कुणाल सिंह राठौड़" एशिया का बिजनेस किंग जिसके आगे सब सर झुकाते थे उसका कहा पत्थर कि लकीर होता था किसी मै इतनी औकात नहीं कि वो उस पर ऊँगली उठा सके याँ उसका कुछ बिगाड़ सके लेकिन एक दिन अपने अपनों के ही सड़यंत्र का शिकार हो गया उन लोगो ने उसे धीरे धीरे जह... कुणाल सिंह राठौड़" एशिया का बिजनेस किंग जिसके आगे सब सर झुकाते थे उसका कहा पत्थर कि लकीर होता था किसी मै इतनी औकात नहीं कि वो उस पर ऊँगली उठा सके याँ उसका कुछ बिगाड़ सके लेकिन एक दिन अपने अपनों के ही सड़यंत्र का शिकार हो गया उन लोगो ने उसे धीरे धीरे जहर देने लगे जिससे उसकी तङप तङप कर मौत हो जाये लेकिन उससे पहले ही जान गया वो उनकी सच्चाई लेकिन उन लोगो ने उसे बंधी बना लिया गया जहाँ उसे पता चला अपनी बीवी "चाहत सिंह राठौड़" जो उसे जी जान से प्यार करती थी उसने उसे धोखा नहीं दिया था बल्कि इन लोगो ने उसे कैद कर रखा था और हर तरीके कि बेरहमी उसके साथ कि थी और अंत मै उसे उसके ही सामने बेरहमी से मार दिया गया। खुद कि बेवकूफ कि का सोच कर उसे हद से जायदा गुस्सा आया कि उसकी वजह से वो मासूम बेगुनाह बेरहमी से मारी गयी लेकिन वो कुछ ना कर सका और अंत मै इसी गिल्ट मै उसे भी बेरहमी से मार दिया गया ? तो क्या यही था उसका अंत याँ फिर अंत ही आरम्भ बनेगा जानने के लिए पढ़ते रहिये "My Obsessed Husband" सिर्फ "Storymania" पर।
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𝙿𝙰𝚁𝚃 - 1 𝐑𝐞𝐯𝐞𝐚𝐥𝐢𝐧𝐠 𝐭𝐡𝐞 𝐭𝐫𝐮𝐭𝐡 | 𝐃𝐞𝐚𝐭𝐡 शुरुआत। घने जंगल मे आज मौसम का रुख बिगड़ा हुआ था, बिजली कड़क रही थी, बादलो कि गरजने कि आवाजे, बारिश कि आवाजे इसी काली अँधेरी रात मै जंगल से जंगली जानवरो कि आवाजे सुनाई दे रही थी जो मौसम के साथ बहोत डरावनी लग रही थी। इसी जंगल के अंदर एक खंडरनुमा जगह पर एक बड़े से हॉल मे एक तीस - बतिस साल का आदमी बँधा हुआ था जो बेहोश दिख रहा था उसके चेहरे पर मारने के निशान दिख रहे थे और उसके होट के किनारे से खून कि धारा निकल रही थी लेकिन उसके चेहरा का तेज अभी भी कम नहीं हुआ था। उस आदमी कि आंखे फड़फड़ाने लग गयी, उसने धीरे से अपनी आंखे खोली और एक नजर उस जगह पर घुमाई, उसने हिलने कि कोशिश कि लेकिन हिल ना सका ऐसा लग रहा था क्युकी उसकी बॉडी परेलाइस थी तभी धमममम कि आवाज से दरवाजा खुला उसने अपनी आँखों से वहा देखा तो उसकी आँखों मे नफ़रत उत्तर आयी सामने से एक उससे कम उम्र का ही लड़का और एक लड़की आ रहे थे जिनके चेहरे पर घमंड भरी मुस्कान थी। उन्हें देख कर उसने कुछ बोलने कि कोशिश कि लेकिन बोल ना सका जिसे देख कर वो आदमी बोला 'कैसा लग रहा है बड़े भैया ओह सॉरी तुम तो बोल ही नहीं सकते ना अब क्या करे बिचारा कुछ काम का ही नहीं है ' वो दोनों हसने लगे। वो बँधा हुआ लड़का उन्हें गुस्से से घूर रहा था अगर उसका बस चलता तो वो उसे जिन्दा यही गाड़ देता। लड़की बोली ' बेबी अब इसका काम खत्म करो ताकि हम अपनी ज़िन्दगी सुकून से जी सके '। लड़का बोला 'हाँ बेबी इसे तो मरना ही पड़ेगा लेकिन इससे पहले इसे तड़पना देखना चाहता हूँ जितना ये तड़पेगा उतना मेरे दिल को सुकून मिलेगा इसने मुझसे मेरा सब कुछ छिना था ना अब मे इससे इसकी ज़िन्दगी छिनूगा इसे तड़पा तड़पा के मरुँगा । लड़की बोली 'कम डाउन बेबी मरना तो इसका तय है'। लड़का बोला 'हाँ 'उसने एक आदमी को इशारा किया तो उस आदमी ने एक बॉक्स मे से एक इंजेक्शन निकाला और बंधे हुए आदमी के गर्दन मे बुरे तरीके से लगा दिया जिससे उसकी दर्द से आंखे बंद हो गयी। लड़का बोला ' खोल दो इसे '। उस आदमी ने उस बंधे हुए आदमी को खोल दिया जिसे देख कर उस लडके ने उसे लात मार कर निचे गिरा दिया उस बंधे हुए आदमी का शरीर निढाल हो कर जमीन पर गिर गया उस आदमी कि आंखे लाल होने लगी थी उसके हाथो कि हरी हरी नशे दिखने लगी, उसका शरीर अकड़ने लगा, वो दर्द से तड़पने लगा जिसे देख कर वो लड़का और लड़की हसने लगे। लड़का बोला 'क्या हुआ दर्द हो रहा है ऐसा ही दर्द मुझे भी हुआ था ज़ब मेरा हक तुम्हे मिला था, बस हर कोई सिर्फ तुम्हे पूजता था क्युकी तुम्हारे पास पावर थी' उसके चेहरे को अपने जूते से मसलते हुए आगे बोला 'लेकिन देखो क्या हुआ आज तुम यहां तङप रहे हो और किसी को कोई फर्क नहीं पड़ रहा, तुम्हारी सारी पावर अब मेरे पास है अब सब कुछ मेरे पास है लेकिन अब तुम्हारे पास कोई नहीं है और जो था उसे खुद तुमने ही दूर कर दिया '। वो आदमी दर्द से तड़पते हुए उसे देखने लगा जिसे देख कर वो लड़की बोली 'अरे बेबी इसे बताओ तो सही कि इसके अपने कौन थे और अब इसकी वजह से कहा पोहच गये '। लड़का हस्ते हुए बोला 'हाँ बताता हूँ लेकर आओ रे उसे'। उसके ये सुनते ही दो आदमी अंदर कि तरफ चले गये वो आदमी उस तरफ देखने लगा लेकिन वहा देख कर उसकी आँखों मे अजीब से भाव आ गये क्युकी सामने से वो दो आदमी एक कम उम्र कि लड़की लेकर आ रहे थे जिसके बाल बिखरे हुए थे, उसके शरीर पर चोटों के निशान थे, उसके कपड़े फ़टे हुए थे, उस लड़की कि आंखे बंद थी उन दोनों ने उसे लाकर उस आदमी के सामने फेक दिया। वो आदमी उसे हैरत से देखने लगा उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये यहां क्या कर रही है ये तो उसकी बीवी है क्या वो उसे धोखा दे कर नहीं चली गयी थी तो वो यहां क्या कर रही है। लड़का उसकी बात समझ कर बोला 'क्या हुआ देख कर हैरानी हुई कि ये यहां क्या कर रही है, क्या भूल गये अपनी बीवी को जो तुम्हे जी जान से चाहती थी, ओह्ह सॉरी तुम्हे कैसे पता होगा तुमने तो कभी इसे कभी ध्यान से देखा ही नहीं है, तुम्हे तो लगता है कि ये तुम्हे धोखा दे कर भाग गयी लेकिन यही तो तुम्हारी गलतफ़हमी है ' वो आदमी उसकी बात जरुर सुन रहा था लेकिन उसकी नजरें उस लड़की पर ही टिक्की हुई थी उसने पलकें तक नहीं झपकाई थी। लड़की बोली 'ओह बेबी ये तो इसे आज तक धोकेबाज ही मानता था, लेकिन अब नहीं मानेगा क्युकी मरने वाला है इसलिए मरने से पहले इसकी