खुशी और रणबीर जहां रणबीर करता है खुशी से बेपनाह मोहब्बत वही खुशी करती है रणबीर से बेपनाह नफरत क्योंकि खुशी को लगता है कि रणवीर की वजह वजह से उसने अपनी मोहब्बत कोई लेकिन सच था इन सब से अलग क्योंकि खुशी के अपने ही करते थे खुशी से बेपनाह नफरत और उन्होंन... खुशी और रणबीर जहां रणबीर करता है खुशी से बेपनाह मोहब्बत वही खुशी करती है रणबीर से बेपनाह नफरत क्योंकि खुशी को लगता है कि रणवीर की वजह वजह से उसने अपनी मोहब्बत कोई लेकिन सच था इन सब से अलग क्योंकि खुशी के अपने ही करते थे खुशी से बेपनाह नफरत और उन्होंने खुशी को जान से मार दिया और मरते वक्त खुशी को सारी सच्चाई पता चली और तब जाकर उसे रणवीर की मोहब्बत का एहसास हुआ तो क्या खुशी अपनी मौत का बदला ले पाएगी या हमेशा के लिए फना हो जाएगी जाने के लिए बने रहिए हमारे साथ l only on pocket maniya pr
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अंधेरी रात में, एक घर से एक लड़की के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी। आस-पड़ोस के लोग घर के सामने खड़े होकर अंदर देखने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अंदर से कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन किसी के दर्द भरी चिल्लाहट सबके कानों में जा रही थी। उस दर्द भरी आवाज़ को सुनकर, उन अनजान लोगों की आँखों में भी आँसू आ गए। लेकिन उसके ऊपर अत्याचार कर रहे लोगों का दिल नहीं पसीजा। वहीं घर के अंदर पाँच लोग खड़े थे, और जमीन पर एक लड़की पड़ी हुई थी, जिसके पूरे शरीर से खून की धाराएँ बह रही थीं। ऐसा लग रहा था जैसे वह लड़की जीने की जान-तोड़ कोशिश कर रही थी, लेकिन फिर भी ये लोग उसे जीने देना नहीं चाहते थे। वह लड़की उन सब की तरफ देखकर बोली, "तुम सब तो मेरे अपने हो, मेरा अपना परिवार! जिससे मैंने इतना प्यार किया... माँ-बाप, आप मेरे बहन, भाई, भाभी हो! आप मेरे... फिर मेरे साथ इतना अन्याय क्यों? किस गुनाह की सज़ा दी जा रही है मुझे? सज़ा देने से पहले मेरा गुनाह तो बता दीजिए!" उसके सामने खड़े पाँचों लोग जानवरों की तरह उसे देख रहे थे। फिर, लड़की की भाभी उसके करीब आकर उसके बालों को ऊपर करके लगातार उसके चेहरे पर थप्पड़ मारने लगी। लड़की के मुँह से खून निकलने लगा। उसकी खून की उल्टी होते देख, भाभी जल्दी से दूर खड़ी हो गई। तभी वह लड़की उन सब की तरफ देखकर दया भाव से बोली, "मेरी गलती तो बता दीजिए! आप लोगों ने जो कहा, मैंने माना। आपने जो कहा, उसे मैंने पत्थर की लकीर माना। आपने मुझे मेरी दोस्त से दूर कर दिया, मैंने कुछ नहीं कहा। आपने उसे मुझसे हमेशा के लिए दूर कर दिया, मैंने कुछ नहीं कहा। आप बोले कि मेरा पति मुझसे प्यार नहीं करता, बल्कि मुझे बोझ समझता है, मैंने मान लिया। तो फिर आप इस आदमी से कंचन की शादी क्यों करवा रही हैं? जब वह आदमी इतना ही खराब है, तो क्यों आप कंचन की ज़िन्दगी खराब करना चाहती हैं?" उसके सामने खड़ी औरत नफ़रत से उसे देखकर बोली, "क्योंकि जो हमने तुझे बताया, वह झूठा था। सच तो यह था कि वह तुझे प्यार करता था, इसलिए तुझसे शादी की थी। लेकिन तू वह शादी नहीं करना चाहती थी, इसलिए जबरदस्ती तुझे शादी करके तुझे यहाँ से बचाकर ले गया था। लेकिन तेरी बुरी किस्मत कि तू फिर हमारे ही पास आ गई। और जानती है, वह तो तुझे हर लम्हा बचाने की कोशिश करता था। आज भी वह कंचन से शादी करने को सिर्फ़ इसलिए तैयार हुआ कि हम तुम्हें ज़िंदा छोड़ दें। लेकिन ऐसा तो मुमकिन नहीं है, ना? लेकिन उससे पहले हम कंचन की शादी उससे कराएँगे, उसके बाद तेरी अर्थी उठेगी। क्योंकि उसके बाद तेरा वह पति कुछ नहीं कर पाएगा।" "हमने उसे एक एग्रीमेंट सेंड करवाया है कि वह कभी भी कंचन को तलाक नहीं दे सकता और ना ही उसे छोड़कर जा सकता है। और 1 साल के अंदर-अंदर उसे कंचन के साथ एक बच्चा पैदा करना होगा। और तू जानती है, बच्चा होने के बाद आदमी कितनी ही नफ़रत कर ले, लेकिन फिर भी अपनी औलाद के लिए वह मेरी बेटी को अपना ही लेगा।" वह लड़की जैसे-जैसे अपनी माँ और अपने परिवार की बातें सुन रही थी, उसके दिल में दर्द की लहर उठ रही थी। तभी वह आदमी लड़की के पास घुटनों के बल बैठ गया और बोला, "नफ़रत करता हूँ मैं तुझे! तू मेरी बेटी नहीं है। क्योंकि तुझे जन्म हमने नहीं दिया, बल्कि तू मेरे जिगरी दोस्त की बेटी है, जिसे मैंने किडनैप कर लिया था। और मेरा वह दोस्त पागलों की तरह अपनी बेटी को ढूँढ रहा है। तू जानती है, चल, मैं बात ही देता हूँ। तेरे मरने से पहले तेरी आखिरी इच्छा तो पूरी होनी चाहिए, ना? तुझे तेरे अस्तित्व के बारे में पता चलना चाहिए, ना? तो सुन, तू मशहूर बिज़नेसमैन, नमन आहूजा की बेटी है, और बिज़नेस टायकून करण आहूजा की बहन। लेकिन यह सब जान के तू कुछ नहीं कर पाएगी, क्योंकि तेरे पास वक़्त ही नहीं है कि तू मेरे दोस्त को यह बता सके कि उसने मेरे साथ गद्दारी की थी, उसकी बेटी को उससे दूर कर दिया था।" वह लड़की अपनी आँखों में नफ़रत और बदले की भावना लिए उन सब की तरफ देखकर बोली, "मैं लौटकर ज़रूर आऊँगी! अपना बदला लेने, अपने माँ-बाप को अपना बनाने, अपने पति को फिर से हासिल करने और तुम सबको, तुम सबके अंजाम तक पहुँचाने। चाहे उसके लिए मुझे भगवान से लड़ना ही क्यों ना पड़े! लेकिन मैं तुम लोगों को इतनी आसानी से किसी की ज़िन्दगी बर्बाद नहीं करने दूँगी। अब जब मैं सच्चाई जानती हूँ, तो मैं सबको, तुम दोनों की सच्चाई बताऊँगी। अब तुम सब, तुम्हारे किए गए हर गुनाह की सज़ा पाओगे!" उस लड़की की बात सुनकर, लोग पागलों की तरह हँसने लगे और बोले, "जब तू यहाँ से बचकर जाएगी, तभी तो तू हमारी किए की सज़ा दिलवाएगी! हम तो तुझे यहाँ से जाने ही नहीं देंगे। और तुझे पता है, आज कंचन और रणवीर की शादी है। मेरी बेटी हमेशा-हमेशा के लिए रणवीर मित्तल की बीवी बन जाएगी, और तुझे नसीब होगी मौत!" और तभी, उसके सामने खड़ी कंचन एक तेज़ाब की बोतल लेकर लड़की के ऊपर डालने लगी। धीरे-धीरे लड़की का शरीर जलने लगा। उसकी दर्दनाक चीखें पूरे वातावरण में फैल गईं। घर के बाहर खड़े पड़ोसी उन चीखों से डरकर काँप गए। सारे पड़ोसी जल्दी से वहाँ से चले गए, क्योंकि कोई भी उन लोगों की नज़रों में नहीं आना चाहता था। क्योंकि जो इंसान अपनी बेटी के साथ इतना बुरा कर सकता है, तो उन लोगों को कैसे छोड़ा जा सकता है? लड़की को जलाने के बाद, वह सब वहाँ से बाहर चले गए। जब वे बाहर आए, तो बाहर कोई नहीं था। सारे पड़ोसी वहाँ से जा चुके थे। वहीं वे सब अपनी-अपनी गाड़ियों में बैठकर वहाँ से निकल गए। तभी एक तेज बिजली चमक के साथ बारिश होने लगी। जैसे ही उन्होंने आसमान की तरफ़ देखा, बहुत जोर से बिजली कड़की और उस घर के ऊपर गिर गई। चंद लम्हों में ही वह घर जलकर राख हो गया। यह देखकर उन सबके चेहरे पर एक घिनौनी मुस्कराहट आ गई, और वे लोग वहाँ से चले गए। उन्होंने एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। क्या यह अंत था या एक नई कहानी की शुरुआत? जानने के लिए पढ़ते रहिए! मिलते हैं अगले एपिसोड में...
एक लड़की उस वक्त अस्पताल के बेड पर लेटी हुई थी। उसके आस-पास ढेर सारी मशीनें लगी हुई थीं। धीरे-धीरे उसकी आँखें खुलने लगीं। तभी उसके पास मौजूद नर्स तुरंत बाहर निकलकर डॉक्टर को बुला लाई।
लड़की की आँखें अब पूरी तरह खुल चुकी थीं। उसने देखा कि वह जिस जगह थी, वह अस्पताल का कमरा था। चारों तरफ मशीनें लगी हुई थीं। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ। वह तो मर चुकी थी, वह भी इतनी दर्दनाक मौत! फिर वह ज़िंदा कैसे थी? या उसने जो देखा, वह सपना था? इतना दर्दनाक सपना तो नहीं हो सकता। यही सब सोचते हुए, वह लड़की अपनी नज़रें चारों तरफ घुमा रही थी।
अचानक वार्ड का दरवाज़ा खुला और डॉक्टरों की टीम अंदर आई। वह लड़की उन डॉक्टरों को देखकर थोड़ी परेशान हुई, लेकिन फिर बिना किसी भाव के उन लोगों को देखने लगी। तभी एक डॉक्टर उसके पास आकर बोला, "मैडम मित्तल, आपकी तबीयत कैसी है? और आप अचानक से बेहोश कैसे हो गई थीं? मैडम, अपना ख्याल रखा कीजिए, वरना मिस्टर मित्तल हम सब की क़ब्र खोद देंगे..."
वह लड़की अभी भी हैरान-परेशान नज़रों से अपनी चारों तरफ देख रही थी। तभी वह डॉक्टर नर्स की तरफ देखकर बोला, "नर्स, तुम मैडम मित्तल के लिए अच्छा सा ब्रेकफ़ास्ट लेकर आओ। उन्हें खिलाकर उनकी दवाई दो और मिस्टर मित्तल अभी आते ही होंगे, उससे पहले उनके कपड़े चेंज करवा दो।" डॉक्टर की बात सुनकर नर्स, "ओके डॉक्टर," बोलकर वार्ड से बाहर चली गई।
वह लड़की धीरे-धीरे बेड पर उठकर बैठ गई। फिर बेड से उतरकर वॉशरूम की तरफ़ चली गई। वॉशरूम में आकर उसने वॉशरूम का गेट बंद कर लिया और आईने के सामने खड़ी हो गई। एक बार फिर अपने चेहरे को देखकर उसकी आँखें नम हो गईं। उसने अपने पूरे शरीर को चेक किया। इस वक़्त कहीं भी कोई टॉर्चर का निशान नहीं था। वह लड़की आईने में देखकर बोली, "मैंने जो देखा, वह एक ख्वाब था, एक सपना था या एक हक़ीक़त? कुछ समझ नहीं आ रहा। सब कुछ उलझा हुआ है। कुछ भी समझ क्यों नहीं आ रहा है? क्या करूँ मैं? कैसे पता करूँ?"
तभी वार्ड का गेट खुला और एक आदमी अंदर आया। उसकी हाइट 6 फ़ीट से ज़्यादा थी। वह देखने में बिल्कुल एक मॉडल लग रहा था, लेकिन उसकी आँखें बेहद भयानक लग रही थीं। उनकी आँखों में किसी की जान लेने की क्षमता दिखाई दे रही थी। वह चारों तरफ़ अंदर किसी को ढूँढने की कोशिश कर रहा था। अभी थोड़ी देर पहले जो नर्स बाहर गई थी, वह अंदर आई और अपना सर झुकाकर खड़ी हो गई। "प्रेसिडेंट मैडम अभी यहीं थीं। हो सकता है वह वॉशरूम गई हों," उसने कहा।
रणवीर मित्तल वहीं सोफ़े पर एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बैठ गया। इस वक़्त वह गुस्से से भरा हुआ था। तभी अचानक वॉशरूम का गेट खुला। एक दुबली-पतली सी, खूबसूरत सी लड़की बाहर आई। उसके चेहरे पर इस वक़्त कोई इमोशन्स नहीं थे। ऐसा लग रहा था जैसे उसके सारे इमोशन्स ख़त्म हो चुके हैं। तभी उसकी नज़र सोफ़े पर बैठे आदमी की तरफ़ गई तो उसकी आँखें गहरी हो गईं। उसकी आँखों में कुछ भावनाएँ दिखने लगीं, लेकिन फिर वह सीधी जाकर अपने बेड पर बैठ गई।
रणवीर ने लड़की को देखकर जल्दी से उसके पास आकर कहा, "कैसी तबीयत है आपकी? क्या हुआ था आपको? आप अचानक से बेहोश कैसे हो गईं? देखिए खुशी, आप कुछ भी कर लीजिए, हम आपको खुद से दूर नहीं जाने देंगे। आप जितनी कोशिश हमसे दूर जाने की करेंगी, हम उतनी ही शिद्दत से आपको अपने करीब कर लेंगे। हम जानते हैं, नफ़रत करती हो तुम हमसे, करना भी चाहिए। छोड़कर जो चले गए थे तुम हमें, लेकिन इसका यह मतलब नहीं, खुशी, कि तुम हमें ज़िन्दगी भर का दर्द, तकलीफ़ और नफ़रत दो। वह लोग तुम्हारे भरोसे के लायक नहीं थे, वह तुम्हें बर्बाद करना चाहते थे। तुम्हें समझ क्यों नहीं आ रहा?"
खुशी, रणवीर मित्तल—मशहूर बिज़नेस टायकून और माफ़िया किंग—की पत्नी और रणवीर मित्तल की कमज़ोरी भी। रणवीर इस दुनिया में अगर किसी से मोहब्बत करता है, तो वह सिर्फ़ खुशी है। खुशी के लिए वह कुछ भी कर सकता है, अपनी जान दे सकता है, तो किसी की जान ले भी सकता है। रणवीर को खुशी के आस-पास कोई पराया इंसान बिल्कुल पसंद नहीं, लेकिन फिर भी वह खुशी की खुशी के लिए कभी उसे पाबंदी नहीं लगाता। और वह यह भी अच्छे से जानता है कि खुशी उसे अलग होने के लिए हमेशा गलत रास्ते अपनाती है, लेकिन फिर भी रणवीर उसे तलाक नहीं देना चाहता।
खुशी इतनी देर से रणवीर के चेहरे को देख रही थी। फिर वह रणवीर की तरफ़ देखकर बोली, "आज की डेट क्या है?" रणवीर हैरान होकर खुशी के चेहरे को देख रहा था, क्योंकि अभी तक उसने रणवीर पर गुस्सा नहीं किया था, उसे चिल्लाया नहीं था, उसे भला-बुरा नहीं बोला था। रणवीर हैरानी से खुशी के चेहरे को देख रहा था। फिर वह अपनी हैरानी छुपाते हुए अपनी कठोर आवाज़ में बोला, "आज 1 जनवरी 2025 है।" यह सुनते ही खुशी की आँखें अचानक से हैरानी से फैल गईं और वह अपने मन में बोली, "मतलब मैं अपनी ज़िन्दगी के 2 साल पीछे आ गई! मतलब मेरा रिबर्थ हुआ, जैसे मैंने नॉवेल्स में पढ़ा था!"
यह कैसे पॉसिबल हो सकता है? यह तो सिर्फ़ कहानियों में होता है। क्या असल में भी इस चीज़ का कोई अस्तित्व है? खुशी अभी अपने ही ख़यालों में खोई हुई थी और वहीं रणवीर गहरी नज़रों से खुशी के चेहरे पर आ रहे इमोशन्स को देख रहा था, लेकिन उसे कुछ समझ ही नहीं आया। खुशी खुद को काबू करके रणवीर की तरफ़ देखकर बोली, "मुझे घर जाना है। अस्पताल मुझे पसंद नहीं। यह बात आप अच्छे से जानते हो, फिर भी मुझे इस अस्पताल में एडमिट करवा दिया। और मैं आपसे कुछ बात करना चाहती हूँ।"
रणवीर हैरानी से खुशी के चेहरे को देख रहा था क्योंकि खुशी कभी भी रणवीर से इतने प्यार से बात नहीं करती थी। वह हमेशा उसके साथ बदतमीज़ी करती थी, हमेशा उसे नफ़रत करती थी और हमेशा उसे भला-बुरा बोलती थी। वहीं रणवीर के पीछे खड़ा उसका असिस्टेंट, रजत, हैरानी से खुशी को देख रहा था। जब से उसने खुशी को जाना था, हमेशा खुशी रणवीर को परेशान करती हुई, उसे इंसल्ट करती हुई दिखाई देती थी। आज वह जितनी शांत थी, यह देखकर रजत को ऐसा लग रहा था जैसे खुशी रणवीर को परेशान करने की कोई नई तरकीब लगा रही है।
रणवीर खुशी की तरफ़ देखकर बोला, "बोलो, क्या बात करना चाहती हो?"
खुशी ने एक नज़र रणवीर को देखकर कहा, "मैं हमारी शादी को एक मौका देना चाहती हूँ। मैं खुद को एक मौका देना चाहती हूँ। मैं खुद की ज़िन्दगी जीना चाहती हूँ। मैं जानती हूँ, मेरी बातों पर अभी आपको कोई विश्वास नहीं होगा, और होना भी नहीं चाहिए। मेरी पुरानी गलतियाँ बहुत बड़ी हैं और उन गलतियों को सुधारने का एक मौका चाहती हूँ।"
रणवीर शक भरी नज़रों से खुशी के चेहरे को पढ़ने की कोशिश कर रहा था, लेकिन आज खुशी के चेहरे पर कहीं भी कोई धोखा या फरेब नहीं था। आज उसकी आँखों में खुशी की चमक थी। रणवीर गहरी नज़रों से खुशी को देखते हुए बोला, "ठीक है, दिया मौका। लेकिन यह आखिरी मौका है जो मैं तुम्हें दे रहा हूँ। उसके बाद तुम मेरे साथ तो रहोगी, लेकिन मेरे पास नहीं। मेरे दिल में तुम्हारे लिए मोहब्बत होगी या नफ़रत, यह तो वक़्त बताएगा, लेकिन तुम मुझसे कभी आज़ाद नहीं होगी। यह फ़ाइनल है। राज़ी से या ज़बरदस्ती से, या मर्ज़ी से, तुम्हें रहना मेरे साथ ही है।"
खुशी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और गहरी साँस लेते हुए बोली, "मुझे आपकी असिस्टेंट, रजत से कुछ काम है। क्या वह मेरा बताया हुआ काम कर सकता है?" रणवीर ने अपनी गर्दन हिलाकर उसे वार्ड से बाहर जाने का इशारा किया। तभी रजत खुशी के सामने आकर खड़ा हो गया। खुशी रजत को देखकर बोली, "आपको नमन आहूजा की पूरी जन्म कुंडली निकालनी है। उसकी फैमिली की जन्म कुंडली निकालनी है और ख़ासकर नमन आहूजा की लापता बेटी की। और हाँ, यह बात बाहर नहीं जानी चाहिए और ख़ासकर मेरी फैमिली को पता बिल्कुल नहीं चलना चाहिए।" रजत, "ओके मैडम," बोलकर वहाँ से बाहर चला गया।
बाहर रणवीर अभी भी खड़ा था। रजत अपना सर नीचे झुकाकर बोला, "मैडम नमन आहूजा की फैमिली बैकग्राउंड के बारे में पता करना चाहती हैं और उन्होंने यह भी बोला है कि उनकी फैमिली को इसके बारे में कुछ भी पता नहीं चलना चाहिए।" रणवीर रजत की तरफ़ देखकर बोला, "तो जो अपनी मैडम का बताया हुआ काम करो। डिस्चार्ज पेपर तैयार करो। मैं उन्हें लेकर घर जा रहा हूँ।" रजत मन ही मन रणवीर को खोजते हुए वहाँ से बाहर चला गया। वहीं रणवीर बाद में वापस आकर खुशी को अपनी बाहों में उठाकर उसे कमरे से बाहर ले गया।
अचानक से खुशी की नज़र एक तरफ़ पड़ी और उसकी आँखें गुस्से, नफ़रत और बदले की भावनाओं से जल उठीं।
खुशी की निगाहें एक ही जगह टिकी रहीं। सामने एक लड़का और एक लड़की, हाथों में हाथ डाले, गाइनेकोलॉजिस्ट के केबिन में जाते दिखे। यह देख खुशी के चेहरे पर नफरत के भाव उभर आए।
खुशी ने नफरत से उन दोनों की ओर देखते हुए कहा, "पहले मैं तुम्हारी चालाकियों में आ जाती थी, लेकिन यह खुशी अब किसी की बातों में नहीं आएगी। मुझे सिर्फ अपनी असली फैमिली का पता लगाना है और अपने डियर हसबैंड के साथ अपनी एक नई जिंदगी की शुरुआत करनी है। अब तुम देखते जाओ कि मैं आगे तुम्हारे साथ क्या करती हूँ, कंचन, क्योंकि तुमने मेरी जिंदगी को नर्क बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। अब मेरी बारी है।"
रणवीर ने देखा कि खुशी की नज़रें कहीं और थीं, लेकिन जब उसने उस ओर देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। रणवीर अपने लंबे कदमों से अस्पताल से बाहर निकल गया। बाहर उसकी गाड़ी उसका इंतज़ार कर रही थी। उसने खुशी को बैठाया, खुद उसके पास बैठ गया और वहाँ से निकल गया।
रणवीर लगातार खुशी के चेहरे को देख रहा था। खुशी के चेहरे पर आने वाला हर भाव रणवीर से छुपा नहीं था, लेकिन वह अभी भी इन सब चीजों में अपनी दखलंदाजी नहीं देना चाहता था। क्योंकि अगर यह खुशी की कोई चाल थी, तो वह इस चाल में ज़िंदगी भर रहना चाहता था। और अगर सच में खुशी इस रिश्ते को एक मौका देना चाहती थी, तो रणवीर से ज़्यादा खुश इस दुनिया में कोई नहीं होता। क्योंकि उसने सिर्फ़ और सिर्फ़ खुशी से मोहब्बत की थी, और किसी से नहीं। उसकी मोहब्बत पाने के लिए उसने बहुत कुछ किया था, और वह देखना चाहता था कि खुशी क्या-क्या करती है और कैसे करती है।
रणवीर की गाड़ी वहाँ से धूल उड़ाती हुई निकल गई। वहीं खुशी ने अपनी आँखें बंद कर लीं और रणवीर के कंधे पर अपना सिर रख लिया। वह अपने अतीत के बारे में सोच रही थी। तब उसे याद आया कि आज के दिन, जब उसे होश आया था, रणवीर उसके पास आया था। उसने रणवीर से बहुत बदतमीज़ी की थी, उसे बहुत भला-बुरा कहा था और उसको बोला था कि वह उससे नफ़रत करती है और कभी भी रणवीर को नहीं अपनाएगी। यह सब सोचते हुए खुशी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन उसने उन आँसुओं को बाहर नहीं निकलने दिया। क्योंकि अगर उसका दर्द बाहर निकल गया, तो वह अपना बदला कैसे ले पाती? और बदला लेने के लिए ज़ख्म को भरा नहीं जाता, बल्कि उसे नासूर बनाया जाता है।
1 घंटे के सफ़र के बाद रणवीर की गाड़ी मित्तल मेंशन के बाहर रुकी। उस पर बहुत बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था- मित्तल मेंशन। यह देखकर एक बार फिर खुशी की आँखों में नमी आ गई। क्योंकि यह वही घर था, जिसे छोड़कर जाने के बाद खुशी की ज़िंदगी पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी। यह घर उसके लिए एक सेफ़ पैलेस था, जहाँ वह अपनी मर्ज़ी से रह सकती थी, अपनी मर्ज़ी से सब कुछ कर सकती थी। कोई भी उसे रोकने वाला नहीं था। तभी खुशी की आँखों के आगे एक बार फिर पुराने फ़्लैश आने लगे।
रणवीर ♥️♥️ खुशी
खुशी जब यह घर छोड़कर जा रही थी, उस दिन रणवीर की माँ, कविता जी ने खुशी के पैर पकड़ लिए थे कि वह उनके बेटे को छोड़कर ना जाए। क्योंकि उनका बेटा खुशी से पागलों की तरह प्यार करता था। लेकिन उस दिन खुशी ने उनकी एक नहीं मानी और उनका अपमान करके इस घर को हमेशा के लिए छोड़कर चली गई। अपनी माँ का ऐसा अपमान देखकर रणवीर ने फिर कभी भी खुशी को मनाने की या उसे इस घर में लाने की कोशिश नहीं की। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि खुशी जबरदस्ती के रिश्ते में रहे या दोबारा उसकी माँ को अपनी बहू के पैर पकड़ने पड़ें, अपने बेटे की खुशी के लिए।
खुशी अभी अपनी पुरानी यादों में खोई हुई थी कि उसे अपनी कमर पर एक सख्त हाथ का एहसास हुआ। उसने अपने बगल में देखा, तो रणवीर उसे अपनी बाहों में उठाकर आगे बढ़ रहा था। जैसे ही रणवीर और खुशी घर के दरवाज़े पर पहुँचे, वहाँ कविता जी आरती की थाल लिए खड़ी थीं। लेकिन उन्हें डर भी था कि कहीं खुशी फिर से उन्हें कुछ बोल दे। यही डर रणवीर को भी था। रणवीर का पूरा परिवार पीछे खड़ा यह सब देख रहा था, क्योंकि सबको खुशी के व्यवहार से अब चिंता होने लगी थी कि कहीं रणवीर और खुशी का रिश्ता खत्म ना हो जाए।
पूरा परिवार ही खुशी के आगे आ गया था, क्योंकि वे लोग नहीं चाहते थे कि उनकी वजह से उनके बेटे की खुशी उनसे दूर जाए। वहीं कविता जी डरी हुई नज़रों से खुशी की तरफ़ देख रही थीं। लेकिन खुशी कुछ नहीं बोली। कविता जी ने आरती करके उन दोनों को टिकाया और घर के अंदर बुलाया। रणवीर खुशी को लेकर जैसे ही अपने कमरे की तरफ़ बढ़ा, खुशी ने रणवीर से कहा, "मुझे यहीं बैठना है, सबके साथ थोड़ी देर।" सब लोग खुशी की बात सुनकर हैरान नज़रों से खुशी को देखने लगे। वहीं रणवीर की बहन ने अपने भाई की तरफ़ देखते हुए कहा, "मुझे पिंच करना, समर! मैं सपना देख रही हूँ! क्योंकि भाभी हम लोगों के साथ बैठने की बातें कर रही हैं!" वहीं रणवीर का छोटा भाई समर भी हैरानी से अपनी बहन की बात सुन रहा था, क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था।
रणवीर खुशी को ले जाकर हाल के सोफ़े पर बिठा दिया, जहाँ सारे परिवार वाले बैठे हुए थे। खुशी सबकी तरफ़ देखती है, फिर उठकर खड़ी हो जाती है और कविता जी की तरफ़ बढ़ने लगती है। सब लोग डर रहे थे कि कहीं खुशी फिर से कविता जी का अपमान ना कर दे। वहीं रणवीर के हाथ मुट्ठी बन गए, क्योंकि आज वह अपनी माँ की बेइज़्ज़ती बर्दाश्त नहीं करता था।
खुशी कविता जी के पैरों के पास बैठ गई और कविता जी के हाथों को पकड़कर बोली, "मुझे माफ़ कर दीजिए माँ। मैं हमेशा आपके साथ बदतमीज़ी की, हमेशा आपको इंसल्ट किया। मुझे मेरी हर एक गलती का पश्चाताप है। मैं आपसे प्रॉमिस करती हूँ, आज के बाद कभी भी मेरी वजह से आपकी आँखों में आँसू नहीं आएंगे। आपकी आँखों में कभी यह डर नहीं रहेगा कि आपकी बहू आपके बेटे को छोड़कर ना चली जाए। आप हक से मुझे डाँट सकती हैं, मेरी गलती होने पर मुझे मार भी सकती हैं। मैं पलट कर कभी आपसे कुछ नहीं कहूँगी माँ। बस मुझे एक आखिरी मौका दे दीजिए। मुझे एक अच्छी बहू होने का फ़र्ज़ निभाने दीजिए।"
पूरा परिवार आँखें फाड़े रणवीर को देख रहा था। रणवीर अपने कंधे थोड़े झुका कर चुपचाप सोफ़े पर बैठा रहा। वहीं खुशी बारी-बारी से सबसे अपनी गलतियों की माफ़ी मांगती रही। आज पूरा परिवार खुश था कि उनकी बहू ने उन्हें अपना लिया और रणवीर खुश था कि आज उसकी मोहब्बत मुकम्मल होने वाली थी। सब लोग प्यार से बातें कर रहे थे। तभी कविता जी ने खुशी के बालों को सहलाते हुए कहा, "आज बताओ मेरी गुड़िया, क्या खाएगी? मैं वही बनाऊँगी।" खुशी चाहते हुए कविता जी से बोली, "माँ, आपने हाथों के मालपुए बनाना, मुझे बहुत पसंद हैं। आप जब भी बनाती थीं ना, मैं आपके सामने मना कर देती थी, लेकिन रात में चोरी-छुपे जाकर आपके हाथ के बने हुए मालपुए खाती थी।" खुशी की बात सुनकर पूरा परिवार हैरानी से खुशी के चेहरे को देख रहा था।
खुशी कन्फ़्यूज़न से सबकी तरफ़ देखकर बोली, "मैंने कुछ गलत कहा क्या? या ज़्यादा बोल दिया?" दादाजी खुशी की तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए बोले, "नहीं बेटा, कुछ भी गलत नहीं कहा तुमने। और आज तो हमें हमारी छोटी सी गुड़िया मिल गई है, जैसे हम बचपन से जानते थे। आज तुम बिलकुल हमारी वही गुड़िया लग रही हो, जैसे हमने खो दिया था। लेकिन आज हमें एहसास हुआ कि बच्चों की अगर कोई गलती थी, तो उसमें हमारी भी कुछ गलती थी।"
खुशी दादाजी की तरफ़ देखकर बोली, "दादाजी, मुझे एक बात समझ नहीं आती। मेरी इतनी बदतमीज़ी के बाद भी आप सब ने मुझे इतनी जल्दी माफ़ कैसे कर दिया? वरना आप लोगों की जगह कोई और होता, तो मुझे जाने कितनी बातें सुननी पड़तीं।"
समर खुशी के पास आकर बैठ गया और खुशी के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "भाभी, आपको नहीं पता, आपके पतिदेव का सिक्का चलता है इस घर में। और आपके पतिदेव के ख़िलाफ़ जाकर कोई आपको कुछ बोलने की इतनी हिम्मत नहीं रखता।" समर को अचानक अपने आस-पास ठंडक का एहसास हुआ। जब उसने चारों तरफ़ देखा, तो उसकी नज़र रणवीर पर जाकर टिक गई, जो समर के हाथ को देख रहा था, जो इस वक़्त खुशी के कंधे पर रखा हुआ था। यह देखकर समर हड़बड़ा कर खुशी से दूर हट गया और दादाजी के पीछे जाकर खड़ा हो गया।
अचानक से हाल में किसी की आवाज़ आई। उस तरफ़ देखकर सबके चेहरों पर एक खौफ़ छा गया। उन्हें लग रहा था कि खुशी का उनके साथ होना अब सिर्फ़ एक ख्वाब है, क्योंकि ये लोग कभी भी उसे या उन लोगों को खुशी के साथ खुश नहीं रहने दे सकते थे। वहीं सबको देखकर खुशी की आँखों में नफ़रत की लहर दौड़ गई और गुस्से में उसकी आँखें लाल हो गईं।
कौन है जिसे देखकर खुशी के चेहरे पर नफ़रत की भावनाएँ आ गईं? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में…
अचानक से हाल में किसी की आवाज़ आई। उसे देखकर सबके चेहरे पर १२ बन गए। उन्हें लग रहा था कि खुशी का उनके साथ होना अब सिर्फ़ एक ख्वाब है, क्योंकि ये लोग कभी भी उसे या उन लोगों को खुशी के साथ खुश नहीं रहने दे सकते थे। वहीं, सबको देखकर खुशी की आँखों में नफ़रत की लहर दौड़ गई और गुस्से में उसकी आँखें लाल हो गईं।
पूरा परिवार परेशान हो चुका था क्योंकि वे समझ गए थे कि अपनी फैमिली को देखकर एक बार फिर खुशी उनके साथ गलत तरीके से बात करेगी। लेकिन कोई कुछ नहीं बोला। वहीं, खुशी उन लोगों की तरफ देखकर बोली, "आप लोग यहाँ क्या कर रहे हो? और किसने बुलाया आपके यहाँ?"
