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KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU

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Aman Aj

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Total Chapters (13)

Page 1 of 1

  • 1. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 1

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 2. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 2

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 3. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 3

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 4. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 4

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 5. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 5

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 6. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 6

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 7. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 7

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 8. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 8

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 9. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 9

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 10. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 10

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 11. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 11

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 12. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 12

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min

  • 13. KALKI THE 10 TH AVATARA OF LORD VISHNU - Chapter 13

    Words: 2533

    Estimated Reading Time: 16 min

    पिछले भाग में आपने देखा, विनम्र सिक्योरिटी एडवाइजर के सामने था। एडवाइजर ने कहा कि उसे हर एक चीज़ की जानकारी है, और प्रेसिडेंट की ओर से आ रही ख़ास लड़की के बारे में भी। उसने विनम्र से उस लड़की के ठिकाने के बारे में पूछा, पर विनम्र कुछ भी बताने को तैयार नहीं था। सिक्योरिटी एडवाइजर विनम्र के पास आया और गुस्से भरे चेहरे के साथ कहा, “अब तुम कुछ बोलोगे भी या फिर तुम्हें मेरा गुस्सा झेलना है? देखो, पागल बेवकूफ़ लड़के, अगर तुमने मुझे अभी नहीं बताया तो मैं तुम्हें जेल में बंद करवा दूँगा।” विनम्र ने थोड़ा डरने वाले अंदाज़ में अभिनय किया और कहा, “सर, सर माफ़ करना, मैं यहाँ का बस एक छोटा-सा काम करने वाला लड़का हूँ। मुझे जो कहा जाता है, मैं वही करता हूँ। मुझे किसी सीनियर ने आकर कहा था कि सबको बता दो, वह आ रही है। मुझे नहीं पता था इसमें किसे-किसे बताना था। शायद उन्होंने यहाँ काम करने वाले लोगों को बताने के लिए कहा होगा, न कि आप सब लोगों को।” विनम्र के इस रिएक्शन पर वह आदमी विनम्र की ओर बढ़ते हुए रुक गया और फिर पीछे हटकर बोला, “ऐसा ही होगा, मगर तुम पूरे बेवकूफ़ हो, तुम्हें कुछ समझ में नहीं आया होगा। जो भी है, जाकर काम करो और यहाँ पर किसी को भी बताने की ज़रूरत नहीं है। तुम बस अपने आदमियों को बताओ, किसी तरह की कोई गलती नहीं होनी चाहिए। अगर गलती हुई तो मैं सबको सड़क पर ले जाकर गोली मार दूँगा!” विनम्र ने सिर हिलाया और तेज़ी से लिफ़्ट में चला गया। जब विनम्र लिफ़्ट में था, तब भी सिक्योरिटी एडवाइजर की ओर देख रहा था, जिसकी नज़र अभी विनम्र पर ही थी। विनम्र को ऊपर जाना था, मगर सिक्योरिटी एडवाइजर की नज़र होने की वजह से वह ऊपर का बटन नहीं दबा सकता था। मजबूरी में विनम्र ने नीचे की लिफ़्ट का बटन दबाया और नीचे जाने लगा। नीचे आते-आते उसने सिक्योरिटी एडवाइजर का रूप ले लिया और जैसे ही नीचे आया, रिसेप्शन टेबल के पास आकर बोला, “क्या यहाँ पर गुप्त कैमरे भी लगाए गए हैं?” विनम्र उसी के अंदाज़ में अभिनय करते हुए पूछ रहा था। जवाब में रिसेप्शन टेबल के पास खड़े लड़के ने डरे हुए अंदाज़ में जवाब दिया, “नहीं-नहीं सर, हमने कोई भी गुप्त कैमरा नहीं लगाया है, मगर हाँ, होटल में सीसीटीवी कैमरा ज़रूर है। इसके अलावा यहाँ पर और कोई भी गुप्त कैमरा नहीं है। आप यह सवाल क्यों पूछ रहे हैं?” विनम्र ने जोर से अपना हाथ टेबल पर मारा, जैसे वह पूरी तरह से उसकी तरह ही अभिनय कर रहा हो, और बोला, “तुमसे जितना पूछा है, उतना ही जवाब दो। तुम होते कौन हो मुझसे सवाल पूछने वाले? चलो, मुझे अभी के अभी उसे कमरे में लेकर चलो जहाँ पर सारे कमरों की रिकॉर्डिंग हो रही है, ताकि मैं भी देखूँ यहाँ पर क्या-क्या इंतज़ाम किए गए हैं। मुझे अच्छे से पता है वह इस वक़्त कहाँ तक पहुँच गई है, इसलिए मैं नहीं चाहता तुम लोग अपने बेवकूफ़ कामों से कोई बड़ी गलती कर दो और हम सब की शामत आ जाए।” टेबल पर खड़े लड़के ने तेज़ी से सिर हिलाया और फिर विनम्र को एक कमरे की ओर ले जाने लगा। जल्द ही विनम्र एक कमरे में पहुँचा तो उसने देखा यहाँ पर काफ़ी सारे लोग थे और वे स्क्रीन की ओर देख रहे थे। विनम्र को नहीं पता था सिक्योरिटी एडवाइजर की कितनी हैसियत होगी, लेकिन जैसे ही एक आदमी की नज़र उसके ऊपर गई, उसने सभी को इशारा किया और सब खड़े होकर सिक्योरिटी एडवाइजर के सामने सैल्यूट करने लगे। सैल्यूट करने का तरीका अलग था और ये दिल पर हाथ रखकर सैल्यूट करते थे। विनम्र ने भी सामने से दिल पर हाथ रखा और उनके सैल्यूट का जवाब दिया। फिर वह धीमे-धीमे कदमों से आगे बढ़ने लगा, बिना किसी तरह की कोई बातचीत किए हुए, और जाकर स्क्रीन रिकॉर्डिंग को देखने लगा। विनम्र को यहाँ से पूरी सिक्योरिटी का जायजा एक ही बार में हो रहा था। विनम्र ने देखा हर तरफ़ सिक्योरिटी टाइट थी, ख़ासकर ऊपर की तरफ़ जहाँ पर एक हेलीपैड बना हुआ था। उसे हेलीपैड पर ही शायद वह मेहमान आने वाली थी जिसका इंतज़ार किया जा रहा था। सब कुछ एक नज़र देखने के बाद विनम्र ने बिना कुछ कहे बाहर का रास्ता पकड़ा। जैसे ही वह दरवाज़े के पास आया, जिस आदमी ने उसे सबसे पहले देखा था, उसने पूछा, “सर, क्या आपको किसी तरह की कोई कमी तो नहीं लगी? हमने सब कुछ वैसा ही किया है जैसा आपने कहा था और यहाँ पर मैं ख़ुद मौजूद हूँ, किसी भी तरह की कोई गलती नहीं होने दूँगा। इस मिशन को हम सबसे सेफ़ तरीक़े से हैंडल