मुंबई सिटी - एक ऐसा शहर जो कहने को तो बहुत बड़ी सिटी है पर जितना बड़ा शहर उतने गहरे राज, अर्जुन ठाकराल , जो एक साधारण लड़के की तरह अपनी ज़िंदगी जी रहा था,पर असल में वो था दैविक शक्तियों का मालिक, मगर ये राज़ उसने सभी से छुपाकर रखा था। दूसरी तरफ, नेत्... मुंबई सिटी - एक ऐसा शहर जो कहने को तो बहुत बड़ी सिटी है पर जितना बड़ा शहर उतने गहरे राज, अर्जुन ठाकराल , जो एक साधारण लड़के की तरह अपनी ज़िंदगी जी रहा था,पर असल में वो था दैविक शक्तियों का मालिक, मगर ये राज़ उसने सभी से छुपाकर रखा था। दूसरी तरफ, नेत्रा चौहान, एक खूबसूरत मगर खतरनाक डायन,जिसका भूख ही था इंसानों का खून। वो भी थी अपनी काली शक्तियों से वाकिफ, लेकिन उसने भी अपनी असली पहचान दुनिया से छुपा रखी थी। पर जब अर्जुन और नेत्रा एक-दूसरे से मिले, तो उन्हें एक अजीब कशिश महसूस हुई, मगर दोनों एक-दूसरे की सच्चाई से थे अनजान और उन दोनो को ही हो गया एक दूसरे से मोहोब्बत, पर क्या एक डायन और दैविक कभी प्यार के बंधन में बंध सकते हैं ? या खुलेगा और कोई राज, इस रहस्य से भरी कहानी में उनके बीच का रिश्ता क्या होगा प्यार या विनाश का? प्रेम और रहस्य की इस अंजानी कहानी का राज जानने के लिए पढ़ते रहिए
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मुंबई सिटी—एक ऐसा शहर, जहां हर गली में सपनों की गूंज है। यहां के कॉलेज का कैंपस हमेशा हंसते-खेलते लड़के-लड़कियों से भरा रहता है। आज भी, कॉलेज के फर्स्ट ईयर के छात्रों के बीच माहौल खुशनुमा है। हर जगह बातें हो रही हैं, और एक खूबसूरत लड़की सबकी नजरों में है। उसकी उम्र लगभग 19 साल है, उसकी लाइट ग्रीन आंखें जैसे किसी जादू का हिस्सा हों, काले घने बाल उसके चेहरे की खूबसूरती को और बढ़ाते हैं, और उसकी पतली स्लिम बॉडी देखकर तो सब दीवाने हैं। उसने इस कॉलेज में तीन महीने पहले एडमिशन लिया था, और उसकी खूबसूरती का तो कोई जवाब नहीं। लड़के उसके पास आने की कोशिश करते रहते हैं, लेकिन वह अपने दोस्तों के बीच में मस्त होकर बातें कर रही है। तभी एक लड़का, जिसका नाम अजय है, उसके पास आता है और कहता है, "Wow, Netra, you are looking so pretty!" उसकी बात सुनकर Neetra मुस्कुरा जाती है। तभी उसकी फ्रेंड अंजलि, जो उसके पास खड़ी है, ताज्जुब भरे लहजे में बोलती है, "इसमें कहने वाली क्या बात है, अजय? वो तो खूबसूरत है, और ये बात सबको पहले से पता है। तुम्हें बताने की कोई जरूरत नहीं है।" अजय उसकी बात सुनकर थोड़ी चिढ़ जाता है। "क्यों, तुम्हें जलन हो रही है?" वह हंसते हुए जवाब देता है। अंजलि उसे घूरते हुए कहती है, "जी नहीं, मेरी दोस्त की तारीफ सुनकर मुझे जलन नहीं होती। मुझे तो खुशी होती है, लेकिन जब कोई लल्लू चप्पू करे, तो बुरा लगता है।" उसकी बात सुनकर सब हंसने लगते हैं, और अजय को अंजलि पर गुस्सा आ जाता है। Neetra ने सबको घूरकर चुप रहने का इशारा किया और अजय को देखकर मुस्कुराने लगी। उसकी मुस्कुराहट इतनी हसीन थी कि अजय उस पर मंत्रमुग्ध हो गया। अजय ने धीरे से Neetra की तरफ देखा और कहा, "मैं लाइब्रेरी जा रहा हूं।" इतना कहकर वह लाइब्रेरी की तरफ बढ़ गया, और बाकी सभी छात्र भी वहां से चले गए। लाइब्रेरी पूरी तरह से खाली थी। अजय ने लाइब्रेरी में जाकर अपनी किताबें खोली, लेकिन उसकी बेचैनी बता रही थी कि वह किसी का इंतजार कर रहा है। फिर अचानक, उसकी आंखों में चमक आ गई। सामने से Neetra आ रही थी। उसे देखकर उसकी मुस्कान और बढ़ गई। Netra धीरे-धीरे उसके पास आई और अजय का हाथ पकड़कर अपने करीब खींचते हुए बोली, "तुम सच में बहुत खूबसूरत हो। जब से पहली बार देखा है, तुम्हारा दीवाना बन गया हूं।" Netra ने मुस्कुराते हुए कहा, "दीवाना बनाने के लिए ही तो मैं हूं।" अजय की आंखों में एक खास चमक थी। वह Netra को देखता रहा, जैसे उसके चेहरे पर उसके सपनों की तस्वीर छिपी हो। "क्या तुम कभी सोची हो, कि खूबसूरती के पीछे क्या होता है?" उसने सवाल किया, और Netra की आंखों में एक शरारती चमक आई। "खूबसूरती के पीछे अक्सर दर्द छुपा होता है, अजय," Neetra ने जवाब दिया, "लेकिन वो दर्द मेरे चेहरे की मुस्कान को छुपा नहीं पाता।" अजय ने उसे ध्यान से देखा। "तुम्हारे मुस्कुराने से तो लगता है कि तुम इस दुनिया की सबसे खुश इंसान हो।" netra ने अपनी आंखें झुकाते हुए कहा, "मैं कोशिश करती हूं। लेकिन कभी-कभी ये भी जरूरी होता है कि कोई हमें समझे।" अजय ने थोड़ी देर चुप रहकर सोचा। "मैं तुम्हें समझने की कोशिश करूँगा। हम दोस्त बन सकते हैं, क्या तुम राजी हो?" Netra ने उसकी बात सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, "दोस्ती तो ठीक है, लेकिन हमें अपने राज भी शेयर करने होंगे।" अजय ने झिझकते हुए कहा, "क्या तुम सच में अपने राज बताओगी? मुझे लगता है कि तुम एक रहस्य हो।" "हर खूबसूरत लड़की के पास एक राज होता है, अजय," Neera ने चिढ़ाते हुए कहा। "क्या तुम उसे जानने की हिम्मत रखोगे?" "हिम्मत तो है, पर क्या तुम बताएगी?" अजय ने उत्सुकता से पूछा। Neetra ने सिर हिलाते हुए कहा, "तुम्हें पता है, मैं ये सोचती हूं कि मेरी खूबसूरती का असर सब पर पड़ता है, लेकिन क्या वो मुझे सच में जान पाते हैं?" अजय ने गहरी सांस ली। "शायद नहीं, लेकिन मैं कोशिश करूंगा। तुम्हें जानने के लिए मैं हर तरह से तैयार हूं।" Neetra की मुस्कान और बढ़ गई। "तो चलो, शुरू करते हैं।" इतना बोलकर, नेत्रा ने बड़ी अदा के साथ लाइब्रेरी के दरवाजे को लॉक कर दिया। अजय उसकी हरकत देखकर मन ही मन खुश हो गया। उसे ऐसा लगा, जैसे नेत्रा उसके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताना चाहती है। सबकुछ सामान्य था, लेकिन अचानक अजय की आंखें चौड़ी हो गईं और उसके चेहरे पर डर की छाया आ गई। उसके माथे पर पसीना बहने लगा। नेत्रा उसकी इस घबराहट को देखकर मुस्कुराई और बोली, “इतना तुम मिले तो कहा था कि तुम्हें मुझे अच्छे से जानना है, तो चलो जानते हैं ना? मैं बताती हूं कि मैं कौन हूं।” वह और करीब आकर बोली, “मैं हूं डायनों की शहजादी, हुस्न की मलिका।” यह सुनते ही अजय बोलने की कोशिश कर रहा था, जैसे वह चिल्लाना चाहता हो, लेकिन उसकी आवाज अचानक ही रुक गई। नेत्रा ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करते हुए उसकी आवाज को उसके मुंह के अंदर ही रोक दिया। वह बोल तो रहा था, लेकिन उसकी आवाज बाहर नहीं आ रही थी। चिल्लाने की कोशिश कर रहा था, पर कुछ नहीं हुआ। नेत्रा के चेहरे पर एक और मुस्कान खिल गई और वह और करीब आने लगी। अजय उसे देखकर पीछे हटने लगा, लेकिन उसकी जड़ें मानो ज़मीन में धंस गई थीं। उसने पूरी हिम्मत जुटाकर भागने की कोशिश की, लेकिन तभी नेत्रा ने उसे अपनी चोटियों से पकड़ लिया और उसे अपने करीब खींच लिया। अजय जैसे हवा में लहराने लगा, उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई। “तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं,” नेत्रा ने कहा, उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मिठास थी। “मैं तुम्हें सिर्फ जानना चाहती हूं। क्या तुम मेरे साथ इस रहस्यमय सफर पर चलोगे?” यह सब बोलते हुए नेत्रा के चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी वह क्या करना चाहती थी वही जानती थी वही अजय के चेहरे पर घबराहट डर और दर्द सब साथ में था आज के लिए इतना ही मिलते हैं कल लाइक कमेंट और रिव्यू देते रहिए😘
