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Sabreen F.A

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नफरत से शुरू मोहब्बत की एक अनोखी दास्तां

Total Chapters (8)

Page 1 of 1

  • 1. You are only mine - Chapter 1

    Words: 2071

    Estimated Reading Time: 13 min

    "मुझे.....मुझे छोड़ दो..मैं...मैं ने कुछ नही किया है???"वोह आदमी गिड़गिड़ाते हुए अपने सामने खड़े चेहरा मास्क से छुपाए हुए आदमी से बोला। "माफी....हाहाहाहा ड्रागो की अदालत में सिर्फ सज़ा होती है।" ड्रागो ने अपनी गन निकाल कर उस आदमी के सिर पर रखते हुए कहा। "मैं ने कुछ नही किया है।" वोह आदमी ड्रागो के पैर को पकड़ते हुए बोला। "तू ने अगर कुछ नही किया है तो इस वक़्त ड्रागो की अदालत में क्यों मौजूद है। तुम मुझे बताओ इस का क्या जुर्म है??" ड्रागो ने पहले अपने पैरों में बैठे आदमी और फिर अपने साथ खड़े भेड़िये का मास्क लगाए आदमी से पूछा। "इस ने एक दस साल की बच्ची को हैरेस किया है।" वाइल्ड वुल्फ ने गुस्से से उस आदमी को देखते हुए कहा। "ड्रागो किसी बेगुनाह को नही मारता और साथ ही साथ ना ही कोई मुजरिम उस की अदालत दे ज़िंदा बच कर जा सकता है।" ड्रागो ने कहा और उस आदमी को कुछ और कहने का मौका दिए बिना ही उस ने गोली चला दी। ......... येह मंज़र है जौनपुर, उत्तर प्रदेश के ऐक छोटे से गांव का.. "नादिया बेटा आ जा तू भी खाना खा ले और अब उस चूल्हे की जान छोड़ दे।" हयात बेगम ने चाय का कप होंठो से लगाये डाइनिंग टेबल पर बैठे हुए गर्दन मोड़ कर किचन में काम करती नादिया को देख कर कहा। "बस रेहान भाई के लिए लस्सी बना कर आ रही हु माँ।" नादिया ने जग में दही डालते हुए कहा तो शान साहब ने अपना सिर झटक कर हयात बेगम को देखा। "मैं ने इस लड़के से कहा भी था कि मेरे साथ पंचायत चले मगर मजाल है जो येह अपने बाप की बात मान ले।" शान साहब ने थोड़ा सख्त लहजे में कहा तो हयात बेगम ने चाय का कप टेबल पर रख दिया। "आप जानते तो है हमारे खानदानी रिवायतों के मुताबिक वोह शादी के बाद ही सरपंच बनेगा तो आप उसे फालतू में तंग क्यों करते है। जब वक़्त आएगा तो आप देखना मेरा बेटा सब कुछ संभाल लेगा।" हयात बेगम ने मुस्कुराते हुए शान साहब से कहा। जबकि शान साहब नादिया को आते देख कर कंधा उचका कर अपनी जगह से उठ गए और उसके सिर पर हाथ रखते हुए वहां से चले गए। "अब जा कर तू अपने भाई को बुला ला वोह अभी तक आया क्यों नही??" हयात बेगम ने लसी टेबल पर रखती नादिया को देख कर कहा। हयात बेगम और शान साहब के तीन बच्चे थे। उनकी दो बेटियां समीन और रमीन थी। उन दोनों की शादी उनके फुफ्फो के बेटे से हो गयी और वोह दोनो शादी के बाद अमेरिका शिफ्ट हो गयी थी। हयात बेगम की बड़ी बेटी जब पन्द्रह साल की हुई थी तो उनके घर एक नंन्हा मेहमान आया जिसका नाम उन्होंने रेहान रखा था। नादिया शान साहब के दोस्त की बेटी थी। शान साहब के दोस्त और बीवी की डेथ के बाद वोह दो साल की नादिया को अपनी बेटी बना कर अपने घर लाये थे। "उस वक़्त उनकी छब्बीस साल की बड़ी बेटी तहरीम और चौबीस साल की समीन की शादी को कुछ ही दिन हुए थे। जब नादिया को घर लाया गया था तो उस वक़्त रेहान इग्यारह साल का था। रेहान को अपनी दोनों बहनों से बहोत प्यार था और इसी वजह से वोह उनकी जगह नादिया को नही दे पाया था। रेहान बहोत ही सेंसिटिव दिल का था और इस मामले को वोह नादिया से बहोत चिढ़ता था और नादिया भी येह बात अच्छे से जानती थी मगर उसके दिल मे रेहान के लिए उतनी ही इज़्ज़त थी जितनी वोह बाकी घरवालों की करती थी। "जी मम्मा।" नादिया ने मुस्कुराते हुए कहा और डाइनिंग रूम से बाहर निकल गयी। येह चौधरियों की लाल हवेली थी जिसके एंट्रेंस से अंदर आते ही बहोत बड़ा आँगन था। उसके दाएं तरफ पेड़ लगे हुए थे। आँगन से नज़रे सीधा बरामदे पर जाती थी जहां छह बड़े बड़े पिल्लर बने हुए थे। बरामदे के दाएं तरफ डाइनिंग हाल था जिसके अंदर अलग से किचन बना हुआ था। डाइनिंग हाल और किचन के बीच एक छोटा सा दरवाज़ा था जबकि किचन की खिड़किया आँगन में ही खुलती थी। बरामदे में जाते ही वहां बहोत सारे कमरे थे जबकि बीच मे बनी सीढिया जो दूसरी मंजिल पर जाती थी वहां रेहान चौधरी का राज था। राज तो उसका पूरे गाँव मे था लेकिन उसे लोगों से ज़्यादा उनक दिलों पर राज करने का शौक था। येह हवेली शान साहब के दादा जी ने बनवाई थी और अभी तक इस मे बस कुछ चीज़ो को ही बदला गया था जो कि रेहान चौधरी ने ही किया था। नादिया छोटे छोटे कदम लेते सीढियो के पास आई। अभी वोह पहेली सीढ़ी पर कदम रखने ही वाली थी कि तभी उसे दाएं तरफ सीढियो से एटीट्यूड के साथ उतरते हुए रेहान चौधरी दिखाई दिया। अपनी इक्कीस साल की ज़िंदगी मे नादिया ने उसे सिर्फ फो ही रंग में देखा था। काला या सफेद उसके इलावा आज तक उस ने कोई दूसरे रंग के कपड़े में रह को नही देखा था। सफेद रंग पर ब्लैक पैंट पहेने, पैरों में जूते, अपनी आस्तीन के कफ को फोल्ड किये हुए, आज उसके चॉकलेटी ब्राउन बाल सेट करने के बावजूद माथे पर बिखरे हुए थे। अपनी शर्ट को ठीक करते हुए वोह तेज़ी से नीचे उतर रहा था लेकिन तभी उसकी हेज़ल हनी आंखे अपनी तरफ टकटकी बांधे देखती हुई ग्रे ग्रीन आंखों से टकराई तो रेहान चौधरी ने नादिया को घूर कर देखने लगा। "ज़िंदा हो या इस दुनिया से जा चुकी हो!" रेहान चिढ़ हुए दो सीढियो के फासले पर रुक कर नदिया को देख कर बोला। उसकी बात सुन कर नदिया हड़बड़ा कर दो कदम पीछे हट गई। "न...नही नही भाई ज़िंदा हु।" नदिया शरमिंदा हो कर ज़बरदस्ती हस्ते हुए जो मुंह मे आया बोल गई लेकिन फिर रेहान के घूर कर देखने की वजह से हड़बड़ा कर पीछे हई तो वोह भी सिर झटक कर आगे बढ़ गया। "तुम ने नाश्ता बना दिया है???" रेहान जानता था वोह नाश्ता बनाने के बाद ही उसे बुलाने आयी है लेकिन वोह बात जारी रखने के लिए उससे पूछने लगा। उसकी बात सुन कर नदिया ने बस अपनी गर्दन में हां में हिला दी। "अपनी येह मुंडी हिलाना बन्द करो और अपनी इस ज़ुबान को बोलने की ज़रा तकलीफ दे दो जो मेरे इलावा हर किसी के सामने फर्राटे की तरह चलती है और वैसे भी येह मेरे सामने चलने से येह घिस नही जाएगी!!" रेहान ने उसे खुंखार नज़रो से देख कर कहा और डाइनिंग रूम की तरफ बढ़ गया। नदिया उसे जाते देख कर गुस्से से उसे घूरने लगी जो उसकी ज़िन्दगी में किसी नाग की तरह कुंडली मार कर बैठ गया था। रेहान डाइनिंग टेबल के पास गया और अपनी मां की साथ वाली कुर्सी पर बैठ गया। उसकी इस हरकत पर नादिया खून के घूंट पी कर रह गयी क्योंकि वोह कुर्सी उसकी थी मगर जब रेहान चौधरी उस पर बैठ गया था तो वोह उसकी हो गुई थी। और फिर लार्ड साहब के होते हुए किसी और का उस कुर्सी पर बैठना बहोत बड़ा गुनाह माना जाता। "अब कहा जा रही हो??? अब अगर सब काम मुझे खुद करने थे तो तुम ने नाश्ता बनाने की भी तकलीफ क्यों कि! वोह भी मैं खुद ही बना लेता।" नादिया को किचन में जाते देख कर रेहान पलट कर उस पर तंज कसते हुए बोला। उस की बात सुन कर नादिया तो आंखे फैलाये उस जल्लाद को देख रही थी जो जग की तरफ इशारा कर रहा था। "ए रेहान येह क्या तुझ में जिन्नातो की आत्मा घुस जाती है। हम ने आज तक अपनी बेटी के साथ ऐसा सुलूक नही किया जैसे तू लार्ड साहब करता है अगर किसी दिन मेरा सब्र जवाब दे गया ना फिर मेरी लाठी होगी और तेरी टांगे!!" हयात बेगम ने रेहान को घूरते हुए कहा जो नादिया के लस्सी ग्लास में डालने के बाद कुर्सी से टेक लगाए पीने में बिजी थी। "और तू अब चुप चाप बैठ जा अब किचन में जाने की कोई ज़रूरत नही है मेड सारा काम कर देंगी।" हयात बेगम ने नादिया की कलाई पकड़ कर शान साहब की कुर्सी पर बैठाते हुए कहा। हयात बेगम की बात सुन कर रेहान अपना सिर झटक कर लस्सी पीने लगा। "येह ले छोटे साहब आपका नाश्ता।" मेड ने टरे में सजाया नाश्ता रेहान के आगे रखते हुए कहा तो उस ने एक नज़र नाश्ते को देखा और फिर अपने सामने बैठी नादिया को देखा। पिछले छह साल से रेहान को उसके हाथ का खाना खाने की आदत हो गयी थी इसीलिए अब तो शायद उसे किसी और के खाने का टेस्ट भी याद नही था। कभी कभी वोह अपने दोस्तों के साथ बाहर खाना खा लेता था लेकिन वापस घर आने के बाद नादिया के हाथ से कुछ ना कुछ बना कर ज़रूर खाता था। अपनी माँ के बाद अगर उसे किसी और क हाथ का खाना पसंद था तो वोह नादिया थी। जब से पंद्रह साल की नादिया ने किचन संभाला था तब से रेहान को उसी के हाथ के खाने की लत लग गयी थी। "मुझे भूख नही है हटाओ इसे!!" रेहान ने टरे अपने सामने से खिसकाते हुए सख्ती से अपने पास खड़ी मेड से कहा तो नादिया ने चोंक कर उसे देखा लेकिन फिर सिर झटक कर अपना खाना खाने लगी। "मम्मा मुझे आप से कुछ बात करनी!?" रेहान ने आपने बालो में हाथ फेरते हुए हयात बेगम से कहा तो वोह पूरे ध्यान से उसकी बात सुनने लगी। "हां बोलना बेटा।" उसे डांटना भूल कर अपने लहजे में ममता की चाशनी लिए हयात बेगम ने कहा तो रेहान के होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी। "वोह मेरा दोस्त है अमान जो दी कि पास गया था।" हयात बेगम का हाथ अपने हाथ मे लिए रेहान ने उनकी तरफ देखते हुए कहा जो कुछ सोचने में बिजी थी। "अहां याद आया वोह जो पढ़ने के लिए आया था ना!" हयात बेगम ने याद आने पर कहा तो रेहान ने अपना सिर हां में हिला दिया। "हां बिल्कुल, असल मे उसकी खाला की शादी है तो वोह इंडिया आया है और उस ने हम सबको इनवाइट.....मतलब दावत दी है। इसीलिए एक हफ्ते बाद हमे शहर जाना है तो क्या आप मेरे साथ शहर चलेगी???" रेहान ने हयात बेगम को देखते हुए कहा तो उन्होंने ने मुस्कुराते हुए अपना सिर हां में हिला दिया। "वैसे सोचों तो क्या बात है लड़का जवान हो गया है और उसकी माँ की बहेन की शादी अब हो रही है।" हयात बेगम ने ठोड़ी पर उंगली रखे सोचते हुए कहा तो नादिया हँसने लगी। नादिया को हस्ते देख कर रेहान ने उसे घूर कर देखा और फिर हयात बेगम को देखा जो उसे ही घूर रही थी। "असल मे वोह उसकी माँ की सगी बहेन नही है। उसके पेरेंट्स की एक कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी थी तो अमान के परेंट्स उसे अपने साथ ले आये थे क्योंकि उस वक़्त वोह बहोत छोटी थी। अब वोह लोग उसकी शादी करा रहे है। वोह रिश्ते में अमान की खाला लगती है लेकिन उससे सिर्फ दो साल ही बड़ी है।" रेहान ने नादिया को सख्त नज़रो से घूरते हुए हयात बेगम से कहा। उसकी बात सुन कर हायत बेगम ने अपना सिर हिलाया और अपनी सीट से उठ गई। "मेरी दुआ है कि उसकी किस्मत अच्छी हो। मेरी तो बस यही है ईश्वर हर बेटी पर उसके माँ बाप का साया सलामत रखे।" हायत बेगम ने कहा और अपने कमरे की तरफ चली गयी। उनकी बात सुन कर नादिया उदास हो गयी। रेहान जो अपनी नज़रे उसी पर टिकाये हुए था पल भर में उसके चेहरे पर उदासी और उसकी आँखों मे आंसू देख कर उस ने अपने होंठो को भींच लिया। "अगर आज मुझे पता चला कि तुम अपनी निकम्मी सहेलियों के साथ गाँव की गली गली में मटरगश्ती करती फिर रही हो तो याद रखना नादिया घर आ कर वजह पूछने की बजाए मैं तुम्हारी टांगे तोड़ कर कमरे में बंद कर दूंगा।" रेहान ने ठंडी आवाज़ में कहा तो नादिया ने झटके से अपना सिर उठा कर उसे देखा जो मोबाइल पर कुछ टाइप कर रहा था। "मग....मगर भाई आज तो राज सिमरन को बताने वाला है कि वोह उस से कितनी मोहब्बत करता है।" नादिया ने एक ही सांस में चिल्ला कर कहा तो रेहान ने खूंखार नज़रो से उसकी तरफ देखा। अपनी कहि हुई बात पर ध्यान देते ही नादिया अपनी ज़ुबान दांत तले दबा ली और सिर झुकाए दो कदम पीछे हटने लगी क्योंकि अब रेहान गुस्से से उसकी तरफ ही बढ़ रहा था।

