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Not Just Best Friends!

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Simran Ansari

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नॉट जस्ट बेस्ट फ्रेंड्स... अंतरा और सिद्धार्थ बचपन से साथ हैं—सिर्फ दोस्त नहीं, बेस्ट फ्रेंड्स! उनकी दुनिया एक-दूसरे के बिना अधूरी है। सिद्धार्थ अंतरा से हमेशा प्यार करता था, लेकिन उसे लगा कि अंतरा उसे सिर्फ दोस्त मानती...

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सिद्धार्थ रॉय

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अंतरा

Heroine

Total Chapters (40)

Page 1 of 2

  • 1. Not Just Best Friends! - Chapter 1

    Words: 1021

    Estimated Reading Time: 7 min

    कोलकाता शहर के पाॅश इलाके में स्थित एक विशाल बंगला था, जो दिवाली की रात प्रचुर रोशनी से जगमगा रहा था। यह रोशनी केवल बिजली की बत्तियों से ही नहीं, बल्कि दिए और पटाखों से भी थी। घर के आसपास के इलाके में भी त्योहार का उत्साह छाया हुआ था।

    बंगले के लॉन और गार्डन में भारी भीड़ नहीं थी, फिर भी कुछ लोग नए कपड़ों में सजे-धजे इधर-उधर घूम रहे थे। बच्चे हाथों में फुलझड़ियाँ लिए पटाखे जला रहे थे।

    बंगले के अंदर, बड़े लिविंग रूम में भी खूबसूरत सजावट और रोशनी थी। हॉल से जुड़ा एक छोटा सा मंदिर था जहाँ दिवाली पूजा की तैयारियाँ जोरों पर थीं।

    हॉल में लगे सोफ़े पर दो आदमी, भारतीय पारंपरिक वेशभूषा में, आपस में बातें कर रहे थे। दोनों लगभग एक ही उम्र के लग रहे थे, पचास के पार। उनके आसपास घर के कुछ नौकर और दो महिलाएँ भी थीं, जो काम देख रही थीं।

    "आइए… पूजा का वक्त हो गया है। बच्चों को भी बुला लीजिए," एक महिला ने उन्हें बुलाते हुए कहा।


    दूसरी तरफ, उसी घर की बालकनी में, लगभग बाईस-तेईस साल की एक लड़की नीचे झाँक रही थी, घर में आने-जाने वालों को देख रही थी। पीछे से उसी उम्र का एक लड़का आया और उसे हल्का सा धक्का देते हुए, उसके कान के पास जोर से चिल्लाया। लड़की ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। उसने दोनों हाथ आगे बढ़ाए और एकदम शांत चेहरे से उसकी तरफ देखा।

    "रियली सिड! यह बचपन वाली हरकतें करना कब बंद करोगे? तुम बच्चे नहीं हो अब हम...", लड़की बोली।

    "हाँ, बचपन में तो जैसे तुम बड़ा डर जाती थी मेरे ऐसा करने से… तेरा तो हमेशा ही ऐसा रिएक्शन होता है जैसे तुझे पहले से ही पता हो मैं आ रहा हूँ पीछे से...", लड़का मुँह बनाते हुए बोला।

    लड़की ने कुछ नहीं कहा और दोबारा नीचे देखने लगी। वह किसी के इंतज़ार में लग रही थी, जो दरवाज़े से अंदर आने वाला था।

    उसने गोल्डन कलर का पारंपरिक सूट और प्लाज़ो पहना था। बाल खुले हुए थे, आँखों में काजल और हल्का मेकअप था। वह बहुत सुंदर लग रही थी।

    लड़के ने डार्क ब्लू कलर की शेरवानी जैसा कुर्ता पहना था। दिवाली थी, इसलिए सभी ने त्योहार के हिसाब से कपड़े पहने थे। लेकिन लड़का अपनी टाइट आस्तीन और खुले बटन वाले कुर्ते में बहुत हैंडसम लग रहा था। उसके लहराते बाल उसके लुक को और भी आकर्षक बना रहे थे।

    "तारा कहाँ देख रही हो यार! मेरी बात भी नहीं सुन रही। कौन है ऐसा वहाँ पर...", इतना बोलकर सिड आगे आया और लड़की के गले में हाथ डालते हुए उसके कंधे पर हाथ रखकर खड़ा हो गया और नीचे झाँकने लगा।

    "कुछ नहीं यार! वह बस ध्रुव अभी तक नहीं आया। मैं उसे ही देख रही हूँ। पता नहीं कहाँ रह गया यह लड़का। अभी मम्मी चिल्लाएँगी और मुझसे पूछेंगी इसके बारे में...", अंतरा ने सिड की बात का जवाब दिया।

    "अरे तो फोन कॉल कर लेना उसे...", सिड ने अंतरा के सिर पर हल्के से मारते हुए कहा।

    "अरे हाँ, कॉल करने का तो मुझे याद ही नहीं रहा। अभी करती हूँ। अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया," अंतरा ने अपने मोबाइल का लॉक खोलते हुए कहा।

    तभी पीछे से एक प्यारी सी आवाज़ आई, "मुझे पता था आप दोनों हमेशा की तरह एक साथ ही मिलोगे। चलो मम्मी बुला रही है। पूजा का टाइम हो गया है। क्या कर रहे हो आप दोनों यहाँ पर..." एक लड़की, पिंक कलर का लहंगा पहने, त्योहार के लिए तैयार, वहाँ आई। वह अंतरा से थोड़ी छोटी, लगभग बीस-इक्कीस साल की लग रही थी।

    "हाँ, तो इसमें कौन सी नई बात है? सभी को इस बारे में पता है कि मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड के साथ ही रहता हूँ हमेशा, लेकिन हम तो अभी यहाँ पर ध्रुव का वेट कर रहे हैं। वह अब तक आया नहीं ना?", सिद्धार्थ ने धरा की बात का जवाब दिया।

    "हाँ धरा तुम चलो, बस उससे कॉल पर बात करके आती हूँ मैं...", अंतरा ने धरा की तरफ देखते हुए कहा।

    "ध्रुव भैया तो पहले ही आ गए वहाँ पर... बस आप दोनों का ही इंतज़ार हो रहा है। अब चलिए नहीं तो मम्मी से डाँट खाएँगे आप दोनों," धरा ने अंतरा की बात का जवाब देते हुए कहा और बालकनी से कमरे की तरफ चली गई। अंतरा और सिद्धार्थ ने एक-दूसरे की तरफ देखा और जल्दी से कमरे में आकर लिविंग एरिया में गए जहाँ दीपावली पूजा शुरू हो चुकी थी। वे दोनों हाथ जोड़कर पूजा में खड़े हो गए। अंतरा ने वहाँ ध्रुव को भी देखा जो पहले से ही अपने माता-पिता के साथ पूजा में बैठा था।

    क्रमशः…

  • 2. Not Just Best Friends! - Chapter 2

    Words: 1020

    Estimated Reading Time: 7 min

    कुछ देर बाद, पूजा खत्म हुई। सिद्धार्थ की मम्मी, गौरी ने सभी को आरती दी और प्रसाद दिया। अंतरा और सिद्धार्थ ने भी प्रसाद लिया और खाया। खाने के बाद, सारे बड़े लोग लिविंग एरिया में इकट्ठे हो गए।

    ध्रुव और सिद्धार्थ आपस में बात करने लगे। धरा अंतरा को अपने साथ लेकर वहाँ से बाहर जाने लगी।

    "कहाँ जा रही हो? रुको तुम दोनों..." पीछे से सिद्धार्थ के पापा, मिस्टर अभिजीत रॉय की आवाज़ आई।

    उनकी आवाज़ सुनकर धरा और अंतरा रुक गईं। धरा पीछे मुड़कर बोली, "पापा, मैं तो अंतरा दी के साथ बस गार्डन में पटाखे जलाने जा रही थी। आखिर पूजा हो गई, अब तो हम पटाखे जला सकते हैं ना?"

    "थोड़ी देर बाद चली जाना बेटा! अभी हम सबको कुछ इम्पॉर्टेंट बात करनी है तुम लोगों से..." धरा की माँ, गौरी ने आगे आते हुए कहा।

    उनकी बात सुनकर धरा कन्फ्यूज़ हो गई। "मॉम! इम्पॉर्टेंट बात? वह भी मुझसे...?"

    धरा को इस तरह कन्फ्यूज़ देखकर, उसकी माँ आगे आई और उसके सिर पर हल्के से मारकर उसे साइड हटाते हुए अंतरा के पास गई। उसने अंतरा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "अंतरा से बात करनी है मुझे, तुझसे नहीं..."

    यह बात सुनकर अंतरा हैरान रह गई। उसने अपने तरफ़ उंगली से इशारा करते हुए कहा, "मुझसे आंटी... लेकिन मुझसे क्या बात?"

    "बात नहीं, एक्चुअली अनाउंसमेंट है। और सिर्फ़ तुम्हारे बारे में नहीं, बल्कि तुम और सिद्धार्थ, तुम दोनों को लेकर हम सब ने कुछ डिसाइड किया है।" पीछे से अंतरा के पापा, मिस्टर आलोक बिष्ट की आवाज़ आई।

    इस बात पर अंतरा और सिद्धार्थ ने एक-दूसरे की तरफ़ देखकर इशारे से पूछा। उन दोनों के चेहरों पर एक जैसे एक्सप्रेशन थे। उन दोनों को कुछ नहीं पता था कि किस बारे में बात हो रही है। फिर सिद्धार्थ ने आगे आते हुए अपनी माँ से पूछा, "हम दोनों को लेकर... क्या बात करनी है मम्मी? और अनाउंसमेंट साफ़-साफ़ बताइए ना, क्या आप लोग पहेलियाँ बुझा रहे हैं!"

    अंतरा ने भी सिद्धार्थ की बात पर अपना सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ आंटी! सिड बिल्कुल ठीक कह रहा है, बताइए ना क्या बात है।"

    उसके बाद अंतरा थोड़ा आगे आकर अपने पेरेंट्स की तरफ़ देखते हुए बोली, "बताइए ना मम्मी पापा, आप दोनों ही..."

    तभी, उन सबके बीच खड़ी धरा ने नोटिस किया कि ध्रुव के चेहरे पर हल्की मुस्कराहट है, जैसे उसे इस बारे में पता हो।

    यह बात समझ में आते ही धरा चुपचाप आकर ध्रुव के बगल में खड़ी हो गई और धीमी आवाज़ में उससे पूछा, "भैया... ध्रुव भैया! आपको पता है ना इस बारे में? मुझे भी बताओ।"

    धरा का सवाल सुनकर ध्रुव ने मुस्कुराकर उसकी तरफ़ देखा और फिर उसी तरह धीमी आवाज़ में बोला, "अरे क्या बताऊँ मैं, अब देखो सामने मम्मी या पापा में से कोई बताने वाला है।"

    ध्रुव ने उसे कुछ नहीं बताया। धरा का मुँह बन गया, लेकिन फिर वह भी पूरी बात जानने के लिए अपने और अंतरा के पेरेंट्स की तरफ़ ही देख रही थी।

    वहाँ पर उन लोगों के अलावा भी कुछ और लोग थे, जैसे कि उनके करीबी रिश्तेदार और पड़ोसी, साथ ही कुछ फैमिली फ्रेंड्स... जिन्हें मिस्टर और मिसेज़ रॉय ने दिवाली के लिए घर पर इनवाइट किया था। लेकिन मिस्टर आलोक बिष्ट उनके सबसे अच्छे दोस्त थे, और उन लोगों का हमेशा से ही एक-दूसरे के घर आना-जाना था।

    सिद्धार्थ के पापा, मिस्टर अभिजीत ने उन दोनों की तरफ़ देखते हुए कहा, "हम लोगों ने मिलकर तुम्हारी और अंतरा की इंगेजमेंट फ़िक्स की है, आज ही दिवाली पार्टी के बाद। और अगले महीने शादी भी है।"

    "व्हाट!!" अंतरा और सिद्धार्थ दोनों के मुँह से एक साथ निकला। लेकिन उन दोनों के चेहरों पर एक्सप्रेशन एकदम अलग थे। वो दोनों ही हैरान थे, लेकिन अंतरा को यह बात एकदम अनएक्सपेक्टेड थी। वहीं सिद्धार्थ के चेहरे पर खुशी तो नज़र आ रही थी, लेकिन उसे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था।

    सिद्धार्थ के लिए यह एक अच्छा सरप्राइज़ था, तो वहीं अंतरा के लिए एक बड़ा शॉक...

    यह बात सुनकर धरा ने भी ध्रुव की तरफ़ देखकर मुस्कुराया, जो पहले से ही स्माइल कर रहा था। धरा अपने मुँह पर हाथ रखते हुए बोली, "अच्छा, तो यह बात थी! इसीलिए इतना सस्पेंस क्रिएट कर रहे थे। बट आई एम वेरी हैप्पी, अंतरा दी अब मेरी भाभी बन जाएंगी, रियली?"

    "अरे, भाभी की नंद तो अपने भाई से भी ज़्यादा खुश है! जाकर कांग्रेचुलेशन बोल दो कम से कम..." ध्रुव ने धरा की बात सुनकर कहा और खुद सिद्धार्थ की तरफ़ बढ़ गया। वह उसके गले लगते हुए बोला, "कांग्रेचुलेशन यार सिड! अब तो तू मेरा जीजा बनने वाला है।"

    धरा भी आगे बढ़कर अंतरा के गले लगती हुई बोली, "कांग्रेट्स दी! उप्स... वैसे भाभी बोलूँ क्या मैं अब से आपको?"

    धरा की बात पर अंतरा को थोड़ी सी एम्बेरेसमेंट हुई। उसने धरा की तरफ़ घूरकर देखा। धरा जल्दी से अपना कान पकड़ते हुए बोली, "सॉरी सॉरी दी! मेरा मतलब है होने वाली भाभी!"

    धरा की इस बात पर वहाँ पर खड़े सारे लोग हँस दिए। सिद्धार्थ भी अंतरा की तरफ़ देखते हुए मुस्कुराने लगा। लेकिन अंतरा के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था, वह बिल्कुल भी स्माइल नहीं कर रही थी। लेकिन जब उसने सबको अपनी तरफ़ देखा, तो वह ना चाहते हुए भी ज़बरदस्ती हल्का सा मुस्कुरा दी।

    उन दोनों में से किसी ने भी इस बात के लिए इंकार नहीं किया। तो पेरेंट्स को भी लगा कि उनका डिसीज़न एकदम सही है। उनके दोनों बच्चे हमेशा एक-दूसरे के साथ खुश रहते हैं, इसलिए उनकी सगाई और शादी करवाने का सोचकर उन्होंने सबने अच्छा फैसला किया है।

    सिद्धार्थ के मन में तो लड्डू फूट रहे थे। उसे नहीं पता था कि उसके मम्मी-पापा आज उसे दिवाली का इतना बड़ा तोहफ़ा देने वाले थे, क्योंकि घर में ऐसा कुछ भी उसके सामने डिस्कस नहीं हुआ था।

    To be continued

  • 3. Not Just Best Friends! - Chapter 3

    Words: 1043

    Estimated Reading Time: 7 min

    वहां पर मौजूद कुछ मेहमानों और दोनों परिवारों की मौजूदगी में अंतरा और सिद्धार्थ की सगाई हो गई। उन दोनों के परिवारवालों ने पहले से ही सब कुछ तय कर लिया था, इसलिए किसी भी चीज़ की तैयारी में ज़्यादा समय नहीं लगा। क्योंकि दिवाली पार्टी का फ़ंक्शन था, सो सभी पहले से ही तैयार थे।

    सगाई के बाद सभी अपने-अपने काम में लग गए और दिवाली पार्टी का आनंद लेने लगे। लेकिन सिद्धार्थ की नज़रें तो अंतरा को ही ढूंढ रही थीं क्योंकि अब से वह उसकी सिर्फ़ बेस्ट फ्रेंड नहीं, बल्कि उसकी मंगेतर भी हो चुकी थी। आधिकारिक तौर पर, दोनों परिवारों की खुशी और सहमति से, उन दोनों की सगाई हो गई थी।

    ध्रुव सिद्धार्थ को बधाई देते हुए उससे गले मिलने के लिए उसकी ओर आया। लेकिन सिद्धार्थ का पूरा ध्यान अंतरा पर ही लगा हुआ था।

    "क्या हुआ सिद्धार्थ! अब किसे ढूंढ रहे हो? भूलना मत, इंगेजमेंट हो गई है अब तुम्हारी, वह भी मेरी बहन से..." सिद्धार्थ को इस तरह इधर-उधर देखते हुए नोटिस करके ध्रुव ने हंसते हुए कहा।

    "हाँ, अंतरा को ही ढूंढ रहा हूँ ध्रुव! तुम बताओ कहाँ है? तुम्हें तो पता ही होगा!" ध्रुव की बात पर सिद्धार्थ ने उससे पूछा।

    "मुझे कैसे पता होगा? हाँ, माना कि मेरी जुड़वाँ बहन है अंतरा! लेकिन बचपन से बेस्ट फ्रेंड तो तुम्हारी ही है ना? और अब तो मंगेतर भी है, इसलिए मुझसे तो मत ही पूछो। तुम्हें तो पता होना चाहिए ना?" ध्रुव ने सिद्धार्थ के कंधे पर हाथ रखकर, एक तरह से उसे याद दिलाते हुए कहा।

    "हाँ भाई! ध्रुव भैया बिल्कुल ठीक कह रहे हैं। अगर अंतरा दी को पता चला ना कि आप उनके बारे में और किसी से पूछ रहे हैं, तो आपको पता है ना वह कितना गुस्सा करती हैं! उन्हें लगता है कि आपको ही हमेशा उनके बारे में सब पता होता है, तो फिर भी आप..." ध्रुव के साथ ही वहाँ पर आकर खड़ी होती हुई धारा ने भी हंसते हुए कहा।

    "अरे बस करो तुम दोनों! मैंने तो बस ऐसे ही पूछ लिया। और वैसे भी, मुझे पता है कहाँ होगी मेरी अंतरा! मैं खुद ही ढूंढ लूँगा। मुझे तुम दोनों के लेक्चर और मदद दोनों की ही ज़रूरत नहीं है, इसलिए बाय!" धारा और ध्रुव के बात का जवाब देते हुए, सिद्धार्थ थोड़ा चिढ़कर बोला और वहाँ हॉल से सीधा सीढ़ियों की ओर चला गया।

    अंतरा और सिद्धार्थ दोनों बचपन के दोस्त थे, यहाँ तक कह लो कि सबसे अच्छे दोस्त, बेस्ट फ्रेंड भी थे। इसलिए सिद्धार्थ को हमेशा ही पता होता था कि अंतरा किस वक्त और कहाँ पर मिलेगी। वहीं अंतरा को भी सिद्धार्थ के बारे में सब कुछ पता था; उसकी पसंद-नापसंद से लेकर उसके दोस्त, उसके रुचियाँ, उसकी शौक और सब कुछ...

    सिद्धार्थ सीधा ही ऊपर छत पर आया और उसने देखा कि अंतरा हमेशा की तरह ही छत पर एक किनारे रेलिंग पकड़कर खड़ी है और नीचे देख रही है। सिद्धार्थ को वहाँ से अभी सिर्फ़ उसकी पीठ दिखाई दे रही थी, लेकिन उसे पता था कि अंतरा यहीं मिलेगी। क्योंकि जब भी उसकी ज़िन्दगी में कुछ ज़्यादा खुशी या फिर दुःख होता है, तो वह कुछ समय अकेले बिताने के लिए छत पर ही आ जाती है।

    अंतरा एक कम बोलने वाली, पढ़ाई में होशियार और अंतर्मुखी लड़की थी, जो कम बातें करना और किताबें पढ़ना, अकेले रहना पसंद करती थी। लेकिन जब भी सिद्धार्थ उसके आसपास होता था, तो उसके साथ वह बहुत ही सहज होती थी और उसके साथ खुलकर अपने मन की बात कर पाती थी।

    सिद्धार्थ को पता नहीं था कि अंतरा इस वक्त कैसा महसूस कर रही है, उन दोनों की अचानक हुई इस सगाई को लेकर। इसलिए अपने हाथ में पहनी हुई सगाई की अंगूठी देखकर मुस्कुराते हुए सिद्धार्थ आगे बढ़ा और अंतरा के पास पहुँचकर, उसे आवाज़ देते हुए कहा, "अंतरा! चलो नीचे चलो... अभी दिवाली पार्टी खत्म नहीं हुई है और अब तो हमें डबल सेलिब्रेशन करना है ना?"

