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Mafia King Obsession

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Any Ansari

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क्या हो अगर एक माफिया को हो जाए किसी लड़की से पहली नजर का Obsession, क्या होगा उस लड़की के साथ जब वह माफिया उस लड़की को अपना बनाने के लिए कर दे सारी हदें पार.. ऐसा ही कुछ हुआ आरोही के साथ जिसके dad एक बिजनेसमैन थे और उन के बिजनेस में हो रहे लॉस को जब...

Total Chapters (106)

Page 1 of 6

  • 1. Mafia King Obsession - Chapter 1

    Words: 1178

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 1
    “ओ माय गॉड यू आर सो सेक्सी डार्लिंग, कम ओंन अब उठ भी जाओ और कितना तड़पाओगी मुझे कब से तुम्हारे उठने का वेट कर रहा हूं मैं, अब और नहीं हो कंट्रोल मुझसे।”
    इतना बोलकर वो हैंडसम आदमी बेड पर सोई हुई उस लड़की के चेहरे की बिल्कुल नजदीक गया और उसने बड़े ही लस्टी वे में उस खुबसूरत लड़की के गाल को अपने हाथों से टच किया।
    उसकी सॉफ्ट स्किन जैसे-जैसे के उसके हाथों पर टच हो रही थी, वह आदमी उसके चेहरे की तरफ उतनी ही लस्ट भरी नजरों से देखा जा रहा था।
    उसने उस लड़की के हाथ को पकड़ा और धीरे-धीरे उसके बिल्कुल नजदीक आने लगा और उसन उसे लड़की के चेहरे को देखकर अपने लोअर लिप को bite करते हुए कहा, "बस अब मुझसे और इंतजार नहीं हो रहा है अब मैं खुद को और कंट्रोल नहीं कर सकता।”
    इतना बोलकर वह लड़का उस लड़की के होठों के बिल्कुल नजदीक गया और उसने उस लड़की के होठों पर अपने होंठ रखे और वह उसे किस करने लगा।
    जब तक वह लड़का उस सॉफ्टली किस कर रहा था तब तक उस लड़की की आंख नहीं खुली, जो अभी तक सो रही थी लेकिन जैसे ही वह थोड़ा पैशनेट हुआ और उस लड़के की जुबान उस लड़की के जुबान से टकराई वह लड़की जो अभी तक गहरी नींद में सो रही थी, उसकी आंख खुली और उसने जैसे ही इस तरह अपने इतने नजदीक किसी लड़के को देखा, वह हड़बड़ा गई।
    उसने उस लड़के के दोनों कंधों पर अपना हाथ रखकर उसे खुद से दूर धकेलते हुए कहा, "व्हाट द हेल ये क्या कर रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या दूर रहो मुझसे! और कौन हो तुम?"
    इतना बोलकर वह लड़की बेड से उठी और उस ने अपने होठों को ऐसे साफ किया जैसे मानो उसके होठों पर कोई गंदगी लग गई हो और वह सामने बेड पर मौजूद उस लड़के की तरफ हैरानी से देखने लगी।
    तभी वह लड़का उस लड़की के करीब आते हुए बोला, "बेबी यह पहली और आखरी बार है जब तुमने मुझे इस तरह से पुश किया है अब आइंदा कभी मुझे इस तरह से खुद से दूर मत करना, क्योंकि मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं की कोई मेरे साथ इस तरह का बिहेव करें और अगर तुमने गलती से भी दोबारा इस तरह मुझे खुद से दूर धकेला तो मैं जो करूंगा वह तुम बर्दाश्त नहीं कर पाओगी।"
    जैसे ही उस लड़की ने यह बात सुनी वह उसे लड़की को घूरते हुए देखकर बोली, "हाउ डेयर यू तुम हो कौन, और तुम मुझे इस तरह धमकी नहीं दे सकते, और सबसे बड़ी बात तुम मुझे यहां पर लेकर क्यों आए हो? यह कौन सी जगह है।"
    वह लड़की काफी ज्यादा परेशान हो रही थी और तभी उस लड़के ने उसके चेहरे की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "यह हुई ना बात अब पूछा है तुमने मेंन क्वेश्चन मैं तुम्हें तुम्हारे सारे सवालों के जवाब दे दूंगा डार्लिंग बट उसके लिए तुम्हें मुझसे बहुत politely बात करनी होगी बिकॉज़ मेरे सामने कोई ऊंची आवाज में बात करें मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है।"
    वह लड़की उसकी बात सुनकर चुप हो गई थी और तभी वह आदमी धीरे-धीरे उस लड़की के करीब आया और उसने उसके होठों को अपने हाथ के अंगूठे से टच करते हुए कहा, "बताओ क्या जानना है तुम्हें?"
    उस लड़की ने उस के हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "सबसे पहले तो डोंट टच मी, और कौन हो तुम? क्या नाम है तुम्हारा और यह किसका घर है मैं यहां पर कैसे आई?"
    उस लड़के ने एक गहरी सांस ली और वह लड़की की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, " सबसे पहली बात तुम मेरे घर में हो, यह मेरा बेडरूम है और मेरा नाम कबीर है।"
    इतना बोलकर वह लड़का उस लड़की के करीब गया और उसने उसकी गर्दन के पास जाकर एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "और मैं यह भी जानता हूं कि तुम इस टाइम बहुत ज्यादा कंफ्यूज हो बट तुम्हें किसी भी चीज के बारे में कुछ सोचने की जरूरत नहीं है अभी तुम कबीर के साथ हो और मेरे साथ इस fantastic romantic night को एंजॉय करो..."
    इतना बोलकर वह उसकी गर्दन पर किस करने लगा और उसने जैसे ही उस लड़की की गर्दन पर अपने होठों को रखा उस लड़की ने उसे धक्का देते हुए कहा, "दूर हटो मुझसे ये क्या समझ रहे हो तुम मुझे मैं उस टाइप की लड़की नहीं हूं।"
    वो बोल ही रही थी कि तभी कबीर ने उसके करीब आकर उस की गर्दन पर अपना हाथ रखा और कसकर उसके गले को दबाते हुए कहा, "आरोही मल्होत्रा मैंने तुमसे कहा था कि अब दोबारा कभी मुझे इस तरह से पुश मत करना फिर भी तुमने मुझे दोबारा धक्का देने की हिम्मत की।"
    वह लड़की उसकी बात सुनकर कुछ बोल ही नहीं पाई क्योंकि कबीर ने आरोही की गर्दन को कस कर दबोच रखा था और उसके हाथ का प्रेशर इतना ज्यादा बढ़ता चला गया कि आरोही को खांसी आने लगी और वह चोक हो गई।
    उसने उसके हाथ को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपनी गर्दन पर से उसके हाथ को हटाने की नाकाम कोशिश करने लगी और तभी कबीर ने उसके दोनों हाथों को बेड पर पिन किया और वह उसके होठों पर अपने होंठ रखकर उसे जबरदस्ती किस करने लगा।
    आरोही के पैर बेड पर मचल रहे थे वह कबीर को खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर ने उसकी बात नहीं सुनी और वह उस पर हावी होता चला गया। उसने उसके दोनों हाथों को जिस तरह से जकड़ रखा था उसी तरह से वह उसके पैरों को पकड़ कर उस के ऊपर चढ़ गया और जिस तरह से उसने आरोही को रफली किस करना शुरू किया।
    आरोही तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोली, "छोड़ो मुझे छोड़ो, यह क्या कर रहे हो तुम, क्यों कर रहे हो मेरे साथ ऐसा मैंने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा ?"
    इतना बोलते बोलते आरोही रोने लगी और उसे इस तरह रोते देखकर कबीर एक पल के लिए रुका और उसकी आंखों में आंखें डालकर देखे हुए बोला, "तुमने कुछ नहीं बिगड़ा है मेरा लेकिन तुम्हारे बाप ने बहुत कुछ बिगड़ा है और यह तुम्हारे बाप के ही कर्मों की सजा है जो तुम्हें मिल रही है।"
    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी वह उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और तभी कबीर ने आरोही की आंखों में आंखें डालकर देखते हुए कहा, "एंड यू नो व्हाट स्वीटहार्ट सबसे बड़ी बात ये है कि तुम्हें तुम्हारे बाप ने तुमको बेच दिया है और अब तुम यहां पर मेरी गुलाम बन चुकी हो तुम्हें अब मुझसे कोई नहीं बचा सकता कोई भी नहीं।"
    To be continued
    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 2. Mafia King Obsession - Chapter 2

    Words: 1114

    Estimated Reading Time: 7 min

    Chapter 2
    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी वह उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और तभी कबीर ने आरोही की आंखों में आंखें डालकर देखते हुए कहा, "एंड यू नो व्हाट स्वीटहार्ट सबसे बड़ी बात ये है कि तुम्हें तुम्हारे बाप ने तुमको बेच दिया है और अब तुम यहां पर मेरी गुलाम बन चुकी हो तुम्हें अब मुझसे कोई नहीं बचा सकता कोई भी नहीं।"
    इतना बोलकर उसने आरोही के चेहरे को अपने हाथों से छूआ और आरोही यह बात सुनकर बिल्कुल शॉक्ड हो गई थी और तभी उसने धीमी आवाज में कहा, " क्या डैड ने मुझे बेचा है?"
    कबीर ने उसकी बात सुनी और उसने आरोही के गाल को दबोचते हुए कहा, "हां और अब से तुम यहां मेरे साथ रहोगी और मेरी सारी ख्वाहिशों को पूरा करोगी फिर चाहे वह ख्वाहिश मेरी बेड पर हो या बेड से हटकर तुम मुझे किसी भी चीज के लिए मना नहीं कर सकती अंडरस्टैंड..!"
    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं नहीं ऐसा नहीं हो सकता मैं तुम्हारी गुलाम नहीं हूं छोड़ो मुझे जाने दो, डैड भला ऐसा क्यों करेंगे मैं कोई सामान नहीं हूं वह मुझे इस तरह बेच नहीं सकते।"
    वह खुद को कबीर के हाथ से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर के हाथों की पकड़ इतनी ज्यादा मजबूत थी कि वह चाह कर भी अपने हाथ उसके हाथ से नहीं छुड़वा पा रही थी, वो कबीर की ताकत के आगे बिल्कुल ही लाचार महसूस कर रही थी और कबीर उस की गर्दन पर किस करते-करते उसके कॉलर बोन तक पहुंच गया था और जैसे ही उसने अपने दांतों को उसके कॉलर बोन पर गड़ाया।
    आरोही के मुंह से एक तेज चीख निकली और वह जिस तरह से चीखी थी, उससे उसकी चीख को सुनकर इतना तो समझ में आ रहा था कि उसे काफी ज्यादा दर्द हो रहा है। आरोही दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था
    कबीर ने अपने दांत उसकी कॉलर बोन पर रख दिए थे और वह धीरे-धीरे उसके गर्दन को suck कर रहा था, जिससे आरोही का दर्द बढ़ता जा रहा था लेकिन वह एक पल के लिए भी नहीं रुका और उसकी चीखो को सुनकर कबीर के चेहरे पर शैतानियत भरी मुस्कराहट नजर आ गई और उसके हाथ धीरे-धीरे उसे की ब्रेस्ट पर पहुंच चुके थे और आरोही ने जैसे ही उसके हाथों को अपने ब्रेस्ट पर फुल किया वह तुरंत उसके हाथों को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी।
    कबीर ने उसके दोनों हाथों को अपने एक हाथ से पकड़ा और उसने एक झटके में अपनी बेल्ट के बकल को खोला और अपनी बेल्ट उतर कर उसने आरोही के दोनों हाथों को अपनी बेल्ट से बांध दिया और धीरे-धीरे अपनी शर्ट के बटन को खोलता हुआ बोला, "स्वीटहार्ट अगर तुम इस तरह से जिद्द करोगी तो मेरा पेशेंस लेवल और भी ज्यादा घट जाएगा और फिर मैं अगर बेकाबू हो गया तो तुम बहुत पछताओगी।"
    इतना बोलकर वह आरोही के बिल्कुल नजदीक आया और उसने आरोही के होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "इसलिए बिल्कुल चुप रहो अगर तुम्हें चिल्लाना है तो थोड़ी देर बाद चिल्लाना, क्योंकि अभी जो मैं कर रहा हूं वह तो कुछ भी नहीं है थोड़ी देर बाद तुम्हें अपने असली दर्द के बारे में पता चलेगा क्या कर में दर्द क्या होता है।"
    इतना बोलकर वह मुस्कराया और उसने अपनी शर्ट के बटन खोलकर अपनी शर्ट को उतार कर फेंक दिया
    वह जैसे शर्टलेस हुआ उसने अब सिर्फ ब्लू कलर की जींस पहनी हुई थी और उसके एप्स और उसके चेस्ट के उभारो को देखकर वह एक पल के लिए उसे देखती ही रह गई। क्योंकि कबीर की बॉडी काफी ज्यादा सख्त थी और उसके एप्स साफ नजर आ रहे थे।
    वह एक पल के लिए सब कुछ भूल गई और उसकी नजर सिर्फ और सिर्फ कबीर के चेहरे और उसकी बॉडी पर ही जाकर टिक गई थी और तभी उसने अपनी जींस के बटन को खोल और वह आरोही के बिल्कुल करीब आकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, "क्या हुआ जानेमन मेरी बॉडी तुम्हें अपनी तरफ अट्रेक्ट कर गई क्या?"
    जैसे ही आरोही ने यह बात सुनी, वह अपनी नजर दूसरी तरफ घूमते हुए बोली, "प्लीज़ ऐसा कुछ मत करो, प्लीज..!"
    लेकिन वह आरोही की बात मानने को तैयार ही नहीं था और वह उसके करीब आकर उसे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, "अब तुम्हारे जैसी इतनी हॉट सेक्सी और ब्यूटीफुल लड़की यहां मेरे साथ मेरे बेड पर हो और मैं कुछ ना करूं ऐसा कैसे हो सकता है स्वीटहार्ट..!"
    इतना बोलकर वह उस के टॉप को उतारने लगा और वह उसे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसके दोनों हाथ बेल्ट से बंधे हुए थे और वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रही थी।
    कबीर ने उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "कोई फायदा नहीं है इस तरह बेड पर मचलने का, क्योंकि मैं जो करने वाला हूं और जो करने का सोच चुका हूं वह मैं करके ही रहूंगा, तुम्हारे रोकने से मैं अब रुकने वाला नहीं हूं इसलिए बेकार की कोशिशें करना बंद कर दो और मेरा साथ दो, अगर तुम मेरा साथ दोगी तो तुम्हें ही दर्द कम होगा। और मेरे साथ साथ तुम भी इंजॉय करोगी।"
    इतना बोलकर कबीर ने अपना हाथ नीचे की तरफ बढ़ाया और वह आरोही के पेट को टच करते-करते उसकी कमर को अपने हाथों से मसलने लगा।
    आरोही की दिल की धड़कन बढ़ गई थी वह जैसे-जैसे कबीर के हाथों की हरकत को अपनी बॉडी पर महसूस कर रही थी, उस को ऐसा लग रहा था जैसे मानो उसकी पूरी बॉडी अंदर से कांप रही हो और वह उसको खुद से दूर हटा भी नहीं सकती थी और तभी उसने महसूस से किया कि कबीर के हाथ उसकी नाभि से होते हुए उसके sensetive पार्ट की तरफ जा रहे है और उसने जैसे ही इस बात को महसूस किया उसने अपने एक पैर को दूसरे पर पर क्रॉस करते हुए कहा, "नहीं नहीं प्लीज ऐसा मत करो प्लीज रुक जाओ..!"
    लेकिन कबीर ने उसकी बात नहीं सुनी और वह उसके ऊपर पूरी तरह से हावी हो चुका था और जैसे ही उसने उसकी लोवर पार्ट पर अपने हाथ को रखा वह उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा।
    To be continued
    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 3. Mafia King Obsession - Chapter 3

    Words: 1336

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 3
    उसने जैसे ही इस बात को महसूस किया उसने अपने एक पैर को दूसरे पर पर क्रॉस करते हुए कहा, "नहीं नहीं प्लीज ऐसा मत करो प्लीज रुक जाओ..!"
    लेकिन कबीर ने उसकी बात नहीं सुनी और वह उसके ऊपर पूरी तरह से हावी हो चुका था और जैसे ही उसने उसकी लोवर पार्ट पर अपने हाथ को रखा वह उसकी तरफ देखकर मुस्कुराने लगा।
    आरोही ने उसकी तरफ देख कर ना में अपना सिर हिलाया और वह उस रोकने के लिए कुछ कर ही नहीं पा रही थी और तभी कबीर ने आरोही के होठों के नजदीक गया और उसने उसके लोअर लिप को बाइट करना शुरू कर दिया और आरोही पूरे बेड पर मचल रही थी वह उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर मान ही नहीं रहा था।
    आरोही ने कबीर की आंखों में एक अलग ही पागलपन देखा और उसने अपनी आंखों को कसकर बंद कर लिया क्योंकि कबीर उसके लोअर लिप्स को जिस तरह से suck कर रहा था!
    उसके suck करने के तरीके और उसके फोर्स से ही आरोही समझ गई थी कि अब वह चाहे जितनी भी कोशिश कर ले, वह कबीर को रोक नहीं सकती और उसने अपनी आंखों को कसकर भींच लिया और उसने बेड पर मचलना बंद कर दिया।
    कबीर ने जैसे ही आरोही को शांत होते हुए देखा वह उसकी तरफ देख कर मुस्कुराया और उसने उसके होठों को बाइट करना बंद कर दिया और वह धीरे से उसकी गर्दन के पास जाकर अपनी nose को उसकी गर्दन पर रब करते हुए बोला, "that's my girl यही तो चाहता हूं तुम मुझे कितने अच्छे से समझ गई, स्वीटहार्ट।"
    इतना बोलकर उसने अपने हाथ को उसकी लोअर बॉडी पार्ट पर गोल घुमाया और धीरे-धीरे उसे डिप्ली किस करते हुए वह अपने हाथ को और भी ज्यादा गहराई ले जाने लगा।
    आरोही ने उसके हाथों की गरमाहट को महसूस किया कि कबीर की उंगलियां पूरे जोश में थी और उनकी हरकत से आरोही का दिल तेजी से धड़कने लगा था।
    ये पहली बार था जब कोई लड़का आरोही के इतने ज्यादा नजदीक आ गया था और उसके हाथ आरोही के प्राइवेट पार्ट पर थे और उसने धीमी आवाज में कहा, "प्लीज भगवान जी मुझे इस हैवान से बचाइए।"
    इतना बोलकर आरोही रोने लगी और उसकी आंखों से जो आंसू बह रहे था उसे आंसू को देखकर कबीर ने उसके कान के पास जाकर कहा, "इतना ज्यादा तुम्हें रोने की जरूरत नहीं है और अभी तो मैंने सिर्फ स्टार्ट किया है sweetheart ! अभी तो पूरी रात बाकी है।"
    इतना बोलकर कबीर आरोही के क्लीवेज पर किस करने के लिए नीचे की तरफ झुका उसने अपनी एक हाथ को अभी भी आरोही के पैरों के बीच ही रखा हुआ था और उसने अपने दूसरे हाथ से आरोही के ब्रेस्ट को धीरे-धीरे प्रेस करना शुरू किया और आरोही का पूरा बदन तेजी से कांपने लगा।
    तभी उसके रूम के बाहर से एक तेज सायरन की आवाज बड़ी और सायरन की आवाज को सुनकर कबीर उसे किस करते-करते रुक गया और जैसे ही कबीर रुका आरोही उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी क्योंकि जो सायरन की आवाज आ रही थी।
    उससे आरोही समझ नहीं पाई थी कि आखिर क्या हो रहा है लेकिन कबीर उस आवाज को सुनकर उठकर खड़ा हुआ। उसने अपने हाथ को टिशू पेपर से पोंछा और अपनी शर्ट को पहनते हुए वह अपने कमरे से बाहर निकल गया।
    आरोही ने जैसे ही उसे जाते हुए देखा उसने एक गहरी सांस ली और जल्दी से अपने हाथों में बंधी कबीर की बेल्ट को खोलने लगी।
    उसने अपने कपड़ों को ठीक किया और उसने अपने आंसुओं को पोंछते हुए कहा, "थैंक यू गॉड मुझे शैतान से बचने के लिए। मुझे अब यहां से कैसे भी करके निकलना होगा। अगर मैं यहां पर रही तो यह इंसान तो पता नहीं मेरे साथ क्या-क्या करेगा। और मैं तो इसे रोक भी नहीं पाऊंगी!"
    आरोही ने बेड से उतारकर उस रूम के चारों तरफ देखा उसे वहां पर कुछ भी समझ नहीं आ रहा था! उसे तो एग्जैक्ट लोकेशन भी नहीं पता थी कि वह इस टाइम है कहां पर?
    वह जैसे ही कमरे के दरवाजे के पास गई उसने उस कमरे के दरवाजे को खोला और उसने देखा वह एक फर्स्ट फ्लोर के कमरे पर थी और नीचे की तरफ एक बड़ा सा हाॅल था। जहां पर वह आदमी हाॅल में खड़े हुए उस बड़े से सोफे पर बैठा हुआ था।
    उसके सामने कई सारे बॉडीगार्ड सिक्योरिटी गार्ड खड़े थे और उन्होंने एक आदमी के हाथ को उसकी पीठ के पीछे बांध रखा था जैसे कि वह आदमी कोई मुजरिम हो।
    आरोही वहीं पर चुपचाप खड़े होकर वह सारा माजरा समझने की कोशिश करने लगी और तभी कबीर ने सामने घुटनों के बल बैठे उसे आदमी की तरफ देखते हुए कहा, "तुम्हारी इतनी हिम्मत हो गई है कि तुम कबीर के घर में घुसकर उसकी इन्फॉर्मेशन को लीक करना चाहते थे तुम ने ऐसा कैसे सोच लिया कि एक माफिया किंग के घर पहुंच कर तुम वहां से सही सलामत निकल जाओगे, वह भी इतनी बड़ी गलती करने के बावजूद।"
    सामने बैठे उस आदमी ने कबीर की यह बात सुनी और उसने हाथ जोड़ते हुए कहा, "मैं जानता हूं आप माफिया किंग है लेकिन मैंने यह अपनी मर्जी से नहीं किया है मुझे ऐसा करने के लिए कहा गया था मैं... मैं मजबूर था मुझे माफ कर दीजिए..!"
    कबीर ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "कबीर कभी किसी को माफ नहीं करता उसकी गलती की सजा बस एक ही होती है और वह सजा मैं तुम्हें देखकर रहूंगा।"
    इतना बोलकर उसने अपनी गन को उठाया और सीधे उस आदमी के सिर के बीचो-बीच गोली मारी और वह आदमी वही जमीन पर गिर गया।
    आरोही ने जैसे ही कबीर को इस तरह उस आदमी की जान लेते हुए देखा उसने अपने मुंह पर हाथ रखा और वह वहीं जमीन पर बैठ गई और उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "यह माफिया किंग है और डैड ने मुझे उसके हाथों बेच दिया, डैड आप ऐसा कैसे कर सकते हैं मुझे मुझे इस तरह मौत के मुंह में कैसे धकेल सकते हैं आप? मैं सोचती थी कि आप शायद कभी तो मुझे प्यार करेंगे, लेकिन नहीं मैं गलत थी, आपने मुझे एक माफिया किंग को बेच दिया।"
    इतना बोलकर आरोही की आंखों से आंसू निकलने लगे!
    कबीर ने अपने बगल में खड़े आदमी की तरफ देखते हुए कहा, "अर्जुन यह सब साफ करवाओ और पता करो इसने कौन सी इनफार्मेशन को लीक करने की कोशिश की है और यह विला के अंदर घुसा कैसे?"
    अर्जुन ने कबीर की बात सुनकर हां में अपना सिर हिलाया और वह अपने सारे आदमियों को इंस्ट्रक्शन देने लगा और वह सारे बाॅडीगारड उस आदमी की लाश को ठिकाने लगाने लगे।
    कबीर उठकर सीधे सीढ़िओ से ऊपर की तरफ वापस आने लगा और जैसे ही आरोही ने उसे वापस आते हुए देखा।
    वह तुरंत उठकर खड़ी हुई और सीधे उसी कमरे में चली गई और उसने कमरे में जाकर कमरे को अंदर से लॉक कर लिया, वह नहीं चाहती थी कि कबीर वापस उसके कमरे में आए लेकिन कबीर जैसे ही कमरे के अंदर आया उसने दरवाजे को खोलने की कोशिश की और जैसे ही उसे इस बात का अंदाजा हुआ कि कमरे का दरवाजा आरोही ने अंदर से बंद कर लिया है कबीर दरवाजे की तरफ देखकर मुस्कुराया और उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "आरोही कम ऑन डार्लिंग ओपन द डोर। ये बच्चों वाली हरकत है।"
    आरोही ने जैसे ही उसकी बात सुनी, वो चुपचाप बेड पर आकर बैठ गई और तभी कबीर ने एक जोरदार लात दरवाजे पर मारी और वह दरवाजा खुल गया।
    To be continued
    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 4. Mafia King Obsession - Chapter 4

