(यह है हमारे हीरो, रेयांश ओबेरॉय, गोरे रंग का, भूरी आंखें, लंबी नाक, पतले गुलाबी होंठ, सिल्की जेल से सेट किए हुए बाल, मस्कुलर बॉडी, 8 पैक्स एब्स, हाइट ६.५, उम्र २१ साल, जो अभी 3rd ईयर का स्टूडेंट है, जो अपने गुस्से पर कभी कंट्रोल नहीं कर पाता, जिसके... (यह है हमारे हीरो, रेयांश ओबेरॉय, गोरे रंग का, भूरी आंखें, लंबी नाक, पतले गुलाबी होंठ, सिल्की जेल से सेट किए हुए बाल, मस्कुलर बॉडी, 8 पैक्स एब्स, हाइट ६.५, उम्र २१ साल, जो अभी 3rd ईयर का स्टूडेंट है, जो अपने गुस्से पर कभी कंट्रोल नहीं कर पाता, जिसके पास गलती का कोई माफी नहीं, बस सजा मिलती है, और उसे लोग भी नहीं पसंद करते, जो उसके आंखों में देखकर बात करते, जो उसके सामने आवाज ऊंची करते हैं। अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे रेयांश के गुस्से का शिकार होना पड़ता है, जो बहुत खतरनाक है।)दरअसल, नकूल ओबेरॉय ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री में यशवर्धन ओबेरॉय (दादाजी) का मैनेजर था, जो दूसरी कंपनी के साथ मिलकर यशवर्धन जी को धोखा दे रहा था, जिसका पता रेयांश को चल गया था, पर यशवर्धन जी इस बारे में कुछ नहीं जानते।
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शुरुआत, मुंबई, रात का वक्त एक छोटे से घर के छोटे से रूम में एक लड़की सो रही थी, जिसके चेहरे पर सोते वक्त भी एक स्माइल थी। खिड़की से चांद की रोशनी आकर उसके चहरे पर पड़ रही थी, जो उसके सोते हुए चेहरे पर चारचांद ला रही थी। बह सोते हुए किसी एंजेल की तरह लग रही थी, यह कोई और नहीं, हमारी हिरोईन आरोही थी, जो सुकून से सो रही थी। आरोही आराम से सो ही रही थीं, कि तभी रूम का डोर ओपन होता है और कोई धीरे-धीरे बेड की ओर आने लगती है। आरोही के सामने आकर बह शख्स उसके चेहरे के करीब झुकने लगता है और आरोही के कान के पास आकर चिल्लाते, "Happyyy birthdayyy aruuu, तू 18 साल की हो गयी आज।" मुस्कान के ऐसा करते ही आरोही चौंक कर उठ जाती है और मुस्कान को देखती हैं, जो उसे देख मुस्कुरा रही थी। जिसे देख, धीरे-धीरे आरोही के एक्सप्रेशन बदल जाते हैं और बह आंखें बंध करके रोने लगती हैं।जिसे देख, मुस्कान जल्दी से आरोही को हग करके उसके सिर को सहलाते हुए, "सो जा मेरी जान, सो जा आरू।" कुछ देर आरोही के सिर को सहलाने के बाद, मुस्कान को फील होती है कि आरोही सो गयी है, तो मुस्कान उसे लेटा देती है और गहरी सांस छोड़कर खुद भी उसके पास लेट जाती है, पर आरोही से डिस्टेंस मेंटेन करके, बही आरोही पीलो को कसके हग करके लेटी थी। एक आदमी (नकूल) सुनसान सड़क पर भाग रहा था। वह बार-बार पीछे देख रहा था, जैसे कोई उसका पीछा कर रहा हो। उसके चेहरे पर हद से ज्यादा डर देखा जा सकता था, और इस ठंड में भी वह पसीने से तरबतर हो गया था। वह भाग ही रहा था कि वह आगे किसी से टकरा जाता है, जिससे वह पीछे की ओर गिर जाता है। नकूल सामने देखता है, तो एक बेहद ही आकर्षक लड़का लंग ब्लेक जैकेट पहने, उसके सामने खड़ा है और उसे डेविल स्माइल के साथ देख रहा है। उस लड़के को देख, नकूल जल्दी से उठकर उल्टे दिशा में भागता है, पर वह कुछ कदम भी नहीं चलता, कि वह फिर से किसी से टकराकर गिर जाता है। और जब सामने देखता है, तो उसके आंखें हैरानी से खुल गईं, क्योंकि उसके सामने वह लड़का था।नकूल जल्दी से पीछे देखता है, तो पीछे वह नहीं था। वह पीछे जाते हुए भागने की तैयारी करता है, पर तभी वह फिर से गिर जाता है, और उसके गिरते ही वह लड़का उसके पास आकर उसके हाथ पर अपना पैर रखकर मसलने लगता है। नकूल दर्द से कराहते हुए अपने हाथ को छोड़ने की कोशिश करता है, "मुझे माफ कर दीजिए, बॉस, प्लीज, मैं फिर कभी ऐसा नहीं करूंगा, गलती हो गई, इस बार माफ कर दीजिए।" लड़का गर्दन के पीछे हाथ ले जाकर गर्दन को घुमाते हुए, "रेयांश ओबेरॉय गलती करने वालों को माफी नहीं सजा देता है।" (यह है हमारे हीरो, रेयांश ओबेरॉय, गोरे रंग का, भूरी आंखें, लंबी नाक, पतले गुलाबी होंठ, सिल्की जेल से सेट किए हुए बाल, मस्कुलर बॉडी, 8 पैक्स एब्स, हाइट ६.५, उम्र २१ साल, जो अभी 3rd ईयर का स्टूडेंट है, जो अपने गुस्से पर कभी कंट्रोल नहीं कर पाता, जिसके पास गलती का कोई माफी नहीं, बस सजा मिलती है, और उसे लोग भी नहीं पसंद करते, जो उसके आंखों में देखकर बात करते, जो उसके सामने आवाज ऊंची करते हैं। अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे रेयांश के गुस्से का शिकार होना पड़ता है, जो बहुत खतरनाक है।)दरअसल, नकूल ओबेरॉय ग्रुप ऑफ इंडस्ट्री में यशवर्धन ओबेरॉय (दादाजी) का मैनेजर था, जो दूसरी कंपनी के साथ मिलकर यशवर्धन जी को धोखा दे रहा था, जिसका पता रेयांश को चल गया था, पर यशवर्धन जी इस बारे में कुछ नहीं जानते। नकूल अब रोने लगता है, और रोते हुए कहता है, "प्लीज सर, मेरा छोटा सा परिवार है, मैं नहीं रहूंगा, तो उनका क्या होगा?" रेयांश अपने भूरी आंखों से उसको घूरते हुए, "तो इस बारे में तुझे धोखा देने से पहले सोचना चाहिए था ना, मेरे सामने हाथ जोड़कर कोई फायदा नहीं, मैं निर्दयी हूं।" नकूल कुछ कहने के सामने देख, उसका अब डर से हाथ पैर कांपने लगता है, क्योंकि उसके सामने रेयांश अचानक ही काफी डरावना होता जा रहा है, उसके हाथ चहरे, पूरे बॉडी में लम्बे लम्बे बाल आने लगे हैं, उसके नाखून भी बड़े हो गए हैं, और उसके भूरी आंखें ग्रीन होकर चमक रही हैं। देखते ही देखते वह एक विशाल वेयर वुल्फ में बदल जाता है, तो नकूल चिल्लाते हुए सरक से उठने की कोशिश करता है, पर उसके उठने से पहले ही रेयांश अपने दांतों तले उसके बॉडी को दबा लेता है और बड़ी बेरहमी से उसे दूर फेंकता है।नकूल के पैट से सब बाहर आ गया था और वह बही पर मर गया। रेयांश नकूल को देखते हुए अपने इंसानी रूप में आ जाता है और वहां से जाने लगता है, क्योंकि उसका नजर कुछ दूरी पर एक लड़की और लड़के पर पड़ता है, जो डर से कांपते हुए उसे देख रहे थे। पर वह उन्हें इग्नोर करता है और वहां से चला जाता है। उसके जाने के बाद वह दो लड़कियों और लड़कों भी उल्टे दिशा में भागते हैं। सुबह का समय। एक बूढ़ी औरत कमरे में आती है और मुस्कान आरोही के पास जाती हुई "मुक्कू आरू उठ जाओ, सुबह हो गई है।" मुस्कान धीरे से आंखें खोलती है औरत को देखकर "गुड मॉर्निंग ठाम्स।" औरत मुस्कान को मुस्कुराते हुए "गुड मॉर्निंग मुक्कू" (आरोही के पास जाकर) "आरू दिदिभाई उठ जाओ, आज तुम मंदिर जाओगे, ना? तुम्हारा जन्मदिन है।" आरोही करवट बदलते हुए "सोने दो ना, दादाजी।" मुस्कान मुंह बनाकर "ओये कुम्भकर्ण, तू अपने महल में नहीं, मेरे झोपड़ी में है, तो उठ जा, नहीं तो इस ठंडी में ठंडीपानी फेंक मारूंगी।" मुस्कान की बात सुनकर आरोही धीरे से आंखें खोलते हैं और मुस्कान को देखते हुए "मैं ठाम्स से कंप्लेन करूंगी, तूने कल रात मेरी नींद खराब की, और अभी इतने सुबह धमकी देकर उठा रही है।" मुस्कान सिर हिलाते हुए "ठीक है, करदे ठाम्स, तेरे पास ही खड़े में।" आरोही मुस्कान के इशारे से पीछे देखती हैं और कुछ कहती हैं, "ठाम्स, मुस्कुराते हुए, "happy birthday, aru didibhai"I" आरोही मिश्रा छोटा v सेप चेहरा, पतली नाक, पतले सुर्ख गुलाबी होंठ, काली गहरी आंखें, जिनमें देखकर कोई भी डूब जाता है, काले सिल्की स्ट्रेट लम्बे कमर तक बाल, पतले और छोटे शरीर, जिसे देखकर सबको यह बच्ची ही लगती है, बह डूब जाती है, और हमेशा शरारत करना उसके सबसे पसंदीदा काम है। बचपन में जब आरोही ५ साल की थी, तब उसके पेरेंट्स की एक एक्सीडेंट में मौत हो गई, जिसके बाद उसे यशवर्धन ओबेरॉय ने गोद ले लिया, पर आरोही को उस फैमिली के ज्यादातर लोग पसंद नहीं करते थे। जिसके वजह से आरोही को नहीं पता और सबसे ज्यादा तोयशवर्धन ओबेरॉय के बड़े पोते जो उसे परेशान करने का एक मौका नहीं छोड़ता था।) आरोही प्यारी सी स्माइल के साथ बेड से उतर झुककर उनके पैर छूती है "थैंक्यू ठाम्स।" ठाम्स आरोही को पकड़कर सिंधी खड़ीकर "सदा सुखी रहो और अभी जल्दी रेडी होकर नीचे आओ।" आरोही सिर हिलाती है, तो ठाम्स चली जाती है। ठाम्स के जाने के बाद मुस्कान कहती हैं "ठाम्स को थैंक्यू कहा और सबसे पहले मैंने वीस किया तब थैंक्यू के जगह रोने लगी।" आरोही मुस्कान को देखते हुए मुंह बनाकर "वैसे कौन करता है वीस? तूझे अच्छे से पता है मुझे मेरी नींद कितनी प्यारी है। पर फिर भी तूने मुझे जबरदस्ती उठाकर वीस किया, हर बार यही करती है।" मुस्कान तूनकते हुए "मेरी गलती नहीं है, हर बार मैं तुझे कहती हूं अभी मत सो, अभी मत सो, पर तू कुम्भकरण के पोती हर बार सो जाती है।" आरोही बोली, "हां, क्योंकि मुझे मेरी नींद सबसे ज्यादा प्यारी है।" मुस्कान सिर हिलाते हुए "हां हां, पता है, अब जल्दी तैयार हो जा, मंदिर जाना है, फिर अनाथ आश्रम भी जानाहै।" आरोही बोली, "ठीक है, मैं ऊपर के वाशरूम में जाती हूं, तू नीचे वाले में जा।" मुस्कान सिर हिलाते हुए चली जाती है, तो आरोही अपने तकिये के नीचे से फोन निकालकर खोलती है, तो ढेर सारी नोटिफिकेशन्स एक साथ आने लगती हैं, जिसे देखकर आरोही के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। क्यों आरोही अपने महल को छोड़कर मुस्कान के घर में रह रही हैं? क्या होगा जब यशवर्धन जी को रेयांश के कारनामे के बारे में पता चलेगा?
अब आगे यार आरू जल्दी आ कितना तैयार होगी मुस्कान नीचे से चिल्लाती है तो रेनूका जी (ठाम्स) बोले 'अरे यहां से ना चिल्लाकर देख कर आओं सायेद यह फिर से सो गयी मुस्कान गुस्से में "अगर यह कुंभकरण अब सोयी तो में उसे जान से मार दूंगी इतना कहकर मुस्कान मुड़ती है के उसके कान में आवाज पड़ती है "अगर यह कुंभकरण अब सोयी तो मैं उसे जान से मार दूंगी मुस्कान और रेनूका जी सामने देखते हैं तो सीढ़ियों से चलते हुए आरोही आ रही थी जिसने एक सिम्पल वाइट अनारकली सूट पहनी थी जिसकी रेट दुपट्टा थी बालों को खुला छोड़े हुए वह बहुत प्यारी लग रही थी उसने चेहरे पर कोई भी मेकअप नहीं किया थामुस्कान अपने आंखें दिखाकर "तू मुझे नकल कर रही है' आरोही मुस्कान के सामने आकर "तू मुझे नकल कर रही है मुस्कान रेनूका जी को देख "ठाम्स" आरोही भी रेनूका जी को देख "ठाम्स रेनूका जी उन दोनों को शांत करते हुए "तुम दोनों शांत हो जाओ और जल्दी से मंदिर के लिए निकलों फिर आश्रम भी जाना है ना" आरोही सिर हिलाती है और रेनूका जी के पैर छुकर मुस्कान की हाथ पकड़ जाने लगती हैमुस्कान आरोही के साथ जाते हुए कहती हैं "आरू तू, आज थोड़ी मेकअप कर सकती थी" आरोही मुस्कुराते हुए "करूंगी ना 1 वीक बाद जबमैं कॉलेज जाउंगी मुस्कान आंखें दिखाके "तूने क्या मजत मांगी है ?" आरोही स्कूटी में बैठते हुए नहीं मैंने कोई मन्नत नहीं मांगी बस मुझे कॉलेज में ही सबको अपनी मेकअप वाली लुक दिखानी है और खुद भी देखनी है उससे पहले नहीं मुस्कान मुंह बनाकर आरोही के पीछे स्कूटी पर बैठ 'तू भी अजीब है' आरोही हंसते हुए और तू गरीब मुस्कान आरोही एक साथ 'हम दोनों अजीब और गरीब हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा बह दोनों हंसी मज़ाक करते हुए आगे बढ़ जाते *xxxx*कुछ देर में दोनों एक बड़े से महादेव के मंदिर में पौहुचते है और स्कूटी पार्क करके सैंडल उतार पहली सीढ़ि में प्रनाम करते हुए आगे बढ़ते हैंआरोही मंदिर के पुरोहित को पुजा के थाली देते हुए 'विकास मिश्रा आरती मिश्रा तरूण मिश्रा यशवर्धन ओबेरॉय रेयांश ओबेरॉय निशांत ओबेरॉय लावण्या ओबेरॉय मुस्कान पाल रेनूका पाल के नाम से पुजा कर दिजीये 'पुरोहित मुस्कुराते हुए 'तुम हर साल आते हो बेटा और यही नाम कहते हो अब यह नाम तो मुझे भी याद हो गया इतना कहकर पुरोहित जी अंदर चले जाते हैं और आरोही महादेव को प्रनाम कर पीछे मन में कहती है हमेशा मेरे अपनों को खुश रखना उनकी हर ख्वाइश पूरा करना इतना कहकर आरोही आंखें खोलती है तो पुरोहित जी उसके सामने थे बह आरोही के माथे पर महादेव के सिंदूर लगाते हैं और थाली को उसे दे देते हैं जिसे लेते ही आरोही मुस्कुराते हुए उनके पैर छूती हैपुरोहित जी आरोही के सिर पर हाथ रख 'सदा सुखीरहना आरोही सिर हिलाकर उनको प्रसाद देकर दूर खड़ी मुस्कान के पास जाकर "चल हो गयी मेरी मुस्कान सिर हिलाकर 'चल फिर बह दोनों मंदिर से बाहर आ जाते हैं और अभी मुस्कान स्कूटी चला रही थीमुस्कान कुछ सोचते हुए "आरू तू उस घर में अपने बर्थडे के दिन क्यों नहीं रहती कभी ?" आरोही मुस्कान की बात सुनकर उदास होकर "यार बहा मुझे कोई पसंद नहीं करता सिर्फ दादाजी निशांत लावण्या अंकल आंटी को छोड़ कर मुस्कान "रेयांश भी पसंद नहीं करता ?" आरोही और ज्यादा उदास होकर "बह तो मुझे देख ही नहीं सकते मुझे देखते ही उनके उपर भूत आ जाते हैं "मुस्कान हैरानी से "तो तू उनके नाम से हार बार पूजा क्यों करती है ?" आरोही "क्योंकि दादाजी उनसे बहुत प्यार करते हैं उनकी बहुत उम्मीदें हैं उनसे इसलिए मैं नहीं चाहती के भगवान ना करे कुछ ऐसा हो जिससे दादाजी की उम्मीदें टुट जाये "मुस्कान "मेरी आरू की दिल तो बहुत बड़ी है "आरोही मुस्कुराते हुए "मेरी मुक्कू की दिल भी बहुत बड़ी है "मुस्कान मुस्कुराते हुए कुछ कहती के आरोही की नजर सरक किनाके जाती है और वह चिल्लाते हुए "मुक्कू रूक रूक" मुस्कान जल्दी से स्कूटी रोक "क्या हुआ ?" आरोही सरक किनारे एक तरफ पॉएंट करते हुए "बह देख पानीपूरी चल खाते है "मुस्कान जल्दी से स्कूटी सरक किनारे ले जाती है और बह दोनों ही पानीपुरी खाने लगते हैं*xxxx* ओबेरॉय मैंशेनएक खुबसूरत आलिशान महल जिसके एंटर होते ही राउंड सेप सरक जिसके बीच में एक वेयर वुल्फ कामुर्ती था जिसके मुंह से पानी निकल रहा था जो थोड़े डरावने थेउसके पीछे ही गार्डन जिसमें बीचोंबीच एक टेबल और कुछ 13 चेयर थी बह बहुत ज्यादा आलिशान धीबहार से यह महल जितना आलिशान था अंदर से भी उतनी ही आलिशान था चारों तरफ एंटीक और महंगे महंगे चीजों से भरा हुआ थाऔर अभी लिविंग रूम के सोफे पर यशवर्धन जी गुस्से में बैठे थेबह बैठे ही थे के रेयांश सिटी बजाते हुए अंदर आता है और यशवर्धन जी के सामने जाकर सोफे पर बैठ 'क्या हुआ पेंडपा आपने इतने अर्जेंट बुलाया ?" यशवर्धन जी रेयांश को पूरते हुए 'नकूल कहा है यांश ?"रेयांश अनजान बनते हुए 'नकूल कौन ? यशवर्धन जी दांत पीसते हुए "तुम्हें अच्छे से पता है नकूल कौन है क्योंकि तुमने ही उसे मारा है 'रेयांश यशवर्धन जी को पूरते हुए "अगर आपको पता है बह मर गया और मैंने ही मारा है तो आप यह क्यों पूछ रहे हैं बह कहा है? यह पूछिये उसको क्यों मारा मैने ?' यशवर्धन जी "क्यों मारा तुमने नकूल को ?"रेयांश "अभी बताने का मन नहीं है "यशवर्धन जी "तुम बदतमीजी कर रहे हो यांश? "रेयांश "आप ही मुझे मजबूर कर रहे हैं पेंडपा "यशवर्धन जी आंखें छोटी करके 'तुम कहना क्या चाहते हो ? "रेयांश "आप अपने पावर से यह पता लगा सकते हैं के मैंने नकूल को मारा तो क्या यह नहीं पता लगा सकते क्यों मारा ?" यशवर्धन जी "यह में क्या कोई भी पाता नहीं लगा सकता ? "रेयांश उठते हुए "पेंडपा अपने दिमाग का इउज कीजिये थोड़ा "पीछे से यशवर्धन जी 'कहा जारहे हो तुम ? "रेयांश जाते हुए "आपको जानके क्या मिलेगा ? "इतना कहकर रेयांश चला जाता है और यशवर्धन जी गहरी सांस छोड़कर "यह लड़का कब सुधरेगा ?"इतना कहकर बह अपने फोन को देखते हैं और किसीको कॉल करते हैंदोड रींग में ही उधर से कॉल रिसीव कर लेते हैं तो दादाजी कहते हैं "Happy birthday little girl 'उधर से आरोही की प्यारी आवाज आती है "थैंक्यू दादाजी "यशवर्धन जी "तुम अभी कहा हो ?" आरोही "मैं तो आश्रम जा रही हूं थोड़ी देर में पौहुंच जाउंगी "यशवर्धन जी "ओहह अच्छा तो तुम आज घर आ रहे हो ना में ड्राइवर को भैज दू'आरोही "हां दादाजी 12 के बाद में घर आ जाउंगी ड्राईवर को भेज देना"यशवर्धन जी "ओके little girl आज अच्छे से एंजॉय करो यशवर्धन जी और आरोही बात कर ही रहे थे के तभी रेयांश जो अपने फोन लेने वापस आया था बह कहता है "यह लड़की हार साल आज के दिन कही चली जाती है तो इसे बहार ही रहने दे फिर लाने की क्या जरूरत ग्रैंडपा ? I just hate her"यह कहते हुए रेयांश के आंखों में नफरत साफ देखा जा सकता थाबही यशवर्धन जी रेयांश को आंखें दिखाता है तो रेयांश मुंह बनाकर अपने फोन लेकर चला जाता है और जाते हुए उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल था जिसका कारन तो सिर्फ रेयांश को ही पता थाजिसके बाद यशवर्धन जी फिर से आरोही से मुस्कुराते हुए बात करने लगते हैं............ क्या यशवर्धन जी जान पायेंगे रेयांश ने नकूल को क्यों मारा? रेयांश क्यों करता है आरोही से नफरत ? जानने के लिए पढ़िए "felling in love with Devli "प्लीज चैप्टर कैसी लगी कॉमेंट करके बताना मत भूलना, लाइक और 5 स्टार भी जरूर देना आप लोगों के कॉमेंट लाइक और रिव्यू से ही हम मोटिवेट होते हैं जिससे हम स्टोरी को और आगे बढ़ा सकते हैं और बेहतर कर सकते हैंतो मिलती हूं अगले चैप्टर मेतब तक के लिए बाय बाय टेक केयर
श्रममुस्कान स्कूटी रोकी तो लगभग 50 बच्चे उनकी स्कूटी को घेर लिया और चिल्लाकर बोले, "Happy birthday Aru Didi!" आरोही मुस्कुराते हुए बोली, "थैंक्यू मेरे क्यूटीस! फिर सारे गिफ्ट लेकर अंदर चलो।" आरोही अंदर आ गई और अपने हाथ में पकड़े बैग्स एक औरत (नीलम) को देते हुए बोली, "आंटी, इसमें बच्चों के लिए खिलौने, कपड़े, खाने और कुछ नोटबूक्स, पेन्स हैं।" नीलम जी मुस्कुराते हुए सभी बैग्स लेते हुए बोलीं, "Happy birthday Beta!" आरोही ने कहा, "थैंक्यू आंटी।" अब तक मुस्कान भी आ गई थी। उसने भी अपने हाथ में पकड़े बैग्स एक दूसरी औरत (कंकिनी) को देकर कहा, "मैंने जो कहा था, वो हुआ।" कंकिनी जी मुस्कुराते हुए बोलीं, "हाँ, सब रेडी है। बच्चों ने अपने हाथों से किया है।" मुस्कान मुस्कुराई। तभी कुछ बच्चे चिल्लाए, "Happy birthday Aru Didi!" आरोही उस तरफ देखकर मुस्कुराई और उनके पास जाकर एक छोटी बच्ची को गोद में उठाते हुए पूछा, "आरू बेबी, ये केक तुम लोगों ने मेरे लिए बनाया है?" वो बच्ची अपनी तोतली आवाज़ में बोली, "हाँ, आरू दीदी। ये हम सभी ने आपके लिए बनाया।" आरोही मुस्कुराते हुए उसके गाल पर किस कर ली। तो बाकी सब आरोही को घेर लिया और एक बच्चा बोला, "हम सभी ने बनाया है दीदी आपके लिए केक। आप हम सभी को भी किस कीजिये।" आरोही मुस्कुराते हुए सभी को किस किया। तो मुस्कान मुँह बनाकर बोली, "सबको सब आरू दीदी ही चाहिए। मुक्कू दीदी किसी को नहीं चाहिए, तो मैं चली जाती हूँ।" इतना कहकर वह जाने लगी। तो सभी बच्चे आरोही को छोड़कर उसके पास आकर बोले, "हमें आप भी चाहिए मुक्कू दीदी!" मुस्कान मुस्कुराते हुए सभी को किस किया। नीलम जी बोलीं, "अब जल्दी से आरू दीदी को केक कट करने दो।" सभी आरोही के पास आ गए। आरोही मुस्कुराते हुए केक को देखती है, जो बच्चों ने खुद उसके लिए बनाया था। जिसे देख आरोही की आँखें भर आईं, पर अपने आँसू पोछकर उसने केक काटा और सबसे पहले मुस्कान, फिर आरू (इसका नाम भी आरोही है, यह छोटी बच्ची है) को खिलाया। सभी एक साथ एन्जॉय करने लगे, कि अचानक आरू बेहोश होकर गिर गई। आरोही भागते हुए उसके पास आकर उसे अपनी गोद में उठाते हुए बोली, "आरू!" सभी आरू को घेर लिया। कुछ देर बाद सभी आश्रम के एक कमरे में थे और डॉक्टर आरू को देख रही थी। आरोही जल्दी से पूछी, "आरू को क्या हुआ? वो बेहोश क्यों हो गई?" डॉक्टर बोलीं, "अभी नहीं कह सकती, पर मैंने कुछ दवाई दी है। ये दे देना और कुछ टेस्ट करने होंगे, फिर ही बता सकती हूँ।" मुस्कान सिर हिलाकर बोली, "ओके, पर कुछ सीरियस तो नहीं है ना डॉक्टर?" डॉक्टर बोलीं, "मैं अभी कुछ नहीं कह सकती।" इतना कहकर वो वहाँ से चली गईं। तो आरोही और मुस्कान आकर आरू के पास बैठ गईं।
दोपहर का वक्त 3:00 pm था। हाईवे के किनारे एक लिमिटेड एडिशन की Lamborghini खड़ी थी, जिसके अंदर रेयांश बैठा सिगरेट पी रहा था। इसके धुएं से पूरे Lamborghini में कोहरा सा छा गया था। तभी उसके फ़ोन में नोटिफ़िकेशन आया। तो रेयांश सामने कार डेस्क पर अपने फ़ोन को कुछ देर देखने के बाद उसे लेकर नोटिफ़िकेशन को ओपन किया। तो उसमें बहुत सारी आरोही की तस्वीरें थीं। जिनमें आरोही मंदिर में पूजा कर रही थी, स्कूटी चलाते हुए मुस्कान के साथ बात कर रही थी, पानीपुरी खा रही थी, आश्रम में बच्चों के साथ केक काट रही थी, खा रही थी, उनके साथ खेल रही थी। और इन सभी फोटो में जो चीज कॉमन थी, वो थी आरोही की स्माइल। रेयांश आरोही के एक मुस्कुराते हुए फोटो को जूम करके उसे घूरते हुए बोला, "तुम्हारे चेहरे की ये मुस्कराहट मैं हमेशा के लिए गायब कर दूँगा। आरोही मिश्रा, तुम चाहोगी भी तो खुश नहीं हो पाओगी। तुम्हें मैं एक ऐसी जिंदगी देने वाला हूँ, जिससे अच्छा तुम्हारे लिए मौत है। पर तुम मर भी नहीं पाओगी।" इतना कहकर कुछ देर रेयांश आरोही के फोटोज को देखने के बाद फ़ोन को डेस्क पर पटक दिया, अपनी सिगरेट को खिड़की से बाहर फेंक दी और कार फुल स्पीड में आगे दौड़ा दी।
आरोही स्कूटी चला रही थी और मुस्कान पीछे बैठी थी। दोनों का मूड ही उस वक्त ऑफ था और वजह थी आरू की तबीयत का ये अचानक बिगड़ना। आरोही बोली, "मुक्कू, अभी घर चलते हैं। मेरा और कहीं घूमने का मन नहीं है।" मुस्कान बोली, "वो तो ठीक है, पर आरू को तो कल टेस्ट कराने ले जायेंगी।" आरोही सिर हिलाकर बोली, "हाँ, कल ही ले जाऊँगी।" मुस्कान टेंशन में बोली, "पर पैसे! बहुत पैसे लगेंगे।" आरोही बोली, "मेरे पास कुछ पैसे हैं। वो दादाजी मुझे जो पॉकेट मनी देते हैं।" मुस्कान बोली, "पर आरू, तू तो उन पैसों को कभी यूज़ नहीं करती।" आरोही बोली, "हाँ, नहीं करती। पर अभी बस वही हैं मेरे पास।" मुस्कान बोली, "अगर रिपोर्ट में कुछ गलत हुआ तो…" आरोही डरते हुए बोली, "ऐसे मत बोल। आरू को कुछ नहीं होगा।" मुस्कान बोली, "मैं भी यही चाहती हूँ, पर डर लगता है।" आरोही कुछ कहती, तभी सामने से एक स्पोर्ट्स कार तेज़ी से उनके ओर आती है, जिससे बचने के लिए आरोही कार को एक तरफ़ मोड़ लेती हैं, जिससे उनकी स्कूटी सड़क से थोड़ी दूर, एक पेड़ से टकराते-टकराते बचती है। आरोही गुस्से में बोली, "मुक्कू, उतर!" मुस्कान बोली, "मैं पहले ही उतर गई।" आरोही मुस्कान को देखती है, जो पहले ही उतरकर उसके पास खड़ी है। आरोही जल्दी से बोली, "तू स्कूटी पकड़।" इतना कहकर सड़क पर देखती है जहाँ वो कार रुक गई थी। आरोही गुस्से में आग बबूला होकर उस कार के पास जाकर सड़क से एक पत्थर लेकर उस कार पर दे मारती है, जिससे कार की खिड़की में स्क्रैच आ जाते हैं। आरोही गुस्से में बोली, "ओए, आमिर! जरा बाहर निकलिए कार से, जरा हम आपके घटिया सकल का दर्शन करें।" तब तक मुस्कान भी आ जाती है और थोड़ा डरकर बोली, "यार, महंगी कार है बहुत, और तूने स्क्रैच कर दिया।" आरोही गुस्से में बोली, "मुक्कू, तू चुप रहा! इस कार से ज़्यादा इंसान की ज़िंदगी की कीमत है।" अब मुस्कान भी सिर हिलाकर गुस्से में बोली, "ओए, नवाब! बाहर आओ! कब से कह रहे हैं।"
आरोही खिड़की पर जोर-जोर से मारते हुए बोली, "ओए, बहरे हो क्या? सुनाई नहीं देता? बाहर आओ!" आरोही के ऐसा करते ही कार का दरवाज़ा ओपन होने लगता है, तो मुस्कान और आरोही थोड़ी दूर खड़ी हो जाती हैं और आरोही चिल्लाते हुए कहती है, "तुम्हारे पास लाइसेंस भी…" इतना कहते-कहते आरोही सामने देखती है, तो उसके बाकी के बात उसके मुँह में ही रह जाती है और उसके चेहरे से गुस्सा गायब होकर घबराहट दिखने लगती है।
…क्या हुआ आरू (छोटी बच्ची) को? क्यों करता है रेयांश आरोही से इतना नफ़रत? कौन है यह जिसे देख आरोही की ऐसी हालत हुई? जानने के लिए पढ़िए "Falling in love with Devil"।
आरोही के अचानक चुप हो जाने पर मुस्कान कुछ समझ नहीं पाई। वह अपने सामने खड़े हैंडसम लड़के को देख रही थी, जो एकटक आरोही को देख रहा था।
मुस्कान ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "उसे क्या देख रहे हो अपने बटर जैसे आँखों से? वह कहना चाहती थी, 'तुम्हारे पास लाइसेंस है ऐसे रॉन्ग साइड में कार चलाने का?'"
