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मिले ना मिले हम🍁🍁 उसने सिर्फ शरीर छुआ था… अब वो दिल की हर दीवार तोड़ना चाहता है।"

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तेजस खन्ना — एक बेहद अमीर, हैंडसम लेकिन बेरहम प्लेबॉय… उसकी जिंदगी में कभी प्यार की जगह नहीं रही। उसके लिए लड़कियाँ बस एक खेल थीं और पैसा उसका सबसे बड़ा हथियार। शहर की हर खूबसूरत लड़की उसके नाम की दीवानी थी — लेकिन तेजस सिर्फ उन्हें चुनता था जो उसकी...

Characters

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तेजस खन्ना

Hero

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तपस्या कपूर

Heroine

Total Chapters (250)

Page 1 of 13

  • 1. मिले ना मिले हम - Chapter 1

    Words: 754

    Estimated Reading Time: 5 min

    मनमर्जियां इश्क दिया शुरू कर रही हां, एक नई सीरीज। इसमें हमारी सीरीज का हीरो तेजस खन्ना, जो एक प्लेबॉय है। पर उसका सामना होता है सीधी-सादी तपस्या से। क्या होगा जब दोनों मिलेंगे एक-दूजे से?

    तेजस खन्ना, जिसे हर रोज बिस्तर पर एक नई लड़की चाहिए। वह कॉलेज के जमाने से ही ऐसा था। कॉलेज में उसकी कितनी सारी गर्लफ्रेंड्स थीं, जिनके साथ वह फिजिकल था। और उसकी पर्सनैलिटी भी ऐसी थी कि लड़कियां खुद उसके आगे बिछ जाती थीं। जब उसने कॉलेज छोड़कर अपना बिजनेस देखना शुरू किया, तो लड़कियां उस पर और भी मरने लगीं।

    वह एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन था। कितनी सारी लड़कियों से उसकी दोस्ती थी। कई तो उनमें से टॉप मॉडल और टॉप हीरोइन थीं। उसके फिल्म इंडस्ट्री में भी बहुत सारे कनेक्शन थे। लड़कियां रोल पाने के लिए भी उसके साथ बिस्तर शेयर खुशी-खुशी कर लेती थीं। शायद ही कोई उसे नखरे करने वाली मिली ही नहीं थी। अगर कोई थोड़े-बहुत नखरे भी करती, तो उसे अपने पास लाने के तरीके आते थे।

    वह जानता था पैसा हर लड़की की कमजोरी है। वह लड़कियों पर खूब पैसा लुटाता था।

    वैसे वह लोग दो भाई थे। उसके डैड तेजवीर खन्ना का भी बिजनेस बड़ा नाम था। मगर जब से उनका एक्सीडेंट हुआ, उन्होंने काम छोड़ दिया और पूरा काम तेजस ही देखने लगा। तेजस का छोटा भाई अभी पढ़ रहा था। तेजस अपनी आज़ादी में कोई दखल नहीं चाहता था। इसलिए वह घर छोड़कर अपने पेंटहाउस में चला गया था। घर तो वह कभी-कभी ही जाता था।

    तेजस खन्ना इंडस्ट्री का सीईओ था। उनके देश में और विदेशों में कई होटल थे और साथ में उनकी टेक्सटाइल इंडस्ट्री थी। अपने काम में तेजस बहुत माहिर था। जब से उसने काम संभाला था, उसके बिजनेस में खूब तरक्की हुई थी। इस सफलता ने उसका दिमाग और भी खराब कर दिया था।

    पूरा ऑफिस जानता था कि तेजस कैसा लड़का है। ऑफिस की ज़्यादातर लड़कियों का सपना उसके साथ एक रात गुजारने का था। क्योंकि वह इतने पैसे देता था कि लड़कियां अपने सारे सपने पूरे कर सकती थीं। मगर उसके ऑफिस में कई लड़कियों को ही वह नसीब हुआ था।

    आज प्रीति ने नया-नया ऑफिस जॉइन किया था। तेजस के बारे में उसने भी सुन रखा था। आज वो ऑफिस के पहले दिन ही बड़ा तैयार होकर आई थी। उसे कैसे भी करके तेजस पर अपना जादू चलाना था। इसलिए ऑफिस में वह मिनी स्कर्ट और शॉर्ट टॉप में आई थी। वह ड्रेस उसका बदन छुपाने की जगह, दिखा ज्यादा रही थी। आज जो भी ऑफिस में एक बार उसकी तरफ देखता, देखता ही रह जाता था। वह भी मुस्कुराती हुई, पूरा दिन उसे भी इंतज़ार था कि आज तेजस ऑफिस आए और सबसे पहले उसकी नज़र उस पर पड़े।

    आज तेजस दोपहर के बाद ऑफिस आया था। आते ही उसने कोई फाइल मंगवाई थी। वह फाइल प्रीति के पास थी और प्रीति लेकर उसके ऑफिस में पहुंची।

    “...May I come in?” उसने दरवाज़ा खोलते हुए कहा।

    तेजस ने बिना नज़र उठाए कहा, “Yes...” उसने प्रीति की तरफ नज़र उठाकर नहीं देखा। तो प्रीति का जादू कैसे चलता?

    “...इस फाइल में बहुत गलतियां हैं...” कहते हुए उसने ऊपर की तरफ देखा, तो सामने प्रीति खड़ी थी। शॉर्ट टॉप और मिनी स्कर्ट में वह बहुत सेक्सी लग रही थी।

    “...सर, क्या आप मुझे बताएंगे कौन सी गलती है?” प्रीति ने कहा।

    तेजस खड़ा हो गया था और प्रीति की तरफ बढ़ने लगा।

    “...ऐसा करना, शाम को ब्लू मून होटल, कमरा नंबर 103 में पहुंच जाना...”

    “...ठीक है... और बोलो, पैसे कैश में चाहिए या तुम्हारे अकाउंट में डाल दूं...”

    “...सर, अकाउंट में...” प्रीति ने कहा।

    फिर तेजस का प्रीति के साथ रात का प्रोग्राम फिक्स हो गया था।

    “...अपनी फाइल जाकर ठीक करो...” उसने प्रीति से कहा।

    वह चाहे जैसा भी था, मगर उसे अपने काम में लापरवाही बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।

    प्रीति खुश थी। आज ऑफिस के पहले ही दिन उसका काम हो गया था।

    उसके ऑफिस से बाहर जाते ही प्रीति ने किसी को फोन किया।

    “...काम हो गया... पहले ही दिन...”

    “...हां, पहले ही दिन... आज उसने मुझे होटल में बुलाया है... ब्लू मून में... 103 कमरा नंबर...”

    “...यह तो सिर्फ शुरुआत है... तुम्हें ही उसका विश्वास पूरी तरह से जीतना है और कोई गलती नहीं होनी चाहिए...”

    उससे बात करने के बाद प्रीति अपनी सीट पर चली गई और अपना काम करने लगी।

    ---

    🌟 स्टिकर याद रखिए:

    > 💫 मनमर्जियां इश्क दिया

    जब एक रंगीन मिज़ाज रईस और एक संस्कारी लड़की की टक्कर होती है…

    तो सिर्फ मोहब्बत नहीं, मनमर्ज़ियां भी जन्म लेती हैं...

    ---

  • 2. मिले ना मिले हम - Chapter 2

    Words: 661

    Estimated Reading Time: 4 min

    अपनी फाइल जाकर ठीक करो..." उसने प्रीति से कहा। वह चाहे जैसा भी था, मगर उसे अपने काम में लापरवाही बिल्कुल भी पसंद नहीं थी।

    प्रीति खुश थी। आज ऑफिस के पहले ही दिन उसका काम हो गया था। उसके ऑफिस से बाहर जाते ही प्रीति ने किसी को फोन किया:

    "...काम हो गया... पहले ही दिन..."

    "...हाँ, पहले ही दिन... आज उसने मुझे होटल में बुलाया है... ब्लू मून में... 103 कमरा नंबर..."

    "...यह तो सिर्फ शुरुआत है... तुम्हें ही उसका विश्वास पूरी तरह से जीतना है और कोई गलती नहीं होनी चाहिए..."

    उससे बात करने के बाद प्रीति अपनी सीट पर चली गई और अपना काम करने लगी।

    तेजस ने काम करते-करते टाइम देखा। बहुत समय हो चुका था। उसकी आज प्रीति के साथ रात की डेट भी फिक्स थी। तो वह वहां से निकला और होटल ब्लू मून की तरफ चला गया। वहाँ पर पहले से ही उसका सुइट बुक रहता था। असल में वह होटल उसी का था।

    वह प्रीति के आने से पहले वहां पहुंच गया था। वह नहा कर अपने कपड़े चेंज कर चुका था और जब तक प्रीति पहुंची, वह लैपटॉप पर काम कर रहा था।

    तभी दरवाज़े पर नॉक हुई, तो तेजस ने उठकर दरवाज़ा खोला। सामने प्रीति थी। उसने बिल्कुल शॉर्ट वन-पीस ड्रेस पहनी हुई थी।

    "...मैं आ जाऊं?" प्रीति ने कहा।

    "...आ जाओ, मैं तुम्हारी ही वेट कर रहा था..."

    दोनों अंदर आ गए और तेजस सोफे पर बैठ गया। प्रीति, जहां शराब रखी हुई थी, वहाँ से तेजस के लिए ड्रिंक बनाने लगी।

    ड्रिंक बनाकर वह तेजस के पास आ गई और पास ही बैठ गई।

    ---

    जब प्रीति की सुबह आंख खुली तो तेजस रूम में नहीं था। उसके पास एक ब्लैंक चेक पड़ा था।

    चेक देखकर प्रीति खुश हो गई।

    "अगर ऐसा चेक मिले तो मैं तो रोज़ यह सब करने को तैयार हूं..." प्रीति ने अपने आप से कहा।

    उसने चेक उठाया और अपने कपड़े पहन कर वहां से चली गई।

    अगले दिन, प्रीति जब तेजस के ऑफिस में गई तो उसने तेजस को रिझाने की कोशिश की।

    मगर तेजस ने उसकी तरफ देखा तक नहीं।

    उसकी यह आदत थी कि वह किसी भी लड़की को एक रात के लिए ही याद करता था। फिर उसे पूरे पैसे देता और उसके बाद उसकी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखता था।

    ऐसा ही उसने प्रीति के साथ किया था।

    ---

    प्रीति के पास उस आदमी का फोन आया जिसने उसे तेजस के पीछे लगाया था:

    "...काम नहीं हुआ..."

    "...क्यों? तुम तो रात को उसके साथ थी..."

    "...मगर आज तो उसने मेरी तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा..."

    "...फिर भी कोई बात नहीं। तुम उसके ऑफिस में जमी रहो... सब धीरे-धीरे उसे गिलास में उतारो... अगर उसको तुझ में दिलचस्पी नहीं है... तो उसकी हेल्प करो..."

    ---

    प्रीति का ध्यान पूरा समय तेजस पर ही था।

    तेजस का पीए, राहुल शर्मा, उसका बहुत खास था। वह असल में कॉलेज से ही उसके साथ था।

    वह हमेशा उसे इन बातों से रोकता था।

    हालांकि वह तेजस के कहने पर उसके सारे काम करता था — जैसे उसके लिए कमरा बुक करना, किसी लड़की को फूल भेजना हो, गिफ्ट देना हो — ये सारे काम राहुल ही करता था।

    मगर साथ में तेजस से हमेशा कहता:

    "...मैं चाहता हूं, तुम्हारी जिंदगी में एक ऐसी लड़की आ जाए... जो तुम्हारी हो जाए... तुम्हें अपना बना ले... तुम्हारी जिंदगी में शांति और प्यार आ जाए..."

    तो तेजस हंस कर कहता:

    "...यह बात नामुमकिन है... मैं किसी से कभी प्यार नहीं कर सकता... और कोई मुझसे प्यार क्यों करेगा...? अगर किसी को मुझसे प्यार होगा तो सिर्फ मेरे पैसे से होगा... जो मुझे चाहिए, वो मुझे एक लड़की से सिर्फ एक रात के लिए चाहिए... दोबारा मैं उसकी इच्छा नहीं रखता..."

    "...कोई बात नहीं, कोई तो आएगी तुम्हारी जिंदगी में... जिसकी इच्छा तुम बार-बार करोगे..." राहुल उसे हंस कर कहता।

    ---

    🌟 स्टिकर (टैगलाइन) याद रखिए:

    > 💔 मनमर्जियां इश्क दिया

    हर रात बदलती उसकी दुनिया...

    क्या एक लड़की उसकी रूह बदल पाएगी?

    ---

  • 3. मिले ना मिले हम - Chapter 3

    Words: 995

    Estimated Reading Time: 6 min

    ---

    प्रीति ने सोच लिया था।

    उसे किसी भी हालत में तेजस के दिल में अपनी जगह बनानी थी। अगर तेजस उसे नहीं चाहता, तो कोई बात नहीं। मगर वो हार मानने वालों में नहीं थी।

    ऑफिस में व्यस्तता बढ़ रही थी।

    तेजस का काम बढ़ता जा रहा था और अकेले राहुल के लिए सब संभालना मुश्किल हो रहा था।

    "सर, मैं सोच रहा था... वैसे तो मैं आपका सेक्रेटरी का काम देख ही रहा हूँ... लेकिन अब एक और सेक्रेटरी की ज़रूरत है। इससे मेरा भी काम कम हो जाएगा और आपको भी हेल्प मिलेगी," राहुल ने सुझाव दिया।

    "तो फिर ठीक है," तेजस ने तुरंत जवाब दिया, "सेक्रेटरी के लिए एक इंटरव्यू रखो।"

    राहुल ने चौंक कर उसकी तरफ देखा।

    तेजस इतनी जल्दी मान जाएगा, उसे उम्मीद नहीं थी।

    वो सोचने लगा — तेजस के दिमाग में क्या चल रहा है?

    क्योंकि इतनी जल्दी मानने वालों में तेजस खन्ना नहीं था।

    "ठीक है सर... वैसे हमारे ऑफिस में शिव कुमार है... मुझे लगता है वो इस काम के लिए ठीक रहेगा... बाक़ी आप बताइए..."

    "नहीं," तेजस बोला, "एक लड़का तो तुम हो... अब मुझे एक लड़की चाहिए सेक्रेटरी के रूप में। तुम्हें देखकर मैं बोर हो जाता हूँ..."

    "सर, क्या कह रहे हैं आप..." राहुल मुस्कुरा कर बोला।

    "मेरी बात मानो, लड़कियाँ ऑफिस में वैसे ही बहुत हैं, फिर भी तुम्हारी इतनी सारी गर्लफ्रेंड्स हैं... सेक्रेटरी के रूप में अब एक लड़की होनी चाहिए..."

    "तो फिर आपने सोच लिया... तो सोच ही लिया..." राहुल ने कहा।

    ---

    अब यह बात पूरे ऑफिस में फैल चुकी थी — सीईओ के लिए एक फीमेल सेक्रेटरी की इंटरव्यू होने वाली है।

    सभी लड़कियाँ सोचने लगीं कि अगर उन्हें यह जॉब मिल जाए, तो उनकी किस्मत बदल सकती है।

    तनख्वाह ज़्यादा थी, और शायद सीईओ के दिल में जगह भी मिल जाती।

    मेनका, जो पिछले दो साल से ऑफिस में काम कर रही थी, एक फाइल लेकर किसी बहाने से तेजस के केबिन में चली गई।

    "May I come in, sir? ये फाइल लेकर आई थी," मेनका ने कहा।

    "ऐसा करो, फाइल रख दो और चली जाओ," तेजस ने ठंडे लहजे में जवाब दिया।

    मेनका जब ऑफिस में नई आई थी, तब तेजस ने कुछ समय तक उस पर ध्यान दिया था — मगर फिर कभी उसकी तरफ देखा भी नहीं।

    मगर आज फिर उम्मीद जग गई थी।

    "सर, मैंने सुना है सेक्रेटरी की इंटरव्यू हो रही है..."

    "बिल्कुल हो रही है," तेजस ने कहते हुए उसके कंधे पर हाथ रख दिया। वो उठकर मेनका के पीछे आकर खड़ा हो गया।

    मेनका को लगा — शायद नौकरी मुझे ही मिल जाए...

    "सर, मैं भी सेक्रेटरी की जॉब करना चाहती हूँ," उसने झिझकते हुए कहा।

    "तुम जॉब करना चाहती हो?" तेजस ने पूछा।

    "जी सर... सच कहती हूँ, आप मुझे जॉब दे दीजिए... फिर तो मैं पूरा दिन आपके ऑफिस में रह सकूंगी..."

    तेजस मुस्कुराया,

    "तुम दिल बहलाने के लिए बुरी नहीं... टाइम पास हो सकता है... लेकिन मेरी सेक्रेटरी बनने के लिए तुम में वह बात नहीं है..."

    उसे तेजस की यह बात चुभी, मगर वह चुप रही।

    "ऐसी क्या कमी है मुझमें?"

    "मैंने कब कहा कि कोई कमी है... अब तुम जा सकती हो," तेजस ने बात खत्म कर दी और उसे केबिन से निकल जाने को कहा।

    ---

    तेजस की एक मीटिंग ऑफिस से बाहर थी।

    राहुल भी उसके साथ था।

    "जो मॉडल्स चाहिए थे हमें ऐड के लिए, उनका क्या हुआ?" तेजस ने पूछा।

    "दो-तीन लड़कियाँ फाइनल की हैं। अब देखना है कि ऐड किसे देना है," राहुल ने जवाब दिया।

    "ठीक है, तीनों को कल मेरी होटल में मिलने के लिए भेज दो," तेजस ने कहा।

    राहुल हँस पड़ा।

    "तू हँस क्यों रहा है?" तेजस ने ड्राइव करते हुए पूछा।

    "सर, सच बताइए... इतनी सारी लड़कियों से आपका मन नहीं भरता?"

    "किसी एक लड़की से मेरा मन बहुत जल्दी भर जाता है।

    मुझे रोज़ नई लड़की पसंद आती है," तेजस ने खुलकर कहा।

    "ठीक है... मैं उन्हें कल आपसे मिलने के लिए कह दूँगा..."

    "और जो सेक्रेटरी की जॉब के लिए ऐड देना था, उसका क्या हुआ?"

    "हाँ, मैंने पेपर के लिए भेज दिया है। कल सुबह न्यूज़पेपर में छप जाएगा। वैसे इंटरव्यू आप लेंगे या मैं?"

    "सीधी बात है — मैं लूंगा। सेक्रेटरी कैसी होगी, ये मैं बेहतर समझता हूँ।"

    "पर सर, उसे असिस्ट तो मुझे करना है, इंटरव्यू तो मुझे लेना चाहिए..." राहुल ने मजाक किया।

    "नहीं, नहीं... जब तुम्हें चुना था, तब भी मैंने ही चुना था," तेजस मुस्कुराया।

    "बिलकुल याद है। हम दोनों कॉलेज में साथ थे। हमारी तो पहले बिल्कुल नहीं बनती थी। फिर जब दोस्ती हुई, तब से अब तक साथ हैं।"

    "जब मैंने बिज़नेस जॉइन किया, तो सबसे पहले तुम्हें ही अप्रोच किया। और तुमने बहुत अच्छा काम किया।

    मैं अपनी ज़िंदगी में सबसे ज़्यादा अगर किसी पर भरोसा करता हूँ, तो वो तुम हो।

    मेरी फैमिली को भी मेरे बारे में उतना नहीं पता जितना तुम्हें पता है," तेजस भावुक होकर बोला।

    "सर, अब ज़्यादा चने के झाड़ पर मत चढ़ाइए मुझे..." राहुल हँसते हुए बोला।

    "नहीं सच कह रहा हूँ। वैसे... तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या? डर मत, बता दे... मैं उस पर नज़र नहीं डालूँगा।"

    "सर, मुझे आप पर इतना भरोसा है कि मेरी फैमिली को आप अपनी फैमिली मानते हैं..."