  • 2. You are only mine - Chapter 2

    Words: 1162

    Estimated Reading Time: 7 min

    "भाई....मेरा...मेरा मतलब था कि वोह टी वी पर आज शो लगने वाला है जिस मे एडुकेशन के बारे में बताया जाएगा ताकि हमे कुछ इन्फॉर्मेशन मिल सके।" नादिया अपनी उंगलिया चटकाते हुए बात बदल कर बोली। "इस टी वी से तुम्हे जो इन्फॉर्मेशन मिलती है ना मुझे उसके बारे में सब पता है। एजुकेशन का तो पता नही लेकिन मायके और ससुराल को कैसे तुग़नी नाच नचाना है इस बारे में उस पर बहोत अच्छी इन्फॉर्मेशन मिलती है। और येह भी की अपने हस्बैंड को उल्लू कैसे बनाना है! उसकी जेब कैसे खाली करवानी है! कैसे उसे दूसरी औरतो के नाम पर ब्लैकमेल करने है और फिर मगरमच्छ के आंसू बहा कर उसे कैसे पागल करना है। ऐसी इन्फॉर्मेशन में तो उस टी वी मे डिटेल्स में मिलती है।" रेहान के ठंडी आवाज़ में तंज़ कसने पर नादिया को झुका हुआ सिर और झुक गया। वोह तो दिल ही दिल मे अपनी फर्राटे भरी ज़ुबान को दो चार गालियां तो दे ही चुकी थी। हवेली बेशक पुरानी थी लेकिन उस मे ऐशो आराम की सारी चीजें मौजूद थी। हवेली नक्शा तो नही बदला गया था लेकिन रेहान हर साल या हर महीने वहां किसी ना किसी चीज़ को बदलता रहता था।मगर हवेली में जिस एक चीज़ की कमी थी वोह थी टी वी।ना छोटा ना बड़ा! सिर्फ रेहान के पास आई फोन और लैपटॉप था वोह भी सिर्फ वोह नादिया को अपनी बहेनो से बात करने देता था वोह भी उसकी मौजूदगी में उस के इलावा वोह नादिया को अपनी चीज़े छूने भी नही देता था। या अगर लैपटॉप घर पर होता था तो उसमें स्काईप के इलावा हर चीज़ पर पासवर्ड होता था। घर में एक लैंडलाइन था लेकिन नादिया के किसी भी काम का नही था। नादिया का तो कहना था कि लार्ड साहब भी वोह लैंडलाइन उतरवा दें। क्योंकि उसका मानना था उसे भी रेहान ने अपने काम के लिए ही लगवाया है। रेहान को जब भी अपने दोस्तों को दावत देनी होती थी तो वोह फोन कर के उसे खाना बनाने का आर्डर दे देता था। "अब खड़ी खड़ी किस के खयालो में खो गयी??" रेहान ने सख्त आवाज़ में पूछा तो नादिया होश में आई और हड़बड़ा का अपने सिर ना में हिलाने लगी। "नही,...नही.... भाई आज जल्दी घर आ जाएंगे ना?" नादिया ने बात बदलते हुए पूछा तो रेहान ने अपनी एब्रो उचका कर उसे देखा। "वोह मुझे दी से बात करनी है।" नादिया ने अपने सूखते होंठों पर ज़ुबान फेरते हुए कहा और रेहान के पीछे जाने लगी जो लम्बे लम्बे कदम लेता है बाहर की तरफ जा रहा था। "कोशिश करूंगा और हां...अगर आज मुझे आने के बाद पता चला तुम घर से बाहर गयी हो या मैं ने देख लिया तो तुम इस दिन को अपनी आजादी का आखिरी दिन समझना।" बरामदे से निकल कर आँगन में कदम रखते ही कुछ याद आने पर रेहान ने पलट कर कहा तो नादिया ने मुंह बनाते हुए अपना सिर हां में हिला दिया। रेहान के जाने के बाद नादिया कुछ देर वही पर खड़ी आंखे बंद किये हुए सुबह की ताज़ी हवा ले रही थी। थोड़ी देर बक़द उसने अपनी आंखें खोली तो उनकी नज़र मेड पर गयी जो हयात बेगम की चारपाई बाहर बिछा कर उन का हुक्का रख रही थी। नादिया ने गहरी सांस ली और हयात बेगम के कमरे की तरफ चली गयी। .......... मुम्बई, नेरुल:- "सानिया बेटा मुझे तुम से कुछ बात करनी है।" शाज़िया ने शीशे के सामने खड़ी सानिया से कहा जिसके काले लम्बे घने बाल कमर पर झूल रहे थे, उसके ग्रे ग्रीन आंखों में इस वक़्त सीरियसनेस भरी हुई थी, उसके गुलाबी होंठो सख्ती से आपस मे मिले हुए थे। शाज़िया की आवाज़ सुन कर सानिया होश में आई और चोंक कर उसे देखा। "अप्पी आप खड़ी क्यों है??? और मैं ने आप से कितनी बार कहा है आपको मुझ से परमीशन लेने की ज़रूरत नही है जो भी बात है आप बिला झिझक मुझ से बोल दीजिए।" सानिया ने होंठो पर मुस्कुराहट सजाए पलट कर शाज़िया को देखते हुए कहा तो वोह भी पलट कर सोफे पर बैठ गयी और एक मोहब्बत भरी नज़र सानिया के चांद से चेहरे पर डाली जो मुस्कुराते हुए खिल सा गया था मगर उसकी आँखों मे अभी अभी सीरियसनेस भरी हुई थी। "सानिया तुम खुश तो हो ना??? तुम्हे पता है चाचा चाची की डेथ के बाद जब मैं तुम्हे यहां लायी थी तो मेरे दिल मे हज़ारो डर थे। मुझे डर था कि मैं तुम्हे अच्छे से पाल पोस पाऊंगी या नही, तुम्हे वोह सब दे पाऊंगी जो एक माँ बाप।अपने बच्चे को देते है, मैं येह नही कहूंगी की मैं येह सब देने में कामयाब हो गयी हु।" "मैं नही जानती मैं एक।अच्छी बहेन या माँ बन पाई हु या नही लेकिन तुम ने हमेशा मुझे एक अच्छी बहेन और बेटी होने का सबूत दिया है और हमेशा मेरा और मेरे हस्बैंड का सिर फख्र से ऊंचा किया है।" सानिया के हाथ को थाम कर शाज़िया ने मोहब्बत से कहा। "आप ने मुझे वोह सब दिया है जो शायद मेरे सगे माँ बाप या भाई बहेन मुझे ना दे पाते, मैं ने अगर आप लोगो का सिर फख्र से ऊंचा किया है तो उसकी वजह आप लोहा की जिम्मत, सपोर्ट और हौसला ही था कि आज मैं इस मुकाम पर हु।" सानिया ने मुस्कुराते हुए कहा। "मैं जो बात पूछने आयी तो वोह तो मैं भूल गयी।" शाज़िया ने याद आने पर अपना हाथ सिर पर मारते हुए कहा तो सानिया हँसते हुए अपनी जगह से उठ वार्डरोब के पास चली गयी और उस मे से ड्रेसेज़ निकाल कर देखने लगी। "बस एक हफ्ता है उसके बाद तुम अपने घर की हो जाओगी, मैं तुम्हे बहोत मिस करूँगी सानिया, तुम्हारे रूप में उस ऊपर वाले ने बेटी, बहेन, कज़िन मुझे सब कुछ दिया है। काश मेरा कोई देवर होता!" शाज़िया ने ठंडी आह भरते हुए कहा तो सानिया की हंसी पूरे कमरे में गूंज गयी। "चलो आ जाओ डिनर रेडी है तब तक मैं जा कर उस नवाब साहब को भी उठा दु। सुबह ही आया था और कुछ देर माँ बाप के पास बैठ कर सोने के लिए चला गया था। इस लड़के को ज़रा भी अहसास नही है। पूरे पांच साल बाद आया है और उसे ठेठ भी ख्याल नही की कुछ घड़ी माँ बाप के साथ बैठ कर सुकून से बातेंकर ले।" शाज़िया ने बड़बड़ाते हुए कहा और कमरे से बाहर निकल गयी। अमान के बारे में सुन कर सानिया ने गहरी सांस ली और वार्ड रोब बन्द करके बाहर चली गयी। .......... "तुम्हारा बेटा अभी तक उठा नही!!" रुहान ने प्लेट में खाना निकालते हुए सख्त लहजे में शाज़िया से पूछा। "मैं उसे बुलाने गयी थी लेकिन वोह फोन पर किसी से बात कर रहा था इसीलिए मैं बिना कुछ कहे वापस आ गयी। सानिया तुम जा कर अमान को बुला कर लाओ अब तक तो वोह फ्री हो गया होगा।" शाज़िया ने रुहान को जवाब देने के बाद सानिया से कहा तो वोह सिर हिलाते हुए अमान के कमरे की तरफ चली गयी।

