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Mujhe Pyar Karo

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Any Ansari

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अस्मिता जो, शादी के बाद अपने घर से विदा हुई हो कई सपने संजोकर लेकिन क्या हो जब उसका पति बन जाए उसके लिए हैवान और जिसने उसकी जिंदगी को नर्क बना दिया जिसके बाद वह छोड़ चुकी है सारी उम्मीदें और अपना नसीब समझकर स्वीकार कर लिया है उसने अपनी दर्द भरी जिंदग...

Total Chapters (95)

Page 1 of 5

  • 1. Mujhe Pyar Karo - Chapter 1

    Words: 1169

    Estimated Reading Time: 8 min

    1

    जिस्म की भूख

    एक दस मंजिला इमारत में बने कई फ्लैट थे। इसी इमारत की तीसरी मंजिल पर एक फ्लैट था जिसकी बालकनी में एक लड़की बाहर की ओर देख रही थी। वह लड़की बीस-इक्कीस साल की लग रही थी और बेहद खूबसूरत थी, पर उसके चेहरे पर एक अजीब सा दर्द भी नज़र आ रहा था। उसके बाल बिखरे हुए थे।

    उसकी आँखें गड्ढों में धँसी हुई लग रही थीं और आँखों के नीचे काले घेरे साफ़ नज़र आ रहे थे। उसने ब्राउन रंग की साड़ी अपने कंधे पर डाल रखी थी। गर्दन में मंगलसूत्र और माथे पर सिंदूर था, जिससे पता चल रहा था कि वह शादीशुदा है। पर उसके चेहरे के भाव और उसकी हालत से साफ़ ज़ाहिर था कि वह अपनी शादी से खुश नहीं थी।

    वह बहुत गुमसुम और मायूस लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने दर्द को छिपाने की कोशिश कर रही है। उसके हाथ और जिस्म पर कई जगह काले और नीले चोट के निशान थे। वह बालकनी में खड़ी, डूबते सूरज की ओर देखती रही।

    उसकी आँखों में निराशा थी, और वो आँखें दर्द से भरी हुई लग रही थीं। उसने बालकनी में बैठे-बैठे तीन घंटे बिता दिए। सूरज पूरी तरह डूब गया था और आसमान काला हो गया था, पर वह लड़की वैसे ही, पत्थर की मूर्ति की तरह बैठी रही।

    उसे इतना भी होश नहीं था कि आस-पास कितने लोग उसे देख रहे हैं। उसे किसी का भी होश नहीं था। वह चुपचाप बैठी ही थी कि तभी उसके फ्लैट की डोरबेल बजी। एक बार बजी और उसने नहीं सुना। दूसरी बार बजी, पर वह वैसे ही बैठी रही।

    थोड़ी देर बाद डोरबेल की आवाज बंद हुई और किसी ने तेजी से दरवाजे पर हाथ मारना शुरू कर दिया। दरवाजे की आवाज सुनकर वह हड़बड़ाकर उठी और दरवाजे की ओर दौड़ी।

    उसके चेहरे पर डर और घबराहट साफ़ दिख रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे वह जानती है कि दरवाजे पर कौन है। भागते हुए वह दरवाजे तक पहुँची और जल्दी से दरवाजा खोला। उसने सामने एक अधेड़ उम्र के आदमी को देखा।

    वह आदमी लगभग पैंतीस-छत्तीस साल का होगा और उसके हाथ में एक काले रंग का सूटकेस था। वह आदमी उसे घूरने लगा। लड़की ने जैसे ही उसे गुस्से से देखा,

    उसने तुरंत अपनी नज़रें नीचे झुका लीं और अपनी साड़ी का पल्लू उठाकर कंधे पर रख लिया। वह आदमी गुस्से से उसे घूरता रहा।

    वह आदमी देखने में भी अच्छा नहीं था। वह बूढ़ा लग रहा था और उसके सर के आधे से ज़्यादा बाल नहीं थे। उसका पेट भी काफी बाहर निकला हुआ था।

    जैसे ही उस आदमी ने लड़की के चेहरे को देखा, वह तेज आवाज में चिल्लाया, "कहाँ मर गई थी? इतनी देर से बेल बजा रहा हूँ, सुनाई नहीं दिया क्या?"

    लड़की ने ना में अपना सिर हिलाया और कुछ बोल नहीं पाई। उससे पहले ही उस आदमी ने अपने हाथ में पकड़े सूटकेस की ओर इशारा करते हुए कहा, "पानी लेकर आओ मेरे लिए।"

    लड़की जल्दी से सूटकेस उठाकर किचन की ओर गई। उसने एक गिलास पानी लिया, उसे एक ट्रे में रखकर आदमी के सामने आकर खड़ी हो गई।

    आदमी ने पानी का गिलास उठाया और एक घूंट पानी पीकर गिलास को ध्यान से देखा। फिर उसने गिलास को घूरते हुए कहा, "यह पानी लाई हो तुम? इसमें क्या-क्या पड़ा हुआ है? जहर तो नहीं डाला?"

    यह बोलकर वह लड़की पानी के गिलास की ओर देखने लगी। पानी में कुछ भी नज़र नहीं आया। आदमी ने पानी का गिलास उसके मुँह पर मारते हुए कहा, "अपनी आँखें खोलकर रखा करो! इतना बड़ा बाल नज़र नहीं आया तुम्हें?"

    जैसे ही उसने पानी लड़की के मुँह पर फेंका, वह घबरा गई और धीमी आवाज में बोली, "मैं तो साफ़ पानी लाई थी।"

    आदमी ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए उसके गले को दबोच लिया, "मुझसे जबान लड़ाओगी तुम? इतनी हिम्मत आ गई है तुम में?"

    यह सुनकर लड़की ने तुरंत ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं-नहीं, कैसी बात कर रहे हैं आप? मैं जुबान नहीं लड़ा रही।"

    आदमी उसे घूरने लगा। लड़की चुप हो गई और अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। आदमी ने गिलास टेबल पर पटकते हुए कहा, "एक तो ऑफ़िस से ही आऊँ तो दिमाग खराब रहता है, ऊपर से तुम्हारी मनहूस शक्ल देखकर मेरा और भी ज़्यादा दिमाग खराब होने लगता है।"

    लड़की चुपचाप उसकी बात सुन रही थी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। वह हाथ बांधे सहमी हुई खड़ी थी। आदमी अपना सर पकड़ते हुए बोला, "अब यहीं पर मेरे सर पर खड़ी रहोगी क्या? हटो यहाँ से! तू मेरे आस-पास रहती है तो मनहूसियत मेरे सिर पर खड़ी लगती है मुझे। वैसे ही सिर इतना भारी हो रहा है।"

    यह बोलकर लड़की दो कदम पीछे हटी। थोड़ी देर बाद उसने आदमी की ओर देखते हुए कहा, "सुनिए, अगर आपका सिर दर्द हो रहा है, क्या मैं आपका सर दबा दूँ?"

    आदमी उसे घूरने लगा। तभी लड़की डरते-डरते पूछी, "भूख लगी है क्या आपको? मैं... मैं खाना लगा दूँ?"

    आदमी उठकर खड़ा हुआ। उसने लड़की की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचा और उसकी गर्दन दबाते हुए कहा, "हाँ, भूख लगी है मुझे, लेकिन खाने की नहीं, जिस्म की। और मेरी यह भूख तुम अपने जिस्म से मिटाओगी।"

    क्रमशः

  • 2. Mujhe Pyar Karo - Chapter 2

    Words: 1354

    Estimated Reading Time: 9 min

    मुझे दर्द हो रहा है।

    वह आदमी उस लड़की की तरफ घूरते हुए देखने लगा। तभी लड़की ने डरते-डरते पूछा, "भूख लगी है क्या आपको? म...मैं खाना लगा दूँ?"

    वह आदमी उठकर खड़ा हुआ। उसने उस लड़की की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचा और उसकी गर्दन को दबाते हुए कहा, "हाँ, भूख तो लगी है मुझे, लेकिन खाने की नहीं, जिस्म की। और मेरी यह भूख तुम अपने जिस्म से मिटाओगी।"

    इतना बोलकर उसने उस लड़की का हाथ पकड़कर खींचा। उसने उसकी कलाई इतनी कसकर पकड़ी कि लड़की की चूड़ियाँ टूटकर उसके हाथ में गिर गईं। लड़की तेज आवाज में चीखी, "आहहह! मेरा हाथ! मुझे दर्द हो रहा है!"

    उस आदमी ने उसकी बात सुनी ही नहीं। वह उसकी गर्दन दबाते हुए बोला, "अभी यह दर्द और चीख तो कुछ भी नहीं है। अभी तुम्हें बहुत कुछ सहना है, इसलिए अपनी चीखें बचाकर रखो।"

    इतना बोलकर वह उसे घसीटते हुए सीधे बेडरूम में ले गया। लड़की के हाथ से खून बह रहा था। वह दर्द से कराह रही थी और अपनी कलाई की तरफ देखने लगी। उस आदमी ने उसके कंधे पर लगी साड़ी के पल्लू को पकड़कर खींचा।

    जिससे साड़ी में लगी पिन खुल गई और उस लड़की का ब्लाउज फट गया।

    वह लड़की ऐसा होते देख रही थी कि तभी उस आदमी ने साड़ी को कसकर खींचा और उस लड़की को बेड पर धकेल दिया।

    वह लड़की उस समय अपने ब्लाउज और पेटीकोट में थी। वह दर्द से रो रही थी क्योंकि उसके हाथ में कांच के टुकड़े काफी अंदर तक घुस गए थे और उसके हाथों से खून रिस रहा था। वह अपने हाथ की तरफ ही देख रही थी कि उस आदमी ने उसके दोनों हाथों को कसकर पकड़ा और उस लड़की को बेड पर पटक दिया। वह आदमी उसके ऊपर चढ़ने लगा।

    वह लड़की रो रही थी। वह उसके होंठों को जबरदस्ती चूमने लगा। वह लड़की दर्द से चीखी। उस आदमी ने उसके गाल को कसकर दबोचते हुए कहा, "बस! अब अगर एक आवाज भी तुम्हारी निकली तो तुम्हारा वह हाल करूँगा कि तुम बोलने लायक नहीं बचोगी।"

    वह लड़की सहम गई और उसने अपनी आवाज बंद कर ली। वह आदमी उसके बदन को मसल रहा था। वह लड़की चुपचाप उसके जुल्म को सह रही थी। उस आदमी ने उस लड़की के गर्दन और कॉलर बोन पर काटना शुरू कर दिया। वह आदमी किसी जानवर की तरह उस लड़की के बदन को नोचने लगा।

    उस बेचारी लड़की की आँखों से आँसू बहते जा रहे थे और उसके मुँह से दर्द भरी चीखें निकल रही थीं। वह आदमी अपनी हैवानियत पर उतर आया था।

    उसने बिना कुछ सोचे-समझे उस लड़की के बाकी बचे हुए कपड़ों को फाड़ दिया। वह लड़की वहीं बिस्तर पर आधे फटे हुए कपड़ों में पड़ी थी और वह आदमी जानवरों की तरह उस पर टूट पड़ा। उसने उस लड़की के पूरे बदन पर अपने दांत गड़ा दिए और उसके प्राइवेट पार्ट को भी बहुत हर्ट किया।

    उस आदमी ने लड़की के साथ ऐसी-ऐसी हैवानियत दिखाई कि वह लड़की बेड से हिल भी नहीं पाई। उसकी आँखों से बस आँसू बहते जा रहे थे और वह आदमी जंगली जानवर की तरह उसे दर्द देता जा रहा था। थोड़ी ही देर में वह आदमी वहीं थककर वहीं बेड पर उस लड़की के बगल में लेट गया और उसने गहरी-गहरी साँस ली। वह लड़की चुपचाप अपनी आँखें बंद करके रो रही थी।

    थोड़ी देर बाद वह आदमी उठकर खड़ा हुआ।

    उसने अपनी पैंट पहनी और उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा, "ज्यादा नौटंकी करने की ज़रूरत नहीं है। अपने ये झूठे मगरमच्छ के आँसू मुझे मत दिखाओ। मैं यहाँ पर तुम्हारी नौटंकी देखने के लिए नहीं बैठा हूँ। उठो और चलकर खाना लगाओ।"

    इतना बोलकर वह आदमी उठकर सीधे अपने कमरे से बाहर निकल आया और सीधे डाइनिंग टेबल पर आकर बैठ गया।

    वह लड़की जैसे-तैसे उठकर बैठी। उसका पूरा बदन उस आदमी की खरोचों से भरा हुआ था। उसके हाथ, पैर और पूरे जिस्म पर स्क्रैचेज़ लगे हुए थे। वह लड़की जैसे-तैसे उठकर खड़ी हुई। उसने अलमारी से दूसरी साड़ी निकाली, साड़ी को यूँ ही लपेटा और चुपचाप कमरे से बाहर आ गई।

    उसने देखा वह आदमी वहीं डाइनिंग टेबल पर बैठा अपना मोबाइल चला रहा था और उसके चेहरे पर हैवानियत साफ दिखाई दे रही थी।

    वह लड़की दर्द की वजह से चल नहीं पा रही थी, लेकिन जैसे-तैसे उसने डाइनिंग टेबल के पास आकर उस आदमी की प्लेट में खाना सर्व करना शुरू किया। वह आदमी जो मोबाइल की तरफ देखकर बड़ी ही जहिलियत से हँस रहा था, उसे देखकर वह लड़की धीमी आवाज़ में बोली, "और कुछ लेंगे आप?"

    उस आदमी ने जैसे ही यह बात सुनी, उसने अपना फोन अपनी जेब में रखा और बिना कुछ बोले वह चुपचाप खाना खाने के लिए आगे बढ़ा। उसने जैसे ही खाने की प्लेट से एक बाइट खाना खाया,

    उसने वहीं सामने खड़ी उस डरी-सहमी लड़की की तरफ देखा और उसने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "यह खाना बनाया है तूने?"

    वह लड़की उसकी तेज आवाज़ सुनकर डरते हुए बोली, "क्या हुआ? आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं?"

    वह आदमी अपनी कुर्सी से उठकर खड़ा हुआ और उसने उस मासूम सी लड़की के बालों को कसकर पकड़ा और उसका सर वहीं टेबल पर लड़ाते हुए कहा, "तुम्हारे माँ-बाप ने तुम्हें खाना बनाना भी नहीं सिखाया? कितना तेज नमक है इसमें! किसी काम की तो हो नहीं, बस अपनी मनहूस शक्ल लेकर मेरे सामने आकर खड़ी हो जाती हो।"

    उस आदमी ने इतना बोलकर उसे धक्का दिया और उस लड़की का सर टेबल से टकराया। उसकी तेज चीख निकली और वह लड़की वहीं टेबल के पास गिर गई। उसके सर से खून निकलने लगा।

    उस आदमी ने खाने की प्लेट पर हाथ मारते हुए कहा, "इतना बकवास खाना नहीं खाने वाला मैं।"

    उस आदमी ने खाने की प्लेट को वहीं ज़मीन पर बिखेर दिया और खुद अपने फ़्लैट से बाहर निकल गया। उसने दरवाज़ा बंद करना भी ज़रूरी नहीं समझा।

    वह चुपचाप बिल्डिंग से बाहर चला गया।

    वह लड़की जो दर्द से कराह रही थी, उसने अपने सर पर हाथ रखा। उसके सर से खून निकल रहा था। उसने खून को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसके सर पर गहरी चोट लग गई थी। उस लड़की ने अपनी साड़ी के पल्लू से सर से निकलने वाले खून को पोंछा।

    लेकिन वह खून निकलता ही जा रहा था कि तभी उस लड़की की आँखों के सामने अंधेरा छाया और वह लड़की वहीं ज़मीन पर बेहोश होने लगी। तभी उसकी नज़र दरवाज़े की तरफ़ पड़ी और दरवाज़े की तरफ़ से एक आदमी भागता हुआ अंदर आया।

    उस आदमी की आवाज़ जैसे ही लड़की के कान में गई, लड़की ने अपनी आँखें खोलकर उस आदमी की तरफ़ देखने की कोशिश की। वह आदमी कम से कम 6 फुट 2 इंच का होगा और उसका रंग काफी साफ़ था। वह दिखने में भी बहुत हैंडसम लग रहा था।

    उसके काले घने बाल और उसकी भूरी आँखें उसे और भी ज़्यादा अट्रैक्टिव बना रही थीं। वह आदमी तेज़ी से घर के अंदर चलकर आया और उसने उस लड़की की तरफ़ देखा। लड़की की हालत काफी ज़्यादा ख़राब थी।

    लड़की ने जैसे ही उसे करीब आते देखा, लड़की की दिल की धड़कनें काफी तेज हो गईं। लेकिन इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती, वह बेहोशी की हालत में जा चुकी थी और उसकी आँखें पूरी तरह से बंद हो गईं। वह हैंडसम लड़का लड़की को बेहोश होते देखकर घबरा गया। उसकी आँखें उस लड़की के मासूम चेहरे पर जा टिकीं...

    क्रमशः

  • 3. Mujhe Pyar Karo - Chapter 3

    Words: 1486

    Estimated Reading Time: 9 min

    अस्मिता इससे पहले ही जमीन पर गिरने वाली थी।

    हैंडसम लड़के ने उसे अपनी बाहों में भर लिया, गिरने से बचा लिया।

    लड़के ने, गंभीर होकर, उसके गाल को थपथपाते हुए कहा, "अस्मिता, क्या हुआ? इतना खून! तुम ठीक हो ना? अस्मिता, आँखें खोलो। क्या सुन रही हो? कुछ तो कहो…"

    वह लड़की बेहोश हो गई थी। लड़के ने उसे अपनी गोद में उठाया और सोफ़े पर लिटाते हुए कहा, "ओह गॉड! सर से बहुत खून बह रहा है। शायद इसीलिए बेहोश हो गई है। और ये बॉडी पर ये निशान…!"

    उसने पास रखे टिश्यू पेपर के बॉक्स से तीन-चार टिश्यू निकाले और उसके सर से बह रहे खून को पोंछने लगा।

    वह जल्दी-जल्दी खून रोकने की कोशिश कर रहा था और इधर-उधर देखने लगा।

    तभी उसकी नज़र सोफ़े के पीछे वाली मेज़ पर रखे फर्स्ट एड बॉक्स पर गई। वह उसे जल्दी से उठा लाया।

    उसने फर्स्ट एड बॉक्स से एक कॉटन बॉल निकाली, उसके सर से बह रहे खून को पोंछा और बैंडेज किया।

    बैंडेज करने के बाद, उसने अस्मिता के गाल पर हाथ रखा और प्यार से सहलाते हुए कहा, "प्लीज़ अस्मिता, अपनी आँखें खोलो। अगर तुम्हें कुछ हो गया तो मैं इस पूरे शहर को आग लगा दूँगा।"

    अस्मिता को होश नहीं आ रहा था। लड़का बहुत परेशान हो रहा था। उसने एंटीसेप्टिक से उसकी गर्दन और कॉलर बोन पर बने दांत के निशान पर एंटीसेप्टिक लगाया। उसने डाइनिंग टेबल पर रखे पानी के गिलास से थोड़ा पानी लिया और उसके मुँह पर छींटे मारे।

    जैसे ही पानी के छींटे अस्मिता के चेहरे पर पड़े, उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलीं। आँखें खुलते ही उसने अपने सिर को पकड़ लिया, क्योंकि उसके सर में बहुत दर्द हो रहा था। उसने अपना सर पकड़ा और सामने देखा।

    वह लड़का उसके बिल्कुल पास बैठा था, अस्मिता का सिर उसकी गोद में था।

    अस्मिता की आँखों से आँसू निकलने लगे। वह लड़के की तरफ देख रही थी और उसने धीमी आवाज़ में, डरते हुए कहा, "रुद्र जी, आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    उसने जिस तरह लड़के का नाम लिया, उससे साफ़ था कि वह उसे अच्छी तरह जानती है। इससे पहले कि रुद्र कुछ बोल पाता,

    अस्मिता उसकी गोद से उठने लगी और हड़बड़ाते हुए बोली, "रुद्र, आपको यहाँ नहीं आना चाहिए था! आप यहाँ क्यों आये हैं? अगर इन्होंने आपको देख लिया तो बहुत problem हो जाएगी! प्लीज़ यहाँ से जाइए।"

    अस्मिता बहुत घबराई हुई थी। रुद्र ने उसका हाथ उसके सिर से हटाया और उसे रिलैक्स करने के लिए उसके गाल पर हाथ रखते हुए बोला, "ऐसे कैसे चला जाऊँ, वो भी तुम्हें ऐसी हालत में छोड़कर? तुम्हारी चीखें सुनी थीं, इसलिए आया हूँ। अब तुम मुझे बताओ, ये सब कैसे हुआ?"

    अस्मिता ने रुद्र की बात सुनी और उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी। उसने इधर-उधर देखा, पर कोई नहीं दिखा। वह जल्दी से सोफ़े से उठी, हालाँकि उसका पूरा बदन दर्द कर रहा था। जैसे ही वह खड़ी हुई, वह लड़खड़ा गई और गिरने वाली थी कि रुद्र ने उसे सहारा देते हुए कहा, "कैल्म डाउन! कोई नहीं है यहाँ पर!"

    अस्मिता ने इधर-उधर देखते हुए कहा, "मेरे हस्बैंड कहाँ गए हैं? अगर उन्होंने आपको यहाँ मेरे साथ देख लिया तो… तो ठीक नहीं होगा! प्लीज़ यहाँ से जाइए, प्लीज़ रुद्र जी, चले जाइए यहाँ से! मैं आपके पैर पड़ती हूँ।"

    अस्मिता की बात सुनकर रुद्र ने उसके हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "अस्मिता, तुम मुझे बताओ कि ये सब कुछ तुम्हारे हस्बैंड ने किया है? क्यों ये सब सहती हो तुम? प्लीज़ मेरी बात सुनो, I'll definitely help you!"

    इससे पहले कि रुद्र कुछ और बोल पाता, अस्मिता ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "ये मेरा और मेरे हस्बैंड का प्राइवेट मैटर है। प्लीज़ आप इन सारी चीजों में मत पड़िए और प्लीज़ यहाँ से चले जाइए! मैं आपके पैर पड़ती हूँ।"

    इतना बोलकर अस्मिता रुद्र के पैरों पर गिर गई। रुद्र वहीं जमीन पर बैठ गया और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "ये क्या कर रही हो तुम? प्लीज़ स्टॉप इट!"

    अस्मिता रोते हुए बोली, "प्लीज़ चले जाइए आप यहाँ से, प्लीज़?"