खुशी की भाभी आगे बढ़कर बोली, "यह तुम कैसी बातें कर रही हो, खुशी? हम तुम्हारी फैमिली हैं और हम तुमसे मिलने आए हैं, और तुम हमसे यह किस अंदाज़ में बात कर रही हो?" खुशी को अब जाकर अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने उन सब की तरफ देखकर इनोसेंट वॉइस में कहा, "वह गलती से निकल गया। आप लोग बिना बताए आ गए थे ना? इसलिए आप लोग बैठिये, मैं आपके लिए चाय नाश्ता मँगवाती हूँ।"
वे पाँच लोग खुश हो गए और वहीं बैठ गए। वहीं, खुशी जब किचन में पहुँची तो उसकी आँखों में गुस्सा भरा पड़ा था। उसने सर्वेंट की तरफ देखकर कहा, "बाहर सबके लिए जूस ले जाइए और हाँ, ५ ग्लास जूस में एक दवा मिला देना, जो मैं बोलूँ। और हाँ, वह जूस अलग से मेरी डिअर फैमिली को देना। आप लोग ठीक है? और यह बात आपके और मेरे अलावा किसी तीसरे तक नहीं पहुँचनी चाहिए।" वहीं, गेट के पास खड़ा रणबीर खुशी की सारी बातें सुन रहा था, लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि खुशी क्या करने की कोशिश कर रही है।
फिर वह वहाँ से उठकर अपने कमरे की तरफ़ चला गया, क्योंकि वह बेवकूफ़ इंसानों से बात नहीं करना चाहता था। वहीं, जैसे ही रणवीर सीढ़ी पर चढ़कर जाने लगा, तभी कंचन उसके पास आकर बोली, "रणबीर, कैसे हो आप? और मेरी मासूम बेवकूफ़ बहन आपको फिर से परेशान तो नहीं कर रही? मैंने उसे कितना समझने की कोशिश की, लेकिन वह लड़की समझती ही नहीं। उसके दिमाग पर तो वरुण की मोहब्बत की पट्टी बंधी हुई है। वरुण के अलावा उसे कुछ दिखता ही नहीं।" सब लोग समझ गए थे कि कंचन रणबीर को खुशी के खिलाफ़ भड़काने की कोशिश कर रही थी और रणबीर के चेहरे का गुस्सा देखकर कंचन खुश हो रही थी। पूरा परिवार परेशान था।
खुशी हाल में सबके लिए स्नैक्स और जूस लेकर आई और सबको दिया। और खुद वह ट्रे लेकर अपनी फैमिली के पास आकर बैठ गई। खुशी ने अपनी फैमिली के सामने मित्तल फैमिली से कोई बात नहीं करी थी क्योंकि वह अभी उन्हें यह नहीं जताना चाहती थी कि उनके रिलेशन मित्तल फैमिली के साथ सही हो गए हैं। रणबीर को खुशी पर डाउट हो रहा था, लेकिन वह कुछ नहीं कहता, क्योंकि वह देखना चाहता था कि आखिर खुशी कौन सी चाल चल रही है उसके साथ। क्योंकि रणबीर को अभी भी पूरी तरीके से खुशी पर यकीन नहीं हुआ था, क्योंकि एक रात में इंसान नहीं बदलता, उसकी फ़ितरत बदलती है।
रणबीर अपने कमरे में चला गया। वहीं, सारे लोग स्नैक्स खाकर बैठे हुए थे। सब लोग आपस में बातें कर रहे थे। वहीं, खुशी उन पाँचों का चेहरा देखकर खुश हो रही थी, क्योंकि थोड़ी ही देर में उनके साथ क्या होने वाला था, वह खुद भी नहीं जानती थी। खुशी अपने मन में काउंट कर रही थी: १०, ९, ८, ७, ६, ५, ४, ३, २, १, बूम! अचानक से पाँचों के पेट में एक साथ दर्द उठा। वे एक-दूसरे को देखकर जल्दी से खड़े होकर बोले, "हम फिर कभी आएंगे, अभी हम चलते हैं।" वे सब राजधानी की स्पीड से वहाँ से भाग गए। उन्हें जाते देख खुशी पेट पकड़कर हँसने लगी। वहीं, सब लोग हैरानी से खुशी के चेहरे को देख रहे थे।
जब खुशी को अपने ऊपर नज़रें महसूस हुईं, तो वह सब की तरफ़ देखकर बोली, "अब उन्हें यहाँ से भागना था, तो कुछ तो मुझे करना था।" तभी सीढ़ियों से पैरों की आवाज़ आई, तो सब लोग उधर देखने लगे। जहाँ से रणबीर अपने डार्क सूट में, एक दमदार अंदाज़ के साथ नीचे आ रहा था। खुशी हाल में खड़ी हो गई और सब की तरफ़ देखकर बोली, "मैं उन लोगों की हक़ीक़त जान चुकी हूँ और यह भी जान चुकी हूँ कि ये लोग मेरी फैमिली नहीं हैं। और बस मुझे यह जानना है कि ये सब लोग मेरे साथ यह सब क्यों कर रहे हैं। इसीलिए इन लोगों के सामने मैं आप लोगों से फैमिली की तरह रिएक्ट नहीं कर सकती, क्योंकि मैं उन्हें सतर्क नहीं करना चाहती। तो इन सब में आप सबको मेरा साथ देना होगा।"
रणबीर खुशी के पास आकर खड़ा हो गया और बोला, "तो तुम नमन आहूजा की इन्क्वायरी क्यों कर रही हो?" खुशी रणवीर की तरफ़ देखकर बोली, "क्योंकि मैंने लोगों को बात करते सुना था। मेरी असली फैमिली आहूजा फैमिली है। इन लोगों ने मुझे किडनैप करके अपने पास रखा हुआ था। बस यह जानना चाहती हूँ, क्या वजह है इनके पास, जो इन्होंने एक मासूम सी बच्ची को किडनैप किया और इतने सालों से उसे टॉर्चर कर रहे हैं, अपने झूठे प्यार के जाल में फँसाकर उसका इस्तेमाल कर रहे हैं।" वहीं, सबको खुशी की बात सही लगी, तो सब लोग इस प्लान में खुशी का साथ देने के लिए तैयार हो गए।
खुशी रणवीर की तरफ़ देखकर बोली, "रणबीर, मैं फ्रेश होकर आती हूँ। आप लोग मेरा वेट कीजिये, फिर साथ में डिनर करते हैं।" खुशी अपने कमरे में जाकर अपने कमरे को चारों तरफ़ देखती है और उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। यह घर, रणबीर, इस घर के लोग उसके लिए सच में बहुत पजेसिव थे। हर हाल में उसे बचाना चाहते थे। रणबीर और उसकी फैमिली ने उसके लिए खुद की कुर्बानी दी थी। लेकिन उसने क्या किया? मरते वक़्त उन्हें देखना भी नहीं आई थी। जिस समर से वह इतना प्यार करती है, उसने उसकी भाभी की इज़्ज़त बचाने के लिए अपनी जान गँवा दी थी। लेकिन खुशी को समर की जान की कभी कीमत ही नहीं पता चली। अगर उसके साथ वह सपना होता, तो वह कभी भी मित्तल फैमिली की मोहब्बत को समझ ही न पाती और ना ही समझ पाती वह रणबीर के प्यार, उसके इश्क़ और जुनून को...
१ घंटे बाद खुशी नीचे आई। खुशी की आँखें देखकर सब समझ गए थे कि खुशी रोकर आ रही है। लेकिन कोई भी उससे सवाल नहीं करता, क्योंकि हर किसी के लिए यह चौंकाने वाला था कि खुशी मित्तल फैमिली की बेटी नहीं थी, बल्कि उन्होंने उसे किडनैप किया था और हमेशा उसका इस्तेमाल किया। इसीलिए सबको यही लगता है कि खुशी थोड़ा वक़्त खुद के साथ बिताएगी तो शायद अच्छा महसूस करने लगेगी।
रणबीर खुशी के चेहरे को देखकर अपने मन में कहता है, "जिसने तुम्हें दर्द दिया है ना बीवी, उसे उसकी हस्ती मिटा दूँगा।" यह रणवीर मित्तल। और एक बात हमेशा याद रखना, मेरी ज़िंदगी में तुम अपनी मर्ज़ी से आई थीं, लेकिन तुम्हें मेरे पास से जाने की इज़ाजत नहीं है, क्योंकि मेरा प्यार प्यार नहीं, बल्कि जुनून, पागलपन और इश्क़ की इंतिहा है। और आज तुमने मुझे अपने करीब करके मेरी उम्मीद को जो बचाया है ना, अब वह उम्मीद तुम तोड़ नहीं सकती। तुम तो उम्र भर के लिए रणवीर मित्तल की बन चुकी हो।
रणबीर की आँखों में उसका जुनून, उसका पागलपन, उसकी मोहब्बत का इज़हार दिखाई दे रहा था। वहीं, समर अपने भाई की ऐसी नज़रों को देखकर अपना सर नीचे करके कहता है, "इनका पागलपन पता नहीं कहाँ तक जाएगा। कोई किसी से इतनी मोहब्बत कर कैसे सकता है?" सब लोग डिनर करके अपने-अपने कमरे में चले गए। वहीं, जैसे ही रणबीर अपने कमरे में पहुँचा, खुशी कूदकर उसकी गोद में चढ़ जाती है और कहती है, "आप मुझसे नाराज़ हो?" रणबीर एक शब्द में जवाब देता है, "नहीं..."
खुशी अचानक से ऐसा कुछ करती है, जिसे महसूस कर रणवीर की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। क्या किया खुशी ने रणबीर के साथ? जो रणबीर इतना हैरान हो गया, इतना परेशान हो गया...
आज के लिए इतना ही। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
रणबीर की आँखों में उसका जुनून, उसका पागलपन, उसकी मोहब्बत का इम्तिहान दिखाई दे रहा था। वहीं, समर अपने भाई की ऐसी नज़रों को देखकर अपना सिर नीचे करके कहता है, "इनका पागलपन पता नहीं कहाँ तक जाएगा। कोई किसी से इतनी मोहब्बत कर कैसे सकता है?" सब लोग डिनर करके अपने-अपने कमरों में चले गए। जैसे ही रणबीर अपने कमरे में पहुँचा, खुशी कूदकर उसकी गोद में चढ़ गई और कहती है, "आप मुझसे नाराज हो?" रणबीर एक शब्द में जवाब देता है, "नहीं..."
खुशी अचानक से अपने नाजुक, कोमल होठों को रणबीर के सख्त होठों पर रखकर उसे किस करने लगी। रणबीर इतना हैरान था कि उसने कुछ रिएक्टिव ही नहीं किया। जब खुशी ने देखा कि रणबीर उसका साथ नहीं दे रहा है, तो वह खुद को रणबीर से अलग करने की कोशिश करने लगी। तब तक रणबीर अपने होश में वापस आ चुका था और वह तुरंत ही खुशी को खुद से चिपकाकर उसकी किस में शामिल हो गया।
रणबीर खुशी को इस तरह किस कर रहा था जैसे आज के बाद यह दुनिया खत्म हो जाएगी और उसे खुशी कभी नहीं मिलेगी। यह शायद रणबीर का डर था या खुशी के लिए रणबीर की मोहब्बत, यह तो रणबीर ही जानता था। वहीं, खुशी भी रणबीर का साथ देने की पूरी कोशिश कर रही थी। अचानक कोई गेट खोलकर अंदर आया और अंदर के हालात देखकर तुरंत वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गया। वह कोई और नहीं, रणबीर का छोटा भाई समर था, जो यह देखने आया था कि उसका भाई और भाभी क्या कर रहे थे। लेकिन उन्हें इतना क्लोज़ किस करते देखकर वह जल्दी से नौ दो ग्यारह हो गया क्योंकि वह जानता था कि अगर उसके भाई ने उसे देख लिया तो आज उसकी ज़िंदगी का आखिरी दिन होने वाला था।
समर के वहाँ से जाते ही खुशी जल्दी से रणबीर से दूर हो गई। रणबीर खुशी को गुस्से में देखने लगा तो खुशी ने अपने आपको रणबीर की बाहों में छुपा लिया और कहा, "कोई कमरे में आया था।"
रणबीर एक टक जवाब देता है, "तुम्हारे पागल देवर के अलावा यह हरकतें कोई नहीं कर सकता। वही आया था और भाग भी गया, लेकिन इसकी सज़ा तो उसे मिलेगी, क्योंकि वह बिना बुलाए किसी के कमरे में नहीं जा सकता।"
रणबीर खुशी को खुद से अलग करके कहता है, "तुम जाओ, फ़्रेश हो जाओ। उसके बाद सोते हैं।"
नीचे हॉल में सब लोग हैरानी से समर को देख रहे थे जो अपने सीने पर हाथ रखकर लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था। समर की बहन समर की तरफ़ हैरानी से देखकर कहती है, "क्या हुआ तुझे? क्यों कर रहा है जैसे तेरे पीछे कोई पागल कुत्ता पड़ गया हो?"
समर खुद की साँसों को कण्ट्रोल करके कहता है, "आज मैं शेर की गुफ़ा में घुस गया, वह भी बिना उसकी इजाज़त के, और उसको रोमांस करते हुए देखा। अगर उसे पता चल जाता ना तो आज मेरा शिकार हो जाता।"
तभी पीछे से एक आवाज़ आती है। सब लोग उधर देखते हैं जहाँ रणबीर का सेक्रेटरी, दक्ष, खड़ा था। दक्ष को देखकर समर उसके पास जाकर उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है, "वैसे, भाई की पूँछ तुम या क्या कर रहे हो? और वह भी रात के इस टाइम..."
दक्ष समर का हाथ अपने कंधे से हटाकर कहता है, "जो रायता तुम अभी बस के कमरे में फैलाकर आए हो ना, उसी का नतीजा है कि तुम्हें बॉस ने एक महीने के लिए लंदन वाली ब्रांच संभालने के लिए भेजा है। टिकट ले आया हूँ। चुपचाप से अपना सामान पैक करके निकल जाओ, वरना सुबह बॉस तुम्हारे साथ क्या करेंगे, तो मैं नहीं जानता।"
दक्ष की बात सुनकर समर के चेहरे की हवाइयाँ उड़ जाती हैं। वह हैरानी से दक्ष को देखकर कहता है, "तुम कैसी बातें कर रहे हो? भाई ने मुझे देखा ही नहीं..."
दक्ष मज़ाक उड़ाते हुए समर की तरफ़ देखकर कहता है, "तुम्हें लगता है कि उन डेविल ने तुम्हें देखा नहीं था? वह तो इंसान के कदमों से पहचान लेते हैं कि कौन है, और तुम तो साक्षात् पूरा शरीर लेकर उनके कमरे में चले गए थे! तो तुम्हें उन्होंने नहीं पहचाना होगा और तुम्हारे चक्कर में मेरी नींद हराम कर दी उन्होंने। अब जल्दी से जाओ, वरना तुम्हारे साथ में मुझे भी सूली पर लटका देंगे।"
समर बेचारा सा मुँह बनाकर अपनी फ़ैमिली की तरफ़ देखता है तो वहाँ पर कोई भी नहीं था। सब लोग वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गए थे। दक्ष समर के पास आकर कहता है, "सब लोग जा चुके हैं और उनके कहने में...तुमने जो रायता फैलाया ना उसे...समय..." तो जाकर समर दक्ष के पास आकर कहता है, "कुछ हो नहीं सकता।" बीच में दक्ष अपने दोनों हाथ ऊपर करके कहता है, "मुझे तो नहीं हो सकता। बॉस से बात कर लो जाकर।"
समर परेशान होकर वहाँ से अपने कमरे में चला जाता है। वहीं दक्ष सोफ़े पर लेट जाता है। अभी दक्ष को सोफ़े पर लेटे हुए 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि कोई उसके चेहरे पर उँगली घुमाने लगता है। वह जल्दी से अपनी आँखें खोलकर देखता है तो सामने शिविका खड़ी थी।
शिविका रणबीर की बहन थी, उसके चाचा जी की बेटी। चाचा जी अब इस दुनिया में नहीं हैं। रणबीर अपनी दुनिया में अगर सबसे ज़्यादा किसी से प्यार करता था तो वह शिविका है। दक्ष हड़बड़ाहट में सोफ़े पर से उठकर खड़ा हो जाता है।
दक्ष के इस तरह दूर जाने से शिविका की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह दक्ष की तरफ़ देखकर कहती है, "कब तक मेरे प्यार को ठुकराते रहोगे दक्ष? ऐसा ना हो कि एक दिन मैं तुमसे बहुत दूर चली जाऊँ और तब जाकर तुम्हें एहसास हो कि मुझे जितना प्यार इस दुनिया में कोई नहीं कर सकता, उतना तुमसे करती हूँ।"
दक्ष अपनी नज़रें फेर लेता है। दक्ष के इस तरह नज़रें फेरने से शिविका की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह वहाँ से चुपचाप अपने कमरे में चली जाती है। शिविका के जाते ही दक्ष उस तरफ़ देखता है जहाँ अभी-अभी शिविका गई थी।
दक्ष अपने मन में बोलता है, "मैं भी तुमसे प्यार करता हूँ शिविका, लेकिन मेरी औकात नहीं है कि मैं तुम्हारा हाथ बॉस से माँग सकूँ..."
रणबीर और खुशी का कमरा...
खुशी कपड़े चेंज करके बेड पर लेटी हुई थी। रणबीर भी उसके पास आकर लेट जाता है। खुशी खिसककर रणबीर के करीब जाकर उसके सीने पर अपना सर रख लेती है। रणबीर के दिल में एक खुशी की लहर थी, लेकिन वह यह भी जानता था कि अगर यह सब खुशी का कोई खेल या नाटक हुआ तो उसका दिल बहुत बुरी तरीके से टूटने वाला है।
खुशी गहरी नींद में जा चुकी थी, लेकिन रणबीर की आँखों में नींद का एक कतरा तक नहीं था। वह अभी यह सब सो ही रहा था कि तभी उसे खुशी की नींद में बड़बड़ाने की आवाज़ आती है,
"मुझे छोड़ दो, मुझे मत मारो। मैं तुम्हारा क्या बिगाड़ा है? मुझे जाने दो, प्लीज़। मेरे रणबीर को कुछ मत करो। हाँ, प्यार करती हूँ मैं रणबीर से, बहुत प्यार करती हूँ।"
रणबीर खुशी को अपने सीने से चिपका लेता है और उसकी पीठ को सहलाने लगता है। रणबीर का एहसास पाकर खुशी शांत हो जाती है और गहरी नींद में चली जाती है। अचानक से खुशी ऐसा शब्द बोलती है कि रणबीर गुस्से में पागल हो जाता है।
आखिर क्या बोला खुशी ने जो रणबीर को इतना गुस्सा आया? जानने के लिए बने रहिए, मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में...
रणबीर ने खुशी को अपने सीने से चिपका लिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। रणबीर का एहसास पाकर खुशी शांत हुई और गहरी नींद में सो गई। अचानक खुशी ने ऐसा शब्द बोला कि रणबीर गुस्से से पागल हो गया।
अचानक रणबीर के कानों में खुशी के चिल्लाने की आवाज़ आई। "प्लीज मुझे छोड़ दो! प्लीज मेरी इज्जत के साथ जुगाड़ मत करो! छोड़ दो मुझे, छोड़ दो!" ये शब्द सुनकर रणबीर का गुस्सा आपे से बाहर हो गया था। उसने खुशी को अपनी बाहों में भर लिया, जैसे अगर उसने छोड़ा तो कोई खुशी को उससे दूर कर देगा।
रणबीर की आँखों में गुस्सा, नफ़रत—कौन-कौन सी भावनाएँ दिखाई दे रही थीं, क्योंकि वह किसी भी कीमत पर खुशी को अपने से दूर नहीं जाने देगा। उसने तुरंत अपना फ़ोन उठाया और अपने असिस्टेंट को कॉल किया। धीमी आवाज़ में उसने कहा, "मुझे तुरंत पता लगाना है कि खुशी के साथ उन दिनों क्या हुआ था, जब वह इंडिया से बाहर थी।"
रणबीर की भयानक आवाज़ सुनकर असिस्टेंट की हालत खराब हो गई। उसने जल्दी से, "ओके बॉस," कहा और कॉल काट दिया। वह नहीं चाहता था कि उसकी कोई गलती उसकी ज़िन्दगी के लिए भारी पड़ जाए, क्योंकि वह जानता था कि उसके मुँह से निकला एक-एक शब्द उसकी ज़िन्दगी खत्म कर सकता था। रणबीर ने खुशी को शांत करने के लिए उसे किस करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे खुशी की नींद खुली और उसने अपने सामने रणवीर का हैंडसम चेहरा देखकर उसका साथ देना शुरू कर दिया।
किस करते-करते वह उसके होंठों को अपने मुँह में लेने लगा, जिससे खुशी बेचैन हो गई। उसने कसकर रणवीर के बाल पकड़ लिए। रणवीर एक निप्पल को मुँह में लेकर चूस और काट रहा था, और दूसरे को हाथ से दबा रहा था। उसे यह फीलिंग बहुत अच्छी लग रही थी।
फिर रणवीर ने उसके बाएँ निप्पल को मुँह में लिया और दाएँ वाले को दबाने लगा। तभी उसके कानों में खुशी की काँपती हुई आवाज़ आई। "आह...प्लीज़ स्टॉप इट! प्लीज़ आई कैन्ट टेक इट एनीमोर! प्लीज़...म्म्ह्..."
