रिवांशी की पूरी फैमिली को बेरहमी से मार दिया गया उसे 10 सालों तक तड़पाया गया जिसकी वजह उसे खुद नहीं पता लेकिन नियति उसे एक ओर मौका दिया वो अपने लाइफ के उस समय पहुंच गई जहां से सब स्टार्ट हुआ था क्या वो ये सब वापस से ठीक कर पाएगी या पस्त की तरह अब भी... रिवांशी की पूरी फैमिली को बेरहमी से मार दिया गया उसे 10 सालों तक तड़पाया गया जिसकी वजह उसे खुद नहीं पता लेकिन नियति उसे एक ओर मौका दिया वो अपने लाइफ के उस समय पहुंच गई जहां से सब स्टार्ट हुआ था क्या वो ये सब वापस से ठीक कर पाएगी या पस्त की तरह अब भी वैसा ही होगा इसके बारे में जानने के लिए मेरी स्टोरी रिवांशी: मुहब्बत की दास्तान या पुनर्जन्म का बदला पढ़िए
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रिवांशी एक ब्रिज के किनारे चल रही थी आंखे एकदम लाल वो गुस्से की वजह से थी या रोने की वो तो रिवंशी ही जानती थी अचानक से एक पत्थर से टकरा कर वो नीचे गिर जाती है वो खड़ी होकर अपने पैर को देखती है जिससे थोड़ा सा ब्लड आ रहा था फिर कुछ सोचते हुए अपना फोन निकलती है और किसी को कॉल करती है थोड़ी देर बाद बात करने के बाद कॉल कट करके वही ब्रिज के ऊपर चढ़ कर बैठ जाती है अभी मुश्किल से 10 मिनिट भी नही हुवा होगा एक व्हाइट कलर की कर आकर उसके सामने रुकती उसके अंदर से एक बहुत ही खूबसूरत औरत निकल कर बाहर आती है उसकी उमर यही कोई 30 से 35 के बीच होगी ग्रीन कलर की साड़ी कानो में झुमका हाथो में चूड़ियां और माथे पर बिंदी जो उन्हें और भी खूबसूरत बना रही थी  वो चलते हुए रिवांशी के पास आती है जिन्हे देख रिवांशी उनका सहारा लेते हुए ब्रिज पर से नीचे उतरती है और उस औरत के गले लगते हुए कहती सीनू मां ... और रोने लगती है जिसे देख सीनु रिवांशी के पीठ को थपथपाते हुए कहती है "क्या हुआ बच्चा अपनी सिनु मां से बताओ कुछ हुआ है किसी ने डांटा आपको" रिवांशी के आंसू सिनू के कंधे को भिगो दिया था थोड़ी देर बाद वो रोना बंद कर देती है लेकिन अभी भी उसके आंखों में आंसू थे जिसे देख सीनु उसके आंखों में से आंसू साफ करते हु कहती है "बताओ मेरे बच्चे को क्या" उनकी बात सुन रिवांशि हिचकिचाते हुए कहती है "मां ...आप...ठीक हो...न और पा...कहा है" उसकी बात सीनू मुस्कुराते हुए कहती है "आपके पा एक दम ठीक है और वो विष्णवी और देवांश के साथ है वो दोनो अकेले है न घर पर" उसकी बात सुन रिवांशी धीरे से कहती है "मां घर जाना है मुझे अब नही रहना यहां" उसकी बात सुन सीनू मुस्कुराते हुए कहती है "आप मजाक तो नही कर रही है" उनकी बात सुन रिवांशी अपने सर पर हाथ रखते हुए कहती है "सच्ची मां मुझे अब हॉस्टल नही रहना मुझे वहा पर कभी नही जाना" उसकी बात सुन सीनू रिवांशी के हाथ को नीचे करते हुए कहती है "हमे यकीन है आप पर और कभी कसम नही खाते अपनी समझी नहीं तो हम आपको थप्पड़ लगा देंगे" वो झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है जिसे देखा रिवांशी हस्ते हुए कहती है "जी मां अभी कभी भी कसम नही खाऊंगी पक्का" सीनू सर हिलाते हुए कहती है "चलिए गाड़ी में बैठिए घर चलते है तो" सीनु रिवांशी