    "बिलकुल मानता हूँ। तुम्हारे माँ-पापा मेरे अपने जैसे हैं। तुम्हारी बहनें मेरी भी बहनें हैं," तेजस ने कहा।

    " तो आज तक मिलवाया नहीं तुमने मुझे अपनी गर्लफ्रेंड से..."

    "सर, सच में... अभी तक मेरी लाइफ में कोई नहीं है। जिस दिन कोई आएगी, सबसे पहले आपसे मिलवाऊँगा।

    मुझे कोई एक रात या एक दिन के लिए नहीं... पूरी ज़िंदगी के लिए चाहिए।"

    "और यहीं हम दोनों की सोच अलग है..." तेजस ने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

    "लेकिन एक दिन आएगा जब आपके मुँह से भी यही सुनूँगा... और तब आपको भी आपकी लेडी बॉस मिल जाएगी..."

    ---

    कृपया मेरी सीरीज़ पर अपने कमेंट्स दें। आपको ये कैसी लग रही है, ज़रूर बताएं। रेटिंग और रिव्यू देना न भूलें। अगर पसंद आ रही हो, तो लाइक करें और फॉलो भी।

    ---

  • 4. मिले ना मिले हम - Chapter 4

    Words: 968

    Estimated Reading Time: 6 min

    "...तो इसलिए आज तक तुमने मुझे नहीं मिलवाया अपनी गर्लफ्रेंड से?"

    "...आप क्या कहने लगे सर... सच में मेरी लाइफ में अभी तक कोई नहीं है। जिस दिन कोई आएगी, मैं आपको ज़रूर मिलवाऊंगा... क्योंकि मुझे कोई एक दिन या एक रात के लिए नहीं चाहिए — पूरी ज़िंदगी के लिए चाहिए।"

    "आप और मेरी सोच में यही फर्क है..."

    "...और एक दिन मैं ये सब आप ही के मुँह से सुनूंगा, और उम्मीद है वो दिन जल्दी आएगा... बहुत जल्दी... जब आपको भी आपकी 'लेडी बॉस' मिल जाएगी।"

    ---

    ऑफिस में तेजस की नई सेक्रेटरी के लिए इंटरव्यू चल रहा था।

    तेजस खुद इंटरव्यू ले रहा था।

    कई लड़कियों को तो उसने सिर्फ देखकर ही रिजेक्ट कर दिया।

    "किसी को सिर्फ देखकर उसके बारे में सब कुछ नहीं जाना जा सकता," राहुल ने कहा।

    "इन लड़कियों की क्वालिफिकेशन अच्छी है, एक बार इंटरव्यू तो ले लीजिए..."

    "जो ऑफिस में दिखने में भी ठीक ना लगे, मैं उसे काम पर नहीं रखता," तेजस ने ठंडे लहजे में जवाब दिया।

    आधा दिन इंटरव्यू चलता रहा, मगर तेजस को कोई लड़की पसंद नहीं आई।

    ---

    तभी तेजस के घर से फोन आया — उसके डैड हॉस्पिटल में एडमिट हो चुके थे।

    उसे तुरंत जाना पड़ा।

    "बाकी इंटरव्यू तुम देख लेना," तेजस ने राहुल से कहा।

    "मैं किसी का इंटरव्यू नहीं लेने वाला," राहुल बोला।

    "क्यों?"

    "क्योंकि अगर मैंने किसी को उसकी काबिलियत के हिसाब से रख लिया, और आपने उसे निकाल दिया... तो मैं क्या जवाब दूंगा? इसलिए बेहतर है आप खुद देखें..."

    "मेरे पास टाइम नहीं है। सच कह रहा हूँ — जिसे भी तुम रखोगे, मैं नहीं निकालूंगा... तुम्हारी कसम," तेजस ने कहा और हॉस्पिटल निकल गया।

    राहुल ने इंटरव्यू कंटिन्यू किया।

    उसे जो कैंडिडेट सबसे उपयुक्त लगी, उसने उसी लड़की को जॉब पर रख लिया — नाम था "तपस्या कपूर"।

    साथ ही, राहुल ने उससे एक एग्रीमेंट साइन करवाया —

    अगर ऑफिस उसे निकालता है, तो ऑफिस 50 लाख रुपए देगा।

    अगर वह खुद जॉब छोड़े, तो उसे भी 50 लाख देने होंगे।

    राहुल जानता था — तेजस किसी भी दिन मूड में आकर निकाल सकता है।

    इस एग्रीमेंट का मतलब था — कम से कम 6 महीने तक नौकरी से नहीं निकाला जा सकता।

    ---

    तेजस कुछ दिन ऑफिस नहीं आ सका।

    डैड की तबीयत और फिर दूसरे कामों में उलझा रहा।

    जब वह तीन दिन बाद ऑफिस लौटा,

    उसने जैसे ही अपने केबिन में कदम रखा — एक लड़की काले कुर्तेऔर सफेद प्लाजो में कुछ फाइलें अरेंज कर रही थी।

    "गुड मॉर्निंग, सर," उस लड़की ने कहा।

    "तुम कौन हो? और यहाँ क्या कर रही हो?"

    "सर, मैं आपकी नई सेक्रेटरी हूं। मेरा नाम तपस्या कपूर है।"

    तेजस उसे देखकर कुछ देर चुप रहा।

    लड़की खूबसूरत थी, मगर उसका पहनावा तेजस की सोच से अलग था।

    उसके हिसाब से तो मिनी स्कर्ट और टाइट टॉप में कोई स्मार्ट गर्ल होनी चाहिए थी।

    "राहुल ने भी क्या नमूना ढूंढ निकाला है," तेजस ने सोचा।

    उसने तुरंत राहुल को फोन किया,

    "मैं ऑफिस में हूं।"

    "सर, अभी आ रहा हूं," राहुल ने कहा।

    राहुल जैसे ही ऑफिस पहुंचा, तेजस ने तपस्या के सामने ही कहा:

    "इसके अलावा और कोई नहीं मिली तुम्हें? देखो जरा इसके कपड़े!"

    "सर, आप मेरी बेइज्जती मत कीजिए। अगर आपको मेरा काम पसंद नहीं, तो मैं छोड़ देती हूं," तपस्या ने गुस्से में कहा।

    "तुम जॉब नहीं छोड़ सकतीं।

    अगर तुमने छोड़ा, तो तुम्हें 50 लाख देने होंगे। और अगर ऑफिस निकालता है, तो ऑफिस को देने होंगे... और वैसे भी, किसी ने मेरी कसम खाई है — तुम्हें नहीं निकालूंगा," तेजस बोला।

    "तुम अभी बाहर जाओ!"

    "सर, ये कौन-सा तरीका है बात करने का," राहुल बोला,

    "मैंने पहले ही कहा था कि मैं इंटरव्यू नहीं लूंगा। अब अगर ये लड़की जाएगी, तो मैं भी जाऊंगा। मेरी भी इज़्जत का सवाल है, और आपने मेरी कसम खाई है।"

    "ठीक है... छह महीने से ज़्यादा नहीं रखूंगा इसे," तेजस गुस्से से बोला।

    राहुल मुस्कुराया,

    "मुझे पता था, मेरा दोस्त मेरी कसम नहीं तोड़ेगा।"

    "अब ज़्यादा नौटंकी मत करो, और जाकर काम करो। उसे कहो कि मेरे लिए कॉफी लाए, और फाइलें अरेंज करे। देखूं तो सही, काम आता है या नहीं..."

    "सर, वो बहुत होशियार है... मैंने उसके दिमाग को देखकर ही रखा है," राहुल बोला।

    ---

    थोड़ी देर में तपस्या वापस आई।

    राहुल ने उसे काम समझाया।

    उसने बिना तेजस की तरफ देखे अपना काम शुरू किया।

    तेजस ने नोट किया — वह लड़की काम में तेज़ थी।

    "बुरी नहीं है... काम संभाल सकती है," तेजस ने मन में सोचा।

    "तुम्हारा नाम क्या है?" तेजस ने पूछा।

    "तपस्या कपूर, सर।"

    "तुम सिर्फ ऐसे ही कपड़े पहनती हो?"

    तपस्या ने अपनी सफेद शर्ट और प्लाजो की तरफ देखा,

    "सर, कभी-कभी जीन्स या ट्राउज़र पहनती हूं।"

    "जहाँ तक हो सके, वेस्टर्न ड्रेसेज़ में आया करो," तेजस बोला।

    "जी सर," तपस्या ने जवाब दिया।

    ---

    अगले दिन...

    तपस्या ने सफेद शर्ट और ट्राउज़र पहना था।

    बाल पीछे बाँध रखे थे।

    वह स्मार्ट लग रही थी, मगर बाकी ऑफिस की लड़कियों से अलग —

    कहीं ज़्यादा शांत और प्रोफेशनल।

    "मुझे क्या..." तपस्या ने सोचा,

    "...अगर वो मुझे पसंद नहीं करते तो भी क्या फर्क पड़ता है।"

    उसे तेजस के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था।

    वह उससे दूर ही रहना चाहती थी।

    उसका फोकस सिर्फ अपने काम पर था।

    वह ऑफिस में किसी से ज़्यादा बात नहीं करती थी।

    अगर तेजस के साथ किसी मीटिंग में बाहर भी जाती, तो हमेशा उससे दूरी बनाए रखती।

    यह बात तेजस ने नोट की थी।

    "चलो, एक अच्छी बात तो है," तेजस ने सोचा,

    "...ये लड़की मुझसे दूर ही रहती है।"

    ---

    आपको मेरी सीरीज़ कैसी लगी? कृपया कमेंट करें, रेटिंग दें और फॉलो करना न भूलें।

    अगर यह कहानी पसंद आई हो, तो लाइक जरूर करें और स्टिकर भी दें।

    अगला एपिसोड चाहिए तो बताइए — क्या तेजस की नजरें धीरे-धीरे तपस्या की सादगी पर ठहरने लगेंगी?

    ---

  • 5. मिले ना मिले हम - Chapter 5

    Words: 1076

    Estimated Reading Time: 7 min

    "मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी सीरीज़ पसंद आ रही होगी..."

    तपस्या ने तेजस के बारे में बहुत कुछ सुन रखा था।

    वह जानती थी कि तेजस एक घमंडी और लड़कियों में रुचि रखने वाला इंसान है।

    इसलिए वह उससे दूरी बनाकर ही रखती थी।

    उसका ध्यान सिर्फ अपने काम और ऑफिस के डिसिप्लिन पर था।

    वह ज़्यादा बात नहीं करती थी।

    अगर मीटिंग के लिए बाहर भी जाती, तो तेजस से दूरी बनाकर चलती थी —

    और उसकी आंखों के सामने आने से भी बचती थी।

    तेजस ने भी ये नोटिस किया था।

    "...चलो, अच्छी बात है," वह मन में सोचता।

    ---

    इन दिनों, प्रीति ने तेजस के करीब आने की बहुत कोशिश की थी,

    मगर उसकी कोई बात नहीं बन सकी।

    एक-दो बार जब तेजस और राहुल दोनों ऑफिस में नहीं थे,

    प्रीति ने जानबूझकर कुछ ज़रूरी फाइलों में छेड़छाड़ की कोशिश की थी।

    लेकिन तपस्या की वजह से वह कुछ कर नहीं पाई।

    तपस्या को उस पर शक होने लगा था।

    अब प्रीति को तपस्या बहुत बुरी लगने लगी थी —

    क्योंकि जब राहुल ऑफिस में नहीं होता था, तो तपस्या उसकी जगह सब संभाल लेती थी।

    "अब इसे तो ऑफिस से निकलवाना पड़ेगा," प्रीति ने सोच लिया था।

    ---

    तपस्या को फैमिली का कुछ ज़रूरी काम था,

    तो उसने राहुल से दो-तीन दिन की छुट्टी ले ली थी।

    तेजस को इसके बारे में कुछ नहीं पता था।

    जब तेजस दो-तीन दिन बाद ऑफिस आया,

    तो उसने आते ही कॉफी मांगी।

    आज उसकी कॉफी प्रीति लेकर आई थी।

    "तपस्या कहां है?" उसने पूछा।

    "राहुल सर ने मुझे कॉफी लाने को कहा था। तपस्या आज अभी तक आई नहीं है..."

    "ठीक है, कॉफी रख दो... और तुम जा सकती हो।"

    तेजस ने जैसे ही कॉफी का पहला सिप लिया,

    उसका मुंह बन गया —

    "कितनी बेस्वाद कॉफी है..."

    अब उसे रोज़ तपस्या के हाथ की कॉफी की आदत लग चुकी थी।

    ---

    उसने राहुल को फोन करके ऑफिस में बुलाया।

    "काम कैसा चल रहा है?" तेजस ने पूछा।

    "सब ठीक है सर। आपकी मीटिंग कैसी रही?"

    "बहुत अच्छी। तपस्या ने जो फाइल तैयार की थी, उन्हें बहुत पसंद आई।

    आज दोपहर के बाद एक और मीटिंग है।

    तपस्या को भी साथ चलना पड़ेगा..."

    "लेकिन वो तो छुट्टी पर है," राहुल बोला।

    "हमें आधे घंटे में निकलना है। उसे अभी फोन लगाओ।"

    राहुल ने तपस्या को फोन किया,

    पहली बार में उसने कॉल नहीं उठाया।

    "दोबारा लगाओ," तेजस ने कहा।

    ---

    "तपस्या, तुम कहां हो?" राहुल ने पूछा।

    "क्या हुआ सर?"

    "बहुत ज़रूरी मीटिंग है। तुम्हें ऑफिस आना होगा। कहां हो इस वक़्त?"

    "मैं सुपरमार्केट में हूं, सर..."

    "तो जल्दी से ऑफिस पहुंचो।"

    "सर, मैं तो छुट्टी पर थी... कपड़े भी वैसे ही पहने हैं..."

    "कोई बात नहीं, जो पहना है, उसमें ही आ जाओ," राहुल ने कहा।

    ---

    तपस्या दस मिनट में ऑफिस पहुंच गई।

    उसने क्रीम कलर का कुर्ता और सफेद प्लाज़ो पहना था।

    कुर्ते पर रेड ब्लॉक प्रिंटिंग थी।

    बाल पीछे बंधे हुए थे। वह बेहद प्यारी लग रही थी।

    तेजस ने भी एक नज़र उसे देखा।

    "मैंने तुम्हें कहा था ना, ऑफिस में वेस्टर्न कपड़े पहनने को..."

    "सर, मैं सीधा मार्केट से आ रही हूं... मैं छुट्टी पर थी..."

    "ठीक है, अब जल्दी चलो। हमें मीटिंग के लिए निकलना है।"

    ---

    तीनों साथ मीटिंग पर निकल गए।

    राहुल ड्राइव कर रहा था, तेजस उसके साथ बैठा था, और तपस्या पीछे।

    सारे रास्ते तपस्या फाइलें पढ़ती रही।

    तेजस ने देखा —

    वह सिर्फ काम पर फोकस कर रही थी।

    वरना उसकी ऑफिस की बाकी लड़कियां बाहर जाते ही उसे इम्प्रेस करने में लग जाती थीं।

    ---

    मीटिंग बहुत अच्छी रही।

    "तुमने बहुत अच्छा काम किया, तपस्या," तेजस ने कहा।

    "थैंक यू सर," तपस्या ने मुस्कराकर जवाब दिया।

    ---

    मीटिंग खत्म होने के बाद,

    "मुझे साइट पर जाना है," राहुल ने कहा।

    "क्यों? क्या हुआ?"

    "मीटिंग के दौरान कॉल आया था — साइट पर कुछ प्रॉब्लम है..."

    "मुझे सुपरमार्केट जाना है, मैं ऑटो ले लूंगी..." तपस्या बोली।

    "नहीं, तुम सर के साथ चली जाओ... वहां से ऑटो ले लेना।

    वैसे भी मौसम खराब लग रहा है," राहुल ने कहा।

    "ठीक है," तपस्या ने धीमी आवाज़ में कहा।

    अब वह तेजस के साथ अकेले गाड़ी में थी।

    ---

    रास्ते में वह बाहर देख रही थी।

    तेजस नोट कर रहा था कि वह उसे पूरी तरह से इग्नोर कर रही है।

    उसे यह बात चुभने लगी थी।

    "ये मुझे ऐसे इग्नोर करके साबित क्या करना चाहती है?"

    तभी हल्की बारिश शुरू हो गई,

    ठंडी हवा भी चल रही थी।

    ---

    अचानक गाड़ी का बैलेंस बिगड़ गया।

    तेजस ने गाड़ी रोकी।

    "क्या हुआ सर?" तपस्या ने पूछा।

    "लगता है टायर पंचर हो गया है..."

    तेजस नीचे उतरकर टायर देखने लगा।

    बारिश अब तेज हो चुकी थी।

    "बाहर आओ, मेरी हेल्प करो..." तेजस ने तपस्या को पुकारा।

    "मैं भीग जाऊंगी सर..."

    "मैं भी तो भीग ही रहा हूं... कुछ नहीं होगा, बाहर आओ।"

    ---

    तपस्या बाहर आ गई।

    तेजस ने डिग्गी से एक्स्ट्रा टायर निकाल लिया।

    "गाड़ी के पीछे जो टूल्स हैं, वो निकालो," उसने कहा।

    तपस्या ने सामान निकाला और मदद करने लगी।

    अब वे दोनों भीग चुके थे।

    ---

    अचानक, तेजस का ध्यान तपस्या पर गया।

    वह पूरी तरह भीग चुकी थी।

    उसके हल्के कपड़े बदन से चिपक गए थे।

    हर कट, हर सिलुएट साफ नजर आ रहा था।

    गोरे गाल, कांपते होंठ, और भीगी पलकों वाली वो तपस्या —

    तेजस को पहली बार दिल से 'खूबसूरत' लगी।

    तपस्या ने उसकी नज़रों को महसूस किया और

    अपने आप को अपनी बाहों में ढकने की नाकाम कोशिश की।

    ---

    टायर बदलने के बाद दोनों गाड़ी में बैठ गए।

    तेजस अब बस तपस्या को ही देखे जा रहा था।

    "नॉट बैड..." उसने गाड़ी चलाते हुए बुदबुदाया।

    "सर, आपने कुछ कहा?" तपस्या ने पूछा।

    "नहीं..." तेजस मुस्कुराया।

    ---

    "सर, मुझे यहीं छोड़ दीजिए..." तपस्या ने कहा।

    "तुम्हें तो सुपरमार्केट जाना था?"

    "पहले घर जाऊंगी... कपड़े बदलने हैं।

    वरना बीमार हो जाऊंगी।"

    "अगर चाहो, तो ऑफिस में तुम्हारे लिए कपड़े मंगवा सकता हूं..." तेजस ने कहा।

    तपस्या को उसके इस अचानक बदले व्यवहार पर हैरानी हुई।

    "नहीं सर, मैं घर जाऊंगी। आप मेरी फिक्र ना करें।"

    तेजस ने गाड़ी रोकी।

    तपस्या उतर गई।

    और तेजस के दिमाग में अब कई सवाल उठने लगे थे...

