यह कहानी है अथर्व और मीरा की, अथर्व जो सक्सेना कंपनी का सीईओ है और वही मीरा जिसकी अपनी कंपनी घाटे में चली गई, उसे अपनी कंपनी को बचाने के लिए सक्सेना कंपनी से मदद मांगनी पड़ी और उसकी कंपनी में वर्कर बनकर काम करना पड़ा, जब सक्सेना कंपनी वालों ने उस... यह कहानी है अथर्व और मीरा की, अथर्व जो सक्सेना कंपनी का सीईओ है और वही मीरा जिसकी अपनी कंपनी घाटे में चली गई, उसे अपनी कंपनी को बचाने के लिए सक्सेना कंपनी से मदद मांगनी पड़ी और उसकी कंपनी में वर्कर बनकर काम करना पड़ा, जब सक्सेना कंपनी वालों ने उसकी मदद की तो उसे खुद को बेचना पड़ा और सक्सेना कंपनी के सीईओ से सीक्रेट मैरिज करनी पड़ी। उन दोनों के लिए समझौते की शादी जिसे अभी मीरा समझने की कोशिश कर ही रही थी कि तभी अथर्व का पास्ट फिर से उसके सामने आकर खड़ा हो गया और अथर्व जो मीरा को कहीं ना कहीं पसंद करता था और मीरा के दिल में भी अलग ही जगह बन गई थी लेकिन कुछ ऐसा हुआ जिससे उन दोनों का यह लव बॉन्ड टूटने की कगार पर आ गया, आइए देखते है मीरा और अथर्व दोनों अपनी शादी और इस प्यारे से रिश्ते को बचा पाएंगे या इनकी लव स्टोरी शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाएगी जानने के लिए पढ़ते रहिए contract to forever....
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एपीसोड - १
कोर्ट रूम के बाहर, अभी-अभी कोर्ट मैरिज के लीगल पेपर पर साइन करके दोनों बाहर निकले। उस कपल में से, लड़की, जिसने बहुत ही सिंपल, गोल्डन बॉर्डर वाली लाल साड़ी पहन रखी थी, लड़के को वहीं छोड़कर खुद एक तरफ जाने लगी। पीछे से, ग्रे-ब्लैक सूट में वहाँ खड़ा आदमी उसका हाथ पकड़ते हुए बोला, "कहाँ जा रही हो, मीरा?"
लड़की के हाथ पकड़ने पर मीरा अपनी जगह रुक गई और पीछे मुड़कर, बहुत ही खालीपन से, उस आदमी की तरफ देखते हुए जवाब दिया, "वापस अपने घर, और कहाँ?"
मीरा के चेहरे पर एकदम खालीपन साफ नज़र आ रहा था। वह ना तो खुश लग रही थी और ना ही दुखी; उसका चेहरा एकदम ब्लैंक, एक्सप्रेशनलेस था। वहीं, लड़का उसके इस जवाब से थोड़ा परेशान लगने लगा।
वह लड़का एकदम किसी मॉडल की तरह लग रहा था। उसके बाल एकदम अच्छी तरह से सेट थे और दाढ़ी भी काफी सलीके से ट्रिम की गई थी। कुछ देर पहले तक उसने सनग्लासेस भी लगाए हुए थे, लेकिन अभी लड़की से बात करने से पहले उसने वे सनग्लासेस उतारकर अपने हाथ में पकड़ लिए थे। जिससे उसकी गहरी भूरी आँखें उसकी पर्सनैलिटी का सबसे अच्छा हिस्सा लग रही थीं!
दूसरी तरफ, लड़की बिल्कुल भी किसी नई-नवेली दुल्हन की तरह तैयार नहीं थी। लेकिन उस लाल साड़ी में, हल्के मेकअप और सादगी में वह काफी खूबसूरत लग रही थी। उसे देखकर कोई भी लड़का आसानी से आकर्षित हो सकता था। लेकिन उसकी काली आँखों में काजल के अलावा कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था और उसके चेहरे से भी एक्सप्रेशन बिल्कुल गायब थे। इसलिए कोई भी नहीं बता सकता था कि उस लड़की के मन में क्या चल रहा है।
वह लड़का अपना गुस्सा लड़की पर नहीं उतारना चाहता था, लेकिन उसकी ऐसी बात सुनकर वह थोड़ा इरिटेट हो गया था। इसीलिए, फ्रस्ट्रेट होते हुए बोला, "अपने घर...? अपने घर कैसे जा सकती हो तुम, मीरा? भूल गई हो क्या? अभी-अभी तुम्हारी मुझसे शादी हुई है। तुमने खुद ही अपनी मर्ज़ी से वह पेपर साइन किए हैं, तो फिर यह क्या नाटक है, अपने घर वापस जाने वाला...?"
मीरा ने फिर से, उसी तरह, बिना किसी लाग-लपेट के सीधा जवाब दिया, "मिस्टर अथर्व सक्सेना, आप शायद भूल रहे हैं कि हमारी यह मैरिज एक सीक्रेट मैरिज है, जिसके बारे में आप दुनिया को नहीं बता सकते। तो ऐसे में क्या मेरा आपके साथ आपके सक्सेना मेंशन में आकर रहना ठीक होगा?"
मीरा की यह बात सुनकर उसके सामने खड़े अथर्व ने एकदम उसका हाथ छोड़ दिया और जो कुछ भी अभी-अभी मीरा ने बोला था, उसके बारे में सोचने लगा। क्योंकि उसके पास मीरा की इस बात का कोई जवाब नहीं था और एक तरह से वह सही कह रही थी।
उनकी अभी-अभी आधे घंटे पहले कोर्ट मैरिज हुई थी, जिसमें उन दोनों के कोई भी रिश्तेदार या दोस्त शामिल नहीं हुए थे। गवाह के तौर पर साइन भी अथर्व के एडवोकेट दोस्त और असिस्टेंट ने किए थे। उनके अलावा अभी किसी को भी इस शादी के बारे में नहीं पता था।
अथर्व ने जैसे ही मीरा का हाथ छोड़ा, मीरा ने बेबसी से मुस्कुराते हुए पहले अपने हाथ की तरफ देखा और फिर नज़र उठाकर जब उसने अथर्व की तरफ देखा, तो फिर से उसके चेहरे की मुस्कुराहट गायब हो गई। उसने कहा, "तो मैं जाऊँ अब वापस अपने घर..."
अथर्व ने वापस से अपने सनग्लासेस लगाकर दूसरी तरफ देखते हुए कहा, "हाँ, ठीक है, तुम जाओ। मैं थोड़ी देर बाद आता हूँ, मुझे अभी थोड़ा काम है।"
अथर्व इतनी बात बोलकर जब मीरा की तरफ मुड़ा, तो उसने देखा वह पहले ही वहाँ से थोड़ा आगे जा चुकी थी और शायद वह उसकी पूरी बात सुनने के लिए भी वहाँ नहीं रुकी थी।
उसे जाते हुए देखकर अथर्व ने एक गहरी साँस भरी। लेकिन वह सड़क पर पहुँचने से पहले ही अथर्व ने अपना मोबाइल फ़ोन निकालकर किसी का नंबर डायल किया और दूसरी तरफ से कॉल रिसीव होते ही मोबाइल फ़ोन अपने कान के पास लगाते हुए बोला, "ललित! कहाँ हो तुम? जाओ कार लेकर वहाँ मेन रोड पर और मीरा को उसके घर ड्रॉप करके आओ। वह चाहे जितना भी मना करे, उसकी बात मत सुनना और उसे अकेले मत जाने देना, समझ गए?"
दूसरी तरफ से आवाज़ आई, "ओके सर! मैं समझ गया, बस दो मिनट में पहुँचता हूँ।"
इतना सुनकर अथर्व ने कॉल डिस्कनेक्ट करके अपना मोबाइल फ़ोन वापिस पॉकेट में रख लिया और वहाँ से अपनी कार की तरफ बढ़ गया।
शाम का वक़्त था। एक बड़ी सी अपार्टमेंट बिल्डिंग की सातवीं मंज़िल पर बना हुआ था एक टू बीएचके फ़्लैट। और उस फ़्लैट के एक कमरे में, जहाँ काफी अंधेरा था और सूरज ढल चुका था, कमरे की लाइट ऑफ़ होने की वजह से वहाँ ज़्यादा कुछ नज़र नहीं आ रहा था। लेकिन बाहर जलती हुई रोशनी खिड़की से अंदर आ रही थी, जिसकी वजह से खिड़की पर बैठी हुई एक लड़की साफ़ नज़र आ रही थी। वह एकदम खालीपन से खिड़की पर बैठी हुई, बाहर की तरफ़ देख रही थी और गहराई से कुछ सोच रही थी। उसके हाथ में एक ग्लास था जिसमें व्हिस्की थी और वह सोचते हुए उसमें से ड्रिंक करती जा रही थी।
तभी दरवाज़ा खुलने की आहट हुई, लेकिन सुनने के बाद भी लड़की ने पीछे मुड़कर नहीं देखा, क्योंकि शायद उसे पता था कि इस वक़्त कौन आया होगा।
कुछ देर बाद लाइट्स ऑन हुईं। उसकी रोशनी में अथर्व वहाँ खड़ा नज़र आया, जो सामने बैठी मीरा को देख रहा था। लेकिन जैसे ही उसकी नज़र मीरा के हाथ में पकड़े हुए उस ग्लास पर पड़ी, वह एकदम से उसकी तरफ़ आया।
मीरा को अपनी तरफ़ एक आदमी के बढ़ते हुए कदमों की आहट सुनाई दे रही थी, लेकिन फिर भी उसने अपनी नज़र उस तरफ़ घुमाने की जहमत नहीं की। वह एकदम घरवाले पजामा और हाफ़ टीशर्ट में वहाँ बैठी हुई थी। तभी अथर्व ने एकदम उसके हाथ से ग्लास लेते हुए कहा, "यह ड्रिंक क्यों कर रही हो? अपनी शादी की खुशी में या फिर ग़म में?"
मीरा ने दूसरे हाथ में वह ग्लास पकड़ा हुआ था, जिसे लेने के लिए अथर्व को पूरी तरह से उस पर झुकना पड़ा। और उसकी बात का जवाब देने के लिए अब मीरा ने भी अपना चेहरा उसकी तरफ़ किया। तो उन दोनों के चेहरे एक-दूसरे के एकदम आमने-सामने आ गए और अथर्व आगे कुछ भी नहीं बोल पाया। इसके अलावा मीरा भी जवाब में जो बोलना चाहती थी, कुछ पल के लिए वह एकदम भूल गई।
उन दोनों का चेहरा एक-दूसरे के बहुत करीब था, बस कुछ ही इंच की दूरी पर। अथर्व तो मीरा के इतना करीब होकर जैसे सब कुछ भूल गया था और उसकी नज़रें उसके गुलाबी होठों पर ही टिकी हुई थीं, जिन्हें किसी भी वक़्त वह अपनी गिरफ्त में ले लेना चाहता था। वहीं दूसरी तरफ, मीरा भी शायद आज पहली बार ही अथर्व को इतने नज़दीक से देख रही थी और इसीलिए बिना पलकें झपकाए एकटक उसकी तरफ़ देखती ही जा रही थी।
मीरा ने अब तक अथर्व को खुद से दूर नहीं किया और ना ही खुद उससे दूर हुई थी। तो अथर्व को भी इन सब से काफी हिम्मत मिली और आगे आते हुए उसने एकदम हल्के से अपने लब आगे बढ़ाकर उसके होठों पर रख दिए। जिससे ना चाहते हुए भी मीरा की पलकें हल्की-हल्की सी झुकती हुई, मदहोशी से बंद हो गईं और फिर अथर्व ने उसे चूमना शुरू किया।
मीरा इस किस में उसका साथ तो नहीं दे रही थी, लेकिन उसने अथर्व को खुद से दूर भी नहीं किया था। और तभी उसके हाथ का ग्लास वहीं साइड में रखते हुए अथर्व ने मीरा को अपनी बाहों में उठा लिया।
लेकिन उन दोनों के होंठ अभी भी एक-दूसरे से अलग नहीं हुए थे और मीरा की आँखें भी अब हैरानी की वजह से खुल गई थीं, लेकिन वह कुछ भी नहीं बोल रही थी। और तभी अथर्व ने खुद ही उसके लबों को आज़ाद किया और उसे वहाँ खिड़की के पास से लेकर आते हुए बेड पर बहुत ही प्यार से लिटा दिया और खुद उसके ऊपर झुक गया।
अथर्व को अपने ऊपर देखते हुए मीरा ने अपनी आँखें फिर से बंद कर लीं और दोनों हाथों से बेड की चादर को कसकर पकड़ लिया। अथर्व फिर से उसके होठों को किस करते हुए इस बार उसकी गर्दन तक आ गया।
मीरा अपनी आँखें खोलकर अथर्व की तरफ़ देख नहीं पा रही थी। उसके अंदर एहसासों का सैलाब उमड़ रहा था; यह फीलिंग उसके लिए सबसे ज़्यादा अलग थी।
मीरा एक अलग ही दुनिया में पहुँच चुकी थी और यह रात कब बीत गई, उसे पता ही नहीं चला। अगली सुबह जब मीरा की आँख खुली, तो उसने बाहर की तरफ़ देखा; सुबह का सूरज निकल चुका था, लेकिन ज़्यादा टाइम नहीं हुआ था। मीरा ने बेड के बगल वाले हिस्से को देखा, वहाँ पर कोई भी नहीं था और मीरा का पूरा शरीर नीले रंग के कम्बल से ढका हुआ था।
वह कमरा पूरी तरह से शांत था और मीरा को कल रात याद आई और उसके चेहरे पर जो मुस्कुराहट थी, वह उस खाली कमरे को देखकर गायब हो गई। मीरा ने एक गहरी साँस ली और सीधे उठकर वह वाशरूम की तरफ़ चली गई।
कुछ ही देर बाद मीरा ऑफिस वाले कपड़ों में तैयार होकर बाहर निकली। उसने बिल्कुल हल्का मेकअप किया था। हमेशा की तरह, अपने घर से बाहर निकलते ही उसने टैक्सी ली और सीधे सक्सेना ग्रुप की तरफ़ निकल गई।
सक्सेना ग्रुप की ऑफिस की बिल्डिंग काफी बड़ी थी और मीरा उसी ऑफिस में एक नॉर्मल वर्कर थी। ऑफिस में उसके जितने भी दोस्त थे, उनमें से किसी को भी यह बात नहीं पता थी कि मीरा के सक्सेना ग्रुप के सीईओ से शादी हो गई है।
ऑफिस पहुँचते ही मीरा ने ऑफिस के अपने सभी दोस्तों की तरफ़ देखा; वह सभी हमेशा की तरह अपने काम में लगे हुए थे और मीरा चुपचाप अपनी डेस्क पर जाकर बैठ गई।
मीरा को आज ऑफिस काफी ज़्यादा बदला-बदला सा लग रहा था; वह खुद को भी हमेशा से बिल्कुल अलग महसूस कर रही थी।
लेकिन मीरा ने इन सब चीज़ों पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और वह सीधे अपने सिस्टम पर बैठकर अपना काम करने लगी; उसकी उंगलियाँ तेज़ी से कीबोर्ड पर चल रही थीं।
तभी मीरा को अपने पीछे वाले रूम से ललित की आवाज़ सुनाई दी, जो किसी लड़की से कुछ बात कर रहा था।
"मैम, आपको यहाँ पर इतनी ज़्यादा देर तक वेट करने की ज़रूरत नहीं है। यहाँ आप बोर हो जाएँगी, इसलिए आप आराम से लाइब्रेरी में जाकर बैठ सकती हैं। जैसे ही अथर्व सर आएंगे, मैं उन्हें आपके बारे में बता दूँगा।"
मीरा ने जैसे ही ललित के मुँह से अथर्व का नाम सुना, उसके हाथ जो कीबोर्ड पर थे, वह अचानक से रुक गए।
मीरा ध्यान लगाकर उनकी बात सुनने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसे ठीक से कुछ भी समझ नहीं आ रहा था।
उस लड़की ने कहा, "और कितनी देर लगेगी? अथर्व को मुझे किसी लाइब्रेरी में नहीं जाना, क्योंकि मुझे पढ़ना बिल्कुल भी पसंद नहीं है। मैं यहीं पर बैठकर आराम से अथर्व का वेट कर लूँगी। तुम बस जैसे ही उसकी मीटिंग ख़त्म हो, उसे मेरा नाम बता देना कि रूपाली आई है!"
ललित ने कहा, "ऑफ़कोर्स, मिस रूपाली।"
मीरा को बस इतना समझ में आ रहा था कि ललित किसी लड़की से बात कर रहा है, लेकिन वह लड़की कौन है और उसने अपना नाम क्या बताया, यह मीरा को समझ नहीं आया। पता नहीं क्यों वह उस लड़की के बारे में सोचकर बेचैन हो रही थी और वह उस लड़की के बारे में जानना चाह रही थी। उसने अपनी कुर्सी से उठते हुए अपने मन में कहा, 'आखिर कौन है यह लड़की जो अथर्व से मिलने के लिए आई है? जाकर देखूँ क्या?'
अपने मन में यह सोचते हुए मीरा सीधे ऑफिस रूम की तरफ़ बढ़ रही थी कि तभी किसी ने मीरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे रोक लिया।
क्रमशः…
(आखिर कौन है जिसने मीरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे रोक लिया? क्या मीरा को रूपाली के बारे में पता चल पाएगा?) कमेंट में बताइए
किस करने की कोशिश भाग २
अपने मन में यह सोचते हुए मीरा सीधे ऑफिस रूम की तरफ बढ़ रही थी कि तभी किसी ने मीरा के कंधे पर हाथ रखकर उसे रोक लिया।
मीरा ने पीछे मुड़कर देखा। वहाँ उसकी सहकर्मी अनिका खड़ी थी।
मीरा अनिका की तरफ देखकर चौंक गई। और तभी अनिका ने तुरंत पूछा, "कहाँ जा रही हो मीरा? पहले अपना काम खत्म करो। यह डाटा तुम्हें दोपहर तक सबमिट करना है।"
मीरा ने उसी कमरे की तरफ देखते हुए कहा, "मैं तो वहाँ...वहाँ पता नहीं किसी लड़की की आवाज आ रही थी, मैं उसे...उसे देखने के लिए वहाँ जा रही थी..."
अनिका ने जब मीरा को इतना हैरान और परेशान देखा तो उसने तुरंत मीरा को रोकते हुए कहा, "अब तू उधर क्या देख रही है और वहाँ जाकर क्या देखोगी? मैं बताती हूँ, वह महिला कोई और नहीं बल्कि अथर्व सर की कोई पुरानी दोस्त है, या मुझे लगता है शायद दोस्त से बढ़कर। और अब तो उनकी कंपनी हमारी कंपनी के साथ काम भी कर रही है, तभी तो वो इतने आराम से ऑफिस में इधर से उधर टहल रही हैं और यह सिर्फ़ अथर्व सर से मिलने के लिए रुकी हुई है।"
मीरा ने अनिका की बात हैरानी से सुनी। उसकी बातें सुनकर पता नहीं क्यों मीरा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
मीरा ने उससे तुरंत पूछा, "यह अथर्व सर का वेट कर रही है? मतलब अथर्व सर अभी ऑफिस नहीं आए क्या?"
अनिका ने मीरा के सर पर हल्के से मारते हुए कहा, "क्या हो गया है तुझे? भूल गई क्या? आज मीटिंग थी और अथर्व सर मीटिंग में हैं। अभी तक मीटिंग खत्म नहीं हुई।"
मीरा अनिका की बात सुनकर कुछ नहीं बोली और वह बार-बार उसी कमरे की तरफ देख रही थी जहाँ पर रूपाली बैठी थी। ना चाहते हुए भी मीरा का ध्यान बार-बार उसी रूम की तरफ जा रहा था।
मीरा को इस तरह उस कमरे की तरफ देखते हुए अनिका ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे वापस डेस्क पर खींचते हुए बोली, "तू अब इधर-उधर देखना बंद कर और जल्दी से अपना काम खत्म कर।"
मीरा अनिका के साथ आई और वह चुपचाप अपनी कुर्सी पर बैठ गई और दोबारा से टाइपिंग शुरू की।
तभी मीरा ने ऑफिस के कुछ वर्कर्स को आपस में बात करते हुए सुना।
"मैंने सुना है कि अथर्व सर से मिलने के लिए उनकी गर्लफ्रेंड आई है।"
"गर्लफ्रेंड! क्या? अथर्व सर की कोई गर्लफ्रेंड भी है? मैंने तो सुना था अथर्व सर काफी दिनों से सिंगल हैं और उनका किसी से कोई रिलेशनशिप नहीं है।"
मीरा के कान में जैसे ही यह बात पड़ी, मीरा का हाथ रुक गया और वह उन दोनों की तरफ हैरानी से देखने लगी।
मीरा ने अपने मन में कहा, 'क्या सच में अथर्व की कोई गर्लफ्रेंड भी है?'
मीरा ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि अथर्व की कोई गर्लफ्रेंड होगी और वह उससे मिलने के लिए इस तरह ऑफिस आ जाएगी।
मीरा ने अपने मन में कहा, 'पता नहीं क्यों मैं अथर्व को लेकर इतना ज्यादा पजेसिव हो रही हूँ।'
उधर मीटिंग रूम में...,
जैसे ही मीटिंग खत्म हुई, अथर्व अपनी आराम कुर्सी पर टेक लगाकर बैठ गया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं और हल्के हाथों से अपने सर पर मालिश कर रहा था।
ललित अथर्व के बिल्कुल करीब जाकर खड़ा हुआ और उसने धीमी आवाज में कहा, "सर, मिस रूपाली आपसे मिलने आई हैं!"
अथर्व ने जैसे ही रूपाली का नाम सुना, अपनी आँखें खोलीं और ललित की तरफ देखा।
अथर्व अभी भी आराम से अपनी कुर्सी पर टेक लगाकर बैठा था। जिसे देखकर ललित समझ गया कि अथर्व का उससे मिलने का बिल्कुल भी मूड नहीं है।
ललित ने कुछ देर तक अथर्व के उठने का इंतज़ार किया, लेकिन जब उसने देखा कि वह अपनी जगह से हिल ही नहीं रहा है...
ललित ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा, "सर, आप एक बार मिस रूपाली से मिल लीजिए। वो सुबह से आपका वेट कर रही हैं और उन्होंने मुझसे यह भी कहा कि आज वह आपसे मिले बिना नहीं जाएंगी।"
मीरा अपने उन सहकर्मियों की तरफ देख ही रही थी कि तभी अथर्व ललित के साथ मीटिंग रूम से बाहर निकला। और सीधा उसी रूम में चला गया जहाँ पर रूपाली उसका इंतज़ार कर रही थी।
मीरा ने जैसे ही अथर्व को मीटिंग रूम से बाहर निकलते देखा, अथर्व हमेशा की तरह थ्री पीस सूट में था और मीटिंग की वजह से उसके चेहरे पर थकान साफ़ नज़र आ रही थी। लेकिन फिर भी अथर्व काफी ज्यादा हैंडसम लग रहा था। उसने अपनी आइब्रो के बीच में अपना हाथ रखा और उसकी नज़र मीरा पर पड़ी, लेकिन उसने बिना कोई रिएक्शन दिए सीधा उसी रूम की तरफ चला गया। उसने मीरा को इस तरह इग्नोर किया जैसे मानो अथर्व ने उसे देखा ही ना हो।
मीरा ने उस रूम के अंदर जाते हुए अथर्व को देखा। वह हमेशा की तरह बिल्कुल नॉर्मल नज़र आ रहा था और जब वह अंदर गया और रूम का दरवाज़ा बंद हो गया, तो मीरा ने खुद से सवाल किया, 'क्या सच में वह लड़की अथर्व की गर्लफ्रेंड है? आखिर क्या रिश्ता है उस लड़की का अथर्व के साथ?'
मीरा अपनी डेस्क से उठकर खड़ी हो गई थी और अथर्व की तरफ देख रही थी! तभी उसकी नज़र ललित पर पड़ी जो मीरा को देख रहा था। वह भी चुपचाप उसी रूम की तरफ गया, लेकिन वह रूम के गेट के पास जाकर खड़ा हो गया और अंदर नहीं गया।
मीरा ललित की तरफ देख रही थी, लेकिन उसने उसे कुछ भी नहीं कहा। वह चुपचाप कुर्सी पर बैठ गई और अपने काम को करने लगी। लेकिन मीरा का मन काम में लग ही नहीं रहा था। उसका ध्यान बार-बार सिर्फ़ अथर्व की तरफ़ जा रहा था।
रूम के अंदर...,
रूपाली जो ब्लू कलर की वनपीस ड्रेस में थी और उसने अपने हाथ में ब्लैक कलर की वही घड़ी बांध रखी थी जो उसे अथर्व ने गिफ्ट की थी। रूपाली ने शायद उसकी दी हुई घड़ी इसलिए पहनकर आई थी ताकि वह अथर्व को अपने पुराने दिन याद दिला सके।
अथर्व जैसे ही कमरे के अंदर गया, रूपाली उसे देखकर अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई। अथर्व के चेहरे पर कोई भी एक्सप्रेशन नहीं था। वह चुपचाप रूम के अंदर गया और सोफ़े पर बैठ गया।
रूपाली अभी भी अपनी जगह पर खड़ी थी और वह अथर्व को सर से लेकर पांव तक घूरते हुए देख रही थी। अथर्व आज भी उतना ही हैंडसम लग रहा था, बल्कि वह आज बिल्कुल अलग दिख रहा था। रूपाली चाहकर भी अपनी नज़र अथर्व की तरफ़ से हटा नहीं पा रही थी।
उसने अथर्व के करीब आते हुए कहा, "पता है तुम्हें, कितनी देर से मैं तुम्हारा वेट कर रही थी, फ़ाइनली! तुम मुझसे मिलने के लिए आ ही गए।"
अथर्व ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपने पैर को दूसरे पैर के ऊपर चढ़ाकर आराम से बैठ गया।
रूपाली चुपचाप अथर्व के करीब आई और उसके सामने आकर खड़ी हो गई। अथर्व की शर्ट के दो बटन खुले हुए थे, जिससे उसका चेस्ट साफ़ नज़र आ रहा था। रूपाली बेशर्मी से उसकी खुली हुई शर्ट के बटन की तरफ़ ही देखती जा रही थी। रूपाली को देखकर साफ़ समझ में आ रहा था कि उसके इरादे कुछ नेक नहीं हैं।
अथर्व ने रूपाली को घूरते हुए देखा और धीमी आवाज़ में कहा, "तुम यहाँ क्या कर रही हो?"
रूपाली ने जैसे ही अथर्व का यह सवाल सुना, उसने अपनी आँखें गोल घुमाते हुए कहा, "अथर्व! तुम बहुत अच्छे से जानते हो मैं यहाँ पर क्यों आई हूँ।"
अथर्व ने रूपाली को घूरकर देखा।
रूपाली ने अथर्व के हाथ पर अपना हाथ रखकर बड़े प्यार से सहलाते हुए कहा, "मैं तुम्हें बहुत मिस कर रही थी, तो बस तुम्हें देखने आ गई। तुम काम में इतना ज़्यादा बिज़ी रहते हो और मैं तो जानती थी कि तुम मुझसे कांटेक्ट करने की कोशिश करोगे नहीं और ना ही तुम्हारे पास इतना टाइम होगा कि तुम मुझे याद करो, इसलिए मैं ही तुम्हें देखने चली आई। वैसे अगर मैं आज ना आती तो शायद तुम मुझे याद भी ना करते, ना?"
अथर्व ने जैसे ही यह बात सुनी, उसने रूपाली को अजीब तरह से देखा और हल्के से ना में अपना सिर हिलाकर कहा, "अगर तुम मुझे देखने आई थी तो देख लिया ना मुझे! तो अब तुम जा सकती हो। वैसे भी मैं थोड़ा थक गया हूँ।"
इतना बोलकर अथर्व ने फिर से सोफ़े का टेक लगाया और अपनी आँखें बंद कर लीं।
अथर्व को अपनी आँखें बंद करके इतने आराम से लेटते देखकर रूपाली मुस्कुराई और बिल्कुल अथर्व के करीब आकर बैठ गई। अथर्व कुछ भी नहीं बोला और वह चुपचाप उसी तरह से अपनी आँखें बंद करके लेटा रहा।
रूपाली अथर्व के करीब और करीब आती गई और उसके चेहरे को बड़े ही गौर से देखने लगी। उसने मुस्कुराते हुए बड़े प्यार भरे लहजे में कहा, "अथर्व, तुम मुझसे पहले की तरह बात नहीं कर सकते क्या? इतना रूड बिहेव करने की क्या ज़रूरत है।"
अथर्व ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वह अभी भी अपनी आँखें बंद करके लेटा हुआ था और वह दिखने में बहुत ही ज़्यादा हैंडसम लग रहा था। रूपाली बस किसी तरह से खुद को उसके करीब ना जाने से रोक रही थी। लेकिन वह खुद को रोक नहीं पा रही थी और धीरे-धीरे रूपाली अथर्व के बिल्कुल करीब गई और उसने चुपचाप अथर्व के गालों को छुआ और धीरे से अथर्व के चेहरे की तरफ़ झुककर उसके होंठों पर अपने होंठ रखने ही वाली थी कि तभी अचानक से अथर्व ने अपनी आँखें खोलीं और उसके होंठों और अपने होंठों के बीच में अपना हाथ लगाते हुए कहा, "रूपाली, मुझे नहीं लगता तुम जो कर रही हो यह सही है और अगर मेरी वाइफ ने तुम्हें ऐसा करते देख लिया तो अच्छा नहीं होगा।"
रूपाली ने जैसे ही अथर्व के मुँह से यह बात सुनी, वह तुरंत पीछे हट गई और उसका चेहरा बिल्कुल सफ़ेद हो गया। अथर्व की बात सुनकर रूपाली के शरीर का खून जल गया था। उसे अपने कानों पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अभी जो सुना है वह सही सुना है या नहीं।
रूपाली ने अथर्व की तरफ़ देखकर ना में अपना सिर हिलाकर मुस्कुराते हुए कहा, "अथर्व, तुम मज़ाक कर रहे हो ना? मैं जानती हूँ, अभी ६ महीने पहले तो हम रिलेशनशिप में थे और तुम इतनी जल्दी शादी कैसे कर सकते हो भला? और तुम्हारी शादी की कोई न्यूज़ भी नहीं आई, ऐसा कैसे हो सकता है? तुम इतनी बड़ी कंपनी के सीईओ हो, तुम्हारी शादी होगी तो पूरे शहर को पता चल जाएगा, इसलिए प्लीज़ झूठ बोलना बंद करो। अगर तुम सोच रहे हो कि इस तरह से झूठ बोलोगे और मैं बिना कुछ कहे चुपचाप यहाँ से चली जाऊँगी तो तुम गलत हो।"
अथर्व ने रूपाली की तरफ़ देखकर एक गहरी साँस ली।
रूपाली ने अथर्व के करीब जाकर जल्दी से उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "अथर्व, मैंने गलती की थी, जो तुम्हें छोड़कर मैं चली गई। वह मेरी एक छोटी सी गलती थी, प्लीज़ उसे भूल जाओ। हम सब कुछ फिर से स्टार्ट करेंगे और आज के बाद मैं कभी तुम्हें छोड़कर जाने की बात नहीं करूँगी, बस प्लीज़ तुम यह सब झूठी बातें मत बोलो। मैं जानती हूँ तुम किसी से शादी नहीं कर सकते।"
क्रमशः...
(क्या रूपाली अथर्व की बातों पर यकीन नहीं करेगी? और अगर रूपाली को मीरा के बारे में पता चल गया कि वह उसकी वाइफ है तो रूपाली का क्या रिएक्शन होगा?)
अथर्व ने झटके से अपना हाथ रूपाली के हाथ से छुड़ाते हुए कहा, "मैंने जो भी बोला है, वह बिल्कुल सच बोला है। हाँ, मैं मानता हूँ कि मैंने सीक्रेट मैरिज की है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैं अपनी पत्नी को धोखा दूँगा। और मेरी बात कान खोलकर सुन लो। तुम्हारे साथ मेरे जितने भी रिश्ते थे, वे सब तुम तोड़कर गई थी। तो अब मेरा तुम्हारे साथ एक बिज़नेस पार्टनर के अलावा और कोई रिश्ता नहीं हो सकता, वह भी जब तक हमारी कंपनियों में डील चल रहा है, तब तक। उसके बाद नहीं।"
अथर्व ने सारी बातें बिल्कुल सीरियस होकर कही थीं। लेकिन रूपाली अभी भी अथर्व की बातें मानने को तैयार नहीं थी।
अथर्व के मोबाइल पर एक मैसेज आया। वह मैसेज देखकर अपने कोट को ठीक करता हुआ उठा।
रूपाली के चेहरे पर घड़ी की सूईयाँ बारह बज चुकी थीं और वह अथर्व की तरफ़ एकटक देख रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि मानो अथर्व ने जो बात कही है, अगर वह सच हुई तो उसके हाथ से सब कुछ चला जाएगा।
अथर्व ने रूपाली की तरफ़ देखकर कहा, "मेरी एक और मीटिंग है। तुम्हें जितनी देर तक रुकना है, तुम रुक सकती हो।"
इतना बोलकर अथर्व चुपचाप कमरे से बाहर निकला और ललित उसके पीछे चुपचाप वहाँ से बाहर चला गया।
जैसे ही अथर्व और ललित वहाँ से गए, मीरा ने एक गहरी साँस ली और वह उस लड़की के वहाँ से निकलने का इंतज़ार करने लगी।
जैसे ही रूपाली कमरे से बाहर निकली, मीरा ने उसे देखते हुए कहा, "रूपाली मैम, यह अथर्व सर से मिलने के लिए कितना वेट कर रही थीं? यह तो हमारी कंपनी से डील करने के लिए आती ही रहती हैं और इनका अथर्व से क्या रिश्ता है?"
मीरा यह बात सोच ही रही थी कि तभी उसकी नज़र रूपाली की आँखों पर पड़ी जो काफी ज़्यादा उदास लग रही थीं। वह कमरे से निकलकर दौड़ते हुए लिफ़्ट की तरफ़ भागी।
लिफ़्ट को खुलने में समय लग रहा था, तो रूपाली ने तुरंत सीढ़ियों से नीचे जाना शुरू कर दिया। मीरा को समझ नहीं आया कि आखिर उसे क्या हुआ है। मीरा ने भी उसके पीछे जाने का फैसला किया और मीरा जैसे ही इसके पीछे गई...
रुपाली हिल्स की वजह से चलते-चलते थक गई और जैसे ही वह पार्किंग एरिया में अपनी कार के पास जाकर रुकी...