    इतना बोलकर अस्मिता ने अपने चेहरे पर हाथ रखकर रोना शुरू कर दिया। उसे रोते देखकर रुद्र ने गुस्से से मुट्ठी बांधी और चुपचाप उसके घर से बाहर निकल गया, क्योंकि वह उसे रोते हुए नहीं देखना चाहता था।

    वह जैसे ही घर से बाहर निकला, अस्मिता उठी और फ्लैट का दरवाज़ा अंदर से बंद कर दिया। वह दरवाज़े से टेक लगाकर जमीन पर बैठ गई, अपने घुटनों पर सिर रखकर आँखें बंद करके रोने लगी।

    अस्मिता का पूरा बदन दर्द कर रहा था, सर में चोट की वजह से उसका सिर भारी हो गया था और उसे चक्कर आ रहे थे।

    अस्मिता ने जैसे-तैसे उठकर खड़ा हुआ और किचन के बगल में बने मंदिर के पास जाकर बैठ गई। मंदिर में रखी कृष्ण जी की मूर्ति को देखकर उसने अपने दोनों हाथ जोड़े और रोते हुए बोली, "क्यों कान्हा जी? मेरे साथ ऐसा क्यों होता है? मैंने ऐसे कौन से पाप किए हैं जिसकी सज़ा मुझे मिल रही है?"

    अस्मिता इतना बोलकर रोने लगी और रोते-रोते ही मंदिर के पास कान्हा जी के चरणों में अपना सिर रखकर सो गई।

    अगले दिन सुबह 6:00 बजे अस्मिता की आँख खुली। वह वहीं मंदिर के सामने थी। जैसे ही वह उठी, उसने कान्हा जी की मूर्ति की तरफ देखा और हाथ जोड़े। उठकर खड़ी हुई तो उसने दरवाज़े की तरफ देखा; फ्लैट का दरवाज़ा अंदर से बंद था।

    अस्मिता अपने कमरे की तरफ भागी और देखा कि उसका पति बेड पर लेटा हुआ है, उसकी शर्ट के बटन आधे खुले हुए थे और उसने जूते तक नहीं उतारे थे। वह जिस तरह से बेड पर पड़ा हुआ था,

    उससे साफ़ था कि वह रात में नशे में घर आया है। अस्मिता उसकी तरफ देखकर मायूस होकर बोली, "क्यों कान्हा जी? क्यों किया आपने मेरे साथ ऐसा? बचपन से लेकर आज तक आपने कभी मुझे कोई खुशियाँ नहीं दीं। मैंने सोचा था कि शादी के बाद कम से कम मुझे कुछ तो खुशियाँ मिलेंगी, लेकिन आपने मुझे कैसा जीवनसाथी दिया है? क्या सच में यही मेरा नसीब है?"

    इतना बोलकर अस्मिता की आँखों से आँसू बहने लगे। उसने अपने आँसू पोछे और उस आदमी की तरफ गई जो बिस्तर पर लेटा हुआ था। वह उसके पैरों के पास झुककर उसके जूते निकालने लगी। जैसे ही उसने उसके जूते निकाले,

    उसकी आँख खुली। उसने अस्मिता को देखा, बिस्तर से उठकर बैठा और उसका हाथ पकड़कर उसे खींचते हुए बोला, "क्या कर रही हो? सुबह-सुबह अपनी मनहूस शक्ल मुझे दिखाने की क्या ज़रूरत थी? अब आज का सारा दिन बर्बाद जाएगा मेरा।"

    अस्मिता ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैं बस आपके जूते निकाल रही थी। वह दरअसल आप…"

    अस्मिता बोल ही रही थी कि उसके पति ने उसका हाथ पकड़ा और उसे बिस्तर पर धक्का दे दिया। अस्मिता की साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर गया और उसका पति उसकी बॉडी की तरफ देखने लगा।

    अस्मिता उसे देख रही थी। जिस तरह से उसका पति उसे घूर रहा था, अस्मिता की दिल की धड़कनें बढ़ गईं और वह बहुत घबरा गई…

    क्रमशः…

  • 4. Mujhe Pyar Karo - Chapter 4

    Words: 1065

    Estimated Reading Time: 7 min

    पति की हैवानियत

    अस्मिता ने अपने पति की ओर देखते हुए, डरते हुए कहा, "मैं आपको उठना नहीं चाहती थी। यह मुझसे गलती हो गई।"

    अस्मिता बोल ही रही थी कि उसके पति ने उसके गाल को दबोचते हुए कहा, "अब गलती की है तो भुगतना तो पड़ेगा।"

    इतना बोलकर अस्मिता का पति उठ खड़ा हुआ और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। अस्मिता उसे ऐसा करते देखकर बेड से उठने की कोशिश करने लगी, कि तभी उसने अस्मिता के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा और अस्मिता बेड पर गिर गई।

    अस्मिता के होठों से खून निकलने लगा। अस्मिता ने हाथ जोड़ते हुए कहा, "प्रदीप जी, रहने दीजिए प्लीज, मुझे माफ कर दीजिए।"

    अस्मिता के पति ने उस पर चढ़ते हुए उसके दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए। वह उसकी ओर बड़ी शैतानियत से देख रहा था। अस्मिता उसके हाथों से अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। तभी उसके पति ने तेज आवाज में चिल्लाया, "अब अगर तुम्हारे मुँह से एक आवाज भी निकली तो मैं तुम्हारा वह हाल करूँगा कि तुम..."

    यह सुनकर अस्मिता बहुत डर गई और उसने खुद ही अपने मुँह पर हाथ रख लिया। उसके पति ने उसे इस तरह मुँह पर हाथ रखते देखकर जोर-जोर से हँसते हुए कहा, "मुझे तुम्हारी आँखों में मेरे लिए जो डर है, यह डर मुझे बहुत अच्छा लगा। तुम्हारा इस तरह डरना मुझे बहुत खुशी देता है।"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता की साड़ी पकड़कर खींच दी और वह खुद उसके ऊपर चढ़ने लगा।

    अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। अस्मिता जानती थी कि अगर वह अपनी आँखें खुली रखेगी तो उसे अपने सामने उसके हैवान पति का चेहरा नज़र आएगा और वह उसके दिए दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पाएगी।

    अस्मिता चुपचाप बेड पर लेटी रही। उसने अस्मिता की गर्दन पर अपना हाथ रखा और प्रदीप उसकी गर्दन दबाते हुए उसकी पूरी बॉडी को छूने लगा। अस्मिता को उसका यह घिनौना स्पर्श बिल्कुल भी पसंद नहीं था।

    वह उसे खुद से दूर करने की कोशिश करना चाहती थी, लेकिन उसने अस्मिता के हाथ को कसकर पकड़ रखा था। अस्मिता ने अपने हाथ की कसकर मुट्ठी बांध ली। वह अस्मिता पर चढ़कर उसे रफली किस करने लगा।

    अस्मिता को उसके पास से बहुत ही अजीब सी बदबू आ रही थी। अस्मिता जानती थी कि वह शराब की बदबू है। अस्मिता ने उसे खुद से दूर धकेलते हुए कहा, "दूर हटिए आप मुझसे, यह क्या कर रहे हैं आप?"

    अस्मिता ने उसे अपने ऊपर से धक्का देने की कोशिश की। जैसे ही अस्मिता बिस्तर से उठी, उसके पति ने उसका हाथ पकड़ा और उसके ब्लाउज़ को पकड़कर इस तरह खींचा कि उसका ब्लाउज़ फट गया। अस्मिता उसकी ओर देखकर सिर हिलाते हुए बोली, "ये क्या कर रहे हैं आप? छोड़िए, सुबह-सुबह आप इस जबरदस्ती कैसे कर सकते हैं?"

    अस्मिता के पति को उस पर बहुत गुस्सा आया। उसने अस्मिता का हाथ पकड़कर खींचा और अस्मिता लड़खड़ा कर गिर गई। उसके पति ने उसे इस तरह लड़खड़ाते हुए देखा तो उसने उसे धक्का दे दिया।

    जिससे अस्मिता जमीन पर गिर गई। उसने अस्मिता के करीब आकर अपने कपड़े उसके शरीर से नोचते हुए फेंके और उसने अस्मिता की पूरी बॉडी पर किसी शैतान की तरह किस करना शुरू कर दिया।

    वह उसकी बॉडी पर किस करने के साथ-साथ बड़ी ही हैवानियत से काट भी रहा था।

    अस्मिता अब और दर्द बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी और उसके मुँह से तेज चीख निकली। तभी उसके पति ने उसके मुँह पर अपना हाथ रख दिया और वह उसके साथ जबरदस्ती करने लगा।

    अस्मिता उसके दिए दर्द को बर्दाश्त कर रही थी क्योंकि उसने उसके ऊपर अपना हाथ रखा हुआ था जिससे अस्मिता अब चिल्ला भी नहीं सकती थी। उसने अपने आँखों से निकलने वाले आँसुओं की ओर देखा और अपने उस जाहिल आदमी की ओर देखकर अस्मिता खून का घूँट पीकर रह गई। कुछ ही देर में वह थककर अस्मिता के ऊपर से हट गया और अस्मिता वहीं जमीन पर बेसुध पड़ी रही।

    उसकी आँखों से आँसू बहते जा रहे थे। उसका पति उठकर सीधे वॉशरूम की ओर चला गया। अस्मिता ने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे।

    थोड़ी देर बाद अस्मिता का पति वॉशरूम से बाहर आया और उसने अस्मिता की ओर देखा। उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था और वह जमीन पर बेबस, बिना कपड़ों के बेहाल पड़ी हुई थी।

    प्रदीप उसके पास आकर उसे गुस्से से डाँटते हुए बोला, "अपनी नौटंकी बंद करो और उठो, चलकर ब्रेकफास्ट लगाओ। मुझे ऑफिस जाना है। तुम्हारी इस तरह की नौटंकी नहीं देखने वाला मैं, समझी?"

    अस्मिता उसकी यह बात सुनकर उसे हैरानी से देखने लगी, लेकिन अस्मिता की बॉडी उसका साथ नहीं दे रही थी। अस्मिता काफी कमज़ोर हो गई थी। उसकी पूरी बॉडी काँप रही थी और उसकी बॉडी पर जितने भी निशान थे, वह सब गहरे घाव बन चुके थे।

    अस्मिता ने उसकी बात सुनी, लेकिन वह अपनी जगह से उठ नहीं पाई। उसके पति ने जब देखा कि अस्मिता उसके इतना चिल्लाने के बावजूद भी नहीं उठ रही है, तो उसने अस्मिता की ओर देखकर गुस्से से चिल्लाया, "क्या सुबह-सुबह इस मनहूस के साथ बहस कर रहा हूँ मैं? किसी काम की नहीं है।"

    यह बोलकर वह अस्मिता को वहीं जमीन पर छोड़कर घर से बाहर निकल गया।

    पूरा दिन बीत गया और शाम के समय अस्मिता उठी। उसने जैसे-तैसे खुद को अपने पैरों पर खड़ा किया। जब वह वॉशरूम में गई तो उसने खुद को शीशे में देखा। उसका पूरा चेहरा बिल्कुल पीला पड़ा हुआ था और उसकी बॉडी पर हर जगह प्रदीप के दांतों के निशान बने हुए थे।

    अस्मिता ने अपनी बॉडी को छुआ और वह चुपचाप शावर के नीचे बैठ गई और तेज आवाज में चीखते हुए रोने लगी।

    क्रमशः

  • 5. Mujhe Pyar Karo - Chapter 5

    Words: 1255

    Estimated Reading Time: 8 min

    अस्मिता शावर के नीचे चीख-चीख कर रो रही थी। उसे अपने शरीर पर बने दांतों के निशान देखकर खुद पर गुस्सा आ रहा था।

    वह शावर के नीचे ही चार घंटे बैठी रही। उसका पूरा शरीर पानी से भीग चुका था, हाथ-पैर कांप रहे थे, लेकिन आँखों से आँसू नहीं रुक रहे थे। जैसे-तैसे अस्मिता शावर से उठी, अपने बदन को पोंछा और वॉशरूम से बाहर निकलकर अपने कमरे में आई। उसका पति बेडरूम में आराम से बैठा हुआ था।

    उसने अस्मिता को आते देख उसकी तरफ घूमते हुए कहा, "कितनी देर से बाथरूम में हो तुम? पता है कितनी देर हो गई मुझे ऑफिस आए हुए? मेरे लिए चाय बनाकर लाओ।"

    अस्मिता उसकी तरफ डरी हुई सी देख रही थी। उसने हामी भरी और चुपचाप किचन की तरफ चली गई।

    अस्मिता ने उसके लिए चाय बनाई और वह चाय लेकर कमरे में वापस आई। उसका पति वहीं बैठा अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था। उसके हाथ में आधी जली सिगरेट थी। वह डरते-डरते उसके पास गई और टेबल पर चाय का कप रख दिया।

    अस्मिता वहीं रुकी हुई थी कि उसने अस्मिता की तरफ देखते हुए कहा, "बेड पर बैठो!"

    अस्मिता चुपचाप बेड पर जाकर बैठ गई और चाय का एक घूँट पिया।

    एक घूँट पीते ही उसका मुँह बिगड़ गया। वह अस्मिता को घूरते हुए बोला, "ये चाय बनाई है तुमने?"

    अस्मिता डर गई और बेड से उठकर खड़ी होते हुए बोली, "क्या हुआ जी? आपको चाय अच्छी नहीं लगी क्या?"

    वह लैपटॉप बंद करके उठा और अपने हाथ में रखी गर्म चाय अस्मिता की तरफ फेंक दी। अस्मिता ने अपना हाथ चेहरे के सामने लगाया और गर्म चाय उसके हाथ पर गिर गई। जलन से अस्मिता तेज आवाज में चिल्लाई।

    वह अस्मिता के करीब आया, उसके गाल को दबोचा और उसे बेड पर धक्का मारते हुए कहा, "चुप! बिलकुल चुप! अगर एक आवाज भी निकली तो मैं तुम्हारी जान ले लूँगा!"

    अस्मिता को बहुत दर्द हो रहा था, वह मुँह बंद करके रोने लगी। उसकी स्थिति देखकर वह आदमी खुश होते हुए बोला, "यह हुई ना बात! अब तुम्हारे मुँह से एक भी आवाज नहीं निकलनी चाहिए।" इतना बोलकर वह अस्मिता के करीब आया और उसकी गर्दन पर दांत गड़ा दिए। वह उसकी गर्दन को काटने लगा। अस्मिता पहले से ही दर्द में थी और दांतों के निशान देखकर और भी ज़्यादा दर्द से चिल्लाई।

    अस्मिता को इस तरह चिल्लाते देख वह जोर-जोर से हँसने लगा। उसने अपने कपड़े उतारकर फेंके और अस्मिता के ऊपर चढ़ बैठा।

    अस्मिता उसकी तरफ देख रही थी, रोते-रोते उसकी सिसकियाँ बन गई थीं। उसने उसका हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, "प्लीज़, प्लीज़ मत करो मेरे साथ ऐसा! मैं अब बहुत दर्द बर्दाश्त नहीं कर सकती।"

    अस्मिता उसे रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसने उसकी बात नहीं मानी और अस्मिता के पूरे बदन को नोचने लगा।

    अस्मिता उसकी दरिंदगी अच्छी तरह जानती थी और उसे पता था कि अब उसके साथ क्या होने वाला है। अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। तभी अस्मिता को तेज दर्द हुआ और वह तेज आवाज में चीखी, लेकिन उस आदमी ने उसके मुँह पर हाथ कसकर रख दिया और अस्मिता की चीख कमरे में ही दब गई।

    मुश्किल से दो मिनट हुए होंगे कि वह आदमी थककर बेड पर गिर पड़ा। उसके हाथ की सिगरेट भी पूरी तरह से नहीं जली थी, और अस्मिता रोती जा रही थी।

    उसने उस सिगरेट की तरफ देखा और अस्मिता के करीब आकर उसके हाथ पर सिगरेट को छुआ। अस्मिता का हाथ जल गया और सिगरेट के निशान उसके हाथ पर पड़ने लगे।

    अस्मिता इतने दर्द में थी कि वह उसे बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसकी आँखें बंद हो गईं। वह बेड पर ही बेहोश हो गई। अस्मिता को बेहोश होते देख उसका पति उठा और उसे घूरते हुए वॉशरूम की तरफ चला गया।

    वॉशरूम से निकलकर आने के बाद, जब अस्मिता थोड़ी होश में आई, उसके पति ने उसे फिर से टॉर्चर किया। इस बार वह अस्मिता की पूरी बॉडी पर अपने दांतों के निशान बना रहा था।

    अस्मिता बेड से हिल भी नहीं पा रही थी, और अब उसके मुँह से आवाज भी नहीं निकल रही थी। अस्मिता एक जिंदा लाश की तरह बेड पर लेटी हुई थी और उसका आदमी उसे टॉर्चर करता ही जा रहा था।

    सारी रात उसने अस्मिता को टॉर्चर किया और फिर उसके बगल में आकर सो गया।

    अगले दिन सुबह, अस्मिता की आँख नहीं खुल रही थी। वह पहले ही उठकर ऑफिस जाने के लिए तैयार हो गया था। वह अस्मिता के पास आया, उसे देखकर तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "उठो! उठकर मेरे लिए ब्रेकफास्ट बनाओ! मुझे ऑफिस जाना है, तुम्हारी तरह घर पर नहीं पड़ा रहता मैं, सुनाई दे रहा है ना तुम्हें?"

    अस्मिता की आँखें नहीं खुल रही थीं। वह दर्द में थी और उसके पति ने जहाँ-जहाँ उसे सिगरेट से जलाया था, उसकी पूरी स्किन काली पड़ गई थी। उसे इतना दर्द हो रहा था कि वह खुद को बेड से उठाने की भी हालत में नहीं थी। जब उसके पति ने उसे उठने के लिए कहा तो अस्मिता नहीं उठी। उसके पति ने उसे एक जोरदार थप्पड़ मारते हुए कहा, "बहरी हो गई है क्या? तुझे मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही? उठ! माया तेरी नौटंकी देखने के लिए नहीं बैठा।"

    अस्मिता अपनी जगह से हिली नहीं। उसका पति चिड़चिड़ाते हुए बोला, "किसी काम की नहीं है लड़की! पता नहीं कहाँ मैं इससे शादी करके फंस गया!"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता को घूर कर देखा और चुपचाप अपने कमरे से बाहर निकल गया। अस्मिता पूरा दिन वहीं बेड पर पड़ी रही, बिना कुछ खाए-पिए। वह इतनी कमजोर हो गई थी और जितना उसे टॉर्चर किया गया था, उसके बाद अस्मिता के अंदर अब जरा भी हिम्मत नहीं बची थी कि वह उठकर अपनी मदद कर पाए या वह अपने शरीर को साफ कर पाए।

    अस्मिता इस तरह बिना कपड़ों के बेड पर लेटी हुई थी और उसके बदन पर सिर्फ एक कंबल पड़ा हुआ था। शाम को अस्मिता बेड से उठी और जैसे-तैसे उसने अपने घावों पर मरहम लगाया। जब वह उठकर वॉशरूम गई तो उसने देखा उसकी लोअर बॉडी पर काफी सारा खून लगा था। यह देखकर अस्मिता ने अपना सिर पकड़ लिया और वहीं वॉशरूम में जमीन पर बैठ गई।

    क्रमशः

  • 6. Mujhe Pyar Karo - Chapter 6

    Words: 1485

    Estimated Reading Time: 9 min

    जब वह उठकर वॉशरूम गई, तो उसने देखा कि उसकी लोअर बॉडी पर काफी सारा खून लगा था। यह देखकर अस्मिता ने अपना सिर पकड़ लिया और वहीं वॉशरूम में ही जमीन पर बैठ गई।

    अस्मिता ने जैसे ही खून देखा, उसका दिमाग खराब हो गया। उसने अपने मुंह पर हाथ रखते हुए कहा, "इन सारी चीजों के बीच मैं तो भूल ही गई थी कि मेरी पीरियड्स की डेट आज की है, और ऐसे में…"

    वह चुपचाप वहीं बैठी रही और अपने मन में कहा, "अब तो मुझे और भी ज्यादा ताने सुनने को मिलेंगे। वो तो अब मुझे और ज्यादा टॉर्चर करेंगे। हे भगवान, मैं क्या करूं?" अस्मिता को कुछ समझ नहीं आ रहा था और वह बहुत परेशान हो गई। जैसे-तैसे नहा-धोकर बाहर निकली और अपने बेड पर आकर बैठ गई। उसे बहुत घबराहट हो रही थी।

    कल रात के टॉर्चर की बात से उसका पूरा बदन दुख रहा था। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था, इसलिए वह चुपचाप बिस्तर पर लेट गई। अस्मिता को काफी ज्यादा क्रैम्प्स हो रहे थे और उसके हाथ पर सिगरेट के निशान में भी बहुत जलन हो रही थी। उसने उठकर फर्स्ट एड बॉक्स से पेन किलर निकाली और दो डोज लेकर बेड पर वापस लेट गई। थोड़ी देर में पेन किलर का असर हुआ और उसे नींद आ गई।

    काफी देर सोने के बाद, शाम को उसकी आँख खुली और उसे अपने पास किसी के बैठने की आहट सुनाई दी। उसने आँखें खोलीं तो देखा कि उसका पति सामने बैठा हुआ उसे घूर रहा था। अस्मिता घबरा गई।

    अस्मिता उसके चेहरे की तरफ देख ही रही थी कि तभी वह उसके चेहरे के बिल्कुल करीब आया और उसकी गर्दन पर किस करते हुए उसकी गर्दन को बाइट करने लगा। अस्मिता ने इस तरह उसे अचानक से अपनी गर्दन पर किस करते हुए देखा तो वह कन्फ़्यूज़ हो गई। अस्मिता उसकी तरफ बड़ी ही हैरानी से देख रही थी क्योंकि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आज उसको इस तरह किस कैसे कर रहा है क्योंकि हर बार तो वह उसे पर अपनी हैवानियत ही दिखाता है। अस्मिता यह बात सोच ही रही थी कि तभी उसने अस्मिता की गर्दन पर कसकर अपने दांत गड़ा दिए और उसके मुंह से एक तेज चीख निकली। अस्मिता ने उसे खुद से दूर धकेल दिया।

    उसके पति ने उसकी तरफ देखते हुए उसके हाथ को पकड़ा और उसके हाथ के घावों को देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "ये घाव मैंने दिए थे न? और तुमने इन पर दवा लगा ली क्यों?"

    "वो...वो...बहुत जलन हो रही थी, इसलिए मैंने दवा लगा ली।" डरते हुए अस्मिता बोली।

    पति ने उसे घूरते हुए कहा, "जलन? दर्द? दवा? तुम डिजर्व करती हो ये सब! मुझे बिना पूछे तुमने दवा लगाई? इतनी हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी?"

    इतना कहते हुए वह अस्मिता के करीब आया और उसकी गर्दन को दबोचते हुए बोला, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हो गई कि तुम इतना सोचने लग गई हो?"

    अस्मिता उसकी यह बात सुनकर बहुत डर गई थी। तभी उसके पति ने गुस्से से घूरते हुए कहा, "खाना लगाओ, भूख लगी है।"

    अस्मिता यह सुनकर और भी डर गई और जल्दी से उठकर किचन की तरफ भागी। उसके मन में घबराहट थी। वह सोचने लगी, "मैंने खाना तो बनाया ही नहीं, अब क्या करूं?"

