कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती है चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले पर ऊपर वाला उनको मिला ही देता है। हमारी कहानी की हीरोइन रूही गम में भी खुश रहने वाली लड़की है, क्योंकि उसके चाचा चाची ने उसको पैसों के लिए एक बूढ़े आदमी को धोखे से बेच दिया, , वही दूस... कहते हैं जोड़ियां ऊपर से बनकर आती है चाहे कोई कितनी भी कोशिश कर ले पर ऊपर वाला उनको मिला ही देता है। हमारी कहानी की हीरोइन रूही गम में भी खुश रहने वाली लड़की है, क्योंकि उसके चाचा चाची ने उसको पैसों के लिए एक बूढ़े आदमी को धोखे से बेच दिया, , वही दूसरी तरफ नील ओबरॉय बहुत बड़ा बिजनेसमैन और सीरियस और खड़ूस लड़का है , वह अमीर होने के साथ-साथ एकांत पसंद इंसान भी हैं ,लोगों ने कभी उसको मुस्कुराते हुए भी नहीं देखा, प्यार पर उस को भरोसा ही नहीं है। देखते हैं जब यह एक दूसरे से विपरीत चरित्र जब एक दूसरे से मिलेंगे तो क्या होगा? क्या नील ओबरॉय को प्यार पर भरोसा हो जाएगा? रूही के जिंदगी में आने के बाद क्या नील ओबरॉय बदल जाएगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Billlionaire's Purchased Wife" चलिए अब कहानी पर आते हैं।
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भाग 1 चंडीगढ़ जाना ! रुही के पिता पर कर्जा होने की वजह से जिस कर्जे को चुकाने के पैसे पास ना होने की वजह से रुही और उसके घर वालों ने भागने की तैयारी की थी इसमें कामयाब भी हो गए थे, पर रूही की दादी की पायल घर पर ही छूट गई , जिस वजह से रूही पायल को घर पर लेने गई और वहां पर किसी ने उसका पीछे से हाथ पकड़ लिया, हाथ पकड़ने की वजह से रूही बहुत डर गई और उसने सोचा कि अब तो मैं पकड़ी गई अब नहीं बचुगी, डरते डरते उसने अपने पीछे मुड़कर देखा, तो वह उसकी चाची थी जिसने उसका हाथ पकड़ा था , और चाची के साथ में उसके चाचा भी खड़े हुए थे। अपने चाची चाचा को देखकर रूही ने थोड़ी सी राहत की सांस ली, और उसकी जान में जान आई कि, ये तो उसके चाचा चाची हैं , यह तो उसके अपने हैं कोई गैर नहीं है , पर उसको यह कहां अंदाजा था कि उसके चाचा चाची ही उसके लिए सबसे खतरनाक साबित होंगे। और जब रूही ने अपने चाचा चाची के चेहरे की तरफ को देखा , तो वह उनकी नजरों को देख कर अंदर तक डर गई क्योंकि उसके चाचा चाची उसको बहुत बुरी तरह से घूर घूर कर देख रहे थे , इस समय उनकी नजरों में गुस्सा साफ देखा जा सकता था। उसकी चाची रूही को गुस्से से बोलती है और फिर गुस्से से बरस पड़ती है " हमें बिना बताए कहां भाग रही थी तू ? और तेरा पूरा परिवार कहां पर है ? तुम तुम चले जाओगे तो तेरे बाप का कर्जा हम चुकाएंगे क्या ? " रूही अपनी चाची से अपना हाथ छुड़वाने की कोशिश करते हुए कहती है " चाची मुझे जाने दो, खुदा के लिए , मुझे जाने दो , चाचा चाची को बोलो ना , वह मुझे जाने दे , मुझे अम्मी अब्बा के पास जाना है। " राशिद ( रूही के चाचा जी ) बोलता है " नहीं हम तुझे नहीं जाने देंगे , जब तू वहां अपने मां-बाप के छुपने वाले ठिकाने पर नहीं पहुंचेगी , तो वह तेरी तलाश करते करते यहां तक वापस आ जाएंगे और फिर मैं उनको मालिक को सौंप दूंगा और उनको मालिक के हवाले कर दूंगा , तुमने कैसे सोचा कि हम तुम सब को ऐसे ही भागने देंगे। " रोही रोते हुए अपने चाचा से बोलती है। " नहीं चाचा जी आप ऐसे नहीं कर सकते मुझे जाने दो , अम्मी अब्बू मेरा इंतजार कर रहे होंगे। " रुही के इस तरह चिल्लाने पर रूही की चाची उसको जोर से एक चांटा मारती है , इतनी जोरदार थप्पड़ रूही के गाल पर पड़ने पर रूही के मुंह से एक जोर की चीख निकलती है। जिस वजह से रुही के खुद ही आंसू आने लगते हैं क्योंकि आज तक उसको किसी ने भी नहीं मारा था। क्योंकि उसकी अम्मी बस उसको गुस्सा आने पर डाटती थी उन्होंने कभी भी उस पर हाथ नहीं उठाया था। उसके चाची चाची रूही को पकड़ कर पूरी रात रूही की अम्मी अब्बू के वापस आने का इंतजार करते रहते हैं , पर रूही के अम्मी अब्बू रात भर के इंतजार के बाद भी वापस लौट कर नहीं आते,जिससे रूही और उसके चाचा चाची को अंदाजा हो जाता है कि वह अब वापस नहीं आएंगे। अगले दिन शाम के समय :- रूही की चाची बहुत प्यार से रूही के पास खाना लेकर आती है , और बहुत प्यार से रूही से बोलती हैं। " रूही बेटा मुझे माफ कर दो , मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गई। , हमें नहीं पता था कि भाई साहब और भाभी वापस नहीं आएंगे , हमें लगा कि हम उन को पकड़ कर मालिक के पैसे लुटा देंगे, ताकि हमारी बदनामी ना हो। " फिर वह अपने पति को आवाज लगाती है और कहती है " सुनो जी ऐसा ही है ना , हम भाई साहब और भाभी का इंतजार ही कर रहे थे ना , हमें कोई अंदाजा नहीं था कि वह वापस लौट कर नहीं आएंगे। " अपनी पत्नी की बात सुन कर रूही के चाचा जी भी रूही की चाची की हां में हां मिलाते हैं। और वह भी रूही को बहुत प्यार से बोलते हैं। " हां रूही बेटा तेरी चाची ठीक बोल रही है , हमने बिल्कुल ऐसा ही सोचा था। पर तू फिक्र मत कर, हम तुझे तेरे अम्मी अब्बू के पास लेकर चलेंगे , हमें पता चल गया है वह कहां पर गए हैं। वह चंडीगढ़ गए हैं , वहां मैं तुझे कल खुद ले कर जाऊंगा तो फिक्र मत कर मेरी बच्ची। चल खाना खा ले तू " अपने चाचा की बात सुन कर रुही की आंखों में एकदम से चमक आ जाती है , और वह अपने