    Words: 1241

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 4
    कबीर ने एक जोरदार लात दरवाजे पर मारी और वह दरवाजा खुल गया।
    कबीर कमरे के अंदर आया उसने आरोही की तरफ देखते हुए कहा, "ओह माय डार्लिंग अगर तुम इस तरह से मुझे खुद से दूर रखोगी तो कैसे चलेगा और मैं तुमसे दूर तो नहीं रहने वाला, आज मैं तुम्हें अपना बना कर ही रहूंगा।"
    इतना बोलकर वह आरोही के करीब आ रहा था कि तभी आरोही ने वहीं पास में रखी हुई है शैंपेन की बोतल को देखा और वह उस बोतल के पास गई उसने उस बोतल को वही दीवार पर पटका जिससे वह बोतल टूट गई और आरोही ने उस बोतल को कबीर की तरह दिखते हुए कहा, "खबरदार अगर तुम मेरे करीब आए तो मैं मैं..."
    आरोही डरते डरते बोल रही थी और कबीर ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा, "तो क्या करोगी डार्लिंग तुम मुझे मरोगी और तुम्हें लगता है इस छोटी सी बोतल से मेरा कुछ भी बिगड़ेगा!"
    आरोही ने कबीर की बात सुनी और वो उस बोतल की तरह देखने लगी, वह छोटी सी बोतल से कबीर का एक बाल भी बांका नहीं हो सकता था और आरोही ने जब देखा कि कबीर रुक नहीं रहा बल्कि वह उसकी तरफ बढ़ता ही जा रहा है तो आरोही को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था और उसने उसे बोतल की नुकीले टुकड़े की तरफ देखा और उसने उसे बोतल को अपने कलाई पर रखते हुए कहा, "अगर तुम एक कदम भी आगे आए तो मैं खुद को मार लूंगी।"
    कबीर आरोही की यह बात सुनकर जोर-जोर से हंसते हुए बोला, "ओ माय डार्लिंग यह क्या बचपना है क्या बच्चों की तरह बातें कर रही हो तुम और मैं यहां पर तुम्हारा यह नखरे देखने के लिए नहीं बैठा हूं तुम्हारे बाप ने तुम्हारी कीमत लगाई है और तुमको मुझे बेचा है और अब मैं तुम्हारे साथ जो चाहूं वह कर सकता हूं इसलिए मेरे अंदर के शैतान को मत जगाओ, क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मैं अपनी ज़िद में आकर तुम्हें बुरी तरह हर्ट कर दूं।"
    आरोही उसकी बात सुनकर थोड़ा सा डर गई थी लेकिन उसने अपने हाथ में पड़े हुए उस बोतल के टुकड़े को अपनी नस पर गड़ाते हुए कहा, "अगर तुम्हें मेरी इज्जत के साथ ही खेलना है तो फिर ठीक है खेल लेना मेरी लाश के साथ।"
    इतना बोलकर आरोही ने अपने हाथ की नस पर उसे बोतल के नुकीले भाग को गड़ाया और कुछ ऐसे ही उसकी कलाई से एक बूंद खून टपका कबीर तेज कदमों से आगे बढ़ा और उसने आरोही के हाथ में पकड़े हुए उस कांच के बोतल के टुकड़े को फेंकते हुए कहा, "तुम्हारी जान अब मेरी हो चुकी है मिस आरोही अब तुम्हें इतना भी हक नहीं है कि तुम अपनी जान खुद ले सको, अगर तुम्हारी जान कोई ले सकता है तो वह इंसान भी मैं ही हूं क्योंकि तुम्हारे साथ-साथ तुम्हारी जान भी बिक चुकी है और अब इन सारी चीजों पर सिर्फ और सिर्फ कबीर का हक है।"
    आरोही ने उसके हाथ को अपने हाथ से हटाने की कोशिश करते हुए कहा, "नहीं कोई मुझे खरीद नहीं सकता... मैं बिकाऊ नहीं हूं और तुम मेरे साथ तो कुछ नहीं करोगे छोड़ो मेरा हाथ!"
    आरोही कबीर के हाथ से अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर ने उसके हाथ में इतनी मजबूती से पकड़ लिया था कि आरोही से अपने हाथ को छुड़ा नहीं पाई और तभी कबीर ने अपने दूसरे हाथ को आरोही की कमर में डाला और उसे बिल्कुल अपने करीब खींचते हुए कहा, "that's enough अब तुम मुझे वह करने पर मजबूर कर रही हो जो मैंने सोचा था कि मैं तुम्हारे साथ नहीं करूंगा.."
    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी वह उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए बोली, "क्या क्या करने वाले हो तुम?"
    कबीर ने उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "वही जो करने पर तुमने मुझे मजबूर कर दिया है।"
    इतना बोलकर उसने आरोही के दोनों गालों को दबोचा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए और वह उसे अपनी गोद में उठकर किस करते-करते से बेड पर लेकर आया और आरोही ने जैसे ही देखा था कबीर उसे वापस बेड पर लेटा रहा है तो आरोही के अंदर पता नहीं कहां से इतनी ताकत हो गई कि उसने कबीर को धक्का दिया।
    वह कमरे से बाहर की तरफ भागने लगी, आरोही अपनी जान बचाकर वहां से निकलना चाहती थी लेकिन वह ज्यादा दूर भाग नहीं पाई वह जैसे ही कमरे से बाहर निकली नीचे हॉल में अर्जुन बाकी लोगों के साथ खड़ा था और तभी कबीर ने कमरे से बाहर निकाल कर अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, "अर्जुन पकड़ो इसे यह यहां से भाग कर कहीं नहीं जा सकती।"
    जैसे ही अर्जुन ने आरोही को कमरे से निकलते हुए देखा उसने अपने आदमियों की तरफ देखते हुए कहा, "मेंन गेट बंद करो।"
    उसकी बात सुनते ही बाकी के सारे नौकर विला के मेन गेट को बंद करने लगे और जैसे ही आरोही ने मेन गेट को बंद होते हुए देखा उसे की सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया और वह वहीं पर अर्जुन को घूरते हुए देखकर बोली, "प्लीज मुझे जाने दो यहां से मैं यहां नहीं रहना चाहती प्लीज मुझे मेरे घर जाने दो।"
    अर्जुन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसने कबीर की तरफ देखा ।
    कबीर ने उसे वहीं पर रुकने का इशारा किया और वह कबीर धीरे-धीरे सीढ़िओ से नीचे उतरकर आरोही की तरफ आने लगा।
    आरोही ने जैसे ही उसे सीढ़िओ से उतरते हुए देखा वह नीचे की तरफ उतरकर भागी और सामने खड़े अर्जुन से जाकर टकरा गई।
    अर्जुन अपना हाथ पीछे बांध कर खड़ा हुआ था और आरोही को समझ ही नहीं आया कि वह क्या करें, कैसे खुद को कबीर से बचाए लेकिन अब तक शायद बहुत देर हो गई थी और आरोही वहां से कहीं भी भाग नहीं पाई कबीर जैसे ही आरोही के पास गया उसने उसे घूरते हुए देखकर कहा, "डार्लिंग बहुत गलत किया तुमने और अब तुम्हें इसकी सजा तो मिलेगी।"
    इतना बोलकर उसने आरोही को अपने कंधे पर उठाया और उसे सीधे रूम की तरह वापस लेकर आने लगा आरोही ने अर्जुन और बाकी सब की तरफ देखा वह सब अपना हाथ बांधकर अपना सिर नीचे झुका कर खड़े हुए थे।
    जिन्हें देखकर आरोही इतना तो समझ गई थी कि वह लोग सब कबीर के इशारे पर ही चलने वाले लोग हैं और उनमें से कोई भी उसकी मदद करने के लिए आगे नहीं आएगा, इसलिए आरोही ने कबीर की पीठ पर अपने हाथों से पंच करना शुरू किया और वह उसे मारते हुए बोली, "नीचे उतारो मुझे, कहां लेकर जा रहे हो, मुझे नहीं जाना तुम्हारे साथ तुम्हारे रूम में, छोड़ो मुझे मेरे घर वापस से जाना है..!"
    वह कबीर की पीठ पर लगातार मारती जा रही थी लेकिन कबीर को जैसे कुछ असर ही नहीं हो रहा था वह उसे उसी तरह अपने कंधे पर उठाए हुए लेकर सीधे अपने रूम में आया और रूम को अंदर से लॉक करके उसने आरोही को अपने बेड पर धकेल दिया
    To be continued
    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 5. Mafia King Obsession - Chapter 5

    Words: 1222

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 5
    वह कबीर की पीठ पर लगातार मारती जा रही थी लेकिन कबीर को जैसे कुछ असर ही नहीं हो रहा था वह उसे उसी तरह अपने कंधे पर उठाए हुए लेकर सीधे अपने रूम में आया और रूम को अंदर से लॉक करके उसने आरोही को अपने बेड पर धकेल दिया और उसने आरोही की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "अच्छा हुआ जो तुमने मेरे सामने भाग कर मुझे और भी ज्यादा सतर्क कर दिया है अब मैं तुम्हें एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोडूंगा, अब 24/7 मेरी नज़रें तुम पर रहेंगी।"
    इतना बोलकर उसने अपने बेड के ड्रार में से एक हथकड़ी को निकाला और उस हथकड़ी को आरोही के दोनों हाथ में लगाते हुए कहा, "अब तुम यहां से कहीं नहीं भागोगी और ना ही तुम्हें अब और कहीं जाने की कोई इजाजत है तुम अब इसी कमरे में बंद रहोगी और अब तुम्हे इस बेड से उतरने के लिए भी मेरी इजाजत की जरूरत होगी।"
    आरोही ने जैसे ही कबीर के मुंह से बात सुनी, वह ना में अपना सिर हिलाने लगी और तभी कबीर ने अपनी शर्ट को उतार कर फेंका।
    वह आरोही के बिल्कुल करीब आते हुए बोला, "बस बहुत हो गई बातें अब मुझे बातों में और टाइम वेस्ट नहीं करना है, अब जल्दी से मुझे सेटिस्फाइड करो।"
    इतना बोलकर उसने आरोही के टॉप को पकड़ कर खींच और उसका टॉप फट गया आरोही ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " नहीं नहीं तुम ये क्या कर रहे हो तुम इस तरह मेरे साथ जबरदस्ती नहीं कर सकते।"
    आरोही के मुंह से बात सुनकर कबीर ने उसके बिल्कुल करीब आकर उसके पेट को छूते हुए कहा, "जबरदस्ती नहीं कर रहा हूं मैं और तुम्हें अगर ऐसा लगता भी है तो जो तुम्हारा मन करे वह सोच लो आई रियली डोंट केयर।"
    इतना बोलकर कबीर ने उसके टॉप को उतार कर फेंक दिया और आरोही के दोनों हाथ हथकड़ी से बंधे हुए थे और वह उसका हाथ बेड के हेड रेस्ट पर बंधा हुआ था और वह अपने हाथों को छुड़ा नहीं पा रही थी कि तभी कबीर ने अपनी पेंट के बटन को खोला और वह आरोही के ऊपर जाकर लेटा और जैसे ही उन दोनों की बॉडी एक दूसरे से टच हुई, आरोही की दिल की धड़कन बढ़ गई, यह पहली बार था जब कोई लड़का आरोही के इतने ज्यादा करीब आया था और आरोही के बदन को छूते हुए कबीर को एक अलग ही एहसास हो रहा था और वह उसके और करीब जाने से खुद को रोक नहीं पा रहा था उसने आरोही के बाकी बचे कपड़ों को उतार कर वहीं बेड के आसपास फेंक दिया।
    वह जैसे ही आरोही को किस करने के लिए झुका आरोही की दिल की धड़कन में बढ़ गई क्योंकि उस की नजर कबीर की बॉडी की तरफ थी।
    कबीर की बॉडी इतनी ज्यादा हार्ड हो चुकी थी कि वह उसकी बॉडी से निकलने वाली हीट को महसूस कर पा रही थी। उसकी बॉडी से निकलने वाली गर्माहट आरोही को और भी ज्यादा डरा रही थी।
    आरोही ने कबीर की आंखों में आंखें डाल कर देखा और उसने धीमी आवाज में कहा, "प्लीज़ प्लीज़ ऐसा मत करो।"
    आरोही की बात सुनकर कबीर ने उसके दोनों गालों को दबोचते हुए कहा, "रोकने का कोई फायदा नहीं है मैं नहीं रुकने वाला।"
    इतना बोलकर उसने आरोही के दोनों पैरों को एक दूसरे से सेपरेट किया और उसने आरोही के पैरों को अपनी कमर पर क्रॉस कर लिया और वह उसके बिल्कुल नजदीक आ गया।
    आरोही ने जैसे ही कबीर को अपनी बॉडी के इतने नजदीक महसूस किया उसकी सांसे अटक गई और उसने अपनी आंखों को कसकर बंद कर लिया और जैसे ही कबीर उस के साथ इंटिमेट होने के लिए नीचे की तरफ झुका।
    आरोही के मुंह से एक तेज चीख निकाली और उसने कबीर को रोकते हुए कहा, "नो नो प्लीज डोंट डू दिस..!"
    लेकिन इससे पहले के कबीर उसकी बात सुनता आरोही की आंखें बंद हो गई और वह वहीं बेड पर बेहोश हो गई।
    कबीर ने जैसे ही उसे बेहोश होते हुए देखा वह उसके गाल को दबाते हुए बोला, "स्वीटहार्ट मैं जानता हूं तुम यह सब कुछ जानबूझकर कर रही हो लेकिन तुम्हें अगर ऐसा लगता है कि तुम मुझे बेवकूफ बना सकती हो तो बिल्कुल भी नहीं, मैं जानता हूं तुम बेहोश होने का नाटक कर रही हो ताकि मैं तुम्हारे साथ इंटीमेट ना होउ...! बट ऐसा नहीं होगा मैं जो करना चाहता हूं वह करके ही रहूंगा!"
    इतना बोलकर उसने आरोही के बिल्कुल नजदीक जाकर उसके होठों को धीरे से बाइट किया और तभी उसे पता चला कि वह कोई नाटक नहीं कर रही है और वह सच में बेहोश हो गई है।
    जैसे ही कबीर ने इस बात को महसूस किया वह उसके ऊपर से हटा और उसने आरोही के गाल को थपथपाते हुए कहा, "हे उठो वेक अप तुम इस तरह से बेहोश नहीं हो सकती, उठो...!"
    लेकिन आरोही ने उसकी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया और कबीर ने गहरी सांस ली और वह सीधे उसके ऊपर से हटकर उसे घूरते हुए देखने लगा और वहां से गुस्से से तिलमिलाते हुआ वह सीधे वॉशरूम की तरफ चला गया, क्योंकि वह आरोही के इस तरह से टच करने से टर्न ऑन हो चुका था और अब जब आरोही बेहोश हो गई थी तो वह उसके साथ इस तरह बेहोशी की हालत में कुछ भी नहीं करना चाहता था और उसने अपने आप को कंट्रोल किया और सीधे वॉशरूम की तरफ चला गया।
    थोड़ी देर बाद वह वॉशरूम से फ्रेश होकर बाहर निकाला और आरोही अभी भी बेहोश ही थी। हालांकि उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था और वह उसकी तरफ काफी ज्यादा अट्रैक्ट हो रहा था।
    लेकिन जब वह बेहोशी की हालत में थी तो वह उसके नजदीक आया और उसने वही आरोही के बगल में लेट कर उसके चेहरे को देखा और उसकी बॉडी पर ब्लैंकेट डालकर वह उसके बगल में ही आकर लेट गया। उसके हाथ बार-बार आरोही की कमर और उसके लोअर बॉडी पार्ट पर जा रहे थे लेकिन उसकी बेहोश होने की वजह से कबीर कुछ भी कर नहीं पा रहा था।
    वो उसे अपनी बाहों में भर कर सो गया अगली सुबह जब कबीर की आंख खुली और उसने आरोही की तरफ देखा वह गहरी नींद में सो रही थी।
    कबीर को जल्दी ऑफिस के लिए निकलना था इसलिए वह रेडी होकर रूम से बाहर निकलने लगा तभी उसे कल रात आरोही की वह हरकत याद आई जब वह वहां से भागने की कोशिश कर रही थी।
    उसने डाइनिंग टेबल पर आकर बैठते हुए कहा, "अर्जुन मैं सबसे ज्यादा भरोसा तुम पर करता हूं मैं चाहता हूं कि तुम यही घर पर ही रुको और आरोही पर नजर रखो। मेरे रूम में ना ही कोई जाए और ना ही वह लड़की रूम से बाहर निकले, समझ रहे हो ना तुम मेरी बात?"
    अर्जुन ने धीरे से अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मैं समझ गया।"
    To be continued
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    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
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  • 6. Mafia King Obsession - Chapter 6

    Words: 1346

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 6
    कबीर ने अर्जुन को सारी बातें समझाई और उस ने अपने हाथ में पकड़े हुए आईपैड को उसके सामने रखते हुए कहा, "ठीक है मैंने तुम्हारे आज का पूरा शेड्यूल बना दिया है आकाश सारे चीजे देख लेगा।"
    अर्जुन वहीं पर रुक गया था और कबीर की कुछ इंपॉर्टेंट मीटिंग थी इसलिए वह जल्दी ऑफिस के लिए निकल गया और वहां जैसे ही दोपहर हुई और 1:00 बजे ही थे कि तभी आरोही की आंख खुली और उसने आंख खोल कर जैसे ही अपने सामने देखा वह उस रूम को देखकर डर गई और उसने जैसे ही उठने की कोशिश की वह उठी नहीं पाई क्योंकि उसका हाथ हथकड़ी से बंधा हुआ था और उसने तेज आवाज में चलते हुए कहा, "कोई है यहां पर प्लीज मेरी मदद करो, मेरे हाथ को खोलो!"
    लेकिन कबीर का वह कमरा साउंड प्रूफ था इसलिए उसकी आवाज कमरे से बाहर नहीं जा पाई और वह चिल्लाते चिल्लाते रोने लगी।
    वही अर्जुन कमरे के बाहर आराम से चेयर डालकर बैठा हुआ था कि तभी विला में एक अजीब सी हलचल मच उठी जैसे ही विला के बाहर एक कार आकर रुकी, उसमें से एक बड़ी ही प्यारी और स्टाइलिश लड़की बाहर निकली और वह अपने हाथों में लिए हुए बैग को गोल गोल नचाते हुए सीधे विला के अंदर आई और उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "कबीर भाई.."
    जैसे ही अर्जुन ने वह आवाज सुनी अर्जुन अपनी जगह पर उठकर खड़ा हो गया और वह नीचे हॉल की तरफ देखने लगा और जैसे ही अर्जुन की नजर उसे लड़की पर गई अर्जुन ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा, "अब पीहू मैंडम यहां पर क्या कर रही हैं इनका तो कॉलेज था आज तो फिर..!"
    अर्जुन यह बात सोच ही रहा था कि तभी पीहू की नजर वही गलियारे में खड़े अर्जुन पर गई जो कबीर के कमरे के बाहर खड़ा था।
    जैसे ही पीहू ने अर्जुन को देखा पीहू के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आई और वह तेजी से सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर की तरफ आने लगी।
    अर्जुन ने जैसे ही पीहू को अपनी तरफ आते हुए देखा वह धीरे से ना में अपना सिर हिलाते हुए बोला, "अब पीहू मैडम मुझसे हजार सवाल करेंगी ।"
    अर्जुन यह बात सोच रहा था और वही चुपचाप कबीर के कमरे के बाहर ही खड़ा था, पीहू वहां पर आई और उसने अर्जुन की तरफ देखकर बड़े ही प्यार से मुस्कुराते हुए कहा, "हे अर्जुन यहां रूम के बाहर क्यों खड़े हों.."
    अर्जुन पीहू की तरफ देखकर बिना उसकी बात का जवाब देते हुए बोला, "मैडम आप इस टाइम यहां क्या कर रही हैं?"
    पीहू ने अर्जुन के पास आकर उस की शर्ट के मुड़े हुए कॉलर को ठीक करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया और वह उसके कॉलर को ठीक करते हुए बोली, "कितनी बार मैंने तुमसे मना किया है, मुझे मैडम मत बोला करो तुम मेरी बात सुनते क्यों नहीं हो? प्लीज सिर्फ मेरा नाम लिया करो!"
    वह उसका कॉलर ठीक करते-करते उसके काफी ज्यादा नजदीक आ गई थी कि तभी अर्जुन ने उसे घूर कर देखा और वह दो कदम पीछे हटते हुए बोला, "मैंने आपसे पूछा कि आप यहां पर क्या कर रही हैं?"
    पीहू ने अपना हाथ नीचे करते हुए कहा, "वह एक्चुअली में भाई से मिलने आई थी मुझे उनसे मिलना है हटो आगे से।"
    इतना बोलकर वह कबीर के कमरे की तरफ बढ़ी तभी अर्जुन ने अपना हाथ उसके आगे करते हुए कहा, "आप अंदर नहीं जा सकती।"
    अर्जुन की बात सुनकर पीहू ने अपनी भौहों को सिकोड़ा और वह उसे बड़ी ही suspicious नजरों से देखते हुए बोली, "क्यों मुझे मिलना है भाई से, तो मैं क्यों नहीं जा सकती अंदर? हाथ हटाओ।"
    अर्जुन ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "क्योंकि कबीर अंदर नहीं है वह अभी ऑफिस से नहीं लौटा आपको अगर उनका वेट करना है तो आप हाॅल में जाकर उनका वेट करिए।"
    पीहू अर्जुन की यह बात सुनकर उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोली, "क्यों मैं हाॅल में बैठकर क्यों वेट करूंगी मैं भाई के रूम में बैठकर उनका वेट कर लूंगी तुम आगे से हटो।"
    अर्जुन ने पीहू की यह बात सुनकर अपने मन में कहा, "यह पीहू मैडम तो कुछ ज्यादा ही ज़िद कर रही है कैसे रोकूं मैं इन्हें ..?"
    अर्जुन ने पीहू का हाथ पकड़ते हुए कहा, "वह एक्चुअली अंदर जाने के लिए कबीर सर ने मना किया है, उन्होंने मुझे ऑर्डर दिया है कि कोई भी उनके रूम के अंदर ना जाए।"
    जैसे ही पीहू ने ये बात सुनी, वह अर्जुन का हाथ आगे से हटाते हुए बोली, "हां तो मैं कोई इंसान नहीं हूं मैं उनकी इकलौती बहन हूं और वह मुझे कुछ भी करने से मन नहीं करते हैं यह बात तुम भी बहुत अच्छी तरह से जानते हो इसलिए मैं यहां नहीं रुकने वाली।"
    इतना बोलकर उसने कबीर के कमरे का दरवाजा खोला और वह चुपचाप अंदर की तरफ चली गई और जैसे ही वह अंदर गई, अर्जुन ने अपना माथा पीटते हुए कहा, "ओह गॉड पीहू मैडम इतनी जिद्दी क्यों है, मैं अंदर जाऊं या नहीं? नहीं अगर कबीर ने मना किया है तो मैं अंदर नहीं जा सकता।"
    इतना बोलकर उसने दरवाजा वापस बंद किया और वह कबीर को कॉल करने लगा, वही पीहू जैसे ही अंदर गई, उसने बेड पर हथकड़ी से बंधी हुई आरोही को देखा और वह आरोही को देखकर वहीं पर रुक गई।
    उसने धीमी आवाज में कहा, "अच्छा तो इसीलिए अर्जुन मुझे अंदर नहीं आने दे रहा था।"
    पीहू आरोही के करीब गई और उसने आरोही के चेहरे को देखा, आरोही उसे बड़ी ही खूबसूरत लगी, आरोही के चेहरे की मासूमियत देखकर पीहू के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट आई और उसने देखा कि रोने की वजह से आरोही का बुरा हाल हो गया था, उसकी आंखें लाल थी और होंठ सूखे हुए थे।
    आरोही नहीं जैसे ही पीहू की तरफ देखा वह हैरानी से उसकी तरफ देखनी लगी, आरोही को नहीं पता था कि पीहू कौन है और कुछ इस तरह से देखकर मुस्कुरा रही थी उससे आरोही बहुत ही ज्यादा कंफ्यूज हो गई थी और उसने पीहू से रिक्वेस्ट करते हुए कहा, "कौन हो तुम प्लीज मेरी मदद करो, मुझे यहां से बाहर जाना है प्लीज मेरे हाथ खोल दो, वो सनकी आदमी मुझे यहां पर जबरदस्ती उठा कर ले आया है।"
    आरोही की यह बात सुन कर पीहू मुस्कुराते हुए बोली, "किस सनकी आदमी की बात कर रही हो तुम?"
    आरोही ने गुस्से से अपने दांत पीसते हुए कहा, " वही जिसका यह रूम है?"
    पीहू उसके पास आते हुए बोली, "यह मेरे भाई का कमरा है मतलब कबीर भाई तुम्हें यहां लेकर आए हैं।"
    पीहू के मुझे यह बात सुनकर आरोही हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी और उसने अपने मन में कहा, " यह उस शैतान की बहन है तो फिर ये क्यों मेरी मदद करेगी?"
    पीहू है रानी से उसकी तरफ देखते हुए बोली, "वैसे मानना पड़ेगा मेरे भाई की पसंद तो बहुत अच्छी है यू आर सो प्रिटी।"
    आरोही ने उसे घूरते हुए देखकर कहा, "वह शैतान तुम्हारा भाई है देखो उसने मेरी क्या हाल बना दी है, प्लीज प्लीज मेरी मदद करो मुझे यहां से बाहर निकलो मैं उस शैतान के साथ नहीं रह सकती प्लीज मदद करो मेरी।"
    आरोही को इस तरह रोते देखकर पीहू उसके पास आई और उसने आरोही की बॉडी की तरफ देखा। उसकी बॉडी पर एक भी कपड़ा नहीं था और वह ब्लैंकेट भी बस यूं ही उसकी बॉडी पर पड़ा हुआ था।
    उसने करीब आकर उसके बदन को ढांका और उस के आंसुओं को पोंछते हुए कहा, "एक मिनट रोना बंद करो मुझे यह बताओ इस Headcuffs की चाबी कहां है?"
    आरोही ने रोते हुए कहा, " मुझे नहीं पता!"