    सिद्धार्थ की आवाज़ में यह सगाई होने की खुशी साफ़ सुनाई दे रही थी। लेकिन अपने आप में खोई हुई अंतरा ने इस पर ध्यान ही नहीं दिया। लेकिन उसकी आवाज़ सुनकर अंतरा उसकी ओर मुड़ी, तो सिद्धार्थ ने नोटिस किया कि उसकी आँखों में आँसू भरे हुए हैं। वह रो तो नहीं रही थी, लेकिन खुश भी नहीं लग रही थी। और उसे इस तरह देखकर सिद्धार्थ को दिल में कहीं तेज़ दर्द महसूस हुआ।

    उसे इस तरह देखकर सिद्धार्थ जल्दी से उसके पास पहुँचा, क्योंकि सिद्धार्थ के जवाब में भी अंतरा अब तक कुछ भी नहीं बोली थी। सिद्धार्थ उसे इस तरह नहीं देख पाया और जल्दी से आगे आकर उसने अंतरा को अपने करीब खींचकर गले से लगा लिया और उसकी फ़िक्र करते हुए पूछा, "क्या... क्या हुआ अंतरा! तुम ऐसे यहाँ पर रो रही थी? कोई बात है तो मुझे बताओ ना यार! आखिर मैं तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड हूँ, तुम मुझसे कुछ भी शेयर कर सकती हो, तो फिर क्यों इस तरह से अकेले यहाँ पर..."

    सिद्धार्थ की बात सुनकर अंतरा की आँखों से आँसू निकल कर उसके गाल पर लुढ़कने लगे। जिन्हें पोंछती हुई वह सिद्धार्थ के गले लगकर कुछ देर खड़ी रही और फिर उससे हल्का सा दूर होती हुई उसकी तरफ़ देखकर बोली, "सिड यार! ये हमारी इंगेजमेंट... सॉरी, बट मैं तुझसे इंगेजमेंट नहीं कर सकती।"

    अंतरा की यह बात सुनकर सिद्धार्थ को झटका लगा और उसे अपने अंदर कुछ टूटता हुआ सा महसूस हुआ। क्योंकि वह हमेशा से ही अंतरा को पसंद करता था और उनकी यह दोस्ती सिद्धार्थ की तरफ़ से कब पसंद और प्यार में बदल गई, उसे तो पता ही नहीं चला। लेकिन वह कभी अंतरा से यह बात बोलने की हिम्मत नहीं कर पाया, क्योंकि उसे लगा था इससे उनकी दोस्ती पर फ़र्क पड़ेगा। लेकिन जब आज उनके माता-पिता ने खुद ही उन दोनों की सगाई करा दी, तो सिद्धार्थ बहुत ही ज़्यादा खुश था, वह बता भी नहीं सकता था। उसे ऐसा लगा जैसे बिना मांगे उसे दुनिया की सारी खुशियाँ मिल गई हों अंतरा के रूप में...

    लेकिन अभी अंतरा का यह वाक्य उसकी सारी खुशियों को चकनाचूर करने के लिए काफी था।

    To be continued

  • 4. Not Just Best Friends! - Chapter 4

    Words: 1167

    Estimated Reading Time: 8 min

    अंतरा ने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "सिड यार! ये हमारी इंगेजमेंट... सॉरी, बट मैं तुझसे इंगेजमेंट नहीं कर सकती।"

    यह बात सुनकर सिद्धार्थ को झटका लगा। उसे अपने अंदर कुछ टूटता हुआ सा महसूस हुआ। वह हमेशा से ही अंतरा को पसंद करता था। उनकी दोस्ती कब पसंद और प्यार में बदली, उसे खुद पता नहीं चला। वह कभी अंतरा से यह बात बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया, क्योंकि उसे लगा था कि इससे उनकी दोस्ती पर फर्क पड़ेगा। लेकिन जब आज उनके पेरेंट्स ने खुद ही उन दोनों की इंगेजमेंट करा दी, तो सिद्धार्थ बहुत खुश था। वह अपनी खुशी बयाँ नहीं कर सकता था। उसे ऐसा लगा जैसे बिना मांगे उसे दुनिया की सारी खुशियाँ मिल गई हों अंतरा के रूप में।

    लेकिन अंतरा का यह वाक्य उसकी सारी खुशियों को चकनाचूर करने के लिए काफी था। फिर भी, जैसे-तैसे उसने अपने आप को संभाला और अंतरा का हाथ पकड़कर उसे सीढ़ियों की तरफ ले जाते हुए बोला, "ठीक है, चलो अभी चल कर सबके सामने बताते हैं कि तुम्हें यह सगाई नहीं करनी। आई नो हमारे पेरेंट्स मान जाएँगे। और वैसे, तुमने सगाई के वक्त क्यों नहीं बोला यार! तुम उस वक्त भी तो मना कर सकती थी।"

    सिद्धार्थ की यह बात सुनकर, उसके पीछे आती हुई अंतरा एकदम से रुक गई। सीढ़ियाँ उतरने से पहले उसने उसकी तरफ देखते हुए कहा, "नहीं...नहीं, मैं मना नहीं कर सकती। एक्चुअली, उनके हिसाब से बहुत ही सिली सा रीज़न है। मम्मी-पापा कभी भी इस बात के लिए नहीं मानेंगे। और अगर मैंने पापा की बात नहीं मानी और तुमसे शादी नहीं की, तो फिर वह मुझे ऑफिस भी ज्वाइन नहीं करने देंगे। और तुम्हें तो पता है कि यह मेरा सपना..."

    "अच्छा, तो फिर मुझे बताओ क्या है वह रीज़न? और तुम क्या चाहती हो?" सिद्धार्थ ने अंतरा का हाथ छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ सामने बांधकर उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

    सिद्धार्थ ने अपने दिल पर पत्थर रखकर यह सवाल पूछा। वह खुद कभी नहीं चाहता था कि उन दोनों का रिश्ता टूटे। उसने हमेशा अंतरा को ही अपनी लाइफ पार्टनर के रूप में इमेजिन किया था। इसलिए, चाहे उसके पीछे कितनी भी लड़कियाँ पड़ी हों, कॉलेज से लेकर अब तक... उसे कितने भी प्रपोजल मिले हों, लेकिन उसने अंतरा के बारे में सोचते हुए कभी किसी को एक्सेप्ट नहीं किया। आज तक कोई भी लड़की उसे अंतरा जितनी पसंद नहीं आई थी।

    "वो..वो.. मैं तुम्हें बाद में बताऊँगी, लेकिन प्लीज तुम अभी यह बोल दो कि तुम मुझसे यह शादी नहीं करना चाहते। तो फिर कोई भी प्रॉब्लम नहीं होगी। प्लीज, आखिर तुम मेरे बेस्ट फ्रेंड हो सिड! मेरे लिए इतना तो कर ही सकते हो। और वैसे भी, मुझे पता है तुम भी फैमिली की वजह से ही इस रिश्ते के लिए रेडी हो। नहीं तो हम दोनों बेस्टीज़ के बीच में कभी भी ऐसा कुछ नहीं होने वाला था ना?" अंतरा ने थोड़ा नर्वस होकर सिद्धार्थ का एक हाथ पकड़ते हुए उसकी तरफ देखकर कहा।

    अंतरा की बात सुनकर सिद्धार्थ ने मन ही मन कहा, 'हमारे बीच बहुत कुछ हो सकता है अंतरा, क्योंकि हम सिर्फ बेस्ट फ्रेंड नहीं हैं, कम से कम मेरी तरफ से तो नहीं... हम उससे कहीं ज्यादा हैं। लेकिन अगर तुम्हारी खुशी मेरे साथ नहीं है, तो फिर मैं कभी भी तुम्हें फोर्स नहीं करूँगा।'

    अंतरा लगभग रिक्वेस्ट करने वाले अंदाज में यह सब बोली, तो सिद्धार्थ भी मना नहीं कर पाया। यह सब सोचते हुए उसने जबर्दस्ती मुस्कुराकर अंतरा की तरफ देखा और फिर दम से सीरियस होकर अपना सिर हिलाते हुए कहा, "ठीक है, लेकिन अभी नीचे बहुत सारे गेस्ट हैं। वह सब वापस चले जाएँ, उसके बाद मैं इस बारे में बात कर लूँगा तुम्हारे और अपने मम्मी-पापा से। और हमारी शादी के लिए मना भी कर दूँगा।"

    यह बात बोलते हुए सिद्धार्थ की आँखों में आँसू आ गए। लेकिन उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ करते हुए अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं। वह नहीं चाहता था कि अंतरा को उसके जज़्बातों के बारे में पता चले। इसलिए उसने अंतरा को वही समझने दिया जो वह अब तक समझ रही थी।

    सिद्धार्थ की यह बात सुनकर अंतरा खुश हो गई। खुश होते हुए उसने सिद्धार्थ को गले लगा लिया। उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल थी। उसे इस तरह देखते हुए सिद्धार्थ भी मुस्कुरा दिया और बोला, "पागल कहीं की! इतनी सी बात पर रो रही थी। चल अब नीचे, सब पूछ रहे हैं तेरे बारे में..."

    उसके बाद वे दोनों साथ में नीचे आए। लेकिन सिद्धार्थ सीधा अपने कमरे में चला गया। अंतरा को उसका बिहेवियर थोड़ा अजीब लगा। वह उसके पीछे जा पाती या कुछ बोल पाती, उससे पहले ही धरा, ध्रुव और ईशा वहाँ आ गए। ईशा सिद्धार्थ के अलावा अंतरा की इकलौती दोस्त थी। वे सब उसे अपने साथ ले गए।

    हॉल से निकलते वक्त अंतरा ने अपने और सिद्धार्थ के पेरेंट्स को बात करते हुए सुना, और वह वहीं रुक गई।

    "हाँ, दोनों ही साथ में बहुत अच्छे लगते हैं, वह क्या कहते हैं, मेड फॉर ईच अदर।" सिद्धार्थ के पापा ने खुश होते हुए कहा।

    "सिद्धार्थ से अच्छा हमारी अंतरा का कोई भी ख्याल नहीं रख सकता। और अंतरा भी तो सिर्फ सिद्धार्थ के साथ ही कंफर्टेबल होती है। सिद्धार्थ के अलावा मैंने उसे आज तक किसी भी लड़के के साथ इतना कंफर्टेबल नहीं देखा।" अंतरा की मम्मी ने उनकी बात पर सहमति जताते हुए कहा।

    उन लोगों की बातें सुनते हुए अंतरा कुछ पल वहीं रुकी रही और इन सब चीज़ों के बारे में सोचने लगी।

    कुछ देर बाद, ज्यादातर गेस्ट जा चुके थे। तब सिद्धार्थ अपने रूम से निकलकर आया और अपने और अंतरा के पेरेंट्स के बीच आकर खड़ा हो गया। उसने कहा, "सॉरी मम्मी-पापा! सॉरी अंकल-आंटी! लेकिन मुझे लगता है कि मैं और अंतरा सिर्फ बेस्ट फ्रेंड हैं और इसलिए मैं उससे यह शादी नहीं कर सकता।"

    सिद्धार्थ ने बड़े ही आराम से सारा इल्ज़ाम अपने ऊपर लेते हुए यह बात कह दी। अंतरा उसकी तरफ देखकर अपने मन में सोचती रही। इस वक्त अंतरा को लगा कि शायद वह कुछ ज़्यादा ही सेल्फ़िश हो रही है। वह यह सगाई/शादी नहीं चाहती थी और उसने सिर्फ़ सिद्धार्थ से मदद करने के लिए कहा था, और सिद्धार्थ तुरंत तैयार हो गया।

    सिद्धार्थ की बात सुनकर दोनों के ही पेरेंट्स हैरान हो गए। सिद्धार्थ के पापा उठकर खड़े होते हुए बोले, "यह क्या बोल रहे हो सिद्धार्थ! ड्रिंक कर ली है क्या तुमने? अभी कुछ देर पहले इंगेजमेंट के टाइम तो तुम इतने खुश थे, तो फिर अब क्या हुआ?"

  • 5. Not Just Best Friends! - Chapter 5

    Words: 1152

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिद्धार्थ के पिता ने उससे यह सवाल इसलिए किया क्योंकि उसके चेहरे पर उस वक्त कोई भाव नहीं थे और उसकी आँखें लाल थीं। उन्हें लगा कि शायद सिद्धार्थ नशे में है और दिवाली पार्टी में उसने दोस्तों के साथ ज़्यादा ड्रिंक कर ली है, इसीलिए वह कुछ भी बोल रहा है।

    "नहीं पापा! मैंने कोई भी ड्रिंक नहीं की है और मैं बिल्कुल ठीक हूँ। लेकिन यह सगाई... आप लोगों ने ऐसे अचानक सबके सामने अनाउंस कर दी, तो मैं मना नहीं कर पाया। लेकिन मैं सच में अंतरा को सिर्फ़ अपनी बेस्ट फ्रेंड मानता हूँ और उससे सगाई... शादी, इस बारे में कभी नहीं सोचा..." - सिद्धार्थ ने अपने पिता के सवाल का जवाब दिया।

    अंतरा के पिता सामने आते हुए बोले, "सिद्धार्थ बेटा! तुम इस शादी के लिए क्यों मना कर रहे हो? क्या तुम अंतरा को पसंद नहीं करते? लेकिन मुझे पता है, मेरी अंतरा को कभी भी तुमसे अच्छा कोई लाइफ पार्टनर नहीं मिल सकता।"

    अंतरा थोड़ा पीछे खड़ी होकर यह सब सुन रही थी, लेकिन अभी सबके सामने आकर कुछ बोलने की उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। वह सबके रिएक्शन देख रही थी।

    उसे सिद्धार्थ के लिए बुरा भी लग रहा था कि किस तरह उसने, सिर्फ़ अंतरा के कहने पर, सारा इल्ज़ाम अपने ऊपर लेते हुए, सबके सामने सगाई तोड़ने की बात कर दी। उसे सिद्धार्थ का दर्द और तकलीफ समझ नहीं आ रहे थे, लेकिन फिर भी कहीं न कहीं वह सिद्धार्थ की एहसानमंद थी। लेकिन सिद्धार्थ यह सब करके उस पर कोई एहसान नहीं कर रहा था; वह बस उसे खुश देखना चाहता था।

    अंतरा की माँ ने दूर खड़ी अंतरा को नोटिस किया और समझ गई कि ज़रूर अंतरा ने ही सिद्धार्थ को यह बोलने के लिए कहा होगा। उन्हें वह वजह पता थी जिस वजह से अंतरा सिद्धार्थ से सगाई करने से मना कर रही थी। लेकिन अंतरा की माँ जानती थी कि अंतरा के लिए सिद्धार्थ से अच्छा लाइफ पार्टनर और कोई नहीं हो सकता और अगर वह यह शादी न करने की बात करती है, तो यह सिर्फ़ उसकी बेवकूफी होगी और कुछ नहीं। और वह अपनी बेटी को इतनी बड़ी गलती नहीं करने देना चाहती थी।

    सिद्धार्थ, उसके पिता और अपने पति के बीच की बातें सुनकर, अंतरा की माँ गीता आगे आते हुए बोली, "ठीक है सिद्धार्थ बेटा! कोई बात नहीं, अगर तुम अंतरा को सिर्फ़ दोस्त मानते हो, तो हम भी तुम्हें इस शादी के लिए फ़ोर्स तो नहीं कर सकते ना..."

    अंतरा की माँ की यह बात सुनकर सब हैरानी से उनकी तरफ़ देखने लगे क्योंकि किसी को भी यकीन नहीं हुआ कि वह उनके रिश्ते को तोड़ने के लिए मान गई।

    सबको इस तरह अपनी तरफ़ देखता हुआ पाकर अंतरा की माँ ने कहा, "अरे क्या हुआ? आप सब मुझे इस तरह से क्यों देख रहे हैं? मैंने कुछ गलत कहा क्या?"

    उनकी इस बात पर सिद्धार्थ की माँ बोली, "लेकिन गीता, तुम... तुम तो अभी कह रही थीं कि इन दोनों की जोड़ी साथ में कितनी अच्छी लगती है और अंतरा को कभी भी सिद्धार्थ से अच्छा पार्टनर नहीं मिल पाएगा, तो फिर..."

    "हाँ, यह बात तो मैं भी मानती हूँ और मैं इन दोनों के रिश्ते से बहुत खुश हुई थी। लेकिन सिद्धार्थ जब खुद ही अंतरा को सिर्फ़ दोस्त मानता है, तो हम कैसे इन दोनों की शादी करवा सकते हैं? लेकिन सिद्धार्थ नहीं... तो क्या हुआ? मुझे यकीन है हमारी अंतरा के लिए कोई न कोई लड़का तो मिल ही जाएगा जो उसे पसंद करेगा और उससे शादी भी..." - अंतरा की माँ ने बहुत ही सहूलियत से कहा। उनकी बात सुनकर सिद्धार्थ की माँ ने भी थोड़ा सोचते हुए मायूसी से अपना सिर हिलाया। लेकिन वहाँ थोड़ी ही दूर पर, साइड में खड़ी अंतरा, अपनी माँ की यह बात सुनकर परेशान हो गई और वहाँ कोने में खड़ी होकर नाखून कुतरने लगी।

    यह अंतरा की आदत थी। वह जब भी नर्वस होती थी, या किसी बात का जवाब या प्रॉब्लम का सलूशन नहीं समझ आता था, तो वह अपने नाखून कुतरने लगती थी।

    सिद्धार्थ की माँ कुछ सोचती हुई उसकी तरफ़ आती हुई बोली, "सिद्धार्थ बेटा! मैं तो यही कहूँगी कि तुम थोड़ा सा और टाइम ले लो सोचने के लिए। क्योंकि इस तरह से मना करके तुम सिर्फ़ बेवकूफी कर रहे हो और कुछ नहीं। तुम्हें भी अंतरा से अच्छी लाइफ पार्टनर नहीं मिलेगी।"

    "मॉम प्लीज! मैंने कह दिया ना कि मुझे यह..." - सिद्धार्थ गुस्से में अपनी माँ की बात का जवाब देते हुए बोला। लेकिन वह अपनी बात पूरी कर पाता, उससे पहले ही अपनी माँ की बात सुनकर अंतरा वहाँ आ गई और ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए सबकी तरफ़ देखकर बोली, "सिड मज़ाक कर रहा है आंटी! वह बस मुझे परेशान करने के लिए। असल में ऐसा कुछ भी नहीं है। आपने देखा नहीं, वह कितना खुश था इंगेजमेंट के वक़्त और हम... हम दोनों यह शादी करना चाहते हैं, क्यों सिद्धार्थ?"

    इतना पूछते हुए अंतरा ने उसी तरह मुस्कुराते हुए सिद्धार्थ की तरफ़ देखा। लेकिन सिद्धार्थ के चेहरे पर एकदम कन्फ़्यूज़िंग एक्सप्रेशन था क्योंकि वह समझ नहीं पा रहा था कि अंतरा ने अकेले में तो उससे कुछ और बोला था, लेकिन अब सबके सामने वह कुछ और ही बोल रही है।

    अंतरा की यह बात सुनकर सिद्धार्थ के पिता बोले, "सिद्धार्थ! क्या सच में यह मज़ाक है? और तुम्हें अक़ल नहीं है क्या? अपने पैरेंट्स से ऐसी बात को लेकर कौन मज़ाक करता है!"

    तभी अंतरा के पिता सिद्धार्थ के बचाव में आगे आते हुए अपने दोस्त से बोले, "अरे रहने दो यार! क्यों डांट रहे हो? बच्चे हैं वह दोनों, और साथ ही बचपन के दोस्त। ऐसे में एक-दूसरे की टांग खिंचाई के लिए अगर इतना बोल भी दिया तो क्या? कोई बात नहीं बेटा, जाओ तुम दोनों..."