मन में सोचती है की क्या पता चाची चाची को अपनी गलती का एहसास हो गया हो, और वह सच में मुझ से माफी मांगना चाहते हो, इस वजह से वह मुझको मेरे अम्मी अब्बू के पास लेकर जाना चाहते हो, क्योंकि है तो आखिर ये उसके अपने ही, उसके अपने चाचा चाची, आखिर खून का रिश्ता खून का ही होता है। रूही उनकी बात पर यकीन कर लेती है। , और अपने चाचा जी से बोलती है " ठीक है चाचा जी आप माफी मत मांगो , आप बस मुझे अम्मी अब्बू के पास ले कर चलो। " इतना बोल कर वह खुशी खुशी खाना खाने लगती है। अगली सुबह उसके चाचा रूही को अपने साथ ले कर चंडीगढ़ के लिए निकल पड़ते हैं। शाम के 7:00 बजे तक वह चंडीगढ़ आ जाते हैं। रूही बहुत खुश थी अपनी अम्मी अब्बू से मिलने के लिए पर उसको कहां पता था उसकी खुशी कुछ देर में गम में बदलने वाली है। उसके चाचा उसको एक होटल के अंदर ले कर चले जाते हैं , और उसको बहुत प्यार से बोलते हैं। " बेटा आज रात हम यहां पर ही रुकेंगे और कल सुबह हम वहां चले जाएंगे ,जहां पर तेरे अम्मी अब्बू होंगे। " रूही रूम के अंदर चली जाती है , उसके चाचा उसे बोलते हैं "बेटा मैं अभी बिल पे करके आया तो तू यहां पर ही रुक जाओ , एक वेटर तुम्हे खाना ला कर देगा तुम खा लेना ओक " रूही ठीक है बोलती है। " फिर वह खाना खा लेती है। रूही अपने चाचा का काफी देर तक रूम में इंतजार करती रहती है , पर उसके चाचा नहीं आते , और सफर की थकान होने की वजह से वह सो जाती है। रात के 11:30 बजे कोई रूम में आता है , पर रूही को पता नहीं चलता कि कोई उसके रूम में आया है क्योंकि उसकी नींद इतनी गहरी थी जैसे वह घोड़े बेच कर सो रही हो। और वह आदमी उस के बहुत नजदीक आने लगता है वह उस समय शैतान की तरह नजर आ रहा था , और उसकी नजरों में लस्ट साफ-साफ दिखाई दे रहा था , उसके बहुत ज्यादा नजदीक आने की वजह से रूही की नींद खुल जाती है , और वह आदमी उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगता है। आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। नव्या खान
काली रात, पहली मुलाक़ात
रूही अपने चाचा के कमरे में काफी देर तक इंतज़ार करती रही, पर वे नहीं आए। सफ़र की थकान से रूही की आँख लग गई और वह सो गई।
रात के 11:30 बजे कोई कमरे में आया, पर रूही को पता नहीं चला। उसकी नींद इतनी गहरी थी मानो वह घोड़े बेचकर सो रही हो।
वह आदमी उसके बहुत नज़दीक आने लगा। वह उस समय शैतान की तरह नज़र आ रहा था, और उसकी नज़रों में लस्ट साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था। उसके बहुत ज़्यादा नज़दीक आने से रूही की नींद खुली, और वह आदमी उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा।
पर रूही बेड से उठ गई, और वह उस आदमी की पकड़ से छूट गई। वह आदमी बहुत बूढ़ा था, और उसने काफी शराब पी हुई थी जिस वजह से रूही उसकी पकड़ से आसानी से छूट गई थी। रूही ने उस आदमी का चेहरा देखा, तो उसे पहचान गई। यह आदमी और कोई नहीं, बल्कि फैक्ट्री का मालिक ही था जिससे उसके पिता ने पैसे उधार लिए थे।
"तुम यहाँ पर कैसे आए?" रूही चिल्लाकर बोली।
वह मालिक हँसते हुए बोला, "तेरे पिता के तो मेरे पर ₹900,000 थे, पर तेरे चाचा ने मुझे वे 900,000 रुपये मिलाकर 1,500,000 में बेच दिए।"
उस आदमी की बात सुनकर रूही के पैरों तले जमीन खिसक गई। उसे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि उसके चाचा उसके साथ ऐसा भी कर सकते हैं। उसने तो उन पर आँख बंद करके विश्वास किया था, और उसके चाचा ने उसे बेच दिया।
वह आदमी आगे बोला, "वहाँ पर मेरा पूरा परिवार था, जिस वजह से उन्हें पता लग जाता मेरे बारे में। इस वजह से मैंने तेरे चाचा के साथ हाथ मिलाकर तुझे इतनी दूर चंडीगढ़ में बुला लिया, ताकि किसी को कुछ पता ना चले।" इतना बोलकर वह जोर-जोर से हँसने लगा मानो उसने कोई बहुत बड़ा काम कर लिया हो, और वह हँस-हँसकर अपनी बड़ाई कर रहा हो।
फ़ैक्ट्री के मालिक की बात सुनकर रूही अंदर से बहुत ज़्यादा टूट गई थी। उसके चाचा ने उसके ख़िलाफ़ इतनी बड़ी साज़िश रची और उसे पता भी नहीं चला। इस वजह से उसे खुद पर ही बहुत ज़्यादा गुस्सा आ रहा था। इसी गुस्से से, उसने उस आदमी को उस जगह एक जोरदार लात मारी, और कहा, "अब ले मज़े जितने लेने हैं।" जिस वजह से वह आदमी दर्द से तड़पने लगा, और रूही उस कमरे से बाहर भाग गई।
सुखना झील के सड़क वाली साइड के किनारे एक लड़का शांति से बैठा हुआ था। वह खामोशी से झील के पानी में चाँद को निहार रहा था। झील के पानी की आवाज़ का शोर चारों तरफ़ फैला हुआ था, इसके अलावा चारों तरफ़ शांति ही शांति थी।
वह वहाँ शांति से बैठा हुआ था, पर उस वक़्त उसके दिमाग में तूफ़ान सी हलचल मची हुई थी। लगता था, वह अपनी ही किसी सोच में खोया हुआ है। उसकी आँखों में इस वक़्त दर्द झलक रहा था। जहाँ वह बैठा हुआ था, उसके साइड में उसकी कार खड़ी हुई थी। यह और कोई नहीं, हमारी कहानी का हीरो नील ओबरॉय था।
एक लड़की अँधेरी रात में रोड पर दौड़ती हुई जा रही थी। उसने अपने पीछे मुड़कर अपने पीछे से आ रहे 8 से 10 गुंडों को अपने करीब बढ़ते हुए देखा। तो उस लड़की ने अपने बिना सामने देखे अपने शरीर की पूरी ताकत लगाकर दौड़ लगा दी। वह इतनी ज़्यादा डरी हुई थी, और दौड़ते-दौड़ते उसकी साँस भी फूल गई थी। इस वजह से वह रोड के किनारे खड़ी एक कार से जा टकराई। उसने हड़बड़ी में खुद को संभाला और अपने पीछे मुड़कर देखा, जिससे वह डर गई, क्योंकि वे गुंडे अब उसके बहुत ज़्यादा नज़दीक आ गए थे। उस लड़की ने अपने चारों तरफ़ देखा तो उसे झील के किनारे एक लड़का बैठा हुआ दिखा, और वह उसके पास जाकर घबराते हुए बोली, "मदद करो मेरी, प्लीज़ हेल्प मी।" यह लड़की और कोई नहीं, बल्कि हमारी कहानी की हीरोइन रूही थी।