सारी गलतफ़हमी दूर कर देते है ताकि गिल्ट मे ही तङप तङप कर मरे' लड़का हस्ते हुए बोला ' हाँ मरने से पहले तो ख्वाइस पूरी करनी ही है ' उस आदमी को देख कर उस लड़की कि पास जाकर उसके बालो से पकड़ कर खड़ा किया और बोला ' ये लड़की इसे कितना ही समझाया था कि तेरा साथ छोड़ दे, तेरे से दूर हो जाये, हमारे साथ मिल जाये लेकिन नहीं इसे तो पतीव्रता पत्नी बनना था ' उसका सर दिवार पर मार दिया जिससे उस आदमी कि आँखों मे गिल्ट के साथ तङप दिखने लगी 'नहीं मानि बोली कि तुझे बताएगी तो क्या फिर इस लड़की को किडनेप करवा लिया तब से इसे कैद कर कर रखा जानता है इस लड़की कि हिम्मत अभी तक नहीं टूटी अभी तक तेरा इंतजार कर रही थी कि तू इसे बचाएगा लेकिन तू तो खुद ही यहां मरने कि हालत मे पड़ा है ' आदमी ने उसकी बात सुन कर आंखे मीच ली उसकी आँखों के कोर से आसु कि बून्द गिर पड़ी उसे खुद से नफ़रत होने लगी कि उसकी गलती कि वजह से आज खुद इस हालत मे है और वो बिचारि जो हमेसा उसका अच्छा चाह वो भी उसकी वजह से इस हालत मे है उसने तो कुछ महीने तड़पा है लेकिन ये तो पीछले चार - पांच साल से यहां इनकी कैद मे थी क्या कुछ नहीं सह होगा उसने उसे आज भी याद है कि वो लड़की थोड़े से चिल्लाने से रोने लगती थी, थोड़ा सा लगने से उसके आँसू कि बाढ़ आ जाती थी और उसने कितना दर्द सह वो भी सिर्फ उसकी वजह से उसकी आँखों मे गिल्ट दिखने लगा था। लड़की बोली 'क्या हुआ गिल्ट हो रहा है होना भी चाहिए मारने जो वाले हो 'उसने उस लड़की पर गोलीयाँ चला दी उसने तड़पते हुए वही दम तोड़ दिया। आदमी ने ये सब देख कर खुद के शरीर को उसकी तरफ बढ़ाने कि कोशिश लेकिन बढ़ा ना सका वो उसे देखने लगा जो कि मर चुकी थी उसकी कोरों से आँसू बहने लगे वो ज़िन्दगी मे पहली बार रो रहा था वो भी अपनी बीवी के लिए, उसे खुद पर गुस्सा आने लगा कि उसने क्यू उस पर यकीन नहीं किया क्यू उसे ढूढ़ने नहीं गया, क्यू आखिर क्यू अगर वो पहले सब कर लेता तो आज ये हालत नहीं होते तभी उसे अपने शरीर मे दर्द होने लगा क्युकी उसे थोड़े देर पहले लगे इंजेक्शन कि वजह से उसकी नशे फटने लगी हुई थी, धीरे धीरे उसकी आंखे बंद होने लगी उसके दिलो - दिमाग मे सिर्फ यही बात आयी कि अगर उसे एक और मौका मिल जाता तो वो कभी उसके साथ गलत नहीं होने देगा, उसे खुद के लिए नहीं चाहिए था उसे चाहिए था सिर्फ अपनी बीवी के लिए, सिर्फ और सिर्फ उसके लिए इसी तमन्ना से उसने अपना दम तोड़ दिया। लड़का और लड़की उन दोनों के मरते ही तेज तेज हसने लगे और एक साथ बोले 'चलो बला टली अब हम अपनी ज़िन्दगी आराम से जियेंगे'। लड़का एक आदमी से बोला 'इन दोनों कि जला दो ' ये सुन कर वो दोनों चले गये। पीछे से उस आदमी ने उन दोनों कि लाशो को एक दूसरे के पास फेक दिया और उन पर केरोसिन डाल कर, लाइटर फेक दिया इसी के साथ वहा आग कि लप्टो ने उन्हें घेर लिया वो आदमी सब भी बहार निकल गये थोड़े ही समय मे पूरी जगह पर आग कि लपटो मे घिर गयी। बारिश भी थम गयी थी लेकिन बादल गरज रहे थे बिजली कड़क रही थी आज मौसम को भी अफ़सोस हो रहा था कि बेगुनाह के इतनी बेरहमी से मौत का मातम वो भी बना रहा था। क्या यही था इन दोनों का अंत याँ अंत से ही आरम्भ होगा। जानने के लिए पढ़ते रहिये।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 2 𝐊𝐮𝐧𝐚𝐥 𝐬𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐡𝐨𝐝 𝐢𝐬 𝐛𝐚𝐜𝐤 अब आगे ! एक कमरा जो दिखने मे तो बहोत लगजीरियस और सुंदर था लेकिन उसकी हालत बहोत ख़राब थी उस रूम मे अंधेरा था, उस रूम से शराब कि बदबू, सिगरेट का धुआँ फैला हुआ था और उन्ही के बिच एक आदमी लेटा हुआ प्रतीत हो रहा था उसके वजूद का आभास उस रूम मे लगी एक छोटी सी लाइट से पता चल रहा था। लेकिन उस आदमी मे कोई हलचल नहीं थी तभी खिड़कि से छन कर चाँद कि चांदनी उस पर पड़ी और उसके वजूद मे हलचल महसूस होने लगी धीरे धीरे उस सख्श ने आंखे खोली उसने खुद को जिन्दा पाया तो उसे समझ नहीं आया वो बुदबुदआया 'मै यहां कैसे आया क्या मे मर नहीं गया था ' तभी अचनाक से उस रूम मे रौशनी हो गयी उस लडके ने इधर - उधर देखा तो उसकी नजर सामने लग रहे बड़े से मिरर मे पड़ी वो खुद को एकटक देखने लगा तभी उस मिरर मे हलचल होने लगी और सामने एक प्रतिबिम्ब बनने लगा उस आदमी ने ध्यान से देखा तो ये उसी का प्रतिरुप था लेकिन ये उस समय का था ज़ब वो मर गया था तभी वो प्रतिबिम्ब बोला 'हैरान मत हो ये मे ही हूँ तुम्हारा अक्स लेकिन मरने से पहले का इस खेल मे वो मासूम बेगुनाह मारी गयी सिर्फ और सिर्फ उसकी वजह से तुम्हे तुम्हारे शरीर मे रिबर्थ किया गया है ' वो प्रतिबिम्ब गयाब हो गया। ये सुन कर वो आदमी शैतानी हस कर बोला 'कुणाल सिंह राठौड़ इज बैक,,, अब किसी को नहीं छोडूंगा, अपनी बीवी कि मौत का उसके आँसू, उसके हर दर्द का हिसाब होगा, बहोत हो गया पिट पीछे वार अब असली खेल शुरू होगा, सब को किये कि सजा मिलेगी जिसने भी उस मासूम को तकलीफ दी है सब तिल तिल मरेंगे '। ये बोल कर वो आदमी खुद को मिरर मे देखने लगा उसका अक्स बहोत हेंडसम लग रहा था, गेहरी काली आंखे, पतले होट,तीखी नाख , शर्प जो लाइन हलकी बियर्ड, बिखरे हुए बाल, एट पैक एब्स, हाईट 6:2, उम्र यही कोई सताइस, अटाइस साल होंगी, कुल मिला कर वो बहोत हैंडसम था उसकी सख्सियत से अलग ही रोबदार ओरा झलक रहा था आखिर हो भी क्यू ना पुरे एशिया का राजा कुणाल सिंह राठौड़ जो था। कुणाल मिरर के सामने से हट कर एक कुर्सी पर बैठ गया उसने वहा से एक सिगरेट ली और उसे जला कर पिने लगा और सोचने लगा कि आज से एक महीने पहले उसकी शादी उसके दादा - दादी कि पसंद कि एक लड़की से हुई थी लेकिन उसने कभी उसे ध्यान से नहीं देखा और शादी वाली रात ही उसकी बेइज्जती कर कर उसे छोड़ कर अपने पर्सनल विला आ गया तब से वो शराब, सिगरेट पीने लगा था जिससे अगले जन्म मे उसे बहोत नुकसान हुआ था वो पुरे महीने भर हॉस्पिटल मे एडमिट रहा था लेकिन