    "अरे लेकिन यह इस तरह से कोई मज़ाक करता है क्या? वह अबे इतनी बड़ी बात को लेकर..." - सिद्धार्थ के पिता ने फिर से कहा। तो अंतरा के पिता फिर से उनके कंधे पर हाथ रखकर अपनी पलकें झपकाते हुए बोले, "ठीक है यार! अब तो सब ठीक है ना? और सगाई तो दोनों ने राजी-खुशी कर ली थी ना... इससे क्या साबित होता है? रहने दो, उन्हें अब आपस में बात कर लेंगे।"

    "हाँ...हाँ... अंकल मैं... मैं समझा लूँगी सिद्धार्थ को, वह दोबारा ऐसा मज़ाक नहीं करेगा।" - अंतरा सिद्धार्थ को खींचकर अपने साथ उसके कमरे की तरफ़ ले जाती हुई बोली। और उन दोनों को इस तरह साथ में जाता हुआ देखकर अंतरा की माँ ने भी राहत की साँस ली। वहीं अब उनके दोनों के पेरेंट्स खुश और संतुष्ट नज़र आ रहे थे क्योंकि उन दोनों को ही पता था कि सिद्धार्थ और अंतरा एक-दूसरे के लिए बिल्कुल सही लाइफ पार्टनर साबित होंगे।

    क्रमशः...

  • 6. Not Just Best Friends! - Chapter 6

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    "हाँ.. हाँ… अंकल, मैं… मैं समझा लूंगी सिद्धार्थ को, वह दोबारा ऐसा मज़ाक नहीं करेगा।" अंतरा ने सिद्धार्थ को खींचकर अपने साथ उसके कमरे की तरफ़ ले जाते हुए कहा। उन दोनों को इस तरह साथ जाते हुए देखकर अंतरा की मम्मी ने राहत की साँस ली। वहीं, अब उनके दोनों पेरेंट्स खुश और संतुष्ट नज़र आ रहे थे क्योंकि उन दोनों को ही पता था कि सिद्धार्थ और अंतरा एक-दूसरे के लिए बिल्कुल सही लाइफ़ पार्टनर साबित होंगे।

    कमरे के अंदर आते ही सिद्धार्थ ने हाथ झटक कर अंतरा से अपना हाथ छुड़ाते हुए तेज आवाज़ में कहा, "तारा क्या था वह सब, जो तुमने मम्मी-पापा के सामने बोला? और मज़ाक मैं कर रहा हूँ क्या? फिर तुमने हमारी लाइफ़ को मज़ाक समझ रखा है अंतरा! क्या है… था क्या वह सब मम्मी-पापा के सामने? पहले तुमने मुझे बोला कि मैं जाकर ही शादी के लिए मना कर दूँगा और फिर जब मैंने मना करने का ट्राई किया, तो बीच में आकर तुमने खुद ही बात पलट दी और कहा कि ऐसा कुछ भी नहीं है, तुम यह शादी करना चाहती हो सीरियसली! दिमाग ठीक तो है ना तुम्हारा?"

    सिद्धार्थ के इस तरह तेज आवाज़ में बोलने पर अंतरा ने जल्दी से पहले तो उसके कमरे का दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया और फिर उसे शांत रहने का इशारा करते हुए बोली, "आई एम सो सो सो सॉरी सिड! और प्लीज़ थोड़ा धीरे बोलो। और मुझे जो चाहे बोल लेना, लेकिन प्लीज़ पहले मेरी बात सुन लो और उसके बाद तुम्हें खुद पता चल जाएगा कि मैंने ऐसा क्यों किया?"

    "तुम्हारी बात ही तो सुन रहा हूँ कब से! पापा से पीटते-पीटते बचा हूँ मैं तुम्हारी वजह से, पता है तुम्हें? और उन्होंने तो मुझे नशे में भी समझ लिया, जबकि आज पार्टी में भी एक ड्रिंक तक नहीं की मैंने और…" सिद्धार्थ मुँह बनाकर शिकायत करते हुए बोला।

    "रियली? तुमने ड्रिंक नहीं की? फिर तुम्हारी… तुम्हारी ये आँखें… ये कितनी लाल कैसे हैं? मुझे भी यही लगा था कि शायद तुम ड्रिंक करके आए हो?" अंतरा ने गौर से सिद्धार्थ के चेहरे की तरफ़ देखकर उसकी आँखें नोटिस करते हुए कहा। सिद्धार्थ ने जल्दी-जल्दी अपनी पलकें झपकाईं और बोला, "वह… वह कुछ नहीं… बस ऐसे ही, हाँ, आँख में कुछ चला गया था। और तुम बात का टॉपिक मत चेंज करो, पहले मुझे यह बताओ कि तुमने सबके सामने ऐसा क्यों बोला, कि तुम सच में इस शादी के लिए रेडी हो?"

    सिद्धार्थ ने बहुत ही उम्मीदों के साथ अंतरा से यह सवाल किया, लेकिन बदले में अंतरा ने जो जवाब दिया, उसकी उम्मीद तो सिद्धार्थ ने सपने में भी नहीं की थी।

    "शादी के लिए तैयार तो नहीं हूँ, लेकिन तुमने मेरी मम्मी की बात नहीं सुनी क्या? अगर तुम मना कर दोगे, तो फिर वह मेरे लिए कोई और लड़का ढूँढ लेंगी और मैं किसी और से भी शादी नहीं कर सकती क्योंकि मैं… मैं किसी और से प्यार करती हूँ।" अंतरा ने एकदम से बेचारी शक्ल बनाकर यह बात कही। तो सिद्धार्थ को सदमा लगा और वह एकदम से अपनी जगह से कुछ कदम पीछे हो गया।

    उसने अंतरा के मुँह से जो कुछ भी अभी-अभी सुना, उसे इस बात पर यकीन नहीं हो रहा था। और उसे बिल्कुल भी नहीं लगा था कि अंतरा की शादी से इनकार करने के पीछे यह वजह होगी कि वह किसी और से प्यार करती है। यह सुनकर सिद्धार्थ का दिल टुकड़े-टुकड़े हो गया, वह दिल जिसमें सिर्फ़ अंतरा ही बसी हुई थी।

    "व्हाट! किसी… किसी और से प्यार? लेकिन किससे? और तुमने मुझे आज तक इस बारे में बताया क्यों नहीं? कौन है वह? तुम्हारा बॉयफ्रेंड… क्या वह भी तुमसे प्यार करता है? और शादी? फिर तुम शादी मुझसे क्यों कर रही हो? तुम्हें अपने पेरेंट्स के सामने साफ़-साफ़ इस बारे में बता देना चाहिए… आई थिंक! वह ज़रूर तुम्हारी बात समझेंगे!" सिद्धार्थ ने एक साथ में इतने सारे सवाल पूछ डाले, लेकिन फिर बाद में एक अंडरस्टैंडिंग बेस्ट फ्रेंड की तरह समझदारी से कहा। और यह बात कहते हुए उसने अपने दिल पर इतना बड़ा पत्थर रखा हुआ है, यह सिर्फ़ वही जान सकता है।

    सिद्धार्थ की बात सुनकर अंतरा पीछे की तरफ़ चलते हुए उसके बेड पर धम्म से बैठ गई और नीचे फ़र्श की तरफ़ देखती हुई बोली, "नहीं समझेंगे सिद्धार्थ! वह कभी नहीं समझेंगे। और तुम्हें क्या लगता है मैंने उनसे इस बारे में बात नहीं की? बल्कि मम्मी को तो इस बारे में पता है, लेकिन उन्हें लगता है कि वह सिर्फ़ मेरा एक स्टूपिड क्रश है और इससे ज़्यादा कुछ नहीं। इसके अलावा, पापा को अगर पता चला, तो फिर फैमिली बिज़नेस का सपना तो सपना ही रह जाएगा। इसलिए प्लीज़… प्लीज़ हेल्प मी आउट!"

    उसने सिद्धार्थ की तरफ़ देखकर रिक्वेस्ट करते हुए कहा, लेकिन सिद्धार्थ ने उसकी बात पर ताली बजाते हुए कहा, "मेरी बेस्ट फ्रेंड किसी और से प्यार करती है और इस बारे में मुझे पता ही नहीं, वाह! क्या दोस्ती है हमारी! तुम्हें आज तक मुझे इस बारे में नहीं बताया और आज मुझसे हेल्प के लिए बोल रही हो। वैसे क्या हेल्प कर सकता हूँ मैं इसमें तुम्हारी… अच्छा-ख़ासा शादी के लिए मना कर रहा था, उसके बाद तुम आराम से उससे शादी कर सकती थी। वैसे कौन है वह? अभी बताओगी या फिर नहीं?"

    "आई एम सॉरी सिद्धार्थ! मैंने… वो मैंने तुम्हें इसलिए इस बारे में नहीं बताया क्योंकि… क्योंकि सिर्फ़ मैं उसे पसंद करती हूँ और उसके दिल में मेरे लिए क्या है, इस बारे में मुझे कुछ भी नहीं पता। और तुम जानते हो मुझे कि मैं अपने दिल की बात हर किसी से बोल नहीं पाती। बस इसीलिए मेरी कभी हिम्मत नहीं हुई उससे यह बोलने की। और जब बात आगे नहीं बढ़ी, तो मैं तुम्हें या किसी को भी क्या बताती इस बारे में?" अंतरा ने बहुत ही मासूमियत और पछतावे के साथ आँसू भरी आँखों से सिद्धार्थ की तरफ़ देखते हुए कहा।

    सिद्धार्थ को समझ नहीं आ रहा था कि वह अपनी बुरी किस्मत पर रोए? अंतरा पर नाराज़ हो, गुस्सा करे या फिर ज़िंदगी ने उसके साथ जो मज़ाक किया है, उस पर हँसे?

    यह सब सोचते हुए वह अंतरा की तरफ़ देखता है, जो कि पहले से ही बहुत ज़्यादा उम्मीद भरी नज़रों से उसकी तरफ़ ही देख रही थी।

    To be continued

  • 7. Not Just Best Friends! - Chapter 7

    Words: 1311

    Estimated Reading Time: 8 min

    अंतरा की ऐसी बातें सुनकर सिद्धार्थ को समझ नहीं आया कि वह क्या कहे, लेकिन वह उसे सीधे मना भी नहीं कर पाया। अंतरा सिद्धार्थ की बचपन की दोस्त और बेस्ट फ्रेंड थी। वह जल्दी उससे कुछ नहीं मांगती थी, बल्कि उसने हमेशा ही सिद्धार्थ की हेल्प की थी; फिर चाहे सिद्धार्थ अपनी फैमिली के खिलाफ जाकर अपना बिजनेस कैफे ओपन कर रहा हो या फिर पढ़ाई में हेल्प हो। अंतरा हमेशा ही उसके साथ खड़ी रही थी, और जब किसी ने उसका साथ नहीं दिया, उस पर विश्वास नहीं किया, तब सिर्फ अंतरा ही उसके साथ थी।

    यह सब कुछ सोचते हुए, सिद्धार्थ उसे मना नहीं कर पाया और बोला, "अच्छा ठीक है, तो फिर बता, क्या हेल्प कर सकता हूँ मैं इसमें तुम्हारी? उस लड़के का नाम, एड्रेस, कुछ है तुम्हारे पास?"

    "मैरी मी, सिद्धार्थ!"

    अंतरा ने एकदम से कहा। सिद्धार्थ को पहले तो बहुत अच्छा लगा कि अंतरा उससे शादी करने के लिए कह रही है, लेकिन फिर रियलिटी का जब उसे ध्यान आया, तो उसने एकदम सीरियस होते हुए कहा, "मज़ाक मत करो अंतरा! हेल्प करने की बात कर रहा हूँ मैं... और कुछ नहीं।"

    सिद्धार्थ की यह बात सुनकर, अंतरा आगे आकर उसका हाथ पकड़ती हुई, उसकी आँखों में देखकर बोली, "मैं भी मज़ाक नहीं कर रही हूँ, और हेल्प ही चाहिए तुम्हारी। देखो, अगर तुम मुझसे यह शादी करने के लिए हाँ कर दोगे, तो फिर मम्मी-पापा किसी और के साथ मुझे फिट करने के बारे में नहीं सोचेंगे। और तुम्हें तो अब सब कुछ पता है; बिजनेस जॉइन करने के बाद मैं वरुण को भी ढूँढ लूँगी।"

    "वरुण..."

    सिद्धार्थ अंतरा के मुँह से यह नाम सुनकर थोड़ा सा चौंका।

    "हाँ, सिर्फ नाम ही पता है मुझे उसका अभी। और चेहरा याद है, वह भी सिर्फ मेरी मेमोरी में। इसके अलावा और कुछ भी नहीं; ना मैं उसका सरनेम जानती हूँ, ना एड्रेस और ना ही कोई फोटो है, लेकिन..."

    अंतरा थोड़ा सा शर्माती और सोचती हुई यह सारी बातें बोली। अपने सामने किसी और लड़के का नाम लेकर उसे यह सब बोलते देख सिद्धार्थ को बहुत तकलीफ हुई, और उसने सोचा कि अंतरा उसके लिए ऐसा फील क्यों नहीं करती?

    "इसका मतलब हमारी शादी... शादी नहीं होगी, सिर्फ एक दिखावा होगा? पूरे परिवार के साथ धोखा? सॉरी अंतरा, आई डोंट थिंक सो... मैं अपनी फैमिली और तुम्हारी फैमिली, सबको धोखा नहीं दे सकता। कितना विश्वास करते हैं वे सब मुझ पर, और हम दोनों को लेकर उनके कितने अरमान..."

    अंतरा से अपना हाथ छुड़वाते हुए सिद्धार्थ दो कदम पीछे हटकर बोला। उसकी आँखों में आँसू भी थे, जिन्हें वह अंतरा से छिपाने की पूरी कोशिश कर रहा था; इसीलिए वह उसकी आँखों में आँखें डालकर नहीं देख पा रहा था।

    सिद्धार्थ के मना करने पर अंतरा घबरा गई, क्योंकि फिलहाल उसके पास कोई और प्लान नहीं था। इसलिए वह फिर से रिक्वेस्ट करती हुई बोली, "सिड, प्लीज़! प्लीज़ मेरी बात सुनो। मैं किसी को भी धोखा देने के लिए नहीं बोल रही हूँ, मैं बस तुमसे एक छोटी सी हेल्प मांग रही हूँ, वह भी बस कुछ महीनों की ही तो बात है। सब कुछ मैनेज हो जाएगा, और बाद में मैं सबको बता दूँगी कि यह सब कुछ मेरा प्लान था, और कोई तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगा।"

    इतना बोलते हुए अंतरा एकदम बेचारा सा मुँह बनाकर उसकी तरफ देखने लगी। उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी भी वक्त रो देगी।

    तो सिद्धार्थ उसकी तरफ देखकर बोला, "अच्छा ठीक है, अब ऐसा रोता हुआ मुँह मत बना... मैं तैयार हूँ इस शादी के लिए, लेकिन मेरी एक शर्त है।"

    सिद्धार्थ की यह बात सुनते ही अंतरा की आँखों में एक अलग ही चमक नज़र आने लगी, और उसने खुश होकर पूछा, "सीरियसली तुम रेडी हो ना, पक्का?"

    उसके इस तरह पूछने पर सिद्धार्थ ने कुछ नहीं बोला, सिर्फ हाँ में हल्का सा अपना सिर हिलाया।

    "तुम... तुम मेरी इतनी हेल्प कर रहे हो सिद्धार्थ! मुझे तुम्हारी एक क्या, सारी शर्तें मंज़ूर हैं, और कुछ भी बात हो, मैं सब मानूँगी। यू आर सच अ स्वीटहार्ट!"

    अंतरा सिद्धार्थ के गाल खींचते हुए बोली, और फिर कसकर उसके गले लग गई। यह अंतरा की हमेशा की आदत थी; वह और सिद्धार्थ बचपन के दोस्त हैं, तो हमेशा ही एक-दूसरे के साथ इस तरह क्लिंगी होते रहते हैं, और उनके लिए हग करना कोई बड़ी बात नहीं है।

    सिद्धार्थ भी अंतरा को हमेशा ही इस तरह से गले लगा लेता था, लेकिन अभी वह किसी और से प्यार करती है, यह बात पता चलने के बाद, जब अंतरा उसके गले लगी, तो पता नहीं क्यों सिद्धार्थ को कुछ अच्छा फील नहीं हुआ। और वह अपने और अंतरा के बीच अपना एक हाथ रखकर उसे थोड़ा सा दूर करते हुए बोला, "स्टॉप इट, तारा! पहले मेरी बात सुन लो..."

    सिद्धार्थ यह बात बोलते हुए एकदम सीरियस था, तो फिर अंतरा भी उसकी तरफ देखकर सीरियस हो गई और अपना सिर हिलाकर बोली, "हाँ, बताओ... क्या बात है?"

    "यही बस कि अगर हम सबकी नज़र में अपनी खुशी से यह शादी कर रहे हैं, तो हमें उस तरह का बर्ताव भी करना होगा! हाँ, ठीक है, मुझे पता है तुम किसी और से प्यार करती हो, लेकिन घरवालों और बाकी सब के सामने हम एक्टिंग तो कर ही सकते हैं ना?"

    सिद्धार्थ ने उसके सामने अपनी शर्त बताते हुए कहा।

    "व्हाट डू यू मीन बाय एक्टिंग! मैं तुझसे सच में प्यार करती हूँ सिड! यू आर माय बेस्ट ऑफ़ फ्रेंड, आई लव यू..."

    अंतरा बड़ी सी स्माइल अपने फेस पर लेती हुई बोली।

    अंतरा को मुस्कुराते देख भी सिद्धार्थ के चेहरे पर स्माइल नहीं आई, और वह एकदम हल्की जबरदस्ती वाली स्माइल के साथ बोला, "यह बेस्ट फ्रेंड वाले और शादीशुदा कपल वाले प्यार में फर्क होता है, तारा! आई होप यू रियलाइज़... वन डे!"

    सिद्धार्थ ने जैसे ही यह बात बोली, अंतरा हैरानी से उसकी तरफ देखने लगी। तो सिद्धार्थ अपनी बात बदलते हुए बोला, "आई मीन... आई होप यू अंडरस्टैंड द डिफरेंस!"

    जब सिद्धार्थ ने यह बात बोली, तो पता नहीं क्यों अंतरा को कुछ और ही फील हुआ। उसे इतनी देर में पहली बार ऐसा लगा जैसे कि सिद्धार्थ कुछ और ही कहना चाह रहा है, लेकिन बोल कुछ और रहा है।

    अंतरा ने यह बात महसूस भी की, लेकिन चाहकर भी वह सिद्धार्थ से इस बारे में नहीं पूछ पाई। क्योंकि फिलहाल वह उसके साथ शादी के लिए रेडी हो गया है; पूरी बात जाने के बाद भी अंतरा इसी को सोचकर काफी खुश थी, और उसने बस हल्के से हाँ में अपना सिर हिलाया।

    थोड़ी देर तक उन दोनों में से कोई कुछ नहीं बोला। तो वहाँ की सिचुएशन बहुत ही ऑकवर्ड हो गई, और अंतरा खुद ही कमरे से बाहर की तरफ जाती हुई बोली, "मैं... मैं धरा... धरा से मिलकर आती हूँ, और ईशा भी मेरा वेट कर रही है।"

    सिद्धार्थ भी जैसे उसके वहाँ से जाने का ही इंतज़ार कर रहा था। इसलिए जैसे ही अंतरा दरवाजे से बाहर गई, सिद्धार्थ दोनों हाथों से अपना सिर पकड़कर बेड पर बैठ गया और अपने आप से बोला, "क्या कर क्या रहा है तू सिद्धार्थ! अपने हाथ से ही अपने प्यार का गला घोंट दे रहा है। क्यों नहीं बोल पाया कि तू उससे प्यार करता है, और भले ही वह किसी और से प्यार करती है, तो क्या वह तुझे एक मौका नहीं दे सकती, अपना प्यार साबित करने का?"


    To be continued...

  • 8. Not Just Best Friends! - Chapter 8

    Words: 1343

    Estimated Reading Time: 9 min

    अपनी बात का जवाब खुद को ही देते हुए सिद्धार्थ बोला, "नहीं... मैं नहीं बता सकता उसे। मैं इतना सेल्फिश नहीं हूँ। मेरे लिए तारा की खुशी सबसे पहले है, और अगर वह खुशी उसे किसी और के साथ मिलती है तो मैं पूरी कोशिश करूँगा कि उसे वह ज़रूर मिल जाए, फिर चाहे इसके लिए मुझे अपनी खुशियाँ कुर्बान ही क्यों ना करनी पड़ें।"

    इतना बोलते हुए सिद्धार्थ ने सामने लगे शीशे में देखकर अपना हुलिया ठीक किया और फिर बाहर आ गया। अब तक लगभग ज्यादातर मेहमान घर वापस जा चुके थे और पार्टी भी लगभग खत्म हो चुकी थी। लेकिन सिद्धार्थ सीधा बार एरिया की तरफ आया और उसने बारटेंडर से अपने लिए ड्रिंक बनाने को कहा। वह एक के बाद एक कई सारी ड्रिंक करता गया क्योंकि होश में उसे बार-बार वह सब कुछ याद आ रहा था जो उसे तकलीफ दे रहा था।

    और वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी ये सारी तकलीफें खत्म नहीं होने वालीं, क्योंकि उसने ये दर्द और तकलीफें खुद ही चुनी थीं।


    अगला दिन;

    ट्रिंग ट्रिंग!