नील ने जब उस लड़की को अपने पास आकर कुछ बोलते हुए देखा तो तब जाकर उसका ध्यान टूटा। उसने उस लड़की की तरफ़ देखा जो उससे बार-बार "हेल्प मी, हेल्प मी" बोल रही थी, और उसके कपड़े भी कहीं-कहीं से फटे हुए थे। इतने में वे गुंडे भी वहाँ पर आ गए। जिस वजह से नील को सारा मामला समझने में देर नहीं लगी।
नील उन गुंडों को देखकर खड़ा हो गया, जिस वजह से रूही नील के पीछे जाकर छुप गई। नील ने पहले रूही को अपना कोट ओढ़ाया और फिर बहुत ही प्यार से उन गुंडों से कहा, "भाई तुम इस लड़की का पीछा क्यों कर रहे हो? देखो यह अच्छी बात नहीं है।"
उन गुंडों में से जो उनका लीडर था, वह बोला, "तुम कौन होते हो? हमें बताने वाले क्या अच्छी बात है? और क्या बुरी बात है? तुम अपने काम से काम रखो और यहाँ से चलते बनो।"
यह बोलकर वे गुंडे लड़की की तरफ़ को आगे बढ़ने लगे, जिस वजह से नील को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ गया। उसने एक गुंडे को जोरदार लात मारकर दूर गिरा दिया, और उसने उन गुंडों की तरफ़ कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ देखा। उसकी निगाहों के तले वे गुंडे एक पल के लिए डर से काँप गए, क्योंकि नील की आउटस्टैंडिंग पर्सनालिटी को देखकर कोई भी डर जाए।
फिर उन्होंने सोचा कि यह तो बस एक ही है, यह क्या कर लेगा हमारा? हम इतने सारे हैं, इसलिए वे नील पर झपट पड़े और नील भी उनके साथ लड़ने लगा। नील बहुत ख़तरनाक तरीके से उन सबके साथ लड़ रहा था, जिस वजह से उनके एक बंदे ने डरकर मालिक को फ़ोन कर दिया और वह मालिक भी वहाँ पर जल्दी ही आ गया।
मालिक ने नील को देखकर बोला, "रुक जा लड़के, क्यों फ़ालतू में लड़ रहा है? तेरा कुछ नहीं होने वाला। इस लड़की को मैंने पूरे 1,500,000 रुपये में खरीदा है। अगर तुझे इस लड़की की इतनी ही फ़िक्र हो रही है, तो तू मुझे अभी के अभी 2,000,000 रुपये दे दे और ले जा फिर इसे अपने साथ।" इतना बोलकर वह मालिक हँसने लगा, क्योंकि उसे लग रहा था कि कोई भी एक अनजान लड़की को बचाने के लिए इतने पैसे नहीं देगा जो उसकी कोई लगती ना हो।
मालिक की बात सुनकर नील के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
भाग 3: नील का रुही को खरीदना!
रूही मालिक को लात मारकर होटल से भाग गई थी। बाद में, उन गुंडों ने उसे घेर लिया था जिस वजह से वह नील के पीछे छिप गई थी। नील ने फिर उन गुंडों से लड़ाई की। इतने में ही मालिक भी वहाँ आ गया और उसने रूही के बदले में नील से २० लाख रुपए माँगे।
मालिक की बात सुनकर नील के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई। उसने बोला, "ठीक है।" फिर नील ने अपनी कार का दरवाजा खोला और उसमें से एक बैग निकालकर मालिक की तरफ बढ़ा दिया। मालिक कन्फ्यूज़न में उसे देखने लगा। कितने बड़े बैग में क्या है? नील ने अपने पूरे एटीट्यूड के साथ बोला, "इस बैग में पूरे ५० लाख रुपए हैं।" ५०,००,००० रुपए के बारे में सुनकर मालिक की आँखों में चमक आ गई। वह खुश होते हुए बोला, "ठीक है, ठीक है। अब यह लड़की तुम्हारी हुई।" इतना बोलकर मालिक वहाँ से अपने आदमियों को लेकर चला गया।
उन आदमियों के जाने के बाद, नील ने रूही की तरफ देखा और बहुत प्यार से कहा, "अब आप आज़ाद हो, पूरी फ्रीडम है आपके पास। अब आप अपने घर जा सकती हैं। मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ।"
नील की बात सुनकर रूही के चेहरे पर दुख भरी मुस्कुराहट आ गई। क्योंकि उसका कोई घर नहीं था, जहाँ वह बचपन से पली-बढ़ी थी। जिस घर में वह इतनी बड़ी हुई थी, वह घर भी अब उससे दूर हो गया था। और दूसरी तरफ, अब उसको यह भी नहीं पता था कि उसके माता-पिता कहाँ हैं और किस शहर या गाँव में हैं।
जहाँ २ दिन पहले उसका अपना घर था और एक पूरा परिवार था, जहाँ वह खुश थी, जहाँ उसने अपना पूरा बचपन गुज़ारा था, वहीं अब वह बिल्कुल अकेली थी और एक अनजाने शहर में थी, जिसके बारे में कुछ भी नहीं जानती थी।
इसलिए रूही ने एक दुख भरी आह भरी और नील से बोली, "आपका बहुत-बहुत शुक्रिया मुझे उन गुंडों से बचाने के लिए और मुझे आज़ाद करने के लिए। पर मुझे कहीं नहीं जाना है।"
उसकी बात सुनकर नील को लगा कि शायद वह मुझसे डर रही है कि मैं भी इसके साथ वैसा ही कुछ ना कर दूँ। नील ने रूही की मुस्कुराहट के पीछे छुपा दर्द भी भाँप लिया था। इसलिए नील ने अपने मन में सोचा, "अभी इसके साथ इतना सब कुछ हो गया, दर्द में ही सही, पर यह मुस्कुरा तो रही है। यह बहुत स्ट्राँग लड़की है।"
इसलिए उसने रूही से बहुत प्यार से बोला, "देखो, आपको मुझसे डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं बस आपको सही-सलामत आपके घर पहुँचाना चाहता हूँ, क्योंकि अभी बहुत रात हो चुकी है और ऐसे में मैं आपको अकेला नहीं छोड़ सकता। क्योंकि कहीं वह लोग फिर से आ गए, तो बस इसलिए मैं आपको आपके घर छोड़ना चाहता हूँ।"
नील की बात सुनकर रूही को अच्छा लगा कि वह अच्छा इंसान और अच्छा लड़का है। पर उसके कहीं ना जाने की वजह नील की समझ में नहीं आई। वह बताती भी तो क्या? क्योंकि शहर में उसका कोई घर और कोई अपना ही नहीं था, जहाँ वह जाती।
