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I'm Crazy for you ♥️

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Hi friends Please aap sab Mujhe support Kare aur review bhi Jarur dena शुरुआत, रात का बक्त "पीहू जल्दी जा उस कलमुही को लेकर आ कल उसकी शादी हैं और वो सब आ भी गये हैं मंदिर में, जल्दी जा पीहू लेकर आ उसे" एक औरत अपने सामने खडी लड़की...

Total Chapters (43)

Page 1 of 3

  • 1. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 1

    Words: 1278

    Estimated Reading Time: 8 min

    रात का वक्त था।

    "पीहू, जल्दी जा, उस कलमुही को लेकर आ। कल उसकी शादी है और वो सब आ भी गए हैं मंदिर में, जल्दी जा, पीहू, लेकर आ उसे।" एक औरत ने अपने सामने खड़ी लड़की से कहा।

    "अंजना काकी, अब तो उसे ऐसे मत कहो। कल तो वो चली ही जाएगी हमेशा के लिए," पीहू ने कहा।

    "हाँ हाँ, पता है। ये हो जाए तो मैं बप्पा को 10 किलो का लड्डू चढ़ाकर आऊँगी। अब तू जल्दी जा," अंजना बोली।

    अंजना की बात सुनकर पीहू वहाँ से चली गई। उसके जाते ही वहाँ एक आदमी आया और कहा, "अंजना, तुम क्या कर रही हो? जल्दी से गेस्ट रूम साफ करवाओ, रवि आने वाले हैं। दो कमरे साफ करना।"

    "हाँ हाँ, कर रही हूँ। सारे पैसे इस कलमुही की शादी पर लगा दिए, क्या पता मेरी बेटी के लिए कुछ बचा है के नहीं!" अंजना यह सब बड़बड़ाते हुए वहाँ से चली गई।

    पीहू दौड़ते हुए एक मंदिर के अंदर गई। अंदर एक लड़की, जिसने yellow कलर की साड़ी पहनी थी, आरती कर रही थी। उस लड़की की पीठ पीहू की ओर थी; जिस वजह से उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।

    "भूमि, तुझे काकी बुला रही है और वो बहुत ज्यादा गुस्से में है। जल्दी चल," पीहू ने हाँफते हुए कहा।

    पीहू की आवाज़ सुन भूमि पीछे मुड़ी। ये थी हमारी कहानी की नायिका, भूमि—दूध जैसा गोरा रंग, बड़ी-बड़ी आँखें जिनमें काजल लगा था, पतले गुलाबी होंठ, लंबे कमर तक आते बाल, चेहरे पर कोई मेकअप नहीं, पर फिर भी वो बहुत सुंदर थी; कोई देखे तो नज़रें ना हटा पाए।

    भूमि ने आरती की थाल वहाँ खड़े पुरोहित को देते हुए पीहू के पास जाकर कहा, "माँ क्यों बुला रही है? मैं तो माँ को बताकर आई हूँ कि मैं बप्पा के पास जा रही हूँ।"

    "मुझे नहीं पता, पर वो काफी गुस्से में लग रही थी। तू जल्दी चल," पीहू ने भूमि को टोकते हुए कहा।

    इतना कहकर वो भूमि को खींचकर ले जाने लगी। भूमि और पीहू दौड़ते हुए जा रही थीं, तभी भूमि एक कार के सामने आ गई और डर से उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

    कार में बैठा शख्स ने अपने सामने किसी लड़की को देखकर जल्दी से ब्रेक मारा और कार जोर की आवाज़ करके बिल्कुल भूमि के सामने रुक गई। अगर वो कार एक इंच भी आगे बढ़ती, तो भूमि का एक्सीडेंट हो सकता था।

    आवाज़ सुनकर भूमि ने अपनी आँखें खोलीं और सबसे पहले खुद को देखा कि वो ठीक है कि नहीं। फिर जैसे ही वो सामने देखने वाली थी, उसके कानों में पीहू की आवाज़ पड़ी, जो कह रही थी, "भूमि जल्दी आ, क्या कर रही है वहाँ? शादी से पहले मरने का इरादा है क्या तेरा?"

    "जी तो वही कर रही हूँ, पर मैं पापा का सर किसी के भी सामने झुकने नहीं दे सकती," भूमि ने पीहू को देख, उसके पास जाते हुए कहा।

    इतना कहते-कहते वो पीहू के पास पहुँच गई। पीहू ने उसके कंधे पर हाथ रखकर कहा, "तू काका से कहती क्यों नहीं कि तुझे ये शादी नहीं करनी?"

    भूमि मुस्कुराते हुए बोली, "क्योंकि मेरे इस शादी को लेकर पापा ने बहुत सपने सजाए हैं, मैं उसे तोड़ नहीं सकती।"

    भूमि की बात सुनकर पीहू कुछ नहीं कहती, बस भूमि को देखती रही। तो भूमि बोली, "अब तुझे क्या हुआ? जल्दी चल, वरना माँ पीटेगी मुझे, और मैं अपनी शादी के पहले दिन भी पीटना नहीं चाहती।"

    भूमि की बात सुनकर पीहू हँस दी, और भूमि भी हँसने लगी। फिर दोनों वहाँ से चली गईं।

    वहीं, कार में बैठे शख्स की नज़र भूमि पर जैसे अटक ही गई थी। उसने जबसे भूमि को देखा था, तबसे उसे ही देखे जा रहा था। भूमि के जाने के बाद वो शख्स अपने होश में आया और अपने पास बैठे अपने दोस्त को देखा, जो हँस रहा था।

    वो उसे देखकर पूछा, "क्या है? हँस क्यों रहा है?"

    "नहीं, ऐसे ही। वैसे गाँवों की ब्यूटी है, नैचरल ब्यूटी। तेरे साथ बहुत अच्छी लगेगी।"

    "Shut up, she is not my type," इतना कहकर वो कार स्टार्ट कर देता है।

    वहीं भूमि और पीहू एक बड़े से घर के पास रुकीं। दोनों ही हाँफ रही थीं। फिर दोनों अंदर गईं। भूमि के अंदर कदम रखते ही अंजना जी की आवाज़ आई जो कह रही थी, "आ गई महारानी।"

    भूमि ने उस औरत को देखकर नज़रें झुका लीं और धीरे से बोली, "माँ, मैं तो आपको बताकर गई थी कि मैं..."

    भूमि की बात पूरी होने से पहले ही अंजना जी उसके पास आकर उसके बाल पकड़कर बोली, "बताकर गई? हाँ, कब गई थी बताकर और कब आ रही है? एक तो तेरे जैसे मनहूस के लिए पाखी के पापा सब कुछ लूटा रहे हैं और ऊपर से तेरे इतने नखरे!"

    इतना कहकर वो भूमि के बाल खींचने लगी, जिससे दर्द के मारे भूमि की आँखों से आँसू निकल आए। पीहू ने अंजना जी से भूमि को छुड़ाते हुए कहा, "काकी, कल इसकी शादी है और आप आज इसे मार रही हैं।"


    "कल इसकी शादी है, तो मेरा क्या? पता नहीं, आपने माँ के साथ ये भी क्यों नहीं मर गई। खुद तो चली गई और इसे मेरे गले में डाल गई," अंजना जी बोलीं।

    अंजना जी की बात सुनकर भूमि की आँखों से आँसू बह रहे थे और वो वहाँ से दौड़ते हुए अपने रूम की ओर चली गई और पीहू भी उसके पीछे-पीछे गई।

    अंजना जी दोनों को जाते देख टेढ़ी मुस्कान के साथ बोली, "भगवान से जितना मन्नत माँगना है माँग ले, पर होगा तो वही जो ये अंजना चाहेगी।" इतना कहकर वो भी वहाँ से चली गई।

    वहीं घर के बाहर दो कार आकर रुकीं। कार की आवाज़ सुनकर अंजना जी और प्रदीप जी (भूमि के पापा) बाहर आए। तो देखा कि पहली कार से एक अधेड़ उम्र का आदमी और एक अधेड़ उम्र की औरत उतर रहे थे। उस आदमी को देखते ही प्रदीप जी उनके पास जाते हुए बोले, "रवि, कैसा है?"

    रवि जी भी खुश होते हुए उनको गले लगाकर बोले, "मैं बढ़िया हूँ, तू बता, तू कैसा है?"

    प्रदीप जी अलग होते हुए बोले, "मैं भी बढ़िया हूँ।"

    मीरा जी (रवि जी की बीबी), "देवर साहब, हम भी आ गए हैं, हमें भी तो देखिए।"

    प्रदीप जी मीरा जी को देखकर बोले, "नहीं नहीं, भाभी, हम कैसे आपको देख सकते हैं? अगर हम आपको देखें तो रवि मेरी आँखें ही उखाड़ देगा। उसके बाद तो मैं कुछ नहीं देख पाऊँगा। आपको देखना मुझे महँगा पड़ सकता है।" इतना कहकर वो हँसने लगे।

    और उनकी बात सुनकर बाकी सब भी हँसने लगे। तभी दूसरी कार का गेट खुला और दो हैंडसम लड़के बाहर आए।

    उन लड़कों को देख पीछे खड़ी पाखी सामने आ गई और आगे खड़े लड़के को घूरकर देखने लगी। और ये चीज़ अंजना जी देख लेती हैं, पर कुछ नहीं कहतीं।

    वहीं रवि जी पहले खड़े लड़के के पास जाकर बोले, "प्रदीप, ये है मानव, मेरा बेटा (दूसरे लड़के की ओर इशारा करके) और ये है मानव का बेस्ट फ्रेंड, देव।"

    फिर मानव और देव प्रदीप जी के पैर छूते हैं। प्रदीप जी भी उन दोनों को आशीर्वाद देते हैं। फिर सब घर के अंदर चले जाते हैं।

    अब आगे क्या होगा? अंजना जी क्या चाहती हैं? क्या भूमि की शादी हो पाएगी?

  • 2. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 2

    Words: 1162

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंदर जाते ही रवि जी ने कहा, "भूमि बिटिया कहाँ है? उसे बुलाओ।"

    रवि जी की बात सुनकर प्रदीप जी कुछ कह पाते, उससे पहले अंजना जी बोलीं, "अरे वो तो शायद अपने कमरे में होगी।" फिर पाखी को सामने लाते हुए, "ये देखिए, ये है मेरी छोटी बेटी पाखी। बहुत प्यारी बच्ची है। पाखी, जाओ काका-काकी के पैर छू।"

    अंजना जी की कोई भी बात पाखी के कान में नहीं पड़ी। वो तो बस मानव को देख रही थी। यह चीज़ मानव और देव ने नोटिस कर ली थी। मानव बहुत uncomfortable महसूस कर रहा था। तभी देव ने, मानव को समझते हुए, प्रदीप जी से कहा, "अंकल, क्या मैं और मानव टेरेस पर जा सकते हैं?

    हमें कुछ important कॉल करनी थी और यहाँ network नहीं मिल रही है।" प्रदीप जी हँसते हुए बोले, "हाँ बेटा, क्यों नहीं? तुम दोनों जाओ। क्या है ना, ये गाँव है, तो यहाँ ज़्यादा तर network नहीं रहता है।" फिर एक नौकर को बुलाते हुए, "रामू, ज़रा मानव बेटा और देव बेटे को छत पर लेकर जा।"

    रामू वहाँ आया और हाँ में गर्दन हिला दिया। फिर मानव और देव को देखकर बोला, "आप दोनों मेरे साथ आइए।"

    इतना कहकर वो आगे जाने लगा और मानव और देव भी उसके पीछे जाने लगे। तब अंजना जी ने उन्हें रोकते हुए कहा, "अरे रामू, तुम्हें जाने की क्या ज़रूरत है? पाखी है ना, पाखी लेकर जाएगी।"

    अंजना जी की बात सुनकर, किसी के कुछ कहने से पहले, प्रदीप जी ने कहा, "नहीं, रामू ही लेकर जाएगा।" पाखी को देखकर, "पाखी, तुम जाओ, जाकर भूमि को बुलाकर लाओ।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर पाखी मुँह लटकाए वहाँ से चली गई और रामू भी मानव और देव को छत पर लेकर चला गया।

    पाखी भूमि के कमरे में जाते हुए बोली, "तुझे नीचे बुला रही है।" भूमि, जो पीहू के साथ बात कर रही थी, पाखी को देखकर बोली, "ठीक है, मैं आ रही हूँ।"

    पाखी ने कहा, "मैं तेरी नौकर हूँ क्या, जो मुझे order दे रही है? मेरा जब मन होगा तब मैं जाऊँगी, तेरे कहने से नहीं।"

    पाखी की बात सुनकर पीहू कुछ कहने ही वाली थी, पर भूमि ने उसे रोक लिया और कहा, "नहीं पाखी, तू तो मेरी छोटी बहन है ना, तू..."

    भूमि की बात पूरी होने से पहले ही पाखी बोली, "मैं तेरी बहन नहीं हूँ। मुझे कोई शौक नहीं है तेरे जैसे लड़की की बहन बनने का, जो जन्म के वक्त ही अपनी माँ को खा गई। और अब जल्दी नीचे आ।" इतना कहकर वो वहाँ से चली गई।

    वहाँ पाखी की बात सुनकर भूमि की आँखों में आँसू आ गए थे, पर उसने उन्हें गिरने नहीं दिया और पीहू के साथ वो भी नीचे चली गई।

    अब वहाँ सिर्फ़ प्रदीप जी, अंजना जी, रवि जी और मीरा जी थे। मीरा जी ने पूछा, "लड़का कैसा है? और काम क्या करता है?"

    मीरा जी की बात सुनकर प्रदीप जी कुछ कह पाते, उससे पहले अंजना जी बोलीं, "हाँ हाँ, लड़का तो बहुत ही अच्छा है, एकदम सोने से सोना। और तो और सरकारी नौकरी भी करता है, शहर में रहता है। मुझे तो अभी भी समझ नहीं आ रही है कि इस कालमुही को इतना अच्छा लड़का कैसे मिल गया?"

    अंजना जी की बात सुनकर मीरा जी उन्हें देखने लगीं और रवि जी ने कहा, "भाभी, हमारी भूमि बिटिया भी कम नहीं है, सर्वगुण सम्पन्न है। वो जिस घर में जाएगी, उस घर को खुशियों से भर देगी।"

    इतने में वहाँ भूमि, पाखी और पीहू आ गईं। रवि जी की बात सुनकर पाखी और अंजना जी का चेहरा गुस्से से लाल हो गया और वो भूमि को गुस्से से देखने लगीं।

    उनको ऐसे देखते हुए देख, भूमि ने अपनी आँखें झुका लीं। उसे देख प्रदीप जी भूमि को सबसे सामने लाए और कहा, "ये है मेरी बेटी भूमि।"

    भूमि रवि जी और मीरा जी के पास जाकर उनके पैर छुए, उन्हें प्रणाम किया। तो मीरा जी ने उसे आशीर्वाद दिया और रवि जी ने अपने बगल में बिठाते हुए कहा, "अरे वहाँ मेरी बेटी तो एकदम हूर परी हो गई।" रवि जी की बात सुनकर भूमि शर्मा गई और अपनी नज़रें नीचे कर लीं। ये देख सब हँस दिए।

    ऐसे ही समय बीत गया और सब डिनर करके अपने-अपने रूम में चले गए।

    रात के 10:30 बजे -

    पीहू खिड़की से बाहर देखते हुए बोली, "भूमि, लगता है बारिश होगी अभी, पर तू आज बिल्कुल नहीं भीगेगी, कल तेरी शादी..."

    इतना कहकर पीहू पीछे पलटी तो कमरे में भूमि नहीं थी। ये देख पीहू खुद से बोली, "ये लड़की, इसका मैं क्या करूँ? कल इसकी शादी है और आज ये..." फिर बेड पर बैठते हुए, "जो चाहे वो करे, मुझे बहुत नींद आ रही है। मैं तो सोऊँगी। और कल मुझे सुबह-सुबह उठना भी है। इसका क्या? ये तो उठ जाएगी।" पीहू ये सब बड़बड़ाते हुए सो गई।

    मानव और देव का रूम -

    मानव खिड़की से बाहर देखते हुए बोला, "लगता है बारिश होगा।"

    देव - "हाँ, और अब तू खिड़की-दरवाज़ा बंद कर देगा, ताकि बारिश का एक भी छींटा तुझे छू ना सके।"

    मानव खिड़की बंद करते हुए - "because I don't like rain."

    देव - "हाँ हाँ, पता है मुझे।"

    इतना कहकर देव बेड पर जाकर बैठ गया और अपने पॉकेट से फ़ोन निकाला। फ़ोन चलने लगा पर यहाँ network नहीं था। देव चिढ़ते हुए बोला, "यार, यहाँ गाँव में एक सबसे बड़ी प्रॉब्लम है, यहाँ network नहीं मिलता।"

    मानव देव के पास बेड पर बैठते हुए - "ये तो तुझे पता ही था कि गाँव में network नहीं मिलता।" फिर कुछ सोचते हुए, "वैसे देव, मैंने तुझे जो फ़ाइल दी थी, वो कहाँ है?"

    देव - "कौन सी फ़ाइल?"

    मानव - "वही महता ग्रुप की जो कॉपी फ़ाइल हम यहाँ ले आए थे।"

    देव कुछ याद करके - "वो फ़ाइल? हाँ, वो फ़ाइल तो मैं टेरेस पर ले गया था और वहीं भूल गया, शायद अभी भी वहीं है।" मानव बेड से उठते हुए - "क्या? अभी बारिश होगा और वो फ़ाइल भीग जाएगी! तू भी ना..."

    देव कान पकड़ते हुए - "सॉरी मानव।" फिर वो भी बेड से उठते हुए - "तू रुक, मैं अभी लेकर आता हूँ।"

    मानव देव को रोकते हुए - "तू रुक, मैं लेकर आता हूँ। पता नहीं तू फ़ाइल को सही-सलामत ला पाएगा या नहीं।"

    इतना कहकर मानव रूम से बाहर निकल गया और टेरेस की ओर जाने लगा। वहीं देव मुँह बनाते हुए फिर से अपने फ़ोन को लेकर बेड पर बैठ गया।

    अब आगे क्या होगा? भूमि कहाँ है?

  • 3. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 3

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    टैरेस पर भूमि छत पर अपने हाथों को फैलाकर खड़ी थी और हल्की-हल्की बारिश हो रही थी। भूमि बारिश में घूम-घूमकर खेल रही थी और पूरे छत पर घूम रही थी। भूमि घूमते-घूमते छत के दूसरी तरफ गई। तभी वहाँ मानव आया और फाइल ढूँढते हुए बोला- "ये बारिश को भी अभी आना था! कुछ देर बाद आ जाता तो क्या होता!"