  • 3. You are only mine - Chapter 3

    Words: 1846

    Estimated Reading Time: 12 min

    सानिया अमान के कमरे बाहर आई और उसे दरवाज़ा नॉक किया लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही आई तो वोह दरवाज़ा खोल कर अंदर चली गयी। अंदर आते ही उसकी नज़र ब्लैक ट्रॉज़र और ब्लैक बांयाज पहेने अपनी तरफ पीठ करके खड़े कानो में हैंड फ्री लगाए फोन पर बात कर रहे अमान पर पड़ी। भूरे सिल्की बार जिसकी लम्बाई कंधों तक थी जिसकी उस ने पोनी बनाई हुई थी। सानिया को अमान के कंधे के नीचे कुछ टैटू ऐसा लगा अभी वोह उसे ध्यान्द से देखने ही वाली थी कि तभी अमान अचानक से पलटा और उसकी नज़र खुद को देखती सानिया पर पड़ी। अमान ने एब्रो उचका कर सानिया को देखा तो वोह हड़बड़ा कर अपना सिर ना में हिलाने लगी। "तुम्हारी बात कब तक खत्म होगी??" सानिया ने इशारे से पूछा तो अमान ने उसे उंगली से दो मिनट का इशारा किया तो वोह मुस्कुराते हुए अंदर आ गयी। छह फीट हाइट, भरी शहद रंग की आंखे, चौड़ा सीना, मस्क्युलर बॉडी, सानिया को कहि से भी वोह चौबीस साल का नौजवान नही लग रहा था बल्कि उसे वोह मज़बूत मर्द लग रहा था। अमान की बॉडी पहले भी काफी अच्छी थी लेकिन अब उसे देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई देव हो। ऊपर से उसका येह हुलिया, अपनी पांच फुट पांच इंच की हाइट होने के बावजूद भी सानिया को अपना आप अमान के सामने छोटा सा महसूस होता था। सानिया की नज़र अमान के चेहरे से होते हुए गर्दन पर गयी जिस में उस ने एक चैन पहेनी हुई थी और वोह चैन उसके सीने तक आ रही थी। फ़ोन पर बात करने के दौरान अमान उस चैन को उंगली पर लपेटे दाएं बाएं घुमा रहा था। सानिया ने उस पर से नज़रें हटा कर कमरे के इर्द गिर्द नज़र दौड़ाई। बेड रूम में एंटर होते ही दाएं साइड पर एक किंग साइज़ बेड था। बेडरूम को कुमकुमें से सजाया गया था जो ब्लैक कलर की दीवारों पर बहोत ही खूबसूरत लग रहे थे। बेड से पांच कदम की दूरी पर एक लार्ज साइज़ सोफा सेट किया गया तंग जो बीएड रूम को रॉयल लुक दे रहा था। टैरिस के ग्लास डोर पर लगे कटेन्स साइड से ग्रे और बीच मे ऑफ व्हाइट कलर के थे। सानिया अपने ही खयालो में गम कमर देखने मे खोई हुई थी तक़भी अमान के चुटकी बजाने पर वोह होश में आई। "तुम्हे कोई काम था??" उस ने चेहरे पर सख्त एक्सप्रेशन सजाए हुए अपने सामने खड़ी सानिया से पूछा। "तुम नही आप.....येह मत भूला करो कि मैं रिश्ते में तुम्हारी खाला भी लगती हु मान।" सानिया ने उसे टोकते हुए कहा तो अमान ने समझने वाले अंदाज़ में अपना सिर हैं में हिला दिया। "मान नही अमान...आप भी मत भूले मेरा और आप का क्या रिश्ता है। और वैसे भी आप मेरी माँ की सगी बहेन नही है इसीलिए बिना वजह मुझ से फ्रेंक होने की कोशिश ना करे।" अमान ने भी उसी के अंदाज़ में कहा तो सानिया ने उसे घूर कर देखा। "वैसे जहां तक मुझे याद है तुम्हारी गर्लफ्रैंड भी तुम्हे इसी नाम से बुलाती थी ना।" सानिया ने उस पर तंज कसते हुए कहा। मगर सानिया आज येह भूल गयी थी जिसे वोह पांच साल पहले वाला मासूम लड़का समझती थी आज वोह इस्तंबूल का मशहूर प्ले बॉय कहलाता था। जो बिना कुछ किये अपनी आंखों की ज़ुबान से ही लोगो को मुंह छुपाने पर मजबूर कर देता था। "यु आर राइट लेकिन वोह मुझे मान के इलावा भी और बहोत से नामो से बुलाती है। आप समझ तो रही है ना!! मींज़ कुर्बत के नशे में चूर....जज़्बात की रो में बह कर पुकारे जाने वाला नाम....और..." अभी अमान कुछ और कहता कि तभी सानिया का हाथ उठा और अमान के गाल पर अपना निशान छोड़ गया। "तुम जैसों से उम्मीद ही क्या की जा सकती है। तुम्हारी बातों से येह साबित हुआ है अमान कि तुम्हारी फितरत पर खून सोहबत से हार गया।" सानिया ने एक एल शब्द चबा कर कहा तो अमन ने गुस्से से अपने होंठो को भींच लिया और अपनी मुट्ठियां बन्द करके खुद को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा। "आउट, इससे पहले की मैं तुम्हारी उम्र क्या हमारे बीच रिश्ते का भी ख्याल किये बिना ही अपने कमरे से धक्का दे कर बाहर निकाल दु तुम मेरी नज़रो से दूर चली जाओ।" अमान गुस्से से दांत पीसते हुए बोला तो सानिया उस पर एक तंज़ भरी नज़रे डालते हुए अपना सिर झटक कर कमरे से निकल गयी। उसे सानिया से प्रॉब्लम नही थी उसे प्रॉब्लम उसके परफैक्ट होने पर थी। सानिया का परफैक्ट होना उसे अपनी गलतियों का हस्स दिलाता था। सानिया गलती होने पर उसे एक्सेप्ट करके ठीक करने वालों में से थी लेकिन अमान गलती होने पर खुद से ही नज़रें नही मिला पता था। वोह अपनी गलती नही मानता था लेकिन अंदर ही अंदर घुट घुट मरता रहता था। वोह सानिया की तरफ परफैक्ट बनना भी नही चाहता था। वोह जो था उसे उस पर फख्र था। अमान बस एक ही चीज़ चाहता था कि काश वोह भी सानिया की तरफ अपनी गलती मानना सीखले ताकि उसे अंदर ही अंदर घुट घुट कर मरना ना पड़े। सानिया गलती होने पर येह परवाह किये बिना की लोग क्या कहेंगे अपनी गलती सुधार कर उनका मुमह बन्द कर देती थी लेकिन अमान....दा ग्रेट अमान कभी भी अपनी गलती नही मान सकता था। वोह चाहता था कि लोग उसकी गलती को भी उसका स्टाइल समझे। वोह लोगों की नज़र में ऐसा इंसान था जो कभी गलती कर ही नही सकता था। मगर अमान और उसका ज़मीर जानता था वोह जो भी कर रहा है वोह गलत कर रहा है लेकिन जो लोग उसके आस पास थे, जो उसकी लाइफ में एडजस्ट कर रहे थी उनकी नज़र में अमान गलत होने के बावजूद भी सही था और यही बात अमान का सीना चौड़ा करके उसे और घमंडी बना रही थी लेकिन तन्हाई उसे हर पल सांप की तरह डस्ती रहती थी। अमान से बस एक ही गलती हुई थी जिसे उसने माना नही था और उस गलती को मानने की बजाए अमान ने उसे अपना स्टाइल बना लिया था। अब उसे कोई ताना देने वाला नही था क्योंकि दुनिया की नज़र में वोह अमान का स्टली था और वोह स्टाइल उस जचता भी था। ....... दी रॉयल क्लब के अंदर जहां नौजवान लड़के लडकिया एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले नशे में धुत हो कर नाच रहे थे वही एक सुनसान से कोने एक सोफे और टेबल के इर्द गिर्द तीन लोग बैठे हुए थे जिन्होंने बालक सूट पहना हुआ था और वही टेबल के ऊपर दो फाइल और एक ब्रीफकेस रखा हुआ था। जबकि वही दूसरी तरफ एक आदमी बालक हुडी पहेने चेहरा मास्क से छुपाए जिसके ऊपर वुल्फ बना हुआ था। वोह सोफे पर टेक लगाए, एक टांग दूसरी टाँग पर रखे सीरियस हो कर अपने सामने बैठे आदमी को देख रहा था। क्लब में तेज म्यूजिक चल रहा था लेकिन सोफे पर आमने सामने बैठे तीनो लोगो के बीच बिल्कुल खामोशी छाई हुई थी। "ठीक है। हम तुम्हे मुंह मांगी कीमत देंगे क्योंकि हम चाहते है कि इस केस को तुम हैंडल करो।" उन तीनों के बीच छाई खामोशी को सामने बैठे दो अमदियो ने तोड़ा तो सामने बैठा आदमी हँसने लगा। "और तुम्हे क्यों लगता है तुम्हारी येह बात मुझे इस केस को लेने पर मजबूर कर देगी।" अपनी टाँग को टाँग पर से हटा कर अपनी कोहनियो को थाई पर रख कर अपनी मुट्ठी को ठोड़ी से टिका कर उस ने तंज़ कसते हुए पूछा तो उन दोनों ने बेबसी से अपने सामने बैठे आदमी को देखा। "पैसों के लिए ना सही लेकिन इस देश के लिए ही....इस वक़्त इस देश को तुम्हारी ज़रूरत है।" इस बार दूसरे आदमी ने कहा। "अपने देश के लिए मुझे कब कहा काम आना है येह तुम्हे मुझे बताने की ज़रूरत नही है क्योंकि येह बात मैं बहोत अच्छे से जानता हूं।" उस ने ठंडी आवाज़ में एक एक शब्द चबा कर कहा तो उन दोनों ने मासूमी से एक दूसरे को देखा। "येह मामला बहोत पेचीदा है। हम अपने डिपार्टमेंट में किसी पर भी यकीन नही कर सकते है। अगर येह बात बाहर निकली तो तो हमारे पास जो सबूत है उन्हें भी खत्म कर दिया जाएगा और शायद हमारा ट्रांसफर दूसरे शहर...!" अभी वोह आदमी अपनी बात पूरी करता कि सामने बैठे आदमी ने उसकी बात को काटते हुए कहा। "और शायद तुम्हे दूसरी दुनिया मे भेज दिया जाए।" अपनी बात पूरी करते ही वोह आदमी खुद हँसने लगा। "तुम पुलिस वालों के साथ यही प्रॉब्लम है किसी को इज़्ज़त से हलाल की रोटी रास नही आती है और जिनको आती है तो उन्हें उनकी ईमानदारी ले डूबती है। बेचारों की ईमानदारी किसी पॉलिटिशियन को या किसी शरीफ को रास नही आती है।" उस आदमी ने अफसोस के साथ तंज़ भरे लहजे में कहा और उस फाइल को ऊनी तरफ खींच लिया तो उन दोनों ने सुकून की सांस ली। उस फ़ाइल को ले कर वोह आदमी अपनी जगह से खड़ा हुआ और फिर अपने मास्क पर बने वुल्फ पर उंगली रख कर कुछ सोचते हुए उन दोनों को सीरियस नज़रों के साथ देखते हुए आगे बढ़ गया। "येह हमे धोखा तो नही देगा ना??" उसके जाने के बाद एक आदमी ने फ़िक्रमन्दि से पूछा तो दूसरे आदमी ने सुकून से अपना सिर सोफे से टिका दिया। "क्या तुम ने कभी सुना है कि भेड़िया धोखा दे जाए या वोह पीठ पर वार करें!" उस आदमी ने एब्रो उचका कर पूछा तो दूसरे आदमी ने अपना कंधा उचकाते हुए अपना सिर ना में हिलाया। "भेड़ियों का तो पता नही लेकिन एक इंसान पर अंधाधुंध भरोसा करना दूसरे इंसान को कहि का नही छोड़ता है।" उस ने पानी पीते हुए कहा तो उसके साथ बैठा आदमी हँसने लगा। "तुम फिक्र मत करो गुनाहगारों के लिए येह इंसान नही है। वोह दरिंदे है तो येह भेड़िया जो अपने दुश्मन को मिटाए बिना चैन से नही बैठेगा। इन हैवानों की जहन्नुम में वोह वाइल्ड वुल्फ के नाम से जाना जाता है। जो दुश्मन का शिकार करके उसे चीड़फाड़ कर रख देता है और इसके साथ दूसरा जो है वोह है ड्रागो जो गुनाहगारों को जला कर भस्म कर देता है।" उस आदमी ने चेहरे पर मुस्कुराहट सजये हुए फख्र से कहा तो दूसरे आदमी ने उससे इम्प्रेस हो कर अपना सिर हां में हिला दिया। "भेड़िये का फिर भी समझ आता है लेकिन ड्रागो!! येह तो बस कहानियों के पात्र है जिनका इस दुनिया मे कोई वजूद नही है।" उस आदमी ने अपने साथी की बात को मज़ाक़ में लेते हुए कहा तो दूसरा आदमी उसे सीरियस नज़रो से देखते हुए अपनी जगह से उठ गया। "और तुम से किसने कहा कि ड्रागो का कोई वजूद नही है?? जिस तरफ कहानियों में ड्रागो के नाम से ज़्यादा उसके वजूद की दहशत होती है इसी तरह इस ड्रागो के वजूद के बिना उसका नाम काफी है। उसका नाम सुन कर ही दुश्मन डर से कांपने लगते है। वोह दूर से उन्हें बिलबिलाने पर मजबूर कर देता है।" उस आदमी ने बाहर निकलते हुए कहा। "आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??"