    ---

    आपको मेरी सीरीज़ कैसी लग रही है?

    कमेंट करें, रेटिंग दें और मुझे फॉलो करना न भूलें।

    अगर कहानी पसंद आई हो तो स्टिकर देना भी याद रखें।

    क्या तेजस अब वाकई बदलने लगा है?

    या ये सिर्फ एक खेल है उसकी नजरों का?

    क्या तपस्या उसकी नजरों से बच पाएगी?

    जानिए आगे...

    ---

  • 6. मिले ना मिले हम - Chapter 6

    Words: 1004

    Estimated Reading Time: 7 min

    ---

    "उम्मीद करती हूं कि आप सभी को मेरी कहानी पसंद आ रही होगी। अब आगे..."

    तपस्या तेजस की बातों से बेहद हैरान थी।

    उसका बदला हुआ व्यवहार उसकी समझ से बाहर था।

    "नहीं, मुझे घर जाना है सर... आप मेरी फिक्र मत कीजिए,"

    उसने खुद को संयत रखते हुए कहा।

    तेजस को न चाहते हुए भी गाड़ी रोकनी पड़ी।

    तपस्या उतर गई।

    वो चली गई, मगर तेजस के दिमाग में

    कई अधूरी ख्वाहिशें और बेचैन सवाल रह गए।

    ---

    तेजस अपने पेंटहाउस लौट गया।

    आज उसका ऑफिस जाने का मन नहीं था।

    वैसे भी वो पूरी तरह भीग चुका था।

    सोचने लगा —

    "कितना अच्छा होता अगर तपस्या मेरे साथ यहां आ जाती..."

    ---

    उसने भीगे कपड़े बदले और लोअर व टीशर्ट पहन

    बालकनी में आकर बैठ गया।

    बारिश अब भी हो रही थी।

    उसके सामने सिर्फ बारिश नहीं थी —

    उसके भीतर तपस्या की तस्वीरें झिलमिला रही थीं।

    भीगी हुई तपस्या...

    उसका पतला कुर्ता...

    उसके जिस्म की झलक...

    चेहरे से गिरती पानी की बूंदें...

    गुलाबी होंठ...

    और वो कजरारी आंखें...

    जिसमें तेजस डूबता चला जा रहा था।

    ---

    वो वहीं बैठकर ड्रिंक करने लगा।

    बेताबी अब काबू से बाहर होने लगी थी।

    उसने मोबाइल उठाया और तपस्या का नंबर डायल किया।

    फोन स्विच ऑफ था।

    उसने गुस्से में मोबाइल मेज़ पर पटक दिया —

    "जब इसकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत होती है... तब इसका फोन बंद रहता है!"

    ---

    तेजस को अब सिर्फ एक ही चीज़ चाहिए थी —

    तपस्या की मौजूदगी।

    उसने सोच लिया —

    "कल ही बात करूंगा।"

    ---

    अगली सुबह वह जल्दी ऑफिस पहुंच गया।

    लेकिन एक बात वो भूल चुका था —

    तपस्या तो छुट्टी पर थी।

    जब वह ऑफिस नहीं आई,

    उसने झुंझलाते हुए कॉल किया।

    "गुड मॉर्निंग, सर," तपस्या ने फोन उठाया।

    "आज ऑफिस नहीं आई? इतना टाइम हो गया..."

    "सर, मैं तो आज छुट्टी पर हूं..."

    तेजस को याद आया —

    राहुल ने यही बताया था।

    "तो फिर कब आओगी?"

    "कल आ जाऊंगी सर..."

    तेजस ने फोन रख दिया।

    "ये लड़की अपने आपको क्या समझती है..."

    उसका गुस्सा और बढ़ गया।

    ---

    अगले दिन तपस्या टाइम पर ऑफिस पहुंची।

    उसने सफेद शर्ट और ब्लैक ट्राउज़र पहना था।

    बाल पीछे बंधे थे, आंखों में काजल और होठों पर हल्की लिपस्टिक थी।

    आज उसमें कुछ अलग बात थी।

    तेजस की नज़रें उससे हट ही नहीं रही थीं।

    "गुड मॉर्निंग, सर..." तपस्या ने मुस्कराकर कहा।

    तेजस जैसे नींद से जागा।

    "गुड मॉर्निंग..." उसने जवाब दिया।

    ---

    "सर, आपने मुझे फोन किया था... कोई ज़रूरी काम था?"

    "हाँ, आज शाम को ब्लू मून होटल में 131 नंबर कमरे में पहुंच जाना..."

    "सर, शाम को मेरी सहेली का रोका है... अगर कोई मीटिंग है तो राहुल सर को भेज दीजिए..."

    "जो काम ब्लू मून होटल में होना है, वो राहुल नहीं कर सकता।"

    "सर, ऐसा कौन सा काम है? बता दीजिए, मैं अभी कर देती हूं।"

    तपस्या को कुछ भी समझ नहीं आया था।

    ---

    तेजस मुस्कुरा पड़ा।

    "तुम जानबूझकर अनजान बन रही हो या सच में नहीं जानती, तपस्या?"

    वो खड़ा होकर उसके पास आया।

    "बैठो," उसने कहा।

    तपस्या उसके सामने बैठ गई।

    ---

    "देखो... जो भी कीमत होगी तुम्हारी, मिल जाएगी...

    आज रात वहीं पहुंच जाना।

    मुझे 'ना' कहने वाले लोग पसंद नहीं हैं।"

    "कीमत? मतलब?"

    "अब इतनी भी मासूम मत बनो, मिस तपस्या कपूर...

    अपना रेट बढ़ा रही हो?

    मैं साफ कह रहा हूं —

    जो पैसे चाहो, तुम्हें मिल जाएंगे..."

    तपस्या समझ चुकी थी।

    वह खड़ी हो गई।

    ---

    "सर, आप शायद मुझे गलत समझ रहे हैं...

    मैं बिकाऊ नहीं हूं।

    ना मुझे आपके पैसे चाहिए..."

    "तो मना कर रही हो मुझे?"

    तेजस आगे बढ़ा।

    "आज तक कोई लड़की मुझे मना नहीं कर सकी।

    मैं ब्लैंक चेक देता हूं।

    जितना चाहो भर लो — बस मुझे खुश कर दो।

    कल जब तुम्हें भीगा देखा... तो जैसे बदन में आग लग गई।

    तुम्हारा जिस्म तो कपड़ों में भी बेकाबू था..."

    वो तपस्या के पीछे आ गया और

    उसके कंधों पर हाथ रख दिए।

    "सच कहूं... इतनी लड़कियों से मिल चुका हूं...

    मगर तुम्हारा जिस्म तो..."

    ---

    तपस्या ने गुस्से से तेजस को एक ज़ोरदार थप्पड़ मारा।

    "मैं वैसी लड़कियों में से नहीं हूं,

    जिन्हें आप पैसों से खरीद लें।

    मेरा इस्तीफा आज ही आपकी टेबल पर होगा।"

    तेजस ने मुस्कराते हुए कहा —

    "शायद तुम भूल रही हो...

    अगर तुम खुद नौकरी छोड़ोगी,

    तो तुम्हें 50 लाख देने होंगे।

    और मेरे पास वो पेपर साइन हैं।

    तो जाओ, जब पैसे हो जाएं, छोड़ देना..."

    ---

    तपस्या की आंखों में आंसू थे।

    वह चुपचाप ऑफिस से बाहर निकल गई।

    वो किसी को कुछ कह नहीं पा रही थी।

    कुछ देर वहीं बैठ गई।

    तभी उसके मोबाइल की घंटी बजी —

    तेजस का कॉल था। उसने फोन नहीं उठाया।

    फिर एक चपरासी उसके पास आया।

    "मैडम, सर ने बुलाया है..."

    ---

    तपस्या ऑफिस में गई।

    अब तक राहुल भी आ चुका था।

    उसे देखकर तपस्या ने राहत की सांस ली।

    राहुल ने उसे कुछ फाइलें दीं।

    "ये फाइलें चेक कर लो...

    फिर सर से साइन करवा लेना..."

    ---

    शाम को उसकी सहेली की इंगेजमेंट थी।

    तपस्या का मन नहीं था कहीं जाने का।

    लेकिन दोस्त के बार-बार फोन करने पर

    वह अनमने मन से तैयार होने लगी।

    "एक महीना हो गया है...

    बस पांच और सही...

    फिर छोड़ दूंगी इस ऑफिस को..."

    उसने रेड साड़ी पहन ली, हल्का मेकअप किया,

    झुमके पहने और बाल खुले छोड़ दिए।

    वो बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    ---

    वो टैक्सी से होटल पहुंच गई।

    सगाई शुरू हो चुकी थी।

    तभी किसी को देखकर लड़कियां फुसफुसाने लगीं।

    तपस्या ने भी मुड़कर देखा —

    तेजस खन्ना अंदर आ रहा था।

    असल में, उसकी सहेली की सगाई

    तेजस के एक दोस्त से हो रही थी।

    उसे देखकर तपस्या के चेहरे का रंग उड़ गया...

    ---

    क्या तेजस अब भी वही सोच लेकर आया है?

    या यह महज़ इत्तेफाक है?

    तपस्या क्या इस बार भी बच पाएगी?

    जानिए अगले एपिसोड में...

    ---

    अब आपसे एक छोटी सी गुज़ारिश:

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  • 7. मिले ना मिले हम - Chapter 7

    Words: 1447

    Estimated Reading Time: 9 min

    सगाई का प्रोग्राम चल रहा था।

    तभी कुछ लड़कियां पीछे मुड़कर देखने लगीं।

    तपस्या ने भी पलटकर देखा —

    तेजस खन्ना अंदर आ रहा था।

    सभी लड़कियां उसे देखकर फुसफुसा रही थीं।

    असल में, उसकी सहेली की सगाई तेजस के दोस्त से हो रही थी।

    उसे देखकर तपस्या थोड़ा असहज हो गई।

    "ये जहां भी पहुँच जाता है..."

    उसने मन ही मन कहा और चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।

    ---

    स्टेज पर सब गेस्ट्स गिफ्ट देने जा रहे थे।

    अब तपस्या को भी जाना ही था।

    उसकी सहेलियाँ इशारे कर रही थीं।

    उसने तेजस की ओर देखा —

    वो दोस्तों में व्यस्त था।

    "जल्दी से जाकर गिफ्ट देकर आ जाती हूँ..."

    सोचकर वह स्टेज की ओर बढ़ी।

    ---

    जैसे ही वो स्टेज पर पहुँची,

    तेजस की नज़र उस पर पड़ी।

    उसकी आंखों में चमक आ गई।

    लाल साड़ी में तपस्या वाकई बेहद खूबसूरत लग रही थी।

    उसके खुले बाल, काजल भरी आंखें, नर्मी से भरे चेहरे को

    देखकर तेजस का दिल जोर से धड़क उठा।

    वो भी स्टेज की ओर बढ़ा और जानबूझकर तपस्या के पास खड़ा हो गया।

    ---

    "अरे भाभी... आपकी सहेली तो हमें मिले बिना ही जा रही है..."

    तेजस ने उसकी फ्रेंड से कहा।

    "रुको न तपस्या..." उसकी फ्रेंड बोली।

    तपस्या को रुकना पड़ा।

    "अपनी सहेली से मिलवाओगी नहीं?" तेजस ने पूछा।

    तपस्या ने ठंडी आवाज़ में कहा,

    "ये मेरे बॉस हैं। मैं इनकी असिस्टेंट हूं। ये मुझे पहले से जानते हैं।"

    उसकी फ्रेंड मुस्कुराकर चुप हो गई।

    ---

    "तो फिर आप दोनों तो परिचित ही हैं..."

    "प्लीज़, मुझे जाना है..."

    कहकर तपस्या स्टेज से नीचे उतर गई।

    तेजस उसके पीछे आया।

    "साथ में खाना खाते हैं..."

    "नहीं, मुझे भूख नहीं है,"

    कहकर तपस्या अपनी कुर्सी पर बैठ गई।

    ---

    कुछ देर बाद वह वॉशरूम चली गई।

    जैसे ही वो अंदर गई, किसी की आहट महसूस हुई।

    वो पलटी —

    तेजस खन्ना उसके ठीक पीछे खड़ा था।

    ---

    "आप यहाँ...? ये लेडीज़ वॉशरूम है!"

    "मुझे तुमसे बात करनी थी..."

    "मैं आपसे बात नहीं करना चाहती, प्लीज़ बाहर जाइए..."

    तपस्या पीछे हटती चली गई,

    जब तक दीवार से न जा टकराई।

    ---

    तेजस उसके पास आया।

    "कम ऑन बेबी... इतना सोचो मत...

    तुम जो चाहो — पैसा, फ्लैट, लाइफस्टाइल — मैं दे सकता हूँ।

    बस तुम मेरी हो जाओ..."

    तपस्या का चेहरा सख्त हो गया।

    "आपको शर्म आनी चाहिए। क्या आप हर लड़की को यूं ही देखते हैं?"

    ---

    तेजस ने उसका हाथ पकड़ने की कोशिश की,

    मगर तपस्या ने उसी वक्त अपनी हील उसके पैर पर मारी।

    तेजस दर्द से पीछे हटा।

    उसने तुरंत तेजस को ज़ोर का धक्का दिया

    और वॉशरूम से बाहर भाग गई।

    ---

    वो सीधा होटल से बाहर निकली

    और टैक्सी लेकर घर चली गई।

    ---

    तेजस वहीं खड़ा होंठ से लिपस्टिक मिटाते हुए मुस्कुराने लगा।

    मगर अब उसकी मुस्कान अहंकार और हार के बीच झूल रही थी।

    "बेबी... जितना तुम मना करती हो...

    उतनी ही मेरे लिए खास होती जा रही हो..."



    "...सच में, जितना तुम मुझे तड़पाओगी... तुम्हें पाने की चाहत उतनी ही बढ़ती जाएगी..."

    ---

    तपस्या अंदर से टूट चुकी थी, मगर उसने किसी से कुछ नहीं कहा।

    वो बात करना चाहती थी, मगर किससे कहे?

    उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अपनी हालत किसके साथ साझा करे।

    उसका मन हो रहा था कि वह घरवालों से बात करे, लेकिन उसे पता था — कोई फायदा नहीं होगा।

    घर वाले उसे नौकरी छोड़ने को कहेंगे,

    और फिर इतना पैसा कहां से लाएगी वो?

    पूरी रात वो ऐसे ही करवटें बदलती रही।

    जब आंख लगी तो सपनों में भी तेजस ही आ रहा था।

    ---

    सुबह उसने ऑफिस ना जाने का फैसला किया।

    "जो होगा देखा जाएगा…" उसने सोचा।

    दोपहर में उसकी सहेली प्रीति का फोन आया।

    थोड़ी बहुत बातों के बाद प्रीति ने कहा:

    "...तपस्या, तेजस तुम्हारे बारे में पूछ रहा था... सगाई में तो वो बस तुम्हारे पीछे ही घूम रहा था... कुछ चल क्या रहा है तुम दोनों के बीच?"

    "...कुछ नहीं। वो मेरे बॉस हैं और मैं उनके ऑफिस में काम करती हूं..." तपस्या ने जवाब दिया।

    "...बॉस जैसी तो उनकी नज़रे नहीं थीं... लग नहीं रहा था कि तुम सिर्फ उनकी असिस्टेंट हो..."

    "...प्रीति, प्लीज़ कोई और बात करो। मैं उसके बारे में बात नहीं करना चाहती..."

    असल में, तपस्या खुद भी उस बारे में सोचकर बेचैन हो रही थी।

    "प्रीति, मुझे कुछ काम है। बाद में बात करती हूं..." कहकर उसने फोन काट दिया।

    ---

    आज ऑफिस से छुट्टी ले ली थी, लेकिन

    कल क्या करेगी?

    यह सोच-सोचकर उसका दिल बैठा जा रहा था।

    उसे सबसे ज़्यादा डर इस बात का था कि कहीं तेजस का फोन न आ जाए।

    लेकिन ना तेजस का फोन आया,

    ना ऑफिस से कोई कॉल।

    जब ऑफिस का टाइम खत्म हुआ,

    उसने चैन की सांस ली।

    ---

    रात को बिस्तर पर पड़ी वह अगले दिन की सोच रही थी।

    "क्या मैं कल भी न जाऊं?"

    आखिर उसने तय किया —

    "नहीं, कल भी नहीं जाऊंगी। देखा जाएगा।"

    ---

    अगले दिन ऑफिस टाइम शुरू हुए आधा घंटा ही हुआ था कि

    राहुल का फोन आ गया।

    "तपस्या, तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रही? सर बहुत गुस्से में हैं। तुम पहले ही छुट्टी ले चुकी हो..."

    तभी पास बैठे तेजस ने फोन ले लिया।

    "तुम ऑफिस क्यों नहीं आ रही?"

    तपस्या चुप रही।

    "अगर नौकरी छोड़ना चाहती हो तो कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से पैसे देने होंगे... वरना कोर्ट से नोटिस आएगा। तुम्हारे खिलाफ लीगल एक्शन होगा।"

    तपस्या ने धीरे से कहा,

    "मैं कल आ जाऊंगी..."

    और फोन काट दिया।

    ---

    अब उसके पास कोई रास्ता नहीं था।

    "मैं उस इंसान के सामने घुटने नहीं टेक सकती..."

    उसने खुद से कहा।

    ---

    तेजस अपने पेंटहाउस में बैठा था।

    उसे बस तपस्या की भीगी हुई साड़ी वाली छवि आंखों के सामने थी।

    "हर किसी की कोई न कोई कीमत होती है..."

    वो सोच रहा था।

    ---

    सुबह तपस्या तैयार होकर ऑफिस पहुंच गई।

    उसने एक सिंपल कुर्ता और जींस पहनी थी,

    चेहरे पर कोई मेकअप नहीं था।

    जब तेजस आया, तपस्या टेबल अरेंज कर रही थी।

    "गुड मॉर्निंग, सर..."

    "मेरे लिए कॉफी लाओ..."

    वह चुपचाप बाहर गई,

    कुछ देर बाद कॉफी लेकर लौटी।

    "ये फाइल देखो, कोई गलती हो तो बताना..."

    वह फाइल लेकर जाने लगी,

    मगर उसने रोक दिया।

    "यहीं बैठकर देखो..."

    वह अनमने मन से वहीं बैठ गई।

    तेजस उसके पीछे आकर खड़ा हो गया।

    "फाइल देख ली तुमने?"

    "जी, सर..."

    "तुम्हें क्या चाहिए, तपस्या? पैसे? फ्लैट? गाड़ी? बोलो..."

    "सर, मैं पहले भी कह चुकी हूं... और अब भी कहती हूं — आप मुझे गलत समझ रहे हैं..."

    उसकी आंखों में आंसू आ गए।

    "हर इंसान की कोई न कोई कीमत होती है... ब्लैंक चेक दूंगा... बस एक रात..."

    "सर, मैं फाइल बाहर जाकर चेक कर लूं?"

    वो उठी और बाहर चली गई।

    तेजस गुस्से में बड़बड़ाया —

    "क्या समझती है खुद को?"

    ---

    तपस्या अब ऑफिस में सिर्फ ज़रूरत के हिसाब से रहती।

    जितना हो सके तेजस से दूर।

    एक दिन राहुल ने कहा:

    "तपस्या, आज मीटिंग के लिए बाहर जाना है। डील फाइनल हो चुकी है। बस एक फाइनल बात बाकी है..."

