ये कहानी है ,धरा रायचंद और रीवांश ओबेरॉय की !धरा जो कि मासूम चुलबुली लड़की है ,जो कि आज बहुत खुश थी कि फाइनली उसकी शादी उसके प्यार कबीर रावत से होने वाली थी",पर शादी से एक दिन पहले धरा अपने प्यार कबीर को अपनी भाभी ज्योति के साथ देख कर उसका दिल पूरी... ये कहानी है ,धरा रायचंद और रीवांश ओबेरॉय की !धरा जो कि मासूम चुलबुली लड़की है ,जो कि आज बहुत खुश थी कि फाइनली उसकी शादी उसके प्यार कबीर रावत से होने वाली थी",पर शादी से एक दिन पहले धरा अपने प्यार कबीर को अपनी भाभी ज्योति के साथ देख कर उसका दिल पूरी तरह से टूट जाता है ,तभी उसकी ज़िंदगी में एंट्री होती है रिवांश ओबेरॉय की ओर वो जाने अंजाने में बीता लेती हैं एक रात देश के नामी बिजनेस मैन रिवांश ओबेरॉय के साथ !वहीं दूसरी तरफ है ,दुनिया का नंबर वन बिजनेस मैन रिवांश ओबेरॉय की !जो कि एक प्ले बॉय tpy का लड़का है जिसे लोगो को अपनी उग्लियो पर नचाना शौक है ,जिसकी हर शाम किसी लड़की की बाहों में गुजरती है, तो क्या रंग लायेगी धरा और रिवांश ओबेरॉय की ये एक रात की मुलाक़ात!जानने के लिए पढ़िए "Burning Desire",
धरा रायचंद
Heroine
Rivansh ओबेरॉय
Hero
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एक क्लब में काफ़ी शोर था ,वहीं उस क्लब का एक कोना ऐसा भी था , जहां एक सूई तक की आवाज़ नहीं आ रही थी ,तभी उस शांति की आवाज़ में एक कर्कश आवाज़ सुनाई दी , तो क्या सोचा है आपने मिस्टर आहूजा ,ये डील 45% में डन करते है ! मिस्टर आहूजा एक 50 साल का बूढ़ा आदमी था जिसकी तोंद निकली हुई थी ,वो अपनी आंखो में शैतानी लाते हुए अपनी मेंढ़क जैसी आवाज़ में बोला ",अब इतनी भी क्या जल्दी है मिस्टर ओबेरॉय ,अभी तो आप आए है ,देखिए ना ,ये शाम कितनी हसीन है ,अभी तो पूरी रात बाकी है , इतनी भी क्या जल्दी डील की पहले आप कुछ ड्रिंक की तो लीजिए और फ़िर एक लड़की को कुछ इशारा कर उसे उनकी तरफ़ बेज दिया !" मिस्टर आहूजा का इशारा पाते ही वो लड़की हाथो में ड्रिंक लिए मिस्टर ओबेरॉय की गोद में बैठ गई ,ओर अपनी सेक्सी आवाज़ में बोली ", अभी तो शाम हुई है ,मिस्टर आप कहो तो मैं पूरी रात आपकी शाम को रगीन बना सकती हूं,एक मौका देकर तो देखिए ऐसा बोल उसने उसके गले पर किस करना शुरू कर दिया !"मिस्टर ओबेरॉय कोई ओर नहीं रिवांश ओबेरॉय था ,देश का नामी बिज़नेस man ,दिखने में बिल्कुल किसी फ़िल्म के हीरो जैसे ," गोरा रंग बड़ी आंखे ,पतले लाल होठ ,ओर हाईट उसकी 6 फुट 7इंच थी , रिवांश भी कोई बच्चा नहीं था , जिसे मिस्टर आहूजा के इरादों का पता ना हो ,पर फ़िर भी अंजान बनते हुए ,उसने उस लड़की के बालो में अपने नाक को घुमाते हुए , कहा नाम क्या है तुम्हारा , वो लड़की रिवांश के ऐसे करने से उसके पेट में तो जैसे कोई तितलियों का झुंड उड़ रहा हो ,उसने अपनी शॉर्ट ड्रेस पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहा , तन्वी ! Nice name miss ,तन्वी ! ओर फिर मिस्टर आहूजा की तरफ़ देख उस लड़की को अपनी गोद में उठाया और अपनी दमदार आवाज़ में बोला, तो मिस्टर आहूजा सही कहा आपने अभी तो शाम भी है और जाम भी तो क्यों ना पहले मैं इस जाम को चख लूं , हां ...हां ..मिस्टर ओबेरॉय मैंने कोन सा आपको रोका है ,ये शाम ओर जाम आपके नाम ,रिवांश उनकी बातो में कोई इंटरेस्ट ना दिखाते हुए ,उस लड़की को क्लब में बने एक रूम में ले गया, ओर वहीं मिस्टर आहूजा डेविल स्माइल के साथ अपने अस्सिटेंट से बोले , तुम क्या कह रहे थे राजीव की मिस्टर ओबेरॉय को लड़कियों से नफ़रत है , हां! अगर नफ़रत थी तो ये क्या था , तो राजीव अपनी सहमी हुई आवाज में बोला , बॉस !मिस्टर ओबेरॉय कब क्या कर दे कोई नहीं जानता , वहीं रूम में रेवांश उस लड़की को बेड पर लेटा कर खुद उसके हाथों में अपने हाथो को इंटरवाइट करते हुए , अपनी मदहोश भरी आवाज़ में कहा ",तो ये तरीका निकाला है ,मिस्टर आहूजा ने हां ऐसा वो सिर्फ़ अपने मन में बोला , ओर फ़िर उसने तन्वी के होठ पर अपने होंठ रख दिए ,तन्वी भी रिवांश का पूरा साथ दे रही थी , पूरे रूम में बस उन दोनों की सिसकियों की आवाजें आ रही थी !" तन्वी रिवांश का नाम लेते हुए ,उसके बालो को अपने मुठ्ठी में लेते हुए मोक की आवाज़ में बोली ", मिस्टर ओबेरॉय आपसे बेहदर कोई नहीं हो सकता बेड पर !"I like it ,its लिटिल बिट painful but i like it , रिवांश अपने होठों में एक डेविल स्माइल लिए बोला ओर देखोगी भी नहीं डार्लिंग , पूरे 2 घंटे बाद जब तन्वी पसीने से लथपथ हो गई तो रिवांश उसके पर से उठते हुए , उसने एक नाइफ तन्वी की नेक पर रखते हुए कहा , बताओ मिस्टर आहूजा ने क्या कहा था तुमसे , पर तन्वी को लगा कि वो मज़ाक कर रहा होगा ,ओर उसने सीरियसली ना लेते हुए कुछ नहीं कहा , उसका कुछ ना बोलना , रिवांश के ego को hurt कर गया ,उसने नाइफ को हलके से उसके गले में दवा दिया ओर गुस्से से कहा , दो घंटे क्या तुम्हारे साथ बीता लिए तुम तो मेरी बीवी समझने लगी , हां !अब बोलती हो ,या नहीं ! तो तन्वी डरते हुए बोली ,मिस्टर ओबेरॉय मिस्टर आहूजा ने कहा , की आपको ड्रिंक में ड्रग्स डाल कर आपकी ओर अपनी कुछ प्राइवेट पिक्चरस निकालनी है , वो इन पिक्चर के थ्रू आपको ब्लैक मेल करते की आप इस डील में 55% की जगह 25% लेते और 75% मिस्टर आहूजा ! ओर फ़िर इन पिक्स को वो न्यूज़ में देते जिससे आपकी मार्केट वैल्यू डाउन होती ,उसकी बात सुन रिवांश शेतानों की तरह हसने लगा ,ओर फ़िर अपनी कठोर आवाज़ में बोला , तो ये तरीका निकाला है ,मिस्टर आहूजा ने ! चू चू कोई बात नहीं मिस्टर आहूजा, आपकी बात को सच साबित कर ही देता हूं मैं !" ऐसा बोल उसने तेज़ थार के साथ तन्वी के गले में वार किया ,जिससे तन्वी वहीं तड़प तड़प कर मर गई !" तन्वी के ख़ून के छिटे उनके फेस कर आ गिरे , रिवांश ने अपने रुमाल निकाल अपने फैस को साफ़ कर एक डेविल स्माइल लिए रूम से बाहर निकला !" तभी उसके सामने उसका PA ... राघव खड़ा था वो अपने डरते हुए आवाज़ में बोला ", बॉस !उसके कुछ बोलने से पहले रिवांश बिना भाव के बोला, क्लीन थिस मेस ! ओर फ़िर थोड़ा रुक कर बोला ,मिस्टर आहूजा को बर्बाद कर दो ! अगले 5min में उसकी बर्बादी की ख़बर मुझे मिलनी चाहिए ! ऐसा बोल वो मिस्टर आहूजा के पास पहुंच गया ओर फ़िर एक डरावनी विस्ल बजाते हुए बोला , तो मिस्टर आहूजा क्या सोचा अपने अब भी वही फैसला है क्या ऐसा बोल वो डेविल स्माइल लिए चेयर पर एक किंग के जैसे बैठ गया !"मिस्टर आहूजा फिर भी वही बात बोले ,अरे आप तो बस 2 घंटे में ही वापिस आ गए , तो रिवांश ने उन्हें एक तीरशी नज़रों से देखते हुए कहा , वो क्या है ,ना मिस्टर आहूजा मेरा सेटमिना आपके सेटमीना से कहीं ज्यादा है , तो अगर मैं पूरी रात आपकी मेहबूबा के साथ रहता तो ,.... आपको एक रात का वेट करना पड़ता जो की मैं देख नहीं सकता , मिस्टर आहूजा अपने डर को छुपाते हुए बोला , मिस्टर ओबेरॉय मिस तन्वी नज़र नहीं आई , तो रिवांश एक कुटिल मुस्कान के साथ बोला , वो अब नहीं आएगी कभी !तभी मिस्टर आहूजा के फोन में एक नोटिफकेशन आईं की उसकी कंपनी पूरी तरह से बर्बाद हो गई ओर फ़िर उन्हें ये न्यूज़ भी मिली कि तन्वी का मर्डर हो चुका है ", तो मिस्टर आहूजा गुस्से से बौखला गए ओर रिवांश की तरफ़ गुस्से से देख कर बोले मिस्टर ओबेरॉय , आप ऐसा कुछ नहीं कर सकते आप मुझे यूं बर्बाद नहीं कर सकते ,पर रिवांश ने एक फाइल उनके सामने रखते हुए कहा साइन इट! मिस्टर आहूजा ने जब वो फाइल देखी तो उन्होंने गुस्से से टेबल पर फेकते हुए कहा , तुमने मुझे क्या पागल समझ रखा है ,मै कोई साइन नहीं करूंगा भला मैं इस डील को 95%में कैसे दे दूं ओर अपनी कंपनी ओर घर बार सब कुछ आपके नाम दूं , पागल समझ रखा है क्या !" रिवांश ने अपनी नेक पर अपना हाथ घुमाते हुए अपने गुस्से को कंट्रोल कर रहा था पर जब उससे गुस्सा शांत नहीं हुआ तो एक गन निकाल , मिस्टर आहूजा के मुंह के पास रख गुस्से से बोला ",साइन इट ! मिस्टर आहूजा ने डरते हुए साइन किया तो रिवांश एक डरावनी आवाज़ में कहा , अब जब सब कुछ मेरे नाम हो गया है तो तुम्हारा क्या काम ! इससे पहले मिस्टर आहूजा कुछ समझ पाते , उससे पहले ही रिवांश ने उनके दिल ओर माथे पर गोली मार दी ओर शैतानो की तरह हस्ते हुए बोला , यही अंजाम होता है , रिवांश ओबेरॉय से उलझने का !" वहीं दूसरी तरफ एक छोटे से घर में एक लड़की जिसकी आंखे हलकी ब्राउन थी , ओर उसके होंठ गुलाबी थे ,गोरा रंग और भी हसीन बना रहा था उसने एक पर्पल कलर की सितारों जैसी शॉर्ट ड्रेस पहनी हुए थी !" जो कि उसके घुटनों तक आती थी तभी उसके रूम में एक 45 साल की औरत आईं ओर उस लड़की को समझते हुए बोली ,धरू बेटा !" वो कबीर आपके लिए सही नहीं है ,तू प्लीज़ उससे ये शादी मत कर ! पर वो लड़की जिसका नाम धरा था ,वो अपनी मम्मी की तरफ़ देख अपनी मम्मी के गालों पर किस करते हुए बोली , ओह फो मम्मी आप भी ना लो मेरी किसी कबीर से पहले आपको दी आप भी ना कबीर से ज्जेल्स फिल कर रहे हो कोई बात नहीं मम्मी मैं उससे भी जायदा आपसे प्यार करती हूं आप तो मेरी लाइफ हो , ऐसा बोल उसने अपने हाथो में वॉच पहनी ओर वहां से जल्दी से घीस्क गई , उसके जाते ही एक भूदी औरत जिसकी उम्र 65 साल की थी वो उसके कन्धे पर हाथ रख उस समझती हुई बोली ", जानवी बेटा !" तुम धरा को मत रोको , समय के साथ धरा को कबीर के बारे में भी सब पता चल जाएगा , तुम उसकी फिकर करना बंद कर दो मुझे मेरी ध्रू पर पूरा भरोसा है ,ऐसा बोल वो उसे छोड़ वहां से चली गई , उनके बाद धरा की मां जानवी अपनी उदास भरी आवाज़ में बोली ", काश मां , ऐसा ही हो ! क्योंकि मै नहीं चाहती ,जो मेरे साथ हुआ वो मेरी बेटी धरा के साथ हो , ऐसा कहते हुए उनकी वॉइस में एक नमी थी , वहीं धरा इन सब से अनजान खुशी से कूदते हुई कबीर से मिलने जा रही थी ,तभी वो जहां कबीर ने उसे क्लब में बुलाया वहीं गई तभी उसने कुछ ऐसा देखा जिससे उसके आंखो में आंसुओ कि धारा बहने लगी ओर वो धीरे से बडबडाते हुए बोली ऐसा नहीं हो सकता !तुम उसकी फिकर करना बंद कर दो मुझे मेरी ध्रू पर पूरा भरोसा है ,ऐसा बोल वो उसे छोड़ वहां से चली गई , उनके बाद धरा की मां जानवी अपनी उदास भरी आवाज़ में बोली ", काश मां , ऐसा ही हो ! क्योंकि मै नहीं चाहती ,जो मेरे साथ हुआ वो मेरी बेटी धरा के साथ हो , ऐसा कहते हुए उनकी वॉइस में एक नमी थी , वहीं धरा इन सब से अनजान खुशी से कूदते हुई कबीर से मिलने जा रही थी ,तभी वो जहां कबीर ने उसे क्लब में बुलाया वहीं गई तभी उसने कुछ ऐसा देखा जिससे उसके आंखो में एक नमी आ गई ! आखिर ऐसा क्या हुआ था धरा की मां के साथ ?ओर ऐसा क्या देखा धरा ने जिससे उसकी आंखो में आंसुओ कि धारा बहने लगी!
धरा जब कबीर से मिलने क्लब गई, तो पाया कि कबीर उसकी विधवा भाभी की बाहों में बाहें डालकर सोफ़े पर बैठा है।
ये देख धरा की आँखों से आँसू आने लगे, पर उसने खुद को शांत करते हुए धीरे से कहा,
"कबीर ऐसा नहीं कर सकता। ज़रूर कोई बात है। मेरा... मेरा... मेरा... कबीर ऐसा नहीं कर सकता!"
ऐसा बोलकर वह वहीं उनकी बातें छिपकर सुनने लगी।
तभी उसे एक आवाज़ सुनाई दी। ज्योति, उसकी भाभी ने धरा को देख लिया और जानबूझकर उसे दिखाने के लिए बोली,
"कबीर बेबी, तुम्हें नहीं लगता तुम्हें इस वक़्त धरा के साथ होना चाहिए?"
कबीर उसकी बात सुन मुँह बनाकर बोला,
"किसका नाम ले लिया तुमने मेरी जान! तुम्हें पता है, धरा को जब भी देखता हूँ तो मन करता है, ना उसकी जान ले लूँ। क्योंकि उसके और उसके भाई के कारण तुम्हें मुझसे दूर होना पड़ा।"
थोड़ा रुककर गुस्से से बोला,
"ज्योति डार्लिंग, कभी-कभी मुझे उस पर इतना गुस्सा आता है कि मन करता है उसे एक थप्पड़ मारूँ!"
"आख़िर उसकी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी ज्योति को मारने की!"
ज्योति उसकी बात सुन एक मकार भरी स्माइल के साथ बोली,
"हाँ, याद है मुझे उस धरा का थप्पड़ और उसकी गुज़ारिश। तभी मैंने फैसला किया था कि मैं उससे उसका सब कुछ छीन लूँगी। इसलिए तो उसके भाई को अपने प्यार के जाल में फँसाया और शादी की! फिर उसे मारकर उसकी प्रॉपर्टी अपने नाम कर दिया!"
कबीर भी उसकी बात सुन डेविल स्माइल लिए बोला,
"शादी तो उस धरा की होगी, पर सुहाग की सेज पर तुम होगी। और हाँ, ज्योति डार्लिंग, अब उस धरा से शादी करके मैं उसे मौत से भी ज़्यादा बदतर सज़ा दूँगा!"
"उसका वो हाल करूँगा कि वो तुम पर अपना हाथ उठाना तो दूर की बात, कभी नज़र भी नहीं मिला पाएगी तुम्हारे साथ!"
कबीर की बात सुन ज्योति रोने का ड्रामा करते हुए बोली,
"बेबी, तुम भूल तो नहीं जाओगे मुझे उस धरा से शादी करने के बाद? और क्या तुम धरा के साथ अपनी लाइफ़ खुशी से बिताओगे?"
कबीर मुँह बनाकर बोला,
"कैसी बात कर रही हो तुम ज्योति? मानता हूँ कि धरा से शादी मैं मज़बूरी में कर रहा हूँ, उसकी बची हुई प्रॉपर्टी के लिए। पर मैं इतना भी गिरा-गुज़रा नहीं हूँ कि उसकी प्रॉपर्टी के लिए अपनी ज्योति डार्लिंग को धोखा दूँ!"
"शादी के बाद मैं तो उसकी तरफ़ देखूँगा भी नहीं। और हाँ, उस घर में तुम रहोगी मेरे साथ, मेरी रानी बनकर। उस धरा को तो नौकरानी बनाऊँगा तुम्हारी!"
"ओह माय लव, तुम मेरे लिए कितना बड़ा काम करने वाले हो!" ऐसा बोल ज्योति कबीर के गले लग गई। तो कबीर उसके होठों पर अपनी इंटेंस नज़रों से देखते हुए बोला,
"ज्योति बेबी, तुमने इतने अच्छे मोमेंट्स को ख़राब किया है, इसकी थोड़ी सी सज़ा तो मिलेगी तुम्हें।"
ज्योति ने मना करते हुए कहा,
"कबीर, तुम मुझे सज़ा दोगे?"
कबीर ने उसके होठों पर अपने होंठ रख उसे पागलों की तरह किस करने लगा।
धरा से जब बर्दाश्त नहीं हुआ, तो उसने कबीर और ज्योति को अलग कर एक ज़ोर से थप्पड़ कबीर को और दूसरा ज्योति के गालों पर मारा।
कबीर गुस्से से बोला,
"धरा, तुम्हारी हिम्मत भी कैसे हुई मुझे, कबीर रावत पर हाथ उठाने की!"
कबीर की आँखों में गुस्सा देख पहले तो धरा एक पल के लिए डर गई, पर फिर सार्कैस्टिकली बोली,
"वाह! मिस्टर कबीर रावत, आपकी हिम्मत की दाद देनी होगी! मेरे ही साथ प्यार का खेल खेलते रहे, मेरे ही भाई को मार डाला तुम दोनों ने और अब मुझसे पूछ रहे हो कि मेरी इतनी हिम्मत?"
फिर ज्योति की तरफ़ देख गुस्से से बोली,
"इस ज्योति की हिम्मत भी कैसे हुई मेरी ज़िन्दगी के साथ खेलने की, मेरे भाई को मारने की!"
ऐसा बोलते वक़्त धरा का गला रुंध गया था, पर फिर भी कहना जारी रखा,
"कबीर, तुम भी इसकी बातों में आ गए, जैसे मेरे भाई आ गए थे। कबीर, तुम इससे दूर रहो। ये औरत नहीं, एक ज़हरीली नागिन है। ये जिस घर में रही, उसको ही तबाह किया। तो तुम किस खेत की मूली हो, कबीर बाबू!"
कबीर और ज्योति दोनों बेशर्मों की तरह हँसने लगे। ज्योति धरा का मज़ाक उड़ाते हुए बोली,
"कबीर, लगता है मिस धरा रायचंद पागल हो गई!"
आख़िर कबीर भी उसका साथ देते हुए बोला,
"हाँ, ज्योति डार्लिंग, तुम में जो बात है ना, वो इस धरा में तो बिल्कुल भी नहीं है और ना ही हो सकती है।"
धरा उन दोनों की बात सुन, आँखों में आँसू लिए भारी आवाज़ में बोली,
"कबीर, मैंने तुमसे प्यार किया, इसकी इतनी बड़ी सज़ा दी तुमने मुझे? How dare you, Mister Kabir Rawat! मेरे दिल के साथ खेलने की? How can you do this with me?"
ऐसा बोल वो रोने लगी तो ज्योति उसका मज़ाक उड़ाते हुए फिर से बोली,
"कबीर ने कभी तुमसे प्यार किया ही नहीं। वो मेरा कबीर है, ना कि तुम्हारा!"
ऐसा बोल उसने कबीर पर पकड़ और मज़बूत कर ली। धरा ने गुस्से में अपनी उंगली से कबीर की एंगेजमेंट रिंग निकाल कबीर के चेहरे पर मारते हुए कहा,
"कबीर, तुमसे किसने बोल दिया कि मैं अपनी सेल्फ़ रिस्पेक्ट की धज्जियाँ उड़ाकर तुमसे शादी करूँगी? मैं तुमसे शादी नहीं करूँगी!"
कबीर धरा का मज़ाक उड़ाते हुए बोला,
"हाँ हाँ, तुम ऐसा कुछ भी नहीं कर पाओगी। अब घर जाओ धरा, एक अच्छे बच्चे की तरह तैयारी करो शादी की। मैं इतना भी बुरा नहीं हूँ, कम से कम एक रात तो तुम्हारे नाम तो कर सकता हूँ।"
धरा ने एक तंज भरी स्माइल के साथ बोली,
"मिस्टर कबीर रावत, आप अपनी एक क्या, सौ रातें भी दोगे ना तो भी तुम जैसे धोखेबाज़ इंसान से शादी करना तो दूर, तुमसे बात तक करना पसंद नहीं करती। तुमने क्या मुझे अपने और अपनी डार्लिंग ज्योति के जैसे समझा है क्या?"
तो कबीर पागलों की तरह हँसते हुए बोला,
"हाँ, तो क्या करोगी अब? सगाई तो तोड़ दी तुमने। पर घरवालों को क्या बताओगी? धरा, मेरी बात मान लो, शायद तुम्हें दर्द ना सहना पड़े।"
धरा एक तीखी मुस्कान के साथ बोली,
"वो मेरी फैमिली है, तुम्हारी नहीं। तुम्हें उसकी फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं। उनके लिए मैं हूँ!"
कबीर उसकी बात पर बोला,
"हाँ, वैसे सही कहा तुमने। तुम में वो बात ही नहीं जो मेरी ज्योति में है। मैं तो अपनी डार्लिंग ज्योति के कारण था तुम्हारे साथ, वरना तुम तो जानती थी कि तुम्हारे पीछे एक भी लड़का नहीं था। तुम किसी भी लड़के को अपनी तरफ़ खींच नहीं सकती। तुम्हें देखकर तो गली के गुंडे-मवाली तक अपना रास्ता बदल दें!"
धरा ने कबीर को चैलेंज देते हुए कहा,
"ठीक है, तुम्हें लगता है ना कि मैं किसी को खुद की तरफ़ अट्रैक्ट नहीं कर सकती, तो ठीक है। आज जो पहला आदमी आएगा, मैं उसके साथ एक रात बिता दूँगी!"
