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रिमझिम बारिश की हल्की बूंदें हवा में घुली ठंडक को और बढ़ा रही थीं। दिल्ली की सड़कों पर भागती गाड़ियों के बीच, अवनी शर्मा अपनी स्कूटी पर ऑफिस से घर की ओर लौट रही थी। उसकी हल्के गुलाबी रंग की दुपट्टे से कुछ बूंदें टकराकर सरक रही थीं, लेकिन उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। आज दिन ऑफिस में कुछ ज्यादा ही उबाऊ था। वही रोज़ की फाइलें, मीटिंग्स और टास्क—ज़िंदगी में जैसे कोई रोमांच बचा ही नहीं था। "क्या ज़िंदगी बस काम और जिम्मेदारियों तक ही सीमित रह गई है?" उसने खुद से सवाल किया और एक गहरी सांस ली। तभी अचानक, रेड लाइट पर खड़ी उसकी स्कूटी के ठीक बगल में एक चमचमाती काली BMW आकर रुकी। खिड़की से हल्का शीशा नीचे सरका, और एक गहरी, मर्दाना आवाज़ आई— "Excuse me! क्या आप बता सकती हैं कि CP जाने का शॉर्टकट कौन सा होगा?" अवनी ने मुड़कर देखा। कार में बैठा शख्स लगभग 28-30 साल का होगा। घने बाल, हल्की दाढ़ी और एक ब्लैक शर्ट में बेहतरीन पर्सनैलिटी वाला शख्स। लेकिन उसकी आँखों में एक गहराई थी—जैसे कोई अनकहा दर्द छुपा हो। "हां, आप सीधे जाकर बाएं मुड़िए, फिर आगे रेड लाइट से दाएं। CP वहीं से पास पड़ता है।" अवनी ने जल्दी से जवाब दिया। "ओह, थैंक यू!" वह मुस्कुराया, लेकिन उसकी मुस्कान के पीछे कुछ और छुपा था। लाइट ग्रीन होते ही दोनों ने अपनी-अपनी राह पकड़ ली। लेकिन कुछ ही सेकंड में, अवनी को अपनी स्कूटी पर हल्का झटका महसूस हुआ। पीछे से किसी गाड़ी ने हल्का टक्कर मार दिया था। उसने घबराकर स्कूटी रोकी और पीछे देखा—वही BMW! "आई एम सॉरी! अचानक ब्रेक लगाना पड़ा," वही गहरी आवाज़ दोबारा सुनाई दी। अवनी का गुस्सा सातवें आसमान पर था। "ये क्या तरीका है? ध्यान नहीं रखते ड्राइविंग का?" "सच में, माफ करिए। मेरी गलती थी," वह शांत था। अवनी ने एक झटके में उसकी आँखों में देखा, और अगले ही पल उसका गुस्सा थोड़ा कम हो गया। शायद ये उसकी आँखों का असर था, या फिर वो सच में इतना शांत था कि उससे बहस करने का कोई फायदा नहीं था। "ठीक है, लेकिन अगली बार ध्यान रखना!" यह कहकर उसने स्कूटी आगे बढ़ा दी। लेकिन उसे क्या पता था कि यह मुलाकात सिर्फ एक इत्तेफाक नहीं थी। यह किस्मत की पहली चाल थी, जो धीरे-धीरे अवनी और रिहान को करीब लाने वाली थी…
अगले दिन, अवनी अपने ऑफिस में बैठी थी, लेकिन उसका दिमाग कहीं और था। कल रात जो हुआ, वह उसे बार-बार याद आ रहा था। "उसकी आँखें… उनमें कुछ था। अजीब सा सुकून… पर साथ ही एक अनकहा दर्द भी।" वह खुद पर हंस पड़ी। "मैं क्यों इतना सोच रही हूँ? वो बस एक अनजान था!"
लेकिन किस्मत ने शायद कुछ और ही सोचा था।
एक नई जॉइनिंग
दोपहर के समय पूरे ऑफिस में हलचल थी। सब लोग कानाफूसी कर रहे थे। अवनी की दोस्त नेहा उसकी डेस्क पर आई और उत्साह से बोली, "पता है? हमारे ऑफिस में एक नया इन्वेस्टर आया है, जो कंपनी का बड़ा हिस्सा खरीद चुका है। सुना है, बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं!"