वह हाँफ रही थी और वहीं उसकी आँखों से आँसू गिरने लगे।
मीरा ने वहीं एक दूसरी कार के पीछे छिपकर रूपाली को देखा। रूपाली ने अपने कार के बोनट पर तेज़ी से अपना हाथ मारते हुए कहा, "अथर्व मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकता है? वह इस तरह सबसे छुपकर सीक्रेट मैरिज कैसे कर सकता है? उसने सब से छिपकर शादी कैसे कर ली? वह हमारे रिश्ते को इतनी जल्दी कैसे भुला सकता है? आखिर छह महीने पहले तक हम रिलेशन में थे! वह मुझसे प्यार करता था! इतनी जल्दी वह कैसे मूव ऑन हो सकता है? कौन है वह लड़की जिसने अथर्व से शादी की है? मैं उसे छोड़ूँगी नहीं। अब मैं वापस आ गई हूँ और अथर्व को उसकी ज़िन्दगी से निकालकर ही रहूँगी। मैं जानती हूँ अथर्व मुझसे प्यार करता है और वह मेरे बिना रह ही नहीं सकता। मैं उसे वापस अपने तरफ़ कर लूँगी, फिर चाहे वह कुछ भी कहे।"
इतना बोलकर रूपाली ने अपनी कार का गेट खोला और उसमें बैठकर तेज स्पीड में वहाँ से बाहर निकल गई। मीरा ने जब यह सब सुना कि रूपाली कोई और नहीं, बल्कि अथर्व की एक्स-गर्लफ्रेंड है, तो उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? वह चुपचाप ऑफिस में आई और अपना काम करने लगी।
मीरा किसी तरह से अपना काम ख़त्म किया। उसके सर में तेज दर्द हो रहा था, क्योंकि वह इतनी देर से एक ही बात सोच रही थी। रूपाली ने जो कुछ भी बोला था, सारी बातें उसके दिमाग में गूंज रही थीं।
मीरा ने जैसे-तैसे अपना काम ख़त्म किया और ऑफिस से वह एक घंटे पहले ही छुट्टी लेकर वापस घर आ गई। मीरा के दिमाग से यह बात निकल ही नहीं रही थी। बार-बार रूपाली की वह सारी बातें सोचकर मीरा को बहुत गुस्सा आ रहा था। वह सीधे बाथरूम गई और उसने ठंडा पानी अपने सर पर डाल लिया।
कुछ देर तक मीरा उसी तरह ठंडे पानी के शावर के नीचे खड़ी रही। जब मीरा को अपने मोबाइल की रिंग सुनाई दी, तो मीरा बाथरूम से बाहर निकली।
जब उसने अपना फ़ोन रिसीव किया, तो दूसरी तरफ़ से एक आवाज़ सुनाई दी, "क्या बात है? तुम ऑफिस से जल्दी घर चली गई? कोई प्रॉब्लम थी क्या? मैं ऑफिस से सीधे वहीं आ रहा हूँ और आज रात मैं वहीं रुकूँगा।"
मीरा ने जैसे ही अथर्व की आवाज़ सुनी, वह मुस्कुराई, लेकिन उसे जब रूपाली की बात याद आई, तो उसके चेहरे की मुस्कराहट तुरंत ही गायब हो गई और उसने अथर्व की बात का कोई जवाब नहीं दिया।
वहीं, जब अथर्व ने मीरा का जवाब नहीं सुना, तो उसने दोबारा पूछा, "मीरा, तुमने मेरी बात सुनी ना?"
मीरा ने बड़ी ही धीमी आवाज़ में कहा, "हाँ, मैंने सुना।"
इतना बोलकर मीरा चुप हो गई और रूपाली और अथर्व के रिश्ते के बारे में सोचने लगी। वह अपनी सोच में इतना ज़्यादा खो गई कि कॉल डिस्कनेक्ट करना ही भूल गई।
अथर्व मीरा की आवाज़ सुनते ही समझ गया कि मीरा को कुछ तो हुआ है। उसकी आवाज़ काफी बदली हुई लग रही थी और उसकी साँसें तेज चल रही थीं। मीरा ने अभी तक कॉल कट नहीं किया था।
कुछ देर बाद, जब मीरा की नज़र दोबारा अपने फ़ोन पर पड़ी, तो उसने तुरंत कॉल डिस्कनेक्ट किया।
मीरा चुपचाप बालकनी की तरफ़ आकर बैठ गई। ठंडी हवा चल रही थी और उसके बाल गीले थे और धीरे-धीरे हवा में ही उसके सूख गए। मीरा खिड़की से बाहर की तरफ़ ही देख रही थी।
तभी उसकी नज़र मेन गेट की तरफ़ पड़ी जहाँ से एक कार सीधे अंदर की तरफ़ आई और पार्किंग एरिया की तरफ़ चली गई।
मीरा कार को देखकर पहचान गई थी, लेकिन वह अपनी जगह से नहीं हिली और उसी तरह बालकनी में ही बैठी हुई थी।
तभी उस घर का दरवाज़ा खुला और कोई अंदर चलकर आया। वह कोई और नहीं, बल्कि अथर्व था। उसने देखा कि पूरे कमरे में हर तरफ़ ड्राइंग पेपर फैले हुए हैं और मीरा बालकनी पर गुमसुम बैठी है।
अथर्व ने पूरे घर की लाइट ऑन की और उसने उन बिखरे हुए पेपर्स को समेटा और उन्हें टेबल पर संभालकर रख दिया।
ड्राइंग पेपर्स को टेबल पर रखते हुए अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखकर अपने मन में कहा, 'क्या मीरा को ड्राइंग करना पसंद है? मुझे यह बात बताई ही नहीं थी। ठीक है, कोई बात नहीं, धीरे-धीरे पता चल जाएगी।'
अथर्व यह बात सोच ही रहा था कि तभी उसका हाथ वहाँ पर रखे एक बॉक्स पर लगा और वह बॉक्स टेबल से नीचे गिर गया।
उस बॉक्स की आवाज़ सुनते ही मीरा ने तुरंत अपना सिर पीछे की तरफ़ घुमाया और जब मीरा की नज़र अथर्व के चेहरे पर पड़ी, तो वह उसे देखती ही रह गई।
अथर्व काफी ज़्यादा हैंडसम लग रहा था। उसने अपना कोट एक हाथ में पकड़ रखा था और उसने अपनी शर्ट की स्लीव्स को फोल्ड किया हुआ था और उसकी शर्ट के दो बटन खुले हुए थे, बाल हल्के से बिगड़ चुके थे। अथर्व का लुक दिखने में काफी अच्छा लग रहा था और उसकी भूरी आँखें जैसे ही मीरा की आँखों से टकराईं और कुछ सेकंड के लिए वे दोनों एक-दूसरे की आँखों में खो गए। क्योंकि मीरा के भी बाल गीले थे और आधे बाल उसके मुँह पर बिखरे हुए थे। मीरा ने नार्मल घर के कपड़े पहने हुए थे, लेकिन उन कपड़ों में भी वह बहुत प्यारी लग रही थी।
अथर्व उसको देख रहा था, लेकिन मीरा ने रूपाली की बात को याद किया और अपनी आँखें कसकर बंद कर ली। वह अपनी जगह से उठकर सीधे अथर्व के करीब आई और उसके पैर के पास पड़ा हुआ बॉक्स उठाकर उसने ठीक से टेबल पर रखा और चुपचाप अपने बेडरूम में चली गई।
अथर्व मीरा को इस तरह जाते देखकर थोड़ा सा हैरान हुआ, लेकिन उसने बेडरूम की तरफ़ देखा और चुपचाप फ्रेश होने के लिए बाथरूम चला गया।
थोड़ी देर बाद अथर्व वापस आया और उसने देखा कि मीरा अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रही है। अथर्व चुपचाप मीरा के बगल में आकर बैठ गया और उससे बोला, "तुम आज ऑफिस से जल्दी आ गई थी? कोई प्रॉब्लम है क्या?"
मीरा ने अथर्व की बात सुनकर उसकी तरफ़ देखकर तुरंत अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, कोई प्रॉब्लम नहीं है।"
इतना बोलकर मीरा वापस अपने काम में लग गई और तभी अथर्व ने मीरा के हाथ की तरफ़ अपना हाथ रखा और बड़े प्यार से उसके हाथ को सहलाते हुए कहा, "मीरा, तुम हमेशा ही ऐसा अजीब बिहेव करती हो या फिर मेरे साथ ही?"
मीरा ने अथर्व के हाथ से तुरंत अपना हाथ छुड़ाया और अपना लैपटॉप बंद करके वह चुपचाप लेट गई।
अथर्व मीरा के बिहेवियर को हैरानी से देख रहा था। तभी मीरा ने अपने मन में कहा, 'कहीं मैंने अथर्व के साथ थोड़ा ज़्यादा ही रूड बिहेव तो नहीं कर दिया।'
इतना सोचकर मीरा ने बिना अथर्व की तरफ़ देखते हुए कहा, "अथर्व, मेरा थोड़ा सर दुख रहा है और मुझे नींद आ रही है। मैं आराम करना चाहती हूँ। गुड नाइट।"
इतना बोलकर मीरा ने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं। पहले तो अथर्व को समझ नहीं आया कि आखिर मीरा उसके साथ ऐसा बिहेव क्यों कर रही है? और तभी अथर्व को रूपाली याद आई जो सुबह से मिलने के लिए आई थी!
अथर्व ने सोचा, 'कहीं मीरा ने रूपाली को तो नहीं देख लिया? क्या मुझे मीरा से रूपाली के बारे में अभी पूछना चाहिए?'
अथर्व ने जब मीरा की तरफ़ देखा तो उसे देखकर ऐसा लग रहा था कि वह सो गई है। तो अथर्व ने उसे डिस्टर्ब करना ठीक नहीं समझा और वह बिल्कुल मीरा के करीब आया और उसके चेहरे पर बिखरे हुए बालों को बड़े प्यार से समेटने लगा।
मीरा के चेहरे पर इस टाइम बिल्कुल भी मेकअप नहीं था और वह दिखने में बहुत ही प्यारी लग रही थी। अथर्व कुछ देर तक उसके करीब ही बैठा रहा और उसे देखता रहा। और काफी देर बाद अथर्व अपनी जगह से उठा और उसने मीरा को बड़े प्यार से कंबल ओढ़ाया और चुपचाप उसके बगल में आकर लेट गया।
अथर्व की नज़र बार-बार मीरा के होंठों पर जा रही थी और वह बस किसी भी तरह से उसके होंठों को किस करना चाहता था, लेकिन मीरा गहरी नींद में सो रही थी। तो अथर्व ने बिल्कुल जेंटल तरीके से, ना चाहते हुए भी उसके होंठों को अपनी उंगलियों से बड़े प्यार से सहलाया।
मीरा जो गहरी नींद में सो रही थी, वह अथर्व के छूने की वजह से हल्का सा कसमसाई।
अथर्व को ऐसा लगा जैसे मीरा उसकी छूने की वजह से जाग जाएगी और उसकी नींद टूट जाएगी, तो अथर्व ने तुरंत अपना हाथ पीछे कर दिया और मीरा के बिल्कुल करीब जाकर उसकी कमर में अपना हाथ डाला और उसे अपने करीब खींच लिया और उसके कंधे पर अपना सर रखकर अथर्व भी सो गया।
अगले दिन सुबह मीरा की आँख खुली तो उसने देखा कि वह बिस्तर पर अकेली सोई हुई है। सुबह के नौ बज रहे थे और वह जल्दी से हड़बड़ाकर उठी।
मीरा ने अपने सर पर हाथ मारते हुए कहा, "ओह गॉड! नौ बज गए हैं! मेरी तो आँखें नहीं खुलीं।"
मीरा हड़बड़ाते हुए उठी और तभी उसकी नज़र सामने के टेबल पर पड़ी जहाँ पर उसके लिए एक ट्रे में ब्रेकफ़ास्ट रखा हुआ था।
मीरा उस टेबल के पास गई और उसने ऑरेंज जूस का गिलास अपने हाथ में उठाते हुए कहा, "यह ब्रेकफ़ास्ट यहाँ पर कैसे? क्या अथर्व ने ब्रेकफ़ास्ट मेरे लिए बनाया है?"
मीरा को समझ नहीं आ रहा था और वह बिना कुछ सोचे-समझे जल्दी से वहीं सोफ़े पर बैठकर ब्रेकफ़ास्ट करने लगी और दौड़ते हुए बाथरूम की तरफ़ गई।
वह जल्दी से रेडी हो गई। जैसे ही मीरा अपने कमरे से बाहर निकली, उसने देखा कि अथर्व हॉल के सोफ़े पर आराम से बैठा हुआ है। जिसे देखकर मीरा रुक गई।
क्रमशः
मीरा को ऑफिस के कपड़ों में देखकर अथर्व मुस्कुराया। "आज तुम्हें ऑफिस जाने की ज़रूरत नहीं है!"
मीरा हैरानी से उसकी ओर देखती हुई बोली, "क्या मतलब है तुम्हारा?"
अथर्व ने कहा, "देखा, भूल गई तुम? आज मेरी बहन का बर्थडे है और हम आज सक्सेना मेंशन जाएँगे।"
मीरा ने अथर्व की बात धीमी आवाज़ में कहा, "क्या आज श्रुति का बर्थडे है?"
मीरा ने यह बात धीमी आवाज़ में ही कही, लेकिन अथर्व ने सुन लिया। वह सिर हिलाते हुए बोला, "हाँ, और तुम मेरे साथ सक्सेना मेंशन जाओगी। इसलिए जाओ, अपने ये ऑफिस के कपड़े बदलकर आओ।"
मीरा ने सिर हिलाया और अपने कमरे की ओर जाने लगी। तभी अचानक रुक गई।
मीरा को इस तरह रुकते देख अथर्व अपनी जगह पर खड़ा हो गया।
मीरा ने अथर्व की ओर देखकर कहा, "सुबह के नाश्ते के लिए थैंक यू सो मच!"
अथर्व मीरा की ओर देखकर मुस्कुराया। "अरे, इसमें थैंक्यू वाली क्या बात है? आज मैं जल्दी उठा था, इसलिए मैंने नाश्ता बना लिया! कल तुम उठ जाना, तो तुम मेरे लिए बना देना!"
मीरा हल्का सा मुस्कुराई और चुपचाप अपने कमरे में चली गई।
थोड़ी देर बाद, मीरा अपने कमरे से तैयार होकर निकली। अथर्व सोफ़े पर बैठकर अपने जूते के फीते बाँध रहा था। जैसे ही उसकी नज़र मीरा पर पड़ी, वह उसे देखता ही रह गया। मीरा ने पर्पल रंग का स्लीवलेस गाउन पहना हुआ था और गले में अपनी ड्रेस से मैचिंग चोकर नेकलेस पहना था।
उसके बाल खुले हुए थे और उसने हल्का मेकअप किया हुआ था। वह बहुत प्यारी लग रही थी। वह सीधे अथर्व के सामने आकर खड़ी हो गई।
अथर्व ने टी-शर्ट के ऊपर गुच्ची की जैकेट पहनी हुई थी और हाथ में रोलेक्स घड़ी पहनी थी। दोनों ही बहुत अच्छे लग रहे थे। मीरा ने अपना पर्स हाथ में लेते हुए कहा, "मैं तैयार हूँ। तुम्हें टाइम लगेगा?"
अथर्व ने ना में सिर हिलाया। "नहीं, मैं भी तैयार हूँ। चलो, जल्दी चलते हैं, वरना श्रुति बहुत गुस्सा करेगी। तुम नहीं जानती, मेरी बहन बहुत जिद्दी है।"
मीरा ने सिर हिलाया और अथर्व के साथ घर से बाहर निकल गई। दोनों अपनी कार में बैठकर सीधे सक्सेना मेंशन पहुँचे।
सक्सेना मेंशन पहुँचते ही अथर्व ने देखा कि लिविंग एरिया के सोफ़े पर श्रुति आराम से मोबाइल लेकर बैठी हुई थी, उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान थी। यह श्रुति का अठारहवाँ जन्मदिन था।
अथर्व जैसे ही श्रुति के पास पहुँचा, उसने तेज आवाज़ में कहा, "विश यू वेरी हैप्पी बर्थडे माय लिटिल प्रिंसेस!"
अथर्व की आवाज़ सुनते ही श्रुति सोफ़े से उठकर खड़ी हो गई और अथर्व के गले लग गई। "भाई, आप कितनी देर में आए? मैं आपका इंतज़ार कर रही थी।"
अथर्व ने श्रुति को अपनी गोद में उठा लिया और उसे घुमाते हुए सोफ़े पर बैठा दिया। "क्या मैंने देर कर दी? और तुम्हें ज़्यादा इंतज़ार करना पड़ा?"
श्रुति ने ना में सिर हिलाया। "नहीं, कोई बात नहीं! चलिए, जल्दी से मेरा गिफ़्ट दीजिए!"
अथर्व ने अपनी जैकेट की जेब से कार की चाबी निकाली और उसे श्रुति के हाथ में देते हुए कहा, "अब मेरी बहन अठारह साल की हो गई है, तो उसके पास उसकी अपनी कार तो होनी चाहिए, है ना?"
श्रुति ने कार की चाबियों को देखते हुए कहा, "वाह! थैंक यू सो मच भाई! मुझे बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि आप मुझे कार गिफ़्ट करेंगे।"
श्रुति और अथर्व को इतना खुश देखकर मीरा कल की बात लगभग भूल गई थी। सुबह अथर्व द्वारा बनाए गए नाश्ते की याद से उसे अथर्व से प्यार सा हो रहा था।
वह दोनों को मुस्कुराते हुए देख रही थी, तभी श्रुति की नज़र मीरा पर पड़ी।
श्रुति मीरा के पास आकर उसका हाथ पकड़ते हुए बोली, "भाभी, आप मेरे लिए क्या लाई हैं?"
श्रुति का यह सवाल सुनकर मीरा अथर्व की ओर देखने लगी। अथर्व ने मन ही मन सोचा, 'मैंने तो आज सुबह ही मीरा को श्रुति के बर्थडे की बात बताई थी, उसके पास गिफ़्ट लेने का तो टाइम ही नहीं था! वो क्या लायी होगी!'
अथर्व ने श्रुति के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, "वह एक्चुअली श्रुति, मीरा..."
अथर्व बोल ही रहा था कि मीरा ने अपने पर्स में से एक बॉक्स निकाला और उसे श्रुति को देते हुए कहा, "मेरी तरफ़ से तुम्हारे लिए छोटा सा गिफ़्ट।"
श्रुति इतनी खुश हुई कि उसने मीरा को गले लगा लिया। "थैंक यू सो मच भाभी।"
अथर्व हैरानी से मीरा की ओर देख रहा था। उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि इतनी जल्दी में भी मीरा श्रुति के लिए गिफ़्ट लायी होगी।
मीरा मुस्कुराई। "खोलकर देखो, तुम्हें मेरा गिफ़्ट पसंद आया या नहीं।"
श्रुति ने बॉक्स खोला। उसमें श्रुति के नाम का एक पेंडेंट और एक प्यारी सी पेंटिंग थी।
श्रुति बहुत खुश हुई। "वाह! भाभी, ये पेंटिंग कितनी प्यारी है और नेकलेस भी! थैंक यू सो मच। यह मुझे बहुत पसंद आई। इसे आपने अपने हाथों से बनाया है?"
मीरा ने सिर हिलाया। श्रुति ने कहा, "इस पेंटिंग को मैं अपने कमरे में रखूंगी और इस पेंडेंट को तो मैं अभी पहनूंगी।" श्रुति ने पेंडेंट निकाला और उसे गले में पहन लिया।
श्रुति काफी खुश लग रही थी। उसने मीरा को गले लगा लिया। अथर्व वहीं खड़ा था और वह मीरा को प्यार से देख रहा था।
अथर्व ने श्रुति और मीरा की ओर देखकर कहा, "अच्छा, तुम दोनों अब आराम से बैठो। और ध्यान रखना, जब पार्टी शुरू हो और सब लोग आने लगें, तो तुम लोग इस तरह से बिहेव मत करना।"
दोनों ने सिर हिलाया।
श्रुति मीरा का हाथ पकड़कर सोफ़े पर बैठ गई और दोनों बातें करने लगीं।
श्रुति की बर्थडे पार्टी के लिए सक्सेना मेंशन में छोटी सी पार्टी रखी गई थी। कुछ ही जान पहचान के लोगों को बुलाया गया था। अथर्व और श्रुति के रिश्तेदार आ रहे थे।
श्रुति मीरा से बात करते हुए अपने कमरे में तैयार होने जा रही थी। उसने मीरा की ओर देखकर कहा, "भाभी, चलिए ना, मैं अपने कमरे में तैयार होने जा रही हूँ। क्या आप मेरे साथ चलेंगी?"
मीरा मुस्कुराई। "यह भी कोई पूछने वाली बात है? चलो, मैं तुम्हारे साथ चलती हूँ।"
मीरा श्रुति के कमरे में जाने के लिए खड़ी हुई थी कि उसने देखा कि उसकी माँ और पिता सक्सेना मेंशन में आ गए और मीरा को घूर रहे थे।
श्रुति ने देखा कि मीरा की माँ आ गई है। "भाभी, आप कुछ देर यहीं पर रुकिए, थोड़ी देर बाद आप आ जाइएगा।"
श्रुति अपने कमरे में चली गई। अथर्व बाकी लोगों के साथ पार्टी की तैयारियों में लगा हुआ था और उसने मीरा और उसकी माँ पर ध्यान नहीं दिया।
मीरा की माँ ने मीरा का हाथ पकड़कर उसे एक तरफ़ ले गई। मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि उसकी माँ उसके साथ ऐसा क्यों कर रही है।
अथर्व परिवार के बाकी सदस्यों को आते देख खुश हुआ और उनसे बात करने में व्यस्त हो गया।
कुछ देर बाद, मीरा अपनी माँ से बात करके बाहर निकली। उसके चेहरे के भाव अच्छे नहीं थे।
वह श्रुति के कमरे की ओर बढ़ी। श्रुति तैयार हो गई थी। मीरा उसके पास गई और बोली, "बहुत प्यारी लग रही हो श्रुति!"
श्रुति ने मीरा का हाथ पकड़ा। "तो फिर चलिए, बाहर चलकर पार्टी एन्जॉय करते हैं।"
श्रुति मीरा को अपने कमरे से बाहर लेकर आई और वेटर से ड्रिंक लेकर मीरा को दे दिया। तभी श्रुति के कुछ दोस्त आ गए और वह उन्हें मिलने चली गई।
मीरा वाइन का गिलास लेकर बैठी थी, तभी एक लड़की, काले रंग के गाउन में, मीरा के सामने आकर खड़ी हो गई।
मीरा ने ऊपर देखा। वह कोई और नहीं, बल्कि रूपाली थी। रूपाली मीरा को घूर रही थी। मीरा को कल की बातें याद आ गईं, लेकिन उसने यह बात अपने चेहरे पर नहीं दिखाई। उसने ड्रिंक का एक घूँट लिया।
रूपाली ने कहा, "तुम तो सक्सेना ग्रुप में काम करती हो ना? तुम यहाँ सक्सेना मेंशन में क्या कर रही हो?"
मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या जवाब दे। वह अथर्व को देखने लगी।
रूपाली ने देखा कि मीरा उसका जवाब नहीं दे रही और सिर्फ़ अथर्व को देख रही है। उसे शक हुआ। "मैं तुमसे आखिरी बार पूछ रही हूँ! बताओ, तुम यहाँ क्या करने आई हो? तुम्हें तो ऑफिस में होना चाहिए, ना? तो तुम यहाँ सक्सेना मेंशन में क्यों हो?"
मीरा ने कहा, "वो छोड़ो, ये बताओ, तुम यहाँ क्या करने आई हो?"
रूपाली ने कहा, "अच्छा, तो मेरा सवाल तुम मुझसे पूछ रही हो! ठीक है, बता देती हूँ। मैं तो यहाँ श्रुति के बर्थडे में आई हूँ और मुझे पर्सनली यहाँ इनवाइट किया गया है।"
मीरा ने कहा, "तो फिर आप पार्टी एन्जॉय करिए ना! मैं यहाँ क्यों हूँ, किसलिए आई हूँ? आपको यह जानने में इतनी दिलचस्पी क्यों है?"
मीरा अथर्व की ओर देखने लगी। अथर्व की नज़रें भी मीरा से मिल गईं।
रूपाली को समझ आ गया कि यही वह लड़की है जिसके बारे में अथर्व बात कर रहा था।
रूपाली मीरा से जल रही थी क्योंकि मीरा हल्के मेकअप और साधारण ड्रेस में भी बहुत अच्छी लग रही थी और अथर्व बार-बार मीरा की ओर देख रहा था।
मीरा रूपाली से बहस नहीं करना चाहती थी। वह चुपचाप वहाँ से उठकर श्रुति के पास जाकर खड़ी हो गई।
मीरा की माँ मीरा को घूर रही थी। रूपाली की नज़रें मीरा और अथर्व पर टिकी हुई थीं। अथर्व जिस तरह से बार-बार मीरा को देख रहा था, उसे यह बात कन्फर्म हो गई थी कि अथर्व मीरा की परवाह करता है। रूपाली ने अथर्व की ओर देखते हुए कहा, "अथर्व, अगर तुमने सच में इस लड़की से चुपके से शादी की है, तो मैं तुम्हें इसके साथ नहीं रहने दूँगी। अब तुम देखो, मैं क्या करती हूँ।"
क्रमशः...
रूपाली ने अथर्व को घूरते हुए कहा, "तुम मेरे थे और मेरे ही रहोगे! इन छः महीनों में जब मेरी ज़िंदगी में कुछ नहीं बदला, तो तुम इतना आगे कैसे बढ़ गए? और रही बात इस लड़की की, इसे तो मैं तुम्हारी ज़िंदगी से दूर करके ही रहूँगी, फिर चाहे मुझे उसके लिए कुछ भी करना पड़े।"
जैसे ही रूपाली ने यह बात कही, उसने देखा कि अथर्व मीरा की ओर देखकर मुस्कुरा रहा था, लेकिन मीरा उसकी नज़रें चुरा रही थी।
रूपाली को समझ नहीं आया कि वह अथर्व का ध्यान अपनी ओर कैसे आकर्षित करे। उसने अपने हाथ में पकड़े हुए ड्रिंक को एक साँस में पी लिया और उस गिलास को ज़मीन पर पटक दिया। फिर वह खुद भी ज़मीन पर गिरने का नाटक करते हुए चिल्लाई, "आह! मेरा पैर...!"
जैसे ही रूपाली ने यह तमाशा शुरू किया, सभी की नज़रें उसकी ओर मुड़ गईं। मीरा ने रूपाली को देखा।
वह अपने पैर की ओर देख रही थी और जोर से चिल्लाई, "मेरा पैर मुड़ गया! इसमें बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज़ कोई मेरी मदद करो।"
अथर्व, जो कुछ ही दूरी पर था, रूपाली के पास आया और बोला, "क्या बात है रूपाली? क्या हुआ तुम्हारे पैर को? और तुम इस तरह से ज़मीन पर कैसे गिर गई?"
श्रुति, मीरा और बाकी सभी लोग रूपाली के पास आ गए और उसे चारों तरफ से घेर लिया।
तभी रूपाली ने अपने पैर की हील की ओर इशारा करते हुए कहा, "अथर्व, प्लीज़ मेरी मदद करो। मैं खड़ी नहीं हो पा रही हूँ। मुझे लग रहा है हील की वजह से मेरा पैर मुड़ गया और मैं गिर गई। और अब शायद इसमें मोच आ गई है। मुझे बहुत दर्द हो रहा है।"
श्रुति और अथर्व के सभी चचेरे भाई-बहन रूपाली को अच्छी तरह जानते थे। रूपाली पहले अथर्व की बहुत अच्छी दोस्त थी और उसके बाद वह उसकी कंपनी के साथ मिलकर काम कर रही थी।
रूपाली ने सक्सेना ग्रुप के साथ एक बहुत बड़ी डील की थी, जिसकी वजह से वे सभी उसे अच्छी तरह जानते थे।
अथर्व के एक चचेरे भाई ने कहा, "अथर्व भाई, मुझे लगता है आपको डॉक्टर को बुलाना चाहिए और मिस रूपाली को कमरे में ले जाना चाहिए। क्योंकि अगर यहाँ पर इलाज नहीं हुआ तो श्रुति की बर्थडे पार्टी खराब हो जाएगी।"
उसने अपने चचेरे भाई की बात सुनकर कहा, "नहीं, श्रुति की पार्टी खराब नहीं होगी। तुम डॉक्टर को फ़ोन करो।"
इतना बोलकर अथर्व नीचे झुका और उसने रूपाली को अपनी गोद में उठा लिया। जैसे ही मीरा ने रूपाली को अथर्व की गोद में देखा, उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
मीरा रूपाली को घूरने लगी क्योंकि उसे शक हो गया था कि रूपाली सिर्फ़ गिरने का नाटक कर रही है।
मीरा ने रूपाली को घूरते हुए कहा, "यह रूपाली ऐसा क्यों कर रही है? क्या इसे श्रुति की बर्थडे पार्टी खराब करने के लिए मिला था? आखिर यह चाहती क्या है? क्या यह सिर्फ़ अथर्व के करीब जाने की कोशिश कर रही है? या फिर सच में चोट लगी है?"
मीरा के दिमाग में सारी बातें चल रही थीं। जब उसने रूपाली की ओर देखा, तो रूपाली ने अथर्व की गर्दन कसकर पकड़ रखी थी और अथर्व उसे गोद में उठाकर कमरे में ले जा रहा था।
तभी मीरा की ओर देखते हुए रूपाली ने आँख मारी और उसके चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी।
रूपाली सिर्फ़ मीरा को देखकर मुस्कुरा रही थी। इससे साफ़ समझ में आ रहा था कि वह मीरा को जलन देने के लिए अथर्व की गोद में है। उसने अथर्व को काफी कसकर पकड़ रखा था और वह उसके बिल्कुल करीब थी। उसने अथर्व के सीने पर अपना सिर रख लिया था।
मीरा रूपाली को घूर रही थी और उसे रूपाली पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि वह अपने पति को किसी दूसरी औरत के इतने करीब देखकर बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं कर रही थी। लेकिन अथर्व के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। अथर्व जल्दी से रूपाली को लेकर एक कमरे में गया।
जैसे ही अथर्व की नज़र मीरा पर पड़ी, उसके चेहरे पर गुस्सा और जलन साफ़ दिख रही थी।
वहीं रूपाली, जो अथर्व के सीने पर अपना सिर रखे हुए थी, उसे अथर्व से समझ आ गया कि मीरा को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है, क्योंकि उसकी आँखों में जलन के साथ-साथ नमी भी नज़र आ रही थी।
जैसे ही अथर्व को यह बात समझ आई, वह जल्दी से उस कमरे के बाहर खड़ा हो गया।
मीरा ने अथर्व और रूपाली की ओर देखकर हल्के से ना में अपना सिर हिलाया और तभी मीरा की आँख से आँसू गिर पड़े।
उसके आँखों से निकले आँसू देखकर वह बिल्कुल हैरान हो गया।
अथर्व मीरा की ओर देख रहा था और मीरा के उदास चेहरे और उसकी आँखों से निकलते आँसुओं को देखकर अथर्व के दिल में एक अलग ही दर्द महसूस हुआ। मीरा चुपचाप सक्सेना विला से बाहर की ओर चली गई क्योंकि वह अपने पति की गोद में किसी दूसरी औरत को नहीं देख पा रही थी।
अथर्व इस बात को समझ गया। वह उसे रोकना चाहता था। इससे पहले कि अथर्व मीरा को रोक पाता, तभी रूपाली ने तेज आवाज में कहा, "क्या बात है अथर्व? तुम रुके क्यों गए? चलो जल्दी, मुझे अंदर ले चलो। मेरे पैर में बहुत दर्द हो रहा है।"
अथर्व रूपाली की बात सुनकर कुछ नहीं बोला और चुपचाप उसे एक कमरे में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। कुछ ही देर बाद एक डॉक्टर आया और वह रूपाली का चेकअप करने लगा।
उन्होंने बताया कि हील पहनने की वजह से पैर मुड़ा है, कोई मोच नहीं आई है। बस थोड़ा दर्द है जो कुछ ही देर में ठीक हो जाएगा।
डॉक्टर इतना बोलकर उस कमरे से बाहर निकल गए। अथर्व कमरे की दीवार में टेक लगाकर खड़ा था। डॉक्टर के जाते ही वह भी कमरे से बाहर निकलने वाला था, तभी रूपाली ने उसे आवाज लगाते हुए कहा, "अथर्व, रुको एक मिनट! मेरी बात सुनो।"
अथर्व रूपाली की बात सुनकर रुका और पीछे मुड़कर उसकी ओर देखने लगा।
तभी रूपाली ने कहा, "थैंक यू सो मच! आज भी मेरी इतनी केयर करने के लिए, जैसे तुम पहले करते थे। मैं जानती हूँ तुम अभी भी मुझसे प्यार करते हो और तुम मेरे बिना..."
रूपाली बोल ही रही थी कि तभी अथर्व ने उसकी बात बीच में ही काट दी और उसे चुप कराते हुए कहा, "प्लीज़ रूपाली, चुप हो जाओ। और तुम्हें ऐसा कुछ भी सोचने की ज़रूरत नहीं है। मैं तुमसे प्यार नहीं करता और छः महीने में बहुत कुछ बदल गया है। तुम्हें नहीं पता, इसलिए अभी मैंने तुम्हारी जो मदद की है, वह सिर्फ़ और सिर्फ़ इंसानियत के नाते की है। इसलिए इस बात का कोई भी गलत मतलब निकालने की ज़रूरत नहीं है।"
इतना बोलकर अथर्व चुपचाप उस कमरे से बाहर निकला और हॉल में आकर वह मीरा को ढूँढने लगा।
अथर्व को इस तरह कमरे से बाहर निकलते देखकर रूपाली को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
रूपाली ने उसकी बातें सुनीं तो रूपाली का दिल, जो पहले ही टूट चुका था, ऐसा लग रहा था कि किसी ने उसे पूरी तरह से चकनाचूर कर दिया है।
उसके टूटे हुए दिल के साथ उसका पूरा चेहरा पीला पड़ गया था और उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
छः महीने पहले की गई गलती को सोचकर वह पछता रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि अथर्व अब उसे कभी वापस नहीं पाएगी।
मीरा सीधा विला के बाहर निकली और वह टैक्सी का इंतज़ार कर रही थी, लेकिन उसे कोई टैक्सी नहीं मिल रही थी। तभी अथर्व का ड्राइवर मीरा के पास आकर बोला, "मीरा मैडम, आप यहाँ?"
मीरा ने उसकी ओर देखकर कहा, "सनी भैया! क्या आप मुझे मेरे फ़्लैट तक छोड़ सकते हैं?"
अथर्व के ड्राइवर ने हाँ में अपना सिर हिलाया और मीरा तुरंत कार में बैठ गई। मीरा की आँखों से आँसू नहीं रुक रहे थे।
वह बार-बार अपने आँसुओं को पोंछ रही थी। ड्राइवर ने यह देखा, लेकिन वह कुछ नहीं बोला। चुपचाप मीरा के फ़्लैट के पास जाकर रुक गया। जैसे ही मीरा ने कार रुकते देखा, वह तुरंत कार से नीचे उतरी और दौड़ते हुए अपने फ़्लैट की ओर भागी।
मीरा अपने कमरे में आई और वह अथर्व और रूपाली को एक साथ सोचकर और ज़्यादा उदास होने लगी। सीधे अपने कमरे में आकर वह अपने बिस्तर पर गिर पड़ी और तकिए में मुँह छुपाकर रोने लगी।
मीरा को कहीं न कहीं अथर्व से इतना लगाव हो ही गया था कि वह उसे अब किसी और लड़की के साथ नहीं देख सकती थी, ख़ासकर रूपाली, जो कि उसकी एक्स-गर्लफ़्रेंड है। मीरा के दिमाग में यही बात चल रही थी कि कहीं न कहीं अथर्व के दिल में रूपाली के लिए कोई सॉफ़्ट कॉर्नर तो होगा और अब अगर वह वापस आ गई है तो शायद अथर्व फिर से उसके साथ हो जाएगा।
रोते-रोते मीरा की पलकें भारी हो गई थीं और मीरा की आँखें बंद हो गई थीं। अपनी आँखें बंद किए हुए ही मीरा गहरी नींद में सो गई। जब मीरा की रात में आँख खुली तो मीरा का पूरा तकिया गीला था।
मीरा उठकर बैठी और अपने तकिए का कवर बदलने लगी। मीरा सीधे उठकर बाथरूम गई और उसने अपने चेहरे को पानी से धोया।
मीरा का सर काफ़ी ज़्यादा भारी लग रहा था और वह आईने में खुद को देखकर बोली, "क्या अथर्व अभी भी उस रूपाली से प्यार करता है? क्या वह उस रूपाली की वजह से मुझे छोड़ देगा?"