    "ये" कहते-कहते मानव को फाइल मिल गई और अब बारिश और ज़ोर से होने लगी थी। यह देख मानव जल्दी से फाइल लेकर जाने लगा, कि तभी वह किसी से टकरा गया और जल्दी में होने की वजह से वह खुद को संभाल नहीं पाया और उस शख्स के ऊपर ही गिर गया।

    और जब उसने सामने देखा, तो देखता ही रह गया। उसके नीचे एक खूबसूरत परी जैसी लड़की थी, जो अभी अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके उसे ही देख रही थी। मानव उस लड़की को देख ही रहा था कि तभी उसकी नज़र उस लड़की के गुलाबी होंठों पर गई, जो अभी काँप रहे थे। यह देख मानव का गला सूखने लगा और उसने अपनी नज़र उस लड़की के होंठों से हटाकर उसके थोड़ा नीचे देखा, तो उसका हाल और खराब होने लगा क्योंकि उस लड़की के कॉलरबोन पर एक तिल था और अभी बारिश की बूँदें उस लड़की के होंठ, कॉलरबोन पर जमा हो गई थीं।

    मानव को खुद पर कण्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। ऊपर से उस लड़की की तेज-तेज साँस लेने की वजह से उसकी ब्रेस्ट मानव के चेस्ट से टच हो रहे थे, जो मानव को और पागल कर रहे थे। मानव खुद पर कण्ट्रोल खो बैठा और उस लड़की के कॉलरबोन पर बने तिल पर अपना होंठ रख दिया और वहाँ से पानी की बूँदों को चूस लिया। वह उस लड़की के तिल को चाटने लगा। उसके दोनों हाथ उस लड़की की कमर पर थे और वह उस लड़की की कमर को सहला रहा था। कुछ देर चाटने के बाद मानव वहाँ बाइट करने लगा। वह लड़की, जो मानव को देखकर उसके चेहरे पर खो गई थी और मानव की हर हरकत को enjoy कर रही थी, वह मानव के बाइट करने से होश में आई और जल्दी से मानव को अपने ऊपर से धक्का देकर वहाँ से भाग गई।

    और एक बार भी पीछे मुड़कर नहीं देखी। मानव, जो उस लड़की में खोया हुआ था, वह उस लड़की के धक्का देने से होश में आया और सामने देखा तो वह लड़की दौड़ते हुए जा रही थी। जब तक वह लड़की मानव की आँखों से ओझल नहीं हो गई, तब तक मानव उसे देखता रहा। फिर खुद के सिर को झटककर उठ खड़ा हुआ और खुद से कहा- "ये लड़की है या कोई भ्रम? इसके पास आते ही मैंने खुद पर से कण्ट्रोल खो दिया। नहीं, मुझे इससे दूर रहना होगा। ये मेरे टाइप की लड़की नहीं है।" इतना कहकर मानव भी छत से चला गया।

    भूमि घूमते हुए अपने रूम में आई और जल्दी से दरवाज़ा बंद करके दरवाज़े के आगे खड़ी हो गई और लंबी-लंबी साँसें लेने लगी। भूमि अभी पूरी भीगी हुई थी। उसके सारे कपड़े उसके शरीर से चिपके हुए थे। भूमि अपने दिल पर हाथ रखा और कुछ देर पहले जो हुआ उसे सोचने लगी।

    फ्लैशबैक: भूमि घूम-घूमकर बारिश में खेल रही थी, तभी वह किसी से टकरा गई और नीचे गिर गई और वह शख्स उसके ऊपर गिर गया। भूमि उस शख्स को अपने ऊपर से हटाने ही वाली थी कि तभी उसने उस शख्स का चेहरा देखा और देखती ही रह गई। उस शख्स से उसकी नज़र हट ही नहीं रही थी। वह उस शख्स की आँखों में कहीं खो गई और वह जो कुछ हो रहा था उसे enjoy करने लगी। तभी वह शख्स उसे बाइट करता है, जिससे वह अपने होश में आती है और वहाँ से भाग जाती है।

    फ्लैशबैक एंड। भूमि को जब उस शख्स के होंठों का स्पर्श याद आता है तो उसकी आँखें बंद हो जाती हैं और उसकी साँसें तेज हो जाती हैं। कुछ देर उस सब के बारे में सोचने के बाद भूमि को कुछ याद आता है और वह आँखें खोलकर खुद से कहती है- "नहीं, ये गलत है और मैंने गलती की है। कल मेरी शादी है और आज मैंने एक गैर-मर्द के साथ…" इतना कहते-कहते भूमि चुप हो जाती है और बेड की ओर देखती है जहाँ पीहू सो रही थी। फिर एक गहरी साँस लेकर अपने कपड़े बदलती है और एक हल्के रंग की साड़ी पहनकर पीहू के बगल में सो जाती है, पर उसे नींद नहीं आ रही है। आँखें बंद करते ही उसे सिर्फ़ उस शख्स का चेहरा और उसके होंठों का स्पर्श याद आ रहा था।

    मानव और देव का रूम: देव दरवाज़े को देखते हुए कहता है- "ये लड़का कहाँ रह गया? एक फाइल लाने में इतना टाइम लगता है क्या? मुझे तो…" इतने में रूम में मानव आता है और दरवाज़ा बंद करता है। मानव को देख देव को अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था। वह मानव को आँखें बड़ी-बड़ी करके देख रहा था। मानव जो रूम में आने के बाद तुरंत चेंज करने चला गया था, वह जब बाहर आता है तब भी देव उसे ऐसे ही देख रहा था। यह देख मानव पूछता है- "ऐसे क्या देख रहा है? मुझे पहचान नहीं रहा क्या?" देव ऐसे ही देखते हुए- "नहीं, मतलब हाँ, मतलब नहीं…" मानव देव के पास आकर उसके सिर पर मारते हुए- "क्या कह रहा है? हीँ नहीं हाँ नहीं…" देव- "मानव, तू भीगा कैसे? मतलब तू बारिश में भीगकर आया है?"

    मानव कुछ देर पहले जो हुआ उसे सोचते हुए- "मुझे छत पे वो लड़की मिली थी और मैंने उसे…" इतना कहते-कहते वह रुक जाता है। उसे रुकते देख देव पूछता है- "कौन सी लड़की? और तूने उसे क्या...?" मानव बेड पर लेटते हुए- "नींद आ रही है।" देव- "रही?" मानव आँखें बंद करके- "कुछ नहीं, सो जा। मुझे बहुत… मुझे नींद नहीं आ रही…" देव- "ठीक है, तो जागकर मुझे पहरा दे और हाँ, मुझे disturb मत करना। Good night।" इतना कहकर मानव दूसरी ओर करवट बदल लेता है। देव मानव को देखते हुए अपने मन में कहता है- "कुछ तो हुआ है जो तू मुझे नहीं बता रहा, और वो कौन लड़की? और तूने उसे क्या? (फिर वो भी लेटते हुए) कल मैं जानकर रहूँगा।" इतना कहकर वह भी अपनी आँखें बंद कर लेता है।

    देव के सोते ही मानव अपनी आँखें खोलता है और एक बार देव को देखता है और आँखें बंद करके उस लड़की के चेहरे को याद करने लगता है। उसे नींद नहीं आ रही थी। To be continue…

  • 4. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 4

    Words: 1072

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह भूमि की नींद रूम में गहरी थी। पीहू ने उसे जल्दी उठाया। पीहू की आवाज़ सुनकर भूमि जल्दी से उठी और पीहू को देखते हुए बोली, "क्या हुआ? सुबह हो गई क्या?" घड़ी को देखकर बोली, "अभी तो 5:00 बजे हैं। तूने मुझे इतनी जल्दी क्यों उठाया?"

    पीहू भूमि को घूरते हुए भूमि के कॉलर बोन की ओर इशारा करते हुए बोली, "ये क्या है? और तुझे ऐसा निशान किसने दिया? कल रात तो तू बारिश में भीग रही थी, ना?"

    भूमि अपने कॉलर बोन पर देखती है, पर उसकी नज़र उस निशान पर नहीं जाती। पीहू भूमि को पकड़कर शीशे के सामने खड़ा कर देती है और कहती है, "देख, ये निशान। तुझे पता है, इसे क्या कहते हैं?"

    भूमि शीशे में देखती है और उस निशान को देखकर कल रात की बात याद आ जाती है। उसके गाल थोड़े लाल हो जाते हैं। पर पीहू उस पर ध्यान नहीं देती और कहती है, "इसे 'love bite' कहते हैं, जो लड़कियों को किसी लड़के के काटने या चूसने से होता है। पर तेरे साथ ऐसा कौन करेगा? जबकि कल तो ऐसा कुछ नहीं था।" इतना कहते-कहते उसकी नज़र भूमि पर जाती है, जिसका चेहरा किसी सेब की तरह लाल हो गया था। यह देख पीहू की आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं और वह कहती है, "भूमि, इसका मतलब सच में किसी लड़के ने तुझे..."

    इतना ही पीहू कह पाई थी कि बाहर से आवाज़ आती है, "भूमि, क्या तू अभी भी सो रही है? बेटा, जल्दी तैयार होकर बाहर आ, तेरे हल्दी का रस्म होना है।"

    "हाँ-हाँ, काकी आईं।" इतना कहकर भूमि जल्दी से अलमारी से दो पैकेट निकालती है और बाथरूम में चली जाती है। पीहू वहाँ खड़ी अभी भी सोच रही थी। फिर कुछ सोचते हुए बोली, "ऐसा कैसे हो सकता है? भूमि तो किसी लड़के से ढंग से बात करना तो दूर, देखती भी नहीं। तो कहीं कल जीजाजी..."

    इतना सोचते ही पीहू को भी शर्म आ जाती है और वह शर्माते हुए कमरे से बाहर चली जाती है।

    कुछ देर बाद सब हॉल में थे और भूमि सबके बीच बैठी थी। वह बहुत प्यारी लग रही थी, येलो कलर की लहँगा पहने, कानों में झुमके, गले में हार, हाथों में चूड़ियाँ, बाल खुले हुए थे और एक तरफ़ कर रखे थे ताकि उसकी गर्दन के निशान कोई न देख पाए। सब भूमि को हल्दी लगा रहे थे। तभी वहाँ मानव और देव आते हैं। मानव इधर-उधर देख रहा था और देव सबके बीच बैठी लड़की को। पर जब वह भूमि को देखता है तो उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं और वह मानव को देखकर कहता है—

    "यार, तेरा तो पत्ता लगने से पहले ही कट गया।"

    मानव कन्फ़्यूज़ होकर देव को देखता है तो देव उसका चेहरा सामने करते हुए कहता है, "मुझे नहीं, सामने देख। ये तो वही लड़की है ना जो हमारी कार के सामने आ गई थी और आज इसकी ही शादी है।"

    मानव को देव की कोई भी बात सुनाई नहीं देती, वह तो बस सामने भूमि को देख रहा था जो किसी परी की तरह लग रही थी। तभी देव उसे हिलाते हुए कहता है, "अरे, इतना मत देख। वो किसी और की है। आज इसकी शादी है। (नाटक करते हुए) हाये, मैं तो अपने भाभी से मिलकर भी बिछड़ गया।"

    मानव देव को घूरते हुए अपना बकवास बन्द कर इतना कहकर वहाँ से जाने लगता है तो देव भी उसके पीछे जाते हुए कहता है, "मुझे पता है कल रात तू इसी लड़की की वजह से बारिश में भीगा था और तूने इसके साथ कुछ किया भी था।"

    पर मानव पीछे मुड़कर कहता है, "तुझे अपनी सकल प्यारी नहीं है क्या?"

    देव मानव की बात सुनकर एकदम चुप हो जाता है। यह देख मानव आगे जाने लगता है और देव भी चुपचाप उसके पीछे-पीछे जाने लगता है।

    वही मानव को उसके आने के बाद से देख रही थी और उसने देव की हर एक बात भी सुनी थी। उन दोनों के जाने के बाद वह गुस्से में भूमि को देखती है और कहती है, "ये चुड़ैल यहाँ से जा रही है पर फिर भी मेरे चीजों पर अपनी मनहूस नज़र डाल रही है।"

    इतना कहकर वह वहाँ से दूसरी तरफ़ चली जाती है।

    हल्दी की रस्म हो गई थी और अभी शाम के 6:00 बज रहे थे। प्रदीप जी इधर-उधर घूम रहे थे। तभी वह देखते हैं कि अंजना जी दूर किसी से फ़ोन पर बात कर रही हैं। यह देख प्रदीप जी खुद से कहते हैं, "ये अंजना भी ना, अभी बारात आने ही वाली है और..." इतना कहकर वह अंजना जी के पास जाने लगे। पर उनके थोड़ा पास जाते ही वह कुछ ऐसा सुनते हैं, जिसे सुनकर उनके पैरों तले ज़मीन खिसक जाती है और उनकी आँखें नम हो जाती हैं।

    कुछ देर बाद बात करके जब अंजना जी पलटती हैं तो अपने सामने प्रदीप जी को देख चौंक जाती हैं और उनके चेहरे पर डर दिखने लगता है। वह कुछ कहते ही तभी बाहर बहुत सारी बैंड-बाजे की आवाज़ आती है। यह सुनकर अंजना जी मुस्कुराते हुए कहती हैं, "लो जी, बारात भी आ गई। चलिए।" इतना कहकर वह जल्दी से चली जाती हैं और प्रदीप जी वहीं बुद्धिहीन खड़े रह गए। उन्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि अब क्या करें।

    कुछ देर बाद भूमि और गगन (भूमि जिससे शादी हो रही है) बैठे थे और पुरोहित मंत्र पढ़ रहे थे। सभी चारों ओर खड़े हुए शादी देख रहे थे। वहाँ मानव और देव भी थे। मानव जो भूमि के चेहरे को ही देखे जा रहा था, उसके चेहरे पर मानव की नज़र हट ही नहीं रही थी। लाल रंग की लहँगा और हल्के मेकअप में भूमि अप्सरा लग रही थी।

    शादी ही हो रही थी कि तभी वहाँ एक जोरदार आवाज़ आती है, "मंत्र पढ़ना बन्द कीजिये, पुरोहित जी!"

    इस आवाज़ को सुनकर सब पीछे देखते हैं। पीछे प्रदीप जी खड़े थे। यह देख अंजना जी जल्दी से उनके पास जाती हैं और कहती हैं, "ये आप क्या कह रहे हैं? मंत्र नहीं पढ़ेंगे तो शादी कैसे होगी?"

    प्रदीप जी कहते हैं, "ये शादी नहीं होगी।" अब आगे क्या होगा? प्रदीप जी ने ऐसा क्या सुन लिया? और उन्होंने भूमि की शादी क्यों रोकी?

    क्रमशः

  • 5. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 5

    Words: 1093

    Estimated Reading Time: 7 min

    प्रदीप जी की बात सुनकर भीड़ में ग़ुस्सा और बड़बड़ाहट शुरू हो गई। रवि जी प्रदीप जी के पास गए और पूछा, "ये क्या हो रहा है? शादी क्यों नहीं होगी?"

    प्रदीप जी ने कहा, "क्योंकि यह लड़का मेरी भूमि के लायक नहीं है।"

    प्रदीप जी की यह बात सुनकर गणेश जी (गगन के पिता) गुस्से में बोले, "ये सब क्या है प्रदीप जी? मेरे बेटे आपकी बेटी के लायक नहीं? और आपकी बेटी मेरे बेटे के लायक नहीं? मेरे बेटे को इसकी सूरत पसंद आ गई इसलिए उसने ज़िद पकड़ ली है शादी के लिए। मैं कभी अपनी बेटे की शादी ऐसी जगह नहीं कराऊँगा।"

    गणेश जी की बात सुनकर पीहू, जो भूमि के पास ही खड़ी थी, उनके पास गई और बोली, "काकाजी, हमारी भूमि गवार नहीं है उसने..." उसकी बात पूरी होने से पहले ही अंजना जी बोलीं, "तू चुप रह! (फिर गणेश जी के आगे हाथ जोड़ते हुए) गणेश जी, देखिए, जो भी हुआ भूल जाइए और शादी शुरू कराइए। इस कलमुही को ले जाइए।"

    अंजना जी की बात सुनकर प्रदीप जी गुस्से में बोले, "तुम चुप रहो! मेरी बेटी गवार नहीं है और ना ही यह शादी होगी। (फिर धीरे से गणेश जी से) अगर आप चाहते हैं कि मैं आप लोगों की सच्चाई सबको ना कहूँ, तो यहाँ से चले जाइए।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर गणेश जी कन्फ़्यूज़्ड चेहरे से पूछा, "कौन सी सच्चाई? (फिर खुद के सिर को झटकते हुए) जो भी हो, अब यह शादी नहीं होगी।"

    इतना कहकर वह गगन के पास गया और गगन को लेकर वहाँ से चला गया। उसके पीछे-पीछे सारे बाराती भी चले गए। अब सारे गाँव वाले भूमि को देख रहे थे। जो अभी एक मूर्ति की तरह बैठी थी, वह वहाँ बैठी एकटक हवन कुंड में जलती आग को देख रही थी। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं था, न वह खुश थी और न ही रो रही थी। भूमि को देखकर बहुत सारे लोग उसे दया की नज़र से देख रहे थे और बहुत से लोग उसे ही इस सबका ज़िम्मेदार कह रहे थे। यह सब देखकर अंजना जी के चेहरे पर जीत की मुस्कान थी, पर फिर वह रोने का नाटक करते हुए बोलीं, "इस कलमुही की वजह से हमारी जो इज़्ज़त थी, वह भी गई। इसने अपने माँ को तो जन्म लेते ही खा लिया और अब हमारी इज़्ज़त भी खा गई। अब यह हमें भी खा जाएगी, राक्षसी! और देखो तो कितनी बेरहम बैठी है इतना सब करके भी!"

    अंजना जी के इतना कहते ही मानव उसके सामने आ गया और बोला, "आप भूमि को क्यों ब्लेम कर रही हैं? इसमें भूमि की क्या गलती है? (प्रदीप जी को देखते हुए) अंकल, आप बताइए, आपने यह शादी क्यों रोकी?"

    मानव की बात सुनते ही प्रदीप जी कुछ बोलते, इतने में पुरोहित बोला, "मुहूर्त निकलता जा रहा है। अगर मुहूर्त निकल गया तो यह लग्न भ्रष्ट हो जाएगी।"

    पुरोहित की बात सुनकर सब उनको देखने लगे। अंजना जी भूमि के पास गईं और उसके बाल खींचकर उसके गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा और बोलीं, "तू मर क्यों नहीं जाती? अपने माँ को तो खाया ही, अब क्या हमें भी खाना चाहती है?" इतना कहकर वह फिर से भूमि को मारने गईं, तो इतने में वहाँ पीहू आ गई और अंजना जी को रोकते हुए बोली, "आपकी समस्या क्या है? क्यों हमेशा भूमि को हर बात के लिए दोष देती हैं? आप..."

    पीहू की बात खत्म होते ही वहाँ प्रदीप जी आ गए और अंजना जी के गाल पर जोरदार थप्पड़ मार दिया और बोले, "तुम किस हक से मेरी बेटी पर हाथ उठा रही हो?"

    प्रदीप जी की बात सुनकर रवि जी भी बोले, "हाँ, भाभी, आप ऐसे भूमि पर हाथ नहीं उठा सकतीं। इसमें भूमि की क्या गलती है? और आजकल यह सब लग्न-बग्न कोई नहीं मानता।"

    रवि जी की बात सुनकर अंजना जी बोलीं, "कोई नहीं मानता? यह बात सिर्फ़ शहर में होती है, गाँव में नहीं। अब तो इसे मरना ही होगा, वरना मैं इसे मार डालूँगी। इस कलमुही ने हमारा सब कुछ बर्बाद कर दिया।"

    रवि जी बोले, "भाभी, भूमि बहुत अच्छी लड़की है और उसे उस लड़के से भी बहुत अच्छा लड़का मिलेगा। आप उसे ऐसे मत कहिए।"

    रवि जी की बात सुनकर गाँव के एक आदमी ने कहा, "कोई शादी नहीं करेगा एक लग्न भ्रष्ट लड़की से।" उस आदमी की बात सुनकर दूसरे आदमी ने भी कहा, "हाँ, और अगर आपको लगता है कि लग्न भ्रष्ट होने से कुछ नहीं होता, तो अपने बेटे से ही क्यों नहीं शादी करा देते?"

    उस आदमी की बात सुनकर वहाँ सब शांत हो गए। फिर कुछ देर बाद मीरा जी बोलीं, "ये आप क्या बातें कर रहे हैं? मानव के साथ भूमि की शादी..."

    उनकी बात खत्म होने से पहले ही अंजना जी बोलीं, "हाँ, भाइसाहब, ये तो कितने बड़े लोग हैं! ये क्यों अपने बेटे की शादी इस गवार से कराएगा? (रवि जी को देखते हुए) कहने को तो सिर्फ़ दोस्त हैं, सच्चे दोस्त बनना इतना आसान..."

    उनकी बात काटते हुए प्रदीप जी चिल्लाकर बोले, "तुम ये सब क्या कह रही हो रवि को? (फिर सारे मेहमानों को देखते हुए) यहाँ कोई शादी नहीं होगी और मैं आप सबसे माफ़ी चाहता हूँ यहाँ जो भी हुआ उसके लिए। अब आप सब जा सकते हैं।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर सब जाने लगे, तो रवि जी बोला, "कोई नहीं जाएगा। यहाँ शादी होगी और आज ही होगी।" उनकी बात सुनकर सब रुक गए और उनको देखने लगे। तो रवि जी भूमि के पास गए, जो अंजना जी की मार खाने के बाद भी वैसे ही बैठी थी, एक मूर्ति बनकर। रवि भूमि के पास बैठ गए और उसके सिर को सहलाते हुए बोले, "आज भूमि और मेरे बेटे मानव की शादी होगी, इसी मंडप पर।"

    रवि जी की बात सुनकर भूमि उनकी ओर देखती है, तो रवि जी मुस्कुरा देते हैं। रवि जी की बात सुनकर बाकी सब चौंक गए थे।

    अब आगे क्या होगा? क्या मानव और भूमि की शादी होगी? क्या मानव शादी के लिए हाँ कहेगा?

