"विष्टि" अमेरिका की जानी मानी बिज़नेस वूमेन जिसे अपनी ही कंपनी की बिल्डिंग से धक्का दे कर मार दिया गया, क़ातिल था उसी का मंगेतर, लेकिन नियति उसे एक और मौका दिया,उसे एक कमज़ोर लड़की "मैत्री" के शरीर में भेजा, जिस के साथ "निलांश ओबेरॉय" जबरदस्ती शादी क... "विष्टि" अमेरिका की जानी मानी बिज़नेस वूमेन जिसे अपनी ही कंपनी की बिल्डिंग से धक्का दे कर मार दिया गया, क़ातिल था उसी का मंगेतर, लेकिन नियति उसे एक और मौका दिया,उसे एक कमज़ोर लड़की "मैत्री" के शरीर में भेजा, जिस के साथ "निलांश ओबेरॉय" जबरदस्ती शादी कर रब था, क्या होगा अब जब शांति मैत्री जगह लेगी दबंग विष्टि? आखिर मैत्री और विष्टि के बीच क्या कनेक्शन है? जानने के लिए अभी पढ़िए......Vishti, a renowned American businesswoman, was pushed to her death from her own company building. Her fiancé was the killer, but fate intervened. She's given a second chance, reborn into the body of Maitri, a vulnerable young woman forced into a marriage with the powerful Nilansh Oberoi. What happens when the fierce Vishti takes over Maitri's life? What is the connection between Maitri and Vishti? Prepare for a thrilling tale of revenge, mystery, and unexpected love as Vishti navigates her new reality, seeking justice while confronting the complexities of her past life and her unexpected present. Discover the secrets that bind these two women together and witness the explosive consequences of Vishti's rebirth. Read on to uncover the truth…
Vishti
Heroine
Nilansh singh Oberoi
Hero
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ओबरॉय फैमिली:---
"विजय सिंह ओबेरॉय"नीलांश के दादाजी,
"राधा सिंह ओबरॉय"नीलांश की दादी जी,
"तेज सिंह ओबरॉय"नीलांश के पिताजी,
"सुनीता सिंह ओबरॉय"नीलांश की मां,
"विवेक सिंह ओबरॉय"नीलांश के चाचा जी,
"विधि सिंह ओबरॉय"नीलांश की चाची जी,
नीलांश के चाचा चाची के दो बेटे थे, बड़ा वाला देव सिंह ओबेरॉय और छोटा वाला ध्रुव सिंह ओबरॉय इन तीनों का रिश्ता बहुत ही खास था जिसे आज तक पूरा परिवार समझ नहीं पाता था।
अब चलते हैं कहानी की ओर....
"अरे ध्रुव देख तो सही तेरा भाई कर क्या रहा है, और सुन देव को बोल देना की निशा को बोला है, जल्दी से रेडी होने के लिए थोड़ी ही देर में पंडित जी दुल्हन को भी बुलाने के लिए कहेंगे"राधा जी ने कहा।
"अरे मेरी डार्लिंग राधा तुम्हारा ये ध्रुव जब तक ज़िंदा है तब तक चिंता मत करो, मे अभी भाई और भाभी जी को लाता हु,आखिर मेरे बिना कहा कोई काम होता है इस घर मे, चलो ये भी मे ही करता हु।"इतना बोल ध्रुव वहा से देव को बुलाने चला जाता है।
"यह लड़का भी ना कुछ भी बोलता है।"राधा जी थोड़ा सा मुस्कुराए और फिर दूसरे कामों में लग गई, उनकी बहुए दो-दो थी, पर उन दोनों को अपने मे से ही फुर्सत नही मिल रही थी।
वही इसी होटल के एक कमरे मे।
एक 28 साल का लड़का शादी की शेरवानी पहने खड़ा हुआ था, उसकी वो मस्कुलर बॉडी शेरवानी के टाइट होने की वजह से साफ साफ नजर आ रही थी उसकी वो हल्की नीली आंखें, शार्प जोलाइन उसका हल्का सा सावला रंग किसी भी लड़की को उसके पीछे पागल करने के लिए काफि था,लेकिन उसका औरा बोहोत डरावना था।
वही उसके सामने एक लड़की निचे बैठी बस रोये जा रही थी दिखने मे वो किसी परि से कम नही थी, पर अभी उसकी हालत बोहोत खराब थी,उसकी उम्र तकरीबन 23 साल होगी।🥺
"चुप चाप रेडी हो कर निचे आओ ये शादी ज़रूर होगी, निशा भले ही भाग गई पर अब ये शादी तुम करोगी।"इतनी कडवी बाते नीलांश कर रहा था उसके अलावा और हो भी कौन सकता है, एकदम पत्थर दिल लेकिन आखिर वह इस लड़की को उससे शादी करने के लिए क्यों बोल रहा था?कौन है यह लड़की?
नीलांश वहां से चला जाता है..
"ऐसी क्या गलती कर दी मेने जो बिना मर्ज़ी के शादी करनी पड़ रही है, बल्कि मैंने तो हमेशा ही दूसरों की मदद की है फिर यह मेरे साथ क्यों हो रहा है जिसको पसंद किया वह दूर चला गया जिसका भला सोचा उसने मुझे दुश्मन बना कर जबरदस्ती शादी करने पर मजबूर कर दिया ऐसे जिंदगी से अच्छा मैं मरना पसंद करूंगी, ना ही मैं किसी को अपनी सच्चाई बता सकती हूं ना ही अपनी पहचान ऐसी जिंदगी का क्या फायदा अब मैं जीना नहीं चाहती। "वो लड़की इतना बोल कर अपने पास मे पड़ा फ्रूट काटने का नाइफ उठाकर अपने हाथ पर मार देती है देखते ही देखते वह जमीन पर गिर जाती है।
to be countinue.....
कहानी में अब आगे....
वही इन सब से दूर अमेरिका मे.........
Vbs कंपनी की मालकिन विष्टि जिसके खुन खानदान का अता पता नहीं था लेकिन वो अमेरिका की जानी मानी बिजनेस वूमेन थी, लेकिन आज ही उसके होने वाले पति ने जिससे उसकी सगाई हो चुकी थी और जल्दी शादी होने वाली थी उसने ही विष्टि को धोखे से मार दिया।
बिल्डिंग से नीचे गिरते हुए उसकी आंखों में बस एक ही चेहरा था, राहुल का वो एक लड़की के साथ था जिसे विष्टि नही जानती थी पर उनको kissकरता देख उनके बीच का रिश्ता साफ नज़र आ रहा था..
"वापिस आऊँगी मे और नर्क मे जगह फिक्स करके रखूंगी, तैयार रहना।"विष्टि ने अपनी आंखे बंद कर कहा।
कुछ देर बाद विष्टि अपनी आंखे खोलती है तो वो एक शादी के जोड़े मे थी, वो जल्दी से खड़ी होती है और खुद को आईने मे देख बोलती है।
"आज कल यमलोक लगता है बदल गया है, यहा का यूनिफॉर्म तो शादी के जोड़े की तरह लग रहा है,शुकर है मेरी शक्ल वैसी ही है। "विष्टि इतना बोल जेसे ही वो पिछे पलट कर देखती है, तो दो कदम पिछे चली जाती है, उसके सामने एक छोटी सी लड़की उड़ते हुए उसे ही देखे जा रही थी।
" तुम.. तुम यमरानी हो क्या?? "विष्टि ने अच्छी सा चेहरा बनाकर बोला। 😑
(दरअसल विष्टि ये सब इसी लिए बोल रही थी, क्योंकि उसे लगा था कि वह मर चुकी है और अब वह यमलोक में होगी यह सब मूवी का असर था। 😅😅)
"मे परि लोक से तारा हु, अपना मुह थोड़ी देर बंद रखना, तुम अधूरे सपने लिए मर गई थी इस लिए नियति ने तुम्हे एक और मौका दिया है,अपने बदले को लेने का, अभी तुम मुंबई मे हो और तुम्हारी शादी हो रही है, तुम अभी मैत्री के शरीर मे हो जिसने शादी से बचने के लिए आत्महत्या करने की कोशिश की थी, इसीलिए अब तुम इसके शरीर में रहकर अपना बदला पूरा करो, शादी के हर एक वचन के साथ तुम्हें धीरे-धीरे करके इसके दिमाग में चल रही सारी बातों का पता चलता रहेगा।" तारा ने अपनी बात खत्म की लेकिन विष्टि अभी पूरे शौक में लग रही थी।
" तुम मजाक कर रही हो, है ना? अच्छा ठीक है मान भी लिया कि मुझे अपना बदला पूरा करने के लिए एक मौका दिया जा रहा है, तो मे शादी क्यू करू, तुम्ही सोचो वो लड़का कैसा होगा जिसकी होने वाली दुल्हन उससे शादी ना करने के लिए अपनी जान देने तक को तैयार हो सकती हैं,तो मैं उस लड़के से शादी कैसे कर सकती हु।"विष्टि ने कहा।
"जिस लड़की ने आत्महत्या की वह कमजोर थी लेकिन तुम नहीं हो, इसीलिए तुम सब संभाल लोगी और जब तक तुम्हारा काम पूरा नहीं हो जाता मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी हमेशा। " तारा ने फिर जवाब दिया।
"ओके ठीक है मान लिया कि मैं यह कर सकती हूं, लेकिन इसके शरीर मै ही क्यू? मुझे बस यह जानना है। "विष्टि ने आखिरी सवाल किया।
"इसका जवाब जब नियति चाहेगी तुम्हे मिल जाएगा।" तारा ने अपनी आंख से बात कही और वह गायब हो गई क्योंकि तब तक दरवाजे पर दस्तक हो चुकी थी।
("इसकी नियति की तो ऐसी की तेसी, चल विष्टि लग जा काम पर। ") विष्टि ये सब अपने मन मे कहती है तभी नीलांश कमरे में आता है।
" तुम अब बिना नाटक किये जब तुम्हे मा लेने आये, तो आ जाना ज़रा भी चालाकी दिखाई तो तुम जानती हो मे उनका क्या हाल करुगा, और हा किसी को पता नही चलना चाहिए की तुम शादी के जोड़े मे हो समझी।" नीलांश आते ही बरस पड़ा।
"किन का?? क्या हाल करोगे??और तुम हो कोन"विष्टि आराम से चेयर पर बैठते हुए बोली।
("कहीं इस लड़की की याददाश्त चली गई ना? ") नीलांश अपने मन में बोलता है।
"पागल लड़की यही है तुम्हारा होने वाला पति और ये मैत्री के दोस्तों की बात कर रहा है जिनको मारने की धमकी देकर ही तो यह कमबख मैत्री से शादी कर रहा था।" तारा चुपके से विष्टि के कान में बोलती है।
(तारा को सिर्फ विष्टि ही देख और सुन सकती थी, लेकिन वो बिहेव एसे करती थी जेसे सब उसे देख और सुन सकते है 😅।)
तभी वहा देव और ध्रुव आते है, विष्टि जल्दी से घूँघट डाल लेती है, ताकि उनको पता ना चले।
"अरे ओ मेरे मजनू भैया थोड़ी देर वेट करलो यार, पता है दिल बेकरार है पर अभी तो शादी के मंडप मे जाओ तब तक तो भाभी को अकेला छोड़ दो।" ध्रुव मस्ती करते हुए बोल।
"देव समझा इसे इसकी अक्ल घास चरने गई है।" नीलांश कहा।
"ओक चुप कर तू ध्रुव तुझे क्या लगता है नील इतना बेकरार है की बिना शादी के ही यहा सुहाग........ "देव इतना बोल ध्रुव को हाई फाई देता है और दोनों हसने लगते है उनको एसे देख नीलांश वहां से चला जाता है।
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to be countinue...
उम्मीद है आप सब ठीक होंगे🥰
अब तक हमने देखा....
"ओक चुप कर तू ध्रुव तुझे क्या लगता है नील इतना बेकरार है की बिना शादी के ही यहा सुहाग........ "देव इतना बोल ध्रुव को हाई फाई देता है और दोनों हसने लगते है उनको एसे देख नीलांश वहां से चला जाता है।
अब आगे.....
नीलांश के जाने के बाद ध्रुव और देव विष्टि के पास आते है।
"सॉरी निशा भाभी मज़ाक में अगर आपको बुरा लगा हो तो।" देव के कहे गये इस सॉरी पर विष्टि अपनी गर्दन ना मे हिला देती है।
"ये भाभी शादी तक बोल भी नही सकती क्या?? " ध्रुव ने धीरें से कहा तो देव उसे आंखे दिखा कर चुप करा देता है।
"हम चलते है भाभी, थोड़ी देर बाद आपको बुलाया जाएगा तब तक आप आराम कीजिए।" इस पर भी कुछ न बोलते हुए विष्टि अपनी गर्दन हा मे हिला देती है, तो देव और ध्रुव वहा से निकल जाते है।
थोड़ी ही देर मे पंडित जी वधू को बुलाने के लिए कहते है,सुनीता जी और देव जाते है क्यू की निशा का कोई भाई नही था तो ये रस्म देव को पूरी करनी थी इसलिए देव के साथ सुनीता जी भी जाती है।
"अरे यार आज से तो भाई पराया मन हो जाएंगे,अब मे भाई के रूम मे सीगरेट केसे चुप के से...ओये ध्रुव ये सीक्रेट है सब के सामने तू नीलाम ऐसे केसे कर सकता है। "ध्रुव ये सारी बाते अपने मे ही किये रहता है।😂😂बेचारा ध्रुव...
वही शादी की रस्म एक के बाद एक शुरू होती जा रही थी,नीलांश शादी के मंडप पर बड़ा ही फब रहा था, जो भी लड़किया आई हुई थी इस शादी मे सबके सपने आज टूटने वाले थे सब यही सोच रही थी काश दुल्हन के जोड़े मे वो होती।
थोड़ी देर बाद फेरे शुरू हो जाते है।
"फेरो के लिए वर और वधू खड़े हो जाए।" पंडित जी ने कहा, तो नीलांश खड़ा हो जाता है उसको देख विष्टि भी खड़ी हो जाती है और खड़ी ही रहती है सब उसके चलने का इंतज़ार कर रहे थे।
(दरअसल ओबरॉय खानदान में सात फेरों की परंपरा नहीं थी वहां पर 4 फेरे ही बरसों से करते आ रहे थे जिसमें पहले की 3 फेरे वधू आगे बढ़ कर लेते हैं और आख़िरी चौथा फेरा जिसमें वर आगे रहता है, इस बात का पता विष्टि को नहीं था वह तो जैसे बॉलीवुड मूवी देखती आ रही है उसे लग रहा था अब नीलांश आगे बढ़ेगा उसके पीछे पीछे बॉलीवुड म्यूजिक चलेगा और वह धीरे-धीरे फेरे लेंगे)
"अरे आगे चलना क्या मुहूर्त निकलवा दू तेरे लिए जल्दी से चलती जा।"तारा ने धीरे से कहां
("अरे तो तुझे पहले बताना चाहिए था ना मुझे कैसे पता होगा ठीक है..ठीक है जाती हूं मैं।")अपने मन में इतना बोल कर विष्टि आगे बढ़ जाती है।
शादी के हर बढ़ते कदम और वचन के साथ विष्टि को मैत्री की लाइफ के एक एक हिस्से की जेसे फिल्म चल रही हो वैसे दिखने लगता है।
जेसे जेसे विष्टि को मैत्री की जिंदगी की बाते पता चल रही थी,वैसे वैसे वो हैरान होती जा रही थी।
"क्या क्या पता चला, बता तो ज़रा.."तारा में क्यूरियोसिटी के साथ पूछा।
("मत पूछ बेटा... बस ये समझ ले ये तो झमेलो से भरी तोप है बे।") विष्टि ने अपने मन मे कहा।
"हा पर बोल तो, हुआ क्या है इसकी जिंदगी मे?"तारा ने फिर पूछा।
(" नियति जब चाहेगी तब तुझे पता चल जाएगा।")विष्टि ने अपने मन मे कहा तो तारा का मुह बन गया 😂
एसे ही शादी संपन्न हो जाती है।
"शादी सम्पन्न हुई आज से आप दोनों पति पत्नी हुए, अब सब बड़ो के आशिर्वाद ले लीजिए।"पंडित जी ने कहा।
(" क्या सच मे मेरी शादी हो गई तारा?")विष्टि ने अपने मन मे तारा से पूछा।
"हा अब तुम इस कमब्ख्त की वाइफ हो।" तारा ने सीधा जवाब दिया।
(सच कहु तो विष्टि ने बड़े ही सपने सजाए हुए थे अपनी शादी को लेकर लेकिन पिछले जन्म मैं और इस जन्म में उसे अपने सपनो को पूरा करने का मोका ही नहीं मिला।)
शादी के बाद अब गृह प्रवेश की रस्म होती है सभी घर वाले बड़ी ही खुशी से सारी तैयारियां करते है, विष्टि और निलांश भी पोहोच चुके थे,सारी रस्म खत्म होने के बाद सुनीता जी बोलती है।
"अब निशा बेटा अपना घूंघट उठा लो थोडा,वरना कहीं बेहोश ना हो जाओ"इतना बोल वो हसने लगती है हालाकि उनकी बात पर कोई नहीं हसता, बेचारी का पोपट हो गया 😂।
लेकीन विष्टि को समझ नहीं आता क्या करे,तो वो ऐसे ही खड़ी रहती है।
"अरे भाई आप उठा दो भाभी शायद ये चाहती होगी।"ध्रुव ने हस्ते हुए कहा,ये सुन कर विष्टि जल्दी से अपना घूंघट खोल लेती है😂इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी सब चोक जाते है।
"ये कोन है...?"निधी जी ने कहा।
("इसका बदला मे तुमसे रात को लूंगा यू इडियट।") नीलांश अपने मन में विष्टि को घूरते हुए बोला।
"ओ एम् जी ये तो मेकअप आर्टिस्ट है निशा की,ये शादी के जोड़े में क्या कर रही है।"सुनीता जी ने सदमे मे कहा।
(दरअसल निशा और मैत्री अच्छे दोस्त थे,जब निशा की मेकअप आर्टिस्ट ने थोड़ा सा मेकअप खराब कर दिया तो मैत्री उसे थोडा ठीक कर रही थी,तभी सुनीता जी ने उसे देख लिया और उसे मेकअप आर्टिस्ट समझ लिया🤭)
निलांश सबको बताता है कि निशा भाग गई जिसके चलते उसे मैत्री से शादी करनी पड़ी,ये सिर्फ बहाना था बाकी निलांश की शादी करने की वजह कुछ और ही थी।
"मै नहीं मानती इसे अपनी बहू,ना इसका खून पता ना खानदान..."सुनीता जी ने गुस्से से कहा।
"चुप रहो बड़ी बहू भूलो मत,अभी हम ज़िंदा है,आज से यही है हमारे खानदान की इज्ज़त और तुम्हारी बहू।"दादा जी ने एक रोब दार आवाज़ के साथ कहा,जिसके चलते सबकी बोलती बंद हो गई।
"बेटा आज से यही तुम्हारा घर है,अगर कोई भी दिक्कत हो तुम्हे तो सबसे पहले तुम हमे बताओगी समझी।"दादी जी विष्टि के पास जा कर उसके सीर पर अपना हाथ रख बोली।
("क्या अब ये मेरी फेमिली है,अगर ऐसा है तो मे यहां से कभी नहीं जाऊंगी।")विष्टि अपने मन में ये बोल कर दादी मा के गले जा लगी।
"जाओ ध्रुव और देव मैत्री को उसका कमरा दिखा दो।"दादी जी ने कहा क्युकी निलांश तो कब का चला गया था, ध्रुव और देव दादी मा की बात मान कर विष्टि को ले जाते है।
"वैसे भाभी मे आपका प्यारा छोटा सा देवर हू,अगर कोई भी काम हो ना आपको तो आप मुझे बता सकती हो।"ध्रुव चलते हुऐ बोला।
"जी देवर जी एक बोहोत बड़ा काम है।"विष्टि ने आस भारी नजरो से ध्रुव को देखते हुए कहा।
"क्या?बताइए आप मे सुपर हीरो हू सब..."इससे पहले कि धुव्र कुछ आगे बोलता मिष्टी की बात उसके कानो मे पड़ी।
"तुम्हारे भाई की बोलती बंद हो जाएं ऐसा फेविकोल देदो।"विष्टि ने जैसे ही ये कहा देव ज़ोर ज़ोर से हसने लगा, निलांश की बोलती बंद हो ना हो धुव्र की ज़रूर हो गई थी🤭।
वही ऐसे ही मस्ती मजाक मे ध्रुव ओर देव क विष्टि को निलांश के रूम मे छोड़ कर आ जाते है।
अमेरिका के एक विला मे जो काफ़ी लाविश और रिच मेंटेंट था,उस विला के एक रूम में जो काफ़ी बड़ा था जहा हॉस्पिटल के काफ़ी मशिंस रखे हुए थे, किंग साइज़ बेड पर एक मासूम सी लड़की सो रही थी,उसके फेस पर ऑक्सिजन मास्क था।
एक नर्स उसके पास ही खड़ी थीं तभी उस लड़की कि बॉडी में हलचल हुई,जिससे नर्स तुरंत भाग कर हॉल मै जाति है, वहा एक तक़रीबन 29 साल का लड़का जो किसी मॉडल से कम नहीं था उसका ओरा किसी राजा महाराजा की तरह था,अभी उसके चेहरे के भाव सख्त थे।
"सर वो..वो मैडम का हाथ हिल रहा है।"वो नर्स अपनी बढ़ती सांसों पर काबू करते हुऐ बोली जो दौड़ने की वजह से हुई थी,उसमे ऑलरेडी डॉक्टर की टीम को बुला लिया था,वो लड़का बेचैन हो कर उस रूम की तरफ़ भाग उसके साथ एक ओर लड़का था।
थोडी देर बाद...
"सर, नाउ शी इज़ फाईन।"डाक्टर ने कहा तो उस खतरनाक लड़के ने उसे बाहर जाने का इशारा किया,वो डॉक्टर अपनी टीम के साथ बाहर जाने लगा,तभी उससे एक गलती हो गई।
"शी इज़ डेम हॉट राइट।"डाक्टर अपनी टीम के एक मेंबर से बोला दरसअल वो एक हवसी इंसान था जो अपनी फीमेल पेशेन्ट को हमेशा गंदी नजर से देखा करता और छुआ करता,पर आज उसका आखिरी दिन था।
"स्टॉप,ऐसी गलती की साज़ा मौत होती है, हैरी भिजवादो इनको।"इतना बोल वो लड़का अपने पास खड़े दुसरे लड़के को देखता है,वो लड़का जल्दी से गार्ड को इशारा करता है,उनके गार्ड्स वेल ट्रेंड थे उनको पता था अब इनका क्या करना है।
"वीके अब अंदर चलो वो सब हो जायेगा।"हैरी ने कहा तो वो खतरनाक लड़का वीके अंदर चला गया।
बेड पर वो लड़की आराम से सो रही थी, वीके उसके पास जा के बैठ गया और उसके गालों पर हाथ फेरने लगा,जिससे वो लड़की अपनी आंखे खोलती है तो उसके सामने एक ख़ूबसूरत चेहरा नजर आया जो उसके लिए बिल्कुल अनजान था।
"तुम...तुम कोन हो??मे कहा हूं"उस लड़की ने दुर हटते हुए बोला,उसके दूर जाने से वीके क चेहरा सख्त हो गया।
"विष्टि जी आप ठीक तो है ना"हैरी ने कहा
"कोन विष्टि मे नहीं जानती किसी विष्टि को मेरा नाम मैत्री है समझे आप,और आप दोनो कोन है?"मैत्री ने थोड़े गुस्से और थोड़े डर के साथ कहा।
(मैत्री और विष्टि की आत्मा आपस मै बदल गई है,कोई भी कन्फ्यूज मत होना आगे बडा ही मज़ा आने वाला है तो प्लीज़ पढ़ते रहिए,और कोई भी सवाल हो तो कॉमेंट ने बता सकते है।🥰)
"अरे ये..ये आपके होने वाले हसबैंड है,और मे इनका दोस्त और पीए हू हेरी।"हैरी ने कहा।
"क्या..क्या मेरी सगाई हो गई, कब?और मुझे याद क्यू नहीं।"मैत्री परेशान हो कर बोली।
"दीया को बुलाओ"वीके ने कहा और वो वहा से बाहर चला गया,दिया का नाम सुन हैरी का मुंह बन जाता है।
(दिया एक डाक्टर थी और साथ ही वीके की बचपन की दोस्त भी)
मैत्री और विष्टि आखिर कोन है? आख़िर उन दोनों के साथ ये हो क्या रहा हैं?उनकी ज़िंदगी का मकसद क्या है?