    To be continued
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    1- Stolen by the Mafia
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  • 7. Mafia King Obsession - Chapter 7

    Words: 1185

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 7
    पीहू उस हथकड़ी की चाबी को ढूंढ रही थी लेकिन वह उसे ढूंढ नहीं पाई, उसने सारे ड्रार को खोलकर देखा लेकिन उसे कहीं पर भी हथकड़ी की चाबी नहीं मिली।
    आरोही रोते हुए बोली, "मुझे लगता है शायद तुम्हारा भाई हथकड़ी की चाबी अपने साथ ले गया है!"
    इतना बोलकर आरोह फिर से रोने लगी और तभी पीहू ने उस की तरफ देखती हो यह कहा, "हां शायद बट प्लीज डोंट क्राय मेरे पास एक आईडिया है मैं तुम्हारी हथकड़ी खोल दूंगी, बस तुम रोना बंद करो।"
    इतना बोलकर उस ने अपने सर से अपने कांटे को निकाला और उसने उस हथकड़ी के लॉक को अपने कांटे से खोल दिया।
    जैसे ही उसका हाथ खुला, आरोही ने ब्लैंकेट को पकड़ कर खींच लिया और वह अपने हाथ को पकड़ कर रोने लगी और तभी और आरोही को इस तरह रोते देखकर पीहू उसके बगल में बैठी और उसने उस के चेहरे की तरफ देखते हुए कहा, "अगर मेरे भाई ने तुम्हें यहां पर इस तरह बंद कर रखा है तो इसका मतलब शायद वह तुम्हें पसंद करता है, है ना?"
    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी वह रोते-रोते चुप हो गई और पीहू उसकी तरह देखकर मुस्कुराते हुए बोली, "मतलब तुम मेरी भाभी बनने वाली हो वाओ सच में मुझे बड़ी खुशी होगी अगर तुम मेरी भाभी बनोगी तो..!"
    आरोही ने तुरंत ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है तुम्हारा भाई बहुत बुरा इंसान है उसने मुझे खरीदा है उसने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की वह बहुत घटिया इंसान है, मैं मर जाऊंगी लेकिन कभी उस जैसे इंसान से शादी नहीं करूंगी।"
    पीहू ने जैसे ही यह बात सुनी, वह आरोही को घूरते हुए देखकर बोली, "तुम मेरे भाई की बुराई मुझसे ही कर रही हो?"
    आरोही उसकी यह बात सुनकर चुप हो गई और तभी पीहू ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "डोंट वरी अगर मेरे भाई ने ऐसा कुछ किया है तो इसके पीछे कोई ना कोई रीज़न होगा, क्योंकि तुम जैसा बोल रही हो मेरा भाई वैसा बिलकुल भी नहीं है लेकिन अभी तुम्हारा उन पर गुस्सा करना बनता है, बाय द वे मुझे लगता है कि तुम्हें वॉशरूम जाकर फ्रेश होना चाहिए!"
    इतना बोलकर पीहू उठकर खड़ी हुई और उसने कबीर के cupboard को खोलकर उस की एक लूज टी-शर्ट को निकाल कर उसे देते हुए कहा, "जाओ जाकर फ्रेश हो जाओ, मैं जब तक कुछ खाने के लिए मंगवाती हूं भूख लगी होगी तुम्हें? है ना!"
    आरोही पीहू की यह बात सुनकर उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए बोली, "तुम मेरी मदद क्यों कर रही हो?"
    पीहू ने मुस्कुराते हुए कहा, "क्योंकि तुम मुझे अच्छी लगी और मैं चाहती हूं कि तुम मेरी भाभी बनो और मेरे बिगड़े हुए भाई को सुधार दो, चलो अब उठो, जाकर फ्रेश हो जाओ।"
    इतना बोलकर पीहू ने आरोही का हाथ पकड़ा और वह उसको वॉशरूम के अंदर छोड़कर कमरे से बाहर निकली और उसने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, "अर्जुन मुझे भूख लगी है, प्लीज मेरे लिए कुछ खाने को मंगवा दो।"
    अर्जुन ने जैसे ही पीहू की यह बात सुनी वह उसकी तरह देखते हुए बोला, "तुम अंदर क्या कर रही हो बाहर निकलो और उस लड़की को अकेला छोड़ दो।"
    पीहू ने अर्जुन के करीब आकर उसके होठों पर अपनी उंगली रखते हुए कहा, "क्या हो गया है अर्जुन तुम्हें तुम भाई के जैसा रिएक्ट क्यों कर रहे हो, मैं बाहर नहीं आ रही और मुझे खाने के लिए कुछ चाहिए इसलिए अभी के अभी मुझे किचन से कुछ खाने को लाकर दो, वरना मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगी और भाई से तुम्हारी शिकायत कर दूंगी अब जाओ और जाकर मुझे कुछ खाने के लिए ला कर दो मैं कुछ नहीं जानती।"
    अर्जुन ने जैसे ही यह बात सुनी वह गुस्से से पीहू की तरफ देखने लगा और पीहू ने वापस उसके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया।
    अर्जुन पीहू की इस हरकत से काफी ज्यादा गुस्सा हो गया था और उसने गुस्से से अपने हाथ की मुट्ठी बंदी क्योंकि वह पीहू को कुछ बोल नहीं सकता था..
    उसने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और वह रूम के दरवाजे पर से हटा और जैसे ही वह नीचे आया उसने घर के एक सर्वेंट की तरफ देखते हुए कहा, "कोई भी ऊपर नहीं जाएगा चाहे पीहू मैडम कितना भी बुलाए। अंडरस्टैंड?"
    अर्जुन ने घर के सारे सर्वेंट को स्ट्रिक्टली मना कर दिया था और वह सब अर्जुन की बात मानकर चुपचाप वहीं हाथ बांधकर खड़े हो गए और अर्जुन ने तुरंत अपना मोबाइल फोन उठाया और वह कबीर को कॉल करने लगा कबीर उसके मैसेज को पहले ही देख चुका था...
    अर्जुन कबीर से बात करने के लिए विला से बाहर निकल गया और पीहू जैसे ही रूम के बाहर आई, उसने देखा अर्जुन गेट पर नहीं था और पीहू समझ गई कि अर्जुन उसकी बात इतनी आसानी से तो मरने वाला नहीं था और तभी पीहू ने सीढ़ियो के पास आकर वहां सामने खड़े सर्वेंट की तरफ देखते हुए कहा, "मैंने कुछ खाने के लिए मांगा था तुम लोग को सुनाई नहीं दिया क्या?"
    वह सारे सर्वेंट पीहू की तरह देख रहे थे और उन्होंने एक दूसरे की तरह देखा अपनी नजर नीचे झुकते हुए कहा, "वह मैडम अर्जुन सर ने मना किया है।"
    पीहू ने धीरे से नाम है अपना सिर हिलाया और वह खुद नीचे उतर कर आई और सीधे किचन के अंदर आ गई और उसने खाने की प्लेट निकाली और सीधे रूम की तरफ जाने लगी।
    वही रूम में आरोही कबीर की टी शर्ट पहन कर वॉशरूम से बाहर निकली और उसने देखा रूम में कोई भी नहीं था और वह धीमी आवाज में बोली, "मुझे तो समझ नहीं आ रहा, यह मेरी हेल्प क्यों कर रही है और इस टाइम पर तो यहां पर है भी नहीं मेरे लिए बहुत अच्छा मौका है मैं यहां से भाग सकती हूं!"
    इतना सोचकर आरोही जैसे ही बेड के पास पहुंची वैसे ही उसने दरवाजा खोलने की आवाज सुनी और पीहू अपने हाथ में खाने की ट्रे लेकर अंदर आई।
    और उसने आरोही की तरफ देखते हुए कहा, "फ्रेश हो गई तुम बैठो कुछ खा लो। "
    पीहू इतना बोल रही थी कि तभी आरोही ने उस की तरफ हैरानी से देखते हुए कहा, "तुम सच में उसकी बहन हो?"
    आरोही ने जैसे ही यह सवाल किया पीहू मुस्कुराते हुए बोली, "हां मैं कबीर भाई की बहन हूं क्यों तुम्हें अभी भी मुझ पर यकीन नहीं हो रहा है क्या?"
    पीहू इतना बोलकर मुस्कुराई और तभी आरोही ने कहा, "मेरा मतलब है कि अगर कभी मुझे यहां पर हमेशा हमेशा के लिए ऐसे ही बात कर रखेगा तो क्या तुम्हें लगता है यह सही होगा?"
    पीहू आरोही की बात सुनकर बिल्कुल चुप हो गई।
    To be continued

    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
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    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 8. Mafia King Obsession - Chapter 8

    Words: 1311

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 8 हद से ज्यादा बुरा हूं!

    पीहू आरोही की बात सुनकर बिल्कुल चुप हो गई। और तभी आरोही ने कहा, "ये तो गलत है ना? तो प्लीज तुम मुझे यहां से निकलने में मेरी हेल्प करो ना, मुझे यहां नहीं रहना, मुझे अपने घर जाना है!”

    आरोही इतना बोलकर पीहू के बिल्कुल करीब आई और उसके दोनों हाथ को पकड़ते हुए बोली, "प्लीज़ प्लीज़ मेरी हेल्प करो अगर तुमने मुझे यहां से निकलने में हेल्प कर दी तो मैं तुम्हारी जिंदगी भर एहसानमंद रहूंगी, मैं तुम्हारे भाई के साथ नहीं रह सकती वह बहुत बुरा इंसान है वह इंसान की शक्ल में एक डैविल है मैं उस शैतान के साथ…”

    आरोही बोलते बोलते रोने लगी उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे और तभी पीहू ने उसके आंसुओं को पूछते हुए कहा, "अरे तुम फिर से रोने लगी, मैंने तुमसे कहा था ना, तुम्हें रोने की जरूरत नहीं है और तुम जैसा मेरे भाई को समझ रही हो वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं है वह तुम्हें चोट नहीं पहुंचाएंगे, तुम क्यों उनके बारे में ऐसा फेक सिनेरियो बना रही हो अपने दिमाग में, देखो तुम मेरी बात सुनो अगर भाई को तुम्हारे साथ रहना है तो तुम आराम से उनके साथ रहो ना वह जैसे खुद को दिखाते हैं वह एक्चुअली में वैसे है नहीं, वह एक बहुत…”

    वह बोल ही रही थी कि तभी दरवाजे के पास एक सख्त आवाज आई, “जैसा तुम सोच रही हो मैं बिल्कुल वैसा ही हूं, वैसा नहीं तो उससे भी ज्यादा बुरा हूं, जितना तुम सोच भी नहीं सकती हद से ज्यादा बुरा हूं मैं!”

    इतना बोलकर वह चुप हो गया और उन दोनों की नजरे सीधे दरवाजे की तरफ गई और जैसे ही पीहू ने वह आवाज सुनी, वह उसे पहचान गई थी कि वह आवाज कबीर की है और आरोही ने जैसे ही अपनी नजरे उठाकर कबीर की तरफ देखा।

    वह बेड से उठकर खड़ी हुई और उसने पीहू का हाथ छोड़ दिया और कबीर गुस्से से चलते हुए उन दोनों के सामने आया और उसने बेड पर रखे हुए खान की प्लेट को देखा और वह पीहू की तरफ देखते हुए कहा, “पीहू अभी के अभी रूम से बाहर जाओ।”

    पीहू ने कबीर की बात सुनकर धीमी आवाज में कहा, “वह भाई एक्चुअली मैं आपसे बात करने के लिए आई थी और तभी मुझे यह…”

    पीहू बोल ही रही थी कि कबीर ने अपना हाथ उठाते हुए कहा, "मुझे कुछ नहीं सुनना है मैंने कहा पीहू मेरे रूम से बाहर जाओ।”

    पीहू हैरानी से उसकी तरफ देख रही थी कि तभी आरोही ने पीहू का हाथ पकड़ते हुए कहा, " नहीं पीहू प्लीज प्लीज मत जाओ प्लीज मेरी हेल्प करो मुझे यहां से बाहर जाना है।”

    आरोही पीहू से रिक्वेस्ट करने लगी और तभी कबीर ने उसके हाथ की तरफ देखा, उसने पीहू के हाथ को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था और पीहू कबीर की तरफ देखते हुए बोली, "भाई मुझे आप पर पूरा भरोसा है और मैं जानती हूं कि आपने अगर इन्हें यहां पर रखा है तो आप…”

    पीहू बोल रही थी कि कबीर ने उसे गुस्से से घूरते हुए देखा और पीहू बोलते बोलते चुप हो गई और कबीर ने उसे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "पीहू मैं तुम्हारी सारी जिद पूरी करता हूं इसका मतलब यह नहीं कि तुम इस चीज का फायदा उठाओगी, अभी के अभी रूम से बाहर जाओ वरना, पीहू कबीर की बात सुनकर थोड़ी सी झिझकी और उसने आरोही का हाथ अपने हाथ से हटाते हुए कहा, " तुम प्लीज टेंशन मत लो मैं तुमसे मिलने बाद में आऊंगी, अभी आई थिंक भाई को शायद तुमसे कुछ बात करनी है।”

    कबीर पीहू की यह बात सुनकर उसे गुस्से से घूरते हुए देखने लगा और तभी पीहू ने कबीर से कहा, " भाई डोंट हर्ट हर वह पहले ही आपसे बहुत ज्यादा डरी हुई है, अगर आप उसे इस तरह का बिहेव करेंगे तो वह और भी ज्यादा डरेगी अभी मैं चलती हूं मैं तुमसे बाद में मिलूंगी।”

    इतना बोलकर पीहू वहां से जाने लगी और आरोही नहीं जाती थी कि पीहू उसे छोड़कर जाए और तभी पीहू दरवाजे तक पहुंची और उसने कमरे से बाहर जाने से पहले एक बार पीछे मुड़कर धीमी आवाज में कहा, " भाई भाभी ने कल से कुछ भी नहीं खाया है उन्हें भूख लगी है, प्लीज उन्हें खाना खिला दीजिएगा।”

    कबीर ने उसकी बात सुनी लेकिन वह कुछ बोला नहीं और तभी पीहू जैसे ही कमरे से बाहर गई।

    उसने देखा अर्जुन कमरे के बाहरी खड़ा था और उसने पीहू के निकलते ही तुरंत दरवाजे को लॉक कर दिया और पीहू अर्जुन को घूरते हुए देखकर बोली, "अर्जुन मुझे ऐसा लगा था कि तुम मेरी बात सुनोगे लेकिन तुमने आज फिर मुझे डिसएप्वाइंट कर दिया हमेशा से तुम ऐसा ही करते आए हो, तुम्हें मुझसे प्रॉब्लम क्या है?”

    इतना बोलकर पीहू अर्जुन के करीब जाने लगी और अर्जुन दो कदम पीछे हटते हुए बोला, "पीहू मैडम मुझे आपसे कोई प्रॉब्लम नहीं है आप बस मेरे काम के बीच में मत आया करिए।”

    पीहू अर्जुन की आवाज सुनकर उसके करीब गई और उसने अर्जुन के कॉलर को पकड़ कर अपने नजदीक खींचते हुए कहा, " आऊंगी मैं हमेशा तुम्हारे और तुम्हारे काम के बीच में आऊंगी मैं और तुम मुझे नहीं रोक सकते।”

    इतना बोलकर वह अर्जुन के बिल्कुल करीब आ गई थी और अर्जुन ने उसके हाथ से अपने कॉलर को छुड़ाते हुए कहा, " प्लीज पीहू मैडम अभी आप जाइए यहां से वरना।”

    पीहू ने अर्जुन के बिल्कुल नजदीक जाकर उसे के कॉलर को पकड़ते हुए कहा, “वरना क्या.? क्या करोगे तुम भाई से मेरी शिकायत करोगे या फिर मुझे पनिशमेंट दोगे बोलो!”

    अर्जुन ने धीरे से पीहू कहा था अपने कॉलर पर से हटाया और वह अपनी नज़रें झुका कर बोला, “नहीं मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा बस मैं इतना चाहता हूं कि आप मुझसे दूर रहें।”

    इतना बोलकर वह चुपचाप दरवाजे के बाहर आकर खड़ा हो गया और पीहू ने अर्जुन की तरफ देखकर धीरे से अपना सिर हिलाया और एक गहरी सांस लेकर वह बिल्कुल धीमी आवाज में बोली, “मैं जो चाहती हूं जब वह तुम नहीं कर रहे हो तो तुम जो चाहते हो वह मैं क्यों करूंगी भला ऐसा कैसे सोच लिया तुमने तुम्हें जो करना है तुम करो और मुझे जो करना है मैं वह करूंगी।”

    इतना बोलकर पीहू अर्जुन की आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी और चुपचाप वहां से बाहर चली गई।

    वही कमरे के अंदर कबीर आरोही के सामने खड़ा था और वह जैसे ही आरोही के करीब आने लगा आरोही पीछे की तरफ बढ़ने लगी और कबीर आरोही के बिल्कुल नजदीक गया।

    उसने आरोही की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने करीब खींचते हुए उस की आंखों में आंखें डाल कर देखा और वह उसे घूरते हुए देख रहा था कि तभी कबीर के हाथ को आरोही अपनी कमर पर से हटाते हुए बोली, "छोड़ो क्या कर रहे हो तुम छोड़ो मुझे?”

    कबीर ने आरोही के गाल को दबोचते हुए कहा, " क्या कहा, तुमने मेरी बहन से, मैं तुमसे मना किया था ना कि मेरे अलावा तुम किसी से बात नहीं कर सकती हो तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उससे बात करने की!”

    आरोही की गालों में दर्द हो रहा था क्योंकि कबीर ने उसके गालों को कसकर दबोच रखा था और वह उसे घूरते हुए देख रहा था कि तभी आरोही की आंखों से आंसू निकलने लगे और आरोही ने जैसे ही अपनी आंखों को कसकर बंद किया।

    कबीर आरोही के चेहरे की तरफ ही देखा जा रहा था उसे आरोही का इस तरह से रोना अंदर से कुरेद रहा था लेकिन वह कुछ बोला, नहीं क्योंकि उसे वह दर्द भी तो वही दे रहा था।

    To be continued

    agar aap logon Ko story acchi lag rahi hai to please story ko like aur comment kar diya kariye aap logon ki comment dekhkar motivation milta hai aur जल्दी-जल्दी chapter dalne ka bhi man karta hai

  • 9. Mafia King Obsession - Chapter 9

    Words: 1162

    Estimated Reading Time: 7 min

    Chapter 9

    कबीर ने आरोही की आंखों से निकल रहे आंसुओं को देखा और वह धीरे-धीरे उसके करीब जाने लगा और उसने जैसे ही अपने हाथों की पकड़ को ढीला किया आरोही ने धीरे से अपनी आंखों को खोल और कबीर का चेहरा उसके चेहरे के बिल्कुल सामने था।

    वह उसके चेहरे को देखते ही रह गई और एक पल के लिए वह दोनों अपनी जगह पर जम से गए थे और तभी कबीर ने अपने चेहरे को उसके चेहरे की और नजदीक ले जाकर उस के गालों पर बह रहे उसके आंसुओं को अपने होठों से पोंछा और आरोही उसे ऐसा करते देखकर बिल्कुल सन्न रह गई।

    उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर कबीर उसके साथ क्या कर रहा है और जैसे ही कबीर उसके गालों को चूमने लगा और उसके आंसू पूंछ गए।

    आरोही की सांस लगभग अटक गई और उसने कबीर के दोनों कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे पीछे की तरफ पुश किया और वह खुद पर ऊपर की तरफ चढ़ने लगी और कबीर उसे ऐसा करते देखकर वहीं पर रूक कर उसे घूरने लगा।

    उसने गुस्से से अपने दांत पीसते हुए कहा, “सबसे पहली बात तो मैं तुमसे मना किया था कि तुम मेरे अलावा किसी से कोई बात नहीं करोगी और इस कमरे से बाहर जाने की कोशिश नहीं करोगी लेकिन उसके बावजूद भी तुमने मेरी बहन से बात की!”