    "ठीक है, सर... मैं डॉक्यूमेंट्स तैयार कर रही हूं..."

    तेजस अंदर आया।

    "आप दोनों चले जाइए। मैं ऑफिस देख लूंगा..." राहुल ने कहा।

    ---

    तपस्या ना चाहते हुए भी तेजस के साथ निकल गई।

    मीटिंग के बाद वापसी में तेजस ने गाड़ी एक सुनसान जगह रोक दी।

    "गाड़ी क्यों रोक दी आपने? ऑफिस अभी दूर है..."

    "जो चाहिए, वही चाहिए... पैसा, गाड़ी, फ्लैट... बस एक रात मेरी बन जाओ..."

    तपस्या ने तुरंत गाड़ी का दरवाज़ा खोलना चाहा — मगर लॉक था।

    "गाड़ी खोलिए!" वह चिल्लाई।

    तेजस ने उसे कुछ देर तड़पाया और फिर लॉक खोल दिया।

    तपस्या तेज़ी से वहां से उतरकर दूर चली गई।

    ---

    तेजस गुस्से में पेंटहाउस पहुंचा और पीने लगा।

    तभी राहुल का फोन आया।

    "सर, मैं ऑफिस में आपका इंतज़ार कर रहा था..."

    "मैं नहीं आ रहा।"

    "सर, आप दिन में ही पी रहे हैं?"

    "मेरी मर्ज़ी...!"

    कहकर तेजस ने फोन काट दिया।

    ---

    शाम तक वह किसी का फोन नहीं उठा रहा था।

    रात नौ बजे अचानक तपस्या का फोन आया।

    तेजस मुस्कराया।

    "अब आएगी रिजाइन की बात..."

    फोन उठाया।

    "...मैं कमरा नंबर 302 में पहुंच रही हूं... लेकिन उसके बदले मुझे पैसे चाहिए..."

    तेजस के चेहरे पर शिकारी मुस्कान आ गई।

    "ठीक है... आ जाओ..."

    "हर चीज़ का इलाज पैसा है... और इसे भी आखिरकार पैसे से तोड़ ही दिया मैंने..."

    ---

    📌 नोट:

    यहां तक का सीन बहुत नाजुक है और आगे की कहानी तय करेगी कि:

    क्या तपस्या सचमुच वहां जाएगी?

    या ये सिर्फ तेजस को सबक सिखाने की कोई योजना है?

    ---

    💬 अब बारी आपकी है:

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    📌 और अगर कहानी दिल को छू गई हो — स्टिकर ज़रूर दें!

  • 8. मिले ना मिले हम - Chapter 8

    Words: 825

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    "...आप मुझे एक रात के बदले जो देना चाहते हैं, दे दीजिए... मैं आपके कमरा नंबर 302 में पहुंच रही हूं। पैसे चाहिए मुझे... और जो आप चाहते हैं, उसके लिए मैं तैयार हूं..."

    "...ठीक है, आ जाओ... मैं वहीं पहुंच रहा हूं..." तेजस ने मुस्कुराते हुए कहा।

    "बहुत नखरे कर रही थी ये लड़की... कितना एटीट्यूड दिखा रही थी... हर चीज़ का इलाज पैसा होता है... और पैसा देख ही लिया, आखिर मान ही गई..." तेजस ने खुद से कहा।

    ---

    तपस्या ने फोन करने के कुछ ही देर बाद ब्लू मून होटल पहुंच गई थी।

    तेजस उससे पहले ही वहां मौजूद था।

    जैसे ही उसने दरवाज़ा खटखटाया, तेजस ने जल्दी से दरवाज़ा खोला।

    "आओ तपस्या... मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था... सच में बहुत तड़पाया है तुमने मुझे..."

    तपस्या चुपचाप अंदर आ गई।

    तेजस ने दरवाज़ा बंद करके लॉक कर दिया।

    ---

    "इतनी नखरे करने की क्या ज़रूरत थी... मैं पहली बार में ही तुम्हें जो चाहिए था, दे देता... तुम्हें लगा तुम ऐटिट्यूड दिखाओगी तो रेट बढ़ जाएगा?" वह तपस्या के पास आकर बोला और उसके गले में बाहें डाल दीं।

    "मुझे लगा तुम अच्छे से तैयार होकर आओगी... कोई स्पेशल ड्रेस, थोड़ा मेकअप... लेकिन तुम तो वही ऑफिस वाले कपड़े पहनकर आ गई... कुर्ती और जींस... बाल बिखरे हुए... लेकिन चलो, वैसे भी तुम जैसे भी हो, मुझे अच्छी लगती हो..."

    तेजस बोलता रहा, लेकिन तपस्या एक शब्द नहीं बोली।

    वह बिल्कुल शांत खड़ी थी।

    ---

    "चलो बेबी... शुरू हो जाओ... पहले मेरे लिए एक पैग बना लाओ..." तेजस सोफे पर बैठते हुए बोला।

    तपस्या चुपचाप ड्रिंक बनाकर ले आई।

    वह उसे पकड़कर पीने लगा।

    "तुम नहीं पियोगी?"

    "नहीं, मैं नहीं पीती..." तपस्या ने धीरे से कहा।

    "ठीक है, अब मेरे पास बैठो..."

    तपस्या उसके पास बैठ गई।

    तेजस ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    "तुम्हारे हाथ इतने ठंडे क्यों हैं?"

    "शायद एसी की वजह से..." तपस्या का स्वर बेहद शांत था।

    तेजस ने कुछ ड्रिंक पीकर ग्लास साइड में रख दिया।

    फिर वह तपस्या का चेहरा अपने हाथों में लेकर उसके करीब आने लगा।

    ---

    तपस्या ने आंखें बंद कर लीं।

    "क्या तरीका है ये... मैं तुम्हें सब दे रहा हूं जो तुमने मांगा... और तुम ऐसा व्यवहार कर रही हो जैसे जबरदस्ती हो रही है... ये सब तुम्हारी मर्ज़ी से हो रहा है, याद है ना?"

    तेजस झुंझलाकर खड़ा हो गया।

    उसी समय तपस्या ने टेबल पर रखा ग्लास उठाया और एक ही बार में पी लिया।

    उसके बाद वह खड़ी हुई और खुद ही ग्लास में और शराब भरने लगी।

    धीरे-धीरे उसने दो-तीन पेग और ले लिए।

    ---

    शराब का असर तेज़ी से चढ़ा।

    उसे होश नहीं रहा कि क्या हुआ, कैसे हुआ।

    सबकुछ धुंधला सा होता गया।

    ---

    सुबह जब उसकी आंख खुली, वह होटल के उसी कमरे में अकेली थी।

    तेजस वहां नहीं था।

    साइड टेबल पर एक ब्लैंक चेक पड़ा था — जिस पर तेजस के साइन थे।

    तपस्या ने एक नज़र उस चेक को देखा, फिर खुद को समेटती हुई उठी।

    वह वॉशरूम में गई और शावर चला दिया।

    गर्म पानी में भीगते हुए वह कांप रही थी।

    आइने में खुद को देखा — चेहरे पर, होंठों पर, गर्दन पर... जगह-जगह निशान थे।

    हर निशान रात की एक अधूरी कहानी कह रहा था।

    ---

    नहाने के बाद वह चुपचाप कपड़े पहनकर होटल से निकल गई।

    उधर तेजस को अगले दिन विदेश रवाना होना था,

    इसलिए वह होटल से जल्दी निकल गया था।

    वह बहुत खुश था —

    "जो तुझमें है, वो किसी और में नहीं..."

    उसके मन में बस तपस्या की ही छवि घूम रही थी।

    ---

    पूरा पंद्रह दिन बीत गए।

    जब तेजस विदेश से लौटा और अगले दिन ऑफिस पहुंचा,

    तो उसने देखा ऑफिस में केवल राहुल था।

    तपस्या नहीं थी।

    ---

    "तपस्या कहां है? आज नहीं आई?" तेजस ने पूछा।

    "सर, जिस दिन आप बाहर गए थे, उसी दिन से वह ऑफिस नहीं आई है।

    आपको उसे फोन करना चाहिए था..." राहुल ने जवाब दिया।

    "फोन तो कर रहा हूं... लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है... कई बार ट्राई किया..."

    "तो फिर उसके घर जाकर देखिए, शायद कुछ पता चले..."

    "ठीक है, तुम उसका एड्रेस निकालो। मैं पता करता हूं..."

    ---

    अब तेजस को सच में चिंता होने लगी थी।

    उसे यह नहीं पता था कि तपस्या ने उस रात के बाद से ऑफिस आना ही बंद कर दिया है।

    और सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि —

    अब तक उसने वह चेक भी कैश नहीं कराया था।

    तेजस के अकाउंट से पैसे निकाले जाने का कोई अलर्ट या मैसेज नहीं आया था।

    ---

    "अगर वो पैसे चाहती थी, तो चेक कैश कराना चाहिए था...

    क्या अब उसे इस नौकरी की ज़रूरत नहीं?

    या फिर कोई और बात है..."

    तेजस के मन में तरह-तरह के ख्याल आने लगे।

    ---

    > अब कहानी एक मोड़ पर आ चुकी थी।

    वो रात जिसने तपस्या को चुप कर दिया था — शायद वही रात तेजस को जवाबों से भरने वाली थी...

    ---



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  • 9. मिले ना मिले हम - Chapter 9

    Words: 910

    Estimated Reading Time: 6 min

    ---

    अब तेजस परेशान हो गया था।

    तपस्या ऑफिस नहीं आई थी।

    मान लिया, पैसे मिलने के बाद उसे इस नौकरी की जरूरत नहीं रही —

    मगर वह पैसे भी तो नहीं निकाल रही थी!

    पैसों के लिए ही तो उसने वो रात बिताई थी...

    तेजस को समझ नहीं आ रहा था कि मामला क्या है।

    ---

    राहुल ने तपस्या का एड्रेस सिस्टम से निकालकर किसी व्यक्ति को वहां भिजवा दिया,

    ताकि पता किया जा सके कि वो ठीक है या नहीं।

    राहुल फिर अपने काम में लग गया और धीरे-धीरे इस बात को भूल गया।

    शाम हो गई, लेकिन तेजस का ध्यान अब भी उसी एक बात पर अटका हुआ था।

    ---

    "शाम हो गई है, तपस्या का कुछ पता चला?" तेजस ने पूछा।

    "नहीं सर... मुझे फोन करना था उस आदमी को... लेकिन मैं बिज़ी हो गया..." राहुल ने थोड़ी हिचक के साथ कहा।

    ---

    फिर राहुल ने उसी व्यक्ति को कॉल किया जो तपस्या के घर गया था।

    फोन उठाते ही सामने वाले ने कहा,

    "जिस एड्रेस पर आपने भेजा था, वहां अब कोई नहीं रहता..."

    तेजस ने झटपट फोन राहुल के हाथ से लिया।

    "क्या कह रहे हो तुम? वो एड्रेस तपस्या ने खुद दिया था..."

    "हाँ सर, लेकिन वो अब वहां नहीं रहती।"

    "कहाँ गई? और क्यों गई?"

    ---

    "असल में करीब 15 दिन पहले तपस्या की फैमिली का एक्सीडेंट हो गया था...

    उसके मम्मी-पापा की तो उसी वक्त मौत हो गई थी।

    उसका भाई कुछ समय तक ज़िंदा रहा, लेकिन फिर उसकी भी मौत हो गई।

    क्रियाकर्म के बाद वो किसी रिश्तेदार के साथ चली गई।"

    ---

    तेजस एक पल के लिए सन्न रह गया।

    उसका दिमाग सुन हो गया था।

    "हो सकता है वो अभी सदमे में हो... कुछ दिन में लौट आएगी..."

    राहुल ने कहा,

    "अगर आप चाहें तो किसी और असिस्टेंट को रख लेता हूँ..."

    "नहीं... रहने दो। मैं मैनेज कर लूंगा..."

    तेजस ने धीरे से कहा।

    ---

    राहुल अपने काम में लग गया।

    मगर तेजस बेचैन था।

    “अगर उसकी फैमिली का एक्सीडेंट उसी दिन हुआ था… तो वो रात मेरे साथ क्यों गुज़ारी? क्यों?”

    ---

    तेजस खुद जवाब ढूंढ़ने निकल पड़ा।

    उसने ऑफिस से तपस्या का एड्रेस लिया और सीधे उसके पुराने घर पहुंच गया।

    वहां ताला लगा था। आसपास देखा, शायद कोई पड़ोसी मिल जाए।

    ---

    तभी पास वाले घर से एक अधेड़ उम्र का आदमी बाहर आया।

    "किससे मिलना है आपको?"

    "इस घर में कोई नहीं रहता क्या?"

    "नहीं, अब तो खाली है।"

    "तपस्या नाम की लड़की यहां रहती थी। वो मेरी ऑफिस असिस्टेंट थी।

    कुछ फाइलें उसी के पास थीं, सो मिलने आया था..."

    ---

    वो आदमी तेजस को अपने घर ले गया और बोला:

    "बहुत बुरा हुआ उस बच्ची के साथ... बहुत सीधी और मासूम थी...

    उसके पापा मेरे ऑफिस में क्लर्क थे।

    उसकी मम्मी मेरी पत्नी की सहेली थीं।

    हमारे बच्चे और वो दोनों भाई-बहन साथ बड़े हुए थे।"

    ---

    "फिर क्या हुआ?"

    **"करीब पंद्रह दिन पहले... बस एक्सीडेंट हुआ।

    उसकी फैमिली किसी रिश्तेदारी से लौट रही थी।

    पुल टूट गया और बस नदी में गिर पड़ी।

    मम्मी-पापा की वहीं मौत हो गई।

    भाई को उसने किसी तरह हॉस्पिटल तक पहुंचाया, मगर वो भी बच नहीं पाया।

    कहते हैं, वो भाई की जान बचाने के लिए हर कीमत पर पैसा जुटा रही थी...

    13वीं के बाद वो किसी रिश्तेदार के साथ चली गई। अकेली लड़की यहां कैसे रहती..."**

    ---

    उसकी आंखें भर आईं।

    तेजस के सामने जैसे पूरी तस्वीर खिंच गई।

    ---

    "क्या आपके पास उसका कोई कॉन्टैक्ट नंबर है?

    या नया एड्रेस?"

    "नहीं... मेरी पत्नी ने कॉल किया था, मगर उसका फोन बंद है।

    अगर हमें कुछ पता चला तो जरूर बताएंगे।"

    ---

    तेजस ने उन्हें अपना नंबर दिया और धीरे-धीरे गाड़ी में जाकर बैठ गया।

    ---

    "क्या मैं इतना गिर चुका हूं... कि किसी की मौत और मजबूरी को भी न समझ पाया?"

    "क्या मैं सच में इतना बुरा इंसान हूं?"

    "उसके सामने तो मैं बस एक सौदागर था...

    जिसने उसके दुःख का सौदा किया..."

    ---

    उस रात, तेजस सीधे अपने घर चला गया।

    ---

    "भाई आप अचानक...?"

    उसका छोटा भाई राजवीर उसे देखकर चौंक गया।

    "क्यों, घर आने के लिए अब इजाज़त लेनी पड़ेगी?"

    तेजस ने हल्की खीझ के साथ कहा।

    "मैंने तो ऐसा कुछ नहीं कहा... बस आप कभी-कभी ही आते हो..."

    "ठीक है, अब यही रहूंगा..."

    ---

    "कम से कम प्यार से बात तो कर सकते हो..."

    मां की आवाज़ आई।

    "इससे तो प्यार से ही बात कर रहा हूं... बहुत है इतना।"

    "कोई बात नहीं मम्मा, भाई ने मेरी बात का जवाब तो दिया!"

    राजवीर मुस्कुराते हुए बोला।

    ---

    "ज्यादा बातें मत बना... और मां, एक कप चाय पिला दो...

    सर दर्द हो रहा है..."

    "रात को कम पीनी चाहिए थी..."

    राजवीर ने धीरे से कहा।

    ---

    "तुम जो बोल रहे हो, वो मुझे सुनाई दे रहा है..."

    "मैं जानबूझकर कह रहा हूं भाई...

    मैंने देखा है आपको, आजकल कितनी ज़्यादा पीते हो... ऐसा मत किया करो..."

    "ठीक है... अब नहीं पिऊंगा..."

    तेजस ने हल्की सी मुस्कान के साथ कहा।

    ---

    "सच में?"

    राजवीर ने खुश होकर तेजस को गले से लगा लिया।

    "अरे ज़्यादा चिपक मत..."

    "क्या बात है, आज भाइयों में बड़ा लाड़ प्यार हो रहा है..."

    पिता ने हल्के मज़ाक में कहा।

    ---

    तेजस थोड़ी देर के लिए मुस्कुरा तो दिया —

    मगर उसके चेहरे पर अफसोस और शर्म का रंग अब भी छाया हुआ था।

    ---

    > "शायद उस एक रात ने मुझे बदल दिया...

    अब मुझे खुद से नज़रें मिलाना मुश्किल हो रहा है..."

    ---

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  • 10. मिले ना मिले हम - Chapter 10

    Words: 857

    Estimated Reading Time: 6 min

    ---

    "...सचमुच? आप सच बोल रहे हैं, भाई?"
    राजवीर ने आकर तेजस के गले में बाहें डाल दीं।

    "...देखो, मुझसे ज़्यादा चिपकने की ज़रूरत नहीं है... दूर बैठो मुझसे।"

    "क्या बात है! दोनों भाइयों में बहुत लाड़-प्यार हो रहा है आजकल!"
    उसके पापा ने मुस्कराते हुए कहा।


    ---

    तेजस का मन अब कहीं और जाने का नहीं था।
    एक हफ्ते तक वो ऑफिस नहीं गया।
    घर पर ही रहा।

    शायद यह पहला मौका था जब वह इतने दिनों तक घर पर टिका था।
    वरना, जब भी आता — सुबह आता, रात को चला जाता।

    उसे यूं देखकर उसकी मां उसके पास आईं।


    ---

    "क्या बात है बेटा? इतने दिनों से घर पर हो... सब ठीक है न?"

    "बस, मन नहीं करता आप सबको छोड़कर जाने का..."

    "तो फिर उस पेंटहाउस में अकेले क्यों रहते हो? हमारे साथ यहीं रहो।
    राजवीर कॉलेज जाता है, उस पर भी ध्यान दो।
    तुम्हारे पापा की तबीयत भी ठीक नहीं रहती।
    तुम्हारी हमें बहुत ज़रूरत है..."

    "ठीक है मॉम... अब मैं यहीं रहूंगा... आप सबके साथ..."

    कहते हुए वह अपनी मां के गले लग गया।


    ---

    कुछ दिन बाद राहुल घर पर आया।

    चूंकि तेजस ऑफिस नहीं जा रहा था, तो वह ज़रूरी फाइलें घर लेकर आया।

    "हां, मैंने मॉडल सिलेक्ट कर ली हैं।
    आप एक बार देख लीजिए, कौन सी फाइनल करनी है..."

    "नहीं... जो तुम्हें परफेक्ट लगे, उसी को फाइनल कर लो।
    मैं फिलहाल ऑफिस नहीं आ रहा..."

    "और हां... तपस्या के बारे में कुछ पता चला?"


