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Rise of the Bold Mom

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zoe Hunter

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निरव्या राठौड़ की ज़िंदगी उस दिन तबाह हो गई जब उसे अचानक पता चला कि वो प्रेग्नेंट है, जबकि उसे कुछ याद ही नहीं था। जुड़वा बच्चों के जन्म के बाद, उसके अपने नाना-नानी ने उसकी एक बेटी छीन ली और उसे मरने के लिए छोड़ दिया। पर वो टूटी नहीं, बल्कि एक नए नाम...

Total Chapters (4)

Page 1 of 1

  • 1. Rise of the Bold Mom - Chapter 1

    Words: 1310

    Estimated Reading Time: 8 min

    अहमदाबाद के एक छोटे से हॉस्पिटल में बेड पर एक लड़की जिसकी उम्र लगभग 17 या 18 साल लग रही थी। वो दर्द से तड़प रही थी। उसके पास में एक बूढ़ा कपल खड़ा जो उसे ही देख रहा था।
    वो लड़की दिखने में काली और थोड़ी मोटी लग रही थी। उसका चेहरा आधा जला हुआ था। अगर रात को कोई उसे देखे तो डर जाए डॉक्टर उसे जल्दी से ऑपरेशन थिएटर में ले जा रहे थे।
    "ना.नानी मां आह.मैं.मैं.मैं सच कह रही हूँ। मुझे नहीं पता मैं प. प्रेगनेंट कैसे के.कैसे हुई ? मेरी.मैं मेरी कोई गलती नहीं है। मेरा यकीन. की.कीजिए।" वो लड़की अपना फूला  हुआ पेट पकड़ कर दर्द से करहाते हुए अपने सामने खड़ी औरत जो उसकी  नानी थी उन्हे कहने लगी। बोलते वक्त लगातार उसकी आंखो से आंसू बेह रहे थे।
    वो कुछ ही देर में बेहोश हो गई। कुछ घंटों बाद उसे जब होश आया तो उसने देखा की कोई आदमी उसका बच्चा ले कर जा रहा था। वो अपनी पूरी ताकत लगा कर अपने पास रखी मेडिकल की इकवेमेंट ट्रे फेक कर उस आदमी को मारती है। कुछ गिरने की आवाज़ सुन कर नानी का अंदर आई। जैसे ही वो अंदर आई तो उन्होंने देखा की बेड पर सोई लड़की उस आदमी से अपने बच्चे को छीनने की कोशिश कर रही थी।
    नानी मां को देख वो आदमी वहां से उनको धक्का दे कर चला गया। नानी मां उस लड़की के पास गई और उसे बैठाया।
    "नानी मां ये सब क्या है ? आप कहा थे और ये कोन था ? जो मुझसे मेरा बच्चा छीनने आया था और नाना जी कहा है?" उस लड़की ने अपनी आंखों में आंसू लिए अपनी नानी मां को बोली।
    " निरव्या तुम्हे अब अपना बच्चा अपने नाना जी को सौंप देना चाहिए। तुम्हारे मामा नहीं चाहते की तुम इस कलंक के साथ जियो।" नानी मां उस बच्चे को घूरते हुए बोली।
    "ये आप क्या कह रही है ? नानी मां आप भी एक मां हो ना आप ऐसा कैसे बोल सकती हो ? नहीं मैं अपना बच्चा किसी को नहीं दूंगी।" इतना बोल निरव्या वहां से जल्दी से भाग जाति है अपने बच्चे को ले कर।
    नानी मां जल्दी से नाना जी को बोलती है की निरव्या वहां से भाग गई है।
    "तुम्हारा दिमाग तो ठीक है ? सुनीता तुम एक लड़की पर नजर नहीं रख पाई ? पहले उसकी मां भाग गई और इसे यहां हमारे सर पर थोप गई। ये भी अपने मां बाप की तरह निकली हमारा नाक कटा दिया।" विजेंद्र राठौड़ ने अपनी पत्नी से कहा और वहां से चले गए।
    हॉपिटल से बड़ी मुश्किल से निरव्या बाहर निकलती है। जैसे ही वो बाहर निकली वो एक लड़के से टकरा गई। जैसे ही उसका चेहरा निरव्या के सामने आया निरव्या वहीं जम गई। ये वहीं चेहरा था जिसे निरव्या अपने हर सपने में देखना चाहती थी।
    विराट वालिया एक ऐसा लड़का जो उसके लिए उसकी दुनिया से कम नहीं था। उसके लिए निरव्या जान भी दे सकती थी। वो हमेशा ही विराट के आगे पीछे घूमती रहती। ये बात सभी को पता थी की निरव्या विराट को कितना चाहती है। निरव्या एक खुश मिजाज़ लड़की थी। मस्ती खोर जो मन में वो मुंह पर ऐसा ही अंदाज था उसका। हालाकि उसे देखने से कोई पसंद नहीं किया था। पर इस बात को कभी उसने दिल पर नहीं लिया था। लोगों की गिरी हुई नजरे और बाते कभी उसके कॉन्फिडेंस को गिरा नहीं सका।
    "तुम भाग रही हो?" विराट ने अपनी ठंडी आवाज़ में कहा।
    निरव्या के हाथ पर ठंडे हो गए।