अवनी ने बिना खास रुचि लिए पूछा, "अच्छा? कौन है?"
"नाम है रिहान मेहरा।"
अवनी के हाथ में पकड़ी पेन रुक गई। "रिहान? कहीं ये वही...?"
इससे पहले कि वह कुछ सोच पाती, अचानक ऑफिस के कॉन्फ्रेंस रूम के दरवाजे खुले और भीतर से कुछ लोग बाहर निकले। उन्हीं के बीच में रिहान भी था—कल वाला अजनबी, वही गहरी आँखें, वही आत्मविश्वास से भरी चाल।
अवनी ने झट से नजरें फेर लीं, लेकिन उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी। "ये यहाँ क्या कर रहा है?"
पहली मुलाकात… फिर से
अवनी ने सोचा कि वह बचकर निकल जाएगी, लेकिन तभी किसी ने उसका नाम पुकारा, "मिस शर्मा?"
उसने धीरे से सिर उठाया। रिहान उसके ठीक सामने खड़ा था।
"कल रात हम मिले थे, याद है?" वह हल्की मुस्कान के साथ बोला।
अवनी को समझ नहीं आया कि क्या जवाब दे। "हां… लेकिन… आप यहां?"
रिहान ने कोट की बटन बंद करते हुए जवाब दिया, "मैं इस कंपनी में इन्वेस्टर हूँ, और अब यहाँ की कुछ पॉलिसीज़ पर काम करने वाला हूँ। तुम्हें शायद जानकर हैरानी होगी कि तुम्हारा डिपार्टमेंट भी इसी प्रोजेक्ट में शामिल है।"
अवनी कुछ नहीं कह पाई। क्या ये सिर्फ एक इत्तेफाक था? या फिर कोई और कहानी लिखी जा रही थी?
रिहान कौन था?
रिहान मेहरा, 30 साल का एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन था, जिसने कम उम्र में ही अपनी पहचान बनाई थी। उसकी एक मल्टीनेशनल कंपनी थी, और वह फाइनेंस और इंवेस्टमेंट की दुनिया में बड़ा नाम था। लेकिन उसकी ज़िंदगी सिर्फ उसकी सफलता तक सीमित नहीं थी। उसके पीछे एक अतीत था, जिसे वह किसी से साझा नहीं करता था।
अवनी को अभी नहीं पता था, लेकिन वह जल्द ही रिहान की ज़िंदगी की उस परछाई से भी टकराने वाली थी, जिससे खुद रिहान भी भाग रहा था...
अवनी को समझ नहीं आ रहा था कि उसकी किस्मत ने यह कैसा मोड़ लिया। एक दिन पहले तक वह रिहान को एक अनजान समझ रही थी, और अब वह उसकी कंपनी का सबसे बड़ा इन्वेस्टर बनकर सामने आ गया था।
रिहान का परिवार – एक नाम, कई कहानियां
रिहान सिर्फ एक आम बिजनेसमैन नहीं था, बल्कि "मेहरा ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज" का वारिस था—एक ऐसा नाम, जिसे हर इंडस्ट्रियल सेक्टर में जाना जाता था। उसके पिता, अरविंद मेहरा, अपने समय के सबसे ताकतवर बिजनेस टायकून थे। लेकिन बड़े बिजनेस में दोस्त कम, दुश्मन ज्यादा होते हैं। अरविंद मेहरा की अचानक हुई रहस्यमयी मौत ने पूरे कॉर्पोरेट जगत को हिला कर रख दिया था। कुछ लोगों का कहना था कि यह एक एक्सीडेंट था, लेकिन कुछ अफवाहें थीं कि उनके करीबी प्रतिद्वंद्वी सक्सेना ग्रुप ने इस हत्या को अंजाम दिया था।
रिहान तब सिर्फ 24 साल का था, लेकिन उसने अपने पिता के बिजनेस को संभालने का फैसला किया। सिर्फ 6 साल में, उसने कंपनी को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया, और अब वह खुद एक ऐसा नाम बन चुका था, जिससे लोग डरते भी थे और जिसका सम्मान भी करते थे।
लेकिन इस सफलता की कीमत थी—धोखा, साजिश और अतीत की वो परछाइयाँ, जो उसे आज भी चैन से सोने नहीं देती थीं।
क्या रिहान की कोई गर्लफ्रेंड थी?