अब नहीं अब उसका रिबर्थ पांच साल पीछे हो गया था जहाँ वो अपनी बीवी कि हिफाज़त करेगा उसके सिवा उसे किसी से कोई मतलब नहीं था उसे सिर्फ अपनी बीवी से मतलब था उसने एक नजर घड़ी कि तरफ देखा जो 1:00 बजने का इशारा कर रही थी वो अपनी पिछली ज़िन्दगी कि गलतियां गिनने लग गया। सुबह 7:00 बजे चिडियो कि चाहचाट कि वजह से वो होश मे आया उसने घड़ी कि तरफ देखा जो सुबह होने का इशारा कर रही थी मतलब उसे सोचते सोचते पूरी रात बीत गयी थी ये देख कर वो खड़ा हुआ है और वाशरूम मे चला गया आधे घंटे बाढ़ वो एक टॉवल लपेटे हुए बहार आया वो बहोत हॉट लग रहा था वो ड्रेसिंग रूम मे चला गया । कुणाल बहार आया उसने फॉर्मल ब्लैक पेंट और ब्लैक शर्ट, काले चमचामते जूते पहले बहार आया, मिरर के सामने जाकर उसने अपने बाल सेट किये और अपना कोर्ट पहन कर बहार चला गया। कुणाल निचे आया तो निचे सरवेंट काम कर रहे थे सब अपनी जगह जम गये उन्हें डर लग रहा था कि ये अब किसके ऊपर फ़टेगा लेकिन उससे उलट कुणाल उन सब को इग्नोर कर कर सीधा विला से बहार चला गया। कुणाल के बहार आते ही कारो का काफिला आ कर रुक गया एक गार्ड ने गेट खोला, कुणाल उसमे बैठा और काफिला वहा से निकल गया। ड्राइवर डरते हुए 'सर कहा जाना है ' उसे इस आदमी से बहोत डर लगता था इसका कुछ भरोसा था ही नहीं कि कब किसे मार दे। कुणाल अपना फोन देखते हुए ही सर्द आवाज मे 'राठौड़ एम्पायर '। ये सुन कर ड्राइवर ने गाडी राठौड़ एम्पायर कि तरफ मोड़ ली। दूसरी तरफ राठौड़ विला बहोत खूबसूरत विला था इस विला के मेन गेट से अंदर विला तक जाने मे तक़रीबन दस किलोमीटर कि दुरी थी इस बिच हरे हरे बड़े पेड़ लगे हुए थे जिनकी शेप कही तरह कि थी और हर पांच मिनट कि दुरी पर जगह जगह गार्ड भी खड़े हुए। उससे आगे आते वक्त एक बड़ा सा फाउंटेन था जिनमे रात होने पर लाइट लगती थी। फाउंटेन से होते हुए सामने एक वाइट कलर का बड़ा सुंदर विला था जो धुप मे चमक रहा था ये विला जितना बहार से सुंदर था उससे जायदा अंदर से सुंदर था। विला के अंदर विला जितना बहार से सुंदर था उससे जायदा अंदर से सुंदर था मेन गेट के ठीक सामने मगर दूर सीढिया लगी हुई थी जो दूसरी मंजिल पर जाती थी। एक बड़ा सा हॉल जिसमे महंगे सोफे, सोपिस रखे हुए थे, और एक साइड डायनिंग टेबल रखी हुई थी जिसपर छ: लोग बैठे हुए थे जिनमे से दो कपल थे और दो मिडिल लड़के और एक लड़की बैठी हुई थी आगे पढ़ने से पहले इनका इंट्रोडक्शन करा देते है - [इंट्रोडक्शन स्टार्ट राठौड़ फैमिली उषा राठौड़, किशन राठौड़ (कबीर के दादा - दादी जो कि फिलहाल पंधरा दिनों से तीर्थ यात्रा पर गये हुए थे उन्होंने मन्नत मांगी थी कि कुणाल कि शादी हो जाएगी तों वो तीर्थ यात्रा पर निकल जायेगे।) / कामिनी राठौड़, जयंत राठौड़ (कुणाल के बड़े चाचा - चाची) / पूर्णिमा राठौड़, सूजल राठौड़ (कुणाल के छोटे चाचा - चाची) / जिगर राठौड़ और चिराग राठौड़ जो कि कामिनी और जयंत के बच्चे थे और लड़की साक्षी पूर्णिमा और सूजल के बच्ची थी ये सब घमंडी, मतलबी और लालची थे। इंट्रोडक्शन एन्ड]....... सभी लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 3 𝐌𝐲𝐬𝐭𝐞𝐫𝐢𝐨𝐮𝐬 𝐜𝐡𝐚𝐡𝐚𝐭 𝐬𝐢𝐧𝐠𝐡 𝐫𝐚𝐭𝐡𝐨𝐝 अब आगे ! राठौड़ विला सभी लोग ब्रेकफास्ट कर रहे थे तभी साक्षी बोली 'मोम ये गवार कहा पर है दिख नहीं रही'..... पूर्णिमा हस कर बोली 'ओह बेटा वो कहा होंगी उसकी असली जगह तों किचन मे ही'...... कामिनी 'रुको मे बुलाती हूँ ओह महारानी कहा मर गयी सब वेट कर रहे है जल्दी से ब्रेकफास्ट लाओ'....... तभी एक मीठी सी आवाज आयी 'आई चाची जी ' इसी के एक दो मिनट बाद किचन से एक प्यारी सी लड़की बहार आयी। जिसकी उम्र लगभग 21 के आस पास होंगी, 5.6 हाईट, थी ब्राउन आंखे, गोरा रंग, गुलाबी होट, उसने सिम्पल वाइट फ्रॉक और कलरफुल दुप्पटा केरी किया हुआ था उसके गले मे मंगलसूत्र, मांग मे सिंदूर,हाथो मे शादी का चूड़ा,माथे पर बिंदी छोटी सी बिंदी, पैरो मे पायल जो उसके चलने पर बज रहे थे, उसने बालो का ढीला जुडा बना रखा था वो बहोत खूबसूरत थी बिलकुल किसी परी कि तरह उसे ऐसे देख कर जिगर उसे हवस भरी नजरो से देखने लगा लेकिन इससे अनजान वो आगे आई और बोली 'चाची जी आपका नास्ता '.... पूर्णिमा 'अब क्या सर पर रखेगी रख टेबल पर इतना लेट कर दिया '..... लड़की उनकी बात सुन कर मायूस हो गयी और वो बोली 'सोरी चाची जी'..... पूर्णिमा घमंड से बोली 'ओह प्लीज ये अपने ओल्ड फैशन नाम से बुलाना बंद करो अब खड़ी क्या हो निकलो यहां से ' लड़की ये सुन कर अब उदास हो गयी उसकी आँखों मे नमी दिखने लगी तभी साक्षी बोली 'अब क्या नजर लगाओगी सुना नहीं मोम ने क्या कहा '...... ये सुन कर वो लड़की वहा से चली जाती है उसे ऐसे देख कर वहा हसीं के टहके गूंज उठते है उन लोगो को उस लड़की के ऐसे चले जाने से कोई फर्क नहीं पड़ा था। वही वो लड़की रूम मे आयी अब उसके आँसू बहने लगे थे वो रोते हुए बोली 'क्यू हमारे साथ ही ऐसा क्यू होता है कोई हमें पसंद नहीं करता कोई हमसे प्यार नहीं करता मम्मा -पापा, आप क्यू हमें छोड़ कर चले गये सोचा था शादी के बाद सब शो हो जायेगा लेकिन कुछ सही नहीं हुआ सब ख़राब हो गया हमारी वजह से इन्होने दादा - दादी से लड़ाई कि और घर छोड़ कर चले गये सब सही बोलते है हम मनुस ही है किसी कि लाइफ मे खुशियाँ नहीं ला सकते ' ये बोल वो गेट कि तरफ देखने लगी जहाँ उसे किसी कि परछाई दिख रही थी जिसे देख कर वो तेज तेज रोने लगी। तभी उसका फोन बजा जिससे उस लड़की ने रोना बंद किया और अपना फोन देखा जहाँ पर माही लिखा हुआ था ये देख कर उसने अपने आँसू पोहचे और फोन उठाया तों सामने से किसी कि आवाज आयी जो बोल रही थी ' चाहत कि बच्ची कहा हो तुम हम सब यहां वेट कर रहे है और तुम अभी तक नहीं आयी ".... (जी ये लड़की कोई और नहीं बल्कि इस कहानी कि मेन लीड चाहत थी।) चाहत अपने भावो को छुपाते हुए बोली 'अरे माही हम निकल ही रहे थे लेकिन आपका फोन आ गया '..... माही