  • 4. You are only mine - Chapter 4

    Words: 1650

    Estimated Reading Time: 10 min

    "आखिर येह ड्रागो है कौन??? क्या येह भी ड्रैगन की तरह मुंह से आग निकालता है?? या फिर उड़ता है??" उस आदमी ने मज़ाक़ उड़ाते हुए कहा। "वोह ड्रैगन की तरह ना ही मुंह से आग निकालता है और ना ही उड़ता है मगर वोह खुद एक आग है जो दुश्मनों को अपनी चपेट में ले कर उन्हें जला कर भस्म कर देता है। वोह उड़ने की बजाए दुश्मनों को ऐसे जकड़ता है कि वोह फड़फड़ा भी नही सकते।" "और जिस दिन वोह सब के सामने आ गया ना उस दिन इन दरिंदो को ड्रागो के कहर से बचने के लिए जमीन भी कम पड़ जाएगी। और अगर वोह खुद को नोच नोच लर खत्म करने की भी कोशिश करेंगे तो उन्हें वोह आसमान लगेगा। हमे का ड्रागो तक वाइल्ड वुल्फ ही पहोंचा सकता है और जब ड्रागो कि अदालत में येह फ़ाइल खुलेगी तो अपने वुल्फ के साथ वोह आपमे शिकार के लिए निकलेगा ना तब उन्हें छुपने के लिए जमीन भी कम पड़ जाएगी" दूसरे आदमी ने कहा तो पहले आदमी ने गहरी सांस ले कर आसमान की तरफ देखा। "हमारा पेशा जितना ही बदनाम सही, लोग हमें जिस भी नज़र से देखते हो लेकिन वोह ऊपर वाला हमरी नियतों को अच्छे से जानता है अजर मेरी उस ऊपर वाले से बस एक ही दुआ है कि हमारी येह नियत और मेहनत का सिला दुश्मनों के लिए एक तूफान की शक्ल में दे दे।" "मुझे लोगो की बातों की परवाह नही है मगर फिर भी येह मेरी खवाहिश है कि वोह देखें कि हम पुलिस वाले भी अपने देश से इश्क़ करते है। वोह सब पर ना सही मगर हम पर हमारी वर्दी पर यकीन ज़रूर करे। कुछ लोगो की वजह से वोह हमे अपने पेशे से गद्दारी करने वाला ना समझे।" पहले आदमी ने गाड़ी स्टार्ट करते हुए दूसरे आदमी से कहा। ............... "आपकी नजर में कोई अच्छी लड़की है तो बताएगा।" हायत बेगम के सामने बैठी औरत ने कहा तो उन्होनो अपनी गर्दन हां में हिलाते हुक्का होंठो से लगा लिया। "उस लड़के की उम्र कितनी है।" हयात बेगम ने पूछा तो उस औरत का चेहरा गुलाब की तरह खिल उठा। "मेरा बेटा पचीस साल का गबरू जवान है। बस अब आप उसके लिए कोई चांद सी लड़की ढूंढ दे।" सामने बैठी औरत ने जोश से कहा। हायत बेगम ने अपना सिर हां में हिलाते हुए सामने देखा जहां पेड़ पर डेल झूले पर नादिया बैठी झूल रही थी और हाथ मे पकड़ी इमली खाने में बिजी थी। वोह इस वक़्त उन्हें कोई इक्कीस साल की लड़की नही बल्कि दस साल की चोटी बच्ची लग रही थी। उसने अपने घने काले लम्बे बालो को कमर पर खुला छोड़ा हुआ था और दुप्पटा सिर की बजाए कंधे पर अच्छे से फैला हुआ था। उसे इस तरह देख कर हयात बेगम ने गहरी सांस ली क्योंकि दोपहर के इस वक़्त रेहान घर ज़रूर आता था और अगर वोह नादिया के खुले बाल और दुप्पटा सिर के बजाए कंधे पर देखता तो गुस्सा ज़रूर करता था। "कोई लड़की है क्या आपकी नजर में!" उस औरत ने फिर से पूछा तो हायत बेगम चोंक कर होश में आई। "अहाँ.....हां अछि बात है। लड़का लड़की की इस उम्र में शादी जो जानी चाहिए। मैं देखती हूं अगर कोई लड़की हो तो तुम्हे बताती हु। वैसे तुम्हारा बेटा क्या करता है???" हायत बेगम ने मेड से इशारे से हुक्का ले जाने के लिए कहा और दोनों टांगे चारपाई से लटका कर बैठ गयी। उन्होंने बैठने के बाद एक नज़र नादिया को देखा और फिर बरामदे में काम कर रही मेड को देखा। "करता तो वोह कुछ भी नही है। बाप की ज़मीन है मगर हर वक़्त वोह नशे में धुत रहता है इसीलिए मैं सोचा कि उस शादी कर दूंगी तो वोह थोड़ा सुधर जाएगा।" उस औरत ने उदासी से कहा तो हायत बेगम का चेहरा बिल्कुल सपाट हो गया। "हे झल्ली औरत जो तेरा ना हुआ, अपने बाप का ना हुआ वोह दो दिन की आयी लड़की का कैसे हो जाएगा?? जिस माँ बाप ने उसे पैदा की, पाल पोस कर जवान किया उसे तो उनका अहसास नही है और तू कह रही है पराई लड़की उसे संभाल लेगी। थोड़ी तो शर्म कर।" "जब उसके सिर पर बूढ़े माँ बाप की ज़िम्मेदारी है तो वोह नशे में धुत रहता है। वोह जो अपने बाप का सहारा नही बन सकता है तो क्या वो कल की आयी लड़की की ज़िम्मेदारी क्या खाक उठाएगा। जो आज खुद को नशा करके बर्बाद कर रहा है वोह कल को उस मासूम की भी ज़िन्दगी बर्बाद कर देगा।" "तू मेरी बात ना कान खोल कर सुन ले। पहले तू अपने बेटे को इंसान बना फिर किसी की बेटी को ब्याह कर आने घर लाना।" "क्योंकि अब कोई तेरे बेटे के साथ रिश्ता करे या ना करे मगर हायत बेगम किसी भी लड़की की शादी तेरे नशेड़ी बेटे से नही जोन देगी।" हायत बेगम तो उस औरत की बात सुन कर भड़क ही उठी थी। उनका तो बस नही चल रहा था कि उसका बेटा वहां होता और वोह उसको कान के नीचे दो लगा कर देती। "लेकिम हयात बेगम!!!" अभी वोह औरत आगे कुछ बोलती की तभी हायत बेगम ने अपनी लाठी उठा कर उसे खामोश रहने का इशारा किया। "बेटी की तकलीफ बाप की कमर तोड़ देती है और माँ को जीते जी मार देती है। वोह भले ही मुंह से ना कहे लेकिन अपने बच्चे को तकलीफ देख कर उनक मुंज से सिर्फ बद्दुआ ही निकलती है। क्यों चखे किसी के माँ बाप की बद्दुआएं लेनी है। अभी तेरे बेटे की कोई उम्र गुज़र नही रही है। पहले उसका इलाज करा फिर ब्याह भी रचा देना मगर बिना इलाज के अगर उसकी शादी करने का सोचा भी ना तो!!!" हायत बेगम में उस औरत को बर्निंग देते हुए कहा और बरामदे की तरफ बढ़ गयी। ........ नादिया भागने वाले अंदाज़ में किचन से निकल कर सीढियो की तरफ बढ़ ही रही थी कि तभी सीढियो से उतरते रेहान से बुरी तरह टकरा गई नादिया को पीछे की तरफ गिरते देख कर रेहान ने बौखला कर नादिया का हाथ पकड़ कर उसे गिरने से बचाया मगर नादिया को ऐसा लगा जैसे उसका सिर किसी चट्टान से टकरा गया हो। "तुम किस खुशी में बंदरों की तरह उछलती फिर रही हो??" नादिया को अपना माथा सहलाते देख कर रेहान ने गुस्से से पूछा। रेहान की आवाज़ सुन कर सदमे से नादिया की आंखे खुली की खुली रह गयी और उसका माथा सहलाता हाथ रुक गया। वोह किचन में खाना देखने के लिए गयी थी। उसे नही पता था कि रेहान घर आ चुका है और ना ही किसी मेड ने उसे बताया था। "अब येह जल्लाद मुझे छोड़ेगा नही।" नादिया ने दिल ही दिल मे सोचा और फिर अपने सूखे पडे होंठो पर जुबान फेरते हुए चेहरे पर मासूमियत सजये अपनी ग्रे ग्रीन आंखे पटपटाते हुए उस ने रेहान की तरफ देखा। "मैं...मैं तो छत पर से कपड़े उतारने जा रही थी।" रेहान ने दो कदम की दूरी पर खड़े हो कर नादिया ने नज़रें झुकाए हुए कहा। "तुम्हारा दुपट्टा कहा है??" रेहान ने गुस्से से पूछा। नादिया के गले मे झिओल रहे दुप्पटे को देख कर रह के माथे पर बल पड़ गए और उसकी हेज़ल हनी आंखे एक पल में गुस्से से लाल हो गई। बिना नादिया को समझने का मौका दिए उसने उसके हाथ को सख्ती से पकड़ा और वापस सीढियां चढ़ने लगा। "मम्मा!!" नादिया ने उसकी पकड़ से अपना हाथ छुड़ाते हुए हायत बेगम को मदद के लिए पुकारा लेकिन रेहान के घुर कर देखने की वजह से उसकी आवाज़ गले मे ही अटक गई। "तो अब बताओ तुम्हारा दुप्पटा कहा है??" नादिया को सोफे पर पटकने वाले अंदाज़ में बिठाते हुए रेहान ने ठंडी आवाज़ में गुर्रा कर पूछा तो नादिया की आंखों से आंसू बहने लगे। रेहान ने गहरी सांस लर कर उस नौटनकी को देखा। "नादिया मुझे मेरी बात का जवाब दो और इस नौटनकी को तुम मम्मा के सामने खाली कर लेना क्योंकि मुझ पर इन मगरमच्छ वाले आंसूओं का कोई असर नही होने वाला है।" रेहान अपना पैर सोफे पर नादिया के करीब रख कर ठंडी आवाज़ में बोला तो नादिया ने झूठी हिचकियो के साथ रट हजये रेहान को देखा जो उसके देखने पर अपनी नज़रे फेर गया। रेहान का दिल अलग ही ट्रैक पर दौड़ रहा था। उस ने अपना पैर नादिया का पास से हटाया और पीछे हाथ बांध कर नादिया के सामने खड़ा हो गया। "मैं....मैं आपकी डांट की वजह से नही बल्कि आपके लिए रो रही हु।" नादिया ने अपने आंसू पोछते हुए आंखे पटपटाते हुए मासूमियत से कहा तो रेहान ने अपनी आंखें छोटी करके उसे देखा। "देखें ना भी येह दो मीटर लम्बा तम्बू मेरे गले मे ही तो है मगर अफसोस शायद आपकी आंखें कमज़ोर हो गयी है जो इसे देख नही पा रही है।" नादिया ने अपने दुप्पटे को हाथ मे थाम कर रेहान को दिखाते हुए कहा। नादिया की बात सुन कर रेहान ने झटके से उसका हाथ पकड़ कर अपने सामने खड़ा किया। उसकी इस हरकत पर नादिया तो भौंचक्का ही रह गई और आंखे फाड़े चेहरे पर खुंखार एक्सप्रेशन सजाए रेहान चौधरी को देखने लगी। "ना ही येह तंम्बू है और ना ही येह गले का पट्टा है। येह तुम्हारे सिर की इज़ात है। तुम मेरी एक बात अपने दिमाग मे बिठा को तुम मेरी....रेहान चौधरी की इज़्ज़त हो और रेहान चौधरी अपनी इज़्ज़त पर किसी और का साया बरदाश्त नही लर सकता है।" "अपनी इज़्ज़त को बचाने के लिए मैं मर भी सकता और जो भी इस परी बुरी नज़र डालेगा या इसे खराब करने की कोशिश करेगा तो मैं उसे मार भी सकता हु फिर चाहे वोह तुम खुद ही क्यों ना हो नदिया बेगम।" अपनी आग सी दहकती सांसो को नदिया के चेहरे पर छोड़ते हुए रेहान ने धीरी आवाज़ में गुर्रा कर कहा तो नादिया को अपनी जान निकलती हुई महसूस होने लगी। उसकी आंखें आंसुओं से भर गई जिसे देख कर रेहान ने गहरी सांस और उसका हाथ छोड़ दिया।