बड़े बिजनेस मैन के साथ हमेशा कई नाम जुड़ते हैं। रिहान के भी कई अफेयर की अफवाहें थीं, लेकिन असलियत कुछ और थी।
रिहान की जिंदगी में एक लड़की थी—"रिया अरोड़ा", एक जानी-मानी मॉडल, जिससे उसकी सगाई की चर्चा कई बार उठ चुकी थी। लेकिन यह रिश्ता सिर्फ कागज़ों पर था। रिया सिर्फ नाम की गर्लफ्रेंड थी, असल में वह सिर्फ एक बिजनेस डील थी।
"कुछ रिश्ते दिल से नहीं, बल्कि जरूरतों से बनाए जाते हैं।" रिहान हमेशा यही मानता था।
लेकिन क्या अवनी उसकी इस सोच को बदल पाएगी?
दुश्मनों की साजिश और शादी का लालच
बिजनेस वर्ल्ड में रिहान की ताकत इतनी बढ़ चुकी थी कि उसके दुश्मनों को यह रास नहीं आ रहा था। "सक्सेना ग्रुप", जो उसके पिता के सबसे बड़े कंपटीटर थे, अब भी उसके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे थे।
इसके अलावा, कई बड़े बिजनेस घराने अपनी बेटियों की शादी रिहान से करवाना चाहते थे—लेकिन प्यार के लिए नहीं, बल्कि ताकत और फायदा उठाने के लिए। अगर उनकी बेटी "मेहरा ग्रुप" की बहू बनती, तो उन्हें बिजनेस में सीधा फायदा मिलता।
लेकिन रिहान जानता था कि ये रिश्ते सिर्फ एक खेल थे। "मुझे प्यार की नहीं, वफादारी की जरूरत है।" यही उसकी सोच थी।
अवनी और रिहान – टकराव या कुछ और?
रिहान और अवनी की राहें जुड़ चुकी थीं, लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी। अवनी अब उसके ऑफिस में काम कर रही थी, लेकिन उसे नहीं पता था कि वह किस दुनिया में कदम रख रही है—एक ऐसी दुनिया, जहाँ दोस्ती और दुश्मनी के बीच सिर्फ एक चाल का फासला होता है।
क्या अवनी, जो एक आम लड़की थी, इस हाई-प्रोफाइल गेम में खुद को बचा पाएगी? और क्या रिहान, जो अब तक प्यार को एक बिजनेस डील से ज्यादा कुछ नहीं मानता था, अपने विचार बदल पाएगा?
या फिर, यह कहानी भी उन्हीं अधूरी मोहब्बतों में से एक बन जाएगी, जो सिर्फ किताबों में पढ़ी जाती हैं?
रिहान और अवनी की मुलाकात अब एक इत्तेफाक नहीं थी। वे दोनों अब एक ही ऑफिस में थे, लेकिन उनका ताल्लुक़ सिर्फ प्रोफेशनल नहीं रहने वाला था—कुछ था जो दोनों को बार-बार करीब ला रहा था, फिर भी दूर बनाए हुए था।
रिहान का नया खेल
रिहान अपने केबिन में बैठा था, उसकी आँखें खिड़की से बाहर देख रही थीं, लेकिन उसका दिमाग किसी और सोच में डूबा था।
"अवनी शर्मा... तुम्हें इस खेल में लाने का मेरा कोई इरादा नहीं था, लेकिन अब जब तुम सामने हो, तो तुम्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता।"
उसे इस लड़की में कुछ अलग लगा। वह उसकी तरह चालाक नहीं थी, उसकी दुनिया से अलग थी। शायद यही चीज़ उसे आकर्षित कर रही थी। लेकिन क्या यह सिर्फ एक दिलचस्पी थी, या कुछ और?