    कबीर यह बात बोल ही रहा था कि तभी आरोही ने उसको घूरते हुए देखा और वह अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी वह हालांकि कबीर से डर रही थी लेकिन उसने अपने डर को थोड़ा काम किया और वह तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोली, "पागल हो गए हो क्या तुम? तुम्हें समझ में भी आ रहा है तुम क्या बोल रही हो मैं इस रूम से बाहर नहीं गई थी, तुम्हारी बहन यहां पर आई थी वह भी तुमसे मिलने के लिए और उसने ही मुझे..!”

    आरोही बोल ही रही थी कि कबीर एक झटके में बेड पर चढ़ा और उसने आरोही के गाल को दबोचते हुए कहा, " जस्ट शट अप जब मैं बोल रहा हूं तो तुम्हें बोलने की इजाजत नहीं है सुना तुमने।”

    कबीर की बात सुनकर आरोही बोलते बोलते चुप हो गई और वह कबीर की आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी और तभी कबीर ने उस की आंखों से एक आंसू गिरा और उसने धीरे से कबीर के हाथ को पकड़ते हुए कहा, " क्यों कर रहे हो तुम यह सब मेरे साथ प्लीज मुझे जाने दो तुम्हें अगर मेरी डैड से बदला लेना है तो उनसे लो तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हो? मैं तो तुम्हें जानती तक नहीं थी..!”

    आरोही बोल ही रही थी कि कबीर उस की आंखों में दिख रहे दर्द को महसूस कर पा रहा था, लेकिन कबीर एक पल के लिए भी नहीं पिघला और उसने आरोही के दोनों हाथों को कसकर पकड़ और उसे बेड पर पिन करते हुए कहा, " हां तुमने कुछ नहीं किया है लेकिन कहते हैं ना बाप की विरासत में सब कुछ मिलता है तो तुम्हें यह दर्द विरासत में ही मिला है, इतना समझ लो तुम बस यही काफी होगा तुम्हारे लिए।”

    इतना बोलकर कबीर ने अपने पैरों को आरोही के पैर पर रखा और उसे बेड पर गिरा दिया आरोही की सांस काफी ज्यादा तेज हो गई थी, वह डर रही थी उसे काफी ज्यादा घबराहट हो रही थी वह नहीं समझ पा रही थी कि वह कबीर को खुद से कैसे दूर करें और वह कबीर से खुद को कैसे बचाएं और तभी कबीर आरोही के बिल्कुल नजदीक आया और उसने आरोही की गर्दन पर अपना हाथ रखा और जैसे ही इसके हाथों की गर्माहट आरोही को अपनी गर्दन पर महसूस हुई, आरोही ने कसकर अपनी आंखों को बंद कर लिया, क्योंकि वह अब और कबीर की नजरों से अपनी नजरों को नहीं मिला सकती थी।

    उसने कबीर के चेहरे की तरफ से अपने चेहरे को हटा लिया और उसे ऐसा करते देखकर कबीर ने उसके चेहरे के नजदीक जाकर अपनी नाक को उसकी नाक से रब करते हुए कहा, " जानेमन जितनी भी कोशिश कर लो तुम खुद को मुझसे दूर नहीं कर सकती हो, मैं तुम्हें हर हाल में अपना बना कर रहूंगा और अब इस बात को तुम जितनी जल्दी समझ जाओगी, तुम्हारे लिए इतना बेहतर होगा, तुम्हारा नशा चढ़ चुका है मुझे और अब टाइम आ गया है कि तुम मेरे उस नशे को उतरो।”

    जैसे ही आरोही ने कबीर की यह बात सुनी उसने अपनी आंखें खोली और उसने कबीर की आंखों में अपने लिए एक अलग ही पागलपन देखा।

    वह देख पा रही थी कि कबीर उसे पूरी तरह से obsessed हो चुका है और उसने धीरे से कबीर के हाथ से अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश की….

    लेकिन कोई फायदा नहीं था क्योंकि कबीर ने इतनी कसकर उसके हाथ को पकड़ रखा था और वह जिस तरह से आरोही को देख रहा था, आरोही उसकी फिलिंग्स को समझ गई थी और वह जानती थी कि अब अगर कबीर ऐसे इस तरह से उसे घूरते हुए देख रहा है तो अब वह क्या करेगा और तभी कबीर का हाथ जो अभी तक उसकी गर्दन पर था वह धीरे-धीरे अपने हाथ को नीचे की तरफ बढ़ने लगा और आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, " नहीं प्लीज रुको मेरी बात सुनो तुम्हें अगर अपनी फिजिकल नीड्स पूरी करनी है तो तुम तो किसी के साथ भी कर सकते हो ना मुझे क्यों इतनी दर्द और तकलीफ दे रहे हो? प्लीज प्लीज रुको..!”

    आरोही कबीर को रोकने के लिए उसके मन में जो आ रहा था वह सारी बातें बोल रही थी लेकिन कबीर उसकी बात सुनकर रुकने तो नहीं वाला था और वह धीरे-धीरे नीचे झुका और उसने आरोही की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "जानेमन तुम्हारा मतलब क्या है, मैं सिर्फ अपनी फिजिकल नीड्स नहीं पूरी करना चाहता, अब तुम्हारे बाप ने अगर मुझे तुमको भेजा है तो उसका मैं पूरा फायदा तो उठाऊंगा, तुमने बस ऐसा कैसे सोच लिया कि मैं बस अपनी फिजिकल नीड्स को पूरा करने के लिए तुम्हारे साथ इंटीमेट हो जाऊंगा, बस और तुम्हें छोड़ दूंगा, बिल्कुल भी नहीं मेरे पास तो और भी बहुत सारी चीजों की लिस्ट है जो मैं तुम्हारे साथ करना चाहता हूं और मैं करूंगा भी बट धीरे-धीरे और इस तरह से कि तुम्हें उनकी आदत हो जाए।”

    यह सारी बातें बोलते हुए उसके चेहरे पर एक शैतानियां भारी मुस्कुराहट थी।

    इतना बोलकर उसने आरोही के दोनों हाथों को कसकर अपने एक हाथ में पकड़ा और उसे अपने बेल्ट से बांधने लगा।

    To be continued

    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 10. Mafia King Obsession - Chapter 10

    Words: 1343

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 10 रस्सी से नहीं जंजीर से बांधूंगा।

    आरोही ने जैसे ही उसे अपनी जींस से बेल्ट को निकलते हुए देखा, वह वही बेड पर छटपटाने लगी और वह अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन कबीर ने उसके हाथ को नहीं छोड़ा और उसके पैरों को बेड पर मचलते देखकर कबीर ने उसे के पैरों पर अपने पैरों को रखकर दबाया और वह उसके हाथों को अपनी बेल्ट से बांधकर बेड से नीचे उतरते हुए बोला, "सच बताऊं तो तुम्हें ऐसे ही रहना चाहिए तुम्हारे लिए यही सबसे बेस्ट है।”

    इतना बोलकर वह बेड के पास ही खड़ा हो गया और धीरे-धीरे अपनी शर्ट के बटन को खोलने लगा। उसे ऐसा करते देखकर आरोही तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोली, "नहीं खोलो मेरा हाथ ये क्या कर रहे हो तुम?”

    आरोही ने सिर्फ एक लूज शर्ट ही पहनी हुई थी और कबीर की नजरे आरोही के पैरों की तरफ बार-बार जा रही थी।

    आरोही के लम्बे पतले गोरे पैर जब बेड पर मचल रहे थे तो उन्हें देखकर कबीर आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा था और जब आरोही ने उसकी नजरों को नोटिस किया कि वह उस के पैरों की तरफ ही देख रहा है तो आरोही थोड़ा सा शांत हो गई और उसने अपने पैरों को एक दूसरे के ऊपर क्रॉस किया और वह वही बेड पर सीमट सी गई।

    कबीर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला, "देखो जानेमन अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ हार्ष बिहेव ना करूं तो मेरे साथ कॉर्पोरेट करो, अगर तुम कॉर्पोरेट करोगी तो तुम्हें ज्यादा तकलीफ भी नहीं होगी और मैं भी अच्छा परफॉर्मेंस दे पाऊंगा एदरवाइज मैं तो तुम्हें संभालने में ही अपनी सारी एनर्जी वेस्ट कर दूंगा।”

    कबीर की यह सारी बातें सुनकर आरोही का दिल तेजी से धड़कने लगा।

    आरोही ने तुरंत ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं नहीं तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगे छोड़ो मुझे।”

    आरोही की यह बात सुनकर कबीर मुस्कुराते हुए बोला, "मैं कुछ नहीं करूंगा क्यों ऐसा कैसे सोच लिया तुमने बेबी?”

    इतना बोलकर उसका हाथ सीधे आरोही के शर्ट के अंदर जाने लगा और जैसे ही आरोही ने उसके हाथ को अपनी कमर पर महसूस किया आरोही का पूरा बदन जम गया और वह हैरानी से कबीर की तरफ देख रही थी।

    कबीर की आंखों में उसे अपने लिए एक अलग ही नशा नजर आ रहा था और तभी कबीर ने धीरे से अपने हाथ को उसकी शर्ट के अंदर डालकर मुस्कुराते हुए कहा, "जानेमन तुम यहां पर सिर्फ और सिर्फ मेरे लिए आई हो और मुझे ही खुद से दूर जाने के लिए बोल रही हो आरोही कबीर के हाथ को फील कर रही थी और उस के पूरे बदन के रोंगटे खड़े हो गए थे।



    वह समझ नहीं पा रही थी कि वह कबीर को किस तरह से रोके और तभी कबीर ने धीरे से अपने हाथ को उसके पेट पर ले जाकर ऊपर की तरफ बढ़ाया और जैसे ही आरोही ने उसके हाथ को ऊपर की तरफ आते हुए महसूस से किया।

    आरोही के मुंह से तेज चीख निकाली और वह उसे रोते हुए बोली, “प्लीज़ प्लीज़, रुको रुको..!”

    आरोऊ को इस तरह चिल्लाते देख कर कबीर ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "सॉरी जानेमन बट अब मैं और नहीं रूक सकता क्योंकि तुम्हारे बदन की खुशबू अब मुझे पागल बना रही है।”

    इतना बोलकर कबीर धीरे से नीचे झुका और उसने आरोही के बदन की खुशबू को सूंघी, आरोही उसे ऐसा करते हुए देखकर कुछ समझ नहीं पाई और उसने धीरे से अपने हाथों की मुट्ठी बांधी और उसने बेडशीट को पूरी तरह से अपने हाथों में जकड़ लिया।

    कबीर उस की गर्दन के पास गहरी गहरी सांस ले रहा था और उस के सांसों के एहसास को आरोही महसूस कर पा रही थी।

    वह कबीर की गर्म सांसे जैसे ही अपनी गर्दन पर फील कर रही थी तो कबीर का हाथ धीरे से उस के क्लीवेज पर टच हुआ और आरोही तेज आवाज में चीखी और उसे इस तरह चिल्लाते देखकर कबीर ने उसके कान में कहा, "जानेमन तुम्हारी आवाज मुझे पसंद है लेकिन तुम्हारी चीखें नहीं और अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं उसके बावजूद भी तुम इस तरह से चिल्ला रही हो!”

    इतना बोलकर आरोही ने कहा, "दूर हटो मुझसे मुझे यह सब पसंद नहीं है।”

    इतना बोलकर आरोही ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखा और वह उसे पुश करने के लिए बढ़ी ही थी कि तभी कबीर ने उसके हाथों की उंगलियों में अपनी उंगलियों को फंसा कर उस के हाथ को बेड पर पिन किया और उसे की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए बोला, "अगर मैंने बोला कि मुझे तुम्हारी चीखे नहीं सुननी तो इसका मतलब मुझे नहीं सुनी, तुम्हारी चीज अब तुम किस तरह से चुप होगी, यह मुझे बताओ वरना मेरे पास तुम्हें चुप करने की और भी तरीके हैं।”

    आरोही कबीर के बाद सुनकर थोड़ा सा घबराई और इससे पहले के वह कुछ बोल पाती कबीर उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आने लगा और आरोही फिर से चिल्लाने जा ही रही थी कि तभी कबीर ने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिए और वह उस के होठों पर किस करने लगा और आरोही की चीखे उसके मुंह में ही रह गई।

    कबीर ने उसको धीरे-धीरे किस करना स्टार्ट किया था लेकिन जैसे ही आरोही ने उसकी किस को फील किया वह बेड पर मचलने लगी और तभी कबीर ने अपने एक पैर से उसके दोनों पैरों को कंट्रोल कर लिया और वह उसे और भी ज्यादा पैशनेटली किस करने लगा।

    आरोही उसे रोकने की नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर का भारी भरकम शरीर उसके शरीर के ऊपर था और वह अब उसे रोक नहीं पा रही थी, उसने कबीर के हाथों को कसकर पकड़ा और वह कबीर को खुद से दूर करने के लिए एक आखिरी कोशिश करने लगी।

    उसने अपने पैरों को फोल्ड किया और वह कबीर के सीने पर अपने पैर को रखकर उसे खुद से दूर कर रही थी और कबीर ने जैसे ही उसके पैरों को अपने सीने पर महसूस से किया।

    कबीर उसे किस करते-करते रुक और उसने आरोही की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "जानेमन मुझे मजबूर मत करो कि मैं तुम्हें फिर से इस तरह बेड से बांध दूं जैसे पहले बांधा था, क्योंकि अब अगर तुमने एक और बार मुझे खुद से दूर करने की कोशिश की तो मैं एक पल के लिए भी नहीं सोचूंगा और इस बार तुम्हारे हाथों के साथ-साथ तुम्हारे पैरों को भी कसकर बांध दूंगा वह भी रस्सी से नहीं जंजीर से।”

    कबीर की यह बात सुनकर आरोही रुक गई और उसे इस तरह रुकते देख कर कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "गुड गर्ल अब चीखना चिलाना बंद करो और किस करने में मेरा साथ दो। मुझे रेस्पॉन्स चाहिए वो भी फील के साथ..!”

    जैसे ही उसने यह बात कही आरोही की सांस अटक गई और उसने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मर जाऊंगी मैं लेकिन कभी तुम्हें किस नहीं करूंगी!”

    जैसे ही कबीर ने बात सुनी वह अपनी भौंहे सिकोड़ते हुए बोला, "क्यों जानेमन इतना बुरा हूं क्या मैं?”

    आरोही ने कबीर की बात का जवाब देते हुए कहा, "बुरे नहीं बहुत बुरे हो तुम तुमसे बड़ा इंसान मैंने आज तक अपनी लाइफ में नहीं देखा।”

    उसकी यह बात सुनकर कबीर आरोही के ऊपर से हटा और उसने बेड में उसके बगल में बैठते हुए उसकी आंखों में आंखें डाल कर देखते कहा, "हां वैसे बात तो बिल्कुल सही कही है तुमने मेरे जैसा इंसान तो तुम्हें और कहीं देखने को भी नहीं मिलेगा क्योंकि मैं दुनिया में सिर्फ एक लौता ऐसा इंसान हूं।”

    इतना बोलकर कबीर ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए।

    To be continued


    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 11. Mafia King Obsession - Chapter 11

    Words: 1605

    Estimated Reading Time: 10 min

    Chapter 11

    आरोही उस की तरफ हैरानी से देख रही थी क्योंकि कबीर उसके ऊपर से हट गया था और आरोही को बड़ी हैरानी हुई कि वह अभी तक तो उसके साथ फिजिकल होने की कोशिश कर रहा था लेकिन अब अचानक से वह उसके ऊपर से हट कैसे गया।

    आरोही समझ नहीं पा रही थी कि आखिर बात है क्या और तभी कबीर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "इतना हैरान होने की जरूरत नहीं है खाना खाओ मुझे एक इंपॉर्टेंट कॉल करनी है उसके बाद हम अपना रोमांस कंटीन्यू करेंगे।"

    इतना बोलकर कबीर उठा और वह अपना मोबाइल फोन लेकर वहीं बैठ के सामने उठकर खड़ा हो गया और वह फोन पर किसी से बात कर रहा था और तभी आरोही ने धीमी आवाज में खुद से कहा, "क्या सच में मैंने जो सुना वह सही था इसने मुझे खाना खाने के लिए कहा है?"

    आरोही की नजर प्लेट पर गई और उसमें फॉक नाइफ और स्पून के साथ-साथ दो तरह की डिशेस रखी हुई थी और आरोही को कसकर भूख लगी थी उसने जल्दी से खान की प्लेट उठाई और वह चुपचाप खाना खाने लगी और कबीर फोन पर किसी से बात कर रहा था ।

    आरोही ने जल्दी-जल्दी खाना खाया और उसकी नजर तभी ट्रे में रखे हुए कांटे और छुरी की तरफ गई और आरोही ने चुपके से उस छुरी को उठाया और उसे वही पिल्लो के पास छुपा कर रख लिया और वह चुपचाप खाना खा रही थी और कबीर ने जैसे ही कॉल डिस्कनेक्ट किया।

    वह वही आरोही के सामने आकर खड़ा हो गया उसने आरोही की तरफ देखते हुए कहा, "मुझे नहीं पता था तुम्हें इतनी ज्यादा भूख लगी होगी बाय द वे तुम अगर चाहो तो नाइफ के साथ-साथ स्पून और फ्रॉक भी छुपा कर रख सकती हो आई डोंट माइंड.."

    जैसे ही आरोही ने यह बात तो सुनी वह हैरानी से कबीर की तरफ देखते हुए बोली, "व्हाट डू यू मीन..!"

    कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "अभी-अभी तुमने जो नाइफ अपनी पिल्लो के नीचे छुपाई है उसे वापस ट्रे में रख दो क्योंकि उस नाइफ से मेरा कुछ नहीं होने वाला है और वही कबीर की यह बात सुनकर घबराई और उसने धीरे से पिल्लो के नीचे अपना हाथ रखा और वह नाइफ को अपनी मुट्ठी में पकड़े हुए थी।

    उसने अपने मन में कहा, "इसने मुझे नाइफ छुपाते हुए देख लिया क्या..."

    आरोही की दिल की धड़कनें तेज हो गई थी और तभी आरोही ने धीमी आवाज में कहा, "मुझे अगर यहां से बचकर निकलना है तो कुछ ना कुछ तो करना ही होगा।"

    आरोही यह बात बोल ही रही थी कि तभी कबीर उसके पास आने लगा और आरोही ने तुरंत उसे चाकू को निकाला और उसे कबीर की तरफ करते हुए बोली, "वही रुक जाओ मैं तुम्हारे साथ intimate नहीं होने वाली तुम्हें मुझे वह सारी चीज नहीं मिलेगी जो तुम सोच रहे हो।"

    जैसे ही कबीर ने आरोही किए बात सुनी उसने आरोही के चेहरे के बिल्कुल नजदीक जाकर उसे के होठों को धीरे से अपने होठों से टच किया वह उसे किस नहीं कर रहा था बस उसके साथ छेड़खानी करते हुए बोला, "अच्छा और अगर मैं तुमसे बोलूं कि मैं वह सारी चीज तुम्हारी मर्जी से तुमसे दूंगा तो तुम खुद मुझे अपने करीब आने के लिए बोलोगी, तुम खुद मेरे साथ intimate होने के लिए एक्साइटेड होगी, तुम खुद मुझसे..."

    कबीर की बातें बोल रहा था कि तभी आरोही ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घूमते हुए कहा, "ऐसा कभी नहीं होगा यह सब तुम्हारे सपने हैं और यह सपने तुम्हारे बुरी तरह से टूटेंगे क्योंकि मैं कभी भी तुम्हें अपना बेड पार्टनर नहीं मानूंगी, तुम्हारी यह इमेजिनेशन सिर्फ एक इमेजिनेशन ही रह जाएगी।"

    कबीर ने जैसे ही आरोही की यह बात सुनी उसने धीरे से अपना हाथ आरोही की कमर पर रखा और उसकी कमर को बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा, "जानेमन तुम जानती नहीं हो कि कबीर क्या चीज है मैं तुम्हें पूरी तरह से अपना बना लूंगा और अब तुम खुद मुझे अपने करीब आने के लिए बोलोगी, आई प्रॉमिस!"

    इतना बोलकर कबीर ने आंख मारी, आरोही ने अपनी आइस रोल करते हुए कहा, " वह दिन कभी नहीं आएगा उससे पहले तो मैं मरना कबूल कर लूंगी लेकिन तुम्हारे साथ इंटीमेट नहीं होगी!"

    कबीर आरोही की बात सुनकर मुस्कुराने लगा और उसने अपने दोनों हाथों को आरोही की बॉडी पर रखा और उसकी कमर को कसकर पकड़ते हुए कहा, "जस्ट वेट एंड वॉच जानेमन!"

    इतना बोलकर वह आरोही के हाथ में पकड़े हुए उसे चाकू को अपने हाथ में लेते हुए बोला, "और यह बच्चों वाली हरकतें करना छोड़ दो यह चाकू है और तुम्हारे लिए काफी ज्यादा धार वाला भी है तुम्हारे नाजुक से हाथों में अगर थोड़ी भी खरोच आया तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा।"

    इतना बोलकर जोरावर ने उसे चाकू को अपने हाथ में लिया और वह आरोही के होठों को चूम कर बैठ से उठ गया।

    जैसे ही वह आरोही से दूर हुआ आरोही ने जल्दी से अपने पैरों को समेटा और वह जो शर्ट पहने थी वह उसे शर्ट को पकड़ कर खींचने लगी और अपने पैरों को ढकने की कोशिश कर रही थी, हालांकि कबीर उसको ऐसा करते देखकर मुस्कुराने लगा और वह सीधे चेंजिंग रूम में चला गया।

    आरोही वही चुपचाप बैठी थी और उसने धीमी आवाज में कहा, "मुझे तो इस समझ नहीं आ रहा यह मुझे इस तरह से क्यों देखा है और अभी इसने जो यह सारी बातें बोली है क्यों बोली यह इतना ज्यादा कॉन्फिडेंस कैसे लग रहा था, आखिर बात क्या है मुझे इस के दिमाग में चल रही बात को पता करना होगा।"

    आरोही इतना बोलकर इधर-उधर देखने लगी और तभी उसे उसकी नजर कबीर के फोन पर गई जो वही टेबल पर रखा हुआ था वह तुरंत बेड से उतरी और उसने जल्दी से कबीर के फोन को उठाया और वह अपने डैड से बात करना चाहती थी लेकिन जैसे ही उसने फोन उठाया तो उसने देखा उसके फोन पर फिंगरप्रिंट लॉक लगा हुआ था और जैसे ही आरोही ने उसे लॉक को देखा वह गुस्से से अपना दांत पीसते हुए बोली, "मैं भी बिल्कुल पागल हो गई हूं क्या, कहां यह इतना चालाक आदमी अपना फोन ऐसे ही रखेगा!"