    कमरे में मोबाइल फोन की घंटी बजी। कंबल से एक हाथ बाहर निकला और पूरे बेड पर इधर-उधर हाथ फेरते हुए मोबाइल फोन ढूँढने की कोशिश करने लगा। कुछ देर बाद उसे दो तकियों के बीच में अपना मोबाइल फोन मिला। बिना नंबर देखे ही, अंदाजे से कॉल रिसीव करके उसने फोन अपने कान से लगा लिया।

    "हम्म्!"

    "हाँ..."

    "ठीक है!"

    "क्या?" इतना बोलते हुए सिद्धार्थ एकदम से उठकर बेड पर बैठ गया। वह अभी भी नींद में लग रहा था और उसने एक हाथ अपने आधे चेहरे पर रखा हुआ था।

    तभी वह कॉल पर बात करते हुए बोला, "हाँ, ठीक है। मैं बस आ रहा हूँ। एक घंटे में..."

    कल रात को ज़्यादा ड्रिंक करने की वजह से अब सिद्धार्थ के सिर में दर्द हो रहा था, लेकिन उसके पास कोई ऑप्शन नहीं था। उसके कैफे से उसके दोस्त अरनव का कॉल था, जो उसके कैफे का मैनेजर भी है।

    दिवाली की वजह से कैफे के ज्यादातर वर्करों ने छुट्टी ली हुई थी, लेकिन इसी के साथ वहाँ पर ज़्यादा कस्टमर भी आ रहे थे, जिसकी वजह से काम काफी बढ़ गया था और कम स्टाफ होने की वजह से परेशानी हो रही थी।

    पिछले दिन घर पर दिवाली पार्टी होने की वजह से सिद्धार्थ खुद भी अपने कैफे नहीं जा पाया था। इसलिए ही आज सुबह-सुबह ही उसे अरनव का फ़ोन आ गया था। वैसे इतनी सुबह भी नहीं थी, 11:00 बजने वाले थे। टाइम पर नज़र डालते ही सिद्धार्थ जल्दी से उठा और कपड़े लेकर वॉशरूम में घुस गया।


    दूसरी तरफ;

    अंतरा का घर,

    अंतरा ऑफिस जाने के लिए रेडी हो रही थी। वह काफी टाइम से ऑफिस ज्वाइन कर चुकी थी, लेकिन अभी वह सिर्फ अपने डैड को असिस्ट करती थी। उसे कोई भी परमानेंट पोजीशन नहीं मिली थी, जबकि उसके डैड का अपना बिज़नेस था, सिद्धार्थ के डैड के साथ पार्टनरशिप में। सिद्धार्थ और ध्रुव दोनों को ही फैमिली बिज़नेस में कोई इंटरेस्ट नहीं था, लेकिन अंतरा को शुरू से ही सारा बिज़नेस संभालना था, यह उसका सपना था और इसलिए उसने बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की डिग्री भी काफी हाई मार्क्स के साथ कंप्लीट की थी।

    इसके लिए वह अपने डैड से बात भी कर चुकी थी और उसके डैड के साथ सिद्धार्थ के पापा भी इस बात के लिए राज़ी थे। और अब उसकी शादी भी सिद्धार्थ के साथ होने वाली थी तो उन दोनों में से किसी को भी कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

    अंतरा के हार्ड वर्क, बिज़नेस में इंटरेस्ट और काबिलियत को देखते हुए, वह दोनों जल्द ही उसे कंपनी का सीईओ बनाने के बारे में भी बात कर चुके थे। और अंतरा को कहीं ना कहीं इस सब के बारे में पता था और इसलिए ही वह सिद्धार्थ के साथ शादी करने के लिए भी रेडी हुई थी, क्योंकि उसे पता था अगर वह इस शादी के लिए सीधे मना करेगी और यह बोलेगी कि वह किसी और से शादी करना चाहती है, तो फिर उसका यह सपना सपना ही रह जाएगा।

    "मम्मी, मैं निकल रही हूँ, बाय!" इतना बोलते हुए अंतरा दरवाजे की तरफ बढ़ी और तभी उसकी माँ अपने पीछे से आवाज लगाते हुए उसे रोका, "अरे अंतरा, रुको! आज तो ऑफिस की छुट्टी है ना, कहाँ जा रही हो तुम? और मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है।"

    "अरे मम्मी! जब अपना काम हो तो फिर बेवजह की छुट्टियाँ नहीं लेनी चाहिएं और दिवाली तो कल हो गई ना, तो फिर आज किस बात की छुट्टी? और क्या बात करनी है आपको? जल्दी बोलिए।" अंतरा अपनी शर्ट के कफ को फोल्ड करते हुए बोली। उसने जींस के साथ एक फॉर्मल वाइट शर्ट पहनी हुई थी।

    "अरे, यहाँ पर बैठ जा पहले आराम से और इतना भी कोई ज़रूरी काम नहीं होगा आज!" अंतरा की माँ ने उसे हाथ पकड़ कर अपने साथ लिविंग एरिया के सोफे पर बिठाते हुए कहा।

    अंतरा भी सोफे पर बैठती हुई बोली, "हाँ, मॉम! क्या हुआ? बोलिए अब?"

    अंतरा की माँ ने उसकी तरफ देखते हुए एकदम सीरियस होकर सवाल किया, "अंतरा! तुम्हारी सगाई हो गई है और बहुत ही जल्द शादी भी हो जाएगी, बस कुछ ही हफ़्तों में। लेकिन तुम तो... मैं... शादी से, इस रिश्ते से खुश तो हो ना? क्योंकि हम सबको पता है, सिद्धार्थ से अच्छा लाइफ़ पार्टनर तुम्हें नहीं मिलेगा।"

    "मैं खुश हूँ या नहीं, क्या फर्क पड़ता है आपको? इस बात से... सब कुछ पता होने के बाद भी मॉम आपने यह इंगेजमेंट अनाउंस कर दी, इस तरह अचानक! और ऐसा क्यों लगता है आपको कि कोई नहीं मिलेगा मुझे सिद्धार्थ से अच्छा? हाँ, हम दोनों साथ में खुश रहते हैं, कम्फ़र्टेबल हैं। इसका मतलब यह तो नहीं कि हम दोनों ने एक-दूसरे को लाइफ़ पार्टनर के तौर पर भी सोचा हो।" अंतरा ने एकदम सीरियस होते हुए ये सब बातें कहीं और वह जवाब के इंतज़ार में अपनी माँ की तरफ़ ही देख रही थी।

    "इसका मतलब कि तुम... तुम इस रिश्ते से खुश नहीं हो और सिद्धार्थ से शादी नहीं करना चाहती।" अंतरा की माँ को ये सब सुनकर सदमा लगा और वह उसी तरह से बोली।

    "और क्यों नहीं करना चाहती? वजह भी आपको अच्छी तरह से पता है मम्मी! फिर भी आप..." अंतरा डिस्‍एपॉइंटमेंट से बोली और उठकर खड़ी हो गई।

    "कोई वजह नहीं, बस बेवकूफी है तेरी। इस तरह किसी को देखकर उसे पसंद करने लगना, प्यार नहीं होता। हमें बहुत लोग एक नज़र देखने में अच्छे लगते हैं और पसंद आ जाते हैं, लेकिन वह प्यार नहीं होता। और इसका मतलब तुझे जब तक समझ आएगा, तब तक बहुत देर हो जाएगी अंतरा। मेरी यह बात याद रखना।" अंतरा की माँ ने भी उससे थोड़ा नाराज़ होते हुए कहा।

    "थैंक यू सो मच मॉम! और आप फ़िक्र मत करिए, क्योंकि अब मैं वह बेवकूफी नहीं करूँगी। क्योंकि ये देखिए, मेरी उंगली में सगाई की अंगूठी, जो कल सिद्धार्थ ने पहनाई। और हमारी शादी भी होने वाली है ना, मैंने मना कब किया? मैं तैयार हूँ इस शादी के लिए और जैसा आप चाहती हैं वैसा ही करने के लिए। अब तो खुश हैं ना आप..." अंतरा ने ताना मारने वाले अंदाज़ में अपनी माँ से कहा और फिर तुरंत ही वहाँ से बाहर जाने वाले दरवाजे की तरफ़ चली गई।

    अंतरा को वहाँ से जाते देख उसकी माँ ने अपने मन में कहा, "सिद्धार्थ ही तेरे लिए एकदम सही लाइफ़ पार्टनर है बेटा, और यह बात मुझे आज नहीं, बाद में समझ आएगी कि हमने तेरे लिए जो फैसला लिया है, वह एकदम सही है।"

    To Be Continued...

  • 9. Not Just Best Friends! - Chapter 9

    Words: 1092

    Estimated Reading Time: 7 min

    सिद्धार्थ ने एक फैंसी कैफे के सामने अपनी कार रोकी। कैफे पर एक बड़ा सा बोर्ड लगा था, जिस पर लिखा था, "सितारा फूड्स एंड कैफे!" यह सिद्धार्थ का कैफे था।

    कार रुकते ही वह अपनी तरफ का दरवाजा खोलकर बाहर निकला। उसके बाद धरा दूसरी तरफ से कार से बाहर निकली।

    सिद्धार्थ जब जल्दबाजी में घर से अपने कैफे के लिए निकल रहा था, तभी उसे धरा मिल गई थी। उसने पूछा था कि वह इतनी जल्दी कहाँ जा रहा है। सिद्धार्थ ने उसे पूरी बात बता दी थी। स्टाफ कम होने की बात सुनकर धरा भी उसकी मदद करने के लिए उसके साथ आ गई थी। वैसे, धरा का यहाँ आने का सिर्फ यही एक कारण नहीं था।

    वह दोनों एक साथ कैफे के अंदर आए। सिद्धार्थ ने कैश काउंटर की तरफ देखा, जहाँ उसका दोस्त और मैनेजर अरनव बैठा करता था। लेकिन इस वक्त वह वहाँ नहीं था। सिद्धार्थ समझ गया कि वह ज़रूर बाकी स्टाफ की जगह काम में मदद कर रहा होगा। अरनव भले ही कैफे में मैनेजर था, लेकिन फिर भी वह अक्सर ज़रूरत पड़ने पर दूसरों का काम भी कर देता था और उनकी मदद भी करता था।

    अंदर आते हुए, इधर-उधर नज़र घुमाते हुए, सिद्धार्थ उसे ढूँढने लगा। जैसे ही उसे अरनव नज़र आया, वह उसके पास पहुँचा।

    "क्या हुआ? कितने लोग छुट्टी पर हैं आज?" सिद्धार्थ ने अरनव से पूछा।

    "दो कुक में से एक ही आया है और तीन वेटर/वेट्रेस भी छुट्टी पर हैं। सिर्फ़ मैं और फाल्गुनी ही मिलकर आज सब कुछ संभाल रहे हैं। अच्छा हुआ तुम आ गए।" अरनव ने जवाब दिया।

    "मैं भी आई हूँ साथ में। हेलो फाल्गुनी! हाय अरनव!" धरा ने थोड़ा एक्साइटेड होकर उन दोनों को नमस्ते कहा। फाल्गुनी हाथ में ट्रे पकड़े हुए आकर अरनव के साथ खड़ी हो गई थी और मुस्कुरा कर उन दोनों की तरफ देख रही थी।

    "हैलो धरा मैम! हाउ आर यू? गुड टू सी यू हेयर..." फाल्गुनी ने मुस्कुराकर धरा से कहा। लेकिन अरनव ने धरा को पूरी तरह से इग्नोर कर दिया और सिद्धार्थ के साथ बात करते हुए वहाँ से थोड़ी दूर, साइड में चला गया।

    अरनव को इस तरह उसे इग्नोर करते हुए जाते देखकर धरा का मुँह बन गया। वह अरनव को पसंद करती है, लेकिन अरनव की तरफ से उसे कभी कोई रिस्पांस नहीं मिलता। वह हमेशा ही उसके साथ ऐसा ही बर्ताव करता है: या तो उसे अपने से सुपीरियर ट्रीट करता है या फिर उसे इग्नोर करता है। इस तरह के बर्ताव से धरा दुखी हो जाती है।

    धरा ने फाल्गुनी के साथ कभी यह सब कुछ शेयर नहीं किया था, लेकिन सिचुएशन और उसके चेहरे से यह सब कुछ इतना साफ ज़ाहिर होता था कि फाल्गुनी को तो क्या, किसी को भी समझ आ जाता।

    लेकिन धरा उसके बॉस की बहन है, इसलिए वह सीधे तौर पर उससे कुछ नहीं पूछती। उसका मूड चीयर अप करने के लिए बोली, "मैम, आपके लिए चॉकलेट फ्रैपे लेकर आऊँ मैं? आपका फेवरेट है ना..."

    उसकी बात सुनकर धरा ने मुस्कुराते हुए कहा, "अरे नहीं, मैं यहाँ पर हेल्प करने के लिए आई हूँ। और तुम जाकर कस्टमर को सर्व करो, मुझे नहीं। और इसके साथ ही बताओ मुझे क्या करना है... अच्छा, तुम रहने दो, मैं खुद ही देख लेती हूँ।"

    इतना बोलकर धरा भी खुद जाकर लोगों से ऑर्डर लेने लगी। उसने नॉर्मल कपड़े पहने हुए थे। सिद्धार्थ भी उन लोगों की मदद करने लगा। उन चारों ने मिलकर अच्छे से सारे कस्टमर्स को हैंडल कर लिया।

    बाहर सर्व करने के लिए तीन लोग थे, इसलिए सिद्धार्थ किचन में जाकर कुक की मदद करने लगा। सिद्धार्थ को खाना बनाना आता है और उसे अच्छा भी लगता है। जब भी उसका मन करता है, वह अपने कैफे में कुकिंग कर लेता है।


    दूसरी तरफ;

    अंतरा ऑफिस पहुँची। उसकी माँ ने आते वक्त जो भी बात की थी, वह सब उसके मन में चल रहा था। उसे लगा कि शायद उसे अपनी माँ से इस तरह रूडली बात नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन वह अपनी माँ से पहले भी इस बारे में बता चुकी थी कि उसे कोई और पसंद है। लेकिन फिर भी उसकी माँ ने उसकी और सिद्धार्थ की सगाई कर दी थी। बस इसी वजह से वह उनसे थोड़ी नाराज़ थी।

    अंतरा ऑफिस आकर अपना काम करने लगी। वह फिलहाल अपने पापा को असिस्ट करती है, इसलिए उनका ही काम और डॉक्यूमेंट चेक कर रही थी। तभी उसे कुछ पेपर्स पर अपने डैड के साइन चाहिए थे। इसलिए वह सीधा उनके केबिन की तरफ बढ़ी। केबिन का दरवाज़ा खुला हुआ था और अंदर से दो लोगों की बात करने की आवाज आ रही थी।

    अंतरा के कान में जैसे ही वह बात पड़ी, वह दरवाजे पर ही रुक गई और उनकी बातें सुनने लगी।

    केबिन के अंदर अंतरा के पापा, मिस्टर आलोक, सिद्धार्थ के पापा, मिस्टर अभिजीत से बात कर रहे थे।

    "हाँ, मुझे भी लगता है आप सही कह रहे हैं। अब आपको अंतरा पर इतना भरोसा है, तो मेरी तो वह बेटी ही है।" अंतरा के पापा ने कहा।

    "आपकी बेटी है तो क्या हुआ? हमारे भी तो घर की होने वाली बहू है। अब और वैसे भी वह सब कुछ अच्छी तरह से संभाल सकती है। मैं पिछले कई दिनों से उसका काम देख रहा हूँ। वह अपने काम को लेकर बहुत ही सीरियस और पैशनेट है।" सिद्धार्थ के पापा ने कहा। यह बातें सुनकर अंतरा खुश हो गई और समझ गई कि ज़रूर उसके पापा और सिद्धार्थ के पापा मिलकर कुछ प्लान कर रहे हैं। वह सोच रही थी कि ज़रूर वह दोनों उसे कंपनी में कोई बड़ी पोस्ट असाइन करने वाले हैं।

    यह सोचकर अंतरा खुश हो गई और साथ ही यह भी समझ गई कि यह सब कुछ कल हुई सगाई का इफ़ेक्ट है। क्योंकि उन दोनों ने चुपचाप अपने माता-पिता की बात मान ली थी, तो अब बदले में वह भी अपने बच्चों को खुश करना चाहते हैं।

    To be continued...

  • 10. Not Just Best Friends! - Chapter 10

    Words: 1062

    Estimated Reading Time: 7 min

    अपने पिता और सिद्धार्थ के पिता की बात सुनकर अंतरा कुछ देर दरवाजे पर रुकी रही। फिर, अनजान बनते हुए, उसने दरवाजे पर नॉक किया।

    दरवाजे की आवाज़ सुनकर वे दोनों चुप हो गए। अंतरा एकदम प्रोफेशनल असिस्टेंट की तरह अंदर आई और उनसे पेपर पर साइन करने को कहा। चुपचाप साइन करवाकर वह अपने केबिन में चली गई।

    उसके लिए यह सीरियस और ब्लैंक फेस बनाना कोई बड़ी बात नहीं थी। बचपन से ही वह शर्मीली, इंट्रोवर्ट लड़की रही है, जो अपनी भावनाएँ कम ही व्यक्त करती है।

    वह मन ही मन अपने पिता और सिद्धार्थ के पिता के फैसले को लेकर बहुत खुश थी। वह यह बात जल्दी से जल्दी सिद्धार्थ के साथ शेयर करना चाहती थी। उसने सोचा कि वह ऑफिस से सीधे सिद्धार्थ के घर जाएगी या उसके कैफ़े, जहाँ भी वह मिलेगा, और उसे सबसे पहले यह बात बताएगी।

    उसे पता था कि सिद्धार्थ भी उसकी खुशी में उससे भी ज़्यादा खुश होगा और वे दोनों मिलकर सेलिब्रेट करेंगे।

    इस बारे में सोचते हुए अंतरा को ज़्यादा एक्साइटमेंट हो रही थी। इसलिए वह शाम तक का इंतज़ार नहीं कर पाई और उसने अपना मोबाइल फोन निकाला और सिद्धार्थ का नंबर डायल किया।

    पूरी बेल बज गई, लेकिन दूसरी तरफ से सिद्धार्थ ने कॉल रिसीव नहीं किया। उसका फ़ोन साइलेंट पर था और वह अपने कैफ़े में बिज़ी था।

    अंतरा ने दो-तीन-चार बार उसका नंबर डायल किया, लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। अंतरा समझ गई कि सिद्धार्थ कैफ़े में बिज़ी होगा। उसे उसकी आदतें पता थीं; काम में बिज़ी होने पर उसे किसी और चीज़ का ध्यान नहीं रहता।

    सिद्धार्थ से बात न हो पाने से अंतरा का मूड थोड़ा ऑफ हो गया। लेकिन वह ऑफिस टाइम में उससे मिलने नहीं जा सकती थी, इसलिए चुपचाप अपने काम में लग गई। थोड़ी देर बाद उसका मोबाइल फोन बजा। उसे लगा कि सिद्धार्थ ने उसकी मिस कॉल देखकर कॉल बैक किया होगा। यह सोचकर एक्साइटेड होते हुए उसने फ़ोन उठाया।

    लेकिन कॉल सिद्धार्थ की नहीं, उसके भाई ध्रुव की थी। स्क्रीन पर सिद्धार्थ के बजाय ध्रुव का नाम देखकर अंतरा की एक्साइटमेंट कम हो गई और वह थोड़ी डिसएप्वॉइंटेड हुई।

    "हेलो ध्रुव! क्या हुआ? ज़रूर कुछ ज़रूरी बात होगी, नहीं तो तुम्हें कहाँ याद रहता है कि तुम्हारी कोई बहन भी है?" - अंतरा ने कॉल रिसीव करते हुए कहा।

    "हाँ... कितने अच्छे से जानती है ना तू अपने भाई को! आखिर जानेगी भी क्यों नहीं, ट्विन जो है मेरी!" - दूसरी तरफ से ध्रुव ने हंसते हुए कहा।

    उसकी हँसी सुनने के बाद भी अंतरा के चेहरे पर स्माइल नहीं आई। वह थोड़ी इरिटेट होती हुई बोली, "अच्छा ध्रुव, बोल क्या है? ऑफिस में हूँ मैं, फालतू नहीं हूँ तेरी तरह..."