नेत्रा की आँखों में अजय की घबराहट देखकर एक और शरारती चमक आई। "तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं," उसने धीरे से कहा, "लेकिन अब जब तुमने मुझे जानने की कोशिश की है, तो तुम्हें इसकी कीमत चुकानी होगी।" अजय ने खुद को छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन नेत्रा की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि उसके पैर ज़मीन से ऊपर उठ गए थे। वह हवा में झूल रहा था, जैसे उसकी ज़िंदगी नेत्रा के हाथों में कैद हो चुकी हो। नेत्रा ने एक मंत्र बुदबुदाया, और उसके चारों तरफ एक नीली रोशनी सी फैल गई। अजय की आंखों में डर और गहराता चला गया, उसके शरीर से धीरे-धीरे सारी ऊर्जा खत्म हो रही थी। "अब तुम्हें वो मिलेगा, जो तुमने मांगा था," नेत्रा ने धीमी, पर ठंडी आवाज में कहा। उसके चेहरे पर एक खौफनाक मुस्कान फैल गई थी। उसने अपनी उंगलियों से अजय की गर्दन को छुआ और धीरे-धीरे उसकी ऊर्जा को सोखने लगी। अजय का शरीर कांपने लगा, जैसे उसमें से सारी जान निकल रही हो। उसकी आँखों में अब सिर्फ डर और बेबसी बची थी। अजय के होंठ हिले, पर आवाज़ बाहर नहीं आई। वह चीखना चाहता था, पर नेत्रा की ताकत ने उसकी आवाज़ को हमेशा के लिए बंद कर दिया था। उसकी धड़कन धीरे-धीरे रुकने लगी। नेत्रा ने उसे और करीब खींचा और उसकी गर्दन पर अपने होठों को रख दिया। एक पल में उसने अजय का खून पीना शुरू कर दिया। अजय के शरीर से उसकी आखिरी बची हुई ऊर्जा भी खत्म हो गई और वह बेजान होकर ज़मीन पर गिर पड़ा। नेत्रा ने अपनी जीभ से होंठों पर लगा खून पोंछते हुए मुस्कुराई, “तुम जैसे कमजोर इंसान मेरे लिए सिर्फ एक खेल हो।” वह ठंडे अंदाज़ में बोली। उसने चारों ओर देखा, ये सब एक पल में घट गया था। जैसे कुछ हुआ ही नहीं। अंजलि ने जैसे ही दरवाजा खोला और अजय को ज़मीन पर पड़ा देखा, वह घबरा गई, "Netra! अजय यहाँ क्या कर रहा था?" उसकी आवाज़ में डर साफ झलक रहा था। नेत्रा की लाइट ग्रीन आँखें एक पल के लिए चमकीं, फिर उसने मासूमियत का ऐसा जादू बिखेरा कि अंजलि के मन में उठते सवाल भी थम गए। उसकी आंखों में अजय की घबराहट की झलक देखकर एक शरारती मुस्कान आई थी, लेकिन अब अंजलि के सामने उसे बिल्कुल उल्टा दिखाना था। नेत्रा ने अपनी सांसें थोड़ी तेज़ कर लीं, जैसे वह भी घबरा चुकी हो। उसने आंखें बड़ी कर लीं और लड़खड़ाती आवाज़ में बोली, "अ-अंजलि... मैं... मुझे नहीं पता... जब मैं यहां आई, अजय... वो पहले से ज़मीन पर गिरा हुआ था।" उसकी आवाज़ इतनी धीमी और डर से भरी हुई थी कि अंजलि को शक करने का एक भी मौका नहीं मिला। अंजलि ने घबराते हुए कहा, "Oh my God! ये... ये कैसे हो सकता है? हम तो बाहर थे, अचानक..." नेत्रा ने अपने चेहरे पर डर का मुखौटा ओढ़ते हुए कहा, "मुझे भी समझ में नहीं आ रहा, अंजलि... क्या... क्या हमें किसी को बुलाना चाहिए?" उसकी आवाज़ कांप रही थी, जैसे वह खुद इस पूरी स्थिति से हिल गई हो। अंजलि ने नेत्रा की ओर देखा, जो अब अपने हाथों को गुस्से में और थोड़ी घबराहट में मसल रही थी। "तुम... तुम ठीक हो न, नेत्रा?" अंजलि ने उसकी हालत देखकर पूछा। नेत्रा ने गहरी सांस ली और घबराहट दिखाते हुए धीरे से कहा, "मैं... हाँ, शायद... पर ये सब... अचानक कैसे हो गया?" उसकी लाइट ग्रीन आँखें मासूमियत से भरी दिख रही थीं, जैसे वह खुद इस घटना से डरी हुई हो। अंजलि को उसकी बातें सुनकर कुछ समझ नहीं आया, वह खुद इतनी घबरा चुकी थी कि और कुछ सोच भी नहीं पा रही थी। "शायद हार्ट अटैक... मुझे तो यही लग रहा है... पर कैसे?" अंजलि ने खुद से सवाल किया। नेत्रा ने धीरे से सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ... शायद... हमें पुलिस को बुलाना चाहिए।" अंजलि ने सिर हिलाया, "तुम बिलकुल ठीक कह रही हो।" वह दौड़ते हुए फोन की तरफ बढ़ी। नेत्रा ने एक आखिरी नज़र अजय के बेजान शरीर पर डाली, और उसकी आँखों में एक पल के लिए वही शरारती चमक लौट आई, जिसे किसी ने नहीं देखा। जब अंजलि ने फोन पर बात करते हुए बाहर निकलने की तैयारी की, तो नेत्रा ने मासूमियत से उसकी तरफ देखा और एक पल के लिए बहुत भोले अंदाज़ में कहा, "अंजलि... क्या हम सच में ठीक हैं?" अंजलि ने उसकी तरफ देखकर सिर हिलाया, "तुमने बहुत हिम्मत से हैंडल किया है, नेत्रा।" नेत्रा ने अपनी उंगलियों से बालों को पीछे करते हुए कहा, "शायद ये सब इतनी तेज़ी से हुआ कि कुछ समझने का मौका ही नहीं मिला।" उसने एक हल्की मुस्कान दी, जिससे उसकी मासूमियत और डर की परतें और भी गहरी लगने लगीं। और फिर दोनों लाइब्रेरी से बाहर चली गईं, नेत्रा की आँखों में अभी भी वही मासूमियत थी, लेकिन हकीकत कुछ और थी। किसी को उसकी असलियत का कभी पता नहीं चला। दूसरी तरफ मुंबई के ठकराल इंडस्ट्रीज़ का नाम जहां बिज़नेस वर्ल्ड में मशहूर है, वहीं अर्जुन ठकराल का नाम भी हर दिल की धड़कन बना हुआ है। 28 साल का ये मुंबई का मोस्ट एलिजिबल बैचलर, 6 फुट 2 इंच हाइट, अपनी लाइट पर्पल आंखों और ब्लैक, शाइनिंग बालों के साथ किसी भी क्राउड में अलग नज़र आता है। सिक्स पैक एब्स, हल्की बियर्ड और जल्दी से सेट किए हुए बालों के साथ उसकी पूरी पर्सनैलिटी कुछ ऐसी थी कि लड़कियों की नज़र उससे हटती ही नहीं थी। हर पार्टी, हर इवेंट, हर मीटिंग में अर्जुन का एंट्री लेना मतलब पूरी महफ़िल का सारा ध्यान उसकी तरफ शिफ्ट हो जाना। उसकी फिटनेस और शार्प लुक्स का जलवा हर जगह था। लोग उसे सिर्फ एक बिज़नेस टायकून नहीं, बल्कि एक स्टाइल आइकन भी मानते थे। जब वो अपनी लाइट पर्पल आंखों से देखता, तो ऐसा लगता जैसे वक्त एक पल के लिए रुक गया हो। अर्जुन की पर्सनैलिटी सिर्फ उसकी लुक्स तक सीमित नहीं थी। उसकी बिज़नेस स्मार्टनेस और चार्म ने उसे न सिर्फ मुंबई, बल्कि पूरे देश में पॉपुलर बना दिया था। हर ऑनलाइन सर्च लिस्ट में उसका नाम सबसे ऊपर होता, और लड़कियां उसे 'ड्रीम मैन' कहकर बुलातीं। जब भी वो किसी इवेंट में आता, लोग बस उसकी एक झलक के लिए बेताब हो जाते थे। अर्जुन ठकराल अपने ऑफिस में बैठा, लैपटॉप पर कुछ डेटा की जांच कर रहा था। वह शहर के सबसे काबिल और सख्त बिजनेस मैन के रूप में जाना जाता था। ऑफिस के बाहर हल्की बारिश की बूंदें कांच की खिड़की पर गिर रही थीं, और अंदर की ठंडी हवा में एक अजीब सी शांति थी। अर्जुन एक बिजनेस मीटिंग के लिए तैयार हो रहा था, जब अचानक उसके फोन पर एक मैसेज आया। मैसेज पढ़ते ही उसकी आंखें चमक उठीं, जैसे किसी रहस्य से पर्दा उठ चुका हो। मैसेज में सिर्फ इतना लिखा था, "Time to move. The plan is ready." अर्जुन ने बिना वक्त गवाएं अपने पास बैठे दोस्त और पुलिस ऑफिसर दक्ष की ओर देखा। जो कि इस वक्त उस ऑफिस में मिलने आया था और कुछ इंपोर्टेंट पेपर भी साथ में लेकर आया था ताकि बाद भी हो जाए और उसे कैसे पर काम भी हो जाए.। "दक्ष, उठो! हमें तुरंत निकलना होगा," अर्जुन की आवाज़ में गंभीरता थी। दक्ष, जो अभी कुछ पेपर्स पर काम कर रहा था, अर्जुन की बात सुनकर तुरंत सतर्क हो गया। "कहाँ जाना है, अर्जुन? क्या कोई केस है?" उसने अर्जुन की तरफ हैरानी से देखा। "हाँ, कुछ बड़ा है। एक पुराने खंडहर के पास जाना है। बहुत इंपॉर्टेंट केस है, और तुम्हारी मदद की सख्त ज़रूरत पड़ेगी।" अर्जुन की बातों में एक अजीब सी रहस्यमयी गंभीरता थी। दक्ष अर्जुन की बात सुनकर एक रिस्पांसबेल पुलिस ऑफिसर की तरह अर्जुन के साथ चल पड़ा। दोनों ने अर्जुन की गाड़ी में बैठते ही तुरंत वहां से निकलने की तैयारी की। अर्जुन की कार सड़कों पर तेजी से दौड़ने लगी, और दोनों के चेहरे पर एक अनकहा तनाव था। "अर्जुन, ये क्या चल रहा है? और हमें उस खंडहर के पास क्यों जाना है?" दक्ष ने अर्जुन से सवाल किया, लेकिन अर्जुन ने एक नजर उसकी तरफ डालते हुए बस इतना कहा, "सब कुछ तुम्हें वहां पहुंचकर पता चलेगा। अभी ज्यादा मत सोचो। बस ध्यान रखो, ये केस सिर्फ एक आम केस नहीं है।" रात का अंधेरा धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था, और गाड़ी जंगल की ओर मुड़ गई। चारों ओर सन्नाटा था, सिर्फ गाड़ी के इंजन की आवाज़ और गीली सड़कों की हल्की सी गूंज सुनाई दे रही थी। करीब एक घंटे की ड्राइव के बाद, वे जंगल के उस एरिया में पहुंच गए, जहां खंडहर था। खंडहर के पास गाड़ी रुकते ही अर्जुन और दक्ष दोनों ने बाहर देखा। बारिश की बूंदें अब भी गिर रही थीं, और आसपास के पेड़ और घास गीले हो चुके थे। खंडहर के आसपास का इलाका अजीब सा दिख रहा था, जैसे कोई वहां होने वाली घटना का गवाह बना हो। अर्जुन ने गाड़ी से उतरते हुए एक गहरी सांस ली और अपने चारों ओर देखा। "ये वही जगह है," उसने धीमी आवाज में कहा। दक्ष, जो अब पूरी तरह से तैयार था, अपनी वर्दी को ठीक करता हुआ बोला, "यहां क्या हो रहा है, अर्जुन? हमें किससे मिलना है?" अर्जुन ने खंडहर की ओर इशारा करते हुए कहा, "यहीं पर सब कुछ शुरू होने वाला है। बस थोड़ा इंतज़ार करो।" दोनों खंडहर के करीब पहुंचे, और जैसे ही उन्होंने दरवाज़ा खोला, अंदर का माहौल और भी रहस्यमयी हो गया। अंदर जाते ही उन्हें महसूस हुआ कि जो कुछ भी होने वाला है, वो किसी आम घटना से बहुत बड़ा और खतरनाक होने वाला है। अर्जुन की आंखों में अब भी वही चमक थी, और दक्ष ने उसकी ओर देखते हुए धीरे से पूछा, "तुम सच में जानते हो कि हम यहाँ क्यों आए हैं, अर्जुन?" लाइक कमेंट और रिव्यू देते रहिए देखिए अर्जुन किसे मिलने जा रहा है और क्या यह केस सॉल्व करेगा या होगा कुछ our