आरोही ने जल्दी से मुस्कान का हाथ पकड़कर कहा, "मुक्कू, ठीक है ना? अब चल, थाम्स हमारी इंतजार कर रहे हैं।"
मुस्कान आरोही को घूरते हुए बोली, "तुझे क्या हुआ मेरी शेरनी?"
आरोही उसे खींचते हुए बोली, "कुछ नहीं हुआ, तू चल।"
"नहीं, मुझे इनसे बात करना है," मुस्कान ने आरोही को खुद से छुड़ाते हुए कहा।
फिर वह उस लड़के के सामने जाकर बोली, "तुम अमीर लोग खुद को..."
तभी एक १९ साल का लड़का अचानक आरोही को गले लगाते हुए बोला, "Happy birthday Aru! I'm really sorry. मुझे पता नहीं था। अभी कुछ देर पहले इंस्टा पर मुस्कान के स्टेटस देखकर पता चला।"
वह लड़का और मुस्कान आरोही को देख रहे थे, जिसका चेहरा शर्म से लाल हो गया था।
आरोही शर्माते हुए बोली, "थैंक्यू अंश।"
अंश ने आरोही के गाल खींचते हुए कहा, "तुम बहुत क्यूट हो यार! और बहुत ज़्यादा ब्यूटीफुल लग रही हो आज। हाँ, पता है, हमेशा लगती हो, पर आज कुछ अलग बात है।"
अंश की बात सुनकर आरोही और ज़्यादा शर्मा गई। वहीं वह दूसरा लड़का बुरी तरह से उस लड़के और आरोही को घूर रहा था, और मुस्कान बस मुस्कुरा रही थी।
अंश ने कहा, "ओके, मैंने तुम्हें इंस्टा पर फॉलो कर दिया है। तुम भी कर दो। और मैसेज किया है, देखना। रात को बात करेंगे। और किसी और दिन तुम्हारी बर्थडे गिफ्ट दूँगा। सॉरी, आज नहीं दे पाया।"
आरोही शर्माते हुए बोली, "कोई बात नहीं अंश।"
अंश मुस्कुराते हुए बोला, "तुम शर्माते बहुत हो।"
आरोही और ज़्यादा शर्मा गई। तब अंश ने उसके गाल को फिर से खींचते हुए कहा, "ओके, बाद में मिलता हूँ। अभी मैं थोड़ा बिजी हूँ। बाय।"
आरोही ने बस सिर हिलाया। अंश वहाँ से चला गया। उसके जाते ही मुस्कान आरोही के पास आकर बोली, "रात को बात होगा, हाँ?"
आरोही शर्माते हुए बोली, "चुप कर और घर चल।"
मुस्कान शरारती अंदाज़ में बोली, "हाँ, अभी तो घर जल्दी जाना ही होगा। कोई अपने क्रश से बात जो करेगा।"
आरोही कुछ कहती, तभी उसकी नज़र उस लड़के की लाल आँखों से मिली, और उसकी शर्म फिर से डर में बदल गई।
आरोही जल्दी से मुस्कान को खींचते हुए बोली, "चल यहाँ से मुक्कू।"
इतना कहकर वह जाने लगी, तभी वह लड़का बोला, "तुम मेरे साथ जाओगी।"
आरोही और मुस्कान रुककर पीछे पलटीं। मुस्कान ने आँखें छोटी करते हुए कहा, "ओओ, बिगड़े हुए औलाद! कौन तुम्हारे साथ जाएगा? मैं या आरू?"
आरोही ने मुस्कान के हाथ पर चिकोटी काटते हुए धीरे से कहा, "यार, चुप कर! यह रेयांश भैया है।"
मुस्कान हैरानी से आरोही को देख रही थी। वहीं रेयांश गुस्से में दाँत पीसते हुए बोला, "मैंने कितनी बार कहा है मुझे भैया मत बोलो! मैं तुम्हारे माँ-बाप का कोई नाजायज़ बेटा नहीं हूँ!"
आरोही ने सिर झुकाकर कहा, "सॉरी।"
मुस्कान गुस्से में बोली, "आरू, तू सॉरी क्यों बोल रही है? तूने कुछ गलत नहीं कहा! और तुम! तुम्हारी लैंग्वेज कितनी घटिया है! तुम्हें आरू भैया नहीं बोले तो क्या बोले? साइयाँ? तुम उसके साथ इतनी बदतमीजी से बात कैसे कर सकते हो?"
रेयांश ने मुस्कान को कुछ देर घूरने के बाद उसे इग्नोर करते हुए आरोही को देखा और कहा, "अभी कार में बैठो।"
आरोही ने सिर झुकाकर कहा, "सॉरी, पर मुझे मुस्कान के साथ जाना है। थाम्स हमारे घर पर वेट कर रहे हैं।"
रेयांश आरोही को घूरते हुए बोला, "तुम नहीं जाओगी तो वह मर नहीं जाएगी।"
आरोही ने नम आँखों से रेयांश को देखते हुए कहा, "प्लीज़, ऐसे मत बोलिए।"
रेयांश बोला, "तो चुपचाप कार में बैठो।"
आरोही मुस्कान को देखकर बोली, "मुक्कू, थाम्स को कहना मैं बाद में आ जाऊँगी। तू..."
मुस्कान बीच में बोली, "क्या बाद में? तू अभी मेरे साथ जाएगी! और यह तो वही है ना जो तुझे हमेशा नीचा दिखाता है, इंसल्ट करता है, टॉर्चर करता है?"
आरोही घबराते हुए मुस्कान को चुप रहने को बोलती है, पर मुस्कान चुप नहीं होती। "तू मुझे बताती थी, मुझे तब कितना गुस्सा आता था! और आज मैंने लाइफ़ में डेमो भी देख लिया कि यह सच में कितना बदतमीज़ है! तू बिल्कुल ठीक कहती थी! अब तू मेरे साथ चल!"
रेयांश को मुस्कान की बातें सुनकर बहुत गुस्सा आता है, पर अपने गुस्से को शांत करते हुए वह बोला, "आरोही।"
आरोही डरते हुए बोली, "मुक्कू, प्लीज़ ज़िद मत कर! मैं आ जाऊँगी शाम होने से पहले। या ना आ पाऊँ तो मैसेज कर दूँगी। तू घर जा।"
मुस्कान कुछ कहती, तभी आरोही बोली, "तुझे मेरी कसम, तू जा प्लीज़।"
अब मुस्कान कुछ नहीं कहती और रेयांश को घूरते हुए बोली, "इस राक्षस और बदतमीज़ आदमी से बचकर रहना।"
आरोही कुछ नहीं कहती, बस मन-ही-मन मुस्कान को गाली देती है, क्योंकि आज अनजाने में ही उसने उसे बहुत बड़ी मुसीबत में डाल दिया था।
मुस्कान वहाँ से चली जाती है। उसके जाते ही रेयांश बोला, "नाटक हो गया? तो कार में बैठो।"
आरोही सिर झुकाकर बोली, "हम कहाँ जाएँगे? आपको तो पता है मैं अपने बर्थडे के दिन..."
रेयांश चिल्लाकर बोला, "तुम मुझे सवाल कर रही हो?"
आरोही जल्दी से सिर ना में हिलाती है। रेयांश कार में बैठकर बोला, "पैसेंजर सीट पर बैठो।"
आरोही चुपचाप जाकर पैसेंजर सीट पर बैठ जाती है। इसके बाद रेयांश कार फुल स्पीड में चलाने लगता है।
आरोही को बहुत ज़्यादा डर लग रहा था। उसकी दिल की धड़कन बढ़ गई थी, पर रेयांश के डर के कारण वह कुछ कह नहीं पा रही थी।
२ घंटे बाद कार एक आलीशान बंगलों के पार्किंग में पार्क होती है। रेयांश बाहर आता है।
आरोही कार के अंदर से ही कहती है, "आप मुझे कहाँ ले आए? यह तो ओबरॉय मैंशन नहीं है।"
रेयांश सख्त आवाज़ में कहता है, "बाहर आओ।"
आरोही डरते हुए जल्दी से कार से उतर जाती है। रेयांश अंदर जाते हुए कहता है, "पीछे-पीछे आओ।"
आरोही डरते हुए रेयांश के पीछे-पीछे चलने लगती है। साथ में वह चारों तरफ़ देख भी रही थी। आरोही अपने आगे जा रहे रेयांश को देखकर सोचती है, "मैंने आज बहुत बड़ी गड़बड़ी कर दी! और मेरी गधी बेस्टी ने तो मेरी वाट लगाने में कोई कमी नहीं रखी! अब रेयांश भैया मुझे यहाँ क्यों लाए हैं? क्या वह गुस्से में मुझे मारकर फेंक देंगे? यहाँ तो दादाजी को भी पता नहीं चलेगा! और यह जगह इतनी सुनसान है कि कोई बचाने भी नहीं आएगा! हे महादेव! प्लीज़ मुझे बस जिंदा रहने दो! मुझे जीना है! मरने के लिए तो आपने मुझे नहीं भेजा ना? तो प्लीज़ बचा लो!"
ये सब कहते हुए आरोही रेयांश के पीछे-पीछे बंगले के अंदर आ जाती है, जिसका एहसास भी आरोही को नहीं होता।
क्यों रेयांश आरोही को यहाँ ले आया? क्या चल रहा है रेयांश के दिमाग में? क्या आरोही का डर सच हो जाएगा? जानने के लिए पढ़िए "Falling in love with Devil"।
To be continued...
Crash Queen 👑
आरोही किसी से टकरा गई और उसकी नाक पर चोट लग गई।
अपनी नाक सहलाते हुए आरोही ने सामने देखा और झट से सिर झुका लिया। सामने रेयांश था, जिसके सीने से वह टकराई थी।
रेयांश आरोही को घूरते हुए बोला, "दिखाई नहीं देती क्या?"
"मेरी आंखों में थोड़ी प्रोब्लम है और अभी चस्मा भी नहीं है," आरोही ने मासूमियत से कहा।
"जस्ट शट अप!" रेयांश चिल्लाया।
आरोही ने सिर झुका लिया। रेयांश वहाँ से जाते हुए बोला, "कुछ देर में मेरे कुछ फ्रेंड आने वाले हैं। आज यहां पार्टी है, तो जल्दी से सारा इंतजाम करो।"
आरोही ने सिर हिलाया और रेयांश चला गया।
आरोही मन-ही-मन खुश होकर सोची, 'मैं भी कितनी पागल हूँ! रेयांश भैया मेरी बर्थडे के लिए पार्टी दे रहे हैं और मुझे लग रहा था वह मुझे मार देंगे। सच में, मैं बहुत ज़्यादा ओवरथिंक करती हूँ।'
पूरे लिविंग रूम को देखते हुए उसने कहा, "पर रेयांश भैया मेरे लिए पार्टी रख रहे हैं, तो मुझे क्यों सब कुछ करने को कहा? (सिर झटकते हुए) यह सब छोड़ और जल्दी से काम शुरू कर।"
मुस्कुराते हुए आरोही काम करने लगी।
ऊपर से रेयांश आरोही को देख रहा था। आरोही की मुस्कान देखकर वह खुद से बोला, "कहीं यह लड़की पागल तो नहीं है? मैंने इसे इतना काम करने को कहा और यह मुस्कुरा रही है। (अपने चेहरे पर डेविल स्माइल लाकर) मुस्कुरालो, मुस्कुरालो, बस कुछ देर की ही बात है। उसके बाद... उसके बाद देखता हूँ यह स्माइल कहाँ रहती है। आज तुम्हारी बर्थडे है ना, और आज से ही पूरी लाइफ तुम्हारी हेल बनने वाली है, आरोही मिश्रा! मैं भी देखूँगा कब तक तुम यह स्माइल बरकरार रख पाती हो।" इतना कहकर वह कुछ देर आरोही को देखता रहा और फिर चला गया।
रात का वक्त था।
9:00 pm
आरोही ने सारे इंतज़ाम कर लिए और गहरी साँस छोड़कर बोली, "सब हो गया। (कुछ सोचते हुए) सब हो तो गया, पर अब मैं क्या करूँ? अब तक तो कोई नहीं आया। भैया भी ऊपर हैं।"
अपने फोन में टाइम देखते ही उसकी आँखें हैरानी से फैल गईं। वह खुद से बोली, "अभी रात के 9:03 बज रहे हैं। अभी भी कोई नहीं आया? क्या पार्टी कैंसिल हो गई? (सिर पर चपत मारकर) अगर कैंसिल होती तो भैया मुझे कहते ना। शायद सभी आने में देर कर रहे हैं।"
आरोही सोफे पर बैठने ही वाली थी कि रेयांश नीचे आते हुए बोला, "सब हो गया। वह सभी आ गए।"
आरोही जल्दी से रेयांश को देखकर मुस्कुराई, "सब कर दिया मैंने भैया..."
रेयांश ने आरोही की बात बीच में ही काटते हुए चिल्लाया, "Don't call me bhaiya!"
आरोही कांपते हुए सिर झुकाकर बोली, "सॉरी।"
रेयांश आरोही के करीब आया और एक कदम की दूरी पर खड़ा हो गया। आरोही डर से दूर हटने लगी। उसके हाथ-पैर काँप रहे थे, और सबसे ज़्यादा उसके होंठ काँप रहे थे।
आरोही जैसे ही अपना कदम पीछे लेती, रेयांश ने उसे कमर से पकड़कर अपने करीब खींच लिया। आरोही की साँसें अटक गईं।
रेयांश आरोही के होंठों के करीब अपने होंठ ले जाते हुए बोला, "अगर फिर कभी मुझे भैया कहा, तो आज मैंने जो नहीं किया, वह करूँगा।"
आरोही को रेयांश की बातें समझ नहीं आ रही थीं, पर वह इतना डर रही थी कि उसे रेयांश को देख भी नहीं पा रही थी। रेयांश ने आरोही को छोड़ा और दूर हटा। तभी बाहर से कुछ लड़कों के बात करने की आवाज़ आई। रेयांश बोला, "यहाँ से राइट साइड के तीसरे रूम में तुम्हारे लिए ड्रेस है। चेंज करके आओ।"
डर से काँप रही आरोही रेयांश की बात सुनकर मुस्कुराई और भागते हुए उस रूम की ओर चली गई।
आरोही को मुस्कुराते देख रेयांश ने अपने हाथों में मुट्ठी बना ली, पर खुद को शांत करते हुए मन-ही-मन बोला, "बस कुछ घंटे और। फिर यह स्माइल कहाँ रहती है, मैं भी देखूँगा।"
आरोही जल्दी से रूम में आई और ड्रेस देखते ही उसके चेहरे की सारी खुशी गायब हो गई।
आरोही ने ड्रेस को ऊपर से नीचे तक देखा, "यह क्या है? यह ड्रेस मैं कैसे पहनूँ? इस ड्रेस में तो कपड़े ही नहीं हैं! इसमें तो मेरी कमर, पेट, पीठ, जाँघ सब दिखेंगे, और क्लीवेज भी कितना डीप है! और कितना पतला भी है यह ड्रेस! यह ड्रेस है या कपड़े का टुकड़ा? (ड्रेस को बेड पर फेंकते हुए) मैं इसे नहीं पहन सकती। इसे पहनना और ना पहनना बराबर है। इसे पहनकर तो मैं शर्म और ठंड में ही मर जाऊँगी।"
वहीं, अपने फ्रेंड्स से बात कर रहे रेयांश बार-बार अपनी घड़ी देख रहा था। एक लड़का (समीर) बोला, "यार, यहाँ तो ना शराब है और ना शबाब!"
रेयांश मन में सोचा, 'इस लड़की को तो छोड़ूँगा नहीं। मैंने ध्यान ही नहीं दिया इसने वाइन नहीं रखी यहाँ। और अब कब तक आएगी? अब भी नहीं आ रही।'
फिर सबको देखते हुए रूखे अंदाज़ में बोला, "जितना कहा है उतना करो। वाइन आ रहा है और शबाब मैं ला रहा हूँ। बस तुम लोग अपना काम याद रखना।"
इतना कहकर रेयांश ने एक मेड को वाइन लाने का इशारा किया और वहाँ से चला गया।
रेयांश जब रूम में आया तो उसका दिमाग और खराब हो गया। वह चिल्लाया, "तुम अभी तक तैयार क्यों नहीं हुई?"
उदास आरोही रेयांश के गुस्से से डरकर काँपती आवाज़ में बोली, "ब...बहुत यह ड्रेस बहुत..."
रेयांश ने एक आईब्रो ऊपर करके पूछा, "क्या? यह ड्रेस बहुत...?"
आरोही बोली, "यह ड्रेस बहुत ज़्यादा छोटी है।"
रेयांश बोला, "तो क्या तुम ऐसे छोटे ड्रेस नहीं पहनती?"
आरोही बोली, "हाँ, पहनती हूँ, पर यह बहुत रिवीलिंग है और पतली भी।"
रेयांश सख्त आवाज़ में बोला, "तीन मिनट में इस ड्रेस को पहनकर आओ, नहीं तो..."
अपनी बात अधूरी छोड़कर रेयांश चला गया। जाते हुए उसके होठों पर इविल स्माइल थी क्योंकि उसने आरोही की नम आँखें देखी थीं।
कुछ देर बाद आरोही वही ड्रेस पहनकर आई। उसे देखकर साफ़ पता चल रहा था कि वह इस ड्रेस में काफी असहज महसूस कर रही है।
आरोही की तराशी हुई बॉडी, खुले बाल और वह ड्रेस उसे काफी आकर्षक बना रहा था। आरोही को आते देख सभी लड़कों की नज़र उस पर जम गई। एक लड़के ने कहा, "सेक्सी!"
उस लड़के की आवाज़ सुनकर आरोही रुक गई। रेयांश पीछे मुड़कर उसे देखता ही रह गया। बिना किसी मेकअप के, सिर्फ़ उस ड्रेस में ही आरोही कहर ढा रही थी।
"क्या यह हमारे शबाब हैं?" समीर के शब्दों से रेयांश होश में आया और आरोही को देखा जो डर रही थी।
रेयांश ने हाथ आगे करके कहा, "इधर आओ।"
आरोही की आँखें नम थीं। वह सभी लड़कों को देख रही थी। रेयांश को छोड़कर छह लड़के थे, सभी उसे गंदी नज़र से देख रहे थे। आरोही अपने हाथों से अपनी ड्रेस को कभी ऊपर खींच रही थी, कभी नीचे।
तभी रेयांश फिर बोला, "आरोही, इधर आओ।"
रेयांश की गुस्से भरी आवाज़ सुनकर आरोही धीरे-धीरे उसके पास गई। रेयांश बोला, "सबको खाना और वाइन सर्व करो।"
आरोही रेयांश को देखती है। उसकी आँखों से दो बूंद आँसू गिर जाते हैं। वह मन में सोचती है, "तू गलत है, आरू। पर रेयांश भैया, आप क्यों मेरे साथ ऐसा कर रहे हैं? मैंने क्या किया ऐसा जो मेरे साथ इतना गलत कर रहे हैं आप?"
आरोही सोच ही रही थी कि रेयांश बोला, "तुम्हें एक बार में सुनाई नहीं देता?"
आरोही जल्दी से सभी को खाना और वाइन सर्व करती है और जाने लगती है, तो एक लड़का आरोही का हाथ पकड़कर बोला, "तुम भी हमारे साथ थोड़ा वाइन पीयो।"
आरोही अपना हाथ छुड़ाते हुए बोली, "मैं वाइन नहीं पीती।"
पर वह लड़का आरोही को जबरदस्ती वाइन पिलाने लगा। आरोही की आँखों से आँसू गिरने लगे और वह रेयांश को देखती है जो आराम से अपना खाना एन्जॉय कर रहा था।
आरोही किसी तरह खुद को छुड़ाकर जाने लगी तो रेयांश बोला, "आरोही, तुम वाइन पीयो। मेरे फ्रेंड्स को डिसअपॉइंट मत करो।"
अब आरोही रोते हुए वाइन पीने लगी क्योंकि उसे पता था कि रेयांश की बात ना मानने पर वह उसके साथ और बुरा कर सकता है, और यहाँ तो दादाजी भी नहीं थे जो उसे बचाते।
कुछ देर बाद आरोही पूरी तरह से नशे में चूर हो गई। उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। समीर आरोही को गोद में उठाकर ले जाने लगा। जिसे देखकर एक और लड़का बोला, "आरे, इसके साथ तो हमें भी चांस मिलना चाहिए।"
समीर बोला, "पहले मैं।"
इतना कहकर वह आरोही को लेकर एक रूम में गया और उसे बेड पर पटक दिया। वह ऊपर से नीचे उसे देखने लगा और आरोही तो नशे की वजह से बेहोश हो गई थी।
वहीं रेयांश अभी भी आराम से बैठा वाइन पी रहा था। उसे देखकर ऐसा नहीं लग रहा था कि उसे कोई फर्क पड़ रहा हो कि उसके फ्रेंड्स उस मासूम बच्ची के साथ क्या कर रहे हैं?
क्या यह रेयांश का कोई चाल है? क्या खुद को बचा पाएगी आरोही? क्या रेयांश करेगा आरोही की मदद? जानने के लिए पढ़िए "Falling in Love with a Devil"।
क्रमशः
क्रैश क्वीन👑
सुबह का वक्त था।
आरोही ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं और उठने की कोशिश की। उसे सिर में बहुत दर्द हो रहा था, साथ ही चक्कर भी आ रहे थे।
आरोही किसी तरह सिर पकड़कर उठ बैठी। तभी उसकी नज़र खुद पर गई। उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और वह फिर से ब्लैंकेट के नीचे जाकर बोली, "मेरे कपड़े कहाँ हैं? मैं ऐसे नेकेड हूँ।"
"मैं कहाँ हूँ? मैं तो..." वह चारों ओर कमरे को देखते हुए बोली।
यह कहते हुए आरोही को सब याद आने लगा जो उसके साथ हुआ था। उसे याद करके उसकी आँखों में आँसू आ गए।
आरोही ने अपने दिमाग पर ज़ोर देते हुए कहा, "कल मैं शराब पी रही थी। उसके बाद... उसके बाद क्या हुआ? मैं ऐसे नेकेड हूँ।"
आरोही के कुछ और कहने से पहले उसके मुँह पर कुछ गिरा। आरोही चौंककर सामने देखी जहाँ रेयांश गुस्से से उसे घूर रहा था।
आरोही हमेशा की तरह डर से अपना सिर झुका लेती है, पर अपने अंदर हिम्मत जुटाकर बोली, "क-कल रात क्या हुआ था?"
"कल रात तुमने जो भी किया, उसका सबूत तुम्हारे पास है। इसे देखकर जल्दी से बाहर आओ," रेयांश गुस्से में बोला।
इतना कहकर रेयांश चला गया। आरोही को कुछ समझ नहीं आ रहा था। उसने खुद को ब्लैंकेट से ढँककर उठकर आस-पास देखा तो बहुत सारे फ़ोटो थे।
आरोही ने उन सभी फ़ोटो को हाथ में लेकर देखना शुरू किया। जैसे-जैसे वह फ़ोटो देख रही थी, उसकी आँखों से आँसू गिरते जा रहे थे।
सभी फ़ोटो कल रात के थे। उनमें आरोही शराब पी रही थी, समीर उसे उठाकर कमरे में ला रहा था, कमरे के बेड पर उसके ऊपर एक लड़का था जिसका बस आधा ही देखा जा सकता था। वह लड़का नेकेड था और उसकी पीठ पर एक अजीब टैटू था।
यह सब देखकर आरोही बुरी तरह रोने लगी, तभी उसे अपने फ़ोन की रिंग सुनाई दी।
आरोही ने चारों ओर देखा तो कॉफ़ी टेबल पर उसका फ़ोन था जो कल रात उसने रखा था।
आरोही ने खुद को ब्लैंकेट से लपेटकर फ़ोन के पास जाकर काँपते हाथों से फ़ोन उठाया और कॉल रिसीव की। उधर से मुस्कान की आवाज़ आई, "आरू, तू कब तक आएगी? हमें आरू को लेकर हॉस्पिटल जाना है।"
आरोही को आरू की याद आई। वह जल्दी से बोली, "म-मैं दो घंटे में आ रही हूँ। तू आश्रम चली जा, मैं भी सीधा आश्रम ही जाऊँगी।"
"जल्दी आना," मुस्कान ने कहा। आरोही ने कुछ कहे बिना कॉल कट कर दी और फिर से रोते हुए बोली, "मैंने अपना सब कुछ खो दिया। मैं बर्बाद हो गई, पर तुझे यह कैसे कहूँ?"
बातें करते हुए आरोही रो ही रही थी कि उसके कान में एक आवाज़ पड़ी, "मेडम, सर ने कहा है जल्दी तैयार होकर बाहर आने को।"
आरोही ने अपने आँसू पोछते हुए कहा, "मैं आ रही हूँ।"
इतना कहकर उसने मन में कहा, "आरू, जो हुआ भूल जा और खुश रह।"
इतना सोचकर आरोही ने जबरदस्ती अपने चेहरे पर मुस्कान लाकर वॉशरूम में चली गई।
रेयांश कुछ देर से बैठा था, पर आरोही आ ही नहीं रही थी। रेयांश ने सिगरेट का लंबा कश लेते हुए कहा, "अभी तुम बर्बाद नहीं हुए, अभी भी तुम्हारी बर्बादी बाकी है।"
इतना कहकर रेयांश के होठों पर एक ज़हरीली मुस्कान आ गई। कुछ ही देर में आरोही अपना काले रंग का अनारकली सूट पहनकर आई क्योंकि यहाँ उसके कुछ और कपड़े नहीं थे।
रेयांश ने सिगरेट फेंककर आरोही के पास आते हुए कहा, "आरोही मिश्रा, क्या तुम मुझे एक्सप्लेन करोगी कि कल रात तुम मेरे दोस्त के साथ इंटीमेट क्यों हुईं? इतने नीचे तुम कैसे गिर गईं?"
आरोही ने अपनी नज़रें झुकाकर कहा, "मेरी कोई गलती नहीं है। मुझे तो कुछ याद भी नहीं और यह सब शराब पीने की वजह से हुआ। अगर आप मुझे शराब पीने को ना कहते..."
रेयांश आरोही के बिल्कुल करीब आकर बोला, "क्या तुम मुझे ब्लेम कर रही हो? एन्जॉय खुद किया और..."
