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painfull love

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क्या हो जब उसकी जिंदगी से वो शक्श जुड़ जाए जिस से वो जिंदगी में सबसे ज्यादा डरती हो??संस्कृति एक सीधी साधी लड़की जो बहुत डरती है अपने सीनियर अदम्य से लेकिन एक पेनफुल नाइट के बाद उसे लेने पड़ते हैं उसके साथ सात फेरे,,,,,क्या करेगी संस्कृति जब उसे बिता...

Total Chapters (14)

Page 1 of 1

  • 1. painfull love- Chapter 1

    Words: 496

    Estimated Reading Time: 3 min

    संस्कृति अपने चाचा जी से मिलने गई थी। उनकी चाची ने डरी हुई संस्कृति को बाहर जाते हुए देखा और सवाल किया, "संस्कृति क्या हुआ? तू अपने चाचा जी से मिलने गई थी ना???" "कुछ नहीं चाची जी! मुझे हॉस्पिटल की स्मेल से उल्टी आ रही है, इसलिए मुझे वॉशरूम जाना है।" इतना बोलकर संस्कृति तेजी से बाहर निकल गई। उसके जाते ही उसके अंकल रवि, एक नर्स के साथ व्हीलचेयर पर, वार्ड से बाहर आए। उन्होंने अपनी पत्नी रेवा को सर पकड़ कर बैठे देखा। "संस्कृति किधर गई रेवा???" उन्होंने थोड़ी घबराहट के साथ पूछा। "अब मुझे क्या पता क्यों किधर गई ?? आपके वार्ड से दौड़ते हुए बाहर आई और जब मैं पूछी तो तबीयत खराब का बता कर चली गई।" रेवा का जवाब सुनकर अंकल रवि ने एक तसल्ली भरी सांस ली। "हो गया उसे। सफोकेशन होता होगा। मैं जा रहा हूँ रेस्ट करने, तुम भी घर जाओ।" संस्कृति दौड़ती हुई वॉशरूम में घुस गई और अपने सीने पर हाथ रखकर जोर-जोर से सांस लेने लगी। "व्हाट द हेल?????? तुम???? तुम यहां मेंस वॉशरूम में क्या कर रही हो???" वॉशरूम में किसी लड़के की आवाज सुनकर संस्कृति, अपनी सांसों को काबू करने की कोशिश कर रही थी। सामने खड़े इंसान को देखकर उसकी धड़कन और तेज हो गई। उसके सामने उसका सीनियर, अदम्य, खड़ा था, जिससे वह हमेशा से डरती थी। उसे देखकर उसका सर चकरा गया, लेकिन उसने खुद को संभाला। इससे पहले कि अदम्य कुछ बोल पाता, नैना वॉशरूम का दरवाजा खोलकर, बिना इधर-उधर देखे, तेजी से बाहर निकल गई। अदम्य भी, अपने पेंट की जिप लगाता हुआ, वॉशरूम से बाहर निकला। बाहर उसके दो दोस्त थे। वे मेंस वॉशरूम से निकलती लड़की को देखकर पहले ही हैरान थे। अदम्य को भी वहाँ से बाहर निकलते देखकर उन्हें और भी हैरानी हुई। उनका यह दोस्त लड़कियों को देखते ही उनका मर्डर करने का सोचता था। वह लड़की के निकलने के बाद, अपने पेंट की जिप बंद करते हुए, बाहर निकल रहा था। "भाई! तो ठीक तो है ना???" उन दोनों ने एक साथ कहा। "मैं ठीक हूँ। मुझे क्या होगा?? मुझे तो तुम हो नहीं पागल लग रहे हो।" अदम्य ने कहा। "नहीं! मतलब...हमारा मतलब ...अभी जिस वॉशरूम से तू निकला है, इस दरवाजे से तुझे पहले एक लड़की निकल कर गई।" "तो???" अदम्य ने अपनी आईब्रो उठाते हुए उन दोनों से पूछा। "तो कुछ भी नहीं, हम तो बस ऐसे ही पूछ रहे थे। वैसे लड़की बहुत खूबसूरत थी।" "संस्कृति!" "हां bhai??" "संस्कृति नाम है उसका, लड़की नहीं।" उन दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा और मन ही मन सोचा, "बाथरूम में लड़की का नाम भी पूछ लिया।" उन दोनों के मन की बात समझते हुए, अदम्य ने कहा, "बाथरूम में नहीं, स्कूल में पूछा था। फिफ्थ स्टैंडर्ड में .... जूनियर है हमारी। तुम दोनों दूर रहो उससे।" इतना बोलकर अदम्य बेसिन में हैंड वॉश कर, अपना हाथ हैंड टॉवल से साफ करता हुआ, अपना स्टेथोस्कोप उठाकर, उन दोनों को वैसे ही ख्यालों में छोड़कर, वहाँ से बाहर निकल गया।

  • 2. painfull love - Chapter 2

    Words: 843

    Estimated Reading Time: 6 min

    "तुम्हारा नाम क्या है?" "मैं क्यों बताऊँ?" "बता दोगी तो चॉकलेट दूँगा।" "चॉकलेट तो मेरी मम्मा भी देती है।" "मैं दूसरी वाली चॉकलेट दूँगा।" "क्या सच में?" "बिल्कुल सच में।" "हम्मम!!! संस्कृति!!!! संस्कृति नाम है मेरा।" छोटी बच्ची ने सामने खड़े एक बड़े लड़के को जवाब दिया। "अब मेरी चॉकलेट?" लड़की ने अपनी हथेली उसे लड़के के आगे करते हुए कहा। उस लड़के ने अपनी पॉकेट से एक चॉकलेट निकालकर उसकी हथेली में रखते हुए कहा, "इंतज़ार करना मेरा..... जब तुम बड़ी होगी तब मैं एक स्पेशल चॉकलेट दूँगा तुम्हें।" इतना बोलकर वह लड़का वहाँ से चला गया। और फिर वह वापस उस लड़की के सामने कभी नहीं आया। आठवीं कक्षा में संस्कृति अपने अंकल रवि और आंटी रेवा के साथ रहने आई, तब स्कूल में उसे अपना एक सीनियर बहुत अजीब लगता था। वह उससे बहुत डरती थी। हाँ, यह उसका सीनियर अदम्य था। जो बारहवीं कक्षा में था। जिससे संस्कृति काफ़ी डरती थी। उसके माता-पिता एक कार दुर्घटना में मर चुके थे। परिवार में अगर कोई था तो उसके अंकल थे। इसलिए उन दोनों ने कोर्ट से उसकी कस्टडी ले ली थी। जिसके मुताबिक जब संस्कृति बीस साल की हो जाएगी तब वह अपने माता-पिता के बिज़नेस की अधिकारी हो जाएगी। लेकिन इस वसीयत के बारे में सिर्फ़ उसके अंकल और आंटी को ही पता था। इसीलिए वे दोनों उसकी शादी जल्द से जल्द करना चाहते थे ताकि वह इस घर से और इस प्रॉपर्टी से जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी निकल कर अपने ससुराल चली जाए। इसीलिए उन्होंने सोचा था कि वे बीमार होने का नाटक करेंगे और फिर संस्कृति को शादी के लिए मजबूर करेंगे। उससे पहले ही संस्कृति ने अपने अंकल को अस्पताल में एक नर्स के साथ इंटेंस मेकआउट करते हुए देख लिया, और डरते हुए वहाँ से भाग गई। जहाँ वह एक बार फिर अपने सीनियर अदम्य से टकरा गई। अदम्य वहाँ डॉक्टर था। और उसके दोनों दोस्त भी। "!!!!!!!!!!!" "यह तुम लोग मुझे बर्थडे पार्टी के नाम से कहाँ लेकर आई हो??? अंकल को पता चला तो वह बहुत मारेंगे।" संस्कृति ने अब चारों तरफ़ नज़र घुमाकर देखा जहाँ सब लोग नशे में धुत दिखाई दे रहे थे। वह अपनी दोनों बेस्ट फ्रेंड के साथ आई थी। उन दोनों ने उसे बर्थडे सेलिब्रेशन के लिए अपने साथ लेकर आई थी। लेकिन उन दोनों को देखकर लग रहा था कि वे दोनों भी आज पहली बार ही यहाँ आई थीं। तीनों लड़कियाँ बेवकूफ़ों की तरह चारों तरफ़ देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रही थीं कि यहाँ करना क्या है? कुछ सोचकर तीनों लड़कियाँ डरते हुए प्राइवेट रूम की तरफ़ बढ़ गईं। अब उन्हें लग रहा था कि यहाँ आकर शायद उन तीनों ने कोई बड़ी गलती कर दी है। "पिया! सिया! हमें यहाँ से बाहर निकलना चाहिए। हम लोगों के लिए यह ठीक नहीं है।" संस्कृति ने नशे में झूम रहे लोगों की तरफ़ एक नज़र देखकर डरते हुए कहा। "हमें भी यही लगता है। तेरे तो अंकल-आंटी मारेंगे, हम दोनों के तो माता-पिता घर से निकाल देंगे।" पिया और सिया ने संस्कृति के बाजू को पकड़कर उसके दोनों तरफ़ खड़ी हो गईं। ये दोनों जुड़वाँ लड़कियाँ थीं और साथ ही संस्कृति की बेस्ट फ्रेंड भी। इससे पहले कि वे तीनों कुछ समझ पातीं, वे तीनों एक प्राइवेट रूम के अंदर पहुँच चुकी थीं। वहाँ कोई पार्टी चल रही थी और वे किसी को पहचान नहीं रही थीं। शायद उन तीनों को भी कोई वहाँ पहचान नहीं रहा था। इसलिए तीनों ने किसी तरह नॉर्मल होने का निश्चय किया और एक कोने पर बैठकर वहाँ रखा जूस उठाकर पीने लगीं। उन्होंने सोचा था कि जब यहाँ के लोग बाहर निकलेंगे तो उनके साथ वे तीनों भी बाहर चली जाएँगी। कुछ ही देर बीती होगी जब वहाँ से लोग बाहर निकलने लगे। इसी का फ़ायदा उठाकर वे तीनों लड़कियाँ भी बाहर निकलने लगीं। इससे पहले कि वे तीनों बाहर जा पातीं, तभी किसी की कड़कती हुई आवाज़ उनके कान में पड़ी। "तुम तीनों यहाँ क्या कर रही हो?" डरते-डरते तीनों लड़कियाँ एक साथ पीछे मुड़ीं तो अदम्य गुस्से में लाल आँखों के साथ संस्कृति को घूर रहा था, जो इस वक़्त कुछ ठीक नहीं लग रही थी। "सनी, डीजे, तुम दोनों इन दोनों लड़कियों को उनके घर तक ड्रॉप कर दो।" इतना बोलकर अदम्य आगे बढ़ा, संस्कृति को अपने पास खींच लिया, और बिना उन दोनों की बात सुने उसे खींचते हुए दूसरी तरफ़ लेकर अपने प्राइवेट रूम में चला गया। इस वक़्त संस्कृति की आँखें नशे से लाल हो रही थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे इतनी गर्मी क्यों लग रही है। अदम्य ने संस्कृति को बेड पर बिठाया और गिलास में पानी निकालकर उसे पीने को दिया। संस्कृति ने एक ही साँस में पूरा पानी पी गया। इससे पहले कि अदम्य उससे कोई सवाल करता, उसने देखा संस्कृति अपने कपड़े खींच रही है। वह कुछ समझ पाता इससे पहले ही संस्कृति ने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जिसे देखते ही अदम्य की आँखें हैरानी से और बड़ी हो गईं। क्यों कर रही थी संस्कृति ऐसा बर्ताव,,,, जानने के लिए पढ़ते रहिए मेरी स्टोरी "painful love"