    अस्मिता जल्दी-जल्दी बर्तन उठाने लगी, तभी उसका पति कमरे से बाहर आया और किचन के बाहर खड़े होकर बोला, "खाना नहीं बना? कैसे बनेगा? महारानी आराम जो कर रही थी!"

    अस्मिता ने उसकी तरफ देखा और नजरें झुका लीं। वह कुछ बोलना नहीं चाह रही थी।

    तभी उसके पति ने चिल्लाते हुए कहा, "सुनाई नहीं देता? या तुम्हारे मुंह में जुबान नहीं है?"

    "मैंने पेन किलर ली थी, इसलिए मुझे नींद आ गई। आप...आप मुझे आधा घंटा दीजिए, मैं अभी कुछ बना देती हूं।" अस्मिता ने डरते हुए धीमी आवाज़ में कहा।

    उसका पति अस्मिता के पास आया और उसका हाथ मरोड़ते हुए बोला, "आधा घंटा? इतनी देर तक मैं भूखा रहूं?"

    "प्लीज, मेरा हाथ छोड़िए, मुझे दर्द हो रहा है।" अस्मिता ने दर्द से कराहते हुए कहा।

    पति ने उसके हाथ को और कसकर मरोड़ते हुए कहा, "अभी तो दर्द देना शुरू भी नहीं किया, और तुम्हें दर्द हो रहा है?"

    अस्मिता की आँखों से आँसू बह रहे थे। इससे पहले कि वह कुछ कह पाती, उसके पति ने अस्मिता की साड़ी का पल्लू पकड़कर खींच दिया।

    "नहीं, नहीं, मेरी बात सुनिए, रुकिए!" अस्मिता घबराकर बोली।

    वह उसे रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसका पति उसकी बात सुनने को तैयार नहीं था। अस्मिता ने चिल्लाते हुए कहा, "रुक जाइए! मेरे करीब मत आइए, I'm on my periods…"

    यह सुनकर उसके पति के कदम रुक गए और वह उसे घूरते हुए देखने लगा। अस्मिता ने रोते हुए कहा, "प्लीज, मेरे करीब मत आइए।"

    उसका पति गुस्से से चिल्लाते हुए बोला, "सिर्फ एक ही चीज तुम मुझे दे सकती थी, और अब वो भी नहीं दे पाओगी। तो तुम्हारा यहां रहने का क्या फायदा?"

    यह सुनकर अस्मिता खड़ी हो गई, उसने जल्दी से अपनी साड़ी लपेटी और हैरानी से अपने पति की तरफ देखने लगी।

    उसने अस्मिता का हाथ पकड़ते हुए कहा, "अब तुम मुझे अपनी आँखों के सामने नजर मत आना। और अगर तुम सामने आई, तो मैं तुम्हारा ऐसा हाल करूंगा कि तुम्हारी रूह कांप जाएगी।"

    यह सुनकर अस्मिता वहीं पर घुटनों के बल बैठ गई और रोते हुए बोली, "प्लीज, ऐसा मत कहिए। आप मेरे पति हैं, मैं यहां से कहां जाऊंगी? आप जानते हैं, मेरे माँ-बाप भी मुझे अपने घर में नहीं रख सकते। आपको सब पता है, फिर आप मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं?"

    उसने अस्मिता का हाथ पकड़कर उसे घसीटते हुए किचन से बाहर निकाला।

    "ये क्या कर रहे हैं? रुकिए, मेरी बात सुनिए।" अस्मिता रोते हुए बोली।

    उसने अस्मिता की तरफ देखा और अपने होठों पर उंगली रखते हुए बोला, "चुप! बिल्कुल चुप! अगर एक आवाज भी निकाली तो…"

    अस्मिता यह सुनकर और डर गई। वह उसे घसीटते हुए दरवाजे तक ले गया और दरवाजा बंद कर दिया।

    अस्मिता दरवाजे पर खड़ी, लगातार अपने पति को आवाज दे रही थी, "सुनिए, दरवाजा खोलिए! इतनी रात में मैं कहां जाऊंगी, प्लीज दरवाजा खोलिए!" उसकी आवाज तेज हो चुकी थी, लेकिन उसके पति को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

    कुछ देर बाद, बगल वाले फ्लैट से एक बूढ़े अंकल बाहर आए। उन्होंने अस्मिता को दरवाजे के बाहर खड़ा देखा और पास आकर बोले, "अरे, अस्मिता बेटा, तुम यहां इस तरह क्यों खड़ी हो? क्या बात है?" अस्मिता ने उनकी बात सुनी और डरते हुए उनकी तरफ देखा। मन में उसने सोचा, अगर मैंने इन्हें बता दिया कि मुझे घर से बाहर निकाल दिया गया है, तो वह वजह पूछेंगे। फिर मैं क्या बताऊंगी?

    अभी वह यही सोच ही रही थी कि बूढ़े अंकल ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "घबराओ मत बेटा, मैं तुम्हारे पापा की उम्र का हूँ। बताओ, क्या तुम दोनों में झगड़ा हुआ है? रुको, मैं अभी प्रदीप से बात करता हूँ।" इतना कहकर अंकल दरवाजा खटखटाते हुए बोले, "प्रदीप, दरवाजा खोलो बेटा। इस तरह से अपनी पत्नी को बाहर निकालना ठीक नहीं है। आखिर बात क्या है?"

    अस्मिता ने तुरंत अंकल का हाथ पकड़ते हुए कहा, "अंकल, थैंक यू सो मच, आपने मेरे बारे में इतना सोचा, लेकिन प्लीज आप अंदर जाइए और आराम करिए। यह हमारा प्राइवेट मैटर है, मैं इसे सुलझा लूंगी।"

    अंकल ने देखा कि अस्मिता का पति दरवाजा खोलने को तैयार नहीं था, तो ज़्यादा जोर नहीं दिया। वह वापस अपने फ्लैट में जाने लगे। जाते-जाते बोले, "अगर वह दरवाजा नहीं खोल रहा है, तो तुम मेरे घर आकर रह सकती हो, बेटा।"

    अस्मिता ने सिर हिलाते हुए जवाब दिया, "नहीं, अंकल। इसकी कोई ज़रूरत नहीं है, वह थोड़ी देर में दरवाजा खोल देंगे।" फिर उसने आँसू पोंछे और बूढ़े अंकल से विनती की कि वह अपने फ्लैट में चले जाएं। अंकल मान गए और अपने घर चले गए।

    अस्मिता फिर से दरवाजे को पीटते हुए बोली, "क्यों कर रहे हैं आप मेरे साथ ऐसा? प्लीज, दरवाजा खोल दीजिए!" उसके हाथ दर्द से लाल हो गए थे, और उसकी चिल्लाहट तेज होती जा रही थी, "दरवाजा खोलिए!"

    अस्मिता का पूरा बदन दर्द से कराह रहा था, और उसके जख्मों में जलन बढ़ती जा रही थी। वह दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह अंदर से पूरी तरह लॉक था। जब दरवाजा नहीं खुला, तो अस्मिता ने थक हार कर अपने हाथ दरवाजे पर मारे और वहीं बेहोश हो गई, दरवाजे के पास गिर पड़ी।

    रात के 12 बज चुके थे, और अब दरवाजे पर खटखटाने की आवाज भी बंद हो गई थी। दूसरी ओर, अस्मिता का पति, जो शराब पीकर आराम से सो रहा था, पूरी तरह से उसे भूल चुका था।

    क्रमशः

  • 7. Mujhe Pyar Karo - Chapter 7

    Words: 1495

    Estimated Reading Time: 9 min

    अगले दिन, सुबह 9:00 बजे, अस्मिता के पति की आँख खुली। उसने आँखें मलते हुए अपने बिस्तर की ओर देखा। उसके बिस्तर पर कोई नहीं था। वह पूरी रात अकेला सोया था और नशे की वजह से उसका सिर बहुत दर्द कर रहा था।

    उसने तेज आवाज़ में चिल्लाया, "मनहूस लड़की! चाय बना मेरे लिए, जल्दी!"

    लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला। वह उठकर खड़ा हुआ और देखा कि अस्मिता कहीं नहीं थी। तभी उसे रात की बात याद आई कि उसने अस्मिता को घर से बाहर निकाल दिया था। यह याद आते ही वह सीधे फ्लैट से बाहर निकलते हुए बोला, "बुला लेता हूँ उसे घर के अंदर, वरना मुझे नाश्ता-पानी कौन देगा? और वैसे भी, पहले ही 9:00 बज गए हैं। अगर ऑफिस लेट गया, तो बस आज मेरी जान ही नहीं नोचेगी।"

    इतना बोलकर वह फ्लैट से बाहर आया। जैसे ही उसने अपने फ्लैट का दरवाज़ा खोला, उसने देखा अस्मिता वहाँ नहीं थी। वह हैरान होते हुए बोला, "यह मनहूस लड़की कहाँ चली गई? रात में तो मैंने इसे धक्का देकर यहीं पर फेंका था, और यह काफी देर तक यहीं जमीन पर बैठकर दरवाज़ा खुलवाने की कोशिश कर रही थी। तो फिर यह अचानक से कहाँ गायब हो सकती है? मैं इसे बहुत अच्छी तरह से जानता हूँ, वह इस तरह से तो गायब नहीं हो सकती, न? यहीं आसपास ही कहीं गई होगी।"

    इतना बोलकर वह काफी घबरा गया। वह सीधे फ्लैट से नीचे उतरा और इधर-उधर भागते हुए अस्मिता को ढूँढने लगा। काफी देर बाद, जब उसे अस्मिता कहीं नहीं मिली, तो वह वापस अपने फ्लैट में आया। उसे अपने घर के बगल में रहने वाले पड़ोसियों से बात करने का विचार आया। वह बगल वाले फ्लैट के गेट के बाहर गया और उसने दरवाज़े पर ख़टख़टाया।

    अंदर से वही बूढ़े अंकल निकले जो कल अस्मिता को अपने घर में आने के लिए बोल रहे थे। जैसे ही उन्होंने प्रदीप को देखा, उन्होंने उसकी ओर देखते हुए कहा, "हाँ, बोलो प्रदीप बेटा, क्या हुआ?"

    उसने उनकी बात का जवाब नहीं दिया और बोला, "अंकल, क्या आपने अस्मिता को कहीं देखा?"

    बूढ़े आदमी ने प्रदीप की बात का जवाब देते हुए कहा, "अरे हाँ, वह तो कल रात बेचारी यहीं दरवाज़े के बाहर ही बैठी थी। मैंने उससे पूछा भी था कि क्या हुआ है, लेकिन उसने बताया नहीं। क्या तुम लोगों की लड़ाई हुई थी?"

    प्रदीप ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और दोबारा सवाल करते हुए बोला, "तो फिर वह कहाँ गई अंकल? आपने उसे कहीं जाते हुए देखा क्या?"

    उन्होंने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, मैंने तो नहीं देखा उसे कहीं जाते।"

    इतना बोलकर उन्होंने फिर से प्रदीप से पूछा, "वैसे तुमने उसे घर से बाहर क्यों निकाला था बेटा?"

    प्रदीप ने उनकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह वापस अपने फ्लैट के अंदर जाकर, अपने सर पर हाथ फेरते हुए बोला, "यह औरत मेरी ज़िन्दगी बर्बाद करके ही रहेगी, और इसकी वजह से मैं आज फिर ऑफिस लेट हो जाऊँगा। मैं जानता हूँ वह कहीं जाने वाली नहीं है, वह थोड़ी देर में वापस आ जाएगी। मुझे अभी ऑफिस जाना चाहिए।"

    इतना बोलकर वह सीधे अपने ऑफिस के लिए निकल गया।

    ऑफिस से वापस आने के बाद उसने अस्मिता को बहुत ढूँढने की कोशिश की, लेकिन उसे अस्मिता कहीं नहीं मिल रही थी। देखते-देखते दो दिन बीत गए।

    उसे प्रदीप परेशान होते हुए बोला, "कहाँ चली गई है यह लड़की? इसने तो मेरा दिमाग ही खराब करके रख दिया है। वैसे तो मुझे इसके जाने का कोई काम नहीं है, लेकिन अगर इसके बाप ने मुझसे पूछ लिया कि यह कहाँ है, तो मैं उसे क्या बताऊँगा?"

    यह सोचकर प्रदीप थोड़ा परेशान हो रहा था। बाकी, अस्मिता की कोई चिंता नहीं थी।

    वहीं दूसरी तरफ़, अस्मिता की आँख खुली। जैसे ही अस्मिता ने अपने सामने देखा, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। वह हड़बड़ाते हुए उठकर बैठी और देखा कि वह एक गोल, बड़े मखमली बिस्तर पर लेटी हुई थी। उसके हाथों पर कई जगह पर पट्टियाँ लगी हुई थीं और उसने सिल्क की एक नाइटी पहनी हुई थी। वह अपने कपड़ों को देखकर काफी हैरान हो गई थी। जब उसने कमरे में चारों तरफ़ अपनी नज़रें घुमाईं, तो उसकी आँखें चमक उठीं, क्योंकि पूरा कमरा ख़ूबसूरत इंटीरियर से भरा हुआ था और दीवारों के चारों तरफ़ उसकी बड़ी-बड़ी तस्वीरें लगी हुई थीं।

    जैसे ही अस्मिता ने उन तस्वीरों को देखा, वह हैरान होते हुए बोली, "मैं कहाँ हूँ? यह कैसी जगह है? और ये इतने अच्छे कपड़े, इतना अच्छा बिस्तर, इतना बड़ा कमरा... यह सब मैं क्या देख रही हूँ? यह मेरा कोई सपना है या फिर हकीकत?"

    अस्मिता को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वह बिस्तर से उठने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह काफी कमज़ोर थी, इसलिए वह बिस्तर से उठ नहीं पाई। उसने बिस्तर का सहारा लिया और कमरे को चारों तरफ़ देखने लगी।

    वह कमरा इतना ख़ूबसूरत लग रहा था कि अस्मिता को अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं हो रहा था। तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और अस्मिता की नज़रें दरवाज़े पर ही जाकर टिक गईं।

    अस्मिता बहुत हैरान थी। जैसे ही दरवाज़ा खुला, उसके अंदर एक 6 फुट 2 इंच का आदमी चलकर आया। उसने बहुत अच्छे कपड़े पहने हुए थे: नीली जीन्स, सफ़ेद टी-शर्ट और ऊपर से ब्राउन रंग की जैकेट। वह दिखने में काफी हैंडसम लग रहा था।

    उसे देखकर अस्मिता के होश उड़ गए। उसने उसे घूरते हुए कहा, "आप... आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    अस्मिता के सामने कोई और नहीं, बल्कि रुद्र खड़ा था। रुद्र अस्मिता के करीब आकर उसके दोनों गालों पर हाथ रखते हुए बोला, "तुम्हें होश आ गया! मैं बहुत खुश हूँ, बार्बी डॉल। पता है, इन दो दिनों का इंतज़ार मुझे हो ही नहीं रहा था। मैं यही सोच रहा था कि कब तुम्हें होश आएगा, और कब मैं तुमसे बात कर पाऊँगा, और कब मैं तुमसे प्यार कर पाऊँगा।"

    इतना बोलकर वह अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता के हाथों को पकड़ा और उसके हाथों को चूमने लगा। अस्मिता उसे ऐसा करते देखकर सहम गई। उसने जल्दी से अपने हाथ पीछे खींचे और बिस्तर में पीछे की ओर हटते हुए बोली, "रुद्र जी! यह आप क्या कर रहे हैं? और यह मैं कहाँ हूँ? आप मुझे यहाँ लेकर क्यों आए हैं?"

    रुद्र ने अस्मिता को एक साथ इतने सारे सवाल करते हुए देखा तो वह जोर-जोर से हँसते हुए बोला, "ओह माय इनोसेंट बार्बी डॉल! कितनी मासूम हो तुम! तुम्हें अभी तक यह भी समझ में नहीं आया कि मैं तुम्हें यहाँ क्यों लाया हूँ। मैं प्यार करता हूँ तुमसे, और तुम्हें भी मुझे प्यार करना पड़ेगा। इसीलिए तो मैं तुम्हें यहाँ लेकर आया हूँ, अपने पास। अब तुम यहीं रहोगी, हमेशा मेरे पास।"

    अस्मिता उसकी तरफ़ हैरानी से देख रही थी, क्योंकि रुद्र उसे बिल्कुल बदला हुआ लग रहा था। वह रुद्र को पिछले डेढ़ महीने से जानती थी, लेकिन अभी उसके सामने जो इंसान बैठा था, वह बिल्कुल ही अलग पर्सनालिटी का इंसान लग रहा था। जैसे उसने पहले कभी रुद्र को इस तरह व्यवहार करते हुए नहीं देखा था।

    यह उसके लिए काफी चौंकाने वाला था। वहीं रुद्र उसके करीब आया और उसने अस्मिता के दोनों गालों पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम नहीं जानती बार्बी डॉल, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। तुम्हारे लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ, कुछ भी! और मैं अगर चाहता तो तुम्हें उस जानवर और ज़हरीले इंसान के पास से कब का अपने पास ला सकता था, लेकिन तुमने मुझे कभी वहाँ अपने करीब आने ही नहीं दिया। लेकिन अब... अब कोई टेंशन की बात नहीं है। अब तो हम साथ हैं, न? अब सब कुछ मैं ठीक कर दूँगा, ओके माय बार्बी डॉल।"

    अस्मिता को रुद्र की आँखों में अपने लिए प्यार से ज़्यादा एक जुनून नज़र आ रहा था। जिस तरह से रुद्र उससे बात कर रहा था, उसे अस्मिता इतना तो समझ गई थी कि रुद्र कोई सामान्य इंसान नहीं है, बल्कि वह एक साइको है।

    क्रमशः

  • 8. Mujhe Pyar Karo - Chapter 8

    Words: 1357

    Estimated Reading Time: 9 min

    रुद्र अस्मिता को बड़े ही प्यार से देख रहा था। उसकी आँखों में जो जुनून था, उसे अस्मिता महसूस कर पा रही थी। वह रुद्र को खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी। जब रुद्र उससे दूर नहीं हुआ, तो वह बिस्तर के एक कोने में जाकर दुबक कर बैठ गई।

    उसने रुद्र की तरफ देखते हुए कहा, “रुद्र जी, यह कौन सी जगह है? आप मुझे कहाँ लेकर आए हैं? रुद्र जी, मुझे यहाँ नहीं होना चाहिए था। मेरे पति मुझे ढूँढ रहे होंगे। प्लीज़ मुझे उनके पास भेज दीजिये।”

    जैसे ही रूद्र ने अस्मिता के मुँह से यह बात सुनी, उसके चेहरे के भाव बदल गए। वह उसे घूरते हुए बोला, “क्या कहा तुमने? मेरी बात ध्यान से सुनो। तुम्हारा कोई पति नहीं है। तुम्हारी ज़िन्दगी में मेरे अलावा कोई आदमी नहीं आएगा। तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरी हो, सिर्फ़ मेरी।”

    अस्मिता ने जैसे ही रुद्र के मुँह से यह बात सुनी, वह और भी ज़्यादा परेशान होने लगी। जिस तरह से रुद्र उससे बात कर रहा था, यह बात साफ़ समझ में आ रही थी कि रुद्र अब उसे वहाँ से कहीं जाने देने वाला नहीं है।

    अस्मिता ने उसकी तरफ देखा और डरते-डरते अपने हाथ जोड़ते हुए बोली, “प्लीज़ रुद्र, ऐसा मत करिए। मुझे मेरे पति के पास जाने दीजिये। क्योंकि अगर मैं उनके पास नहीं गई, तो वह पता नहीं क्या करेंगे और वो आपको भी नुकसान पहुँचाएँगे। इसलिए प्लीज़ ऐसा कुछ मत करिए, मुझे जाने दीजिये, प्लीज़।”

    इतना बोलते-बोलते अस्मिता रोने लगी। उसे रोते देखकर रुद्र उसके बिल्कुल करीब आया। उसने उसके दोनों गालों पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “बारबी डॉल, why are you crying? तुम रो मत। मैं तुम्हारी आँखों में आँसू नहीं देख सकता। तुम मेरी जान हो। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और अब आज से तुम कभी नहीं रोओगी। अब तुम्हारी ज़िन्दगी में सिर्फ़ और सिर्फ़ हँसी और खुशहाली होगी और तुम अपनी पूरी ज़िन्दगी खुश रहोगी मेरे साथ, समझी तुम? इसलिए अब रोना-धोना बंद करो। चलो, गुड गर्ल की तरह मुस्कुरा दो।”

    अस्मिता उसकी तरफ़ बड़ी हैरानी से देख रही थी, लेकिन उसकी आँखों से आँसू नहीं बंद हो रहे थे। तभी रुद्र ने उसे सख्त आवाज़ में चुप कराते हुए कहा, “तुम्हें समझ में नहीं आ रहा मैं बोल रहा हूँ ना? चुप रहो। I say stop crying…”

    लेकिन, अस्मिता अभी भी चुप नहीं हो रही थी। वह जिस तरह से रो रही थी, उसकी सिसकियाँ बढ़ गई थीं। रुद्र उसे गुस्से से घूरते हुए देखने लगा। अस्मिता को अब रुद्र से काफी ज़्यादा डर लग रहा था। तभी रुद्र ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, “चुप! एकदम चुप! अब अगर तुम्हारी आँखों से एक आँसू भी निकला, तो मैं वह करूँगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा। मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, बारबी डॉल, और मुझे उस हद तक मत बढ़ने देना कि मैं तुम्हें…”

    अस्मिता बहुत डर गई थी। उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि रुद्र इस तरह उसे डाँटेगा। क्योंकि आज से पहले रुद्र ने कभी भी अस्मिता के साथ इस तरह का बर्ताव नहीं किया था। हालाँकि वह अस्मिता से कई बार मिल चुका था, लेकिन रुद्र का यह रूप अस्मिता आज पहली बार देख रही थी।

    अस्मिता की दिल की धड़कनें बहुत तेज हो गई थीं। वह बस रुद्र की तरफ़ डरते हुए देखती जा रही थी। तभी रुद्र अचानक से मुस्कुराने लगा। वह अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता की कमर में अपना हाथ डालकर उसे बिल्कुल अपने करीब खींचते हुए कहा, “तुम्हें मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है। तुम तो मेरी प्यारी सी बारबी डॉल हो ना तुम… तुमको मैं कैसे कोई नुकसान पहुँचा सकता हूँ? अस्सू बेबी, तुम्हें कोई कुछ नहीं कहेगा। तुम प्लीज़ डरो मत। और मैं तो बस तुम्हें यहाँ पर अपने पास लेकर आया हूँ ताकि मैं तुम्हें ढेर सारा प्यार कर सकूँ, इतना प्यार जितना कभी किसी ने किसी से ना किया हो। तुम वह प्यार डिजर्व करती हो जो मैं तुम्हें दूँगा। तुम उस आदमी के साथ रहना डिजर्व नहीं करती। तुम बहुत अच्छी हो, जानती हो ना तुम यह बात।”

    अस्मिता रुद्र की आँखों में आँखें डालकर देख रही थी। अब अस्मिता को उससे और भी ज़्यादा डर लगने लगा था। क्योंकि रुद्र की बातें अस्मिता को सब समझ में आ रही थीं। रुद्र के बोलने के तरीके से अस्मिता ने धीरे से बस हाँ में अपना सिर हिला दिया। जैसे ही अस्मिता ने अपना सिर हिलाया,

    रुद्र उसे देखकर हँसते हुए बोला, “यह हुई ना बात! अब तुम मेरी अच्छी वाली बारबी डॉल बन रही हो। तुम ऐसे ही मेरी सारी बातें मानना, ओके? फिर… फिर हम… हम लोग हमेशा हैप्पी-हैप्पी रहेंगे अपनी ज़िन्दगी में, ओके!”

