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हां मैं अनाथ हूं

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एक ऐसी लड़की की कहानी जिसे उसके अतीत ने पत्थर बना दिया....क्या उसकी जिंदगी में कोई प्रेम के रंग भर पाएगा...!!!

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आरव

Warrior

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आतिशी

Warrior

Total Chapters (10)

Page 1 of 1

  • 1. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 1

    Words: 734

    Estimated Reading Time: 5 min

    "प्लीज़ मुझे माफ करदो, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हु ,मुझे छोड़ दो".....वो खून से भीगा था , उसके बदन पर कोई कपड़ा न था,उसके बाकी तीन साथियों की लाश उसके इर्द गिर्द पड़ी हुई थी , मौत के डर से थरथरा रहा था वो।

    काली जैकेट, चेहरा मास्क से ढका हुआ , हाथों में ग्लव्स और एक तेज़ धार वाला चाकू , जिस पर खून लगा हुआ था, वो अपने घुटने के बाल उसके सामने बैठ गई , और चाकू उसकी तरफ दिखाते हुए, "क्या हुआ डर लग रहा है? , चिंता मत कर कुछ ही देर की बात है ,जैसे ये लोग चैन की नींद सो रहे है , तू भी वैसे ही सोने वाला है"...

    और चाकू को को नीचे की तरफ ले जाते हुए ,

    " नहीं प्लीज़ नही, मैं तुम्हारे पैर पड़ता हु , मुझे छोड़ दो , दोबारा ऐसा कभी नहीं करूंगा"।

    "वो भी ऐसे ही तेरे सामने गिड़गिड़ा रही थी ना, तूने छोड़ा उसे , बोल..., आज जब खुद की बारी आई तो दर्द हो रहा है , उस दिन क्यों नही हुआ , जब बेहरेमी से तुम लोगो ने उसकी इज्जत तार तार करदी, उसका शरीर कुत्तों की तरह नोच डाला, बोल... छोड़ा था तूने उसे ,नही..ना , फिर आज क्यों उम्मीद रख रहा है ".....
    तभी उस आदमी की एक तेज़ चीख निकली , उसका प्राइवेट पार्ट कट चुका था, वो तड़प से चीख रहा था , हाथ पैर बंधे थे उसके ,तभी एक ज़ोर का तमाचा उसके गाल पर पड़ता है " चुप..., बिलकुल चुप , इतना शोर मुझे पसंद नही...यही कहा था ना तूने जब वो दर्द से चीख रही थी ,अब एक भी आवाज़ निकली ना तो सीधा गला काट दूंगी, समझा। "

    "क्या करना है इसका , जलाना है या फिर दफनाना है" पीछे खड़े एक शख्स ने आके कहा ।

    वो मुस्कुराई, "ना जलाना है ना दफनाना है, इसे तो लटकाना है, ताकि बाकियों को भी अच्छी तरह दिख जाए की ऐसे लोगो का क्या अंजाम होता है"

    नही ,नही ...प्लीज़ मुझे जाने दो, वो गिड़गिड़ाए जा रहा था ,पर वहा कोई नही था जो उसे बचा सके ।


    ******

    " मीडिया पर कितना बवाल मचा हुआ है , आखिर कर क्या रहे हो तुम लोग... "।

    "सर ,आप बेफिक्र रहिए हम उन्हे ढूंढ निकलेंगे , पेट्रोलिंग टीम हर जगह लगी हुई है "।

    "आई नीड रिजल्ट्स , अंडरस्टैंड "।

    "येस सर"... फोन कट चुका था , मीडिया में खबर फैल चुकी थी , की श्रुति रेप केस के चारो आरोपी फरार हो चुके है ।
    वो माथे पर दोनो उंगलियां रगड़ते हुए सोच रहा था , की आखिर ये लोग गए तो गए कहा। कल से ही सर्चिंग ऑपरेशन चालू था , पर अभी तक कोई लीड नही मिली थी।

    सर... बाहर से आते हुए एक ऑफिसर ने उसे आवाज़ दी।

    "हां रवि बोलो "..

    "सर उन लोगो का पता चल चुका है, यहाँ से 100 किलोमीटर दूर एक गांव में उनकी लाशें मिली है"

      "व्हाट...." उसने हैरानी से कहा ।

    "जी सर, "..