अर्जुन की आंखों में अब भी वही चमक थी, और दक्ष ने उसकी ओर देखते हुए धीरे से पूछा, "तुम सच में जानते हो कि हम यहाँ क्यों आए हैं, अर्जुन?" अर्जुन इससे पहले उसे कुछ बोलना तभी अर्जुन का फोन रिंग हुआ, अर्जुन में पहले तो उसे इग्नोर किया लेकिन बार-बार फोन बजाने के बाद उसने अपने फोन को अटेंड किया और साइड में चला गया। दक्ष जो अभी तक अर्जुन का वेट कर रहा था वह खंडहर के अंदर जाने लगा, खंडहर काफी पुराना संस्थान टूटा फूटा वीराना था, ,साथ ही साथ ऐसा लग रहा था जैसे वहां पर बारिश हुई,दक्ष को यह सब अजीब लग रहा था खंडहर के अंदर बारिश जबकि बाहर तो बारिश हुई ही नही थी,फिर वह खंडहर चला गया.। खंडहर के अंदर का माहौल और भी अजीब हो चुका था। दक्ष ने जैसे ही उस खूबसूरत लड़की को देखा, उसकी आँखों में थोड़ी हैरानी झलक उठी। लड़की बहुत मासूम और सीधी-सादी लग रही थी, उसकी नीली आँखें अंधेरे में भी चमक रही थीं। उसकी हरी ड्रेस बारिश की नमी से हल्की भीगी हुई थी। दक्ष थोड़ा और करीब आया और झिझकते हुए बोला, "यू आर ओके? तुम ठीक हो ना? डोंट वरी, मैं पुलिस ऑफिसर हूँ।" लड़की ने उसकी तरफ एक पल को देखा और फिर धीरे से मुस्कुरा दी। उसकी मुस्कान में कुछ रहस्यमयी था, जैसे उसे सब कुछ पहले से पता हो। उसकी आँखों में अजीब सा सम्मोहन था, जिससे दक्ष का ध्यान हट नहीं पा रहा था। "मैं ठीक हूँ," उसने बेहद धीमी आवाज़ में कहा, लेकिन उसकी आवाज़ इतनी मीठी थी कि दक्ष को अपने कानों पर यकीन नहीं हुआ। "तुम यहाँ इस खंडहर में अकेली क्या कर रही हो?" दक्ष ने फिर से पूछा। उसका दिल थोड़ा बेचैन हो रहा था, लेकिन वह ये समझ नहीं पा रहा था कि आखिर क्यों। लड़की ने एक कदम और आगे बढ़ाया और अब वो दक्ष के बेहद करीब खड़ी थी। उसकी मुस्कान और गहरी हो गई। "मैं यहाँ हमेशा से हूँ," उसने फुसफुसाते हुए कहा। "लेकिन तुम यहाँ क्यों आए हो, दक्ष?" दक्ष को हैरानी हुई कि ये लड़की उसका नाम कैसे जानती है। वह थोड़ा पीछे हटने लगा, लेकिन लड़की ने उसकी कलाई को हल्के से पकड़ लिया। उसकी छुअन से एक ठंडक दक्ष के पूरे शरीर में फैल गई। "तुम्हें अर्जुन ने भेजा है ना?" उसने धीरे से पूछा, उसकी आँखों में अब एक खतरनाक चमक थी। "क्या तुम जानते हो, यहाँ कौन रहता है?" दक्ष का दिल तेजी से धड़कने लगा, उसे समझ में आ गया कि कुछ गड़बड़ है। उसने अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन लड़की की पकड़ बहुत मज़बूत थी। "तुम...तुम कौन हो?" दक्ष ने हड़बड़ाते हुए पूछा। लड़की ने अपनी मुस्कान और चौड़ी करते हुए कहा, "तुम मुझे जल्द ही जान जाओगे, दक्ष। और तब तक... तुम यहाँ से नहीं जा पाओगे।" —---- दक्ष की बेचैनी बढ़ने लगी। उसकी धड़कनें इतनी तेज़ हो चुकी थीं कि उसे अपने कानों में गूंजती महसूस हो रही थीं। लड़की की उंगलियाँ अब भी उसकी कलाई पर थीं, और उनकी छुअन से एक अजीब ठंडक उसके शरीर में फैलती जा रही थी। लड़की के होंठों पर अब भी वही रहस्यमयी मुस्कान थी, लेकिन उसकी आँखों की गहराई और अजीब हो चुकी थी, जैसे वह दक्ष के भीतर तक देख रही हो। लड़की ने धीरे से उसकी कलाई को अपनी तरफ खींचा, और दक्ष अनजाने में ही उसकी ओर खिंचता चला गया। उसकी नीली आँखों में अब एक अलग ही जादू था। दक्ष को महसूस हो रहा था जैसे वह अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि किसी अदृश्य ताकत के वश में हो कर उसके करीब जा रहा है। "तुम मेरी बात नहीं सुनोगे, दक्ष?" लड़की ने धीरे-धीरे फुसफुसाते हुए कहा। उसकी आवाज़ अब और भी मीठी, और साथ ही खौफनाक लग रही थी। "मुझे तुम्हारा इंतज़ार था। तुमसे मिलने की बहुत चाह थी मुझे।" दक्ष की जुबान जैसे थम गई थी। वह कुछ बोल नहीं पा रहा था। उसकी निगाहें लड़की की आँखों में बंधी हुई थीं, और उसकी हरकतों पर उसका कोई काबू नहीं रह गया था। उसने फिर से अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन इस बार उसके हाथों में कोई ताकत ही नहीं बची थी। "तुम... तुम कौन हो?" दक्ष ने बड़ी मुश्किल से अपने होंठ हिलाकर पूछा। उसकी आवाज़ कांप रही थी। लड़की की मुस्कान और चौड़ी हो गई। उसने धीरे-धीरे उसके और करीब आते हुए कहा, "मैं वो हूँ जो तुम्हें इस खंडहर में खींच लाया। तुम्हारे आने का इंतज़ार कर रही थी, दक्ष।" अब तक दक्ष के शरीर में अजीब सी सुस्ती फैल गई थी, उसकी सांसें भारी हो रही थीं, लेकिन उसकी नज़रें लड़की से हट ही नहीं पा रही थीं। उसकी आँखों का सम्मोहन बढ़ता जा रहा था। हर एक पल के साथ दक्ष उसकी तरफ और आकर्षित होता चला जा रहा था, जैसे वह खुद पर से अपना नियंत्रण खो चुका हो। "मुझे जाने दो," उसने धीरे से कहा, लेकिन उसकी आवाज़ में अब जरा भी दृढ़ता नहीं बची थी। वह जानता था कि अब उसका यहाँ से निकलना आसान नहीं होगा। लड़की ने उसकी आँखों में गहराई से देखते हुए एक अजीब सा मंत्र बुदबुदाया, और तभी दक्ष को महसूस हुआ जैसे उसकी सारी चेतना उसकी आँखों के सामने धुंधली होती जा रही है। उसकी आँखें भारी हो गईं, और वह बेहोशी की तरफ खिंचने लगा। लड़की ने उसे अपनी तरफ खींच लिया, और उसके होंठ दक्ष के कान के पास आए, "अब तुम मेरे हो, दक्ष। तुम यहाँ से कभी बाहर नहीं जा पाओगे।" दक्ष का दिमाग अब धुंधला हो चुका था। उसके चारों ओर सब कुछ घुलने-मिलने लगा था। उसकी चेतना धीरे-धीरे खत्म हो रही थी, और वह उस लड़की के सम्मोहन में पूरी तरह फंस चुका था। जैसे ही दक्ष उस लड़की के सम्मोहन में और गहराई में डूबने लगा, उसने उसकी कलाई को हल्के से पकड़ लिया। "तुम तो सच में बहुत खूबसूरत हो," उसने ललचाते हुए कहा, "क्या तुम्हें पता है कि मैं हमेशा से चाहा करता था कि मेरी ज़िन्दगी में कोई चुड़ैल आए? बस, तुम मुझे जान से मत मारना, ठीक है?" लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, "मौत तो मैं तुम्हें कभी नहीं दूंगी, लेकिन मैं तुम्हें हमेशा के लिए अपने पास रखूंगी।" तभी, अचानक अर्जुन ठकराल का प्रकट होना हुआ। "अरे, दक्ष! क्या कर रहा है? भाग यहाँ से!" अर्जुन ने जोर से कहा, उसकी आँखों में चिंता थी। दक्ष ने अर्जुन की तरफ मुड़ते हुए कहा, "भाई, ये देख! कितनी सुंदर लड़की है! क्या मैं इसे अपने साथ ले जा सकता हूँ? यह मेरी बर्थडे गिफ्ट है!" अर्जुन ने अपनी हथेलियों से चेहरे को पकड़ा, "तू पागल हो गया है? ये चुड़ैल है! तुझे मार डालेगी। भाग यहाँ से!" दक्ष ने हंसते हुए कहा, "मारने की बात कर रहा है! ये तो मुझे मोहब्बत कर रही है। तेरा jealousy level ज्यादा हो गया है, क्या?" लड़की ने उसकी बात पर मुस्कुराते हुए कहा, "देखो, अर्जुन। तुम इसे बचाना चाहते हो? ये तो मेरा है।" अर्जुन ने दक्ष को देखते हुए कहा, "किसी भी लड़की से मोहब्बत कर लो, लेकिन इस चुड़ैल से नहीं! भागो, दक्ष!" दक्ष ने फिर से लड़की की तरफ मुड़ते हुए कहा, "रुको! मुझे तो ऐसा लगता है जैसे मैं जादुई फिल्म में हूँ। कहीं से कोई राजकुमार आएगा और कहेगा, 'दक्ष, भागो!'" अर्जुन ने हंसते हुए कहा, "दक्ष, यह एक हॉरर फिल्म है। जल्दी भाग!" दक्ष के चेहरे पर आशंका की एक लकीर खिंच गई। उसने अर्जुन की तरफ देखा, जो उसे गंभीरता से समझाने की कोशिश कर रहा था। "दक्ष, ये सच में कोई आम लड़की नहीं है। यह चुड़ैल है! तुझे ये समझना होगा!" दक्ष ने हंसते हुए कहा, "अरे, भाई! तुम भी! ये चुड़ैल नहीं है, बस थोड़ी अजीब सी है। कभी-कभी तो हमें थोड़ी अजीब सी लड़कियों की ज़रूरत होती है।" "अरे, पागल हो गया है क्या? क्या तुझे पता नहीं है कि चुड़ैलों के पास जादुई शक्तियाँ होती हैं? यह तेरे पीछे पड़ी है। तुझे इसे छूने की नहीं, बल्कि भागने की जरूरत है!" अर्जुन ने गुस्से से कहा। "क्या तुम सच में मानते हो कि ये चुड़ैल है?" दक्ष ने अभी भी मजाक में कहा, "कितनी अच्छी बात है, इसको अपना नाम बताना चाहिए। 