यह कहानी है जानवी की ,,,,,,जो बहुत ही प्यारी है,,,और अपने घरवालों की लाडली है,,,,,,और साथ में बहुत जिद्दी भी।,,,,,,जो काम एक बार थान ले,,,,,,वो कर के ही रहती है।,,,,,,वो कर बैठी है अंश से प्यार,,,,,,,,और फिर घर वाले उनकी सगाई भी तैय कर देते हैं। ,,,,... यह कहानी है जानवी की ,,,,,,जो बहुत ही प्यारी है,,,और अपने घरवालों की लाडली है,,,,,,और साथ में बहुत जिद्दी भी।,,,,,,जो काम एक बार थान ले,,,,,,वो कर के ही रहती है।,,,,,,वो कर बैठी है अंश से प्यार,,,,,,,,और फिर घर वाले उनकी सगाई भी तैय कर देते हैं। ,,,,,,लेकिन अंश दे रहा है जानवी को धोखा। आख़िर क्यों अंश दे रहा है जानवी को धोखा? क्या है राज,,,,,, और अंश के धोखे के बाद,,,,,,,क्या जानवी टूट कर बिखर जाएगी?,,,,,,,या फ़िर भी करती रहेगी उससे मोहब्बत?,,,जानने के लिए पढ़ते रहे mistake in love
Ansh
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Janvi
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एक लड़की शॉवर के नीचे बैठी रो रही थी, मानो वह अपने आँसुओं को बहते पानी में छिपाने की कोशिश कर रही हो। लड़की देखने में बहुत खूबसूरत थी, पर उसकी आँखें रोने से लाल और सूजी हुई थीं। उसकी आँखें ऐसा कह रही थीं मानो आज उससे सब कुछ छिन गया हो, उसका दिल लाखों टुकड़ों में टूट गया हो। कुछ देर पहले की बातें याद कर उसे सीने में दर्द सा होता हुआ महसूस हुआ और उसकी आँखों में बेरोकटोक आँसू बहने लगे।
कुछ देर पहले
फ़्लैशबैक
एक खूबसूरत लड़की, जिसके हाथ में 'ए जे' नाम का पेंडेंट था, ने बेबी पिंक और व्हाइट कॉम्बिनेशन की ड्रेस पहनी हुई थी। वह देखने में बिल्कुल परी जैसी लग रही थी। उसकी पंखुड़ी जैसी कोमल हाथ और उसकी आँखें, माशाल्लाह! वह आज बहुत खुश थी, वह खुशी से उस पेंडेंट को देख रही थी।
अंश और जानवी... हाँ, यह थी हमारी हीरोइन जानवी, जो अंश और जानवी नाम के पहले शब्दों से बना पेंडेंट, अंश को उपहार में देने जा रही थी।
जानवी अंश के कमरे के गेट के बाहर पहुँची। जैसे ही उसने दरवाज़ा खोलने के लिए हाथ रखा, उसके कानों में अंश की चिढ़ाने वाली आवाज़ आई।
"तुम्हें एक बार में सुनाई नहीं देता कि मैं उससे प्यार नहीं करता?"
वहीं पास में खड़ी एक लड़की बोली,
"क्यों अंश, मैं समझ सकती हूँ। तुम उससे प्यार नहीं करते। तुमने उसे धोखा दिया है, सिर्फ़ उसका इस्तेमाल करने के लिए। तुमने उससे प्यार का नाटक किया। पर अंश..."
"डोली, तुम्हें क्यों समझ में नहीं आता? तुम इस वक़्त सिर्फ़ मेरी असिस्टेंट हो और यही बकवास कर रही हो। मेरी निजी जिंदगी में दखलअंदाज़ी करना ज़रूरी नहीं है।"
"हाँ अंश, मैं समझती हूँ कि मैं तुम्हारी असिस्टेंट हूँ, पर उससे पहले मैं तुम्हारी दोस्त भी तो हूँ। तुम उसकी खातिर तो मुझे बता सकते हो कि तुमने उस लड़की को धोखा क्यों दिया?"
"तुम क्यों जानना चाहती हो डोली? और वैसे भी, जानकर भी तुम क्या करोगी?"
"मैं तुम्हारी बचपन की दोस्त हूँ अंश, तब भी तुम मुझे नहीं बता सकते?"
"क्या बताऊँ मैं तुम्हें? या बताओ कि मैंने उससे सिर्फ़ प्यार का नाटक किया था। मुझे उससे कोई लेना-देना नहीं है, समझी तुम?" थोड़ा शांत होते हुए अंश बोला,
"उसे लगता है कि मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ, पर कोई प्यार-व्यार नहीं था। वह सिर्फ़ एक नाटक था। हमारी पहली मुलाक़ात, उसका मेरे ऊपर गिरना... उसे लगता है कि वह गलती से गिरी थी, नहीं, मैंने उसे गिराया था क्योंकि मुझे उसे अपने प्यार के जाल में फँसाना था। उसे प्रपोज करना, वह सब एक नाटक था। उसके साथ प्यार की बातें करना, वह सब बस नाटक था। सुन लिया तुमने? या और कुछ भी बाकी है सुनने को?"
अंश की दिल की बात सुन डोली बहुत खुश हो गई और फिर एक खतरनाक मुस्कान करते हुए एक बार गेट की तरफ देखा जहाँ जानवी खड़ी थी।
"सुनो जानवी, सुनो अपने प्यार के मुँह से कि वो तुमसे कितना प्यार करता है!"
(डोली, जो जानवी को गेट के पास खड़ा देखकर जानबूझकर अंश के मुँह से सच्चाई निकलवाना चाहती थी)
"डोली, अंश तुम सच में जानवी से प्यार नहीं करते?"
"मैं तुम्हें कितनी बार कहूँ कि मैं उससे प्यार नहीं करता, बिल्कुल भी नहीं!"
"अच्छा, तुम उससे प्यार नहीं करते तो फिर तुम उसे यहाँ क्यों बुलाया?"
अंश एटीट्यूड से सोफे पर बैठे हुए बोला, "उस दिन तो मुझे इतना गुस्सा आया था जब मुझे पता चला कि मेरी और जानवी की सगाई तय कर दी गई है। मुझे उस समय कुछ समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ कि सगाई टूट जाए। फिर मैंने अपने और उसके बीच कुछ गलतफ़हमियाँ क्रिएट कीं ताकि वह गलतफ़हमी की वजह से मुझसे एंगेजमेंट तोड़ दे। और फिर हुआ भी वैसा ही, उसने एंगेजमेंट तोड़ दी।"
"सगाई टूटने से मुझे फिर से टेंशन हो गई कि मैं जानवी को लंदन कैसे लाऊँ। और फिर क्या था, मैंने उससे गलतफ़हमियों को दूर किया और जानवी को मुझ पर फिर से भरोसा हो गया। और वह मेरी माफ़ी पाने के लिए मेरे पीछे लंदन आ गई। उसे क्या लगता है कि वह मुझसे माफ़ी माँगने के लिए लंदन आई है?"
"यह सब उसकी गलतफ़हमी है कि वह यहाँ आई है। वह यहाँ आई नहीं, उसे मैंने खुद यहाँ बुलाया है। यह सब मेरा प्लान था उसे इस लंदन में लाने का।"
"पर अंश, यह तो गलत है ना! तुमने जानवी के साथ कितना गलत किया है!"
अंश पूरे एटीट्यूड से बोला, "इसमें गलत क्या है? मुझे उसकी ज़रूरत थी और उसको मेरी। मुझे उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, मुझे तो सिर्फ़ अपने काम से फर्क पड़ता है। और उसे जिस काम के लिए यहाँ लाया गया है, वह काम उससे करवाकर ही रहूँगा, चाहे प्यार से या फिर जबरदस्ती से।"
अंश डोली से बातें करते हुए सोफे से उठा, तभी उसके फ़ोन की घंटी बजी। फिर उसने "एक्सक्यूज़ मी" कहकर गेट खोला और बाहर चला गया।
और वहीं कमरे के बाहर खड़ी जानवी, जो अंश के दिए धोखे से टूट चुकी थी, उनकी बातें सुनकर जैसे उसका दिल बाहर आने को हो रहा था। उसका सिर दर्द से फट रहा था, यह सोच-सोचकर कि अंश ने कभी उससे प्यार किया ही नहीं, वह तो सिर्फ़ उसका इस्तेमाल कर रहा था।
और फिर वह लॉकेट को अपनी मुट्ठी में बंद कर लेती है और जब अंश को कमरे से बाहर आता हुआ देखती है, तो वह जल्दी से उस दरवाज़े से हटकर वहीं पास में छुप जाती है। और वहीं डोली, अंश को कमरे से बाहर जाता देख, अपने मन में कहती है, "मैं तुम्हें कभी उस जानवी का नहीं होने दूँगी अंश!" और वह भी बाहर चली जाती है।
फ़्लैशबैक अंत
उसे खुद के सीने में दर्द सा होता हुआ महसूस हुआ और वह अपने दिल पर हाथ रखकर बोली, "आखिर क्यों तुमने मेरे साथ ऐसा किया? मैंने तो सिर्फ़ तुमसे प्यार किया था। तुम्हें आखिर मुझसे चाहिए ही क्या था? एक बार, काश एक बार बोलकर तो देखते, क्या पता मैं तुम्हें वह दे ही देती।"
"लेकिन तुम्हारे धोखे से मुझे प्यार पर से भरोसा ही उठ गया। मुझे अब तो खुद से नफ़रत होने लगी है कि मैंने तुमसे प्यार ही क्यों किया? क्यों मैं तुमसे प्यार करती हूँ? क्यों मैं तुमसे उस दिन मिली? आखिर क्यों मैंने तुम्हारे प्रपोजल को हाँ कहा? क्यों मैं तुम्हारी हर एक बात पर मर मिटी? और क्यों, क्यों मैं तुम्हारी सिर्फ़ एक माफ़ी के लिए अपने पूरे परिवार को छोड़ यहाँ तक आ गई? आखिर क्यों?" और फिर वह जोरों से रोने लगी। कुछ देर बाद जानवी अपने आँसू पोछकर खड़ी हुई और अपने आप से बोली, "तुम्हें मुझे बताना होगा मिस्टर अंश कि तुमने यह सब क्यों किया?"
यह कहकर जानवी वाशरूम से बाहर निकली और चेंजिंग रूम में जाकर अपनी ड्रेस चेंज करके बाहर आई।
कल हमने पढ़ा था कि अंश की सच्चाई जानवी के सामने आ जाने पर जानवी टूट गई थी।
अब आगे---
जानवी कमरे से बाहर निकली और अंश के कमरे की ओर जाने लगी। जानवी अंश के कमरे में पहुँची और अंश को चारों तरफ़ ढूँढ़ने लगी, लेकिन उसे अंश कहीं नज़र नहीं आया। तब जानवी वहाँ से जाने लगी, तभी उसे वॉशरूम का दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई। यह आवाज़ सुनकर जानवी पीछे मुड़ी तो अंश को देखा जो सिर्फ़ एक तौलिये में खड़ा था।
उसे इस तरह देखकर जानवी की साँसें रुक सी गई थीं। वह जो बात करने आई थी, वह भी भूल गई। वह एकटक सिर्फ़ अंश को देखती रह गई। और इधर अंश, जानवी को अपने कमरे में देखकर थोड़ा गुस्से में बोला, "यह कौन सा टाइम है यहाँ आने का? क्या तुम्हें पता नहीं है? जाओ यहाँ से, मैं तुमसे बाद में बात करता हूँ।"
और फिर उसने जानवी का हाथ पकड़कर अपने कमरे से बाहर निकाला और अंदर से दरवाज़ा बंद कर दिया।
दरवाज़ा बंद होने की आवाज़ से जानवी अपने होश में आई। फिर जानवी अपने आप से बोली, "यह मैंने क्या किया? मैं तो यहाँ उससे पूछने आई थी। उसने मेरे साथ यह सब क्यों किया? अब मैं क्या करूँ? मुझे सब कुछ पता चल जाएगा।" और फिर जैसे जानवी दोबारा गेट खटखटाने जाती है, वह कुछ सोचकर वहाँ से चली जाती है। जानवी चलते-चलते अपने आप से बोली, "मैं कैसे पता करूँ कि अंश ने मेरे साथ यह सब क्यों किया?" तभी उसे ख्याल आया कि क्यों ना मैं अंकल-आंटी से पूछ लूँ।
और फिर वह सीधा अंश के माँ-बाप के कमरे में चली जाती है।
अंश की माँ जानवी को अपने कमरे में देखकर बोली, "क्या हुआ जानवी? कोई काम था यहाँ?"
जानवी थोड़ी नर्वस होते हुए बोली, "हाँ आंटी, मुझे आपसे कुछ पूछना था।" और फिर उनकी तरफ़ देखते हुए बोली, "प्लीज़ आंटी, जो भी पूछूँ आप सच-सच बताना।"
"अंश ने मेरे साथ यह सब क्यों किया?"
अंश की माँ जानवी के मुँह से यह बात सुनकर घबरा गई। "क्या? बेटा अंश ने ऐसा क्या किया तुम्हारे साथ?"
"दीदी आंटी, मुझे सब पता है। आप प्लीज़ मुझसे कुछ मत छुपाइये। मुझे बता दीजिये कि अंश ने यह सब क्यों किया। मैं कसम खाती हूँ कि मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी। पर प्लीज़ आंटी, मुझे जानना बहुत ज़रूरी है कि अंश ने मेरे साथ यह सब क्यों किया। आपको कसम है आंटी, आपको सब सच-सच बताना होगा।"
अंश की माँ जानवी को सब कुछ सच बता देती है। जानवी दीदी के मुँह से सब सच सुनकर---
जानवी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। जानवी आँखों में आँसू लिए दीदी माँ की तरफ़ देखते हुए बोली, "आंटी, अंश ने इसलिए मेरे साथ यह सब किया। उसने सिर्फ़ इसलिए मुझसे प्यार करने का दिखावा किया।"
और फिर जानवी अपने आँसुओं को साफ़ करके अंश की माँ की तरफ़ देखते हुए बोली, "ठीक है। उसने मेरे साथ यह सब किया सिर्फ़ अपने मतलब के लिए। तो ठीक है आंटी, मैं बिना किसी मतलब के अंश की पूरी मदद करूँगी। वह जिस मकसद से मुझे यहाँ रखा है, मैं वह मकसद अंश का ज़रूर पूरा करूँगी। मैं उसकी पूरी मदद करूँगी बिना किसी लालच के। आंटी आप भी मुझसे वादा करें कि आप कभी भी अंश को यह नहीं बताएँगी कि यह सब मैंने आपसे बताया है।"
दीदी जानवी की बात सुनकर बोली, "पर क्यों बेटा? वह तुम्हें गलत समझेगा। तुम मुझे उससे यह सब बताने से क्यों रोक रही हो?"
जानवी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली, "अब सही समझने के लिए बचा ही क्या है?" जानवी एक बार फिर से रिक्वेस्ट करते हुए बोली, "प्लीज़ आंटी, आप अंश को कुछ नहीं बताएँगी कि आपने यह सब मुझे बताया है।"
यह कहकर जानवी वहाँ से अपने कमरे में जाने लगी कि जानवी एक बार फिर पीछे मुड़कर बोली, "आंटी, मुझे आपसे एक बात और पूछनी है।"
और फिर उसने जानवी को उसके बारे में सब कुछ बताकर--- जिसे सुनकर जानवी अपने कमरे में चली जाती है। और फिर आईने के सामने बैठकर खुद को देखती है, अपनी उंगलियों को अपने चेहरे पर लगाते हुए बोली, "यह सब सिर्फ़ इस चेहरे की वजह से हुआ है! सिर्फ़ इस चेहरे की वजह से!" और फिर गुस्से में पास में रखी सभी चीजों को दूर फेंक देती है और फिर चिल्लाते हुए बोली, "अंश, तुमने यह सब क्यों किया?" और फूट-फूट कर रोने लगती है।
अगले दिन---
एक अस्पताल में एक लड़की, जिसने काले शॉर्ट्स और ऊपर लाल क्रॉप टॉप पहना हुआ था और उसने अपने बालों को पोनीटेल में किया हुआ था, वह देखने में हद से ज़्यादा खूबसूरत लग रही थी कि अस्पताल के सारे स्टाफ़ बस उसे ही देख रहे थे। लेकिन वह लड़की एकदम मॉडलिंग स्टाइल में चलते हुए अस्पताल के काउंटर पर जाती है और फिर वह लड़की वहीं अस्पताल के किसी स्टाफ़ से 102 रूम नंबर पूछकर उस साइड चली जाती है।
वह लड़की 102 रूम नंबर में पहुँच जाती है और फिर सामने दिखती हैं तो दो बूढ़ी औरतें बेड पर लेटी हुई थीं और उन्हें स्ट्रिप्स लगी थीं और उनके मुँह पर ऑक्सीजन मास्क लगा था।
जिन्हें देख वह लड़की चलते हुए उनके पास जाने लगती है। और जब उनमें से एक औरत किसी की आहट महसूस करके अपनी आँखें खोलकर देखती है और फिर किसी को अपने सामने देखकर खुश होते हुए कहती है, "आलिया बेटा, तुम आ गई! मैं कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी कि तुम आओ।"
और वहीं दूसरी तरफ़ अंश का घर---
अंश जानवी को सारे कमरे में ढूँढ़ लेता है, लेकिन उसे जानवी कहीं भी नज़र नहीं आती। जिससे अंश चिल्लाते हुए कहता है, "तुम कहाँ हो माँ? मुझे आपसे कुछ पूछना है।"
तभी अंश की माँ गार्डन से पौधों को पानी देकर कमरे में आती है तो सामने अंश को गुस्से में देखकर कहती है, "क्या हुआ? क्यों अंश इतने गुस्से में लग रहे हो?"
और वहीं अंश अपनी माँ की बात सुनकर थोड़ा आराम करते हुए कहता है, "माँ, जानवी कहाँ है? मैंने उसे कहा था कि आज हमें अस्पताल जाना है, लेकिन उसने मेरी एक भी नहीं सुनी। अब देखो पता नहीं कहाँ चली गई है। मैं कब से उसका इंतज़ार कर रहा हूँ कि वह आए और हम निकले यहाँ से अस्पताल के लिए। और मुझे ऑफ़िस भी जाना है, मेरी मीटिंग है महत्वपूर्ण। उसे क्या लगता है मैं फ़्री हूँ उसकी तरह? मुझे बहुत काम है।"
अंश की माँ कहती है, "अंश, मुझे नहीं पता कि जानवी कहाँ है।" और फिर कुछ सोचते हुए कहती है, "अंश, वैसे जानवी इस वक़्त कहाँ हो सकती है?"
अंश चिढ़े हुए कहता है, "माँ, मुझे क्या पता होगा वह इस वक़्त कहाँ होगी? वह कौन सी मेरी बीवी है या मैं उससे प्यार करता हूँ कि मुझे उसके बारे में सब कुछ पता होगा?"
अंश की माँ कहती है, "बेटा, तुम ऐसे क्यों बोल रहे हो? वह कितनी अच्छी लड़की है, तुम ऐसी सोच भी कैसे सकते हो?"
और फिर अंश अपनी माँ से कहता है, "माँ, आपको पता ही है ना कि वह मेरे लिए क्या है? फिर भी आप मुझे बार-बार उसके बारे में सोचने पर मजबूर करती हैं। मैंने आपको पहले भी कहा था कि मेरा उस लड़की का कुछ नहीं है और ना ही कभी कुछ होगा।" कि तभी अंश का फ़ोन बजता है। अंश फ़ोन की तरफ़ देखता है तो अस्पताल का नाम शो होता है।
फिर अंश बिना अपनी माँ से कुछ कहे वहाँ से फ़ोन पिक करके बाहर चला जाता है।
आज के लिए बस इतना।
कल हमने पढ़ा था कि अंश अपनी माँ से बात कर रहा था। तभी उसके फ़ोन में फ़ोन आया और वह फ़ोन पिक कर बाहर चला गया।
अंश फ़ोन पर बात करते हुए बोला, "हेलो..."
तभी पीछे से किसी ने कहा, "सर, आपने कहा था ना कि 102 रूम नंबर पर नज़र रखना। सर, कोई लड़की अभी बस पाँच मिनट पहले ही 102 रूम नंबर वाले कमरे में गई है। सर, आप प्लीज़ आकर यहाँ देख लीजिये।" फिर फ़ोन कट हो गया।
अंश सोचने लगा, "हॉस्पिटल में...वो भी 102 रूम नंबर में...पर कौन हो सकता है?" और वह जल्दी से कार में बैठकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया।
अस्पताल में, एक बूढ़ी औरत उस लड़की को देखकर बोली, "आलिया, तू आ गई बेटा?" और उसे पास बिठा लिया।
उन दोनों की आवाज़ सुनकर दूसरी औरत भी उठ गई और आलिया को देखकर खुश होते हुए बोली, "हमें पता था, तुम आओगी।"
तभी वह दूसरी बूढ़ी औरत बोली, "हान, हान, तुझे सब पता होता है।"
दूसरी वाली औरत बोली, "मेरे पास आओ आलिया, मैं तुझसे बात करना चाहती हूँ।" और वह लड़की भी उठकर उस दूसरी वाली दादी के पास चली गई।
वह दूसरी वाली दादी उस लड़की को देखते हुए बोली, "आलिया, तू कितनी बदल गई है! और तेरे होंठ...पहले से क्यों बदल रहे हैं?"
वह लड़की दादी का डर दूर करने के लिए बोली, "दादी, मेरा एक्सीडेंट हो गया था ना, तो उसकी वजह से मेरे होंठ थोड़े बदल गए।"
वह बूढ़ी औरत थोड़ा घबराते हुए बिस्तर से उठकर बैठ गई और बोली, "तुम्हारा एक्सीडेंट कब हुआ था? मुझे बताया भी नहीं किसी ने।" फिर दूसरी वाली औरत पहली वाली औरत से पूछी, "क्या मीनू, तुझे पता था?" पहली दादी बोली, "नहीं, मुझे तो नहीं पता था।"
फिर दूसरी दादी चिंता करते हुए बोली, "तो अब बता, तू ठीक तो है ना?"
फिर वह लड़की बोली, "हाँ दादी, मैं ठीक हूँ।"
तभी कोई आदमी सीधे कमरे के अंदर गया। जब वह लड़की अपने पीछे गेट पर किसी को खड़ा देखती है, तो पीछे देखती है और उसे वहाँ अंश दिखाई देता है, जो पसीने से लथपथ था।
तभी दादी की आवाज़ आई, "अंश बेटा, तुम यहाँ?"
तभी दूसरी बूढ़ी औरत बोली, "अरे, जब आलिया बेटा यहाँ है, तो अंश तो ज़रूर आएगा।" तब अंश की भी नज़र उस लड़की पर गई।
यह देख अंश का खून खौल गया और उसे उस पर बहुत ज़्यादा गुस्सा आने लगा। वह अपने गुस्से को कण्ट्रोल करने के लिए अपनी मुट्ठी बंद कर लेता है।
फिर वह दादी के पास जाकर बोला, "दादी, क्यों नहीं? जब आलिया यहाँ होगी, तो मैं कहाँ जाऊँगा? मैं भी तो आलिया के साथ रहूँगा।" और फिर अंश उस लड़की के पास जाकर, थोड़ा करीब से, अपने दाँत पीसते हुए बोला,
"तुम यहाँ क्या कर रही हो? और बिना बताए मुझे यहाँ कैसे आ गई? मैंने तुम्हें कल कहा था ना कि तुम मेरे साथ इस हॉस्पिटल में आओगी, तो तुम अकेले क्यों आई?"
यह कहकर अंश उसे थोड़ा दूर हो जाता है और उसे अपनी जलती हुई निगाहों से घूरने लगता है।
फिर अंश की नज़र जानवी के कपड़ों पर जाती है। अंश उसके कपड़े देखकर बहुत गुस्से में आ जाता है। उसे इतना गुस्सा आता है कि वह जानवी को अकेले पाकर उसका गला दबा देगा या फिर उसे जान से मार डालेगा।
अंश अपने गुस्से को कण्ट्रोल करने की पूरी कोशिश करता है, लेकिन उसका गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा था। तो अंश उस लड़की का हाथ पकड़कर दादी की तरफ देखते हुए बोला, "दादी, मुझे आलिया से कुछ बात करनी है।"
और फिर उसे खींचते हुए हॉस्पिटल से बाहर ले जाने लगा। अंश गुस्से में उसे खींचते हुए ले जा रहा था, और वह लड़की भी उसके पीछे-पीछे खिसकती हुई चली जा रही थी।
फिर वह लड़की अनुरोध करते हुए बोली, "अंश, कृपया थोड़ा धीरे चलो, मुझे दर्द हो रहा है।"
लेकिन अंश को कुछ सुनाई ही नहीं दे रहा था। वह उसे खींचते हुए ले जा रहा था।
फिर कार के पास पहुँचकर अंश गुस्से से उस लड़की को कार के बोनट से लगाकर उसका गला दबाते हुए बोला,
"तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये कपड़े पहनने की?" वह लड़की खिसकते हुए अपने आप को अंश से छुड़ाने की पूरी कोशिश करती है।
अंश गुस्से से बोला, "बोलो जानवी, मैंने तुम्हें कुछ पूछा है। तुमने किससे पूछकर ये कपड़े मेरी अलमारी से निकाले थे? बोलो! तुमने क्या सोचकर ये कपड़े पहने?" अंश की बात सुन जानवी कुछ सोचने लगती है।
**फ़्लैशबैक**
जब कल जानवी अपनी माँ से बात करके वापस जाने लगी, तो वह दोबारा पीछे मुड़कर बोली, "आंटी, मैं आपसे कुछ पूछना चाहती हूँ।"
अंश की माँ बोली, "हाँ बेटा, पूछो, क्या पूछना चाहती हो?"