    "ह. हा.न ना में तो वो.।" निरव्या को लगा उसके गले से कोई आवाज़ ही नहीं निकल रही।
    "चुप ! निकल जाओ यहां से और फिर अपनी भद्दी शक्ल कभी दुबारा इस शहर में मत लाना। तुम एक धोखेबाज और केरेक्टर लेस लड़की का यहां कोई काम नहीं है, और ये लो पैसे अपने इस गंदे खून को अपने साथ ले जाना।" विराट की बेहद गुस्से से भरी आवाज़ सुन कर निरव्या की आंखो में आंसू आ गए।
    विराट ने कभी उसे इस तरीके से बात नहीं की थी। भले कोई उसे पसंद ना करता हो लेकिन विराट हमेशा उसके साथ प्यार से पेश आता था। वो उसके स्कूल में जब भी आता सभी लड़कियां आहें भरने लगती। विराट निरव्या से 2 साल बड़ा था। इसलिए कॉलेज में पढ़ता था। लेकिन अनामिका को पिक करने कभी कबार आ जाया करता। दिखने में वो किसी मॉडल से कम नहीं था।
    "मैंने कुछ गलत नहीं किया है। विराट मेरा यकीन."इससे पहले की निरव्या कुछ आगे बोलती विराट उसके मुंह पर पैसे मार कर वहां से चला जाता है। अभी निरव्या को उन पैसों की जरूरत थी। वो आंखो में आंसू लिए जल्दी से पैसे उठाती है और वहां से निकल जाती है।
    टैक्सी में बैठ कर निरव्या अपने बच्चे को देखते हुऐ अपनी जिंदगी  के बारे में सोच रही थी। उसके मां पापा उसके जन्म लेते ही उसे इसके मामा जी के घर छोड़ गए। उसकी मामी ने उसके गोरे रंग को काले परत में छिपा दिया और ना जाने क्या क्या किया,और अब उसे बिना पता चले की कोन है उसका बाप वो एक बच्चे की मां बन चुकी थी।
    "भैया क्या आप मुझे प्लीज थोड़ी देर अपना फ़ोन दे सकते हो ? प्लीज़ बस एक कॉल करना है।" निरव्या ने रुआसा हो कर कहा तो टैक्सी ड्राइवर ने उसे फ़ोन दे दिया।
    "हेलो टीना ध्यान से सुन मेरी बात मेरे कुछ कपड़े, मेरे सारे डॉक्यूमेंट, पासपोर्ट और एक फ़ोन एयरपोर्ट पर आधे घंटे पर ले कर आजा और एक बात का खास खयाल रखना घर पर किसी को पता ना चले समझी ना।" निरव्या ने बेचैन आवाज़ में कहा।
    "अरे हाँ, हाँ  बिलकुल माय डार्लिंग रीटा अभी आती हूं। फिर जाएंगे पार्टी में ओके बेबी बाय।" टीना की बात सुन कर निरव्या समझ गई की टीना के पास अभी कोई घर का मेंबर होगा इसलिए वो ऐसा बोल रही थी। कॉल काटने के बाद निरव्या अपने गोद में सोए बच्चे को गौर से देख रही थी। वो जल्द से जल्द उस जगह से निकल जाना चाहती थी। वो जानती थी की उसके बच्चे को उससे छीनने के लिए उसे नाना जी एड़ी चोटी का ज़ोर लगा रहे थे।
    कुछ देर बाद एयरपोर्ट पर पोहोच कर निरव्या डरे हुए चेहरे के साथ इधर उधर देख रही थी तभी उसे दूर से टीना दौड़ते हुए आती दिखाई दे रही थी।
    "धीरे चलो दौड़ क्यू रही हो गिर गई तो गई समझो।" निरव्या ने उसे हल्के से मारते हुए कहा।
    "अरे दीदी वो दादू और पापा की फौज आपको ढूंढ रही है। मेरा तो पता नहीं गई की नहीं गई लेकिन आप जल्दी निकलो वरना राम नाम सत्य है। सुनो मेरी फ्रेंड से बोल कर मैंने आपकी ऑस्ट्रेलिया की टिकिट करा दी है। अब जाओ जल्दी और हाँ मुझे भूल मत जाना और सबसे इमोर्टंट बात मेरे भांजे को मेरी बहादुरी के किस्से सुनाते रहना ओके। आखिर उसे भी तो पता चले की उसकी मासी क्या चीज़ थी।" टीना की नॉन स्टॉप बक बक सुन कर निरव्या को अब रोना आ रहा था।
    उसकी छोटी बहन इस सिचवेशन में भी इतना बिंदास कैसे बोल सकती थी।
    निरव्या अपनी फ्लाइट पर चेकिन कर चुकी थी अपनी सीट पर बैठने के बाद वो अपने बेटे को आराम से सुलाती है।
    "बेटा मम्मा आपसे प्रोमिस करती है आपको कभी पापा की कमी होने नहीं देगी। और जिन लोगो ने आपको और आपकी मम्मा को परेशान किया है उनसे बदला जरूर लूंगी।" निरव्या की आंखे जो खुशी से भरी होती थी आज खाली खाली सी थी।
    रह रह कर उसे विराट की बाते चुभ रही थी।
    "किसी ने क्या खूब कहा है वक्त ए मरहम जख्म भरपाई का तू नासूर बन गया जब लगा रोग इश्क ए वफाई का।"
    बोलते बोलते निरव्या की आवाज़ में नमी आ गई,वो अपना ध्यान भटकने के लिए हेडफोन लगा कर अपने बेटे के सिर पर हाथ फेरने लगी।
    follow my profile everyone..!