  • 3. painfull love - Chapter 3

    Words: 989

    Estimated Reading Time: 6 min

    इस वक्त संस्कृति अपने अंडरगारमेंट में अदम्य के सामने थी। उसे इस तरह देखकर अदम्य ने अपना लार गले के नीचे उतारा। इस वक्त वह भी हल्के नशे में लग रहा था, लेकिन संस्कृति तो जैसे पूरी तरह से नशे में विलीन थी। अब अदम्य जैसे-जैसे उसे देख रहा था, वैसे-वैसे अपना नियंत्रण खोता जा रहा था। उसने अपना शर्ट उतारते हुए आगे बढ़कर संस्कृति को बेड पर धक्का दिया और अपने होंठ उसके होठों से जोड़ दिए। पहले वह उसके होठों को बहुत ही कोमलता से चूम रहा था, लेकिन धीरे-धीरे यह चुम्बन गहन चुम्बन में बदल गया। अदम्य के हाथ अब उसके शरीर को नापने लगे थे। उसने धीरे-धीरे उसके अंडरगारमेंट भी उसकी बॉडी से अलग कर दिए। इसके बाद उससे अलग होते हुए, बहुत ही गहन नज़रों से अपने सामने लेटी उस मखमल सी मुलायम लड़की को देखा तो उसकी नज़र उसमें ठहर सी गई। उसके उभरे हुए वक्ष किसी साँचे से ढले प्रतीत हो रहे थे। उसकी नज़र धीरे-धीरे पूरे शरीर का मुआयना करने लगी। अब उसका अपने शरीर पर नियंत्रण पूरी तरह से समाप्त हो चुका था। उसने संस्कृति के वक्ष के केंद्र बिंदु को अपने अंगूठे और तर्जनी की मदद से एक जोरदार चुटकी ली। जिससे उसके स्तन रबर की भांति हिले और संस्कृति की दर्द से सिसकारी निकल गई। यह देखकर उत्तेजना की तेज लहर अदम्य को अपने शरीर के निचले हिस्से में महसूस हुई। एक बार फिर उसने अपने होंठ उसके होठों पर रखकर चूमना शुरू कर दिया। लेकिन अब उसके हाथ उसकी छाती को मसलने लगे थे। होठों से फिसलते हुए, अदम्य के होंठ संस्कृति की गर्दन से होते हुए उसके क्लीवेज तक आ गए और कुछ ही देर में वह एक नवजात शिशु की भांति उसके वक्ष का रसपान कर रहा था। ऐसा करते हुए वह वहाँ काट भी रहा था। दर्द से विचलित होकर संस्कृति कब से खुद को दूर धकेलने लगी थी। "नहीं! मत करो ऐसा। मुझे यह बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा है।" उसके आगे के शब्द संस्कृति के मुँह में घुट कर रह गए थे क्योंकि अदम्य ने अपने हाथ से उसका मुँह बंद कर दिया था। उसकी छाती में गहरे निशान छोड़ने के बाद, वह नीचे की ओर बढ़ा। उसे ऐसा करते देख संस्कृति ने अपनी टाँगें एक-दूसरे से चिपका लीं। यह देखकर अदम्य के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने अपना बेल्ट निकाला, पहले तो उसके हाथ बेड के हेड क्राउन पर बाँध दिए और फिर अपना हाथ उसके मुँह से हटाते हुए उसके जाँघ को सहलाने लगा। ऐसे करते हुए धीरे-धीरे उसने उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपने सामने एक खूबसूरत नज़ारा देख जैसे अदम्य का नशा उसके सिर चढ़ गया और उसने अपना चेहरा वहाँ रखकर अपनी गर्म साँस छोड़ी। कुछ ही देर में संस्कृति को अपने निचले हिस्से में गर्म सा एहसास हुआ। ऐसा जैसे कोई उसके निजी, सबसे महत्वपूर्ण अंग में अपनी जुबान फेर रहा हो। शर्म और दुख से उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसके आँखों के कोर से आँसू लुढ़क गए। अब संस्कृति का नशा कहीं गायब सा हो गया था। उन दोनों पंखुड़ियों को अपनी जीभ से चाटते हुए अदम्य का नशा बढ़ता ही जा रहा था। उसने अब अपना पैंट निकालकर नीचे फेंक दिया और बचे कपड़े को भी शरीर से अलग कर दिया। वह संस्कृति के पास जाकर खड़ा हुआ और हाथ बेल्ट से आजाद कर दिए। उसे ऐसा करते देखा, संस्कृति की नज़र अपने सामने बिना कपड़ों के खड़े अदम्य के शरीर पर जैसे ही गई, उसका चेहरा शर्म की लाली से भर गया। दोनों पैरों के बीच अदम्य का तना हुआ अंग अब सज्ज हो चुका था, यह समझाने के लिए कि अब वह क्या करने वाला है। इससे पहले कि वह खुद को बचा पाती, वह एक बार फिर उसके ऊपर आकर झटके से उसके अंदर समा गया। एक करुणा भरी चीख उस कमरे में गूंज उठी। वह अपनी कमर हिलाने लगा जिससे दोनों के अंग एक-दूसरे के संपर्क में हिलकोरे लेने लगे। "आह! यह बहुत दर्द भरा है। प्लीज इसे बाहर निकालिए।" "बस कुछ देर और, फिर तुम्हें अच्छा लगने लगेगा।" "नहीं। मुझे दर्द हो रहा है।" "कुछ देर और, फिर यह मीठा दर्द तुम्हें सुकून देगा।" इसके बाद संस्कृति की जैसे आवाज़ कहीं खो गई। सिर्फ़ दर्द भरे विलाप और छोड़ देने की गुहार की आवाज़ ही वहाँ रह गई। लगभग तीन घंटे तक अदम्य ने ना जाने कितने तरीकों से संस्कृति से अपनी शारीरिक संतुष्टि की। और अब जहाँ संस्कृति की नींद में चल रही धीमी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी, तो वहीं उसके निजी अंगों में सिर और दोनों हाथों से उसके उभरे हुए वक्ष को पकड़कर सोते हुए अदम्य की भारी साँसों का शोर था। दोनों थक कर नींद की बाहों में जा चुके थे, बिना यह जाने कि सुबह का सूरज उनकी ज़िंदगी में क्या लेकर आएगा। !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! सुबह की किरण जब संस्कृति की आँखों में पड़ी तो कसमसाते हुए उसने अपनी आँखें खोलकर जैसे ही बेड पर बैठने को हुई, दर्द की एक तेज लहर उसके शरीर में दौड़ गई। उसकी नज़र जैसे ही खुद पर गई, उसे अपने पैरों के बीच अदम्य का चेहरा दिखाई दिया। उसके सोने के तरीके को देखकर संस्कृति का चेहरा एक बार फिर शर्म और अपमान से भर गया। गुस्से से उसने एक नज़र अदम्य को देखा, फिर अपने दर्द को सहते हुए धीरे से बेड से उठी और जमीन पर पड़े अपने कपड़े उठाकर बाथरूम की ओर बढ़ गई। कुछ ही देर में वह बाथरूम से तैयार होकर बाहर आई और एक नज़र गुस्से में अदम्य को देखकर कमरे से बाहर निकल गई। वही उसके बाहर निकलने के कुछ देर बाद अदम्य को कुछ खालीपन सा महसूस हुआ तो उसने अपनी आँखें खोलकर बेड पर देखा जहाँ इस वक्त कोई नहीं था। और फिर जैसे ही उसे रात का सब याद आया, वह जल्दी से उठा और उसी हालत में चारों तरफ देखने लगा, लेकिन उसे संस्कृति कहीं नज़र नहीं आई। गुस्से में उसने मुट्ठी बँधकर दीवार पर मार दी। "डैम इट!!"

  • 4. painfull love - Chapter 4

    Words: 991

    Estimated Reading Time: 6 min

    संस्कृति अपने घर पहुँची तो दरवाजे पर अपनी आंटी रेवा को खड़ा देखकर झिझकते हुए कदम बढ़ाए। उसकी आंटी ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया। "कहाँ से मुँह काला करके आ रही है सुबह-सुबह?" "आंटी वो......वो मैं....." "क्या मैं-मैं लगा रहा है? जवाब दे, कहाँ थी सारी रात?" अब संस्कृति की आगे कुछ बोलने की हिम्मत नहीं रही। वह चुपचाप, सर झुकाए वहीं खड़ी रही। उसे कुछ न बोलता देख उसकी चाची ने उसका हाथ पकड़कर अंदर खींच लिया और उसके कमरे में छोड़ दिया। तभी उसकी नज़र संस्कृति के गले पर बने बैंगनी रंग के निशान पर गई। उसे देखते ही आंटी रेवा ने खींचकर एक थप्पड़ उसके गाल पर मारा और चीखते हुए बोली, "तो इसलिए तू अपने अंकल के पसंद किए लड़के से शादी नहीं कर रही थी? क्योंकि तुझे ऐसे रातें रंगीन करने का शौक है। पता नहीं कब से ऐसे जाती रही होगी? वह तो कल रात मैंने अचानक से तेरा खाली कमरा देखा। लेकिन इंतज़ार करते-करते सुबह हो गई और तू आई तो किसी और के बिस्तर पर बिछकर... अब हम तेरी कोई बात नहीं सुनेंगे। चुपचाप रह। दो दिन बाद तेरी शादी है, तेरे अंकल की पसंद किए हुए लड़के से। तू सीधे अब अपने मंडप के लिए ही कमरे से बाहर आएगी।" इतना बोलकर वह गुस्से में कमरे से बाहर निकल गई। जाते-जाते उसने दरवाज़े पर ताला भी लगा दिया। वहीं दूसरी तरफ, हाथों में सर्जिकल नाइफ लिए हुए अदम्य अपने सामने घुटने पर बैठे आदमी को गुस्से से घूर रहा था। "किसकी पूछकर तूने मेरी ड्रिंक में ड्रग्स मिलाया था?" "मुझे माफ़ कर दीजिए सर, मुझसे गलती हो गई। मुझे ऐसा करने के लिए बोला गया था।" "तो जब तुम्हें पता था कि ड्रग्स मेरी ड्रिंक में मिलानी है, तो तुम्हें डर नहीं लगा कि मैं तुम्हें कितनी बुरी मौत दे सकता हूँ?" "सर, उनका मुझ पर बहुत कर्ज़ था। जिसे चुकाने के लिए उन्होंने मेरे सामने यह शर्त रखी थी।" "हम्म! तो उनका कर्ज़ चुकाने के लिए तूने मुझे ड्रग्स दे दिया?" उस आदमी ने सर झुकाते हुए अदम्य की बात में सहमति जताई। "तो अब मुझे ड्रग्स देने की एवज़ में क्या कर सकता है मेरे लिए?" वह आदमी कुछ सोचते हुए बोला, "सर, मेरी भतीजी संस्कृति एक हफ़्ते बाद बीस साल की हो जाएगी। तो वह अपने पेरेंट्स की प्रॉपर्टी की लीगली ओनर हो जाएगी। सर, मुझे मत मारिए, मैं आपकी उससे शादी करवा दूँगा। उसके साथ उसकी प्रॉपर्टी भी आप ही की होगी।" संस्कृति यह नाम सुनकर अदम्य थोड़ा चौंका। फिर खुद को नॉर्मल करते हुए कहा, "कोई भी राह चलती लड़की से अदम्य शादी नहीं करेगा। अभी उसकी इतनी बुरी हालात नहीं है।" उसकी बात सुनकर उस आदमी ने अपने पेंट की जेब से अपना फ़ोन निकाला और तुरंत एक पिक दिखाते हुए बोला, "सर, मेरी भतीजी बहुत खूबसूरत है। आप एक बार देख तो लीजिए..." इतना बोलकर उसने अपना मोबाइल अदम्य के सामने रख दिया। अदम्य ने जैसे ही संस्कृति की फ़ोटो देखी, रात का मंज़र एक बार फिर उसकी आँखों के सामने घूम गया। "ठीक है, लेकिन शादी मेरे तरीके से होगी। कल मैं तुम्हारे घर आता हूँ। मुझे वहाँ दुल्हन तैयार मिलनी चाहिए। उसके बाद मुझे उसके साथ क्या करना है, यह मैं डिसाइड करूँगा।" इतना बोलकर अदम्य ने अपने गार्ड्स को इशारा किया तो वे उस आदमी को लेकर वहाँ से बाहर चले गए। यह आदमी कोई और नहीं, संस्कृति के अंकल रवि थे, जिन्होंने अपने स्वार्थ के लिए अपनी बेटी समान भतीजी की बलि चढ़ा दी थी। उसके जाने के बाद अदम्य किसी गहरी सोच में खुद से ही बोला, "कल रात मैं ड्रग्स की वजह से संस्कृति के साथ में ज़्यादा ही हार्ड हो गया था। वह कितना रोई थी, लेकिन मैंने उसकी एक नहीं सुनी। मेरा मन चाहता था उसे सुनने को, लेकिन ड्रग का इतना स्ट्रांग असर था कि चाहकर भी मैं उसके साथ जेंटल नहीं हो पाया। और कल रात उसका फ़र्स्ट टाइम था।" बोलते हुए एक बार फिर रात का मंज़र उसके दिमाग में आया। रात: अदम्य और संस्कृति अब संस्कृति तक अपनी आँखें बंद कर चुकी थी, लेकिन अदम्य जैसे एक बार फिर अनकंट्रोल हो गया था। उसके सामने एक खूबसूरत जिस्म बिना कपड़ों के उसे और ज़्यादा उकसा रहा था। अदम्य ने बिना देर किए उसे कमर से पकड़कर उल्टा पलट दिया। अब संस्कृति का मुँह तकिए में धँस गया और अब उसके बॉडी का पोस्चर ऐसा था कि उसके नितंब हवा में अदम्य के चेहरे के सामने उठे हुए थे और उसके दोनों स्तन नीचे की तरफ़ लटकने लगे। अब तो जैसे संस्कृति की जान हलक में आ गई। वह कुछ रिएक्ट कर पाती, उससे पहले ही अदम्य ने उसके मांसल नितंबों को अपने हाथों से दबाया और उसे फैलाना शुरू किया। जैसे-जैसे अदम्य के हाथों ने वहाँ खिंचाव बढ़ाया, संस्कृति के नितंबों के बीच का छिद्र खुल गया और डर के मारे वह काँप उठी। अब यह आदमी क्या करने वाला है? इसके शरीर का दूसरा द्वार खोलकर... इसके आगे वह कुछ और सोच पाती, एक झटके के साथ अदम्य उसके उस छोटे छिद्र में समा गया। और संस्कृति की भयावह चीख गूँजी। वह असहनीय दर्द से हिलने लगी थी। लेकिन अदम्य ड्रग्स के कारण खुद को रोकने में असफल था। अब वह उसे उसके नितंब पकड़े हुए अंदर की ओर जोर-जोर से झटके दे रहा था, जिस कारण उसके स्तन भी आगे-पीछे हिलकोरे ले रहे थे। उसकी सिसकियाँ सुनकर तो जैसे अदम्य और उत्तेजित हो रहा था। एक घंटे ऐसा करते हुए जब अदम्य संतुष्ट हो गया, तो उसने उसे पलटकर संस्कृति के दोनों जांघों के बीच के उस खूबसूरत वादियों में अपना चेहरा रख लिया और उसके दोनों स्तनों को अपने दोनों हाथों में भरकर सो गया। यह सब सोते हुए अचानक ही अदम्य अपनी सोच से बाहर आया और खुद को शांत करने के लिए बाथरूम में जाकर शावर के नीचे खड़ा हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे संस्कृति के बारे में सोचने मात्र से ही उसका शरीर ज्वालामुखी की लपेट में आ जाता है। जारी है –