जानने के लिए पढ़ते रहिए
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Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰
अब तक हमने देखा....
"क्या..क्या मेरी सगाई हो गई, कब?और मुझे याद क्यू नहीं।"मैत्री परेशान हो कर बोली।
"दीया को बुलाओ"वीके ने कहा और वो वहा से बाहर चला गया,दिया का नाम सुन हैरी का मुंह बन जाता है।
(दिया एक डाक्टर थी और साथ ही वीके की बचपन की दोस्त भी)
अब आगे.....
अमेरिका मे
दिया मैत्री को चेक करती है पर उसे कुछ ख़ास समझ नहीं आया इसलिए वो ये के देती है कि "शायद इसका मेमोरी लॉस हो गया है,थोड़ा टाइम दो ठीक हो जाएगी।"
"गुड अब तुम जा सकती हो।"हैरी ने कहा,तो दिया उसे घुर कर देखने लगी।
"वीके आई थिंक मुझे कुछ दीन यही रुकना चाहिए।"दिया ने हैरी को घूरते हुए वीके से कहा।
"ह्मम हैरी इसका कमरा रेडी करवाओ,और तुम दोनो जाओ यहां से।"वीके ने कहा और बेड के पास जा कर मैत्री के पास बैठ गया।
("माय बेबी डॉल उठ जाओ आई वोंट यू।") वीके ने मैत्री के मासूम से चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा,वही दिया और हैरी बाहर आ चुके थे,हैरी जल्दी से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ जाता है वही दिया उसके रूम लॉक करने से पहले ही अंदर चली जाती है।
"आ...आ तो क्या कह रहे थे, माय होटी मुझे यहां से जाना चाहिए हा?अगर मे चली गई तो तुम्हारा ख्याल कोन रखेगा मेरी जान?"दिया हैरी के बेहद नजदीक आ कर हैरी की मस्क्युलर चेस्ट पर अपनी उंगली घुमाते हुए सेडेक्टिव आवाज़ मे बोली,वही हैरी की हालत खराब थी।
"तु...तुम दूर हटो कितनी बार कहा है,मुझसे चिपका मत करो।"इतना बोल वो दिया का हाथ पकड़ सीधा उसे रूम से बाहर निकाल देता है,दिया को कुछ करने का मोका ही नहीं मिलता।
"कोइ बात नहि एक दिन तुम मेरे ज़रूर बनोगे माय हॉटी।"इतना बोल दिया मिटा आंटी (वीके विला की मेइन मेड)उनके पास चली जाती है।
वही मैत्री के रूम मे..
मैत्री धीरे धीरे अपनी आंखे खोलती है,उसके सामने एक बेहद हेंडसम चेहरा नजर आता है,उसकी हल्की भूरी आंखे जिसमे मैत्री एक पल के लिए खो सी जाती है,मैत्री के वीके को ऐसे घूरने से उसके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ जाति है जिसे कोई देख नहीं सकता था।
"वॉट हेपंड माय बेबी डॉल,तुम्हारा ही हू सिर्फ़ देख कर नहीं छू कर भी मन भर सकती हो।"वीके की आवाज़ काफ़ी नॉटी साउंड कर रही थी पर उसके चेहरे के भाव ठंडे ही थे।
"वो..वो में वो नहीं तो मे बस ऐसे ही..."मैत्री इतना बोल इधर उधर देखने लगती है,जैसे उसकी चोरी पकड़ी गई हो,अंदर ही अंदर वो खुद को कोस रही थी कि क्यों वो इस पागल को घुर रही थी,वही वीके अपने मन में हस रहा था पर बहार से ऐसा ही रहा।
मैत्री जैसे ही उठने जाति है,वो वापिस बेड पर गीर जाती है,क्युकी वीके ने उसे अपनी तरफ खींच लिया था मैत्री हैरानी से उसे देखती है।
"वेद कश्यप ने तुम्हारा इंतजार बोहोत किया है बेबी डॉल अब बस तुमसे दुर रहा नहीं जाएगा।"इतना बोल वेद मैत्री के हल्के लाला होठ पर अपने प्यासे गुलाबी होठ रख देता है, वेद के अचानक ऐसे किस्स 😘करने से मैत्री एक दम हैरान थी,वो अपनी बड़ी बड़ी आंखों से बिना हिले डुले बस वेद को देखे जा रही थी।
जब उसे होश आता है तो वो वेद को ख़ुद से दूर करने लगती है,पर वेद के आगे वो काफी कमज़ोर थी, वही वेद उसके रोके जाने पर सख्त हो गया उसने अपना एक हाथ मेत्री की गड़न के नीचे किया और दूसरे हाथ से उसके दोनो हाथो को पकड़ लिया, इसी बिच वेद अपनी किस्स को ब्रेक नहीं होने देता।
मैत्री को बेड पर लिटा कर उसके निचले होठ को बेतहाशा चूसने लगा,वो ऐसे चूम रहा था जैसे कोई चॉकलेट हो,गर्दन पर रखा हाथ वो अब धीरे धीरे नीचे उसके बदन पर फिराने लगता है।
मैत्री की सांस अटक गई,जब वेद को लगा कि किस्स करने से उसे सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी, ये एहसास होते ही वेद उसके लिप्स छोड़ उसकी गर्दन पर आ जाता है उसकी गर्दन पर धीरे धीरे अपनी जीभ से लिक करने लगता है।
"क... क्या क्या कर रहे हो आप? छ... छोड़ो छोड़िए मुझे आआहह...."मैत्री अपनी टूटी फूटी आवाज़ मे बोलती है तभी वेद जो उसकी गर्दन को आइस्क्रीम कि तरह लिक किए जा रहा था वो ज़ोर से उसकी गर्दन पर बाईट कर लेता है जिससे मैत्री की चीख निकल जाती है।
मैत्री से अब रहा नहीं गया वो पूरा ज़ोर लगा कर वेद को धक्का मारती है और दौड़ कर सीधे वॉशरूम मे चली जाती है।
वही मैत्री के ऐसे उसे धक्का मारने पर वेद गुस्से से पागल हो जाता है और ज़ोर से अपना हाथ ड्रेसिंग टेबल के मिरर पर मार देता है,उसके हाथ से खून बेह रहा था।
"ये तुमने अच्छा नहीं किया बेबी डॉल इसकी कीमत चुकानी होगी।"वेद ने कहा और बाहर निकाल गया।
वही मुंबई के रात का समय था।....
विष्टि अपने रूम मे आती है,उसे लगा था आज उसकी फर्स्ट नाईट है तो केसे होगा सब पर रूम में उसे कोई नहीं दिखता।
"ये बड़बोला प्राणी कहा गया,कहीं भाग तो नहीं गया,उसे शर्म धर्म है कि नहीं आज उसकी सुहाग रात है,उसकी खूबसूरत बीवी उसके इंतजार मे है और वो है कि...।"विष्टि अपने आप में ही बोले जा रही थी तभी अचानक तारा पर उसकी नजर जाती है जो उसे है घुर रही थी।
"तुम्हें नहीं लगता तुम कुछ ज्यादा ही करैक्टर में घुस रही हो, सुहाग रात मनानी है तुम्हे?पागल तो नहीं हो गई ना मेंटल औरत।"तारा उसे घुरे ही रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था ये लड़की को नियति ने बदला लेने को केसे भेजा ये तो पति और बच्चे चाहती है।😂😂
"अरे पर है तो अब पति ही ना...."वो इतना बोलती है कि तभी उकी नजर बेडरूम से जुड़े स्टडी रूम मे जाती है जहा की लाइट जल रही थी।
"वो..वो तुम सो जाओ अब जाओ मुझे भी सोना है gn.."तारा अपना सिर ना मे हिलाते हुए सोने चली जाती है वही विष्टि इतना बोल स्टडी रूम की तरफ बढ़ जाती है।
बिना नोक किए वो सीधे अंदर चली जाति है, निलांश का चेहरा ये देख सख्त हो जाता है,आज से पहले कोई भी उसकी बिना इजाज़त के उसके रूम मे एंटर नहीं हुआ था ये पहली बार था।
विष्टि अपने हाथ बांध उसे घूरने लगती है।
"वॉट??"अपनी एक आइब्रो उठाते हुए निलांश ने अपनी फाइल रख कर सामने खड़ी विष्टि से पूछा।
"तुम भूल रहे हो आज हमारी फर्स्ट नाईट है।"विष्टि ने बेशर्मों की तरह कहा तो निलांश की आंखे और गहरी हो गई।
"मेरा तुमसे कोई रिश्ता नहीं है,जो है वो बाहर दिखने को है।"निलांश ने उससे अपनी नजर फेरते हुए कहा,विष्टि अब सीधे जा कार उसकी गोद में बैठ जाती है वो इस बात से बिल्कुल हैरान हो जाता है उसे इस चीज़ की उम्मीद नहीं थी वही विष्टि उसके मजबूत सीने पर अपना सीर रख देती है।
"नील मेरी ग़लती नही थी,तुम गलत समझ रहे हो मुझे,एक बार सुनके तो देखो मेरी।"विष्टि अपने सुकून ने निलांश की बाहों में अपनी आंखे बंद करते हुए कहा।
"दुर हटो मुझसे..."इतना बोल निलांश विष्टि को खुद से दूर झटक देता है जिससे विष्टि नीचे ज़मीन पर गिर जाती है और उसकी आह..निकाल जाती है।
अब क्या करेगा वेद मासूम मैत्री के साथ??निलांश और मैत्री की बीच ऐसा क्या हुआ था जो निलांश ऐसे बर्ताव कर रहा था?क्या विष्टि निलांश को अपना बना पाएगी?मैत्री केसे छूट पाएगी वेद के चंगुल से??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
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Bye bye
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अब तक हमने देखा....
"नील मेरी ग़लती नही थी,तुम गलत समझ रहे हो मुझे,एक बार सुनके तो देखो मेरी।"विष्टि अपने सुकून ने निलांश की बाहों में अपनी आंखे बंद करते हुए कहा।
"दुर हटो मुझसे..."इतना बोल निलांश विष्टि को खुद से दूर झटक देता है जिससे विष्टि नीचे ज़मीन पर गिर जाती है और उसकी आह..निकाल जाती है।
अब आगे......
निलांश ने ये जान बूझ कर नहीं किया था,गुस्से में विष्टि ज़मीन पर गिर गई वो जल्दी से विष्टि को उठाता है।
"मैत्री.. तुम ठीक हो?"निलांश उसे उठाते हुऐ बोला,वैसे तो विष्टि को ज़्यादा चोट नहीं आई थी पर निलांशकी केयर देख वो अपना ड्रामा शुरू करती है।🤭
"आह... हाए राम मेरी तो कमर ही टूट गई,ऐसा क्यों पर रहे ही पति परमेश्वर मेरे साथ।"विष्टि ने अपना नाटक बरकरार रखा जिसे बेचारा निलांश समझ नहीं पाया।
अब बिना कुछ बोले निलांश विष्टि को गोड मे उठा लेता है और बेड रूम की तरफ बढ़ जाता है,विष्टि मुस्कुराकर निलांश के मजबूत सीने मै अपना सीर छिपा लेती है,उसे अच्छा लग रहा था।
निलांश उसे बेड पर लेटा कर एक ड्रोर खोलता है जिसमे कई सारी मेडिसिन और ऑइंटमेंट थे,जिसे देख विष्टि का मुंह खुल जाता है।
"पति परमेश्वर एक बात बताओ तुम्हे कोई बीमारी है क्या जो इतनी दवाई रखी है।"विष्टि ने कहा तो निलांश उसे घुर ने लगा जिसके बाद विष्टि ने चुप रहना ही बेहतर समझा।
(दरअसल निलांश की बचपन से आदत थी हर चीज़ का इलाज अपने पास पहले ही रखता था उसका कहना था कि मुश्किल से पहले हल ढूंढ़लो,और बीमारी से पहले दवा ढूंढलो तो लाईफ मे कभी रोना नहीं पड़ता है।)अरे ऐसा सिर्फ हमारे निलांश बाबू का मानना था आप सब ज़्यादा मत सोचना पता चला कल मेडिकल सब खाली हो गए🤭
"ये लो इसे कमर पर लगा लो,जल्दी ठीक हो जाओगी।"निलांश ने कहा और बाहर जाने लगा।
"सुनिए ना जी,वो मुझसे नहीं होगा आप ही लगा दीजिए ना।"विष्टि ने बोहोत ही प्यार से कहा था जिसे सुन निलांश चाह कर भी मना नहीं कर पाता।
वो धीरे धीरे विष्टि की कमर के ऊपर से उसकी चुनरी हटाता है,विष्टि की आंखे अपने आप बंद हो जाती है क्युकी ये एहसास उसके लिए बोहोत नया था,निलांश अपनी उंगलियां विष्टि की कमर पर ऑइंटमेंट लगा कर फेरने लगता है,उसे विष्टि की कमर बेहद सॉफ्ट लग रही थी उसे ये एहसास पहली बार होता है वहीं विष्टि की सांसे तेज़ हो रही थी।
निलांश को पता ही नहीं चलता कि वो मदहोशी में बेह कर विष्टि की कमर को जोर से दबा देता है, विष्टि की चीख निकल जाती है।
"आह... क्या कर रहे हो आप?"विष्टि के बोलने से निलांश को जैसे होश आया वो तुरंत उठ कर वॉशरूम की तरफ बढ़ जाता है,उसके चेहरे पर ठंडा पसीना था,वही विष्टि अब थक कार सो जाती है ऐसे ही उन कपड़ों में।
दूसरी तरफ अमेरिका में...
मैत्री वॉशरूम में नीचे बैठ कर रोए जा रही थी,तभी उसे किसी की आवाज़ सुनाई देती है।
"मैत्री मेरी बात ध्यान से सुनो,तुम्हारे मरने के बाद तुम्हारे अच्छे कर्मों की वजह से तुम्हे विष्टि नाम की लड़की के शरीर में भेज गया है,विष्टि के जीवन की सच्चाई तुम्हे खुद ही पता लगानी होगी, नियति चाहेगी तब तुम अपना कार्य धरती पर पूरा कर मुक्त हो जाओगी,अभी तुम्हारे जीवन में बोहोत कुछ जानना और करना है तुम्हे,हिम्मत से काम लेना।"आवाज़ आ रही थी पर कोई दिखाई नहीं देता।
"पर में पता कैसे लगाउगी और उस पागल, सनकी, बतमीज इंसान का क्या??"मैत्री बोलती है पर अब कोई आवाज़ नही आती तो वो नहा कर बाहर निकलती है वैसे ही उसकी नजर सोफे पर बैठे खतरनाक इंसान पर जाति है,मैत्री अभी सिर्फ टॉवेल में थी,क्युकी इसे भाग कर जाने की वजह से वो कपड़े ले जाना ही भूल गई।
वो भूल गई थी की ये घर उस पागल इंसान का है ऊपर से उसने रूम तक लोक नही किया,वही कांच के टुकड़ों को वेद ने साफ करवा दिया था और वो बस मैत्री का ही इंतजार कर रहा था।
जैसे ही डोर खुलने की आवाज़ आती है वेद अपनी अपना सिर उठा कर ऊपर की और देखता है,उसकी आंखे गहरी हो जाती है,विष्टि अपने ऊपर वेद की इंटेंस नज़रे फिल कर रही थी।
वो जल्दी से क्लोज़ेट रूम की तरफ बढ़ जाति है,कुछ कदम चलते ही उसे महसूस हुआ की उसकी कमर को किसी के मजबूत हाथों ने पकड़ रखा है।
वेद उसकी ताज़ी खुशबू को मेहसूस कर पागल सा हो रहा था वही मेत्री के दिल की धड़कन तेज हो रही थी,वेद एक झटके से मेत्री को अपनी तरफ पलट देता है,वही मेत्री के हाथ अपने सीने को कवर करने के लिए टॉवेल को बड़ी ही मजबूती से पकने लगते है।
"बेबी डॉल आज हम बाहर जा रहे है, तैयार रहना ओके।"वेद के बोलने पर मेत्री सवालिया नज़रों से उसे देखने लगती है।
"लेकिन कहा और में क्यों जाऊ.....म्मम..."अभी वो बोल रही रही थी कि तभी वेद उसके मुलायम होठों को अपने सख्त होठों मे ले लेता है जिससे मेत्री की आवाज़ वही दब जाती है।
मैत्री के होठ इतने सॉफ्ट थे कि वेद का मन ही नहीं था कि वो उसे छोड़े पर बाहर भी जाना ज़रूरी था इसलिए वो हल्की सी किस्स😘 के बाद उसे छोड़ देता है।
वही मैत्री का चेहरा पूरा लाल था ये जानना मुश्किल था कि गुस्से है या शर्म से वो बस वेद को घुरे जा रही थी।
"बेबी डोल मुझे घूरने की जगह अपने टावेल को संभालो कहीं वो फिर गया तो मे अपना कंट्रोल खो दूंगा जो तुम्हे ही भी पड़ेगा और एक बात तुम्हे सवाल करने का हक नहीं है सिर्फ़ मुझसे प्यार करने की आज़दी है,समझी तुम पार्टी मे तुम्हे आना हू पड़ेगा तुम्हारी मर्जी चाहे हो या ना हो अंडरस्टैंड बेबी।"इतना बोल वेद वहा से चला जाता है वही मेत्री को ये समझ नहीं आ रहा था कि वो इस राक्षस से केसे बचे और विष्टि का बदला केसे ले।
वो अभी सब छोड़ कपड़े पहनती है तभी उसके रूम मे कोई नोक करता है,जब वो डोर ओपन करती है तो हैरान ही जाती है वहा एक डिजाइनर कपड़ों के साथ था और एक मेकअप आर्टिस्ट थी,कपड़े देख कर मेत्री को ऐसा लगा कि यहां वो कपड़े बेचने आई हो,पर को बिना कुछ बोले तैयार होने चली जाति है।
वही इंडिया के मुंबई में......
ओबेरॉय पैलेस में शादी के बाद की रस्मो की तैयारियां की हा रही थी,सभी उठ चुके थे और अपने अपने काम में लग चुके थे,विष्टि भी तैयार को कर निकाल जाती है बाहर का नज़ारा देखने तभी उसे एक लड़की और एक औरत साथ ने आते हुए दिखे।
"ये...ये तो वही है ना.. हा ये तो निशा की सौतेली बहन और मा है।"विष्टि खुद मे ही बड़बड़ाई जिसे तारा ने भी सुना।
"अच्छा तो ये को है,दिखने में तो भोली भाली लगती है।"तारा ने उन्हें गोर से देखते हुऐ कहा।
"अबे यार सुन दिखने में ही सीधी साधी है बाकी ये टीवी सीरियल की विलन है दोनो, ये जो औरत है ना निशा की मा वो नील की शादी निशा की सौतेली बहन सोनिया से कराना चाहती थी पर उसकी चाल तब नहीं बनी,लगता है अब बनाने आई है कमीनी।"विष्टि ने मुंह बिगाड कर कहा,और तारा उसे घूरने लगी।
वही दूसरी तरफ मुबई के एक आलीशान हवेली मे....
एक बूढ़े व्यक्ति अपनी राजा शाही चेयर पर बैठे हुऐ थे,उनके बगल में एक आदमी खड़ा था जिसकी उम्र तकरीब 45 साल होगी जो अपने पास मे खड़ी अपनी बीवी को देख कुछ इशारे कर रहे थे।
"इशारे बाज़ी बंद कीजिए छोटे कुवर सा आज हमे यहां आए पूरे 3 घंटे हो गए है और आप मे से कोई बताएगा कि आखिर बात क्या है?हमे राजस्थान से यहां क्यों बुलाया गया है।"महेश राणा अपने छोटे बेटे और उनकी पत्नी को देख बोले,महेश राणा के ऐसे बोलने पर विजय जी और कोमल जी एक दूसरे को आगे करने लगे आखिर कर विजय जी को ही आगे आना पड़ा।
"बाबा सा वो...वो उन्होंने शादी करली...."विजय जी अपना सिर झुकाए बोले।
"आप किसकी बात कर रहे है किसने शादी करली, साफ साफ कहे।"महेश जी ने फिर कहा।
"वो..वो गोलू..."अभी उन्होंने इतना ही कहा कि उन्हें कुछ टूटने की आवाज़ आई।
कोन है ये राणा परिवार??और कोन है ये गोलू??सोनिया क्या किरदार निभाएंगी विष्टि की ज़िन्दगी में???
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"बाबा सा वो...वो उन्होंने शादी करली...."विजय जी अपना सिर झुकाए बोले।
"आप किसकी बात कर रहे है किसने शादी करली, साफ साफ कहे।"महेश जी ने फिर कहा।
"वो..वो गोलू..."अभी उन्होंने इतना ही कहा कि उन्हें कुछ टूटने की आवाज़ आई।
अब आगे.....
जैसे ही सब पीछे देखते है वहा एक वास गिरा हुआ था और एक आदमी जो दिखने में काफ़ी कमज़ोर लग रहा था वो गुस्से में अपनी मुठ्ठी भिचे हुऐ था।
"कितने बार कहा है उसका नाम भी मेरे घर में आना नहीं चाहिए एक बार मे बात समझ नहीं आती।"वो आदमी गुस्से से बोल रहा था।
"वीर बेटा शांत हो जाओ,जो भी हो पर है तो वो इस परिवार का हिस्सा ही आज भी तुम्हारी वासिहट मे उसका नाम है।"महेश जी ने वीर जी को शांत करते हुए बोला।
"हा भाईसा बाबा सा ही बात सही है आखिर पहली वारिस गोलू ही है।"विजय जी ने कहा तो वीर जी का गुस्सा और बढ़ गया।
"नहीं बाबा सा मे कल ही उसे अपनी जायदाद, वसीयत, नाम, खून, खानदान सब से दूर कर दूंगा।"इतना बोल वीर जी वहा से चले जाते है।
"बाबा सा भाईसा को समझाइए पता नहीं क्या बोले जा रहे है।"विजय जी हताशा से महेश जी की तरफ देख बोले।
"हम देखते है।"महेश जी ने कहा और वहा से चले गए।
"चिंता मत कीजिए आप सब ठीक होजाएगा।"कोमल जी विजय जी के कंधे पर हाथ रख बोली।
वही ओबेरॉय पैलेस में....