    ---

    "नहीं, उसका फोन अब भी बंद आ रहा है।
    वैसे आप तपस्या को इतना क्यों ढूंढ रहे हैं?
    आपके पास तो लड़कियों की कोई कमी नहीं है...
    और अब आप मॉडल सिलेक्शन भी मुझे दे रहे हैं!"
    राहुल ने हंसकर कहा।

    "क्यों? तुम्हें लेडी बॉस नहीं चाहिए क्या?"
    तेजस ने भी हंसते हुए पलटवार किया।


    ---

    "...मतलब?"
    राहुल अब कुछ समझने लगा था।

    "मुझे तपस्या से शादी करनी है..."
    तेजस ने सीधा-सीधा कह दिया।


    ---

    "वाह, मुबारक हो!"

    "किस बात की मुबारकबाद दे रहे हो?
    अब तक तपस्या से मिला भी नहीं, उसकी 'हां' तो जरूरी है..."

    "वो आपको मना नहीं करेगी।
    अगर आप सच में बदल गए हैं,
    तो यकीन मानिए... वह 'हां' जरूर कहेगी!"
    राहुल ने मुस्कुरा कर कहा।


    ---

    "मैं कोशिश करता हूं उसे ढूंढने की।
    आखिर कोई तो है, जिसने मेरे यार का दिल चुरा लिया!"

    "वैसे अब कब तक देवदास बने रहोगे?
    ऑफिस आ जाओ सर, मिल जाएगी आपकी तपस्या!"

    "देवदास? क्या मतलब है तुम्हारा!"

    "और क्या कहूं? जब से वह गई है, आपने ऑफिस का मुंह नहीं देखा!"

    दोनों हंसते हुए देर तक बातें करते रहे।


    ---

    राहुल ने पूरी कोशिश की,
    लोकेशन ट्रैक की, जान-पहचान के ज़रिए पता लगाने की कोशिश की —
    मगर तपस्या का कुछ पता नहीं चला।
    फोन अब भी स्विच ऑफ था।


    ---

    "तीन महीने होने को हैं... कोई खबर नहीं तपस्या की..."
    तेजस ने उदासी से कहा।

    "मैंने सब कुछ ट्राय कर लिया सर...
    शायद उसका कोई रिश्तेदार भी नहीं है...
    नहीं तो कभी तो खबर मिलती..."

    "हो सकता है वो अपनी लाइफ में आगे बढ़ गई हो।
    अगर किस्मत में होगी, तो मिल जाएगी..."
    तेजस ने धीमे स्वर में कहा।


    ---

    इसी बीच, किसी काम से तेजस और राहुल चंडीगढ़ गए।
    एक मॉल में घूमते वक्त...

    "वो लड़की तपस्या है ना...? या मैं गलत देख रहा हूं?"
    राहुल ने अचानक कहा।

    तेजस ने उस तरफ देखा —
    हाँ, वह तपस्या ही थी।

    वो एक लड़की के साथ फूड कोर्ट में बैठी कॉफी पी रही थी।


    ---

    "चलो सर, मिलते हैं..."
    राहुल ने कहा।

    "नहीं..."
    तेजस ने उसे रोक दिया।

    "क्यों? आपने ही तो कहा था कि आप उससे मिलना चाहते हैं..."

    "नहीं, अब नहीं..."

    तेजस उठकर बाहर चला गया।
    राहुल भी उसके पीछे आ गया।


    ---

    "आप उससे मिल क्यों नहीं रहे?
    आप तो उसे पसंद करने लगे थे ना?"

    "देखा नहीं? वो प्रेग्नेंट है..."
    तेजस ने गाड़ी का दरवाज़ा खोलते हुए कहा।
    "मतलब उसकी शादी हो चुकी है।
    अब मुझे उससे मिलना नहीं चाहिए।"

    वह बैठ गया — चुप, शांत, और बहुत उदास।


    ---

    तेजस जानता था कि
    उस रात जो हुआ था,
    वो एक मजबूरी थी... एक हादसा...
    और अब अगर तपस्या ने अपनी ज़िंदगी फिर से संवार ली है —
    तो उसे खुश रहने का पूरा हक है।


    ---

    **"अच्छा ही है...
    तपस्या, तुम खुश हो... आगे बढ़ गई हो...
    सच है, ज़िंदगी हमेशा एक जैसी नहीं रहती।
    दुख के बाद कभी न कभी सुख भी आता है।

    अब शायद तुम्हारे पास अपना परिवार होगा...
    और इस बच्चे के आने के बाद वह पूरा हो जाएगा।

    ज़िंदगी जीने के लिए एक परिवार तो चाहिए ही होता है।
    जिसके पास नहीं होता — वही जानता है उसका दर्द।
    तुमने अपना परिवार खो दिया था,
    मगर अब शायद एक नया परिवार मिल गया हो..."**

    तेजस की आंखें भर आई थीं।
    उसने गाड़ी स्टार्ट की और चुपचाप वहां से निकल गया।


    ---


    > "कुछ रिश्ते, मिलकर भी अधूरे रह जाते हैं...
    और कुछ अधूरे रहकर भी, ज़िंदगी भर के लिए सबक दे जाते हैं..."




    ---

    💬 आपकी राय ज़रूरी है।

    1. क्या तपस्या सचमुच शादीशुदा है?


    2. क्या वह तेजस से मिलने से बच रही है?


    3. या उसके पास कुछ और राज़ हैं, जो सामने आने बाकी हैं?

  • 11. मिले ना मिले हम - Chapter 11

    Words: 957

    Estimated Reading Time: 6 min

    "...चलो, अच्छी बात है तपस्या... तुम खुश हो, आगे बढ़ गई हो।
    सच है, ज़िंदगी हमेशा एक जैसी नहीं रहती।
    दुख के बाद कभी न कभी सुख ज़रूर आता है।
    अब तुम्हारी अपनी फैमिली होगी...
    इस बच्चे के आने के बाद वो फैमिली पूरी हो जाएगी।
    ज़िंदगी जीने के लिए एक परिवार तो होना ही चाहिए।
    तुमने अपना परिवार खोया था...
    मगर शायद अब तुम्हारा परिवार दोबारा बन जाए..."

    तेजस के मन में हज़ारों बातें चल रही थीं।

    "...कोई शक नहीं, मुझे तपस्या पसंद थी।
    मैं उसे जीवनसाथी बनाना चाहता था...
    मगर अगर वह अपनी ज़िंदगी में आगे बढ़ चुकी है
    तो मैं उसके लिए खुश हूं..."


    ---

    "चलिए सर, मिल ही लेते हैं उससे..."
    राहुल ने कहा।

    "नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है।"
    तेजस ने दूसरी दिशा में चलते हुए जवाब दिया।

    "क्या बात है सर... इतने चुप क्यों हैं?"
    राहुल ने रास्ते में पूछा।

    "बस यूं ही..."

    "मैं समझ सकता हूं..."

    "क्या?"

    "शायद आपको पहली बार कोई लड़की दिल से पसंद आई थी।
    आपने उसके साथ कई सपने देखे होंगे।
    और अब उसे इस हाल में किसी और के साथ देखना... आसान नहीं होगा।"

    "नहीं राहुल...
    मैं सच में उसके लिए बहुत खुश हूं।
    हमारे बीच कोई कमिटमेंट था ही नहीं।
    वो तो जानती भी नहीं थी कि मैं उसे पसंद करता हूं।
    और अब अगर उसके पास अपना परिवार है, तो मुझे बस उसकी खुशी चाहिए..."


    ---

    "वैसे, आप बहुत बदल गए हैं सर।
    पहले वाले तेजस तो जैसे अब रहे ही नहीं..."
    राहुल की बातों में सच्चाई थी।

    तेजस अब पूरी तरह बदल चुका था।
    उसने सभी बेपरवाह रिश्तों को पीछे छोड़ दिया था।
    अब वह अपने घर, अपनी माँ-पापा और छोटे भाई के साथ रहना पसंद करता था।


    ---

    एक शाम...

    "वैसे भाई, अब मैंने भी बिज़नेस जॉइन कर लिया है,
    और मेरी भी शादी तय हो गई है...
    तो अब आपको भी शादी कर ही लेनी चाहिए!"
    राजवीर ने मुस्कराते हुए कहा।

    "मेरा अभी मन नहीं है शादी का।
    पहले तुम्हारी हो जाए, फिर सोचूंगा..."

    "नहीं बेटा, अब मैं चाहती हूं कि तुम दोनों भाइयों की शादी एक साथ हो!"
    माँ ने प्यार से कहा।

    "मॉम ये क्या बात हुई... इसकी सगाई हो चुकी है।
    और मुझे अब तक कोई लड़की पसंद ही नहीं आई है।"


    ---

    "तो फिर भाई, बताओ आपको कैसी लड़की चाहिए?"
    राजवीर ने चिढ़ाते हुए पूछा।

    तेजस हंस पड़ा।

    "पता नहीं...
    पर जब कोई ऐसी लड़की दिखे,
    जिसे देखकर लगे कि ये ही वो है...
    जिसके साथ ज़िंदगी बिताई जा सकती है,
    तभी सोचूंगा शादी के बारे में।
    फीलिंग आनी चाहिए... वो नहीं आती किसी को देखकर..."


    ---

    "सचमुच भाई, आप बहुत रोमांटिक हो!"
    नैना (राजवीर की मंगेतर) बोल पड़ी।

    "आप मत सुनो इस लड़के की बातों पर तेजस...
    मैंने तुम्हारे लिए एक रिश्ता देखा है।
    आज शाम को चलेंगे उनसे मिलने!"
    माँ ने आग्रह किया।


    ---

    "नहीं माँ, अभी मेरा मन नहीं है..."

    "भैया, ये कोई बात हुई? आपको शादी कर लेनी चाहिए।
    हम लोग शादी तभी करेंगे जब आप मानेंगे..."
    नैना ने भी जोड़ा।

    "ओह! नैना, तुम भी शुरू हो गई..."

    "क्यों नहीं? मुझे अपनी जेठानी चाहिए घर में।
    सास-बहू वाला सीरियल तभी तो पूरा होगा!"


    ---

    "तुम दोनों की बातों के आगे कोई टिक ही नहीं सकता..."
    तेजस हंस पड़ा।

    "भाई, एक सवाल पूछूं?"
    राजवीर ने गंभीरता से कहा।

    "अगर मना कर दूं तो भी पूछोगे, तो पूछ लो!"

    "छह साल पहले ऐसा क्या हुआ था...?
    सच-सच बताना भाई..."

    "क्यों पूछ रहे हो?"

    "क्योंकि तभी से आप बदलने लगे थे..."


    ---

    "कैसे बदले थे?"
    नैना ने जिज्ञासा से पूछा।

    "जैसे अभी के तेजस हैं, पहले वैसे नहीं थे।
    तब भाई के किस्से मैगज़ीन में आते थे।
    अब तो भाई घर से बाहर भी नहीं निकलते!"

    "ओ बस करो तुम लोग! मेरे बेटे के पीछे क्यों पड़े हो..."
    पापा सीढ़ियों से उतरते हुए बोले।

    "और पापा, आप ही देखिए...
    अब तो सब मेरी शादी करवाने पर तुले हैं!"
    तेजस मुस्कराया।


    ---

    "तुम लोग ठीक कह रहे हो।
    अब दोनों भाइयों की शादी एक साथ करनी चाहिए।
    लड़की हम दोनों — बाप-बेटा मिलकर देखेंगे!"

    "पापा आप भी इनका साथ देने लगे!"
    तेजस ने कहा।

    पापा ने उसका हाथ पकड़कर उसे सोफे पर बैठा लिया।


    ---

    "देख बेटा, अगर कोई लड़की तुम्हें पसंद है तो बता दो।
    कोई फर्क नहीं पड़ता किस जात, धर्म या समाज की हो।
    हमें सिर्फ तुम्हारी खुशी चाहिए।"

    "पापा, क्यों मेरे पीछे पड़े हो आप लोग..."

    "क्योंकि अब तुम्हारी उम्र हो चुकी है शादी की।
    और हम छोटे बेटे की शादी पहले नहीं कर सकते!"

    "ठीक है, आप लोगों को जो सही लगे...
    मैं शादी कर लूंगा।"


    ---

    "सच कह रहे हो ना भाई? बाद में पलट तो नहीं जाओगे!"

    "नहीं, मैं सच कह रहा हूं..."

    "जय हो! लेकिन तुम्हें हमारे साथ जाना होगा,
    क्योंकि लड़की तुमसे भी मिलना चाहती है!"

    "ठीक है, इस वक्त मैं ऑफिस जा रहा हूं...
    एड्रेस दे देना, मैं वहां खुद पहुंच जाऊंगा।"


    ---

    तेजस और राजवीर दोनों ऑफिस चले गए।

    पापा और माँ वहीं बैठे थे।

    "सच में, अगर दोनों की शादी हो जाए...
    बच्चे आ जाएं...
    तो घर कितना भरा-भरा लगेगा..."
    पापा बोले।

    "इतने सपने मत देखो...
    मुझे अभी भी यकीन नहीं है कि तेजस शादी करेगा..."
    माँ बोलीं।


    ---

    "बात तो सही है।
    कभी घर आता नहीं था...
    रोज़ नई लड़कियां होती थीं इसके साथ।
    अब फैमिली को समझने लगा है।
    कहीं कोई लड़की इसका दिल तो नहीं तोड़ गई?"

    "अब इतना वक्त हो गया उस बात को...
    अगर कुछ था भी,
    तो वो लड़की अब तक शादी कर चुकी होगी।"

    "सही बात है...
    चलो आज शाम को रिश्ता पक्का करते हैं!"


    ---

    📝

    > "कुछ बदलाव खुद नहीं आते...
    उन्हें किसी की चुपचाप दी गई सीख लाकर लाती है..."




    ---


    क्या वह लड़की तपस्या हो सकती है — या कोई और?

    या अब तपस्या खुद तेजस के सामने किसी मोड़ पर वापस आ जाए?

  • 12. मिले ना मिले हम - Chapter 12

    Words: 654

    Estimated Reading Time: 4 min

    ---

    "...अब इतने साल हो गए उस बात को, तो उसका अब कोई मतलब नहीं रहा।
    अगर कुछ था भी, तो वो लड़की अब तक शादी कर चुकी होगी..."
    "सही कह रहे हो... चलो आज इसका रिश्ता भी पक्का करते हैं..."

    तेजस की एक न चली।
    जिस लड़की को घरवालों ने पसंद किया था,
    उसी से चुपचाप उसकी सगाई कर दी गई।

    घरवालों ने कह दिया था —
    "अगर कोई लड़की पसंद है, तो बता दो।
    नहीं तो हम अपनी पसंद से रिश्ता तय कर देंगे।"
    तेजस ने भी कह दिया —
    "शादी मैं एक साल बाद ही करूंगा..."


    ---

    राजवीर की शादी हो चुकी थी।
    नैना अब घर की बहू बन चुकी थी।
    चुलबुली, नटखट, और बातूनी।
    वो एक बार बोलना शुरू करती तो पूरा दिन नॉनस्टॉप चलता।


    ---

    "भाई, मेरी जेठानी कब ला रहे हो?
    मम्मी तो मुझे ताने नहीं देती,
    मगर जेठानी होगी तो उससे झगड़ा कर लिया करूंगी!"
    नैना ने सुबह-सुबह नाश्ते की टेबल पर कहा।

    "अगर झगड़ा ही करना है तो तुम्हारा पति मौजूद है।
    उसी से कर लिया करो!"
    तेजस ने मुस्कराकर जवाब दिया।

    "उनसे लड़ने में वो मज़ा नहीं जो जेठानी से झगड़ने में है!
    अब सोचो... मैंने सब्जी बनाई और जेठानी ने उसमें नमक ज़्यादा कर दिया।
    या मैंने चाय बनाई और उन्होंने उसमें मिर्च डाल दी!
    वो बनाएंगी, तो मैं उसमें नमक डालूंगी!"

    पूरा परिवार उसकी बातों पर हँस पड़ा।


    ---

    "कुछ महीनों में शादी कर लूंगा नैना...
    फिर लड़ती रहना अपनी जेठानी से!"

    "लगता है मेरी ही बात हो रही है..."
    एक धीमी, मगर प्यारी सी आवाज़ आई।

    "आओ मीनल दीदी!
    हम आपकी ही बातें कर रहे थे।
    बस एक बार मेरी ऑफिशियल जेठानी बन जाओ,
    फिर हम दोनों मिलकर रोज़ सीरियल वाला सास-बहू ड्रामा करेंगे!"

    "मैं सास-बहू सीरियल नहीं देखती।
    बिलकुल पसंद नहीं हैं मुझे।"
    मीनल बोली।

    "तो फिर मैं दिखा दूंगी! आदत पड़ जाएगी!"
    नैना ने मुस्कराकर कहा।


    ---

    तेजस खड़ा होने लगा।

    "कहाँ जा रहे हैं आप?
    आज आपको मेरे साथ चलना है।
    मैं लेने ही आई हूं।"
    मीनल बोली।

    "मैं ऑफिस जा रहा हूं..."

    "नहीं! मेरी सहेली की गोद भराई है आज।
    आपको मेरे साथ चलना होगा।"

    "ऐसे प्रोग्राम में मेरा क्या काम है?
    तुम नैना को ले जाओ..."

    "मेरी सारी सहेलियां आपसे मिलना चाहती हैं।
    मैं अपने डैशिंग मंगेतर को दिखाना चाहती हूं!"

    "प्लीज़ मीनल, ऐसा मत करो।
    बहुत ज़रूरी काम है ऑफिस में..."

    "चले जाओ बेटा। बच्ची दिल से बुला रही है।
    उसका दिल मत तोड़ो..."
    तेजस की माँ ने कहा।


    ---

    मन नहीं था, लेकिन माँ के कहने पर
    तेजस मीनल के साथ चला गया।


    ---

    गाड़ी में बैठते ही तेजस ने कहा:

    "मीनल, ज्यादा देर मत लगाना।
    मैं जल्दी निकलना चाहता हूं।
    मुझे ऐसी पार्टियों में कोई दिलचस्पी नहीं है।"

    "कम से कम मेरी सहेलियों से मिलने में तो होनी चाहिए।
    वो बहुत खूबसूरत हैं!"

    "तब तो बिल्कुल भी नहीं है..."

    तेजस बेहद इरिटेट हो रहा था।

    "इससे तो अच्छा था मैं पहले वाला तेजस होता,
    किसी की हिम्मत नहीं होती मुझे ऐसे घसीटकर ले जाए।"
    वह बड़बड़ाता रहा।


    ---

    राहुल का फोन आया।
    तेजस ने उसे ऑफिस के सारे निर्देश दिए
    और जल्दी पहुंचने को कह कर फोन काट दिया।


    ---

    "वैसे... मैं तो आपके बारे में बहुत कुछ सुन चुकी हूं।"
    मीनल ने ड्राइव करते हुए कहा।

    तेजस ने उसकी तरफ देखा:

    "क्या सुना है मेरे बारे में?"

    मीनल ने गाड़ी एक तरफ रोक दी।

    "अरे! गाड़ी क्यों रोकी?"

    "ये बताने के लिए कि क्या सुना है!"

    "बताओ फिर..."

    "सुना है कि आपकी ढेर सारी गर्लफ्रेंड्स थीं।
    रोज़ नई लड़कियों के साथ रिलेशन होते थे।
    मगर मुझे तो आज तक आपने गले भी नहीं लगाया...
    जबकि पहल हमेशा मैं करती हूं!"

    तेजस थोड़ी देर चुप रहा।

    "...हां, ये सब सच था..."

    "तो अब मुझसे दूर क्यों रहते हो?"

    "चलो अब, देर हो रही है।
    गाड़ी स्टार्ट करो। पार्टी नहीं जाना क्या?"