    उसने टेबल पर वापस फोन रखा और वह चुपचाप बैठ पर आकर बैठते हुए बोली, " अब मुझे डैड से बात करने के लिए कोई दूसरा आइडिया सोचा होगा, क्योंकि जब तक मैं डैड से बात नहीं करूंगी, मुझे कुछ भी ठीक से पता नहीं चल पाएगा कि यह जो बातें बोल रहा है क्या वह सच है या फिर झूठ।"

    आरोही के दिमाग में काफी सारी बातें चल रही थी और तभी वॉशरूम का दरवाजा खुला और कबीर टॉवल बांधकर वॉशरूम से बाहर निकाल कर आया।

    उस के बाल भीगे हुए थे और बालों से टपकता हुआ पानी उस की बॉडी पर बह रहा था और जैसे ही वह रूम के अंदर इंटर हुआ और बल्ब की रोशनी उसके बदन पर पड़ी।

    उसका पूरा बदन चमकने लगा और उसकी कई हुई बॉडी और उसके एप्स को देखकर आरोही एक पल के लिए उसे देखते ही रह गई और उसने अपने हाथों को अपने बालों के अंदर डाला और अपने बालों को फ्लिप करते हुए वह सीधे अपने कपबोर्ड के आगे आकर खड़ा हुआ और अपने लिए कपड़े देखने लगा।

    आरोही उसे की पीठ की तरफ देख रही थी कबीर के चौड़े कंधे और उसकी पतली कमर देखकर आरोही ने धीमी आवाज में कहा यह बिजनेसमैन माफिया है या फिर बॉडी बिल्डर इसकी बॉडी इतनी ज्यादा अट्रैक्टिव क्यों है?"

    आरोही के दिमाग में ही बात चल ही रही थी कि तभी उसने तुरंत अपने चेहरे को दूसरी तरफ घूमते हुए कहा, "पागल हो गई हो क्या आरोही तू ये क्या सोच रही है, वह इंसान यहां तुम्हें किडनैप कर कर रखे हुए हैं और तुम्हारे साथ intimate होने की कोशिश कर रहा है और तुम हो के उसकी बॉडी देखकर उसकी तरफ अट्रेक्ट हो रही हो यह सब मत सोचो और यह सोचो तुम्हें dad से बात करनी है और यहां से निकलना है और तुम यह सब कैसे करोगी।"

    आरोही अपना दिमाग डायवर्ट करने की कोशिश कर रही थी कि तभी उसकी नजर फिर से कबीर की तरफ गई और वह दूसरी टॉवल से अपने सर को पूछ रहा था और तभी उसने एक ट्रांसपेरेंट सी व्हाइट कलर की शर्ट को पहना और वह अपनी बॉक्सर्स को निकाल कर पहनने जा रहा था कि तभी आरोही ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "तुम में इतने भी मैंनर्स नहीं है क्या कपड़े क्लोजेट में जाकर चेंज किए जाते हैं यू कपबोर्ड के सामने खड़े होकर नहीं और यह मत भूलो कि तुम्हारे रूम में एक लड़की है तुम उसके सामने इस तरह कपड़े नहीं चेंज कर सकते।"

    कबीर ने जैसे ही आरोही की बात सुनी, वह पीछे की तरफ मुड़ा और वह दो कदम आगे बढ़ते हुए बोला, "यह मेरा रूम है और मैं जो चाहूं वह कर सकता हूं, तुम होती कौन हो मुझे इस तरह से ऑर्डर देने वाली, चुपचाप बेड पर बैठी रहो और अपना मुंह बंद रखो!"

    इतना बोलकर वह अपनी शर्ट को ठीक करने लगा और तभी आरोही ने अपनी नजर दूसरी तरफ घूमते हुए कहा, "खडूस कहीं का पता नहीं कहां मैं इस डेविल के चक्कर में फस गई हूं।"

    To be continued

    Buddies 💚 🌹 कैसा लगा आप लोगों को आज का चैप्टर हमें कमेंट में बताइएगा..
    मेरी कुछ और स्टोरी भी कंटिन्यू है आप लोग एक बार उसे भी पढ़कर देखिए आप लोगों को बहुत पसंद आएगी बहुत अच्छी और रोमांटिक स्टोरी है।
    1- Stolen by the Mafia
    2- Mafia's sweetheart
    3- Love Beyond Sin
    4- Mujhe Pyar Karo
    5- My Playboy CEO Boss
    6- you are only mine

  • 12. Mafia King Obsession - Chapter 12

    Words: 1160

    Estimated Reading Time: 7 min

    Chapter 12

    आरोही यह बात सोच रही थी कि तभी उसने धीरे से अपनी नजर उठा कर कबीर की तरफ देखा और कबीर वही शीशे के सामने खड़ा था और जैसे ही आरोही ने देखा कि वह शीशे में खड़ा होकर आरोही को ही देख रहा है, जैसे ही आरोही ने ये बात नोटिस की, उस ने तुरंत अपनी आंखें कसकर बंद कर दिए और कबीर आरोही के बिल्कुल करीब आया और उसने आरोही के गाल को बड़े प्यार से टच करते हुए कहा, "जानेमन तुम्हें इस तरह से मुझे छुप छुप कर देखने की जरूरत नहीं है अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारे सामने बैठ जाता हूं तुम आराम से मुझे देख सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।”

    कबीर यह बात बोल रहा था कि तभी धीरे से आरोही ने अपनी आंखें खोली और उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "मुझे मेरे घर जाना है। प्लीज मुझे मेरे घर जाने दो।”

    कबीर ने आरोही के गालों को कसकर दबोचते हुए कहा, "घर किस घर की बात कर रही हो तुम, अब से यही तुम्हारा घर है और तुम्हें यही रहना है मैं तुम्हें अब खुद से दूर तो कभी नहीं जाने दूंगा।”

    जैसे ही कबीर ने यह बात कही, आरोही उस की आंखों में आंखें डाल कर देखने लगी और एक पल के लिए वह बिल्कुल शांत हो गई थी, क्योंकि उसे नहीं समझ में आ रहा था कि कबीर का ऐसा बोलना सही है या नहीं।

    वह उसके बारे में क्या सोचता है उसे कबीर के बारे में ज्यादा कुछ भी नहीं पता था वह भी बस इतना जानती थी कि कबीर एक माफिया है उसने उसे इतना बताया था कि उसके डैडी ने कबीर के हाथों से बेच दिया है that's it….

    और वह कबीर पर चाह कर भी भरोसा नहीं कर सकती थी क्योंकि कबीर ने अभी तक उसके साथ बिल्कुल भी अच्छा बिहेव नहीं किया था, वह या तो उसके करीब आने की कोशिश करता था या फिर सिर्फ और सिर्फ उसके साथ फिजिकल होने की।

    आरोही कबीर की आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी और तभी उसने अपनी नजरों को दूसरी तरफ घूमते हुए कहा, "मैं तुम्हें नहीं देख रही थी वह एक्चुअली में इस टी-शर्ट में कंफर्टेबल नहीं हूं मुझे कुछ पहनने के लिए चाहिए।”

    कबीर ने आरोही की बात सुनी, और उसने अपना हाथ आरोही की कमर पर रखा और उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, "शॉपिंग पर चलोगी क्या जानेमन तुम कहो तो मैं तुम्हें शॉपिंग पर ले जा सकता हूं लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी बात माननी होगी।”

    इतना बोलकर वह अपनी नाक को उसकी गर्दन पर रब करने लगा और आरोही ने जल्दी से बेड से उठकर खड़े होते हुए कहा, "नहीं कोई जरूरत नहीं है नहीं करनी मुझे कोई शॉपिंग, मुझे बस अपने डैड से बात करनी है, मुझे उनसे बात करवाओ।”

    कबीर उसकी यह बात सुनकर हंसते हुए बोला, "और तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हें तुम्हारे डैड से बात करने दूंगा और जहां तक मुझे लगता है तुम्हारे डैड तुमसे बात करने में बिल्कुल भी इंटरेस्टेड नहीं है, इसलिए भूल जाओ अपनी पिछली जिंदगी को तुम अब तुम्हारी पिछले जिंदगी में कुछ नहीं रखा है।”

    इतना बोलकर कबीर बेड से उठ कर खड़ा हुआ उसने आरोही का हाथ पकड़ा और उसे अपने बिल्कुल नजदीक खींचा।

    जिससे आरोही कबीर के सीने से जा टकराई और जब उन दोनों की बॉडी एक दूसरे से टच हुई तो आरोही का दिल तेजी से धड़कने लगा और कबीर ने एक मौका भी नहीं छोड़ा और उसने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को कसकर पकड़ लिया।

    आरोही ने जैसे ही कबीर को इस तरह अपनी कमर को पकड़ते हुए देखा वह उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और कबीर उस की आंखों में भरे हुए कंफ्यूजन को देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "तुम इतनी ज्यादा कंफ्यूज क्यों हो? अगर तुम्हें मुझे कुछ पूछना है तो तुम पूछ सकती हो।”

    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "तुम्हारे जैसे इंसान से मुझे कोई बात नहीं करनी है, छोड़ो मुझे और तुम बात बात पर मुझे इस तरह से पकड़ क्यों लेते हो मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड नहीं हूं और ना ही मेरा तुमसे कोई रिश्ता है इसलिए तुम्हें मुझे छूने का भी हक नहीं है।”

    इतना बोलकर वह कबीर के हाथों को अपनी कमर पर से हटने लगी लेकिन कबीर ने उसे अपनी पूरी ताकत से पकड़ रखा था और वह अपना हाथ उसके हाथों पर रखकर अब अपनी कमर से हटा रही थी, लेकिन उसे हटा नहीं पाई और तभी उसने अपने नाखूनों को कबीर के हाथों में लगाया और कबीर उसके हाथ को पकड़ते हुए बोला, "बिल्कुल सही कहा तुमने ना ही तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो, और ना ही तुम्हारा मुझसे कोई रिश्ता है, लेकिन तुम एक बात भूल गई हो कि मैं तुम्हें खरीदा है तुम्हारे बाप से और उस हिसाब से देखा जाए तो तुम मेरी गुलाम हुई है ना, तो बस अब ज्यादा किसी बात को लेकर उड़ने की जरूरत नहीं है और मेरा जब मन करेगा जैसे मन करेगा मैं वैसे तुम्हें टच करूंगा और तुम मुझे रोक नहीं सकती हो, बेबी।”

    इतना बोलकर कबीर ने उसे की कमर को अपने नजदीक खींचा और उसकी शर्ट के अंदर अपने हाथ को डालकर वह उस की कमर को हल्के हाथ से रब करने लगा और तभी आरोही ने उसे की तरफ देखते हुए कहा, “लेकिन तुमने मुझसे कहा था कि तुम मुझे मेरी मर्जी के बिना नहीं टच करोगे।”

    कबीर आरोही की बात सुनकर उसे घूरते हुए देखकर बोला, "मैंने टच करने की बात नहीं कही थी, मैंने intimate होने की बात कही थी और टच और किस तो मैं तुम्हें जितनी चाहूंगा उतना करूंगा जैसे चाहूंगा वैसे करूंगा जितना चाहूंगा उतना करूंगा और रही बात intimate होने की तो वह तो तुम खुद मुझे बोलोगी, वह भी बहुत जल्द।”

    इतना बोलकर कबीर के हाथ आरोही की पीठ पर गए और वह उसकी पीठ पर धीरे से अपनी उंगलियों को इधर-उधर फिरने लगा और आरोही उसके हाथों की गरमाहट को महसूस कर रही थी उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि कबीर उसके साथ ऐसा कुछ करेगा और वह उसकी पीठ पर किसी सांप की तरह अपनी उंगलियों को इधर से उधर कर रहा था और वह उसे रोकने के लिए पीछे की तरफ खिसकने लगी और तभी उसका पैर लड़खड़ाया और वह जमीन पर गिरने वाली थी कि तभी कबीर ने उसे पकड़ लिया और और जैसे ही कबीर ने उसे संभाला।

    वह उसके काफी ज्यादा नजदीक आ गया था, आरोही ने जल्दी से कबीर की शर्ट की कॉलर को पकड़ लिया। और कबीर उसकी कमर और उसकी पीठ पर हाथ रखे हुए था और कबीर इस की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "देखा जानेमन मैंने कहा था ना तुम अपनी मर्जी से मेरी बाहों में आओगी और देखो आ भी गई

    To be continued

    agar aap logon Ko story acchi lag rahi hai to please story ko like aur comment kar diya kariye aap logon ki comment dekhkar motivation milta hai aur जल्दी-जल्दी chapter dalne ka bhi man karta hai

  • 13. Mafia King Obsession - Chapter 13

    Words: 1434

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 13

    कबीर उसकी कमर और उसकी पीठ पर हाथ रखे हुए था और कबीर इस की तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला, "देखा जानेमन मैंने कहा था ना तुम अपनी मर्जी से मेरी बाहों में आओगी और देखो आ भी गई तुम और इसी तरह से बहुत जल्द तुम मुझे वह सब भी करने के लिए कहेगी जो मैं करना चाहता हूं।"

    इतना बोलकर कबीर उस के होठों की तरफ बढ़ने लगा और वह उसे किस करने जा ही रहा था कि तभी आरोही ने उसके कॉलर को छोड़ते हुए कहा, "छोड़ो मुझे?"

    कबीर उसकी कमर और उसे की पीठ पर अभी भी अपना हाथ लगाए हुए था और तभी उसने आरोही की तरफ देखकर अपनी भविष्य करते हुए कहा, "आर यू श्योर?"

    आरोही ने तुरंत हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "छोड़ो मुझे..!"

    कबीर ने उसकी बात सुनी और उसने तुरंत अपना हाथ उसकी कमर और पीठ पर से हटाया और आरोही वहीं जमीन पर गिर गई और जैसे ही वह जमीन पर गिरी।

    कबीर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा और उसने अपने दोनों हाथ बांधकर खड़े होते हुए बोला, "देख जानेमन इसीलिए मैं तुम्हें नहीं छोड़ रहा था।"

    आरोही जैसे ही जमीन पर गिरी उसे काफी तेज लगी और वह अपनी कमर और अपने बट को रब करते हुए बोला, "सच में बहुत बुरे इंसान हो तुम!"

    कबीर आरोही के पास आया और उसने अपना हाथ आगे बढ़ते हुए कहा, "मैं तो तुम्हें वैसे भी नहीं छोड़ रहा था तुमने ही मुझे छोड़ने के लिए फोर्स किया था, अब बताओ इसमें मेरी क्या गलती है।"

    आरोही ने उसके हाथ की तरफ देखा लेकिन उसने उसके हाथ को नहीं पकड़ा और वह तुरंत उठकर खड़ी हुई और अपनी शर्ट को खींचने लगी।

    कबीर उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और उसकी नज़रें बार-बार आरोही की पीठ और उसके पैरों की तरफ जा रही थी वह उसके करीब जाना चाहता था लेकिन उसने आरोही को चैलेंज कर दिया था और अब वह अपनी जबान से मुकर नहीं सकता था।

    आरोही उठी और वह सीधे उसके कबोर्ड की तरफ जाकर उसके कपड़ों को देखने लगी और कबीर वहीं पर खड़ा होकर उसे यह सब करते हुए देख रहा था तभी उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "तुम में इतनी हिम्मत है कि तुम मेरे सामने मेरा कबोर्ड टच कर रही हो?"

    आरोही ने वही सामने रखी एक ट्राउजर को उठाते हुए कहा, "तुम्हारे कपबोर्ड से तुम्हारा खजाना नहीं चुरा रही हूं मैंने सिर्फ यह ट्राउजर लिया है।"

    इतना बोलकर वह सीधे वॉशरूम की तरफ चली गई और कबीर उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा और तभी कबीर का फोन बजा और वह अपना फोन लेकर सीधे बालकनी में आकर खड़ा हो गया।

    आरोही चुपचाप बेड पर आकर लेट गई और वह धीरे से अपनी नजरे बाहर की तरफ घूमर कबीर को देख रही थी और जैसे ही कबीर फोन पर बात करके वापस रूम के अंदर आया..

    जब उसकी नजर आरोही पर गई तो आरोही अपनी आंखें बंद करके लेटी हुई थी और कबीर उसके बगल में आकर बैठा और वह बड़े ही प्यार से आरोही के चेहरे को देखने लगा आरोही सोई नहीं थी, वह बस सोने का नाटक कर रही थी।

    कबीर ने उसके गाल पर अपना हाथ रखकर उसके चेहरे को अपने चेहरे के करीब लाते हुए कहा, "पता नहीं जानेमन तुम्हें मेरी बात पर विश्वास होगा या नहीं बट अब तुम्हें मुझसे कोई भी दूर नहीं कर सकता है, तुम नहीं जानती मैं किस तरह से खुद को कंट्रोल कर रहा हूं बट क्या करूं, तुम्हारे आगे मैं खुद को ऐसे नहीं प्रिटेंड करना चाहता मैं चाहता हूं कि तुम मेरे प्यार को समझो।"

    इतना बोलकर कबीर उसके गालों को छूने लगा और जैसे ही कबीर के हाथ उसके गाल पर गए आरोही का दिल तेजी से धड़कने लगा।

    वह अभी भी सोने का नाटक कर रही थी और तभी कबीर उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आकर उसके होठों को चूमने लगा।

    कबीर रोई के फोटो को किस कर रहा था और आरोही उसे रोक भी नहीं सकती थी क्योंकि अगर वह अपनी आंखें खोलता तो कबीर को पता चल जाता कि वह सो नहीं रही है और आरोही इस तरह से चुपचाप लेटी रही अब जब कबीर उसे किस करते-करते रुक तो वह वही उसे सिक्के बगल में ही लेता उसने आरोही को बिल्कुल अपने नजदीक खींच लिया और वह उसकी कमर में हाथ डालकर लेटा हुआ था और उसकी नजर सिर्फ और सिर्फ आरोही के चेहरे की तरफ थी।

    वह आरोही को जिस तरह से देख रहा था उसे देखकर इतना तो समझ में आ रहा था कि वह आरोही से पूरी तरह से obsessed हो चुका है और वह अब आरोही को खुद से दूर नहीं जाने देगा और काफी देर बाद जब कबीर के सोने की आवाज हुई तो आरोही ने धीरे-धीरे अपनी आंखों को खोला और उसने कबीर के चेहरे की तरफ देखा।

    उसका चेहरा बिल्कुल आरोही के चेहरे के करीब था और कबीर ने आरोही की कमर को कसकर पकड़ हुआ था आरोही ने धीरे से उसके हाथ को अपनी कमर पर से हटाने की कोशिश की लेकिन कबीर नींद में भी उसे पूरी सिक्योरिटी के साथ पकड़े हुए था और आरोही ने धीरे से करवट ली और तभी उसकी नजर कबीर के फोन पर गई उसने अपना हाथ बढ़ाकर कबीर के फोन को उठाया और उसने धीरे से कबीर के हाथ के अंगूठे को जैसे ही लॉक स्क्रीन पर रखा तुरंत उसका फोन ओपन हो गया और आरोही ने जल्दी से कबीर के फोन को साइड में रखा और वह धीरे से बद से उठी और उसने अपनी जगह पर एक पिल्लों को रखा।

    जिससे कबीर की नींद ना खुले और वह कबीर के फोन को लेकर सीधे वॉशरूम की तरफ भागी और उसने वॉशरूम को अंदर से लॉक किया और तुरंत अपने डैड के नंबर को मिलने लगी।

    रात के 3:30 बज रहे थे और आरोही ने जैसे ही अपने डाइट को कॉल किया पहले तो उसके डैड ने कॉल पिकअप ही नहीं किया, लेकिन दूसरी बार कॉल फिर से करने पर आरोही के डैड ने कॉल पिकअप किया और आरोही ने जैसे ही अपने डैड की आवाज सुनी।

    उसने हड़बड़ाते हुए कहा, "डैड प्लीज मुझे यहां से वापस ले जाइए यह इस माफिया ने मुझे यहां किडनैप करके रखा है प्लीज प्लीज मुझे बचाइए प्लीज डैड हेल्प मी।"

    आरोही की आवाज सुनकर उसके डैड काफी ज्यादा हैरान होते हुए बोले, " आरोही बेटा तुम मुझे फोन क्यों कर रही हो यह फोन मिस्टर कबीर का है ना जो उनका फोन उन्हें वापस दे दो!"

    आरोही ने जैसे ही अपने डैड की बात सुनी वह एक पल के लिए शांत हुई और उसने कंफ्यूज होते हुए कहा, "डैड आप ऐसा कैसे बोल सकते हैं यह आदमी यहां मुझे मार डालेगा और आप आप हैं कि मुझे फोन रखने की बात कर रहे हैं प्लीज मुझे यहां से ले जाइए, मुझे यहां नहीं रहना है।"

    आरोही के डैड ने उसे रोकते हुए कहा, "मेरी बात सुनो आरोही बेटा वह तुम्हें नहीं करने वाला है वह तुमसे प्यार करता है और अब तुम्हें वही रहना है।"

    जैसे ही आरोही ने बात सुनी वह धीमी आवाज में बोली, "मतलब कबीर जो बोल रहा था वह सच है आपने उसे मुझे बेच दिया है?"

    आरोही के डैड ने उसकी बात सुनकर चुप्पी साध ली और जब वह उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाए तो आरोही ने गुस्से से दांत पीसते हुए कहा, "मतलब सच में आपने मुझे बेच दिया.. मैं मैं कोई सामान नहीं थी डैड आप मुझे ऐसे कैसे बेच सकते हैं वह भी सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे के लिए..?"

    आरोही के डैड ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "नहीं बेटा मैं तुम्हें अपने फायदे के लिए नहीं बेचा है मेरी मजबूरी को समझो मेरे पास और कोई ऑप्शन नहीं था और अब दोबारा मुझे फोन मत करना..."

    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी, वह गुस्से से फोन की तरफ देख रही थी क्योंकि उसके डैड ने इतना बोलकर कॉल कट कर दिया था और आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "ऐसा नहीं कर सकते डैड आप आपको मेरे सवालों के जवाब देने होंगे..!"

    इतना बोलकर आरोही वापस वॉशरूम से बाहर निकली और उसने चुपचाप अपने डैड के नंबर को डिलीट किया और फोन वही वापस अपनी जगह पर रख दिया और आरोही ने अपना पिलो और ब्लैंकेट उठाया और वह सीधे बेड से उठकर सामने बने बड़े से काउच पर जाकर लेट गई।

    To be continued

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  • 14. Mafia King Obsession - Chapter 14

    Words: 1388

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 14

    सुबह कबीर की आंख खुली और उसने आरोही को सोफे पर लेटे हुए देखा और वह आरोही की तरफ देख कर मुस्कुराते हुए बोला, “जानेमन जितना चाहो तो मुझसे दूर भगाने की कोशिश कर लो लेकिन मुझसे दूर भाग नहीं पाओगी।”

    इतना बोलकर कबीर बेड से उठा और वह सीधे आरोही के पास गया आरोही जो सोफे पर सो रही थी! उसने आरोही को अपनी गोद में उठाया और वह उसे बेड की तरफ लेकर आ रहा था कि तभी आरोही की आंख खुल गई और उसने कबीर की तरफ देखते हुए कहा, “ये क्या कर रहे हो तुम?”

    कबीर ने जैसे ही आरोही को उठाते देखा उसने धीमी आवाज में कहा, "रिलैक्स हो जाओ मैं कुछ उल्टा सीधा नहीं करने वाला मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हें वापस बेड पर लेटा रहा था।”

    आरोही उस की गोद से नीचे उतारते हुए बोली, "नहीं मुझे नहीं सोना है मुझे भूख लगी है, मैं…”

    कबीर आरोही की बात सुनकर उस हैरानी से देखते हुए बोला, "ठीक है फ्रेश होकर आओ मैं तुम्हारा ब्रेकफास्ट मंगा देता हूं।”

    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं मैं अपना ब्रेकफास्ट खुद बनाऊंगी।”

    कबीर उसकी यह बात सुनकर उसे शक भरी नजरों से देखते हुए बोला, "तुम बनाओगी लेकिन क्यों?”