को उसकी आवाज अजीब लगी तों वो बोली 'चाहत आपकी आवाज को क्या हुआ आप रो रही थी '..... चाहत ने गेट कि तरफ देखा जहाँ अब कुछ नहीं दिख रहा था लेकिन संभल कर बोली ' नहीं माही हम क्यू रोने लगे भला और चाहत रोती नहीं रुलाती है भूल गयी क्या '..... माही हस कर बोली 'हाँ जानती हूँ चाहत कैसी है अब जल्दी से आ जाओ सब बच्चे तुम्हारा वेट कर रहे है '.... चाहत :- " आप फोन रखिये हम आ रहे है ' ये बोल उसने फोन रख दिया और जल्दी से अपना चेहरा ठीक कर बेग लेकर बहार चली गयी। (चाहत, एक अनाथ लड़की है, और वो अनाथ आश्रम के बच्चों को पढ़ाती है लेकिन उसके भी बहोत सीक्रेट है ) चाहत रूम से निकल कर हॉल मे आयी तों उसे कामिनी बैठी दिखी जो कि अपने नेल घिस रही थी तों चाहत उनके पास चली गयी और बोली 'चाची जी हमें बहार जाना है तों हम जाये '...... कामिनी मुँह बना कर ' मुझसे क्या पूछ रही हो वैसे भी तुम कही भी जाओ मुझे क्या फर्क पड़ता है '..... चाहता ये सुन कर बहार कि तरफ चली गयी वो विला से बहार आयी तों उसे जिगर दिखा जो कि अपनी कार के पास खड़ा था उसे देख कर चाहत दूसरे रास्ते से जाने लगी तों जिगर ने उसका रास्ता रोक लिया और बोला 'एम सोरी चाहत मोम कि तरफ से मे माफ़ी माँगता हूँ तुम तों जानती हो ना कि मोम को कुणाल बिलकुल पसंद नहीं है उसकी वजह से हम सब ने बहोत सफर किया है और तुम कुणाल कि वाइफ हो इसलिए मोम ऐसे बेहव करती है '...... चाहत 'कोई बात नहीं हमें कोई बुरा नहीं लगता अब हम चलते है ' ये बोल वो जाने लगी तों जिगर ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोला 'चलो मे छोड़ देता हूँ '.... चाहत अपना हाथ छुड़ा कर बोली 'नहीं हमने केब बुक करली है हम खुद चले जायेगे ' ये बोल वो जल्दी से वहा से चली गयी उसे इस तरह जाता देख कर जिगर अपने हाथ को सूंघते हुए बोला 'कहा तक बचोगी चाहत एक दिन तों तुम्हे अपना बना कर रहुगा ' ये बोल कर वो अंदर चला गया वैसे भी उसे कही जाना वाना नहीं था बस उसे चाहत के साथ जाना था ताकि वो उसे अपनी बातो मे फसा सके। दूसरी तरफ चाहत विला से थोडी दूर पैदल आयी और आस - पास देखा उसे कोई नहीं दिखा ये देख कर उसने अपने बेग से पानी कि बॉटल निकाली और अपना हाथ धोते हुए मुँह बना कर बोली 'कमीना कही का जब देखो तब छूने के बहाने ढूढ़ता रहता है अगर कभी हद पार कि ना तों ऊपर कि टिकट काट देंगे बेवकूफ कही कहा ' चाहत के ये बोलते वक्त तेवर एक दम अलग थे वो लग ही नहीं रही थी कि यही वो चाहत है जो अंदर रो रही थी उन सब का सुन रही थी लेकिन ये चाहत तों बिलकुल ही अलग लग रही थी चेहरे पर निडरता, कॉन्फिडेंस साफ झलक रहा था,,,, अगर ये दोनों चाहत एक ही है तों क्यू चाहत अलग बर्ताव कर रही है उसकी ऐसी हरकतों से ऐसे बर्ताव से चाहत बहोत मिस्टीरियस लग रही थी। चाहत ने किसी को कॉल करने के लिए फोन निकाला ही था लेकिन रुक गयी तभी उसे लगा कि कोई उसके पीछे है ये देख कर चाहत ने ना मे गर्दन हिला दी और बोली 'ये कभी नहीं सुधर सकते ' ये बोल कर चाहत ने एक केब रोकी और उसमे बैठ कर आश्रम के लिए निकल गयी। चाहत के जाने के बाद एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ एक सख्श बहार आया और बोला 'नजर रखना उनपर उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए ' उधर से कुछ कहा गया तों उसने ओके बोल कर फोन रख दिया और एक नजर राठौड़ विला को देख कर वो सख्श भी वहा से चला गया। आखिर क्या थी चाहत कि असली पहचान ये जानने के लिए पढ़ते रहिये।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 4 𝐂𝐚𝐚𝐡𝐚𝐭 𝐚𝐮𝐫 𝐦𝐚𝐡𝐢 अब आगे ! चाहत के जाने के बाद एक पेड़ के पीछे छिपा हुआ एक सख्श बहार आया और बोला 'नजर रखना उनपर उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए ' उधर से कुछ कहा गया तों उसने ओके बोल कर फोन रख दिया और एक नजर राठौड़ विला को देख कर वो सख्श भी वहा से चला गया। 𝐇𝐀𝐏𝐏𝐘 𝐇𝐎𝐌𝐄 𝐎𝐑𝐏𝐇𝐀𝐍𝐀𝐆𝐄 (काल्पनिक नाम) टैक्सी आ कर रुकी उसमे से चाहत बाहर निकली और उस ड्राइवर को पैसे दे कर उस के अंदर चली गयी चाहत को देख कर वहा के बच्चे ख़ुश हो गए और दीदी दीदी करते हुए उसके पास भाग कर आये जिन्हे देख कर चाहत के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गयी उसने अपने बेग से चॉकलेट निकाल कर उन बच्चो को दे दी और उन्हें फिर से खेलने भेज दिया और खुद अंदर की तरफ एक रूम में बढ़ गयी जो यहां का ऑफिस रूम था जिसमे इस ऑनर को संभालने वाली मदर मैरी डिसुजा संभालती थी। चाहत उस गेट के पास खड़ी हो कर डोर नोक किया तो सामने से मदर मैरी डिसुजा उसे देख कर बोली "अरे चाहत बेटा वहा क्यू खड़ी हो अंदर आओ"। चाहत अंदर चली गयी और प्यारी सी आवाज में बोली "मदर आपने हमें बुलाया"। मदर मैरी डिसुजा उसे देख कर बोली "बेटों बेटा"। चाहत वहा रखी चेयर पर बैठ गयी और बोली "जी कहिये"। मदर मैरी डिसुजा उसे देख कर बोली "बेटा मैं जानती हु तुम्हारी ऐसे अचनाक शादी हो गयी अब इस सवाल का कोई मतलब नहीं फिर भी बेटा क्या तुम वहा ख़ुश हो तुम्हे कोई तकलीफ तो नहीं है"। चाहत उनकी बात सुन कर एक पल को चुप हो गयउ फिर उन्हें देख कर बोली "मदर हम बिलकुल ख़ुश है हमें कोई प्रॉब्लम भी नहीं है" वो जानती थी की मदर फरिया के लिये वो उनकी बेटी जैसी है वो उन्हें परेशान नहीं देखना चाहती थी। मदर मैरी डिसुजा ये सुन कर मुस्कुराती है और बोलती है "सुन कर अच्छा लगा बेटा" फिर उसे देख कर बोली तुमने मैरी गैर मौजदूगी में इसे बोहत अच्छे से संभाला लेकिन अब तुम्हे इससे जायदा अपनी नई जिंदगी पर ध्यान देना चाहिए " इन दिनों वो किसी काम से बाहर गयी हुई थी तो सारी जिम्मेदारी चाहत ही हेंडल कर रही थी। चाहत ये सुन कर बोली "जी" क्युकी वो उन्हें क्या बताती जिससे उसकी शादी हुई है वो तो उसे अपनी पत्नी तक नहीं मानता है। चाहत उन्हें देख कर बोली "मैं माही से मिल कर आती हु"। मदर मैरी डिसुजा ने हाँ मैं सर हिला दिया