    "ओके , हमें फोरन निकलना होगा ।"

    ****
    सर जवाब दीजिए , सर... सर.... आखिर किसने किया ये सब.... ऐसी ही न जाने कितनी आवाजे गूंज रही थी , मीडिया को खबर लग चुकी थी , आस पास लोगो का जमावड़ा लगा हुआ था।

    एक बड़े से बरगद के पेड़ पर उसी आदमी की खून से लथपथ नंगी लाश लटकी हुई थी, साथ ही उसके बाकी साथी भी इसी तरह लटकाए गए थे।

    सर... क्या लगता है आपको ये काम उसी गैंग ने  किया होगा ?
    "देखिए अभी हम कोई जवाब नही दे सकते , तहकीकात चल रही है।"
    सर..लोग कह रहे है की जो हुआ अच्छा हुआ ,ऐसे लोगो की इससे बेहतर कोई मौत नही हो सकती थी..
    "फिलहाल मै आपसे इतना कहूंगा की कानून को अपने हाथ में लेना कही से भी ठीक नहीं , और वो भी तब जब मुजरिम , मुजरिम करार कर दिया गया हो।"..

    "क्या लगता है सर की इसमें किसी पुलिस वाले का हाथ हो सकता है , क्युकी ये लोग फरार तो तभी हुए है जब इन्हे पुलिस की गाड़ी से जेल ले जाया जा रहा था। "
    "बिना किसी नतीजे पर पहुंचे मैं आपको अभी कोई एक्सप्लेनेशन नही दे सकता , बस इतना कहूंगा की हमारे साथ कोऑपरेट करिए, और जो सच हो उसे बेबाकी के साथ बताइए।"
    इतना कहते हुए वो अपनी आंखों पर चश्मा चढ़ा के वहा से निकल जाता है ।


    ****
    जारी है..

  • 2. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 2

    Words: 599

    Estimated Reading Time: 4 min

    क्या लगता है सर की इसमें किसी पुलिस वाले का हाथ हो सकता है , क्युकी ये लोग फरार तो तभी हुए है जब इन्हे पुलिस की गाड़ी से जेल ले जाया जा रहा था। "
    "बिना किसी नतीजे पर पहुंचे मैं आपको अभी कोई एक्सप्लेनेशन नही दे सकता , बस इतना कहूंगा की हमारे साथ कोऑपरेट करिए, और जो सच हो उसे बेबाकी के साथ बताइए।"
    इतना कहते हुए वो अपनी आंखों पर चश्मा चढ़ा के वहा से निकल जाता है ।

    अब आगे....


    सामने एक 26 वर्षीय लड़की हाथो में किताब लिए बच्चों को पढ़ा रही थी,
    "हां तो कल सबको ये याद करके आने है , समझ गए आप लोग"...

    येस.....मैडम.... सामने बैठे सभी बच्चों ने एक साथ एक आवाज़ में जवाब दिया।

    क्लास खत्म होने के बाद वो अपना पर्स और कुछ पेपर्स उठा रही होती है तभी एक बच्ची उसके पास आती है, " मैम ये आपके लिए "
    वो देखती है एक बड़ा सा गुलाब उसके हाथ में था, वो बड़े प्यार से लेती है ,
    "वैसे ये किस खुशी में आप दे रही है?"...

    "मैम आप मेरी फेवरेट मैडम और आप सबसे अच्छी है इसलिए "... उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया।

    उस लड़की ने उसके सर पर प्यार से हाथ फेरा ,
    "थैंक्यू बेटा"..

    "वेलकम mam".... और जल्दी से उसके गालों पर किस करके भाग गई।

    वो लड़की फिर से मुस्कुरा के अपना सामान समेट बाहर निकल गई।




    वो लड़की क्लास खत्म होने के बाद बाहर निकलती है ,
    सामने एक 23 वर्षीय लड़का अपनी बाइक पे बैठा इंतजार कर रहा होता है ।
    उसे देख उस लड़की के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है,
    "क्या बात है बेटा आज तो बड़ी जल्दी आ गए आप ?"

    उस लड़के ने मुस्कुरा के कहा, " सोचा आज आपको थोड़ा आराम दिया जाए"।

    "चल अच्छा अब , ऑफिस के लिए लेट हो रहा है, वो खडूस बॉस जान खा लेगा वरना "। उसने जल्दी से बैठते हुए कहा

    "अरे दी ....when Rishi is here then no fear " उस लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा।

    "हां लपेट लिया , लपेट लिया"। उस लड़की ने हस्ते हुए कहा।

    ऑफिस आ जाता है और वो ऋषि को बाय कह के निकल जाती है।

    *****
    "उफ्फ जानेमन किस का कतल करने का इरादा है आज?".... राशि ने हस्ते हुए उस लड़की के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

    "जानेमन की बच्ची, दूर रह मुझसे तू समझी"। उसने उसे दूर करते हुए कहा।

    "आले आले, मेला बाबू गुच्छा है , गुच्छे में तो ऑल चुंदल लगता है ".... उसने प्यार से उसके गाल खींच ते हुए कहा।

    "छी......चुप होजा, और ये ऐसे बात न अपने बाबू से किया कर, मुझे vomitting सा फील होने लगता है।"
    उसने अजीब सा मुंह बनाते हुए कहा।

    "और ये बता मुझे की तीन दिन से कहा थी तू, न कोई कॉल न मैसेज , कितना परेशान थी मैं ,कुछ पता भी है तुझे" .... उसने थोड़ा नाराजगी से कहा।

    "यार..... आतिशी..सॉरी न।"  राशि ने कान पकड़ते हुए कहा।

    "पहले ये बता कहा थी"...