तभी धरा ने अपना मुँह क्लब के दरवाज़े की तरफ़ किया तो पाया एक मोटा सा आदमी, जिसका रंग काला था, वो अंदर आने वाला था।
धरा मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी,
"हे भगवान, इस ज्योति और कबीर के चक्कर में मुझे इस बूढ़े के साथ रात बितानी होगी? नहीं नहीं, मैं ऐसा नहीं कर सकती!"
वहीं ज्योति उसका मज़ाक उड़ाने के लहज़े में बोली,
"कबीर बेबी, तुम देखो तो सही, इस धरा को तुम तो नहीं, पर तुम्हारी जगह जंगली सूअर तो ज़रूर मिल जाएगा।"
धरा मन में बोली,
"प्लीज़ भगवान, ऐसा मत होने देना!"
इससे पहले धरा उस आदमी के पास जाती, तभी उस आदमी के पास उसके ड्राइवर ने कुछ कहा, जिससे वो आदमी गुस्से से देखते हुए चला गया।
उसके जाने के बाद धरा की साँस में साँस आई। थोड़ी देर बाद वहाँ पर एक हैंडसम शख्स की एंट्री हुई, जो कोई और नहीं बल्कि रिवांश ओबरॉय था। धरा ने कुछ नहीं सोचा और सीधा जाकर उसके पास जाकर बोली,
"मिस्टर, क्या आप मेरे साथ एक रात गुज़ारोगे?"
उसकी बात सुन रिवांश ने जब अपने निगाहें धरा पर डालीं तो वो धरा की तरफ़ देख एक पल के लिए उसे देखते ही रहा। फिर हलका सा मुस्कुराकर उसने नीचे झुकते हुए, धरा के कान में कहा,
"क्या तुम में इतना स्टैमिना है कि मुझे झेल पाओ?"
उसकी बात सुन राघव, जो कि उसका असिस्टेंट था, वो मन ही मन धरा के लिए प्रार्थना करते हुए बोला,
"हे भगवान, रक्षा करना इस मैडम की उस हैवान से!"
धरा ने रिवांश ओबरॉय की बात सुन उसके होठों पर अपने होठ रख कहा,
"अब तो तुम्हें यकीन हो गया ना मुझ पर? यकीन मानो, मैं तुम्हें कोई कमी नहीं छोड़ूंगी तुम्हारी रात रंगीन करने में।"
उसकी बात सुन रिवांश ने उसे अपनी बाहों में उठाते हुए कहा,
"बेबी, तुम्हें किस करना नहीं आता, कोई बात नहीं, मैं सिखा दूँगा।"
ऐसा बोल वो जैसे ही धरा को क्लब के अपने प्राइवेट रूम की तरफ़ ले जाने लगा कि कबीर धरा से गुस्से से बोला,
"धरा, तुम ऐसा कैसे कर सकती हो? जब तुम्हारी फैमिली को पता चलेगा, तब क्या होगा सोचा है?"
वहीं उसकी बात सुन रिवांश धरा की तरफ़ देख रहा था, जैसे पूछ रहा हो ये नमूना कौन है। रिवांश के गले में अपनी बाहें डालते हुए धरा बोली,
"कोई नहीं, बस कुछ कुत्ते हैं, ये यूँ ही भौंक रहे हैं।"
कबीर गुस्से से बोला,
"तुम..."
ऐसा बोल वो जैसे ही धरा की तरफ़ आने लगा, रिवांश ओबरॉय के बॉडीगार्ड ने उसे घेर लिया और उसे क्लब के बाहर ज्योति के साथ फेंक दिया।
रिवांश धरा के क्यूट चेहरे को देखते हुए बोला,
"तुम डर तो नहीं रही ना? मतलब डर तो नहीं लग रहा?"
उसकी बात सुन धरा बोली,
"नहीं, बिल्कुल भी नहीं।"
रिवांश धरा को लेकर क्लब के रूम में ले गया और उसे बेड पर रख दिया। तो धरा डरते हुए बोली,
"प्लीज़, ज़्यादा पैन मत देना। मैंने सुना है पहली बार बहुत पैन होता है।"
धरा की मासूम आँखें देख रिवांश को ना जाने क्यों बड़ा प्यार आ रहा था। फिर उसने प्यार से बोला,
"नहीं होगा, बिल्कुल भी नहीं होगा। तुम तो ऐसे डर रही हो जैसे तुम्हारा पहली बार हो।"
तुम्हारी बात सुन धरा धीरे से बोली,
"हाँ, पहली बार ही है।"
उसकी बात सुन रिवांश खुश हो गया और वो पागलों की तरह उसकी गर्दन चूमने लगा। धरा ने अपने पैरों को कसकर दबाया हुआ था उसकी हरकत पर। रिवांश को हँसी आ गई। उसने प्यार से उसके पैरों को अलग किया और धरा के ऊपर आ गया।
जब रिवांश धरा को प्यार करने लगा तो धरा जोर से बोली,
"हाह! मिस्टर, कितना पैन हो रहा है! उठो मेरे ऊपर से!"
उसकी बात सुन रिवांश अपने होश में आया और उसने फिर ध्यान दिया कि सच में धरा का पहली बार है। उसने धरा के कान में अपनी मदहोश भरी आवाज़ में बोला,
"इतना सुकून मुझे पहले कहीं नहीं मिला, बेबी गर्ल। तुम रो मत, धीरे-धीरे तुम भी एन्जॉय करने लगोगी।"
ऐसा बोल उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी। धरा रोना बंद नहीं कर पाई तो उसने उसके होठों पर अपने होठ रख उसे चूमने लगा। सुबह के 4 बजे जाकर रिवांश शांत हुआ और उसने धरा को अपने ऊपर लेटाकर उसे कसकर पकड़ रखा था, जैसे कि वो उसे छोड़ जाएगी। फिर उसने धरा के गले की खुशबू लेते हुए कहा,
"तुम आ तो गई हो मेरी ज़िन्दगी में, पर तुम्हें खुद से दूर जाने की इज़ाज़त नहीं है अब। तुम बस मेरी हो, मिस रायचंद। किसी को भी अब तुम्हें छूने तक नहीं दूँगा।"
वहीं उसकी बात से बेख़बर धरा किसी बिल्ली के बच्चे के जैसे रिवांश की छाती में अपनी नाक रगड़ रही थी। धरा इस बात से बेख़बर थी कि कल इस बात का क्या अंजाम होगा!
धरा रिवांश की बाहों में, दुनिया की बातों से अनजान, सो रही थी। तभी बाहर से कुछ लोगों की आवाज़ें आ रही थीं।
धरा नींद से कसमसाते हुए उठी। अपनी अधखुली आँखों से उसने खुद को रिवांश की बाहों में पाया। पहले धरा को लगा यह बस ख्याल है।
"ऐसा सोच वो वापिस सोने लगी। पर तभी उसका हाथ रिवांश के हाथ लगा। उसे वास्तविकता का पता चला। वो एकदम से खड़ी हो गई और अपने कदम पीछे ले जाते हुए, भरी आवाज़ में बोली, "नहीं, यह नहीं करना था तुझे धरा! यह क्या कांड कर दिया तूने? अब नानी और माँ को क्या मुँह दिखाओगी?"
ऐसा सोचकर उसकी आँखों में पानी आ रहा था। तभी उसने देखा रिवांश भी उठने वाला है। उसने जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए और एक चिट्ठी और उसके साथ २००० रुपये का नोट रख, उस क्लब—जिसका नाम नाइट क्लब था—से छुपते-छुपाते बाहर जाने लगी। उसने देखा वहाँ पर मीडिया का बहुत बड़ा जमावड़ा खड़ा था।
वह मीडिया से बचते हुए, अपने दिल पर हाथ रखती हुई बोली, "मम्मी और नानी को पता चल जाता तो बेइज़्ज़ती हो जाती मेरी, और उन लोगों को भी पता चल जाता, जो मैं होने नहीं दे सकती।"
"उन लोगों को पता नहीं चलने दे सकती कि मैं ज़िंदा हूँ, नहीं तो वो लोग फिर से आ जाएँगे तमाशा देखने मेरी ज़िन्दगी का।" उसने रिवांश के कमरे की तरफ़ देखा, फिर आगे बोली, "उम्मीद करती हूँ यह हमारी पहली और आखिरी मुलाक़ात होगी। आज के बाद ना मैं तुम्हें जानती, ना तुम मुझे।" ऐसा बोल वो वहाँ से चली गई।
उसके जाने के बाद रिवांश की आँख खुली। उसने कमरे में धरा को ना पाकर, गुस्से से चीखते हुए बिस्तर से उठा और गुस्से से गरजते हुए बोला, "मिस धरा रायचंद! तुम्हारी इतनी हिम्मत? मेरे साथ एक रात बिताकर यूँ चली जाओगी मेरी ज़िन्दगी से? तो ऐसा मैं होने नहीं दूँगा, क्योंकि जो चीज़ रिवांश ओबरॉय को पसंद आ जाती है, एक बार वो फिर किसी की नहीं हो सकती।"
ऐसा बोल उसने एक काले रंग की फॉर्मल पैंट पहनी और बिस्तर पर लाल दाग देखकर, डेविल स्माइल लेते हुए कहा, "यह तो बस शुरुआत है मिस धरा रायचंद! आगे-आगे देखो होता क्या है?"
तभी उसका ध्यान उस चिट्ठी पर गया। उसने उस चिट्ठी के साथ २००० रुपये का नोट देखा और उसे पढ़ते हुए, एक अजीब सी स्माइल के साथ कहा, "ओह! तो मिस धरा रायचंद मेरी एक रात की कीमत लगा रही है? इस पागल लड़की को यह तक नहीं पता कि २००० रुपये से २० गुना ज़्यादा तो मैं अपने घर के स्टाफ को देता हूँ।"
ऐसा बोल वो हँसने लगा। तभी उसने देखा बाहर से कुछ आवाज़ें आ रही थीं। वह गुस्से से कमरे के दरवाज़े पर जाते हुए बोला, "ब्लडी लूज़र्स! यहाँ भी आ गए ये!"
वहीं दूसरी तरफ़, धरा के घर में एक अजीब सा सन्नाटा फैला हुआ था। धरा धीरे-धीरे कदमों से जब आगे आई तो उसकी माँ गुस्से से उस पर बरसते हुए बोल पड़ी, "आ गई मैडम! इतनी जल्दी कैसे आ गई आप? अभी ज़्यादा टाइम थोड़ी हुआ है। कम से कम २ या ४ दिनों के बाद आती। २ दिन पड़े हैं शादी को और इस मैडम को देखो, ना ही कोई होश है, ना खबर है!"
तभी धरा की नानी प्यार से बोली, "धरा बेटा, आ गई तुम? इतनी देर कहाँ थीं तुम? तुमने कुछ खाया तो नहीं होगा। चल बेटा, पहले कुछ खा ले।" ऐसा बोल वो जैसे ही धरा को ले जाने लगी, धरा की माँ उन्हें रोकते हुए, गुस्से से उन दोनों को घूरते हुए बोली, "माँ आप तो रहने ही दीजिये। आप के ही लाड़-प्यार का नतीजा है यह, जो यह लड़की हाथ से निकल गई।"
धरा मन में डरते हुए बोली, "आज तो मम्मी के प्रकोप से नानी भी नहीं बचा सकती तुझे धरा!"
तभी धरा के कान में उसकी माँ की आवाज़ आई, "तो बताओ धरा, कहाँ थी तुम इतनी रात? जहाँ तक मुझे पता है, इतनी रात तो नहीं लगती आने में। बताओ जल्दी से, वरना एक मारूँगी खींच के।"
उनकी बात सुन धरा रोने सी आवाज़ में बोली, "मम्मी, वो कबीर का ज्योति भाभी के साथ अफ़ेयर चल रहा है, तो मैंने उससे रिश्ता तोड़ दिया। अब यह शादी नहीं होगी।" ऐसा बोलते हुए उसकी आवाज़ में एक सुनापन था।
धरा की बात सुन उसकी नानी ने धरा की माँ को डाँटते हुए कहा, "जानवी, तुम भी कैसी बातें लेकर बैठ गई हो? देख नहीं रही मेरी धरा का एक तो दिल टूटा है उस नाग कबीर के कारण, ऊपर से उसे कोई और नहीं मिला। मिली भी तो वो लोमड़ी ज्योति! चलो अच्छा है, कम से कम मेरी नातिन से तो उसका पीछा छूटा।" ऐसा बोल उन्होंने प्यार से धरा के सिर पर हाथ रख कहा, "जाओ धरा, फ्रेश हो जाओ और जाकर खाना खा लो।"
उनकी बात सुन धरा वहाँ से अपने छोटे से कमरे में चली गई। धरा के जाने के बाद उसकी नानी धरा की माँ को समझाते हुए बोली, "जानती हूँ कि बुरा लग रहा होगा तुझे अभी, क्योंकि तू नहीं चाहती कि उसके साथ भी वही सब हो जो तेरे और मेरे साथ हुआ। पर क्या तू उस बात के कारण हमारी धरा को कैद कर देगी? यह उसकी ज़िन्दगी है, उसका फैसला होना चाहिए। देखा ना तूने, धरा ने उस कबीर से अपना रिश्ता तोड़ दिया। अब तो समझ जा बात को। वो बच्ची ज़रूर है, पर उसे इतना तो पता है कि क्या सही है और क्या गलत!"
उनकी बात सुन धरा की माँ बोली, "शायद आप ठीक कह रही हैं माँ। मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूँ।" तो उसकी माँ थोड़ा हँसकर बोली, "हाँ, यही तेरी आदत बड़ी बुरी लगती है मुझे। तू हद से ज़्यादा जो सोचती है। अब जल्दी से खाना लगा। मुझे पता है तूने भी कुछ नहीं खाया होगा कल रात से!"
"जी माँ, मैं अभी लगाती हूँ खाना थोड़ी देर में।" जब सबने खाना खा लिया तो धरा और उसकी नानी टीवी के सामने बैठ गईं और कोई कोरियन ड्रामा देखते हुए, धरा गाते हुए बोली, "दिल पे पत्थर रख के, मुँह पे मेकअप कर लिया। सुबह से उठ के मैंने ब्रेकअप कर लिया।" उसकी बात सुन उसकी नानी भी उसका साथ देते हुए बोली, "तेरे सैयाँ जी से काहे तूने ब्रेकअप कर लिया?"
टीवी पर ब्रेक आ गई थी तो धरा और उसकी नानी गाना गा रही थीं, ऐसे ही धरा दिल टूटने वाला गाने गाती और उसकी नानी भी उसका साथ ऐसे दे रही थी जैसे उनका दिल टूटा हो।
तभी एकदम से ब्रेक ख़त्म हुआ और ड्रामा लग गया। तो दोनों ध्यान से ऐसे देखने लगीं जैसे कि कोई ड्रामा ना होकर सच में हो रहा हो। उस ड्रामे में लड़की को उसका पति धोखा दे देता है और अपनी गर्लफ्रेंड के साथ मिलकर मार देता है।
यह सीन देख धरा की नानी गुस्से से बोली, "कर मुँह! ये आजकल के बच्चों को क्या हो गया है? इतनी प्यारी मासूम बीवी को छोड़ ये कर्मूहा उस पिशाचनी के पीछे पड़ा है। ऐसे नाग को तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी।" उसकी बात सुन धरा भी क्यूट सी वॉइस में बोली, "आप सही बोल रहे हो नानी। यह कुत्ता कमिना शादीशुदा होने के बाद भी बाहर मुँह मार रहा है। अगले जनम में गटर का कीड़ा बनेगा, हाँ देख लेना आप।"
वहीं धरा की माँ अपनी माँ और धरा की नोकझोंक देखते हुए अपना सिर ना में हिलाते हुए बोली, "कुछ नहीं हो सकता इन दोनों का।" ऐसा सोच वो टीवी के सामने आ गई कुछ सामान लेने के लिए। तो धरा जो अपनी नानी के साथ चिपक के बैठी थी, वो और उसकी नानी दोनों एक साथ बोलीं, "हटो सामने से! अभी इतना अच्छा सीन आने वाला है। हटो जल्दी से!"
धरा की माँ मुँह बनाकर बोली, "यह सब इस धरा का किया-धरा है। खुद तो थी ही ड्रामा लवर, मेरी माँ को भी बना दिया। माँ आपकी उम्र पूजा-पाठ करने की है, ना कि यूँ कोरियन लड़कों को ताड़ने की!"
उसकी बात सुन धरा की नानी बच्चों जैसे फ़ेस बनाकर बोली, "कौन सी उम्र की बात कर रही है तू? हाँ अभी मेरी उम्र ही क्या है? अभी तो मैं जवान हूँ। अभी तो मेरे खेलने-कूदने के दिन हैं, और तुझे पूजा-पाठ करने हैं तो कर, और हट सामने से। तेरे साथ रहते-रहते मैं भी बूढ़ी हो जाऊँगी।"
उनकी बात सुन धरा भी उनका साथ देते हुए बोली, "सही बोल रहे हो आप नानी! मम्मा आपसे जलती हैं कि आप इतने सुंदर हो रहे हो। आप २५ साल की लड़की को टक्कर दे रहे हो और वो ७० साल के लोगों को तो जलन हो रही है मम्मा को आपसे!"
धरा की माँ उसका कान पकड़ते हुए बोली, "कुछ ज़्यादा ही बदमाश नहीं हो गई तुम!"
वहीं दूसरी तरफ़, रिवांश ओबरॉय के क्लब के कमरे के बाहर जब रिवांश गया तो उसने देखा मीडिया की भीड़ लगी पड़ी थी। जैसे ही उन्होंने रिवांश पर अपना फोकस करते हुए बोलना शुरू किया, "तो ये मिस्टर रिवांश ओबरॉय, देश के जाने-माने बिज़नेसमैन, जिनका ना जाने कितनी लड़कियों के साथ चक्कर रहा है, आज भी ये यहाँ अपनी अयाशी के कारण पड़े हैं।" ऐसा बोल उन्होंने रिवांश की तरफ़ कैमरा करते हुए कहा, "तो मिस्टर रिवांश ओबरॉय, कितनी मासूम लड़कियों की लाइफ़ बर्बाद की होगी आपने?"
ये बातें सुन रिवांश को गुस्सा आ गया और उसने ज़ोर से अपने गार्ड्स को बुलाया। उसकी आवाज़ सुन राघव और उसके बॉडीगार्ड्स आ गए।
राघव डरते हुए बोला, "बॉस!"
रिवांश गुस्से से उसे देखते हुए बोला, "इन लोगों को किसने आने दिया मेरे कमरे में? बाहर! तुम्हें पता है I don't like मीडिया, फिर भी तुम गए। इसकी सज़ा तुम्हें मिलेगी। तुम्हारी २ महीने की सैलरी कट! और उसके बाद मीडिया की तरफ़ देखते हुए कहा, "इनका ऐसा हाल करो कि कोई भी रिवांश ओबरॉय के सामने आँख उठाने की हिम्मत ना करे।" ऐसा बोल वो वहाँ से चला गया।
उसके जाने के बाद राघव ने रोने सी आवाज़ में बोला, "स**n कुत्तों की वजह से मेरी सैलरी कट होगी।" ऐसा बोल उसने अपने गार्ड्स को इशारा किया।
धरा की माँ ने धरा के कान को पकड़ते हुए कहा, "तुम कुछ ज़्यादा ही शैतान नहीं हो गई हो? अपनी माँ के बारे में ऐसा बोलते हुए शर्म नहीं आती तुम्हें!"
"क्यों री? जब तू मुझ जैसी हसीन जवान को बूढ़ा कहेगी तो मेरी धीरू अपनी कमोल का साथ देगी ना!"
धरा की नानी ने धरा की माँ को डाँटते हुए कहा, "अपनी नानी की बात सुन!"
धरा दुःखी होने का नाटक करते हुए बोली, "देखा नानी, ये कैसे जलते हैं हम दोनों से! क्योंकि आप मुझसे और मैं आपसे प्यार करती हूँ, इनको कोई भाव नहीं देता। ना तो ऐसे मुँह फुलाकर डाँटती हैं।"
"हाँ, सही कह रही है तू धीरू। ये दुश्मन है हमारे प्यार की!"
"अच्छा माँ, मैं दुश्मन हूँ ना? तो ठीक है। आज से आप दोनों को रात में आइसक्रीम नहीं मिलेगी।" उसकी बात सुन धरा और उसकी नानी का मुँह उदास हो गया।
पर धरा की नानी बच्चों जैसे फैसला बनाकर बोली, "अरे जानू बेटा, तुम तो बुरा मान गईं!"
अपनी माँ की बात सुन धरा की माँ अपनी आँखें छोटी करते हुए देखने लगी। तो धरा की नानी आगे बोली, "अरे ये तो पागल है, कुछ भी बोलती रहती है। तू इसकी बात का बुरा मत मानना। अभी दूध पीती बच्ची है ये। मैं तो तेरी इकलौती प्यारी सी माँ हूँ। ना अपनी माँ के साथ कोई ऐसे करता है क्या?" ऐसा बोल वो बच्चों जैसे रूठने लगी।
अपनी माँ की बात सुन धरा की माँ ने ना में सिर हिलाया और मन में बोली, "एक बच्ची की नानी हो गई है और उस बच्ची की भी शादी होने वाली उम्र है, पर माँ अभी भी इसी ही हैं। ये दोनों नहीं सुधरेगी!"
धरा अपनी नानी को गुस्से से घूर रही थी क्योंकि नानी ने उसे आइसक्रीम के चक्कर में पागल कहा था।
धरा की नानी को जब खुद पर किसी की नज़रें महसूस हुईं तो उसने पाया धरा गुस्से में उन्हें ही देख रही थी। तो उन्होंने धरा को इशारा करते हुए कहा, "अरे बेटा, तुम तो मेरी प्यारी नातिन हो। तुम्हारे बारे में मैं बुरा बोल सकती हूँ भला? ये तो बस आइसक्रीम के लिए बोला। तू उदास मत हो, तुम्हें भी दूँगी।"
अपनी नानी की बात सुन धरा का गुस्सा जैसे फुर्र से हो गया। वो जोर से बोली, "नानी, मुझे वो वेनीला फ्लेवर चाहिए!"
"हाँ हाँ बेटा, तुम्हें वही मिलेगा।" धरा की माँ उन दोनों की नोकझोंक देख रही थी। उसे खड़ा देख धरा की नानी बोली, "तू क्या खड़ी है यहाँ? जा लेकर आ, वरना देख लेना मैं और धरा हम दोनों चले जाएँगे यहाँ से!"
धरा की माँ उनकी बात पर बोली, "ठीक है माँ, लेकर आती हूँ। अब आप दोनों को कहीं जाने की ज़रूरत नहीं!"
उसके जाने के बाद धरा और उसकी नानी एक-दूसरे को हाई-फ़ाइव देने लगीं।
थोड़ी देर बाद वो दोनों आइसक्रीम खाने लगीं। धरा की माँ उन दोनों को देख रही थी। तो धरा और उसकी नानी दोनों ने उसके मुँह में आइसक्रीम का एक बड़ा हिस्सा डालते हुए कहा, "आपके बिना हम खा सकते हैं? आप तो हम दोनों की जान हो!"
अगले दिन रिवांश अपनी कंपनी की चेयर पर बैठा बस धरा के फैसले और उसकी बातों के बारे में ही सोच रहा था। रिवांश ने अपनी आँखें बंद कर गहरी साँसें लेते हुए कहा, "उफ़्फ़ धरा रायचंद! क्या चीज़ हो तुम! बस एक बार मेरी बाहों के घेरे में आ जाओ, फिर तुम्हें इसकी सज़ा दूँगा, मुझसे दूर जाने की!"
ऐसा बोल वो धरा को अपने साथ इमेजिन कर रहा था, तभी उसके केबिन में उसका असिस्टेंट राघव आया और बोला, "बॉस, वो मिस धरा रायचंद ने हमारी कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई किया है। उनका लास्ट राउंड है इंटरव्यू का, तो आप लेंगे वो?"
रिवांश को कुछ सोचते हुए देख वो डरते हुए बोला, "बॉस, अगर आपका मन ना हो तो मैं उन्हें वापिस भेज देता हूँ।" उसकी बात सुन रिवांश एक बुलन्द आवाज़ में बोला, "मिस धरा को मेरे केबिन में भेजो और हाँ, कोई भी हम दोनों के बीच में नहीं आना चाहिए। अगर मैंने देखा कि कोई यहां पर आया तो तुम्हारी खैर नहीं।"
राघव डरते हुए बोला, "नहीं बॉस, ऐसी गलती नहीं!"