उसी वक्त, उसका सेक्रेटरी अंदर आया।
"सर, सक्सेना ग्रुप ने अपनी प्रॉपर्टी डील में बड़ा इन्वेस्टमेंट किया है। वो हमारी टेंडर पॉलिसी को डुप्लीकेट कर रहे हैं।"
रिहान के चेहरे पर हल्की मुस्कान आई।
"तो आखिरकार उन्होंने चाल चली... अब देखना, मैं कैसे उनका खेल बिगाड़ता हूँ।"
अवनी की उलझन
दूसरी तरफ, अवनी अब भी इस बात को पचा नहीं पा रही थी कि रिहान वही अजनबी था, जिससे उसकी मुलाकात कुछ दिन पहले हुई थी।
ऑफिस में सब लोग उसकी तारीफ करते थे, लेकिन उसके बारे में कई अफवाहें भी थीं।
नेहा ने उसके कान में फुसफुसाया, "अवनी, सुना है रिहान मेहरा के दुश्मनों की लिस्ट बहुत लंबी है। और ये भी कि कोई भी उससे पंगा नहीं लेता।"
अवनी ने सिर हिलाया, "हो सकता है, लेकिन मैंने उसे अब तक किसी गलत तरीके से बात करते नहीं देखा।"
नेहा ने हँसते हुए कहा, "अच्छा-अच्छा, कहीं तुम उसकी फैन तो नहीं बन रही?"
अवनी ने झट से बात टाल दी, लेकिन अंदर से उसे खुद समझ नहीं आ रहा था कि वो रिहान के बारे में इतना क्यों सोच रही है।
एक अनजाना खतरा
शाम को जब अवनी ऑफिस से निकल रही थी, तभी उसने महसूस किया कि कोई उसका पीछा कर रहा है। पहले उसने इसे नजरअंदाज किया, लेकिन जैसे ही उसने अपनी गाड़ी की तरफ कदम बढ़ाए, एक काली कार तेजी से उसके पास आकर रुकी।
अवनी घबरा गई। कार से दो लोग उतरे और उसकी ओर बढ़े।
"मिस अवनी शर्मा?" एक आदमी ने पूछा।
अवनी ने हिम्मत जुटाकर कहा, "आप कौन हैं?"
तभी किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई—"उससे दूर हटो!"
रिहान अपनी कार से बाहर आया था, उसकी आँखों में वही गहरी सख़्ती थी जो अवनी ने पहली बार देखी थी। उन आदमियों ने एक-दूसरे को देखा और तुरंत अपनी गाड़ी में बैठकर भाग गए।
अवनी को समझ नहीं आया कि ये सब क्या था, लेकिन रिहान के चेहरे पर कोई हैरानी नहीं थी, मानो उसे पहले से सब पता था।
"ये सब क्या था?"
रिहान ने उसकी तरफ देखा, "तुम्हें शायद अंदाज़ा भी नहीं है कि तुम अब किस दुनिया का हिस्सा बन चुकी हो।"
अवनी ने हैरानी से पूछा, "क्या मतलब?"
रिहान थोड़ा रुका, फिर हल्की मुस्कान के साथ बोला, "फिलहाल इतना जान लो कि अब तुम्हारी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है!"
रिहान ने अवनी की तरफ देखा। उसके चेहरे पर हल्की परेशानी थी, लेकिन वह खुद को शांत दिखाने की कोशिश कर रही थी।
"तुम ठीक हो?" रिहान ने पूछा।
अवनी ने धीरे से सिर हिलाया, "हाँ... लेकिन ये सब क्या था? कौन थे वो लोग?"
रिहान ने एक लंबी साँस ली और कहा, "अभी तुम्हें सिर्फ इतना जानना चाहिए कि तुम एक ऐसे खेल का हिस्सा बन चुकी हो, जिसका अंदाजा तुम्हें भी नहीं है।"
अवनी को उसकी बातें अधूरी और रहस्यमयी लगीं।
"रिहान, मैं सिर्फ एक आम लड़की हूँ। मेरा इस खेल से क्या लेना-देना?"
रिहान कुछ बोलने ही वाला था कि उसका फोन बज उठा। उसने स्क्रीन देखी और तुरंत कॉल रिसीव की।
"हाँ, बोलो?"
फोन पर जो बात हुई, उसे सुनकर उसके चेहरे की गंभीरता और बढ़ गई।
अवनी और रिहान के बीच बढ़ती दूरी
रात के अंधेरे में मेहरा ग्रुप के हेड ऑफिस की लाइट अब भी जल रही थी। रिहान के ऑफिस में सिर्फ वही था, उसकी आँखें पुराने दस्तावेजों पर टिकी थीं। उसके पिता की मौत से जुड़ी कुछ फाइलें अब भी रहस्य में थीं।
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई।
"अंदर आओ।"
अवनी अंदर आई, उसके चेहरे पर हल्की झिझक थी।
"मुझे तुम्हें कुछ बताना है, रिहान।"
रिहान ने अपनी कुर्सी से उठकर उसकी तरफ देखा।
"क्या हुआ?"