  • 5. You are only mine - Chapter 5

    Words: 1390

    Estimated Reading Time: 9 min

    रेहान ने नादिया को रोते देख कर गहरी सांस ली और उसका हाथ छोड़ दिया। "पहले अपना दुपट्टा ठीक करो और फिर यहां से चली जाना।" रेहान ने सख्त आवाज़ में कहा और तो नादिया ने जल्दी से अपना दुपट्टा ठीक किया और कमरे से बाहर जाने के लिए वोह पलटी ही थी कि तभी रेहान ने दुप्पटे समेत नादिया के बालों को पकड़ लिया। नादिया तो उसकी इस हरकत पर अपनी जगह जम सी गयी थी। जबकि रेहान चेहरे पर सीरियस एक्सप्रेशन सजाए नादिया के दुप्पटे को सिर से उतार कर उसके लम्बे घने बालों की चोटी करने लगा "इतना मुश्किल तो किसी दो साल के बच्चे को समझाना नही होता जितना मुश्किल तुम्हे समझाना और किसी काम से रोकना है।" नादिया के खुले बाल की चोटी बना के रेहान ने उसके सिर पर दुप्पटा डालते हुए अपना सिर ना में हिलाते हुए कहा तो नादिया के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी। रेहान जानता था नादिया अगर उसकी कोई बात सिरियस ना लेना चाहे तो फिर वोह उसे लाख आंखे दिखाए गुस्से करे, उसे डांटे, उस पर चिल्लाए लेकिन उस पर कोई असर नही होता था और ना ही वोह उसकी बात दिल पर लेती थी। मगर जब वोह रेहान की कोई बात या उसकी डांट दिल पर ले लेती थी तो उसकी पूरी रात रो कर गुज़रती थी और फिर वोह कई दिन बुखार में तपती रहती थी। और अब वोह उसके मगरमच्छ से बहने वाले आंसुओ के इलावा शेर्मिन्दगी में बहने वाले आंसुओं को भी पहचान गया था। और वोह येह बात जान चुका था कि नादिया ने इस बार उसकी बात को दिल पर ले लिया है। "दोबारा मैं तुम्हे खुले बालो और दुपट्टे के बगैर न देखु वरना तुम्हारी टांगे तोड़ कर मैं इसी तंम्बू के साथ बांध कर कमरे में बंद कर दूंगा।" रेहान ने सख्ती से कहा तो नादिया आने सूखे हलक़ को तर करते हुए फुल स्पीड में उसके कमरे से निकल कर बाहर की तरफ भाग गई। उसे इस तरह से भागते देख कर रेहान के होंठो पर मुस्कुराहट आ गयी और वोह अपना सिर झटक कर बाहर की तरफ चला गया। रेहान किसी काम से शहर गया था। वो जल्दी अपना काम पूरा करके आ गया था तो वहां से सीधा खेतो में चला गया था। वोह खेतो में गया तो वहां काम करते किसानों को देख कर वोह उनका हाथ बटाने लगा था और इसी चक्कर मे उसके कपड़े खराब हो गए थे और इसीलिए वोह घर आ गया था और बिना हयात बेगम से मिले अपने कपड़े चेंज करने के लिए कमरे में चला गया था। पूरे घर मे शांति देख कर उसे लगा था कि नादिया को थोड़ी अक्ल का गयी होगी मगर ऐसा मुमकिन ही कहाँ था। .......... "आप लोग ऐसा कैसे कर सकते है?? शाज़िया ने फोन पर चिल्ला कर कहा तो सामने वाले ने बिना जवाब दिए फोन रख दिया। "क्या हुआ अप्पी सब ठीक तो है ना??" सानिया ने शाज़िया के कंधे पर हाथ रख कर परेशानी से पूछा तो शाज़िया फूट फूट कर रोने लगी। "क्या हुआ शाज़िया तुम रो क्यों रही हो??? और किस का फोन था??" रुहान ने शाज़िया को सोफे पर बिठाते हुए पूछा। वोह भी शाज़िया के इस तरह रोने की वजह से परेशान हो गए थे। सानिया भागते हुए शाज़िया के लिए पानी लायी तो रुहान ने उससे गिलास पकड़ कर शाज़िया के होंठो से लगा दिया। "उन लोगो ने शादी से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि लड़का किसी और को पसंद करता है और आज सुबह ही वोह अपनी पसंद की लड़की से शादी करके उसे घर ले आया है।" शाज़िया ने रोते हुए रुहान को बताया तो वोह भी दंग रह गया और फिर उसकी नज़र सुकून से खड़ी सानिया पर गयी जिसे येह सब सुन कर कोई फर्क ही नही पड़ा था। "अच्छा पहले तुम चुप हो जो शायद इन सब मे सानिया की ही भलाई थी। वोह तो तुम शुक्र करो हमे पहले ही पता चल गया वरना अगर शफाई ई बाद येह सब प्रॉब्लम होती तो हम क्या करते!" रुहान ने शाज़िया के आंसू पोछते हुए कहा। "क्या भलाई हां!! उन लोगो ने मेरी बहेन की जिंदगी बर्बाद कर दी। चार दिन बाद शादी है और कल से ही सब मेहमान आने शुरू हो जाएंगे। हम लोगो से क्या कहेंगे!! हम शादी कैंसिल क्यों कर रहे है?? लड़का कहा गया है?? हम उन्हें लड़के की सच्चाई बता भी देंगे ना तब भी वोह लड़की की कोई ना कोई गलती ज़रूर निकलेंगे।" शाज़िया गुस्से से बोली। "अभी आप उनके घर जाए और उन लोगो से बात करे अगर उस लड़के को कोई और लड़की पसंद थी तो वोह हमे पहले बताते। हमारे सामने तो उनका बेटा ऐसे शो कर रहा था जैसे उससे ज़्यादा खुश कोई और है ही नही और अब देखो किसी और को अपनी बीवी बना कर ले आया।" शाज़िया ने उठते हुए कहा तो सानिया उनके सामने आ कर खड़ी हो गयी। "आप लोगो की फिक्र ना करे अप्पी किसे क्या और कैसे जवाब देना है येह मेरी प्रॉब्लम है और भाई आप उन लोगो से बात करने नही जाएंगे क्योंकि मुझे ऐसा बटा हुआ आदमी नही चाहिये।" सानिया ने उन दोनों को देख कर सीरियस हो कर कहा और कमरे से चली गयी। "शाज़िया सानिया बिल्कुल ठीक कह रही है और हमे ऐसे गिरे हुए लोगो को मुंह लगाने की ज़रूरत नही है। मेरे पास इस प्रॉब्लम का एक सलूशन है। तुम फिक्र मत करो येह शादी ज़रूर होगी और उसी दिन होगी जिस दिन को तै किया गया था।" रुहान ने शाज़िया को परेशान देख कर आराम से कहा। "आप का क्या मतलब है??" रुहान की बात सुन कर शाज़िया ने हैरानी से पूछा तो वोह मुस्कुराते हुए उसे देखने लगा। ........ "आप लोगो ने सोच भी कैसे लिया कि मैं सानिया से शादी करूँगा??" अमान ने चिल्ला कर कहा तो रुहान साहब ने उसे घूर कर देखा। "तुम्हे शादी करने में प्रॉब्लम क्या और वैसे भी एक न एक दिन तुम्हारी शादी करनी ही थी तो अब हो जाएगी तो क्या क़यामत आ जायेगी!?" रुहान साहब ने दहाड़ते हुए कहा तो अमान ने गुस्से से टेबल पर लात मारी तो उस पर रखा हुआ जग और गिलास नीचे गिर गया। शाज़िया बेगम ने दहल का मुंह पर हाथ रख लिया मगर रुहान साहब का दिल जर रहा था कि वोह उस जानवर को दो थप्पड़ लगा दे। "मुझे शादी करने से नही बल्कि सानिया से प्रॉब्लम है। मैं उससे शादी नही करना चाहता हु......और मॉम आप ही तो हर वक़्त कहती थी कि वोह मेरी खाला है। मैं उसकी इज़्ज़त कर और अब आप ही कह रही है कि मैं उससे शादी कर लूं।" अमान ने चिल्लाते हुए कहा और आखिर में शाज़िया बेगम का हाथ थाम के उस ने नरमी से पूछा। "कर वोह तुम ही थे जो कहते थे कि वोह मेरी खाला नही है और मरते दम तक उसे खाला नही मनुगा तो देखो तुम्हारी दुआ क़ुबूल हो गयी और अब दे वोह तुम्हारी खाला नही रहेगी।" शाज़िया ने प्यार से उसे समझाते हुए कहा तो अमान की नसें गुस्से से तन गयी। "वोह मुझ से पूरे दो साल बड़ी है। मुझे अपने लिए बीवी चाहिए कोई टीचर नही क्योंकि मैं अपनी बीवी के मुंह से प्यार भरी बातें सुनने चाहता हु ना कि लेक्चर।" अमान ने झुंझला कर कहा तो शाज़िया अपने मुंह पर हाथ रख कर अपनी हंसी छुपाने लगा। "और तुर्की में जब तुम खुद से चार/ आठ से बड़ी गर्लफ्रैंड बनाते थे तब तुम्हे इस बात का होश नही रहता था। उन से तो तुम्हे कोई प्रॉब्लम नही थी तो शादी करते वक़्त तुम्हे क्यों मौत पड़ रही है।" "और सानिया तो तुम से दो साल ही बड़ी है मगर तुम खुद को देखो कैसे साँड बन गए हो। उस नाज़ुक सी बच्ची से दो साल छोटे नही बली दस पन्द्रह साल बड़े ही लगते हो।" "पांच साल पहले मैं ने अपने बेटे को तुर्की भेजा था लेकिन पांच साल बाद उन लोगो ने किसी गोरैल को मेरे बेटे की शक्ल दे कर वापस भेज दिया।" "चार दिन बाद तुम्हारी शादी है चुप चाप आ कर इज़्ज़त से येह शादी कर लेना वरना मैं समझूंगा पहले बाप की नही मानते थे और अब बाप को बाप नही मानते हो।" रुहान साहब ने ठंडे लहजे में एक एक शब्द चबा कर कहा और शाज़िया का हाथ पकड़ कर कमरे का दरवाज़ा बन्द करते हुए बाहर चले गए।