    "एक तो तुम ऑफिस वालों की यही प्रॉब्लम है। तुम लोगों को लगता है कि सिर्फ़ तुम लोग ही काम करते हो ऑफिस में, नाइन टू फाइव डेस्क और चेयर पर बैठकर। बाकी सारे लोग बेकार हैं ना? आर्टिस्ट और दूसरे काम करने वालों की तो बिल्कुल कदर नहीं रहती तुम लोगों को... बस जब देखो तब ताना मारते रहते हो, कभी तुम तो कभी डैड!" - ध्रुव ने नाराज़गी से कहा।

    "अरे ध्रुव... मेरे कहने का वह मतलब नहीं था। बोल ना... वैसे भी तू इरिटेट कर रहा है। कोई बात सीधे नहीं बता सकता क्या? क्यों फोन किया था?" - अंतरा ने सफाई देते हुए कहा।

    "हाँ, देखो, मेरी कॉन्सर्ट है। उसके लिए वीआईपी टिकट मैंने पहले ही तुम सबके लिए अरेंज कर दी है। इसलिए तुम सब आ जाना। याद दिलाने के लिए फोन किया था। सिद्धार्थ, धरा सबको ले आना।" - ध्रुव ने यह बात बताई। यह सुनकर धरा की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। वह अपनी कुर्सी पर सीधी होकर बैठी और बोली, "तुम्हारी कॉन्सर्ट ध्रुव! सीरियसली... तुम्हें ब्रेक थ्रू मिल गया और तुमने बताया क्यों नहीं? घर पर किसी को भी, अरे और किसी को छोड़ो, मुझे क्यों नहीं बताया? इस तरह से कॉल करके सीधा इनवाइट कर रहे हो?"

    "अरे अरे रिलैक्स बहना! कोई इतना बड़ा ब्रेक नहीं मिला। वह फेमस सिंगर सुजॉय है ना, उसकी कॉन्सर्ट में पीछे कोरस गाने का चांस मिला है और उसके साथ गिटार बजाने का भी। तो मैं तो इतने में ही खुश हूँ। क्योंकि कहीं ना कहीं से तो शुरुआत करनी ही होती है ना?" - ध्रुव ने उसे पूरी बात बताई। उसकी बात सुनकर अंतरा फिर से नॉर्मल हुई और बोली, "हाँ, ठीक है, टाइम होगा तो आ जाऊँगी!"

    "बस इसीलिए नहीं बताता हूँ मैं, कोई कदर नहीं है तुम लोगों को आर्टिस्ट्स और म्यूज़िक की। आओ या ना आओ, जाओ, वैसे भी बहुत लोग हैं आने के लिए। टिकट चाहिए या वह भी मैं किसी को दे दूँ?" - ध्रुव ने गुस्से में कहा। उसकी बात सुनकर अंतरा हँसते हुए बोली, "मज़ाक कर रही हूँ ध्रुव! मैं डेफिनेटली आऊँगी और सिद्धार्थ को भी एक बार तुम इनवाइट कर देना।"

    "अरे क्यों, तुम अपने फिआंसे को साथ आने के लिए नहीं बोल सकती क्या? या फिर अलग से इनवाइट करूँ जीजा जी को?" - ध्रुव ने हंसते हुए कहा। अंतरा समझ गई कि वह उसे टीज़ कर रहा है। इसलिए अंतरा ने तुरंत कहा, "इन सब फालतू बातों के लिए टाइम नहीं है मेरे पास, बाय!"

    इतना बोलकर अंतरा ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। अपने और सिद्धार्थ का नाम साथ में सुनकर पता नहीं क्यों उसका दिल तेज धड़का और उसके मन में बहुत कुछ चलने लगा। लेकिन वह इस बात को ज़्यादा इम्पॉर्टेंस नहीं देना चाहती थी। इसलिए उसने ध्रुव से इस बारे में और कोई बात नहीं की। उसे पता था कि उसका भाई ध्रुव बस उसकी टांग खींच रहा है।

    क्रमशः...

  • 11. Not Just Best Friends! - Chapter 11

    Words: 1008

    Estimated Reading Time: 7 min

    आज पूरे दिन अंतरा ने कई बार सिद्धार्थ का नंबर डायल किया, लेकिन उसकी सिद्धार्थ से बात नहीं हो पाई। सिद्धार्थ उसका कॉल रिसीव नहीं कर रहा था, जिससे अंतरा को टेंशन होने लगी।

    "ये ऐसा क्यों कर रहा है सिद्धार्थ! अभी कल तक तो सब ठीक था हमारे बीच, फिर यह मेरे फ़ोन कॉल रिसीव क्यों नहीं कर रहा? आई होप सब ठीक हो।" इतना बोलते हुए अंतरा बार-बार अपने मोबाइल फ़ोन की स्क्रीन की तरफ़ देख रही थी। वह कार में बैक सीट पर बैठी हुई थी क्योंकि उसका ड्राइवर कार ड्राइव कर रहा था।

    इतना बोलते हुए अंतरा कार की खिड़की से बाहर देख रही थी क्योंकि उसके मन में बहुत कुछ चल रहा था।

    कुछ देर बाद, अंतरा की कार कैफ़े के बाहर रुकी। अंतरा तुरंत कार से बाहर निकली और सीधा कैफ़े के अंदर आकर इधर-उधर देखती हुई सिद्धार्थ को ढूँढने लगी।

    धरा की नज़र उस पर पड़ गई। वह उसकी तरफ़ आती हुई बोली, "क्या हुआ दी? भाई को ढूँढ रही हो क्या? आई मीन, भाभी! अपने होने वाले हस्बैंड को..."

    "होने वाले हस्बैंड की तो ऐसी की तैसी… पहले यह बताओ है कहाँ वो? सुबह से मेरे फ़ोन कॉल्स इग्नोर कर रहा है। इतनी इम्पॉर्टेंट बात बतानी थी उसे, लेकिन उसे है कि मेरे लिए वक़्त ही नहीं है! बताओ कहाँ बिज़ी है वो?" अंतरा ने एकदम गुस्से में धरा से पूछा। धरा ने चुपचाप किचन की तरफ़ इशारा किया।

    अंतरा गुस्से में किचन की तरफ़ चली गई। उसके उस तरफ़ जाते ही फाल्गुनी ने कहा, "भगवान बचाए आज तो सिद्धार्थ सर को, मैम बहुत गुस्से में लग रही हैं।"

    "हाँ होंगी ही! क्योंकि भाई सुबह से यहाँ पर बिज़ी है और उन्होंने बात ही नहीं किया दी से। और वैसे भी, अभी कल ही उन दोनों की इंगेजमेंट हुई है। अब बताओ, भाई ऐसा करेंगे तो कैसे चलेगा?" धरा ने फाल्गुनी की बात का जवाब देते हुए कहा। उसकी बात वहाँ पर खड़े अरनव ने भी सुन ली।

    सगाई वाली बात सुनकर फाल्गुनी और अरनव दोनों ही एक साथ हैरानी से धरा की तरफ़ देखते हुए बोले, "व्हाट!! इंगेजमेंट?"

    "इन दोनों की सगाई हो गई? सीरियसली?" अरनव ने हैरानी से कहा।

    उसकी बात पर फाल्गुनी लापरवाही से बोली, "हाँ, तो तुम क्यों इस तरह से रिएक्ट कर रहे हो? वैसे भी, दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं, यह तो होना ही था एक दिन।"

    "अरे नहीं… मुझे बस थोड़ा सा झटका लगा। और सिद्धार्थ इतना छुपा रुस्तम है, उसने मुझसे कुछ भी नहीं बताया इस बारे में। और इतना नॉर्मल रिएक्ट कर रहा है सुबह से, जैसे कि कुछ हुआ ही नहीं…" अरनव ने फाल्गुनी की बात का जवाब देते हुए कहा।

    लेकिन धरा उसकी बात पर फाल्गुनी से पहले ही बोल पड़ी, "अरे तुम तो भाई के दोस्त हो ना, उन्होंने तुम्हें भी नहीं बताया क्या?"

    अरनव ने धरा की बात का कोई जवाब नहीं दिया। फाल्गुनी बीच में बोलते हुए पूछती है, "अच्छा यह सब छोड़ो और यह बताओ उन दोनों में से पहले किसने किसको प्रपोज किया? आई एम वेरी एक्साइटिड! मुझे तो पूरी स्टोरी जाननी है।"

    "कोई स्टोरी नहीं है यार! इतना एक्साइटेड मत हो क्योंकि यह अरेंज मैरिज होने वाली है। एक्चुअली, सब कुछ पैरंट्स ने डिसाइड किया। लेकिन इन दोनों ने भी मना नहीं किया, तो इसका मतलब कि यह भी यही चाहते थे। छुपे रुस्तम हैं दोनों…" धरा अपने मुँह पर हाथ रखकर हँसते हुए बोली। फाल्गुनी भी उसकी तरफ़ देखकर हँसने लगी। लेकिन अरनव के दिमाग में कुछ खटक गया। वह समझ गया कि सब कुछ जैसा दिख रहा है, वैसा तो नहीं है। ज़रूर कोई बात तो है।

    दूसरी तरफ़, कैफ़े के किचन में; कैफ़े के लोगो प्रिंट वाला एप्रन बाँधकर कुक के साथ काम करता हुआ सिद्धार्थ बहुत ही ज़्यादा बिज़ी था। फिलहाल उसके पास किसी भी और चीज़ के लिए टाइम नहीं था।

    तभी अंतरा वहाँ पर आती है और एकदम ही गुस्से में चिल्लाती हुई बोली, "अच्छा तो मास्टरशेफ़ बने हुए हो आज! इसलिए ही मेरी कॉल रिसीव नहीं की।"

    अंतरा की आवाज़ सुनकर सिद्धार्थ तुरंत ही पीछे मुड़कर देखता हुआ बोला, "तारा तुम… तुम यहाँ? और कौन सी फ़ोन कॉल? वह मेरा फ़ोन तो पता नहीं… कहाँ है, मुझे ध्यान भी नहीं…"

    इतना बोलकर सिद्धार्थ वापस अपने काम में लग गया।

    "व्हाट द हेल सिड! मैं यहाँ पर खड़ी कुछ बोल रही हूँ और तुम हो कि एक तो मेरा कॉल रिसीव नहीं किया और अब सामने से भी इग्नोर कर रहे हो! ऐसा कोई करता है क्या अपनी बेस्ट फ़्रेंड के साथ? और अब तो हमारी सगाई भी…" अंतरा बोल ही रही थी कि सगाई वाली बात पर सिद्धार्थ ने नज़र उठाकर उसकी तरफ़ देखा। अंतरा अपनी बात पूरी किए बिना ही चुप हो गई।

    उन दोनों के बीच की बातचीत सुनकर वहाँ पर खड़ा कुक भी स्माइल कर रहा था। सिद्धार्थ ने तो इतना ध्यान नहीं दिया, लेकिन अंतरा ने उसे नोटिस कर लिया। अंतरा ने सिद्धार्थ का हाथ पकड़कर उसे अपने साथ किचन से बाहर ले जाती हुई बोली, "छोड़ो यह सब और अभी के अभी चलो मेरे साथ। मुझे तुम्हें बहुत इम्पॉर्टेंट बात बतानी है।"

    "अरे तो यहीं पर बता दो ना! और देखो, मैं काम कर रहा हूँ अभी…" सिद्धार्थ ने अपने ग्लव्स पहने हुए हाथ अंतरा को दिखाते हुए कहा। जिन पर केक और पेस्ट्री का डो लगा हुआ था क्योंकि फिलहाल सिद्धार्थ वही कर रहा था।

    "आप जाइए सर! बात कर लीजिये। मैं यह कर लूँगा। वैसे भी अभी ज़्यादा ऑर्डर नहीं हैं।" सिद्धार्थ और अंतरा की बात सुनकर उसके साथ खड़े कुक ने कहा।

    सिद्धार्थ ने अपने हैंड ग्लव्स उतारते हुए अंतरा की तरफ़ देखकर कहा, "अच्छा ठीक है, चलो…"

    यह बात सुनकर अंतरा के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ गई। वह सिद्धार्थ का हाथ पकड़कर उसे किचन से बाहर ले आई, लेकिन एकदम बाहर लेकर नहीं गई और स्टोर रूम में ही रुक गई।

    To Be Continued…

  • 12. Not Just Best Friends! - Chapter 12

    Words: 1019

    Estimated Reading Time: 7 min

    "बोलो अब क्या हुआ?" सिद्धार्थ ने अपने दोनों हाथ सामने की तरफ बांधकर, अंतरा की तरफ देखते हुए, गंभीर स्वर में पूछा।

    उसके इस तरह पूछने पर अंतरा का मुँह बन गया और उसने शिकायती लहजे में कहा, "क्या हुआ है सिड! कोई प्रॉब्लम है क्या? इस तरह से बर्ताव क्यों कर रहे हो? एक तो मुझे तुम्हें आज इतनी इम्पॉर्टेंट बात बतानी थी, लेकिन तुमने मेरा फ़ोन कॉल रिसीव नहीं किया और मैं फिर तुरंत ही तुमसे मिलने यहां पर आई हूँ। तो इतना कोल्ड बिहेवियर क्यों?"

    "तारा! मैं अपना काम छोड़कर यहां पर आया हूँ सिर्फ़ तुम्हारी इम्पॉर्टेंट बात के लिए और फिर भी तुम्हारी इतनी शिकायतें हैं! बताओ क्या करूँ मैं? क्या चाहती हो तुम?" सिद्धार्थ ने एकदम बेरुखी से कहा। उसकी यह बात सुनकर अंतरा को थोड़ा बुरा लगा, लेकिन फिर भी उसने इस बात को पूरी तरह इग्नोर करते हुए बहुत ही खुशी से उसे बताया, "कुछ नहीं, मैं बस तुम्हें यह बताना चाहती थी कि मैंने आज तुम्हारे पापा और मेरे पापा दोनों को बात करते सुना। दोनों ही मुझे कंपनी में कोई बड़ी पोस्ट देने वाले हैं जल्दी ही और मेरा सपना पूरा होने वाला है। आई एम वेरी हैप्पी सिद्धार्थ!"

    इतना बोलते हुए अंतरा जल्दी से सिद्धार्थ के गले लग गई। लेकिन सिद्धार्थ ने वापस उसे गले नहीं लगाया और एकदम ठंडी आवाज में बोला, "कांग्रेचुलेशन! आखिर यही तो चाहती थी ना तुम? और वैसे भी अब तुम मुझसे शादी कर रही हो तो घरवाले तो खुश हो ही जाएँगे।"

    "और तुम... तुम खुश नहीं हो क्या सिद्धार्थ?" अंतरा उससे थोड़ा दूर होती हुई, नज़र उठाकर उसकी तरफ देखती हुई पूछती है।

    "क्या फ़र्क पड़ता है? और वैसे भी तुम खुश हो क्या, इस शादी से?" सिद्धार्थ ने एकदम लापरवाही से मुँह बनाते हुए कहा।

    "लेकिन इस बारे में तो हमारी बात हो चुकी है ना? और मैं शादी के लिए नहीं पूछ रही, मैं इस बात के लिए पूछ रही हूँ जो मैंने तुम्हें अभी बताया। तुम यह सुनकर खुश नहीं हो क्या कि मुझे कंपनी में परमानेंट कोई बड़ी पोस्ट मिल जाएगी?" सिद्धार्थ की बातें सुनकर अंतरा का भी मुँह उतर गया और उसने भी उसी तरह पूछा।

    अंतरा को इस तरह मायूस देखकर सिद्धार्थ को लगा कि शायद वह कुछ ज़्यादा ही हार्श बिहेव कर रहा है। इसलिए उसने जबरदस्ती एक स्माइल अपने चेहरे पर लाते हुए कहा, "अरे नहीं तारा! कैसी बातें कर रही हो? बहुत खुश हूँ मैं। वह तो बस आज सुबह से काम में लगा हुआ हूँ, इसलिए बहुत थकान लग रही है। बस इसीलिए यह सब बोल दिया मैंने, और कुछ नहीं..."

    "सॉरी यार! मैं भी बस अपना ही देखती हूँ, तुम्हारे बारे में तो पूछा ही नहीं। मैं क्या करूँ? यह बात सुनकर मैं इतनी ज़्यादा एक्साइटेड हो गई थी, बस जल्दी से तुमसे मिलने का मन हो रहा था।" अंतरा ने भी तुरंत उससे माफ़ी मांगते हुए कहा। इस बार सिद्धार्थ ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए उसे हल्के से साइड हग किया और जबरदस्ती हल्की सी स्माइल के साथ बोला, "हाँ… हाँ पता है मुझे। कोई भी बात नहीं पचती है तेरे पेट में, जो भी पता चले बस तुरंत ही मुझे बताने का मन होता है तेरा, लेकिन..."

    इतना सोचते हुए सिद्धार्थ को वह बात याद आ गई कि अंतरा इतने दिनों से किसी से प्यार करती है, लेकिन वह बात तो उसने सिद्धार्थ से नहीं बताई। और यह सोचकर फिर से वह उदास हो गया।

    अंतरा ने अपना सिर उठाकर उसकी तरफ देखा। तो वो ना चाहते हुए भी फिर से मुस्कुरा दिया। अंतरा उसका हाथ पकड़कर उसे बाहर लाई और बोली, "चलो साथ में सेलिब्रेट करते हैं। आखिर इतनी बड़ी बात है ना? आई एम वेरी हैप्पी!"

    उसकी बात पर सिद्धार्थ ने उसी तरह जबरदस्ती स्माइल करते हुए हाँ में अपना सिर हिलाया और उसके साथ बाहर आ गया।

    अंतरा ने बाकी सब में से किसी को भी इस बारे में नहीं बताया, लेकिन सबके साथ बैठकर कॉफी पीने लगी। अंतरा बहुत खुश लग रही थी। सिद्धार्थ भी उसकी खुशी में खुश होने की कोशिश कर रहा था, लेकिन उसके चेहरे पर उदासी साफ़ दिख रही थी।

    अंतरा ने उसे कल होने वाली ध्रुव की कॉन्सर्ट के बारे में भी उन सबको बताया, जिसके लिए उसने सबको इनवाइट करने को कहा था। और धरा, फाल्गुनी यह बात सुनकर बहुत ही ज़्यादा खुश हो गई क्योंकि ऐसे तो उन्हें किसी कॉन्सर्ट में जाने का मौका नहीं मिलता।

    "ओह वाओ! ध्रुव भैया की कॉन्सर्ट… हम सब चलेंगे ना?" धरा एक्साइटिड होते हुए पूछा।

    सिद्धार्थ ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "हाँ, मेरे पास भी आया था ध्रुव का कॉल। मेरी उससे बात हो गई है इस बारे में और उसने काफ़ी इंसिस्ट किया है, इसलिए चलेंगे हम सब ही!"

    सिद्धार्थ की यह बात सुनकर अंतरा कॉफी पीते-पीते रुक गई और गुस्से से उसकी तरफ देखती हुई बोली, "सीरियसली सिद्धार्थ! तुमने ध्रुव का कॉल रिसीव कर लिया और मेरा नहीं... उसने तो एक बार ही कॉल किया होगा और मैंने कम से कम २० बार कॉल किया है तुम्हें और तुम हो कि..."

    "काम अंतरा! ध्रुव तुम्हारा भाई है और फिर भी तुम उसे लेकर इस तरह से बोल रही हो?" सिद्धार्थ ने नाराज़गी से कहा।

    "भाई हो या जो कोई भी, लेकिन तुमने जब मेरी कॉल रिसीव नहीं की तो तुम किसी और से कैसे बात कर सकते हो यह बताओ!" अंतरा ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए सवाल किया।

    सिद्धार्थ ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बेबसी से अपना सिर झुकाते हुए चुपचाप अपनी कॉफी पीने लगा।

    "ठीक है, मत बताओ... जाओ... लेकिन अब मुझे तुमसे कोई भी बात नहीं करनी। जब तुम बात करने आओगे ना, फिर भी नहीं बोलूँगी मैं... बाय!"