    "यार... अब क्या बताऊं मेरे साथ तो खुद मेरे अपनो ने स्कैम कर दिया है".... राशि ने सर पकड़ते हुए कहा।
    लंच में बताती हूं विस्तार से।

    लंच टाइम.....

    "अब बताएगी भी ,हुआ क्या है ?"...

    तो सुन.... भैया का फोन आया था की जल्दी से घर आ जाऊं, पापा की तबियत खराब है। मैं तुरंत वहा के लिए निकल गई , और जब अगले दिन पहुंची तो देखा कि पापा तो मज़े में कुछ लोगो के साथ चाय पी रहे थे।
    बाद में पता चला कि ये लड़के वाले आए है , मुझे देखने के लिए।


    जारी है......

  • 3. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 3

    Words: 601

    Estimated Reading Time: 4 min

    लंच टाइम.....

    "अब बताएगी भी ,हुआ क्या है ?"...

    तो सुन.... भैया का फोन आया था की जल्दी से घर आ जाऊं, पापा की तबियत खराब है। मैं तुरंत वहा के लिए निकल गई , और जब अगले दिन पहुंची तो देखा कि पापा तो मज़े में कुछ लोगो के साथ चाय पी रहे थे।
    बाद में पता चला कि ये लड़के वाले आए है , मुझे देखने के लिए।
    और फिर सबके जाने के बाद गुस्से में मैने अपना मोबाइल ही पटक दिया।
    की ये कोई तरीका है क्या किसी को बुलाने का , सच में बहुत गुस्सा आया था।
    ऊपर से पापा कहते है की मुझे बुलाने का यही एक तरीका छोड़ा था मैंने , तू बता ठीक किया क्या सबने?

    "ये बता पहले की रिश्ता पक्का हुआ की नहीं "?

    "अबे साली, तुझे रिश्ते की पड़ी है , मेरा खून उबाल दिया सबने उसका क्या? " राशि ने आंखें दिखाते हुए कहा।

    "अबे मेरी मां, अंकल ने सही तो बोला , कबसे बुला रहे थे तुझे , पर तू है की जाने को तैयार ही नहीं, भला करते भी तो क्या करते" ..... आतिशी ने कहा।

    "तू तो उन्हीं की साइड लेगी, मेरी दोस्त नहीं दुश्मन है तू "

    "अरे यार , रिश्ते का क्या हुआ वो बता ना ? की ये भी मना करके आ गई"....आतिशी ने उत्सुकता से पूछा।

    "हां बोल दिया मैंने...."राशि ने आंखें चुराते हुए कहा।

    "क्या....सच्ची , तू मजाक तो नही कर रही ना?"..

    "नही मेरी मां, कब तक मना करती , 29 की होने वाली हूं, ऊपर से घर का इमोशनल अत्याचार ....मरती , क्या न करती "......

    "ये बता लड़का कैसा है ?"

    "हा अच्छे हैं , काफी डिसेंट है । "उसने थोड़ा सकुचाते हुए कहा।

    आए , हाए शर्माना भी सीख गई, सही जा रही हो बेटा ...आतिशी ने छेड़ते हुए कहा।

    तभी राशि की नज़र उस गुलाब पर पड़ती है जो आतिशी के पर्स में था और बाहर से थोड़ा दिख रहा था।

    और ये किसके प्यार की निशानी संभाली हुई है? उसने आंखे छोटी करते हुए कहा।

    उसकी नजरों का इशारा समझ , " देवी...पहले आप अपने गंदे दिमाग के गंदे घोड़ों को दौड़ने से रोकिए, मेरी प्यारी सी स्टूडेंट ने दिया है मुझे।"...

    "वैसे बड़े प्यारे है तेरे स्टूडेंट्स, कितना मानते है तुझे। "

    "हा वो तो है, बहुत प्यारे है सब "...

