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Kismat Se mile hum

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आज मैं एक नई कहानी शुरू करने जा रही हूं , यह कहानी है डॉ उदयवीर सिंह सिद्धू  ❤️ और साची प्रीत  कौर मान❤️ की। डॉ उदय और सांची के दादाजी आपस में दोस्त हैं ।सांची अपने दादाजी के साथ उदय की सगाई में जाती है ।मगर हालात ऐसे बनते हैं कि उसी की सगाई डॉक्टर उ...

Total Chapters (36)

Page 1 of 2

  • 1. Kismat Se mile hum - Chapter 1

    Words: 1324

    Estimated Reading Time: 8 min

    डॉक्टर उदयवीर सिंह सिद्धू की उम्र 32 साल, हाइट 6 फिट, रंग गोरा  मगर हमारी सांची प्रीत से कम। कम बोलने वाले ,अपने काम से काम रखने वाले, यह हॉस्पिटल एंड कॉलेज उनका जुनून है इसी के लिए दिन रात लगे रहते हैं। अपनी फैमिली को प्यार करने वाले ऐसे हैं हमारे डॉक्टर उदयवीर सिंह सिद्धू।  

    प्यार से सब वीर कहते हैं। अपने परिवार में  सभी की इज्जत करते हैं और सभी की बात मानते हैं। यह सोचते हैं कि इन्हें भी अपने पापा ,बड़े भैया और दादा को जैसे लाइफ पार्टनर मिले। इन्हें भी वैसी लाइफ पार्टनर चाहिए ।इन्हीं लगता है कि अगर दादाजी की इतनी लंबी उम्र है और वह इतने सेहतमंद हैं तो सिर्फ दादी की वजह से क्योंकि दादी उन्हें दादी उनकी देखभाल करती है और जो सही ना हो वो उसको रोक भी सकती है। उनके पापा को भी उनकी मम्मी ही संपूर्ण करती है और बड़े भैया तो भाभी के बिना कुछ भी नहीं ।

    इन्हें भी लगता है कि काश इनकी जिंदगी में भी कोई ऐसी औरत आए जो इन्हें संपूर्ण कर दे। जो इन की गलतियों के लिए इन्हें रोक सके और सही होने पर इनको शाबाशी दे सके। जानते हैं कि उनकी मम्मी और दादी के जैसी औरतें अब नहीं होती। इनके पूरे घर में इनके दादी मम्मी और भाभी की बात कोई नहीं मोड़ सकता उनको हमेशा ही सही माना जाता है। ये औरतें कभी गलत हो ही नहीं सकती ।वीर को भी यही लगता है। मगर इनके जैसी औरत क्या वीर की जिंदगी में भी आ सकेगी वीर को तो इसकी आस ही नहीं है। अब देखते हैं इनकी फैमिली में कौन-कौन है।

    उदयवीर के बड़े भाई हरमिंदर सिंह और उनकी बहन के बच्चे भी हैं जैसे-जैसे स्टोरी आगे बढ़ेगी हम इनके साथ साथ और लोगों को  भी आपसे मिलाएं गें।

    सांची जो अपने नाम की तरह बहुत सुंदर है। गोरा रंग, बड़ी काली काली आंखें, बाल न ज्यादा लम्बे ना ज्यादा छोटे, ऊंचाई 5 फुट 4 इंच । सांची की उम्र 24 साल है।वह अपने दादा और भाई की लाडली हैं ।उसके मां-बाप नहीं नहीं थे। उन दोनों भाई बहन को दादा और दादी ने मां-बाप बनकर पाला था ।उसका भाई उससे 15 साल बड़ा था। उसके लिए भी बह बेटी जैसी है। उसकी भाभी ने भी उसे मां का प्यार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। उसने भी अपने भाई और भाभी की कोई बात नहीं मोड़ी। जैसा उन्होंने कहा हमेशा वैसा किया। उसका परिवार ही उसकी जान था। वह अपने दादा  के लिए तो कुछ भी कर सकती थी ।यह सब लोग चंडीगढ़ में रहते थे। 

    सांची के दो शैतान से भतीजे भी हैं मतलब के मनवीर सिंह मान और हर्षदीप कौर मान के दो बेटे।

    गौतम सिंह सिद्धू और मान सिंह सिद्धू यह दोनों गहरे दोस्त हैं और इनका एक तीसरा दोस्त भी है उसका नाम मान सिंह गिल है। वह चंडीगढ़ में रहता है। गौतम सिंह सिद्धू और मानसिंह गिल की के पोता और पोती की सगाई थी। तो इन सब को बुलाया गया था।  सभी लोग एक साथ चंडीगढ़ में एक ही शहर में रहते थे।

    गौतम सिंह सिद्धू के पोते मतलब के उदयवीर सिंह सिद्धू और मान सिंह गिल की पोती मतलब कि शहर प्रीत कौर की सगाई थी। इस सगाई में देव सिंह मान अपने पोते अपने पोते मनवीर और पोती सांची के साथ आया हुआ था।

    सगाई का प्रोग्राम उनके घर में ही था और ज्यादा लोग नहीं थी प्रोग्राम में सिर्फ खास रिश्तेदार ही आए हुए थे घर में खाने पीने का प्रोग्राम चल रहा है इतने में कमरे से ऊंची ऊंची आवाजें आने लगी।

    उनकी आवाज सुनकर देव सिंह मान उठकर कमरे के अंदर चला गया। वहां पर उसने देखा के  शहर प्रीत अपने माता पिता और दादा जी से कह रही थी ," मैं यह सगाई नहीं करूंगी मुझे नहीं पता था कि मुझे शादी के बाद बठिंडा जैसे छोटे शहर में जाकर रहना पड़ेगा और वह भी हॉस्पिटल के बने हुए उन छोटे से फ्लैट में अगर उदयवीर मुझसे शादी करना चाहता है तो वह कम से कम बठिंडा में एक अच्छी सी बड़ी सी कोठी ले वरना मैं ना तो मैं चंडीगढ़ छोड़कर बाहर रहूंगी और ना ही सगाई करूंगी ।"

    देव सिंह मान," बेटा देखो तुम क्या कह रही हो तुम्हें पता है जब उसका हॉस्पिटल बठिंडा में बना है वह वहीं पर काम करता है तो वह  वहां पर सब कुछ छोड़ कर कैसे आ सकता है फिर भी मैं उदय के दादा जी से बात करता हूं तुम 1 मिनट रुको मैं सबको यही बुला कर लाता हूं ।"

    गौतम सिंह सिद्धू और उसकी सारी फैमिली कमरे में आ जाते हैं। देव सिंह मान कहते हैं,"  बैठकर यह मसला सुलझालो ऐसे कैसे चलेगा ।" 

    तभी उदयवीर और उसकी सारी फैमिली आ जाती है। पूरी बात सुनने के बाद उदयवीर कहता है ," मेरा चंडीगढ़ में तो रहना बिल्कुल भी नामुमकिन है तो रही बात हॉस्पिटल का फ्लैट छोड़कर शहर में रहने की तो  कोई बात नहीं मैं बठिंडा में शहर के किसी अच्छे से एरिया में कोठी ले लूंगा मगर प्लीज मैं चाहता हूं शहर प्रीत मेरे काम की इज्जत करे और  यह हॉस्पिटल ही मेरी जिंदगी है यह मेरे दादाजी ने शुरू किया था और इस हॉस्पिटल को मेरे चाचा जी ने आगे बढ़ाया अब मैं ऐसे  ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता हूं ठीक है कि चाचा जी यह देश छोड़कर बाहर चले गए मगर उनके बाद पिछले 10 साल से मैंने यहां पर काम किया है और उसको इस मुकाम पर लेकर गया हूं कि उसकी गिनती देश के अच्छे हॉस्पिटल और कॉलेज में की जाती है और इस एरिया में तो कोई और मेडिकल कॉलेज भी नहीं है ।"

    यह कह कर वो चुप हो गया।थोड़ी देर चुप रहने के बाद वह फिर कहने लगा," वैसे भी यह बात तो मैंने आपकी फैमिली को पहले से ही बता दी थी  मैं चंडीगढ़ में नहीं रहने वाला "

    " तो शहर प्रीत बोली मेरे परिवार ने यह बात मुझे मुझसे कही थी मुझे लगा कि तुम शायद तुम चेंज हो जाओगे मगर इतने इतने दिनों में यह तो मुझे पता चल गया कि तुम्हारे लिए हॉस्पिटल ही सब कुछ है मैं नहीं मैं ऐसे आदमी के साथ कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती ।"

    ऐसे में  उदय ने कहा ," जो आपको अच्छा लगे मैं फैसला आप पर छोड़ता हूं पर मैं अपने हॉस्पिटल के बारे में कुछ नहीं सुनना चाहता दोनों के परिवारों ने ही दोनों बच्चों को समझाने की कोशिश की उदयवीर ने तो कह दिया मुझे मैं सभी बातें मानने को तैयार हूं लेकिन वह हॉस्पिटल नहीं छोड़ सकता ।" शहर प्रीत के परिवार ने भी उसे समझाने की कोशिश की। मगर उसने कहा कि वह चंडीगढ़ में रहना चाहती है। वह बठिंडा जैसी एरिया में जाकर नहीं रहेगी।

    देव सिंह मान शहर प्रीत के पास आता है और कहता है ," बेटा तुम कोई फैसला जल्दबाजी में मत लो उदयवीर  कितना अच्छा लड़का है इतना अच्छा काम करता है तुम को उसका साथ देना चाहिए ।"

    यह सब सुनकर शहर प्रीत कहती है ," आप क्यों नहीं अपनी पोती का रिश्ता इसके साथ कर देते मुझे समझाने की कोई जरूरत नहीं है ।"

    फिर से शहर प्रीत कहती हैं ," अब आप चुप क्यों हो गए आपको पता है ना आप की पोती वहां जाकर नहीं रहेगी ।"

    इस पर दादाजी कहते हैं ," मेरी पोती तुम्हारे जैसी नहीं है जो बात मैंने कह दी वह उस पर अडिग रहेगी मेरे बच्चे मेरा गुमान है और उनको बीच में मत लाओ ।"

    तो फिर शहर प्रीत कहती है," तो ठीक है आज फिर उसकी ही सगाई कर दो । तो दादा जी कहते हैं ," ठीक है अगर उदयवीर और उसकी फैमिली को कोई प्रॉब्लम ना हो तो मैं उदय को अपनी पोती के लिए पसंद करता हूं ।" सबसे पीछे खड़ी हुई सांची सब सुनकर  सोचती है ,"  मैं सबके बीच में कहां फस गई अब यह क्या हो  गया ।"

     

    सांची प्रीत क्या करेगी? क्या यह रिश्ता हो पाएगा?

  • 2. Kismat Se mile hum - Chapter 2

    Words: 1243

    Estimated Reading Time: 8 min

    आपको मेरी नई स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज कमेंट में बताएं।
     
    यह सब सुनकर शहर प्रीत रहती है ,"... आप क्यों नहीं अपनी पोती का रिश्ता इसके साथ कर देते... मुझे समझाने की कोई जरूरत नहीं है... अब आप चुप क्यों हो गए... आपको पता है ना आपकी पोती वहां जाकर नहीं रहेगी..."। शहर प्रीत की बात सुनकर दादा जी कहते हैं,"... मेरी पोती तुम्हारे जैसी नहीं है... जो बात मैंने कह दी ... वो  उस पर अडिग रहेगी... मेरे बच्चे मेरा गुमान है ...और उनको बीच में मत लाओ ...""...तो ठीक है... आज फिर उसकी ही सगाई कर दो..."।
     
     
     
    शहर प्रीत की बात सुनकर दादाजी बोले,"... अगर उदय और उसकी फैमिली को प्रॉब्लम ना हो तो... मैं उसे को अपनी पोती के लिए पसंद करता हूं ... मुझे उदय बहुत पसंद है..."।सबके पीछे खड़ी हुई सांची सुनकर सोचती है ,"... मैं सबके बीच कहां फंस गई ... यह क्या हो गया है... मैं तो अपनी सहेली की सगाई पर आई थी... पर जहां पर तो मेरी सगाई की बातें चल रही हैं...🤪"।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
      सांची  दादाजी और शहर प्रीत की बात सुनकर सोचने लगी ,"...यह मैं बीच में कहां फंस गई..।"
     
       
     
     
     
     
     
     
    तभी सांची के दादाजी  सांची के पास आकर बोले  ,"... क्या मुझे हक है कि मैं तुम्हारी जिंदगी का फैसला कर सकूं... वैसे मुझे तुम्हारा फैसला पता है... मगर फिर भी एक बार मैं तुमसे पूछना चाहता हूं..(असल में दादा जी को इस बात पर बहुत गुमान था कि सांची उसकी बात कभी नहीं मोडेगी.. वह जो कहेगा ..वह वही करेगी...") यह सुनकर सांची ने सिर हिला दिया।
     
    "ठीक है.. दादा जी ... जैसा आपको अच्छा लगे..." चाहते हुए भी वो कुछ नहीं बोल सकी। क्योंकि उसे पता था उसके दादाजी को एक अटैक आ चुका है। अगर इस वक्त तो उसने मना किया तो शायद दूसरा आ जाएगा ।जिस तरह के हालात हो रहे थे उसमें सांची को डर  था कि कहीं दादा जी को कुछ हो ना जाए। इस वक्त सिर्फ उसे अपने दादाजी की फिक्र थी। वह उनसे जान से ज्यादा प्यार करती।
     
       
    देव सिंह मान उदयवीर के दादा जी गौतम सिंह सिद्धू के पास आए और बोले,"... मैं अपनी पोती के लिए तुम्हारे पोते का हाथ मांगता हूं... बोलो अगर रिश्ता पसंद हो तो... आज हम अपनी बचपन की दोस्ती को रिश्तेदारी में बदल देते❤️ हैं...।"
     
       
    गौतम सिंह सिद्धू बोले," सांची❤️ शुरू से ही बहुत पसंद है ...मुझे लगता था ... उदय  और सांची के बीच में उम्र का फासला है... इसीलिए मैंने सांची को उदय के लिए नहीं मांगा था...अगर आपको  कोई प्रॉब्लम नहीं है... तो मेरे लिए बहुत खुशी की बात होगी...मगर मैं चाहता हूं कि तुम एक बार मनवीर.. हर्ष दीप और सांची से भी बात कर लो... उन सब से पूछना बहुत जरूरी है..."।
     
         
    मैं भी उदयवीर से बात करता हूं। दादाजी उदयवीर से कहते हैं ,"... ये जो भी कुछ हो रहा था ठीक नहीं हुआ...पहले रिश्ता तुम्हारे मां-बाप और तुम्हारी मर्जी से हुआ था ...मगर अब अगर तुम मेरे पसंद की लड़की से शादी करो तो मेरे लिए यह बहुत बड़ी बात होगी ...और तुम सोच भी नहीं सकते कि कितनी सही लड़की तुम्हारी जिंदगी में आएगी..."। यह सब बातें सुनकर उधर उदयवीर बोला ,"...दादा जी पहले तो मैं शादी करना ही नहीं चाहता था... पहले भी शादी मैंने मां-बाप की मर्जी से तय हुई थी... अब मना मैं आपको भी नहीं करूंगा... मगर सोच लीजिए मुझे बठिंडा में ही काम करना है ...और उसे छोड़कर कहीं नहीं जाना... मेरी नेचर का भी आपको पता है  ..अगर मेरे इस नेचर के साथ  कोई लड़की मेरे साथ एडजस्ट कर सकती हैं तो ठीक है... मैं आपको मना नहीं करूंगा..मगर कल को जो भी होगा उसकी जिम्मेदार आप होंगे... प्लीज मैं उस लड़की से भी एक बार बात करना चाहूंगा... आखिर मुझे पता तो चले वह लड़की है कौन...।
     

    उधर सांची के दादाजी ने मन वीर और हर्ष दीप मतलब के सांची के भाई और भाभी से बात की। जब दादाजी मनवीर से उदय के बारे में बात करते हैं तो मनवीर ने अपने दादा जी से कहा,"... आप जो कर रहे हैं ...वह गलत कर रहे हैं...मैं इतनी जल्दबाजी में सांची का रिश्ता नहीं कर सकता... पता है कि उदयवीर एक अच्छा लड़का है... मगर उसका और सांची के उम्र का 8 साल का फर्क है... मैं साची को इतनी दूर नहीं रखना चाहत... मैं चाहता हूं कि वह मेरे पास रहे..."।
     
     
     
    तभी सांची आ जाती है और मानवीर से कहती है ".. वीर जी मैं आपसे अकेले में बात करना चाहती हूं...""...हां सांची क्या बात है... तुम घबराओ नहीं ..जो तुम्हारा मन होगा वही होगा ..."  मनवीर ने कहा।",... मैं शादी के लिए तैयार हूं... आपको पता है ... दादाजी को एक अटैक पहले ही आ चुका है... अगर मैंने मना किया तो शायद दूसरा भी आ जाएगा... दादा जी हमारे लिए सब कुछ है ...हमारे मां-बाप के बाद उन्होंने ही हमें पाला है ...जो भी कुछ हो मैं से शादी के लिए तैयार हूं ...और मुझे वहां जाकर रहने में कोई दिक्कत ही नहीं...।"
     
        
     
     
     
     
     
     मनवीर कहते हैं ,"... मुझे पता है...मेरी बहन का पता है दुनिया में सबसे प्यारी बहन है जो अपने मां-बाप के लिए कुछ भी कर सकती हैं..."। मनवीर सांची को गले से लगा लेता है।
     
    डॉ उदयवीर और सांची को भी बात करने का मौका दिया जाता है। उदयवीर सांची से कहता है ,"... देखो मैं मैं शादी के लिए मना नहीं कर सकता... इसलिए तुम मना कर दो... मुझे यह शादी नहीं करनी है..." । साची उसकी बात सुनकर कहती है ,"... मैं कौन सा आप से शादी करना चाहती हूं ...मगर  मैंने मना किया तो मेरे दादाजी को अटैक आ जाएंगा...इसलिए मैं मना नहीं कर सकती... आप मना कर दे तो.."। उदयवीर ने कहा ,"...... मैं भी मना नहीं कर सकता... मेरी मजबूरी है..."।
     
        
    गौतम सिंह सिद्धू अपने पूरे परिवार जाने उदयवीर के मां-बाप और उसके बड़े भाई से बात करता है। सभी को सांची पसंद आती है। उसी वक्त होटल में जाकर उन दोनों की इंगेजमेंट कर दी जाती है। 
     
     
     दोनों घर जाकर सोचते हैं ।यह क्या हो गया? दोनों की उमर 8 साल का फर्क था। उदयवीर सोचता है,"... क्या यह ठीक है... इतनी छोटी लड़की उसके साथ एडजस्ट कर पाएगी... कहीं ऐसा तो नहीं हम लोग एक दूसरे के साथ निभा ही ना पाए... मगर दादाजी के आगे मैं कुछ नहीं बोल सकता...देखते हैं क्या होता है... मगर उस लड़की से मुझे ज्यादा आस नहीं है ...कि वह जिंदगी में मेरे साथ चल सकेगी... दादा जी को थोड़ा तो सोचना चाहिए था... हम दोनों के बारे में ...वह अभी बच्ची है ..."
     ऐसा ही सांची सोच रही थी। "...यह क्या हो गया.. मैं तो अपनी सहेली की इंगेजमेंट पर गई थी ...यह तो मेरी ही हो गई ...और मुझे तो बिल्कुल समझ नहीं आ रहा... ना मैं दादा जी से कह सकती हूं ...और वो तो मुझसे उम्र में भी बड़ा है और ऊपर से खडूस  डॉक्टर है ..उसे तो दिल की चीर फाड़ करनी आती है ...हार्ट की धड़कनें सुननी नहीं आती❤️...।"
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    अब क्या होगा डॉक्टर खडूस और हमारी प्यारी सांची का?
     
     
     
     
     क्या दोनों कभी एक दूसरे के दिल की धड़कन बन सकेंगे ?
     
     
     
    कहीं ऐसा तो नहीं आगे चलकर एक दूसरे से अलग हो जाएंगे ?
     
     
     
     
     
    उनकी जो उम्र में वह फर्क है कहीं उनके बीच दूरियां तो नहीं
     
    कर देगा?
     
