे में ,वो मुझे ना खाते खाते कुछ सुनने या देखने की आदत है तो बोलना शुरू करो।" ये तो सिर्फ़ बहाना था अनीशा का असलियत में तो वो बस मानिक को सुनना और अच्छे से जानना चाहती थी।
"क्या बताऊं अपने बारे में तुम्हे जो जानना होगा वो तो तुम खुद ही जान लोगी।" मानिक ने अनीशा के पास बेड पर बैठते हुए कहा वो जानता था अनीशा को अगर कुछ जानना होगा तो वो उसकी इन्फोर्मेशन निकाल लेगी और रही बात उसके अंडरवर्ल्ड कनेक्शन की तो वो अभी अनीशा को उस बारे में नही बता सकता था।
"नही तुम बताओ बचपन से ले कर जवानी तक सब बताओ।" अनीशा ने कहा और स्पून उठाई और मानिक को खिलाने लगी,मानिक ने एक वाइट खाई उसे ये अच्छा लगा आखिर उसने तो बनाया था।
"में अपनी मां का लाडला था,हा पापा मुझ पर गुस्सा होते लेकिन मेरी मां मुझे बोहोत प्यार करती थी,हम तीन भाई है बड़ी भाभी है,उनका एक छोटा सा बेटा है चीकू और एक बुआ है जो हमारे साथ ही मेरे शहर अहमदाबाद में रहती है,और शोर्य से तो तुम मिल ही चुकी होरा छोटा भाई है वो में उससे बोहोत प्यार करता हु और वो भी मुझसे बोहोत प्यार करता है।" मानिक बोले जा रहा था कही दूर देखते हुए,और अनीशा उसे खिलाए जा रही थी बीच बीच में,दोनो की बीच जो ये एहसास था वो बेहद खास था,अनीशा कुछ बोल नहीं रही थी लेकिन ये पहली बार था उसकी जिंदगी में जब वो किसी को खाना खिला रही थी अपने हाथो से,वरना आज तक ऐसा उसने किसी के लिए नही किया था।
उसे खुद समझ नही आ रहा था की जब वो परसो डाइवर्स ही लेने वाली है मानिक से तो अभी ये सब करने की क्या ही जरूरत थी,लेकिन उसे ये करना अच्छा लग रहा था।
मानिक बोले बोलते खामोश हो गए उसने देखा अनीशा तो बस उसे ही खिलाए जा रही है तो मानिक ने उसके हाथ से प्लेट ली और अनीशा को खिलाने लगा,अनीशा कुछ देर उसे यूं ही देखती रही फिर मुंह खोल कर खा लिया।
"जनम जनम जनम साथ चलना यूंही,
कसम तुम्हे कसम आके मिलना यही,
एक जान है भले दो बदन हो जुदा,
मेरी होके हमेशा ही रहना कभी न कहना अलविदा...."
खाना खाने के बाद मानिक प्लेट धो कर आ गया वापिस,उसने देखा अनीशा अब भी वही बैठी हुई उसका इंतजार कर रही थी।
"बताता हु, मेरे जन्म दीन था उस रात मैने ज़िद की चली घूमने चलते है बर्थडे पर मिली बाइक से में गया और कर में शोर्य,मां और पापा,क्युकी भाई,भाभी,बुआ और चीकू गए थे एक शादी में,में उस काली रात को कभी नही भूल सकता,एक जोर से आती हुई कार ने मेरे पापा की कार को टक्कर मारी, मेरी बाइक भी दूर गीर गई,कुछ लोग मुझे हॉस्पिटल ले गए,जब मुझे होश आया तो पता चला की मेरे मां पापा इस दुनिया में.......और उस हादसे में शोर्य की भी हालत खराब हो गई अब बस जल्द से जल्द कल उसका ऑपरेशन हो जाए और वो ठीक हो जाए तो एक तो बोझ उतार जाए मेरे सर से।" मानिक को समझ आ गया था की अनीशा उसकी पूरी बात सुने बिना नहीं सोने वाली थी,वही जब अनीशा ने मानिक की बाते सुनी तो ना जाने क्यों उसके माथे पर चिंता की लेकर दिखने लगी।
"चलो गुड नाईट।" मानिक ने कहा और सोफे पर जा कर सो गया,अनीशा ने एक नींद की दवा ली और अपने बेड पर लेट गई,सोचते सोचते ना जाने उसे कब नींद आ गई,वो तो सो गई लेकिन मानिक उसे दूर से ही निहारता रहा।
"में जानता हु इतनी जल्दी में तुम्हारे दिल।में नही आ सकूंगा लेकिन में कोशिश करुगा की जल्दी में तुम्हारे सबसे करीब आ जाऊ।" मानिक ने खुद से ही कहा।
"केहती है दुनिया मुझे एक तरफा आशिक तेरा,
चाहु तुझे दूर से इतना तो हक मेरा,
आती है घर मेरे वो गली बन गए,
तुम आखिरी वजह पहली खुशी बन गए,
हां हंसी बन गए हां नमी बन गए,
तुम मेरे आसमा मेरी जमी बन गए......."
पता नही कब मानिक को भी अनीशा को देखते देखते नींद आ गई,उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
वही दूसरी तरफ खुराना हाउस में,
"कुछ भी करो लेकिन मुझे परसो तक होटल रेडी चाहिए समझे।" राजवीर किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था,उसे इतनी रात को भी चैन नहीं था,आज जो कुछ भी कांफ्रेंस में हुआ उसके बाद राजवीर अनीशा को दिखा देना चाहता था की वो होटल बिजनेस बेहद अच्छे से चला सकता था वो भी अनीशा से काफी जायदा बेहतर तरीके से,इसिए वो चाहता था की उसका होटल अब जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
"जी बॉस हो जायेगा।" ये सुनते ही राजवीर ने कोल काट दिया।
"अब देखो अनीशा तुम्हे तुम्हारी शादी और आज की मेरी बैजती दोनो पर अफसोस ना कराया तो में भी राजवीर खुराना नही।" राजवीर के चेहरे पर एक इविल स्माइल थी।
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"केहती है दुनिया मुझे एक तरफा आशिक तेरा,चाहु तुझे दूर से इतना तो हक मेरा,
आती है घर मेरे वो गली बन गए,तुम आखिरी वजह पहली खुशी बन गए,
हां हंसी बन गए हां नमी बन गए,तुम मेरे आसमा मेरी जमी बन गए......."
पता नही कब मानिक को भी अनीशा को देखते देखते नींद आ गई,उसके चेहरे पर मुस्कान थी।
वही दूसरी तरफ खुराना हाउस में,
"कुछ भी करो लेकिन मुझे परसो टकरा होते रेडी चाहिए समझे।" राजवीर किसी से फ़ोन पर बात कर रहा था,उसे इतनी रात को भी चैन नहीं था,आज जो कुछ भी कांफ्रेंस में हुआ उसके बाद राजवीर अनीशा को दिखा देना चाहता था की वो होटल बिजनेस बेहद अच्छे से चला सकता था वो भी अनीशा से काफी जायदा बेहतर तरीके से,इसिए वो चाहता था की उसका होटल अब जल्द से जल्द शुरू हो जाए।
"जी बॉस हो जायेगा।" ये सुनते ही राजवीर ने कोल काट दिया।
"अब देखो अनीशा तुम्हे तुम्हारी शादी और आज की मेरी बैजती दोनो पर अफसोस ना कराया तो में भी राजवीर खुराना नही।" राजवीर के चेहरे पर एक इविल स्माइल थी।
अब आगे.............................................................................................।।।
अगले दिन सुबह,
मानिक जब उठा तो उसने देखा की अनिशा कमरे मे नहीं थी,वो जल्दी से उठा और फ्रेश होने चला गया।
कुछ देर बाद जब मानिक तैयार हो कर शोर्य के कमरे मे पोहचा तब उसने देखा की शोर्य सो रहा था और अनिशा उसके बेड के बगले मे खड़ी हो करे उसे देख रही थी,शायद अनिशा किसी गहरी सोच मे डूबी हुई थी।
"क्या हुआ तुम इतनी सुबह सुबह क्या कर रही हो यहाँ?" मानिक ने धीरे से अनिशा के करीब आ कर कहा,अनिशा को अपनी गर्दन पर मानिक की गर्म साँसे महसूस हो रही थी।
"क्यू मे नहीं आ सकती क्या यहाँ? तुम एक बात बताओ अगर शोर्य की सर्जरी नहीं करनी होती तो क्या तुम मुझसे शादी करते?" अनिशा का सवाल सुन मानिक खामोश हो गया,हा सही तो थी अनिशा अगर शोर्य की बात ना होती तो मानिक थोड़ी ना अनिशा से शादी करता लेकिन ये बात सिर्फ मानिक ही जानता था की अगर उसे पेसे ही चाहिए होते तो वो केसे भी कर के अरेंज कर लेता लेकिन पता नहीं क्यू उसने अनिशा से शादी करने के लिए हा बोल दी।
"रिश्ता भले की किसी भी वजह से जुड़े अहम बात ये है की उसे निभाना किस तरह से है बोझ समझ कर या फिर प्यार समझ कर।" मानिक की बात की गहराई को अनिशा बखूबी समझ रही थी,मानिक की ये बात सच थी दोस्तों चाहे आपका रिश्ता केसे भी कर के जुड़ा हो,उसे आप किस तरह से निभा रहे हो ये जरूरी है वरना हसी खुशी से कीये गए कीये गए रिश्ते भी टूटते देर नहीं लगती।
"ठीक है चलो अब इसे उठाओ पता नहीं कब तक घोड़े बेच कर सोता है,आज सर्जरी है इसकी लेकिन इसे देखो आराम से सो रहा है।" अनिशा ने बात बदलने के लिए हल्के गुस्से से कहा,जिसे मानिक समझ रहा था लेकिन अभी अभी जगा हुआ शोर्य नहीं समझ पाया।
"और तुम क्या हो हा मे घोडा हु तो तुम गधी हो समझी।" शोर्य ने गुस्से से कहा,और पिलो फेक कर अनिशा को दे मारा,अनिशा ने भी पिलो उठाया और शोर्य को दे मारा।
"तुमने मुझे गधी कहा हा,तुम्हारी इतनी हिम्मत।" अनिशा ने गुस्से से कहा आज तक उससे किसी ने इस तरीके से बात नहीं की थी,अगर कोई ऐसी गुस्ताखी करता तो भी अनिशा उसे गायब करवा देती लेकिन अब वो क्या करती ये उसका इकलोता देवर जो था।
"बस करो तुम दोनों,चलो शोर्य तुम तैयार हो जाओ हमे घूमने जाना है।" अनिशा और शोर्य के बीच मे आते हुए मानिक ने कहा,वरना पता नही कब तक वो दोनो टॉम एंड जेरी की तरह लड़ते।
"नहीं मे नहीं जाऊंगा तुम जूठ बोल रहे हो इस नकचढ़ी ने अभी कहा की की तुम सर्जरी करोगे मेरी मे मर जाऊंगा ना उससे तुम मुझसे प्यार ही नहीं करते।" शोर्य रोने लगा,मानिक के दिल मे दर्द सा उठा अनिशा ने मानिक की तरफ देखा उसके चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था।