"आप मुझे बता सकती हैं कि आलिया कैसी दिखती है और क्या करती है? मुझे उसके बारे में सब कुछ जानना है। वह कैसे कपड़े पहनती है, कैसे रहती है और कैसे काम करती है।"
अंश की माँ जानवी को सब कुछ बताने लगी और उसके पसंदीदा चीजें भी बता दी।
और फिर जानवी कुछ देर बाद अंश के कमरे में गई और उसकी अलमारी खोलकर उसमें से आलिया के कपड़े निकाल लेती है। और अपने कमरे में चली जाती है। अपने कमरे में पहुँचकर जानवी अपने आप से बोली, "आलिया, तुम्हारे पसंदीदा कपड़े हैं ना? ये पहनकर मैं कल हॉस्पिटल जाऊँगी। क्योंकि अंश, तुम यही चाहते हो ना कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक कर दूँ। तो मैं वादा करती हूँ कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक करूँगी और मैं तुमसे वादा करती हूँ कि मैं तुम्हारे हमेशा साथ रहूँगी। और मैं अपना वादा पूरा निभाऊँगी, चाहे मेरे दिल के हज़ारों टुकड़े क्यों न हो जाएँ। क्योंकि मैं अपना वादा कभी नहीं तोड़ती।" और फिर वह वह कपड़े ले अपनी अलमारी में रख देती है।
**फ़्लैशबैक समाप्त**
अंश उसके गले को अपने हाथों से दबाता जा रहा था। अब जानवी को साँसें कम होने लगी थीं। जानवी की साँसें कम होते देख अंश उसे एक झटके में छोड़ देता है और फिर उस पर चिल्लाते हुए बोला, "बोलो, किससे पूछकर पहनने थे ये कपड़े?"
जानवी जो अपनी साँसों को अब भी कण्ट्रोल करने की कोशिश कर रही थी, बहुत ज़ोर से लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी और ख़ास कर रही थी।
अंश गुस्से से उसके करीब जाकर उसके गले से दुपट्टा लेकर ज़मीन पर फेंक देता है और फिर गुस्से से उसके बाजुओं को पकड़कर बोला, "अभी इसी वक़्त कपड़े उतारो!"
उसकी बात सुन जानवी हैरान हो जाती है। उसे समझ नहीं आता कि अंश ने अभी-अभी उसे क्या कहा था।
अंश फिर से चिल्लाते हुए बोला, "मैंने कहा, मुझे ये कपड़े अभी के अभी मेरे हाथ में चाहिए, समझी तुम?"
जानवी को तो यकीन नहीं हो रहा था कि अंश ने अभी उसे क्या कहा था। फिर जानवी अंश की आँखों में देखते हुए बोली, "अंश, तुम पागल हो गए हो क्या? तुम समझते भी हो कि तुम क्या कह रहे हो?"
"हाँ, मैं सब समझ रहा हूँ कि मैं क्या बोल रहा हूँ, क्या नहीं। तुम्हें सुना है ना? अभी के अभी कपड़े उतारो, वरना ये शुभ काम मैं ही..." और फिर अपना शब्द अधूरा छोड़ देता है।
अंश की बात सुन जानवी की आँखों में आँसू आ जाते हैं। उसका दिल कर रहा था कि वह अभी कहीं जाए और अपनी जान दे दे।
फिर जानवी अपने आँसू साफ़ करके अपने टॉप का बटन खोलने लगती है। इस वक़्त कोई भी इंसान जानवी को देखेगा तो कहेगा कि यह लड़की कितनी बेशर्म है। लेकिन उसके दिल में झाँककर देखो कि उसमें कितना दर्द हो रहा था। यह सब करते हुए जानवी ने अपने टॉप के दो ही बटन खोले होंगे कि अंश गुस्से से उसके बाजुओं को पकड़कर कार का दरवाज़ा खोलकर उसे धक्का दे देता है और फिर खुद सामने की तरफ़ बैठकर कार घर की तरफ़ चला देता है।
अंश घर पहुँच जाता है और फिर जानवी की तरफ़ का गेट खोलकर उसे खींचते हुए बाहर ले आता है और फिर जानवी के कमरे की तरफ़ बढ़ जाता है।
कल हमने पढ़ा था कि अंश गुस्से में उसे कमरे में बैठाकर घर की ओर ले गया और फिर उसे खींचते हुए कैमरे की ओर ले जाने लगा।
और फिर अंश गुस्से से उसे कमरे में ले जाकर वॉशरूम की ओर बढ़ गया।
"कपड़े चेंज कर... मुझे लाकर दो!" अंश ने गुस्से से वॉशरूम में जानवी को धक्का देते हुए कहा, और फिर वॉशरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया।
अंश के धक्का देने से जानवी सीधा वॉशरूम में जमीन पर गिर गई। गिरने से उसके हाथ में चोट लग गई, जिससे उसकी आँखों में आँसू आ गए।
फिर जानवी अपने आँसू पोंछकर खड़ी हुई और कपड़े बदलकर बाथरोब पहनकर कमरे में वापस आ गई, क्योंकि वॉशरूम में जानवी का कोई और कपड़ा नहीं था।
इधर, अंश गुस्से में जानवी को वॉशरूम में धक्का देकर दरवाज़ा बंद कर सीधा बिस्तर पर बैठ गया, उसका इंतज़ार करने लगा।
वॉशरूम से बाहर निकलकर जानवी ने अंश को बिस्तर पर बैठा देखा। उसके चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान आ गई। और फिर वह उसके पास गई और उसके हाथों में कपड़े दे दिए।
अपने हाथों पर कपड़े महसूस कर अंश ऊपर देखा तो जानवी बाथरोब में खड़ी थी।
और फिर अंश खड़ा हुआ और गुस्से से उसके बाजू को पकड़कर अपने करीब करते हुए बोला, "आज तो तुमने कपड़ों को हाथ लगा लिया। आइन्दा से कभी भी मेरी किसी भी चीज़ को छूने से पहले सौ बार सोच लेना, वरना इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। वैसे आज तो तुमने डेमो देख ही लिया था।" और फिर उसे बिस्तर पर धक्का देकर वहाँ से चला गया।
और वहीं जानवी अपनी दर्द भरी मुस्कान के साथ बिस्तर से उठी और खुद से बोली, "अच्छा हुआ जो मेरे साथ ये हो रहा है। मेरे साथ तो ऐसा होना ही चाहिए था। मैं इसी के काबिल हूँ। मुझे सज़ा तो मिलनी ही चाहिए थी। प्यार करने में सिर्फ़ मेरी गलती है, सिर्फ़ मेरी, और किसी की नहीं। क्योंकि मैंने विश्वास किया था, सब कुछ मैंने किया था, सब कुछ।"
और फिर आँखों में आँसू लेकर अपने दिल पर हाथ रखते हुए वह बोली, "पर ये दिल... ये दिल मेरा इतना दर्द क्यों कर रहा है? मैं क्या करूँ? मेरा दिल मेरे बस में क्यों नहीं है?" और जानवी को वो सब याद आने लगा जो आज अस्पताल में हुआ था। यह सब सोचकर जानवी की आँखों से आँसू निकलने लगे।
अपने आँसू साफ़ करते हुए जानवी ने खुद से कहा, "अंश, तुम सिर्फ़ मुझे अपनी दादी के लिए यहाँ लेकर आए हो ना? तो ठीक है, मैं वो सब करूँगी जो तुम चाहते हो।"
"मैंने तुम्हें वादा किया था ना? मैं वो वादा निभाऊँगी, चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना पड़े। मैं दादी के ठीक होने में पूरी मदद करूँगी और फिर दादी के ठीक होते ही मैं यहाँ से चली जाऊँगी और तुम्हें मैं अपनी कभी शक्ल भी नहीं दिखाऊँगी। तुम चाहोगे तब भी मैं तुम्हारी ज़िन्दगी में वापस नहीं आऊँगी। ये मेरा खुद से वादा है।" और फिर कपड़ों के अलमारी से कपड़े निकालकर पहन लिए।
अंश गुस्से से जानवी के कमरे से निकलकर अपने कमरे में चला गया और फिर उस कपड़े को अपने अलमारी में रखते हुए एक बार उसे अपने हाथ से छुआ और फिर खुद से बोला, "आलिया, माफ़ कर दो कि इस कपड़े को किसी और ने अपने कंधे पर हाथ लगाया है।"
और फिर उसे प्यार से अलमारी में रखकर अलमारी बंद करते हुए बोला, "आई प्रॉमिस, तुम्हारे कपड़े अब कोई नहीं लेगा, क्योंकि ये कपड़े सिर्फ़ तुम्हारे हैं और तुम्हारे ही रहेंगे। उस लड़की ने सिर्फ़ तुम्हारी शक्ल ली है, ना कि तुम्हारी सोच और ना ही तुम्हारी आत्मा।"
"और रही बात तो तुम सिर्फ़ मेरी थी, और मैं सिर्फ़ तुम्हारा। और कोई भी मेरी ज़िन्दगी में कभी नहीं आ सकता, कभी भी नहीं।"
और फिर अंश अलमारी को ताला मारकर उसे चाबी तकिए के नीचे रखकर ऑफिस के लिए निकल गया।
ऐसे ही दो दिन बीत गए। न अंश जानवी से कोई बात करता था और न ही जानवी उससे कोई बात करती थी।
इधर, अब जानवी भी अंश की बेरुखी से थक चुकी थी और वह खुद से रहती थी कि जल्दी-जल्दी दादी ठीक हो और मैं यहाँ से जाऊँ। मुझे घुटन होने लगी है इस घर से। मैं ऐसा क्या करूँ कि दादी जल्दी ठीक हो जाए? और फिर तभी उसे एक आइडिया आया और वह वहाँ से मार्केट की ओर चली गई। मार्केट में पहुँचकर जानवी ने जिस तरह के कपड़े आलिया पहनती थी, उसी तरह के कपड़े खरीदकर घर वापस आ गई।
और जानवी ने फिर से वो कपड़े पहनकर आलिया की तरह खुद को ढाल लिया।
ऐसे ही जानवी आलिया जैसे कपड़े पहन अस्पताल के लिए निकल गई और फिर अस्पताल पहुँचकर जानवी दादी से बातें करने लगी। ऐसा ही वक़्त बीत रहा था। दादी जी की हालत पहले से काफी ठीक हो गई थी।
ऐसे ही एक दिन फिर आलिया की तरह कपड़े पहन जानवी अस्पताल पहुँच गई और जब जानवी कमरे में गई तो अंश पहले से ही वहाँ दादी के पास बैठा था।
दिव्या भी सीधा दादी के पास चली गई और दादी जानवी को देखकर गुस्से में बोली, "आ गई मेरी आलिया बेटी!"
दादी को खुश देख जानवी बोली, "हाँ दादी, मैं आ गई।" और फिर अंश एक दादी के पास और दिव्या दूसरी दादी के पास जाकर बैठ गईं।
अंश जानवी को फिर से आलिया के कपड़ों में देखकर उसका खून खोलने लगा था। अंश का गुस्सा साफ़ पता चल रहा था, क्योंकि अंश के गुस्से से उसकी आँखें लाल हो गई थीं।
अंश के पास बैठी दादी आलिया को अपने पास बुलाती है।
जानवी दादी की बात सुनकर एक नज़र दादी की तरफ़ देखती है जहाँ पहले से ही अंश बैठा था, इसलिए चुपचाप दादी के दूसरी तरफ़ जाकर बैठ जाती है।
और फिर दादी जानवी का हाथ पकड़कर अंश के हाथों में दे देती है और फिर उसके सर पर हाथ रखते हुए कहती है, "बेटा, तुम दोनों कब शादी करोगे? मैं चाहती हूँ तुम दोनों शादी कर लो, ताकि मुझे मरने के बाद सुकून मिले।"
दादी की बात सुनकर अंश गुस्से में बोला, "दादी, आप ऐसी बातें क्यों कर रही हैं? आपको कुछ नहीं होने देंगे हम।"
कि तभी दूसरी दादी बोली, "हाँ अंश बेटा, मैं भी यही चाहती हूँ कि तुम और आलिया शादी कर लो, क्योंकि हमारा कुछ नहीं पता हम कब इस दुनिया से चले जाएँ।"
"ये हमारी आख़िरी ख्वाहिश है बेटा, कि तुम दोनों को हम शादी के बंधन में देखना चाहते हैं। क्या तुम हमारी इच्छा पूरी नहीं करोगे?"
अंश एक नज़र जानवी को देखकर बोला, "दादी, हम शादी नहीं कर..."
कि तभी जानवी ने अंश की बात बीच में काटते हुए कहा, "हाँ दादी, हम कल ही शादी करेंगे, और वो भी धूमधाम से, और वो भी आपके सामने।"
अंश जानवी की बात सुनकर उसका खून खोलने लगा। उसे जानवी पर इतना गुस्सा आ रहा था कि उसका दिल कर रहा था कि वह अभी इसका गला दबाकर मार दे या फिर किसी पहाड़ी पर से नीचे जमीन पर फेंक दे।
अंश अपने गुस्से में सिर्फ़ जानवी को घूर रहा था। उसका बस चलता तो अपनी गुस्से वाली आँखों से ही उसे ज़िंदा जला देता।
आलिया दादी से बातें करने लगी।
इधर, अंश इंतज़ार कर रहा था कि कब उनकी बातें खत्म हों और वह जानवी से पूछे कि तुमने ये सब क्यों किया?
कि तभी दादी को खांसी आई। दिव्या जल्दी से गिलास में पानी भरकर दादी को पानी पिलाने लगी।
दादी जल्दी से पानी पी लेती हैं, फिर (सीता जी, मतलब दादी) जानवी को देखते हुए कहती हैं, "जानवी बेटा, तुम काफ़ी बदल गई हो।"
जानवी दादी की बात सुनकर डर जाती है कि उन्हें कैसे पता चल गया? कहीं उन्हें शक तो नहीं हो गया मुझ पर?
फिर जानवी दादी से पूछती है, "दादी, मैंने क्या किया जो आप ऐसा कह रही हैं?"
"नहीं, पर तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो, और मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों शादी कर लो। क्या तुम अपनी दादी की बात मानोगी आलिया?"
"हाँ दादी, क्यों नहीं? मैं तो शादी के लिए तैयार हूँ।"
कि तभी अंश, जो कब से उनकी बातें सुन रहा था, और फिर से शादी की बात सुनकर उसका गुस्सा और बढ़ जाता है और फिर वहाँ खड़ा होकर कहता है, "दादी, मुझे आलिया से कुछ काम है।"
और फिर उसका हाथ पकड़कर दरवाज़ा खोलकर गेट के बाहर ले आता है।
और फिर गुस्से से उसका हाथ पैर पकड़कर खींचते हुए अस्पताल के बाहर ले जाने लगता है।
इधर, जानवी अंश द्वारा इतनी मज़बूती से खींचे जाने की वजह से उसके हाथों में दर्द होने लगता है। फिर भी जानवी अपनी दर्द भरी आवाज़ में कहती है, "ये तुम क्या कर रहे हो? छोड़ो मुझे, दर्द हो रहा है।" लेकिन अंश उसकी एक भी बात नहीं सुनता और खींचते हुए उसे अस्पताल से बाहर ले जाने लगता है और इधर जानवी भी अंश के खींचते हुए ले जाने की वजह से उसके साथ खींचते हुए बाहर की ओर पहुँच जाती है।
एक बड़ा सा मैन्शन जहाँ चारों तरफ़ बस लोग ही लोग थे, और पूरा मैन्शन एक दुल्हन की तरह सजाया गया था।
आज वह मैन्शन देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रहा था। तभी स्टेज पर एक अनाउंसमेंट हुई।
"हेलो एवरीवन, मैं बहुत खुश हूँ कि आप सब इस पार्टी में आए हैं, और आज मैं आप सबको किसी से मिलवाना चाहता हूँ। सो, मीट माई वाइफ़, आलिया।"
सभी की नज़र स्टेयर्स पर गई जहाँ से आलिया नीचे आ रही थी। इस वक़्त आलिया ने रेड कलर की साड़ी और ब्लैक डीप नेक ब्लाउज़ पहना था। उस साड़ी में आलिया बेहद खूबसूरत लग रही थी।
किसी की भी नज़र आलिया से हट ही नहीं रही थी। उसका एक-एक कदम, सीढ़ियों से नीचे आना, सबको परियों जैसा लग रहा था।
फिर आगे मुस्कुराते हुए सीधा अंश के बगल में आकर खड़ी हो जाती है।
और फिर अंश सभी से अपनी पत्नी को मिलाता है।
तभी अंश आलिया के कान में, "वैसे तुम काफ़ी अच्छा एक्टिंग कर लेती हो, तभी तो किसी को शक भी नहीं होने दिया कि तुम आलिया नहीं जानवी हो। सो गुड एक्टिंग! और हाँ, तुम ऐसे ही एक्टिंग करती रहो, और किसी को भी शक नहीं होना चाहिए कि तुम आलिया नहीं जानवी हो।" यह कहकर अंश अपने दोस्तों के पास जाकर बातें करने लगता है।
और इधर जानवी अंश की बात सुनकर किसी सोच में गुम हो जाती है।
कुछ दिन पहले,
अंश गुस्से में दिव्या को खींचते हुए हॉस्पिटल से बाहर ले आता है।
जानवी उसके हाथों पर मारते हुए खुद को छुड़ाते हुए, "अंश, छोड़ो मुझे, दर्द हो रहा है। यह हॉस्पिटल है, तुम्हारा घर नहीं। मैंने कहा छोड़ो!"
लेकिन अंश दिव्या की एक भी नहीं सुनता और उसे खींचते हुए बाहर ले जाने लगता है।
अंश उसे खींचते हुए हॉस्पिटल के पीछे गार्डन में ले जाता है और फिर उसे ज़मीन पर धक्का दे देता है।
जानवी ज़मीन पर जा गिरती है और अंश उसे अपनी जलती हुई आँखों से घूरते हुए, अपने दाँत पीसते हुए, "तुम्हारी यही औकात है! तुम्हें क्या लगा कि मैं तुमसे शादी करूँगा? तुम मेरी दादी की बीमारी का फ़ायदा उठाकर मुझसे शादी करना चाहती हो? तो यह कभी नहीं होगा! मैं तुम्हारे इस मक़सद को कभी नहीं पूरा होने दूँगा!"
और फिर उसकी तरफ़ थोड़ा झुककर, उसकी आँखों में आँखें डालकर, "तुमने फिर से वही हरकत की! मैंने तुम्हें मना किया था कि तुम मेरे बगैर पूछे मेरे कपबोर्ड को हाथ नहीं लगओगी! फिर तुमने किससे पूछकर फिर से यह कपड़े को हाथ लगाया? फिर उस पर चिल्लाते हुए, बोलो, तुम्हें सुनाई नहीं दिया?"
"या फिर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हें उस दिन की तरह ही सज़ा दूँ? शायद तुम वो दिन भूल गई हो! या फिर तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारे साथ उससे भी घटिया करूँ? ताकि तुम दोबारा कुछ भी करने से पहले सौ बार सोचो!"
जानवी अंश की बातें सुन उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं, लेकिन फिर भी वह उसकी बातों का कुछ जवाब नहीं देती, सिर्फ़ सुनती रहती है।
अंश उस पर चिल्लाते हुए बोल रहा था, "तुम जैसी घटिया लड़की मैंने आज तक नहीं देखी है, जो किसी की बीमारी का फ़ायदा उठाती है, जो सिर्फ़ अपने बारे में सोचती है!"
जानवी शांति से अंश की बातें सुन रही थी। उसकी इतनी घटिया बातें सुन जानवी को गुस्सा आने लगता है। फिर जानवी अपने आँसू पोंछते हुए ज़मीन से उठती है।
उसे उठता देख अंश भी सीधा खड़ा हो जाता है।
जानवी खड़ी होकर अंश की तरफ़ देखते हुए अपने गुस्से से उसके थोड़ा करीब जाकर उसकी आँखों में देखते हुए, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे ऐसा बोलने की? और क्या कहा कि यह तुम्हारी आलिया के कपड़े हैं? तो तुम दुकान खोलकर सुन लो, यह मेरे कपड़े हैं, उसके नहीं! और रही बात सबूत की तो मेरे पास इसका बिल भी है!"
"और हाँ, तुम्हें तब भी यकीन ना हो तो अपने कमरे में अलमारी खोलकर देख लो, उसमें तुम्हारी गर्लफ्रेंड के कपड़े पहले से ही पड़े होंगे!"
अंश जानवी की बातें सुन हैरान हो जाता है, और फिर अपनी खतरनाक अंदाज़ में, "ओह, तो तुम्हें सब कुछ पता चल गया! अच्छा हुआ! अब मुझे तुम्हें कोई धोखा नहीं देना पड़ेगा! अब हम साफ़-साफ़ बात करते हैं कि मैं तुम्हें जिस काम के लिए यहाँ लाया हूँ, वो काम तुम्हें करना होगा।"
दिव्या अपने फ़ुल एटीट्यूड से, "हेलो मिस्टर आर्यन, यह तुम्हारा मक़सद था ना कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक कर दूँ? तो आज जो हुआ उससे तुम्हें पता चल ही गया कि मेरा क्या फैसला था।"
अंश कन्फ़्यूज़्ड होकर, "तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?"
"मेरे कहने का मतलब है कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक करने के लिए तैयार हूँ! और हाँ, तुम्हें मैं बता दूँ कि मुझे पहले से पता था तुम्हारे इस घटिया प्लान के बारे में! और मैंने पहले ही सोच लिया था कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक करने में तुम्हारी हेल्प करूँगी, क्योंकि मैं तुम्हारी तरह घटिया नहीं हूँ कि मैं किसी का फ़ायदा उठाऊँ! इंसानियत है मुझमें, और इंसानियत के नाते मैं दादी के ठीक होने में दादी की मदद भी करूँगी।"
आर्यन दिव्या के चारों तरफ़ गोल-गोल घूमते हुए हँसने लगता है और फिर सीधा उसके सामने आकर खड़ा हो जाता है, उसकी आँखों में आँखें डालकर, "बहुत स्मार्ट हो गई हो!"
दिव्या अपने एटीट्यूड से, "स्मार्ट तो मैं पहले से ही थी, बस तुम्हारे प्यार में पता नहीं कैसे पड़ गई!"
अंश उसके थोड़ा और करीब जाते हुए, "चलो अच्छी बात है, तुम्हें सब कुछ पता चल गया! अब मुझे कोई झूठ नहीं बोलना पड़ेगा।"
जानवी भी उसकी आँखों में आँखें डालते हुए, "तुमने सच कभी बोला ही नहीं! तुमने हमेशा मुझसे झूठ बोला और आगे भी तुम झूठ बोलोगे तो भी मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा!"
जानवी को यह सब बोलते हुए उसकी आँखों में आँसू आ जाते हैं। फिर जानवी उसकी आँखों में उसी तरह देखते हुए, "अंश, सच में मुझे तुमसे शर्म आ रही है! क्या तुम्हें शर्म नहीं आई मुझे धोखा देते हुए? क्या कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखा मुझसे झूठ बोलते हुए?"
अंश उसकी बात सुन उस पर हँसते हुए, "अभी तो बड़ी कॉन्फ़िडेंस से बातें कर रही थी, अचानक से क्या हुआ? और थोड़ा रुककर, क्या हुआ, कमज़ोर हो गई? जो तुम्हें रोना आ गया!"
जानवी अंश की बात सुन अपने आँसू साफ़ करते हुए, "मेरा कॉन्फ़िडेंस लेवल कभी नहीं कम हो सकता, मिस्टर अंश! और तुम्हारी हरकतों से तो बिलकुल नहीं! और फिर यह सब कह वहाँ से जाने लगती है।"
और फिर थोड़ी दूर आगे जाकर वहीं से पीछे मुड़कर, "और हाँ, कल के लिए तैयार रहना, कल हमारी शादी है!" यह कह जानवी वहाँ से चली जाती है।
अंश उसकी बात सुन वहीं से चिल्लाते हुए, "व्हाट द हेल! यह क्या बोल रही हो?"
लेकिन जानवी उसकी एक भी नहीं सुनती और वह सीधा चलती रहती है।
लेकिन अंश उसके इस तरफ़ बगैर उसकी बात सुने, उसे इग्नोर करके उसके जाने की वजह से अंश को गुस्सा आ जाता है, और फिर अंश उसके पीछे दौड़ते हुए उसके आगे आकर उसे जल्दी से रोक लेता है।
"तुमने अभी-अभी क्या कहा था? कि कल हमारी शादी है? तुम्हें लगता है मैं तुमसे शादी करूँगा?"
लेकिन दिव्या उसका फिर भी कोई जवाब नहीं देती और फिर उसे थोड़ा साइड करके फिर से चलने लगती है।
अंश उसका एटीट्यूड देख, फिर अंश भी अपने गुस्से से उसके बाजुओं को पकड़ अपनी तरफ़ खींच लेता है।
इस तरह अचानक खींचे जाने की वजह से जानवी सीधा अंश के बाहों में जा लगती है।
अंश की इस हरकत से जानवी को गुस्सा आने लगता है, और फिर जानवी अंश को गुस्से से देखते हुए, "यह क्या हरकतें मिस्टर अंश?"
अंश उसका उत्तर ना देते हुए, "पहले तुम मुझे बताओ, तुम्हारी क्या हरकत है? और यह शादी का क्या मतलब है? और तुम्हें क्या लगता है कि मैं तुमसे शादी करूँगा?" और फिर से अंश उसे बुरा-भला बोलने लगता है।
जानवी उसकी बात सुन उसे धक्का देती हुई उसे देखते हुए, "अब तुम अंश अपने कान खोलकर सुन लो कि ना अब मुझे तुम में कोई इंटरेस्ट नहीं है! तुमने क्या प्लान बनाया था ना कि मैं तुम्हारी दादी को ठीक करूँ? अगर तुम चाहते हो कि तुम्हारी दादी जल्दी ठीक हो जाए तो तुम मुझसे शादी करना पड़ेगा!"
"क्योंकि दादी की यही इच्छा है कि तुम मुझसे शादी करो! और तुम्हें तो पता ही होगा कि डॉक्टर ने भी यही कहा था कि दादी को कोई और सदमा ना लगे और उनकी सारी इच्छा पूरी हो।"
कि तभी अंश उसे ताना देते हुए कहता है, "तुम भी तो यही चाहती हो ना कि मैं तुमसे शादी कर लूँ? ताकि तुम मेरे घर में आलिया की जगह ले लो! और फिर उसकी आँखों में आँखें डालकर, तुम भी अपना कान खोलकर सुन लो, मुझे तुमसे शादी नहीं करनी! क्योंकि आलिया की जगह कोई नहीं ले सकता, उसकी हमशक्ल भी नहीं!"