    प्लीज मेरी सीरीज पर कमेंट करें साथ में रेटिंग भी दे।आपको मेरी सीरीज कैसी लग रही है कमेंट में बताएं। मुझे फॉलो करना और रिव्यू देना याद रखें।
     
     
     
     
     
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  • 3. Kismat Se mile hum - Chapter 3

    Words: 1761

    Estimated Reading Time: 11 min

    ऐसा ही सांची सोच रही थी।"... यह क्या हो गया ...मैं तो अपनी सहेली की रोक पर  गई थी... यह तो मेरी ही हो गई ...और मुझे तो बिल्कुल समझ नहीं आ रहा... ना तो मैं दादा भी से कह सकती हूं  और..
     
    वो तो मुझे उम्र में भी बड़ा है ...ऊपर से डॉक्टर है... उसे तो दिल की चीज फाड़ कर नहीं आती है... दिल की धड़कनें सुननी नहीं आती❤️..."।
     
     
     
     
     
    तभी उसकी उसकी सहेली मन्नत का फोन आता है ।मन्नत सांची से कहती है ,"...मुझे अभी भाई जान से पता चला तुम्हारी इंगेजमेंट हो गई... अजीब दोस्त हो तुम मेरी...  तुमने मुझको बताया ही नहीं..."उसकी सहेली मन्नत उसे पर गुस्सा होने लगी। वह दोनों स्कूल से साथ थी ।उन दोनों ने कॉलेज भी साथ में किया।दोनों ने कभी एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाया था। आज सांची ने सगाई उसके बिना कर ली ।यह बात वह सोच भी नहीं सकती थी।
     

    "..तुम मेरा दुख मत पूछो ... मेरे साथ क्या हुआ तुम सोच भी नहीं सकती🥺...""...मैं सब समझती हूं... अब बहाने मत बनाओ 😡... सीधे-सीधे बताओ कौन है वह.. जिसे तुमने सगाई की है..."।".. तुम्हें पता ही है कल शहर प्रीत की रोक थी ...""... वह मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं है.. वह पूरी नकचढ़ी है..इसलिए मैं उसकी सगाई में नहीं आई..." मन्नत ने कहा।"..अच्छा होता अगर मैं भी ना जाती हूं उसकी सगाई में ...कल मीनल की शादी में हम मिल रहे हैं ना ...वही मिलकर मैं तुमको सारी बात बताऊंगी ...""..ठीक है ..बात चाहे तो मुझे कल बता देना... मुझे मेरे जीजू की एक फोटो तो भेज दो🤪..."अब मन्नत कहां पीछे हटने वाली थी।
     
     
     
    "... मेरे पास उसका कोई फोटो नहीं है ...ना ही मुझे रखना है और... प्लीज उसको जीजू  जीजू... मत बोलो..."सांची को मन्नत की बात सुनकर गुस्सा आ गया था।"... कमाल करती हो तुम जिसे तुमने सगाई की है.. मैं उसे जीजू भी ना बोलुं.. तो और क्या बोलूं ..सीधे-सीधे फोटो भेजो मुझे ..कोई बहाना नहीं चलेगा...""... देखो मन्नत मेरा मूड बहुत ज्यादा खराब है.. इस वक्त मैं कोई बात नहीं कर सकती.. कल जब मिलेगी तो बताऊंगी तुझे... की क्या हुआ.. मैं फोन बंद कर रही हूं.. अब मुझे फोन मत करना ..."कह कर सच में फोन काट दिया और फोन को बंद कर दिया।
     

    "..अजीब लड़की है मेरा फोन ही काट दिया.. और मुझे फोटो भी नहीं भेजी लगता है मेरे होने वाले जीजू के साथ है ..चलो कोई बात नहीं ..बताने दो उसे मेरी जीजू के साथ वक्त... कल  मिलेगी तो सारी बात पूछूंगी..."। कुछ और ही सोचने लगी थी। उधर सांची अपना सर पकड़े हुए बैठी थी।

    "... वह मुझसे शादी नहीं करना चाहता... मैं उससे शादी नहीं करना चाहती.. फिर भी हम लोगों ने सगाई कर ली.. सचमुच मेरे साथ तो पूरी फिल्मी कहानी बन रही है..."सांची अपने कमरे में बैठी हुई सोच रही थी।"... हो सकता है वही कोई प्लान निकाल लें.. शादी न करने का... शादी तो मुझसे वह भी नहीं करना चाहता..."।
     
     
     
     
     
     
     
    अगले दिन सांचीऔर मन्नत की सहेली  मीनल की शादी थी। दोनों सहेलियां उसकी शादी पर इकट्ठा हुई। शादी के बीच दोनों सहेलियां एक टेबल पर बैठी हुई थी। "...तो अब बता कैसे हुई तेरी सगाई... तुमने कल कहा था कि तू मुझको आज बताएगी..." मन्नत ने सांची से पूछा।"... हां तुम्हारा तो पेट दर्द होने लगा होगा ना... कि तुम्हें बात कैसे नहीं पता चली...." सांची अभी भी मन्नत पर गुस्सा हो रही थी।
     

    "... देख एक तो तुमने अकेले-अकेले सगाई कर ली.. मुझे नहीं बुलाया ..जीजू की फोटो भी नहीं दिखाई ..अब मुझे जीजू से मिलवाने की जगह मुझ पर गुस्सा हो रही है ..जल्दी से पूरी बात बता..." मन्नत  ने कहा।
    "... अच्छा सुन कल मैं शहर प्रीत की सगाई में गई थी ना ...""..फिर शहर प्रीत 😡का नाम.. मुझे नहीं जानना उसकी सगाई के बारे में... तू मुझे अपनी सगाई के बारे में बता❤️...""... अगर तुम मुझे बात करने दोगी ...मैं तो ही बताऊंगी ना अपनी सगाई के बारे में ...वहू शहर प्रीत की सगाई में ही तो मेरी सगाई हुई है..."".. क्या कह रही हो.. तुम ..वहां पर तुम्हें कोई लड़का पसंद😁 आ गया ...""... नहीं जिस शहर प्रीति की सगाई होनी थी उससे मेरी सगाई हो गई 🥺..."।
     
     
     
    "..क्या कह रही है तू ...""...मेरी पूरी बात सुन बोलना मत बीच में..शहर प्रीत की सगाई डॉक्टर उदय से हो रही थी.. उसकी बठिंडा में एक अस्पताल है ..इस इलाके में काफी फेमस है ..पूरी फैमिली यही चंडीगढ़ में रहती है.. वह दादाजी के दोस्त हैं ना.. जिन्हें तुम भी जानती हो.. मानसा वाले...  उनके बेटे से सगाई हो रही थी शहर प्रीत की... शहर ने कहा कि वह चंडीगढ़ के सिवा कहीं बाहर नहीं रहेगी ..तो वह सगाई नहीं करेगी... तो दादाजी बोले मैं अपनी पोती की सगाई कर देता हूं...""... तो तू मना कर देती..."मन्नत ने कहा ।
     
     
    "...कैसे करती मना ..दादा जी को एक अटैक आ चुका है ..अगर मैं मना कर दी थी तो दूसरा आ जाता ..अब सगाई तो हो गई मगर मुझे सगाई तोड़नी है.. यह बता क्या करूं मै ..."मन्नत से पूछा सांची ने पूछा ।"..कोई ऐसी तरकीब 🤪बताओ जिससे डॉक्टर उदयवीर उस से अपने आप शादी तोड़ दें ..और उसका नाम भी ना आए..."
     
     
    शादी में दोनों सहेलियां बहुत सुंदर लग रही थी। सांची तो हल्के मेकअप और खुले बालों में बहुत प्यारी लग रही थी। वह दोनों सहेलियां आपस में बैठकर वहां बातें कर रही थी। आसपास  वाले लड़कों का ध्यान उन पर जा रहा था। मगर वह दोनों सहेलियां अपनी ही बातों में पूरी मस्त थी।
     
     
     
     
         मन्नत:.(सोचते हुए). तो तुम डॉ उदयवीर सिंह अपनी मंगरी तोड़ना चाहती हो...और चाहती हो कि तुम्हारा नाम भी ना आए 😁..यह सारी कारवाई डॉक्टर उदयवीर की तरफ से हो... तो ऐसा क्या किया जाए ..कि हमारा प्लान कामयाब हो जाए...
     
         सांची: हां🤔
     
    मन्नत:.. तो तुम किसी से फोन करा दो कि वह तुम्हें चाहता है.. 
     
    सांची: बिल्कुल गलत आईडिया ...इससे तो मुझसे भी सवाल पूछा जाएगा ..जब मैं मना कर दूंगी ..तो बात खत्म हो जाएगी... यह आइडिया काम नहीं करेगा..."।               
     
    मन्नत: "...हम लोग डॉ उदयवीर के बारे में पता लगाते हैं .. अगर उसका कुछ ना कुछ निकल आया.. तो हम मना कर देंगे और तुम्हारी मंगनी टूट जाएगी... यह आइडिया बिल्कुल सही है..."।
     
     
     
     
    सांची: ...नहीं, कुछ ऐसा करना है.. जिससे मेरा नाम बिल्कुल भी मत आए.. और  मंगनी भी टूट जाए.. और सारा इल्जाम डॉक्टर उदयवीर पर जाए..."।
     
    मन्नत: "..हम ऐसा करते हैं किसी लड़के के साथ तुम्हारी कोई फेक फोटो उसको व्हाट्सएप कर देते हैं  ..जब वह देखेगा तो देख कर अपने आप ही शादी तोड़ देगा.. इसे तुम्हारा नाम भी नहीं आएगा ...सांची.. तुम मुझे उसका नंबर दो...।"
     
     
     
     
    सांची: मेरे पास उसका नंबर नहीं है।
     
    मन्नत: तो हम किसी से उसका नंबर ले लेते हैं ‌
     
        तभी सांची के व्हाट्सएप पर कोई मैसेज आता है।  फोन पर नोटिफिकेशन देखकर वो मैसेज को खोलती है तो उसमें कोई किसी अननोन नंबर से मैसेज  था। अगर आपको मेरा नंबर चाहिए तो मैं दे देता हूं।
     
     
     
     
       
    सांची मैसेज मन्नत को दिखाती है और वह दोनों सहेलियां आसपास देखती है। मगर होने डॉ वीर दिखाई नहीं देता। तो सांची और मन्नत परेशान हो जाती हैं। तभी  फोन पर फिर मैसेज आता है सांची फोन देखती है तो उस पर लिखा था कि "...आप अपने पीछे मुड़ कर तो देखें...🤔"।
     
     
     
     
      जब सांची अपने चेयर के बिल्कुल पीछे देखती है तो वहां पर डॉक्टर उदयवीर बैठा हुआ था।  वह अपने दोस्तों के साथ बैठा था। डॉक्टर उदयवीर उठकर सांची के पास वाली चेयर पर बैठ जाता है। आकर कहता है ,"... आपको मेरा नंबर चाहिए था...मैं दे देता हूं... आपके पास अभी मैसेज आया होगा ..वही मेरा नंबर है... प्लीज सेव कर लीजिए..."।
     
     
     
     
     
     
     
                
     
    सांची हैरान परेशान होकर उसकी तरफ देखने लगती है और मन्नत के पैर पर पैर मारती है कि उसने सब गड़बड़ कर दिया।
     
    सांची वीर से भी पूछती है ,"... क्या मैं पूछ सकती हूं... मेरा नंबर उसके पास कैसे आया...?
     
     
     
    Doctor udayveerSingh:..." ये बात बड़ी नहीं है कि आपका नंबर मेरे पास कैसे आया...पर मैं आपको एक बात बताना चाहता हूं... चाहे जो भी हो जाए ...ये मंगरी मेरी तरफ से नहीं तोड़ी जाएगी... अगर मंगनी तोड़नी है तो आप को ही कुछ करना होगा..।"
     
     
     
    सांची: जी देखिए, आप हमारे टेबल से जाएं हमें आपसे बात नहीं करनी।
     
     
     
     
    उदयवीर: ""...हमारी मंगनी हो चुकी है मैं कम से कम आपके पास बैठ कर बात तो कर सकता हूं..."। शरारत से मुस्कुराने लगता है। 
     
       ये देख कर सांची को और भी गुस्सा आ जाता है। वैसे उदयवीर का इरादा सांची को छेड़ने का बिल्कुल भी नहीं था। मगर वह  उनकी प्यारी सी बातें और क्यूट सी हरकतें देखकर  छेड़ने लगा था ।इस बात से वह खुद भी अनजान था कि सांची ❤️उसे अच्छी लगी थी।
     
          
     
     
      उनकी मांगने वाली बात पीछे बैठे दोस्तों के कान में पड़ जाती है। वो सब लोग भी खुशी से खड़े होकर  सांची और डॉक्टर उदयवीर को ज्वाइन कर लेते हैं। सभी दोस्त आकर डॉ उदय और सांची को बधाई देते हैं और साथ में कहते हैं कि तुम लोगों ने हमको बताया ही नहीं। वह लोग सांची को भाभी भाभी कहने लगते हैं।
     
       
     सांची गुस्से से डॉक्टर उदयवीर को देखने लगती है तो मन्नत कहती है ,"... तुम जीजू पर गुस्सा क्यों हो रही हो...?" सांची को और ज्यादा गुस्सा आ जाता है। तभी उदय कहता है,"... गए काम से..."। जिस तरफ डॉ उदय देख रहा होता है उसी तरह सांची देखने लगती है। सामने से सांची के दादा और उदय के दादा दोनों साथ में हंसते हुए उनकी तरफ भी आ रहे हैं।
     
        
      दोनों के दादा सांचीऔर उदय को साथ में देखकर खुश हो जाते हैं और कहते हैं ,"... यह दिन देखने के लिए तो हमारी आंखें तरस गई थी.. आज हम दोनों बहुत खुश हैं..."।
     

    गौतम जी: "...अच्छा बच्चों तो तुम दोनों साथ में शादी पर आए मुझे बहुत अच्छी बात है... हम दोनों तो वैसे ही घबरा रहे थे कि कहीं हमने बच्चों पर दवाब डालकर कोई गलती तो नहीं करदी है.. मगर अब हमारे मन को चैन आ गया.."।
     
     
    देव जी: "..देखो दोनों साथ में इतने अच्छे लगते हैं.. हम लोगों को जानकर बहुत खुशी हुई.. कि तुम दोनों के साथ इस मंगनी से खुश हो.. इसीलिए तो आज दोनों साथ में शादी पर आए हो..."।
     
     
    डॉक्टर उदयवीर को सांची का नंबर कहां से मिला?
     क्या उदय सच में सगाई तोड़ना चाहता है?
     
    क्या सांची सगाई तोड़ सकेगी ?
     
     
    क्या उदय के दादा और सांची के दादा उन दोनों को देखकर सच में बहुत खुश है?
     
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  • 4. Kismat Se mile hum - Chapter 4

    Words: 1110

    Estimated Reading Time: 7 min

    दोनों के दादा सांची और उदय को साथ देखकर खुश हो जाते हैं और कहते हैं,"... यह दिन देखने के लिए तो हमारी आंखें तरस गई थी ..आज हम दोनों बहुत खुश हैं ...तुम दोनों शादी में साथ आए हो मुझे बहुत अच्छी बात है..."। गौतम जी की बात सुनकर देव जी कहने लगे,"... देखो दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं ...हम लोगों को जानकर बहुत खुशी हुई... कि तुम दोनों इस मंगनी से खुश हो... इसीलिए तो आज एक साथ यहां पर आए हो..."।
     
     
     
     
     
     अब सांची क्या बताएं कि वह उदय के साथ नहीं आई ।वह तो मन्नत के साथ आई थी शादी पर। दादाजी की बातें सुनकर सांची को बहुत गुस्सा आता है ।वो गुस्से से कभी डॉक्टर उदयवीर को तो कभी मन्नत को घूरती है। मन्नत बात करती हुई डॉक्टर उदयवीर को  जीजू बोल रही थी। सांची अपना पैर मन्नत के पैर के ऊपर मारती है ।
     
     
     
     
     
     
     
    "...मेरा पैर टूट जाएगा... कब से लगी हो मेरे पैर के ऊपर पैर मारने .. क्या प्रोब्लम है तुम्हारी.. बात तो करने दो मुझे..."मन्नत गुस्से से सांची को बोली।"... तुम उदय को बार-बार जीजू क्यों बोल रही हो ...समझ में नहीं आता है क्या तुम्हें ...उसकी और मेरी शादी नहीं होगी ...""... जीजू मुझे तो बहुत पसंद है. मैंने तो उन्हें अपना जीजू मान लिया है... इसलिए मैं जीजू ही कहूंगी.. तुम मेरा पैर तोड़ना बंद करो...""... तो तुम कर लो शादी उससे... तुम्हें पसंद है😁...""... मुझे उन्हें तुम्हारा जीजू नहीं बनाना🤪 है... अपना जीजू बनाना है याद रखो... अब तुम भी चुप चाप  जीजू के दोस्तों की भाभी बन जाओ...तुम दोनों बहुत अच्छे लगते हो... अगर जीजू के दोस्तों में कोई तुम्हारा जीजू बनने लायक होगा ...तो मुझे उस से मिलवा देना 😉समझ गई ना...।
     
     सांची मन्नत से धीरे से कहती है ,"... याद रखो... अगर तुम ने हम दोनों की शादी नहीं तुड़वाई... तो तुम जिसके साथ शादी करना चाहती हो... मैं उस से कभी नहीं होने  दूंगी...😁..." । दोनों सहेलियां धीरे-धीरे एक दूसरे से लड़ाई कर रही थी। डॉक्टर उदयवीर दोनों को लड़ते हुए देख रहा था। मगर उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह आपसे में क्या बोल रही है। मगर उसे सांची का बचपना जरूर दिखाई दे रहा था।
     
     तभी गौतम जी उदय और सांची दोनों से कहते हैं ,"... चलो बच्चों हम नवविवाहित जोड़े को शगुन दिन आए..."।   गौतम जी, देव जी ,सांची और उदयवीर के साथ उनके दोस्तों को साथ लेकर स्टेज की तरफ चलते हैं। सभी नवविवाहित जोड़े को शगुन देकर साथ में तस्वीर खींचाते  हैं ।जब स्टेज से नीचे उतरने लगते हैं तो देवजी उदय और सांची को कहते,"... तुम दोनों साथ में फोटो करवाओ... हम लोग जा रहे हैं...जब तुम दोनों साथ ही शादी पर आए हो ..
    तो तुम दोनों को साथ ही शगुन देना चाहिए..."।
     
       
     
     
     
     
     
      यह बात सुनकर दोनों एक दूसरे का मुंह देखने लगते हैं। क्योंकि दोनों साथ नहीं आए थे । जिस लड़के की शादी थी वह उदय का दोस्त था और जिस लड़की की शादी थी वह सांची की सहेली थी। तो वह दोनों वैसे इकट्ठा हो गए थे। इससे पहले के सांची और उदय कुछ बोले मन्नत खींचकर उन दोनों को साथ में ले जाती है। तो दोनों ना चाहते हुए भी एक दूसरे के साथ खड़े होकर फोटो खींचाते हैं।  सांची   उदयवीर से कहती है ,"...हम दोनों साथ में खड़े हैं... ये तुम्हारी गर्लफ्रेंड को पता चल जाएगा...अच्छा है ना... वह आकर हमारी शादी तोड़ देगी... इस तरह मैं शादी से बच जाऊंगी...""... मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है ...पर तुम्हारे बॉयफ्रेंड को पता चल जाएगा ... वो जरूर हल्ला करेगा... इस तरह से मुझे तुमसे शादी नहीं करनी पड़ेगी..."।
     
     
    "... मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है... और मेरे इतने बिल्कुल पास मत आओ...थोड़ा दूर होकर रहो..."। वह दोनों आपस में लड़ ही रहे थे कि उदयवीर बोला,"...मारे गए..."।"...अब क्या हुआ... तुम्हारी गर्लफ्रेंड आ गई है क्या ...वह सबके सामने तुम्हारी पिटाई करेगी..."... आगे देखो अब स्टेज पर कौन आ रहा है..."डॉक्टर वीर बोला।
     
      
      जब सांची नजर घुमाकर देखती है तो उदयवीर के मां,भैया ,भाभी ,बहन उसका पति बच्चे सभी आ रहे थे। सब लोग सांची और उदय को साथ देखकर बहुत खुश हो रहे थे। Sanchi ne apna hath Apne sar per mara और बोली ,"... हम तो गए काम से..."। सांची और उदय नीचे जाने लगे । मगर उदय की बहन जसविंदर ने सांची का हाथ पकड़ लिया। और कहां,"... सांची भाभी आप दोनों भी हमारे साथ फोटो कराओ... आप दोनों ने अकेले तो बहुत पिक करवा ली... अब हमारी बारी है..."।
     
            
     उदय के जीजू समरदीप संधू डॉक्टर उदयवीर को पकड़कर साथ ले आए। उन दोनों को बीच में खड़ा कर सभी ने उनके साथ फोटो कराई। स्टेज पर ले जो भी कुछ हो रहा था मन्नत ने नीचे खड़ा खड़ी होकर सब वीडियो बना ली। सांची और उदय की जोड़ी मन्नत को बहुत अच्छी लगी। वह दोनों साथ में बहुत अच्छे रहे थे। मन्नत दिल से चाहती थी उदय और सांची की शादी हो जाए।
     
     
     
      डॉक्टर उदयवीर की मां गुरमीत जी सांची से बहुत खुश होकर मिली। उन सब लोगों ने सांची को साथ लेकर ही शादी में खाना खाया। देव सिंह मान जाने के सांची के दादा ने उन सब को घर पर खाने के लिए इनवाइट किया और अगले दिन उन सब को लंच पर बुलाया। अपने दादाजी की बातें सुनकर सांची परेशान हो रही थी। "...यह सभी लोग अब हमारे घर पर भी आएंगे ...लगता है इसे कभी पीछा नहीं छूटेगा..."।
     
             
     
     
     रात को सांची अपने बिस्तर पर पड़ी टीवी देख रही थी। दिन में आज जो कुछ भी है उसके बारे में सोच रही थी।".. यह मेरे साथ क्या हो रहा है... अचानक मेरी सगाई हो वीर से हो गई ...अब वह अचानक मुझे सहेली की शादी पर मिल गया... उसकी फैमिली भी वही थी... वह लोग मुझे  मिलकर कितने खुश थे...जितना मैं  वीर से दूर जाना चाहती थी ..उतने ही उन लोगों के नजदीक जा रहे हैं ... मुझे तो ऐसा लगता है की शादी कभी नहीं टूटेगी..."उसके दिमाग में उदयवीर और उसकी फैमिली ही घूम रहे थे ।
     
     
     
     
    तभी उसके फोन पर एक व्हाट्सएप मैसेज आया। जब उसने मैसेज खोला तो उसमें लिखा था कि अपनी फ्रेंड का  फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज खोल कर देखो। मैसेज पढ़ने के बाद उसने मन्नत का इंस्टाग्राम अकाउंट खोला। उसका तो मुंह खुलेगा खुला रह गया।
     
    आखिर वह मैसेज किसका था ?
     