    "हां और तू भी तो कितना मानती है उन्हें, कितने साल हो आए तुझे अनाथ आश्रम छोड़े, पर तू आज भी सुबह जल्दी उठ के सिर्फ उन्हें पढ़ाने जाती है , यू आर रियली सच आ हार्डवर्किंग गर्ल्स।"
    आतिशी उसकी बातो को सुन मुस्कुरा देती है ।


    ओह भाई....... सामने टीवी देख राशि के मुंह से निकला।

    टीवी पर दिखाया जा रहा था श्रुति केस के बारे में , साथ ही उन चारो आरोपियों के पेड़ से लटके हुए शव।

    अबे...ये तो गजब ही हो गया यार, 6 महीने से केस चल रहा था , फाइनली आज इन्हे सजा मिल ही गई। काश हर रेपिस्ट को ऐसी ही सजा मिले , ताकि जब भी ऐसे लोगो की हवस जागे न तो ये मंज़र याद रहे।

    आतिशी बिना भाव के बस सुन रही थी , शायद उसके दिमाग में कुछ गहरा चल रहा था।

    पर यार ये किया किसने होगा?...राशि के सवाल से वो होश में आई।

    "क्या पता यार... शायद उसको भी कभी कोई गहरी चोट मिली हो , जो अब ऐसे बाहर आ रही हो।" आतिशी ने सामने देखते हुए कहा।

    "अब जो भी हो ,बस कभी पकड़ा ना जाए । अपने यहां मुजरिम को सजा मिले या न मिले पर मुजरिम को सज़ा देने वाले को जरूर सजा दे देंगे।"

    जारी है....!!

  • 4. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 4

    Words: 573

    Estimated Reading Time: 4 min

    आतिशी बिना भाव के बस सुन रही थी , शायद उसके दिमाग में कुछ गहरा चल रहा था।

    पर यार ये किया किसने होगा?...राशि के सवाल से वो होश में आई।

    "क्या पता यार... शायद उसको भी कभी कोई गहरी चोट मिली हो , जो अब ऐसे बाहर आ रही हो।" आतिशी ने सामने देखते हुए कहा।

    "अब जो भी हो ,बस कभी पकड़ा ना जाए । अपने यहां मुजरिम को सजा मिले या न मिले पर मुजरिम को सज़ा देने वाले को जरूर सजा दे देंगे।"


    अब आगे....

    सामने एक काफी बड़ा सा घर था जिसपे बड़े बड़े अक्षरों में लिखा था "चौधरी सदन"
    एक तीस वर्षीय युवक , लंबी चौड़ी कद काठी , गेहुआ रंग, कटीली सी आंखें जिन पर घनी पलके का साया था और नाक बिलकुल खड़ी , लब ऐसे जैसे किसी ने बड़े तराश के बनाए हो बिलकुल, और पसीने से भीगा उसका शरीर , जो अब सुबह की हल्की हल्की धूप में चमक रहा था । देखने में बहुत ही आकर्षक व्यक्तित्व था उसका , और इस वक्त वो पसीने से भीगा जिम से लौट रहा था ।

    वरदान.... उस युवक के अंदर कदम रखते ही एक तेज़ आवाज़ आई।
    "प्रणाम दादू " उसने खुशी से आते हुए उनके पैर छुए।
    आप कब आए? उन्होंने हैरानी और खुशी के मिले जुले भावों से कहा।

    "कल रात ही आया हु , आप सब सो गए थे ,इसलिए किसी को डिस्टर्ब नहीं किया ।"...

    "पर आप तो आज आने वाले थे न "? दादा जी ने सवाल किया।
    "जी दादू पर जिस केस के लिए रुका था वो जल्द ही सॉल्व हो गया , इस वजह से कल ही निकल गया।"
    सामने से आती एक औरत जिन्होंने एक खूबसूरत सी चटक हरे रंग की बनारसी साड़ी पहनी हुई थी ,  गोरा रंग ,बड़े ही खूबसूरत नैन नक्श और चेहरे पर एक अलग ही सौम्यता थी , जो किसी का भी मन मोह ले।
    हाथ में पकड़ा चाय का कप वो दादा जी को थमाते हुए, " पापा जी, आपकी चाय "....

    "गुड मॉर्निंग मां"....वरदान ने प्यार से कहा।

    "पापा जी , अपने पोते से कह दीजिए , जाके नहा ले फिर सब बैठ के नाश्ता करते है" वसुंधरा जी ने बिना वरदान की तरफ देखे कहा ।

    दादा जी मुस्कुरा दिए, " सुन लिया पोते, या फिर मैं रिपीट करू ".....