के लिए कार का दरवाजा खोलती है और ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी चलाने लगती है उसके चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान थी वो बार बार रिवांशी को देख रही थी वही रिवांशी कार के विंडो के बाहर देख रही थी और किसी गहरे सोच में डूबी हुई थी (तो चलिए इन दोनों के बारे में थोड़ा सा जान लेते है सिनु उर्फ सानवी राठौर उमर 36 लेकिन दिखने में अपनी एज से बहुत यंग दिखती है इनकी शादी हो चुकी है और 3 बच्चे है पेशे से एक आर्किटेक्चर है इंडिया की जानी मानी आर्किटेक्ट और साथ ही एक प्रोफेसर भी रिवांशी और वैष्णवी इनकी जुड़वा बेटी है इन दोनो की उमर में 19 साल का वास्ता है लेकिन अगर दोनो साथ में खड़ी हो तो ऐसा लगता है सानवी रिवांशी की बड़ी बहन है दोनो की बॉन्डिग भी बहनों जैसी है वैसे तो सानवी राजाथान से है लेकिन अपनी स्टडीज के लिए मुंबई आ गई और अभी यही सेटल हो गई है  रिवांशी सिंह राठौर उर्फ रीवा उमर 17 अभी 12 का एग्जाम इनका खतम हुआ है पढ़ाई में अच्छी है अभी इनका 12 का रिजल्ट नही आया शायद 1 हफ्ते में आएगा दिखने में बेहद ही खूबसूरत और उससे भी खूबसूरत उनका मन थोड़ी सी भोली है लेकिन इतनी भी नही की दूसरो की मन की बाते न जान पाए अभी इनका गोल तो एक सक्सेसफुल न्यूरोसर्जन बनने का है ) गाड़ी हॉर्न के साथ एक घर के सामने रुकती है 2 मंजिल का वो घर बहुत ही खूबसूरत था सीनु और रिवांशी साथ में कार से बाहर निकलती है रिवांशी और सिनू घर के अंदर जाने लगती है तिवांशी उस घर को ध्यान से देखने लगती है घर के सामने एक छोटा सा गार्डन जिसमे बहुत सारे प्लांट्स और फ्लावर लगे थे और साइड में टी टेबल और चेयर रखे थे  रिवांशी और सिनू घर में लिविंग रूम के अंदर इंटर करते है जहा संघर्ष सिंह सीनु के पति विष्णवि और देवांश सिनु का छोटा बेटा बैठे हस हस कर बाते कर रहे थे।  रिवांशी जैसे ही अपने संघर्ष यानी अपने पा को देखती है वो दौड़ते हुए जाकर उन्हें गले से लगा लेती है रिवांशी के इस तरह गले लगाने से संघर्ष के चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी सी मुस्कान आ जाती है वो उसके सर को सहलाते हुए कहते है "हमे तो पता ही था पा को बच्चा उनसे 1 महीने भी दूर नही रह सकता देखो मेरा बच्चा आ गया" उसकी बात सुन देवांश हस्ते हुए कहता है "में भी यही सोच रहा 1 महीने से ज्यादा होगया लेकिन अभी तक ये बंदरिया का कॉल नही आया" उसकी बात सुन वैष्णवी भी हसने लगती है जिसे देख देख रिवांशी उन दोनो को घूरते हुए कहती है "पा देखो इन दोनो को ये मेरे पर हस रहे है" उसकी बात सुन संघर्ष देवांश को घूरते हुए कहता है "हमारे बच्चे को तंग काहे कर रहे हो" उसकी बात सुन देवांश मुंह फूलते हुए कहता है पा देखो... वो अभी कुछ कहता उससे पहले ही वैष्णवी और रिवांशी एक साथ कहती है "पा को पा सिर्फ हम कहेंगे तुम नही समझे वो सिर्फ हमारे पा है" उनकी बात सुन सीनू और संघर्ष दोनो ही मुस्कुराने लगते है वो जानते थे उन दोनो में कितना भी झगड़ा क्यों न होजाए लेकिन दोनो एक दूसरे के लिए ढाल थी वही उन दोनों के बीच फस जाता था ये