इसलिए रूही ने बहुत ही शांत लहजे में नील से बोला, "यहाँ मेरा कोई घर नहीं है।"
रूही की बात सुनकर नील के पास कुछ कहने के लिए शब्द ही नहीं बचे थे। इसलिए उसने रूही से कहा, "ठीक है, कार के अंदर बैठ जाओ।" और यह कहकर उसने कार का दरवाजा खोल दिया।
रूही ने अच्छे बच्चे की तरह उसकी बात मानी और चुपचाप कार में जाकर बैठ गई, क्योंकि उसे लग गया था कि नील अच्छा लड़का है।
जब उसने देखा कि रूही बैठ गई, तो उसने कार की खिड़की बंद की और ड्राइवर सीट पर बैठ गया। कार ड्राइव करने से पहले उसने एक नज़र रूही की तरफ देखी और फिर वह कार ड्राइव करने लगा।
नील अपनी आदत के अनुसार चुप था क्योंकि उसे ज़्यादा बात करना पसंद नहीं था। वहीं दूसरी तरफ़ रूही कार की खिड़की से बाहर देख रही थी, जैसे वह खुद को तैयार कर रही हो, के "मुझे जान ले जाना है। जिंदगी में वहाँ जाने के लिए तैयार हूँ।"
रास्ते में रूही की नज़र अनजाने में नील पर गई और उसने अचानक से बोला, "कार रोको!" रूही के इस तरह से अचानक बोलने पर नील ने कार रोक दी और वह कन्फ्यूज़न से उसे देखने लगा कि रूही ने कार अचानक रुकने को क्यों बोला। वहीं दूसरी तरफ़ रूही ने कार इसलिए रोकने को बोला था, क्योंकि उसकी नज़र कार ड्राइव करते हुए नील के दाएँ हाथ पर गई। उसने देखा कि नील के हाथ से खून निकल रहा था, क्योंकि अभी थोड़े समय पहले ही वह गुंडों से लड़ रहा था, जिसमें उसे भी चोट लगी थी।
इसलिए, नील के कार रोकने के बाद, रूही ने नील की फ़िक्र करते हुए बोला, "आपके हाथ से तो बहुत खून निकल रहा है। आपको इसको इस तरह से नहीं निकलने देना चाहिए।" इसलिए उसने नील की फ़िक्र में उसके हाथ पकड़ा और जल्दी से अपनी चुनरी का एक कोना फाड़कर नील के हाथ पर पट्टी बाँधने लगी।
नील इस समय बहुत ज़्यादा अनकम्फ़र्टेबल फील कर रहा था और वह रूही को ना देखकर इधर-उधर देख रहा था। क्योंकि आज तक उसके इतने क्लोज़ कोई भी लड़की नहीं आई थी और ना ही किसी ने उसकी इतनी फ़िक्र की थी। इसलिए उसने अपने मन में बोला, "कितनी प्यारी और भोली-भाली सी लड़की है। लोग अच्छे लोगों के साथ ही हमेशा गलत करते हैं।"
जब रूही ने उसके हाथ पर पट्टी बाँधी, तो नील ने उसे धीरे से कहा, "थैंक यू।" और एक बार फिर से वह कार ड्राइव करने लगा। इस बार कार सीधा अपनी मंज़िल पर ही जाकर रुकी।
यह मंज़िल एक बड़ा सा बंगला था। कार बंगले के बाहर जाकर रुकी और वॉचमैन ने कार को देखकर बंगले का दरवाज़ा खोला। कार सीधा बंगले के गार्डन को क्रॉस करते हुए जाकर पार्किंग एरिया में रुकी।
एक नौकर ने जल्दी से दौड़कर आकर नील की साइड का कार का दरवाज़ा खोला और नील कार से बाहर उतरा। उसने खुद जाकर रूही की साइड का दरवाज़ा खोला। रूही नील को दूसरी साइड का दरवाज़ा खोलते देखकर घर के सभी सर्वेंट हैरान हो गए, क्योंकि नील कभी खुद के लिए भी दरवाज़ा नहीं खोलता था।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 4: नील का घर
नील ने उस मालिक को पूरे 50 लाख रुपए देकर रूही को उससे आजाद करा दिया। रूही के बोलने पर कि उसका यहाँ पर कोई घर नहीं है, वह उसे अपनी कार में बिठाकर एक बंगले के पास ले आया। वहाँ पर नील कार से बाहर उतरा और उसने खुद जाकर रूही की साइड का दरवाजा खोला। नील को दूसरी साइड का दरवाजा खोलते देखकर घर के सभी नौकर हैरान हो गए, क्योंकि नील कभी खुद अपने लिए भी दरवाजा नहीं खोलता था।
रूही कार से उतर ही नहीं रही थी क्योंकि उसे पता ही नहीं चला था कि कार रुक गई है, क्योंकि वह अपने ही ख्यालों में खोई हुई थी। रूही को कार से ना उतरता देखकर नील ने रूही से कहा, "सुनो।" रूही ने नहीं सुना तो नील ने एक बार फिर, दोबारा से, पर इस बार पहले से तेज आवाज़ में कहा, "सुनो।"
इस बार रूही ने सुन लिया। उसने चौंककर नील की तरफ़ देखा और फिर, जब उसने यह देखा कि कार रुक गई है, तो वह भी कार से बाहर उतर गई। रूही बंगले को देखने लगी। बंगला बहुत शानदार था, जो देखते ही बनता था।
नील ने रूही को आवाज़ लगाकर कहा, "अंदर चलो।"
रूही ने नील की तरफ़ देखकर धीरे से पूछा, "यह हम कहाँ आ गए हैं?" नील ने कहा, "यह मेरा घर है।"
रूही ने अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहा, "अच्छा," और फिर वह नील के पीछे-पीछे बंगले के अंदर चली गई।
जब घर के नौकरों ने नील के पीछे-पीछे एक लड़की को आते हुए देखा तो वे सब हैरान रह गए। क्योंकि आज तक नील अपने साथ किसी भी लड़की को नहीं लाया था। नील ने एक नौकर को आवाज़ लगाई और वह उस नौकर से कुछ कहने वाला था, पर नील ने अपने मन में सोचा कि घर में सब मेल सर्वेंट्स हैं, जिनसे रूही डर ना जाए, इसलिए उसने कहा, "इनको मेरे रूम के साइड वाले रूम में ले जाओ!
और इनको इनकी ज़रूरत का सारा सामान दे दो और इनका ध्यान रखना।" नील की बात पर घर के सभी नौकरों ने हाँ में अपना सिर हिला दिया। फिर नील अपने रूम में चला गया। अपने रूम में जाकर उसने किसी को फ़ोन मिलाया। जल्दी ही किसी ने उसका फ़ोन पिक कर लिया। इसलिए नील ने उससे सीधा ही बोला, "मैं तुम्हें एक गाड़ी का नंबर सेंड करता हूँ, मॉर्निंग तक मुझे यह पता करके बताओ कि वह गाड़ी किसकी है और वे जिसकी भी गाड़ी निकले उस इंसान के बारे में मुझे पूरी डिटेल्स चाहिए। ओके, अंडरस्टैंड?"