    वरदान उनकी तरफ देख मुस्कुराया, और थोड़ा एक्टिंग करते हुए " ठीक है दादू, मैं कोनसा कभी खुशी कभी गम का शाहरुख खान हु, जो मेरे आने से मेरी मां खुश हो, उल्टा यहां तो एक नज़र देखा भी नहीं जा रहा "।
    दादा जी उसके बोलने के अंदाज़ पर हस दिए, और वसुंधरा जी " पापा जी , मैं नाश्ता लगा रही हु , आप आजाइए। " इतना कहते हुए एक नज़र वरदान को देख चली गई।

    दादा जी मुस्कुराते हुए, " पोते, लगता है , मामला गंभीर है"।

    वरदान उनके पास आके, " आप फिकर ना करिए दादू...ये मामला अब एसीपी वरदान के अंडर आ चुका है, सो जस्ट टेक आ चिल पिल" उसने हस्ते हुए दादू को ताली देते हुए कहा।

    वो तैयार होके नीचे आता है ,तो किचन का रुख करता है , जहा वसुंधरा जी नाश्ते की तैयारी कर रही होती है ।
    "अभी तक नाराज़ हैं" ? वरदान ने पीछे से आके उनके कंधे पर सर टिकाते हुए कहा।
    "तुझे क्या फर्क पड़ता है मैं चाहे नाराज़ रहु या खुश "..... वसुंधरा जी ने नाराज़गी के लहज़े में कहा।

    मां.....



    जारी है....

  • 5. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 5

    Words: 507

    Estimated Reading Time: 4 min

    वो तैयार होके नीचे आता है ,तो किचन का रुख करता है , जहा वसुंधरा जी नाश्ते की तैयारी कर रही होती है ।
    "अभी तक नाराज़ हैं" ? वरदान ने पीछे से आके उनके कंधे पर सर टिकाते हुए कहा।
    "तुझे क्या फर्क पड़ता है मैं चाहे नाराज़ रहु या खुश "..... वसुंधरा जी ने नाराज़गी के लहज़े में कहा।

    मां.....किसने कहा ऐसा आपसे, कुछ अच्छा नही लगता , जब आप बात नही करती तो ".....उसने प्यार से समझाते हुए कहा।

    "तो फिर मान क्यों नही जाता मेरी बात, थक चुकी है मेरी ज़ुबान तुझे शादी का कह कह के" .....वसुंधरा जी ने थोड़ा इमोशनल होते हुए कहा।

    "मां......फिर वही टॉपिक, आज ही तो आया हु और आप शादी का लेके बैठ गई।"

    "30 साल का हो चुका है, तेरे सारे दोस्तों के बच्चे हो रहे है, मेरा भी मन करता है अपने बेटे का घर बस्ते हुए देखू, अपने जीते जी पोती पोता का मूंह देख लू, कोई 10 बेटे तो है नही मेरे, एक ही बेटा है.....बता आखिर ऐसा क्या गलत मांग लिया मैने तुझसे "......कहते कहते उनकी आंखों में आंसू आग गए थे।

    मां....वरदान ने उनका हाथ पकड़ के पुकारा, " "अच्छा ठीक है , आप चाहती है ना की मैं शादी कर लूं, तो ठीक है मैं कर लूंगा...."

    "सच...?" उन्हे थोड़ी हैरानी हुई वरदान का इतनी जल्दी मान जाने पर।

    उसने मुस्कुरा के , " जी... अब आपको इस वजह से तो रोता नही देख सकता "। उसने माथे पर किस करते हुए कहा।

    "अब तू देखना तेरे ऐसी लड़की लाऊंगी न की दुनिया देखती रह जाएगी।" ...बड़े ही गर्व से कहा था उन्होंने और चेहरे पर अभी तक छाई उदासी अब चमक में बदल चुकी थी।

    वरदान उन्हे देख मुस्कुराया और बोला " अच्छा तो अब जल्दी से नाश्ता लगा दीजिए, ज़ोर की भूल लगी है"....

    हां...जा जाके बैठ तू , मैं लाती हु।
    और जल्दी जल्दी अपना हाथ चलाने लगी।


    बस यही वजह थी की वरदान तीन साल बाद लौटा था , बीच बीच में त्योहार पर आ जाता था पर तब काम का बहाना करके टाल देता था।
    पर अब उसकी पोस्टिंग वापस उसी के शहर ग्वालियर में हो चुकी थी , और अब कोई बहाना भी न था शादी को टालने का।
    वो जानता था की मां उसे इमोशनल करके शादी के लिए राज़ी कर ही लेंगी।
    ऐसा नहीं था की वो शादी नही करना चाहता था, पर जो बात वो अपने जीवन साथी में चाहता था, अभी तक कोई ऐसी लड़की ना मिली थी।


    वो सब कुछ बर्दाश्त कर सकता था , पर अपनी मां के आंखो में आंसू नहीं, यही उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी थी , जिस वजह से उसने अब हां करदी थी।

    वो नाश्ते की टेबल पर आके बैठा , जहा दादा जी पहले से ही मौजूद थे ।
    "केस सॉल्व हुआ की नही ?"....दादाजी ने उसे सोच में डूबा देख सवाल किया।
    वो उनकी तरफ देख मुस्कुराया , " खुद को सरेंडर करके आया हु"...