सोनिया और माया जी सीधे सुनीता जी के रूम की तरफ बढ़ जाती है,तीनों मिल कार वहा केसे विष्टि को निकालना है उसकी प्लेनिग कर रहे थे।
वही दादी जी विष्टि के पास जा कर उस पहली रसोई की रस्म के लिए बोलती है,निलांश भी उनके साथ ही होता है,वो जानता था कि विष्टि(मेत्री)को खाना बनाना नहीं आता उसे सोनिया ने बताया था जब,सोनिया,निशा,मेत्री और निलांश डिनर पर गए थे एक बार की निशा और मेत्री को खाना बनाना नहीं आता सिर्फ उसे आता है।
"तुम कुछ मत बनाना मे होटल से मंगवा लूंगा।"दादी के जाते ही निलांश ने विष्टि से कहा क्युकी एक तो उसे खाना बनाना नहीं आता था ऊपर से उसकी कमर में भी दर्द था।
"नहीं पति परमेश्वर मै खुद बनाऊंगी क्युकी ये रस्म है,और अपने मेरी इतनी फिक्र की उसके लिए बोहोत बोहोत ज़्यादा किस्स यू।" अपनी लास्ट लाइन बोल वो निलांश के गाल पर किस्स 😘 कर जल्दी से भाग जाती है।
"ये लड़की पागल है क्या? मुझे इससे दूर रहना होगा।"निलांश इतना बोल अपने कमरे की तरफ निकल गया क्युकी दादी ने आज उसे कहीं भी जाने से मना किया था।
तभी ध्रुव और देव भी उसके कमरे में बिना इजाज़त के आ धमके,देव और ध्रुव बेड पर निलांश के अगल बगल बैठ गए,निलांश उन दोनों को देख समझ गया की ज़रूर इनके बटन जैसे दिमाग में कुछ खिचड़ी पक रही है।
"लिसन गाइज मे तुम्हारे साथ किसी भी फालतू चीज़ मे टाइम वेस्ट नहीं करने वाला।"निलांश अपने दोनों खुराफ़ाती भाईयो की तरफ देख बोला।
"हा गॉड ब्रो सही कहा था आपने, भाई पराया मन हो गए अब... " इतना बोल ध्रुव इमोशनल ड्रामा करने लगता है
"मैंने कब कहा ऐसा और वो पराया धन होता है नोट अ मन जिम ट्रेनर..."जैसे ही देव ये केहता है घ्रुव उसे घूरने लगता है, ध्रुव के इसे घूरने से देव समझ जाता है की उसे अब क्या बोलना है।
"ओ...या सही कहा तूने जिम ट्रेनर,अब ये हमारे साथ टाइम क्यों स्पेंड करेगा,अब तो इसके दिन और राते... सब किसी और के हो गए।"देव रात शब्द पर जोर लगाते हुए बोला जिससे नील को खासी आ गई।
"अपनी बकवास बंद करो और बताओ क्या बात है।"निलांश खुद को संभालते हुए बोला।
"भाई वो...रात को एक छोटी सी फैमिली पार्टी रखी है तो प्लीज़ आप आ जाना।"ध्रुव ने जैसे ही ये कहा निलांश उसे घूरने लगा।
"हा भाई देख तूने पहले ही रिसेप्शन के लिए मना कर दिया है तो अब एक छोटी सी पार्टी तो बनती है ना।"देव ने कहा तो निलांश ने बस हा मे अपना सिर हिला दिया वो अपने भाईयो की बात नहीं टालता था,उसके हा बोलते ही ध्रुव निलांश को हग कर उसके गाल पर किस्स 😘 कर देता है निलांश उसे खुद से दूर करता है और देव हसने लगता है।
"तु ये किस्स विस्स मत किया कर कितनी बार कहा है।"बोल कर निलांश उसे घूरने लगा तो घृव मासूम सा चेहरा बना लेता फिर तीनों मुस्कुरा कर एक ग्रुप हग करते है,यही तो खासियत है इन तीनों की चाहे कुछ भी हो ये तीनों साथ ही होते है।
वही विष्टि ने अब तक सारा खाना बना लिया था,बस सब्ज़ी और खीर ही बाकी थे। हालाकि उसका खाना खराब करने की कोशिश मे सोनिया लगी हुई थी पर अब तक वो कुछ कर नहीं पाई।
"अरे विष्टि वो तुम्हे निलांश बुला रहा था,शायद उसे कुछ काम है तुमसे।"सोनिया सब्ज़ी को हिलाती हुई विष्टि से आ कर बोलती है।
("वो मुझे क्यों बुलाएगा अकडू पति परमेश्वर,ठीक है देख कर आती हूं।")अपने मन में ये सारी बातें सोच विष्टि गेस स्लो कर अपने रूम की तरफ़ बढ़ जाती है।
उसके जाते ही सोनिया जल्दी से सब्ज़ी मे ढेर सारा नमक डाल देती है और खीर मे जैसे ही डालने जाती है वहा दादी जी आ जाती है।
"अरे बेटा तुम यहां क्या कर रही हो,कुछ चाहिए क्या तुम्हे?"दादी ने सोनिया से पूछा।
"अरे.. नॉ ना दादी कुछ नहीं चाहिए मे तो बस पानी पीने आई थी चलिए अब चलते है।"नमक का डब्बा पीछे छिपाकर स्टैंड पर रखते हुए सोनिया जूठी हसी लिए बोली।
"ठीक है चलो लगता है विष्टि बेटी ने यहां सब काम कर लिया है"ऐसा बोल सोनिया को लिए दादी जी वहा से चली जाती है।
वही जब विष्टि रूम मे पोहचि तो उसे निलांश लेपटॉप पर काम करते दिखा।
"पती जी मुझे यहां क्यों बुलाया कुछ काम है क्या?"विष्टि निलांश के पास जा कर बोली।
"नहीं तो पागल हो क्या तुम,मे तुम्हे क्यों बुलाऊंगा?"निलांश के ऐसे बोलने पर विष्टि की आंखे छोटी हो गई।
"क्या मतलब है आपका अभी तो सोनिया ने कहा कि..."वो बोलते बोलते रुक जाति है उसे समझ आ चूका था कुछ तो गड़बड़ हुई है वो तुरंत किचन की तरफ़ भागती है उसे ऐसे भागता देख निलांश भी उसके पीछे चला जाता है।
वही अमेरिका मै....
मैत्री एक बोहोत ही हॉट ऐंड बॉल्ड गाउन ड्रेस में रेडी हो चुकी थी उस ड्रेस का गला बेहद डीप था जिससे उसके क्लीवेज के साथ साथ उसकी चेस्ट भी थोड़ी सी दिख रही थी,उसके लेफ्ट लेग साइड एक कट था जिससे उसकी सेक्सी टांगे साफ नजर आ रही थी।
मेकअप आर्टिस्ट ने उसे थोड़ा सा मेकअप भी किया था हालाकि मेत्री पहले से ही सुन्दर थी इसलिए उसे ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी,उसे तैयार करने के बाद मेकअप आर्टिस्ट और डिज़ाइनर दोनो वहा से चले जाते है।
मेत्री को उस ड्रेस में बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था हालाकि ऐसी ड्रेस तो इंडिया मे भी अब नॉर्मल है पर उसने कभी ऐसे कपड़े पहना तो छोड़ो इनके बारे में सोचा तक नहीं था,उसके लिए सूट, सलवार और सारी ही सही मायने में कपड़े कहलाने के लायक थे,पर को अभी खुद को लाचार मेहसूस करती है।
तभी वहा वेद आ जाता है,जैसे ही डोर ओपन करने की आवाज़ आती है वैसे ही मेत्री जल्दी से खड़ी ही जाती है बेड से और वेद को देख अपना सीर नीचे कर लेती है।
मेत्री को से ड्रेस मे देख वेद की आंखे छोटी हो जाती है,वो अपने कदम मेत्री की और बढ़ा लेता है,मेत्री उसे देख अपने कदम पीछे पीछे करने लगती है और दीवार से सट कर खड़ी हो जाती है तब तक वेद उसे अपने बही के घेरे में घेर चुका था।
"तुम्हारी हिम्मत केसे हुई बाहर ऐसे कपड़े पहन कर जाने की सोचने की।"वेद की आवाज़ कठोर थी उसके ऐसे बोलने पर मेत्री सवालिया निगाहों से उसे देखने लगती है उसे कुछ समझ नहीं आया।
"लेकिन..."जैसे ही मेत्री हिम्मत कर कुछ बोलने गई वैसे ही वेद उसके होठों को बुरी तरीके से स्मूच करने लगता है,मेत्री की सांसे तेज़ हो जाती है,वो तुरंत अपने आपको छुड़ाने की कोशिश करती है,पर वेद के आगे वो मजबूर थी,वेद बोहोत ही स्ट्रॉन्ग लड़का था।
तकरीबन पंद्रह मिनट तक वेद उसके होठों को बड़ी बड़ी से ऊपर नीचे चूसने लगाता है,जब मेत्री को सांस लेने में प्रोब्लम होती है तब जा कर वेद उसे छोड़ता है,जैसे ही मेत्री आज़द होती है वो तुरंत गुस्से से एक ज़ोर दार थप्पड़ वेद को मार देती है,वेद को इसकी उम्मीद नहीं थी इसलिए वो उससे बच नहीं सका और हैरानी और गुस्से के साथ उसे देखने लगा।
"तुम्हारी हिम्मत केसे हुई घटिया इंसान मुझे दोबारा किस्स करने की,तुम एक निहायती बेकार इंसान हो, यू ब्लडी...."इससे पहले कि मेत्री कुछ आगे बोलती वेड उसे जट से बेड पर गिरा देता है,और उसके उपर आ कर उसके होठ चूसने लगता है,मेत्री एक बार फिर हैरान ही जाती है वही इस बार वेद बोहोत रूड था वो उसके होठों को काट भी रहा था।
इसी वाइल्ड किस्स के बीच वेद के हाथ सीधा मेत्री की चेस्ट पर चले जाते है,मेत्री की ड्रेस जो कि इसी बीच उसकी चेस्ट से नीचे चली गई थी वो अब और नीचे हो जाती है,वेड उसकी चेस्ट को एक हाथ से दबाने लगता है।
उसके ज़ोर से दबाने के वजह से मेत्री की आह निकल जाती है पर किस्स की वजह से उसकी आवाज़ दब जाति है,मेत्री को अपने होठों पर और चेस्ट पर बोहोत दर्द मेहसूस होता है उसकी आंखो से अब आंसू निकाल रहे थे पर इस बात का वेद पर कोई असर नहीं हुआ वो तो बस मेत्री के बदन मे खो से रहा था।
पूरे रूम में किस्स की आवाज़ और सिसकियां गूंज ने लगी,वही मेत्री की आंखो मे डर था कहीं आज वेद उसके साथ कुछ गलत ना करदे,एक लड़की के लिए उसकी इज्जत सब कुछ होती है।
क्या आज वेद अपनी सारी हेट पार कर देगा??मेत्री की नफरत अब जन्म लेगी??राणा परिवार में क्या हो रहा है?? विष्टि अब क्या करेगी???
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अब तक हमने देखा....
उसके ज़ोर से दबाने के वजह से मेत्री की आह निकल जाती है पर किस्स की वजह से उसकी आवाज़ दब जाति है,मेत्री को अपने होठों पर और चेस्ट पर बोहोत दर्द मेहसूस होता है उसकी आंखो से अब आंसू निकाल रहे थे पर इस बात का वेद पर कोई असर नहीं हुआ वो तो बस मेत्री के बदन मे खो से रहा था।
पूरे रूम में किस्स की आवाज़ और सिसकियां गूंज ने लगी,वही मेत्री की आंखो मे डर था कहीं आज वेद उसके साथ कुछ गलत ना करदे,एक लड़की के लिए उसकी इज्जत सब कुछ होती है।
अब आगे.....
मेत्री की आंखो मे डर और आंसू साफ़ नज़र आ रहे थे,वही वेद अब अपना कंट्रोल पूरा खो देता है उसे अपने गुस्से के आगे कुछ दिखाई नहीं देता,वेड अपने हाथ मेत्री के पीछे ले जाते हुए उसके ड्रेस की ज़िप खोली इससे पहले कि वेद मेत्री की ड्रेस को उससे अलग करता की तभी उसका फ़ोन बजा स्क्रीन पर हैरी का नाम शो हो रहा था।
वेद भले ही बेहद गुस्से में था पर वो जानता था कि हैरी बिना किसी ज़रूरी बात के उसे कॉल नहीं करेगा क्युकी उससे उसकी जान खतरे में पड़ सकती थी।
वेद ने एसे ही मेत्री के ऊपर लेटे हुए कॉल पिक किया सामने से हैरी की थोड़ी डरी सहमी सी आवाज़ वेद के कानो मे पड़ी।
"वो..वो बॉस गलती से एक मेल डिज़ाइनर लेडी बॉस के पास आ गया था,और...और उसने गलती से अलग ड्रेस लेडी बॉस को दे दिया..."हैरी ने अपने अंदर की सारी हिम्मत जुटाई और बोला।
"गलती....(फ़िर थोड़ा रुक कर)तो गलती किसकी थी?"वेड के इतना बोलने पर हैरी समझ गया कि अब डिज़ाइनर और उसकी p.a एना की जान खतरे में है।
"ओके बॉस मे उन्हें कोटेज मे ले जाता हूं।"हैरी बात को समझ कर वेद के गुस्से से बचने के लिए जल्दी बोल कर कॉल काट देता है।
वही देव अब सुकून के साथ मेत्री को देखता है जिसके आंखो में आंसु थे और चेहरे पर दर्द,वेड को लगा था कि मेत्री ने जानबूझ कर इसी ड्रेस पहनी है,क्युकी उसने डिज़ाइनर से कह कर एक इंडियन ड्रेस बनवाई थी पर ऐसी ड्रेस से वो जो चाहता था वो सब उलट जाता,इस गुस्से मै उसने मेत्री के साथ ऐसा किया पर जब उसे सच्चाई पता चली तो उसके दिल में दर्द सा हुआ,उसे बुरा लगा कि उसने पानी जान को रूल दिया।
वेद एक शॉर्ट टेंपर लड़का था उसका मूड पल मे बदलता रहता,वो पल मे गुस्सा तो पल मे शांत,उसके आसपास के लोगो को उसके ऐसे बिहेवियर की आदत थी,पर वो कभी मेत्री को हर्ट करने के बारे में सोच भी नहीं सकता था।
वो उठा और अच्छे से मेत्री को ब्लैंकेट से कवर किया,उसके सीर को प्यार से चूम लिया,और वहा से चला गया कैमरे से निकलते ही वो एक राक्षस की तरह लगने लगा,उसे देख कर कोई भी डर जाए।
इंडिया में..मुंबई..
राणा हवेली मे...
एक रूम में एक शक्श किसी से फोन पर बात कर रहा था।
"नहीं अभी नहीं...अभी अगर वो अपनी बेटी से मिला तो,उसकी वो चालक बेटी उसे अपनी बातो मे फसा लेगी, पेपर साइन तो हम भी करवा लेंगे तुम बस इतना ध्यान रखो कि वीर अपनी बेटी तक पोहच ही ना पाए।"इतना बोल वो शख्स एक डरावनी हसी के साथ हसने लगा।
ओबेरॉय पेलेस...
जैसे ही विष्टि सोनिया की चाल समझ भाग कर किचन की तरफ जाति है तो,देखती है कोई नही था वहा,वो जल्दी से गैस पर रखी सब्जी और खीर टेस्ट करती है,टेस्ट करते ही उसका चहरा गुस्से से लाल हो चुका था।
नीलांश जो की उसके इसे भागने से उसके पीछे पीछे चल दिया था,वो आ कर उसी स्पून से सब्जी टेस्ट करता है,नमक बोहोत ज़्यादा था,पर दोनो की ये बात बोहोत अजीब थी की इतना नमक होने के बावजूद दोनो मे से किसी ने मुंह में गई सब्जी को वापिस बाहर नहीं निकाला था,निगल गए थे दोनो,उनकी जगह कोई और होता तो थूक चुका होता अभी तक🤮🥴।
"मेने कहा था ना,खान मंगवा लेता हु, बट नही तुम्हें तो दादी की नज़र में हीरोइन बनना था ना, लो अब भुगतो।"नीलांश ने कड़क आवाज़ में कहा तो विष्टि अपना मुंह और आंखे फाड़े बस नीलंश को ही देखे जा रही थी,कितना चेप इंसान था उसे इतना तक समझ नही आया क्या की ये सब सोनिया का किया धरा था।
"मिस्टर पति, तुम में अक्ल है की नही?आपको इतना भी समझ नही आता क्या की ये सब उस सोनिया ने किया है ये सब,मेरी पेहली रसोई और शादी शुदा जिंदगी दोनो को खराब करने के लिए, उसे क्या पता की में किस मुसीबत को झेल रही हूं।"जैसे ही विष्टि ने ये कहा वैसे वैसे नीलांश के रिएक्शन बदल रहे थे, नीलांश समझ रहा था की अभी अभी उसे मुसीबत कह कर बुलाया गया था🤭।
"खराब उस चीज़ को किया जाता है जो पहले अच्छी हो।"कड़वे शब्द बोल निलांश वहा से निकल जाता है।
वहीं विष्टि नीलांश और सोनिया को कोसते हुए कुछ सोचने लगी,नीलांश बाहर जा कर अपने असिस्टेंट उदित को कॉल करता है।
"येस सर वॉट कैन आई डू फॉर यू?"उदित ने पोलाइटली कहा, उदित की ऐसी बात सुन नीलांश की भोहे तन जाति है,पर वो उदित की बात को इग्नोर कर देता है।
(दरअसल उदित नीलांश के साथ काफी वक्त से काम कर रहा था पर आज तक उसने कॉल पर ऐसा कुछ नही कहा था,वो अक्सर नीलांश के सामने चुप हो जाता,पर आज एक दम रिलेक्स लग रहा था।)
"एक लो क्लास रेस्ट्रोंट से इंडियन खाना घर भिजवा दो।"नीलांश ने कहा तो दूसरी तरफ से उदित अपने फ़ोन को बार बार देखता है कही किसी और का कॉल नही आया ना,उसके बॉस लॉ क्लास चीज़ कभी यूज नही करते,फिर आज ये केस हुआ।
वही नीलांश ने इतना बोल कर कॉल काट दिया था,यूज उदित के जवाब को सुनने में कोई इंट्रेस्ट नही था,पर उसे एक बात समझ नही आती की वो kyu विष्टि को बचा रहा था,जब की वो तो उससे नफरत करता था।
वही अमेरिका में.....
एक अंधेरे भरे कॉटेज में जहा पर सब जग अंधेरा था और कई बॉक्स थे,बीच में हल्की सी रोशनी थी जिसमे एक बेहद हेंडसम पर खतरनाक चेहरा दिखा।हल्की रोशनी में एक लड़का नीचे गिरा हुआ था उसके दोनो हाथ ज़मीन पर पड़े थे खून से लथपथ और लड़की साइड में खड़ी रो रही थी,ये नज़ारा देख वो बेहद ही दिल दहला देने वाला था।
तभी वहा एक घुंघराले बालों वाला लड़का आया और उस लड़के से बोला जो बेहद खतरनाक लग रहा था।
"बॉस वो घर से फ़ोन है, फैमिली मीटिंग में आपको बुलाया है।"हैरी ने जैसे ही ये कहा वेद की आंखे जो गुस्से से लाल थी अब ठंडी हो गई।
"दिया को बोलो विष्टि को तैयार रखे।"वेद के कहने पर पहले तो हैरी को दिया का नाम सुन कर ही बुखार आ गया पर फिर वो कुछ सोच वेद की तरफ देखने लगा, वेद ने उसे बोलने का इशारा किया तो हैरी बोला।
"क्या विष्टि जी को वहा ले जाना सही होगा।"हैरी के बोलने से एक तेज़ नज़र वेद ने हैरी पर डाली तो हैरी खामोश हो गया।
क्या चल रहा है वेद के दिमाग में??क्या करेगी अब विष्टि?? मैत्री की जान कही खतरे में तो नहीं ना??
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
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"दिया को बोलो विष्टि को तैयार रखे।"वेद के कहने पर पहले तो हैरी को दिया का नाम सुन कर ही बुखार आ गया पर फिर वो कुछ सोच वेद की तरफ देखने लगा, वेद ने उसे बोलने का इशारा किया तो हैरी बोला।
"क्या विष्टि जी को वहा ले जाना सही होगा?"हैरी के बोलने से एक तेज़ नज़र वेद ने हैरी पर डाली तो हैरी खामोश हो गया।
अब आगे....
वेद अपनी सिगरेट जला कर कुछ सोचने लगा, उसके परिवार वालो ने उसे कोई लड़की देखने के लिए कहा था वरना उसकी फैमिली के कुछ शातिर लोग उससे उसकी पोस्ट छीन सकते है,ऐसी धमकियां उसे आए दिन मिलती रहती,पर आज तक उसने किसी पर ध्यान नहीं दिया था।
हैरी ने मुंह बनाया और फिर सीधा दिया को कॉल किया दिया का नाम उसके फोन में चिपकू गम लिखा हुआ था।
"अरे हॉट बेबी तुम्हे मेरी इतनी याद आ रही है😍।"हैरी के कुछ बोलने से पहले ही दिया जो की मैत्री के साथ बैठ बाते कर रही थी वो बोल पड़ी।
"जस्ट शट अप, ज़्यादा मत बोलो और सुनो बॉस ने कहा है की भाभी जी को रेडी कर रखना कश्यप विला जाना है ओके।"इतना बोल हैरी बिना एक भी सेकेंड गवाए कॉल काट देता है।
वही दिया फ़ोन को घूर रही थी और मैत्री अपनी बड़ी आंखों से दिया को, दरअसल मैत्री दिया के हैरी को ऐसे बोलने से वो चौंक गई थी🤭।
जहा बात की जाए वेद के परिवार की तो उसका खानदान बोहोत ही बड़ा था,और अमेरिका में एक लोता फेमस और बड़ा इंडियन खानदान था, वैसे तो कई इंडियन फैमिली थी अमेरिका में पर वैद की फैमिली कश्यप फैमिली जितनी अमीर और रिप्यूटेट नही थी।
कश्यप फैमिली ने बरसो पहले अमेरिका में एक चाय पत्ती का बिजनेस शुरू किया था,जो शुरुआती दौर में कम चला पर समय के साथ काफी आगे गया फिर धीरे धीरे जितेंद्र कश्यप (वैद के पर दादा)ने अपने परिवार के सभी लोगो को इंडिया से अमेरिका में जगह दी थी।
टाइम के साथ साथ उनके परिवार का रूतबा, नाम और दौलत, शोहरत सब उन्होंने पा लिया था,पर कुछ सालो पहले जब वेद के मां और पापा की डेथ हुई तब सभी ने बिजनेस को अपने नाम कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी पर वेद जो की अठारह साल का था,जिसने सारी जिम्मेदारी अच्छे से संभाल ली और हालाकि शुरुआती दौर में उसे इन सब चीजों के बारे में कुछ पता नहीं था,पर इन सालो में उसने बोहोत कुछ सीख लिया था,अब उससे जीत पाना पूरे अमेरिका में किसी के बस की बात नहीं थी।
वेद अब सीधे विला के लिए निकल गया,वही दिया जल्दी जल्दी में मैत्री को तैयार कर रही थी उसे डर था कही कोई गलती न करदे,वरना वो इस घर से बाहर समझो।
"थैंक गॉड अब तुम रेडी हो वरना मुझे यहां से गेट आउट होना पड़ता।"दिया थोड़ी देर बाद थक कर बैठते हुए बोली,वो वाकई बोहोत थक गई थी ये मुश्किल था।
"ओके ओके अब जाओ तुम भी रेडी हो जाओ।"मैत्री ने भी थक कर बैठते हुए कहा।
इंडिया में मुंबई.....
ओबेरॉय पेलेस में
डाइनिंग टेबल पर सब लोग आ चुके थे, खाने की खुशबू बोहोत अच्छी आ रही थी, हालाकि सभी को अच्छे से अच्छे खाने की आदत थी,पर सैफ के खाने की ओबेरॉय की बहुओं ने सिर्फ अपनी पहली रसोई पर मीठा बनाया था कुछ न कुछ,मीरा जी ने भी उम्र के साथ खाना बनाना छोड़ दिया था।
देव और ध्रुव घर में मौजूद नहीं थे,ध्रुव आज आफिस गया था क्युकी निलांश आज घर पर था और ऑफ़स किसी एक का होना भी जरूरी था इसलिए आज ध्रुव को अपनी नींद खराब कर जाना पड़ा और देव अपनी मीटिंग में जो कि उसकी पेंटिंग के खरीदार से थी एक होटल में और ध्रुव।
"मे सी लड़किके हाथ का बना कुछ नहीं खाऊंगी।"सुनीता जी अपनी नितनकी शुरू कर दी।
"खाना खाना है तो यही मिलेगा वरना और कुछ की उम्मीद मत रखना बड़ी बहू।"दादी मा ने सख्ती से कहा तो सुनीता जी चुप चाप बैठ गई,क्युकी उन्हे पता ही था थोड़ी ही देर में सभी टेबल से उठ जाएंगे,वो विलन वाली स्माइल के साथ अपने पास मे बैठी सोनिया को देखती है जो निलांश को देखने मे बिज़ी थी।
निलांश भी एक चेयर पर बैठ जाता है और खाने पर नजर डालता है,ये वो खाना नहीं था जो उसने होटल से मंगवाया था,वो गुस्से की तेज़ नजर अपनी बीवी पर डालता है वही विष्टि खुशी खुशी सबको खाना सर्व करती है।
जैसे ही सब खाना शुरू करते है विष्टि के खाने की तारीफ करते है ये देख,निलांश,सोनिया, उसकी मा और सुनीता जी हैरानी से विष्टि को देखने लगे निलांश भी खाना टेस्ट करता है सब ठीक था हालाकि इतना अच्छा भी नहीं था पर घर का संवाद था जो उसे पहली बाद मेहसूस हुआ था।
खाना खाने के बाद सभी विष्टि को शगुन देते है पहले तो वो मना करती है फिर दादी के समझने पर ले लेती है।
थोड़ी देर बाद निलांश के कमरे में...