"चलो मेरा काम हो गया,अब तुम अपने भाई से ही लड़ोगे यही तो मे चाहती थी मेरे जूठ ने काम कर दिया।" अनिशा ने सोफ़े पर आराम से बेठते हुए कहा,उसकी बात सुन शोर्य अचानक से चुप हो गया,मानिक समझ रहा था की अनिशा क्या करना चाह रही थी।
"क्या सच मे तुम जूठ बोल रही थी।" शोर्य ने बेड से नीचे उतरते हुए धीरे से कहा,अनिशा ने हा मे गर्दन हिलाई तो शोर्य ने अनिशा को गले से लगा लिया,शोर्य ऐसा ही था बच्चों की तरह कभी खुश हो जाता तो कभी गुस्सा,मानिक के चेहरे पर मुस्कान आ गई,सच मे
"चलो अब तैयार हो जाओ।" मानिक ने कहा तो शोर्य जल्दी से तैयार होने चला गया।
कुछ देर बाद डाइनिंग एरिया मे,
अनिशा,शोर्य,मानिक और देविका जी नाश्ता कर रहे थे,तभी अनिशा का फोन रिंग हुआ।
"हम्म..।" अनिशा ने फोन कान से लगा कर धीरे से कहा,मानिक की नजर अनिशा पर ही थी।
"मेडम मेने सब पता कर लिया वो अपना होटल कल ही खोलने वाले है।" सामने से एक आवाज आई।
"मेने तुम्हें एक काम सोपा था,ये फालतू की बाते सुननें के लिए मे तुम्हें सेलेरी नहीं देती।" अनिशा की गुस्से भरी आवाज सुन कर वो आदमी कुछ बोल ही नहीं पाया।
"जो काम दिया है वो करो।" अनिशा ने कहा और कॉल कट कर दिया।
"क्या हुआ सब ठीक तो है ना बेटा?" देविका जी ने अनिशा का गुस्सा देख कर कहा।
"हा बड़ी मा सब ठीक है,बस काम का स्ट्रेस होता है थोड़ा।" अनिशा ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।
"ठीक है लेकिन मे सोच रही थी की तुम दोनों शादी के बाद कही गए नहीं तो क्यू ना कुछ दिन के लिए घूमने चले जाओ।" देविका जी कहना चाहती थी की अब तुम दोनों हनीमून पर चले जाओ,उनकी बात सुन कर मानिक को खांसी आ गई।
"वो बड़ी मा आज शोर्य की सर्जरी है तो कुछ दिन तक हम कही नहीं जय सकते है ना मानिक?" अनिशा ने बात को संभालते हुए कहा।
"हा सही कहा,चलो अब हम निकलते है।" मानिक ने कहा और शोर्य को ले कर जाने लगा।
"मे भी साथ चलती हु।" अनिशा ने कहा और बड़ी मा को बाय बोल कर उनके साथ चली गई।
कार मे बेठ कर अनिशा ने वीर को मेसेज किया "मे तुम्हें एक काम सोप रही हु जल्द से जल्द कर के दो मुझे,और हा ये काम दो घंटे के अंदर अंदर खत्म हो जाना चाहिए।" वीर जो की अनिशा के भेजी हुई जगह यानि की अपने पापा के घर गया था माहेश्वरी होऊस मे,वो गुस्से से पागल हो जाता है।
"इस लड़की के अंदर दिल है भी या नहीं मुझे यहाँ जबरदस्ती भेजा एक तो उसने और अब देखो यहाँ भी मुझे काम पर लगा रही है।" वीर ने गुस्से से कहा और फिर कुछ देर लंबी लंबी साँसे भरने के बाद उसने किसी को कॉल किया।
आगे जानने के लिए पढ़ रहिए यानी kj के साथ......
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे…...........🍫
अब तक हमने देखा...............
"हा बड़ी मा सब ठीक है,बस काम का स्ट्रेस होता है थोड़ा।" अनिशा ने हल्का सा मुस्कुरा कर कहा।
"ठीक है लेकिन मे सोच रही थी की तुम दोनों शादी के बाद कही गए नहीं तो क्यू ना कुछ दिन के लिए घूमने चले जाओ।" देविका जी कहना चाहती थी की अब तुम दोनों हनीमून पर चले जाओ,उनकी बात सुन कर मानिक को खांसी आ गई।
"वो बड़ी मा आज शोर्य की सर्जरी है तो कुछ दिन तक हम कही नहीं जय सकते है ना मानिक?" अनिशा ने बात को संभालते हुए कहा।
"हा सही कहा,चलो अब हम निकलते है।" मानिक ने कहा और शोर्य को ले कर जाने लगा।
"मे भी साथ चलती हु।" अनिशा ने कहा और बड़ी मा को बाय बोल कर उनके साथ चली गई।
कार मे बेठ कर अनिशा ने वीर को मेसेज किया "मे तुम्हें एक काम सोप रही हु जल्द से जल्द कर के दो मुझे,और हा ये काम दो घंटे के अंदर अंदर खत्म हो जाना चाहिए।" वीर जो की अनिशा के भेजी हुई जगह यानि की अपने पापा के घर गया था माहेश्वरी होऊस मे,वो गुस्से से पागल हो जाता है।
"इस लड़की के अंदर दिल है भी या नहीं मुझे यहाँ जबरदस्ती भेजा एक तो उसने और अब देखो यहाँ भी मुझे काम पर लगा रही है।" वीर ने गुस्से से कहा और फिर कुछ देर लंबी लंबी साँसे भरने के बाद उसने किसी को कॉल किया।
अब आगे.........
वीर महेश्वरी हाउस इसलिए आया था क्युकी अनीशा ने शर्त रखी थी की अगर वो महेश्वरी हाउस दो दिन के लिए जायेगा तो वो उसे पैसे देगी,अपने डेड से पैसे लेने से अच्छा वीर ने अनीशा की शर्त मानना ही ठीक समझा।
अनीशा और मानिक हॉस्पिटल में शोर्य की सर्जरी करवाने के लिए गए थे,हॉस्पिटल पोचोच कर डॉक्टर्स ने शोर्य के कुछ टेस्ट किए जिसके की पता चले की वो सर्जरी के लिए रेडी है भी या नही।
"तुम जाना चाहो तो जा सकती हो यहां रुक कर तुम्हे टाइम वेस्ट करने की जरूरत नही है।" मानिक जनता था की अनीशा को प्रॉब्लम थी सुबह से कुछ,शायद काम को लेकर होगी ये सोच कर मानिक ने कहा।
"मेने तुमसे पूछा क्या?" अनीशा का जवाब सुन अब मानिक ने कुछ ना बोलना ही ठीक समझा।
कुछ ही देर में शोर्य के डॉक्टर मानिक के पास आए।
"देखिए पेशंट रेडी है तो हक सर्जरी अभी ही शुरू कर रहे है सर्जरी में 4 से 5 घंटे लग सकते है तो आप पैनिक मत होइएगा सब ठीक ही होगा।" डॉक्टर के जाते ही मानिक वही रही चियर पर बैठ गया अनीशा भी उसके पास ही बैठ गई,मानिक की फिक्र उसे महसूस हो रही थी।
मानिक शोर्य से बेहद प्यार करता था और वो नही चाहता था की शोर्य के साथ कुछ भी गलत हो,वो बस ठीक हो जाए केसे भी कर के चाहे इसके लिए मानिक को अपनी जान भी क्यू ना देनी पड़े वो पीछे नहीं हटता।
"देखो वो ठीक हो कर ही आएगा तुम फिक्र ना करो में हु ना।" अनीशा ने मानिक के कंधे पर हाथ रख कर कहा,में हु ना,ये सुन कर पता नही मानिक को केसा फील हो रहा होगा लेकिन आप सोच सकते है दोस्तो की जब हम अकेले हो परेशानी में हो और तब कोई आ कर कहे की डोंट वरी आई आई देर फॉर यू तो वो एहसास दुनिया की हर खुशी से बड़ा होता है।
"थैंक्यू।" मानिक ने अनीशा का हाथ अपने हाथ में लेते हुए कहा।
ऐसे ही 3 घंटे बीत गए,मानिक और अनीशा वही बैठे रहे,तभी डोकर्ट्स आए सर्जरी कर के,मानिक और अनीशा खड़े हो गए उन्हें देख कर।
"सर्जरी तो सक्सेस फूल रही लेकिन कुछ घंटे बाद जब उन्हें होश आएगा तब पता चलेगा की आखिर उन्हें कुछ पुराना याद है भी या नही।" डॉक्टर का मतलब साफ था की हो सकता था की शोर्य अपनी याददाश्त भी खो सकता था।
"डोंट वरी सब ठीक ही होगा।" अनीशा ने कहा और वापिस से दोनो बैठ गए,अब इंतजार था तो बस शोर्य के होश आने का,तभी अनीशा के फोन पर एक मेसेज आया,ये वीर का था अनीशा बड़े ही ध्यान से वीर का मेसेज पढ़ने लगी उसके चेहरे पर बोहोत से सेक्सप्रेशन एक साथ नजर आने लगे,दुख,दर्द गुस्सा और हैरानी जिसे वो मानिक से छिपा ने की कोशिश कर रही थी,उसने तुरंत अपना फोन वापिस से अपने लॉन्ग कोर्ट की जेब में रख दिया।
"क्या हुआ तुम ठीक तो हो?" अनीशा को ऐसे कांपते देख मानिक को फिक्र होने लगी।
"हम्म्म में ठीक हु।" अनीशा ने धीरे से कहा।
"रूको में पानी ले कर आता।" मानिक कार में से पानी लेने चला गया,अनीशा बाहर कही पानी नहीं पीती थी अपने साथ वो पानी की बॉटल्स ले कर ही घूमती थी ये बात मानिक अच्छे से जानता था।
अनीशा ने अपनी आंखे बंद की,उसके सामने अचानक एक सीन चलने लगा।
रात का वक्त,एक दम अंधेरा था अनीशा और वीर कार में थे वो गए थे गुजरात एक काम से और वापिस लोट रहे थे मुंबई, दोनो बाते करते हुए जा रहे थे तभी सामने से एक कार दिखी उन्हे।
और अचानक एक जोर की टक्कर के साथ अनीशा की आंखे खुल गई उसका पूरा चेहरा पसीने से तरबतर था, जैल, पुलिस,घर से बेदखल और बदनामी के साथ ट्रबल सब कब एक ही पल में इसके सामने से गुजरने लगा।
"ये लो पानी पियो,हुआ क्या है बताओ तो मुझे।" मानिक डर गया उसने अनीशा को ऐसी हालत में कभी नही देखा था।
भी दूसरी तरफ वीर का भी यही हाल था जो की अनीशा का था।
वीर के रूम में,महेश्वरी हाउस,
"नही ये नही हो सकता,मानिक गुजरात से है हमे पहले ही समझा चाहिए था,कही मानिक हमसे बदला लेने तो नही आया ना अपने मोम डेड की मौत का,नही नही ऐसा नहीं हो सकता उसे पता पता भी नही होगा उस रात सामने वाली कार में हम थे।" वीर बेहद परेशान था,इतने साल पहले हुआ वो एक्सीडेंट याद कर के आज भी उसकी रूह कांप जाती है,वो रात इतनी काली थी की उसकी याद आते ही वीर बीमार पड़ जाता था।
क्या अनीशा ने किया है मानिक के मां पापा का एक्सीडेंट??