    इतना बोलकर अंतरा गुस्से से पैर पटकती हुई वहाँ से बाहर चली गई। और सिद्धार्थ ने उसे जाते हुए देखा, लेकिन वो हमेशा की तरह इस बार वो तुरंत उसके पीछे नहीं गया और वहीं पर बैठा बहुत कुछ सोचता हुआ चुपचाप अपनी कॉफी पीता रहा।

    क्रमशः…

  • 13. Not Just Best Friends! - Chapter 13

    Words: 1024

    Estimated Reading Time: 7 min

    अगले दिन, रात का वक्त था। शहर का एक बड़ा सा स्टेडियम हॉल लोगों की भीड़ से खचाखच भरा हुआ था। वहाँ मौजूद सभी लोगों के हाथ में बड़े-बड़े पोस्टर और फोटो कार्ड थे। आसपास का एरिया भी बड़े-बड़े पोस्टरों, लाइटिंग और लोगों से भरा हुआ था।

    सब लोग इधर-उधर आते-जाते नज़र आ रहे थे। कॉन्सर्ट बस शुरू ही होने वाला था। कुछ मिनट पहले ही अनाउंसमेंट हुआ था।

    अंतरा, सिद्धार्थ और बाकी सब वहाँ पर आए थे क्योंकि उसके भाई ध्रुव का कॉन्सर्ट था। उन्हें वीआईपी सेक्शन का एक्सेस मिला हुआ था, जो सारे परफॉर्मर्स के परिवार और दोस्तों को दिया जाता था।

    उन्होंने सामने स्टेज पर ध्रुव को देखा, जो गिटार पकड़े हुए अपने बैंड मेंबर्स के बीच में खड़ा था। सभी ने ध्रुव की तरफ देखकर एक्साइटेड होते हुए हाथ हिलाया। ध्रुव ने भी उन्हें देखकर खुश होकर स्टेज से ही अपना हाथ हिलाया, लेकिन वह उनसे मिलने नहीं आ पाया।

    कुछ ही देर में कॉन्सर्ट शुरू होने वाला था। इसलिए किसी भी आर्टिस्ट को स्टेज छोड़कर जाने की परमिशन नहीं थी। सिर्फ़ उनका मेन सिंगर सुजॉय अब तक नहीं आया था और उसके आते ही कॉन्सर्ट शुरू होनी थी।

    "कम ऑन ध्रुव! कम ऑन ध्रुव भाई… जस्ट रॉक द स्टेज..."

    अपनी जगह पर खड़ी हुई फाल्गुनी और धरा दोनों ही तेज आवाज में चिल्लाते हुए ध्रुव को चीयर अप कर रही थीं!

    इतनी देर और शोर-शराबे में उनकी आवाज ध्रुव तक नहीं पहुँच रही थी, लेकिन फिर भी वह दोनों काफी एक्साइटेड थीं।

    अंतरा को ऐसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर आना और यह कॉन्सर्ट वगैरा बिल्कुल भी पसंद नहीं था। लेकिन वह सिर्फ़ अपने भाई ध्रुव के लिए वहाँ पर आई थी, उसे सपोर्ट करने के लिए। यह ध्रुव का पहला स्टेज परफॉर्मेंस था, इसलिए वह भी उन दोनों के पीछे खड़ी होकर तालियाँ बजा रही थी और हल्का सा मुस्कुरा रही थी।

    कल वाली बात को लेकर अंतरा अभी भी सिद्धार्थ से नाराज़ थी। सिद्धार्थ को यह समझ भी आ रहा था। लेकिन फिर भी उसने अंतरा को मनाने की कोई कोशिश नहीं की, क्योंकि सच जानने के बाद वह अब अंतरा से ज़्यादा अटैच नहीं रहना चाहता था। इसलिए ही वह यह सब कर रहा था।

    लेकिन अंतरा उसे अभी भी अपना बेस्ट फ्रेंड और सब कुछ मानती थी। इसलिए वह खुद ही ज़्यादा देर उससे नाराज़ नहीं रह पाई और उसके पास आकर बोली, "चलो अच्छा, माफ़ किया। अब इस तरह से मुँह सड़ाकर खड़े मत रहो।"

    उसकी बात सुनकर सिद्धार्थ उसकी तरफ देखकर हल्का सा मुस्कुराया और कुछ नहीं बोला।

    अंतरा को सिद्धार्थ की चुप्पी बहुत खल रही थी। क्योंकि सिद्धार्थ ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। वह हमेशा कुछ ना कुछ बोलता रहता था और अपनी बचकानी हरकतों से अंतरा को इरिटेट करता था, उसे परेशान भी करता रहता था। इसलिए उसका यह बदला हुआ बर्ताव अंतरा को कुछ समझ नहीं आ रहा था।

    "क्या हुआ सिड! तुम कुछ बोल क्यों नहीं रहे हो? नाराज़ हो क्या मुझसे? वैसे तो मैं नाराज़ थी, लेकिन मैंने तो माफ़ भी कर दिया तुम्हें, अब क्या है?"

    अंतरा ने उसकी तरफ देखकर पूछा।

    "नहीं… कुछ नहीं यार! बस अभी यहाँ कॉन्सर्ट में हैं तो यहाँ पर इन्जॉय करते हैं ना। क्यों इधर-उधर की बातें कर रही हो? वह देखो, सुजॉय आ गया स्टेज पर…"

    सिद्धार्थ ने बात का टॉपिक चेंज करते हुए अंतरा का ध्यान दूसरी तरफ करते हुए कहा। अंतरा ने भी चुपचाप अपना सिर हिलाया और बाकी सब के साथ बात में लग गई।

    कुछ देर बाद, अंतरा को वॉशरूम जाना था। इस वक्त सुजॉय स्टेज पर गाना गा रहा था। और भले ही अंतरा को इन सब में इंटरेस्ट नहीं था, लेकिन उसे पता था कि बाकी सब इन्जॉय कर रहे हैं। इसलिए उसने किसी को भी साथ चलने के लिए नहीं बोला और सिर्फ़ सिद्धार्थ को बताकर वहाँ से चली गई।

    सिद्धार्थ भी उसके साथ नहीं गया क्योंकि वह सिंगिंग इन्जॉय कर रहा था और अंतरा ने उसे साथ आने के लिए नहीं कहा था। लेकिन अब अंतरा को गए हुए थोड़ी देर हो गई थी और वह अब तक वापस नहीं आई थी। तो सिद्धार्थ को उसकी थोड़ी सी फ़िक्र हुई। इसलिए उसे देखने के लिए वह भी चुपचाप वहाँ से निकल गया।

    "कहाँ चली गई यह लड़की! वॉशरूम का बोल कर गई थी और इतनी देर लगती है क्या? अब तो परफ़ॉर्मेंस भी ओवर होने वाली है?"

    वीआईपी सेक्शन से बाहर निकलकर वॉशरूम एरिया की तरफ बढ़ते हुए सिद्धार्थ ने कहा।

    सिद्धार्थ वॉशरूम की तरफ बढ़ा, लेकिन लेडीज़ वॉशरूम के बाहर ही वह रुक गया क्योंकि वह अंदर नहीं जा सकता था। तभी एक लड़की बाहर निकली और उसने उससे पूछा कि क्या कोई और भी अंदर है। उस लड़की ने कहा, "नहीं, इस वक्त तो उसके अलावा कोई भी नहीं है।" सिद्धार्थ थोड़ा परेशान हो गया यह जानकर कि अंतरा वॉशरूम में भी नहीं है।

    "यहाँ भी नहीं है… कहाँ चली गई यह लड़की? इतनी भीड़ है यहाँ पर, कहाँ ढूँढूँगा मैं अब इसे? पता नहीं अकेले जाने ही क्यों दिया मैंने उसे?"

    इतना बोलते हुए सिद्धार्थ वहाँ से मुड़कर वापस आने लगा।

    तभी वॉशरूम एरिया के पीछे वाली गैलरी से उसे कुछ आवाज़ सुनाई दी। लेकिन उसे वहाँ पर कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। इसलिए सिद्धार्थ अंतरा को ढूँढने वहाँ पर नहीं गया। वहाँ पर एकदम सन्नाटा था और दूर से देखने पर तो कोई भी नहीं दिख रहा था। इसलिए सिद्धार्थ को लगा था कि वहाँ पर कोई नहीं होगा। लेकिन जब आवाज़ आई, तो सिद्धार्थ एक पल के लिए रुक गया और फिर उसने सोचा कि जाने से पहले एक बार उधर भी चेक कर लेता हूँ।

  • 14. Not Just Best Friends! - Chapter 14

    Words: 1018

    Estimated Reading Time: 7 min

    अपने मन में ये सब सोचते हुए सिद्धार्थ उस तरफ आगे बढ़ा। तभी उसे अंतरा की आवाज सुनाई दी।

    "लीव... लीव मी यू बास्टर्ड!"

    अंतरा के चिल्लाने की आवाज सुनकर सिद्धार्थ भागते हुए उस पर पहुँचा। उसने देखा कि दो लड़कों ने अंतरा के दोनों हाथ कसकर पकड़े हुए थे और उसे अपने साथ लगभग खींचते हुए वहाँ से, एक सन्नाटे भरे, अंधेरे एरिया की तरफ ले जा रहे थे।

    सिद्धार्थ जल्दी से भागते हुए वहाँ पहुँचा और उसने एक लड़के के चेहरे पर जोरदार मुक्का मारा।

    "लीव हर! हाउ डेयर यू..."

    सिद्धार्थ को वहाँ देखकर दोनों लड़कों ने जल्दी से अंतरा का हाथ छोड़ा और भागने लगे। लेकिन सिद्धार्थ ने उन्हें इतनी आसानी से नहीं छोड़ा। उनके पीछे भागते हुए उसने उन दोनों में से एक का हाथ और एक की शर्ट का कॉलर पकड़ लिया और गुस्से से उनकी तरफ देखते हुए बोला,

    "हाउ डेयर यू.... हाउ आर यू? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी तारा पर अपनी गंदी नज़र डालने की? मैं तुम्हें छोड़ूँगा नहीं..."

    तभी दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखते हुए पूरी ताकत लगाकर सिद्धार्थ को एक तेज़ धक्का दिया। सिद्धार्थ साइड की दीवार पर टकरा गया, लेकिन फिर संभलते हुए तुरंत ही उनके पीछे भागा और उनमें से एक को पकड़ लिया।

    "मेरी तारा को हाथ लगाओगे… उस पर अपनी गंदी नज़र डालोगे? ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा मैं तुम्हें..." इतना बोलते हुए सिद्धार्थ उस लड़के के मुँह पर लगातार मुक्के मारता रहा। उसके चेहरे पर कई जगह काले निशान पड़ गए और होंठ के किनारे से खून भी निकल रहा था। इस बीच दूसरा लड़का बचकर भाग गया।

    "भैया प्लीज़! मुझे माफ़ कर दो, माफ़ कर दो! मुझसे गलती हो गई और अब मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूँगा। मुझे छोड़ दो।" वो लड़का सिद्धार्थ के सामने गिड़गिड़ा कर माफ़ी माँगते हुए बोला।

    "इतने बड़े गुनाह को तुम लोग गलती कहते हो? और अगर अभी मैं यहाँ पर नहीं आता तो तुम लोग मेरी तारा के साथ… नहीं! मैं तो तुम्हें आज ज़िंदा नहीं छोड़ूँगा।" इतना बोलते हुए सिद्धार्थ लगातार उसकी बॉडी और सिर पर मुक्के मार रहा था। वह लड़का अब तक लगभग अधमरा और बेहोश होकर ज़मीन पर पड़ा था।

    अंतरा अभी तक इन सब की वजह से थोड़ी सदमे में थी। लेकिन फिर उसने सिद्धार्थ को इस तरह उस लड़के को मारते हुए देखा तो जल्दी से भागकर सिद्धार्थ के पास पहुँची और उसे पकड़कर अपनी तरफ खींचते हुए बोली,

    "लीव हिम सिद्धार्थ! मर जाएगा वह। और हम उसे पुलिस के हवाले करेंगे, रहने दो!"

    अंतरा के इस तरह से पकड़ने पर सिद्धार्थ थोड़ा सा कंट्रोल में हुआ और रुककर जल्दी से पीछे अंतरा की तरफ मुड़ा। उसके चेहरे को अपने हाथों में भरते हुए उसकी आँखों में देखकर फिक्र से पूछते हुए बोला,

    "तारा तुम... तुम ठीक हो ना? कुछ किया तो नहीं ना इन लोगों ने तुम्हारे साथ... मैं टाइम पर तो आ गया ना? और तुम… तुम यहाँ पर क्यों आई अकेले? मुझसे साथ आने के लिए नहीं बोल सकती थी क्या?"

    "रिलैक्स सिद्धार्थ, आई एम फाइन!" अंतरा ने उसके दोनों हाथों को पकड़ते हुए उसकी आँखों में देखकर कहा। तभी सिद्धार्थ की नज़र अंतरा के हाथ पर कुछ खरोंच के निशान पर पड़ी, जो ज़रूर उन लड़कों के ज़ोर-ज़बरदस्ती की वजह से आए होंगे। यह देखकर सिद्धार्थ का खून खौलने लगा और उसने गुस्से से ज़मीन पर पड़े उस लड़के को देखा और उसे ज़ोर से एक लात मारी।

    "कहाँ ठीक हो तुम, देखो यह इतनी चोट तो आई है और बोल रही हो कि ठीक हो! आई एम सॉरी मुझे आने में थोड़ा सा लेट हो गया, बट..." सिद्धार्थ बोल ही रहा था तभी अंतरा उसकी कमर के इर्द-गिर्द अपने हाथ लपेटती हुई उसके गले से लग गई और बोली,

    "बट तुम आ गए ना सही टाइम पर, थैंक्स!"

    इतना बोलते हुए अंतरा ने उसके गले लगे हुए अपनी आँखें बंद कर लीं और सिद्धार्थ ने भी उसे पूरी तरह अपनी बाहों में भर लिया।

    सिद्धार्थ की बाहों में अंतरा को बहुत ही सेफ फील होता था और वह भी यह बात जानती थी। इसलिए वह उसके गले लग कर खड़ी हुई थी और उसका भी सिद्धार्थ से दूर जाने का मन नहीं हो रहा था। लेकिन तभी उस लड़के ने उठकर भागने की कोशिश की।

    सिद्धार्थ उसकी तरफ बढ़ा, लेकिन इस बार अंतरा ने आगे आकर उसे लात मारी और अपनी हील से उसका हाथ दबाते हुए गुस्से में बोली,

    "जिस हाथ से किसी लड़की को उसकी मर्ज़ी के बिना टच किया, उसे तोड़ ही देना चाहिए।"

    इसके बाद उन दोनों ने वहाँ की सिक्योरिटी को इन्फ़ॉर्म किया और फिर पुलिस को बुलाकर उस लड़के को पुलिस के हवाले कर दिया और उसके दूसरे साथी के बारे में भी बताया। इसके बाद उन दोनों में से किसी का भी कॉन्सर्ट में वापस जाने का मन नहीं था, इसलिए बाकी सब को मैसेज करके अंतरा और सिद्धार्थ एक साथ ही वहाँ से निकल गए।

    उन दोनों ने ही फैमिली से यह बात ना बताने का डिसाइड किया क्योंकि इस की वजह से सब परेशान हो जाते हैं और वैसे भी अब सारा मैटर सॉर्ट आउट हो चुका था।

    वापसी में अंतरा ने नोटिस किया कि सिद्धार्थ के माथे पर चोट लगी है और हाथ पर भी। अंतरा के हाथ पर भी कुछ खरोंच आई थी और वे दोनों ही ऐसी हालत में घर नहीं जाना चाहते थे। इसलिए वे दोनों वहाँ कॉन्सर्ट से सीधा सिद्धार्थ के कैफ़े आ गए क्योंकि इस वक्त वहाँ पर कोई भी नहीं था।


    To Be Continued...

  • 15. Not Just Best Friends! - Chapter 15

    Words: 1033

    Estimated Reading Time: 7 min

    अंतरा और सिद्धार्थ ने वहाँ से निकलने से पहले अरनव और धरा को मैसेज कर दिया था। लेकिन कॉन्सर्ट इन्जॉय करने में बिजी होने की वजह से धरा ने अपने मोबाइल फ़ोन पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन अरनव को मैसेज आते ही उसने तुरंत अपना फ़ोन निकाल कर चेक किया।

    मैसेज चेक करते हुए अरनव के चेहरे के एक्सप्रेशन बदल गए। तब तक सिंगर ने गाना गाना बंद कर दिया था। उसके गाने के ख़त्म होते ही तालियों की गड़गड़ाहट और शोर वहाँ गूँजने लगा। धरा और फाल्गुनी भी खुश होकर ज़ोर-ज़ोर से तालियाँ बजा रही थीं।

    इसी बीच धरा ने अरनव को मोबाइल फ़ोन में देखकर थोड़ा टेंशन में पाया। क्योंकि वह अरनव को पसंद करती थी और इसलिए बीच-बीच में उसकी तरफ़ भी देख रही थी।

    फाल्गुनी को आगे छोड़कर वह पीछे अरनव की तरफ़ आती हुई बोली, "क्या हुआ, सब ठीक तो है ना? और सिद्धार्थ भैया, अंतरा दी… कहाँ हैं वह दोनों…?"

    इधर-उधर देखते हुए उसने नोटिस किया कि सिद्धार्थ और अंतरा दोनों ही वहाँ नहीं थे। तो उसने यह बात भी उससे पूछ ली। उसे लगा कि अरनव को बताकर गए होंगे वे दोनों…

    धरा की बात सुनकर उसकी तरफ़ देखते हुए अरनव ने जवाब दिया, "हाँ, ठीक है। बस यह सिद्धार्थ का मैसेज है कि वे दोनों घर वापस चले गए!"

    "क्या? इतनी जल्दी… कब वापस चले गए और मुझे बताया भी नहीं! अब मैं क्या अकेले कर जाऊँगी? ऐसा क्यों करते हैं वे दोनों? उन्हें अकेले ही टाइम स्पेंड करना था तो फिर हम सबके साथ आए ही क्यों थे?" धरा ने मुँह बनाते हुए यह बात कही।

    अरनव उसकी बात सुनकर बेबसी से अपना सिर हिलाते हुए बोला, "तुम लड़कियाँ हर चीज को रोमांटिसाइज करके ही क्यों देखती हो? हो सकता है कोई प्रॉब्लम हो। और मुझे तो उनकी फ़िक्र हो रही है। इस तरह से अचानक चले गए। देखो शायद तुम्हें भी मैसेज किया होगा।"

    "क्या प्रॉब्लम हो सकती है? जब तक वे दोनों साथ हैं सब ठीक ही होगा।" धरा ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा और पर्स से अपना मोबाइल फ़ोन निकालकर चेक करने लगी। तो उसे भी सिद्धार्थ का मैसेज मिल गया।

    तब तक फाल्गुनी भी वहाँ पर आ गई और उन दोनों ने उसे भी इस बारे में बता दिया।

    फाल्गुनी उनके लिए खुश होती हुई बोली, "चलो अच्छा है। साथ में टाइम स्पेंड करेंगे तो वैसे भी उनकी शादी होने वाली है ना अगले महीने…"

    फाल्गुनी की बात सुनकर धरा भी खुश और एक्साइटेड हो गई। तो अरनव उनकी तरफ़ देखकर बेबसी से अपना सिर हिलाने के अलावा और कुछ नहीं कर सका।

    कॉन्सर्ट अब तक ख़त्म हो गई थी और लोग वहाँ से एक-एक करके निकल रहे थे। इसलिए उन सब ने भी वापस जाने का प्लान बनाया।

    लेकिन फाल्गुनी ने कहा, "मैं अभी नहीं जा सकती। मुझे ध्रुव सर से मिलना है। उन्होंने मुझसे प्रॉमिस किया है कि वह मुझे सुजॉय से मिलवाएँगे।"

    धरा फाल्गुनी की तरह उस सिंगर की इतनी बड़ी फैन नहीं थी। वह सिर्फ़ कॉन्सर्ट एक्सपीरियंस करने के लिए यहाँ आई थी और ध्रुव को सपोर्ट करने… इसलिए अब वह घर वापस जाना चाहती थी।

    अरनव भी वहाँ और नहीं रुकना चाहता था। इसलिए फाल्गुनी को बाय बोलकर वह दोनों साथ ही वहाँ से निकले।

    स्टेडियम के गेट पर आने के बाद धरा ने अरनव से कहा, "बाय! सी यू लेटर…"

    असल में धरा अरनव के साथ जाना चाहती थी। इसी बहाने उसे रास्ते का थोड़ा टाइम उसके साथ स्पेंड करने का मौका मिलता। लेकिन फिर भी वह खुद से यह बात बोलकर खुद को बहुत डेसपरेट नहीं दिखाना चाहती थी। इसलिए उसने ऐसा कहा…

    अरनव ने उसकी बात पर कुछ नहीं कहा और चुपचाप पार्किंग एरिया की तरफ़ अपनी बाइक लेने के लिए चला गया।

    धरा ने एक गहरी साँस ली और वहाँ से आगे बढ़ गई। पहले उसने सोचा कि वह कॉल करके कार मंगवा लेती है। लेकिन फिर उसने सोचा कि यहाँ पर तो इतना रश है, टैक्सी भी आराम से मिल जाएगी। इसलिए रहने देती हूँ। और इतना सोचकर वह सड़क की तरफ़ ही बढ़ने लगी।

    तभी एकदम से एक बाइक उसके सामने आकर रुकी। उस पर बैठे आदमी ने हेलमेट लगा रखा था। और धरा उस बाइक और उस आदमी दोनों को ही पहचानती थी। इसलिए उसे सामने देखकर उसके चेहरे पर एक प्यारी सी स्माइल आ गई जिसे वह छिपाने की पूरी कोशिश कर रही थी।

    "चलो… बैठो बाइक पर। मैं ड्रॉप कर दूँगा तुम्हें। नॉट ए बिग डील।" अरनव ने अपने हेलमेट शीशा उठाकर धरा की तरफ़ देखते हुए कहा।

    "नहीं मैं… मैं चली जाऊँगी। इट्स फाइन! वैसे भी तुम्हारा घर ऑपोजिट साइड में है।" धरा ने मना करने का नाटक करते हुए कहा।

    असल में वह मन ही मन बहुत खुश थी और उसका नाचने का मन कर रहा था। क्योंकि अरनव ने सामने से उसे खुद ही घर ड्रॉप करने के लिए पूछा था और वह यही तो चाहती थी।

    "बैठो चुपचाप बाइक पर… इतनी रात को मैं तुम्हें अकेले नहीं जाने दूँगा। और वैसे भी सिद्धार्थ मेरे भरोसे ही तुम्हें यहाँ पर छोड़कर गया है। भले ही उसने बोला नहीं लेकिन मुझे पता है।" अरनव ने इस बार उस पर थोड़ा हक़ जताते हुए कहा। तो धरा चुपचाप बाइक पर बैठ गई और कुछ सोचते हुए उसने अरनव के कंधे पर हाथ रख दिया।

    उसके हाथ रखते ही अरनव थोड़ा सा हड़बड़ा गया और उसने अपनी गर्दन पीछे मोड़ी। तो धरा ने कहा, "थैंक यू!"