आरोही को पता था कि कल रात रेयांश ने उसकी मदद नहीं की थी, तो आज भी उसे कुछ कहकर या अपना दुःख बताकर कोई फ़ायदा नहीं।
आरोही ने रेयांश की बात काटते हुए कहा, "मैं आपको ब्लेम नहीं कर रही। जो हुआ सो हुआ, मेरी किस्मत थी, पर अभी मुझे घर जाना है।"
रेयांश आरोही के पास आकर उसके बालों को पकड़कर पीछे खींचते हुए बोला, "मेरी बात को बीच में काटने वाले लोग मुझे पसंद नहीं।" आरोही दर्द से कराहते हुए अपने बालों को छुड़ाने की कोशिश करने लगी, "आपको तो मैं कभी भी पसंद नहीं हूँ।"
रेयांश ने आरोही को छोड़ते हुए कहा, "सही कहा तुमने, तुम मुझे कभी पसंद नहीं थीं, पर कल रात के बाद तुम्हारी बॉडी मुझे बहुत पसंद आई। सोच रहा हूँ मैं भी एक रात..."
आरोही ने रेयांश का हाथ झटककर उससे दूर होकर हैरानी से उसे देखते हुए कहा, "आप यह कैसी बातें कर रहे हैं? कल जिसके साथ भी जो भी हुआ, वह बस एक एक्सीडेंट थी और आपको तो मैं भैया..."
रेयांश, जो अब तक शांत था, उसकी आँखें अब गुस्से से लाल हो गईं और आरोही की बात पूरी होने से पहले ही उसने उसे कमर से पकड़कर अपने पास खींच लिया। दांत पीसते हुए बोला, "मैंने कहाँ मुझे अपनी भैया मानने को?"
आरोही की बॉडी डर से काँप रही थी और रेयांश का स्पर्श उसे अब बहुत घिनौना लग रहा था।
आरोही ने रेयांश को खुद से दूर करते हुए कहा, "मुझे घर जाना है।"
रेयांश ने आरोही को कमर से पकड़कर फिर से अपने करीब करते हुए एक आईब्रो ऊपर करके पूछा, "मुझे ऑर्डर दे रही हो?"
आरोही ने सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, मुझे नहीं पता यहाँ से घर कैसे जाएँ? इसलिए कह रही हूँ कि अगर आप नहीं लेकर गए तो मैं चली जाऊँगी।"
इतना कहकर आरोही जाने लगी कि रेयांश बोला, "तुम जाओ, तब तक मैं भी इन फ़ोटो को ग्रैंडपा तक पहुँचा देता हूँ।"
आरोही डरते हुए रेयांश को देखती है तो रेयांश उसके पास आकर बोला, "एक बात बताओ, तुम वर्जिन नहीं हो ना?"
आरोही दूसरी तरफ़ देखते हुए बोली, "मुझे आपको यह कहना ज़रूरी..."
रेयांश ने आरोही के गालों को पकड़कर कहा, "मुझसे अच्छे से बात करो, क्योंकि तुम मुझसे बिलॉन्ग करते हो, समझें?"
आरोही ने सिर झुका लिया तो रेयांश आगे बोला, "अब तुम मुझसे वैसे ही डरोगी जैसे पहले डरती थीं, वैसे ही मेरी बात मानोगी जैसे पहले मानती थीं। बस अब से तुम ग्रैंडपा से मेरा कुछ भी कंप्लेन नहीं करोगी और मुझसे छुपोगी नहीं।"
आरोही रेयांश को देखकर रोते हुए सिर ना में हिलाती है तो रेयांश कहता है, "ठीक है, तब मैं तुम्हारे सभी फ़ोटो ग्रैंडपा को भेज देता हूँ। वह देखकर डिस..."
आरोही ने जल्दी से रेयांश का हाथ पकड़ लिया, "प्लीज़ ऐसा मत कीजिए।"
"मेरी बात मानोगी?" रेयांश ने पूछा।
आरोही ने सिर हिलाकर हाँ कहा तो रेयांश के होठों पर जीत की मुस्कान आ गई।
रेयांश ने कुछ पैसे आरोही को देते हुए कहा, "टैक्सी लेकर विला चली जाओ।"
आरोही चुपचाप जाने लगी तो रेयांश गुस्से में बोला, "पैसे लेकर जाओ या फिर सड़क पर किसी को बॉडी देकर लिफ़्ट लेना है?"
आरोही की आँखों से और ज़्यादा आँसू गिरने लगे और उसने पैसे लेकर जल्दी से जाने लगी। तब रेयांश फिर से बोला, "जा रही हो? फिर आना मत यहाँ। अगर आई तो आज तुम्हें मेरे बिस्तर पर मुझे खुश करना होगा।"
आरोही कुछ नहीं कहती और जल्दी से रोते हुए चली जाती है। उसका मन कर रहा था कि वह मर जाए, पर वह मर भी नहीं सकती थी। वह ज़िंदा रहना चाहती थी।
आरोही के जाते ही रेयांश ने गूगल पर कुछ सर्च किया और फिर खुद से कहा, "क्या सच में इसे यह भी पता नहीं चला कि कल इसके साथ कुछ नहीं हुआ? (सिर झटककर) नहीं, ज़रूर कोई और बात है।"
इतना कहकर रेयांश वहाँ से लिफ़्ट की ओर चला गया।
क्या होगा आगे इस स्टोरी में? रेयांश अपनी नफ़रत में क्या-क्या करेगा आरोही के साथ? क्या आरोही जान पाएगी कि रात को उसके साथ कुछ नहीं हुआ? जानने के लिए पढ़िए "Falling in love with Devil"।
आरोही खाली सड़क पर चल रही थी। दूर-दूर तक कोई नहीं था। बहुत देर चलने के कारण आरोही के पैर अब साथ नहीं दे रहे थे। आरोही एक पैर के नीचे बैठकर अपने पैर पकड़ कर बोली, "क्या करूँ? मुझे जल्दी से आश्रम पहुँचना है, पर कैसे? यहाँ पर न कार, न टैक्सी, न बस, कुछ नहीं है। और मुझे यह भी नहीं पता कि मैं सही रास्ते पर जा रही हूँ या नहीं। ऊपर से पैर भी दर्द कर रहे हैं।"
आरोही खुद से ही बातें कर रही थी। उसे नहीं पता था कि एक जोड़ी आँखें कब से उसे फॉलो कर रही थीं। और यह कोई और नहीं, रेयांश था। बहुत देर से आरोही के चारों ओर एक ब्लैक बटरफ्लाई मँडरा रहा था, पर आरोही उस पर ध्यान नहीं दे रही थी। लेकिन उस तितली की आँखों से ही रेयांश उसे देख रहा था।
कुछ देर बैठे रहने के बाद, आरोही उठ खड़ी हुई और आगे चलते हुए बोली, "नहीं आरू, तुझे चलना होगा।"
आगे चल रही थी कि उसके सामने एक कार आकर रुकती है। जिसे देखकर रेयांश की आँखें छोटी हो जाती हैं। आरोही कुछ समझ पाती, इससे पहले कार से अंश बाहर आता है और आरोही को देखकर कहता है, "आरू, तुम यहाँ? और वह भी ऐसे पैदल? कहाँ जा रही हो?"
आरोही, जो लगातार 3-4 घंटों से चल रही थी, वह अंश को देखकर जल्दी से बोली, "वह सब बाद में कहूँगी। पहले प्लीज मुझे घर छोड़ दोगे?"
अंश मुस्कुराते हुए बोला, "तुम्हारी हेल्प करने के लिए ही तो मैंने कार रोकी। बैठो।"
आरोही जल्दी से कार में बैठ जाती है और अंश कार ड्राइव करने लगता है। यह सब देखकर रेयांश, जिसके चेहरे पर कोई एक्सप्रेशन नहीं था, वह गुस्से में कहता है, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई उसके साथ जाने की? (चेहरे पर डेविल स्माइल लाकर) अब तुम्हें इसका सजा तो मिलनी चाहिए।" इतना कहकर वह अपने रूम से बाहर आकर लिफ्ट में चढ़ जाता है।
आरोही चुपचाप बैठी थी कि अंश उसे देखते हुए पूछता है, "तुम यहाँ सुनसान सड़क पर कहाँ जा रही थीं? और यहाँ आयी कैसे?"
आरोही कुछ कहती, इससे पहले उसकी फ़ोन बजती है। आरोही जल्दी से कॉल रिसीव करके कहती है, "मुक्कू, प्लीज तू आरू को City hospital लेकर जा और सभी टेस्ट करा। मैं आ रही हूँ कुछ घंटों में।"
"ठीक है, पर तू है कहाँ? तू ठीक तो है न?" मुस्कान ने पूछा।
"हाँ, मैं ठीक हूँ। मैं आकर तुझे सब बताती हूँ।" इतना कहकर आरोही कॉल कट कर देती है। अंश आरोही को पानी की बोतल देते हुए पूछता है, "कुछ बात है क्या? तुम मुझे बता सकती हो।"
आरोही सिर ना में हिलाते हुए कहती है, "नहीं, कोई बात नहीं है।" इतना कहकर आरोही बोतल लेकर पानी पीती है। अंश कुछ सोचते हुए कहता है, "तो कल का दिन एन्जॉय किया?"
आरोही को कल रेयांश ने जो भी किया, जो भी उसके साथ हुआ, सब याद आ जाता है और उसके आँखों में आँसू भी आ जाते हैं। आरोही अपने आँसू छुपाकर कहती है, "बहुत एन्जॉय किया कल मैंने।"
अंश मुस्कुराते हुए कार ड्राइव करता है। आधे घंटे में उनका कार एक बड़े से मॉल के बाहर रुकता है।
आरोही कार से उतरते हुए कहती है, "तुम यहाँ जाओगे तो मैं यहाँ से टैक्सी लेकर चली जाती हूँ।"
अंश आरोही को रोकते हुए कहता है, "तुम भी मेरे साथ जाओगी।"
"मतलब?" आरोही पूछती है।
"वह कल तुम्हारी बर्थडे थी, पर मैंने कुछ गिफ्ट नहीं दिया तो..." अंश कहता है।
"नहीं-नहीं, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है।" आरोही कहती है।
अंश कहता है, "ज़रूरत है। अब तुम चलो। वैसे भी कोई कुछ दे तो मना नहीं करना चाहिए।"
आरोही कुछ नहीं कहती, बस सिर झुका लेती है क्योंकि अभी वह फिर से शर्मा रही थी। अंश आरोही के गाल खींचकर कहता है, "मैं कब से तुम्हारे इस शर्माते चेहरे को मिस कर रहा था। पर फाइनली तुम शर्मायीं।" अब आरोही और शर्मा जाती है। तो अंश आरोही को लेकर अंदर फ़ीमेल स्टोर पर जाकर कहता है, "जो पसंद आए, खुद के लिए लो।"
आरोही सिर झुकाकर कहती है, "तुम पसंद कर दो।"
अंश कुछ सोचते हुए कहता है, "ठीक है, पर तुम्हें मुझे प्रॉमिस करना होगा। तुम ऐसे इतना शर्माओगी नहीं। मुझसे खुलकर बात करोगी। और सबसे बड़ी बात, आज तुम मुझे ट्रीट दोगी, तुम्हारे बर्थडे की।"
आरोही शर्माते हुए कहती है, "ओके।"
अंश कहता है, "यह क्या बात हुई? ओके कह रही हो और अब और शर्मा रही हो।" इतना कहकर अंश मुँह बना लेता है, जिसे देख आरोही मुस्कुरा देती है। जिसे देख अंश भी मुस्कुराते हुए कहता है, "तुम्हारी स्माइल बहुत खूबसूरत है। दिलों को सुकून दे जाती है।"
आरोही सिर झुकाकर कहती है, "मुझे जल्दी हॉस्पिटल जाना है।"
"ओह हाँ।" इतना कहकर वह जल्दी से आरोही के लिए एक बेबी पिंक कलर की क्यूट सी ऑफ-शोल्डर शॉर्ट ड्रेस पसंद कर आरोही को दिखाकर पूछता है, "यह पसंद है?"
आरोही सिर हिलाती है तो अंश उसे देते हुए कहता है, "जाओ चेंज करके आओ। देखूँ कैसी लगोगी मेरे पसंद की ड्रेस पहने?"
आरोही सिर हिलाकर ट्रायल रूम में चली जाती है और चेंज करके बाहर आती है तो अंश उसकी ओर से नज़रें ही नहीं हटा पाता। अंश के ऐसे देखने से आरोही शर्मा जाती है, जिससे वह और भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी। कुछ देर में ही दोनों मॉल से बाहर आ जाते हैं। अंश ने कुछ और कपड़े भी आरोही को खरीद दिए थे, जिसके लिए आरोही ने बहुत मना किया, पर अंश ने नहीं सुना।
City hospital में मुस्कान आरू को लेकर बाहर आती है तो आरू कहती है, "मुक्कू दीदी, आरू दीदी नहीं आयीं?"
मुस्कान कहती है, "नहीं आरू बेटा, आरू दीदी आयेंगी। शायद जेम के कारण वह अटक गए।" मुस्कान इतना ही कह रही थी कि आरोही और अंश आते हैं। आरोही आरू को गोद में लेकर कहती है, "मुक्कू, क्या हुआ?"
मुस्कान कहती है, "सभी टेस्ट हो गए हैं। परसों रिपोर्ट देंगे और कहा है कुछ एडवांस पेमेंट करने को।"
"ओके, मैं..." आरोही कहती है।
"नहीं, मैंने कर दिया है। मेरे पास कुछ पैसे थे।" मुस्कान कहती है।
आरोही सिर हिलाती है और नीलम जी को आरू को देते हुए कहती है, "आप आरू को ले जाइये। परसों हम रिपोर्ट लेकर आश्रम आयेंगे।" नीलम जी आरू को लेकर चले जाते हैं तो आरोही मुस्कान को देखकर कहती है, "मुक्कू, तू भी घर चली जा।"
मुस्कान अंश को देख आरोही से कहती है, "क्या हुआ आरू? मुझे तू कुछ ठीक नहीं लग रही और अंश तेरे साथ..."
अंश कहता है, "मैं एक मीटिंग से आ रहा था, तभी मैंने सुनसान सड़क पर आरू को देखा।"
मुस्कान हैरानी से कहती है, "तू सुनसान सड़क पर? तू तो रेय..."
आरोही जल्दी से कहती है, "मुक्कू, तू अभी घर जा। हम कल मिलकर बात करते हैं। मैं तुझे सब बताती हूँ। आज तू रेस्ट कर।" मुस्कान काफी थकी हुई थी क्योंकि सुबह से दोपहर तक उसने बहुत भागदौड़ की थी, जिस वजह से बात आगे न बढ़ाकर वह सिर हिला देती है और वह तीनों हॉस्पिटल से बाहर आ जाते हैं।
ओबेरॉय मैंशन में आरोही घर आती है तो सामने ही यशवर्धन जी बैठे थे। आरोही सिर झुकाकर उनके पास आकर बैठती है।
यशवर्धन जी कहते हैं, "तुम पहली बार इतने लेट आ रहे हो।"
आरोही सिर झुकाकर कहती है, "सॉरी दादाजी, वह आरू की तबीयत खराब थी तो..."
यशवर्धन जी कहते हैं, "हाँ, तो मुझे कह देते।"
आरोही कान पकड़कर कहती है, "सॉरी।"
यशवर्धन जी आरोही के सिर पर हाथ फेरते हुए कहते हैं, "टेंशन होता है मुझे, पर सॉरी मत कहो। जहाँ भी जाओ, आने में लेट हो तो भी मुझे बता देना।"
आरोही सिर हिलाकर मुस्कुराते हुए कहती है, "ओके। तो कुछ देर बाद मैं बाहर डिनर पर जाऊँगी। आने में लेट भी हो सकती हूँ और जल्दी भी।"
यशवर्धन जी पूछते हैं, "डिनर किसके साथ?"
आरोही शर्माते हुए कहती है, "एक फ्रेंड है।"
यशवर्धन जी कुछ सोचते हुए कहते हैं, "ठीक है। जाओ, जल्दी आने की कोशिश करना।"
आरोही सिर हिलाकर जल्दी से उठकर अपने रूम की ओर चली जाती है। उसके चेहरे पर एक क्यूट सी स्माइल थी और वह किसी और ही सोच में थी। आरोही जा ही रही थी, तभी साइड से कोई उसके हाथ पकड़ उसे एक रूम में खींच लेता है और आरोही के कुछ समझने से पहले उसके कान में डोर बंध होने की आवाज आती है...
क्या आरोही अपने साथ हुई घटना मुस्कान को बताएगी? मुस्कान आरोही की हेल्प कर पाएगी? क्या आरोही को रेयांश अंश के साथ डिनर पर जाने देगा? जानने के लिए पढ़िए falling in love with Devil.
To be continued...
डोर बंधने की आवाज सुनकर आरोही पीछे पलटी। उसके चेहरे पर फिर से डर छा गया क्योंकि सामने रेयांश खड़ा था। आरोही ने सिर झुका लिया। रेयांश उसे घूरते हुए बोला, "अब तक तुम कहाँ थीं?"
आरोही हकलाते हुए बोली, "ब-ब-बो आ-आरु की तबीयत खराब है, तो उसे लेकर हॉस्पि-"
"ओहह, अच्छा! तो ड्रेस कैसे चेंज हुआ? हॉस्पिटल में आजकल लैंड के कपड़े भी दान कर रहे हैं क्या?" रेयांश आरोही की ओर कदम बढ़ाते हुए बोला।
"न-न-नहीं। अंश ने दिया। कल मेरी बर्थडे थी, तो..." आरोही ने कहा।
"ओहह, तो यह बर्थडे गिफ्ट है?" रेयांश ने कहा।
आरोही ने सिर हिलाया। तभी उसे महसूस हुआ कि रेयांश बात करते हुए उसके और पास आ रहा है। आरोही ने अपने कदम पीछे खींचने शुरू कर दिए। रेयांश अपने कदम आगे बढ़ाते हुए बोला, "तो आज कितने मर्दों को सिड्यूस किया अपनी बॉडी दिखाकर?"
आरोही की आँखें नम हो गईं। उसने रेयांश को देखकर कहा, "म-मैंने बॉडी कहाँ दिखाई?"
रेयांश मज़ाक उड़ाने वाला हँसी हँसते हुए बोला, "यह जो टांगें पूरी दिख रही हैं, यह तुम्हारे बॉडी पार्ट नहीं हैं क्या? तो अलग कर दो इनको।"
आरोही ने सिर झुकाकर अपने ड्रेस को नीचे करते हुए कहा, "ऐसी ड्रेस तो मैं अक्सर पहनती हूँ।"
"तो कल नाटक क्यों कर रही थी?" रेयांश गुस्से में बोला।
आरोही ने कहा, "कल वाली ड्रेस बहुत पतली थी और रिवीलिंग भी।" इतना कहते-कहते आरोही पीछे दीवार से टकरा गई। पीछे दीवार को देखकर उसने सामने रेयांश को देखा जो उसके बिल्कुल करीब था।
आरोही साइड से जाने लगी, तो रेयांश ने अपना एक हाथ दीवार पर रख दिया। यह देख आरोही ने उसे देखा और सिर झुकाकर दूसरी साइड से जाने लगी। रेयांश ने उधर भी अपना हाथ रख दिया। अब आरोही वहाँ लॉक हो गई थी।
रेयांश आरोही को घूरते हुए बोला, "अभी जाकर अच्छे से बाथटब के पानी में नहाओगी। तुम्हारे बॉडी से गंद आ रही है।"
आरोही हैरानी से रेयांश को देखती रही। रेयांश ने कहा, "अभी शाम के 5:00 बजे हैं। 6:00 बजे बाहर आना है।"
आरोही कुछ नहीं बोली। रेयांश उससे दूर होकर बोला, "अब जाओ।"
आरोही जल्दी से कमरे से बाहर चली गई। यह देख रेयांश के चेहरे पर डेविल स्माइल आ गई।
बाहर आकर आरोही ने राहत की साँस लेते हुए कहा, "बच गई! पर इस राक्षस ने मुझे बस नहाने को कैसे कह दिया? (अपने बॉडी की खुशबू लेते हुए) गंद तो मुझे नहीं आ रही।" सिर झटकते हुए अपने कमरे की ओर जाते हुए उसने मन में कहा, "काश मेरे साथ कल कुछ भी ना होता। यह सब रेयांश भै-भै मुझे परेशान करने के लिए करता है।" इतना कहते-कहते आरोही की आँखों से आँसू गिरने लगे। आरोही आँसू पोंछते हुए बोली, "पर ऐसा नहीं हो सकता, क्योंकि सुबह मैंने खुद को जिस हालत में देखा और वह फ़ोटोस..."
इतना कहते हुए आरोही अपने कमरे में आ गई और सीधा बाथरूम जाकर कपड़े उतार दिए। बाथटब में जैसे ही पैर रखा, उसकी पूरी बॉडी जम गई, क्योंकि बाथटब का पानी हद से ज़्यादा ठंडा था। आरोही चीखने की कोशिश की, पर आवाज़ नहीं निकली। उसने गहरी साँस छोड़कर एक तौलिया लपेटा और बाहर आई। तभी उसने देखा कि रेयांश अपने पैंट के जेब में हाथ डाले खड़ा था। वह जल्दी से बाथरूम के अंदर चली गई।
रेयांश आरोही को धमकाते हुए बोला, "तुम्हें वहीं ठंडे पानी में नहाना है, एक घंटे तक।"
आरोही डरते हुए बोली, "प-प-पर यह बहुत ठंडा है। मुझे सर्दी-बुखार हो जाएगा।"
"अगर तुम नहीं नहाओगी, तो मैं तुम्हें नहलाऊँगा।" रेयांश ने कहा।
रेयांश की बात सुनकर आरोही कुछ नहीं बोली। उसने तौलिया उतारा और बाथटब के करीब जाने लगी। पर आरोही के एक्सप्रेशन से उसे परेशान और बहुत ही ज़्यादा डरी हुई लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे उसके बॉडी उसके कंट्रोल में नहीं है। आरोही इतनी ज़्यादा घबराई हुई थी कि वह कुछ कह भी नहीं पा रही थी। आरोही जाकर बाथटब में बैठ गई। उसके आँखों से आँसू गिर रहे थे। बाथटब में बैठते ही ठंड से आरोही की पूरी बॉडी जम गई और उसे बाथटब में कुछ आइस भी दिखीं, जो काफी ज़्यादा मेल्ट हो गई थीं, पर अभी भी कुछ बाकी थीं। यह सब देख आरोही को समझ आ गया कि यह सब रेयांश ने उसे टॉर्चर करने के लिए किया है। पर आरोही चाहकर भी बाथटब से बाहर नहीं निकल पा रही थी।
करीब एक घंटे बाद आरोही के कान में रेयांश की आवाज पड़ी जो उसे बाहर आने को कह रहा था। आरोही उठने की कोशिश की, तो उसकी बॉडी ठंड के कारण दर्द कर रही थी। पर फिर भी आरोही उठी और जाकर तौलिये से अपनी बॉडी पोंछकर वस्त्र पहन बाहर आई। बाहर आने पर रेयांश वहाँ नहीं था। उसने गहरी साँस छोड़ी, तभी उसकी फ़ोन बज गई।
आरोही ने जल्दी से कॉल रिसीव करके कहा, "हाँ अंश, बोलो।"
"आरू, तुम 7:00 बजे रीकींग स्टार होटेल में आ जाना। मैं वहीं रहूँगा।" अंश ने कहा।
आरोही जो ठंड से काँप रही थी, उसे डर था कि एक घंटे में उसकी ठंड कम होगी या नहीं। जिस वजह से आरोही बोली, "सॉरी अंश, पर क्या मैं 8:00 बजे या 9:00 बजे आऊँ?"
"हाँ, इसमें सॉरी क्यों कह रहे हो? मैं तो तुम्हें इसलिए कह रहा था क्योंकि बहुत रात हो जाएँगी। इसलिए ओके, तुम आओ, मैं वहीं रहूँगा।" इतना कहकर अंश ने कॉल काट दिया। आरोही जल्दी से क्लोजेट रूम में चली गई।
कुछ देर बाद आरोही बाहर आई, तो उसने काफी सारे कपड़े पहने थे, पर फिर भी वह काँप रही थी। आरोही काँपते हुए बोली, "यह ठंड कम क्यों नहीं होती? ऐसे में कैसे जाऊँगी डिनर पर? ऊपर से मुझे भूख भी लगी है। कल सुबह से बस पानीपुरी और घटिया शराब ही पिया है।" इतना कहते-कहते वह बेड पर बैठ गई, अपने ऊपर ब्लैंकेट लपेट लिया, और जल्दी से हाथ बाहर निकालकर एक बटन पर प्रेस किया।
सुबह का वक्त था। आरोही के कमरे में आरोही अंगड़ाई लेते हुए बेड पर उठ बैठी और चारों तरफ देखने के बाद अपने माथे पर हाथ रखकर बोली, "बुखार तो उतर गया। (लम्बी-लम्बी साँसें लेते हुए) सर्दी भी नहीं है। (खुश होकर) मतलब मैं ठीक हो गई।" इयेएएएए खुशी से उछलते हुए आरोही बेड से उतरी, तभी उसकी फ़ोन बज गई। आरोही जल्दी से जाकर नाम देखे बिना कॉल रिसीव की। उधर से अंश ने कहा, "फाइनली तुमने कॉल रिसीव किया।"
आरोही को अंश का याद आ गया और वह जल्दी से बोली, "सॉरी अंश, बह कल ना..."
अंश ने आरोही की बात काटते हुए कहा, "मुझे नहीं सुनना आरोही। कल क्या हुआ, तुम नहीं आओगी, यह कह सकते थे। ऐसे टाइम चेंज करके मुझे इतना ज़्यादा वेट ना करना चाहिए था।"
आरोही उदास होकर बोली, "सॉरी अंश।"
"सॉरी की कोई ज़रूरत नहीं है। ज़रूर तुम्हारे कोई प्रॉब्लम होंगे, तभी तुम नहीं आई। पर मुझे बता सकते थे।" अंश ने कहा।
आरोही कुछ कहती, इससे पहले ही अंश ने कॉल काट दिया। आरोही उदास होकर बोली, "यह तो नाराज़ हो गया। मैं आना चाहती थी अंश से..." इतना कहकर वह सोचने लगी।
**(फ्लैशबैक)**
आरोही रेडी हो रही थी। उसे अभी भी बहुत ठंड लग रही थी, पर उसे जाना तो था। उसने इस बार एक ब्राउन कलर की लॉन्ग जैकेट के साथ ब्लैक लोग बूट, माथे में एक क्यूट सी कैप, घुटनों से थोड़ी ऊपर एक ब्लैक कलर शॉर्ट ड्रेस पहनी जो उसके बॉडी से चिपकी हुई थी। बालों को खुला छोड़ दिया था। कोई भी मेकअप नहीं। इतने में ही वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। आरोही रेडी होकर एक नज़र खुद को देखकर नज़रें हटाते हुए बोली, "वाह आरू! क्या लग रही है! एकदम जन्नत की हूर!" इतना कहते हुए आरोही मुस्कुराने लगी और अपने फोन पर्स लेकर कमरे से बाहर गई, तभी उसका सिर घूम गया। आरोही ने जल्दी से दीवार पकड़कर खुद को संभाला।
"यह क्या हो रहा है? मैंने खाना तो कुछ देर पहले ही खाया, तो चक्कर क्यों आ रहा है?" इतना कहते हुए आरोही को महसूस हुआ कि वह अच्छे से साँस नहीं ले पा रही है। आरोही रोने सी सूरत बनाकर बोली, "अरे नहीं यार! अभी मुझे डिनर पर जाना है। मेरी क्रश मेरी वेट कर रहा है।" इतना कहते हुए आरोही दराज के पास जाकर फ़र्स्ट एड बॉक्स ढूँढने लगी, पर इतने में पीछे से रेयांश आकर उसे बेड पर धकेल देता है।
आरोही कुछ समझ पाती, उससे पहले ही वह उसके बूट्स, जैकेट, कैप सब उतार देता है। आरोही हैरानी से उसे देखकर जल्दी से अपने बचे हुए कपड़े को कसकर पकड़कर बोली, "आ-आ...? आप क्या कर रहे हैं?"
रेयांश आरोही की बातों को इग्नोर करते हुए बोला, "अगर अभी तुम यहाँ चुपचाप नहीं सोईं, कहीं बाहर गईं, तो मैं तुम्हारे फ़ोटोस को ग्रैंडपा को दिखा दूँगा।"
आरोही कुछ नहीं बोली, तो रेयांश उसे कुछ दवा जबरदस्ती खिलाकर कमरे को बाहर से लॉक करके चला गया।
**(फ्लैशबैक एंड)**
यह सब याद करके आरोही ने जल्दी से डोर ओपन किया। डोर ओपन हो गई। फिर आरोही ने डोर को अंदर से लॉक करते हुए कहा, "बहुत हुआ! मैं कब तक इनकी टॉर्चर सहूँगी? मुझे दादाजी को सब बताना है। पर उससे पहले मुझे वह फ़ोटो उनसे लेनी होगी। जिसलिए मुझे एक परफेक्ट प्लान की ज़रूरत है, और वह बना सकती है मेरी मुक्कू। मुझे मुक्कू को सब बताना होगा, आज ही।" इतना कहकर आरोही जल्दी से वाशरूम में जाकर फ़्रेश होकर क्लोजेट रूम में जाकर एक सिम्पल सी ग्रे कलर की सूट पहन बाहर आई और अपने कमरे से बाहर चली गई।
क्या मुस्कान आरोही को हेल्प करेगी? क्या आरोही अपने फ़ोटोस रेयांश के पास से ले पाएगी? क्या होगा जब आरोही के इरादे के बारे में रेयांश को पता चलेगा? जानने के लिए पढ़िए "falling in love with Devil"
To be continued...