निलांश अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था तभी विष्टि वहा आती है निलांश एक नजर उसे देख वापिस अपने लैपटॉप पर नज़रे गाढ़ लेता है।
"खाना ठीक केसे किया तुमने?"निलांश ने इसलिए ये पूछा क्युकी इतने कम टाइम मे वापिस सब्ज़ी बनाना मुश्किल था।
"मेरी दाईं मा ने कहा था कि अगर सब्ज़ी मे कभी नमक ज़्यादा पड़ जाए तो आटे की गोली बना कर सब्ज़ी मे डाल दो ताकि आटा पूरा नमक सोख ले अब समझे पति परमेश्वर।"ड्रेसिंग टेबल के सामने अपनी चूड़ियां उतारती विष्टि अपने ही धुन में बोल रही थी।
"तुम्हारे मोम डेड कोन है?"निलांश ने अपनी आंखे विष्टि पर गड़ाए हुए पूछा लेकिन जैसे ही विष्टि ने ये सुना उसके हाथ रुक गए,इस जनम की सारी यादें याद कर उसकी आंखे लाल हो गई।
"मुझे नहीं लगता आपको इस बारे में जानने कि ज़रूरत है।"विष्टि ने खड़े होते हुए कहा और वॉशरूम की तरफ़ बढ़ने लगी तो निलांश ने जल्दी से उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया।
"मुझे जानना है तुम किसकी बेटी हो?बताओ मुझे तुम्हारे मोम डेड कोन है।"निलांश उसकी गहरी आंखो में देख बोला।
विष्टि के दिमाग में अभी इस सिचवेशन से बचने का कोई तरीका नहीं मिल रहा था वो एक पल रुक कर निलांश को गोर से देखती है फिर बिना सोचे समझे उसके होठों पर अपने गुलाबी होंठ रख देती है,हालाकि उसे किस्स करना नहीं आता था पर वो बस केसे भी कर निलांश का ध्यान भटकना चाहती थी,लेकिन विष्टि के इस एक्शन से निलांश शॉक मे चला गया उसकी बॉडी अब रिएक्ट कर रही थी।
तभी उन दोनों के कान में कॉल रिंगिंग सुनाई देती है,दोनो एक दूसरे से दूर होते है,निलांश का कॉल बज रहा था।
"हेलो सर एक गड़बड़ हो गई है, घ्रुव सर जीस मीटिंग के लिए आरहिनी होटल गए थे वहा किसी ने हमला कार दिया है,और वो ध्रुव सर...।"उदित ने पहले निलांश को ग्रिट किया फिर उसे सारी बात बताई,उसकी आवाज़ मे टेंशन साफ नजर आ रही थी।
फोन स्पीकर पर था इसलिए ये बात विष्टि ने भी सुनी,निलांश ये सुनते ही तुरंत बाहर निकाल गया विष्टि भी उसके पीछे पीछे निकाल गई।
किसने किया है हमला??क्या हुआ है ध्रुव को??कश्यप फैमिली के राज भी जल्दी ही आएंगे सामने।
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अभी तक हमने देखा...
तभी उन दोनों के कान में कॉल रिंगिंग सुनाई देती है,दोनो एक दूसरे से दूर होते है,निलांश का कॉल बज रहा था।
"हेलो सर एक गड़बड़ हो गई है, घ्रुव सर जीस मीटिंग के लिए आरहिनी होटल गए थे वहा किसी ने हमला कार दिया है,और वो ध्रुव सर...।"उदित ने पहले निलांश को ग्रिट किया फिर उसे सारी बात बताई,उसकी आवाज़ मे टेंशन साफ नजर आ रही थी।
फोन स्पीकर पर था इसलिए ये बात विष्टि ने भी सुनी,निलांश ये सुनते ही तुरंत बाहर निकाल गया विष्टि भी उसके पीछे पीछे निकाल गई।
अब आगे.....
निलांश ने तुरंत अपनी कार निकली और तेज़ी से अपनी सीट पर बैठ गया तभी उसका ध्यान पैसेंजर सीट पर बैठी विष्टि पर गया,पर अभी उससे कोई भी बेहेस करना उसने ठीक नहीं समझा और फुल स्पीड मे उसने कार को आरहीनी होटल की तरफ़ बढ़ा दिया।
कार की स्पीड इतनी ज़्यादा थी कि लग रहा था कोई कार रेस हो,निलांश एक नजर विष्टि को देखता है वो हैरान था कि विष्टि उसे कार थोड़े धीरे चलाने के लिए नहीं बोल रही।
कुछ ही देर में दोनों होटल पोहोच जाते है दोनो को ही ध्रुव की बोहोत चिंता हो रही थी,कहीं कुछ गडबड ना हुई हो,पर जेसे ही वो दोनो होटल के एंट्रेंस पर पोहोचते है दोनो की आंखे हैरानी से बड़ी हो जाती है।
एक लड़की और ध्रुव एक दूसरे के बालो को पकड़े हुए थे और कुछ गुंडे उन दोनों पर निशाना साधे गन ले कर खड़े थे,कुछ सिक्योरिटी गार्ड ज़मीन पर बेहोश थे तो कुछ गुंडा से लड़ने में थे पर गुंडा की संख्या ज़्यादा थी जिससे उनको एक साथ मार पाना मुश्किल था।
"ओए गेट तो दरवाज़ा कर खोते दे पुत्तर।"जैसे ही एक गुंडे की नजर एंट्रेंस से आते विष्टि और निलांश पर जाती है वो चीखते हुए बोलता है शायद वो पंजाबी था इसलिए ऐसा बोल रहा था।
"जी सरदार अभी करतान।"ध्रुव और उस गुंडे पर निशाना ताने एक गुंडे ने कहा और जल्दी से वहा से एंट्रेंस गेट की तरफ बढ़ गया।
निलांश आगे बढ़ कर ध्रुव और उस लड़की के पास जाने की कोशिश करता है तभी दो गुंडे आ कर उसके सर पर बंदूक रख देट है।
"अरे अरे पुत्तर पीछे खड़े रहो,देख नहीं रहे हो क्या यहां किडनेपिंग चल रही है,और तुम लोग खड़े क्या हो अगर लड़की बीच मे अपनी टांग अड़ा रही है तो इसे भी उठा लो इस अमिरजादे के साथ।"जो इस टोली का सरदार था उसने कहा इससे साफ पता चल रहा था कि वो ध्रुव को किडनेप करने आए थे।
तभी गोलियां चलने की आवाज़ आती है एक ही पल में ध्रुव और लड़की के आसपास खड़े सभी गुंडे एक झटके में नीचे गिर जाते है,और जी गुंडे सिक्योरिटी गार्ड से लाद रहे थे उन्हे निलांश मार मार कार बेहोश कर देता है।
दरअसल जब वो बिहारी गुंडा गेट बंद करने के लिए गया तभी विष्टि ने मौके का फायदा उठा कर उसकी गर्दन पर ऐसी जगह प्रेस किया की वो वही बेहोश हो गया और उससे गन छीन कर उसने चला दी,हालाकि सब हैरान थे विष्टि की स्किल्स से पर अभी किसी ने कुछ नहीं कहा।
थोड़ी देर बाद वहां की जगह साफ हो चुकी थी निलांश ने उन आदमियों को अपनी जगह पर पॉहचा दिया था,तभी वहा मैनेजर आता है।
"पहले तो तुम ये बताओ के ये सब हुआ केसे और ये लड़की कोन है।"निलांश ने ध्रुव से पूछा।
"मुझे क्या पता भाई ये कोन है,होगी कोई,वो दरसअल क्या हुए की में जैसे ही इस होटल की ऑनर से मिलने आया तो पता चला कि ऑनर नहीं है उनकी असिस्टेंट है यहां जैसे ही मे उनके ऑफ़समे जाने के लिए बढ़ा वो गंदे काले गुंडे पता नहीं कहा से टपक पड़े मे उनसे डील कर है लेता पर तभी इस पागल लड़की को लगा ये मुझे बचा कर हीरोइन बन जाएगी,पर इसे क्या पता द ध्रुव ओबेरॉय उन जैसे 100 लोगो को आसानी से संभाल सकता है।"ध्रुव ने अपनी आदत के मुताबिक अपनी बढ़ाई शुरू कर दी,इससे पहले कि वो आगे कुछ बोलता वो मैनेजर बोल पडा।
"सर मे आपको यही बताने आया था कि यही है हमारे होटल की ऑनर की असिस्टंट, मिस रीटा चौधरी,और मेम मीटिंग रूम रेडी है अगर आप चाहे तो जा सकते है।"इतना बोल वो मैनेजर वहा से चला गया और ध्रुव का मुह बन गया कि उसे इस पागल रीटा के साथ काम करना पड़ेगा,वही रीटा का पुरा ध्यान विष्टि पर था।
"तुम्हारी इतनी हिम्मत की तुम अभी तक मेरे सामने खड़ी हो?"रीटा ने गुस्से से विष्टि की तरफ़ देख कर कहा।
"देख रीटा रिलेक्स ओके हम बाद में बात करते है।"इतना बोल विष्टि निलांश का हाथ पकड़ वहा से जाने लगी।
"रूक जाओ मैत्री, तु ऐसा केसे कर सकती है,भूल मत हम दोनों कितना परेशान थे तेरे लिए और तु जानती भी है कि हमने केसे संभाला है ये सब और फिर भी,और तो और तेरे पापा...."अभी उसने इतना ही बोला था कि विष्टि की तेज़ आवाज़ पूरे हॉल में गूंज उठी।
"रीटा खबरदार जो उस फैमिली मे से किसी का भी नाम मेरे सामने लाया तो,और मे तुझे कॉल करुगी ओके मेरी शादी मेरे ख़ुद के लिए शॉक से कम नहीं है पर में जल्दी ही तुझे और पिया को मिलुगी और सब बताऊंगी।"विष्टि ने कहा और रीटा के गले लग गई हालाकि विष्टि के पहले शब्दो मे गुस्सा था पर बोलते बोलते वो थोड़ी भावुक हो गई,वही निलांश और धुव्र दोनो को हैरानी से देख रहे थे।
"तेरे पापा सीरियस है,your ded is in danger मेत्री...."रीटा ने धीरे से कहा तो विष्टि की पकड़ ढीली हो गई।
अमेरिका में........
कश्यप विला...
चार लोग धीरे धीरे विला के अंदर आ रहे थे,उनको देख पूरी कश्यप फैमिली के चेहरे पर अलग अलग भाव दिखाई दे रहे थे,किसी के चेहरे पर खुशी थी तो किसी के चेहरे पर गुस्सा , जलन और नफ़रत, हालाकि पूरी फैमिली मे कुछ लोग ऐसे थे जो कि वेद को दिल से चाहते थे और बाकी के सब उससे जल कर उसकी पोजीशन पाना चाहते थे,लेकिन किसी की वेद के सामने नहीं चलती थी।
"अरे मेरा बच्चा आ गया तू,बहू बोहोत खूबसूरत है।"वेद की दादी मा मानवी कश्यप ने बड़े प्यार से एक नज़र वेद के पास खड़ी मेत्री को देख कर वेद के चेहरे पर हाथ फेरते हुए कहा।
"सिर्फ़ लडकही आई है मा ये फैसला नहीं हुआ कि कश्यप एम्पायर का सीईओ कोन होगा,इतना खुश मत होइए।"डिनेलश कश्यप वेद के चाचा बोहोत ही शातिर दिमाग के इंसान है इनका नाम पहले दिनेश था पर समय के इन्होंने बदल कर डिनेलश रख दिया,इनकी उम्र तकरीब 35 साल है,शादी की नहीं है बस हर रात लड़कियां बदलते रहते है,सगाई इनकी हो चुकी है,पर शादी के नाम पर ये भाग जाते है।
"शादी हो गई है,और आप उसकी फिक्र ना करे तो बेहतर होगा।"वेद ठंडी मगर बेहद खतरनाक आवाज़ मे कहा,जिससे सुन चाचा जी की बोलती बंद हो गई।
"क्या शादी हो गई?(पहले ज़ोर से बोलने के बाद दादी जी ने धीरे से कहा।)ठीक है तो अब से तुम और बहू कश्यप विला मे ही रहोगे,इसके आगे हमे कुछ नहीं सुनना।"इतना बोल दादी मेत्री और दिया को ले कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है।
वेद और हैरी एक दूसरे को देखते है,वही पूरी की पूरी कश्यप फैमिली हैरान थी,अब से केसे वो इस हेवान के साथ रहेंगे,कुछ लोग तो टूर प्लेन करने लगे कुछ दिनों के लिए ताकि तब तक वेद अपने विला वापिस चला जाए।
अब क्या होगा आगे??विष्टि के पापा को क्या हुआ है??? कोन है विष्टि की फैमिली??काश्यप फैमिली मे मेत्री रह पाएगी??
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अब तक हमने देखा....
"क्या शादी हो गई?(पहले ज़ोर से बोलने के बाद दादी जी ने धीरे से कहा।)ठीक है तो अब से तुम और बहू कश्यप विला मे ही रहोगे,इसके आगे हमे कुछ नहीं सुनना।"इतना बोल दादी मेत्री और दिया को ले कर अपने कमरे की तरफ बढ़ जाती है।
वेद और हैरी एक दूसरे को देखते है,वही पूरी की पूरी कश्यप फैमिली हैरान थी,अब से केसे वो इस हेवान के साथ रहेंगे,कुछ लोग तो टूर प्लेन करने लगे कुछ दिनों के लिए ताकि तब तक वेद अपने विला वापिस चला जाए।
अब आगे.....
दादी मा के रूम मे दिया और मैत्री बैठे हुए थे,दादी मा उनसे बाते कर रही थी,उन तीनो की बातों से ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा था कि वो तीनो पहली बार मिली है,लग रहा था वर्षों से दोस्ती है इनकी।
"बेटा विष्टि ये तुम अपने बालो मे कोनसा शैंपू यूज़ करती हो,बोहोत ही सॉफ्ट एंड स्ट्रोग है,मेरे देखो बुढ़ापे के साथ झड़ते जा रहे है।"दादी मा ने बड़े ही दुख के साथ कहा तो पहले तो मेत्री और दिया उन्हे देख अपनी आंखे बड़ी कर लेती है फिर ज़ोर ज़ोर से हसने लगती है।
"अरे लडकियो ऐसे क्या हस रही हो,और तु दिया तुझे ऐसे छोटे बाल नहीं रखने चाहिए,विष्टि की तरह बड़े रख देख कितने सुंदर कमर के नीचे तक आते बाल है इसके,और तेरे तो कंधे तक नहीं आते ठीक से,पता नहीं केसे कोई लड़का तुझे पसंद करेगा,तुझे पता नहीं है तेरे दादा जी ने तो पहले मेरे लंबे घने बाल देख कर है शादी के लिए हा कर दी थी।"दादी ने दिया के प्रति अपनी घोर चिंता जताई😂।
"अरे...अरे ओ माय दादी डार्लिंग बाल का और मेरे हॉट बेबी का क्या कनेक्शन।"दिया हस्ते हुए फ्लो फ्लो मे बॉल गई वही उसकी बात सुन मैत्री उसे कोहनी मारने लगी और दादी मा उन दोनों को घूरने लग गई,दिया जो जब अपनी बात का एहसास होता है तो वो अपनी कमर सीधी कर बैठ जाती है।
"ये हॉट बेबी कोन है,बताया तो नहीं तूने आज तक?"दादी मा ने बड़ी ही कड़क आवाज़ मे कहा तो मैत्री थोड़ा पीछे हो गई।
"अरे दादी मा हॉट मतलब आप, दुनिया की सबसे हॉटेस्ट दादी मा जो हो आप,जब आप मुझे पसंद करती हो तो दूसरो से क्या लेना देना है ना,और अपने बताया नहीं दादा जी को आपके बाल इतने पसंद थे क्या?"दिया अपनी जूठी बत्तीसी दिखाते हुए दादी मा को लपेटे में लेती है😂।
तभी वह वेद और हैरी आते है,हैरी के चेहरे पर परेशानी साफ नजर आ रही थी,वही वेद का चेहरा अब भी इमोशंस लेस था।
"दादी मा हमे अभी कंपनी के लिए निकल ना होगा हम कल लोट आयेंगे, तो हम चाहते थे कि..."इससे पहले कि हैरी आगे कुछ बोलता दादी मा उसकी बात काट देती है।
"तुम और ये तुम्हारा बॉस जो भी चाहते हो मुझे मतलब नहीं है अगर तुम दोनो जाना भी चाहो तो कोई बात नहीं सुबह तक लोट आना बहू को यहां कोई खा नहीं जाएगा बीवी की इतनी फिक्र ना कर आखिर वो हमारी भी कुछ लगती है।"दादी बाते सुन दिया और हैरी दोनो को ही हसी आ रही थी पर उन्होंने अपनी हसी को कंट्रोल किया वरना उन्हे पता था अंजाम बुरा होगा उसके बाद।
"लेकिन दादी वो किसी को यहां जानती तक नहीं।"इस बार वेद ने कड़क आवाज़ में कहा,उसे सच मे मेत्री की फिक्र हो रही थी,ये देख मैत्री भी हैरान थी,वो बिना पलके झपकाए बस वेद को देख रही थी।
("नहीं नहीं नहीं मैत्री ये एक हैवान है,तु इसके जाल मे नहीं फस सकती जैसे ही यहां से भागने का मोका मिलेगा मे यह से दूर चली जाऊंगी और अकेले खुशी से जियुंगी।") मैत्री ये सारी बातें अपने मन में सोचे जा रही थी,उसके चहरे के हाव भाव भी उस हिसाब से बदल रहे थे जिसे वेद अच्छे से नोटिस कर रहा था।
"चिंता मत कर मे हू उसके साथ और दिया भी तो है,और तु अभी क्यों जा रहा कोई परेशानी है क्या?"दादी मा ने गोर से वेद और हैरी को देखते हुए कहा।
"हा..वो दादी मा एक छोटी सी प्रोब्लम आ गई है, सुबह तक आ जाएंगे।"हैरी बोल ही रहा था कि तभी वेद वहा से जाने लगता है,तभी दादी मे के बोलने से उसके कदम वही रुक जाते है।
"रूक जाओ एक काम करो विष्टि को भी ले जाओ,मैने सुना है वो भी एक बोहोत ही बेहतरीन बिज़नेस वूमेन है,क्या पता तुम्हारी मदद हो जाए।"दादी मा ने ये इसलिए कहा ताकि वेद और मैत्री एक दूसरे के साथ अच्छे से टाइम बिता सके दिया से उसे पता चल गया था कि वेद भले ही विष्टि यानी कि मेत्री को पसंद करता है पर विष्टि(मैत्री)उसे पसंद नहीं करती,इसलिए उन्होंने सोचा कि वो दोनो को एक कर के अपने पोते की लाइफ़ को सेट करके है दम लेगी।
"लेकिन दादी मा विष्टि का प्रोफेशन अलग है..."एक बार फिर दादी मा की कड़क आवाज़ मे हैरी की आवाज़ दब गई।
"हमने जितना कहा उतना करो,और दूसरी बात विष्टि नहीं विष्टि भाभी कहो उसे,अब शादी हो गई है ना?"दादी मा के आखिरी शब्दो में ज़्यादा ज़ोर था ऐसा लग रहा था जैसे उन्हे इस बात पर शक हो।
"अरे हा हो गई है,हो गई है आइए भाभी हम चलते है।"हेदी अपने सीर पर आया पसीना साफ करते हुए बोला,उसकी ऐसी हालत देख दिया को बड़ा मज़ा आता है,जैसे ही उसे हस्ते देख हैरी गुस्से से अपना मुंह उसकी तरफ करता है,दिया एक फ्लाइंग किस्स देती है उसे जिसे देख जल्दी से हैरी कमरे से बाहर निकाल जाता है,सच मे भयानक औरत थी।
वही इंडिया मे..मुंबई.....
ओबेरॉय पैलेस में...
ध्रुव,निलांश और विष्टि तीनों अब तक घर आ चुके थे पूरे रास्ते विष्टि एक गहरी सोच मे थी,जो भी उसे रीटा ने कहा उस बात से उसे समझ नहीं आ रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए,क्या उसे घर जाना चाहिए?क्या उसे अब अपनी असली पहचान सबको बता देनी चाहिए?
वही निलांश के मन में कई सवाल थे जिसका जवाब उस विष्टि से लेना था पर अभी उसने कुछ बोलना ठीक नहीं समझा।
रात को डिनर करने के बाद निलांश अपने रूम मे बेड पर जा बैठा गया,थोड़ी देर बाद विष्टि भी फ्रेश हो कर नाईट गाऊन पहन कर अपनी साइड लेट गई,आज भी निलांश ने बीच में एक पिलो कि दीवार खड़ी की हुईं थीं।
"तुम्हे कुछ कहना नहीं है?"निलांश थोड़ी देर की खामोशी के बाद धीरे से बोला,वो अपनी जगह पर लेपटॉप पर उंगलियां चला रहा था, साइड लेंप के अलावा सारी लाईट ऑफ थी,विष्टि समझ गई कि उसे निलांश कुछ तो बताना ही होगा।
"मे जल्द ही अपने परिवार को तुमसे मिलाऊगी, मे काफी सालो पहले से ही उनके साथ नहीं रहती,मे उनसे क्यों अलग हू ये वजह तो मे खुद भी नहीं जानती।"बोलते बोलते विष्टि की आवाज़ भारी होती जा रही थी जिसे निलांश बखूबी मेहसूस कर पा रहा था।
"और गन शूटिंग केसे करती हो?"निलांश ने एक और सवाल कर लिया जो उसके मन में चल रहा था काफी टाइम से।
"वो तो मैने अपने चाचा जी से सीखी थी,वो एक मिलेट्री ऑफिसर थे।"विष्टि ने कहा तो निलांश ने एक राहत की सांस ली,उसे लगा कि शायद विष्टि उससे कुछ बोहोत बड़ा राज़ छिपा रही है,पर अब उसे लगा एक नॉर्मल फैमिली से शी वो छोटी फैमिली मे एसी बाते चलती रहती है।
निलांश आगे कुछ नहीं कहता और अपना लैपटॉप साइड टेबल पर रख लाइट लेंप ऑफ कर वो अपनी जगह पर लेट जाता है,अभी कुछ ही देर हुई थी कि विष्टि अपनी हद पार कर सीधा एक पैर और हाथ निलांश के उपर लाद देती है,निलांश की नींद एक झटके में खुल जाती है वो अपने पास गहरी नींद मे सोई विष्टि को देखता है।
निलांश चाहता तो था कि विष्टि को खुद से दूर कर दे पर उसका मासूम सा चेहरा देख कर वो वापिस ऐसे ही सो गया।
राणा हवेली में....मुंबई...
हवेली के एक कमरे में दो लोग आपस में बातें कर रहे थे,उनके चहरे पर मुस्कान और आंखो में मक्कारी साफ दिखाई दे रही थी।
"मुझे लगता है दोनो ना मिले तो ही हमारा काम आसानी से हो सकता है,अगर गलती से भी दोनो मिल जाते तो बेड़ा गरक हो जाता इतने सली की मेहनत का।"वो शक्श बोला जो कुरसी पर बैठ कर आराम फरमा रहा था अपनी आंखे बंद कर।
"आप चिंता बा करो,ऐसा ड्रग मिलाया है उस बूढ़े के खाने में कि जल्दी ही वो टपक जाएगा।"इतना बोल वो औरत सने लगती है।
कोन है ये औरत और आदमी???आखिर किस मारने का प्लेन कर रहे है ये दोनो?मेत्री के पने परिवार से दूर होने की वजह क्या है आखिर??विष्टि संभाल पाएगी अब सारा खेल??क्या मेत्री कश्यप फैमिली मे जुड़ पाएगी??
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आप लॉग ना ही कमेंट करते हो ना ही रेटिंग देते हो वेरी बेड,plz plz plz रिव्यू एंड कॉमेंट कर लिया करो.....
अब तक हमने देखा...
राणा हवेली मे...
"मुझे लगता है दोनो ना मिले तो ही हमारा काम आसानी से हो सकता है,अगर गलती से भी दोनो मिल जाते तो बेड़ा गरक हो जाता इतने सालो की मेहनत का।"वो शक्श बोला जो कुरसी पर बैठ कर आराम फरमा रहा था अपनी आंखे बंद कर।
"आप चिंता मत करो,ऐसा ड्रग मिलाया है उस बूढ़े के खाने में कि जल्दी ही वो टपक जाएगा।"इतना बोल वो औरत हसने लगती है।
अब आगे....