    अस्मिता डरी हुई थी। उसने धीरे से हाँ में अपना सिर हिलाया। तभी रुद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता के गाल को बड़े प्यार से किस किया।

    अस्मिता उसके इस तरह किस करने से घबरा गई और उसने बेडशीट को अपनी मुट्ठी में कसकर जकड़ लिया। क्योंकि अस्मिता रुद्र को रोकने की हिम्मत नहीं कर पा रही थी। रुद्र ने जब देखा कि अस्मिता ने उसे इतनी आराम से किस कर लेने दिया है, तो वह उसकी तरफ़ देखकर मुस्कुराने लगा। उसकी मुस्कुराहट देखकर समझ में आ रहा था कि वह बहुत खुश हो गया है।

    उसने बड़े प्यार से अस्मिता का हाथ सहलाते हुए कहा, “बारबी डॉल, मैं तुम्हें एक और किस करूँगा, ओके!”

    अस्मिता उसकी आँखों में आँखें डालकर देख रही थी। रुद्र उसके होठों के करीब आया और उसने अस्मिता के दोनों गालों पर अपना हाथ रखा और वह उसके होठों पर किस करने लगा।

    अस्मिता उसे रोकने की कोशिश करना चाहती थी, लेकिन उसने बेडशीट को अपनी मुट्ठी में और कसकर जकड़ लिया। रुद्र अस्मिता के होठों पर किस कर रहा था। अस्मिता अभी भी काफी ज़्यादा डरी हुई थी और उसने अपने हाथों की मुट्ठी को और भी कसकर बंद कर लिया। उसने आधी से ज़्यादा बेडशीट को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया था। पहले तो रुद्र उसे बड़ी ही सॉफ्टली किस कर रहा था, लेकिन जब उसने देखा कि अस्मिता उसे आराम से किस करने दे रही है और उसे रोकने की कोशिश नहीं कर रही, तो रुद्र ने उसे पैशनेटली किस करना शुरू कर दिया।

    अस्मिता रुद्र के किस से disgusted फील कर रही थी। क्योंकि रुद्र अस्मिता के लिप्स को चूस रहा था और उसने अस्मिता को किस करते-करते उसे बेड पर गिरा दिया और उसके ऊपर चढ़ते हुए वह उसे और भी ज़्यादा डीपली किस करने लगा।

    रुद्र अस्मिता के होठों को चूस रहा था और उसे किस करते-करते अस्मिता की साँस चढ़ने लगी। वह उसे रोकने के लिए उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन रुद्र की ताकत इतनी ज़्यादा थी कि अस्मिता उसे खुद से दूर कर ही नहीं पाई।

    उसने रुद्र के कंधे पर अपना हाथ रखा और उसे खुद से दूर करते हुए कहा, “रुद्र, ये क्या कर रहे हैं आप? मुझे साँस नहीं आ रही। प्लीज़ रुक जाइए… प्लीज़।”

    जैसे ही अस्मिता ने यह बात कही, रुद्र उसे किस करते-करते रुक गया और वह अस्मिता की आँखों में आँखें डालकर देखने लगा।

    उसने देखा अस्मिता की आँखों में आँसू भरे हुए थे और उसके दोनों होठ काफी ज़्यादा लाल हो गए थे। क्योंकि जितना पैशनेटली रुद्र उसे किस कर रहा था, अस्मिता इस बात को बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि रुद्र उसे किस करते-करते कितना ज़्यादा पैशनेट हो चुका था। उसे तो लग रहा था कि रुद्र उसके रोकने पर रुकेगा ही नहीं।

    लेकिन जब अस्मिता ने उसे रोका, तो रुद्र एक बार में ही रुक गया। उसने अस्मिता की आँखों की तरफ़ देखा। उसकी आँखों में जो आँसू भरे थे, उसने उसके दोनों गालों पर अपना हाथ रखते हुए कहा, “ओह, सॉरी बारबी डॉल। मैंने तुम्हें हर्ट कर दिया क्या?”

    क्रमशः

  • 9. Mujhe Pyar Karo - Chapter 9

    Words: 1339

    Estimated Reading Time: 9 min

    रूद्र ने उसके दोनों गालों पर हाथ रखते हुए कहा, "ओह सॉरी बार्बी डॉल, मैंने तुम्हें हर्ट कर दिया क्या?"

    अस्मिता उसकी तरफ देख रही थी, परन्तु उसने जवाब नहीं दिया। वह खुद उलझन में थी; उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे जवाब देना चाहिए या नहीं।

    रूद्र ने देखा कि अस्मिता उससे बात नहीं कर रही और सिर्फ़ उसके चेहरे की ओर देख रही है।

    वह फिर से बोला, "बार्बी डॉल, मैं तुमसे कुछ पूछ रहा हूँ। क्या मैंने तुम्हें हर्ट किया?"

    अस्मिता ने धीरे से ना में सिर हिलाया और अपने होठों को पोंछने लगी। उसे ऐसा करते देख रूद्र की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं। उसने उसका हाथ कसकर पकड़ते हुए कहा, "यह क्या कर रही हो तुम? तुमने अपने होठों को पोंछा कैसे? How could you…"

    अस्मिता हैरानी से उसकी ओर देखने लगी। तभी रूद्र बोला, "मैंने तुम्हें किस किया था, यह मेरे प्यार की निशानी थी और तुमने उसे पोंछ दिया।"

    इतना कहते हुए वह अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसके गालों को दबाते हुए बोला, "तुमने ऐसा करके ठीक नहीं किया, बार्बी डॉल। मैंने तुम्हें इतनी प्यार से किस किया और तुम मेरी उस प्यार की निशानी को मिटा रही हो। इसकी पनिशमेंट तो तुम्हें मिलेगी।"

    अस्मिता डरते हुए उसकी ओर देखने लगी, क्योंकि उसे नहीं पता था कि रूद्र और क्या सज़ा देगा।

    वह हैरानी से रूद्र की ओर देख ही रही थी कि वह उठकर बैठी और बेड से उतरने की कोशिश करने लगी। तभी रूद्र ने उसका हाथ पकड़ा और उसे वापस बेड पर घसीटते हुए कहा, "बार्बी डॉल, मैंने तुमसे कहा ना, तुम यहाँ से कहीं नहीं जा सकती। और पनिशमेंट तो तुम्हें मिलेगी ही।"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता को बेड पर गिराया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने अस्मिता के दोनों हाथ कसकर पकड़ लिए और उसके होठों पर दोबारा गहरा किस करने लगा। अस्मिता ने रूद्र की ओर देखा और बोली, "आई एम सॉरी, आई एम सॉरी। प्लीज, प्लीज रुक जाइए।"

    रूद्र उसकी बात नहीं माना और रुका नहीं। उसने अस्मिता को किस करते-करते उसके नाइटगाउन को एक झटके में खोल दिया। जैसे ही अस्मिता ने अपने गाउन का रिबन खुलते देखा, उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।

    अस्मिता ने मन ही मन कहा, "हे कान्हा जी, यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ? आपने तो मुझे एक नर्क से निकालकर दूसरे नर्क में डाल दिया! कम से कम उस जगह पर मुझमें यह सब सहने की शक्ति तो थी, लेकिन यहाँ तो ऐसा लग रहा है कि दम घुटकर ही मेरी मौत हो जाएगी। कम से कम वह मेरा पति था, तो मैं वह सब कुछ सहन कर लेती थी, लेकिन इस आदमी से तो मेरा कोई रिश्ता भी नहीं है। उसके बावजूद भी मुझे यह सब क्यों सहना पड़ रहा है? कान्हा जी, आप हर बार मेरे साथ ही ऐसा क्यों करते हैं?"

    अस्मिता यह सारी बातें मन ही मन बोल रही थी कि तभी उसे रूद्र का हाथ अपने पेट पर महसूस हुआ। जैसे ही अस्मिता ने देखा, रूद्र का हाथ उसके पेट पर था। अस्मिता की नज़र अपनी बॉडी पर गई। उसने देखा कि उसने नाइटगाउन के अलावा कुछ भी नहीं पहना हुआ था। इस वजह से अस्मिता की दिल की धड़कनें और भी तेज हो गईं। उसने देखा कि रूद्र ने उसका पूरा नाइटगाउन उसकी बॉडी से हटा दिया है और वह अस्मिता की बॉडी की ओर अजीब नज़रों से देख रहा है।

    अस्मिता की साँसें मानो वहीं रुक गई हों। उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर ली। वह नहीं देख पा रही थी कि कोई गैर-आदमी उसे बिना कपड़ों के इस तरह देखे।

    लेकिन रूद्र अस्मिता की तरह नहीं, प्यार भरी नज़रों से देख रहा था और वह अस्मिता की बॉडी को अपने पूरे हाथ से स्पर्श करने लगा। जैसे ही अस्मिता ने रूद्र के हाथ को अपने पेट से ऊपर की ओर आते हुए महसूस किया,

    अस्मिता की दिल की धड़कनें काफी तेज हो गईं और उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे। रूद्र अस्मिता के आँसुओं को देखकर उसके बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता के दोनों गालों को कसकर पकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, मैंने तुमसे मना किया था ना कि तुम्हें अब रोना नहीं है। मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता। तुम नहीं जानती, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। तुम मेरी जान हो और तुम अब रो नहीं सकती, इसलिए जल्दी से रोना बंद करो।"

    अस्मिता अपनी आँखें नहीं खोल रही थी और उसकी आँखों से आँसू बहते ही जा रहे थे। तभी रूद्र ने अस्मिता के दोनों हाथों को कसकर पकड़ा और उसकी उंगलियों में अपनी उंगलियाँ फँसाते हुए कहा, "बार्बी डॉल, अगर अपनी सलामती चाहती हो तो आँखें खोलो अपनी।"

    और इस बार अस्मिता को उसकी आवाज़ में एक अलग ही सख्ती नज़र आई। उसने तुरंत अपनी आँखें खोलीं। अस्मिता की आँखें रोने की वजह से लाल हो गई थीं और वह रूद्र के चेहरे को अपने चेहरे के बिल्कुल सामने देख रही थी। रूद्र ने अस्मिता के गालों को चूमते हुए कहा, "मैं तुम्हें प्यार कर रहा हूँ और तुम रो रही हो। इस तरह रोना नहीं है तुम्हें। तुम्हें बस मुस्कुराना है और मेरे प्यार को फील करना है, और जो मैं तुम्हारे साथ करूँ उसे एन्जॉय करो, ओके।"

    अस्मिता रूद्र की आँखों में आँखें डालकर देख रही थी। तभी रूद्र ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "बार्बी डॉल, सुना तुमने क्या कहा मैंने?"

    अस्मिता ने धीरे से हाँ में सिर हिलाया। रूद्र के हाथ अस्मिता की अप्पर बॉडी पर चढ़ गए और वह उसकी पूरी बॉडी को बड़े ही सेक्सी अंदाज़ से स्पर्श करने लगा। वह अस्मिता की बॉडी को देखकर मुस्कुरा रहा था। अस्मिता उसे इस तरह मुस्कुराते देख अपने मन में बोली, "यह रूद्र भी वैसे ही है। मैं इन्हें थोड़ा अच्छा इंसान समझती थी, लेकिन मैंने इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकती हूँ? कैसे मैं इन्हें पहचान नहीं पाई?"

    अस्मिता इतना बोलते-बोलते रोने लगी कि तभी उसे रूद्र के दोनों हाथ अपने ब्रेस्ट पर महसूस हुए। जैसे ही उसे रूद्र के हाथों की ताकत महसूस हुई, अस्मिता की आँखें खुल गईं। उसने रूद्र की ओर देखते हुए कहा, "प्लीज रूद्र जी, ऐसा मत करिए। प्लीज रुक जाइए।"

    रूद्र ने अस्मिता की यह बात सुनते ही उसके चेहरे की ओर देखा। वह उसकी बिल्कुल करीब आकर धीमी आवाज़ में बोला, "क्यों? क्यों रुक जाऊँ बार्बी डॉल? तुम मेरा टच एन्जॉय नहीं कर रही क्या? क्या तुम्हें मेरा टच अच्छा नहीं लग रहा? बोलो, बोलो ना?"

    अस्मिता उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे रही थी कि तभी रूद्र ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "बोलो…!"

    अस्मिता उसकी तेज आवाज़ सुनकर डर गई। डर की वजह से अस्मिता की एक सिसकी निकल गई। रूद्र ने अपने हाथ को उसके ब्रेस्ट पर से हटाया और वह अस्मिता के पेट पर अपना हाथ रखकर उसके पेट को छूते हुए बोला, "बार्बी डॉल, अब अगर तुम्हारी आँखों से एक और आँसू गिरा, तो मैं तुम्हें इतना दर्द दूँगा कि तुम अपने सारे दर्द भूल जाओगी।"

    क्रमशः

  • 10. Mujhe Pyar Karo - Chapter 10

    Words: 1258

    Estimated Reading Time: 8 min

    10

    First Romance

    अस्मिता रुद्र की इस साइको वॉइस से डर गई थी और उसने रुद्र की तरफ देखा और उसकी आंखों का पानी सूख गया और तभी रूद्र मुस्कुराते हुए उसके पास आया और उसने अस्मिता के गाल को बड़े प्यार से छूते हुए कहा, "that's my गुड गर्ल।”

    इतना बोलकर उसकी नजर अस्मिता के होठों पर गई और वह उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसे बड़े प्यार से किस करने लगा, और उसके हाथ अस्मिता के ब्रैस्ट पर चले गए और वो उसे बड़े प्यार से टच करने लगा।

    अस्मिता ने अपने हाथों की कसम मुट्ठी बांध ली थी और उस ने रूद्र को नहीं रोका, रूद्र उसके होठों से किस करते-करते उस की कॉलर बोन पर पहुंचा और उसे किस करते हुए उसके क्लीवेज पर किस करने लगा।

    जिस तरह से रूद्र अस्मिता को किस कर रहा था उससे अस्मिता को इतना तो समझ में आ गया था कि अगर उसने अभी रूद्र को नहीं रोका तो फिर वह रूद्र को रोक नहीं पाएगी।

    अस्मिता की पहले तो हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह रूद्र को रोके क्योंकि रूद्र जिस तरह से उसके साथ बिहेव कर रहा था उसके अंदर एक साइको आदमी साफ नजर आ रहा था अस्मिता उससे बहुत ज्यादा डर गई थी अस्मिता ने अपने सामने की तरफ देखा और रुद्र उसकी गर्दन पर किस करते-करते उसके क्लीवेज तक पहुंच गया था और वह उसके क्लीवेज पर बड़ी ही सॉफ्टली किस कर रहा था।

    रूद्र उसके साथ जरा भी harshly पेश नहीं आ रहा था लेकिन तभी अस्मिता ने रुद्र के कंधे पर अपने दोनों हाथ रखे और पूरी ताकत लगाकर उसने रूद्र को धक्का देते हुए कहा, "हटिए रुद्र ये आप क्या कर रहे हैं हमने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि आप भी बाकी मर्दों की तरह होंगे हम आपको एक अच्छा इंसान समझते थे और आप हैं कि..!"

    इतना बोलकर अस्मिता ने जल्दी से अपने नाइट गाउन को बंद कर लिया और उसे इस तरह अपने नाइट गाउन को बंद करते देखकर रूद्र जैसे मानो वो चिढ़ गया हो उसने अस्मिता के दोनों हाथों को अपने हाथ में जकड़ते हुए कहा, "व्हाट आर यू डूइंग यह क्या कर रही हो तुम मुझे इस तरह खुद से दूर नहीं कर सकती बार्बी डॉल? मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं मैंने अभी तुम्हें बताया ना तुम्हें एक बार में मेरी बात समझ में नहीं आती है क्या?"

    रुद्र अस्मिता की तरह गुस्से से देख रहा था और अस्मिता को नहीं समझ आ रहा था कि वह रूद्र को कैसे हैंडल करें और उसे कैसे समझाएं?

    रूद्र ने अस्मिता के बिल्कुल करीब आकर उसके दोनों हाथों को कसकर जकड़ा और वह उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, "अस्मिता मेरी बात ध्यान से सुनो तुम मेरी जान हो और तुम मुझे खुद से दूर नहीं भेज सकती मैं तुम्हारे मना करने पर भी नहीं मानूंगा समझ रही हो ना तुम मुझे तुमसे कितना प्यार है मैं तुम्हें कितना चाहता हूं।"

    अस्मिता ने रुद्र की आंखों में आंखें डाल कर देखा और रुद्र की आंखों में उसे पागलपन साफ नजर आ रहा था रूद्र ने अस्मिता की गर्दन पर अपना हाथ रखा और उसे सर से लेकर पांव तक देखते हुए वह बड़े ही साइको वे में बोला, "बार्बी डॉल प्लीज मुझे ऐसा करने पर मजबूर मत करो कि मैं तुम्हें इतना दर्द दूं कि तुम उसे दर्द को बर्दाश्त ना कर पाओ इसलिए बेहतर होगा कि तुम अब मेरे सारी बातें मनो।"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता के राइट वाले पैर को पकड़ा और उसके पैर को बड़े ही सेडक्टिव वे में चूमने लगा।

    उसके पैरों को चूमते चूमते उसने अस्मिता के पैर को पकड़ कर उसने तेजी से घसीटा और जिस वजह से अस्मिता वही बेड पर लेट गई और अस्मिता के मुंह से एक तेज चीख निकली।

    रुद्र ने उस की चीख सुनकर उसकी तरफ देखकर धीमी आवाज में कहा, "देखा बार्बी डॉल मैं तुमसे बोल रहा था ना कि तुम्हें लगेगी बट तुम हो कि मेरी बात ही नहीं सुनती हो एनीवेज अब तुम मुझे रोकने की कोशिश मत करना ओके।"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता के नाइट गाउन का रिबन पड़कर खोला और वह उसके पेट और उसके क्लीवेज पर किस करते-करते उसके ऊपर आ गया और अस्मिता की आंखों से आंसू निकल रहे थे और जो वह रुद्र की तरफ देखकर रोते हुए बोली, "प्लीज़ रूद्र रूक जाइए मेरी बात सुनिए।"

    रूद्र ने अस्मिता की बात नहीं सुनी और वह उसके क्लीवेज से होता हुआ उसके पेट पर किस करने लगा और वह अस्मिता को अंडरगारमेंट्स में देखकर बहुत ही खुश हो रहा था उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कुराहट नजर आ रही थी और उसे मुस्कुराहट को देखकर अस्मिता का दिल बैठ जा रहा था।

    अस्मिता ने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांध ली और उसने रुद्र के हाथ को पकड़ते हुए कहा, "प्लीज रूद्र आप ऐसा क्यों कर रहे हैं हमारे साथ आप जानते हैं ना हम आपसे प्यार नहीं करते और मेरी शादी हो चुकी है।"

    रुद्र ने जैसे ही अस्मिता के मुंह से शादी की बात सुनी, तो रूद्र रुक गया और वह अस्मिता के चेहरे की तरफ देखने लगा वह धीरे-धीरे उसके चेहरे की बिल्कुल नजदीक आया और उसने अस्मिता के गालों को दबोचते हुए कहा, "तुम्हारी शादी हो चुकी है और तुम्हारी शादी को अभी सिर्फ 4 महीने हुए हैं मैं यह बातें बहुत अच्छी तरह से जानता हूं मुझे तुम्हारे बारे में सब कुछ पता है बार्बी डॉल, तुम्हें मुझे कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है हां अगर तुम को मुझ में इंटरेस्ट है तो तुम मेरे बारे में पूछ सकती हो जो भी तुम्हें पूछना हो मैं तुम्हें सब कुछ बताने के लिए तैयार हूं।"

    अस्मिता ने रुद्र की तरफ देखकर नाम में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं मुझे आपके बारे में कुछ नहीं जानना बस मेरी आपसे एक रिक्वेस्ट है रुद्र प्लीज आप मुझे मेरे हस्बैंड के पास छोड़ आईए। वरना अगर उन्हें पता चला कि मैं यहां आपके साथ हूं यहां पर रहते हुए मुझे 2 दिन बीत गए हैं तो वह मेरी जान ले लेंगे आप नहीं जानते उन्हें..!"