नही था की दोनो को उससे फर्क नहीं पड़ता या प्यार नही करती लेकिन वो होता है न की कुछ चीजे आप सिर उन्ही के साथ शेयर करते हो जिससे बहुत ज्यादा प्यार और लगाओ हो देवांश उन दोनो की बात सुन मुंह बनाते हुए कहता है "हा नही बोलूंगा तुम्हारे पा को पा" वो इंसान में ये भूल ही गया था की वो कुछ बोलने वाला था पहले तभी सीनू कहती है "संघर्ष मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी रूम में चलिए और आप तीनों अपने अपने कमरे में जाकर सो जाइए देखिए रात के 12 बज रहे" उनकी बात सुन तीनों आज्ञाकारी बच्चो की तरह सर हिलाते हुए कहते है " जी मां हम सोने जा रहे" उनकी बात सुन सीनू जी उन्हें घूरते हुए कहती है "हमने कहा हमारे सामने जाए" उनकी बात सुन विष्णवी और देवांश मुंह बनाते हुए ऊपर जाने लगते है लेकिन रिवांशी के चेहरे पर एक छोटी सी न दिखने वाली मुस्कान थी वो तीनो अपने अपने कमरे में चले जाते है रिवांशी और वैष्णवी एक ही रूम सोती थी जबकि देवांश उनके बगल वाले कमरे में देवांश अपने कमरे में चला जाता है और रिवांशी और वैष्णवी अपने कमरे वैष्णवी अपने कमरे में आते ही बेड पर पेट के बल सो जाती है जिसे देख रिवांशी उसके ऊपर लेट जाती है जिसे देख वैष्णवी मुस्कुराने लगती है और वैसे ही लेटे हुए कहती है "hmm तो हमारे वंशी जी का गुस्सा खतम हो गया" उसकी बात सुन रिवांशी अपने चेहरे को उसके बालो में छुपाते हुए सर हिलती है वैष्णवी उसको साइड में पलटते हुए कहती है अपने हाथ पर उसका।सर रख कर वैष्णवी रिवांशी के सर को सहलाते हुए कहती है "हमे तो लगा था 6 महीने से ज्यादा लग जायेंगे आपको मानने में लेकिन आप तो एक ही महीने मान गई ऐसा क्या होगया" उसकी बात सुन खोए हुए कहती "बस आपके बिना मन नहीं लग रहा था हमारा" उसकी बात सुन वैष्णवी हस्ते हुए कहती है "अच्छा जी आपको हमारी इतनी याद आ रही थी की हमारे लिए अपना समंदर से बड़ा इगो छोड़ कर आगयी " उसकी बात सुन रिवांशी मुस्कुराते हुए उसके चेहरे को देखते हुए पूछती है "फैमिली से बड़ा इगो नही होता न " वैष्णवी कुछ कहती उससे पहले ही कोई दरवाजे को खटखटाता है आगे जानने के लिए हमारी ये स्टोरी जूरोर पढ़े फॉलो और समीक्षा देना न भूले रिवांशी एक ब्रिज के किनारे चल रही थी आंखे एकदम लाल वो गुस्से की वजह से थी या रोने की वो तो रिवंशी ही जानती थी अचानक से एक पत्थर से टकरा कर वो नीचे गिर जाती है वो खड़ी होकर अपने पैर को देखती है जिससे थोड़ा सा ब्लड आ रहा था फिर कुछ सोचते हुए अपना फोन निकलती है और किसी को कॉल करती है थोड़ी देर बाद बात करने के बाद कॉल कट करके वही ब्रिज के ऊपर चढ़ कर बैठ जाती है अभी मुश्किल से 10 मिनिट भी नही हुवा होगा एक व्हाइट कलर की कर आकर उसके सामने रुकती उसके अंदर से एक बहुत ही खूबसूरत औरत निकल कर बाहर आती है उसकी उमर यही कोई 30 से 35 के बीच होगी ग्रीन कलर की साड़ी कानो में झुमका हाथो में चूड़ियां और माथे पर बिंदी जो उन्हें और भी खूबसूरत बना रही थी  वो चलते हुए रिवांशी के पास आती है जिन्हे देख रिवांशी उनका सहारा लेते हुए ब्रिज पर से नीचे उतरती है और उस औरत के गले लगते