आरोही उस समय मुस्कान के घर पर थी। मुस्कान उसके सामने बैठी थी। आरोही ने उसे पिछले दो दिनों में घटित सभी घटनाएँ बता दी थीं।
मुस्कान कुछ सोचते हुए बोली, "आरू, एक बात बता, कल जब तेरी नींद खुली, तो तुझे कैसा फील हुआ?"
आरोही ने उत्तर दिया, "बहुत ज्यादा थकी हुई महसूस किया और बहुत नींद भी आ रही थी। साथ में सिर भी दर्द कर रहा था।"
मुस्कान ने पूछा, "सिर्फ़ सिर दर्द कर रहा था? और कहीं नहीं?"
आरोही सोचते हुए बोली, "नहीं, और कहाँ दर्द होगा?"
मुस्कान ने अपना सिर पीटते हुए कहा, "गधी! बह तेरी पहली बार थी, और पहली बार में लड़कियों को मीड एरिया में ब्लीडिंग होती है, मीड एरिया में दर्द होता है, पूरे बॉडी में दर्द होता है।"
आरोही ने मासूमियत से कहा, "मुझे तो इतना सब पता ही नहीं है, और मेरे सिर को छोड़कर कहीं भी दर्द नहीं था।"
मुस्कान कुछ सोचते हुए आरोही के नेक कॉलर बोन को देखकर बोली, "तेरे बॉडी में हिक्की के निशान भी नहीं हैं। मतलब तेरे साथ कुछ नहीं हुआ, आरू।"
आरोही खुश हो गई, पर फिर उदास होकर बोली, "लेकिन बह फ़ोटोस..."
मुस्कान ने कहा, "बह ज़रूर फ़ेक हैं। मैं 100% श्योर हूँ, तेरे साथ कुछ नहीं हुआ। यह सब बह राक्षस तुझे परेशान करने के लिए कर रहे हैं।"
आरोही ने मुस्कान को गले लगाते हुए कहा, "पहली बार मुझे यह सोचकर खुशी हो रही है कि रेयांश ने मुझे बस परेशान करने के लिए यह सब किया। कुछ भी सच नहीं है, सब झूठ है। मैं अभी भी प्योर हूँ।"
मुस्कान ने आरोही के सिर पर मारते हुए कहा, "तू हमेशा से प्योर थी और रहेगी, गधी!"
आरोही मुस्कान से दूर होकर बोली, "पर मुक्कू, मैं इस टॉर्चर और ब्लैकमेलिंग से कैसे बचूँ? पहले जब भी मैं रेयांश के सामने आती थी, तभी बह मुझे टॉर्चर करते थे, पर अब तो खुद मेरे रूम तक आ जाते हैं।"
मुस्कान ने कहा, "तो तू क्यों यह सब सह रही है? हमेशा की तरह तेरे दादाजी से सब कह दे ना।"
आरोही ने कहा, "कह देती, पर बह फ़ोटोस अगर उन्होंने दादाजी को दिखा दिए, तो..."
मुस्कान ने गहरी साँस छोड़कर पूछा, "तो तू क्या चाहती है?"
आरोही ने मुस्कान को देखकर कहा, "उन सभी फ़ोटो को लेना है, ताकि वह मुझे ब्लैकमेल ना कर सकें।"
मुस्कान ने पूछा, "तो अब क्या करना है?"
आरोही ने कहा, "वही तो तू बताएगी, क्या करना है?"
आरोही कुछ सोचकर बोली, "मेरे पास एक प्लान है, और अगर तूने यह कर लिया, तो तू आसानी से उनसे सभी फ़ोटो ले सकती है।"
आरोही एक्साइटेड होकर बोली, "क्या प्लान? बता! मैं सब करूँगी।"
मुस्कान ने कहा, "तुझे करना होगा, क्योंकि यही एक रास्ता है।"
आरोही ने सिर हिलाकर कहा, "ठीक है, अब बता।"
मुस्कान ने कहा, "बताऊँगी, पर पहले तू बता, तू उस राक्षस को भैया कहती थी, तो अब क्यों नहीं कह रही?"
आरोही ने सिर झुकाकर कहा, "बह..."
मुस्कान ने पूछा, "बह क्या?"
आरोही ने कहा, "उन्होंने मुझसे बहुत गंदी-गंदी बातें कहीं हैं, और उनको भाई कहकर मैं भाई-बहन के प्योर रिश्ते पर दाग नहीं लगा सकती। और अब मैं उनको भैया मानती भी नहीं हूँ।"
मुस्कान ने पूछा, "ऐसा भी क्या कहा? मुझे बता?"
आरोही ने सिर हिलाकर कहा, "उन्होंने कहा, मैं उनके बिस्तर..."
मुस्कान ने आरोही को रोका, "मैं समझ गई। कितना घटिया है बह! सही किया तूने, उस जैसे इंसान को सम्मान मिलना ही नहीं चाहिए। और बिस्तर? मुझे कहें ज़रा! अगर उसे पूरी ज़िंदगी के लिए बिस्तर पर ना सुला दिया, तो मेरा नाम मुस्कान पाल नहीं।"
आरोही ने कहा, "यार, तू अपना भाषण देना बंद कर और मुझे जल्दी प्लान बता?"
मुस्कान ने आरोही को प्लान समझा दिया। आरोही ने जल्दी से सिर ना में हिलाते हुए कहा, "मैं यह रीज़न नहीं करूँगी। बह पसंद ही नहीं करता कोई उसके रूम में जाए, और मुझे तो आँखों से ही जलाकर भस्म कर देगा।"
मुस्कान ने आरोही को घूरते हुए कहा, "यही एक रास्ता है, और तुझे यह करना होगा।"
आरोही ने सिर ना में हिलाया, तो मुस्कान बोली, "तू उसी घर में रहती है, तो तू देखना बह कब घर से बाहर जाता है, फिर उसके रूम में जाकर अपना काम करना।"
आरोही डरते हुए बोली, "अगर पकड़ी गई, तो?"
मुस्कान ने कहा, "नहीं पकड़ी जाएगी। मैं कह रही हूँ ना।"
बहुत समझाने के बाद आरोही राजी हुई। मुस्कान ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "अब चल, कुछ खा ले।"
आरोही ने पेट पकड़कर कहा, "हाँ, बहुत भूख लगी है। चल।"
दोनों एक साथ नीचे की ओर चली गईं।
शाम का वक्त, ओबरॉय मैन्शन।
आरोही लिविंग रूम में बैठी थी और चोर नज़रों से लिफ्ट की ओर देख रही थी। तभी लिफ्ट नीचे आई और उससे रेयांश बाहर आया।
रेयांश को देख आरोही ने जल्दी से मैगज़ीन में अपनी आँखें गाड़ दीं। रेयांश ने एक नज़र आरोही को देखकर मैन्शन से बाहर चला गया।
रेयांश के जाते ही आरोही जल्दी से उठकर लिफ्ट में चढ़ गई।
कुछ ही देर में आरोही रेयांश के रूम में थी और उसके रूम को घूर-घूरकर देख रही थी।
आरोही खुद से कहती है, "यह सच में राक्षस है! खुद ब्लैक पहनता है। बह फिर भी ठीक है, पर यहाँ तो पूरा रूम ही ब्लैक है! कितना डरावना है!"
अपना सिर झटकते हुए बोली, "आरू, फ़ोकस! राक्षस कभी भी आ सकता है, तो जल्दी से अपना काम कर।"
इतना कहकर आरोही हर जगह फ़ोटोस को ढूँढने लगी, पर उसे फ़ोटो नहीं मिल रही थीं। आरोही फ़ोटो ढूँढ ही रही थी कि तभी दरवाज़े के खुलने की आवाज़ आई। आरोही ने अपना लार निगलते हुए कहा, "यह राक्षस इतना जल्दी कैसे आ गया?"
इतना कहकर आरोही छिपने की जगह ढूँढने लगी।
वहीं रेयांश रूम के अंदर एंटर करता है, तो उसे कुछ अजीब लगता है। वह पूरे रूम को घूरते हुए अपने क्लोज़ेट रूम में कबर्ड के पास जाता है।
वहीं कबर्ड में छुपी आरोही ने अपनी साँसें तक रोक रखी थीं, पर उसके दिल डर के कारण जोरों से धड़क रहा था।
रेयांश ने अचानक से दरवाज़ा खोला, तो आरोही, जो दरवाज़े से सटकर बैठी थी, वह रेयांश के ऊपर गिर गई।
रेयांश ने जल्दी से आरोही को कमर से पकड़कर अपने बाहों में भर लिया, जिससे आरोही गिरने से बच गई, पर डर से उसकी बॉडी काँप रही थी।
रेयांश ने आरोही को बिल्कुल खुद से चिपकाकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा, "मुझसे चालाकी करने की कोशिश कर रही हो, आरोही मिश्रा? तुम्हें क्या लगा? तुम जाओगी उस लड़की के साथ बात करके मुझसे बचने की प्लान बनाओगी और मुझे कुछ पता नहीं चलेगा? चूँ! समझती हो मुझे तुम?"
आरोही इस वक़्त डर से इतना ज़्यादा काँप रही थी कि वह कुछ कह भी नहीं पा रही थी, और डर से उसके बॉडी के साथ-साथ होंठ भी काँप रहे थे।
रेयांश की नज़र आरोही के होंठों पर थी, जो काँपते हुए किसी गुलाब की हिलती हुई पंखुड़ियों लग रही थीं।
रेयांश ने आरोही के होंठों से अपनी नज़रें हटाकर उसे कमर से पकड़कर फिर से कबर्ड में बिठा दिया। जिससे आरोही हैरानी और डर के मिले-जुले एक्सप्रेशन से उसे देख रही थी।
तो रेयांश ने कहा, "तुमको तो कबर्ड में रहना पसंद है, तो आज पूरी रात रहो कबर्ड में।"
इतना कहकर रेयांश दरवाज़ा लॉक कर देता है। आरोही जल्दी से दरवाज़े पर थपथपाते हुए बोली, "प्लीज़ मुझे बाहर निकालिए! मैं कभी आपके रूम में नहीं आऊँगी। प्लीज़!"
पर आरोही की बात रेयांश सुनकर भी अनसुनी कर देता है। वह क्लोज़ेट रूम से बाहर निकल जाता है और आरोही चिल्लाती ही रह जाती है।
रेयांश बालकनी में बैठकर सिगरेट पी रहा था। वह आसमान में देखता है और चाँद को देखकर कहता है, "कल पूर्णिमा..."
इतना कहते हुए रेयांश की आँखें चमक उठती हैं और उसकी आँखों में एक साथ पर्पल, ग्रीन, येलो कलर दिखाई देता है।
रेयांश अपने चेहरे पर डेविलिश स्माइल लाकर कहता है, "अब बह मेरे कब्ज़े में है, और अभी तो कुछ भी नहीं है। धीरे-धीरे मैं उसे उस दर्द से रूबरू कराऊँगा जिससे वह जीते जी मर जाएगी। आप दोनों की बेटी को मैं कहीं का नहीं छोड़ूँगा, ना घर का, ना घाट का, और ना मैं उसे आप लोगों के पास आने दूँगा। बह पूरी ज़िंदगी मेरे पास, मेरे साथ रहेगी, मेरा स्लेव बनकर, जो मेरी हर ज़रूरत पूरी करेगी, मेरा हर टॉर्चर सहेंगी, और आप लोग सब जानेंगे, पर कुछ नहीं कर पाएँगे, जैसे अभी नहीं कर पा रहे हैं।"
इतना कहकर रेयांश सिगरेट फेंक उसे अपने पैरों से मसलकर अंदर जाता है और बालकनी का दरवाज़ा बंद करके पर्दे लगा देता है। वहीं रेयांश के अंदर जाते ही कुछ दूरी पर एक बी दिखाई देती है, जो एक रोबोटिक थी। रेयांश के अंदर जाते ही वह बी भी वहाँ से चली जाती है।
क्यों कर रहा है रेयांश ऐसा आरोही के साथ? रेयांश किससे बात कर रहा था? किसने भेजा था उस रोबोट बी को? क्या सच में रेयांश आरोही को अपना स्लेव बनकर रखेगा? जानने के लिए पढ़िए! "Falling in love with Devil"😈😈
सुबह 6:00 am का वक्त था। रेयांश, जो पूरी रात सोया नहीं था, सोफे से उठकर सीधा क्लोजेट रूम गया। वहाँ उसे कबर्ड के अंदर से आरोही की कोई हलचल महसूस नहीं हुई। रेयांश ने कबर्ड का दरवाज़ा खोला तो उसकी आँखें छोटी हो गईं, क्योंकि आरोही उसके सभी कपड़े अपने ऊपर लपेटकर कबर्ड में आराम से सो रही थी। रेयांश ने आरोही का हाथ पकड़कर एक झटके में उसे नीचे गिरा दिया। फ़्लोर पर गिरते ही आरोही के मुँह से एक दर्दभरी चीख निकल गई।
आरोही गुस्से में ऊपर देखती है और रेयांश को देखकर जल्दी से अपना सिर झुका लेती है। उसका गुस्सा डर में बदल गया। रेयांश गुस्से में आरोही को बाज़ुओं से पकड़कर खड़ा करने लगा, पर आरोही खड़ी नहीं हो पा रही थी। ऊपर से गिरने की वजह से उसके पैरों में चोट लग गई थी। आरोही दर्द से कराह कर रोते हुए बोली, "आहह! मेरे पैर में चोट लगी है। मैं खड़ी नहीं हो सकती।"
रेयांश ने आरोही को जबरदस्ती खड़ा करते हुए कहा, "इतनी सी चोट नहीं सह सकती तो आगे कैसे सहेगी?"
आरोही बहुत मुश्किल से खड़ी होकर बोली, "प्लीज मुझे जाने दो। पूरी रात मैं इस कबर्ड में थी। अब तो मुझे जाने दो।"
रेयांश ने आरोही की बात काटते हुए कहा, "तुम्हें जाने देने का कोई सवाल ही नहीं उठता।"
आरोही डरते हुए रेयांश को देखकर सोची, "अब मेरे साथ यह और क्या करेगा? (मुस्कान को याद करते हुए) कुत्ती, तेरे बजह से कल में फिर फँस गई।"
रेयांश तिरछी मुस्कान के साथ बोला, "इसीलिए कहते हैं किसी से दिमाग नहीं लेना चाहिए। अपने पास जितना है उतना ही यूज़ करना चाहिए।"
आरोही कुछ नहीं बोली। रेयांश ने कबर्ड से सभी कपड़े निकालते हुए कहा, "यह सब अच्छे से साफ़ कर दो। इनमें तुम्हारी बदबू नहीं रहनी चाहिए।"
आरोही हैरानी से सभी कपड़ों को देखकर बोली, "इतने सारे कपड़े! मैं कैसे साफ़ करूँ?"
रेयांश ने कहा, "जैसे करते हैं।"
आरोही ने कहा, "पर..."
रेयांश ने कहा, "मुझे बकवास नहीं सुनना।" इतना कहकर रेयांश जाने लगा। तब आरोही हिम्मत करके पूछती है, "आप मुझसे इतनी नफ़रत क्यों करते हैं? मैंने ऐसा भी क्या कर दिया?"
आरोही की बात सुनकर रेयांश का कदम रुक गया। वह पीछे मुड़कर आरोही की ओर आने लगा। आरोही रेयांश के एक्सप्रेशन देख डर से पीछे जाने लगी, पर पैर के दर्द के कारण वह पीछे जाते हुए फ़्लोर पर गिर गई। रेयांश आरोही के पास आकर उसके ऊपर झुक गया। उसने आरोही के जबड़े को कसकर पकड़ लिया और अपने गुस्से से लाल आँखों से, दाँत पीसते हुए बोला, "तुम नफ़रत की बात करती हो? तुमने जो किया है ना, अगर उसके बदले में मैं तुम्हारी हर दिन रेप करूँ, तुम्हें शहर के बीचो-बीच नंगा घुमाऊँ, तो भी कम है।"
आरोही रेयांश की बात सुनकर एकटक उसकी आँखों में देखने लगी। रेयांश ने उसके जबड़े पर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए कहा, "आँखें नीचे। मुझे नहीं पसंद कोई मेरे आँखों में आँखें डाले, और तुम तो अभी नहीं, तुम हमेशा मेरे जूतों के नीचे रहोगी।" आरोही रोते हुए नज़रें झुका लेती है। तब रेयांश ने उसे छोड़ते हुए कहा, "मैं शाम तक आऊँगा। तब तक मेरे सभी कपड़े क्लीन हो जाना चाहिए। किसी भी हाल में नहीं, तो तुम्हें मैं बिना कपड़ों के मकान के बाहर खड़ा कर दूँगा।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही की बॉडी डर से कांप उठी। पर रेयांश ने उस पर ध्यान न देते हुए जाने लगा। तब आरोही धीरे से बोली, "मुझे कपड़े धोना नहीं आता। और अगर दादाजी देखेंगे तो..."
रेयांश जाते हुए बोला, "ग्रैंडपा नहीं हैं यहाँ। वे वन वीक के लिए बाहर गए हैं। और तुम कपड़े नहीं धो सकती, यह तुम्हारी प्रॉब्लम है, मेरी नहीं।" इतना कहकर रेयांश वहाँ से चला गया। उसे देख आरोही रोते हुए सभी कपड़ों को देखकर बोली, "मैं अब इतने सारे कपड़े कैसे धोऊँगी?" इतना कहते हुए उसे कुछ याद आया और वह सभी कपड़ों को एक पैकेट में रखकर, किसी तरह उठकर लड़खड़ाते कदमों से रूम से बाहर निकलकर क्लीनर रूम गई जहाँ बहुत सारे वॉशिंग मशीन थे।
आरोही सभी वॉशिंग मशीन को देखते हुए सोचने लगी, "आ तो गई, पर वॉशिंग मशीन को ऑन कैसे करते हैं?"
आरोही इतना सोच ही रही थी कि तभी एक मेड आकर बोली, "मैडम, आपको यहाँ नहीं, वॉशरूम में कपड़े धोने हैं।"
आरोही ने मेड को देखकर कहा, "क्यों? सभी कपड़े तो यहाँ धोते हैं, और मैं वॉशरूम में कैसे कपड़े धोऊँ?"
मेड ने कहा, "सॉरी मैडम, छोटे साहब ने मना किया है आपको कुछ बताने से। उन्होंने कहा है आपको कोई मदद न करे।"
आरोही ने सिर हिलाकर कहा, "ठीक है। पर क्या आप इस पैकेट को मेरे वॉशरूम तक ले जाएँगी? यह बहुत भारी है। मेरे पैर में चोट लगी है। मैं बहुत मुश्किल से इसे यहाँ तक लाई थी।"
आरोही की बात सुनकर मेड ने उसके पैरों को देखा। उसे आरोही पर दया आई क्योंकि आरोही के पैर बुरी तरह से सूज गए थे। मेड ने सिर हिलाकर आरोही और पैकेट को पकड़कर आरोही के वॉशरूम तक ले आई। आरोही मुस्कुराते हुए बोली, "थैंक्यू।"
मेड ने सिर झुकाते हुए कहा, "मुझे और शर्मिंदा मत करिए मैडम। आपकी ऐसी हालत है, फिर भी मैं आपकी मदद नहीं कर पा रही हूँ।"
आरोही ने कहा, "कोई बात नहीं। तुम एक और हेल्प कर दो। मेरा फ़ोन बेड पर है, उसे ला दो।"
मेड ने सिर हिलाकर आरोही को उसका फ़ोन लाकर दे दिया और वहाँ से चली गई। आरोही ने जल्दी से YouTube से देखकर कपड़े धोने लगी।
शाम का वक्त था। आरोही सो रही थी। वह रेयांश के इतने सारे कपड़े धोकर बहुत ज़्यादा थक गई थी और उसके पैर की सूजन भी बहुत देर तक पानी में रहने की वजह से बढ़ गई थी। तभी किसी ने उसे खींचते हुए बेड से नीचे उतारा। आरोही ने आँखें खोलीं और सामने देखा तो रेयांश उसे बुरी तरह से घूर रहा था। आरोही जल्दी से खड़े होने की कोशिश करती है, पर पैर के दर्द से वह फिर से बेड पर बैठ गई। आरोही दर्द से कराहते हुए रोने लगी। पर आरोही के आँसुओं को इग्नोर करते हुए रेयांश ने उसे जबरदस्ती खड़ा करते हुए कहा, "मैंने तुम्हें आराम करने को कहा था। जो यहाँ पर घोड़े बेचकर सो रही हो?"
आरोही ने कहा, "म...म...मैंने आ...आपके सभी क...कपड़े अच्छे से धो दिए हैं। और थकी थी। पैर में भी दर्द है इसलिए..."
रेयांश ने कहा, "अच्छा! अच्छे से तुमने मेरे कपड़े धो दिए?"
आरोही ने सिर हिलाया। तो रेयांश उसे खींचते हुए बोला, "तो चलो, तुम्हें दिखाते हैं तुमने कितने अच्छे से मेरे कपड़े धोए।" इतना कहकर रेयांश आरोही को खींचते हुए अपने रूम में ले आया। आरोही हैरान थी क्योंकि रेयांश के रूम में आना किसी को अलाउ नहीं था और उसे सज़ा भी मिलती थी उसके रूम में आने के लिए, और अभी वह खुद उसे अपने रूम में लाया था।
रेयांश ने आरोही को छोड़ दिया। आरोही फ़्लोर पर गिर गई क्योंकि पैर के दर्द के कारण वह अभी ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। रेयांश ने आरोही पर ध्यान न देते हुए उसे अपने सभी कपड़े दिखाए जिनकी हालत बहुत बुरी थी। कुछ-कुछ तो जगह-जगह से फाट भी गए थे।
आरोही हैरानी से बोली, "यह कैसे हुआ?"
रेयांश ने कहा, "यह तो मैं तुमसे पूछ रहा हूँ, यह कैसे हुआ? तुमने मेरे कपड़ों को इतने अच्छे से धोया कि वे पहनने लायक ही नहीं रहे।"
आरोही ने सिर झुका लिया क्योंकि यह सब उसके कारण ही हुआ था। पर पैर दर्द और थकान के कारण उसने ज़्यादा नहीं सोचा था।
आरोही रोते हुए बोली, "सॉरी। मैं कपड़े धोना नहीं जानती इसलिए..."
रेयांश गुस्से में बोला, "तुम कपड़े धोना नहीं जानती तो मैं क्या करूँ? तुमने मेरे कितने सारे ब्रांडेड कपड़े खराब कर दिए।"
आरोही ने कहा, "सॉरी। मुझसे गलती हो गई।"
रेयांश ने अपने चेहरे पर डेविलिश स्माइल लाते हुए कहा, "गलती किया है तो सज़ा भी मिलनी चाहिए।"
आरोही डरते हुए रेयांश को देखती है तो रेयांश का चेहरा एक्सप्रेशनलेस हो जाता है। रेयांश ने अपने एक्सप्रेशनलेस चेहरे के साथ सर्द आवाज़ में कहा, "कपड़े उतारो।"
आरोही की आँखें हैरानी से फैल जाती हैं। रेयांश कहता है, "सुना नहीं? अभी मेरे सामने अपने कपड़े उतारो।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही डर से कांप उठी और जल्दी से अपने ड्रेस को कसकर पकड़ लिया......... .........
क्या किया आरोही ने? क्या आरोही इस बार भी रेयांश की बात मानेगी? क्या आरोही रेयांश के सामने अपनी इज़्ज़त खुद उतार देगी? जानने के लिए पढ़िए "Falling in Love with Devil"
To be continued...
आगे
आरोही को कुछ न करते और न कहते देख, इस बार रेयांश चिल्लाकर बोला, "मैंने कहा take off your clothes!" आरोही अब हिम्मत करके खड़ी हुई और रेयांश को देखकर बोली, "मैं... मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगी।" रेयांश ने एक आईब्रो ऊपर उठाकर कहा, "तुम मुझे मना कर रही हो? तुम्हें पता है मैं क्या कर सकता हूँ?" आरोही ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, पता है। आप उन फोटो को दादाजी को दिखा देंगे, तो दिखा दीजिये। मैं उन कुछ फोटो के लिए अपनी इज़्ज़त आपको सौंप नहीं दूँगी।" रेयांश कुछ देर आरोही को घूरता रहा, फिर जाकर उन फोटोज़ को ले आया। आरोही कुछ भी समझ नहीं पाई, तभी रेयांश ने उन फोटोज़ को आरोही के सामने फेंककर उनमें गैसलाइट से आग लगा दी। आरोही और ज़्यादा हैरान हो गई।
आरोही को हैरान देखकर रेयांश जोर-जोर से हँसने लगा। उसे देख आरोही अब डर रही थी और कभी रेयांश को तो कभी जलते फोटोज़ को देख रही थी। रेयांश हँसते हुए अचानक रुक गया और आरोही को घूरते हुए उसके करीब आने लगा। रेयांश को ऐसे देख आरोही डर से पीछे हटने लगी और वह फर्श पर गिर गई।
रेयांश घुटनों के बल बैठकर आरोही को देखकर बोला, "तुम्हें क्या लगता है मैं बस तुम्हें इन फोटोज़ से ही ब्लैकमेल कर सकता हूँ? किसी और चीज़ से नहीं?"
आरोही कुछ समझ नहीं पा रही थी। तब रेयांश ने आरोही के चेहरे पर अपनी उंगली चलाते हुए कहा, "तुम्हारे बेस्ट फ्रेंड का नाम क्या है? मुस्कान पाल है ना? वह अपनी दादी के साथ रहती है क्योंकि उसके माँ-बाप की बचपन में ही डेथ हो गई है। अब सोचो अगर उसकी दादी की भी डेथ हो जाए तो उसकी क्या होगी? या फिर उसकी डेथ हो जाए तो उसकी दादी की क्या होगी?"
आरोही हैरानी और डर के मिले-जुले भाव से रेयांश को देख रही थी। वह अभी एक नए ही रेयांश को देख रही थी। अब तक बचपन से रेयांश उसे बहुत परेशान करता था, हमेशा इंसल्ट और टॉर्चर के सिवा उसे रेयांश से कुछ नहीं मिला था, पर उसने कभी ऐसे घिनौने हरकत नहीं की थी और न किसी और को लेकर उसे ब्लैकमेल किया था। आरोही ने रेयांश को देखकर कहा, "नहीं, आप ऐसा नहीं कर सकते।" रेयांश ने आरोही का जबड़ा पकड़कर उसके चेहरे को अपने करीब किया और कहा,
"मैं सब कर सकता हूँ। क्या तुम्हें देखना है?"
इतना कहकर रेयांश ने अपना फोन निकालकर किसी को कॉल किया और पूछा, "वह दोनों अभी क्या कर रही हैं?" उधर से एक आदमी बोला, "लड़की तो कुछ बच्चों को पढ़ा रही है और बूढ़ी औरत आँगन में बैठी हैं।" रेयांश ने कहा, "एक को मार दो।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही घबरा गई और जल्दी से रेयांश का हाथ पकड़कर बोली, "प्लीज नहीं, प्लीज उनको कुछ मत करिए। मैं आपकी हर बात मानने को तैयार हूँ। प्लीज।" रेयांश ने आरोही से अपना हाथ छुड़ाकर खड़ा हो गया। तब आरोही ने उसके पैर पकड़ लिए और बोली, "प्लीज ऐसा मत कीजिए, उनको कुछ मत कीजिए।"
आरोही बुरी तरह से रो रही थी। रेयांश ने फोन में उस आदमी से कहा, "अभी रहने दो, उनमें से किसी को मत मारो।" रेयांश की बात पर आरोही चैन की साँस लेती है। तब रेयांश ने उसे जबरदस्ती खड़ा करके कहा, "अब मैंने तुम्हारी बात मानी, तो जल्दी से अपने कपड़े उतारो।" आरोही रोते हुए धीरे से अपनी जैकेट उतारती है, तभी रेयांश कहता है, "जल्दी करो, मुझे और भी बहुत काम है, तुम्हारी तरह फ्री नहीं हूँ।" आरोही बहुत ज़्यादा घबरा रही थी और इसी घबराहट के चलते वह बेहोश होकर फर्श पर गिर गई।
आरोही को ऐसे गिरते देख रेयांश ने आरोही को अपने पैरों से लात मारकर सीधा किया और बैठकर आरोही की नब्ज़ चेक की जो बहुत धीरे चल रही थी। रेयांश आरोही को गोद में लेकर बेड पर लिटाया और उसके सिर पर हाथ रखकर अपनी आँखें बंद कर ली। कुछ देर बाद आँखें खोलकर रेयांश एक लेडी डॉक्टर को बुलाया। कुछ ही देर में डॉक्टर आ गई और आरोही को चेक करके उसे ड्रिप लगाते हुए बोली, "कुछ दिनों से तो इसने कुछ नहीं खाया है और इसके पैर भी बुरी तरह से सूज गए हैं।"
रेयांश ने डॉक्टर को घूरते हुए कहा, "यह सब मुझे अच्छे से पता है। आपको जिसलिए बुलाया है वह कीजिए, इसे ठीक कीजिए, जल्दी।" डॉक्टर ने सिर हिलाकर कहा, "इसे ठीक होने में टाइम लगेगा। मैं ऑइंटमेंट दे रही हूँ, इसके पैरों पर लगा देना और यह ड्रिप खत्म होने के बाद कुछ हल्का सा, फिर एक घंटे बाद पेट भर कुछ खिला देना। पैर तो नहीं, पर वह सुबह तक ठीक हो जाएगी।" रेयांश कुछ नहीं कहता, तो डॉक्टर चली जाती है। डॉक्टर के जाते ही रेयांश आरोही के सूजे हुए पैर को पकड़कर उसके चेहरे को देखकर बेरहमी से दबाता है। तब बेहोशी में भी आरोही के चेहरे पर दर्द दिखने लगता है, जिसे देख रेयांश के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाता है।
कुछ देर बाद रेयांश आरोही के पैर को पकड़कर आँखें बंद करता है, तो धीरे-धीरे उसके पैर की सूजन कम होने लगती है और एक समय पर उसके पैर की सूजन एकदम ठीक हो जाती है।
जिसके कुछ ही देर में रेयांश अपनी आँखें खोलता है। एक नज़र आरोही को देखने के बाद रेयांश सिगरेट जलाकर पीते हुए सामने सोफे पर बैठ जाता है, तभी कोई कमरे के अंदर आता है, जिसके चेहरे पर पहले तो स्माइल थी, पर आरोही की हालत देख वह घबराते हुए जल्दी से आरोही के पास आकर कहता है, "आरोही!" रेयांश आँखें छोटी करके कहता है, "निशांत, तू कब आया?"