  • 6. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 6

    Words: 1124

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवि जी की बात सुनकर प्रदीप जी ने कहा, "रवि, तू यह क्या कह रहा है? देख, तुझे अपनी सच्ची दोस्ती का सबूत देने के लिए यह सब करने की कोई ज़रूरत नहीं है। मुझे पता है तू मेरा सच्चा यार है।"

    रवि जी प्रदीप जी को देखते हुए बोले, "नहीं प्रदीप, मैं भूमि और मानव की शादी की बात तुझसे करने वाला था, पर उससे पहले तूने मुझे फ़ोन करके भूमि की शादी के लिए आने को कह दिया। इसलिए मैंने कुछ नहीं कहा। पर अब मेरे पास एक मौका है भूमि को अपने घर की लक्ष्मी बनाने का, तो मैं इस मौके को कैसे छोड़ सकता हूँ?"

    रवि जी की बात सुनकर मीरा जी गुस्से में बोलीं, "यह आप क्या कह रहे हैं? मानव के साथ भूमि की शादी? यह कभी नहीं हो सकती। भूमि मानव के लायक नहीं है।"

    रवि जी ने कहा, "तुम चुप रहो मीरा। भूमि अगर मानव के लायक नहीं है, तो इस दुनिया की कोई भी लड़की मानव के लायक नहीं है।"

    रवि जी की बात सुनकर मानव, जो कब से यह सारा तमाशा देख रहा था, उसे यह बात अच्छी नहीं लगी। उसने कहा, "डैड, आप यह सब क्या कह रहे हैं? मैं यहाँ शादी में आया हूँ, ना कि खुद शादी करने। यह शादी नहीं करूँगा, डैड।"

    रवि जी मानव के पास गए और उसका हाथ पकड़कर वहाँ से ले जाते हुए बोले, "पंडित जी, आप सब कुछ तैयार कीजिए। शादी होगी।"

    इतना कहकर वे मानव को लेकर वहाँ से चले गए। उनके पीछे-पीछे मीरा जी भी गईं। रवि जी मानव को एक कमरे में ले गए।

    कमरे में आते ही मानव ने कहा, "डैड, आप यह क्या कर रहे हैं? मैं..."

    रवि जी मानव की बात काटते हुए बोले, "तुम्हें यह शादी करनी होगी। और भूमि बहुत अच्छी लड़की है, तुम उसके साथ खुश रहोगे।"

    मानव ने कहा, "मुझे पता है डैड कि भूमि एक अच्छी लड़की है, पर वह मेरे टाइप की नहीं है।"

    मानव की बात खत्म होते ही पीछे से मीरा जी आते हुए बोलीं, "हाँ, और ना ही हमारे स्टेटस की है। उसे मैं कभी अपनी बहू के रूप में स्वीकार नहीं करूँगी।"

    रवि जी ने कहा, "मुझे कुछ नहीं सुनना। (मानव को देखकर) अगर तुम मुझे अपना डैड मानते हो, तो तुम्हें यह शादी करनी ही होगी। और अगर तुम यह शादी नहीं करोगे, तो तुम मुझे कभी डैड कहकर नहीं बुलाओगे।"

    रवि जी की बात सुनकर मानव और मीरा जी शांत हो गए। मानव ने कहा, "डैड, आप..."

    रवि जी ने हाथ दिखाते हुए कहा, "क्या तुम शादी करने के लिए राजी हो? अगर हो, तो ही मुझे डैड कहना।"

    मानव गुस्से में दाँत पीसते हुए बोला, "ठीक है, मैं यह शादी करूँगा। पर शादी के बाद जो भी होगा, उसके लिए आप जिम्मेदार होंगे।"

    इतना कहकर मानव उस कमरे से निकल गया। मीरा जी रवि जी को देखकर बोलीं, "आपने मेरे बेटे के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है।"

    इतना कहकर वे भी कमरे से निकल गईं। रवि जी उन्हें जाते देख बोले, "तुम दोनों को अभी नहीं, पर बहुत जल्द समझ आ जाएगा कि भूमि से ज़्यादा अच्छी और मासूम लड़की हमें मानव के लिए कहीं नहीं मिलेगी।"

    इतना कहकर वे भी उस कमरे से निकल गए और हाल में सबके पास आकर पंडित जी को देखकर बोले, "मानव कुछ देर में आ रहा है।"

    प्रदीप जी एकटक रवि जी को देख रहा था और उसकी आँखों में आँसू थे। रवि जी उसके पास आकर बोले, "अरे, तू रो क्यों रहा है? अभी तो हम समधी बनने जा रहे हैं।"

    प्रदीप जी ने हाथ जोड़कर कहा, "मैं तुझे क्या कहूँ? मेरे पास शब्द नहीं हैं।"

    रवि जी ने प्रदीप जी को गले लगाकर कहा, "तो कुछ मत बोल।"

    वे दोनों गले लगे ही थे कि इतने में वहाँ मानव आ गया। मानव ने एक लाल रंग की शेरवानी पहनी हुई थी, जिसमें वह किसी राजकुमार की तरह लग रहा था। मानव किसी ओर नहीं देखता और सीधा जाकर भूमि के पास मंडप पर बैठ गया। उसके चेहरे पर अभी कोई भाव नहीं था। सब उन्हें दोनों को देख रहे थे। वहाँ आने के बाद मानव ने एक बार भी भूमि को नहीं देखा, पर भूमि चुपके से मानव को देखती रही। मानव को देखकर कल रात की सारी यादें आ गईं और वह शर्म से अपनी पलकें झुका लेती है।

    पंडित जी मंत्र पढ़ना शुरू करते हैं। देव और पीहू मानव और भूमि के पीछे खड़े थे और बाकी सब मंडप के आसपास खड़े होकर शादी देख रहे थे। पर यहाँ पर तीन लोग नहीं थे: एक मीरा जी, जो अपने कमरे में बैठी थीं, और बाकी अंजना जी और पाखी नहीं थे।

    सारे रीति-रिवाज निभाकर शादी संपन्न होती है। शादी होते ही मानव भूमि का हाथ पकड़कर घर से बाहर जाने लगता है। यह देख रवि जी पूछते हैं, "तुम भूमि को कहाँ लेकर जा रहे हो, मानव?"

    मानव रुककर रवि जी को देखते हुए कहता है, "अब यह मेरी पत्नी है, और मैं अपनी पत्नी को जहाँ मन हो, वहाँ लेकर जा सकता हूँ।"

    इतना कहकर मानव भूमि को घर से बाहर ले आता है। बाहर आकर मानव कार का गेट खोलकर भूमि को अंदर धकेल देता है और खुद दूसरी तरफ जाकर गेट खोलकर ड्राइविंग सीट पर बैठ जाता है। और कार स्टार्ट करके फुल स्पीड में वहाँ से निकल जाता है। वहीं भूमि, जो यह सब अपना सिर झुकाए चुपचाप देख रही थी, वह कार की इतनी स्पीड से डर जाती है और सीट को कसकर पकड़कर अपनी आँखें बंद कर लेती है।

    वहीं मानव और भूमि के जाने के बाद सब फिर से कुसुर्-फुसुर शुरू कर देते हैं। यह देख प्रदीप जी रवि जी से पूछते हैं, "यह सब क्या है रवि? मानव मेरी भूमि को कहाँ लेकर गया?"

    प्रदीप जी की बात सुनकर रवि जी की आँखें नीचे हो जाती हैं। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वे क्या कहें। तभी देव कहता है, "क्या अंकल कहाँ लेकर जाएगा? अपनी पत्नी को घर ही लेकर गया है।"

    प्रदीप जी कहते हैं, "पर इतनी जल्दी? अभी तो शादी हुई कुछ देर पहले।"

    देव प्रदीप जी की बात काटते हुए कहता है, "अरे अंकल, यहाँ से शहर काफी दूर है, इसलिए मानव जल्दी चला गया। फिर रवि जी को देखते हुए कहता है, अंकल, हमें भी चलना चाहिए। वहाँ भी तो सबको बताना है और कितना सारा इंतज़ाम भी तो करना है।"

    देव की बात सुनकर रवि जी मुस्कुराते हुए कहते हैं, "हाँ, सही कहा।"

    अब आगे क्या होगा? मानव क्या सच में भूमि को घर लेकर गया है? अब क्या होगा भूमि के साथ?

  • 7. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 7

    Words: 1069

    Estimated Reading Time: 7 min

    रवि, मीरा और देव दिल्ली पहुँचे और मित्तल हाउस के बाहर खड़े हुए। गार्ड ने गेट खोला और कार अंदर गई। करीब 5 मिनट बाद कार पार्किंग में रुकी और रवि, मीरा और देव बाहर निकले और घर के अंदर चले गए।

    अंदर आते ही मीरा ने पूछा, "मानव कहाँ है? और वो लड़की कहाँ है? कहीं उसे मानव के रूम में तो नहीं रहने दिया ना?"

    मीरा की बात सुनकर वहाँ बैठी किसी को कुछ समझ नहीं आया। वहाँ बैठी एक औरत ने पूछा, "भाभी, मानव तो आप लोगों के साथ गया था ना, तो वो यहाँ कैसे होगा? और कौन सी लड़की? और आप लोग इतनी रात को क्यों आए? आप लोग तो कल आने वाले थे ना?"

    उस औरत की बात सुनकर मीरा कुछ कहती, उससे पहले रवि बोला, "हाँ, वानी, मानव हमारे साथ ही गया था, पर वो शादी के बाद भूमि को लेकर..."

    रवि और कुछ कहते, इतने में वहाँ बैठा एक और आदमी बोला, "आप क्या कह रहे हैं भैया? मानव भूमि को लेकर क्यों आएगा? आज तो उसकी ही शादी थी ना?"

    उस आदमी की बात सुनकर रवि कुछ कहता, इतने में मीरा रोते हुए वहाँ जो कुछ हुआ सब कह दिया। मीरा की बात सुनकर वहाँ सब हैरान रह गए। वो आदमी बोला, "भैया, आपने मानव की मर्ज़ी के बगैर उसे ब्लैकमेल करके उसकी शादी करा दी।"

    आदमी की बात सुनकर वानी जी भी बोलीं, "हाँ, राजेश भैया ने सही कहा भैया। आपने ये सही नहीं किया। आप मानव के साथ एक गाँव की लड़की की शादी कैसे करा सकते हैं?"

    रवि बोला, "मैंने जो किया है, मानव के अच्छे के लिए किया है और अब मुझे इस बारे में कुछ नहीं सुनना। (देव को देखकर) देव, जल्दी से पता करो मानव और भूमि कहाँ हैं? वो घर क्यों नहीं आए?"

    रवि की बात सुनकर देव अपना सिर हाँ में हिलाया और अपना फ़ोन लेकर सीढ़ियों से ऊपर चला गया।

    वहाँ एक सुनसान जगह थी जहाँ पर एक बहुत सुंदर farmhouse बना था। उस farmhouse के दूर-दूर तक कुछ नहीं दिख रहा था। तभी वहाँ एक कार आकर रुकी और कार से एक बहुत ही हैंडसम लड़का, जिसने शेरवानी पहन रखी थी, वो उतरा और अपने साइड में देखा जहाँ एक खूबसूरत सी लड़की दुल्हन के जोड़े में सो रही थी। वो कुछ देर उस लड़की को देखा, फिर दूसरे साइड जाकर दरवाज़ा खोला, उस लड़की को अपनी गोद में उठा लिया और farmhouse के अंदर चला गया।

    वो लड़का उस लड़की को एक कमरे में ले आया और बिस्तर पर लिटा दिया और उसके चेहरे को देखा। कुछ देर देखने के बाद वो उस रूम से बाहर निकल गया।

    2 घंटे बाद उस लड़की की नींद खुली। वो लड़की चारों ओर देखती है और खुद को एक बड़े से कमरे में पाती है। फिर उसे कुछ देर पहले हुई घटना याद आती है। जिसे याद करते ही वो लड़की जल्दी से बिस्तर से नीचे उतर जाती है और कहती है, "भूमि, तू सो कैसे सकती है? आज तू पहली बार ससुराल आई है, सब तेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे? (अपने पेट पर हाथ रखकर) और मुझे तो अब बहुत ज़्यादा भूख भी लगी है।"

    भूमि बड़बड़ाते हुए रूम से बाहर निकल जाती है तो सब कुछ अंधेरा था। सब अंधेरा देख भूमि कहती है, "सब इतना अंधेरा क्यों है? सारे घरवाले सो गए क्या? (फिर कुछ सोचकर) अगर सारे घरवाले सो गए तो मानव जी कहाँ है? वो तो कमरे में नहीं थे।"

    इतना कहते-कहते भूमि को सामने एक कमरे से रोशनी निकलती दिखती है। रोशनी देख भूमि उस कमरे की ओर जाने लगती है।

    वहाँ मानव स्टडी रूम में अपना काम कर रहा था। कुछ देर बाद मानव अपना लैपटॉप बंद करता है और आँखें मलते हुए घड़ी की ओर देखता है तो रात के 2:00 बज रहे थे। फिर चेयर से उठकर स्टडी रूम से बाहर जाने लगता है।

    मानव रूम से निकल ही रहा था कि तभी वो किसी से टकरा जाता है और वो जिससे टकराया था, वो नीचे गिर जाती है। मानव जब देखता है तो नीचे भूमि गिरी थी, जो नीचे गिरते ही अपनी नज़रें नीचे करके उठने की कोशिश कर रही थी।

    यह देख मानव भूमि की ओर अपना हाथ बढ़ाता है और भूमि भी मानव के हाथ पर अपना हाथ रख देती है और उठ खड़ी होती है। फिर मानव भूमि को देखकर पूछता है, "तुम कब जगी? और तुम यहाँ क्या कर रही थी?"

    भूमि नीचे देखते हुए कहती है, "वो, मैं थोड़ी देर पहले ही नींद से जगी हूँ और बाहर आई तो हर जगह अंधेरा था और यही रोशनी थी तो मैं यहाँ आ गई।"

    मानव वहाँ से जाते हुए कहता है, "मेरे साथ आओ।"

    मानव की बात सुनकर भूमि उसके पीछे-पीछे जाने लगती है। कुछ देर बाद मानव और भूमि उसी रूम में खड़ी थीं जिसमें भूमि सो रही थी। भूमि मानव को एकटक नज़रों से देख रही थी। तभी मानव भी भूमि को देखते हुए कहता है, "मैं तुम्हें कुछ बात clear कर देना चाहता हूँ। देखो, ये शादी डैड ने मुझे ब्लैकमेल करके कराई है। मैं कभी तुम्हें अपनी wife नहीं मान सकता। तुम सिर्फ़ दुनिया वालों के सामने ही मेरी wife बनकर रहोगी, पर बंद कमरे में हमारा कोई रिश्ता नहीं।"

    मानव की बात सुनकर भूमि की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वो अपने आँखों में आँसू लेकर मानव को देखने लगती है। ना जाने क्यों मानव को भूमि की आँखों में आँसू देख अच्छा नहीं लग रहा था, पर वो कुछ नहीं कहता और रूम से बाहर जाते हुए कहता है, "बहुत रात हो गई है, सो जाओ और कल हमें मित्तल हाउस जाना है और अगर कुछ चाहिए हो तो आवाज़ दे देना, मैं बगल वाले रूम में ही हूँ।"

    इतना कहकर मानव रूम से निकल जाता है। मानव के जाते ही भूमि बिस्तर पर बैठ जाती है और अपने आँसू पोछकर घुटनों पर अपना मुँह छुपा लेती है, पर वो रोती नहीं है।

    अब आगे क्या होगा? क्या मानव कभी भूमि को अपनाएगा?

    To be continue

  • 8. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 8

    Words: 1111

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह का वक्त था।

    मित्तल हाउस में, एक बुज़ुर्ग महिला, सोफ़े पर बैठी, सबको आदेश दे रही थीं। "सब कुछ अच्छे से तैयार करो, रामू। इधर आ, और जल्दी जाकर मीरा को बुला ला। घर में लक्ष्मी आ रही हैं, और ये मुँह फुलाए बैठी है। ओये चम्पा, उस कलश को दरवाजे पर रख। मानव बहू को लेकर आ ही रहा होगा।"

    एक खूबसूरत लड़की, जो मीनाक्षी जी (दादी जी) के पास बैठी थी, दरवाजे को देखते हुए कहती है, "दादी, ब्रो कब तक आएगा? मैं कब से भाभी को देखने के लिए बैठा हूँ, अभी भी नहीं आया। मुझे आज पार्लर भी जाना है।"

    तभी पीछे से एक लड़के की आवाज़ आती है। "माही, कल ब्रो की फर्स्ट नाइट थी, तो सुबह लेट उठेगा। और अगर लेट उठेगा, तो आने में भी लेट होगा। तो तू आज पार्लर जाने का प्लान कैंसिल कर दे।"

    उस लड़के की बात सुनकर, उसके साथ आया दूसरा लड़का कहता है, "पापा नहीं, बड़े पापा! एक गाँव की लड़की से ब्रो की शादी क्यों कराई? कहाँ ब्रो और कहाँ कोई गाँव की छोड़ी?"

    उन दोनों की बात सुनकर, पीछे से रवि जी आते हुए कहते हैं, "वो तुम दोनों की भाभी है, तो भाभी कहो। समझे? और मानव या भूमि के सामने तुम दोनों ये सब नहीं कहोगे।"

    रवि जी की बात खत्म होते ही राजेश जी आ जाती हैं और कहती हैं, "आप गुस्सा क्यों हो रहे हैं? आर्यन और निशांत तो ठीक ही कह रहे हैं। कहाँ हमारा मानव और कहाँ वो लड़की?"

    रवि जी गुस्से में कहते हैं, "मैंने कल ही कह दिया था कि इस बारे में कोई कुछ नहीं कहेगा। और एक बात, भूमि के साथ कोई मिसबिहेव नहीं करेगा।"

    रवि जी की बात सुनकर दादी जी कहती हैं, "हाँ, वो इस घर की लक्ष्मी हैं। उसके साथ कोई दुर्व्यवहार नहीं करेगा।"

    दादी जी की बात खत्म होते ही बाहर से कार रुकने की आवाज़ आती है। आवाज़ सुनकर सब दरवाजे की ओर देखते हैं। तो मीरा जी, जो कुछ देर पहले ही बाहर आई थीं, वह बाहर से जाने लगती हैं। दादी उन्हें रोकते हुए कहती हैं, "रुको मीरा, मानव घर में बहू लेकर आ रहा है, तो तुम यहीं रहो और उनका स्वागत करोगी।"

    मीरा जी कहती हैं, "पर मोम, मैं..."

    मीनाक्षी जी कहती हैं, "परंतु कुछ नहीं। मुझे पता है तुम बहू को पसंद नहीं करती हो, पर अब शादी तो हो गई है, तो अब तुम्हें उसे मानना ही होगा।"

    मीनाक्षी जी की बात खत्म होते ही मानव और भूमि दरवाजे के बाहर आ जाते हैं। मानव घर के अंदर आने ही वाला था कि मीनाक्षी जी उसे रोक लेती हैं। "बही, रुक जाओ।"

    मीनाक्षी जी के रोकने से मानव रुक जाता है और मीनाक्षी जी को देखने लगता है। कुछ कहने ही वाला था कि मीनाक्षी जी फिर से कहती हैं, "चम्पा, दरवाजे पर कलश रख।"

    मीनाक्षी जी की बात सुनकर चम्पा जल्दी से कलश, जिसके अंदर चावल थे, वो दरवाजे पर रखती है। कलश रखते ही मीनाक्षी जी मीरा जी की ओर देखती हैं। मीरा जी मुँह बिगड़ते हुए चम्पा से दीये की थाली लेकर मानव और भूमि के पास जाती हैं और भूमि को गुस्से में देखकर कहती हैं, "इस कलश को पैर से गिराकर अंदर आओ।"

    मीरा जी की बात सुनकर भूमि सिर नीचे किए कलश को पैर से गिराकर अंदर आती है, और उनके साथ मानव भी आता है। भूमि के अंदर आते ही माही दौड़कर भूमि के पास जाती है और उसे हग करते हुए कहती है, "अरे बड़े पापा, आप तो चाँद को लेकर आ गए हमारे घर! मेरी भाभी कितनी खूबसूरत हैं! (भूमि से अलग होकर उसकी बुरी नज़र उतारते हुए) किसी की नज़र न लगे मेरी भाभी पे!"