जब जानवी उसकी बात सुनती है, "हेलो मिस्टर अंश, यह गलतफ़हमी छोड़ दो कि मैं आलिया की जगह लेना चाहती हूँ!"
"क्योंकि मैं जैसी हूँ वैसी ही रहूँगी और मैं किसी की जगह नहीं लेने वाली! और रही दूसरी बात तो तुम्हें जो लगता है कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ इसीलिए तुमसे शादी करना चाहती हूँ तो तुम अपने दिमाग में बैठा लो कि तुमने जो मेरे साथ किया है उससे बाद तो मेरी जूती भी नहीं तुमसे शादी करेगी!"
"और मैंने तुमसे वादा किया था कि मैं तुम्हारा हमेशा साथ दूँगी तो मैं बस वही वादा निभा रही हूँ! तुमने मुझे जिस मक़सद से मुझसे प्यार का नाटक किया था, जो मक़सद मैं तुम्हारा ज़रूर पूरा करूँगी! इसीलिए मैं तुम्हें आख़िरी बार बता दूँ कि जब तक दादी ठीक नहीं हो जाती, मैं यहीं रहूँगी और तुमसे शादी भी करूँगी! तुम्हारी दादी के ठीक होते ही मैं यहाँ से चली जाऊँगी, यह मेरा दूसरा वादा है!"
"और तुम इतने दिन मेरे साथ रहे हो इससे तो तुम्हें पता चल ही गया कि मैं अपने वादे कभी नहीं तोड़ती!"
यह सब कह जानवी वहाँ से जाने लगती है और फिर एक बार पीछे मुड़कर अंश की तरफ़ देखते हुए, "कल शादी की पूरी तैयारी कर लेना, हम हॉस्पिटल में ही दादी के सामने शादी करेंगे।" यह कह जानवी वहाँ से चली जाती है।
तो देखते हैं अब आगे क्या होने वाला है? क्या सच में आलिया मर चुकी है या फिर ज़िंदा है? और अब आगे क्या होगा अंश और जानवी के बीच में? जानने के लिए पढ़ते रहें लव से नफ़रत।
फ्लैशबैक अंत अपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर नकली मुस्कान ला,,,,,अंश की तरफ चली जाती है,,, और वही डोली जानवी को देख ,,,आज मैं तुम्हारी वह हालत करूंगी,,,,,कि तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं बचूंगी ,, बहुत शौक है ना ,,,तुम्हें ,,,अंश के जीवन में आने का,,,, तो अब तुम देखती जाओ,,,,, कि मैं तुम्हारे साथ,,,,, क्या करती हूं,,,, तो रुको और देखो,, हाँ कह डोली,,,,वेटर के पास चली जाती है,,,, और वही सोफ़े पर,,,आलिया उफ़ (जानवी),,,,,अंश के साथ बैठी थी,,,, और मुस्कुराहट करते हुए,,,,,वाह दोनों अपने दोस्तों से बातें कर रहे थे,,, कि तभी उनके पास एक वेटर आ ,,,आलिया को कोल्ड ड्रिंक सर्वे करता है ,,,, आलिया बिना हिचकिचाहट के वाह कोल्ड ड्रिंक ,,,,उठा अपने होठों से लगा लेती है,,,, कि तभी अंश को हिचकी आने लगती है है ,,,,जिसे सुन आलिया अपना कोल्ड ड्रिंक अंश की तरह बढ़ाते हुए,,,,; यह लो अंश,,,इससे तुम्हारा हिचकी ठीक हो जाएगी,,,अंश उसकी तरफ देख ,,,,नो थैंक्स,,, इसकी कोई जरूरी नहीं है,,, और वैसे भी तुम्हें,,,,,मेरे सामने दिखावा करने की,,, कोई जरूरत नहीं है,,, आलिया उर्फ (जानवी) अंश की बात सुन ,,,,देखो अंश मुझे इसमें दिखाया जाए ,,,,कि कोई जरूरत नहीं है ,,,,तुम्हें हिचकी आ रही थी ,,, इसलिए मैं तुम्हें कोल्ड ड्रिंक दे रही थी,,,, तुम्हें नहीं पीना तो मत पियो ,,,, कि थभी अंश का एक दोस्त आता है ,,,और फिर अश् की तरफ देखते हुए ,,,अंश क्या कोई समस्या है,,,,,,अंश अपने दोस्त की बात सुन,,,, नहीं,, नहीं,, कोई दिक्कत नहीं है,,,फिर वह आलिया,(जानवी) के हाथों से कोल्ड ड्रिंक ले जल्दी से,,,पी लेता है,, और वही डोली ,,,,याह क्या,,, वह ,,,कोल्ड ड्रिंक तो अंश ने पी ली ,,,,मैं तो चाहती थी की,, यह कोल्ड ड्रिंक,,,,,जानवी पिए, , और उसके बाद,,, जब जानवी सब के सामने अपने कपड़े उतारेगी ,,,,,,तो क्या मजा आता,,,, जब इसकी इज्जत सब के सामने उतरती, ,, लेकिन ये कोल्ड ड्रिंक अंश ने पी ली,,,, अब क्या होगा,,,, और फिर वह जल्दी से वहां से भाग जाती है ,,,,,,क्योंकि उसे आज के गुस्से का अंदाज़ा था,,,, और वही अंश,,,,बैठ अपने दोस्तों से फिर से बातें करने लगा है,,,, कि तभी उससे अचानक से गर्मी लगने लगी,,,,, उसका चेहरा पसीना ,,, और उससे कुछ अलग सा महसुस होने लगा,,,, आब उसे अपने अंदर एक बेचैयेनी सी होने लगी ,,,,और फिर वह,,,,अपनी बेचैयेनी को कम करने के लिए ,,,,जल्दी से अपनी ताईको खोल देता है,,, और उसी के पास बैठे,,,जानवी,,,,,अंश की ऐसी हालात देख ,,,जल्दी से,,,, क्या हुआ,,, अंश,,,,,,,,,, तुम्हें इतना पसीना क्यों आने लगा,,,, तुमसे मतलब ,,,,याह कहे अंश जल्दी से अपने कमरे की तरफ चला गया,,, अंश कमरे में जल्दी से आ ,,,वॉशरूम में जा ,,,,अपना मुंह धुलता है और खुद को सामान्य करने की पूरी कोशिश करने लगा,, और उसकी हालत ,,,,अब खराब होती जा रही थी ,,,,उसे बहुत ज्यादा गर्मी लग रही थी ,,,,जब उसने खुद को आईने में देखा,,,, तो वाह हेयरन रह गया ,,,,,,उसकी आंखें एकादम लाल थी,,,,, उससे अंदर से गर्मी लग रही थी,,,,, याह देखकर अंश समझ गया ,,,,कि किसी ने उसे कोई नशा दिया है ,,,,,,लेकिन यह किया,,,किसने होगा,,,,,, कि तभी याद आया कि जब से उसने जानवी के हाथ का वाह,,,,, ठंडा; पिया,,,, तब से उसे ये बेचारी हो रही है यह याद कर ,,,अंश खुद से ,,,,मुझे जल्दी से यहां से निकलना होगा,,,, लेकिन कैसे,,,,,नीचे पार्टी चल रही है,,,, अगर किसी को भी पता चला,,,, किसी ने मुझे कोई नशा दिया है,,,,, तो बहुत बड़ा हंगामा हो सकता है ,,,, और फिर वह जल्दी से वॉशरूम से बाहर आने लगता है ,,,,,,,की तभी वॉशरूम में जानवी आ जाती है,,,,जानवी अंश को देख ,,,, अंश तुम्हें क्या हुआ है,,,, और तुम यहां,,, वॉशरूम में,,,,, क्या कर रहे हो ,,,,मुझे तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं लग रही,,,, तुम कहो तो ,,, डॉक्टर को बुलाऊं,,, और इधर अंश ,,,,जानवी को अपने सामने देख,,,, उसके पास आ,,,, उसे खींचते हुए शॉवर के नीचे खड़ा कर,,,,,उसका गला दबा,,,,,,,;उसे पर गुस्से से चिखते हुए ,,,,,, यह सब तुमने किया है ना,,,, बोलो मुझे ,,,,,मुझे सब पता है ,,,,यह सब तुम्हारा प्लान है,,, और फिर अंश की नजर,,,,,, उसके चेहरे से होते हुए ,,,,,उसके होठों पर गाई ,,,,,जिसे देख वह बहकने लगा,,,,, अब वो उसे,, सजा देने की,, ,बजाये उसके होठों को पीना चाहता था,,, और ऊपर से,,, उसके सर पर,,, तेज चलता शॉवर का पानी ,,,,,,जो उसके पुरे शरीर को अब तक भीगा चुका था ,,,,,जिसे देख अब उसको कंट्रोल करना मुश्किल था ,,,, और फिर अंश की नजर उसके होठों को छोड़ ,,,,अब उसकी नजर,,,, जानवी की खुली कमर पर गई,,,, अंश की नजर जानवी के कमर पर पडते ही ,,,,अंश उसके गले को छोड़,, ,,,, उसके कमर को पकड़,,,,,,उसे अपने करीब खींच,,,,,, उसके होठों पर अपने होठ रख देता है,,,, जानवी को तोह ,,,,अंश की कुछ बात पल्ले ही नहीं पड़ी ,,,,,उसका कहने का क्या मतलब था,,,,, उसकी वजह से ख़राब,,,,, उसकी वजह से ख़राब हुई,,,,,, क्योंकि उसे नहीं पता था,,,,, कि अंश को इस वक्त, किसी ने ड्रग्स दिया है,,,, वाह याह सब सोच ही रही थी,,,,कि तब तक अंश अपने होठों को जानवी के होठों पर रख ,,,,उसे चूमने लगता है,,,, और वही यह सब जानवी को तो ,,,,कुछ समझ ही नहीं आ रहा था,,,, के अंश को,,,,,हो क्या गया है ,,,,वाह उसके साथ इस तरह कैसा ट्रीट कर सकता है,,,, अभी कुछ देर पहले,,, वो मेरा गला दबा ,,,,मुझे मरना चाहता था, ,, या कुछ ही देर बाद,,,,वो मुझे मरने की जगह ,,,,,किस कर रहा है,,,याह सब सोच जानवी अपने होश में आती है,,,,,,और फिर ,,, उससे खुद से ,,, दूर करने की पूरी कोशिश करने लगती है,,,, लेकिन तब तक देरी हो चुकी थी,,, क्योंकि ,,,अंश के ऊपर ,,,,अब ड्रग्स खत्म हो चुका था,,,, अंश जानवी के ठंडे शरीर पर ,,,,अपना गर्म और मजबूत हाथ चला रहा था , ,,,वाह जानवी के ठंडे शरीर से अपना गर्मी कम करना चाहता था,,,,और वही जानवी को चुम्बन, करते-करते अंश की बेचैनी और बढ़ती जा रही थी ,,, अब वाह इसे आगे बढ़ना चाहता था ,,,,,वाह जानवी को खुद में समा लेना चाटा था,,,, अंश को इस वक्त जानवी की ठंडा जिस्म,,,, एक राहत दे रहा था,,,, इसलिए वाह जल्दी से ,,,अपने एक हाथ से जानवी के दोनों हाथ पकड़,,,,,, उसके होठों पर चुंबन करते हुए,,,,अपने दूसरे हाथ से,,,, उसकी , साड़ी,,, उसके शरीर से अलग कर देता है,,,,इधर जानवी को तो जैसे कुछ समझ ही नहीं आया हो,,,,, वो तो बस,,,, अंश को कैसे भी कर,,,, खुद से दूर करने की कोसिस कर रही थी,,,, वाह भले ही अंश से मोहब्बत करती हूं,,,, लेकिन अंश का कोई हक नहीं,,,,,,,उसके साथ ऐसा बरताव करने का,,,,,आखिर में वह भी एक इंसान है,,,,, इसलिए जानवी ,,,अंश से बचने के लिए,,,, जल्दी से अपने पैरो का इस्तमाल कर,,,,,अंश के पैरो के बीच मन्ने ही वाली थी ,,,,,कि तभी अंश जल्दी से,,, जानवी के पैरो को पकड़,,, अपने पैरो से दबा देता है,,,अंश को तो,,,, जैसे पहले ही जानवी के इस एक्शन का पता था,,,, और फिर अंश जल्दी से इस का फ़ैदा उठा,,,, उसके दोनों हाथों को पकड़,,,,उसकी दीवार से लगा,, उसकी गर्दन पर,,,,जबरदस्ती किस करने लगता है,, जानवी ने पूरी कोशिश की,,,,, की अंश उसे दुर हो जाए ,,,,,लेकिन जानवी जितनी कोशिश करती है,,, अंश उसे और कसकर पकड़ जाता है,,, अब यह गरमी,,, जैसे अंश के aape से बहार हो रहा था,,,, इसलिए वाह जल्दी से ,,,,,,जानवी को अपनी बाहों में उठा ले जा ,,,,,बेड पर पटक दिया,,,, जब जानवी ने भाग कर,,,,, बिस्तर के दूसरे साइड से उतरने की कोशिश की,,,तब अंश ,,,, उसके ऊपर आ कर,,,, उसके दोनों हाथों को पकड़ कर,,,,,,, उसे बेड पर पुश किया ,,,,और अब उसकी होठो को,,,, एक बार फिर,,,किस करने लगा,,,, वो अंश से छूटना चाह रही थी ,,,,,लेकिन अंश उसे हिलने भी नहीं दे रहा था ,,,,,,जानवी ने अंश के कंधे पर काट लिया ,,,,,,याह सोचकर,,,,, की इससे,,,,अंश अपने होश में आ जाएगा,,,,, या उसे छोड़ देगा,,,,, लेकिन अंश पर,,,, जैसा जुनून सवार हो चूका था,,,,, उसने जानवी की बच्ची कुची ड्रेस को,,,,, एक झटके में,,, उसके शरीर से फाड़ कर अलग कर दिया,,,,जानवी का उसकी बाहों में चटपटाना भी,,,,अंश को,,,, अब महसुस नहीं हो रहा था,,,,, शिवाय उसे बेचयेनी और गर्मी की,,,,, जो उसे,,, उस ड्रिंक की वजह से अंदर से जला रहा था ,,,, कुछ समय मैं ही,,,,जानवी ने संघर्ष करना बंद कर दिया ,,, वाह भी आब,,, पूरी तरह से ,,,हाथ pair मारते हुए,,, थक चुकी थी,,,, और उसने अब विरोध करना बंद कर दिया,,,,, अंश ने आब उसे जगह-जगह काटने का निशान दे दिया,,, फिर अंश ठक्कर जानवी के ऊपर ही सो गया,,,, जानवी की भी ,, aab उठ कर ,,,वहां से जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी,,, क्योंकि आज अंश ने ,,,,जो उसके साथ किया था,,, ,,, चाहे वो अपना आपा खो खर ,,,,,,यह चाहे ,,,,उस,, डि्क की वजह से ,,किया हो,,,, लेकिन जानवी के लिए ,,,,इसे भूल पाना आसान नहीं था,,,, 💚💓💙💓💚💓
जानवी अब वहाँ से उठकर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी। आज अंश ने जो उसके साथ किया था, चाहे वह अपना आपा खोकर किया हो या ड्रिंक के प्रभाव में, जानवी के लिए इसे भुला पाना आसान नहीं था।
सुबह जब अंश की आँख खुली, उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। उसने देखा जानवी अब भी उसकी बाहों में थी। इस वक्त उसने जानवी को पीछे से गले लगाया हुआ था। उसने जानवी के बालों को साइड करके देखा तो उसके बदन पर अंश के काटने के निशान साफ़ दिख रहे थे। ये कल रात की सारी कहानी बयां कर रहे थे। फिर उसने जानवी का चेहरा अपनी ओर किया। उसके चेहरे को देखकर उसका दिल सौ टुकड़ों में टूट गया क्योंकि उसने देखा जानवी की आँखें रोने से सूज गई थीं, या थकान के कारण, वे खुलना भी नहीं चाह रही थीं।
और फिर अंश ने अपने हाथ उसके गालों पर रखे और अपने मन में कहा, "मुझे लगा था ये सब तुमने ही किया है, लेकिन तुम्हारी हालत देखकर अब मैं समझ गया कि इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है।" क्योंकि जानवी की यह हालत सिर्फ़ उसकी वजह से हुई थी। अगर वह कल रात उस नशे को कण्ट्रोल कर लेता, या अपने आप को काबू कर लेता, तो यह सब ना होता।
अंश के छूने से जानवी फिर से उठ गई और उससे थोड़ी दूरी बना ली क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि अंश उसे छुए। अंश को उसकी हालत देखकर काफ़ी दोषी महसूस हो रहा था। फिर अंश उसे देखने के लिए उसके करीब बढ़ा, लेकिन जानवी उससे बचने के लिए जल्दी से बिस्तर से उठ गई क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि अंश दोबारा उसके करीब आए या उसे छुए। उसे नहीं पता था कि अंश ने कल रात उसके साथ यह सब क्यों किया था। वह बस इस वक्त अंश से दूर जाना चाहती थी। इसी वजह से वह जल्दी से बिस्तर से उठकर पीछे की ओर जाने लगी, कि दर्द की वजह से दोबारा जमीन पर गिर गई। उसका सिर टेबल से टकराया और वह वहीं बेहोश हो गई।
अंश जानवी को जमीन पर गिरता देखकर जल्दी से उसकी ओर बढ़ा, लेकिन तब तक जानवी बेहोश हो चुकी थी। और फिर अंश जल्दी से जानवी को और खुद भी कपड़े पहनकर जानवी को अपनी बाहों में लेकर घर के दूसरी ओर से निकल गया ताकि कोई भी उन्हें इस तरह न देख ले।
अंश जल्दी से जानवी को कार में बैठाकर कार अस्पताल की ओर बढ़ा दी। फिर अंश जल्दी से अस्पताल पहुँचा और जानवी को अपनी बाहों में उठाकर चिल्लाते हुए डॉक्टर्स को बुलाया। तभी वहाँ पर डॉक्टरों की लाइन लग गई अंश के आगे-पीछे। क्योंकि यह अस्पताल ही अंश का था, इसलिए किसी की हिम्मत नहीं हुई कुछ कहने की।
अंश ने अपने सामने डॉक्टर को देखकर गुस्से में गरजते हुए कहा, "अभी इसका इलाज करो!"
अंश की गुस्से भरी आवाज़ सुनकर सारे डॉक्टर डर से जल्दी से जानवी को लेकर इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट करने लगे।
और इधर अंश को भी ड्रग्स का डोज भारी होने की वजह से उसका सिर भारी हो रहा था, लेकिन वह अपनी परवाह किए बिना जानवी को अस्पताल पहुँचा। वहाँ एक कुर्सी पर बैठ गया।
की तभी आपातकालीन कक्ष से एक महिला डॉक्टर बाहर आई। उसे देखकर अंश जल्दी से उसके पास गया। "जानवी कैसी है? वह अब ठीक है ना?"
"हाँ सर, वह पहले से ठीक है, लेकिन मैं आपको बताना चाहती हूँ कि..." वह डॉक्टर हकलाते हुए बोली।
"क्या हुआ? जल्दी बताओ!" अंश गुस्से से उस लेडी डॉक्टर पर चिल्लाते हुए बोला। फिर वह डॉक्टर डरते हुए बोली, "आई एम सॉरी सर, लेकिन मैम के साथ किसी ने बेरहमी से रेप किया है।" डॉक्टर तो सबसे पहले पुलिस को फ़ोन करने वाली थी, लेकिन वह अंश से डरती थी, इसलिए उसने पुलिस को बताने से पहले अंश को बताना ज़रूरी समझा।
लेकिन अंश कुछ भी नहीं बोला क्योंकि रेप तो उसने ही किया था। वह चुपचाप उसकी बातें सुनता रहा।
अंश को चुप देखकर वह समझ गई कि जो उसके साथ हुआ है, वह किसी और ने नहीं, शायद अंश ने ही किया है। यह सोचकर वह वहाँ से चुपचाप चली गई।
अंश के डॉक्टर के जाने के बाद, अंश का सिर, जो पहले से दर्द कर रहा था, अब और भी ज़्यादा दर्द करने लगा और फिर वह चक्कर खाकर वहीं गिर गया।
उसे गिरता देख सभी डॉक्टर जल्दी से अंश के पास आये और उसे भी उसी आपातकालीन वार्ड में शिफ्ट कर दिया। और सभी डॉक्टर अंश का भी इलाज शुरू कर दिए।
इधर अंश का इलाज करते हुए सब डॉक्टर आपस में बातें कर रहे थे कि "इसे तो बहुत ज़्यादा स्ट्रांग ड्रग्स दिया गया है, वह भी काफ़ी हैवी डोज में। इसका टॉक्सिक प्रभाव बहुत मुश्किल है। ये ड्रग्स इसके लिए काफ़ी जानलेवा है। अगर समय पर इस ड्रग्स का ट्रीटमेंट ना दिया जाए तो दोबारा इसके ऊपर ड्रग्स का असर हो सकता है, या इसकी जान का भी खतरा हो सकता है।"
और वहीं जानवी, जो डॉक्टर के इलाज करने के आधे घंटे बाद ही होश में आ गई थी, यह सब सुनकर उसकी होश उड़ गए। कि अंश को किसी ने ड्रग्स दिया था। इसका मतलब अंश ने जो भी कल रात मेरे साथ किया, वह सब गुस्से या नफ़रत की वजह से नहीं, उसने ड्रग्स की वजह से किया था। फिर उसे याद आया कि कैसे कल रात अंश ने उसका गला दबाया था। गुस्से में चिल्लाते हुए, "हाँ, सब तुमने किया था! हाँ, सब तुम्हारा प्लान था ना? बोलो!"
यह सोचकर जानवी को खुद पर गुस्सा आया। इसका मतलब जो अंश उसके बारे में कह रहा था, वह यह था कि उसे लगा कि ये ड्रग्स उसने उसे दिया है। यह सोच जानवी को अपने दिल में बहुत दर्द हुआ। समझ नहीं आ रहा था कि अंश उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकता है। क्या वह उसे इतनी गिरी हुई समझता है कि मैं खुद ही अपनी इज़्ज़त... अब उसे इससे आगे सोचने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी। बस उसकी आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे।
की तभी जानवी के कानों में उन डॉक्टरों में से एक की आवाज़ आई, "क्या हमें यह बात सर को बताना चाहिए कि उनको यह स्ट्रांग ड्रग दिया गया है?"
फिर दूसरा डॉक्टर बोला, "क्यों नहीं? क्या ना बताकर मरना है हमें? नहीं ना! तो हमें बताना ही होगा कि अंश को एक स्ट्रांग ड्रग्स दिया गया था।"
"लेकिन सर को बताएगा कौन?" उनमें से एक डॉक्टर बोला।
"मुझे क्यों घूर रहे हो? मैं... मैं नहीं बता रहा। मुझे अंश सर से बहुत डर लगता है।" उनमें से एक जूनियर डॉक्टर ने बोला।
कि तभी पीछे से आवाज़ आई, "मैं बताऊँगी उन्हें।"
और वहीं दूसरी तरफ डोली डर से सोच रही थी, "अगर अंश को पता चला कि मैंने... मैंने ड्रग्स दिया है... नहीं, मुझे कुछ करना होगा।" यह सोचकर वह जल्दी से अपने काम में लग गई।
और वहीं दूसरी तरफ घर पर सब लोग सुबह के 9:00 बजने को आये थे, लेकिन ये दोनों अभी तक नीचे नहीं आये थे।
की इतने में दादी बोली, "ये कहाँ नहीं आये? तुझे तो ये लड़की लग गई है। अरे, अभी इनकी नई-नई शादी हुई है, तो टाइम तो लगेगा ना! तू भी ना..."
और वहीं दूसरी तरफ अस्पताल में अब तक अंश को भी होश आ गया था। अपना सिर पकड़कर सोच रहा था, "मेरा सिर अब तक क्यों दुख रहा है?"
और इधर उसे होश में आता देख सभी डॉक्टर अंश के पास गए। "सर, अब आपको कैसा लग रहा है?"
"पहले से बेहतर, लेकिन मुझे हुआ क्या था?"
डॉक्टर अपनी नज़रें नीचे करके बोले, "ज़्यादा कुछ नहीं, बस कमज़ोरी की वजह से आपको थोड़ा चक्कर आ गया था। बाकी ठीक है।"
कि तभी अंश को याद आया। फिर वह डॉक्टर की तरफ़ देखकर बोला, "अब जानवी कैसी है? वह अब ठीक है ना?"
डॉक्टर अंश की बात सुनकर बोला, "हाँ सर, वह भी ठीक है। बस कुछ ही देर में आप उन्हें डिस्चार्ज करा लें। यहाँ से ले भी जा सकते हैं।"
और फिर अंश डॉक्टर की बात सुनकर उसमें से एक डॉक्टर को देखकर बोला, "जाओ मेरा डिस्चार्ज पेपर तैयार करो।" यह कहकर अंश अपने बिस्तर से उठकर जानवी को देखने चला गया।
अंश जानवी को देखने के लिए अपने बिस्तर से उठकर जानवी की ओर चला गया। जानवी ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं और उसके सर पर पत्तियाँ लगी हुई थीं।
अंश उसे देखकर धीरे से उसके पास गया और उसकी ओर देखने लगा। वह मन ही मन सोचने लगा, "अगर तुमने नहीं किया, तो फिर किसने किया? क्योंकि यह तुमने किया होता, तो तुम खुद यहाँ नहीं होती।"
यह सोचकर अंश अपना हाथ जानवी की ओर बढ़ाने लगा कि जानवी ने अपनी आँखें खोल दीं। अंश जानवी की आँखें खुलते देख अपने हाथ को रोकते हुए बोला, "अब कैसी हो?"