"यस सर, मैं मॉर्निंग तक आपको सब इनफॉरमेशन पता करके बताता हूँ।" दूसरी तरफ़ से किसी ने बोला।
नील ने कहा, "ओके।" फिर नील ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
नील ने अपने कपड़े चेंज किए, रात के पहनने के लिए, और सोने चला गया। दूसरी तरफ़, रूही के पास कपड़े चेंज करने के लिए नहीं थे। घर के नौकरों ने उसे कुछ कपड़े लाकर दे दिए। जब रूही ने देखा कि क्या कपड़े हैं तो उसने उनमें से एक लोअर और टी-शर्ट निकाला और वे कपड़े रूही ने पहन लिए और वह भी सोने के लिए चली गई, पर उसे नींद ही नहीं आ रही थी। अब नींद आती भी तो कैसे? जिस लड़की के साथ इतना बड़ा हादसा हो गया हो, उस लड़की को नींद कैसे आ सकती है? इसलिए वह रात में बिस्तर पर इधर से उधर करवटें बदलती रही और मॉर्निंग के 3 बजे जाकर उसे नींद आई।
अगले दिन अपनी आदत के अनुसार रूही की नींद सुबह के 5:00 बजे खुल गई। सुबह उठकर वह फ्रेश हुई और उसने अपनी सलवार के ऊपर ही एक नौकर के द्वारा दिया हुआ कुर्ता पहन लिया, और फिर वह नमाज़ पढ़ने लगी।
सुबह नील भी 4:00 बजे उठ जाता था। फिर वह अपने घर में बने जिम में वर्कआउट करता था, क्योंकि उसे सुबह-सुबह एक्सरसाइज़ करने की आदत थी। इसलिए जब नील अपने जिम से वर्कआउट करके जिम से बाहर आ रहा था तो उसके मन में ख्याल आया कि क्या वह लड़की ठीक से सोई होगी? उसे नींद तो आई होगी ना? क्या उसे नींद आई होगी?
इन ही सब ख्यालों की वजह से वह रूही के रूम के बाहर दरवाज़े के पास जाकर खड़ा हो गया। जैसे ही वह रूम के अंदर जाने वाला था कि उसने अपने मन में सोचा, "नहीं-नहीं, एक लड़की के रूम में अंदर जाना सही नहीं होगा।" इसलिए उसने इस आइडिया को अपने दिमाग से झटक दिया और बस दरवाज़ा खोलकर अंदर झाँककर देखने का फैसला किया।
जब उसने रूम के अंदर झाँककर देखा तो रूही नमाज़ पढ़ रही थी। यहाँ पर जा नमाज़ तो थी नहीं, इसलिए ओढ़ने की चादर को ही रूही फ़्लोर पर बिछाकर नमाज़ पढ़ रही थी, और वह नमाज़ पढ़ती हुई बहुत ही ज़्यादा क्यूट और प्यारी लग रही थी।
नील तो उसे बिना पलकें झपकाए बस देखता ही जा रहा था, और वह सब कुछ भूल गया था। ऐसा नहीं था कि नील के आस-पास लड़कियाँ नहीं रहती थीं। नील के आस-पास बहुत खूबसूरत और हॉट गर्ल्स उसके आगे-पीछे तितलियों की तरह मँडराती रहती थीं।
रूही में कुछ अलग ही बात थी क्योंकि वह बहुत क्यूट एंड सिंपल सी लड़की थी। जिस वजह से नील उसकी सादगी में खो गया था। रूही ने जब नमाज़ पढ़ ली और उसने अल्लाह से दुआ माँगने के लिए अपने हाथ उठाए, तब जाकर अनजाने में ही उसकी नज़र एक पल के लिए दरवाज़े की तरफ़ चली गई।
और वह फिर से दुआ माँगने लगी, पर जब उसे यह एहसास हुआ कि दरवाज़े पर कोई खड़ा है, तब उसने झट से दरवाज़े की तरफ़ एक बार दोबारा देखा।
क्या रूही नील को इस तरीके से, उसके दरवाज़े पर, उसे इस तरह से देखते हुए देख लेगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "Billionaire's Purchased Wife"
भाग 5: नील के साथ ब्रेकफास्ट!
नील को रूही की बहुत फिक्र हो रही थी; क्या वह ठीक से सोई होगी या नहीं? इस वजह से नील ने रूही के कमरे का हल्का सा दरवाज़ा खोला और अंदर झाँककर देखने लगा। रूही बहुत क्यूट लग रही थी। इस वजह से वह रूही को बिना पलकें झपकाए देखने लगा, और उसकी क्यूटनेस में खो गया।
रूही ने जब नमाज़ पढ़ ली और अल्लाह से दुआ माँगने के लिए अपने हाथ उठाए, तब अनजाने में ही उसकी नज़र एक पल के लिए दरवाज़े की तरफ़ चली गई। पर वह फिर से दुआ माँगने लगी। पर जब उसे यह एहसास हुआ कि दरवाज़े पर कोई खड़ा है, तब उसने झट से दरवाज़े की तरफ़ एक बार दोबारा देखा।
जब रूही ने दोबारा दरवाज़े की तरफ़ देखा, पर इस बार दरवाज़े पर कोई नहीं था। इसलिए उसने सोचा कि यह शायद उसका वहम होगा और फिर उसने इस बात को अपने दिमाग से झटक दिया।
दूसरी तरफ़, नील अपने कमरे में जाकर अपने मन में खुद को ही डाँट रहा था। नील खुद को डाँटते हुए अपने मन में बोल रहा था, "तुझे क्या ज़रूरत थी उसके कमरे के दरवाज़े पर खड़े होकर उसको इस तरह से देखने की? अगर वह तुझे इस तरह से खुद को देखते हुए देख लेती, तो वह तेरे बारे में क्या सोचती? वह तो उसकी एक नज़र पड़ने पर तुझे पता चल गया, जिस वजह से तू वक़्त रहते वहाँ से निकल गया।"
और फिर नील के चेहरे पर खुद ही स्माइल आ गई। और वह अपनी इस हरकत पर मन ही मन मुस्कुरा दिया।
लगभग सुबह 6:30 बजे एक नौकर ने रूही के दरवाज़े पर दस्तक दी और दरवाज़ा खटखटाया। रूही ने जाकर दरवाज़ा खोला, और उसने देखा लगभग 40 की उम्र का एक आदमी, जिसके चेहरे पर मूँछें थीं। उसका नाम रमेश था। रमेश ने बहुत रेस्पेक्ट के साथ रूही की तरफ़ देखते हुए कहा, "मैम, आप नीचे आकर ब्रेकफास्ट कर लीजिए।"
"मैम" सुनकर रूही को ऑकवर्ड फील हो रहा था, क्योंकि उससे आज तक किसी ने भी इतनी रेस्पेक्ट से बात नहीं की थी। इसलिए रूही उन अंकल को बहुत रेस्पेक्ट के साथ देखने लगी।