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ….....जय महाकाल........ जय बजरंग बलि...... जय शनि देव....... कोमेन्ट करना ना भूले..........?
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे…................
अब तक हमने देख..............
रात का वक्त,एक दम अंधेरा था अनीशा और वीर कार में थे वो गए थे गुजरात एक काम से और वापिस लोट रहे थे मुंबई, दोनो बाते करते हुए जा रहे थे तभी सामने से एक कार दिखी उन्हे।
और अचानक एक जोर की टक्कर के साथ अनीशा की आंखे खुल गई उसका पूरा चेहरा पसीने से तरबतर था, जैल, पुलिस,घर से बेदखल और बदनामी के साथ ट्रबल सब कब एक ही पल में इसके सामने से गुजरने लगा।
"ये लो पानी पियो,हुआ क्या है बताओ तो मुझे।" मानिक डर गया उसने अनीशा को ऐसी हालत में कभी नही देखा था।
भी दूसरी तरफ वीर का भी यही हाल था जो की अनीशा का था।
वीर के रूम में,महेश्वरी हाउस,
"नही ये नही हो सकता,मानिक गुजरात से है हमे पहले ही समझा चाहिए था,कही मानिक हमसे बदला लेने तो नही आया ना अपने मोम डेड की मौत का,नही नही ऐसा नहीं हो सकता उसे पता पता भी नही होगा उस रात सामने वाली कार में हम थे।" वीर बेहद परेशान था,इतने साल पहले हुआ वो एक्सीडेंट याद कर के आज भी उसकी रूह कांप जाती है,वो रात इतनी काली थी की उसकी याद आते ही वीर बीमार पड़ जाता था।
क्या अनीशा ने किया है मानिक के मां पापा का एक्सीडेंट?
अब आगे..............
अनीशा और मानिक वही रहे जब तक शोर्य को होश नही आ गया।
"आप अब पेशेंट से मिल सकते है लेकिन बस एक ही ओके।" डॉक्टर ने कहा तो अनीशा ने मानिक को अंदर जाने का इशारा किया।
मानिक धीरे से अंदर गया,उसने देखा शोर्य सीलिंग को देख रहा है,जेसे ही मानिक ने उसके कंधे पर हाथ रखा,श्री तुरंत खड़ा हो गया,और बेड पर सिमट कर बैठ गया।
"मानिक....मानिक मां पापा कहा है बुलाओ उन्हे मुझे यहां हॉस्पिटल में क्यू रखा है हा बोलो ना मानिक।" जेसे ही शोर्य के मुंह से मानिक ने ये सुना वो टूट गया,उसका दिल धक से रह गया,उसका भाई ठीक नही हुआ था हा उसकी जान बच गई थी,लेकिन वो अब अभी ठीक नही था।
मानिक ने उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन नही हुआ।
"नही नही दूर रही मुझे मेने कहा दूर रहो के बस मां के पास रहुगा मां कहा है तुम दूर जाओ।" शोर्य बेड से उतर कर मानिक से दूर होने लगा अनीशा ये सब देख रही थी,कुछ देर बाद नर्स और मानिक ने मिल कर शोर्य को शांत किया और सुला दिया,अनीशा डॉक्टर के पास गई।
"What the fu** डॉक्टर मिश्रा आपने ये किया क्या है हा ऑपरेशन के बाद भी अगर शोर्य ठीक नही हुआ तो क्या फायदा ऐसे ऑपरेशन का क्या ये सब आपका हॉस्पिटल अपनी जेब भरने के लिए करता है हा।" अनीशा को सब जानते थे वो जितनी गुस्से वाई थी वो चाहे तो किसी का भी करियर या जिंदगी बर्बाद करने में उसे कुछ मिनटों का समय लग सकता था।
"देखिए हमने पहले ही मिस्टर मेहता से बात करली थी ये सर्जरी शोर्य को ठीक करने के लिए नही बल्कि उसके क्लॉट को निकालने के लिए थी,ताकि हम उनकी जान बचा से समझ रही है आप बात को।" डॉक्टर के समझाने का अनीशा पर कोई असर नहीं हुआ।
"उसे एक दम ठीक करने का कोई तरीका बताओ मिश्रा वरना जान से जाओगे।" अनीशा ने टेबल पर अपना हाथ पटकते हुए कहा।
"एक ही तरीका है शायद..." डॉक्टर के कहते ही अनीशा उनके केबिन से बाहर निकल गई,कुछ ही देर में मानिक डॉक्टर के केबिन में आया।
"मेरी वाइफ यहां आई थी डॉक्टर आपने उन्हें कही देखा है।" मानिक ने धीरे से कहा।
"जी आई थी वो और उन्हें मुझसे पूछा की क्या तरीका है शोर्य को एक दम से तुम करने का तो मेने उन्हे एक तरीका बताया है ताकि शायद काम कर जाए।" डॉक्टर मिश्रा की बात सुन मानिक कंग्यूज़ हो गया।
"कहा है वो और क्या बताया आपने उसे?" मानिक ने पूछा।
"दरसल मेने उनसे कहा कि अगर शोर्य वो एक्सीडेंट को अपनी आंखों से फिर से रियल में देखे तो शायद वो अपने ट्रॉमा से बाहर आ सकता है।" डॉक्टर की बात सुन मानिक तुरंत शोर्य के केबिन की तरफ दौड़ा,मानिक देखा शोर्य अपने रूम में नही था।
"शोर्य कहा गया,अरे बोलो हा कहा गया शोर्य?" मानिक ने गुस्से से कहा।
"जी वो तो आपकी वाइफ ले गई।" नर्स ने देते हुए कहा,मानिक दौड़ते हुए बाहर गया,उसने देखा की अनीशा अपनी कार में शोर्य को ले कर जा रही है कही,मानिक दौड़ते हुए उसके पीछे जा रहा था,लेकिन कार की स्पीड बढ़ी हुई थी।
तभी रास्ते से एक सायकल वाला लड़का जा रहा था मानिक ने उससे रिक्वेस्ट की और सायकल ले कर मानिक अनीशा की कार का पीछा करने लगा,उसे अनीशा पर बेहद गुस्सा आ रहा था,पता नही वो शोर्य को कहा ले जा रही थी अगर शोर्य को कुछ हो गया तो वो क्या करेगा।
"अगर शोर्य को कुछ हुआ अनु तो में भूल जाऊंगा की में तुमसे प्यार करता हु।" मानिक ने गुस्से से कहा अनीशा की कार उसकी सायकल से दूर थी, लेकिन वो सायकल बेहद स्पीड में चला रहा था, सच में उसके ताकत की दात देनी पड़ेगी।
"मेने जो कहा वो करो में तुम्हे और तुम्हारी फेमिली का सारा खर्चा उठाऊंगी समझ आई मेरी बात,बस तुम जल्द से जल्द आओ।" अनीशा ने कहा और अपने कान में लगा ब्लूटूथ साइड में फेल दिया।
"हम कहा जा रहे है, मानिक की दोस्त?" शोर्य ने खिड़की से इधर उधर देखते हुए कहा।
"अपनी मंज़िल तक जा रहे है।" अनीशा ने कहा तो शोर्य को कुछ समझ तो नही आया लेकिन उसने ताली बजा कर अनीशा को अप्रीशिएट किया।
"अब में जैसा कहूं वैसा ही करना ओके।" अनीशा ने कर ड्राइव करते हुए कहा।
"क्यू तुम मेरी ना टीचर हो ना तुम मानिक हो ना ही तुम मेरी मां हो,तो में क्यू मानू तुम्हारी बात जा? वैसे मां कहा है मेरी बातो?मां मां कहा है?" शोर्य एक दम से सोने लग गया,अनीशा ने एक नजर उसे देखा लेकिन कुछ कहा नहीं।
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"अगर शोर्य को कुछ हुआ अनु तो में भूल जाऊंगा की में तुमसे प्यार करता हु।" मानिक ने गुस्से से कहा अनीशा की कार उसकी सायकल से दूर थी, लेकिन वो सायकल बेहद स्पीड में चला रहा था, सच में उसके ताकत की दात देनी पड़ेगी।
"मेने जो कहा वो करो में तुम्हे और तुम्हारी फेमिली का सारा खर्चा उठाऊंगी समझ आई मेरी बात,बस तुम जल्द से जल्द आओ।" अनीशा ने कहा और अपने कान में लगा ब्लूटूथ साइड में फेल दिया।
"हम कहा जा रहे है, मानिक की दोस्त?" शोर्य ने खिड़की से इधर उधर देखते हुए कहा।
"अपनी मंज़िल तक जा रहे है।" अनीशा ने कहा तो शोर्य को कुछ समझ तो नही आया लेकिन उसने ताली बजा कर अनीशा को अप्रीशिएट किया।
"अब में जैसा कहूं वैसा ही करना ओके।" अनीशा ने कर ड्राइव करते हुए कहा।
"क्यू तुम मेरी ना टीचर हो ना तुम मानिक हो ना ही तुम मेरी मां हो,तो में क्यू मानू तुम्हारी बात जा? वैसे मां कहा है मेरी बातो?मां मां कहा है?" शोर्य एक दम से सोने लग गया,अनीशा ने एक नजर उसे देखा लेकिन कुछ कहा नहीं।
अब आगे......................