हुए कहती सीनू मां ... और रोने लगती है जिसे देख सीनु रिवांशी के पीठ को थपथपाते हुए कहती है "क्या हुआ बच्चा अपनी सिनु मां से बताओ कुछ हुआ है किसी ने डांटा आपको" रिवांशी के आंसू सिनू के कंधे को भिगो दिया था थोड़ी देर बाद वो रोना बंद कर देती है लेकिन अभी भी उसके आंखों में आंसू थे जिसे देख सीनु उसके आंखों में से आंसू साफ करते हु कहती है "बताओ मेरे बच्चे को क्या" उनकी बात सुन रिवांशि हिचकिचाते हुए कहती है "मां ...आप...ठीक हो...न और पा...कहा है" उसकी बात सीनू मुस्कुराते हुए कहती है "आपके पा एक दम ठीक है और वो विष्णवी और देवांश के साथ है वो दोनो अकेले है न घर पर" उसकी बात सुन रिवांशी धीरे से कहती है "मां घर जाना है मुझे अब नही रहना यहां" उसकी बात सुन सीनू मुस्कुराते हुए कहती है "आप मजाक तो नही कर रही है" उनकी बात सुन रिवांशी अपने सर पर हाथ रखते हुए कहती है "सच्ची मां मुझे अब हॉस्टल नही रहना मुझे वहा पर कभी नही जाना" उसकी बात सुन सीनू रिवांशी के हाथ को नीचे करते हुए कहती है "हमे यकीन है आप पर और कभी कसम नही खाते अपनी समझी नहीं तो हम आपको थप्पड़ लगा देंगे" वो झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहती है जिसे देखा रिवांशी हस्ते हुए कहती है "जी मां अभी कभी भी कसम नही खाऊंगी पक्का" सीनू सर हिलाते हुए कहती है "चलिए गाड़ी में बैठिए घर चलते है तो" सीनु रिवांशी के लिए कार का दरवाजा खोलती है और ड्राइविंग सीट पर बैठ कर गाड़ी चलाने लगती है उसके चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान थी वो बार बार रिवांशी को देख रही थी वही रिवांशी कार के विंडो के बाहर देख रही थी और किसी गहरे सोच में डूबी हुई थी (तो चलिए इन दोनों के बारे में थोड़ा सा जान लेते है सिनु उर्फ सानवी राठौर उमर 36 लेकिन दिखने में अपनी एज से बहुत यंग दिखती है इनकी शादी हो चुकी है और 3 बच्चे है पेशे से एक आर्किटेक्चर है इंडिया की जानी मानी आर्किटेक्ट और साथ ही एक प्रोफेसर भी रिवांशी और वैष्णवी इनकी जुड़वा बेटी है इन दोनो की उमर में 19 साल का वास्ता है लेकिन अगर दोनो साथ में खड़ी हो तो ऐसा लगता है सानवी रिवांशी की बड़ी बहन है दोनो की बॉन्डिग भी बहनों जैसी है वैसे तो सानवी राजाथान से है लेकिन अपनी स्टडीज के लिए मुंबई आ गई और अभी यही सेटल हो गई है  रिवांशी सिंह राठौर उर्फ रीवा उमर 17 अभी 12 का एग्जाम इनका खतम हुआ है पढ़ाई में अच्छी है अभी इनका 12 का रिजल्ट नही आया शायद 1 हफ्ते में आएगा दिखने में बेहद ही खूबसूरत और उससे भी खूबसूरत उनका मन थोड़ी सी भोली है लेकिन इतनी भी नही की दूसरो की मन की बाते न जान पाए अभी इनका गोल तो एक सक्सेसफुल न्यूरोसर्जन बनने का है ) गाड़ी हॉर्न के साथ एक घर के सामने रुकती है 2 मंजिल का वो घर बहुत ही खूबसूरत था सीनु और रिवांशी साथ में कार से बाहर निकलती है रिवांशी और सिनू घर के अंदर जाने लगती है तिवांशी उस घर को ध्यान से देखने लगती है घर के सामने एक छोटा सा गार्डन जिसमे बहुत सारे प्लांट्स और फ्लावर लगे थे और साइड में टी टेबल और चेयर रखे थे  रिवांशी और सिनू घर में लिविंग रूम के अंदर इंटर करते है जहा संघर्ष सिंह सीनु के पति विष्णवि और देवांश सिनु का छोटा बेटा बैठे हस हस कर बाते कर रहे थे।  