  • 2. Rise of the Bold Mom - Chapter 2

    Words: 1291

    Estimated Reading Time: 8 min

    आठ साल बाद.
    ऑस्ट्रेलिया के सिडनी सिटी में आज निरव्या ने अपनी एक अलग ही पहचान बनाली थी।
    आज उस रात को बीते 8 साल हो चुके थे, निरव्या अपने केबिन में बैठी लैपटॉप पर कुछ कर रही थी,तभी बिना नोक किए कोई सीधे उसके केबिन के चला आया वो जानती थीं ये उसका बेटा था, शैतान लेकिन उतना ही इंटेलिजेंट,दिखने में किसी पेंटिंग की तरह ही खूबसूरत और बेहद क्यूट, महज़ सात साल का वो लड़का किसी शैतान से कम नहीं था।
    "ईरान बेटा धीरे चलो ओके, एंड मोम अभी बिज़ी है तो आप सीधा विष्का आंटी के साथ घर जाओगे नो आर्गुमेंट अंडरस्टुड।" निरव्या अपने बेटे को आदेश देते हुए बोली।
    "मोम नोट अगेन ओके, आप बार बार भूल क्यू जाति हो।"ईरान ने अपनी क्यूट सी आवाज में कहा लेकिन उसकी आवाज में नाराजगी साफ जलक रही थी।
    "ओके ओके सॉरी मिस्टर ईरान हम भूल गए थे अब हमारे बेटे छोटे नही रहे।"निरव्या ने एक मुस्कुराहट लिए कहा,तभी उसके केबिन में विष्का दौड़ती हुई आई उसे इस देख निरव्या और छोटू सा ईरान दोनो हैरान हो गए।
    "आंटी मैनर्स सीखो प्लीज़ वरना मुझे मोम को रिक्वेस्ट कर आपको फायर करना होगा। ईरान अपने छोटे छोटे हाथो को अपनी कमर पर रख कर बोला।
    "जस्ट.जस्ट शट अप ओके लिटल डेविल, बॉस बॉस वो इन. इंडिया से कॉल है।"विष्का अपनी बढ़ती सांसों को कंट्रोल करते हुए निरव्या को फ़ोन दे कर बोली।
    एक पल के लिए तो निरव्या वही जम गई,आखिर aj इतने साल बाद इंडिया से उसका कोनसा रिश्तेदार जाग चुका था,क्युकी टीना तो उसके आफिस फ़ोन पर कॉल करती नही थी और बाकी किसी को उसके सिडनी होने का पता नही था।
    "हैलो."निरव्या ने धीमी आवाज़ के कहा।"तुम्हारा दिमाग बोहोत चलता है ना मिस निरव्या उर्फ नोरा ,तुमसे कहा था मेरे मामले से दूर रहो लेकिन तुम सुधरोगी नही,वैसे कैसी मां हो तुम अपने एक बच्चे को तो अपने पास आराम से रखा हैं तुमने और दूसरे को रोने  ने के लिए छोड़ दिया,ये सही नही किया तुमने।"इतना बोल वो आदमी ज़ोर ज़ोर से हसने लगा।
    "क्या बकवास कर रहे, ऐसा ऐसा कैसे हो सकता है।" निरव्या अपनी चेयर से खड़ी हो चुकी थी,वही अपनी मोम को इस देख नन्हा ईरान भी अपनी मोम के पास आ फायर रिसीवर निरव्या के पास था तो दूसरा उसने चुपके से उठा लिया और ध्यान से सब सुनने लगा,उसकी चालाकी देख विष्का हैरान थी,उसे ये आइडिया क्यू नही आया वो भी ईरान के पास जा कर कान लगा कर सुनने लगी।
    "बकवास नही सच्चाई है,अभी इंडिया में ही है तुम्हारा दूसरा बच्चा तुमने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था उस रात,अगर तुम हमारी मदद करो तो में वादा करता हु की तुम्हे तुम्हारे दूसरे बच्चे से जरूर मिलवाउगा।"सामने से आवाज़ आई जिसे सुन तीनों ही हैरान हो गए।