    "मतलब की शादी का लड्डू खाने की तैयार हो गए"...दादू ने मज़े लेते हुए कहा।


    जारी है....

  • 6. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 6

    Words: 542

    Estimated Reading Time: 4 min

    वो नाश्ते की टेबल पर आके बैठा , जहा दादा जी पहले से ही मौजूद थे ।
    "केस सॉल्व हुआ की नही ?"....दादाजी ने उसे सोच में डूबा देख सवाल किया।
    वो उनकी तरफ देख मुस्कुराया , " खुद को सरेंडर करके आया हु"...

    "मतलब की शादी का लड्डू खाने की तैयार हो गए"...दादू ने मज़े लेते हुए कहा।


    "देख रही हो दादी, अपने पोते के गम पर कैसे मजाक उड़ा रहे है आपके पति"....सामने लगी दादी की तस्वीर ,जिस पर फूल की माला चढ़ी हुई थी उसके देखते हुए कहा।

    "क्या...खुसुरफुसूर हो रही है आप दोनो में .."
    किचन से आती वसुंधरा जी , जिनके हाथ में नाश्ता था, टेबल पर रखते हुए कहा।
    और खुद भी आके बैठ गई।

    "अरे बहु, वो सब छोड़ो ये बताओ वरदान के लिए अब लड़की देखने कब चलना है "....दादू ने वापस से वरदान की टांग खींचने के अंदाज़ में कहा।
    जिस पर वरदान उन्हे घूर के देखने लगा।

    "दादू...अभी सिर्फ मैने हां कहा है, अभी मां लड़की ढूंढेगी, कुंडली मिलेगी ,तब जाके कही मिलना मिलाना होगा ना। आप सब का बस चले तो आज ही मेरी बारात ले चले।"

    "पहले इसके डैड आ जाए, फिर चलते है" , उन्होंने दादू की तरफ देख के कहा।
    "और बाकी पंडित जी ने लड़की और उसकी कुंडली सब देख ली है, बस देखने चलना है ।" यह बात वसुंधरा जी ने वरदान की तरफ देखते हुए कहा।

    वरदान उनकी तरफ हैरानी के भाव से देखता ही रह गया, जैसे की मां को पता था की वो मान जाएगा और इसलिए पहले ही सब देख रखा है।

    "मां, डैड कब तक आजाएंगे?" उसने बातो का रुख मोड़ने के लिए कहा।

    "कल बात हुई थी तो के रहे थे ,की अभी एक हफ्ता और लगेगा।"
    "अच्छा सुन .... आज बाल आश्रम चले जाना ,तेरे पापा ने चेक दिया है , वहा दे देना । अभी उन्हें आने में वक्त  है ,इसलिए तू ही दे आ।"

    "हां..भाई , और मैं भी चलूंगा, वहा बच्चों के बीच मन लगा रहता है। "....दादा जी ने उठते हुए कहा।

    *****

    सामने एक बड़ा सा आश्रम होता है, जहां मैन गेट से दाखिल होने पर दोनो तरफ गार्डन होता है,
    वरदान अपनी गाड़ी पार्किंग एरिया में पार्क करता है, और दादा जी को लेके अंदर आता है।

    अंदर ऑफिस में आते हुए ......
    "आइए बैठिए....विश्वनाथ जी।" सामने एक आदमी अपनी कुर्सी पर बैठा होता है , जो उन्हे देख अभिवादन के साथ खड़ा हो जाता है।
    वो दोनो बैठ जाते है।


    "वीरेंद्र ( वरदान के पिताजी ) अभी काम से बाहर गया हुआ था ,तो सोचा हम ही आ जाए।
    बच्चो से मिलना मिलाना भी हो जाएगा।"....

    वरदान उन्हे चेक निकाल के दे देता है।
    अखिलेश जी वरदान की तरफ देखते है.....
    "ये मेरा पोता है ,  एसीपी वरदान ।" दादा जी ने उनकी नज़रों के सवाल को समझते हुए कहा।

    अखिलेश जी मुस्कुरा दिए, "पहले कभी नही देखा इन्हे यहाँ।"
    तभी वरदान की एक कॉल आ जाती है, और वो इशारा कर बाहर गार्डन की तरफ निकल आता है।

    विश्वनाथ जी: दरअसल 3 साल से लखनऊ में इसकी पोस्टिंग थी, कल ही लौटा है।
    और आपके आश्रम के बारे में भी हमे 3 साल पहले ही पता चला , जिस वजह से यहां कभी इसका आना ही न हो पाया।

    जारी है....