और रूही ने अपनी प्यारी सी आवाज़ में उन अंकल से कहा, "अंकल, आपको मुझे मैम कहने की ज़रूरत नहीं है। मैं तो आपकी बेटी की उम्र की हूँ ना, इसलिए आप मुझे मैम मत कहिए। मुझे अच्छा लगेगा अगर आप मुझे रूही बेटी कहकर बुलाएँगे तो।"
रूही की बात सुनकर अंकल के चेहरे पर अपने आप स्माइल आ गई, और उन्होंने बहुत प्यार से रूही से कहा, "ठीक है बेटा, आप नीचे ब्रेकफास्ट के लिए आ जाओ। सर आपको ब्रेकफास्ट के लिए बुला रहे हैं।"
"ठीक है, अंकल, मैं अभी नीचे आती हूँ," रूही ने कहा।
रूही की बात सुनकर अंकल नीचे चले गए।
कुछ समय बाद जब रूही नीचे आई, तो तब भी वह बहुत क्यूट लग रही थी। पर जब उसने नील की तरफ़ एक नज़र देखा, तो वह नील को देखती ही देखती रह गई। क्योंकि रात में रूही ने नील का चेहरा नहीं देखा था, क्योंकि नील ने अपने चेहरे पर मास्क लगा हुआ था, जिससे कोई उसे पहचाने ना।
और अब जब रूही उसे बिना मास्क के देख रही थी, तो रूही की नज़रें नील के चेहरे पर से हट ही नहीं रही थीं। क्योंकि नील की आउटस्टैंडिंग पर्सनालिटी किसी को भी अपनी तरफ़ आकर्षित कर सकती थी। इसी वजह से रूही भी खुद को नील की तरफ़ देखने से नहीं रोक पाई और उसे देखने लगी। और वैसे भी नील ऑफिस सूट में बहुत स्मार्ट लग रहा था।
नील शांति से डाइनिंग टेबल पर बैठा हुआ था और अपने फ़ोन में कोल्ड एक्सप्रेशन के साथ कुछ देख रहा था। यह और कुछ नहीं, उस मालिक के बारे में जानकारी थी जिससे नील ने रूही को खरीदा था, जो अमित ने नील को भेजी थी। और इसके साथ-साथ इसमें रूही और उसकी फैमिली के बारे में भी जानकारी थी। इतने बड़े टेबल पर बैठा हुआ नील किसी राजा की तरह लग रहा था। वैसे भी, रूही के लिए नील किसी राजा से कम नहीं था, क्योंकि उसने रूही की इज़्ज़त बचाई थी। अगर उस वक़्त नील ने उसे उस आदमी के चंगुल से नहीं बचाया होता, तो अब तक तो रूही के साथ बहुत बड़ा हादसा हो चुका होता, जिससे रूही अंदर तक टूट जाती।
इसलिए रूही उसकी एहसानमंद थी। नील ने जब देखा कि रूही चलती-चलती एक ही जगह पर रुक गई है, तो उसने रूही को आवाज़ लगाई, "मिस, आप वहाँ पर ही क्यों रुक गईं?"
नील की आवाज़ सुनकर रूही का ध्यान टूटा और वह वापस अपने होश में आई। फिर वह नील से कुछ दूरी पर जाकर खड़ी हो गई। नील ने उसे एक नज़र देखकर बिना किसी एक्सप्रेशन के कहा, "मिस, आप टेबल पर बैठकर ब्रेकफास्ट कर लो।"
नील की बात सुनकर रूही ने एक कुर्सी खींची और उस पर बैठ गई। उसने एक नज़र टेबल पर लगे खाने की तरफ़ देखा, जिसमें ज़्यादातर खाना उबला हुआ था और बाकी फ्रूट्स, सैलेड और जूस वहाँ पर रखा हुआ था।
रूही का उस खाना खाने का मन तो नहीं था, पर उसने ना चाहते हुए भी वह खाना खाने लगी। वह खाना उसके गले से नीचे उतर ही नहीं रहा था। और जब रूही की नज़र नील पर पड़ी, तो नील बहुत एलिगेंट तरीके से अपना खाना खा रहा था। नील को देखकर ऐसा लगता था कि वह रोज़ यही खाना खाता था।
और जब दोनों का ब्रेकफास्ट ख़त्म हुआ, तब नील ने रूही से पूछा, "आप मेरे से कुछ पूछना चाहती हो?" नील को यह इसलिए लगा कि रूही उससे कुछ पूछना चाहती है, क्योंकि रूही खाना खाते हुए नील का चेहरा देख रही थी। और वैसे भी रूही को नील से कुछ पूछना ही था। तो रूही ने नील की बात सुनकर हाँ में अपना सिर हिला दिया।
रूही को हाँ में अपना सिर हिलाते हुए देखकर नील ने बोला, "हाँ, पूछो, क्या पूछना है?" नील की बात सुनकर रूही ने हिम्मत करके नील से पूछा, "सर, आपने उनको मुझे छुड़ाने के लिए कितने पैसे दिए थे? आपने जितने भी पैसे उसको दिए होंगे, मैं वह पैसे आपको चुका दूँगी। बदले में मैं आपके घर का सारा काम कर दूँगी, जैसे कपड़े धोना, खाना बनाना और पेड़-पौधों को पानी देना। बस मेरे पास अभी रहने के लिए घर नहीं है, तो क्या आप मुझे यहाँ पर रहने देंगे?"
नील रूही की बात को अभी भी एक्सप्रेशनलेस फ़ेस के साथ देख रहा था। रूही की बात पूरी होने पर नील ने कहा, "आपको ये सब काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है, हाँ पर आप एक काम कर सकती हो?"
आपको क्या लगता है नील रूही से क्या कहेगा? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Billionaire's Purchased Wife"
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
6 नील का सवाल?
नील और रुही साथ में नाश्ता कर रहे थे। नाश्ता करने के बाद रुही ने हिम्मत करके नील से पूछा, "सर, आपने उनको मुझे छुड़ाने के लिए कितने पैसे दिए थे? आपने जितने भी पैसे उनको दिए होंगे, मैं वह पैसे आपको चुका दूँगी। बदले में मैं आपके घर का सारा काम कर दूँगी, जैसे कपड़े धोना, खाना बनाना और पेड़-पौधों को पानी देना। बस मेरे पास अभी रहने के लिए घर नहीं है, तो क्या आप मुझे यहाँ पर रहने देंगे?"