रणवीर अब और खुद को नहीं रोक पाया। उसने खुशी को कमर से उठाया और उसके दोनों पैरों को अपनी कमर के चारों ओर लपेट दिया, फिर खुद उसके ऊपर आ गया।
इस दौरान दोनों की किस एक बार भी नहीं रुकी। बेड पर आकर भी दोनों लगातार किस कर रहे थे। जब खुशी को साँस लेने में दिक्कत हुई, तब रणवीर ने उसे छोड़ा और फिर उसके गले, कॉलरबोन, क्लीवेज पर किस करते हुए उसके पेट पर आ गया और वहाँ किस करने लगा।
धीरे-धीरे वह नीचे बढ़ा और उसके हाथ खुशी के निचले शरीर को सहलाने लगे। खुशी ने अपने एक हाथ से रणवीर का वह हाथ पकड़ लिया जिससे वह उसका प्राइवेट पार्ट सहला रहा था। रणवीर अब खुद को और कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था।
इसलिए उसने खुशी का हाथ पकड़कर दूर किया और खुशी की इनरवियर निकालकर फेंक दी। खुशी अब पूरी तरह से बिना कपड़ों के उसके सामने बेड पर लेटी हुई थी। वह कभी उसके पेट पर किस करता, कभी उसके प्राइवेट पार्ट को सहलाने लगता।
और उसके साथ फोरप्ले करने लगा। खुशी उसे बार-बार रुकने के लिए कह रही थी, पर वह नहीं रुका। वह उसके निप्पल पर किस और बाइट करते हुए उसे परेशान कर रहा था।
अब रणवीर भी अपनी लिमिट तक आ गया था, इसलिए उसने परेशान करना बंद कर दिया और खुशी के ऊपर से उठकर बैठ गया। वह लंबी-लंबी गहरी साँसें लेते हुए उसे देख रहा था। अब जाकर उसे राहत की साँस मिली।
वह अपने सामने खड़े उस चारमिंग और हैंडसम आदमी को देख रही थी। उसकी बॉडी खुशी को अट्रैक्ट कर रही थी। रणवीर ने देखा कि खुशी की नज़र उसकी बॉडी पर है, तो उसे अपनी बॉडी पर घमंड होने लगा। उसने खुशी के सामने ही अपनी बॉडी पर बचे हुए सारे कपड़े निकालकर फेंक दिए।
यह देखकर खुशी को बहुत शर्म आई और उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ करके आँखें बंद कर लीं। रणवीर ने ब्लैंकेट खुद पर और खुशी के ऊपर ओढ़ा और खुशी के ऊपर आ गया, फिर एक बार उसे किस और बाइट करने लगा। उसने अपने पैरों से खुशी के पैरों को अलग करके उनकी बीचो-बीच आ गया।
और खुशी के ऊपर लेटकर उसे किस करने लगा। अब तक रणवीर भी अपनी लिमिट तक आ चुका था। खुशी को अपने नीचे कुछ बहुत कठोर और लंबी चीज महसूस हुई और जब उसे समझ में आया कि वह क्या है, तो उसकी आँखों में डर दिखाई देने लगा।
यह देखकर रणवीर ने उसके चेहरे को अपने हाथ में लिया और उसके होठों पर वापस से जेंटली किस करने लगा। वही खुद को और खुशी को अच्छे से एडजस्ट करते हुए, उसने खुशी के दोनों हाथों को अपने हाथों से इंटरलॉक किया।
खुशी की आँखों में देखते हुए उसे किस करने लगा। अचानक खुशी को नीचे दर्द होने लगा। उसे ऐसा फील हो रहा था जैसे कोई बड़ी चीज जबरदस्ती उसके अंदर जा रही हो। उसकी आँखें बड़ी होने लगीं। रणवीर सब समझ रहा था, बस उसकी आँखों में देखते हुए धीरे-धीरे उसके अंदर प्रवेश कर रहा था।
उसे ऐसा करने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी, वह फ्रस्ट्रेटेड हो रहा था। इसलिए उसने थोड़ी सी ज़्यादा फ़ोर्स का इस्तेमाल करते हुए खुद को जोर से पुश किया और खुशी के अंदर पूरी तरह से इंटर हो गया।
खुशी को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। वह चीखना चाहती थी, पर रणवीर ने उसकी चीख उसके गले में ही बंद कर दी थी। कुछ देर तक उसने कुछ भी मूवमेंट नहीं किया, उसी तरह वह खुशी को किस करता रहा ताकि उसका दर्द कम हो जाए। थोड़ी देर बाद वह धीरे-धीरे खुद को मूव करने लगा।
खुशी को बहुत दर्द हो रहा था, यह बात रणवीर को भी समझ आ रही थी। वह अब धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाते हुए वाइल्ड हो रहा था। उसकी स्पीड बढ़ाने से खुशी को और दर्द हो रहा था।
क्या खुशी रणवीर के दिए दर्द को बर्दाश्त कर पाएगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में।
खुशी को बहुत दर्द हो रहा था। उसके आँखों से आँसू बह रहे थे। वह चीखना चाहती थी, पर रणवीर ने उसकी चीख उसके गले में ही बंद कर दी थी। कभी थोड़ी देर तक वह कुछ भी मूवमेंट नहीं करता, उसी तरह वह खुशी को किस करता रहता था ताकि उसका pain कम हो जाए। और थोड़ी देर बाद वह धीरे-धीरे खुद को move करने लगा।
खुशी को बहुत दर्द हो रहा था। यह बात रणवीर को भी समझ आ रही थी। वह अब धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाते हुए, वाइल्ड हो रहा था। उसके स्पीड बढ़ाने से खुशी को और pain हो रहा था।
लेकिन खुशी इस दर्द को बर्दाश्त कर रही थी क्योंकि यह दर्द उसे उसका पति, उसकी मोहब्बत, उसका सब कुछ दे रहा था। धीरे-धीरे, जब तक खुशी बर्दाश्त नहीं कर पाई, तब तक वह रणवीर को रुकने के लिए बहुत बोली। लेकिन आज तो रणवीर पर खुशी का नशा इस क़दर छाया हुआ था कि वह खुशी को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं था।
रात 3:00 बजे से चला यह सिलसिला सुबह 10:00 बजे तक इस तरह चलता रहा। कोई भी रणवीर और खुशी के कमरे के आसपास नहीं आया था क्योंकि यह पूरा फ्लोर रणवीर का था और रणवीर को बिल्कुल पसंद नहीं था कि कोई बिना उसकी इजाज़त के उसके कमरे, तो क्या, उसके फ्लोर पर भी आए। रणवीर सुबह जल्दी ही ऑफिस चला जाया करता था और देर रात आया करता था। लेकिन किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि रणवीर रात घर पर ही था क्योंकि वह खुशी के साथ अपनी ज़रूरी लम्हों को बिता रहा था।
सुबह 10:00 बजे जाकर रणवीर खुशी के बगल में लेट गया। खुशी तो तुरंत ही गहरी नींद में चली गई, लेकिन रणवीर को नहीं, बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी। क्योंकि आज उसके दिल में एक सुकून था, उसके दिल में एक उम्मीद थी कि अब उसकी बीवी सिर्फ़ उसकी है। अब उसकी खुशी उसे छोड़कर कभी नहीं जाएगी क्योंकि खुशी ने उसे एक पति होने के सारे अधिकार दे दिए थे।
रणवीर काफ़ी देर तक खुशी को ऐसे ही निहारता रहा और फिर उसे अपनी बाहों में भरकर अपनी आँखें बंद कर लीं। सुबह 7:00 बजे से रणवीर का फ़ोन जाने कितनी बार बजकर बंद हो चुका था क्योंकि फ़ोन साइलेंट था, इसीलिए उसकी आवाज़ किसी को सुनाई नहीं देती थी। वहीं दूसरी तरफ़, सारे शहर में हंगामा मचा हुआ था क्योंकि रणवीर की एक फ़ोटो हद से ज़्यादा वायरल हो रही थी जिसमें रणवीर ने एक लड़की को खुद की बाहों में उठा रखा था। लड़की का चेहरा क्लियर नहीं था। जो भी रिपोर्टर ने वह फ़ोटो खींची थी, वह रणवीर की बाहों में मौजूद लड़की का चेहरा नहीं ले पाया था, लेकिन रणवीर का चेहरा बहुत अच्छे से लिया था।
सारी दुनिया में यह न्यूज़ वायरल हो चुकी थी कि मशहूर बिज़नेस टायकून रणवीर मित्तल एक लड़की के साथ पाए गए। दोनों का क्या रिश्ता है? दोनों एक-दूसरे को डेट कर रहे हैं या एक-दूसरे के गर्लफ्रेंड-बॉयफ्रेंड हैं या वह लड़की रणवीर को फँसाने की कोशिश कर रही थी? ऐसी ही न्यूज़ हर जगह टेलीकास्ट हो रही थी।
इन सारी खबरों से बेखबर रणवीर और खुशी अपनी ही दुनिया में मस्त थे। उन्हें तो कुछ भी पता ही नहीं था। उनकी फैमिली, उनके दोस्त, सब लोग यह खबर देखकर डरे हुए थे और सबसे ज़्यादा अगर कोई गुस्से में था तो वह थी खुशी की बचपन की फ़्रेंड सुहाना। वह इस वक़्त गुस्से में बौखलाई हुई थी क्योंकि उसे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि Ranveer उसकी दोस्त को छोड़कर किसी और लड़की के पास जाएगा। भले ही सुहाना जानती थी कि रणवीर और खुशी के बीच कोई रिश्ता नहीं था क्योंकि कभी भी खुशी ने रणवीर को अपना नहीं माना था, लेकिन फिर भी वह अपनी दोस्त के पति को किसी और के साथ बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।
ऐसे ही न्यूज़ चलते हुए शाम हो गई। धीरे-धीरे खुशी की नींद खुली। जब उसने अपनी आँखें चारों तरफ़ घुमाईं तो खुद को शिद्दत से देखते हुए रणवीर को पाया। रणवीर उसे अपनी तरफ़ इतनी प्यार भरी नज़रों से देख रहा था कि खुशी अपनी नज़रें झुका लेती है। रणवीर ने खुशी को अच्छे से अपनी बाहों में एडजस्ट करते हुए कहा, "क्या हुआ? शर्म आ रही है?" लेकिन खुशी कुछ नहीं बोली। वह चुपचाप रणवीर की बाहों में ऐसे ही बैठी रही क्योंकि खुशी को एहसास था कि इस वक़्त उसने कोई भी कपड़ा नहीं पहना था और न ही रणवीर ने कोई कपड़ा पहना था, तो वह कैसे रणवीर को फ़ेस कर सकती थी।
रणवीर खुशी की झिझक और शर्म को बहुत अच्छे से महसूस कर सकता था। इसीलिए वह ज़्यादा कुछ नहीं कहा और खुशी को अपनी बाहों में उठाकर वॉशरूम में चला गया। खुशी को कुछ महसूस हो रहा था, लेकिन वह कुछ नहीं बोली। रणवीर ने खुशी को बाथटब में लिटा दिया जिसमें ऑटोमेटिकली ही गर्म पानी भरने लगा। खुशी को कुछ हद तक आराम मिल रहा था। क्योंकि खुशी और रणवीर दोनों का यह फ़र्स्ट टाइम था, तो दोनों को ही दर्द हो रहा था। लेकिन लड़कियों की तुलना में लड़कों को यह दर्द कुछ कम मात्रा में होता है।
खुशी बाथटब में आराम से आँखें बंद करके लेटी हुई थी। वहीं रणवीर शॉवर के नीचे खड़ा शॉवर ले रहा था। रणवीर को अपने और खुशी के साथ बिताए हर वह लम्हा याद आने लगा और रणवीर के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ गई। और वह अपनी आँखें बंद करके अपनी उंगलियों को अपने बालों में फँसाते हुए, उन्हें ऊपर करते हुए कहा, "बीवी, आप मुझसे दूर जाने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। कल आपने खुद पर मुझे अधिकार देकर सारे रास्तों को खुद ही बंद कर दिया है। अब आप चाहकर भी मुझसे दूर नहीं जा सकतीं क्योंकि मैं ऐसा हरगिज़ नहीं होने दूँगा।"
कहीं दूसरी तरफ़, नीचे हॉल में सब लोग परेशान थे। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि रणवीर की बाहों में यह लड़की कौन है। तभी रणवीर का भाई समर बोला, "आप लोग क्यों टेंशन ले रहे हो? आप ये फ़ोटोस ज़रा ध्यान से देखो। ये भाभी हैं और कोई नहीं है। देखो, भाभी के हाथ में जो चूड़ा है, यही चूड़ा तो कल भाभी ने पहना था और यही ड्रेस भाभी ने कल पहनी थी। तो जिसने भी ये फ़ोटो वायरल की है, उसने जानबूझकर भाभी के चेहरे को ब्लर रखा है जिससे भाभी और भाई के बीच में मिसअंडरस्टैंडिंग हो और ये कौन कर सकता है, ये हम सब लोग बहुत अच्छे से जानते हैं। तो ज़्यादा ओवरथिंक या ओवरऐक्ट करने की ज़रूरत नहीं है। जब तक भाई खुद इस मैटर में कुछ नहीं करते हैं, हम लोग उनसे कुछ सवाल नहीं कर सकते, वरना वो हम सब के साथ क्या करेंगे, हम सभी नहीं जानते।"
समर की बात सबको सही लगती है। तभी सुहाना समर के पास आकर खड़ी हो जाती है और कहती है, "अगर ये मेरी खुशी नहीं हुई ना और अगर तुम्हारे भाई ने मेरी खुशी को चीट किया तो, I swear समर, मैं खुशी को लेकर गायब हो जाऊँगी और तुम और तुम्हारा वो जंगली भाई कभी भी मेरी खुशी तक पहुँच नहीं पाओगे। याद रखना मेरी बात को।"
समर अपनी आँखों में घुसा लाकर सुहाना की तरफ़ देखकर कहता है, "खुद तो अपनी मोहब्बत के लिए कभी स्टैंड नहीं ले पाई और मुझे सिखा रही हैं। जो स्टैंड तुम अपनी दोस्ती में लेती हो ना, अगर यही स्टैंड तुमने एक परसेंट भी हमारे रिश्ते में लिया होता ना सुहाना, तो आज हम दोनों साथ होते, जो एक-दूसरे के बिना ज़िंदगी नहीं बिता रहे होते।" मेरे इस हँसते-खेलते चेहरे के पीछे एक हारा हुआ समर छुपा है जो अपनी ही मोहब्बत को अपनी मोहब्बत का यकीन दिला पाया। समर वहाँ से चला जाता है। समर के जाते ही सुहाना की आँखों में आँसुओं के कुछ बूँद दिखाई देती हैं, लेकिन वह आँसुओं को अपनी आँखों से बाहर नहीं आने देती।
रणवीर अब खुशी को बिल्कुल परेशान नहीं करता। खुशी को अच्छे से शॉवर दिलाकर, वह उसे कमरे में लाकर बेड पर लेटा देता है। क्योंकि तब तक रणवीर का रोबोट, जो रणवीर ने ख़ास अपने लिए बनाया था, जिसके बारे में कोई नहीं जानता था, जो सिर्फ़ इस फ़्लोर पर ही मौजूद था और इस फ़्लोर का सारा काम सही करता था, इसीलिए रणवीर के कमरे से जाते ही वह पूरे तरीके से कमरे को साफ़ कर चुका था। बेडशीट वगैरह सब बदल दिया था उसने। खुशी रणवीर की तरफ़ देखती है। रणवीर क्लोज़ेट में से खुशी के कपड़े लाकर उसे पहनने के लिए देता है और खुद भी अपने कपड़े पहनने के लिए क्लोज़ेट रूम में चला जाता है। तभी एक बार फिर रणवीर का फ़ोन वाइब्रेट होता है और साइड टेबल पर रखा था, इसीलिए खुशी वो फ़ोन देख लेती है और जल्दी से उसे उठाकर अपने कान पर लगाती है। तभी दूसरी तरफ़ से एक घबराई हुई आवाज़ आती है।
किसकी इतनी घबराई हुई आवाज़ आई थी? क्या हुआ है? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं कल।
रणबीर ने खुशी को बिल्कुल परेशान नहीं किया। उसे अच्छे से शावर दिलवाकर, वह उसे कमरे में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। क्योंकि तब तक रणबीर का रोबोट, जो रणबीर ने खास अपने लिए बनाया था, जिसके बारे में कोई नहीं जानता था, जो सिर्फ़ इस फ्लोर पर ही मौजूद था और इस फ्लोर का सारा काम सही करता था, रणवीर के कमरे से जाते ही पूरे तरीके से कमरे को साफ़ कर चुका था। बिस्तरशीट वगैरह सब बदल दिया था उसने। खुशी रणवीर की तरफ़ देख रही थी। रणबीर क्लोजेट से खुशी के कपड़े लाकर उसे पहना दिए और खुद भी अपने कपड़े पहनने के लिए क्लोजेट रूम में चला गया। तभी एक बार फिर रणबीर का फ़ोन वाइब्रेट हुआ, जो साइड टेबल पर रखा था। इसलिए खुशी ने वह फ़ोन देख लिया और जल्दी से उसे उठाकर अपने कान पर लगा लिया। तभी दूसरी तरफ़ से एक घबराई हुई आवाज़ आई।
"सर, आपकी फ़ोटो बहुत वायरल हो रही है। प्लीज़ आप जल्दी बताइए मैं क्या करूँ? क्योंकि हमारी पूरी टीम आपके बिना कोई भी एक्शन नहीं ले सकती है। प्लीज़ सर, इससे आपकी इमेज पर बहुत असर पड़ रहा है और अगर मैडम को इस बारे में पता चला तो बहुत बड़ा हंगामा खड़ा हो जाएगा। प्लीज़ सर, जल्दी कीजिए।"
मैनेजर के कानों में अचानक से खुशी की आवाज़ पड़ी।
"उसकी फ़ोटो है। अभी के अभी भेजो और हाँ, टीम से बोलो कि वो रेडी रहे। मैं फ़ोटो देखने के बाद बताती हूँ कि आप लोगों को क्या करना है।"
मैनेजर की हालत मैडम की आवाज़ सुनकर ख़राब हो गई, क्योंकि मैनेजर बहुत अच्छे से जानता था कि रणबीर अपनी पत्नी से कितना प्यार करता है और उसे कभी धोखा नहीं दे सकता।
मैनेजर ने जल्दी से उस तस्वीर का लिंक खुशी को भेज दिया। खुशी ने जब वह तस्वीर देखी तो वह समझ गई कि यह तस्वीर उन दोनों की ही है। इसलिए उसने तुरंत मैनेजर को फ़ोन करके कहा, "यह तस्वीर मेरी और तुम्हारे सर की है। तो मैं अनाउंसमेंट कर दो कि जो लड़की रणवीर मित्तल की बाहों में है, वह रणवीर मित्तल की पत्नी है।"
मैनेजर खुशी की बात सुनकर हैरान रह गया। क्योंकि यह खुशी थी जो अपनी शादी को पब्लिक नहीं करना चाहती थी। वरना अब तक रणबीर तो कब का अपनी शादी की अनाउंसमेंट कर चुका होता। लेकिन आज मैनेजर को बहुत खुशी हो रही थी। खुशी की बात सुनकर मैनेजर ने "ओके मैडम" बोलकर कॉल काट दी। और जल्दी ही एक खबर फिर से लोगों तक पहुँच चुकी थी।
"रणवीर मित्तल की बाहों में जो लड़की है, वह कोई और नहीं बल्कि रणवीर मित्तल की पत्नी, खुशी मित्तल है।" कुछ ही पलों में इस खबर ने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि रणवीर, जिसे हार्टलेस इंसान समझा जाता था, किसी से शादी करके मोहब्बत भी कर सकता है। लेकिन सब जान चुके थे। उन्होंने जो कमेंट्स इस फ़ोटो पर किए थे, वो बहुत जल्दी-जल्दी लोग अपने कमेंट्स डिलीट करके अच्छे-अच्छे कमेंट करने लगे और कैसा है यह बात लोग बहुत अच्छे से जानते हैं और किसी को भी अपनी ज़िन्दगी पर बात करने का कोई शौक नहीं था।
रणबीर जब शावर लेकर बाहर आया तो देखा कि खुशी उसके फ़ोन में लगी हुई थी। यह देखकर रणवीर क्लोजेट की तरफ़ चला गया। क्योंकि रणबीर के पास खुशी से छिपाने जैसा कुछ भी नहीं था। इसलिए खुशी के हाथ में अपना फ़ोन देखकर भी उसने कोई रिएक्शन नहीं दिया। 5 मिनट बाद जल्दी तैयार होकर जैसे ही वह खुशी के पास आया, खुशी ने उसे अपना फ़ोन दिखाया। वह खबर देखकर रणवीर की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।
खुशी पीछे से रणवीर को अपनी बाहों में भरकर अपना चेहरा रणवीर की पीठ पर टिकाकर बोली, "मैंने ठीक किया ना?"
रणबीर घूमकर खुशी को अपने सीने से लगाकर बोला, "तुमने बिलकुल ठीक किया और आगे भी तुम्हें जो ठीक लगे तुम करना। और एक बात, कभी भी किसी के आगे झुकना मत। अगर तुम किसी को जान से मारकर भी आ जाओगी ना, तब भी मैं तुम्हें हर तरीके से प्रोटेक्ट करूँगा। लेकिन कभी किसी के आगे खुद को मत झुकने देना, चाहे गलती तुम्हारी हो या नहीं। लेकिन रणवीर मित्तल की बीवी किसी के आगे नहीं झुकेगी, यह बात हमेशा अपने दिमाग में बिठाकर रखना।"
खुशी की आँखों में नमी आ गई। वह सोचने लगी अपने पिछले जीवन में उसने रणवीर पर ध्यान क्यों नहीं दिया। वह उसके लिए कितनी मोहब्बत करता है, उसके लिए पूरी दुनिया से लड़ने को तैयार है। खुशी के हर फैसले में उसके साथ है, अच्छा-बुरा जो भी है लेकिन वह कभी खुशी से सवाल-जवाब नहीं करता। वह क्या ही चाहता था खुशी से? सिर्फ उसका वक़्त, उसकी मोहब्बत। लेकिन पिछले जीवन में खुशी उसे वो भी नहीं दे पाई थी। क्या वह अपनी नफ़रत में इतनी अंधी हो गई थी कि उसने इतनी सच्ची मोहब्बत करने वाले इंसान को छोड़कर उसे दो कौड़ी के आदमी के पास चली गई थी?
खुशी के दिमाग में फिर नमन आहूजा का ख्याल आया। खुशी रणवीर की तरफ़ देखकर बोली, "मैं चाहती हूँ कि अपना और मेरा डीएनए टेस्ट करवाएँ। क्योंकि मुझे पता चला है कि मेरी सो कॉल्ड फैमिली ने मुझे किडनैप किया था। हो सकता है नमन आहूजा और आहूजा फैमिली मेरी अपनी फैमिली हो।"
रणबीर खुशी के माथे को चूमकर बोला, "तुमने बोला, मैंने कर दिया। कल शाम को रिपोर्ट तुम्हारे हाथों में होगी और हाँ, जो भी इन्वेस्टिगेशन तुम करवाना चाहती हो, वो भी तुम्हारे हाथ में होगी। फ़िक्र मत करो।"
खुशी रणवीर की तरफ़ अपने हाथ बढ़ाते हुए बोली, "मुझे नीचे ले चलो, मुझे चला नहीं जा रहा। तुमने मुझे बहुत परेशान किया है।" रणबीर के चेहरे पर एक मुस्कराहट आ गई। तभी खुशी ने रणबीर के चेहरे को अपने दोनों हाथों में भरकर बोला, "आप मुस्कुराते हुए बहुत अच्छे लगते हैं। रणबीर, अपनी इस मुस्कराहट को कभी किसी के लिए ख़त्म मत करना और एक बात, हमेशा सिर्फ़ मुझसे मोहब्बत करना, हमेशा सिर्फ़ मेरे बनकर रहना। इसके अलावा मुझे आपसे कभी कुछ नहीं चाहिए, वीर।"
रणबीर खुशी के चेहरे को अपने हाथों में लेकर बोला, "एक बार फिर बोलो, तुमने क्या बोला?"
खुशी रणवीर की तरफ़ मुस्कुरा कर देखते हुए बोली, "फिर से, खुशी के वीर।"
रणबीर खुश होकर खुशी के पूरे चेहरे को चूमने लगा। वही उसके ऐसे चूमने से खुशी की आँखों में फिर से नमी आ गई।
रणबीर खुशी को अपनी बाहों में लेकर अपने कमरे से बाहर निकल गया। जैसे ही वे दोनों सीढ़ियों से नीचे आ रहे थे, अचानक से कोई धमाके की आवाज़ के साथ नीचे गिर गया।
कौन गिरा? रणबीर और खुशी को एक साथ देखकर क्या यह आने वाले खतरे का अंदेशा है या कुछ और? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में। अगर इस एपिसोड पर 10 से ज़्यादा कमेंट्स आते हैं तो...
खुशी, रणवीर की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए, बोली, "फिर खुशी के वीर।"
रणबीर खुश होकर खुशी के पूरे चेहरे को चूमने लगा। उसके ऐसे चूमने से खुशी की आँखों में फिर से नमी आ गई।
रणबीर खुशी को अपनी बाहों में लेकर अपने कमरे से बाहर निकल गया। जैसे ही वे दोनों सीढ़ियों से नीचे आये, अचानक धमाके की आवाज़ के साथ कोई नीचे गिर गया।
आवाज़ सुनकर सब लोग उधर देखने लगे। वहाँ पर रणवीर का खास दोस्त, वेदांश अग्निहोत्री, गिरा हुआ था। क्योंकि उसे यकीन नहीं हुआ था कि खड़ूस रणवीर मित्तल किसी की इतनी परवाह कर सकता है। आइए जानते हैं वेदांश अग्निहोत्री के बारे में...
मित्तल कॉर्पोरेशन के बाद दूसरे नंबर पर आने वाली अग्निहोत्री कॉर्पोरेशन का सीईओ है वेदांश अग्निहोत्री। वेदांश और रणबीर बचपन के दोस्त हैं। दोनों के बीच कोई सीक्रेट नहीं है। दोनों एक-दूसरे की सीक्रेट आइडेंटिटी से भी वाकिफ हैं और एक-दूसरे की क्रुएलिटी से भी। जहाँ रणवीर हमेशा लो-प्रोफाइल रहता है, उसे कम बोलना पसंद है और वह काफी खतरनाक है, वहीं दूसरी तरफ है वेदांश अग्निहोत्री। वेदांश रणवीर से बिल्कुल उलट है। वह हमेशा शरारत करता, मुस्कुराता रहता है। लेकिन इस मुस्कुराते चेहरे के पीछे भी एक दर्द भरी कहानी है।
रणबीर नीचे आकर डाइनिंग टेबल पर एक कुर्सी खींची और उस पर खुशी को बिठाकर, वेदांश की तरफ देखकर कहा, "अगर तुम्हारा ड्रामा हो गया हो तो उठने का कष्ट करोगे?" रणबीर की इतनी भयानक आवाज़ सुनकर सब लोग चुपचाप डाइनिंग टेबल पर पहुँच गए। तभी रणवीर की बहन, कोयल, उसकी तरफ देखकर बोली, "भाई, आज की न्यूज़ देखी आपने...?"
रणबीर, अपनी बहन की तरफ देखे बिना, बोला, "कोयल, अपने काम से काम रखो। क्योंकि रणवीर मित्तल की कोई भी न्यूज़, उसकी मर्ज़ी के बिना वायरल नहीं हो सकती। यह बात हमेशा याद रखना। और हाँ, उस फोटो में तुम्हारी भाभी थी, इसीलिए वह न्यूज़ वायरल हुई। वरना किसी की इतनी औकात नहीं है जो रणवीर मित्तल की बिना इज़ाजत के उसकी एक नाखून की भी फोटो ले सके। वह फोटो मैंने खुद खींचने दी और मैंने खुद ही उसे वायरल होने दिया। ठीक है? अब इस बारे में कोई डिस्कस नहीं होगा। सब लोग चुपचाप डिनर करो..."
सब लोग चुपचाप अपना डिनर करते रहे। उसके बाद सब लोग हाल में जाकर बैठ गए। कविता जी वेदांश की तरफ देखकर बोलीं, "कब तक उसकी यादों के सहारे अपनी ज़िन्दगी बिताने का इरादा है तुम्हारा? वह मेरी बेटी थी। उसके जाने का मुझे भी दुःख है, वेदांश, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम उसकी वजह से अपनी ज़िन्दगी खराब कर लोगे। पूरी ज़िन्दगी पड़ी है तुम्हारे आगे। 3 महीने की शादी थी तुम दोनों की, और 3 महीने में एक-दूसरे को जान भी नहीं पाओगे तुम अच्छे से..."
कविता जी की बात सुनकर वेदांश का चेहरा अचानक से इमोशनलेस हो गया और वह एक डार्क एक्सप्रेशन के साथ कविता जी की तरफ देखकर बोला, "माँ, मेरी शादी चाहे 3 महीने की थी या तीन जन्मों की, लेकिन मेरी ज़िन्दगी में पाखी की जगह कोई नहीं ले सकता। वह मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत थी। भले ही उसे मुझसे मोहब्बत नहीं थी, लेकिन मैं तो उसे बचपन से चाहता था ना। वह उसकी जगह मेरी ज़िन्दगी में किसी को नहीं ले सकता। और आज के बाद मैं नहीं चाहता कि आप इस बारे में कोई बात डिस्कस करें..."
कविता जी वेदांश की बात सुनकर शांत रह गईं। कौन है पाखी और क्या रिश्ता था उसका वेदांश से? यह तो आगे वाले एपिसोड में ही पता चलेगा। फ़िलहाल के लिए, बैक टू द स्टोरी...
वेदांश रणवीर की तरफ देखकर बोला, "तेरे और भाभी के बीच अगर सब कुछ ठीक हो गया था, तो तूने मुझे क्यों नहीं बताया...?"
रणवीर, खा जाने वाली नज़रों से वेदांश को देखकर बोला, "क्यों? मैं अपनी पर्सनल लाइफ की सारी न्यूज़ तो उसे शेयर करूँ?" रणवीर की बात सुनकर वेदांश चुप रह गया। वही सब लोग धीरे-धीरे अपने कमरे में चले गए। रणवीर वेदांश को स्टडी रूम में आने का इशारा किया और खुद खुशी को अपनी बाहों में भर अपने कमरे की तरफ़ चला गया।
रणबीर खुशी को आराम से बिस्तर पर लिटाकर, उसके माथे को चूमकर बोला, "रेस्ट करो, थक गई हो। मुझे वेदांश से कुछ ज़रूरी काम है, तो मैं थोड़ी देर में आता हूँ। और हाँ, यहाँ से हिलने की कोशिश मत करना, वरना मैं फिर से शुरू हो जाऊँगा और तुम एक हफ़्ते तक बिस्तर से उठ नहीं पाओगी।" रणवीर की इतनी बेशर्मी भरी बात सुनकर खुशी का चेहरा लाल पड़ गया और वह ऐसा महसूस कर रही थी जैसे उसके कानों से धुआँ निकल रहा है। वह चुपचाप अपनी आँखें बंद करके लेट गई।
A.C का टेंपरेचर सेट करके, अच्छे से खुशी को कंबल ओढ़ाकर, रणवीर कमरे से बाहर चला गया। रणवीर ने कमरे को बाहर से लॉक कर दिया था ताकि खुशी वहाँ से बाहर जाने की कोशिश न कर सके। वहीं खुशी के दिमाग में वेदांश का चेहरा आ रहा था और उसे अपने पिछले जन्म की कुछ यादें आ रही थीं। खुशी जानती थी कि वेदांश और रणवीर सच्चाई छुपा रहे हैं। पाखी उसकी नहीं थी, बल्कि वह किसी दूसरे लड़के के साथ भाग गई थी, शादी के 3 महीने बाद। और मित्तल फैमिली की बदनामी ना हो, इसीलिए वेदांश और रणवीर ने मिलकर यह सारा नाटक रचा था। वह सब कुछ जानती थी और यह भी जानती थी कि थोड़े वक़्त बाद पाखी वापस लौटकर आने वाली है।
खुशी अभी अपनी यादों में ही खोई हुई थी। क्योंकि थोड़े टाइम बाद, जब पाखी के पास पैसे खत्म हो जाते हैं, तो वह लड़का पाखी को छोड़कर चला जाता है। बाकी अब तक हालात बिगड़ चुके थे, इसीलिए वह वापस आ जाती है। लेकिन सबको वह झूठी कहानी सुना देती है और वेदांश को मजबूरी में पाखी को अपने साथ रखना पड़ता है। खुशी अभी अपनी यादों में ही खोई हुई थी। तभी उसे कुछ याद आता है और उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं।
खुशी अपने चेहरे को ऊपर कर, आसमान की तरफ देखकर बोली, "ऊपर वाले, हे महादेव! आप तो जानते हैं ना, पाखी बिल्कुल वैसी नहीं है जैसे यह परिवार है। वह इस परिवार के लिए एक श्राप है। वह इस पूरे परिवार को बर्बाद करने के लिए आएगी। और मैं यह भी जानती हूँ, वेदांश और कोयल के दिल में एक-दूसरे के लिए मोहब्बत है, लेकिन दोनों ही एक-दूसरे से इज़हार नहीं करना चाहते। ऐसा कुछ कर दो ना महादेव, कि पाखी के आने से पहले वेदांश और कोयल की शादी हो जाए..."
क्योंकि पाखी के आने के बाद मजबूरी में ही वेदांश को पाखी को अपनाना पड़ता है और कोयल की शादी कहीं और हो जाती है। लेकिन कोयल वेदांश के अलावा किसी से मोहब्बत नहीं कर पाई थी। इसीलिए उसके पति का बाहर अफ़ेयर चल गया था और इस चक्कर में उसने कोयल को जान से मार दिया था। और इन सब में रणवीर अपनी दोनों बहनों के बीच फँस चुका था। इसीलिए वह पाखी का साथ देता है और कोयल की मौत को एक हादसा बताकर वहीं छोड़ देता है। लेकिन जब रणवीर को पाखी की हकीकत पता चली थी, तो रणवीर पूरी तरीके से टूट जाता है, क्योंकि कोयल के पति का जिसके साथ अफ़ेयर था, वह कोई और नहीं, पाखी थी...
खुशी अपनी ही यादों में खोई हुई थी और धीरे-धीरे इन्हीं सब बातों को याद करते हुए वह गहरी नींद में सो गई।
स्टडी रूम में रणवीर और वेदांश एक-दूसरे के सामने बैठे थे। रणवीर वेदांश की तरफ़ देखकर बोला, "मैं चाहता हूँ कि तुम फैमिली वालों को पाखी की सच्चाई बता दो। सबको बता दो कि वह किसी और के लिए तुम्हें छोड़कर चली गई। वह दुनिया से नहीं गई, बल्कि तुम्हें छोड़कर दूसरे देश भाग गई है..."
वेदांश, अपनी आँखों में कठोरता लिए हुए, बोला, "मैं नहीं चाहता कि उसके किए गए कर्मों की वजह से माँ, पापा, दादा-दादी, किसी को भी दर्द, तकलीफ़ हो। जो जैसा चल रहा है, उसे चलने दो..."
अचानक से बाहर कुछ गिरने की आवाज़ आई। दोनों लोग जब बाहर जाकर देखते हैं, तो कोयल अपने कमरे से बाहर निकल रही थी। वह लड़खड़ा रही थी। रणवीर जल्दी से जाकर कोयल को थाम लेता है और कहता है, "तुमने ड्रिंक किया है, कोयल?" कोयल, रणवीर को अपने पास देखकर एकदम से हड़बड़ा जाती है और कहती है, "नहीं भाई, मैंने ड्रिंक नहीं किया। मैंने तो आपका जूस पिया था, जो आपने अपने स्टडी रूम में रखा था। मैंने तो ड्रिंक नहीं किया। आपको पता है ना, कोयल अच्छी बच्ची है, वह ड्रिंक नहीं करती..."
रणवीर वेदांश की तरफ़ देखकर बोला, "इसे इसके कमरे तक छोड़कर आओ। तब तक मैं खुशी को देखता हूँ, वह सो रही है या जाग रही है।" रणवीर वेदांश के दिल से अनजान नहीं था। इसीलिए वह चाहता था कि शायद ही सही, कोयल अपने दिल की बात वेदांश को बता दे और उसके दोस्त और उसकी बहन की ज़िन्दगी सुधर जाए। एक लड़की की वजह से दो-दो ज़िन्दगियाँ बर्बाद हो रही थीं...
अचानक से कोयल ऐसा कुछ करती है कि वेदांश की आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं।
क्या किया कोयल ने? वेदांश के साथ क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में...
रणबीर ने वेदांश की तरफ देखकर कहा, "इसे इसके कमरे तक छोड़कर आओ। तब तक मैं खुशी को देखता हूँ, वह सो रही है या जाग रही है।" रणबीर वेदांश के दिल से अनजान नहीं था। इसीलिए वह चाहता था, नशे में ही सही, कोयल अपने दिल की बात वेदांश को बता दे और उसके दोस्त और उसकी बहन की ज़िंदगी सुधर जाए। एक लड़की की वजह से दो-दो ज़िंदगियाँ बर्बाद हो रही थीं।
वेदांश जैसे ही कोयल को अपनी बाहों में उठाकर उसके कमरे की तरफ जाता है, वैसे ही कोयल जल्दी से वेदांश के होंठों को अपने लबों में कैद कर लेती है। कोयल ने यह सब इतनी जल्दी किया था कि वेदांश को रिएक्ट करने का मौका ही नहीं मिला।
कोयल की हरकत पर, जब वेदांश अपने होश में वापस आता है, वह झटके से कोयल को उठाकर उसके बेड पर फेंक देता है और गुस्से में उसके जबड़े पर हाथ मारकर कहता है, "तुम अपने भाई को बेवकूफ बना सकती हो, नशे की एक्टिंग करके। मुझे नहीं, तुम्हारी हर एक राग से बहुत अच्छे से वाकिफ हूँ। इसीलिए मेरी एक बात कान खोलकर सुन लो, मैं तुम्हें कभी नहीं अपना सकता। इसलिए मेरे ख़्वाब देखना बंद करो।"
कोयल आराम से बेड पर से उठकर खड़ी हो जाती है और वेदांश के पास जाकर कहती है, "मैं प्यार करती हूँ आपसे, वेदांश जी।"
वेदांश गुस्से में कोयल की तरफ देखकर कहता है, "तो मुझे शर्म नहीं आती? अपने जीजा से इस तरह की बात करते हुए? और सच में, तुम्हारी हरकतें देखकर मुझे बहुत अफ़सोस होता है कि तुम रणबीर की बहन हो।"
कोयल वेदांश के पास जाकर कहती है, "मुझे अपना लीजिए, वेदांश जी। बहुत मोहब्बत करती हूँ आपसे। आपके बिना जी नहीं पाऊँगी। प्लीज, मुझे अपना लीजिए।"
वेदांश कोयल से दो कदम दूर हट जाता है और गुस्से में कोयल की तरफ देखकर कहता है, "तुम्हारे जैसी बेशर्म लड़की मैंने आज तक नहीं देखी। मैं इतनी लड़कियों से मिला हूँ, लेकिन तुम्हारे अंदर यह बेशर्मी की क्वालिटी इतनी ज़्यादा है कि मैं, या कोई भी अच्छे घर का लड़का, तुमसे शादी नहीं करना चाहेगा।"
कोयल वेदांश के कदमों में बैठकर वेदांश के पैर को पकड़कर कहती है, "मैं आपसे बहुत मोहब्बत करती हूँ। आपके बिना जी नहीं सकती। कहाँ गए मेरे वह वेद जी, जो मेरी छोटी सी खरोच पर भी बौखला जाते थे? आज आपको मेरे दिल का दर्द दिखाई नहीं देता? आपको दिखाई नहीं देता कि मैं कितने दर्द में हूँ?"