    मीनल हंसते हुए गाड़ी चलाने लगी।


    ---

    कुछ देर में वो पार्टी पहुंच गए।
    गोद भराई की रस्म शुरू होने वाली थी।


    ---

  • 13. मिले ना मिले हम - Chapter 13

    Words: 733

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    "हाँ, ये बात सच थी..."
    "तो फिर मेरे पास क्यों नहीं आते?
    हमेशा मुझसे दूर क्यों रहते हो?"
    मीनल की आवाज़ में नाराज़गी नहीं थी,
    बस एक मासूम सी शिकायत थी।

    "देखो मीनल, पार्टी में नहीं चलना है क्या?
    गाड़ी स्टार्ट करो, हमें देर हो जाएगी..."

    थोड़ी ही देर में दोनों पार्टी में पहुँच गए थे।
    गोद भराई की रस्म शुरू होने वाली थी।


    ---

    "पहले मेरी सहेली को गिफ्ट दे देते हैं,
    फिर किसी एक साइड बैठकर बात करेंगे।
    मुझे तुमसे बहुत कुछ कहना है..."
    मीनल ने धीमे स्वर में कहा।

    तेजस ने सहमति में सिर हिलाया।

    वे दोनों लॉन के एक शांत कोने में जाकर बैठ गए।


    ---

    "अब जवाब दो मेरी बात का।"
    "कौन सी बात?"
    "वही जो मैंने गाड़ी में पूछी थी।
    तुम मुझसे कभी करीब क्यों नहीं आते?
    जबकि मैंने सुना है कि तुम्हारे पहले ढेरों रिश्ते रहे हैं।
    अब ऐसा क्या हो गया कि तुम इतने शरीफ बन गए हो?"

    मीनल की बात में एक मुस्कान थी, मगर आँखों में सवाल।


    ---

    "देखो, वो मेरा अतीत था मीनल...
    आज मेरी ज़िंदगी में सिर्फ तुम हो।"

    "यह तो मैं जानती हूँ...
    पर ऐसा क्या हुआ कि तुम पूरी तरह बदल गए?
    इतने बदल गए कि अब मुझसे भी दूर रहते हो,
    जबकि हमारी तो शादी होने वाली है..."

    तेजस ने ठंडी साँस ली और नजरें दूसरी ओर फेर लीं।

    "दूसरी तरफ क्या देख रहे हो?
    मुझे देखो और जवाब दो..."
    मीनल अब ज़िद पर उतर आई थी।


    ---

    तेजस कुछ कहने ही वाला था कि
    उसे लगा — वो तपस्या है।
    कुछ दूरी पर खड़ी — उसकी आँखों के सामने।

    तेजस फौरन खड़ा हो गया।

    "क्या हुआ?
    अचानक खड़े क्यों हो गए?"
    मीनल ने पूछा।

    "नहीं... कुछ नहीं।"
    तेजस फिर से बैठ गया।

    पर उसका मन वहीं नहीं था।

    कुछ पल बाद वह बोला:
    "मैं वॉशरूम जा रहा हूँ..."


    ---

    वो वॉशरूम की ओर बढ़ गया,
    पर उसका दिल उस अजनबी अहसास में डूबा था।
    क्या सचमुच वो तपस्या थी?
    इतने सालों बाद... अगर वाकई थी,
    तो वो एक बार उसे जरूर देखना चाहता था।

    वह चारों ओर नजरें घुमाकर उसे तलाश रहा था।

    जेंट्स वॉशरूम से बाहर निकलते वक्त
    एक लड़की से टकरा गया।


    ---

    "सॉरी... मुझे दिखा नहीं..."

    वह कहते-कहते रुका।
    सामने वही चेहरा था — तपस्या।

    तेजस की आँखों में चमक आ गई।
    "तुम कैसी हो?"
    उसने गर्मजोशी से पूछा।

    मगर तपस्या के चेहरे का रंग उड़ गया था।

    बिना कोई जवाब दिए,
    वह तेज कदमों से आगे बढ़ गई।


    ---

    "तपस्या!
    मैं तेजस हूं...
    क्या तुमने मुझे पहचाना नहीं?"
    वह उसके पीछे चलता गया।

    "मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है..."
    तपस्या ने सख्ती से कहा।

    तेजस वहीं रुक गया।


    ---

    "...शायद वो डरती है कि मैं कुछ ऐसा ना कह दूं
    जो उसकी ज़िंदगी में तूफ़ान ला दे...
    उसकी शादी हो चुकी है शायद...
    इसलिए मुझे इग्नोर करना ही ठीक समझा उसने..."

    तेजस ने खुद को समझाया
    और वापस लौट गया।


    ---

    पार्टी में लौटते ही,
    वह मीनल के पास गया।
    वहाँ रजनी का पति महेश बैठा था।

    "आओ तेजस!
    मैं आपकी ही वेट कर रहा था।
    अच्छा लगा कि आप आए।"

    तेजस मुस्कराया — पर वो मुस्कान अधूरी थी।
    उसकी नजरें फिर से तपस्या को खोज रही थीं।

    वो थोड़ी दूर एक टेबल पर बैठी थी,
    मीनल की सहेली के गिफ्ट्स सजा रही थी।


    ---

    "वो लड़की — तपस्या —
    बहुत अच्छी है।
    मेरी बहन के ऑफिस की सहेली है।
    दिल्ली में रहती है।
    हर काम में बहुत हेल्प करती है।
    शायद तुम्हें जानती भी हो..."

    महेश तपस्या की तारीफ कर रहा था।


    ---

    "आप उसे जानते हैं क्या?"
    महेश ने तपस्या की ओर इशारा करते हुए तेजस से पूछा।

    "हाँ...
    बहुत साल पहले वो मेरे ऑफिस में काम करती थी।
    मुझे लगा जैसे कहीं देखी हुई है...
    इसलिए गौर से देख रहा था।"

    "तो फिर मिलवा देते हैं आपको।
    रजनी को बुलाता हूँ..."


    ---

    रजनी उनके टेबल पर आई।

    "तपस्या को भी साथ ले आतीं..."
    महेश ने कहा।

    "वो अंदर गिफ्ट्स रखने गई है।
    अभी बुला लेती हूँ..."

    फिर तपस्या को इशारा किया गया।


    ---

    ना चाहते हुए भी तपस्या को आना पड़ा।

    "भाभी, कोई काम था?"
    तपस्या ने रजनी से पूछा।

    "नहीं, बस आओ बैठो हमारे साथ।"

    "मुझे नीता मैम बुला रही हैं...
    मुझे वहाँ जाना है..."

    तपस्या बात टाल गई और चली गई।


    ---

    तेजस समझ गया — वह उसे इग्नोर कर रही है।

    "नीता मेरी बहन है...
    अब उसी के ऑफिस में काम करती है वो..."




    ---

  • 14. मिले ना मिले हम - Chapter 14

    Words: 799

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    तेजस अच्छी तरह समझ गया था — तपस्या जानबूझकर उसे नजरअंदाज कर रही थी।

    "नीता मेरी बहन है... वो उसी के ऑफिस में काम करती है..."
    तेजस ने हल्के-हल्के से अपने मन की बात किसी से कह दी थी, मगर कोई खास असर नहीं पड़ा।


    ---

    कहाँ तो वह इस पार्टी में आना ही नहीं चाहता था... और कहाँ अब पूरे प्रोग्राम तक रुका रहा।
    उसे ऑफिस की ज़रूरी मीटिंग तक छोड़नी पड़ी।

    लेकिन एक सच्चाई थी —
    चाहे दूर से ही सही, उसे तपस्या को देखना अच्छा लग रहा था।
    वह जानता था कि अब वो उसकी नहीं है...
    उसकी अपनी फैमिली है, उसका बच्चा है...
    और वह उसे किसी भी हाल में डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था।
    मगर एक झलक भर ही उसके दिल को राहत दे गई थी।


    ---

    जब वे वापस घर लौट रहे थे,
    मीनल बोली —
    "कहाँ तो तुम आने को तैयार नहीं थे,
    और अब देखो — पूरी पार्टी वहीं बैठकर बिताई।
    ऑफिस की मीटिंग भी छोड़ दी..."

    तेजस हल्के से मुस्कराया,
    "बस ऐसे ही..."

    "मालूम नहीं, तुम्हारा मूड कब किस ओर घूम जाए..."
    मीनल ने हँसते हुए कहा।


    ---

    ⏳ अगले दिन — घर पर...

    "अब तो शादी के लिए मना मत करो तेजस,"
    मिसेज मल्होत्रा ने बेटे से कहा।
    "सगाई को इतने महीने हो चुके हैं। मीनल एक अच्छी लड़की है।
    अब शादी कर लो बेटा..."

    तेजस ने मुस्कराकर कहा —
    "माँ, अभी एक प्रोजेक्ट में बिजी हूं।
    वो खत्म हो जाए तो सोचता हूं।
    अगर अभी शादी की तो मीनल ही शिकायत करेगी
    कि उसे टाइम नहीं देता..."


    ---

    "कितना वक्त लगेगा इस प्रोजेक्ट में?"
    माँ आज जिद पर उतर आई थीं।

    "कम से कम डेढ़ महीना, माँ।
    अब मुझे दिल्ली जाना है और
    अगर सब ठीक रहा तो कुछ दिन के लिए ऑस्ट्रेलिया भी..."

    "तो ठीक है, मैं दो महीने बाद की तारीख निकलवा देती हूँ..."

    "माँ, अभी रुक जाओ ना... बाद में देख लेंगे..."

    "नहीं बेटा!
    अगर डेट फाइनल हो जाएगी तो मैं तैयारी शुरू कर सकूंगी।
    बहू के लिए साड़ियाँ, गहने, घर का सामान — सब खरीदना है!"


    ---

    "और मुझे भी शादी की शॉपिंग करनी है!"
    नैना ने झट से कहा।

    "अरे नैना, शॉपिंग तो तुम्हारा सबसे फेवरेट काम है..."
    तेजस मुस्कराया।

    "क्यों भैया? यह तो हर लड़की का पसंदीदा काम होता है!"

    नैना ने हँसते हुए सबका दिल जीत लिया था।
    अब वह सबकी चहेती बन चुकी थी।
    तेजस के लिए तो वो अपनी छोटी बहन जैसी थी।


    ---

    "जैसी नैना है, वैसी ही मीनल होगी...
    मुझे लोगों की परख है!"
    मिसेज मल्होत्रा ने गर्व से कहा।

    तेजस थोड़ा संजीदा हो गया।
    "माँ, यही तो डर लगता है।
    आप और नैना की बॉन्डिंग इतनी अच्छी है...
    वो तो कभी किसी को पलट कर जवाब नहीं देती।
    मगर मुझे डर है कि कहीं मीनल के आने से घर का माहौल बदल न जाए..."

    "बेटा, वो मेरी सहेली की बेटी है। बहुत अच्छी है।
    थोड़ी सेल्फ-सेंटर्ड लगती है तो क्या हुआ,
    सही समय पर सब सीख जाती है।"

    "आपकी चॉइस पर मुझे कोई शक नहीं है, माँ।
    बस मैं... थोड़ा सोच रहा था।"


    ---

    "क्यों बेटा? अपनी बीवी की तारीफ कर रहे हो
    या माँ को मस्का मार रहे हो?"
    मिस्टर मल्होत्रा वहीं आ बैठे।

    "मेरी बीवी ही सबसे बेस्ट हैं!"
    उन्होंने मुस्कराते हुए कहा।

    "पापा, यही बात तो सच है! आपकी बीवी ही सबसे बेस्ट है!"
    नैना चहककर बोली।


    ---

    "मैंने पहली बार ऐसा देखा है,
    जहाँ बहू खुद अपनी सास को बेस्ट कह रही है..."
    राजवीर ने चुटकी ली।

    "और भैया, आप कब मस्का लगाओगे?
    कब मेरी भाभी आएगी?"

    "भाई की शादी तो माँ का डिपार्टमेंट है।
    मैं तो कहता हूं — एक साल और रुक जाओ..."
    तेजस बोला।


    ---

    "नहीं भैया, ऐसा नहीं चलेगा!
    मुझे जेठानी चाहिए!"
    नैना कहने लगी।

    "जब मैं दाल-सब्ज़ी में नमक ज़्यादा डाल दूं,
    तो कह सकूं — यह मेरी जेठानी ने जानबूझकर किया!"

    सभी हँस पड़े।


    ---

    "माँ, आपने इन दोनों को बिल्कुल सही मिलाया है।
    राजवीर नौटंकीबाज़ और नैना उससे भी ज़्यादा!"
    तेजस हँसते हुए बोला।

    "और मेरे लिए कोई खडूस लड़की लाना माँ!"
    राजवीर बोला।

    "ठीक है! अब मैं ऑफिस जा रहा हूं।
    माँ, मेरा सामान पैक करवा देना।
    शाम की फ्लाइट है — दिल्ली जा रहा हूं..."


    ---

    "और मैं शादी की तारीख निकलवा रही हूं बेटा!"
    मिसेज मल्होत्रा ने कहा।

    "ठीक है माँ!
    आप तो वैसे भी वही करती हो जो आपका मन हो!"

    "बिलकुल!
    और बेटा, अगर घर में शांति चाहिए,
    तो बीवी और माँ को वही करने दो जो वो चाहती हैं!"
    मिस्टर खन्ना ने कहा।


    ---

    "डैड, यह टिप्स मुझे नहीं — राजवीर को दो!"
    तेजस ने हँसते हुए कहा।

    "भैया, आप दिल्ली जा रहे हो,
    तो ऑफिस का अच्छे से ध्यान रखना।
    और नैना — इसे ऑफिस भेजने की जिम्मेदारी तुम्हारी!"

    "ठीक है भैया!
    सुबह 5 बजे ही उठा दूंगी!"

    तेजस मुस्कराया और रवाना हो गया।


    ---



    ---

    📌

  • 15. मिले ना मिले हम - Chapter 15

    Words: 733

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    तेजस दिल्ली के लिए रवाना हो गया था।

    पीछे छूट गया था एक घर — जहाँ माँ बार-बार शादी की तारीख़ पर ज़ोर दे रही थीं, और एक चुलबुली बहन नैना, जो अपनी जेठानी के नाम पर शॉपिंग के सपने देख रही थी।

    मगर तेजस के ज़हन में कुछ और ही चल रहा था —

    तपस्या...

    "सोचता हूँ, एक बार उसकी फैमिली से मिल लूं... मगर वो मुझसे कंफर्टेबल नहीं है, तो मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए..."

    उसका मन कई बार बहकता, और फिर खुद को ही संभाल लेता।

    ---

    दिल्ली पहुँचते ही तेजस सीधे एक जरूरी मीटिंग में गया।

    वह जिस होटल को खरीदना चाहता था, उसकी डील को अंतिम रूप देना बाकी था।

    मीटिंग खत्म हुई और जैसे ही तेजस बाहर निकला —

    एक जानी-पहचानी आवाज़ सुनाई दी।

    "कैसे हैं आप... आपने मुझे पहचाना तो होगा?"

    "आप नीता हैं ना... उस दिन पार्टी में मिली थीं!"

    "हाँ, मैंने आपको उसी वक़्त देख लिया था।

    मैं अपनी फैमिली के साथ आई हुई थी..."

    नीता ने अपने हस्बैंड से तेजस को मिलवाया।

    "आप दिल्ली में?"

    "हाँ, दो दिन के लिए... इस होटल की डील फाइनल कर रहा हूं।"

    "बहुत अच्छा लगा सुनकर!

    अगर आप यहाँ हैं तो कल लंच पर ज़रूर आइए हमारे घर।"

    "अगर वक़्त मिला तो ज़रूर आऊंगा।"

    नीता ने झट से अपना एड्रेस और नंबर दे दिया।

    ---

    तेजस होटल के बाहर आ गया, लेकिन तभी उसे याद आया —

    "तपस्या... वो तो नीता के ऑफिस में ही काम करती है..."

    फिर तुरंत वापिस गया।

    "लंच नहीं सही, डिनर तो बनता है।

    मैं आपके घर डिनर पर ज़रूर आऊँगा।"

    "फाइनल!"

    नीता के हस्बैंड मनदीप मल्होत्रा ने उत्साह से कहा।

    ---

    ड्राइवर ने गाड़ी स्टार्ट ही की थी कि अचानक एक बच्चा सामने आ गया।

    ब्रेक लगते ही ड्राइवर झल्लाया —

    "कैसे लोग हैं सर... बच्चों को संभालते भी नहीं... अगर हमारी गाड़ी चल रही होती तो बड़ा हादसा हो जाता!"

    "कोई बात नहीं..."

    तेजस ने शांत स्वर में कहा।

    तभी एक लड़की दौड़ती हुई आई, बच्चे को गोद में उठाया और होटल की ओर चली गई।

    तेजस के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ गई।

    "तपस्या..."

    ---

    अगली शाम, डिनर टाइम —

    तेजस नीता और मनदीप के आलीशान बंगले पर पहुँच चुका था।

    दिल्ली के पॉश इलाके में उनका सुंदर-सा घर।

    "आपका घर बहुत खूबसूरत है..."

    तेजस ने भीतर आते ही कहा।

    "हमें लगा नहीं था आप आएँगे..."

    "इतने प्यार से बुलाया है, कैसे न आता!"

    "मैंने तो सुना है आपको पार्टीज़ पसंद नहीं हैं?"

    मनदीप की बात पर तेजस मुस्करा पड़ा।

    "सच है, मगर दिल से बुलाया जाए तो कहाँ मन करता है मना करने का..."

    ---

    मनदीप और नीता उसे अपने बार रूम में ले गए।

    "क्या ड्रिंक लेंगे?"

    "मैं पीता नहीं, जूस चलेगा।"

    तेजस ने विनम्रता से कहा।

    ---

    ड्राइंग रूम में बैठे अभी कुछ देर ही हुई थी कि वही बच्चा दौड़ता हुआ आया, जो होटल के बाहर गाड़ी के सामने आया था।

    "कितना प्यारा बच्चा है... आपका बेटा है?"

    "नहीं, ये तपस्या का बेटा है।

    आप शायद पार्टी में मिल चुके हैं उससे।

    तपस्या नाम है उसका। बहुत मेहनती लड़की है।

    हमारे ऑफिस में मेरी असिस्टेंट है, हर काम में कमाल की!"

    तेजस ध्यान से सुन रहा था।

    "क्या उसका हस्बैंड भी यहीं काम करता है?"

    "नहीं... वो सिंगल मदर है।

    उसका तलाक हो चुका है।

    अकेले ही बेटे को पाल रही है।"

    मनदीप की आवाज़ में तपस्या के लिए इज़्ज़त थी।

    ---

    तभी कोई उस बच्चे को बुलाने आया।

    "तपस्या, आओ, मैं तुम्हें मिस्टर तेजस खन्ना से मिलवाती हूँ।

    तुम उन्हें जानती हो न?"

    तेजस को देखकर तपस्या का चेहरा एक पल में सफेद पड़ गया।

    "क्या हुआ तपस्या? तबीयत तो ठीक है?"

    नीता ने पूछा।

    "अभी बाहर से आई हूं... थोड़ा थक गई हूं...

    थोड़ा आराम करना चाहती हूं..."

    "बिल्कुल नहीं!

    तुम हमारे साथ बैठकर ही डिनर करोगी!"

    मनदीप ने मुस्कराते हुए कहा।

    अब तपस्या के पास रुकने के सिवा कोई चारा नहीं था।

    ---

    डिनर शुरू हुआ।

    तेजस ने पहली बार तपस्या के बेटे को गौर से देखा।

    "तुम्हारा बेटा बहुत प्यारा है..."