रिवांशी जैसे ही अपने संघर्ष यानी अपने पा को देखती है वो दौड़ते हुए जाकर उन्हें गले से लगा लेती है रिवांशी के इस तरह गले लगाने से संघर्ष के चेहरे पर एक बहुत ही प्यारी सी मुस्कान आ जाती है वो उसके सर को सहलाते हुए कहते है "हमे तो पता ही था पा को बच्चा उनसे 1 महीने भी दूर नही रह सकता देखो मेरा बच्चा आ गया" उसकी बात सुन देवांश हस्ते हुए कहता है "में भी यही सोच रहा 1 महीने से ज्यादा होगया लेकिन अभी तक ये बंदरिया का कॉल नही आया" उसकी बात सुन वैष्णवी भी हसने लगती है जिसे देख देख रिवांशी उन दोनो को घूरते हुए कहती है "पा देखो इन दोनो को ये मेरे पर हस रहे है" उसकी बात सुन संघर्ष देवांश को घूरते हुए कहता है "हमारे बच्चे को तंग काहे कर रहे हो" उसकी बात सुन देवांश मुंह फूलते हुए कहता है पा देखो... वो अभी कुछ कहता उससे पहले ही वैष्णवी और रिवांशी एक साथ कहती है "पा को पा सिर्फ हम कहेंगे तुम नही समझे वो सिर्फ हमारे पा है" उनकी बात सुन सीनू और संघर्ष दोनो ही मुस्कुराने लगते है वो जानते थे उन दोनो में कितना भी झगड़ा क्यों न होजाए लेकिन दोनो एक दूसरे के लिए ढाल थी वही उन दोनों के बीच फस जाता था ये नही था की दोनो को उससे फर्क नहीं पड़ता या प्यार नही करती लेकिन वो होता है न की कुछ चीजे आप सिर उन्ही के साथ शेयर करते हो जिससे बहुत ज्यादा प्यार और लगाओ हो देवांश उन दोनो की बात सुन मुंह बनाते हुए कहता है "हा नही बोलूंगा तुम्हारे पा को पा" वो इंसान में ये भूल ही गया था की वो कुछ बोलने वाला था पहले तभी सीनू कहती है "संघर्ष मुझे आपसे कुछ जरूरी बात करनी थी रूम में चलिए और आप तीनों अपने अपने कमरे में जाकर सो जाइए देखिए रात के 12 बज रहे" उनकी बात सुन तीनों आज्ञाकारी बच्चो की तरह सर हिलाते हुए कहते है " जी मां हम सोने जा रहे" उनकी बात सुन सीनू जी उन्हें घूरते हुए कहती है "हमने कहा हमारे सामने जाए" उनकी बात सुन विष्णवी और देवांश मुंह बनाते हुए ऊपर जाने लगते है लेकिन रिवांशी के चेहरे पर एक छोटी सी न दिखने वाली मुस्कान थी वो तीनो अपने अपने कमरे में चले जाते है रिवांशी और वैष्णवी एक ही रूम सोती थी जबकि देवांश उनके बगल वाले कमरे में देवांश अपने कमरे में चला जाता है और रिवांशी और वैष्णवी अपने कमरे वैष्णवी अपने कमरे में आते ही बेड पर पेट के बल सो जाती है जिसे देख रिवांशी उसके ऊपर लेट जाती है जिसे देख वैष्णवी मुस्कुराने लगती है और वैसे ही लेटे हुए कहती है "hmm तो हमारे वंशी जी का गुस्सा खतम हो गया" उसकी बात सुन रिवांशी अपने चेहरे को उसके बालो में छुपाते हुए सर हिलती है वैष्णवी उसको साइड में पलटते हुए कहती है अपने हाथ पर उसका।सर रख कर वैष्णवी रिवांशी के सर को सहलाते हुए कहती है "हमे तो लगा था 6 महीने से ज्यादा लग जायेंगे आपको मानने में लेकिन आप तो एक ही महीने मान गई ऐसा क्या होगया" उसकी बात सुन खोए हुए कहती "बस आपके बिना मन नहीं लग रहा था हमारा" उसकी बात सुन वैष्णवी हस्ते हुए कहती है "अच्छा जी आपको हमारी इतनी याद आ रही थी की हमारे लिए अपना समंदर से बड़ा इगो छोड़ कर आगयी " उसकी बात सुन रिवांशी मुस्कुराते हुए उसके चेहरे को देखते हुए पूछती है "फैमिली से बड़ा इगो नही होता न " वैष्णवी कुछ कहती उससे पहले ही कोई दरवाजे को खटखटाता है आगे जानने के लिए हमारी ये स्टोरी जूरोर पढ़े फॉलो और समीक्षा देना न भूले