थोड़ी देर में धरा रिवांश के केबिन में आई। रिवांश इस वक़्त नीचे आती-जाती गाड़ियों के शोर को देख रहा था; उसकी पीठ धरा की ओर थी। धरा ने यैलो कलर का क्रॉप टॉप पहना था; उसकी नेक वाले टॉप के हिस्से में मोती लगे हुए थे। और उसने व्हाइट कलर की जीन्स पहनी हुई थी। टॉप से उसकी कमर साफ़ देखी जा सकती थी।
धरा हिचकिचाते हुए बोली, "May I come in, sir?" रिवांश के कानों में जैसे ही धरा की प्यारी सी आवाज़ आई, उसने अपनी आँखें बंद कर दीं और बिना भाव के बोला, "Come in, Miss धरा रायचंद!"
धरा की बात सुन उसे ऐसा लगा जैसे उसकी आवाज़ सुनी है उसने कहीं पर। उसने बात को अनदेखा करते हुए जैसे ही अपने कदम रखे, तो उसी वक़्त रिवांश ओबेरॉय को अपने सामने देख वो डर गई, पर फिर भी उसने ज़ाहिर नहीं होने दिया। और अपनी आँखें इधर-उधर घुमाते हुए बोली, "सॉरी sir, लेकिन मैं अब ये जॉब नहीं करना चाहूँगी।"
ऐसा बोल धरा ने जैसे ही केबिन को खोलने की कोशिश की, वो खुला नहीं। वो केबिन ऑटोमेटिक था, तो खुला नहीं।
रिवांश ने उसकी हरकत को देखकर एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "My little baby girl, ये नहीं खुलेगा! जब तक मैं ना चाहूँ। और क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम ये जॉब करना क्यों नहीं चाहती अब?"
तो उसकी बात पर धरा गुस्से से बोली, "मैं तुम जैसे घटिया इंसान के साथ, जो हर जगह मुँह मारता हो, उसके साथ जॉब करना तो दूर की बात है, मैं तुम्हें देखना भी पसंद नहीं करूँगी।"
उसकी बात सुन रिवांश धरा के ऊपर झुकते हुए बोला, "ओह! तो Miss धरा रायचंद, आपकी याददाश्त बड़ी कमज़ोर निकली! एक ही रात में भूल गई मुझे?" और फिर धरा की कमर में अपने हाथ रख उसे खुद के करीब करते हुए उसकी बालों की खुशबू लेते हुए बोला, "तो Miss धरा रायचंद, मैं आपको याद दिला दूँ कि वो आप ही थीं जो मेरे पास आई थीं, मैं नहीं था। समझी?"
धरा ने गुस्से से उसकी चेस्ट पर हाथ रख उसे खुद से दूर करते हुए बोली, "Look, mister! जो कुछ भी हुआ वो हम दोनों की मर्ज़ी से हुआ, तो मुझे ब्लैकमेल नहीं कर सकते आप। आपका मुझ पर कोई भी हक़ नहीं है!"
उसकी बात सुन रिवांश एक ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा और फिर बोला, "Miss धरा रायचंद, तुम पर तो हक़ उसी वक़्त हो गया था मेरा, जब तुमने किस किया था मुझे! तुम मेरी little baby girl हो। ये कुछ डॉक्यूमेंट्स हैं, तुम्हारे साइन करो।" ऐसा बोल उसने धरा को एक डॉक्यूमेंट्स की फ़ाइल दी।
उस फ़ाइल को पढ़ धरा गुस्से से बोली, "ये कैसी शर्तें रखी हैं आपने Mister रिवांश ओबेरॉय! मैं कोई बाजारू लड़की नहीं हूँ जिसकी आप कीमत लगा रहे हैं। पहले तो मैंने ऐसे ही बोल दिया घटिया इंसान आपको, पर सच में अब कह रही हूँ, आपसे ज़्यादा घटिया इंसान मैंने ज़िन्दगी में कभी नहीं देखा!"
रिवांश को उसकी बात सुन गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से धरा को किस करते हुए उसके होठों से खून तक निकाल दिया और फिर उसके होठों को बड़ी मुश्किल से छोड़ा।
"आगे से मुझसे ऐसी बात करने की हिम्मत भी मत करना।"
धरा ने गुस्से से रिवांश के गालों पर थप्पड़ लगाते हुए कहा, "Mister रिवांश ओबेरॉय, लगता है आपको आपकी बातों का जवाब मिल गया होगा। अगर आगे से मेरे साथ ऐसी हरकत करने की कोशिश की तो इससे भी बुरा हाल करूँगी। मुझे कमज़ोर लड़की समझने की भूल मत करना! और हाँ, खुद के लिए खुद जैसी ढूँढ लो! क्योंकि धरा रायचंद की कोई कीमत नहीं लगा सकता, मैं बिकाऊ नहीं, समझे!"
ऐसा बोल वो जैसे ही जाने के लिए मुड़ी कि उसके कानों में रिवांश की शैतानी आवाज़ आई, "दुनिया में हर चीज़ बिकाऊ है, Miss धरा रायचंद! अब मैं तुम्हें चैलेंज देता हूँ, अगले 24 घंटों में तुम खुद आओगी मेरे पास, मुझे ढूँढते हुए! और यकीन मानो मेरे धड़कन डार्लिंग, एक बार तुम आईं ना तो तुम्हें इतनी जल्दी जाने नहीं दूँगा।"
उसकी बात सुन धरा गुस्से से उसे देखते हुए चली गई। उसके जाने के बाद रिवांश ने किसी को कॉल करते हुए कहा, "आज दो घंटे में मेरा काम पूरा हो जाना चाहिए, समझे! मुझे वो लड़की किसी भी कीमत में चाहिए अब!"
रिवांश के सहायक राघव ने घबराते हुए कहा, "बॉस, वो मिस धरा रायचंद ने हमारी कंपनी में जॉब के लिए अप्लाई किया है। उनका लास्ट राउंड इंटरव्यू का है, तो आप ही लेंगे वो?"
रिवांश कुछ सोचते हुए देख रहे थे। राघव डरते हुए बोला, "बॉस, अगर आपका मन ना हो तो मैं उन्हें वापस भेज देता हूँ।"
रिवांश ने बुलंद आवाज़ में कहा, "मिस धरा को मेरे केबिन में भेजो। और हाँ, कोई भी हम दोनों के बीच में नहीं आना चाहिए। अगर मैंने देखा कि कोई यहां पर आया, तो तुम्हारी खैर नहीं।"
राघव डरते हुए बोला, "नहीं बॉस, ऐसी गलती नहीं होगी।"
थोड़ी देर में धरा रिवांश के केबिन में आई। रिवांश उस वक्त नीचे आती-जाती गाड़ियों के शोर को देख रहा था, उसकी पीठ धरा की ओर थी। धरा ने येलो कलर का क्रॉप टॉप पहना था, जिसके नेक वाले हिस्से में छोटे-छोटे मोती लगे थे। उसने व्हाइट कलर की जीन्स पहनी हुई थी। टॉप से उसकी कमर साफ़ दिखाई दे रही थी।
धरा हिचकिचाते हुए बोली, "मैं आ सकती हूँ सर?"
रिवांश के कानों में धरा की प्यारी सी आवाज़ आते ही उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और बिना भाव के बोला, "कम इन, मिस धरा रायचंद।"
धरा ने उसकी बात सुनी। उसे ऐसा लगा जैसे उसकी आवाज़ पहले भी सुनी है, पर उसने बात को अनदेखा करते हुए कदम रखा। उसी वक़्त रिवांश ओबेरॉय को अपने सामने देखकर वो डर गई, पर फिर भी उसने ज़ाहिर नहीं होने दिया। आँखें इधर-उधर घुमाते हुए बोली,
"सॉरी सर, लेकिन मैं अब ये जॉब नहीं करना चाहूँगी।"
जैसे ही धरा ने केबिन का दरवाज़ा खोलने की कोशिश की, वो नहीं खुला। केबिन ऑटोमैटिक था।
रिवांश ने उसकी हरकत को देखकर एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "माय लिटिल बेबी गर्ल, ये नहीं खुलेगा जब तक मैं ना चाहूँ। और क्या मैं जान सकता हूँ कि तुम ये जॉब करना क्यों नहीं चाहती अब?"
धरा गुस्से से बोली, "मैं तुम जैसे घटिया इंसान के साथ, जो हर जगह मुँह मारता हो, उसके साथ जॉब करना तो दूर की बात है, मैं तुम्हें देखना भी पसंद नहीं करूँगी।"
रिवांश धरा के ऊपर झुकते हुए बोला, "ओह, तो मिस धरा रायचंद, आपकी याददाश्त बड़ी कमज़ोर निकली! एक ही रात में भूल गई मुझे?"
फिर धरा की कमर में हाथ रखकर उसे अपने करीब करते हुए, उसके बालों की खुशबू लेते हुए बोला, "तो मिस धरा रायचंद, मैं आपको याद दिला दूँ कि वो आप ही थीं जो मेरे पास आई थीं, मैं नहीं था। समझी?"
धरा ने गुस्से से उसकी चेस्ट पर हाथ रखकर उसे खुद से दूर करते हुए बोला, "लुक मिस्टर, जो कुछ भी हुआ वो हम दोनों की मर्ज़ी से हुआ। तो मुझे ब्लैम नहीं कर सकते आप। आपका मुझ पर कोई हक़ नहीं है!"
रिवांश ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा और फिर बोला, "मिस धरा रायचंद, तुम पर तो हक़ उसी वक़्त हो गया था मेरा, जब तुमने मुझे किस किया था! तुम मेरी लिटिल बेबी गर्ल हो। ये कुछ डॉक्यूमेंट्स हैं, तुम्हारे साइन करो।" उसने धरा को एक डॉक्यूमेंट्स की फाइल दी।
उस फाइल को पढ़कर धरा गुस्से से बोली, "ये कैसी शर्तें रखी हैं आपने, मिस्टर रिवांश ओबेरॉय! मैं कोई बाजारू लड़की नहीं हूँ जिसकी आप कीमत लगा रहे हैं। पहले तो मैंने ऐसे ही बोल दिया 'घटिया इंसान' आपको, पर सच में अब कह रही हूँ, आपसे ज़्यादा घटिया इंसान मैंने ज़िंदगी में कभी नहीं देखा!"
रिवांश को उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से धरा को किस किया, उसके होठों से खून तक निकाल दिया और फिर बड़ी मुश्किल से उसके होठों को छोड़ा।
"आगे से मुझसे ऐसी बात करने की हिम्मत भी मत करना!"
धरा ने गुस्से से रिवांश के गालों पर थप्पड़ लगाते हुए कहा, "मिस्टर रिवांश ओबेरॉय, लगता है आपको आपकी बातों का जवाब मिल गया होगा। अगर आगे से मेरे साथ ऐसी हरकत करने की कोशिश की तो इससे भी बुरा हाल करूँगी। मुझे कमज़ोर लड़की समझने की भूल मत करना! और हाँ, खुद के लिए खुद जैसी ढूँढ लो! क्योंकि धरा रायचंद की कोई कीमत नहीं लगा सकता, मैं बिकाऊ नहीं, समझे!"
जैसे ही वो जाने के लिए मुड़ी, उसके कानों में रिवांश की शैतानी आवाज़ आई, "दुनिया में हर चीज बिकाऊ है, मिस धरा रायचंद! अब मैं तुम्हें चैलेंज देता हूँ, अगले 24 घंटों में तुम खुद आओगी मेरे पास, मुझे ढूँढते हुए! और यकीन मानो, मेरे धड़कन डार्लिंग, एक बार तुम आईं ना, तो तुम्हें इतनी जल्दी जाने नहीं दूँगा।"
धरा गुस्से से उसे देखते हुए चली गई। उसके जाने के बाद रिवांश ने किसी को कॉल करते हुए कहा, "आज दो घंटे में मेरा काम पूरा हो जाना चाहिए, समझे? मुझे वो लड़की किसी भी कीमत में चाहिए अब!"
धरा गुस्से से घर वापस लौटी। उसे इतनी जल्दी आता देख उसकी नानी बोली, "अरे धीरू बेटा, तुम आज इतनी जल्दी आ गईं? इतनी जल्दी मिल गई नौकरी? तुम्हें क्या हुआ?"
धरा अपनी नानी के पास उदास होकर बैठते हुए बोली, "अरे नहीं नानी, वो वहाँ का बॉस अच्छा आदमी नहीं था। बहुत ही घटिया आदमी था, बोलने की उसे तमीज नहीं! हर लड़की पर ट्राई मारता फिरता है। मन करता है ना नानी, उसका मुँह तोड़ दूँ। उसकी शक्ल देखकर ना पूरा दिन बेकार गया मेरा!"
"मेरा बस चले ना, तो उसे काले पानी की सज़ा दूँ!"
उसका गुस्सा देख उसकी नानी उसका गुस्सा शांत करवाते हुए बोली, "अरे, जब फिर से मिले ना तुम्हें वो, तो मेरी तरफ़ से भी लगा देना कान के नीचे।"
अपनी नानी की बात सुन धरा खुश होते हुए बोली, "ये बात ठीक कही आपने। वैसे मम्मी कहीं नज़र नहीं आईं, कहाँ गई हैं वो?"
अपनी नातिन की बात सुन धरा की नानी बोली, "अरे गई कहाँ होगी? एक ही तो है उसका कैफ़े, गई है।"
अपनी नानी की बात सुन धरा खुशी से उछल कर बोली, "वाह! जो है, इसी खुशी में पार्टी करते हैं, कैफ़े जाकर!"
उसकी नानी मुँह बनाकर बोली, "मैं नहीं जाने वाली उसके पास। अगर उसने हम दोनों को देख लिया ना, तो बोलेगी घर में भी पैर नहीं टिकता आपका!"
धरा क्यूट पप्पी फेस बनाते हुए बोली, "नानी प्लीज़ चलो ना। एक आप ही हो जो मेरा साथ देती हो। अब आप भी ऐसा करोगी मेरे साथ?"
ऐसा बोल वो उदास हो गई। तो उसकी नानी नाराज़ होने का ड्रामा करते हुए बोली, "मेरी बिल्ली और मुझसे म्याऊँ हाँ! ये एक्टिंग मैंने ही सिखाई है तुझे और तू मुझे ही चलाने चली है!"
अपनी नानी की बात सुन धरा उनके सामने हाथ जोड़ते हुए बोली, "मेरी गुरु माँ, अब आप चलेंगी या नहीं? अगर आप नहीं चली ना साथ नानी, तो देख लेना नानी जो आप रात को सोने से पहले मेरे हीरो, मेरे प्यार, मेरे क्रश, मेरे Lee Jung Suk पर नज़र डालती हो गंदी!"
"बाय गॉड नानी! अभी तो मम्मी को मेरे बारे में ही पता है। सोचो जब आपका राज़ मम्मी को पता चलेगा, तो चार धाम की यात्रा फ़्री! वैसे अच्छा ही है, फिर मैं ही होगी बस और मेरा Lee Jung Suk।"
ऐसा बोल वो ख्यालों की दुनिया में खो गई। तो उसकी नानी जल्दी से उठते हुए बोली, "चल चल, देर हो रही है, जल्दी चल!"
अपनी नानी को उठता देख धरा मन में खुद को शाबाशी देते हुए बोली, "वाह धरा, तेरा भी जवाब नहीं!"
वहीं दूसरी तरफ़ रिवांश अपने बेडरूम में था। वहाँ कोई लड़की पड़ी थी, वो भी मरी हुई। और रिवांश अपने सोफ़े पर किसी किंग की तरह बैठा हुआ था। इस वक़्त उसने एक व्हाइट कलर का लॉन्ग टॉवल पहना हुआ था और उसकी परफेक्ट बॉडी दिखाई दे रही थी। उसके सिक्स पैक एब्स साफ़ दिखाई दे रहे थे। रिवांश अपनी ग्रीन आँखों से धरा जो बातें बोल रही थी, उसके बारे में सुन रहा था।
अपने बारे में ऐसी बातें सुन रिवांश एक डेविल स्माइल के साथ बोला, "उफ़्फ़, माई लिटिल बेबी गर्ल! तुम्हारा गुस्सा... पर तुम्हारा ये गुस्सा किसी काम का नहीं, क्योंकि रिवांश ओबरॉय एक आग है!"
"और आग को हाथ लगाना हर किसी के बस की बात नहीं! और फिर थोड़ा गुस्से से... तुम्हारा वो सो कोल्ड क्रश, प्यार जो भी हो, अगर तुम ऐसी बातें करती रही तो ज़्यादा दिन तक ज़िंदा नहीं रहेगा तुम्हारा क्रश, प्यार, सब कुछ! मैं ही होना चाहिए अब से!"
फिर रिवांश खुद के लिए एक बिज़नेस सूट सेलेक्ट करते हुए बोला, "मेरी धरू बेबी, आ रहा हूँ मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में भूजाल लाने। तैयार रहो इस तूफ़ान को झेलने के लिए!"
दूसरी तरफ़, जब धरा और उसकी नानी कैफ़े आईं, तो कैफ़े में इतनी भीड़ देख वो बोली, "ये कैफ़े में आज इतनी भीड़ कैसी?"
ऐसा बोल वो जैसे ही आगे आने लगी, कि तभी उन्होंने देखा एक पुलिस वाला उसकी माँ को जीप में बैठाकर पुलिस स्टेशन जाने वाला है। धरा और उसकी नानी उस पुलिस वाले के पास भागकर गईं और उन्हें रोकते हुए बोली, "इंस्पेक्टर साहब, ये आप मेरी माँ जानवी को क्यों लेकर जा रहे हो? आख़िर किया क्या है इसने?"
तो इंस्पेक्टर उनकी बात पर बोला, "मैडम, आपकी बेटी के कैफ़े की कॉफ़ी पीकर कुछ लोगों को फ़ूड पॉइज़निंग हुआ है। इस लिए आपकी बेटी को जेल लेकर जा रहे हैं।"
उस इंस्पेक्टर की बात सुन धरा गुस्से से बोली, "मेरी माँ ऐसा कुछ नहीं कर सकती! आप ऐसे नहीं ले जा सकते मेरी माँ को! वो ऐसा काम करने के बारे में सोच भी नहीं सकती, करने तो दूर की बात है फिर!"
तो वो इंस्पेक्टर धरा के कान में धीरे से बोला, "हाँ सही कहा आपने, पर क्या करें? इनको बुलाने के लिए ऊपर से ऑर्डर मिला है। क्या नाम था उनका? हाँ, रिवांश ओबरॉय था। उनके कहने पर हो रहा है ये सब!"
"अभी तो बस जेल लेकर जा रहा हूँ, पर जेल जाने के बाद क्या होगा? ये ज़िंदा रहेगी भी या नहीं, कुछ बोल नहीं सकते! क्योंकि एक बार कोई रिवांश ओबरॉय की नज़र में घटक जाए, तो वो ज़िंदा नहीं रहता।"
धरा उनकी बात सुन गुस्से से बोली, "मैं अपनी माँ को बचाकर ही रहूँगी! उस रिवांश ओबरॉय को छोडूँगी नहीं!"
पुलिस की जीप जाने के बाद धरा की नानी टेंशन भरी आवाज़ में बोली, "क्या बात हुई तेरी उस पुलिस वाले के साथ? क्या मान गया वो?"
धरा उदास होकर बोली, "नहीं नानी, पर आप फ़िक्र मत करो! मैं हूँ ना। मैं दो घंटे में माँ को लेकर आऊँगी, ये वादा है मेरा! आप घर जाओ नानी, मैं देखती हूँ।"
धरा की नानी वहाँ से चली गई। उनके जाने के बाद धरा हर वकील के पास गईं, पर सबने मना कर दिया।
रिवांश ओबेरॉय का नाम सुनकर वह वकील डरते हुए बोला, "अरे मैडम आप भी ना! अगर रिवांश ओबेरॉय से कोई झगड़ा हुआ है तो आप उनके साथ सोल्व कर लो ना! मेरी जॉब के पीछे क्यों पड़ी हो!"
ऐसा बोलकर वह वकील वहाँ से भाग खड़ा हुआ।
धरा ने देखा कि उसकी माँ को एक महिला काँस्टेबल मार रही है। धरा गुस्से से चिल्लाती हुई बोली, "छोड़ो मेरी माँ को!"
पर उनके सिर तक जूँ तक नहीं रेंगी।
धरा की आँखों में आँसू आ गए। वह रोते हुए बोली, "मुझे रिवांश ओबेरॉय के पास जाना होगा। हाँ, वही अब मेरी मदद कर सकता है। मुझे जल्दी करना होगा।" ऐसा बोलकर वह भागते हुए बाहर सड़क पर चलने लगी। सड़क पर कोई भी गाड़ी या बस मौजूद नहीं थी।
थोड़ी देर में बारिश शुरू हो गई, पर धरा फिर भी पागलों की तरह दौड़ती रही।
आधे घंटे के बाद धरा वहीं नीचे गिर गई। धरा के पैरों में मोच आ गई। तभी धरा ने देखा कि एक आदमी छाता लिए उसके पास खड़ा है। उस आदमी के काले जूते ही दिखाई दे रहे थे।
धरा ने जैसे ही उस आदमी को देखा, तो उसकी आँखों से आँसू की एक बूँद निकल आयी। धरा ने जब सामने देखा तो पाया रिवांश उसके सामने छाता लेकर खड़ा हुआ था। उसको यूँ खड़ा देख धरा की आँखों में आँसुओं की धारा बहने लगी।
धरा को यूँ रोता देख रिवांश डेविल स्माइल के साथ बोला, "लिटिल बेबी गर्ल, अभी तो मैंने तुम्हें दर्द दिया ही नहीं, तुम तो अभी से रोने लगी। तो सोचो जब तुम्हें बिस्तर पर दर्द दूँगा तब क्या हाल होगा तुम्हारा!"
रिवांश की ऐसी बातें सुन धरा लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई और खुद को कण्ट्रोल करते हुए बोली, "लुक मिस्टर रिवांश ओबेरॉय, आपको जो भी करना है मेरे साथ करो, पर मेरी मॉम को छोड़ दो। उनका कोई दोष नहीं है इसमें!"
फिर पागलों की तरह रोते हुए रिवांश के दोनों हाथ पकड़ लिए और उसे अपने चेहरे पर मारवाते हुए बोली, "मारो मुझे रिवांश, पर प्लीज़ मेरी मॉम को छोड़ दो! तुम जो बोलोगे वो मैं करूँगी, पर प्लीज़! मॉम को छोड़ दो। आई नो मैंने तुम्हें मारा।"
"तो तुम्हें गिल्ट है मेरी लिटिल बेबी गर्ल! तो ठीक है, तुम्हें माफ़ किया, तुम्हें छोड़ दिया तुम्हें। पर उसकी सज़ा तो दूँगा, पर तुम्हारी माँ की तो कोई गलती नहीं इसमें, तो छोड़ दूँगा उन्हें। पर तुम्हें मेरी शर्त माननी होगी।"
ऐसा बोलते वक्त उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। धरा अपनी भूरी आँखों से रिवांश की हरी आँखों में देख रही थी। धरा रिवांश को देखते हुए धीरे से बोली, "क्या है शर्त आपकी? मुझे मंज़ूर होगी।"
"बस मेरी माँ को छोड़ दो। ओह! तो मिस धरा रायचंद इतनी जल्दी मान गई? पहले सुन तो लो!" ऐसा बोलकर उसने कुछ पेपर्स निकालकर रख दिए और बोला, "साइन इट।"
उन पेपर्स को पढ़ते हुए धरा की आँखों में आँसू आने लगे। धरा रोते हुए बोली, "नहीं! तुम ऐसा नहीं कर सकते मेरे साथ! मैं ये नहीं कर सकती। प्लीज़ रिवांश ओबेरॉय, मैं हाथ जोड़ती हूँ तुम्हारे आगे! इतनी बड़ी सज़ा मत दो! तुम कहोगे ना रिवांश, तो मैं पूरी दुनियाँ के सामने माफ़ी माँग लूँगी। तुम कहोगे कि पैर पड़ने हैं तुम्हारे, तो वो भी कर लूँगी, पर ये नहीं होगा मुझसे!"
