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Devil's innocent girl

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Description

pyar aur junun dono me kafi fark hai par kya hoga jab ek devil ko pyar hoga ek masum si ladki se kya ye pyar tak simit rahega ya ban jayega kisi ka junun jo badal dega pyar ki paribhasha janne ke liye padhte rahiye devil's innocent girl

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Arya

Heroine

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Vishvajit singhania

Hero

Total Chapters (2)

Page 1 of 1

  • 1. Devil's innocent girl - Chapter 1

    Words: 1172

    Estimated Reading Time: 8 min

    मुंबई एक सपनों का शहर जहां हर कोई अपने सपनों को पूरा करने के लिए आता है। वहीं इसी शहर के एक कोने में एक छोटा-सा बंगलों जो दिखने में काफी बड़ा तो नहीं पर सुंदर था। घर के सामने छोटा-सा गार्डन था जो की बोहोत खुबसूरत लग रहा था। उसी घर के एक कमरे में कमरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे किसी छोटे बच्चे का कमरा हो। पिंक और व्हाइट कलर के इंटीरियर से वो कमरा बोहोत खुबसूरत लग रहा था। कमरे में बोहोत सारे टेड़ी बीयर थे और दीवार पर एक बड़ी सी फोटोफ्रेम लगी थी जिसमें एक लड़की जीभ निकाल कर आइसक्रीम खा रहीं थी थोड़ी आइसक्रीम उसके नाक को भी लगी थी। उसी कमरे के बेड पर एक 18 साल कीलड़की टेड़ी को अपना बेड समझ कर जकड़ कर सोई थी। वो इतनी बेढंगे तरीके से सोई थी के उसका चेहरा बालों से ढका हुआ था और उसका कंबल जमीन पर लेटा हुआ था। बेचारे को बेड से निकाला जो गया था। वह बेड देखकर ऐसा लग रहा था जैसे रात को कोई भूकंप आया हो। तभी वहां पर करीबन ४० साल की औरत आकर उस लड़की के सर पर हाथ फेरते हुवे कहतीं हैं आरू उठ जा बेटा सुबह हो गई है आज तुम्हारा आखरी पेपर हैं ना जल्दी से उठ जाओ वरना लेट हो जाएगा तुम्हें। ये सुनते ही वो लड़की कसमसाते हुए अपनी हेजल उनींदा आंखों से टुकुर-टुकुर उस औरत को देखने लगी। और फीर किसी छोटे बच्चे की तरह आंखें मसलते हुए अपना सिर टेड़ी बीयर से निकल कर उनकी गोद में रख दिया और कहने लगी क्या मासी आपको तो पता है ना आपकी आरू को एक्जाम देना बिल्कुल पसंद नहीं है। फीर आप क्यों वो डरावना पेपर हमसे लिखवाना चाहतीं हैं। आपको पता है वो पेपर तो हमारे सपने में भी आकर डराता है। यह कहते वक्त वो इतनी मासूम लग रही थी की कोई भी उससे नजरें ना हटा पाता। अवनी जी जो की आर्या की मासी थी उन्होंने प्यार से उसका माथा चुमते हुए कहा बेटा पढ़ाई भी तो जरूरी है ना फीर कुछ सोचते हुए बोली अच्छा तो जो मैंने ढेर सारी चोक लेट लायीं है तुम्हें पेपर लिख कर आने के बाद देने वाली थी वो सिया(आरू की दोस्त) को दे दुंगी क्योंकी वो तो मेरी सारी बात मानती है। ये सुनते ही आर्या नम आंखों से उनको देखने लगी उसे बिल्कुल पसंद नहीं था कि उसकी मासी किसी और को अच्छा कहे चाहें उसकी दोस्त ही क्यों ना हो। उपर से चोक लेट तो उसकी कमजोरी थी। वो झट से उठ कर बैठ गयी और अपनी ऊंगली गले पर लगाकर सिसककर कहने लगी मासी मैं अच्छे से पेपर लिखुंगी और आपकी सारी बात भी मानूंगी। आरू को ऐसे रोते देख कर अवनी जी को भी अच्छा नहीं लगा उन्होंने झट से उसे अपने गले लगा लिया और उसका माथा चुम कर कहा तुम तो मेरी सबसे अच्छी बेटी हो। यह सुनते ही आर्या ने चहकते हुए उनके गाल पर पप्पी दी और पूछा सच्ची मासी तो अवनी जी ने भी मुस्कुराकर अपना सिर हां में हिला दिया और कहा चलो