वेदांश अपने पैर को झटके से कोयल के हाथ से छुड़ा लेता है और गुस्से में कोयल के बालों को मुट्ठी में पकड़कर कहता है, "कुछ तो अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट का ख्याल करो, कोयल! तुम्हें देखकर मुझे नफ़रत होने लगी है कि तुम्हारे अंदर सेल्फ रिस्पेक्ट और आत्मसम्मान जैसी कोई चीज़ ही नहीं बची है। अरे, तुम प्यार की भीख माँग रही हो मुझसे! तुम्हें शर्म नहीं आ रही? अगर मैं तुम्हें भीख में अपना भी लूँ, तो तुम्हारी क्या इज़्ज़त रह जाएगी?"
वेदांश कोयल से यह सब कुछ कह रहा था, लेकिन उसका दिल हज़ार टुकड़ों में टूट रहा था। वेदांश जानता था, अगर आज वह खुद को मज़बूत नहीं करेगा, तो आगे चलकर कोयल की ज़िंदगी बर्बाद हो सकती थी और वह ऐसा कभी नहीं चाहता था।
कोयल उठकर खड़ी हो जाती है और अपने आँखों से आँसू साफ़ करके कहती है, "ठीक है, वेदांश जी। आज के बाद मैं, कोयल मित्तल, आपको वचन देती हूँ कि मैं कभी भी आपके रास्ते में नहीं आऊँगी। आपने सही कहा। अगर मैं अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट को कुचलकर आपको पा लूँगी, तब भी मैं आपके साथ खुश नहीं रह पाऊँगी।"
"वेदांश अग्निहोत्री, मैं आपसे इतनी दूर चली जाऊँगी कि आप मेरे पास आना चाहोगे ना तब भी आ नहीं पाओगे। और आज के बाद मैं आपके आगे कभी नहीं आऊँगी। अब आप एक नई कोयल को देखेंगे, जिसके सीने में दिल नहीं, पत्थर होगा। वह भी आपकी तरह एक हार्टलेस पर्सन होगी। जैसे आज आपने मेरा दिल तोड़ा है ना, ऐसे ही एक दिन आपको आपके कहे गए इन शब्दों पर अफ़सोस होगा। यह वचन है मेरा आपसे।"
वेदांश अपने कठोर चेहरे के साथ, बिना किसी एक्सप्रेशन के, कोयल के चेहरे को देख रहा था, जैसे वह कोयल के चेहरे पर कुछ ढूँढने की कोशिश कर रहा था।
कोयल बिना वेदांश को देखे कहती है, "आप मेरे कमरे से जा सकते हैं। और आज के बाद इस कमरे में आपको आने की ज़रूरत नहीं है। आप मेरे भाई के दोस्त हैं, तो उन तक ही रहिए।"
कोयल वेदांश का हाथ पकड़कर उसे अपने कमरे से बाहर करके कमरे का गेट अंदर से बंद कर लेती है। वहीं गेट के सहारे बैठकर अपने मुँह पर हाथ रखकर रोने लगती है। वहीं, गेट के दूसरी तरफ़, वेदांश भी उसे गेट से पीठ टिकाकर बैठ जाता है। उसकी आँखों में भी आँसू थे, लेकिन आज उसने कोयल का दिल बहुत बेरहमी से तोड़ा था और शायद अब वह दिल कभी जोड़ने वाला नहीं था। अब वेदांश कोशिश भी करेगा, तब भी वह दिल बहुत मुश्किल से जुड़ेगा।
दूसरी तरफ़, रणवीर जैसे ही अपने कमरे में पहुँचता है, देखता है उसकी मासूम सी बीवी, दुनिया से बेख़बर, बिस्तर पर फैलकर सोई हुई थी। उसे अपने कपड़ों का भी होश नहीं था कि उसके कपड़े उसके शरीर पर इधर-उधर बिखरे हुए थे। वहीं रणवीर हसरत भरी नज़रों से खुशी को देख रहा था। फिर वह उसके पास जाकर उसे अच्छे से ब्लैंकेट से ढँकता है और उसके माथे को चूम लेता है, और उसकी साइड में आकर उसे अपनी बाहों में भर लेता है। अपनी आँखें बंद कर लेता है और गहरी नींद के आगोश में चला जाता है।
अगली सुबह सबके लिए कुछ ना कुछ लाने वाली थी; किसी के लिए नफ़रत, किसी के लिए मोहब्बत, तो किसी के लिए झटका। अब किसको क्या मिलने वाला था, यह तो सुबह ही पता चलेगा।
अगली सुबह, पूरा मित्तल परिवार डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था। सभी लोग चुपचाप अपना ब्रेकफ़ास्ट कर रहे थे। तभी सबके कानों में हील्स की टकटक की आवाज़ आती है। सब लोग उधर देखते हैं, तो ऊपर से कोयल उतर कर आ रही थी। आज उसने एक बिज़नेस सूट पहना हुआ था। अब वह सबके पास जाकर सबको गुड मॉर्निंग विश करके चुपचाप अपना ब्रेकफ़ास्ट करने लगती है। सबकी नज़र आज कोयल पर थी, क्योंकि आज कोयल को देखकर उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे यह नई कोयल है, जिन्हें वे जानते ही नहीं। वहीं, वेदांश की नज़रें कोयल के चेहरे पर टिकी हुई थीं, लेकिन कोयल ने एक बार भी वेदांश की तरफ़ नहीं देखा था।
ब्रेकफ़ास्ट होने के बाद, कोयल अपनी जगह से खड़ी होकर पूरी फैमिली की तरफ़ देखकर कहती है, "मैं आप लोगों को कुछ बताना चाहती हूँ।" सब लोग कोयल की तरफ़ देखते हैं। कोयल बोलना शुरू करती है, "मैं लंदन वाली ब्रांच संभालना चाहती हूँ। इसीलिए आज दोपहर 12:00 बजे मेरी लंदन की फ़्लाइट है और मैं वहीं जा रही हूँ। और मैं हमेशा के लिए वहीं शिफ़्ट होना चाहती हूँ। और भाई, मैं अब इंडिया कभी वापस नहीं आऊँगी। अगर आप नहीं चाहते कि मैं आपकी लंदन वाली ब्रांच संभालूँ, तो आप मुझे बता दीजिएगा, मैं अपने लिए कोई जॉब देख लूँगी।" अपनी बात कहकर कोयल वहाँ से अपना बैग लेकर चली जाती है। सब लोग हैरानी से मुँह खोले कोयल को जाते हुए देख रहे थे, लेकिन किसी ने भी उसे रोकने की कोशिश नहीं की, क्योंकि कोयल के बोलने के तरीके से सभी समझ चुके थे कि कोयल इस वक़्त गुस्से में है और इस वक़्त उसे कुछ कहना सही नहीं होगा।
कोयल के जाने के कुछ देर बाद, सब लोग अपने-अपने ऑफ़िस के लिए निकल जाते हैं। वहीं खुशी अपने कमरे में चली जाती है, क्योंकि उसे आगे का प्लान बनाना था।
रणबीर और वेदांश एक ही कार में बैठकर ऑफ़िस जा रहे थे। रणवीर बिना वेदांश की तरफ़ देखे कहता है, "तुमने एक बार फिर मेरी बहन का दिल तोड़ दिया, ना? और इस बार ऐसा तोड़ा है कि उसे संभालने में बहुत वक़्त लगने वाला है। अगर तुम उससे प्यार नहीं करते, तो तुम उससे प्यार से मना भी कर सकते थे। वेदांश, मैं जानता हूँ कि तुम भी उससे प्यार करते हो, तो तुम क्यों कोयल के प्यार को अपनाना नहीं चाहते? तुम सारी सच्चाई जानते हुए भी उसे धोखेबाज़ लड़की कहकर खुद को क्यों सज़ा दे रहे हो?"
अचानक से एक जोर का धमाका होता है। सब लोग हैरानी से उस धमाके की तरफ़ देखने लगते हैं। सारी गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए थे। दूर-दूर तक सिर्फ़ आग की लपटें दिखाई दे रही थीं। "किसके साथ हुआ है यह हादसा?"
कैसा धमाका था? क्या कोयल, रणबीर और वेदांश को कुछ हुआ है? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।
रणबीर और वेदांश एक ही कार में बैठकर ऑफिस जा रहे थे। रणबीर, वेदांश की तरफ़ देखे बिना, बोला, "तुमने एक बार फिर मेरी बहन का दिल तोड़ दिया ना? और इस बार ऐसा तोड़ा है कि उसे संभालने में बहुत वक्त लगने वाला है। अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करते, तो तुम मुझसे प्यार से मना भी कर सकते हो। वेदांश, मैं जानता हूँ कि तुम भी उससे प्यार करते हो, तो तुम क्यों कोयल के प्यार को अपनाना नहीं चाहते? तुम सारी सच्चाई जानते हुए भी उसे धोखेबाज़ लड़की के लिए खुद को क्यों सजा दे रहे हो?"
अचानक एक जोर का धमाका हुआ। सब लोग हैरानी से धमाके की तरफ़ देखने लगे। सारी गाड़ियों के परखच्चे उड़ गए थे। दूर-दूर तक सिर्फ़ आग की लपटें दिखाई दे रही थीं। "किसके साथ हुआ है यह हादसा?"
चारों तरफ़ न्यूज़ में वही हादसा दिखाया जा रहा था, लेकिन अभी तक किसी को यह समझ नहीं आया था कि वह हादसा आखिर हुआ कैसे और किसके साथ। अचानक खुशी की नज़र उस गाड़ी पर पड़ी। वह एकदम से खड़ी हो गई और बोली, "यह गाड़ी तो रणबीर की है! आज वह इसी गाड़ी से गया था।" जैसे ही सब लोग खुशी के मुँह से यह सुनते हैं, सब लोग हैरान रह जाते हैं। किसी को यकीन नहीं आ रहा था। वह सब लोग जल्दी से उस जगह पर पहुँच जाते हैं।
सब लोग हैरानी से उन गाड़ियों को देख रहे थे जिन गाड़ियों में ब्लास्ट हुआ था। तभी कोई पीछे से खुशी के कंधे पर हाथ रखता है। जब खुशी मुड़कर पीछे देखती है, तो उसके पीछे रणबीर खड़ा था। खुशी रणबीर को देखकर उसके गले लग जाती है और रोने लगती है। रणबीर उसे अपने सीने से लगाकर कहता है, "रणबीर की जान इतनी सस्ती नहीं है कि कोई ऐरा-गैरा उसे उसके शरीर से अलग कर दे। और मैं इस प्लानिंग के बारे में पहले से जानता था। इसीलिए बीच रास्ते में ही मैंने सारी गाड़ियों को चेंज करवा दिया था। मैं तो यहाँ आना भी नहीं चाहता था, लेकिन मुझे घर के बॉडीगार्ड से पता चला कि आप सब लोग यहाँ हैं, इसीलिए यहाँ आया।" रणबीर को सही-सलामत देख सबकी जान में जान आ गई।
सब लोग वहाँ से मित्तल मेंशन के लिए निकल जाते हैं और अपने-अपने कमरों में चले जाते हैं क्योंकि आज के हादसे की वजह से सब लोग काफ़ी घबरा गए थे। वहीं रणबीर, खुशी को लेकर अपनी पर्सनल विला के लिए निकल जाता है क्योंकि वह यहाँ नहीं रहता था और वह इतने सारे लोगों के साथ रहना भी नहीं चाहता था क्योंकि वह अपनी बीवी के साथ अकेले में वक़्त बिताना चाहता था। इतनी मुश्किल से तो उसे अपनी बीवी का साथ मिला था। अभी वह दोनों मिलकर एंट्रेंस में पहुँचे ही थे कि खुशी का फ़ोन बजने लगता है, जिस पर रोहित नाम फ़्लैश हो रहा था। यह देखकर रणबीर गुस्से में अपनी मुट्ठी बंद कर लेता है।
खुशी, डर और घबराहट की वजह से रणबीर की तरफ़ देखने लगती है क्योंकि खुशी जानती थी रणबीर रोहित से कितनी नफ़रत करता है। लेकिन वह रणबीर का हाथ पकड़कर कहती है, "रणबीर, मैं एक साथ इन लोगों से रिश्ता ख़त्म नहीं कर सकती। मुझे अपना बदला लेना है, अपनी फैमिली के बारे में जानना है, और यह भी जानना है कि इन्होंने मेरे साथ इतना बड़ा फ़रेब क्यों किया। और मैं आज तुम्हें एक वादा ज़रूर देती हूँ कि खुशी सिर्फ़ रणबीर की है और हमेशा रणबीर की ही रहेगी।" खुशी की बात सुनकर रणबीर का गुस्सा थोड़ा कम हो जाता है, लेकिन पूरी तरह ख़त्म नहीं होता क्योंकि उसे रोहित पर सबसे ज़्यादा गुस्सा आता था क्योंकि वह हमेशा उसकी बीवी से चिपका रहता था।
खुशी रणबीर के हाथ को सहलाती रहती है तब तक फ़ोन कट चुका था। अब जाकर खुशी ने राहत की साँस ली थी। लेकिन अभी एक सेकंड भी नहीं बीता था कि उसके फ़ोन पर दोबारा से कॉल आने लगता है। जब वह फ़ोन देखती है, तो इस बार कंचन उसे कॉल कर रही थी। यह देखकर खुशी के चेहरे पर नफ़रत के भाव आ जाते हैं, और वह अपनी नफ़रत को छुपा नहीं पा रही थी। खुशी के चेहरे पर नफ़रत रणबीर साफ़ देख सकता था, लेकिन उसे यकीन नहीं आ रहा था कि अपनी फैमिली के लिए अपनी जान देने वाली खुशी एक रात में इतनी नफ़रत कैसे करने लगी अपने परिवार से? और उसे क्यों लगता है कि यह परिवार उसका नहीं है?
एक बार फिर कॉल बजकर कट चुका था, लेकिन किसी ने नहीं उठाया। अभी रणबीर खुशी के चेहरे को देखने की कोशिश ही कर रहा था कि एक बार फिर खुशी का फ़ोन बजने लगता है, और इस बार फ़ोन पर "पापा" नाम फ़्लैश हो रहा था। इस नाम को देखकर खुशी के चेहरे पर कड़वाहट से भरी मुस्कराहट आ जाती है, और वह फ़ोन उठाकर अपने कान से लगाती है। तभी दूसरी तरफ़ से एक गुस्से भरी आवाज़ आती है, "बदतमीज़ लड़की! हम लोग कितनी देर से तुझे कॉल कर रहे हैं और तू हमारे कॉल का जवाब नहीं दे रही? क्या रणवीर मित्तल से शादी करके अपनी औक़ात भूल गई है?"
"लड़की, तू नहीं जानती कि हमारा बिज़नेस इस वक़्त घाटे में चल रहा है। मैं तेरी शादी इसीलिए मिस्टर मित्तल से कराई थी कि तू अपनी फैमिली की मदद कर सके, लेकिन तू तो वहाँ जाकर हम सबको भूल गई। तुझे क्या लगता है मिस्टर मित्तल तेरी जैसी बेकार लड़की से शादी कर सकते हैं? नहीं! वह हमेशा से कंचन से शादी करना चाहते थे, लेकिन मैंने सोचा कि तू भी मेरी बेटी है, इसलिए मैंने तेरी शादी कर दी उनसे। और उनसे शादी के बाद तू अपनी औक़ात भूल गई है। चुपचाप मिस्टर मित्तल से बात कर और उन्हें हमारे बिज़नेस में इन्वेस्ट करने के लिए कंसल्ट कर। और अगर वह नहीं मानते हैं, तो अपने जिस्म का सौदा कर उनके साथ, रातें बिता! लेकिन हमारे बिज़नेस के लिए तुझे कैसे भी करके उन्हें मनाना होगा, वरना तू जानती है मैं मिस्टर बजाज के साथ तेरा सौदा कर दूँगा। उसके बाद तो तू किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहेगी।"
रणबीर, जो खुशी के पास ही बैठा था, मिस्टर शर्मा की बातें सुनकर उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। वह उसकी बीवी से इतनी बदतमीज़ी से कैसे बात कर सकते थे? बल्कि उसका सौदा करने की बात कर रहे थे! अब तो शर्मा इंडस्ट्रीज़ को बर्बाद होने से कोई नहीं बचा सकता था।
अचानक रणबीर के कानों में खुशी की बहुत कमज़ोर आवाज़ सुनाई देती है। "पापा, मैं कोशिश कर रही हूँ। मैंने उन्हें बहुत बार मनाया और जो उन्होंने कहा, मैंने वह किया। लेकिन वह शर्मा इंडस्ट्रीज़ जैसी छोटी कंपनी में क्यों इन्वेस्ट करेंगें, जबकि वह इस दुनिया के सबसे पावरफुल बिज़नेसमैन हैं, बिज़नेस टायकून, बिज़नेस ऑफ़ द ईयर? वह हमारी बात क्यों मानेंगे? या तो उनके पास आप कोई अच्छा सा प्रोजेक्ट लेकर जाएँ कि वह उसमें इंटरेस्ट लें, तो वह हमारी मदद कर सकते हैं। और आप जानते हैं ना, उनकी नज़रों में मेरी कोई हैसियत नहीं है। और आज तक आप लोगों के कहने से मैं हमेशा उनसे बदतमीज़ी ही की है, तो अब वह क्यों हमारी बात मानेंगे? यह तो आपको मुझे यह सब सिखाने से पहले सोचना चाहिए था। अगर मैं उनके साथ बदतमीज़ी नहीं करती, तो वह हमारी मदद करने को तैयार रहते।"
वही खुशी की बातें सुनकर रणबीर के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल थी क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बीवी मिस्टर शर्मा को बेवकूफ़ बनाने की कोशिश कर रही है। "मैं किसी के फैमिली का नाम भूल गई थी इसलिए मैंने शर्मा फ़ोन भी कर दिया है। अगर आपने से किसी को याद है तो प्लीज़ मुझे बताएँ तो मैं नाम चेंज कर दूँगी।"
फिर खुशी के कानों में दूसरी तरफ़ से आवाज़ आती है, "अगर तू मिस्टर मित्तल को हमारी मदद करने के लिए तैयार नहीं कर सकती है, तो..."
रणबीर का चेहरा गुस्से से लाल हो जाता है। ऐसा क्या कहा था मिस्टर शर्मा ने कि रणबीर अपने गुस्से को कंट्रोल नहीं कर पाया? जानने के लिए पढ़ते रहिए, मिलते हैं अगले एपिसोड में।
खुशी की बातें सुनकर रणबीर के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल थी क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बीवी मिस्टर शर्मा को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। "मैं किसी के फैमिली का नाम भूल गई थी इसलिए मैंने शर्मा फोन भी कर दिया है। अगर आपने से किसी को याद है तो प्लीज मुझे बताएं तो मैं नाम चेंज कर दूंगी।"
कभी खुशी के कानों में उधर की आवाज आई। "अगर तू मिस्टर मित्तल को हमारी मदद करने के लिए तैयार नहीं कर सकती है, तो तू खुद मिस्टर बजाज के साथ रात बिताने के लिए पहुंच जाना, क्योंकि यह डील तो मुझे किसी भी हाल में चाहिए। अब तुम क्या करना चाहती हो और क्या नहीं करना चाहती हो, वह तू सोच लेना।" और तुरंत ही कॉल कट हो गया।
मिस्टर शर्मा के कॉल कट करते ही खुशी के चेहरे पर एक डेविलिश स्माइल आ गई। 😡 और वह तुरंत ही अपने फोन से एक मैसेज टाइप करके भेज देती है। वहीं रणबीर उसके चेहरे की हर एक हरकत को नोटिस कर रहा था, लेकिन वह भी देखना चाहता था कि उसकी यह बीवी सिर्फ भोली-भाली है या इसका कोई और भी रूप है, क्योंकि आज उसने खुशी की आँखों में जो देखा था, वह मासूम और भोली-भाली तो बिल्कुल नहीं था।
थोड़ी देर बाद खुशी और रणबीर घर पहुँच चुके थे। घर पहुँचते ही रणवीर खुशी की तरफ देखकर कहता है, "मुझे ऑफिस जाना है। तुम आराम करना। और हाँ, अगर कोई काम हो तो मुझे बता देना।" खुशी भी यही चाहती थी कि रणबीर कुछ टाइम के लिए उसे अकेला छोड़ दे ताकि वह जो करना चाहती है, कर सके। वहीं रणबीर भी यह देखना चाहता था कि उसके जाते ही उसकी बीवी ऐसा क्या करने वाली है कि उसने एक बार भी उसे घर पर रोकने के लिए नहीं कहा था। दोनों ही अपनी-अपनी सोच में थे, लेकिन एक-दूसरे से कुछ जानने की कोशिश नहीं कर रहे थे।
रणबीर के जाते ही खुशी के चेहरे पर एक मिस्टीरियस स्माइल आ जाती है। वह अपने कमरे में जाकर तुरंत अपने कमरे को अंदर से लॉक कर लेती है और अपने कपड़ों की वार्डरोब में से एक लैपटॉप निकालकर बेड पर बैठ जाती है और कुछ काम करने लगती है। वहीं रणबीर अपनी गाड़ी में बैठा, कमरे में लगे हिडन कैमरे से खुशी को देख रहा था। पहले तो वह हैरान था कि खुशी के पास लैपटॉप है और उसे पता ही नहीं, लेकिन फिर उसके चेहरे पर भी एक खतरनाक मुस्कुराहट आ जाती है और वह समझ जाता है कि जितना सीधा वह खुशी को समझता है, खुशी उतनी सीधी तो नहीं है। और अब शर्मा फैमिली की कैसे बंद बजती है, यह देखने वाला था। वैसे तो आज वह खुद शर्मा फैमिली को बर्बाद करने वाला था, क्योंकि वह इंसान उसकी बीवी को किसी और के पास भेजने की बात कर रहा था।
10 मिनट बाद, जैसे ही खुशी अपना लैपटॉप बंद करती है, वैसे ही चारों तरफ एक हड़कंप मच जाता है, क्योंकि मिस्टर शर्मा की एक वीडियो वायरल हो रही थी जिसमें वह किसी दूसरी औरत के साथ होटल रूम में थे और वह क्या कर रहे थे, यह भी स्क्रीन पर दिखाया जा रहा था। यह देखकर चारों तरफ हल्ला मच गया था, क्योंकि किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि एक 50 साल का आदमी ऐसी हरकत भी कर सकता है। वहीँ उसे कमरे में हो रही सारी बातें बहुत आराम से सुनाई दे रही थीं।
खुशी लैपटॉप बंद करके सामने देखते हुए कहती है, "यह तो सिर्फ शुरुआत है, मिस्टर शर्मा। आगे आगे देखिए मैं आपके साथ क्या करती हूँ, क्योंकि पिछले जन्म में मैंने अपनी हर एक पहचान को छुपा कर रखा था क्योंकि मैं कंचन को दर्द नहीं देना चाहती थी। उसे यह नहीं बताना चाहती थी कि मैं हर फील्ड में उससे आगे हूँ। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। एक-एक करके मेरी पहचान बाहर आएगी और उसी के साथ एक-एक करके तुम सब की जिंदगी को मैं नरक बनाऊंगी।"
शर्मा निवास में अलग ही हल्ला मचा हुआ था। जब से मिस्टर शर्मा ने वह वीडियो देखी थी, तब से वह मिस्टर शर्मा को बुरी तरीके से सुना रही थी, उन पर भड़क रही थी। और एक वक्त तो ऐसा आया जब मिस्टर शर्मा ने मिस्टर शर्मा को एक तमाचा जड़ दिया। वहीं कंचन अपने मुँह पर हाथ रखकर अपने मम्मी-पापा को लड़ते हुए देख रही थी, लेकिन उसे भी गुस्सा आ रहा था कि उसके पापा उसकी माँ को धोखा कैसे दे सकते हैं। लेकिन वह यह भूल गई थी कि जो इंसान अपने जिगरी दोस्त को धोखा दे सकता है, वह इंसान किसी को भी धोखा दे सकता है। जो एक मासूम सी 1 घंटे की बच्ची को किडनैप कर सकता है, तो कुछ भी कर सकता है। वक्त आने पर वह अपनी बीवी और बेटी को भी बेच सकता है।
उन दोनों को कुत्ते-बिल्ली की तरह लड़ते देख कंचन उनके पास आकर कहती है, "अगर आप दोनों ऐसे ही लड़ते रहेंगे ना, तो हमारी जो बच्ची-बच्ची हुई रेपुटेशन है, ना वह भी बर्बाद हो जाएगी। और कुछ भी करके हमें यह बजाज वाली डील लेनी ही लेनी है।"
कंचन अपने बालों को अपनी उंगली में फँसाते हुए कहती है, "अगर वह बेकार लड़की हमारे कोई काम नहीं आ रही है और यह वीडियो देखने के बाद रणबीर उन्हें हमारे पास नहीं भेजेगा, तो क्यों ना बजाज से डील करने मैं चली जाऊँ? और वैसे भी हमें प्रोजेक्ट से मतलब है, पैसे से मतलब है। बजाज के पास कौन जाता है, इस चीज से मतलब नहीं है।" वहीँ कंचन की बात सुनकर मिस्टर और श्रीमती शर्मा भी कंचन की बात मान जाते हैं और कंचन अच्छे से मेकअप करके छोटी सी ड्रेस पहनकर घर से निकल जाती है, क्योंकि वह अपने मम्मी-पापा को यह दिखाना चाहती थी कि वह किसी भी मामले में खुशी से कम नहीं है। और यही उसकी सबसे बड़ी गलती साबित होने वाली थी।
दूसरी तरफ खुशी का फ़ोन वाइब्रेट होता है। खुशी अपना फ़ोन अपने कान से लगाती है। तभी सामने से आवाज आती है, "मैडम, कंचन शर्मा हमारे जाल में फँस चुकी है। वह वही जा रही है जहाँ वह आपको भेजने वाले थे।"
खुशी डेविलिश स्माइल करते हुए कहती है, "जब चिड़िया खुद जल में फँसना चाहती है, तो फँसने दो। हम तो सिर्फ़ तमाशा देखेंगे। और उसके बाद ऐसी धज्जियाँ उड़ाएँगे कि वह कभी किसी के सामने अपना चेहरा नहीं उठा पाएगी। और हाँ, उसे रोहित पर नज़र रखो। वह क्या करना चाहता है और मुझे बार-बार फ़ोन क्यों कर रहा है।"
तभी सामने से आवाज आती है, "मैडम, आज आपकी मीटिंग है मिस्टर मित्तल के साथ। तो आपको यह मीटिंग अटेंड करनी होगी। क्योंकि बहुत सारी मीटिंग्स में मैं चला जाता हूँ, लेकिन मिस्टर मित्तल स्पेशली आज आपसे मिलना चाहते हैं और उन्होंने यह फैसला किया है कि अगर आप यह मीटिंग अटेंड नहीं करेंगी तो वह हमारे साथ कभी भी कोई प्रोजेक्ट नहीं करेंगे। वैसे भी हमारी कंपनी दुनिया की सेकंड नंबर की पोजीशन पर आती है और अगर हम मिस्टर मित्तल के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन करते हैं तो हम नंबर वन की पोजीशन पर पहुँच जाएँगे।"
खुशी कुछ सोचती है और फिर कहती है, "ठीक है, तुम मीटिंग की तैयारी करो। मैं थोड़ी देर में पहुँचती हूँ। और हाँ, सिक्योरिटी का ध्यान पूरी तरीके से रखना। और जैकी को कॉल करके बुला लो, क्योंकि जैकी और अधीर की हमें ज़रूरत पड़ने वाली है।" वहीं अपनी मैडम की बात सुनकर खुशी का असिस्टेंट, नकुल, "ओके बॉस," बोलकर कॉल कट कर देता है।
खुशी तैयार होकर जल्दी से मीटिंग के लिए निकल जाती है क्योंकि उसे जल्द से जल्द मीटिंग खत्म करके घर वापस आना था, रणबीर के आने से पहले, क्योंकि वह अभी रणबीर को अपनी कोई भी आइडेंटिटी नहीं बताना चाहती थी। जैसे ही खुशी गाड़ी में बैठकर विला से बाहर निकलती है, उसका फ़ोन वाइब्रेट करने लगता है। खुशी तुरंत फ़ोन उठाकर अपने काम से लग जाती है। तो सामने से आवाज आती है, "डॉक्टर, एक डिफरेंट केस है। आपको उस पर स्टडी करनी चाहिए। और अगर आप उसे ठीक कर लेती हैं, तो सामने वाला हमें हमारे हिसाब से पेमेंट देने के लिए तैयार है।"
खुशी अपनी तैयारी को चढ़ाते हुए कहती है, "तुम पहले से जानते हो, थॉमस, कि मैं अपने हिसाब से पेशेंट चेक करती हूँ, किसी के पेमेंट के जरिए नहीं। और अगर वह लोग मुझे पैसे की धमकी दे रहे हैं, तो बोल दो कि डॉक्टर यह केस नहीं लेंगी।" तभी सामने से थॉमस कहता है, "मैडम, एक बार चेक कर लीजिए। मैंने आपको फ़ाइल भेज दी है। यह बहुत ही रेयर केस है। सारी दुनिया के डॉक्टरों ने अपने हाथ खड़े कर दिए हैं।" खुशी सोचकर कहती है, "ठीक है, सेंड करो। मैं देख लूँगी, लेकिन अभी नहीं, रात को। क्योंकि अभी मुझे एक मीटिंग में जाना है। और आगे से सिर्फ़ मेल करना, कॉल मत करना।"
खुशी की कार एक बहुत बड़ी इमारत के सामने आकर रुकती है, जो पूरी कांच की बनी हुई थी। उसकी 40 मंज़िल इमारत दूर से ही चमक रही थी, जिस पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था, "क्वीन इंडस्ट्रीज।" इस इंडस्ट्रीज को देखकर खुशी की आँखों में नमी आ जाती है, क्योंकि अपने पिछले जन्म में शर्मा फैमिली की बात मानने के बाद वह कभी भी यहाँ नहीं आई थी और इस बारे में किसी को कुछ पता भी नहीं था। उसके मरने के बाद इस इंडस्ट्रीज का क्या हुआ, वह नहीं जानती थी, लेकिन अब इस समय में वह कभी भी किसी और के लिए अपनी किसी चीज़ को दरकिनार नहीं करेगी। वहाँ सारे गार्ड्स बॉस को आता हुआ देखकर स्टेट खड़े हो जाते हैं, क्योंकि वह जानते थे कि यह देखने में छोटी सी लड़की बहुत खतरनाक है; किसी को खत्म करने में उसे एक पल नहीं लगता।
खुशी जैसे ही अपनी प्राइवेट लिफ्ट के पास पहुँचती है, वहीं उसके तीनों असिस्टेंट उसका इंतज़ार कर रहे थे। खुशी के तीन असिस्टेंट थे जो अपना-अपना काम करते थे। वहीँ वह लोग भी खुशी की प्राइवेट लिफ्ट में उसके साथ खड़े हो जाते हैं और बड़ी-बड़ी अपनी रिपोर्ट्स देने लगते हैं। वहीं खुशी सब कुछ सुनने की बात कहती है। "नकुल, मीटिंग की तैयारी हो गई?" नकुल, "यस मैडम," बोल देता है। तो खुशी कहती है, "चलो।" खुशी ने इस वक्त अपने चेहरे पर मास्क लगाया हुआ था, क्योंकि आज तक किसी ने खुशी का चेहरा नहीं देखा था, सिवाय उसके इन तीन असिस्टेंट्स और बहुत लोगों के जो उसके रियल फ़ेस को जानते थे। लेकिन इस पूरी कंपनी में कोई भी यह नहीं जानता था कि उनकी बॉस दिखती कैसी है। उसके फ़िगर को देखकर ही सब अंदाज़ा लगा लेते थे कि वह बहुत ही स्मार्ट और खूबसूरत होगी।
खुशी के पीछे चल रहे उसके असिस्टेंट आपस में बातें कर रहे थे। जैसे ही वह लोग कॉन्फ़्रेंस हॉल के पास पहुँचते हैं, नकुल गेट खोल देता है और खुशी जैसे ही कॉन्फ़्रेंस हॉल में कदम रखती है, खुशी की आँखें हैरानी से फैल जाती हैं।
ऐसा क्या देखा खुशी ने जो उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में।
खुशी अपनी प्राइवेट लिफ्ट के पास पहुँची ही थी कि उसके तीनों असिस्टेंट उसका इंतज़ार कर रहे थे। खुशी के तीन असिस्टेंट थे, जो अपना-अपना काम करते थे। वे लोग भी खुशी की प्राइवेट लिफ्ट में उसके साथ खड़े हो गए और अपनी-अपनी रिपोर्ट्स देने लगे। खुशी ने कहा, "सब कुछ सुनूँगी।" नकुल ने कहा, "मैडम, मीटिंग की तैयारी हो गई है।" "यस मैडम," नकुल ने कहा। "चलो," खुशी बोली। खुशी ने उस वक़्त अपने चेहरे पर मास्क लगा रखा था क्योंकि आज तक किसी ने खुशी का चेहरा नहीं देखा था, सिवाय उसके तीनों असिस्टेंट और कुछ और लोगों के, जो उसके असली चेहरे को जानते थे। लेकिन इस पूरी कंपनी में कोई नहीं जानता था कि वह दिखती कैसी है। उसके फिगर को देखकर ही सब अंदाज़ा लगा लेते थे कि वह बहुत स्मार्ट और खूबसूरत होगी।
खुशी के पीछे चलते हुए उसके असिस्टेंट आपस में बातें कर रहे थे। जैसे ही वे लोग कॉन्फ़्रेंस हॉल के पास पहुँचे, नकुल ने गेट खोल दिया। खुशी जैसे ही कॉन्फ़्रेंस हॉल में कदम रखती है, उसकी आँखें हैरानी से फैल जाती हैं।
खुशी के कदम वहीं रुक गए। क्योंकि उसके सामने उसका डेविल पति, रणबीर, बैठा हुआ था। रणबीर को अपने सामने बैठा देख खुशी का दिल घबराने लगा था। क्योंकि वह बहुत अच्छे से जानती थी, रणबीर को झूठ बोलने वाले और धोखा देने वाले लोग बिल्कुल पसंद नहीं हैं। और खुशी ने अपनी आइडेंटिटी ही रणबीर से छुपा कर रखी थी। लेकिन अनजाने में खुशी को यह पता था कि रणबीर उसकी हर एक साँस का हिसाब रखता है। और ऐसा हो सकता है कि रणबीर को उसकी आइडेंटिटी का पता न हो, लेकिन वह ऐसे रिएक्ट कर रहा था जैसे सामने खड़ी लड़की को वह जानता ही नहीं।
जब खुशी को पूरा यकीन हो गया कि रणबीर ने उसे नहीं पहचाना है, तो वह जाकर अपनी हेड चेयर पर बैठ गई। खुशी और रणबीर के पहुँचते ही मीटिंग शुरू हो गई। क्योंकि दुनिया का नंबर 1 बिज़नेसमैन रणवीर मित्तल था और नंबर 2 बिज़नेसमैन एक मिस्टीरियस लड़की थी, जिसका चेहरा आज तक किसी ने नहीं देखा था और न ही कोई जानता था कि वह लड़का है या लड़की। लेकिन आज खुशी को देखकर बहुत सारे लोग समझ चुके थे कि वह मिस्टीरियस पर्सन एक लड़की है।
नकुल और रजत दोनों ही अपनी-अपनी तरफ़ से मीटिंग शुरू करने का अनाउंसमेंट करते हैं। यह कहते ही वहाँ पर बहुत सारे लोग अपनी-अपनी प्रेजेंटेशन देने लगते हैं। रणबीर सबकी प्रेजेंटेशन बहुत अच्छे से सुन रहा था, लेकिन उसकी तिरछी नज़रें अभी भी अपनी बीवी पर थीं। लेकिन वह यह अहसास तक खुशी को नहीं होने देना चाहता था कि रणबीर खुशी के बारे में सारी सच्चाई जानता है।
3 घंटे हो चुके थे मीटिंग को शुरू हुए, लेकिन अभी तक एक प्रेजेंटेशन बाकी थी, और वह थी क्वीन इंडस्ट्रीज़ की। जैसे ही क्वीन इंडस्ट्रीज़ की बारी आई, खुशी अपने एटीट्यूड और घमंड के साथ प्रोजेक्टर के सामने जाकर खड़ी हो जाती है और अपनी प्रेजेंटेशन देने लगती है। रणबीर की आँखों में एक चमक थी क्योंकि रणबीर को पूरा विश्वास हो चुका था कि उसकी बीवी उसके टक्कर की है। रजत भी खुशी को पहचान चुका था। वह हैरान और परेशान था। एक सीधी-साधी लड़की इतनी बड़ी इंडस्ट्रीज़ की ओनर कैसे हो सकती है? और इस बारे में किसी को पता कैसे नहीं? क्या उसके घटिया परिवार वालों को नहीं पता कि उनकी बेटी इतनी बड़ी बिज़नेस वूमेन है?