  • 5. painfull love - Chapter 5

    Words: 1469

    Estimated Reading Time: 9 min

    सुबह-सुबह संस्कृति लाल जोड़े में आईने के सामने खड़ी थी। उसकी आँखें सूजी हुई थीं; ऐसा लग रहा था जैसे वह बहुत रोई हो। परसों रात अदम्य ने उसके साथ जानवरों जैसा सुलूक किया था, और अब उसके अंकल ने उसे किसी अनजान के साथ शादी करने के लिए मजबूर किया था। उसका नाम तक उसे पता नहीं था। उसे बस इतना बताया गया था कि उसे उनकी सारी बात माननी होगी। अपनी ज़िंदगी के बारे में सोचकर एक बार फिर उसकी आँखों में आँसू आ गए, जिन्हें उसने बेरहमी से रगड़कर पोंछ दिया। जैसे ही उसकी आंटी उसे बाहर लेकर आईं, संस्कृति ने देखा कि उनके घर के सामने एक ब्लैक BMW खड़ी है। आंटी के इशारे से वह कार के पास बढ़ गई। इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती, कार का दरवाज़ा खुला और एक हाथ ने तेज़ी से उसे अंदर खींच लिया। पल भर में कार वहाँ से जा चुकी थी। कार में अंदर खींचते ही संस्कृति किसी की गोद में जाकर गिर गई। डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। लेकिन कुछ देर बाद जब उसने अपनी आँखें खोलीं, तो उसने पाया कि वह अदम्य की गोद में गिरी है। और वह उसे बहुत ही इंटेंस भरी नज़रों से देख रहा था। उसकी नज़रें संस्कृति को असहज कर रही थीं। इसलिए उसने उसकी गोद से उठने की कोशिश की, तो अदम्य ने उसकी कमर को और कसकर पकड़ लिया। अब संस्कृति हार मानकर चुपचाप उसकी गोद में बैठी रही, और कुछ ही देर में वे लोग रजिस्ट्रार ऑफिस पहुँच चुके थे। अदम्य उसे अपनी गोद में लिए हुए ही अंदर गया। और जब वे लोग बाहर आए, तो उनके हाथ में मैरिज सर्टिफिकेट की एक-एक कॉपी थी, और इस वक्त भी संस्कृति अदम्य की गोद में ही थी, और शर्म से उसका पूरा चेहरा सिंदूरी आभा बिखेर रहा था। वहीं दूसरी तरफ, संस्कृति के जाने के बाद उसके अंकल-आंटी आपस में झगड़ा कर रहे थे। "मैं कहती हूँ, तुमने उस लड़की को जाने क्यों दिया?? तुम्हें क्या ज़रूरत थी उस अदम्य को ड्रग्स देने की?? तुम्हारी इन ही हरकतों की वजह से करोड़ों की प्रॉपर्टी हमारे यहाँ से चली गई, और साथ में वो फ्री की कामवाली, तुम्हारी भतीजी भी…" "प्रॉपर्टी गई तो गई, कम से कम हमारी जान तो बची… तुम्हें पता भी है वो अदम्य क्या चीज़ है?? रातों-रात हम दोनों कहाँ जाते, किसी को पता नहीं चलता। वह कोई आम इंसान नहीं है, ज़िंदा इंसान को मौत का खौफ देने वाला इंसान है।" इतना बोलते ही अंकल रवि को गुस्से के साथ-साथ डर भी लग रहा था। उन्होंने एक झुर्री ली और फिर चुपचाप अपने कमरे में चले गए। उन्हें अब इस बात की तसल्ली थी कि कम से कम संस्कृति के बदले उन्हें अपनी जान बचाने का मौका तो मिल गया था। तो वहीं आंटी रेवा गुस्से से अपना मन मसोस रही थी। "क्या तुम्हें मुझसे डर लग रहा है???" अदम्य ने अपनी गोद में बैठी संस्कृति के गाल में अपनी उंगली चलाते हुए, उसके कान में बहुत ही सेडक्टिव आवाज़ में कहा। "न…नहीं।" "तो फिर तुम्हारी धड़कन इतनी तेज़ क्यों है???" उसने अपना हाथ उसके सीने पर रखते हुए कहा। अदम्य की इस हरकत से संस्कृति को अब घबराहट होने लगी थी। "छोड़िए हमें! यह क्या कर रहे हैं आप??? किसी के सामने ऐसा कैसे कर सकते हैं???" उसने खुद को अदम्य की पकड़ से छुड़ाने की कोशिश करते हुए कहा। इससे पहले कि वह उसके हाथों से छूट पाती, तभी उसे अपनी साँसें किसी और की साँसों से मिलती हुई लगीं। उसके होंठ अब किसी के गिरफ्त में थे। कार में बैठे ड्राइवर ने अपनी नज़रें नहीं उठाईं, लेकिन उसने कार का पार्टीशन ऑन कर दिया। जब संस्कृति को साँस लेने में दिक्कत होने लगी, तब जाकर अदम्य ने उसे आज़ाद किया। उसकी साँसें ऊपर-नीचे हो रही थीं। उसने खुद को संभालना ही था कि तभी उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके ब्लाउज़ का कंधा नीचे खिसका दिया, और उसकी गर्दन में काटने लगा। दर्द की वजह से उसके मुँह से एक तेज सीट्ठी निकली, जो अदम्य को और उत्तेजित कर रही थी। संस्कृति को अचानक ही अपने नीचे कुछ हार्ड, नुकीला सा चुभन हुआ, और जैसे ही उसे उस चीज़ का मतलब समझ में आया, शर्म से जैसे उसकी धड़कन ही रुक गई। वह तेज़ी से अदम्य से अलग होने की कोशिश करने लगी, कि एक तेज़ झटके के साथ कार रुकी, और वह जो उससे अलग होने की कोशिश कर रही थी, उसके सीने में समा गई। एक तेज, मर्दाना परफ्यूम उसके नाक में समा गया। अब उसने कार उठाकर देखा, तो अदम्य उसे ही देख रहा था। "हम घर पहुँच चुके हैं।" उसने उसे बताया और गोद में लिए हुए ही कार से नीचे उतरकर अंदर की तरफ़ बढ़ गया। इससे पहले कि वह अंदर पहुँच पाता, दरवाज़े पर उसकी माँ हैरान नज़रों से अपने बेटे को देख रही थी, जिसकी गोद में दुल्हन के लाल जोड़े में सजी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी। "अदम्य! बेटा यह लड़की कौन है???" ये… उनके मुँह से शब्द ही नहीं निकले, लेकिन उनकी बात का मतलब समझते हुए अदम्य ने कहा- "माँ, ये आपकी बहू है। और मैं बहुत थका हूँ, इसलिए इसे लेकर कमरे में जा रहा हूँ।" बिना कोई सफ़ाई दिए अंदर की तरफ़ बढ़ गया। इससे पहले कि वह सीढ़ियों पर क़दम रखता, करुणा जी ने बोला- "अब तू तेरे पापा को क्या जवाब देगा???" "इस बार थोड़ा अलग जवाब दूँगा। उन्हें इस घर की बहू चाहिए थी, तो मैं उनके लिए बहू ले आया। बस थोड़ा डिफरेंट हो गया। बहू उनकी पसंद की नहीं, उनके बेटे की पसंद की है।" इतना बोलकर वह तेज़ी से अपने कमरे की तरफ़ बढ़ गया। और पीछे खड़ी करुणा जी के चेहरे पर परेशानी की लकीर दिखने लगी, कि आज घर में क्या होने वाला है। कमरे में पहुँचकर अदम्य ने उसे नीचे उतारा और रूम का दरवाज़ा लॉक कर दिया। "ये…ये…ये आप दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हैं???" उसने डरते हुए सवाल किया। "तो क्या मैं सबके सामने अपनी सुहागरात मनाऊँ…" उसने संस्कृति को दिलचस्पी से देखते हुए कहा, जो इस वक़्त उसकी बात सुनकर नीचे जमीन को देख रही थी। "देख क्या, वह तो घर रही थी। अब क्या, नज़रों से ही जमीन में गड्ढे कर दोगी?" अदम्य ने उसके पास बढ़ते हुए कहा, तो वह भी अपने क़दम पीछे खींचने लगी, फिर बेड पर गिर गई। "बहुत इंतज़ार किया है मैंने… तुम्हें याद होगा, मैं बचपन में तुम्हें चॉकलेट देने का वादा किया था, और आज उसे वादे को पूरा करने का समय आ गया है।" इतना बोलकर वह उसके चेहरे पर झुका और अपने तपते होंठ उसके नम होठों पर रख दिए। उसकी बात सुनकर संस्कृति तो जैसे किसी ख़यालों में खो गई। क्या ये वही लड़का है??? और इसके आगे उसे सोचने का मौक़ा ही नहीं मिला, क्योंकि उसका यह पति, जो उसे शुरू से ही एक खौफ दिलाता था, उसके शरीर से उसके सारे कपड़े उतार चुका था, और अब वह अपनी बेल्ट निकाल रहा था। कुछ ही मिनटों में वह अपने विशालकाय क़द-काठी के साथ बिना कपड़ों के उसके बेड पर बैठा, उसके दोनों पैरों के बीच झुक चुका था। कुछ ही देर में उसने अपना सर ऊपर करते हुए उसके चेहरे को देखते हुए बोला- "क्या तुम्हें यह अच्छा लग रहा है???" उसने देखा, बेड पर बैठी उस नाज़ुक सी लड़की ने अपनी आँखें बंद कर ली हैं, तो उसने बोला- "ओपन योर आइज़…" इस पर भी जब उसने अपनी आँखें और कसकर बंद कर लीं, तो उसने झुककर उसके टांगों के बीच उस कोमल अंग में एक काट दिया, तो दर्द की वजह से वह चीख पड़ी। उसके आँखों के कोर से आँसू की धार फिसल गई, और उसने अपनी आँखें खोलकर अपने बेरहम पति को देखा, जिसकी नज़रें उसके चेहरे पर ही टिकी थीं। अब उसने उसे बहुत ही प्यार से देखा और बोला- "यू नो वॉट! मैंने कभी सोचा नहीं था कि तुम इस तरह से मेरी ज़िंदगी में आओगी। लेकिन उस एक रात ने सब कुछ बदल दिया।" इतना बोलकर अदम्य के हाथ उस नाज़ुक सी लड़की के शरीर को एक्सप्लोर करने लगे। एक बार फिर उनके दोनों हाथ आपस में कस चुके थे, और अदम्य ने उसके मुँह के अंदर अपनी तेज ज़ुबान डाल दी। अब दोनों की ज़ुबान आपस में इंटरवाइन हो रही थीं। दोनों के हाथ भी आपस में कसकर उलझे हुए थे, और ऐसा करते हुए वह अचानक ही उसके अंदर समा चुका था। जैसे-जैसे अदम्य अपनी कमर मूव कर रहा था, वैसे-वैसे अब संस्कृति बेड पर उसके सामने हिलते हुए उसे और एक्साइटेड कर रही थी। रात के 2 बज रहे थे, और थकान उसके चेहरे में साफ़ नज़र आ रही थी। वह अब उससे अलग हुआ और उसके माथे को किस करके उसके बगल में लेट गया और उसका सिर अपने सीने में रख लिया। थकान की वजह से दोनों गहरी नींद में सो गए थे।