अब जल्दी से फ्रेश हो जाओ। तो आर्या ने अपनी आंखें टीमटीमाते हुए अपने हाथ उठा दिए। जिसे समझकर अवनी जी उसे गोद में उठाकर बाथरूम चली गई और उसे नीचे उतार दिया उसके हाथ में ब्रश थमाकर उन्होंने ने नहाने के लिए बाथटब में पानी भर दिया और उसे नहाने का कहकर वो बाथरूम से बाहर चली गई। रुम में जाकर उन्होंने आर्या के लिए एक प्यारा सा जम्पसूट निकाल कर बेड पर रख दिया और खुद नाश्ता लगाने चली गई। उनके घर में नौकर तो थे पर आर्या की तैयारी खुद अवनी जी करती थी। थोड़ी देर में आर्या बाथरोब पहनें उछलते  हुए बाहर आई और  बेड पर जाकर अपने टेड़ी को गले लगाके कहने लगी टेडू आज मेरा आखरी पेपर है तुम नाराज़ मत हो ना मैं जल्दी आ जाऊंगी फीर हम साथ में खेलेंगे और चोक लेट खाएंगे ठीक है तब तक तुम सो जाओ। ये कहकर उसने टेड़ी को प्यार से किस कीया और बेड पर रख दिया और खुद अपने कपड़े पहन लिए और भागते हुए नीचे चली गई। उसे ऐसे भागता देख अवनी जी जो की उपर ही जा रही थी वो उसे डांटते हुए बोली धीरे बेटा गीर जाओगी। तो आरू मुंह फुलाकर बोली आरू गीर गयी तो उसकी मासी उसे संभाल लेगी। और अगर फीर भी चोट लगी तो मासी ठीक कर देंगी क्योंकि मेरी मासी तो बेस्ट है उन्हें सब आता है। यह सुनते ही अवनी जी के आंखों में आसूं आ ग एक जिसे उन्होंने झट से छुपा लिया वो आरू के सामने कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी। दरअसल अवनी जी को केंसर था उनके पास बोहोत ही कम दिन बचे थे। उन्होंने ट्रीटमेंट लेने से मना किया था जिससे उनका दर्द कम हो सकता था पर आरू को अकेले छोड़कर होस्पीटल जाना उन्हें मंजूर नहीं था। वो सिर्फ आरू के साथ बचे हुए दिन जीना चाहती थी वो ना आरू को ये बात बोल सकती थी और ना ये बात आरू समझ पाती। इसलिए उन्होंने यह घर और उनकी छोटी सी कंपनी पहले ही आरू के‌ नाम कर दि थी। पर वो जानती थी आरू बोहोत मासूम है। दरअसल आरू जब पेट में थी आरू के मां बाप का आक्सिडेंट हो गया था उस आक्सिडेंट में आरू के पापा की डेथ हो गई और डीलीवरी समय आरू की मां की डेथ हो गई तबसे आरू अवनी जी के साथ ही रहती थी। उस आक्सिडेंट मे आरू के दिमाग पर चोट आई थी इसलिए उसका IQ नोर्मल लोगों से कम था। उसे छोटी-छोटी चीजें समझने में समय लगता था। वो पास‌ भी बडी मुश्किल से होती थी। इसीलिए अवनी जी परेशान रहती की उनके जाने के बाद आयु को कौन देखेगा। अवनी जी का भी दुनिया में कोई नहीं था सिवाय आरू के। उनके पति की भी डेथ हो गई थी। अवनी जी अपनी ही सोच में गूम थी की उन्हें आरू की आवाज आई जो की कह रही थी मासी आप सो गयी क्या? आपको खड़े रहकर भी सोना आता है आप तो बोहोत इंटेलिजेंट हो पर ओफ्फो अब मेरे बाल कौन बांधेगा। अवनी जी उसकी बातें सुनकर मुस्कुराने लगी और उसके बाल बनाने लगी। आरू कुछ ना कुछ बोले जा रही थी और उसकी बातें सुनते सुनते उन्होंने आरु के कमर तक लहराते बालों की पोनीटेल बना दी और दो क्लीप लगा दिए। आरू एकदम प्यारी सी सुंदर मासुम डॉल लग रही थी। अवनी जी ने उसके कान के पिछे काजल का टीका लगा दिया। फीर उसे नाश्ता कराके उसे स्कूल छोड़ दिया जहां सिया उसका ही इंतजार कर रही थी। आरू को स्कूल छोड़ कर अवनी जी खुद घर आ गई उनसे ज्यादा काम नहीं हो पाता था इसलिए उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी अपने भरोसेमंद असिस्टेंट को दी थी। अगर ज्यादा महत्वपूर्ण काम हो तो असिस्टेंट घर पर आया करता था और उनसे बात करके डीसीजन लेता था। बाकी सारा काम आयुष (असिस्टेंट का नाम) ही कर लिया करता था। आयुष को अपने घर के सदस्य जैसा ही वो ट्रीट करती।