  • 6. You are only mine - Chapter 6

    Words: 1271

    Estimated Reading Time: 8 min

    "मैं तुम्हे छोडूंगा नही सानिया, बस एक बार हमारी शादी हो जाये मैं तुम से गिन गिन कर बदले लूंगा। तुम मुझे बहोत लेक्चर देती थी ना तो अब तुम देखो मैं तुम्हारी बोलती कैसे बन्द करवाता हु। तुम पर हाथ नहीं उठा सकता हु और ना ही मैं तुम्हारी ज़ुबान कक मुकाबला कर सकता हु लेकिन तुम्हे खुद में कैद करके मैं तुम्हे बेबस तो कर ही सकता हु। मेरा ऐसा कोई इरादा नही था लेकिन अब घर वाले चाहते है तो ऐसा ही सही।" अपने भूरे सिल्की बाल की पोनी खोल कर, दोनो हाथ ड्रेसिंग पर रखे, आंखों में चमक लिए, अमान खुद को शीशे में देख कर मुस्कुराते हुए बोला और अपने बालों में हाथ फेर कर उन्हें पीछे करते हुए, अपनी चैन को उंगली में घुमाते हुए और सीटी पर कोई धुन बजाते हुए वोह ड्रेसिंग रूम में चला गया। ............ "मम्मा आप कहा जा रही है??" हायत बेगम को तैयार होते देख कर नादिया ने आंखों में चमक लिए हुए उन से पूछा तो वोह मुस्कुराने लगी। "वोह नीलो बता रही थी हमारे खेतो में जो राणा काम करता है ना उसके घर बेटी हुई है। बस मैं उससे बच्ची को देखने और उसे कुछ पैसे देने जा रही हु।" हायत बेगम ने अपना छोटा सा बटुवा कमीज की जेब मे डालते हुए उसे जॉब दिया तो नादिया मुंह बना कर उन्हें देखें लगी। "मम्मा मैं ने आप से कितनी बार कहा है तो मेरा बैग ले कर जाया करे आफ्टर आल आप इस गाँव के सरपंच की बीवी और उनके दिल की मलिका है लेकिन नही आप आदमियो की तरह जेब बनवा लेती है और येह बटुवा!! मुझे येह बिल्कुल भी नही पसंद है।" नादिया ने मुंह बना कर हक़यात बेगम की कमीज में लगी जेब की तरफ इशारा करते हुए कहा तो वोह हंस पड़ी। "ओये झल्ली जब हमारे पास येह बैग शैग नही थे ना तब हम ऐसे ही रखते थे और अब तो मुझे इसकी आदत भी हो गयी है।" "तुझे पता है जब तेरे पापा नए नए पंचायत के सरदार बने थे तो मुझ पर हजारों ज़िम्मेदारिया आ गयी थी। तब मेरी सास आने हाथो से मेरे लिए कपड़े सिलती थी और उन में जेबें लगा देती थी वरना औरतों की प्रॉब्लम सुनते, तुम्हारे पापा के साथ खेतों में काम करते मुझ से येह गठरी भी गुम हो जाती थी।" हायत बेगम ने बाहर बरामदे में आते हुए खाक लेकिन खेतो वाली बात सुन कर नादिया की आंखे हैरानी से फैल गई। "आप भी खेतो में काम करती थी!? मतलब तब नौकर नही थे??" नादिया ने दिलचस्पी से पूछा तो हायत बेगम ने अपनी जगह रुक कर मुस्कुराते हुए उसे देखा। जिसे बातें सुनने का बेहद शौक था। रेहान कक तो कहना था की अगर दुनिया मे एक तरफ जंग शुरू हो और दूसरी तरफ नादिया की बातें तो जंग खत्म हो सकती है लेकिन नादिया की बातें नही। "नौकर भी थे लेकिन जब तेरे पापा पंचायत के काम से फ्री होते थे ना तो वोह सब को वापस घर भेज कर खेतो में खुद अकेले काम करते थे तो मैं भी उनकी मदद के लिए चली जाती थी।" हायत बेगम ने खोये हुए अंदाज़ में कहा जबकि उन्हें इस तरह देख कर नादिया अपनी हंसी छुपाने की भरपूर कोशिश कर रह थी। "हाये मम्मा वोह दिन भी क्या दिन थे।" हायत बेगम को साइड से गले लगाते हुए नादिया ने मुस्कुरा कर कहा तो हायत बेगम ने चोंक कर नादिया को देखा। "चल अब हट मुझे जाने दे वरना थोड़ी देर में अंधेरा हो जाएगा।" हायत बेगम ने नादिया को अपने पास से हटाते हुए कहा तो वोह सिर झुकाए उन के सामने आ कर खड़ी हो गयी। "आप मुझे इरम के घर छोड़ दे, उस दिन भाई घर पर थे तो मैं नही जा पाई थी और अब तो सीरियल भी खत्म होने वाला है।" नादिया ने मासूम सी शक्ल बना कर, आंखे पटपटाते हुए, होंठो को बाहर निकाल कर हायत बेगम से कहा तो वोह गहरी सांस ले कर अपना सिर ना में हिलाने लगी। "ठीक है तू अपना दुप्पटा ठीक कर ले और फिर मेरे साथ चलना लेकिन मेरी एक बात सुन ले तू वापस मेरे ही साथ आएगी।" हक़यात बेगम आँगन में आते हुए बोली तो नादिया खुशी से अपना सिर हां में हिलाते हुए उनके साथ बाहर चली गयी। ........... "येह मम्मा और नादिया कहा है?? कहि दिख नही रही है!" रेहान ने बगीचे की पिछली तरफ काम कर रही नीलो से पूछा। "मुझे नही पता सरदार, मैं दोपहर में घर आई थी तो वोह लोग घर पर नहीं थे।" नीलो ने जल्दी से कहा। "ठीक है।" रेहान न कहा और वापस अंदर चला गया। वोह आज चार बजे ही वापस हवेली आ गया था लेकिन उसे अंदर ना तो हायत बेगम दिखी औरर ना ही नादिया। उसे गया शायद नादिया बगीचे में होगी क्योंकि उसका सारा दिन इस खूबसूरत बगीचे में ही गुज़रता था। रेहान ने येह बगीचा अपने लिए बनवाया था लेकिन फिर उसे कुछ दिनों के लिए शहर जाना पड़ गया था और जब वोह वापस आया तो नादिया मैडम उस पर कब्ज़ा कर चुकी थी। हवेली की दूसरी दीवारों के मुकाबले बगीचे की दीवार ऊंची ऊंची थी जिस पर बेलें लिपटी हुई थी। बगीचे में हर तरफ सफेद और लाल गुलाब लगे हुए थे और इनके इलावा वहां और भी रंग बिरंगे फूल लगे हुए थे। ज़मीन पर बिछी हरि घास और फूलों और मिट्टी की भीनी भीनी खुशबू इस मंज़र को जान लेवा हद तक खूबसूरत बना रहे थे। दाएं तरफ लड़की का झूला लगा हुआ था जिसके अस पास बेले लिपटी हुई थी और इन बेलों पर नादिया ने फूल तोड़ कर लगाए हुए थे। बीचे में लगे फाउंटेन से बहते पानी का शोर उस माहौल को और भी खूबसूरत बना रहा था। "सरदार वोह बेगम साहेब राणा जी के घर गयी है और छोटी मालकिन अपनी सहेली के घर गयी है।" रेहान ने जब दूसरी मेड से पूछा तो उसने डरते डरते सब सच सच बता दिया। येह सुन कर की नादिया अपनी दोस्त के घर गयी है रेहान ने आने जबड़े भींच लिए और फिर वापस मुड़ कर गुस्से से हवेली के बाहर निकल गया। थोड़ी देर बाद वोह एक आलीशान से घर के बाहर आ कर खड़ा हुआ दरवाज़े को नॉक कर रहा था लेकिन अंदर से कोई आवाज़ नही आई। उसने दरवाज़ा नॉक किया तो दरवाज़ा खुल गया। अपने सामने खड़े इरम के छोटे भाई को देख कर रेहान की नसें गुस्से से तन गयी। वोह उम्र में तो सोलह साल का था लेकिन रेहान अच्छे से जानता था कि वोह कितना आवारा लड़का है। रेहान को उस लड़के से ज़्यादा नादिया पर गुस्सा आ रहा था जो इस वक़्त यहां मौजूद थी। "क्या खाला घर पर है??" रेहान ने सख्त लहजे में पूछा। उसका मकसद तो बस येह जानना था कि इस वक़्त घर मे कौन कौन मौजूद है। "नही रेहान भाई माँ तो आपकी माँ जी के साथ गयी है मगर इरम और...." अभी वोह अपनी बात करता की तभी रेहान उसे साइड में धकेलते हुए दरवाज़ा बन्द करके अंदर आ गया। अगर इरम की माँ इस वक़्त घर होती तो शायद वोह अपना गुस्सा दबा लेता मगर यह जान कर की वोह घर पर नही है और येह आवारा लड़का इस वक़्त घर और है रेहान का बस नही चल रहा था कि नादिया उसके सामने हो और वोह उसका गला दबा दे। रेहान अंदर आया और सामने कमरे से आती आवाज़ें सुन कर सकी तरफ बढ़ गया जबकि इरम का भाई पीछे से अरे अरे करता ही रह गया। मगर रेहान चौधरी जब अंदर गया तो अपनी जगह जम सा गया। गुस्से की एक लहर उसकी रग रग में दौड़ गयी।