    सांची की फ्रेंड मन्नत ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर ऐसा क्या डाला था कि सांची हैरान हो गई?
     
     
     क्या सच में उदयवीर की कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
     
     क्या उदयवीर की फैमिली सचमुच खुश है सांची से मिलकर ?
     
    क्या दोनों के दादाजी की खुशी पूरी होगी?
     
     
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  • 5. Kismat Se mile hum - Chapter 5

    Words: 1087

    Estimated Reading Time: 7 min

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    तभी उसके फोन पर एक व्हाट्सएप मैसेज आया। जब उसने मैसेज खोला तो उसमें लिखा था ,"... अपनी फ्रेंड का फेसबुक और इंस्टाग्राम पेज खोल कर देखो ..."।मैसेज पढ़ने के बाद उसने मन्नत का इंस्टाग्राम खोल कर देखा।उसका तो मूंह  खुले का खुला ही रह गया। उसे मन्नत पर बहुत ज्यादा गुस्सा आया।
     
     
     
     
     
     
     
      
     
     
    सांची का मुंह खुला का खुला ही रह गया। उसने मन्नत को फोन किया। मगर मन्नत ने फोन नहीं उठाया । उसने दूसरी बार फिर मन्नत को फोन लगाया। मन्नत ने इस बार फोन फिर नहीं उठाया। अब तो सांची  को इतना गुस्सा था कि वह मन्नत का मर्डर कर देना चाहती थी।उसके बाद फिर उसने डॉक्टर उदयवीर को फोन किया। फोन करने से पहले सबसे पहले उसने उस डॉक्टर उदयवीर की नंबर को सेव किया ।डॉक्टर खडूस🤪 को उसके नाम से। डॉक्टर खडूस का नाम देखकर वह अकेले में खुश हुई🤪,"... अपने मन में बोली... इसी के लिए तो यही नाम ठीक है..."।
     
    जब मन्नत ने  फोन नहीं उठाया तो उसने डॉक्टर उदयवीर को फोन किया। उसके फोन उठाते ही सांची बोली," ...यह सब कुछ आपकी वजह से हुआ है... इस सब का कारण सिर्फ आप है...।"
     
     डॉक्टर उदयवीर: क्या कहा तुमने, मेरी वजह से!(उसके पल्ले नहीं पड़ा था कि इसका जिम्मेदार वह कैसे था).. मगर कैसे... मैंने कुछ भी नहीं किया..."।
     
    सांची: बिल्कुल ठीक सुना आप ने ...आप ही की वजह से..।
     
       सांची की बात सुन कर उदयवीर परेशान हो गया तो उसने कहा ,"... क्या आप बता सकती हैं... कि यह मेरी वजह से कैसे हुआ... इसका कारण मैं क्यों हूं.. तुम्हारे दिमाग का कोई पेच तो ढीला नहीं है ना..."।
     
     
    सांची: बिल्कुल बता सकती हूं... हम दो सहेलियां बैठकर बातें कर रही थी... आपको क्या जरूरत थी... हमारे बीच में कूदने की...आप आए ...फिर आपके दोस्त आए ...और उस वजह से दादाजी आए... फिर आपकी पूरी फैमिली आई और ...फिर इस मन्नत की बच्ची ने तो जो किया उसको तो मैं नहीं छोडूंगी... मेरा मन कर रहा है मैं हूं उसका खून पी जाऊं...।😡😡
     
     
    डॉक्टर उदयवीर: ...मुझे आप लोगों के बीच में कूदने का कोई शौक नहीं था... वह तो तुम लोग इतने स्टूपिड आइडियाज लगा रही थी... कि मुझे बीच में आना पड़ा... बिल्कुल बच्चों जैसे फिल्मी आइडिया थे ..कोई सालिड आइडिया बनाना चाहिए था...।
     
     
     
     
     
     
     
    सांची: देख लिया ना अब आपके बीच में कूदने का नतीजा ... अब मुझे नहीं लगता... कि हमारी शादी टूट पाएगी... वैसे मुझे आप ही बताएं आप तो उसके फेसबुक फ्रेंड नहीं है... फिर आपने उसकी प्रोफाइल पर रील कैसे देखी... मुझे तो आप पर डाउट हो रहा है...🤔...।
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
    डॉक्टर उदयवीर: बिल्कुल सही कहा ...मैं आपका फ्रेंड नहीं हूं ...लेकिन हमारे कॉलेज के कुछ स्टूडेंट्स और कुछ डॉक्टर  कॉमन फ्रेंड है... उन्होंने जब  मन्नत का प्रोफाइल देखा ...तो उन लोगों ने मुझे बधाइयां देनी शुरू कर दी ...अब तक तो पूरे कॉलेज में ..
     
    पूरे हॉस्पिटल में यह बात फैल चुकी है... बहुत सारे लोग मुझसे  पर पार्टी मांग रहे हैं... मेरा व्हाट्सएप ...बधाई हो के मैसेज से भरा पड़ा है ...इतने सारे लोगों को तो मैं जवाब भी नहीं दे सकता...यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है😡😡
     
     
     
    अब तक मैंने आपको बताया ही नहीं कि आखिर ऐसा क्या हुआ ?जो उदय को बधाई के मैसेज मिल रही हैं ,उदय और सांची आपस में बात कर रहे हैं और सांची को मन्नत पर इतना गुस्सा आ रहा है। 
     
    हमारी मन्नत ने सांची और उदय की स्टेज पर वीडियो बना ली और उस पर सिद्धू मुसे वाला का गाना लगाकर उसकी रील बना दी और उसे अपने इंस्टाग्राम पेज और फेसबुक पर पोस्ट कर दिया।  उस पर इतने सारे लाइक्स और कमेंट सारे हैं कि वह बहुत खुश है।  हमारी सांची और उदयवीर बहुत साथ में बहुत अच्छे लग रहे हैं। मन्नत ने जानबूझकर सांची का फोन नहीं उठाया था। वह जानती थी कि उसे डांट पढ़ने वाली है।
     
     
     
     
      फोन पर लगे सिद्धू मुसे वाले के गाने की लाइंस कुछ ऐसी थी
     
     
     
     
          tu 6 foot2 te main  5 foot 11 va
     
     
     
     
         Naal tere jud Gaya Dil Diya Tara ve
     
     
     
     
    Ounj o kise nu hello nahin  khandy
     
     
     
     
    Par bhabhi bali shad pai  mainu tere Yara ne
     
     
     
     
    Menu Sade Sanjog kathe hone lagde
     
     
     
     
    Naal khad ke ta dekhi ki nahin Sone lagade ❤

      डॉ उदयवीर और सांची दोनों ही फोन पर उन दोनों की बनी हुई रील  देख रहे थे। डॉक्टर उदयवीर के फोन पर मैसेज के ढेर लगे हुए थे वो सब को थैंक्स के जवाब दे रहा था। ऐसा नहीं था कि उसे सांची के अपने साथ खड़ी हुई अच्छी नहीं लग रही थी। वह बार-बार उस फोन पर उसे देख रहा था। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल भी थी पर अगले ही पल उसने अपना सिर झटक दिया।
     
     
    फिर अपने मन में बोला ,"...सांची बात यह  नहीं कि तुम मुझे अच्छी नहीं लगती... तुम बहुत सुंदर हो... कोई भी तुम्हारा दीवाना... पर तुम में जो बचपना है ... वह मुझे नहीं समझ सकेगा...और मेरा काम ऐसा है कि मुझे कोई ऐसी लड़की चाहिए थी... जो मुझे समझ सके... मेरे मेरे काम को समझ सके... तुम एक बार देखने में बहुत अच्छी हो... तुम्हारा यह बचपना भी बहुत अच्छा लगता है... आज के तुम्हारे  स्टुपिड आइडिया को सुनकर ...मैं तुम तुम्हारे पास आने से नहीं रोक सका ...पर क्या आगे चलकर हमारे बीच लड़ाई झगड़े नहीं होंगे... "।
     
        
     
     
     
      सांची  बिस्तर पर लेटी हुई कुछ ऐसा ही सोच रही थी एक पल के लिए उसे उदय अच्छा लगा फिर थोड़ी देर बाद उसने भी सिर झटक दिया और बोली," ...नहीं तुम तो डॉक्टर हो ...तुम्हें तो दवाइयां, ऑपरेशन, हॉस्पिटल... इसके अलावा कुछ नहीं आएगा... तुम दिल की चीर फाड तो कर सकते हो ...पर दिल की फीलिंग नहीं समझ सकते..." ऐसा ही कुछ सोचते सोचते दोनों नींद की आगोश में चले गए। मगर उनकी तकदीर में क्या लिखा था? उन दोनों में जिंदगी साथ गुजारनी थी या फिर दोनों अलग होने वाले थे।
     
       
    ने वाला था यह दोनों ही नहीं जानते थे ।उन दोनों को नहीं पता था कि उनकी किस्मत में उनके साथ होना लिखा है। पर कैसे  एक दूजे के होंगे
     
    , कैसे  एक दूजे के प्यार में पड़ेंगे। यह सब जानने के लिए हमारे साथ बने रहे।❤️❤️
     
     
    अब अगली सुबह उनकी जिंदगी में क्या लेकर आने वाली है?
     
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  • 6. Kismat Se mile hum - Chapter 6

    Words: 1019

    Estimated Reading Time: 7 min

           प्लीज आप मेरी कहानी पर कमेंट करें, कोई समीक्षा करें, मुझे मेरी  गलतियां बताएं। एक राइटर को उस उस की कहानियां पढ़ने वाले पाठकों का, उनकी समीक्षाएं का  बहुत महत्व होता है और प्लीज आप मुझे अगर अच्छा लगे तो अच्छा अगर बुरा लगे तो बुरा कुछ तो बताएं।


    सांची बिस्तर पर लेटी हुई कुछ ऐसा ही सोच रही थी। एक पल के लिए उसे उदय अच्छा लगा। फिर थोड़ी देर बाद उसने भी सिर झटक दिया और बोली,"... नहीं तुम तो डॉक्टर हो... तुम्हें  तो दवाइयां... ऑपरेशन... हॉस्पिटल इसके अलावा कुछ नहीं आएगा ...तुम दिल की दिल का ऑपरेशन तो कर सकते हो... मगर दिल की फीलिंग नहीं समझ सकते..."। ऐसा ही सोचते हुए वह दोनों नींद की आगोश में चले गए। मगर उनकी तकदीर में क्या लिखा था । दोनों को जिंदगी साथ गुजारनी थी जां फिर अलग होने वाले थे।

         



      सुबह उठकर सांची जब  नाश्ते की मेज पर पहुंची तो दादाजी ने बोले,"... आज डॉक्टर उदयवीर की पूरी फैमिली खाने पर आ रही है... और आज ही तुम दोनों की शादी की डेट फिक्स की जाएगी ... वैसे मैं बहुत खुश हूं आज... यह कितनी खुशी की खबर है..."।यह बात सुनकर सांची के मुंह से सारा पराठा बाहर आ गया। सांची के भैया और भाभी सुबह से ही उनके दोपहर के खाने की तैयारी में लगे हुए थे।  आखिर उनकी बेटी के ससुराल वाले पहली बार घर आ रहे हैं।



    सांची की भाभी हर्षदीप सांची से बोली: सांची आज तुम अच्छे से तैयार हो जाना। हां तो मन्नत को भी बुला लेना।

    सांची: मैं किसी और किसी को भी बुला लूंगी मगर मन्नत की बच्ची 😡 घर में नहीं आएगी।


    मनवीर: क्या हुआ तुम दोनों का फिर झगड़ा हो गया क्या? तुम दोनों की सिर्फ कहने को बड़े हुए हो अब भी स्कूल के बच्चों जैसे लड़ते हो!


    सांची: अगर मुझे एक खून माफ होता ना तो मैं सबसे पहले मन्नत का खून करती।


    हर्षदीप: तो ठीक है ना उसका खून करने के लिए ही उसे बुला लो। वैसे मैंने रात मन्नत के इंस्टाग्राम पर तुम्हारी रील देखी थी तुम दोनों बहुत अच्छे लग रहे हो साथ में। बिल्कुल मेड फॉर ईच अदर ☺️☺️।
      

    Sanchi gusse se bhabhi ko dekhte hue 😡😡

         Tabhi uske do Shaitan bhatiji jashan aur Adesh आ जाते हैं।

     
        Vaise to Sanchi आदेश और जशन की बुआ लगती है। मगर बो उसे दीदी ही कहते हैं। वह दोनों पूरे उसके चमचे और उसकी हर हां में हां मिलाते हैं।


    आदेश:  कोई बात नहीं, आने दो उस डॉक्टर को, मैं देखता हूं। वह कैसे शादी करता है मेरी दी से।

    जशन: कोई बात नहीं दी मैं भी अपने दोस्तों को बुला लूंगा हम सब मिलकर उनको भगा देंगे।


    सांची की भाभी: कोई क्या करें? मेरी बेटी सांची है ही इतनी प्यारी‌ जो से देखता है अपना बनाना चाहता है।
      


      तभी दादाजी आ जाते हैं वह हर्षदीप से कहते हैं ,".. आज बढ़िया सा खाना बनाना... और सांची तुम भी जाओ तैयार हो आओ... फिर अपनी भाभी की हेल्प कर देना।

      

      सांची खाना बनाने में अपनी भाभी की हेल्प करती है। फिर तो अच्छे से तैयार होकर आ जाती है। उसने रेड कलर का सूट पहना अब बालों को खुला छोड़ दिया बहुत हल्का सा मेकअप किया दिखने में बहुत सुंदर लग रही थी।



                        सांची

         इतने में सब लोग आ गए। डॉक्टर उदयवीर के दादा जी, दादी जी, मॉम, डैड, बड़े भैया, भाभी , दी, जीजू और तीनों बच्चे।

         देव जी और गौतम जी दोनों दोस्त गले लग कर मिले और बोले आखिर हम दोनों पुराने दोस्त रिश्तेदार बनने जा रहे हैं। हमारी पुरानी ख्वाहिश पूरी होने जा रही है। असल में देव सिंह महान और गौतम सिंह सिद्धू दोनों ही पंजाब के मानसा जिले से बिलॉन्ग करते थे। गौतम सिंह सिद्धू का गांव जिसे पंजाबी में पिंड बोलते हैं मानसा के पास नंगल खुर्द था। देव सिंह मान भी मानसा के एक-एक गांव से संबंध रहते थे। मंगल को मानसा शहर में रहते थे दोनों ही  बहुत अच्छे जमीदार परिवारों से इस संबंध रहते थे। इन दोनों  परिवारों के पास अपने अपने गांव में अच्छी जमीने थी।  इनके पास आज भी है।चाहे बच्चों ने आगे चलकर चंडीगढ़ में अपने बिजनेस स्टार्ट कर दिए थे। जी दोनों परिवार जट सिख पंजाब की जट सिख बिरादरी से संबंध रखते थे और आपने आपको सरदार कहलाते थे। पंजाब में बहुत कम  ऐसी फैमिली  बची हैं जो सरदार हैं और जिनके पास अच्छी जमीन है।

       

       गौतम सिंह सिद्धू का एक घर नंगल खुर्द में हैं जो कि बहुत सुंदर है और पूरी फैमिली कोई भी प्रोग्राम शादी या कोई और बात तो वह अपने गांव में अपने पुश्तैनी घर में ही करना पसंद करते हैं। देव सिंह मान का मानसा शहर के अंदर अपना एक घर है जो कोठी है वह भी सारे प्रोग्राम उसी मे  करते हैं।

        


      उदय की दादी और सांची की दादी दोनों अच्छी सहेलियां थी। सांची की दादी तो आप इस दुनिया में नहीं थी। मगर वह उदय की दादी जी सांची से मिलकर बहुत खुश हुई। जब सांची उसके पांव छूने लगी तो दादी जी ने कहा कि सांची उसके के गले लग जाओ। सांची में उसे अपनी सहेली दिखाई देती है। दादाजी के तो सांची भाग कर पहले ही गले लग गई।  उसके लिए वो  वीर के दादाजी नहीं बल्कि उसके ही दादाजी थे। हर्षदीप ने सांची  से कहा ," बेटा  तुम्हें दादा जी के पैर छूने चाहिए।"  तो दादाजी बोले ," नहीं कोई बात नहीं, सांची तो मेरी प्यारी बेटी है"।

      

      जब सांची उदयवीर की माम के पैर छूने लगी  तो mon  ने भी उसे गले लगा लिया। उदयवीर की डैड, भैया, भाभी दी, जीजू सब से  बड़े प्यार से मिली। मॉम ने बताया कि उदयवीर तो कल शाम को ही अपने हॉस्पिटल चला गया था। इसलिए वह नहीं आ पाया। यह सुनकर सांची खुश हो गई क्या अच्छा हुआ उदयवीर नहीं आया। मगर सांची का उदयवीर की फैमिली बहुत अच्छी लगी।



    क्या उदयवीर की फैमिली को भी सांची उतनी ही अच्छी लगेगी ?


    क्या आज उनकी शादी की डेट फिक्स हो पाएगी?


    क्या सांची आज मन्नत को बुलाएगी?

    कहीं सांची के शैतान भतीजे कोई गड़बड़ तो नहीं करेंगे?