  • 2. Devil's innocent girl - Chapter 2

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    अब तक
    आरू को स्कूल छोड़ कर अवनी जी खुद घर आ गई उनसे ज्यादा काम नहीं हो पाता था इसलिए उन्होंने कंपनी की जिम्मेदारी अपने भरोसेमंद असिस्टेंट को दी थी। अगर ज्यादा महत्वपूर्ण काम हो तो असिस्टेंट घर पर आया करता था और उनसे बात करके डीसीजन लेता था। बाकी सारा काम आयुष (असिस्टेंट का नाम) ही कर लिया करता था। आयुष को अपने घर के सदस्य जैसा ही वो ट्रीट करती।


    अब आगे

    स्कूल में

    आर्या 12th arts की स्टूडेंट थी। उसे आज history का पेपर था। सिया भी उसी के क्लास में पढ़ती थी। वो अकेली ही उसकी दोस्त थी जो की उसका अच्छे से ख्याल रखती थी।
    अवनी जी भी सिया को अच्छे से जानती थी उन्होंने सिया को आर्या के बारे में सब बता दिया था।

    जब आर्या स्कूल पहुंची तो उसने देखा सिया पहले से उसका इंतजार कर रही है। बीना सिया की बात सुने आर्या ने अपने कान पकड़ लिए। सिया उसे सवालिया नज़रों से देखने लगी तो आर्या ने कहा "वो मासी ने बताया था अगर कोई ग़लती हो तो ऐसे sorry कहना चाहिए। आज मुझे आने में देर हुई इसलिए सोरी।"

    तो सिया ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा "तेरे जैसी क्यूट परी से भला कोई कैसे नाराज़ हो सकता है" ये सुनते ही आर्या झट से उस के गले लग गई और पूछा "क्या सच्ची?" तो सिया ने मुस्कुराते हुए सर हिला दिया। 

    उसकी मुस्कराहट कुछ ही पल में गायब हो गई जब उसने आर्या की आगे की बात सुनी। आर्या ने कहा "अब मैं मासी को तुम्हें भी चोक लेट देने बोलूंगी जो मैं तुम्हें नहीं देने वाली थी।" सिया ने मायुसी से पुछा "बेबी डॉल मुझे क्यों चोक लेट नहीं देने वाली थी तुम" आरू ने सिया का मायुस चेहरा देखा तो वो मासुमियत से सिर झुकाकर बोली "अरे वो तो सिर्फ आरू को खाना था ना इसलिए।"
    "क्या तुम्हें बुरा लगा? तुम रो मत मैं तुम्हें भी दे दुंगी।" सिया उसकी प्यारी प्यारी बातें सुनकर सोचने लगी कोई इतना क्यूट कैसे हो सकता है

    तभी घंटी बजने से उसे ध्यान आया की उन्हें पेपर भी लिखना है वो आरू को लेकर क्लास में चली गई जहां ज्यादातर बच्चे अपनी अपनी जगह बैठ चुके थे फिर सिया ने आरू उसकी जगह बैठा दिया और बोली "डरना मत आरू अच्छे से पेपर लिख देना मैं यहीं हूं तुम्हारे साथ" आरू ने भी गहरी सांस लेकर सीर हीला दीया सिया भी अपनी जगह बैठ गई।