    "देयर इज़ नो नीड धरा… मैम! आख़िर तुम मेरे दोस्त और बॉस की बहन हो। इतनी तो ज़िम्मेदारी बनती है।" अरनव ने जानबूझकर धरा को मैम कहा। और उसके मुँह से अपने लिए "मैम" सुनकर धरा को बहुत बुरा लगा और उसने उसके कंधे से अपना हाथ हटा लिया और कुछ भी नहीं बोली…

    अरनव भी शायद यही चाहता था। इसलिए राहत की साँस लेते हुए उसने बाइक स्टार्ट कर दी। और धरा अब उससे थोड़ी दूरी बनाकर बैठी हुई थी।

    उसके साथ यह राइड धरा के लिए काफी मेमोरेबल होने वाली थी। क्योंकि उसे पता था ऐसे दोबारा जल्दी तो नहीं आने वाले हैं और वह भी अरनव के साथ…

    To be Continued…

  • 16. Not Just Best Friends! - Chapter 16

    Words: 1000

    Estimated Reading Time: 6 min

    दूसरी तरफ, सितारा कैफे में, लाइटें जल रही थीं, लेकिन बाहर दरवाज़े पर "CLOSED" का साइन लटका हुआ था। उस वक्त कैफे लोगों के लिए बंद था; केवल सिद्धार्थ और अंतरा ही वहाँ मौजूद थे। उस लड़के के लगातार पंच मारने से सिद्धार्थ के हाथ पर गहरी चोट आई थी।

    एक कुर्सी पर बैठी अंतरा, कॉटन से उसके हाथ से निकल रहे खून को साफ करते हुए बोली, "आर यू इडियट सिद्धार्थ! यह किस तरह से मारा है तुमने उस लड़के को? और कम से कम अपना ख्याल तो रखा करो। इतनी चोट लगी है हाथ पर... ये दर्द हो रहा होगा ना?"

    वह चिंता और फिक्र से भरी नज़रों से उसकी तरफ देख रही थी।

    सिद्धार्थ ने गंभीर आवाज़ में जवाब दिया, "तुम्हें वहाँ पर उन दोनों के बीच स्ट्रगल करते हुए देखा था, तब ज़्यादा दर्द हुआ था और तकलीफ भी..."

    यह सुनकर अंतरा, दवा लगाते हुए रुक गई और हैरानी से सिद्धार्थ को देखने लगी। वह उसके शब्दों का मतलब समझने की कोशिश कर रही थी।

    सिद्धार्थ गम्भीर नज़रों से उसे देख रहा था। अपनी तरफ टिकी उसकी नज़रों को महसूस करते हुए, अंतरा थोड़ी घबरा गई और बोली, "डोंट थिंक अबाउट दैट मच। एवरीथिंग इज शॉर्टेड नाउ। वी आर फाइन एंड टूगेदर!"

    "हम्म्! नहीं सोच रहा हूँ, क्योंकि जितना सोचूँगा उतना मुझे उन दोनों पर गुस्सा आएगा। और मन तो कर रहा है कि उन्हें जान से ही मार दूँ! उनकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हें हाथ लगाने की? तुम्हें पता है तारा! मैं तुम्हें तकलीफ में नहीं देख सकता, वह भी किसी और के साथ इस तरह..." सिद्धार्थ ने अंतरा की तरफ देखते हुए कहा और अपने दोनों हाथ उसके गालों पर रख दिए, उसकी आँखों में देखते हुए।

    अंतरा को समझ नहीं आया कि उसे किस तरह जवाब देना चाहिए। उसे बस इतना समझ आया कि सिद्धार्थ उसके प्रति बहुत ही ज़्यादा प्रोटेक्टिव और पजेसिव था, जो एक बेस्ट फ्रेंड से कहीं ज़्यादा था। अंतरा ने इसे हमेशा बेस्ट फ्रेंड की तरह ही देखा था, लेकिन फिर भी उसे यह जानकर अच्छा लगा और मन ही मन खुशी भी हुई।

    अंतरा ने सिद्धार्थ का हाथ अपने हाथ से हटाते हुए कहा, "जितनी तकलीफ उसने मुझे दी, तुमने उससे कहीं ज़्यादा उसे दे दी। और वह तो वैसे भी अफ़सोस कर रहा होगा अपने किए पर..."

    सिद्धार्थ को भी एहसास हो गया कि अपने गुस्से और पजेसिवनेस में वह शायद ज़्यादा ही इमोशनल हो गया था। उसने अपना हाथ अंतरा के हाथ से हटा लिया, खुद को कंट्रोल किया और अपनी कुर्सी पर पीछे हटकर बैठ गया।

    अंतरा ने उसे देखा। कुछ समझ नहीं आ रहा था। वह अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हुई और बोली, "काफी टाइम हो गया है, हमें घर वापस चलना चाहिए।"

    तभी सिद्धार्थ की नज़र उसके हाथ की खरोचों पर पड़ी। उसने अंतरा का हाथ पकड़कर उसे वापस बिठा लिया और बोला, "मेरा इलाज तो कर दिया डॉक्टर तारा! अब अपना भी तो देखो, कितनी चोट लगी है और यह..."

    अंतरा ने लापरवाही से अपनी चोट की ओर देखा और कहा, "ये कुछ नहीं... बस हल्का सा स्क्रैच है। बट अपना तो देखो, सिर पर भी चोट लगी है। एक काम करना, कल डॉक्टर से बैंडेज करवा लेना। अभी तो काफी लेट हो गया है।"

    "अरे नहीं, डॉक्टर तारा ने बैंडेज किया है ना, मैं तो इतने में ही ठीक हो जाऊँगा। और रुको एक मिनट! तुम्हारे हाथ पर भी यह ऑइंटमेंट लगा देता हूँ, फिर घर चलते हैं।" सिद्धार्थ ने उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर देखा और फिर ऑइंटमेंट अपनी उंगली में लेकर उसके स्क्रैचेस पर लगाने लगा। इस बीच अंतरा एकटक सिद्धार्थ को देख रही थी।

    सिद्धार्थ हमेशा से ही उसकी इतनी केयर करता था, लेकिन अभी पता नहीं क्यों, यह दोस्ती से कुछ ज़्यादा ही लग रहा था, और अच्छा भी... इसलिए उसने मना नहीं किया।

    सिद्धार्थ को अंतरा की नज़रों की तपिश महसूस हो रही थी। बिना उसकी तरफ देखे भी उसे समझ आ रहा था कि वह उसे ही देख रही है। लेकिन जैसे ही सिद्धार्थ ने नज़र उठाकर अंतरा की तरफ देखा, वह दूसरी तरफ देखने लगी।

    उसने ऐसा नाटक किया जैसे वह सिद्धार्थ की तरफ देख भी नहीं रही थी, जबकि असल में वह उसे प्यार से निहार रही थी, लेकिन वह इस बात को सिद्धार्थ के सामने शो नहीं करना चाहती थी।

    यह समझ आते ही सिद्धार्थ हल्का सा मुस्कुराया। अंतरा ने पूछा, "क्या हुआ अब? हंसी क्यों आ रही है?"

    "नहीं... कुछ नहीं... चलो घर वापिस चलते हैं। पहले मैं तुम्हें तुम्हारे घर ड्रॉप करूँगा और फिर घर जाऊँगा। वैसे तो रात के 1:00 बज गए हैं, सुबह कैफे आना भी है। मन तो कर रहा है यहीं सो जाऊँ।" सिद्धार्थ ने जम्हाई लेते हुए कहा। अंतरा कुर्सी से उठकर खड़ी हुई और लापरवाही से बोली, "ठीक है, तुम सो जाओ यहाँ पर। मैं खुद चली जाऊँगी तुम्हारी कार लेकर..."

    "हाँ, और मैं तो तुम्हें ज़रूर अकेले जाने दूँगा ना, इतनी रात को, आज जो कुछ हुआ उसके बाद... नो वे!" सिद्धार्थ ने गंभीर आवाज़ में कहा। अंतरा कुछ नहीं बोली। वे दोनों साथ ही वहाँ से घर के लिए निकल गए, लेकिन सिद्धार्थ को नींद आ रही थी, इसलिए अपने घर के रास्ते तक अंतरा ने ही कार ड्राइव की।

  • 17. Not Just Best Friends! - Chapter 17

    Words: 1107

    Estimated Reading Time: 7 min

    एक महीने बाद;

    सिद्धार्थ और अंतरा, दोनों ने अपने घरवालों से बात करके शादी को बहुत ही साधारण रखने का फैसला किया। जबकि उनके घरवाले बड़ा और शानदार फंक्शन चाहते थे। उन दोनों को इस शादी के पीछे का कारण पता था, इसलिए वे इसे गुप्त रखना चाहते थे। साथ ही, उनकी शादी कितने समय तक चलेगी, यह भी तय नहीं था। इसलिए, उन्होंने बहुत अनुरोध करके अपने-अपने माता-पिता को मना लिया। आखिरकार, बच्चों की खुशी के लिए, उनके माता-पिता कुछ दोस्तों और नजदीकी रिश्तेदारों के बीच साधारण शादी के लिए तैयार हो गए।

    अंतरा की माँ तो इस बात से खुश थी कि उनकी बेटी बिना किसी नखरे के सिद्धार्थ से शादी कर रही है। वह उस लड़के को भूल गई थी, जिससे वह कॉलेज के समय से प्यार करती थी।


    अंतरा और सिद्धार्थ की शादी का दिन;

    दूल्हे के कपड़ों में तैयार होकर सिद्धार्थ पहले से ही मंडप में बैठा हुआ था। फिर अंतरा आई। उसने पारंपरिक लाल साड़ी पहनी हुई थी, जो कोलकाता में दुल्हनें शादी के वक़्त पहनती हैं। पूरे शादी वाले मेकअप और पारंपरिक गहनों में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी।

    सिद्धार्थ ने उसकी तरफ देखा और एक गहरी साँस ली। उसके मन में बहुत कुछ चल रहा था। वह अपने प्यार से शादी कर रहा था और उसे अपना जीवनसाथी बनाने वाला था, लेकिन फिर भी उसे खुशी नहीं मिल रही थी। क्योंकि सिद्धार्थ जानता था कि यह सब कुछ सिर्फ़ एक झूठ है। और जिस रिश्ते की शुरुआत झूठ और धोखे से हुई हो, वह कैसे किसी को सच्ची खुशी दे सकता है?

    सिद्धार्थ यह सब कुछ जानता था, लेकिन फिर भी कुछ नहीं कर सकता था। अंतरा आकर उसके पास बैठ गई। उसने मुस्कुराते हुए सिद्धार्थ की तरफ देखा, जैसे उसे खुश करने की कोशिश कर रही हो। उसकी तरफ देखकर सिद्धार्थ भी फीकेपन से मुस्कुराया और फिर शादी की रस्में शुरू हुईं।

    कुछ रस्मों के बाद, जब वे दोनों फेरों के लिए खड़े हुए और एक वचन के साथ अग्नि का एक फेरा लेने लगे, तो सिद्धार्थ ने अंतरा की तरफ देखते हुए अपने मन में कहा, "ये सब कुछ झूठ है अंतरा! हमारा रिश्ता... ये सारी रस्में, सारे वादे, सब कुछ! तुम जो भी वचन ले रही हो, तुम इनमें से अपना एक भी वादा नहीं निभा पाओगी। लेकिन फिर भी कितनी आसानी से तुम ये वचन ले रही हो। क्या सच में तुम मेरे लिए कुछ भी महसूस नहीं करती?"

    दूसरी तरफ, अंतरा के मन में भी बहुत कुछ चल रहा था। वह भी इस रिश्ते की सच्चाई जानती थी। और यह सब कुछ उसके कहने पर ही तो सिद्धार्थ कर रहा था। लेकिन फिलहाल वह उसे अपने जीवनसाथी नहीं, बल्कि सबसे अच्छे दोस्त के रूप में देख रही थी। वह सारे वचन लेते हुए अपने मन में बोली, "ऐज़ अ लाइफ पार्टनर नहीं, लेकिन एक बेस्ट फ्रेंड की तरह मैं ये सारे वादे निभाऊँगी। और हमेशा तुम्हारा ख्याल रखूँगी सिद्धार्थ, और हर चीज़ में तुम्हारा साथ दूँगी, जैसे अब तक देती आई हूँ। और इस शादी के बाद से भी हमारे बीच में कुछ नहीं बदलेगा।"

    दूसरी तरफ सिद्धार्थ के मन में, "सब कुछ बदल जाएगा इस शादी के बाद से। ना तो हमारा रिश्ता पहले जैसा रहेगा, और ना ही हमारी दोस्ती! ना हम अब पहले की तरह सबसे अच्छे दोस्त रह जाएँगे, और ना ही पूरी तरह से एक-दूसरे के जीवनसाथी बन पाएँगे। क्यों कर रही हो अंतरा तुम मेरे साथ ऐसा? क्यों?"

    सारी रस्मों-रिवाजों के बाद उनकी शादी हो गई और अंतरा विदा होकर सिद्धार्थ के साथ उसके घर आ गई।


    शादी की रात;

    शादी के बाद से सिद्धार्थ को पता नहीं क्यों सब कुछ बदला हुआ और बहुत अजीब सा लग रहा था। लेकिन दूसरी तरफ, अंतरा ने ऐसा कुछ भी महसूस नहीं किया। वह अभी भी सिद्धार्थ को पहले की तरह अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती थी, जो बस मुसीबत में उसकी मदद कर रहा है। और इसके लिए वह सिद्धार्थ की बहुत आभारी भी है। लेकिन वह खुद को बिलकुल भी उसकी पत्नी और जीवनसाथी के रूप में कल्पना नहीं कर रही थी। इसीलिए उसके लिए सब कुछ बहुत आसान था।

    सिद्धार्थ अपने कमरे में आया तो उसने देखा कि अंतरा उस फूलों से सजे हुए कमरे के बड़े से किंग साइज़ बेड पर शादी का जोड़ा बदले बिना ही आराम से लेटी हुई सो रही थी, और वह भी गहरी नींद में। उसे इस तरह से सोते देखकर सिद्धार्थ को उस पर बहुत प्यार आया। दुल्हन के जोड़े में वह बहुत ही प्यारी और खूबसूरत लग रही थी। क्योंकि अंतरा जल्दी इस तरह से तैयार नहीं होती। वह हमेशा ऑफिस वाले फॉर्मल कपड़े ही पहनती है या फिर साधारण जींस-टॉप।

    सिद्धार्थ के अंदर आने पर दरवाज़े को खोलने की आवाज़ और उसके कदमों की आहट हुई। लेकिन वह सुनकर भी अंतरा अपनी जगह से जरा सी भी नहीं हिली। तो सिद्धार्थ को इस बात का यकीन हो गया कि वह ज़रूर गहरी नींद में सो रही है। इसलिए वह उसी तरह दबे पांव चलता हुआ उसके नज़दीक आया और उसने देखा कि वह सच में सोई हुई है। इसलिए वह उसके ऊपर झुक गया और बहुत ही नज़दीक से उसका खूबसूरत चेहरा निहारने लगा। क्योंकि उसे पता था कि दुल्हन के रूप में वह उसे इस तरह नहीं देख पाएगा। क्योंकि जब अंतरा जाग रही होती और शादी की रस्मों में उसके साथ होती, तो सिद्धार्थ उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था और ज्यादातर उसे नज़रअंदाज़ कर रहा था। क्योंकि वह नहीं चाहता था कि अंतरा को उसकी आँखों में दोस्ती और हमदर्दी के अलावा कुछ और भी नज़र आ जाए।

    अंतरा का यह रूप सिद्धार्थ पर पता नहीं क्या जादू कर रहा था कि वह जैसे अपने आप को रोक नहीं पा रहा था उसके नज़दीक जाने से। वह उसके ऊपर झुका हुआ अपना चेहरा उसके चेहरे के एकदम करीब कर लेता है और बहुत ही प्यार से उसके होंठों को निहार रहा था। वह उसे चूमने के लिए थोड़ा सा आगे बढ़ता है, लेकिन तभी एकदम से उसे अंतरा की वह बात याद आती है, "मैं किसी और से प्यार करती हूँ।"

    यह बात याद आते ही सिद्धार्थ अपने हाथों की कसकर मुट्ठियाँ बांध लेता है और वहाँ से कुछ कदम पीछे हो जाता है।

    To Be Continued...

  • 18. Not Just Best Friends! - Chapter 18

    Words: 963

    Estimated Reading Time: 6 min

    Episode - 18 नवविवाहिता?


    यह बात याद आते ही सिद्धार्थ एकदम पीछे हो गया और उसे अपने दिल में कुछ चुभता हुआ सा महसूस हुआ। लेकिन फिर भी, अपने आप को सामान्य करते हुए उसने अंतरा को आवाज़ लगाई, "तारा! उठो... उठो और जाकर चेंज कर लो। इस तरह से हैवी ज्वेलरी और कपड़ों में कंफर्टेबल होकर नहीं सो पाओगी!"