दरवाजे की खटखटाने की आवाज सुन कर वैष्णवी उठ कर दरवाजे को जा कर खोलती है जहां देवांश खड़ा था दरवाजा खोलते ही देवांश रूम के अंदर आ जाता है जिसे देख वैष्णवी उसे घूरते हुए कहती है "क्या है बे जा अपने कमरे में" उसकी बात सुन देवांश उसे प्यार से देखते हुए कहता है "दीदी यार यहां सोने दो न मुझे अकेले नींद नहीं आ रही है अकेले में" उसकी बात सुन वैष्णवी उसे घर कर देखती है और मुंह बनते हुए कहती है "अच्छा रोज तो नींद आ जाती है आज क्यों नहीं आ रही नींद अकेले" उसकी बात सुन देवांश बिस्तर पर लेट ते हुए वैष्णवी से को भी खींच कर बेड पर सुला देता है जिसे देख वैष्णवी उसे घर कर देखती है देवांश हंसते हुए कहता है "दीदी यार सोने दोनों साथ में इतना बड़ा बेड तो है ओर में कितना छोटा सा हु" उसकी बात सुन रिवांशी उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए कहती है "5'8 का है तू ओर बोल रहा है छोटा हूं" उसकी बात सुन देवांश उसे घूर कर देखता है और कहता है "नींद आ रही है मुझे सोने दोना मुझे क्यों परेशान कर रही हो" उसकी बात सुन रिवांशी उसके माथे पर एक थप्पड़ मारती है और कहती है "हम परेशान कर रहे है कि आप" वैष्णवी उन दोनों को देखते हुए कहती है "झगड़ा मत करो दोनों रात कितनी हो गई है सो जाओ सब ओर कल हमारा 12 का रिजल्ट भी आएगा रिवांशी" उसकी बात सुन रिवांशी और देवांश कुछ नहीं कहते है ओर बेड पर लेट ते हुए आंखे बंद कर लेती है जिसे देख वैष्णवी लाइट ऑफ कर देती है और खुद भी सो जाती है थोड़ी देर में दोनों सो गए लेकिन रिवांशी वो अभी तक नहीं सोई थी ऐसा कह सकते है उसे ही नींद नहीं आ रही थी वो धीरे धीरे बेड पर से उठती है और बालकनी में आ जाती है ओर बाल्कनी के रेलिंग से टेक कर खड़ी हो जाती है जहां से शहर का पूरा व्यू दिख रहा था आज चंद की चमक से पूरा आसमान उजाले से भरा हुआ था वो आसमान को देख रही थी ऐसा लग रहा था वो कही गहरे सोच में हो  तो चलिए इनकी कहानी को जानते है रिवांशी एक मासूम और जिद्दी इंसान के कैटिगरी में आती है और इनको पूरी दुनिया में सिर्फ एक ही चीज से प्यार है वो है इनकी फैमिली फिर एगो ओर इसी एगो के चक्कर में इन्होंने अपनी फैमिली एक सच्चा प्यार और अपनी जिंदगी खो दी थी पास्ट लाइफ में तो कहानी कुछ ऐसे शुरू हुई थी रिवांशी अपनी मां,पा ओर ट्विन सिस्टर ओर छोटे भाई के साथ मुंबई में रहती थी दोस्त के नाम पर सिर्फ एक बहन वैष्णवी ओर भाई देवांश एक दफा इनकी बहन ने गुस्से में थप्पड़ मार दिया और गलती भी रिवांशी ही की थी रिवांशी ने एक छोटे से बच्चे को अपनी कार से ठोक दिया जिस वजह से उसके पैर फ्रैक्चर होगया यह तक कि वो 1 महीने तक कोमा में था जिस वजह से इनके मोम पा ओर वैष्णवी