    अस्मिता ने जैसे ही यह बात कही रूद्र ने अस्मिता की कमर पर अपना हाथ फेरा और उसने अस्मिता के बिल्कुल करीब जाकर उसके होठों को देखा और उसके होठों को अपने अंगूठे से टच करते हुए कहा, "बार्बी डॉल तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लो, कोई तुम्हें कुछ नहीं करेगा अब तुम मेरे पास हो और जब तक तुम मेरे पास हो मेरे अलावा तुम्हें कोई छू भी नहीं सकता तुम्हारे उस दो कौड़ी के पति की तो कोई औकात ही नहीं है तुम तुम उन सब चीजों के बारे में भूल जाओ जो पिछले 4 महीना में तुम्हारे साथ हो रही थी, उसने तुम्हारे साथ जो कुछ भी किया अब वैसा कुछ भी नहीं होगा बार्बी डॉल, अब तुम बस मेरे साथ रहोगी मैं तुम्हें प्यार करूंगा और तुम तुम मुझे प्यार करोगी बस इतना ही काम है तुम्हारा ओके।"

    इतना बोलते बोलते वह अस्मिता के होठों के करीब गया और उसने अस्मिता के दोनों हाथों को कसकर अपने हाथों में पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ रखकर वह उसे इतनी पैशनेटली किस करने लगा कि अस्मिता बिल्कुल सकपका गई और वह उसके हाथ से अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन रुद्र की ताकत इतनी ज्यादा थी की अस्मिता उसे अपना हाथ छोड़ ही नहीं पाई।

    To be continued...

    agar aap logon Ko story acchi lag rahi hai to please story ko like aur comment kar diya kariye aap logon ki comment dekhkar motivation milta hai aur जल्दी-जल्दी chapter dalne ka bhi man karta hai

  • 11. Mujhe Pyar Karo - Chapter 11

    Words: 1108

    Estimated Reading Time: 7 min

    11
    अस्मिता अपना हाथ रुद्र के हाथ से छुड़ाने की नाकाम कोशिश करती जा रही थी लेकिन रूद्र उसके हाथ को छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था और वह इतनी ज्यादा परेशान हो गई थी उसे नहीं समझ आ रहा था कि अगर अभी रूद्र ने उसके साथ कुछ करना शुरू कर दिया तो वह उसे कैसे रोक पाएगी।
    अस्मिता ने रुद्र की तरफ देखा और वह उसकी गर्दन और उसके क्लीवेज पर किस कर रहा था और तभी अस्मिता ने उसे रोते हुए कहा, "रूद्र प्लीज रुक जाइए आप क्या करने वाले हैं?”
    रूद्र ने जैसे ही अस्मिता की यह बात सुनी हो तो उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "कुछ नहीं बार्बी डॉल मैं तो बस तुम्हें प्यार करने वाला हूं और तुम्हें प्यार ही करूंगा और क्या करूंगा तुम तुम जानती हो ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं।”
    अस्मिता ने जैसे ही उसकी यह बात सुनी वह उसकी तरफ डरते हुए देखने लगी और उसने अपनी आंखें कसकर बंद करते हुए कहा, "आप ऐसा नहीं कर सकते।”
    अस्मिता की यह बात सुनते ही रूद्र के चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज होता है और उसने अस्मिता के गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "क्यों क्यों नहीं कर सकता मैं?”
    अस्मिता ने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बंदी और उस ने तेज आवाज में चलते हुए कहा, "मेरे पीरियड्स चल रहे हैं आप इस तरह मेरे साथ जबरदस्ती का सेक्स नहीं कर सकते।”
    जैसे ही रूद्र ने अस्मिता की यह बात सुनी वह उसके चेहरे के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता के होठों के पास आकर उसके होठों को अपने हाथों से छूते हुए कहा, "मैं जानता हूं बार्बी डॉल और मुझे तुम्हारे पीरियड से कोई प्रॉब्लम नहीं है मैं मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं और तुम्हें हर सिचुएशन में मैं प्यार करूंगा, तुम तुम बिल्कुल टेंशन मत लो तुम्हें मैं बिल्कुल भी दर्द नहीं दूंगा।”
    इतना बोलकर रुद्र के हाथ अस्मिता के ब्रैस्ट पर गए और उसने अस्मिता की ब्रैस्ट को अपने हाथों से प्रेस किया अस्मिता की आंखों से आंसू बहने लगे और तभी रूद्र ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा, "कम ऑन बार्बी डॉल मैं जानता हूं तुम अभी मुझको खुद से दूर करने के बारे में बहाने बना रही हूं बट तुम्हारा कोई बहाना काम नहीं करेगा।”
    इतना बोलकर उसके हाथ अस्मिता की मेंन पार्ट की तरफ बढ़ने लगे और अस्मिता ने जैसे ही उसके हाथ को अपने प्राइवेट पार्ट के पास फील किया अस्मिता ने उसके हाथों को कसकर पढ़ते हुए कहा, "प्लीज रूद्र रुक जाइए आपको जो भी करना है प्लीज तीन दिनों के बाद करिएगा।”
    जैसे ही रूद्र ने यह बात सुनी, वह उसकी तरफ देखकर साइको की तरह मुस्कुराते हुए बोला, "क्यों क्यों बार्बी डॉल तीन दिनों के बाद क्यों मुझे तो अभी तुम्हें प्यार करना है और मैं तुम्हें प्यार जरूर करूंगा।”
    इतना बोलकर वह अस्मिता के पैरों के बीच अपने हाथों को लेकर गया और उसने बड़े प्यार से उसे उसकी तरफ देखा।
    अस्मिता को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था और वह बहुत ही ज्यादा अनकंफरटेबल हो रही थी उसने अपने दोनों पैरों के बीच से रुद्र का हाथ निकला और वह रोते हुए बोली, “प्लीज रूद्र प्लीज..!” अस्मिता को इस तरह रोते देखकर रूद्र ने अपना हाथ उसके पैरों के बीच से निकाला और वह उसके बिल्कुल करीब आकर उसके गाल को चूमते हुए बोला, "बार्बी डॉल तुम्हारी आंखों में आंसू मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है मैं तुमसे पहले ही मना किया था ना कि अब तुम रोगी नहीं रोना बंद करो मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगा!”
    जैसे ही रूद्र ने ये बात कही अस्मिता ने अपनी आंखें खोली और वह उसकी तरफ देखने लगी और रुद्र ने कहा, "तुम मुझे यह बताओ क्या खाओगी?”
    अस्मिता ने जैसे ही रुद्र के मुझसे बात सुनी वह हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी और रुद्र बेड से उठकर बैठ उसने अस्मिता की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "बताओ बार्बी डॉल क्या खाओगी तुम ?”
    अस्मिता ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मुझे भूख नहीं है मुझे नींद आ रही है मैं बस थोड़ी देर सोना चाहती हूं।”
    इतना बोलकर अस्मिता ने अपनी आंखें बंद कर ली और उसने वही बेड पर पड़े हुए ब्लैंकेट को उठाकर अपने चारों तरफ लपेट लिया और उसे ऐसा करते देखकर रूद्र मुस्कुराया और वह उसके पास आकर अस्मिता के सर पर अपना हाथ फेरते हुए बोला, "बार्बी डॉल तुम मेरी सारी बातें मानो मैं तुम्हारी सारी बातें मानूंगा।”
    अस्मिता रुद्र की बात सुन रही थी और वही रूद्र उसके बगल में बैठा और वह उसके गाल को अपने हाथों से सहलाते हुए बोला, "मेरी बार्बी डॉल कितनी प्यारी है और मुझे तो तुम्हारे चेहरे की तरह देखकर तुम पर इतना प्यार आता है कि मेरा तो मन करता है कि मैं तुम्हें छोड़कर कहीं जाऊं ही नहीं!”
    अस्मिता चुपचाप आपकी बात कर हुई थी और वह रुद्र की सारी बातें सुन रही थी वही अस्मिता ने अपने मन में कहा, "से कान्हा जी मैं कहां इस जगह पर आकर फस गई हूं पता नहीं प्रदीप जी मुझे ढूंढ भी रहे होंगे या नहीं?”
    अस्मिता के दिमाग में काफी सारे सवाल चल रहे थे और वह अभी भी अपने बगल में रूद्र को महसूस कर पा रही थी और रुद्र का हाथ उसकी कमर पर था और अस्मिता ने अपनी आंखें कसकर बंद की और वह गहरी नींद में सो गई ‌।
    रूद्र ने जब अस्मिता को इस तरह इतनी गहरी नींद में सोते हुए देखा तो वह वही चुपचाप उसके बगल में आकर लेट गया क्योंकि मुझे परेशान नहीं करना चाहता था और उसे इतनी चैन से सो रही थी कि उसे देखकर रूद्र को बड़ा अच्छा लग रहा था।
    वो उसके बगल में आकर लेट और उसने अस्मिता को अपनी बाहों में भर लिया।
    अगले दिन अस्मिता की आंख खुली और उसने खुद को कमरे में बिल्कुल अकेला पाया और वह उसे कमरे से निकलने की कोशिश कर रही थी लेकिन जैसे ही वह कपड़े के दरवाजे के पास पहुंचे उसने देखा उसके कमरे का दरवाजा बंद था अस्मिता वापस अपने बेड पर आकर बैठ गई और थोड़ी सी देर बाद उसके कमरे का दरवाजा खुला और सामने से एक नौकर खाने की ट्रे लेकर आया और वह खाने की ट्रे को अस्मिता के सामने रखकर चुपचाप वहां से बाहर चला गया और अस्मिता ने जैसे ही खाने की तरह देखा वह काफी ज्यादा भूखी थी उसने चुपचाप नहीं बैठ कर अपना खाना खाया और अस्मिता वॉशरूम की तरफ गई वहां पर बैठकर अस्मिता ने अपने मन में सोते हुए कहा, "मुझे यहां से निकलने के लिए कुछ तो करना पड़ेगा, लेकिन कैसे निकलूंगी मैं यहां से?"
    अस्मिता ये सोच कर बहुत परेशान हो रही थी।
    To be continued

  • 12. Mujhe Pyar Karo - Chapter 12

    Words: 1091

    Estimated Reading Time: 7 min

    वहीं दूसरी तरफ, अस्मिता का पति, काफी गुस्से में था। उसने अस्मिता के लापता होने की रिपोर्ट पुलिस थाने में दर्ज कराई।

    पुलिस वालों ने अस्मिता की तस्वीर देखते ही उसकी गुमशुदगी रिपोर्ट दर्ज कर ली। प्रदीप को जाने के लिए कहा गया। तीन दिन बीत गए। प्रदीप फिर पुलिस थाने पहुँचा और बोला, "इंस्पेक्टर साहब, मेरी पत्नी सात दिनों से गायब है। आप लोगों को कोई खबर मिली?"

    पुलिस वाले ने प्रदीप को घूरते हुए कहा, "नहीं, अभी तक कोई खबर नहीं मिली है। जैसे ही कोई खबर मिलेगी, हम तुम्हें बता देंगे। अब तुम यहाँ से जा सकते हो।"

    प्रदीप बहुत परेशान हो रहा था। उसने मन ही मन कहा, "पता नहीं यह मनहूस औरत मेरे ही पल्ले पड़नी थी क्या? कहाँ ढूँढूँगा मैं अब इसे? इसकी वजह से मेरी ज़िन्दगी नरक होती जा रही है।"


    वहीं, रुद्र के बेडरूम में, अस्मिता काफी घबराई हुई थी। उसने मन ही मन कहा, "पिछले दो दिनों से रुद्र जी यहाँ नहीं आए हैं। पता नहीं क्या चल रहा है उनके दिमाग में। और अब अगर वे यहाँ आए, तो मैं उन्हें रोक भी नहीं पाऊँगी।"

    अस्मिता सोच ही रही थी कि उसने धीमी आवाज़ में कहा, "मुझे यहाँ से भागने के लिए कुछ ना कुछ तो करना होगा। थोड़ी हिम्मत तो दिखानी ही होगी, वरना मैं यहाँ हमेशा के लिए फँस जाऊँगी। और वैसे भी, रुद्र कोई आम इंसान नहीं है। वह इतना बड़ा साइको है कि अगर उन्होंने कुछ उल्टा-सीधा किया, तो... नहीं-नहीं, उनके वापस आने से पहले ही मुझे यहाँ से भागना होगा।"

    अस्मिता कमरे से बाहर निकलने के बारे में सोचने लगी। कमरे के दरवाज़े के पास पहुँचकर उसने दरवाज़ा खोलने की कोशिश की। दरवाज़ा बाहर से बंद था। वह उठी और कमरे की तलाशी लेते हुए बोली, "इतना बड़ा कमरा है और इसमें सिर्फ़ एक दरवाज़ा? ऐसा कैसे हो सकता है? ज़रूर यहाँ कोई खिड़की या दूसरा दरवाज़ा होगा।"

    पूरे कमरे की छानबीन करने के बाद भी उसे कुछ नहीं मिला। वह परेशान होकर बेड पर बैठ गई। तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और रुद्र अंदर आया। उसने जिम के कपड़े पहन रखे थे— ट्रैकसूट में वह बहुत हैंडसम लग रहा था। अस्मिता उसे देखकर घबरा गई और बेड से पीछे खिसकने लगी।

    उसे पीछे हटते देख रुद्र मुस्कुराया और बोला, "बार्बी डॉल, लंच कर लिया तुमने?"

    अस्मिता ने धीरे से सिर हिलाया। रुद्र उसके करीब आ रहा था। अस्मिता के दिल की धड़कनें बढ़ रही थीं। रुद्र ने उसकी तरफ़ मुस्कुराते हुए देखा और कहा, "क्या-क्या सोच रही हो, बार्बी डॉल?"

    अस्मिता ने जवाब नहीं दिया।

    वह अस्मिता के बिलकुल करीब आया और अपने ट्रैकसूट का ज़िप खोलकर उसे उतारने लगा। अस्मिता की नज़र सीधे रुद्र के सीने पर गई और वह डरने लगी। तभी रुद्र ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "तुम मुझसे इतना डरती क्यों हो, बार्बी डॉल? मैंने तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुँचाया। जो तुमसे प्यार करे, उससे तुम्हें डरना चाहिए? तुम्हें मुझसे डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।"

    रुद्र अस्मिता की आँखों में आँखें डालकर देखने लगा। उसने अस्मिता के दोनों गालों पर हाथ रखा और उसे किस करने के लिए आगे बढ़ा। अस्मिता ने अपना चेहरा दूसरी तरफ़ घुमा लिया।

    रुद्र को यह पसंद नहीं आया। उसने अस्मिता के गाल को पकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुमने मुझसे कहा था ना कि मैं तुम्हें तीन दिन बाद प्यार करूँ? तीन दिन बीत गए हैं। अब तुम अपनी बात से पीछे नहीं हट सकती।"

    अस्मिता का दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उसने रुद्र की तरफ़ नहीं देखा और बेड से उतरकर उससे दूर जाने लगी। रुद्र ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, "बार्बी डॉल, मैं तो तुमसे इतने प्यार से बात कर रहा हूँ और तुम मुझे इतना रूखा व्यवहार दिखा रही हो। मुझे ऐसा व्यवहार बिलकुल पसंद नहीं है। मैं चाहता हूँ कि तुम बस मुझे प्यार करो!"

    अस्मिता उसकी बातों पर ध्यान नहीं दे रही थी। उसकी नज़र दरवाज़े पर गई। रुद्र जब अंदर आया था तब उसने दरवाज़ा बंद नहीं किया था। अस्मिता ने मन ही मन कहा, "सबसे अच्छा मौका यही है। मुझे अभी यहाँ से निकलने की कोशिश करनी होगी, वरना मैं यहाँ हमेशा के लिए फँस जाऊँगी। अगर मैं यहाँ से निकल गई, तो जैसे-तैसे करके मैं घर तो पहुँच ही जाऊँगी।"

    जैसे ही रुद्र ने अस्मिता को अपने करीब खींचा, अस्मिता ने पूरी ताकत लगाकर अपना हाथ छुड़ाया और दरवाज़े की तरफ़ जाने लगी। रुद्र ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, ये क्या कर रही हो तुम? मैं तुम्हें प्यार करने के लिए यहाँ आया हूँ और तुम मुझसे दूर भाग रही हो।"

    अस्मिता ने रुद्र को धक्का देते हुए कहा, "मैं आपसे प्यार नहीं करती और मैं आपको अपने करीब नहीं आने दूँगी।"

    उसने रुद्र को धक्का दिया और कमरे से बाहर भागने लगी। रुद्र ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "यह तुमने अच्छा नहीं किया, बार्बी डॉल।"

    रुद्र कमरे से बाहर निकला। अस्मिता सीढ़ियों से नीचे उतरकर विला के बाहर के दरवाज़े की तरफ़ भाग रही थी कि रुद्र गैलरी में आकर खड़ा हुआ और उसने तेज आवाज़ में चिल्लाया, "क्लोज द मेन डोर।"

    क्रमशः

  • 13. Mujhe Pyar Karo - Chapter 13

    Words: 1240

    Estimated Reading Time: 8 min

    रुद्र कमरे से बाहर निकलकर गैलरी में आकर खड़ा हुआ और तेज आवाज़ में चिल्लाया, "क्लोज़ द मेन डोर।"

    जैसे ही रुद्र ने यह कहा, वहाँ मौजूद सभी नौकर दरवाज़े की ओर भागे और दरवाज़े को अंदर से बंद कर दिया।

    अस्मिता ने दरवाज़े के बंद होते ही अपना सीरियल आते हुए कहा, "नहीं नहीं, मैं यहाँ नहीं रुक सकती।"

    इतना कहकर अस्मिता सीधे दरवाज़े की ओर जाने लगी, कि तभी दो नौकरों ने दरवाज़े के सामने आकर हाथ रखते हुए कहा, "आई एम सॉरी मैडम, आप यहाँ से बाहर नहीं जा सकतीं।"

    अस्मिता ने दोनों आदमियों को धक्का दिया और दरवाज़ा खोलने की कोशिश करने लगी। लेकिन दरवाज़ा बुरी तरह से बंद था। तभी अस्मिता की नज़र एक न्यूमेरिक लॉक पर पड़ी। अस्मिता समझ गई कि दरवाज़ा नंबर से बंद है। उसने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, "हे कान्हा जी, ये कैसी मुसीबत में डाल दिया आपने मुझ पर।"

    रुद्र सीढ़ियों से धीरे-धीरे नीचे उतर आया और अस्मिता की ओर देखते हुए बोला, "बहुत बड़ी गलती कर दी बार्बी डॉल तुमने। अब तुमने मुझे मजबूर कर दिया है। अब मुझे वह करना पड़ेगा जो मैं तुम्हारे साथ नहीं करना चाहता था!"

    अस्मिता ने यह बात सुनकर रुद्र की ओर देखते हुए कहा, "प्लीज़ रुद्र, मुझे जाने दीजिये।"

    रुद्र ने सिर हिलाते हुए कहा, "अगर तुम्हें जाना ही होता तो मैं तुम्हें यहाँ क्यों लाता बार्बी डॉल? इतनी छोटी सी बात नहीं समझ आ रही क्या तुम्हें?"

    अस्मिता रुद्र की ओर देख रही थी। वह उसकी ओर बढ़ रहा था। जैसे ही वह उसके पास पहुँचा, अस्मिता पीछे की ओर भागने लगी। तभी दो नौकरों ने अस्मिता का हाथ पकड़ लिया। रुद्र ने तेज आवाज़ में कहा, "हाउ डेयर यू? तुमने मेरी बार्बी डॉल का हाथ छुआ कैसे?"

    उसकी तेज आवाज़ सुनकर दोनों आदमियों ने अस्मिता का हाथ छोड़ दिया। अस्मिता रुद्र की ओर देख रही थी, तभी रुद्र उन आदमियों के पास आकर उन्हें जोरदार थप्पड़ मारते हुए बोला, "मैंने तुम लोगों से कहा था ना कि कोई भी मेरी बार्बी डॉल को हाथ नहीं लगाएगा।"

    वह दोनों आदमी रुद्र की ओर देखकर हाथ जोड़ते हुए बोले, "आई एम सॉरी बॉस, आई एम सो सॉरी!"

    रुद्र गुस्से से उन्हें घूर रहा था। फिर उसने तेज आवाज़ में चिल्लाया, "मेरे अलावा कोई भी मेरी बार्बी डॉल को हाथ नहीं लगाएगा, अंडरस्टैंड?"

    वहाँ मौजूद सभी ने हाँ में सिर हिलाया। रुद्र अस्मिता के पास आया और उसका हाथ पकड़ते हुए बोला, "चलो बार्बी डॉल, अब कमरे से बाहर भागकर मत आना, ओके।"

    अस्मिता ने हाथ जोड़कर रुद्र के पैरों के पास बैठते हुए कहा, "प्लीज़ मुझे जाने दीजिये रुद्र।"

    रुद्र ने ना में सिर हिलाया और अस्मिता का हाथ पकड़कर उसे अपने कंधे पर उठा लिया। अस्मिता ने उसकी पीठ पर हाथ मारते हुए कहा, "छोड़िये मुझे रुद्र, छोड़िये।"

    रुद्र ने अस्मिता की बातों पर ध्यान नहीं दिया और उसे उठाकर अपने कमरे में ले गया। जैसे ही अस्मिता कमरे में आई, उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे। उसने इतनी हिम्मत करके भागने की कोशिश की, लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। और अब रुद्र बहुत गुस्से में भी लग रहा था, जिस तरह से उसने उसे उठाकर लाया था।

    अस्मिता समझ गई थी कि अब वह रुद्र को किसी भी हाल में नहीं रोक सकती। वैसा ही हुआ। रुद्र ने अस्मिता को बिस्तर पर पटक दिया और उसके करीब आते हुए बोला, "बार्बी डॉल, तुम... तुमने यह अच्छा नहीं किया। तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। अब तुम जानती हो ना मैं क्या करूँगा।"

    अस्मिता डरते हुए रुद्र की ओर देख रही थी। तभी रुद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब गया और उसके हाथों को कसकर पकड़ते हुए उसके ऊपर चढ़ गया। वह उसके बिल्कुल नज़दीक आकर बोला, "कितने दिनों से मैं तुमसे प्यार करना चाह रहा था, तुम्हें अपना बनाना चाह रहा था, लेकिन तुमने मुझे हर बार अपने करीब आने से रोका। लेकिन अब मैं खुद को और नहीं रोक सकता।"

    अस्मिता रुद्र की आँखों में एक अलग ही पागलपन देख रही थी। रुद्र ने अस्मिता के दोनों हाथों को कसकर पकड़ा और उसके होठों पर अपने होठ रखकर उसे किस करने लगा।

    अस्मिता ने रुद्र को खुद से दूर करने की कोशिश की, लेकिन रुद्र ने अपनी पूरी ताकत से अस्मिता को अपने कब्ज़े में कर रखा था। अस्मिता मचल रही थी और उसे अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन रुद्र ने अस्मिता के दोनों पैरों को अपने एक पैर से दबाया और उसके ऊपर चढ़ने लगा।

    अस्मिता ने देखा कि रुद्र ने उसे पूरी तरह से पकड़ रखा है और वह खुद को नहीं छुड़ा सकती, तो वह रोने लगी। अस्मिता के आँसुओं को देखकर रुद्र उसके बिल्कुल करीब गया और उसने उसके आँसुओं को चूमा। अस्मिता के गाल पर जितने भी आँसू थे, रुद्र ने अपने होठों से उन्हें छुआ। इसे करते देखकर अस्मिता शांत हो गई। तभी रुद्र ने अपना हाथ अस्मिता की बॉडी पर रखा और उसकी पूरी बॉडी को अपने हाथों से छूने लगा।

    अस्मिता रुद्र के हाथ को अपने पूरे बदन पर महसूस कर रही थी। तभी रुद्र अस्मिता के कान के पास आकर धीमी आवाज़ में बोला, "बार्बी डॉल, अगर तुमने मेरा साथ दिया तो मैं तुम्हें कोई दर्द नहीं दूँगा। लेकिन अगर तुमने जरा भी चालाकी दिखाने की कोशिश की या मुझे खुद से दूर करने की कोशिश की, तो मैं भूल जाऊँगा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ!"