    कॉल काटने के बाद निरव्या अपने बेटे की तरफ देखती है जो उसे ही देख रहा था,उसे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था की वो अपने एक बच्चे को 7 साल पहले खो चुकी थी लेकिन उसे इस बात का एहसास तक नहीं था, कैसी मां थी वो अंदर ही अंदर उसे ये बात खाए जा रही थी,ईरान बखूबी अपने मां के अंदर चल रहे तूफान को समझ रहा था।
    "मोम रिलेक्स आपकी गलती नही है,जो हुआ सो हुआ बट नाउ वी हेव टू फाइंड माय ट्विन ब्रो ओर सीस जो भी हो। ईरान की प्यारी सी आवाज सुन कर निरव्या के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई,भगवान अगर कुछ छीनता भी है तो बोहोत कुछ अच्छा दे भी देता है।
    उसका बेटा जो इतना प्यारा था,उसकी समझ बाकी आम बच्चो के लेवल से कही ऊपर थी उसकी उम्र के बच्चे अभी 2nd क्लास में पढ़ते थे,लेकिन अपनी मां की तरह स्मार्ट होने पर वो अभी 5th क्लास में पढ़ रहा था, स्कूल एथॉरिटी वाले भी हैरान थे,उसकी आईक्यू लेवल बोहोत हाय था।
    "विष्का इंडिया जाने के लिए दो टिकट बुक कराओ,जल्द से जल्द।"निरव्या ने बेहद ठंडी आवाज़ में कहा वो अब तक खुद पर गुस्सा थी।
    "में भी साथ चलूंगी,में तुम्हे अकेला नहीं छोड़ सकती।"विष्का ने धीमी आवाज में कहा,भले विष्का उसकी असिस्टेंट थी लेकिन उसकी दोस्त भी थी।
    "ओ कम ऑन आंटी मोम अकेले थोड़ी है,में हु ना उनके साथ उनका ख्याल बोहोत अच्छे से रख सकता हु।"छोटे से ईरान ने अपने छोटे छोटे हाथ अपनी कमर पर रख कर कहा।
    लिटल डेविल जस्ट शट योर माउथ ओके,में साथ चलूंगी बस ये मेरा आखिरी फैसला है।"विष्का ने ऊंची आवाज में कहा,अगर विष्का की जगह कोई और होता तो निरव्या उसे जिंदा गाढ़ देती,लेकिन उसे मालूम था की विष्का उसकी कितनी फिक्र करती है।
    "तुम जानती हो सिद्धार्थ है नही अभी तो में किसके भरोसे कंपनी छोड़ूं,तुम जानती हो हमारे काम में नजर हटी दुर्घटना घटी।"निरव्या की कंपनी दुनिया की बेस्ट सिक्योरिटी प्रोवाइड करने वाली कंपनी थी द फ्लाई सिक्योरिटी,इसलिए निरव्या ने ऐसा कहा।
    तभी पीछे से कैसी लड़के की आवाज़ आई "हाय स्वीट हार्ट किसने कहा की में नही हु यहां, तुम मुझे पुकारो एंड में ना आऊ ये कैसे हो सकता है।"इतना बोल सिद्धार्थ निरव्या की तरफ बढ़ने लगा तभी उसे अपने पैरो पर हल्का सा दर्द महसूस हुआ,ईरान ने उसके पैर पर अपने छोटे से पैर से ज़ोर से मारा था।
    "हेय चुपकु अंकल स्टे इन यौर लिमिट ओके,मेरी मोम से फ्लर्ट किया ना तो आई विल कील यू ओके। ईरान में अपनी छोटी छोटी आंखे और छोटू सी करते हुए कहा।
    "में कहा फ्लर्ट करता हु लिटल डेविल,में तो एक सीधा साधा सा हेंडसम लड़का हु क्यू मिस विष्का?"सिद्धार्थ ने अपने अंदाज के मुताबिक अपनी तारीफ करते हुए विष्का से पूछा।
    "में हम तीनो के जाने का इंतजाम करती हु।"विष्का वहा अब 1 मीनट भी रूक नहीं सकती थी।
    "यार नोरा ये तुम्हारी असिस्टेंट मुझे इस इग्नोर क्यू करती है,जैसे मेने इसका खानदान खत्म कर दिया हो।"सिद्धार्थ की बात को फुल्ली इग्नोर कर निरव्या केबिन  से बाहर निकल जाती हैं।
    "यू चिपकू अंकल इतना भी नही समझते शी लाइक यू बट नोट लाइक यौर चीपनेस।"ईरान भी अपनी मोम के पीछे पीछे जाते हुए बोला,वही ईरान की बात का सिद्धार्थ पर इतना असर पड़ा की वो चेयर से सीधा नीचे आ गया।
    वही इंडिया में रावत अंपायर में।
    बिल्डिंग के 140th फ्लोर पर सीईओ ऑफिस में एक हेंडसम सा लड़का अपनी चेयर पर बैठा था,उसका चेहरा ऐसा था जो एक बार देखने पर भुला ना जाए कभी,उसकी सबसे ख़ास बात थी उसकी हल्की नीली आंखे और उसके डिंपल जो usk हल्का सा मुस्कुराने पर भी दिख जाते,वो एक पेंटर की नायब पेंटिंग की तरह था,जिस लोग दूर से देख पाते लेकिन खरीदना उसके बस की बात नहीं थी।
    उसके सामने एक उसी की उम्र का लड़का पैर पर पैर चढ़ाए बैठा था।
    "वर्धान - वर्धान तुम ये कॉन्ट्रेक्ट पर साइन करदो बस बाकी का हम पर छोड़ दो,अरे हमरा नाम तत्सम त्रिवेदी है सन ऑफ़ विभीषण त्रिवेदी समझे क्या?"तत्सम ने बड़े ही घमंड के साथ कहा।
    "तत्सम. तत्सम लगता है तुम्हारे बाप ने तुम्हे अक्ल के साथ साथ तमीज़ भी नही दी, कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे अपनी ओकात मत भूलो।"वर्धान ने बेहद ठंडी आवाज़ में उसके अंदाज में ही कहा!

    "तेरी इतनी हिम्मत."इसके पहले की आगे वो कुछ और बोलता वर्धान का सिक्योरिटी चीफ कैलाश खींचते हुए उसे बाहर ले जाने लगता है।
    "है छोड़ो मुझे,ये तुम ठीक नहीं कर रहे,तुम जानते नही हो मेरे पापा को वो तुझे दो बस दो दिन में खत्म कर देंगे तुम्हे।"कहते वक्त तत्सम अपने आप को छुड़ाने की पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन कैलाश की पकड़ से छूट पाना उसके लिए नामुमकिन था।
    "क्यू रे बॉस क्या 2 दिन की मोबाइल गेरेंटी है जो दो दिन में
    खत्म हो जाएंगे,चल निकल यहां से वरना तू अभी खत्म हो जाएगा।"कैलाश ने कहा और उसे बाहर खड़े गार्ड के हाथो छोड़ वापिस अंदर चला गया।

    कॉमेंट जरूर करे follow करना न भूले,! आपके सपोर्ट की बहुत jarurat हैं 💕डियर...!