    माही की बात सुनकर भूमि का चेहरा शर्म से लाल हो जाता है, और वह नज़रें उठाकर एक बार सबको देखती है, फिर नज़रें नीचे कर सबके पैर छूकर आशीर्वाद लेती है। पर जब मीरा जी के पैर छूने जाती है, तो मीरा जी वहाँ से चली जाती हैं। मीरा जी के ऐसे व्यवहार से भूमि को बहुत बुरा लगता है, और उसकी आँखों में नमी आ जाती है। पर वह अपनी आँखों की नमी को सबसे छुपा लेती है। पर मानव, जो कब से भूमि को देख रहा था, वह यह देख लेता है, पर कुछ कहता नहीं और वहाँ से ऊपर अपने रूम में चला जाता है। मानव को ऐसे वहाँ से जाते देख भूमि और भी उदास हो जाती है। उसे ऐसे देख माही हँसते हुए कहती है, "बैसे भाभी, हम ना आज रात आपकी और ब्रो की सुहागरात फिर से होगी।"

    माही की बात सुनकर भूमि उसे देखती है और शर्माकर अपनी नज़रें नीचे कर लेती है। तो माही फिर से कहती है, "अरे भाभी, आप शर्मा क्यों रही हैं? मैं..."

    माही और कुछ कहती, उससे पहले ही आर्यन कहता है, "हाँ भाभी, आप शर्मा क्यों रही हैं? वैसे भी कल तो आपकी और ब्रो की सुहागरात हो ही गई है, और आ..."

    आर्यन कुछ और कहता, उससे पहले ही मीनाक्षी जी, भूमि जो आर्यन की बात सुनकर सिर नीचे करके खड़ी थी, उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहती हैं, "बहू, तू बुरा मत मान, ये सब ऐसा ही है। (माही को देख) माही, तुम जाओ, बहू को रूम में लेकर जाओ।"

    मीनाक्षी जी की बात सुनकर माही भूमि को लेकर मानव के रूम की ओर चली जाती है।

    वहीं माही और भूमि के जाने के बाद मीनाक्षी जी गुस्से में आर्यन को देखते हुए कहती हैं, "तुम अपने शब्दों को ठीक रखो, आर्यन। वो तुम्हारी भाभी है, उन्हें सम्मान दो। अगली बार अगर तुम भूमि बहू के साथ ऐसे ही बात किया, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।"

    इतना कहकर मीनाक्षी जी वहाँ से चली जाती हैं। वहीं आर्यन को मीनाक्षी जी की बात पसंद नहीं आती, वो गुस्से में घर से निकल जाता है, और उसके पीछे-पीछे निशांत भी चला जाता है।

    फिर रवि जी, राजेश जी और वानी जी भी घर से बाहर चले जाते हैं।

    वहीं माही भूमि को लेकर मानव के रूम में आ गई थी। भूमि रूम में घुसते ही रूम को घूर-घूर कर देखने लगती है। माही भूमि को ले जाकर बेड पर बिठा देती है और कहती है, "ये है आपका और ब्रो का रूम। (कपड़े की अलमारी की ओर इशारा करके) यहाँ, राइट साइड में आपके लिए सारी रखी है, दादी ने रखवाई है। तो आप चेंज करके कुछ देर रेस्ट कर लीजिये। मैं बाद में आऊँगी, ठीक है?"

    भूमि माही को देख मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला देती है। फिर माही रूम से निकल जाती है, और भूमि कपड़े की अलमारी की ओर बढ़ जाती है। अब आगे क्या होगा? कौन-सी मोड़ लेगी भूमि की ज़िन्दगी?
    To be continued

  • 9. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 9

    Words: 1047

    Estimated Reading Time: 7 min

    भूमि ने अलमारी से एक नीले रंग की साड़ी निकाली और उसे बिस्तर पर रखकर आईने के सामने खड़ी हो गई। उसे कल जो कुछ हुआ था, सब याद आ रहा था। फिर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। कुछ देर बाद उसने अपनी आँखें खोलीं और अपने माथे पर लगा सिंदूर और गले में पहना मंगलसूत्र देखा।

    फिर एक गहरी साँस लेकर उसने अपनी चुनरी उतारी। चुनरी उतारते ही भूमि की नज़र उस कॉलर बोन पर बने हिचकी के निशान पर गई। हिचकी के निशान पर नज़र पड़ते ही भूमि को मानव से उसकी पहली मुलाकात याद आ गई। उसे याद करते ही भूमि का चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया। तभी उसे मानव की बात याद आई, "मैं कभी भी भूमि को अपनी पत्नी नहीं मान पाऊँगा।" यह याद आते ही भूमि की आँखों में आँसू आ गए, पर उसने अपने आँसुओं को गिरने नहीं दिया और एक गहरी साँस ली। फिर उसने अपने गहने उतारने शुरू किए, पर भूमि अपने गले की हार को नहीं निकाल पा रही थी। भूमि अपने गले की हार को खोलने की कोशिश ही कर रही थी कि तभी बाथरूम का दरवाज़ा खुला। दरवाज़े के खुलने की आवाज़ सुनकर भूमि पीछे मुड़ी तो पीछे मानव तौलिया लपेटे खड़ा उसे देख रहा था। मानव को सिर्फ़ एक तौलिये में देखकर भूमि ने अपनी नज़रें झुका लीं। पर तभी उसे कुछ ध्यान आया और वह जल्दी से नीचे गिरी चुनरी को उठाकर लपेट ली और फिर से सिर झुकाए खड़ी हो गई। भूमि क्या कहे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसका चेहरा पूरी तरह टमाटर की तरह लाल हो गया था।

    वहीं भूमि को ऐसे देखकर मानव को अपने अंदर कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था, पर उसने खुद को सम्हाला और भूमि से पूछा, "तुम मेरे रूम में क्या कर रही हो?"

    "वो दादी माँ ने माही को कहा कि मुझे इस कमरे में लाने को, तो माही मुझे इस कमरे में ले आई और कहा कि आज से मैं यहीं रहूँगी।" भूमि ने मानव की बात सुनकर नज़रें झुकाए हुए कहा।


    भूमि की बात सुनकर मानव कुछ नहीं बोला और चेंजिंग रूम में चला गया। मानव के जाते ही भूमि ने नज़र ऊपर करके देखा और कहा, "कैसा आदमी है? ऐसे कोई नौंगू-पौंगू घूमता है क्या? और मुझसे कह रहा है (मानव की तरह acting करते हुए) 'तुम मेरे रूम में क्या कर रही हो?' (मुँह बिगाड़ते हुए) करेला कुमार!"


    फिर भूमि आईने की ओर मुड़ी और फिर से चुनरी को साइड में रखकर अपने गले की हार को खोलने की कोशिश की, पर वह नहीं खुल रही थी। कुछ देर बाद मानव चेंजिंग रूम से बाहर आया और भूमि को ऐसे अपने गले की हार खोलने की कोशिश करते हुए देखकर उसके पास आ गया और भूमि के बालों को एक तरफ़ कर दिया।

    मानव के स्पर्श को महसूस करके भूमि सिहर उठी और आईने में मानव को देखने लगी। मानव भी आईने में भूमि को देख रहा था। दोनों कुछ देर ऐसे ही एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे। फिर भूमि ने नज़रें झुकाकर पीछे मुड़ी और जल्दी से खुद को चुनरी से ढँक लिया और कहा, "जी, आप वो... मैं ये..."

    मानव ने भूमि को और कुछ कहने नहीं दिया और उसे कंधे से पकड़कर फिर से घुमा दिया और कहा, "मैं तुम्हारी हेल्प कर देता हूँ।"

    इतना कहकर मानव ने भूमि की चुनरी उसे अलग करके साइड में रख दी और उसके बालों को साइड करके हार खोलने लगा। पर हार नहीं खुल रहा था। यह देख मानव ने अपने दाँतों से हार खोलना शुरू किया, जिससे मानव का होंठ भूमि को छू रहा था। इसे महसूस करके भूमि की आँखें अपने आप बंद हो गईं और वह काँप उठी। मानव ने भी भूमि के काँपने को महसूस किया और यह महसूस करते ही मानव ने आईने में भूमि के चेहरे को देखा जो अपनी आँखें बंद किए हुए थी।

    यह देख मानव ने भूमि का हार, जो अब खुल गया था, उतारकर टेबल पर रख दिया और भूमि की नंगी पीठ पर अपनी उंगली घुमाने लगा, जिससे भूमि और काँप रही थी। फिर मानव ने भूमि को पीछे से पकड़कर उसके गले पर किस करने लगा और भूमि वैसे ही खड़ी होकर यह सब महसूस कर रही थी।

    मानव का एक हाथ भूमि की कमर और पेट से होते हुए उसके ब्रेस्ट की ओर जा रहा था और एक हाथ उसके ब्लाउज़ की डोरी खोलने लगा, कि तभी अचानक मानव का फ़ोन बज गया। फ़ोन की आवाज़ सुनकर मानव और भूमि दोनों होश में आ गए और भूमि ने जल्दी से मानव को दूर धक्का दिया और फिर से चुनरी से खुद को ढँक लिया और अपनी सिर झुकाकर खड़ी हो गई। भूमि को बहुत ज़्यादा शर्म आ रही थी। वह तो चाह रही थी कि अभी धरती फाट जाए और वह उसमें समा जाए। भूमि के चेहरे को देखकर लग रहा था कि उसके चेहरे पर उसके शरीर का सारा खून जमा हो गया हो। मानव ने एक बार भूमि को देखा और फिर टेबल से अपना फ़ोन लेकर कमरे से बाहर चला गया। मानव के बाहर जाते ही भूमि ने अपना चेहरा ऊपर किया तो मानव कमरे में कहीं नहीं था। फिर उसने आईने में खुद को देखा और कुछ देर पहले हुई घटना को याद किया। याद करते ही भूमि फिर से काँप उठी और आईने में देखकर शर्माते हुए अपने चेहरे पर हाथ रख दिया।

    वहीं मानव स्टडी रूम में आ गया था और वह फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था। तभी वहाँ रवि जी आए। रवि जी को देख मानव ने फ़ोन पर कहा, "देव, तू आज 2:00 pm मीटिंग की अरेंजमेंट कर।"

    इतना कहकर मानव ने देव की बात सुने बिना फ़ोन काट दिया और रवि जी को देखते हुए पूछा, "क्या हुआ डैड? आपको कुछ काम था क्या मुझसे?"

    अब आगे क्या होगा? रवि जी मानव से क्या कहेंगे?

  • 10. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 10

    Words: 1071

    Estimated Reading Time: 7 min

    मानव की बात सुनकर रवि जी उसके पास आए और पूछा, "तुम और भूमि कल कहाँ थे? और तुम ऑफ़िस जा रहे हो?"

    मानव रवि जी को देखते हुए बोला, "कल मेरा और भूमि की first night थी। तो आपको नहीं लगता आप मुझसे गलत सवाल पूछ रहे हैं? डैड, और मेरे ख्याल से कल शादी हो गई है, तो आज मैं ऑफ़िस जा सकता हूँ, इसमें गलत क्या है?"

    रवि जी बोले, "मानव, तुम मेरे साथ बत्तीजी कर रहे हो। मैंने जो किया, तुम्हारे भलाई के लिए किया है। भूमि एक अच्छी लड़की है और..."

    रवि जी की बात खत्म होने से पहले मानव स्टडी रूम से बाहर चला गया। रवि जी मानव को बाहर जाते देख उसे आवाज़ दी, पर मानव नहीं रुका। यह देख रवि जी ने एक गहरी साँस ली और वह भी स्टडी रूम से बाहर चला गया। वहीं भूमि अपने कमरे में खड़ी थी और अपने हाथ पीछे लेकर ब्लाउज़ की डोरी बाँधने की कोशिश कर रही थी, पर उसका हाथ वहाँ तक नहीं पहुँच रहा था। उसने साड़ी भी आधी पहनी हुई थी। भूमि डोरी बाँधने की कोशिश करते हुए बोली, "ये डोरी कैसे बाँधूँ? गाँव में तो पिहू थी जो मेरी ब्लाउज़ की डोरी बाँध देती थी, पर यहाँ तो कोई नहीं है।"

    भूमि इतना ही कह रही थी कि तभी बाहर कमरे का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। आवाज़ सुनकर भूमि जल्दी से पीछे पलटी और अपनी साड़ी ठीक से पहनी। और सामने देखने के लिए अपना सिर ऊपर करने ही वाली थी कि तभी किसी ने उसके बाज़ू को कसकर पकड़कर उसे दीवार से लगा दिया। अचानक हुई घटना से भूमि कुछ समझ नहीं पाई और उसके बाज़ू और पीठ पर भी दर्द हो रहा था।

    भूमि खुद को छोड़ने की कोशिश करते हुए सामने देखती है तो मानव गुस्से में उसे देख रहा था। मानव बहुत गुस्से में लग रहा था, जिसे देख भूमि डर गई और मानव से कुछ पूछने ही वाली थी, पर उसके कुछ कहने से पहले मानव गुस्से में बोला, "तुम बहुत अच्छी हो, हाँ! और मैं तुम्हारी लायक नहीं हूँ, हाँ! तुमने मेरे डैड को क्या पटा दिया है?" मानव इतना कहते-कहते भूमि के बाज़ू को और कसकर पकड़ लेता है, जिससे दर्द के मारे भूमि की आँखों से आँसू निकल आते हैं। और वह कुछ कहने ही वाली थी कि तभी पीछे से एक आवाज़ आई, "नहीं-नहीं, हमने कुछ नहीं देखा।"

    आवाज़ सुनकर मानव भूमि को छोड़ देता है और पीछे मुड़े बिना ही चेंजिंग रूम में चला जाता है। मानव के जाते ही भूमि जल्दी से अपने आँखों से आँसू पोछ लेती है और मुस्कुराते हुए सामने देखती है तो सामने माही और एक छोटी सी लड़की खड़ी थीं। माही ने अपने एक हाथ से अपनी आँखों को ढँक रखा था और दूसरे हाथ से उस छोटी लड़की की आँखें ढँक रखी थीं।

    उनको देख भूमि को वे दोनों बहुत क्यूट लग रही थीं। भूमि मुस्कुराते हुए बोली, "तुम दोनों अपनी आँखों पर हाथ क्यों रखा है?"

    भूमि की बात सुनकर माही पहले अपनी आँखों से हाथ हटाती है और जब देखती है कि अब सब ठीक है तो उस छोटी लड़की की आँखों से भी हाथ हटा लेती है और भूमि से कहती है, "भाभी, आप दोनों भी ना! मुझे पता है आप दोनों की नयी-नयी शादी हुई है, पर डोरी तो बाँध लेते।" माही की बात सुनकर भूमि को समझ आ जाता है कि उसने उन दोनों को गलत समझा है, पर भूमि भी उससे सच नहीं बताती और शर्माते हुए कहती है, "वो माही, वो..."

    माही कुछ कहती, उससे पहले माही कहती है, "भाभी, आपकी ब्लाउज़ की डोरी..."

    माही की बात सुनकर भूमि को अपने ब्लाउज़ की याद आती है और वह अपने पीछे हाथ देकर फिर से डोरी बाँधने की कोशिश करते हुए कहती है, "वो माही, ये डोरी नहीं बाँध रही, मेरा हाथ ही नहीं पहुँच रहा है।"

    माही मुस्कुराते हुए भूमि के पीछे जाकर उसकी ब्लाउज़ की डोरी बाँधने लगती है और कहती है, "ये आपसे होगी भी नहीं, आपकी पीछे भी कोई हाथ थोड़ी..."

    इतना कहते-कहते माही भूमि की ब्लाउज़ की डोरी बाँध देती है और सामने आकर कुछ कहने ही वाली थी कि इतने में वह छोटी लड़की भूमि के पास आ जाती है और भूमि की साड़ी पकड़ खींचते हुए कहती है, "बाबी-बाबी, देखो ना! ये माही ने तुम्हें मुझसे मिलने ही नहीं दे रही, गंदी लड़की!"

    लड़की की बात सुनकर माही आँखें छोटी करके उसे देखते हुए कहती है, "क्या मैं गंदी हूँ? और तू क्या है? छोटी सी शैतान!"

    लड़की, "मैं छोटी शैतान नहीं हूँ, मैं तो अच्छी बच्ची हूँ। (भूमि को देखते हुए) है ना बाबी?"

    भूमि उस लड़की के पास नीचे बैठकर उसके गाल पर हाथ रखकर कहती है, "हाँ, तुम बहुत अच्छी हो, सिर्फ़ अच्छी ही नहीं, तुम तो इस दुनिया की सबसे अच्छी लड़की हो।"

    भूमि की बात सुनकर वह छोटी सी लड़की खुश हो जाती है और माही को देखती है जैसे कह रही हो, "भाभी की बात सुनो, मैं अच्छी ही नहीं, इस दुनिया में सबसे अच्छी हूँ।" फिर भूमि को देखते हुए, "बेटे बाबी, मैं हूँ रोशनी राठौर और आपकी छोटी सी प्यारी सी ननद।"

    रोशनी की बात सुनकर भूमि उसे गले लगा लेती है और कुछ कहने ही वाली थी कि तभी चेंजिंग रूम से मानव बाहर आता है। मानव को देख भूमि सीधे खड़ी हो जाती है और सिर झुका लेती है। मानव ने इस वक़्त एक ब्लैक कलर की थ्री पीस सूट पहन रखा था और वह उसमें बहुत हैंडसम लग रहा था। माही मानव को ऐसे देख पूछती है, "जो आप ऑफ़िस जा रहे हो क्या?"

    मानव रूम से बाहर जाते हुए कहता है, "हाँ।"

    इतना कहकर वह बाहर चला जाता है। मानव की बात सुनकर भूमि थोड़ा उदास हो गई थी और माही भी भूमि को देख समझ जाती है कि भूमि को बुरा लगा है। तो माही उसकी ध्यान भटकाते हुए अपने माथे पर हाथ रखकर कहती है, "अरे! मैं तो भूल ही गई।" भूमि को देखते हुए, "भाभी, आपको सब नीचे बुला रही है, जल्दी चलिए।"

    भूमि, "नीचे बुला रही है? पर क्यों माही?"

    माही, "मुझे नहीं पता, वो कोई रस्म है शायद।"

    भूमि, "ओह ठीक है, चलो।"

    भूमि की बात सुनकर माही, रोशनी और भूमि तीनों नीचे चली जाती हैं।

    To be continue

    Crush Queen

  • 11. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 11

    Words: 1153

    Estimated Reading Time: 7 min

    भूमि, माही और रोशनी नीचे हॉल में आए। हॉल में सब मौजूद थे, सिर्फ़ मानव को छोड़कर। भूमि आकर सबके सामने खड़ी हो गई। भूमि को देखकर कुछ लोग मुँह बना रहे थे और कुछ खुश हो रहे थे। पर एक ऐसी भी नज़र थी जो अपनी आँखों में हवस लेकर भूमि को ऊपर से लेकर नीचे तक घूर रहा था।

    भूमि के आने के बाद दादी जी बोलीं, "आज भूमि की पहली रसोई है। (भूमि को देखते हुए) बहू, तुझे खाना बनाना आता है?"

    "हाँ दादी माँ, मुझे खाना बनाना आता है," भूमि मुस्कुराते हुए बोली।

    भूमि की बात सुनकर दादी जी मुस्कुराईं और मीरा जी को देखते हुए बोलीं, "मीरा, जाओ बहू को किचन दिखा दो और वहाँ क्या-क्या है, सब समझा दो।"

    दादी जी की बात सुनकर मीरा जी मुँह बनाकर बोली, "मोम, मैं क्यों जाऊँ? किसी मेड को कह देती..." इतना कहके मीरा जी एक मेड को बुलाने ही वाली थीं कि उन्हें रोकते हुए दादी बोलीं, "मीरा, तुम ही बहू को किचन में लेकर जाओगी। ये मेरा ऑर्डर है।"

    "पर मोम, मैं..." मीरा जी बोलीं।

    दादी जी अपना एक हाथ दिखाते हुए बोलीं, "मुझे और कुछ नहीं सुनना।"

    दादी जी की बात सुनकर मीरा जी गुस्से में भूमि को देखती हैं और वहाँ से जाने लगीं। तब माही भूमि के कान में बोली, "भाभी, जाओ।"

    माही की बात सुनकर भूमि जल्दी से मीरा जी के पीछे जाने लगी।

    मीरा जी किचन में आईं और उनके पीछे-पीछे भूमि भी आई। मीरा जी भूमि को वहाँ रखी हुई हर चीज़ समझा रही थीं और भूमि को गुस्से में देखकर बोलीं, "मोम और रवि तुम्हें जितना भी सिर पर चढ़ा लें, पर तुम ये बात हमेशा याद रखना कि ना तो मेरा बेटा कभी तुम्हें अपनाएगा और ना मैं।" इतना कहकर मीरा जी वहाँ से जाने लगीं। भूमि को मीरा जी की बात सुनकर बुरा तो लगा, पर फिर वो मुस्कुराते हुए बोली, "माँ, किसी को अपनाना आपके हाथ में है, पर किसी को पसंद करना नहीं। और मैं आपसे दावा करती हूँ, आप मुझे बहुत जल्द पसंद करेंगी।"

    मीरा जी की बात सुनकर भूमि रुक गई और पीछे मुड़कर उसे देखते हुए बोली, "अच्छा, अगर मैं तुम्हें पसंद नहीं किया तो तुम मेरे बेटे की ज़िन्दगी से चली जाओगी?"