करेंगे।” विनम्र ने इस बात पर सिर हिला दिया क्योंकि वह इतना ही कर सकता था। अगर वह कुछ भी बोला तो उसे नहीं पता था वह कैसे बोलेगा या फिर नहीं। सिक्योरिटी रिसेप्शन टेबल तक तो ठीक था, मगर यहाँ पर कुछ भी बोलना उसके लिए ख़तरनाक हो सकता था। विनम्र ने बस सिर हिलाया और फिर इस कमरे से निकल गया। उसके कमरे से जाने के बाद पीछे उस आदमी ने वहाँ मौजूद बाकी लोगों को कहा, “लगता है सिक्योरिटी एडवाइजर को हमारा काम पसंद नहीं आया, वरना उनका ऐसा रिस्पांस कभी नहीं रहता। कम से कम वह कुछ तो बोलकर जाते, और नहीं चाहिए तो हमें डाँट ही देते, मगर इस तरह से ख़ामोश होकर वह कभी नहीं गए हैं।” दूसरे आदमी ने जवाब देते हुए कहा, “छोड़ो यार, यह सिक्योरिटी एडवाइजर पूरा का पूरा सनकी है। इसने कोई जवाब नहीं दिया तो वही ठीक है, वरना तुम्हें पता है ना, अगर इसकी बस चले तो यह हममें से किसी को भी गोली मार दे। प्रेसिडेंट के बाद मैंने इतना ख़तरनाक आदमी कभी नहीं देखा, बस इसे ही देखा है।” सभी सैनिक सामान्य हो गए और दोबारा से अपना काम करने लगे। वही विनम्र अब उस आदमी का रूप ले चुका था जिससे वह बात करके आया था और उसने दोबारा लिफ़्ट में बटन दबाकर अब सीधे ऊपर का रास्ता पकड़ लिया था। कुछ देर बाद वह उस जगह पर पहुँच गया था जहाँ पर हेलीपैड था और सिक्योरिटी के लिए सारे सैनिक मौजूद थे। उस आदमी को यहाँ पर कुछ सैनिकों ने देखा तो उन्होंने सैल्यूट किया, जिससे पता लग रहा था विनम्र इस वक़्त जिस आदमी का रूप ले रहा था, वह भी किसी छोटे ओहदे पर नहीं था। विनम्र ने यहाँ पर सिक्योरिटी कर रहे सैनिकों के कपड़ों की ओर देखा और फिर एक तरफ़ जाकर जब एक पिलर के पीछे से निकला तो उसने उसी जगह पर मौजूद सैनिकों के जैसे कपड़ों में एक इंसान का रूप ले लिया। विनम्र उनका रूप लेने के बाद कुछ सैनिकों के साथ खड़ा हो गया ताकि वह आसानी से यहाँ पर रहकर अपने आगे के काम को अंजाम दे सके। विनम्र को अब उस लड़की का इंतज़ार था जो मीटिंग के लिए आने वाली थी, ताकि विनम्र यह पता लगा सके वह यहाँ पर किसके साथ मीटिंग करने के लिए आई है। दूसरी ओर, संयोगिता और शंभू कमरे में थे और कमरे के कबाड़ के समान को बार-बार देख रहे थे। संयोगिता ने परेशान चेहरे के साथ कहा, “तुम्हें नहीं लगता हमें बाहर जाकर थोड़ा घूम-फिर लेना चाहिए? अगर हम इस तरह से यहाँ पर रहेंगे तो सच में बोर हो जाएँगे।” शंभू ने इस बात पर तुरंत हाँ कहते हुए कहा, “मैं भी तुमसे यही कहने वाला था, लेकिन अभी तक बोला नहीं हूँ। चलो, हम चलते हैं, बाहर जाकर थोड़ा खा-पी लेते हैं। मैं जानता हूँ हमने थोड़ी देर पहले ही खाना खाया था, लेकिन मुझे तो फिर से भूख लग गई है।” संयोगिता ने अपने पेट पर हाथ रखा और कहा, “यार, भूख तो मुझे भी लग गई है। चलो, कुछ खाकर ही आएँगे।” यह कहकर उसने दरवाज़ा खोला तो उसे सीढ़ियाँ दिखाई दीं जो एक पतली, सकरी गली से होकर सीधे सामने सड़क तक जा रही थीं। जैसे ही संयोगिता की नज़र दूर सड़क पर पड़ी, उसके पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई। जिस आदमी ने उसकी मदद की थी, वह कुछ सशस्त्र सैनिकों के साथ इसी तरफ़ आ रहा था और उन सैनिकों के पास मशीनगनें थीं। यह देखते ही संयोगिता एकदम से पीछे हटी और उसने शंभू से