रिवांश शैतानी मुस्कान के साथ बोला, "ओह! तो बस इतना ही प्यार था अपनी माँ के साथ? सोचो अगर पुलिस स्टेशन में कब कौन कहाँ से गोली मार दे तो क्या होगा तुम्हारी मॉम का! अब तुम भी यही चाहती हो तो यही सही। मैं बोल देता हूँ वहाँ फिर तुम्हारी माँ का क्रिया-कर्म वहीं जेल में हो जाएगा। रुको, मैं अभी कॉल करता हूँ।" ऐसा बोलकर वह जैसे ही कॉल करने वाला था, धरा ने जल्दी से उसका फ़ोन काटकर बोली, "ठीक है, मैं कर रही हूँ साइन!"
ऐसा बोलकर उसने साइन कर दिए। रिवांश के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान आ गई। धरा उन पेपर्स को रिवांश को देते हुए बोली, "अब प्लीज़ मेरी माँ को छोड़ दो। देखो, तुमने जो कहा मैंने किया, अब तो तुम उन्हें कुछ नहीं करोगे ना!"
रिवांश एक तिरछी मुस्कान के साथ बोला, "रिवांश ओबेरॉय कोई भी प्रॉमिस नहीं तोड़ता। ठीक है, तुम्हारी माँ को अभी छुड़वाने जाता हूँ। तुम भी चलो मेरे साथ।" धरा हाँ में सिर हिलाते हुए बोली, "हाँ, ठीक है!"
थोड़ी देर में धरा और रिवांश पुलिस स्टेशन में थे। वह पुलिसवाला जिसने धरा के साथ बदतमीज़ी से बात की थी, वह रिवांश की जाँपलूसी करते हुए बोला, "सर, आपने जैसे कहा था हम लोगों ने वैसे ही उसे टॉर्चर किया। पर वैसे सर, आपने यहाँ आने का कष्ट कैसे किया? मुझे बुला लिया होता।"
रिवांश वहीं किसी किंग की तरह बैठा था। रिवांश ने अपने एक पैर पर अपने दूसरे पैर को रखते हुए एक टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, आना तो था। आखिर इतने ईमानदार अफ़सर को इनाम देना तो बनता है।"
इनाम की बात सुन वह खुश हो गया और लालच से बोला, "हाँ साहिब, इनाम तो बनता है। पता है ये औरत बड़ी सख्त जान थी। पर मेरी थोड़ी सी मार से बोलने लगी कि इसने ही किया था, मतलब खराब कॉफ़ी दी लोगों को!"
रिवांश ने उसकी बात सुनकर अपनी पैंट की जेब से एक गन निकाल दी। वह पुलिस अफ़सर डरते हुए बोला, "साहिब, ये क्या कर रहे हो आप? हाँ, मैंने क्या किया?" रिवांश गुस्से से गन पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए बोला, "एक गलती करता तो मान भी जाता, लेकिन तूने दो गलती की है तो सज़ा तो मिलनी ही चाहिए ना!"
वह पुलिस अफ़सर हकलाते हुए बोला, "नहीं तो साहिब, मैंने कुछ भी तो नहीं किया।" उसकी बात सुन रिवांश डेविल स्माइल के साथ बोला, "ठीक है, तो मैं याद दिला देता हूँ।" ऐसा बोलकर रिवांश ने गोली उस अफ़सर के घुटनों में चला दी। वह अफ़सर वहीं रिवांश के पैरों में गिर गया।
रिवांश ने अपने जूतों की नोक उस गोली वाले पार्ट में जोर से मसलते हुए कहा, "तेरी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी लिटिल गर्ल को परेशान करने की! इतनी हिम्मत आ गई कि तुम मेरी बेबी के साथ रात गुजारने की बात करोगे और मैं कुछ नहीं करूँगा! और क्या कहा? कि मैंने कहा था तुम्हें उसकी माँ को हर्ट करने के लिए। तुम्हें नहीं पता उसकी माँ को हर्ट करने से मेरी बेबी हर्ट होगी, हाँ! तुम्हें नहीं पता उसे रुलाने का हक मैंने किसी को भी नहीं दिया। ये हक बस मेरा है! तुमने सोचा भी कैसे कि इतनी बड़ी बात पर तुम्हें यूँ ही जाने दूँगा!"
ऐसा बोलकर वह बड़ी ही बेरहमी से उसके ज़ख्म को दबा रहा था। धरा ने यह सब देख अपनी आँखें बंद कर दीं।
रिवांश एक टेढ़ी नज़र के साथ बोला, "ओपन योर आइज़ माई लिटिल गर्ल!"
धरा ने डरते हुए अपनी आँखें खोली और डरते हुए बोली, "आप छोड़ दीजिए इन्हें। मानती हूँ इन्होंने गलत किया, पर फिर भी छोड़ दीजिए।" रिवांश डेविल स्माइल के साथ बोला, "ठीक है, छोड़ दूँगा, पर पहले तुम्हें मुझे किस करना होगा, तो ही छोड़ दूँगा, वरना नहीं!"
धरा उसकी बात सुन कुछ सोचने लगी। तभी रिवांश ने गन उस पुलिस अफ़सर की तरफ़ करते हुए कहा, "तुम्हारा खेल ख़त्म इंस्पेक्टर चोबे!"
धरा यह सब देख रिवांश को किस करने लगी। जैसे ही रिवांश ने उसके होंठों को अपने होंठों पर महसूस किया, वह भी धरा का साथ देने लगा। सभी इंस्पेक्टरों की आँखें निचली थीं। किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि रिवांश को रोक सके, लेकिन तभी एक गन शॉट की आवाज़ सुनाई दी और धरा ने अपने कानों को अपने हाथों से बंद कर दिया।
रिवांश ने एक तिरछी मुस्कान के साथ कहा, "रिवांश ओबरॉय कोई भी वादा नहीं तोड़ता, ठीक है? तुम्हारी माँ को अभी छुड़वाने जाता हूँ, तुम भी चलो मेरे साथ।"
धरा ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, ठीक है।"
थोड़ी देर में धरा और रिवांश पुलिस स्टेशन में थे। उस पुलिस वाले ने, जिसने धरा से बदतमीज़ी से बात की थी, रिवांश की चापलूसी करते हुए कहा, "सर, आपने जैसे कहा था, हम लोगों ने वैसे ही उसे प्रताड़ित किया। पर वैसे सर, आप यहाँ आने का कष्ट कैसे किया?"
"मुझे बुला लिया होता।"
रिवांश वहीं किसी राजा की तरह बैठा था। उसने एक पैर पर दूसरा पैर रखते हुए, एक टेढ़ी मुस्कान के साथ कहा, "हाँ, आना तो था। आखिर इतने ईमानदार अफ़सर को इनाम देना तो बनता है।"
इनाम की बात सुनकर वह खुश हो गया और लालच से बोला, "हाँ साहब, इनाम तो बनता है। पता है, ये औरत बड़ी सख़्त जान थी, पर मेरी थोड़ी-सी मार से बोलने लगी कि इसने ही किया था, मतलब ख़राब कॉफ़ी दी लोगों को!"
रिवांश ने उसकी बात सुनकर अपनी पैंट की जेब से एक बंदूक निकाल दी।
वह पुलिस अधिकारी डरते हुए बोला, "साहब, ये क्या कर रहे हो आप? मैंने क्या किया?"
ऐसा बोलते हुए रिवांश बड़ी बेरहमी से उसके ज़ख़्म को दबा रहा था। धरा ने यह सब देखकर अपनी आँखें बंद कर लीं।
रिवांश ने एक टेढ़ी नज़र से कहा, "Open your eyes, my लिटिल गर्ल!"
धरा ने डरते हुए अपनी आँखें खोलीं और डरते हुए बोली, "आप छोड़ दीजिये इन्हें। मानती हूँ इन्होंने गलत किया, पर फिर भी छोड़ दीजिये।"
रिवांश ने डेविल स्माइल के साथ कहा, "ठीक है, छोड़ दूँगा, पर पहले तुम्हें मुझे किस करना होगा, तो ही छोड़ दूँगा, वरना नहीं!"
धरा उसकी बात सुनकर कुछ सोचने लगी। तभी रिवांश ने बंदूक उस पुलिस अधिकारी की ओर करते हुए कहा, "तुम्हारा खेल ख़त्म, इंस्पेक्टर चोबे!"
धरा यह सब देखकर रिवांश को किस करने लगी। जैसे ही रिवांश ने उसके होंठ अपने होंठों पर महसूस किये, वह भी धरा का साथ देने लगा। सभी इंस्पेक्टरों की आँखें निगाहें झुकी हुई थीं। किसी की भी हिम्मत नहीं थी कि रिवांश को रोके, लेकिन तभी एक बंदूक की गोली की आवाज़ सुनाई दी और धरा ने अपने कानों को अपने हाथों से बंद कर लिया।
धरा अपने सामने एक पुलिस अधिकारी की लाश देख रही थी। उसकी बॉडी वहीं डर से जम चुकी थी। धरा ने अपने दोनों हाथों से अपना चेहरा छुपाया हुआ था। उसकी बॉडी काँप रही थी। तभी रिवांश ने उसके चेहरे से उसके हाथों को अलग किया और सामने देखने को कहा। धरा फिर भी नहीं देख रही थी। धरा ने बड़ी मुश्किल से खुद को कण्ट्रोल किया और कहा, "You're cruel hearted! तुम इतने जालिम कैसे हो सकते हो? इतनी सी बात पर तुमने उसे मार दिया!"
उसकी इस बात ने रिवांश के गुस्से की आग को जैसे हवा दे दी और रिवांश उसके बालों को पकड़ते हुए बोला, "तो क्या करता? इंतज़ार करता कि कब वो S** हरामि तुम्हें अपने बेड पर ले जाएँ? इतना भी शरीफ़ नहीं हूँ मैं! ऐसे देखकर तो समझ आ गया होगा कि मैं क्या कर सकता हूँ। अगर तुम नहीं चाहती कि तुम्हारी माँ और नानी का भी यही हाल हो, तो चुपचाप मेरे साथ चलो!"
तभी धरा की माँ उसके पास आई और बोली, "कौन है ये आदमी धरा?"
धरा खामोश रही। तो रिवांश ने धरा के गाल पर अपना हाथ रखते हुए कहा, "ये मेरी मिस्ट्रेस है, मिसेज़ रायचंद! ख़रीदा है मैंने आपकी बेटी को!"
यह सुनकर धरा की आँख से एक आँसू निकल आया, पर वह चुप रही। उसको चुप देखकर धरा की माँ ने काँपते होंठों से कहा, "क्या कहा धरा, इसने तुमसे?"
तो धरा ने धीरे से कहा, "ये सच है माँ!"
धरा की माँ ने गुस्से से धरा के चेहरे पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा, "शर्म नहीं आई तुम्हें? क्या भूल गई मेरे और अपनी नानी के दिए संस्कार?"
धरा ने रोते हुए कहा, "Mom!"
"मर गई तेरी Mom तेरे लिए! आज के बाद ना तुम मेरी बेटी, ना मैं तेरी माँ हूँ! और ख़बरदार जो तुम मेरे घर की दहलीज़ पर अपना कदम रखा!" ऐसा बोलकर वह धरा को धमकी देकर चली गई।
उनके जाने के बाद धरा घुटनों के बल बैठ रोने लगी। उसको रोता देख रिवांश ने उसकी आँखों से आँसुओं की बूँद निकाली और डेविल स्माइल के साथ कहा, "अभी से तुम्हारा ये हाल है, धरा रायचंद!"
धरा उसे अपनी जलती हुई नज़रों से देखते हुए बोली, "नफ़रत करती हूँ तुमसे, तुम्हारे नाम से, तुम्हारे वजूद से! अगर मुझे कभी मौका मिला ना, तो I swear, तुम्हारी जान लेने से पीछे नहीं हटूँगी!"
रिवांश पागलों की तरह हँसते हुए बोला, "Oh my लिटिल बेबी गर्ल! जो तुम सपने में भी नहीं कर सकती! अब जल्दी चलो मेरे साथ! मुझसे और वेट नहीं हो रहा!"
धरा ने अपने सामने पड़े पुलिस अधिकारी के शव को देखा। उसका शरीर डर से जम सा गया था। उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढँक रखा था, और उसकी बॉडी काँप रही थी। तभी रिवांश ने उसके हाथ चेहरे से हटाए और उसे सामने देखने को कहा। धरा फिर भी नहीं देख रही थी। बड़ी मुश्किल से खुद को काबू में करते हुए धरा ने कहा, "तुम इतने जालिम कैसे हो सकते हो? इतनी सी बात पर तुमने उसे मार दिया।"
उसके इस बोलने से रिवांश के गुस्से में और आग लग गई। रिवांश ने उसके बाल पकड़ते हुए कहा, "तो क्या करता? इंतज़ार करता कि कब वो S** हरामज़ादा तुम्हें अपने बिस्तर पर ले जाए? इतना भी शरीफ़ नहीं हूँ मैं!"
"ऐसे देखकर तो समझ आ गया होगा कि मैं क्या कर सकता हूँ। अगर तुम नहीं चाहती कि तुम्हारी माँ और नानी का भी यही हाल हो, तो चुपचाप मेरे साथ चलो!"
तभी धरा की माँ उसके पास आई और बोली,
"कौन है ये आदमी धरा?"
धरा खामोश रही। तब रिवांश ने धरा के गाल पर हाथ रखते हुए कहा,
"ये मेरी मिस्ट्रेस है, मिसेज़ रायचंद! ख़रीदा है मैंने आपकी बेटी को!"
यह सुनकर धरा की आँख से आँसू निकल आया, पर वह चुप रही। धरा को चुप देखकर, धरा की माँ ने काँपते हुए होठों से कहा,
"क्या कहा इसने धरा?"
धरा ने धीरे से कहा,
"ये सच है माँ!"
धरा की माँ ने गुस्से से धरा के ग़ाल पर एक थप्पड़ मारा और बोली, "शर्म नहीं आई तुम्हें? क्या भूल गई मेरे और अपनी नानी के दिए संस्कार?"
धरा रोते हुए बोली,
"Mom!"
"मर गई तेरी Mom तेरे लिए! आज के बाद ना तुम मेरी बेटी, ना मैं तेरी माँ हूँ! और खबरदार जो तुम मेरे घर की दहलीज़ पर अपना कदम रखा!"
यह कहकर वह धरा को धमकी देकर चली गई। उनके जाने के बाद धरा घुटनों के बल बैठकर रोने लगी। उसे रोता देख रिवांश ने उसकी आँखों से आँसू का एक बूँद पोंछा और डेविल स्माइल के साथ कहा,
"अभी से तुम्हारा ये हाल है धरा रायचंद!"
धरा उसे अपनी जलती हुई नज़रों से देखते हुए बोली,
"नफ़रत करती हूँ तुमसे, तुम्हारे नाम से, तुम्हारे वजूद से! अगर मुझे कभी मौका मिला ना, तो मैं तुम्हारी जान लेने से पीछे नहीं हटूँगी!"
रिवांश पागलों की तरह हँसते हुए बोला,
"Oh my लिटिल बेबी गर्ल! जो तुम सपने में भी नहीं कर सकती!"
"अब जल्दी चलो मेरे साथ! मुझसे और इंतज़ार नहीं हो रहा!"
"तुम्हारे मुँह से..." धरा ने उसके मुँह पर हाथ रखकर गुस्से से कहा, "शर्म करो! और मैं चल रही हूँ तुम्हारे साथ!"
रिवांश धरा को एक प्राइवेट विला में ले आया जहाँ उसकी माँ रहती थी।
वहीं दूसरी तरफ़, धरा की माँ जब घर पहुँची तो धरा की नानी बोली,
"क्या बात है जानवी? धरा नहीं आई अब तक?"
धरा की माँ ने धीरे से कहा,
"वो अब आएगी भी नहीं कभी!"
धरा की नानी नासमझी में बोली,
"क्या मतलब तेरा?"
धरा की माँ मन ही मन बोली, 'नहीं, माँ को नहीं बता सकती कुछ! अगर इन्हें कुछ बताया तो कहीं इन्हें हार्ट अटैक ना आ जाए!' ऐसा सोचकर उसने एक नकली मुस्कान के साथ कहा,
"अरे कुछ नहीं माँ, धरा को जॉब मिल गई है। अब से धरा कंपनी के दिए फ्लैट पर रहेगी। उसके पास सब कुछ होगा माँ!"
धरा की नानी खुशी से बोली,
"चलो ये तो अच्छा हुआ कि धरा को जॉब मिल गई, पर धरा को वहाँ रहने की क्या ज़रूरत है?"
धरा की माँ ने अपनी माँ से शांत आवाज़ में कहा,
"माँ, वो ऑफिस यहाँ से दूर है, तो ऑफिस के पास ही है वो! और वैसे भी माँ, वो बहुत खुश है वहाँ। वैसे अच्छा ही हुआ कि धरा खुद ही चली गई, नहीं तो मैं खुद ही उसे निकाल देती उसे!"
धरा की नानी तेज आवाज़ में बोली,
"ये क्या बोल रही है तू? एक माँ होकर ऐसी बातें करते हुए तुझे शर्म नहीं आई?"
धरा की माँ वहीं रोते हुए बोली,
"तो क्या बोलूँ माँ मैं? धरा की ज़िन्दगी का भी वही हाल होने दूँ जो मेरा हुआ? वो आदमी इसी शहर में आ गया है और उसके आदमी उसके पीछे पड़े हैं। देखा था कल शाम मैंने उसे, वो आदमी आज भी पागलों की तरह पीछे पड़ा है हमारे। तो धरा यहाँ से दूर रहेगी तो बच जाएगी!"
"वो डर जो हमने अपना सब कुछ छोड़कर भगाया था, वो फिर से सामने आने वाला है।" धरा की नानी बोली।
धरा की माँ रोते हुए बोली,
"माँ, उस आदमी को कभी माफ़ नहीं करूँगी! उसने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी! भूली नहीं वो दिन जब उस आदमी ने आपको अपनी ज़िन्दगी से निकाला था! और मुझे भी उन दोनों आदमियों से नफ़रत है माँ मैं!"
"अब वो धरा को लेने आए होंगे, पर खुशी है कि धरा अब हमारे साथ नहीं है। मैं उसे पल-पल मरते हुए नहीं देख सकती!"
धरा की नानी ने अफ़सोस के साथ कहा,
"सारी गलती मेरी थी जानवी! अब जो बीत गया उसे बीता हुआ कल रहने दो! अगर धरा को ये बात पता चली तो देखना कितना गुस्सा करेगी, इसलिए सब कुछ भूल जाओ और जाओ खाने की तैयारी करो!"
धरा की नानी खुशी से बोली, "चलो ये तो अच्छा हुआ कि धरा को जॉब मिल गई। पर धरा को वहाँ रहने की क्या ज़रूरत है?"
धरा की माँ अपनी माँ से शांत आवाज़ में बोली, "माँ, वो ऑफ़िस यहाँ से दूर है, तो ऑफ़िस के पास ही है वो!"
"और वैसे भी माँ, वो बहुत खुश है। वहाँ वैसे अच्छा हुआ ये कि धरा खुद ही नहीं चली, तो मैं खुद ही उसे निकाल देती उसे!"
धरा की नानी तेज आवाज़ में बोली, "ये क्या बोल रही है तू? हाँ, एक माँ होकर ऐसी बातें करते हुए तुझे शर्म नहीं आई?"
धरा की माँ वहीं रोते हुए बोली, "तो क्या बोलूँ माँ मैं?"
"धरा की ज़िंदगी का भी वही हाल होने दूँ जो मेरा हुआ? वो आदमी इसी शहर में आ गया और उसके आदमी उसके पीछे पड़े हैं। देखा था कल शाम मैंने उसे; वो आदमी आज भी पागलों की तरह पीछे पड़ा है हमारे। तो धरा यहाँ से दूर रहेगी तो सेफ़ रहेगी!"
जिस डर से हमने अपना सब कुछ छोड़ दिया, वो फिर से सामने आने वाला है। धरा की नानी बोली,
तो धरा की माँ रोते हुए बोली, "माँ, उस आदमी को कभी माफ़ नहीं करूँगी। उसने मेरी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी!"
"भूली नहीं वो दिन जब उस आदमी ने आपको अपनी ज़िंदगी से निकाला था। और मुझे भी उन दोनों आदमियों से नफ़रत करती हूँ माँ मैं!"
"अब वो धरा को लेने आए होंगे। पर खुशी है कि धरा अब हमारे साथ नहीं है। मैं उसे पल-पल मरते हुए नहीं देख सकती!"
धरा की नानी एक अफ़सोस के साथ बोली, "सारी गलती मेरी थी जानवी!"
"अब जो बीत गया, उसे बीता हुआ कल रहने दो!"
"अगर धरा को ये बात पता चली तो देखना कितना गुस्सा करेगी। इसलिए सब कुछ भूल जाओ और जाओ खाने की तैयारी करो!"
रिवांश के ओबेरॉय मेंशन में ले आये तभी एक 50 साल की औरत, जो कि गहनों में लदी हुई थी, गुस्से से सोफ़े से उठते हुए बोली, "रिवांश, आपकी हिम्मत कैसे हुई इस लड़की को ओबेरॉय मेंशन में लाने की? अगर इतनी आग थी तो बाज़ार जाकर ठंडा करते। इस तरह से इसे यहाँ लाने का क्या मतलब? ये लड़की सड़क पर पड़ी धूल है और उसका काम सड़क पर ही होता है, महलों में नहीं!"
"बस मिसेज़ ओबेरॉय, ये मेरी क्या लगती है क्या नहीं, इससे आपको कोई मतलब नहीं होना चाहिए। आप अपनी किटी पार्टी एन्जॉय कीजिए, बस!"
उसकी बात सुन वो औरत कुछ पल शांत रहकर बोली, "रिवांश, ऐसे कैसे बात कर रहे हो? मैं माँ हूँ तुम्हारी!"
रिवांश एक अजीब सी स्माइल के साथ बोला, "ओह, रियली? आज मिसेज़ ओबेरॉय को याद आ गया कि उनका एक बेटा भी है? मैंने तो सोचा कि भूल गई होगी वो!"
"रिवांश, तुम इसे कैसे बात कर सकते हो मुझसे? वो भी इस मामूली सी लड़की के कारण!"
रिवांश गुस्से से बोला, "वो मामूली लड़की है!"
तो उसकी माँ भी उसी तरह बोली, "रिवांश, ये लड़की इस घर में नहीं रहेगी। या तो ये रहेगी या फिर मैं!"
तो रिवांश धरा को अपनी बाहों में उठा अपने रूम की तरफ़ ले जाते हुए बोला, "तो देर किस बात की है? जाइए! अगर आप ये बोलेंगी तो क्या मैं धरा को निकाल दूँगा? नहीं, बिलकुल भी नहीं! इस पर मेरा हक़ है, तो मैं इसे ऐसे यहाँ से कहीं नहीं जाने दूँगा, समझे आप!"
ऐसा बोल वो धरा को अपने रूम में ले गया। उसके जाने के बाद रिवांश की माँ नफ़रत से बोली, "इस लड़की को तो मैं निकाल कर ही रहूँगी। इसकी वजह से पहली बार रिवांश ने मुझसे इस तरीके से बात की।" ऐसा बोलते वक़्त उनके चेहरे पर नफ़रत थी।
रिवांश के जाने के बाद धरा ने देखा, उसके लिए कपड़े बेड पर रखे थे। वो एक व्हाइट कलर की जींस और लॉन्ग टॉप था जो घुटनों से भी काफ़ी नीचे था; कमर तक ठीक था, लेकिन बाकी जालीदार बना हुआ था। उसके टॉप से पैंट से नीचे की तरफ़ एक कट था जिसमें टॉप अलग हो रहे थे नीचे। धरा ने बालों की एक हाई पोनी और एक बटरफ़्लाई क्लिप लगाई हुई थी।
धरा जब नीचे आई तो रिवांश बड़े आराम से खाना खा रहा था और उसकी माँ धरा को ऐसे देख रही थी जैसे वो उसकी दुश्मन हो।
रिवांश बिना किसी भाव से बोला, "नाश्ता करो, लिटिल बेबी गर्ल!"