    मीरा जी की इस बात को सुनकर भूमि चौंक गई क्योंकि उसने नहीं सोचा था कि मीरा जी उससे ऐसी बात करेंगी। भूमि को चुप देखकर मीरा जी फिर से बोलीं, "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो?"

    भूमि मीरा जी को देखते हुए बोली, "ठीक है माँ, अगर मैं आपका दिल नहीं जीत पाई तो मैं यहाँ से और मानव जी की ज़िन्दगी से बहुत दूर चली जाऊँगी।"

    भूमि की बात सुनकर मीरा जी खुश हो गई और बोली, "ठीक है, तो तुम्हारे पास छह महीने का वक़्त है। अगर इन छह महीनों में तुम मेरा दिल नहीं जीत पाईं तो तुम्हें मानव और यहाँ से दूर जाना होगा।"

    भूमि फीकी मुस्कान के साथ अपना सिर हिला देती है। ये देख मीरा जी वहाँ से जाने लगीं, पर कुछ सोचकर फिर से भूमि को देखते हुए बोलीं, "और हाँ, तुम मानव से दूर रहना। उसके पास मत जाना जब तक मैं ना कहूँ। वैसे तो मुझे पता है मेरे बेटे कभी तुम जैसी लड़की को आँख उठाकर भी नहीं देखेंगे, पर तुम उसे इम्प्रेस करने की कोशिश मत करना। मैं..."

    इतना कहकर मीरा जी किचन से बाहर चली गईं। पर मीरा जी की बात सुनकर भूमि की आँखों में आँसू आ गए थे। वो किचन के दरवाज़े (जहाँ से मीरा जी गई थीं) को देखते हुए बोली, "क्या मैं इतनी बुरी हूँ? कि अपने ही पति को रिझाऊँगी और वो भी छल से? मैं ऐसी लड़की नहीं हूँ माँ।"

    कुछ देर ऐसे ही रोने के बाद भूमि अपने आँसू पोछकर खाना बनाने लगी।

    वहीं मीरा जी आज बहुत खुश थीं और अपने रूम में बैठकर कोई गाना गुनगुना रही थीं। तभी वहाँ रवि जी आए और मीरा जी को इतनी खुश देखकर उनके पास जाकर पूछा, "क्या बात है? कुछ देर पहले भी तुम अपने शरमाए हुए चेहरे को लेकर घूम रही थीं, और अभी अचानक ऐसा क्या हो गया कि तुम इतनी खुश हो?"

    रवि जी की बात सुनकर मीरा जी उन्हें देखती हैं और कहती हैं, "आप आज जो चाहे कह लें, पर आज मैं गुस्सा नहीं करूँगी क्योंकि आज मैं बहुत खुश हूँ। छह मही..."

    इतना कहते-कहते मीरा जी रुक जाती हैं तो रवि जी पूछते हैं, "क्या? क्या छह महीने? मीरा, तुम क्या कह रही हो? और तुम इतनी खुश क्यों हो?"

    मीरा जी नकली स्माइल करते हुए बोलीं, "वो... वो रवि, छह... वो हाँ, वो छह महीने बाद मेरी एक फ़्रेंड की बर्थडे है और वहाँ मैं बहुत एन्जॉय करूँगी। और पता है, वो अपनी बर्थडे साउथ कोरिया में मनाएगी। यहाँ मेरे हीरोज रहते हैं, BTS, तो इसीलिए मैं आज बहुत खुश हूँ।"

    इतना कहकर मीरा जी रूम से बाहर निकल जाती है और रवि जी मीरा जी को जाते देख अपने मन में कहते हैं, "तुम मुझसे कुछ छिपा रही हो मीरा, पर क्या?"

    वहीं भूमि ने सारा खाना तैयार कर दिया था और सब डाइनिंग टेबल पर बैठे थे। भूमि सबको खाना सर्व कर रही थी। तभी माही बोली, "भाभी, खाने की क्या खुशबू है! मेरे तो खुशबू से पेट में चुहे कूदने लगे।"

    रोशनी खाना खाते हुए बोली, "खाना बहुत टेस्टी है भाभी।" उन दोनों की बात सुनकर भूमि बस उन्हें देख मुस्कुरा देती है। पर उसे देख वानी जी बोली, "क्या फ़ायदा इतना अच्छा खाना बनाने का? जब असली इंसान ही ना हो। मानव तो सुबह ही चला गया यहाँ से।"

    वानी जी की बात सुनकर भूमि के चेहरे पर जो हँसी थी वो गायब हो जाती है और वो फिर से उदास हो जाती है। तो रवि जी कहता है, "मानव ऑफ़िस गया है एक अर्जेंट मीटिंग के लिए और मैंने ही उसे भेजा है। वो तो जाना भी नहीं चाहता था भूमि बिटिया को छोड़।"

    रवि जी की बात सुनकर सब उन्हें देखने लगे, पर कोई कुछ नहीं बोला। कुछ देर बाद सबका खाना हो गया और सब भूमि को बुलाकर उसके हाथ में एक लिफ़ाफ़ा पकड़ा देते हैं और भूमि भी सबको पैर छूकर प्रणाम करती है।

    वहीं जब दादी की बारी आई तो दादी उसे एक रानी हार पहना देती हैं और कहती हैं, "ये मुझे मेरे सासू माँ ने दिया था। मानव की पत्नी को देने के लिए, जो आज मैं तुझे दे रही हूँ।"

    भूमि उस हार को एक बार देखती है, फिर झुककर दादी को प्रणाम करती है। पर वहाँ खड़ी मीरा जी और वानी जी को ये चीज़ बिल्कुल अच्छी नहीं लगी। वो दोनों मुँह फुलाकर वहाँ से चले गए। अब आगे क्या होगा?

    क्या भूमि छह महीने में मीरा जी का दिल जीत पाएगी?
    To be continued...

  • 12. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 12

    Words: 1240

    Estimated Reading Time: 8 min

    अब आगे भूमि अपने रूम में जा रही थी तभी उसे माही रोक लेती है और पूछती हैं "भाभी आप कहा जा रहे हो ?" भूमि माही को देखते हुये "मैं तो अपने कमरे में जा रही हूं माही भूमि को लेकर दूसरी तरफ जाते हुये 'रूम में बाद मे जाना पहले चलीये मैं आपको मेरी रूम दिखा देती हूं माही की बात सुनकर भूमि कुछ नहीं कहती और उसके साथ जाने लगती हैं और माही पीछे देख किसी को आंख मार देती है और भूमि को बहा से अपने रूम की और ले जाने लगती हैं माही भूमि को अपने रूम में ले आती हैं और बहा रोशनी भी थी और भूमि को देखते ही रोशनी दौरते हुए भूमि के पास जाती हैं और उसके पैरो को हग कर लेती हैं और कहती हैं "हेएए बाबी आप आद हमाले साथ लहोगे (हेएए भाभी आप आज हमारे साथ रहोगे)"माही रोशनी को भूमि से अलग कर अपने गोद में उठाकर बैड पे बैठा देती हैं और कहती हैं "ओओ तोतली पहले तो तू ठीक से भाभी को भाभी बोल फिर आयीओ भाभी से चिपकने और अब जल्दी से सो जा" रोशनी माही को घूरते हुए "ओओ बली गदी मुदे तोतली त्यूं कह लही हैं? मैं तो अबी थोती हूं इथ लिए ऐथे बात कलती हूं दब मैं बलि हो दाउंगी ना तब में बी अत्थे थे बात कलूंगी (भूमि को देख) हैं ना बाबी (ओओ बड़ि गधी मुझे तितली क्यों कह रही है? मैं तो अभी छोटी हूं इस लिये ऐसे बात करती हूं जब मैं बड़ि हो जाउंगी ना तब में भी अच्छे से बात करूंगी [भूमि को देख] है ना भाभी)" भूमि रोशनी के पास अकर उसके पास बैठ "हॉ मेरी क्यूंटी ननद तुम तो बड़ि होके सबसे अच्छी तरह से बात करोगे" रोशनी माही को देख देखा "तुलेल बथ तुद जेथी तुलेल को मैं त्यूत नहीं लगती तुलेल कहीकी (चुरेल सब तुझ जैसी चुरेल को मैं क्यूट नहीं लागती चुरेल कहीकी)" माही गुस्से में कमर पे हाथ रख "तुने मुझे चुरेल कही"रोशनी "नहीं बली तुलेल कही मैंने तुदे (नहीं बड़ि चुरेल कही मैने युझे)" माही "तो तू क्या है? छोटी चुरेल हमेसा किसी ना किसी की गोद में लटकती रहती हैं और चुरेल ही लटकते है तेरी तरह तो तू चुरेल हुई में नहीं क्योंकि मैं किसीके गोद में नहीं लटकती रोशनी में तूलेल हूं तुने मुदे तुलेल कही (भूमि को देखते हुये रोनी सी सकल बनाकर) बाबी दोको ना दीदी मुदे तुलेल कह लही हैं (मैं चुरेल हूं तुने मुझे चुरेल कही [भूमि को देखते हुये रोनी सी सकल बनाकर भाभी देखो ना दीदी मुझे चुरेल कह रही है)" रोशनी की बात सुनकर भूमि कुछ कहती उससे पहले माही कहती हैं "भाभी क्या कहेगी? भाभी को भी पता है तू चुरेल हैं" माही की बात सुनकर रोशनी रोने ही बाली थी के तभी भूमि कहती हैं "अरे रोशनी तुम तो मेरी अच्छी ननद हो ना और दी तुम्हारे साथ मजाक कर रही है तुम तो परी हो" रोशनी आंखों में चमक लेकर भूमि को देखते हुये "थत्ती बाबी मैं पली हूं सच्ची भाभी मैं परी हूं)भूमि "मुच्ची ननद जी" भूमि की बात सुनकर रोशनी खुश हो जाती हैं और माही को देखती हैं तो माही उसे देख मुंह बिगार लेती हैं और भूमि को देख कहती हैं 'चलीये भाभी में आपको तैयार कर देती हूं' भूमि तैयार करोगे, पर किस लिए? और रातको क्यों ? अभी तो 8:30 बजे है सायेद माही अपने मन में "क्या यार भाभी इतनी question क्यों पुछ रही हैं? अब इन्हें कैसे बताउ ? (फिर कुछ सोचते हुये भूमि से कहती हैं) वो भाभी मेरी ना बचपन से ये खोयाइस थी के मैं ब्रो की बीवी को अपने हाथों से सजाउंगी तो इस लिये और पूरे दिन तो टाइम नहीं मिलती है तो सोचा रात को ही सजा दू भूमि "ओओ पर माही अभी मैं सजकर क्या करूंगी ?" माही "भाभी प्लीज़ (रोशनी को देख) रोशनी भी चाहती है के आप सजो प्लीज़ भाभी" माही की बात सुनकर रोशनी भी सिर हाँ मैं हिलाते हुए कहती हैं "हाँ बाबी फिल हम फोतो खितेंगे आपकीधुंदर सुंदर (हॉ भाभी फिर हाम फोटो खिचेंगे आपकी सुंदर सुंदर)" माही अपने कबर्ड के पास जाते हुये 'मैने आपके लिए एक सारी भी खरीदी है आज ( फिर एक पैकेट निकाल उसके अंदर से एक सुंदर रेड कलर की पतली सी सारी निकालती हैं और भूमि को देखते हुये) ये देखीये चलीये में आपको ये सारी पहना देती हूं" भूमि सारी को हाथ में लेकर माही को देख "माही य ये सारी ये कुछ ज्यादा ही पतली और माही 'और बोर कुछ नहीं और ये गांव नहीं है भाभी यहा सब ऐसे ही सारी पहनते हैं और मैं तो आपको इसे पहन किसीके सामने जाने को नहीं बोल रही बस हमारे सामने पहनेंगे और अपने रूम में जाकर सारी खोल अपने सारे jewellery खोल makeup धोके सो जाइयेगा माही की बात सुनकर भूमि हिचकिचाते हुये हाँ कह देती है भूमि के हाँ कहते ही माही खुश हो जाती हैं और अपने मन में कहती हैं 'मुझे पता थी भाभी के आप किसी और ड्रेस पहनने के लिए नहीं मानेंगे इसी लिए तो मैने आपके लिए ये सारी select की" फिर माही भूमि को तैयार करने बैठ जाती हैंबही रात के 9:30 बजे मानव घर आता हैं और सीधा अपने रूम में जाता हैं पर रूम में जाते ही वो देखता है रूम में पुरा अंधेरा हैं मानव अपने मन में "ये रूम में इतना अंधेरा क्यों है ?" इतना सोच मानव अपने पॉकेट से फोन निकालता हैं और उसके फोन निकालते ही कोई उससे टकरा जाती है जिससे उसका फोन नीचे गिर जाता है और मानव उसे (जो मानव से टकराया था) पकड़ लेता है और पूछता है "कौन हो तुम ?" मानव के पूछने से वो (जो मानव से टकरायी थी) कहती है "म में भ भूमि हूं" भूमि की आवाज़ सुन मानव भूमि को सीधा खरा करता है और नीचे परे अपने फोन को उठाकर फोन पे लाइट ओन करता है के तभी भूमि रूम से बहार जाते हुये कहती हैं "जी में आपके लिए खाना लेकर आती हूं" इतना कहके भूमि बहार जाने लगती हैं तो मानव उसे रोकते हुए कहता हैं "कोई जरुरत नहीं हैं मैं बहार से डिनर करके आया हूं" मानव की बात सुनकर भूमि रुक जाती हैं और और मानव भी लाइट ओन कर देता हैं और लाइट ओन होते ही मानव रूम को देख चोक जाता हैं और उसकी आंखेंछोटा हो जाता हैं और और भूमि भी रूम को देख चौक जाती हैं मानव रूम को देखते हुए भूमि से पूछता है "ये सब क्या है ? मैने तुम्हें कहा था ना हमारे बीच कोई hu- sband wife बाला रिश्ता नहीं होगा तो इतना कहते कहते मानव पीछे पलटता हैं तो भूमि को देख उससे नजरें ही नहीं हटा पाता और उसके आंखें भूमि पर ही टिक जाता हैं और वो उसे उपर से नीचे तक देखने लगता हैं पर भूमि उस पर ध्यान नहीं देता और रूम को देखते हुये कहती हैं "नहीं मानव जी मैं तो इस सबके बारेमे कुछ नहीं जाननी में तो" इतना कहते कहते भूमि मानव की और देखती हैं जो उसे ही एक टक देखे जा रहा था भूमि मानव के ऐसे देखने से शर्मा जाती है और अपनी नजरें नीचे झुका लेती हैं के तभी उसे कुछ ध्यान आती हैं और भूमि की आंखें बड़ि बड़ि हो जाती हैं और वो मानव की और देखती हैं  To be continue❤❤❤❤❤❤❤ Crush_Queen हेलो फ्रेंड्स प्लीज आप अपने प्यारे प्यारे कमेंट or राइटिंग्स देना ना भूले❤😘☺✨

  • 13. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 13

    Words: 1188

    Estimated Reading Time: 8 min

    मानव भूमि को देखते हुए उसके करीब गया और भूमि धीरे-धीरे पीछे हटी। पीछे जाते-जाते भूमि दीवार से टकरा गई और उसके ठीक सामने मानव खड़ा था। भूमि साइड से जाने लगी तो मानव ने अपना हाथ साइड की दीवार पर रख दिया। यह देख भूमि दूसरे साइड से जाने लगी तो मानव ने वहाँ भी अपना हाथ रख दिया। अब भूमि के जाने का कोई और रास्ता नहीं था।

    भूमि मानव की ओर देखती थी जो अपना चेहरा उसके चेहरे के करीब ला रहा था। यह देख भूमि ने अपनी नज़रें झुका लीं और आँखें बंद कर लीं। पर बहुत देर होने के बाद भी उसे कुछ महसूस नहीं हुआ। तो भूमि ने अपनी आँखें खोलीं तो मानव अपने हाथों को सीने पर फोल्ड किए हुए उसके सामने खड़ा था और उसे ही देख रहा था। और भूमि कुछ कहती, उससे पहले मानव बोला, "तो तुम कुछ नहीं जानती? इस रूम को डेकोरेट किसने किया?"

    मानव की बात सुनकर भूमि सिर झुकाकर अपने सिर को हाँ में हिला देती है। भूमि के ऐसा करते ही मानव गुस्से में उसके बाजू पकड़कर बोला, "ओह, और तुम्हें रेडी किसने किया? क्या इस बारे में भी तुम्हें कुछ पता नहीं? और कैसी साड़ी पहनी है तुमने? मुझे रिझाने के लिए है ना? मैं तो तुम्हें एक अच्छी लड़की समझता था पर तुम तो..."