रजत अभी खुशी की तरफ़ देख ही रहा था कि उसे अपने पास एक ठंडक महसूस होने लगती है। वह समझ जाता है कि उसका डेविल बॉस उसे अपनी जलती हुई नज़रों से देख रहा है, क्योंकि वह अपनी लेडी बॉस को घूर रहा था।
रजत तुरंत खुशी पर से अपनी नज़रें हटा लेता है। जैसे ही खुशी की प्रेजेंटेशन ख़त्म होती है, तालियों की आवाज़ गूँजने लगती है। क्योंकि सब लोग समझ चुके थे कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ़ और सिर्फ़ क्वीन इंडस्ट्रीज़ को ही मिलने वाला था, और किसी को नहीं। इसीलिए सब लोग अनाउंसमेंट होने से पहले ही कॉन्फ़्रेंस हॉल छोड़कर जाने लगते हैं।
सबके जाते ही रणबीर, अपने बॉस और रजत के साथ, खुशी की तरफ़ देखकर कहता है, "मिस क्वीन, यह प्रोजेक्ट आपको मिलता है। क्योंकि हमें ऐसे ही एक प्रोजेक्ट की ज़रूरत थी जो दुनिया में तहलका मचा दे। बट हमारी एक शर्त है: इस प्रोजेक्ट पर आप हमारे साथ काम करेंगी, क्योंकि मैं हर एक चीज पर अपनी नज़र रखना चाहता हूँ। मैं नहीं चाहता कि थोड़ी सी नज़र हटी और कोई दुर्घटना हो गई। मैं अपने हर प्रोजेक्ट को 100% देता हूँ। अगर आपको मंजूर है तो आप डील साइन कर सकती हैं, अदरवाइज़ आप जा सकती हैं।"
रणबीर की बात सुनकर खुशी नकुल की तरफ़ देखकर बोलती है, "नकुल, इस कॉन्ट्रैक्ट पेपर को ले लो और अच्छे से लॉयर को दिखाकर लेकर आओ, फिर मैं साइन करूँगी।" रणबीर खुशी के पास आकर कहता है, "मिस क्वीन, क्या आप मेरे साथ कॉफ़ी पीना पसंद करेंगी?" रणबीर की बात सुनकर खुशी के तन-बदन में आग लग जाती है कि उसका पति, बीवी होते हुए किसी दूसरी लड़की को कॉफ़ी के लिए पूछ रहा था। और रणबीर ने यह बात जानबूझकर पूछी थी क्योंकि वह अपनी बीवी का रिएक्शन देखना चाहता था। लेकिन खुशी, खुद को रिलैक्स करके बोलती है, "सॉरी, मिस्टर मित्तल। नेक्स्ट टाइम। बट अभी मुझे जाना होगा, क्योंकि कोई स्पेशल पर्सन मेरा इंतज़ार कर रहा है।"
खुशी की बात सुनकर रणबीर की मुट्ठियाँ कस जाती हैं, लेकिन वह अपने चेहरे पर कुछ भी दिखने नहीं देता, क्योंकि वह जानता था... खुशी एटीट्यूड से खड़ी होती है और नकुल के हाथ से पेपर्स लेकर उन पर साइन कर देती है। फिर नकुल की तरफ़ देखकर बोलती है, "जो भी फॉर्मेलिटी रह गई है, उसे कंप्लीट करके आ जाना। मैं ऑफिस जा रही हूँ।"
और वहाँ से निकल जाती है। रणबीर एक डबल स्माइल करते हुए जाती हुई अपनी बीवी को देख रहा था, क्योंकि वह समझ गया था कि उसकी बीवी गुस्से में है। उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया कि रणबीर ने किसी दूसरी लड़की को कॉफ़ी के लिए पूछा था। लेकिन यह तो उसने जानबूझकर किया था क्योंकि वह अपनी बीवी का रिएक्शन देखना चाहता था। लेकिन ऐसा रिएक्शन आएगा, इसकी उम्मीद उसे नहीं थी। जैसे रणबीर अपनी बीवी के लिए प्रोटेक्टिव था, वैसे ही खुशी भी रणबीर के लिए प्रोटेक्टिव थी।
तभी अचानक पीछे मुड़कर खुशी कुछ ऐसा कहती है कि रणबीर की आँखें हैरानी से चौड़ी हो जाती हैं और वह गुस्से में अपने मुँह कसकर खुशी की तरफ़ अपनी जलती हुई आँखों से देखने लगता है।
खुशी ने रणबीर से क्या कहा कि रणबीर गुस्से में पागल हो गया? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं नेक्स्ट एपिसोड में।
रणबीर अपनी जाती हुई पत्नी को डबल स्माइल करते हुए देख रहा था। उसे समझ आ गया था कि उसकी पत्नी गुस्से में है। उसे बिल्कुल पसंद नहीं आया था कि रणबीर ने किसी दूसरी लड़की से कॉफ़ी के लिए पूछा था। लेकिन यह उसने जानबूझकर किया था क्योंकि वह अपनी पत्नी की प्रतिक्रिया देखना चाहता था। लेकिन इतनी तीव्र प्रतिक्रिया की उसे उम्मीद नहीं थी। जैसे रणबीर अपनी पत्नी के लिए प्रोटेक्टिव था, वैसे ही खुशी भी रणबीर के लिए प्रोटेक्टिव थी।
तभी अचानक पीछे पलटकर खुशी ने कुछ ऐसा कहा कि रणबीर की आँखें हैरानी से चौड़ी हो गईं और वह गुस्से में अपने मुँह कसकर खुशी की तरफ़ अपनी जलती हुई आँखों से देखने लगा।
खुशी ने अपनी आँखों में अजीब सी चमक लिए हुए रणबीर की तरफ़ मुड़कर कहा, "मिस्टर मित्तल, आपकी वाइफ को पता है कि आप दूसरी लड़की को कॉफ़ी के लिए पूछ रहे हो? क्या पता आपकी वाइफ आज आपके घर में ना आने दे, या ऐसा भी हो सकता है कि आपको छोड़कर चली जाए।" यह बोलकर खुशी वहाँ से बिना रणबीर की तरफ़ देखे चली गई। उसने इनडायरेक्टली रणबीर को धमकी दे दी थी कि वह उसे छोड़कर चली जाएगी, और इस बात ने रणबीर को ट्रिगर कर दिया था।
खुशी बाहर निकलकर अपनी गाड़ी में बैठी और वहाँ से सीधे अपने मेंशन के लिए निकल गई। अभी ट्रैफ़िक में उसकी गाड़ी रुकी ही थी कि उसके बगल में एक गाड़ी आकर रुकी, जिसमें एक बुज़ुर्ग आदमी और एक २७-२८ साल का लड़का बैठा हुआ था। अचानक से उस लड़के की नज़र अपनी बगल वाली गाड़ी पर पड़ी, जहाँ खुशी गाड़ी का शीशा खोलकर सामने आसमान को देख रही थी। उसे लड़की को देखकर लड़के की आँखों में नमी आ गई। उसने अपने बगल में बैठे बुज़ुर्ग की तरफ़ देखकर कहा, "पापा, हमारी गुड़िया!" जैसे ही वह बुज़ुर्ग आदमी यह सुनता है, उसकी नज़र भी सीधे खुशी पर पड़ती है। उसने एक झलक खुशी को देखा था। तब तक ट्रैफ़िक ग्रीन हो गया और सारी गाड़ियाँ वहाँ से एक-एक करके निकल गईं।
उस लड़के का मन बहुत शार्प था, इसीलिए उसने खुशी की गाड़ी का नंबर देख लिया था। वह तुरंत अपने असिस्टेंट को कॉल करके कहता है, "रवि, मैं तुम्हें गाड़ी का नंबर भेज रहा हूँ। जल्द से जल्द मुझे गाड़ी के ओनर और उसका एड्रेस चाहिए।" वहीँ, अपने बॉस की बात सुनकर रवि जल्दी से अपने काम में लग जाता है। वहीँ, वह बुज़ुर्ग आदमी उस लड़के की तरफ़ देखकर कहता है, "अक्षय, सच में हमारी गुड़िया थी ना?"
जी हाँ, यह कोई और नहीं, अक्षय आहूजा और नमन आहूजा थे। नमन और पूजा के चार बच्चे थे- तीन बेटे और एक सबसे छोटी बेटी, जिसका एक दिन में ही किडनैप हो गया था। लेकिन उसके फ़ीचर्स बिल्कुल अपनी माँ से मिलते थे। खुशी बिल्कुल अपनी माँ की कार्बन कॉपी थी, इसीलिए अक्षय और नमन ने उसे आसानी से पहचान लिया था। एक बेटी ज्यादातर अपनी माँ के रंग-रूप पर ही जाती है।
नमन आहूजा आहूजा इंडस्ट्रीज़ के मैनेजिंग डायरेक्टर और एक बहुत ही खुशमिजाज इंसान थे, लेकिन जब से उनकी बेटी का किडनैप हुआ था, तब से यह हर शहर, हर देश, हर गाँव में जाकर सिर्फ़ अपनी बेटी की तलाश करते थे।
किरण आहूजा, नमन जी की पत्नी और खुशी की माँ, एक हाउसवाइफ़ थीं, लेकिन शादी से पहले इनका खुद का एक फैशन हाउस था, जो आजकल इनका छोटा बेटा संभालता है। इन्होंने वह फैशन हाउस अपनी आने वाली पीढ़ी, यानी अपनी बेटी के लिए बनाया था, लेकिन अपनी बेटी के किडनैप होने के बाद इन्होंने वह फैशन हाउस छोड़ दिया था, क्योंकि वह फैशन हाउस उन्हें उनकी बेटी की याद दिलाता था।
अक्षय आहूजा आहूजा इंडस्ट्रीज़ का सीईओ और एक बहुत ही डेविल था। उसके लिए उसकी फैमिली से ज़्यादा इम्पॉर्टेन्ट कुछ नहीं था, और उसका एक ही गोल था इस ज़िन्दगी में अपनी बहन को ढूँढ कर लाना और उसके किडनैपर को मौत से भी बेहतर सज़ा देना।
आगे जो भी कैरेक्टर होंगे, सबका इंट्रोडक्शन दे दिया जाएगा। फ़िलहाल के लिए इतना ही।
अक्षय और नमन दोनों आहूजा मेंशन पहुँच गए। जब वे आहूजा मेंशन पहुँचे, तो वहाँ आहूजा फैमिली उन दोनों के आने का इंतज़ार कर रही थी, क्योंकि आज वे लोग अपने टाइम से एक घंटा लेट थे। जैसे ही वे दोनों घर में घुसते हैं, तभी किरण जी की गुस्से भरी आवाज़ सुनाई देती है, "वक़्त मिल गया तुम दोनों को घर आने का? तुम दोनों पागलों की तरह गली-गली घूमते फिरते हो। तुम्हें यह भी नहीं दिखाई देता कि मैं घर पर तुम लोगों का इंतज़ार करते-करते थक जाती हूँ, परेशान हो जाती हूँ!"
अक्षय हॉल के बीचो-बीच आकर खड़ा हो जाता है और किरण जी को पकड़ कर कहता है, "मॉम, एक ऐसी ख़बर लेकर आया हूँ, जिसे सुनने के बाद आप हम पर गुस्सा नहीं करोगी।" सब लोग हैरानी से अक्षय और नमन जी को देखने लगते हैं। तो अक्षय अपनी मॉम के सीने से लगकर कहता है, "मॉम, हमें हमारी गुड़िया मिल गई! वह इसी शहर में है। मैं और पापा ने आज उसे देखा, बस हमें पता चल जाए कि वह कहाँ रह रही है, फिर हम अपनी गुड़िया को हमेशा-हमेशा के लिए अपने पास ले आएँगे।" जैसे ही परिवार वालों के कानों में यह बात पड़ती है कि उन्हें उनकी गुड़िया का पता चल गया है, सब लोग अक्षय को घेर कर खड़े हो जाते हैं।
अक्षय सबको वही बात बताता है जो उन्होंने आज देखी थी। तभी उसके पास रवि आ जाता है। रवि एक फ़ाइल बढ़ाकर कहता है, "सर, वह गाड़ी मिस्टर रणवीर मित्तल के नाम पर रजिस्टर्ड है और उन्होंने वह गाड़ी अपनी वाइफ, खुशी रणवीर मित्तल को गिफ़्ट की थी अपनी शादी में उनके आने-जाने के लिए। और सर, इसमें खुशी मित्तल की सारी जानकारी है, उनकी फ़ोटो के साथ। वैसे यह जानकारी निकालना बहुत मुश्किल था, लेकिन हमारे सबसे टॉप के हैकर ने यह काम कर दिखाया।"
जैसे ही अक्षय के हाथ में वह फ़ाइल आती है, उसे वह फ़ाइल इतनी भारी लग रही थी जैसे वह फ़ाइल को पकड़ ही नहीं पाएगा। तभी अक्षय का सबसे छोटा भाई, विवान, जल्दी से अक्षय के हाथ से वह फ़ाइल लेकर उसे खोलकर देखता है, जिसमें खुशी की बहुत प्यारी सी एक फ़ोटो लगी हुई थी। वह फ़ोटो को देखकर कहता है, "मॉम, हमारी गुड़िया तो बिल्कुल आपकी तरह लगती है।" अब सब लोग उस फ़ाइल और फ़ोटो को देख रहे थे।
अक्षय विवान के हाथ में से उस फ़ाइल को लेकर रवि की तरफ़ बढ़ा देता है और कहता है, "पढ़कर सुनाओ।"
रवि जल्दी से अक्षय के हाथ से फ़ाइल लेकर फ़ाइल को पढ़ना शुरू करता है। "नाम: खुशी रणवीर मित्तल। रणवीर मित्तल और खुशी मित्तल की शादी को अभी १ साल हुआ है और उनकी शादी एक बिज़नेस डील थी, जो खुशी की फैमिली ने मिस्टर रणवीर मित्तल से की थी। क्योंकि रणवीर मित्तल बचपन से ही खुशी से प्यार करते थे, जब से उन्होंने उसे पहली बार अनाथ आश्रम में देखा था। उन्होंने बहुत सारा पैसा देकर शर्मा फैमिली को ब्लैकमेल कर, और लालच देकर, खुशी जी से शादी कर ली थी। लेकिन यह लोग बहुत कम जानते हैं कि खुशी जी शर्मा फैमिली की अपनी बेटी नहीं है। शर्मा फैमिली हमेशा ही अपने बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए खुशी जी का इस्तेमाल करते थे। एक बार तो यह भी हुआ जब शर्मा फैमिली ने खुशी जी को दो करोड़ रुपए में बेच दिया था। और जब यह बात रणवीर मित्तल को पता चली, तो उन्होंने तुरंत ही खुशी जी से शादी कर उन्हें अपने घर ले आए। तब से दोनों एक साथ रहते हैं।"
और भी बहुत कुछ था फ़ाइल में, जो रवि पढ़कर सबको सुनाता है। जैसे-जैसे रवि फ़ाइल पढ़ रहा था, वैसे-वैसे आहूजा फैमिली का गुस्सा बढ़ता जा रहा था। क्योंकि अब जाकर नमन जी को समझ आया था कि शर्मा कौन था और उसकी बेटी को किडनैप करने वाला कौन था। वह जल्दी से अक्षय, विवान, अर्जुन और समीर की तरफ़ देखकर कहता है, "शर्मा हमारी कंपनी में मैनेजर था और धीरे-धीरे हमारी दोस्ती हो गई, और शायद उसने पैसों की लालच में हमारी गुड़िया को किडनैप कर लिया। पता लगाओ शर्मा की कुंडली और उसका एक-एक जुर्म पता होना चाहिए। अब मैं शर्मा को दिखाता हूँ कि दोस्ती में गद्दारी करने का क्या अंजाम होता है।"
पूरी फैमिली बहुत खुश थी कि उन्हें उनकी गुड़िया मिल गई, लेकिन वे यह भी जानते थे कि खुशी इतनी जल्दी अपना घर नहीं आएगी, क्योंकि उसने बहुत कुछ झेला था, एक फैमिली के होते हुए भी। तभी हाल में एक गरजदार आवाज़ आती है, "ऐसा क्या पढ़ रहे हो तुम लोग इस फ़ाइल में, जो सब लोग एक ही जगह खट्टे हो गए हो?" अक्षय जैसे ही सामने देखता है, बाहर से उसके दादाजी और दादी माँ आ रहे थे- दादा महेंद्र मित्तल और दादी माँ आरती मित्तल। दोनों इस परिवार के सिर थे, और उन दोनों के आगे इस परिवार में किसी की नहीं चलती थी। लेकिन यह दोनों ही अक्षय से डरते थे, क्योंकि वह बहुत बड़ा डेविल है, जो आपको आगे पता चलेगा।
अक्षय दादा जी के पास आकर कहता है, "हमें हमारी गुड़िया मिल गई दादाजी, और हम कल अपनी गुड़िया से मिलने जाने वाले हैं।" जैसे ही दादाजी और दादी माँ यह सुनते हैं, वे दोनों बहुत खुश हो जाते हैं और जल्दी से कहते हैं कि अभी चलो, अक्षय। लेकिन दादा जी और दादी माँ की ज़िद पर, पूरा आहूजा परिवार मित्तल मेंशन के लिए निकल जाता है।
वहीँ मित्तल मेंशन में, रणबीर जब से घर आया था, वह बार-बार गुस्से में खुशी को देख रहा था। लेकिन खुशी रणबीर को ऐसे इग्नोर कर रही थी जैसे वह उसे जानती ही ना हो। तभी रणबीर एक झटके में खुशी को अपनी बाहों में खींचकर अपनी गोदी में बिठाकर कहता है, "तो तुम्हारी एक पहचान यह भी है कि तुम एक बिज़नेसवुमन हो, क्वीन इंडस्ट्रीज़ तुम्हारी है, और तुमने यह बताना मुझे ज़रूरी नहीं समझा। मैं तुम्हें किसी काम के लिए रोकना नहीं चाहता, बीवी, लेकिन मुझे बताना तो चाहिए था ना?"
खुशी ने अपने चेहरे पर नाराज़गी और गुस्सा लाकर कहा, "अच्छा, तब भी आप उस मास्क वाली लड़की को कॉफ़ी के लिए पूछ रहे थे ना? आपको आपकी बीवी की तो याद ही नहीं आई।"
रणबीर ने अपना चेहरा खुशी की गर्दन में छुपाते हुए कहा, "मैं तुम्हारी आँखें देखकर ही तुम्हें पहचान लिया था, जब तुम हाल में आई थी। तो क्या लगता है, मेरी याददाश्त इतनी कमज़ोर है कि मैं तुम्हें पहचान नहीं पाऊँगा? तुम नहीं जानती खुशी, मैं तुम्हारी आहट से पहचान लेता हूँ। तो यह फिर भी तुम मेरे सामने थीं, भला तुमने मास्क लगाया था, लेकिन मैं तुम्हें ना पहचान पाऊँ, ऐसा तो हो नहीं सकता।" दोनों ही लव यू कह ही रहे थे कि अचानक से बहुत सारे कदमों की आवाज़ आती है। जब वे लोग अपना सर घुमाकर देखते हैं, तो पूरा आहूजा परिवार मित्तल मेंशन के गेट पर खड़ा था और आँखें गड़ाए खुशी और रणबीर को देख रहा था। वहीँ खुशी जल्दी से रणबीर की बाहों से आज़ाद होकर खड़ी हो जाती है, और रणबीर गुस्से भरी नज़रों से आहूजा परिवार को देखने लगता है।
खुशी पहचान चुकी थी कि यह उसका परिवार है, क्योंकि उसकी माँ बिल्कुल उसके जैसी थी। इसीलिए खुशी को ज़्यादा जोर नहीं डालना पड़ा अपने दिमाग पर कि यह लोग कौन हैं। तभी अक्षय आगे जाकर रणबीर से हाथ मिलाकर कहता है, "बात करनी है आपसे, आपके पास ५ मिनट हैं।"
अभी भी गुस्से में, रणबीर पूरे आहूजा परिवार को देख रहा था। तभी खुशी मुस्कुराते हुए कहती है, "आप लोग खड़े क्यों हो? आप सब लोग बैठिए, मैं आपके लिए चाय-नाश्ता का बंदोबस्त करके आती हूँ।" जैसे ही खुशी वहाँ से किचन में जाती है, रणबीर अपनी सख्त, गुस्से भरी आवाज़ में कहता है, "इतनी रात को यहाँ आने का क्या मतलब है?"
अक्षय रणबीर की तरफ़ देखकर कहता है, "हम यहाँ खुशी के बारे में बात करने आए हैं।"
रणबीर अपनी डोमिनेटिंग आवाज़ में कहता है, "तो आपको पता चल गया कि आपकी बेटी मेरी बीवी खुशी है, इसीलिए आप लोग यहाँ उससे मिलने आए हैं। लेकिन मेरी एक बात याद रखिए, खुशी आप लोगों से नफ़रत करती है क्योंकि आप लोगों की वजह से वह उस घटिया शर्मा फैमिली के कब्ज़े में थी, और उन लोगों ने उसे किस तरह टॉर्चर किया है, मैं आप लोगों को बता भी नहीं सकता। तो अगर समझ सकते हो, तो मान लो।"
तभी अचानक कुछ गिरने की आवाज़ आती है और सब लोग हैरान, परेशान और घबराए हुए दूसरी तरफ़ देखने लगते हैं। क्या हुआ और किस चीज़ की आवाज़ थी?
अक्षय ने रणबीर की तरफ़ देखकर कहा, "हम यहां खुशी के बारे में बात करने आए हैं..."
रणबीर ने अपनी डोमिनेटिंग आवाज़ में कहा, "तो आपको पता चल गया कि आपकी खोई हुई बेटी, मेरी बीवी खुशी है। इसीलिए आप लोग यहां उससे मिलने आए हैं। लेकिन मेरी एक बात याद रखिए, खुशी आप लोगों से नफ़रत करती है। क्योंकि आप लोगों की वजह से वह उस घटिया शर्मा फैमिली के कब्ज़े में थी और उन लोगों ने उसे किस तरह टॉर्चर किया है, मैं आप लोगों को बता भी नहीं सकता। तो अगर समझ सकते हो, तो माफ़ कर दीजिए..."
अचानक से ट्रे गिरने की आवाज़ आई। सब लोग उसकी तरफ़ देखने लगे। वहाँ से एक मेड अपने हाथ में पानी का गिलास लेकर आ रही थी, लेकिन वह उसके हाथ से छूटकर जमीन पर गिर गया। यह देखकर सब लोग एक राहत की साँस लेते हैं। 5 मिनट बाद खुशी भी वहाँ सबके साथ चाय और स्नैक्स लेकर आई। सब लोग वहीं बैठकर बातें करने लगे। तभी रणबीर अपनी डेविल स्माइल करते हुए उन सब की तरफ़ देखकर बोला, "तो बताइए खुराना फैमिली, आज मेरे घर आने का क्या उद्देश्य है आप लोगों का...?"
नमन जी को रणबीर की बात सुनकर बहुत गुस्सा आ रहा था, लेकिन वे अभी अपना गुस्सा इस्तेमाल नहीं कर सकते थे। क्योंकि उन्हें अपनी बेटी के दिल में अपने लिए कोई गलत भावना नहीं जगाना थी। इसीलिए वे चुपचाप बैठे रहे...
रणबीर ने बड़ी चालाकी से खुशी की तरफ़ देखकर कहा, "खुशी, एक बात बताओ। एक फैमिली अपनी छोटी सी, मासूम सी, एक दिन की बेटी को छोड़ दे और फिर 25 साल बाद आकर उस बेटी पर अपना हक़ और अपना अधिकार जमाने का क्या मतलब है...?"
खुशी ने अपनी आँखों में गुस्सा और नफ़रत लिए सबकी तरफ़ देखकर कहा, "ऐसे परिवार को परिवार कहलाने का हक़ नहीं है। रणबीर जो अपनी एक दिन की बेटी के लिए कुछ नहीं कर पाए, क्या वे इतने ताकतवर नहीं थे कि वह अपनी बेटी को प्रोटेक्ट कर सकें? तो किस हक़ से अपनी बेटी पर हक़ जमाने आए हैं? जब उसने अपनी ज़िंदगी के 25 साल उन सबके बिना बिताए, हर छोटी से बड़ी चीज़ के लिए उसने खुद को संभालना सीखा, तो अब उसे ऐसी फैमिली की कोई ज़रूरत नहीं है।" खुशी का जवाब सुनकर पूरे आहूजा परिवार की आँखें नम हो गईं और सबके चेहरे मुरझा गए। क्योंकि सबके दिल में एक उम्मीद थी कि कभी ना कभी उनकी बेटी उन्हें अपना लेगी, लेकिन आज उसका जवाब सुनकर सबकी वह रही-सही उम्मीद भी टूट गई थी।
अचानक रणवीर की आवाज़ फिर सबके कानों में पड़ी, "बीवी, अगर कभी तुम्हारी फैमिली तुम्हें ढूँढते हुए आए, तो क्या तुम उन्हें अपनाओगी?"
खुशी ने रणबीर की तरफ़ देखकर कहा, "नहीं! क्योंकि जो फैमिली मेरे 25 साल होने तक मुझे ढूँढने नहीं आई, जो फैमिली मेरे बचपन में मेरे साथ नहीं थी, जो फैमिली मेरे बुरे वक़्त में मेरे साथ नहीं थी, मुझे उनकी ज़रूरत नहीं है। मेरी पूरी फैमिली तुम हो, और मैं तुम्हारे साथ ही हँसी-खुशी अपनी पूरी ज़िंदगी बिताना चाहती हूँ। लेकिन बस मुझे एक बार पता चल जाए कि वो कौन हैं, बस उसके बाद फिर तुम देखना, मेरी नफ़रत उन लोगों को किस तरह बर्बाद करती है।"
आहूजा फैमिली की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं कि उनकी बेटी उनसे इतनी नफ़रत करती है। ऐसा क्या हुआ था उनकी बेटी के साथ? जो उन्हें सिर्फ़ अपनी फैमिली इसलिए चाहिए कि वह उन्हें अपने हाथों से बर्बाद कर सके? वहीं रणवीर सबकी तरफ़ देखकर डेविल स्माइल कर रहा था। वहीं सब लोग अब कुछ नहीं कहते, क्योंकि वे खुशी का जवाब सुन चुके थे।
खुशी ने रणबीर और बाकियों की तरफ़ देखकर कहा, "ये तो बेकार की बातें हैं। इन सब बातों में पड़े रहने से क्या फ़ायदा है? चलिए, हम सब लोग चलकर डिनर करते हैं। मैंने आप सब लोगों के लिए डिनर ऑर्डर कर दिया था। और रणबीर, आप भी जल्दी से फ़्रेश होकर आइए, उसके बाद डिनर करते हैं।" रणबीर ने "ओके" बोलकर अपने रूम में चला गया। वहीं खुशी पूरी आहूजा फैमिली को लेकर डाइनिंग टेबल पर आ गई और सर्वेंट से कहकर सबको डिनर सर्व करवाने लगी।
अपनी आदत से मजबूर, विवान शांत नहीं रह पाया। उसने खुशी की तरफ़ देखकर कहा, "वैसे खुशी, आप इतनी खूबसूरत हो, तो आपकी मम्मी-पापा भी इतने ही खूबसूरत होंगे ना?"