जानवी बिना कुछ कहे अपनी पलक झपका दी, मानो कह रही हो कि अब मैं ठीक हूँ।
जानवी की बात सुनकर अंश बोला, "ठीक है। तुम जल्दी तैयार हो जाओ। अब हम घर चलते हैं और किसी को शक नहीं होना चाहिए कि कल रात तुम्हारे साथ क्या हुआ था।"
यह सब कहकर अंश, जानवी को देखे बिना वहाँ से चला गया।
कुछ ही देर में अंश डिस्चार्ज पेपर की सारी औपचारिकताएँ पूरी करके जानवी को अपने साथ घर ले गया।
इधर, अस्पताल से निकलते ही अंश ने जानवी को अपनी बाहों में उठा लिया और कार की ओर ले जाने लगा क्योंकि दर्द की वजह से जानवी चल नहीं पा रही थी। यह देख जानवी बोली, "अंश, इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। मैं खुद चल सकती हूँ। उतारो मुझे।"
उसकी बात सुनकर अंश चिड़चिड़ाहट से बोला, "मुझे भी कोई शौक नहीं है तुम्हें अपनी बाहों में उठाकर ले जाने का। अभी जो तुम्हारी हालत है, वह मेरी वजह से हुई है, इसलिए मैं यह कर रहा हूँ। सुना? और हाँ, तुम कोई गलतफहमी ना पाल लेना अपने मन में। मैं..."
यह कहकर अंश जानवी को कार में बैठाकर कार को घर की ओर मोड़ लिया। घर पहुँचकर अंश फिर से जानवी को अपनी बाहों में उठाकर हवेली के पीछे के दरवाज़े से कमरे के अंदर ले गया।
कमरे के अंदर पहुँचकर अंश ने देखा कि कमरा वैसा ही था जैसा उसने छोड़कर गया था। जानवी के फटे हुए कपड़े वैसे ही पड़े थे और चादर पर अब भी खून के धब्बे थे। कमरे की हालत देखकर अंश को बहुत गुस्सा आया। उसे कल रात की याद आने लगी। फिर अंश गुस्से में खुद से बोला, "क्या मैं नौकरों को पैसे फ़्री देता हूँ जो उन्होंने अभी तक मेरा कमरा साफ़ नहीं किया?" अंश को इतने गुस्से में देख जानवी भी एक पल के लिए डर गई।
जानवी ने अंश से कहा, "मुझे नीचे उतार दो। मैं अभी सफ़ाई कर देती हूँ।"
अंश गुस्से से चिल्लाया, "इसकी कोई ज़रूरत नहीं है। जब घर पर नौकर हैं, तो तुम क्यों करोगी?"
यह कहकर अंश गुस्से से जानवी को वहीं उतारकर कमरे से बाहर चला गया।
फिर जानवी धीरे-धीरे कदमों से बिस्तर की ओर गई तो उसकी नज़र खराब बेडशीट पर पड़ी जहाँ पर अब भी उसका खून लगा हुआ था। यह देख उसे कल रात का सब कुछ याद आ गया और उसकी आँखों में आँसू आ गए।
और फिर वह धीरे से खुद ही चादर हटाकर धीरे-धीरे सारा कमरा साफ़ करने लगी।
तभी नौकरानी कमरे में आई और जानवी को काम करते देख उसके पास जाकर बोली, "मैम, आप छोड़िए। हम अभी कर देते हैं।"
जानवी ने नौकरानी को रोकते हुए कहा, "कोई बात नहीं, मैं खुद करूँगी। आप जाएँ यहाँ से।" और फिर वह नौकरानी जानवी की बात सुनकर वहाँ से चली गई।
कि तभी वह नौकरानी बाहर जाते हुए अंश के सामने आ गई।
अंश ने उस नौकरानी को अपने सामने देखकर चिल्लाते हुए कहा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो? मैंने तो तुम्हें कमरे की सफ़ाई करने के लिए भेजा था।"
वह नौकरानी डरते हुए बोली, "सर, मैम ने पूरा कमरा साफ़ कर दिया है।"
उसकी बात सुनकर अंश बिना नौकरानी को कुछ कहे सीधा अपने कमरे की ओर चला गया।
अंश कमरे में आया तो जानवी खुद को संभालते हुए बेडशीट सेट कर रही थी।
यह देख अंश गुस्से से जानवी के पास गया, उसकी बाजू पकड़कर अपनी ओर घुमाते हुए बोला, "तुम खुद को समझती क्या हो? तुम यह सब करके मुझे क्या जताना चाहती हो? कि तुम्हें इस घर की बहुत परवाह है, मेरी परवाह है? तो तुम्हें यह सब करने की कोई ज़रूरत नहीं है। मेरे घर में बहुत सारी नौकरानियाँ हैं जो यह सब काम कर सकती हैं।"
यह कहकर अंश ने जानवी को एक झटके से छोड़ दिया, जिससे जानवी संभल ना पाने की वजह से सीधे बिस्तर पर गिर गई।
और अंश उसे बिना देखे अपने कैबिनेट की ओर चला गया और फिर उसमें से एक पेपर निकालकर जानवी की ओर आने लगा।
इधर जानवी खुद को संभालते हुए बिस्तर पर बैठ गई कि तभी अंश उसके पास आया और हाथ में वह पेपर थमाते हुए बोला, "अभी साइन करो।"
जानवी अंश की बात सुनकर कन्फ्यूज होकर उस पेपर को देखते हुए अंश की ओर देखकर बोली, "ये किस चीज़ के पेपर हैं?"
उसकी बात सुनकर अंश बड़े एटीट्यूड के साथ बोला, "इस पेपर में लिखा है कि तुम मेरे दादी के ठीक होते ही इस घर को छोड़कर चली जाओगी।"
अंश की बात सुन जानवी अपनी दर्द भरी आँखों से अंश की ओर देखते हुए बोली, "क्या अंश, तुम्हें मुझ पर इतना भी भरोसा नहीं है? जब मैंने तुम्हें साफ़ शब्दों में कहा है कि मैं दादी के ठीक होते ही तुम्हें या तुम्हारे इस घर को छोड़कर चली जाऊँगी, तब भी तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है?"
"नहीं है भरोसा मुझे तुम पर। सुना? और कल रात जो हुआ, उसके बाद तो बिल्कुल नहीं।" तभी अंश को कुछ याद आया। वह अपनी जेब में हाथ डालकर एक दवा निकाल जानवी के हाथ में रखते हुए बोला, "इसे खा लो।"
जानवी अंश द्वारा दी गई गर्भनिरोधक गोलियों को देखकर उसकी आँखें बड़ी हो गईं और फिर वह अपनी बड़ी आँखों से अंश की ओर देखने लगी, मानो पूछ रही हो कि तुमने मुझे ये क्यों दी?
अंश जानवी को अपनी ओर देखते देख बोला, "मुझे क्या देख रही हो? इसे खाओ क्योंकि मैं नहीं चाहता कि तुम गर्भवती हो। क्योंकि मैं तुम्हें अपनी ज़िंदगी में कोई जगह नहीं देने वाला, ना कल रात की वजह से और ना ही तुम्हारी अनचाहे प्रेगनेंसी की वजह से। इसलिए तुम चुपचाप ये दवा खाओ।" वह टेबल पर रखे पानी से भरे गिलास को उठाकर जानवी की ओर करते हुए बोला, "दवा खाओ।"
जानवी अंश की बात सुनकर अपनी नम आँखों से देखते हुए उसके हाथों से गिलास लेकर दवा खाने लगी। अंश की बेरूखी बातें उसके दिल में छुप रही थीं। आज उसका दिल अंदर से टूटता जा रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि आज उसका देखा हुआ सपना टूट रहा था। उसने तो सपना देखा था जिसमें उसने अपनी और अंश के साथ रहने की, उसके साथ अपने बच्चों की कल्पना की थी, लेकिन आज अंश ने ही उसके सारे सपने तोड़ दिए। यह सोच वह दवा को अपने मुँह में डाल अपने टूटे हुए दिल के साथ उसे अपने गले से उतार लेती है।
वह जैसे ही उस दवा को अपने गले से अपने पेट में उतारती है, वैसे ही जानवी जल्दी से अपने पेट पर हाथ रख लेती है। उसके दिल में एक जोर सा दर्द हो रहा था। उसकी आँखों में भारीपन आ गया और उसके गालों से आँसू उसकी हथेली में गिर गए, मानो वह महसूस कर रही हो कि आज उसने अपने बच्चे को खो दिया है। लेकिन इससे अंश को कोई लेना-देना नहीं था, उसे तो सिर्फ़ जानवी से पिछा छुड़ाना था।
जानवी के दवा खाने के तुरंत बाद ही अंश उसके हाथ से गिलास ले जल्दी से उस पेपर को बेड से उठाकर उसके हाथों में थमाते हुए बोला, "अब चलो, साइन करो।"
अंश की बात सुन जानवी बोली, "ठीक है, मैं इस पेपर पर साइन करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन उससे पहले मेरी एक शर्त है।"
तो देखते हैं अगले अध्याय में जानवी की क्या शर्त है।
आंश की बात सुन, जानवी ने कहा, "ठीक है, मैं इस पेपर पर साइन करने के लिए तैयार हूँ, लेकिन उससे पहले मेरी भी एक शर्त है।"
आंश जानवी के मुँह से शर्त की बात सुनकर उसे शक भरी निगाहों से घूरते हुए बोला, "कैसी शर्त?"
"कि मैं तुम्हारे साथ, तुम्हारी कंपनी में जॉब करूँगी।"
"व्हाट! लेकिन तुम मेरी कंपनी में ही जॉब क्यों करना चाहती हो?"
फ़िर जानवी कुछ सोचकर जल्दी से बोली, "क्योंकि आंश, दादी भी यही चाहती हैं कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूँ। अगर तुम चाहते हो कि दादी जल्दी ठीक हो जाएँ और मैं यहाँ से चली जाऊँ, तो तुम मेरी शर्त मान जाओ। इसमें तुम्हारा ही फायदा है।"
उसकी बात सुन आंश को हॉस्पिटल वाला दिन याद आ जाता है जहाँ पर दादी ने उससे कहा था कि तुम दोनों शादी कर लो, मेरी यही आखिरी इच्छा है। यह सोच आंश भी जानवी की बात मान जाता है और उसे ऑफिस आने के लिए परमिशन दे देता है।
आंश की हाँ सुन जानवी के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है, जिसे देख आंश चिढ़ते हुए कहता है, "अब मैंने परमिशन दे दी, सो साइन इट नाउ।"
उसकी बात सुन जानवी उस पेपर पर साइन करके आंश के हाथों में थमा देती है और फिर अलमारी की तरफ़ जाकर अपने कपड़े निकालकर बाथरूम में चली जाती है। और आंश भी उस पेपर पर जानवी के साइन पाकर वहाँ से चला जाता है।
बाथरूम में जाकर जानवी शॉवर लेती है, अपने कपड़े पहनती है और फिर खुद को आईने में देखकर खुद से कहती है, "देखते जाओ आंश, अब मैं तुम्हारे साथ क्या करती हूँ। तुमने मेरे दिल के साथ खेला ना, अब मेरी बारी है तुम्हारे दिल के साथ खेलने की। अब मैं तुम्हारे दिल में ऐसी जगह बनाऊँगी कि तुम खुद ही मुझे अपने दिल से नहीं निकाल पाओगे।"
"तब मैं तुम्हें बताऊंगी कि दिल टूटना किसे कहते हैं। तब तुम्हें एहसास होगा कि जब दिल टूटता है तो कितना दर्द होता है, चाहे मुझे कितने दर्द क्यों ना सहने पड़ें, लेकिन मैं तुम्हें सबक सिखाकर रहूँगी।" यह कह जानवी के चेहरे पर डेविल स्माइल आ जाती है।
फ़िर कुछ ही देर में जानवी कपड़े चेंज करके बाथरूम से बाहर निकलती है तो देखती है कि आंश कमरे में नहीं था।
जिसे देख जानवी आईने के सामने जाकर जल्दी से तैयार होकर कमरे से बाहर निकल दादी के पास चली जाती है।
और दादी के पास जाकर अपने हाथों से दादी को दवा देती है और फिर कुछ देर उनके पास ही बैठकर बातें करती है।
ऐसा ही पूरा दिन बीत जाता है।
अगली सुबह
आंश के कहे मुताबिक जानवी जल्दी से तैयार होकर ऑफिस के लिए निकल जाती है। आज उसका ऑफिस में पहला दिन था, इसलिए वह लेट नहीं होना चाहती थी।
इसलिए वह आंश से पहले ही ऑफिस जाकर अपने काम में लग जाती है।
ऑफिस में सब लोग आलिया उर्फ (जानवी) को पहले से ही जानते थे कि आलिया कौन है, इसलिए उनकी हिम्मत नहीं थी आलिया उर्फ जानवी को कुछ कहने की।
और जानवी के ऑफिस आने के लगभग आधे घंटे बाद आंश भी ऑफिस आ जाता है और फिर अपनी केबिन में जाते हुए अपने असिस्टेंट से एक कॉफ़ी लाने का ऑर्डर देता है।
क्योंकि आंश की आदत थी कि वह घर से नाश्ता करके नहीं आता था, इसलिए वह जब भी ऑफिस आता तो अपने लिए एक कॉफ़ी ऑर्डर जरूर करता था और उसी के मुताबिक आंश ने आज भी कॉफ़ी ऑर्डर की थी।
आंश की बात सुन जानवी भी कैंटीन की तरफ़ चली जाती है। वहाँ जाकर देखती है तो आंश का असिस्टेंट आंश के लिए कॉफ़ी बना रहा था, जिसे देखकर जानवी असिस्टेंट के पास जाकर कहती है, "तुम रहने दो, आंश के लिए मैं कॉफ़ी बना देती हूँ।"
जानवी की बात सुन असिस्टेंट कहता है, "मैम रहने दीजिये, आप क्यों परेशान हो रही हैं? मैं सर के लिए कॉफ़ी बना दूँगा।"
उसकी बात सुन जानवी थोड़ा अकड़ते हुए कहती है, "अच्छा ठीक है, मैं उसकी क्या हूँ जिसके लिए तुम कॉफ़ी बना रहे हो?"
असिस्टेंट जानवी की बात सुन कहता है, "मैम आप उनकी वाइफ़ हैं।"
जानवी कहती है, "तो फिर उनके लिए कॉफ़ी कौन बनाएगा?"
असिस्टेंट कहता है, "मैम आप।"
"तो फिर जाओ, मैं उसके लिए कॉफ़ी बना देती हूँ।"
असिस्टेंट आलिया उर्फ जानवी की बात सुनकर कहता है, "ओके।" यह कह असिस्टेंट वहाँ से चला जाता है।
जानवी असिस्टेंट के वहाँ से जाते ही जल्दी से अपनी पॉकेट से एक दवा निकाल उस बनी हुई कॉफ़ी में मिला देती है और फिर उस कॉफ़ी को लेकर आंश के केबिन की तरफ़ बढ़ जाती है।
जानवी आंश के केबिन के बाहर पहुँच दरवाज़ा नॉक करते हुए कहती है, "मे आई कमिंग सर?"
आंश बिना जानवी को देखे उसे अंदर आने को कहता है।
जानवी आंश की परमिशन मिलते ही उस कॉफ़ी को आंश के सामने रखते हुए कहती है, "ये लीजिये आपकी कॉफ़ी।"
आंश अपने असिस्टेंट की जगह जानवी को देखकर कहता है, "तुम क्यों ले कर आयी ये कॉफ़ी? मैंने तो अपनी असिस्टेंट से मंगाई थी।"
जानवी कहती है, "मुझे अभी कुछ अच्छे से आता नहीं है और मेरे पास कोई काम भी नहीं है तो मैंने सोचा क्यों ना मैं ही तुम्हारे लिए कॉफ़ी बनाकर दे दूँ।"
आंश जानवी की बात सुनकर अगर उसे कोई जवाब दिया, "ठीक है, तुमने कॉफ़ी दे दी ना, अब जाओ।"
उसकी बात सुन जानवी उस कॉफ़ी को देखते हुए कहती है, "आंश, कॉफ़ी को जल्दी पीना वरना ठंडी हो जाएगी।"
आंश जानवी की बात सुनकर कहता है, "ठीक है, तुम जाओ मैं पी लूँगा।" और फिर कॉफ़ी उठाकर उसे पीने लगता है, लेकिन उस कॉफ़ी को पीते हुए आंश को कुछ अजीब सा लगा, उसे उसका टेस्ट में कुछ बदलाव सा लग रहा था, लेकिन काम की वजह से ज्यादा ध्यान न देते हुए आंश उसे कॉफ़ी को पी लेता है।
उस कॉफ़ी को पीता देख जानवी केबिन का दरवाज़ा खोलकर चुपचाप वहाँ से निकल जाती है।
और फिर अपनी केबिन में जाकर जानवी अपने सभी कामों को अच्छे से समझकर मन लगाकर अपने काम करने लगती है। जानवी काफ़ी ज्यादा होशियार थी, वह बचपन से पढ़ने में बहुत तेज थी, इसलिए उसे काम को समझने में ज्यादा देर नहीं लगी और फिर जानवी जल्दी से अपने सभी काम को समझकर काम करने लगती है।
ऐसे ही जानवी को काम करते-करते शाम हो जाती है, लेकिन वह टाइम से पहले ही अपना काम ख़त्म कर लेती है, फिर भी वह वहीं अपनी केबिन में बैठी रहती है क्योंकि वह आंश के काम ख़त्म होने का वेट करने लगती है, क्योंकि वह आंश के साथ ही घर वापस जाना चाहती थी।
जानवी के काम ख़त्म होने के लगभग दो घंटे बाद आंश का काम ख़त्म होता है, फिर वह भी आंश के काम ख़त्म होने के बाद अपनी केबिन से बाहर निकलकर आंश के साथ ही घर के लिए निकल जाती है।
ऑफिस से घर पहुँच जानवी सीधा दादी के कमरे में जाती है और फिर उन्हें डिनर कराकर दवा खिला देती है और फिर उसके बाद वह अपने कमरे में जाती है तो देखती है कि वहाँ आंश नहीं है। वह यह देख बाथरूम में जाकर जल्दी से फ्रेश होती है।
और फिर उसके बाद स्टडी रूम की तरफ़ जाकर आंश को डिनर करने को कहती है, लेकिन आंश जानवी की बात सुनकर अपना ऑफिस का काम करते हुए कहता है, "तुम जाकर डिनर कर लो क्योंकि मैंने डिनर कर लिया है।" यह सुन कि आंश ने डिनर कर लिया है, उसे अच्छा नहीं लगता, इसलिए वह बिना डिनर किए अपने रूम की तरफ़ जाकर बेड पर सो जाती है।
आज के लिए बस इतना, अब देखते हैं कि जानवी ने आंश की कॉफ़ी में वह कौन सी दवा मिलाई थी। जानने के लिए पढ़ते रहें तब तक दर्द-ए-मोहब्बत।
और फिर उसने स्टडी रूम की ओर जाकर अंश को डिनर करने को कहा। लेकिन अंश ने जानवी की बात सुनकर, अपने ऑफिस का काम करते हुए कहा, "तुम जाकर डिनर कर लो। मैंने डिनर कर लिया है।" यह सुनकर कि अंश ने डिनर कर लिया है, उसे अच्छा नहीं लगा। इसलिए वह बिना डिनर किए, अपने कमरे की ओर गई और बिस्तर पर सो गई।
अगले दिन भी जानवी जल्दी उठी, दादी को नाश्ता कराया, दवा खिलाई और अंश से पहले ऑफिस के लिए निकल गई।
और फिर रोज़ की तरह वह अपने काम में लग गई। अंश के आने के बाद उसे रोज़ की तरह कॉफी में दवा मिली, जिसे उसने अंश को दे दिया।
और अंश ने भी बिना किसी शक के वह दवा वाली कॉफी पी ली। अब लगभग ऐसा रोज़ होने लगा था। जानवी रोज़ घर से जल्दी आती या ऑफिस का काम करती थी या फिर अंश के लिए दवा वाली कॉफी बनाती थी। अब लगभग पाँच दिन बीत चुके थे, अंश को वह कॉफी पीते हुए।
आज भी रोज़ की तरह जानवी ने अंश के लिए वह दवा वाली कॉफी बना ली थी। और फिर अंश के आने के बाद वह कॉफी लेकर अंश के केबिन की ओर बढ़ गई।
और फिर उसके केबिन में पहुँचकर, उसने कॉफी अंश के टेबल पर रख दी। फिर अंश को वह कॉफी पीने को कहकर, अंश के केबिन से निकलकर अपने केबिन में चली गई। और फिर वह आराम से अपने केबिन में काम करने लगी।
और वहीं अंश केबिन में बैठा, वह कॉफी पीने ही जा रहा था कि तभी उसके असिस्टेंट ने केबिन का दरवाज़ा खटखटाया।
जिसकी आवाज़ सुनकर, अंश कॉफी पीते हुए रुक गया और फिर अपने असिस्टेंट को अंदर आने को कहा।
अंश के कहने पर उसका असिस्टेंट अंदर आया और फिर अंश से कहा, "सर, आपके दोस्त अभी आपसे मिलना चाहते हैं।"
अंश ने अपने असिस्टेंट की बात सुनकर कहा, "ठीक है, उन्हें अंदर भेज दो।"
अंश का फरमान सुनकर उसका असिस्टेंट अंश के केबिन से बाहर चला गया।
कि तभी अंश के केबिन में उसका दोस्त आ गया। "वह दोस्त कैसा है तू?" अंश थोड़ा चिढ़ते हुए बोला, "क्यों, तुझे कैसा दिख रहा हूँ? ठीक ना? तो ठीक ही रहूँगा।"
आश की बात सुनकर, उसका दोस्त बोला, "तू अंश, अभी तक सुधर नहीं पाया। तेरी शादी हो गई है, फिर भी तू खड़ूस का खड़ूस ही है।" फिर थोड़ा नोटंकी करते हुए बोला, "लगता है आलिया भाभी को तेरी शिकायत लगानी ही होगी, ताकि तू भी थोड़ा अपना अहंकार और गुस्सा छोड़कर थोड़ा रोमांटिक हो जाए। पर तू तो खड़ूस का खड़ूस ही रहेगा। चल छोड़, मैं भी जिस काम के लिए आया हूँ, वह काम करूँ।"
और फिर उसने अपनी पार्टी में अंश को इनवाइट करते हुए, मज़ाक करते हुए कहा, "अरे, मैं भी तेरी तरह अब शादी करने वाला हूँ, और तू एक जाना मेरी शादी में शामिल होने के लिए।"
अंश ने उसकी बात सुनकर कहा, "यह क्या बकवास कर रहा है? ठीक ढंग से बोल, वरना फिर जा यहाँ से। मेरा टाइम वेस्ट मत कर।"
अभी अंश की बात सुनकर, मुँह बनाते हुए बोला, "तू सच में खड़ूस का खड़ूस है अंश। तू कभी नहीं सुधर सकता। मैं तो तेरे से मज़ाक कर रहा हूँ। अब मैं मज़ाक भी नहीं कर सकता।" और फिर मुँह बनाते हुए बोला, "चल छोड़, यह बता कि तुझे याद तो है ना कि मेरी शादी होने वाली है? यह भी भूल गया?"
"हाँ, याद है। तो फिर क्या?"
"मैं तेरी बीवी की जगह, तेरी बीवी बन जाऊँ?"
"नहीं नहीं, मुझे मेरी बीवी प्यारी है।"
"अच्छा छोड़, अभी जो तू बोलने आया था, वह बोल।"
अंश की बात सुनकर, "हाँ, तो मैं क्या बोल रहा था... तो याद आया, मैं यह बोल रहा था कि मेरी पाँच दिन बाद शादी है, इसलिए मैं उससे पहले एक छोटी सी बैचलर पार्टी कर रहा हूँ, तो तुझे मेरी पार्टी में आना है। और हाँ, मैंने तुझे बताया नहीं कि पार्टी आज रात को है, तो तू प्लीज इस बार समय पर आना। और भूलना मत।" और फिर थोड़ी नौटंकी करते हुए बोला, "देख, तेरे से बात करते हुए तो मेरा गला सुख गया।" और फिर अंश के टेबल पर रखी हुई कॉफी उठाकर पीने लगा।
अंश ने उसकी बात सुनकर कहा, "तुम मुझसे सुधरने की बात कर रहे हो, तू खुद नहीं सुधरा। अब भी तो दूसरों की चीज़ उठाकर खाने-पीने लगता है।"
अभी अंश की बात का जवाब देते हुए, "क्या कहा अंश? मैं कब दूसरी की चीज़ उठाकर खाता-पीता हूँ? वह तो सिर्फ़ तेरी चीज़ों को ही तो हाथ लगता है। और वैसे भी तेरी और मेरी चीज़ में क्या दूसरी की चीज़?"
"अच्छा ठीक है, अगर तेरा इमोशनल ड्रामा हो गया, तो अब तू यहाँ से जा, क्योंकि मेरे पास बहुत काम है। फ़्री होते ही आ जाऊँगा तेरी बैचलर पार्टी में।"
अभी वहाँ से जाते हुए, "आ जाऊँगा नहीं, आना ही होगा।"
अंश ने उसकी ओर देखते हुए, हाथ जोड़ते हुए कहा, "अच्छा बाबा, अच्छा आ जाऊँगा। अब तू जा।"
"अच्छा ठीक है, जा रहा हूँ।" यह कहकर वह वहाँ से चला गया।
अभी के जाते ही अंश भी अपने काम में लग गया। और फिर अंश ने आज जल्दी से अपने ऑफिस का काम निपटाया और अपने ड्राइवर से कहा, "मुझे अपने घर की जगह कहीं और जाना है, इसलिए तुम जानवी को सुरक्षित घर पहुँचा देना।" यह कहकर अंश अपनी दूसरी कार से अभी द्वारा भेजे गए पते पर चला गया।
वहाँ पहुँचकर देखा तो वहाँ पर उसके सभी दोस्त दिखाई दिए, सिवाय अभी के। फिर अंश ने अपने दोस्तों से पूछा, "क्या हुआ अभी? अभी तक आया नहीं?"