'चुड़ैल 101' या 'चुड़ैल का जादू'! मुझे तो लगता है, ये कोई सुपरहीरो है जो लोगों को अपनी ओर खींचती है।" अर्जुन ने सिर पीटते हुए कहा, "दक्ष, देख, उसके पास वो जादुई आँखें हैं। जब वह तुझे देखती है, तो तू सम्मोहत हो जाता है। "अच्छा, ठीक है," दक्ष ने हल्की सी हंसी के साथ कहा, "लेकिन अगर ये सच में चुड़ैल है, तो फिर मुझे उसकी मदद लेनी चाहिए। मैं तो चाहता हूँ कि वह मुझे भी कुछ जादू सिखाए।" "क्या? तुझे जादू सीखना है?" अर्जुन ने आश्चर्य से कहा, "यह तेरा मजाक है या तू सच में पागल हो गया है?" दक्ष को लगा अर्जुन उसे डरने की कोशिश कर रहा है उसके साथ मजाक कर रहा है इसीलिए वह अर्जुन को चीढ़ाते हुए बोला "भाई, अगर यह चुड़ैल है, तो उसे अपनी शक्तियों से मुझे समोहित करने का एक और तरीका ढूंढना चाहिए। मुझे तो लगता है कि यह मेरी जादूई प्रेमिका है," दक्ष ने चुटकी लेते हुए कहा, "एकदम फिल्मी अंदाज़ में।" "अरे, अब भाग यहाँ से! यह तुझे किसी और की तरह प्यार नहीं करेगी, यह तुझे मार डालेगी!" अर्जुन ने कहा। "ठीक है, ठीक है," दक्ष ने कहा, "अगर यह मुझे मारने आई, तो मैं उसे जादुई ड्रैगन कहूँगा। लेकिन पहले तो मुझे इससे गले लगाना है!" अर्जुन ने तेज़ी से कहा, "दक्ष, यह तेरा आखिरी मौका है। भाग यहाँ से, नहीं तो तुझे काला जादू कर देगी!" "ठीक है, ठीक है!" दक्ष ने हंसते हुए कहा, "मैं भागने की कोशिश करूँगा, लेकिन अगर जादूई प्रेमिका के साथ कुछ हुआ, तो तुझसे बदला लूँगा।" अर्जुन ने उसे और जोर से खींचा, "जल्दी भाग! यह तुझे किसी गहरी खाई में धकेल सकती है।" "अच्छा, मैं जा रहा हूँ!" दक्ष ने कहा, लेकिन उसके चेहरे पर अभी भी हल्की मुस्कान थी। "पर अगर मैं वापस आया तो तुमसे जरूर कहूँगा कि 'देखो, मैंने अपनी जादुई प्रेमिका को पकड़ा!'" अर्जुन ने सिर हिलाते हुए कहा, "सिर्फ अपनी जान बचा ले, ब्रो। यह मजाक नहीं है!" इसी के साथ, दक्ष ने चुड़ैल से भागने का फैसला किया, लेकिन उसकी बेवकूफी भरी बातें अर्जुन के मन में और भी चिंता पैदा कर रही थीं। दक्ष को देखकर वह चुड़ैल बोली,मुझसे दूर जाना इतना आसान नहीं है, इतना कहकर उसने दक्ष की कलाई पर अपनी उंगलियां घुमाईं, और अचानक एक अजीब सी बिजली जैसी चमक दक्ष के शरीर में फैल गई। उसके पूरे शरीर ने कांपना शुरू कर दिया, उसकी आँखें बड़ी हो गईं और वह चीख भी नहीं पाया। दक्ष ज़मीन पर गिर चुका था, उसकी आँखों में बेहोशी छा रही थी, और सामने खड़ी वह लड़की, जो अब तक मासूम लग रही थी, खतरनाक मुस्कान के साथ अर्जुन की ओर देख रही थी। "तुम्हारी बारी भी जल्द आएगी, अर्जुन ठकराल," उसने कहा।
दक्ष ज़मीन पर गिर चुका था, उसकी आँखों में बेहोशी छा रही थी, और सामने खड़ी वह लड़की, जो अब तक मासूम लग रही थी, खतरनाक मुस्कान के साथ अर्जुन की ओर देख रही थी। "तुम्हारी बारी भी जल्द आएगी, अर्जुन ठकराल," उसने कहा। अर्जुन ठकराल ने चुड़ैल को चुनौती भरी नज़रों से देखा। उसके चेहरे पर एक confident सी मुस्कान थी। उसने बिना किसी देरी के अपनी दोनों हथेलियों को सामने लाकर concentrate किया। अर्जुन की palms के बीच एक हल्की सी blue energy बनने लगी, जैसे उसकी आंतरिक शक्ति किसी light में बदल रही हो। उसने अपनी आँखें बंद कर कुछ मंत्र बुदबुदाए, और वो blue light अब उसके चारों ओर फैल गई। चुड़ैल ने ये देखकर ठहाका लगाया, "तुम्हारी ये छोटी-सी रोशनी मुझे हराएगी? तुम नहीं जानते, मैं centuries से powerful souls को भी हार मानने पर मजबूर कर चुकी हूँ।" अर्जुन ने बिना घबराए हुए जवाब दिया, "तू अपने charms पर जितना भी इतराए, अब तेरा ये game खत्म होगा। ये मेरे भीतर की शक्ति है, जो तेरी तरह की बुरी शक्तियों को easily नष्ट कर सकती है।" इतने में चुड़ैल ने हवा में अपने हाथों से कुछ अजीब से gestures किए, और ज़मीन से dark green धुएँ की लहरें उठने लगीं। उन लहरों के बीच से भयानक, विकृत चेहरे वाले साए जैसे प्राणी निकलने लगे और अर्जुन की ओर बढ़ने लगे। अर्जुन ने अपनी energy को focus करते हुए उस light को एक ढाल की तरह इस्तेमाल किया। जैसे ही वो shadow creatures उसकी light के दायरे में आए, वे चीखते हुए धुएँ में बदल गए। अब चुड़ैल का गुस्सा और बढ़ चुका था। उसने अपनी आँखें बंद करके अपने सारे जादू को concentrate किया और हवा में तेज़ आँधी के साथ blue lightning जैसी energy अर्जुन की ओर भेजी। अर्जुन ने खुद को एक खास आसन में बैठाते हुए chanting शुरू की, “ॐ ह्रीं क्लीं नमः”। उसकी chanting के साथ ही उसके चारों ओर एक invisible shield बनने लगी, जो हर attack को block कर रही थी। चुड़ैल ने अपने आप को एक आखिरी, खतरनाक रूप में बदलने का फैसला किया। उसने ज़ोर से चीखते हुए अपने शरीर को dark smoke में बदल लिया और एक विशालकाय, विकराल रूप धारण कर लिया। उसकी आँखें अब pure black थीं और उसके हाथ लम्बे, sharp claws जैसे बन गए थे। अर्जुन ने उसे इस भयानक रूप में देखा और शांत होकर अपनी palms को खोल दिया। उसके शरीर से golden light की एक तेज़ लहर उठी, जैसे वो खुद energy का स्रोत बन चुका हो। अर्जुन की शक्ति इतनी बढ़ गई थी कि ज़मीन भी हिलने लगी और आसमान की बिजली भी उसकी energy के चारों ओर नाचने लगी। चुड़ैल ने अपनी पूरी ताकत से अर्जुन पर आखिरी वार करने की कोशिश की, लेकिन अर्जुन ने अपनी concentration को और गहरा किया और अपने भीतर की सारी energy को एक शक्तिशाली झटके में बदल दिया। उसने chanting करते हुए अपनी palms से एक सुनहरी energy wave छोड़ी, जो चुड़ैल के धुएँ के शरीर को भस्म करने लगी। चुड़ैल की चीखें पूरे जंगल में गूँज उठीं। उसके सारे illusions और black magic धीरे-धीरे राख में बदलने लगे। हवा में उसकी आखिरी गूंज रह गई, "अर्जुन ठकराल... ये अंत नहीं... I will be back..." अर्जुन ने गहरी सांस ली और अपनी energy को धीरे-धीरे शांत किया। उसने दक्ष की ओर देखा और उसे उठाकर कहा, "सब ठीक है, दोस्त। अब तुझे कोई बुरी शक्ति छू नहीं पाएगी।" दक्ष ने अर्जुन को देख कर एक weak सी मुस्कान दी और कहा, "तू सच में एक warrior है, भाई। हमेशा सही वक्त पर आता है।" दोनों ने गले लगकर वहाँ से निकलने का फैसला किया, ये जानते हुए कि एक battle जीत ली है, पर war अभी बाकी है। अर्जुन और दक्ष जंगल के उस हिस्से से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे, पर जैसे-जैसे वे आगे बढ़े, जंगल का माहौल और भी eerie होता जा रहा था। हर तरफ अजीब सन्नाटा और डरावनी खामोशी थी। अर्जुन ने महसूस किया कि ये चुड़ैल सिर्फ एक शुरुआत थी। अचानक, उन्हें एक हल्की-सी सरसराहट सुनाई दी। अर्जुन ने सतर्क होकर चारों ओर देखा और धीरे से कहा, "Daks, हमें यहाँ से जल्दी निकलना चाहिए। मुझे लगता है ये सिर्फ एक trap है, और असली खतरा अब भी हमारे पीछे है।" दक्ष ने डरते हुए सिर हिलाया, "तू ठीक कह रहा है, भाई। मुझे लग रहा है ये जंगल हमें यहाँ से जाने नहीं देगा।" अर्जुन ने अपनी मुट्ठी बंद की और मन ही मन एक और मंत्र पढ़ने लगा ताकि उनकी रक्षा हो सके। वो आगे बढ़ते रहे और हर कदम के साथ जंगल का अंधेरा गहरा होता गया। पेड़ों की शाखाएँ जैसे उनके पीछे-पीछे बढ़ रही थीं और अजीब-अजीब से चेहरे हर तरफ दिखाई देने लगे। तभी अचानक, अर्जुन ने देखा कि सामने एक पुरानी, खंडहर जैसी झोपड़ी खड़ी थी। उस झोपड़ी के ऊपर एक बहुत ही डरावनी और mysterious energy का घेरा बना हुआ था। अर्जुन ने एक पल रुक कर सोचा कि शायद यही वो जगह है जहाँ असली खतरा छुपा हुआ है। "Daks, हमें इस झोपड़ी के अंदर जाना होगा।" अर्जुन ने कहा, "ये शायद हमारे सारे सवालों का जवाब देगी।" दक्ष ने थोड़ी हिचकिचाहट से कहा, "पर भाई, अगर ये trap हुआ तो? हमने अभी-अभी एक powerful चुड़ैल से लड़ाई जीती है, हो सकता है ये उसी का part दोबारा activated हो।" अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "डर मत, मैं यहाँ हूँ। और अगर ये भी एक game है, तो अब इस खेल को खत्म करना ही होगा।" दोनों धीरे-धीरे झोपड़ी के पास पहुंचे। जैसे ही अर्जुन ने दरवाजा खोला, उनके सामने एक अजीब-सी world खुल गई। उस जगह का माहौल dark और sinister था, जैसे किसी ancient evil ने उसे कैद कर रखा हो। दीवारों पर पुराने जादुई symbols थे और चारों ओर धुंआ फैला हुआ था। अर्जुन ने सोचा कि शायद ये उसी ancient curse का हिस्सा है, जिसने पहले जंगल और अब इस झोपड़ी को पकड़ रखा है। तभी एक गहरी आवाज़ गूँजी, "अर्जुन ठकराल, तुमने मेरी सेविका को ख़त्म किया है। अब तुम्हारा भी अंत करीब है।" अर्जुन ने उस आवाज़ की ओर देखा और कहा, "जिसने भी ये सब किया है, उसे आज justice मिलेगा। मैंने अपने दोस्तों की रक्षा की है और इस अंधेरे का अंत भी मैं ही करूँगा।" अर्जुन ने अपने हाथों में फिर से energy को concentrate किया और अपने भीतर की सारी शक्तियों को बाहर लाने का प्रयास किया। अचानक, उस आवाज़ का रूप एक विशालकाय shadow के रूप में अर्जुन के सामने प्रकट हो गया। उसकी आंखें काली और hollow थीं, और उसके शरीर से अजीब तरह का धुआँ निकल रहा था। अर्जुन ने दक्ष को पीछे हटने का इशारा किया और अपने हाथों को एक खास मुद्रा में रखा, जिससे उसकी शक्ति एक सफेद protective aura में बदल गई। अर्जुन ने आवाज़ की ओर देखा और calmly कहा, "तू जितनी भी ताकत का मालिक हो, अब तेरा ये darkness खत्म होगा। ये संसार अंधकार का नहीं, बल्कि रोशनी का है।" उसके words के साथ ही अर्जुन ने chanting करते हुए अपनी शक्ति से उस shadow को रोकने की कोशिश की। जैसे ही उसकी energy उस shadow से टकराई, एक ज़ोरदार विस्फोट हुआ। कुछ पलों तक सब शांत था। जब धुंआ छंटा, तो अर्जुन और दक्ष ने देखा कि वो shadow अब पूरी तरह गायब हो चुकी थी, और एक नया सवेरा उनके सामने था। दक्ष ने अर्जुन की ओर देखा, "भाई, तूने सच में कर दिखाया। तू सिर्फ़ एक दोस्त ही नहीं, बल्कि इस darkness के खिलाफ़ एक योद्धा है।" अर्जुन ने मुस्कुराते हुए कहा, "चल, अब यहाँ से बाहर चलते हैं। ये सिर्फ़ एक लड़ाई थी, शायद आगे भी कई challenges होंगे।" और दोनों दोस्त उस अंधकार से निकल कर एक नए सवेरे की ओर बढ़ गए, यह जानते हुए कि एक नई शुरुआत उनकी प्रतीक्षा कर रही है।