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  • 7. Kismat Se mile hum - Chapter 7

    Words: 988

    Estimated Reading Time: 6 min

       Sanchi ko Puri Sidhu family bahut acchi lagi सांची के अपने मॉम  डैड नहीं थे। चाहे उसका भाई उसके लिए सभी कुछ था ।उसके दादा ने उन दोनों को किसी चीज की कमी नहीं महसूस होने दी ।मगर एक शब्द मां और डेड यह दोनों उसके लिए पराए  थे। जब सांची उदय की मॉम डैड से मिली तो उसे लगा उसकी ही मॉम डैड है। सांची ने भी उदय के मॉम डैड का दिल जीत लिया। उन्हें भी लगा  प्यारी सी बच्ची उसके उनके बेटे के लिए बिल्कुल सही है। उनके माइंड में यह बात तो थी कि सांची और उदय की उम्र का काफी फर्क है। कम से कम 8 साल का। मगर वह उस टाइम दादा जी को कुछ नहीं कह सके ।पर अब उन्हें लगा सांची और सांची का परिवार परिवार  बेटे के लिए बहुत सही है।

            उदय की मॉम को लगा कि उनका बेटा जितना रुखा सुखा है सांची उतनी ही खुशमिजाज है ।शायद इन दोनों की जोड़ी बहुत अच्छी रहेगी। ये उनके के डॉक्टर बेटे की जिंदगी में रंग भर देगी।❤️

           Uday udayveer ki bahan aur bhabhi se bhi Sanchi ki acchi Dosti hogi डॉ उदयवीर के जीजू समरदीप और सांची के वीर जी मनवीर दोनों साथ कॉलेज में क्लासमेट थे। समर दीप मनवीर से बोला,"मनवीर सांची के लिए डॉक्टर उदयवीर बहुत अच्छा रहेगा ।मैं उसको बहुत टाइम से जानता हूं ।मेरे लिए वह मेरी बीवी का भाई नहीं मेरे भाई जैसा है। कि ठीक है वो अभी थोड़ा रुखा सुखा सा लगता है। मगर वह हमेशा से ऐसा नहीं था। बस अपने काम की लगन में ही वह ऐसा हो गया। उसने  बहुत मेहनत की है और अपने हॉस्पिटल को बहुत ऊपर लेकर गया है। देखना वह साची को बहुत खुश रखेगा।"

    Manvir: जानते हो समर, साची मेरी छोटी बहन नहीं बल्कि मेरी बेटी है। यह मेरे मां-बाप की आखिरी निशानी है। यूं तो हमें दादा दादी ने मां बाप बनकर पाला है। फिर भी मैं उसके लिए बाप हूं। एक बार मैं  उदयवीर को लेकर बहुत कंफ्यूज हूं। अगर दादाजी का प्रेशर ना होता तो शायद इतनी जल्दी में  रोका नहीं होता।

    समर: मैंने भी  बात समझता हूं मगर तुम मुझ पर  यकीन रखो। सांची से जितना प्यार तुम करते हो अगर उसका दोगुना उदय ने सांची के साथ नहीं किया तो मेरा नाम बदल देना।

    मनवीर: मैं वाहेगुरु से यही प्रार्थना करूंगा कि तुम्हारी बात सच।

    समर: जानते हो तुम मेरी और जसविंदर की लव मैरिज थी। मगर इस लव मैरिज को अरेंज कर आना बहुत मुश्किल था। तब उदय ने हम दोनों की मदद की। हमारी शादी को अरेंज करवाया। अगर उस टाइम कुछ नहीं  होता तो शायद हम दोनों की शादी कभी नहीं होती। उदय प्यार का मतलब जानता है।

            सब लोग अंदर आकर बैठ चुके थे। केबल मनवीर और समर ही साइट पर खड़े बातें कर रहे थे। तो हर्षदीप जी ने उनको आवाज लगाई कि आप भी अंदर आ जाएं सभी आपका इंतजार कर रहे हैं।

         Manvir ji ke ghar mein Kam karne Wala सविता जिन्हें सब मासी से कह रहे थे सब को पानी पिला रही थी। उसके बाद हर्षदीप और सांची मिलकर सभी के लिए जूस लेकर आएं। सब लोग बैठ कर बात नहीं कर रहे थे। कभी मन्नत भी वहां पर आ गई। मन सभी लोगों से चाहते हुए मिले।

           सब लोग बैठ कर बात कर रहे थे तो मन मन्नत सभी को अपने फोन पर उदय और सांची का वीडियो दिखा रही थी।  सभी लोग देखकर बहुत खुश हुए। मन्नत की भी सभी से बहुत अच्छी दोस्ती हो गई।

         सभी लोग साथ बैठकर दोपहर का लंच किया। सांची ने  खाना सर्व करने में अपनी भाभी की है हेल्प की। उदय की पूरी फैमिली को सांची अच्छी लगी। उसका सारे कामो में अपनी भाभी की हेल्प करना अच्छा लगा ।उन्हें लगा कि  सांची चाहे उमर में छोटी है पर घर को संभाल सकती है।

          खाना खाने के बाद उदय की बहन जसविंदर दी ने सांची से कहा ," चलो सांची तुम्हारा कमरा देखते हैं।"संचित जसविंदर को अपने कमरे में ले जाती है। साक्षी का कमरा साफ सुथरा और बहुत प्यारा था ।उसमें सांची के फोटोग्राफ्स लगी हुई थी। बेड पर जसविंदर दी ने सांची को बिठाते हुए कहा,"अरे सांची तुम्हारा कमरा तो बहुत साफ सुथरा और बहुत सलीके से सजा हुआ है। मगर मेरे भाई को तो बहुत खिलारा डालने की आदत है।

    सांची मुस्कुरा कर देखते हुए।

    जसविंदर दी: शादी तुम्हारी और मेरे भाई की इंगेजमेंट जिस तरह से हुई वह मैं जानती हूं ।मगर मेरा भाई दिल का बहुत अच्छा है ।वह तुम्हें बहुत खुश रखे गा। तुम दोनों साथ में बहुत अच्छे लगते हो।

       सांचीऔर जसविंदर ने एक दूसरे के साथ अपनी सेल्फी ली। सांची ने कहा मुझे आपके भाई का तो पता नहीं मगर दी आप बहुत अच्छी लगी मुझे।

          जब सांची और जसविंदर सांची के रूम से नीचे आई तो दादाजी डेट फाइनल कर रहे थे ।उन्होंने कहा ," अभी नवंबर का महीना चल रहा है अगले महीने की 10 दिसंबर तक शादी की तारीख फाइनल कर देते हैं।"

            Date fix karne ke bad उदय के डेड गुरविंदर जी उदय को फोन करते हैं और कहते हैं," उदय हम लोगों ने तुम्हारी शादी की डेट 10 दिसंबर फाइनल कर दी है। उन दिनों में तुमको कोई काम तो नहीं है।"अपनी शादी की डेट सुनकर गड़बड़ा जाता है। बो अपने डैड से कहता है,"डैड ,इतनी जल्दी भी क्या है?

         गुरविंदर जी के दादाजी को फोन पकड़ा देते हैं। जब दादाजी उधर से फोन पर बात करते हैं तो वह दादा जी से कुछ नहीं कह पाता और उन दोनों की   शादी की डेट 10 दिसंबर फाइनल हो जाती है।

           शादी की डेट के मामले में उदय और सांची की है कि नहीं चलती। इतना तो दोनों ने दिल से मान लिया है कि इन दोनों की शादी तो कर ही रहेगी। हर्षदीप कौर उदय की मॉम दोनों मिलकर शॉपिंग का प्रोग्राम बनाती है। दोनों परिवारों की औरतें मिलकर अगले दिन शादी की शॉपिंग पर जाने का प्रोग्राम बनाती है।

  • 8. Kismat Se mile hum - Chapter 8

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

        जब डॉक्टर उदयवीर को  अपनी शादी की डेट पक्की होने के बात पता चलती है तो वह दादाजी के आगे कुछ कर

    नहीं पाता। इसलिए बहुत परेशान हो जाता है।

        जब शाम को हॉस्पिटल से फ्री होता है तो वह सांची को फोन लगाता है । इससे पहले कि डॉ उदयवीर सांची से कुछ कहे  सांची ने उससे सवाल किया,"अच्छा हुआ आपका फोन आ गया मैं भी आप से पूछना चाहती थी कि आप मॉम डैड के असली बेटे  हैं?😀😀  उन्होंने आपको कहीं गोद तो नहीं  लिया है?🤔🤔

    डॉक्टर उदयवीर: व्हाट? क्या कह रही हो तुम? 😡😡

    सांची: ठीक कह रही हूं मैं। अच्छा गोद नहीं लिया होगा शायद आप हॉस्पिटल में चेंज हो गए होंगे।😀😀

    उदयवीर: तुमने कोई नशा तो नहीं किया?

    सांची: मैं कोई नशा वसा नहीं करती। हम इसलिए कह रहे थे मॉम डैड तो इतने अच्छे हैं ।इतना प्यार करते हैं। तुम किस पर गए हो।

    उदयवीर(शरारत से मुस्कुराते हुए): तो तुमको मुझसे प्यार चाहिए,,😀😀

    Sanchi (अपने सर पर चप्पत लगाते  हुए बनावटी गुस्से के साथ) :shut up.....  (बात बदलते भी )अच्छा यह बताओ आपने क्यों फोन किया था? (सांची अपने मन में सोचते हुए मुझे भी पता नहीं चल ता कि मैं कब क्या बोल जाती है। उसका क्या मतलब होता है)

    डॉ उदय: जब शादी की तारीख डेट फिक्स हो रही थी तो तुमने कुछ किया क्यों नहीं।

    सांची: अब मैं क्या कर सकती हूं?

    डॉक्टर उदयवीर: सांची मैं चाहता था कि तुम एक बार बठिंडा आकर देख लो जहां पर मैं रहता हूं। क्या तुम  यहां एडजस्ट कर सकोगी?
    सांची: आप डेट फिक्स हो चुकी है। अब इस बात से क्या मतलब है मैं वहां पर रह सकते हूं या नहीं।

    डॉ उदय: फिर भी मुझे लगता है कि मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता।

    सांची: यहां कर अगर मैं ना भी रहना चाहूं अगर यहां मुझे ना पसंद आया तो अभी डेट फिक्स हो चुकी है शादी के लिए मना में कर नहीं सकती और ऐसा भी नहीं कर सकती कि फिल्मों की तरह शादी है दिन बरात आने पर भाग जाऊं।

    डॉ उदय: तो ठीक है...........
    तुम्हारी मर्जी है। फिर भी मैं एक बार चाहता हूं कि तुम यहां पर आकर देख लो।

    सांची: एक आइडिया और है।

    डॉ उदय: मुझे तुम्हारी आइडिया से बहुत डर लगता है। मैंने तुम्हारे ideas  सुने हैं।
    तुम्हारे  ideas  के चक्कर में तो हमारी शादी की डेट फिक्स हो गई....    
           सांची: आप कहना क्या चाहते हैं कि मेरे ideas अच्छे नहीं होते 😡😡।

    डॉक्टर उदयवीर: अरे यार मैंने ऐसा कब कहा?

    सांची: अभी तो आपने कहा।

    डॉ उदय: ठीक है बताओ तुम्हारा आईडिया क्या है?

    सांची: मैं ऐसा करूंगी कि शादी के बाद से  मॉम डैड के पास चंडीगढ़ में ही रह जाऊंगी 😀😀।

    Dr udayveer : यार मानना पड़ेगा हो तो तुम cutie 🥰🥰🥰

    Sanchi आपको कैसे पता कि मेरा घर का नाम क्यूटी है।

    Dr udayveer : (हंसते हुए) तुम्हें देखकर ही लगता है कि तुम्हारा नाम क्यूटी होना चाहिए।

    सांची:( हंसते हुए) आप को देख कर तो लगता है आपका नाम डॉक्टर खडूस होना चाहिएं।

          डॉ उदय ने फोन तो सांची को शादी कैसे तोड़े यह बात करने के लिए किया था। मगर दोनों बातें करते हुए दुनिया को ही भूल गए। एक दूजे के साथ लड़ते हुए कैसे टाइम बीता  पता ही नहीं चला। दोनों 1 घंटा बात करते रहे।

             अगले दिन सुबह हर्षदीप, सांची, उदय की मॉम ,भाभी अमरजीत ,बहन जसविंदर सभी लोग शॉपिंग के लिए निकले। जब इतनी सारी औरतें एक साथ शॉपिंग के लिए निकली तो समझो क्या हालात होंगे। हर्षदीप को सांची की दाज के सूट और उदय की मॉम को सांची की बरी के सूट खरीदने थे।

          आप लोग दास और बरी का मतलब तो समझते हैं ना जो समान लड़की के महके वाले लड़की को देते हैं वह दाज होता है और जो सूट ,ज्वेलरी  कोई भी सामान लड़के वाले अपनी  बहू को देते हैं उसे बरी कहते हैं।

         बो लोग कई बुटीक पर  गए। सांची के पसंद के सूट बनने दे दिए। पूरा दिन शॉपिंग मैं निकल गया। सांची ने जो भी अपने सूट बनने दिए।  उसमें मॉम, भाभी सब की सलाह सबकी पसंद का ख्याल रखा और खुशी-खुशी सबकी पसंद से सूट बनने दिए। उदय की पूरी फैमिली को सांची बहुत ज्यादा अच्छी लगी।

         बाजार से लौटते हैं जिसमें दर्दी ने उदय को फोन लगा लिया,"उन्हें पता है आज हमने सांची के साथ शॉपिंग की।

    उदय: ठीक है दी ,मगर आप मुझसे यह मत कहना कि सांची ने तुम लोगों को एक बार भी नहीं पूछा और अपनी पसंद की सारी ड्रेसेस ली। मुझे पता है यही सब कुछ होने वाला है ।शहर प्रीत  ने तो शायद आपके साथ सगाई की शॉपिंग के लिए जाने से ही मना कर दिया था।  वो किसी की रोक टोक बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसीलिए वह आप सबके साथ शॉपिंग के लिए नहीं गई थी। प्लीज दी अगर कोई ऐसी बात है तो प्लीज मुझसे मत कहना। इसीलिए मुझे शादी करने में कोई इंटरेस्ट नहीं क्योंकि जिन लोगों के लिए मेरी फैमिली इंपॉर्टेंट नहीं होगी वो लोग मेरी जिंदगी में इंपॉर्टेंट नहीं हो सकते।

    जसविंदर दी :कुछ भी बोलते हो कम से कम मेरी बात तो सुन लो। सांची ने पूरी शॉपिंग हमारी पसंद से की। सांची बहुत अच्छी लड़की है। और हां कल हमने उन लोगों को अपने घर लंच के लिए इनवाइट किया है। अब तो मैं चाहती हूं कि जल्दी से सांची मेरी भाभी बनकर आ जाए और तुम्हारी जिंदगी में भी बाहर आ जाएगी।

    डॉ उदयवीर: आप सब लोग खुश हैं तो मैं भी खुश हूं ।बाकी कुछ बातें तो वक्त ही बताएगा।

    दी: ज्यादा फ्लासफर पर मत बनो डॉक्टर हो डॉक्टर ही रहो।( हंसते हुए)

           डॉ उदयवीर सोचते हुए जब शहरप्रीत  से पहली बार मिले थे तो वह भी सब तो बहुत अच्छी लगी थी। इसलिए जैसे जैसे सांची से ज्यादा बार मिलेंगे उसके बारे में भी लोग उतना ही जानेंगे। चलो कल शाम को देखते हैं सब क्या कहते हैं।

  • 9. Kismat Se mile hum - Chapter 9

    Words: 980

    Estimated Reading Time: 6 min

        जब डॉक्टर उदयवीर को  अपनी शादी की डेट पक्की होने के बात पता चलती है तो वह दादाजी के आगे कुछ कर

    नहीं पाता। इसलिए बहुत परेशान हो जाता है।

        जब शाम को हॉस्पिटल से फ्री होता है तो वह सांची को फोन लगाता है । इससे पहले कि डॉ उदयवीर सांची से कुछ कहे  सांची ने उससे सवाल किया,"अच्छा हुआ आपका फोन आ गया मैं भी आप से पूछना चाहती थी कि आप मॉम डैड के असली बेटे  हैं?😀😀  उन्होंने आपको कहीं गोद तो नहीं  लिया है?🤔🤔

    डॉक्टर उदयवीर: व्हाट? क्या कह रही हो तुम? 😡😡

    सांची: ठीक कह रही हूं मैं। अच्छा गोद नहीं लिया होगा शायद आप हॉस्पिटल में चेंज हो गए होंगे।😀😀

    उदयवीर: तुमने कोई नशा तो नहीं किया?

    सांची: मैं कोई नशा वसा नहीं करती। हम इसलिए कह रहे थे मॉम डैड तो इतने अच्छे हैं ।इतना प्यार करते हैं। तुम किस पर गए हो।

    उदयवीर(शरारत से मुस्कुराते हुए): तो तुमको मुझसे प्यार चाहिए,,😀😀

    Sanchi (अपने सर पर चप्पत लगाते  हुए बनावटी गुस्से के साथ) :shut up.....  (बात बदलते भी )अच्छा यह बताओ आपने क्यों फोन किया था? (सांची अपने मन में सोचते हुए मुझे भी पता नहीं चल ता कि मैं कब क्या बोल जाती है। उसका क्या मतलब होता है)

    डॉ उदय: जब शादी की तारीख डेट फिक्स हो रही थी तो तुमने कुछ किया क्यों नहीं।

    सांची: अब मैं क्या कर सकती हूं?

    डॉक्टर उदयवीर: सांची मैं चाहता था कि तुम एक बार बठिंडा आकर देख लो जहां पर मैं रहता हूं। क्या तुम  यहां एडजस्ट कर सकोगी?
    सांची: आप डेट फिक्स हो चुकी है। अब इस बात से क्या मतलब है मैं वहां पर रह सकते हूं या नहीं।

    डॉ उदय: फिर भी मुझे लगता है कि मैं तुम्हें अंधेरे में नहीं रखना चाहता।

    सांची: यहां कर अगर मैं ना भी रहना चाहूं अगर यहां मुझे ना पसंद आया तो अभी डेट फिक्स हो चुकी है शादी के लिए मना में कर नहीं सकती और ऐसा भी नहीं कर सकती कि फिल्मों की तरह शादी है दिन बरात आने पर भाग जाऊं।

    डॉ उदय: तो ठीक है...........
    तुम्हारी मर्जी है। फिर भी मैं एक बार चाहता हूं कि तुम यहां पर आकर देख लो।

    सांची: एक आइडिया और है।

    डॉ उदय: मुझे तुम्हारी आइडिया से बहुत डर लगता है। मैंने तुम्हारे ideas  सुने हैं।
    तुम्हारे  ideas  के चक्कर में तो हमारी शादी की डेट फिक्स हो गई....    
           सांची: आप कहना क्या चाहते हैं कि मेरे ideas अच्छे नहीं होते 😡😡।

    डॉक्टर उदयवीर: अरे यार मैंने ऐसा कब कहा?

    सांची: अभी तो आपने कहा।

    डॉ उदय: ठीक है बताओ तुम्हारा आईडिया क्या है?