मीरा को इस बारे में कुछ भी नहीं पता था और वह चुपचाप बाथरूम से बाहर आई और अपने बिस्तर पर बैठ गई। मीरा की आँखों से आँसू गिर रहे थे और उसने अपने मन में कहा, "हे भगवान! मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? क्या मेरी ज़िंदगी कभी सामान्य नहीं हो सकती? क्या मुझे खुश होने का हक़ नहीं है?"
मीरा यह सोच ही रही थी कि तभी अचानक से उसका फ़ोन बजा।
मीरा ने जैसे ही अपना फ़ोन उठाकर देखा तो उसमें अथर्व का नंबर शो हो रहा था। उसने कॉल डिस्कनेक्ट करने के लिए जैसे ही स्क्रीन को टच किया...
पता नहीं क्यों मीरा ने कॉल डिस्कनेक्ट ना करके सीधे कॉल रिसीव कर ली और मीरा ने कुछ भी नहीं कहा, बस फ़ोन को अपने कानों से लगा लिया।
अथर्व ने मीरा की गहरी साँसों की आवाज़ सुनी और उसने तुरंत मीरा से पूछा, "क्या बात है मीरा? तुम पार्टी से इतनी जल्दी वापस क्यों चली गई? कम से कम मुझे बताकर तो जाती। मैं परेशान हो रहा था और तुम्हें ढूँढ रहा था।"
मीरा ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और तभी अथर्व ने कंफ़र्म करते हुए पूछा, "हेलो मीरा! तुम मेरी बात सुन तो रही हो ना?"
"हाँ, सुन रही हूँ। और तुम दूसरे लोगों में इतना ज़्यादा बिज़ी हो गए थे कि मुझे ऐसा लग रहा था कि अगर मैं वहाँ पर रहूँगी तो तुम्हें और डिस्टर्ब करूँगी, इसलिए मैं सीधे घर आ गई।"
इतना बोलकर मीरा ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया। मीरा की आवाज़ से ही अथर्व को समझ आ गया था कि वह उससे थोड़ी नाराज़ है!
लेकिन क्यों? यह बात अथर्व को समझ नहीं आ रही थी। जब मीरा ने कॉल कट कर दिया तो अथर्व ने दोबारा उसे कॉल नहीं की।
मीरा अभी भी अपने बिस्तर पर तकिए को पकड़कर लेटी हुई थी। भले ही मीरा के आँसू सूख चुके थे, लेकिन कहीं न कहीं उसके दिमाग में अभी भी अथर्व और रूपाली की ही बातें चल रही थीं। जिस तरह अथर्व ने रूपाली को अपनी गोद में उठाया था और उसे कमरे में लेकर गया था और डॉक्टर के साथ जिस तरह से वह रूपाली के लिए कन्सर्न दिखा रहा था, वह सब सोचकर मीरा का सर भारी हो गया था। और तभी डोरबेल बजी।
क्रमशः...
शाम हो चुकी थी और डिनर का समय हो रहा था। जैसे ही अथर्व सक्सेना मेंशन से बाहर निकला, उसे याद आया कि मीरा पहले ही वहाँ से जा चुकी थी। उसने रात का खाना नहीं खाया होगा।
अथर्व ने मीरा के लिए खाना पैक किया और सीधे फ्लैट की ओर निकल गया।
मीरा ने डोरबेल की आवाज सुनकर समझ लिया कि अथर्व आया होगा। वह सीधे गेट की ओर दौड़ी। जैसे ही उसने गेट खोला, उसने देखा कि अथर्व हाथ में खाने के पैकेट लेकर खड़ा है और उसके चेहरे पर प्यारी सी मुस्कुराहट है।
मीरा ने उसकी तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं दिया और गेट खोलकर सीधा अंदर आ गई।
अथर्व ने गेट बंद किया और मीरा के पीछे-पीछे आया। इससे पहले कि मीरा अपने बेडरूम की ओर जा पाती, अथर्व ने उसे रोकते हुए कहा,
"एक मिनट, कहाँ जा रही हो मीरा? मैं तुम्हारे लिए खाना लाया हूँ। चलो, साथ में डिनर करते हैं।"
अथर्व की बात सुनकर मीरा रुकी और पीछे मुड़कर हैरानी से अथर्व की तरफ देखते हुए कहा,
"क्यों? तुम डिनर करके नहीं आए हो क्या?"
अथर्व ने अपने कंधे उचकाते हुए कहा,
"भूख तो बहुत तेज लगी थी, लेकिन मैंने सोचा कि तुम्हारे साथ खाऊँगा, इसलिए मैं खाना पैक करके लाया हूँ।"
इतना बोलकर अथर्व ने अपने हाथ में पकड़े हुए खाने के पैकेट मीरा को दिखाए। मीरा ने गहरी साँस ली और ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा,
"मुझे भूख नहीं है। तुम अकेले डिनर कर लो।"
इतना बोलकर मीरा अपने कमरे की ओर जाने लगी। तब अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे रोकते हुए कहा,
"एक मिनट रुको! मैंने तुम्हारी वजह से वहाँ सबके साथ डिनर नहीं किया और अब तुम...?"
मीरा ने अथर्व के हाथ की ओर देखा। उसने मीरा का हाथ काफी कसकर पकड़ रखा था। जैसे ही मीरा ने अपनी कलाई की ओर देखा, अथर्व ने तुरंत उसका हाथ छोड़ते हुए कहा,
"सॉरी! आओ जल्दी से। मैं अभी खाना लगाता हूँ।"
अथर्व पूरा हक जताते हुए यह बात बोल रहा था। तभी मीरा ने कहा,
"मुझे नहीं खाना। मैंने कहा ना, मुझे भूख नहीं है।"
अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे सीधे डाइनिंग टेबल के पास लाकर कुर्सी पर बैठाते हुए कहा,
"यहीं पर बैठो। मैं बस दस मिनट में आता हूँ। और अब एक बार भी अपने मुँह से यह बात मत बोलना कि मुझे भूख नहीं है, क्योंकि मैं तुम्हारी बात नहीं सुनने वाला। तुम मेरे साथ बैठकर अभी खाना खाओगी।"
अथर्व ने मीरा को कुर्सी पर बिठा दिया। मीरा भी ज्यादा जिद नहीं करना चाहती थी और वह चुपचाप कुर्सी पर बैठकर अथर्व की तरफ देखने लगी।
अथर्व जल्दी से किचन की ओर गया और उसने खाने के सारे बॉक्स निकालकर उन्हें माइक्रोवेव में गर्म करने के लिए रख दिया।
मीरा अथर्व की ओर हैरानी से देख रही थी। उसने धीमी आवाज़ में कहा,
"मुझे समझ नहीं आता। अगर अथर्व को उस रूपाली में इंटरेस्ट है, तो फिर वह मुझसे इतने प्यार से बात क्यों करता है? क्या अथर्व मेरे साथ रहकर सिर्फ़ अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है या फिर कोई और बात है?"
मीरा एकटक अथर्व को देखती जा रही थी। तभी अथर्व ने चाकू उठाया और सलाद काट रहा था। तभी उसने मुस्कुराते हुए मीरा की तरफ देखा।
मीरा के चेहरे पर कोई भाव नहीं था। बस वह अथर्व को काम करते हुए देख रही थी। जिस तरह से अथर्व खाना गर्म कर रहा था और उसके लिए सलाद बना रहा था, सब देखकर मीरा को कहीं न कहीं दिल में बहुत खुशी हो रही थी।
लेकिन उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह किस अथर्व पर भरोसा करे? वह जो इस समय उसके सामने खड़ा है या फिर वह जो रूपाली को अपनी गोद में उठाकर ले गया था।
मीरा ये सब बातें सोच ही रही थी कि तभी अथर्व की चीख उसके कानों में पड़ी।
अथर्व जैसे ही चिल्लाया, मीरा तुरंत अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हो गई और दौड़ते हुए अथर्व के पास आई। अथर्व के हाथ में चाकू लगा था और उसके हाथ से खून बह रहा था। जैसे ही मीरा ने अथर्व के हाथ से खून निकलते हुए देखा, उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करे। उसने जल्दी से अथर्व का हाथ पकड़ते हुए कहा,
"क्या कर रहे हो? यह क्या किया तुमने? देखो, लग गई ना खुद को चोट! और मैं मना कर रही थी, लेकिन तुम मेरी बात सुनते ही नहीं हो।"
मीरा ने जल्दी से पेपर टॉवल लिया और उसके हाथ से निकलने वाले खून को पोछने लगी। मीरा काफी ज्यादा घबरा गई थी और वह अथर्व के हाथ से निकलने वाले खून को पोछने की कोशिश करती जा रही थी, लेकिन उसके हाथ से खून निकलता ही जा रहा था।
मीरा को इतना परेशान होते देखकर अथर्व मुस्कुराने लगा। मीरा ने उसकी ओर देखा और उसे मुस्कुराते देखकर मीरा का गुस्सा और बढ़ गया। उसने चिल्लाते हुए कहा,
"पागल हो गए हो क्या? तुम्हारे हाथ से खून निकल रहा है और तुम मुस्कुरा रहे हो?"
जैसे ही मीरा ने अथर्व को डाँटा, अथर्व ने मुस्कुराना बंद कर दिया और मीरा का हाथ पकड़कर उसे घसीटते हुए डाइनिंग एरिया की कुर्सी पर बैठा दिया जिस पर वह बैठी हुई थी। दौड़ते हुए मीरा अपने कमरे में गई।
मीरा को अपने लिए इतना परेशान होते देखकर अथर्व को बहुत अच्छा लग रहा था, भले ही उसके हाथ से खून निकल रहा था। लेकिन वह मन ही मन मुस्कुरा रहा था और उसने अपने मन में कहा,
"मीरा कितनी केयरिंग है! और मेरे जरा सी चोट लगते ही इस तरह से घबरा गई। मैं आज से पहले कभी भी इतनी अच्छी लड़की से नहीं मिला।"
अथर्व मीरा के बारे में ये सोच ही रहा था कि तभी उसने देखा मीरा तेज कदमों से चलती हुई अपने कमरे से बाहर आई और उसके हाथ में फर्स्ट एड बॉक्स था।
मीरा ने जल्दी से अथर्व के हाथ से निकलने वाले खून को रोका और उस पर पट्टी की। अथर्व मीरा की तरफ बिना पलकें झपकाए देखता ही जा रहा था। उसे मीरा पर बहुत प्यार आ रहा था। उसका मन कर रहा था कि वह आगे बढ़े और मीरा को किस करे, लेकिन मीरा परेशान लग रही थी, इसलिए अथर्व उसी तरह चुपचाप बैठा रहा।
जैसे ही मीरा पट्टी करके अपने कमरे की ओर जा ही रही थी कि तभी अथर्व ने दूसरे हाथ से मीरा का हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए कहा,
"कहाँ जा रही हो? खाना गरम हो गया है। चलो, साथ में खाना खाते हैं। मुझे बहुत तेज भूख लगी है।"
मीरा ने अथर्व की तरफ देखा। अथर्व इस समय काफी मासूम लग रहा था। उसने बड़े ही प्यार से मीरा के साथ खाना खाने के लिए कहा था, इसलिए मीरा ने मना नहीं किया।
फर्स्ट एड बॉक्स को वापस रखने के बाद मीरा सीधे किचन की ओर गई और दो प्लेट में खाना लगाकर लाई और अथर्व के सामने उसने खाने की प्लेट रख दी।
मीरा अथर्व की बगल वाली कुर्सी पर बैठकर खाना खाने लगी। अथर्व के हाथ में पट्टी बंधी होने की वजह से वह ठीक से खाना नहीं खा पा रहा था।
मीरा की नज़र जैसे ही अथर्व के हाथ पर गई, उसने अथर्व की तरफ देखा और वह खाना खाने में स्ट्रगल कर रहा था। मीरा कुछ देर तक अथर्व को देखती रही और तभी उसने अथर्व का हाथ प्लेट के पास से हटाया और अपने हाथों से अथर्व को खाना खिलाने लगी।
अथर्व ने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि मीरा उसे अपने हाथ से खाना खिलाएगी। अथर्व मन ही मन खुश हो रहा था। वहीं मीरा को रूपाली की बात याद आई और मीरा वहाँ से उठकर चुपचाप अपने कमरे की ओर चली गई।
कुछ ही देर बाद अथर्व जब कमरे में पहुँचा तो उसने देखा मीरा आँखें बंद करके लेटी हुई है। उसे ऐसा लगा जैसे मीरा सो गई है।
लेकिन मीरा सोई नहीं थी। वह बस आँखें बंद करके लेटी हुई थी। तभी जब अथर्व कमरे के अंदर आया और बेड पर गया, उसने मीरा की तरफ देखा।
मीरा जिस तरह से कुछ देर पहले परेशान थी और अपने हाथों से खाना खिला रही थी, उसे देखकर अथर्व समझ गया था कि मीरा के दिल में उसके लिए सॉफ्ट कॉर्नर बन गया है।
अथर्व बेड की दूसरी तरफ जाकर लेटा और मीरा की तरफ देखने लगा, और वह अपनी नज़रें हटाना नहीं चाह रहा था।
धीरे-धीरे अथर्व मीरा के करीब गया और माथे और गाल पर बिखरे हुए बालों को बड़े प्यार से संवारने लगा। उसी समय मीरा के पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई।
लेकिन मीरा अभी भी अपनी आँखें बंद करके उसी तरह से लेटी हुई थी, मानो उसने अपने आप को पूरी तरह से कंट्रोल कर लिया है।
अथर्व मीरा के गाल को सहलाते हुए अपने मन में कहा,
"पता नहीं क्यों तुम्हें अपने लिए इतना परेशान होते देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। बस कभी-कभी मुझे तुम्हारा यह बिहेवियर समझ नहीं आता! तुम्हारे साथ और तुम्हारे करीब आना मुझे पसंद है, लेकिन पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगता है कि तुम शायद मुझसे दूर भागने की कोशिश करती हो!"
अथर्व अपने मन में यह सारी बातें बोल रहा था और तभी अथर्व ने मीरा की कमर में अपना हाथ डाला। उसका हाथ मीरा के सपाट पेट पर था और उसने उसे अपने करीब खींच लिया।
मीरा को जैसे ही अथर्व का हाथ अपने पेट पर महसूस हुआ, मीरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा। लेकिन अथर्व बहुत अच्छे मूड में था और उसने मीरा के माथे को बड़े प्यार से चूमा और मीरा को अपनी बाहों में भरकर सो गया।
जब मीरा ने महसूस किया कि अथर्व उसके साथ कुछ भी गलत नहीं करने वाला है और बस उसे चूमकर ही वह सो गया, तो कुछ देर बाद मीरा ने अपनी आँखें खोलीं। वह अभी भी अथर्व की बाहों में थी और अथर्व के बदन की गर्माहट साफ़ महसूस हो रही थी। मीरा को बहुत ही अच्छा लग रहा था। वह खुद को अथर्व की बाहों में बहुत सेफ महसूस कर रही थी।
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखकर कहा,
"मुझे लगता है अथर्व अपनी उस एक्स, रूपाली को पसंद नहीं करता। मैं बेकार में ही उसके साथ रूड बिहेव कर रही हूँ।"
मीरा अथर्व की तरफ़ देखती रही जब तक उसे नींद नहीं आ गई।
अगले दिन मीरा की आँख खुली और मीरा को अपने पेट पर एक भारी चीज़ महसूस हुई। और वह अथर्व का हाथ था जिसमें पट्टी बंधी हुई थी।
अथर्व अभी भी गहरी नींद में सो रहा था, तो मीरा ने उसे नहीं जगाया। उसने बस चुपके से उसका हाथ अपने ऊपर से हटाया और सीधे तैयार होकर ब्रेकफ़ास्ट बनाने के लिए चली गई।
थोड़ी देर बाद अथर्व की भी आँख खुली और वह तैयार हुआ और सीधे नीचे उतरकर आया। उसने देखा कि मीरा ने पहले ही ब्रेकफ़ास्ट कर लिया है और वह पूरी तरह से ऑफिस जाने के लिए तैयार है।
अथर्व जैसे ही डाइनिंग टेबल पर आया, मीरा ने उसे ब्रेकफ़ास्ट सर्व किया। अभी मीरा की नज़र अथर्व के हाथ पर पड़ी, उसने अपनी रात वाली पट्टी खोल दी थी और छोटा सा बैंड-एड लगा लिया था।
मीरा ने अथर्व का हाथ पकड़ते हुए कहा,
"तुमने पट्टी क्यों खोल दी? तुम्हारा घाव अभी भरा तो था नहीं। फिर इतनी जल्दी तुम्हें पट्टी नहीं खोलनी चाहिए थी।"
अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे अपने बगल में बिठाते हुए कहा,
"यहाँ बैठो और ब्रेकफ़ास्ट करो। मेरी चोट ठीक है और यह कोई गहरा घाव नहीं है, इसलिए तुम्हें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, ठीक है?"
अथर्व के इस तरह मना करने पर मीरा मान गई और दोनों एक साथ ऑफिस के लिए निकले।
इसी तरह कुछ दिन बीते और अथर्व और मीरा के बीच धीरे-धीरे थोड़ी बहुत बॉन्डिंग होने लगी। वह दोनों ही एक-दूसरे को समझने की कोशिश कर रहे थे और दोनों के बीच एक अच्छा रिश्ता बन रहा था। मीरा भी धीरे-धीरे करके रूपाली की कही बातों को भूलने लगी थी और अथर्व को भी जब-जब मीरा के साथ रहता तो उसे बहुत अच्छा लगता।
ऑफिस में भी अथर्व बार-बार मीरा को अपने पास बुलाता और मीरा भी उसके पास जाने का एक भी मौका नहीं छोड़ती। भले ही उन दोनों की सीक्रेट मैरिज थी, फिर भी उनके बीच एक लव बॉन्ड था जिसे वह दोनों ही फील कर रहे थे।
क्रमशः
मीरा ऑफिस का सारा काम करने के बाद घर जाने के लिए अपना सारा सामान समेट रही थी। तभी ऑफिस के आधे से ज़्यादा वर्कर जा चुके थे। अथर्व अभी भी अपने असिस्टेंट ललित के साथ अपने केबिन में था।
मीरा ने काफी देर इंतज़ार किया कि शायद अथर्व उसके साथ घर वापस चले, लेकिन अथर्व अभी तक अपने केबिन से बाहर नहीं निकला था। तभी मीरा ने अपना बैग उठाया और वह ऑफिस के एग्जिट गेट की तरफ बढ़ी ही थी कि उसे लिफ्ट से बाहर निकलती हुई रूपाली नज़र आई। रूपाली को देखते ही मीरा के कदम अपने आप ही रुक गए।
रूपाली ने जैसे ही मीरा को वहाँ से निकलते देखा, उसके चेहरे पर शैतानियत नज़र आई।
मीरा रूपाली को इस तरह मुस्कुराते देखकर सोचने लगी कि इस समय ऑफिस क्यों आई है? अब तो सभी लोगों के ऑफिस से जाने का समय हो रहा है।
रूपाली को अपने सामने अथर्व के केबिन की तरफ जाते देखकर, मीरा जो ऑफिस से बाहर निकल रही थी, उसके कदम गेट के पास रुक गए और वह बाहर नहीं गई। पता नहीं क्यों, मीरा का अब वहाँ से जाने का मन नहीं कर रहा था।
जब मीरा ने रूपाली को अथर्व के केबिन के अंदर जाते देखा, तो मीरा का मन किया कि वह अथर्व के केबिन के बाहर जाए और उन दोनों की बातें सुने! आख़िर उन दोनों के बीच क्या बात हो रही है? मीरा को ऐसा लग रहा था कि वह अगर उन दोनों की बातें सुनेगी तो शायद उसे कुछ पता चल जाए; कि अथर्व क्या अभी भी उस रूपाली को पसंद करता है और उसके साथ रिलेशन में आना चाहता है या फिर रूपाली जो भी बातें बोल रही थी, क्या वह झूठ है।
मीरा के दिमाग में कई सारी चीज़ें चल रही थीं। और जैसे ही मीरा अथर्व के केबिन की तरफ़ बढ़ी, मीरा की सहेली अनिका वहाँ आई और उसने मीरा के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा,
"कहाँ जा रही है तू? कुछ बोलेगी? क्या हुआ? कुछ लेने जा रही है क्या? कुछ भूल गई है तू?"
मीरा ने अनिका की तरफ़ देखकर ना में सिर हिलाते हुए कहा,
"नहीं, कुछ नहीं भूली। वह तो बस... मैं वहाँ जा रही थी..." मीरा अथर्व के केबिन की तरफ़ देखते हुए बोली।
अनिका ने कहा,
"तू वहाँ अथर्व सर के केबिन में जाकर क्या करेगी? तुझे पता है ना अथर्व सर काम में बिज़ी हैं। अगर तुझे उनसे कुछ काम है क्या?"
मीरा ने अनिका की तरफ़ देखकर ना में सिर हिलाया क्योंकि उसके पास अनिका के सवाल का कोई जवाब ही नहीं था।
अनिका ने मीरा को ना में सिर हिलाते हुए देखकर उसके सिर पर हल्के से मारते हुए कहा,
"तो फिर तू उधर क्यों जा रही है? चल ना, वैसे भी आज हमें इतना लेट हो गया है, अब और लेट नहीं करेंगे।"
अनिका ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे ऑफिस से बाहर ले कर आ गई। लेकिन मीरा के दिमाग में अथर्व ही अथर्व घूम रहा था।
मीरा ने अपने मन में कहा,
"पता नहीं वह रूपाली अथर्व के साथ क्या करेगी? लेकिन मैं इतना परेशान क्यों हो रही हूँ? ललित भी तो है ना अथर्व के साथ।"
"लेकिन यह रूपाली इस समय क्यों आई? अगर इसे अथर्व के साथ कोई बात करनी थी या इसकी कोई मीटिंग थी, तो इससे पहले आना चाहिए था। इस तरह छुट्टी होने के समय ऑफिस आना, यह तो ठीक नहीं है।"
मीरा को इस तरह सोचते देखकर अनिका ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा,
"मीरा, क्या सोच रही है तू? मैं दो-तीन दिन से नोटिस कर रही थी! तू कल तक तो काफी खुश और ठीक लग रही थी, लेकिन आज तुझे अचानक से क्या हो गया? इतना वियर्ड बिहेव क्यों कर रही है?"
मीरा ने अनिका की बात सुनकर कहा,
"नहीं नहीं, तुझे ऐसा क्यों लग रहा है? मैं तो हमेशा की तरह नॉर्मल ही बिहेव कर रही हूँ।"
अनिका ने उसे घूरते हुए देखा, कुछ नहीं कहा।
तभी अनिका की बस आई और वह अपनी बस में चढ़ गई। मीरा ने भी टैक्सी ली और कुछ ही देर में वह घर पहुँच गई।
डिनर करने के बाद मीरा बार-बार गेट की तरफ़ देख रही थी, लेकिन अभी तक अथर्व वापस नहीं आया था।
मीरा ने गेट की तरफ़ देखते हुए कहा,
"इतनी लेट हो गया, अथर्व कहाँ हो तुम?"
मीरा डाइनिंग रूम में बैठकर अथर्व का इंतज़ार कर रही थी और अथर्व का इंतज़ार करते-करते मीरा की आँख लग गई और वही डाइनिंग रूम के सोफ़े पर ही सो गई।
सुबह मीरा की आँख खुली और उसने जब खुद को डाइनिंग रूम के सोफ़े पर पाया तो वह हड़बड़ाते हुए उठी और आँख मलते हुए बोली,
"क्या मैं कल रात यहीं पर सो गई?"
मीरा आँख मलते हुए उठी और सीधे अपने रूम की तरफ़ भागी। उसे ऐसा लग रहा था कि शायद अथर्व आया हो, वह कमरे में सो रहा हो।
लेकिन जब वह कमरे में गई तो उसका कमरा पहले की तरह था; बिस्तर पर एक भी सिलवट नहीं थी। वह समझ गई कि अथर्व कल रात आया ही नहीं। मीरा का चेहरा उदास हो गया।
मीरा ने अपने बेड की तरफ़ देखते हुए कहा,
"अभी कुछ दिनों तक तो अथर्व रोज यहाँ आ रहा था, तो फिर कल क्यों नहीं आया? कहीं वो रूपाली के साथ तो... नहीं नहीं नहीं! मैं भी क्या सोच रही हूँ? अथर्व को कोई काम आ गया होगा। मैं जल्दी से ऑफिस के लिए निकलती हूँ।"
मीरा जैसे ही ऑफिस पहुँची, वह सीधे अथर्व के केबिन की तरफ़ बढ़ी और जब वह केबिन के अंदर गई तो उसने देखा अथर्व वहाँ नहीं था और ना ही ललित अभी तक ऑफिस आया था!
मीरा को अथर्व की फ़िक्र हो रही थी और मीरा ने सोचा,
'क्या मैं अथर्व को मैसेज करूँ? उसे कॉल करके उसके बारे में पूछूँ?'
मीरा सोच ही रही थी कि तभी उसके फ़ोन पर किसी का मैसेज आया।
मीरा ने तुरंत अपना मोबाइल फ़ोन उठाया और वह जल्दी-जल्दी मैसेज चेक करने लगी क्योंकि मीरा के दिमाग में यह बात चल रही थी कि कहीं अथर्व ने उसे कोई मैसेज तो नहीं किया।
लेकिन जैसे ही मीरा ने अपना मैसेज चेक किया तो उसने देखा कि एक अननोन नंबर से मैसेज आया है। और जब मीरा ने उस मैसेज को ओपन किया तो उसमें रूपाली की काफी बोल्ड फ़ोटोज़ थीं और उसके बगल में कोई आदमी लेटा था और रूपाली ने उसके चेस्ट पर अपना सिर रखा हुआ था, लेकिन उसकी शक्ल नहीं दिख रही थी।
मीरा उस फ़ोटो को देखकर बिल्कुल हैरान रह गई और तभी उससे रूपाली ने एक दूसरी फ़ोटो भेजी जिसमें उसने उस लड़के के हाथ को अपनी उंगलियों में फँसाकर पकड़ रखा था और उसके हाथ पर जो घड़ी थी, वह अथर्व की घड़ी से काफी मैच हो रही थी।
मीरा उस फ़ोटो को देखकर अपनी आँखों पर यकीन नहीं कर पा रही थी कि अथर्व उस रूपाली के साथ है।
मीरा ने तुरंत उन फ़ोटोज़ को डिलीट कर दिया क्योंकि वह फ़ोटोज़ देखकर मीरा की आँखें भर आई थीं।
मीरा ने अपना फ़ोन अपनी डेस्क पर रखा और अपना पूरा ध्यान उन फ़ोटोज़ से हटाकर अपने काम पर लगाने लगी। जल्दी-जल्दी अपना सारा काम ख़त्म करने लगी, लेकिन मीरा के दिमाग में वही फ़ोटोज़ चल रही थीं।
लंच का समय हुआ। मीरा अनिका के साथ बैठी थी और तभी मीरा का फ़ोन बजने लगा।
अनिका ने मीरा की तरफ़ देखा। मीरा अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी और उसका फ़ोन रिंग होता जा रहा था और वह अपना फ़ोन उठा ही नहीं रही थी।
अनिका ने मीरा के कंधे को पकड़कर उसे हिलाते हुए कहा,
"क्या सोच रही है तू? तेरा फ़ोन बज रहा है, जा कॉल रिसीव कर।"
मीरा ने अनिका की तरफ़ देखा और अपना फ़ोन उठाया। उसमें वही अननोन नंबर से कॉल आ रहा था।
मीरा ने जैसे ही वह फ़ोन की स्क्रीन की तरफ़ देखा, उसका मन नहीं कर रहा था कि वह कॉल पिकअप करे, लेकिन ना चाहते हुए भी उसने उस कॉल को पिकअप किया और दूसरी तरफ़ से रूपाली की आवाज़ उसके कानों में पड़ी। रूपाली काफी सेक्सी बनने की कोशिश कर रही थी और उसने पूरे एटीट्यूड के साथ कहा,
"हेलो मिस मीरा, अगर मैं तुमसे कहूँ कि मैं रूपाली बोल रही हूँ तो क्या तुम मेरा कॉल डिस्कनेक्ट कर दोगी?"
रूपाली की बात सुनकर मीरा उन्हीं फ़ोटोज़ को याद करने लगी और रूपाली ने पूछा,
"हेलो मीरा, क्या तुम मेरी बात सुन रही हो या फिर कुछ सोचने लगी?"
मीरा ने गहरी साँस लेते हुए कहा,
"क्या बात है? तुमने मुझे कॉल क्यों किया है? अगर कोई काम है तो बताओ, वरना मेरे पास फ़ालतू बातों का समय नहीं है।"
रूपाली ने हँसते हुए कहा,
"हा हा हा, अच्छा खैर यह सब छोड़ो और मुझे यह बताओ, मैंने तुम्हें जो फ़ोटोज़ भेजी थीं, तुमने वह फ़ोटोज़ देखीं या फिर उन्हें बिना देखे ही डिलीट कर दिया?"
मीरा ने जैसे ही रूपाली की बात सुनी, उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं।
रूपाली ने कहा,
"वैसे कल रात तुमने किसी का बहुत देर तक इंतज़ार किया है ना? लेकिन अफ़सोस, वह तो कल तुम्हारे पास आया ही नहीं, जानती हो क्यों?"
रूपाली की बातें सुनकर मीरा के दिल और दिमाग में अजीब सी उथल-पुथल मच गई थी और उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। उसका मन कर रहा था कि वह अभी वह कॉल कट कर दे, लेकिन रूपाली बिना रुके बोलती ही जा रही थी।
रूपाली ने कहा,
"मैंने सुना है कि तुमने किसी से सीक्रेट मैरिज की है। खैर, तुम परेशान मत हो, तुम्हारी यह सीक्रेट मैरिज मैं नहीं तोड़ने वाली, क्योंकि मैं जानती हूँ तुमने जिससे भी सीक्रेट मैरिज की है, उसका तुम्हारे साथ कोई बॉन्ड नहीं है और ना ही तुम दोनों में कोई प्यार है, है ना?"
मीरा उसकी बातें सुन नहीं पा रही थी और तभी उस रूपाली ने कहा,
"जानती हो तुम, तुमसे शादी करने के बाद भी वह तुम्हारे पास क्यों नहीं है? क्योंकि वह अभी भी मुझसे प्यार करता है। क्या लगता है तुम्हें? सिर्फ़ 6 महीने में वह मुझसे दूर हो जाएगा? बिल्कुल भी नहीं। इतना पुराना रिलेशन है हमारा, इस तरह की कोई सीक्रेट मैरिज से नहीं टूटने वाला। और कल रात भी वह मेरे साथ था और आज रात भी वह मेरे साथ ही रहेगा, इसलिए तुम्हें उसका इंतज़ार करने की कोई ज़रूरत नहीं है। वैसे भी कल की हमारी रात बहुत अच्छी गुज़री और मैं अभी भी नींद में हूँ और सोने जा रही हूँ। बस तुम्हें इसलिए कॉल किया था ताकि तुम किसी झूठी आशा में ना बैठो और किसी का इंतज़ार ना करो। वैसे मुझे तुमसे कोई ख़ास हमदर्दी तो नहीं है, लेकिन फिर भी अपनी वेलविशर समझ लेना मुझे। हा हा हा।"
इतना बोलकर उस रूपाली ने कॉल कट कर दिया।
मीरा वहीं पर पत्थर की तरह जमकर खड़ी हो गई थी और उसकी बातें मीरा के दिमाग में गूंजने लगीं!
अनिका ने जब देखा कि कॉल कट करने के बाद भी मीरा अभी भी वहीं पर खड़ी है, तो अनिका उठकर उसके सामने आई और बोली,
"क्या बात है? तू क्या सोच रही है?"
मीरा ने अनिका की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह बस उसी तरह चुपचाप खड़ी थी और उसके चेहरे पर उदासी साफ़ नज़र आ रही थी।
अनिका मीरा को इस तरह परेशान देखकर डर गई। उसने मीरा के हाथ को हिलाते हुए कहा,
"क्या सोच रही है तू मीरा? मैं तुझसे कुछ पूछ रही हूँ, किसका फ़ोन था? बता मुझे? तू इतनी शॉक्ड क्यों हो गई?"
क्रमशः...