अर्जुन और दक्ष जंगल से बाहर निकलकर गाड़ी में बैठ जाते हैं। वे एक पल की राहत महसूस करते हैं, जैसे एक भयानक जंग से जीतकर बाहर निकले हों। पर यह सुकून ज्यादा देर तक नहीं टिकता। आधे रास्ते में दक्ष का फोन बजता है। उसने कॉल रिसीव करते हुए कहा, "हैलो?" फोन पर नेत्रा के कॉलेज का स्टाफ था। एक छात्र, अजय, का अचानक हार्ट अटैक से निधन हो गया था। स्थिति गंभीर थी, और कॉलेज में अफरा-तफरी मची हुई थी। अर्जुन और दक्ष नेत्रा के कॉलेज की ओर तुरंत बढ़ जाते हैं। कॉलेज पहुंचकर, दोनों को एक अजीब सन्नाटा महसूस होता है। हर तरफ से मानो एक भयानक साया उन्हें घेर रहा हो। अर्जुन ने अपने इर्द-गिर्द की ऊर्जा को महसूस किया और उसके मन में हल्की-सी बेचैनी पैदा हो गई। अंदर जाकर उन्होंने देखा कि अजय की डेड बॉडी एक कमरे में रखी हुई थी और कुछ स्टूडेंट्स घबराए से बाहर खड़े थे। अर्जुन ने दक्ष से कहा, "तू सबको यहाँ से दूर ले जा, ताकि मैं अपनी शक्तियों से कुछ पता लगा सकूँ। यहाँ कुछ अजीब-सा महसूस हो रहा है।" दक्ष ने धीरे से सिर हिलाया और सबको वहाँ से हटाने लगा। उसने स्टूडेंट्स को ढाँढस बँधाते हुए कहा, "आप लोग थोड़ा बाहर जाएं। कॉलेज स्टाफ आपकी मदद कर रहा है। सबको हॉल में इकट्ठा हो जाना चाहिए।" धीरे-धीरे सब लोग बाहर निकल गए, और अब कमरे में सिर्फ अर्जुन और अजय की डेड बॉडी थी। अर्जुन ने जैसे ही शव के पास जाकर अपने हाथ फैलाए, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और concentration किया। उसके चारों ओर एक हल्की नीली रोशनी फैलने लगी। अर्जुन ने महसूस किया कि यहाँ एक अदृश्य, घातक शक्ति का असर था। उसने अपनी palms के ऊपर से अपनी energy waves को शव के चारों ओर फैलने दिया, मानो उस रहस्यमय शक्ति को पकड़ने की कोशिश कर रहा हो। अचानक, अर्जुन की आँखें खुल गईं। उसे एक तेज़, ठंडे झोंके जैसा महसूस हुआ, और उसकी आँखों में बेचैनी झलकने लगी। उसने धीरे से फुसफुसाया, "दक्ष, यह मौत नॉर्मल नहीं है। किसी ने black magic का इस्तेमाल किया है।" दक्ष, जो कमरे के दरवाजे के पास खड़ा था, अर्जुन के पास आया और पूछा, "क्या तुझे कुछ पता चला? आखिर किसने किया होगा ये सब?" अर्जुन ने कहा, "अभी कुछ साफ तो नहीं कह सकता, पर जिस energy का असर मैंने महसूस किया, वो किसी साधारण इंसान की शक्ति नहीं है। शायद कोई powerful black magic कर रहा है। पर अजीब बात है, ये शक्ति बेहद पुराने जादू जैसी लग रही है, जैसे ये centuries से कहीं छिपी हुई हो।" दक्ष ने चिंतित होकर कहा, "तो क्या हमें यहाँ और किसी खतरे का सामना करना पड़ेगा? कहीं ये नेत्रा से तो जुड़ा नहीं?" अर्जुन ने नकारते हुए सिर हिलाया, "मुझे नेत्रा के बारे में कुछ भी नहीं पता। पर इतना जरूर कह सकता हूँ कि ये बुरी शक्ति यहाँ आस-पास है। हमें और सतर्क रहना होगा।" इतने में अर्जुन ने अपने हाथों को फिर से concentrate किया और कुछ बुदबुदाते हुए एक छोटी invisible energy shield तैयार की, ताकि वहाँ मौजूद किसी भी residual dark energy से वे दोनों सुरक्षित रहें। उसने दक्ष की ओर देखा और कहा, "हम जितना जल्दी हो सके, यहाँ से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन ये बात यहीं नहीं रुकेगी। हमें इस घटना के बारे में और जानना होगा, और अगर ये dark energy कॉलेज में फैल रही है, अर्जुन ने दक्ष की ओर गंभीरता से देखा और कहा, "तू सभी स्टूडेंट्स से पूछ, क्या ये पहली बार हुआ है या पहले भी ऐसा हो चुका है?" दक्ष ने उसकी बात सुनते ही तुरंत कॉलेज स्टाफ और पुलिस को इकट्ठा किया और उनसे सवाल करने लगा। थोड़ी देर बाद, पुलिस और कुछ स्टूडेंट्स ने दक्ष को बताया कि यह घटना पहली बार नहीं हुई है; पिछले कुछ महीनों में कई स्टूडेंट्स को ऐसे ही हार्ट अटैक आ चुके हैं। सभी का कहना था कि ये मौतें unexplained हैं, और डॉक्टरों के पास भी कोई logical reason नहीं था। कुछ स्टूडेंट्स ने तो यह भी बताया कि उन्हें कई बार अजीब-अजीब चीजें महसूस होती हैं जैसे कोई अदृश्य ताकत उनके आस-पास मंडरा रही हो। दक्ष ने अर्जुन को जाकर सारी बातें बताईं। अर्जुन का चेहरा सुनते ही बदल गया, उसकी आँखों में गंभीरता और confusion दोनों साफ नजर आ रहे थे। वह गहरी सोच में डूब गया और धीरे से बोला, "ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है। किसी का मकसद है यहाँ के मासूम स्टूडेंट्स को डराना... या शायद उनसे कोई बदला लेना। लेकिन कौन होगा ऐसा और क्यों?" दक्ष ने अर्जुन को चिंतित देख कर कहा, "भाई, मुझे लगता है यह किसी आम इंसान का काम नहीं है। इस तरह की चीज़ों में किसी बड़ी बुरी ताकत का हाथ है। शायद ये किसी black magic का असर है। पर सवाल ये है कि ये सब कर कौन रहा है और क्यों?" अर्जुन ने एक गहरी साँस ली और धीरे-धीरे कहते हुए बोला, "हम इस कॉलेज में रहकर इन चीज़ों का ध्यान रखना होगा। मुझे किसी पर शक तो नहीं हो रहा, लेकिन इतना जरूर समझ आ रहा है कि जिसने भी ये किया है, वो कोई आम इंसान नहीं है। हमें उन सब से पूछना होगा जिन्होंने अजय के आस-पास अजीब हरकतें देखी हैं या कोई संदिग्ध चीज़ महसूस की हो।" अर्जुन और दक्ष ने कॉलेज के उस हिस्से की तरफ रुख किया, जहाँ अजय का दिल का दौरा पड़ा था। अर्जुन ने अपने चारों ओर की energy को महसूस करने की कोशिश की। एक हल्की सी ठंडी हवा उसके चेहरे से गुजरी, जैसे किसी अदृश्य शक्ति ने उसे observe किया हो। अर्जुन ने दक्ष से कहा, "हमें जल्द ही एक strategy बनानी होगी। इस शक्ति का इरादा कुछ बड़ा लगता है, और हमें इसे रोकना होगा, इससे पहले कि और मासूम जिंदगियां बर्बाद हो जाएं।" अर्जुन मन ही मन सोचने लगा, "ये कौन है जो इतना बुरा खेल खेल रहा है? कहीं जो भी है इस कॉलेज में ही तो नहीं है इस कॉलेज के अंदर रहकर ही इस कॉलेज के स्टूडेंट को इस तरह से अपनी ब्लैक मैजिक से मार रहा है? इतने में अर्जुन ने तय किया कि वह इस mystery का पर्दाफाश करेगा और इस अदृश्य दुश्मन को खोजकर ही दम लेगा। अर्जुन और दक्ष ने कॉलेज के कुछ छात्रों और स्टाफ से पूछताछ की और धीरे-धीरे उन सभी घटनाओं के बारे में जानने की कोशिश की। जब उन्हें कोई खास सुराग नहीं मिला, तो दोनों वहां से निकल गए। लेकिन अर्जुन के दिमाग में अब भी ये बात घूम रही थी कि आखिर कौन ऐसी शक्तियों का इस्तेमाल कर रहा है और क्यों। रात के 8:00 बजे, अर्जुन अपने कमरे में बेचैनी से टहल रहा था। उसके मन में कॉलेज के छात्रों के बारे में अलग-अलग विचार आ रहे थे। उसने अपने मोबाइल में किसी का नंबर खोजा और तुरंत एक मैसेज किया, जैसे कि वो कुछ अहम जानना चाहता हो। दूसरी तरफ, नेत्रा अपने हॉस्टल के रूम से बाहर निकल रही थी। तभी उसकी दोस्त अंजलि उसे देखते हुए बोली, "अरे, इतनी रात को कहां जा रही हो तुम?" नेत्रा उसकी बात पर मुस्कुराते हुए बोली, "कहीं नहीं यार, बस थोड़ा टहलने का मन कर रहा था। अब क्या मैं अकेले घूम भी नहीं सकती?" अंजलि ने चिंतित होकर कहा, "रात के 8:00 बज रहे हैं, और मुंबई सिटी में हम भले रहते हों, लेकिन इतनी रात को अकेले बाहर निकलना ठीक नहीं है।" नेत्रा उसकी बात को हंसी में उड़ा कर बोली, "अरे यार, तुम भी ना! यहां तो रात के 8:00 और रात के 2:00 का भी कोई फर्क नहीं पड़ता। सब चलता है।" अंजलि ने ज़िद पकड़ ली, "ठीक है, लेकिन मैं तुम्हें अकेले नहीं जाने दूंगी। मैं भी तुम्हारे साथ चलूंगी।" नेत्रा ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन अंजलि की जिद के आगे उसे चुप रहना पड़ा। अनमने मन से उसने अंजलि को अपने साथ चलने दिया। वे दोनों बाहर निकले और हल्की ठंडी हवा में टहलने लगीं। जैसे-जैसे वे आगे बढ़ रही थीं, नेत्रा की चाल में कुछ अलग-सा अंदाज़ था, जैसे उसे कहीं जल्दी पहुंचना हो, और अंजलि को साथ रखना उसकी मजबूरी थी। वो रह-रहकर आस-पास नजरें दौड़ा रही थी, मानो किसी की तलाश कर रही हो। थोड़ी देर चलने के बाद, अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसे, तुम इतनी चुप क्यों हो? आज बहुत अलग लग रही हो।" नेत्रा ने उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी नजरें दूसरी दिशा में घुमा लीं। उसने धीरे से कहा, "अंजलि, क्या तुम घर नहीं जाना चाहोगी? यहां कुछ देर अकेले रहना चाहती हूं।"