खुशी ने बिना किसी की तरफ़ देखे कहा, "हर इंसान आप लोगों की तरह खुशनसीब नहीं होता है। कुछ लोग मेरी तरह बदकिस्मत भी होते हैं, जिनके पास अपना कहने के लिए कोई नहीं होता। लेकिन अब मेरे पास मेरा रणबीर है, मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है। आप लोग डिनर कीजिए।" सब लोग चुपचाप अपनी प्लेट में देखने लगे। किसी को हिम्मत नहीं हो रही थी कि वह खुशी की तरफ़ देखकर उसे कुछ कहे।
सब लोग डिनर करने के बाद वापस जाने लगे। रणबीर अपने स्टडी रूम में चला गया था, क्योंकि उसका एक बहुत ही इम्पॉर्टेन्ट कॉल आया था। खुशी सबको सी ऑफ़ करने बाहर आई। सब लोग जाने ही वाले थे कि सबके कानों में खुशी की आवाज़ आई...
"मैं जानती हूँ आप लोग यहां क्यों आए थे, और यह भी जानती हूँ कि बदकिस्मती से मैं आपकी खोई हुई बेटी हूँ। लेकिन मेरी एक बात आप लोग ध्यान से सुन और समझ लीजिए। मेरी ज़िंदगी में मेरे रणबीर के अलावा किसी के लिए जगह नहीं है। क्योंकि एक दिन की बच्ची को कोई भी ऐसे मरने के लिए नहीं छोड़ देता। मानती हूँ आपकी कुछ मजबूरियाँ रही होंगी, लेकिन वो मजबूरियाँ आपकी बेटी से ज़्यादा बड़ी नहीं होतीं। आप मेरे घर आए थे, इसलिए मैंने आपसे कुछ नहीं कहा, लेकिन रिक्वेस्ट करूँगी आगे से आप लोग मेरी ज़िंदगी में दखलअंदाज़ी देने की कोशिश ना करें। और आप यही सोच रहे होंगे ना कि मुझे ये सब कैसे पता? तो शायद मिस्टर आहूजा, आपकी वाइफ़ की शक्ल हूबहू मेरे जैसी है, मतलब मैं आपकी वाइफ़ की हूबहू कार्बन कॉपी हूँ, इसीलिए सब कुछ पता है मुझे। बट मैं आप लोगों को माफ़ नहीं कर सकती। ये मेरा आखिरी फैसला है। मैं अपने रणबीर के साथ बहुत खुश हूँ, और मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है।"
दादी माँ और दादाजी खुशी की तरफ़ देखकर बोले, "बेटा, तुम्हारा किडनैप हुआ था। जानबूझकर हमने तुम्हें नहीं छोड़ा था। तुम नहीं जानती, तुम्हारे पापा, तुम्हारे भाई... पूरे शहर, देश, गली-मोहल्ला, गाँव... ऐसा कोई जगह नहीं छोड़ी उन्होंने जहाँ तुम्हें ढूँढा नहीं।"
खुशी जोर-जोर से हँसते हुए बोली, "इतनी जगह ढूँढने की ज़रूरत ही क्या थी? किसी अनाथ आश्रम में ढूँढ लेते, वहीं मिल जाती। या फिर आपको विश्वास था कि मुझे किडनैप करने वाला इंसान अनाथाश्रम नहीं ले जाएगा? तो आपको उस इंसान के बारे में पता होगा। मेरी एक बात को हमेशा याद रखिएगा मिस्टर आहूजा, कभी किसी पर इतना भरोसा मत करना कि वह आपके भरोसे का क़त्ल कर दे और आपसे आपके अपनों को छीन ले जाए।"
अभी मुड़कर जा ही रही थी कि वह एक बार फिर पलटकर आहूजा फैमिली की तरफ़ देखकर बोली, "मिस्टर अक्षत आहूजा, अपनी गर्लफ़्रेंड पर नज़र रखिए। वो आपको चीट कर रही है और आपके दुश्मनों के साथ मिलकर आपको बर्बाद करना चाहती है। अब ये मत पूछिएगा कि मुझे कैसे पता। अगर मेरी बात पर विश्वास नहीं है, तो होटल हयात, कमरा नंबर 120 में चले जाइए। आपके सारे सवालों के जवाब मिल जाएँगे। और अगर अपनी फैमिली को बचाना चाहते हो, तो जल्दी एक्शन लीजिए, वरना अपनी बहन की तरह अपनी फैमिली भी खो दोगे।" अपनी बात कहने के बाद खुशी वहाँ से मुड़कर घर के अंदर चली गई। और पूरी आहूजा फैमिली हैरानी से अक्षत की तरफ़ देखने लगी। और अक्षत जल्दी से अपनी कार में बैठकर वहाँ से होटल हयात के लिए निकल गया। और वहीं पूरी आहूजा फैमिली आहूजा मेंशन के लिए।
दूसरी तरफ़, अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज़ में आज माहौल बहुत ही डरावना था। क्योंकि वेदांश बहुत गुस्से में था। जब से कोयल उसे छोड़कर गई थी, उसे कुछ भी अच्छा नहीं लगता था। अब तो कोयल ने अपना नंबर भी बंद कर दिया था, अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स बंद कर दिए थे। वह पूरी तरह से दुनिया से बेगाना हो गई थी। वेदांश को कहीं से भी कोयल का पता नहीं लग रहा था। इसीलिए वह हर वक़्त गुस्से में रहता था। अब तो उसने मित्तल मेंशन जाना भी बंद कर दिया था, क्योंकि वहाँ हर जगह उसे कोयल की याद सताती थी। वह जानता था कि उसने कोयल से जो कुछ भी कहा था, उसके हर एक शब्द में कोयल के सम्मान को ठेस पहुँचाई थी, और कोयल अब कभी भी वेदांश को अपनी ज़िंदगी में शामिल नहीं करेगी। पर यही तो वेदांश चाहता था...
कोयल के जाने के बाद वेदांश को इस बात का एहसास हो गया था कि वह कोयल के बिना नहीं रह सकता। उसे हर हाल में, हर कीमत पर कोयल को अपनी ज़िंदगी में वापस चाहिए थी। इसीलिए आज उसने रणबीर से मिलकर बात करने का फ़ैसला कर लिया था। क्योंकि आज तक वह दूसरों के लिए अपनी खुशियों को कुर्बान करता आया था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब वेदांश अपनी खुशियों के लिए सोचेगा। वेदांश का फ़ैसला कितनी ज़िंदगियों को बदलने वाला था, यह तो वेदांश जानता था...
होटल हयात...
अक्षत की गाड़ी होटल हयात के आगे आकर रुकी। उसने अपने किसी भी बॉडीगार्ड को अपने साथ आने से मना कर दिया था, क्योंकि वह जानता था अगर छोटी सी भी खबर किया तक पहुँच गई, तो वह अलर्ट हो जाएगी। और वह अपनी बहन की किसी भी बात को हल्के में नहीं ले सकता था। इसीलिए वह रिसेप्शन से रूम नंबर 120 का कार्ड लेकर निकल गया। और उसके क़दम बहुत भारी हो गए थे, क्योंकि वह किया से बचपन से प्यार करता था और उससे शादी करने वाला था। दोनों की इंगेजमेंट भी हो गई थी और एक हफ़्ते बाद शादी थी। ऐसे में अगर किया ने उसे चीट किया होगा, उसके साथ धोखा दिया होगा, तो अच्छा है कि उसे शादी से पहले पता चल जाएगा। अक्षत ने धीरे से उस कार्ड को कमरे के लॉक पर स्कैन किया और कमरा ऑटोमेटिक खुल गया...
अक्षत जैसे ही थोड़ा सा गेट खोलकर देखता है, अंदर से दो लोगों की मदहोश कर देने वाली आवाज़ें सुनाई दे रही थीं। उन आवाज़ों को सुनकर अक्षत की रूह काँप गई, क्योंकि इन आवाज़ों का मतलब अक्षत बहुत अच्छे से समझता था। उसने आज तक कभी किया को हाथ नहीं लगाया था, क्योंकि वह किया के साथ अपना रिश्ता शादी के बाद शुरू करना चाहता था। अगर उसे पता होता कि ये सब इतना ज़रूरी था, तो वह किया को कभी खुद से दूर नहीं जाने देता। वहीं अंदर से एक लड़के की आवाज़ आई, "वैसे किया, उसे बेवकूफ़ अक्षत को पता तो नहीं चलेगा ना कि हम शादी वाले दिन क्या प्लान कर रहे हैं...?"
"किया नहीं शिवम, उसे क्या पता चलेगा? वो बेवकूफ़ तो मुझ पर इतना भरोसा करता है कि मेरे हर बहाने को सच मान लेता है। और तुम जानते हो, वो ज्यादातर अपनी बहन को ढूँढने में लगा रहता है। क्यों ना शिवम, हम किसी लड़की को उसकी बहन बनाकर उसके सामने खड़ा कर दें? इससे हम एक तीर से दो शिकार कर लेंगे। पूरी आहूजा फैमिली को बर्बाद करके आहूजा की प्रॉपर्टी को अपने नाम कर लेंगे और इस अक्षत को...तुम अपने हाथों से मारोगे। इसने मेरे सामने ही तुम पर हाथ उठाया था। उस दिन मैं खुद को कैसे रोकी थी, ये सिर्फ़ मैं ही जानती हूँ।" किया के मुँह से ये सारी बातें सुनकर अक्षत शॉक हो गया और धीरे-धीरे अपने क़दमों को पीछे ले लेता है। क्योंकि वह किया का पर्दाफ़ाश अपने हिसाब से करना चाहता था और वह तुरंत ही वहाँ से चला गया...
खुशी ड्रेसिंग टेबल पर बैठी नाइट क्रीम लगा रही थी, तभी उसके फ़ोन पर एक मैसेज आया। "बस अक्षत आहूजा होटल हयात गया था और वहाँ से पूरी सच्चाई पता चल गई है। वह वहाँ से चुपचाप चला गया, उन्होंने कुछ भी एक्शन नहीं लिया है..."
खुशी अजीब तरीके से मुस्कुराते हुए बोली, "अब किया वर्मा की ज़िंदगी का आखिरी दिन आने वाला है। पहले तो उसने पूरे आहूजा परिवार को परेशान किया था, लेकिन इस बार मैं उनके सामने नफ़रत का दिखावा करके उनके सारे दुश्मनों को एक-एक करके ख़त्म करूँगी। क्योंकि मैं नहीं चाहती कि मेरी असली आइडेंटिटी आहूजा फैमिली को कभी पता चले।" और वह अजीब तरीके से मुस्कुराने लगी। तभी उसने एक फ़ोटो के नीचे कुछ लिखकर विवान के नंबर पर सेंड कर दिया। यह नंबर खुशी के पास कैसे आया और खुशी ने किस नंबर से विवान को सब कुछ सेंड किया, यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा...
लंदन...
कोयल अपने ऑफ़िस से आने के बाद डाइनिंग टेबल पर बैठी हुई थी और अपनी कॉफ़ी एन्जॉय कर रही थी। उसकी आँखों में कोई भी भाव नहीं थे। ऐसा लग रहा था कि उसकी आँखें खाली हो गई हैं। उसके अंदर कोई उम्मीद नहीं बची थी। उसकी ज़िंदगी में एक वीरानपन और एक खालीपन आ गया था, जो शायद कभी ख़त्म नहीं होने वाला था। कोयल अपनी कॉफ़ी को देखते हुए ही किसी गहरी सोच में खो गई। तभी कोयल का फ़ोन बजा। कोयल फ़ोन उठाकर अपने काम में लग गई। उधर से किसी लड़की की आवाज़ आई, "मैंने सुना वेदांश अग्निहोत्री आपके बारे में जानकारी निकालने की कोशिश कर रहा है।" कोयल बिना कुछ कहे रही, "निकलने दो, लेकिन उनके हाथ कुछ नहीं लगने देना।" और कॉल कट कर दिया...
इंडिया... स्टडी रूम में बैठा रणबीर अजीब तरीके से पेपरवेट को घुमा रहा था। क्योंकि वह जितना अपनी बीवी को समझने की कोशिश कर रहा था, उसकी बीवी उतनी ही उलझी हुई और रहस्यमयी बनती जा रही थी। क्योंकि खुशी ने जो कुछ भी अक्षत को बोला था, वह सब कुछ रणबीर सुन चुका था। क्योंकि वह अपने स्टडी रूम की बालकनी में खड़ा नीचे का नज़ारा देख रहा था। लेकिन उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि उसकी बीवी क्या करने की कोशिश कर रही है। क्या वह सच में आहूजा फैमिली से नफ़रत करती है? या ऐसा कुछ है जिसके बारे में उसे नहीं पता...
अपनी सिगरेट का कश लेते हुए, वह स्टडी रूम की बालकनी में खड़ा हो गया। उसने देखा कि एक काले कपड़ों से ढका हुआ शख़्स अभी-अभी मित्तल मेंशन से बाहर गया था। यह देखकर रणवीर के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट आ गई और वह अपना फ़ोन निकालकर किसी को मैसेज टाइप करने लगा, उस दिशा में देखते हुए जिस दिशा से अभी वह काला शख़्स गया था...
रणबीर अजीब तरीके से सिगरेट का कश लेते हुए बोला, "तुम बहुत इंटरेस्टिंग होती जा रही हो बेबी। मुझे तो लगा था कि तुम एक सीधी-सादी, भोली-भाली, गुड़िया जैसी लड़की हो। लेकिन जैसे-जैसे मैं तुम्हें समझ रहा हूँ, जान रहा हूँ, मुझे लग रहा है तुम इतनी भी सीधी नहीं हो जितना मैं तुम्हें समझता हूँ..."
कौन है वह काला साया जो अभी-अभी बाहर गया था? क्या रणबीर उस शख़्स को पहचान चुका था...? 🔥🔥
रणबीर अजीब तरीके से सिगरेट के कश लेते हुए कहता है, "तुम बहुत इंटरेस्टिंग होती जा रही हो बेबी। मुझे तो लगा था कि तुम एक सीधी-सादी, भोली-भाली, 'गाँव जैसी' लड़की हो। लेकिन जैसे-जैसे मैं तुम्हें समझ रहा हूँ, जान रहा हूँ, मुझे लग रहा है तुम इतनी भी सीधी नहीं हो जितना मैं तुम्हें समझता हूँ…"
रणबीर अपने मन में कहता है, "वैसे भी मुझे सीधी-सादी लड़कियाँ पसंद नहीं थीं, लेकिन तुमसे मोहब्बत थी इसलिए सोचा एडजस्ट कर लूँगा। लेकिन अब लग रहा है कि तुम बिल्कुल मेरे टक्कर की हो। और जो लोग तुम्हें मेरे टक्कर की नहीं समझते हैं, अब उन लोगों को तुम्हारा असली चेहरा दिखाने का वक्त आ गया है।" रणबीर तुरंत अपना फोन निकालकर अपने असिस्टेंट को मैसेज ड्रॉप करता है और कहता है, "अपनी लेडी बॉस का पीछा करो। और एक भी बीट मिस नहीं होनी चाहिए, वरना मैं तुम्हें इस दुनिया से मिस कर दूँगा…"
रणबीर का असिस्टेंट, रजत, जैसे ही रणबीर का मैसेज देखता है, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं। अब वह तुरंत वहाँ से खुशी की लोकेशन पर निकल जाता है। खुशी जानती थी कि रणबीर ने उसे देखा है। वह यह भी जानती थी कि वह रजत को उसके पीछे ज़रूर भेजेगा। इसीलिए उसने अपने सारे बॉडीगार्ड्स को बोल दिया था कि कोई भी रजत को कुछ नहीं करेगा और वह अगर उन तक पहुँचना चाहे तो पहुँच सकता है।
घने जंगल के बीचो-बीच खुशी की कार आकर रुकती है। और खुशी जैसे ही अपनी गाड़ी से बाहर निकलती है, वैसे ही वहाँ खड़े सारे बॉडीगार्ड्स अपने घुटनों पर जाकर अपना सर झुका लेते हैं। वहीं खुशी के पीछे आया रजत यह सब देखकर हैरान रह जाता है। उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब हो क्या रहा है। उसकी लेडी बॉस एकदम भोली-भाली लड़की है, लेकिन यहाँ की हालात उसे कुछ और ही इशारा कर रही थीं।
रजत भी खुशी के पीछे-पीछे अंदर चला जाता है। खुशी हॉल के बीचों-बीच एक क्वीन की तरह सिंगल सोफे पर बैठ जाती है और उसके सारे आदमी सर झुकाकर उसके सामने खड़े थे। और उसके पाँच खास आदमी, जिन्हें वह अपना दोस्त, अपना भाई, सब कुछ मानती थी, वे उसके पीछे खड़े थे। वहीं रजत यह नज़ारा देखकर हैरान, परेशान और डरा हुआ, तीनों ही था। वही लाइव फुटेज में यही सब सीन रणबीर भी देख रहा था और उसे अपनी बीवी बहुत इंटरेस्टिंग लग रही थी।
खुशी अपने पीछे खड़े लोगों की तरफ देखकर कहती है, "अब बोलो, क्या बात थी? और इतना अर्जेंट में यहाँ क्यों बुलाया? तुम लोग जानते हो ना, अगर मेरे डियर हस्बैंड को यह सब कुछ पता चल गया तो मेरी इमेज खराब हो जाएगी उनके सामने।"
नकुल खुशी के आगे आकर खड़ा हो जाता है और बोलता है, "मैडम, विक्रम बहुत प्रॉब्लम क्रिएट कर रहा है। ऐसा लग रहा है कि वह आपकी आइडेंटिटी को पहचान चुका है या ऐसा कुछ है जो हमें नहीं पता। यह हमारा कोई आदमी विक्रम के साथ मिल चुका है, वरना विक्रम की इतनी औकात नहीं थी कि वह आपकी रियल आइडेंटिटी तक पहुँच पाता।"
खुशी अपने हाथ में पड़ी हुई गाँठ को गोल-गोल अपनी उंगलियों में घुमाते हुए कहती है, "इसका मतलब हमारे ही बॉडीगार्ड्स या हमारे अपनों में ही कोई ऐसा है जो हमें धोखा दे रहा है या उसने हमारे दुश्मनों से जाकर हाथ मिला लिया है। तुम सारे बॉडीगार्ड्स को और सारे लोगों को इकट्ठा करो, क्योंकि मैं हमारी गैंग में शामिल होने वाले हर एक शख्स को पहले ही बोला था, मैं सब कुछ बर्दाश्त कर सकती हूँ, लेकिन धोखा नहीं…"
2 मिनट के अंदर-अंदर वह पूरा हॉल बॉडीगार्ड्स से भर चुका था। अपनी क्वीन की चेयर पर बैठी खुशी सब की तरफ देखकर कहती है, "एक सवाल और एक जवाब। कोई झूठ नहीं, कोई धोखा नहीं, कोई फरेब नहीं। किसने हमारे दुश्मनों को मेरी आइडेंटिटी के बारे में बताया? क्योंकि मैं तुम लोगों का भरोसा करके तुम्हें अपनी आइडेंटिटी बताई। तुम लोगों का भरोसा करके मैंने अपना चेहरा तुम लोगों के सामने रिवील किया और तुम लोगों ने मुझे धोखा दिया। जिसने भी यह किया है, वह मेरे सामने आ जाओ, वरना अगर मैं अपने ज़रिए पता लगाया तो एक-एक को ज़िंदा नहीं छोड़ूंगी…"
सारे बॉडीगार्ड्स अपना सर झुकाकर खड़े थे क्योंकि किसी की हिम्मत नहीं थी कि वह अपनी क्वीन की आँखों में देख सके। तभी खुशी अनाउंस करती है, "अगर मैं 5 तक गिनती पूरी करने तक वह गद्दार मेरे सामने नहीं आया तो उसके साथ-साथ में उसकी पूरी फैमिली को बर्बाद कर दूँगी। कहीं का नहीं छोडूंगी किसी को, चाहे वह कोई भी हो…"
5 से 10 मिनट हो चुके थे लेकिन कोई भी आगे नहीं आया था। तभी खुशी नकुल की तरफ देखकर कहती है, "नकुल, वीर, राज और नील, चारों लोग उस गद्दार को मेरे सामने लेकर आओ। अब उसे मैं ऐसी मौत दूँगी कि आगे से कोई भी मेरे साथ गद्दारी करने के बारे में सोचेगा भी नहीं…"
2 सेकंड के अंदर-अंदर एक आदमी को लाकर खुशी के कदमों में डाल दिया जाता है। खुशी सबको वहाँ से थोड़ा दूर हटाने के लिए बोलती है क्योंकि वह अपने सारे बॉडीगार्ड्स को अपना खौफ़ दिखाना चाहती थी, जो आगे से उसके साथ गद्दारी करने के बारे में सोच भी न सकें…
तभी वह आदमी खुशी के पैर पकड़ लेता है और कहता है, "क्वीन, माफ़ कर दीजिए, मुझसे गलती हो गई। मैं पैसों के लालच में आ गया था। मैंने उन्हें यह तो बता दिया कि आपका नाम क्या है और आप कहाँ रहती हैं, लेकिन मैंने आपकी कोई तस्वीर उन्हें नहीं दिखाई। वह सिर्फ़ नाम के ज़रिए आपको ढूँढने की कोशिश कर रहा था।" खुशी जोर से उस आदमी के सीने में वार करती है और कहती है, "गद्दारी करने के बाद सफ़ाई दे रहे हो? जब उसने तुमसे हाथ मिलाया था या जब उसने तुम्हें अपने पास बुलाया था, तभी तुम मुझे जाकर बता सकते थे ना? पैसों की ज़रूरत ही तो मुझसे माँग लेते। मैंने कब तुम लोगों की मदद नहीं की? लेकिन तुमने मुझे धोखा दिया है, तो इसके बदले तो तुम्हें मौत मिलेगी, लेकिन तुम सबके लिए एक सबक होगा कि क्वीन को धोखा देना इतना आसान नहीं है…"
सारे बॉडीगार्ड्स डर की वजह से काँप रहे थे क्योंकि अपनी क्वीन की हैवानियत को वे लोग बहुत अच्छे से जानते थे। तभी खुशी नकुल की तरफ देखकर कहती है, "नकुल…"
नकुल तुरंत उसके हाथ में लाकर एक खंजर रख देता है और खुशी अपने पैरों पर चलकर उस बॉडीगार्ड के पास आती है और अपने घुटनों के बल बैठकर कहती है, "धोखा… धोखा… यही सीखा तुमने 5 साल में मेरे साथ रहकर? तुम मेरे बारे में सब कुछ जानते थे, फिर भी तुमने मुझे धोखा देने के बारे में सोचा? अब तुम सोचो, मैं तुम्हें कैसी सज़ा दूँगी?" तभी वह अपने हाथ में पड़े चाकू से एक वार करती है और उस बॉडीगार्ड के हाथ की पाँचों की पाँच उंगलियाँ कटकर जमीन पर गिर जाती हैं। तभी वह उसके दूसरे हाथ पर वार करती है, उसके दूसरे हाथ की भी उंगलियाँ कटकर जमीन पर गिर जाती हैं।
खुशी डेविल स्माइल करते हुए वीर की तरफ देखकर कहती है, "वीर, वह लिक्विड लेकर आओ ना, जिसका एक्सपेरिमेंट मैंने कुछ दिन पहले किया था। चलो, अब उसे ट्राई करके देखते हैं इसके ऊपर।" जैसे ही सब लोग उस लिक्विड के बारे में सुनते हैं, सब की रूह काँप जाती है। सब लोग डर और आँखों में खौफ़ लिए सामने खड़ी खुशी को देख रहे थे। वहीं रजत की तो हालत ख़राब थी। खुशी का यह रूप देखकर रजत तो खुशी को एक मासूम, भोली-भाली लड़की समझता था, लेकिन उसके सामने खड़ी यह लड़की पूरी की पूरी डेविल थी। यह तो रणबीर से भी बड़ी डेविल थी।
रजत के पैर काँप रहे थे, उसके पैर जमीन में टिक ही नहीं रहे थे। वहीं वीर उसके हाथ में लाकर वह लिक्विड रख देता है और खुशी उसे बॉडीगार्ड के मुँह पर डाल देती है। उसके मुँह में डाले हुए अभी 2 मिनट भी नहीं हुए थे कि उस बॉडीगार्ड की बॉडी के चिथड़े उड़ जाते हैं और पूरे हॉल में खून ही खून और माँस फैल जाता है। यह देखकर सारे बॉडीगार्ड मुँह पर हाथ रख लेते हैं क्योंकि उन्हें पता था उनकी क्वीन बहुत बेरहम है, लेकिन आज उन्होंने यह सब कुछ अपनी आँखों से देख भी लिया था।
अपने आगे का इतना भयानक सीन देखकर रजत वहाँ से जल्दी से चला जाता है क्योंकि आगे उसे देखा नहीं जा रहा था। वहीं रजत के जाते ही खुशी सब की तरफ देखकर कहती है, "क्लियर करो सब कुछ और आगे से मुझे धोखा देने के बारे में सोचना भी मत।" तभी खुशी की नज़र अपनी वॉच पर जाती है जिसमें टाइम दिखा रहा था सुबह के 4 बज चुके थे। यह देखते ही खुशी जल्दी से नकुल और वीर की तरफ इशारा करके कहती है, "जल्दी चलो! अगर पतिदेव जाग गए तो पूरे घर में आफ़त आ जाएगी और मुझे उन्हें सब कुछ बताना पड़ेगा।" वह इतनी स्पीड से वहाँ से गई थी कि नकुल, नील, वीर और राज उसे देखते ही रह गए थे। तभी वीर नकुल, नील और राज की तरफ देखकर कहता है, "यह जितनी सीधी, भोली-भाली अपने पति के आगे बनती है ना, यह उतनी ही भयानक और खौफ़नाक है।"
नकुल वीर की तरफ देखकर कहता है, "अगर मरना चाहते हो वक़्त से पहले तो बोलते रहना।" वही जैसे ही वीर को एहसास होता है कि उसने क्या बोला, वह जल्दी से अपना मुँह बंद कर लेता है और चारों ही खुशी के पीछे चले जाते हैं।
वहीं दूसरी तरफ, एक अनजान जगह, बहुत सारे दुश्मनों का मेला लगा हुआ था। उन्हीं के बीच एक आदमी बहुत ही खौफ़नाक तरीके से बैठा हुआ था। उसके पूरे चेहरे पर एक गहरा निशान था जो उसके खूबसूरत चेहरे को बदसूरत बना रहा था। उसका वह निशान उसके माथे से लेकर उसके गाल तक था जो उसके पूरे चेहरे को कुरूप कर रहा था। ऐसा लग रहा था किसी ने बहुत बेरहमी से उस पर वार किया था।
उसके सामने बैठा आदमी कहता है, "मिस्टर विक्रम, जब आप क्वीन के बारे में कुछ जानते ही नहीं हैं तो आप उन्हें टारगेट किस बेस पर करना चाहते हैं? हमें यह नहीं पता कि क्वीन कौन है, कैसी दिखती है, कितनी उम्र की है। हम तो उसका असली नाम तक नहीं जानते। और चले आप उससे बदला लेने? शायद आपने सुना नहीं, उसने अपने ही आदमी को बेरहमी से मार डाला क्योंकि उसके आदमी ने उसके ही दुश्मन से हाथ मिला लिया था। तो सोचो वह हमारे साथ कैसा व्यवहार करेगी अगर उसे सच पता चल गया तो।"
विक्रम गुस्से में अपने हाथ में पड़े हुए गिलास को उस आदमी के ऊपर फेंक देता है और खड़े होकर कहता है, "वह जो भी हो, जैसी हो, उसे मारना मेरे हाथों है क्योंकि उसने मुझे ज़िंदगी भर का दर्द दिया है। मैं अपनी शक्ल आईने में नहीं देख सकता और जब तक उसे मार नहीं दूँगा ना, तब तक चैन से नहीं बैठूँगा।" और वहाँ से गुस्से में चला जाता है। विक्रम के वहाँ से जाते ही सारे लोग आपस में बातें करके कहते हैं, "जब वह सामने आती है तो अच्छा-अच्छा की पैंट गीली हो जाती है और यह उसे मारना चाहता है, इसलिए मैं तुमसे कह रहा हूँ, हम में से अगर किसी को उसे बॉडीगार्ड की तरह नहीं मरना है तो क्वीन के मामले में दख़लअंदाज़ी मत करना।" सब लोग हाँ में अपनी रज़ामंदी देकर वहाँ से चले जाते हैं।
5:00 के आसपास खुशी पीछे के दरवाज़े से मित्तल मेंशन में दाखिल होती है। अपनी स्टडी रूम की बालकनी में खड़ा रणबीर यह सब देख रहा था, लेकिन वह कुछ नहीं बोलता। खुशी अपने कमरे में जाकर जल्दी से अपने कपड़े चेंज करती है और चुपचाप बेड पर जाकर लेट जाती है। वह इतनी थक चुकी थी कि 5 मिनट के अंदर-अंदर उसे नींद आ जाती है। 10 मिनट बाद कमरे का गेट खुलता है और रणबीर अंदर आता है और खुशी की तरफ़ देखकर उसके पास जाकर बैठ जाता है और कहता है, "तुम वह नहीं हो जो मैं सोच रहा हूँ। और जो मैं सोच रहा हूँ, अगर तुम वह हो तो मज़ा आने वाला है इस ज़िंदगी में। खेल तुमने शुरू किया है बीवी, और उसे अंजाम तक मैं पहुँचाऊँगा।"
फिर रणबीर भी खुशी के पास लेटकर उसके चेहरे को देखने लगता है और कब उसे नींद आ जाती है पता ही नहीं चला। पूरी दुनिया की नींद उड़ाने वाली लड़की खुद इतनी मासूमियत से सो रही थी। वहीं अपने कमरे में बैठा रजत डर की वजह से काँप रहा था क्योंकि उसे अब खुशी से डर लग रहा था। खौफ़नाक मंज़र उसकी आँखों के सामने बार-बार आ रहा था जब खुशी ने उस लिक्विड से उस आदमी के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए थे। उसे किसी हथियार की ज़रूरत नहीं पड़ी थी। वह आदमी ऐसे ब्लास्ट हो गया था जैसे कोई बम ब्लास्ट हुआ हो। यही सब सोचते हुए रजत के हाथ काँप रहे थे और वह अपने मन में कहता है, "अगर मैडम को पता चल गया कि पहले मैं उनके बारे में क्या सोचता था तो वह मुझे भी ऐसे ही मौत के घाट उतार देंगी…"
लगभग 5:00 बजे खुशी पीछे के दरवाजे से मित्तल मेंशन में दाखिल हुई। अपनी स्टडी रूम की बालकनी में खड़ा रणबीर यह देख रहा था, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला। खुशी अपने कमरे में जाकर जल्दी से कपड़े बदलती है और चुपचाप बिस्तर पर लेट जाती है। वह इतनी थक चुकी थी कि 5 मिनट के अंदर ही उसे नींद आ गई। 10 मिनट बाद कमरे का गेट खुला और रणबीर अंदर आया। वह खुशी की तरफ देखकर उसके पास जाकर बैठ गया और बोला, "तुम वह नहीं हो जो मैं सोच रहा हूँ। और अगर तुम वह हो जो मैं सोच रहा हूँ, तो मज़ा आने वाला है। इस जिंदगी के खेल तुमने शुरु किया है, बीवी, और उसे अंजाम तक मैं पहुँचाऊँगा।"
फिर रणबीर भी खुशी के पास लेटकर उसके चेहरे को देखने लगा। उसे कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला। पूरी दुनिया की नींद उड़ाने वाली लड़की खुद इतनी मासूमियत से सो रही थी। वहीं अपने कमरे में बैठा रजत डर की वजह से काँप रहा था क्योंकि उसे अब खुशी से डर लग रहा था। खौफनाक मंज़र उसकी आँखों के सामने बार-बार आ रहा था—जब खुशी ने उस लिक्विड से उस आदमी के शरीर को टुकड़े-टुकड़े कर दिया था। उसे किसी हथियार की ज़रूरत नहीं पड़ी थी; वह आदमी ऐसे ब्लास्ट हो गया था जैसे कोई बम ब्लास्ट हुआ हो। यही सब सोते हुए रजत के हाथ काँप रहे थे और वह अपने मन में कहता है, "अगर मैडम को पता चल गया कि पहले मैं उनके बारे में क्या सोचता था, तो वह मुझे भी ऐसे ही मौत के घाट उतार देंगी..."