अंश की बात सुनकर अंश के दोस्तों ने कहा, "अंशू, हम भी अभी आए हैं और हमने अभी को चारों तरफ ढूँढ लिया, लेकिन अभी यहाँ नहीं है। शायद कहीं फँस गया होगा। आता ही होगा। थोड़ी देर इंतज़ार कर लेते हैं। या वैसे भी हम अभी के बुलाने के समय से जल्दी ही आ गए हैं।"
तभी अंश के फ़ोन पर फ़ोन आया। जिसे देखकर अंश ने जल्दी से फ़ोन उठाकर कहा, "अभी, तू कहाँ है? अभी तक आया क्यों नहीं? मुझे बड़ा कह रहा था कि मैं हर बार लेट आता हूँ, तो बार तू खुद ही इतना लेट आ रहा है। तू आ तो सही, फिर तुझे बताता हूँ।"
"अरे मेरी बात तो सुन ले, कि मैं नहीं आ सकता। आई एम सॉरी, कि मैंने ही तुम्हें बुलाया और मैं ही नहीं आ रहा हूँ।"
अंश ने अभी की बात सुनकर कहा, "क्या? तू क्यों नहीं आ सकता?"
अंश की बात सुनकर, वहाँ खड़े बाकी सब दोस्त जोर से चिल्लाए, "क्या? अभी नहीं आ रहा है?"
अपने दोस्तों के चिल्लाने की आवाज़ सुनकर अभी बोला, "यार, मैं आता ज़रूर, लेकिन मेरी तबीयत ठीक नहीं है, जिसलिए डॉक्टर ने मुझे घर पर रखकर आराम करने को कहा है। इसलिए मैं आराम कर रहा हूँ, तो वहाँ नहीं आ सकता।"
अभी की बात सुनकर अंश बोला, "तुझसे मैं आज सुबह ही मिला था, तब तू ठीक था। अब तुझे यूँ अचानक से क्या हुआ?"
"यार, मुझे नहीं पता, लेकिन जब से तेरे ऑफिस से आया हूँ, तब से ही तबीयत ठीक नहीं है।"
अंश ने उसकी बात सुनकर कहा, "चल ठीक है, तू आराम कर। हम पार्टी किसी और दिन कर लेंगे।" यह कहकर फ़ोन काट दिया। और फिर अपने बाकी दोस्तों से कहा और वहाँ से अपने घर की ओर जाने लगा।
अंश घर जाते हुए अपनी कार ड्राइव कर रहा था और वह यह भी सोच रहा था कि अभी ने यह क्यों कहा कि जब से वह ऑफिस से गया है, तब से उसकी तबीयत ठीक नहीं है। उसके कहने का मतलब कि ऑफिस में ही उसकी तबीयत खराब हुई थी। कैसे? उसने तो सिर्फ़ मुझसे बात की और चला गया। फिर उसी तरह सोचते हुए घर तक पहुँच गया। घर जाकर देखा तो घर में कोई नज़र नहीं आ रहा था। शायद सब डिनर करके सो चुके थे। फिर अंश भी अपने कमरे की ओर चला गया तो देखा कि जानवी उसके कमरे में सोफ़े पर बैठकर एक फ़ाइल पढ़ रही थी।
जिसे देखकर अंश बोला, "जानवी, तू अभी तक सोई नहीं?"
जानवी जो पूरा मन लगाकर उस फ़ाइल को पढ़ रही थी, अंश की आवाज़ सुनकर अंश की ओर देखते हुए बोली, "मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसलिए मैं नहीं सोई।"
अंश ने बिना कोई जवाब दिए जानवी को वॉशरूम की ओर जाने लगा क्योंकि उसे भी कुछ अजीब सा लग रहा था।
जानवी ने अंश को बिना कोई जवाब दिए वॉशरूम की ओर जाते देख कहा, "क्या हुआ अंश? कोई समस्या है? या तुम्हें कुछ चाहिए? मेरा मतलब है, मैं कुछ बनाकर लाऊँ? कॉफ़ी या डिनर?"
उसकी बात सुनकर अंश ने कहा, "नहीं नहीं, मैं ठीक हूँ। इसकी कोई ज़रूरी नहीं।" यह बोलकर वह वॉशरूम के अंदर चला गया।
अंश के वॉशरूम में जाते ही जानवी ने भी अपनी फ़ाइल को बंद करके सोफ़े पर जाकर सो गई।
दिव्या की बात सुनकर अंश ने कहा, "नहीं-नहीं, मैं ठीक हूँ। इसकी कोई ज़रूरत नहीं।" इतना कहकर वह वॉशरूम में चला गया।
अंश के वॉशरूम में जाते ही जानवी ने अपनी फाइल बंद की और सोफे पर जाकर सो गई।
अंश वॉशरूम में खड़ा था। वह खुद से बड़बड़ाया, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि अचानक मेरी तबीयत इतनी खराब क्यों हो गई। उसने मुझे कहा था कि मेरे ऑफिस से जाते ही उसकी तबीयत खराब हो गई थी।"
"लेकिन उसका मेरे ऑफिस से निकलते ही तबीयत खराब कैसे हो सकती है?"
(अरे अंश को कौन बताए कि उसके दिमाग में शक का बीज पनपने लगा था।)
फिर अंश ने सोचा कि कैसे वह ऑफिस आया था, और सीधा जानवी के सामने कुर्सी पर बैठ गया था, और उससे सिर्फ बात की थी। उसने मेरे ऑफिस में बस बात की थी और चला गया था। तभी उसे याद आया कि जानवी ने उसे कॉफी पिलाई थी। अंश ने अपने दिमाग पर ज़ोर देते हुए सोचा, "इसका मतलब उस कॉफी में कुछ था, कुछ गड़बड़ थी। लेकिन वह कॉफी तो मैं पीने वाला था। इसका मतलब जानवी ने मेरी कॉफी में कुछ मिलाया था।"
फिर कुछ सोचते हुए उसे याद आया, "उस दिन जब मैंने अपने असिस्टेंट को कॉफी लाने को कहा था, जानवी कैसे कॉफी बनाकर ले आई थी?"
और उस दिन उस कॉफी का टेस्ट भी कुछ अलग सा लगा था। यह सोचकर अंश का दिमाग फटा जा रहा था। यह सब सोचकर अंश के सर में हल्का-हल्का दर्द होने लगा।
अंश ने अपने सर पर हाथ रखा। "मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है। यह क्या हो रहा है? अगर जानवी मेरी कॉफी में कुछ मिलाती थी, तो फिर क्यों और क्या मिलाती थी? क्या जानवी मुझसे बदला लेने के लिए यह सब कर रही है?" यह सब सोचते हुए अंश बीस मिनट बाद वॉशरूम से बाहर निकला।
वह बिस्तर की तरफ जाने लगा क्योंकि सर दर्द की वजह से उसका बिल्कुल मूड नहीं था डिनर करने का। इस तरह वह बिस्तर पर बैठ गया। तभी उसकी नज़र सीधा सोती हुई जानवी पर गई।
जिसे देखकर अंश ने अपने मन में सोचा, "देखने में कितनी भोली लगती है, लेकिन कोई बता नहीं सकता कि इसके दिमाग में क्या चल रहा है। लेकिन मैं भी अंश सिंघानिया हूँ। पता तो लगाकर रहूँगा कि तुम मेरी कॉफी में कुछ मिलाती हो या नहीं, और मिलाती भी हो तो क्या।"
अगली सुबह
हर सुबह की तरह आज भी जानवी उसी तरह तैयार हुई और ऑफिस के लिए निकल गई।
अंश के आने के बाद जानवी ने मेडिसिन वाली कॉफी बनाई और अंश के टेबल पर रख दी। वह अंश को कॉफी पीने को कहकर वहाँ से जाने लगी।
तभी उसने अपने कानों में अंश की आवाज़ सुनी, "रुक जाओ!"
यह सुनकर जानवी वहीं रुक गई और फिर अंश की तरफ देखकर बोली, "क्या हुआ अंश? कॉफी सही नहीं बनी?"
इधर अंश जानवी के चेहरे को बड़े ध्यान से देखते हुए बोला, "जानवी, आज मुझे कॉफी नहीं पीनी है। इसे ले जाओ।"
अंश की बात सुनकर जानवी घबरा गई और जल्दीबाज़ी में अंश की तरफ गई। "क्यों अंश? तुमने यह कॉफी क्यों नहीं पीनी है? क्या हुआ? तुम्हें आज इसे पीने का मन नहीं है? क्या कोई और बात है?"
और वहीं अंश जानवी को इस तरह बढ़ता देख घूरते हुए बोला, "क्यों नहीं पीना? क्या मतलब? नहीं पीना, तो नहीं पीना!"
जानवी ने अंश की बात सुनकर अपने मन में सोचा, "ये मैं क्या कर रही थी? अरे, ऐसा करूंगी तो कहीं अंश को शक न हो जाए।"
और फिर थोड़ा हकलाते हुए बोली, "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। वो तो मैं इसलिए कह रही थी क्योंकि मैंने इसे कितनी मेहनत से बनाकर लाया था। लेकिन कोई बात नहीं।" फिर कॉफी का कप टेबल से उठाते हुए बोली, "अगर तुम्हारा पीने का मन नहीं है तो मैं कुछ और बना लेती हूँ तुम्हारे लिए।"
अंश को आज सुबह सर भारी लग रहा था। उसे कुछ अजीब सा भी लग रहा था। फिर उसने अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "रहने दो, मैं पी लूँगा। तुम जाओ यहाँ से।"
जानवी अंश की बात सुनकर जाते हुए बोली, "पक्का अंश? तुम पी लोगे ना इसे? वरना मैं कुछ और बना लाती हूँ।"
"हाँ-हाँ, मैं पी लूँगा। जाओ तुम यहाँ से।"
यह सुनकर जानवी वहाँ से चली गई।
जानवी के जाते ही अंश ने कॉफी उठाई और कहा, "अब तो मुझे पक्का यकीन हो गया है कि तुमने इसमें कुछ मिलाया है।" यह कहकर अंश ने उस कॉफी को अपने फ्लावरपॉट में डाल दिया। "अब तुम्हें लगेगा कि मैंने यह कॉफी पी ली है।"
"और फिर देखता हूँ कि तुम उसे खराब करती क्या हो।" यह सोचकर अंश के चेहरे पर मुस्कान आ गई। इधर जानवी अपने केबिन में बैठकर खुद से सोच रही थी, "उसने मुझे रोका क्यों? क्या अंश को शक हो गया था? या मैं कुछ ज़्यादा ही सोच रही हूँ?"
"नहीं, ऐसा कुछ नहीं हुआ होगा।" और फिर जो कुछ केबिन में हुआ, उसे सोचते हुए जानवी बोली, "लेकिन उसके बोलने से ऐसा क्यों लग रहा है जैसे अंश को मुझ पर शक हो गया है।" जानवी इसी सोच में बैठी थी कि कहीं अंश को उस पर शक तो नहीं हो गया, लेकिन उसे क्या पता कि अंश का शक अब यकीन में बदल गया है।
शाम के चार बजे अंश का सर दर्द से फटा जा रहा था। फिर अंश ने अपने सर दर्द को कम करने के लिए अपने असिस्टेंट को बुलाया और कॉफी बनाने का ऑर्डर देते हुए कहा,
"यह कॉफी तुम बनाकर लाओगे। सुना तुमने? अगर गलती से भी कोई और के हाथ यह कॉफी मेरे केबिन में आई, तो आज तुम्हारी नौकरी का आखिरी दिन होगा।"
यह कहकर अंश ने अपने असिस्टेंट को वहाँ से जाने को कहा। इधर असिस्टेंट ने कॉफी बनाकर अंश के केबिन में रखी और वहाँ से चला गया। अंश ने उस कॉफी को उठाकर पीना शुरू किया। उसे लगा कि शायद उसका सर कॉफी न पीने की वजह से दर्द कर रहा था, क्योंकि हर रोज कॉफी पीने की उसकी आदत थी। लेकिन उसने जानवी की वजह से कॉफी नहीं पी थी। कॉफी पीने के दो घंटे बाद भी अंश का सर दर्द कम होने की बजाय और ज़्यादा बढ़ गया था। उसे अब अपना केबिन कुछ-कुछ धुंधला नज़र आने लगा था।
अंश ने महसूस किया, "मुझे सब कुछ धुंधला क्यों दिख रहा है? और यह मुझे अजीब सा क्यों लग रहा है?"
तभी उसे याद आया कि उसने दो घंटे पहले अपने असिस्टेंट द्वारा लाई गई कॉफी पी थी। उसके बाद से ही उसका यह हाल हो रहा है। यह याद आते ही अंश ने खुद से कहा, "इसका मतलब जानवी ने उस कॉफी में भी कुछ मिला दिया था। तभी तो मेरी तबीयत खराब हो गई है।" यह सोचकर अंश की आँखें गुस्से से लाल हो गईं। और फिर अंश ने जल्दी से अपने फोन से जानवी को फोन किया, "अभी और इसी वक्त मेरे केबिन में आओ!"
अंश के बुलाने पर जब जानवी अंश के केबिन में गई, तो देखा कि अंश कहीं नज़र नहीं आ रहा था। जिसे देखकर जानवी ने अपने मन में सोचा, "यह अंश मुझे यहाँ बुलाकर खुद कहाँ चला गया?" यह सोचकर जानवी जैसे वहाँ से जाने के लिए मुड़ी, कि तभी अंश उसके सामने आ गया। जिसे देखकर जानवी एक पल के लिए डर गई, क्योंकि इस वक्त अंश की आँखें बिल्कुल लाल दिख रही थीं। लेकिन बताना मुश्किल था कि अंश की आँखें किस वजह से लाल थीं—उसके गुस्से से या फिर नशे की वजह से।
जानवी ने अंश को यूँ अचानक अपने सामने देखकर हकलाते हुए पूछा, "क्या हुआ अंश? तुम्हें क्या हुआ?"
जानवी जल्दी से कमरे में गई और वॉशरूम में जाकर देखा। अंश को उस हालत में देखकर वह जोर से चिल्लाई, "अंश!" वह अंश की ओर जाने लगी।
जानवी जब वॉशरूम में पहुँची, तो देखा कि अंश सिर्फ़ एक पेंट में शावर के नीचे खड़ा था, खुद को भीगो रहा था। साथ ही वह एक बर्फ के टुकड़े को अपने सीने और हाथों पर रगड़ रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह अपनी गर्मी कम करने के लिए बर्फ का इस्तेमाल कर रहा था। उसे देखकर जानवी चीखी और उसके पास जाकर उसके हाथों से बर्फ का टुकड़ा छीनकर जमीन पर फेंक दिया। "क्या कर रहे हो अंश? तुम पागल हो गए हो! तुम्हें चोट लग जाएगी!"
अंश की आँखें शायद नशे या गुस्से से लाल थीं। जानवी को अपने सामने देखकर वह चिल्लाया, "तुम यहां क्या करने आई हो? जब मैंने तुम्हें कहा था कि तुम यहां से चली जाओ, तो तुम्हें सुनाई नहीं दिया था?" यह कहकर अंश जल्दी से उसे खुद से दूर करने की कोशिश करने लगा क्योंकि उसे पता था कि अगर जानवी कुछ देर और उसके पास रही, तो वह खुद पर से काबू खो देगा। इसलिए वह जानवी को वहाँ से दूर भगाना चाहता था। वह पूरी कोशिश कर रहा था कि जानवी के साथ कुछ गलत न कर बैठे।
लेकिन जानवी उसकी कोई बात माने बिना जल्दी से उसके पास गई और उसके गालों पर हाथ रखते हुए, आँखों में आँसू लिए बोली, "अंश, बस कुछ देर इंतज़ार करो। मैं... मैं कुछ करती हूँ, तो तुम... अभी तुम ठीक हो जाओगे।"
जानवी इस वक्त अंश को इतने दर्द में देखकर खुद भी दुखी हो रही थी। उसकी आँखों में अश्रु थे। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अंश के दर्द को कैसे कम करे। कुछ सोचकर जानवी अंश को हौसला देते हुए बोली, "बस थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो। मैं कुछ करती हूँ। सिर्फ़ पाँच मिनट। मैं अभी आती हूँ।" और फिर जल्दी से अंश को छोड़कर वॉशरूम से बाहर भागकर केबिन में गई और अपना फ़ोन ढूँढ़ने लगी।
उसे अपना फ़ोन मिल गया और वह जल्दी से टेबल के पास जाकर फ़ोन उठाकर डॉक्टर को फ़ोन करने लगी, लेकिन डॉक्टर का नंबर बिज़ी आ रहा था। फिर जानवी दूसरे नंबर पर डायल करके दूसरे डॉक्टर को फ़ोन किया, लेकिन वह भी फ़ोन नहीं उठा रहा था। जानवी छटपटाते हुए बोली, "अब मैं क्या करूँ? ये डॉक्टर भी फ़ोन नहीं उठा रहे हैं, और इधर अंश की तबियत ख़राब होती जा रही है।"
वह दो-तीन बार और ट्राई करती रही, लेकिन फिर भी कोई फ़ोन नहीं लगा। गुस्से में जानवी ने फ़ोन उठाकर जमीन पर पटक दिया। उसे इस वक्त खुद पर और अपने फ़ोन पर बहुत गुस्सा आ रहा था। फ़ोन पर इसलिए कि डॉक्टर उसका फ़ोन नहीं उठा रहे थे और खुद पर इसलिए कि उसने खुद अंश को कॉफ़ी नहीं पिलाई थी। यह सोचकर जानवी का गुस्सा खुद पर बढ़ता जा रहा था।
इस वक्त जानवी की आँखों में बेतहाशा आँसू थे। जानवी डर से काँप रही थी कि कहीं अंश को कुछ हो न जाए। और फिर वह जल्दी से वॉशरूम की तरफ़ भाग गई।
वहाँ उसने देखा कि अंश फिर से बर्फ के टुकड़े को अपनी बॉडी पर रगड़ रहा था जिससे अब उसकी बॉडी पर चोटें बन गई थीं। यह सब देखकर जानवी के दिल में हद से ज़्यादा दर्द होने लगा था। उसे इतना दर्द तो अंश के धोखा देने पर भी नहीं हुआ था जितना दर्द उसे खुद को चोट पहुँचाते हुए देखकर हो रहा था।
जानवी अंश को देखते हुए सोच रही थी, "मैं ऐसा क्या करूँ कि अंश का दर्द कम हो जाए?" और फिर भगवान से प्रार्थना करते हुए बोली, "प्लीज़ भगवान जी, अंश का सारा दर्द मुझे दे दो, लेकिन अंश को प्लीज़ ठीक कर दो।" तभी उसका एक आइडिया आया, जिसे सोचकर जानवी ने अपने कदम अंश की ओर बढ़ा दिए। जानवी का दिल उसे ऐसा करने से रोक रहा था, लेकिन अंश को इस हालत में देखकर जानवी का दिल उसे ऐसा करने से नहीं रोक पाया।
जानवी अंश के पास पहुँची और उसे देख रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसा कैसे कर सकती है, लेकिन इस वक्त उसे सिर्फ़ अंश की तबियत का ख्याल था। "उसे ये करना ही होगा। अंश को ठीक करने के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ।" वह अंश के लिए खुद को चोट पहुँचाने के लिए तैयार थी, उसके लिए खुद को अंश को सौंपने के लिए तैयार थी। यह सोचकर जानवी ने अपनी आँखें बंद की, एक लंबी साँस ली, अंश के करीब गई और उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।
इधर अंश, जो उस पल खुद को ठंडा रखने और होश में रखने की कोशिश कर रहा था, किसी के अपने होठों पर होठ महसूस होते ही एक पल के लिए सन्न रह गया। और जल्दी से होश में आकर जानवी को धक्का देते हुए चिल्लाया, "तुम यहां क्या कर रही हो?"
क्योंकि इस वक्त अंश की बॉडी उसके वश में नहीं थी, लेकिन उसका दिमाग और दिल अब भी उसके वश में था। इसी वजह से अंश जानवी को खुद से दूर कर, उस पर चिल्लाते हुए बोला, "जानवी, मैंने कहा था ना, तुम यहां से जाओ, तुमने सुना नहीं था? अगर तुम कुछ देर और रुकीं, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। इसलिए चुपचाप यहां से चली जाओ।" अंश की बात सुनकर जानवी एक बार फिर अंश की तरफ़ देखती है, जिसकी आँखें पूरी लाल थीं और उसका चेहरा भी पूरा लाल हो गया था। पानी में भीगने के बाद भी अंश की पूरी बॉडी उसे गर्म महसूस हो रही थी।
यह देख जानवी ने अंश की बातों को इग्नोर करते हुए दोबारा उसके करीब जाकर अपने हाथों को उसके सर पर रखा, उसे थोड़ा झुकाया और उसके होठों पर अपने होठ रखकर उसे किस करने लगी।
इधर अंश आखिर कब तक रुकता? वह भी तो एक लड़का था और ऊपर से उस पर ड्रग्स का असर था और साथ में जानवी की खूबसूरती। अब वह भी जानवी का पूरा साथ देने लगा। अंश जानवी को किस करते हुए दीवार से लगा देता है। इस वक्त शावर का पानी उन दोनों के ऊपर गिर रहा था, उन्हें भीगो रहा था। अब तक अंश भी अपनी बॉडी पर अपना पूरा कंट्रोल खो चुका था और अपने दिमाग को किसी कोने में फेंक चुका था क्योंकि इस वक्त अंश की बॉडी को जानवी की बहुत ज़रूरत थी जो उसके शरीर को ठंडक दे सकती थी।
फिर अंश उसे चूमते हुए अपने बिल्कुल करीब कर लेता है। इस वक्त अंश को जानवी की बॉडी किसी बर्फ की तरह लग रही थी जिससे अंश को काफी राहत महसूस हो रही थी।
अंश उसे किस करते हुए धीरे-धीरे उसकी शर्ट का बटन खोलने लगा। जब जानवी को यह महसूस हुआ कि अंश क्या करने वाला है, उसके रोंगटे खड़े हो गए। उसे अंश का इस तरह छूना अच्छा नहीं लग रहा था और साथ में उसे घबराहट भी हो रही थी, लेकिन वह अंश को रोक नहीं सकती थी।
क्योंकि इस वक्त अंश को ठीक रखने के लिए उसे खुद को अंश को सौंपना बहुत ज़रूरी था। यह सोच उसकी आँखों में बस आँसू आ रहे थे। "ये कैसी मोहब्बत है? जिसे वह मोहब्बत करती है, वह उससे मोहब्बत नहीं करता, पर जिसे वह मोहब्बत करती है, उसे वह मिल नहीं सकती।"
तब तक अंश उसके शर्ट को उसके शरीर से अलग करके वॉशरूम में फेंक देता है। अंश फिर उसे पलट कर वापस चूमने लगा। इस वक्त जानवी सिर्फ़ एक ब्रा और स्कर्ट में थी।
और फिर अंश जानवी को अपनी बाहों में उठाकर बाथरूम से निकलकर कमरे में ले जाकर बिस्तर पर लिटा देता है और जल्दी से खुद उसके ऊपर आकर उसे बेतहाशा चूमने लगता है।
अब अंश से और रुका नहीं जा रहा था। इसलिए अंश जल्दी से जानवी के बचे हुए कपड़े भी फाड़कर उसके शरीर से अलग कर देता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है। उसकी किस वक्त के साथ जंगलीपन में बदलती जा रही थी क्योंकि अंश इस वक्त पूरी तरह से नशे में डूब चुका था।
जिसकी वजह से अंश जानवी पर पूरी तरह से हावी हो चुका था जिस वजह से जानवी को काफी दर्द हो रहा था क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही अंश बहुत बेरहमी से जानवी के साथ इंटीमेट हुआ था। लेकिन इतने दर्द में होने के बाद भी जानवी उफ़ तक नहीं करती, वह अंश को वह सब करने देती है जिसकी उसे ज़रूरत थी। आखिर में जानवी भी एक इंसान थी, उसे भी दर्द होता था।
लेकिन जानवी को जब भी दर्द होता है, तो वह दर्द से अपनी पकड़ बेडशीट पर मजबूत कर देती थी, लेकिन वह अंश को खुद से दूर करने की बिल्कुल कोशिश नहीं कर रही थी और ना ही वह अंश को कोई चोट लगा रही थी। लेकिन अंश उसे हद से ज़्यादा चोट पहुँचा रहा था। वह किसी जानवर की तरह जानवी पर हावी हो चुका था और जानवी की आँखों के दोनों कोनों से आँसू बह रहे थे। और बताना मुश्किल था कि यह आँसू उसके दर्द की वजह से बह रहे थे या फिर उसके दिल के दर्द की वजह से।
जानवी जल्दी से कमरे में गई और वॉशरूम में जाकर देखा। अंश को उस हालत में देखकर वह जोर से चिल्लाई, "अंश!" वह अंश की ओर जाने लगी।
जानवी जब वॉशरूम में पहुँची, तो देखा कि अंश सिर्फ़ एक पैंट में शॉवर के नीचे खड़ा था, खुद को भीगो रहा था। साथ ही वह एक बर्फ के टुकड़े को अपने सीने और हाथों पर रगड़ रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह अपनी गर्मी कम करने के लिए बर्फ के टुकड़े का इस्तेमाल कर रहा था। इसे देखकर जानवी चिल्लाई और उसके पास जाकर उसके हाथों से बर्फ का टुकड़ा छीनकर जमीन पर फेंकते हुए बोली, "क्या कर रहे हो अंश? तुम पागल हो गए हो! तुम्हें चोट लग जाएगी!"