https://whatsapp.com/channel/0029VaKy1MzEquiGFFC49k1Z यह मेरा चैनल लिंक है चाहे तो आप लोग फॉलो कर सकते हो थोड़ी देर चलने के बाद, अंजलि ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसे, तुम इतनी चुप क्यों हो? आज बहुत अलग लग रही हो।" नेत्रा ने उसकी बात अनसुनी करते हुए अपनी नजरें दूसरी दिशा में घुमा लीं। उसने धीरे से कहा, "अंजलि, क्या तुम घर नहीं जाना चाहोगी? यहां कुछ देर अकेले रहना चाहती हूं।" अंजलि उसकी बात सुनकर वहां से चली जाती है वहीं नेत्रा जंगल की तरफ बढ़ गई, रात का घना सन्नाटा था। ठंडी हवा चल रही थी, और मुंबई की भीड़-भाड़ से दूर जंगल में अजीब सी रहस्यमय शांति थी। नेत्रा जंगल में चुड़ैल की राख के पास घुटनों के बल बैठी थी। उसने अपने हाथों में उस राख को उठाया और धीरे से बोली, "वेरी बैड… बहुत बुरा लग रहा है तुम्हारे लिए आकर्षि। पर इसलिए नहीं कि तुम मर गईं… बल्कि इसलिए कि तुम्हें मैं नहीं मार पाई। आखिर कौन था जिसने तुम जैसी शक्तिशाली चुड़ैल को राख में मिला दिया? किसमें इतनी ताकत है कि वो तुम्हारे सम्मोहन में नहीं फंस पाया?” नेत्रा की आँखों में गुस्से की लहरें थीं, और एक अनजाना डर भी। उसने चारों ओर देखा, पर कोई सुराग नहीं मिला कि उस चुड़ैल को किसने मारा। कुछ पल यूँ ही इधर-उधर देखने के बाद, नेत्रा ने गहरी साँस ली, मानो अपने गुस्से और निराशा को दबाने की कोशिश कर रही हो। कुछ नहीं मिला, तो धीरे-धीरे वह जंगल से बाहर आ गई। उसके दिमाग में कई सवाल थे, और एक बेचैनी जो उसे शांत नहीं रहने दे रही थी। उधर, अर्जुन भी एक अजीब उलझन में था। उस कॉलेज में हुई मौतों और नेत्रा से जुड़ी रहस्यमय घटनाओं ने उसके मन में एक गहरी चिंता पैदा कर दी थी। "क्या ये सब महज इत्तेफाक है, या फिर कुछ और…" उसने सोचा और अपनी गाड़ी में बैठते ही तेजी से उसी जंगल की ओर निकल पड़ा। अर्जुन की गाड़ी की रफ्तार बढ़ रही थी, और उसके मन में सवालों का एक बवंडर उमड़ रहा था। जैसे ही अर्जुन जंगल की ओर पहुँचा, अचानक उसकी गाड़ी के सामने नेत्रा आ गई। अर्जुन ने ब्रेक्स पर तेजी से पैर मारा, गाड़ी एक झटके के साथ कुछ ही इंच की दूरी पर रुक गई। नेत्रा बिना हिले-डुले वहीं खड़ी थी, उसने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया था, मानो अचानक आए खतरे से डर गई हो। अर्जुन ने सोचा कि शायद यह लड़की डर गई है। उसे अब तक नेत्रा का नाम भी नहीं पता था। वह गाड़ी से बाहर निकला और धीरे-धीरे नेत्रा की ओर बढ़ने लगा, “मिस… क्या आप ठीक हैं? सॉरी, मुझे नहीं पता था कि अचानक आप सामने आ जाएंगी।” उसने अपने लहज़े में एक विनम्रता रखते हुए पूछा। नेत्रा वहीं शांत खड़ी रही, उसकी आँखें अब भी झुकी हुई थीं। वह अपने मन में कह रही थी, “मौत आई है… आज मैं इसे ऐसा मारूंगी कि इसकी रूह भी काँप उठेगी।” अर्जुन उसके करीब आता जा रहा था, पर नेत्रा का चेहरा अब भी ढका हुआ था। अर्जुन उसकी ओर और कदम बढ़ाने लगा। उसने थोड़ा और आगे बढ़ते हुए कहा, "देखिए, अगर आपको चोट लगी है या कोई तकलीफ़ हो तो मुझे बताइए। मैं मदद कर सकता हूँ।" पर नेत्रा ने उसकी तरफ देखा भी नहीं। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और उसकी आँखों में क्रोध की गहरी चमक थी। वह मन ही मन बुदबुदा रही थी, "ये इंसान यहाँ क्यों आया है? मुझे अपने काम से काम करना है, और ये मुझे बार-बार डिस्टर्ब क्यों कर रहा है?" अर्जुन ने थोड़ी देर चुप रहकर उसके इंतजार किया, फिर थोड़े असमंजस में धीरे से बोला, "देखिए, अगर आप कुछ कहेंगी नहीं, तो मुझे यहीं रुकना पड़ेगा। मैं आपको इस हालत में छोड़ नहीं सकता।" नेत्रा ने अभी भी अपनी नजरें नहीं उठाईं। अर्जुन उसके चेहरे को देख भी नहीं पाया, लेकिन उसके इर्द-गिर्द का माहौल उसे अजीब और रहस्यमयी महसूस हो रहा था। अर्जुन ने एक गहरी साँस ली, मन ही मन कुछ सोचते हुए कहा, "कहीं ऐसा तो नहीं कि ये वही लड़की है, जिसके बारे में मुझे संदेह हो रहा था?" उसने मन में कुछ तय किया और एक बार फिर नेत्रा से संपर्क करने की कोशिश की। “सुनिए… क्या आप कुछ बोलेंगी?” उसने थोड़ा सख्त लहजे में कहा, पर इस बार भी नेत्रा ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वह अपनी जगह बिल्कुल स्थिर खड़ी रही, मानो अर्जुन की बातें उसके लिए बिल्कुल महत्वहीन हों। अर्जुन धीरे-धीरे उसे देखने की कोशिश कर रहा था, पर नेत्रा ने नज़रें उठाकर उसकी तरफ देखा ही नहीं। उसके दिल में एक अजीब सी खलबली थी, और एक अनजाना खिंचाव भी। अर्जुन की छठी इंद्री उसे बार-बार कुछ अजीब महसूस करवा रही थी। पर नेत्रा के चेहरे की झलक अब तक उसने देखी नहीं थी, और उसकी रहस्यमयी शांति में उसे कुछ ऐसा नजर आ रहा था जो सामान्य नहीं था। नेत्रा के चेहरे पर एक अदृश्य कठोरता और तिरस्कार की भावना थी। अर्जुन के बार-बार पूछने पर भी उसने कोई जवाब नहीं दिया। तभी अचानक, अर्जुन को अपने चारों ओर हल्की ठंडी हवा का अहसास हुआ। वह समझ गया कि यहाँ कुछ सामान्य नहीं है। उसने अपने भीतर की शक्तियों को सक्रिय किया और एक गहरी साँस लेते हुए खुद को तैयार किया, अगर किसी खतरे का सामना करना पड़े तो। नेत्रा मन ही मन में कहने लगी, "तू क्यों यहाँ आया है, इंसान? तुझे नहीं पता, तेरी जिंदगी पर मैंने कब से निगाहें रखी हैं। और आज अगर तू यहाँ नहीं होता, तो शायद मैं वो रहस्य भी खोल पाती, जो इस जंगल के भीतर छिपा हुआ है।" अर्जुन ने फिर से शांत स्वर में कहा, "सुनिए… अगर आपको कोई दिक्कत नहीं है, तो मैं आपको यहाँ अकेला नहीं छोड़ सकता। कृपया कुछ कहिए।" नेत्रा की आँखों में अचानक क्रोध की लहरें उभर आईं। वह बुदबुदाई, पर इतनी धीमी आवाज़ में कि अर्जुन सुन न सके। अर्जुन उसकी खामोशी को देख रहा था, पर वह एक अनजाने डर से भी घिरा हुआ था। नेत्रा ने अचानक सिर घुमा कर एक तेज़ नज़र अर्जुन पर डाली। लेकिन अर्जुन अब भी उसके चेहरे को ठीक से नहीं देख पाया था। अर्जुन का धैर्य धीरे-धीरे जवाब दे रहा था। वह अब जानना चाहता था कि यह लड़की कौन है और यहाँ क्या कर रही है। उसने अपनी आवाज़ थोड़ी ऊँची करते हुए कहा, "आप समझ नहीं रहीं हैं, यहाँ खड़े रहना ठीक नहीं है। आइए, मैं आपको सुरक्षित जगह पर ले चलता हूँ।" नेत्रा ने एक गहरी सांस ली और सोचने लगी, "आज ये इंसान बच गया, लेकिन एक दिन इसके साथ भी वही होगा, जो इस जंगल में अजय और आकर्षि के साथ हुआ।" अर्जुन अब उसके और करीब आ चुका था। उसने एक आखिरी बार हाथ बढ़ाते हुए कहा, "आइए, यहाँ से बाहर चलते हैं।" नेत्रा ने धीरे-धीरे अपने हाथों को नीचे किया, पर उसने अब भी अर्जुन की तरफ नहीं देखा। उसकी आंखें उस राख की ओर थीं, जो उसे पीछे छोड़नी पड़ी थी। वह मन ही मन में बोली, "तू बच तो गया है आज, लेकिन इस खेल में तू भी जल्द ही शामिल होगा।" ये सब सोचते हुए नेत्रा ने एक लंबी साँस ली और बिना कुछ बोले धीरे-धीरे वहां से चलने लगी। लेकिन तभी अचानक उसके पैर में झटका आया और उसका संतुलन बिगड़ गया। वो गिरने ही वाली थी कि अर्जुन ने तेजी से कदम बढ़ाकर उसे अपने बाहों में थाम लिया। नेत्रा अब अर्जुन की बाहों में थी। उसकी आँखें धीरे-धीरे उठीं और अर्जुन की आँखों से मिल गईं। उनकी नज़रें कुछ पलों के लिए यूँ ही एक-दूसरे में खोई रहीं, जैसे आसपास की सारी दुनिया ठहर गई हो। कार की हल्की रोशनी उन दोनों के चेहरों पर पड़ रही थी, और उन पलों में वे एक-दूसरे को इतने करीब से देख रहे थे कि मानो सब कुछ थम गया हो। अर्जुन की गहरी काली आँखें नेत्रा की हल्की हरी आँखों में खोई हुई थीं, और नेत्रा भी उसकी निगाहों में डूबी हुई थी। कुछ देर की खामोशी के बाद अर्जुन की आवाज़ ने नेत्रा को चेताया, "तुम ठीक हो ना?" उसने धीमी और संवेदनशील आवाज़ में पूछा। "इतनी रात को इस तरह से जंगल में घूमना ठीक नहीं है।" नेत्रा उसके सवाल पर चौंकी, मानो नींद से जागी हो। उसने अपने चेहरे के भावों को शांत करते हुए कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ। बस थोड़ी देर टहलने का मन कर रहा था, और कब टहलते-टहलते यहाँ तक आ गई, पता ही नहीं चला।" अर्जुन ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "ठीक है, लेकिन अगली बार इतनी रात को अकेले जंगल में मत घूमना। ये सेफ नहीं है।" नेत्रा ने अपने आपको संयत करते हुए कहा, "हाँ, मैं समझ गई। अब मैं घर जा रही हूँ।" यह कहते हुए उसने जाने के लिए कदम बढ़ाया, पर अचानक उसके पैर में एक तेज़ दर्द उठा, और वह फिर से लड़खड़ा गई। उसने जल्दी से पैर पकड़ लिया, मानो दर्द को दबाने की कोशिश कर रही हो। अर्जुन ने उसे इस तरह लड़खड़ाते हुए देखा तो तुरंत उसके पास गया। उसने चिंता भरे स्वर में पूछा, "तुम्हारे पैर