    आरोही इससे पहले की उसकी बात का जवाब दे पाती कबीर उसके पास गया और उसने आरोही के गाल को दबोचते हुए कहा, "जानेमन मैं तुम पर अपने जुल्म और सितम नहीं ढाह रहा हूं तो इसका मतलब यह नहीं कि तुम मेरे खिलाफ जाओगी, क्या चल रहा है तुम्हारे दिमाग में बताओ, क्या करने वाली हो तुम? यहां से भागने का प्लान बना रही हो है ना?”

    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, “नहीं नहीं तो कुछ नहीं चल रहा मेरे दिमाग में, मैं बस इतना बोल रही थी कि मुझे अपने हाथ का बना हुआ नाश्ता करना है।”

    कबीर ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "ओके फाइन मैं तुम्हारी यह बात मान लूंगा, लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी एक बात माननी होगी तुम मेरे साथ शावर लोगी।”

    जैसे ही आरोही ने कबीर की ये बात सुनी, उसने कबीर के हाथ से अपने हाथ को छुड़ाया और वह उसके दो कदम पीछे हटते हुए बोला, “हरगिज नहीं…. it's impossible..”

    कबीर ने उस के करीब आकर उसकी कमर को पकड़ते हुए कहा, "हरगिज़ नहीं, impossible वह क्या होता है, मेरी डिसेनरी में impossible कुछ भी नहीं है because I'm possible…मेरे खिलाफ कोई नहीं जा सकता अब तो तुम्हें मेरे साथ शावर लेना ही होगा।”

    इतना बोलकर उसने आरोही के हाथ को पकड़ा और वह उसे लेकर वॉशरूम की तरफ जाने लगा।

    तभी आरोही ने सोफे को पकड़ते हुए कहा, "नहीं मुझे नहीं लेना तुम्हारे साथ शावर, छोड़ो मेरा हाथ।”

    कबीर आरोही की तरफ देखकर बोला, "Why baby why are you so stubborn मुझे इतने जिद्दी लोग पसंद नहीं है!”

    इतना बोलकर उसने आरोही को अपने कंधे पर उठाया और वह उसे लेकर सीधे वॉशरूम के अंदर गया और उसने आरोही को शावर के नीचे खड़ा किया और उसके दोनों तरफ अपने दोनों हाथों को लगाकर उसने आरोही को कवर कर लिया और जैसे ही उसने शावर ऑन किया आरोही पूरी तरह से भीग गई और कबीर उस के चेहरे पर उसके बिखरे हुए बालों को देख रहा था और और भी काफी ज्यादा सेक्सी लग रही थी।

    कबीर ने उसके होठों के नजदीक आकर उसके होठों पर अपने होंठ रखे और वह उसे किस करने लगा।

    आरोही उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ और तभी आरोही ने अपने नाखूनों को कबीर के कंधों पर गड़ा दिया और कबीर के कंधे से खून निकलने लगा।

    हालांकि कबीर उस दर्द को बर्दाश्त कर रहा था और जैसे ही आरोही ने अपने नाखूनों को और तेजी से अंदर गड़ाना शुरू किया कबीर उतना ही ज्यादा पैशनेट होता चला गया और उसने आरोही के फोटो को बाइट करना शुरू कर दिया।

    जिससे आरोही को काफी ज्यादा दर्द होने लगा और वह कबीर को खुद से दूर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर उससे दूर नहीं हो रहा था और तभी उसने अपने हाथों को कबीर की पीठ पर मारना शुरू किया और कबीर ने उसके दोनों हाथों को क्रॉस करके पकड़ा और अपने दूसरे हाथ को वह आरोही की कमर पर रखकर उसे की शर्ट के अंदर अपने हाथ को डालने लगा।

    जैसे ही आरोही ने उसे ऐसा करते हुए महसूस किया आरोही फ्रस्ट्रेटेड हो गई और तभी कबीर का हाथ आरोही के बॉडी पर हरकत करने लगा और आरोही उसे शावर के नीचे उसकी हाथों की गरमाहट को महसूस कर पा रही थी और वह कबीर की आंखों में देखने लगी।

    कबीर ने अभी भी अपनी किस को ब्रेक नहीं किया था और उसने आरोही को दीवार पर पिन किया और तभी कबीर के होठों से होते हुए उसकी गर्दन पर अपने हाथ को रब करने लगा।

    आरोही के होठ कांपने लगे और उस ने अपने मुंह में कबीर की Tongue को फील किया और जैसे ही उसकी इस बात का एहसास हुआ कि कबीर उसके पूरे मुंह को एक्सप्लोरर कर रहा है।

    आरोही ने कसकर अपनी आंखों को बंद कर लिया और उसका दिल इतनी तेजी से धड़कने लगा।

    कबीर जो उसके इतने नजदीक था उसे भी उसी की दिल की धड़कनें सुनाई देने लगी और कबीर के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आई और वह उसे किस करते-करते धीरे से उसकी कमर को छूते हुए उसके कपड़ों को उतारने लगा और तभी आरोही ने अपनी पूरी ताकत से कबीर को धक्का देते हुए कहा, "दूर हटो मुझसे तुम पागल हो जाते हो क्या इंसान हो या जानवर?”

    आरोही के होठों से खून निकल रहा था और आरोही की यह बात सुनकर कबीर उसके नजदीक आते हुए बोला, “जानेमन तुम जो कहोगी मैं वह मान लूंगा अगर तुम मुझे इंसान कहो तो भी ठीक है और अगर जानवर कहो तो भी मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है!”

    इतना बोलकर वह उसके करीब आ ही रहा था कि तभी आरोही ने शावर के नीचे से हटते हुए कहा, "जस्ट शट अप और दूर रहो मुझसे आज के बाद मुझे इस तरह से बाइट मत करना वरना…”

    कबीर ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और वो उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक आकर बोला, “वरना क्या जानेमन..”

    इतना बोलकर वो आरोही की आंखों में आंखें डालकर देखने लगा वो उसकी तरफ से अपनी नज़रें हटाते हुए तुरंत वॉशरूम से बाहर निकली क्योंकि सुबह-सुबह कोई क्लेश नहीं चाहती थी और आर्गुमेंट करने का उसका मूड नहीं था और वह सीधे चेंजिंग रूम में जाकर कपड़े चेंज करने लगी और कबीर वही शावर के नीचे एक पल के लिए रुका और उसने अपने होठों पर लगे आरोही के होठों के खून को अपने अंगूठे से टच किया और वह अपने लिप्स को बाइऊ करते हुए मुस्कुराने लगा और वह भी क्लोजेट के अंदर आकर खड़ा हुआ उसने टावल बांध रखी थी और दूसरी टावल से वह अपने सिर को पोंछ रहा था।

    आरोही वहीं पर कपड़े चेंज कर रही थी और कबीर वही क्लोजेट के दरवाजे पास रूक कर आरोही को कपड़े चेंज करते हुए देखने लगा।

    उसकी नज़रें सिर्फ और सिर्फ आरोही की कमर पर टिकी हुई थी उसकी पतली कमर और उसका गोरा बदन कबीर को उसकी तरफ और भी ज्यादा अट्रैक्ट कर रहा था।

    तभी कबीर की नजर आरोही की पीठ पर बने तिल पर गई जिसे देखकर कबीर मुस्कुराया और वह धीरे से आरोही के नजदीक है और उसने उसकी पीठ पर बने उसे दिल पर किस करना शुरू कर दिया और उसे किस करते हुए वह भूल गया कि वह चुपके से उसके पीछे आकर खड़ा हुआ था और उसने अपने दोनों हाथों को आरोही की कमर पर रख दिया और जैसे ही उसका चेस्ट आरोही की पीठ से टच हुआ, आरोही का पूरा बदन कांपने लगा और उसने जल्दी से खुद को कबीर से दूर किया और वह कबीर को गुस्से से घूरते हुए देखकर बोली, "what are you doing तुम्हारे अंदर जरा भी मैनर्स नहीं है, मैं मैं चेंज कर रही थी!”

    कबीर उस के चेहरे की तरफ देखते हुए बोला, "हां तो मैंने कब मना किया जानेमन तुम्हें जो करना है करो ना!”

    To be continued

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  • 15. Mafia King Obsession - Chapter 15

    Words: 1428

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 15

    कबीर उस के चेहरे की तरफ देखते हुए बोला, "हां तो मैंने कब मना किया जानेमन तुम्हें जो करना है करो ना!”

    आरोही ने जैसे ही कबीर की यह बात सुनी, उसने गुस्से से अपने हाथों की मुट्ठी बांधी और उसने अपनी आइस को रोल करते हुए कहा, " मुझे यह बदतमीजी बिल्कुल भी पसंद नहीं है जाओ बाहर मुझे चेंज करने दो मैं तुम्हारे सामने कंफर्टेबल नहीं हूं।”

    कबीर धीरे से उसके चेहरे के नजदीक आकर उसकी नाक से अपनी नाक को रख करते हुए बोला, “बट मैं तो बिल्कुल कंफर्टेबल हूं, मैं तो तुम्हारे सामने चेंज भी कर सकता हूं ये देखो।”

    इतना बोलकर उसने अपनी टावेल खोल दिया और जैसे ही आरोही की नजर उस की बॉडी पर गई।

    आरोही ने तुरंत अपनी आंखों को ढ़ाका और वह दूसरी तरफ घूमते हुए बोली, "यू आर शेमलेस..!”

    कबीर हंसते हुए बोला, "यस बेबी ऑफ कोर्स आई एम शेमलेस, और वैसे भी मैं जिससे प्यार करता हूं उसके सामने मुझे जरा भी शर्म नहीं आती, और मुझे लगता है तुम्हें भी मुझे इस तरह नहीं शर्माना चाहिए आंखें खोलो अपनी।”

    इतना बोलकर उसने आरोही का हाथ उसके चेहरे पर से हटाते हुए कहा, " और बिना कपड़ों के मैं खड़ा हूं और तुम्हें इतनी ज्यादा शर्म आ रही है ऐसा कैसे हो सकता है? और वैसे भी अब तो हम दोनों बहुत ही जल्द दो जिस्म एक जान होने वाले हैं तो फिर हम लोगों के बीच में ऐसी शर्म क्यों।”

    इतना बोलकर उसने आरोही का हाथ अपने चेस्ट पर रखा और वह धीरे-धीरे उसके हाथ को अपने एप्स और एप्स से नीचे ले जाने लगा और आरोही ने उसे धक्का दिया और वह तुरंत चेंजिंग रूम से बाहर निकलते हुए बोली, "डिस्गस्टिंग यह आदमी सच में बहुत ज्यादा इरिटेटिंग है और शेमलेस भी!”

    आरोही ने धीमी आवाज में कहा, "मैं इसके साथ अब और टाइम नहीं बिता सकती, नहीं मैं उसे अब और ज्यादा झेल सकती हूं।”

    इतना बोलकर आरोही ने अपने कपड़ों को ठीक किया और वह सीधे रूम से बाहर निकली और जब जैसे ही वह बाहर निकली, उसने देखा अर्जुन वही रूम के बाहर ही खड़ा था और उसने जैसे ही आरोही को निकलते हुए देखा।

    उसने आरोही के सामने अपना हाथ लगाते हुए कहा, "मैडम कहां जा रही है आप?”

    आरोही ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "कम ऑन मुझे भूख लगी है मैं ब्रेकफास्ट करने के लिए नीचे जा रही हूं हटो मेरे आगे से, अब बात-बात पर इस तरह से मेरा रास्ता मत रोक करो तुम वरना…”

    वह बोल ही रही थी कि तभी पीछे से कबीर की आवाज आई और उसने धीमी आवाज में कहा, "जानेमन तुम उसे पर अपना गुस्सा क्यों दिख रही हो अर्जुन तो बस अपना काम कर रहा है।”

    जैसे ही कबीर ने यह बात कही कबीर उसकी तरफ देखने लगी और तभी कबीर ने आरोही के बिल्कुल करीब आकर उसकी कमर में अपना हाथ डालते हुए कहा, " वैसे अर्जुन तुम भी ब्रेकफास्ट कर सकते हो चलो मैं भी ब्रेकफास्ट करने ही जा रहा हूं, और मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है।”

    इतना बोलकर वह आरोही की कमर में इस तरह से हाथ डालकर उसे नीचे की तरफ लेकर आया और वह जैसे ही डाइनिंग टेबल पर आकर बैठा।

    आरोही वहीं पर रुक गई और किचन की तरफ देखने लगी, उसने तुरंत किचन की तरफ जाते हुए कहा, "मेरा खुद से कुछ बनाने का मन है और मैं अपने हाथ से बना हुआ ही ब्रेकफास्ट करूंगी।”

    कबीर ने धीरे से अपना सिर हिलाया और उसने आरोही को अंदर जाने से नहीं रोका। वह किचन के अंदर चली गई और अर्जुन ने कबीर की तरफ देखा, वह बस उसे देखकर मुस्कुराता जा रहा था।

    तभी अर्जुन ने बड़ी ही धीमी आवाज में कहा, " कबीर तुम्हें ऐसा नहीं लग रहा यह कुछ करने वाली है, मुझे इसके एक्शन से पता चल रहा है इसके दिमाग में कुछ तो चल रहा है।”

    कबीर ने इस तरह से मुस्कुरा कर अर्जुन की बात का जवाब देते हुए कहा, "हां बिल्कुल लग रहा है और मैं जानता भी हूं वह यहां से भागने की पूरी कोशिश करेगी और मैं देखना चाहता हूं कि मेरी जानेमन कितना दिमाग लगा सकती है, तुम में से कोई भी उसे रोकना मत वह जो कर रही है करने दो, उसे इसी बहाने हमें मिस्टर राजीव मल्होत्रा की लॉयल्टी के बारे में भी पता चल जाएगा।”

    कबीर ने जैसे ही यह बात कही, अर्जुन उसकी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा, उसकी मुस्कुराहट से इतना पता चल रहा था कि वह कबीर की बात को बहुत अच्छी तरह से समझ गया है और तभी हम दोनों ने ब्रेकफास्ट करना शुरू कर दिया और आरोही जो किचन में थी उसने वहां मौजूद सभी लोगों की तरफ देखते हुए कहा, " आप लोग बाहर जा सकते हैं मैं अपना खाना खुद बना लूंगी।”

    लेकिन वह लोग ना में अपना सिर हिलाते हुए बोले, “मैडम बट अगर आपको किसी की जरूरत होगी तो हम यहां पर हैं आपको बताने के लिए।”

    कबीर ने उनकी तरफ देखते हुए कहा, "वो मुझे किसी की हेल्प नहीं चाहिए आप लोग जाइए यहां से..”

    उसने जबर्दस्ती वहां मौजूद सभी लोगों को वहां से बाहर जाने के लिए बोल दिया और जैसे ही वह लोग बाहर निकले।

    आरोही ने किचन का दरवाजा बंद किया और उसने वहां सामने रख टिशू पेपर में आग लगे और उसे किचन की विंडो से बाहर फेंक दिया और जैसे ही आग का धुआं उठा पूरे घर में फैला , फायर अलार्म बजने लगा और अर्जुन फायर अलार्म सुनकर तेजी से उठकर खड़ा हुआ और वह इधर-उधर देखने लगा।

    जब तक सब लोग उसे सब को बुझाने के लिए वहां पर बिजी हो गए।

    कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "मानना पड़ेगा जानेमन सबको उलझने के लिए बहुत अच्छी Technique अपनाई है तुमने..!”

    इतना बोलकर वह मुस्कुरा रहा था, वहां मौजूद सभी लोग इधर-उधर भाग रहे थे लेकिन कबीर अभी भी अपनी जगह पर बैठकर आराम से ब्रेकफास्ट कर रहा था कि तभी अचानक से उसे अपनी कार के स्टार्ट होने की आवाज सुनाई दी और कबीर उठकर विला से बाहर निकाला और उसने देखा, आरोही उसकी कार में बैठी और खुद ही कार को ड्राइव करते हुए वह सीधे विला से बाहर निकल गई।

    कबीर बहुत अच्छी तरह से जानता था कि आरोही कहां जाने वाली है और वह अपनी कार की तरफ घूमते हुए देखने लगा, जब तक आरोही उसकी आंखों से ओझल नहीं हो गई।

    थोड़ी देर बाद आरोही जैसे ही अपने डैड के घर पहुंची उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " डैड डैड बाहर आइए मुझे आपसे बात करनी है।”

    जैसे ही आरोही ने वहां चिल्लाना शुरु किया आरोही के डैड उसकी आवाज सुनकर अपना सिर पकड़ते हुए बोले, “ohh God ये लड़की यहां कैसे आ गई यह मेरी जान लेकर ही मांगी, अगर मिस्टर कबीर को पता चला कि यह यहां है तो उन्हें तो ऐसा ही लगेगा कि मैं ही से यहां पर बुलवाया है और अगर मैं से यहां पर थोड़ी भी देर रुकने दिया तो मेरी तो बैंड बज जाएगी मैं उसे माफिया से कोई दुश्मनी नहीं ले सकता मुझे अपनी जान बहुत प्यारी है।”

    इतना बोलकर उन्होंने तुरंत अपना मोबाइल फोन उठाया और तब तक आरोही सीढ़ियां चढ़ते हुए उनके रूम में आ गई।

    उसने तुरंत रूम का दरवाजा धक्का देकर खोलते हुए अपने डैड की तरफ देखा।

    वह चुपचाप वह वही अपने बेड पर बैठे हुए थे और फोन पर किसी से बात कर रहे थे, आरोही जैसे ही वहां पहुंची उसने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " हाउ डेयर यू डैड आप ऐसा कैसे कर सकते हैं, मेरा सुकून और चेन छीनकर आप यहां आराम से बैठे कॉल पर बात कर रहे हैं, आपने मुझे उसे माफिया के हाथों बेच दिया how could you..आप अपने फायदे के लिए कुछ भी कर सकते हैं ना कुछ भी.. अपने फायदे के आगे आपको मेरी जरा भी फिक्र नहीं है ना मैं अगर मर भी जाऊं तो भी आपको कोई दुख नहीं होगा?”

    आरोही बोल ही रही थी कि तभी उसके डैड ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, " नहीं मैंने अपने फायदे के लिए कुछ नहीं किया है आरोही बेटा और तुम्हें यहां नहीं आना चाहिए था जाओ वापस चली जाओ।”

    आरोही ने अपने डैड का कॉलर पढ़ते हुए कहा, "वापस चली जाऊं वापस, उसे जगह पर जहां पर मुझे इतनी बुरी तरह ट्रीट किया गया वह विला नहीं हेल है हेल।"

    To be continued

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  • 16. Mafia King Obsession - Chapter 16

    Words: 1469

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 16

    हाउ डेयर यू मैं आपको समझती थी कि आप कभी ना कभी तो मुझसे प्यार करने लगेंगे, मुझे ऐसा लगता था कि आप सिर्फ मेरी मॉम से ही नफरत करते हैं, लेकिन अब मुझे पता चल गया कि आप मुझसे भी नफरत करते हैं और कभी-कभी तो मुझे ऐसा लगता है कि मैं आपकी सगी नहीं बल्कि सौतेली बेटी हूं।”

    आरोही यह सारी बातें बोलते जा रही थी और तभी उसके डैड ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " तुम्हें जो समझना है समझो लेकिन अब तुम यहां नहीं रह सकती हो, मैंने अगर तुम्हें मिस्टर कबीर के हाथों बेचा है तो तुम्हें वही जाना होगा, इसलिए निकल जाओ यहां से..!”

    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी, उसने उन्हें घूरते हुए देखा और उसकी आंखों से आंसू निकलने लगे क्योंकि वह जो बात सुन रही थी।

    उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ था तभी उसने उनकी तरफ देखते हुए कहा, "चली जाऊंगी मैं यहां पर आपकी लाइफ से हमेशा हमेशा के लिए, कहीं बहुत दूर लेकिन मुझे बताइए आपने ऐसा किया क्यों? कबीर जैसे शैतान के हाथ आप मुझे कैसे बेच सकते हैं?”

    आरोही बोल ही रही थी कि तभी उसके डैड ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "कोई शैतान नहीं है वह एक बहुत बड़ा माफिया है और मैं उससे दुश्मनी नहीं लेना चाहता और रही बात तुम्हें बेचने की तो वह तुम्हें पसंद करता हैऔर एक न एक दिन तो तुम्हें वैसे भी किसी न किसी से शादी करके उसके घर ही जाना था तो अब अगर तुम उसके साथ रहोगी तो इसमें प्रॉब्लम क्या है, मुझे नहीं लगता मैंने कुछ भी गलत किया है?”

    आरोही चिढ़ते हुए बोली, “आपने गलत नहीं किया अभी भी आप ये बात बोल रहे हैं अपनी बेटी को एक माफिया के हाथों बेचना ये ग़लत नहीं है?”

    आरोही के डैड ने कहा, “नहीं और तुम बहुत अच्छी तरह से जानती हो हमारा बिज़नेस कितना लॉस में चल रहा था, मैंने मिस्टर कबीर से शेयर्स लिए थे और मैं उनका उधर नहीं चुका पाया था वह मेरी जान लेने वाले थे लेकिन तभी उनकी नजर तुम पर पड़ी और तुम उन्हें पहली नजर में पसंद आ गई थी, जब उन्होंने मुझसे यह बात कही तो मैं भला अपना उधार चुकाने के लिए क्यों ना करूं, अगर मैं तुम्हें उसके हवाले ना करता तो वह मेरी जान ले लेते और क्या तुम्हें लगता है मैं तुम्हारे लिए अपनी जान जोखिम में डालूंगा।”

    आरोही सारी बातें सुनकर बिल्कुल हैरान थी और तभी उसके डैड ने कहा, "मैं इतनी जल्दी नहीं मरना चाहता और अगर तुम भी यही चाहती हो कि मैं इतनी जल्दी ना मरूं तो जाओ वापस उसके साथ रहो उसके घर में और दोबारा कभी यहां पर मत आना।”

    आरोही ने अपने डैड की तरफ देख कर ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि आप मेरे डैड हैं कोई डैड अपनी बेटी के लिए ऐसा कैसे बोल सकता है आप मुझे उसे इंसान के साथ रहने के लिए बोल रहे हैं जो मेरे साथ जबरदस्ती..!”

    आरोही इतना बोलते बोलते चुप हो गई वो अपनी बात पूरी नहीं कर पाई और उसकी आंखों में आंसू भर गए और तभी उसके डैड उसके पास आए उन्होंने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "वह तुम्हारे साथ जो करना चाहे वो सब वो कर सकता है और तुम उसे नहीं रोकोगी, क्योंकि मैंने तुम्हें उसे बेचा है और अगर उसने तुम्हें खरीदा है तो वह तुम्हारे साथ कुछ भी कर सकता है, इसलिए तुम्हें इस बात की कोई शिकायत करने की जरूरत नहीं है, अब जाओ यहां से और वैसे भी इस घर में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है।”

    आरोही यह बात सुनकर टूट गई।

    तभी उसके डैड उसे रूम से बाहर निकाल कर लाए उन्होंने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " तुम वापस जा रही हो या फिर मैं मिस्टर कबीर को यहां बुला लूं..!”