  • 3. Rise of the Bold Mom - Chapter 3

    Words: 1073

    Estimated Reading Time: 7 min

    "बॉस हमे आपकी सिक्योरिटी बढ़ा देनी चाहिए।"कैलाश ने थोड़ी फिक्र के साथ कहा।
    "इसकी कोई जरूरत नही है अगर हम छोटी मोटी चीजों पर अपना ध्यान देने लगे तो बड़े काम कब करेंगे,तुम बस परी की सिक्योरिटी का ख्याल रखो ओके।"अपने बॉस की बात सुन कर कैलाश ने अपना सिर हा में हिला दिया.
    "बॉस वो मैन हाउस से कॉल आया था,आज रात के डिनर पर आपको जाना होगा वहा।"कैलाश ये बात थोड़ा हिचकिचाते हुए बोल रहा था,उसकी इस बात पर वर्धान ने अपनी गर्दन बस हा में हिलादी लेकिन उसके हा बोलने के बाद भी जब कैलाश अपनी जगह पर खड़ा रहा तो वर्धान ने अपनी गर्दन उठा कर उसे देखा।
    "व्हॉट?कुछ बोलना है?" वर्धान ने अपनी आंखे छोटी की।
    "जी.जी हा बॉस वो आपको परी बेबी को भी अपने साथ."इससे पहले की कैलाश आगे कुछ बोलता वर्धान की तेज़ आवाज़ उसे रोक देती है।
    "अब वो लोग ऑडर भी देने लगे मुझे,में अपनी बेटी को वहा ले जाऊं या ना ले जाऊं ये मेरी मर्ज़ी है।"वर्धान की कड़क आवाज़ सुन कर कैलाश खामोश हो गया।
    "बॉस वो कल श्याम को विनेट क्लब में एक मीटिंग है,ये जरूरी है इसलिए हमे जाना होगा।"कैलाश ने कहा।
    "ओके,तुमने परी का एडमिशन करा दिया।"वर्धान ने कुछ फाइल्स देखते हुए पूछा।
    "लेकिन आपको पता है ना परी बेबी को नही पसंद."इस बार भी कैलाश की बात को वर्धान में बीच मे ही काट दिया।
    "तुम वो करो जो मेने कहा है आगे का सोचने की जरूरत नही है।"वर्धान की बात सुन कैलाश मुंह बना कर वहा से चला गया।
    दिल्ली की एक अंधेरी गुमनाम फैक्ट्री जो बाहर से किसी खंडर की तरह लग रही थी उसके दस बारह लोग हथियार लिए खड़े थे, उनमें से दो लोग चेयर पर बैठे थे।
    "वो निकल तो गई है,लेकिन तुम3 लगता है की वो हमारा काम करेगी।"चेयर पर बैठे आदमी ने अपने सामने बैठे आदमी से कहा।
    "उसे तो क्या अगर उसका बाप भी जिंदा होता तो उसे भी मेरा काम करना पड़ता,वैसे ये राठौर परिवार के क्या हाल है?"दूसरे आदमी ने कहा जो चेयर पर बेटा सिगरेट पी रहा था।
    "सिगरेट फूलना बंद करो और बताओ की तुम उससे कैसे काम करवाओगे,भूलो मत वो कोन है और रही बात राठौड़ परिवार की तो वो इस बार आयेगी तो सबसे हिसाब ले कर ही जाएगी।"पहला वाला आदमी बोला जो थोड़ा समझदार भी लग रहा था।
    "अपनी ज़ुबान पर लगाम दो,वरना जान से जाओगे मुझे ऊंची आवाज़ पसंद नहीं है।"सिगरेट पीने के बाद उस सिगरेट को अपने पैरो से मसलते हुए वो आदमी गुस्से से बोला।
    वही दिल्ली एयरपोर पर सभी बस तीन लोगो को घूर रहे थे,दो खूबसूरत लड़कियां और एक छोटा सा बच्चा जो चल तो इसे रहा था जैसे किसी सियासत का राजा हो।
    सभी यंग लड़के उन दोनों लड़कियों का सामान उठाने में हेल्प ओफर करने लगे,लेकिन उस नन्हे से बच्चे ने सबको पीछे कर दिया।
    "जस्ट रिड्यूकल्स मोम, केसे लड़के है ये इनमे मैनर्स नाम की कोई चीज़ ही नही।"ईरान की बात सुन कर निरव्या और विष्का दोनो ही हसने लगे,निरव्या को अपना बेटा खुद की उम्र से बोहोत बड़ा लगता था।