निशांत रेयांश को देखकर कहता है, "आरोही की ऐसी हालत कैसे हुई? क्या किया है तूने उसके साथ? रेप किया है मैंने तेरे आरोही की?" रेयांश ने बेफ़िक्री से कहा। जिसे सुन निशांत बोला, "सच-सच बता ना।" रेयांश निशांत को देखकर कहता है, "मुझे नहीं पसंद तू इसकी इतनी फ़िक्र करे, इसके पास जाए तो दूर रह इससे।" निशांत कहता है, "यह मुझे बचपन से पता है। तुझे नहीं पसंद। तूने जो पूछा वह बता।" रेयांश सिगरेट का लंबा कस लेते हुए कहता है, "मैंने कुछ नहीं किया। तीन दिन से कुछ नहीं खाया है इसलिए बेहोश हो गई।" निशांत हैरानी से कहता है, "क्यों यार? क्यों इस मासूम सी बच्ची को इतना टॉर्चर करता है? बचपन से देख रहा हूँ।" रेयांश सिगरेट फेंककर कहता है, "चल, एन्जॉय करते हैं।" निशांत हैरानी से कहता है,
"एन्जॉय किस बात का?"
रेयांश कहता है, "इसी बात का कि अब से मैं अपने दुश्मन की पनिशमेंट स्टार्ट कर रहा हूँ।" निशांत कहता है, "दुश्मन? पर तू तो हर दुश्मन को एक ही बार में मार देता है, तो सज़ा देने की बात कहाँ से आई?" रेयांश बस एक मिस्टीरियस स्माइल के साथ उसे देखता है, जिससे निशांत की आँखें छोटी हो जाती हैं। निशांत आरोही के पास जाकर बैठते हुए कहता है, "मैं आरोही को छोड़ नहीं जाऊँगा।" रेयांश उसे खींचकर ले जाते हुए कहता है, "चल यार, वह मरी नहीं गई, पर तू इतना केयर इसकी करेगा तो ज़रूर मर जाएगा।" निशांत कहता है, "कैसे?" रेयांश हँसते हुए कहता है, "मैं मार दूँगा।" निशांत चिढ़ते हुए कहता है, "यार..." निशांत के और कुछ कहने से पहले रेयांश उसे खींचते हुए अपने साथ ले जाता है।
कुछ देर बाद वह दोनों रेयांश के रूम में बने छोटे से बार में बैठकर ड्रिंक कर रहे थे और दोनों ने बहुत ड्रिंक किया था। रेयांश कहता है, "तू जा अपने रूम में।" निशांत कहता है, "और?" रेयांश उसे घूरते हुए कहता है, "क्या तू चाहता है मैं तेरे साथ सोऊँ?" निशांत हँसते हुए कहता है, "नहीं यार, मैं गे नहीं हूँ।" रेयांश कहता है, "तो अब जा।" निशांत चुपचाप चला जाता है। नशे में होने के कारण उसे आरोही का भी ध्यान नहीं रहता।
वहीं निशांत के जाने के बाद रेयांश बाहर आकर सीधा वॉशरूम में जाता है। लगभग 30 मिनट बाद वह बाहर आता है और अब रेयांश कुछ नॉर्मल लग रहा था, पर कोई अगर उसे देखे तो वह नॉर्मल नहीं लग पाता। रेयांश ने बस एक ब्लैक टॉवल अपने कमर पर लपेटा हुआ था और दूसरे से अपने बालों को पोंछ रहा था। उसका फेयर कलर अभी किसी कांच सा चमक रहा था जिसमें पानी की बूँदें जमा हुई थीं। वह अभी किसी कामदेव की मूर्ति से भी ज़्यादा कामुक नज़र आ रहा था। बाल पोंछते हुए रेयांश की नज़र बेड पर जाती है जहाँ आरोही नहीं थी। रेयांश ने अपने हाथों की मुट्ठी मज़बूती से बंद करके कहा, "निशांत!" इतना कहकर वह अपने रूम से बाहर निशांत के रूम की ओर चला जाता है।... ... कहाँ गई आरोही? क्या आरोही को निशांत ले गया? अब क्या करेगा रेयांश? जानने के लिए पढ़िए "Falling in love with Devil"
To be continued
रेयांश गुस्से में निशांत के कमरे में गया। कमरे का दरवाज़ा हल्का खुला हुआ था। रेयांश अंदर गया तो निशांत बेड पर उल्टा गिरकर सो रहा था। निशांत को ऐसे देखकर रेयांश उसके कमरे से बाहर आ गया और सीधा आरोही के कमरे में गया। आरोही का कमरा अंदर से बंद था। रेयांश आँखें बंद करके गहरी साँस ली और एक नज़र लॉक पर डाली। लॉक अपने आप खुल गया। रेयांश अंदर गया तो उसकी आँखें छोटी हो गईं।
क्योंकि उसके सामने आरोही आराम से बेड पर लेटी लैपटॉप पर कुछ देख रही थी। वह उसे देखने में इतनी खोई हुई थी कि उसे यह तक पता नहीं चला कि उसके कमरे में कोई आया है। रेयांश चुपचाप जाकर आरोही के पीछे खड़ा हो गया और लैपटॉप पर देखा। उसके भौंहें आपस में तन गईं। क्योंकि लैपटॉप स्क्रीन पर एक लड़का-लड़की एक-दूसरे को फ्रेंच किस कर रहे थे, जो आरोही बहुत ध्यान से देख रही थी। वह एक पल के लिए पलकें भी नहीं झपका रही थी। आरोही देख ही रही थी कि उसके कान में आवाज़ पड़ी, "यह मैं कर सकता हूँ। तुम्हें विडियो देखकर खुद को शांत करने की ज़रूरत नहीं है।"
"इस आवाज़ को सुनकर आरोही चौंक गई और जल्दी से लैपटॉप बंद कर पीछे रेयांश को देखा। वह जल्दी से सिर झुकाकर अपने ऊपर ब्लैंकेट को अच्छे से डाल लिया, क्योंकि वह खुद भी अभी सिर्फ़ एक तौलिये में थी और रेयांश भी।
"नज़रें क्यों झुका रहे हो? क्या तुम्हें मेरा बॉडी पसंद नहीं?"
"ब...ब...बह...म...मैं..."
आरोही के और कुछ कहने से पहले रेयांश उसके पास आकर उसके जबड़े को कसके पकड़ लिया। "यह सब देखने के लिए तुम्हें फ़ोन, लैपटॉप अलग से एक कमरा दिया है ग्रैंडपा ने?"
"न...न...नहीं, आप गलत समझ रहे हैं। मैं गलत चीज़ें नहीं देखती।"
रेयांश ने अपनी पकड़ मज़बूत की। "अच्छा, तो यह क्या तुम्हारे भूत देख रही थी?"
"वह मेरे एक फ़्रेंड ने भे..."
रेयांश दाँत पीसते हुए बोला, "तुम्हारे ऐसे फ़्रेंड भी हैं जो तुम्हें यह सब भेजता है?"
आरोही रोते हुए बोली, "न...नहीं, आप गलत समझ रहे हैं। यह कोई ड्रामा है और मुझे यह बहुत पसंद है, इसीलिए..."
"ओह रियली! तुम्हें यह सब देखना इतना पसंद है तो करना भी पसंद होगा।"
आरोही की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और वह कुछ कहती, इससे पहले ही रेयांश ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। आरोही एकदम जम गई। उसका माइंड ब्लैंक हो गया। रेयांश आरोही को किस करते हुए उसे पीछे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसे किस करते हुए ही ब्लैंकेट के अंदर आ गया। रेयांश जो नशे में था, अब नशा उस पर चढ़ रहा था। उसे आरोही के होंठ किसी मिठाई की तरह लग रहे थे—सॉफ्ट और मीठे। रेयांश अब धीरे-धीरे आरोही के होंठों पर बाइट करने लगा। आरोही को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। वह एक स्टैचू की तरह लेटी थी। रेयांश आरोही के भीगे बालों को सहलाते हुए उसके होंठों को अब बेरहमी से चूम रहा था। रेयांश की इस हरकत से आरोही अपने होश में वापस आई और रेयांश को खुद से दूर करने की कोशिश करने लगी। उसकी आँखों के कोने से आँसू गिर रहे थे। पर रेयांश की पकड़ बहुत मज़बूत थी जिससे आरोही हज़ार कोशिशों के बाद भी खुद को छुड़ा नहीं पाई। लगभग 15 मिनट बाद रेयांश खुद से आरोही को छोड़ दिया। आरोही बुरी तरह से हाँफ रही थी जिससे उसकी छाती ऊपर-नीचे हो रही थी। उसके होंठ अभी लाल चेरी जैसे लग रहे थे जिसमें खून भी लगा था। आरोही को अपने होंठों पर बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा था। रेयांश आरोही की छाती को अपनी नशेली भूरी आँखों से देखने लगा। रेयांश उसके सीने को छूने ही वाला था कि अचानक उसकी आँखें बंद हो गईं और वह वहीं आरोही के ऊपर सो गया।
आरोही ने अपनी साँसों को कंट्रोल करते हुए रेयांश को बहुत ही मुश्किल से अपने ऊपर से साइड किया, पर फिर भी वह उसे नहीं छोड़ा। रेयांश आरोही को अपने तकिये की तरह जकड़कर सो गया। अब आरोही के हिलने की भी हिम्मत नहीं हुई। उसे डर था कि अगर वह हिली तो रेयांश की नींद खुल जाएगी और वह ना जाने उसके साथ क्या करेगा। आरोही मन में कहती है, "क्या सोचती थी मैं कि मेरे लाइफ़ में भी मेरी प्रिंस चार्मिंग आएगा, बिल्कुल किसी ड्रामा के हीरो की तरह, जो मुझसे प्यार करेगा, मुझे हमेशा प्रोटेक्ट करेगा, समझेगा, जिसके सामने मैं जैसी हूँ वैसी रहूँगी, जैसे मेरा क्रश अंश है। सोची थी उसे ही मैं अपनी फ़र्स्ट किस दूँगी, पर यहाँ तो यह मेरी फ़र्स्ट किस ले गया और मेरे साथ ही सोया है। ना जाने जब नींद खुलेगा तब मेरी क्या करेगा? ऊपर से यह भी तौलिये में ही... तौलिये में अगर खुल गई तब तो कांड ही हो जाएगा।" आरोही बहुत ज़्यादा टेंशन में थी और यही सब सोचते हुए टेंशन में उसे कब नींद आ गई उसे भी पता नहीं चला।
सुबह का वक़्त था। आरोही के कमरे में एक लड़की, जो बहुत ही खूबसूरत थी, उम्र 18 साल, वह बिना नॉक किए अंदर आ गई और अंदर का नज़ारा देख उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। उसे कुछ समय लगा खुद को होश में लाने के लिए। होश में आते ही वह लड़की खुद को जोर से चींटी काटती है। उसे बहुत दर्द हुआ, पर उसने आवाज़ नहीं की। लड़की धीरे कदमों से बेड के पास जाकर आराम से सो रहे आरोही और रेयांश को देखती है। लड़की मन में सोचती है, "इन दोनों ने ही कुछ नहीं पहना है और आरोही के होंठों को देख... होओओओ मतलब कल ये दोनों..." इतना कहते हुए वह अपने मुँह पर हाथ रख लेती है। फिर फ़ोन निकालकर उनके एक फ़ोटो लेकर मन में सोचती है, "यह दोनों बहुत बड़े छुपारूष्टम निकले। मतलब एक सबके सामने इतना गुस्सा करता है और दूसरी इतना डरती है और अकेले में पति-पत्नी वाला रिश्ता।" इतना कहते हुए उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ जाती है। वह खुद ही शर्मा जाती है और जल्दी से कमरे से बाहर जाकर दरवाज़ा अच्छे से बंद कर देती है। वह बाहर आकर सभी मेड्स को देखकर कहती है, "आरोही मैडम को कोई परेशान नहीं करेगा। उसे आराम करने दो।" सभी मेड्स सिर हिलाती हैं तो वह लड़की वहाँ से निशांत के कमरे की ओर चली जाती है।
आरोही जो सो रही थी, अचानक उसे साँस लेने में दिक्कत हुई तो उसने अपनी आँखें हल्की खोली और नीचे देखा तो रेयांश उसके ऊपर आ गया था और उसका पूरा भार आरोही के ऊपर था। और इस वक़्त आरोही बिल्कुल नेकेड थी, साथ में रेयांश भी। इस सीन को देख आरोही की नींद पल भर में ही गायब हो गई। उसका चेहरा शर्म से बिल्कुल लाल हो गया। ऐसा लग रहा था जैसे उसके चेहरे से अभी खून टपकने लगेगा। ऊपर से रेयांश का हाथ उसे अपनी कमर पर महसूस हो रहा था और उसका सिर आरोही के सीने पर था जिससे आरोही बहुत ज़्यादा अनकम्फ़र्टेबल हो गई थी। वह सोचने लगी, हुआ क्या था कल रात?
धीरे-धीरे उसे रात की सब कुछ याद आता है और आरोही रेयांश को गुस्से में देखती है। तो उसके सोते हुए चेहरे को देख उसकी सारी गुस्सा छूमंतर हो जाती है। आरोही इरिटेटेड होते हुए सोचती है, "यार यह इतना हैंडसम क्यों है कि मैं गुस्सा भी नहीं कर सकती और गुस्सा करके भी क्या फायदा? मैं इससे तो थोड़ी ऊँची आवाज़ में बात भी नहीं कर सकती। (रोती हुई सूरत बनाकर) मेरी किस ले लिया जालिम ने! इसका भला नहीं होगा। इसे तो वह पत्नी मिलेगी जो इसका जीना हराम कर देगी, परेशान कर देगी, यह मुझे जितना टॉर्चर कर रहा है उससे ज़्यादा टॉर्चर करेगी और यह कुछ कह भी नहीं पाएगा।" आरोही मन में रेयांश को जी भरकर श्राप देने के बाद धीरे-धीरे उसे खुद के ऊपर से हटाकर बेड से उतर गई। गहरी साँस लेते हुए वह सोचती है, "छुटकारा तो मिला! कितना भारी है बाप रे! इसके वज़न से तो मैं साँस ही नहीं ले पा रही थी और कुछ देर रही तो यमराज को प्यारी हो जाती मैं।" इतना कहते-कहते आरोही की नज़र खुद पर जाती है तो वह जल्दी से हाथों से खुद को छुपाते हुए बेड पर देखती है तो ब्लैंकेट से बाहर निकल रहे उसके व्हाइट तौलिये पर उसकी नज़र जाती है। पर आरोही की इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह उस तौलिये को ले पाए क्योंकि तौलिया रेयांश के नीचे था। आरोही जल्दी से वॉशरूम में चली जाती है और जल्दी-जल्दी फ्रेश होकर डार्क ब्लू कलर का शॉर्ट ड्रेस, जो उसके थाई तक आ रहा था, जिसके साथ ब्राउन लॉन्ग कोट पहन लेती है। वह बहुत क्यूट लग रही थी। बाल भीगे होने की वजह से उसने अपने बालों को खुला छोड़ दिया था। आरोही जल्दी से अपने फ़ोन और बैग लेकर रेयांश को देखे बिना कमरे से निकलकर सीधे मैन्शन से बाहर चली जाती है। ऐसा लग रहा था जैसे वह रेयांश से भागकर जा रही हो और कभी यहाँ नहीं आएगी। वहीं रेयांश अभी भी आराम से सो रहा था। उसे कुछ चीज़ों का ख़बर ही नहीं था।
निशांत का कमरा था।
निशांत आराम से सो रहा था, तभी वह लड़की उसके कमरे में आई और उसे खींचते हुए बिस्तर से नीचे गिरा दिया। निशांत कमर पकड़कर उठ बैठा और गुस्से में लड़की को देखकर बोला, "यह क्या था, लावण्या की बच्ची?"
"सॉरी ब्रो, मैं आपको उठाने आई थी।" लावण्या ने प्यारा सा चेहरा बनाकर कहा।
"तो उठाती ना, बिस्तर से गिराकर मेरा कमर क्यों तोड़ी?" निशांत ने पूछा।
"आपके कमर टूट गयी? सच में?" लावण्या ने आँखें बड़ी-बड़ी करके कहा।
निशांत कमर पकड़कर बिस्तर पर बैठ गया। "नहीं, झूठ में। अब बता, मेरी नींद किस खुशी में खराब की?"
लावण्या खुश होकर बोली, "दो छुपारुस्तम को पकड़ने की खुशी में!"
निशांत ने आँखें छोटी करके पूछा, "मतलब?"
लावण्या ने बताया, "मतलब रेयांश ब्रो और आरू के बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता है।"
निशांत और ज़्यादा कन्फ़्यूज़ होकर बोला, "मतलब क्या कह रही है तू?"
"मतलब," लावण्या ने कहा, "मैं सुबह आरू के कमरे में गई तो मैंने देखा रेयांश ब्रो और आरू एक साथ बिना कपड़ों के।"
"झूठ मत बोल। आरू के कमरे में कोई नहीं है। रेयांश के कमरे में आरोही और रेयांश दोनों हैं।" निशांत ने उसकी बात काटते हुए कहा।
"अरे, मैं झूठ नहीं बोल रही। सच में आरू के कमरे में वो दोनों थे। मैंने देखा।" लावण्या ने कहा।
"अच्छा, और तुझे शर्म नहीं आई अपने भाई को और एक लड़की को नेकेड देखने में?"
लावण्या ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं आई, क्योंकि उनके ऊपर ब्लैंकेट था।"
निशांत ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "तेरी यह झूठ एक दिन तुझे ले डूबेगी।"
"आरे, मैं सच कह रही हूँ। प्रूफ है मेरे पास।" लावण्या ने कहा।
"क्या प्रूफ?" निशांत ने पूछा।
लावण्या ने अपने फ़ोन में कुछ करते हुए कहा, "मैंने फ़ोटो खींचकर रखी है।"
"ठीक है, दिखा।" निशांत ने हाथ जोड़कर कहा।
लावण्या परेशान होकर बोली, "नहीं मिल रही। शायद मैंने सेव नहीं किया फ़ोटो।"
इतना कहते हुए उसका चेहरा उतर गया। निशांत ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "तेरी झूठ पकड़ी गई।"
"मैं झूठ नहीं..." लावण्या ने कहा।
निशांत लावण्या को घूरते हुए बोला, "कल मैंने रेयांश को नींद की गोली दे दी थीं, तो वह आरोही के साथ इंटीमेट कैसे हो सकती है? तेरे सपने में?"
"आपने उनको नींद की गोली क्यों दिया?" लावण्या ने आँखें बड़ी-बड़ी करके पूछा।
"क्योंकि वह आरोही को बहुत परेशान कर रहा था। बेचारी बीमार हो गई थी, और मुझे पता था वह फिर रात में उसे परेशान करने वाला था, इसलिए।" निशांत ने समझाया।
"पर मैंने तो..." लावण्या ने कहा।
निशांत ने उसकी बातों को इग्नोर करते हुए वाशरूम की ओर चला गया। इसे देख लावण्या कुछ सोचकर जल्दी से आरोही के कमरे की ओर भागी।
लावण्या जब आरोही के कमरे में आई, तो कमरे में कोई नहीं था। लावण्या खुद से बोली, "मतलब मैंने इतना गलत देखा? (सिर पकड़कर) लावू, तू पागल तो नहीं हो रही ना?"
इतना सोचकर वह जल्दी से अपने कमरे की ओर भागी।
कुछ देर बाद, निशांत फ़्रेश होकर जैसे ही कमरे के बाहर आया, उसके चेहरे पर एक जोरदार मुक्का पड़ा। निशांत खुद को संभाल नहीं पाया और फर्श पर गिर गया।
निशांत ने अपने होंठों के कोने से खून साफ़ करते हुए कहा, "आरे यार, मुझ पर गुस्सा क्यों उतार रहा है?"
रेयांश गुस्से में चिल्लाया, "तूने कल मुझे स्लीपिंग पिल्स देने की हिम्मत भी कैसे की?"
निशांत उठते हुए बोला, "जैसे हिम्मत करते हैं, वैसे ही की। वैसे तू अब उठा क्या?"
रेयांश वहाँ से जाते हुए बोला, "लास्ट बार है। अगर फिर कभी तूने ऐसा कुछ किया, तो मैं तुझे 1000 स्लीपिंग पिल्स खिला दूँगा।"
"तू आरोही को परेशान करना छोड़ दे, मैं भी ऐसा कुछ नहीं करूँगा।" निशांत ने कहा।
रेयांश रुककर पीछे पलटा और निशांत को देखकर बोला, "सोने के लिए तैयार रहना, क्योंकि मैं जो कहता हूँ, वह करता भी हूँ।"
इतना कहकर रेयांश चला गया। निशांत ने सिर हिलाते हुए उसके पीछे जाते हुए कहा, "यार, मुझे भी जाना है। रुक जा।"
"मैं नहीं जा रहा। वह यहीं आएगा। मैं किसी और काम से जा रहा हूँ।" रेयांश ने कहा।
रेयांश की बात सुनकर निशांत रुक गया, और रेयांश वहाँ से चला गया।
वहीं आरोही रो रही थी, और सामने बैठी मुस्कान उसे घूर रही थी। जब से आरोही आई थी, तब से वह बस रोये जा रही थी।
मुस्कान चिड़चिड़ाहट से बोली, "आरू यार, कुछ बता। क्या हुआ? क्या तुझे वह फ़ोटोस नहीं मिली? वह फ़ोटोस कहाँ हैं?"
आरोही सिसकते हुए बोली, "व...वह फ़ोटोस तो जलकर राख हो गईं।"
मुस्कान खुश होकर बोली, "मतलब मेरी प्लान ने काम किया। तेरी प्रॉब्लम सॉल्व। देखा मैंने, कहीं थी ना, कुछ नहीं होगी। पर तू अब क्यों रो रही है?"
आरोही रोते हुए बोली, "मैंने अपनी फ़र्स्ट किस खो दिया, मुक्कू। कहाँ मैंने सोची थी एक रोमांटिक माहौल होगी जहाँ मैं और मेरा प्रिंस चार्मिंग किस करेंगे, पर..."
"आरू, रोना बंद कर!" मुस्कान चिल्लाई।
मुस्कान के चिल्लाने से आरोही एकदम चुप हो गई। मुस्कान फिर बोली, "अब बता, क्या हुआ है?"
आरोही मुस्कान को रेयांश के उसे किस करने की बात बताई। मुस्कान तेज़ आवाज़ में बोली, "व्हाट? उस राक्षस ने कल रात तुझे किस किया? और तुम दोनों सारी रात एक साथ थे?"
आरोही जल्दी से मुस्कान के मुँह पर हाथ रखते हुए बोली, "कुत्ती, धीरे बोल। दादी हैं।"
मुस्कान धीरे से बोली, "उसने तुझे किस किया? और तुम दोनों पूरी रात एक साथ थे?"
आरोही ने सिर हिलाया और फिर से रोने लगी। मुस्कान कुछ सोचते हुए बोली, "आरू, कहीं ऐसा तो नहीं है कि उसके दिल में तेरे लिए कुछ है?"
आरोही ने नाक साफ़ करते हुए कहा, "मुझे लगता नहीं। पता है, उनके दिल में मेरे लिए नफ़रत है।"
मुस्कान ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, नफ़रत नहीं, कुछ और।"
आरोही रोते हुए बोली, "ऐऐऐऐऐऐ! मैं उनकी नफ़रत ही नहीं सह पा रही, अब कुछ और भी है तो..."
मुस्कान ने अपनी सिर पीटते हुए कहा, "गधी, तुझे कुछ समझ नहीं आती क्या?"
"क्या समझ आएगी?" आरोही ने पूछा।
"तुझे उसकी आँखों में क्या दिखता है?" मुस्कान ने पूछा।
आरोही उदास होकर बोली, "गुस्सा।"
मुस्कान ने अपने बाल खींचते हुए कहा, "इस लड़की का मैं क्या करूँ?"
"क्या हुआ? तू इतना गुस्सा क्यों हो रही है?" आरोही ने पूछा।
मुस्कान ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "आरू, देख, जैसे तुझे अंश पर क्रश है, मुझे लगता है वैसे ही रेयांश को भी तुझ पर क्रश है।"
आरोही ने आँखें बड़ी-बड़ी करके कहा, "क्या तू पागल है? ऐसा कुछ नहीं है।"
"ऐसा ही है। इसलिए वह तुझे खुद को भैया नहीं कहने देता, क्योंकि उसे तो साया बनना है।" मुस्कान ने कहा।
आरोही ने सिर हिलाते हुए कहा, "तू गलत है। अगर उनके दिल में ऐसी कुछ होता, तो वह मुझे इतना टॉर्चर नहीं करता।"
मुस्कान ने आरोही का हाथ पकड़कर कहा, "मैं सही हूँ, आरू। ठीक है, तू बता, वह तुझे खुद को भैया क्यों नहीं कहने देता?"
"क्योंकि उनको पसंद नहीं है मैं उनको भैया कहूँ।" आरोही ने कहा।
"क्यों पसंद नहीं है?" मुस्कान ने पूछा।
"क्योंकि वह मुझे पसंद नहीं करता।" आरोही ने कहा।
मुस्कान ने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, वह तुझे पसंद करता है, इसलिए।"
बहुत देर तक समझाने के बाद मुस्कान आरोही को समझा पाई। फिर मुस्कान आरोही को देखकर बोली, "आरू, कुछ भी हो जाए, तू उससे प्यार मत करना। हो सकता है वह हैंडसम है, रिच है, पर उसने तुझे बहुत टॉर्चर किया। यह मत भूलना।"
आरोही ने सिर हिलाते हुए कहा, "मैं उनसे प्यार नहीं करूँगी। मेरा क्रश ऑलरेडी है, जिसे मुझे पटाकर अपनी बॉयफ्रेंड बनाना है।"
मुस्कान ने सिर हिलाते हुए कहा, "वैसे और 3 दिन हैं हमारे कॉलेज के।"
आरोही खुश होकर बोली, "हाँ, मैं तो बहुत एक्साइटेड हूँ।"
"मैं भी।" मुस्कान ने कहा।
दोनों फिर अपने कॉलेज को लेकर बातें करने लगीं।
कौन आ रहा है? क्या रेयांश सच में निशांत के कुछ करने से उसे स्लीपिंग पिल्स खिला देगा? क्या मुस्कान की बात सुनकर आरोही रेयांश से प्यार नहीं करेगी? क्या प्यार करना न करना किसी के हाथ में होता है? क्या होगा अब आगे इस कहानी में? जानने के लिए पढ़िए...
falling in love with
Devil"😈
शाम का वक्त था। ओबेरॉय मैंशन में आरोही अपने कमरे में बैठी इंस्टाग्राम रील्स देख रही थी। तभी लावण्या उसके कमरे में आई।
लावण्या आरोही के पास आकर बोली, "क्या कर रही हो?"
आरोही लावण्या को देखकर बोली, "नाच रही हूँ।"
लावण्या आरोही के पास बैठते हुए बोली, "चीड़ क्यों रही हो? मैंने बस पूछा।"
आरोही बोली, "क्यों पूछा? तू देख नहीं सकती मैं रील्स देख रही हूँ।"
लावण्या बोली, "ठीक है, छोड़। मैं तुझसे एक बात पूछूँ? सच-सच बताना।"
आरोही रील्स देखते हुए बोली, "ठीक है, फिर हम रील्स बनाएँगे।"
लावण्या आरोही का फ़ोन लेकर बोली, "पहले मेरी बात सुन, फिर देखना।"
आरोही मुँह बनाकर बोली, "मैं कान से सुनती हूँ, आँखों से नहीं।"
लावण्या आरोही की बातों को इग्नोर करते हुए बोली, "कल तू और रेयांश ब्रो तेरे रूम में थे ना? तुम दोनों के बीच पति-पत्नी वाला रिश्ता है ना?"
आरोही आँखें बड़ी-बड़ी करके हैरानी से लावण्या को देखने लगी। लावण्या की बात सुनकर उसे लगा जैसे वह अभी ज़मीन के अंदर चली जाए।
आरोही के एक्सप्रेशन देख लावण्या खुश होकर बोली, "देखा, मैं सही हूँ। मैंने सही देखा। पर निशांत ब्रो मेरी बात मान ही नहीं रहे हैं।"
लावण्या की आवाज़ सुन आरोही होश में आई और लावण्या की पीठ पर जोर से मुक्का मारते हुए बोली, "तेरी हिम्मत कैसे हुई ऐसे घटिया बात कहने की? और तूने निशांत भाई को भी कहा है? भगवान क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में? और अगर रेयांश को पता चला तो वह मुझे ज़िंदा खा जाएगा।"
लावण्या सिर खुजलाते हुए बोली, "तो क्या मैंने गलत देखा?"