    सांची: मैं ऐसा करूंगी कि शादी के बाद से  मॉम डैड के पास चंडीगढ़ में ही रह जाऊंगी 😀😀।

    Dr udayveer : यार मानना पड़ेगा हो तो तुम cutie 🥰🥰🥰

    Sanchi आपको कैसे पता कि मेरा घर का नाम क्यूटी है।

    Dr udayveer : (हंसते हुए) तुम्हें देखकर ही लगता है कि तुम्हारा नाम क्यूटी होना चाहिए।

    सांची:( हंसते हुए) आप को देख कर तो लगता है आपका नाम डॉक्टर खडूस होना चाहिएं।

          डॉ उदय ने फोन तो सांची को शादी कैसे तोड़े यह बात करने के लिए किया था। मगर दोनों बातें करते हुए दुनिया को ही भूल गए। एक दूजे के साथ लड़ते हुए कैसे टाइम बीता  पता ही नहीं चला। दोनों 1 घंटा बात करते रहे।

             अगले दिन सुबह हर्षदीप, सांची, उदय की मॉम ,भाभी अमरजीत ,बहन जसविंदर सभी लोग शॉपिंग के लिए निकले। जब इतनी सारी औरतें एक साथ शॉपिंग के लिए निकली तो समझो क्या हालात होंगे। हर्षदीप को सांची की दाज के सूट और उदय की मॉम को सांची की बरी के सूट खरीदने थे।

          आप लोग दास और बरी का मतलब तो समझते हैं ना जो समान लड़की के महके वाले लड़की को देते हैं वह दाज होता है और जो सूट ,ज्वेलरी  कोई भी सामान लड़के वाले अपनी  बहू को देते हैं उसे बरी कहते हैं।

         बो लोग कई बुटीक पर  गए। सांची के पसंद के सूट बनने दे दिए। पूरा दिन शॉपिंग मैं निकल गया। सांची ने जो भी अपने सूट बनने दिए।  उसमें मॉम, भाभी सब की सलाह सबकी पसंद का ख्याल रखा और खुशी-खुशी सबकी पसंद से सूट बनने दिए। उदय की पूरी फैमिली को सांची बहुत ज्यादा अच्छी लगी।

         बाजार से लौटते हैं जिसमें दर्दी ने उदय को फोन लगा लिया,"उन्हें पता है आज हमने सांची के साथ शॉपिंग की।

    उदय: ठीक है दी ,मगर आप मुझसे यह मत कहना कि सांची ने तुम लोगों को एक बार भी नहीं पूछा और अपनी पसंद की सारी ड्रेसेस ली। मुझे पता है यही सब कुछ होने वाला है ।शहर प्रीत  ने तो शायद आपके साथ सगाई की शॉपिंग के लिए जाने से ही मना कर दिया था।  वो किसी की रोक टोक बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसीलिए वह आप सबके साथ शॉपिंग के लिए नहीं गई थी। प्लीज दी अगर कोई ऐसी बात है तो प्लीज मुझसे मत कहना। इसीलिए मुझे शादी करने में कोई इंटरेस्ट नहीं क्योंकि जिन लोगों के लिए मेरी फैमिली इंपॉर्टेंट नहीं होगी वो लोग मेरी जिंदगी में इंपॉर्टेंट नहीं हो सकते।

    जसविंदर दी :कुछ भी बोलते हो कम से कम मेरी बात तो सुन लो। सांची ने पूरी शॉपिंग हमारी पसंद से की। सांची बहुत अच्छी लड़की है। और हां कल हमने उन लोगों को अपने घर लंच के लिए इनवाइट किया है। अब तो मैं चाहती हूं कि जल्दी से सांची मेरी भाभी बनकर आ जाए और तुम्हारी जिंदगी में भी बाहर आ जाएगी।

    डॉ उदयवीर: आप सब लोग खुश हैं तो मैं भी खुश हूं ।बाकी कुछ बातें तो वक्त ही बताएगा।

    दी: ज्यादा फ्लासफर पर मत बनो डॉक्टर हो डॉक्टर ही रहो।( हंसते हुए)

           डॉ उदयवीर सोचते हुए जब शहरप्रीत  से पहली बार मिले थे तो वह भी सब तो बहुत अच्छी लगी थी। इसलिए जैसे जैसे सांची से ज्यादा बार मिलेंगे उसके बारे में भी लोग उतना ही जानेंगे। चलो कल शाम को देखते हैं सब क्या कहते हैं।

  • 10. Kismat Se mile hum - Chapter 10

    Words: 914

    Estimated Reading Time: 6 min

       Agale din sab log taiyar hokar डॉ उदय के घर पहुंचे। सांची ने बहुत खूबसूरत सा सूट डाला था। हल्की से मेकअप बहुत सुंदर लग रही थी। सांची की फैमिली डॉक्टरों के के घर जाते हुए मिठाईयां  और गिफ्ट्स लेकर गई थी। आखिर बेटी के ससुराल पहली बार जा रहे हैं। खाली हाथ तो नहीं जा सकते। सांची जाते हुए बहुत खुश थी क्योंकि बो लोग सांची को बहुत अच्छे लगे थे। उसे इस बात की खुशी थी कि वहां पर  डाक्टर उदय भी नहीं है। वह  गया हुआ है।

         सब लोग  बहुत अच्छे से मिले ।दोपहर का खाना खाया। शादी की तैयारियां की बातें हुई। कौन सा पैलेस किया जाए, कौन सी कैटरिंग

    वाले हों, डेकोरेशन कहां कहां कैसे की जाए। सांची के भाई ने उनसे बात कर पूरी प्लानिंग कर ली। क्योंकि शादी में दिन इतने  कम थे और काम बहुत था। मनवीर नहीं चाहता था कि कहीं भी कोई कमी रहे। सांची उसकी बहन नहीं बल्कि बेटी थी।

         अगर मनवीर शादी की तैयारियों में लगा हुआ था। तो हर्षदीप क्या लेनदेन करना है। किसको महंगा सूट देना है, किसको सस्ता सुट देना है, किस रिश्तेदार को क्या देना है। इन सब में लगी थी।

         सांची को पूरा घर जसविंदर दी ने दिखाया। घर बहुत सुंदर था। सांची को बहुत अच्छा लगा। आखिर में जसविंदर भी सांची को उदय के कमरे में ले गई। जसविंदर दी वहां जाकर बोली: ,"पता है सांची यह हमारे घर का सबसे खूबसूरत कमरा है। और इसमें रहने वाला इंसान भी। और अब यह तुम्हारा भी कमरा है"।

        
        वहां बेड पर कल की शॉपिंग के  बैग रखे हुए थे। जसविंदर ने सांची से कहा क्या तुम  खुद ही अलमारी में जगह बनाकर सारा समान रख दो।  अब तुम्हारा भी ये कमरा है।

          जसविंदर के कहने पर सांची वहां पर अलमारियां खोलने लगती है। उसने देखा कि अलमारियों में जगह तो बहुत है। पर उदय ने
    सारा सामान ऐसे ही रख छोड़ा है अलमारियों में खिलारा बहुत डाला हुआ है। अलमारियों को देखकर जसविंदर सांची से कहती है ,"मेरे भाई की जिंदगी को अब तुम ही ने समेटना है । तुम ही ने उसकी बेतरतीब जिंदगी को तरतीब में लाना है।"

      जसविंदर दी की ही बात सुनकर साची मुस्कुरा देती है और सोचती है अब उदय की जिंदगी का तो पता नहीं मगर अलमारियों को तो मुझे तरतीब में लाना पड़ेगा नहीं तो मैं अपना समान कहां पर रखूंगी।🤔🤔

         सांची जसविंदर जी से कहती है," दी इन अलमारियों को ठीक करने में तो काफी था टाइम लग जाएगा ऐसा करती हूं एक बार ऐसे ही जगह बनाकर यह शॉपिंग बैग्स
    रख देती हूं।"

       तो जसविंदर दी कहती है कि चलो ठीक है सांची एक बार तुम ऐसे ही रख दो ।फिर कभी आकर अपना सारा सामान सेट कर लेना और जो जो शॉपिंग करती जाओ अपनी अलमारियों में रखती जाओ।

        सांची पूरी फैमिली के साथ अच्छे से टाइम गुजारती है। किचन में भी भाभी की हेल्प करने जाती है ।बच्चों के साथ भी खेलती है। दादा और दादी जी के साथ भी टाइम स्पेंड करती है।

         जब शाम हो जाती है तो उदय को घरवालों के फोन की वेट हो जाती है ।पता नहीं क्यों उदय सांची के बारे में घरवालों से कुछ अच्छा सा सुनना चाहता है।

           Raat Ho jaati hai Ghar se kisi ka phone nahin aata तोते परेशान हो जाता है। उदय सोच ही रहा होता है कि घर में किसी को फोन करो तभी लेट नाइट उसकी मॉम का फोन आता है। मॉम ( खुशी से बोलते हुए): वीर  तुम कैसे हो?

    उदय: मां मैं ठीक हूं। आप बताएं घर में सब कैसे हैं?

    मॉम :आज सांची और उसकी फैमिली हमारे घर खाने पर आए थे। सचमुच सांची को तुम्हारी जिंदगी में लाने का फैसला हमारे दादा जी का बिल्कुल सही है। आज उससे मिलकर लगा ही नहीं कि हम उसे दूसरी या तीसरी बार मिल रहे हैं। ऐसा लगता है वह हमेशा से हमारे घर का ही क हिस्सा है।

    उदय: मॉम आप खुश हैं मुझे  जानकार अच्छा लगा।

    माम: जानते हो तो तुम आज मेरे  शादी के लहंगे की बात चली तो उसने मुझसे कहा मैं लहंगा  उसे दिखाऊं। वह किसी फंक्शन पर उससे कहना चाहती है।

        मॉम ने फिर उसकी बात उसकी दादी से कराई। उसकी दादी भी सांची के गुणगान करती रही। उदय सुनकर



    ् मुस्कुराता रहा।

         उदय ने अभी दादी का फोन काटा ही था कि समर जीजू का फोन आ गया। जब उदय ने फोन उठाया तो जीजू मुस्कुराते हुए बोले,"साले साहब क्या हाल हैं?"

    उदय बोला," ठीक हूं  जीजू ।आप बताएं आप और दी कैसे हैं ?बच्चों का क्या हाल है?"उधर से समर जीजू ने कहा ,"हम तो ठीक हैं साले साहब मगर जल्दी ही आपकी तबीयत खराब होने वाली है।""क्यों मेरी तबीयत क्यों खराब होने वाली है जीजू "उदय हंसते हुए बोला। समर जी  कहने लगे कि सांची सचमुच अच्छी और जिंदादिल लड़की है। जब तुम्हारी जिंदगी में आ जाएगी तो सचमुच तुम्हारी जिंदगी में भी खुशियां भर देगी।

        बहुत देर तक उदय जीजू से बातें करते रहे। उसने टाइम देखा तो रात के 11:00 बज चुके थे। उसका मन   साची को फोन करने को हो रहा था। पहले तो उसने सोचा रहने देता हूं। मगर जब कोई दिल और दिमाग पर छा जाता है तो रुका भी नहीं जाता। उसने सांची को फोन लगा ही लिया।

        पहले तो रिंग बजती रही सांची ने नहीं उठाया। दो तीन बार रिंग जाने के बाद सांची ने फोन उठा लिया। फोन उठाते ही उदय बोला," कमाल है आप औरो की नींदे उड़ा कर  आराम से सो रही हैं।"💕💕

  • 11. Kismat Se mile hum - Chapter 11

    Words: 999

    Estimated Reading Time: 6 min

       सांची सो रही थी ।जब उदय ने ऐसे बात की तो वह आंखें मलती हुई बोली," मैंने किस की नींद उड़ा दी भाई"। आपने कहीं किसी को गलत फोन तो नहीं लगा लिया।

            बाद में डॉक्टर उदय को एहसास होता है कि वह क्या कह  गया। डॉक्टर उदयवीर सांची से कहता है,"लगता है आपने अभी तक मेरा नंबर सेव नहीं किया। मेरे घर वालों ने फोन कर करके मेरी नींद उड़ा दी है। जिसे देखो वह तुम्हारी तारीफ शुरु कर देता है ।मुझे कोई सोने भी नहीं दे रहा। ऐसा तुमने क्या किया है मेरे घर में आकर।"

    सांची :तो आप हैं! मैंने आपका नंबर सेव तो कर लिया ।मगर इतनी रात को कौन फोन करता है?

    डॉ उदय: मैं क्या करूं पहले मां का फोन आया ,फिर दादी का , फिर जीजू का। सब लोग तुम्हारी इतनी तारीफ कर रहे हैं।

    सांची: वो सब लोग हैं ही इतने अच्छे इसलिए उनको मैं भी अच्छी लगी।

    उदय: तो तुम्हारे कहने का मतलब मैं ख्रराब हूं?

    सांची (मुस्कुराते हुए): यह मैंने कब कहा यह तो आप कह रहे हैं। वैसे मैं कल फिर आपके घर जा रही हूं मुझे दादी ने बुलाया है।

    उदय: वह किसलिए?🤔🤔

    सांची: मैं क्यों बताऊं? यह हमारा सीक्रेट है।😀😀 Jab aap wapas Apne Ghar aaenge to aapko bahut sare surprises milenge.  sirf aapke ghar wale hi mere nahin hue .aapko pata chal jaega aapka kya kya mera ho chuka hai.😊😊😊

        उदयवीर: तुम बठिंडा कब आ रही हो?

    सांची: बठिंडा !वह किसलिए ?मेरा तो वह है ना आने का कोई प्रोग्राम है।

    उदयवीर: कमाल की लड़की तुम! तुम्हें बठिंडा में मेरे साथ रहना है। ना के चंडीगढ़ में मॉम डैड के पास। इसलिए तुम यहां आकर देख लो।

    सांची: आप वीर जी से कहकर प्रोग्राम बना ले ।मैं थोड़ी ना कह सकती हूं मुझे बठिंडा आकर आपका घर देखना है।

    उदयवीर: वैसे तो तुम इतना बोलती हो। यह कहने में क्या प्रॉब्लम है?तुम कह सकती हो तुम्हें शादी के बाद बठिंडा में रहना है मेरे पास। इसलिए तुम घर देखना चाहती हो।

       उदर ने ही बोल तो दिया "मेरे पास" रहना है। मगर उसको अपने ही शब्दों पर प्यार आ गया। बह अकेले ही


    मुस्कुराने लगा। "शादी के बाद बठिंडा में रहना है मेरे पास ।" यह बात सुनकर सांची के पेट में तितलियां उड़ने लगी। उसको समझ नहीं आया कि वह क्या कहे। सांची चुप कर गई।फिर थोड़ी देर बाद बोली,"प्लीज मुझे बहुत नींद आ रही है मैं सोना चाहती हूं मैं आपसे कल बात करूंगी।"यह कह कर सांची ने फोन काट दिया।

        फोन तो दोनों ने बंद कर दीए। पर दिलो  दिमाग पर हजारों बातें घूमने लगी।
    इतना तो उदय समझ गया था कि सांची उसके दिलो दिमाग पर छाने लगी है। पर डाक्टर उदय को इस बात का डर था जिस दिन सांची उदय के पास रहने बठिंडा आएगी। उस दिन सांची कैसे react करेगी।

         उसके दिलो-दिमाग पर सांची उसे छोड़ ना दे। यही बात छाने  लगती है। उदय सोचने लगता है अब उसे अपनी कोठी लेनी चाहिए।  कल को उसका परिवार बढ़ेगा। उस के बच्चे होंगे तो इसके लिए बड़ा घर चाहिए। वह सोचता है कि बह सांची से बात करेगा। शायद वह जिंदगी में आगे बढ़ना चाहता था ।वह टाइम आ चुका था।

           उदय सोचता सोचता खुद पर ही हंसने लगता है। अभी तो उसकी शादी भी नहीं हुई।और यह भी नहीं पता कि  होगी या नहीं और वह बच्चों का सोचने लगा।

         सांची सोच रही हैं कि उसे क्या हो गया। उदय के बारे में इतना क्यों सोच रही है। शायद शांति को भी प्यार हो चुका था।

        अगले दिन सांची अपनी स्कूटी लेकर उदय के घर पहुंचती है। घर की औरतें

      उसका इंतजार कर रही थी। दादी जी सांची को अपने कमरे में ले गई। दादी जी हमारी अलमारी में से एक dress निकाली। और सांची को पकड़ा दी। Dress दिखने में इतनी सुंदर थी सांची उसे देखती ही रह गई। फिर दादी जी बोली,"ये मेरी शादी का लहंगा है। जय जो इस पर काम है मुझे सोने का है। ऐसा लहंगा अब कभी नहीं मिलता। मैंने यह किसी को भी नहीं दिया। मैं यह नहीं कहती कि तुम इसे शादी में पहनो मगर मैं चाहती हूं तुम्हें से किसी भी एक फंक्शन पर डाल लेना। क्योंकि तुम मेरे लाडले पोते की दुल्हन बनने वाली हो। मेरे मेरा जो सपना था कि मेरे उदय दुल्हन से पहने।" उसके बाद उन्होंने अलमारी के लॉकर से एक डिब्बा निकाला। जब वह डिब्बा खोला तो उसमें सोने की ज्वेलरी थी। जो दादी ने अपनी शादी में पहनी थी और डिजाइन ऐसे थे कि क्या कहें।

        दादी फिर बोली,"ये मेरे गहने मेरे हैं। यह भी तुम्हारे लिए हैं ।तुम्हें यह ना भी अच्छा लगे फिर भी मेरे लिए इसे एक बार पहन लेना। अगर तुम पहनोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा।"

    सांची: दादी ये सब  तो बहुत सुंदर हैं! क्या मैं नहीं सच में ले सकती हूं? आप यह सब कुछ मुझे देने से पहले एक बार उदय और बाकी घर वालों से पूछ ले। मुझे इन सब को लेने में कोई एतराज नहीं है। फिर भी मैं चाहती हूं कि आप सब से बात कर ले। सांची को वह गहने लेने में झिझक को रही थी।

    दादी: मैं तुम्हें यह सब कुछ देना चाहती हूं और मुझे किसी से कुछ नहीं पूछने की जरूरत नहीं है। मेरे पास और भी गहने
    थे। मैंने सभी को अपने अपने हिस्से के गहने दे दिए। यह गहने मेरे उदय के हिस्से हैं। किसी को कोई एतराज नहीं होगा इस बात पर।

    सांची: तो फिर आप यह गहने  उदय को दें। मुझे क्यों दे  रहे हो? सांची को काफी हैरानी हुई थी।

    दादी: अब तुम और उदय अलग थोड़ी ना हो और यह गहने क तुम ही पहनोगी। उदय को थोड़ी पहनने  है😀😀। अब तुझ में और उदय में कोई फर्क थोड़ी ना है। तुम दोनों  मेरे लिए एक हो। तुझ में ही मुझे अपना उदय नजर आता है।

    सांची दादी की बात सुनते हैं और सोचते हुए क्या सच में मैं और उदय अब एक हैं। दादी ने इतनी बड़ी बात ऐसी ही कह दी।

  • 12. Kismat Se mile hum - Chapter 12

    Words: 1111

    Estimated Reading Time: 7 min

        जब दादी सांची से कहती है तुम वीर मेरे लिए एक ही तो हो। अब यह ज्वेलरी वीर थोड़ी ना पहनकर घूमेगा ।

      
           सांची  को वॉशरूम जाना था तो वह उदय की भाभी अमरजीत से कहती हैं, "भाभी मुझे बाथरूम जाना है" भाभी उसे उदय के कमरे में ले जाती हैं। और कहती हैं कि" तुम अपने ही रूम का वॉशरूम ही
    Use कर लो"। और सांची से कहती हैं कि तुम जगह बनाकर अलमारियों में अपना समान भी रख लो। उस उस दिन के  शॉपिंग के बैग ऐसे ही पड़े हैं।
         

        सांची ने उस दिन देखा था कि
    अलमारी में समान ऐसे ही बिखरा पड़ा है तो भाभियों  से कहती है कि पूरा सामान बाहर निकालना पड़ेगा। तभी गुरमीत जी वहां  आ जाती हैं ।वह कहती है ,"कोई बात नहीं सांची। तुम्   आराम से काम करो । अमरजीत तुम्हारी मदद कर देगी। तुम और सामान के लिए भी जगह बना लेना। उदय तो ऐसे ही समान का खिलारा डालकर रखता है। वरना अलमारियों में तो बहुत सारी जगह है।

         सांची अरमारियो का सारा सामान बाहर निकाल देती है। और फिर सारा सामान फिर से सही तरीके से अलमारियों में रखती हैं। वह अपनी सूट और dresses  भी हैंगर कर देती है।

         उसको  सब काम करते वहीं पर शाम हो जाती है। उदय की मां कहती है कि अब शाम का खाना खाकर ही जाना। हम तुम्हें छोड़ आएंगे। वह घर भी फोन करके बता देती है।

         रात को खाने के बाद मुझे कि मॉम और डैड सांची को घर छोड़ आते हैं। दोनों परिवार आपस में बहुत खुलने लगे हैं। दोनों एक दूसरे की बहुत इज्जत करते हैं।

          सांची के साथ कभी उदय मां  कभी भाभी तो कभी बहन बाजार जाते हैं। सब मिलकर शादी की शॉपिंग करते हैं। इसी बीच उदय के दादाजी  सांची के दादा जी के पुराने दोस्त के घर शादी होती है। शादी बठिंडा के किसी मैरिज पैलेस में थी। वह दोनों जाते हुए सांची को भी साथ ले जाते हैं।

        गौतम जी और देव जी जाते हुए गाड़ी में सांची को कहते हैं कि तुम शादी में क्या करोगी ?तुम उदय के पास ही रुक जाना। हम लोग जल्दी ही आ जाएंगे और फिर साथ में वापस चलेंगे। बो लोग सीधे  डॉक्टर उदयवीर के फ्लैट में ही चले गए। वहां जाकर गौतम जी ने उदय को फोन किया के तुम जल्दी फ्लैट पहुंचो। हम लोग तुम्हारे फ्लैट पर आ चुके हैं।

        डॉक्टर उदयवीर फ्लैट पर पहुंचता है तो उसे बहुत बड़ा सरप्राइज मिलता है। सांची उसके सामने खड़ी थी। वह दिखने में बहुत प्यारी लग रही थी। सांची तो शादी में जाने की तैयारी करके आई थी। उसे नहीं पता था कि देव जी और गौतम जी का क्या प्लान है?