  • 6. painfull love - Chapter 6

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह संस्कृति की आँख खुली तो उसे अपने ऊपर एक भारी हाथ का एहसास हुआ। उसने अपना चेहरा मोड़कर देखा तो अदम्य अपना एक हाथ और एक पैर उसके ऊपर रखे, बहुत ही सुकून से सो रहा था। वह खुद को उससे अलग कर, जैसे ही बिस्तर से उठने को हुई, दर्द की एक तेज लहर उसके शरीर में दौड़ गई और दर्द भरी सिसकारी उसके मुँह से निकल गई। उसकी आवाज सुनकर अदम्य की नींद खुल गई। उसने आँख खोलकर संस्कृति की तरफ देखा तो उसकी आँखों में प्यार उमड़ आया। ऐसा कुछ तो था इस लड़की में, जिसे देखते ही अदम्य जैसे पत्थर दिल शख्स के अरमान मचल उठते थे। उसकी नज़र खुद पर महसूस करते ही संस्कृति ने बेड पर पड़ा चादर खुद से और ज़्यादा कस लिया। "मुझे ऐसा नहीं लगता कि तुम्हारे बॉडी में ऐसा कुछ है जो मुझसे छुपा हुआ हो। अब जबकि मैंने सब कुछ देख ही लिया है तो तुम्हें यह पर्दा करने की कोई ज़रूरत नहीं है।" बोलते हुए अदम्य ने अपना हाथ जैसे ही संस्कृति की तरफ बढ़ाया, वह डर से थोड़ा और पीछे खिसक गई। "प्लीज! अब कुछ मत करिए। हमें बहुत दर्द हो रहा है।" संस्कृति ने कहा, और इस वक्त उसकी आँखों में आँसू आ गए थे। उसका इस तरह से रिएक्शन देखकर अदम्य के चेहरे के भाव बदल गए। उसने बेड से उतरकर कमर में टॉवल लगाते हुए उसके करीब आया और उसे अपनी गोद में लिए हुए बाथरूम की ओर बढ़ गया। कुछ ही देर में वे दोनों बाथरूम से आ चुके थे। संस्कृति को बाथरोब पहनाते हुए, अदम्य ने पहले उसके माथे को, और फिर होंठों के किनारे पर बहुत ही हल्के से किस किया और उसके बाल बनाते हुए बोला – "अभी तुम रेस्ट करो। शाम को मेरे साथ शॉपिंग पर चलकर अपनी पसंद की ड्रेस ले लेना।" इतना बोलकर अदम्य ड्रेसिंग टेबल के सामने तैयार होने लगा। जैसे ही उसने अपने हाथ में लैब कोट लेकर बाहर जाने को हुआ, तभी संस्कृति ने उसे हल्के से आवाज लगाई। "सुनिए..." "हाँ???" "वो मुझे..." संस्कृति कुछ कहना चाह रही थी, लेकिन कह नहीं पा रही थी। उसके मन की बात समझकर अदम्य ने कहा – "जो भी बात हो, तुम मुझसे खुलकर बता सकती हो। आफ्टर ऑल आई एम योर हसबैंड एंड यू आर माय वाइफ।" "वो... क्या हम अपने कॉलेज जा सकते हैं???" संस्कृति ने डरते-डरते पूछा। "हाँ, बिल्कुल जा सकती हो। बट आज रेस्ट करो। शाम को मेरे साथ चलकर अपनी ज़रूरत का सामान ले लेना।" अदम्य ने उसका सिर सहलाते हुए कहा। "क्या हम आपके फ़ोन से अपने फ़्रेंड से बात कर सकते हैं?? वो क्या है ना, अंकल-आंटी ने हमारा फ़ोन तोड़ दिया था।" एक बार फिर उसने हिम्मत करके पूछा। "शाम को कर लेना।" इतना बोलकर वह रूम से बाहर निकल गया और जाते-जाते उसने अपने असिस्टेंट को कॉल करके कहा – "विवेक, शाम तक मेरे केबिन में एक नया फ़ोन पहुँचा देना।" पूरे दिन संस्कृति ने खुद को व्यस्त रखने की बहुत कोशिश की, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? उसे इस वक्त अपना पति बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था। उसने उससे शादी क्यों की?? क्या वह उससे प्यार करता है??? लेकिन अंकल ने तो......... वह सब सोच रही थी, तभी उसे एहसास हुआ कि उसने अभी तक कुछ खाया नहीं है। वह रूम से निकलकर बाहर आई तो डाइनिंग टेबल पर रखी डिशेज़ देखकर उसे कुछ समझ नहीं आया कि इस वक्त घर में कोई दिख नहीं रहा है तो यह लंच किसने बनाया?? लेकिन अगले ही पल फिर वह बिना कुछ सोचे बैठकर लंच किया और एक बार फिर रूम में जाकर लेट गई। उसे इस कमरे से बाहर जाने का बिल्कुल दिल नहीं कर रहा था। वह लेटी हुई एकटक सीलिंग को देखे जा रही थी। न जाने कब सोचते-सोचते ही वह गहरी नींद में सो गई। शाम को जब अदम्य घर आया तो उसे संस्कृति बेडरूम में सोई हुई दिखाई दी। वह उसे बिना कुछ बोले चुपचाप अपना सामान टेबल पर रखकर बाथरूम की तरफ बढ़ गया। थोड़ी देर बाद वह फ़्रेश होकर बाहर आया। उसने अपने कदम संस्कृति की तरफ बढ़ाए और झुककर जैसे उसे उठाने को हुआ, कि तभी अचानक से संस्कृति की आँखें खुल गईं। अपने ऊपर अदम्य को इस तरह झुके हुए देखकर डर और हैरत से उसकी आँखें और बड़ी हो गईं। "आप... आप क्या कर रहे थे???" उसने हकलाते हुए, उसके सीने पर हाथ रखकर उसे हल्का पीछे करते हुए कहा। तभी उसे एहसास हुआ कि उसने अदम्य के खुले सीने पर हाथ रखा है, जिसमें से अभी भी पानी की बूँदें मोती की तरह फिसल रही हैं। उसने अब ठीक से अदम्य को देखा, जो उसके सामने सिर्फ़ एक टॉवल में था। उसे ऐसा देखकर वह बार-बार अपनी पलकें झपकाने लगी। इस समय अदम्य जैसे किसी ग्रीक देवता सा प्रतीक हो रहा था। करना चाहते हुए भी, बार-बार संस्कृति की नज़रें उसके ऊपर ही जा रही थीं। तो वही, संस्कृति की हालत समझते हुए अदम्य के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने हाथ पकड़कर उस नाज़ुक सी लड़की को अपनी गोद में बिठा लिया। संस्कृति को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वह करे तो क्या करे, इसके पहले कि वह कोई रिएक्शन कर पाती, उसे अपने हाथ में कुछ महसूस हुआ। उसने नज़र झुकाकर देखा तो अदम्य एक बॉक्स उसके हाथ में रख रहा था। उसने सवालिया निगाहों से उसे देखा तो अदम्य ने उसे खोलने का इशारा किया। उसकी बात समझते ही संस्कृति ने जैसे ही बॉक्स को खोला, उसमें एक मोबाइल फ़ोन था। "ये फ़ोन???" "हाँ, यह फ़ोन तुम्हारे लिए है।" "लेकिन यह तो काफ़ी महँगा है???" "मुझे सस्ती चीज़ें पसंद नहीं।" "जी???" "जी हाँ। इस फ़ोन में तुम तुम्हारे जो नंबर ज़रूरी लगे, उन्हें सेव कर लेना। मैंने अपना नंबर सेव कर दिया है और हाँ, मुझे इस फ़ोन में किसी लड़के का नंबर नहीं देखना चाहिए।" इतना बोलकर अदम्य ने उसके होंठों के किनारे पर हल्के से किस किया और उसे बेड पर बिठाकर कपड़े बदलने के लिए चला गया। उसके जाने के बाद संस्कृति ने गौर से फ़ोन को देखा और उसके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। उसने सबसे पहले अपनी दोनों फ़्रेंड्स के नंबर उस फ़ोन में सेव किए और उसके बाद कुछ सोचकर कांटेक्ट लिस्ट देखी तो अदम्य ने अपना नाम 'Love' के नाम से सेव कर रखा था। इस वक्त संस्कृति के फ़ोन में बस तीन ही नंबर सेव थे।

  • 7. painfull love - Chapter 7

    Words: 1052

    Estimated Reading Time: 7 min

    संस्कृति जैसे ही बेडरूम से बाहर निकली, अदम्य से टकराने से बाल-बाल बची। अदम्य की नज़र उस पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया। येलो कलर की साड़ी में संस्कृति बहुत खूबसूरत लग रही थी। कुछ देर तो वह उसे एकटक देखता रहा, फिर अचानक ही अपने चेहरे के भाव बदलकर बोला— "यह तुम इस वक्त तैयार होकर कहाँ जा रही हो?" एक बार फिर संस्कृति के चेहरे पर घबराहट दिखने लगी। उसने कपकपाती हुई आवाज में कहा— "कल आपसे पूछा था ना, कॉलेज के लिए…" "हम्म, तो?" "तो हम कॉलेज जा रहे हैं।" उसने नज़रें नीचे किए हुए कहा। आदम्य ने अपने हाथ की घड़ी देखी और दरवाजे से टिक कर उसे यूँ ही देखते हुए पूछा— "कैसे जाओगी कॉलेज?" "हाँ?" "मैंने पूछा, कैसे जाओगी कॉलेज?" "पता नहीं…" उसने अचकचाते हुए कहा। एक बार फिर उसे आदम्य से डर लगने लगा था। डर के मारे वह अपने होंठ खुद ही काटने लगी थी। उसकी इस तरह की हरकत देख, आदम्य और देर तक खुद को रोक नहीं पाया और उसे अपनी ओर खींच कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। कुछ देर बाद, जब संस्कृति को साँस लेने में दिक्कत होने लगी, तो उसने उसके होंठों को अपने गिरफ्त से आजाद करते हुए बोला— "तुम्हें तो ठीक से किस करना भी नहीं आता है। अब लगता है मुझे फिर से तुम्हें सब कुछ रिपीट करना पड़ेगा, शुरू से।" इतना बोलकर आदम्य उसके होंठों को अपने अंगूठे से सहलाते हुए बाथरूम की ओर बढ़ गया। फिर थोड़ा रुककर बोला— "मेरा वेट करो, मैं ड्रॉप करता हूँ तुम्हें कॉलेज तक।" संस्कृति वापस आकर अपने बेड पर बैठ गई, आदम्य के वापस आने का इंतजार करने लगी। पता नहीं क्यों, उसे आदम्य से बहुत डर लगता था। थोड़ी देर बाद, संस्कृति आदम्य के साथ उसकी कार में बैठी कॉलेज की ओर जा रही थी। कॉलेज गेट पर पहुँचकर, आदम्य ने कार का दरवाज़ा खोला। संस्कृति के उतरते ही वह उसके साथ कॉलेज के अंदर की ओर बढ़ गया। सब लोग यह देखकर हैरान थे कि संस्कृति पहली बार किसी लड़के के साथ आई थी। और वह लड़का कोई और नहीं, उनका सीनियर आदम्य था। वे दोनों आगे बढ़ ही पाए थे कि तभी संस्कृति के पास दो लड़कियाँ दौड़ती हुई आईं और उसे गले लगाती हुई बोलीं— "तू ठीक तो है ना?" ये दोनों लड़कियाँ कोई और नहीं, उसकी बेस्ट फ्रेंड पिया और सिया थीं। उन दोनों का ध्यान संस्कृति के साथ आए आदम्य पर नहीं था, इसलिए वे लोग बस संस्कृति से ही बात कर रही थीं। संस्कृति ने नज़र उठाकर आदम्य की ओर देखा, तो उसने उसे उन दोनों के साथ जाने का इशारा किया और खुद प्रिंसिपल ऑफिस की ओर बढ़ गया। उसके जाते ही पिया ने बोला— "यार, तूने शादी कर ली?" "अरे, मेरी भोली बेबी डॉल, तूने शादी कर ली?" सिया ने भी उसके मंगलसूत्र और सिंदूर की ओर इशारा करते हुए पूछा। "अद… आदम्य सर ने मुझसे शादी कर ली।" संस्कृति ने सर झुकाकर जवाब दिया। कुछ देर बाद, वे लोग अपने क्लासरूम में बैठी थीं। संस्कृति ने उन दोनों से शुरू से लेकर अंत तक अपनी सारी बातें बता दी थीं। "अब तेरा क्या होगा बेबी डॉल? सुना है तेरा हस्बैंड बहुत कोल्ड हार्टेड पर्सन है।" उन दोनों की बातें सुनकर अब संस्कृति को आदम्य से और डर लगने लगा था। "तो अब हम क्या करें? उन्होंने तो हमसे शादी भी कर ली है, अब तो हम अंकल-आंटी के पास भी नहीं जा सकते।" "कुछ दिन वहाँ तू एडजस्ट कर, हम देखते हैं कि हम क्या कर सकते हैं।" वे तीनों बात कर ही रही थीं कि तभी एक लड़का जाकर उनके पास बैठ गया। "अरे संस्कृति, तुमने शादी कर ली?" उसने सवाल किया। इस वक्त उसके चेहरे पर एक दर्द का साया आ गया था। "हाँ निखिल, हमने शादी कर ली।" यह लड़का कोई और नहीं, संस्कृति का क्लासमेट निखिल था, जो उसे दिल से बहुत पसंद करता था। और यह बात संस्कृति को छोड़कर पूरी क्लास जानती थी। अपने दर्द को छुपाते हुए, निखिल ने संस्कृति को गले लगाते हुए कहा— "कॉन्ग्रैचुलेशन्स यार… तूने तो कुछ बताया ही नहीं, चोरी-छुपे शादी कर ली।" इतना बोलकर निखिल वहाँ से उठकर चला गया और संस्कृति भी अपनी बुक खोलकर बैठ गई। लेकिन उन सबको यह नहीं पता था कि किसी की जलती हुई नज़र उन सब पर पड़ चुकी है। आदम्य गुस्से में अपनी मुट्ठी बँधी हुई, वहाँ से तेज कदमों के साथ बाहर की ओर निकल गया। उसने निखिल को संस्कृति के गले लगे हुए देख लिया था। और यह बात उसे हद दर्जे तक इरिटेट कर चुकी थी। अब वह यह जानता था कि वह आगे संस्कृति के साथ क्या करने वाला था। उसका यह प्यार संस्कृति के लिए कितना पेनफुल लव साबित होने वाला था। पूरी क्लास के दौरान संस्कृति उदास सी अपनी सीट पर बैठी थी और निखिल उदास नज़रों से बार-बार उसे ही देख रहा था। और यह बात पिया और सिया अच्छी तरह से जान रही थीं। कॉलेज खत्म होने के बाद, जब वे सब बाहर निकलने लगे, तो निखिल ने उन तीनों को घर ड्रॉप करने के लिए कहा। "निखिल— चलो मैं तुम तीनों को ड्रॉप कर देता हूँ।" "संस्कृति— लेकिन हम…" "पिया— लेकिन-वेकिन कुछ नहीं। वो ड्रॉप कर देगा ना, हम दोनों भी तो चल रहे हैं ना, अब चल।" इतना बोलकर सिया ने उसका हाथ पकड़कर उसे निखिल की कार की पैसेंजर सीट पर बिठा दिया। और खुद जाकर वे दोनों पीछे की सीट पर बैठ गईं। निखिल की कार के निकलने के बाद, एक कार उनके पीछे-पीछे चलने लगी, जो किसी और की नहीं, आदम्य की थी, जो संस्कृति को लेने कॉलेज आया था। लेकिन उसने अपनी आँखों के सामने ही संस्कृति को निखिल के साथ कार में बैठे हुए देख लिया था। इस समय उसकी आँखें गुस्से से लाल अंगारे हो चुकी थीं। "यह तुमने बिल्कुल ठीक नहीं किया। मेरे प्यार का गलत फायदा उठा रही हो तुम… अगर मैं तुम्हें ड्रॉप करने आया था, तो मैं तुम्हें लेने भी आता। लेकिन तुमसे इंतज़ार नहीं हुआ।" दोनों कारें एक साथ आदम्य के मेंशन के सामने आकर रुकीं। संस्कृति उन सबको बाय करके अंदर की ओर चली गई और निखिल ने अपनी कार आगे बढ़ा दी। वह आगे बढ़ ही रही थी, तभी किसी ने उसका हाथ पकड़कर उसे घसीटते हुए तेज़ी से अंदर ले जाने लगा। यह कोई और नहीं, आदम्य था। क्रमशः