  • 7. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 7

    Words: 583

    Estimated Reading Time: 4 min

    वरदान उन्हे चेक निकाल के दे देता है।
    अखिलेश जी वरदान की तरफ देखते है.....
    "ये मेरा पोता है ,  एसीपी वरदान ।" दादा जी ने उनकी नज़रों के सवाल को समझते हुए कहा।

    अखिलेश जी मुस्कुरा दिए, "पहले कभी नही देखा इन्हे यहाँ।"
    तभी वरदान की एक कॉल आ जाती है, और वो इशारा कर बाहर गार्डन की तरफ निकल आता है।

    विश्वनाथ जी: दरअसल 3 साल से लखनऊ में इसकी पोस्टिंग थी, कल ही लौटा है।
    और आपके आश्रम के बारे में भी हमे 3 साल पहले ही पता चला , जिस वजह से यहां कभी इसका आना ही न हो पाया।



    वरदान बाहर गार्डन में एक तरफ आके बात करने लगा था, तभी उसकी नज़र सामने कुछ बच्चों को मार्शल आर्ट्स सिखाती एक लड़की पर गई।
    जिसने ट्रैक सूट पहन रखा था, और एक हाई पोनी बनाई हुई थी । बहुत ही मगन होके वो उन बच्चो को सीखा रही थी, कैसे मुट्ठी बनती है , कैसे  पंच देना है ,कैसे खुद का डिफेंस करना है, एक एक मूव्स के बारे में बड़ी बारीकी से बता रही थी।
    वरदान की नज़र बस ठहर सी गई , और वो कब दीवार से टेक लगाए उसे देखने लगा खबर न हुई।

    "आतिशी.... आतिशी नाम है उसका।" अचानक से वरदान होश में आया।
    देखा तो बगल में दादू खड़े थे, जो उसे कुछ अलग ही निगाहों से देख रहे थे।

    "आप मुझे ऐसे क्यों देख रहे है?" उसने निगाहे उचकातें हुए पूछा।

    "ये सवाल तो मेरा होना चाहिए, तुम उसे ऐसे क्यों देख रहे थे।"
    तभी उसका दोबारा फोन बजता है ,और वो दूसरी तरफ जाके बात करने लगता है।
    तभी आतिशी की नज़र दादा जी की तरफ पड़ती है , जो उसी की तरफ देख रहे होते है ,तो वो उन्ही के  पास चली आती है।
    और मुस्कुरा के उनके पैर छू लेती है ,

    "आज याद आई आपको? "आतिशी ने उन्हें देख कहा।

    "बेटा जी याद तो आपकी रोज़ ही आती है, पर कमबख्त तबियत ठीक नहीं थी , इसलिए आ नही पाया।"

    "तो आराम करना था न आपको ! "उसने थोड़ा परेशानी से कहा।

    "अरे अभी तो मैं एकदम चंगा हूं, वैसे अपने हाथ की चाय तो पिलाओ".....वो मुस्कुराई और बोली लाती हूं।

    दादा जी वही  गार्डन में लगे टेबल के पास बैठ गए , मौसम काफी अच्छा था , धूप नही थी उस पर हल्की हल्की हवाएं।

    थोड़ी देर में वो चाय लेके आती है और जैसे ही टेबल के पास जाती है , सामने से जल्दी में आते वरदान से टकरा के चाय का ट्रे पूरा पलट जाता है।
    दादा जी देखते है और वही अपनी जगह पर खड़े हो जाते ,पर आतिशी को सुन अपनी ही जगह रुक जाते है।

    आतिशी गुस्से में बरस पड़ी ," आंखे घुटनो में लगी हुई है क्या , जो इतनी बड़ी लड़की नही दिखी, पूरी चाय का सत्यानाश कर दिया।"


    "एक्सक्यूज मी ! "...वरदान ने आंख दिखाते हुए कहा।
    "एक तो मेरा नुकसान कर दिया , उस पर से मुझे ही एक्सक्यूज कर रहे हो.... हटो! " कहके वो नीचे पड़ा कप उठाती है , जो घास पे गिरने की वजह से टूटने से बच गया था।

    उतने में दादा जी आजाते है, और वो आतिशी की तरफ देख, " बेटा , कोई बात नही मै फिर किसी दिन पी लूंगा। अभी थोड़ा काम है, इसलिए निकलना पड़ेगा।"

    "ठीक है , अंकल " और वरदान को घूरने लगती है।

    वरदान कुछ कहने को होता है ,तभी दादा जी उसको आंख दिखाते है, और वहा से रवाना हो जाते है।

    जारी है....