मीरा अनिका को उस फ़ोन कॉल और रूपाली के बारे में कुछ नहीं बता सकी। अगर वह रूपाली को बताती, तो अनिका को उनकी गुप्त शादी का पता चल जाता।
"अरे, कोई ज़रूरी कॉल नहीं था। तू जानती ही है ना, आजकल ये डेबिट कार्ड वाले कैसे-कैसे ऑफ़र देते हैं," मीरा ने सिर हिलाते हुए कहा।
अनिका ने मीरा की बात सुनकर सिर हिलाया और मुस्कुराते हुए कहा, "चल छोड़, आ जा। हम अपना लंच फ़िनिश करते हैं।"
लंच के बाद, जब मीरा अपनी डेस्क पर वापस गई, तो वह अथर्व के केबिन की तरफ़ देख रही थी। अथर्व अभी तक ऑफ़िस नहीं आया था, लेकिन ललित आ गया था और अपने काम में व्यस्त था।
मीरा सोच रही थी कि अगर अथर्व रूपाली के साथ है, तो वह उसके साथ कितना अच्छा समय बिता रहा होगा। मीरा का मन हुआ कि वह जाकर ललित से पूछे कि अथर्व क्यों नहीं आया।
मीरा यह बात सोच ही रही थी कि उसने धीमी आवाज़ में खुद से सवाल किया, "अगर मैं ललित से अथर्व के बारे में पूछने गई, तो कहीं मैं बहुत ज़्यादा बेताब तो नहीं लगूँगी? पता नहीं ललित मुझे उसके बारे में बताएगा भी या नहीं? या हो सकता है ललित को भी उसके बारे में पता न हो। और जितने आत्मविश्वास से रूपाली मुझसे बात कर रही थी, उससे तो यही लग रहा था कि अथर्व उसके साथ ही होगा।"
मीरा ने अपना काम पूरा किया। ऑफ़िस की छुट्टी का समय हो गया था, लेकिन अथर्व अभी तक नहीं आया था। मीरा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। धीरे-धीरे उसने रूपाली की बात पर पूरा यकीन कर लिया। मीरा काफ़ी उदास हो गई और सीधे घर आ गई।
मीरा बार-बार दरवाज़े की तरफ़ देख रही थी। उसे ऐसा लग रहा था कि अगर अथर्व आज आ गया, तो रूपाली की बात गलत साबित हो जाएगी। मन ही मन वह चाह रही थी कि अथर्व आज आ जाए। मीरा ने सोचा कि वह अथर्व को कॉल करे। वह चाहती थी कि अथर्व आज आ जाए, और उसने बिना सोचे-समझे अथर्व को कॉल किया। लेकिन अथर्व ने मीरा का कॉल नहीं उठाया। मीरा और ज़्यादा निराश हो गई।
मीरा ने अपना फ़ोन सोफ़े पर पटक दिया। उसकी नज़रें बार-बार दरवाज़े की तरफ़ जा रही थीं। मीरा ने खुद को चिल्लाते हुए कहा, "क्या कर रही है तू मीरा? बार-बार दरवाज़े की तरफ़ क्यों देख रही है? जिसका इंतज़ार कर रही है, वह नहीं आएगा।"
अथर्व से अपना ध्यान हटाने के लिए, मीरा ने अपना लैपटॉप खोला और काम करने लगी। तभी मीरा के फ़ोन पर रूपाली का वीडियो कॉल आया।
"इतनी रात में यह वीडियो कॉल क्यों कर रही है?" मीरा ने मन ही मन सोचा, "ज़रूर यह फिर से कुछ उल्टी-सीधी बात ही करेगी। एक काम करती हूँ, मैं इसका कॉल उठाती ही नहीं हूँ।" मीरा ने उसका फ़ोन बजने दिया।
रूपाली कहाँ मानने वाली थी? उसने दोबारा मीरा को फ़ोन किया, लेकिन मीरा उसकी कॉल को इग्नोर करती रही।
जब रूपाली ने देखा कि मीरा उसका फ़ोन नहीं उठा रही है, तो उसने अपना हाथ बेड पर मारते हुए कहा, "यह लड़की मुझे इस तरह कैसे इग्नोर कर सकती है? मैं इसे चैन से तो नहीं बैठने दूँगी। कोई बात नहीं, अगर इसे मेरी कॉल नहीं उठा रही, तो ठीक है। मैं ऐसा वीडियो बनाकर भेजूँगी कि इसकी रूह काँप जाएगी।"
रूपाली ने अपना एक सेक्सी बेड परफ़ॉर्मेंस का वीडियो बनाया। इस वक़्त रूपाली के साथ जो लड़का था, उसने सिर्फ़ उसकी गर्दन और बॉडी की वीडियो बनाई, जिसमें रूपाली उस लड़के की गर्दन और सीने पर किस कर रही थी और उसकी साँसें काफ़ी तेज थीं।
रूपाली ने वीडियो में कुछ आवाज़ें निकालीं और आखिर में अथर्व का नाम लिया।
वीडियो बनाने के बाद, रूपाली ने उसे देखा और एक शैतानी मुस्कराहट से कहा, "अब यह वीडियो तो तुम देखोगी ही, और तुम्हें इसके बारे में और ज़्यादा सोचने पर मैं मजबूर करूँगी।"
रूपाली ने वह वीडियो तुरंत मीरा को भेजा और साथ ही एक वॉइस नोट रिकॉर्ड किया।
"पता नहीं क्यों मुझे ऐसा महसूस हो रहा है कि तुम मुझसे जल रही हो। मेरी खुशियाँ तुमसे देखी नहीं जा रही हैं ना? मैं तुम्हें वीडियो कॉल करके कुछ दिखाने वाली थी, लेकिन तुमने मेरी कॉल रिसीव भी नहीं की! चलो खैर, कोई बात नहीं। अभी तुम्हें जो वीडियो भेजा है, उसे देखो और आराम से सो जाओ!"
रूपाली ने यह वॉइस नोट भी उसी वीडियो के साथ मीरा को भेज दिया।
जैसे ही मीरा ने वह वॉइस नोट सुना, उसका पूरा बदन काँपने लगा। उस वीडियो में रूपाली ने जिस तरह की हरकतें की थीं, उसे देखकर मीरा को बहुत गुस्सा आ रहा था।
वीडियो देखकर मीरा ने कहा, "अगर यह सच में अथर्व है, तो मुझे नहीं लगता हमें इस शादी में रहने की ज़रूरत है। और अगर वह अभी भी रूपाली से प्यार करता है, तो फिर यही सही।"
मीरा उदास होकर सीधे अपने कमरे में चली गई। अथर्व नहीं आया था।
मीरा को ऐसा लग रहा था कि वह किसी भी तरह की कोई खुशी नहीं पा सकती। उसे खुद पर गुस्सा आ रहा था। वह रोती जा रही थी। मीरा बाथरूम गई और बाथटब में बैठ गई।
सारी रात मीरा उसी बाथटब में बैठी रही। उसका पूरा बदन पानी में रहने की वजह से कप गया था और उसे तेज बुखार था। सुबह, जब अथर्व वापस आया, तो उसने कई बार दरवाज़ा खटखटाया, मगर मीरा ने गेट नहीं खोला। अथर्व को बहुत बेचैनी होने लगी।
अथर्व ने घर की दूसरी चाबी से गेट खोला और हड़बड़ाता हुआ अंदर आया। उसने मीरा को आवाज़ लगाई, लेकिन मीरा ने जवाब नहीं दिया।
मीरा बुखार में ठंड की वजह से काँप रही थी और वह बाथरूम के बाथटब में लगभग बेहोश होने वाली हालत में पड़ी थी।
अथर्व दौड़ते हुए उसे पूरे घर में ढूँढने लगा। मीरा कहीं नहीं मिली, तो उसने सोचा कि वह बाथरूम में होगी।
"एक बार बाथरूम चेक कर लेता हूँ, शायद अंदर होगी।" अथर्व जब बाथरूम के पास आया, तो उसने देखा कि बाथरूम का गेट अंदर से बंद है, लेकिन मीरा उसकी बात का जवाब नहीं दे रही थी।
अथर्व ने कई बार बाथरूम का दरवाज़ा खटखटाया। जब मीरा ने दरवाज़ा नहीं खोला, तो अथर्व परेशान होते हुए बोला, "मीरा ऐसा तो कभी नहीं करती, तो फिर आज मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही? कहीं उसे कुछ…!"
अथर्व के दिमाग में जैसे ही यह बात आई, वह काफ़ी ज़्यादा घबरा गया और उसने तेज़ी से धक्का मारा और बाथरूम के गेट को तोड़ दिया।
उसने देखा कि मीरा कपड़ों सहित बाथटब में लेटी है और उसका पूरा बदन काँप रहा है।
अथर्व जल्दी से मीरा के पास गया। जैसे ही उसने उसका हाथ पकड़ा, उसे महसूस हुआ कि उसका हाथ भट्टी की तरह जल रहा था। पूरे कपड़े गीले होने के बावजूद भी उसका पूरा शरीर गर्म था।
अथर्व परेशान होते हुए बोला, "मीरा, क्या कर रही हो तुम इस तरह बाथटब में…?"
लेकिन मीरा अपने होश में नहीं थी। अथर्व ने उसके गालों को कई बार थपथपाया, लेकिन मीरा नहीं उठी।
अथर्व ने तुरंत तौलिया उठाया और मीरा को बाथटब से बाहर निकाला और उसके बदन को पोछने लगा। लेकिन उसका पूरा बदन पूरी तरह से गीला था; उसका बदन तौलिये से साफ़ नहीं हो रहा था।
मीरा की ऐसी हालत देखकर अथर्व घबरा गया। उसने जल्दी से मीरा को अपनी गोद में उठाया और उसे लेकर सीधे बेडरूम में आ गया।
मीरा की आँखें धीरे-धीरे खुल रही थीं। जब उसने अपने सामने अथर्व को देखा, तो मीरा के होंठ अपने आप काँपने लगे।
अथर्व ने उसके दोनों हाथों को अपनी हथेलियों के बीच रखकर रगड़ा।
मीरा की तरफ़ देखते हुए अथर्व ने पूछा, "मीरा, तुम इस हालत में क्यों हो? और क्या हुआ तुम्हें? कोई प्रॉब्लम है क्या?"
मीरा बेहोशी की हालत में बड़बड़ाई, "अथर्व, तुम्हें मेरे साथ बंधकर रहने की ज़रूरत नहीं है। तुम मुझसे तलाक ले सकते हो।"
इतना बोलकर मीरा की आँखों से आँसू निकलने लगे। अथर्व बिलकुल हैरान हो गया और उसने मीरा को डाँटते हुए कहा, "पागल हो गई हो क्या मीरा? ये क्या बोल रही हो? मुझे लगता है अभी तुम अपने होश में नहीं हो, इसलिए शांत रहो और उठो। मुझे तुम्हारे कपड़े बदलने पड़ेंगे।"
मीरा अथर्व की बात सुनकर कुछ नहीं बोली, बस उसे हैरानी से देखने लगी।
अथर्व ने कहा, "अगर तुम इसी तरह गीले कपड़ों में बैठी रहोगी, तो तुम्हारा बुखार और तेज हो जाएगा। उठो मीरा…!"
इतना बोलकर अथर्व ने मीरा को बेड पर उठाकर बैठाया। मीरा अपने बल पर बैठ भी नहीं पा रही थी और उसने अपना सिर अथर्व के कंधे पर टिका दिया। अथर्व ने मीरा के गरम बदन को महसूस किया और अथर्व का दिल तेज़ी से धड़क रहा था।
उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह मीरा के कपड़े कैसे बदले। उसने मीरा को बेड का सहारा देकर बैठाया और तुरंत उसके लिए एक बाथरोब निकालकर लाया।
उसने मीरा के कपड़े उतारना शुरू किया।
अथर्व ने मीरा के गोरे बदन को देखा और उसका फिगर जो दिखने में कमाल का लग रहा था। अथर्व को बहुत अजीब सी फीलिंग होने लगी थी। उसका दिल और तेज़ी से धड़कने लगा, लेकिन उसने अपनी आँखें बंद कर लीं, अपने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढँक लिया और जल्दी से उसे बाथरोब पहना दिया।
बाथरोब पहनाकर अथर्व ने उसे वापस बेड पर लिटाया और उसकी बॉडी के चारों तरफ़ से ब्लैंकेट लपेट दिया ताकि उसे ठंड न लगे। खुद मीरा का बुखार उतारने के लिए ठंडा पानी लेने के लिए किचन में गया।
कोल्ड वाटर और तौलिया लेकर वह मीरा के सिरहाने बैठ गया। मीरा का चेहरा इतना मासूम लग रहा था। अथर्व उसे एकटक देखता जा रहा था और मीरा की पट्टियाँ बदलता जा रहा था।
अथर्व के दिमाग में अभी कुछ देर पहले मीरा ने जो बात बोली थी, वह बात घूम रही थी।
अथर्व ने खुद से कहा, "आखिर मीरा को क्या हुआ है? उसने अपनी ऐसी हालत क्यों की? और वह अचानक से तलाक लेने के लिए… आखिर मीरा ने क्यों कहा?"
अथर्व यह सोच ही रहा था कि तभी उसने देखा कि मीरा का पूरा बदन काँप रहा है और उसकी आँखों से आँसू निकल रहे हैं।
अथर्व ने मीरा की आँखों से निकलने वाले आँसुओं को पोछा और बड़े प्यार से उसके गालों को चूमा।
अथर्व मीरा के बगल में लेट गया। वह बस मीरा का बुखार ठीक करना चाहता था। वह अपने शरीर की गर्मी मीरा को दे रहा था ताकि मीरा जल्दी से ठीक हो जाए।
अथर्व ने मीरा को अपनी बाहों में भर रखा था और उसी के शरीर को चारों तरफ़ से ढँक लिया था। मीरा अथर्व के बिलकुल करीब लेटी थी। जब उसे अथर्व के शरीर की गर्मी महसूस हो रही थी, तो उसे काफ़ी अच्छा लग रहा था। धीरे-धीरे मीरा पहले जैसे नॉर्मल हो रही थी; उसका बॉडी का टेंपरेचर भी नॉर्मल हो रहा था।
काफ़ी देर बाद मीरा की आँख खुली और उसने खुद को अथर्व की बाहों में पाया।
क्रमशः…
आज का सवाल - खुद को अथर्व की बाहों में देखकर मीरा किस तरह रिएक्ट करेगी? कमेंट में बताइए।
काफी देर बाद मीरा की आँख खुली। उसने खुद को अथर्व की बाहों में पाया। मीरा की नज़र घड़ी पर पड़ी। दोपहर का समय हो रहा था। मीरा हड़बड़ा गई।
"2:00 बज गए, मुझे ऑफिस जाना था।"
अथर्व मीरा की आवाज़ सुनकर उठ गया। उसने मीरा का हाथ पकड़ा और उसे वापस लिटाते हुए कहा, "तुम आज ऑफिस नहीं जाओगी। तुम्हें पता है ना, तुम्हारी तबीयत कितनी ख़राब थी? तुम्हें 102 डिग्री से ज़्यादा बुखार था। अभी तुम्हारा बॉडी टेंपरेचर नॉर्मल हुआ है।"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखकर कहा, "तुम कब आए? मुझे लगता है मैं बिल्कुल ठीक हूँ और ऑफिस जा सकती हूँ।"
अथर्व ने उसका हाथ नहीं छोड़ा। उसने सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, तुम कहीं नहीं जाओगी। आज की रात तुम यहीं रहोगी, और मैं आज यहीं रुकने वाला हूँ।"
मीरा ने अथर्व की बात सुनते ही घूरते हुए कहा, "यहाँ क्यों रुकोगे? क्या मैं कहीं और नहीं जा सकती?"
मीरा को रूपाली का वीडियो याद आ गया। वह उखड़ गई।
"यहाँ क्यों रुकोगे? क्या मैं कहीं और नहीं जा सकती?"
अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखकर कहा, "हाँ, जाना तो है, लेकिन तुम्हें यह बात कैसे पता?"
मीरा ने अथर्व के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया। उसने सिर हिलाया।
अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखकर कहा, "तुम आराम करो। कल सुबह हम यहाँ से निकलेंगे और सबसे पहले हॉस्पिटल जाएँगे। मेरी माँ हॉस्पिटल में है, और तुम मेरे साथ चलोगी।"
इतना बोलकर अथर्व उठा। उसने बेड के पीछे से तकिया उठाया और मीरा के पीछे लगाकर उसे टेक लगाकर बैठाते हुए कहा, "यहीं पर बैठो। यहाँ से कहीं जाने की ज़रूरत नहीं है। मैं अभी दोनों के लिए कुछ बनाकर लाता हूँ। वैसे भी लंच का टाइम हो गया है।"
अथर्व इतना बोलकर कमरे से बाहर निकल गया। मीरा ने मन ही मन कहा, 'यह अथर्व फिर से वैसा ही नक़्शा रहा है। मुझे इतना प्यार क्यों दिखाता है? मुझे तो समझ नहीं आता।'
मीरा चुपचाप वैसे ही बैठी रही जैसे अथर्व ने उसे बैठाकर गया था। उसके दिमाग में तरह-तरह के ख्याल चल रहे थे।
थोड़ी देर बाद अथर्व एक बड़ी सी ट्रे में एक प्लेट और एक बड़ा सा कटोरा रखकर आया। उसने वह मीरा के सामने रखते हुए कहा, "यह हमारा लंच है। यह लो, तुम्हारा गरमागरम सूप। मैंने अपने लिए सैंडविच बनाया है। चलो, जल्दी से इसे खाते हैं। उसके बाद मैं तुम्हें बुखार उतरने की दवा दूँगा।"
मीरा हैरानी से उसकी तरफ़ देख रही थी। तभी अथर्व ने कहा, "अब तुम मुझे इस तरह से घूरकर मत देखो और जल्दी से अपना सूप ख़त्म करो।"
इतना बोलकर उसने अपना सैंडविच खाना शुरू कर दिया। सैंडविच खाते-खाते उसके चेहरे पर थोड़ा सा सैंडविच लग गया। इसे देखकर मीरा मुस्कुराई। वह आगे बढ़ी और अथर्व के गालों पर अपना हाथ रखकर उसे साफ़ कर दिया।
मीरा अपना सूप पीने में व्यस्त थी। जैसे ही उसने सूप ख़त्म किया और पानी का गिलास उठाकर पीने लगी, अथर्व उसे एकटक देख रहा था। जैसे ही मीरा की नज़र अथर्व पर पड़ी, वह थोड़ी असहज हो गई। अथर्व मीरा के करीब आया और उसने उसके दोनों गालों को प्यार से सहलाते हुए पकड़ा।
मीरा को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर हुआ क्या है। अथर्व उसे इस तरह क्यों देख रहा है?
अथर्व बड़े प्यार से उसके करीब आया और उसने मीरा के होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वह मीरा को किस करने लगा। मीरा को भी बहुत अच्छा लग रहा था। उसने अथर्व को खुद से दूर नहीं किया, ना ही उसे किस करने से रोका।
मीरा ने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं। जैसे ही अथर्व ने उसे किस करना बंद किया, उसने तुरंत अपनी आँखें खोली और अथर्व की आँखों में देखने लगी। उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखा। अथर्व ने तुरंत उसके आँसुओं को पोछते हुए कहा, "क्या बात है? तुम रो क्यों रही हो?"
मीरा ने तुरंत कहा, "अथर्व, मुझे लगता है हम दोनों एक-दूसरे के लिए नहीं बने हैं। जब तुम मुझसे प्यार ही नहीं करते, तो फिर हमारे इस रिश्ते में रहने का क्या फायदा? इसलिए मैं कह रही हूँ कि तुम मुझसे तलाक़ ले लो और हमेशा के लिए आज़ाद हो जाओ।"
मीरा की बात सुनते ही अथर्व बिल्कुल हैरान हो गया। वह मीरा को घूरते हुए देख रहा था। मीरा ने अपने हाथों की मुट्ठियाँ कसकर बंद कर ली थीं। साफ़ दिख रहा था कि वह अपने इमोशन्स को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। अथर्व ने मीरा को गुस्से से देखा और उसके चेहरे को अपनी तरफ़ घुमाते हुए कहा, "पागल हो गई हो क्या? क्या बोल रही हो? तुम्हें समझ में आ रहा है?"
मीरा ने अथर्व का हाथ हटाया और अपनी जगह पर खड़े होते हुए बोली, "मैंने जो भी बोला है, बहुत सोच-समझकर बोला है। और मुझे लगता है हम दोनों के लिए यही सही रहेगा।"
अथर्व चुपचाप वहीं बेड पर बैठ गया और गहरी सोच में डूब गया। मीरा कमरे से बाहर आई और सोफ़े पर आकर बैठ गई। उसने दोनों हाथों से अपने चेहरे को ढँक लिया और जोर-जोर से रोने लगी।
मीरा अभी कुछ देर पहले जो बात बोली थी, उसे सोचते हुए उसके आँसू नहीं रुक रहे थे।
अथर्व कमरे से बाहर निकलकर जब देखा कि मीरा सोफ़े पर बैठकर रो रही है, तो उसने कहा, "इस मीरा को आख़िर हुआ क्या है? वह तलाक़ की बात क्यों कर रही है? और अगर उसे तलाक़ ही चाहिए था, तो फिर वह बाहर बैठकर क्यों रो रही है? आख़िर प्रॉब्लम क्या है?"
अथर्व इतना सोच ही रहा था कि तभी वह मीरा की तरफ़ बढ़ा। उसका मन कर रहा था कि वह मीरा से जाकर सीधे बात पूछ ले। लेकिन मीरा की हालत देखकर उसने उसके करीब जाना ठीक नहीं समझा। वह सीधे घर से बाहर निकल गया। जाते हुए अथर्व ने गेट को तेज़ी से पटक दिया, ताकि मीरा को समझ आ जाए कि वह चला गया है।
अथर्व के जाते ही मीरा और तेज़ी से रोने लगी। उसने खुद से कहा, "मैं ऐसा नहीं करना चाहती थी। मैं तलाक़ का नाम भी अपने मुँह से नहीं लेना चाहती थी, अथर्व! लेकिन वह रूपाली... उसने जो कहा... अगर उसकी बातें सच हैं, तो फिर मैं कौन होती हूँ तुम दोनों के बीच आने वाली?"
मीरा उसी बात को बार-बार सोचती जा रही थी। तभी उसने अपना ध्यान भटकाने के लिए अपना काम करना शुरू किया। उसने लैपटॉप लेकर बैठ गई और थोड़ी ही देर में अपना सारा काम ख़त्म कर लिया। लेकिन मीरा बार-बार अथर्व के बारे में सोच रही थी। तभी मीरा ने ड्राइंग पेपर निकाला और सीधे बालकनी में जाकर बैठ गई और ड्राइंग करने लगी।
कुछ ही देर बाद बालकनी के नीचे मीरा को अथर्व की कार दिखाई दी। मीरा ने उस कार की तरफ़ देखकर कहा, "यह कार तो अथर्व की है। वह तो इतने गुस्से में गया था, मुझे लगा था कि वह वापस नहीं आएगा, लेकिन यह तो वापस आ गया।"
अथर्व जैसे ही कमरे के अंदर आया, उसने देखा कि मीरा बालकनी के पास बैठी कुछ ड्राइंग बना रही है। उसने उसे डिस्टर्ब नहीं किया और सीधे किचन में चला गया।
अथर्व किचन में गया। उसकी आवाज़ मीरा के कानों में आ रही थी। मीरा ने उन आवाज़ों को सुनकर बाहर किचन की तरफ़ देखते हुए कहा, "अथर्व आते ही किचन में क्या करने लगा?"
मीरा उठी और सीधे किचन की तरफ़ जाने लगी। अथर्व कुछ शर्मा रहा था। तभी मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखते हुए कहा, "क्या कर रहे हो तुम? तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझे बताओ, मैं कर देती हूँ।"
अथर्व मीरा की बात सुनकर कुछ नहीं बोला। चुपचाप अपना काम करता रहा। मीरा समझ गई कि अथर्व उससे गुस्सा है, इसीलिए वह उससे बात नहीं कर रहा है और ना ही उसकी किसी बात का जवाब दे रहा है।
मीरा वहीं किचन के पास खड़ी थी और चुपचाप अथर्व को उसका काम करते हुए देख रही थी।
मीरा अथर्व के पास आई और बोली, "तुम्हें कुकिंग का इतना शौक है? हटो, वरना फिर से अपना हाथ काट लोगे।"
मीरा की बात को अथर्व ने पूरी तरह से इग्नोर कर दिया। तभी मीरा ने उसके हाथ से छुरी छीनी और उसका काम करने लगी। अथर्व को यह बात बिल्कुल भी पसंद नहीं आई। उसने मीरा के दोनों कंधों को पकड़ा और उसे फ्रिज से लगाते हुए कहा, "क्या समझती हो तुम खुद को? हाँ, बताओ मुझे।"
मीरा बिल्कुल हैरान हो गई थी। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि अथर्व उसे इस तरह से धक्का देगा और वह फ्रिज से जाकर लगेगी। मीरा बिल्कुल हैरान हो गई थी और वह एकटक अथर्व की तरफ़ देखती जा रही थी। उसकी आँखों में हैरानी साफ़ दिख रही थी। इसे देखकर अथर्व के ऊपर कंट्रोल होने लगा। उसका गुस्सा पूरी तरह से पिघल गया। अथर्व ने उसके कंधों पर से अपनी पकड़ ढीली कर दी।
मीरा हैरानी से अथर्व की तरफ़ देखती जा रही थी। तभी अथर्व मीरा की बड़ी-बड़ी आँखों और उसके गुलाबी होठों को देखता ही जा रहा था। धीरे-धीरे वह उसके करीब आया। अथर्व ने अपने दाएँ हाथ के अंगूठे से उसके होठों को सहलाया। जैसे ही अथर्व ने मीरा के होठों को छुआ, मीरा अपनी जगह पर जम गई। उसे अपने पूरे बदन पर सरसराहट महसूस हुई।
अथर्व मीरा के करीब गया और उसके कान के पास आकर उसके गालों को अपने हाथ से दबाया। उसके गालों के बिल्कुल करीब झुकते हुए कहा, "मुझे नहीं पता तुम्हारे दिमाग में क्या चल रहा है और तुमने मुझसे तलाक़ की बात क्यों की, लेकिन तुम मेरी बात ध्यान से सुनो। कल सुबह हम यहाँ से हॉस्पिटल जाने वाले हैं, इसलिए सुबह जल्दी उठना। और आज तुमने मेरे सामने यह बात बोली है, लेकिन सक्सेना परिवार के किसी भी इंसान के सामने यह बात बोलने की हिम्मत मत करना।"
मीरा को अथर्व में एक अलग ही इंसान नज़र आ रहा था। अथर्व ने झटके से मीरा को छोड़ दिया। उसके गालों पर अथर्व की उँगलियों के निशान बन गए थे और मीरा का गाल दर्द करने लगा था।
अथर्व ने चुपचाप अपनी खाने की प्लेट उठाई और सीधे टेबल पर आकर खाना खाने लगा। मीरा बिल्कुल हैरान थी क्योंकि अथर्व ने उसके साथ काफी हाशमी रवैया किया था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अथर्व का ऐसा करने का क्या मतलब है। मीरा ने मन ही मन कहा, "क्या अथर्व ने गुस्से में आकर यह सब किया है?"
मीरा चुपचाप वहीं खड़ी रही और उसने अपने गालों को सहलाया। मीरा के कानों में दर्द हो रहा था। वह अथर्व की बात सोच रही थी और कुछ देर तक वहीं किचन में रुकी रही। काफी देर बाद जब मीरा किचन से बाहर निकली, तो उसने देखा कि अथर्व टेबल पर बैठा है और उसके हाथ में शराब का गिलास है।
मीरा के लिए यह काफी चौंकाने वाला था। मीरा को इतना तो पता था कि अथर्व शराब पीता है, लेकिन इतनी ज़्यादा नहीं। आज पहली बार अथर्व मीरा के सामने बैठकर इतनी शराब पी रहा था। मीरा ने डिनर में कुछ भी नहीं खाया और वह चुपचाप अपने कमरे में सोने के लिए चली गई।
अथर्व ने काफी ज़्यादा शराब पी ली थी और उस समय वह काफी नशे में था। मीरा ने अपनी नाइट ड्रेस पहनी हुई थी और वह चुपचाप अपने बेड पर लेटी थी। मीरा की नाइट ड्रेस से उसके गोरे, पतले पैर साफ़ नज़र आ रहे थे। जैसे ही अथर्व बेडरूम में आया, उसकी नज़र पहले मीरा पर गई। ब्लू कलर की नेट की नाइटी में मीरा बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
अथर्व सीधे मीरा की तरफ़ बढ़ने लगा। मीरा करवट लेकर लेटी थी और उसकी कमर का कर्व साफ़ नज़र आ रहा था। उसके फिगर को देखकर अथर्व ने अपने हाथों की मुट्ठी बाँधी। वह अपनी नज़रें मीरा पर से हटा ही नहीं पा रहा था। वह धीरे-धीरे मीरा के करीब बढ़ने लगा।
क्रमशः...
आज का सवाल - क्या अथर्व नशे की हालत में मीरा के साथ कुछ गलत नहीं करेगा?
अथर्व जैसे-जैसे मीरा के करीब आ रहा था, मीरा बहुत ज्यादा असहज हो गई थी। जैसे ही अथर्व मीरा के पास आया, मीरा उसे अपने इतने करीब महसूस करके घबरा गई। मीरा ने तुरंत अथर्व का हाथ पकड़ा और उसकी ओर घूम गई। मीरा जानती थी कि अथर्व नशे में है। उसने अथर्व को खुद से दूर करते हुए कहा, "क्या कर रहे हो अथर्व? तुम नशे में हो, दूर हटो मुझसे।"
अथर्व पहले से ही काफी ज्यादा गुस्से में था। जैसे ही उसने मीरा की आवाज़ सुनी, उसने मीरा के दोनों हाथों को कसकर पकड़ा और उसके हाथों को तकिए पर दबा दिया। मीरा अपने हाथ को अथर्व के हाथ से छुड़ाने की नाकाम कोशिश कर रही थी और मचलती जा रही थी। लेकिन अथर्व ने अपना पैर मीरा के पैरों में फँसा लिया। मीरा अब अपनी जगह पर जमकर रह गई थी; वह हिल भी नहीं पा रही थी और उसके दोनों हाथ अथर्व की गिरफ्त में थे।
अथर्व ने मीरा की ओर देखकर कहा, "शायद तुम भूल रही हो, हमारी कॉन्ट्रैक्ट मैरेज हुई है और लीगली मैं तुम्हारा पति हूँ। याद तो है ना, तुम्हें?"
मीरा ने जैसे ही अथर्व की बात सुनी, वह बिल्कुल शांत हो गई। अथर्व मीरा को इतना शांत होते देखकर मुस्कुराया। तभी मीरा ने लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा, "अथर्व, लेकिन तुम नशे में हो और…"
इससे पहले कि मीरा और कुछ बोल पाती, अथर्व ने उसकी बात काटते हुए कहा, "हाँ, मैं नशे में हूँ तो क्या हुआ? नशे में होने के बावजूद भी मैं पूरी तरह से अपने होश में हूँ, समझी तुम? और मुझे सब कुछ बहुत अच्छी तरह से याद है। तुम्हें मुझे कुछ भी याद दिलाने की ज़रूरत नहीं है।"
मीरा अथर्व की बात सुनकर बिल्कुल चुप हो गई। अथर्व ने कॉन्ट्रैक्ट मैरेज वाली बात बोल दी थी और वह खुद को उसका पति बोलकर उस पर पूरा हक़ जमा रहा था। मीरा चाहकर भी अब कुछ नहीं कर सकती थी और वह अपनी आँखें बंद करके उसी तरह लेटी रही।
अथर्व जो मीरा के मासूम से चेहरे को निहार रहा था, उसने अचानक से मीरा के पैरों पर से अपना पैर हटा लिया और उसके दोनों हाथों की पकड़ को ढीला कर दिया। जैसे ही मीरा ने महसूस किया कि अथर्व ने उसे छोड़ दिया है, मीरा ने एक गहरी साँस ली। तभी अथर्व ने बड़े प्यार से मीरा के चेहरे को छुआ। अथर्व ने मीरा के गाल को सहलाते हुए कहा, "आँखें खोलो।"
मीरा के कान में जैसे ही अथर्व की आवाज़ गई, लेकिन वह आँखें खोलकर उसकी ओर नहीं देख पा रही थी। मीरा की इतनी हिम्मत ही नहीं हो रही थी।
अथर्व ने जब देखा कि मीरा उसकी बात नहीं सुन रही है और अभी भी आँखें बंद करके लेटी हुई है, अथर्व मीरा पर चिल्लाना चाह रहा था। लेकिन मीरा का दिल इतनी तेज़ी से धड़क रहा था कि अथर्व को उसकी दिल की धड़कन साफ़ सुनाई दे रही थी। पूरा कमरा बिल्कुल शांत था और कमरे में सिर्फ़ और सिर्फ़ मीरा की गहरी साँसें गूंज रही थीं। अथर्व ने मीरा के बिल्कुल करीब जाकर उसके कान में बिल्कुल धीमी आवाज़ में कहा, "मैंने तुमसे कहा, अपनी आँखें खोलो।"
मीरा ने धीरे-धीरे करके अपनी आँखें खोलीं और तभी अथर्व उसके चेहरे के बिल्कुल सामने था। अथर्व को इस तरह अपने ऊपर देखकर मीरा की साँसें रुक गईं। अथर्व के पास से व्हिस्की की बहुत ज़्यादा स्मेल आ रही थी और मीरा ने अपना मुँह दूसरी तरफ़ घुमा लिया। अथर्व ने तुरंत उसके गालों को पकड़ा और बिना कुछ सोचे-समझे, उसके होठों पर अपने होठ रख दिए।
मीरा बिल्कुल स्तब्ध थी। उसे नहीं समझ में आ रहा था कि अथर्व आज ऐसा क्यों कर रहा है। क्योंकि अभी कुछ देर पहले तो वह इतना ज़्यादा गुस्से में था और अब अचानक से वह इतने प्यार से उससे किस कर रहा है। मीरा इतनी ज़्यादा कन्फ़्यूज़ हो गई थी कि उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अथर्व के साथ इस स्कोर का आनंद ले या फिर उसे धक्का देकर अपने ऊपर से हटा दे। मीरा यह सोच ही रही थी कि उतनी ही देर में अथर्व खुद ब खुद उसके ऊपर से हट गया।
जैसे ही अथर्व मीरा के ऊपर से हटा, मीरा ने एक राहत की साँस ली और वह जल्दी से दूसरी तरफ़ मुँह घुमाकर लेट गई।
मीरा अभी कुछ देर पहले हुई सारी चीजों के बारे में सोच रही थी। अथर्व समझ गया था कि मीरा अब जल्दी सो नहीं पाएगी और इन्हीं सब चीजों के बारे में सोचती रहेगी। अथर्व ने बड़ी ही आकर्षक आवाज़ में कहा, "रात काफी ज़्यादा हो गई है और तुम्हें कुछ भी सोचने की ज़रूरत नहीं है। चुपचाप सो जाओ। कल सुबह हमें जल्दी हॉस्पिटल के लिए निकलना है।"
मीरा ने अथर्व की बात सुनी, लेकिन उसने उसकी बात का कोई भी जवाब नहीं दिया। अथर्व ने जब देखा कि मीरा उसकी बात का जवाब नहीं दे रही है, तो अथर्व ने कहा, "तुमने मेरी बात सुनी ना?"
मीरा ने सिर्फ़ हाँ में अपना सिर हिलाया और चुपचाप आँखें बंद करके सोने की कोशिश करने लगी।
सुबह जल्दी उठते ही अथर्व मीरा को लेकर सीधे हॉस्पिटल पहुँचा। हॉस्पिटल के उस वार्ड में जहाँ पर अथर्व की माँ थी, वह दोनों एक साथ उस वार्ड की ओर जा रहे थे।
कल रात में जो कुछ भी हुआ, मीरा उस बारे में अथर्व से कोई भी बात नहीं करना चाहती थी। क्योंकि अथर्व ने ही रात में उसे ज़्यादा कुछ सोचने से मना कर दिया था और आज सुबह उसे अथर्व की माँ से मिलने हॉस्पिटल भी आना था।
हॉस्पिटल के कॉरिडोर में चलते हुए मीरा ने अपने मन में कहा, 'कुछ भी हो, अथर्व की माँ को ऐसा कुछ भी नहीं लगना चाहिए कि हमारे बीच कुछ भी ठीक नहीं है। हमारा यह अजीब सा बंधन मझधार में ही फँसा हुआ है। फिर भी मैं उनके सामने ऐसा दिखाने की कोशिश तो कर ही सकती हूँ कि हम दोनों साथ में बहुत खुश हैं। एटलीस्ट जब तक वह ठीक नहीं हो जाती, तब तक।'
जैसे ही वह दोनों उस वार्ड में पहुँचे, अथर्व जल्दी से अपनी माँ के पास गया जो अभी गहरी नींद में सो रही थी। अथर्व ने उनके कम्बल को ठीक किया और कुछ देर वह वहीं अपनी माँ का हाथ पकड़कर बैठा रहा।
अथर्व की आँखों में अपनी माँ के लिए जो प्यार था, वह साफ़ नज़र आ रहा था और मीरा उसे बड़े प्यार से देख रही थी क्योंकि अथर्व के चेहरे पर इस समय सिर्फ़ और सिर्फ़ मासूमियत थी। अथर्व बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह अपनी माँ का हाथ पकड़कर बैठा था और तभी अथर्व का फ़ोन वाइब्रेट हुआ। उसने तुरंत अपने फ़ोन को निकाला और स्क्रीन पर नज़र डाली। वह कॉल रिसीव करने वार्ड से बाहर निकलने लगा और तभी उसने मीरा की ओर देखा।
मीरा ने उसे बाहर जाने के लिए कहा और खुद उठकर उसकी माँ के करीब जाकर बैठ गई। अथर्व ने मीरा से कहा, "बस मैं यह कॉल रिसीव करके आता हूँ।"
मीरा ने धीरे से हाँ में अपना सिर हिलाया। अथर्व वहाँ से बाहर निकल गया।
मीरा अथर्व की माँ को बड़े प्यार से देख रही थी और तभी मीरा को कुछ याद आया और वह मुस्कुराई। अथर्व की माँ बीमार थी और विराट उसे अपनी माँ के पास लेकर आया था। तो सक्सेना परिवार के करीब आने का यह मीरा के पास बहुत अच्छा मौका था; जब वह सबको समझ सकती थी और सबसे मिल सकती थी।
मीरा अथर्व की माँ की तरफ़ देख ही रही थी कि तभी अचानक से वहाँ पर किसी के आने की आहट सुनाई दी। जैसे ही मीरा ने किसी के आने की आहट सुनी, उसने तुरंत दरवाज़े की ओर अपना मुँह मोड़ा और वैसे ही उस वार्ड का दरवाज़ा खुल गया। मीरा ने देखा कि वार्ड के दरवाज़े को खोलकर दो औरतें अंदर चलकर आईं, जिनमें से एक अधेड़ उम्र की और एक उसी की उम्र की थीं और वह दोनों ही भारी मेकअप के साथ वहाँ पहुँचीं। जब उन दोनों ने मीरा को वहाँ पर अकेले देखा तो उन दोनों ने अपने सिर को ना में हिलाया। वह दोनों ही चलकर सीधे मीरा के बिल्कुल सामने आकर खड़ी हो गईं।
मीरा ने उन दोनों की तरफ़ देखकर पूछा, "तुम दोनों यहाँ क्यों आई हो?"