महेश्वरी हाऊस में,
"ये क्या बोल रहे हो तुम,अनीशा ने मुझे खुद कहा है की तुम दो दिन रही रहोगे और आज तो तुम्हारा जन्मदिन है तुम नही जा सकते।" रोहिणी महेश्वरी ने गुस्से से कहा,वो अपने बेटे से बोहोत प्यार करती थी लेकिन बाप बेटे के बीच फस जाति थी।
"मोम एक जरूरी काम आ गया है वरना में कभी आज के दिन नही जाता प्लीज़ समझो बात को में वादा करता हु एक दिन यहां रुकने वापिस जरूर आऊंगा।" वीर ने कहा और तुरंत वहां से निकल गया,रोहिणी जी बस आंखो में नमी लिए उसे जाते हुए देखती रहीं।
वही दूसरी तरफ मानिक जो की बेहद गुस्से में था,उसने देखा आगे सुनसान रोड पर अनीशा ने अपनी कार रोकी और इस कार से शोर्य बाहर आया और रोड की एक साइड खड़ा था गया,मानिक जल्दी से शोर्य के पास पोहचा और सायकल को फेक कर शोर्य को हग कर लिया।
"तू ठीक तो है ना,तुझे कुछ हुआ तो नही अनीशा कहा क्या हो रहा है यहां तुम शोर्य को ले कर ऐसे क्यू आ आई हो।" मानिक ने अनीशा को देखते हुए कहा।
"पता नही इन दो दीन में क्या अटेचमेंट हो गई तुमसे लेकिन इतना याद रखना में एक ऐसी लड़की हु मरने के बाद भी अपनी चीज किसी और की होने नही देती।" कार की विंडो से मानिक को देखते हुए अनीशा ने कहा,मानिक की आंखे अनीशा की आंखो से मिली अनीशा की आंखो में नमी थी जेसे वो अपना सब कुछ खोने वाली हो।
"ये ये क्या बोल रही हो तुम बात सुनो मे........." मानिक अभी उसकी कार के पास जा ही रहा था की अनीशा ने जोर से ऐलसेलिएटर पर पर रखा,अनीशा की गाड़ी ने स्पीड पकड़ ली,मानिक उसके पीछे भागा,शोर्य भी मानिक के पीछे पीछे जा रहा था,तभी उन दोनो ने देखा अनीशा की गाड़ी के सामने उतनी ही स्पीड से आ रही थी,मानिक को समझ आया की आखिर अनीशा क्या करना चाह रही ही लेकिन तभी एक जोर की आवाज के साथ दोनो कर उछली,अनीशा की कार गोल गोल घूमने लगी,मानिक और शोर्य एक दम से रूक गए,मानिक को लगा जेसे उसकी दुनिया ही रुक गई हो।
शोर्य अपनी आंखे बड़ी बड़ी कर एक जगह पर खड़ा हो कर सब देख रहा था।
मानिक दौड़ कर अनीशा की कार के पास गया,अनीशा के सर से खून निकल रहा था,खून से लतपथ चेहरे के साथ भी अनीशा के चेहरे पर मुस्कान थी,वो मानिक को देखना चाहती थी लेकिन उसकी आंखे बंद होने लगी थी उसने अपनी पूरी ताकत लगा कर अपना हाथ मानिक की तरफ बढ़ाने की कोशिश की,लेकिन मानिक उसे दूर था।
मानिक ने जल्दी से अनीशा का हाथ पकड़ लिया,मानिक की आंखो से लगातार आंसू बह रहे थे,अनीशा ने मानिक के चेहरे पर हाथ फेरा,उसे आज अपने दिल पर से एक बोझ हल्का महसूस हो रहा था।
"अपना ख्याल रखना।" अनीशा ने अपनी आखिरी बात कही और उसकी आंखे बंद हो गई लेकिन उसने मानिक का हाथ थामे रखा।
"अनु........." मानिक जोर से चिल्लाया,उसने जल्दी से अनीशा को कार से बाहर निकाला,और उसे गले लगा कर रोने लगा याने सोचा नही था की अनीशा जिसे वो दिलों जान से चाहने लगा था वो कुछ ऐसा करेगी।
"पल दो पल की क्यू है जिंदगी,
इस प्यार को तो सादिया काफी नही,
तो खुदा से मांग लूं मोहलत में एक नई,
रहना है सब यहां अब दूर तुझे जाना नही..."
मानिक अनीशा को गले लगा कर जोर जोर से रोने लगा जिंदगी में ये पहली बार था जब वो अपना दुख अपने अंदर रख नही पा रहा था।
"जो तू मेरा हम दर्द है,जो तू मेरा हम दर्द है,
सुहाना हर दर्द है.....जो तू मेरा हमदर्द है..."
तभी वहां वीर एंब्यूल्स ले कर आ गया,वही मानिक की नजर शोर्य पर पड़ी,शोर्य बेहोश था,नर्स और वीर जल्दी से अनीशा और शोर्य को ले गए,मानिक भी उनके साथ था,वो एक शोक में था लगातार उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे,रात का अंधेरा उसकी आंखो में चुभ रहा था।
हॉस्पिटल पोहोंच कर वीर ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा लेकिन डॉक्टर शायद नही थे वहां प्रेजेंट,मनिका का गुस्सा बढ़ गया।
मानिक हॉस्पिटल की चीजों को तोड़ ने लगा।
"जल्द से जल्द बुलाओ डॉक्टर को वरना कोई जिंदा नही बचेगा यहां आई बात समझ।" वीर मानिक का ऐसा रूप देख कर हैरान हो गया था।
"शांत रहिए जीजू अनीशा को कुछ नही होगा।" वीर ने रोते हुए कहा,तभी डॉक्टर्स आ गए और तुरंत अनीशा को ले जाने लगे आईसीयू में,तभी मानिक ने डॉक्टर का कोलार पकड़ कर उसे धमकी दी।
"अगर मेरी अनु को कुछ भी हुआ ना तो याद रखना,तो तुम्हारा वो हाल होगा की डॉक्टर्स पहचान नही पाएंगे की तुम्हारी किड़नी कौनसी है और हार्ट कोनसा है,समझे ना।" मानिक ने धीरे से कहा,डॉक्टर के पसीने छूट रहे थे,मानिक बोल कर शोर्य के पास चला गया।
आगे जनने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानी kj के साथ.........जय बजरंग बली..........जय महाकाल..........जय शनिदेव..... कोमेेंट करना ना भूले.......
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे..................
अब तक हमने देखा..................
"जो तू मेरा हम दर्द है,जो तू मेरा हम दर्द है,
सुहाना हर दर्द है.....जो तू मेरा हमदर्द है..."
तभी वहां वीर एंब्यूल्स ले कर आ गया,वही मानिक की नजर शोर्य पर पड़ी,शोर्य बेहोश था,नर्स और वीर जल्दी से अनीशा और शोर्य को ले गए,मानिक भी उनके साथ था,वो एक शोक में था लगातार उसकी आंखो से आंसू बह रहे थे,रात का अंधेरा उसकी आंखो में चुभ रहा था।
हॉस्पिटल पोहोंच कर वीर ने जल्दी से डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा लेकिन डॉक्टर शायद नही थे वहां प्रेजेंट,मनिका का गुस्सा बढ़ गया।
मानिक हॉस्पिटल की चीजों को तोड़ ने लगा।
"जल्द से जल्द बुलाओ डॉक्टर को वरना कोई जिंदा नही बचेगा यहां आई बात समझ।" वीर मानिक का ऐसा रूप देख कर हैरान हो गया था।
"शांत रहिए जीजू अनीशा को कुछ नही होगा।" वीर ने रोते हुए कहा,तभी डॉक्टर्स आ गए और तुरंत अनीशा को ले जाने लगे आईसीयू में,तभी मानिक ने डॉक्टर का कोलार पकड़ कर उसे धमकी दी।
"अगर मेरी अनु को कुछ भी हुआ ना तो याद रखना,तो तुम्हारा वो हाल होगा की डॉक्टर्स पहचान नही पाएंगे की तुम्हारी किड़नी कौनसी है और हार्ट कोनसा है,समझे ना।" मानिक ने धीरे से कहा,डॉक्टर के पसीने छूट रहे थे,मानिक बोल कर शोर्य के पास चला गया।
अब आगे..................................