राणा हवेली मे साजिश चल रही थीं,वही दूसरी तरफ निलांश भी अपने दुश्मनों में काफी नाम कमाए जा रहा था,ये बात तो हर कोई जानता था कि आगे चल कर ओबेरॉय एम्पायर का परमेनट चैर परसन निलांश ही बनेगा,हालाकि कई ऐसे लोग थे जो विवेक ओबेरॉय और विधि ओबेरॉय को भड़काने कि कोशिश करते थे कि उनको भी ध्रुव के हक़ के लिए लड़ना चाहिए आखिर कार ध्रुव भी तो मेहनत करता है,पर वो दोनो कुछ खास ध्यान नहीं देते थे।
आज देव अपने एक क्लाइंट से मिलने जा रहा था, जब वो पिछली बार उस क्लाइंट से मिलने गया था तो वो क्लाइंट आए ही नहीं थे,हालाकि देव बोहोत ही शांत लड़का था पर ऐसे अननेसेसरी बिहेवियर से वो नाराज़ था पर फिर भी वो क्लाइंट की रिक्वेस्ट से वो वापिस उनसे मिलने के लिए तैयार हो गया था।
वही आज निलांश और विष्टि की अलग ही कहानी चल रही थी,निलांश का बिहेवियर आज कुछ अलग सा लग रहा था विष्टि को वो बार बार उसके करिब जाने की कोशिश कर रही थी।
"पति परमेश्वर सुनो तो आज क्या करेला खाया था अपने जो ऐसे मुंह चड़ाए घूम रहे हो।"विष्टि ने उसे एक टक घूरते हुए कहा।
"मेत्री थोड़ा दूर हो कर भी बात कर सकती हो तुम।"निलांश उसे थोड़ा दूर करते हुए कहा,तो विष्टि का मुंह बन गया।
"अच्छा कल हम बाहर जा रहे है अपने ऑफिस से छुट्टी ले लेना।"विष्टि ने रूम से जाते हुए कहा तो निलांश की आंखे बड़ी हो गई।
("ये लड़की सच में पागल है क्या?क्या मे अपनी ही कंपनी मे लिव के लिए अप्लाई करने जाऊ,मुझे इस डाइवोर्स जल्द से जल्द देना चाहिए,वरना मे पागल हो जाऊंगा।")निलांश अपने मन ये सरी बाते सोच सोच नीचे के फ्लोर पर बने स्टडी रूम मे चला गया।
ये स्टडी रूम फैमिली के सभी के लिए था जो ऑफ़स के काम करने के लिए बनाया गया था हालाकि निलांश का पर्सनल स्टडी रूम भी उसके अपने रूम मे था,पर अभी वो अपने पापा और चाचा से बात करने स्टडी रूम मे जा रहा था।
तेज जी और विवेक जी हैरान थे निलांश की बात सुन कर,वो दोनो एक दूसरे की और देखते है।
"तुम होश में तो हो निलांश क्या बोल रहे हो उसका अंदाज़ा भी है तुम्हे या नहीं,इससे हमारे खानदान पर क्या असर पड़ेगा पता भी है तुम्हे।"तेज़ जी ने अपनी आवाज़ ऊंची करते हुए अपनी रोबदार आवाज में कहां।
"हां नीलांश भाई साहब सही कह रहे हैं इस बार हमें तुम्हारे फैसले पर नाराजगी है हम इस बात की मंजूरी कतई नहीं दे सकते हमें तुमसे ये उम्मीद नहीं थी।"विवेक जी ने भी अपनी नाखुशी जताई।
"पहले आप दोनो मेरी बात सुन लीजिए फिर बताइएगा क्या सही है और क्या नहीं,सब बाहर के लोगो को यही लगता हैं कि मेरी वाइफ निशा मेहरा है,किसी को मैत्री के बारे में तो पता ही नहीं है,तो क्या फर्क पड़ता है हम साथ रहे ना रहे, और एक बात मुझे अभी निशा का कॉल आया था कि,वो शादी से उसकी तबीयत बिगड़ी जाने की वजह से भागी थी,और वो वापिस आ रही है।"निलांश ने जैसे एक साथ कई बोम फोड़ दिए।
"तुम भी जानते हो और हम भी की वो लड़की जूठ बोल रही है वो खुद भागी थी यहां से किसी लड़के के साथ।"तेज जी ने अपनी ऊंची आवाज़ मे फिर कहा।
"हा मे जानता हूं वो जूठ बोल रही है पर हमे उससे कोई मतलब नहीं है,वो आयेगी और हम मीडिया के सामने अलग हो जाएंगे।"निलांश ने अपनी प्लैनिंग बताई तो विवेक जी हैरान हो गए,वही तेज जी अब भी ऐसे ही खड़े थे।
"चुप हो जाओ तुम क्या बोल रहे हो उस बच्ची के बारे में सोचा तुमने।"विवेक जी ने गुस्से से कहा।
अभी वो तीनो बात ही कर रहे थे तभी उनको पीछे से कुछ गिरने की आवाज़ आती है,सब पीछे मूड कर देखते है तो स्टडी रूम के गेट पर विष्टि और दादी मा खड़े थे विष्टि के पैरो के पास ट्र और कटोरया गिरी हुई थी।
दरसअल बात ये थी कि विष्टि ने आज खीर बनाई थी तो दादी और बाकी सबको देने के बाद वो नील को ढूंढ रही थी तो दादी ने कहा स्टडी रूम मे तीनो है जो से आओ पर विष्टि को ऐसे जाने ठीक नहीं लगा तो दादी जी भी उसके साथ आ गई और रुक कर उनकी बात सुनी।
विष्टि को तो मानो ऐसा लग रहा था जैसे उसके पैरो तले जमीन खिसक गई हो,उसे बिल्कुल नहीं लगा था उसके साथ कुछ ऐसा होगा,वो एक तक निलांश को देखे जा रही थी, अचानक उसे लगा कि उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था ठीक से,उसे बिना पता चले उसकी आंखो मे आंसू आ गए थे।
इससे पहले कि कोई कुछ बोलता एक नोकर आता है और बोलता है।
"बड़ी मालकिन मैत्री भाभी से मिले एक लड़की आई है,वो बोल रही है की वो उनकी बहन है।"जैसे ही सर्वेंट के मुंह से सब ये सुनते है वो हैरान हो जाता है जहा तक फैमिली को पर था मैत्री ने शादी मे सबको यही बताया था कि उसका कोई परिवार नहीं है।
वही अमेरिका में......
कश्यप इंडस्ट्री...
वेद, मैत्री, हैरी और दिया चारो साथ मे ही ऑफ़स गए दरसअल जब तीनो जा रहे थे तो दिया भी ज़िद कर उनके साथ चली गई।
54 फ्लोर पर पोहोच कर चारो एक केबिन मे जाते है जो कि वेद का था,ये कंपनी कश्यप इंडस्ट्री की मैन ऑफिस था,बोहोत सी कंपनी अलग अलग जगह पर थी पर ये सबसे पुरानी कंपनी थी जहा रेडी मेट चाय बनाते थे,उनकी पहचान इससे ही थी।
इस चाय मे कई आयुर्वेदिक चिजो का इस्तेमाल किया गया था जिससे सब को फ्रेश फील होता था,इस रेडी मेट चाय को एक स्पून गरम मिल्क मे डालने से चाय तैयार हो जाति थी,आगे कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती,ये रेडी मेट चाय एक मिल्क बॉक्स के जैसे पैकेजिंग में मिलता था।
आज ये प्रोब्लम हुई थी कि किसी मोल के ऑनर ने अपने मोल मे सप्लाय होने वाले सारे चाय के पैकेट वापिस भिजवा दिया और मार्केट में बात फैला दी की इनकी चाय मे अब वो बात नहीं है केमिकल मिक्सड करते है,अब वेद कश्यप लालची हो गया है।
"सर मिस्टर विलियम ने ये जानबूझ कार किया है,और अब वो आपसे मिलना चाहते है,फिलहाल मे आपका इंटरव्यू अरेंज करना ही सही समझ रहा हूं।"एचआर हेड ने कहा,बोलते वक्त पूरे टाइम उनकी नजर सिर्फ मैत्री के ऊपर टिकी हुई थी,जिसे वह खड़े सभी लोगो ने नोटिस भी कर लिया,अब हैरी अपनी कंपनी के लिए नया एचआर हेड ढूंढने चला गया।
("मेरा काम ये कमिने लोग बढ़ा ही देते है अब इतनी जल्दी केसे ढूंढूंगा।)हैरी ने कहा और बाहर चला गया।
क्या करेगा अब वेद?? कौनसी बहन आई है विष्टि की??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
Please please please comment karna please 😕
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰
Ab meri kahani ke readers to badh rahe hai par comments aur review ki bat ate hi sab ignore mar dete hai🥺 me bhi ek writer se pehle reader hu,aj tak mene jitni story padhi ret karni nahi bhuli😒but ap logo ko na meri na meri cute si story ki koi kadar hai😤
Anyway jin thode bohot pyare logo ko meri kahani pasnd hai unke liye aur apne liye me likh rahi hu🥰❤️chaliye dekhte hai inki life me kya hota hai🧐
अब तक हमने देखा.......
आज ये प्रोब्लम हुई थी कि किसी मोल के ऑनर ने अपने मोल मे सप्लाय होने वाले सारे चाय के पैकेट वापिस भिजवा दिया और मार्केट में बात फैला दी की इनकी चाय मे अब वो बात नहीं है केमिकल मिक्सड करते है,अब वेद कश्यप लालची हो गया है।
"सर मिस्टर विलियम ने ये जानबूझ कर किया है,और अब वो आपसे मिलना चाहते है,फिलहाल मे आपका इंटरव्यू अरेंज करना ही सही समझ रहा हूं।"एचआर हेड ने कहा,बोलते वक्त पूरे टाइम उनकी नजर सिर्फ मैत्री के ऊपर टिकी हुई थी,जिसे वह खड़े सभी लोगो ने नोटिस भी कर लिया,अब हैरी अपनी कंपनी के लिए नया एचआर हेड ढूंढने चला गया।
("मेरा काम ये कमिने लोग बढ़ा ही देते है अब इतनी जल्दी केसे ढूंढूंगा।)हैरी ने कहा और बाहर चला गया।
अब आगे.....
"इसे ले जाओ आगे से ये मुझे दिखना नहीं चाहिए।"वेड ने अपने बॉडी गार्ड्स को इशारा किया,वो बॉडी गार्ड्स जल्दी से एचआर हेड़ को वहा से ले जाने लगे, एचआर हेड (केफिल वालिया) हड़बडा गया उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है ये।
"सर ये क्या कर रहे हो आप,मैने क्या किया, हेय तुम लोग मुझे कहा ले जा रहे हो।"अपने दोनो पैर हवा में उछालते हुए केफिल बोले जा रहा था उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था।
"तुम्हारी नज़र बेकाबू है,काबू करना सीख लो पहले।"वेद के इस जवाब से थोड़ी देर माहौल ठंडा हो जाता है,वही केफिल को वेद के बॉडी गार्ड्स कंपनी के बाहर फिकवा देते है, केफिल की किस्मत अच्छी थी अगर वो सालो से वेद का वफादार ना होता तो अब तक वो ज़िंदा भी ना होता।
बॉडी गार्ड्स के जाते है केफिल अपनी लाल आंखो से कश्यप इंडस्ट्री को देखता है उसकी नजर मे कुछ ऐसा था जिससे अब वेद पर मुसीबतें आने वाली थी।
"वेद कश्यप ये तुमने बिल्कुल ठीक नहीं किया,एक लड़की के लिए तुमने मुझे कंपनी से बेइज्जत कर निकाल दिया ना अब देखो मे क्या करता हूं,तुमने मेरी आज टक वफादारी देखी है अब दुश्मनी देख लेना,तुम्हे नहीं पता मेरे पास केसे केसे राज है तुम्हारे खानदान से जुड़े।"केफिल गुस्से से इतना बोल किसी को कॉल करता है,उसके चेहरे पर बदले की भावना साफ नजर आ रही थी।
वही वेद ने सोच लिया था अब उसे क्या करना है,हालाकि उसे पता था कि कंपनी मे कोई तो है जो गद्दारी कर रहा था वरना,ऐसा होना ना मुमकिन था कि पैकेट को बिना जांच किए सप्लाय करे।
"एक काम करो इंटरव्यू अभी ही अरेंज करवाओ,सारी न्यूज़ चैनल पर हमारा ही इंटरव्यू होना चाहिए,और मिस्टर विलियम को अभी मेरे केबिन में भेजो।"वेड हैरी को देखता है जो उसके सामने एक नई एचआर हेड के साथ खड़ा था,हैरी कई सालो से वेद के साथ था उसे काफी हद तक पता रहता था कि अब आगे वेद क्या करेगा,हालाकि पूरी तरीके से तो वो भी आज तक वेद को नहीं समझ पाया था,उसका मानना था कि वेद लडकियो से भी ज़्यादा कॉम्प्लिकेटेड है।🤭
थोड़ी देर बाद मिस्टर विलियम केबिन में एंटर होते है,वेड उन्हे सीट ऑफ़र करता है,मिस्टर विलियम वेद को हेलो बोल अपनी सीट पर बैठ जाते है उनकी नजर सीधे पीछे सोफे पर बैठी मैत्री पर जाती है जो दिया के साथ बैठी हुई कुछ बात कर रही थी।
"मिस्टर कश्यप ये दो यंग लेडी कोन है।"मिस्टर विलियम ने पूछा तो वेद की नजर तेज़ हो गई।
"मुझे नहीं लगता आपको ये जानने की ज़रूरत है,आपकी सेहत के लिए यही बेहतर होगा कि आप काम की बात करे।"वेड के मुंह तोड़ जवाब से मिस्टर विलियम भी अपना फोकस काम की बात पर लाते है।
"देखिए मिस्टर कश्यप आपके पैकेट हमारे मोल मे सप्लाय होते है जिनको आप मोल मे आपकी शॉप से बेचते हो जिसका प्रॉफिट हमे 18% मिलता है और बाकी का 82% आपको पर अगर अब से इसका उल्टा किया जाए तो ये मामला दब सकता है।"मिस्टर विलियम ने अब अपना असली रंग दिखा दिया था,वेद ने अपनी कमर सीधी की और हैरी पर एक तेज़ नजर डाली।
हैरी समझ गया की अब उसे क्या करना है,वही मिस्टर विलियम वेद को गौर से देख रहा था,उसे समझ नही आ रहा था आखिर वेद ने उसकी बात मानली है या नही मानी।
"तो मिस्टर विलियम आपने ये सब जूठी खबरे अपने प्रॉफिट के लिए फैलाई है राइट? ओके तो आपके ऑफर के बारे में सोचूंगा"वेद ने एक मिस्टीरियस स्माइल लिए मिस्टर विलियम को देखते हुए धीमी पर कड़क आवाज़ में कहा।
"जी ज़रूर मिस्टर कश्यप मेरी बात मान लीजिए आप, इसमें आपका ही फायदा है, यहां आपने मेरी बात मानी वहा आपकी कंपनी पर लगाए सारे इल्जाम हटे समझो।"मिस्टर विलियम ने आराम से अपनी चेयर पर बैठते हुए कहा।
वही इंडिया में.......
ओबेरॉय पेलेस में सब बोहोत ही ज़्यादा हैरान थे,क्युकी जहा तक सबको मैत्री ने बताया था उन्हें इतना ही पता था की उसका कोई परिवार नही है बस दो दोस्त है,उनको भी कोई ठीक से नहीं जानता।
सब नीचे आते है,नीचे एक बेहद यंग एंड खूबसूरत लड़की जिसकी उम्र तकरीबन 24 साल थी, विष्टि की ही हम उम्र लग रही थी,उसके कपड़े देख कर ही पता चल रहा था की वो कोई राज धराने से थी।
"कोन हो तुम,और यहां क्या कर रही हो?"नीचे ध्रुव जो सोफे पर बैठा था वो खड़ा होते हुए बोला।
"मुझे नहीं लगता की मुझे तुम्हे कोई जवाब देने की जरूरत है।"उस लड़की ने अपनी तेज़ नजर ध्रुव पर डालते हुए कहा तो ध्रुव भी गुस्से से लाल हो गया।
"तुम्हारी इतनी हिम्मत....."इससे पहले की ध्रुव आगे कुछ बोलता निलांश उसकी बात बीच में ही काट देता है।
"सीधे मुद्दे पर आओ, राणा कॉरपोरेशन की सीईओ यहां कैसे?"निलांश की बात सुन कर वो लड़की एक टक बस विष्टि को देखने लगती है।
"क्या हुआ है आज राणा परिवार की एक लोती वारिस शिवानी राणा को आज मेरी याद कैसे आई।"विष्टि एक मुस्कान लिए ये बात बड़ी ही सोफ्टली बोली,पर ये सुन सब हैरानी से उन दोनो लड़कियों को देखने लगे।
तभी सबके कानों में शिवानी की बात पड़ी जिससे सभी और ज़्यादा हैरान हो गए उन्हें ऐसा लग रहा था की एक के बाद एक बम गिरने लगे हो।
ऐसा क्या कहा होगा शिवानी ने??आखिर क्या रिश्ता है विष्टि(मैत्री) का राणा परिवार के साथ??क्या करेगा वेद अब??
Please ap sb comment Kiya kijiye it's very important for me😊
आगे जानने के लिए पढ़ते रहिए
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge😊
अब तक हमने देखा.......
"सीधे मुद्दे पर आओ, राणा कॉरपोरेशन की सीईओ यहां कैसे?"निलांश की बात सुन कर वो लड़की एक टक बस विष्टि को देखने लगती है।
"क्या हुआ है आज राणा परिवार की एक लोती वारिस शिवानी राणा को आज मेरी याद कैसे आई।"विष्टि एक मुस्कान लिए ये बात बड़ी ही सोफ्टली बोली,पर ये सुन सब हैरानी से उन दोनो लड़कियों को देखने लगे।
तभी सबके कानों में शिवानी की बात पड़ी जिससे सभी और ज़्यादा हैरान हो गए उन्हें ऐसा लग रहा था की एक के बाद एक बम गिरने लगे हो।
अब आगे....
"आपने घर छोड़ दिया पर अब वापस चलने का टाईम है चलिए,बड़े पापा की तबीयत बोहोत खराब है,वो ज़िन्दगी और मोत के बीच जुज रहे है।"शिवानी की बात से सब हैरान हो जाते है वही विष्टि एक गहरी सोच मे डूब जाति है,क्या उसे जाना चाहिए,तभी उसके कानो मे सुनीता जी की तेज़ आवाज़ गूंजी।
"देखा माजी में ने तो पहले ही कहा था,ये लड़की जितनी सीधी दिखती है उतनी है नही,अपने घर से भागी है पता नहीं कहा मुंह...छी छी मुझे तो बोलते हुए भी शर्म आ रही है।"सुनीता जी की बात सुन कर किसी को अच्छा नहीं लगा,इससे पहले की कोई कुछ बोलता सभी के कानो में शिवानी की आवाज़ फिर गूंजी।
"दीदी अभी हमारे पास इतना वक्त नहीं है की आपकी सासू मां के ताने सुने या उनका मेलो ड्रामा देखे इसलिए चलिए जल्दी यहां से।"शिवानी की बात सुन कर सभी हैरानी से उसे देखते है, आज तक किसी की इतनी हिम्मत नही हुई थी की ओबेरॉय पेलेस में आ कर कोई ऊंची आवाज में बोले और ये लड़की सरे आम सुनीता जी की बेइजती करदी थी।
"ए लड़की तेरी इतनी हिम्मत जो मेरे ही घर में आ कर मुझे ही सुना रही हो।"सुनीता जी गुस्से से अपनी एक उंगली दिखाते हुए बोली।
शिवानी उनकी बातो को फुल्ली इग्नोर कर देती है और विष्टि का हाथ पकड़ लेती है,विष्टि निलांश का हाथ पकड़ लेती है तीनो एक साथ बाहर निकल जाते है, ध्रुव भी उनके पीछे चला जाता है।
बाकी सब दादी जी के कहने पर अपने अपने कमरे में चले जाते है,वही कार मे एक दम शांति छाई हुई थी,शिवानी पैसेंजर सीट पर बैठी थी और विष्टि ड्राइविंग सीट पर तेज़ी से कार चला रही थी, ध्रुव और निलांश कभी इधर लुढ़कते तो कभी उधर,वहीं शिवानी जानती थी कि शायद उसकी बहन अपना गुस्सा ड्राइविंग पर निकाल रही है।
"भाभी धीरे चलाओ मेरी अभी तक शादी भी नहीं हुई, अगर ऐसे ही चलता रहा ना तो कहीं वरमाला की जगह फोटो पर फुल माला ना लग जाए"धुव्र इधर से उधर होता हुआ बोला,लेकिन उसकी बात पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।
अमेरिका मै....
कश्यप इंडस्ट्री में......
वेद के सामने मिस्टर विलियम बैठे हुए थे वही उनके ठीक पीछे, मैत्री और दिया आपस में बातो में लगे थे, वेड का इंटव्यू श्याम को 6 बजे था और अभी दोपहर के 2 बज रहे थे, हैरी पेपर्स तैयार करके ले आया,जिसमे लिखा था कि अब से मोल की शॉप में जो प्रॉफिट होगा उसका 82% मीस्टर विलियम को मिलेगा और 18% वेड की कंपनी को, मैत्री इस फैसले से बिल्कुल ना खुश नजर आ रही थी।
वो जानती थी कि एक छोटी सी शॉप से वेड को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला था,उसके पास ख़ुद के 5 मेगा मॉल थे और कई दूसरे मॉल थे जिनमे उसकी शॉप चलती थी फिर उसको एक छोटी से शॉप से क्या इतना प्रॉफिट हो वो उसे छोड़ ने को तैयार नहीं,इस एक शॉप और एक क्लाइंट से क्या होगा भला।
मैत्री ने सुबह से कुछ नहीं खाया था ये बात वेड भी जानता था इसलिए जब तक बाकी के पेपर्स रेडी हो उसने सोचा मैत्री को खाना खिला दे,वो उठ कर मैत्री के पास जाता है।
"चलो विष्टि,मेरे पीछे आओ।"वेड ने कहा और पलट गया।
"पर कहा?"मेत्री ने कहा पर वेड तब तक चलने लगा था वो भी जल्दी से उसके पीछे जाती है,वेड उसी ऑफ़स मे बने प्राइवेट रूम की तरफ चला जाता है, मैत्री भी उसके पीछे उस रूम मे चली जाती है।
दिया हैरी के पास जाती है और उसका हाथ पकड़ कर बिना कुछ बोले ऑफ़िस केंटीन की तरफ बढ़ जाती है,वही हैरी मिस्टर विलियम के सामने कोई तमाशा करना नहीं चाहता था इस लिए वो भी वहा से उसके साथ चला जाता है चुप चाप,वही मिस्टर विलियम हैरानी से अपनी आंखे फाड़े बस अपने सामने चल रहा आगे सिन को एक के बाद एक देखे जा रहे थे।
वेद मेत्री को सोफे पर बिठा कर कॉल कर के खाना ऑडर करता है,फिर जा कार मेत्री के एक दम करीब जा कर बैठ जाता है।
मैत्री उससे थोड़ा दूर होती है, वेद को उसका यू उससे दूर जाना अच्छा नहीं लगता और वो गुस्से से उसे अपनी तरफ़ खीच लेता है मैत्री सीधे उसकी मस्क्युलर चेस्ट से जा टकराती है,वो धीरे से अपना सिर ऊपर करती है और वेद की भूरी आंखो मे झाक ने लगती है।
"मे तुमसे बोहोत दुर चली जाऊंगी एक दिन देख लेना,तुम जो कर रहे हो जा वो ठीक नहीं है।"मैत्री के मुंह से दूर जाने की बात सुन कर वेद की आंखे गुस्से से लाल हो जाती है,वो कस कर मेत्री को कमर से पकड़ लेता है,उसके ऐसे पकड़ ने से मेत्री की सिसकी निकल जाती है।
"आह...क्या कर रहे हो तुम, राक्षस छोड़ो मुझे अभी के अभी।"मैत्री उसकी चेस्ट पर हाथ रख कर उसे धक्का देते हुए बोली पर उससे वेद को ज़रा सा भी फर्क नहीं पड़ा उल्टा उसकी पकड़ मेत्री की कमर पर और मजबूत हो गई।
"बेबी डॉल लगता है तुम भूल गई हो मेरी ताकत,कहा तो आज रात को में दिखा सकता है कि में कितना पावरफुल हू।"वेद की बात सुन मैत्री के गाल लाल हो गए कुछ शर्म से तो कुछ गुस्से से।
"तुम बिल्कुल अच्छे नहीं हो तुम बोहोत बुरे हो.."मैत्री से खुद से दूर करते हुए बोली,तो वेड उसको और करीब कर लेता है,फिर एक झटके से उसको सोफे पर सुला कर खुद उसके ऊपर आ जाता है, मैत्री की सांसे उसके गले में ही अटक गई,भारी शरीर को वो सेह नहीं पा रही थी।
"बेबी डॉल डोंट वरी मे बस बाहर से ही बुरा हू बाकी बैड पर बोहोत अच्छा हू चाहो तो तुम आज़मा के देख लो।"इतना बोल वेड अपने शख्त और प्यासे होठ मैत्री के होठों से जोड़ देता है,और उसे चूमने लगता है,वही मैत्री की आंखो से आंसु गीर रहे थे,फिर उसकी मर्ज़ी के बग़ैर किसी और ने उसे छुआ ये सोच सोच कर उसे ख़ुद से ही धिन आए रही थी।
वही ऑफ़िस केंटीन मे माहौल कुछ और था,दिया हैरी को ज़बरदस्ती केंटीन मे लाती है,और दोनो के लिए खाना ऑडर करती है,हालाकि पूरी केंटीन खाली थी क्युकी लंच टाईम ओवर हो चुका था,बस दिया और हैरी ही थे केंटीन मे।
"तुम्हे समझ नहीं आता कि मुझे नहीं खाना है तुम्हारे साथ।"हैरी गुस्से से बोला।
"अरे हॉट बेबी मैने मांगा लिया ना तो अब खा लो प्लीज़"दिया ने बड़े ही प्यार से कहा,पर इस बात से हैरी और चिड गया।
"ओके तुम खाओ मुझे तुम्हारे साथ बैठने मे भी उल्टी आती है,तुम मे कोई एक बात नहीं है लडकियो वाली जब देखो लड़को की तरह धुमती हो,मेरा पीछा छोड़ो यार मुझे नहीं पसंद तुम्हारे जैसी लड़कि,मुझे फेरी जैसी लड़किया पसंद है समझी तुम।"हैरी बिना दिया को देखे फ्रस्टेटेड हो कर सब बोल गया,उसे ये तक एहसास नहीं हुआ की दिया रो रही थी वो क्या बोल रहा था उसका अंदाजा उसे खुद भी नहीं था।
हा ये बाद सच था की दिया ख़ूबसूरत तो थी पर लडकियो की तरह नहीं लडको की तरह रहती थी उसे शर्माना,या फिर नखरे करना नहीं आता था,वो मुंह फट थी,जो दिल में वो ज़ुबां पर,वो अपने काम मै खुश रहती थी,पर जब से हैरी से मिली तब से उसे हैरी बोहोत ही पसंद आ गया था,उसे नहीं पता था उसका यू सिंपल रहना उसके प्यार का दुश्मन बन जाएगा।
"तुमने सुबह से कुछ..कुछ खाया नहीं है,तुम खाओ मे चलती हू...."दिया लाल आंखो के साथ रुंधे गले से बिना पीछे मुड़े ये बोल चली जाति है उसके जाते ही हैरी को एहसास होता है कि उसने क्या किया,वो अपना सिर पकड़ कर वही बैठ जाता है।
वही इंडिया ने राणा हवेली के बाहर एक कार तेज़ी से आकर रुकी.....