आरोही बोली, "और नहीं तो क्या? हमारी शादी हुई है क्या जो पति-पत्नी वाला रिश्ता बनेगा? तू भी! और वैसे भी मेरा क्रश है। तुझे तो पता है तीन दिन बाद कॉलेज जाऊँगी और उसे पटाऊँगी। वह उसी कॉलेज में है।"
लावण्या सिर हिलाकर बोली, "हाँ, और रेयांश, निशांत और आर्थिक ब्रो भी।"
आरोही आँखें बड़ी-बड़ी करके बोली, "क्या?"
आरोही सिर हिलाकर बोली, "हाँ, थर्ड ईयर में।"
आरोही पहले तो उदास हो गई, पर फिर सिर झटकते हुए बोली, "जो होगा देखा जाएगा। अभी ये सब सोचकर अपना मूड ख़राब नहीं कर सकती। चल, कांचा बदाम पर रील बनाएँ, फेमस हो जाएँगे।"
लावण्या मुँह बनाकर बोली, "हाँ, बूटी दिखाकर डांस करेंगे तो जल्दी हो जाएगा।"
आरोही मुँह बनाकर बोली, "आरे हम ऐसा नहीं करेंगे ना! हम अच्छा डांस करेंगे, संस्कारी डांस।"
लावण्या कुछ नहीं बोली तो आरोही गाना सर्च करके लावण्या को स्टेप समझाती है जो संस्कारी तो नहीं थे।
दोनों ने लगभग 6 रील्स बनाईं और बाद में बेड पर बैठ गईं। लावण्या बोली, "चल, मूवी देखते हैं।"
आरोही बोली, "कौन सी?"
लावण्या कुछ कहती ही थी कि उसकी आँखें बड़ी हो गईं और वह हैरानी से बोली, "तू रील्स पोस्ट कर रही है? सच में?"
आरोही सिर हिलाकर बोली, "हाँ।"
लावण्या बोली, "क्यों? तू तो कभी नहीं करती। यहाँ तक की फ़ोटो भी नहीं शेयर करती।"
आरोही बोली, "हाँ, नहीं करती। पर अभी से करूँगी। क्यों? तुझे कोई प्रॉब्लम है?"
लावण्या बोली, "नहीं, मुझे क्या प्रॉब्लम?"
आरोही जल्दी से रील्स पोस्ट करने लगी और फिर Netflix ऑन करते हुए बोली, "कौन सी मूवी देखें?"
लावण्या बोली, "तू झूठी में मक्कार, रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की।"
आरोही बोली, "मुझे तो श्रद्धा कपूर बहुत पसंद है और यह मूवी भी मुझे बहुत पसंद आई।"
लावण्या बोली, "ठीक है, तो तू मूवी ऑन कर। मैं पॉपकॉर्न और कुछ खाने को ले आती हूँ।"
आरोही सिर हिलाई तो लावण्या जल्दी से चली गई और कुछ देर बाद वापस आकर दोनों ने एक साथ मूवी एन्जॉय की।
रात का वक्त था। आरोही डिनर करके कमरे में आई और जल्दी से दरवाज़ा लॉक करके बेड पर लेटकर फ़ोन लेकर जैसे ही नेट ऑन किया, उसके फ़ोन में एक साथ कई सारे नोटिफ़िकेशन आने लगे।
आरोही सभी नोटिफ़िकेशन देखती है तो यह सभी Instagram से थे जहाँ उसकी सभी वीडियो वायरल हो गई थीं और उसके फ़ॉलोअर्स भी बहुत ज़्यादा हो गए थे, और साथ ही इनबॉक्स में बहुत सारे मैसेज भी थे।
आरोही सिर पकड़कर बोली, "यह सब क्या हुआ? वीडियो पोस्ट करते-करते यह वायरल हो गई।"
इतना कहकर वह जल्दी से सभी वीडियो डिलीट कर देती है और गहरी साँस छोड़कर बोली, "हो गई डिलीट।"
आरोही के इतना कहते ही उसकी फ़ोन बजती है। आरोही देखती है तो रेयांश का नंबर था, जिसे देख आरोही बहुत हैरान हुई और उसकी गला सूख गई।
आरोही डरते हुए बोली, "यह क्यों कॉल कर रहा है? कभी तो कॉल किया नहीं।"
वह हिम्मत करके कॉल रिसीव करती है तो उधर से रेयांश की कर्कश आवाज़ आती है, "2 मिनट में मेरे रूम में आओ।"
इतना कहते ही उधर से कॉल कट हो जाती है। आरोही रोने जैसा चेहरा बनाकर बोली, "अब मैंने क्या किया?"
इतना कहकर वह फ़ोन वहीं रखकर उदास होकर अपने कमरे से निकलकर रेयांश के कमरे की ओर जाने लगी।
रेयांश के कमरे में रेयांश सोफ़े पर बैठा एकटक अपने फ़ोन को घूर रहा था जहाँ एक वीडियो चल रही थी और यह वीडियो आरोही की ही थी जिसमें वह "अपने लवर को धोखा दो और मुझे भी डार्लिंग मौका दो" गाने पर डांस कर रही थी।
रेयांश वीडियो देख ही रहा था कि तभी दरवाज़े पर नॉक हुआ। तो रेयांश अपने फ़ोन को घूरते हुए ही बोला, "आ जाओ।"
आरोही डरते हुए अंदर आई और कुछ समझने से पहले रेयांश उसके हाथ में अपना फ़ोन पकड़ा देता है।
आरोही को कुछ समझ नहीं आता। वह रेयांश को देखती है जिसकी आँखें लाल थीं और वह उसे घूर रहा था। आरोही सिर झुकाकर फ़ोन को देखती है तो उसे कुछ समझ नहीं आता।
आरोही अपने डर को काबू करते हुए बोली, "य...यह तो मेरी रील है। म..."
आरोही के और कुछ कहने से पहले रेयांश उससे फ़ोन लेकर, उसके कुछ समझने से पहले, उसकी टी-शर्ट को पकड़कर खींच लेता है जिससे आरोही की टी-शर्ट सामने से बिल्कुल फाड़ जाती है और उसकी इनरवियर दिखने लगता है।
आरोही जल्दी से पीछे पलट जाती है तो रेयांश आरोही के बालों से पकड़कर बोला, "बहुत गर्मी है तुम में, हाँ?"
आरोही रोते हुए खुद को छुड़ाने की कोशिश करते हुए बोली, "आ...आप क्या कह रहे हैं? मुझे समझ नहीं आ रहा है? प्लीज़ मुझे छोड़..."
रेयांश आरोही के बालों से पकड़कर उसे अपनी ओर पलटाकर उसे अपने पास लाता है और आरोही की आँखों में देखते हुए बोला, "चलो आज तुम्हारी सारी गर्मी निकालता हूँ। मैं भी देखूँ तुम कितनी गर्मी सह सकती हो।"
इतना कहकर रेयांश आरोही को बालों से पकड़कर खींचते हुए कमरे से बाहर कहीं ले जाने लगा।
आरोही बुरी तरह से रो रही थी और कभी खुद के हाथों से खुद को छिपाने की नाकाम कोशिश तो कभी खुद को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी और चारों तरफ़ देख भी रही थी। उसे डर था कि कोई उसे ऐसे देख ना ले। अब तक उसकी टी-शर्ट का बाकी फटा हुआ हिस्सा भी गिर गया था और अब वह बस शर्ट्स और इनरवियर में थी। आरोही के रोने की आवाज़ सभी सुन पा रहे थे पर रेयांश ने निशांत और लावण्या के कमरे को बाहर से लॉक करके रखा था और सभी सर्वेंट को पहले ही बाहर जाने को मना किया था।
रेयांश आरोही को एक कमरे में लाकर सामने किसी गुड़िया की तरह फ़्लोर पर फेंक देता है जिससे आरोही की दर्द से चीख निकल जाती है। उसके पैर और हाथ में उसे बहुत चोट लगी थी।
दर्द के बावजूद आरोही अपने हाथों को खुद के सीने पर रखकर रेयांश की ओर पीठ देकर रोते हुए बोली, "मुझे नहीं पता मैंने क्या किया पर जो भी किया उसके लिए सॉरी। प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिये।"
आरोही के इतना कहते ही रेयांश बोला, "तेरी गलती यह है कि तू खुश है। मैं तुझे खुश नहीं देख सकता। मुझे तेरे चेहरे से यह खुशी गायब करना है।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही रोते हुए हैरानी से गर्दन घुमाकर रेयांश को देखती है तो उसकी आँखें खौफ़ से भर जाती हैं। रेयांश अपने कमर से बेल्ट निकाल रहा था।
आरोही अपने थूक निगलते हुए बोली, "आ...आप बेल्ट क...क्यों निकाल रहे...? आआआआआ..."
आरोही की बात पूरी होने से पहले रेयांश उसे बेल्ट से बेरहमी से मारना शुरू कर देता है और आरोही की दर्दनाक चीख पूरे कमरे में गूंजने लगती है पर आवाज़ बाहर नहीं जा रही थी क्योंकि कमरा साउंडप्रूफ़ था।
आरोही दर्द से रोते हुए बोली, "आआआ...प्लीज़ मुझे मत मारिये...आआआ...प्लीज़ मुझे...आआआआआ..."
आरोही को रेयांश लगातार मार रहा था और आरोही बुरी तरह से चिल्लाती रही और उसकी चीखें रेयांश को सुकून देती रहीं।
2 घंटे बाद रेयांश शांत होता है और आरोही को देखता है तो आरोही बेहोश हो गई थी। आरोही बहुत पहले ही दर्द सहन करने में असमर्थ होने के कारण बेहोश हो गई थी पर रेयांश उसे मारने में इतना बिज़ी था कि उसे होश ही नहीं रहा।
रेयांश गुस्से में आरोही को घूरने लगा। आरोही की पूरी बॉडी लहूलुहान हो गई थी। उसके चेहरे को छोड़कर पूरी बॉडी में रेयांश ने उसे मारा था और जहाँ-जहाँ उसने मारा था वहाँ-वहाँ से खून निकल रहा था। उसका चेहरा पीला पड़ गया था।
पर मासूम सी आरोही को ऐसे देखकर भी रेयांश को उस पर दया नहीं आती। रेयांश अपने लेफ्ट हैंड से एक व्हाइट लेयर आरोही के ऊपर फेंकता है जिसके साथ ही आरोही के ऊपर ठंडे बर्फीले पानी गिरती है जिससे आरोही को होश तो आ जाता है पर वह हिल भी नहीं पाती और फिर से दर्द से उसकी आँखों से आँसू गिरने लगते हैं।
क्या कोई बचाएगा मासूम सी आरोही को रेयांश के हाथ से? क्या रेयांश के टॉर्चर सहते-सहते आरोही सच में अपनी मुस्कराहट खो देगी? क्या होगा अब आगे इस कहानी में? जानने के लिए पढ़िए "Falling in love with Devil"
To be continue...
Crash queen ⭐👑
आरोही रो रही थी। उसके चेहरे के सामने रेयांश जाकर अपने एक पैर को मोड़कर बैठ गया। इसे देख आरोही ने धीरे से आँखें उठाकर रोते हुए रेयांश को देखा।
रेयांश ने आरोही को कंधे से पकड़कर सीधा किया क्योंकि आरोही अभी तक उल्टी लेटी हुई थी। रेयांश के ऐसा करने से आरोही को और तेज दर्द हुआ।
रेयांश ने आरोही के आँसुओं को देख डेविल स्माइल के साथ उसके ऊपर झुककर उसकी आँखों को चूमा। इससे आरोही ने आँखें बंद कर लीं। उसके शरीर में एक ठंडी सी सनसनी दौड़ गई।
रेयांश ने आरोही की दोनों आँखों में और फिर दोनों गालों में किस किया। "तुम्हारे ये आँसू मेरे दिल को सुकून देते हैं," उसने कहा।
आरोही और ज़्यादा रोने लगी। तो रेयांश आगे बोला, "तुम सोच रही हो ना मैं एक राक्षस हूँ, डेविल हूँ?" वह आरोही के होठों के करीब जाकर बोला, "तुम बिल्कुल सही सोच रही हो, मैं डेविल ही हूँ, falling in love with Devil, हाह!"
रेयांश की हँसी इतनी डरावनी थी कि आरोही की रूह काँप उठी। आरोही वहाँ से उठकर भागना चाहती थी, पर वह यह भी नहीं कर पा रही थी। उसमें हिलने तक की ताकत नहीं बची थी और शरीर का असहनीय दर्द उसे सहने नहीं दे रहा था।
आरोही ने रेयांश के हँसते हुए चेहरे को देखकर हल्की मुस्कान के साथ कहा, "आपको मेरी खुशी से प्रॉब्लम है तो सॉरी। मैंने खुश रहना सीखा है और आप मुझे जितना भी टॉर्चर करें, मैं हमेशा खुश रहूँगी, मुस्कुराती रहूँगी। और एक बात जान लीजिये, जो दूसरों की खुशी से जलते हैं, वे एक दिन खुद जलकर राख बन जाते हैं।"
रेयांश, जो आरोही की बात सुनकर हँसना बंद करके उसे घूर रहा था, वह गुस्से में बोला, "मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता लोग कैसे हैं, हैप्पी या सैड। मुझे बस तुम्हारी खुशी से फ़र्क पड़ता है और जलन, माई फ़ूट।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही उसे देखकर हल्की मुस्कान के साथ कुछ कहने ही वाली थी कि रेयांश ने उसके गले पर अपना हाथ डालकर उसके होठों पर अपने होठ रख दिए। इससे आरोही ने अपनी आँखें कसकर मींच लीं।
रेयांश बुरी तरह आरोही के होठों को चबाकर अपना गुस्सा उतार रहा था।
7 मिनट बाद रेयांश ने आरोही के होठों को छोड़ा और उसके गले को दबाते हुए बोला, "मुझसे जुबान लड़ाने की हिम्मत भी कैसे की?"
आरोही डरते हुए रेयांश के गुस्से से लाल, आकर्षक और डरावने चेहरे को देख रही थी। रेयांश ने आरोही को छोड़ते हुए कहा, "सोचा था और टॉर्चर नहीं करूँगा, पर तुमने मुझसे जुबान लड़ाने की हिम्मत की है तो सज़ा भी मिलनी चाहिए।"
आरोही रोते हुए रेयांश को देखकर उससे बिनती करते हुए बोली, "प्लीज़, मुझे बहुत ज़्यादा दर्द हो रहा है। मुझे ऐसे छोड़कर मत जाइए, मैं मर जाऊँगी। प्लीज़, मेरे साथ और कुछ मत कीजिए। सॉरी, मुझसे गलती हो गई। फिर कभी मैं आपके सामने बात भी नहीं करूँगी। प्लीज़।"
पर रेयांश आरोही की एक भी बात नहीं सुना और कमरे में हीटर ऑन करके कमरा लॉक करके चला गया।
आरोही रोते हुए बस दरवाज़े को देख रही थी क्योंकि वह दर्द से हिल भी नहीं पा रही थी। धीरे-धीरे आरोही का चेहरा और शरीर लाल होने लगा। आरोही बुरी तरह से पसीने से लथपथ हो गई क्योंकि हीटर ज़रूरत से कई गुना ज़्यादा गरम था।
आरोही को अपनी आँखों के सामने अंधेरा दिखने लगा और वह एक बार फिर बेहोश हो गई।
सुबह का वक्त था। आरोही के कमरे में आरोही बेड पर लेटी थी। उसके ऊपर ब्लैंकेट डाला हुआ था। उसके पास ही लावण्या बैठी थी। कुछ देर बाद आरोही को धीरे-धीरे होश आया। लावण्या ने उसे देखा। आरोही ने आँखें खोलते ही लावण्या को देख मुस्कुराते हुए कहा, "क्या बात है लावु तू? आहह!"
आरोही बात करते हुए उठने की कोशिश कर रही थी, तभी उसे अपने शरीर में असहनीय दर्द हुआ। वह फिर से बेड पर लेट गई। उसे कल रात की सभी बातें याद आईं और उसकी आँखों से आँसू गिर गए।
आरोही को ऐसे देख लावण्या, जिसकी आँखें नम थीं, अब रोते हुए बोली, "आरू, तेरी ये हालत रेयांश ब्रो ने की है ना? तुझे इतनी बुरी तरह से पीटा।"
आरोही उठने की कोशिश करते हुए बोली, "जाने दे ना, जो होना था हो गया। और वह तो हमेशा मुझे परेशान करते हैं।"
लावण्या ने आँखों से आँसू पोंछते हुए कहा, "इसे परेशान करना नहीं, टॉर्चर करना कहते हैं। मैं अभी सब दादाजी को बताती हूँ। वह नहीं हैं तो रेयांश ब्रो किसी जानवर कि तरह..."
आरोही जल्दी से बोली, "नहीं प्लीज़, दादाजी को कुछ मत बताना।"
लावण्या, "क्यों नहीं बताऊँ? और तू क्यों चुप है? हमेशा तो तू ही सब बता देती है रेयांश भैया जो भी करते हैं, पर अभी क्यों चुप है? और मुझे मना भी कर रही है।"
आरोही को रेयांश की ब्लैकमेलिंग याद आई और वह जल्दी से बोली, "आरे, अभी दादाजी एक काम पर गए हैं तो अभी अगर ये सब बताएगी तो वह काम छोड़कर आ जाएँगे, इसीलिए।"
लावण्या ने आँखें छोटी करके पूछा, "बस इसीलिए?"
आरोही ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, और दादाजी के आते ही मैं उनको सब बताऊँगी।"
लावण्या, "पक्का?"
आरोही, "पक्का (फिर कुछ सोचकर) मैं तो 5th फ़्लोर के किसी कमरे में थी, तो मैं यहाँ कैसे आई? तू तो मुझे अकेली ला नहीं सकती। क्या निशांत भैया..."
लावण्या, "मुझे नहीं पता। सुबह जब मैं तेरे कमरे में आई, तब मैंने तुझे ऐसे देखा।" इतना कहकर लावण्या की आँखें फिर से नम हो गईं। तो आरोही ने भी रोने जैसी सूरत बनाकर कहा, "यार, मैं अगर ऐसे बेड पर पड़ी रहूँगी तो कॉलेज कैसे जाऊँगी? 2 दिन बाद कॉलेज है। मुझे कॉलेज के पहले दिन कॉलेज जाना है।"
लावण्या ने उसे घूरते हुए कहा, "तेरी ये हालत है और तुझे कॉलेज की पड़ी है?"
आरोही ने सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, क्योंकि इस कॉलेज में जाने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है।"
लावण्या अचानक रोने लगी, तो आरोही ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उठकर बैठ गई और लावण्या के आँसू पोंछते हुए कहा, "क्या हुआ? तू रो क्यों रही है?"
लावण्या, "तेरी क्या हालत कर दी है ब्रो ने, पर फिर भी तुझे देखकर तेरे दर्द का पता नहीं चल रहा। मैं ब्रो की होकर तुझसे सॉरी।"
आरोही जल्दी से बोली, "आरे आरे, रोना बंद कर लावु, और सॉरी क्यों कह रही है? तेरी कोई गलती नहीं है। और जहाँ मैं खुश हूँ, तू क्यों रो रही है!" लावण्या आरोही को देखती है जो मुस्कुरा रही थी। कुछ देर बाद धीरे-धीरे लावण्या सामान्य हुई और एक मेड भी उन दोनों के लिए खाना लेकर आ गई।
मेड ने ऑइंटमेंट की तरफ इशारा करते हुए कहा, "ये सर ने मैडम के हर ज़ख्म पर लगाने को कहा है।"
लावण्या ने सिर हिलाते हुए कहा, "ओके, मैं लगा दूँगी।"
मेड चली गई, तो आरोही बोली, "मैं खुद लगा लूँगी।"
लावण्या, "तेरी प्रॉब्लम क्या है?"
आरोही, "तुझे पता है।"
लावण्या ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "तू अकेली नहीं लगा सकती।"
आरोही, "लगा सकती हूँ।"
बहुत कहने के बाद भी आरोही नहीं मानी, तो लावण्या को ही हार माननी पड़ी। दोनों ने एक साथ ब्रेकफास्ट किया। फिर लावण्या कमरे से चली गई। आरोही ठीक से बैठकर खुद को देखती है तो उसने पिंक टी-शर्ट और बाइट लोअर पहनी हुई थी।
गहरी साँस छोड़कर आरोही ने अपनी टी-शर्ट और लोअर उतारी तो उसने इनरवियर कल वाला ही पहना हुआ था जिसमें खून के धब्बे थे।
आरोही खुद से बोली, "मुझे कपड़े किसने पहनाए? लावण्या ने!"
इतना सोचकर उसने अपना सिर झटककर ज़ख्मों पर मरहम लगाना शुरू किया।
रेयांश के कमरे में रेयांश सिगरेट का कश लेते हुए अपने चेहरे पर डेविल स्माइल लाकर दूसरे हाथ में आरोही की फ़ोटो देख रहा था जिसमें आरोही मुस्कुराते हुए लावण्या के बाल खींच रही थी।
रेयांश ने सिगरेट को आरोही के होठों पर रख दिया जिससे फ़ोटो में उसके होठ जलने लगे।
रेयांश फिर से सिगरेट पीते हुए बोला, "ये तो कुछ भी नहीं, आरोही मिश्रा, आगे आगे देखो तुम्हारे साथ मैं और क्या-क्या करता हूँ?"
निशांत अंदर आते हुए बोला, "क्यों कर रहा है तू उसके साथ ऐसा? क्या बिगाड़ी है उस फूल जैसी मासूम आरोही ने तेरा?"
रेयांश निशांत को देखकर बहुत गुस्सा हुआ। "तुझे क्या? तुझे वह पसंद है? पर तेरा कोई चांस नहीं है, एक रात का भी नहीं।"
निशांत रेयांश के पास आकर उसके कॉलर पकड़ उसे खड़ा करते हुए बोला, "मैं उसे अपनी बहन समझता हूँ।"
रेयांश ने अपना कॉलर छुड़ाकर निशांत के गले को पकड़ लिया। "तू मेरे साथ कुछ भी कर सकता है, पर मेरे और उसके बीच कभी मत आना।"
निशांत खुद को छुड़ाते हुए बोला, "तू जानवर बन गया है।"
रेयांश हँसते हुए बोला, "बन गया हूँ मतलब? मैं तो जानवर ही हूँ। तू खुद को भूल सकता है, मैं नहीं।"
निशांत ने गहरी साँस छोड़कर कहा, "बहुत हो गया। अब उसको शांति दे, प्लीज़। कल तूने हद पार कर दी है।"
रेयांश, "मैं पूरी ज़िंदगी तो क्या, उसके मरने के बाद भी उसे शांति नहीं दूँगा। और अभी भी मैंने कुछ किया ही नहीं।"
निशांत, "तूने कल उसको पीटा, इसलिए ना क्योंकि उसने रील्स बनाया था जिस पर बहुत लोगों ने उसे लव यू कॉमेंट किया था, उसकी तारीफ़ की थी, इसलिए ना?"
रेयांश ने सिगरेट फेंककर अपने पैरों से मसल दिया। "नहीं, वह बहुत खुश थी इसलिए, और मैं उसे खुश नहीं देख सकता।"
निशांत, "एक दिन ज़रूर आएगा जब तुझे पछताना पड़ेगा उस मासूम के साथ ऐसा करने के लिए।"
रेयांश, "मैं पछताने के लिए कोई काम नहीं करता और जो करता हूँ उसके लिए कभी नहीं पछताता।"
निशांत ने गहरी साँस छोड़कर कमरे से चला गया। और उसके जाते ही रेयांश भी कमरे से निकलकर आरोही के कमरे की ओर चला गया।
क्या आरोही कॉलेज के पहले दिन कॉलेज नहीं जा पाएगी? क्या आरोही यशवर्धन जी को रेयांश के टॉर्चर के बारे में बताएगी? क्या कभी रेयांश को पछतावा होगा? रेयांश आरोही के कमरे की ओर क्यों जा रहा है? क्या वह फिर से उस मासूम को टॉर्चर करेगा? जानने के लिए पढ़िए "falling in love with Devil"।
To be continue
Crash queen ⭐👑
आरोही के कमरे में
आरोही ने लगभग हर जख्म पर मरहम लगा दिया था। अजीब तरह से, जहाँ भी वह मरहम लगा रही थी, वहाँ से जख्म का दर्द और जख्म दोनों ही बिल्कुल मिटते जा रहे थे। पर इससे आरोही बिल्कुल शॉक नहीं हो रही थी। ऐसा लग रहा था कि उसके लिए यह सब नॉर्मल था।
आरोही अपनी पीठ पर मरहम लगाने की कोशिश करते हुए बोली, "अब मैं हाथ पीछे कैसे ले जाऊँ? यार, अब तो लावु को बुलाना ही पड़ेगा।"
इतना कह ही रही थी कि कमरे का दरवाज़ा खुला। क्योंकि कमरा अंदर से लॉक नहीं था, आरोही हैरान नहीं हुई और वैसे ही बैठी बोली, "लावु, तू है? यार, यह मरहम पीठ पर लगा दे, मेरा हाथ नहीं जा रहा।" इतना कहकर उसने जल्दी से लोअर पहन लिया और फिर से बेड पर बैठकर बोली, "जल्—"
इतना कह ही रही थी कि उसे अपनी पीठ पर किसी का स्पर्श महसूस हुआ। वह चौंक गई क्योंकि यह स्पर्श लावण्या का नहीं था। जिसका था, उसे वह अच्छी तरह जानती थी—यह रेयांश का स्पर्श था।
आरोही जल्दी से उठने की कोशिश करती है, तो रेयांश उसे कंधे से पकड़कर जबरदस्ती बिठा देता है। आरोही की फिर से उठने की हिम्मत नहीं हुई।
कुछ देर बाद रेयांश आरोही के कान में पीछे से किस करके बोला, "तुम बहुत हॉट हो।"
आरोही जल्दी से बेड से उतरकर टी-शर्ट से अपने सीने को छुपाते हुए सिर नीचे कर लेती है। वह डर से काँप रही थी। उसे देखकर रेयांश के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है।
रेयांश आरोही के पास आते हुए बोला, "तुम्हारा यह डर मुझे बड़ा पसंद है।"
आरोही पीछे हटते हुए मन में सोचती है, "क्या अब फिर से मुझे मारेंगे?" इतना सोचते ही उसकी बॉडी डर से ठंडी पड़ जाती है। उसे कल रात से लेकर आज कुछ देर पहले तक के दर्द की याद आती है और उसके शरीर में दर्द की एक लहर दौड़ जाती है।
आरोही जल्दी से हाथ जोड़कर बोली, "प्लीज, प्लीज मुझे मत मारना। आप जो कहेंगे मैं करूँगी। प्लीज मुझे मत मारना।"
रेयांश अपना हाथ आगे करके आरोही की कमर पकड़ उसे अपने पास खींच लेता है। "मैं तुम्हें अभी मारने नहीं, प्यार करने आया हूँ।"
आरोही रेयांश को देखती है। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। रेयांश आरोही के होंठों को अपने गिरफ्त में ले लेता है। इससे आरोही की आँखें बड़ी-बड़ी हो जाती हैं, पर वह रेयांश के डर से उसे रोकने की कोशिश नहीं करती।
रेयांश बुरी तरह से आरोही के होंठों पर काटने लगता है। आरोही की आँखों से आँसू गिर रहे थे, पर फिर भी वह रेयांश को नहीं रोकती।
लगभग 10 मिनट बाद रेयांश आरोही को छोड़ देता है और उसके होंठों को देखता है जिनमें खून आ गया था और वे बुरी तरह सूज गए थे। रेयांश आरोही के होंठों पर एक बार फिर काटते हुए कहता है, "मैं आज विला नहीं आऊँगा और कल आते-आते शाम हो जाएगी।"
रेयांश की बात सुनकर आरोही के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। इसे देखकर रेयांश आँखें छोटी करके उसे घूरने लगता है। आरोही जल्दी से अपना सिर झुकाकर अपनी खुशी को छुपाने लगती है।
रेयांश कुछ देर उसे घूरकर कहता है, "कल सुबह ग्रैंडपा आ रहे हैं, तो मेरे आने तक तुम उनको यह कहकर रखना कि तुम मुझसे प्यार करती हो।"
आरोही हैरानी से रेयांश को देखती है। रेयांश आँखें छोटी करके कहता है, "ऐसे क्या देख रही हो? नहीं कहना क्या?"
आरोही जल्दी से कहती है, "मैं कह दूँगी।"
रेयांश आरोही की कमर पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए कहता है, "ऐसे कहना कि उनको भरोसा हो कि तुम सच में मुझसे प्यार करती हो, ओके।"
आरोही कुछ नहीं कहती। रेयांश उसके कमर से हाथ हटाकर जाने लगता है। आरोही को अचानक मुस्कान की बातें याद आती हैं और वह पूछती है, "क्या आप मुझसे प्यार करते हैं?"
रेयांश आरोही की बात सुनकर उसे देखता है। उसकी आँखों में हैरानी साफ दिख रही थी। रेयांश को देखते ही आरोही आँखें नीचे कर लेती है।
रेयांश आरोही को देखकर मन में सोचता है, "यह लड़की आठवीं अजूबी है। मैं इसे इतना टॉर्चर करता हूँ और इसे लगता है कि मैं इससे प्यार करता हूँ। इसकी फ्यूज उड़ी हुई है क्या?"
इतना मन में कहकर रेयांश आरोही को घूरकर कहता है, "तुम्हें ऐसा क्यों लगा कि मैं तुमसे प्यार करता हूँ? मैं तुम्हें इतना टॉर्चर करता हूँ, इसीलिए?"