मानिक की हालत अभी बोहोत खराब थी,सच में दोस्तो जब कोई हमारे पास होता है तो हमे उसकी कदर नही होती लेकिन जब हमे लगता है की वो इंसान हमसे हमेशा के लिए दूर हो रहा है तो हम तड़प उठते है,कभी कभी हमे खुद ही फीलिंग्स समझ नही आती की आखिर हम इतना बैचेन क्यू है।
डॉक्टर्स अनीशा का ऑपरेशन कर रहे है थे क्युकी उसके लेग्स में बोहोत गहरी चोट आई थी साथ ही जो लड़का दूसरी कार में था उसका भी इलाज चल रहा था लेकिन उस लड़के को ज्यादा चोट नहीं आई थी उसके अपनी सेफ्टी का पूरा ख्याल रखा था हेलमेट के साथ पूरी बॉडी को कवर करने के लिए एक अलग सा कोस्चयुम सब कुछ अनीशा ने उसको पहले से ही बोल दिया था पहनने के लिए,लेकिन मानिक को गुस्सा इस बात पर आ रहा था की अनीशा को ये सब कारण की जरूरत क्या थी।
मानिक शोर्य के पास पोहचा वो अभी बेहोश था,शोर्य उसके बेड के पास बैठ गया,उसकी आंखो से आंसू आने लगे,वो अपने भाई को गले लगा कर अपना दुख बताना चाहता था लेकिन अभी वो अकेला महसूस कर रहा था।
तभी वीर ने उसके कंधे पर हाथ रखा,मानिक ने उसे एक नज़र देखा फिर जट से वीर को गले लगा लिया,उसके आंसू वीर की शर्ट को भीगा रहे थे।
"वीर अगर उसे कुछ हो गया ना तो में अपने आपको कभी माफ नहीं कर पाऊंगा,वो ऐसा केसे कर सकती है उसने एक बार भूरे बारे में नहीं सोचा वो बोहोत बुरी है बोहोत बुरी।" मानिक रोते रोते बोल रहा था वो अभी एक दम छोटे बच्चे की तरह लग रहा था जिसका फेवरेट खिलौना किसी ने तोड़ दिया हो जानबूझ कर।
"जीजू शांत हो जाओ कुछ नही होगा अनीशा को आप जानते हो जा वो कितनी स्ट्रोंग है वो मौत को भी दो बाते सुना कर ही आएगी देख लेना,यमराज अगर उसके सामने आए तो पता है वो क्या बोलेगी,चलिए यमराज जी डील करते है आप मुझे नीचे जाने दो वापिस तो में आपको अपनी होटल में शेर दूंगी।" वीर ने माहोल को हल्का करने के लिए कहा,उसका तरीका काम भी किया मानिक गम में भी मुस्कुरा दिया,उसे अपनी अनु पर यकीन था वो उसे छोड़ नही जायेगी।
"हम्म्म सही कहा,वो मुझे छोड़ कर कही नही जायेगी।" मानिक अभी बोल ही रहा था की तभी शोर्य को होश आ गया,वीर जल्दी से डॉक्टर को बुलाने चला गया,उसने देखा की icu के बाहर देविका जी खड़ी थी वीर उनके पास गया।
"बड़ी मां हिम्मत रखिए अनीशा बिल्कुल ठीक हो जाएगी।" वीर ने उन्हें बैठाया और शांति से कहा।
" बस भगवान मेरी बच्ची की रक्षा करना।" हाथ जोड़ कर देविका जी ने रोते हुए कहा,उनकी जिंदगी में एक ही उम्मीद थी जीने की वजह थी वो थी अनीशा अब अगर उसे कुछ हो गया तो ना जाने वो क्या करेगी।
वही जब शोर्य को इस बार होश आया तो वो एक दम ख़ामोश था,उसे इतना शांत देख कर डॉक्टर्स और मानिक दोनो घबरा गए आखिर शोर्य इतना शांत क्यू था।
"क्या भाभी ठीक हा?" कुछ सेकेंड के पोज़ के बाद शोर्य ने मानिक को देखते हुए कहा,ये पहली बार था जब शोर्य ने अनीशा को भाभी कहा था,उसकी आवाज और अंदाज से मानिक समझ गया की अनीशा की कोशिश बेकार नहीं गई थी शोर्य अब बिल्कुल ठीक हो चुका था।
"शोर्य..." मानिक ने कहा और शोर्य को गले से लगा लिया,शोर्य ने भी रोते हुए अपने बड़े भाई को जोर से हग किया,कुछ देर बाद दोनो आईसीयू के बाहर आए,शोर्य के शरीर में अब भी कमज़ोर थी ऑपरेशन की वजह से मानिक ने उसे बैठाया आईसीयू के भर लगी चेयर पर जहा बड़ी मां बेटी हुई थी।
"बड़ी मां चिंता मत कीजिए आप सब ठीक हो जायेगा।" मानिक ने कहा और इधर से उधर चक्कर काटते लगा।
*********शांति सदन में**********
अनीशा का एक्सीडेंट हुआ है ये बात उड़ते उड़ते सिंघानिया विला तक पांच चुकी थी लेकिन अब तक ना किसी न्यूज में ऐसी कोई बात थी ना ही सोशल मीडिया पर ये एक हैरानी की बात लगी सिंघानिया परिवार को,क्युकी अनीशा से रिलेटेड कोई खबर हो और वो मीडिया वाले कवर ना करे ऐसा तो हो ही नही सकता था।
"में जा रहा हु आप में से किसी को आने है तो आइए वरना कोई बात नही।" श्रवण ने गुस्से से कहा और वहां से जाने लगा,क्युकी कब से सिंघानिया परिवार के लोग डिस्क्सन कर रहे थे की उन्हे अनीशा से मिलने अभी जाना चाहिए की नही।
"अरे रुक तो बेटा अभी तुझे जाने की क्या......।" इससे पहले की दामिनी अपने बेटे को रोक पाती वो बाहर निकल चुका था।
"किसी को जाने की कोई जरूरत नहीं वो लड़की बस हमेशा हमारी बैजती करती रहती है,श्रवण गया है तो वापिस आ जायेगा इंसल्ट करा के और किसी को जाने की कोई जरूरत नही है समझे सब।" रघुनाथ जी ने कहा और अपने कमरे की और बढ़ गए अपनी पोती के लिए मन में इतना जहर रखने वाले दादा जी को आज मेने पहली बार देखा था।
*******हॉस्पिटल में********
कुछ घंटों बाद डॉक्टर्स बाहर आए और उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिससे सुन कर मानिक के पैरो तले ज़मीन खिसक गई।
"आई एम सॉरी मिस्टर मानिक." ये सुनने के बाद मानिक को कोई होश नही रहा।
जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानी kj के साथ....जय महाकाल........जय बजरंग बली..........जय शनि देव.........कॉमेंट करना ना भूले.............
हेलो दोस्तो केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होगे.....................
अब तक हमने देखा............
*********शांति सदन में**********
अनीशा का एक्सीडेंट हुआ है ये बात उड़ते उड़ते सिंघानिया विला तक पांच चुकी थी लेकिन अब तक ना किसी न्यूज में ऐसी कोई बात थी ना ही सोशल मीडिया पर ये एक हैरानी की बात लगी सिंघानिया परिवार को,क्युकी अनीशा से रिलेटेड कोई खबर हो और वो मीडिया वाले कवर ना करे ऐसा तो हो ही नही सकता था।
"में जा रहा हु आप में से किसी को आने है तो आइए वरना कोई बात नही।" श्रवण ने गुस्से से कहा और वहां से जाने लगा,क्युकी कब से सिंघानिया परिवार के लोग डिस्क्सन कर रहे थे की उन्हे अनीशा से मिलने अभी जाना चाहिए की नही।
"अरे रुक तो बेटा अभी तुझे जाने की क्या......।" इससे पहले की दामिनी अपने बेटे को रोक पाती वो बाहर निकल चुका था।
"किसी को जाने की कोई जरूरत नहीं वो लड़की बस हमेशा हमारी बैजती करती रहती है,श्रवण गया है तो वापिस आ जायेगा इंसल्ट करा के और किसी को जाने की कोई जरूरत नही है समझे सब।" रघुनाथ जी ने कहा और अपने कमरे की और बढ़ गए अपनी पोती के लिए मन में इतना जहर रखने वाले दादा जी को आज मेने पहली बार देखा था।
*******हॉस्पिटल में********
कुछ घंटों बाद डॉक्टर्स बाहर आए और उन्होंने कुछ ऐसा कहा जिससे सुन कर मानिक के पैरो तले ज़मीन खिसक गई।
"आई एम सॉरी मिस्टर मानिक." ये सुनने के बाद मानिक को कोई होश नही रहा।
अब आगे.......