क्या होगा अब आगे???विष्टि क्या करेगी?? मैत्री कभी दुर हो पाएगी वेद से???
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हा ये बात सच थी की दिया ख़ूबसूरत तो थी पर लडकियो की तरह नहीं लडको की तरह रहती थी उसे शर्माना,या फिर नखरे करना नहीं आता था,वो मुंह फट थी,जो दिल में वो ज़ुबां पर,वो अपने काम मै खुश रहती थी,पर जब से हैरी से मिली तब से उसे हैरी बोहोत ही पसंद आ गया था,उसे नहीं पता था उसका यू सिंपल रहना उसके प्यार का दुश्मन बन जाएगा।
"तुमने सुबह से कुछ..कुछ खाया नहीं है,तुम खाओ मे चलती हू...."दिया लाल आंखो के साथ रुंधे गले से बिना पीछे मुड़े ये बोल चली जाति है उसके जाते ही हैरी को एहसास होता है कि उसने क्या किया,वो अपना सिर पकड़ कर वही बैठ जाता है।
वही इंडिया ने राणा हवेली के बाहर एक कार तेज़ी से आकर रुकी.....
अब आगे.....
शिवानी कार से उतर कर आगे बढ़ जाती है उसे पता था कि उसने किसी को बताया नहीं था कि वो विष्टि को ला रही है और इस बात से क्या हो सकता था वो जानती थी इसलिए वो चाहती थी कि वो पहले जा कर सबके मुंह बंद कर दे, वही विष्टि भी कार से उतार कर शिवानी के पीछे जाने लगती है,तभी निलांश जल्दी से उसका हाथ पकड़ कर उसे साइड में ले जाता है।
राणा हवेली पुरानी तरीके से बनी हुई एक बड़ी सी हवेली थी जिसके आसपास कहीं पेड़ पोधे थे और बीच मे एक बंगलों जो पुराना मगर शानदार था,राणा हवेली की एक खास बात थी यहां के सभी कमरे और फ्लोर एक जैसे लगते,हवेली मे 4 फ्लोर थे,बाहर से जितनी पुरानी लगती हवेली इतनी ही अंदर से यूनिक इंटिरियल से डिज़ाइन कि गई थी।
एक बात अजीब थी यहां कोई सिक्योरीटी गार्ड नही था,बस एक गेट खोलने के लिए गार्ड था, निलांश ने ये बात जल्दी ही नोटिस करली थी,राणा परिवार दिल्ली में 2rd सबसे पावरफुल फैमिली थी,पहली ओबेरॉय दूसरी थी राणा फैमिली,हालाकि बिजनेस वर्ल्ड में राणा कॉरपोरेशन 3rd नंबर पर आता था,क्युकी 2nd पर ग्रैंड वोकल इंडस्ट्री थी,जिसका बॉस था ईशान वो एक अनाथ था,पर उसकी और निशांत की दुश्मनी के किस्से पूरे बिजनेस वर्ल्ड में फेमस थे।
"तुम वीर राणा की बेटी हो? तुमने बताया क्यू नही?और तुम राणा हवेली में क्यू नही रेहती थी।"हालाकि निलांश ने ये बात थोड़े गुस्से से पूछी थी पर उसका चहरा साफ बता रहा था की वो इस बात से खुश था,की उसकी बीवी उसके लेवल की थी।
नीलांश ये शादी तोड़ना ज़रूर चाहता था उसकी वजह एक ही थी,विष्टि के खून खानदान का कोई अता पता नहीं था,पर अब जब उसने सुना की विष्टि राणा परिवार की बड़ी बेटी है तो वो अब कुछ सोच में पड़ गया था।
पर जैसे ही विष्टि ने अपनी बात कही निलांश के पैरो तले जमीन खिसक गई।
तभी पीछे से आती एक मिडल एज ओरत ने कहा"जोरो का झटका हाय जोरों से लगा..."निलांश तो मानो वही जम गया था।
वही अमेरिका में.......
हैरी ने अब तक सारे कागज बनवा लिए थे और दिया ऑफिस में घूम रही थी,वो पूरी कोशिश कर रही थी की अपना ध्यान भटकाए रखे,तभी उसके फ़ोन पर किसी का कॉल आया।
"हेलो डॉक्टर दिया,एक बोहोत ही क्रिटिकल केस है,कल ही ऑपरेशन के लिए आपको लॉस एंजिलिस आना होगा।"सामने से एक परेशानी भरी आवाज आई।
"ओके ऑपरेशन की तैयारी करो।"दिया जानती थी की न्यूयॉर्क से लॉस एंजेलिस पोहचने में कम से कम 6 से 7 घंटे लगेंगे तब तक वो अपनी नींद पूरी कर लेना चाहती थी ताकि वो अच्छे से सर्जरी प्रफोम कर पाए।
वो सीधे वेद के ऑफिस की तरफ बढ़ जाती है,उसके दिमाग में कुछ खिचड़ी पक रही थी जिसको तड़का लगाने जा रही थी वो।
वो देखती है की, वेद और मिस्टर विलियम फिर से एक दूसरे के आमने सामने बैठ चुके थे,और मिस्टर विलियम पेपर्स ध्यान से पढ़ रहे थे,वो धीरे से मैत्री के पास जाति है,जो की एक सोफे पर बैठी हुई थी,मैत्री उसकी लाल आंखे देख चोक जाति है।
"क्या हुआ तुम्हे तुम्हारी आंखे लाल क्यू है इतनी?"मैत्री ने धीमी आवाज में कहा,मैत्री की आवाज़ में अपने लिए चिंता देख दिया का दिल प्यार से भर गया,वो एक अनाथ थी जिसे कश्यप परिवार ने बचपन से पाला था,उसका खर्चा उठाया था,हालाकि दिया ने अपनी काबिलियत से सबका सिर फक्र से ऊंचा किया था पर उसे अपना पन बस दादी और अब विष्टि यानी मैत्री से मिल रहा था।
"हा बार्बी विष्टु में बिल्कुल ठीक हु,वो मुझे पीनट से एलर्जी है न और गलती से वही खा लिया तो रिएक्शन है,वैसे मेने दवाई ली है पर थोड़ा सा रिएक्शन तो रहेगा ही थोड़ी देर (फिर थोड़ा रुक कर)वो में तुम्हे ये बताने आई थी की में कुछ दिनों के लिए लॉस एंजेलिस जा रही हु अगर तुम आना चाहो तो मेरे साथ आ सकती हो।"दिया ने ये इसलिए कहा क्युकी वो जानती थी,की मैत्री की मैमोरी लॉस के बाद उसे थोड़े फ्रीडम की ज़रूर है,जो की वैद उसे यह तो कभी नहीं देगा,अगर मैत्री कुछ दिन उसके साथ रहेगी तो उसे भी अच्छा लगेगा।
"अपना खयाल रखा करो ऐसे बिना देखे कुछ नही खाते,में आना तो चाहती हू पर क्या वो राक्षस डायनेसोर मुझे आने देगा?"मैत्री ने मायूसी से कहा तो दिया ने उसे हिम्मत देते हुए कहा।
"देख ये लडको को अपने वश में रखना सिख ले वेद को एक बार सख्ती से बोल फिर देख कैसे नही मानता।"अभी दिया ने ये कहा ही था की तभी सोफे के पीछे खड़ी फेरी ने कहा जिसे सुन दिया का चेहरा फिर उतर गया।
"डॉक्टर दिया को इतना नही पता मेम, आप मेरी बात मानिए तो आपको बॉस को सिड्यूस कर के प्यार से उन्हें मानना चाहिए आई एम श्योर वो आपको किसी चीज के लिए मना नहीं कर पाएंगे।"फेरी ने बड़ी ही नजाकत से कहा,फेरी हैरी की असिस्टेंट थी हालाकि वो बस 4 महीने से ही इस मैन ऑफिस में आई थी पर जल्दी ही उसने अपनी अदा और एटीट्यूड से हैरी की असिस्टेंट पोस्ट बड़ी ही आसानी से हासिल कर ली थी।
"मुझे ऐसा कुछ करने के जरूरत नही है, चलो दिया हम ऑफिस घूम कर आते है,मेने नही देखा पूरा ऑफिस?"जब मैत्री ने ये देखा की फेरी की बात सुन दिया का उतरा हुआ चेहरा देखा तो वो दिया का ध्यान भटकाते हुए बोली।
वही मिस्टर विलियम सारे पेपर्स पढ़ कर जल्दी से साइन कर देता है,वही उसे साइन करता देख हैरी और वेद के चेहरे पर एक अनदेखी स्माइल आ जाति है,जिसे कोई नही देख पता पर मैत्री वेद को ऐसे देख वो समझ जाति है की कही कुछ तो गड़बड़ है,पर क्या ये वो समझने की कोशिश कर रही थी।
अब वो भी ये जानने के लिए दिया को खीच कर वेद की टेबल के पास ले जाति है।
क्या कहा होगा विष्टि ने नीलांश से??क्या करेगा वेद अब??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰
अब तक हमने देखा.....
"मुझे ऐसा कुछ करने के जरूरत नही है, चलो दिया हम ऑफिस घूम कर आते है,मेने नही देखा पूरा ऑफिस?"जब मैत्री ने ये देखा की फेरी की बात सुन दिया का उतरा हुआ चेहरा देखा तो वो दिया का ध्यान भटकाते हुए बोली।
वही मिस्टर विलियम सारे पेपर्स पढ़ कर जल्दी से साइन कर देता है,वही उसे साइन करता देख हैरी और वेद के चेहरे पर एक अनदेखी स्माइल आ जाति है,जिसे कोई नही देख पता पर मैत्री वेद को ऐसे देख वो समझ जाति है की कही कुछ तो गड़बड़ है,पर क्या ये वो समझने की कोशिश कर रही थी।
अब वो भी ये जानने के लिए दिया को खीच कर वेद की टेबल के पास ले जाति है।
अब आगे......
अब मिस्टर विलियम ने वेद को साइन करने के लिए कहा तो वेद ने वो पेपर्स बिना साइन किए ही हैरी को दे दिए हेरी के चेहरे पर एक जीत की मुस्कान थी,जिसे देख मिस्टर विलियम बोहोत कंफ्यूज था,उसे समझ नहीं आया कि क्या कर रहा है वेद अभी तक उसने साइन क्यों नहीं किया।
"साइन कीजिए मिस्टर कश्यप,आपने पेपर बिना साइन किए मिस्टर हैरी को क्यों दे दिए।"मिस्टर विलियम ने थोड़ी हैरानी के साथ कहा।
"मिस्टर विलियम इसमें बॉस को साइन करने की ज़ौरत नहीं है,बस आपकी साइन चाहिए थी,अब से आपके जितने भी मोल है वो सब बॉस के हुए।"हैरी ने एक बड़ी सी मुस्कान लिए कहा।
"क्या ये केसे हो सकता है??तुम मजाक कर रहे हो ना??"मिस्टर विलियम ने अपनी चेर से खड़े हो कर हैरानी से कहा।
दरसअल वो पेपर इनविजिबल इंक से टाईप किए गए पेपर्स थे मिस्टर विलियम के साइन करने के थोड़ी देर बाद वो पेपर्स मे लिखा सब गायब हो गया था,अब उन पेपर्स मे सिर्फ़ मिस्टर विलियम की साइन थी,जिससे अब आराम से वेद उसके सारे मोल को अपने नाम कर सकता था,वो चाह ता तो उसकी सारी प्रॉपर्टी अपने नाम कर देता,पर उसने सिर्फ मॉल लेने के बारे में ही सोचा ये सजा थी।
"यू चिटर,तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते,मे तुम्हे छोड़ूंगा नहीं,मीडिया के सामने देखो अब मे तुम्हारा क्या हाल करता हुए अगर तुम्हारी कंपनी को मैने मिट्टी मे नहीं मिला दीया तो मे मेरे बाप की ओलाद नहीं।"मिस्टर विलियम गुस्से से बोले जा रहे थे,हैरी गार्ड को इशारा करता है,गार्ड मिस्टर विलियम को बाहर फेंक कर आते है।
वही मिस्टर विलियम सारी मीडिया को कश्यप इंडस्ट्री के बाहर बुला कार अपना ड्रामा शुरू कर देते है।
"देखिए आप सब इस वेद कश्यप की लालच इतनी बढ़ गई है कि इसने मेरा सब कुछ मुझसे छीन लिया,एक तो उसने अपने प्रोडक्ट मे मिलावट शुरू कर दी है जब मैने उसके खिलाफ कदम उठाया तो उसने मुझसे धमक कर मेरे सारे मॉल मुझसे छीन लिए,अब आप सब ही है जो मुझे इंसाफ दिला सकते है।"मिस्टर विलियम अपने नकली आंसू बहा रहे थे,वही अब ये न्यूज़ आग की तरह फेल रही थी,सारे न्यूज़ चैनल पर बस यही दिखाया जा रहा था,की केसे वेद कश्यप अपनी पॉवर का गलत इस्तेमाल कमज़ोर लोगो पर करता है।
वेद अपने लेपटॉप पर कुछ कर रहा था,उसके सामने मैत्री खड़ी थी जो उससे कुछ बोलने की कोशिश कर रही थी पर बोल नहीं पा रही थी,दिया कब से सोफे पर बेटी मेत्री को ध्यान से देख रही थी,उसे समझ नहीं आ रहा था कि मेत्री इतनी डरपोक है या वेद इतना खतरनाक खेर जो भी हो अब उसे है कुछ बोलना पड़ेगा ये बात उसे समझ आ गई थी।
वही हैरी कब से दिया को सॉरी बोलने की फिराक में था पर उस अब अकेले मे दिया मिल ही नहीं रही थी,वो अपनी किस्मत पर हैरान था जब उसे दिया से दूर रहना होता है तब पता नहीं क्यों वो दिया से टकरा ही जाता है अब जब उसे दिया से बात करनी है तो दिया अकेले मिल है नहीं रही।
"वीके मुझे कुछ कहना है..."आखिरकार दिया ने हिम्मत करके कहा।
"हमम.. बोलो"वेद ने बिना ऊपर देखे तेज़ी से अपने लैपटॉप पर उंगलियां चलाते हुए कहा।
"वो में लॉस एंजेलिस जा रही हूं कुछ दिनों के लिए तो क्या विष्टि भी मेरे साथ आ सकती है।"दिया ने कहा तो वेद की उंगलियां चलते चलते रुक गई,वो दिया को देखने लगा,उसके ऐसे देखने से दिया थोड़ी घबरा गई,पर वो विष्टि को ले जाना चाहती थी,इसलिए हिम्मत बनाए रखती है।
"ऐसे देखो मत सच मे उसे बाहर जाने की ज़रूरत है।"दिया ने कहा तो अब वेद मैत्री को देखने लगा।
"हा मुझे भी बाहर जाना है।"मैत्री ने अपनी सारी हिम्मत इकट्ठा करते हुए कहा।
"ठीक है इसके बारे में बाद में बात करते है?"वेद ने ठंडी आवाज़ मे कहा,वेद बोहोत ही कम बोलने वाले इंसानों मे से था,पर उसके कम शब्द भी काफी होते थे सामने वाले इंसान को चुप कराने के लिए।
"बॉस वो बाहर मिस्टर विलियम मीडिया के सामने तमाशा कर रहे है,मामला हाथ से निकलता जा रहा है।"फेरी ने परेशान होते हुए कहा,वाकई बात बोहोत बिगड़ चुकी थी,हर कोई कश्यप इंडस्ट्री के बारे में गलत खबरे फैला रहा था,वही जैसे ही ये बट डिनेलश को पता चली वो तुरंत मीडिया के सामने आ गए थे।
सभी रिपोटर्स एक के बाद एक उनसे सवाल करने लगे थे।
"मिस्टर डिनेलश क्या जो भी मिस्टर विलियम बोल रहे है वो सच है?क्या मिस्टर वीके अब लालच में आ गए है??"
"क्या अब कश्यप इंडस्ट्री के प्रोडक्ट प्योर नहीं है??उनमें मिलावट की जा रही है??"
"क्या वीके ये सब पैसा बनाने के लिए कर रहे है??ताकि अगर वो सीईओ ना भी रहे तो उनको कोई प्रोब्लम ना हो??"
ऐसे ही कई सवालों की बोछार डिनेलश पर हो गई,उनको तो यही मोका चाहिए था,कितने सालो से वो ऐसे ही किसी मौके की तलाश में थे,आखिर कार उन्हे ये मोका 14 सालो बाद मिल ही गया था, वेद भले ही उनसे 3 साल छोटा था पर उसका दिमाग और पॉवर सबसे ज़्यादा थी, पुरी कश्यप फैमिली मे ये बात हर कोई जानता था इसलिए उसे ये पोस्ट देने ही पड़ी पर अब मोका था उससे ये ओधा छीनने का जिसे डिनेलश बिल्कुल जवाना नहीं चाहते थे।
"रुकिए शांत हो जाइए मे आप सबको यही बताने आया हूं,देखो भाई अभी वेद एक बच्चा है,गलती हो जाती है पर में वादा करता हूं आप सब से कि आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा भले ही उसके लिए मुझे ये ज़िम्मेदारी अब अपने कंधो पर डालनी पड़े मे करूगा,संभालेगा इस कश्यप......"इससे पहले कि वो कुछ आगे बोलते पीछे से एक ऊंची मगर बेहद ठंडी आवाज़ सबके कानो में पड़ी,जिससे एक पल के लिए सबके हाथ पैर सुन पड़ गए।
क्या करेगा अब वेद??क्या वाकई डिनेलश कश्यप इंडस्ट्री हड़प लेंगे??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰jo bhi log meri kahani padh kar bina comment kiye hi patli gali se nikal jate hai,unke phone me virus aa jae😏aur jo log karte hai unko free data mil jae❤️🥰har har mahadev
अब तक हमने देखा.....
ऐसे ही कई सवालों की बोछार डिनेलश पर हो गई,उनको तो यही मोका चाहिए था,कितने सालो से वो ऐसे ही किसी मौके की तलाश में थे,आखिर कार उन्हे ये मोका 14 सालो बाद मिल ही गया था, वेद भले ही उनसे 3 साल छोटा था पर उसका दिमाग और पॉवर सबसे ज़्यादा थी, पुरी कश्यप फैमिली मे ये बात हर कोई जानता था इसलिए उसे ये पोस्ट देने ही पड़ी पर अब मोका था उससे ये ओधा छीनने का जिसे डिनेलश बिल्कुल जवाना नहीं चाहते थे।
"रुकिए शांत हो जाइए मे आप सबको यही बताने आया हूं,देखो भाई अभी वेद एक बच्चा है,गलती हो जाती है पर में वादा करता हूं आप सब से कि आगे से ऐसा कुछ नहीं होगा भले ही उसके लिए मुझे ये ज़िम्मेदारी अब अपने कंधो पर डालनी पड़े मे करूगा,संभालुगा इस कश्यप......"इससे पहले कि वो कुछ आगे बोलते पीछे से एक ऊंची मगर बेहद ठंडी आवाज़ सबके कानो में पड़ी,जिससे एक पल के लिए सबके हाथ पैर सुन पड़ गए।
अब आगे....
"इस तमाशे की कोई ज़रूरत नहीं है।"वेद ने जैसे ही अपनी ठंडी आवाज़ मे ये कहा सबकी नजर अपने आप उस पर जम गई थी,हालाकि प्रेस मे आए सभी लोगो का मोटिव अपनी टीआरपी के लिए वेद को बदनाम करना था लेकिन प्रेस की सभी लड़कियां वेद को देख अपने आप को ठीक करने मे लग गई ये देख उनके साथी लोग हैरान और परेशान दोनो हो गए थे,तभी एक रिपोर्टर आगे आया और बोला।
"तो मिस्टर वीके क्या आप बताएंगे की अपने इसी गिरी हुई हरकत क्यों की?"रिपोर्टर के बोलते ही वेद की नजरें उस पर जम गई, वेद की नजरो मे ही ऐसा कुछ था जिससे हर कोई काप ने लग जाता था,वो रिपोर्टर दो कदम पीछे हो गया तभी मिस्टर विलियम आगे आए।
"बोलो मिस्टर कश्यप आपने मेरे साथ ऐसा धोखा क्यु किया??ऐसे लालची आदमी को इतनी बड़ी कंपनी का सीईओ रखना सही होगा क्या?आप सब प्लीज़ कुछ कीजिए।"मिस्टर विलियम ने फिर से अपना रोना शुरू कर दिया,ये देख फिर से सारे प्रेस वाले वेद को गिरी हुई नजरो से देखने लगे,उन सब को मिस्टर विलियम पर दया आ रही थी।
अक्सर ही पैसे वाले लोग कमज़ोर लोगो को दबा देते थे,कमज़ोर पर हमेशा ज़ुल्म किए जाते, इन सब से वो लोग अनजान नहीं थे।
"मे आप सबको यही कहना चाहता हूं,आप सब चिंता मत कीजिए अब से में कश्यप इंडस्ट्री संभालूगा,मेरे भतीजे से जो भूल हुई है उसके लिए आई एम रियल वेरी सॉरी।"जैसे ही डिनेलश ने ये कहा सब आपस में बाते करने लगे,ये बोहोत बड़ी न्यूज़ थी, वेद को कंपनी से हटाया जा रहा था।
वही इंडिया में....
मुंबई.....
राणा हवेली के बाहर जैसे ही निलांश ने विष्टि की बात सुनी वो सुन्न रह गया उसे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था,आखिर वो को सोचता था उससे उल्टा ही क्यों होता था हर बार?