  • 8. painfull love - Chapter 8

    Words: 1233

    Estimated Reading Time: 8 min

    ये आप क्या कर रहे हैं?? मुझे दर्द हो रहा है। छोड़िए मुझे। दर्द से चीखती हुई, संस्कृति अदम्य की पकड़ से अपना हाथ छुड़ाने लगी। मुझे भी ऐसा ही दर्द हो रहा था जब तुम किसी और के गले लग रही थीं। अदम्य ने दांत पीसते हुए कहा और उसे सोफे पर झटके से बिठा दिया। लेकिन वह तो हमारा दोस्त था और वह हमें... संस्कृति इसके आगे कुछ नहीं बोल पाई क्योंकि अदम्य उसके बगल में बैठकर उसके हाथ को सहलाने लगा, जहाँ उसके पकड़ने की वजह से लाल पड़ गया था। "मुझे बिल्कुल पसंद नहीं है जब तुम्हें मेरे अलावा भी कोई छूता है। तुम समझ रही हो ना मेरे कहने का मतलब?" संस्कृति कुछ बोल नहीं पाई, लेकिन वह अभी भी डर के मारे कांप रही थी। "जा, रूम में आराम कर लो," अदम्य ने उसे थोड़ा समय देने का सोचा। और उसकी बात मानकर संस्कृति मानो वहाँ से उड़ गई हो, इतनी जल्दी बेडरूम में पहुँच गई। डिनर में भी उसने अदम्य से कोई बात नहीं की। पूरे टाइम अदम्य उसे बहुत ही शिद्दत भरी नज़र से देखता रहा। लेकिन संस्कृति को उससे कोई फर्क नहीं पड़ा। वह हर वक्त उसे इग्नोर करने की कोशिश करती रही, जबकि अदम्य उससे प्यार की उम्मीद लगाए बैठा था। ००००००० आज एक महीना होने को आया था। संस्कृति ने अभी तक अदम्य से खुद से बात नहीं की थी; वह बस अपने काम से काम रखती थी। वह बहुत भोली थी; उसे खुद ही समझ नहीं आता था कि अदम्य उतना बुरा नहीं था जितना वह उसे समझ रही थी। लेकिन उसके आसपास के लोग उसे समझाने की बजाय, उसे उसकी हरकतों के लिए बढ़ावा देते रहते थे। आजकल संस्कृति को हल्के से चक्कर आते थे। कॉलेज में उसकी तबीयत बिगड़ी तो पिया और सिया के साथ निखिल उसे लेकर हॉस्पिटल गया था। डॉक्टर की बात सुनकर उन तीनों के साथ संस्कृति को बहुत आश्चर्य हुआ। "यह आप क्या कह रही हैं, डॉक्टर? मैं प्रेग्नेंट कैसे हो सकती हूँ?" संस्कृति ने डरते हुए कहा। "लेकिन आपकी रिपोर्ट तो यही कह रही है कि आप एक महीने प्रेग्नेंट हैं। मेरे ख्याल से आपको अपनी फैमिली को बता देना चाहिए। क्योंकि आपकी बॉडी बहुत वीक है और आपको अपना बहुत ख्याल रखना पड़ेगा।" डॉक्टर की बात सुनकर संस्कृति अपनी रिपोर्ट्स लेकर केबिन से बाहर आ गई। तभी निखिल ने कहा, "मेरे ख्याल से तुम्हें अबॉर्शन करवा देना चाहिए।" "लेकिन मैं..." वो इसके आगे कुछ बोल पाती, तभी निखिल वहाँ से चला गया। "मेरे ख्याल से तुम्हें अदम्य को यह सारी बातें बता देनी चाहिए," सिया ने उसे समझाते हुए कहा। "वह क्या करेगा? अगर उसको इतनी परवाह ही होती तो आज यह कॉलेज में इस तरह चक्कर खाकर नहीं गिरी होती। अगर इसकी तबीयत खराब थी तो अदम्य इसे डॉक्टर को दिखाने क्यों नहीं लेकर आया?" पिया ने खासी नाराजगी से कहा। "मुझे नहीं लगता कि वह इस बच्चे को..." इसके पहले पिया कुछ और बोलती, सिया ने उसे रोकते हुए कहा, "तेरी और संस्कृति की बेवकूफी में ज़्यादा अंतर नहीं है, दोनों ही बेवकूफ़ हो। तू आज पूरा टाइम सोच लेना, तू क्या चाहती है? फिर जैसी तेरी मर्ज़ी, हम फ़ोर्स नहीं करेंगे। लेकिन मैं यही कहूँगी कि तुझे एक बार अदम्य से बात करनी चाहिए।" "संस्कृति! यह फ़ॉर्म फ़िल कर दे।" निखिल तेज कदमों से चलता हुआ एक पेपर संस्कृति के हाथ में देते हुए बोला। "यह क्या है?" संस्कृति ने उसे पेपर हाथ में लेते हुए पूछा। "अबॉर्शन के लिए फ़ॉर्म है। यह फ़िल कर दे तो डॉक्टर तुझे अपॉइंटमेंट दे देगी।" निखिल ने जवाब दिया। "तू पागल है क्या, निखिल? उसे समझाने की बजाय तू उसे ऐसी सलाह दे रहा है।" सिया ने एक बार फिर उसे समझाने की कोशिश की। "वह बिल्कुल ठीक कह रहा है। अभी संस्कृति की आगे क्या है, और तुझे दिख नहीं रहा है वह कितनी कमज़ोर है।" पिया ने निखिल का साथ देते हुए कहा। संस्कृति ना जाने क्या सोच रही थी, और फिर उसने चुपचाप से वह फ़ॉर्म फ़िल कर दिया। और फ़ॉर्म जमा करते हुए जब डॉक्टर से मिली, तो डॉक्टर ने उसे दो दिन बाद की डेट दे दी। घर आकर उसने चुपचाप खाना खाया और अपने बेड में आराम करने लगी। अदम्य आज जाने क्या सोचकर उसके बगल में लेट गया और उसके कमर पर अपना हाथ रख दिया। तभी संस्कृति ने उसका हाथ खुद से झटक दिया और बेड पर बैठते हुए बोली, "आपने जो मनमानी करनी थी वह मेरे साथ कर चुके हैं। मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है, इसलिए प्लीज़ मेरे साथ अभी कुछ मत कीजिए।" अदम्य जो सिर्फ़ उसके साथ सुकून से लेटने के लिए आया था, संस्कृति की बातें सुनकर उसे बहुत बुरा फील हुआ। वह चुपचाप वहाँ से उठकर बाहर की तरफ चला गया। इतने समय के बाद भी संस्कृति उसे समझ नहीं पाई थी। इस बात का उसे बहुत बुरा लगा था। जबकि संस्कृति को भी इस तरह से बात करना खुद में अच्छा नहीं लगा था, लेकिन वह खुद ही बहुत परेशान थी; उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? ००००००० ऐसे ही दो दिन बीत गए। रह-रहकर उसके मन में बस यही ख्याल आ रहा था कि यह उसका बच्चा है, वह कैसे इसे खुद से अलग कर दे। उसने फैसला कर लिया था कि बच्चे को खुद से दूर नहीं करेगी, और कॉलेज से वापस आने के बाद अदम्य को सारी बातें बता देगी। यही सब सोचते हुए वह कॉलेज जा रही थी। कॉलेज गेट पर ही पिया और सिया के साथ निखिल भी उसका इंतज़ार कर रहा था। उसे आते देखकर तीनों ने उसे एक बार फिर से गले लगाया। "तो क्या सोचा है तूने?" सिया ने टेंशन से पूछा। "मुझे लगता है मुझे अदम्य से सारी बातें बता देनी चाहिए, और मैं अबॉर्शन नहीं करना चाहती।" बेचैनी से संस्कृति ने जवाब दिया। उसका जवाब सुनकर सिया के चेहरे पर मुस्कराहट आ गई, तो वहीं निखिल ने उसे साइड से गले लगाया और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोला, "यह तेरा फैसला है, तुझे जैसा ठीक लगे वैसा कर, हम सब तेरे साथ हैं। आखिर दोस्त होते किसलिए हैं?" निखिल की बात सुनकर संस्कृति की आँखों में आँसू आ गए और उसने भी अपने हाथ निखिल की पीठ पर लगा लिया। निखिल को पता था कि इस वक्त उसे एक दोस्त के सपोर्ट की ज़रूरत थी, इसलिए उसने अपने चेहरे पर मुस्कराहट बिखेर दी। वह इस पागल सी लड़की से बहुत प्यार करता था, और अब वह चाहता था कि चाहे वह उसे मिले या ना मिले, लेकिन वह अपनी ज़िंदगी में हमेशा खुश रहे। कुछ देर बाद वह तीनों कॉलेज गेट के अंदर चले गए। और बाहर अपनी कार से टिका अदम्य अपने हाथ से सिगरेट फेंक कर उसे अपने जूते से मसल दिया। इस वक्त उसकी नज़रों में एक अनकहा दर्द दिखाई दे रहा था। तभी एक आदमी तेज कदमों से उसके पास आया और बोला, "सर! यह निखिल है, मैम का बेस्ट फ्रेंड। मैम इसके बहुत क्लोज़ है, और यह निखिल उन्हें प्यार भी करता है। और सर, आपके लिए एक गुड न्यूज़ है, मैं प्रेग्नेंट हूँ। उन्होंने दो दिन पहले ही अस्पताल में चेकअप कराया था, अपने ही दोस्तों के साथ।" उसकी बात सुनकर जहाँ अभी थोड़ी देर पहले अदम्य के चेहरे पर गुस्सा दिखाई दे रहा था, अब वहाँ एक मुस्कान आ गई। "संस्कृति जी डॉक्टर के पास गई थीं। मेरी मीटिंग उसे फ़िक्स करो।" इतना बोलकर अदम्य वहाँ से अपनी कार लेकर वापस चला गया। ०००००००० क्रमशः