अंश की आँखें शायद नशे या गुस्से से लाल थीं। जानवी को अपने सामने देखकर वह चिल्लाया, "तुम यहाँ क्या करने आई हो? जब मैंने तुम्हें कहा था कि तुम यहाँ से चली जाओ, तो तुम्हें सुनाई नहीं दिया था?" यह कहकर अंश जल्दी से उसे खुद से दूर करने लगा क्योंकि उसे पता था कि जानवी कुछ देर उसके पास रही तो वह ज़रूर खुद पर से कंट्रोल खो देगा। इसलिए वह जानवी को वहाँ से दूर भगाना चाहता था। वह पूरी कोशिश कर रहा था कि वह जानवी के साथ कुछ गलत न कर बैठे।
लेकिन जानवी उसकी कोई बात माने बिना जल्दी से उसके पास गई और उसके गालों पर हाथ रखते हुए, आँसुओं से भरी आँखों में कहा, "अंश, बस कुछ देर इंतज़ार करो। मैं...मैं कुछ करती हूँ, तो तुम...तुम अभी ठीक हो जाओगे।"
जानवी इस वक़्त अंश को इतने दर्द में देखकर खुद को भी दर्द हो रहा था। उसकी आँखों में बेतहाशा आँसू थे। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अंश के दर्द को कैसे कम करे।
कुछ सोचकर जानवी अंश को हौसला देते हुए बोली, "बस थोड़ी देर और बर्दाश्त कर लो। मैं कुछ करती हूँ। सिर्फ़ पाँच मिनट। मैं अभी आती हूँ।" और फिर जल्दी से अंश को छोड़कर वॉशरूम से बाहर भागकर केबिन में गई और जल्दी से अपना फ़ोन ढूँढ़ने लगी।
उसे अपना फ़ोन मिल गया और वह जल्दी से टेबल के पास जाकर फ़ोन उठाकर डॉक्टर को फ़ोन करने लगी, लेकिन डॉक्टर का नंबर बिज़ी आ रहा था।
फिर जानवी जल्दी से दूसरे नंबर पर डायल करके दूसरे डॉक्टर को फ़ोन किया, लेकिन वह भी फ़ोन नहीं उठा रहा था। जिससे जानवी छटपटाते हुए बोली, "अब मैं क्या करूँ? ये डॉक्टर भी फ़ोन नहीं उठा रहे हैं और इधर अंश की तबियत ख़राब होती जा रही है।"
वह दो-तीन बार और ट्राई करती रही, लेकिन फिर भी कोई फ़ोन नहीं उठा। गुस्से से जानवी ने फ़ोन उठाकर जमीन पर पटक दिया। उसे इस वक़्त बहुत गुस्सा आ रहा था, खुद पर और अपने फ़ोन पर। फ़ोन पर इसलिए कि डॉक्टर उसका फ़ोन नहीं उठा रहे थे और खुद पर इसलिए कि उसने खुद अपने सामने ही अंश को कॉफ़ी क्यों नहीं पिलाई। यह सोचकर जानवी का गुस्सा खुद पर बढ़ता जा रहा था।
इस वक़्त जानवी की आँखों में बेतहाशा आँसू थे। वह डर से काँप रही थी कि कहीं अंश को कुछ हो ना जाए। और फिर वह जल्दी से वॉशरूम की तरफ़ भाग गई।
वहाँ उसने देखा कि अंश फिर से उस बर्फ के टुकड़े को अपनी बॉडी पर रगड़ रहा था, जिससे अब उसकी बॉडी पर चोट बन गई थी।
यह सब देखकर जानवी के दिल में ज़्यादा दर्द होने लगा। उसे इतना दर्द तो अंश के धोखा देने पर भी नहीं हुआ था, जितना दर्द उसे खुद को चोट पहुँचाते हुए देखकर हो रहा था।
जानवी अंश को देखते हुए सोचने लगी, "मैं ऐसा क्या करूँ कि अंश का दर्द कम हो जाए?" और फिर भगवान से प्रार्थना करते हुए बोली, "प्लीज़ भगवान जी, अंश का सारा दर्द मुझे दे दो, लेकिन अंश को प्लीज़ ठीक कर दो।" तभी उसे एक आइडिया आया। सोचते हुए जानवी अंश की तरफ़ बढ़ने लगी। जानवी का दिल उसे ऐसा करने से रोक रहा था, लेकिन अंश को इस हालत में देखकर जानवी का दिल उसे ऐसा करने से नहीं रोक पाया।
जानवी अंश के पास पहुँचकर उसे देख रही थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह ऐसा कैसे कर सकती है, लेकिन इस वक़्त उसे सिर्फ़ अंश की तबियत का ख्याल था। उसे यह करना ही होगा, अंश को ठीक करने के लिए। वह अंश के लिए खुद को चोट पहुँचाने के लिए तैयार थी, उसके लिए खुद को उसे सौंपने के लिए तैयार थी।
यह सोचकर जानवी ने अपनी आँखें बंद की, एक लम्बी साँस ली और अंश के करीब जाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
इधर अंश, जो उस पल खुद को ठंडा रखने और होश में रखने की कोशिश कर रहा था, किसी के होंठों पर अपने होंठों का एहसास होते ही एक पल के लिए सन्न रह गया।
और जल्दी से होश में आकर जानवी को धक्का देते हुए चिल्लाया, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
क्योंकि इस वक़्त अंश की बॉडी उसके वश में नहीं थी, लेकिन उसका दिमाग और दिल अभी भी उसके वश में था। इसी वजह से अंश जानवी को खुद से दूर करते हुए चिल्लाया, "जानवी, मैंने कहा था ना, तुम यहाँ से जाओ! तुमने नहीं सुना था? अगर तुम कुछ देर और रुकीं, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। इसलिए चुपचाप यहाँ से चली जाओ।" अंश की बात सुनकर जानवी एक बार फिर अंश की तरफ़ देखती है, जिसकी आँखें पूरी लाल थीं और उसका चेहरा भी पूरा लाल हो गया था। पानी में भीगने के बाद भी अंश की पूरी बॉडी उसे गरम महसूस हो रही थी।
यह देखकर जानवी ने अंश की बातों को इग्नोर करते हुए दोबारा उसके करीब गई, अपने हाथ उसके सर पर रखे, उसे थोड़ा झुकाया और उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगी।
इधर अंश आखिर कब तक रुकता? वह भी तो एक लड़का था, और ऊपर से उस पर ड्रग्स का असर था, और साथ में जानवी की खूबसूरती। कब तक अंश खुद को रोक सकता था? अब वह भी जानवी का पूरा साथ देने लगा। अंश जानवी को किस करते हुए दीवार से लगा देता है। इस वक़्त शॉवर का पानी उन दोनों पर गिर रहा था, उन्हें भीगो रहा था। अब तक अंश भी अपनी बॉडी पर अपना पूरा कंट्रोल खो चुका था और अपने दिमाग को किसी कोने में फेंक चुका था क्योंकि इस वक़्त अंश की बॉडी को जानवी की बहुत ज़रूरत थी, जो उसके शरीर को ठंडक दे सकती थी।
फिर अंश उसे चूमते हुए अपने बिल्कुल करीब कर लेता है। इस वक़्त अंश को जानवी की बॉडी किसी बर्फ की तरह लग रही थी, जिससे अंश को काफी राहत महसूस हो रही थी।
अंश उसे किस करते हुए धीरे-धीरे उसकी शर्ट का बटन खोलने लगा।
जब जानवी को यह महसूस हुआ कि अंश क्या करने वाला है, उसके रोंगटे खड़े हो गए। उसे अंश का इस तरह छूना अच्छा नहीं लग रहा था और साथ ही उससे घबराहट भी हो रही थी, लेकिन वह अंश को रोक नहीं सकती थी।
क्योंकि इस वक़्त अंश को ठीक रखने के लिए उसे खुद को अंश को सौंपना बहुत ज़रूरी था। यह सोच उसकी आँखों में आँसू आ रहे थे।
"ये कैसी मोहब्बत है," सोचती है जानवी, "जिसे वह मोहब्बत करती है, वह उससे मोहब्बत नहीं करता, पर जिसे वह मोहब्बत करती है, उसे वह मिल नहीं सकती।"
तब तक अंश उसकी शर्ट को उसके शरीर से अलग करके वॉशरूम में फेंक देता है। फिर वह उसे पलट कर वापस चूमने लगता है। इस वक़्त जानवी सिर्फ़ एक ब्रा और स्कर्ट में थी।
और फिर अंश जानवी को अपनी बाहों में उठाकर बाथरूम से निकलकर कमरे में ले जाता है और उसे बिस्तर पर लिटा देता है। और जल्दी से खुद उसके ऊपर आकर उसे बेतहाशा चूमने लगता है।
अब अंश से और रुका नहीं जा रहा था। इसलिए अंश जल्दी से जानवी के बचे हुए कपड़े भी फाड़कर उसके शरीर से अलग कर देता है और उसे बेतहाशा चूमने लगता है।
उसकी किस वक़्त के साथ जंगलीपन में बदलती जा रही थी क्योंकि अंश इस वक़्त पूरे नशे में डूब चुका था।
जिसकी वजह से अंश जानवी पर पूरी तरह हावी हो चुका था, जिससे जानवी को काफी दर्द हो रहा था क्योंकि अभी कुछ दिन पहले ही अंश बहुत बेरहमी से जानवी के साथ अंतरंग हुआ था। लेकिन इतने दर्द में होने के बाद भी जानवी "उफ़" तक नहीं करती, वह अंश को वह सब करने देती है जिसकी उसे ज़रूरत थी। आखिर में जानवी भी एक इंसान थी, उसे भी दर्द होता था।
लेकिन जानवी को जब भी दर्द होता है, तो वह दर्द से अपनी पकड़ बेडशीट पर मजबूत कर लेती थी, लेकिन वह अंश को खुद से दूर करने की बिल्कुल कोशिश नहीं कर रही थी और ना ही वह अंश को कोई चोट लगा रही थी।
लेकिन अंश उसे ज़्यादा चोट पहुँचा रहा था। वह किसी जानवर की तरह जानवी पर हावी हो चुका था और जानवी की आँखों के दोनों कोनों से आँसू बह रहे थे। और बताना मुश्किल था कि ये आँसू उसके दर्द की वजह से बह रहे थे या फिर उसके दिल के दर्द की वजह से।
लेकिन अंश उसे हद से ज़्यादा चोट पहुँचा रहा था। वह किसी जानवर की तरह जानवी पर हावी हो चुका था। जानवी की आँखों के दोनों कोनों से आँसू बह रहे थे। यह बताना मुश्किल था कि यह आँसू उसके दर्द की वजह से बह रहे थे या फिर उसके दिल के दर्द की वजह से।
लगभग यह सब रात के 1:00 बजे ख़त्म हुआ। जिससे अंश, वहीं जानवी के बगल में सो गया।
लगभग सुबह के 6:30 बजे जानवी की आँख खुली। जो कल रात अंश द्वारा दिए गए दर्द को सह न पाने की वजह से बेहोशी की हालत में चली गई थी।
या फिर जानवी ने धीरे से अपनी आँखें खोलीं। बेड से उठने की कोशिश की, लेकिन वह दर्द की वजह से दोबारा उसी पोजीशन पर लेट गई।
क्योंकि जानवी को बहुत दर्द हो रहा था। उसकी पूरी बॉडी दर्द कर रही थी।
उसे कल रात का सारा दृश्य भी याद आने लगा। जिसे याद कर जानवी की आँखों के कोने से आँसू बह गए।
लेकिन जानवी ने अपनी आँखों से आँसू पोछते हुए, अपना पूरा हिम्मत जुटाकर बिस्तर से चादर समेटी।
और फिर एक नज़र अंश को देखा, जो एक गहरी नींद ले रहा था। जिसे देख जानवी ने अपनी दर्द भरी मुस्कान करते हुए, धीरे से झुककर अपनी स्कर्ट उठाई, और उसके कमरे में, अंश के कपबोर्ड की तरफ़ जाकर एक शर्ट निकाली और वॉशरूम में चली गई।
उसे ठीक से चल भी नहीं रहा था, लेकिन फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और फिर सीधा वॉशरूम में जाकर गर्म पानी से शावर लिया। और फिर कुछ घंटे बाद, उसने आर्यन की शर्ट और अपनी स्कर्ट पहनकर वॉशरूम से बाहर आई। अब उसे पहले से हल्का लग रहा था, लेकिन दर्द अब भी था। फिर जानवी ड्रेसिंग टेबल की कुर्सी पर बैठकर हेयर ड्रायर उठाया और अपने गीले बालों को सुखाने लगी।
और इधर अंश, जो गहरी नींद में सो रहा था, हेयर ड्रायर की आवाज़ सुनकर अपनी आँखें खोल दिया। जिसकी नज़र सीधी जानवी पर गई, जो एकटक आईने में देखकर अपने गीले बालों को सुखा रही थी।
जिसे देख अंश ने एक पल के लिए उसके चेहरे को देखा। तभी उसकी नज़र उसकी पहनी हुई अपनी शर्ट पर गई। जिसे देखकर अंश ने धीरे से अपनी चादर उठाई और खुद को देखा।
जो उसने इस वक़्त कुछ नहीं पहना था। वह सिर्फ़ एक पतली सी चादर से लिपटा हुआ था। यह देख अंश ने जल्दी से फिर से खुद को कवर कर लिया।
और फिर अंश कल रात के बारे में सोचने लगा। जिससे उसे सब कुछ याद आ गया। कि कैसे जानवी कल रात उसके करीब आई थी। जिसे याद कर अंश की आँखें गुस्से से लाल हो गईं।
उसे जानवी पर इतना गुस्सा आया कि उसका दिल किया कि वह अभी ही जानवी का गला दबाकर उसे जान से मार दे।
फिर अंश जल्दी से बिस्तर से थोड़ा झुका, अपना पैंट उठाकर पहन लिया। और फिर गुस्से से जानवी की तरफ़ अपना क़दम बढ़ा दिया।
इधर जानवी, जो अब भी उस आईने को घूरते हुए अपने बालों को सुखा रही थी, कि तभी उसे एहसास हुआ कि कोई उसके बालों को पकड़कर खींच रहा है। जिसकी नज़र आइने से ही अंश पर पड़ी।
जो बहुत ही गुस्से में लग रहा था। लेकिन जानवी को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था। जैसा उसे पहले ही पता था कि अंश कुछ ऐसा ही करेगा।
इधर अंश ने जानवी के बालों सहित पकड़कर उसे उस कुर्सी से उठाते हुए अपनी तरफ़ घुमा लिया। और फिर उसे अपने बिल्कुल करीब लाकर, उसके बालों पर अपनी पकड़ थोड़ी और मज़बूत कर दी।
जिससे जानवी को दर्द की वजह से उसका सर थोड़ा ऊपर हो गया। जिसकी वजह से जानवी का चेहरा सीधा अंश के चेहरे के बिल्कुल नज़दीक हो गया। और फिर अंश ने उसकी आँखों में गुस्से से घूरते हुए, अपने दाँत पीसते हुए कहा, "तुम कितनी घटिया और गिरी हुई लड़की हो! एकदम चरित्रहीन, जिसका कोई किरदार नहीं होता। तुम इंडियन ही हो ना? तुम्हारी हरकतें देखकर लगता नहीं है कि तुम एक इंडियन हो। क्योंकि वह लड़कियाँ, तुम जैसी घटिया नहीं होतीं।"
इधर जानवी बिना किसी इमोशन के अंश को देख रही थी और उसकी बातें सुन रही थी, लेकिन उसे फिर भी कुछ नहीं बोल रही थी।
"तुम्हें शर्म नहीं आई ऐसा करते हुए? मैंने तो सुना था कि ये सब लड़के करते हैं, लेकिन तुम तो उन लड़कों से भी गिरी हुई और घटिया निकली।"
और फिर अंश यह सब बोलकर जानवी को एक झटके में छोड़ दिया। जिससे जानवी सीधा उस कुर्सी से जा टकराई और उसके माथे पर हल्का सा चोट लग गया।
और फिर अंश गुस्से से इधर-उधर घूमते हुए बोला, "मुझे समझ नहीं आ रहा कि तुम ऐसा करके कैसी हो। सिर्फ़ मेरे साथ सोने के लिए तुमने मुझे ही खींच कर दे दिया।"
और फिर जल्दी से उसके पास जाकर उसके बालों को पकड़कर अपनी तरफ़ घुमाते हुए उसकी आँखों में आँखें डालकर घूरते हुए बोला, "अगर तुम इतनी ही आग लगी थी, तो तुम मुझे कहती, मैं कईयों की लाइन लगवा देता तुम्हारी इस आग बुझाने के लिए। लेकिन तुमने मेरा क्यों इस्तेमाल किया?"
अंश की यह बात सुन जानवी जो इतनी देर से शांत और चुप थी, उसकी भी आँखें गुस्से से लाल हो गई थीं। उसकी आँखों में तो जैसे ख़ून ही उतर आया हो।
जिससे जानवी ने एक झटके में अंश से अपने बालों को छुड़ाकर उसे खुद से दूर धक्का दिया और उसके गालों पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। जिससे अंश का गाल एक तरफ़ झुक गया।
और फिर जानवी गुस्से से अंश की तरफ़ उंगली पॉइंट करते हुए बोली, "तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसी बात करने की? तुम होते कौन हो मेरे किरदार को जज करने वाले? कितना, कितना जानते हो मुझे? सिर्फ़ तीन महीने! तुम अपनी पूरी ज़िंदगी भी लगा दोगे ना, तब भी तुम मुझे पहचान नहीं पाओगे। आये बड़े मुझे चरित्रहीन करने वाले! तुम खुद के किरदार को जानते हो?"
अंश ने भी जानवी की बात सुनकर कहा, "तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि मेरा किरदार ख़राब है?" और फिर उसे देखकर चिल्लाते हुए बोला, "तो शायद तुम भूल गई हो कि कल रात वह तुम थी जो जबरदस्ती मेरे करीब आई थी।"
अंश की यह बात सुन जानवी बिल्कुल चुप हो गई। अंश ने जानवी को चुप देखकर कहा, "क्या हुआ? तुम्हारे पास अब कोई जवाब नहीं है? पर मेरे पास है। तुमने यह सब इसलिए किया ना कि तुम मेरे बच्चे की माँ बन जाओ और मैं तुम्हें पूरी ज़िंदगी के लिए अपना लूँ, है ना? तुम्हारा यही प्लान?"
जानवी ने अंश की ऐसी बातें सुनकर लंबी साँस छोड़ते हुए अपने क़दम अंश की तरफ़ बढ़ा दिए। और फिर उसके पास उसकी आँखों में देखते हुए, अपने पूरे विश्वास और नज़रिए में बोली,
"हाँ, मेरा यही प्लान था। तुम्हारे साथ रात बिताना, तुम्हारे बच्चे की माँ बनने का। हो गया ना? तुम्हारा सुन लिया ना? तुमने मेरे मुँह से सच या कुछ और भी सुनना है?" यह सब कह जानवी ने एक नज़र अंश को देखकर वहाँ से चली गई।
और इधर अंश गुस्से से उस ड्रेसिंग टेबल पर रखे सभी सामानों को ज़मीन पर फेंक दिया। और फिर चिल्लाते हुए बोला, "जानवी, मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हें ऐसी सज़ा दूँगा जो तुम ज़िंदगी भर नहीं भूल पाओगी। अब तक तुम मुझसे खेल रही थी ना, अब मेरी बारी है तुमसे खेलने की।"
इधर अंश गुस्से से उस ड्रेसिंग टेबल पर रखे सभी सामानों को जमीन पर फेंक दिया। फिर चिल्लाया, "जानवी! मैं तुम्हें नहीं छोड़ूँगा। मैं तुम्हें ऐसी सज़ा दूँगा जो तुम ज़िन्दगी भर नहीं भूल पाओगी। अब तक तुम मुझसे खेल रही थी, ना? अब मेरी बारी है, तुमसे खेलने की।"
इधर जानवी गुस्से से ऑफिस से निकलकर सीधे हॉस्पिटल चली गई। वह सीधे हॉस्पिटल में बने केबिन में गई जहाँ डॉक्टर बैठे थे।
केबिन में पहुँचकर जानवी बोली, "मुझे डॉक्टर राजीव से बात करनी है, वो भी अकेले में।"
जानवी की बात सुनकर वहाँ के सभी डॉक्टर चले गए। उन्हें पता था कि जानवी अंश की पत्नी है, इसलिए वे वहाँ से बाहर निकल गए।
सबके जाते ही जानवी गुस्से से राजीव की तरफ देखते हुए बोली, "कल तुमने मेरा फ़ोन क्यों नहीं उठाया? और डॉक्टर जॉकी कहाँ है? उसने भी मेरा फ़ोन नहीं उठाया।" वह खुद को शांत करने लगी।
डॉक्टर राजीव ने कहा, "सॉरी मैम, हमें पता नहीं चला। लेकिन जैसे ही पता चला, हमने आपके फ़ोन पर फ़ोन किया, लेकिन आपका फ़ोन स्विच ऑफ बता रहा था।"
जानवी ने डॉक्टर की बात सुनकर मन ही मन सोचा, 'तुम्हारी एक सॉरी से मेरा वक़्त वापस नहीं आ जाएगा।' वह कुछ नहीं बोली।
डॉक्टर की तरफ देखकर बोली, "मुझे वो दवा चाहिए।"
डॉक्टर ने कहा, "मैम, मैंने तो आपको दवा दी थी। क्या वह ख़त्म हो गई? इतनी जल्दी कैसे? अभी भी लगभग दो-तीन दिन के लिए आपके पास दवा होनी चाहिए थी।"
जानवी ने डॉक्टर की बात सुनकर मन में सोचा, 'कैसे बताऊँ कि वो दवा मुझे नहीं मिल रही।'
जानवी को ना बोलता देख, डॉक्टर राजीव ने कहा, "मैम, क्या किसी और ने वो मेडिसिन नहीं खाई?"
"मैंने आपको पहले ही कहा था कि वह दवा इंसान के लिए बहुत ही खतरनाक हो सकती है, खासकर जिसने कोई ड्रग्स ना लिया हो। लड़कियों के लिए तो यह और भी ज़्यादा खतरनाक होती है क्योंकि उनमें इस दवा को लेने की क्षमता बहुत कम होती है। और वह मेडिसिन सिर्फ़ वही खा सकता है जो ड्रग्स के असर में हो। इसलिए मैंने आपको पहले ही कहा था कि आप अंश को बता दीजिये कि उसे ड्रग्स दिया गया था, लेकिन आपने हम सबकी बात नहीं मानी।"
लेकिन जानवी डॉक्टर की बात सुनकर भी कुछ नहीं बोली। फिर उसने डॉक्टर से दवा माँगते हुए कहा, "तुम्हें टेंशन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। वक़्त के साथ सब सही हो जाएगा, तुम और तुम्हारी नौकरी भी। इसलिए तुम मुझे दवा दो बस।"
फिर जानवी डॉक्टर से मेडिसिन लेकर घर चली गई।
इधर अंश गुस्से में अपने कमरे को पूरा तहस-नहस कर कुछ पल बिस्तर पर बैठकर खुद को शांत करने की कोशिश कर रहा था।
फिर अंश थोड़ा शांत हुआ और बिस्तर से उठकर अपने कपड़े निकालकर सीधे बाथरूम में गया। फ्रेश होकर बाहर आया और कमरे से निकलकर केबिन में जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ गया। फिर उसने अपने असिस्टेंट को कॉल करके केबिन में बुलाया।
असिस्टेंट के केबिन में आते ही अंश ने उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "तुम अभी जाओ और किसी नौकर को बुलाओ। मेरे कमरे की सफ़ाई करवाओ।"
असिस्टेंट अंश की बात सुनकर वहाँ से चला गया।
इधर जानवी हॉस्पिटल से घर पहुँचकर दादी के पास गई।
दादी जानवी को देखकर खुश हो गईं। तभी दादी को याद आया कि कल रात आलिया उनसे मिलने नहीं आई थी। दादी ने जानवी से पूछा, "आलिया बेटा, तुम कल रात क्यों नहीं आई थी? हमें दवा दे देती।"
जानवी ने कहा, "दादी, मैं कल... " फिर कुछ सोचकर बोली, "मैं अंश के साथ थी।"
दादी ने जानवी के मुँह से अंश का ज़िक्र सुनकर मुस्कुरा दिया।
फिर जानवी ने उन्हें नाश्ता और दवा खिलाकर अपने कमरे में जाकर थोड़ी देर आराम किया।
आज अंश को घर जाने का बिल्कुल मन नहीं था, लेकिन वह नहीं चाहता था कि घरवालों को इस बारे में कुछ भी पता चले। इसलिए वह रात के लगभग 12:30 बजे घर पहुँचा और अपने कमरे में चला गया। वहाँ जानवी नहीं थी। उसने सोचा, "अच्छा हुआ जानवी यहाँ नहीं है, वरना मुझे नहीं पता कि मैं क्या करता।" फिर वह वॉशरूम की तरफ़ चला गया।
थोड़ी देर बाद अपनी पतलून और टी-शर्ट पहनकर बिस्तर पर आकर सो गया क्योंकि आज उसका काम करने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था और ना ही कुछ खाने का।
इधर जानवी अंश की कड़वी बातें सुनकर उसका मुँह तक नहीं देखना चाहती थी। इस तरह वह दूसरे कमरे में जाकर अंश के आने से पहले ही सो गई।
सुबह का समय
आज भी जानवी सुबह जल्दी उठकर किचन में जाकर नाश्ता बनाने लगी।
इधर अंश कमरे में ऑफिस जाने के लिए तैयार होकर हॉल में आया और नाश्ता किये बिना सीधे ऑफिस जाने लगा।
तभी उसकी माँ ने अंश को रोकते हुए कहा, "अंश, तू कभी नाश्ता नहीं करके जाता है, लेकिन आज तू नाश्ता करके ही जाएगा।"
अंश ने अपनी माँ की बात सुनकर कहा, "माँ, मुझे भूख नहीं है। मैं ऑफिस जा रहा हूँ, वहाँ कुछ खा लूँगा।"
अंश की माँ ने कहा, "अच्छा ठीक है, मत कुछ खा, लेकिन ये जूस तो पी ले।"
अंश ने कहा, "माँ, मुझे नहीं पीना।"
"क्यों नहीं पीना? तुझे पीना पड़ेगा, वो भी मेरे सामने।"
"ठीक है माँ, मैं पी लेता हूँ।" और फिर अपनी माँ के हाथों से जूस का गिलास लेकर जल्दी से पी लिया।
और फिर वह वहाँ से सीधे ऑफिस के लिए चला गया।
जानवी किचन में खड़ी अंश को जूस पीता हुआ देख रही थी। फिर वह भी जल्दी से किचन से बाहर आकर अंश की माँ को गले लगाते हुए बोली, "धन्यवाद आंटी, आपने मेरी बात मानी और अंश को वो जूस पिला दिया।"
अंश की माँ ने जानवी को अपने से अलग करते हुए कहा, "लेकिन तुम जूस क्यों पिलाना चाहती थी? क्या कोई बड़ी बात है जो तुम हमसे छिपा रही हो?"