  • 8. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 8

    Words: 522

    Estimated Reading Time: 4 min

    "एक्सक्यूज मी ! "...वरदान ने आंख दिखाते हुए कहा।
    "एक तो मेरा नुकसान कर दिया , उस पर से मुझे ही एक्सक्यूज कर रहे हो.... हटो! " कहके वो नीचे पड़ा कप उठाती है , जो घास पे गिरने की वजह से टूटने से बच गया था।

    उतने में दादा जी आजाते है, और वो आतिशी की तरफ देख, " बेटा , कोई बात नही मै फिर किसी दिन पी लूंगा। अभी थोड़ा काम है, इसलिए निकलना पड़ेगा।"

    "ठीक है , अंकल " और वरदान को घूरने लगती है।

    वरदान कुछ कहने को होता है ,तभी दादा जी उसको आंख दिखाते है, और वहा से रवाना हो जाते है।





    "आपने मुझे बोलने क्यों नही दिया"? वरदान ने ड्राइव करते हुए सवाल किया ।

    दादा जी जो की किसी सोच में गुम थे, उसके सवाल पर अपनी सोच से बाहर आए, " "अच्छा....ऐसा क्या बोलते तुम?"

    "आपने देखा नही , कितनी बद्तमीजी से बात की उसने....कहा की मेरी आंखें घुटनों में है... सीरियसली...!!"

    "हां तो गलती तो तुम्हारी थी, कितने प्यार से मेरे लिए चाय ला रही थी, और तुम्हारी वजह से मैं चाय भी न पी सका।"

    "आपकी बातो से तो लग रहा है काफी चहीती है आपकी ! "....

    "बहुत प्यारी बच्ची है....बिल्कुल नारियल जैसी ऊपर से जितनी सख्त अंदर से उतनी कोमल।" दादा जी मुस्कुराते हुए बता रहे थे।
    जब पहली बार आया था आश्रम तो इसे देखा था, मुझे लगा यही रहती होगी, पर बाद में पता चला की ये पहले रहा करती थी , अब एक अच्छी कंपनी में जॉब करती है और रोज़ सुबह यहां आके पढ़ाती भी है , और सैटरडे संडे मार्शल आर्ट्स भी सिखाती है।
    शुरू शुरू में काफी कम बोलती थी , पर जब मैं यहां बराबर आने लगा और फिर बच्चो के साथ घुलने मिलने लगा तो इससे भी काफी बातें होने लगी। जब इससे बाते हुई तो जाना की बहुत समझदार और सुलझी हुई लड़की है।
    और अब देखो हमारी दोस्ती भी हो चुकी है।".....

    "आप तो उस पर किताब लिख सकते है....." वरदान ने मुस्कुरा के कहा।
    बदले में दादा जी मुस्कुरा दिए।

    ******

    "जय हिंद सर ... " वरदान जैसे ही पुलिस स्टेशन में एंटर हुआ सभी ने उसे सलाम किया।

    सामने खड़े इंस्पेक्टर मृदुल से ," अभी तक आप ही श्रुति रेप केस को हैंडल कर रहे थे "....

    "जी सर...."

    "तो सबसे पहले तो आप मुझे ये बताईए कि वो चारों रेपिस्ट फरार कैसे हुए?"...

    "सर ....जब उन्हे ले जाया जा रहा था तभी एक बड़ा सा ट्रक सामने आ गया था, हमने जैसे ही गाड़ी रोकी अचानक से कुछ लोगो ने हम पर हमला कर दिया ....और   साथ ही कोई सी गैस छोड़ी गई जिससे सूंघते ही हम लोग बेहोश हो गए। और जब होश आया तो देखा कि सब फरार थे।".....


    "पानी पी लीजिए... माथे पर काफी पसीना आ रहा है आपको "....वरदान ने उसके आगे ग्लास बढ़ा दिया, और एक गहरी निगाह उस पर डाली।

    "ठीक है....बाकी अभी के लिए जब तक मैं यहां हूं, आप दूसरे केसेस को देखिए... फिलहाल के लिए ये केस मेरे अंडर रहेगा ।"....

    "पर सर.... " मृदुल कुछ बोलने को हुआ

    "डेट्स माय ऑर्डर"....

    "येस सर।"...


    जारी है....

  • 9. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 9

    Words: 62

    Estimated Reading Time: 1 min

    "पानी पी लीजिए... माथे पर काफी पसीना आ रहा है आपको "....वरदान ने उसके आगे ग्लास बढ़ा दिया, और एक गहरी निगाह उस पर डाली। "ठीक है....बाकी अभी के लिए जब तक मैं यहां हूं, आप दूसरे केसेस को देखिए... फिलहाल के लिए ये केस मेरे अंडर रहेगा ।".... "पर सर.... " मृदुल कुछ बोलने को हुआ "डेट्स माय ऑर्डर".... "येस सर।"...

  • 10. हां मैं अनाथ हूं - Chapter 10

    Words: 0

    Estimated Reading Time: 0 min