  • 9. painfull love - Chapter 9

    Words: 1163

    Estimated Reading Time: 7 min

    संस्कृति! संस्कृति! टेंशन मत ले, तुझे कुछ नहीं होगा, हम लोग हैं ना तेरे साथ। निखिल ने संस्कृति को गोद में उठाया और उसे हॉस्पिटल ले आया। संस्कृति निखिल की गोद में बेहोश पड़ी थी, और उसके साथ पिया और सिया भी थीं, परेशान सी। संस्कृति को ब्लीडिंग हो रही थी। कुछ देर बाद उसे रोटरूम में ले जाया गया। उसके तीनों दोस्त परेशान होकर एक बेंच पर बैठे थे। दरअसल, कॉलेज से लौटते वक्त संस्कृति को चक्कर आया था, और वह सामने से आती कार से टकरा गई थी। सभी ने उसे समय पर देखा था, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। उसके वहाँ पहुँचने से पहले ही कार संस्कृति को टक्कर मारकर वहाँ से निकल गई थी। ००००००० २ घंटे बाद— वह तीनों बैठे ही थे कि तभी उन्हें बाहर से तेज कदमों की आवाज सुनाई दी। अदम्य दिखाई दिया, जिसके चेहरे पर गुस्सा साफ झलक रहा था। उसने गुस्से से उन तीनों की तरफ देखकर कहा, "संस्कृति की अपॉइंटमेंट किस डॉक्टर के पास थी?" "जी, डॉक्टर मिताली…," पिया ने डरते हुए डॉक्टर के केबिन की तरफ इशारा किया। और अदम्य तेज कदमों से डॉक्टर के केबिन में पहुँच गया। इधर, नर्स ने उन तीनों को आकर बताया कि पेशेंट को होश आ गया है, आप उनसे मिल सकते हैं। अंदर जाने पर, उन तीनों ने पहले संस्कृति को देखा, फिर उनके पास खड़े डॉक्टर को। इस वक्त संस्कृति के पास एक और डॉक्टर खड़ा था। डॉक्टर: "देखिए, पेशेंट की हालत तो ठीक है, लेकिन उनके बच्चे को बचा नहीं पाए हैं। अब आप लोग इनका ध्यान रखिएगा। मैं चलता हूँ।" इतना बोलकर डॉक्टर वहाँ से बाहर चला गया। ००००० वहीं दूसरी तरफ, डॉक्टर मिताली के केबिन में— डॉक्टर मिताली: "देखिए मिस्टर, मैंने आपको पहले ही बताया है, इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। आपकी वाइफ ने खुद ही अबॉर्शन का फैसला किया था। हमने उन्हें बताया था कि एक बार अच्छे से सोच लें, लेकिन…" "मैं बस इतना जानना चाहता हूँ कि अब मेरा बच्चा कैसा है?" अदम्य ने दांत पीसते हुए सवाल किया। डॉक्टर मिताली: "मिस्टर अदम्य, मैं बस इतना कहूँगी, आपको अगर बच्चा चाहिए तो दोबारा कोशिश कीजिए। फिलहाल आपकी वाइफ बिल्कुल ठीक है।" इतना बोलकर डॉक्टर ने अदम्य को बाहर जाने का इशारा किया। "तुम्हें मुझसे प्रॉब्लम थी, इसलिए तुमने मेरे बच्चे को मार दिया। मैं इसके लिए तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगा। संस्कृति, अभी तक तुमने मेरा प्यार देखा है, अब तैयार हो जाओ मेरी नफ़रत देखने के लिए…" इतना बोलकर अदम्य तेज कदमों से संस्कृति के वार्ड में आया। इस वक्त संस्कृति दवाई के असर से आँखें बंद किए हुए आराम कर रही थी, और उसके तीनों दोस्त वहाँ बैठे उसके उठने का इंतज़ार कर रहे थे। अदम्य ने एक कहर भरी नज़र उन तीनों पर डाली और गुस्से में दहाड़ते हुए बोला, "गेट आउट!!" "लेकिन सर!!" निखिल ने कुछ कहना चाहा, कि अदम्य ने एक बार फिर चीखते हुए कहा, "इससे पहले कि मैं तुम सबका मर्डर कर दूँ… गेट आउट!" वह तीनों डरते-डरते वहाँ से बाहर चले गए। अदम्य की इतनी तेज आवाज सुनकर संस्कृति जैसे नींद से जागी हो। उसने हैरत भरी नज़रों से अपने सामने खड़े अदम्य को देखा, जो इस वक्त गुस्से से लाल हो चुका था। उसने उठकर बैठने की कोशिश की, तो उसके हाथ में लगी कैनुला की चुभन से एक दर्द भरी सिसकारी उसके मुँह से निकली। इसे सुनकर अदम्य ने पलटकर उसकी ओर देखा और बोला, "ओह!! फ़ाइनली!! मैडम को होश आ गया।" उसकी आवाज में एक तल्खी थी। संस्कृति ने नासमझी से उसकी ओर देखा। अदम्य ने अपने कदम उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा, "अब कैसा लग रहा है?" ठीक लग रहा है। उसने शांति से जवाब दिया और अपने चारों ओर देखने लगी। उसे पता चला कि वह हॉस्पिटल बेड में है। तभी उसे याद आया कि कॉलेज में उसकी टक्कर एक कार से हुई थी। और जैसे ही यह याद आया, उसका हाथ ब खुद उसके पेट पर चला गया। अब उसने झटके से सर उठाकर सामने खड़े अदम्य पर देखा, जो उसे गुस्से से लाल हुई आँखों से घूर रहा था। "मेरा बच्चा!!!!" यह शब्द उसने अपनी जुबान पर कहा, और फिर बेचैनी से इधर-उधर देखने लगी, जैसे किसी को ढूँढ रही हो। तभी अदम्य ने उसकी इस हरकत को देखते हुए कहा, "किसे ढूँढ रही हो? अपने दोस्तों को, जिनके साथ आकर तुम हॉस्पिटल में मेरे बच्चे को अबॉर्ट करवाने वाली थी? चलो, तुम्हारी खुशी के लिए बता देता हूँ। तुम्हारा अबॉर्शन हो चुका है, और तुम्हारे दोस्त भी यहाँ से जा चुके हैं। अब खुश?" उसकी बात सुनकर जैसे संस्कृति के पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसने ऐसा तो नहीं सोचा था, लेकिन जो नहीं होना था, अब वह हो चुका था। संस्कृति के हाथ उसके पेट पर कस गए। अदम्य ने हल्के से उसके हाथ से कैनुला निकाली और वहाँ बैंड-एड लगा दिया। फिर झटके से उसके दूसरे हाथ को पेट से हटाते हुए कहा, "अब खुश हो जाओ, तुम्हारे मन का पूरा हो चुका है। अब चलो घर… सारा तमाशा खत्म।" इतना बोलकर अदम्य ने झटके से उसे अपनी गोद में उठाया और हॉस्पिटल से बाहर की तरफ बढ़ गया। बाहर से आती नर्स ने कहा, "सर, अभी उनका डिस्चार्ज नहीं हुआ है, तो आप उन्हें नहीं ले जा सकते।" नर्स की बात सुनकर अदम्य ने उसे गुस्से से घूरा, तो नर्स दो कदम पीछे हट गई, और अदम्य ने अपने कदम आगे बढ़ा दिए। अदम्य उसे लेकर कार की तरफ बढ़ गया। उसने उसे पैसेंजर सीट पर बिठाकर खुद ड्राइविंग सीट पर बैठ गया। लेकिन इस बीच संस्कृति ने उसे कुछ भी नहीं कहा। वह खुद ही नहीं समझ पा रही थी कि उसके साथ क्या हो गया। बस उसकी आँखों से आँसू बहते जा रहे थे। और यह सब देखकर अदम्य के हाथ स्टीयरिंग व्हील पर कसते जा रहे थे। गुस्से में उसने अपना हाथ स्टीयरिंग व्हील पर मार दिया और चीखते हुए कहा, "बंद करो अपना नाटक… जब तुम खुद ही हमारे बच्चे को मरने गई थी, तो अब रोने का दिखावा करने की क्या ज़रूरत है? या मुझे देखकर तुम्हारे अंदर की देवी जाग उठती है…?" उसने अपने आगे के शब्द जुबान पर ही रोक लिए। कुछ देर बाद वह दोनों घर पहुँच चुके थे। उसने संस्कृति को लाकर बेड पर लिटा दिया और खुद तेज़ी से वहाँ से बाहर निकल गया। उसे लगा नहीं था कि संस्कृति ऐसा कोई कदम उठा लेगी। पहले जो अदम्य उसके आगे-पीछे उसकी हाल-चाल लेने के लिए लगा रहता था, अब वही उसे दूर-दूर रहने लगा था। वह रोज़ सुबह जल्दी हॉस्पिटल के लिए निकल जाता था और देर रात तक वापस आता था। उसने संस्कृति को कॉलेज ले जाने और लाने के लिए ड्राइवर अपॉइंट कर दिया था। घर पर भी ढेर सारे नौकर-चाकर उसकी सेवा में लगे थे। अब उसकी तबीयत भी कुछ ठीक लगने लगी थी। लेकिन उसे अदम्य का खुद से इस तरह से दूर-दूर रहना अच्छा नहीं लगता था। जब भी वह उसके पास कुछ बात करने के लिए आती, तो वह कोई बहाना बनाकर वहाँ से चला जाता… ०००००००००० क्रमशः