    आरोही उनकी बात सुनकर हैरान थी और वह उसे खींचते हुए नीचे लेकर आ रहे थे कि तभी हाॅल में इतने सारे लोगों की भीड़ देखकर मिस्टर मल्होत्रा वही सीढ़ियों पर ही रुक गए और एक तेज आवाज आरोही के कानों में पड़ी।

    “ नहीं मिस्टर मल्होत्रा आपको मुझे बुलाने की कोई जरूरत नहीं है बिकाॅज आई एम ऑलरेडी हेयर।”

    आरोही ने जैसे ही यह बात सुनी उसकी आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई और उसने धीमी आवाज में कहा, “ये यहां हे भगवान अब तो मैं यहां से कहीं भाग भी नहीं सकती? क्या करूं?”

    कबीर ये बात सोच ही रही थी कि तभी उसके डैड ने उसके हाथों को कसकर पकड़ा और वह उसे खींचते हुए कबीर के सामने लाकर खड़े करते हुए बोला, “मिस्टर कबीर आई एम सॉरी सी इस योर प्रॉपर्टी आप इसे लेकर यहां से जा सकते हैं।”

    आरोही ने जैसे ही अपने डैड की बात सुनी उसने उनके हाथ से अपने हाथ को झटकते हुए कहा, "मैं किसी की प्रॉपर्टी नहीं हूं मैं सिर्फ खुद की हूं डैड छोड़िए मेरा हाथ आप और कहीं नहीं जाऊंगी मैं, ये मेरा घर है!”

    इतना बोलकर वह कबीर की तरफ देखने लगी और तभी कबीर उठ कर खड़ा हुआ और उसने आरोही के करीब आते हुए कहा, "जानेमन तुम्हें तो अब मुझसे कोई भी दूर नहीं कर सकता, तुम भी नहीं और प्रॉपर्टी तो तुम मेरी ही हो, फिर अब तक तुम्हारे बाप ने तुम्हें बता दिया होगा कि उसने तुम्हें बेचा है और अब तो तुम्हें इस बात पर यकीन हो गया होगा राइट, तुम्हारी कीमत कितनी लगाई इन्होंने यह बात बताइए या नहीं?”

    आरोही ने हैरानी से उसकी तरफ देखा और तभी कबीर ने आरोही के डैड की तरफ देखते हुए कहा, "मिस्टर मल्होत्रा नहीं बताया आपने अपनी प्यारी बेटी को..!”

    वह कुछ बोल नहीं रहे थे और तभी कबीर ने कहा, "कोई बात नहीं मैं बता देता हूं, जानेमन तुम्हारे डैड ने डेढ़ सौ करोड़ का कर्जा लिया था मुझसे और उन्होंने एक कौड़ी भी मुझे वापस नहीं दी है तो फिर तुम्हारा सौदा करना तो बनता था और अब तुम अगर चाहती हो कि मैं तुम्हें अपने साथ ना ले चलूं तो ठीक है अपने डैड को बोलो कि वह मुझे मेरे डेढ़ सौ करोड रुपए दे दे और तुम्हें अपने पास रख ले।”

    जैसे ही कबीर ने ये बातें कहीं, मिस्टर मल्होत्रा आगे आते हुए बोले, “नहीं मिस्टर कबीर मेरे पास इतने पैसे नहीं है मैं आपको कुछ नहीं दे सकता प्लीज हमारी जो पहले डील हुई थी मैं अभी भी उसे पर ही अटल हूं आप जहां चाहे वहां आरोही को ले जा सकते हैं।”

    इतना बोलकर वह कबीर के सामने अपना हाथ बांधकर खड़े हो गए और आरोही उन्हें उन दोनों को घूरते हुए देख रही थी कि तभी कबीर आरोही के बिल्कुल सामने आया और उसने आरोही की कमर में अपना हाथ डालकर उसे अपने नजदीक खींचते हुए कहा, " सुन लिया ना जानेमन क्या कहा तुम्हारे डैड ने, अब फालतू की मेहनत करना बंद करो और चलो मेरे साथ..!”

    इतना बोलकर वह आरोही का हाथ पकड़ कर उसे वहां से बाहर ले जाने लगा, लेकिन आरोही कहां इतनी आसानी से उसके साथ जाने वाली थी।

    उसने उसके हाथ को अपने हाथ से छुड़ाने की कोशिश किया वह वहीं जमीन पर घुटनों के बाल बैठते हुए बोली, "नहीं जाना मुझे तुम्हारे साथ छोड़ो मुझे..”

    लेकिन कबीर ने उसकी तरफ देखकर ना मे अपना सिर हिलाते हुए कहा, " तुम्हारी इस जिद्दी पन को मैं बहुत जल्द खत्म करूंगा जानेमन ..!”

    इतना बोलकर उसने आरोही के पास आकर उसके सामने बैठते हुए कहा, " जानेमन तुम्हारे लिए बेहतर होगा कि तुम मेरी बातों को एक बार में ही मान लिया करो क्योंकि मुझे बार-बार अपनी बातों को दोहराना बिल्कुल भी पसंद नहीं है।”

    इतना बोलकर उसने आरोही को अपने कंधे पर उठा लिया और आरोही उसकी पीठ पर अपने हाथ को मारते हुए बोली, "उतारो मुझे छोड़ो डैड प्लीज ऐसा मत करिए।”

    आरोही अपने डैड की तरह देख रही थी और तभी उसके डैड ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घूम लिया और आरोही की आंखों से आंसू बहने लगे और कभी उसे उसी तरह अपनी कंधे पर उठाए हुए लेकर उसके घर से बाहर निकाला और उसने उसे तुरंत अपनी कार में बैठाया और खुद भी कार के अंदर बैठते हुए बोला, "ठीक है सीधे विला चलो।”

    आरोही ने कबीर की तरफ देख कर उसे घूरते हुए कहा, "क्यों कर रहे हो तुम यह सब मेरे साथ छोड़ो मुझे और तुम्हें अपने पैसे चाहिए ना ठीक है मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे दे दूंगी?”

    To be continued

    क्या लगता है आप सबको आरोही कहां से पैसे देगी कबीर को क्या आरोही के पास इतने सारे पैसे होंगे या फिर वह सिर्फ और सिर्फ कबीर को बहलाने की कोशिश कर रही है और क्या आरोही ने अगर किसी तरह से पैसे अरेंज करके उसे दे दिए तो क्या कबीर उसे यूं ही खुद से दूर चला जाने देगा जाने के लिए स्टोरी को कंटिन्यू पढ़ते रहिए

  • 17. Mafia King Obsession - Chapter 17

    Words: 1524

    Estimated Reading Time: 10 min

    Chapter 17

    आरोही की यह बात सुनकर कबीर ने उस की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, " ठीक है जानेमन जब तुम मुझे पैसे दे दोगी तो मैं तुम्हें वापस तुम्हारा डैड के घर छोड़ दूंगा, लेकिन तुम्हारे डैड तो तुम्हें अपने घर में रखना ही नहीं चाहते तो तुम कहां जाओगी?"

    आरोही ने उसकी बात सुनकर अपना हाथ झटकते हुए कहा, "whatever कहीं भी चली जाऊंगी लेकिन तुम्हारे साथ मुझे नहीं रहना है क्योंकि तुम इंसान नहीं इंसान की शक्ल में एक हैवान हो।"

    आरोही की यह बात सुनकर कबीर जोर से हंसते हुए बोला, "हा हा तुम मुझे जो कहो मुझे वह सब मंजूर है जानेमन लेकिन यह बात तुम अपने दिमाग से निकाल लो कि मैं तुम्हें खुद से दूर जाने दूंगा, और रही बात हैवान होने की तो अभी तुमने मेरी हैवानियत अच्छी नहीं है!"

    इतना बोलकर वह धीरे से आरोही के बिल्कुल करीब आया और उसने आरोही की गर्दन पर अपना नाक रब करते हुए कहा, "अब अगर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ अच्छे से पेश आऊं तो जैसे ही विला में गाड़ी रुकेगी चुपचाप कार से उतर कर सीधे विला के अंदर चली जाना और दोबारा कोई भी अब इस तरह की चालाकी करने की कोशिश मत करना, वरना मैं क्या करूंगा, तुम बहुत अच्छी तरह से जानती हो।"

    आरोही कबीर की बात सुनकर एक पल के लिए डर गई थी लेकिन वह जानती थी कि अगर वह विला के अंदर उसके साथ गई तो वह अब दोबारा वहां से बाहर नहीं निकल पाएगी और तभी आरोही ने कबीर को खुद से दूर धकेला और वह ड्राइवर की तरफ देखते हुए बोली, "कार रोको मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे एक महीने में दे दूंगी।"

    कबीर उस की तरफ हैरानी से देखते हुए बोला, "एक महीना रियली जानेमन तुम्हारे पास है इतने सारे पैसे हैं?"

    आरोही ने उसकी बात सुनकर उसे करते हुए देखकर कहा, "पैसे मेरे पास हो या ना हो वह मेरी प्रॉब्लम है और मैं तुम्हें पैसे कैसे दूंगी यह भी मेरी ही प्रॉब्लम है लेकिन तुम मुझे इस तरह अपने घर में नहीं रख सकते, मैं तुम्हारी गुलाम नहीं हूं, और तुम मेरे साथ इस तरह जबरदस्ती नहीं करोगे मुझे तुम अपने साथ नहीं रख सकते, क्योंकि मुझे तुम्हारे साथ नहीं रहना है और मैं तुम्हारे साथ नहीं रहूंगी मैं फिर से भागने की कोशिश करूंगी।"

    जैसे ही आरोही ने यह बात कही कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा, "गुलाम तो तुम मेरी बन चुकी हो और मैं तुम्हें ना हीं खुद से दूर जाने दूंगा और ना ही मुझे अब उन पैसों की जरूरत है, नहीं चाहिए मुझे कोई पैसे तुम हो मेरे पास और मैं तुमसे बहुत खुश हूं।"

    इतना बोलकर कबीर ने आरोही को देखकर आंख मेरी और वह धीरे-धीरे बिल्कुल उसके करीब आ गया और वह उसे किस करने जा ही रहा था कि तभी वह लोग विला पहुंचे और कार रुक गई और उसने कबीर के चेहरे की तरफ से अपना चेहरा हटाया और वह विला की तरफ देखने लगी और तभी कबीर ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "उतरों जानेमन..!"

    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं मुझे नहीं जाना मैं तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस करूंगी मुझे जाने दो यहां से, और मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूं तुमने जितनी भी बातें बोली है तो सारी झूठ है तुम सिर्फ और सिर्फ मुझे बहला कर मुझे हासिल करना चाहते हो और ऐसा कभी नहीं होगा मैं कभी भी तुम्हारी नहीं होऊंगी।"

    कबीर ने आरोही की आंखों में आंखें डाल कर देखते हुए कहा, "वो तो वक्त ही बताएगा जानेमन तुम्हें कुछ भी डिसाइड करने की जरूरत नहीं है।"

    कबीर ने अपनी तरफ का गेट खोला और वह कार से बाहर निकाला और वह मिहिका की तरफ देख रहा था उसने उसकी तरफ का दरवाजा खोलते हुए कहा, "जानेमन तुम बाहर निकल रही हो या नहीं।"

    आरोही ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं बिल्कुल भी नहीं..!"

    और तभी कबीर ने उसके हाथ को पकड़ कर खींचा और उसे अपने कंधे पर उठाते हुए वह उसे सीधे विला के अंदर लेकर आने लगा और उसने आरोही को इस तरह कंधे पर उठाए हुए सीधे अपने बेडरूम में लाकर बेड पटका और वह उस के ऊपर चढ़ते हुए बोला, "जानेमन बस बहुत हो गया, मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम बहुत दुखी हो लेकिन मेरे सामने तुम अपनी जिद ना ही दिखाओ तो अच्छा होगा। मैं तुम्हारे इतने ज्यादा टंट्रम्स झेल रहा हूं और तुम्हारी हर जीत पूरी होने दे रहा हूं इसका मतलब यह नहीं कि तुम्हारे मन में जो आएगा तुम वह करोगी।"

    इतना बोलकर उसने आरोही के दोनों हाथों को कसकर पकड़ लिया और उसने आरोही के होठों के नजदीक जाने की कोशिश कर ही रहा था और तभी आरोही इधर उधर अपना चेहरा घूमाने लगी, ताकि कबीर उसे किस न कर पाए लेकिन कबीर आरोही को सबक सिखाना चाहता था और उसने उसे के दोनों हाथों को पूरी मजबूती से पकड़ा और उसके होठों पर अपने होंठ रखकर वह उसे पैशनेटली किस करने लगा।

    आरोही कुछ नहीं कर पाई और वह कबीर को कुछ दूर करने की कोशिश कर रही थी लेकिन कबीर कहां इतनी आसानी से मानने वाला था, उसने आरोही को किस करते-करते उसके लोअर लिप को बाइट किया और वह उसे बाइट तब तक करता जा रहा था, तब तक उसके होठों से खून नहीं निकलने लगा और जैसे ही उसके होठों से खून निकला। कबीर एक पल के लिए रुका क्योंकि आरोही की सांस नहीं आ रही थी और कबीर इस की तरफ देखने लगा।

    उसकी आंखों में आंसू भर चुके थे क्योंकि उसके होठों से निकलने वाले खून से उसे दर्द हो रहा था और तभी कबीर नीचे झुककर उस के होठों से निकल रहे खून को अपनी जुबान से लिक करते हुए बोला, "थोड़ा दर्द हुआ है ना जानेमन?"

    आरोही उसकी आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी कि तभी आरोही की आंखों के कोने से आंसू बहने लगे और कबीर ने उसके होठों को दोबारा से चूमा, लेकिन वह इस बार इतना ज्यादा पैशनेट नहीं था और उसने धीरे-धीरे आरोही के हाथों की पकड़ को ढीला कर दिया और वह चुपचाप बेड से उठकर खड़ा होते हुए बोला, "अब तुम इसी कमरे में बंद रहोगी और हां अब दोबारा मेरे फोन से किसी को कॉल करने की कोशिश मत करना नहीं तो बहुत बुरा होगा!"

    आरोही उसकी यह बात सुनकर बिल्कुल शाॅक्ड हो गई क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था कि उसने अगर अपने डैड का नंबर डिलीट कर दिया है तो शायद कबीर को पता नहीं चलेगा लेकिन कबीर को इस बारे में बहुत अच्छी तरह से पता था और वह सब कुछ जानने के बावजूद भी चुप था।

    इस बात को सुनकर आरोही बिल्कुल शाॅक्ड हो गई थी और तभी कबीर ने आरोही को घूरते हुए देखकर कहा, "जानेमन इतना शाॅक्ड होने की तुम्हें जरूरत नहीं है क्योंकि यह मेरा विला है और यहां पर हर एक चप्पे चप्पे पर मेरी नजर होती है। मैं तुम्हें क्या लगता है इस बार अगर मैं तुम्हें जाने दिया तो क्या दोबारा भी तुम्हारे साथ ऐसा ही होगा तुम यहां से निकल सकती हो बिल्कुल भी नहीं तुम अब इस कमरे से भी बाहर नहीं निकल पाओगी।"



    💚कबीर की आंखों में वो जुनून और गुस्सा साफ झलक रहा था। आरोही को लग रहा था कि इस बार उसने सच में हद पार कर दी है और कबीर को बहुत गुस्सा दिला दिया है। उसकी सांसें तेज हो रही थीं, और वो खुद को संभालने की कोशिश कर रही थी। कमरे में पिन ड्रॉप साइलेंस था।



    कबीर ने धीरे-धीरे कदम बढ़ाते हुए कहा, "जानेमन, तुम खुद को बहुत चालाक समझती हो, है ना? मुझे बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन तुम शायद अभी मुझे जानती नहीं हो, मैं वो इंसान हूं जो किसी के भी इरादे को बिना कहे समझ जाता है। शेर के मुंह से आने वाला छिन जाता हूं मैं और तुम तो फिर मेरी जानेमन हो सोचो अगर मैं अपनी जिद पर आ गया तो तुम्हारे साथ क्या-क्या करूंगा?"

    आरोही की आंखों में डर साफ नजर आ रहा था। उसने धीमी आवाज में कहा, "तुम क्या चाहते हो मुझसे? मुझे यहां कैद करके क्या मिलेगा तुम्हें?"

    कबीर ने उसकी बात सुनकर हल्की हंसी के साथ जवाब दिया, "मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हें चाहता हूं, और कुछ नहीं। लेकिन शायद तुम ये समझने को तैयार नहीं हो। तुम मुझे जितना ठुकराओगी, मैं तुम्हें उतना ही अपने करीब करूंगा।"

    उसकी बातों में वो पजेसिवनेस और खतरनाक इरादा साफ झलक रहा था। कबीर ने बेड के पास रखी चेयर पर बैठते हुए कहा, "अब तुम्हारे पास दो रास्ते हैं, जानेमन या तो तुम मेरी बात मानो और यहां मेरे पास बड़े प्यार से रहो, या फिर मुझे वो रास्ता अपनाने पर मजबूर करो, जो शायद तुम्हें पसंद नहीं आएगा।"

    To be continue

    Kya lagta hai aap logon Ko Aarohi Kabir ki baat manegi ya FIR vah fir se vila se bhaagane ki koshish karegi? Ya FIR koi Karega Aarohi ki madad?

    agar aap logon Ko story acchi lag rahi hai to please story ko like aur comment kar diya kariye aap logon ki comment dekhkar motivation milta hai aur जल्दी-जल्दी chapter dalne ka bhi man karta hai

  • 18. Mafia King Obsession - Chapter 18

    Words: 1449

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 18

    जैसे ही आरोही ने कबीर की यह बात सुनी उसने गुस्से से अपने दांत पीते हुए कहा, " तुम मेरे साथ जबरदस्ती करोगे इससे ज्यादा और कुछ नहीं कर सकते और वैसे भी जहां तक मुझे पता है भगवान जी ने मेरी लाइफ में सबसे ज्यादा प्रॉब्लम्स रखी है, सबसे पहले मेरी मॉम को मुझसे छीन लिया और उसके बाद एक के बाद एक सारी प्रॉब्लम्स और अब तुम मेरी लाइफ की सबसे बड़ी प्रॉब्लम बनाकर मेरे सामने आकर खड़े हो गए, और पता नहीं क्यों होता है सब कुछ मेरे साथ इससे अच्छा तो भगवान जी मुझे मौत ही दे देते।”

    आरोही की यह बात सुनकर कबीर उसकी आंखों में दिख रहे दर्द को देखने लगा और उसने अपनी जगह से उठकर धीरे से आरोही के करीब आते हुए कहा, " तुम यहां पर यह सारी बातें बोलकर क्या जताना चाहती हो... तुम्हें क्या लगता है जानेमन तुम्हारी यह सारी बातें सुनकर मैं पिघल जाऊंगा और तुम्हें वापस तुम्हारे घर चले जाने दूंगा, अगर तुम ऐसा सोच रही हो तो तुम गलत हो मैं वह इंसान हूं जो अपनी जिद के आगे कुछ नहीं सुनता फिर तुम्हारा जहां पर रोना और मेरे सामने सारी बातें करना बेकार है।”

    आरोही ने उसकी तरफ देखकर ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, " मैं तुम्हें कुछ नहीं जता रही हूं मैं बस अपनी किस्मत को कोस रही हूं और मुझे बहुत अच्छी तरह से पता है तुम जैसा पत्थर दिल इंसान कभी किसी के लिए नहीं पिघल सकता। और ना ही कुछ समझ सकता है।”



    इतना बोलकर आरोही ने बेड से उतरकर कबीर के करीब जाकर उसके कॉलर को पकड़ते हुए कहा, "और मुझे अब किसी से कोई उम्मीद भी नहीं है।”

    इतना बोलकर वह कबीर को घूरते हुए देखने लगी और उसने कबीर को धक्का दिया और खुद वॉशरूम के अंदर चली गई।

    उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे और कबीर एक पल के लिए वही अपनी जगह पर रख कर खड़ा हो गया आरोही वॉशरूम के अंदर गई और उसका सिर दर्द से फट रहा था, क्योंकि अभी जिस तरह से उसने चिल्लाकर और रोते-रोते यह सारी बातें बोली थी उन सारी बातों को बोलने के बाद वह चुपचाप शावर के नीचे जाकर खड़ी हो गई और वहीं वॉशरूम में ही बैठकर वह जोर-जोर से रोने लगी।

    उसका पूरा बदन पानी से भीग चुका था और वह काफी बुरी हालत में थी, उसने धीरे से अपने पैरों को अपने घुटनों से टीका लिया और रोते-रोते उसकी सिसकी बंद गई।

    कबीर वॉशरूम के अंदर जाने के बारे में सोच रहा था और जैसे ही उसने वॉशरूम की तरफ अपना कदम बढ़ाया। वैसे ही अर्जुन का फोन आया और वह उसे फोन पर बात करते-करते रूम से बाहर निकल गया।



    कबीर जैसे ही बाहर निकाला अर्जुन ने उसे बताया के उसकी कोई डील है जो फंस गई है और उसे उसे डील को अब खुद ही हैंडल करना होगा जिसके लिए उसे अर्जेंट मीटिंग करनी होगी और वह अर्जुन के साथ मीटिंग के लिए वहां से बाहर निकल गया और सीधे अपने ऑफिस से पहुंचा और वहां अपनी मीटिंग में बिजी हो गया।

    हालांकि उसका ध्यान बार-बार आरोही की तरफ जा रहा था क्योंकि जिस हालत में वह आरोही को घर पर छोड़कर आया था, उसके बाद उसका आरोही के लिए चिंता करना तो बनता था उसने धीरे से अर्जुन की तरफ देख कर इशारा किया और अर्जुन ने घर की सिक्योरिटी को बढ़ा दिया था ताकि आरोही फिर से घर से भागने की कोशिश ना कर पाए ।

    अर्जुन इस टाइम पर कबीर के साथ मीटिंग रूम में था और वहीं दूसरी तरफ पीहू आरोही से मिलने के लिए सीधे कबीर के रूम में पहुंची और जैसे ही वह रूम के अंदर गई उसने देखा पूरा रूम खाली था और वह हैरानी से इधर-उधर देखते हुए बोली, "भाभी कहां हो?”

    लेकिन पीहू के बुलाने के बावजूद भी आरोही ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और पीहू रूम से बाहर निकाल कर आई और उसने घर के नौकरों की तरफ देखते हुए कहा, " वह लड़की जो भाई के रूम में थी वह कहां है?”

    सारे नौकर हैरानी से पीहू की तरफ देख रहे थे और तभी पीहू ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, " मैं कुछ पूछ रही हूं आप लोगों से आप लोगों को समझ में नहीं आ रहा क्या?”

    तभी उनमें से एक नौकर डरते डरते बोले, "पीहू बेबी जी वह आरोही मैडम तो कमरे में ही होगी वह कमरे से बाहर नहीं निकली है।”

    जैसे ही उन्होंने यह बात कही आरोही ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, " लेकिन मैं तो अभी बेडरूम से ही आ रही हूं वह तो बेडरूम में नहीं थी।”

    उसकी यह बात सुनकर सारे नौकरों की हालत खराब हो गई और तभी उनमें से एक नौकर बोला, "क्या आपने वॉशरूम में चेक किया?”

    जैसे ही पीहू ने बात सुनी उसने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, " अरे हां मैं वॉशरूम तो चेक करना ही भूल गई तुम मुझे कम करो मेरा लंच ऊपर ले आओ मैं आरोही भाभी के साथ ही लंच करूंगी बहुत तेज भूख लगी है मुझे।”

    इतना बोलकर आरोही जैसे ही वापस रूम में गई वह वॉशरूम के पास जाकर उसने वॉशरूम का दरवाजा नो करते हुए कहा, "आरोही क्या तुम अंदर हो?”