वह दोनों औरतें कोई और नहीं, बल्कि उनमें से अधेड़ उम्र वाली औरत मीरा की सौतेली माँ राखी थी और वहीं दूसरी उसकी हमउम्र दिखने वाली लड़की उसकी सौतेली बहन आरती थी। उन दोनों ने ही मीरा की बात का कोई जवाब नहीं दिया। आरती ने अपने हाथों में पकड़े हुए फलों की टोकरी को सामने रखी छोटी सी टेबल पर रख दिया और हाथ में पकड़े हुए फूलों को गुलदस्ते में रख दिया।
मीरा शांति से बैठी थी और उन दोनों की तरफ़ देख रही थी। तभी मीरा की सौतेली माँ उसके करीब आई और बोली, "अब तुम्हारी सास कैसी हैं, मीरा बेटा?"
मीरा ने जैसे ही अपनी सौतेली माँ की बात सुनी, उसने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "क्या करने आई हैं आप दोनों यहाँ पर? और इस तरह झूठा दिखावा करने की क्या ज़रूरत है आपको? और वैसे भी अभी मम्मी जी सो रही हैं, इसलिए आप लोगों को इस तरह का दिखावा करने की ज़रूरत नहीं है।"
मीरा की सौतेली माँ मीरा की सास की हालचाल पूछ रही थी और ऐसा जताने की कोशिश कर रही थी जैसे मानो उन्हें मीरा और उसके ससुराल वालों की बड़ी ही परवाह है। मीरा ने वर्मा परिवार और अपनी सौतेली माँ और बहन के लिए बहुत कुछ किया था और वह दोनों ही वहाँ पर सिर्फ़ और सिर्फ़ दिखावा करने और मीरा को जलाने के लिए आई थीं। मीरा की अपनी माँ और बहन से बिल्कुल भी नहीं बनती, हालाँकि वह दोनों ही मीरा का परिवार थीं, लेकिन मीरा अपने परिवार को बहुत पहले ही छोड़ चुकी थी।
मीरा ने उन दोनों को अनदेखा किया और अपनी सास के बगल में रखी दवाइयों को ठीक से रखने लगी।
मीरा की सौतेली माँ ने कहा, "वैसे मैंने सुना है कि तुम्हारी सास को दिल का दौरा पड़ा है। इस वजह से उन्हें यहाँ हॉस्पिटल में रखा गया है। तो कैसा लग रहा है तुम्हें अपनी सास की सेवा करते हुए?"
मीरा ने अपनी सौतेली माँ की तरफ़ घूरकर देखा। मीरा कुछ बोलने जा ही रही थी कि तभी उसकी माँ ने उसे ताना मारते हुए कहा, "वैसे अब तुम्हें यहाँ पर अपनी सास की सेवा के लिए रुकना पड़ रहा है तो तुम्हारा वह घटिया पेंटिंग करने का शौक तो अधूरा ही रह जाता होगा, है ना? मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि किसी अच्छी चीज़ में अपना करियर बनाओ, मगर तुम्हें कहाँ मेरी सुनी।"
मीरा ने अपनी माँ की तरफ़ देखते हुए कहा, "आप यहाँ पर मेरी सास को देखने के लिए आई हैं या फिर मुझे ताना मारने के लिए? अगर आप दोनों को सिर्फ़ यही काम है और सिर्फ़ मुझे ताना ही मारना है तो अभी प्लीज़ आप लोग यहाँ से जाइए। और यहाँ से निकलने के बाद मैं आप लोगों के सामने खड़ी हो जाऊँगी। आप लोगों को जो भी बोलना हो तो बोल लीजियेगा।"
मीरा ने जैसे ही यह बात बोली, मीरा की माँ बिल्कुल चुप हो गई। तभी मीरा की बहन उसके करीब आई और उसे शांत कराते हुए बोली, "माय डियर सिस्टर, तुम शायद भूल रही हो, तुम अभी यहाँ पर पेशेंट वार्ड में हो और तुम्हारा पेशेंट, मेरा मतलब है तुम्हारी सासू माँ सो रही है। इसलिए इतना ज़्यादा हाइपर होने की तुम्हें ज़रूरत नहीं है। वैसे भी माँ ने कुछ भी गलत नहीं कहा और मेरे ख्याल से तुम्हें चुप रहना चाहिए। क्योंकि अगर इस तरह से शोर मचाओगी तो तुम्हारी प्यारी सासू माँ जाग जाएगी और फिर तुम्हारा पति… उसे तो तुम जानती ही हो।"
इतना बोलकर आरती हँसने लगी। मीरा उसे घूरते हुए देख रही थी और तभी मीरा की सौतेली माँ ने कहा, "मुझे तो समझ नहीं आ रहा, सक्सेना कंपनी के सीईओ ने तुम्हारे अंदर ऐसा क्या देखा जो वह तुमसे शादी करने के लिए तैयार हो गया?"
क्रमशः…
मीरा ने गहरी साँस ली। वह इस समय उन दोनों से बहस नहीं करना चाहती थी। उसने आरती की ओर देखकर कहा, "देखो आरती, मैं तुम लोगों से कोई बात नहीं करना चाहती, इसलिए अच्छा होगा अगर तुम लोग चुपचाप यहाँ से चले जाओ।"
मीरा की माँ ने मीरा की ओर देखकर कहा, "कैसी बात कर रही हो? अभी तो हम तुम्हारी सास से मिलने आए हैं और उनसे बिना मिले कैसे जा सकते हैं? जब तक वो उठ नहीं जातीं, हम यहीं पर बैठकर उनका इंतज़ार कर लेंगे।"
इतना बोलकर मीरा की सौतेली माँ वहाँ सोफ़े पर एक पैर दूसरे पर चढ़ाकर आराम से बैठ गई। आरती मीरा को घूर रही थी।
मीरा ने उसे पूरी तरह से अनदेखा किया और अपनी सास की ओर देखने लगी। दरवाज़े की ओर देखते हुए उसने कहा, "यह अथर्व कहाँ है? इतनी देर लगती है क्या एक कॉल अटेंड करने में? अगर अथर्व यहाँ होता, तो शायद ये लोग यहाँ पर इतनी देर के लिए ना रुकते और मुझे इतने ताने ना मार रहे होते। कहाँ हो अथर्व? प्लीज़ जल्दी आ जाओ, और जो भी काम है, उसे प्लीज़ बाद में कर लेना।"
मीरा सारी बातें सोच रही थी। तभी मीरा के दिमाग में रूपाली आई और उसने अपने हाथों से बिस्तर की चादर पकड़ ली। मीरा ने अपने मन में कहा, 'कहीं उस रूपाली का फ़ोन तो नहीं आ गया जिससे अथर्व को इतना समय लग रहा है? यह रूपाली मेरी ज़िन्दगी में क्यों आई है? और मैं भी पागल हूँ, बार-बार उसके बारे में सोचने लगती हूँ!'
मीरा ने अपनी मुट्ठी खोली और खुद को शांत करते हुए खुद से कहा, 'मीरा, तू उस रूपाली के बारे में नहीं सोचेगी, चाहे कुछ भी हो जाए। क्योंकि जितना तू इस रूपाली के बारे में सोचेगी, तुझे उससे उतनी ही ज़्यादा नफ़रत होगी। और अगर अथर्व सच में उस रूपाली से प्यार करता है, तो फिर मम्मी जी के ठीक होते ही, मैं आज फिर उसे तलाक की बात करूँगी और खुद तलाक देकर उसे उस रूपाली के साथ रहने के लिए छोड़ दूँगी।'
इतना बोलते हुए मीरा की आँखें भर आईं और वह अपने सामने लेटी अपनी सास की ओर देखने लगी।
तभी कुछ ही देर में मीरा की सास की आँखें खुलीं। उसने अपने सामने मीरा को बैठा देखकर हल्का सा मुस्कुराया। मीरा ने कहा, "मम्मी जी, आप उठ गईं। अब कैसा महसूस कर रही हैं आप?"
अथर्व की माँ ने मीरा की बात सुनकर मुस्कुराते हुए कहा, "मैं बिलकुल ठीक हूँ, बेटा।"
जैसे ही अथर्व की माँ ने यह बात बोली, मीरा की सौतेली माँ और उसकी बहन उठकर खड़ी हो गईं और वह दोनों उनसे चापलूसी भरी बातें करने लगीं।
मीरा को यह बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था, लेकिन वह अपनी सास के सामने यह नहीं दिखाना चाहती थी कि वह अपनी सौतेली माँ और सौतेली बहन को बिलकुल भी पसंद नहीं करती है। इसलिए उसने चुप रहना ही ठीक समझा।
मीरा की सौतेली माँ और आरती ने उनसे काफी बातें कीं और कुछ ही देर में वह दोनों वहाँ से चली गईं।
उन दोनों के वहाँ से जाने के बाद मीरा कुछ देर तक वहाँ और रुकी।
तभी वार्ड का दरवाज़ा खुला और अथर्व अंदर आया। उसने देखा कि मीरा अभी भी उसकी माँ के बगल में बैठी हुई है और उसकी माँ बहुत गहरी नींद में सो रही है। मीरा ने अथर्व को अंदर आते हुए नहीं देखा, क्योंकि वह अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रही थी और काफी ज़्यादा व्यस्त थी।
इस समय मीरा का ध्यान पूरी तरह से लैपटॉप पर था। अथर्व दबे पांव उसके पास गया और उसके बगल में खड़ा हो गया। अपने हाथ पर अथर्व की परछाई देखकर मीरा ने हड़बड़ाते हुए उसकी ओर देखा।
अथर्व ने उसे घबराते देखकर कहा, "क्या कर रही हो?"
मीरा ने लैपटॉप की ओर देखते हुए कहा, "ऑफ़िस का कुछ काम पेंडिंग था। बोर हो रही थी, तो उसे ही कंप्लीट करने लगी।"
अथर्व ने मीरा की बात का कोई जवाब नहीं दिया। उसने अपनी माँ की ओर देखकर कहा, "मुझे मीटिंग के लिए ऑफ़िस जाना पड़ रहा है। तुम काफी देर से यहाँ थीं। एक काम करो, तुम घर वापस चली जाओ!"
मीरा ने अथर्व की ओर देखकर सिर्फ़ हाँ में अपना सिर हिलाया और अपना लैपटॉप बंद करके सामान बैग में रखने लगी।
मीरा हॉस्पिटल से बाहर निकली तो अथर्व उसके पीछे आया। मीरा घर जाने के लिए ऑटो लेने के लिए खड़ी थी। तभी अथर्व ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, "चलो, मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूँ, उसके बाद ऑफ़िस चला जाऊँगा!"
मीरा ने तुरंत अपना हाथ उससे छुड़ाते हुए कहा, "नहीं, मैं अज़स्ट कर लूँगी। तुम्हें मीटिंग अटेंड करनी है, इसलिए तुम जाओ।"
मीरा ने जैसे ही अथर्व के हाथ से अपना हाथ छुड़ाया, वह हैरानी से मीरा की ओर देखने लगा।
उतनी ही देर में एक ऑटो आई और मीरा उसमें बैठकर घर की ओर चली गई।
अथर्व ने मीरा की ओर देखते हुए कहा, "पता नहीं यह लड़की मेरे साथ ऐसा बर्ताव क्यों करती है? अभी कुछ दिनों पहले तक तो सब ठीक चल रहा था। पता नहीं अचानक से पिछले दो दिनों से क्या हो गया है।"
अथर्व इतना बोलकर अपनी कार में बैठा। तभी उसे रात वाली बात याद आई। अथर्व कार स्टार्ट करने ही जा रहा था कि तभी उसका हाथ रुक गया और उसने कहा, "कहीं ऐसा तो नहीं कि कल रात मैंने गुस्से में उसके साथ जो किया, उसकी वजह से वह अभी भी मुझसे नाराज़ है?" इतना सोचकर अथर्व सीधे ऑफ़िस के लिए निकल गया।
मीरा जैसे ही घर पहुँची, उसकी नज़र अपनी पेंटिंग्स पर पड़ी। मीरा को अपनी सौतेली माँ और बहन की बातें याद आ गईं। मीरा ने अपनी उन सारी पेंटिंग्स को देखा और उन्हें समेटकर दराज़ के अंदर रख दिया।
मीरा को वह सारी बातें बुरी लगी थीं और सुई की तरह उसे चुभ रही थीं। ना चाहते हुए भी मीरा की आँखों से आँसू गिरने लगे। तभी मीरा ने तौलिया लिया और वह नहाने के लिए वाशरूम चली गई।
ऑफ़िस में मीटिंग ख़त्म होने के बाद अथर्व घर आने के लिए बाहर निकल रहा था कि तभी ऑफ़िस के बाहर उसे रूपाली खड़ी दिखी। उसे देखकर साफ़ समझ में आ रहा था कि वह उसी के बाहर आने का इंतज़ार कर रही है।
रूपाली ने जैसे ही अथर्व को देखा, वह तुरंत उसकी ओर चलकर आने लगी। अथर्व उसे देखकर चलते-चलते रुक गया। वह रूपाली को घूरकर देख रहा था।
रूपाली अथर्व के पास आकर खड़ी हुई और मुस्कुराते हुए बोली, "हाय अथर्व, काफी देर से मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी!"
अथर्व ने रूपाली को घूरते हुए देखकर पूछा, "क्यों? मेरा क्यों इंतज़ार कर रही थी तुम?"
रूपाली ने अथर्व का हाथ पकड़ते हुए कहा, "असल में मैंने सोचा कि इतने दिनों बाद क्यों ना हम एक साथ डिनर कर लें। मैंने तुम्हारे फ़ेवरेट रेस्टोरेंट में टेबल बुक कर ली है। चलें?"
अथर्व ने तुरंत ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, कोई ज़रूरत नहीं है। वैसे भी मीटिंग के बाद मैंने खाना खा लिया है और मुझे बिलकुल भी भूख नहीं है। इसलिए तुम जाओ, किसी और के साथ चली जाओ।"
इतना बोलकर अथर्व ने रूपाली का हाथ अपने हाथों से छुड़ाया और सीधे अपनी कार में जाकर बैठ गया।
अथर्व जैसे ही घर पहुँचा, तो उसे काफी देर हो गई थी। उसने अंदर आकर देखा तो मीरा सो रही थी। अथर्व नहाकर बाहर निकला और चुपचाप मीरा के बगल में आकर लेट गया।
मीरा गहरी नींद में सो रही थी। अथर्व ने बड़े ही प्यार से मीरा को पीछे से गले लगा लिया।
मीरा हमेशा हल्की नींद में सोती थी। जैसे ही अथर्व का हाथ उसने अपनी कमर पर महसूस किया, वह चौंक कर उठ गई और मीरा के मुँह से चीख़ निकली। उसे पता था कि वह कौन है। तुरंत अथर्व ने अपना दूसरा हाथ उसके मुँह पर रखकर उसे चिल्लाने से रोका और बड़ी ही कामुक आवाज़ में कहा, "इतना क्यों चीख रही हो? मैं हूँ, डरो मत।"
अथर्व की आवाज़ सुनकर मीरा ने चिल्लाना बंद कर दिया और उसने उसका हाथ अपने मुँह पर से हटाया। मीरा की आँखें जैसे ही अथर्व की भूरी आँखों से मिलीं, एक पल के लिए सब कुछ जैसे बिलकुल ठहर गया।
अथर्व के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी और वह बड़े प्यार से उसकी ओर देख रहा था। वहीं मीरा के चेहरे पर हैरान करने वाले भाव थे।
मीरा जब नहाकर बिस्तर पर लेटी तो उसने सोचा था कि अथर्व आज वहाँ नहीं आएगा। लेकिन इस तरह अचानक से अथर्व के आ जाने पर मीरा हैरानी से उसे देख रही थी।
अथर्व ने भले ही अपना हाथ उसके मुँह पर से हटा दिया था, लेकिन वह एकटक उसे देखता ही जा रहा था। तभी मीरा बेड से उठने लगी।
अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और अपने साथ बेड पर वापस खींच लिया।
अथर्व ने जब उसे वापस बेड पर खींचा, तो मीरा ने अथर्व की ओर हैरानी से देखते हुए कहा, "क्या कर रहे हो अथर्व? जाने दो मुझे।"
अथर्व ने जब देखा कि मीरा उससे दूर जाने की कोशिश कर रही है, तो अथर्व को समझ नहीं आ रहा था कि क्या मीरा कल वाली बात से नाराज़ है या फिर कुछ और ही मामला है।
अथर्व ने अपनी भौंहें सिकोड़ी और मीरा को दोबारा बेड पर लेटा दिया और उसके हाथों को कसकर पकड़कर कहा, "क्या बात है मीरा? तू इतना अजीब बर्ताव क्यों कर रही हो? अभी कुछ दिनों तक तो हमारे बीच सब ठीक था, तो अचानक से क्या हो गया? बताओ मुझे, तुम किस बात को लेकर मुझसे नाराज़ हो?"
मीरा ने जैसे ही अथर्व के मुँह से यह बात सुनी, मीरा चुपचाप उसे देखने लगी। इस समय उसकी साँसें काफी तेज थीं। अथर्व का पूरा बदन बिलकुल ठंडा था। वह दोनों ही बस एक-दूसरे को देख रहे थे।
मीरा का अथर्व से बात करने का बिलकुल भी मन नहीं हो रहा था, लेकिन अथर्व ने उसे अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था। वह उसे कहीं भी जाने नहीं देने वाला था।
जब मीरा ने देखा कि वह उसे जाने नहीं देना चाहता, तो मीरा ने अपना मुँह दूसरी ओर घुमा लिया। अभी भी वह बिलकुल चुप थी और उसने कुछ भी नहीं कहा।
अथर्व ने मीरा के बालों को सहलाया और उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाते हुए कहा, "मीरा, मेरी आँखों में देखो और मैंने तुमसे जो पूछा है, उसका जवाब दो!"
मीरा ने भले ही अथर्व की ओर देखा, लेकिन उसने अपने मुँह से कुछ भी नहीं कहा।
अथर्व इस समय मीरा की आँखों में एक अलग ही दर्द महसूस कर रहा था। मीरा की आँखें आँसुओं से भरी हुई थीं, बस उसने किसी तरह अपने आँसुओं को रोक रखा था।
जब अथर्व ने देखा कि मीरा की आँखें आँसुओं से भरी हुई हैं, तो उसने अपने मन में कहा, 'आखिर मीरा को हुआ क्या है और उसकी आँखों में इतना दर्द क्यों है?'
अथर्व सोच ही रहा था कि तभी मीरा ने उसे खुद से दूर करने की कोशिश की, लेकिन वह अथर्व की ताकत के आगे खुद को लाचार महसूस कर रही थी। जब वह खुद को अथर्व के हाथों से छुड़ा नहीं पाई, तो गुस्से में मीरा ने अथर्व के कंधे पर अपने दाँत गड़ा दिए। मीरा के अंदर रूपाली की बातों को लेकर जितना भी गुस्सा भरा था, वह सारा गुस्सा मीरा ने उसके कंधे पर निकाल लिया।
मीरा पूरी ताकत से अथर्व के कंधे को काट रही थी, लेकिन अथर्व ने ना ही मीरा को खुद से दूर किया और ना ही वह एक बार भी चिल्लाया।
मीरा को ऐसा लग रहा था कि जैसे वह उसे दर्द नहीं दे पा रही है, क्योंकि अथर्व चिल्ला ही नहीं रहा था। मीरा अपने दाँत उसके कंधे में गड़ाती चली गई जब तक कि उसके होठों पर अथर्व का खून ना लग गया।
क्रमशः...
आज का सवाल - क्या मीरा अथर्व को रूपाली की बात बताएगी? क्या दाँत काटने के बाद मीरा का गुस्सा शांत हो जाएगा?
12 अथर्व को दर्द हो रहा था लेकिन उसने एक बार ही उसे मना नहीं किया और जिस तरह से मीरा उसे काट रही थी उसने अथर्व के कंधे को बुरी तरह से घायल कर दिया था। अथर्व को इतना तो समझ में आ गया था कि मीरा उससे इतना ज्यादा नाराज है और मीरा के मन में उसे लेकर काफी गुस्सा भरा हुआ है। और वो अपना सारा गुस्सा निकाल रही है। अथर्व ने अपनी आंखों को कसकर बंद कर दिया था और जब तक मीरा उसे तुम नहीं हटी हो चुपचाप उसी तरह से बैठा रहा। अथर्व अपने उस दर्द को बर्दाश्त कर रहा था और मीरा उससे हर्ट करते-करते रोने लगी और अथर्व ने जब देखा कि मीरा रो रही है तो चुपचाप कमरे की लाइट को ऑन किया। उसने देखा मीरा के होठों पर खून लगा हुआ है और उसकी आंखों से आंसू निकलते जा रहे हैं। अथर्व मीरा के बिल्कुल करीब आया और उसके आंखों से निकलने वाले आंसुओं को पोंछते हुए बोला, " तुम मुझसे नाराज थी ना अगर तुम अभी भी मुझसे गुस्सा हो तो बताओ मैं तुम्हें सॉरी बोल दूंगा, लेकिन मुझे पूरी बात बताओ! आखिर बहुत प्यार है तुम्हारा इस तरह से उदास रहना मेरे साथ इतना अलग बिहेव करना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा।" अथर्व इस टाइम बड़े ही प्यार से मीरा से पूरी बात पूछी। मीरा ने उसी तरह रोते हुए अथर्व की तरफ देखकर कहा, "तुम यहां क्यों आए हो, जाओ वापस सक्सेना मेंशन जाओ मुझे अकेले रहना है! बिल्कुल अकेले।" मीरा इतना बोलते बोलते रो रही थी और उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया। अथर्व ने मीरा को हैरानी से देखकर कहा, "नहीं मैं यहां से कहीं नहीं जाऊंगा और रही बात तुम्हें अकेला छोड़ने की तो अब तो तुम्हें एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ूंगा।" उसके मुंह से यह बात सुनते ही मीरा की आंखों के आंसू सूख गए और वह बस एकटक अथर्व की तरफ ही देखती रह गई। मीरा ने गहरी सांस ली और अथर्व को बेड पर से धक्का देते हुए बोली, " मैंने कहा ना जाओ यहां से!" अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और चिल्लाते हुए कहा, "मैं कहीं नहीं जाऊंगा यह घर मेरा है!" जैसे ही मीरा में अथर्व की बात सुनी वो उसे घूरते हुए देखने लगी और तभी उसने अपने घर को देखा।जहां पर वह इतने दिनों से रह रही थी और आंखें बंद करके मीरा ने गहरी सांस ली और कुछ सोचा भले ही वह घर उसने अपने तरीके से सजाया हो और उसे अपना मानती हो लेकिन असल में तो वह फ्लैट का मालिक आज भी है और वह उसे वहां से जाने के लिए नहीं कह सकती थी। मीरा ने अथर्व की तरफ देखकर हां में अपना सिर हिलाया और अथर्व के हाथों से अपना हाथ छुड़ाकर वह उठ कर खड़ी हुई और अपना सूटकेस निकालने लगी। अथर्व ने जैसे ही मीरा को सूटकेस उठाते देखा उसने छठ से पूछा, " यह क्या कर रही हो तुम और कहां जा रही हो?" मीरा इस टाइम गुस्से में थी और शायद उसे अथर्व की बात अच्छी नहीं लगी थी, अथर्व से बात समझ गया था और वह तुरंत उठकर उसके पास आया। मीरा अलमारी से अपने कुछ कपड़ों को निकालकर सूटकेस में डालने लगी। अथर्व ने एक गहरी सांस ली और मीरा की तरफ देखा उसकी आंखों से आंसू बहते जा रहे थे और वह अपने कपड़ों को उठाकर सूटकेस में फेंक रही थी जिसे देख कर अथर्व समझ गया कि मीरा क्या कर रही है और उसने अपना माथा पीट लिया और ना में सिर हिलाते हुए धीमी आवाज में कहा मैं जितना ही इस लड़की को समझने की कोशिश करता हूं, यह कुछ ना कुछ उल्टा ही कर देती है आखिर इसने उसके दिमाग में से क्या चल रहा है जी मेरी बात सुनने को ही तैयार नहीं है। अथर्व ने मीरा के हाथों को पकड़ा और अलमारी का दरवाजा कसकर बंद कर दिया। मीरा ने अथर्व के हाथों को अपने हाथ से छुड़ाते हुए कहा, "छोड़ो मुझे!" अथर्व ने उसे डांटते हुए कहा, " यह क्या पागलपन है इस तरह की बचकानी हरकतें करना बंद करो यह कोई टाइम है यह सब करने का।" मीरा ने अथर्व को घूरते हुए देख कर कहा, " हां यही सही टाइम है अभी-अभी तो तुमने कहा ना यह तुम्हारा घर है! तो रहो तुम अपने घर में। मैं यहां से जा रही हूं और तुम्हें कुछ दिनों बाद डिवोर्स पेपर भेज दूंगी। यही हम दोनों के लिए सही रहेगा, मैं जब तुम्हारी जिंदगी से चली जाऊंगी तो तुम्हें जिसके साथ रहना है उसके साथ हमेशा हमेशा के लिए खुशी से रहना।" मीरा की बातें अथर्व को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रही थी उसने जब अथर्व से यह सारी बातें बोली तो मीरा की आंखों में एक अलग ही दर्द नजर आ रहा था और वह बस किसी भी तरह से खुद को अथर्व से दूर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अथर्व ने उसके दोनों हाथों को पूरी मजबूती से पकड़ रखा था। मीरा ने अथर्व की तरफ देखा वो उसे कसकर पकड़े हुए था और तभी मीरा ने अपने मन में कहा, ' जितनी जल्दी हो सकेगा मैं आज से उसकी लाइफ में दख़ल नहीं दूंगी फिर चाहे वह अपनी रूपाली के साथ चाहे जैसे रहे।' मीरा की तरफ देखकर अथर्व को भी अब गुस्सा आ रहा था और उसने मीरा के हाथ को छोड़ा और उसके बाजुओं को पकड़कर उसे झकझोरते हुए कहा, "आखिर तुम्हारे दिमाग में चल क्या रहा है और फिर से वही तलाक की बात! तलाक, तलाक, तलाक आखिर तुम्हारे दिमाग में यह तलाक वाली बात आई कहां से? मैंने तुमसे शादी तलाक लेने के लिए नहीं की और मीरा तुम मुझसे तलाक क्यों चाहती हो उसका कोई तो रीज़न होगा मुझे एक रीजन बताओ।" मीरा ने अथर्व को धक्का देते हुए कहा, " तुम हो रीजन! तुम्हें नहीं रहना मेरे साथ तो क्यों जबरदस्ती यह दिखावा करते हो।" इतना बोलकर मीरा ने अपना सूटकेस बंद किया और वहां से बाहर निकलने ही वाली थी कि अथर्व मीरा के पास आया और उसने अपने कमरे के दरवाजे को अंदर से लॉक किया और मीरा के हाथ से सूटकेस छीन कर साइड में फेंक दिया और मीरा को अपनी गोद में उठा लिया। मीरा अथर्व को मार रही थी और उसके हाथ पैर मचल रहे थे लेकिन अथर्व ने उसे एक छोटी नाजुक सी गुड़िया की तरह उठा रखा था और उसकी मार अथर्व पर असर ही नहीं हो रही थी और कुछ ही सेकंड में अथर्व से वापस बेड पर लेकर आया और अथर्व ने उसे बेड पर पटक दिया। मीरा अथर्व को घूरते हुए देख रही थी और तभी अथर्व उसके करीब और करीब आता चला गया। मीरा ने अथर्व को अपने करीब आते देख कर बेड से उतरने की कोशिश की, लेकिन अथर्व के आगे उसकी एक भी ना चली और अथर्व ने मीरा के दोनों हाथों को अपने एक ही हाथ से पकड़ रखा था और उसकी गर्दन के बिल्कुल करीब आकर अथर्व ने मीरा के गालों को सहलाते हुए उसकी गर्दन तक आया और उसके कान के पास जाकर बिल्कुल धीमी और खतरनाक आवाज में बोला, "तुम्हें समझ नहीं आ रहा मैं डिवोर्स की बात नहीं करना चाहता। और तुम हो कि बार-बार मेरे सामने डिवोर्स की बात क्यों कर रही हो। शादी और डिवोर्स कोई मजाक नहीं है।" मीरा ने भी विराट की आंखों में आंखें डाल कर कहा, " मैं भी कोई मजाक नहीं कर रही मैं सीरियस हूं।" अथर्व ने मीरा की आंखों में आंखें डाल कर बड़े ही प्यार से उसके दोनों गालों को पकड़ा और वह उससे बात करने के लिए ऐसे तैयार हुआ। जैसे मानो कोई बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को मनाने बैठा हो। उसके चेहरे के एक्सप्रेशन पूरी तरह से बदल गए थे, मीरा को समझ नहीं आ रहा था वह उसे देखकर बिल्कुल हैरान थी। मीरा ने अथर्व की तरफ देखकर अपने मन में कहा, 'इससे क्या हो गया यह इतने अचानक से इतना बदला बदला बिहेव क्यों कर रहा है।' मीरा अथर्व को हैरानी से देख रही थी और तभी अथर्व ने कहा, " एक बात तुम हमेशा याद रखना! मेरी तुमसे शादी किन शर्तों पर हुई है!" मीरा में जैसे ही यह बात सुनी हो समझ गई कि अथर्व गुस्से में है और वह सिर्फ अच्छा बनने की कोशिश कर रहा है उसने मीरा की तरफ घूरते हुए देखा और वह जो अभी तक उसके गालों को प्यार से सहला रहा था। एक हाथ से उसका गाल का सर पकड़ कर पाया और उसका चेहरा अपनी तरफ उठाया और मीरा के बिल्कुल करीब जाकर कहा, "तुम मुझसे तलाक नहीं ले सकती इसलिए अब दुबारा मैं तुम्हारे मुंह से यह डिवोर्स वाली बात नहीं सुनना चाहता और अगर मैंने दोबारा तुम्हारे मुंह से डिवोर्स वाली बात सुनी, तो मैं तुम्हारे साथ क्या करूंगा यह मुझे भी नहीं पता।" मीरा ने अथर्व की तरफ देखा उसके गालों में दर्द हो रहा था! क्योंकि अथर्व ने उसके गालों को पूरी ताकत से पकड़ रखा था। मीरा समझ गई थी कि अथर्व इस टाइम काफी ज्यादा गुस्से में है और मीरा ने अथर्व को देखते हुए अपने मन में कहा, ' मैं भी कहां तुमसे डिवोर्स लेना चाहती हूं बस कभी-कभी तुम्हारी बातें और वह मीरा के साथ तुम्हारा वीडियो मैं चाह कर भी उसे अपने दिमाग से नहीं निकाल पा रही हूं और जब तुम मुझसे प्यार नहीं करते उस रूपाली से प्यार करते हो तो फिर क्यों नहीं देना चाहते मुझसे तलाक! क्या मैं तुम्हारे लिए सिर्फ एक खिलौना हूं?' मीरा यह सारी बातें अपने मन में बोल रही थी उसकी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह अथर्व से डायरेक्ट यह सारे सवाल कर सके। मीरा की आंखों से आंसू गिरने लगे और जब मीरा रूपाली के बारे में सोचती तो उसके दिल में बड़ा दर्द होता! इस टाइम मीरा उसी दर्द को बर्दाश्त कर रही थी! अथर्व ने जब मीरा की आंखों से आंसू निकलते हुए देखे तो उसने उसके गालों को छोड़ दिया और वह मीरा के चेहरे को घूरते हुए देखता जा रहा था। मीरा ने अपनी आंखें कसकर बंद कर ली थी उसकी आंखों से निकलने वाले आंसुओं को देख कर अथर्व को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था और अथर्व ने अपने दोनों हाथों से उसके आंसुओं को पोंछा। अथर्व मीरा के चेहरे को अपने हाथों से पोंछ रहा था और मीरा ने जैसे ही उसके हाथ को अपने गाल पर महसूस किया। उसने अपनी आंखें खोल दी अथर्व का चेहरा मीरा के बिल्कुल ठीक सामने था मीरा को अपनी शादी की वजह याद आई, उसने अथर्व से सिर्फ इसलिए शादी की थी क्योंकि उसकी कंपनी घाटे में थी और उसे सक्सेना कंपनी की मदद की जरूरत थी उसने सक्सेना परिवार से सौदेबाजी की और खुद को बेच दिया और अथर्व से सीक्रेट मैरिज कर ली। वह दोनों ही एक दूसरे की तरफ देख रहे थे और दोनों के चेहरे की कशिश देखकर ऐसा लग रहा था कि मानो वह दोनों एक दूसरे के लिए ही बने हैं। मीरा के चेहरे के आंसू सूख गए थे और उसकी गोरी त्वचा और भी ज्यादा निखरी हुई लग रही थी। उसकी पतली गर्दन इतनी ज्यादा सुंदर थी यह मीरा खुद नहीं जानती थी अथर्व की नजरे सिर्फ और सिर्फ इस टाइम मीरा की गर्दन पर टिकी थी। मीरा अथर्व की आंखों में देख रही थी और उसके होंठ जो बिल्कुल शांत थे। कुछ देर पहले अथर्व ने जो बातें बोली उसे याद करते हुए मीरा बस उसे घूरती ही जा रही थी। अथर्व मीरा के चेहरे की उदासी को महसूस कर पा रहा था और उसे ऐसा लग रहा था कि उसने जिस तरह से मीरा पर गुस्सा किया है, उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उसने मीरा के चेहरे और उसकी गर्दन से होते हुए अपनी नजरें नीचे झुकाई और मीरा के डीप नेक पर जैसे ही अथर्व की नजर पड़ी अथर्व की सांसे तेज हो गई। मीरा की नजर जैसे ही अथर्व की नजरों से मिली। उसने देखा कि अथर्व उसके कॉलर बोन के नीचे की तरफ देख रहा है और उसकी सांसे तेज हो रही है। मीरा को यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और वह उठ कर खड़ी हो गई, अथर्व की नजरें अभी भी मीरा पर ही थी और उसने उसका हाथ पकड़ कर उसे करीब खींच कर अपने गले लगा लिया। अथर्व ने मीरा को अपनी पूरी ताकत से जकड़ रखा था उन दोनों के बीच हवा के निकलने की भी जगह नहीं थी दोनों के दिल तेजी से धड़क रहे थे। To Be Continued... आज का सवाल - क्या अथर्व और मीरा एक दूसरे से प्यार करते हैं यह बात इन दोनों को समझ में आएगी या नहीं?