उसकी बात सुन धरा चुपचाप आकर बैठ गई। और कहने लगी... तो उसकी माँ धरा को ताने देते हुए बोली, "हाँ हाँ, खा लो खाना। सड़क पर तो मिलता ही नहीं होगा ऐसा खाना। तो तुमने अपनी ज़िंदगी में भी नहीं देखा होगा!"
"वाह! क्या दिन आ गए हैं आजकल के भीख माँगने वालों के, जो महलों में खाने लगे!"
उनकी बात सुन धरा की आँखों में पानी आ गया।
तो रिवांश गुस्से से अपनी माँ पर बरसते हुए बोला, "मिसेज़ ओबेरॉय, आपकी इतनी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी बेबी गर्ल को बोलने की?"
तो उसकी बात सुन उसकी माँ बोली, "तुम इस सड़क छाप लड़की को घर में लेकर आए हो, तो मैं तुम्हें कुछ भी ना कहूँ हाँ!"
"तुमसे कितनी बार कहा है कि ऐसी लड़कियों को इस ओबेरॉय मेंशन में लेकर मत आओ!"
रिवांश ने गुस्से से टेबल पर मारते हुए कहा, "इतनी बार! इतनी बार आप बार-बार क्यों भूल जाती हैं कि ये ओबेरॉय मेंशन रिवांश ओबेरॉय का है, और मेरे यहाँ पर कौन रहेगा कौन नहीं, ये मैं डिसाइड करता हूँ। अगर अगली बार आपने कुछ भी कहा तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा!" ऐसा बोल उसने धरा का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गया।
रिवांश ने धरा को बेड पर फेंका। धरा डर से पीछे हटने लगी। उसे डरता देख रिवांश ने एक डेविल स्माइल के साथ कहा, "अभी तो मैंने कुछ किया भी नहीं है और तुम डरने लगीं? तो धरा ने अपने डर को छिपाते हुए कहा,
"किस गधे ने कहा है मैं डर रही हूँ? धरा किसी से नहीं डरती, समझे!"
रिवांश ने उसे तिरछी नज़रों से देखते हुए कहा,
"वो तो वक़्त ही बताएगा।"
फिर रिवांश ने उसे एक हॉट सी ड्रेस देते हुए कहा, "तुम ये पहनोगी, अभी के अभी!"
धरा ने जैसे ही वो ड्रेस देखी, उसके होश उड़ गए। वो ड्रेस लाल रंग की एक छोटी ड्रेस थी जो घुटनों से भी काफी ऊपर थी और स्लीवलेस थी। जिसके एक तरफ़ कंधे से पत्थर लटके हुए थे।
धरा ने ड्रेस को देखकर कहा, "ये ड्रेस मैं नहीं पहनूँगी। भला, ऐसी ड्रेस कोई पहनता है क्या? ये शुरू कब हुई और ख़त्म कब होगी, ये पता ही नहीं चलेगा। ना रे, ऐसी ड्रेस मैं नहीं पहनने वाली!"
रिवांश को उसकी बात सुनकर गुस्सा आ गया। वो सोच रहा था कि उसने इस लड़की को क्यों लाया है और ये लड़की उससे नखरे उठा रही है।
रिवांश ने गुस्से से उसके दोनों गालों को अपने हाथों से पकड़कर मसला और बोला, "तुम्हारी इतनी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की? मैं तुम्हारा मास्टर हूँ! समझी? अगर अगली बार तुमने मना किया तो देख लेना, तुम्हारी नानी और माँ दोनों को मरवा दूँगा!"
धरा ने आँखों में नमी लिए कहा, "नहीं-नहीं, उन्हें कुछ मत करना! मैं पहनती हूँ ये ड्रेस।"
वो बाथरूम में जाने लगी। रिवांश ने उसके बालों की खुशबू लेते हुए कहा, "अपने बाल खुले छोड़ना और हाँ, भूलकर भी मेकअप मत करना क्योंकि तुम मुझे ऐसे ही पसंद हो।"
उसकी बात सुनकर, सुलगती आँखों से उसे देखते हुए वो बाथरूम में चली गई।
रिवांश ने कमरे का माहौल रोमांटिक बनाया था। उसने कमरे में लाल रंग की डिम लाइट की हुई थी और हल्का-हल्का ब्रिटिश म्यूजिक लगाया हुआ था। उसके एक हाथ में लाल वाइन थी। रिवांश ने ड्रेस के नाम पर बस ब्लैक पैंट पहनी हुई थी।
वो दिखने में किसी हॉलीवुड के हीरो से कम नहीं था। सुनहरे बाल और हरी आँखें, ये देखकर कोई भी लड़की उस पर मर मिटती। दिखने में वो ब्रिटिश जैसा लगता था। अगर कोई उसे देख ले तो यही बोलेगा कि ये ब्रिटिश है, पर उसकी हिंदी इतनी अच्छी थी कि सभी को समझ में आ जाता कि ये भारतीय ही है।
दो मिनट बाद उसने देखा कि धरा बाहर नहीं आ रही। उसने धरा को देखा जो कमरे की तरफ़ देख रही थी। रिवांश उसके पास गया तो धरा बाथरूम में भागने लगी, कि रिवांश ने उसे पकड़कर कमरे में खींच लिया। धरा ने खुद को दूर करने की कोशिश की और बोली,
"प्लीज़, मुझसे दूर रहो। मुझे अच्छा फील नहीं हो रहा।"
रिवांश वहीं बेड पर बैठ गया और शातिर मुस्कान के साथ बोला, "ठीक है, मैं तुम्हारा मास्टर हूँ तो इतना तो कर ही सकता हूँ, पर मेरी एक शर्त है।"
धरा बोली, "कैसी शर्त?"
रिवांश ने अपनी नज़रें उसकी टाँगों पर जमाए हुए कहा, "तुम मुझे खुद सेड्यूस करोगी। अगर तुमने ये नहीं किया तो जानती हो ना मैं क्या कर सकता हूँ।"
उसका इशारा धरा की माँ और नानी की तरफ़ था। धरा ने अपने हाथों की मुट्ठी कसी। अब रिवांश बेड पर बैठा था। धरा मन ही मन बोली,
"मैंने तो कभी किसी को किस तक नहीं किया। सेड्यूस कहाँ से करूँगी?"
रिवांश ने उसे सोचते हुए देखा तो तेज आवाज़ में बोला, "मिस धरा, लगता है आपको सुनाई ही नहीं देता। मैंने क्या कहा? ठीक है, मैं करता हूँ कॉल!"
ऐसा बोलकर उसने जैसे ही कॉल करने को उठाया कि तभी उसके कानों में म्यूजिक की धुन सुनाई पड़ी। म्यूजिक सॉन्ग था, "आज दिखा दें मुझे लव करके!"
धरा एक कुर्सी पर बैठी थी। उसने अपनी एक टांग को पीछे और दूसरी को आगे की तरफ़ किया था और अपने सिर को नीचे झुकाकर पीछे ले गई, एक झटके से। फिर धरा ने अपनी एक टांग पर हाथ फेरा। उसकी अदाएँ अब रिवांश को पागल बना रही थीं।
धरा कुर्सी से उठकर रिवांश के पास गई और उसकी नेकेड चेस्ट पर अपने हाथ फेरने लगी। ऐसा करते वक़्त उसे खुद से घिन आने लगी, पर फिर भी उसने खुद को काफी कंट्रोल में रखा हुआ था। रिवांश के हाथ लगने पर उसने आगे बढ़कर धरा को रोक दिया। और तभी धरा एकदम से उससे दूर होकर गोल-गोल घूमते हुए कुर्सी पर बैठ गई और वो कुर्सी पर ही डांस करने लगी, जैसे कि वो कुर्सी पर उलटे बैठकर डांस कर रही हो। उसकी ऐसी अदाएँ देखकर रिवांश से रहा नहीं गया और उसने धरा को कुर्सी से उठाकर बेड पर लेटा दिया। और उसकी आँखों में देखते हुए बोला,
"मुझे नहीं पता था कि मेरी लिटिल बेबी गर्ल इतना अच्छा डांस भी करती है।" धरा की आँखों में देखते हुए बोला, "उफ़्फ़, किसी को दीवाना बनाने के लिए तुम्हारी ये भूरी आँखें ही काफी हैं। Now my turn to play with you।"
ऐसा बोलकर उसने उसके लिप्स पर अपने होंठ रख दिए और उसे किस करने लगा। धरा भी उसकी किस में खो रही थी। रिवांश ने उसकी आँखें देखीं जो बंद थीं। अब रिवांश ने उसकी बॉडी पर अपनी छाप देना शुरू कर दिया। वो किस के साथ बाइट भी कर रहा था। धरा कोई हरकत नहीं कर रही थी तो उसने धरा के बम पर हल्का सा अपना हाथ मारते हुए कहा,
"I need you with me because love can't be shared with the dead, understand?"
धरा ने उसकी बात सुनकर हाँ में जवाब दिया और अब धरा ने भी उसकी नेकेड चेस्ट पर अपने होंठ रख दिए। और धरा का एक हाथ गलती से रिवांश के उस पार्ट पर जा लगा जहाँ नहीं लगना चाहिए था। रिवांश से अब कंट्रोल नहीं हो रहा था। उसने धरा को खुद से नीचे किया और हस्की वॉइस में बोला, "I can't control right now!"
ऐसा बोलकर उसने अपनी पैंट उतारकर फेंक दी।
करीब दो घंटे बाद धरा काफी थक चुकी थी। उसने खुद को उससे दूर करने की कोशिश करते हुए कहा, "इंसान हो या जानवर! इतना स्टैमिना कहाँ से लाते हो?"
तो रिवांश ने एक डेविल स्माइल के साथ बोला, "अभी तुमने मेरा स्टैमिना देखा ही कहाँ है, my little baby girl!"
ऐसा बोलकर उसने काम जारी रखा। फिर उसके ख्यालों में किसी का ख्याल आया तो उसे गुस्सा आ गया और जहाँ वो धरा पर प्यार बरसा रहा था, अब वहीँ आग बरसा रहा था। रात के तीन बजे तक रिवांश शांत हुआ और उसने धरा के मासूम चेहरे को देखते हुए कहा, "ये मासूमियत है या फ़रेब?" ऐसा बोलकर वो धरा को अपनी बाहों में भरकर सो गया।
अगले दिन सुबह धरा की आँख खुली तो उसने पाया रिवांश बाथरूम में नहाने गया था। अभी जिम करके आया था तो। धरा ने भी एक काले रंग की शॉर्ट और उस पर भूरे रंग की शर्ट पहन ली।
थोड़ी देर में जब रिवांश आया तो धरा फट से बाथरूम में घुस गई। रिवांश ने उसे एक नज़र देखा और नीचे चला गया। उसके जाने के बाद धरा ने देखा उसके लिए कपड़े बेड पर रखे थे। वो एक सफ़ेद रंग की जीन्स और लॉन्ग टॉप था जो घुटनों से भी काफी नीचे था। कमर तक ठीक था लेकिन बाकी जालीदार बना हुआ था। उसके टॉप से पैंट से नीचे की तरफ़ एक कट था जिससे टॉप अलग हो रहे थे नीचे। धरा ने बालों की एक हाई पोनी और एक बटरफ़्लाई क्लिप लगाई हुई थी।
धरा जब नीचे आई तो रिवांश बड़े आराम से खाना खा रहा था और उसकी माँ धरा को ऐसे देख रही थी जैसे कि वो उसकी दुश्मन हो।
रिवांश ने बिना किसी भाव से कहा, "नाश्ता करो, लिटिल बेबी गर्ल!"
उसकी बात सुनकर धरा चुपचाप आकर बैठ गई। तभी उसकी माँ ने धरा को ताने देते हुए कहा, "हाँ-हाँ, खा लो खाना। सड़क पर तो मिलता ही नहीं होगा ऐसा खाना। तो तुमने अपनी ज़िंदगी में भी नहीं देखा होगा! वाह, क्या दिन आ गए हैं आजकल के भीखरियों के, जो महलों में खाने लगे!"
उनकी बात सुनकर धरा की आँखों में पानी आ गया। तो रिवांश गुस्से से अपनी माँ पर बरसते हुए बोला, "मिसेज ओबेराय, आपकी इतनी हिम्मत भी कैसे हुई मेरी बेबी गर्ल को बोलने की!"
तो उसकी बात सुनकर उसकी माँ बोली, "तुम इस सड़क छाप लड़की को घर में लेकर आए हो तो मैं तुम्हें कुछ भी ना कहूँ हाँ! तुमसे कितनी बार कहा है कि ऐसी लड़कियों को इस ओबेराय मेंशन में लेकर मत आओ!"
रिवांश ने गुस्से से टेबल पर मारते हुए कहा, "इतना इतना! आप बार-बार क्यों भूल जाती हैं कि ये ओबेराय मेंशन रिवांश ओबेराय का है और मेरे यहाँ पर कौन रहेगा, कौन नहीं, ये मैं डिसाइड करता हूँ। अगर अगली बार आपने कुछ भी कहा तो मुझसे बुरा कोई भी नहीं होगा।" ऐसा बोलकर उसने धरा का हाथ पकड़कर अपने साथ ले गया।
रिवांश ने अपनी माँ को गुस्से से कहा, "आपको इसे बोलने की कुछ भी ज़रूरत नहीं! और वैसे भी, आप होती कौन हैं, इसे कुछ भी बोलने वाली!"
रिवांश की बात सुनकर उसकी माँ गुस्से से बोली, "रिवांश! तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी माँ से ऐसे बातें करते हुए?"
रिवांश ने उसी लहजे में कहा, "आती है, बहुत आती है मिसेज़ ओबेरॉय! पर क्या करूँ? जब आप यही बातें करती हैं, तो... चली जाती हैं आप! मिसेज़ ओबेरॉय तो बन गईं, पर कभी-कभी मेरी माँ नहीं बन पाईं। और आपने आज तक जो भी कहा, वो सब मैंने किया। अब भी एक आखिरी बार कर दूँगा। तो प्लीज़, आप Mr. ओबेरॉय के साथ जाकर रहो!"
"क्योंकि अगर मेरे साथ रहीं, तो कहीं मैं कुछ ऐसा न कर दूँ जो मुझसे नहीं होना चाहिए!"
उसकी माँ उदास भरी आवाज़ में बोली, "रिवांश, बेटा..."
"मैं तो बस तुम्हारा भला चाहती हूँ।"
"बस अपना भला देखिए! मिसेज़ ओबेरॉय, मेरे बारे में सोचने की कोई ज़रूरत नहीं। मैं अपना भला खुद देख सकता हूँ। तो प्लीज़, आप यहाँ से चली जाएँ। वरना मैं वो नहीं करूँगा जो आप चाहती हैं। और हाँ, आज आपकी लाड़ली बेटी सिया आ रही है, तो आपको उसका ख्याल रखना चाहिए।"
सिया का नाम सुनकर उसकी माँ खुशी से बोली, "अरे! मेरी बेटी सिया वापस आ रही है!"
रिवांश ने बिना उन पर ध्यान दिए बोला, "हाँ, वो आ चुकी है। उसकी स्कूल की स्टडी पूरी हो चुकी है, और बाकी की स्टडी यहीं से होगी। और जॉब भी वो अपने दम पर करेगी। उसे खुद के बलबूते पर खुद को साबित करना होगा!"
"अगर उससे ये नहीं हुआ, तो बता रहा हूँ, मैं उसे एक फूटी कौड़ी भी नहीं दूँगा! और अपनी बेटी को थोड़ी तमीज़ भी सिखा दीजिएगा!"
रिवांश की बात सुनकर उसकी माँ को बहुत गुस्सा आया, पर वो शांत रही क्योंकि धरा उनकी नासमझी में उन्हें देख रही थी।
रिवांश की माँ नकली हँसी के साथ बोली, "वैसे, बेटा, ये बात तुमने बिल्कुल सही कही! मुझे इस वक़्त मेरी बेटी के पास होना चाहिए, ना कि तुम्हारे पास। तुम्हारे पास तो अब तुम्हारी... रखैल जो है... पर मेरी बेटी के पास कोई नहीं।" ऐसा बोल वो उस मकान को छोड़कर चली गई।
रिवांश ने एक नज़र धरा को देखा और आगे कहा, "तुम इस मेंशन में रहोगी। यहाँ पर कोई भी तुम्हें परेशान नहीं करेगा, मेरे अलावा! तुम्हारी ज़रूरत का सारा सामान यहीं पर होगा।"
ऐसा बोलकर वो अपने ऑफिस चला गया।
उसके जाने के बाद धरा उदास हो गई और उदासी भरी आवाज़ में बोली, "क्या मुझे अब इसकी कैद में रहना होगा?"
वहीं दूसरी तरफ़, मुंबई एयरपोर्ट पर एक लड़की, जिसने पिंक कलर की शर्ट और ब्लू कलर की शॉर्ट्स पहनी हुई थी, उसने अपने पूरे मुँह में चॉकलेट भरी हुई थीं। बाल उसके शॉर्ट्स थे, यानी बस गर्दन तक ही आते थे। उम्र उसकी अठारह साल रही होगी।
एयरपोर्ट पर सभी लोग उस लड़की को ही देख रहे थे। वो ऐसे लग रही थी जैसे कोई एलियन धरती पर उतर आया हो! पर वो अपने आस-पास के माहौल से बेखबर थी। उसे अपने आस-पास के माहौल से जैसे कोई लेना-देना नहीं था।
तभी उस लड़की ने देखा, एक रेड कलर की फ़ॉर्च्यूनर उसके सामने आकर खड़ी हो गई। वो लड़की खुशी से उछलकर बोली, "मतलब राघव आए हैं मुझे लेने!" राघव उसका स्कूल टाइम से ही क्रश रहा था। राघव कोई और नहीं, बल्कि उसके भाई रिवांश का बॉडीगार्ड था।
इतने में उसने देखा, राघव फ़ॉर्च्यूनर से बाहर निकला। उसके साथ एक लड़की भी थी जिसने... शायद...शोख़ से नहीं...हल्की गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी और राघव का हाथ कस के पकड़ रखा था। ये देख सिया को रोना आ रहा था। वो लड़की राघव की गर्लफ्रेंड, श्वेता तिवारी थी। श्वेता एक अनाथ लड़की थी जिसे उसके भाई ने एक भाई के नाते पाला था। चेहरे से मासूम और दिल से काली, यही थी श्वेता तिवारी... सिया को उसकी शक्ल देखकर ही गुस्सा आ गया!
सिया थोड़ी चुलबुली लड़की थी, पर इस वक़्त उसके चेहरे पर गुस्से वाले एक्सप्रेशन आ गए थे। और वो राघव के गले लगते हुए बोली, "अरे! आप आ गए मुझे लेने?"
श्वेता मासूम होने का दिखावा करते हुए बोली, "अरे माफ़ करना, सिया! वो राघव और मैं मूवी देखने जाने वाले थे।"
"वो आज तो... क्या तुम खुद ड्राइव करके चली जाओगी?"
राघव ये सुन उसे समझाते हुए बोला, "नहीं, श्वेता! ऐसा नहीं कर सकता मैं! बॉस ने कहा है, तो ड्यूटी तो करनी पड़ेगी!"
ये सुन सिया मन में उदास हो गई और बोली, "ये मेरे लिए नहीं आए, ये बस भाई के लिए आए हैं!"
ऐसा सोच वो राघव से दूर हो गई और ऐटिट्यूड से बोली, "आपका काम मुझे यहाँ से पिक करने का था, तो आप दोनों को साथ में नहीं आना चाहिए था!"
"क्योंकि मुझे पसंद नहीं मेरी गाड़ी में कोई भी ऐरा-गैरा आकर बैठ जाए, समझे!"
"इसलिए अगर आप दोनों को मूवी देखने जाना है, तो शोक से जाइए, मैं खुद से जा सकती हूँ।" ऐसा बोल उसने राघव से चाबी ली और गाड़ी में बैठ गई। और उसने गाड़ी का शीशा नीचे करते हुए गाड़ी से कुछ पैसे निकाल श्वेता के चेहरे पर मारते हुए कहा, "आई होप इतने पैसे काफ़ी होंगे तुम दोनों के लिए! इससे वापिस घर पर जा सकते हो और मूवी भी देख सकते हो, पर गाड़ी में नहीं बैठ सकते! मैं बैठने नहीं दूँगी!"
ऐसा बोल उसने अपने चेहरे पर गॉगल्स लगाए और हवा से बातें करते हुए चली गई।
उसके जाने के बाद श्वेता का मुँह बन गया। वहीं राघव खुशी के साथ बोला, "पागल है ये लड़की भी!"
वहीं दूसरी तरफ़, धरा के फ़ोन में बार-बार कबीर की कॉल आ रही थी और वो बार-बार डिलीट मार रही थी। पर जब कबीर ने कॉल करना बंद नहीं किया, तो उसने गुस्से से कॉल पिक करते हुए कहा, "तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है, मिस्टर कबीर? अब क्यों परेशान कर रहे हो?"
वहीं दूसरी तरफ़ से कबीर की आवाज़ सुनाई दी जो बोल रहा था, "देखो धरा, मुझे तुमसे मिलना है, बस पाँच मिनट के लिए गोल्डन कॉफ़ी शॉप पर। अगर तुम नहीं आईं, तो मैं तुम्हारे बारे में सब बता दूँगा कि तुमने अपनी एक रात किसी अनजान को दी!"
ये सुन धरा गुस्से से बोली, "मुझे पता नहीं था कि तुम इतना गिर जाओगे!"
वहीं दूसरी तरफ़ से कबीर गंदी हँसी के साथ बोला, "अभी तुमने देखा ही कितना है मुझे धरा बेबी! अगर नहीं आयेगी तुम, तो तुम्हारी पिक्चर्स तुम्हारी माँ और नानी को भेज दूँगा! अभी तो घर से निकली हो तुम! कहीं ऐसा ना हो कि सारी ज़िंदगी तुम बात ना कर पाओ अपने घरवालों से!"
धरा ये सुन गुस्से से बोली, "तुम्हें कुछ भी करने की कोई ज़रूरत नहीं! मैं खुद आ रही हूँ, समझे!" ऐसा बोल उसने गुस्से से कॉल कट किया। धरा मन में गुस्से से बोली, "इस कबीर के बच्चे ने मेरी ज़िंदगी ज़र्द करके रख दी! इसके कारण मुझे घर से निकाला गया और अब इस कैद में हूँ, पर इसे खुशी नहीं हुई इससे भी!" ऐसा सोच वो तैयार हुई और कबीर से मिलने चली गई।
रीवांश जो अपने ऑफिस में काम कर रहा था, जब उसने घर की रिकॉर्डिंग चेक की, तो धरा को हड़बड़ी में कहीं जाते पाया। और रिवांश ने जब और पीछे की रिकॉर्डिंग चेक की, तो उसने पाया कि वो कॉल कबीर की थी। ये देख उसने गुस्से में अपने कोट को अपने हाथ में लेते हुए कहा, "इट्स टाइम टू योर पनिशमेंट, माई लिटिल बेबी गर्ल!"
ऐसा बोल गुस्से से धरा जहाँ पर कबीर से मिलने गई थी, वहीं चला गया।
अब क्या करेगा रिवांश धरा के साथ?
धरा जब कबीर से मिलने कैफ़े पहुँची, तो कबीर वहीं बड़े आराम से कॉफ़ी पी रहा था। धरा गुस्से से उसके पास गई और उस पर बरसते हुए बोली,
"क्या प्रॉब्लम है तुम्हारी कबीर? मुझे चैन से जीने क्यों नहीं देते? कब मेरा पीछा छोड़ोगे तुम?"
कबीर नरम आवाज़ में बोला,
"शांत धरा। बैठ कर शांति से बात करो।"
धरा एक तंज़ भरी मुस्कान के साथ बोली,
"ओह, रियली? शांति से बात करूँ तुमसे? माई फ़ुट! मेरी भाभी के साथ रासलीला करके बोल रहे हो कि शांति से बात करूँ!"
कबीर धरा को हाथ से पकड़कर उस कैफ़े के बाहर एक सुनसान गली में ले गया। धरा उससे खुद को छुड़वाते हुए बोली,
"छोड़ो मुझे कबीर! अगर मेरे बॉयफ़्रेंड को पता चला ना, तो देख लेना!"
कबीर उसकी बात सुनकर पागलों की तरह हँसते हुए बोला,
"वो यहां पर आ ही नहीं सकता, समझी! और तुझे क्या लगा कि मैंने तुझे यहां पर माफ़ी मांगने लाया है? नहीं! मैंने तेरा सौदा किया है, एक लाख में, समझी! अभी वो पार्टी आती ही होगी। बस करना कुछ नहीं है, तुम्हें एक रात गुज़ारनी है; ये तो तुम कर ही चुकी हो पहले भी!"