निलांश उस मिडल एज औरत की तरफ़ देखता है,वो इन्हे जानता था,ये राणा कॉर्पोरेशन एचआर हेड थी,उसने ये टक सुना था कि मिस शालिनी के संबंध राणा परिवार के साथ बोहोत ही पुराने और मजबूत थे।
"सही कहा इसने ये वीर राणा की सगी बेटी नहीं है,ये तो एक माली की बेटी है जीस पर दया कर के वीर राणा ने इसे गोद ले लिया था इसके मा बाप के मरने के बाद।"शालिनी ने बड़े ही सोफ्टली कहा,उसकी आवाज़ मे जितनी नरमी थी उतनी ही नफरत और कड़वाहट उसके शब्दो में थी।
विष्टि बिना कुछ बोले अब हवेली कि तरफ़ बढ़ जाती है,ये देख शालिनी हैरान हो जाती है,मेत्री भले ही उनसे कभी बात नहीं करती थी पर जब भी मिलती उनके पैर ज़रूर छुती थी,पर इस बार तो मेत्री बिना उनकी तरफ देखे ही चली गई,इस बात से शालिनी जी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया,निलांश भी विष्टि के पीछे पीछे चुप चाप चला गया।
(अब शालिनी जी को क्या पता वो जिसे मासूम मेत्री समझ रही है वो तो हमारी शैतान विष्टि है🤭)
विष्टि जैसे ही अंदर पॉहची वो सीधे वीर जी के रूम की तरफ़ बढ़ गई,उसने देखा कि वीर राणा बेड पर बेजान से लेटे थे,लग रहा था जैसे उनमें जान ही बाकी ना हो,उनका चेहरा बिल्कुल सुख चुका था,वज़न भी पहले से काफी कम हो गया था,ये देख अपने आप विष्टि की आंखो मे आंसू आ गए,उसे खुद समझ नहीं आया कि आखिर उसे हो क्या रहा है वो तो जानती तक नहीं अच्छे से इस इंसान को फिर उसके दिल में इतना दर्द क्यू हो रहा था,आज विष्टि को पता नहीं क्यों तारा की याद आ रही थी,वो उससे बात करना चाह रही थी।
लेकिन दो दिन के लिए तारा को परी लोक जाना पड़ा था,कुछ ज़रूरी काम के लिए,इस वजह से वो उसके साथ नहीं थी।
"अक्सर तन्हाई हमे यू ही चुभ सी जाति है, यकीन करना चाहे भी तो बेवफाई आग जलाती है,
अब तो परछाई पर भी भरोसा नहीं रहा जनाब, क्युकी अंधेरे मे वो भी साथ छोड़ ही जाती है।"
वो धीरे से वीर जी के पास जाने लगी तभी शालिनी ने उसका हाथ पीछे से पकड़ कर उसे वापिस पीछे खींच लिया,उनके ऐसा करने से विष्टि का पारा हाई हो गया,इससे पहले कि वो कुछ करती या बोलती, रूम मे मौजूद विजय जी बोल पड़े।
"ये क्या कर रही है आप शालिनी जी,गोलू को छोड़िए उसे भाई साहब के पास जाने दीजिए।"विजय ने थोड़ी धीमी मगर कड़क आवाज़ मे कहा लेकिन शालिनी जी ने विष्टि का हाथ नहीं छोड़ा।
"ये क्या कर रही है आप शालिनी जी छोड़िए गोलू को..."कोमल जी ने भी कहा जो की अपने पति विजय जी के बगल मे खड़ी हुई थी।
"आप सब जब ये बात जानते है कि वीर इस लड़की से कितनी नफरत करते है तो फिर क्यों इसे उसके पास भेज रहे है आप,उससे वीर की तबीयत मे और भी कॉम्प्लिकेशन आ सकती है।"शालिनी की एसी बात सुन कर अब विष्टि का पेशन्स लेवल बिल्कुल टूट चुका था,वो एक जटके से अपना हाथ शालिनी से छुड़ा लेती है,उसका फोर्स इतना ज़्यादा था कि जटके की वजह से शालिनी जी सीधे फ्लोर पर जा कर गिरी,ये देख सभी हैरान हो जाते है,वही शालिनी जी को खुद के गिरने से ज़्यादा हैरानी विष्टि की ताकत को मेहसूस कर के हो रही थी,उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि इतनी दुबली पतली लड़की मे इतनी ताकत कहा से आई,कोमल जी उनको सहारा दे कर खड़ा करती है।
"मुझे नहीं लगता कि किसी बाहर वाली को घर के मामले में दखल अंदाजी करनी चाहिए।"विष्टि ने बड़ी ही शांत आवाज़ मे कहा,और वो वीर जी तरफ़ बढ़ गई,तभी कमरे में एक रोब दार आवाज़ गूंज उठी।
"मैत्री ये क्या तरीका है बड़ो से बात करने का,क्या यही सिखाया है हमने तुम्हे।"महेश जी की आवाज़ मे नाखुशी साफ झलक रही थी वही उनके आते ही शालिनी जी के चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ गई उनको देख ऐसा लग रहा था जैसे अब मेत्री यानी विष्टि की अच्छी खासी धुलाई होगी,इससे पहले कि शिवानी हर बार की तरह मेत्री का बचाव करती हमारी विष्टि बोल पड़ी।
"अरे दादा सा प्रणाम,वो क्या है जा इस परिवार ने हमे बोहोत कुछ सिखाया है,पर हमने सीखा वही है जो सीखने लायक था,मक्कारी, ताने बाज़ी, षडयंत्र ये सब हम आपकी छत्र छाया मे सीख नहीं पाए माफ कीजिएगा।"विष्टि की आवाज़ अफसोस के साथ भरी थी और उसके शब्द कटाक्ष के साथ, महेश जी और शालिनी सदमे में चले गए थे,उनकी गोद ली गई पोती ने आज तक उनके सामने अपना सिर टक नहीं उठाया था और आज वो मूह तोड़ जवाब दे रही थी।
वही शिवानी और ध्रुव को हसी आ रही थी विष्टि जी बात सुन कर वो धीरे से अनजाने में ही एक दूसरे को हाई फाई देते है,फिर जब दोनो को एहसास होता है अभी उन्होंने अपने दुश्मन को हाई फाई दी है तो दोनो ही मुंह घूमा कर खड़े हों जाते है,दूसरी तरफ़ निलांश,विजय जी और कोमल जी हैरानी से विष्टि को देख रहे थे।
("माय गॉड माई वाइफ इज़ सौ डेंजरस")निलांश अपने मन में कहता है।
तभी वीर जी के पास खड़ी नर्स ने कहा,को कि ज़ोर ज़ोर से सांसे ले रहे वीर जो देख दार गई थी।
"पेशेन्ट की हालत बिगड़ रही है,आई थिंक हमे इन्हे जल्द से जल्द हॉस्पिटल ले जाना चाहिए वरना ये कभी भी दम तोड़ सकते है।"नर्स ने घबराई हुई आवाज़ मे कहा,जिसे सुन कर सब के चेहरे पर घबराहट आ गई।
क्या करेंग अब विष्टि??क्या जितना सीधा राणा परिवार लगता है उतना है??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
Please please please comment karna please 😕 में रोज़ चार एपिसोड डालती हु तो plz भर भर के कमेंट कीजिए,आगे की कहानी बोहोत ही इंट्रेस्टिंग होगी राज़ से भरी हुई तो तैयार रहिए मेरे साथ पढ़ने के लिए, विष्टि और मैत्री की रहस्यमय कहानी।
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰
अब तक हमने देखा......
वही शिवानी और ध्रुव को हसी आ रही थी विष्टि जी बात सुन कर वो धीरे से अनजाने में ही एक दूसरे को हाई फाई देते है,फिर जब दोनो को एहसास होता है अभी उन्होंने अपने दुश्मन को हाई फाई दी है तो दोनो ही मुंह घूमा कर खड़े हों जाते है,दूसरी तरफ़ निलांश,विजय जी और कोमल जी हैरानी से विष्टि को देख रहे थे।
("माय गॉड माई वाइफ इज़ सौ डेंजरस")निलांश अपने मन में कहता है।
तभी वीर जी के पास खड़ी नर्स ने कहा,को कि ज़ोर ज़ोर से सांसे ले रहे वीर जो देख दार गई थी।
"पेशेन्ट की हालत बिगड़ रही है,आई थिंक हमे इन्हे जल्द से जल्द हॉस्पिटल ले जाना चाहिए वरना ये कभी भी दम तोड़ सकते है।"नर्स ने घबराई हुई आवाज़ मे कहा,जिसे सुन कर सब के चेहरे पर घबराहट आ गई।
अब आगे.....
"नी...ध्रुव इनको जल्दी से कार मे ले लो।"मैत्री पहले निलांश को बोलने वाली थी पर फिर कुछ सोच कार उसने ये काम ध्रुव को कहा।
ध्रुव भी जल्दी से वीर जी के पास जाता है,शिवानी भी ध्रुव की मदद करने उसके साथ जाती है,की तभी शालिनी जी की नौटंकी फिर से शुरू हो जाती है।
"नहीं रुको,वीर को हम ले जाएंगे,तुम्हारे भरोसे हम इसे नहीं छोड़ सकते, तुम एक लापरवाह लड़की हो,6 साल पहले भी तुम्हारी वजह से...."इससे पहले कि वो कुछ आगे बोलती,विजय की की तेज़ आवाज़ पूरे रूम मे गूंज उठी।
"बस कीजिए शालिनी जी,अगर आप चुप ही रहे तो अच्छा होगा।"इस बार विजय जी की आवाज़ मे गुस्सा भापते हुए शालिनी ने अब कुछ कहना ठीक नहीं समझा।
जब ये बेहेस चल रही थी तब तक निलांश ने है कर वीर जी को उठा लिया था,वो अब रूम से बाहर जाने लगा वही विष्टि भी थोड़ी हैरानी के साथ बाहर की तरफ दौड़ पड़ी,उसे अभी सिर्फ़ वीर जी की चिंता थी।
विष्टि कार का गेट खोलती है और वीर जी को अच्छे से सीट पर बैठान मे निलांश की मदद करती है,निलांश सीधे जा कर ड्राविंग सीट पर बैठ जाता है,विष्टि भी कुछ नहीं बोलती क्युकी उसे निलांश की ड्राइविंग स्किल्स पर भरोसा था।
एक कार मे विष्टि और निलांश वीर जी को लिए निकाल जाते है उनके पीछे शिवानी भी दूसरी कार मे ध्रुव,और अपने मा पापा को लिए निकाल जाति है,उनके पीछे महेश जी और शालिनी जी भी ड्राइवर को साथ लिए निकल गए।
विष्टि बार बार अपनी सीट से पीछे मूड मूड के देखे जा रही थी,उसके चेहरे पर चिंता साफ नजर आ रही थी,उसकी परेशानी निलांश भी बखूबी समझ रहा था वो जितनी स्पीड से गाड़ी चला सकता था उसने चलाई,सभी ट्रेफिक रूल को फॉलो करने वाले निलांश ने आज किसी सिग्नल लाइट को या रूल को देखा ही नहीं उसे बस विष्टि का घबराया हुआ चेहरा नजर आ रहा था।
वही शिवानी की कार का सिन कुछ और ही चल रहा था।
ध्रुव बेताबी से अपनी भाई का पीछा करना चाहता था, लेकीन शिवानी की ड्राइविंग स्किल्स इतनी अच्छी नहीं थी कि वो निलांश की कार पर पकड़ बनाए रखे,जिस वजह से उनकी कार पीछे रेह गई थी,इस बात को ताना ध्रुव उसे बखूबी दे रहा था,मसाला मार के।🤭
"ओ एटिट्यूडी बंदरिया फास्ट चलाओ कार ये कछुआ छाप क्यों चल रही हो,अगर इसी स्पीड से चले ना तो हॉस्पिटल अंकल को देखने नहीं भाई और भाभी के बच्चे को देखने पोहचेंगे।"धुव्र के मुंह से इतने मीठे शब्द सुन कर, कार की स्पीड और शिवानी का पारा दोनो ही हाई हो गए🤣।
"खरबूजे के छिलके तुम अपना देखो,वो तो मे तुम्हारी वजह से धीरे चला रही थी,क्युकी मैने देखा था जब दीदी कार स्पीड से चला रही थी तब तुम्हे केसे तुम्हारी होने वाली विधवा बीवी और होने वाले अनाथ बच्चो की परवाह हो रही थी, फट्टू...."हालाकि शिवानी इससे ज़्यादा फुल स्पीड से कार नहीं चला सकती थी,वरना उसका कंट्रोल खो सकता था कार से,पर फिर भी वो ऐसे केसे अपनी धोस छोड़ देती ध्रुव के सामने, इस लिए उसने अपनी नाक ऊंची रखी।
लेकिन पीछे बैठे विजय जी और कोमल जी हैरानी से उन दोनों को देख रहे थे,हालाकि उन्हे अपनी बेटी की उल जुलूस बातो को सुनने की आदत थी,पर उन्हे नहीं पता था वो इतनी मुंह फट के साथ साथ फेकती भी है,वो भी अपने मम्मा पापा के सामने,बिना किसी शर्म के,क्या सच में वो उनकी बेटी है,एक बार के लिए ये सवाल भी उन दोनों के जेहेन मे आ चूका था।
इससे पहले कि ध्रुव शिवानी की बातो का कुछ जवाब देता विजय जी ने अपना गला खराशा जिससे ध्रुव और शिवानी एक दम शांत हो गए।
वही निलांश अपनी कार तेजी से चला रहा था,तभी अचानक से वो गाड़ी पर ब्रेक मारता है हालाकि इस स्पीड से कार चलाने से अचानक इसे ब्रेक लगाने से गाड़ी पलट सकती थी और एक बोहोत खतरनाक साबित होता ये,पर नीलांश बोहोत अच्छी तरीके से सब संभाल लेता है,अच्छा हुआ की पीछे की सीट पर वीर जी को अच्छे से लेटाया था और कार में अच्छी फेसलेटी के होते हुए उनका गिरना या लगना न मुमकिन था।
"क्या हुआ,अंधे हो गए हो क्या पति परमेश्वर.... आ हाय मेरी कमर..."इससे पहले की विष्टि आगे कोई भी ड्रामा करती निलांश की गुस्से से भरी आवाज़ उसके कानो में सुनाई देती है।
"जस्ट शट अप यू इडियट,सामने देखो।"निलांश ने जैसे ही ये कहा विष्टि ने अपनी कमर पर हाथ रख सामने देखा तो वो हैरान हो गई,सामने दो गाड़ी खड़ी थी उनमें से कुछ गुंडे बाहर निकल रहे थे उनमें से किसी के हाथ में गन तो नही थी लेकिन हॉकी स्टिक, बेट जैसे हथियार थे,उन्हें देख विष्टि को ऐसा लग रहा था जैसे वो आवारा कॉलेज के स्टूडेंट है जो दंगा करने जा रहे थे।
"परमेश्वर ये लोग रास्ता भूल गए क्या, ऐसे क्यू आ रहे है हमारी तरफ जैसे हम पर अटैक करने आ रहे है?"विष्टि का ऐसा बेवकूफी भरा सवाल सुन मानो अब निलांश को चक्कर आने लगे थे,वो नीचे उतरा और उन गुंडों के पास जा कर उनके सामने खड़ा हो गया।
"देखा तुम लोग जो भी हो अभी चले जाओ,हमे हॉस्पिटल जाना है, इट्स अन इमरजेंसी..."निलांश ने कहा लेकिन वो लोगो का इरादा कुछ और ही था।
तभी उनमें से एक गुंडा आया और सीधा नीलांश के ऊपर हॉकी स्टिक से हमला कर दिया तभी वो हॉकी स्टिक के दो टुकड़े हो गए,सभी हैरानी से इस लड़की की तरफ देखते है जो की निलांश के आगे खड़ी थी।
"जिस जान पर हम कुर्बान है जनाब, तुम्हारी ओकात में उसे छूना भी नही लिखा, खरोच तो बोहोत दूर की बात है।"विष्टि ने इस गुंडे को अपनी लाल आंखे से घूरते हुए कहा।
आगे कई राज़ इंतजार कर रहे है विष्टि का देखते है इस उलझन भरी जिंदगी में क्या वो सांस ले पाएगी या.....
क्या होगा अब वीर जी का??क्या सही सलामत पोहचा पाएंगे वीर जी को विष्टि और निलांश हॉस्पिटल??कोन है ये गुंडे किसने भेजा है इनको??
जानने के लिए पढ़ते रहिए please please please 🥺 comment Kiya kijiye na please 🥺
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰comments nahi karte ap sab is bat ka bohot bada vala dukh hai mujhe aur review bhi nahi dete😏😏
अब तक हमने देखा......
"देखा तुम लोग जो भी हो अभी चले जाओ,हमे हॉस्पिटल जाना है, इट्स अन इमरजेंसी..."निलांश ने कहा लेकिन वो लोगो का इरादा कुछ और ही था।
तभी उनमें से एक गुंडा आया और सीधा नीलांश के ऊपर हॉकी स्टिक से हमला कर दिया तभी वो हॉकी स्टिक के दो टुकड़े हो गए,सभी हैरानी से इस लड़की की तरफ देखते है जो की निलांश के आगे खड़ी थी।
"जिस जान पर हम कुर्बान है जनाब, तुम्हारी ओकात में उसे छूना भी नही लिखा, खरोच तो बोहोत दूर की बात है।"विष्टि ने इस गुंडे को अपनी लाल आंखे से घूरते हुए कहा।
आगे कई राज़ इंतजार कर रहे है विष्टि का देखते है इस उलझन भरी जिंदगी में क्या वो सांस ले पाएगी या.....
अब आगे.......
उन गुंडों के साथ साथ निलांश भी विष्टि को हैरानी भरी नजरो से देखे जा रहा था,उन सबको हैरानी इस लिए हो रही थी,क्युकी तकरीबन 7 सेकेंड के अंदर अंदर वो गुंडा जिसने निलांश पर हमला करने की कोशिश की थी,वो अब ज़मीन पर बेसुद गिरा हुआ था मानो उसमे जान ही ना हो,ये देख उनमें से एक नाटा सा गुंडा बोला जो बेहद डर गया था उसके तो पसीने छूट रहे थे।
"भाई जान ई कि हो रहा से? हमका तो बोला गयेल की एक सीधी सी लुगाई ने डराना से, और मज़े लेने से उसके,अब ई का हो रहा, ई मां काली के रूप में छोरी कहा से आ गई,और ई 6 फूट का बम भी काहे सिर पर फूट रहा।"एक नाटे से गुंडे ने उस आदमी से कहा को सबसे आगे खड़ा था,शायद वो सबका लीडर था।
"भूल मत मंगिया सामने कोई भी हो,जब एक बार जीगा की गैंग ने काम उठा लिया तो पूरा तो करना..."
उस गुंडे जिगा की बात अभी खत्म भी नही हुई थी की विष्टि और निलांश ने सबको मारना शुरू कर दिया था।
दोनो ही ये काम जल्दी खत्म करना चाहते थे,क्युकी वीर जी को जल्दी हॉस्पिटल ले जाना जरूरी था,वो दोनो ने महज़ 5 मीन में तकरीबन 26 गुंडों को धोबी के कुत्ते की तरह मार मार कर सूजा दीया था।
अब जल्दी से वो लोग वीर जी को हॉस्पिटल लेकर जाते है, इमरजेंसी वार्ड में उन्हें एडमिट करने के थोड़ी देर बाद ही बाकी के सभी घर वाले भी हॉस्पिटल पोहोच चुके थे।
डॉक्टर और नर्स की टीम इधर से उधर घूम रही थी,अंदर से बाहर और बाहर से अंदर होने के बावजूद भी कोई कुछ बताने को तैयार नहीं था की आखिर हुआ क्या है वीर जी को, बीतते सेकेंड के साथ विष्टि का गुस्सा भी बढ़ता जा रहा था।
तभी एक दूसरे डॉक्टर बाहर की तरफ से अंदर जाने लगे उनके साथ एक नर्स भी थी,विष्टि और बाकी सब उन्हें घेर लेते है।
"डॉक्टर प्लीज आप बताइए,मेरे पापा की तबियत कैसी है?कोई खतरा तो नही है ना??वो ठीक हो जाएंगे ना?"विष्टि अपनी नम आंखों से कहा,उसने कभी अपने पहले जन्म में मां या पापा का प्यार नही देखा था,अब जब इस जन्म में उसे मिल रहा था तो वो कैसे उस मौके को छीन लेने दे।
हालाकि ये बात उसे समझ नही आ रही थी की जब वो खुद ही इस परिवार से मिलना नही चाहती थी तो अब उसे वीर जी को देख क्या हो रहा है,वो क्यू उन्हें एसे छोड़ जा नही पा रही,उसे अब तारा पर गुस्सा आ रहा था की क्यू वो अभी नहीं है?वरना वो उस से पूछ सकती थी।
"हा डॉक्टर प्लीज़ बताइए वीर केसे है अब??वो ठीक तो है ना??"शालिनी जी ने बोहोत ही दुख जताते हुए कहा।
इससे पहले की कोई आगे कुछ बोलता डॉक्टर सबको अपना एक हाथ दिखाते हुए शांत रहने को बोलने लगे।
"शांति रखिए आप,ये हॉस्पिटल है और हम कोशिश कर रहे है उन्हे बचाने की लेकिन कुछ कह...."डॉक्टर के मुंह में आगे के शब्द गले के वापिस निचे चले गए थे,क्युकी विष्टि ने उनकी गर्दन पकड़ ली थी,उसकी ग्रिप बोहोत मजबूत थी डॉक्टर को कुछ ही सेकंड में सांस लेने में भी प्रॉब्लम होने लगी।
"छो...छोड़ो...म....बच.."अपनी अटकती आवाज़ मे कांपते हुए कहा,उनके दोनो हाथ विष्टि के हाथो पर थे खुद के गल को छुड़ा ने के लिए,वही निलांश और ध्रुव विष्टि को पीछे खींचने लगते है उन दोनों के खींचने पर विष्टि की पकड़ ढीली ज़रूर पड़ती है पर वो उस डाक्टर को छोड़ती नहीं है,बाकी सब हैरानी से ये नज़ारा देख रहे थे।
"कोशिश नहीं करनी ,तुम्हे मेरे पापा को बचा कर है आना है समझ में आई बात तुम्हारे दिमाग के अंदर या में समझ ने में और मदद करूं।"विष्टि ने ये बात बोहोत कड़क आवाज़ मे कही थी जिससे डॉक्टर के साथ साथ पास खड़ी डरी सहमी सी नर्स के पसीने छूट गए थे।
निलांश विष्टि को एक जटके से खींच कर अपने गले से लगा लेता है अभी विष्टि को उसकी ज़रूरत थी,विष्टि भी निलांश की बाहों में आते ही एक दम शांत ही हो जाती है,वो डॉक्टर खांसते हुए अंदर चला जाता है,वैसे तो कोई और होता तो वो डॉक्टर उसे बत्मिजी के इल्ज़ाम मे कब से उसे जेल भेज चुके होते,लेकिन निलांश के वहा होते हुए वो निलांश जान पहचान वालो को कुछ कर नहीं सकता था,ऊपर से बात राणा परिवार की भी थी।
तक़रीबन ढाई घंटे बाद डॉक्टर बाहर आए,बिना वक्त गंवाए उन्होंने मामला सबको समझाया।
"देखिए मिस्टर वीर को किसी ने एक अनोखा ड्रग दिया है,जिसका पता हम लगा रहे है,जैसे ही मालूम लगेगा की ड्रग कोनसा है हम जल्दी से बचा पाएंगे पेशेन्ट को तब तक उनकी जान पर खतरा बना रहेगा,इस ड्रग से वीर जी की हालत बीतते सेकेंड के साथ खराब होती हा रही है,ये स्लो पॉयजन की तरह काम करता है,अगर ये केमिकल पेशेन्ट के दिमाग टक पॉहच गया तो उनका ब्रेन डेड हो सकता है,जिससे उनकी मौत....."आगे डाक्टर बिना कुछ कहे वहा से जल्दी से चले जाते है क्युकी उन्हे पता था अगर उन्होंने आगे कुछ बोला तो वो बचेंगे नहीं।
ये सुन कर मानो सब के पैरो तले ज़मीन ही खिसक गई हो।
वही अमेरिका में...
न्यू यॉ्क....
कश्यप इंडस्ट्री के बाहर सभी रिपोर्टर आपस में बाते करने लगे थे,किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था अभी अभी डिनेलश ने सब के सामने ये कहा था कि अब से वो होगे काश्यप इंडस्ट्री के सीईओ,ये किसी सनसनी न्यूज़ से कम नहीं था।
तभी सबके कानो मे वेद की कड़क मगर धीमी आवाज़ पड़ी,सब उसे साफ साफ सुन पा रहे थे,उनकी हैरानी बढ़ती जा रही थी।
"मे कुछ पेश करना चाहूंगा,उसके बाद शायद मेरे चाचा जी सीईओ बनने के जूठे सपने से बाहर आ जाएंगे,और ये तमाशा करने वाले दूसरे लोग मौत की नींद सो जाएंगे।"वेद ने कहा तो सबकी आंखे बड़ी हो गई, वेद ने साफ जता दिया था कि वो ही सीईओ रहेगा चाहे कुछ भी ही और मिस्टर विलियम को तो साफ साफ मारने की धमकी भी दे दी थी,वो भी मीडिया के सामने।
"वो बॉस का मतलब था चैन की नींद गलती से मौत हो गया, है ना बॉस?"हैरी ने जूठी बत्तीसी दिखाते हुए कहा,लेकिन वेद ने इस बात पर कोई जवाब नहीं दिया तभी एक रिपोर्टर आगे आया और वेद की तरफ माइक कर उससे सवाल पूछने लगा।
"मिस्टर कश्यप आप सरे आम केसे किसी को धमकी दे सकते हो,आप गरीबों पर ऐसे अतियाचर नहीं कर सकते,भूलिए मत आपकी कंपनी की चाय ये गरीब लोगो के खरीदने पर ही बिकती है।"रिपोर्टर की बात सुन सारे रिपोर्टर्स जोश मे आ गए और एक के बाद एक गिरा हुए सवाल वेद से करने लग गए।
अब क्या करेगा वेद??क्या विर जी बच पाएंगे??उनको ये ड्रग दिया किसने??