डॉक्टर के सॉरी बोलते ही मानिक ने उस डॉक्टर का गला पकड़ लिया,उसकी आंखे देख ऐसा लग रहा था जेसे बस अब मनैक उस डॉक्टर को मार ही देगा।
वीर उसके पास आया और उस डॉक्टर को छुड़ाने की कोशिश की लेकिन मानिक की पकड़ बोहोत मजबूत थी।
"मेरी.... पे..... पूरी बात तो सुनिए।" उस डॉक्टर ने अटकती आवाज में कहा उसकी सांसे तेज हो रही थी,मानिक ने एक झटके से उसे छोड़ा,आसपास के लोग आ कर उस डॉक्टर को उठने में मदद करने लगे।
"वो ठीक है लेकिन शायद अब कभी चल नही पायेगी,उनके पैरो में बोहोत चोट लगी है हमने ऑपरेशन किया लेकिन मसल के साथ साथ बोर्न्स भी डेमेज हुए है जिसकी वजह से शायद वो अब कभी चल ना पाए।" ये सुनते ही वीर और मानिक एक अजीब सिच्वेशन में पड़ गए उन्हे समझ नही आ रहा था अनीशा के जिंदा होने की खुशी मानाए या फिर वो नही चल पाएगी उस बात का गम मनाए।
"What?" पीछे से श्रवण ने कहा वो काफी शोक में था,मानिक के अंदर हिम्मत नही थी की वो अनीशा के पास जाए उससे नजरे मिलाए आखिर उसके भाई के लिए अनीशा ने अपनी कुर्बानी दी थी, इसमें उसकी जान भी जा सकती थी,वो तो लकीली बस पैर में ज्यादा चोट आई अगर वही छोटे सर पर आई होती तो वो अब तक मार चुकी होती।
मानिक वही एक चेयर पर बैठ गया,वीर ने उसके कंधे पर हाथ रखा श्रवण भी उन दोनो के पास बैठ गया,वीर ने श्रवण को सारी बात बताई की आखिर क्या हुआ था,श्रवण एक सुलझा हुआ शांत इंसान था ना किसी से बात करना ज्यादा का ही लड़ता झगड़ता,जा वो सौतेला भाई था अनीशा का लेकिन वो अनीशा को अपनी सगी बहन से भी ज्यादा प्यार करता पता नही अनीशा को उसका प्यार क्यू नही दिखता था लेकिन वीर अंधा नही था।
"आप पेशेंट से अब मिल सके है।" एक नर्स ने आ कर कहा अनीशा को आईसीयू से वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया था,वीर और श्रवण खड़े हो गए लेकिन मानिक अपनी जगह से नही हिला।
"तुम ये क्यू सोच रहे हो की अब वो चल नही पायेगी,तुम साथ दो उसका मुझे उम्मीद है वो एक दिन जरूर ठीक हो जाएगी।" श्रवण की बात सुन मानिक ने अपनी लाल लेकिन नम आंखों से उसे देखा,श्रवण ने बस हा में गर्दन हिला दी।
"हा सही कहा श्रवण ने वो हमारी शेरनी है, तुम्हे तो पता है वो हार कभी नही मानती,चली अब चलते है उसके पास वरना हमारी बैंड बजा देगी वो।" वीर ने माहोल हल्का करने के लिए कहा,तीनो लड़के अनीशा के बोर्ड की तरफ बढ़ गए,उन्होंने देखा अनीशा अपनी आंखे बंद कर अपना सर दीवार से टिका कर बैठी हुई थी,और उससे कुछ दूरी पर एक नर्स डरी सहमी खड़ी थी।
"क्या हुआ तुम डर क्यू रही हो?" वीर ने उस नर्स से पुछा,जिसके हाथ पाव कांप रहे थे।
"वो वो में में इनके लिए खिचड़ी ले कर आई थी क्युकी कुछ ही देर में सुबह हो जायेगी तो मुझे इनको मेडिसिन देनी है,लेकिन इन्होंने तो खिचड़ी को फेक दिया,और मुझसे कहा की चली जाओ वरना मुझे पका कर खा जायेगी।" उस नर्स ने डरते हुए कहा,और वहां से तुरंत भाग गई,मानिक ने देखा फ्लोर पर एक बाउल उल्टा पड़ा था और उसके आसपास खिचड़ी भी गिरी हुई थी।
"खिचड़ी ले आओ।" मानिक ने वीर से कहा तो वीर चला गया,मानिक धीरे से अनीशा के पास आया,अनीशा ने उसकी तरफ देखा वो काफी कमज़ोर दिख रही थी हॉस्पिटल के us गाउन में उसे अच्छा नहीं लग रहा था।
"खाने का अपमान करना बुरी बात होती है अनु,आगे से ऐसा कभी मत करना।" मानिक ने बड़े ही प्यार से अनीशा के हाथ को अपने दोनो हाथो में बीच रखते हुए कहा,अनीशा की नजर बस मानिक पर ही रुक गई,उसकी लाल आंखे अनीशा ने भी देख ली।
"ठीक है सॉरी गॉड ओके,लेकिन क्या ये हॉस्पिटल के कपड़े थोड़े टाइट नही हो सकते इसमें तो में बिल्कुल अच्छी नही लगुगी।" अनीशा की बात सुन श्रवण को हंसी आ गई,तभी अनीशा की नजर उस पर गई।
"तुम यहां क्या कर रहे हो?देखने आए हो क्या की में मर गई या जिंदा हु।" अनीशा ने गुस्से से श्रवण को देखते हुए।
"अनु ये कैसी बाते कर रही हो तुम,ये तुमसे बोहोत प्यार करता है इसके साथ ऐसा मत करो,लोगो की पहचान होनी चाहिए तुम्हे।" मानिक में कहा।
"तुम ऐसे केसे अपनी जान खतरे में डाल सकती हो?" श्रवण की भी आंखे नम थी।
" मेरी जान मेरी मर्जी जहा चाहु वहां डालू।" अनीशा ने एक दम कूल हो कर उसकी बाते,अंदाज और एटीट्यूड देख कर लग नही रहा था की अभी अभी वो मोत के मुंह से निकल कर आ रही है और तो और अब वो चल भी नहीं सक्त है।
"ठीक है लेकिन आगे से ऐसा मत करना,में डिस्चार्ज पेपर बनवा कर लता हु।" श्रवण ने खुद के इमोशंस को कंट्रोल करते हुए जा और जल्दी से वहां से चला गया।
"ये ठीक नही कर रही तुम" मानिक ने धीरे से कहा,मानिक अनीशा के हाथ को अपनी उंगली धूमा रहा था।
"तुम्हे क्या लगता है मेने ऐसे ही बोलती हु,भरोसा किया था माय मिस्टर शेफ,भरोसा किया था, लेकिन टूट गया और जब कोई चीज़ टूटती है ना तो चुभती भी है,फिर चाहे वो दिल हो, शीशा हो या भरोसा हो।" अनीशा की बातो में जो गहराई थी उसे समझ ने के लिए दिल से सोचना जरूरी है,किसी के दर्द को महसूस करने वाला इंसान बोहोत ही खास होता है
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानी kj के साथ........जय महाकाल....... जय बजरंग बली.........जय शनि देव..........कॉमेंट करना ना भूले...............
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होंगे..................।
अब तक हमने देखा...।
"अनु ये कैसी बाते कर रही हो तुम,ये तुमसे बोहोत प्यार करता है इसके साथ ऐसा मत करो,लोगो की पहचान होनी चाहिए तुम्हे।" मानिक में कहा।
"तुम ऐसे केसे अपनी जान खतरे में डाल सकती हो?" श्रवण की भी आंखे नम थी।
" मेरी जान मेरी मर्जी जहा चाहु वहां डालू।" अनीशा ने एक दम कूल हो कर उसकी बाते,अंदाज और एटीट्यूड देख कर लग नही रहा था की अभी अभी वो मोत के मुंह से निकल कर आ रही है और तो और अब वो चल भी नहीं सक्त है।
"ठीक है लेकिन आगे से ऐसा मत करना,में डिस्चार्ज पेपर बनवा कर लता हु।" श्रवण ने खुद के इमोशंस को कंट्रोल करते हुए जा और जल्दी से वहां से चला गया।
"ये ठीक नही कर रही तुम" मानिक ने धीरे से कहा,मानिक अनीशा के हाथ को अपनी उंगली धूमा रहा था।
"तुम्हे क्या लगता है मेने ऐसे ही बोलती हु,भरोसा किया था मिस्टर शेफ,भरोसा किया था, लेकिन टूट गया और जब कोई चीज़ टूटती है ना तो चुभती भी है,फिर चाहे वो दिल हो, शीशा हो या भरोसा हो।" अनीशा की बातो में जो गहराई थी उसे समझ ने के लिए दिल से सोचना जरूरी है,किसी के दर्द को महसूस करने वाला इंसान बोहोत ही खास होता है।
अब आगे.........................................................।....।।
मानिक खामोशी से अनिशा को देख रहा था,वीर आया और उसने खिचड़ी का बाउल मानिक को दिया।
"चलो मुह खोलो।" मानिक ने धीरे से कहा।
"कर ले बेटा कर ले लेकिन तेरी कोशिश बेकार है ये नहीं खाने वाली ये खिचड़ी।" वीर ने धीरे से बुदबुदाया,लेकिन वो हेरण हो गया जब उसने देखा की अनिशा चुप चाप मानिक के हाथ से वो सिम्पल सी खिचड़ी खा रही थी।
"सही कहा है किसी ने प्यार अच्छे अच्छों को बदल देता है।" श्रवण ने वीर के कंधे पर हाथ रख कर कहा,डॉक्टर्स का कहना था की अनिशा घर पर भी आराम कर सकती है लेकिन बस उसे प्रॉपर रेस्ट की जरूरत है,लेकिन उसे हर तीन दिन मे चेकउप के लिए आना होगा।