जिसे देख कर चाहत वहा से उठ कर चली और मदर मैरी डिसुजा अपने काम मैं लग गयी। चाहत वहा से निकल कर सीधे एक रूम के सामने आ कर रुकी उसने गेट खोला और अंदर आयी तो उसे रूम मैं कोई नहीं दिखा जिससे वो हैरान हो गयी। "भूम्म" अचनाक आयी आवाज से चाहत डर गयी लेकिन तभी किसी के हसने की आवाज आयी जिससे चाहत ने उधर देखा जहाँ पर उसकी बेस्ट फ्रेंड माही डिसुजा खड़ी थी (सब मदर मैरी डिसुजा का ही सरनेम यूज करते थे लेकिन चाहत का शादी के बाद सरनेम चेंज हो गया )। चाहत उसे देख कर हल्के गुस्से से बोली "माही"। माही की हसि एकदम से बन्द हो गयी और उसका मुँह इतना सा हो गया उसे ऐसे देख कर चाहत हसने लगी जिसे देख कर माही मुँह बना कर बोली "हस लो हस लो फ्रेंड पर हस्ते हुए शर्म नहीं आती"। चाहत उसके गले लगते हुए बोली "जो सुकून एक दोस्त के ऊपर हसने पर है वैसा सुकून किसी पर भी हस कर नहीं मिलता"। माही भी उसकी हाँ में हाँ मिलाते हुए बोली "बात तो सही है"। चाहत ने भी हाँ में सर हिला दिया और बोली "वैसे इंटरव्यूका क्या हुआ"। माही उसे देख कर खुशी से बोली "कल से ज्वाइन करना है"। चाहत के चेहरे पर स्माइल आ गयी और वो बोली "कोन्ग्रेच्युलेशन मैरी जान"। माही मुँह बना कर बोली "ख़ास मैं भी ये बोल पाती " वो गेट की तरफ इशारा कर कर बोली थी। चाहत उसका इशारा समझ कर गेट पर देखा जहाँ पर किसी के खड़े होने की छवि दिख रही थी ये देख कर उसने उसे इशारा किया और चाहत उसे देख कर बोली "ओह बाबा दिल छोटा मत कर समझी"। माही उसे देख कर परेशानी वाली आवाज में बोली "यार चाहत एक बार तुम जीजू से बात करो शयद वो तुम्हे जॉब करने की परमिशन दे दे"। चाहत को भी जॉब करनी थी जिसके लिये उसने दादा जी - दादी जी की परमिशन लेनी की सोची थी लेकिन वो तीर्थ यात्रा पर चले गए और वो भी मदर मैरी डिसुजा की गैरहाजरी में इस औरफनेज को संभालने में लगी गयी लेकिन अब वो फ्री थी उसे भी जॉब करनी थी घर पर बाकी किसी से पूछने का कोई मतलब ही नहीं था इसलिए वो सोच में पड़ गयी की अब उसे क्या बताये। माही उसे खोय हुए देख कर बोली "क्या हुआ कहाँ खो गयी"। चाहत होश में आयी और बोली "कुछ नहीं बस ऐसे ही ये सब छोड़ो और कल की तैयारी करो"। माही उसे देख कर बोली "चाहत कुछ प्रॉब्लम है क्या" बचपन की दोस्ती थी एक दूसरे को समझते थे। चाहत हड़बडा गयी और बोली "अरे बाबा ऐसे कोई बात नहीं है"। माही बोली "तो फिर तुम जीजू से बात क्यू नहीं कर रही हो"। चाहत उसे देख कर बोली "वो मैं उन्हें परेशान नहीं करना चाहती बस इसलिए"। माही उसे देखने लगी लेकिन चाहत का चेहरा ऐसा था जिससे वो कुछ भी समझ नहीं पायी वो बोली "ठीक है तो जीजू अभी बीजी होंगे लेकिन रात को तुम आराम से बात कर लेना और परमिशन ले लेना फिर हम दोनों साथ मैं जॉब करेंगे"। चाहत के पास और कोई रास्ता भी नहीं था इसलिए उसने हाँ मैं सर हिला दिया और बोली "ठीक है अब मैं चलती हु बहोत काम है"। माही ने हाँ मैं सर हिला दिया तो चाहत उस रूम से बाहर निकल आयी वो जैसे ही आगे बढ़ने को हुई उसके पैर के निचे एक अंगूठी आ गयी जिसे देख कर उसके चेहरे पर शतिर भाव आ गए उसने उसे चुपके से उठा लिया वही माही अंदर से ये देख रही थी उसने ने ना मैं गर्दन हिला दी चाहत उसे आंख मार कर वहा से बाहर चली गयी। आखिर क्या थी चाहत और माही की असली पहचान ये जानने के लिये पढ़ते रहिये।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 5 𝐈 𝐚𝐦 𝐜𝐨𝐦𝐢𝐧𝐠 𝐰𝐢𝐟𝐞𝐲 अब आगे ! एक तीस माले की बड़ी सी बिल्डिंग जिसके ऊपर बडा सा '𝕽' का लोगो बना हुआ था और उसके निचे बड़े बड़े अक्षरों में '𝐄𝐌𝐏𝐈𝐑𝐄' लिखा हुआ था इसी बिल्डिंग के बाहर एक साथ कारो का काफिला आ कर रुका जिसे देख कर गार्ड ने गेट खोला तो कारे उस के अंदर आ गयी। कार उस बिल्डिंग के गेट के बाहर आ कर रुकी उसके रुकते ही गार्ड बाहर निकले और एक गार्ड ने गेट खोला तो उसमे से हमारे हीरो 'कुणाल सिंह राठौड़' अपने सख्त ओरे और रोबदार सख्सियत के साथ बाहर निकले। कुणाल ने एक नजर उस बिल्डिंग को देखा जिसे उसके दादा जी 'किशन सिंह राठौड़' ने शुरुआत की थी जिसे आगे उसके पापा 'धनुष सिंह राठौड़' ने बढ़ाया था लेकिन पिछले जन्म में उसकी गलतियों की वजह से ये सब डूबने की कगार पर था लेकिन अब ज़ब उसने नई शुरुआत की ही है तो वो अब अपनी मेहनत को किसी को भी खराब नहीं करने देगा और नहीं किसी को खुद का फायदा उठाने देगा। कुणाल उसे देख कर मन में बोला "इस बार कुणाल सिंह राठौड़ अपनी मेहनत को बर्बाद नहीं करने दुगा ये खुद से वादा है"। कुणाल ये बोल कर उस बड़ी सी बिल्डिंग के अंदर चला गया। कुणाल अंदर आया इस फ्लोर पर एक रिसेपशन एरिया और वेटिंग एरिया और दो लिफ्ट थी जिनमे से एक इम्प्लॉय के लिये और एक कुणाल सिंह राठौड़ के लिये थी। कुणाल अपनी परसनल लिफ्ट से होते हुए सीधे अपने सीईओ के केबिन में आया। कुणाल एक नजर उस पुरे केबिन को देख कर अपनी आलिसान कुर्सी पर राजा की तरह बैठ गया तभी केबिन का डोर नोक हुआ। कुणाल सर्द आवाज में बोला "कम इन" उसके ये सुनते ही उसका असिस्टेंट राहुल अंदर आया। राहुल ने कुणाल को ग्रिट किया। कुणाल ने एक नजर उसे देखा जो उसका भरोसेमंद इंसान था जो हमेसा उसका भला चाहता था लेकिन कुणाल पिछले जन्म में इतना अंधा था की उसने कभी भी उस पर विश्वास नहीं किया उसे झूठे केस में फसाया गया तब भी वो उसे बताता रहा की उसने कुछ नहीं किया बल्कि धोखेबाजो की बातो में आकर उसे जेल भेज दिया जहाँ उसे बहोत टॉर्चर किया गया और अंत में उसने सुसाइड कर ली ये सभी बाते उसे मरने से पहले ही पता चली थी कुणाल को गिल्ट हुआ उसने सोचा की वो कोई गलती नहीं करेगा। कुणाल उसे देख कर बोला "राहुल मिस्टर विनय के प्रोजेक्ट का क्या हुआ" उसे याद है ये प्रोजेक्ट उसकी कम्पनी के लिये प्रोफीटेबल था। राहुल उसकी बात सुन कर डरते हुए बोला "सर वो ये प्रोजेक्ट हमें नहीं मिला"। कुणाल की बोहे सिकुड़ गयी वो सर्द आवाज में बोला "किस वजह से"। राहुल डरते हुए बोला "वो सर चिराग सर ने इस प्रोजेक्ट की डिटेल सबमिट नहीं की थी " उसे डर लग रहा था की क्युकी कुणाल को चिराग और जिगर के बारे मै कुछ भी सुनना बर्दास्त नहीं होता था। कुणाल ने गुस्से से बोहे रब की और सख्त आवाज में बोला "मिस्टर विसन का प्रोजेक्ट"। राहुल उसके इस सवाल पर डरते हुए बोला "वो वो सर जिगर सर ने मिस्टर विसन के साथ बत्तमीजी की थी इसलिए उन्होंने हमारे साथ काम करने से मना कर दिया"। कुणाल को ये सुन कर सदीद गुस्सा आया उसने पिछले जन्म कितनी गलतियां की थी। कुणाल सर्द आवाज में बोला "कहाँ पर है वो दोनों"। राहुल बोला "सर वो दोनों आज ऑफिस नहीं आये है" फिर उसे देख कर बोला "अगर आप कहे तो में इन्फॉर्म कर दू"। कुणाल सर्द आवाज में बोला "नहीं उसकी कोई जरूरत नहीं है एक काम करो मुझे पिछले दो सालो की अकाउंट की सारी डिटेल चाहिए और जो प्रोजेक्ट पेंडिंग पड़े है उन सब की पूरी डिटेल चाहिए"। राहुल ये सुन कर हैरान हो गया की आखिर सर को अचनाक हो क्या गया है लेकिन उसे उसका ऑडर मानना था इसलिए वो जी सर बोल कर चला गया। कुणाल को याद है की कैसे उसकी कम्पनी में घोटाले होने सुरु हुए थे लेकिन उसने इतना ध्यान नहीं दिया था जिसकी वजह से उसकी मेहनत बेकार हो गयी थी। कुणाल चेयर से सर टिका कर बोला "बस वाइफी आज का दिन फिर होंगी तुमसे मुलाक़ात" वो उससे मिलने से पहले सब सही करना चाहता था। राहुल थोड़ी देर बाद ढेर सारी फाइल ले कर आया कुणाल ने उसे भी अपने केबिन में ही बिठा दिया और दोनों अकाउंट की फाइल चेक करने लगे जिसमे से कही सारे पैसे फिजूल में गायब हुए थे और पेंडिंग पड़े प्रोजेक्ट में भी पैसे लग गए थे लेकिन बहाना बना कर उन्हें रोका गया था। कुणाल और राहुल दोनों ने रात तक सारा काम कम्प्लीट कर लिया था कुणाल की स्पीड अच्छी थी एक तो वो पहले से होसियार था ऊपर से रेबर्थ के बाद उसकी मेमोरी काफी शार्प हो गयी थी कुणाल, राहुल को देख कर बोला "कल एक भरोसे मंद टीम बनाओ और उन को ये पेंडिंग पड़े प्रोजेक्ट उन्हें सोपो और जल्द से जल्द इन्हे कम्प्लीट कराओ"। राहुल ने हाँ में सर हिला दिया और बोला "सर ये अकाउंट का..."। कुणाल उसकी बात समझ गया वो बोला "कल अकाउंट डिपार्टमेंट की मीटिंग बुलाओ"। राहुल ने हाँ में सर हिला दिया और वहा से चला गया वही कुणाल चेयर से सर टिका कर बोला " अब कल से तुम सब की बर्बादी की शुरुआत होंगी" तभी उसकी नजर घड़ी पर गयी जो नो बजने का इशारा कर रही थी ये देख कर वो बोला "I am coming wifey" ये बोल कर वो अपनी चेयर से खड़ा हुआ और अपना कोर्ट के बटन बन्द करते हुए केबिन से बाहर चला गया। कुणाल अपनी परसनल लिफ्ट से होते हुए निचे पार्किंग एरिया मैं आया जहाँ पर उसके गार्ड पहले से ही उसका वेट कर रहे थे उसे देखते ही गेट खोला तो कुणाल उसमे बैठ गया और कार वहा से राठौड़ विला के लिये रवाना हो गयी। --- दूसरी तरफ राठौड़ विला चाहत दोपहर में ही विला आ गयी थी जिसके बाद वो अपने रूम में ही थी चाहत अपने गीले बाल पोहचते हुए बाथरूम से बाहर निकली उसने इस वक्त पिंक कलर का लूज कुरता और वाइट प्लाजो पहना हुआ था हाथ में चूड़ा और गले में मंगलसूत्र वो बहोत खूबसूरत लग रही थी चाहत ने अपने बाल सुखाए और ढीली छोटी गूथ ली। तभी रूम का डोर नोक हुआ जिसे सुन कर चाहत ने अपना दुप्पटा लिया और गेट खोला तो सामने एक सरवेंट खड़ी थी उसे देख कर चाहत बोली "क्या हुआ"। सरवेंट चाहत को देख कर बोली "आपको कामिनी मेडम ने बुलाया है"। चाहत ये सुन कर मन में बोली "अब इन्होने क्यू बुलाया है पता नहीं क्या बकवास करनी होंगी, ओह गॉड ये सरीफ दिखना इतना मुश्किल क्यू है " फिर उस सरवेंट को देख कर बोली "चलिए" ये बोल कर वो रूम से बाहर आ कर गेट बन्द कर कर चली गयी। आखिर क्यू बुलाया है कामिनी ने चाहत को और कैसी होंगी कुणाल और चाहत की मुलाक़ात ये जानने के लिये पढ़ते रहिये।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 6 𝐀𝐫𝐞 𝐲𝐨𝐮 𝐨𝐤 अब आगे ! चाहत ये सुन कर मन में बोली "अब इन्होने क्यू बुलाया है पता नहीं क्या बकवास करनी होंगी, ओह गॉड ये सरीफ दिखना इतना मुश्किल क्यू है " फिर उस सरवेंट को देख कर बोली "चलिए" ये बोल कर वो रूम से बाहर आ कर गेट बन्द कर कर चली गयी। चाहत हॉल में आयी तो उसकी नजर वहा लगे सोफे पर गयी जहाँ इस वक्त कामिनी जी , जयंत जी , जिगर, चिराग पूर्णिमा जी , सूजल जी , साक्षी मौजूद थे। चाहत, कामिनी जी के पास जा कर धीमी आवाज में बोली "आपने बुलाया चाची जी"। कामिनी जी उसे देख कर गुस्से से बोली "गवार कही की कितनी बाहर कहाँ है की मुझे चाची मत बोला कर मुझसे तेरा कोई रिश्ता ही तेरी उतनी औकाद नहीं फ़टीचर कही की"। चाहत की आंखे नम हो गयी थी जिसे देख कर पूर्णिमा जी बोली "अब खड़ी खड़ी क्या नाटक कर रही है जा यहां से हम सब के लिये डिनर बना" वैसे तो यहां बहोत से नौकर थे लेकिन उन लोगो को चाहत को परेशान जो करना था। साक्षी उसे देख कर घमंड से बोली "अब निकलो यहां से कुछ टेस्टी सा बनाना मुझे बोहत भूक लगी है"। चाहत उन सब की बाते सुन कर धीमे कदमो से किचन की तरफ बढ़ गयी वही उसे देख कर हॉल मैं हसि के टहाके गूंज उठे। पूर्णिमा जी बोली "इस लड़की की औकाद यही नौकरो वाली है"। कामिनी जी बोली "बिलकुल सही कहाँ इसे लगा था की शादी कर कर रानी बनेगी लेकिन बन गयी नौकरानी"। साक्षी हस्ते हुए बोली "बिलकुल सही कहाँ मोम मुझे ये लड़की बिलकुल भी पसंद नहीं है"। सूजल जी बोले "कुछ भी करो लेकिन अगर कुणाल को पता चला तो"। जयंत जी हस्ते हुए बोले "कुछ भी नहीं बोलेगा"। चिराग बोला "वो कुछ नहीं करेगा और वैसे भी वो इस लड़की को बिलकुल पसंद नहीं करता"। जिगर हस्ते हुए बोला "कहने को तो वो इतना बडा बिजनेस मेन है लेकिन अक्ल बिलकुल नहीं है अपनी इतनी खूबसूरत बीवी को छोड़ कर दूसरी लड़की पर यकीन करता है"। पूर्णिमा जी बोली "आखिर मेरी मिलीसा है ऐसी" मिलिसा इनकी बहन की