जानने के लिए पढ़ते रहिए
Please please please comment karna please 😕
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अब तक हमने देखा......
"मे कुछ पेश करना चाहूंगा,उसके बाद शायद मेरे चाचा जी सीईओ बनने के जूठे सपने से बाहर आ जाएंगे,और ये तमाशा करने वाले दूसरे लोग मौत की नींद सो जाएंगे।"वेद ने कहा तो सबकी आंखे बड़ी हो गई, वेद ने साफ जता दिया था कि वो ही सीईओ रहेगा चाहे कुछ भी हो और मिस्टर विलियम को तो साफ साफ मारने की धमकी भी दे दी थी,वो भी मीडिया के सामने।
"वो बॉस का मतलब था चैन की नींद गलती से मौत हो गया, है ना बॉस?"हैरी ने जूठी बत्तीसी दिखाते हुए कहा,लेकिन वेद ने इस बात पर कोई जवाब नहीं दिया तभी एक रिपोर्टर आगे आया और वेद की तरफ माइक कर उससे सवाल पूछने लगा।
"मिस्टर कश्यप आप सरे आम केसे किसी को धमकी दे सकते हो,आप गरीबों पर ऐसे अतियाचर नहीं कर सकते,भूलिए मत आपकी कंपनी की चाय ये गरीब लोगो के खरीदने पर ही बिकती है।"रिपोर्टर की बात सुन सारे रिपोर्टर्स जोश मे आ गए और एक के बाद एक गिरा हुए सवाल वेद से करने लग गए।
अब आगे.......
अभी सब सवालों के बीच घिरा वेद कुछ बोलने जा ही रहा था कि तभी उसके पास खड़ा डिनेलश बोलने लगा,जिससे वेद की नजर गहरी हो गई,वो एक तेज़ नजर से उसे देखने लगा।
"अरे सब शांत हो जाइए हम जल्दी ही...."इससे पहले कि डिनेलश आगे कुछ बोलता वेद की गहरी आवाज़ ने उसकी बातो को वही दबा दिया।
"आपको नहीं लगता कि आप कुछ ज़्यादा ही बोलने लगे है?"वेद ये बात कड़क आवाज़ मे बोल कर एक वीडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर देता है जिसकी आवाज़ सुन कर सभी को एक एक जटका सा लगा।
उस क्लिप मे मिस्टर विलियम साफ साफ बोल रहे थे कि उन्होंने ही ये सारे ह्यूमर फैलाए थे ताकि वो वेद को लुट सके,उसकी प्लैनिंग सुन अब सब के मन में जो सैलाब थ सवालों का अब शांत हो गया उनका रुख अब वेद की जगह मिस्टर विलियम की तरफ मूड गया था।
मिस्टर विलियम को ये समझ नहीं आ रहा था कि वो इतना बेवकूफ केसे हो गया या फिर उसकी किस्मत खराब थी जो उसका अच्छा खासा प्लेन बर्बाद ही गया था,हैरी ने उसे उठा ने का सारा प्लेन कर लिया था लेकिन उसके अरमानों पर पानी तब पड़ा जब पुलिस को वहा देखा,पुलिस को देख वेद की आंखे गहरी हो गई।
उसने अपनी तेज़ आंखे हैरी की तरफ की हैरी हड़बड़ा गया उसने जल्दी से अपना सिर ना मे हिलाया, वेद समझ गया की मिस्टर विलियम बस एक प्यादा थे,इसके पीछे कोई और था।
सारा मामला समेट लेने के बाद वैद हैरी से कह कर कार निकलवाता है कश्यप विला जाने के लिए।
वही इंडिया मे......
मुंबई......
हॉस्पिटल में सब बोहोत ही परेशान थे,लेकिन अब वीर जी की सिचवेशन काफी स्टेबल थी हालाकि वो पूरी तरीके से ठीक नहीं हुए थे,पर कहा जा सकता था कि उनकी जान पर खतरा टल चूका है थोडी देर के लिए।
हॉस्पिटल के डीन का केबिन.....
निलांश,विष्टि, महेश जी और विजय जी वहा डॉक्टर वाघेला की बात बड़े ही गोर से सुन रहे थे।
"देखिए मे जानता हूं कि आप दोनो ही फैमिली बोहोत पावरफुल है,लेकिन जीस डॉक्टर को हमे यहां लेना है वो अमेरिका में है,उनको यहां लाना थोड़ा मुश्किल है,आप सब समझ रहे है ना, डॉक्टर दिया ही है जो मिस्टर वीर का ऑपरेशन कर सकती है।"डॉक्टर की बात सुन सभी कुछ ना कुछ सोचने लग गए,तभी सबका ध्यान निलांश की आवाज़ से टूटा।
"आप ऑपरेशन की तैयारी कीजिए डॉक्टर दिया जल्द ही यहां होगी।"निलांश ने बड़े ही कॉन्फिडेंस के साथ कहा था जिसे सुन कर डॉक्टर वाघेला उल्टा कोई भी सवाल कर नहीं पाए बस हा मे सीर हिला दिया।
हॉस्पिटल में कोई एक ही इंसान रुक सकता था,वैसे तो बॉडीगार्ड रखवाए थे लेकिन फिर भी अगर घर का कोई हो तो चिंता ना हो इसलिए विजय जी ने वहा रुकने का तय किया,बाकी सबको मुश्किल से घर भेजा क्युकी कोई भी जाना नहीं चाहता था।
ओबेरॉय पैलेस में.....
अब सुबह से श्याम हो चुकी थी।
विष्टि के आते ही हॉल में बैठी सुनीता जी खड़ी हो जाती है,और ज़ोर ज़ोर से विष्टि को सुनाना शुरू कर देती है।
"तुझे समझ नहीं आता बेवकूफ़ लड़की कोई तुझे इस घर में देखना नहीं चाहता तो अब वापिस क्यों आई है जा अपने घर यहां मेरे बेटे पे डोरे डालने बंद कर वैसे भी निशा वापिस आ ही रही है तो अब तेरी क्या ही ज़रूरत।"सुनीता जी इस लिए ये बोल रही थी क्युकी उन्हे राणा परिवार में जो हुआ वो ध्रुव से पता चल चुका था कि ये एक घर से बाहर निकली गई गोद ली बेटी है इसलिए वो को मन में आए वो बोले जा रही थी,उनके इतने कड़वे शब्द विष्टि को तिर कि तरह चुभ रहे थे अगर कोई और समय होता तो वो उन्हे मुंह तोड़ जवाब देती पर उसमे अभी हिम्मत नहीं थी वो खुद को काफी कमज़ोर मेहसूस कर रही थी।
वो बिना कुछ बोले ऊपर जाने लगती है उसे दुख तो इस बात का था कि निलांश ने भी कुछ नहीं कहा ये जले पर नमक जैसा था,तभी वहा दादी मा आती है।
"रूक जाओ मैत्री...."उनकी आवाज़ सुन विष्टि के बढ़ते कदम रुक जाते है और पिछे मूड कर दादी की तरफ़ देखती है।
"ये क्या चल रहा है बड़ी बहू,तुम एसे बात नहीं कर सकती विष्टि से आगे से ध्यान रखना,और बेटा मैत्री तुम मेरी एक बात कान खोल कर सुन लो जो जगह तुम्हारी है वो सिर्फ तुम्हारी ही है इस पर किसी को हक़ जताने मत देना,अब जाओ आराम करलो,तुम्हारे पापा जल्दी है ठीक हो जाएंगे चिंता मेट करना।"ये बात दादी ने विष्टि के पास आ कर उसके सीर पर हाथ रख बड़े ही प्यार से कहीं थी,अब विष्टि अपने आप को रोक नहीं पाई कब से रोके गए आंसु अब बहने लगे थे।
वो ज़ोर से दादी मा को गले से लगा कर छोटे बच्चो की तरह सिसक सिसक कर रोने लगी,उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि उसे इतना बुरा क्यू लग रहा है।
दादी मा उसे चुप कराती है और ध्रुव को उसे उसके रूम मे छोड़ आने को बोलती है।
"भाभी एक बात कहूं आपसे आप इतनी स्वीट,एंड ब्यूटीफुल हो और एक तरफ़ वो आपकी नकचड़ी बहन उसे देख तो लगता हैं की उसे अफ़्रीका के जंगलों से ले आए हो।"ध्रुव माहौल को हल्का करने के लिए बोलता है जिसे सुन विष्टि के चेहरे पर हसी तो नहीं आती लेकिन उसकी उदासी चली जाति है।
"ऐसी बात उसके सामने मत करना वरना उसका पता नहि तुम अफ़्रीका के जंगल में ज़रूर दिखोगे।"विष्टि की बात सुन पिछे से आ रहा देव ज़ोर ज़ोर से हसने लगा,वही ध्रुव का चेहरा बन गया।
"क्या बात है विष्टि हमारे जिम ट्रेनर को अब किस लड़की ने रैबिट बना दिया।"देव ऐसा इसलिए कहा था क्युकी कुछ दिन पहले वो होटल वाली रीटा ने ध्रुव का मजाक बनाया था और अब शिवानी ने बेचारे ध्रुव की कोई इज्जत ही नहीं थी।🤣
"फालतू की बाते छोड़िए और आप बताइए गोड ब्रो कुछ दिनों से मिस्टर इंडिया क्यों बने हो दिखते ही नहीं घर में कहीं कोई गर्ल फ्रेंड तो नहीं है ना? बोलो बोलो?"ध्रुव ने थोड़े नॉटी स्टाइल में कहा,वही विष्टि उन दोनो की नोक झोंक काफ़ी इंजॉय कर रही थी।
"पागल खाने जाना है की तुझे अभी gf की उम्र नही है मेरी में तो बस एक पागल क्लाइंट की वजह से बिज़ी था,वो खुद तो मुझे बुलाती है रिक्वेस्ट कर लेकिन खुद नही आती,कोई न कोई बहाना लिए msg पर मना कर देती है।"देव ने अपनी दुख भरी दास्तां सुनाई।
"अरे गॉड ब्रो तो क्यू उसके साथ डील कर रहे हो,आपकी पेंटिंग लेने के लिए तो कोई भी लाइन लगा देगा,अरे रुको रुको कही ऐसा तो नहीं है,वो आपके ज़रिए मुझ तक पोहोचना चाहती हो और मुझे इंप्रेस कर मेरी gf बनना चाहती हो? हा मुझे तो यही लगता है आखिर में हु ही ऐसा क्यों भाभी?"ध्रुव का ध्रुवपुराण फिर शुरू कर दिया था,वही देव विष्टि का हाथ पकड़ कर उसे रूम तक छोड़ आता है वो फुल्ली ध्रुव की बातो को इग्नोर कर देता है,ये देख ध्रुव की आंखे बड़ी हो जाती है।
विष्टि अभी बेड पर बैठी ही थी की उसके अपने सामने तारा उड़ती दिखी,जिसे देख विष्टि के चेहरे पर स्माइल आ गई जो कुछ ही पल में तारा की बात सुन चली भी गई।
"मुझे सब पता चल गया है,चिंता मत कर तेरे पापा ठीक हो जाएंगे,लेकिन मुझे ये बता क्यू तू निलांश के साथ अभी तक है,इतना कुछ होने के बावजूद।"तारा ने बड़ी ही सख्ती से पूछा था,हालाकि तारा नियति के रचे नियमो को मानने वालो में से थी लेकिन आज उसे नियति के इस शादी के फैसले पर गुस्सा आ रहा था।
"इतना कुछ हुआ तभी तो अब तक साथ हु।"विष्टि की बात तारा के पल्ले नहीं पड़ी लेकिन वो चुप रही।
तभी कमरे का दरवाजा खुला और निलांश अंदर आया,उसका चेहरा बिल्कुल शांत था।
"निशा आ गई है।"नीलांश के शब्दो में कोई इमोशन नही था लेकिन उसकी आंखो में कुछ ज़रूर था।
क्या करेगी अब विष्टि??निशा फिर क्यों वापिस आई है??
आगे जानने के लिए कॉमेंट करते रहिए,सच में हमे इससे बोहोत पॉजिटिव थिंकिंग मिलती है🥰करते रहिए,सच में हमे इससे बोहोत पॉजिटिव थिंकिंग मिलती है🥰
Hello dosto me kj kese ho ap sab ummid hai thik hoge🥰
अब तक हमने देखा.......
"मुझे सब पता चल गया है,चिंता मत कर तेरे पापा ठीक हो जाएंगे,लेकिन मुझे ये बता क्यू तू निलांश के साथ अभी तक है,इतना कुछ होने के बावजूद।"तारा ने बड़ी ही सख्ती से पूछा था,हालाकि तारा नियति के रचे नियमो को मानने वालो में से थी लेकिन आज उसे नियति के इस शादी के फैसले पर गुस्सा आ रहा था।
"इतना कुछ हुआ तभी तो अब तक साथ हु।"विष्टि की बात तारा के पल्ले नहीं पड़ी लेकिन वो चुप रही।
तभी कमरे का दरवाजा खुला और निलांश अंदर आया,उसका चेहरा बिल्कुल शांत था।
"निशा आ गई है।"नीलांश के शब्दो में कोई इमोशन नही था लेकिन उसकी आंखो में कुछ ज़रूर था।
अब आगे........
निलांश की ये बात सुन कर मानो विष्टि वही जम गई,उसके बगल मे उड़ रही तारा कुछ बोल रही थी लेकिन शायद उसकी आवाज़ उसके दिमाग तक पोहोच नहीं रही थी।
"देख देख इस कमबख्त को तेरी सोतन ला तुझे ही इतने अकड़ के साथ बोल रहा है, मन तो कर रहा है इसे गरम तेल में डाल कर तल दू।"तारा ने निलांश को घूरते हुए कहा।
("तो फिर इंतजार किसका कर रही है तल दे भजिए की तरह,दिमाग की दही पूरी कार दी है इसने,इनको इज्जत का दे दी मैने ये तो सीर चड़ कर नागिन डांस करने लगे।")विष्टि ने अपने मन में कहा जिसे तारा साफ साफ सुन पा रही थी,वो ज़ोर ज़ोर से हसने लगी😂।
"तु यहां देख मे निचे का हाल पता कर आती हूं।"इतना बोल तारा वहा से गायब हो गई,निलांश जा कर सोफे पर बैठ कर कोई फाइल देख रहा था लेकिन उसका पूरा ध्यान विष्टि पर ही था।
"तो क्या सोचा है आपने?"विष्टि ने अपनी आवाज़ ऊंची करते हुए कहा,तो निलांश के नज़रे उस पर जम गई उसे उम्मीद नहीं थी विष्टि उससे कोई भी सवाल जवाब करेगी।
"सब तुम्हारे सामने ही तो है,मे निशा से शादी करने वाला था तुमसे तो मजबूरी में करनी पड़ी,अब जब निशा वापिस आ चुकी है तो तुम्हे अब जाना चाहिए।"निलांश ने बिना विष्टि की तरफ देखे कहा।
तभी वहा ध्रुव आया और विष्टि की तरफ देख कर बड़ी ही निराश आवाज़ मे बोलने लगा।
"भाभी चलिए आपको दादी नीचे बुला रही है,और आप चिंता मत कीजिए मे और देव आपके साथ है भले ही कोई आपके साथ हो या ना हो।"ध्रुव का ताना निलांश को साफ साफ सुनाई दे रहा था,लेकिन उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया वो ऐसे ही बैठा रहा।
वही नीचे निशा अपने जूठे आंसू लिए बैठी थी,हालाकि मैत्री की वो बोहोत अच्छी दोस्त थी इसलिए विष्टि को ज़्यादा चिंता नहीं थी की निशा कुछ करेगी उसे बस फिक्र नीलांश की थी आखिर वो क्या करेगा।
विष्टि के नीचे आते ही निशा का रोना और बड़ गया,वो विष्टि को गले लगा कर ऐसे रोने लगी जैसे बरसो बाद दो खोई हुई बहनें मिली हो,सब हैरानी से उन्हें देखते है,वही विष्टि भी कुछ समझ नहीं पा रही थी की निशा आखिर इतना ड्रामा क्यू कर रही थी,तभी उसके कानो में निशा की रोती हुई आवाज़ पड़ी।
"मैत्री थैंक्यू सो मच,तुमने सबके सामने मेरे नील बेबी के साथ निशा बन कर नकली शादी की,लेकिन अब तुम चिंता मत करो में आ गई हु,तुम अब आराम से अपनी जिंदगी अकेले बीता सकती हो।"निशा की बाते साफ बता रही थी की वो पूरी दुनिया के सामने निलांश की पत्नी है और विष्टि सिर्फ परदे के पीछे की एक्टर ये बात विष्टि को तीर की तरह चुभ रही थी।
"बेशक सबको नहीं पता की तुम नहीं विष्टि निलांश की धर्मपत्नी है, लेकिन हम सबको तो पता है ना और विधि विधान के अनुसार तुम्हारी शादी निलांश से नहीं हुई बल्कि मैत्री की शादी हुई है,इसलिए सही मायनो में मैत्री ही निलांश की पत्नी है।"दादी ने धीमी मगर कड़क आवाज़ में कहा,थोड़ी देर के लिए सब खामोश हो गए।
"लेकिन दादी निलांश मुझसे प्यार करता है,वो तो मजबूरी में उसे मैत्री से शादी करनी पड़ी,और सबसे इंपोर्टेंट बात सबको तो यही लगता है की में ही....."इससे पहले की निशा आगे कुछ बोलती ध्रुव बोल पड़ा।
"अरे निशा वो सबके सामने ना हम तुम्हे भागेडू बोलना नहीं चाहते थे,देखो कितना हस्ते सब लोगकी निशा मेकअप की होल मार्केट अपनी ही शादी से किसी के साथ भाग गई।"इतना बोल ध्रुव हंसे लगा देव भी अपनी हसी को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था।
"यू जस्ट शट अप ओक,(अपनी एक उंगली ध्रुव को दिखा कर निशा ने कहा फिर जल्दी से नीलांश के पास जा कर उसे बोलने लगी)देखो बेबी ये सब जूठ है मेरी तबियत इतनी बिगड़ गई थी की मुझे जल्द से जल्द जाना पड़ा,वो तो थैंक्स टू अजय जो उसने मुझे हॉस्पिटल पोहोच ने में मदद की।"निशा की बाते विष्टि और निलांश दोनो के जले पर नमक जैसा था।
मैत्री अजय को पसंद करती थी,ये बात तो हर कोई जानता था लेकिन निशा का चक्कर उसी अजय के साथ था और वो उसके साथ भाग गई थी,अजय एक पेसो का लालची इंसान था,जिसे लड़की से नहीं उसके पैसे से प्यार था, मैत्री का स्टेट्स लो रखने की वजह से उसे लगा मैत्री एक गरीब है जिसके पीछे उसे नहीं जाना चाहिए।
वही अमेरिका में....
न्यूयॉर्क......
हैरी कार ले कर आता है, कार के आते ही मैत्री पीछे की सीट पर बैठ गई,उसके बैठते ही दिया ने जैसे ही मैत्री के पास बैठने के लिए दूसरी तरफ का पीछे का दरवाजा खोला वैसे ही वेद उस तरफ बैठ गया,दिया हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी तो वैद ने उसे आगे बैठने का इशारा किया।
ना चाहते हुए भी दिया को आगे बैठने पड़ा,वही हैरी को अंदाज़ा हो चुका था की दिया उससे हद से ज्यादा नाराज़ है,क्युकी जो लड़की उसके पास आने का कोई मौका नहीं छोड़ती थी अब वो उसके पास बैठने पर भी गुस्सा हो रही थी,वो अपना ध्यान कार चलाने पर देता है।
पूरे रास्ते कोई कुछ नही बोलता,आज वेद भी थोड़ा हैरान था की उसकी बक बक करने वाली दोस्त इतनी चुप है पर वो इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देता,अपने रूम में पोहोचने के बाद वैद मैत्री को देखता है जो डरते डरते उसके पीछे पीछे आ रही थी।
"तो अब बताओ क्या बोल रही थी तुम ऑफिस में?"वैद ने अपना ब्लेज़र निकलते हुए पूछा,उसके चेहरे पर कोई भाव दिख नही रहे थे।
"वो..में वो क्या में वो दिया के साथ जा सकती हू?"मैत्री जल्दी जल्दी बोलना चाहती थी क्युकी उसे वैद से बात करने में डर लग रहा था,उसे समझ नही आ रहा था की वो इस आदमी के साथ कैसे एक ही रूम में रहेगी जब की वो उससे बात तक नहीं कर पा रही ठीक से।
"तो तुम मुझसे दूर जाना चाहती हो?"वैद अपने कदम मैत्री की तरफ बढ़ाने लगा,जैसे जैसे वैद उसके करीब आ रहा था,वैसे वैसे मैत्री अपने कदम पीछे ले रही थी,कुछ ही पल में वो दीवार से चिपक कर खड़ी थी और वेद उसके बिलकुल सामने,दोनो के चेहरे एक दम पास थे।
"क्या सच में तुम्हे ऐसा लगता है की में तुम्हे जाने दूंगा।"वैद ने अपना चेहरा मैत्री की गर्दन में छुपा लिया,उसकी सांसे मैत्री को अपने कानो के पास महसूस हो रही थी, मैत्री की दिल की धड़कने तेजी से बढ़े जा रही थी।
"हा... ह...ना नही हमारा ऐसा कोई इरादा नहीं है,हम तो बस.... उम्म......"मैत्री की आवाज़ उसके गले में ही दब गई क्युकी वैद ने अपने सख्त होठ मैत्री के नाजुक होठों पर रख दिए थे,वो उसे बिना रुके चूमे जा रहा था,मैत्री को अब बोहोत गुस्सा आ रहा था क्युकी वैद जब चाहे उसे किस्स कर लेता था।
जब कुछ सेकेंड के लिए वैद ने मैत्री को सांस लेने के लिए छोड़ा,तो मैत्री गुस्से से उसकी पकड़ से निकलते हुए बोली।
"ये... आप ये आप मुझे किस्स क्यू कर रहे हो?"मैत्री का चेहरा पूरा लाल था उसे शायद थोड़ी शर्म भी आ रही थी।
"आई डोंट नीड एनी रीजन फॉर किस्स यू बेबी डॉल।"इतना बोल वैद ने फिर से उसके निचले होठ को अपने होठों की गिरफ में ले लिया,अब तीस मिनट हो चुके थे वेद कभी उसे हल्का सा छोड़ता तो कभी फिर से उसे अपने होठों में घेर लेता, अब जब वैद की पकड़ मैत्री की कमर पर ढीली पड़ती है।
तो वो जल्दी से वैद को धक्का देती है, वैद जो पूरी तरीके से उसमे खोया था वो ज्यादा नहीं लेकिन थोड़ा सा पीछे हो जाता है,और अपनी कमर सीधी कर वो एक झटके से मैत्री को अपने करीब कर लेता है, मैत्री सीधे जा कर वैद के सीने से जा टकराई उसे ऐसा लगा मानो वो किसी मज़बूत लोहे से जा टकराई हो।
"आह....ये क्या कर रहे हो आप, बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखा है क्या,कितनी चोट लगी मुझे देखिए घर में कोन पहनता है,सनकी....वो लास्ट वर्ड बोलते बोलते रूक गई फ्लो फ्लो में तो वो बोल गई थी इतना लेकिन जब उसे एहसास हुआ की कुछ ज़्यादा हो गया तो वो अपने आपको कोसते हुए वही जम गई।
"क्या कहा तुमने बेबी डॉल?"वैद ने अपनी एक उंगली मैत्री के डरे हुए चेहरे पर घुमाते हुए धीमी मगर ठंडी आवाज़ में कहा,मैत्री के चेहरे पर ठंडा पसीना आ गया मानो उसके गले से आवाज़ ही नहीं निकल रही थी,उसे डर था की अब ये सनकी इंसान क्या करेगा?
जानने के लिए कॉमेंट करे...नही करना तो आगे के एपिसोड ना पढ़े😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏😏bye take care 😘