रजत का पूरा शरीर डर की वजह से काँप रहा था। उसे अपने कमरे में चैन नहीं मिल रहा था, शांति नहीं मिल रही थी। उसका सुकून भी चला गया था और वह डर की वजह से अपने कमरे से बाहर भी नहीं निकल रहा था क्योंकि पूरे घर की लाइट ऑफ थी। वह डर की वजह से अपने कमरे में ही हनुमान चालीसा का जाप कर रहा था।
अगली सुबह...
रणबीर और खुशी ब्रेकफास्ट टेबल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे। रणबीर खुशी की तरफ देखकर बोला, "बीवी, कल रात तुम कहाँ थीं? मैं रूम में आया था एक फ़ाइल लेने, तो तुम रूम में नहीं थीं।" रणबीर की बात सुनकर खुशी के हाथ की मुट्ठी बंद हो गई और उसने अपने चेहरे पर दुनिया भर की मासूमियत लाकर कहा, "हब्बी, मैं वॉशरूम गई थी। आप तभी आए होंगे।"
खुशी का झूठ सुनकर रणबीर मन ही मन में हँसने लगा, लेकिन उसने कुछ नहीं बोला क्योंकि वह जानता था कि अगर अभी वह कुछ बोलेगा तो खुशी अपनी मासूमियत से उसका दिल पिघला देगी। और रणबीर को जाकर रजत की हालत भी देखनी थी। इसीलिए रणबीर नाश्ता करके उठकर खड़ा हुआ और खुशी के माथे को प्यार से चूमकर मेंशन से बाहर चला गया। वहीं रणबीर के जाते ही खुशी के चेहरे पर गिल्ट भाव आ गए क्योंकि वह अपने पति से अपनी इतनी बड़ी पहचान छिपा रही थी।
अभी अचानक खुशी का फ़ोन बजने लगा। खुशी फ़ोन उठाकर अपने कान पर लगाती है और अपनी कठोर और सर्द आवाज़ में बोलती है, "अगर कोई इम्पॉर्टेन्ट काम नहीं है, तो सोच लेना कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगी।"
नकुल खुशी की गुस्से भरी आवाज़ सुनकर कहता है, "मैडम, ज़रूरी काम है। हमारे बेस ए पर किसी ने अटैक किया है और वहाँ मौजूद हमारे सारे बॉडीगार्ड्स घायल हो चुके हैं। और वे हमारे देश में घुसने की कोशिश कर रहे हैं। अगर वे अंदर चले गए, तो आप जानती हैं ना कितना बड़ा नुकसान होगा, और सबसे ज़्यादा नुकसान हमारे देश का होगा।" जैसे-जैसे खुशी नकुल की बात सुन रही थी, वैसे-वैसे खुशी का गुस्सा उसके आपे से बाहर जा रहा था और वह नकुल से एक शब्द में जवाब देती है, "आई एम कमिंग।"
नकुल के हाथ-पैर काँपने लगते हैं क्योंकि खुशी की आवाज़ में इस वक़्त बहुत भयानक और सख़्त गुस्सा दिखाई दे रहा था। वह जल्दी से फ़ोन काटकर अपने सारे बॉडीगार्ड को मैसेज कर देता है कि "मैडम आज हद से ज़्यादा गुस्से में हैं और जल्द से जल्द बेस ए पर पहुँचकर वहाँ की हालत को अपने काबू में लो, वरना कल की सज़ा कोई भूला नहीं था।"
खुशी तैयार होकर घर से बाहर निकल जाती है।
मित्तल इंडस्ट्रीज़
रणबीर की कार मित्तल इंडस्ट्रीज़ के बाहर आकर रुकती है और वह अपने कठोर और सख़्त चेहरे के साथ अपने ऑफ़िस के अंदर चला जाता है। जहाँ-जहाँ से वह निकल रहा था, सारे एम्प्लॉयी खड़े होकर और सर झुकाकर उसे ग्रीट कर रहे थे। वहीं सारी लड़कियों के दिल धड़क रहे थे, तो वहीं सारे लड़कों को अपनी जान हथेली पर दिखाई दे रही थी। जैसे ही रणबीर अपने ऑफ़िस में इंटर करता है, वैसे ही सारे लड़के और लड़कियाँ एक राहत की साँस लेते हैं; वरना जब से रणबीर ने ऑफ़िस में कदम रखा था, तब से सारे एम्प्लॉयीज़ की जान गले में आ गई थी और सब साँस लेना भी भूल गए थे।
रणबीर जैसे ही अपने केबिन में पहुँचता है, वह तुरंत ही रजत को कॉल करके बुला लेता है। रजत ऑफ़िस का गेट लॉक करता है तो अंदर से रणबीर की आवाज़ आती है, "Come in..."
जैसे ही रजत रणबीर के सामने खड़ा होता है, रजत की हालत देखकर रणबीर को अंदर से इतनी हँसी आ रही थी कि वह बात नहीं सकता था, लेकिन उसने अपने चेहरे पर ज़ीरो एक्सप्रेशन रखा। वहीं रजत हकला-हकलाकर रणबीर को आज का शेड्यूल बता रहा था। रणबीर रजत की तरफ़ देखकर बोलता है, "हुआ क्या है तुम्हें? तुम इतना डरा हुआ क्यों हो? कुछ हुआ है क्या, जिसके बारे में मैं नहीं जानता?" रजत को बस जैसे भगवान का सहारा मिल गया था।
रजत जल्दी से रणबीर को वह वीडियो दे देता है जिसमें वह बॉडीगार्ड को मार रही थी। क्योंकि रजत ने जैसे ही खुशी का वह भयानक रूप देखा था, उसका फ़ोन उसके हाथ से छूटकर गिर गया था और उसमें चल रहा वीडियो कॉल कट हो गया था। लेकिन बाद में उसने उसे हिडन कैमरे से रिकॉर्ड कर लिया था, जो उसने अपने कपड़ों में लगाकर गया था। वहीं रणबीर जैसे-जैसे वह वीडियो देख रहा था, रणबीर के चेहरे पर एक ख़तरनाक मुस्कराहट फैल गई और वह रजत की तरफ़ देखकर कहता है, "तुमने एक दिन मुझे बोला था ना कि मेरी बीवी मेरे लायक नहीं है। तुम बोलो तो मैं खुशी को बता दूँ यह बात..."
अभी वह अपनी बात खत्म भी नहीं किया था कि तब तक रजत रणबीर के पैर पड़कर बैठ जाता है और रोने लगता है और अपनी जान की भीख माँगने लगता है। यह खुशी का इतना असर देखकर रणबीर हैरान हो गया क्योंकि उसे लगा नहीं था कि रजत जैसा बंदा खुशी से डर जाएगा। लेकिन जो भी था, उसकी बीवी थी तो डेविल, एक बार को तो वह भी डर गया था, तो फिर रजत की औकात ही क्या थी...
रणबीर रजत के हाथ अपने पैरों से हटाकर कहता है, "ठीक है, जो करना है करो। जाकर कुछ नहीं बोलूँगा मैं।" जैसे ही रजत यह सुनता है, वह वहाँ से रफ़ूचक्कर हो जाता है। ऐसा लग रहा था जैसे वह यहाँ कभी था ही नहीं।
रजत और रणबीर बचपन के दोस्त थे। दोनों एक साथ पड़े-बढ़े थे। वैसे तो रजत एक अच्छी फैमिली से बिलॉन्ग करता था, लेकिन उसे रणबीर के साथ रहना था, इसीलिए उसने अपनी फैमिली बिज़नेस को छोड़कर रणबीर का असिस्टेंट बनना चुना था। रजत और रणबीर के अलावा उनके ग्रुप में उनके तीन दोस्त और थे।
रजत उन्हें ग्रुप में एक मैसेज कर देता है। क्योंकि वह रणबीर को नहीं बता पाया था, इसलिए वह उसे ग्रुप में ही खुशी के बारे में लिखकर भेज देता है कि "रणबीर की वाइफ़ बस से भी बढ़कर डेविल है। उससे बचकर रहना पड़ेगा।" जैसे ही उनके ग्रुप में यह मैसेज आता है, सब लोग हैरानी से एक-दूसरे को देखने लगते हैं क्योंकि वे तीनों लोग इस वक़्त एक साथ एक ही रेस्टोरेंट में बैठे हुए थे। तभी वे तीनों डिसाइड करते हैं कि आज वे मित्तल मेंशन जाएँगे, जो कि रणबीर का खुद का मेंशन था।
कहीं दूसरी तरफ़, खुशी की कार अपने बेस के पास आकर रुकती है। वह देखती है कि वहाँ लाशों का ढेर पड़ा हुआ था। उन लाशों के ढेर पर पैर रखकर खुशी आगे बढ़ती जा रही थी। वहीं कोई था जो खुशी का पीछा कर रहा था। कौन था यह तो पीछा करने वाला जानता था। खुशी जिस तरीके से आगे जा रही थी, पीछा करने वाले के सर से पसीना बह रहा था। वह जल्दी से आगे बढ़कर एक पेड़ के पीछे छुप जाता है। खुशी बेस के अंदर चली जाती है तो वहाँ उसे नकुल मिलता है। नकुल खुशी की तरफ़ देखकर कहता है, "मैडम, सब अंडर कंट्रोल है। हमने सारे हमलावरों को मार दिया है और एक ज़िंदा बचा था जो हमें यह बताया कि उन्हें यहाँ भेजा किसने था..."
वहीं खुशी के पीछे आया हुआ इंसान अभी भी पेड़ के पीछे छुपा हुआ खड़ा था। थोड़ी देर बाद खुशी वहाँ से निकलकर चली जाती है तो उसके पीछे आया हुआ इंसान भी चला जाता है, लेकिन अब वह खुशी के पीछे ना जाकर सीधा आहूजा मेंशन जाता है। जी हाँ, जो खुशी का पीछा कर रहा था, वह आहूजा मेंशन से ही कोई था। कौन था वह, तो बाद में पता चलेगा।
आहूजा मेंशन...
अक्षत आकर घर में सबको बता चुका था कि होटल रूम में क्या हुआ था और सब लोग अपनी बेटी का शुक्र अदा कर रहे थे कि उन्होंने गलत लड़की को अपने घर में आने से रोक लिया, वरना वह इस परिवार को तोड़कर रख देती और अक्षत की पूरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाती। वहीं अक्षत अभी भी किया के धोखे से उबर नहीं पाया था क्योंकि उसने किया से सच्चा प्यार किया था और किया ने उसके प्यार को इस तरह ज़लील किया था कि अब शायद प्यार से ही उसे नफ़रत हो गई थी।
आहूजा फैमिली इस वक़्त हाल में बैठी हुई थी। तभी वहाँ विवान आता है और सब की तरफ़ देखकर कहता है, "क्या हुआ? आप लोग इतने परेशान क्यों हैं? कुछ हुआ है क्या?" नमन जी विवान की तरफ़ देखकर कहते हैं, "तुम्हारे भाई की ज़िंदगी में क्या हो रहा है, इसके बारे में तुम्हें ख़्याल भी है?" विवान रिलैक्स होकर सोफ़े पर लेट जाता है और कहता है, "अच्छा है ना, बात शादी के बाद पता चली। उसे तो शादी से पहले ही पता चल गया। चार दिन का दुख है, ख़त्म हो जाएगा। अगर शादी के बाद यह पता चलता ना, तो भाई किसी को मुँह दिखाने लायक नहीं रहते। अभी तो वह सिर्फ़ उनकी मंगेतर थी। बाद में वह उनकी बीवी और इस घर की इज़्ज़त होती। तो अच्छा है ना, सब कुछ ख़त्म हो गया। और वैसे भी, वह किया मुझे कभी पसंद नहीं थी।"
"मुझे तो अपने भाई के लिए अपनी बहन जैसी लड़की पसंद है, जो बिल्कुल भाई के टक्कर की है। लेकिन आप लोगों की नज़र कभी उस तक गई ही नहीं।" सब लोग हैरानी से विवान को देखते हैं तो विवान कहता है, "मैं उसी की बात कर रहा हूँ जिसकी आप लोग समझ रहे हो। बुला लीजिए उसे वापस। उसके आने से भाई अपना सारा दर्द भूल जाएगा। और वह यहाँ से गई भी तो इसीलिए थी ना, क्योंकि भाई ने उसकी मोहब्बत को ठुकराकर उसकी किया को चुना था। और उस किया ने क्या किया, यह बात तो हम सब लोग जानते हैं ना..."
तभी ऊपर से आ रहा अक्षत सब की तरफ़ देखकर कहता है, "वह वापस नहीं आएगी, क्योंकि मैंने उसके दिल के साथ-साथ उसे अपनी दोस्ती भी तोड़ दी थी, तो वह क्यों यहाँ वापस आएगी और किस वजह से आएगी? और मैं नहीं चाहता वह यहाँ आकर दुख-दर्द सहें। क्योंकि मेरे दिल में उसके लिए ना कुछ था और ना आज कुछ है। हाँ, किया ने मुझे धोखा दिया, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं किया को बुलाने के लिए रूहानी का सहारा लूँगा। रूहानी कल मेरी दोस्त थी, आज भी है और आगे भी रहेगी, लेकिन वह कभी मेरी बीवी या मेरी मोहब्बत नहीं बन सकती। यह बात आप लोग याद रखिए।" तभी हाल में एक प्यारी-मासूम सी आवाज़ पूछती है...
"और आपको ऐसा क्यों लगता है? अक्षत, क्या आप हमसे अपने परिवार को छोड़ देंगे? आपने हमसे दोस्ती तोड़ी थी, लेकिन यह परिवार आज भी हमारा है और हम अपने परिवार का साथ कभी नहीं छोड़ सकते। और वैसे भी, किया अपनी मोहब्बत के पास है, जिसके लिए उसने अपने दोस्त को छोड़ दिया था।" सब लोग उसे देखते हैं जहाँ से रूहानी आ रही थी। रूहानी को देख सबकी आँखें चौड़ी हो जाती हैं।
रूहानी ने इस वक़्त एक सफ़ेद साड़ी पहन रखी थी और वह ऐसी लग रही थी जैसे उसकी ज़िंदगी में कोई रंग बचा ही ना हो। इन 7 सालों में ऐसा क्या हुआ था जो रूहानी इतनी बदल गई थी? विवान जल्दी से जाकर रूहानी के पास खड़ा हो जाता है और कहता है, "रूहानी, यह क्या पहनावा बना रखा है तुमने? और तुम्हें तो सफ़ेद कलर बिल्कुल पसंद नहीं है ना, तो तुम्हें यह सफ़ेद कलर की साड़ी क्यों पहनी है...?"
रूहानी विवान के गले लगकर जोर-जोर से रोने लगती है। तभी वहाँ पर पूरा आहूजा परिवार आ चुका था और विवान का सबसे छोटा भाई अर्जुन भी। अर्जुन रूहानी के पास आकर कहता है, "क्या हुआ रूहानी दीदी? आपने यह सफ़ेद साड़ी क्यों पहनी है? आपको तो सफ़ेद कलर बिल्कुल पसंद नहीं था। आप तो बोलती थीं आप ज़िंदगी में कभी सफ़ेद कलर नहीं पहनेंगी..."
रूहानी सबके गले मिलती है और फिर सबसे अलग खड़ी होकर कहती है, "मेरी ज़िंदगी में यह सफ़ेद कलर मेरी पहचान बन चुका है। अब और फ़िक्र मत करिए। अक्षत, मैं आपके घर में ज़्यादा दिन नहीं रुकूँगी। पापा यहाँ घर ले रहे हैं, उसके बाद वहीं चली जाऊँगी, किसी होटल में। अगर यह मेरा रहना पसंद नहीं, तो मैं किसी अनाथ आश्रम में भी जा सकती हूँ।" जैसे ही सब लोग रूहानी की ऐसी बात सुनते हैं, सबके दिल में एक सीसक़ी छुप जाती है। अक्षत के हाथों की मुट्ठी बंधी हुई थी क्योंकि उसे भी रूहानी के ऊपर यह सफ़ेद कलर अपने दिल में छुप रहा था, लेकिन वह किस हक़ से रूहानी से पूछे कि उसने क्यों यह सफ़ेद साड़ी पहनी है? क्या वजह है उसकी सफ़ेद साड़ी पहनने की...?
सब लोग रूहानी को ले जाकर सोफ़े पर बिठा देते हैं और दादी माँ रूहानी के सर पर हाथ फेरती हैं। "बताओ ना बेटा, क्या हुआ? क्या भेद बना रखा है तुमने? तुम तो मेरी हँसती-मुस्कुराती रूहानी थीं ना? कहाँ गई वह हँसती-मुस्कुराती रूहानी...?"
रूहानी अपनी आँखों में आँसू भरकर कहती है, "मर गई वह रूहानी जो कभी हँसाती थी, मुस्कुराती थी, जिसे रंगों से मोहब्बत थी। अब रूहानी एक कोरा कागज़ है, और यह सफ़ेद कपड़ा उसकी पहचान। दादी, मैंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया, तो मेरे साथ क्यों बुरा हुआ, दादी माँ?"
आज इस रूहानी को देखकर सबकी आँखों में नमी थी। सबके दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था: क्या हुआ था रूहानी के साथ? 7 साल। रूहानी ने किसी से कोई रिश्ता नहीं रखा था, किसी से बात नहीं करती थी, किसी गेट-टुगेदर में नहीं आई, किसी फैमिली फ़ंक्शन में नहीं आई, और आज ऐसा लग रहा है जैसे उसकी ज़िंदगी से उसकी ज़िंदगी ही रूठ गई है। किसी को रूहानी का यह रूप पसंद नहीं आ रहा था। वहीं अक्षत मन ही मन में गुस्सा कर रहा था क्योंकि वह रूहानी के ऊपर गुस्सा नहीं कर सकता था, उससे कोई सवाल नहीं कर सकता था, उससे जवाब नहीं माँग सकता था क्योंकि यह हक़ खुद अक्षत ने रूहानी को वापस दिए थे।
कौन था वह साया जो आहूजा मेंशन में आया था? जो कर रहा था खुशी का पीछा? और क्या राज़ है रूहानी की सफ़ेद साड़ी के पीछे? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में...
रूहानी अपनी आँखों में आँसू भर कर बैठी रही। मर गई थी वह रूहानी, जो कभी हँसा करती थी, मुस्कुराती थी, जिसे रंगों से मोहब्बत थी। अब रूहानी एक कोरा कागज़ है, और यह सफ़ेद कपड़ा उसकी पहचान। "दादी, मैंने कभी किसी के साथ बुरा नहीं किया, तो मेरे साथ क्यों बुरा हुआ, दादी माँ?"
आज इस रूहानी को देखकर सबकी आँखों में नमी थी। सबके दिमाग में एक ही सवाल चल रहा था—क्या हुआ था रूहानी के साथ? 7 साल। रूहानी ने किसी से कोई रिश्ता नहीं रखा था। किसी से बात नहीं करती थी। किसी गेट टूगेदर में नहीं आई, किसी फैमिली फंक्शन में नहीं आई। और आज ऐसा लग रहा था जैसे उसकी ज़िन्दगी से उसकी ज़िन्दगी ही रूठ गई है। किसी को रूहानी का यह रूप पसंद नहीं आ रहा था। वहीं अक्षत मन ही मन में गुस्सा कर रहा था क्योंकि वह रूहानी पर गुस्सा नहीं कर सकता था, उससे कोई सवाल नहीं कर सकता था, उसे जवाब नहीं माँग सकता था, क्योंकि यह हक़ खुद अक्षत ने रूहानी को वापस दिए थे।
रूहानी अभी सबके पास बैठी ही थी कि एक बार फिर दादाजी रूहानी के सिर पर हाथ रखकर कहते हैं, "बेटा, क्या बात है? और जो पहले जाकर कपड़े चेंज करो।" रूहानी दादाजी की तरफ देखकर कहती है, "यह सफ़ेद साड़ी मेरी पहचान है दादाजी, क्योंकि जब मैं यहाँ से गई थी तो पापा ने मेरी शादी करवा दी थी, और मेरी ज़िन्दगी में तो कुछ बचा नहीं था। तो मैंने मम्मी-पापा के कहने से, उनकी पसंद से, लड़के से शादी कर ली।"
सब कुछ ठीक था, लेकिन सिर्फ़ कुछ महीनों तक। 6 महीने बाद वह इंसान अपने असली रूप में वापस आ गया था। वह मुझे हर तरीके से टॉर्चर करता था, मारता था, पीटता था, मेरे साथ हर तरीके का जुल्म करता था। मैं सब कुछ सहती रही क्योंकि मैं अपने माँ-पापा की इज़्ज़त को बर्बाद नहीं कर सकती थी। वह इंसान मुझे यहाँ से लेकर अमेरिका चला गया। अब वहाँ तो मेरा कोई अपना था नहीं जो मुझे बचा लेता; ना कोई अपना, ना कोई भाई, ना कोई दोस्त। तो वह 7 साल मेरे ऊपर अपने जुल्म उठाता रहा, दादाजी। लेकिन एक दिन मेरी सहनशक्ति ज़वाब दे गई और मैंने सारी बातें पापा को बता दी। पापा मुझे लेने गए थे, तो वह इंसान पापा के साथ भी बदतमीज़ी करने लगा।
पापा की बहुत इंसल्ट की उसने। पापा उसके सामने हाथ जोड़ने लगे कि उनकी बेटी को छोड़ दे, लेकिन वह इंसान पापा के सामने ही मुझे मारने-पीटने लगा। और पता है दादी माँ, उसने पापा के सामने ही मेरे साथ जबरदस्ती की। पापा रोते रहे, चिल्लाते रहे, उसके सामने भीख माँगते रहे मुझे छोड़ देने की, लेकिन वह इंसान हैवान बन गया था। तभी एक गोली चली और सब कुछ वहीं खत्म हो गया। और वह गोली चलाने वाली खुद उस इंसान की माँ थी, क्योंकि पिछले 7 सालों से बस उसकी हैवानियत देखती आ रही थी और शायद उस दिन उसके अंदर की इंसानियत जाग गई थी। बेटे के ऊपर, उन्हें एक औरत की इज़्ज़त लगी थी जो उनके बेटे ने मेरे पिता के सामने मेरी लूटी थी, और मुझे यहाँ वापस भेज दिया।
दादी माँ, भाभी और भाई मुझे घर में नहीं रखना चाहते थे। इसीलिए पापा मेरे लिए यहाँ एक घर ले रहे हैं जहाँ मैं सुख, शांति और चैन से रह सकूँ, और मम्मी-पापा भी मेरे साथ शिफ़्ट हो जाएँगे। रूहानी की आपबीती सुनकर सब रो रहे थे। ऐसा कोई बंदा नहीं था जो रो नहीं रहा था। और सबसे ज़्यादा अगर कोई क्रोध में था तो वह अक्षत था। अक्षत के एक गलत फैसले ने अक्षत और रूहानी दोनों की ज़िन्दगी बर्बाद कर दी थी। अगर उस दिन अक्षत रूहानी से शादी कर लेता तो रूहानी की शादी उस हैवान से नहीं होती। इन 7 सालों में रूहानी ने बहुत कुछ बर्दाश्त किया था।
रूहानी जोर-जोर से चीख़-चीख़ कर, चिल्ला-चिल्ला कर रो रही थी। विवान और अर्जुन ने उसे अपने गले से लगा लिया था, लेकिन अक्षत अभी भी एक मूर्ति की तरह खड़ा उसे देख रहा था। जैसे रूहानी के दर्द का जिम्मेदार वह खुद को समझ रहा था, या रूहानी के दर्द को खुद के दिल में महसूस कर रहा था। क्यों अक्षत ने कभी रूहानी के बारे में जानने की कोशिश नहीं की? क्यों उसने अपनी दोस्त को अकेला छोड़ दिया? यही सब बातें अक्षत के दिमाग में चल रही थीं।
सब लोग रो रहे थे, सबकी आँखों में आँसू थे। तभी बाहर से एक आवाज़ सुनाई देती है, "अगर खुद के दर्द को सबको दिखाओगी ना आप, तो आज आपके साथ रो रहे हैं, कल आपके दर्द का मज़ाक बनाएँगे ये लोग।" जैसे ही सब लोग गेट की तरफ़ देखते हैं, तो वहाँ रणबीर और खुशी खड़े थे। रणबीर और खुशी को देखकर सब लोग खड़े हो जाते हैं। रूहानी अपनी आँखों से आँसू साफ़ करके खुशी की तरफ़ देखने लगती है। खुशी रूहानी के पास आकर खड़ी हो जाती है और कहती है, "सही कह रही हूँ मैं रूहानी, अगर अपने दर्द को सबको दिखाओगी ना, तो ये लोग बाद में तुम्हारे दर्द का मज़ाक बनाएँगे, तो मैं भी उसी तरह तुम पर वार करूँगी, जैसे वो शख्स दोषी न होकर तुम दोषी हो।"
रूहानी खुशी की तरफ़ देखकर बोलती है, "दर्द जब हद से ज़्यादा बढ़ जाता है ना, तो किसी से बात कर लेनी चाहिए। और मैं जानती हूँ यह परिवार कभी मेरे दर्द को, मेरे ज़ख्मों को, किसी चीज़ को मज़ाक नहीं बनाएगा। और वैसे आपको पहली बार देख रही हूँ यहाँ।" तभी रणबीर कहता है, "रूहानी, खुशी हमारी कोई हुई बहन है। इसके बारे में हम हमेशा तुमसे बात करते थे, जैसे तुम्हें ढूँढने के लिए मम्मी-पापा ने समीना आसमानी को कर दिया था।" रूहानी खुशी के सीने से लग जाती है। खुशी भी रूहानी को खुद से दूर नहीं करती, क्योंकि रूहानी इस वक़्त एक टूटी हुई लड़की थी, जिसके अंदर शायद जीने की उम्मीद नहीं थी।
खुशी रूहानी को लेकर सोफ़े पर बैठ जाती है और उसके आँसू साफ़ करके कहती है, "मेरे साथ चलिए। आपको इतना स्ट्राँग बनाऊँगी कि आपको रुलाने वाला खुद रोएगा। जिसने आपको ठुकराया था ना, वह आपको पाने के लिए घुटनों पर बैठेगा। यह वादा है मेरा आपसे। और हाँ, उससे पहले आपको अपने दर्द को अपनी ताक़त बनाना होगा। आपके भाई-भाभी ने आपको छोड़ा है ना, एक दिन वह आपको छोड़ने पर पछताएँगे। उस आदमी की आत्मा आसमान में से भी आपको देखकर तड़पेगी। आप खुद को इतना कामयाब बना लीजिए कि आपको किसी दूसरे की ज़रूरत ही महसूस ना हो। आपको पता है रिश्तों में 100% देने का काम सिर्फ़ लड़की का ही नहीं होता, लड़के का भी होता है।"
"चलेंगे ना आप मेरे साथ?" पता नहीं खुशी की बातों में ऐसा क्या था कि रूहानी को उसकी हाँ मिलने लग जाती है। तभी सबके कानों में एक कठोर आवाज़ सुनाई देती है, "रूहानी अब इस घर से कहीं नहीं जाएगी। यहीं इस घर में रहेगी।"
अक्षत की बात सुनकर खुशी अक्षत के सामने जाकर खड़ी हो जाती है और कहती है, "किस हक़ से रहेगी वह यहाँ? ना वह इस घर की बेटी है, ना इस घर की बहू है। तो किस हक़ से आप रोकना चाहते हैं उन्हें यहाँ? क्या उन्होंने कमतर सही किया है जो आप उन्हें और दर्द सहना चाहते हो? क्योंकि यह समाज एक विधवा को जीने नहीं देता। सब लोग उनके ऊपर उंगली उठाएँगे कि घर में जवान तीन-तीन लड़के हैं और एक विधवा उसे घर में क्या कर रही है? उनके चरित्र पर उंगली उठाई जाएगी। क्या आप जवाब दोगे? नहीं दोगे? क्योंकि जब आप एक बार उन्हें ठुकरा सकते हैं ना, तो दोबारा भी उनसे मुँह मोड़कर जा सकते हो। इसीलिए मेरा एक NGO है जहाँ मैं ऐसी ही लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाती हूँ, और आज से रूहानी वहीं रहेगी। उन्हें किसी की ज़रूरत नहीं है; ना माँ-बाप की, ना भाई-भाभी की, और ना ही किसी दूसरे के सहारे की।"
खुशी की बातें सुनकर सब लोग स्पचलेस रह जाते हैं, क्योंकि उसकी बातों में लॉजिक था। जब उनका घर का बेटा रूहानी को अपनाना नहीं चाहता, तो वह भी उसे घर में दबाव नहीं बना सकते थे। खुशी पूरे आहूजा फैमिली की तरफ़ देखकर कहती है, "वैसे मैं यहाँ एक काम से आई थी, लेकिन यहाँ आकर रूहानी की आपबीती सुनी, इसलिए मैं अपना पॉइंट भूल गई।"
वह अर्जुन के सामने खड़ी हो जाती है और कहती है, "आगे से मेरा पीछा मत करना, क्योंकि कौन कब क्या करता है, मुझे सब कुछ पता रहता है। आज मैंने तुम्हें यहाँ तक आने दिया क्योंकि मैं चाहती थी, लेकिन अगर मेरा दुश्मन मेरा पीछा कर रहा होगा और तुम्हें मेरे पीछे देखेगा, तो उनका टारगेट मैं नहीं, तुम बनोगे। इसीलिए प्यार से समझ रही हूँ, आइन्दा से मेरा पीछा मत करना। और एक बात…"
पूरा आहूजा परिवार हैरानी से अर्जुन और खुशी को देख रहा था, लेकिन ना अर्जुन ने, ना खुशी ने उन सब पर ध्यान दिया था। तभी अक्षत की कठोर आवाज़ एक बार फिर सुनाई देती है, "अर्जुन, खुशी क्या बोल रही है? तुम उसका पीछा कर रहे थे?" अर्जुन अपना सर नीचे झुकाकर कहता है, "भाई, मैं खुशी का पीछा नहीं कर रहा था। जब मैं घर से निकला तो मुझे रास्ते में खुशी दिख गई। वह बहुत स्पीड में और गुस्से में जा रही थी, इसीलिए मैं देख रहा था कि क्या प्रॉब्लम है, बस इससे ज़्यादा कुछ भी नहीं।"
खुशी पूरे आहूजा परिवार की तरफ़ देखकर कहती है, "मैं मानती हूँ आप लोगों की गलती नहीं है, और मैं यह भी जानती हूँ आपने जान-बूझकर कभी कुछ नहीं किया, लेकिन आप लोगों को अपने में मुझे थोड़ा वक़्त लगेगा, इसलिए मैं आप लोगों से बस इतना ही कहना चाहूँगी, अपनी-अपनी लाइफ़ पर कंसंट्रेट कीजिए। मेरे पीछे मेरे पति हैं, मेरा ख्याल रखने के लिए।" फिर वह रूहानी की तरफ़ देखकर बोलती है,
"रूहानी, तुम्हारे ऊपर कोई जबरदस्ती नहीं है। अगर तुम खुद को मज़बूत बनाना चाहती हो तो यह मेरा कार्ड है। कल सुबह ठीक 10:00 बजे यहाँ पहुँच जाना, नहीं तो तुम्हारी मर्ज़ी। मैं जबरदस्ती नहीं करूँगी तुम्हारे साथ।" और रणबीर का हाथ पकड़ बाहर जाने लगती है। तभी दादाजी खुशी की तरफ़ देखकर कहते हैं, "हम बूढ़े हो गए हैं बेटा, क्या अपने दादा-दादी को इतना सा भी वक़्त नहीं दे सकती हो कि वह दो पल तुमसे बैठकर बात कर लें? हमारी ज़िन्दगी का कोई भरोसा नहीं है कि हम कब इस दुनिया को विदा कर जाएँ।"
खुशी चलते-चलते दादाजी की बात सुनकर रुक गई थी और वह घूमकर दादाजी की तरफ़ देखकर कहती है, "आप मेरे दादाजी हैं, और आप मेरी दादी माँ, और इस रिश्ते को कोई नहीं तोड़ सकता। अगर आप चाहते हैं कि मैं थोड़ा वक़्त आपके साथ बिताऊँ, तो ठीक है। आज रात में यहीं रुक जाती हूँ, लेकिन मेरे साथ मेरे पति भी रहेंगे। इस चीज़ से आप में से किसी को भी परेशानी नहीं होनी चाहिए।" पूरा परिवार खुश हो जाता है कि उनके घर की बेटी आज पहली बार घर आई है। वह जल्दी से सारे सर्वेंट को खाना बनाने के लिए बोल देती है।
खुशी रणबीर के पास सोफ़े पर बैठ जाती है और वह दोनों अपनी-अपनी कॉफ़ी पी रहे थे। वहीं रूहानी अभी भी अपना सर झुकाए बैठी थी, और अक्षत की नज़रें रूहानी को एकटक देखे जा रही थीं। कितना दर्द सह रही होगी यह मासूम लड़की? हमेशा हँसती-मुस्कुराती, खिलखिलाती सी रूहानी, खामोश, पत्थर की मूर्ति, एक टूटी हुई लड़की बन गई है। ना चाहते हुए भी अक्षत की आँखों में आँसू आ जाते हैं।
अक्षत से अब बर्दाश्त नहीं होता, तो वह वापस अपने कमरे में चला जाता है। वहीं अक्षत के जाते ही रूहानी एक नज़र अक्षत को देख वापस अपना चेहरा झुका लेती है, क्योंकि वह जानती थी अक्षत वह चाँद है जिससे वह पानी के ख्वाब तो देख सकती है, लेकिन अब उसे पा नहीं सकती, क्योंकि वह उसके लायक नहीं बची थी। उसकी ज़िन्दगी पूरी तरीके से बर्बाद हो चुकी थी। फिर अक्षत की ज़िन्दगी में तो किया है वह? क्यों उसे अपनाएगा? यही सारी बातें रूहानी के दिमाग में चल रही थीं, लेकिन अब वह अपना फैसला कर चुकी थी कि वह इंडिपेंडेंट बनेगी, किसी के ऊपर बोझ नहीं बनेगी। उसे खुशी की बातें सच लग रही थीं।
क्या फैसला लेगा अक्षत? क्या रूहानी जाएगी खुशी के साथ? जानने के लिए पढ़ते रहिए…
अक्षत से अब बर्दाश्त नहीं हुआ, तो वह वापस अपने कमरे में चला गया। वहीं, अक्षत के जाते ही रूहानी ने एक नज़र Akshat को देखा और वापस अपना चेहरा झुका लिया। क्योंकि वह जानती थी, अक्षत वह चाँद है जिससे पानी के वह ख़्वाब तो देख सकती है, लेकिन अब उसे पा नहीं सकती। क्योंकि वह उसके लायक नहीं बची थी; उसकी ज़िंदगी पूरी तरह बर्बाद हो चुकी थी। फिर अक्षत की ज़िंदगी में उसने क्या किया है? वह उसे अपना क्यों अपनाएगा? यही सारी बातें रूहानी के दिमाग में चल रही थीं, लेकिन अब वह अपना फ़ैसला कर चुकी थी कि वह इंडिपेंडेंट बनेगी, किसी के ऊपर बोझ नहीं बनेगी। उसे खुशी की बातें सच लग रही थीं।
अर्जुन और दीवान खुशी को उसका कमरा दिखाने ले गए। रणबीर जब से यहाँ आया था, उसने किसी से एक लफ़्ज़ नहीं बोला था। वह यह देखना चाहता था कि उसकी बीवी के अचानक यहाँ आने का कारण क्या था? वह किस वजह से यहाँ आई थी? यही सब बातें इस वक़्त रणबीर के दिमाग में चल रही थीं।
अर्जुन और दीवान खुशी और रणबीर को उनका कमरा दिखाकर अपने-अपने कमरे में चले गए। उन दोनों के जाते ही रणबीर ने कमरे का गेट अंदर से लॉक कर दिया और पीछे से खुशी को अपनी बाहों में भर लिया। "आज यहाँ रुकने का मतलब क्या था, बीवी? अगर तुम चाहती तो तुम आराम से जा सकती थीं, लेकिन दादा-दादी के एक बार बोलने से तुम यहीं रुकने के लिए मान गईं..."