    डॉक्टर उदयवीर देव जी और गौतम जी से मिलकर बहुत खुश होता है। सांची को देखकर कहता है कि आप लोगों ने मुझे बहुत बड़ा सरप्राइज दिया।

         देव जी उदय से कहते हैं ,"तो ठीक है हम लोग शादी पर जा रहे हैं। आते हुए हम सांची को ले लेंगे।

        देव जी और गौतम जी चले जाते हैं। सांची उदय के पास फ्लैट में रह जाती है।

    डॉक्टर उदय सांची से: तो बोलो सांची तुम्हें कैसे लगा मेरा फ्लैट ?रह सकोगे शादी के बाद यहां पर?

           डॉ उदय हॉस्पिटल के स्टाफ के लिए जो फ्लैट बने थे उन्हीं में से एक में रहते थे। वह पूरी बिल्डिंग में जहां पर काम करने वाले डॉक्टर नर्स उन सबके लिए बनी थी ।वह दो कमरों का छोटा सा फ्लैट था। उसमें दो बेडरूम, एक छोटा सा स्टोर, एक छोटा सा लिविंग रूम और छोटी सी किचन थी। एक बेडरूम का साइज तो बड़ा था मगर एक का छोटा था। एक ही बाथरूम था जो दोनों  कमरों के साथ ही अटैच था। बड़े कमरे मैं दो अलमारियां बनी हुई थी और उसमें एक लोहे की अलमारी पड़ी थीं। छोटे बेडरूम


    एक ही अलमारी बनी हुई थी। उसमें भी एक लोहे की अलमारी पड़ी थी। यह कमरा पहले ही छोटा था और अलमारी की वजह से ओर छोटा लगने लगा था।
    दोनों कमरे में बैठने के लिए 2 कुर्सियां रखी हुई थी और एक टेबल। सारे सामान को थोड़ा बेतरतीब भी से रखा हुआ था। कमरों के बाहर बालकनी बनी हुई थी दोनों बेडरूम और लिविंग रूम के तीनों की बाहर बालकनी की साइड पर दरवाजे थे। जो बालकनी की तरफ खुलते थे।
    डॉक्टर उदयवीर बिल्डिंग की तीसरी मंजिल पर रहते थे। यह उनके हॉस्पिटल के बिल्कुल पास थी। पास क्या बीच में ही थी। तो यहां से डॉक्टर उदयवीर को
    आना-जाना ठीक लगता था।

    सांची: आपका फ्लैट बहुत सुंदर है। बस इसको थोड़ा सा ठीक से सजाने की जरूरत है ।समान के ऐसे ऐसे ही रख छोड़ा है।

       तभी दरवाजा खोलकर उदय का नौकर रतन आता है ।रतन डॉक्टर उदय के  साथ शुरू से था ।असल में रतन को उदय की माम ने उसके साथ भेजा था। रतन की उम्र 40 के आसपास थी। रतन को डॉक्टर उदय नेअलग से कमरा दिया हुआ था जो बिल्डिंग के बिल्कुल निचली फ्लोर पर था। वहां पर और भी ऐसे कमरे बने हुए थे जहां पर हॉस्पिटल में काम करने वाले सफाई कर्मचारी और इस तरह के और लोग रहते थे । दिन भर वो डॉक्टर उदय के फ्लैट में ही रहता था ।मगर शाम को वह अपने कमरे में चला जाता था ।डॉक्टर उदय ने उसे कह रखा था कि शाम को खाना बनाकर चला जाए । अगर डॉक्टर उदय देर से वापस आए तो खुद गर्म करके खाना खा लेगा ।फ्लैट की चाबी रतन के पास से कहती थी। रतन डॉक्टर उदयवीर के उठने से पहले फ्लैट के अंदर आ जाता था।

    उदय रतन को सांची मिलबाते हुए कहते हैं। यह तुम्हारी भाभी है। तो रतन कहता है कि आपने उस दिन  इन की फोटो दिखाई थी। मैंने तो देखकर ही पहचान लिया छोटी मालकिन को। सांची रतन से कहती है ,'मुझे आपके बारे में पता नहीं था ।नहीं तो मैं आते हुए आपके लिए कोई गिफ्ट लेकर आती'।

       रतन चाय बनाता है। सांची और डॉक्टर उदयवीर बैठकर चाय पीते हैं ।सांची उदयवीर से कहती हैं,"वैसे आप इस घर को लेकर मुझे इतना डरा क्यों रहे थे? मुझे तो लग रहा था आप किसी खंडर में रहते हैं और मैं वहां पर कैसे रहूंगी।"

    उदयवीर: बात खंडर की नहीं है ।चंडीगढ़ और बठिंडा का तो वैसे भी बहुत फर्क है। जे थोड़ा छोटा शहर है ।चंडीगढ़ इतना बड़ा शहर है। वहां पर हमारे घर में और ऐसे छोटे फ्लैट में फर्क तो है ना।

    सांची: ऐसी कोई बात नहीं है आपका घर बहुत प्यारा है ।

    उदयवीर: मैं तुम्हें एक बात पहले ही बता देता हूं।

    मेरा और शहर प्रीत का रिश्ता टूटने की वजह यह घर था।वह किसी भी हाल में यहां पर नहीं रहना चाहती थी।

  • 13. Kismat Se mile hum - Chapter 13

    Words: 840

    Estimated Reading Time: 6 min

       डॉ उदयवीर ने सांची से पूछा," तुम्हें भूख नहीं लगी क्या"  ?"" भूख तो बहुत लगी है" सांची बोली।" काम करते-करते पता ही नहीं चला कितना टाइम हो गया"। उसने कहा।"चलो मैं पिज़्ज़ा ऑर्डर कर देता हूं और साथ में कोक  ड्रिंक बोलो वो आ जाएगा।"डॉक्टर उदय ने कहा।"" नहीं"सांची बोली, "प्लीज आप समोसे मंगवा ले मैं चाय बनाती हूं। चाय के साथ समोसे से खाएंगे। बहुत थके हुए हैं। चाय पीने की जरूरत महसूस हो रही है।"

          डॉक्टर उदयवीर हंसते हुए समोसे लेने चला गया। जाते हुए रतन को बोल कर गया कि तुम चाय बनाओ। समोसे बिल्डिंग के पास ही एक शॉप थी वहां से ले आया। जब तक समोसे  लेकर वापस आया।  रतन चाय दो बड़े कपस में
    में डालकर ले आया। सांची ने उदयवीर से समोसे पकड़े एक बाऊल में में डालकर ले आई।

       दोनों ने अपना-अपना कप पकड़ा और  चाय पीने लगे। अचानक डॉक्टर उदयवीर खड़ा होने लगा तो सांची ने पूछा क्या हुआ उसने कहा,"मैं रतन को भी समोसे लेकर आता हूं"।

    सांची: रतन भैया को मैंने चाय और समोसे दोनों दे दिए हैं वह किचन में बैठ कर खा रहा है।

    डॉ उदय: ठीक है।

    चाय पीता हुआ डॉक्टर उदयवीर बोला (हंसते हुए): रतन आज तुमने चाय बहुत अच्छी बनाई है अगर तुम्हारे हाथ थोड़े से भी खूबसूरत होते तो आज मैं चूम लेता।
    (Sanchi ki taraf dekh kar) ठीक कहा ना सांची, चाय बहुत टेस्टी बनी है

    सांची ( धीरे से) जी।

        रतन उठकर किचन से उन दोनों के पास आता है और बोलता है ,"वैसे जिसने  चाय बनाई हैं। उसके हाथ बहुत खूबसूरत हैं और आप चुम भी सकते हैं( सांची की तरफ देखते हुए)। यह चाय भाभी जी ने बनाई है।

        सांची इधर-उधर देखने लगती है। वह बहुत ऑकवर्ड फील करती है ।डॉक्टर उदयवीर अपनी बात पर झेंप जाता हैं। दोनों चुपचाप नजर नीचे कर चाय पीने लगते हैं। ऐसी सिचुएशन के बारे में तो उन्होंने सोचा भी नहीं था। एकदम  से खामोशी सी छा जाती है। चाय खत्म करने के बाद सांची फिर काम पर लग जाती है बस पूरा स्टोर सेट कर देती है।

        काम करते हुए बीच-बीच में शांति और उदयवीर एक दूसरे की तरफ देखते हैं मगर साची नजरें झुका लेती है। उसके चेहरे पर अभी शर्म की लाली थी। डॉक्टर उदयवीर को उसका यह रूप अच्छा लग रहा था वह काम करते हुए धीरे-धीरे मुस्कुरा रहा था।

         उदयवीर के फोन पर दादाजी का फोन आता है। वह कहते हैं कि हम लोग आधे घंटे तक पहुंच जाएंगे। उदय सांची को बताता है कि दादाजी तुम्हें लेने आने वाले हैं ।इसलिए जो काम रह गया वह फिर हो जाएगा। तभी सांची दोनों कमरों का ठीक करती है। वह चेयर्स टेबल सही जगह पर रखती है। तभी तो बिना सोचे समझे  डॉक्टर  उदयवीर से बोलती है,"इन दो कमरों में  छोटा कमरा है यह मेरा होगा और यह बड़ा वाला आपका।"यह कहते हुए हो छोटे बेडरूम में जाती है और वहां का बिस्तर ठीक करने लगती है। तभी उदयवीर को एहसास होता है कि वह क्या कह रही है।

    उदयवीर ( शरारत से): मुझे अपना कोई भी कमरा किराए पर नहीं देना है।

    सांची ( उसकी बात सुनकर उसके पास आते हुए): आपसे कमरा किराए पर कौन  मांग रहा है।

    उदयवीर :अभी तो तुमने कहा कि छोटे कमरे में तुम रह जाओगे।

    सांची: मैं किराए पर लेने की बात नहीं कर रही हूं। मुझे भी तो ........ सांची बीच में ही बात छोड़ देती है उसे भी एहसास हो गया था कि वह क्या कह रही है।

    उदयवीर( शरारत से हंसते हुए): वैसे मुझे तो लगा था शादी के बाद मेरी बीवी मेरे साथ मेरे रूम में रहेगी। अब मुझे नहीं पता था कि वह उसे रहने के लिए अलग कमरा चाहिए होगा।

          सांची के चेहरे पर हया के हजारों रंग आते जाते हैं। बस शर्माते हुए बाहर की तरफ जाने लगती है तो उदयवीर उसका हाथ पकड़ लेता है। "आप जा कहां रही हो मेरी बात का जवाब देते जाओ" उदयवीर बोला।" मुझे लगता है दादा जी आ गए"। सांची हाथ छुड़ाते हुए लिविंग रूम की तरफ भागी।

         सांची की शुरु से आदत है जब बोलना शुरू कर दी थी तो उसका क्या मतलब हो सकता है। वह सोचती ही नहीं थी। आज अपने  शब्दों की वजह से डॉक्टर उदयवीर के  सामने जाने से कतरा रही थी। डॉक्टर उदयवीर आंखों में शरारत लिए उसके पीछे लिविंग रूम में आ  कर सोफे पर बैठ गया और सांची की तरफ देखता हुआ बोला," तूने मेरी बात का जवाब नहीं दिया"।

        शांति हक लाते हुए," प्लीज आप इस बात को छोड़ें। मेरे मुंह से बस ऐसे ही निकल गया।"सांची अपनी जीभ अपने दांतो के बीच लिए दूसरी साइड देखने लगती है। डॉक्टर उदय उसके पास आ जाता है।" तो यह बात आज ही फाइनल हो जाए। शादी के बाद तुम मेरे साथ मेरे रूम में रहोगी या फिर दूसरे रूम में। देखो शादी के बाद नहीं तो प्रॉब्लम खड़ी हो जाएगी"। बहुत शरारत से बोला।

         सांची समझ गई के डॉक्टर उदयवीर  इतनी आसानी से उसका पीछा नहीं छोड़ेगा। वो धीरे से बोली ,"आप ही के साथ आपके रूम में रहूंगी।"

  • 14. Kismat Se mile hum - Chapter 14

    Words: 834

    Estimated Reading Time: 6 min

       सांची का बठिंडा डॉक्टर उदयवीर के पास  आना आज उनके रिश्ते को एक नया आयाम दे गया था। शायद इससे पहले दोनों एक दूसरे से ऐसे मिले ही नहीं थे। डॉक्टर उदय को भी लग रहा था जिसकी तलाश थी उसे  सांची वही लड़की थी। दोनों ही खुश थे। सांची ने उदयवीर और रतन के साथ स्टोर को सेट कर दिया। सांची ने उन दोनों से कह दिया कि  जहां पर बिल्कुल भी समान का खिलारा नहीं होना चाहिए। सचिन लिविंग रूम का सामान भी ठीक करने लगीं। डॉक्टर उदयवीर एक जगह पर बैठ गया और वह काम करती हुई सांची को देखने लगा। जब सांची ने उसकी तरफ देखा तो डॉक्टर उदयवीर नहीं आई ब्लिंक कर दी। सांची को अपने पेट में तितलियों से उड़ते महसूस  हुई।

           सांची को समझ नहीं आया कि वह क्या करें ।वो पानी के बहाने किचन में चली गई। सांची सोचने लगी उसे गुस्सा नहीं आ रहा बल्कि शर्म आ रही है। उसके मन में क्या हो रहा है उसको खुद को भी नहीं समझ आ रहा। डॉ उदय के सामने जाने से भी कतरा रही थी।

        डॉ उदय किचन में सांची के पीछे चला आया था। सांंची को देख डॉक्टर बोला,"सांची के घर तो तभी घर लगेगा जब तुम उस घर में आ जाओगी।"तभी रत्न  के कहता है  कि दादाजी आ गए।

         सांची वापस चंडीगढ़ चली जाती । मगर साथ में डॉक्टर उदयवीर का दिल भी ले जाती है। घर पहुंच कर सांची
    मैसेज कर दीजिए कि हम घर पहुंच गए।
             रात के 11:00 बजे तक सांची का फोन बजा उसने देखा तो डॉक्टर उदयवीर नंबर था। जब सांची ने फोन उठाया तो आगे से डॉक्टर उदय  बोला,: मुझे कॉफी बनानी थी और मुझे किचन में कॉफी नहीं मिल रही।

    सांची: रात के 11:00 बजे हैं और यह कोई टाइम है कॉफी पीने का?

    डॉक्टर उदयवीर: (शरारत से) जब तुम आ जाओगी तो यह टाइम कॉफी का नहीं होगा। किसी और चीज का होगा😊😊 मगर अभी तो मुझे काफी ही पीनी है।

    सांची ( उसे डॉक्टर उदय की बात समझ नहीं आई): 11:00 बजे दूध पिया जाता है सोने से पहले काफी नहीं।

    डॉ उदय :😊😊यार मैंने कहा तो अभी जब तुम आ जाओगे तब जे टाइम किसी और चीज का होगा। अभी तो काफी पीने दो। कहां है कॉफी?

          असली में कॉफी तो डॉक्टर उदय के हाथ में ही थी। मगर उसे सांची को फोन करने के लिए कोई बहाना तो चाहिए था। तो उसने कॉफी का बहाना ले लिया

    सांची :गैस के पास जहां चाय चीनी  रखी है वहीं पर कॉफी की डिब्बी है।


    डॉ उदय :ठीक है, शायद यही पड़ी है मैं देखता हूं।

             फोन बंद करने के बाद सांची डॉ उदय की बातों के बारे में सोचने लगी। डॉ उदय की बातें उसे बाद में समझ आने 🤔🤔 लगी। डॉक्टर उदयवीर की बात के तुम्हारे आने के बाद यह टाइम किसी और चीज का होगा उसके अब दिमाग में पड़ी थी। सांची अकेले में अपना चेहरा अपने हाथों से ढक कर बैठ गई। सच में कितने बेशर्म है😊😊।


          आप डॉक्टर उदयवीर का रोज का काम हो गया था रात को कभी 11:00 बजे कभी 12:00 बजे सांची को फोन करना। बहाना चाहे वह कोई भी बनाता। दोनों में नजदीकियां बढ़ने लगी थी।

        सांची अपनी शादी की शॉपिंग में लग गई। शॉपिंग तो उसने कितने दिनों से शुरू कर रखी थी। पर पहले उसके दिल में जज्बात नहीं थी ।मगर अब वह बहुत खुश थी। डॉ उदय के घर में भी उस का आना-जाना बढ़ गया था। अब तो डॉक्टर उदयवीर का घर अपना घर लगता। उसकी फैमिली उसकी अपनी लगती।

        
           उदय की दादी जी का फोन आया तो सांची उन से मिलने चली गई। वैसे तो एक रात पहले सांची और उदय की
    बात हुई थी मगर उसे  यह बताना भूल गया कि वह चंडीगढ़ आ रहा है। सांची घर के अंदर की आई। सबसे मिल मिलकर साची वॉशरूम चली गई। जब भी सांची इस घर में आती।  डॉक्टर उदय के कमरे का ही वॉशरूम यूज करती थी।

          सांची एकदम से कमरे में गई और जाकर वॉशरूम का दरवाजा खोल दिया। सांची ने सामने देखा के डॉक्टर उदय  नहा रहा है ।उसने एकदम से दरवाजा बंद की और बाहर  को भाग ली।

         सांची ( बाहर आकर); दादी मां मेरा फोन आया है ।मुझे काम है। मैं फिर आती हूं।

    दादी जी: अभी तो तुम आई हो फिर जा रही हो। रुक जाओ। मेरा वीर भी आया हुआ है।

    सांची (अपने मन में इसीलिए तो जा रही हूं): नहीं दादी मैं थोड़ी देर में आती हूं। अभी मुझे जाने दो।

        ऐसा कह कर वो जल्दी से बाहर की तरफ जाने लगती है। उदय को इतना तो पता लगता है कि कोई बाथरूम में आया था ।मगर कौन था? यह है नहीं देख पाया।

           उदय तैयार होकर नीचे आता है तो दादी मां कहती है,"सांची आई थी। अभी आई  थी। पता नहीं क्या हुआ और अभी भाग गई।""कोई नहीं दादी मां मैं देखता हूं"कहकर उदय बाहर की तरफ जाता है। उदय मुस्कुराते हुए जा रहा है ।क्योंकि उसे पता है कि सांची क्यों भाग गई?