अवनी ने धीमे स्वर में कहा, "मुझे लगता है कि मैं यहाँ और काम नहीं कर सकती।"
रिहान का चेहरा कुछ पल के लिए शांत रहा। फिर उसने हल्की मुस्कान के साथ पूछा, "क्यों? क्या तुम डर गई हो?"
अवनी ने तुरंत जवाब दिया, "नहीं, डर की बात नहीं है। लेकिन मैं नहीं चाहती कि मेरी वजह से तुम्हारे दुश्मनों को कोई और मौका मिले।"
रिहान उसके करीब आया और बहुत ध्यान से उसकी आँखों में देखा।
"तुम्हें लगता है कि इस खेल से खुद को निकाल लेना इतना आसान है?"
अवनी ने एक पल के लिए अपनी नजरें झुका लीं, लेकिन फिर खुद को संभालते हुए कहा, "मुझे फर्क नहीं पड़ता कि आसान है या मुश्किल। मुझे बस अपनी जिंदगी सादगी से जीनी है, किसी साज़िश का हिस्सा बनकर नहीं।"
रिहान कुछ बोलने ही वाला था कि तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।
एक नया मोड़ – खतरा बढ़ रहा है
रिहान का बॉडीगार्ड अंदर आया और बोला, "सर, हमें एक इनसाइडर से खबर मिली है कि सक्सेना ग्रुप ने आपकी कंपनी को बर्बाद करने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। और यह सिर्फ बिजनेस पर हमला नहीं होगा..."
रिहान का चेहरा एकदम सख्त हो गया।
"क्या मतलब?"
"मतलब, वे आपकी सबसे कमजोर कड़ी पर वार करने की योजना बना रहे हैं।"
रिहान को सब समझ आ गया। उसने एक नजर अवनी की ओर देखा, जो अब तक इस बातचीत को सुनकर असमंजस में थी।
अवनी ने उसकी नजरों में कुछ पढ़ने की कोशिश की, लेकिन अब रिहान का चेहरा बिलकुल सख्त था।
एक फैसला जो सब बदल सकता था
रिहान ने कुछ सोचा और फिर बहुत ठंडे स्वर में बोला, "अवनी, तुम्हें अब सच में दूर हो जाना चाहिए।"
अवनी को यह सुनकर झटका लगा।
"क्या?"
"तुम सही कह रही थी। तुम्हें इस दुनिया का हिस्सा नहीं बनना चाहिए।"
अवनी को यकीन नहीं हुआ कि रिहान इतनी आसानी से उसे जाने दे रहा है। कुछ पल पहले वह उसे रोक रहा था, और अब खुद ही कह रहा था कि वह दूर चली जाए?
रिहान ने अपनी जेब से एक कागज़ निकाला और टेबल पर रखा।
"ये तुम्हारी रेजिग्नेशन लेटर है। मैंने पहले ही साइन कर दिया है। अब तुम जा सकती हो।"
अवनी को कुछ समझ नहीं आया कि यह अचानक क्या हो गया।
उसकी आँखों में हल्की नमी आ गई। वह बिना कुछ कहे पीछे मुड़ी और ऑफिस से बाहर निकल गई।
रिहान ने खिड़की से देखा, वह धीरे-धीरे जा रही थी।
उसका मन उसे रोकने का था, लेकिन वह जानता था कि अगर अवनी उसके पास रही, तो उसके दुश्मन उसे भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेंगे।
"दूरी ही सही होगी।" उसने खुद को समझाया।
लेकिन क्या सच में यह दूरी ही सही थी?