बेटी है जो कुणाल को अपनी मासूमियत के जाल में फ़साये रखती है। साक्षी हस्ते हुए बोली "या ज़ब कल मिलिसा आएगी तो इस लड़की का उतरा हुआ चेहरा देख कर मजा आएगा"। कामिनी जी बोली "वो तो ठीक है लेकिन तुम लोग जरा बिजनेस पर भी ध्यान दो"। जिगर बोला "चील मोम ज़ब तक वो कुणाल है हमें कमाने की क्या जरूरत है"। चिराग बोला "बिलकुल मोम वैसे भी वो कुणाल आपको बहोत मानता है आप प्यार से कहोगी तो कुछ भी कर लेगा वैसे भी अब उसे रोकने टोकने वाले भी नहीं है"। कामिनी जी ने हाँ में सर हिला दिया क्युकी कुणाल सबसे जायदा उनकी ही सुनता था, कुणाल के माता -पिता की एक एकक्सीडेंट में मौत हो गयी थी जिसके बाद उसके दादा - दादी ने ही पाला था और कामिनी वो हर बार कुणाल की नजरो में अच्छी बनने की कोशिश करती थी इसलिए वो उन्हें अपना मानता था। किचन में, चाहत ने चुप चाप सारे खाने की तैयारी कर रही थी क्युकी कामिनी का ऑडर था की कोई भी सरवेंट उसकी मदद ना करे, चाहत को काम करने में कोई तकलीफ नहीं थी लेकिन जैसे ही उन सब की हसने की आवाज उसके कानो में आ रही थी उसे गुस्सा आ रहा था लेकिन वो जाहिर नहीं कर सकती थी। चाहत गुस्से को दबाते हुए मन में बोली "बस एक बार मुझे जो चाहिए उसका पता चल जाये उसके बाद तुम लोगो को बताऊगी की असली दुश्मनी क्या होती है" ये बोल कर उसने गुस्से गुस्से में सारा काम कर दिया था। चाहत सारा खाना डायनिंग टेबल पर लगा कर हॉल में आयी और धीमी आवाज में बोली "खाना तैयार है" ये बोल कर वो जाने लगी जिसे देख कर कामिनी बोली "रुक"। चाहत के कदम रुक गए कामिनी उसे देखते हुए अकड़ से बोली "तमीज से बोल की मेम आपका खाना रेडी है" उन्हें उनकी इंसल्ट करने में क्या मजा आता था। चाहत उनकी बात सुन कर बोली "लेकिन चाची जी...."। साक्षी जो उसकी सिम्पल रहने उसके बावजूद भी खूबसूरत लगती थी उसे उससे बहोत जलन हो रही थी जैसे ही उसे भी मौका मिला वो गुस्से से उठ कर उसके पास जाती हुई बोली "जायदा ही जबान चल रही है तेरी सुना नहीं मोम ने क्या कहाँ" वो उसके सामने आ कर खड़ी हो गयी थी। चाहत उसे देख कर धीमी आवाज में बोली "सुना"। साक्षी को उसके इस जवाब से और गुस्सा आया उसने उसकी बाह पकड़ कर बोली "चुप चाप हमें मेम बोला कर तेरी औकाद यहां सिर्फ नौकरानी की है इससे जायदा नहीं" ये बोल कर उसने तेजी से उसे धक्का दिया जिससे चाहत गिरने को हुई इसी डर से उसकी आंखे बन्द हो गयी लेकिन ज़ब उसने महसूस किया की वो गिरी नहीं है तो उसने आंखे खोल कर देखा की उसे एक सख्स ने संभाला हुआ है। चाहत ने जैसे ही उस सख्स का चेहरा देखा उसकी आँखों में हैरानी उत्तर आयी क्युकी सामने कोई और नहीं बल्कि उसका पति कुणाल सिंह राठौड़ था। वही बाकी सब भी कुणाल को देख कर चौक गए थे उन्हें लगा नहीं था की कुणाल यहां आएगा क्युकी वो जायदातर आपने विला ही रहता था लेकिन उसे देख कर उनका हैरान होना लाजमी था लेकिन उन्हें डर भी था की कही कुणाल ने सब देख तो नहीं लिया जो उन्होंने चाहत के साथ किया लेकिन दिल में एक ख्याल ये भी था की वो उसे पसंद ही नहीं करता चाहे वो उसके साथ कुछ भी करे। कुणाल अपनी गेहरी नजरो से एकटक अपनी बाहो में खड़ी अपनी बीवी को देखा रहा था जो दिखने में जितनी सुंदर थी उससे कही जायदा उसका दिल खूबसूरत था उसे खुद पर ही गुस्सा आया उसने उसकी सच्चाई क्यू नहीं देखि क्यू झूठ पर यकीन किया। चाहत तो उसके ऐसे देखने से हैरान ही थी लेकिन जैसे ही उसे अपनी कमर पर उसकी पकड़ कस्ती हुई महसूस हुई जिससे वो होश में आयी और खड़ी होने लगी। कुणाल भी इससे होश में आया उसकी कोशिश देख कर उसने उसे सही से खड़ा किया और ऊपर से निचे टक देखते हुए सर्द आवाज में बोला " आर यू ओके"। सब के साथ चाहत भी सदमे में उसे लगा नहीं था की वो उससे पूछेगा। कुणाल उसे कुछ ना बोलते देख कर एक बार फिर सर्द मगर सख्त आवाज में बोला "आर यू ओके"। चाहत ने हाँ में सर हिला दिया और उससे थोड़ा दूर खड़ी हो गयी ये देख कर कुणाल की नजरें सर्द हो गयी उनमे गुस्सा छाने लगा उसने अपनी सर्द नजरो से एक नजर सभी घर वालो को देखा और साक्षी से बोला "तुमने धक्का क्यू दिया" उसकी आवाज इतनी खतरनाक थी की साक्षी के पसीने छूटने लगे उसके हल्क से आवाज नहीं निकल रही थी। वही बाकी सभी घर वाले भी एक बारी तो डर गए लेकिन कामिनी झूटी सफाई देते हुए बोली " वो वो बेटा उसने धक्का नहीं दिया बल्कि इस लड़की का पैर फिसल गया था"। कुणाल ने सर्द नजरो से उन्हें घूर कर देखा और बोला " बिच में बोलने वाले लोग मुझे पसंद नहीं है"। कामिनी जी को हैरानी हुई क्युकी कुणाल कभी उनसे ऐसे बात नहीं करता था। कुणाल ने वहा खड़े हर सख्स को इग्नोर किया और चाहत को देख कर सर्द आवाज में बोला "यहां क्या हो रहा था" सब के पसीने छूटने लगे उन्हें डर लग रहा था की अगर चाहत ने सच्च बोल दिया तो कुणाल पता नहीं क्या करेगा ऊपर से वो हैरान भी थे की कुणाल का बर्ताव उनके प्रति इतना रुखा कैसे हो गया। क्या चाहत उन सब का सच्च कुणाल को बताएगी और कुणाल का क्या रिएक्शन होगा ये जानने के लिये पढ़ते रहिये।