  • 7. You are only mine - Chapter 7

    Words: 1691

    Estimated Reading Time: 11 min

    "क्या फायदा तुम्हारी इतनी बड़ी हवेली का जिसमे एक टी वी ही ना हो।" इरम ने अफसोस भरे लहजे में कहा तो नादिया मुंह बना कर उसे देखने लगी।"तुम कहा जा रही हो???" "अब तुम अपनी दोस्त को ताने दोगी।" नादिया टी वी पर चलते सीरियल को देखते हुए बोली तो इरम अपनी मुस्कुराते हुए समोसे की प्लेट उसके सामने कर दी। "तुम ताना ही समझो और वैसे भी हम मासूम लड़कियों को कहा गगर से बाहर निकलने दिया जाता है। हम तो घर मे एक दूसरे की शक्ल देख कर ही बोर हो जाते है इसीलिए टी वी देख कर थोड़ा सा मूड फ्रेश कर लेते है।" इरम ने समोसा खाते हुए कहा तो नादिया सिर झटक कर चैनल चेंज करने लगी। "मगर हमारे हमारे लाड साहब का कहना है मूड फ्रेश करना है तो किताबें पढ़ो मूड भी फ्रेश हो जाएगा और दुनिया के बारे में पता भी चलेगा।" नादिया ने मुंह बना कर कहा और गाने के चैनल लगा कर हाथ झाड़ते हुए उठ कर खड़ी हो गई। "चल उठ डांस करते हैं।" नादिया ने इरम का हाथ पकड़ कर उसे कालीन से उठाते हुए कहा तो वह मुंह बना कर उठ गई। " एक तो यह मनहूस डांस तुम्हारा तो पता नहीं लेकिन मुझे लगता है मेरी हड्डी पसली जरूर टूट जाएगी।" इरम ने नादिया का हाथ थामते हुए कहा तो वो हंसने लगी। नादिया को डांस बहुत पसंद था और किसी के साथ तो वह डांस कर नहीं पाती थी इसीलिए इरम बेचारी की शामत आती रहती थी और इस वक्त भी वह इरम की सिर पर पगड़ी बांध कर उसे लड़कों का गेट अप दे कर अपना शौक पूरा कर रही थी। इरम को शिकायत भरी नजरों से देखते हुए नादिया डांस स्टेप फॉलो करते हुए अपने दुपट्टे को घुमा कर अपना रुख बदला तो अपने सामने दरवाजे के बीचो बीच खड़े रेहान चौधरी को चेहरे पर खूंखार एक्सप्रेशन सजाए देख कर नादिया के हाथ पैर को ब्रेक लग गया। "भा...भाई।" नादिया ने घबराते हुए डरते डरते उसे पुकारा जो गुस्से से लाल आंखों के साथ उसे देख रहा था। "अपना दुपट्टा ठीक से लो और बाहर आओ वरना तुम्हारी कबर खोद कर मैं तुम्हें यही दफन कर दूंगा।" रेहान ने गुस्से से कहा और अपनी पीठ फेर कर खड़ा हो गया। नादिया ने जल्दी से अपना दुपट्टा ठीक किया और बाहर की तरफ बढ़ गई। वह दरवाजे के पास आए तो इरम के भाई ने दरवाजा खोला, रेहान ने सख्त नजरों से उसे घूर कर देखा और अपने पीछे चलती नादिया को बाजू से पकड़ कर अपने बराबर किया और अपना हाथ नादिया के कंधे पर रख कर बाहर की तरफ बढ़ गया। बाहर निकल कर रेहान ने नादिया का हाथ सख्ती से अपनी पकड़ में ले लिया और तेज तेज कदम ले कर चलने लगा। उसके इस तरह पकड़ने पर नादिया को लग रहा था कि आज उसके हाथ की उंगलियां जरूर टूट जाएंगी मगर फिर भी वह अपने होंठ दांतों से दबा कर दर्द बर्दाश्त करते हुए रेहान चौधरी के साथ घसीटती चली जा रही थी। ......... रेहान घर आया और नादिया को अपने साथ ले अपने कमरे में की तरह चला गया। कमरे में पहुंच कर उसने नादिया को बेड पर पटकने वाले अंदाज में बिठाया और अपनी चॉकलेट ब्राउन सिल्की बालों में हाथ फेरते हुए अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश करने लगा। नादिया की हरकत पर आज रेहान को बहुत गुस्सा आ रहा था ऐसे ऐसा लग रहा था जैसे उसकी नसे गुस्से की वजह से अभी फट जाएंगी। रेहान का चक्कर काटते देख कर नादिया नहीं अपनी सूखे होठों को जबान से प्यार किया और एक नजर दरवाजे की तरफ देखा और फिर नज़र रेहान को देख कर दबे कदमों से बाहर जाना चाहा तो रेहान ने एक झटके में नादिया को पकड़ कर अपने सामने किया और उसके बालो को अपनी मुट्ठी में दबोच लिया। " क्या मैं तुम्हारे सामने बकवास करता हूं या मैं तुम्हें पागल नजर आता हूं एक बार नहीं मैं नहीं तुमसे हजार बार बोला है कि नादिया घर से बाहर मम्मा के अलावा किसी और के साथ ना जाया करो मगर नहीं तुम्हें तो अपनी ही मर्जी की ही करनी है ना..... जब तुम जानती थी कि इरम के अलावा बस उसका भाई घर पर है तो तुम पहली फुर्सत में घर क्यों नहीं आई?" नादिया के चेहरे पर अपनी दहकती सांसो को छोड़ते हुए रेहान ने दहाड़ते हुए कहा तो नादिया ने सख्ती से अपनी आंखें बन्द कर ली लेकिन रेहान की मुट्ठी में जकड़े अपने बालो की वजह से अपने सिर में उठते दर्द को बर्दाश्त करते हुए उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे। " वह..... वह मेरे छोटे भाई जैसे आप है आप कैसे......" अभी नदिया की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि रेहान ने उसे बिल्कुल धक्का दे दिया। "मुझे तो तुम मासूम लगती थी नादिया मगर तुम तो सबसे बड़ी बेवकूफ हो भाई जैसा और भाई होने मे ज़मीन आसमान का फर्क होता है ऐसे ही भाई बनने से कोई भाई बन जाए ना नादिया तो कूड़े करकट में मासूम लड़कियों की लाशे ना मिले जिन्हें यही लोग अपनी हवस का निशाना बनाते हैं।" " तुम्हें क्या लगता है वह उन्हें ऊपर वाले का वास्ता नही देती होंगी, उन्हें हाथ जोड़ कर ना कहती होंगी कि उनके साथ यह जुल्म ना करें वोह उनकी बहन बेटियों की उम्र की है।" " मगर वह उन की एक नहीं सुनते है।" " तुम लड़कियों के भाई कह देने से कोई भी आदमी तुम्हें बहेन नहीं बना लेता है।" " किसी को बहन बेटी बीवी बना लेना इतना आसान नहीं होता, इससे पहले उन्हें अपनी इज्जत मानना पड़ता है। अपनी जान से बढ़ कर उनकी इज्जत की हिफाज़त करनी होती है। मां बहने आदमियों की जिम्मेदारी होती है और तुम्हें लगता है कोई भी राह चलते आदमी को तुम लड़कियों के भाई कहने पर वह भाई बन कर तुम्हें अपनी जिम्मेदारी बना लेगा।" "आदमी छोटा या बड़ा नहीं होता है..... आदमी अपनी हवस पूरी करने के लिए औरत की नस्ल उमर रंग तक नहीं देखता है।" " मैं मानता हूं नादिया हर आदमी बुरा नहीं होता है मगर सिर्फ अपने रिश्तेदार के लिए, तुम किसी ऐसे सड़क के किनारे पर चल रही हो जिसके दूसरे किनारे पर कोई गैर आदमी था तो लोग तब भी तुम्हारे कैरेक्टर को गलत समझेंगे की क्या जरूरत थी वहां चलने की जहां कोई गैर आदमी था।" " और तुम अपनी सहेली के साथ उसके भाई के होने पर भी उसके घर में अकेली मौजूद थी। तुम खुद सोचो अगर कोई तुम्हें वहां देख लेता तो तुम्हारे बारे में क्या सोचता??" " मैं ने तो सुना है औरत अपनी तरफ उठने वाली हर बुरी निगाह को पहचान लेती है तो फिर उस शैतान आदमी की आंखों में तुम्हे हवस क्यों नजर नहीं आए जिसे मैं आदमी होते हुए देख कर आ रहा हूं।" रेहान अपने लहजे में आग सी तपिश लिए हुए दहाड़ते हुए बोला तो नादिया हिचकियां के साथ रोने लगी जबकि गुस्से की वजह से रेहान का सफेद चेहरा लाल पड़ गया था। उसकी तेज तेज चलती सांसे इस वक़्त उसके गुस्से में पता दे रही थी। उसके चॉकलेट ग्रे सिल्की बाल बातें पर बिखरे हुए थे। उसने अपनी जैकेट उतार कर गुस्से से नादिया के ऊपर फेंका और टेबल को ठोकर मारते हुए धड़ाम की आवाज के साथ से दरवाजा बंद करते हुए बाहर चला गया। रेहान चौधरी की आंखों के सामने से इरम के भाई की वह हवास भरी नजरें नही हट रही थी है जो नादिया पर टिकी हुई थी। येह सिर्फ रेहान ही जानता था कि उसने अपने गुस्से को किस तरह कंट्रोल किया था वरना उसका दिल तो कर रहा था कि वह उस लड़के को जान से मार दें और दो थप्पड़ नादिया को भी लगाए। रेहान कमरे में आ कर अपनी शर्ट उतार कर जमीन पर फेंकी और वॉशरूम में चला गया। उसने शावर ऑन किया और दोनों हाथ दीवार पर टिका कर उसके नीचे खड़ा हो गया। " तुम कोशिश करना कुछ दिन मेरे सामने ना आओ नादिया वरना मैं क्या कर दूंगा इस बात का तो मुझे भी नहीं।" रेहान अपने माथे पर आए बालों को पीछे करते हुए गुस्से से बोला और अपनी आंखें बंद की तो उसकी आंखों के सामने नादिया का रोता हुआ चेहरा नजर आने लगा। रेहान ने गुस्से से अपनी आंखें खोली और अपने हाथ का मुक्का बना के गुस्से से दीवार पर दे मारा। .............. सानिया अपने सामने बेड पर पड़े लहंगे को देख कर गहरी सांस भरते हुए उसे बैग में रखने ही लगी थी कि तभी उसे अपने पीछे से दरवाजा बंद होने की आवाज आई। उसने पलट कर पीछे देखा उसकी नजरें दरवाज़े से टेक लगाए खड़े आमान से टकराई। जो चेहरे पर दिल जला देने वाली मुस्कुराहट सजाएं उंगलियों से अपने गले में पहनी चैन को घुमाते हुए आंखों में चमक लिए सानिया को ही देख रहा था। "तुम यहां क्या कर रहे हो??" सानिया ने सख्त लहजे में कहां तो आमान बिना उसे जवाब दिए उसकी तरफ बढ़ने लगा। " मैं अपनी दूर की खाला को अपने नजदीक की होने वाली बीवी बनने की मुबारकबाद देने आया हूं।" अमान सानिया का हाथ पकड़बकर एक झटके से अपने करीब करते हुए कहा। सानिया जो इन सब के लिए तैयार नहीं थी अमान के अचानक ऐसा करने पर है वह सीधा कर उसके सीने से टकरा गई। अभी सानिया उसे पीछे करती की इससे पहले अमान ने उसे सख्ती से पकड़ लिया। " मान येह क्या बदतमीजी है छोड़ो मुझे!!!" सानिया ने दांत पीसते हुए चिल्ला कर कहा। उसकी बात सुन कर अमान ने सानिया को समझने का मौका दिए बिना ही उसके बाल को अपनी मुट्ठी में भर कर उसका सिर पीछे किया और अपने दांत सानिया की गर्दन पर गड़ा दिए जिस पर सानिया ने अपने होंठ दातों के तले दबा कर अपनी सिसकी रोकने की कोशिश की और एक झटके में अमान को खुद से दूर धकेल दिया। सानिया के दूर धकेलने पर भी अमान अपने होंठो पर अंगूठा फेरते हुए बेबाक नज़रो से फिर भी उसे ही देख रहा था। "मुझे नहीं पता था कि तुम्हें मुझे मान पुकारने का इतना शौक है और अब देखो ऊपर वाले ने वोह हक़ हमेशा के लिए तुम्हारी किस्मत में लिख दिया।"