आरोही कुछ नहीं कहती। वह सिर झुकाकर मन में सोचती है, "आरू, क्या ज़रूरत थी तुझे ऐसे यह पूछने की?"
रेयांश आरोही को चुप देख उसके करीब आते हुए चिल्लाकर कहता है, "मैंने कुछ पूछा है!"
आरोही काँपते हुए जल्दी से कहती है, "ब-ब-ब-बहुत बार आप मुझे किस करते हैं, इसलिए मुझे पता है कि अगर हम किसी से प्यार करते हैं, तभी हम उसे किस करते हैं।"
रेयांश आरोही को कुछ देर घूरकर कहता है, "आई एंड ई, मुझसे ऐसे घटिया सवाल मत करना। और मुझे तुमसे नफ़रत है, प्यार नहीं, और वह कभी हो भी नहीं सकता।"
इतना कहकर रेयांश चला जाता है। उसके जाते ही आरोही दिल पर हाथ रखकर कहती है, "बच गई! पर यह मुझसे इतनी नफ़रत क्यों करता है? मैंने ऐसा भी क्या किया?"
इतना कहकर वह उदास हो जाती है, फिर खुश होकर कहती है, "वैसे एक बात तो अच्छी है, वह मुझसे प्यार नहीं करता। तो अगर मैं किसी के साथ रिलेशनशिप में जाऊँ, तो वह मुझे उसके लिए टॉर्चर नहीं करेगा।"
इतना कहकर आरोही खुश होकर वाशरूम में चली जाती है।
वहीं, रेयांश अपनी स्पोर्ट्स कार लेकर निकल गया था। वह सीधा एक 4BHK फ़्लैट के आगे रुकता है और आसपास देखे बिना सीधा अंदर जाकर लिफ़्ट में चढ़ जाता है।
कुछ देर में लिफ़्ट रुकता है और रेयांश बाहर आकर सीधा एक दरवाज़े के पास आकर घंटी बजाता है। कई बार घंटी बजाने के बाद अंदर से एक शख्स दरवाज़ा खोलता है। उसे देखकर लग रहा था कि वह अभी नींद से जगा है। पर रेयांश को देखकर उसका सारा नींद गायब हो जाता है और वह जल्दी से दरवाज़ा बंद करने लगता है। पर दरवाज़ा बंद करने से पहले रेयांश दरवाज़े पर लात मारता है, जिससे दरवाज़ा टूट जाता है और वह आदमी दूर फ़्लोर पर गिरता है।
रेयांश उसके पास आते हुए कहता है, "मिस्टर मूर्ति, आप इतना डर क्यों रहे हैं?"
मिस्टर मूर्ति, "म-म-मैंने कुछ नहीं किया है। मुझे जाने दीजिए।"
रेयांश उसके पास आकर उसे खड़ा करते हुए कहता है, "आरे, इतना घबरा क्यों रहे हैं? शांत हो जाइए और बताइए आपके साथ और कौन-कौन था? और किसलिए आप लोगों ने यह किया?"
मिस्टर मूर्ति डरते हुए, "मैंने कुछ नहीं किया। मुझे कुछ नहीं पता।"
रेयांश दाँत पीसते हुए, "मैं अच्छे से पूछ रहा हूँ तो जवाब दो। अगर मैं—"
मिस्टर मूर्ति, "म-मिस्टर शुक्ला और मैंने किया क्योंकि—"
रेयांश उसके गले को पकड़ लेता है, "क्योंकि तुम लोग सोच रहे थे कि मैं गँधा हूँ, कुछ समझ नहीं पाऊँगा और मर जाऊँगा।"
मिस्टर मूर्ति डर से रोने लगते हैं, पर रेयांश उनके रोने को इग्नोर करके टेबल पर रखे फ़्रूट कटर से उनके गले को काट देता है। कुछ देर तड़पने के बाद वह मर जाते हैं।
रेयांश उनके शरीर को देखे बिना वहाँ से निकल जाता है।
मुस्कान सड़क किनारे खड़ी बार-बार घड़ी में समय देख रही थी। मुस्कान इरिटेट होकर कहती है, "यह लड़की क्या कर रही है? अब तक नहीं आई? क्या यह भूल गई कि आज हमें कहाँ जाना है?"
इतना कहकर वह फ़ोन निकाल आरोही को कॉल करती है। उधर से आरोही कॉल रिसीव करके कहती है, "सॉरी मुक्कू, मैं भूल ही गई थी। तूने कॉल किया तो याद आई। यार, तू पहले कॉल करती ना मुझे! गँधी पागल कहीं की! अब कुछ देर वेट कर, मैं आ रही हूँ।"
इतना कहकर उधर से कॉल कट हो जाता है। मुस्कान फ़ोन को घूरते हुए कहती है, "ग़लती मेरी थी क्या? जो इसने मुझे इतना सुना दिया, कुछ कहने भी नहीं दिया।"
इतना कहकर वह गहरी साँस छोड़कर वहीं एक पैर के नीचे बैठ जाती है।
1 घंटे बाद आरोही आती है। आरोही मुस्कान का हाथ पकड़ खींचते हुए कहती है, "चल, चल, हमें लेट हो गया है और तू यहाँ बैठी है।"
मुस्कान मुँह बनाकर कहती है, "खुद लेट किया और अब ऐसे कह रही है जैसे मैंने लेट किया।"
आरोही जल्दी से आगे बढ़ते हुए कहती है, "ग़लती तेरी है, तुझे मुझे कॉल करना चाहिए था पहले ही।"
मुस्कान आरोही को घूरते हुए कहती है, "हाँ, अब अगर भूकंप भी आए फिर भी तू कहेगी ग़लती मेरी है।"
आरोही मुस्कान की बात को इग्नोर करके आगे जाने लगती है। मुस्कान भी मुँह बनाकर उसके पीछे-पीछे जाने लगती है।
दादाजी के आने के बाद आरोही क्या करेगी? क्या आरोही रेयांश ने उसके साथ जो किया वह कह देगी या फिर रेयांश ने जो कहा वह कहेगी? क्यों मिस्टर मूर्ति और मिस्टर शुक्ला रेयांश को मारना चाहते हैं? जानने के लिए पढ़िए...
😈"Falling in love with Devil"😈😈
आरोही और मुस्कान कुछ ही देर में एक 7 स्टार होटल, रेड चिल्ली के बाहर खड़ी थीं।
मुस्कान होटल को देखकर बोली, "आरू, मैं श्योर हूँ क्योंकि मुझे पैसों की ज़रूरत है, पर क्या तू श्योर है?"
आरोही मुस्कान को देखकर मुस्कुराई, "अगर श्योर ना होती तो यहाँ आती क्यों? मैं भी श्योर हूँ और वैसे भी कोई काम छोटा नहीं होता, सभी कामों की अपनी-अपनी वैल्यू होती है।"
मुस्कान मुस्कुराई और दोनों अंदर चली गईं।
***
कुछ समय बाद, लावण्या रेडी होकर बाहर जा रही थी। तभी निशांत ने पूछा, "कहाँ जा रही है?"
लावण्या पीछे पलटकर निशांत को देखते हुए बोली, "घूमने जा रही हूँ।"
निशांत सोफे पर बैठकर एक सेब खाते हुए बोला, "किसके साथ?"
लावण्या ने कहा, "आरोही और मुस्कान के साथ। आते-आते लेट हो जाएँगी।"
निशांत ने सिर हिलाकर कहा, "ओके। पर कल ग्रैंडपा आ रहे हैं, यह याद रखना।"
लावण्या ने सिर हिलाया और जल्दी से बाहर निकल गई।
उसके जाने के बाद भी निशांत वहीं बैठा रहा। कुछ देर बाद वहाँ एक आदमी आया। निशांत उस आदमी को देखकर बोला, "आप अभी यहाँ? चाची कहाँ हैं? कब आए आप लोग?"
आदमी आकर निशांत के पास बैठ गया। "सुना है रेयांश अपने बदले के पीछे पागल हो गया है और उसने अब असली मायने में अपना बदला लेना शुरू कर दिया है।"
निशांत ने कहा, "आप क्यों कुछ नहीं कहते उसे चाचू? वह उस मासूम के साथ गलत कर रहा है।"
सामने बैठा आदमी, जो बहुत ज़्यादा रौबीला था, उन्हें देखकर लग रहा था कि वह अपने समय में बहुतों के दिलों की धड़कनें तेज करता रहा होगा। उनका झाँक अभी भी उनके चेहरे पर था। वह बहुत ही हैंडसम थे। उनकी उम्र करीब 50 के आसपास होगी। यह रेयांश का पिता, राजेंद्र ओबेरॉय था।
राजेन्द्र जी ने निशांत को देखकर कहा, "तुम्हें लगता है वह मेरी बात मानेगा?"
निशांत ने कहा, "आप कोशिश तो कर सकते हैं।"
राजेन्द्र जी बोले, "क्यों मिस्टर यशवर्धन ओबेरॉय अपने पोते के कारनामे के बारे में नहीं जानता क्या? कहाँ है वह?"
इतना कहकर वे चारों तरफ देखने लगे। तब निशांत ने कहा, "चाचू, ग्रैंडपा घर नहीं हैं, काम से गए हैं।"
राजेंद्र जी, "अच्छा, वह लड़की कहाँ है?"
निशांत, "घूमने गई है।"
राजेंद्र जी उठते हुए बोले, "मैं ऑफिस जा रहा हूँ। तुम्हारी चाची कुछ देर में आएंगी।"
निशांत, "चाचू, एक बात पूछूँ?"
राजेंद्र जी रुककर पीछे पलटकर निशांत को देखते हैं। तब निशांत ने पूछा, "आप लोग आरोही को क्यों पसंद नहीं करते?"
राजेंद्र जी खाली नज़रों से निशांत को कुछ देर देखकर कुछ बोले बिना मंज़िल से बाहर चले गए। जिससे निशांत निराशा में अपना सिर झुका लेता है क्योंकि जितनी बार भी उसने यह पूछा था उतनी ही बार सभी ने इसे इग्नोर कर दिया था।
निशांत निराश होकर वहाँ से अपने रूम की ओर चला गया।
***
वहीं दूसरी तरफ, आरोही, मुस्कान, लावण्या सड़क किनारे टहल रही थीं। आरोही जो बीच में थी, अचानक मुस्कान और लावण्या के हाथ कसकर पकड़कर सामने खींचते हुए ले जाने लगी।
लावण्या और मुस्कान एक साथ बोलीं, "तू हमें कहाँ लेकर जा रही है ऐसे?"
आरोही आगे बढ़ते हुए बोली, "चल तो फिर दिखाते हैं।"
इतना कहकर वह उन दोनों को ले जाने लगी। कुछ ही देर में तीनों एक मोमो स्टॉल में आ गईं, जिसके साथ पानीपुरी का भी स्टॉल था।
आरोही बोली, "चल, मोमोज़ और पानीपुरी खाते हैं। आज ट्रीट मैं दूँगी।"
लावण्या ने कहा, "मोमोज़ खा लूँगी पर पानीपुरी नहीं, मेरे पिंपल्स आ जाएँगे।"
आरोही मुँह बनाकर बोली, "कुछ नहीं होगा। एक ही दिन तो खाएगी, चल।"
लावण्या ने सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं-नहीं, आई हेट पिंपल्स। मुझे नहीं खानी पानीपुरी।"
आरोही, "तुझे खानी ही होगी।"
मुस्कान आरोही को देखकर बोली, "आरू, तू क्यों अपने पैसे उड़ाना चाहती है?"
आरोही मुस्कान को देखकर बोली, "मैं अपने पैसे कहाँ उड़ा रही हूँ? मैंने बस दादाजी के लिए एक पेन लिया है और सभी मिलकर मोमोज़ और पानीपुरी खाएँगे। और वैसे भी आज मैंने पहली बार कोई काम किया जिसकी सैलरी मुझे मिली, तो इसे मैं अपनी तरह खर्च करना चाहती हूँ।"
अब लावण्या और मुस्कान कुछ नहीं कहतीं। तीनों पहले पानीपुरी खाती हैं, जिसमें सबसे कम लावण्या, फिर मुस्कान और फिर सबसे ज़्यादा आरोही खाती है।
पानीपुरी खाकर तीनों मोमोज़ खाने लगती हैं कि तभी आरोही का फ़ोन बजता है।
आरोही कॉल रिसीव करती है तो उधर से एक औरत की घबराई हुई आवाज़ सुनाई देती है, "आरू, प्लीज़ तुम अभी आश्रम आ जाओ।"
आरोही चेयर से उठकर डरते हुए बोली, "क-क-क्या हुआ आंटी? आप इतनी डरी हुई क्यों हैं? आरू ठीक है ना? और बाकी बच्चे सभी?"
उधर से निलम जी, "कुछ ठीक नहीं है बेटा, आरू फिर से बेहोश हो गई है। उसे होश नहीं आ रहा।"
आरोही, "आप लोग डॉक्टर बुलाइए, मैं अभी आ रही हूँ।"
इतना कहकर आरोही जल्दी से मोमोज़ का पेमेंट करके मुस्कान और लावण्या को देखकर बोली, "लावू, तू घर चली जाना। मैं आज रात नहीं आऊँगी। सबको कह देना मैं आश्रम गई हूँ। और मुक्कू, तू भी घर जा, दादीजी अकेली नहीं रह पाएँगी।"
मुस्कान डरते हुए बोली, "पर हुआ क्या? तू इतनी घबराई हुई क्यों है? सब ठीक है ना वहाँ?"
आरोही, "मैं तुझे सब बाद में बताऊँगी। तू अभी घर जा और घबरा मत, मैं अकेली सब संभाल लूँगी।"
इतना कहकर आरोही जल्दी से वहाँ से टैक्सी पकड़कर आश्रम की ओर चली जाती है।
कुछ ही देर में टैक्सी आश्रम के बाहर रुकती है और आरोही, जिसने पहले ही पेमेंट कर दिया था, वह जल्दी से टैक्सी से उतरकर अंदर जाती हुई कहती है, "अंकल, आप यहीं रुकिए।"
इतना कहकर वह अंदर चली जाती है और जल्दी से एक रूम में जाकर सभी को साइड करके आगे जाकर डॉक्टर, जो आरू को चेक कर रहे थे, उनको देखकर कहती है, "डॉक्टर, आरू कैसी है? और उसके रिपोर्ट में क्या आया है? क्या हुआ उसे?"
आरोही की आवाज़ सुनकर सभी उसे देखते हैं। एक औरत सभी बच्चों को उस रूम से बाहर ले जाती है। तब डॉक्टर कहते हैं, "आरू को ब्रेन ट्यूमर है जिसका अब जल्द ही ऑपरेशन ज़रूरी है।"
आरोही आँखें बड़ी-बड़ी करके बोली, "क-क-क्या? ब्रेन ट्यूमर?"
डॉक्टर, "हाँ, और मेरी मानो तो अभी उसे हॉस्पिटल एडमिट कर दो। आरू के पास ज़्यादा टाइम नहीं है। अगर जल्दी ऑपरेशन नहीं हुआ तो आरू बच नहीं पाएगी।"
आरोही की आँखों में आँसू आ जाते हैं और वह बेड पर सो रही आरू को देखकर कहती है, "मैं आज ही उसे हॉस्पिटल एडमिट करूँगी और कल ऑपरेशन होगा।"
डॉक्टर, "ओके, तो मुझे सारे अपडेट्स देते रहना।"
आरोही सिर हिलाती है और आरू को गोद में लेकर रूम से निकलती है। जिसे देखकर निलम जी पूछती हैं, "तुम आरू को लेकर कहीं जा रही हो क्या?"
आरोही सिर हिलाकर कहती है, "हाँ, हॉस्पिटल। कल उसकी ऑपरेशन है।"
सभी हैरानी से कहते हैं, "कल?"
आरोही सिर हिलाती है। तो सारे बच्चे आरोही को घेरकर कहते हैं, "आरू दीदी, आरू ठीक हो जाएगी ना? उसे क्या हुआ है?"
आरोही सभी को देखकर कहती है, "आरू बिल्कुल ठीक हो जाएगी। मैं प्रॉमिस करती हूँ, वह ठीक होकर बहुत जल्द आश्रम आएगी।"
सभी खुश हो जाते हैं और आरोही और निलम जी आरू को लेकर हॉस्पिटल के लिए निकल जाते हैं।
***
वहीं रेयांश क्लब के एक प्राइवेट रूम में बैठकर ड्रिंक कर रहा था और उसके सामने दो हैंडसम लड़के बैठे थे। एक लड़का जिसकी आँखें ग्रे थीं, गोरा रंग, मस्कुलर बॉडी, गुलाबी होंठ, सिल्की जेल से सेट किए हुए बाल, ब्लू ट्रांसपेरेंट शर्ट में वह कमाल लग रहा था। यह आर्थिक कपूर था।
दूसरा लड़का जिसकी हल्की ब्लू आँखें थीं, साँवला रंग, मस्कुलर बॉडी, हल्के बदामी होंठ, घुंघराले सिल्की बाल, जो अभी येलो कलर के शर्ट में बहुत हैंडसम लग रहा था। यह मानस चौधरी था।
तीनों ही अब तक बहुत ज़्यादा ड्रिंक कर रहे थे। फिर आर्थिक और मानस एक-दूसरे को देखकर कुछ इशारा करते हैं और मानस कहता है, "वैसे कुछ भी बोल, मैंने जब से उसे देखा है ना, मेरे दिल, दिमाग, हर जगह बस वह ही राज कर रही हैं।"
रेयांश अपना पैग बनाते हुए कहता है, "तेरे जैसे पेरवर्ट के मुँह से ऐसी बातें अच्छा नहीं लगता।"
मानस रेयांश को देखकर कहता है, "नहीं यार, सच में उस दिन जब मैं ओबेरॉय मंज़िल से आ रहा था, तभी मैंने देखा। करीब 18 साल की लड़की है, ओबेरॉय मंज़िल में जा रही थी। उसे देखकर मेरा दिल एकदम रुक गया और कार भी। और मैंने उस लड़की से बात भी की। कितनी प्यारी आवाज़ है, अभी भी मेरे कानों में बज रहा है। कोयल से भी मीठी आवाज़, काली गहरी आँखें, गुलाब की पंखुड़ियों जैसी गुलाबी होंठ और उस होंठों पर खिली हुई स्माइल। मैं तो पागल ही हो गया। तू बस उस लड़की से मेरी सेटिंग्स कर दे यार, फिर देखना मैं बिल्कुल सुधर जाऊँगा।"
रेयांश मानस की इन फ़ालतू बातों पर ध्यान ना देते हुए अपने ड्रिंक में और आइस डालता है। तब आर्थिक कहता है, "तुने जैसा कहा, यह तो आरोही लग रही है मुझे।"
आर्थिक के इतना कहते ही रेयांश का हाथ रुक जाता है और वह मानस और आर्थिक को घूरने लगता है।
रेयांश को ऐसे खुद को घूरते देख आर्थिक कहता है, "ऐसे क्या घूर रहा है? वैसे भी तू तो उसे पसंद नहीं करता ना? निशांत ने मुझे कहा है तू उसे कैसे टॉर्चर करता है।"
रेयांश उनको वैसे ही घूरते हुए कहता है, "उसका ख़याल भी दिमाग, दिल में मत लाना। वह मेरा है।"
मानस सिर हिलाकर कहता है, "ओह्ह, मतलब तू उससे प्यार करता है? सीधा तू यह मुझे कह सकता है। मैं उसके पीछे नहीं जाऊँगा। मैं इतना बुरा भी नहीं हूँ।"
रेयांश दाँत पीसते हुए कहता है, "मैं उससे प्यार नहीं करता और ना किसी और को यह हक़ है कि वह उससे प्यार करे।"
आर्थिक, "यह कैसा बात हुआ? तू उससे प्यार नहीं करता और कोई और भी नहीं कर सकता? क्यों? वह जैसी लड़की है ना जाने कितने लड़के ही उससे प्यार करते हैं और ऐसा भी तो हो ही सकता है कि उसे कोई पसंद आ जाए और वह जितनी ख़ूबसूरत है दुनिया में कोई भी उसे..."
रेयांश की आँखें ग्रीन होकर चमक उठती हैं और वह उन दोनों को घूरकर कहता है, "मैंने कहा ना वह मेरा है। उससे कोई प्यार नहीं कर सकता, ना वह कर सकती है। उसे मैं कभी खुश नहीं रहने दूँगा। वह पूरी ज़िंदगी मेरे पास रहेगी और हद से ज़्यादा दर्द सहेगी, जिसके लिए मैं कुछ भी कर सकता हूँ।"
रेयांश की बात सुनकर दोनों ही हैरान हो जाते हैं। दोनों के चेहरों के सामने आरोही का हँसते हुए प्यारा, मासूम चेहरा आ जाता है और फिर वह दोनों रेयांश को देखते हैं जो अभी भी गुस्से में था।
उनको इतना तो पता था कि कोई बहुत बड़ा वजह है जिस वजह से रेयांश ऐसा कर रहा है, पर क्या यह नहीं पता था और ना उनको यह लग रहा था कि आरोही जैसी प्यारी मासूम लड़की कुछ गलत कभी कर सकती है।
क्यों रेयांश के साथ-साथ उसके मौसा भी आरोही से नफ़रत करते हैं? क्या आरोही आरू को बचा पाएगी? क्या मानस और आर्थिक रेयांश को समझा पाएँगे कि वह मासूम आरोही के साथ गलत कर रहा है?
क्या होगा आगे इस स्टोरी में?
जानने के लिए पढ़ते रहिए यह स्टोरी "falling in love with Devil"।
अस्पताल में आरोही एक बेंच पर बैठी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। तभी नीलम जी आकर उसके पास बैठीं और हाथ जोड़कर बोलीं, "सॉरी बेटी, पर प्लीज आरू को बचा लो। वह एक छोटी बच्ची है।"
"ऐसे मत कहिये," आरोही ने नीलम जी के हाथ पकड़कर कहा, "मैं आरू को बचा लूंगी। बस मुझे कुछ दिन का वक्त चाहिए। इतने सारे पैसे अरेंज भी तो करना है। कैसे करूँ, सोचना भी है?"
"तुम अपने दादाजी से क्यों नहीं लेती?" नीलम जी ने पूछा, "उनके पास तो बहुत पैसे हैं। और एक छोटी बच्ची को बचाने के लिए..."
"आंटी, पहले भी 4 बार उनसे बहुत सारे पैसे ले चुकी हूँ। अब और नहीं ले सकती," आरोही ने उनकी बात काटते हुए कहा।
आरोही की बात सुनकर नीलम जी बहुत उदास हो गईं। आरोही ने फिर कहा, "पर आप टेंशन ना लें। मैं पैसे इकट्ठे कर लूंगी।"
इतना कहकर आरोही चेयर से उठी और जाने लगी। नीलम जी ने पूछा, "कहाँ जा रही हो?"
"मैं मैंशन जा रही हूँ। बहुत रात हो गई है, जाना जरूरी है। मैं कल आऊंगी।"
इतना कहकर आरोही नीलम जी की बात सुने बिना वहाँ से चली गई।
अस्पताल से बाहर आकर आरोही सड़क पर चलने लगी। उसकी आँखों के सामने बार-बार आरू का मासूम चेहरा आ रहा था।
आरोही परेशान होकर सोचने लगी, "मैं 3 मिलियन कहाँ से लाऊँगी? मेरे पास अभी सिर्फ 3 लाख भी नहीं होंगे, और इससे तो कुछ होगा भी नहीं। और अस्पताल का बिल, दवाइयों के बिल भी हैं।" इतना सब सोचते हुए आरोही सड़क किनारे चल रही थी। तभी एक आदमी उससे टकरा गया। आदमी ने कहा, "सॉरी बेटा।"
आरोही कुछ नहीं बोली। जाते हुए आदमी को देखकर वह खुद से बोली, "देखकर लगता है इनके पास पैसे तो बहुत होंगे। (चारों तरफ देखकर) अगर मैं यहाँ जितने भी लोग हैं, सबके जेब से एक-एक 500 का नोट चुरा लूँ, तो क्या 3 मिलियन हो जाएँगे? (अपना सिर हिलाकर) क्या बकवास है! ऐसा कभी होगा? ऊपर से अगर पकड़ी गई, तो पैसे मिलेंगे नहीं, मार और जेल फ्री के मिल जाएँगे।"
आरोही खुद से ही बड़बड़ाते हुए कब सड़क के बीचों-बीच आ गई, उसे पता भी नहीं चला।
आरोही आगे जा ही रही थी कि तेज हॉर्न की आवाज सुनाई दी। आरोही चौंककर सामने देखी जहाँ से एक कार तेजी से आ रही थी। आरोही ने अपनी आँखें बंद कर लीं और चेहरे पर हाथ रखकर मन में कहा, "हे महादेव, आज अगर मैं मर जाऊँ, तो प्लीज मेरे प्राणों के बदले आरू को बचा लेना। और मेरे बेस्ट फ्रेंड मुक्कू और लावु को भी मेरे पास भेज देना। पर यह मत समझना कि मैं बुरी हूँ, मैं उन्हें छोड़ नहीं सकती।"
आरोही यह सब कह ही रही थी कि उसके कान में आवाज पड़ी, "मरना चाहते हो तो कहीं और जाकर मरो। मेरे कार के सामने क्यों मरने आए हो?"
आरोही ने चेहरे से हाथ हटाकर सामने लड़के को देखा जो गुस्से में था। यह अंश था, जिसे आरोही को ऐसे देखकर हैरान हो गया।
आरोही भी अंश को देखकर हैरान थी। पर इतने दिनों बाद अंश को देखकर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई। वह मुस्कुराते हुए बोली, "अ...अंश।"
अंश हैरानी से बोला, "आरू? तुम फिर से सड़क पर अकेली ऐसे?"
अंश के और कुछ कहने से पहले ही आरोही बेहोश होकर अंश के बाहों में गिर गई।
अंश ने जल्दी से आरोही को पकड़ा। कुछ देर उसके खूबसूरत चेहरे को देखकर उसे अपनी गोद में लेकर कार की पिछली सीट पर लिटा दिया और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठकर कार स्टार्ट कर दी। अंश कार ड्राइव करते हुए बार-बार पीछे पलटकर आरोही को देख रहा था।
अगले दिन आरोही आँखें मलते हुए उठी तो उसके कान में आवाज पड़ी, "तुम उठ गईं? मुझे लगा तुम आज पूरा दिन सोओगी।"
आरोही ने अपनी आइब्रो ऊपर उठाकर बैठते हुए सामने देखा तो सामने अंश कॉफी पी रहा था।
अंश को देख आरोही की आँखें फैल गईं। वह जल्दी से अंश के पास जाकर बोली, "त..त..त..तुम..तुम मेरे रूम में कैसे आए? क्यों आए? प्लीज जाओ यहाँ से।"
अंश चारों तरफ देखते हुए बोला, "क्या यह तुम्हारा रूम है?"
"आरे, मैं रूम में सो रही थी, तो मेरा ही रूम होगा ना," आरोही ने कहा।
अंश मुस्कुराते हुए बोला, "पहले रूम को देखो।"
आरोही परेशान होकर बोली, "अरे, रूम देखने का टाइम नहीं है। तुम अभी जाओ यहाँ से। कोई देख लेगा तो..."
आरोही इतना कहते-कहते रुक गई और चारों तरफ देखते हुए बोली, "यह कौन-सी जगह है? मतलब किसकी रूम है? यह तो मेरी रूम नहीं है और मैं पहले कभी आई भी नहीं। (आँखें बड़ी-बड़ी करके) क्या मैं किडनैप हो गई हूँ? (अंश को देखकर) और तुम मुझे बचाने आए हो हीरो की तरह?"
अंश ने अपना सिर पीटते हुए कहा, "यह लड़की है! (आरोही को देखकर) क्या यार, तुम मेरे घर में गेस्ट रूम में हो।"
आरोही अंश की बात सुनकर तो फिर से बेहोश ही होने वाली थी, पर उसने खुद को संभाला, "क..क..क्या तुम्हारे घर में?"
अंश ने सिर हिलाकर कहा, "हाँ, मेरे घर में। कल रात मेरे कार के आगे आ गई, फिर बेहोश हो गई। कुछ याद आया?"
आरोही अब सोचने लगी और उसे सब याद आ गया। वह बेड पर बैठकर मन में बोली, "सुबह हो गई। मैं पूरी रात सोती रही। यार, जागती तो सोच सकती थी पैसे कहाँ से लाऊँ? आरू, तू सच में मंदबुद्धि है।"
आरोही को ऐसे सोचते देख अंश ने कहा, "क्या हुआ आरू? ऐसे क्या सोच रही हो? कहीं ऐसा तो नहीं कि कल रात तुमने कहीं चोरी किया है और अभी उसे लेकर ही परेशान हो? हाहाहाहाहा!"
इतना कहकर अंश हँसने लगा। पर आरोही अंश की बात सुनकर जल्दी से उठ खड़ी हुई और रूम से बाहर जाते हुए बोली, "चोरी अच्छी बात कही तुमने। अब मेरे पास यही एक रास्ता है।"
अंश हैरानी से बोला, "मतलब तुम क्या चोरी करोगी?"
"पैसे चोरी करूंगी, 3 मिलियन," आरोही ने कहा।
अंश की आँखें फैल गईं। पर आरोही ने उसे इग्नोर करते हुए पूछा, "अभी कितने बज रहे हैं?"