    "बच्चा रिलेक्स चलो अभी हम हॉटेल चलते है। निरव्या ने कहा और विष्का की बुलाई गई कार की तरफ बढ़ गई।
    "वो मेने यहां एक विला ले लिया है,होटल बुक नही की।"विष्का ने भी उन मां बेटे के पीछे चलते हुए कहा, विष्का की बात सुन कर निरव्या और ईरान दोनो एक साथ चीख पड़े।
    "व्हॉट, लेकिन क्यू?"इतना बोल कर दोनो मां बेटे एक दूसरे की तरफ देखते हुए बोलते है।
    "आंटी ये क्या किया आपने होटल सर्विस जैसे विला में कहा से होगी एंड कोस्टली भी तो होगा ना विला यहाँ पर,जरूरत क्या थी हमे अभी विला की,हमे जिंदगी भर तो रहना नही है यहां,कही आपका हमे धोखा दे कर यहा़ सेटल होने का इरादा तो नही है ना।"नन्हे से ईरान के चेहरे पर अभी दुनिया भर का गुस्सा दिख रहा था,यही हाल उसकी मोम का भी था।
    "ईरान तुम्हे कॉस्ट की पड़ी है मुझे तो इस बात की टेंशन है की वहा विला में सफाई और खाना केसे मैनेज होगा, ओ गॉड प्लीज़ सेव मि।"निरव्या की और ईरान की बाते सुन कर विष्का को खुद पर तरस आ रहा था उसे हमेशा से ही ये दोनो मां बेटे सबसे अजीब लगते थे,वो तीनो एक दूसरे को घूरते हुए कार में बैठ जाते है तभी निरव्या को कॉल आता है वो तीनो इस बात से हैरान थे।
    (हैरान इसलिए इंडिया का नंबर उसने अभी ही शुरू किया था और अभी ही उस नंबर पर कॉल भी आ गया थोड़ी अजीब बात थी ये जो उन तीनो को समझ नही आ रही थी।)
    निरव्या ने कॉल तो उठा लिया लेकिन कुछ कहा नहीं वो सामने से किसी के बोलने का इंतजार करने लगी।
    "एक इंपोर्टेंट काम है तुम्हारा हमे पता चला की तुम दिल्ली में हो इसलिए तुम्हे कोंटेंक्ट करना जरूरी था, हेड ऑफिस आ जाना।"सामने वाले इंसान ने अपनी बात बोल कर बिना निरव्या का जवाब सुने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
    कुछ देर तक निरव्या फ़ोन को घूरती रही फिर उसने एक लंबी गहरी सांस छोड़ी और अपने पास बैठे ईरान की तरफ देखा जो उसे ही देख रहा था।
    "लिटल डेविल लगता है बॉस को आते ही लडको के कॉल्स आने लगे है,वैसे बॉस अब एक बार शादी कर ही लो आप मेरी बला टले कम से कम क्यू लिटल डेविल सही कहा ना?"विष्का ने हस्ते हुए कहा लेकिन उसकी हसी जल्दी ही बंद हो गई क्युकी उसकी नजर पीछे बैठे दोनो मां बेटे पर पड़ी जो उसे ही घूर रहे थे।
    "क्यू आंटी एक बार से क्या मतलब है आपका आपने कितनी बार शादी करना का प्लेन बनाया है,एंड मोम आपके सामने कुछ ज़्यादा ज़ुबान नही चल रही इनकी,में तो बोलता हु जॉब से निकाल दो इन्हे खाने के भी लाले पड़ जाएंगे देख लेना फिर मेकअप तो भूल ही जाओ।"ईरान की बात सुन कर विष्का बस आंखे फाड़ फाड़ कर उसे ही देखने लगीं।
    "ओ गॉड ये लड़का,देखा तुमने नोरा कैसी लैंग्वेज यूज करता है ये,कहा से सीखा तुमने ये सब छोटे शैतान।"विष्का ने ईरान की शिकायत करते हुए निरव्या से कहा।
    "आंटी आप भूल रही हो,में एक सेलिब्रिटी हु ऑनलाइन कई फैंस है मेरे सो उनकी लैंग्वेज में देखता हु सुनता हु जिससे में स्मार्ट एंड फास्ट लर्नर होने की वजह से सिख भी जल्दी से जाता हू।"ईरान की बात पर अब विश्का ने चुप रहना ही ठीक समझा क्युकी ईरान से जितना उसके लिए नामुमकिन था।
    आगे जाने के पढ़ीये अगला पार्ट. Profile follow करना न भूले,!