  • 15. Kismat Se mile hum - Chapter 15

    Words: 805

    Estimated Reading Time: 5 min

           रात को सांची को लगा कोई धीरे से उसके बालों में हाथ फेर रहा है। फिर ऐसा लगा किसी ने धीरे से उसके माथे को चूमा🍁🍁। जब उसने अपनी आंखें खोली तो उसे नाइट बल्ब की रोशनी में डॉक्टर उदयवीर का चेहरा नजर आया। जो उसके चेहरे के बिल्कुल नजदीक था।  वह मुस्कुराते हुए बोली," सपनों के साथ साथ अब खुली आंखों से भी दिखने लगे हो।" यह कहकर उसने दूसरी साइड करवट ली और सो गई  ।

            फिर उसे लगा किसी का चेहरा उस पर झुक रहा है। किसी की गर्म सांसे सांची के चेहरे पर पढ़ रही हैं। अब साची को लगा यह सपना नहीं यह तो सच लग रहा है। उसने आंखें खोली तो डॉक्टर उदयवीर का चेहरा उसके चेहरे पर झुका हुआ था।

           सांची डॉक्टर उदयवीर को धक्का देती हो एकदम से   बिस्तर से उठी और जाकर लाइट लगा दी। इससे पहले वह शोर मचाती डॉ उदय  ने सांची के मुंह पर अपना हाथ लगा दिया और बोला," चिलाना मत मैं हूं।"उसने  अपना हाथ सांची के मुंह से हटा दिया तो सांची कहने लगी," आप यहां क्या कर रहे हैं?""तुमसे मिलने आया हूं" डॉक्टर उदयवीर बोला।".... इतनी रात को"यह कहकर सांची हैरान होकर डॉक्टर उदयवीर को देखो देखने लगी।

               फ्लैशबैक
       Sanchi aur डॉक्टर उदय वीर के बीच में नजदीकियां बढ़ने लगती हैं।  घंटों एक दूसरे के साथ फोन पर बातें करने लगते हैं।  हम दोनों के मन में शादी की जल्दी थी ।शादी की तारीख भी नजदीक आ रही थी। शादी की तारीख 10 दिसंबर थी तो शाम जी का जन्मदिन 1 दिसंबर को था। डॉक्टर उदयवीर इसीलिए घर आया हुआ था ।वो रात को 12:00 बजे जाकर सांची को सरप्राइज देना चाहता था।

          डॉ उदय सांची के लिए गिफ्ट और केक लेकर रात को 12:00 बजे सांची के घर पहुंचा ।उसने घर के पास आकर सांची के बीर जी मनवीर को फोन किया कि वह सांसी को बर्थडे विश करने के लिए दरवाजे पर खड़ा है। डॉ उदय ने सोच लिया था सांची उसकी होने वाली बीवी है तो उसको किसी से घबराना  जा डरना नहीं चाहिए।


          मनवीर बिस्तर से उठ का दरवाजा खोलने के लिए जाने लगा तो हर्षदीप पूछने लगी,"आप इस वक्त कहां जा रहे ?   

    मनवीर :मेन गेट खोलने।

    हर्षदीप( परेशान होते हुए) किसका फोन था? कौन आया है... इस वक्त?... सब ठीक तो है ना...?

    मनवीर ( मुस्कुराते हुए): आपके जमाई साहब आए हैं ।आपके लाडली बेटी को जन्मदिन विश करने के लिए।

    हर्षदीप ( हंसते हुए ठीक है ): चलिए मैं भी चलती हूं आपके साथ।

            मनवीर और हर्षदीप उदयवीर को अंदर ड्राइंग रूम में बैठा देते हैं। उदयवीर अपना साथ लाया हुआ समान के टेबल पर रखता है ।थोड़ी देर के लिए इधर-उधर बातें करने के बाद उदयवीर बोला,"वीर जी आप सांची को बुला देते।"मनवीर हैरानी से बोला ,"तो क्या आपने सांची को फोन नहीं किया।"


       "नहीं, अगर पहले फोन कर देता तो... सर प्राइस कैसे होता😊?" हर्षदीप सांची को बुलाने के लिए जाने लगती है मनवीर कहता है,"हर्ष तुम रहने दो ,.... उदयवीर जी आप खुद ही जाकर बुला लाइए।और हां उसका कमरा अंदर से बंद होगा।  उसके साथ ही बच्चों का कमरा है। सांची के कमरे का और बच्चों के कमरे का बाथरूम जॉइंट है। तो  बच्चों के कमरे से सांची के कमरे में चले जाना।.... हर्षि तुम जाकर  उदयवीर जी को बच्चों का कमरा दिखा दो।"

        हर्षदीप उदयवीर को बच्चों को कमरे में छोड़ देती है। उदयवीर बाथरूम से होकर सांची के रूम में चला जाता है। हर्षदीप मनवीर से कहती है: आपने उदयवीर को क्यों भेज दिया? मैं ही जाकर उठा लाती सांची  को।

    मनवीर: अपना टाइम भूल गई क्या? सांची को भी अच्छा लगेगा।  वैसे भी इन दोनों की शादी में दिन ही कितने  बचे हैं।... हर किसी इंसान की लाइफ में यह मोमेंट होने चाहिए। हमारी बच्ची ने तो कभी हमारा सर नहीं झुकाया। मुझे तो डॉक्टर उदयवीर के इस टाइम जहां आने पर बहुत खुशी है ।मुझे अच्छा लग रहा है।

    हर्ष दीप (मुस्कुराते हुए): चलो अच्छी बात है। हमें तो बच्चों की खुशी चाहिए।



            उधर साची हैरान होकर उदयवीर से पूछती है ,"इस टाइम यहां पर आप क्या कर रहे हैं ?भाई.... आ जाएंगे? मैं उनको क्या जवाब दूंगी? मगर उदयवीर उसकी बात का जवाब ना दे सांची की तरफ बढ़ने लगता है। सांची पीछे हटते हटते दीवार पर जा लगती है।

         डॉक्टर उदयवीर सांची के पास आकर उसके माथे पर किस करते उदयवीर बोला," जन्मदिन मुबारक हो मेरी जान। तुम्हारे अगले सारे जन्मदिन हम एक साथ मनाएं। इस बार मैं साले की परमिशन लेकर आया हूं।अगली बार वह मेरी परमिशन लेकर आए।""आप मेरे भाई को गाली निकाल रहे हो"....। "गाली कहां निकाल रहा हूं ।अब साला ही तो होने वाला है वह मेरा।""..... आप..... वीर जी.... की   परमिशन से जहां आए हैं?"".... और नहीं तो क्या? साले की परमिशन से ही आया हूं ।वीर जी और भाभी  हमारी वेट कर रहे हैं। चलो नीचे चलें।"

  • 16. Kismat Se mile hum - Chapter 16

    Words: 778

    Estimated Reading Time: 5 min

        सांची उदयवीर के साथ नीचे ड्राइंग रूम में आ जाती हैं। मनवीर और हर्षदीप दोनों का इंतजार कर रहे थे। केक काटने के बाद मनवीर उदय और सांची से कहता है," तो ठीक है, अब तुम दोनों बैठ कर  केक  खाओ। हम दोनों को बहुत जोर से नींद आ रही हैं। हम सोने जा रहे हैं। तुम लोग आराम से बैठ कर बातें करो।""और .. हां.... अगर किसी चीज की जरूरत हो तो हमें बिल्कुल मत उठाना। किचन में जाकर तुम दोनों खुद ही ले आना।"😁😁 यह कहकर वह दोनों सोने के लिए चले गए।

    डॉक्टर उदयवीर: मैं तो बड़ा डरता हुआ आया था कि पता नहीं  वीर जी कैसे react करेंगे ।मैंने बड़ी हिम्मत से उनको फोन किया था ।दरवाजा खोलने के लिए।

    सांची; पता है आपको? मुझे कितनी शर्म आ रही है। आपको क्या जरूरत थी मुझे आधी रात जन्मदिन विश करने की? आप फोन पर भी तो कर सकते थे।

    उदय:( हंसते हुए)क्यों जरूरत नहीं थी? यार तुम मेरी होने वाली बीवी हो। मुझे पता है बीवियां कैसे ताने मारती है। मैंने माम को देखा है, भाभी को देखा है। उस टाइम पर तो दोनों कह देती हैं कोई बात नहीं और जब मौका मिलता है दोनों डैड और भैया के साथ बहुत बुरा करती हैं। तो मैंने सोच लिया मैं तो पहले से ही अपनी तैयारी रखो मैं बीवी को कुछ नहीं कहने दूंगा?☺️☺️

    सांची :आप सुबह भी तो केक लेकर आ सकते थे। फिर भी इतनी रात को कोई जरूरत नहीं थी। अगर आप सुबह आते तो तो भी मैं आपको ताना नहीं मारती।

    डॉक्टर उदयवीर ;वैसे एक बात माननी पड़ेगी तुम्हारे भाई तुमको बहुत आजादी देते हैं। मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि वह हम दोनों को अकेला छोड़ देंगे।

    सांची: बात आजादी की नहीं है। यकीन की है । आज तक मैंने उनकी ना कोई बात मोड़ी है और ना ही कभी यकीन तोड़ा है।

    राजवीर: चलो ठीक है बाबा ।अब मेरा गिफ्ट तो खोल कर देख लो। कैसा लगा तुम्हें?

        सांची अपना Gift खोल कर देखती है तो उसमें से बहुत खूबसूरत सोने की पायल निकलती है।

    डॉक्टर उदयवीर ( पायल पकड़ते हुए): लाओ यह पायल पहना दुं।

    सांची (: अपना पाऊं पीछे खींचते हुए) नहीं... आप रहने दे... मैं खुद पहन लूंगी।

    डॉक्टर उदयवीर: क्यों... मैं पहना देता हूं ना।

    सांची: आप मेरे पैर को हाथ लगाएंगे । अच्छा थोड़ी लगेगा।

    डॉक्टर उदयवीर :( मुस्कुराते हुए)कमाल करती हो यार तुम! कहीं... पुरानी फिल्मों की तरह तुम पति को परमेश्वर तो नहीं मानती जो मुझे पांव पर हाथ नहीं लगाने दे रही।

    सांची: बात परमेश्वर की नहीं.... फिर भी किसी के पांव पर हाथ लगाना कोई अच्छी बात थोड़ी होती है।

    राजवीर: देखो साची चुपचाप अपने पैर मेरी तरफ करो.... और मुझे पायल पहनाने दो.... मैं कल को अपने बच्चों को अपनी लव स्टोरी के बारे में क्या बताऊंगा?


    सांची: कल तक तो मुझसे शादी करने को तैयार नहीं थे आज बच्चों का लव स्टोरी सुनाना चाहते हो।

    डॉक्टर उदय : सही बात है ....शादी तो मैं नहीं करना चाहता था..... पर पता नहीं तुम  को क्या काला जादू आता है ...फंसा ही लिया या.. मुझे अपने चक्कर में देखो ना... कैसे घनचक्कर बना रात को 12:00 बजे घूम रहा हूं☺️☺️☺️।

    सांची ( गुस्से से); क्या कहा... मुझे काला जादू आता है.... मैंने फसाया है?


    डॉक्टर उदयवीर ( आंखों में शरारत लिए) और नहीं तो क्या... वरना मुझ जैसा स्मार्ट डॉक्टर... इस 30 प्लस की एज में...  पायल लिए किसी लड़की के पैर में.... पहनाने की मिन्नतें नहीं कर रहा होता।

    सांची ( हार मानते हुए): ठीक है... पहना दो ....ज्यादा  बातें मत बनाओ।

    डॉक्टर उदयवीर ( पहनाते हुए )तुम्हारे पैर  बहुत खूबसूरत हैं... इस पायल  की तो किस्मत खुल गई जो इस खूबसूरत से पैर  में आ गई...!

    सांची (मुस्कुराते हुए): सच-सच बताओ आप डॉक्टर हो जां शायर...!

    डॉक्टर उदयवीर :तुमसे मिलने से पहले तो डॉक्टर ही था... आब पता नहीं.... तुम ही बताओ....  तुम्हें क्या लगता हूं?


    सांची: आपसे तो जतनी चाहे बातें बना लो... बातों में तो माहिर हैं आप!

    डॉक्टर उदयवीर: पता है सांची.... मैं अपने आसपास के लोगों में... कम बोलने के लिए जाना जाता हूं। पर तुम्हारी संगत का असर देख लो।

    सांची: तुम्हारी संगत का असर... मतलब क्या आप का?

    डॉक्टर उदयवीर: और नहीं तो क्या ....जैसे तुम्हारी जवान कभी बंद नहीं होती। आजकल मेरी भी.... तुम्हारी तारीफ करना शुरू करता हूं तो चुप ही नहीं हो पाता। दीवाना... बना कर रख दिया है तुमने... मुझे।

    सांची ( हंसते हुए) आपने ...मेरे साथ कौन सा अच्छा किया है? मैं.. तो अच्छा खासा शादी के लिए ...जवाब देना चाहती थी। मगर ...पता नहीं आपने क्या किया..?


    डॉक्टर उदयवीर: क्या... किया मैंने ...(हंसते हुए) अपनी बात तो... पूरी करो.. मुझे भी तो पता चले?

  • 17. Kismat Se mile hum - Chapter 17

    Words: 775

    Estimated Reading Time: 5 min



       डॉक्टर उदयवीर (आंखों में प्यार लिए): एक बात कहूं यार !अब.. जल्दी से मेरी.…. जिंदगी में  ...मेरे घर में आ जाओ। अब तुम्हारा इंतजार नहीं होता।

    सांची: ऐसे कैसे आ जाऊं?.. मुझे लेने के लिए आपको बरात लेकर आना पड़ेगा❤️❤️।


    डॉक्टर उदयवीर: सांची मैं सोच रहा हूं  बठिंडा में कोई नई कोठी देख लूं... जहां पर हम शादी के बाद रहेंगे। वह छोटा सा घर मेरे अकेले के लिए तो ठीक है मगर अब तुम आ जाओगी तो थोड़ा बड़ा घर ले लेते हैं।

    सांची: कमाल करते हैं आप भी? आप उस घर को बदलना नहीं चाहते थे... इसीलिए तो शहर प्रीत से आपका रिश्ता टूटा। मुझे पता चला कि और भी एक दो रिश्ते सिर्फ इसलिए नहीं हो पाए क्योंकि आप किसी भी हालत में  उस घर  को छोड़ना नहीं चाहते थे। अब क्या हो गया? मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं ....मैं आपके साथ कहीं भी बहुत खुशी से रहूंगी।


    डॉक्टर उदयवीर ( हंसते हुए): मुझे लगता है तुम मेरी हो.... किसी और के लिए ऐसी फीलिंग कभी आई ही नहीं ....अब मुझे लगने लगा है कि  मुझे बड़ा घर ले लेना चाहिए ।वैसे बठिंडा में कई नई कलोनी बन रहीं हैं। मैं उसमें एक पैंट हाउस बुक कराने का सोच रहा हूं। मुझे तुम बताओ तुम्हें  कोठी चाहिए  अथवा पेंट हाऊस?


    सांची : जो आपको अच्छा लगे ?


    डॉक्टर उदयवीर: नहीं सांची,  जो तुम्हें चाहिए तुम बोलो? हमारा घर तुम्हारी पसंद का होगा।


    सांची: मेरी पसंद वही है जो आपकी होगी?


    डॉक्टर उदयवीर ( शरारत से): अच्छा ठीक है ... यह बताओ तुम हनीमून के लिए कहां जाना चाहती हो?❤️❤️


    सांची( शर्माते हुए) कोई बात नहीं बाद में देख लेंगे ।


    डॉक्टर उदयवीर: नहीं यार ....बाद में क्यों... अभी बताओ । टिकट भी बुक करनी पड़ेगी और हां हर बात पर शर्माना जरूरी नहीं।


    Sanchi:ठीक है ...चलो गोवा चलते हैं..
    वैसे भी आज तक में गोवा नहीं गई.... मेरा गोवा घूमने का बहुत मन है।


    डॉक्टर उदयवीर (शरारत से) :सही बात है   Goa का प्रोग्राम बनाते हैं .. मगर हनीमून पर घूमने फिरने का प्रोग्राम कहां बनाता है.. हनीमून तो कमरे में बंद होने का प्लान होता है।


          सांची ( उठकर डॉक्टर उदयवीर को कुशन मारती हुई): जरा सी तो शर्म करो... हर बात को कहीं ना कहीं पर ले जाते हो... चलो बहुत रात हो गई है.. हमें सोना चाहिए और आप भी अब जाओ।☺️☺️☺️


    डॉक्टर उदयवीर( कुशन को पकड़े पकड़ते हुए) अभी तो रात के सिर्फ 2:00 बजे हैं ...अब तो देर रात तक जागने की आदत डाल लो... बाद में प्रॉब्लम नहीं होगी।


    सांची ( परेशान होकर ):क्यों आप मुझे शादी के बाद डॉक्टरी पढ़ाने वाले हो... जिसके लिए मुझे रात को देर तक जागना पड़ा करेगा।


    डॉक्टर उदयवीर (हंसते हुए उसकी तरफ देखने लगता है): पता है सांची तुम इतनी क्यूट हो.... और इतनी प्यारी बातें करती हो ...शायद तुम्हारा चाहिए अंदाज मुझे ले डूबा❤️❤️।


    सांची ( कंफ्यूज हो कर): मेरे पल्ले आपकी कोई बात नहीं पड़ रही... कभी मैं प्यारी हूं... कभी रात को देर रात तक जाग कर पढ़ाने की सोच हो ...सच में मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।


    डॉ उदयवीर( मयानीखेज अंदाज में मुस्कुराते हुए):अभी सब बातें तुम्हारे पल्ले नहीं पड़ेगी... मुझे लगता है कि मैं नाबालिग शादी कर रहा हूं 😭😭।


    सांची पहले तो डॉक्टर देखी सारी बातें साची के सर के ऊपर से जा रही थी मगर अब समझाने लगी थी कि डॉ उदय उस से डबल मीनिंग बातें कर रहा है। सांची उधर इधर देखने लगती है। सांची की गुलाबी आंखों में देखते हुए उदयवीर फिर कहता है: अरे हां तुम आज सुबह घर आई थी मुझसे मिले बिना ही चली गई?


    सांची( घबराते हुए) अच्छा आपको दादी मां ने बताया होगा... वो मुझे एक जरूरी फोन आ गया था इसलिए मुझे जाना पड़ा।


    डॉ उदयवीर (मस्ताने अंदाज से) मुझे दादी मां ने क्यों बताना था ...जब तुमने मेरा बाथरूम खोला था तो मैंने तुम्हें तब देख लिया था।☺️☺️☺️


         सांची  (अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को छुपाते हुए) : सच में किस  बेशर्म से पाला पड़ा है ... आप मुझे जन्मदिन विश करने आए हैं ...  यह सब बातें करने...।


        डॉक्टर उदयवीर अपनी पॉकेट में से एक कार्ड निकाल कर सांची को देते  हुऐ,"सांची यह कार्ड रखो । प्लीज इस से  तुम कुछ ज्वेलरी खरीद   लेना। मैं तुम्हारे लिए अलग से थोड़ी शॉपिंग करना चाहता था। मगर मेरे पास इतना टाइम नहीं है। मैं यहां से सीधा वापस लौट रहा हूं।

        सांची:आपको मेरे लिए अलग से शादी की  shopping करने की कोई जरूरत नहीं है ।पहले ही माम ने मुझे ज्वेलरी. सूट. साड़ी. ड्रेस,  मेकअप का सामान. शूज, सैंडल ,जैकेट्स ऐसा बहुत सारा सामन दिलवा दिया है। कोई बात नहीं आप अपने पसंद का समान  मुझे शादी के बाद दिला दें।

  • 18. Kismat Se mile hum - Chapter 18

    Words: 916

    Estimated Reading Time: 6 min

         
                पिछले भाग में आपने पढ़ा उदयवीर सांची को अपना कार्ड देता है। उदय चाहता है कि सांची उस कार्ड से शॉपिंग करें। मगर सांची  मना कर देती है।


    डॉक्टर उदयवीर: ठीक है सांची  आज मैं वापस हॉस्पिटल नहीं जा रहा,,, मैं तुम्हें खुद जाकर शॉपिंग करा दूंगा ।मैं समझ गया....


    सांची (कंफ्यूज हो कर देखते हुए  ) ..क्या ...समझ गए आप?


    डॉक्टर उदयवीर : यही कि तुम मुझे अपना नहीं समझती ....कोई बात नहीं......