  • 10. painfull love - Chapter 10

    Words: 1039

    Estimated Reading Time: 7 min

    अरे, आइए भाभी जी… अदम्य के एक सहकर्मी ने संस्कृति का स्वागत किया। वह मुस्कुराते हुए अदम्य के साथ अंदर आई। अदम्य ने संस्कृति को अकेला छोड़कर आगे बढ़कर कुछ दूर खड़े अपने अस्पताल के डॉक्टरों के साथ खड़ा हो गया। संस्कृति एक कोने में जाकर खड़ी हो गई। "क्या बात है हमारे डॉक्टर साहब आजकल कुछ ज़्यादा ही बिजी रहते हैं…," अदम्य के साथ खड़े डॉ. नीरज ने कहा। "हाँ, क्यों नहीं? अब इतनी बड़ी अस्पताल की ज़िम्मेदारी अकेले उनके कंधों पर है, तो बिजी तो होंगे ही।" पास खड़े एक और डॉक्टर ने कहा। अदम्य ने किसी को कोई जवाब नहीं दिया। उस वक्त उसके हाथ में वाइन का गिलास था, जिसे वह गोल-गोल घुमा रहा था और मुस्कुराते हुए उनकी बात सुन रहा था। लेकिन उसकी निगाहें एक कोने में खड़ी संस्कृति पर ही टिकी थीं। संस्कृति को यह माहौल कुछ खास अच्छा नहीं लग रहा था। उसने आज तक ऐसी पार्टी अटेंड नहीं की थी। चारों तरफ लड़कियाँ छोटे कपड़ों में नज़र आ रही थीं। सिर्फ़ वही थी जिसने साड़ी पहन रखी थी, जिसमें वह बला की खूबसूरत लग रही थी। उसे यह सब बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी अनजान जगह में अनजान लोगों के बीच फँसी हुई हो। उसकी निगाहें बार-बार चारों तरफ, सिर्फ़ अदम्य को ढूँढ रही थीं। वह कुछ और सोच पाती, इससे पहले ही उसे एक जाना-पहचाना चेहरा नज़र आया। यह कोई और नहीं, उसका कॉलेज फ्रेंड निखिल था। वह चलती हुई निखिल के पास पहुँची और बोली— "निखिल!!!" "अरे संस्कृति, तुम यहाँ???" उसने हैरानी से संस्कृति को देखते हुए कहा। "हाँ, वह एक्चुअली अदम्य जी मुझे लेकर आए थे।" उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया। "तुम ठीक तो हो ना??? आई मीन, उस दिन के बाद…" इसके आगे निखिल कुछ बोल पाता, इससे पहले ही संस्कृति ने उसके हाथ पर हाथ रखते हुए कहा— "प्लीज़ निखिल, हम उस दिन के बारे में बात ना करें तो ठीक रहेगा।" "ओके!! चल कोई ना… वैसे मैं यहाँ अपने बड़े भाई के साथ आया था। चल, तुझे सॉफ्ट ड्रिंक पिलाता हूँ।" इतना बोलकर निखिल उसे कंधे से पकड़कर बार काउंटर पर लेकर गया और वेटर से एक गिलास जूस लेकर संस्कृति के हाथों में पकड़ा दिया। वे दोनों मुस्कुराते हुए एक-दूसरे से बातें कर रहे थे। दूर से उन्हें कोई देखता, तो ऐसा लगता कि कोई कपल एक-दूसरे से प्यार भरी बातें कर रहे हैं। संस्कृति जूस पी रही थी और उस वक्त बार-बार उसके बाल उसके चेहरे पर उड़ कर आ रहे थे। निखिल ने एक उंगली से उसके बाल उसके कान के पीछे लगाया। तो संस्कृति एक कदम पीछे हुई और इसी हड़बड़ाहट में गिलास का जूस उसकी साड़ी पर गिर गया। दूर खड़े अदम्य की मुट्ठी गुस्से से भींच गई। वह तेज कदमों से चलते हुए उन दोनों के पास आने लगा। "सॉरी! सॉरी! मैं यह नहीं कर रहा था। गलती से… तुम मेरे साथ वॉशरूम में चलकर इसे साफ कर लेना।" इतना बोलकर निखिल संस्कृति का हाथ पकड़ उसे वॉशरूम की तरफ लेकर बढ़ गया। अदम्य की आँखें गुस्से से लाल हो चुकी थीं और मुट्ठी बँधी हुई थी। वह दोनों के पास पहुँच पाता, इससे पहले ही संस्कृति निखिल के साथ वॉशरूम की तरफ जा चुकी थी। अदम्य भी उन दोनों के पीछे वॉशरूम की तरफ बढ़ गया। संस्कृति अपनी साड़ी साफ कर चुकी थी। वह बाहर जाने को हुई, कि तभी उसके माथे पर दीवार से हल्की चोट लग गई। उसके मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई। निखिल ने उसके माथे को सहलाते हुए अपने होठों से हल्का सा फ़ूँक मारते हुए प्यार से बोला— "अब तो ठीक है। ध्यान किधर रहता है तेरा???" इससे पहले कि वह कुछ बोल पाता, तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला। संस्कृति की नज़र पड़ी तो वहाँ गुस्से से तमतमाया हुआ अदम्य खड़ा था। उसे देखकर लग रहा था कि उसने उन दोनों को गलत समझ लिया है। वह अपने सफ़ाई में कुछ बोल पाती, इससे पहले ही अदम्य ने उसका हाथ पकड़ा और तेज़ी से उसे लेकर बाहर की तरफ चल पड़ा। "मिस्टर अदम्य, मेरी बात सुनिए…" निखिल ने इतना ही कहा था कि अदम्य पलटकर उसकी ओर देखा और एक उंगली उसकी ओर करते हुए, अपने दाँत दबाकर कहा— "दूर रह मेरी वाइफ़ से, अन्यथा मैं तेरे साथ क्या करूँगा, तूने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।" इतना बोलकर वह संस्कृति को लेकर पार्टी हॉल से बाहर की तरफ बढ़ गया। वह गुस्से में इस वक्त इतना पागल हो रहा था कि उसने यह भी नहीं देखा कि संस्कृति इस वक्त किस हालत में है। उसने झटके से उसे पैसेंजर सीट की तरफ फेंका और खुद आकर ड्राइविंग सीट पर बैठते हुए कार स्टार्ट कर दी। इस वक्त वह काफी रैश ड्राइविंग कर रहा था। इस वक्त पैसेंजर सीट पर बैठी संस्कृति को चक्कर आने लगा था। इस वक्त उसे अदम्य से बहुत डर लग रहा था। उसने अपनी कंपकंपाती हुई आवाज़ में कहा— "आ… आ… आप…" "चुप! एकदम चुप! एक शब्द नहीं निकलना चाहिए तुम्हारे मुँह से!" अदम्य ने संस्कृति की बात को बीच में ही काटते हुए चिल्लाया था। कार सीधे अदम्य के बंगले के सामने आई। जब सिक्योरिटी गार्ड ने मेन गेट खोला और कार सीधे अंदर आकर रुकी। कार से बाहर आते ही उसने पैसेंजर सीट से संस्कृति को पकड़ा और खींचते हुए उसे लेकर बेडरूम की तरफ बढ़ गया। संस्कृति उसके पीछे किसी डोर की तरह खिंचती जा रही थी। अदम्य की कठोर पकड़ से उसकी कलाई में दर्द होने लगा था और आँखों से आँसू गिरते जा रहे थे। तभी उसे अपने कमर में एक तेज दर्द का एहसास हुआ। अदम्य ने उसे बेड पर पटक दिया था। "यह क्या कर रहे हो?" उसने डरते हुए ही सवाल किया। "वही जो तुम वॉशरूम में अपने उस आशिक निखिल के साथ करने की कोशिश कर रही थी।" इतना बोलकर अदम्य ने बटन खोलकर अपनी शर्ट उतार कर उसे एक किनारे में फेंक दिया। इस वक्त वह संस्कृति के होठों पर ज़ोरदार, पैशनेट किस कर रहा था। इस वक्त उसके तुच्छ में प्यार तो बिल्कुल नहीं था; अगर कुछ था तो सिर्फ़ गुस्सा। संस्कृति उसे बार-बार खुद से दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन उसके छोटे-छोटे हाथों में इतनी ताकत नहीं थी कि वह इस मज़बूत इंसान को खुद से दूर धकेल सके। ००००००००० क्रमशः

  • 11. painfull love - Chapter 11

    Words: 1130

    Estimated Reading Time: 7 min

    अदम्य बहुत ही पैशनेट होकर संस्कृति को किस कर रहा था। वह उसे इतने बुरी तरीके से किस कर रहा था कि उन दोनों के ही मुँह में खून का स्वाद आने लगा था। वह धीरे-धीरे होठों से नीचे बढ़ते हुए, उसके कॉलरबोन पर गहरे निशान देने लगा था।

    जैसे ही अदम्य ने उसके क्लीवेज पर अपने प्यार की छाप छोड़ी, वैसे ही वह एक झटके से पीछे हट गई। संस्कृति ने उसे धक्का दिया था।

    इस वक्त वह गहरी-गहरी साँसें ले रही थी। उसके होठों के किनारे से हल्का-हल्का खून आ रहा था। जैसे ही अदम्य उससे दूर हुआ, वह तेजी से उठकर बिस्तर के दूसरी तरफ भागने को हुई, कि एक बार फिर उसकी कलाई अदम्य के हाथ में थी।

    गुस्से से अदम्य को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने संस्कृति की परवाह किए बिना, उसकी कलाई उसकी अपनी पीठ से लगा दी और दूसरे हाथ से साड़ी को खींचकर उसकी बॉडी से अलग कर दिया।

    "अदम्य!! यह आप क्या कर रहे हैं??? छोड़िए मुझे!" रोती हुई संस्कृति ने अपने भरे गले से कहा।

    "क्यों मेरा छूना पसंद नहीं आ रहा??? सिर्फ़ निखिल ही तुम्हें छू सकता है???" बोलते हुए अदम्य ने पल भर में बचे हुए कपड़े भी उसके शरीर से अलग कर दिए।

    अब वह अपने पेंट से बेल्ट निकाल रहा था और संस्कृति अपने खुले शरीर को अपने हाथों से छिपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।

    अपने सामने खड़ी इस लड़की की हरकतें देख अदम्य का दिल एक अजीब तरह से धड़का। उसने खुद की धड़कन को अनसुना करते हुए उसे अपनी ओर खींचा और एक बार फिर उसके क्लीवेज में अपने दर्दभरे प्यार की निशानी देने लगा।

    उसके हाथ उसके सीने के उभारों को नापने लगे थे। और फिर वह अपनी जुबान से उन उभारों को चाटने लगा था। वह बीच-बीच में उन्हें काट भी रहा था।

    संस्कृति उसके इस पेनफुल लव को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी। उसका पूरा चेहरा लाल हो गया था। अदम्य ने अपना चेहरा उठाकर एक नज़र उसके शर्माए हुए चेहरे को देखा और फिर धीरे-धीरे नीचे झुकने लगा।

    वह संस्कृति के सामने घुटनों के बल बैठ गया था, जबकि संस्कृति अभी भी उसी तरह खड़ी थी। उसने अपने सामने खड़ी लड़की का एक पैर बहुत ही आहिस्ता से उठाकर अपने कंधे पर रखा तो डगमगाते हुए संस्कृति ने अपने हाथ उसके सिर के बालों में कस दिए।

    अब तो अदम्य अपने जज़्बातों को काबू में नहीं कर सका और अपना चेहरा ले जाकर उस जगह को महसूस करने लगा जिसे चखने के लिए उसने संस्कृति के एक पैर को अपने कंधे पर रखा था।

    यह फीलिंग बहुत अजीब थी। उसने संस्कृति के उन कोमल अंगों की पंखुड़ियों में बहुत ही नरमी से अपनी जुबान घुमाई।

    इन सब में जहाँ संस्कृति की धड़कन और तेज हो रही थी, वहीं अदम्य का शरीर अब और कठोर हो चुका था।

    उसने संस्कृति को सीधा करते हुए अपनी बाहों में लिया और बिस्तर की तरफ़ बढ़कर उसे लिटाते हुए उसके ऊपर आ गया। और फिर बिना देर किए अपने हाथों से उसकी टांगों को फैलाते हुए वह तेजी से उसके अंदर समा गया।

    कमरे में संस्कृति की चीखें गूंजने लगीं। जाने क्यों वह उसके साथ बिल्कुल भी जेंटल नहीं हो पा रहा था। रह-रह कर अदम्य के दिमाग में बहुत सी चीजें घूम रही थीं। कभी उसे संस्कृति की प्रेगनेंसी याद आ जाती, फिर अचानक ही उसे वह अबॉर्शन फॉर्म दिखता और फिर डॉक्टर की बातें सुनाई देने लगतीं कि कैसे उसने अपना बच्चा दुनिया में आने से पहले ही खो दिया था। वह गुस्से में अपनी कमर हिला रहा था और दर्द से संस्कृति की चीखें उस कमरे की दीवारों से टकरा रही थीं।

    "छोड़ दीजिए प्लीज, दर्द हो रहा है।" संस्कृति ने जैसे ही ऐसा कहा, अदम्य अपने ख्यालों से बाहर आया और संस्कृति का पसीने से लगभग भीगा हुआ चेहरा देखकर उसे एक बार फिर निखिल का उसके करीब आना याद आ गया।

    "अब तुम चाहो या ना चाहो, अब तुम्हें हर रोज़ इस दर्द से गुज़रना होगा। तुम्हें मेरा शिद्दत वाला प्यार दिखाई नहीं दिया तो अब तुम्हें मेरा यह पेनफुल लव ही देखने को मिलेगा।" इतना कहते हुए अदम्य एक बार फिर उसे झटका देने लगा।

    बिस्तर पर पड़ी संस्कृति के हाथ बिस्तरशीट पर कस गए। उसका शरीर अदम्य के झटकों से ऊपर-नीचे हिल रहा था। उसने उसके कोमल उभारों में अपनी मुट्ठियाँ और ज़ोर से दबा दीं।

    सारी रात दर्द और प्यार का यह खेल चलता रहा। कई बार संस्कृति बेहोश भी हुई, लेकिन फिर भी बिना किसी परवाह के अदम्य उस पर फिर से हावी हो जाता।

    सुबह के चार बजे भी अदम्य थक कर उसके ऊपर ही सो गया। लेकिन संस्कृति की आँखों से आँसू उसके बिस्तर को भीगा रहे थे।

    जब से यह शख्स उसकी ज़िंदगी में आया था, उसने अपने प्यार के नाम पर संस्कृति को बहुत दर्द दिया था। उसकी ज़िंदगी में वैसे भी दर्द की कमी नहीं थी और इस इंसान ने आकर उसके दर्द को चार गुना बढ़ा दिया था। संस्कृति इन सब सोचों में गुम होती-होती कब नींद में चली गई, उसे पता ही नहीं चला।

    सुबह जब उसकी आँख खुली तो उसने बिस्तर में खुद को अकेला पाया। उसने घड़ी की तरफ़ देखा तो उसे समझ में आया कि दोपहर के बारह बज रहे थे। वह बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ़ जाने को हुई, कि एक बार फिर दर्द से उसका शरीर बिस्तर पर गिर गया। उसे अपने शरीर के निचले भाग में बहुत तेज दर्द हो रहा था। उसने एक नज़र बिस्तर की तरफ़ देखी और फिर खुद की तरफ़, तो उसने पाया कि उसे हल्की-हल्की ब्लीडिंग होने लगी है। उसने इस चीज़ को अनदेखा किया और बिस्तर से उठकर बाथरूम की तरफ़ बढ़ गई।

    हॉस्पिटल में आज एक अर्जेंट मीटिंग थी। इस वजह से अदम्य को अपने और संस्कृति के बारे में सोचने का मौका ही नहीं मिला; वह उन्हीं सब में बिज़ी रहा।

    घर पर संस्कृति ने अपना कमरा साफ़ किया और गंदी बिस्तरशीट को वॉशिंग मशीन में डालकर किचन में गई। उसने देखा मेड ने उसके लिए खाने के लिए सारे हेल्दी फ़ूड बनाए थे। वह बस सादा सा सूप पीकर गार्डन में चली गई। आज उसकी आँख देर से खुली थी, इसलिए वह कॉलेज भी नहीं जा पाई थी।

    उसने काफ़ी समय गार्डन में बिताया। जब उसने देखा कि अब काफ़ी देर हो गई है, तो वह अपने कमरे में चली गई। जब कमरे में आई तो एक बार फिर उसे अपने पेट के निचले हिस्से में दर्द महसूस हुआ। उसने अपने हाथ से पेट को दबाते हुए बिस्तर पर बैठ गई। कुछ देर में जब उसे दर्द में आराम नहीं हुआ तो उठकर बाहर की तरफ़ जाने लगी। इससे पहले कि वह कमरे से बाहर जा पाती, अचानक से वह बेहोश होकर वहीं फ़र्श पर गिर पड़ी। उसकी इंटरनल पार्ट्स से ब्लीडिंग हो रही थी।

    ०००००००

    क्रमशः

  • 12. painfull love - Chapter 12

    Words: 554

    Estimated Reading Time: 4 min

    वह जो दावा करते हैं की प्यार है हमसे.....