    मानव की और कुछ कहने से पहले ही भूमि, जिसकी आँखों से मानव की बात सुनकर आँसू आ गए थे, उन्हें रोक लेती है और मानव से खुद को छुड़ाकर बोली, "बस मानव जी, मैं चुप हूँ इसका मतलब यह नहीं कि आप जो चाहें वो कहें और मैं सुनती रहूँ। मैंने आपको नहीं कहा था कि मुझसे शादी करिए और ना ही मेरे बाबा ने आपके पापा से कहा था। आपके पापा ने कहा कि वो आपकी शादी मुझसे कराना चाहते हैं, पर किसी ने मेरी मर्ज़ी नहीं पूछी कि मैं यह शादी करना चाहती हूँ या नहीं। पापा ने कहा था कि ससुराल जाकर सबकी बात मानना, सबसे प्यार करना, अपनी पत्नी होने का हर कर्तव्य का पालन करना। और आप कह रहे हैं मैं आपको रिझा रही हूँ? पर आपने मेरी शादी की पिछली रात को बारिश में मेरे साथ जो किया था वो... और आज सुबह में मैंने आपको नहीं रिझाया था, मानव जी। आप खुद ही ऐसा सोच लेते हैं। और मैं सच में ये सब कुछ नहीं जानती हूँ। मैं तो अभी तक माही के कमरे में थी और उसने ही मुझे ऐसे तैयार किया है।"

    इतना कहकर भूमि मानव के साइड से जाने लगी और कुछ याद करके रुककर फिर से बोली, "और हाँ, मेरा जरा भी इंटरेस्ट नहीं है आप पे। मैं दिल से जो प्यार होता है उस पर विश्वास रखती हूँ, जिस्मानी प्यार पे नहीं। तो आप भी यह ध्यान रखिएगा, मानव जी।"

    इतना कहकर भूमि अलमारी से एक साड़ी निकालकर वॉशरूम में घुस जाती है और दरवाज़ा लॉक कर लेती है।

    वहीं मानव, जो भूमि की बात सुनकर वहीं खड़ा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो कैसा रिएक्ट करे। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था पर उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि उसे गुस्सा क्यों आ रहा है। मानव एक बार पीछे पलटकर वॉशरूम के दरवाज़े की तरफ़ देखता है, फिर पूरे घर को देखता है जो फूलों से सजा हुआ था और फिर गुस्से में सारे फूल और सजावट नष्ट कर देता है और गुस्से में रूम से निकल जाता है। भूमि जब वॉशरूम से बाहर आती है तो रूम की हालत देख हैरान हो जाती है और इधर-उधर देखती है तो मानव नहीं था। यह देख भूमि समझ जाती है कि यह सब तहस-नहस मानव ने ही किया है। यह देख भूमि की आँखें थोड़ी नम हो जाती हैं पर खुद को सम्भालकर भूमि पूरे रूम को साफ़ करती है और फिर एक तकिया लेकर सोफ़े पर जाती है और सो जाती है।

    वहीं मानव स्टडी रूम में गया था और वहाँ जाकर वह स्टडी रूम में बने वॉशरूम में जाकर शॉवर ऑन कर देता है और उसके नीचे खड़ा हो जाता है। मानव को बार-बार भूमि की बातें याद आ रही थीं और उसके कानों में एक ही बात गूंज रही थी कि, "मेरा जरा भी इंटरेस्ट नहीं है आप पे।"

    मानव को बार-बार भूमि की यह बात याद आ रही थी। मानव गुस्से में दीवार पर 4-5 मुक्के मार देता है और कहता है, "सारी लड़कियाँ मुझ पर मरती हैं, मुझे बस एक नज़र देखने के लिए सब कुछ कर सकती हैं और यह लड़की कह रही है कि यह मुझ पर इंटरेस्टेड नहीं है।" इतना कहकर फिर से दीवार पर मुक्का मारता है और शांत होकर कहता है, "मैं तो सोच रहा था कि तुम भोली हो, भूमि रघुवंशी, पर तुम तो चालाक लोमड़ी निकली। कोई बात नहीं, अब मैं भी देखता हूँ कि कब तक तुम अपने यह भोली-भाली और अच्छी लड़की का नाटक कर सकती हो।"

    इतना कहकर मानव अपने कपड़े, जो वह पहनकर ही शॉवर के नीचे आ गया था, उसे रिमूव करता है। कुछ 25 मिनट बाद मानव वॉशरूम से बाहर आता है और स्टडी रूम में बने चेंजिंग रूम में चला जाता है।

    मानव के स्टडी रूम में एक वॉशरूम, एक चेंजिंग रूम, एक छोटा सा बाथ, एक छोटा सा किचन है।

    करीब रात के 12:30 बजे मानव स्टडी रूम से अपने रूम में जाता है और देखता है पूरा रूम साफ़ है, कहीं भी एक फूल की पंखुड़ी भी नहीं है। मानव पूरे रूम को देखते हुए बेड पर देखता है तो वहाँ भूमि नहीं थी। यह देख मानव रूम में चारों ओर भूमि को ढूंढता है और जब भूमि को देखता है तो चौंक जाता है और कहता है, "यह लड़की क्या पागल है? यह फ्लोर पर क्यों सो रही है?" इतना कहकर वह भूमि, जो सोफ़े से नीचे फर्श पर गिर गई थी और वहीं सोई हुई थी, उसके पास जाता है और उसे उठाने लगता है। पर भूमि करवट लेकर सोते हुए नींद में ही कहती है, "तू अकेली जा सूसू करने, आज मैं नहीं उठ रही, मैं बहुत थकी हुई हूँ।"

    भूमि की बात सुनकर मानव अपने एक आईब्रो ऊपर करके भूमि को देखता है, फिर एक गहरी साँस लेकर भूमि को बेड पर ले जाता है और लेटा देता है। फिर भूमि को देखता है तो मानव की नज़रें भूमि के गोरे पेट पर टिक जाती हैं और उसका गला सूखने लगता है।

    दरअसल, मानव जब भूमि को बेड पर लेटा रहा था तब भूमि की साड़ी की पल्लू उसके पेट से ऊपर उठ जाती है और उसकी गोरी पेट दिखने लगता है। पर मानव किसी तरह खुद को कंट्रोल कर भूमि की पल्लू को नीचे खींचकर ठीक कर देता है कि तभी भूमि अपने पेट पर हाथ रखकर नींद में ही कहती है, "बहुत भूख लगी है मुझे, प्लीज़ कुछ खिला देना।"

    मानव कुछ देर भूमि को देखता है, फिर उसकी बातों को इग्नोर कर साइड में सो जाता है और अपनी आँखें बंद कर लेता है। अब आगे क्या होगा? कौन सा मोड़ लेगी भूमि और मानव की कहानी?

  • 14. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 14

    Words: 1127

    Estimated Reading Time: 7 min

    सुबह का वक्त था।

    5:00 बजे।

    मानव की आँख खुली तो उसे कुछ अजीब सा लगा। जब उसने अपना सिर उठाकर देखा तो भूमि हाथ रखकर सो रही थी, और उसकी बॉडी मानव की बॉडी से टच हो रही थी। भूमि के साँस लेने की वजह से उसके ब्रेस्ट ऊपर नीचे हो रहे थे और मानव की बॉडी से टच हो रहे थे, जिससे मानव के रोंगटे खड़े हो रहे थे।

    मानव भूमि को देखता रहा जो आराम से उससे चिपक कर सो रही थी। वह सोते हुए किसी एंजेल की तरह लग रही थी। मानव की नज़र भूमि की आँखों पर, उसके छोटे से नाक पर जाती थी और उसकी नज़र उसके गुलाबी-मुलायम होंठों पर जाकर रुक गया। और वह उसके होंठों को बार-बार देखने लगा।

    मानव भूमि के होंठों को छूने ही वाला था, पर तभी उसे कल भूमि की कही हुई बात याद आ गई। और वह अपने चेहरे को पीछे कर लेता है और धीरे से भूमि को खुद से अलग करता है। और जल्दी से बेड से उतरकर बाथरूम में चला गया।

    मानव के हिलने से भूमि की नींद खुल गई थी। और मानव के बाथरूम जाते ही भूमि उठ बैठती है और एक बार बाथरूम की ओर देखती है। फिर कुछ याद करते हुए कहती है, "मैं तो सोफे पर सो रही थी ना, तो यहाँ कैसे आई? (फिर आँखें बड़ी-बड़ी करके बाथरूम में देखते हुए कहती है) कहीं मानव जी ने तो नहीं लेकर आए ना? कहीं उन्होंने मेरे साथ कुछ उल्टा..." इतना कहकर फिर से खुद को अच्छे से देखने लगती है। फिर एक राहत की साँस लेकर कहती है, "चलो अच्छा है, उन्होंने कुछ नहीं किया।"

    इतना कहकर भूमि बेड से उतर जाती है और सोफे के नीचे पड़े पिलो को उठाकर सोफे पर रख देती है और वहीं सोफे पर बैठ जाती है। मानव सोफे के नीचे खड़ा था और आँखें बंद करके अपने मन में सोच रहा था, "ये मेरे साथ क्या हो रहा है? मैं जब भी इस लड़की के आसपास रहता हूँ, मैं खुद को कंट्रोल क्यों नहीं कर पाता? क्यों मैं अपना कंट्रोल खो देता हूँ?" इतना सोचकर वह अपनी आँखें खोल लेता है।

    कुछ देर बाद मानव बाथरूम से बाहर आता है तो देखता है भूमि सोफे पर बैठकर अपने गाल पर हाथ रखकर कुछ सोच रही है।

    मानव भूमि को एक बार देखकर उससे नज़रें फेर लेता है और चेंजिंग रूम में जाने लगता है। वह जा ही रहा था कि तभी उसके कानों में भूमि की आवाज़ पड़ती है जो पूछ रही थी, "आपने कल रात को मुझे बिस्तर पर ले गए ना? आपने छुआ कैसे?"

    भूमि की बात सुनकर मानव रुक जाता है और पीछे पलटकर एक आईब्रो को ऊपर करके भूमि को देखते हुए कहता है, "तुम तो ऐसे कह रही हो जैसे पहले कभी मैंने तुम्हें छुआ ना हो। और मैं पहले जब छूता था तब तो तुम्हें प्रॉब्लेम नहीं होती थी।"

    भूमि: "हाँ, नहीं होती थी, क्योंकि तब मुझे..."
    मानव भूमि के पास आते हुए: "क्या? तब तुम्हें...?"

    भूमि: "कुछ नहीं! और आप मेरे पास मत आना और जाइए, जाकर कपड़े पहन लीजिए। ऐसे नंगू-पंगू मत रहिए।"

    भूमि की बात सुनकर मानव की आँखें फैल गई और वह भूमि को देखने लगा। मानव को ऐसे खुद को देखते देख भूमि को यह एहसास हुआ कि उसने क्या कह दिया है, जिसे समझते ही उसका फेस टमाटर की तरह लाल हो गया।

    भूमि इधर-उधर देखते हुए कहती है, "वो...वो...आप जल्दी से कपड़े...मतलब वो..."

    इतना कहते-कहते भूमि जल्दी से बाथरूम में चली जाती है और डोर को लॉक करके दरवाजे से सटकर खड़ी हो जाती है। उसकी साँसें तेज चल रही थीं और उसके धड़कन भी तेज थे।

    वहीं भूमि की हरकत देख मानव के चेहरे पर एक छोटा सा स्माइल आ जाता है और वह एक बार बाथरूम की ओर देखकर चेंजिंग रूम के अंदर चला जाता है। वहीं रूम के बाहर देव और माही खड़े थे, कान लगाकर बैठे थे।

    माही: "कुछ सुनाई दे रहा है क्या?"
    देव: "तुझे सुनाई दे रहा है क्या?"

    माही: "नहीं, कुछ नहीं सुनाई दे रहा है।"
    देव: "हाँ, अगर तुझे सुनाई नहीं दे रहा तो मुझे कैसे देगा? मैं और तू एक ही जगह पर है ना।"

    माही अपने दाँतों से जीभ काटते हुए कहती है, "ओह! ये भी है, मुझे ध्यान नहीं था। पर ब्रो..."

    माही इतना ही कह पाई थी तभी उन दोनों के कानों में एक प्यारी आवाज़ आती है जो पूछ रही थी, "आप दोनों ये क्या कर रहे हो?"

    उस आवाज़ को सुनकर देव और माही सीधे खड़े हो जाते हैं और पीछे मुड़कर देखते हैं तो रोशनी कमर पर हाथ रखकर आँखें छोटी-छोटी करके उनको देख रही थी।

    रोशनी को देख माही जबरदस्ती हँसते हुए कहती है, "रोशनी, तू यहाँ क्या कर रही है?"

    रोशनी: "तू चुप कर! (देव को देख) आप दोनों भइया की रूम में कान लगाकर सब सुनने की कोशिश कर रहे थे ना।"

    देव रोशनी को गोद में उठाकर: "नहीं, तो हम तो भाभी और मानव को बुलाने आए थे।"

    रोशनी: "मुझे बुद्ध मत बनाइए, मुझे सब पता है।"

    माही: "पता है तो पूछ क्यों रही थी?"

    रोशनी: "मैं तो देख रही थी कि आप लोग कितने बड़े डम्प हो, हिहिहिहि।"

    इतना कहकर रोशनी हँसने लगती है तो देव और माही आँखें छोटी करके उसे देखते हुए पूछते हैं, "हम डम्प कैसे हुए?"

    रोशनी अपनी हँसी रोकते हुए: "आप दोनों को पता है ना मानव भइया की रूम साउंड प्रूफ है, तो आप दोनों कुछ नहीं सुन पाओगे। पर फिर भी आप दोनों सुनने की कोशिश कर रहे हो।"

    इतना कहते रोशनी फिर से हँसने लगती है और उसकी बात सुनकर देव और माही को समझ आता है कि इतनी देर से उनको कुछ सुनाई क्यों नहीं दे रहा था। फिर रोशनी देव के गोद से उतरकर कहती है, "अब मैं ये बात सबको बताऊँगी कि आप दोनों कितने बड़े डम्प हो, हिहिहिहि।"

    इतना कहकर रोशनी दौड़कर वहाँ से जाने लगती है और उसे जाते देख देव और माही एक बार एक-दूसरे को देखते हैं, फिर जल्दी से रोशनी को पकड़ने के लिए उसके पीछे दौड़ लगाते हैं।

    क्रमशः

  • 15. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 15

    Words: 1134

    Estimated Reading Time: 7 min

    भूमि ने खुद को शांत किया और एक गहरी साँस लेकर कहा, "क्या हो गया मुझे? ऐसी बातें मैं कब से कहने लगी हूँ? कितनी बेशर्म हो गई हूँ मैं।"

    इतना कहते-कहते भूमि सवार के नीचे जा खड़ी हुई और सवार ऑन कर दिया। फिर उसने अपने सारे बाकी कपड़े उतार दिए।

    लगभग 30 मिनट बाद, भूमि ने सवार ऑफ किया और टॉवल से खुद को पोंछने लगी। तभी उसे कुछ ध्यान आया और वो बोली, "अरे! मैं तो साड़ी लाना ही भूल गई। (फिर कुछ सोचकर) मानव जी तो अब तक चले गए होंगे।"

    इतना सोचकर भूमि ने एक टॉवल खुद पर लपेटा और बाथरूम से बाहर आई। कमरे में उसे कोई नहीं दिखा। यह देख भूमि ने अलमारी की ओर देखा और उस ओर बढ़ गई।

    भूमि अलमारी के पास जाकर एक पर्पल कलर की साड़ी निकाली। जैसे ही वह पीछे पलटी, तो चौंक गई और जल्दी से पलटकर बोली, "आप? आप मानव जी? आप यहाँ क्या कर रहे हैं?"

    मानव अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था। वह साइड में बैठा था, इसीलिए भूमि उसे नहीं देख पाई थी।

    जब मानव की नज़र भूमि पर पड़ी, तो वह उसे देखता ही रह गया। उसकी नज़र भूमि से हटी ही नहीं। वाइट कलर की टॉवल, जो भूमि की जाँघों तक आ रही थी, और उसके गोरे-गोरे पैर साफ़ दिखाई दे रहे थे। वह बहुत सेक्सी लग रही थी। ऊपर से उसके भीगे बाल, जिनसे अभी भी पानी टपक रहा था, और उसके बदन में पानी की बूँदें जमी हुई थीं, जिन्हें देख मानव का गला सूख रहा था।

    मानव भूमि को देख ही रहा था कि तभी उसके कानों में भूमि की आवाज़ आई। यह सुनकर वह होश में आया। पहले तो मानव इधर-उधर देखा, फिर जैसे ही उसे भूमि की बात समझ आई, उसने एक आइब्रो ऊपर उठाया, खड़ा हुआ और भूमि के पास जाते हुए कहा, "तुम्हारे कहने का मतलब क्या है? कि मैं क्या कर रहा हूँ? यह मेरा रूम है और मैं मेरे रूम में नहीं रहूँगा तो कहाँ रहूँगा?"

    भूमि वैसे ही खड़ी होकर बोली, "नहीं, मतलब आप तो ऑफिस जाने वाले थे ना!"

    मानव भूमि के बिल्कुल पास आकर बोला, "मैंने कब कहा कि आज मैं ऑफिस जा रहा हूँ?"

    फिर उसने अपने कंधे पर अपनी गरम साँस छोड़ते हुए भूमि के कान के पास धीरे से कहा, "अच्छा प्लान बनाया तुमने मुझे सिड्यूस करने का।"

    मानव की बात सुनकर और उसकी साँसें अपने कंधे पर महसूस करके भूमि जल्दी से पीछे हटी और मानव को दूर धक्का देते हुए बोली, "अपनी ये सोच अपने पास रखो। ठीक है? मुझे लगा कि आप नहीं हैं रूम में, इसलिए मैं ऐसे आई। अगर मुझे पता होता कि रूम में आप हैं, तो मैं कभी ऐसे नहीं आती। मुझे भी कोई शौक नहीं है। मैं आपको पहले भी बता चुकी हूँ कि मुझे कोई इंटरेस्ट नहीं है आप में। ये बात आपके दिमाग में नहीं घुसता क्या? कैसे बने इतने बड़े बिज़नेसमैन?"

    भूमि की बात सुनकर मानव को बहुत इंसल्ट फील हुआ और वह भूमि का हाथ पकड़कर उसे अलमारी से सटाकर गुस्से में उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "अच्छा, तो तुम्हें इंटरेस्ट नहीं है मुझ में, तो यहाँ क्या कर रही हो? जाओ ना जिस पर तुम्हारा इंटरेस्ट है, उसके पास जाओ। यहाँ पर क्या कर रही हो? मैंने तुम्हें बाँधकर तो नहीं रखा है।"

    मानव की बात सुनकर भूमि की आँखों में आँसू आ गए, पर उसने अपने आँसू पोछे और फिर से मानव को खुद से दूर धक्का देते हुए कहा, "मैं कहीं नहीं जाऊँगी। और यहाँ मुझे आप ले आए हैं, और यहाँ रहने का हक़ मुझे पापा और दादी ने दिया है, तो जब तक वो ना कहें, मैं कहीं नहीं जाऊँगी।"

    इतना कहकर भूमि एक कदम आगे बढ़ाई तो उसे एहसास हुआ कि उसकी टॉवल लूज़ हो गई है और वह भीग गई है। भूमि ने जल्दी से अपनी टॉवल पकड़ी और साइड से दौड़ते हुए बाथरूम में जाने लगी। पर भूमि को जाते देख मानव ने उसका हाथ पकड़ लिया और अपने पास खींच लिया और कहा, "तुम्हें दादी और मम्मी जो भी कहें, पर यह रूम मेरा है, तो यहाँ मैं जो कहूँगा, वही होगा।"

    भूमि मानव से खुद को छुड़ाते हुए अपने मन में कह रही थी, "मैं कैसे भूल गई कि मैं अभी टॉवल में हूँ और ये कब से बकवास कर रहा है? इसके बारे में बाबा कितने अच्छे-अच्छे बातें कहते थे, पर मुझे इनके अंदर कुछ नहीं दिख रहा, सिर्फ़..."

    भूमि इतना ही कह पा रही थी कि तभी उसे अपने कॉलरबोन पर मानव के होंठ महसूस हुए। इससे भूमि के पूरे बदन में करंट दौड़ गया और वह मानव को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी। पर मानव दूर नहीं हुआ और भूमि के कॉलरबोन से लेकर नेक तक किस करने लगा। उसका हाथ भूमि की कमर पर चल रहा था।

    भूमि मानव को खुद से दूर करने की कोशिश ही कर रही थी कि इतने में उसकी टॉवल खुल गई और नीचे गिर गई।

    अब भूमि पूरी तरह से नग्न थी। शर्म के कारण उसे गुज़बम्प्स आने लगे और उसकी हार्टबीट बहुत तेज हो गई, किसी बुलेट ट्रेन की तरह। अब वह हिलने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी।

    वहीं मानव, इस सब से अनजान, अपनी आँखें बंद करके भूमि को किस कर रहा था। वह पूरी तरह से भूमि में डूब गया था। उसका एक हाथ भूमि की कमर से नीचे जा रहा था और दूसरा हाथ कमर से ऊपर की तरफ। मानव के होंठ भूमि के नेक और कॉलरबोन को किस करते हुए चूस और चाट रहे थे।

    मानव अपने हाथों की हरकत बढ़ाता उससे पहले ही उनके दरवाज़े पर दस्तक हुई। दस्तक की आवाज़ सुनकर मानव होश में आया और भूमि को छोड़ दिया।

    मानव के छोड़ते ही भूमि ने जल्दी से अपनी टॉवल नीचे से उठाई और उसे खुद पर लपेटकर साड़ी लेकर जल्दी से बाथरूम में चली गई और दरवाज़ा बंद कर दिया।

    मानव, जिसने भूमि को कुछ सेकंड के लिए ही सही, पर नग्न देख लिया था, फिर से होश खो बैठा था। उसका होश फिर से दरवाज़े पर दस्तक से आया और मानव ने एक गहरी साँस लेकर खुद को शांत किया और दरवाज़े की ओर बढ़ गया। अब आगे क्या होगा? कौन है जो दरवाज़े पर दस्तक दे रहा है?

  • 16. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 16

    Words: 1200

    Estimated Reading Time: 8 min

    मानव ने जाकर दरवाज़ा खोला तो बाहर देव खड़ा था। मानव ने देव से पूछा, "क्या है?"

    देव की हँसी निकल गई और वह हँसते हुए बोला, "यह क्या हाल बना रखा है अपना? सुबह-सुबह फिर से शुरू हो गया था क्या? रोमांस करना? क्या यार, भाभी को थोड़ा तो रेस्ट करने दे।"

    देव की बात सुनकर मानव ने एक भौं ऊपर उठाई और उसे घूरने लगा। देव फिर बोला, "ऐसे मत कर। तेरा हाल देखकर समझ आ रहा है, क्या कर रहा था? और क्यों इतना लेट हुआ दरवाज़ा खोलने में? (फिर अपनी हँसी रोकते हुए) और मैं यह कहने आया था कि जल्दी से तू और भाभी दोनों नीचे आ जाओ। भाभी के भाई आ रहे हैं भाभी को लेने। तू जल्दी आ और हाँ, फिर से रोमांस स्टार्ट मत कर देना, ठीक है? भाभी के भाई आ रहे हैं और..."