अंश ने थूक निगलते हुए कहा, "1:30 pm।"
आरोही ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा, "तुम गधे! मुझे उठाया क्यों नहीं? मेरी कितनी टाइम बर्बाद हो गई।" इतना कहकर आरोही जल्दी से रूम से बाहर जाने लगी, पर फिर रुककर बेड के पास जाकर फर्श से अपने सैंडल और टेबल से फोन लेकर बाहर भाग गई। अंश, जिसे कुछ भी समझ नहीं आया था, वहीं खड़ा दरवाजे को घूरता रहा। फिर दरवाजे से नजरें हटाकर बोला, "पागल लड़की।"
इतना कहकर वह मुस्कुराने लगा और बेड की तरफ देखा जहाँ आरोही का पर्स था। अंश ने गहरी साँस ली, पर कुछ सोचकर उसकी मुस्कान और बड़ी हो गई।
ओबेरॉय मैंशन में आरोही जल्दी से अंदर आई तो लिविंग रूम में लावण्या बैठी थी।
आरोही जल्दी से लावण्या के पास जाकर बोली, "लावु, दादाजी नहीं आए क्या अभी तक? और बाकी सब कहाँ हैं?"
आरोही की बात पर लावण्या कुछ कह पाती, इससे पहले ही पीछे से एक औरत की रौबीले आवाज सुनाई दी, "सबकी छोड़ो, तुम बताओ तुम पूरी रात कहाँ थीं?"
आरोही इस आवाज को सुनकर डर गई और डरते हुए सामने देखी तो एक 43 साल की औरत उसकी ओर आ रही थी। वह दिखने में काफी क्लासी थी। उन्होंने बैंडेड साड़ी के साथ लिमिटेड एडिशन का नेकलेस पहना हुआ था जो उनकी अमीरी को दिखा रहा था। वह दिखने में बहुत खूबसूरत थीं। यह थीं रेयांश की माँ, मिसेज़ विधा ओबेरॉय।
आरोही कुछ ना कह पाती, देख विधा जी ने फिर पूछा, "मैंने तुमसे कुछ पूछा है? कहाँ थीं तुम पूरी रात? और अभी दोपहर के 2:30 बजे तुम कहाँ से आ रही हो?"
आरोही कांपते हुए बोली, "ब..ब..मैं आश्रम गई थी। वहीं थी। आरू की तबीयत खराब थी, तो (लावण्या को देखकर) मैंने लावु को कहाँ तो था।"
आरोही की बात सुनकर विधा जी ने उसे कुछ देर घूरकर कहा, "ठीक है, जाओ फ्रेश होकर आओ जल्दी।"
आरोही जल्दी से सिर हिलाकर चली गई। विधा जी आकर लावण्या के पास बैठ गईं। लावण्या, जो विधा जी से डरती थी, डरते हुए बोली, "चाची, रेयांश भाई कुछ दिन से आरू के ऊपर बहुत ज्यादा बेरहम हो रहे हैं। परसों उन्होंने आरू को..."
विधा जी ने लावण्या की बात काटते हुए कहा, "लावु, परसों से कॉलेज है। जाओ कुछ पढ़ लो।"
लावण्या उनको कुछ कहना चाहती थी, पर वह कुछ नहीं कह पाई और चुपचाप सिर झुकाकर अपने रूम की ओर चली गई।
कुछ ही देर में आरोही वहाँ आ गई। विधा जी ने उसे देखकर कहा, "जाओ कुछ खा लो। चेहरा देखकर तो लग रहा है ना जाने कितने दिनों से भूखी हो। तुम्हारे लिए सभी हमसे कहेंगे कि हम तुम्हें खाने नहीं देते। हमारी बदनामी होगी।"
आरोही ने सिर हिलाकर जल्दी से खाने चली गई क्योंकि उसे भी बहुत भूख लगी थी। उसने कल रात बस पानी पूरी और तीन मोमोज ही खाए थे।
आरोही खाते हुए मन में कह रही थी, "अभी बड़ी माँ जरूर मुझे कोई काम देंगी। पर मेरे पास तो ज्यादा वक्त नहीं है। मुझे जल्दी पैसों को..." आरोही के सोचने के बीच में विधा जी ने कहा, "ऐसे एंट की तरह ना खाकर जल्दी खाओ।"
आरोही घबरा गई और जल्दी-जल्दी खाने लगी।
आरोही कैसे करेगी इतने सारे पैसों का इंतज़ाम? क्या होगा जब रेयांश घर आकर जानेगा कि आरोही कल सुबह निकली थी और आज दोपहर तक घर आई?
जानने के लिए पढ़ें ये स्टोरी।
खाना समाप्त करके आरोही जल्दी से विधा जी के कमरे की ओर गई क्योंकि विधा जी अपने कमरे में चली गई थीं और उन्होंने उसे आने को कहा था।
आरोही कमरे के बाहर खड़ी होकर बोली, "मैं अंदर आ जाऊँ बड़ी माँ?"
अंदर से विधा जी ने कहा, "हाँ आ जाओ।"
आरोही अंदर आई तो विधा जी ने उसे देखे बिना कहा, "मेरे बेटे से दूर रहो।"
आरोही को उनकी बात समझ नहीं आई। तब विधा जी ने उसे देखकर कहा, "मुझे खबर मिली है कुछ दिनों से तुम रेयांश के आगे-पीछे पूरा रह रही हो, उसके कमरे में तक गई हो।"
आरोही सिर झुका लेती है। विधा जी आगे कहती हैं, "तुम सिर्फ़ रेयांश नहीं, निशांत से भी दूर रहोगी, ठीक है?"
आरोही सिर हिलाती है। विधा जी ने उससे नज़रें हटाकर कहा, "अब जाओ यहाँ से।"
आरोही जल्दी से कमरे से बाहर आ गई और सीने में हाथ रखकर खुश होकर बोली, "महादेव की शुक्र है कि कोई काम नहीं दिया और अब तक तो शायद रेयांश भी नहीं आया। मैं जल्दी अपने काम कर लेती हूँ।"
इतना कहकर आरोही जल्दी से लिफ़्ट में चढ़ गई। कुछ ही देर में आरोही रेयांश के कमरे के बाहर खड़ी थी।
आरोही गहरी साँस लेकर बोली, "तू कर सकती है आरू, और जल्दी कर सकती है, उस डेविल के आने से पहले।"
इतना कहकर आरोही रेयांश के कमरे में गई और सीधा क्लोज़ेट रूम में जाकर अलमारी खोलकर जल्दी से कपड़ों में कुछ ढूँढने लगी।
ढूँढते-ढूँढते आरोही को एक चेकबुक मिली और इसे देखते ही आरोही खुशी से उछल पड़ी।
आरोही जल्दी से एक पेज लेकर कमरे से निकल अपने कमरे में आई और देखा तो चेक पर पहले से रेयांश का साइन था।
यह जब रेयांश ने उसे अलमारी में बँधकर रखा था, तब आरोही ने देखा था।
आरोही ऊपर देखकर बोली, "महादेव मुझे माफ़ करना, पर मेरे पास और कोई चारा नहीं है। पर मैं प्रॉमिस करती हूँ, एक दिन मैं उनको पैसे वापस कर दूँगी, काम करके।"
इतना कहकर आरोही गहरी साँस छोड़कर चेक पर 3 मिलियन लिखकर चेक और अपना फ़ोन लेकर कमरे से निकल गई।
जंगल के बीचो-बीच एक बहुत ही आलीशान पर डरावना महल था। जिसके आसपास जंगल के पशु-पक्षी तो दूर, एक चींटी भी आने की हिम्मत नहीं करती थी क्योंकि यह महल जिसका था, उससे सभी डरते थे। इस महल के ठीक पीछे एक बहुत ही गहरी खाई थी। देखने से ऐसा लगता था यह महल खाई के ऊपर बना है, पर ऐसा नहीं था। वह खाई से बस 2 इंच दूरी पर जमीन में ही था।
इसी महल के लिविंग रूम में रेयांश किसी राजा की तरह बैठा था। उसके पीछे से निशांत आते हुए बोला, "तुने अचानक इस महल को साफ़ क्यों किया?"
रेयांश सामने देखते हुए बोला, "यह हमारे लिए महल है, पर किसी के लिए यह पिंजरा बनेगा। ऐसा पिंजरा जहाँ से वह कभी बाहर नहीं जा सकती, इसलिए।"
निशांत रेयांश के सामने आकर बोला, "पिंजरा मतलब! और किसके लिए?"
रेयांश चेयर से उठकर बोला, "मेरा पिंजरा उसके लिए जो मेरे कैद में बहुत जल्द आएगी। बहुत जल्द वह हमेशा के लिए मेरे साथ यहाँ रह जाएगी।"
निशांत कुछ सोचकर बोला, "तू क्या प्लान कर रहा है रेयांश?"
रेयांश निशांत को देख डेविल स्माइल के साथ कुछ कहने ही वाला था कि तभी उसके फ़ोन में नोटिफ़िकेशन आया। रेयांश जेब से अपना फ़ोन निकालकर देखा तो उसकी आँखें छोटी हो गईं। इसे देख निशांत ने पूछा, "क्या हुआ?"
रेयांश अपने फ़ोन को फिर से जेब में रखते हुए बोला, "कुछ नहीं। तू घर जा, मैं बाद में आता हूँ।"
निशांत बोला, "तू यहीं रहेगा?"
रेयांश बोला, "मुझे कुछ काम है यहाँ, वह करके आता हूँ।"
निशांत सिर हिलाकर बोला, "जल्दी आ जाना।"
रेयांश कुछ नहीं कहा तो निशांत वहाँ से चला गया। निशांत के जाते ही रेयांश महल के पिछले गेट से निकल बाहर चला गया।
आरोही, मुस्कान, नीलम जी ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठे थे। तीनों ही बहुत टेंशन में थे।
लगभग रात के 8 बजे डॉक्टर की टीम बाहर आई तो आरोही जल्दी से उनके पास जाकर पूछी, "आरू कैसी है?"
डॉक्टर मुस्कुराते हुए बोले, "ऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ है। आरोही बिल्कुल ठीक है। 24 घंटे के अंदर उसे होश आ जाएगी।"
नीलम जी डॉक्टर के हाथ पकड़कर बोलीं, "थैंक्यू डॉक्टर।"
डॉक्टर अपने हाथ छुड़ाकर बोले, "यह मेरा रिस्पॉन्सिबिलिटी था।"
इतना कहकर डॉक्टर मुस्कुराते हुए वहाँ से चला गया। उनके जाते ही मुस्कान अंदर जाने लगी, तभी नर्स उसे रोकते हुए बोली, "मैम अभी नहीं, आप लोग कल पेशेंट को देख सकते हैं।"
तीनों सिर हिलाते हैं और कुछ देर और वहाँ रहने के बाद तीनों ही हॉस्पिटल से बाहर आ जाते हैं।
नीलम जी आरोही के आगे हाथ जोड़कर बोलीं, "थैंक्यू आरू। अगर तुम पैसे लेकर नहीं आतीं तो शायद हम आरू को..."
आरोही उन्हें रोकते हुए बोली, "आरे आंटी, यह सब मत करिए। आरू मेरी छोटी बहन है, सिर्फ़ वह नहीं, पूरे आश्रम के बच्चे मेरी भाई-बहन हैं और उनको प्रोटेक्ट करना मेरी रिस्पॉन्सिबिलिटी है। अब आप जाइए।"
नीलम जी आँखों से आँसू पोंछ आरोही के सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, "तुम बहुत खुश रहोगी आरू, तुम्हारा दिल बहुत साफ़ है। देखना तुम्हारे साथ कभी कुछ बुरा नहीं होगा। तुम्हें एक बहुत ही अच्छा और प्यार करने वाला पति मिलेगा।"
आरोही शर्माते हुए बोली, "अरे आंटी, आप मुझे शर्मिंदा कर रही हैं। पर आपने जो कहा, मुझे अच्छा लगा। थैंक्यू कहने के लिए।"
नीलम जी मुस्कुराते हुए उसे देख वहाँ से चली गईं। उनके जाते ही मुस्कान आरोही का हाथ पकड़ उसे अपनी तरफ़ पलटकर बोली, "आरू, तुझे इतने सारे पैसे मिले कहाँ से?"
आरोही अपनी दाँत दिखाकर बोली, "तू मारेगी तो नहीं?"
मुस्कान आँखें छोटी करके बोली, "पहले बता।"
आरोही बोली, "ब...बहन, मैंने चोरी की है। पर मैं काम करके पैसे दे दूँगी वापस।" मुस्कान आँखें बड़ी-बड़ी करके बोली, "तू चोरनी बन गई? किससे की तूने चोरी? कौन तेरे लिए इतने सारे पैसे कमाकर रखा था? अगर उसने पुलिस केस कर दिया तो? आरू, यह 10-20 पैसे की बात नहीं है, 3 मिलियन! तू सोच सकती है?"
आरोही बोली, "सोच सकती हूँ, तभी तो लिया। और तब मेरे दिमाग में इतना सब नहीं था। मुझे बस आरू को बचाना था।"
मुस्कान सिर पर हाथ रखकर बोली, "भगवान! इस लड़की को अपने दिमाग देकर क्यों नहीं भेजा?"
आरोही अपने फ़ोन में टाइम देखकर बोली, "मुक्कू, मैं जा रही हूँ। कल मिलते हैं।"
इतना कहकर आरोही चली गई। तभी मुस्कान को कुछ याद आया और वह आरोही को बुलाते हुए बोली, "अरे, तूने चोरी किससे किया, यह तो बता?"
पर तब तक आरोही टैक्सी लेकर वहाँ से जा चुकी थी। मुस्कान जल्दी से आरोही को कॉल करती है, पर आरोही का फ़ोन स्विच ऑफ था। मुस्कान गहरी साँस छोड़कर बोली, "अब तो कल ही सब पता चलेगा। बस तब तक आरू को पुलिस पकड़कर ना ले जाए।"
इतना कहकर मुस्कान भी टैक्सी लेकर अपने घर की ओर चली गई।
ओबेरॉय मैंशन।
आरोही मैंशन के अंदर आकर सीधा अपने कमरे की ओर चली गई। कमरे में आकर सबसे पहले आरोही ने एक लम्बी गहरी साँस छोड़कर बेड पर लेट गई और खिड़की से बाहर मौसम को देखकर बोली, "अगर मैं इस मौसम में अभी नहाऊँगी तो मैं सबसे बड़ी गधी हूँ।"
इतना कहकर वह पलटकर अपने ऊपर ब्लैंकेट डालकर आँखें बंद कर लेती है और थके होने की वजह से उसे बहुत जल्द नींद भी आ जाती है।
लगभग रात के 2:30 बजे अचानक आरोही को साँस लेने में प्रॉब्लम होने लगी। उसे अपने ऊपर बहुत ही भारसा महसूस हो रहा था और साथ में उसे अपने नेक कॉलर बोन पर दर्द और कुछ गुदगुदी, हल्की-हल्की चुभन सी भी महसूस हो रही थी, जिससे उसकी बॉडी में रह-रहकर सिहरन दौड़ रही थी।
पर इतना सब होने के बावजूद आरोही आँखें नहीं खोलती और नींद में ही अपने हाथ-पैर चलाते हुए कसमसाने लगी। कुछ देर में ही उसे महसूस हुआ कि उसके पूरे बॉडी को कोई साँप की तरह जकड़ रहा है और अब उसे अपने होंठों पर दर्द महसूस होने लगा।
आरोही की आँखों के कोने से आँसू गिर गए और वह बहुत मुश्किल से अपनी आँखें खोलती है। आँखों के सामने का नज़ारा देख वह, जो पहले से ही पसीने से लथपथ थी, अब उसे और पसीना आने लगा और वह बिल्कुल हिलना-डुलना बंद कर देती है।
आरोही मन में कहती है, "यार, यह चाहता क्या है और मुझे समझ नहीं आती। सभी लड़कियाँ कैसे इतना किस करती हैं? मुझे तो किस से अब डर लगने लगा है। कितना दर्द होता है! पर मैं रेयांश को कुछ कह भी तो नहीं सकती। पर यह तो नींद में भी मेरा फ़ायदा उठा रहा है।"
इतना कहकर वह रोने लगी। वहीं रेयांश का एक हाथ आरोही की गर्दन पर तो दूसरा हाथ उसके सिर पर था और वह पूरा आरोही के ऊपर था, जिससे आरोही को बहुत ज़्यादा दिक्कत हो रही थी।
आरोही रो ही रही थी, तभी उसकी नज़र रेयांश की आँखों में जाती है, जो अभी बंद थे, पर माथे से कुछ लाल-लाल सा जो अब आँखों तक आ गया था।
आरोही रेयांश के माथे पर देखती है तो उसकी आँखें फैल जाती हैं। अगर रेयांश का होंठ आरोही के होंठों पर नहीं होता तो आरोही चिल्ला देती, पर अभी वह चाहकर भी चिल्ला नहीं पा रही थी।
रेयांश किससे कैद करने की बात कर रहा था? आरोही रेयांश के माथे को देख इतना डर क्यों गई? क्या होगा आगे इस कहानी में? जानने के लिए पढ़ें।
कुछ देर बाद, रेयांश ने खुद से आरोही को छोड़ दिया और उसके बगल में लेटते हुए कहा, "तुमने ग्रैंडपा से क्यों नहीं कहा तुम मुझसे प्यार करते हो?"
आरोही ने रेयांश की बातों को अनसुना कर दिया। वह जल्दी से बिस्तर से उतरकर डेस्क के पास गई, फर्स्ट एड बॉक्स लेकर आई और बिस्तर पर बैठकर रेयांश को देखा जो बहुत ज़्यादा घायल था।
उसके सिर से खून निकल रहा था और उसके चेहरे और उंगलियों पर चोट के निशान थे। आरोही जल्दी से रेयांश के पास बैठ गई और उसके ज़ख्मों से खून साफ़ करने लगी। तब रेयांश ने अपना सिर आरोही की गोद में रखते हुए कहा, "तुम कभी मत भूलना, तुम मुझसे बिलोंग करते हो।"
आरोही ने रेयांश की बातों को इस बार भी अनसुना कर दिया और उसके ज़ख्मों पर मरहम लगाने लगी। तब रेयांश ने उसके हाथ को कसकर पकड़ लिया। "तुम मुझे इग्नोर कैसे कर रही हो?"
आरोही ने अपना हाथ छुड़ाते हुए कहा, "मैं... मैं आपको इग्नोर नहीं कर रही हूँ। आपके चोट पर मरहम लगा रही हूँ।"
रेयांश ने आरोही का हाथ छोड़ दिया। "ओहह, अच्छे से लगाओ।"
आरोही ने जल्दी से रेयांश के सभी चोटों पर मरहम लगा दिया। इसके बाद रेयांश ने आरोही को बिस्तर पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके होंठों पर, जहाँ कटे हुए निशान और खून लगे थे, अपने अंगूठे से रगड़ते हुए कहा, "ये बहुत मीठे हैं।"
आरोही को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि रेयांश अभी अपने होश में नहीं था। पर उसे रेयांश के मुँह से किसी भी तरह की शराब की बू नहीं आ रही थी। ऊपर से, रेयांश के ज़ख्म गहरे थे, पर ये कैसे हुए, ये उसे पता नहीं था और ना ही वह उससे ये पूछने की हिम्मत कर सकती थी।
रेयांश ने आरोही की गर्दन, गाल, हर जगह छुआ क्योंकि वहाँ रेयांश का खून लगा था। रेयांश आरोही की आँखों में देखता है तो आरोही ने अपनी नज़रें झुका लीं क्योंकि उसे पता था कि रेयांश को पसंद नहीं है कि कोई उसकी आँखों में देखे।
रेयांश आरोही के गाल से, गर्दन और कॉलर बोन से होते हुए नीचे जाने लगा। तो आरोही की आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और उसने जल्दी से रेयांश का हाथ पकड़ लिया।
रेयांश ने दूसरे हाथ से आरोही के गाल पकड़ लिए। "अब मैं जो कहूँगा, तुम वही कहोगी, ओके?"
आरोही ने गुड गर्ल की तरह सिर हिलाया। तो रेयांश ने कहा, "कहो, तुम मुझसे बिलोंग करते हो।"
आरोही ने काँपते गले से कहा, "क... कहो, तु... तुम मुझसे बिलोंग करते हो।"
रेयांश ने दाँत पीसते हुए अपनी पकड़ आरोही के गालों पर कस दी। "नहीं, तुम मुझसे बिलोंग करती हो।"
आरोही दर्द से कराह उठी। "म...म...मैं नहीं, तुम मुझसे बिलोंग करते हो।"
रेयांश गुस्से में दाँत किटकिटाता हुआ आरोही को देखता है जो मासूम चेहरा बनाकर उसे देख रही थी। उसकी आँखों में आँसू थे और डर से उसके होंठ काँप रहे थे।
रेयांश ने आरोही के होंठों को देखा, अपना थूक निगलते हुए गहरी साँस ली। "आरोही, तुम कहोगी, तुम मुझसे, यानी रेयांश ओबेरॉय से, बिलोंग करती हो।"
आरोही डरते हुए बोली, "आ...आ...आरोही तुम कहोगी, तुम मुझसे, यानी रेयांश ओबेरॉय से, बिलोंग करती हो।"
रेयांश आरोही के चेहरे के बिल्कुल करीब गया। "क्या तुम मुझे कॉपी कर रही हो?"
आरोही को बस समझ आ गया कि उसने गलती कर दी। अब डर से आरोही जोर-जोर से रोने लगी तो रेयांश की आँखें छोटी हो गईं।
आरोही रोते हुए बोली, "ऐऐऐऐऐऐ आपने ही तो कहा, आप जो कहेंगे मुझे वही कहना है। ऐऐऐऐऐऐ"
रेयांश ने आरोही को घूरते हुए जल्दी से उसके मुँह पर हाथ रख दिया। तो आरोही ने आँखें झपकाते हुए उसे देखना शुरू कर दिया और अभी वह बहुत क्यूट लग रही थी।
रेयांश आरोही को एकटक देखते हुए उसके मुँह से हाथ हटा दिया। तभी आरोही की बॉडी अकड़ गई और वह धीरे से बोली, "म...म...मुझे क...कुछ चुभ रही थी जिससे मुझे अजीब फील हो रहा है।"
आरोही की बात पर रेयांश जल्दी से उससे दूर होकर बिस्तर से उतरा और लड़खड़ाते कदमों से लगभग भागते हुए उसके कमरे से चला गया।
रेयांश के ऐसे जाने से आरोही को कुछ समझ नहीं आया, पर उसने भी वक्त बर्बाद ना करते हुए जल्दी जाकर दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया और आकर बिस्तर पर लेट गई। "मेरे पैरों के बीच क्या चुभ रहा था? और उससे मुझे ऐसे अजीब फील क्यों हुआ? ऐसा तो पहले कभी नहीं हुआ।"
ये सब सोचते हुए और खुद से बातें करते हुए आरोही की आँख लग गई और वह नींद के आगोश में चली गई।
अगले दिन, आरोही आराम से सो रही थी, तभी उसके ऊपर ठंडा पानी गिरा। तो आरोही चिल्ला उठी, "बचाओ! बचाओ! बाढ़ आ गई! बाढ़ आ गई! कोई तो मुझे..."
चिल्लाते-चिल्लाते आरोही बिस्तर से नीचे गिर गई। उसने अपने कमर को पकड़कर उठकर बैठ गई और जैसे ही सामने देखा, तो उसके चेहरे का रंग उड़ गया।
सामने रेयांश जग लेकर खड़ा था। रेयांश ने बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा, "अभी फ़्रेश होकर ग्रैंडपा के पास जाकर उनको कहो तुम मुझसे प्यार करती हो और मेरे साथ रहना चाहती हो।"
आरोही ने क्यूट फ़ेस बनाकर रेयांश को देखा। "पर मैं दादाजी से झूठ क्यों कहूँ? दादाजी को जब सच पता चलेगा, वह मुझसे बहुत नाराज़ होंगे।"
रेयांश ने कहा, "अगर तुम मेरी बात नहीं मानोगी, तो पहला, कल तुम्हारे कॉलेज का पहला दिन है, पर मैं तुम्हें कॉलेज जाने ही नहीं दूँगा। और दूसरा, तुम्हारे प्यारे फ़्रेंड, जिंद..."
आरोही ने जल्दी से कहा, "नहीं-नहीं, मैं जाऊँगी। दादाजी से कहूँगी, आपने जो कहा वही कहूँगी।"
रेयांश वहाँ से जाते हुए बोला, "गुड गर्ल।"
रेयांश के जाने के बाद आरोही ने अपने बाल खींचते हुए कहा, "मैं करूँ तो क्या करूँ? इधर ये मुझे ब्लैकमेल करता है, उधर बड़ी माँ मुझे इससे दूर रहने को कहती है। और उनको ये खबर कहाँ से मिली कि मैं रेयांश के पीछे-पीछे घूमती हूँ? यार, उनका बेटा मेरी खून पीने के लिए मेरे पीछे-पीछे घूमता है! (वॉशरूम की ओर जाते हुए) उस खबरी के ऊपर डायनासोर गिरे! जिसने ये गलत खबर बड़ी माँ को दी, उसे अनाकोंडा निगल जाए!"
कुछ देर बाद आरोही बाहर आई। उसने एक क्यूट पिंक कलर की फ़्रॉक पहनी थी जिसमें वह बहुत क्यूट लग रही थी।
आरोही ने खुद को आईने में देखकर हैरानी से कहा, "ये...ये क्या है?"
इतना कहते हुए वह अपने गले और कॉलर बोन को देख रही थी, पर फिर इसे अनदेखा कर उसने अपने बालों को कंघी करना शुरू कर दिया।
यशवर्धन जी का कमरा:
यशवर्धन जी एक बहुत ही पुरानी किताब बहुत ही ध्यान से पढ़ रहे थे। तभी आरोही उनके कमरे में आते हुए बोली, "कौन सी किताब पढ़ रहे हो, दादाजी?"
आरोही की आवाज़ सुनकर यशवर्धन जी ने जल्दी से किताब बन्द करके टेबल के नीचे छिपा दिया। "क...कुछ नहीं, लिटिल गर्ल। आओ ना, तुमसे मुझे कुछ बात करनी थी।" आरोही आकर यशवर्धन जी के पास बैठ गई और मुस्कुराते हुए उन्हें साइड हग करके बोली, "मैंने आपको बहुत मिस किया।"
यशवर्धन जी ने भी आरोही को हग करके कहा, "मैंने भी अपनी लिटिल गर्ल को बहुत मिस किया।"
आरोही उनसे अलग होकर बोली, "दादाजी, मुझे आपसे कुछ कहना था।"
यशवर्धन जी ने कहा, "ठीक है, कहो। पर पहले मैं कहूँ।"
आरोही ने सिर ना में हिलाते हुए कहा, "नहीं, पहले मुझे कहना है। कहना नहीं, लिखकर देना है क्योंकि कहना मना है।"
यशवर्धन जी ने कहा, "ऐसा भी क्या बात है जो कहना मना है, लिखकर देना है?"
आरोही ने एक नोट निकालकर यशवर्धन जी को दिया। "इसमें सब है। प्लीज आप पढ़ लीजिये।"
यशवर्धन जी उस नोट को खोलकर पढ़ने लगे और जितना वे पढ़ रहे थे, उनके एक्सप्रेशन उतने ही डार्क होते जा रहे थे। जिसे देख आरोही को भी डर लगने लगा। आरोही मन में कहती है, "क्या मैंने सच दादाजी को कहकर गलती कर दी? अब तो कहीं दादाजी रेयांश से मुझे बचाने के बजाय खुद ही ना मार दें।"
आरोही मन में बात कर ही रही थी कि यशवर्धन जी ने नोट रखते हुए गुस्से में चिल्लाया, "कमलाआआआआ!"
दादाजी की चीख सुनकर आरोही भी डर से काँप उठी और डर से उसकी आँखों में आँसू आ गए।
वहीं यशवर्धन जी अपनी लाठी निकालने लगे, जिसे देख आरोही के डर से पसीने निकल गए। वह मन में खुद को कोसते हुए बोली, "गांधी उल्लू की पट्ठी! क्या ज़रूरत थी तुझे ये करने की? अब रेयांश के साथ-साथ दादाजी भी मारेंगे तुझे!"
ये सब मन में कहते हुए आरोही रोने लगी। तभी कमला अंदर आकर बोली, "आपने मुझे बुलाया सर?"
यशवर्धन जी ने कहा, "अभी रेयांश को बुलाओ।"
यशवर्धन जी की बात सुनकर आरोही ने चैन की साँस ली। लेकिन फिर यशवर्धन जी बोले, "तुम अपने कमरे में जाओ, लिटिल गर्ल। मैं उसे देखता हूँ और तुम बेफ़िक्र रहो। वह तुम्हें आज के बाद परेशान करने की हिम्मत नहीं करेगा और उसे ऐसा सज़ा दूँगा कि वह बाप-बाप करके तुमसे माफ़ी माँगेगा।"
आरोही सोफ़े से उठकर बोली, "दादाजी, थैंक्यू सो मच! पर प्लीज, उनको पनिश मत करना। बस समझाना। आपकी बात वह मानते हैं। वह मुझे और परेशान नहीं करेंगे। प्लीज आप उनको मत पनिश करना। उनको कल रात वैसे ही चोट लगी है।"
यशवर्धन जी आरोही को देखते हैं तो आरोही जल्दी से कमरे से बाहर चली जाती है और यशवर्धन जी गहरी साँस छोड़कर सोफ़े पर बैठ जाते हैं।
आरोही ऐसी ही करती थी हर बार। रेयांश उसे परेशान करता और वह आकर यशवर्धन जी को बताती और यह भी कहती कि वह रेयांश को पनिश ना करे।
यशवर्धन जी रेयांश को क्या पनिश करेंगे? क्या रेयांश आरोही को परेशान करना बंद कर देगा या अब वह और गुस्सा करेगा? क्या होगा आरोही के साथ आगे? क्या होगा इस कहानी में? जानने के लिए पढ़ें।
To be continued...
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