खुशी रणवीर के एहसास में खोकर अपनी आँखें बंद करके बोली, "वह बूढ़े हैं, रणबीर, और इतनी बड़ी गलती नहीं थी इन लोगों की, जितनी बड़ी सज़ा मैं दे चुकी हूँ। यह तो खुद इतने सालों तक अपनी बेटी से दूर रहे हैं। मैंने सज़ा रूहानी के साथ किए गए जुर्म की दे रही हूँ। अक्षत मेरा भाई है, मैं जानती हूँ, लेकिन उसने सिर्फ़ किया के कहने पर रूहानी की ज़िंदगी को बर्बाद होने दिया। तो उसकी सज़ा तो उसे मिलनी चाहिए ना..."
रणबीर खुशी को अपने सामने किया और बोला, "यह वजह नहीं है। बात कुछ और भी है जो तुम मुझे छुपाने की कोशिश कर रही हो।" रणबीर की बात सुनकर खुशी घूम कर रणवीर के सामने आ गई और बोली, "हाँ, मेरा यहाँ आने का मक़सद कुछ और है, लेकिन वह अभी मैं किसी को नहीं बता सकती। मेरे मक़सद के बारे में तो आने वाला वक़्त बताएगा, और आप फ़िक्र ना करें, मैं ऐसा कोई काम नहीं करूँगी जिसकी वजह से किसी को कोई परेशानी हो। लेकिन तब तक, जब तक कोई मुझे टारगेट करने की कोशिश नहीं करता..."
खुशी और रणबीर फ़्रेश होकर नीचे हॉल में आ गए जहाँ डिनर लग चुका था। सब लोग अपनी-अपनी चेयर पर बैठकर डिनर कर रहे थे और सब चुप थे। वहीं खुशी की नज़रें रूहानी पर टिकी हुई थीं। खुशी को अपना पिछला जन्म याद आ गया, जब ऐसे ही सफ़ेद साड़ी में रूहानी रोड पर चल रही थी। उसे अपनी ज़िंदगी का कोई होश नहीं था, तो खुशी ने उसकी जान बचाई थी। उसके बाद वह खुशी के साथ रहने लगी थी। एक दिन जब कंचन ने खुशी को मारने की कोशिश की, तो रूहानी उसके आगे आ गई और उसे दुनिया को अलविदा कहना पड़ा। उस दिन भी अक्षत ने रूहानी के लिए कोई क़दम नहीं उठाया था। पिछले जन्म में तो अक्षत और किया की शादी भी हो गई थी और किया ने पूरे आहूजा परिवार को बर्बाद कर दिया था।
यही सब सोचते हुए खुशी अपनी प्लेट में चम्मच घुमा रही थी। उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। कभी वह रूहानी को अपने साथ रखना चाहती थी, लेकिन रूहानी किसी पर बोझ नहीं बनना चाहती थी। इसलिए वह चुपचाप अपना खाना खा रही थी। तभी वहाँ दादा-दादी की बेटी और नमन जी का छोटा भाई आ गया। वे खुशी को देखकर खुश होने का नाटक करने लगे और वहीं रूहानी को देखकर अपना मुँह चढ़ा लिए।
लेकिन दादा-दादी और अक्षत और नमन जी के आगे किसी से कुछ भी बोलने की उनकी हिम्मत नहीं थी और वे चुपचाप उन लोगों को डिनर पर ज्वाइन कर लेते हैं। खुशी किसी से कोई बात नहीं करती थी क्योंकि वह इन लोगों की फ़ितरत को पिछले जन्म से जानती थी। यह लोग बहुत ही लालची और मक्कार किस्म के लोग थे जो आहूजा फ़ैमिली को मारकर खुद पूरी आहूजा प्रॉपर्टी के मालिक बनना चाहते थे। पिछले जन्म में तो यह इस चीज़ में कामयाब हो गए थे, लेकिन इस जन्म में खुशी ऐसा कुछ भी नहीं होने देगी और ना ही अपने परिवार को एक ख़रोच आने देगी।
तभी अपनी आदत से मजबूर, कामिनी देवी (खुशी की बुआ जी) खुशी की तरफ देखकर बोलीं, "वैसे हमें अच्छा लगा, इतने सालों बाद नमन भाई साहब को उनकी बेटी मिल गई। लेकिन फिर भी तुम अनाथ आश्रम में पली-बढ़ी हो, तो तुम्हें तौर-तरीक़े तो बिलकुल नहीं होंगे। और वैसे भी इतने बड़े खानदान में तुम्हारी शादी हो गई, तो तुम्हें वहाँ के थोड़े तौर-तरीक़े सीखने चाहिए ना?" तभी अचानक से एक सर्द आवाज़ कामिनी देवी के कानों में आई, "मेरी बीवी को कुछ भी सीखने की आपकी हैसियत नहीं है। इसलिए अपना मुँह बंद करके खाना खाइए, वरना इतनी दूर फेंकूँगा ले जाकर कि दोबारा कभी ज़िंदगी में यहाँ वापस लौटकर नहीं आ पाएँगे।" वहीं रणबीर की धमकी सुनकर कामिनी देवी चुपचाप हो गई। क्योंकि वह तो खुशी को रणबीर की नज़रों में गिराना चाहती थी, लेकिन रणबीर का खुशी का साइड लेना देख उनके मुँह का रंग उड़ गया।
रणवीर खड़ा होकर खुशी के सर पर हाथ रखकर बोला, "बीवी, मेरा खाना हो गया। मैं कमरे में जा रहा हूँ, और कुछ अर्जेंट काम है। तुम जल्दी से आ जाना।" रणवीर के जाते ही वहाँ का माहौल बहुत अजीब हो गया। क्योंकि कामिनी जी सिर्फ़ रणवीर के डर की वजह से चुप थीं, वरना वह किसी से नहीं डरती थीं; सबको ऐसे ही बोलती थीं। तभी उन्होंने रूहानी को टारगेट करके बोला, "भाई साहब, आप अपनी विधवा भाभी को अपने घर में क्यों रख लिया? आप जानती हैं ना, विधवाओं को घर में नहीं रखा जाता, उन्हें तो अलग से कमरा दिया जाता है..."
खुशी अपनी ख़तरनाक और सर्द आवाज़ में कामिनी देवी की तरफ़ देखकर बोली, "बोलने से पहले सोच लिया कीजिए! आप भी तो विधवा हैं! आपको तो दादा-दादी ने इस घर से कहीं नहीं निकाला, जब से आपके पति की मौत हुई है, इसी घर में टंगे बैठी हैं! आपके पास आपका बेटा है, आपकी बहू है, बेटी है, फिर भी आप इस घर को छोड़कर जाती ही नहीं हैं! आपको भी किसी आश्रम में भर्ती करा देना चाहिए था ना, जहाँ आपके बाल कटवा के भगवा कपड़ा पहन के आपको बैठा दिया जाता!" वहीं खुशी की इतनी कड़वी बात सुनकर कामिनी देवी के तन-बदन में आग लग गई और वह चिल्लाते हुए बोली, "अपनी औक़ात में रहकर बोल, लड़की!"
खुशी खड़ी हो गई और बुआ जी की तरफ़ उंगली पॉइंट करके बोली, "और आप भी अपनी औक़ात में रहकर बोलिए! आपको कोई हक़ नहीं बनता रूहानी के बारे में कुछ भी बोलने का! रूहानी इस घर की मेहमान है, और मेहमानों के साथ आप लोग ऐसा व्यवहार करते हैं? यह मुझे नहीं पता था, मिस्टर आहूजा!" खुशी अपने पापा की तरफ़ देखकर बोली। नमन जी कामिनी जी की तरफ़ देखकर बोले, "कितनी बार बोला है कामिनी, सोच-समझकर बोलो! लेकिन तुम्हारी यह मुँह-फट होने की वजह से कभी तुम्हारा अपने पति और ससुराल वालों के साथ नहीं बनी..."
खुशी दादा-दादी, नमन जी, अपनी माँ, चाचा, चाची, बुआ, अक्षत, अर्जुन और दीवान की तरफ़ देखकर बोली, "आपके घर में मेहमानों को बुलाकर इंसल्ट किया जाता है ना? मैं भी इस घर की बेटी हूँ, इस घर पर मेरा भी बराबर का हक़ है! अगर आइन्दा से किसी ने मुझसे बदतमीज़ी करने की कोशिश की ना, तो भूल जाएगा कि मैं उसे घर में रहने दूँगी! और अगर प्यार से और इज़्ज़त से रहना चाहो तो रह सकते हो, वरना बुआ जी, आपको उठाकर मैं श्रद्धा आश्रम छोड़ आऊँगी, और आपके भाई साहब और आपके पापा भी कुछ नहीं कर पाएँगे! याद रखना मेरी बात को! चलो, रूहानी..."
रूहानी आँखों में आँसू भर के सबकी तरफ़ देखकर बोली, "मुझसे गलती हो गई जो मैं यहाँ आई। मुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था। आप लोग फ़िक्र मत कीजिए, कल सुबह होते ही मैं यहाँ से चली जाऊँगी..."
खुशी रूहानी का हाथ पकड़ उसे वहाँ से उसके कमरे में ले गई और उसे बेड पर बिठाकर बोली, "रूहानी, अपने लिए लड़ना सीखो! कब तक दूसरों की बातें सुनती रहोगी? इसी तरह अगर खुद को इस सदी में लपेटकर दुखियारी बनकर रहोगी, तो लोग फ़ायदा उठाएँगे तुम्हारा! मैं हमेशा तुम्हें प्रोटेक्ट करने के लिए तुम्हारे साथ नहीं रहूँगी। हम आज मिले हैं, और आज मैंने देख लिया कि तुम कितनी कमज़ोर हो! खुद को पहचानो रूहानी, वरना ये लोग तुम्हें जीने नहीं देंगे! यह समाज, यहाँ की ये सोच तुम्हें कहीं की नहीं छोड़ेगी।"
रूहानी नम आँखों से खुशी की तरफ़ देखकर बोली, "मुझे नहीं पता था कि मुझे इस जन्म में कोई सारथी मिलेगा। तुम मेरे कृष्ण बनी हो जो मुझे गीता का और समाज का ज्ञान दे रही हो। मैं तुमसे प्रॉमिस करती हूँ, खुशी, कल से तुम्हारे सामने एक नई रूहानी होगी, जो किसी से नहीं डरेगी, किसी के आगे नहीं झुकेगी, किसी का जुर्म बर्दाश्त नहीं करेगी और ना किसी को खुद पर उंगली उठाने का हक़ देगी।"
खुशी रूहानी के सर पर हाथ रख कमरे से बाहर चली गई। क्योंकि वह जानती थी उसका जल-कुंठा पति जल-जल कर कोयला बन गया होगा। जैसे ही खुशी अपने कमरे में पहुँची, रणबीर ने उसे खींचकर अपनी बाहों में भर लिया और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा। फिर खुशी की तरफ़ देखकर बोला, "चलो ना यार, वापस घर। यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है।" खुशी रणबीर के हाथों पर हाथ रखकर बोली, "चलो।" अब वे तुरंत वहाँ से रूहानी के कमरे में गईं और रूहानी को अपने साथ लेकर वे तीनों लोग आहूजा मेंशन से मित्तल मेंशन के लिए निकल गए।
तक़रीबन 1 घंटे बाद वे तीनों मित्तल मेंशन पहुँच गए। इस वक़्त मित्तल मेंशन में सब लोग बैठे हुए थे और बातें कर रहे थे। वहीं खुशी और रणबीर के साथ किसी अनजान लड़की को देखकर वे हैरान रह गए। तो खुशी ने उन्हें बताया कि यह रूहानी है, उसकी दोस्त। और रूहानी को अपनी एक सर्वेंट, आशा के साथ गेस्ट रूम में भेज दिया और उसे कपड़े देने को भी बोला।
रूहानी के जाते ही खुशी सबकी तरफ़ देखकर बोली, "आप लोग भी जाइए आराम कीजिए। कल सुबह इस बारे में बात करेंगे। ठीक है?" सब लोग "ओके" बोलकर चले गए। तभी खुशी वीर की तरफ़ देखकर बोली, "वीर, रूहानी के बारे में एक-एक इनफ़ॉर्मेशन मुझे कल सुबह तक चाहिए। उसके जन्म से लेकर और आज तक की एक भी इनफ़ॉर्मेशन मिस नहीं होनी चाहिए।" वीर "ओके" बोलकर अपने कमरे में चला गया।
तभी अचानक से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आने लगी। यह आवाज़ सुनकर सब लोग हाल में इकट्ठे हो गए और हैरानी से उस कमरे की तरफ़ देखने लगे जहाँ से चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी।
कौन चिल्ला रहा था और किसके चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी, जानने के लिए पढ़ते रहिए।
मिलते हैं अगले एपिसोड में...
रूहानी के जाते ही खुशी ने सबकी तरफ देखकर कहा, "आप लोग भी जाइए, आराम कीजिए। कल सुबह इस बारे में बात करेंगे, ठीक है?" सब लोग "ओके" बोलकर चले गए। तभी खुशी ने वीर की तरफ देखकर कहा, "वीर, रूहानी के बारे में एक-एक इनफॉर्मेशन मुझे कल सुबह तक चाहिए। उसके जन्म से लेकर आज तक की एक भी इनफॉर्मेशन मिस नहीं होनी चाहिए।" वीर ने "ओके" बोलकर अपने कमरे में चला गया।
तभी अचानक किसी के चिल्लाने की आवाज आई। यह आवाज सुनकर सब लोग हाल में इकट्ठे हो गए और हैरानी से उस कमरे की तरफ देखने लगे जहाँ से चिल्लाने की आवाज आ रही थी।
चिल्लाने की आवाज गेस्ट रूम से आ रही थी और गेस्ट रूम में इस वक्त रूहानी थी। यह देखकर खुशी और रणबीर जल्दी से गेस्ट रूम की तरफ चले गए। उसी के साथ शिव, वीर, राज, सब लोग उसके कमरे की तरफ चले गए। जैसे ही खुशी ने कमरे का दरवाजा खोला, अंदर बेड पर आँखें बंद किए रूहानी चिल्ला रही थी। वह ऐसे एक्ट कर रही थी जैसे कोई उसके ऊपर है, कोई उसके साथ जबरदस्ती कर रहा है। रूहानी की चीख इतनी दर्दनाक थी...
एक पल को तो खुशी की आँखों में भी आँसू आ गए। वह जल्दी से रूहानी के पास गई और उसे उठाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं उठ रही थी। वह आँखें बंद किए चिल्लाई जा रही थी, "प्लीज छोड़ दो! प्लीज छोड़ो! ऐसा मत करो मेरे साथ! मेरे पापा हैं! क्यों मेरे पापा की इज्जत बर्बाद कर रहे हो? छोड़ दो मुझे! छोड़ दो!" बहुत बुरी तरीके से चिल्लाई जा रही थी। रणबीर की आँखों में भी आज पहली बार नमी थी क्योंकि आज तक कभी भी उसने कोई ऐसा सीन नहीं देखा था। लेकिन आज उसे एहसास हो गया था कि एक लड़की के साथ जब उसकी बिना मर्जी के कोई जबरदस्ती करता है, तो उसे लड़की पर इस बात का कितना गहरा असर पड़ता है...
रणबीर एकटक रूहानी को देखे जा रहा था और उसके मन में यही चल रहा था कि एक लड़की की 'ना' को लोग उसकी 'ना' क्यों नहीं समझते? क्यों उसकी 'ना' को बदलने की कोशिश करते हैं?
खुशी काफी देर से रूहानी को होश में लाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन रूहानी अपने हाथ पकड़कर चिल्लाई जा रही थी। खुशी ने एकदम से रूहानी के गाल पर तेज से थप्पड़ मार दिया। थप्पड़ इतना तेज था कि रूहानी होश में आ गई। अपने सामने सबको देखकर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि हुआ क्या, लेकिन अपनी हालत देखकर समझ गई कि एक बार फिर वह अपनी पिछली जिंदगी को अपने सपने में जी रही थी। यह देखकर वह रोने लगी। खुशी ने रूहानी को अपने सीने से लगा लिया...
रूहानी जोर-जोर से रो रही थी। रूहानी के रोने में इतना दर्द था कि पत्थर दिल इंसान भी रोने लग जाता। पत्थर दिल इंसान रणवीर मित्तल, शिव, राज, वीर, यहाँ तक कि वहाँ खड़े सर्वेंट की आँखों में भी आँसू थे। किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि इस मासूम सी लड़की के साथ कितनी हैवानियत कोई कैसे कर सकता है। अगर आज वह आदमी जिंदा होता, तो रणबीर उसे इतनी मौत मारता कि अगले जन्म में इंसान का जन्म लेने से पहले भी सौ बार सोच लेता...
खुशी बड़ी मुश्किल से रूहानी को शांत करती है, लेकिन रूहानी शांत नहीं हो रही थी। तभी रणवीर आगे बढ़कर एक इंजेक्शन लेकर रूहानी को इंजेक्ट कर देता है और इसी के साथ रूहानी गहरी नींद में सो जाती है। रूहानी के सोते ही खुशी एकदम से रणबीर के गले लग जाती है और कहती है, "रणबीर, क्यों? क्यों हम लड़कियों के साथ ऐसा होता है? अगर हम अपनी पसंद से शादी करें और वह इंसान गलत हो जाए, तब भी हमारी गलती? अगर हमारे मनमाफिक हमारी शादी कर दें और वह इंसान गलत हो जाए, तब भी हमारी गलती? यह समाज हम औरतों को चैन से जीने क्यों नहीं देता? अगर कोई पति अपनी पत्नी को मारता है, तो उसे लड़के के घर वाले कहते हैं कि किसी को बात कर क्या करोगी? अपने पति की बदनामी करोगी..."
जब हम उस रिश्ते को खत्म करके अपने घर आते हैं, तो भाई, भाभी, माँ-बाप हमें अपनाते नहीं। क्या हमारी गलती थी?" खुशी की बातें रणबीर के दिल में काँटे की तरह चुभ रही थीं। वहीँ सब लोग अपना सर झुकाकर खड़े थे। किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले और सच में आज रूहानी का दर्द देखकर उन सब की रूह काँप गई थी।
रणबीर खुशी को खुद से अलग करके उसके चेहरे को अपने हाथ में लेकर कहता है, "तुम रूहानी को यहाँ लेकर आई हो ना, तो रूहानी को ट्रॉमा से बाहर निकालो। जब तुमने उसकी जिम्मेदारी उठाई है, तो उसे पहले की तरह हँसती-मुस्कुराती रूहानी बना दो। उसे एक ऐसी चट्टान बना दो कि उसे पर चोट करने वाला इंसान खुद टूटकर बिखर जाए, लेकिन वह लड़की ना टूटे। और हाँ, अपने भाई से उसे दूर रखना, क्योंकि तुम्हारा भाई ही इस लड़की की बर्बाद जिंदगी का जिम्मेदार है।"
खुशी एक नए आत्मविश्वास के साथ रणबीर से अलग होकर कहती है, "यह सब मेरी लड़ाई नहीं है, यह हम सब की लड़ाई है। हम सबको रूहानी को इस लड़ाई में जीत दिलवानी है। उसे एक जिंदा दिल लड़की बनाना है। तब उसके माँ-बाप और उसके भाई-भाभी को पता चलेगा कि जब हम किसी को बर्बाद करके छोड़ देते हैं और जब वह उठकर खड़ा होता है, तो वह कितना हार्टलेस बन जाता है।"
सब लोग अपने-अपने कमरे में चले गए थे, लेकिन शिव अभी भी वहीं खड़ा था। रूहानी को इस दर्द में देखकर उसके दिल में दर्द हो रहा था, लेकिन वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकता था। वह रूहानी के पास बैठकर उसके बालों को सहलाने लगा। रूहानी के माथे पर जो चिंता की लकीरें थीं, अब वह मिट जाती हैं और वह एक सुकून की नींद सो जाती है।
अगली सुबह...
पूरा मित्तल परिवार डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था। सब लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे। तभी रूहानी वहाँ आ बैठी। खुशी ने रूहानी से उसकी तबीयत पूछी, तो रूहानी ने "हाँ" बोल दिया। खुशी ने उससे कहा, "कल से तुम्हारी ट्रेनिंग स्टार्ट होगी, तो सुबह 4:00 बजे उठकर ट्रेनिंग करनी है।" रूहानी ने खुशी की बात का जवाब देते हुए उसे "ओके" बोल दिया।
रूहानी अभी अपनी प्लेट में देख ही रही थी कि उसकी प्लेट में कुछ रख जाता है। उसे देख उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो जाती हैं और वह अपने पीछे घूमकर देखती है जहाँ शिव खड़ा था। रूहानी ने कल से शिव पर ध्यान नहीं दिया था या अपने दर्द में वह इतनी बिजी थी कि उसकी नज़रें शिव के ऊपर नहीं गई थीं। शिव को अपने सामने देख रूहानी एक झटके से अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हो जाती है और शिव के गले लग जाती है। किसी को समझ ही नहीं आया था कि अचानक से हुआ क्या।
शिव रूहानी को अपनी बाहों में भर लेता है और उसके बालों को सहलाने लगता है। काफी देर रोने के बाद रूहानी शांत हो जाती है। शिव उसे चेयर पर वापस बिठाकर कहता है, "रोने के दिन खत्म हो गए हैं। मैंने पहले भी तुमसे कहा था और आज भी बोल रहा हूँ। मैं कल भी तुम्हारा इंतज़ार करता था और मैं आज भी तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ। मैं बचपन से लेकर आज तक सिर्फ तुमसे प्यार किया है। रूहानी, तुम्हारे अलावा मैंने कभी अपनी ज़िन्दगी में किसी को आने नहीं दिया।"
सब लोग हैरानी से शिव और रूहानी को देख रहे थे। तभी रणवीर की आवाज शिव के कानों में जाती है, "तुम रूहानी को पहले से जानते हो?"
शिव एक नज़र रणबीर और खुशी को देखने के बाद बोलता है, "हाँ, मैं रूहानी को बचपन से जानता हूँ। मैं और रूहानी बचपन के दोस्त थे। बचपन से लेकर जवानी तक का सफ़र हमने एक साथ तय किया था। एक दिन मैं रूहानी को प्रपोज करने गया था, तो उसी दिन उसने मुझे बताया कि वह आज अक्षत को प्रपोज करने वाली है। अक्षत, मैं और रूहानी, हम चारों एक ग्रुप थे और हम चारों की दोस्ती की मिसाल दी जाती थी पूरे कॉलेज में। लेकिन किया जैसी दिखती थी वैसी नहीं थी और यह बात मैं और रूहानी अच्छे से जानते थे और हमने अक्षत को समझने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह नहीं माना।"
जब रूहानी ने उसे प्रपोज किया, तो उसने रूहानी को रिजेक्ट करके बहुत कुछ उल्टा-सीधा सुनाया क्योंकि उसे लगता था कि रूहानी अक्षत से प्यार करती थी इसीलिए वह हमेशा किया के खिलाफ़ अक्षत को भड़काने की कोशिश करती थी। लेकिन यह अक्षत की सबसे बड़ी गलतफ़हमी थी। हम सिर्फ़ उसे किया से बचना चाहते थे। मैंने कभी भी रूहानी को नहीं बताया कि मैं उससे मोहब्बत करता था। एक दिन अचानक मुझे पता चला कि रूहानी की शादी हो गई है। मैं बहुत रोया था उस दिन। फिर मैंने सोचा, जब रूहानी अपनी ज़िन्दगी में खुश है, तो मुझे उसे खुश रहने देना चाहिए।
और यही मेरी सबसे बड़ी गलती थी। भाई, कि मैं रूहानी को ढूँढने नहीं गया, मैं उससे मिलने नहीं गया क्योंकि मुझे बर्दाश्त नहीं होता भाई, इसकी मांग में किसी और के नाम का सिंदूर, उसके गले में किसी और के नाम का मंगलसूत्र। रूहानी चुपचाप शिव की सारी बातें सुन रही थी। वह अभी अपनी आँखों से आँसू बहा रही थी, लेकिन एक लफ़्ज़ नहीं बोला था उसने। वह क्या बोलती? कि उसके एक गलत फ़ैसले ने उसकी ज़िन्दगी बर्बाद कर दी।
खुशी जल्दी से अपनी चेयर से उठकर खड़ी होती है और कहती है, "ठीक है, कल से बहुत रोना-धोना हो गया। अब इस घर में कोई रोना-धोना नहीं करेगा, वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। और शिव, अब से तुम्हारी ज़िम्मेदारी है कि तुम रूहानी को सेल्फ़ डिपेंडेंट बनाओगे, ठीक है? और हर वक़्त साये की तरह उसके साथ रहोगे। मोहब्बत की है ना, तो मोहब्बत का फ़र्ज़ भी दिखाओ। पहले ही रूहानी तुमसे प्यार ना करे, लेकिन उसे प्रोटेक्ट तो तुम कर ही सकते हो ना, इस समाज से, इस दुनिया से और इस समाज की उस गंदी सोच से जो एक औरत के ऊपर हमेशा गलत इल्ज़ाम लगाती है।"
सब लोग अपनी-अपनी गर्दन हिलाकर अपना ब्रेकफास्ट करने लगते हैं। तभी रणवीर के फ़ोन पर एक मैसेज आता है। वह मैसेज पढ़ता है, फिर एकदम से अपनी चेयर से उठकर कहता है, "मेरी एक अर्जेंट मीटिंग है, चलता हूँ। शाम को मिलूँगा।" और वह बिना खुशी की तरफ़ देखे वहाँ से बाहर चला जाता है।
किसका फ़ोन आया था रणवीर को और ऐसा क्या काम था कि रणवीर ने एक नज़र खुशी को देखना भी ज़रूरी नहीं समझा? क्या कोई आने वाला तूफ़ान है या फिर कोई नई साज़िश? जानने के लिए पढ़ते रहिए। मिलते हैं अगले एपिसोड में।