मीरा कुछ देर तक अथर्व के गले लगी रही। अथर्व के कसे हुए बदन को महसूस करते ही उसे लगा कि उसका शरीर अथर्व के शरीर में पिघल रहा है। अथर्व की ताकत और उसके बायसेप्स इतने ज़्यादा थे कि मीरा अपने दोनों हाथों से भी उसके एक हाथ को नहीं हटा पा रही थी। अथर्व के लिए मीरा को उठाकर बेड पर रखना कोई बड़ी बात नहीं थी। उसने मीरा को अपनी गोद में उठा लिया और उसे बेड की तरफ ले जाने लगा।
मीरा तेज़ी से अपने पैर चला रही थी और अथर्व के बाजू पर मार रही थी, लेकिन उसे मीरा की एक भी मार महसूस नहीं हुई। जैसे ही मीरा बेड पर आई, अथर्व उसके ऊपर आ गया और उसकी आँखों में देखने लगा। मीरा उसे खुद से दूर करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन अथर्व की नज़र सिर्फ़ मीरा के चेहरे और बदन पर ही थी।
अथर्व को खुद समझ नहीं आ रहा था कि मीरा को इतने करीब देखकर उसे क्या हो जाता है, जिससे वह अपना कंट्रोल खो देता है। वह खुद को रोकना चाह रहा था, लेकिन नहीं रुक पा रहा था। उसने मीरा के दोनों हाथों को मज़बूती से पकड़ लिया था और उसे किस करने के लिए उसके होंठों के करीब आ रहा था। तभी मीरा ने तेज आवाज में चिल्लाते हुए कहा, "अगर तुम मुझसे प्यार नहीं करते तो मेरे करीब क्यों आते हो? मेरे जिस्म से खेलना बंद करो! दूर हटो मुझसे! मैं भी इंसान हूँ, तुम्हारा खिलौना नहीं।"
जैसे ही अथर्व ने मीरा की बात सुनी, वह वहीं रुक गया। इस समय अथर्व मीरा के होठों के बिल्कुल करीब था, लेकिन मीरा की बात सुनकर अथर्व ने खुद पर इतना अच्छा काबू किया कि उसने उसे घूरता रहा, लेकिन उसके होठों को छुआ तक नहीं। वह मीरा के ऊपर से हटकर बेड के किनारे खड़ा हो गया। जैसे ही अथर्व उससे दूर हटा, मीरा ने कंबल खींचा और अपने चारों तरफ लपेट लिया।
अथर्व ने मीरा की तरफ देखते हुए कहा, "तुम मेरे बारे में ऐसा सोचती हो?"
मीरा ने न तो अथर्व की बात सुनी और न ही जवाब दिया। रोने और अथर्व से इतना झगड़ने की वजह से वह बहुत थक गई थी। उसकी साँसें तेज़ी से चल रही थीं और उसका पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था। अथर्व चुपचाप वहीं खड़ा था और उसे घूरता ही जा रहा था। मीरा रो रही थी और कंबल से खुद को ढकने की कोशिश कर रही थी।
अथर्व उसे देखकर बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं कर रहा था। उसने कुछ देर मीरा को घूर कर देखा और चुपचाप वहाँ से बाहर निकल गया। मीरा उसे जाते हुए देख रही थी, और उसके आँसुओं की सिसकी बंद हो गई थी।
मीरा को यह बात समझ नहीं आई कि उसने अथर्व से इतनी बड़ी बात कही और वह बिना कुछ बोले चुपचाप चला गया। यह बात मीरा के दिमाग में खटक रही थी।
अथर्व मीरा के कमरे से बाहर निकला और गेस्ट रूम में जाकर वाइन की बड़ी बोतल निकाली और उसे नीची पीने लगा। अथर्व को देखकर साफ़ पता चल रहा था कि वह बहुत दुखी है। लेकिन किस बात से? क्या उसे मीरा की बात बुरी लगी थी या फिर उसने जो मीरा के साथ किया था? वह उस बात से गुस्सा था। अथर्व बिना कुछ सोचे-समझे ड्रिंक करता जा रहा था। वैसे अथर्व कभी भी शराब पीने के लिए तैयार नहीं होता, लेकिन आज मीरा ने जब उससे तलाक लेने की बात कही तो उसे मीरा पर बहुत गुस्सा आ रहा था, और वह उस पर अपना गुस्सा निकाल भी नहीं पाया।
पहले तो मीरा ने उसे तलाक वाली बात कही, उसके बाद मीरा ने उसे यह एहसास दिला दिया कि वह बस उसके जिस्म का इस्तेमाल कर रहा है, वह उसका कोई खिलौना नहीं है। ये सारी बातें अथर्व के दिमाग में गूंजती जा रही थीं। अथर्व ने अपनी शराब की एक बोतल खत्म की और दूसरी बोतल लेकर रूम के सोफ़े पर टेक लगाकर बैठ गया। उसने धीमी आवाज़ में कहा, "मीरा मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकती है? वह मुझसे डिवोर्स लेने की बात कैसे कर रही है!"
अथर्व इतना बोलकर दोबारा शराब की बोतल को अपने मुँह से लगाया और एक ही साँस में दूसरी बोतल भी खाली कर दी। अथर्व के सर में तेज दर्द हो रहा था, मीरा ने भी उसे उसके कंधे पर घायल कर दिया था, लेकिन इस समय वह इतना नशे में धुत था कि उसे किसी और चीज़ की खबर नहीं थी।
जैसे ही अथर्व की दूसरी बोतल खत्म हुई, वह फिर से उठकर खड़ा हुआ और तीसरी बोतल लेने जा ही रहा था कि तभी उसका सिर चकराया और वहीं सोफ़े पर लेट गया और गहरी नींद में सो गया।
अथर्व को मीरा की बातें इतनी बुरी लगी थीं कि उसने एक साथ शराब की दो बोतलें पी ली थीं। अथर्व को मीरा की बातें इतना ट्रिगर क्यों करती हैं? उसे उसकी हर एक बात से इतना फ़र्क क्यों पड़ता है? यह बात उसे भी समझ नहीं आ रही थी। उसने रूपाली से ब्रेकअप होने के बाद भी ड्रिंक नहीं की थी, लेकिन मीरा के मुँह से तलाक की बात सुनकर उसके दिल में इतना दर्द क्यों हो रहा था? यह बात अभी भी उसके लिए एक मिस्ट्री जैसी थी। वह अपनी फीलिंग को समझ नहीं पा रहा था।
मीरा रोते-रोते वहीं कोने में लेटे-लेटे कब सो गई, उसे पता ही नहीं चला। सुबह जब मीरा की आँख खुली तो मीरा का चेहरा बर्फ की तरह सफ़ेद था! उसकी आँखें सूखी हुई थीं और हाथ पर अथर्व के हाथ की उंगलियों के निशान थे। उसके कमरे का पूरा सामान बिखरा पड़ा था। मीरा और ज़्यादा सहम गई।
मीरा बेड से उठकर खड़ी हुई और अपने कमरे के सारे बिखरे हुए सामान को उठाया। उसने सामने रखे सूटकेस की तरफ़ देखा, जो कल रात में वह हड़बड़ी में पैक कर रही थी। मीरा का गुस्सा शांत हो गया था। उसने अपने सूटकेस को वहीं रख दिया। उसने अपने कपड़े सूटकेस से बाहर नहीं निकाले।
कुछ देर बाद मीरा नहाने के लिए वाशरूम में गई। जब वह नहाकर बाहर निकली, तो उसने अपने ऑफिस वाले कपड़े पहन रखे थे। शीशे के सामने खड़े होकर मीरा ने अपनी तरफ़ देखा। रात में रोने की वजह से उसकी आँखें सूजी हुई लग रही थीं। उसने हल्का मेकअप किया और अपने चेहरे की हालत सुधारी। जैसे ही मीरा नीचे उतर कर आई, उसने देखा अथर्व वहाँ पर नहीं था और डाइनिंग टेबल पर उसके लिए नाश्ता बना हुआ था।
मीरा डाइनिंग टेबल के पास आकर रुक गई, और तभी किचन में कुछ गिरने की आवाज़ आई। मीरा को लगा कि वह अथर्व होगा, और वह किचन की तरफ़ मुड़ी, लेकिन उसने देखा कि वहाँ अथर्व नहीं, बल्कि उसके घर की बाई माया खड़ी थी।
मीरा ने माया की तरफ़ देखा, और माया दौड़ते हुए मीरा के पास आकर बोली, "अरे मैडम, उठ गई आप? क्या बात है? आप और साहब के बीच में फिर से लड़ाई हुई क्या? साहब गेस्ट रूम में सो रहे थे और आज सुबह जल्दी ही ऑफिस के लिए निकल गए और मुझसे कहकर गए कि मैं आपको यह बात बता दूँ।"
मीरा ने उसकी तरफ़ देखकर सिर्फ़ हाँ में सिर हिलाया और कुछ नहीं कहा। माया उस घर की नौकरानी थी, लेकिन उसे मीरा और अथर्व के रिश्ते के बारे में बहुत अच्छी तरह से पता था कि वे दोनों कभी भी एक साथ खुश नहीं रहते हैं। जब भी उनके बीच थोड़ी बहुत खुशियाँ आती हैं और वे दोनों एक-दूसरे के करीब आने लगते हैं, तभी कुछ न कुछ ऐसा होता है कि उनके बीच मिसअंडरस्टैंडिंग बढ़ जाती है और वे दोनों एक-दूसरे से दूर हो जाते हैं।
मीरा ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और वह चुपचाप डाइनिंग टेबल पर आकर बैठी और नाश्ता करने लगी। कल रात में हुई सारी बातों को याद करते हुए मीरा के रोंगटे खड़े हो गए थे। कुछ ही देर में वह अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हुई और सीधे घर से बाहर निकल गई।
मीरा ऑफिस में थी और पूरा ध्यान अपने काम पर लगाने की कोशिश कर रही थी। उसने एक बार भी अथर्व के केबिन की तरफ़ अपनी नज़र नहीं उठाई। उसे यह भी नहीं पता था कि अथर्व आज ऑफिस आया भी है या नहीं। उसने जैसे-तैसे अपना काम खत्म किया और उसका किसी से भी कुछ बोलने का मन नहीं कर रहा था। वह बिल्कुल गुमसुम सी बैठी बस अपने काम को करती जा रही थी।
कुछ देर बाद मीरा अपनी कुर्सी से उठकर खड़ी हुई और कैंटीन की तरफ़ जा रही थी, तभी उसकी नज़र अथर्व पर पड़ी। अथर्व अपने केबिन में अकेला बैठा था। जैसे ही मीरा कैंटीन से वापस अपने डेस्क की तरफ़ जा रही थी, अथर्व केबिन से बाहर निकला और उसने मीरा का हाथ पकड़कर उसे केबिन के अंदर खींच लिया।
मीरा को बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि अथर्व ऐसा क्यों कर रहा है, क्योंकि आजकल वह ऑफिस में मीरा के साथ कोई बिहेव नहीं करता था, यहाँ तक कि वह उसे ज़्यादा बात भी नहीं करता था, बस काम को लेकर ही उनकी बातें होती थीं। और अभी अथर्व ने अचानक से उसे केबिन के अंदर खींच लिया तो मीरा हैरान हो गई थी।
जैसे ही मीरा केबिन के अंदर गई, वह अथर्व को देखती ही जा रही थी। अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखते हुए उसे घूरते हुए कहा, "इस तरह मुझे देखने की ज़रूरत नहीं है। मॉम ने तुम्हें बुलाया है, पता नहीं क्यों उनका तुमसे मिलने का मन कर रहा है। मैं हॉस्पिटल जा रहा हूँ। पाँच मिनट में अपना काम ख़त्म करके पार्किंग एरिया में आओ!"
इतना बोलकर अथर्व चुपचाप केबिन से बाहर निकल गया। उसने मीरा का जवाब सुनने की भी जहमत नहीं उठाई। मीरा अथर्व को इस तरह केबिन से बाहर निकलते देखकर उसे घूरती जा रही थी। मीरा के पास और कोई ऑप्शन नहीं था, वह चुपचाप केबिन से बाहर निकली और अपने डेस्क पर आकर उसने अपना लैपटॉप बंद किया और सामान उठाकर बैग में रखने लगी।
मीरा चेंजिंग रूम में गई और उसने अपने कपड़े चेंज किए और सीधे पार्किंग एरिया में गई। उसने देखा अथर्व कार में बैठा मीरा के आने का इंतज़ार कर रहा है। जैसे ही मीरा कार के अंदर आकर बैठी, अथर्व ने बिना कुछ बोले कार स्टार्ट कर दी। जैसे ही मीरा और अथर्व हॉस्पिटल पहुँचे, मीरा ने अपने चेहरे पर झूठी मुस्कराहट ले आई और अथर्व की माँ के पास जाकर बैठ गई।
अथर्व की माँ मीरा से बड़े प्यार से बात कर रही थी और अथर्व चुपचाप खड़ा था। मीरा उसी तरह झूठी मुस्कराहट के साथ अथर्व की माँ से बातें करती जा रही थी, और तभी अचानक उनके वार्ड का दरवाज़ा खुला और रूपाली अंदर आई। रूपाली को देखते ही मीरा के चेहरे की मुस्कराहट गायब हो गई।
जैसे ही मीरा ने रूपाली को अंदर आते देखा, मीरा ने अपने मन में कहा, 'ये यहाँ पर क्या करने आई है? अगर यह मम्मी जी से मिलने आई है तो इसी टाइम क्यों आई जब मैं अथर्व के साथ हूँ? यह अथर्व की वजह से ही आई है, कहीं अथर्व ने ही तो इसे नहीं बुलाया।'
इतना सोचकर मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखना शुरू कर दिया। अथर्व ने रूपाली की तरफ़ देखा ही नहीं और रूपाली को अंदर आते देखकर तुरंत अपनी नज़रें दूसरी तरफ़ घुमा ली।
क्रमशः...
आज का सवाल - रूपाली क्या करने के लिए आई है हॉस्पिटल? क्या रूपाली की वजह से अथर्व और मीरा के बीच में और दूरियाँ बढ़ जाएंगी?
मीरा अभी भी अथर्व की मॉम से बात कर रही थी। तभी रुपाली उनके पास आकर बैठते हुए बोली, "आंटी, कैसी हैं आप?"
अथर्व की मम्मी ने रूपाली की तरफ देखकर कहा, "अरे रूपाली बेटा! तुम यहां?"
रूपाली ने मीरा के बिल्कुल सामने बैठते हुए कहा, "आंटी, मैंने आपके बारे में सुना था, तो मैंने सोचा आज आपसे मिल लूँ।"
मीरा रुपाली को इग्नोर करने की कोशिश कर रही थी। तभी उसकी नज़र अथर्व पर गई। अथर्व सिर्फ़ और सिर्फ़ मीरा को बड़े प्यार से देख रहा था। मीरा ने रूपाली की तरफ़ देखा। वह अथर्व को देखकर मुस्कुरा रही थी और मीरा का दिल जल रहा था। भले ही वह अथर्व से गुस्सा थी, उसकी नाराज़गी साफ़ उसके चेहरे पर नज़र आ रही थी; लेकिन रूपाली का इस तरह से अथर्व को देखकर मुस्कुराना उसे बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था। वह गुस्से से रूपाली को देख रही थी और उसने तुरंत अपनी नज़रें नीचे झुका लीं। तभी अथर्व की मम्मी की नज़र रुपाली से हटकर सीधे मीरा पर गई और उन्होंने मीरा से पूछा, "क्या बात है बेटा? तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है क्या?"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखा; वह उसे देखता ही जा रहा था। मीरा ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं मम्मी जी, मैं ठीक हूँ।"
अथर्व की मम्मी ने अथर्व की तरफ़ देखते हुए कहा, "क्या बात है? तुम दोनों के बीच सब ठीक तो है ना? क्या तुम लोगों की लड़ाई हुई है?"
अथर्व मीरा को देखकर कुछ बोलने जा ही रहा था कि तभी मीरा ने अथर्व की माँ का हाथ पकड़ते हुए कहा, "नहीं मम्मी जी, हमारी कोई लड़ाई नहीं हुई है। आप टेंशन मत लीजिये और आराम करिये।"
रूपाली की नज़र अथर्व पर ही थी, लेकिन अथर्व रूपाली की तरफ़ देख ही नहीं रहा था; वह मीरा को देख रहा था। और वह एकटक मीरा को देखता ही जा रहा था। जिस तरह से मीरा ने अथर्व की मम्मी से बात की और उनसे झूठ बोला कि उन दोनों के बीच सब ठीक है, उसे देखकर अथर्व मीरा की तरफ़ से अपनी नज़रें हटा नहीं पा रहा था।
रूपाली ने जब यह बात नोटिस की- अथर्व सिर्फ़ और सिर्फ़ मीरा को ही घूरता जा रहा है- तो उसने गुस्से से अपने हाथ की मुट्ठी बांध ली। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था और रूपाली ने मीरा को घूरते हुए देखकर कहा, "पता नहीं कहाँ से यह मेरे और अथर्व के बीच में आ गई। मेरा बस नहीं चलता, वरना मैं इसे जान से मार देती।"
रूपाली को मीरा पर गुस्सा आ रहा था। वह किसी भी तरह से अथर्व का ध्यान अपनी तरफ़ आकर्षित कराना चाहती थी और उसने अच्छा बनने का दिखावा करते हुए अथर्व की माँ के लिए फल काटते हुए कहा, "आंटी, मैं आपके लिए फल काट दूँ? आप फल खाइये ताकि आप जल्दी से हेल्दी हो जाएँ।"
अथर्व की माँ ने ना में अपना हाथ हिलाकर मना करते हुए कहा, "नहीं, रहने दो बेटा! मीरा मुझे पहले ही काफी सारे सेब खिला चुकी है। अभी मुझे कुछ नहीं खाना। थैंक यू, रूपाली बेटा।"
रूपाली को ऐसा लग रहा था कि अगर वह अथर्व की माँ की देखभाल करेगी तो अथर्व का ध्यान उसकी तरफ़ जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अथर्व ने एक बार भी रूपाली की तरफ़ नहीं देखा।
मीरा ने भी कहीं ना कहीं इस बात को नोटिस किया और उसने अपने मन में कहा, 'अभी यह अथर्व इस रूपाली की तरफ़ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहा, फिर क्या जताना चाहता है आज इसे? क्या लगता है इसे! अगर यह इस तरह का बर्ताव करेगा तो क्या मैं इसकी बात मान जाऊँगी और ऐसा समझ लूँगी कि इन दोनों के बीच कुछ नहीं है? मैं अब तुम्हारे किसी भी जाल में फँसने वाली नहीं हूँ, मिस्टर अथर्व।'
रूपाली ने जब देखा कि अथर्व उसे पूरी तरह से इग्नोर ही करता जा रहा है, तो रूपाली ने अथर्व के करीब जाने का और मीरा को जलने का तुरंत तरीका सोचा। तभी उसने अपना फ़ोन उठाया और फ़ोन पर दिखावा करते हुए बात की। फ़ोन रखकर वह अथर्व के सामने आकर बोली, "अथर्व, अभी मेरे पास मेरे ड्राइवर का फ़ोन आया। एक्चुअली मेरी कार ख़राब हो गई है, तो क्या तुम मुझे मेरे घर तक की लिफ़्ट दे सकते हो?"
मीरा ने जैसे ही रूपाली की बात सुनी, उसने उन दोनों की तरफ़ घूरते हुए देखा। मीरा सोच रही थी कि पता नहीं अथर्व उसकी बात का क्या जवाब देगा?
मीरा ने रूपाली और अथर्व की तरफ़ देखकर अपने मन में कहा, 'इस अथर्व को तो अच्छा बहाना मिल गया! अब यह रूपाली के साथ उसके घर तक जाएगा और फिर से वही सब करेगा... छी! मुझे तो सोचकर ही घिन आती है।'
मीरा अपने मन में सोच ही रही थी कि तभी अथर्व ने रूपाली की तरफ़ देखते हुए कहा, "यह लो मेरी कार की चाबी और तुम मेरी कार से चली जाओ। वैसे भी मैं अभी कुछ देर और मम्मी के पास रुकूँगा। उसके बाद जाऊँगा। मेरा ड्राइवर तुम्हें छोड़ आएगा।"
इतना बोलकर अथर्व ने अपनी कार की चाबी रूपाली के हाथ में रख दी और सीधा अपनी मम्मी के बगल में आकर बैठ गया। रूपाली अथर्व को घूरते हुए देख रही थी और उसके हाथ में जो कार की चाबी थी, रूपाली ने उसे कसकर मुट्ठी में पकड़ लिया। मीरा बिल्कुल हैरान हो गई थी क्योंकि उसे ऐसा लग रहा था कि अथर्व उसके साथ जाने के लिए राजी हो जाएगा, लेकिन जब अथर्व ने ऐसा नहीं किया तो मीरा ग़लत साबित हो गई थी।
मीरा अथर्व को घूरते हुए देख रही थी और रूपाली वहीं पर खड़ी कुछ सोच रही थी। उसने अथर्व के साथ समय बिताने के लिए जो प्लान बनाया था, वह प्लान तो उसका फ़ेल हो गया था। अथर्व उसके साथ जाने के लिए राजी ही नहीं हुआ, तो वह कुछ और सोचने लगी।
वहीं अथर्व की मम्मी मीरा और अथर्व दोनों का हाथ पकड़ते हुए बोली, "मीरा बेटा, मैं जानती हूँ, मेरा अथर्व थोड़ा सा रूड है और उसे गुस्सा बहुत जल्दी आ जाता है, लेकिन तुम उसकी बातों का बुरा मत मानना। मैं बस इतना चाहती हूँ कि तुम दोनों अपनी लाइफ़ में खुश रहो और तुम दोनों के बीच जो भी मनमुटाव है उसे दूर करो! और जल्द से जल्द मुझे दादी बनाओ।"
मीरा ने जैसे ही अथर्व की मम्मी की यह बात सुनी, उसकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं और वह अथर्व को घूरते हुए देख रही थी। उसने अपनी नज़रें तुरंत नीचे झुका लीं; उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अथर्व की मम्मी की इस बात का क्या जवाब दे। वहीं रूपाली ने जैसे ही यह बात सुनी, वह गुस्से से अपने पैर पटकते हुए वहाँ से बाहर चली गई। लेकिन उन तीनों में से किसी ने भी उस पर ध्यान नहीं दिया।
रूपाली गुस्से में थी क्योंकि उसे अथर्व की मम्मी की बात बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगी। उसने वार्ड से बाहर निकलते ही कहा, "यह बूढ़ी मरते-मरते भी मेरे अथर्व के बीच दूरियाँ ही बढ़ाने की साज़िश कर रही है। लेकिन मैं ऐसा होने नहीं दूँगी। अगर मीरा और अथर्व एक-दूसरे के इतने करीब आ गए और कहीं मीरा प्रेग्नेंट हो गई तो फिर तो मेरा अथर्व हमेशा-हमेशा के लिए मुझसे दूर हो जाएगा। नहीं-नहीं, मैं हरगिज़ नहीं होने दूँगी। बस कुछ भी करके यह मीरा मेरे अथर्व के करीब नहीं आनी चाहिए।"
इतना बोलते हुए रूपाली सीधे हॉस्पिटल के बाहर निकली और जैसे ही उसकी नज़र अथर्व के ड्राइवर पर पड़ी, उसने अथर्व की कार की चाबी उस ड्राइवर के हाथ में पकड़ाई और सीधे अपनी कार में बैठकर वहाँ से बाहर निकल गई।
वहीं मीरा अथर्व की मम्मी के बगल में ज़रूर बैठी थी, लेकिन उनकी बात सुनकर चुप थी।
अथर्व ने अपनी मम्मी से कहा, "माँ, कैसी बातें कर रही हैं आप? अभी आप पहले अपनी हालत देखिये और पहले पूरी तरह से ठीक हो जाइये, उसके बाद हम बातें करेंगे। अभी आपकी तबीयत ख़राब है, आपको यह सब नहीं सोचना चाहिए।"
अथर्व की मम्मी ने उसके सर पर हाथ मारते हुए कहा, "मैं अभी हॉस्पिटल में हूँ, इसीलिए तो यह बात बोल रही हूँ। पता नहीं और कितने दिन बचे हैं मेरे पास? इसीलिए मैं चाहती हूँ कि तुम दोनों जल्द से जल्द मुझे दादी बनाओ!"
मीरा बहुत अजीब फील कर रही थी क्योंकि उसने कल ही अथर्व से तलाक की बात कही थी और आज उसकी सास उससे बच्चे की डिमांड कर रही थी। हालाँकि यह पहली बार था जब अथर्व की मम्मी ने उसे प्रेग्नेंट होने की बात कही और मीरा के लिए यह बहुत ही ज़्यादा अटपटा था। अथर्व भी काफी अटपटा फील कर रहा था क्योंकि वह जानता था कि मीरा और उसके बीच अभी स्थिति ज़्यादा अच्छी नहीं है।
अथर्व मीरा की तरफ़ तो देख रहा था और मीरा उससे अपनी नज़रें चुरा रही थी। देखते ही देखते काफी समय हो गया। वह दोनों हॉस्पिटल से घर वापस आ गए।
मीरा हॉस्पिटल से आते ही तुरंत नहाने के लिए चली गई। कुछ ही देर बाद जब वह बाहर निकली तो उसने देखा अथर्व रूम में ही बैठा है और फर्स्ट एड बॉक्स लेकर शीशे में देखते हुए वह अपने कंधे पर ड्रेसिंग कर रहा है। कल जहाँ पर उसने अथर्व के कंधे में काटा था, वहाँ उसके कंधे पर गहरा घाव हुआ था। मीरा जिसके बारे में बिल्कुल भूल गई थी और अभी जब मीरा ने अथर्व के कंधे को देखा तो मीरा का दिल तेज़ी से धड़कने लगा और उसने कहा, "हे भगवान! मैंने अथर्व को इतनी बुरी तरह से घायल कर दिया, मुझे तो इस बात का अंदाज़ा ही नहीं था।"
मीरा को अब खुद पर गुस्सा आ रहा था कि आखिर वह इतनी चोट कैसे पहुँचा सकती है? मीरा अपने बाल सुखा रही थी और तभी उनकी मेड माया उनके दरवाज़े के बाहर आकर खटखटाते हुए बोली, "मैडम, मैंने डिनर बनाकर टेबल पर रख दिया है और मैं घर जा रही हूँ!"
इतना बोलकर वह वहाँ से चली गई और मीरा रूम से बाहर निकल आई। थोड़ी देर बाद अथर्व भी नहाकर बाहर निकला। अथर्व ने बिल्कुल पारदर्शी शर्ट पहन रखी थी जिससे अथर्व की छाती और उसके पेट के मांसपेशियाँ साफ़ समझ में आ रहे थे। उस पारदर्शी शर्ट से अथर्व का कंधा साफ़ नज़र आ रहा था और वह चुपचाप कुर्सी पर आकर बैठ गया और खाना खाने लगा। मीरा का ध्यान अभी भी अथर्व के कंधे पर ही था।
अथर्व की चोट देखकर मीरा कल की सारी बातें भूल गई थी, और इस समय मीरा का ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ अथर्व की चोट पर है। दोनों ने एक साथ बैठकर डिनर किया, लेकिन किसी ने एक-दूसरे से कुछ भी नहीं कहा।
मीरा जैसे ही खाना खाकर उठी, वह सीधे किचन में गई और अथर्व की तरफ़ देखते हुए बोली, "पता नहीं अथर्व ने खुद से अपनी चोट की ड्रेसिंग ठीक से कर पाया है या नहीं?"
अथर्व आज मीरा के ही कमरे में सोया हुआ था, लेकिन उसने बेड की दूसरी तरफ़ सिर कर रखा था। अथर्व सोने की कोशिश कर रहा था, लेकिन अपने कंधे में लगी हुई चोट की वजह से सो नहीं पा रहा था। उसने जो उस पारदर्शी शर्ट को पहन रखा था, उसने गुस्से से उसे भी निकालकर फेंक दिया। मीरा अथर्व को ऐसा करते हुए देख रही थी और वह समझ गई थी कि अथर्व तकलीफ़ में है।
जब तक अथर्व करवट बदल रहा था, उसे नींद नहीं आ रही थी। जैसे ही वह कंधे के बल सो रहा था, उसकी चोट दुख रही थी और उसमें दर्द हो रहा था। अथर्व तभी कुछ देर बाद पेट के बल लेट गया और थोड़ी ही देर में अथर्व को नींद आ गई और वह गहरी नींद में सो गया।
लेकिन मीरा इस समय बहुत ज़्यादा गिल्टी फील कर रही थी और उसे बुरा लग रहा था क्योंकि उसकी वजह से अथर्व तकलीफ़ में था। मीरा अपने बिस्तर से उठी और अथर्व के कंधे की तरफ़ ध्यान से देखने लगी। उसने देखा अथर्व के कंधे पर उसके दाँतों के निशान साफ़ बने हुए थे और वह घाव इतना ज़्यादा गहरा था कि उसमें लाली अभी भी साफ़ नज़र आ रही थी और उसे देखकर ऐसा लग रहा था मानो अभी वह चोट बस कुछ ही देर पहले की हो।
अथर्व के कंधे की चोट को देखकर मीरा की आँखों से आँसू निकलने लगे। मीरा को अथर्व का दर्द महसूस हो रहा था।
क्रमशः...
आज का सवाल - क्यों मीरा को अथर्व का दर्द महसूस हो रहा है? क्या अपने इस एहसास को समझते हुए मीरा अथर्व से तलाक नहीं लेगी?