  • 8. You are only mine - Chapter 8

    Words: 1003

    Estimated Reading Time: 7 min

    "मुझे नहीं पता था कि तुम्हें मुझे मान पुकारने का इतना शौक है और अब देखो ऊपर वाले ने वोह हक़ हमेशा के लिए तुम्हारी किस्मत में लिख दिया।" "उफ्फ्फ मुझे तो इस बात अंदाजा ही नहीं था कि तुम मान से जान तक का सफर इतनी जल्दी करने वाली हो और अब तक तुम मेरी मोहब्बत में मान जान और ना जाने मुझे कौन-कौन से नामों से पुकारने वाली हो मिसेज़ अमान सिद्दीकी।" सानिया का हाथ अपनी पकड़ में लेते हुए और अपना चेहरा उसकी गर्दन में छुपाए अमान ने बोझल लहजे में कहा तो सानिया का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। "घटिया इंसान पीछे हटो वरना मैं तुम्हें जान से मार दूंगी।" अमान के लंबे बालों को अपनी मुट्ठी मे दबोचते हुए सानिया ने गुस्से से कहा तो अमान हंसते हुए दो कदम पीछे हट गया और अपनी एक्स-रे करती नजरों से सानिया के गुस्से से लाल चेहरे को देखने लगा। " यह नाम भी अच्छे हैं शुक्र है तुमने कुछ तो चेंज किया वरना तुम गलती से मुझे किसी ऐसे नाम से पुकारा होता जिससे मेरी किसी गर्लफ्रेंड ने बुलाया हो तुम मैं भी जज्बात में बहकर तुम्हें उसके नाम से पुकार बैठता तो तुम हर्ट हो जाती ना।" अमान ने उदासी से अपना सिर हिलाते हुए कहा तो सानिया का बस नहीं चल रहा था कि उस देव जैसे इंसान का गला दबा दें। " यह तुम्हारी खुश फहमी है कि मैं कभी तुम्हें अपने करीब आने दूंगी क्योंकि मैं तुम्हारे करीब आने से बेहतर मरना पसंद करूंगी।" सानिया ने चिल्लाते हुए कहा। यह आदमी हमेशा उसके खून जलाने का काम करता था और आप भी बहुत चेहरे पर दिल जला देने वाली मुस्कुराहट लगाए हुए सानिया को ही देख रहा था लेकिन उसकी बात सुनने के बाद अमान का चेहरा एकदम से सपाट हो गया। अमान गुस्से से सानिया के करीब गया उसका हाथ मरोड़ कर पीठ से लगा कर अपना एक हाथ सानिया के कंधे से ले जाते हुए उसकी गर्दन को उस ने पीछे से दबोच लिया और अपने चेहरा उसके कान के करीब कर दिया। "तुम्हें शादी नहीं करनी है ना करो क्योंकि शादी से पहले तुम्हे अपने लिए हर फैसला लेने का हक़ है लेकिन शादी के बाद तुम येह बात भुल जाना कि मैं तुम्हारी एक भी सुनूंगा। शादी के बाद मैं तुम्हारे करीब आने, तुम्हारे जिस्म की गहराइयों से रूह तक उतरने से मैं खुद को भी रोक नही पाऊंगा तो तुम किस खेत की मूली हो सानिया बेबी।" "शादी के बाद तुम सिर से ले कर पांव तक, ज़िन्दगी से ले कर मौत तक, सांसो से ले कर धड़कनों तक, दुनिया से ले कर स्वर्ग तक तुम सिर्फ और सिर्फ अमान सिद्दीकी की हो जाओगी।" "अगर तुम येह सोच रही हो कि मैं थर्ड क्लास सीरियल के हीरो की तरह ज़बरदस्ती की शादी पर बीवी से दूर रहूंगा। या फिर हसबैंड बेड पर और वाइफ सोफे पर सोएगी तो तुम अपनी येह गलत फहमी अपने कमरे में ही छोड़ कर आना।" "क्योंकि अपना हक तो अमान मर कर भी छोड़ने वालो में से नही है। तुम मेरी बीवी बन रही हो कोई मज़ाक़ नही चल रहा जो मैं इन फालतू सीरियल के हीरो की तरह रियेक्ट करूँगा।" "तुम जब मेरे कमरे में आओगी तो तुम खुद को इस रिश्ते को शुरू करने के लिये मेंटली तैयार रखना और....." अमान सख्त लहजे में एक एक शब्द चबाते हुए बोला और फिर आखिर में शरारत से सानिया को देखते हुए अपनी बात अधूरी छोड़ दिया। सानिया तो बस फ़टी फ़टी आंखों से अमान को देख रही थी जो होंठो के किनारे को दांतों से दबाए उसे हि देख रहा था। "तुम सिर्फ मेंटली तैयार हो कर आ जाना बाकी का काम में खुद ही कर लूंगा।" अमान अपना अंगूठे से ज़ोर से सानिया के होंठो को रब करते हुए बोला कर फिर उसे बेड पर धक्का दे कर लम्बे लम्बे कदम लेते हुए वहां से चला गया। जबकि सानिया अभी भी बेयक़ीनी से अभी भी हैरान सी बेड पर बैठी दरवाज़े की तरफ देख रही थी। उसे अपने चेहरे पर अभी भी अमान की दहकती हुई सांसो की तपिश महसूस हो रही थी और अपनी गर्दन पर आमान के दिये हुए ज़ख्म पर जलन महसूस करते हुए उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे थे। ................ रात के दस बज रहे थे और इस वक़्त प्राइवेट हॉस्पिटल के कॉरिडोर में बहोत ही कम लोग थे। खुद को पूरी तरह से एक काली चादर में छुपाए हुए एक लड़की कॉरिडोर में चलते हुए एक रूम के सामने आ कर खड़ी हो गयी। उस ने अस पास नज़रें दौड़ाई और फिर एक नज़र सामने दरवाज़े पर देखा जिस पर डॉक्टर अली लिखा हुआ था। अपनी चादर को ठीक करते हुए वोह उस कमरे की तरह बढ़ने ही लगी थी कि तभी एक लड़का जिसके हाथ मे पकड़ी टरे में दो चाय का कप रखे थे उसके पास से गुज़रा और किसी की नज़रो में आये बिना ही उस ने लड़की को एक कभी पकड़ाई और वहां से चला गया। चाभी मिलते ही वोह लड़की चलते हुए उस कमरे के सामने आ कर घड़ी हो गयी और गहरी सांस लेने के बाद फिर उस ने दरवाज़े नॉक किया। उसके नॉक करने के थोड़ी देर बाद उसे अंदर बुला लिया गया था। वोह लड़की अभी कमरे के अंदर जाने ही वाली थी कि तभी उस कमरे से एक नर्स भागने वाले अंदाज़ में बाहर निकली जिसका चेहरा इस वक़्त बिल्कुल लाल था और उसका पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था। उस लड़की की बारीक आंखों से उस नर्स के हाथ की कपकपाहट छुपी नही रह सकी थी। उस नर्स की आंखों में आंसू देख कर उस लड़की ने गुस्से से अपने होंठो को भींच लिया और फिर गहरी सांस ले कर अंदर चली गयी। "डॉक्टर...डॉक्टर साहब।" उस लड़की ने डॉक्टर को देख कर घबराते हुए उसे पुकारा तो उस डॉक्टर हुंकार भरते हुए उसे बैठने का इशारा किया। डॉक्टर की बात सुब कर वोह लड़की उसका शुक्रिया अदा करती हुई कुर्सी पर बैठ गयी। "हां बोलो क्या प्रॉब्लम है??" डॉक्टर ने उकताए हुए लहजे में पूछा।