    उनसे बस एक ही सवाल... क्या सच में प्यार है हमसे???

    जो कुछ भी है वह प्यार नहीं, यूं समझ लीजिए आपकी चाहत है हमसे....

    प्यार रूह से हो जाता है,, और रूह को दर्द नहीं दिया जाता, और चाहत वक्त के साथ बदलती रहती हैं।

    ०००००००००

    संस्कृति की आंख खुली तो उसे सफेद सीलिंग नजर आई। इस वक्त वह अस्पताल के बेड पर थी और उसके हाथों में ड्रिप लगी हुई थी।

    चंद लम्हों में उसे याद आया कि वह घर में बेहोश हो गई थी। अब वह यही सोच रही थी कि उसे अस्पताल लेकर कौन आया? क्योंकि उसे वक्त तो घर में सर्वेंट स्टाफ के अलावा और कोई नहीं था।

    उसने अपनी नजर घूमर आसपास देखा तो उसे कोई नजर नहीं आया। अचानक से उसे अपने पेट के निचले हिस्से में एक तेज दर्द का एहसास हुआ। उसने जितना हो सका उतना दर्द बर्दाश्त करने की कोशिश की और जब बर्दाश्त नहीं कर पाई तो एक बार फिर उसकी आंखें बंद होने लगी। उसने बंद होती आंखों से अपने सामने नर्स को देखा और एकबार फिर उसकी आंखें बंद हो गई।

    नर्स जो संस्कृति को देखने आई थी अब काफी परेशान हालत में नजर आ रही थी।

    उसने संस्कृति को पैनिक होकर बेहोश होते देखा था।

    कुछ ही देर में डॉक्टर की टीम के साथ अदम्य वहां पहुंच चुका था,जो बाहर बैठा संस्कृति के होश में आने का इंतजार कर रहा था।

    ०००००००००

    कुछ देर बाद–

    देखिए मिस्टर अदम्य! मैं बस आपसे यही कहना चाहूंगा कि आप अपनी वाइफ के साथ थोड़ा जेंटल बिहेव करें। बाकी तो आप खुद ही समझदार हैं। आपकी क्रुएलिटी आपकी वाइफ के लिए जानलेवा साबित हो सकती है। आपकी वाइफ की यूट्रस वॉल डैमेज हो रही है इसलिए उन्हें रेस्ट दीजिए और जितना हो सके उतना स्ट्रेस से दूर रखिए।

    इतना बोलकर डॉक्टर वहां से बाहर चले गए तो वहीं अदम्य के चेहरे पर चिंता की लकीरें आ गई। वह जताता नहीं था लेकिन उसे संस्कृति की बहुत चिंता होती थी। माना वह उसके साथ थोड़ा जात्ती कर देता था लेकिन उसने कभी उसका बुरा नहीं सोचा था।

    वह संस्कृति के बेड के सामने बैठ उसके हाथों को अपने हाथों में लेकर अपने होठों से लगा लिया इस वक्त उसकी आंखें नम थी।

    तुमने ऐसा क्यों किया?? तुम हमारे बच्चे का ध्यान नहीं रख पाई । माना मैंने तुम्हारे साथ गलत किया लेकिन फिर भी तुम्हें....... अब तुम जल्दी से ठीक हो जाओ। तुम्हें बहुत प्यार से रखूंगा। अब तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं करूंगा।

    इतना बोलकर अदम्य ने झुक कर बेड पर पड़ी उस कमजोर सी लड़की के माथे को चूम लिया।

    ००००००००००००

    कुछ ही देर में संस्कृति को होश आ चुका था। आंख खुलते ही उसने सबसे पहले जो बात नोटिस की वह ये था के अदम्य उसका हाथ अपने चेहरे से लगा के सो रहा है। इस वक्त उसके चेहरे में दुनिया भर की की मासूमियत दिखाई दे रही थी।

    उसके इस रूप पर जाने क्यों संस्कृति को टूट कर प्यार आया था।

    और उसे देखते ही संस्कृति के चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान आ गई

    ०००००

    क्रमशः

    आई नो की पार्ट बहुत छोटा है। लेकिन मैं कोशिश करूंगी थोड़ा जल्दी पार्ट लाने की।।। मैं इस प्लेटफार्म पर नई राइटर हूं और मुझे आप सबके साथ की जरूरत है। कीप सर्पोटिंग मि🙏🏻🙏🏻🙏🏻थैंक यू 🙏🏻🙏🏻

  • 13. painfull love - Chapter 13

    Words: 652

    Estimated Reading Time: 4 min

    और फिर हम लोग संस्कृति को लेकर हॉस्पिटल चलें गए। यही सब हुआ था उसके बाद का तो आपको पता ही है। अब आप बताइए क्या हुआ है संस्कृति को जो वह इतने दिन से कॉलेज नहीं आ रही है। संस्कृति के बारे में शुरू से अंत तक की बातें बताने के बाद पिया ने अपने सामने बैठे आदमी को देखा उसकी नजरे झुकी हुई थी और चेहरे में दर्द के साथ गिल्ट भी नजर आ रहा था।

    इस वक्त अदम्य संस्कृति के कॉलेज में पिया सिया और निखिल के साथ बैठा था। उसे समझ आ रहा था कि उसने बिना कुछ जाने संस्कृति के साथ बहुत गलत कर दिया था।

    उस दिन हॉस्पिटल से आने के बाद संस्कृति बिल्कुल गुमसुम सी हो गई थी। अदम्य उसे जितना बोल देता था वह चुपचाप सर झुका कर मान लेती थी। लेकिन उस दिन के बाद से वह बिल्कुल बदल सी गई थी।

    दिन भर जाने क्या सोचते रहती थी और इतना बोलने के बाद भी उसने कॉलेज जाना बंद कर दिया था। आज जब उसके कॉलेज से एक्जाम नोटिफिकेशन आया तो अदम्य कॉलेज जाकर उसके दोस्तों से मिला।

    और फिर इतने टाइम के बाद उसे सारी सच्चाई क्लियर पता चली। इस वक्त उसे खुद पर भी गुस्सा आ रहा था। जब वह उसे इतना प्यार करता था तो फिर उसने उस पर भरोसा क्यों नहीं किया। जो लड़की किसी के साथ गलत नहीं कर सकती थी वह कैसे ही खुद के बच्चे को नुकसान पहुंचाएगी। उसने खुद ही अपने रिश्ते को इस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया था जहां से उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि वह संस्कृति को कैसे ठीक करेगा।

    वह उन लोगों के पास से उठकर कॉलेज से बाहर घर की ओर निकल गया। और जैसा कि उसने सोचा था गेट से अंदर आते ही उसे वो झूले पर बैठी दिखाई दी। जो किसी गहरी सोच में गुम होकर सनसेट को देख रही थी। वो धीमें कदमों से आकर उसके बगल में बैठ गया और हल्की आवाज में बोला–क्या देख रही हो???

    देख रही हूं यह सूरज हर शाम ढल जाता है लेकिन फिर कुछ घंटे के बाद एक नई सुबह के साथ फिर उग जाता है। लेकिन जाने क्यों हम अपने उस ढले हुए वक्त में ही रुक जाते हैं.......... उसने खोए खोए ही जवाब दिया।

    और फिर वहां शांति पसार गई।

    कुछ देर तक वह दोनों खामोश रहे। जहां संस्कृति खामोशी से आसमान में ढले हुए सूरज की लालिमा देख रही थी तो वहीं अदम्य उसके मुरझाए हुए चेहरे को देख रहा था जिसमें कोई रौनक नहीं थी।

    जब बाहर अंधेरा होने लगा तो उसने उसे अंदर चलने को कहा और दोनों अंदर की तरफ बढ़ गए।

    रात के वक्त डिनर टेबल पर भी वह शारीरिक तौर पर तो वहां प्रेजेंट थी लेकिन मानसिक तौर पर जाने कहां थी।

    जैसे ही अदम्य ने रोटी का टुकड़ा मुंह में डाला तो हैरानी से उसकी आंखें बड़ी हो गई। वह अपने सामने बैठी उस लड़की को घूरने लगा जो खोई हुई सी चुपचाप बिना कुछ बोले अपना डिनर किए जा रही थी।

    सब्जी में नमक की जगह शक्कर भरा पड़ा था। उसने संस्कृति को कुछ नहीं बोला बस चुपचाप उसे देखता था। और उसने भी वही बेस्वाद खाना चुपचाप खाने लगा। कुछ देर में दोनों डिनर कर चुके थे।जहां संस्कृति ने अपना डिनर पूरी तरह से फिनिश किया था तो वहीं अदम्य ने कुछ दो चार निवाले ही अपने गले से नीचे उतारे थे।

    और फिर वो दोनों सोने चले गए।

    संस्कृति ने बेड में लेटते ही अपनी आंखें बंद कर ली लेकिन अदम्य की तो जैसे नींद कहीं खो सी गई थी। वो यही सोच रहा था के जो खाना उसके हलक से नहीं उतर रहा जाने कैसे संस्कृति ने उस खाने को पूरा खाया था। क्या वो उतनी डिप्रेस्ड है के अब उसे खाने का स्वाद भी समझ नहीं आ रहा है। किसी तरह उसने रात खुली आंखों से काटी थी ।


    ०००००००
    क्रमशः

  • 14. painfull love - Chapter 14

    Words: 354

    Estimated Reading Time: 3 min

    सुबह जब संस्कृति सोकर उठी तो उसने बेड पर अपने बगल में सोए अदम्य को देख कर मुस्कुरा दी। लेकिन उसकी उसकी मुस्कुराहट पूरी तरह से बनावटी थी । ऐसा लग रहा जैसे अब वो अपने जज्बात और इच्छा से पूरी तरह से खाली हो चुकी थी।

    कुछ देर अदम्य को देखने के बाद वह बेड से उठकर खड़ी हुई तो तुरंत ही अपने पेट पर हाथ रखते हुए अपनी आंखें का कर बंद कर ली।

    शायद उसे अभी भी पेट में दर्द हो रहा था। लेकिन फिर उसने खुद को कंट्रोल करते हुए अपने कदम वॉशरूम की तरफ बढ़ा दिया।

    वॉशरूम का दरवाजा बंद होने की आवाज के साथ ही अदम्य ने अपनी आंखें खोल दी। वह तो सुबह संस्कृति से पहले ही जाग चुका था। लेकिन जब उसने संस्कृति की आंखों में हरकत देखी तो उसने सोने का नाटक किया। लेकिन अधखुली आंखों से संस्कृति की सारी एक्टिविटी नोटिस कर रहा था। कुछ देर तक कोई बाथरूम के दरवाजे को एकटक देखता रहा और फिर वो भी उठ गया।


    कुछ ही देर में दोनों नाश्ते का टेबल पर बैठे हुए थे। सुबह का नाश्ता भी संस्कृति ने अपने हाथों से बनाया था। उसने दोनों के प्लेट पर नाश्ता सर्व किया और चेयर खींचकर उस पर बैठकर चुपचाप से अपना नाश्ता करने लगी।

    अदम्य ने एक नजर प्लेट पर रखे डिश की तरफ देखा जो देखने में काफी हद तक अच्छी लग रही थी। लेकिन कहीं ना कहीं रात का डिनर उसे नाश्ता करने से रोक रहा था। फिर भी उसने जैसे ही डिस्को अपने मुंह में रखा उसकी आंखों में चमक आ गई। उसकी उम्मीद से उलट डिश सच में बहुत ही टेस्टी बनी थी।

    तुम कॉलेज कब तक जाओगी????उसने नाश्ता करते हुए ही सामने बैठी संस्कृति से पूछा जिसका प्लेट लगभग खाली होने वाला था।

    अदम्य के पूछने पर उसने एक नजर उसकी ओर देखा और फिर चेयर से उठती हुई बोली–पता नहीं।
    इतना बोलकर वह चुपचाप पी वहां से जाने लगे तभी अचानक अदम्य को समझ आया कि आज संस्कृति की चल में लडखडाहट है।
    अब जाकर उसे समझ आया शायद इसी वजह से वह कॉलेज नहीं जाना चाह रही।