    अस्मिता रुद्र की आँखों में आँखें डालकर देख रही थी। उसकी जुनूनियत उसे साफ़ नज़र आ रही थी। तभी रुद्र ने अपने दोनों हाथों को अस्मिता के सीने पर रखा और उसे छूने लगा।

    अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। वह पहले ही काफी डरी हुई थी। जिस तरह से रुद्र ने उसे धमकी दी थी, अस्मिता अब अपनी जगह से हिल भी नहीं रही थी। रुद्र उसे देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "दैट्स माय गुड गर्ल।"

    इतना बोलकर रुद्र के हाथ अस्मिता के पेट पर पहुँचे और उसने अस्मिता के कपड़े एक-एक करके उतारने शुरू कर दिए। अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। रुद्र अस्मिता की गर्दन पर किस करता हुआ उसके क्लीवेज पर आया और उसके सीने पर किस करना शुरू कर दिया। जैसे ही अस्मिता ने उसके होठों को अपने सीने पर महसूस किया, उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बांध ली। रुद्र उसके पेट पर किस कर रहा था कि तभी अस्मिता का पूरा बदन कांप गया जब उसने रुद्र के हाथ को अपने निजी अंग पर महसूस किया।

    क्रमशः

  • 14. Mujhe Pyar Karo - Chapter 14

    Words: 1227

    Estimated Reading Time: 8 min

    अस्मिता को समझ नहीं आ रहा था कि वह रुद्र को किस तरह रोके। रुद्र का अस्मिता से इतना प्रेम था कि उसे समझ आ गया था—रुद्र रुकने वाला नहीं है। वह उसे रोक भी नहीं पाई क्योंकि रुद्र हद से आगे बढ़ चुका था। रुद्र के हाथ अस्मिता के दोनों पैरों के बीच में थे और अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर ली थीं। उसकी आँखों के कोने से आँसू बह रहे थे और वह उन्हें रोक नहीं पा रही थी। जैसे ही अस्मिता ने रुद्र के हाथ को पकड़ने की कोशिश की,

    रुद्र ने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ लिया। वह उसके करीब आया और उसके गाल को दबोचते हुए बोला, "मत करो बार्बी डॉल। तुम जितना मुझे खुद से दूर करने की कोशिश करोगी, मैं तुम्हारे उतने ही करीब आऊँगा। और तुम जानती हो ना, मैं गुस्से में फिर कुछ भी कर सकता हूँ। लेकिन मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि मैं तुम्हें दर्द नहीं दे सकता। इसलिए मेरी बात मानो और चुपचाप मेरा साथ दो। मैं जिस तरह प्यार कर रहा हूँ, वैसे ही तुम भी मुझे प्यार करो। क्योंकि अब तुम्हारी ज़िन्दगी मेरे हाथों में है और तुम्हारी लाइफ़ में अब सिर्फ़ एक ही काम बाकी है—मुझे प्यार करना। और तुम्हें अब अपनी सारी ज़िन्दगी बस यही करना है। क्योंकि मैं तुम्हें अब खुद से दूर तो कहीं नहीं जाने दूँगा। और अब तुम सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे साथ, मेरी बाहों में रहने वाली हो।"

    अस्मिता उसकी बातें सुन नहीं रही थी। उसने अपनी आँखें खोलीं और रुद्र की आँखों में देखा। रुद्र की आँखों में उसे एक अलग ही प्यार, ज़िद और जुनून नज़र आ रहा था। वह उसकी ज़िद और जुनून को महसूस कर पा रही थी। अस्मिता ने उसके हाथ से अपने हाथ छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा, "रुद्र, छोड़िए मुझे। मैं आपसे प्यार नहीं करती। मुझे यहाँ नहीं होना चाहिए। प्लीज़, आप मुझे मेरे पति के पास छोड़ आइए।"

    रुद्र ने अस्मिता की यह बात सुनते ही गुस्से में आकाश पर चढ़ गया। उसने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "जस्ट शट अप! कोई पति नहीं है तुम्हारा अब! अब तुम्हारे लिए जो कुछ भी है, वह मैं हूँ, समझी? तुम अब मुझे अपना पति मानो या फिर अपना लवर। तुम्हें इस बात को एक्सेप्ट करना पड़ेगा बार्बी डॉल। और उस आदमी का नाम तुम अपने मुँह से नहीं लोगी। और रही बात प्यार की, तो तुम उस आदमी से भी प्यार नहीं करती थीं ना? क्योंकि उसने भी तुम्हें आज तक कभी प्यार नहीं किया, सिर्फ़ और सिर्फ़ दर्द दिया है। और मैं तुम्हें चाहे जितना भी प्यार करूँ और तुम्हें जितना भी दर्द दूँ, लेकिन उस आदमी जितना दर्द तो मैं नहीं दे पाऊँगा। क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूँ, सुना? प्यार करता हूँ मैं तुमसे।"

    इतना बोलते-बोलते उसकी आँखों में एक अलग ही जुनून अस्मिता को नज़र आने लगा। अस्मिता ने अपनी आँखें उसकी तरफ़ से हटा लीं। यह देखकर रुद्र ने अस्मिता के गाल पर से अपना हाथ हटाया और वह उसके स्तनों पर आकर अपने हाथ रखते हुए बोला, "वैसे बार्बी डॉल, मुझे तुम्हारी बॉडी पर ये जख्म बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते। और इन जख्मों को मैं पूरी तरह से ठीक कर दूँगा।" इतना बोलकर वह अस्मिता के हाथ पर बने सिगरेट के निशान को छूने लगा। अस्मिता ने आँखें बंद करके उसके स्पर्श को महसूस किया।

    अस्मिता ने रुद्र का हाथ पकड़ते हुए कहा, "क्या फ़ायदा इन जख्मों को ठीक करने का, जब आप खुद ही मुझे इतना दर्द दे रहे हैं!"

    जैसे ही रुद्र ने उसकी बात सुनी, उसने अस्मिता को घूरते हुए कहा, "दर्द? बार्बी डॉल, मैंने तो अभी तुम्हें दर्द दिया भी नहीं और तुम पहले ही मुझ पर इस तरह का झूठा इल्ज़ाम लगा रही हो!"

    अस्मिता ने रुद्र की आँखों में गुस्सा देखा और वह उसके गुस्से को देखकर काफ़ी डर गई। तभी रुद्र ने उसके दोनों हाथों को पकड़ा और उसने अपने टेबल पर रखी अपनी बेल्ट उठाई। उसने उसके दोनों हाथों को बेल्ट से बाँधते हुए कहा, "इस तरह के झूठे इल्ज़ाम तो मैं बिल्कुल भी नहीं सहने वाला। बार्बी डॉल, अब दर्द क्या होता है, मैं तुम्हें दिखाऊँगा।"

    इतना बोलकर उसने बेल्ट से उसके हाथ बाँधे और उसके हाथ हेडरेस्ट से बाँध दिए। अस्मिता के दोनों हाथ ऊपर की तरफ़ बाँधे गए थे। अस्मिता काफ़ी छटपटा रही थी। तभी रुद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसके ऊपर चढ़ते हुए बोला, "बार्बी डॉल, अब अगर तुमने और ज़्यादा छटपटाने की कोशिश की, तो मैं तुम्हारे पैरों को भी इसी तरह से बाँध दूँगा। इसलिए अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे पैरों को ना बाँधूँ, तो अब हिलने की कोशिश मत करना।"

    अस्मिता उसकी बात सुनकर काफ़ी डर गई थी। हाथ बाँधे जाने के बाद वह खुद को बहुत लाचार महसूस कर रही थी। तभी अस्मिता ने अपने मन में कहा, "ये सच में बिल्कुल साइको है! अगर इन्होंने मेरे पैरों को भी बाँध दिया, तो...?"

    अस्मिता के चेहरे पर डर साफ़ नज़र आ रहा था। उसके चेहरे की घबराहट को देखकर रुद्र मुस्कुराते हुए बोला, "यह हुई ना बात।"

    इतना बोलकर रुद्र का हाथ अस्मिता के पैरों पर गया और वह उसकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगा। अस्मिता बिना कपड़ों की थी और उसे रुद्र के सामने बहुत शर्म आ रही थी। जब रुद्र ने अस्मिता के दोनों पैरों को अपने दोनों हाथों से छुआ, तो अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। तभी रुद्र ने अपने बाकी बचे हुए कपड़े उतार दिए। वह रुद्र की तरह नग्न हो गया। जैसे ही अस्मिता की नज़र रुद्र के संवेदनशील अंग पर गई, तो उसने देखा रुद्र पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था।

    अस्मिता उसे देखकर इतना घबरा गई कि उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। रुद्र ने कोई जल्दबाजी नहीं की। वह अपने कपड़े उतारकर अस्मिता की बॉडी की तरफ़ किसी साइको की तरह देख रहा था। उसकी नज़रें अस्मिता की बॉडी पर से हट नहीं रही थीं और उसके चेहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान थी।

    अस्मिता को उसकी नज़रें अपनी बॉडी पर महसूस हो रही थीं। वह अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता के पैर को पकड़ा और उसके पैर के पंजों को चूमने लगा।

    रूद्र के होठों को जैसे ही अस्मिता ने अपने पैरों पर महसूस किया, वह घबराई और उसके मुँह से एक आह निकली। रुद्र ने उसकी आह सुनकर खुश होते हुए कहा, "तुम्हारी इसी आवाज़ को सुनने के लिए मैं कब से तड़प रहा था बार्बी डॉल।"

    इतना बोलकर उसने अस्मिता के दूसरे पैर को भी उसी तरह चूमा और वह उसके पैर के पंजों को चूमते-चूमते ऊपर की तरफ़ बढ़ने लगा। जैसे ही उसके होठ अस्मिता के घुटनों पर महसूस हुए, वह डर गई। अस्मिता के मुँह से रुद्र का नाम निकला और उसने रुद्र से रोते हुए कहा, "रुद्र जी, प्लीज़ रुक जाइए।"

    क्रमशः

  • 15. Mujhe Pyar Karo - Chapter 15

    Words: 1235

    Estimated Reading Time: 8 min

    रूद्र ने अस्मिता के करीब आकर उसके होठों को चूमा और कहा, "नहीं रूक सकता मैं बार्बी डॉल अब.. कब से इस पल का इंतज़ार कर रहा था मैं। आँखें खोलो अपनी और मेरी तरफ देखो, महसूस करो मुझे और मेरी फीलिंग जो मैं तुम्हारे लिए करता हूँ। तुम भी बिल्कुल वैसा ही फील करोगी मेरे लिए।"

    अस्मिता उसकी बात सुन रही थी, लेकिन उसने अपनी आँखें नहीं खोलीं। तभी रूद्र ने अस्मिता के दोनों गालों पर हाथ रखा। उसके हाथों की गर्माहट अस्मिता के गालों पर महसूस होते ही उसने अपनी आँखें खोलीं। रूद्र का चेहरा उसके बिल्कुल सामने था; उसका पूरा बदन अस्मिता के बदन के ऊपर था।

    अस्मिता ने रूद्र के शरीर की गर्माहट महसूस की और रूद्र की ओर देखते हुए कहा, "रूद्र जी, क्या बोल रहे हैं आप? और मुझे क्या करना है?"

    रूद्र ने अस्मिता की बात सुनी और उसके होठों को बड़े प्यार से छूते हुए बोला, "मैं जो कर रहा हूँ यही सबसे सही है क्योंकि प्यार में सब कुछ जायज़ होता है, और मैं तो तुम्हें इतना प्यार करता हूँ, इतना प्यार करता हूँ कि तुम्हारे लिए तो मैं किसी भी हद तक जा सकता हूँ।"

    रूद्र इतना बोल ही रहा था और अस्मिता उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगी थी कि तभी अस्मिता को रूद्र का हाथ अपने स्तनों पर लगा महसूस हुआ। अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। तभी उसका दूसरा हाथ अस्मिता के निजी अंगों पर गया। रुद्र के हाथों की हरकत महसूस होते ही, अस्मिता के मुँह से एक तेज सिसकी निकली। उसकी सिसकी सुनकर रूद्र तिरछी मुस्कराहट से मुस्कुराया।

    वह रूद्र के हाथों की हलचल अपने निजी अंगों पर महसूस कर रही थी। उसने अपने पैरों को एक-दूसरे पर रगड़ा। वह जिस तरह से अपने पैरों को एक-दूसरे पर रगड़ रही थी, यह देखकर रूद्र ने अपने हाथों की हरकत और भी तेज कर दी। अस्मिता के मुँह से एक और तेज सिसकी निकली।

    उसने रूद्र को रोकते हुए कहा, "रूद्र जी, प्लीज़, प्लीज़ स्टॉप..."

    वह अस्मिता के होठों के पास आकर, उसके होठों पर अपने होंठ रखने से पहले उसे घूर कर देखते हुए बोला, "तुम्हारे मुँह से यह 'रुक जाओ' मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता। इसलिए मैं तुम्हारे होठों को अपने होठों में ले लेता हूँ ताकि तुम मुझे रुकने के लिए ना बोल पाओ।"

    इतना बोलकर रूद्र ने अस्मिता के दोनों होठों को अपने होठों में भर लिया और उसने अपने हाथों को और भी गहराई में ले जाया। अस्मिता ने जैसे ही रूद्र के हाथों को इतनी गहराई में जाते देखा, तो उसने अपने दोनों पैरों को एक-दूसरे पर इस तरह जोड़ लिया ताकि रूद्र अब उससे ज़्यादा गहराई में न जा पाए। लेकिन रूद्र उसकी हरकत समझ गया।

    उसने मुस्कुराते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुम्हें क्या लगता है, तुम इस तरह से मुझे रोक सकती हो? बिल्कुल भी नहीं! यह मत भूलो कि तुम्हारे हाथ बंधे हुए हैं और मेरे दोनों हाथ खुले हैं, तो मैं जो चाहूँ वह कर सकता हूँ।"

    इतना बोलकर रूद्र ने अस्मिता के पैरों की तरफ़ देखा और उसके पैरों के पास आकर उसके दोनों पैरों को एक-दूसरे से अलग करते हुए बोला, "देखा, अब अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे पैरों को भी बाँधूँ, तो अभी जो तुमने हरकत की है, उसे दोहराना मत। वरना मैं एक झटके में तुम्हारे दोनों पैरों को विपरीत दिशा में करके पूरी मज़बूती से बाँध दूँगा।"

    अस्मिता उसकी बात सुनकर रोने लगी। उसकी आँखें अब नहीं खुल रही थीं। रूद्र ने अस्मिता की ओर देखा और उसके आँसुओं को चूमते हुए उसके पूरे गाल को किस किया और धीरे-धीरे उसकी गर्दन पर किस करने लगा। तभी रूद्र इतना ज़्यादा उत्तेजित हो गया कि उसने अपने दाँत अस्मिता की गर्दन पर गड़ा दिए।

    अस्मिता चुपचाप रो रही थी और उसने अपने मन में कहा, "पहले प्रदीप जी ने मुझे इतना दर्द दिया और उसके बाद आप, यह रूद्र! कान्हा जी, क्या मेरी ज़िन्दगी में आपने सिर्फ़ और सिर्फ़ दुःख और दर्द ही लिखा है? क्या आप मेरी ज़िन्दगी में खुशियों को लिखना ही भूल गए?"

    अस्मिता रोती जा रही थी और तभी उसे अपने पूरे बदन पर रूद्र के होठों का स्पर्श महसूस हुआ। वह उसके पूरे बदन को किस कर रहा था। जैसे ही रूद्र ने अस्मिता के पेट पर किस किया,

    अस्मिता डरने लगी। रूद्र जिस तरह से अस्मिता को किस कर रहा था, उसे देखकर ही समझ में आ रहा था कि रूद्र अब अपनी हद से आगे बढ़ने वाला है। और उसने बिल्कुल वैसा ही किया। वह अस्मिता को किस करते-करते उसके निजी अंगों की ओर बढ़ने लगा। तभी अस्मिता ने तेज आवाज़ में कहा, "रूद्र जी, रुकिए! मुझे वाशरूम जाना है। प्लीज़, मेरे हाथ खोलिए।"

    रूद्र ने जैसे ही अस्मिता की यह बात सुनी, उसने अस्मिता की ओर देखकर कहा, "मैं जानता हूँ बार्बी डॉल, तुम मुझे रोकने की कोशिश कर रही हो, लेकिन मैं नहीं रुकने वाला। और मुझे पता है तुम्हें वाशरूम नहीं जाना है।"

    अस्मिता ने रोते हुए कहा, "नहीं, मुझे वाशरूम जाना है! प्लीज़, प्लीज़, प्लीज़, मेरे हाथ खोलिए! प्लीज़, आप मेरे हाथ खोल दीजिए, उसके बाद आपको जो करना हो कर लीजिएगा।"

    जैसे ही रूद्र ने बात सुनी, वह उसकी ओर देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "पक्का? फिर तुम मुझे रोकोगी नहीं ना?"

    अस्मिता ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं-नहीं, मैं नहीं रोकूँगी। प्लीज़, आप मेरे हाथ खोल दीजिए।"

    जैसे ही अस्मिता ने यह बात कही, रूद्र उसकी ओर देखने लगा। तभी रूद्र ने अस्मिता के हाथों को बेड रेस्ट से खोला, लेकिन उसके दोनों हाथों को अलग नहीं किया। अस्मिता उसकी ओर देख रही थी और उसने तुरंत अपने हाथों को खोलने के लिए उसकी ओर बढ़ाया। रूद्र ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, बार्बी डॉल, तुम्हें क्या लगता है, मैं तुम्हारी बात का इतनी आसानी से भरोसा कर लूँगा? बिल्कुल भी नहीं! और तुम्हें वाशरूम चलना है ना? चलो, मैं तुम्हें ले चलता हूँ।"

    इतना बोलकर रूद्र ने अस्मिता को अपनी गोद में उठा लिया और उसे लेकर वह सीधे वाशरूम की तरफ़ जाने लगा। अस्मिता रूद्र की ओर देख रही थी। रूद्र ने अस्मिता के हाथों को अपनी गर्दन में फँसा लिया था। जैसे ही उसने अस्मिता को अपनी गोद में उठाया,

    अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं क्योंकि रूद्र का हाथ उसकी कमर और उसके कूल्हों पर था। जैसे ही अस्मिता को लेकर वह वाशरूम के अंदर गया,

    उसने अस्मिता को वाशरूम में उतारा और खुद वाशरूम से दूसरी तरफ़ मुँह घुमाकर खड़े होते हुए बोला, "दो मिनट हैं तुम्हारे पास। वाशरूम यूज़ करो और फिर मुझे आवाज़ देना।"

    अस्मिता ने एक गहरी साँस ली और वह वाशरूम के अंदर जाकर अपना सिर पकड़ते हुए बोली, "हे कान्हा जी, क्या करूँ मैं इस साइको से बचने के लिए? मुझे कुछ ना कुछ तो सोचना ही होगा, वरना यह तो आज अपनी सारी हदें पार कर देगा! और अब तो मैं इन्हें रोक भी नहीं पाऊँगी क्योंकि मेरे पास तो और कोई बहाना ही नहीं बचा। यहाँ से निकलने के बाद पता नहीं रूद्र जी क्या करेंगे?"

    अस्मिता इतना सोच ही रही थी कि तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आया!

    क्रमशः...

  • 16. Mujhe Pyar Karo - Chapter 16

    Words: 1441

    Estimated Reading Time: 9 min

    अध्याय 16

    अस्मिता यह सोच ही रही थी कि वह खुद को रुद्र से कैसे बचाए, कि तभी उसके दिमाग में एक आइडिया आया।

    अस्मिता ने सामने रखे टॉवल को उठाया और उसे अपने शरीर के चारों ओर लपेटते हुए कहा, "हाँ, यह सही रहेगा। बस कान्हा जी, आप मेरा साथ दीजिएगा!"

    इतना बोलकर वह चुपचाप वहीं खड़ी हो गई। रुद्र वॉशरूम के बाहर उसके वापस आने का इंतज़ार कर रहा था। पाँच मिनट तक इंतज़ार करने के बाद, जब अस्मिता वॉशरूम से बाहर नहीं आई, तो उसने अंदर झाँकते हुए कहा, "बार्बी डॉल, क्या कर रही हो इतनी देर तक? अब मुझे और इंतज़ार नहीं हो रहा। मैं तुमसे और दूर नहीं रह सकता, इसलिए मैं अंदर आ रहा हूँ।"

    वॉशरूम का दरवाज़ा खोलते ही उसने देखा कि अस्मिता जमीन पर गिरी पड़ी थी। उसे जमीन पर गिरा देखकर रुद्र तेज़ी से आगे बढ़ा और उसके पास जाकर उसके गाल पर हाथ रखते हुए कहा, "बार्बी डॉल, क्या हुआ तुम्हें? आँखें खोलो अपनी?"

    रुद्र अस्मिता को उठाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अस्मिता अपनी आँखें नहीं खोल रही थी। रुद्र ने उसे अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर सीधे बेडरूम में आया। उसे बेड पर लिटाते हुए वह उसके बगल में बैठ गया और अस्मिता के चेहरे की तरफ देखने लगा।

    रुद्र के चेहरे पर ज़्यादा घबराहट नहीं दिख रही थी। उसने अस्मिता के हाथ में बंधी बेल्ट को जल्दी-जल्दी खोलने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया। बेल्ट खोलते हुए उसने अस्मिता की तरफ देखते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुम्हें यह सब करने की ज़रूरत नहीं है। अब यह सब करने का कोई फायदा नहीं बचा है। तुम्हें क्या लगता है, तुम्हारी यह सारी ट्रिक मुझ पर काम करेगी? क्या मैं तुम्हें इतना बेवकूफ़ लगता हूँ?"

    इतना बोलकर वह अस्मिता के बिल्कुल करीब गया और उसके गालों को दबोचकर पकड़ा। अस्मिता ने तुरंत अपनी आँखें खोली और उसने रुद्र को खुद से दूर धकेला। वहीं पास रखे फ्लावर वाश को उठाकर उसने उसे रुद्र के सिर पर मारने की कोशिश की। रुद्र ने तुरंत अस्मिता का हाथ पकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, मुझे तुमसे इतनी उम्मीद तो बिल्कुल भी नहीं थी कि तुम मुझे इस तरह से मारने की कोशिश करोगी।"

    उसने रुद्र के हाथ से अपने हाथ छुड़ाने की पूरी कोशिश की और उसे खुद से दूर धकेलते हुए कहा, "छोड़िए मुझे रुद्र! आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। आप मुझे इस तरह कैद करके नहीं रख सकते।"

    रुद्र ने अस्मिता के दोनों हाथों को कसकर पकड़ लिया। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था। उसने उसके दोनों हाथों को कसकर अपने हाथ में जकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, मैं तुम्हारे साथ क्या कर सकता हूँ और क्या नहीं, यह बात तुम्हें मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है। और वैसे भी, मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ तो मैं तो तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता हूँ ना? तो तुम मुझे क्यों खुद से दूर जाने के लिए बोल रही हो? मैं तो तुम्हें बस प्यार करूँगा, और इतना प्यार करूँगा कि तुम सब कुछ भूल जाओगी!"

    अस्मिता ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "नहीं चाहिए मुझे आपका प्यार! इतनी सी बात आपको समझ में नहीं आ रही? मैं नहीं करती आपसे प्यार, और आपको भी मेरे साथ इस तरह जबरदस्ती करने का कोई हक़ नहीं है! छोड़ दीजिये मुझे!"