में चोट लग गई है क्या?" नेत्रा ने हल्की हिचकिचाहट के साथ कहा, "शायद मोच आ गई है… चलने में दिक्कत हो रही है।" अर्जुन ने उसकी बात सुनी और बिना कोई और सवाल किए, उसे हल्के से अपनी बाँहों में उठा लिया। नेत्रा चौंक गई और बोली, "अरे, ये क्या कर रहे हो? मुझे नीचे उतारो… मैं खुद चल लूंगी।" अर्जुन ने उसकी तरफ एक गहरी नज़र डाली और हल्के से मुस्कुराते हुए बोला, "अभी तुम्हारी हालत देखकर तो ऐसा नहीं लग रहा कि तुम चल पाओगी। ऐसे में ज़िद करने का कोई फायदा नहीं है।" उसने दृढ़ता से कहा, "मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ। वैसे भी, तुम्हारे पैर को अब आराम की ज़रूरत है।" नेत्रा उसकी बात सुनकर कुछ नहीं कह पाई, बस उसके चेहरे को देखती रही। अर्जुन ने बिना कुछ बोले उसे लेकर अपनी कार की तरफ चल पड़ा। कार के पास पहुँचकर उसने नेत्रा को बड़े आराम से सीट पर बिठाया, और खुद ड्राइवर की सीट पर जाकर बैठ गया। कुछ पलों की चुप्पी के बाद अर्जुन ने इंजन स्टार्ट किया और कार चलाने लगा। सड़कों पर अजीब सा सन्नाटा था, और कार के अंदर भी एक अजीब खामोशी थी। दोनों के बीच कई सवाल थे, लेकिन कोई भी कुछ नहीं कह रहा था। अर्जुन ने इस चुप्पी को तोड़ते हुए कहा, "वैसे, इतनी रात को तुम यहाँ अकेले क्या कर रही थी? कोई खास वजह?" नेत्रा ने थोड़ी झिझक के साथ जवाब दिया, "बस… यूं ही। मुझे रात को अकेले घूमना पसंद है। यहाँ की हवा, सन्नाटा… सब मुझे सुकून देते हैं।" अर्जुन ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा, "अकेले जंगल में सुकून ढूँढना थोड़ी अजीब बात है। वैसे, हर कोई ऐसा नहीं सोचता।" नेत्रा ने उसकी ओर देखा और धीरे से मुस्कुराते हुए कहा, "शायद मैं थोड़ी अलग हूँ। हर किसी को समझ पाना आसान नहीं होता।" अर्जुन ने उसकी इस बात पर एक गहरी नज़र डाली, जैसे वह उसकी बातों के पीछे छिपे रहस्य को समझने की कोशिश कर रहा हो। उसने हल्की आवाज़ में कहा, "अलग होना बुरा नहीं है, लेकिन कभी-कभी यह खतरनाक हो सकता है। खैर, अगर कोई दिक्कत हो तो बताना। ये दुनिया इतनी भी सुरक्षित नहीं जितनी हम सोचते हैं।" नेत्रा ने उसकी बात को गंभीरता से सुना और हल्के से सिर हिला दिया। उसने कहा, "मैं ठीक हूँ। वैसे भी, मुझे इस दुनिया के खतरों की आदत है।" अर्जुन ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा, "ऐसा लगता है जैसे तुम्हारे पास बहुत सी बातें हैं, लेकिन तुम कह नहीं रही हो।" नेत्रा ने उसकी तरफ देखा, उसकी आँखों में एक रहस्यमयी चमक थी। उसने थोड़ा सख्त लहजे में कहा, "कुछ बातें ऐसी होती हैं जो कहने के लिए नहीं, महसूस करने के लिए होती हैं।" अर्जुन ने गहरी सांस ली और अपनी नज़रें सड़क पर रखते हुए धीरे से कहा, "शायद तुम्हारी बात सही है। लेकिन कभी-कभी कुछ रहस्य जानना भी ज़रूरी हो जाता है, ताकि आगे का रास्ता समझ में आ सके।" नेत्रा ने हल्की मुस्कान दी और मन ही मन सोचा, "तू जितना जानना चाहता है, उतना जानने नहीं दूँगी, अर्जुन। इस खेल में मैं तुझसे कई कदम आगे हूँ।" अर्जुन ने कार को नेत्रा के ठिकाने के पास रोका और कहा, "हम पहुँच गए। ध्यान रखना, और अगर मदद की ज़रूरत हो तो मुझे बताना।" नेत्रा ने उसे एक आखिरी बार देखा और धीरे से कहा, "थैंक यू, लेकिन मुझे किसी की मदद की ज़रूरत नहीं है। मैं अपने फैसले खुद ले सकती हूँ।" अर्जुन ने उसकी आँखों में कुछ अजीब सा महसूस किया, लेकिन कुछ कहे बिना उसने उसे अलविदा कहा। नेत्रा कार से बाहर निकली, और उसकी नज़रें एक बार फिर अर्जुन की ओर गईं, जैसे वह उसकी आँखों में कोई रहस्य छिपा रही हो।
नेत्रा धीरे-धीरे घर के अंदर आई। उस रात का सन्नाटा उसके आसपास मंडरा रहा था, पर मन में इतनी उथल-पुथल थी कि न भूख का होश था न प्यास का। सीधा अपने कमरे में गई और बिस्तर पर गिरते ही आँखे बंद कर ली। आँखें बंद कीं, तो जैसे उस जंगल के हर पल की यादें वापस आने लगीं। अर्जुन का चेहरा, उसके उसे संभालकर उठाना, वो एक पल के लिए उनकी आँखों का मिलना... नेत्रा के मन में अजीब हलचल होने लगी। उसने खुद को सँभालने की कोशिश की, लेकिन अर्जुन का चेहरा बार-बार उसकी आँखों के सामने आ जाता। उसकी गहरी काली आँखों में कुछ तो था जिसने नेत्रा को एक पल के लिए जैसे रोक सा दिया था। "ये क्या हो रहा है मुझे?" नेत्रा ने बिस्तर पर करवट बदलते हुए खुद से कहा। "क्यों बार-बार उस इंसान का चेहरा मेरे सामने आ रहा है? ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ। मैं तो कभी किसी के लिए इतनी कमजोर महसूस नहीं करती। फिर ये अर्जुन... ये कैसे मेरे मन में घर कर रहा है?" वो खुद से यही सवाल पूछती रही, और आँखों में नींद आने से पहले ही अर्जुन की तस्वीर उसके ख्यालों में उतर आई। उसकी बाहों में खुद को याद कर वो कुछ असहज महसूस करने लगी। दिल में एक बेचैनी थी, जो उसे सोने नहीं दे रही थी। उसने आँखें बंद कीं, और खुद को सख्ती से कहने लगी, "नेत्रा, तू एक चुड़ैल है! किसी इंसान के लिए तेरे दिल में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। ये तेरी कमजोरी है, और तुझे इस पर काबू पाना ही होगा।" लेकिन उसकी आँखें बंद करने के बाद भी अर्जुन का चेहरा उसके सामने से हट नहीं रहा था। --- उधर अर्जुन भी अपने घर में, अपने रूम में था। उसने दिनभर की थकान मिटाने के लिए एक ठंडे पानी का शावर लिया। जब उसने शॉवर के पानी के नीचे आँखें बंद कीं, तो उसे अचानक से वो हल्की हरी आँखें याद आने लगीं। नेत्रा की वो गहरी, मिस्ट्री से भरी आँखें, जो जैसे किसी रहस्य को छुपाए हुए थीं। अर्जुन ने आँखें खोलीं, जैसे नींद से जागा हो, और खुद से हंसते हुए बोला, "क्या यार अर्जुन, एक अजीब सी लड़की के बारे में इतना सोचने की क्या जरूरत है? वो तो बस... एक नकचढ़ी लड़की है।" पर चाहकर भी वो उस लड़की को अपने ख्यालों से निकाल नहीं पा रहा था। जब उसने टॉवल पहनकर अपने रूम में कदम रखा, तो खुद को बेड पर गिरा लिया और एक लम्बी साँस ली। "क्यों उसकी आँखों में इतनी कशिश थी?" अर्जुन ने खुद से पूछा। वो अपने ही सवाल पर मुस्कुराया, पर उस मुस्कान में एक अजीब सी बेचैनी थी। उसका दिल मानने को तैयार नहीं था कि वो बस एक इत्तेफाक था। नेत्रा की वो रहस्यमय शांति, उसकी आँखों का गहरा रहस्य... अर्जुन जितना उसे भूलना चाहता, उतना ही उसकी यादें उसे अपनी तरफ खींच रही थीं। बिस्तर पर लेटे-लेटे उसने खुद से कहा, "शायद मैं ओवरथिंक कर रहा हूँ। वो लड़की थोड़ी अजीब है, लेकिन… क्या पता उसके साथ कुछ ट्रेजेडी हुई हो। मुझे उसकी इतनी फिक्र क्यों हो रही है?" उसने खुद को समझाने की कोशिश की, पर उसकी छठी इंद्री उसे फिर वही खतरनाक, लेकिन आकर्षक निगाहें दिखा रही थी। --- नेत्रा अपने कमरे में आधी रात तक करवटें बदलती रही। उसकी आँखें खुल जातीं, और वो फिर से उसी सीन को याद करने लगती जब अर्जुन ने उसे सँभाला था। एक तरफ उसके अंदर की चुड़ैल उसे बार-बार याद दिला रही थी कि उसे इंसानों से दूर रहना चाहिए, खासकर अर्जुन जैसे इंसान से। पर दूसरी तरफ, वो उसकी यादों से खुद को अलग नहीं कर पा रही थी। "क्या हुआ जो उसने मुझे सँभाल लिया? कोई बड़ी बात नहीं है, मुझे इस पर इतना रिएक्ट नहीं करना चाहिए।" उसने अपने दिल को समझाने की कोशिश की। पर अर्जुन का चेहरा, उसकी मुस्कुराहट और उसकी आवाज़ उसके ख्यालों में गूंजने लगी। "मैं इतनी कमजोर नहीं हो सकती। ये बस एक इत्तेफाक था, कुछ नहीं।" उसने खुद को समझाया, पर उसका दिल अभी भी उसकी बात नहीं मान रहा था। --- उधर अर्जुन ने जैसे-तैसे खुद को सोने के लिए मनाया, लेकिन नेत्रा का ख्याल उसे चैन से सोने नहीं दे रहा था। उसने अपने मन में कहा, "इतनी रहस्यमयी और खामोश लड़की... और उसकी आँखें, वो भी इतनी शांत और इतनी गहरी। कुछ तो है उसके अंदर जो मुझे बार-बार उसके बारे में सोचने पर मजबूर कर रहा है।" अर्जुन ने एक लंबी साँस ली और खुद से कहा, "क्या मैं उसे जानने की कोशिश कर रहा हूँ? क्या मैं उसके पीछे जाने का सोच रहा हूँ?" उसने अपने मन में खुद को टटोलते हुए ये सवाल पूछा। अर्जुन फिर से अपने मन में नेत्रा के चेहरे को देखने लगा। उसे उसकी वो शांत मुस्कुराहट, और उसकी नजरे नीची किए हुए खड़ी नेत्रा का चेहरा बार-बार अपनी आँखों के सामने दिखाई दे रहा था। अर्जुन अपने ख्यालों में खो गया और खुद से बोला, "पता नहीं क्या बात है, पर ऐसा लगता है कि जैसे हम दोनों का कुछ न कुछ तो कनेक्शन है। मैं इसे इग्नोर नहीं कर सकता।" --- नेत्रा की रात भी बेचैनी भरी थी। उसने अपने मन में कहा, "अर्जुन के साथ कुछ है, जो मुझे अपनी तरफ खींच रहा है। मैं नहीं जानती ये क्या है, पर ये मुझे कमजोर बना रहा है। मुझे इसे अपने मन से निकालना होगा।" पर जैसे ही वो ये सोचती, अर्जुन का चेहरा फिर से उसकी आँखों के सामने आ जाता। उसने बिस्तर पर करवट लेते हुए एक गहरी साँस ली और अपने आपसे कहा, "ये सब एक सपना है। मुझे अर्जुन के बारे में सोचना छोड़ना होगा, वर्ना मैं अपने असली मकसद से भटक जाऊँगी।"