    वहीं दुसरी ओर

    मुंबई की सनराइज होटल के कमरे में एक करीबन 45 साल का आदमी कुर्सी पर बंधा जोर जोर से चिल्लाए जा रहा था। उसके बोड़ी पर जगह जगह मारने और जलने के निशान थे। वो निशान कुछ नीले पड़ गए थे तो कुछ ताजे लग रहे थे।

    उसके जख्मों पर बेदर्दी से नमक रगड़ा गया था। उसके सामने काले यूनिफॉर्म पहने 2 आदमी खड़े थे जो भावहीन चेहरे से उसे ही देख रहे थे। उनके कपड़े पर VS का लोगो बना था जैसे वो किसीके गार्ड हो।

    करीबन आधे घंटे बाद जब वो आदमी चिल्लाकर बेहोश होने लगा तो एक गार्ड ने एक बटन प्रेस किया जिससे उस आदमी की जोर से चिखे निकलने लगी उस बटन के जरिए उसको करंट लगाया जाता था। उसकी आवाज सुन कर कोई भी बेहोश हो जाए करीबन 2 मिनट बाद दर्द ना सहने की वजह से वो आदमी  फीर से बेहोश हो गया

    कुछ समय बाद
    उसी होटल के सामने 8 से 10 गाड़ीयों का काफीला आकर रुका। और उसमें से सारे गार्ड VS लोगो से बने ब्लेक यूनिफॉर्म पहने एक कतार से सर झुकाकर खड़े हुए।

    ऊन कारों के बीच में Rolls-Royce खड़ी थी। जिसमें से पेसेंजर सीट पर बैठा सूट बूट पहने एक हेंडसम आदमी जिसकी उम्र लगभग अट्ठाइस के करीब होगी वो बाहर आया और कार की पिछे का डोर खोल कर सर झुकाए खड़ा हुआ शायद वो किसी का असिस्टेंट था।

    कार का गेट खुलते ही एक 25 साल का लडका बड़े ही रौब के साथ आंखों पर ब्लेक शेड्स लगाएं बीना कीसी के ऊपर ध्यान दिए अंदर चला गया। उसके आगे 2 बोड़ी गार्ड और पीछे 2 बोड़ी गार्ड थे। बाकी के गार्ड नीचे ही खड़े रहकर पहरेदारी करने लगे।

    वो लडका सिधा अपनी प्राइवेट लिफ्ट में चला गया। उसके साथ उसका असिस्टेंट राघव था। बोड़ी गार्ड पब्लिक लिफ्ट की तरफ चले गए। उनकी लिफ्ट सिधा 46th फ्लोर पर आकर रूकी। जहां उस इंसान को टोर्चर कीया जा रहा था।
    वो लडका टक टक की आवाज के साथ अपने कोट का बटन खोलते हुए उस रूम के सामने खड़ा हुआ। राघव ने जल्दी से आकर डुप्लीकेट की कि मदद से वो दरवाजा खोला। राघव ने देखा अंदर एक इंसान अधमरी हालत में कुर्सी पर बेहोश पडा है।

    उस लड़के ने गार्ड को कुछ इशारा किया इशारा समझ कर उस गार्ड ने एक बालडी भरकर थंड़ा पानी उस बेहोश आदमी के ऊपर डाल दिया। उस आदमी ने हड़बड़ा कर अपनी आंखें खोली सामने देखकर उसकी सांसें ही अटक गयी।

    उसके मुंह से एक ही नाम अटकते हुए निकला "V...S।" हां वो कोई और नहीं बल्कि विश्वजीत सिंघानिया दुनिया का नंबर वन बीझनसमन VS Enterprises का मालिक और लोग जिसका नाम भी लेने से कतराते थे वहीं dangerous devil था।

    उस आदमी के मुंह से अपना नाम सुनकर VS के चेहरे पर खतरनाक स्माइल आ गई। VS ने बड़े खतरनाक अंदाज से गर्दन को कड कड की आवाज से मोड़ते हुए कहा "च च च च क्या वर्मा यह क्या हालत बना ली खुदकी।" यह सुनते ही वर्मा जो अकाउंटींग डीपारटमेंट का हेड था वह गिड़गिड़ाते हुए बोलने लगा। "स स सोरी बोस मुझसे गलती हो गई मैंने लालच में आकर यह किया। आपके चाचा... "