कबीर की बात सुन धरा को उससे घृणा होने लगी। उसने एक थप्पड़ कबीर के फ़ेस पर मारते हुए कहा,
"उम्मीद है मेरा जवाब मिल गया होगा तुम्हें। मैंने आज से पहले तुम जैसा घटिया इंसान कभी देखा ही नहीं! अगर तुम्हें किसी का सौदा करना ही था, तो ज्योति भाभी का करते। समझे? मेरा सौदा करने वाले तुम होते कौन हो, हाँ!"
कबीर धरा की कलाई पकड़ अपने दाँत पीसते हुए बोला,
"तुम मेरी ज्योति को बीच में क्यों ला रही हो, हाँ? वो तो कितनी मासूम है, बेज़ार। पर तुम दोनों भाई-बहनों की वजह से हमें अलग होना पड़ा था। पर कोई बात नहीं, मैं और ज्योति जल्दी ही शादी करने वाले हैं, वो भी एक महीने के अंदर, समझी? तो वो मेरी होने वाली बीवी है, तो उसका सौदा कर दूँ? इतना गया-गुज़रा भी नहीं हूँ।"
तभी वहाँ पर एक मोटा-सा काला आदमी, जिसकी तोंद निकली हुई थी, वो मुँह में पान चबाते हुए कबीर के पास आया और पान को थूककर धरा की तरफ़ गंदी नज़र से देखते हुए कहा,
"वाह, कबीर बाबू! तुमने तो हमें खुश ही कर दिया। चलो, तुम्हारा सारा कर्ज़ माफ़ किया और तुम्हें बदले में एक की जगह पाँच लाख दिए। तुम भी क्या याद करोगे!"
धरा गुस्से में बोली,
"कबीर, कुछ तो शर्म करो! मैं इस जंगली सूअर के साथ नहीं जाने वाली।"
वो जैसे ही जाने को हुआ, कि तभी उस मोटे आदमी ने धरा का हाथ पकड़कर कहा,
"ना, ना! इतनी जल्दी भी क्या है मेरी जान! बस एक रात गुज़ारनी है तेरे साथ। मैंने कौन सा तुझे रखना है अपने पास! बस एक रात गुज़ार ले, तुझे सोने में टाल दूँगा, समझी!"
इससे पहले वो धरा को ले जा पाता, कि तभी वहाँ पर रिवांश ओबेराय आ गया और उसने अपनी लाल आँखों से देखते हुए कहा, "छोड़ो धरा का हाथ।"
तो वो मोटा आदमी एक मकार वाली हँसी के साथ बोला,
"नहीं! तू जो कोई भी है ना, बाद में आना। आज की रात ये मेरे नाम हो चुकी है, समझा? तो निकल यहाँ से!"
रिवांश को उसकी बात सुन गुस्सा आ गया। उसने गुस्से में कहा, "कितनी कीमत लगाई है तुमने इसकी?" तो वो आदमी बोला,
"बीस लाख! पाँच लाख मैंने अभी दिए और पन्द्रह लाख का इसके आशिक का कर्ज़ माफ़ किया, समझे? तो हट जा मेरे सामने से!"
ऐसा बोल वो धरा को जैसे ही ले जाने लगा, पीछे से रिवांश की आवाज़ सुनाई दी जो बोल रहा था,
"बीस की जगह अस्सी लाख देने को तैयार हूँ, पर तुम आगे से धरा के रास्ते में भी नहीं आओगे!"
अस्सी लाख का सुन उस आदमी को लालच आ गया और वो धरा का हाथ छोड़कर बोला,
"अरे, भला हाथ आई लक्ष्मी को कोई छोड़ता है क्या? आज के बाद मैं इस लड़की से तो क्या, इस लड़के से भी दूर रहूँगा। बस तुम मुझे अस्सी लाख दे दो!"
रिवांश की बात सुन धरा उसे मना करते हुए बोली,
"नहीं रिवांश! मेरी वजह से तुम अपना नुकसान मत करो।"
रिवांश ने उसकी बात को अनदेखा करते हुए अपनी वॉच, जिसकी कीमत पूरे साठ लाख थी, वो और एक रिंग, जिसकी कीमत पूरे तीस लाख की थी, वो निकालते हुए उस मोटे आदमी को देते हुए बोला,
"अस्सी लाख से ज़्यादा दे रहा हूँ। इस वॉच की कीमत साठ और रिंग की तीस लाख है। चाहो तो खुद चेक कर लो।"
उस आदमी ने उस रिंग और वॉच को ध्यान से देखा तो उसे पता चल गया कि ये कोई मामूली इंसान तो नहीं। तो वो एक नकली मुस्कान के साथ बोला,
"मुझे तो बस पैसों से मतलब है, चाहे ऐसे मिले या वैसे!"
ऐसा बोल वो वहाँ से चला गया। उसके जाने के बाद रिवांश एक नज़र कबीर की ओर देख, बिना भाव के बोला,
"जल्दी चलो!"
ऐसा बोल वो आगे बढ़ गया। उसके जाने के बाद कबीर धरा से बोला,
"कौन था ये धरा?"
धरा ने उखड़ते हुए कहा,
"बॉयफ़्रेंड है मेरा, समझे!"
ऐसा बोल वो रिवांश के साथ उसकी गाड़ी में आगे बैठ गई। धरा ने काफ़ी बार उससे बात करने की कोशिश की, पर रिवांश ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया। तो धरा ने रिवांश के हाथ पर अपना हाथ रखते हुए कहा,
"क्या हुआ है तुम्हें?"
रिवांश ने उसकी तरफ़ देख गुस्से भरी आवाज़ में कहा,
"रियली धरा? सब कुछ जानबूझकर अनजान क्यों बन रही हो? मैंने कितनी बार मना किया है कि उस कबीर से दूर रहो, पर मेरे मना करने के बाद भी तुम गई। आज तुम्हारा वो हाल करूँगा कि तुम कभी किसी और लड़के के सामने जाने से भी डरोगी!"
ऐसा बोल उसने धरा का हाथ पकड़ उसे जबरदस्ती अपने मास्टर रूम में ले गया और बेड पर पटकते हुए बोला,
"मैं कम पड़ गया था जो उस मोटे आदमी के पास जाने लगी। कितनी बार एक ही बात कहूँ तुमसे!"
धरा भी उससे गुस्से से डर गई एक पल के लिए। उसने उसे समझाते हुए कहा,
"ऐसा कुछ भी नहीं है।"
तो रिवांश उस पर झुकते हुए कहा,
"तुम मेरी मिस्ट्रेस हो, समझी! अब तक मैं प्यार से क्या पेश आया? तुमने तो मुझे पागल समझ लिया। मेरी बात का कोई मतलब नहीं तुम्हारे लिए। आज के बाद तुम इस रूम तक से बाहर नहीं जाओगी। आज से तुम सूरज की एक किरण तक नसीब नहीं होगी!"
ऐसा बोल उसने धरा के दोनों हाथों को बेड से बाँध दिया।
धरा रिवांश को समझाने की कोशिश करते हुए बोली,
"देखो रिवांश, तुम गलत समझ रहे हो। मैं कबीर के पास गई थी क्योंकि… क्योंकि तुम्हारे दिल में उस कबीर रावत के लिए कुछ ज़्यादा ही प्यार आ रहा था!"
रिवांश उसे देख अपनी गुस्सैल आँखों से देखते हुए बोला,
"ऐसा कुछ भी नहीं! वो तो कबीर ने मुझे फ़ोटो भेज दी थी। हम दोनों की वो फ़ोटो अगर माँ और नानी के सामने आ जाती तो उन्हें हर्ट हो जाती। ओह! अपनी उस माँ की तकलीफ़ का पता है तुम्हें धरा? पर मेरी तकलीफ़ का क्या जो तुम्हारे कारण मेरे दिल में हो रही है, हाँ? बताओ मुझे!"
ऐसा बोल वो धरा के पास बेड पर पैर रखकर बोला।
धरा फिर से बोलने वाली थी, "रिवांश…"
पर रिवांश तो जैसे कुछ भी सुनने के मूड में ही नहीं था। उसने धरा के दोनों गालों को अपने हाथ से कसकर दबाते हुए बोला,
"मास्टर डोंट कॉल मी रिवांश। अंडरस्टैंड? कॉल मी मास्टर! समझी!"
धरा की आँखों में आँसू आ गए और वो हाँ में सिर हिलाने लगी।
"गुड गर्ल।" रिवांश ने उसके गाल पर हलके से मारते हुए कहा।
तो धरा ने धीरे से कहा, "अब तो आप छोड़ दो।"
धरा की बात सुन रिवांश पागलों की तरह हँसने लगा। उसकी हँसी की आवाज़ सुन धरा को अब डर लगने लगा। और फिर वो अपनी हँसी को रोक गुस्से से धरा को देखते हुए बोला,
"तुम्हारी सज़ा अभी ख़त्म नहीं हुई है धरा!"
ऐसा बोल वो रेड वाइन और आइस लेकर आया और उसने धरा की कमर से उसके कपड़े को अलग कर उसके पेट पर वो बर्फ रख दी और रेड वाइन पीने लगा। और फिर उसने धरा के मुँह में भी वो रेड वाइन फ़ोर्सफ़ुली डाली, और फिर धरा के पेट पर वो बर्फ को अपने मुँह में ले जाकर उसकी नेक और बॉडी पर फेरने लगा। बाद में उसने वो बर्फ को उसके मुँह के पास ले जाकर उसके मुँह में उस बर्फ को डाल उसे किस करने लगा।
रिवांश के इस तरह करने से धरा आउट ऑफ़ कंट्रोल होने लगी थी। धरा की ऐसी हालत देख रिवांश को बहुत मज़ा आ रहा था; उसे तड़पते हुए देख! वो उससे दूर हुआ और एक डेविल स्माइल के साथ वहाँ से जाते हुए बोला,
"अब मेरा मन नहीं है कुछ भी करने का।"
रिवांश की बात सुन धरा गुस्से से बोली,
"तुम्हें तो मैं छोड़ूँगी नहीं, नामर्द कहीं का! पता नहीं क्या समझता है खुद को? एक लड़की को बेड से बाँधकर खुद को मर्द समझता है!"
धरा की बात सुन जो रिवांश जा रहा था वो रुक गया और अपनी गर्दन पर हाथ रख अपने गुस्से को शांत करने लगा। पर जब उससे और बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो… अब क्या करेगा रिवांश धरा के साथ?
धरा के इतना कहने पर रिवांश, जो बाहर की ओर जा रहा था, गुस्से में उसके पास आया। पर फिर मुस्कराते हुए उसकी बॉडी को देखते हुए बोला, "बहुत हिम्मत आ गई है तुम में, मेरे फैसले के खिलाफ़ जाकर उस कबीर के बच्चे से मिलने गई। गई तो गई, अब तुम मुझसे, द ग्रेट बिज़नेस टाइकून रिवांश ओबेराय के सामने, जुबान लड़ा रही हो?"
धरा उसकी आँखों में देखते हुए बोली, "मिस्टर रिवांश ओबेराय, आपसे ये दुनिया डरती होगी, पर मैं नहीं!"
"डरोगी? मुझसे? तुम भी डरोगी। समझी? बहुत शौक है ना तुम्हें दूसरे लड़कों को अपनी ये बॉडी दिखाने का? आज मैं तुम्हारे इस शौक को पूरा कर दूँगा।"
ऐसा बोलकर रिवांश ने अपनी शर्ट के बटन खोलने शुरू कर दिए। अब रिवांश धरा के सामने खड़ा था। रिवांश ने धरा की बॉडी पर कुछ वाइन गिराई जो काफ़ी ठंडी थी, और उसे वाइन से सिक्त करने लगा।
धरा के हाथ भी रिवांश के बालों में चलने लगे।
धरा के मुँह से मौन की आवाज़ें सुनकर रिवांश होश में आया और गुस्से से बोला, "इस लड़की की इतनी हिम्मत! मैं ऐसे सज़ा दे रहा हूँ और ये एन्जॉय कर रही है!" ऐसा बोल वो एकदम से धरा में समा गया। धरा के मुँह से चीख निकल गई।
उस चीख को सुनकर रिवांश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई और उसने धरा को फिर भी नहीं छोड़ा।
पूरी रात ख़त्म होने को आई, पर रिवांश तो जैसे शांत नहीं हुआ। फिर जब रिवांश शांत हुआ तब सुबह के पाँच बज गए थे। धरा और वो पूरी तरह से पिघल चुके थे।
रिवांश थोड़ा रूका और उसने धरा का हाथ पकड़ उसे अपनी ऊपरी बॉडी पर सुला दिया। पर धरा के चेहरे को देख उसने धरा के पूरे चेहरे पर किस कर दी और फिर उसके नग्न पीठ पर अपने हाथ रख दिए।
धरा खुद को उससे दूर करने की कोशिश कर रही थी, पर रिवांश की पकड़ उतनी ही ज़्यादा मज़बूत होती गई।
रिवांश ने उसे ऐसे पकड़ रखा था जैसे कि वो भाग जाएगी। धरा किसी मोम की गुड़िया जैसी लग रही थी।
अगली सुबह जब धरा की आँखें खुलीं तो रिवांश को अपने नीचे देखकर उसे गुस्सा आया और उसने अपना मुँह दूसरी तरफ़ फेर लिया। उसका ऐसा करते देख रिवांश ने उसके दोनों गालों को सख्ती से पकड़ अपनी तरफ़ करते हुए कहा, "जब मैं तुम्हारे सामने हूँ तो किसी और की तरफ़ तुम्हारा ध्यान नहीं होना चाहिए, समझी? और हर बार तुम्हें बताना ज़रूरी नहीं है, समझी कि मैं कौन हूँ, तुम्हारा!"
धरा रिवांश को देख अपनी हकलाती हुई आवाज़ में बोली, "जी, मास्टर!"
गुस्से से रिवांश ने उसके गालों पर मारते हुए कहा, "मास्टर!"
धरा रिवांश से कुछ कहना चाहती थी पर वो रुक गई।
धरा को देख रिवांश बिना किसी भाव के बोला, "बोलो क्या बोलना है तुम्हें?" तो धरा थोड़ा हिचकिचाते हुए बोली, "वो... मुझे वॉशरूम जाना है।"
उसकी बात सुन रिवांश के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई और उसने धरा को अपनी बाहों में उठा लिया और वॉशरूम की ओर निकल पड़ा।
धरा रिवांश से छूटना चाहती थी पर छूट नहीं पा रही थी।
धरा को वॉशरूम में ले जाकर रिवांश ओबेराय ने बाथटब में झाग करके धरा को उसमें लेटा दिया और बड़े प्यार से उसकी बॉडी को क्लीन करने लगा, और खुद भी नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद रिवांश ने उसे बाथटब से बाहर निकाला तो वो उसकी बॉडी को स्कैन करने लगा। धरा उसके ऐसे देखने से असहज होने लगी और खुद के हाथों से कपड़े पहनने लगी। तो रिवांश ने उसके हाथों को पकड़ उसे दीवार से लगाते हुए कहा, "मुझसे क्या छुपाना? मैंने तो सब देखा हुआ है, माई लिटिल गर्ल!"
ऐसा बोल वो धरा के मुलायम होंठों पर अपने सख्त होंठ रख उसे चूमने लगा, और फिर अपने हाथों को धरा के हाथों में फँसा अपना काम करने लगा।
दो घंटे बाद जब वो शांत हुआ तो धरा को बाथरोब पहनाकर बेड पर लेटाकर कहा, "आज से तुम्हारी यही सज़ा है, मिस धरा रायचंद! तुम अब से इस रूम में कैद रहोगी और तुम बिना कपड़ों के ही रहोगी मेरे सामने! तुम वही कपड़े पहनोगी जो मैं दूँगा, समझी?"
धरा उसकी बात सुन मायूस भरी आवाज़ में बोली, "ये तुम ग़लत कर रहे हो!"
रिवांश पागलों की तरह हँसते हुए बोला, "रिवांश की दुनिया में सही-ग़लत नहीं होता। जो रिवांश ओबेराय को पसंद हो वो सब सही और जो पसंद ना हो वो सब ग़लत!"
ऐसा बोलकर अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा। उसके जाने के बाद धरा नम आँखों से रिवांश को जाते देख बोली, "एक दिन तुम्हें अपनी ग़लती का एहसास होगा, मिस्टर रिवांश ओबेराय, पर तब मैं तुम्हारी कैद से आज़ाद हो चुकी होगी! जितना दर्द तुमने मुझे दिया है ना, उससे कहीं गुना ज़्यादा दर्द मैं तुम्हें दूँगी!"
ऐसा कहते हुए उसकी आँखों से पानी की धारा बह निकली।
वहीं दूसरी तरफ़ रिवांश के ऑफिस में रिवांश धरा की ये बातें अपने मोबाइल में सुन पागलों की तरह हँसते हुए बोला, "मिस धरा रायचंद, तुम सपने बड़े देखने लगी हो! पर तुम भूल गई हो, पानी में रहकर मगर से बैर नहीं लिया जाता! मज़ा आएगा बहुत तुम्हें तोड़ने में! शायद तुम्हें छोड़ भी देता मैं, पर तुमने मेरी डॉल को रुला के अच्छा नहीं किया! तुम्हारी वजह से मेरी डॉल की आँखों में आँसू आए, और आज वो मौत के दर पर है, तो तुम्हें इतनी आसानी से मरने दूँगा थोड़ी? मैं तुम्हारा उससे भी बुरा हाल करूँगा जो तुमने मेरी डॉल का किया था!"
ऐसा बोल उसने अपने हाथों से काँच के गिलास के टुकड़े-टुकड़े कर दिए अपने हाथों से! उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं।
रिवांश ओबेरॉय ने धरा को अपने मॅन्शन में एक तरह से कैद कर रखा था। ऑफिस से आते ही उसके चेहरे पर एक दुष्ट मुस्कान आ गई। अपने कमरे में आकर उसने देखा कि धरा सो रही थी। यह देख रिवांश ने एक पानी का गिलास उठाकर धरा के चेहरे पर मारा और कहा,
"मिस धरा रायचंद, लगता है तुम भूल गई हो कि तुम मेरी बस मिस्ट्रेस हो! आराम कैसे कर सकती हो? तुम यहां आराम फरमा रही हो और तुम्हारा मास्टर भूखा बैठा है! जाओ और मेरे लिए खाना बनाओ!"
धरा ने सोचा कि शायद रिवांश का दिल पसीज गया है, लेकिन उसने जल्द ही महसूस किया कि रिवांश के इरादे अभी भी गलत हैं। धरा ने रसोई में खाना बनाना शुरू किया, लेकिन रिवांश ने उसे कोई कपड़े नहीं दिए। धरा को पता था कि रिवांश उसे अपमानित करना चाहता है, लेकिन उसने हार नहीं मानी और खाना बनाना शुरू कर दिया। रिवांश उसकी पूरी बॉडी पर अपनी नज़रें घुमा रहा था। धरा ने यह महसूस किया, पर उसने रिवांश को अनदेखा करते हुए खाना बनाना जारी रखा।
थोड़ी देर बाद, जब धरा ने खाना बनाकर रख दिया, तो रिवांश किचन से बाहर जाते हुए बोला,
"जल्दी करो, मुझसे भूख बर्दाश्त नहीं होती, माई लिटिल गर्ल!"
एक आँख मारकर वह चला गया। धरा उसे जाता देख गुस्से में बोली,
"कहीं ज़हर ना मिला दूँ तुम्हारे खाने में!"
रिवांश बाहर से ही बोला,
"कोई फ़ायदा नहीं है, बेबी। क्योंकि अगर तुमने कुछ भी ऐसा करने की कोशिश की, तो तुम्हारा सारा कोल्ड फ़ैमिली भी ऊपरवाले को प्यारी हो जाएगी। समझी? तो अपने ये छोटे सपने देखना बंद करो और जल्दी आओ बाहर!"
धरा ने रिवांश के लिए बाहर खाना लगा दिया और खुद किचन में चली गई। वह रिवांश का सामना नहीं करना चाहती थी क्योंकि उसकी नज़रें उसे असहज महसूस कराती थीं।
रिवांश को धरा की इस हरकत पर गुस्सा आ गया और उसने तेज आवाज़ में कहा,
"मिस धरा रायचंद!"
"आपको लगता है आपके परिवार वालों से ज़्यादा प्यार नहीं है, तभी मेरी बातों के ख़िलाफ़ जा रही हो? अगर अभी के अभी तुम सामने नहीं आईं, तो मैं..."
उसके आगे कुछ बोलने से पहले ही धरा उसके सामने आ गई। रिवांश ने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और धरा को उठाकर डाइनिंग टेबल पर रख दिया। धरा को लिटाकर उसने अपनी बॉडी पर खाने की प्लेट रख दी और खाना खाने लगा।
धरा उसकी इस हरकत पर शॉक में थी। थोड़ी देर बाद, जब उसने खाना ख़त्म किया, तो स्माइल करते हुए बोला,
"आज से खाना मैं ऐसे ही खाया करूँगा।"
धरा ने अपनी नज़रें नीची करते हुए कहा,
"मास्टर, आपका खाना हो गया है, तो क्या अब मैं खा सकती हूँ?"
रिवांश एक दुष्ट मुस्कान के साथ बोला,
"क्यों नहीं, माई लिटिल गर्ल! खाना तो दे ही सकता हूँ, इतना भी गया-गुज़रा नहीं हूँ मैं! पर खाना तुम्हें मैं अपने हाथों से खिलाऊँगा।"
ऐसा बोलकर उसने धरा को अपनी गोद में बिठा दिया और उसे प्यार से सहलाते हुए खाना खिलाने लगा। धरा उसकी पकड़ से दूर जाना चाहती थी, पर वह ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती थी, क्योंकि वह उसके पागलपन को जान गई थी। रिवांश का एक हाथ धरा की कमर पर और दूसरा हाथ उसे खिलाने में लगा था।
थोड़ी देर बाद, जब धरा का खाना ख़त्म हुआ, तो रिवांश धरा को उठाकर अपने सामने रखते हुए बोला,
"मिस धरा रायचंद! तुम मेरा वो खिलौना हो, जो मैं कभी खुद से दूर नहीं जाने दूँगा!"
धरा की आँखें नम हो गईं और वह गुस्से से बोली,
"मैं तुम्हारे लिए कभी खिलौना नहीं बनूंगी! मैं तुम्हारे साथ लड़ूंगी और तुम्हारे ख़िलाफ़ भी लड़ूंगी!"
रिवांश ने उसे धमकी देते हुए कहा,
"तुम मुझे चुनौती दे रही हो! मैं तुम्हें दिखाऊँगा कि मैं क्या कर सकता हूँ!"
धरा ने भी उसे चुनौती देते हुए कहा,
"नहीं डरती मैं तुमसे, समझे मिस्टर रिवांश ओबेरॉय! मैं तुम्हें हराऊँगी, समझे! आज वक़्त तुम्हारा है, कल मेरा होगा!"
रिवांश एक दुष्ट मुस्कान लिए बोला,
"फ़िलहाल के लिए मेरा मन तुम्हें खाने का कर रहा है, तो अपने सपने बाद में देखना, पहले मुझे अपने अंदर की आग को शांत करने दो!"
ऐसा बोलकर उसने धरा को वहीं हॉल में लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आ गया। थोड़ी देर में उस हॉल में बस धरा की सिसकियाँ गूंजने लगीं। धरा ने रिवांश के बालों को अपनी मुट्ठी में भरते हुए कहा,
"आह, रिवांश!"
वह अपने होंठ काटने लगी। रिवांश ने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और पागलों की तरह उसे चूमने लगा। अपनी स्पीड बढ़ाते हुए, थोड़ी देर बाद धरा उसे खुद से दूर करते हुए बोली,
"नहीं, अब और हिम्मत नहीं है मुझमें।"
वह खुद को उससे दूर करने के लिए अपने छोटे-छोटे हाथों से उसके सीने पर रखकर खुद को उससे दूर कर रही थी। रिवांश ने यह देख धरा के दोनों हाथों पर किस किया और उसे अपने हाथों में जकड़ते हुए कहा,
"तुमने तो एन्जॉय कर लिया, अब मेरी बारी!"