नील रुही की बात को अभी भी एक्सप्रेशनलेस फेस के साथ देख रहा था। रुही की बात पूरी होने पर नील ने कहा, "आपको ये सब काम करने की कोई ज़रूरत नहीं है, हाँ पर आप एक काम कर सकती हो।"
"मुझे पेड़-पौधों से बहुत प्यार है, आप चाहो तो गार्डन की देखभाल कर सकती हो।" नील ने रुही को गार्डन की देखभाल करने के लिए इसलिए बोला था क्योंकि उसको लगा था कि अगर उसने रुही को कोई भी काम नहीं दिया, तो रुही कहीं यहाँ से चली न जाए। और इस शहर में तो रुही के पास रहने के लिए घर भी नहीं था, तो वह कहाँ रहेगी? क्योंकि रुही की बातों से नील को इतना तो समझ में आ गया था कि रुही बहुत खुद्दार किस्म की लड़की है, जो किसी से मदद लेना पसंद नहीं करती। इसलिए यह सोचकर उसने रुही को गार्डन की देखभाल करने का काम दिया। क्योंकि यह काम इतना मुश्किल भी नहीं था।
नील की बात सुनकर रुही ने कहा, "सर, मुझे पता है आपने बहुत सारे पैसे उनको दिए थे, तो बदले में बस मैं गार्डन की देखभाल करने का काम कैसे कर सकती हूँ? यह तो बहुत कम काम है। आप प्लीज़ मुझे और काम दीजिये। मैं आपको निराश नहीं करूँगी।"
रुही की बात सुनकर नील ने बिना एक्सप्रेशन के कहा, "आपको पूरे 1 साल यहाँ पर रहकर काम करना होगा। और अगर आपको यह काम कम लगता है तो मैं वक़्त आने पर आपको एक और काम ज़रूर दे दूँगा।"
नील की बात सुनकर रुही तुरंत ही राज़ी हो गई। उसने जल्दी से कहा, "हाँ ठीक है, मुझे काम देने के लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया सर।" पर रुही को मन ही मन अभी भी लग रहा था कि उसको अभी भी बहुत कम काम मिला है क्योंकि उसने नील को फैक्ट्री के मालिक को एक बड़ा सा बैग पैसों का देते हुए देखा था। पर उसने आगे कुछ भी कहना ठीक नहीं समझा।
रुही के नील को शुक्रिया बोलने पर नील ने अपना सर हिला दिया। फिर उसने रुही से कहा, "मिस, अगर आप बुरा ना माने तो, तो क्या मैं आपसे यह पूछ सकता हूँ, कि आप उस आदमी..." फिर नील को ऐसे डायरेक्ट रुही से यह सब पूछना ठीक नहीं लगा। तो उसने तुरंत ही अपनी बात बदलकर पूछा, "मिस, क्या आप अपने बारे में बता सकती हैं?" वैसे तो नील को रुही के बारे में सब कुछ पता चल गया था, पर नील यह जानना चाहता था कि रुही उसको क्या बताएगी? इसलिए उसने रुही से यह सवाल पूछा था।
पर रुही ने यह नोटिस कर लिया था कि नील उससे उस आदमी के पास जाने के बारे में पूछना चाहता था। तो उसने एक गहरी साँस भरी और अपने बारे में बताना शुरू किया।
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फ्लैशबैक:
1 महीने पहले:
फैक्ट्री का मालिक (तेज़ आवाज़ में बोलते हुए): "देखो सिराज, 2 साल से तू यहाँ पर रहकर सूट पर कढ़ाई करने का काम कर रहा है, मेरे से पैसे ले रहा है, जितना पैसा लेता है उतना काम भी कर देता है। पर इस बार तूने मेरे से जो पैसे लिए हैं, उतने पैसों का तूने काम तो किया नहीं। मुझे लगता है तुझसे नहीं हो पाएगा काम इस बार, और तू पैसे नहीं उतार पाएगा तो फिर तूने मेरे से एडवांस पैसे लिए ही क्यों थे?"
सिराज (लगभग शर्मिंदगी वाली आवाज़ में बोलता है): "मालिक, आपको तो पता है ना, मैंने अपने बेटे के इलाज के लिए आपसे पैसे एडवांस में लिए थे। आपको पता है ना मालिक, आप सब जानते हो, उसका एक्सीडेंट हो गया था। वह ही तो काम करके पैसे चुकाता था। मैं तो अब बूढ़ा हो चुका हूँ, मुझसे तो इतना काम नहीं हो पाता है। मेरी आँखों की रोशनी भी कम हो गई है, मुझे आँखों से इतना नहीं दिखता है।"
फैक्ट्री का मालिक (गुस्से से बोलता है): "हाँ हाँ, मुझे सब पता है, मुझे बताने की कोई ज़रूरत नहीं है। और रही बात काम की, बेटे का ही तो एक्सीडेंट हुआ है, घर में दो-दो जवान बेटियाँ तो हैं ना, उनसे काम करवाओ, वो चुका देंगी तेरा कर्ज़ा।"
सिराज (गिड़गिड़ाती हुई आवाज़ में बोलता है): "मालिक, यह कैसी बात कर रहे हैं आप? बेटियाँ करती हैं काम, जितना उनकी बस की बात है। अब बेटियों से बैलों की तरह तो काम नहीं करवा सकता ना, मैं धीरे-धीरे चुका दूँगा आपके पैसे काम करके।"
फैक्ट्री का मालिक (तेज़ आवाज़ में बोलता है): "धीरे-धीरे का क्या मतलब है कि धीरे-धीरे चुका देगा? अगर तेरे से काम नहीं होता है और यह कढ़ाई करने का काम तेरी लड़कियों की बस की बात नहीं है तो उनसे ना धंधा करवा ले, वे आराम से कर लेंगी; हैं भी बहुत खूबसूरत और जवान (गंदे तरीके से बोलता है)।"
सिराज (गुस्से से और लाचारी वाली आवाज़ में बोलता है): "मालिक, यह क्या बोल रहे हो आप?"
मालिक (तंज कसते हुए बोलता है): "अच्छा, अगर यह नहीं चाहता तो 1 महीने में मेरे सारे पैसे चुका दे, कर दे इतने पैसों का काम, बोल क्या बोलता है?"
सिराज (हैरान-परेशान होते हुए): "पर मैं 1 महीने में इतने सारे पैसों का काम कैसे कर सकता हूँ? थोड़ी तो मोहलत दो ना मालिक।"
फैक्ट्री का मालिक (आँखें दिखाते हुए बोलता है): "एक महीना मतलब एक महीना, बस बात खत्म। अब जाओ यहाँ से।"
सिराज वहाँ से उदास, हताश होकर चला जाता है।
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सिराज का घर:
सिराज अपने घर में दाखिल हुआ। एक पतली-सी लड़की, रंग गोरा, भूरी आँखें, और काले बाल, नैन-नक्श एकदम तीखे, उम्र 19 साल, एक गिलास में पानी लाती है और अपने पिता के चेहरे को देखकर समझ जाती है कि उसके पिता परेशान हैं, इसलिए वह अपने पिता से कुछ नहीं पूछती है। यह और कोई नहीं, बल्कि सिराज की बड़ी बेटी रुही है।
सिराज एक ही बार में पूरा गिलास पानी पी जाता है।
रुही (अपने पिता से बहुत प्यार से पूछती है): "और दूँ क्या पानी आपको अब्बा?"
सिराज (ना-उम्मीदी में बोलता है): "अब पानी पीकर क्या करूँगा मैं? कुछ बचा ही नहीं है ज़िन्दगी में, कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है क्या करूँ मैं?"
रुही की माँ शबनम अपने पति की ऐसी बातें सुनकर परेशान होते हुए बोलती है, "क्या हुआ जी? आप कैसी बातें कर रहे हो?"
सिराज अपना हौसला खोते हुए बोलता है, "अब क्या ही बोलूँ मैं रुही की अम्मी? सब खत्म हो गया, अब कुछ नहीं बचा है, सब खत्म हो गया, मैं क्या करूँ,हाय!"
शबनम अपने पति की ऐसी हालत देखकर परेशान होते हुए बोलती है, "क्या खत्म हो गया जी, रुही के अब्बा?"