"चलो अब घर चलते है,फिर परसो आएंगे चेकउप के लिए।" वीर ने कहा।
"भूल जाओ की मे वापिस आऊँगी यहाँ।" अनिशा ने कहा,तभी एक नर्स आई और डेरते हुए उसने अनिशा के बेड के पास विल चेर रही,अब तक उस नर्स ने बात फेला दी थी पूरे अस्पताल मे की अनिशा कितनी खतरनाक है,इसलिए अस्पताल का स्टाफ अनिशा से डर रहा था।
अनिशा ने उस विल चेर को देखा उसकी आँखों मे एक सुना पन उतर आया,उसे अफसोस नहीं था जो उसने किया था उसका लेकिन अब लाचारी की ज़िंदगी जीनी पड़ेगी ये सोच कर उसे अफसोस हो रहा था अपने जिंदा बच जाने पर।
तीनों लड़कों ने ये देखा की किस तरीके से अनिशा उस चेर को घूर रही थी,मानिक उसके पास आया और उसे अपनी गोद मे उठा लिया।
"तुम यहाँ ना आओ तो क्या हुआ डॉक्टर्स तो घर पर आ सकते है ना?" मानिक ने अनिशा की तरफ देख कर कहा।
दोनों एक दूसरे के बेहद करीब थे,अनिशा की दिल की धड़कन बढ़ते ही जा रही थी वीर को लगा जेसे अब इन दोनों के बीच कोई प्रॉबलम नहीं आ सकती सब ठीक होगा,चारों लोग वॉर्ड से बाहर निकले,बाहर कोरीडोर मे शोर्य खड़ा था शोर्य को देख कर अनिशा के चेहरे पर मुस्कान आ गई।
"पता नहीं मे तुम्हारा एहसान केसे उतारूँगा भाभस..।" शोर्य के भाभस बोलते ही पता नहीं क्यू अनिशा अपना सारा दुख दर्द भूल गई,उसकी स्माइल और बड़ी हो गई।
"शादी कर लेना ताकि मुझे डिस्टर्ब ना हो,समझ रहे हो ना।" अनिशा का मज़ाक कर शोर्य हंस पता,अचानक हस्ते हस्ते वो जोर जोर से रोने लगा और अनिशा जो की मानिक की गोद मे थी उसे वेसे ही गले लगा लिया।
"मुझे लगा मेने तुम्हें खो दिया,अच्छा हुआ तुम ठीक हो वरना मे केसे जी पता ये सोच कर की मेरे भाई को मेने विधवा बनाया है।" शोर्य की बात सुन सबको हंसी आ गई।
"अरे बस बस चुप हो जाओ मे ठीक हु और तुम्हारा भाई सुहागन है सो डॉन्ट वरी।" अनिशा ने एक हाथ मानिक के गले मे डाल और दूसरे से शोर्य के सर पर हाथ फेरते हुए कहा।
"चलो भी अब अनिशा को घर भी तो ले जाना है।" वीर ने शोर्य को खिचते हुए कहा,बेचारा शोर्य बस रोए जा रहा था।
सभी लोग डार्क पेलेस पोहचे,घर के दरवाजे पर पोहोचते ही देविका जी ने उन्हे रोक दिया।
"रुक जाओ वही रुको मानिक बेटा।" देविका की जी बात सुन कर मानिक जो की अनिशा को गोद मे लिए खड़ा था वो वही दरवाजे पर रुक गया,देविका जी जल्दी से आरती के हाथ ले साथ आई,उनके साथ एक मेड भी थी जिसके हाथ मे लाल मिर्च थी।
"अरे क्या हुआ बड़ी मा?" अनिशा ने कहा।
"रुको मे बस अभी आरती और नजर उतार डू फिर अंदर चले आना।" देविका जी ने कहा,तो अनिशा का मुह बन गया देविका जी अनिशा की आरती उतारने लगी साथ ही शोर्य की भी दोनों ही हॉस्पिटल से जो आए थे।
"बड़ी मा हम हॉस्पिटल से आ रहे है कोई जंग लड़ कर नहीं और जल्दी कीजिए ना प्लीज मेरी गर्दन अकड़ जाएगी।" अनिशा ने थकी हुई आवाज मे कहा।
"शह..................चुप नहीं रह सकती तुम थोड़ी देर शोर्य देखो कितना शांत बच्चा है चुप खड़ा है और एक खुद को देखो।" देविका जी ने अनिशा को डांट लगाई जिसका मज़ा वीर उठा रहा था।
"अरे बड़ी मा जल्दी कीजिए वरना कही अनिशा तो हॉस्पिटल से आ गई बेचारे हमारे जिजू ना चले जाए।" वीर की बात सुन कर अनिशा ने उसे घूर कर देखा,लेकिन बड़ी मा बस नजर उतारने मे बीजी थी।
"तू यह क्या कर रहा है आज तेरा बर्थ डे है ना जा महेश्वरी आंटी तेरा इंतजार कर रही होगी।" अनिशा की बात सुन कर,सभी हेरानी से कभी वीर को देखते तो कभी अनिशा को,क्या गजब दोस्ती थी इन दोनों की,वो लड़का अपना घर छोड़ अपनी दोस्त के पास रह रहा था,वही उसकी दोस्त उसको उसके जन्मदिन पर उसके घर दो दिन के लिए शर्त लगा कर भेजती है,तो वही वो लड़का जब अपनी दोस्त की एक्सीडेंट की खबर सुनता है तो दोड़ कर आता है,वही उसकी दोस्त बिना उसे बर्थ डे विश कीये भगा रही है क्या बात है।
"शर्म कर ले मे भाग कर आया जब मुझे पता चला तूने एक रेसर को हायर किया है और तू है किओ मुझे भगा रही है।" वीर ने बुरा सा चेहरा बना कर कहा।
"अरे हा यार उससे याद आया वो रेसर केसा है?" अनिशा ने पूछा,अब तक बड़ी मा उसकी और शोर्य की नजर उतार चुकी थी,मानिक अंदर गया और सोफ़े पर अनिशा को बेठा दिया,शोर्य भी सोफ़े पर पसर गया,मानिक ने अच्छे से अनिशा को बेठाया फिर देखा तो श्रवण वहाँ पर नहीं था शायद चला गया था।
"हा वो ठीक है,और उसे पेसे भी दे दिए है मेने तुम उसकी चिंता मत करो उसे ज्यादा चोट नहीं लगी थी।" वीर ने कहा तो अनिशा ने एक चेन की साँस ली।
"हैप्पी बर्थ डे वीर।" मानिक ने वीर के गले लग कर कहा,देविका जी और शोर्य ने भी उसे विश किया।
"सबको थेनक्स,आज पार्टी है रात को अनिशा के ही होटल मे डेड ने रखी है सबको आना है ओके,मे आज रात महेश्वरी होऊस मे रहूँगा फिर कल फिर से अपन यहाँ ओके।" वीर ने कहा और वहाँ से चला गया,लेकिन अनिशा ने उसे विश नहीं किया,कभी कभी मानिक को लगता अनिशा बोहोत ज्यादा रुड हो जाती है।
"तुम तीनों यही बेठों मे नाश्ता यही टेबल पर लगा देती हु।" बड़ी मा ने कहा और वहाँ से चली गई,मानिक अनिशा के पास बेठ गया तभी उसके जेकेट मे फोन रिंग हुआ,ये अनिशा का फोन था जो मानिक के पास था।
"दिखाई किसका कॉल है?" अनिशा ने जल्दी से कहा।
"राजवीर का कॉल है।" मानिक के चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था,अनिशा ने जल्दी से मानिक के हाथ से फोन ले लिया और फोन पीक कर लिया,लेकिन माणिक ने उसके हाथ से फोन ले कर फोन स्पीकर पर रख लिया,ये सीन का मज़ा सामने के सोफ़े पर सो रहा शोर्य उठा रहा था।
"हैलो अनिशा केसी हो,आज 11 बजे मेरे ग्रेंड होटल "न्यू सीजन" की ओपनिंग सेरेमनी है आना जरूर,मेने कहा था ने एक बार अगर मेने होटल के बिजनेस मे कदम रखा तो तुम्हारा नामों निशान मिटादूँगा मार्केट से उसकी शुरुआत हो चुकी है।" राजवीर बोहोत खुश था अपने होटल की ओपनिंग को ले कर।
"देखते है देखते,वेसे मानना पड़ेगा अब तक तुम्हारी खुली आँखों से अपने देखने की आदत गई नहीं है,लेकिन एक बात बता दु तुम्हें,तुम किसी के लायक नहीं हो,मेने अपने लिए दुनिया का बेस्ट हसबेन्ड चुन लिया और होटल मार्केट ने तो पहले से ही उस मार्केट की क्वीन चुनी हुई है,वेसे मे जरूर आऊँगी तुम्हारी बर्बादी देखने अपने हॉट एंड सेक्सी पति के साथ।" अनिशा की बात सुन मानिक के चेहरे पर मुस्कान,राजवीर के चेहरे पर गुस्सा और शोर्य को हंसी आ रही थी वो जल्दी से भाग गया अपने कमरे मे,क्युकी उससे अपनी हंसी रोकी नहीं जा रही थी।
अनिशा ने कॉल काट दिया और मानिक की तरफ देख कर एक आँख ब्लिंक कर दी,मानिक की स्माइल और बढ़ गई।
"तुम जेलेस मत हुआ कर इतना मे उस निकम्मे को क्यू देखूँगी भला,लेकिन हा आज का इंटरटेन्मेंट मेरी तरफ से फ्री,मे और तुम जाएंगे राजवीर की बर्बादी की मूवी देखने ओके।" अनिशा बोल ही रही थी की तभी बड़ी मा नाश्ता ले कर आ गई।
"अरे ये शोर्य कहा गया?" देविका जी ने पूछा।
"फ्रेश होने गया होगा आता ही होगा।" मानिक ने कहा और टेबल पर रखी,अनिशा की फ़ाइल और मेडीसीन्स को एक बार और ध्यान से देखा।
पता नहीं अब क्या करने वाली है अनिशा राजवीर के साथ ?