थोड़ी देर बाद, जब रिवांश शांत हुआ, तो उसने खुद पर एक पतली ब्लैंकेट लेकर धरा के ऊपर ही सो गया। थोड़ी देर में उस हॉल में एक आवाज़ गूँजी,
"ये क्या हो रहा है यहाँ?"
दूसरी तरफ, सिया अपनी दोस्तों के साथ क्लब में पार्टी करने आई हुई थी। लेकिन वहाँ पर उसने देखा कि राघव भी अपने कुछ क्लाइंट्स के साथ मीटिंग कर रहा था। सिया का ध्यान उसकी तरफ़ था। उसकी एक दोस्त ने उसे छेड़ते हुए कहा,
"ओह हो! लगता है ये ही हमारे होने वाले जीजू हैं!"
सिया गुस्से में उसे घूरते हुए बोली,
"जश्नन, तुम्हारा दिमाग सिर्फ़ उल्टी दिशा में ही क्यों दौड़ता है? वो बस मेरे भाई का बॉडीगार्ड है! मेरे दिल में उसके लिए कुछ भी नहीं है, और उसकी ऑलरेडी एक गर्लफ्रेंड भी है, तो मैं उन दोनों के बीच नहीं आना चाहती, समझी तुम?"
सिया की दूसरी फ़्रेंड, पारुल ने सिया को शांत आवाज़ में कहा,
"देखो सिया, ये बात तुम भी जानती हो और हम भी कि तुम उससे कितना प्यार करती हो! और रही बात उसकी गर्लफ्रेंड श्वेता की, तो ये बात तुम भी जानती हो और मैं भी कि वो बस उसके पैसे के लिए साथ है!"
सिया ने एक फीकी मुस्कान के साथ कहा,
"क्या ही फ़र्क पड़ता है, पारुल? अब वो किसी और का है, तो मेरा उस पर कोई हक़ नहीं! मैं पागल नहीं कि उसके साथ रहने के लिए उसके दिल को तोड़कर रख दूँ!"
जश्नन ने सिया को गुस्से में अपनी तरफ़ मोड़ते हुए कहा,
"पागल लड़की! वो तेरा प्यार है, तू उसे बर्बाद होते हुए देख पाएगी क्या? दुनिया में कितने कम लोगों को उनका प्यार नसीब होता है, पर तू जिसे प्यार मिलने को आया है, तो यहीं पर देवदासी बनी बैठी है!"
सिया की आँखें नम थीं। पारुल हँसते हुए बोली,
"जा सिमरन, जा भाग जा अपने राज़ के पास! ऐसे मौके बार-बार नहीं मिलते!"
वहीं उनके पीछे श्वेता एक दुष्ट मुस्कान लिए बोली,
"ओह माई गॉड! ये बात तो मैं भूल गई! आह! अब अपने सपने को पूरा करने के लिए इस राघव से पीछा छुड़वाना इतना भी मुश्किल नहीं है!"
वह एक वेटर को कुछ इशारा किया और उसके ड्रिंक में कुछ मिलाने लगी। फिर उसने उसके कान में कुछ कहा। वेटर ने पहले तो मना किया, पर पैसे के लालच में मान गया और वह राघव के पास ड्रिंक लेकर आया।
राघव मना करते हुए बोला,
"नहीं, मैंने कोई ड्रिंक ऑर्डर नहीं की है।"
वह वेटर अपनी बात रखते हुए बोला,
"जानता हूँ सर, पर ये हमारी डेली की कस्टमर ने दिया है, स्पेशल आपके लिए!"
राघव एक्साइटेड होते हुए बोला,
"कौन लड़की?"
उस वेटर ने सिया की तरफ़ अपनी उंगली इशारा किया। सिया को देख राघव हल्की मुस्कान के साथ बोला,
"ओह! तो सिया यहाँ पर अपने दोस्तों के साथ पार्टी कर रही है! चलो कोई बात नहीं! इनकी ज़िम्मेदारी मेरी भी है, तो मैं यहीं से इनकी सुरक्षा करूँगा!"
रिवांश और धरा ने जब सामने देखा, तो पाया कि एक 52 वर्षीय व्यक्ति, बिज़नेस सूट पहने हुए और चेहरे पर दुनिया भर का गुस्सा लिए, खड़ा है। रिवांश ने धरा को कम्बल से ढँक दिया और गुस्से भरी निगाहों से उस आदमी को देखने लगा।
"मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा किसी रखैल के प्रति इतना पागल है कि उसने अपनी माँ को घर से बाहर निकाल दिया।" उस आदमी ने गुस्से से धरा को देखते हुए कहा, "मैं सोचता था कि तुम इसके साथ कुछ समय बिताओगे, खुद को संतुष्ट करोगे और फिर इसे सड़क पर फेंक दोगे, जो इस लड़की की असली जगह है। पर मैं गलत था। तुम तो इस लड़की को ओबेराय पैलेस की बहू बनाने पर तुले हुए हो।"
"कान खोलकर सुन लो रिवांश, जब तक मैं ज़िंदा हूँ, इस लड़की को अपने ओबेराय पैलेस की बहू नहीं बनने दूँगा, समझे!"
"मैं इस कल की आई लड़की के लिए पूरे ओबेराय खानदान का नाम मिट्टी में नहीं मिलने दूँगा!"
"हूज़ केयर!" रिवांश ने डरावनी आवाज़ में कहा, "आप कौन होते हैं मुझे क्या करना चाहिए, क्या नहीं? मैं इसे अपनी रखैल बनाऊँ या बीवी, आप कौन होते हैं बोलने वाले?"
"रिवांश, अपनी हद में रहो! मत भूलो कि मैं तुम्हारा बाप हूँ!" वो आदमी गुस्से से तिलमिलाते हुए जोर से दहाड़ा। "ओह रियली, मिस्टर ओबेराय, आप मेरे बाप हो? अगर मैं तुम्हें ओबेराय कंपनी का CEO बना सकता हूँ, तो तुम्हें इस CEO की पोस्ट से और अपने खानदान से बाहर भी फेंक सकता हूँ, समझे!"
"येस, शुअर, बट फॉर योर काइंड इन्फॉर्मेशन!" रिवांश ने उनकी बात पर तंज कसते हुए कहा, "कि आप जो ये बोल रहे हैं, निकाल देंगे, आप नहीं निकाल सकते। मुझे। इतना बड़ा नाम, ओबेराय इंडस्ट्री का जो नाम आज देख रहे हो, ये सब मैंने बनाया है, अपनी मेहनत के दम पर, ना कि आपकी तरह लड़कियों के पीछे भागकर या शराब में डूबकर!"
"जितना ओबेराय इंडस्ट्री का नाम है ना, ये सब मेरे कारण ही है, वरना ये बिक चुकी होती आपके कारण!"
"हद में रहो! जानते हो किसके सामने और क्या बोल रहे हो!" वो आदमी गुस्से से चीखते हुए बोला, "अपने बाप के साथ बहस करते हुए शर्म नहीं आती तुम्हें? मत भूलो कि मैं बाप हूँ तुम्हारा!"
"मिस्टर अनंत ओबेराय, आप लगता है किसी गलत जगह पर आ गए हैं। यहाँ पर आपका कोई बेटा नहीं रहता और मैं अच्छी तरह से जानता हूँ आप कौन हो!" रिवांश ने कहा, "आप एक ऐसे इंसान हो जिसके कारण मेरी माँ की मौत हुई और मेरे दादा जी की भी मौत हुई! आप एक इंसान हो जिसके कारण एक 11 साल के लड़के को सड़कों पर भूखा सोना पड़ता था। आप वो आदमी हो जिसने अपने लालच में एक खुशहाल परिवार बर्बाद कर दिया!" रिवांश ने उनकी आँखों में आँखें डालते हुए कहा।
"तो शर्म तो तुमने बेच खाई है ना, चाहे मैं और तुम्हारी माँ कितना ही समझा लें तुम्हें, लेकिन करनी तुमने अपने मन की ही है!" रिवांश के पिता ने सख्त आवाज़ में कहा, "और तुम मानो या ना मानो, तुम मेरे बेटे हो, इस बात को कानून भी नहीं झुठला सकता!"
"हाँ, इसी बात का दुःख है मुझे और हमेशा रहेगा!" रिवांश ने हलकी नमी से कहा।
रिवांश के पिता ने गुस्से में आकर अपना हाथ रिवांश पर उठाने की कोशिश की, पर अपना हाथ बीच में ही रोककर बोले, "अगर तुम मेरे बेटे नहीं होते तो बताता तुम्हें कि अनंत ओबेराय क्या चीज़ है! अच्छा हुआ कि तुम्हारी माँ पहले ही मर गई, वरना ये सब देखती तो ज़िंदा ज़िंदा मर जाती!"
"मिस्टर अनंत ओबेराय, अपनी गंदी जुबान से मेरी मॉम का नाम भी मत लेना!" रिवांश गुस्से से चिल्लाया, "और जहाँ से आए हो वहीं लौट जाओ। ये मेरी पर्सनल लाइफ है, तो मैं क्या करता हूँ, किसे रखता हूँ, किसे नहीं! इससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए!"
"मैं तो यहाँ अपने बेटे से मिलने आया था, पर मुझे क्या पता था कि मुझे मेरे बेटे की जगह एक रखैल का मास्टर खड़ा मिलेगा!" रिवांश के पिता बोले, "अगर एक रखैल का मास्टर यहाँ से चला जाए तो मुझे अपने बेटे से बात करनी है!"
"ओह, रियली? पर आप गलत जगह पर आ गए हैं, मिस्टर अनंत ओबेराय!" रिवांश ने मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, "आज आपको अपने बेटे की याद आ रही है? हाँ? तब कहाँ था ये बाप जब एक झूठे इल्ज़ाम में एक 13 साल के लड़के को जेल में बेजा गया! और 16 साल की उम्र में उसके नाजुक कंधों पर दुनिया भर का बोझ डाल दिया गया! एक मासूम बच्चे की मासूमियत छीन ली! कहाँ था ये बाप तब? हाँ?"
"आज जब उसी लड़के ने अपना नाम बना दिया, खुद को साबित कर दिया कि वो गलत नहीं था, उसने कुछ भी गलत नहीं किया, तो आ गए अपने बाप के नाम का कटोरा लेकर भीख माँगने!" रिवांश ने कहा, "लेकिन एक बात कान खोलकर सुन लीजिये! आपके सामने अब एक 13 साल का बच्चा नहीं, बल्कि पूरी बॉलीवुड से लेकर माफ़िया, बिज़नेस से लेकर पॉलिटिक्स का बाप खड़ा है! सोचना भी मत कि मैं छोडूँगा। अब चले जाओ यहाँ से। ये मेन्शन मेरी माँ का है और आपका बार-बार यहाँ आना मेरी माँ की आत्मा को दुःखी करता है। आप एक ऐसे बाप, बेटा और पति हो जो ना तो एक अच्छा बेटा, ना ही अच्छा पति और ना ही एक अच्छा बाप बन पाया!"
"अगली बार यहाँ भूल से भी मत आना, वरना मैं भूल जाऊँगा कि क्या रिश्ता है मेरा आपसे!" ऐसा बोलकर वो उन्हें लाल आँखों से देखते हुए अपने कमरे में चला गया।
उसके जाने के बाद, धरा, जो कब से ये तमाशा देख रही थी, धीरे से बोली, "अंकल, आपको इस तरीके से बात नहीं करनी चाहिए थी। वो बेटा है आपका, पर आप..."
"जस्ट शट अप!" अनंत ओबेराय ने गुस्से से कहा, "अब एक रखैल मुझे बताएगी कि मुझे कैसे बात करनी चाहिए और कैसे नहीं! कान खोलकर सुन ले लड़की, तू भले ही मेरे बेटे का बिस्तर गर्म करे, पर तुझे कभी भी अपने बेटे की बीवी नहीं बनने दूँगा, समझी! तुम जैसी लड़कियाँ बस बिस्तर तक ही अच्छी लगती हो, ना कि किसी के महल की रानी बनने के लिए! तो जो भी ये तुम्हारा सपना है ना, भूल जाओ! महलों की रानी बनने का, क्योंकि एक रखैल कभी भी रानी नहीं बन सकती!"
पीछे से रिवांश शर्ट के बटन लगाते हुए धरा को अपने पीछे करते हुए बोला, "धरा के बारे में ऐसा बोलने की हिम्मत भी कैसे हुई आपकी?"
"ये रखैलें आज तक किसी की सच्ची हुई हैं क्या जो आज होगी? आज ये तुम्हारे साथ है, कल को कोई तुमसे भी ज़्यादा अमीर मिल गया तो तुझे छोड़कर जाने में एक पल भी नहीं सोचेगी!" रिवांश के पिता ने अपने गुस्से को काबू में रखते हुए कहा।
"सबको अपनी तरह समझने की भूल मत करिए और रही बात धरा की तो मैं प्राउडली ये बात बोल सकता हूँ कि अगर मेरे पास कुछ भी नहीं होगा तो भी रहेगी ये मेरे साथ!" रिवांश ने उनकी बात को अनदेखा करते हुए कहा।
"ये तो वक़्त ही बताएगा!" रिवांश के पिता ने कहा और आगे अपनी बात जारी करते हुए बोले, "तुम्हें ये नाम और बिज़नेस मेरे कारण ही मिले हैं क्योंकि तुम मेरे बेटे हो।"
"ये नाम और ये दौलत-शोहरत मुझे खैरात में नहीं मिली, अपने दम पर बनाए हैं इसे मैंने दिन-रात अपने खून-पसीने से!" रिवांश ने शैतानी मुस्कान के साथ उन्हें ताना मारते हुए कहा, "तो ये खानदान से मिली इसी स्टूपिड सी बातें मेरे सामने मत बोलना!"
"ये दिन याद रख लो, बहुत जल्द तुम पछताओगे!" रिवांश के पिता जाते हुए बोले।
रिवांश अपने केबिन में बैठा काम कर रहा था। उसके दिमाग़ में बार-बार धरा का मासूम चेहरा घूम रहा था और अपने पिता की बातें...
"कहीं मैं धरा के साथ गलत तो नहीं कर रहा हूँ? कहीं जो बातें मिस्टर ओबेरॉय ने बोलीं..."
"कहीं मैं भी तो ऐसा ही नहीं कर रहा, जैसे उन्होंने कहा!"
"नहीं नहीं! No No i can do no wrong. Whatever is happening with Dhara it is a punishment for her actions. I will not let any trace of happiness remain on that girl's face..."
रिवांश अपनी ही सोच में खोया था, तभी उसे किसी के होने का अहसास हुआ। उसने पाया, उसके सामने एक लड़की थी जिसने लाल रंग की पेंसिल ड्रेस पहनी हुई थी। जो कि घुटनों के ऊपर तक आती थी और बाल खुले रखे थे। वह पूरी तरह से रिवांश के ऊपर झुकी हुई थी।
रिवांश का चेहरा उसे देखते ही सख्त हो गया। उसने गुस्से में खड़े होते हुए कहा,
"मिस आशी अवस्थी! आप शायद मर्यादा भूल चुकी हैं कि किसी के केबिन में बिना इजाजत के आना चाहिए!"
उसकी बात सुनकर, वो लड़की, जिसका नाम आशी था, वो रिवांश की गोद में बैठकर उसके चेहरे पर अपने हाथ को चलाते हुए बोली,
"रिवांश, मैं तुम्हारी होने वाली बीवी हूँ, तो मैं कभी भी किसी भी समय आ सकती हूँ। वैसे भी बहुत दिन हो गए तुमसे मिले, तो सोचा मिल लूँ और तुम्हारी बेड परफॉर्मेंस को बहुत मिस कर रही थी।"
ऐसा बोल वो बड़े ही सड्यूसिंग अंदाज़ में रिवांश की छाती पर अपने हाथ फेर रही थी। रिवांश ने अपने गुस्से को कंट्रोल करते हुए कहा,
"आशी! स्टॉप इट! दिस इज़ नॉट अ राइट प्लेस! और मेरा मूड भी नहीं है, तो यू कैन गो नाउ।"
लेकिन आशी तो जैसे कुछ सुनने के मूड में ही नहीं थी। उसने रिवांश की शर्ट के बटन खोलते हुए अपनी ही कमज़ोर आवाज़ में बोली,
"I will make your mood better, एंड इट विल बी राइट टू। विदाउट यू नो वन कैन हैव द करेज टू कम लाइक दिस इन केबिन!"
ऐसा बोल वो जैसे ही उसकी छाती को किस करने के लिए आगे बढ़ी, रिवांश का गुस्सा काबू से बाहर हो गया और उसने गुस्से से आशी को जोर से धक्का देते हुए कहा,
"How many times have i told you not to come in फ्रंट ऑफ़ मी विदाउट माई परमिशन? यू नो हू आई एम। नाउ इफ यू डोंट लीव फ्रॉम हियर, यू कैन नॉट इवन इमेजिन व्हाट आई विल डू विद यू। अंडरस्टैंड?"
उसकी बात सुन आशी लड़खड़ाते हुए खड़ी हुई और खुद को संभालते हुए बोली,
"रिवांश! तुम्हें शर्म नहीं आती अपनी होने वाली बीवी से ऐसे बात करते हुए? मैं बीवी हूँ, होने वाली हूँ, तुम्हारी!" फिर एक तंज भरी मुस्कान के साथ बोली,
"लगता है किसी कच्ची कली से खेल रहे हो, तभी ऐसी बातें कर रहे हो। पर याद रखना रिवांश ओबेरॉय, मैं भी आशी अवस्थी हूँ। तुम्हें खुद से दूर जाने नहीं दूँगी और अगर तुमने ये शादी तोड़ने का सोचा तो मैं ये बात तुम्हारे पिता को बोल दूँगी।"
रिवांश डेविल स्माइल लिए बोला,
"मिस आशी! आप खुद के दम पर मुझे चुनौती देने की हिम्मत नहीं कर सकती। बीच में मिस्टर ओबेरॉय को लेकर आ रही हैं! अगर हिम्मत होती तो खुद के दम पर लड़ती या मुझे कुछ बोलती। और दूसरी बात, बीवी बनने वाली हो, बनी नहीं। तो क्या होगा अगर मैं अपनी बीवी बदल दूँ और तुमसे शादी ना करूँ? क्या होगा तुम्हारा और तुम्हारे सो कोल्ड आशिक़ सूर्या दीवान का?"
उसकी बात सुन आशी घबरा गई और घबराई हुई आवाज़ में बोली,
"तुम्हें कैसे पता सूर्या के बारे में? क्या जानते हो तुम?"
रिवांश एक तंज भरी मुस्कान के साथ बोला,
"इस बिज़नेस की दुनिया में एक बात मैंने सीखी है कि किसी पर आँख मूँद कर ट्रस्ट ना करो! चाहे वो अपना ही क्यों ना हो! क्योंकि अक्सर अपने ही हमें धोखा देते हैं, और मेरी ज़िंदगी में दुश्मनों से ज़्यादा मेरे अपनों से मुझे खतरा है, जो कि शेर की खाल में छिपे भेड़िये हैं!"
इससे आगे वो कुछ बोलती, रिवांश अपनी तेज आवाज़ में बोला,
"Now get out from here..."
उसकी आवाज़ से उसका गुस्सा साफ़-साफ़ पता चल रहा था। और रिवांश को और गुस्सा दिलाना मतलब अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना है। आशी ये नहीं कर सकती। वो रिवांश को गुस्से में घूरते हुए वहाँ से जाती हुई मन में बोली,
"देख ही लूँगी तुम्हें मिस्टर रिवांश ओबेरॉय!"
वहीं दूसरी तरफ क्लब में राघव ने वो सॉफ्ट ड्रिंक ये सोचकर पी ली क्योंकि उसे लगा ये सब सिया ने किया है। उस ड्रिंक के पीने के थोड़े समय में ही राघव को सब कुछ घूमता नज़र आया। उसने अपने सिर पर हाथ रख खुद को संभालते हुए कहा,
"ये मेरा सिर! ये इतना क्यों घूम रहा है और मुझे इतनी गर्मी क्यों लग रही है?"
फिर रुककर बोला,
"लगता है किसी ने मुझे ड्रग्स दिया है। पर कौन दे सकता है?"
ऐसा बोल वो लड़खड़ाते कदमों से क्लब के वीआईपी रूम में जाने लगा। उसको ऐसे जाते देख जशन सिया के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली,
"मेरी सहेली जा अपने साजन के पास।"
उसकी बात सुन सिया ना समझी में बोली,
"क्या मतलब तुम्हारा जशन?"
सिया की बात सुन पारुल मुँह बिगाड़ते हुए बोली,
"तेरे साजन से उसका मतलब राघव जी से है। जा अपने राघव के पास, देख उसकी तबियत बिगड़ी हुई लगती है।"
उसकी बात सुन सिया का ध्यान भी राघव की तरफ़ गया। सिया ये देख घबराई हुई आवाज़ में बोली,
"लगता है किसी ने उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक की जगह हार्ड ड्रिंक दे दिया! उन्हें सॉफ्ट ड्रिंक के अलावा कोई और ड्रिंक सूट नहीं करता! मुझे देखना होगा।"
ऐसा बोल वो जैसे ही जाने को हुई कि पीछे से उसकी दोनों दोस्त उसे छेड़ते हुए बोलीं,
"हाँ हाँ जाओ जाओ! अपने आशिक़ के पास!"
सिया ने उन दोनों को गुस्से में घूरा और उसके घूरने से दोनों चुप हो गईं। फिर धीरे से बोली,
"डेविल की बहन डेविल ही होगी!"
वहीं सिया राघव के पास आकर उसे सहारा देते हुए रूम में ले जाकर बेड पर उसे लेटा कर बोली,
"राघव! क्या आप ठीक हो?"
लेकिन तब तक राघव अपना पूरा होशो-हवास खो चुका था। सिया जैसे ही जाने को हुई कि राघव ने उसका हाथ पकड़ा और खुद के करीब करते हुए उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। वो बड़ी शिद्दत से सिया के होठों को चूमने लगा था। फिर उसने सिया को बेड पर लेटाया, उसके गले पर किस करने लगा और काटने भी लगा।
सिया ये देख मन में ही बोली,
"ये राघव ऐसी हरकतें कर रहा है, लगता है किसी ने ड्रग्स दिए हैं इन्हें! कहीं ये मुझे श्वेता तो नहीं समझ रहा?"
ऐसा सोच उसने राघव को खुद से दूर करते हुए कहा,
"राघव! मैं श्वेता नहीं, सिया हूँ।"
उसकी बात सुन राघव ने सिया के कान पर काटते हुए कहा,
"जानता हूँ तुम सिया ओबेरॉय हो, पर अभी के लिए फ़िलहाल मेरी सियू हो।"
ये सुन सिया की आँखों में खुशी के आँसू आ गए। उन्हें देखकर राघव ने उसके गालों पर किस करते हुए कहा,
"सियू! तुम रोती हुई बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती। तुम लड़ती हुई ही अच्छी लगती हो।"
उसकी बात सुन सिया भी मुस्कुराई और बोली,
"ये आप नहीं समझ सकते!"
ऐसा बोल उसने भी राघव की छाती पर किस करना शुरू कर दिया। राघव उसकी हरकत से काबू से बाहर होने लगा और उसने सिया को खुद के नीचे करते हुए कहा,
"Now my turn sweetheart!"
ऐसा बोल वो सिया को किस करने लगा। फिर एकदम से जब सिया में समा गया तब सिया की चीख निकल गई। उसने अपने छोटे-छोटे हाथों को राघव की छाती पर मारते हुए कहा,
"दूर हो जाओ राघव! मुझे दर्द हो रहा है।"
उसकी बात सुन राघव मज़ाक भरी आवाज़ में बोला,
"आह्हाह्हा! सियू डार्लिंग! आई कांट कंट्रोल माइसेल्फ़! अगर कंट्रोल किया तो ज़िंदा नहीं बचूँगा। तुम्हारा पहली बार है तो दर्द हो रहा है, लेकिन थोड़ी देर में तुम भी एन्जॉय करने लगोगी!"
सिया कुछ बोलने को हुई कि राघव ने सिया के होठों पर अपने होठ रख दिए! और उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी! पूरी रात उसने सिया को सोने नहीं दिया! सुबह के तीन बजे राघव जब शांत हुआ तो उसने सिया को खुद की बॉडी से चिपका लिया! और सिया को ऐसे गले लगाकर सोया जैसे कि वो उसका तकिया हो!