    सांची ( उदास होते हुए )आप  यह क्या कह रहे हैं.... ठीक है ...आप मुझे कार्ड दे दीजिए।


    डॉक्टर उदयवीर ( हंसते हुए )....अरे तुम तो उदास हो गई... मेरे कहने का मतलब यह नहीं था... मैं तो बस चाहता हूं कि तुम मेरे पैसे से शॉपिंग करो... जो  शॉपिंग माम ने करवाई है। बह शॉपिंग मॉम ने अपनी होने वाली बहू को कराई है...  मैं भी तो अपनी कमाई सेअपनी होने वाली बीवी पर शॉपिंग कराना चाहता हूं।


    सांची:   ठीक है मुझे कार्ड दे दीजिए... मैं कर लूंगी शॉपिंग।


    डॉक्टर उदयवीर: मैंने पहली लड़की देखी है जो शॉपिंग के लिए मना कर रही है। वरना लड़कियों के लिए तैयार रहती हैं।


    सांची: शॉपिंग तो मुझे भी बहुत पसंद है... थोड़े दिन रुक जाइए आप को पता चलेगा ..... मैं कितनी शापिंग करती हूं।

    डॉक्टर उदयवीर:...क्यों थोड़े दिनों में क्यों ...अभी क्यों नहीं।


    सांची: जब मैं मिसेज सांची उदयवीर सिंह सिद्धू बन जाऊंगी.... मैं तब  आप से शॉपिंग करूंगी..  तब देखीएगा ....मेरे खर्चे आप उठाने के लिए तैयार रहीए गा।


    डॉक्टर उदयवीर: तो क्या... तुम मुझे अपना नहीं मानती..... मुझे तो लगा था कि हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं.... तो इन 10 दिनों की शादी का क्या क्या फर्क पड़ेगा..  मैंने तो तुझे अभी से अपना मान लिया है।


    सांची: हम दोनों ने एक दूसरे को अपना माना है ...एक दूसरे के होंगे तो तभी... जब शादी हो जाएगी... आज आप मुझसे मिलने के लिए मेरे भाई से पूछ कर आए हैं... क्या शादी के बाद आपको किसी से पूछने की जरूरत पड़ेगी?


    डॉक्टर उदयवीर: यार मैं बातों में तुमसे नहीं जीत सकता... तुम ज्यादा ही प्रैक्टिकल हो ...मैं तो एक बाथ जानता हूं... अगर ...अगर तुम मेरी हो तो ....हो ...मैंने पूरे रूप से तुम्हें अपना मान लिया... मेरी हर चीज पर तुम्हारा आज ही पूरा हक है।


    सांची: ठीक है.. अब मैंने कह तो दिया कि मैं कार्ड से शॉपिंग करूंगी.. मैं आप ही की हूं... अब ठीक है।


    डॉक्टर उदयवीर ( शरारत से): वैसे आज तक हम दोनों एक दूसरे से ...आई लव यू भी नहीं कहा.. इसीलिए तो तुम्हें मुझ पर  हक नहीं जता रही... ठीक कहा ना मैंने।


    सांची: यही सब बातें करवा लो आप से जितनी मर्जी।


    डॉक्टर उदयवीर: अब मैं अपनी होने वाली बीवी से  I love you.... bhi nahin kah Sakta... देख लेना मैं अपने बच्चों को सब बताऊंगा कि उसकी मां कैसी थी।


    सांची: बेशर्मी की बातें... चाहे आपसे कितनी मर्जी करवा लो ?


    डॉक्टर उदयवीर : यार.. आजकल तो 10 साल का बच्चा भी.. अपनी गर्लफ्रेंड बनाने के लिए.. आप आई लव यू  बोलता है। मैं तो तुम्हारा होने वाला पति हूं... कुछ तो रहम करो मुझ।


    सांची: आज तक.. आपने कितनी गर्लफ्रेंड्स... को आई लव यू बोला है... जरा.. मुझे भी तो पता चले।


    डॉ उदय( हंसते हुए): देखो तुम बात को कहां से कहां ले कर जा रही हो... मैं तुम्हें प्रपोज कर रहा हूं ....और तुम मेरी टांग खींच रही हो। चलो छोड़ो ..मैं तुम्हें.. अब आई लव यू नहीं कहूंगा ..एक बार शादी होने दो फिर बताऊंगा तुझे!


    सांची ( बात बदलते हुए): दादा जी कह रहे थे ... शादी का प्रोग्राम  गांव में करेंगे ..इसलिए परसों हम अपने गांव वापस जा रहे हैं।


    डॉक्टर उदयपुर हम लोग भी शादी का प्रोग्राम अपने गांव में ही कर रहे हैं... इसलिए  मैं भी सीधा वहीं पर पहुंच जाऊंगा... घर के बाकी लोग कल चले जाएंगे।


          डॉक्टर उदयवीर का( पिंड) गांव मानसा के पास नंगल खुर्द है। नंगल खुर्द में  उनकी की पुश्तैनी जमीन और घर है। उनका पुश्तैनी  जिसे इन्होंने अब नए घर की शक्ल दे दी है । इनके पूरे परिवार की शादी अव भी गांव में ही होती हैं।सांची के दादाजी मानसा के ही  गांव छोटी मानसा के रहने वाले हैं। उनका भी पुश्तैनी जमीन और घर छोटी मानसा में ही है। सांची के दादाजी और उदयवीर के दादाजी की दोस्ती मानसा स्कूल में पढ़ते हुए बचपन में ही हुई थी। जो कि अब रिश्तेदारी में बदलने जा रही है।


    डॉ उदयवीर ( खड़े होते हुए).. ठीक है.. सांची अब मैं वापस जा रहा हूं... मन तो मेरा नहीं है ...जाने का.. पर क्या करूं जाना पड़ेगा.… फिर ही तो तुम लेने आऊंगा।❤️😁


    सांची: ठीक है... ध्यान से जाइएगा ...इन दिनों में ठंड और धुंध दोनों बढ़ जाती हैं।


    डॉक्टर उदयवीर :क्या है सांची.. एक बार भी नहीं कहा ...थोड़ी देर और रुक जाओ.. मुझ से पीछा छुड़ाना चाहती हो।


    सांची: क्या कह रहे हैं आप.. आपसे पीछा क्यों छोड़ना चाहुंगी ..मुझे यह सब बातें नहीं करनी आती ..मुझे बहुत शर्म आती है.. वरना मैं बता नहीं सकती कि मैं आपके आने से कितनी खुश हूं।


    डॉक्टर उदयवीर: अरे.. अरे.. मैं तो मजाक कर रहा था..  तुम्हारे बारे में  बहुत कुछ जान गया हूं .. सांची मेरी किसी बात का बुरा मत मानना।  अच्छा ठीक है  .अब जाने से पहले.. एक बार गले तो लग जाओ ..एक हग तो बनता है.. अब शादी के बाद हम अपने बच्चों को क्या स्टोरी सुनाएंगे.. कि हम लोग एक बार गले भी नहीं लगे।

    सांची (शर्म से लाल होते हुए)  : आप बड़े बेशर्म है उदय.. आप?

  • 19. Kismat Se mile hum - Chapter 19

    Words: 776

    Estimated Reading Time: 5 min

        डॉक्टर उदयवीर सांची को बर्थडे विश करने के लिए आधी रात को आता है। उसके लिए केक और गिफ्ट लेकर आता है ।सर सांची के भैया और भाभी उन दोनों को कि अकेले में मिलने का मौका देते हैं। तो डॉक्टर उदयवीर सांची से प्यारी प्यारी बातें करते हैं। जब उदयवीर जाने लगता है तो सांची से एक बार गले लगने को कहता है तो उसके जवाब में सांची कहती है।


    सांची (शर्म से लाल होते हुए): उदय ...बड़े बेशर्म हैं आप?


    डॉक्टर उदयवीर: तुम तो ऐसे लाल हो रही हो... जैसे मैं तुमसे... सुहागरात.. के लिए पूछ रहा हूं ..❤️...मैं तो सिर्फ एक बार गले लगने को कहा है।


    सांची (नकली गुस्से से सोफे पर पड़ा कुशन उठाकर  उदयवीर को मारते हुए)..बस सिर्फ... यही बातें करा लो आपसे।


         डॉक्टर उदयवीर आगे बढ़कर उसके गले में बाहें डाल देता है । सांची धीरे से उसके सीने में अपना चेहरा छुपा लेती है। सांची को बाहों के हिसार में लिए डॉक्टर उदयवीर  बोला," सांची... अब आ जाओ मेरी जिंदगी में ...जल्दी से .... और इंतजार नहीं होता... जब  मैं सुबह आंखें खोलूं तो मैं सबसे पहले तेरा चेहरा देखूं.... जब मैं काम पर जाऊं तो.... तुम्हें देख कर जाऊं.... जब मैं काम से  आऊं तो ...तुम मेरा दरवाजा खोलो.. जब मैं रात को बिस्तर पर जाऊं तो... तुम मेरी""... बस... अब... कुछ और मत बोलिए गा ...आपके विचार  पता है ...मुझे ... आपको तो बोलने में कोई शर्म नहीं है...."सांची  ने अपना हाथ डॉक्टर उदयवीर के मुंह पर धर लिया।


    डॉक्टर  उदयवीर: पता है सांची ...मेरे जैसा sincere डॉक्टर  को तुम ने कैसे दीवाना बना दिया... यह देखो मेरी  हालत  हो गई है... तुम्हारे प्यार में..


    सांची (आंखों में डॉक्टर उदयवीर के प्यार का खुमार लिए): एक बात कहूं मैं आपसे ... अगर मेरे बस में होता तो.. आज ही मैं आपके साथ चलती... जरूरी है शादी करना... बस अब 10 दिन की बात है... फिर हमेशा के लिए... मैं आपकी हो जाऊंगी


    डॉक्टर उदयवीर( अपने हाथों से सांची का चेहरा पकड़ते हुए): एक बात कहूं... साची... जो बात तुमने अभी कही... उसकी मुझे उम्मीद नहीं थी ...मुझे ऐसा लग रहा था ...कि मैं ही सिर्फ एक तरफा प्यार दिखा रहा हूं..… मैं बहुत खुश हूं... सांची...


    उदयवीर ( आंखों में शरारत और प्यार लिए): अगर.. तुम मेरी एक बात और मान लो ... जिस से शादी के बीच में जो दिन है.... निकालने आसान हो जाएंगे...


    सांची( डॉक्टर के गले लगे हुए)... कहो.. कौन सी... बात है.. जो माननी है..💞💞

    डॉक्टर उदयवीर (सांची को सीने से लगाए हुए): सोच लो ...बाद में.. मुकरोगी तो नहीं...


    सांची: ठीक है... बाबा ...बताओ..


    डॉक्टर उदयवीर:... नहीं... पहले पक्का वाला ...प्रॉमिस करो ...फिर बताऊंगा..


    सांची:.. ठीक है.. पक्का वाला प्रॉमिस....  अब बताओ तो सही... पर...याद रहे... ऐसी कोई बात नहीं कहनी... जो शादी से पहले ना कर सके...


    उदयवीर:... नहीं... यार... मैं तुम्हें कोई... सुहागरात मनाने को थोड़ी कह रहा हूं।


    सांची:(  अपने आप को उदयवीर की बाहों से छुड़ाते हुए )...बस.. यही बातें... करा लो.. आपसे चाहे जितनी मर्जी..

    उदयवीर:.. ठीक है ...मेरी बात तो सुनो.. . तुम मुझे.. किस.. दे सकती हो..


    सांची जिसके गाल उदयवीर की बात सुनते ही लाल हो गए थे। इधर-उधर देखने लगती है। सांची सोच रही है वह हां भी नहीं कह सकती और ना भी नहीं कह सकती। अब वो क्या करें।


       डॉक्टर उदयवीर ने सांची की चुप को उसकी हां समझा ।धीरे से उसके पास आया उसके दोनों कंधों पर अपने हाथ रखे ।जब सांची ने  उसे मना नहीं किया तो उसने धीरे से सांची का चेहरा अपने  दोनों हाथों से पकड़ा ।सांची ने अपनी आंखें बंद कर ली ।डॉक्टर उदयवीर ने धीरे से उसके होठों के पास आया फिर पता नहीं उसके दिमाग में क्या आया उसने सांची का माथा किस किया ,फिर बारी-बारी से दोनों आंखों को किस किया। सांची का चेहरा डॉक्टर उदयवीर की नजदीकियों से तप रहा था ।उसके चेहरे की तपिश डॉक्टर उदयवीर के देनों हाथों को महसूस हो रही थी। सांची के बेतरतीब धड़कन ए उदयवीर को सुनाई दे रही थी। सांची का गुलाब  होते चेहरे पर  डॉक्टर उदयवीर को बहुत प्यार आ रहा था। डॉक्टर उदयवीर सांची को जोर से  अपनी बाहों में लेते हुए  गले से लगा लिया। फिर डॉक्टर उदयवीर बोला,"सांची... मेरी होठों की किस... तुझ पर उधार रही ....मैं तुझको सुहाग रात को बताऊंगा... मैं कितना बेशर्म हूं ..तुम मुझे बेशर्म कह रही हो ना .... उस दिन मैं तुमसे नहीं पूछूंगा.... उस दिन मुझे तुमसे... किसी चीज की इजाजत लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.... ठीक कहा ना... सांची।"" ... हां .."धीरे से साची बोली। डॉक्टर उदयवीर के सीने से लगी हुई साची कहने लगी ,"...उदय... मुझे जल्दी से ले जाओ.... मुझे भी आपके... बिना रातों को नींद नहीं आती..❤️❤️।

  • 20. Kismat Se mile hum - Chapter 20

    Words: 923

    Estimated Reading Time: 6 min

        डॉक्टर उदयवीर रात को सांची के साथ केक काटने के बाद  सीधा बठिंडा की तरफ निकल गया। क्योंकि उसे वहां जल्दी से अपना काम खत्म कर वापस आना था। जाते समय रास्ते में उदय बहुत खुश था। उसने सोचा नहीं था जिस लड़की से  घर वालों के दबाव के कारण सगाई कर रहा है वह लड़की  जल्दी उसकी जान बन जाएगी।

         रास्ते में उसने गाड़ी में गाने लगा दे गाने सुनता वह खुशी से अपने हॉस्पिटल जा रहा था जब गुरनाम भुल्लर का पंजाबी गाना चलने लगा तो उसने सांची को फोन लगा लिया ।फोन स्पीकर पर डालकर सांची को भी गाना सुनाने लगा। गाने के बोल थे


        पिंक सूट विच जमां  लगदी ए रोज नीं

    आजा परशावे बागूं जट देख क्लोज नीं

    तेरे आऊन नाल रोमांटिक हो जाएंगे

    हाले तक मित्रा दे चकवेंआ पोज नहीं

    तेरे पीछे होली होली हार्ले नूं तोरदा

    लोर विच तुरदा स्नेक आ जटीए

    जट नाल पेंट स्ट्रेट आ जटीए

      असले जिसकी अख दी शेप एटीएम

    मैं डबा बंद झांजरा लेआया बिना मेच तो

    तां भी तेरे पूरियां मेच आ जटीए

    जाट नाल पेंट स्ट्रेट आ जटीए

      असले जिही अख दी शेप आ जटीए

    चॉकलेट कुड़ी ए तु माजे वल दी

    वठिंडे वाला जट वी खजूर नालदा

    भैड़ा तेरे रूप दा नीं नशा जाट नूं

    दूजी वारी कडडी  दे सरूर नालदा

    दिल ते दमाग ऊते  छपी  पई  जट दे

    लाट वर्गी तु छपी पई जट दे

    लाड़ नाल रूखु तैनुं   लाड़ो रानी ए

    फींम वाली डब्बी जिन्ना तेरा बेट आ जट्टीए

    जाट नाल पैंट स्ट्रेट आ जटीए

      असले जिही अख दी शेप आ जटीए


    मैं बिना मेचे झांजरा   लेआया तेरे वास्ते

    तां वी तेरे पुरीयां मेच आ जटीए

    जाट नाल पेंट स्ट्रेट आ जटीए

    असले जिही अख दी शेप आ जटीए

    रेयर पसंद आऊन चीजा गोरीए

    कीवें तेरा सौफट जा दिल तोड़ दू

    टुटन नीं दिंदा जो करीजा  गोरीए


       सांची और उदय दोनों खुशी से झूम रहे थे। दोनों बहुत ज्यादा खुश थे। मगर दोनों को ही आने वाले तूफान की खबर नहीं थी। इंसान जिंदगी में कई बार ऐसी गलती करता है  जिसके नतीजे उसकी आगे आने वाली जिंदगी पर असर डालते हैं। शायद वह ऐसी  ही एक ग़लती डॉ उदय से  हुई थी जो उन दोनों की आने वाली जिंदगी को पूरी तरह से तहस-नहस करने वाली थी। वह दोनों अपने आने वाले कल से अनजान बहुत खुश थे।


        दोनों ही परिवार अपने  पिंड़ ( गांव) चले गए ।वहां पिंड में ही तो उन  दोनों परिवारों को अपने बच्चों की शादी करनी थी। गौतम सिंह सिद्धू अपने परिवार के साथ अपने भिंड वाले घर आ गए ।वहां पर उनकी अपनी ही बहुत बड़ी सी कोठी थी ।वह उसमें बहुत खूबसूरत सा lawn था। बठिंडा से मानसा नजदीक ही पड़ता था। मुश्किल से सवा घंटे का रास्ता था। पूरा परिवार पिंड (गांव) कर बहुत खुश था और बच्चे तो खासतौर पर। शादी  की सारी अरेंजमेंट हो गई थी। शादी से पहले के सारे प्रोग्राम घर पर ही होने थे। शादी के लिए मानसा का एक मैरिज पैलेस बुक किया गया था। मानसा चाहे शहर छोटा था मगर वहां पर बहुत अच्छे सुंदर और बड़े मैरिज पैलेस थे।


        उधर देव सिंह मान की फैमिली भी अपने पिंड वापस आ गई थी। लड़की वालों की तैयारी तो वैसे भी लड़के वालों से ज्यादा होती है।  शादी के लिए अपने पिंड(गांव)आ कर सभी बहुत खुश थे और सांची तो सबसे ज्यादा खुश थी। उसने सबसे पहले डॉक्टर उदयवीर को  फोन किया कि हम लोग अपने पिंड पहुंच चुके हैं। सांची की भाभी जी सांची को छोड़ती  कि पहले तो सांची डॉक्टर उदयवीर के  नाम पर ही गुस्सा हो जाती थी अब सारा दिन उसी का नाम जपती है।


          10 दिसंबर को उन दोनों की शादी थी। 9 दिसंबर को हल्दी, 8 दिसंबर को दिन को उनकी मेहंदी थी और 8 की रात को लेडीज संगीत। शादी से 7 दिन पहले साहे चिठ्ठी  ले जाने का प्रोग्राम बना। साहे चिठ्ठी का मतलब होता है जो लड़की वाले शादी का कार्ड लड़की वालों को कि घर देकर आते हैं ।यह कई बार 21 दिन पहले भी हो जाता है क्योंकि उनको अपने सारे प्रोग्राम अपने पिंड में आकर करने थे तो  उन लोगों ने तय किया था कि साहे चिट्ठी की 7 दिन पहले उदयवीर के पिंड  वाले घर में देकर आएंगे।


        जिस दिन साहे चिट्ठी का प्रोग्राम था। उस दिन कुछ घंटों के लिए अपने डॉक्टर उदयवीर भी आया था। साहे चिट्ठी के लिए सांची के दादाजी, वीर जी और रिश्ते में उनके मामा जी ,चाचा जी ,ताया जी और कुछ फ्रेंड  आए थे। थ



            पंजाब में  शादी से पहले सांसे चिठ्ठी की रस्म की जाती है ।और किन-किन स्टेट में शादी से पहले साहे चिठ्ठी की रसम की जाती है। इस साहे चिट्ठी को लड़की का भाई पढ़कर सुनाता है। अगर सगा भाई ना हो तो रिश्ते में जो भी भाई होता है वह पड़ता है। प्लीज आप मुझे इस बारे में आपनी समीक्षा में जरूर बताएं। आप इस शादी की रसम साहे चिट्ठी  के बारे में गूगल कर करके भी देख सकते हैं। उस से भी आपको इसके बारे में बहुत कुछ पता चलेगा।


          गौतम सिंह ने अपने घर में  अखंड  पाठ  रखवाया था ।जिस दिन साहे चिट्ठी लेकर देव सिंह मान के परिवार को आना था। उसे दिन ही  पाठ का भोग पड़ना था। उस दिन अखंड पाठ साहिब का भोग पड़ा और साहे चिट्ठी का काम भी खुशी-खुशी निपट गया। सभी लोग बहुत खुश थे। क्योंकि शादी का आरंभ आज अखंड पाठ से हो चुका था।

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