    अस्मिता बेड से उतरने लगी, तभी रुद्र ने उसे बेड पर धक्का दिया और उसके ऊपर चढ़ते हुए उसके दोनों हाथों और दोनों पैरों को अपने कब्ज़े में ले लिया। वह अस्मिता के बिल्कुल करीब आकर उसकी आँखों में आँखें डालकर देखते हुए बोला, "बार्बी डॉल, तुमने यह अच्छा नहीं किया। अब तो मैं शायद तुम पर बिल्कुल भी तरस नहीं खाऊँगा। तुमने इस तरह से मेरा दिल तोड़कर बिल्कुल भी अच्छा नहीं किया। मैं तो बस तुमसे प्यार कर रहा था, और तुमने तो..."

    इतना बोलते-बोलते रुद्र के हाथ अस्मिता के गालों पर कसते चले गए। अस्मिता की आँखों से आँसू बहने लगे। वह अब और कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि उसे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। रुद्र ने उसके दोनों हाथों को एक साथ पकड़ रखा था।

    अस्मिता खुद से रुद्र को दूर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह उसे दूर नहीं कर पा रही थी। तभी उसने अस्मिता के चेहरे की तरफ देखा और उसकी आँखों से निकलने वाले आँसुओं को देखकर उसके चेहरे के बिल्कुल नज़दीक गया। उसने उसके गाल पर अपना हाथ हटाया और उसके गाल को चूमते हुए बोला, "बार्बी डॉल, तुम्हारी आँखों में आँसू, यह तो मैं बिल्कुल भी नहीं चाहता। प्लीज़, प्लीज़ रोना बंद करो। मैं...मैं तुम्हें कुछ नहीं कहूँगा। और तुम अगर मुझे प्यार से मना करोगी तो मैं तुम्हें परेशान भी नहीं करूँगा। तुम...तुम बस रोना बंद करो।"

    जैसे ही रुद्र ने यह बात कही, अस्मिता हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी। तभी रुद्र ने अस्मिता के हाथ छोड़ दिए। अस्मिता ने जल्दी से टॉवल को अपने शरीर पर रखा और अपनी बॉडी को ढाँकने की कोशिश करने लगी। उसे ऐसा करते देखकर रुद्र अस्मिता के गर्दन के पास गया और उसकी गर्दन पर किस करते हुए कहा, "बार्बी डॉल, कैसे समझाऊँ मैं तुम्हें? और कैसे बताऊँ मैं तुम्हें अपना प्यार? कैसे यकीन करोगी तुम मुझ पर?" इतना बोलते-बोलते रुद्र का हाथ अस्मिता की बॉडी पर हरकत करने लगा। उसका हाथ अस्मिता की कमर से होते हुए उसके चेस्ट की तरफ़ बढ़ रहा था। अस्मिता ने जैसे ही उसके हाथों को महसूस किया...

    उसने रुद्र की तरफ़ देखते हुए कहा, "रुद्र, क्या आपको मेरे साथ यह सब करके खुशी मिल रही है?"

    अस्मिता ने यह बात बहुत ही ज़्यादा इमोशनल होकर बोली थी। उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि रुद्र उसके सवाल का किस तरह जवाब देगा। रुद्र ने अस्मिता के सवाल का तुरंत जवाब देते हुए कहा, "हाँ, बार्बी डॉल, मुझे सब करके बहुत खुशी मिल रही है। तुम नहीं जानती, लेकिन मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। और अपने प्यार को पाने के लिए अगर मुझे सब कुछ करना पड़ रहा है, तो मैं करूँगा। तुम...तुम जानती हो ना मुझे? मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या किया है?"

    अस्मिता को रुद्र में वही पागलपन नज़र आ रहा था। अस्मिता को उसके पागलपन से बहुत डर लगता था। जिस तरह से वह अस्मिता को देख रहा था, यह देखकर अस्मिता काफी ज़्यादा घबरा गई थी। तभी वह अस्मिता के बगल में लेटकर उसके पेट को चूमते हुए बोला, "बार्बी डॉल, तुम जानती हो ना, तुम्हारे लिए मैंने क्या-क्या नहीं किया है? सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारे चेहरे को देखने के लिए, जब मैं वहाँ उस छोटे से फ्लैट में रह सकता हूँ, तो सोचो ना मैं तुम्हारी खुशी के लिए क्या-क्या कर सकता हूँ! बस तुम भी मुझे प्यार करो ना। तुम जानती हो ना, मैं बस तुमसे प्यार चाहता हूँ। चलो अब रोना-धोना बंद करो और उठो, मुझे प्यार करो।"

    अस्मिता बहुत ही कन्फ़्यूज़न के साथ रुद्र की तरफ़ देख रही थी। तभी रुद्र ने अस्मिता का हाथ पकड़ा और उसे अपनी गाल पर रखते हुए बोला, "सुना नहीं तुमने बार्बी डॉल? मैं क्या कह रहा हूँ? प्यार करो मुझे।"

    अस्मिता काफी ज़्यादा घबरा गई थी। उसे इस तरह चिल्लाते देखकर वह डरते-डरते बोली, "रुद्र जी, क्या बोल रहे हैं आप?"

    रुद्र ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए कहा, "सुनाई नहीं दिया तुम्हें? मुझे प्यार करो!"

    अस्मिता को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वह जल्दी से बेड से उठी और रुद्र की आँखों में आँखें डालकर बड़ी ही हैरानी से उसे देखने लगी। तभी रुद्र ने अस्मिता की कमर में अपना हाथ डाला और उसे इतनी तेज़ी से अपने करीब खींचा कि अस्मिता वहीं रुद्र के ऊपर गिर गई। अस्मिता के हाथ रुद्र के होठों से टकरा गए। रुद्र उसके होठों को अपने होठों पर महसूस करके मुस्कुराने लगा और उसने अपने दोनों हाथ अस्मिता की कमर में डाल दिए।

    क्रमशः

  • 17. Mujhe Pyar Karo - Chapter 17

    Words: 1478

    Estimated Reading Time: 9 min

    अध्याय 17

    अस्मिता जैसे ही रूद्र के ऊपर जा गिरी और उनके होंठ एक-दूसरे से स्पर्श हुए, अस्मिता की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं।

    वह रूद्र के ऊपर लेटी हुई थी। रूद्र बिना कपड़ों के उसके इतने निकट था। उसने रूद्र के इतने करीब खुद को महसूस किया कि उसे उसके शरीर की गर्माहट महसूस हुई और वह उसकी ओर देखती ही रह गई।

    वहीं, रूद्र उसके चेहरे की ओर देखकर मुस्कुराया और उसने अपने दोनों हाथ अस्मिता के गालों पर रखते हुए बड़े प्यार से कहा, "ओह यस बार्बी डॉल! ऐसे ही तुम्हें मुझे प्यार करना है। चलो अब जल्दी-जल्दी मुझे और प्यार करो।"

    "नहीं रूद्र जी! वह गलती से… मैं…," अस्मिता रूद्र की बात सुनकर घबरा गई और हड़बड़ाते हुए उसके ऊपर से उठने लगी।

    इतना बोलकर वह उठ ही रही थी कि रूद्र ने उसकी कमर में अपने दोनों हाथ डाले और उसे वापस अपने करीब खींच लिया, उसे बिस्तर से उठने नहीं दिया।

    वह उसकी ओर बड़ी ही प्यार भरी नज़रों से देख रहा था। उसने अपना हाथ उसके दोनों गालों पर रखा और उसके गाल को बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा, "नहीं बार्बी डॉल! कोई गलती नहीं हुई है। तुमने मुझे बहुत प्यारा सा चुंबन दिया है और मैं चाहता हूँ कि तुम मुझे ऐसे ही सारी ज़िन्दगी प्यार करो। चलो जल्दी से मुझे एक और चुंबन दो, फिर मेरी पूरी बॉडी पर तुम्हें चुंबन करना है, वरना मैं अब खुद को कंट्रोल नहीं कर पाऊँगा। जल्दी प्यार करो मुझे।"

    इतना बोलकर वह रूद्र की आँखों में देखने लगी। रूद्र इस समय मुस्कुरा रहा था, लेकिन कब रूद्र का व्यवहार बदल जाए, इसका अस्मिता को जरा भी अंदाजा नहीं था।

    इसलिए अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और उसने धीमी आवाज़ में कहा, "हे कान्हा जी! क्यों यह सब आप मेरे साथ कर रहे हैं? मैं इस मुसीबत से कैसे बाहर निकलूँगी? प्लीज़ कुछ तो मेरी मदद करिए!"

    अस्मिता को इस तरह आँखें बंद करते देखकर रूद्र उसके कान के पास आकर धीमी आवाज़ में बोला, "क्या हुआ बार्बी डॉल? क्या सोच रही हो? मैं तुमसे खुद को प्यार करने के लिए कह रहा हूँ और तुम हो कि…!" इतना बोलते ही उसने अस्मिता की कमर में अपना हाथ डाला और अपनी पकड़ को मज़बूत कर लिया।

    जिससे अस्मिता का पूरा बदन रूद्र के बदन से जाकर चिपक गया। वह अपनी आँखें खोलकर रूद्र की ओर देख रही थी कि तभी रूद्र ने उसके होठों के करीब जाकर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और वह उसे बड़े प्यार से चूमने लगा।

    अस्मिता को उसका चुंबन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। वह बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो रही थी और उसने अपने दोनों हाथों को रूद्र के कंधे पर रखा। जैसे ही उसने रूद्र के कंधे पर अपना हाथ रखा, उसे पता चल गया कि रूद्र का शरीर कितना सख्त है। अगर उसकी बॉडी इतनी सख्त है, तो उसकी ताकत का क्या ही जवाब होगा।

    अस्मिता को रूद्र से और भी ज्यादा डर लग रहा था। जिस तरह से रूद्र अस्मिता को चूमते-चूमते गहरा होता जा रहा था, यह सोचकर अस्मिता की दिल की धड़कनें बहुत ही ज्यादा बढ़ गई थीं। रूद्र ने अस्मिता के कान के पास जाकर उसके कान के लोब को काटा और उसके पीठ पर अपने दोनों हाथ रखकर उसे बिस्तर पर गिरा दिया और खुद मुड़कर उसके ऊपर चढ़ गया।

    अस्मिता की दिल की धड़कनें तेज थीं, उसकी साँसें काफी ज्यादा गहरी होती चली गईं। वह उसे चूमते-चूमते इतना गहरा हो गया था कि उसकी जीभ अस्मिता के दोनों होठों को चाट रही थी। अस्मिता अपने दोनों हाथों से उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह मात्र कोशिश ही रह गई थी क्योंकि रूद्र और अस्मिता एक-दूसरे के बिल्कुल करीब आ चुके थे। तभी रूद्र उसे घूरते हुए देखकर बोला, "बार्बी डॉल! तुम चाहे जितनी भी ताकत लगा लो, मुझे खुद से दूर नहीं कर सकती। क्योंकि अब मैं तुमसे दूर नहीं होने वाला और अब बहुत देर हो गई है। मुझे बस तुम्हारा प्यार चाहिए। तुम मुझे प्यार देने में इतना क्यों घबरा रही हो? तुम जानती हो ना मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ और जब सोचो मैं तुम्हें प्यार करने के लिए इतनी दूर जाकर तुम्हारे फ्लैट के पास रह सकता हूँ, तो अब तो तुम मेरी बाहों में हो। तुम्हें पता है ना मैं क्या-क्या कर सकता हूँ।"

    इतना बोलकर रूद्र अस्मिता की आँखों में आँखें डालकर देख रहा था। उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो रूद्र अस्मिता को डराने की कोशिश कर रहा हो और उसकी ये सारी बातें अस्मिता को डरा भी रही थीं। क्योंकि अस्मिता नहीं जानती थी कि वह इस समय कहाँ पर है और वह कैसे निकल पाएगी। इस समय अपना बच पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल लग रहा था क्योंकि रूद्र ने अस्मिता को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था और वह खुद उसके ऊपर चढ़ा हुआ था।

    रूद्र ने कोई भी कपड़े नहीं पहने थे और अस्मिता के बदन पर सिर्फ़ एक तौलिया था जो आधे से ज़्यादा खुल चुका था। अस्मिता नहीं चाहती थी कि रूद्र उसके और भी ज़्यादा निकट आए, लेकिन रूद्र ने तो जैसे मानो ठान लिया था कि आज वह अस्मिता को अपना बनाकर ही रहेगा। उसने बिल्कुल वैसा ही किया। वह अस्मिता की गर्दन पर अपना हाथ रखकर उसकी गर्दन को बड़े प्यार से छूने लगा और वह उसकी गर्दन से उसके क्लीवेज पर आया। अस्मिता ने जल्दी से अपना तौलिया पकड़ते हुए ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं रूद्र! प्लीज़ रुकिए।"

    रूद्र ने अस्मिता के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "अब मैं नहीं रुक सकता बार्बी डॉल! मैंने तुम्हें मौका दिया था कि तुम मुझे प्यार करो, लेकिन तुमने मेरी बात नहीं सुनी। तो अब मेरी बारी है। मैं तुम्हें प्यार करूँगा, तो मुझे नहीं रोकोगी।"

    इतना बोलकर वह अस्मिता के चेहरे के बिल्कुल करीब गया और उसने उसके गालों पर हल्के से काटा। अस्मिता उसकी गहरी साँसों को महसूस कर पा रही थी और तभी रूद्र का हाथ सीधे अस्मिता के बदन पर पड़े तौलिये पर गया और उसने उसे पकड़कर खींचा। अस्मिता का बदन उसकी नज़रों के सामने आ गया और रूद्र उसके बदन को देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "अब बार्बी डॉल! अगर तुमने एक और बार मुझे रोकने की कोशिश की, तो फिर…"

    इतना बोलकर वह अस्मिता के क्लीवेज के पास गया और उसने बड़े प्यार से उसके क्लीवेज को चूमा और अपने दोनों हाथों से अस्मिता की कमर पर खरोच करने लगा। अस्मिता का कोमल बदन रूद्र के हाथों पर जैसे ही आया…

    रूद्र ने अस्मिता के कान के पास आकर बिल्कुल धीमी आवाज़ में कहा, "वाह बार्बी डॉल! तुम्हारी कोमल बॉडी! तुम्हें देखकर तो मन कर रहा है कि मैं खा जाऊँ!"

    अस्मिता उसकी यह बात सुनकर और भी ज्यादा घबरा गई और उसने जल्दी से अपनी आँखें बंद कर लीं। रूद्र उसके क्लीवेज और पेट को चूमते-चूमते उसके पैरों तक जाने लगा।

    जैसे ही अस्मिता ने उसके होठों को अपनी कमर पर महसूस किया, अस्मिता का दिल मानो एक ही जगह पर रुक गया हो। अस्मिता ने कसकर अपने हाथों की मुट्ठी बांधी और वह रूद्र को खुद से दूर करने की कोशिश भी नहीं कर पाई क्योंकि रूद्र ने उसे पहले ही इतना ज्यादा डरा दिया था।

    रूद्र ने अस्मिता के पैरों को चूमना शुरू किया और जैसे ही उसने अस्मिता की कमर पर आकर धीरे से अपने दांतों को उसकी कमर पर लगाया, अस्मिता के मुँह से एक हल्की सी चीख निकली। उसकी चीख को सुनकर रूद्र के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट आई और वह बड़ी ही शरारत से अपने पूरे हाथ को अस्मिता के पेट पर फेरने लगा।

    अस्मिता रूद्र की हरकत को देख रही थी और रूद्र ने उसकी बॉडी पर चूमते-चूमते उसके हाथ को पकड़ा और उसे बिस्तर से उठा दिया।

    अस्मिता जैसे ही उठकर बैठी, उसकी नज़र अपनी बॉडी पर गई। उसके क्लीवेज पर कई जगह रूद्र के काटे हुए निशान थे। अस्मिता अपने दोनों हाथों को अपने कंधों पर रखकर अपने सीने को छिपाने की कोशिश करने लगी।

    और उसे ऐसा करते देखकर रूद्र हँसते हुए बोला, "हा हा बार्बी डॉल! अभी-अभी मैंने तुम्हारी पूरी बॉडी को एक्सप्लोर किया है और उसे इतने प्यार से चूमा है, उसके बावजूद भी तुम खुद को मुझसे छिपा रही हो।"

    क्रमशः

  • 18. Mujhe Pyar Karo - Chapter 18

    Words: 1489

    Estimated Reading Time: 9 min

    अध्याय 18

    रूद्र हँसते हुए बोला, "हा हा हा! बार्बी डॉल, अभी-अभी मैंने तुम्हारी पूरी बॉडी को एक्सप्लोर किया है और उसे इतने प्यार से किस किया है, उसके बावजूद भी तुम खुद को मुझसे छुपा रही हो।"

    अस्मिता उसकी बात सुन रही थी, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी कि वह अपनी नज़रें रूद्र से मिला पाए। तभी रूद्र अस्मिता के करीब आया और उसके हाथों को पकड़ा। उसने उसके हाथ उसके कंधों से हटा दिए और अस्मिता के बिल्कुल पास आ गया। अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं।

    उसे आँखें बंद करते देख रूद्र उसके कान के पास जाकर धीमी आवाज़ में बोला, "बार्बी डॉल, आँखें खोलो और मुझे किस करो।"

    जैसे ही अस्मिता ने यह बात सुनी, वह उसे किस नहीं करना चाहती थी। उसने और कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। तभी रूद्र का हाथ अस्मिता की गर्दन से होते हुए उसकी क्लीवेज पर पहुँचा और उसने धीरे से अस्मिता के क्लीवेज और स्तनों पर अपने हाथ को दबाया।

    जैसे ही अस्मिता ने उसके हाथ के स्पर्श को महसूस किया, उसने अपनी आँखें खोलीं और रूद्र के हाथ से अपना हाथ छुड़ाने लगी। तभी रूद्र ने बड़ी ही कामुक आवाज़ में कहा, "बार्बी डॉल, तुम्हें इस तरह से चटकपटाने की ज़रूरत नहीं है। मुझे किस करो जल्दी, वरना…!"

    अस्मिता रूद्र की तरफ़ देखकर सोच में पड़ गई कि वह उसकी बात माने या नहीं।

    तभी रूद्र ने अस्मिता के गालों को कसकर दबोचा और कहा, "बार्बी डॉल, अब तुम मुझे गुस्सा दिला रही हो?"

    इतना बोलकर वह अस्मिता के होठों के बिल्कुल करीब आ गया, लेकिन उसने अस्मिता को किस नहीं किया। उसके होठ अस्मिता के होठों को छू रहे थे और अस्मिता ने भी उसके होठों को अपने होठों पर स्पर्श किया। रूद्र उसकी आँखों में आँखें डालकर देखते हुए बोला, "मैं तीन तक गिनूँगा। अगर तुमने मुझे प्यार से नहीं छुआ तो मैं तुम्हारे साथ जबरदस्ती करने पर मजबूर हो जाऊँगा। और अगर बार्बी डॉल, मैं एक बार अपने आपे से बाहर हुआ तो फिर तुम बहुत पछताओगी!"

    अस्मिता उसकी बात सुनकर डर रही थी। तभी रूद्र अस्मिता के और करीब आया और उसने अस्मिता के कान के पास आकर धीमी आवाज़ में कहा, "कम ऑन, बार्बी डॉल! वन फ्रेंच किस… 1!"

    अस्मिता की दिल की धड़कन बढ़ गई। रूद्र का हाथ अस्मिता के पेट पर था और वह धीरे-धीरे अपना हाथ नीचे की ओर ले जाने लगा। अस्मिता की साँसें तेज हो गईं। तभी रूद्र ने थोड़ी तेज आवाज़ में कहा, "2…"

    अस्मिता रूद्र की आँखों में आँखें डालकर देख रही थी और रूद्र का हाथ रुकने का नाम नहीं ले रहा था। उसने अस्मिता के निजी अंग पर अपना हाथ रखा और इससे पहले कि रूद्र 3 बोल पाता…

    अस्मिता रूद्र के होठों के करीब गई और उसके होठों पर किस करना शुरू कर दिया। जैसे ही रूद्र अस्मिता को किस करते हुए देखा, उसने अपना हाथ उसके निजी अंग से हटा लिया और उसका हाथ अस्मिता के गाल पर आ गया। वह उसके गाल को बड़े प्यार से स्पर्श करने लगा, क्योंकि अस्मिता जिस तरह से उसे धीरे-धीरे किस कर रही थी, उससे रूद्र का पूरा दिल बेचैन हो रहा था। वह उसके इस कोमल किस को बहुत ही ज्यादा एन्जॉय कर रहा था। 30 सेकंड के किस के बाद जब अस्मिता रुकी तो रूद्र की खुशी का ठिकाना नहीं था।

    वह बिल्कुल पागल की तरह उसके चेहरे के करीब आकर उसके पूरे चेहरे को चूमते हुए बोला, "मेरी बार्बी डॉल कितनी अच्छी है! कितने प्यार से किस किया तुमने! आई लव यू, बार्बी डॉल!"

    अस्मिता उसकी बात सुन रही थी, लेकिन उसने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। रूद्र ने अस्मिता के गाल से होते हुए उसके दोनों हाथों को बड़े प्यार से सहलाया और वह उसकी गाल पर किस करते हुए बोला, "बार्बी डॉल, मैंने… मैंने… तुम्हें आई लव यू बोला ना? तुमने तो फिर मुझे मेरा आई लव यू का जवाब क्यों नहीं दिया? चलो जल्दी से, आई लव यू टू बोलो मुझे! जल्दी से आई लव यू टू बोलो।"

    अस्मिता रूद्र की आँखों में दिख रहे पागलपन को देखकर डरने लगी। उसने रूद्र की तरफ़ देखा। इससे पहले कि वह कुछ बोल पाती, रूद्र तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए बोला, "आई लव यू बोलो मुझे, बार्बी डॉल! तुम एक बार में मेरा कहना क्यों नहीं सुनती हो? मैं तुम्हें…"

    इतना बोलकर रूद्र की आँखें गुस्से से लाल हो गईं और उसने अस्मिता के हाथ को कसकर पकड़ लिया। अस्मिता के हाथ पर इतना दर्द हुआ कि उसके मुँह से एक तेज चीख निकली। उसकी उस चीख को सुनकर रूद्र ने उसका हाथ छोड़ा और उसके हाथ को सहलाते हुए कहा, "आई एम सॉरी, आई एम सॉरी बार्बी डॉल! तुम्हें लग गई क्या?"