कहा, “विनम्र ने बिल्कुल सही कहा था, यह आदमी हमें धोखा ही देगा। वह इस वक़्त कुछ सशस्त्र सैनिकों के साथ यहाँ पर आ रहा है। चलो, जल्दी से जल्दी गुप्त दरवाज़े से निकल जाते हैं।” शंभू ने तुरंत कबाड़ का सामान उठाया और फिर गुप्त दरवाज़े के अंदर चला गया। दोनों तेज़ी से दौड़ते हुए गुप्त दरवाज़े को पार करने की कोशिश कर रहे थे। शंभू ने दौड़ते हुए कहा, “मुझे तो पहले से ही इस आदमी पर शक हो रहा था। तुम्हारी बहन ने भी कैसा आदमी ढूँढा है? क्या तुम लोगों के पास एक भी ऐसा आदमी नहीं है जो भरोसे के लायक हो? मुझे तो कई बार तुम पर भी भरोसा नहीं होता है।” संयोगिता ने दौड़ते हुए उसी के अंदाज़ में जवाब दिया, “देखो, मैं जानती हूँ गलती हुई है, लेकिन मैं किसी तरह का धोखा देने का काम नहीं कर रही हूँ, इसलिए कम से कम मेरा नाम लेकर तो यह सब मत कहो।” दोनों वक़्त से पहले ही बाहर आ गए थे क्योंकि जैसे ही बाहर आए उन्होंने देखा अभी-अभी सैनिकों का एक ट्रक दूर जाकर खड़ा हुआ था और उससे सैनिक निकलकर उनकी तरफ़ ही आ रहे थे। उनके आने से पहले ही शंभू और संयोगिता दोनों ही बाज़ार की तरफ़ गए और वहाँ के लोगों की भीड़ में शामिल हो गए। सैनिक गुप्त दरवाज़े के पास पहुँचे और फिर उसके अंदर चले गए जबकि संयोगिता और शंभू बाज़ार की भीड़ में से उन्हें अंदर जाते हुए देखते रहे। शंभू ने धीरे से कहा, “बाल-बाल बच गए, वरना ये लोग हमें यहीं पर मार देते।” संयोगिता ने भी राहत की साँस ली और फिर वह बोली, “विनम्र ने हमें जाने से पहले ही बता दिया था अगर कुछ गलत हो तो क्या करना है। सबसे पहले हमें अपना चेहरा बदलना है और साथ में अपने कपड़े भी, ताकि कोई हमें पहचान ना सके। अच्छा हुआ विनम्र ने पहले ही कह दिया था हम अपना असली चेहरा किसी को ना दिखाएँ, ताकि वह हमारे नकली चेहरे को ही असली समझे और अगर ये लोग दोबारा हमें ढूँढने के लिए आगे आएँ तो हमें ढूँढ ना पाएँ। इसके बाद हमें रेस्टोरेंट में जाकर विनम्र से मिलना है, मगर कम से कम सात-आठ घंटे के बाद। क्योंकि 7 घंटे से पहले विनम्र भी वहाँ पर नहीं आने वाला है।” शंभू ने इस बात पर सहमति भरे स्वर में कहा, “विनम्र को पहले से ही अंदाज़ा हो जाता है आगे क्या होने वाला है। बैग में चेहरा बदलने का सारा सामान है। चलो, किसी जगह पर जाते हैं और सबसे पहले अपने चेहरों को बदलते हैं।” शंभू और संयोगिता ने पब्लिक वॉशरूम के अंदर अपने चेहरे बदले और फिर बाहर आ गए। संयोगिता पहले वाली लड़की से पूरी अलग हो गई थी, जबकि शंभू ने भी अपना अलग रूप बना लिया था और एक बार देखने पर कोई भी यह नहीं कह सकता था कि दोनों पहले वाले रूप की तरह ही दिखाई दे रहे हैं। यहाँ तक कि दोनों ने एक-दूसरे को भी बड़ी मुश्किल से पहचाना था। संयोगिता ने कहा, “मैंने अपनी बहन से बात कर ली है। उसने अब रोबर्ट जूनियर से बात करने का फ़ैसला किया है ताकि रोबर्ट जूनियर ही डायरेक्ट हमारे लिए मदद का इंतज़ाम कर सके।” शंभू ने तुरंत उसे रोकते हुए कहा, “अरे, रहने दो यार, हमें मदद नहीं चाहिए। विनम्र अपने आप सब संभाल लेगा। उसे बोलो कुछ मत करे, हम देख लेंगे क्या करना है।” संयोगिता बोली, “अगर मेरी बहन कुछ कर रही है तो उसे करने दो। चलो, हम यहाँ से चलें क्योंकि थोड़ी देर बाद