    उसका इतना ही कहना था एक धड़ाम की आवाज से वो मुंह के बल नीचे गिर गया। कीसी की भी हीम्मत नहीं हो रही थी VS को देखने की इस समय वो मौत का देवता लग रहा था। उसकी नसें गुस्से से फुली हुई थी उसने एक एक शब्द चबाते हुए कहा "खबरदार अगर मुझसे उस नमन सिंघानिया का रिश्ता जोड़ने की कोशिश की तो तुम्हारा परीवार जो शिमला घूमने गया है उनकी लाश भी तुम्हारे नसीब नहीं होगी। "
    यह सुनते ही मिस्टर वर्मा के चेहरे पर पसीने की बूंदें छलक आई। उसका चेहरा डर से पीला पड़ गया। वर्मा हाथ जोड़ते हुए बोला
    "मैं यह गलती फिर से कभी नहीं करूंगा मेरे परीवार को बक्ष दे।" , "मुझे नमन सिंघानिया ने धमकी दी थी मेरे परीवार को मारने की इसलिए दबाव में आकर मैंने उसे वो फाइल दे दी। सोरी बोस दुबारा ऐसा नहीं होगा।"

    VS कीसी सनकी की तरह हंसते हुए कहने लगा "और वो जो पचास लाख तुम्हारे अकाउंट में ट्रांसफर हुए वो तो तुम्हें कीसीने दान ही दिए होंगे।"

    यह सुनते ही वर्मा ने अपनी आंखें कसकर भींच लि। जैसे की उसकी चोरी पकड़ी गई हो।

    VS ने उसे बीना भाव के देखते हुए कहा "शायद तुम VS का खौफ भूल गए अब याद तो दिलाना पड़ेगा। "

    उसने दरवाजे पर खड़े एक गार्ड को देखकर कहा जो उसकी हालत देख कर डर गया था
    "इसकी जीभ काटो अभी के अभी तो ही तुम जिंदा बचोगे वरना ऐसे डरपोक लोग मेरे किसी काम के नहीं। "

    अब उस गार्ड के पास और कोई चारा नहीं बचा था उसने हीम्मत करके एक झटके के साथ वर्मा की जीभ काट दि। उसके साथ कुछ खुन के छीटे उस गार्ड के uniform पर लग गए। VS  के चेहरे पर evil smile  आ गई उसे किसी के दर्द से कोई फर्क नहीं पड़ता था। उसने कहा

    "VS को झूठ से और धोखे से सख्त नफरत है। तुमने तो दोनों ही कीया। और तुम्हें तो पता ही होगा विश्वजीत सिंघानिया कीसी को दुसरा मौका नहीं देता। "

    यह कहते ही उसने एक गोली वर्मा के माथे के बीचोंबीच चला दी। जिससे वर्मा की सांसें रुक गई। VS ने अपने असिस्टेंट को एक नजर देख कर कहा "clear the mess"

    और वो कमरे के बाहर चला गया. राघव ने yes boss कहकर गार्ड को कुछ instructions दीए और वो भी VS के पीछे चला गया।

    बाहर आते ही राघव ने कार का गेट खोला तो VS बड़े ही रौब से अंदर बैठ गया उसका खतरनाक ओरा देखकर ही राघव को घूटन मेहसूस हो रही थी। उसे पता था अब जो वह कहने जाने वाला है वह सुनकर उसे बुरी मौत आएगी पर फीर भी बताना तो था ही

    उसने मन ही मन भगवान का नाम लिया और बोलना चालू किया "बोस आपके दादाजी का फिरसे call आया था वो चाहते हैं आपके business partner  की बेटी अमायरा से आप एक बार मिल लें। इसलिए उन्होंने मुझे अमायरा के साथ कल मिटींग फीक्स करने बोला"

    यह सुनते ही VS गुस्से से अपना सर सहलाने लगा उसने राघव से कहा "शायद तुम अब ज्यादा फ्री रहने लगे हो इसलिए तुम बाकी लोगों के काम करने लगे क्यों ना इस बार पेमेंट भी उन्हींसे लो। "

    राघव को तो ये सुनकर ही चक्कर आने लगे उसने हड़बड़ाकर कहा "नो सर I mean sorry sir. "

    VS ने उसके बातों को इग्नोर करके ड्राइवर को VPS university चलने कहा। जो की उसकी मां की याद में बनाया गया था। महीने में एक बार वो यहां जरूर जाता।