    जब आरोही ने पलट कर उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया तो पीहू थोड़ी सी परेशान हुई और उसने धीरे से वॉशरूम का दरवाजा खोला और जैसे ही वह अंदर आई तो उसने देखा कि शावर ऑन था और आरोही वहीं पर बैठकर रो रही थी और रोते-रोते उसकी सिसकी बंद चुकी थी और आरोही को ऐसी हालत में देख कर पीहू काफी ज्यादा घबरा गई और वह भागते हुए उसके पास आई उसने जल्दी से शावर को बंद किया और टावल उठाकर उस ने आरोही के ऊपर टावर डालते हुए कहा, "ये ये तुम क्या कर रही हो यहां पर इस तरह बैठकर क्यों रो रही हो भाई ने तुमसे कुछ कहां है क्या?”

    आरोही ने उसकी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया और तभी पीहू ने उसे उठाते हुए कहा, " उठो यहां से..!”

    वह उठने की हालत में नहीं थी लेकिन आरोही का पूरा बदन कांप रहा था और वह इतनी देर से पानी में बैठी हुई थी जिस वजह से उसका पूरा बदन सोक हो चुका था और वह ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।

    पीहू ने जल्दी से उसे उठाकर खड़ा किया और उस के बालों को पोंछते हुए उसने उसे के कपड़ों को चेंज करने के लिए उससे कहा।

    लेकिन आरोही रोती ही जा रही थी और उसने रोते रोते कहा, “क्यों होता है मेरे साथ ही हर बार ऐसा? मैंने ऐसा कौन से गुनाह किया हैं, जिसकी सजा मुझे अब मिल रही है।”

    पीहू उसकी बात सुनकर हैरानी से उसके चेहरे की तरफ देखने लगी।

    आरोही की आंखें रोने की वजह से लाल हो गई थी और पीहू ने उसको अपने गले लगाते हुए कहा, " नहीं तुमने कोई गुनाह नहीं किया है और तुम्हें कोई सजा नहीं मिल रही तुम ऐसी बातें क्यों बोल रही हो चुप हो जाओ और अपने कपड़े चेंज करो वरना तुम्हें सर्दी हो जाएगी।”

    आरोही पीहू की तरफ देखकर उसे बस एक तक देखी जा रही थी और उसके मुंह से बार-बार बस एक ही बात निकल रही थी, “ पता नहीं भगवान जी ने मेरे ही जिंदगी में इतने गम क्यों लिखे हैं!”

    पीहू ने आरोही को कसकर अपने गले लगाते हुए कहा, " नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है तुम कपड़े चेंज करो।”

    पीहू ने उसके कपड़ों को चेंज करवाया और वह उसे लेकर बेडरूम में आई वह उसके बालों को पोंछा उसे बेड पर आराम से बिठाकर उसके हाथों को पकड़ते हुए बोली, "देखो मेरी बात ध्यान से सुनो तुम अगर ऐसा सोचती रहोगी तो तुम्हें फिर ऐसा ही लगेगा, लेकिन मेरी तरफ देखो तुम अब यहां पर हो और मेरे भाई के साथ हो, तुम्हारे साथ अब कुछ भी गलत नहीं होगा।”

    पीहू यह बात उसे समझा ही रही थी, कि तभी आरोही एकदम से चुप हुई और उसने पीहू की तरफ देखते हुए कहा, " यह सब कुछ तुम्हारे भाई की वजह से ही हो रहा है तुम्हारे भाई ने मुझे खरीदा है मेरे डैड से..!”

    जैसे ही आरोही ने ये बात बोली, पीहू की आंखें हैरानी से चौड़ी हो गई..।

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    Kya lagta hai aap logon Ko pihu Aarohi ki baat ka yakeen karegi ya FIR vah Aarohi ko samjhane ki koshish karegi..ya apne bhai ko galat Maan kar Aarohi ki waha se bhagane me madad karegi

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  • 19. Mafia King Obsession - Chapter 19

    Words: 1477

    Estimated Reading Time: 9 min

    Chapter 19

    पीहू ने जैसे ही आरोही की बात सुनी, उसने बेड से उठकर खड़े होते हुए कहा, "व्हाट? आर यू श्योर.. तुम ये क्या बोल रही हो, मुझे तो तुम्हारी बात पर यकीन ही नहीं हो रहा, भाई ने ऐसा कुछ किया है।”

    आरोही और भी तेज आवाज में चिल्लाते हुए बोली, "हां तुम्हारे भाई ने ही मुझे मेरे डैड से खरीदा है।” आरोही ने पूरी बात पीहू को बता दी और पीहू वह सारी बातें सुनकर बिल्कुल हैरान हो गई थी!

    उसे अभी भी उसकी बात पर यकीन नहीं हो रहा था और उसने धीरे से आरोही का हाथ पकड़ते हुए कहा, "आई एम सो सॉरी मुझे नहीं पता था कि ऐसी बात है ठीक है मैं भाई से बात करूंगी वह तुम्हें वापस तुम्हारे डैड के घर चले जाने देंगे और अगर उन्होंने नहीं जाने दिया तो मैं खुद तुम्हें तुम्हारे डैड के पास छोड़ आऊंगी ओके।”

    पीहू की बात बोल ही रही थी कि आरोही ने उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए कहा, "आर यू श्योर तुम सच बोल रही हो ना, तुम मेरी सच में मदद करोगी?”

    पीहू ने हां में अपना सिर हिलाया और तभी उसके रूम का दरवाजा खुला और घर का एक सर्वेंट खाने की ट्रे लेकर अंदर आया और उसने खान की ट्रे को टेबल पर रखा और चुपचाप रूम से बाहर चला गया।

    आरोही पीहू की तरफ देख रही थी और तभी पीहू ने कहा, "वैसे भी मुझे बहुत तेज भूख लगी है चलो पहले हम खाना खा लेते हैं। उसके बाद मैं भाई से बात करूंगी।”

    आरोही ने पीहू की तरफ देखते हुए कहा, "नहीं मेरा बिल्कुल भी कुछ खाने का मन नहीं है!”

    आरोही उससे पहले की और कुछ बोल पाती, पीहू ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "मुझे पता है तुम्हें भूख लगी है, बट तुम खाना जानबूझकर नहीं खा रही हो और मैं ऐसा नहीं होने दूंगी, तुम को भाई से प्रॉब्लम है ना मुझे तो नहीं और हम लोग तो कम से कम दोस्त बन ही सकते हैं ना? क्या मैं भी तुम्हारी दोस्त बनने के लायक नहीं हूं।”

    जैसे ही उसने यह बात कही, आरोही उसकी तरफ हैरानी से देखते हुए बोली, "दोस्त.?”

    पीहू ने कहा, "हां मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूं चलो अगर तुम्हें भाई नहीं पसंद है और तुम मेरी भाभी नहीं बनना चाहती तो कोई बात नहीं, इट्स योर चॉइस, बट हम दोस्त तो बन सकते हैं ना?”

    आरोही पीहू की बात सुनकर थोड़ी सी कंफ्यूज हो रही थी उसे नहीं समझ में आ रहा था कि वह उसकी बात पर यकीन करें भी या नहीं।

    लेकिन उसके पास इस टाइम पर कोई ऑप्शन ही नहीं था क्योंकि वह पूरे घर में सिर्फ और सिर्फ पीहू को ही जानती थी।

    जिसे दो बार उसे जाकर बात की थी और उसके अलावा वह और किसी के बारे में कुछ नहीं जानती थी इसलिए उसने पीहू की बात का यकीन किया और वह उसके साथ बैठकर डिनर करने लगी और जैसे ही शाम हुई, कबीर वापस जब अपने रूम में आया तो उसने पीहू को वहां पर आरोही के साथ देखा।

    आरोही उसके साथ बेड पर बड़े ही आराम से बातें कर रही थी जैसे ही आरोही की नजर कबीर पर गई वह उसे वहीं पर खड़ा होकर घूरते हुए देखने लगा और आरोही बोलते बोलते चुप हो गई थी।

    तभी पीहू ने अपनी नजर उठाकर कबीर की तरफ देखा और वो उठ कर कबीर के पास आते हुए बोली, "भाई यह सब क्या है मैं क्या सुन रही हूं अपने आरोही को उसके डैड से खरीदा है ऐसा कैसे हो सकता है, आप ऐसा कैसे कर सकते हो, वह एक इंसान है कोई सामान नहीं।”

    पीहू कबीर से एक के बाद एक सवाल करती जा रही थी और कबीर बस एक तक बस आरोही को ही देखा जा रहा था और आरोही का कबीर को इस तरह से घूर कर देखना उस को डरा रहा था

    तभी पीहू कबीर के बिल्कुल पास आते हुए बोली, "भाई बताइए क्या यह बात सच है आपने आरोही को उसके डैड से खरीदा है मैं उसे उसके डैड के पास छोड़ने ले जा रही हूं, आप उसे इस तरह यहां नहीं रखेंगे, आप जानते हैं ना इस तरह किसी को बिना उसकी मर्जी के यहां इस तरह से अपने पास रखना यह कितना गलत है?”

    पीहू की यह बात सुनकर कबीर ने पीहू को गुस्से से घूरते हुए देख कर कहा, “पीहू मैं बहुत अच्छी तरह से जानता हूं क्या सही है और क्या ग़लत, तुम मुझसे डरती नहीं हो इसलिए यहां मेरे सामने आकर खड़ी हो लेकिन तुम्हें मैंने अपने रूम में आने के लिए मना किया था उसकी बावजूद भी तुम..”

    कबीर बोल ही रहा था कि तभी पीहू ने कबीर का हाथ पकड़ते हुए कहा, "भाई मैंने भी तो आपसे कहा था कि मैं आरोही से मिलने जरूर आउंगी तो, मैं आ गई और अब मैं फिर से आपसे एक बात बोल रही हूं कि आरोही यहां नहीं रहना चाहती है, आपके साथ और मैं उसे वापस उसके डैड के पास छोड़ने ले जा रही हूं।”

    और आरोही ने जैसे ही पीहू की यह बात सुनी, वह उसकी तरफ हैरानी से देखने लगी और पीहू ने उसका हाथ पकड़ा और वह उसे लेकर रूम से बाहर निकल ही रही थी कि कबीर ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “पीहू इन सब बातों पर ध्यान मत दो अपनी ये जिद्द छोड़ो और मेरे रूम से बाहर जाओ।"

    पीहू ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "बिल्कुल नहीं भाई मैं आरोही को लिए बिना नहीं जाऊंगी उसके डैड भी वहां पर परेशान होंगे।"

    पीहू यह बात बोल रही थी कि तभी कबीर ने आरोही का हाथ पकड़ते हुए कहा, "तुमने मेरी बहन को सिर्फ आधी ही बात बताई है पूरी बात क्यों नहीं बताई, वो छोटी है उसे इन सब में मत घसीटो।"

    आरोही कबीर की तरफ देख रही थी कि तभी कबीर ने आरोही का हाथ पकड़ कर उसे अपने करीब खींचा और पीहू का हाथ उसके हाथ से छुड़ाते हुए कहा, "इसके डैड ने हीं उसे मुझे बेचा है और उसके डैड से वापस अपने घर में नहीं देखना चाहते हैं इसलिए ये यहां पर है। पीहू बेटा मेरी बात मानो तुम और अपने एग्जाम्स की जाकर तैयारी करो तुम्हें इन सारी चीजों के बारे में तुम्हें सोचने की जरूरत नहीं है, यह मेरा बिजनेस का मैटर है और मैं इसे बहुत अच्छी से सॉर्ट आउट कर लूंगा।"

    पीहू हैरानी से आरोही की तरफ देखते हुए बोली, "क्या मतलब है आपका भाई?"

    कबीर ने आरोही की तरफ देखते हुए कहा, "आरोही के डैड आरोही को अपने घर में नहीं रखना चाहते तुम अगर उसे वहां ले जाओगे, तो उसके बावजूद भी वह अगर उसे अपने घर में नहीं रखने देंगे तो तुम क्या करोगी? इसलिए बेहतर है कि तुम इसे यहीं पर रहने दो!"

    आरोही इससे पहले के कुछ बोल पाती पीहू ने हैरानी से उस की तरफ देखते हुए बोली, "आरोही क्या यह बात सच है तुम्हारे डैड तुम्हें .."

    पीहू आरोही के जवाब का इंतजार कर रही थी आरोही ने धीरे से अपनी नजर नीचे झुका ली और तभी पीहू ने उसके हाथ को पकड़ते हुए कहा, "अगर तुम्हारे डैड तुम्हें पसंद नहीं करते तो फिर तुम कहां जाओगी?"

    आरोही पीहू आरोही से बात कर रही थी और तभी आरोही ने उस की आंखों में आंखें डाल कर देखा और आरोही की आंखों में आंसू थी।

    उसने रूआसे मुंह से कहा, "मैं अपने डैड के घर नहीं जाऊंगी प्लीज तुम मुझे यहां से बाहर निकाल दो,बस फिर मैं अपने नाना नानी के पास जाऊंगी और वहां से मैं तुम्हारे भाई के सारे पैसे भी लाकर दे दूंगी और ट्रस्ट मी मेरे पास इतने पैसे हैं और जो पैसे कम पड़ेंगे वह मैं नाना नानी से ले लूंगी, तुम प्लीज मुझे बस यहां से बाहर जाने दो।"

    इतना बोलकर वह पीहू का हाथ पकड़ते हुए बोली, "चलो पीहू प्लीज यहां से.."

    आरोही यह बातें बोल रही थी कि तभी कबीर ने आरोही का हाथ पकड़ते हुए कहा, "तुम कहीं नहीं जाओगी तुम यही रहोगी, पीहू बेटा मेरे रूम से बाहर जाओ।"

    पीहू आरोही का हाथ पकड़े हुए थे और आरोही ने पीहू को कसकर पकड़ते हुए कहा, "नहीं प्लीज तुम मुझे छोड़कर मत जाओ मैं यहां तुम्हारे भाई के साथ नहीं रहना चाहती है इंसान नहीं एक हैवान है प्लीज मुझे अपने साथ ले चलो प्लीज..!"

    पीहू अपने भाई और आरोही के बीच खड़ी थी और उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करें और तभी कबीर ने तेज आवाज में चलते हुए कहा, "अर्जुन अंदर आओ।"

    कबीर ने जैसे ही अर्जुन को बुलाया वह कमरे के अंदर आया और उसने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, "पीहू को यहां से ले जाओ और उसे हॉस्टल छोड़कर आओ।"

    To be continued

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  • 20. Mafia King Obsession - Chapter 20

    Words: 1220

    Estimated Reading Time: 8 min

    Chapter 20

    अर्जुन ने पीहू के पास आते हुए कहा, "पीहू मैडम चलिए मैं आपको हॉस्टल छोड़ देता हूं।”

    पीहू आरोही की तरफ देख रही थी आरोही ने उसके हाथों कसकर पकड़ते हुए कहा, "नहीं प्लीज मुझे छोड़कर मत जाओ यहां पर..!”

    आरोही बोल ही रही थी कि तभी अर्जुन पीहू के पास आया और उसने पीहू का हाथ आरोही के हाथ से छुड़ाया और वह उसे लेकर रूम से बाहर जाने लगा और आरोही पीहू और अर्जुन के पीछे जा रही थी कि तभी कबीर ने आरोही की कमर में अपना हाथ डाला और उसे अपने करीब खींचते हुए कहा, "कहीं नहीं जाओगी तुम यहीं रहोगी मेरे पास और क्या कहा तुमने मेरी बहन के सामने मुझे, हैवान? मैंने अभी तक तुम्हारे साथ कोई हैवानियत नहीं दिखाई है इसलिए शुक्र मनाओ और चुपचाप यहां पर बैठो क्योंकि अब अगर तुमने अपने मुंह से एक लफ्ज़ भी निकाला, तो मैं…”

    इतना बोलकर उसने आरोही के गाल को दबोचा और वह उस की आंखों में आंखें डाल कर देखने लगा।

    आरोही की आंखों से आंसू बह रहे थे और कबीर की आंखों में गुस्सा नजर आ रहा था और पीहू जो गेट के बाहर खड़ी थी वह कबीर और आरोही के बारे में सोचते हुए बोली, "पता नहीं भाई अब गुस्से में आकर आरोही के साथ क्या करेंगे?”

    तभी अर्जुन ने पीहू का हाथ पकड़ते हुए कहा, "चलिए पीहू मैडम..!”

    और पीहू ने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, "तुम्हें सब कुछ पता था उसके बावजूद भी तुमने भाई को ऐसा करने दिया।”

    पीहू की इस बात पर अर्जुन कुछ भी नहीं बोल रहा था और उसे लेकर सीधे कार के पास आया और उसने कार का दरवाजा खोला और उसने पीहू की तरफ देखते हुए कहा, “मैडम आप प्लीज बैठ जाइए!”

    पीहू ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं बैठूंगी मैं पहले मुझे मेरी बात का जवाब दो क्या तुम्हें इस बारे पता था।”

    अर्जुन ने धीरे से हां में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "मुझे पता था।”

    और इतना बोलकर वह कर के दरवाजा खोलकर पीछे हटा और पीहू ने कार में बैठ कर दरवाजा पटकते हुए बंद किया और वह ड्राइविंग सीट के बगल में आकर बैठ गई और उसने गुस्से से अपना मुंह फुला लिया।

    अर्जुन ने पीहू को इस तरह बैठते देखकर कहा, “ मैडम आपकी जगह यहां नहीं है आपको पीछे बैठना होगा आप मेरे बगल में ऐसे नहीं बैठ सकती!”

    पीहू ने अर्जुन को घूरते हुए देखकर कहा, "जहां मेरा मन करेगा मैं वहां बैठूंगी मेरे भाई की कार है यह और तुम्हारा काम गाड़ी चलाना है तो चलाओ वरना मैं किसी और के साथ चली जाऊंगी।”

    पीहू गुस्से से बात बोल रही थी और तभी अर्जुन चुपचाप ड्राइविंग सीट पर आकर बैठा और वह कर ड्राइव करने लगा और पीहू अर्जुन को हैरानी से देखते हुए बोली, "अगर तुम्हें पता था कि मेरा भाई यह कर रहा है तो तुम्हें उसे रोकना चाहिए था, अर्जुन तुम तो भाई के बेस्ट फ्रेंड हो ना तुम जानते हो ना भाई गुस्से में आकर कुछ भी कर देते हैं पर तुम तो उन्हें अच्छे से समझते हो ना तो तुमने उन्हें काम क्यों करने दिया यह गलत है। वह इस तरह किसी लड़की को जबरदस्ती अपने साथ नहीं रख सकते।”

    पीहू सारी बातें बोलते जा रही थी तभी अर्जुन ने कहा, "कबीर ने कुछ गलत नहीं किया है वह जो भी कर रहा है बहुत सोच समझ कर कर रहा है और अपने भाई पर यकीन रखो आरोही मैडम के लिए यही सही है।”

    पीहू हैरानी से अर्जुन की तरफ देखते हुए बोली, "मतलब क्या है तुम्हारा?”

    पीहू ने जैसे ही यह बात पूछी, तो अर्जुन ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, “ मैं आपको पूरी बात नहीं बता सकता बट आप इतना समझ लीजिए कि आपका भाई जो कुछ भी कर रहे हैं वह आरोही मैडम की भलाई के लिए कर रहा हैं।”

    पीहू ने जैसे ही यह बात सुनी, उसने हड़बड़ाते हुए कहा, "मैं जानती हूं और बहुत अच्छी तरह से जानती हूं भाई कभी कुछ गलत नहीं करते हैं लेकिन क्या तुम मुझे बताओगे कि आखिर वह करना क्या चाहते हैं और यह सब कुछ हुआ कैसे और क्या सच में आरोही के डैडी ने उसे बेच दिया है?”

    अर्जुन पीहू की बात का कोई भी जवाब नहीं दे रहा था तभी पीहू ने उसका हाथ स्टेरिंग पर से हटाते हुए कहा, “तुम दोनों मुझे कुछ बताते क्यों नहीं हो अगर मैं कुछ पूछ रही हूं तो प्लीज कम से कम बताओ तो मुझे!”

    अर्जुन ने पीहू की तरफ देखते हुए कहा, "क्या कर रही है आप पीहू मैडम अभी अगर स्टेरिंग घूम जाती तो एक्सीडेंट हो जाता ड्राइविंग करते टाइम इस तरह की बचकानी हरकतें मत किया करिए।”

    पीहू ने कार की चाबी को कार से निकाला और कार वहीं पर बंद हुई और पीहू ने कार की चाबी को अपने हाथों में छुपाते हुए कहा, “जब तक तुम मुझे मेरे सवालों के जवाब नहीं दोगे मैं तुम्हें चाबी नहीं दूंगी, बताओ भाई ने सब कुछ क्यों किया है? आखिर इन सब के पीछे मैटर क्या है?”

    अर्जुन पीहू की तरफ देखते हुए बोला, "नहीं दे सकता मैं आपके इन सारे सवालों का जवाब अगर आपको पूछना है तो आप अपने भाई से पूछिएगा।”

    पीहू ने अर्जुन की तरफ देखते हुए कहा, "अर्जुन तुम बहुत अच्छी तरह से जानते हो भाई को वह तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड है और वह मुझे कुछ नहीं बताएंगे इसीलिए मैं तुमसे पूछ रही हूं और मैं बहुत अच्छी तरह से जानती हूं तुमको इस बारे में सब कुछ पता हैऔर क्या यह तुम मैडम मैडम कर रहे हो मुझे बिल्कुल नहीं पसंद की तुम मुझे मैडम बुलाओ।”

    पीहू अर्जुन की आंखों में आंखें डाल कर देख रही थी और तभी अर्जुन ने कहा, "अभी मैं अपने वर्किंग अवर्स में हूं और अभी मेरे लिए आप मैडम ही है और कबीर ने मुझे आपको हॉस्टल छोड़ने के लिए बोला है जब तक मैं आपको हॉस्टल नहीं छोड़ देता।”

    अर्जुन बोल ही रहा था कि पीहू उस के बिल्कुल नजदीक गई और उसने उसके कॉलर को पकड़ते हुए कहा, "हां तो मैं तुम्हें तुम्हारा काम करने के लिए नहीं मना किया है तुम्हें मुझे हॉस्टल छोड़ना है ना तो ठीक है छोड़ देना लेकिन तुम मुझसे नॉर्मली भी तो बात कर सकते हो न? मुझे तुम्हारे मुंह से यह अपने नाम के आगे मैडम सुना बिल्कुल भी पसंद नहीं है!”

    अर्जुन उसकी तरफ देख रहा था और तभी पीहू उसके चेहरे की तरफ देखने लगी और तभी अर्जुन ने कहा, "कि मैडम मुझे कर की चाबी वापस करिए अभी।”

    पीहू ने ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं चाबियां तो मैं नहीं देने वाली।”

    इतना बोलकर उसने चाबी को अपनी पीठ के पीछे छुपाया और अर्जुन उस की तरफ हैरानी से देखते हुए बोला, “यू क्या बचपना है चाबी वापस करिए मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है मुझे वापस भी जाना है मुझे।”

    पीहू वह शरारत भरी अंदाज में उसकी तरफ देखते हुए बोली, "ओके वापस कर दूंगी एक काम करो तुम खुद ही ले लो।”

    इतना बोलकर पीहू ने चाबी को अपने टॉप के अंदर छुपा लिया और वह अर्जुन की तरह देख कर मुस्कुराने लगी।

    To be continued

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