  • 4. Rise of the Bold Mom - Chapter 4

    Words: 1486

    Estimated Reading Time: 9 min

    रावत खानदान के मेंइन मतलब हेड हाउस जहा फैमिली के सब लोग रहते थे,लेकिन वर्धान अपनी बेटी तन्वी के साथ शहर से दूर एक विला में रहता था उस जगह पर चार या पांच विला थे।
    रावत फैमिली में सब वर्धान से डरते थे क्युकी उनका फैमिली बिज़नेस वो चलाता था,रावत हाउस वर्धान के ना रहने की वजह कई सारी थी लेकिन इनमे से सबसे मैन वजह थी उसकी 7 साल की बेटी तन्वि ।
    अब थोड़ा रावत फैमिली के बारे में जान लेते है,रावत फैमिली इंडिया में ही नही बल्कि बाहर के देशों में भी काफी जानी मानी फैमिली थी,उसकी बस एक ही वजह थी रावत फैमिली के हर मेंबर्स किसी ना किसी फील्ड में बेस्ट थे।
    (सब मेंबर्स के बारे में अभी डिटेल में बात कर में हम सबका मूड बोरिंग नही बनाऊगी धीरे धीरे सब लोग सामने आते रहेंगे।)
    वर्धान की कार रावत हाउस आ कर रुकी,अविनाश एक एटीट्यूड के साथ चल रहा था,उसकी पर्सनालिटी ही ऐसी थी की कोई उससे बात करने से पहले सो बार सोचता,अपनी फैमिली में वर्धान अपने भाई बेहनो से बोहोत प्यार करता था लेकिन 6 साल पहले हुए हादसे के बाद अब वर्धान इस घर में ना खुद रुकना चाहता था न ही अपनी बेटी तन्वी को यहां लाना चाहता था।
    "तो आ गए तुम,हमारी पोती कहा है तुमसे कहा था ना उसे भी ले कर आना 6 साल हो गए है उसे देखे,अब क्या मेरे मरने के बाद मेरी क्रिया में उसे मेरा चेहरा आखिरी बार देखने ले कर आओगे।"अपने पोते को अकेला आते देख वीरेंद्र जी भड़क गए और अपनी कमज़ोर मगर कड़क आवाज़ में वर्धान को ताना देने लगे,अपने दादा जी की बात सुन कर वर्धान पर कोई खास असर नहीं पड़ा लेकिन पीछे खड़े कैलाश को उनके लिए थोड़ा बुरा लगने लगा।
    "दादा जी आप जानते हो में तन्वी को इस घर में नही ले कर आ सकता,चलिए आप डिनर कीजिए मेडिसिन भी लेनी होगी आपको।"वर्धान ने बात को खत्म करते हुए कहा।
    "भाई अगर दादू चाहते है की तन्वी एक बार उनसे मिलले तो हर्ज ही क्या है,आखिर परिवार ही तो सब कुछ होता है और ये बात आप ही ने हमे सिखाई है और अब आप ही अपनी बात से मुकर रहे हो?"जैसे ही दक्ष ने ये कहा वर्धान की तेज़ नज़र उस पर जम गई।
    (दक्ष एक पॉलिटिक्स का जाना माना खिलाड़ी था,दिल्ली के सीएम की पोस्ट पर वही था दक्ष वर्धान के चाचा जी का बेटा था,अगर ये बात किसी और ने कही होती तो वर्धान उसे वही दफना दिया लेकिन ये.ये उसका भाई था जिस पर वो अपनी जान छिड़कता था।)
    "अपना पॉलिटिक्स बाहर ही खेल इस खेल को घर तक लाने की ज़रूरत नहीं है।"इतना बोल वर्धान डाइनिंग हॉल की तरफ बढ़ गया तभी उसके कानो में फिर से दादा जी की आवाज़ गूंजी।
    "ठीक है मेरी पोती को में खुद मिलने आऊंगा में भी देखता हु मुझे कोन रोकता है,और वो नालायक जो तेरे साथ रहता है वो नही आया उसके पांव में मेंहदी लगी है क्या?"दादा जी ने अपनी छड़ी के सहारे डाइनिंग हॉल में जाते हुए कहा।
    "अरे नानू रोहित मुवी में हीरो की एक्टिंग करता है, दुल्हन की नही।"इतना बोल माया हसने लगी,लेकिन उसकी इस बात कर किसी को हसी नही आई।
    (माया वर्धान के बुआ जी की बेटी थी,वो एक फेमस मॉडल थी,लेकिन बोलती बोहोत थी,और रोहित दक्ष का छोटा भाई था जो एक फेमस एक्टर था लेकिन जब 6 साल पहले वर्धान ने घर छोड़ा तो उसने भी घर छोड़ कर अपने भाई के साथ जाना चूज़ किया।)
    वही दिल्ली में ही शहर से दूर एक विला में निरव्या और विष्का जैसे ही बेड पर पड़ी वैसे ही सो गई,लेकिन छोटे शैतान की आंखो में नींद कोसों दूर थी वो अपने विला के गार्डन में गया वहा का नज़ारा काफी सुंदर था,सूरज धीरे धीरे ढल रहा था हल्की रोशनी गार्डन में पड़ रही थी फूलो की खुशबू पूरे गार्डन में फैली थी,ईरान वहा खड़ा हो कर तरोताजा मेहसूस कर रहा था क्युकी सिडनी में उसके घर में कोई गार्डन नही था उसे कुछ नया लग रहा था।
    जिस विला को विष्का ने लिया था वो इलाका बोहोत पोर्श था सिटी से दूर था लेकिन वहा घर लेना हर किसी के बस की बात नही थी,वहा की सिक्योरिटी बोहोत टाइट थी।
    "चलो इंडिया आ कर कुछ तो अच्छा दिखा मुझे वरना तो अब तक सब बेवकूफ ही दिखे।"ईरान अपना छोटा सा मुंह बिगाड़ कर बोला,तभी उसको किसी के ज़ोर ज़ोर से रोने की आवाज़ आई।