जानवी ने आंटी को जवाब देते हुए कहा, "नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है। और रही बात अंश को जूस पिलाने की, तो यह बहुत लंबी कहानी है। किसी दिन फ़ुर्सत में बैठकर बताऊँगी।" और फिर वहाँ से जल्दी से ऑफिस जाने के लिए निकल गई।
जानवी ने आंटी को उत्तर दिया, "नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है।" और रही बात अंश को जूस पिलाने की, तो यह बहुत लंबी कहानी है। किसी दिन फुर्सत में बैठकर बताऊँगी।" फिर वह जल्दी से ऑफिस जाने के लिए निकल गई।
और ऐसे ही दो दिन बीत गए थे। जानवी ना अंश से मिली थी और ना ही उससे कोई बात की थी।
वहीं दूसरी तरफ़, अंश दो दिनों से यही सोच रहा था कि ऐसा क्या करे कि जानवी को अपनी तकलीफ़ का अंदाज़ा हो। एक आइडिया आया और फिर वह जल्दी से अपना फ़ोन निकालकर किसी को कॉल करने लगा।
कुछ देर बाद अंश ने जानवी को कॉल कर अपने केबिन में बुलाया। जानवी, अंश के बुलाने पर, परमिशन लेकर केबिन में आ गई।
अंश ने जानवी को अपने केबिन में देखकर कहा, "तुम तैयार रहना, आज हमें बिज़नेस पार्टी में जाना है।"
जानवी ने उत्तर दिया, "पर मुझे नहीं जाना।" जानवी इतना ही बोल पाई थी कि अंश, जो इतनी देर से अपनी फ़ाइल पढ़ रहा था, बोला,
"फ़ाइल बंद कर, टेबल पर रखते हुए, जाने की तरफ़ देख, उसकी बातों को काटते हुए, मैं तुमसे पूछ नहीं रहा हूँ, तुम्हें बता रहा हूँ। और वैसे भी मुझे भी कोई शौक नहीं है तुम्हें अपने साथ कहीं भी ले जाने का। और रही बात तुम्हें पार्टी में ले जाने की, तो तुम मेरी बीवी हो और दूसरी, तुम भी इस कंपनी में नौकरी करती हो। तो मैं तुम्हें नहीं ले जाऊँगा, तो क्या चपरासी को ले जाऊँ?"
जानवी ने ज़्यादा बहस न करते हुए कहा, "ठीक है, मैं तैयार रहूँगी। टाइमिंग कितनी है?"
"8:30 बजे।"
जानवी ने अंश की बात सुनकर, "ठीक है," कहा और वहाँ से चली गई।
जानवी के जाते ही अंश के होठों पर एक रहस्यमयी मुस्कान आ गई।
रात के 8:00 बजे, अंश अपनी कार में बैठा जानवी के आने का इंतज़ार कर रहा था कि तभी उसकी नज़र गेट पर गई जहाँ से जानवी चलते हुए उसकी तरफ़ आ रही थी। अंश एक पल के लिए उसे देखता ही रह गया क्योंकि वह बॉडीकॉन ब्लैक ड्रेस में बेहद खूबसूरत लग रही थी।
फिर अंश ने जल्दी से जानवी से नज़र हटाते हुए खुद से कहा, "यह तुम्हारी खूबसूरती मेरे दिल में कभी जगह नहीं बना पाएगी, कभी नहीं।" और फिर जानवी कार में बैठते ही अंश ने कार स्टार्ट की और पार्टी प्लेस की ओर गाड़ी भगा दी।
कुछ देर बाद अंश की कार एक क्लब के बाहर रुकी। फिर अंश कार से बाहर आकर जानवी को भी बाहर आने को कहा।
जानवी ने अंश के कहने पर कार से बाहर आकर क्लब को देखा तो खुद से बोली, "क्या पार्टी यहाँ? वाह! बिज़नेस..." उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था, लेकिन बिना कुछ ज़्यादा सोचे वह अंश के पीछे-पीछे क्लब के अंदर जाने लगी।
जानवी क्लब के अंदर पहुँची तो वहाँ बहुत सारे लोग थे, लेकिन यह पार्टी देखने में कोई बिज़नेस पार्टी नहीं लग रही थी।
लेकिन फिर भी जानवी ज़्यादा कुछ न सोचकर अंश की बातों पर यकीन करते हुए वहीं उसी हॉल में रखे सोफ़े पर अंश के साथ बैठ गई।
और इधर अंश तिरछी नज़रों से जानवी की हरकतों को देख रहा था। फिर अंश सोफ़े से उठकर जानवी की तरफ़ देखते हुए बोला, "तुम यहीं इंतज़ार करो, मैं अभी आता हूँ।" यह कहकर अंश वहाँ से चला गया।
जानवी को अब वहाँ अकेले बैठे अजीब लग रहा था क्योंकि उसके आस-पास एक लड़के के सिवा कोई और नहीं था जो कब से जानवी को अपनी वासना भरी नज़रों से घूर रहा था।
और फिर जानवी अपने अजीबपन को छिपाने के लिए अपने पर्स से फ़ोन निकालकर फ़ोन चलाने लगी।
कि तभी जानवी के पास एक वेटर आया। वह वेटर अपनी ट्रे जानवी के आगे बढ़ाते हुए बोला, "मैम, जूस।"
जानवी ने वेटर की बात सुनकर मुस्कुराते हुए जूस का गिलास उठाकर अपने होठों से लगा लिया क्योंकि जानवी को यहाँ आए लगभग आधे घंटे से ज़्यादा हो गया था जिससे उसका गला भी सूख रहा था।
और फिर जानवी ने जूस ख़त्म कर उस गिलास को टेबल पर रख दिया और फिर से अपने फ़ोन को चलाने लगी।
वहीं पास में बैठा हुआ लड़का, जो कब से जानवी को घूर रहा था, उसके गिलास को रखते ही अपनी रहस्यमयी मुस्कान से किसी को फ़ोन कर बोला, "तुम्हारा काम हो गया। अब तुम एक नहीं हो।" यह कहकर उसने फ़ोन काट दिया।
और यहाँ जानवी को फ़ोन चलाते हुए अपनी आँखों के सामने अंधेरा छाता हुआ महसूस हुआ। यह महसूस कर जानवी झट से सोफ़े से खड़ी हो गई।
क्योंकि उसे एहसास हो गया था कि किसी ने उसे नशा दे दिया है क्योंकि वह घर से आने से पहले बिलकुल ठीक थी और यहाँ अचानक जूस पीते ही उसे ऐसा महसूस होने लगा था। इसलिए उसे पता चल गया कि किसी ने उसे नशा दिया है।
लेकिन किसने और कैसा नशा? यह महसूस कर जानवी वहाँ से जल्दी से जल्दी निकल जाना चाहती थी क्योंकि उसे पता चल गया था कि यहाँ उसके साथ कुछ बहुत बुरा होने वाला है।
इसलिए जानवी जल्दी से उस सोफ़े से उठकर अंश को ढूँढने लगी, लेकिन अंश उसे कहीं नहीं मिल रहा था और साथ ही उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाता जा रहा था।
इसलिए जानवी अपनी आँखें खुली रखने के लिए वॉशरूम जाकर अपनी आँखों पर ठंडे पानी के छींटे मारने की सोची। इसलिए जानवी जल्दी से वॉशरूम में गई और जल्दी-जल्दी अपनी आँखों पर ठंडे पानी के छींटे मारने लगी क्योंकि वह चाहती थी कि जितनी जल्दी हो सके वह अंश के साथ यहाँ से निकल जाए। कि तभी उसे एहसास हुआ कि कोई उसके पीछे खड़ा है। ऐसा होते ही जानवी आईने में देखती है तो उसके पीछे कोई और नहीं, अंश खड़ा था।
जिसे देख जानवी जल्दी से पीछे मुड़ी, "तुम कहाँ थे अंश?" और फिर जल्दी से अंश का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ वॉशरूम से बाहर ले जाने लगी।
अंश जानवी को यूँ खुद को पकड़कर बाहर ले जाते देख वहीं खड़ा होकर जानवी का हाथ कस के पकड़ अपनी तरफ़ खींच लिया और फिर उसकी आँखों में देखते हुए बुरी मुस्कान करते हुए बोला, "क्या हुआ पत्नी, तुम इतना घबरा क्यों रही हो? क्या तुम्हें किसी ने ड्रग्स दिया है?"
और इधर जानवी अंश की बात सुनकर उसे तो एकटक देखती ही रह गई। उसे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि अंश के कहने का क्या मतलब है। क्या जो उसे नशा दिया है, वह कोई ख़ास ड्रग्स है और यह अंश ने ही दिया है? लेकिन क्यों? वह उसके साथ क्या करना चाहता है? अब उसे घबराहट होने लगी थी अंश के इरादे से। कि तभी दोबारा अंश की आवाज़ आई, "क्या हुआ पत्नी? क्या सोच रही हो? यही ना कि मैं तुम्हारे साथ क्या करूँगा? तो तुम्हें सुबह सब पता चल जाएगा जब तुम खुद को किसी और की बाहों में पाओगी।"
इस वक़्त अंश के चेहरे में एक अजीब सी मुस्कान थी।
अंश की बातें और उसकी मुस्कान देख जानवी ना चाहते हुए भी उसकी आँखों में आँसू आ गए।
अंश जानवी के दर्द पर मरहम लगाने की बजाय नमक छिड़कते हुए बोला, "अरे अरे! रो मत! इसे बचाकर रखो। अभी तो तुम्हें खूब रोना है अपनी बर्बादी पर।"
कि तभी जानवी ने अंश की बातें सुनकर उसे धक्का देकर वॉशरूम से बाहर जाते हुए कहा, "ऐसा कभी नहीं होगा!" यह बोलते हुए जानवी पूरी तरह लड़खड़ा रही थी क्योंकि अब जानवी पर नशा चढ़ने लगा था। उसकी पलकें बार-बार बंद और खुल रही थीं।
और फिर जानवी अपने लड़खड़ाते कदमों से वॉशरूम से बाहर जाने लगी। वह खड़े होने की पूरी कोशिश कर रही थी। जानवी दीवार का सहारा लेते हुए क्लब से बाहर जाने की कोशिश कर रही थी कि तभी वह लड़खड़ाकर जमीन पर गिरने लगी कि तभी कोई उसे अपनी बाहों में थाम लेता है। खुद को किसी के पकड़े हुए देख जानवी ने अपनी नज़र ऊपर कर उस इंसान को देखा तो वह कोई और नहीं, वही इंसान था जो कुछ देर पहले उसके साथ सोफ़े पर बैठा था। उसे देख जानवी उस इंसान से खुद को छुड़ाने लगी तभी पीछे से आवाज़ आई,
"तुम्हें कैसा लगा मेरी बीवी? अच्छा ना? तो आज रात के लिए तुम्हारी, इसे बहुत शौक है ना, दूसरे के साथ खेलने का। अब इसके साथ भी वही खेल खेला जाएगा।"
यह सुन जानवी की आँखों से लेबा लेबा आँसू बहने लगे।
तभी जानवी की आँखें बंद होने लगी और वह ज़मीन पर गिर गई। उस इंसान ने उसे पहले ही अपनी बाहों में उठाकर कमरे की तरफ़ जाने लगा।
बेहोशी के हालात में भी जानवी की आँखों के कोने से आँसू बह रहे थे।
आज के लिए बस इतना ही। तो देखते हैं क्या जानवी अंश के षड़यंत्र से बच पाएगी और फिर अपनी मोहब्बत में अपनी ज़िंदगी तबाह कर देगी? क्या करेगी जानवी? जानने के लिए पढ़ते रहें।
अगली सुबह जब जानवी ने अपनी आँखें खोलीं, तो उसने खुद को बिस्तर पर एक चादर से लिपटा हुआ पाया। वह बिस्तर पर उसी तरह लेटी हुई, पिछली रात के बारे में सोचने की पूरी कोशिश करती रही, लेकिन उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था; सिवाय अंश द्वारा कहे गए शब्दों के, "कैसी लगी मेरी बीवी... आज रात के लिए तुम्हारी..." और फिर उस आदमी द्वारा उसे अपनी बाहों में उठाकर कमरे की ओर ले जाने की बात।
यह सब याद करके जानवी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन उसने अपने आँसुओं को बहने नहीं दिया। उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने उसके दिल में लोहे की सुई चुभो दी हो। वह और याद करने की पूरी कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे कुछ याद नहीं आ रहा था। अब ज़्यादा याद करने की कोशिश से उसके सिर में भी दर्द होने लगा, जिससे जानवी ने अपने सिर पर हाथ रखकर बिस्तर पर बैठ गई।
तभी उसकी नज़र सामने सोफ़े पर बैठे अंश पर गई, जो सोफ़े पर बैठकर लैपटॉप चला रहा था। उसे इस तरह देखकर जानवी की आँखों में आँसू आ गए, जिन्हें उसने कुछ देर पहले बहने से रोका था। उसे नहीं पता था कि आँसू क्यों आ रहे थे, लेकिन ये आँसू उसे बहुत दर्द दे रहे थे।
और इधर अंश, जो लैपटॉप में अपना काम कर रहा था, जानवी को उठते देख लैपटॉप को सोफ़े पर रखकर जानवी के पास आते हुए बोला, "कैसी रही कल की रात, बीवी? क्या कल की रात तुमने एन्जॉय किया? नहीं किया तो बता सकती हो, मैं कोई और भी इंतज़ाम कर सकता हूँ।" यह कहते हुए अंश उसके चेहरे के बिलकुल नज़दीक आ जाता है, उसकी आँखों में आँसू देखकर उसी तरह...
इधर अंश की बातें सुनकर जानवी ने अपनी आँखें बंद कर लीं, जिससे उसकी आँखों में भरे आँसू उसके गालों पर लुढ़क गए। वह अपनी आँखें बंद करके जैसे सभी दर्द को अपने अंदर समा लेना चाहती थी, क्योंकि वह सब कुछ सह सकती थी, लेकिन कल रात जो अंश ने उसके साथ किया, वह नहीं।
"क्या हुआ बीवी? तुम्हें बुरा महसूस हो रहा है? तुम्हें मुझ पर गुस्सा आ रहा है?"
और फिर चिल्लाते हुए, "तो ये सब तुम्हें मेरे करीब आने से पहले सोचना चाहिए था! तुम्हें क्या लगा? तुम मेरे करीब आओगी और मैं तुम्हें आसानी से छोड़ दूँगा? तुम्हें मेरी ज़िन्दगी में वो जगह लेनी चाहिए जो सिर्फ़ मेरी आलिया की थी... सिर्फ़ आलिया की... ना कि तुम्हारी!" यह कहते हुए अंश जानवी के गालों पर अपनी पकड़ बना लेता है, और फिर अपनी पकड़ मज़बूत करते हुए...
"अब पता चला कि हमें कितना बुरा लगता है जब कोई तुम्हें, तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर छूता है, तुम्हारे करीब आता है! इसलिए तो मैंने ये प्लान बनाया कि तुम्हें वही ड्रग देकर किसी और के बिस्तर पर भेज दिया... ताकि तुम भी नशे में पूरी रात किसी गैर-मर्द की बाहों में बिताओ! बहुत एटीट्यूड है ना तुम्हें? अब टूटा तुम्हारा एटीट्यूड और घमंड... अब पूरा हुआ मेरा रेवेंज!" यह कहकर अंश वहाँ से जाने लगता है।
जैसे-जैसे जानवी अंश की बातें सुनती जा रही थी, उसका दिल टूटता जा रहा था। अब उसे अंश की और बातें सुनी नहीं जा रही थीं। उसे इस वक़्त अपने दिल में इतना दर्द हो रहा था कि यह दर्द उसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। अंश का हर एक झूठ, गुस्सा, धोखा, वो अपने मोहब्बत में सहने को तैयार थी, लेकिन अपने जिस्म के साथ खिलवाड़ नहीं। अपनी इज़्ज़त खोने के बाद जानवी अब पूरी तरह टूट चुकी थी, उसमें बची हुई कोई भी हिम्मत अब जवाब दे चुकी थी।
वह कब अंश के मोहब्बत के चलते खुद को तबाह करती चली गई, उसे पता ही नहीं चला। आज वो पूरी तरह टूट चुकी थी। आज अंश ने उसे उस मोड़ पर खड़ा कर दिया जहाँ से उसके पास कोई रास्ता नहीं था, सिवाय मौत के।
यह सोचकर जानवी चादर समेत झट से बिस्तर से उठ जाती है और फिर जाते हुए अंश को देखकर उसे रोकते हुए कहती है, "रुको अंश! अभी तुम्हारे रेवेंज का खेल खत्म नहीं हुआ है! अब तो मेरी बारी है! तुम्हें बदला लेना था, ना? तो मुझसे बदला लेकर पूरा कर देती हूँ तुम्हारा बदला, जैसे मैंने तुम्हारी हर चाहत पूरी की, उसी तरह ये चाहत भी पूरी करती हूँ। तुम्हें मुझसे रेवेंज लेना था ना? अब तुम्हारा रेवेंज पूरा होगा!" यह कहते हुए जानवी झट से फ्रूट बास्केट से चाकू उठाकर अपनी कलाई पर लगा देती है।
और इधर जानवी की बात सुनकर अंश पीछे मुड़कर जानवी को देखता है, तो जानवी के हाथों में चाकू देखकर अंश एक पल के लिए डर जाता है। और फिर अंश हकलाते हुए, "ये क्या कर रही हो जानवी? मैंने कहा छोड़ो..." क्योंकि उसे पता था कि जानवी कैसी है, एकदम किस्की हुई, जिद्दी, कब क्या कर जाए कुछ नहीं पता... और फिर जानवी की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगता है।
जानवी अंश को अपनी तरफ आता देख, "वहीं रुक जाओ अंश! आगे बढ़ने की सोचना भी मत! तुम्हें क्या लगा कि तुम मेरे साथ सौदा करोगे और मैं चुपचाप देखती रहूँगी? तुमने इतने दिनों से जो भी किया, मैंने सब सहती रही, क्योंकि मैंने तुम्हें वादा किया था कि मैं हमेशा तुम्हारा साथ दूँगी, तुम्हारे दुख-सुख में तुम्हारा साथ रहूँगी। तुम शायद भूल गए, मैं नहीं!" यह कहते हुए जानवी झट से चाकू को अपनी कलाई पर रखकर उसे अपनी तरफ खींच लेती है, जिससे एक गहरा घाव बन जाता है और उसकी कलाई से खून बहने लगता है।
खून बहता देख अंश जल्दी से दौड़कर जानवी के पास जाने लगता है कि जानवी अपना हाथ आगे कर उसे रोते हुए, "खबरदार जो आगे कदम बढ़ाया तो... मुझे बुरा कोई नहीं होगा! क्योंकि तुमने कल रात मेरे साथ जो किया, वो मैं कभी नहीं भूलूँगी! क्योंकि इस बार तुमने मेरे जिस्म को ही नहीं, मेरी आत्मा, मेरे रूह को चोट पहुँचाई है! मैं तुम्हें कभी माफ़ नहीं करूँगी अंश, कभी भी नहीं!" यह कहते हुए जानवी की हालत ख़राब होती जा रही थी।
जानवी की हालत ख़राब होते देख अंश जल्दी से उसके पास जाता है और फिर उसके हाथों से चाकू छीनकर, "ये क्या किया बेवकूफ़ लड़की! तुम पागल हो क्या? तुमने अपनी नस क्यों काट ली?"
जानवी उसे देखते हुए अपनी दर्द भरी मुस्कान करके, "क्या हुआ अंश? पूरा हो गया तुम्हारा रेवेंज? अब तो तुम खुश हो! तुम भी तो यही चाहते थे ना? तुम मुझे पहले ही बता देते कि तुम्हें मुझसे बदला लेना है, तो कल रात जो तुमने किया वो तुम्हें करना ना पड़ता।"
लेकिन दर्द में होने के बाद भी जानवी के चेहरे पर एटीट्यूड साफ़ दिख रहा था, जैसे उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वो कुछ ही देर में मरने वाली है।
जानवी के बहते हुए खून को देखते हुए अंश जल्दी से जानवी के ओढ़े हुए चादर से थोड़ा सा कपड़ा फाड़कर जानवी की कलाई पर बांध देता है। और फिर उसे अपनी बाहों में उठाकर, "मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा!" यह कहते हुए अंश उस कमरे से बाहर ले जाने लगता है।
लेकिन जानवी अब भी अंश को मनाते हुए, "अंश मुझे छोड़ दो! मेरे हाल पर... मैंने कहा यहीं छोड़ो! मुझे कहीं नहीं जाना! जो तुमने कल रात मेरे साथ किया... उसके बाद मुझे नहीं जीना!" यह कहते हुए जानवी अपनी लम्बी-लम्बी साँसें ले रही थी।
"तुमने सही कहा था कि इंडियन लड़कियाँ चीप नहीं होती हैं! उनकी अपनी ज़िन्दगी में सबसे कीमती उनकी खुद की इज़्ज़त होती है! और मैं भी एक इंडियन ही हूँ!" यह कहते हुए जानवी की आँखें बंद होने लगी थीं।
फिर अंश जल्दी से उसे क्लब से बाहर निकालकर जानवी को कार में बिठाकर खुद भी ड्राइविंग सीट पर बैठकर जानवी के सिर को अपनी जाँघ पर रखकर कार चलाने लगता है। अंश फ़ुल स्पीड में कार चला रहा था। अंश ड्राइव करते हुए बार-बार जानवी के गालों को थपथपा रहा था, जिससे जानवी हॉस्पिटल पहुँचते तक होश में ही रही। "प्लीज़ जानवी अपनी आँखें बंद मत करना, बस हम पहुँचने वाले हैं!" यह कहते हुए अंश के चेहरे पर घबराहट और एक दर्द भरा और साफ़ नज़र आ रहा था।
आंश जानवी के गालों को थपथपाते हुए, "होश में आओ जानवी, उठो..."
इस वक़्त आंश जानवी को होश में लाने की पूरी कोशिश कर रहा था। आंश इस वक़्त पूरा डरा हुआ था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जानवी को कुछ भी हो।
आंश बार-बार जानवी के गालों को थपथपाते हुए, "जानवी, प्लीज़ होश में आओ। मैं तुम्हें कैसे बताऊँ कि कल रात ऐसा कुछ नहीं हुआ था जो तुम सोच रही हो। वो सब एक झूठ था, सिर्फ़ एक दिखावा, जो मैं चाहता था तुम देखो।"
कार ड्राइव करते हुए, एक नज़र जानवी को देखकर, "तुम सुन रही हो जानवी? उसने तुम्हें सच में छुआ भी नहीं था। वो इंसान तो सिर्फ़ तुम्हें बिस्तर पर लिटाकर वहाँ से चला गया था क्योंकि पूरी रात तो मैं था तुम्हारे साथ। सच में उसने तुम्हारे साथ कुछ नहीं किया।"
आंश जानवी को होश में रखने के लिए उसे सारी सच्चाई बताता जा रहा था क्योंकि उसे इतना पता था कि किसी इंसान को होश में रखने के लिए उसे बात करते रहना चाहिए ताकि वह बेहोश न हो जाए।
वो सब तो सिर्फ़ मेरा प्लान था ताकि मैं तुम्हें सबक सिखा सकूँ। सच में जानवी, उसने तुम्हें छुआ भी नहीं था और कल रात तुम्हें कोई ड्रग्स भी नहीं दिया गया था।
जो तुमने कल रात पिया, वह सिर्फ़ एक आम नशा था जिससे तुम बेहोश हो जाओ और तुम्हें कुछ याद भी न हो।
यह कहते हुए आंश की आँखों में आँसू आ जाते हैं। "सच में जानवी, मैं सिर्फ़ तुमसे सबक सिखाने के लिए यह सब किया था। यह सिर्फ़ एक झूठ है, नाटक किया था ताकि तुम्हें एहसास हो कि तुमने मेरे साथ क्या किया था। पर प्लीज़ जानवी, अपनी आँखें मत बंद करना।"
ऐसे ही बात करते हुए, आंश की कार अस्पताल के आगे रुकती है। आंश जल्दी से जानवी को कार से बाहर निकालता है। इस वक़्त जानवी आंश की बाहों में झूल रही थी। उसके हाथों के कपड़े बंधे होने के बावजूद भी, खून उसके कलाई से रिसकर ज़मीन पर बूंदों सहित गिर रहा था।
जानवी की ऐसी हालत देख आंश को खुद पर गुस्सा और घबराहट हो रही थी कि अगर वह जानवी को सबक सिखाने की वजह से यह सब न करता, तो जानवी भी ऐसा कदम न उठाती क्योंकि उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी किसी को मरता हुआ देखने की, वह भी उसकी वजह से। और फिर उसी तरह जानवी को अपनी गोद में ले अस्पताल के अंदर चला जाता है और फिर चिल्लाते हुए, "डॉक्टर्स!"
आंश की आवाज़ सुन सभी डॉक्टर्स आंश के पास आ जाते हैं। आंश डॉक्टर को अपने सामने देख उन डॉक्टर्स पर चिल्लाते हुए, "इसका जल्दी से इलाज करो, इसने अपनी नस काट दी है!"