15 मीरा ने फर्स्ट एड बॉक्स से एंटीसेप्टिक निकाला और उसे लेकर सीधे बेड पर बैठ गई। मीरा ने अथर्व की चोट पर बड़े प्यार से मरहम लगाया और अथर्व की पीठ पर अपने हाथ को सहलाने लगी और मीरा ने धीमी आवाज़ में कहा, "एम सॉरी अथर्व कल गुस्से में मैंने तुम्हें इतनी चोट दे दी मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था।" मीरा बड़े प्यार से अथर्व की पीठ को टच और किस कर रही थी उसके कंधे पर आई सूजन को देखकर मीरा को बहुत बुरा लग रहा था और वह अथर्व के करीब और करीब चली गई। अथर्व के चौड़े कंधे मीरा को बहुत अट्रैक्ट कर रहे थे और उसने उसकी चोट के करीब पहुंचकर उसे सहलाते-सहलाते उसके कंधे पर अपना सर रखा जहां पर अथर्व की चोट थी मीरा उस जगह पर किस करने लगी। मीरा को नहीं समझ आ रहा था कि वह ऐसा क्यों कर रही है लेकिन जब मीरा ने अथर्व की चोट पर किस किया तो उसे बहुत अच्छा लगा और वह अथर्व के पीठ पर अपना हाथ रख कर लेट गई। मीरा को ऐसा लग रहा था कि अथर्व सो रहा है लेकिन अथर्व उसके छूने से ही जाग गया था और उसके बाद मीरा ने जितनी बार भी उसकी चोट को सहलाया और उसके कंधे पर किस किया वह सब अथर्व को पता चल रहा था। मीरा ने अथर्व के पीठ पर अपना हाथ सहलाते हुए कहा, "अथर्व जब तुम मुझसे प्यार ही नहीं करते तो फिर क्यों यह सब कर रहे हो? मैं अब और दिखावा नहीं कर सकती और कब तक हम इसी झूठे रिश्ते से बने रहेंगे।" "मैंने सोचा था कि हम जल्द ही अपने इस बांड को सुधार लेंगे लेकिन मुझे अब कुछ भी ठीक होने की उम्मीद नहीं लग रही है और जहां तक हमारे रिश्ते की बात है तो अब उसमें दूरियां बढ़ती ही जाएंगी, हम दोनों चाह कर भी इसे ठीक नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए मुझे ऐसा लगता है कि हमारा एक दूसरे से अलग हो जाना ही ठीक है और वैसे भी तुम तो मुझसे प्यार भी नहीं करते हो और सच में जिससे प्यार करते हो उसी के साथ रहो।" इतना बोलते बोलते मीरा की आंखों से आंसू गिरने लगे और रोते रोते हो उसकी सिसकी बंद गई। अथर्व सारी बातें सुनकर मीरा से बात करना चाह रहा था लेकिन उसने अपने हाथों की मुट्ठी कसकर बंद कर ही और कुछ नहीं कहा,क्योंकि अगर वह सुबह से बोलता तो उसे पता चल जाता कि वह जाग रहा है इसलिए अथर्व ने इस टाइम चुप रहना ही ठीक समझा। मीरा रोते रोते ही सो गई थी और तभी अथर्व धीरे से करवट घूमा और अब उसे अपनी चोट कम दर्द हो रही थी क्योंकि मीरा में बड़े प्यार से मरहम लगाया था और अथर्व मीरा की तरह मुंह करके लेट गया था। और उसे बस एकटक देखता ही जा रहा था उसने बड़े प्यार से मीरा के गालों को छुआ और उसे अपने सीने से लगा लगाते हुए उसने अपने मन में कहा, " पता नहीं क्यों तुम मुझसे दूर जाने की बात कर रही हो? क्या मैं इतना बुरा हूं तुम्हें समझ में क्यों नहीं आ रहा, मीरा मैं तुमसे दूर नहीं जाना चाहता, ना ही मैं तुम्हें डिवोर्स देना चाहता हूं! तुम भी यह बात अपने दिल और दिमाग से निकाल दो।" इतना सोच कर अथर्व ने मीरा को अपने गले से लगाया और अपनी बांहों में कैद कर लिया। मीरा में भी नींद में हल्का सा कसमसाई लेकिन उसने अथर्व के शरीर को महसूस किया और चुपचाप उसके सीने पर सर रखकर और उसकी कमर को कस कर पकड़ कर सो गई। सुबह अथर्व की मीरा से पहले आंख खुल गई और मीरा अभी भी उसके सीने से लगी हुई थी और वह गहरी नींद में सो रही थी। तभी खिड़की पर से आती हुई धूप सीधे मीरा की आंखों पर पड़ने लगी, जिससे मीरा के चेहरे के एक्सप्रेशन चेंज हुए और उसकी आइब्रोज सिकुड़ गई। अथर्व ने उसे जैसे ही देखा उसने बड़े प्यार से अपने दोनों हाथों को उसकी आंखों पर लगा दिया। जिससे मीरा की नींद ना टूटे क्योंकि मीरा सोते हुए बहुत ही प्यारी लग रही थी और अथर्व जानता था कि अगर अभी मीरा उठ गई तो वह उससे दूर हट जाएगी और मीरा को वह खुद से दूर नहीं करना चाह रहा था। वह कुछ देर और इसी तरह सुनील को अपने सीने से लगा कर रखना चाहता था, लेकिन ऐसा ज्यादा देर तक हो नहीं पाया, क्योंकि उसके कुछ ही देर बाद मीरा का अलार्म बजने लगा और जैसे ही अलार्म बजा अथर्व ने तुरंत अपना हाथ उसकी आंखों पर से हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा। मीरा की अलार्म से आंख खुली और मीरा ने जैसे ही देखा कि वह अथर्व की बाहों में है वह हड़बड़ाते हुए उससे दूर हो गई और उसने जल्दी से अलार्म बंद कर दिया ताकि अथर्व की आंख ना खुले, लेकिन अथर्व तो पहले से ही जाग रहा था लेकिन उसने मीरा को यह बात बिल्कुल भी पता नहीं चलने दी। मीरा तेज कदमों से सीधे वॉशरूम की तरफ चली गई।" मीरा रेडी होकर ब्रेकफास्ट करने के लिए टेबल पर आई तो उसने देखा कि अथर्व बैठकर ब्रेकफास्ट कर रहा है और आपकी तक वो घर से निकला नहीं। मीरा अथर्व को देखकर वही डाइनिंग टेबल के पास ही रुक गई। अथर्व ने एक नजर उठाकर मीरा की तरफ देखा मीरा नॉर्मल ऑफिस की ड्रेस में थी और अपना मोबाइल फोन हाथ में पकड़ी थी और लैपटॉप का बैग दूसरे हाथ में पकड़े हुए आ रही थी, लेकिन उसे देखकर वह वहीं पर रुक गई। अथर्व उसे सर से लेकर पांव तक देखा लेकिन कुछ नहीं बोला। तभी माया किचन से निकलकर आई और बोली, " अरे मैडम आप खड़ी क्यों है बैठिए आपका ब्रेकफास्ट भी रेडी है।" मीरा ने हां में सिर हिलाया और अथर्व के बगल में ब्रेकफास्ट करने के लिए बैठ गई दोनों ने एक साथ अपना ब्रेकफास्ट किया। अथर्व कार की चाबी उठाते हुए बोला, "मैं ऑफिस से निकल रहा हूं तुम्हें टाइम लगेगा क्या?" मीरा ने कहा, "नहीं तो!" इतना बोलकर मीरा अथर्व के पीछे पीछे चली गई दोनों कार में बैठे। अथर्व ने कार ड्राइव करना शुरू किया था इस टाइम कार में बिल्कुल सन्नाटा था कोई भी बोलने की पहल नहीं करना चाहता था। कुछ देर बाद मीरा ने अथर्व की तरफ देखते हुए कहा, "आई एम सॉरी।" अथर्व को समझ नहीं आया कि आखिर मीरा उसे सॉरी क्यों बोल रही है अथर्व ने कार ड्राइव करते हुए ही पूछा, "किस लिए सॉरी बोल रही हो तुम मुझे?" मीरा ने खिड़की से बाहर की तरफ देखते हुए कहा, "तुम्हारे शोल्डर पर जो चोट पहुंचाई उसके लिए।" अथर्व ने मीरा की इस बात पर कोई भी जवाब नहीं दिया और मीरा खिड़की से बाहर की तरफ ही देखती जा रही थी। अथर्व ने दो-तीन बार मीरा की तरफ देखा लेकिन मीरा ने अपनी नजरें उसकी तरफ नहीं घुमाई तभी अथर्व ने कहा, "वैसे सॉरी तो मुझे भी बोलना चाहिए तुमसे क्योंकि मैंने भी तुम्हारे साथ अच्छा भी है नहीं किया था उस दिन।" मीरा ने अथर्व की बात का कोई जवाब नहीं दिया तो उसने अपना हाथ मीरा के हाथ में रखते हुए कहा, "क्या हम आज लंच पर चल सकते हैं, अथर्व ने यह बात बोलने के लिए बहुत हिम्मत जुटाई। लेकिन मीरा ने अथर्व के हाथ की तरफ देखा वो उसके हाथ उस पड़ेगी नरमी से सहला रहा था। मीरा ने झटके से अपना हाथ पीछे की तरफ खींचते हुए कहा, "क्या कहा तुमने लंच नहीं बिल्कुल भी नहीं मैंने तुमसे पहले ही कहा है अथर्व हमारे बीच कुछ भी ठीक नहीं हो सकता।" अथर्व ने जैसे ही मीरा के बिहेवियर देखा उसने तुरंत कार में ब्रेक लगाया और सब की तरफ देखते हुए कहा, "क्यों नहीं ठीक हो सकता मैं जब ठीक करने की कोशिश कर रहा हूं तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है।" मीरा ने अथर्व की तरफ देखा और अपने सर पर हाथ रखते हुए कहा, "देखो अथर्व हम परसो इस बारे में काफी सारी बात कर चुके हैं और अब मैं सुबह-सुबह तुमसे इस बारे में कोई आर्गुमेंट नहीं करना चाहती, बस जितनी जल्दी हो सके तुम मुझे डिवोर्स दो और उसके बाद तुम्हें अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रहना है या किसी और के साथ, उसके साथ रहो बस मुझे बख्श दो। और नहीं झेल सकती मैं यह सब नहीं बर्दाश्त होता मुझसे।" अथर्व ने जैसे ही मीरा के मुंह से यह बात सुनी उसकी बात सुनकर साफ समझ में आ रहा था कि वह बहुत ज्यादा फ्रस्ट्रेटेड है। अथर्व ने तुरंत मीरा का हाथ पकड़ते हुए कहा, "1 मिनट तुम क्या बोल रही हो? मेरी गर्लफ्रेंड? मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है तुम्हें बहुत अच्छी तरह से जानती हो! उसके बाद भी…. अथर्व बोल ही रहा था कि तभी मीरा ने अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाते हुए कहा, "मुझे सब पता है तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारी वन नाइट स्टैंड और न जाने क्या-क्या करते हो तुम। वह रुपाली….और अगर तुम उस से रूपाली से प्यार करते हो तो जाओ रहो ना उसके साथ। मेरे साथ जबरदस्ती के रिश्ते में रहकर तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा मैं तो तुम्हें सेटिस्फाई भी नहीं करती, उसकी तरह। तब भी पर तुम क्यों यहां पर मेरे ऊपर अपना टाइम बर्बाद कर रहे हो। मैं तुमसे पहले ही कह चुकी हूं जितनी जल्दी हो सके मुझे तलाक दे दो।" अथर्व ने घूरते हुए मीरा को देखा और कहा, "रूपाली! तुम्हारे दिमाग में यह रूपाली की बात कहां से आ गई और मैं तुम्हें वन नाइट स्टैंड करने वाला इंसान लगता हूं क्या? तुम यह सब सोचती हो मेरे बारे में? और मैं तुमसे पहले ही बोल चुका हूं कि रूपाली मेरी एक्स थी और अब हम फ्रेंड्स भी नहीं हैं,ये बिजनेस डील खत्म होने के बाद मेरा उससे कोई भी रिश्ता नहीं रहेगा इसलिए तुम यह बात अपने दिमाग से निकाल क्यों नहीं देती।" मीरा ने अथर्व को घूरते हुए देखकर कहा, "मुझे तुम्हारी सफाई नहीं सुननी।" अथर्व ने गुस्से से कहा, "मैं तुम्हें कोई सफाई दे भी नहीं रहा क्योंकि मैं खुद को गलत नहीं मानता जो तुम्हारे सामने सफाई पेश करू और रही बात डायवोर्स की तो मैंने तुमसे कहा था ना मैं अब दोबारा यह शब्द तुम्हारे मुंह से नहीं सुनना चाहता उसके बावजूद भी तुम…?" मीरा ने अथर्व की तरफ देखते हुए कहा, " मैं तुमसे तलाक इसलिए चाहती हूं, ताकि तुम अपनी गर्लफ्रेंड के साथ आराम से रह सकूं! तुम्हें मेरे पास आने की और दुनिया वालों को दिखाने की ये दिखावा करने की जरूरत ना पड़े इसलिए मुझे डिवोर्स चाहिए। ताकि हम दोनों इस घुटन भरे रिश्ते से निकल सके।" अथर्व ने मीरा की बात सुनकर बिल्कुल हैरान होते हुए पूछा, " तुम्हें मेरे साथ घुटन महसूस होती है तुम मुझसे इतना डेसपरेटली डिवोर्स लेना चाहती हो?" मीरा ने अपनी आंखों से निकलते हुए आंसू को पूछते हुए कहा, "हां मैं डेसपरेट हो चुकी हूं तुमसे डिवोर्स लेने के लिए। सुन लिया तुमने।" ये बोलते हुए मीरा की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे । अथर्व जानता था कि उसे जरूर कोई मिसअंडरस्टैंडिंग हुई है और इस टाइम उसकी बात नहीं सुनेगी। अथर्व भी गुस्से में था उसने कार का गेट खोलते हुए कहा, "निकलो मेरी कार से?" मीरा हैरानी से अथर्व की तरफ देखते हुए बोली,"what?" अथर्व ने कहा, "सुनाई नहीं दिया क्या मैंने कहा निकलो मेरी कार से।" मीरा अथर्व को घूर कर देख रही थी और तभी अथर्व कार से बाहर उतरा और मीरा का हाथ पकड़ कर उसे कार से बाहर निकाला। मीरा अपना पर्स और लैपटॉप हाथ में पकड़े वहीं पर खड़ी थी और अंश ने कार का दरवाजा पटकते हुए बंद किया और चुपचाप कार में बैठकर तेज स्पीड से वहां से निकल गया। मीरा सड़क पर अकेले खड़ी थी और उस जगह पर से कोई भी ऑटो या टैक्सी नजर नहीं आ रही थी कुछ देर तक मीरा ने टैक्सी का वेट किया लेकिन जब काफी देर तक वहां पर कोई भी कन्वीनियंस नहीं मिला तो मीरा पैदल ही ऑफिस तक चल कर आई और उसके पैर सूज गए थे। मीरा अपनी डेस्क पर आकर बैठी और उसने अपनी हील उतारी और अपने पैरों पर मसाज करने लगी। शाम को मीरा जब घर पहुंची तो उसने देखा घर की मेड सारा काम फिनिश करके और डिनर बना कर जा चुकी थी मीरा ने अपना कुछ काम फिनिश किया और डिनर करने के लिए बैठ गए मीरा को ऐसा लग रहा था कि उसने अथर्व से जो कुछ भी कहा है, उसके बाद अथर्व वहां नहीं आएगा। To Be Continued… आज का सवाल - क्या अथर्व मीरा की बात मान जाएगा और उसे डिवोर्स देंने के लिए राजी हो जाएगा।
मीरा ने जल्दी डिनर किया। रात के आठ बज रहे थे कि वह सोचने लगी। दिमाग में तरह-तरह के ख्याल आ रहे थे। मीरा ने खुद से कहा, "क्या अब अथर्व मुझे तलाक के कागज़ भेज देगा? और अगर अथर्व की माँ ने पूछा कि हम तलाक क्यों ले रहे हैं, तो हम उन्हें क्या बताएँगे? या फिर हमें उनसे तलाक की बात छुपानी पड़ेगी? कहीं कोर्ट में कोई समस्या तो नहीं होगी?" मीरा अथर्व को लेकर कई बातें सोच रही थी, तभी उसका फ़ोन बज गया। फ़ोन उठाकर देखा तो ललित का नंबर दिख रहा था। मीरा ने मोबाइल की स्क्रीन की ओर देखते हुए कहा, "ललित इतनी रात को मुझे क्यों कॉल कर रहा है?"
मीरा ने तुरंत कॉल रिसीव की। "ललित, क्या बात है? तुमने मुझे इतनी रात में कॉल कैसे किया?"
दूसरी तरफ़ से ललित की हड़बड़ाहट भरी आवाज़ आई, "मीरा मैम, अथर्व सर!"
मीरा ललित की आवाज़ सुनकर घबरा गई। "एक मिनट ललित, तुम इतना घबरा क्यों रहे हो? बताओ, क्या प्रॉब्लम है?"
ललित ने हड़बड़ाते हुए कहा, "वह... सीईओ अथर्व सर... उनका बहुत बुरा एक्सीडेंट हो गया है। उनकी हालत बहुत सीरियस है।"
ललित की बात सुनते ही मीरा हड़बड़ाकर खड़ी हो गई। "क्या बोल रहे हो तुम? मैं तुम्हारी बात समझ नहीं पाई। एक बार मुझे पूरी बात बताओ। आखिर हुआ क्या है? और तुम कहाँ हो? अथर्व को क्या हुआ?"
मीरा ने ललित से सारी बात पूछी।
ललित ने कहा, "मीरा मैम, अथर्व सर का कार एक्सीडेंट हुआ है। मैं उन्हें अभी हॉस्पिटल ले आया हूँ। आप जल्दी से हॉस्पिटल आ जाइए। उनकी हालत बहुत ख़राब है।"
ललित की बात सुनते ही मीरा नाइट ड्रेस में ही अपना मोबाइल और पर्स उठाकर घर से बाहर निकली और ऑटो के लिए इंतज़ार करने लगी। लेकिन इतनी रात में उसे कोई ऑटो या टैक्सी नहीं मिल रही थी। वह काफी परेशान हो गई और पैदल ही हॉस्पिटल की ओर चल दी। रास्ते में उसे एक ऑटो मिली और उसने जल्दी से हॉस्पिटल जाने के लिए कहा।
हॉस्पिटल के अंदर आते ही मीरा ने ललित को वहाँ खड़ा देखा। वह दौड़ती हुई ललित के पास गई और बोली, "अथर्व कहाँ है? दिखाओ मुझे!"
ललित मीरा की घबराहट समझ रहा था, क्योंकि वह खुद भी उतना ही परेशान था। दोनों दौड़ते हुए ऑपरेशन थिएटर के पास पहुँचे। वहाँ और भी कई लोग थे जो अथर्व के लिए परेशान हो रहे थे, लेकिन कोई भी घर से नहीं आया था।
मीरा ऑपरेशन थिएटर के गेट के बाहर खड़ी हो गई। अंदर से कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। जैसे ही ऑपरेशन थिएटर से एक नर्स निकली, मीरा भागती हुई उसके पास गई और बोली, "कैसा है अथर्व? उसे होश तो आ गया ना? वह ठीक तो हो जाएगा ना? उसे ज़्यादा चोट तो नहीं आई है?"
नर्स ने मीरा को हैरानी से देखते हुए कहा, "आप यहीं पर रुकिए। हम अपना काम कर रहे हैं और हम अपनी पूरी कोशिश करेंगे कि पेशेंट को कुछ न हो।"
मीरा पागलों की तरह इधर-उधर टहल रही थी। जैसे ही ऑपरेशन ख़त्म हुआ और ऑपरेशन थिएटर से डॉक्टर बाहर निकले, ललित और मीरा दोनों डॉक्टर के पास गए। मीरा ने डॉक्टर की ओर देखते हुए कहा, "डॉक्टर, अथर्व कैसे हैं? कुछ ठीक तो है ना? उसे होश आ गया? मैं उससे मिल सकती हूँ?"
डॉक्टर ने कहा, "आप कौन?"
मीरा ने तुरंत जवाब दिया, "मैं उसकी पत्नी हूँ।"
डॉक्टर ने मीरा की ओर देखकर कहा, "हमने ऑपरेशन कर दिया है। सर पर गहरी चोट आई है। ऑपरेशन सफल हुआ है, लेकिन उन्हें अभी तक होश नहीं आया है। आज की रात बहुत खतरनाक है। अगर आज उन्हें होश नहीं आया, तो बहुत समस्या हो सकती है। मिस्टर अथर्व कोमा में जा सकते हैं, उनकी याददाश्त जा सकती है। इसलिए आप लोग दुआ कीजिए कि उन्हें कल सुबह होने से पहले होश आ जाए। अगर इन बारह घंटों में उन्हें होश नहीं आया, तो स्थिति बहुत जटिल हो जाएगी।"
ललित यह बात सुनकर डर गया और मीरा डगमगा गई, गिरने ही वाली थी। ललित ने उसे जल्दी से पकड़ा और पास की कुर्सी पर बैठाते हुए कहा, "मीरा मैम, आराम से!"
मीरा अपना सर पकड़कर बैठ गई। परसों रात में उसने अथर्व से जो कहा था और आज सुबह कार में हुई उनकी बहस, सब उसके दिमाग में घूम रही थी। उसे बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि सुबह तक जो इंसान बिलकुल ठीक था, वह रात में इस तरह अपनी ज़िन्दगी और मौत से जूझेगा।
कुछ देर तक मीरा वहीं बैठी रही। तभी नर्स ने मीरा के पास आकर कहा, "हमने मिस्टर सक्सेना को नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट कर दिया है। अब आप में से कोई एक उनसे मिल सकता है।" मीरा ने नर्स की ओर देखते हुए कहा, "कौन सा वार्ड है?"
नर्स ने मीरा को इशारा किया और मीरा भागती हुई उस वार्ड की ओर गई। उसने झटके से दरवाज़ा खोला और अपने सामने बिस्तर पर पड़े अथर्व को देखा। उसके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क था और उसकी आँखें बंद थीं। अथर्व को ऐसी हालत में देखकर मीरा ने दरवाज़ा बंद कर दिया और वहीं दरवाज़े के पास अपना सिर पकड़कर बैठ गई। वह अथर्व की ऐसी हालत देख नहीं पा रही थी। मीरा का पूरा शरीर काँप रहा था।
मीरा ने पूरी हिम्मत जुटाई और धीरे-धीरे अथर्व के पास गई। अथर्व का कमरा काफी बड़ा था। वहाँ सोफ़ा, टेबल के साथ-साथ कई सुविधाजनक चीज़ें रखी हुई थीं। मीरा अथर्व के बगल में बैठ गई। अथर्व का बिस्तर काफी बड़ा था और उसके एक हाथ में ग्लूकोज़ लगा हुआ था। अथर्व के चेहरे पर एक अलग ही मासूमियत नज़र आ रही थी। मीरा ने अथर्व का हाथ पकड़कर वहीं बैठ गई और एकटक अथर्व के चेहरे को देखती रही।
क्रमशः
आज का सवाल - क्या अथर्व को आज रात होश आएगा? और क्या मीरा अथर्व की ऐसी हालत देखकर उससे तलाक की बात नहीं करेगी?
अथर्व के चेहरे पर लगा ऑक्सीजन मास्क देख मीरा को अच्छा नहीं लग रहा था। वह चाहती थी कि अथर्व जल्दी होश में आ जाए। मीरा ने अथर्व का हाथ दोनों हाथों से कसकर पकड़ रखा था।
उसने अथर्व के दोनों हाथ चूमते हुए कहा, "अथर्व, कैसे भी, तुम्हें होश में आना ही होगा। मैं कुछ नहीं जानती, बस तुम जल्दी होश में आ जाओ और पहले जैसे हो जाओ। इस तरह तुम्हारा यूँ बिस्तर पर लेटे रहना मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा। तुम गुस्सा करते हुए और अकड़ू बनते हुए ही अच्छे लगते हो, तुम्हारे चेहरे पर यह शांति मुझे बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही।"
मीरा अथर्व से बातें करती रही, लेकिन अथर्व बेहोश ही था। उसने अपनी आँखें नहीं खोलीं। तभी ललित चुपके से कमरे में आया और देखा मीरा अथर्व का हाथ पकड़कर बैठी है और धीमी आवाज़ में उससे बातें करती जा रही है।
ललित ने गहरी साँस ली और उन दोनों को देखकर चुपचाप वहाँ से बाहर चला गया।
मीरा की आँखों में नींद नहीं थी और वह अथर्व से अपनी नज़रें नहीं हटा पा रही थी। मीरा के चेहरे पर टेंशन साफ़ दिख रही थी। उसने अथर्व के माथे पर हाथ रखा और उसके सर को सहलाते हुए मन में कहा, 'अगर अथर्व को होश नहीं आया तो? और अगर उसकी स्थिति और जटिल हो गई तो? डॉक्टर ने कहा है कि इसे होश में आना ज़रूरी है। और अगर अथर्व कोमा में चला गया तो? नहीं… नहीं… ऐसा नहीं हो सकता! मैं ऐसा क्यों सोच रही हूँ, अथर्व को कुछ नहीं होगा, वह कोमा में क्यों जाएगा। उसे होश आ जाएगा।'
मीरा अपने ही मन में तरह-तरह की बातें सोच रही थी और खुद को डाँटकर चुप करा रही थी! वह ये सब नहीं सोचना चाहती थी, लेकिन अथर्व की हालत देखकर बार-बार ऐसा ही सोचती और खुद को डाँटती। यह लंबी रात थी और पूरी रात मीरा नहीं सोई, वह अथर्व के बगल में ही बैठी रही।
आधी रात में मीरा की आँख लग गई और उसने सपना देखा कि अथर्व का यह कार एक्सीडेंट उसकी वजह से हुआ है; अथर्व तलाक की बात बार-बार सोच रहा था, इसी वजह से उसका यह एक्सीडेंट हुआ।
मीरा हड़बड़ाते हुए उठ गई और तेज आवाज़ में कहा, "अथर्व !"
मीरा अचानक उठी और जैसे ही उसने अथर्व का नाम लिया, उसने देखा कि अथर्व की आँखें खुली हुई थीं। वह अथर्व को देखकर बहुत खुश हुई। अथर्व उसकी तरफ़ देख रहा था और उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कान थी।
मीरा दौड़ते हुए कमरे से बाहर निकल कर आई और चिल्लाते हुए कहा, "ललित, डॉक्टर को बुलाओ, अथर्व को होश आ गया है।"
ललित डॉक्टर और नर्स को बुलाने लगा। मीरा वापस कमरे में आई और उसका हाथ पकड़कर बैठ गई और बोली, "अथर्व ! तुम्हें होश आ गया, तुम ठीक तो हो ना? तुम्हें मैं याद हूँ ना?"
मीरा को इस तरह हड़बड़ाते देखकर अथर्व ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे तुम याद हो, मैं तुम्हें कैसे भूल सकता हूँ।"
मीरा बहुत खुश लग रही थी। तभी डॉक्टर वहाँ आए और उन्होंने काफी देर तक अथर्व का चेकअप किया। मीरा अथर्व की तरफ़ ही देख रही थी। डॉक्टर ने चेकअप कर लिया तो उन्होंने ललित और मीरा की तरफ़ देखकर कहा, "डोंट वरी, अब मिस्टर अथर्व बिल्कुल ठीक हैं।"
मीरा ने जैसे ही डॉक्टर के मुँह से यह बात सुनी, मीरा की आँखों से आँसू गिरने लगे और मीरा पीछे मुड़कर जल्दी-जल्दी अपने आँसू पोंछने लगी। वह नहीं चाहती थी कि कोई उसे रोते हुए देखे। डॉक्टर चेकअप करके तुरंत कमरे से बाहर निकल गए और ललित को दवाइयाँ लेने के लिए बुलाया।
मीरा अभी भी अपना मुँह फेरकर खड़ी थी। तभी अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखते हुए धीमी आवाज़ में पुकारा, "मीरा।"
मीरा जल्दी-जल्दी अपने आँसू पोंछते हुए उसके पास आकर बैठ गई और उसका हाथ पकड़ते हुए बोली, "तुम तो बहुत अच्छे ड्राइवर हो ना, फिर तुम्हारा एक्सीडेंट कैसे हुआ? और अब तुम पहले से बेहतर महसूस कर रहे हो ना? और अब आगे से याद रखना, जब भी ड्राइव करना तो और ध्यान देना! मैं नहीं चाहती तुम्हारा फिर से ऐसा कोई एक्सीडेंट हो।"
अथर्व ने मीरा की बात सुनी और उसके हाथ को कसकर पकड़ते हुए कहा, "मीरा, तुम रो रही हो?"
मीरा ने जैसे ही अथर्व की बात सुनी, उसने दूसरे हाथ से जल्दी-जल्दी अपने गालों को पोंछते हुए कहा, "नहीं, मैं कहाँ रो रही हूँ? मैं तो तुमसे बात कर रही..."
मीरा बोल ही रही थी कि तभी अथर्व बिस्तर से उठने की कोशिश करने लगा।
तभी मीरा ने कहा, "क्या कर रहे हो? लेटे रहो। तुम्हें चोट लगी है।"
लेकिन अथर्व ने मीरा की बात नहीं सुनी और वह उठकर बैठ गया। मीरा ने जल्दी से एक तकिया उठाया और उसे उसकी पीठ पर सहारा देते हुए लगा दिया।
मीरा जब अथर्व की पीठ के पीछे तकिया रख रही थी तो वह अथर्व के बिल्कुल करीब आ गई। अथर्व ने उसके सिर को पकड़ा और उसके होठों को चूमने के लिए उसकी तरफ़ बढ़ने लगा।
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखा और उसके होठों पर हाथ रखते हुए कहा, "क्या कर रहे हो यार? हम हॉस्पिटल में हैं।"
और इतना बोलकर मीरा दूर हटने लगी। तभी अथर्व ने मीरा का हाथ पकड़ा और उसके हाथ में लगा ग्लूकोज़ की नली खींच ली। अथर्व ने कहा, "आह..!"
मीरा को ऐसा लगा कि उसकी वजह से उसे चोट लग गई। मीरा वहीं रुक गई और बोली, "क्या कर रहे हो? तुम खुद को ज़ख़्मी कर लोगे, छोड़ो मुझे!"
इतना बोलकर मीरा ने खुद को अथर्व से दूर किया और उसके हाथ पर लगे ग्लूकोज़ को ठीक करने लगी।
मीरा को अथर्व की इतनी फ़िक्र करते देखकर उसने बड़े प्यार से मीरा की तरफ़ देखते हुए कहा, "मीरा, तुम मुझे इस हाल में देखकर बहुत परेशान हो गई थीं ना?"
मीरा ने अथर्व की इस बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसकी बात को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ कर दिया।
अथर्व जानता था कि मीरा उसकी इस बात का कोई जवाब नहीं देगी। तभी अथर्व ने कहा, "मीरा, तुम मुझसे तलाक लेने की ज़िद छोड़ दो। हम तलाक नहीं लेंगे और अपनी ज़िन्दगी ठीक करेंगे, मैं सब कुछ ठीक कर दूँगा।"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ घूरते हुए देखकर कहा, "आर यू सीरियस! अथर्व, तुम अभी हॉस्पिटल में हो। मुझे नहीं लगता हमें यह सब बातें यहाँ करनी चाहिए।"
अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखकर कहा, "मैं भी बिल्कुल सीरियस हूँ और मैं सच में तुमसे तलाक़ नहीं लेना चाहता। मैंने कभी भी हमारी शादी को ख़त्म करने के बारे में नहीं सोचा। हाँ, भले ही मैंने यह सीक्रेट रखा है, लेकिन मैं शादी को कभी तोड़ना नहीं चाहूँगा। मैं तुमसे प्रॉमिस करता हूँ, तुम्हारी जितनी भी गलतफ़हमियाँ हैं, मैं उन सबको दूर कर दूँगा।"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखा, वह काफी ज़्यादा सीरियस लग रहा था। तभी मीरा की नज़र दरवाज़े पर गई।
उसने अथर्व की तरफ़ देखते हुए कहा, "अच्छा, ठीक है। अभी हम इस बारे में बात नहीं करते हैं। हॉस्पिटल में मुझे नहीं लगता यह सब बातें करना ठीक होगा।"
मीरा नहीं चाहती थी कि अथर्व इन सब चीजों के बारे में बात करे और उसकी हालत और ज़्यादा खराब हो जाए, इसलिए उसने अथर्व को इस बारे में बात ना करने के लिए कहा। कल रात मीरा के दिमाग में जितनी सारी बातें आ रही थीं और अथर्व की ऐसी हालत देखकर उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था। इसलिए मीरा नहीं चाहती थी कि अथर्व को कुछ भी हो, इसलिए उसने अथर्व को इस बारे में बात करने से रोका। जैसे ही मीरा ने यह बात बोली, अथर्व ने राहत की साँस ली और उसने मीरा का हाथ कसकर पकड़ा और उसे अपने करीब बैठा लिया।
अथर्व को ऐसा लग रहा था कि मीरा उसकी बात मान गई है और वह उसे तलाक की कोई बात नहीं करेगी। मीरा भी अपने काम में बिजी हो गई और वह अथर्व के लिए फल काटने लगी।
तभी मीरा ने अथर्व से पूछा, "वैसे अथर्व, तुम्हारा यह कार एक्सीडेंट कैसे हुआ? तुम्हें कुछ याद है?"
मीरा बहुत अच्छी तरह से जानती थी कि अथर्व बहुत अच्छा ड्राइवर है, यहाँ तक कि वह तो कई सारी रेसिंग भी करता है और उसे रेसिंग में कोई नहीं हरा पाता। उसकी इतनी अच्छी ड्राइविंग स्किल्स होने के बाद भी उसका इतना बड़ा एक्सीडेंट होना मीरा को कहीं ना कहीं खटक रहा था, इसीलिए उसने अथर्व से यह बात पूछी।
अथर्व भी मीरा की यह बात समझ गया था। उसने मीरा के करीब जाकर उसके कंधे पर अपनी ठोड़ी रखकर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ते हुए कहा, "शायद मैं किसी चीज के बारे में लगातार सोच रहा था और स्ट्रेस में आ गया, इसी वजह से एक्सीडेंट हुआ।"
मीरा अथर्व की बात सुनकर कुछ नहीं बोली और उसने अपने मन में कहा, 'शायद अथर्व तलाक के बारे में ही सोच रहा होगा, इसीलिए स्ट्रेस में आकर उसका एक्सीडेंट हुआ!' मीरा इस बात को सोचने लगी और तभी उसने पीछे मुड़कर अथर्व की तरफ़ देखते हुए कहा, "मुझे ललित ने फ़ोन करके तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे में बताया, तो क्या ललित ने तुम्हारे डैड और तुम्हारी बहन को तुम्हारे एक्सीडेंट के बारे में नहीं बताया? उनमें से कोई भी यहाँ पर क्यों नहीं आया?"
मीरा का सवाल सुनकर अथर्व थोड़ा सोच में डूब गया और उसने अचानक कहा, "वह मैंने ही ललित से मना किया था क्योंकि तुम तो जानती ही हो, डैड बूढ़े हैं और अगर मैं घर पर अपने एक्सीडेंट की बात बताता तो सब इतने ज़्यादा परेशान हो जाते, इसलिए मैंने ही मना कर दिया था।"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ घूरते हुए देखकर कहा, "लेकिन यह बहुत बड़ी बात थी, अथर्व, तुम्हें अपने घरवालों को यह बात बतानी चाहिए थी।"
अथर्व ने मीरा की तरफ़ देखकर कहा, "एक्चुअली मैं अपनी वजह से घरवालों को परेशान नहीं करना चाहता! तुम तो जानती ही हो सब मुझसे कितना प्यार करते हैं और अगर मैं उन्हें बताता तो शायद उन सब की हालत भी तुम्हारे जैसी ही हो जाती, जैसे तुम मेरे लिए परेशान थीं।"
मीरा अथर्व को ही देख रही थी, लेकिन जैसे ही अथर्व ने मीरा से यह बात बोली, मीरा ने तुरंत अपनी नज़रें अथर्व से हटा लीं। अथर्व भी इस समय बिल्कुल चुप हो गया था और तभी अथर्व का पेट गुड़गुड़ाया। जिसकी आवाज़ मीरा के कान तक गई। अथर्व ने अपने पेट पर हाथ रखते हुए कहा, "मेरा पेट गुड़गुड़ कर रहा है।"
मीरा ने जैसे ही अथर्व की बात सुनी, उसे अथर्व बहुत क्यूट लगा और मीरा अपनी हँसी रोक नहीं पाई। उसने हँसते हुए कहा, "तुम्हें भूख लगी है? रुको, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लेकर आती हूँ, क्योंकि इस हॉस्पिटल में तो तुम्हें दलिया ही मिलेगा? क्या तुम दलिया खाना पसंद करोगे?"
अथर्व ने जल्दी से ना में सिर हिलाते हुए कहा, "यक! बिल्कुल भी नहीं, मैं दलिया नहीं खाऊँगा और फल तो बिल्कुल भी नहीं।"
मीरा ने अथर्व की तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "मैं जानती हूँ तुम्हें। ठीक है, रुको मैं तुम्हारे लिए कुछ अच्छा खाने के लिए लेकर आती हूँ।"
मीरा अथर्व को अपने हाथों का घर का हेल्दी खाना खिलाना चाहती थी, लेकिन अभी अगर वह वापस घर आती है और कुछ बनाकर ले जाती तो काफी ज़्यादा समय लग जाता और अथर्व को बहुत तेज भूख लगी थी। इसलिए वह सीधे हॉस्पिटल से बाहर की तरफ़ जाने लगी। नीचे उतरते हुए मीरा ने देखा कि लिफ़्ट काफी ज़्यादा व्यस्त थी और कुछ देर वेट करने के बाद भी जब लिफ़्ट नहीं खुली तो मीरा ने सीढ़ियों से जाने का फैसला किया।
क्रमशः…
मीरा सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी। उसके आगे दो नर्स आपस में बातें कर रही थीं। मीरा उनसे आगे निकलना चाहती थी, लेकिन वे धीरे-धीरे सीढ़ियां उतर रही थीं। उनके हाथ में काफी सामान था।
मीरा ने जल्दबाजी नहीं की और उन्हें आराम से उतरने दिया। मीरा नर्सों की बात नहीं सुनना चाहती थी।
लेकिन, मीरा धीरे-धीरे चल रही थी। उसने उन नर्सों की बात सुन ली क्योंकि वे सामान्य रूप से बात कर रही थीं और मीरा उनके ठीक पीछे थी। उसकी आवाज़ आराम से मीरा के कान में जा रही थी और वह उनकी बातें साफ़ सुन पा रही थी।
उन दोनों नर्सों में से एक ने कहा, "यहाँ पर लोग जल्दी से हॉस्पिटल से घर जाना चाहते हैं। ये कुछ अमीर लोग हैं, जिन्हें अलग-अलग तरह के ड्रामे सूझते हैं। देखो ना, किस तरह से जबरदस्ती की नौटंकी करके यह यहाँ हॉस्पिटल में अपना समय बर्बाद कर रहा है। सब लोग हॉस्पिटल से निकलने की कोशिश करते हैं और जल्दी ठीक होना चाहते हैं, लेकिन वह आदमी पैसे बर्बाद कर रहा है और जबरदस्ती उसने एक वार्ड फंसा रखा है।"
दूसरी नर्स ने कहा, "अरे, तुम भी कहाँ उन अमीर लोगों की बात कर रही हो! वे सारे अमीर लोग ऐसे ही होते हैं। उन्हें बस अपने काम से मतलब होता है। उनके लिए पैसे की कोई वैल्यू नहीं है; बर्बाद करना ही आता है।"
पहली नर्स ने सहमति में सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ, और हमें क्या? वैसे भी, इन जैसे अमीर लोगों की वजह से ही तो ये प्राइवेट हॉस्पिटल चल रहे हैं। इन्हें जितनी अपनी जान की परवाह होती है, ये खुद पर उतना पैसा लुटाने को तैयार रहते हैं।"
पहली नर्स ने कहा, "मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा, अगर वह आदमी बीमार नहीं है और ना ही उसका एक्सीडेंट हुआ है, तो फिर वह यहाँ पर बीमार होने का नाटक क्यों कर रहा है? मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा, आखिर उसने यह दिखावा क्यों किया कि उसका कार से इतना बुरा एक्सीडेंट हुआ है।"
दूसरी नर्स ने हिचकिचाते हुए पूछा, "क्या कोई पेशेंट यहाँ पर बीमार होने का नाटक कर रहा है? लेकिन क्यों? आखिर ऐसा क्यों कर रहा है वह? और कौन है वह? उसे ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गई कि वह खुद को एक्सीडेंट करने का बहाना बता रहा है?"
पहली नर्स ने जवाब दिया, "अरे, तुम्हें नहीं मालूम? वह वीआईपी कमरा नंबर 202 वाला है। उसमें एक अमीर आदमी आया है। अरे, क्या नाम है उसका? हाँ, मिस्टर सक्सेना! वही है जो अपने एक्सीडेंट की झूठी बात बता रहा है!"