    वह उसके पास गया और उसे गोद में उठा लिया।

    "क्या नाम है तुम्हारा?"

    बच्चे ने शरमाकर कुछ बुदबुदाया।

    तेजस की आंखों में एक गहराई आ गई थी —

    "इस बच्चे की मासूमियत में कहीं मेरी बीती हुई कहानी का अक्स है..."

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  • 16. मिले ना मिले हम - Chapter 16

    Words: 670

    Estimated Reading Time: 5 min

    ---

    "आपका बेटा बहुत ही प्यारा है..."
    तेजस ने मुस्कराते हुए कहा और तपन को अपनी गोद में उठा लिया।

    "क्या नाम है तुम्हारा?"
    "तपन..." बच्चे ने मासूमियत से जवाब दिया।

    "स्कूल जाते हो?"
    तपन ने सिर हिलाया।
    "पाँच साल का हूँ मैं..." उसने गर्व से कहा।

    "बहुत इंटेलिजेंट है ये बच्चा..."
    नीता मुस्कराई।
    "बिल्कुल अपनी माँ पर गया है..."

    तेजस की नज़र तपस्या पर चली गई, जो थोड़ी झिझकते हुए पास आकर बैठ चुकी थी।
    "चलो बेटा, सोने का टाइम हो गया है..."
    तपस्या ने तपन का हाथ थाम लिया।

    "दीदी, मैं सुला देती हूँ इसे..." नीता ने कहा।

    "कल संडे है... छुट्टी होगी स्कूल की।
    उसे ऊपर भेज दो, कार्टून देख लेगा बाकी बच्चों के साथ..."

    "रुको ना तपस्या, मुझे दोस्ती करने दो इससे...
    कार्टून बाद में देख लेगा..."
    तेजस ने तपन को पास से और कस लिया।

    तपस्या चुपचाप रुक गई।


    ---

    "आपके हस्बैंड क्या करते हैं?"
    तेजस का सवाल अचानक आया।

    तपस्या का चेहरा सख्त हो गया।

    "मेरा डिवोर्स हो चुका है... मैं अकेली रहती हूँ।"

    तेजस थोड़ी देर चुप रहा। फिर बोला —
    "वैसे तो ये आपका फैमिली मैटर है...
    मगर क्या आपका बेटा कभी अपने पापा को याद करता है?"

    इस बार तपस्या कुछ बोलती उससे पहले ही मनदीप बोल पड़ा —

    "उसने कभी अपने पिता को देखा ही नहीं।
    कैसे याद करेगा?"

    तेजस अवाक रह गया।


    ---

    नीता ने आगे की कहानी बतानी शुरू की —
    "हम दोनों कॉलेज की फ्रेंड्स हैं।
    मेरी शादी के बाद जब मैं दिल्ली शिफ्ट हुई, तब तपस्या मुंबई में जॉब कर रही थी।
    एक दिन अचानक वह मुझसे मिलने आई और बोली — 'जॉब चाहिए।'
    मैंने उसे अपनी पीए बना लिया। उस वक़्त वह प्रेग्नेंट थी।
    मैंने बहुत कहा कि अबॉर्शन करवा दो... या अपने हस्बैंड से बात कर लो...
    मगर वह नहीं मानी।"

    "अकेले ही सब कुछ संभाला।
    बिना किसी की मदद के।
    अब मेरे ऑफिस की जान है वो।"

    तेजस चुपचाप तपन को अपने गोद में बैठाकर उसकी आँखों में झांकता रहा।


    ---

    "वैसे ये सारी बातें किसी को नहीं बताईं गईं।
    आप पहले हैं जिसने इतना कुछ जानने की कोशिश की है..."
    नीता ने कहा।

    थोड़ी देर और बीती, तेजस तपन के साथ खेलता रहा।

    फिर धीरे से बोला —
    "मुझे निकलना होगा... खाना लगवा दीजिए।"

    नीता रसोई की ओर चली गई।


    ---

    तपस्या वहाँ से उठकर जाने लगी —
    उसे लग रहा था कि वो जितना रुकती, बातें उतनी खुलती जातीं।
    मगर बहुत कुछ तो खुल ही चुका था।

    उसके जाने के बाद नीता वापस आई और हँसते हुए बोली —
    "आपको तपस्या में कुछ ज़्यादा ही इंट्रेस्ट लग रहा है..."

    तेजस ने उसकी बात को काटते हुए कहा —
    "मैं उससे शादी करना चाहता हूँ..."

    "क्या!"
    नीता और मनदीप एकसाथ बोले।

    "मैं सीरियस हूँ।
    तपन और तपस्या — दोनों को स्वीकार करता हूँ।
    मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वह सिंगल मदर है।"

    नीता हक्की-बक्की रह गई।

    "आपको पता है न, कई लोग पहले भी उसे प्रपोज कर चुके हैं?
    एक तो तलाकशुदा था, बच्चा भी था उसके पास।
    मगर तपस्या किसी को अपने बेटे का बाप बनने नहीं देना चाहती।
    उसके लिए वह खुद ही माँ और बाप दोनों है।"

    मनदीप ने नीता की बात काटी —
    "मगर तेजस बाकी लोगों से अलग है।
    और अगर वो कह रहा है, तो मुझे पूरा यकीन है —
    वो अपने इरादे में साफ है।"


    ---

    तेजस उठकर खड़ा हुआ —
    "मैं सुबह निकलने से पहले, इसी घर में —
    तपस्या को प्रपोज करूंगा।
    अब सब आप पर है कि आप उसे कैसे मनाते हैं।"

    नीता थोड़ी घबराई, मगर तैयार हो गई।


    ---

    वो तपस्या को बुलाने गई।
    "दीदी कुछ चाहिए था?"
    "हाँ, बस एक मिनट बैठोगी हमारे साथ..."

    तपस्या ड्रॉइंग रूम में लौटी, चेहरे पर हल्का संदेह।

    "क्या हुआ?"

    और तभी...

    तेजस उसके सामने घुटनों पर बैठ गया।

    "तपस्या...
    तुम मुझसे शादी करोगी?"


    ---


    अगर इस सीन ने आपका दिल छुआ हो, अगर तेजस का प्यार सच्चा लगा हो, अगर तपस्या की मजबूरी ने आपको भावुक किया हो, तो कमेंट में जरूर बताएं।
    आपकी राय, रेटिंग और स्टिकर ही मेरी प्रेरणा हैं।


    ---

    📝

  • 17. मिले ना मिले हम - Chapter 17

    Words: 963

    Estimated Reading Time: 6 min

    तेजस के आते ही वह उसके सामने घुटनों पर बैठ गया और बोला, "तपस्या, मुझसे शादी करोगी? Please marry me..."

    तपस्या हैरान-परेशान होकर इधर-उधर देखने लगी। उसे इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था। यह बात उसके लिए बेहद चौंकाने वाली थी।

    "आप क्या कह रहे हैं? आप ऐसा क्यों बोल रहे हैं?" वह परेशान स्वर में बोली।

    "वही जो तुम सुन रही हो। मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ।"

    "नहीं, मुझे शादी नहीं करनी है। सिर्फ़ आपसे ही नहीं, बल्कि किसी से भी नहीं। मैं अपने बेटे के साथ अपनी ज़िंदगी में बहुत खुश हूँ।" तपस्या ने कहा और बाहर जाने लगी।

    तेजस ने उसका हाथ पकड़ लिया।

    "क्या प्रॉब्लम है मुझसे शादी करने में? तुम्हारा तलाक हो चुका है, तो तुम मुझसे शादी कर सकती हो।"

    "प्लीज़, मुझे मेरी ज़िंदगी है और मुझे शादी करनी है या नहीं, यह मेरा फ़ैसला होगा।" वह तेजस से हाथ छुड़ाते हुए कमरे से बाहर चली गई। उसे उस आदमी से डर लग रहा था क्योंकि वह उसके बारे में सब जानती थी।

    अब कमरे में तेजस, नीता और मनदीप रह गए थे।

    "उसे कैसे भी मेरे साथ शादी के लिए मनाओ। याद रखो, अगर वह शादी के लिए नहीं मानी तो तुम लोगों का बिज़नेस भी नहीं रहेगा। अगर वह शादी के लिए मान जाती है तो तुम्हें बहुत बड़ी डील मिलेगी, जिससे तुम्हारा सारा लोन उतर जाएगा। वरना सोच लो, दिवालिया हो जाओगे तुम लोग।" तेजस ने अपने ब्लेज़र की जेब में हाथ डाले हुए कहा।

    उसकी बात सुनकर नीता और मनदीप एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे।

    "मगर सर, शादी के लिए वह नहीं मान रही। आप हमें क्यों धमका रहे हैं? इसमें हमारी क्या गलती है?"

    "...क्योंकि वह तुम दोनों की हर बात मानती है। उसे मनाओ कि वह मुझसे शादी कर ले। समझाओ उसे तुम लोग।" वह धमकी देते हुए ड्राइंग रूम से बाहर जाने लगा।

    "सुबह तक का टाइम है तुम लोगों के पास।" तेजस जाते हुए बोला। वह वहाँ से चला गया। नीता और मनदीप अपना सिर पकड़कर बैठ गए।

    "यह क्या हो गया? नीता, यह आदमी हमें डरा रहा है। मैं नहीं डरता किसी से।" मनदीप ने कहा। "कर्ज़ की किश्तें हम लोग सही समय पर भरते हैं और हमने कौन सा कर्ज़ इससे लिया है? जिसने हमें कर्ज़ दिया है, वह हमें अच्छे से जानता है। हम उसे पैसे का ब्याज भी देते हैं, इसलिए वह हमें कर्ज़ देता है।" मनदीप ने कहा।

    "नहीं, मुझे डर लग रहा है इस आदमी से। इस आदमी का दिमाग थोड़ा सा खिसका हुआ है।" वह दोनों अपना सिर पकड़कर बैठे थे। तपस्या ने जब देखा कि तेजस चला गया है तो वह ड्राइंग रूम में आ गई।

    "आप लोग ऐसे क्यों बैठे हैं? क्या हुआ?"

    "वही जो नहीं होना चाहिए था।"

    "क्यों दीदी? क्या हुआ?"

    "तेजस हमें धमकी देकर गया है कि अगर तुम उसके साथ शादी नहीं करोगी, तो वह हमारा बिज़नेस बर्बाद कर देगा, हमें सड़क पर ला देगा।"

    "यह बात गलत है। वह ऐसा नहीं कर सकता।" तपस्या ने कहा।

    "बिल्कुल गलत है। मैं नहीं डरता। साथ ही, ऐसे आदमी से शादी करना सीधे-सीधे अपनी ज़िंदगी बर्बाद करना है। चलो सोचते हैं कि क्या किया जाए। तुम डरो मत तपस्या, हम तुम्हारे साथ हैं। ऐसे नहीं डरने वाले हम उससे..." मनदीप ने कहा।

    वे तीनों परेशान थे, जो हो रहा था, यह बात उन्होंने सोची भी नहीं थी। फिर उन तीनों ने खाना नहीं खाया। तपस्या तपन को लेकर अपने गेस्ट हाउस में चली गई और वह दोनों अपने कमरे में जाने लगे। तकरीबन डेढ़ घंटे बाद मनदीप के फ़ोन पर किसी का फ़ोन आया। उससे बात करने के बाद वह बोला,

    "यह आदमी हमें बर्बाद करके छोड़ेगा।"

    "क्यों? क्या हुआ? किसका फ़ोन था?" नीता पूछने लगी।

    "हमने जिस आदमी से इस घर और अपने शेयर्स को गिरवी रखकर पैसे लिए थे, तेजस ने उस आदमी से दुगुने पैसे देकर यह घर और हमारे शेयर खरीद लिए हैं। अब अगर हम लोगों ने तपस्या को शादी के लिए नहीं मनाया तो वह हमें बर्बाद कर देगा, हमें इस घर से भी निकाल देगा और हमारे बिज़नेस में इंटरफ़ेरेंस करेगा, क्योंकि उसके पास 49% शेयर्स हैं।" मनदीप ने कहा।

    नीता ने तपस्या को फ़ोन लगाकर अपने पास बुला लिया था। अब पूरी बात सुनने के बाद तपस्या बोली,

    "...मैं शादी के लिए तैयार हूँ। आप लोगों ने मुझे बुरे समय पर सहारा दिया। मैं आपकी बर्बादी का कारण नहीं बन सकती। देखा जाएगा जो मेरे साथ होगा।"

    "...मैं सच कहता हूँ, हम लोग ऐसा नहीं चाहते थे, मगर हमारे पास कोई रास्ता ही नहीं रहा। इसलिए हम तुम्हें उससे शादी करने को कह रहे हैं, क्योंकि वरना हम सड़क पर आ जाएंगे।"

    "...कह दो उससे फ़ोन करके कि मैं उसके साथ शादी के लिए तैयार हूँ।"

    नीता ने तेजस को फ़ोन लगाया।

    "ठीक है सर, तपस्या तैयार है आपसे शादी के लिए।" उसने बोला।

    "मेरी तपस्या से बात कराओ।"

    नीता ने फ़ोन तपस्या को पकड़ा दिया।

    "हम लोग सुबह पहले कोर्ट में और फिर मंदिर में शादी कर रहे हैं। सुबह तुम्हारे पास शादी के कपड़े और गहने पहुँच जाएँगे। तुम समय पर तैयार हो जाना। बाकी तुम्हें मेरे बारे में तो पता ही है, जो बाद में सोच लेता हूँ उसे पूरा करके ही रहता हूँ..." उसने तपस्या से कहा।

    "ठीक है।" उसने धीरे से कहा। आज उसकी ज़िंदगी ऐसे बदल जाएगी, उसने सोचा नहीं था।

    "सचमुच तुम बहुत बुरे हो तेजस, मैं ज़िंदगी में तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहती थी।" तपस्या पूरी रात रोती रही। उसे अपने बेटे का भी फ़िक्र हो रहा था। ऐसे आदमी का पता नहीं था कि वह उसके बच्चे के साथ कैसे बर्ताव करेगा और तपस्या को अभी तक वह रात नहीं भूली थी, कैसे उस रात उसके साथ वह निर्दयी हुआ था। उसे उस आदमी से डर लग रहा था। वह रात वह कभी नहीं भूल सकी थी।

  • 18. मिले ना मिले हम - Chapter 18

    Words: 968

    Estimated Reading Time: 6 min

    और तपस्या पूरी रात रोती रही। उसे अपने बेटे की भी फिक्र हो रही थी। ऐसे आदमी का पता नहीं उसके बच्चे के साथ कैसे व्यवहार करेगा। तपस्या को अभी तक वह रात भी नहीं भूली थी, कैसे रात वह उसके साथ क्रूर हुआ था। उसे उस आदमी से डर लग रहा था। वह उसके साथ जीवन में फिर कभी रात नहीं बिताना चाहती थी।

    सुबह होते ही तेजस ने उसके लिए एक शादी का जोड़ा भेज दिया था और साथ में तपस्या का मेकअप करने के लिए एक मेकअप आर्टिस्ट भी। वह चुपचाप तैयार हो गई थी। वह जानती थी अब उसके पास कोई रास्ता नहीं है। कोई नहीं है जो उसकी मदद कर सके। जो लोग उसकी अब तक मदद कर रहे थे, उनको वह बर्बाद करने की धमकी दे रहा था। वह उनकी बर्बादी का कारण नहीं बन सकती थी।

    अगर बात उसकी होती, तो शायद वह अपने बेटे को लेकर कहीं गायब हो जाती। कोई उसे खोजकर नहीं ला सकता था। मगर नीता और मनदीप, उन दोनों का तो कोई कसूर नहीं था। उन दोनों ने तो उसे रहने के लिए घर दिया, नौकरी दी। तो आज वह उनको मुसीबत में छोड़कर नहीं जा सकती थी। उसे तेजस के बारे में हर बात पता थी। उसने तेजस के ऑफिस में काम किया था।

    “उसे पता था कि वह कितना जिद्दी आदमी है, उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता है, उसकी जिद की कीमत वो चुकाने वाले थे।” वह चुपचाप तैयार हो गई थी। तेजस खुद तपस्या लेने आया था। तपस्या के साथ-साथ नीता और मनदीप भी उसके साथ ही थे क्योंकि कोर्ट में दो गवाह चाहिए थे। कोर्ट में शादी होने के बाद वे सभी मंदिर चले गए। मंदिर में फेरे हुए थे। तेजस ने तपस्या की मांग में सिंदूर भर दिया था और गले में मंगलसूत्र पहनाया।

    मंदिर में फेरों के बाद तेजस ने नीता और मनदीप से कहा, “और तुम दोनों के जो चेहरे हैं ना, इन्हें ठीक करो और तपस्या से भी कहो ऐसे चेहरा लेकर मेरे मॉम-डैड के सामने नहीं जाना है। वरना वे कहेंगे कि मैं इसे उठाकर लाया हूँ।” तेजस नीता और मनदीप से कह रहा था।

    नीता ने धीरे से तपस्या को समझा दिया था कि अपना चेहरा ठीक रखे। शादी होने के बाद उनको एयरपोर्ट की तरफ जाना था।

    “आप दोनों को हम लोग घर छोड़ देते हैं... वहीं से तपन को साथ ले लेंगे...” तेजस ने नीता और मनदीप से कहा। तेजस की बात सुनकर तपस्या की जान में जान आई थी। अब तक उसका ध्यान तपन पर ही था। वे सभी लोग नीता और मनदीप के घर की तरफ जाने लगे। तपन में उसकी जान थी।

    “तुम गाड़ी में बैठो... मैं तपन को लेकर आता हूँ...” तेजस ने कहा।

    “मगर कपड़े-सामान भी उठाना है... मेरा और तपन का...” तपस्या ने कहा।

    “तुमने पैक तो कर दिया है ना... मैंने तुम्हें रात को कह दिया था... कि अपना सामान पैक कर लो...” तेजस ने कहा।

    तेजस ने गाड़ियों में सामान रखवा दिया था। फिर वह तपन के पास गया। “चलो बेटा चले...” तेजस ने तपन से कहा।

    “अंकल आपके साथ... मेरी माँ गुस्सा होगी... ऐसे किसी के साथ नहीं जाते... इसलिए मैं आपके साथ नहीं जा सकता...” उसने कहा।

    “बेटा, मैं अंकल नहीं, डैड हूँ तुम्हारा... मुझे डैड कहो...”

    उसकी बात सुनकर तपन मुस्कुरा कर देखने लगा। “सचमुच... मैं आपको डैड कह सकता हूँ...” तपन तेजस की बात सुनकर बहुत खुश हो गया था।

    “हाँ बेटा, बिल्कुल... चाहो तो मॉम से पूछ लो... वो गाड़ी में है...”

    तपन तेजस के साथ आ गया था। वह गाड़ी में बैठते ही अपनी मॉम से बोला, “...मॉम... अंकल कह रहे हैं... मैं उन्हें डैड कह सकता हूँ... कह दूँ क्या...”

    तपस्या ने सिर हिला दिया। “ठीक है बेटा... कह दो...” तपस्या ने धीरे से कहा। तपन तेजस की गोद में बैठ गया। “और हाँ तपस्या, घर में किसी को भी सच मत बताना... सबसे यही कहना है तपन मेरा बेटा है...”