𝙿𝙰𝚁𝚃 - 7 𝐊𝐮𝐧𝐚𝐚𝐥 𝐤𝐚 𝐛𝐝𝐥𝐚 𝐛𝐚𝐫𝐭𝐚𝐯 / 𝐬𝐚𝐛 𝐤𝐢 𝐡𝐞𝐫𝐫𝐚𝐧𝐢 अब आगे ! कुणाल ने वहा खड़े हर सख्स को इग्नोर किया और चाहत को देख कर सर्द आवाज में बोला "यहां क्या हो रहा था" सब के पसीने छूटने लगे उन्हें डर लग रहा था की अगर चाहत ने सच्च बोल दिया तो कुणाल पता नहीं क्या करेगा ऊपर से वो हैरान भी थे की कुणाल का बर्ताव उनके प्रति इतना रुखा कैसे हो गया था। कुणाल - चाहत के जवाब ना मिलने पर सर्द आवाज में बोला "क्या हो रहा था यहां"। चाहत ये सुन कर अटकते हुए बोली "वो.... वो..." उसे पता नहीं क्यू इस इंसान से डर लगता था। कामिनी जी चाहत जे बोलने से पहले ही उसकी बात काटते हुए बोली "कुणाल बेटा कुछ नहीं हुआ है" वो उसका ध्यान खुद की तरफ करना चाह रही थी। कुणाल सर्द मगर गुस्से से बोला "मैं जिससे पूछ रहा हूँ वही बोले तो बेहतर रहेगा सब के लिये" उसकी ये बात सुन जर सब की गुस्से से मुठिया भींच गयी थी सब को मजबूरन चुप होना पड़ा था। कुणाल एक बार फिर चाहत कु तरफ देख कर गुस्से से बोला "लास्ट बार पूछ रहा हूँ यहां क्या हो रहा था..... तुम कैसे गिरने वाली थी " हाँ उसने ये नजारा देखा था लेकिन उसे अपनी पत्नी के मुँह से सुनना था। साक्षी, कुणाल के मुँह से ये सुन कर डर गयी थी लेकीन उसे ये भी लग रहा था की क्यू वो उस लड़की के लिये उसे कुछ कहेगा। चाहत ये सुन कर मन में बोली "आज इस इंसान को क्या हो गया है ऐसे तो मुझे पूछते तक नहीं थे आज मेरी बात सुन रहे है कही दाल में कुछ काला तो नहीं.....दाल तो छोड़ो मुझे पूरा ही काला लग रहा है.... अब क्या ही बोलूं बोलूंगी तो फिर कही कुछ उल्टा ना हो जाये और मुझे फिलहाल बस अपने मकसद्द पर फोकस करना है इन सब पर नहीं" उसे कुणाल पर रत्ती भर का भी यकीन नहीं था की वो उसको साइड लेगा। चाहत धीमी आवाज में बोली "नहीं हमें साक्षी ने धक्का नहीं दिया वो तो हमारा पैर स्लिप हो गया था" वो उससे दूर हो गयी वही कुणाल उसे देखने लगा जो उससे झूठ बोल रही थी लेकिन क्यू....। बाकी सब चाहत की ये बात सुन ख़ुश हो गए थे वही कामिनी जी अपनी आवाज में शक़्कर घोलते हुए बोली "बेटा अब छोड़ो ये सब चलो हम सब डिनर करते है एक साथ " फिर चाहत की तरफ देख कर बोली "जाओ हम सब के लिये खाना बनाओ" ये सुन कर चाहत मन में बोली "उसमे जहर ही ना मिला दूँ" फिर हाँ में सर हिलाते हुए किचन की तरफ जाने लगी। कुणाल को याद है इन लोगो ने उसकी बीवी को यहां की नौकरानी बना कर रख दिया था और उसने कभी ध्यान ही नहीं दिया था लेकिन अब बिलकुल नहीं वो सख्त आवाज में बोला "यहां इतने सारे सरवेंट है तो खाना वो क्यू बनाएगी"। चाहत के कदम एक पल को ये सुन कर रुक गए थे लेकिन फिर से किचन की तरफ बढ़ गए थे वही कुणाल अब उसे गुस्से से घूरने लगा था वही कामिनी जी एक पल को हड़बडा गयी थी फिर बोली "वो बेटा उसे पसंद है इसलिए बनाती है"। कुणाल एक नजर सब को गुस्से से घूरते हुए सीढ़ियों से होते हुए ऊपर अपने रूम की तरफ चला गया। जिगर हैरानी से बोला "ये इस लड़की में इतना इंटरस्ट क्यू ले रहा है"। चिराग भी बोला "इस के दिमाग़ में आखिर चल क्या रहा है"। कामिनी बोली "जो भी चल रहा हो हमें जानना ही होगा.... आखिर ये क्यू इस लड़की को ऐसे देख रहा था उससे जुड़े सवाल कर रहा था"। पूर्णिमा जी बोली "हम मिलिसा को कल ही बुलवा लेते है ताकि कुणाल का थोड़ा बहुत भी ध्यान जो इस लड़की के ऊपर आया है वो हट जाए"। साक्षी ये सुन कर बोली "वाह मोम क्या मस्त आइडिया दिया है अगर दी आएगी तो कुणाल की नजर इस लड़की पर जाएगी ही नहीं"। कामिनी जी भी बोली "तुम उसे कॉल कर बुलवा लो"। पूर्णिमा जी ने हाँ में सर हिला दिया। जयंत जी बोले "जो भी करना सोच समझ कर करना"। सूजल जी बोले "कुणाल को शक नहीं होना चाहिए"। जो भी हो कुणाल से उन्हें बहुत डर लगता था वो जानते थे की वो कितना बड़ा खतरनाक इंसान है। कुणाल जो सीढ़ियों से निचे उत्तर रहा था उसकी नजर उन सब पर गयी जिसे उसे बहुत नफ़रत हुई वो मन में बोला "इस बार तुम लोगो को नहीं छोडूंगा" ये बोल कर निचे उत्तरने लगा वही उसे देख कर सब चुप हो गए। कामिनी जी बोली " हम सब तुम्हारा ही इंतजार कर रहे थे"। कुणाल ने सर्द नजरो से देखते हुए हाँ में सर हिला दिया वही सभी लोग डायनिंग टेबल की तरफ चले गए। सभी लोग वहाँ बैठ गए थे तभी चाहत सर्वेन्ट के साथ मिल कर खाना लेकर आयी और टेबल पर रखने लगी वही कुणाल की एक नजर उसी पर थी की ये लड़की कितनी मासूम थी। चाहत ने सब को सर्व कर दिया था कुणाल को छोड़ कर वही कुणाल उसे ही देखने लगा जो शांत सी साइड में ख़डी थी उसे बहुत गिल्ट हुआ आखिर ये सब उसी की वजह से हुआ था। एक बार ज़ब चाहत नयी नयी थी यहां तो वो उषा जी कहने से कुणाल को खाना सर्व कर दिया था जिस पर कुणाल बहुत गुस्सा हुआ था उसने खाने को फेक दिया था और चाहत को बीवी नहीं बल्कि नौकरानी नाम से नवाज़ा था इसलिए वो यहां नहीं बैठी थी। सभी लोगो ने खाना शुरू किया लेकिन कुणाल वो ऐसे ही बैठा चाहत को देख रहा था वही सरवेंट उसकी खाली प्लेट देख कर उसमे खाना देने आगे आया लेकिन कुणाल ने रोक दिया और सर्द आवाज में बोला "तुम सर्व करो" ये उसने चाहत की तरफ देखते हुए कहाँ था। चाहत जो नजरें नीची कर कर ख़डी थी उसकी नजरें ऊपर उठी तो सब को खुद को देखता पाकर वो हैरान हो गयी की क्या ये कुणाल ने उससे कहाँ था। कुणाल सर्द आवाज में बोला "मैंने कहाँ तुम सर्व करो" उसकी आवाज में हुकुम देना वाला टोन था जिससे वहाँ बैठे सब एक बारी देखते रह गए थे। कामिनी जी जल्दी से बोली "सुना नहीं कुणाल ने क्या कहाँ जल्दी से सर्व करो"। चाहत ये सुन कर जल्दी से आगे आयी और उसे खाना सर्व करने लगी वो जल्दी से सर्व कर कर पीछे हो गयी वही कुणाल ये देख कर सर्द आवाज में बोला "बैठो यहां" उसने अपने नजदीक खाली चेयर पर बैठने को बोला था। कुणाल यहां की राजा वाली चेयर पर बैठता था और उसके आस - पास की दो चार चेयर छोड़ कर बाकी सभी फैमिली बैठते थे। चाहत के साथ बबाकि सब एक बार फिर हैरान हो गए....कोई कुछ बोलता उससे पहले ही कुणाल गुस्से स्वीट गरजते हुए बोला "मैंने कहाँ बैठो यहां" उसकी ऐसी हरकत के बाद तो किसी की भी कुछ बोलने की हिम्मत ना हुई थी। चाहत भी डर कर कुणाल के पास वाली चेयर को छोड़ कर दूसरी चेयर पर बैठ गयी वही कुणाल ने गुस्से से मुट्ठी भींच ली उसे इतना बोलने की आदत नहीं थी लेकिन इस लड़की को समझाने के लिये बोल रहा था लेकिन वो समझ नहीं रही थी....... लेकिन कैसे समझती आखिर गलत उसने ही उसके साथ किया था उसे खुद पर यकीन दिलाना इतना आसान थोड़ी था उसे भी कुछ वक्त चाहिए था यही सोच कर वो शांत हो गया था। सभी लोग शांति से अब डिनर करने लगे थे लेकिन सब के मन में कुणाल के बदले बर्ताव के लिये सवाल जरुर थे जिनके जवाब उन्हें क़ब मिलेंगे ये सिर्फ कुणाल जानता था।