मीरा उन दोनों नर्सों की बात बहुत ध्यान से सुन रही थी। जैसे ही मीरा ने सुना...
मीरा चलते-चलते रुक गई और उसने अपने मन में दोहराया, "क्या? कमरा नंबर 202! यह तो वही कमरा है जहाँ पर अथर्व रुका है! और यह नर्स क्या बोल रही है? क्या सच में अथर्व का कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ? क्या अथर्व ने झूठा एक्सीडेंट करवाया?"
मीरा के दिमाग में सारी बातें चल रही थीं। उसने जल्दी से आगे बढ़कर उस नर्स का हाथ पकड़ते हुए बोला, "क्या कहा तुमने?"
उस नर्स ने मीरा की तरफ देखा। मीरा ने उसका हाथ पकड़ रखा था। मीरा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। उसने तुरंत उसका हाथ छोड़ा और अपना सर नीचे झुका लिया।
वह नर्स मीरा को घूरते हुए देख रही थी। तभी मीरा ने कहा, "सॉरी, मैंने इस तरह अचानक से तुम्हारा हाथ पकड़ लिया। लेकिन क्या तुम वीआईपी कमरा नंबर 202 के मरीज के बारे में बात कर रही हो?"
उन दोनों नर्सों ने एक-दूसरे की तरफ देखा। उनमें से एक नर्स ने मीरा से पूछा, "क्या आप कमरा नंबर 202 के मरीज की रिश्तेदार हैं?"
मीरा इस बात से काफी ज्यादा हैरान हो गई थी। वह उस नर्स की बात का कोई जवाब नहीं दे पाई। उस नर्स ने मीरा को घूर कर देखा और वह चुपचाप वहाँ से चली गई।
मीरा के दिमाग में अथर्व से कही हुई बात याद आई। उसने जब अथर्व से पूछा था कि उसने अपने घरवालों को अपने एक्सीडेंट के बारे में क्यों नहीं बताया, तो उसने बहाना बनाया था कि उसके पिता बहुत बूढ़े हैं और वह उन्हें इसलिए नहीं बताना चाहता कि वे उसके लिए परेशान हो जाएँगे।
मीरा वहाँ पर अकेली थी। उसके साथ सिर्फ़ ललित था और बाकी कोई भी उससे मिलने के लिए नहीं आया था। मीरा ये सारी बातें सोचती जा रही थी।
मीरा वहीं सीढ़ियों के पास बैठ गई और उसने अपना सिर पकड़ते हुए कहा, "यह नर्स ने अभी जितनी भी बातें बोली हैं, क्या ये सारी बातें सही हैं? क्या अथर्व का कोई एक्सीडेंट नहीं हुआ है? क्या उसने मुझे बेवकूफ़ बनाया? मैं इतनी बेवकूफ़ कैसे हो सकती हूँ? लेकिन वह नर्स जो बोल रही थी, वह गलत भी तो हो सकती है! हो सकता है उस नर्स को कोई गलतफ़हमी हुई हो!"
मीरा का दिमाग चकरा रहा था और उसके ख्याल इधर-उधर हो रहे थे। वह कभी एक्सीडेंट की बात को सच मानती और कभी उसे अथर्व पर शक होता।
मीरा सीढ़ियों से उठकर खड़ी हुई और उसने गहरी साँस ली। उसने खुद से कहा, "मुझे पता करना होगा कि आखिर सच क्या है?"
मीरा उठी और सीधे अथर्व के वार्ड की तरफ़ मुड़ गई।
मीरा जब अथर्व के वार्ड की तरफ़ बढ़ रही थी, तो उसने अपने मन में कहा, "क्या करूँ? मैं अथर्व से डायरेक्टली पूछूँ या फिर उसे बहाने से ये सारी बातें पूछूँ? कहीं मैंने अगर डायरेक्टली पूछा, तो कहीं उसको हर्ट ना हो जाए?"
मीरा यह सोच ही रही थी कि तभी वह अथर्व के वार्ड के बिल्कुल करीब पहुँची। वह दरवाज़ा खोलने जा ही रही थी कि तभी उसने देखा, वार्ड का दरवाज़ा थोड़ा सा खुला है। वह अंदर जाने ही वाली थी कि तभी उसने अंदर से अथर्व और ललित की आवाज़ सुनी।
मीरा को ऐसा लग रहा था कि ललित अथर्व का हाल-चाल पूछने के लिए आया होगा। अभी अगर वह अंदर है, तो उसे वहीं बाहर रुकना चाहिए। जब वह बाहर निकल कर आएगा, तब वह अंदर चली जाएगी। उसने उन दोनों की बात खत्म होने का इंतज़ार करने लगा। मीरा वहीं दरवाज़े के पास खड़ी थी और उसने अथर्व को देखा। वह मुस्कुराते हुए ललित से बात कर रहा था। ललित की आवाज़ मीरा के कान में गई, "अथर्व सर, आपको पता है मीरा मैडम कल रात यहीं आपके पास ही बैठी थीं। वह अपनी जगह से हिली तक नहीं और वह काफी ज्यादा परेशान हो गई थीं। आपकी ऐसी हालत उनसे देखी नहीं जा रही थी।"
क्रमशः…
अथर्व अपने बेड से उठा और आराम से चलते हुए खिड़की के पास जाकर खड़ा हो गया। उसने हाथ पीठ पर बांध लिए और खिड़की के बाहर एक बड़े पेड़ के नीचे बैठे तीन लोगों के परिवार को देखा। उसी पेड़ की टहनी पर एक छोटा-सा घोंसला था, जिस पर दो पक्षी अपने अंडों के पास बैठे थे।
अथर्व उन्हें देखकर मुस्कुरा रहा था। ललित की आवाज़ कान में पड़ते ही अथर्व ने मुस्कुराते हुए कहा, "मुझे पता है मीरा सारी रात मेरे पास ही बैठी थी।"
ललित अथर्व की ओर देख ही रहा था कि अथर्व पीछे मुड़ा और बोला, "मैं जानता हूँ मीरा एक पल के लिए भी मेरे पास से नहीं हटी। वह यहीं बैठी थी और काफी देर तक उसने कई बातें कीं। उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा था; उसने मुझसे कुछ बातें भी कीं। वह मेरा हाथ पकड़कर बैठी थी और मुझे होश में आने के लिए कह रही थी। वह सब मुझे सुनाई दे रहा था।"
अथर्व इतना बोलकर वापस अपने बेड पर आकर बैठ गया और गहरी साँस लेते हुए मन ही मन कहा, 'मैं इतना तो समझ गया हूँ कि मीरा मुझसे तलाक नहीं लेना चाहती। उसके दिल में मेरे लिए ज़रूर कुछ है, भले ही वह मुझसे प्यार न करती हो। कोई बात नहीं, धीरे-धीरे उसे मुझसे प्यार भी हो जाएगा। लेकिन मुझे यह बात समझ में आ गई है कि उसने तलाक की बात सिर्फ़ गुस्से में कही है, और मैं उसका गुस्सा शांत कर सकता हूँ।'
इतना सोचते हुए अथर्व के चेहरे पर मुस्कान आ गई। ललित ने जब अथर्व को मुस्कुराते देखा, तो उसने सोचा कि उसे वहाँ से चले जाना चाहिए।
वह उठकर बाहर निकल ही रहा था कि अथर्व की ओर देखकर बोला, "अथर्व सर, मैं आपसे कुछ कहना चाहता हूँ।"
अथर्व ने उसकी बात सुनकर उसकी ओर देखते हुए कहा, "हाँ, बोलो क्या कहना है तुम्हें?"
ललित अथर्व की ओर देख रहा था, और अथर्व उसके बोलने का इंतज़ार कर रहा था।
ललित ने गले में अटका थूक निगला और अथर्व की ओर सम्मानपूर्वक देखकर कहा, "अथर्व सर, मैं जानता हूँ आप सीईओ हैं और मुझे नहीं पता मैं आपसे जो पूछने जा रहा हूँ वह सही है या नहीं? मेरी इतनी हैसियत नहीं है, लेकिन फिर भी मैं आपसे यह बात पूछना चाहता हूँ...!"
ललित काफी घबरा रहा था और अपनी बात बोल नहीं पा रहा था। अथर्व ने अपनी आँखें सिकोड़ीं और ललित की ओर देखकर सख्त आवाज़ में कहा, "क्या बात है? बताओ मुझे?"
ललित ने अटकती हुई जुबान से कहा, "पता नहीं मुझे यह बात बोलनी चाहिए या नहीं, लेकिन मुझे ऐसा लगता है अथर्व सर, आप यह सब करके अपनी पत्नी को धोखा दे रहे हैं?"
जैसे ही अथर्व ने ललित की यह बात सुनी, उसने उसे ऐसे देखा जैसे कोई शेर अपने शिकार को देख रहा हो और वह अभी उस पर पंजा मारकर उसे दबोच लेगा!
ललित का गला सूखकर काँटे की तरह चुभने लगा था। अथर्व को इतने गुस्से में देखकर ललित ने अपनी आँखें कसकर बंद कर लीं और मन ही मन कहा, 'मुझे लगता है मैंने यह बात बोलकर बहुत बड़ी गलती कर दी है। मुझे ऐसा नहीं बोलना चाहिए था। अब तो अथर्व सर मेरी जान ले लेंगे।'
ललित भले ही अथर्व का पर्सनल असिस्टेंट था, लेकिन उसने जो बात बोली थी, उससे अथर्व को काफी गुस्सा आ गया था, और गुस्सा उसके चेहरे पर ही नज़र आ रहा था!
ललित भी यह बात समझ गया था कि अब उसकी खैर नहीं है। अथर्व का गुस्सा किसी भी समय फट सकता था। अथर्व भी उसे गुस्से से देख रहा था, लेकिन अथर्व ने अपने गुस्से को कंट्रोल किया, क्योंकि वह नहीं चाहता था कि वह गुस्से में अपना आपा खो बैठे और तेज आवाज़ में उसे चिल्लाए, जिससे मीरा को यह बात पता चले। इसलिए उसने अपने गुस्से को कंट्रोल किया और खुद को बिल्कुल शांत रखा।
क्योंकि अथर्व नहीं चाहता था कि किसी भी तरह से मीरा को इस बात की भनक पड़े।
ललित अथर्व के गुस्से को सुनने के लिए तैयार था। उसने अपनी आँखें कसकर बंद कर रखी थीं और अपने हाथ की मुट्ठी बंद कर ली थी।
वहीं, ललित ने जो कुछ भी कहा, उसे सुनकर मीरा, जो दरवाज़े के बाहर खड़ी थी, उसका पूरा बदन काँपने लगा। लेकिन उसने खुद को किसी तरह संभाला और अब वह अथर्व और ललित की बातें सच में सुनना चाहती थी कि क्या सच में अथर्व ने इतने बीमार होने का नाटक किया है। मीरा चुपचाप वहीं दरवाज़े के बाहर खड़ी थी और उनकी बातें सुनने लगी।
अथर्व ललित के करीब जाकर उसके कंधे पर हाथ रखा। ललित को जैसे ही अथर्व का हाथ अपने कंधे पर महसूस हुआ, उसे ऐसा लगा कि जैसे उसकी दिल की धड़कन ही रुक गई है। उसने अपनी पूरी हिम्मत जुटाकर आँखें खोलीं और अथर्व की ओर देखा।
अथर्व ने बिल्कुल धीमी आवाज़ में कहा, "जब तक तुम अपना मुँह बंद रखोगे और मीरा से कुछ नहीं बताओगे, तब तक उसे कुछ भी पता नहीं चलेगा। इसलिए तुम अपना मुँह बंद रखो, और याद रखना, अगर तुम्हारा मुँह खुला और मीरा को यह बात पता चली, तो मैं तुम्हारा वह हश्र करूँगा जिसे तुम सपने में भी नहीं सोच सकते।"
अथर्व भले ही बड़ी ही शांति से यह सारी बातें बोल रहा था, लेकिन उसकी आँखों में जो गुस्सा था, उसे सिर्फ़ ललित ही महसूस कर सकता था। और इस समय अथर्व की बातें सुनकर ललित मन ही मन खुद को कोस रहा था कि उसने आखिर ऐसा क्यों बोल दिया। जैसे ही अथर्व अपनी बात बोलकर चुप हुआ, ललित ने तुरंत हाँ में अपना सिर हिलाकर अटकती हुई जुबान से कहा, "आप बिल्कुल भी चिंता मत करिए अथर्व सर, मैं अपना मुँह हमेशा बंद रखूँगा और इस बारे में मीरा मैडम को मेरी तरफ़ से कुछ भी पता नहीं चलेगा। आपके पर्सनल असिस्टेंट होने के नाते मैं आपका यह छोटा सा राज तो छिपा ही सकता हूँ।"
ललित की बातें सुनकर अथर्व ने बड़ी ही नरमी से हाँ में अपना सिर हिलाया और अपना हाथ ललित के कंधे पर दो-तीन बार टैप किया।
जब मीरा ने उनकी बीच की सारी बातें सुन लीं, तो मीरा का दिल पूरी तरह से टूट गया था और उसके हाथों में जो खाने का पैकेट था, वह वहीं ज़मीन पर गिर गया। मीरा ने हल्के से ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "झूठ! इतना बड़ा झूठ!"
मीरा का पूरा शरीर गुस्से से काँप रहा था। मीरा का मन कर रहा था कि वह अभी वार्ड के अंदर जाए और उन दोनों को एक-एक ज़ोरदार थप्पड़ मारे, लेकिन मीरा ने ऐसा कुछ नहीं किया और वह वहाँ से भागती हुई सीढ़ियों की ओर उतरी। मीरा तेज़ी से सीढ़ियाँ उतर रही थी और उसने मन ही मन कहा, "कल रात से मेरे साथ ही सब कुछ हो रहा है। इन लोगों ने मुझे बिल्कुल जोकर बना रखा है। जब देखो तब मेरे साथ ही करते हैं। क्या मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ अथर्व के लिए एक खिलौना हूँ, और उसे बस मेरे साथ खेलने में मज़ा आता है?"
अथर्व का झूठ मीरा के सामने आ गया था। मीरा बस किसी भी तरह से अथर्व से छुटकारा पाना चाहती थी। उसके मन में अथर्व को लेकर जो तलाक वाली बात थी, वह और ज़्यादा बढ़ गई थी और उसने मन ही मन कहा, "मुझे लगता है मैंने अथर्व से तलाक लेने का जो फैसला किया है, वह बिल्कुल सही है।"
मीरा तेज़ी से सीढ़ियाँ उतरते हुए अस्पताल से बाहर निकली। बाहर निकलते ही मीरा ने आसमान की ओर देखा। सुबह का मौसम काफी अच्छा था, लेकिन उसके चेहरे पर जो दर्द था, उसे उसके अलावा और कोई नहीं समझ सकता था। उसके दिल पर गहरी चोट लगी थी, मानो जैसे किसी ने उसके दिल को पत्थर से कुचल डाला हो।
कल रात से अब तक मीरा के दिल में जितनी भी उथल-पुथल मची थी, वह अब और ज़्यादा बढ़ गई थी। उसने बिल्कुल भी नहीं सोचा था कि उसके साथ ऐसा कुछ होगा। अगर अथर्व का एक्सीडेंट सच में हुआ होता, तो... मीरा यही बात सोच रही थी और उसने कहा, "अगर इसका एक्सीडेंट सच में हुआ होता, तो अथर्व मर गया होता और मैं अभी इसके अंतिम संस्कार में खड़ी होती।"
मीरा बहुत ज़्यादा गुस्से में थी और उसके मन में जो आ रहा था, वह वह बात सोच रही थी। मीरा ने मन ही मन ठान लिया था कि वह अपनी इस बेइज़्ज़ती को नहीं भूलेगी और वह अथर्व को माफ़ नहीं करेगी।
जब मीरा घर पहुँची, तो वह इतने ज़्यादा गुस्से में थी कि उसने कमरे की आधी से ज़्यादा चीजें फेंक दीं। अपने टेबल पर आकर वह अपनी अधूरी पेंटिंग को देखने लगी और चुपचाप उसे पेंट करने लगी। मीरा के कलर्स देखकर गुस्सा और ज़्यादा बढ़ रहा था। उसने अपने कलर्स को साइड हटाया और स्केचिंग करने के लिए पेंसिल और पेपर लेकर सीधे बालकनी में आकर बैठ गई।
उधर, अस्पताल में,
अथर्व अपने वार्ड में बैठा था और मीरा के वापस आने का इंतज़ार कर रहा था। उसने सामने लगी दीवार घड़ी पर देखा। मीरा को गए हुए एक घंटे से ज़्यादा हो गया था, लेकिन वह अभी तक वापस नहीं आई थी। अथर्व ने ललित की ओर देखकर कहा, "ललित, मीरा काफी देर पहले गई थी और अभी तक वह वापस नहीं आई है। इतना ज़्यादा टाइम उसे क्यों लग रहा है? कुछ हुआ है क्या? जाओ देखो, जाकर आखिर मीरा कहाँ है?"
ललित मीरा को देखने के लिए वार्ड से बाहर निकल आया। अथर्व का दिल तेज़ी से धड़क रहा था और उसके दिमाग में कई सारे सवाल चलने लगे। अथर्व ने मन ही मन कहा, 'आखिर कहाँ चली गई मीरा?'
उसने तुरंत अपना फ़ोन उठाया और मीरा का नंबर डायल किया, लेकिन मीरा ने उसका फ़ोन नहीं उठाया, और अथर्व और ज़्यादा परेशान होने लगा। उसने कई बार मीरा का नंबर ट्राई किया।
छः-सात बार कॉल करने के बाद भी मीरा अथर्व का फ़ोन नहीं उठा रही थी, और अथर्व परेशान होता जा रहा था और एक के बाद एक कॉल करता जा रहा था। दूसरी बार आया इसमें कॉल कट किया और जैसे ही उसने मीरा का नंबर मिलाया, इस बार मीरा ने कॉल रिसीव कर लिया।
मीरा कॉल रिसीव करके हेलो भी नहीं बोल पाई थी कि अथर्व ने तुरंत पूछा, "मीरा, कहाँ हो तुम? इतनी देर से गई थी, अभी तक वापस क्यों नहीं आई? क्या करने लगी तुम? ठीक तो हो ना? क्या हो गया? मैं तुम्हारा इतनी देर से इंतज़ार कर रहा हूँ, कहाँ हो तुम? बताओ मुझे?"
अथर्व मीरा से एक ही बार में इतने सारे सवाल करने लगा। मीरा बिल्कुल चुपचाप थी।
मीरा ने अथर्व की बात सुनकर अथर्व को ताना मारते हुए कहा, "तुम्हारे लिए यह सब बहुत अच्छी चीजें हैं ना? दूसरों की फीलिंग के साथ खेलना, तुम्हें यह सब करके बहुत मज़ा आता है ना? अब तो तुम्हारे दिल को सुकून मिल गया होगा ना? तो ठीक है, अब खुश रहो।"
इतना बोलकर मीरा ने गुस्से से फ़ोन ज़मीन पर पटक दिया।
अथर्व ने दूसरी तरफ़ से हेलो-हेलो करके तीन-चार बार चिल्लाया, लेकिन तब तक मीरा का कॉल डिस्कनेक्ट हो चुका था। अथर्व ने अपने फ़ोन की ओर कन्फ़्यूज़न से घूरते हुए देखा।
अथर्व ने दोबारा फ़ोन मिलाया और धीमी आवाज़ में कहा, "यह मीरा को क्या हो गया? अभी कुछ देर पहले तब तो बिल्कुल ठीक थी।"
अथर्व ने तुरंत मीरा का फ़ोन दोबारा डायल किया, लेकिन अब उसका फ़ोन बंद आ रहा था। अथर्व ने मोबाइल फ़ोन साइड में रखते हुए कहा, "अचानक से क्या हो गया मीरा को? अभी कुछ देर पहले तक तो ठीक थी और अब इस तरह का बिहेवियर क्यों?"
क्रमशः...
अथर्व का सवाल- क्या अथर्व को यह बात पता चल जाएगी कि मीरा को उसके झूठे एक्सीडेंट वाली बात पता चल गई है? और अथर्व अब मीरा को कैसे मनाएगा? क्या मीरा अथर्व को माफ़ करेगी?
मीरा के व्यवहार को देखते हुए अथर्व ने अपने मन में कहा, "मीरा इस तरह से मुझ पर गुस्सा कर रही है, कहीं उसे मेरे झूठे एक्सीडेंट के बारे में पता तो नहीं चल गया।"
जैसे ही अथर्व के दिमाग में यह बात आई, उसे गुस्सा आया और उसने धीमी आवाज़ में कहा, "मुझे लगता है ललित ने यह बात मीरा को बताई होगी।"
अथर्व ने तेज आवाज़ में चिल्लाते हुए ललित को आवाज़ लगाई, "ललित..! ललित..!"
ललित ने जैसे ही अथर्व की आवाज़ सुनी, वह हड़बड़ा गया और दौड़ते हुए अथर्व के पास आया। उसने अथर्व की तरफ़ देखते हुए पूछा, "क्या बात है सर? आप मुझे इस तरह से क्यों बुला रहे थे? आप ठीक तो हैं ना।"
अथर्व ने गुस्से से उसकी तरफ़ देखते हुए कहा, "मैं तो ठीक हूँ, लेकिन अब मुझे नहीं लगता तुम ठीक रहोगे! तुमने मीरा को सच बताने की हिम्मत कैसे की? अभी कुछ देर पहले ही मैंने तुम्हें समझाया था ना। लेकिन मुझे तो लग रहा है जैसे तुम्हें कुछ समझ ही नहीं आया।"
अथर्व ने ललित को अच्छी तरह से डाँटा। ललित ने जैसे ही अथर्व की पूरी बात सुनी, उसने तुरंत ना में अपना सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं सर, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। मैंने मीरा मैडम से कुछ भी नहीं कहा। मेरी तो उनसे बात भी नहीं हुई, तो मैं उनसे कैसे कुछ कह सकता हूँ।"
अथर्व उसे घूरते हुए देख रहा था। तभी ललित समझ गया कि अथर्व बहुत ज्यादा गुस्से में है। वह तुरंत अथर्व के सामने आया और उसने अपने हाथ जोड़ते हुए कहा, "अथर्व सर, मैं सच बोल रहा हूँ। आप चाहे तो मेरा मोबाइल फ़ोन चेक कर लीजिए। मैं कसम खाता हूँ, मैंने एक्सीडेंट वाली बात किसी को नहीं बताई। हो सकता है मीरा मैडम ने खुद ही यह बात सुन ली हो। क्योंकि जब मैं आपसे बात कर रहा था, तो शायद वह आ गई थी। क्योंकि जब मैं गेट से बाहर निकला, तब मुझे बाहर खाने के कुछ पैकेट गिरे पड़े मिले थे। इससे हो सकता है कि शायद मीरा मैडम ने आपकी और मेरी बातें सुन ली हों और गुस्से में वह खाना वहीं पर फेंक कर चली गई।"
अथर्व ने जैसे ही ललित की बात सुनी, वह कुछ पल के लिए शांत हो गया और उस बात को ध्यान से सोचने लगा।
ललित ने अथर्व की तरफ़ गौर से देखा। वह गहरी सोच में डूबा हुआ था और उसे नहीं समझ आ रहा था कि आखिर उसके दिमाग में क्या चल रहा है। ललित ने तुरंत अथर्व की तरफ़ देखकर कहा, "अथर्व सर, आप क्या सोच रहे हैं? और अब हमें क्या करना है?"
अथर्व ने ललित की तरफ़ घूमते हुए देखा। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था। उसने गहरी साँस लेते हुए कहा, "यहाँ के डिस्चार्ज पेपर मंगाओ! मैं अभी के अभी यहाँ से वापस घर जाऊँगा। मैं मीरा के साथ अपने बीच में और गलतफ़हमी नहीं पैदा कर सकता। पता नहीं उसने मेरे बारे में क्या-क्या सोच लिया होगा? हम अभी के अभी घर चलेंगे। तुम जल्दी से जाओ और सारी फ़ॉर्मेलिटी पूरी करो!"
ललित ने जैसे ही अथर्व की बात सुनी, उसने हाँ में अपना सिर हिलाया और तुरंत वहाँ से बाहर निकल आया। अथर्व ने जल्दी से अपने कपड़े बदले और सीधे घर की तरफ़ आया।
जैसे ही अथर्व ने अपनी कार पार्क की, उसने देखा कि घर के गेट के बाहर रूपाली खड़ी है। मीरा बालकनी में नज़र नहीं आ रही थी। अथर्व समझ गया कि मीरा गुस्से में होगी, इसीलिए वह वहाँ नज़र नहीं आ रही है। वह सीधे घर की तरफ़ आया। अथर्व ने जैसे ही देखा कि रूपाली वहाँ पर टहल रही है और उसे देखकर साफ़ समझ में आ रहा था कि वह उसके आने का इंतज़ार कर रही है।
अथर्व रूपाली को देख चुका था, लेकिन उसने उसे पूरी तरह से इग्नोर किया और घर के अंदर जाने लगा।
तभी रूपाली ने अथर्व का हाथ पकड़ते हुए कहा, "क्या मैं तुम्हें दिखाई नहीं दे रही?"
अथर्व ने उसके हाथ की तरफ़ देखते हुए कहा, "क्या कर रही हो तुम यहाँ पर? अगर तुम्हें कोई काम था, तो तुम्हें ऑफ़िस में मुझसे मिलना चाहिए था।"
रूपाली ने अथर्व के हाथ को हल्के हाथों से रगड़ते हुए कहा, "क्यों? क्या मुझे जब काम हो, तभी मैं तुम्हारे पास आ सकती हूँ? ऐसे तुमसे मिलने नहीं आ सकती क्या?"
अथर्व ने बिल्कुल सीधे तौर पर जवाब दिया, "हाँ, अगर तुम्हारे पास कोई काम हो, तभी मुझसे मिलने के लिए आया करो। बताओ, क्या काम है तुम्हें?"
रूपाली अथर्व के करीब आती गई और उसकी बाँह पकड़ कर बोली, "काम तो नहीं था। मुझे बस तुमसे मिलना था। लेकिन तुम तो मुझसे इस तरह से बात कर रहे हो, जैसे मैं तुम्हारी दुश्मन हूँ।"
अथर्व ने गहरी साँस ली और कहा, "देखो, मुझे तुम्हारे साथ अपना जरा भी समय बर्बाद नहीं करना है। इसलिए तुम यहाँ से जा सकती हो!"
इतना बोलकर अथर्व अंदर आने लगा और उसने गेट की तरफ़ हाथ बढ़ाया ही था कि तभी रूपाली ने उसकी तरफ़ देखकर कहा, "इतने दिनों बाद मैं घर वापस आई हूँ, तुम मेरे साथ थोड़ा समय नहीं बिताना चाहोगे? कम से कम हम रात का डिनर तो साथ में कर ही सकते हैं ना?"
अथर्व ने ना में सिर हिलाते हुए कहा, "नहीं, तुम अभी फ़िलहाल यहाँ से जाओ। क्योंकि मेरा तुम्हारे साथ डिनर करने का बिल्कुल भी मूड नहीं है।"
रूपाली को अथर्व की बातें बुरी लग रही थीं, लेकिन वह बेशर्म बनकर अभी भी वहीं पर खड़ी थी। अथर्व रूपाली को घूरकर देख रहा था क्योंकि वह रूपाली को अंदर नहीं ले जाना चाहता था।
अथर्व ने अपने मन में कहा, "अभी अगर यह रूपाली मेरे साथ अंदर गई और मीरा ने इसे मेरे साथ देख लिया, तो उसकी जो गलतफ़हमी है, वह और ज़्यादा बढ़ जाएगी और मैं ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता। इसलिए इस रूपाली का यहाँ से चला जाना ही बिल्कुल सही रहेगा!"
अथर्व रूपाली को घूरकर देख रहा था और रूपाली को ऐसा लग रहा था कि उसने अथर्व का पसंदीदा रंग पहना हुआ है और साथ ही उसकी ड्रेस इतनी छोटी है कि उसकी लम्बी टाँगें और उसकी पतली कमर उसे साफ़ नज़र आ रही होगी।
रूपाली को ऐसा लग रहा था कि वह अथर्व को आकर्षित कर लेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। अथर्व भले ही रूपाली को घूरकर देख रहा था, लेकिन उसके दिमाग में सिर्फ़ और सिर्फ़ मीरा के साथ हुई बातें ही चल रही थीं। जिस तरह मीरा ने अथर्व से फ़ोन पर बात की थी, उसे सोचकर अथर्व काफ़ी ज़्यादा घबरा चुका था।
उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी और मीरा के बीच की दूरियाँ अब और ज़्यादा बढ़ जाएँगी और अगर कहीं मीरा ने उसे रूपाली के साथ देख लिया, फिर तो वह अपनी बात उससे साबित भी नहीं कर पाएगा और फिर से मीरा तलाक़ की बात करने लगेगी।
रूपाली इतनी जल्दी हार मानने वाली नहीं थी। वह अथर्व के करीब आई और उसने अथर्व के हाथ को सहलाते हुए पकड़ा और उसकी उंगलियों के बीच में अपनी उंगलियाँ फँसा लीं।
अथर्व उसे घूरकर देख रहा था और उसका हाथ नहीं पकड़ना चाहता था। लेकिन तभी रूपाली ने अपना दूसरा हाथ दिखाया। उसकी कलाई पर कुछ मिट्टी लगी थी, जिसे दिखाकर रूपाली ने कहा, "देखो अथर्व, एक्चुअली मेरा हाथ गंदा हो गया है। ठीक है, अगर तुम्हें मेरे साथ नहीं रहना, मेरे साथ समय नहीं बिताना है, तो कोई बात नहीं। मैं तुम्हें ज़बरदस्ती नहीं करूँगी। लेकिन क्या मैं थोड़ी देर के लिए वॉशरूम इस्तेमाल कर सकती हूँ? एक्चुअली मेरा हाथ गंदा हो गया है। यह देखो, मैं झूठ नहीं बोल रही।"
अथर्व ने रूपाली के हाथ की तरफ़ देखा तो उसका हाथ गंदा था और वह उसे लेकर क्या बोले, उसे समझ ही नहीं आ रहा था। अथर्व ने उसके हाथों से सबसे पहले अपना हाथ छुड़ाया और सीधे घर के अंदर आया।
जैसे ही अथर्व घर के अंदर आया, उसने देखा कि माया सामने खड़ी थी। उसने अथर्व का कोट उतारा और उसे पानी का गिलास दिया। अथर्व ने पानी का एक घूँट पिया और गिलास उसे वापस दे दिया। माया अथर्व के पीछे खड़ी रूपाली को घूरकर देख रही थी, क्योंकि माया को बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि आखिर रूपाली यहाँ पर अथर्व के साथ क्यों आई है। वहीं माया काफ़ी देर से घर पर थी, लेकिन मीरा ने उससे कुछ भी नहीं कहा था और वह समझ गई थी कि मीरा गुस्से में है।
अथर्व ने माया की तरफ़ देखकर कहा, "माया आंटी, मीरा कहाँ है?"
रूपाली ने जैसे ही अथर्व के मुँह से मीरा का नाम सुना, उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बाँध ली और गुस्से से अथर्व को घूरकर देखने लगी। लेकिन अथर्व ने उसकी तरफ़ बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया और माया ने उसे बताया कि वह काफ़ी देर से अपने कमरे में है और अभी तक बाहर नहीं आई है।
अथर्व ने हाँ में सिर हिलाया और वह चुपचाप सोफ़े की तरफ़ बढ़ने लगा। उसने रूपाली की तरफ़ देखकर कहा, "आगे राईट जाकर तुम्हें वॉशरूम मिल जाएगा।"
रूपाली ने अथर्व की तरफ़ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "शायद तुम भूल रहे हो, छह महीने पहले की ही बात है। हम दोनों एक साथ यहाँ पर रहते थे। मुझे इस घर का कोना-कोना पता है और तुम मुझे वॉशरूम बता रहे हो?"
अथर्व रूपाली की बात सुनकर उसे घूरता हुआ देख रहा था और तभी माया ने कहा, "साहब! खाना तैयार है। क्या मैं आपका खाना लगा दूँ?"
जब तक रूपाली वहाँ से जा चुकी थी और उसने कहा, "जाओ, जाकर मीरा को बुलाकर लाओ। मैं जानता हूँ, उसने खाना नहीं खाया होगा।"
माया ने हाँ में सिर हिलाते हुए कहा, "हाँ साहब, मैडम तो काफ़ी देर से रूम में ही हैं और रूम से बाहर ही नहीं निकली हैं। और उन्होंने दोपहर का खाना भी नहीं खाया।"
अथर्व समझ गया था कि मीरा उससे गुस्सा है और वह कुछ भी कर लेगी, लेकिन अब उसे माफ़ करने वाली नहीं है। वहीं अथर्व ने कुछ सोचा और माया की तरफ़ देखते हुए कहा, "माया आंटी, जाइए। आप पहले उसे बुलाकर लाइए। और मैंने आपसे कितनी बार कहा है कि मेरी पत्नी का ध्यान रखा करिए। वह बहुत लापरवाह है। अगर वह इसी तरह से लापरवाही करती रही, तो उसकी तबियत काफ़ी ज़्यादा ख़राब हो जाएगी।"
माया ने हाँ में सिर हिलाया और वह चुपचाप मीरा के कमरे की तरफ़ चली गई और उसे बुलाने लगी।
उतनी ही देर में रूपाली भी वॉशरूम से बाहर निकल कर आई और अथर्व के पास आकर खड़ी हो गई। अथर्व ने अपनी नज़रें उठाकर रूपाली की तरफ़ देखा, तो रूपाली ने कहा, "डिनर करने जा रहे हो?"
अथर्व ने उसकी बात को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ किया और तभी रूपाली बेशर्म की तरह उसके बगल में बैठते हुए बोली, "अथर्व, आखिर तुम सब कुछ इतनी जल्दी कैसे भूल सकते हो? एक गलती की सज़ा इस तरह से मत दो मुझे। प्लीज़ मेरी बात मान जाओ। हम एक-दूसरे से प्यार करते हैं ना?"
अथर्व ने गुस्से से घूरते हुए रूपाली की तरफ़ देखा। माया मीरा को बाहर बुलाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वह बाहर आने को तैयार ही नहीं थी और अथर्व रूपाली की बात पर ध्यान ही नहीं दे रहा था। वह सिर्फ़ और सिर्फ़ मीरा के नीचे आने का इंतज़ार कर रहा था।
इस समय उसके दिमाग में यही चल रहा था कि वह किस तरह से मीरा को मनाएगा और उसे कैसे बताएगा कि उसने जो कुछ भी किया, वह सिर्फ़ उसके करीब आने के लिए किया था। वह उसे दुःखी नहीं करना चाहता था।
वहीं रूपाली देखते ही देखते अथर्व के बगल में बैठ गई और उसके कंधे पर सिर रखते हुए बोली, "प्लीज़ अथर्व, मुझे इस तरह से नज़रअंदाज़ मत करो। तुम्हारा इस तरह से मुझे नज़रअंदाज़ करना बहुत दुःख देता है।"
जैसे ही अथर्व ने रूपाली का सिर अपने कंधे पर महसूस किया, अथर्व झट से उठकर खड़ा हो गया और वह रूपाली को घूरते हुए देखने लगा। रूपाली के दिमाग में इस समय सिर्फ़ और सिर्फ़ यही बात चल रही थी कि वह कैसे अथर्व के करीब जाए?
क्रमशः...
आज का सवाल - क्या रूपाली अपने मकसद में कामयाब होगी और मीरा और अथर्व के बीच में और गलतफ़हमियाँ पैदा कर देगी?