डॉक्टर्स आंश की गुस्से भरी आवाज़ से डर जाते हैं और फिर जल्दी से जानवी को स्ट्रेचर पर ले जाकर इमरजेंसी वार्ड में ले जाते हैं।
इमरजेंसी रूम के बाहर आंश खुद में ही बर्बादाया जा रहा था। "कि जानवी को कुछ नहीं हो सकता, मैं एक और मौत नहीं देख सकता।" उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि जानवी ऐसा कुछ भी कर सकती थी।
और फिर खुद से बोलते हुए, "मेरे एक छोटे से झूठ की वजह से जानवी ऐसा कुछ करेगी, मैंने कभी सोचा भी नहीं था। जानवी को ऐसा नहीं करना चाहिए था। जितना मैं जानवी को जानता हूँ, जानवी इतनी कमज़ोर नहीं थी कि उसे कोई रास्ता न मिले तो खुद को ही खत्म कर ले। वह तो लड़ने वालों में से है, मरने वालों में से नहीं।" यह सोचते हुए उसे वह पल याद आने लगता है जब आंश जानवी को इम्प्रेस करने के लिए उसके पीछे गुंडे लगा देता है।
फ़्लैशबैक
आंश काफ़ी समय से जानवी का पीछा कर रहा था, लेकिन जानवी अपने ही धुन में बाइक चला रही थी, कहीं जा रही थी कि तभी कुछ गुंडे जानवी को घेर लेते हैं।
और वह सभी गुंडे बाइक के साथ जानवी की चारों तरफ़ गोल-गोल घूमते हुए। इनमें से एक गुंडा बोलता है, "वोये शेखर, यार ये क्या माल है! इस्से तो मैं तेरी भाभी बनाऊँगा।" फिर दूसरा गुंडा बोलता है, "नहीं नहीं, मैं इस्से तेरी भाभी बनाऊँगा।"
और इधर जानवी उन गुंडों को देख और उनकी बातें सुन अपनी जलती हुई आँखों से घूरती हुई बड़े स्टाइल से अपनी बाइक से उतरती है और फिर अपने चेहरे से हेलमेट को हटाती हुई, बड़े शांति से अपनी बाइक से टेक लगा उन गुंडों को देखने लगती है जैसे वह चुटकियों में ही उन्हें मसल कर रख देगी।
कि तभी उन गुंडों को आपस में बातें करते देखना, "ये तेरी भाभी होगी, ये तेरी भाभी होगी..." कि तभी जानवी बड़े ही ऐटिट्यूड से गुंडों को देख, "ऐसा करो, तुम पहले डिसाइड कर लो कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं, तब तक मैं खा-पीकर आती हूँ।"
जानवी के ऐटिट्यूड और बातें सुन खुद से, "क्या इस लड़की को डर नहीं लग रहा हमसे?" और फिर वह अपना चेहरा बाइक के मिरर में देखने लगता है। खुद को देख वो गुंडा, "आरे डरावना तो हूँ, तो फिर इस्से क्यों नहीं लग रहा?"
और फिर पलटकर जानवी को ऊपर से नीचे देखने लगता है और फिर उसे देख अपने मन में, "देखने में तो ये नाज़ुक कमली की तरह है। अगर इसकी जगह कोई दूसरी लड़की होती, तो हमें देख चीखती-चिल्लाने लगती। लेकिन ये तो हमें खुद इनवाइट कर रही है। हमारी तो बन गई! हमें पैसे भी मिलेंगे और लड़की भी।" और फिर सोच उसके चेहरे में स्माइल आ जाती है।
और फिर अपनी घटिया स्माइल करते हुए जानवी से, "हमने डिसाइड कर लिया कि तुम इसकी भाभी हो।" कि तभी दूसरा गुंडा, "नहीं नहीं, तुम इसकी भाभी हो।" और ऐसे ही दूसरा और तीसरा भी कहने लगता है।
और इधर आंश गुंडों की हरकतें देख खुद से, "ये गुंडे ही हैं ना, ये कैसी बकवास कर रहे हैं। जिस काम के लिए भेजा है, वो तो काम ही नहीं कर रहे। और इस लड़की को क्या हुआ है? ऐसी बेतुकी-बेतूकी बातें क्यों कर रही है?" और फिर आंश चिल्लाते हुए, "अरे यार, अपना काम स्टार्ट करो ताकि मैं भी अपना काम करूँ।"
कि तभी जानवी उन गुंडों को लड़ता देख, अपनी खतरनाक स्माइल करते हुए, "अगर तुम सबका हो गया, तो मैं बताऊँ कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं।"
यह कहते हुए जानवी अपने कदम उन गुंडों की तरफ़ बढ़ा देती है। जानवी पहले गुंडे के पास पहुँच और फिर बगैर अपनी इमोशनलेस आँखों से उस गुंडे को घूरते हुए अपना हेलमेट उठा उस गुंडे के सर पर मारते हुए, गुस्से से उस पर चिल्लाते हुए, "बहुत शौक है ना, मुझे दूसरों की भाभी बनाने का! अब तुझे बताती हूँ कि मैं किसकी भाभी हूँ और किसकी नहीं।" यह कहते हुए जानवी दूसरे गुंडे को बगैर कोई मौका दिए उसके बालों को पकड़ उसे थोड़ा नीचे झुका, अपने पैर को उठाकर उसके पीठ पर एक किक मारती है जिससे वह गुंडा दर्द से तड़पते हुए वहीं बैठ जाता है।
और तीसरे को भी बगैर कोई मौका दिए जानवी अपने पैरों का इस्तेमाल कर उसके पर्सनल पार्ट पर जोर से लात मारती है जिसमें वह आदमी भी दर्द से तड़पता है।
और फिर जानवी उस गुंडे को उन दोनों को ऊपर धक्का दे देती है जिससे वो तीनों साथ में ज़मीन पर गिर जाते हैं। क्योंकि पहला गुंडा तो जानवी के हेलमेट मारने द्वारा नीचे ज़मीन पर गिरा था और उठने की कोशिश कर रहा था कि तभी दूसरा गुंडा जिसे जानवी ने एक लात मार के उसे पहले वाले गुंडे के ऊपर गिरा देती है जिसमें पहला वाला गुंडा दुबारा ज़मीन पर गिर जाता है।
इस वक़्त तीनों ज़मीन पर गिरे हुए थे और जानवी गुस्से से पूछ रही थी। जानवी का दिल कह रहा था कि वह इन्हें ऐसा सबक सिखाए कि दोबारा कभी किसी लड़की को छेड़ने से पहले सौ बार सोचे।
और इधर गुंडों को जानवी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि एक पतली सी लड़की से वे कैसे मार खा सकते हैं। इसलिए गुंडे जल्दी से उठते हैं और जानवी को पकड़ने के लिए उसकी तरफ़ कदम बढ़ाते हैं कि तभी जानवी अपने कदम पीछे लेते हुए जंगल की तरफ़ भागती है।
और उसके पीछे भागते हुए गुंडे, "अभी तो बहुत शेरनी बन रही थी, अब क्या हुआ? डर लग रहा है?"
और यह सब नज़ारा वहीं पास खड़े आंश देख रहा था। वह तो हैरान था जानवी का ऐटिट्यूड देखकर जिससे देख आंश अपने मन में सोचने लगा, "भागी क्यों और कहाँ जा रही है? चलो छोड़ो, मुझे क्या? जहाँ जाना है जाए, मुझे तो बस अपना काम करना है।" और फिर वह भी गुंडों के पीछे, लेकिन उनसे थोड़ा दूर रहता है।
आज के लिए बस इतना।
अंश वहीं पास खड़ा यह सब नज़ारा देख रहा था। वह हैरान था, जानवी का एटीट्यूड देखकर। जिसे देख अंश अपने मन में लिखने लगा, भागी क्यों और कहाँ जा रही है?
"चलो छोड़ो, मुझे क्या," उसने सोचा, "जहाँ जाना है, जाए। मुझे तो बस अपना काम करना है।" और फिर वह भी गंदू के पीछे, लेकिन उनसे थोड़ा दूर रहता है।
सभी गुंडे वहाँ पहुँच जाते हैं, जिस तरफ़ जानवी भागी थी, लेकिन उन्हें जानवी कहीं भी नज़र नहीं आ रही थी।
"यार, अभी तो यहीं थी, कहाँ चली गई है?" एक गुंडा परेशान होकर बोला।
और वहीं दूसरा गुंडा, अपने प्राइवेट पार्ट को पकड़े हुए, बोला, "साली ने मुझे मारा है। इसे तो मैं छोड़ूँगा नहीं। लेकिन अब मैं इस चमक-छलो को मुफ़्त में ही सबक सिखाऊँगा।"
"अभी उसे ढूँढ़ तो ले," तीसरा गुंडा बोला, "तब जाकर उसे सबक सिखा लेंगे। और वैसे भी उसने तुझे अकेले को नहीं मारा, हमें भी मारा। इसलिए मैं भी नहीं छोड़ने वाला।"
तभी उन्हें अपने पीछे एक प्यारी और पतली, लेकिन किसी शेरनी की दहाड़ने जैसी आवाज़ आती है।
"पहले मुझे पकड़ तो लो," यह कहते हुए जानवी अपने दोनों हाथों को अपने पीछे कर, गुंडों की तरफ चल रही थी।
और इधर गुंडे जानवी को अपनी तरफ आता देख खुद से बोले, "क्या यह लड़की पागल है? इसे सच में हमसे डर नहीं लगता? देख, कैसे बगैर डरे हमारे पास चल रही है।"
और फिर अपना चेहरा पहले वाले गुंडे को दिखाते हुए, "गुड्डा लगता हूँ या नहीं? मुझे तो आज शक हो रहा है खुद पर।"
"सही कहा यार, मुझे तो खुद शक हो रहा है कि यह लड़की है भी या नहीं।"
तब तक जानवी उनके एकदम नज़दीक आ जाती है और फिर अपने फुल एटीट्यूड से कहती है, "तुम्हें मेरा हाथ चाहिए, या फिर कुछ और?"
जानवी की बात सुन गुंडे आपस में एक-दूसरे को देखने लगते हैं, जैसे पूछ रहे हों कि हम क्या बोलें? तभी उनमें से एक गुंडा, "कुछ और..."
यह सुनते ही जानवी अपने हाथों में पकड़े डंडे को घुमाकर गुंडे को मारती है, जिससे वह गुंडा ज़मीन पर गिर जाता है और फिर उसके कान से खून निकलने लगता है।
फिर जानवी फुर्ती से दूसरे गुंडों पर भी डंडे का वार करने लगती है, जिससे वह दोनों गुंडे भी ज़मीन पर गिर जाते हैं और उनके हाथ और पैरों से खून बहने लगता है।
और जानवी किसी बेरहम की तरह उन गुंडों पर डंडे बरसाती है और फिर गुस्से से दांत पीसते हुए कहती है, "बहुत शौक है ना लड़कियों को छेड़ने का? अब तुम लड़कियाँ छेड़ने से पहले २०० बार सोचोगे। १००% खुद से और १००% मेरे बारे में सोचकर।"
और वह गुंडे दर्द से कराह रहे थे क्योंकि जानवी उन पर डंडे बरसा रही थी।
"प्लीज़ दीदी, हमें छोड़ दो। हम अब दोबारा कभी भी किसी लड़की को नहीं छेड़ेंगे। आज से, नहीं, अभी से सब लड़कियाँ हमारी बहन हुईं। पर प्लीज़ हमें छोड़ दो।"
उन गुंडों की बात सुन जानवी एक पल के लिए रुक जाती है।
और उनमें से एक गुंडा जानवी को रुकता देख थोड़ी राहत का साँस लेता है, लेकिन उन दोनों की अब हिम्मत नहीं थी कि वह उठकर वहाँ से भाग भी सकें।
"हम पागल थे जो हमने कुछ और माँग लिया।" दूसरा गुंडा बोला। "इसका कुछ और माँगने का मतलब था कि हमें डंडे से पीटना। काश हम इसका हाथ माँग लेते, तो यह हमें पीटती ना। शायद हमसे शादी कर लेती।"
उस गुंडे की बात सुन जानवी को फिर से गुस्सा आने लगता है कि इतना पीटने के बाद भी इन गुंडों को अक्ल नहीं आई जो यह मुझे शादी करने की बात कर रहे हैं। "रुको, बताती हूँ अभी।" और फिर उस डंडे से दुबारा पीटते हुए, "अगर तुम मेरा हाथ माँगते तो मैं तुम्हें हाथों और पैरों से तुम्हारी मरम्मत करती, डंडे से नहीं।"
और वहीं दूर खड़ा अंश जानवी को ऐसे अवतार में देख उसकी आँखें बाहर आने को थीं। वह तो डर ही गया था जानवी को देख। "यह लड़की पागल है क्या? क्या वह उन गुंडों को मार देगी? और यह साले गुंडे किसी काम के नहीं निकले। एक लड़की को छेड़ भी नहीं पाए। मेरे अरमानों पर तो पानी फिर गए। मैंने क्या सोचा था और क्या हो रहा है। मैंने सोचा था यह साले गुंडे जानवी को छेड़ेंगे और मैं हीरो के मफ़िक जाऊँगा जानवी को बचाने और यहाँ उल्टा हो रहा है। मुझे तो ऐसा लगता है कि मुझे जानवी से इन गुंडों को बचाना होगा, ना कि गुंडों से जानवी को।"
और इधर जानवी उन गुंडों पर अपना हाथ साफ़ कर, "आज तो मज़ा आ गया। तुम सबकी धुलाई करके। कितने दिनों से कोई फ़न नहीं किया था। आज तो सच में दिल खुश हो गया। तुम तीन नमूनों की धुलाई करके।" और फिर वहाँ से बाइक पर बैठ अपने घर की तरफ़ चली जाती है।
और इधर अंश जानवी को बाइक पर बैठ वहाँ से जाता हुआ देखता रह जाता है।
"यार, इस लड़की को पाना आसान नहीं है। मुझे बहुत मेहनत..."
फ्लैशबैक
आज अंश की आँखों में आँसू थे क्योंकि वह जानवी को इस तरह नहीं देख सकता था, वह भी उसकी वजह से।
और फिर अंश शीशे से जानवी को देखते हुए, "आई प्रॉमिस जानवी, बस कुछ दिन और..."
"जैसे दादी ठीक हो जाएंगी, मैं तुम्हें इस रिश्ते से आज़ाद कर दूँगा। मैं मानता हूँ कि मैंने तुम्हारे साथ गलत किया। मैं सेल्फ़िश बन गया था। लेकिन तुमने भी सही नहीं किया जानवी। मुझे ड्रग्स देकर मेरे करीब आई। जानवी, मुझे नहीं पता तुम मुझसे सच में प्यार करती हो या नहीं, लेकिन मैं तुमसे प्यार नहीं कर सकता। मैं सिर्फ़ आलिया से प्यार करता था और करता रहूँगा। मैं कभी तुम्हें उसका हक़ नहीं दे सकता, कभी भी नहीं।"
तभी डॉक्टर रूम से बाहर आते हैं। उसे देख अंश जल्दी से डॉक्टर के पास जाता है, "अब वह कैसी है?"
"सर, अब मैडम पहले से बेहतर है और कुछ घंटों में उन्हें होश भी आ जाएगा। अब चाहे तो जाकर देख सकते हैं।"
यह कह डॉक्टर वहाँ से चला जाता है और अंश भी जानवी के रूम में चला जाता है।
और हाँ रीडर्स, मैं आपको एक और बात बताना चाहती हूँ कि किसी ने मुझे कहा था कि क्या जानवी पागल है? तो मैं आप सबको बता दूँ कि जानवी का मानना है कि अगर अंश अपने प्यार के लिए किसी को धोखा दे सकता है तो वह खुद क्यों अपने प्यार के लिए इतना नहीं कर सकती। चाहे अंश ने उसे प्यार किया हो या ना किया हो, लेकिन उसने तो अंश से प्यार किया था। प्यार का असली मतलब सेक्रिफाइस करना, ना कि...
और वैसे भी जानवी जिद्दी लड़की है। जो उसने एक बार ठान लिया, वह वही करती है, चाहे वह सही या फिर गलत हो।
आज के लिए बस इतना।
सर, अब मैम पहले से बेहतर हैं। कुछ घंटों में उन्हें होश भी आ जाएगा। अब चाहे तो जाकर देख सकते हैं।
"ठीक है," कहकर डॉक्टर वहाँ से चला गया।
अंश भी जानवी के कमरे में चला गया।
कुछ घंटे बाद जानवी को होश आने लगा। उसने अपनी आँखें खोलीं तो सामने अंश को देखा जो उसके कमरे में सोफ़े पर बैठा, अपनी आँखें बंद किए हुए था।
उसे इस तरह देख जानवी के चेहरे पर मुस्कान आ गई। और फिर खुद से बोली, "मुझे पता था, अंश तुम ऐसा कुछ कभी नहीं कर सकते।"
"चाहे तुम मुझसे प्यार करते थे या नहीं, लेकिन तुम इस हद तक कभी नहीं गिर सकते थे। इसीलिए तो कहा, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।"
यह सोचते हुए जानवी ने अपने हाथों का सहारा लेकर बिस्तर पर बैठ गई। तभी वह एक आह के साथ अपने दाहिने हाथ को बाएँ हाथ से पकड़ लिया, जिस हाथ में पट्टी बंधी थी, क्योंकि वह भूल चुकी थी कि उसके हाथ में चोट लगी थी।
इधर अंश, जो अभी-अभी सोया था, जानवी की आवाज़ सुन सोफ़े से उठा और उसकी तरफ़ आ गया।
वह खुद भी उसके पास बिस्तर पर बैठ गया। "अब तबीयत कैसी है?"
जानवी ने, अंश की तरफ़ देखे बिना, कहा, "थैंक यू पूछने के लिए, लेकिन इसकी कोई ज़रूरत नहीं थी। और वैसे भी तुम्हारी मेहरबानी से मैं कैसी हो सकती हूँ?"
अंश ने जानवी की बात सुनी। वह सब याद आ गया—कैसे जानवी ने अपने हाथ की नस काट ली थी। याद कर अंश को गुस्सा आ गया। फिर वह गुस्से से बेड से उठा और उस पर चिल्लाया, "बेवकूफ़ लड़की! खुद को समझती क्या हो? बहुत शौक है ना तुम्हें मरने का? मरना लेकिन यहाँ पर नहीं, अपने घर जाकर! सुना तुम्हें? तुम जताना क्या चाहती हो?"
"हाँ, यह कि मुझे तुम्हारी परवाह है। मैं तुम्हें बता दूँ, मुझे तुम्हारी एक पैसे की भी परवाह नहीं है। इस तरह दोबारा ऐसा करने की सोचना भी मत। इसमें तुम्हारा ही घाटा है, मेरा नहीं। और अपना यह ज़्यादा दिमाग चलने की भी ज़रूरत नहीं है।"
अंश की बातें सुन जानवी की आँखों में आँसू आ गए, लेकिन जानवी ने, अंश की तरफ़ देखे बिना, अपनी नज़रें अलग किए हुए कहा, "अगर तुमने अपना प्रवचन मुझे सुना दिया हो, तो अब मुझे घर जाना है।" यह बोल जानवी बिस्तर से उठी।
इस वक़्त जानवी एक पेशेंट ड्रेस में थी क्योंकि जब जानवी को यहाँ लाया गया था, तब जानवी सिर्फ़ एक चादर में थी। इसलिए जानवी ने वह पेशेंट ड्रेस पहन रखी थी। वह कमरे से बाहर जाने लगी।
क्योंकि जानवी का काफी खून लॉस हो चुका था, जिस वजह से जानवी को काफी कमज़ोरी महसूस हो रही थी। जिससे जानवी धीरे-धीरे अपने कदम बाहर ले जा रही थी।
अंश ने जानवी की बात सुनी और उसे जाता देख खुद के गुस्से को कण्ट्रोल करते हुए खुद से कहा, "यह मैं क्या करता हूँ? उससे चोट लगी थी और मैंने उसे कितना सुना दिया। मैं उससे यह सब बाद में भी तो बोल सकता था। यहीं पर बोलने की क्या ज़रूरी थी?"
और फिर उसकी तरफ़ देखते हुए पीछे से बोला, "अच्छा, जानवी।"
और इधर जानवी, जो कमरे से बाहर जा रही थी, अंश की आवाज़ सुनकर रुक गई।
"क्या तुमने वह सब सुन लिया था? ना जो मैंने कार में कहा था? मेरा मतलब है कि कल रात तुम्हारे साथ कुछ नहीं हुआ था। मतलब तुम्हें किसी ने नहीं छुआ था।" पता नहीं क्यों, लेकिन अंश को बड़ी हिचकिचाहट हो रही थी जानवी को दोबारा यह सब बताते हुए।
लेकिन जानवी ने अंश की बातों को इग्नोर करते हुए रूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर चली गई।
वहाँ से सीधा हॉस्पिटल के काउंटर पर जाकर बोली, "मेरा बिल, मेरा बिल कितना हुआ?"
जानवी की बात सुन काउंटर वाले ने कहा, "मैम, आपका बिल अंश सर ने पे कर दिया है।"
जानवी ने उसकी बात सुन एक लंबी साँस लेते हुए अपना कार्ड निकालकर काउंटर पर रखते हुए कहा, "मेरा जितना बिल हुआ है, उसका मैं पेमेंट खुद करूँगी, कोई और नहीं।"
और इधर अंश, जो जानवी के कमरे से बाहर आया था, उसके पीछे खुद भी बाहर आ गया, क्योंकि उसे पता था कि जानवी इस वक़्त काफी कमज़ोर है और उसे उसकी ज़रूरत है। जानवी की बात सुन उसके पास जाकर बोला, "यह क्या हरकत है जानवी? जब मैंने पेमेंट कर दी है तो तुम क्यों पेमेंट कर रही हो?" लेकिन जानवी ने अंश की बातों का जवाब दिए बिना काउंटर वाले से कहा, "मैंने कहा ना, मेरा बिल मैं खुद भुगतान करूँगी, तो जल्दी करो। मैं फ्री नहीं बैठी यहाँ पर हूँ।"
जानवी की गुस्से भरी टोन सुन काउंटर वाला डर गया और जल्दी से जानवी का पेमेंट कर दिया। फिर जानवी को कार्ड वापस देते हुए कहा, "मैम, हो गया।"
कार्ड मिलते ही जानवी वहाँ से जाने लगी।
और इधर अंश को जानवी की हरकतों पर बहुत गुस्सा आ रहा था। पता नहीं क्यों अंश को जानवी की हरकत पर बहुत गुस्सा आ रहा था। उसे खुद की बेइज़्ज़ती होती हुई महसूस हो रही थी, जो उसके अहंकार को चोट पहुँचा रही थी। लेकिन अपने गुस्से को कण्ट्रोल करते हुए अंश भी जानवी के पीछे-पीछे जाने लगा। हॉस्पिटल से बाहर आ जानवी सीधा कार पार्किंग गई और कार में बैठ गई।
और अंश भी बिना कोई बात किए चुपचाप कार ड्राइव करने लगा।
कुछ देर बाद अंश अपनी गाड़ी एक मॉल के बाहर रोकता है।
जिसे देख जानवी को समझ नहीं आया कि अंश ने कार यहाँ क्यों रोकी। अंश ने जानवी को कार से बाहर निकालते हुए कहा, "बाहर निकलो, जानवी।"
जानवी ने अंश को देखते हुए कहा, "अंश, तू मुझे यहाँ क्यों लेके आया है?"
अंश ने जानवी को ऊपर से नीचे देखते हुए कहा, "क्या तुम इसी तरह दादी और बाकी घरवालों के सामने जाओगी?"
अंश की बात सुन जानवी खुद को देखती है और फिर बिना अंश को कुछ और कहे चुपचाप मॉल के अंदर चली जाती है।
और फिर यहाँ भी जानवी अपने लिए एक फॉर्मल ड्रेस चुनकर ड्रेसिंग रूम में जाकर ड्रेस पहन लेती है और फिर बिल भुगतान करने के लिए काउंटर की तरफ़ जाने लगती है कि वहाँ पर अंश को उस ड्रेस की पेमेंट करते देख जल्दी से वहाँ जाती है, उसका कार्ड छीनकर खुद का कार्ड देती है और पेमेंट करती है। और पेमेंट होने के बाद जानवी उस कार्ड को लेकर मॉल से बाहर जाने लगती है कि अंश जानवी का हाथ पकड़ उसे खींचते हुए कार पार्किंग एरिया ले जाने लगता है। अंश ने जानवी का वही हाथ पकड़ा था जिस हाथ में जानवी को कट लगा था।
अंश के इस तरह करने से जानवी को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वह उफ़ तक नहीं करती।
अंश जानवी को कार पार्किंग में ले जाकर उसे धक्का देकर कार के बोनट से लगा देता है और फिर उस पर चिल्लाते हुए कहता है, "तुम जताना क्या चाहती हो? तुम्हें किस चीज़ की एटीट्यूड है? हाँ, मैंने माना कि तुमने जो कल किया उसमें मेरी गलती थी, लेकिन क्या? लेकिन क्या तुमने गलती नहीं की? तुमने भी तो गलती की। मेरे ड्रिंक में ड्रग्स मिलाए, मेरी मर्ज़ी के बगैर मेरे करीब आकर। तुम्हें किसने हर्ट दिया था? मेरे आलिया की जगह लेने को? अपना घटिया रवैया ना अपने घरवालों को दिखाना, मुझे नहीं। मैंने सोचा मैं तुम्हें गुस्सा नहीं करूँगा, लेकिन तुम जानबूझकर मुझे गुस्सा दिलाती हो।"
और इधर जानवी अपने हाथों को देख रही थी जहाँ से अब हल्का खून रिसने लगा था।
अंश, जानवी के हाथों की तरफ़ देखे बिना उसे सुनाई दे रहा था क्योंकि उसे सच में बहुत गुस्सा आ रहा था कि जानवी ऐसा कैसे कर सकती है जब उसने पेमेंट कर दी थी तो जानवी को पेमेंट करने की क्या ज़रूरी थी।
और इधर खून बहने की वजह से जानवी की आँखें फिर से बंद होने लगी थीं।
तभी अंश की नज़र जानवी की आँखों पर जाती है जो कमज़ोरी की वजह से बंद हो रही थीं। जिसे देख अंश जानवी के हाथों की तरफ़ देखने लगता है जहाँ से अभी भी खून रिस रहा था।
जिसे देख अंश जानवी को ज़मीन पर गिरने से बचा लेता है।
अंश को जानवी की ऐसी हालत देख शर्मिंदगी महसूस होने लगती है और फिर वह जानवी को अपने बाहों में उठाकर अस्पताल के अंदर दोबारा चला जाता है।
आज के लिए बस इतना ही।