    “ठीक है...” तपस्या ने कहा।

    तपस्या जानती थी कि उसके पास और कोई चारा नहीं है। “मालूम नहीं यह आदमी कितना झूठ बोलता है... अपने घरवालों से क्या-क्या झूठ बोलेगा... आखिर मुझ में इसे इतना इंटरेस्ट क्यों है... ऐसी कौन सी लड़कियों की कमी है... हर लड़की के साथ शादी के लिए तैयार है...”

    वे लोग दिल्ली से अपने शहर पहुँच गए थे। वहाँ पहुँचते ही तेजस ने तपस्या से कहा, “तुम्हारे चेहरे पर वह खुशी होनी चाहिए... जो नई दुल्हन के चेहरे पर होती है... मेरे घरवालों को ऐसा ना लगे कि मैं तुमसे जबरदस्ती शादी की है... इसलिए जरा फेस पर स्माइल लेकर और थोड़ा सा मुस्कुराओ... जो मैंने तुम्हें बताया था... वह याद है ना तुम्हें... वही कहना है... तपन मेरा बेटा है... कई साल पहले हम दोनों का अफेयर था... और फिर किसी वजह से हम दोनों अलग हो गए थे... और आज फिर मिले हैं... एक दूसरे से... वहाँ पर कुछ भी और कहने की जरूरत नहीं है... वैसे भी हमारी कानूनी शादी हो चुकी है... और तुम्हें मेरे बारे में पता है... ज्यादा समझाने की जरूरत नहीं है... जो चीज मुझे चाहिए... उसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ... किसी भी हद तक जा सकता हूँ...” तेजस ने उसे ऊँची आवाज में कहा।

    “ठीक है...” तपस्या बोली।

    “मुझे सुनाई नहीं दे रहा... तुमने क्या कहा... जरा ऊँचा बोलो...”

    “ठीक है...” तपस्या फिर बोली।

    “हाँ, वहाँ पर भी तुम्हारी ऐसी ही आवाज होनी चाहिए... मेरे घरवालों के सामने...”

    “क्या आपने बता दिया कि हम लोग शादी करके आ रहे हैं...”

    “नहीं, जब वे तुम्हें मेरे साथ देखेंगे, उन्हें तभी पता चलेगा...”

    “मगर क्या वे मुझे स्वीकार करेंगे...”

    “बिल्कुल करेंगे और बहुत खुशी से करेंगे...” तेजस ने कहा।

    वह अपने मन में सोच रही थी, “वे भी इससे डरते होंगे... अगर इसके घरवाले भी इसके ही जैसे हुए... तो पता नहीं मेरा क्या होगा...”

    आगे क्या होगा तपस्या के साथ?

  • 19. मिले ना मिले हम - Chapter 19

    Words: 998

    Estimated Reading Time: 6 min

    तपस्या अपने मन में सोच रही थी, “वह डरते होंगे। अगर इसके घर वाले भी इसके जैसे हुए तो पता नहीं मेरा क्या होगा…” उसे अपने से ज़्यादा अपने बेटे की चिंता हो रही थी।

    “नहीं तपस्या, तुम ऐसे अपनी ज़िन्दगी नहीं गुज़ार सकती। तुम अकेली नहीं हो, तुम्हारा बेटा भी तुम्हारे साथ है। चाहे शादी तुमने नीता और मनदीप के बिज़नेस को बचाने के लिए कर ली है, मगर तुम उसकी गुलाम नहीं हो। अगर तुम इसकी हर बात चुपचाप मान गईं, तो यह तुम्हारी ज़िन्दगी नरक बना देगा। अपने आप को तुम्हें खुद ही बचाना पड़ेगा। कोई तुम्हारी मदद करने नहीं आएगा; इसलिए तुम्हें खुद को मज़बूत बनाना होगा। और अगर इसने तुमसे सही तरीके से बात नहीं की और मेरे साथ गलत व्यवहार किया, तो तुम्हें आवाज़ उठानी पड़ेगी। अगर ज़रूरत पड़ी, तो तुम पुलिस के पास भी जाओगी।”

    तपस्या ने सोच लिया था कि वह अपने लिए लड़ेगी। इसके आगे हार नहीं मानेगी। उसकी हर बात का मुँहतोड़ जवाब देगी। “तेजस के मन में वही रात वाली तपस्या होगी, जिसके साथ इसने पूरी रात मनमानी की थी। मगर इसे नहीं पता कि उस वक़्त मेरी क्या मजबूरी थी। अब इसे मैं मनमानी नहीं करने दूँगी अपने साथ। कैसे भी जवाब देना है। मैं इसे अपने आप को हाथ भी नहीं लगाने दूँगी… कुछ नहीं करने दूँगी मैं अपने साथ…” उसने सोच लिया था।

    “चलो तपस्या, नीचे उतरों। घर आ गया है,” तेजस ने कहा। वे घर पहुँच गए थे। तपस्या अपने ख़यालों में खोई हुई थी; उसे इस बात का ध्यान ही नहीं रहा। उसका ध्यान तब टूटा जब तेजस ने दरवाज़ा खोलकर कहा, “बीवी, अब नीचे उतरों। हमारा घर आ गया है।” तपस्या ने उसकी आवाज़ सुनकर पहले तेजस की तरफ़ देखा, फिर अपनी दूसरी तरफ़ देखा तो तपन भी उतर चुका था। “मॉम, नीचे उतर जाओ। अब आ जाओ। हमारा घर आ गया है।”

    जिस हक़ से तपन बोल रहा था, उससे तपस्या को डर लगा। “कहीं इसके घर वालों ने मेरे बच्चे के साथ ठीक व्यवहार नहीं किया, तो इसका दिल टूट जाएगा…” उसे अपने से ज़्यादा अपने बेटे की चिंता हो रही थी।

    तेजस ने तपन को अपनी गोद में उठा लिया और तपस्या का हाथ पकड़े हुए वह अंदर चला गया। मिसेज़ खन्ना, तेजस की माँ, हाल में ही बैठी हुई थीं। वो उसे देखकर हैरान हो गईं। “यह क्या है बेटा?” उन्होंने हैरानी से कहा।

    “मॉम, मैंने शादी कर ली है,” उसने तपस्या की तरफ़ देखा जो शादी के जोड़े में थी। “मगर तुम्हारी शादी तो मीनल से होने वाली थी। तुम ऐसा कैसे कर सकते हो?” “मॉम, असल में क्या है कि…” इससे पहले तेजस बोलता, उसकी माँ ने पूछा, “और जो बच्चा है, वो कौन है?” “मॉम, इसी की वजह से तो मैंने शादी की है। यह मेरा बेटा है। ”

    इससे पहले कि उसकी माँ बोलती, उसके पिता, जो बाहर कहीं गए थे, आ गए। “हाँ, शक्ल से ही लग रहा है। बचपन में यह भी बिल्कुल ऐसा ही था।” उसके पिता की बात सुनकर उसकी माँ सर पटककर बैठ गई।

    “तुम क्यों ऐसे बैठ गईं?” उसके पिता ने पूछा। “इसका बच्चा था और हमें पता ही नहीं था। मालूम नहीं कितना कुछ छुपाता है। हम तो कब से कह रहे हैं, अगर कोई लड़की पसंद है, तो हमें बताओ। हम वहीं पर तुम्हारी शादी कर देंगे। मीनल से मंगनी भी पूछकर ही की थी…” “पहले बच्चों को बैठने को तो कहो, फिर बात करना। बच्चे कितनी देर से खड़े हैं…” मिस्टर खन्ना बोले।

    “बहू का गृह प्रवेश होगा। इसने तो शादी कर ली अकेले, हमें बताना भी ज़रूरी नहीं समझा। मगर हम थोड़ी इसके जैसे हैं। आजकल के बच्चों को तो रस्मों-रिवाजों की समझ नहीं है। हम माँ-बाप तो बेवकूफ़ लगते हैं… तुम दोनों बाहर चलो,” उसकी माँ गुस्से से ऊँची आवाज़ में बोली और साथ ही वो नैना को आवाज़ लगाने लगी।

    मिसेज़ खन्ना की आवाज़ सुनकर नैना और राजवीर दोनों जल्दी से नीचे आ गए। सामने तेजस और तपस्या को देखकर नैना बोली, “भाई, आपने शादी कर ली और हमें इनवाइट भी नहीं किया? आपने अकेले-अकेले शादी कर ली, हमें बताया भी नहीं। मुझे अभी आपकी शादी में, आपकी बारात में जाना था।” “इनको तो मैंने कहीं देखा है, मगर याद नहीं आ रहा,” राजवीर ने कहा।

    “आज से छः साल पहले मेरी पर्सनल सेक्रेटरी हुआ करती थी। तो आपका तब से अफ़ेयर था? तो जब मॉम-डैड आपसे कहते थे कि बता दो कोई लड़की है, फिर ही तो मीनल से आपकी सगाई हुई थी। तब तो आप कहते थे कि आपकी लाइफ में कोई नहीं।” “पहले तो तुम दोनों बाहर चलो। मैं फिर बात करूँगी।” और तेजस और तपस्या बाहर चले गए। तेजस की माँ ने पूरी रस्मों के साथ तपस्या का गृह प्रवेश करवाया।

    “मेरा पोता घर में पहली बार आ रहा है। ऐसे थोड़ी ना होता है। पहले उसकी नज़र उतरती हूँ।” उसकी माँ तब उनकी नज़र उतारती है। “आप कौन हैं?” तपन ने उनसे पूछा।

    “मैं तुम्हारे बेशर्म पापा की माँ हूँ, जिससे वो कुछ पूछना भी ज़रूरी नहीं समझता,” मिसेज़ खन्ना ने गुस्से से जवाब दिया। “अब इस बच्चे को क्यों गुस्से से बोल रही हो? कितना प्यारा बच्चा है…” मिस्टर खन्ना बोले। मिस्टर खन्ना ने तपन को अपनी गोद में उठा लिया था।

    “अगर मेरे पोते का मसला ना होता ना, तो मैं तुम दोनों को कभी घर में नहीं आने देती…” उसकी माँ अभी भी गुस्से में थी। “मेरी बात तो सुनो,” तेजस अपनी माँ से कहने लगा। “पहले बैठो, अंदर जाकर,” मिसेज़ खन्ना कहने लगीं। तपस्या और तेजस सोफ़े पर आकर बैठ गए थे। “अब बताओ तुम दोनों, तुम दोनों ने कैसे शादी की और तुमने मेरे पोते के बारे में मुझे पहले क्यों नहीं बताया?” राजवीर, नैना, मिस्टर खन्ना और मिसेज़ खन्ना सभी उनके पास आकर बैठ गए थे।

    तपन को मिस्टर खन्ना ने अपनी गोद में बैठा लिया था। तेजस ने तपस्या की तरफ़ देखा। वह थोड़ी कन्फ़्यूज़्ड थी। तेजस ने उन्हें बताना शुरू किया।

    अब तेजस क्या कहानी बनाकर बताएगा अपनी फैमिली को? आगे तपस्या के साथ क्या होने वाला है?

  • 20. मिले ना मिले हम - Chapter 20

    Words: 1032

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    तपन को मिस्टर खन्ना ने अपनी गोद में बिठा लिया। तेजस ने तपस्या की ओर देखा जो थोड़ी सी उलझन में दिख रही थी। तेजस का सारा ध्यान तपस्या पर ही केंद्रित था।

    "..हाँ, बताओ.. बहू की ओर क्या देख रहे हो..," मिसेज खन्ना ने तेजस से कहा।

    "..मॉम, ऐसा है, कई साल पहले तपस्या मेरे ऑफिस में काम करती थी.. मेरी असिस्टेंट थी.."

    "..मगर तुम्हारा असिस्टेंट तो राहुल है.. वह कितने सालों से तुम्हारे साथ काम कर रहा है.." मिस्टर खन्ना बोले।

    "..मेरा काम बहुत बढ़ गया था.. अकेले राहुल से संभालना मुश्किल हो रहा था.. तो राहुल ने कहा कि एक और असिस्टेंट चाहिए.. उस वक्त तपस्या को नियुक्त किया गया... फिर धीरे-धीरे हम दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगे थे.. उस समय मेरी आदतें कैसी थीं... आपको पता ही है.. मेरी वो सब आदतें तपस्या को पसंद नहीं आईं.. तो मेरी उन हरकतों की वजह से तपस्या मुझसे दूर हो गई... उस वक्त तपन मेरे पेट में था... यह बात मुझे नहीं पता थी.. आज इतने सालों बाद तपस्या मुझे दिल्ली में मिली.. और मुझे पता चला कि तपन मेरा बेटा है.. तो हम दोनों ने शादी कर ली... बस इतनी सी बात है..."

    "..इस बात को तुम इतनी सी कह रहे हो.. अगर तुम दोनों को शादी करनी थी तो घर पर आ सकते थे.. हम लोग दिल्ली आ जाते हैं.." मिस्टर खन्ना बोले।

    "..ऐसे अकेले शादी क्यों की.."

    "..बस, एकदम मेरे दिमाग में आया कि मुझे शादी कर लेनी चाहिए.. तो हमने कर ली.."

    "..चलो, अच्छी बात है। मेरा पोता अपने घर आ गया..." मिसेज खन्ना ने कहा।

    "..मगर यह गलत बात है... मुझे पसंद नहीं आई..." नैना बोली। सभी उसकी ओर देखने लगे।

    "...तुम्हें क्या परेशानी है इस शादी से..." राजवीर ने नैना से पूछा। वह उसकी बात से परेशान हो गया था।

    "...मुझे बारात जाना था.. शादी में भांगड़ा डालना था.. मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट, इंस्टाग्राम, फेसबुक पर अपनी फोटो डालनी थी.. ऐसे चुपचाप शादी कौन करता है.. घर में कितने प्रोग्राम होते.. मेहंदी लगती.. कितना मज़ा आता..."

    "..अब वापस आ जाओ नैना.. शादी हो चुकी है।" राजवीर नैना से बोला।

    "..शादी हुई है... रिसेप्शन नहीं हुआ अभी.." मिसेज खन्ना ने कहा।

    "..तो हम लोग रिसेप्शन रख लेते हैं.." तेजस बोला।

    "..अब तुम्हें बीच में बोलने की कोई ज़रूरत नहीं है.. हमें पता है तुम हमेशा अपनी मनमानी करते हो.. मगर इस बार तुम्हारी एक नहीं चलने वाली.. वैसा ही होगा जैसा मैं चाहूँगी.. समझे तुम..." मिसेज खन्ना अभी भी गुस्से में थीं।

    "..मॉम, गुस्सा छोड़ो। अब आपको किस बात का गुस्सा है.." तेजस उठकर अपनी माँ के पास बैठ गया।

    "...मुझे इस बात का गुस्सा है.. तुम हम लोगों को दिल्ली बुला सकते थे.. अगर तुमको शादी करनी ही थी..."

    "...यह बात सही है... हम इनकी फिर से शादी कर देते..." नैना बीच में फिर बोली।

    "...देखो नैना, तुम्हारी डिमांड थी कि तुम्हें एक जेठानी चाहिए.. जो जिससे तुम लड़ाई कर सको.. जो तुम्हारे बनाए खाने में नमक-मिर्च डालकर तुम्हारा खाना खराब कर सके.. और तुम्हें ताने दे.. तो वह तुम्हें ला दी है.. अब तुम कुछ मत बोलो.." तेजस नैना से कहने लगा।

    "..अब मामला छोड़ो इस बात को.. भाई ने शादी कर ली है.. शादी हो चुकी.. और वैसे भी भाई का फ़ैसला शायद ठीक था.. क्योंकि जब भाई को अपने बेटे के बारे में पता चला होगा.. तो भाई का सही डिसीज़न था कि वह तपस्या से शादी कर ले.. अब आप भाई से कुछ मत कहो... और वैसे भी अब छोड़ो इस बात को, फ़ैसला हो चुका है.. अब भाई और तपस्या की ग्रैंड पार्टी रखेंगे..." सभी इस बात के लिए मान गए थे और सभी का मूड भी ठीक था।

    पूरा परिवार तपन से इतने प्यार से मिल रहा था। सभी बैठकर बातें कर रहे थे।

    "...सचमुच ये लोग इतने अच्छे हैं... तभी तेजस बिगड़ गया है.. पूरी फैमिली में शादी करके आए हैं मेरे साथ और साथ में एक बच्चा भी है.. और किसी को कोई फ़र्क नहीं पड़ा.. इस वक्त पूरे परिवार की सबसे बड़ी समस्या है कि हमने अकेले शादी की.. उनकी यह समस्या नहीं है कि ऐसा काम ही क्यों किया कि इसका इतना बड़ा बेटा है.. सचमुच ये लोग बहुत अच्छे हैं.. इन्होंने मेरे बेटे को इतनी आसानी से अपना लिया.. और मुझे भी... मुझे लगता है तेजस इनका बेटा नहीं है... इन्होंने कहीं से उठाया है..." तपस्या उन सभी को देखकर सोच रही थी।

    "..बेटा, तुम मत घबराओ, तुम्हें कोई कुछ नहीं करेगा... सारी गलती तो इसकी है, इसमें तुम्हारी क्या गलती..." तपस्या को सोचता देखकर मिस्टर खन्ना तपस्या से बोले।

    "..हाँ, जो भी सज़ा मिलेगी वह तो भाई को मिलेगी..." राजवीर बोला।

    "..वैसे भाई, मुझे आपसे बात करनी है..."

    "..हाँ, कहो..."

    "..कहाँ? नहीं, अकेले में..." राजवीर ने धीरे से कहा।

    मिसेज खन्ना वहाँ से उठकर जाने लगीं।

    "..माँ, आप कहाँ जा रही हैं..." तेजस बोला।

    "..मैं अभी आ रही हूँ.." उन्होंने मुस्कुराकर कहा। तब तक उन सभी के लिए चाय और स्नैक्स भी आ चुके थे, वे सब चाय पीने लगे थे। तपन भी चाय का कप उठाने लगा। नैना ने उससे चाय का कप पकड़ लिया।

    "..तुम्हारे लिए दूध आ रहा है.. बच्चे चाय नहीं पीते.."

    "..दीदी, क्या पिएगा.. मैं इसके लिए बर्नविटा वाला दूध ले आऊँ..." नैना किचन की ओर चली गई। थोड़ी देर बाद मिसेज खन्ना वापस आ गईं। उसके हाथ में सामान था। उसने आते ही अपने हाथ का सामान तपस्या को देते हुए कहा, "...बेटा, तुम घर में पहली बार आई हो तो तुम्हारे लिए यह तोहफ़ा है..."

    उन्होंने ज्वैलरी का बॉक्स तपस्या को दे दिया। तब तक नैना भी तेजस के लिए दूध लेकर आ गई।

    "..मेरी गोद में बैठो... मैं तुझे दूध पिला दूँ.." नैना बोली। तपन नैना की गोद में बैठ गया। तपन बहुत खुश था। तपस्या देख रही थी और पूरा परिवार उस पर इतना प्यार लुटा रहा था।

    "..अब तुम लोग थक गए होंगे.. दिल्ली से आए हो... ऐसा करो नैना, तपस्या को इसके रूम में छोड़ आओ..."

    "..नैना को ले जाने की क्या ज़रूरत है... भाई ही ले जाएँगे भाभी को रूम में..." राजवीर ने शरारत के साथ कहा। उसकी बात सुनकर तेजस ने उसकी ओर आँखें निकालकर देखा।

    "..चलो दीदी, मैं आपको भाई के रूम तक छोड़ दूँ..." तपस्या नैना के साथ तेजस के कमरे की ओर जाने लगी।