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ......जय महाकाल........जय शनि देव...........जय बजरंग बलि...........कॉमेंट करना ना भूले...........।....।
हैलो दोस्तों केसे हो आप सब उम्मीद है सब ठीक होंगे....................................................................।।...।....।...।
अब तक हमने देखा................................................................................।।।
"देखते है देखते,वेसे मानना पड़ेगा अब तक तुम्हारी खुली आँखों से अपने देखने की आदत गई नहीं है,लेकिन एक बात बता दु तुम्हें,तुम किसी के लायक नहीं हो,मेने अपने लिए दुनिया का बेस्ट हसबेन्ड चुन लिया और होटल मार्केट ने तो पहले से ही उस मार्केट की क्वीन चुनी हुई है,वेसे मे जरूर आऊँगी तुम्हारी बर्बादी देखने अपने हॉट एंड सेक्सी पति के साथ।" अनिशा की बात सुन मानिक के चेहरे पर मुस्कान,राजवीर के चेहरे पर गुस्सा और शोर्य को हंसी आ रही थी वो जल्दी से भाग गया अपने कमरे मे,क्युकी उससे अपनी हंसी रोकी नहीं जा रही थी।
अनिशा ने कॉल काट दिया और मानिक की तरफ देख कर एक आँख ब्लिंक कर दी,मानिक की स्माइल और बढ़ गई।
"तुम जेलेस मत हुआ कर इतना मे उस निकम्मे को क्यू देखूँगी भला,लेकिन हा आज का इंटरटेन्मेंट मेरी तरफ से फ्री,मे और तुम जाएंगे राजवीर की बर्बादी की मूवी देखने ओके।" अनिशा बोल ही रही थी की तभी बड़ी मा नाश्ता ले कर आ गई।
"अरे ये शोर्य कहा गया?" देविका जी ने पूछा।
"फ्रेश होने गया होगा आता ही होगा।" मानिक ने कहा और टेबल पर रखी,अनिशा की फ़ाइल और मेडीसीन्स को एक बार और ध्यान से देखा।
अब आगे.........................................................।....।।
नाश्ता करने के बाद,अनिशा ने सबसे कहा की तैयार रहे आज का लंच वो लोग बाहर करेंगे।
"वाव मे तैयार हो कर आता हु।" शोर्य ने कहा और जेसे ही खड़ा हुआ अनिशा ने उसे रोक लिया।
"रुको,मेने एक स्टाइलिश को बुलाया है वही तुम्हें रेडी करेगी ओके,इन्फैक्ट आप सब के कपड़े वही डिसाइड करेगी।" अनिशा ने कहा तभी एक सुंदर सी लड़की डार्क पेलेस के अंदर आई,शोर्य तो बस उसे देखता ही रह गया।
"हैलो मेम,मे हु शाइना।" शाइना ने झुक कर कहा।
"हम्म तो सुनो ये तीन लोग...umm नहीं तुम ना एक काम करो मेरी बड़ी मा और मेरे देवर को रेडी करो ओके,बड़ी मा और शोर्य आप दोनों इसे अपने रूम मे ले जाइए,और हा आप दोनों के कपड़े ये ले कर आई है।" अनिशा ने शाइना के पीछे जो लोग कलोथस हेंकर ले कर खड़े थे उनकी तरफ इशारा करते हुए कहा।
"और तुम्हारा क्या है?" बड़ी मा ने कहा।
"अरे बड़ी मा मे किसी स्टाइलिश से कम हु क्या? मे खुद को और मानिक दोनों को तैयार कर लूँगी आप जाओ यार।" अनिशा ने कहा और अपने दोनों हाथ हवा मे उठा दिए ये एक हिडन मेसेज था मानिक के लिए की अब उसे अनिशा को उठा लेना चाहीये।
"क्या मीडिया के सामने तुम्हारा ऐसे जाना ठीक रहेगा।" स्टेरेस चढ़ रहे मानिक ने अपनी गोद मे आराम से सो रही अनिशा से कहा।
"तुम बस सामने देखो कही मुझे गिरा मत देना,मीडिया को मे हेंडल कर लूँगी।" अनिशा ने अपनी आंखे बंद कीये हुए ही कहा।
["मानिक बीवी तेरे टक्कर की मिली है।"] मानिक ने मन ही मन खुद से कहा,उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी,उसे बस चिंता थी अनिशा की वो जानता था भले ही अनिशा रोज होटल नहीं जाती थई लेकिन अगर ये बात मीडिया मे आई की वो चल नहीं सकती,तो बड़ा बवाल हो जाएगा शायद उसके होटल का रेट भी गिर जाए,ना जाने लोग क्या क्या बाते फेलाएंगे।
[ये बात सच थी दोस्तों जो इंसान अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देता है नाम कमाने मे,उसे लोग एक गलतफहमी की वजह से मिट्टी मे मिला देते है,सच सामने आनए पर माफी मांग कर अपनी अपनी लाइफ मे बिज़ी हो जाते है लेकिन उसका क्या जिसने बइना गुनाह के सजा पाई,और वो जख्म टाइम के साथ मिटते नहीं है बल्कि और गहरे हो जाते है।]
मानिक ने अनिशा को बेड पर लेटाया।
"मे तुम्हारी फाइल और मेडिसिन ले कर आता हु तुम शांति से बेठना ओके।" मानिक ने कहा और अनिशा के सर पर प्यार से हाथ फेर कर चला गया,मानिक के जाते ही अनिशा की आंखे नम हो गई,ऐसा नहीं था की वो एक महान आत्मा थी,उसे भी दर्द होता था रोना आता था लेकिन मानिक के सामने वो कमजोर नहीं पड़ सकती थी वरना मानिक तो टूट ही जाता,अनिशा ने धीरे से अपने पेरो को हाथ लगाया,जो भी बेजान से थे उसने कोशिश की अपने पेरो को जमीन पर रखने की लेकिन वो नहीं कर पा रही थी,उसने अपने शरीर की पूरी ताकत लगा दी लेकिन नहीं हो पाया।
"रोना नहीं है अनिशा,मानिक तेरे साथ है तो तुझे किसी भी चीज की जरूरत नहीं होनी चाहिए,और रही बात चलने की तो कोई भी मुझे खुद के पेरो पर खड़ा होने से नहीं रोक सकता,आज नहीं तो कल मे चल के रहूँगी।" अनिशा मे सच मे बोहोत हिम्मत थी वरना अपनी जान जोखिम मे डालना हर किसी के बस की बात नहीं थी।
"क्या अकेले अकेले बोल रही है मेरी रानी साहिबा?" मानिक ने अंदर आते हुए कहा,उसे एक ड्रोर मे फ़ाइल रही और मेडीसीन्स मे से कुछ अपने पॉकेट मे रखी बाली की ड्रोर मे रख दी।
"चलो अब मुझे वॉर्ड ड्रॉप के पास ले चलो।" अनिशा ने एक मुस्कान के साथ कहा,आज पहली बार मानिक ने अनिशा के चेहरे पर इतनी प्यारी मुस्कुराहट देखि थी,दो पल के लिए मानिक उसे देखता रहा फिर उसके पास जा कर जोर से उसे गले लगा लिया।
"आगे से मुझे छोड़ने के बारे मे सोचना भी मत,ये सब करने से पहले तुम्हें मेरे बारे मे सोचना चाहिए था की मेरी क्या हालत हो जाएगी तुम्हें ऐसे देख कर।" मानिक नकी आवाज मे नमी थी,अनिशा की ये करने के पीछे अपनी अलग वजह थी लेकिन अपने लिए मानिक का इतना प्यार देख कर अनिशा का दिल पिघलने लगा।
"हम्म आगे से ऐसा कभी नहीं करूंगी,अब चले वरना लेट हो जाएंगे।" अनिशा ने कहा तो मानिक उससे दूर हुआ,दोनों के चेहरे पर सुकून था।
सभी लोग तैयार हो कर नीचे आ गए,बड़ी मा ने एक बेहद सुंदर वेलवेट की रेड कलर की साड़ी पहनी हुई थी,मेचीनग ऐसेसरी और बन के साथ वो बेहद खूबसूरत दिख रही थी,शोर्य ने भी रेड एण्ड वाईट मिक्स कलर का थ्री पीस सूट पहना हुआ था।
अनिशा ने ब्लू कलर की नेट की साड़ी जीसे बड़ी मा ने पहनाया था,मेचीनग ऐसेसरिस,हाय हिल्स,हाथों मे मेचीनग चूड़िया,खुले बाल,हल्के से मेकप के साथ वो बेहद खूबसूरत लग रही थी,वही उसके उठाए हुए खड़ा मानिक,जिसने ब्लू कलर का थ्री पीस सूट जिसकी बोडर वाईट थी मानिक ने अपने बाल ऊपर की तरफ सेट किए थे हाथ मे वॉच,ब्लू शुज और उसके वो क्यूटस से चश्मे,वो सुपर से भी ऊपर दिख रहा था,दोनों लोग साथ मे कयामत ढा रहे थे।
"चलो अब चलते है,सभी बेहद खूबसूरत दिख रहे है।" मानिक ने बड़ी मा और शोर्य को देख कर कहा।
"शांति बाई तुम घर चली जाना,हम लो अब रात को आएंगे।" अनिशा ने कहा।
"अरे क्यू?" बड़ी मा ने पूछा।
"बड़ी मा अभी हम एक इवेंट मे जा रहे है उसके बास लंच करेंगे होटल मे और पार्टी वही है वीर की तो हम वही रुक जाएंगे,ये आना जाना क्यू करे खामखा,और मेने शाइना को भी होटल ही बुला लिया है।" अनिशा ने कहा।
होटल "न्यू सीजन"
"नमस्ते दर्शकों मे हु आपकी टीना आपके अपने न्यूज चेनल "अब तक" मे,आज हो रही है रियल असटेट के बादशाह अब आ रहे है होटल मार्केट मे राजवीर खुराना,जो की खुराना खानदान के इकलोटे वारिस है,अब होंगे होटल बिजनेस मे भी आइए देखते है उनके शानदार होटल को।" न्यूज एंकर राजवीर की बढ़ाई कर रही थी।
बड़े बड़े न्यूज चेनल वाले राजवीर के होटल को कवर करने आए थे।
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरे यानि kj के साथ........जय महाकाल.............जय बजरंग बलि............जय शनि देव..................कॉमेंट करना ना भूले.............................।।।