    "...और तू रुक, मैं तुझे बताता हूँ और क्या... रुक जरा!" मानव ने देव की ओर बढ़ते हुए कहा।

    मानव को अपनी ओर आते देख देव वहाँ से भाग गया और भागते हुए बोला, "सच्चाई ही तो बोला तू, जा आईने में अपनी हालत देख, फिर मुझे पकड़ने आना। वैसे भी तेरा तो यही काम है, मुझे मारना।"

    इतना कहते-कहते देव निकल गया। देव के जाने के बाद मानव आईने के सामने आया और खुद को देखकर चौंक गया क्योंकि उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे और वह कुछ अजीब सा लग रहा था, जिसे देखकर किसी का भी शक होना लाजमी था।

    फिर मानव ने अपने बाल ठीक करने लगे और अपनी शर्ट भी ठीक कर ली। तभी वॉशरूम से भूमि निकली। भूमि को देख मानव कुछ पल के लिए देखता ही रह गया, पर खुद को संभालकर बोला, "सब नीचे बुला रहे हैं। तुम्हारे भाई आने वाले हैं तुम्हें लेने।"

    मानव की बात सुनकर भूमि खुश हो गई और बोली, "क्या सच में भाई आने वाले हैं? कब आने वाले हैं? क्या वे आ गए?"

    भूमि को इतना खुश देख मानव को अच्छा नहीं लगा क्योंकि भूमि उससे दूर जा रही थी और वह खुश थी। यह उसे अच्छा नहीं लगा, इसलिए उसने भूमि के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और कमरे से जाने लगा। भूमि ने उसे पीछे से पुकारा, "क्या हुआ? बताओ क्यों नहीं रहे हो? मुँह पे ताले लग गए क्या? बताओ ना।"

    भूमि की बात सुनकर मानव रुक गया और उसे अपनी एक भौं उठाकर देखते हुए बोला, "तुम मुझसे सवाल कर रही हो? और वह भी इतने सारे? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे सवाल करने की?"

    मानव की बात सुनकर भूमि जरा भी नहीं डरी और मानव की आँखों में देखते हुए बोली, "हिम्मत? तुम हिम्मत की बात मत करो मिस्टर मित्तल, क्योंकि ना तो मैं तुमसे डरती हूँ और ना ही तुम्हारे साथ मेरा कोई रिश्ता है।"

    भूमि कुछ और कहती, इससे पहले ही मानव उसके बिलकुल करीब आकर खड़ा हो गया और कुछ कहने ही वाला था कि तभी पीछे से आवाज़ आई, "भाभी, चलिए नीचे, सब बुला रहे हैं।"

    आवाज़ सुनकर मानव और भूमि दरवाज़े की ओर देखे तो वहाँ रोशनी खड़ी थी। रोशनी को देख भूमि उसके पास गई और उसे गोद में उठाकर नीचे ले जाने लगी, और मानव को एक नज़र भी नहीं देखी। मानव भी गुस्से में भूमि को घूरते हुए उसके पीछे जाने लगा।

    नीचे हॉल में सब बैठे थे। माही रोशनी की ओर देखते हुए बोली, "ये दोनों अभी भी क्यों नहीं आ रहे? रोशनी कब गई है?"

    देव माही के पास आकर उसके कंधे पर अपनी कोहनी टिकाकर बोला, "भाभी आज जाने वाली है, तो..."

    देव की बात ख़त्म होने से पहले मानव सीढ़ियों से उतरते हुए बोला, "तो क्या, देव?"

    मानव की आवाज़ सुनकर सब सीढ़ियों की ओर देखे तो वहाँ मानव और भूमि आ रहे थे। भूमि की गोद में रोशनी थी।

    भूमि को देख मीनाक्षी जी ने उसे अपने पास बुलाया। भूमि भी रोशनी को लेकर मीनाक्षी जी के पास गई। मीनाक्षी जी ने कहा, "मेरे पास बैठ।" मीनाक्षी जी की बात सुनकर भूमि रोशनी को अपनी गोद से नीचे उतारकर उनके पास बैठ गई और दादी को देखती रही। मीनाक्षी जी ने उसके गाल पर हाथ रखकर कहा, "विक्रम आ रहा है तुझे लेने।"

    मीनाक्षी जी की बात सुनकर भूमि के चेहरे पर एक मुस्कान आ गई। जिसे देख कुछ लोग खुश हुए और कुछ लोगों ने उसे अनदेखा कर दिया। और कोई था जो भूमि के आने के बाद से उसे ऊपर से नीचे तक गंदी नज़र से घूर रहा था, जो भूमि की मुस्कान से और आकर्षित हो रहा था। वहीं मानव को भूमि की मुस्कान देखकर इरिटेशन हो रहा था।

    मानव दरवाज़े की ओर जाते हुए बोला, "मैं आफिस जा रहा हूँ।"

    मानव की बात सुनकर सब उसे देखने लगे और कोई कुछ कहता, इससे पहले मानव बाहर निकल गया। मानव की यह हरकत किसी को पसंद नहीं आई और भूमि की आँखें नम हो गईं, पर उसने किसी को यह पता नहीं चलने दिया।

    देव सबको समझाते हुए बोला, "अरे, वो क्या है ना, आज बहुत बहुत इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग है और मैं नहीं जा रही, तो मानव पर ज़्यादा प्रेशर पड़ गया।" इतना कहकर देव जबरदस्ती मुस्कुरा दिया। देव की बात सुनकर माही, जो उसके पास ही खड़ी थी, धीरे से बोली, "पर आफिस वाले कौन शर्ट और जींस पहनकर जाते हैं?"

    उसकी बात देव ने सुन ली क्योंकि दोनों पास ही खड़े थे। वो माही के बाल को हल्के से खींचकर बोला, "तू ज़्यादा अपना दिमाग मत चला समझी।"

    देव की बात सुनकर माही उसे कुछ पल घूरकर देखती रही, फिर सामने देखने लगी और देव भी सामने देखने लगा।

    वहीं देव की बात सुनकर वानी जी मुँह बिगाड़ते हुए बोली, "अगर यह इस घर की बहू बनी रही, तो मानव की हर दिन इम्पॉर्टेन्ट मीटिंग रहेगी।"

    वानी जी की बात सुनकर मीनाक्षी जी और रवि जी उन्हें घूरने लगे। तो वानी जी वहाँ से अपने कमरे में चली गईं। उनके जाने के बाद रवि जी भूमि को देखकर बोले, "बेटी, तुम उसे गलत मत समझना, वो क्या है ना..."

    रवि जी की बात काटते हुए भूमि बोली, "पापा जी, मैंने कुछ गलत नहीं समझा। मैं समझ सकती हूँ। बुआ जी मुझे मिस्टर मित्तल के..."

    भूमि कुछ और कहती, इससे पहले पीछे से आवाज़ आई, "गुरिया!"

    आवाज़ सुनकर सब दरवाज़े की ओर देखे तो वहाँ विक्रम खड़ा था। विक्रम को देख भूमि की आँखें नम हो गईं और वह जल्दी से दौड़ती हुई विक्रम के पास गई और उसे गले लगा लिया। विक्रम ने भी उसे गले लगा लिया।

    भूमि विक्रम के गले लगकर रोने लगी। विक्रम की भी आँखें नम हो गई थीं।

    क्रमशः

  • 17. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 17

    Words: 1061

    Estimated Reading Time: 7 min

    सब लोग सोफ़े पर बैठे थे। भूमि और विक्रम एक साथ बैठे थे। विक्रम इधर-उधर देखते हुए पूछता है, "मानव कहाँ है? कहीं दिख नहीं रहा।"

    विक्रम की बात सुनकर सब चुप हो जाते हैं। इसे देख विक्रम सबके चेहरे देखते हुए फिर से पूछता है, "क्या हो गया? आप सब ऐसे चुपचाप क्यों हो गए? मैंने कुछ गलत पूछ लिया क्या?"

    विक्रम की बात सुनकर देव कहता है, "अरे नहीं, वो क्या है ना, मानव को कुछ बहुत इम्पॉर्टेन्ट काम पर जाना पड़ा। इसलिए वो गया है। बट वो जाना नहीं चाहता था। हमने ज़बरदस्ती भेजा क्योंकि यह काम बहुत ही इम्पॉर्टेन्ट है।"

    देव की बात सुनकर विक्रम हाँ में सिर हिला देता है। घर के बाकी लोग चैन की साँस लेते हैं। मीनाक्षी जी कहते हैं, "अब चलो सब खाना खा लो। वैसे भी लेट हो रहा है।"

    दादी की बात सुनकर सब डायनिंग एरिया की ओर जाने लगते हैं। सब चले जाते हैं। तभी देव को यह एहसास होता है कि माही अभी भी वहीं खड़ी है। वह माही के पास जाता है और देखता है कि माही एकटक विक्रम को देख रही थी। इसे देख देव हँसते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर कहता है, "मन में लड्डू फूटा?"

    "हाँ," मुझे सुन माही भी हां में गर्दन हिला देती है। देव उसके सिर पर मारकर कहता है, "तो अपने लड्डू को बाहर निकाल लो और अपने लड्डू को विक्रम के पास भेज दो। और उसके दिल में भी लड्डू फूट जाएँ।"

    देव के मारने से माही होश में आती है और हरबराकर देव को देखते हुए कहती है, "कैसे लड्डू? सब खाने बुला रही है।"

    इतना कहकर, देव की बात सुने बिना, वह जल्दी से डायनिंग एरिया की ओर चली जाती है। देव मुँह बनाते हुए उसके पीछे-पीछे चला जाता है। सब एक साथ बैठकर खाना खाने लगते हैं। मेड उन्हें सर्व कर रहे थे।

    खाना खाने के बाद सब फिर से ड्राइंग रूम में आकर बैठते हैं। विक्रम कहते हैं, "दादी जी, हमें अब निकलना होगा। मतलब, यहाँ से गाँव जाने में बहुत टाइम लगता है, है ना? इसलिए कह रहे हैं।"

    विक्रम की बात सुनकर दादी जी मुस्कुराते हुए कहती हैं, "हाँ हाँ, मुझे पता है। पर तब तक तो यहाँ रुक जाओ जब तक ये लोग तैयार हो जाएँ और पैकिंग-बैकिंग सब कर लें।"

    विक्रम की बात सुनकर दादी जी मुस्कुराते हुए हाँ में सिर हिला देते हैं। दादी माही, भूमि और देव को देखकर कहती हैं, "तुम लोग जल्दी जाओ, तैयार हो जाओ और पैकिंग भी कर लो।"

    दादी की बात सुनकर देव, माही और भूमि जल्दी से अपने-अपने रूम में पैकिंग करने चले जाते हैं।

    उनके जाने के बाद रवि जी विक्रम से पूछते हैं, "अब आगे क्या करने का प्लान है?"

    विक्रम: "वो अंकल, मैं हमारे गाँव में ही रहना चाहता हूँ अब। और गाँव के लोगों की सेवा करना चाहता हूँ क्योंकि हमारे गाँव में कोई अच्छा डॉक्टर नहीं है।"

    विक्रम की बात सुनकर सब खुश हो जाते हैं। मीनाक्षी जी कहते हैं, "अरे वाह! ये तो बहुत ही अच्छी बात है।"

    उनकी बात सुनकर विक्रम मुस्कुरा देते हैं। ऐसे ही सब बातें कर रहे थे कि कुछ देर बाद भूमि, माही और देव आते हैं। भूमि सबको प्रणाम करती है और विक्रम के साथ घर से निकल जाती है।

    कार में देव और माही एक साथ पीछे की सीट पर बैठे थे। विक्रम कार ड्राइव कर रहा था और भूमि उसके बगल में बैठी थी।

    कार में देव, भूमि और विक्रम बातें कर रहे थे। बातें करते-करते भूमि देव के साथ घुल मिल गई थी। विक्रम और देव की भी फ़्रेंडशिप हो गई थी। पर माही कुछ नहीं कह रही थी। वह बस एकटक नज़रों से विक्रम के हैंडसम फ़ेस को देख रही थी।

    यह देव को पता चल रहा था, पर उसने उसे कुछ नहीं कहा और विक्रम के साथ बातें करने लगा। विक्रम जो भूमि और देव से बातें कर रहा था, उसे भी माही की एकटक नज़र आ रही थी कि माही कैसे, कब से उसे एकटक देख रही है। और उसे यह बात बहुत अजीब लगने लगी।

    विक्रम जब भी बातें करते-करते माही की ओर देखता, तो पाता कि माही उसे वैसे ही घूर रही है।

    बहुत देर तक ऐसा ही चलता रहा। फिर भूमि ने कहा, "माही, तुम कुछ क्यों नहीं कह रही हो? चुप क्यों हो?"

    भूमि की बात सुनकर भी माही कुछ नहीं कहती। तो देव साइड से माही को चिकोटी काटकर कहता है, "माही, तुझसे कुछ कह रहे हैं भाभी।"

    देव के चिकोटी काटने से माही होश में आती है और हरबराते हुए कहती है, "क-क्या हुआ भाभी? आप कुछ पूछ रही थीं?"

    माही की इस हरकत पर विक्रम की हँसी निकल जाती है, पर वह किसी तरह खुद को रोक लेता है और सामने देखने लगता है।

    वहीं कुछ दूरी पर एक ब्लैक कलर की कार जो उनकी कार को फ़ॉलो कर रही थी, और उस कार में कोई और नहीं, मानव बैठा था, जो ना जाने कब से अपने ही घर के बाहर छिपकर बैठा था और जब विक्रम ने कार निकाली तो उसके पीछे-पीछे चल पड़ा।

    वहीं मुम्बई में बहुत ही आलीशान रूम में, उस रूम की हालत कुछ भी ठीक नहीं थी। उस रूम की हर चीज़ इधर-उधर पड़ी थी। सारे चीज़ें टूटी-फूटी थीं।

    और इस सबके बीच एक लड़की बैठी थी। उस लड़की का चेहरा उसके बालों से ढँका हुआ था। और फर्श पर उसके आँसुओं की बूँदें टपक रही थीं, जिससे साफ़ समझ आ रहा था कि वो लड़की रो रही है।

    वो लड़की रोते-रोते अचानक जोर-जोर से हँसने लगती है और कहती है, "तुम सिर्फ़ मेरे हो। तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते। हा हा हा हा! मैं उस बाज़ूद को ही मिटा दूँगी जो तुम्हें मुझसे दूर करने की कोशिश करेगी। यू आर माय मानव। तुम मेरी हो।"

    इतना कहते-कहते वो लड़की उठ खड़ी होती है और इधर-उधर घूमने लगती है। उस लड़की को देख ऐसा लग रहा था कि वो लड़की ठीक नहीं है। उसकी मेंटल हेल्थ बिगड़ी हुई है।

    अब आगे क्या होगा? कौन है ये लड़की?

  • 18. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 18

    Words: 1038

    Estimated Reading Time: 7 min

    विक्रम ने अपनी कार घर के बाहर रोकी। कार की आवाज़ सुनकर प्रदीप जी, अंजना जी और पाखी बाहर आये। राजू काका और दो नौकर भी बाहर आये। विक्रम ने भूमि और बाकी सबका सामान कार से निकालकर घर के अंदर ले गया। वहीं, विक्रम और भूमि को देखकर अंजना जी मुँह बना लेती हैं। पाखी दौड़कर विक्रम के पास आकर उसके गले लग गई और बोली, "भैया, आप कैसे हैं? पता है मैंने आपको कितना मिस किया?"

    विक्रम ने भी पाखी को गले लगाते हुए मुस्कुराकर कहा, "पता है, इसीलिए तो अब मैं यहीं रहूँगा।"

    विक्रम की बात सुनकर पाखी उससे अलग हुई और बोली, "सच्ची?"

    विक्रम ने कहा, "मुच्ची।"

    विक्रम की बात सुनकर पाखी खुश हो गई और अपने हाथ आगे करके बोली, "और मेरी गिफ्ट?"

    पाखी की बात सुनकर विक्रम ने अपने माथे पर हाथ रख दिया और कहा, "ओ तेरी! मैं तो गिफ्ट लाना ही भूल गया।"

    विक्रम की बात सुनकर पाखी उदास हो गई और बोली, "क्या, भैया? मैंने आपको कितनी बार कहा है मेरे लिए गिफ्ट लाने को, और आप फिर से भूल गए?"

    विक्रम ने कान पकड़ते हुए कहा, "सॉरी।"

    पाखी मुँह फुलाकर घर के अंदर चली गई। उसके अंदर जाते ही प्रदीप जी बोले, "विक्रम, भूमि, माही बेटी और देव बेटा, सब अंदर आओ।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर सब अंदर गए। अंदर जाकर सबसे पहले भूमि ने प्रदीप जी के पैर छूकर प्रणाम किया और फिर अंजना जी के पैर छूने गई। अंजना जी ने अपने पैर पीछे खींच लिए। इसे देख भूमि उदास हो गई और माही के पास जाकर खड़ी हो गई।

    फिर विक्रम ने भी प्रदीप जी के पैर छूकर प्रणाम किया, पर अंजना जी को प्रणाम तो दूर, देखा तक नहीं। तब प्रदीप जी बोले, "जाओ, सब जाकर आराम कर लो। बहुत दूर से आये हो, थक गए होंगे। और राजू काका, माही बेटी और देव को उनके कमरे दिखा दो।"

    भूमि और विक्रम अपने-अपने कमरों में चले गए। राजू काका माही और देव को लेकर उनके कमरे दिखाने चले गए।

    कुछ देर बाद सब फ्रेश हो गए। माही अपने कमरे से बाहर आकर देव के कमरे में गई। देव बेड पर बैठा, कान में हेडफ़ोन लगाकर गाना सुन रहा था और हिलते हुए नाच रहा था।

    माही धीरे-धीरे कदमों से देव के पास गई और उसके कान से हेडफ़ोन निकालकर उससे दूर खड़ी हो गई। देव ने जब माही की यह हरकत देखी तो गुस्से में बोला, "तू चुहिया फिर से आ गई और मेरा हेडफ़ोन मुझे वापस कर!"

    माही ने हेडफ़ोन अपने पीछे करते हुए कहा, "हाँ, वापस कर दूँगी, पर उसके लिए तुम्हें मेरा एक काम करना होगा।"

    देव ने पूछा, "काम? कैसा काम?"

    माही ने कहा, "तुम्हें भाभी से बात करके विक्रम के बारे में सब पता करना होगा।"

    माही की बात सुनकर देव ने अपनी आँखें छोटी करते हुए कहा, "और तुझे यह लगता है कि मैं यह करूँगा? और वह भी सिर्फ़ एक हेडफ़ोन के लिए? मैं ऐसा हेडफ़ोन हज़ार खरीद सकता हूँ।"

    माही ने रोने जैसा चेहरा बनाकर कहा, "प्लीज़ देव, तुम मुझे अपनी प्यारी फ़्रेंड को इतना सा हेल्प नहीं कर सकते?"

    देव ने कहा, "नहीं कर सकता। और तू कहीं प्यारी नहीं है, चुड़ैल है, चुड़ैल!"

    माही कुछ सोचकर देव को देखने लगी, "ठीक है, तो मैं एक काम करती हूँ। पापा को कॉल करके कहती हूँ कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुमसे शादी करना चाहती हूँ। क्योंकि अगर मुझे विक्रम नहीं मिलेगा, तो जिसकी वजह से मुझे वो नहीं मिला, मैं उसे नहीं छोड़ूंगी।"

    देव हैरानी से बोला, "ऐऐ चुड़ैल, मेरी..."

    देव और कुछ कहता, उससे पहले माही बोली, "अगर तुम भाभी से विक्रम जी की इन्फ़ॉर्मेशन नहीं निकाले तो मैं सच में चुड़ैल बनकर तुम्हारे सिर में मँडराती रहूँगी पूरी ज़िन्दगी। अब तुम सोचो तुम्हें क्या करना है?"

    माही की बात सुनकर देव मुँह बिगाड़ते हुए रूम से बाहर निकल गया। देव को जाते देख माही मुस्कुरा दी और खुद भी उस कमरे से निकल गई।

    वहीं, भूमि अपने रूम से निकलकर प्रदीप जी के रूम की ओर जाने लगी। तभी अंजना जी उसके सामने आ गईं और बोलीं, "कहाँ जा रही है महारानी? बड़े घर में शादी क्या हो गई तेरी? तेरे तो तेवर ही बदल गए!"

    अंजना जी की बात सुनकर भूमि बोली, "नहीं माँ, मैं तो बाबा के पास जा रही थी। वो..."