    अस्मिता के हाथ पर रूद्र की उंगलियों के निशान बन गए थे। रूद्र ने उसके हाथ को उसी जगह पर बड़े प्यार से चूमा जहाँ पर उसके हाथों के निशान बने हुए थे। तभी रूद्र ने अस्मिता को आराम से बिस्तर पर लिटाया और वह उसके ऊपर चढ़ते हुए बोला, "बार्बी डॉल, अगर तुम मेरी बात एक बार में मान लोगी तो मैं तुम्हें और हर्ट नहीं करूँगा। चलो जल्दी से, जल्दी से अब मुझे आई लव यू बोलो।"

    अस्मिता दर्द की वजह से रो रही थी। अब अस्मिता और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। उसने रूद्र को किस किया था जिस वजह से वह खुद से नज़रें भी नहीं मिला पा रही थी। जिस तरह से रूद्र उससे जबरदस्ती आई लव यू बोलने के लिए कह रहा था, यह सुनकर अस्मिता और भी ज्यादा निराश होने लगी। उसने अपने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "कैसे बोलूँ मैं आपको आई लव यू, रूद्र? मैं आपसे प्यार नहीं करती। आपको इतनी छोटी सी बात क्यों नहीं समझ में आ रही है? जब मैं आपसे प्यार नहीं करती तो क्यों बोलूँ मैं आपको आई लव यू?"

    अस्मिता को इस तरह से यह बात बोलते देखकर रूद्र उसे घूरने लगा।

    रूद्र की आँखों में जो गुस्सा था उसे देखकर अस्मिता इतनी डर गई कि वह वहीं बैठकर कोने में सिकुड़ गई। उसे इस तरह बोलते देखकर रूद्र उसे घूरने लगा और वह अस्मिता की तरफ़ देख रहा था।

    अस्मिता बिस्तर के एकदम कोने में सिकुड़ कर बैठी थी। रूद्र ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुम्हें इतनी ऊँची आवाज़ में मुझसे बात करने का कोई हक़ नहीं है। सॉरी बोलो मुझे।"

    अस्मिता उसकी बात सुनकर उसे घूरते हुए देखने लगी और ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं बोलूँगी मैं सॉरी आपको! जो करना है कर लो।"

    रूद्र ने जैसे ही अस्मिता की यह बात सुनी, वह अस्मिता के करीब गया और उसने अस्मिता के पैर को पकड़ा और उसके पैर को कसकर अपने करीब खींचा।

    जिससे अस्मिता वहीं बिस्तर पर गिर गई और रूद्र उसके ऊपर चढ़ते हुए बोला, "ठीक है, तुम्हें मुझे ना ही आई लव यू बोलना है, ना ही सॉरी। तो तुम कुछ भी नहीं बोलोगी।"

    इतना बोलकर रूद्र ने अस्मिता के दोनों हाथों को अपने हाथ में पकड़ा और वह अस्मिता के ऊपर चढ़ते हुए उसके बिल्कुल नज़दीक आ गया।

    अस्मिता अपने दोनों पैरों से उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी। जब अस्मिता ने उसे खुद से दूर धकेला तो अस्मिता का शरीर रूद्र के पेट पर जाकर लगा और रूद्र ने अस्मिता के पैरों को अपने पैरों से दबा लिया। जैसे ही अस्मिता ने रूद्र की तरफ़ देखा, वह अब अपने पैर को हिला भी नहीं पा रही थी। रूद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब जाते हुए बोला, "आज की पूरी रात तुम्हें अपने इन कहे हुए शब्दों पर पछतावा होगा, बार्बी डॉल! जो तुमने मुझसे बातें बोली हैं, तुम्हें यह नहीं बोलना चाहिए था! अब भुगतो।"

    इतना बोलकर रूद्र ने अस्मिता के दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ा और रूद्र का दूसरा हाथ अस्मिता के निजी अंग पर चला गया। रूद्र ने अपनी पूरी ताकत अस्मिता के ऊपर लगा दी।

    जैसे ही अस्मिता ने रूद्र के हाथों को अपने निजी अंग पर महसूस किया, अस्मिता के मुँह से एक तेज चीख निकली और रूद्र को रोकने के लिए अस्मिता ने कहा, "रुकिए! रुकिए! प्लीज़! प्लीज़…!"

    रूद्र ज़्यादा गुस्से में हो गया था और उसने अस्मिता की कोई बात नहीं सुनी। जैसे ही अस्मिता ने रूद्र के हाथों की उंगलियों को महसूस किया, अस्मिता दर्द से चीख उठी।

    क्रमशः

  • 19. Mujhe Pyar Karo - Chapter 19

    Words: 1599

    Estimated Reading Time: 10 min

    अध्याय १९

    रूद्र बहुत ज़्यादा गुस्से में हो गया था। उसने अस्मिता की कोई बात नहीं सुनी। जैसे ही अस्मिता ने रूद्र के हाथों की उंगलियाँ महसूस की, दर्द से चीख उठी।


    अस्मिता काफी ज़्यादा दर्द में थी। उसे किसी भी तरह से रूद्र को खुद से दूर करना था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पा रही थी। रूद्र की ताकत के आगे वह बिल्कुल लाचार हो गई थी। तभी रूद्र ने अस्मिता के होठों के पास आकर अपने होंठ उसके होठों पर रखे और धीरे-धीरे उसके होठों को काटने लगा।


    अस्मिता के होठों को रूद्र जिस तरह काट रहा था, दर्द के मारे उसके आँसू निकलते जा रहे थे। अस्मिता ने रूद्र के हाथ से अपने दोनों हाथ छुड़ाने की कोशिश की। जितना वह उसे छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, उतनी ही ज़्यादा मज़बूती से रूद्र उसे पकड़ रहा था। रूद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब आ गया और अपने जिस्म को उसके जिस्म से इस तरह मिला लिया कि अस्मिता को उसकी पूरी बॉडी का एहसास हो रहा था। वह महसूस कर पा रही थी कि रूद्र पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है।


    जैसे ही अस्मिता ने रूद्र को महसूस किया, उसने हिम्मत करके रूद्र की तरफ़ अपनी निगाहें घुमाईं। वह रूद्र की आँखों में वही जुनून और प्यार देख पा रही थी जिसके बारे में रूद्र कुछ देर पहले बात कर रहा था। अस्मिता अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश में बुरी तरह थक गई थी, लेकिन रूद्र अभी भी नहीं थका था।


    वह अस्मिता के होठों पर गहरा किस कर रहा था। रूद्र की ज़बान अस्मिता के पूरे मुँह को टटोल रही थी। अस्मिता इस किस का बिलकुल भी आनंद नहीं ले रही थी। रूद्र का एक हाथ अस्मिता के दोनों हाथों को पकड़े हुए था। वह लाचारता से उसकी तरफ़ देख रही थी। जिस तरह से रूद्र उसे किस कर रहा था, वह उसे रोकने के लिए कुछ बोल भी नहीं पा रही थी। एक समय ऐसा आया कि अस्मिता ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और मन ही मन कहा, "अगर कान्हा जी यही चाहते हैं तो फिर यही सही।"


    अस्मिता बहुत ज़्यादा थक गई थी। उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और हिलना-डुलना बिलकुल बंद कर दिया। उसे इस तरह शांत होते देखकर रूद्र, जो अभी तक पूरी तरह हरकत में था, रुक गया। वह हैरानी से उसकी तरफ़ देखते हुए बोला, "क्या हुआ बार्बी डॉल? क्या सोच रही हो तुम? क्या तुम्हें मेरा स्पर्श अच्छा लग रहा है? यू फील बेटर?"


    अस्मिता ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने सुबह से कुछ भी नहीं खाया था और वह काफी कमज़ोर भी थी। जब रूद्र ने देखा कि अस्मिता उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे रही है, तो वह अस्मिता के गाल पर अपना हाथ रखते हुए बोला, "बार्बी डॉल, क्या हुआ? मेरी तरफ़ देखो, आँखें खोलो अपनी?"


    रूद्र अस्मिता के बिल्कुल नज़दीक जाकर देखा। अस्मिता की आँखें बंद थीं। वह न तो उसकी बात का जवाब दे रही थी और न ही हिल-डुल रही थी। रूद्र ने उसके गाल थपथपाए और अस्मिता के बगल में लेट गया, लेकिन उसकी नज़र एक पल के लिए भी अस्मिता के चेहरे से नहीं हटी।


    वह अस्मिता के चेहरे को प्यार भरी निगाहों से देख रहा था। तभी उसने अस्मिता के बिल्कुल नज़दीक आकर उसके होठों को चूमते हुए कहा, "बार्बी डॉल, इतनी कमज़ोर क्यों हो तुम? अभी तो मैंने अपना रोमांस शुरू भी नहीं किया था और तुम सो गई।"


    यह कहकर रूद्र अस्मिता के बिल्कुल करीब आया और उसने अस्मिता की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया। हालाँकि अस्मिता जाग रही थी और वह रूद्र की सारी बातें सुन रही थी, लेकिन उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह चुपचाप उसकी बातें सुनती रही और रूद्र भी उसे अपने मन की सारी बातें बोल रहा था।


    उसने अस्मिता के हाथ को अपनी उंगलियों में फंसाया और बड़े प्यार से उसके हाथ को छूते हुए बोला, "आज नहीं तो कल, बार्बी डॉल, तुम्हें मेरा बनाना ही है। और तुम नहीं जानती, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ। तुम्हारे लिए मैं किस हद तक जा सकता हूँ। तुम सिर्फ़ मेरा प्यार नहीं, मेरा जुनून हो। मैं...मैं...मैं तो बस तुम्हें अपना बनाकर ही रहूँगा। हमारे बीच में अब कोई भी नहीं आ सकता। कोई भी नहीं..."


    जैसे ही रूद्र ने यह बात कही, अस्मिता का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। लेकिन अस्मिता उसकी बात सुनकर भी बिलकुल चुप थी क्योंकि वह जानती थी कि अगर उसने कुछ भी बोला या वह हिली-डुली, तो रूद्र उसके साथ क्या करेगा। वहीं उसने रूद्र के बदन की गरमाहट को महसूस किया तो अस्मिता को बड़ा ही अच्छा लग रहा था।


    रूद्र अस्मिता की कमर पर हाथ रखे हुए था। उसने बड़े प्यार से उसकी कमर पर हाथ फेरा और धीरे-धीरे उसके कूल्हे के पास गया। उसने उसके कूल्हे को पकड़ा और उसे अपने बिल्कुल नज़दीक कर लिया। उन दोनों के बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था। रूद्र ने अस्मिता को पूरी तरह से अपनी बाहों में भर लिया। जैसे ही अस्मिता की बॉडी से उसकी बॉडी टच हुई, अस्मिता की दिल की धड़कनें मानो रुक गई हों। वह रूद्र से खुद को दूर हटाना चाहती थी, लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाई। तभी रूद्र ने अस्मिता को इस तरह अपनी बाहों में भर लिया कि उसने अस्मिता को अपने सीने पर सुला लिया।


    अस्मिता का सिर रूद्र के सीने पर था और वह पूरी तरह से उसके ऊपर लेटी हुई थी। अस्मिता को रूद्र के दिल की धड़कनें महसूस हुईं। अस्मिता का भी दिल तेज़ी से धड़कने लगा। रूद्र उसकी दिल की धड़कन को महसूस कर पा रहा था। तभी रूद्र ने अस्मिता के दोनों कूल्हों पर अपना हाथ रखा और उसे पूरी तरह से अपनी बाहों में भर लिया। अस्मिता, जो रूद्र के बदन के ऊपर थी, वह अभी भी सोने का नाटक कर रही थी। अस्मिता के चेहरे को देखकर रूद्र मुस्कुराता जा रहा था।


    रूद्र पहले ही पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था। अब अस्मिता को भी यह बात महसूस हो रही थी। अस्मिता खुद को शांत रखने की कोशिश कर रही थी। हालाँकि रूद्र का पूरा शरीर भट्टी की तरह जल रहा था और वह अस्मिता को छू रहा था। अस्मिता ने अपने दोनों हाथों की मुट्ठियाँ कसकर बांध ली थीं और वह चुपचाप रूद्र के शरीर में हो रही उथल-पुथल को महसूस कर रही थी।


    अस्मिता के लिए यह सब कुछ बहुत ज़्यादा असहज हो रहा था, लेकिन रूद्र के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान थी। जिस तरह से रूद्र की बॉडी अस्मिता की बॉडी से टच हो रही थी, रूद्र उससे ही काफी ज़्यादा खुश हो गया था। उसके चेहरे की मुस्कान बता रही थी कि वह अस्मिता को इस तरह अपनी बॉडी पर लिटाकर कितना ज़्यादा खुश है।


    अस्मिता ने मन ही मन कहा, "हे कान्हा जी, यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ? इस तरह से किसी गैर-मर्द की बाहों में क्यों हूँ? अभी तो मैं इस तरह मजबूर हूँ कि मैं कुछ भी नहीं कर सकती। और यह रूद्र जी...उनकी बॉडी कुछ ज़्यादा ही एक्टिवेट हो रही है। क्या यह मुझे देखकर खुद को बिलकुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं? इनका इस तरह से मुझे छूना मुझे बहुत शर्मिंदा कर रहा है। क्या करूँ मैं? अभी अगर मैं उनके ऊपर से उठी तो उन्हें पता चल जाएगा कि मैं जाग रही हूँ।" अस्मिता के दिमाग में सारे सवाल चल रहे थे। तभी अस्मिता को अपने निजी अंग पर रूद्र के निजी अंग का स्पर्श हुआ और अस्मिता की दिल की धड़कनें थम गईं।


    अस्मिता ने मन ही मन कहा, "हे कान्हा जी, प्लीज़, प्लीज़ मुझे इन सारी चीज़ों से बचा लीजिए, प्लीज़..."


    अस्मिता यह बात अपने मन में बोल रही थी और रूद्र का शरीर उसकी बॉडी को इस तरह छू रहा था कि अस्मिता को समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। वह इस समय सिर्फ़ और सिर्फ़ यह सब सहन करने के अलावा और कुछ नहीं कर सकती थी। वह किसी तरह से रूद्र को अनदेखा कर रही थी, लेकिन रूद्र का शरीर जैसे पूरी तरह से अपने नियंत्रण से बाहर जा चुका था। वह कभी अस्मिता के माथे पर चूम रहा था, तो कभी उसके गाल पर और कभी उसकी गर्दन पर।


    लेकिन अस्मिता इस समय रूद्र के चुम्बन को पूरी तरह से अनदेखा कर रही थी क्योंकि उसका ध्यान रूद्र के निचले शरीर के उस हिस्से पर था जो अस्मिता को बहुत ज़्यादा छू रहा था।

  • 20. Mujhe Pyar Karo - Chapter 20

    Words: 1395

    Estimated Reading Time: 9 min

    अध्याय २०


    अस्मिता उसके सीने पर सिर रखकर लेटी हुई थी। रूद्र उसे अपनी बाहों में भरकर प्यार से चूम रहा था। अस्मिता को उसकी चुम्बन से बहुत चिढ़ थी, पर सोने का नाटक करती रही। वह उसे रोक नहीं सकती थी। अस्मिता ने मन ही मन कहा, "हे भगवान! क्या कर रहे हैं कान्हा जी आप? प्लीज मेरी थोड़ी हेल्प करिए। मुझे इस साइको इंसान से बचा लीजिये।"


    रूद्र का मोबाइल फोन बज उठा। रिंग सुनते ही उसने फोन उठाया और स्क्रीन पर देखा। नंबर देखकर उसने धीमी आवाज में कहा, "ये मुझे इस वक़्त फोन क्यों कर रहा है!"


    इतना कहकर उसने अस्मिता को अपने ऊपर से हटाया और उसे बिस्तर पर प्यार से लिटा दिया। अस्मिता को राहत मिली। उसने तुरंत कान्हा जी का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, "थैंक्यू, थैंक्यू सो मच कान्हा जी!"


    अस्मिता की आँखें बंद थीं। रूद्र ने उसके ऊपर कम्बल डालकर उसके गाल को चूमते हुए बोला, "बार्बी डॉल, तुम यहीं रुकना। मैं बस दो मिनट में आया।"


    वह कमरे से बाहर निकल गया। उसके जाते ही अस्मिता ने आँखें खोलीं और गहरी साँस लेते हुए कहा, "आज तो कान्हा जी ने बचा लिया, लेकिन पता नहीं यह साइको कब मेरे पीछे पड़ जाए। कुछ पता नहीं है।"


    उसने कमरे में चारों ओर देखा, पर रूद्र कहीं नज़र नहीं आया। अस्मिता ने गहरी साँस लेते हुए कहा, "कम से कम रूम में नहीं है तो मैं सुकून से तो सो सकती हूँ।"


    यह सोचकर वह आराम से सो गई। दूसरी ओर, रूम से बाहर निकलते ही रूद्र ने कॉल रिसीव करते हुए कहा, "हाँ, बोलो, क्या बात है?"


    फोन के दूसरी ओर से एक भारी भरकम आवाज़ आई। रूद्र को समझ आ रहा था कि यह किसी बड़े, सीनियर आदमी की आवाज़ है। उस आदमी ने कहा, "रूद्र सर, उसका पति उसे ढूंढ रहा है और वह किसी भी वक़्त वहाँ पहुँच सकता है। बताइए अब हमें क्या करना है? वो चार-पाँच बार एफआईआर दर्ज करवा चुका है। अगर उसने किसी दूसरे पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई और किसी दूसरे इंस्पेक्टर को यह बात पता चली तो आपके लिए समस्या हो जाएगी।"


    यह सुनकर रूद्र गुस्से से चिल्लाया, "मेरे लिए कोई प्रॉब्लम क्रिएट नहीं होगी! और अगर कोई प्रॉब्लम क्रिएट हुई तो मैं तुम्हें और तुम्हारे साथ-साथ पूरे पुलिस स्टेशन को आग लगा दूँगा!"


    वह इंस्पेक्टर घबराकर बोला, "नहीं रूद्र सर, प्लीज़ आप ऐसा कुछ मत करिएगा! इसीलिए तो मैंने आपको इतनी रात में फोन किया है। बताइए, हम क्या एक्शन लें?"


    रूद्र ने कुछ सोचा और गहरी साँस लेते हुए कहा, "ठीक है, मेरी बात ध्यान से सुनो।"


    रूद्र ने इंस्पेक्टर से कुछ बातें कीं और फ़ोन काटकर सीधे अपने कमरे में आया। अस्मिता गहरी नींद में सो रही थी, एक तकिये को गले लगाए हुए। उसे इस तरह सोते देखकर रूद्र मुस्कुराया। वह चुपचाप बिस्तर पर बैठा और अस्मिता के गाल पर हाथ रखकर उसके चेहरे को चूमते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुम्हें अब कोई भी अलग नहीं कर सकता, और तुम्हारा वह जालिम पति तो बिलकुल भी नहीं। अगर उसने तुम्हें मुझसे छीनने की कोशिश की तो अपनी जान से हाथ धो बैठेगा। और कल ही मैं इन सारी चीजों को क्लियर करूँगा।"


    इतना कहकर रूद्र अस्मिता के बगल में लेट गया। उसने अस्मिता की कमर में हाथ डाला और उसे अपने करीब खींच लिया। पर अस्मिता को कुछ पता नहीं चला, वह गहरी नींद में सो रही थी।


    अगले दिन सुबह, अस्मिता की आँख खुली। वह रूद्र की बाहों में थी। रूद्र ने उसके कंधे पर हाथ रखा हुआ था, उसे अपनी बाहों में इस तरह से जकड़ रखा था जैसे वह कोई छोटी सी बार्बी डॉल हो।


    अस्मिता ने रूद्र को खुद से दूर किया और अपनी बॉडी देखने लगी। उसकी बॉडी पर कोई कपड़ा नहीं था, पर उसकी गर्दन और क्लीवेज पर रूद्र के दांतों के निशान थे। जैसे ही अस्मिता ने रूद्र को दूर किया, रूद्र की आँखें खुलीं। उसने अस्मिता की तरफ देखकर प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, "गुड मॉर्निंग बार्बी डॉल।"


    अस्मिता ने जवाब नहीं दिया। उसने पास में पड़ी रूद्र की शर्ट उठाई और जल्दी-जल्दी पहनने लगी। रूद्र ने गुस्से से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "बार्बी डॉल, तुमने नहीं सुना? मैंने क्या कहा? विश मी गुड मॉर्निंग।"


    वह अस्मिता को गुस्से से घूर रहा था। अस्मिता डर गई और डरते-डरते बोली, "गुड... गुड मॉर्निंग।"


    रूद्र हल्का सा मुस्कुराया और उसके चेहरे के करीब आकर उसके गाल को चूमते हुए बोला, "प्यार से मुझे गुड मॉर्निंग विश किया करो बार्बी डॉल। ऐसे बोलो, 'गुड मॉर्निंग रूडी बेबी।'"


    अस्मिता जल्दी से बोली, "गुड मॉर्निंग रूडी बेबी।"


    रूद्र बहुत खुश हुआ। उसने अस्मिता की कमर में हाथ डालकर उसे अपने करीब खींच लिया और उसकी गर्दन पर नाक रगड़ते हुए बोला, "तुम्हें पता है बार्बी डॉल, जब तुम मेरी सारी बातें मानती हो, मुझे कितना अच्छा लगता है। मेरा बस मन करता है कि मैं तुम्हें खा जाऊँ।"


    अस्मिता हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी। उसके चेहरे पर कोई खास भाव नहीं थे। रूद्र ने अस्मिता की गर्दन पर किस करते हुए अपने दांत उसकी गर्दन पर गड़ा दिए। अस्मिता के मुँह से एक तेज सी सिसकी निकली। रूद्र का हाथ अस्मिता की कमर से होते हुए उसके पेट की ओर जाने लगा। अस्मिता की धड़कनें बढ़ने लगीं। उसने उसका हाथ पकड़ते हुए धीमी आवाज़ में कहा, "रूद्र जी, मुझे फ्रेश होना है और मुझे भूख लगी है!"


    रूद्र मुस्कुराते हुए बोला, "भूख तो मुझे भी लगी है बार्बी डॉल, लेकिन खाने की नहीं, तुम्हारी।"


    उसने अस्मिता के हाथ को कसकर पकड़ लिया और उसके चेहरे की तरफ देखते हुए बोला, "तुमको क्या लगता है? तुम इस तरह के बहाने बनाओगी और मैं तुम्हारी बहाने समझ नहीं पाऊँगा?"


    अस्मिता की धड़कनें तेज हो गईं। रूद्र धीरे-धीरे उसके करीब आ रहा था। उसने अस्मिता के कंधे पर हाथ रखा और उसे बिस्तर पर धक्का दे दिया। अस्मिता हड़बड़ाकर बिस्तर पर गिर गई। रूद्र उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी आँखों में आँखें डालकर देखने लगा। एक पल के लिए कमरा बिल्कुल शांत हो गया।


    तभी रूद्र ने अपने होंठ अस्मिता के होंठों पर रख दिए और वह उसके होठों पर जोश से चूमने लगा। अस्मिता ने आँखें कसकर बंद करते हुए मन ही मन कहा, "हे कान्हा जी! इस साइको आदमी को तो सुबह-सुबह भी चैन नहीं है। यह अपने लस्टी बिहेवियर पर उतर आया। अब क्या करूँ मैं?"


    क्रमशः…