उसने बिस्तर पर करवट लेते हुए एक गहरी साँस ली और अपने आपसे कहा, "ये सब एक सपना है। मुझे अर्जुन के बारे में सोचना छोड़ना होगा, वर्ना मैं अपने असली मकसद से भटक जाऊँगी।" --- रात के सन्नाटे में दोनों के दिलों में सवाल और बेचैनी का सैलाब उमड़ रहा था। अर्जुन और नेत्रा एक-दूसरे के करीब आने की ओर बढ़ रहे थे, बिना ये समझे कि उनकी मुलाकातें महज इत्तेफाक नहीं, बल्कि कुछ गहरे रहस्यों की तरफ इशारा कर रही थीं। रात की बेचैनी और सवालों से भरी वो रात दोनों के लिए लंबी और अजीब थी, पर जैसे-तैसे दोनों सो ही गए। सुबह हुई, सूरज की हल्की किरणों ने नेत्रा के कमरे में दस्तक दी। उसकी आँखें धीरे-धीरे खुलीं और वो खुद को थोड़ा थका हुआ महसूस कर रही थी। अर्जुन का चेहरा अभी भी उसके दिमाग में कहीं धुंधला सा था, पर उसने खुद को सँभाला और फटाफट कॉलेज के लिए तैयार होने लगी। नेत्रा ने जल्दी से ब्रेकफास्ट किया और अंजलि के साथ कॉलेज के लिए निकल पड़ी। कॉलेज पहुँचीं, तो देखा कि आज माहौल थोड़ा बदला-बदला सा था। चारों ओर लड़कियाँ आपस में हंसी-मजाक और कुछ कानाफूसी कर रही थीं। भीड़ थोड़ी ज्यादा थी और हर कोई कुछ ना कुछ बात कर रहा था। अंजलि ने एक नजर चारों ओर डाली और फुसफुसाते हुए नेत्रा से बोली, “अरे, ये आज क्या माहौल बना हुआ है? कुछ स्पेशल डे है क्या?” नेत्रा ने थोड़ी अनमनी सी आवाज़ में जवाब दिया, “पता नहीं, मुझे तो कोई स्पेशल डे याद नहीं आ रहा।” अंजलि उसकी बात सुनकर उत्सुकता से बोली, “अरे देख तो सही, सब लड़कियाँ एक ही टॉपिक पर बात कर रही हैं। शायद कुछ नया हुआ है।” नेत्रा ने थोड़ा उबास लेते हुए कहा, “हां, हो सकता है। छोड़ो, हमें क्या लेना-देना!” पर अंजलि कहाँ मानने वाली थी। उसने नेत्रा का हाथ खींचा और पास खड़ी अपनी कुछ दोस्तों के ग्रुप की तरफ ले गई। वहां सब की नजरें भीड़ के बीच कहीं टिकी हुई थीं। अंजलि ने ग्रुप की एक लड़की से पूछा, “अरे यार, ये सब क्या हो रहा है आज? कुछ खास बात है क्या?” एक लड़की ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अरे यार, पता नहीं तुम्हें मालूम चला या नहीं, पर हमारे कॉलेज में आज नया प्रोफेसर आया है। और क्या बताऊँ, इतना हैंडसम है कि उसकी एक झलक से ही दिल धक-धक करने लगे!” नेत्रा ने उत्सुकता से सवाल किया, “ओह, हॉट एंड हैंडसम प्रोफेसर, हाँ? ऐसा क्या है उसमें?” पास खड़ी दूसरी लड़की तुरंत बोल पड़ी, “अरे नेत्रा, जब तू उसे देखेगी ना, तो तुझे भी समझ आ जाएगा। वो बिलकुल किसी फिल्मी हीरो जैसा है! क्लास में तो ऐसे एंट्री मारी कि बस... आँखें हटती ही नहीं।” तीसरी लड़की ने भी मजाक में कहा, “अब हमारे कॉलेज में बोरिंग क्लासेज का तो सवाल ही नहीं उठता। अब तो हर क्लास का इंतजार रहेगा।” अंजलि ने एक झूठी नाराजगी से कहा, “अरे वाह! हमें भी इंट्रोडक्शन तो कराओ उस हैंडसम प्रोफेसर से।” सभी लड़कियाँ हँस पड़ीं और कहने लगीं, “बस थोड़ा इंतजार कर, कुछ ही देर में उसकी क्लास भी लगेगी। फिर तो तू खुद देख लेगी, क्यों पूरा कॉलेज उस पर फिदा हो गया है।” नेत्रा ने थोड़ा सोचते हुए अंजलि से कहा, “चलो, देख लेते हैं आखिर ये ‘हैंडसम प्रोफेसर’ किस चमत्कार का नाम है।” थोड़ी देर में नेत्रा और अंजलि क्लास के पास जाकर खड़ी हो गईं, जहाँ उस प्रोफेसर का इंतजार हो रहा था। लड़कियों का ग्रुप धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा था और सबके चेहरे पर एक्साइटमेंट झलक रही थी। कुछ ही देर में कॉलेज की घंटी बजी और क्लास का दरवाजा खुला। एक प्रोफेसर चले गए अब बारी थी दूसरे प्रोफेसर न्यू प्रोफेसर की आने की, दूर से ही जब वह न्यू प्रोफेसर आ रहे थे तो लड़कियां देखकर आहे भर रही थी नेत्रा ने उसे दूर से देखा, तो उसका दिल भी एक पल के लिए धड़क उठा।, पर अभी तक उन्हें चेहरा नहीं दिखाई दिया था उसने अपने मन में सोचा, “तो ये है वो प्रोफेसर जिसके पीछे सब पागल हो रहे हैं। वाकई कुछ खास तो है इसमें…” अर्जुन की यादें अभी भी उसके मन में हल्की-हल्की मौजूद थीं, लेकिन इस नए प्रोफेसर की पर्सनैलिटी ने उसे थोड़ी देर के लिए अपनी ओर खींच लिया था। अंजलि ने उसकी ओर इशारा करते हुए मजाक में कहा, “तो मैडम, क्या कहना है? दिल आ गया कि नहीं?” नेत्रा ने उसे हल्के से धक्का देते हुए कहा, “ऐसा कुछ नहीं है, पर हां, है तो ये काफी इम्प्रेसिव।” क्लास में बैठकर भी लड़कियाँ आपस में फुसफुसा रही थीं, और उस प्रोफेसर की हर बात, हर मूवमेंट पर उनकी नजरें टिकी हुई थीं। नेत्रा ने खुद को सँभालते हुए क्लास पर फोकस करने की कोशिश की, लेकिन कहीं न कहीं उसका ध्यान भी उस नए प्रोफेसर की ओर बार-बार चला ही जाता था। अंजलि ने धीरे से नेत्रा के कान में कहा, “तू सोच रही होगी कि तेरा दिल कभी इस तरह किसी पर नहीं आया, लेकिन अब देख, ये प्रोफेसर कितने इम्प्रेसिव हैं। शायद तेरी लाइफ में कुछ नया ही होने वाला है।” नेत्रा ने उसे हंसते हुए कहा, “ज्यादा मत सोच अंजलि, ये प्रोफेसर हैं, कोई हीरो नहीं। चलो, क्लास पर फोकस करते हैं।” नेत्रा क्लास में बैठी प्रोफेसर का इंतजार कर रही थी, लेकिन उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि आज उसे एक ऐसा चेहरा देखने को मिलेगा जिसने उसकी रातों की नींद उड़ा रखी थी। क्लास का दरवाजा खुला, और जैसे ही प्रोफेसर अंदर आए, नेत्रा की साँसें थम सी गईं। सामने अर्जुन खड़ा था—वो ही अर्जुन, जिससे उसकी मुलाकात कल रात जंगल में हुई थी। नेत्रा की आँखें हैरानी से फैल गईं। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वही इंसान, जिसे उसने जंगल में टकराया था, आज उसकी क्लास में उसका प्रोफेसर बनकर खड़ा है। अर्जुन ने एक नजर पूरे क्लास पर डाली और अपनी उसी गहरी, गंभीर आवाज में कहा, "गुड मॉर्निंग, स्टूडेंट्स। मेरा नाम अर्जुन है, और मैं आपका नया प्रोफेसर हूँ। उम्मीद करता हूँ कि आप सबके साथ मिलकर एक अच्छा सफर रहेगा।" नेत्रा को ऐसा महसूस हो रहा था कि अर्जुन की नज़रे सीधी उसी पर टिकी हैं, मानो उसे पहचानने की कोशिश कर रही हों। उसका दिल तेजी से धड़कने लगा। "ये यहाँ क्या कर रहा है? और ये कैसे हो सकता है कि वो प्रोफेसर निकले?" नेत्रा ने खुद से सवाल किया। अर्जुन ने सबके सामने अपना इंट्रोडक्शन दिया और फिर लेक्चर शुरू किया। लड़कियों की फुसफुसाहटें, उनकी मुस्कुराहटें, सब अर्जुन पर केंद्रित थीं। नेत्रा की सहेली अंजलि तो उस पर पूरी तरह फिदा हो चुकी थी, वह नेत्रा को कोहनी मारते हुए धीरे से बोली, "देखा ना? मैंने कहा था न कि इस प्रोफेसर में कुछ खास है! कितने हैंडसम और इंटेलिजेंट हैं। सच में क्लास अब मजेदार होने वाली है!" नेत्रा ने उसे हल्की मुस्कान दी, लेकिन उसका ध्यान अर्जुन पर ही टिका हुआ था। वो अपने ख्यालों में खोई हुई थी, सोच रही थी कि आखिर क्यों अर्जुन उसे इतना आकर्षित कर रहा है। क्या ये सिर्फ इत्तेफाक है कि वो जंगल में उससे मिला और अब यहाँ प्रोफेसर बनकर सामने है? या इसके पीछे कुछ और है? अर्जुन ने नोटिस किया कि नेत्रा का ध्यान उसकी ओर था, और उसने उसे पहचान लिया। उसकी नज़रें कुछ पल के लिए नेत्रा पर टिकीं और फिर उसने क्लास को जारी रखा, मानो कुछ हुआ ही न हो। लेक्चर खत्म होने के बाद, जैसे ही अर्जुन क्लास से बाहर जाने लगा, नेत्रा भी जल्दी से उठी और उसे रोकने के लिए दरवाजे के पास पहुँच गई। अर्जुन ने उसे देखा और एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा, “तो, फिर मिल ही गए हम?” नेत्रा ने गहरी साँस ली और उसे घूरते हुए कहा, “तुम यहाँ प्रोफेसर हो? और तुमने मुझे ये बात कल रात क्यों नहीं बताई?” अर्जुन ने शांत भाव से जवाब दिया, “उस वक्त बताना जरूरी नहीं लगा। और वैसे भी, तुमने मुझसे कुछ पूछा भी तो नहीं था। मुझे लगा तुम खुद भी मुझे भूल जाओगी, लेकिन देख रहा हूँ, तुम्हें भी मेरी यादें परेशान कर रही थीं।” नेत्रा का मुंह खुला का खुला रह गया उसके पास कोई जवाब ही नहीं था नेत्रा ने उसे एक नजर देखा और क्लासरूम से बाहर निकल गई। बाहर आते ही अंजलि ने उसे छेड़ते हुए कहा, “अरे वाह, इतनी जल्दी टीचर से पर्सनल बातें भी हो गईं? लगता है प्रोफेसर अर्जुन का जादू तुम पर भी चल गया है!” नेत्रा ने उसे अनमने ढंग से टालते हुए कहा, “कुछ खास नहीं, बस यूँ ही कुछ बात हो गई थी।”