अवनी के जाने के बाद, रिहान अपनी ऑफिस चेयर पर बैठा, उसकी फाइल को घूर रहा था। लेकिन उसके दिमाग में कुछ और ही चल रहा था—अतीत की परछाइयाँ।
फ्लैशबैक – सात साल पहले
रिहान की दुनिया तब बदली जब उसके पिता, विशाल मेहरा, की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हुई थी। उनके दुश्मनों ने इसे एक एक्सीडेंट दिखाने की कोशिश की, लेकिन रिहान जानता था कि यह महज़ एक साजिश थी।
वह तब सिर्फ 22 साल का था, जब उसे बिजनेस की कमान संभालनी पड़ी। उसके चाचा, सुरेंद्र मेहरा, ने उसे हमेशा सलाह दी थी—"बड़े बिजनेसमैन के लिए रिश्ते सिर्फ सौदे होते हैं। भावनाओं के लिए यहाँ कोई जगह नहीं।"
वर्तमान में वापस
रिहान ने खिड़की से बाहर देखा। सक्सेना ग्रुप अब उसके सबसे बड़े दुश्मन थे। लेकिन अब अवनी भी इस खेल का हिस्सा बन चुकी थी।
"अब मैं क्या करूँ?" उसने खुद से पूछा।
तभी फोन बजा। दूसरी तरफ से एक गहरी आवाज़ आई—"तुम्हें लगा कि उसे दूर करके सब ठीक हो जाएगा? यह तो बस शुरुआत है, रिहान!"
रिहान की आँखों में बेचैनी थी। उसने अवनी को खुद से दूर करने का फैसला तो कर लिया था, लेकिन उसका दिल अब भी उसे लेकर बेचैन था।
उसने अपने बॉडीगार्ड्स को बुलाया और सख्त आवाज़ में कहा, "अवनी कहां गई?"
"सर, हमने आखिरी बार उसे एयरपोर्ट के पास देखा था, लेकिन उसके बाद वह किसी को नहीं दिखी।"
रिहान की उंगलियाँ कसकर मुट्ठी में बदल गईं। अवनी सीधी अपने घर चली गई होती तो उसे अब तक कोई खबर मिल चुकी होती। लेकिन अगर वह गायब हो गई थी, तो इसका मतलब था कि...
सक्सेना ग्रुप का खेल शुरू हो चुका था।
अतीत की एक झलक – अवनी का कनेक्शन
रिहान को अचानक एक पुरानी बात याद आई।
चार साल पहले…
उसका बिजनेस तेजी से बढ़ रहा था, और तभी उसकी मुलाकात अवनी से हुई थी। अवनी तब अपने पिता के मेडिकल बिजनेस में थी। उसका परिवार नामी डॉक्टर्स का था, और उसकी सादगी ने रिहान को पहली बार किसी के लिए एहसास जगाने पर मजबूर कर दिया था।
लेकिन उसे यह कभी पता नहीं चला कि अवनी का परिवार भी सक्सेना ग्रुप के दुश्मनों में से एक था।
"क्या अवनी को भी सच पता था?"
अवनी का रहस्यमयी गायब होना
रिहान को अब यकीन हो चुका था कि यह महज़ संयोग नहीं था।
उसने अपनी टीम को बुलाया और कहा, "हर जगह तलाश करो। मुझे अवनी जिंदा और सही-सलामत चाहिए!"
तभी उसके सबसे खास आदमी, अरमान ने फोन उठाया।
"सर, हमें एक अजीब चीज़ मिली है।"
"क्या?"
अरमान ने एक तस्वीर भेजी। रिहान ने तस्वीर को देखा तो उसकी साँसें रुक गईं।
तस्वीर में अवनी थी, लेकिन उसके हाथ बंधे हुए थे। उसकी आँखों में डर था, और उसके पीछे एक आदमी खड़ा था—सक्सेना ग्रुप का वही आदमी जिसे रिहान ने एक बार चेतावनी दी थी।
नीचे एक नोट था—
"तुमने इसे दूर कर दिया, लेकिन हम इसे हमेशा के लिए अपने पास रख लेंगे। सौदा तय करो, वरना तुम्हारे पास सिर्फ इसका शरीर वापस आएगा।"
रिहान की आँखों में आग जल उठी।
क्या रिहान अवनी को बचा पाएगा? क्या यह खेल सिर्फ बिजनेस का था, या कोई पुरानी दुश्मनी भी इसमें शामिल थी?
ये तो खेल की असली शुरुआत है?
रिहान ने तस्वीर को मुट्ठी में दबाया। उसकी आँखें अब वो मासूमियत खो चुकी थीं, जो कभी अवनी के लिए चमकती थी।
"सक्सेना... तुम्हें लगता है कि तुमने चाल खेली?"
उसने अपने लोगों की तरफ देखा।
"अब हमारी बारी है।"