ने बहुत डांटा लेकिन ये अपना गलती मान नहीं रही थी जिस वजह से गुस्से में वैष्णवी ने उसे एक थप्पड़ मार दिया ये बात रिवांशी के एगो को हर्ट कर गई ओर वो उस घर के छोड़ के चली गई बिना बताए जो उनकी लाइफ की सबसे बड़ी गलती थी 6 महीने तक कैसे भी सरवाइव किया किया लेकिन एक दिन उन्हें ये पता चला कि उसके पूरी फैमिली का किसी ने मर्डर कर दिया है जो कि बहुत ही ज्यादा शॉकिंग था वो अपने घर वापस आई जहां उसके मोम डैड भाई बहन की लाश पड़ी थी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में ये आया था कि उसकी मां ओर बहन का बेदर्दी से रेप हुआ था मारने से पहले ओर भाई का गला कट मारा गया है वो पूरे शौक में थी उसे कोई होश ही नहीं था उस वक्त पर कुछ बाकी का पास्ट लेकिन फ्यूचर आगे जानेंगे अभी स्टोरी पर आते है रिवांशी चांद को देख रही थी उसके आंखों से आशु की धारा बहने लगी वो साइड में रखे चेयर बैठ जाती है ओर अपनी पिछली जिंदगी के बारे में सोचने लगती है जहां। उसे ऐसे बहुत से राज के बारे में पता चला था जिसके बारे में कोई सोच भी नहीं सकता उसने 10 साल में ऐसा क्या नहीं देखा है ओर कैसे सरवाइव किया है उसे ही पता था इस बीच उसने अपने कितने अपनी को खोया है जिनमें से तो कुछ उसके अपने ओर कुछ अपने न होकर भी अपने वो रोते रोते वही बालकनी में हो सो जाती है अगली सुबह रिवांशी के चेहरे पर हल्की हल्की सूरज की रोशनी आ रही थी जिससे उसका गोरा चेहरा ओर भी चमक रहा था वो धीरे अपने आंखों को खोलती है और सामने देखती है जहां बहुत सारी पंछिया उड़ रही थी जिन्हें देख उसके चेहरे पर बहुत ही प्यारी सी स्माइल आ जाती है एक दफा कोई उसे ऐसे देखे तो उसके चेहरे से प्यार कर बैठ उसका वो गोरा रंग गुलाबी होंठ ओर ओर बड़ी बड़ी आँखें परफेक्ट फिगर के साथ परफेक्ट हाइट उसे हद से ज्यादा खूबसूरत बनाते थे वो वहां से उठकर रूम में वापस आ जाती है जहां उसके दोनों भाई बहन सोए हुए थे वो उन दोनों को देख मुस्कुराए जा रही थी अब मुस्कुराए भी क्यों न कितने सालों बाद उन्हें ऐसे सोते हुए देख रही थी ऐसे लग रहा था कि अब वो यह रुकेगी तो रो देगी लेकिन वो उन्हें नींद से नहीं उठाना चाहती थी तो वो हल्दी से वॉशरूम के अंदर चली जाती है वॉशरूम में जाकर अपने चेहरे को पानी से धोते हुए कहती है रीवा (रिवांशी का निक नेम) अब तुझे रोना नहीं बल्कि उन्हें रुलाना है जिन्होंने तेरे साथ इतना गलत किया उन्हें खून के आंधी न रुला दूं तो मेरा नाम भी रिवांशी सिंह राठौड़ नहीं बस ओर नहीं आज ही से उन सब को खून के आशु रुलाऊंगी थोड़ी देर बाद वो वाशरूम से बाहर निकलती है बाथरोब पहन उसके बाल जो कि कंधे से थोड़े ही बड़े थे वो भीन हुए थे ओर उससे पानी टपक रहा था रिवांशी ड्रेसिंग रूम में जाती है जहां पर बहुत ही ज्यादा कपड़े , शूज, ज्वैलरी रखे थे जिसे वैष्णवी ओर रिवांशी हमेशा से शेयर करते थे रिवांशी उसमें से एक व्हाइट क्रॉप टॉप ओर उसके ऊपर चेक शर्ट पहन लेती है जिसके बटन ओपन थे नीचे ब्ल्यू कलर की कारगी जीन्स ओर स्लीपर पहन कर रूम में वापस आ जाती है वो देखती है कि दोनों भाई बहन अभी तक सोए थे