    अंजना जी ने कहा, "वो वो मत कर। रसोई में बर्तन हैं, धुल दे जा। और कुछ कपड़े भी हैं, उन्हें भी थोड़ा सा धो दे।"

    भूमि बोली, "पर माँ, रात को..."

    अंजना जी ने कहा, "क्या रात को? अब रात का बहाना मत दे। अगर नहीं करना तो साफ़-साफ़ कह दे। मैं ही अपने कमर दर्द लेकर सारा काम कर लूँगी।"

    भूमि सिर हिलाते हुए बोली, "नहीं माँ, मेरा वो मतलब नहीं था। मैं कर दूँगी सब।"

    इतना कहकर भूमि रसोई की ओर चली गई। उसके जाते ही अंजना जी के चेहरे पर एक टेढ़ी मुस्कान आ गई और वो बोलीं, "अब आएगा मज़ा!"

    इतना कहकर वो वहाँ से अपने कमरे की ओर चली गईं। वहीं, देव जब भूमि के कमरे के पास आया तो बोला, "भाभी, क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?"

    पर अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई। देव ने तीन-चार बार कहा, फिर दरवाज़ा खोलते हुए बोला, "भाभी, मैं अंदर आ रहा हूँ।"

    इतना कहकर वह अंदर चला गया। अंदर कोई नहीं था। यह देख देव सोचा, "शायद भाभी बाहर गई है।"

    इतना कहकर देव जैसे ही बाहर जाने के लिए पलटा, तभी उसे कुछ दिखा, जिसे देख वो फिर से पलटकर सामने दीवार में देखने लगा। सामने भूमि और पीहू की फ़ोटो दीवार पर टंगी थी।

    फ़ोटो में भूमि और पीहू दोनों ने ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी। कोई मेकअप नहीं, माथे पर एक छोटी सी बिंदी और हाथों में ब्लू कलर की चूड़ियाँ। इतने में ही दोनों बहुत प्यारे लग रहे थे। पर देव की नज़र भूमि पर नहीं, पीहू के ऊपर थी और पीहू के चेहरे को वह एकटक देख रहा था। अब आगे क्या होगा? क्या चल रहा है अंजना जी के दिमाग में?

  • 19. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 19

    Words: 1317

    Estimated Reading Time: 8 min

    देव पीहू के फ़ोटो को देखते हुए कहा, "ये लड़की भी तो शादी में थी। (पीहू का नाम याद करते हुए) इसका नाम क्या था? क्या? हाँ, याद आया। इसका नाम तो पीहू है, शायद। ये भाभी की फ़्रेंड होगी। भाभी की फ़्रेंड भी उनकी ही तरह क्यूट हैं।"

    तभी कमरे में पीहू आई और कहते हुए, "अरे मेरी जान! मुझे मिस किया तुमने? या अपने पतिदेव को पाकर मुझे भूल गई?"

    पीहू और कुछ कहती, उससे पहले उसकी नज़र सामने खड़े शख्स पर गई जो उसे घूर कर देख रहा था। यह देख पीहू एकदम से चुप हो गई और वह भी देव को देखने लगी।

    कुछ देर देखने के बाद पीहू होश में आई और देव को ऐसे खुद को देखते देखकर बोली, "क्या है? ऐसे आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो? कभी किसी खूबसूरत लड़की को नहीं देखा क्या? या शहर में खूबसूरती की कमी है?"

    देव जो पीहू को देखकर उसमें खो गया था, उसकी आवाज़ सुनकर होश में आया और पीहू को रोकते हुए बोला, "ओओ हेलो! अपनी ये बकवास बन्द करो और अपनी ये गलतफ़हमी भी ठीक कर लो कि तुम ब्यूटीफुल हो।"

    पीहू कमर पर हाथ रख अपनी एक आइब्रो ऊपर कर बोली, "तुम मुझे बदसूरत कह रहे हो?"

    देव एटीट्यूड के साथ बोला, "मैं कब कह रहा हूँ? तुम खुद कह रही हो।"

    पीहू देव के पास अपनी कदम बढ़ाते हुए बोली, "तो तुम मेरे फ़ोटो क्यों देख रहे थे?"

    देव बोला, "मैं कब तुम्हारी फ़ोटो देख रहा था? मैं तो भाभी को देख रहा था। कितनी प्यारी लग रही थी, पर तुम्हारे लिए फ़ोटो खराब हो गई।"

    पीहू को देव की बात सुनकर बहुत ज़्यादा गुस्सा आया। वह गुस्से में बोली, "तुम बंदर कहीं के! तुम मुझे बदसूरत कह भी कैसे सकते हो? अपने चेहरे को देखा है कभी आईने में?"

    देव अपनी आँखें छोटा कर बोला, "तुमने मुझे बंदर कहा?"

    पीहू बोली, "हाँ, क्यों? तुम्हें कम सुनाई देता है क्या? वैसे तुम ऐसी बेसी बंदर नहीं हो, तुम एक प्रॉब्लम्स मंकी हो।"

    इतना कहते ही पीहू दौड़कर कमरे से बाहर चली गई। देव पहले तो समझ नहीं पाया, पर जब उसे समझ आया कि पीहू ने उसे क्या कहा तो सबसे पहले वह कमरे में रखे आईने के सामने आया और अपने नाक को देखने लगा।

    कुछ देर अपने नाक को देखने के बाद वह खुद से बोला, "मेरा नाक तो ठीक ही तो है। लड़की ने मुझे प्रॉब्लम्स मंकी क्यों कहा? खुद है प्रॉब्लम्स मंकी और मुझे कह रही है।"

    इतना कहकर वह भूमि के कमरे से बाहर चला गया और अपने कमरे की ओर जाने लगा।

    वहीं माही अकेली ही पूरे घर को घूम-घूमकर देख रही थी। तभी उसकी नज़र एक कमरे पर पड़ी और वह उस कमरे में जाने लगी। वह कमरा विक्रम का था जो अभी अपनी डायरी पर कुछ लिख रहा था। माही उसके कमरे में जा पाती, उससे पहले ही उसे कहीं किसी के कदमों की आहट महसूस हुई, जिससे माही जल्दी से साइड में रखे टेबल के पीछे छिप गई।

    माही छिपी ही थी कि इतने में उसके कानों में एक लड़की की आवाज़ आई जो कह रही थी, "विक्रम! तुम कब आए? मुझे बताया भी नहीं। (वह लड़की इतना कह ही थी कि इतने में वह थोड़ी तेज आवाज़ में फिर से कहती है) मुझे छोड़ो, वरना मैं चिल्ला दूँगी। फिर देखना, काका तुम्हें बहुत डाँटेगी।"

    उस लड़की की बात सुनकर विक्रम बोला, "ठीक है। बुलाओ बाबा को। मैं भी देखता हूँ बाबा मुझे कितना डाँटते हैं।"

    विक्रम की बात सुनकर इस बार यह लड़की हल्का चिल्लाकर बोली, "आआआ! दर्द हो रहा है! विक्रम! छोड़ो! कोई देख लेगा तो!"

    विक्रम बोला, "देख लेगा तो देखने दे। मुझे किसी से डर नहीं।"

    वह दोनों ऐसे ही बातें कर रहे थे जो माही साफ़-साफ़ सुन पा रही थी और उसे यह सब सुनकर लग रहा था कि ये दोनों कुछ गलत कर रहे हैं। और विक्रम को किसी और लड़की के साथ देख माही को बहुत बुरा लगा और वह विक्रम और उस लड़की को देखे बिना ही वहाँ से चली गई।

    वहीं कमरे के अंदर विक्रम पीहू के बालों को खींच रहा था और पीहू उससे अपने बाल छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। पीहू रोने जैसा चेहरा बनाकर बोली, "प्लीज़ भैया! मुझे दर्द हो रहा है। छोड़ दीजिए ना। अब आपको अपने इस प्यारे बहन के ऊपर थोड़ा भी तरस नहीं आता क्या? जो ऐसे मेरे बालों को खींच रहे हो।"

    इस बार विक्रम पीहू के बालों को छोड़ दिया और बोला, "अब आई ना सही रास्ते पर! (उंगली दिखाते हुए) अगर फिर कभी तुमने मुझे विक्रम कहा तो मैं तुम्हें मार डालूँगा।"

    विक्रम की बात सुनकर पीहू थोड़ा दूर जाते हुए बोली, "भैया! मैं तुम्हें विक्रम ही बुलाऊँगी। मैं भी देखती हूँ तुम मुझे कैसे मारते हो? ओके बाय विक्रम! मुझे भूमि से मिलना है।"

    इतना कहकर पीहू दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकल गई। पीहू को जाते देख विक्रम एक गहरी साँस ली और बोला, "कैसी-कैसी बहनें मिली हैं मुझे? सबके सब अजूबे हैं।" इतना कहकर अपनी सिर हिला दिया और फिर से अपनी डायरी निकाल उसमें कुछ लिखने लगा।

    वहीं भूमि बर्तन धोने के बाद कपड़े धोने गई और कपड़े धोने लगी। भूमि कपड़े धो ही रही थी कि तभी चिल्लाते हुए पीहू वहाँ आ गई और भूमि को खींचकर वहाँ से उठा ले गई और बोली, "पागल! देख नहीं सकती क्या? अभी वह बिच्छू तुझे काट लेता।"

    पीहू की बात सुनकर भूमि जब सामने देखती है तो वहाँ पर एक बिच्छू था। भूमि पीहू को देखकर बोली, "मैंने नहीं देखा। वह कपड़े धो रही थी तो मैंने ध्यान नहीं दिया।"

    पीहू गुस्से में बोली, "तू कपड़े धो क्यों रही है? और वह भी रात को! मैं तो तुझे पूरे घर में ढूँढ-ढूँढकर पागल हो रही थी। फिर राजू काका ने कहा तू यहाँ है कपड़े धो रही है।"

    इतना कहकर पीहू अपने हाथों को फ़ोल्ड कर दूसरी तरफ़ मुँह करके खड़ी हो गई। जिसे देख भूमि उसे अपने ओर पलटाते हुए बोली, "गुस्सा तुम करो। माँ की कमर दर्द है और तुझे पता है उसकी तबियत खराब है तो।"

    पीहू भूमि को देखकर बोली, "तो उन्होंने तुझे कहा और तू कपड़े धोने आ गई? घर में और काम कम पड़ गया था क्या? पहले तू सारा काम करती थी, मेरी एक बात नहीं मानती थी। पर अब तेरी शादी हो गई है और तेरे साथ जो दो लोग आए हैं, उन्होंने अगर तुझे ऐसे कपड़े धोते देखा तो वह क्या सोचेंगे?"

    भूमि पीहू को कुछ कहने ही वाली थी कि तभी पीहू फिर से बोली, "तुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं। मुझे पता है तू मेरी बात आज भी नहीं मानेगी तो चल, मैं भी तेरे साथ कपड़े धो देती हूँ। इससे जल्दी-जल्दी काम हो जाएगा और अब तू मुझे नहीं मानेगी बस।"

    पीहू की बात सुनकर भूमि मुस्कुरा दी और बोली, "ठीक है मेरी बकबक रानी! मैं तुझे मानूँगी नहीं।"

    पीहू की बात सुनकर भूमि भी मुस्कुरा दी। "फिर दोनों मिलकर कपड़े धोने लगीं।"

    वहीं अंजना जी जो दूर से यह सब देख रही थीं, वह अंजना जी अपनी लाल आँखों से भूमि और पीहू को देखते हुए गुस्से में बोलीं, "यह पीहू बार-बार मेरे प्लान की बन्द बजा देती है। अब लगता है मुझे इस लड़की को पहले टपकाना पड़ेगा। उसके बाद मैं इस कलमुही को देख लूँगी।" इतना कहकर कुछ देर भूमि और पीहू को घूरने के बाद पैर पटककर वहाँ से चली गईं।

    अब आगे क्या होगा? क्या करना चाहती हैं अंजना जी भूमि के साथ?

  • 20. I'm Crazy for you ♥️ - Chapter 20

    Words: 1160

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    रात के वक्त सब डाइनिंग हॉल में आए और अपने-अपने चेयर पर बैठ गए। पीहू और विक्रम एक साथ बैठे। पाखी उनसे थोड़ा दूर बैठी थी क्योंकि वह विक्रम से नाराज़ थी। देव पाखी के पास बैठा था और प्रदीप जी बीच के चेयर पर बैठे थे। माही अभी भी नहीं आई थी।

    भूमि किचन में थी और सब देख रही थी। उसने एक थाली में सारा खाना रखकर डाइनिंग टेबल पर रखा। सब हो जाने के बाद, भूमि जैसे ही किचन से बाहर जाने को हुई, अंजना जी आ गईं। उन्हें किचन में देखकर भूमि ने कहा, "माँ आप यहाँ? आपको कोई काम था?"

    "नहीं, मुझे तुझसे कुछ बात करनी थी," अंजना जी ने कहा।

    "हाँ माँ, बोलिए," भूमि ने कहा।

    "पीहू को कहना, वह कल भी हमारे घर रुक जाए। और वैसे भी कल दामाद जी आने वाले हैं, तो उनसे भी मिल लेगी।"

    अंजना जी की बात सुनकर भूमि खुश हो गई और मुस्कुराते हुए बोली, "ठीक है माँ, मैं पीहू को कह दूँगी।"

    भूमि की बात सुनकर अंजना जी कुछ नहीं कहतीं और किचन से चली जाती हैं। जाते हुए अपने मन में कहती हैं, "बस कल रात तक इंतज़ार है, उसके बाद..."

    इतना कहते-कहते उनके चेहरे पर कुटिल मुस्कान आ जाती है और वे प्रदीप जी के पास, उनके बगल में बैठ जाती हैं। वह अंजना जी की चाल से अनजान, भूमि यह सोचकर खुश हो रही थी कि उसकी माँ पीहू को पसंद करती हैं। किचन से बाहर जाते हुए भूमि ने कहा, "पीहू ख़ामख़ाह हमेशा माँ को ग़लत समझती रहती है। वो तो कितनी अच्छी हैं और पीहू को पसंद भी करती हैं। मैं यह पीहू को आज रात को ही बताऊँगी।" इतना कहकर भूमि जाकर विक्रम के दूसरे साइड बैठ जाती है। तभी उसकी नज़र देव पर जाती है और वह देव से पूछती है, "देव, माही कहाँ है? वह आई नहीं?"

    "पता नहीं, भाभी," देव ने कहा।

    "ठीक है, मैं देखकर आती हूँ," भूमि उठते हुए बोली।

    देव भूमि को रोकते हुए बोला, "आपको जाने की कोई ज़रूरत नहीं है भाभी, मैं उसे फ़ोन कर लेता हूँ।"

    देव की बात सुनकर भूमि बैठ जाती है। प्रदीप जी देव से कहते हैं, "उसे खाने आने को कहो।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर देव सिर हाँ में हिला देते हैं और माही को फ़ोन करते हैं। दो बार फ़ोन करने के बाद भी माही फ़ोन नहीं उठाती, पर तीसरे बार उठा लेती है और कहती है, "हाँ, बोलो।"

    देव को माही की आवाज़ कुछ अजीब लगती है, पर वहाँ सब थे, इसलिए वह कुछ नहीं पूछता और माही से कहता है, "जल्दी नीचे डाइनिंग हॉल में आ, सब तेरे इंतज़ार कर रहे हैं।" इतना कहकर देव माही की बात सुने बिना ही कॉल काट देता है और सबको देखकर कहता है, "माही आ रही है।"

    कुछ देर बाद माही आती है। उसकी नज़र सबसे पहले विक्रम पर जाती है, जो पीहू और भूमि के साथ बैठा था और पीहू से हँस-हँस कर बातें कर रहा था। भूमि माही को विक्रम को देखते हुए देख लेती है, पर कुछ कहती नहीं। प्रदीप जी माही से कहते हैं, "बेटा, तुम इतनी देर से क्यों नहीं आई?"

    माही मुस्कुराते हुए कहती है, "वो अंकल, मुझे कुछ काम था, जो मैं रूम में बैठकर रही थी और मैं खाने के बारे में भूल गई, तो इसलिए मैं लेट हो गई। सॉरी।"

    प्रदीप जी मुस्कुराते हुए कहते हैं, "कोई बात नहीं बेटा, पर अपने काम के चक्कर में अपनी सेहत ख़राब मत कर लेना।"

    प्रदीप जी की बात सुनकर माही हाँ में सिर हिला देती है। तब भूमि कहती है, "माही और देव, तुम दोनों को तो मेरी बेस्ट फ्रेंड से मिलाना ही भूल गई। (पीहू को दिखाते हुए) ये हैं पीहू, मेरी बचपन की दोस्त और मेरी बेस्ट फ्रेंड। और पीहू, ये हैं माही, मेरी ननद, और ये है देव, मेरा देवर।"

    भूमि की बात सुनकर देव और माही पीहू को देखते हैं और पीहू भी उन दोनों को देखती है। देव पीहू को घूरते हुए कहता है, "हेलो मिस पीहू।"

    पीहू नकली स्माइल करते हुए कहती है, "हेलो मिस्टर देव। हेलो माही।"

    पीहू के हेलो कहने के बाद भी माही कुछ नहीं कहती, बस पीहू को घूरती रहती है। उसके आँखों में पीहू के लिए गुस्सा नज़र आ रहा था क्योंकि वह पीहू की आवाज़ सुनकर पहचान गई थी कि पीहू ही तब विक्रम के साथ उसके घर में थी।

    माही चेयर से उठ जाती है और कहती है, "वो मुझे नहीं भूख नहीं है, मैं रूम में जा रही हूँ।"

    इतना कहकर वह जाने ही वाली थी कि भूमि कहती है, "माही, ऐसे खाना छोड़ना नहीं चाहिए। प्लीज़ खा लो।" माही भूमि को देखती है। भूमि उसे आँखों से खा लेने को कहती है, तो वह बैठ जाती है।

    कुछ देर बाद सब खाना खाकर अपने-अपने रूम में चले जाते हैं। देव अलग, और भूमि और पीहू एक साथ भूमि के रूम में थीं। पीहू बेड पर लेटते हुए कहती है, "भूमि, तेरी वो ननद, क्या नाम है? हाँ, माही, उसके अंदर बहुत एटीट्यूड है ना। मैंने हेलो कहा, पर उसने कुछ कहा ही नहीं।"

    भूमि दूसरे साइड लेटते हुए कहती है, "नहीं पीहू, तू ग़लत समझ रही है। माही बहुत अच्छी लड़की है। शायद वो अपने काम को लेकर परेशान होगी, इसलिए ऐसा किया।"

    "हाँ, और ये सब छोड़, ये बता, जीजा जी कैसे हैं? और तुम दोनों ने अपनी फ़र्स्ट नाइट में क्या किया? मतलब कैसे किया? तुझे शर्म नहीं आई? शुरुआत किसने की? तूने या जीजू ने?"

    पीहू के मुँह से फ़र्स्ट नाइट की बात सुनकर सब याद आ जाता है जो वह यहाँ आकर भूल गई थी। वह अपने मन में कहती है, "तुझे कैसे बताऊँ कि क्या हुआ? अगर तू सुनेगी तो तुझे बहुत दुःख होगा और मैं तुझे मेरी वजह से दुखी नहीं देख सकती।" भूमि इतना ही कह रही थी कि तभी पीहू उसे हिलाते हुए कहती है, "अरे बोल भी, या अपने फ़र्स्ट नाइट के हसीन पलों में खो गई?"

    भूमि होश में आती है और शर्माने का नाटक करते हुए कहती है, "तू भी ना! ये सब कोई बताने की चीज़ है? जो हुआ, वो हुआ। और जीजू ने ही पहल की। जब तेरी शादी हो जाए, उसके बाद तुझे खुद पता चल जाएगा। अब सो जा और मुझे परेशान मत कर।"

    इतना कहकर भूमि करवट लेकर अपनी आँखें बंद कर लेती है और पीहू भी उदास होकर सो जाती है।

    पर कोई था जो यह सब देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

    लगभग 30 मिनट बाद भूमि अपनी आँखें खोलती है और मन में कहती है, "मुझे नींद क्यों नहीं आ रही?"

    इतना कहकर वह जैसे ही पलटती है, कोई उसके मुँह को अपने हाथों से बँधकर देता है। अब आगे क्या होगा? क्या करेगी अंजना पीहू के साथ? और कौन है जिसने भूमि के मुँह पर हाथ रखा?

    To be continued...