यहाँ पर भी लोगों की तलाशी लेना शुरू कर दी जाएगी। इससे पहले ही हम यहाँ से कहीं और चले जाते हैं।” दोनों ही जा रहे थे, तभी संयोगिता बोली, “1 मिनट, सैनिकों के साथ मिला हुए आदमी को विनम्र के बारे में भी पता होगा और उसने सभी लोगों को बता दिया होगा कि विनम्र द प्रिंस होटल की तरफ़ गया है। उसका क्या करेंगे?” शंभू भी एक बार के लिए सोचने लगा, मगर फिर उसने तुरंत जवाब दिया, “अगर बात भी पता चली तो ये लोग विनम्र को नुकसान नहीं पहुँचा पाएँगे क्योंकि विनम्र बार-बार अपना चेहरा बदल सकता है और फिर उसके पास सुदर्शन चक्र भी है। तो ये क्या कर लेंगे? सुदर्शन चक्र के आगे तो इनके पूरे देश की सेना आ जाए, तब भी वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएँगे।” संयोगिता ने यह सुनकर थोड़ा रिलैक्स महसूस किया और फिर दोनों ही यहाँ से चले गए। वहीँ विनम्र इंतज़ार करते हुए तक़रीबन आधे घंटे का वक़्त हो गया था और इतना ही वक़्त लगने वाला था उस लेडी को आने के लिए, जिसका इंतज़ार सिर्फ़ विनम्र ही नहीं, बल्कि बाकी के सब लोग भी कर रहे थे। विनम्र अपनी घड़ी की तरफ़ देख रहा था, तभी अचानक आसमान में एक हेलीकॉप्टर दिखाई दिया जिसकी तेज आवाज़ दूर से ही सुनाई दे रही थी। यह वही हेलीकॉप्टर था जिस पर सवार होकर वह लेडी आने वाली थी। विनम्र की नज़रें उस हेलीकॉप्टर की तरफ़ थीं और वह धीरे-धीरे पास आता जा रहा था। जैसे-जैसे वह पास आ रहा था, वैसे-वैसे वह बड़ा भी होता जा रहा था। थोड़ी ही देर बाद हेलीकॉप्टर होटल के ऊपर आ गया था और फिर उसने कुछ देर बाद होटल के ऊपर लैंड भी किया। सिक्योरिटी गार्ड के साथ-साथ सब यहाँ पर अलर्ट हो गए। हेलीकॉप्टर के चैंबर से चार ब्लैक कोट-पैंट पहने आदमी बाहर निकले, जिनके पास अलग तरह का सूटकेस था, जो शायद उसके बॉडीगार्ड थे। और फिर आख़िर में वह औरत निकली जो प्रेसिडेंट की राइट हैंड मानी जाती थी। लगभग 65 साल की औरत, जो काफ़ी छोटे क़द की थी। उसका क़द तक़रीबन 4.5 फ़ीट के करीब होगा। उसने एक सूट पहन रखा था, चेहरे पर ब्लैक कलर का चश्मा, जबकि चश्मा लगाने की छूट यहाँ पर काफ़ी कम लोगों को थी। उसका तीखा नज़रिया यह दिखाता था कि वह कितनी सख़्त है। उसने अपनी अँगुली उठाई और उसे थोड़ा सा ऊपर किया और फिर सारे सिक्योरिटी गार्ड की तरफ़ बार-बार देखा। फिर वह आगे की तरफ़ चल दी और उसके आस-पास जो सिक्योरिटी करने वाले चार लोग थे, वे अलग-अलग दिशाओं में होते हुए उसके साथ-साथ चलने लगे। उनके ठीक पीछे सब सिक्योरिटी गार्ड हो गए। यहाँ तक कि विनम्र भी बाकी सिक्योरिटी गार्ड्स के साथ उस औरत के पीछे चलने लगा। लिफ़्ट के पास आते ही, और सिक्योरिटी गार्ड के अलावा और कोई भी सैनिक अंदर नहीं गया और वह औरत नीचे की तरफ़ चली गई। विनम्र ने खुद को थोड़ा सा पीछे किया और सभी सैनिकों से अलग होने के बाद एक पिलर के पास से होकर वापस बाहर निकला, तो उसने भी वही ब्लैक आउटफ़िट ले लिया था जो सिक्योरिटी गार्ड का था। उसने ऐसे रिएक्ट किया जैसे वह पास में सिक्योरिटी गार्ड है और पीछे रह गया था और सभी सैनिकों के बीच में से होते हुए दूसरी लिफ़्ट की तरफ़ चला गया और फिर वहाँ से नीचे। विनम्र काफ़ी तेज़ था और आज वह हर तरह से अपने दिमाग़ का इस्तेमाल कर रहा था।