वहीं शिमला के एक छोटे से गाँव में एक लड़की शादी के मंडप पर बिना दूल्हे के बैठ रो रही थी।
रिवांश शाम को ऑफिस से घर लौटा। गुस्से से अपनी टाई का नॉट खोलते हुए उसने कहा, "हिम्मत कैसे हुई उस आशी अवस्थी की, मुझे—से, द ग्रेट बिज़नेस टायकून रिवांश ओबरॉय—से ऐसे बात करने की!"
"ये मिस्टर अनंत ओबरॉय की वजह से मुझे उस दो-टके की लड़की को झेलना पड़ रहा है। अगर बात बिज़नेस डील की ना होती, तो मैं उसकी शक्ल तक देखना पसंद नहीं करता। मेरी मज़बूरी का फ़ायदा उठा रहे हैं ये दोनों!"
"मुझे बच्चा समझ रखा है मिस्टर ओबरॉय ने, पर उन्हें नहीं पता, मैं बच्चा नहीं, उनका भी बाप हूँ। देखता हूँ कब तक कितना खेलते हैं दोनों!"
उसके चेहरे पर डरावने एक्सप्रेशन थे। तभी उसने देखा, धरा ग्रीन कैरीगो लॉन्ग और व्हाइट सिम्पल टी-शर्ट में सीढ़ियों से मुस्कुराते हुए नीचे आ रही थी। रिवांश की नज़र धरा की नज़रों से मिल गई।
धरा ने रिवांश के गुस्से को देख, डरते हुए धीरे से कहा, "मास्टर, मैं क्या खाना लगा दूँ आपको?"
रिवांश ने उसे मना करते हुए कहा, "नहीं, आज मेरा मन नहीं है खाने का।"
धरा ने धीरे से कहा, "ओह!" फिर थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, "मास्टर, वो...मैं...मैं...वो..."
रिवांश ने अपनी आइब्रो चढ़ाकर कहा, "क्या बकरी की तरह 'मैं-मैं' लगा रखी है? सीधे बोलो, बात क्या है, हाँ!"
धरा ने मासूमियत से कहा, "मुझे वो जॉब करनी है। मैं अपने पैरों पर खड़े होना चाहती हूँ।"
रिवांश ने धरा को अपनी गोदी में बिठाते हुए, उसके बालों की खुशबू लेते हुए कहा, "क्या मैं तुम्हारे लिए काफी नहीं हूँ, माई लिटिल बेबी गर्ल?"
धरा ने मना करते हुए कहा, "नहीं-नहीं, बात यही है कि मैं अपने पैरों पर, खुद के दम पर खड़े होना चाहती हूँ। ये बात आप भी जानते हो कि मैं आपके साथ बस अपनी फैमिली की मज़बूरी की वजह से हूँ, पर मैं जॉब करना चाहती हूँ!"
रिवांश ने गुस्से में धरा के बालों को पकड़कर कसते हुए कहा, "तुम्हारे पर निकल आए हैं बहुत, मुझे काटने ही पड़ेंगे!"
ऐसा बोलकर उसने धरा को अपनी बाहों में उठाया और बेडरूम में ले जाकर अपने बेड पर फेंक दिया। उसने अपनी शर्ट एक झटके से फाड़कर दूर फेंकी और धरा के पैरों को पकड़ लिया।
धरा को रिवांश से डर लगने लगा था। उसकी आँखों में देखकर धरा को एक अजीब सा अहसास हुआ। आज धरा जिस रिवांश को देख रही थी, उसके सामने उसका खुद का बाप भी डरता था।
धरा डरते हुए पीछे जाने लगी। रिवांश एक झटके से धरा के ऊपर आ गया और धरा की आँखों में देखते हुए कहा, "तुम आज रियल डेविल से मिलोगी। और हाँ, अपनी ये झूठी मासूमियत किसी और को दिखाना, मैं तुम्हारे सामने फिसलने वाला नहीं!"
"तुम्हारी इस सूरत पर वो लोग मर मिटेंगे जो नहीं जानते तुम्हारे इस चेहरे के पीछे छुपे काले दिल को!"
ऐसा बोलकर उसने वाइल्ड तरीके से धरा के होठों को चूमना शुरू कर दिया।
रिवांश ने धरा के दोनों हाथों को बेड में दबा दिया और उसे चूमने लगा, साथ में बाइट भी। रिवांश पहले की तरह बिल्कुल भी जेंटल नहीं था। बल्कि वो सब ऐसे कर रहा था जैसे धरा उसके लिए उसका खाना हो, बस...
जहाँ पर भी वो बाइट करता, वहाँ से खून निकलने लगा, पर रिवांश को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वो तो और क्रुएल तरीके से धरा के साथ वो सब कर रहा था। धरा ने बहुत कण्ट्रोल करने की कोशिश की, पर जब वो और दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाई, तो उसने रोते हुए कहा, "छोड़ दो मुझे!"
उसकी आवाज़ सुनकर भी रिवांश ने उस पर कोई रहम नहीं दिखाया। वो जितना हो सके उतना क्रुएल हो रहा था।
धरा के बोलने पर उसने धरा की चेस्ट पर ज़ोर से बाइट करते हुए कहा, "यू नो, तुम मेरे लिए बस एक खिलौना हो!"
"जिसे मैं जब चाहें, जैसे चाहें तोड़ सकता हूँ। मैं तुम्हारा मास्टर हूँ, मुझे पूरी आज़ादी है तुम्हें अपना बनाने की!"
"तुम बस एक S* हो मेरी नज़रों में, जो बस बिस्तर तक ही अच्छी लगती है!"
ऐसा बोलकर उसने अपनी स्पीड और बढ़ा दी।
रिवांश की बात सुन धरा की आँखों में आँसुओं की धारा बहने लगी। पर रिवांश को तो जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा हो, वो तो बस यही सोच रहा था कि कैसे धरा को और दर्द दूँ!
फिर रिवांश ज़ोर-ज़ोर से मॉक करते हुए बोला, "आह, माई लव आशी अवस्थी!"
"तुम्हें पता है कि बिस्तर पर मुझे कैसे खुश करना है। ओह, माई लव, तुम कितनी स्वीट हो!"
"तुम अच्छे से जानती हो..."
"एक आदमी की ज़रूरतों को!"
"आह!"
इसी आवाज़ें निकाल रहा था। वहीं धरा ने जैसे ही आशी अवस्थी नाम सुना, उसके दिल के सौ टुकड़े हो गए हों। उसे ऐसा लगा जैसे एक पूरा पहाड़ या आसमान उसके दिल में फेंक दिया हो किसी ने!
पर रिवांश के चेहरे पर डेविल स्माइल थी!
रिवांश धरा के चेहरे को दर्द में देख, डेविल स्माइल करते हुए मन में बोला, "अभी तो मैंने शुरू किया है, मिस धरा रायचंद! अभी से तुम्हारे आँसू बहने लगे, अभी तो और दर्द देना बाकी है तुम्हें!"
ऐसा बोलकर वो डेविल स्माइल करने लगा।
वहीं दूसरी तरफ, शिमला के एक छोटे से गाँव में एक लड़की मंडप पे बैठी रो रही थी। उस हवन कुंड की आग भी शांत हो चुकी थी, पर वो लड़की रोती हुई सब लोगों की तरफ़ देख रही थी। वो लड़की बिल्कुल किसी गुड़िया के जैसे दिखती थी।
वहीं पास ही में उस लड़की के पिता और भाई मौजूद थे। उसके भाई ने शादी का सेहरा पहना हुआ था। उसने शादी का सेहरा ऊपर उठा हुआ था।
उस लड़की के पापा, लड़के वालों के सामने अपनी पगड़ी रखते हुए कहा, "प्रताप, तुम मेरे साथ ऐसे नहीं कर सकते! मेरी बेटी का तो सोचो क्या होगा!"
उसने हज़ार गुना दर्द, बदनामी देने की धमकी दी, “तुम्हें हज़ार गुना दर्द, बदनामी दूँगी!”
सूरज प्रताप नाम का वह व्यक्ति पागलों की तरह हँसते हुए बोला, “पानी में रहकर मगर से बेर नहीं ले सकते।” फिर उसने राम प्रकाश की ओर देखते हुए, घमंड भरी आवाज़ में कहा, “समझाओ अपनी बेटी को राम प्रकाश!”
उनका बेटा आगे आया और गुस्से से तेज आवाज़ में बोला, “मेरी बहन ने जो कुछ भी कहा, वो सब सच होगा! अगर पहले ही साधारण तरीके से मना कर देते, तो हम कुछ नहीं करते। पर तुम लोगों ने जानबूझकर ऐसा किया जिससे हमारी समाज में बदनामी हुई!”
“अब तुम लोगों ने जो कुछ भी किया, उसका कर्म तुम्हें और तुम्हारे बच्चों को मिलेगा! तुम अपने बच्चों की जान की भीख मांगोगे, पर तुम्हें वो भी नहीं मिलेगी! जितना दर्द आज हमें हो रहा है, उससे सौ गुना दर्द तुम्हारे बच्चों को होगा। आप चाहकर भी कुछ नहीं कर पाएंगे! अब जाओ, यहाँ से निकल जाओ! आज से तुम्हारे उलटे दिन शुरू हो गए! पूरे इंडिया में तुम्हारे खानदान की बदनामी ना हुई तो मेरा नाम भी रजत प्रकाश नहीं!”
उसकी बात सुनकर वह आदमी डेविल स्माइल के साथ बोला, “देखते हैं मिस्टर रजत, क्या कर सकते हो तुम और तुम्हारी यह पागल बहन! अगर तुम दोनों ने ऐसा किया तो मैं भी पूरी दुनिया के सामने खड़ा होकर तुम्हारे पापा के पैरों में नाक रगड़कर माफ़ी माँगूँगा!”
वह आदमी चला गया। उसके जाने के बाद रजत जोर से बोला, “पापा!”
जैसे ही रजत चिल्लाया, वह लड़की मानो अपने होश में आई। वह भी शादी के जोड़े में दौड़ते हुए अपने पापा के पास आई और उनके सीने से लग गई। वह फूट-फूट कर रोने लगी और बोलने लगी, “बाबा? क्या कसूर था हमारा? हमने तो कभी किसी का बुरा नहीं सोचा। फिर हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ? अगर उन्हें शादी नहीं करनी थी तो पहले ही मना कर देते ना! पर ऐसे करने की क्या ज़रूरत थी? आज तक जो गाँव वाले हमारी इज़्ज़त किया करते थे, वही हमारे खानदान के बारे में उल्टा-सीधा बोल रहे हैं।”
उसका भाई शांत आवाज़ में बोला, “अगर वो लोग पहले मना कर देते, तो मुंबई में दादा के नाम पर जो 80 करोड़ की ज़मीन है, वो ज़मीन थोड़ी ना उन्हें मिलती, खुशी!”
खुशी, समझ में ना आने पर बोली, “मतलब मैं समझी नहीं भाई।”
उसके भाई ने एक लंबी साँस भरकर कहा, “पापा की जो आखिरी निशानी थी, हमारे पूर्वजों की ज़मीन जो मुंबई में थी, जिसकी कीमत हर साल बढ़ती रहती थी, वो ज़मीन पापा ने हमारी शादी की खुशी में उन लोगों के नाम कर दी। और इतना ही नहीं, उन्होंने तो हमारे शिमला की ज़मीन-हवेली को भी उनके नाम कर दिया।”
वह लड़की मासूमियत से अपने पापा से बोली, “बाबा, क्यों किया आपने ऐसा? हम खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाएँगे! कभी नहीं!”
ऐसा बोलकर वह सड़कों पर पागलों की तरह भागने लगी। वहीं उसके पापा उसकी चिंता करते हुए घबराहट भरी आवाज़ में बोले, “रजत बेटा, जाओ जाकर खुशी को रोको, वो कहीं कुछ गलत ना कर ले अपने साथ!”
रजत अपने पापा को ताना मारते हुए बोला, “क्यों? अब ये फ़िक्र क्यों कर रहे हैं? तब नहीं पता था जब रिश्ता तय किया था आपने! आपने एक बार भी नहीं सोचा कि हम क्या चाहते हैं, पर आपकी आँखों पर तो जैसे अपने उस दोस्त के नाम की पट्टी बँधी थी! बर्बाद कर दिया उन्होंने! अगर मेरी बहन को कुछ भी हुआ तो मैं पूरी मुंबई को आग लगा दूँगा! मैं फिर से वही भाऊ बन जाऊँगा जिससे अखिल मुंबई काँपती है!”
वहीं खुशी पागलों की तरह सड़कों पर भागकर थक गई और वहीं सड़क के किनारे आधी रात में, शादी के जोड़े में, अपने शादी के गहने सड़क पर फेंकते हुए, पागलों की तरह एक ही बात बोली जा रही थी, “क्यों हुआ हमारा साथ ऐसा?”
ऐसा बोलकर वह सड़क पर घुटनों के बल बैठ गई और रोने लगी और कुछ दिन पहले के ख्यालों में खो गई।
**फ्लैशबैक २ महीने पहले:**
एक लड़की, जिसने अपने चेहरे को अपने दुपट्टे से ढँका हुआ था, एक क्लब के वीआईपी एरिया में बैठी हुई थी। उसकी नज़रें किसी की तलाश कर रही थीं। तभी उसने देखा एक हैंडसम सा लड़का शराब के नशे में एक लड़की को पागलों की तरह चूम रहा था। यह देख उस लड़की से सहा नहीं गया और वह नम आँखों से उस लड़के के पास आई और एक तेज थप्पड़ मारते हुए बोली, “आपकी शादी हमसे होने वाली है और आप यहाँ ऐयाशी कर रहे हैं? आपको शर्म नहीं आई हमारी बाबा की भावनाओं के साथ खेलते हुए?”
वह लड़का अपने गाल पर हाथ रखकर, अपनी गुस्सैल लाल आँखों से देखते हुए तेज आवाज़ में बोला, “तुम्हारी इतनी हिम्मत? रूद्र प्रताप सिंह को थप्पड़ मारो? हाँ! समझती क्या हो खुद को?”
वह लड़की भी हल्के गुस्से में बोली, “आपकी होने वाली बीवी!”
वहीं खड़े उसके दोस्त हैरान भरी आवाज़ में बोले, “रूद्र! ये क्या कह रही है लड़की? तुम और इस बहनजी से शादी करोगे?”
रूद्र भी अपने सामने खड़ी लड़की की आँखों को देखते हुए उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोला, “(क्योंकि लड़की की बस काली गहरी आँखें ही दिखाई दे रही थीं)…तुम लोगों को क्या? रूद्र प्रताप सिंह इतना पागल दिखाई देता है जो इस बहनजी से शादी करूँगा? ये तो मेरे डैड चाहते हैं पर मैं नहीं। अगर शादी भी हो गई तो भी ऐसे हाथ लगाना तो दूर, इसकी शक्ल तक नहीं देखना पसंद करूँगा!”
फिर शराब का घूँट पीकर नशे भरी आवाज़ में बोला, “तुम लोगों को पता है रूद्र प्रताप सिंह की चॉइस इतनी बेकार नहीं हो सकती! हमारे घर के नौकर तक ब्रांडेड कपड़े, जूते पहनते हैं, पर ऐसे देख के तो ऐसा लगता है जैसे ये तो हमारे कुत्तों से भी गई-गुज़री है!”
वहीं जिस लड़की को उसने किस किया था, वो भी रूद्र के सीने पर हाथ रखते हुए उसका मज़ाक उड़ाते हुए बोली, “अरे रूद्र! तुम तो नहीं तो कम से कम अपने ड्राइवर की शादी इस लड़की से करवा दो! इतना भी ज़ुल्म मत करो!”
वहीं उसकी बात सुन रूद्र ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा, “शिमोना डार्लिंग! तुम्हें तो पता ही है हमारे ड्राइवर की हैसियत भी इससे कहीं ज़्यादा है, कैसे मानेगा वो!”
वहीं उसके सब दोस्त उस लड़की का मज़ाक बनाने लगे। वहीं वह लड़की अपनी नम मगर गुस्सैल आवाज़ में बोली, “रूद्र प्रताप सिंह! तुम्हें बहुत घमंड है ना अपनी दौलत पर? तो गौर से सुन लो!”
रूद्र अपने कान को उसके पास लाकर मज़ाक भरी आवाज़ में बोला, “बोलो!”
वह लड़की अपनी उंगली पॉइंट करते हुए बोली, “तुम्हारे पास सब चीजें होंगी ऐशो-आराम की, पैसा भी होगा और नाम भी होगा, पर कुछ नहीं होगा तो वो है सच्चा प्यार! आज का दिन याद रख लो! आज जैसे तुमने मेरी इंसल्ट की, इन सबके सामने एक दिन तुम्हारी भी होगी, वो भी पूरी दुनिया के सामने! एक दिन तुम खुद घुटनों के बल बैठकर मुझसे प्यार की भीख मांगोगे, पर वो भी तुम्हें नसीब नहीं होगी! तुम भी तड़पोगे जैसे आज मैं तड़प रही हूँ, तुम भी पागल होगे जैसे आज मैं हूँ! ये वादा है मेरा!”
ऐसा बोलकर वो शिमॉन्ना को क्लब के कमरे में ले गया। उसके जाने के बाद, उसके दोस्त उस लड़की को हवस भरी निगाहों से देखते हुए बोले,
"ये रुद्र भी ना!"
"पता नहीं कितना टाइम लगाएगा अब!"
"ये रात के तीन बजे से पहले तक बाहर नहीं आएगा!"
फ़्लैशबैक एंड
ख़ुशी बेसुध सी सड़क में बैठी थी कि तभी एक गाड़ी तेज़ी से उसकी ओर आ रही थी। इससे पहले कि वह गाड़ी उससे टकराती, किसी की मज़बूत बाहों ने उसे पकड़ लिया और ख़ुशी वैसे ही उस शख्स की बाहों में झूल गई।
वहीं दूसरी ओर, राघव और सिया दोनों बेफ़िक्र होकर सो रहे थे। तभी सूरज की किरणों से उनकी आँखें खुलीं। राघव ने सिया को अपने साथ उस हालत में देखकर डर गया और वह हकलाते हुए बोला,
"ये क्या हो गया मुझसे!"
फिर सिया की ओर देखकर, रोने जैसे मुँह बनाकर बोला,
"मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई सिया मैम!"
"मैंने ये सब जानबूझकर नहीं किया।"
तो सिया ने उसे देखकर रूखे स्वर में कहा,
"जो कुछ भी हुआ, इसमें हम दोनों की मर्ज़ी शामिल थी। तुम खुद को क्यों ब्लेम कर रहे हो?"
"मैंने अपनी मर्ज़ी से खुद को तुम्हें सौंपा है, बिकॉज़ आई लव यू!"
"अब तुम भी मुझसे आई लव यू कहो!"
"नहीं तो मैं भाई को बोल दूँगी कि तुमने मेरा फ़ायदा उठाया है। हाँ!"
राघव मन ही मन डरते हुए बोला,
"दोनों भाई-बहन एक जैसे हैं, हिटलर कहीं के!"
ऐसा बोलकर वह क्यूट सा फ़ेस बनाने लगा। सिया ने उसके दोनों गालों को खींचते हुए कहा,
"हनी, तुम कितने क्यूट हो पता है? जब से तुम्हें पहली बार देखा था, हाय मेरा दिल तो धड़कने लगा था, तब से!"
"पता है, जब मुझे पता चला कि वो चुड़ैल शेवता तुम्हारी गर्लफ़्रेंड है, तब मन तो करता था उसका खून कर दूँ!"
"तुम समझ रहे हो मैं क्या बोलना चाहती हूँ?"
उसकी बात सुनकर राघव बच्चों जैसे मुँह बनाते हुए बोला,
"मैं कोई खिलौना नहीं हूँ आपका। मैं बस शेवता का हूँ, उसका ही रहूँगा!"
उसकी बात सुनकर सिया ने उसे जोर से बेड पर पटक दिया और खुद उसकी छाती पर अपना सिर रखकर सख्त आवाज़ में बोली,
"नो! तुम बस मेरे हो, सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे!"
"अगर किसी ने भी हम दोनों के बीच आने की कोशिश की, तो उसे जान से मार दूँगी!"
राघव अपना थूक निगलते हुए बोला,
"नहीं, आप ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकतीं।"
तो सिया ने उसके गालों पर हाथ रखकर, किसी सनकी की तरह बोली,
"तुम मानो या ना मानो, पर तुम पर अब से मेरा हक़ होगा, समझे?"
"और तुम्हारी वो सो कॉल्ड गर्लफ़्रेंड, उसने ही तुम्हें ड्रग्स दिया था, समझे?"
"ताकि वो तुमसे अपना पीछा छुड़वा सके।"
राघव आँसू भरी निगाहों से बोला,
"नहीं! वो मेरा पहला प्यार है, वो ऐसा कुछ भी नहीं कर सकती।"
तो सिया ने उसे एक वीडियो दिखाते हुए कहा,
"क्या अब भी तुम यही कहोगे?"
वो वीडियो देखने के बाद राघव की आँखों में आँसू बहने लगे और वह रोते हुए बोला,
"वो मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती है?"
सिया ने देखा कि वह चुप नहीं हो रहा है, तो उसने राघव के पतले होठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह किस करने लगी। सिया ने जोर से काटते हुए कहा,
"अब से तुम याद रखो मेरी एक बात, मैं सब कुछ खो सकती हूँ, पर तुम्हें नहीं, समझे?"
"और अब से तुम मेरे साथ, मेरे डैड के बंगले में रहोगे, समझे?"
"वरना मुझे और भी तरीक़े आते हैं तुमसे हाँ करवाने के।"
उसकी बात सुनकर राघव बच्चों जैसे सिर हिलाने लगा। उसकी इस हरकत पर सिया को बहुत हँसी आ रही थी, पर जैसे तैसे उसने खुद को कण्ट्रोल किया हुआ था। सिया ने उसके गाल पर हलके से मारते हुए कहा,
"दैट्स लाइक अ माय गुड बॉय।"
सिया राघव को एकटक देख रही थी जिससे राघव असहज महसूस करने लगा था। राघव अपनी आँखें बंद करते हुए बोला,
"मैम, आप ऐसे मत देखिए मुझे!"
"मुझे अच्छा नहीं लग रहा।"
उसकी बात सुनकर सिया जोर से हँसते हुए बोली,
"ओह! तो मेरी जान को शर्म आ रही है? पर कल रात को तो बड़ा जोर दिखा रहे थे।"
उसकी बात सुनकर राघव के कान लाल हो गए। सिया राघव को छेड़ते हुए बोली,
"राघव, हम आपसे छोटे हैं, तो आप हमें मैम बिल्कुल भी मत बोलिए।"
"आप हमें सिया ही बोलिए।"
तो राघव डरते हुए बोला,
"नहीं, आप हमारे बॉस की बहन हो, तो उस हिसाब से आप भी लेडी बॉस हुईं, तो मैं आपको मैम ही बोलूँगा।"
सिया उसे धमकाते हुए बोली,
"देखिए राघव, अगर आपने हमें सिया नहीं बुलाया, तो हम आपको छोड़ने वाले नहीं।"
राघव बेड के पीछे खिसकता हुआ बोला,
"नहीं, आप कहाँ और मैं कहाँ? आप इतने बड़े एम्पायर की राजकुमारी और मैं कहाँ, एक मामूली सा नौकर!"
"हमारी इतनी हैसियत नहीं कि आप लोगों की बराबरी कर सकें।"
सिया राघव की बात सुनकर, उसकी तरफ़ देखते हुए प्यार से बोली,
"अरे आप मेरे सैया हो, तो आपको हक़ है बोलने का। मैं कुछ भी नहीं बोलूँगी, ठीक है?"
"आप सब कुछ हो मेरे लिए। बस एक बार कॉलेज की पढ़ाई खत्म हो जाए, तो जल्दी से जल्दी आपसे शादी करूँगी और शादी के बाद हम बच्चों की पूरी फौज खड़ी कर देंगे।"
"मैं पहले ही कह रही हूँ, मुझे तीन छोटे-छोटे राघव और दो सिया चाहिए।"
उसकी बात सुनकर राघव थूक निगलते हुए बोला,
"क्या?"