    "नो वे... मुझे नहीं उठना। मैं बहुत ज्यादा थकी हुई हूँ और मैं सच में बहुत कंफर्टेबल हूँ। बस मुझे सो जाने दो।" अंतरा नींद में ही सिद्धार्थ की बात का जवाब देती हुई बोली और उसने अपनी आँखें तक नहीं खोलीं। तो फिर सिद्धार्थ ने भी उसे नहीं जगाया और वह अपने शादी वाले कपड़े चेंज करने के लिए वॉशरूम में चला गया।


    अगली सुबह, जब अंतरा की आँख खुली, तो उसने देखा कि वह एकदम अलग जगह पर है। तभी उसे एकदम से याद आया कि उसकी शादी हो गई है और वह अब अपने घर के अपने रूम में नहीं है, बल्कि सिद्धार्थ के घर और उसके ही रूम में है।


    इसके अलावा उसने अपने हाथों में चूड़ियाँ और अपनी लाल साड़ी देखी तो उसे सब कुछ याद आ गया। और सामने लगे बड़े से शीशे में अपना यह रूप देखकर वह पता नहीं क्यों थोड़ा सा शर्मा गई। वह बहुत कुछ नया-नया सा फील कर रही थी। साथ ही सुबह के वक्त भी वह एकदम नई-नवेली दुल्हन लग रही थी क्योंकि उसने रात में कपड़े चेंज नहीं किए थे और ऐसे ही सो गई थी।


    वह तो सिद्धार्थ के कमरे में थी, लेकिन उस पूरे कमरे में उसे सिद्धार्थ कहीं पर नज़र नहीं आ रहा था। वह इधर-उधर देखते हुए अपनी जगह से उठी और सीधा वॉशरूम की तरफ बढ़ी। उसे लगा शायद सिद्धार्थ वॉशरूम में होगा, लेकिन फिर उसने देखा कि वॉशरूम का दरवाज़ा भी अंदर से लॉक नहीं है। तो वह समझ गई कि सिद्धार्थ इस वक्त वहाँ रूम में नहीं है।


    कुछ देर बाद अंतरा नहा-धोकर बाहर निकली। उसे समझ नहीं आया क्या पहने, क्योंकि इतना तो उसे याद था कि उसकी शादी हो गई है और वह अब अपने मायके में नहीं, ससुराल में है।


    भले ही सब लोग अंतरा को बचपन से जानते हैं और उसके साथ बहुत अच्छी तरह से पेश आते हैं, लेकिन फिर भी अंतरा सभी को इम्प्रेस करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती थी। इसलिए वह एक ट्रेडिशनल साड़ी पहनकर तैयार हो गई, जैसा कि शादी के बाद सारी औरतें कोलकाता में पहनती हैं।


    अपनी साड़ी ठीक कर के बाल बनाते हुए अंतरा खुद को मिरर में देख रही थी। और तभी किसी ने उसका दरवाज़ा खटखटाया। और दरवाज़ा खुला हुआ ही था, इसलिए वह वहीं से खड़े हुए बोली, "नॉक क्या कर रहे हो सिद्धार्थ! जस्ट कम इन। और तुम्हारा भी कमरा है यह..."


    "अरे दी मैं हूँ। और भाई तो निकल गए सुबह-सुबह अपने कैफे के लिए... कोई ज़रूरी काम था शायद!" कमरे का दरवाज़ा खोलकर अंदर आते हुए धरा ने कहा।


    सिद्धार्थ वहाँ पर घर में नहीं है, यह सुनकर अंतरा का चेहरा मायूसी से लटक गया और वह धीमी आवाज़ में बोली, "मुझसे मिले बिना ही चला गया? इतना भी क्या इम्पॉर्टेंट काम था?"


    अंतरा ने भले ही धीमी आवाज़ में यह बात बोली, लेकिन धरा ने उसकी बात सुन ली और वह उसे छेड़ते हुए बोली, "ओहो भाभी! क्या बात है? इतना मिस कर रही हो भाई को, शादी के पहले ही दिन! अरे कोई ना... कॉल कर लेना या फिर जब आएंगे तब शिकायत कर लेना। बट अभी चलो मेरे साथ, मॉम आपको बुला रही हैं।"


    धरा की इस बात पर अंतरा उसे आँखें दिखाती हुई बोली, "शट अप धरा! व्हाट इज़ दिस बिहेवियर? और वैसे भी तुम मुझे अभी भी दी कह सकती हो? यह भाभी बहुत ही अजीब साउंड कर रहा है।"


    "नहीं... मैं तो भाभी कहूँगी। वह तो वैसे भी मैं कभी-कभी आदत की वजह से आपको दी बोल देती हूँ। लेकिन अब से तो आप मेरी भाभी हो ना!" उसकी बात सुनकर अंतरा ने बेबसी से अपना सिर हिलाया और वह दोनों एक साथ ही कमरे के बाहर आ गईं।


    अंतरा अपने रूम से बाहर लिविंग एरिया में आई धरा के साथ। और तब सिद्धार्थ की माँ ने अंतरा को एकदम नई-नवेली दुल्हन की तरह तैयार देखा तो वह उसकी बलाएँ लेने लगी और उसकी तारीफ़ करते हुए बोली, "बहुत खूबसूरत लग रही हो बेटा! किसी की नज़र ना लगे।"


    उनकी बात सुनकर अंतरा हल्के से मुस्कुराई और फिर उनका आशीर्वाद लेने के लिए झुकी।


    "सदा सुहागन रहो बेटा और खुश रहो।" गौरी जी ने उसे आशीर्वाद देते हुए कहा।


    उसके बाद गौरी जी, अंतरा की सास ने उसे कहा, "अंतरा बेटा! आज ही तुम्हारी पहली रसोई की रस्म है।" तो यह सुनकर अंतरा बहुत ही परेशान और नर्वस हो गई क्योंकि उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था।


    इसलिए यह खाना बनाने वाली बात सुनकर उसे थोड़ी सी टेंशन हुई। लेकिन फिर उसने सोचा कि सिद्धार्थ को तो काफी कुछ बनाना आता है, इसलिए वह चुपचाप कॉल करके उससे पूछ लेगी कि कैसे क्या बनाना है। और उसे पता था सिद्धार्थ बिना किसी को बताए इसमें उसकी हेल्प भी कर देगा।


    To be continued…

  • 19. Not Just Best Friends! - Chapter 19

    Words: 952

    Estimated Reading Time: 6 min

    Episode - 19 Wedding Gift!

    गौरी जी की बात सुनकर अंतरा थोड़ी नर्वस हो गई। वह सोचने लगी कि वह क्या और कैसे बनाएगी क्योंकि उसे कुछ भी बनाना नहीं आता था। अपने घर में उसने आज तक अपने लिए चाय तक नहीं बनाई थी क्योंकि उसे कुकिंग में बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं था।

    उसे लगा था कि सिद्धार्थ के घर वालों को यह बात पहले से ही पता होगी, क्योंकि सिद्धार्थ यह बात जानता था। इसलिए शादी के लिए भी उसने कुछ स्पेशल बनाना नहीं सीखा था।

    वह सीधे मना करके सभी को पहले ही दिन नाराज नहीं करना चाहती थी। इसलिए वह वहाँ खड़ी, नर्वसनेस से अपने नाखून कुतरती हुई, इसी बारे में सोच रही थी।

    अंतरा को इस तरह नर्वस देखकर धरा और उसकी माँ दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा। फिर धरा हँसने लगी और गौरी जी भी हँसने लगीं। उन दोनों को हँसते देखकर अंतरा, जो अब तक नर्वस और घबराई हुई थी, थोड़ी कंफ्यूज हो गई।

    "अरे बेटा, इतना क्या घबरा रही हो? यह तो बस एक रस्म होती है। और मुझे अच्छी तरह से पता है कि तुम्हें कुछ भी बनाना नहीं आता। इसलिए मैंने पहले ही रसगुल्ले बनाकर रखे हैं। तुम बस सबको अपने हाथों से सर्व करना, और रस्म हो जाएगी। बनाना इतना भी ज़रूरी नहीं होता।" - गौरी जी ने अंतरा से कहा। तो वह खुश हो गई और खुश होते हुए उनके गले लगकर बोली, "यू आर द बेस्ट, आंटी!"

    "आंटी नहीं, मम्मी!" - गौरी जी ने अंतरा को टोकते हुए कहा।

    "ओके मम्मी! बट यह रस्म... इसमें ज़्यादा टाइम तो नहीं लगेगा ना? क्योंकि मुझे ऑफिस भी जाना है। और वैसे भी कोई पोस्ट वेडिंग रस्म अब नहीं बची है। तो मैं ऑफिस से छुट्टी नहीं लेना चाहती। पहले ही शादी की वजह से कई दिन की छुट्टी हो गई थी मेरी..." - अंतरा ने बहुत ही मासूमियत से पूछा।

    इस पर उसकी सास ने कहा, "लेकिन बेटा, अभी तुम नई दुल्हन हो। ऐसे शादी के अगले ही दिन ऑफिस जाओगी तो..."

    उनकी इस बात का मतलब अंतरा समझ गई और उसने कुछ नहीं कहा। वह चुपचाप अपना सिर हिलाते हुए किचन की तरफ बढ़ गई।

    अंतरा पहले ही सिद्धार्थ के इस तरह बिना बताए चले जाने की वजह से उदास थी। ऊपर से आज उसे ऑफिस जाने को भी नहीं मिल रहा था।

    लेकिन फिर भी उसने जल्दी से सबके लिए स्वीट डिश सर्व की और सबको इम्प्रेस करने में लग गई। क्योंकि वह बस जैसे-तैसे जल्दी से जल्दी ऑफिस जाने की परमिशन चाहती थी। क्योंकि उसे पता था शादी के बाद ही उसे कंपनी में एक बड़ी और परमानेंट पोस्ट मिलनी है, जो कि उसके और सिद्धार्थ दोनों के डैड ने मिलकर डिसाइड किया था।

    अंतरा ने सिद्धार्थ के डैड को भी रसगुल्ले की कटोरी दी और फिर मुस्कुराते हुए वहाँ से वापस जाने लगी। तभी सिद्धार्थ के डैड, मिस्टर अभिजीत ने आवाज़ लगाकर उसे रोकते हुए कहा, "अरे रुको तो बेटा! अपना नेग नहीं लोगी क्या?"

    उनकी इस बात पर अंतरा अपनी जगह पर ही रुक गई। उसने जैसे इस बात को कन्फर्म करने के लिए गौरी जी की तरफ देखा। तो उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ बेटा! अपने ससुराल में तुमने पहली बार सबको मीठा खिलाया है, तो नेग तो बनता ही है।"

    उनकी बात सुनकर अंतरा सिद्धार्थ के डैड की तरफ वापस आई। उन्होंने एक व्हाइट कलर का एनवेलप अंतरा की तरफ बढ़ाया। अंतरा ने सोचा कि ज़रूर उसमें पैसे होंगे, क्योंकि नेग और आशीर्वाद में तो लोग ज़्यादातर पैसे ही देते हैं। इसलिए उसने मुस्कुराकर लेते हुए कहा, "थैंक यू, अंकल!"

    लेकिन जैसे ही अंतरा ने एनवेलप अपने हाथ में लिया, वह उसे कुछ भारी लगा। वह समझ गई कि उसमें पैसे नहीं, बल्कि कुछ और भी है। लेकिन फिर भी उसने उनके सामने वह खोलकर नहीं देखा।

    उसे यह जानने की क्यूरियोसिटी हो रही थी कि उस व्हाइट लिफ़ाफ़े में क्या है। इसलिए वह सीधा अपने कमरे की तरफ जाने लगी।

    "अरे बेटा! रुको, ये खोलकर तो देखो।" - सिद्धार्थ के डैड ने अंतरा को रोकते हुए कहा।

    "ओके!" - इतना बोलते हुए अंतरा ने वह एनवेलप खोलकर देखा। उसमें कुछ पेपर्स फोल्ड करके रखे हुए थे।

    अंतरा ने कन्फ्यूज़न से उन पेपर्स को बाहर निकाला और उन्हें ओपन करके पढ़ने लगी।

    पेपर्स पढ़ते हुए बीच में उसने सिद्धार्थ के डैड की तरफ भी देखा, जो उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुरा रहे थे। वह पेपर पूरे पढ़ते-पढ़ते अंतरा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई, लेकिन साथ ही उसकी आँखों में थोड़े आँसू भी थे। वह इमोशनल हो गई और बोली, "यू रियली मेड मी डिप्टी सीईओ ऑफ़ द कंपनी? थैंक यू सो मच अंकल फॉर बिलीविंग इन मी। आई एम रियली ग्रेटफुल टू यू!"

    "अरे बेटा, यह तो तुम्हारा एक तरह से वेडिंग गिफ्ट भी है। हम शादी वाले दिन ही देना चाहते थे, लेकिन मौका नहीं मिला। और वैसे भी तुम इसके लायक हो। तुमने यह पोजीशन अर्न की है। और मैं तो तुम्हें सीईओ बनते भी देखना चाहता हूँ। लेकिन आलोक ने कहा कि पहले तुम्हें डिप्टी सीईओ बनाते हैं और फिर उसके बाद तुम्हारा प्रमोशन होगा, तुम्हारे हार्ड वर्क पर..." - मिस्टर अभिजीत ने पूरी बात एक्सप्लेन करते हुए कहा। तो अंतरा बहुत ज़्यादा खुश हो गई और उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। इतनी मेहनत के बाद आखिर उसे वह मिल रहा था जो वह चाहती थी। और उसे पता था अगर वह डिप्टी सीईओ बन गई तो कुछ ही दिनों में वह कंपनी की सीईओ भी बन जाएगी।

    To Be Continued...

  • 20. Not Just Best Friends! - Chapter 20

    Words: 988

    Estimated Reading Time: 6 min

    Episode - 20 Relationship Changed?


    "थैंक यू, थैंक यू सो मच अंकल! आपको नहीं पता मैं कितनी खुश हूं और मैं कब से यह चाहती थी, बट...", अंतरा ने पहले तो खुशी से, थोड़ा एक्साइटिड होकर कहा, लेकिन फिर कुछ सोचकर मायूस हो गई।


    "कोई बट नहीं, और इस तरह से उदास होने की जरूरत नहीं है। तुम कल से ऑफिस ज्वाइन कर रही हो। देखो, यह तुम्हारा जॉइनिंग लेटर है, जिस पर मेरे और आलोक दोनों के साइन हैं।" सिद्धार्थ के पापा ने आगे आते हुए, उसके कंधे पर थपथपाते हुए कहा। उसने बहुत ही उम्मीद भरी नजरों से पहले उनकी तरफ, और फिर गौरी जी की तरफ देखा। "लेकिन मम्मी जी... मम्मी जी को तो कोई प्रॉब्लम नहीं है ना?"


    "अरे नहीं बेटा! मुझे भला क्या प्रॉब्लम होगी? ऐसा क्यों सोच रही हो तुम?" उसकी बात पर गौरी जी ने सवाल किया।


    "मम्मी जी, वह अभी आपने बोला कि शादी के बाद में ऑफिस कैसे...", अंतरा ने अपने मन में चल रही बात बताई।


    "अरे वह... वह तो बस मैंने इसलिए कहा क्योंकि अभी कल ही तो शादी हुई है और आज इतना लेट भी हो गया। मैं तो चाहती हूं तुम आज रेस्ट करो और जैसे तुम्हारे पापा जी ने कहा, कल से ज्वाइन कर लेना। मुझे कोई भी प्रॉब्लम नहीं है! आई एम वेरी हैप्पी फॉर यू बेटा, क्योंकि लड़के तो वैसे भी दोनों नालायक हैं, दोनों घरों के... तो सब कुछ अब तुम्हारे ही भरोसे है। आखिर फैमिली बिजनेस किसी को तो आगे ले जाना ही होगा ना?" गौरी जी ने अपनी बात एक्सप्लेन करते हुए कहा। उनकी बात सुनकर अब अंतरा के चेहरे पर एकदम जेन्युइन स्माइल आ गई और वह आगे बढ़कर उनके गले लग गई। उन्होंने भी प्यार से अंतरा के सिर पर हाथ रख दिया।


    शाम का वक्त था।


    अंतरा किसी भी तरह से बस यह बात जल्दी से जल्दी सिद्धार्थ को बताना चाहती थी, लेकिन कॉल पर नहीं, सामने से।


    आखिर वह चाहती थी कि सिद्धार्थ भी देखें कि वह कितनी खुश है, इसलिए वह उसके वापस आने का इंतज़ार कर रही थी।


    उसे एक्जेक्टली नहीं पता था कि सिद्धार्थ अपने कैफे से किस टाइम वापस आता है, क्योंकि उन दोनों ने कभी इस बारे में बात नहीं की थी। लेकिन अंतरा को इतना पता था कि सिद्धार्थ के लिए उसका कैफे बहुत इंपोर्टेंट है और वह वहां काफी ज्यादा टाइम स्पेंड करता है। लेकिन आज अंतरा का इंतज़ार नहीं हो रहा था। इसलिए उसने घड़ी में टाइम देखा; शाम के 7:00 बज रहे थे। लेकिन उसे ऐसा लग रहा था जैसे पता नहीं कितने साल उसने सिद्धार्थ के बिना काटे हों, क्योंकि आज सुबह उठने के बाद से ही उसने सिद्धार्थ को नहीं देखा था।


    इसलिए उसने सिद्धार्थ का नंबर डायल किया। लेकिन सिद्धार्थ इस वक्त रास्ते में था और कार ड्राइव कर रहा था, इसलिए उसने कॉल रिसीव नहीं की। और वह घर ही आ रहा था, इसलिए उसने देखा भी नहीं कि किसका कॉल है।


    "जब कॉल नहीं रिसीव करनी होती है तो पता नहीं लोग मोबाइल फोन और नंबर रखते ही क्यों हैं? और वैसे भी शादी के बाद इस तरह सुबह-सुबह ही काम पर कौन जाता है, वह भी अपनी वाइफ को बिना बताए।" अंतरा अपने आप में ही बड़बड़ाती हुई बोली। और तभी उसे रियल आइज हुआ कि उसने खुद को सिद्धार्थ की वाइफ कहा था। और यह सोचकर ही उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया।


    लेकिन फिर खुद को समझाते हुए उसने जल्दी से यह ख्याल अपने दिमाग से झटक दिया और अपने सिर पर हल्के से मारती हुई बोली, "पागल है क्या तू अंतरा? क्या कुछ भी बोल रही है! कौन सी वाइफ? तुझे पता है ना इस शादी का सच? और वैसे भी मुझे नहीं लगता सिद्धार्थ भी इस शादी को इतना सीरियसली लेता है। इसीलिए तो वह सुबह-सुबह ही काम पर चला गया। सही है, काम सबसे ज़रूरी होता है।"


    अंतरा ने खुद को समझाया। कुछ देर के बाद धरा उसे खाने के लिए बुलाने आई, लेकिन उसने कहा कि वह सिद्धार्थ के साथ ही डिनर करेगी। फिर धरा वहां से चली गई। कुछ देर बाद वह बेड पर बैठी हुई कुछ सोच रही थी, तभी एकदम से कमरे का दरवाज़ा खुला और उसे सामने से अंदर आता हुआ सिद्धार्थ नज़र आया।


    उसे देखकर अंतरा की आँखों में बहुत ही ज़्यादा चमक नज़र आई और वह एकदम से भागकर दरवाज़े की तरफ़ आई। सिद्धार्थ अभी कुछ ही कदम अंदर आया था कि अंतरा एकदम से उसके गले लग गई और बोली, "कहां रह गए थे तुम? पता है तुम्हें, कब से मैं तुम्हारा वेट कर रही हूं और तुम हो कि मेरा कॉल भी रिसीव नहीं करते। ऐसा करोगे क्या अब तुम...?"


    सिद्धार्थ ने उसके सवालों का कोई भी जवाब नहीं दिया और उसका कंधा पकड़कर उसे खुद से दूर करते हुए बोला, "तारा प्लीज़... प्लीज़ जो भी कहना है, दूर रहकर भी कह सकती हो। ऐसे इस तरह बात-बात पर गले लगने की ज़रूरत नहीं है।"


    "व्हाट! व्हाट डू यू मीन? मेरी तो आदत है ये... मैं जब भी खुश, दुःखी या एक्साइटिड होती हूं तो इसी तरह से तुम्हारे गले लग जाती हूं। तो फिर आज तुम ऐसा क्यों बोल रहे हो सिड! कुछ प्रॉब्लम है क्या?" अंतरा ने बहुत ही मासूमियत से नज़र उठाकर उसकी तरफ देखा।


    "देखो तारा! अब कुछ भी पहले जैसा नहीं है। ना तो हम दोनों, और ना ही हमारा रिलेशन। तो अच्छा होगा कि तुम इस बात को याद रखो कि अब हम पहले की तरह सिर्फ बेस्ट फ्रेंड नहीं हैं। हमारी शादी हो गई है और शादी का तो वैसे भी कोई मतलब नहीं है। इसलिए बेहतर होगा कि तुम इस बात का ध्यान रखो।" सिद्धार्थ ने उसके साइड से निकलकर आगे जाते हुए, एकदम बेरुखी से कहा। और उसकी यह बात सुनकर अंतरा को पता नहीं क्यों बहुत ही बुरा लगा।


    To be continued…