    "ये कोन गला फाड़ फाड़ कर रो रहा है,दिख तो नही रहा कोई इनविजिबल है क्या?"अपनी छोटी छोटी आंखे को और छोटा करके नन्हा सा ईरान बोला।
    तभी उसको ये एहसास होता है की ये आवाज़ उसके गार्डन की दीवार के उस पार से आ रही थी,छोटा ईरान कूद कूद कर ट्राई कर रहा था की उसे दीवार के पिछे क्या हो रहा है वो देखे लेकिन उसे कुछ दिख नही रहा था,वो बाहर गया और पास के विला के गेट के पास आ गया था।
    "बेबी आपको कितनी बार कहा है बाहर मत निकालिए लेकिन आप सुनती ही नही हो, आने दो बड़े साहब को शिकायत जरूरी करुगी में और इस बार कोई माफी भी नही मिलेगी आपको समझी।"एक मिडल एज औरत जो दिखने में काफी मोटी थी वो गुस्से से एक रोती हुई छोटी सी लड़की को डांट रही थी,शोर सुन कर गार्ड भी वहा पोहोच चुके थे इसलिए ईरान आसानी से अंदर आ कर सब सुन रहे थे।
    "मालती मैडम रेहने दीजिए ना प्लीज़ बेबी तो बस यहां जॉनी(उस छोटी सी बच्ची का छोटा सा पप्पी)को लेने आई थी, इस बार जाने दीजिए प्लीज़।"उस गुस्से से भरी औरत के पास ही खड़ी एक लड़की ने कहा,शायद वो औरत इन सब की बॉस लग रही थी पास खड़ी लड़की बिलकुल डरी हुई आवाज में उस छोटी सी बच्ची को बचाना चाह रही थी।
    "तुम्हारी इतनी हिम्मत भूलो मत में तुम्हे तुम्हारी नौकरी से निकलवा सकती हू समझी,तो मुझे मत सिखाई और अपने काम से काम रखो।"मालती ने बड़े ही घमंड के साथ कहा,वो छोटी सी बच्ची अपनी प्यारी दीदी के बचाव में आगे आई।
    "आंटी आप कोमल दीदी को.को मत डांटो प्लीज़, उन.उनकी कोई गलती नही है।"जैसे ही उस छोटी सी बच्ची ने कहा वैसे ही मालती ने अपना हाथ उठा कर उस बच्ची तन्वी को मारने की कोशिश की,इससे पहले की मालती उस छोटी सी बच्ची को मार पाती कोई उसका हाथ मजबूती से पकड़ लेता है।
    मालती ने देखती है की एक छह साल साल का लड़का जो जो लगभग तन्वी की तरह लग रहा था,वो गुस्से से अपने दोनो छोटे से हाथो से मालती का मोटा हाथ मजबूती से पकड़ रखा था।
    "क्यू मोटी आंटी आपको शर्म नही आती एक छोटी सी बच्ची पर ऐसे हाथ उठते हुए, आइंदा से ऐसा किया तो याद रखना ऐसी ऐसी दफा कोलम लगाएगा की आपकी सात पुश्ते जैल में चक्की पिसती नजर आयेगी।"ईरान की बाते सुन कर जितने भी लोग वहा पर खड़े थे सब हैरान हो गए उनको यकीन नहीं हो रहा था की इतना छोटा बच्चा उन्हे ऐसी धमकी भी दे सकता था।
    वही तन्वी जो अपनी आंखो में मोटे मोटे आंसू लिए अपने सामने खड़े लड़के को देख रही थी वो जब उसका चेहरा देखने के लिए थोड़ा आगे आती है तो ये देख वो हैरान हो जाती है की वो लड़का हुबहू उसकी तरह दिख रहा था बस फर्क इतना था की वो लड़के के बाल घुंघराले मगर छोटे थे वही तन्वी के बाल लंबे और सिल्की थे,बाकी कोई भी फर्क उन दोनो में करना नामुमकिन था।
    वही जब घोड़े बेच कर सोई निरव्या की नींद उसके कॉल रिंगिंगी से टूटी तो उसके चेहरे पर गुस्सा साफ दिखाई दे रहा था,उसे सोते वक्त किसी का कॉल बिलकुल पसंद नहीं था,वो देखती है की मिहिर उसे कॉल कर रहा था इरिटेट हो कर निरव्या ने कॉल उठा लिया।
    "क्यू मरे जा रहे हो क्या हो गया?"निरव्या ने सुस्त आवाज़ में कहा।
    "स्वीट हार्ट में मिस कर रहा था तुम्हे इसलिए कॉल किया,वैसे एक बात बताओ क्या तुम्हारी वो असिस्टेंट सच में मुझसे प्यार करती है।"सिद्धार्थ ने केजुअली पूछा।
    "हा हा फूटी किस्मत उसकी अब मुझे कॉल किया तो तुम्हे गायब करवा दूंगी।"गुस्से से वोर्निग दे कर निरव्या ने बिना अब सिद्धार्थ की एक सुने कॉल काट दिया।
    अभी वो वापिस पिलो में सिर घुसाए सोने ही जा रही थी की वापिस उसका कॉल बजा,इस बार उसने बिना देखे कॉल पिक कर लिया।
    "अगर मरने का सोख है तो मर जाओ कही जाके लेकिन मेरी नींद खराब क्यू कर रहे हो।"गुस्से से बरसते हुए अपनी आंखे बंद किए ही निरव्या बोल पड़ी।
    "तुम आलसी लड़की,कहा था हेड ऑफिस आ जाना अब तक तुम नही पोहची,क्या अब इस उम्र में मुझे खुद तुम्हे लेने आना होगा।"सामने से धीमी मगर कड़क आवाज़ निरव्या के कानो में पड़ी,जैसे ही निरव्या ने इस आवाज़ को सुना उसकी सारी नींद रफूचक्कर हो गई।
    कोन कर रहा है बार बार निरव्या को कॉल?क्या तन्वी ही ईरान की जुड़वा बहन है?
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