सिराज शबनम को मालिक से हुई सारी बात बता देता है और यह भी कि मालिक ने बस 1 महीने का समय दिया है कर्ज़ा चुकाने के लिए।
रुही अपने पिता से दिलासा देते हुए बोलती है, "अब्बा, हम बहुत मेहनत करेंगे, मिलकर सारा कर्ज़ा चुका देंगे।" रुही की छोटी बहन सोनिया रुही का साथ देते हुए बोलती है, "जी अब्बा, हम सारा काम करेंगे, और बहुत मेहनत करेंगे, दिन-रात काम करेंगे और सारा कर्ज़ा चुका देंगे। अब आप फ़िक्र मत करो।"
शबनम धीरे से सिराज को बहुत समझाती है, जिस वजह से सिराज थोड़ा शांत हो जाता है। और वे चारों, शबनम, रुही, सोनिया और सिराज मिलकर एक महीने तक दिन-रात कढ़ाई करने का काम करते हैं, पर फिर भी उतने पैसों का काम नहीं कर पाते, जितना उन्होंने उस मालिक से रुही के भाई के इलाज के लिए लिए थे। और अब एक महीना खत्म होने को आया था। कहते हैं ना, समय बीतने में देर नहीं लगती है, वैसा ही हुआ। ऐसे में मालिक उनको समय-समय पर आकर, उनको याद दिलाते रहता कि कितने दिन बचे हैं पैसे चुकाने के और रुही को भी गंदी नज़रों से देखता रहता। ऐसे में महीने का आखिरी दिन भी आ जाता है।
महीने का आखिरी दिन, फैक्ट्री:
फैक्ट्री का मालिक सिराज से बोलता है: "हाँ भाई सिराज, तो तुझे याद तो है ना, कल तुझे मेरे सारे पैसे देने हैं। वह क्या है ना, लोग दूसरों से लिए हुए पैसे देने ही भूल जाते हैं, उनको कुछ याद ही नहीं रहता है कि पैसे वापस लौटाने भी हैं, इसलिए मैं तुझे याद दिलाने आया हूँ।"
सिराज उदासी से नज़र झुकाकर बोलता है, "जी मालिक, मुझे सब याद है कि कल आपके पैसे लौटाने का दिन है।"
मालिक बोलता है, "चलो ठीक है, तुझे याद तो है, ठीक है। अब मैं चलता हूँ।"
फैक्ट्री का मालिक वहाँ से चला जाता है। सिराज घर आकर हताश होते हुए बोलता है, "क्या करूँ? कुछ समझ में नहीं आ रहा है, मैं कैसे चुकाऊँ मालिक के पैसे?"
शबनम सिराज को सलाह देते हुए बोलती है, "क्यों ना जी आप राशिद भाई से पैसे उधार माँगकर मालिक के पैसे कल चुका दो? वह तो आपका छोटा भाई है ना, वह बुरे वक़्त में आपकी ज़रूर मदद करेगा।"
रुही भी अपनी माँ का साथ देते हुए बोलती है, "हाँ मम्मी, ठीक बोल रही हैं, आपको चाचा जी से मदद माँगनी चाहिए। आखिर बुरे वक़्त में अपने ही तो काम आते हैं, अपनों के।"
रुही और शबनम की उम्मीद भरी बातें सुनकर सिराज के अंदर भी थोड़ी सी उम्मीद जाग जाती है, शायद उसका भाई उसकी मदद कर दे। और इस उम्मीद में सिराज बोलता है, "ठीक है, मैं राशिद से पैसे उधार माँगने के लिए उसके घर जाता हूँ।"
इतना बोलकर वह राशिद के घर की तरफ़ को निकल जाता है।
क्या राशिद सिराज की मदद करेगा?
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 7: झूठे रिश्ते!
सीराज को मालिक ने कल तक पैसे चुकाने को कहा था। पर सिराज के पास पैसे नहीं थे। रूही ने उसे राशिद भाई से पैसे माँगने की सलाह दी। इसलिए वह राशिद से पैसे माँगने गया।
सिराज राशिद के घर गया। राशिद की पत्नी सबीना ने दरवाज़ा खोला। सिराज को देखकर उसने मुँह बनाकर सलाम किया, "अस्सलामु अलेकुम भाई।"
सिराज ने जवाब में कहा, "वालेकुम अस्सलाम।"
सिराज ने पूछा, "बहन, राशिद कहाँ है? घर पर है क्या?"
सबीना बोली, "जी, अंदर है।"
सिराज अंदर चला गया। राशिद बड़बड़ाया, "कि फिर से इनको पैसे तो नहीं चाहिए होंगे? कहीं ये फिर से पैसे तो नहीं माँगने आए?" क्योंकि सिराज उसके बेटे के एक्सीडेंट के समय भी पैसे माँगने आया था। पर फिर भी राशिद मुस्कुराकर बोला, "आइए अंदर आइए, बैठिए।" सिराज वहाँ रखी एक कुर्सी पर बैठ गया।
राशिद अपनी पत्नी सबीना को आवाज़ लगाकर बोला, "सबीना, भाई के लिए पानी लेकर आओ।" सबीना पानी लेकर आई। सिराज पानी पीने लगा। इतने में सबीना ने राशिद को इशारों से पूछा, "यह यहाँ क्यों आए हैं? पूछो।"
राशिद ने इशारे से कहा, "ठीक है, पूछता हूँ।"
राशिद सिराज की कुर्सी की तरफ़ मुड़ा और पूछा, "वैसे भाई, आपका यहाँ कैसे आना हुआ? मेरा मतलब कि आपको कोई काम था क्या हमारे से?"
सिराज उदास होकर बोला, "हाँ भाई, काम से ही आया हूँ। बहुत ज़रूरी काम था।"
राशिद बोला, "हाँ भाई, बोलो ना क्या काम था आपको?"
सिराज ने हिम्मत करके कहा, "मुझे कुछ पैसे उधार चाहिए थे। तुझे तो पता है ना, तेरे भतीजे का एक्सीडेंट हो गया था, तो घर की स्थिति ख़राब हो गई है। और इसलिए मैंने मालिक से उसके इलाज के लिए उधार पैसे लिए थे। पर अब मालिक भी अपने पैसे माँग रहा है। उसने बस कल आखिरी दिन दिया है पैसे देने के लिए। ऐसे में तू मेरी मदद कर देता, तो कितना अच्छा होता।"
सिराज की बात सुनकर राशिद अपने मन में बोला, "मुझे इस बात का ही डर था कि कहीं यह पैसे माँगने ना आए हों। पर यह तो सच में पैसे माँगने आए हैं।" फिर वह बोला, "नहीं भाई, मैं कैसे आपकी मदद कर सकता हूँ? आपको तो पता है ना, अभी काम भी नहीं चल रहा है मेरा। और फिर बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का भी ख़र्च होता है। तो ऐसे में मैं आपकी मदद नहीं कर पाऊँगा।"
राशिद की बात सुनकर सिराज निराश हो गया। उसके भाई ने भी पैसे देने से मना कर दिया था। उदास होकर वह बोला, "ठीक है भाई, फिर मैं चलता हूँ। और देखता हूँ कि कहीं और से कुछ इंतज़ाम होता है क्या।" इतना बोलकर सिराज कुर्सी से उठा और घर से बाहर जाने लगा।
पर वह घर से बाहर भी नहीं गया था कि राशिद की पत्नी सबीना बड़बड़ाना शुरू कर दी। वह बोली, "भला हमारे पास कहाँ से आए इतने पैसे? हमेशा आ जाते हैं हमारे से पैसे माँगने के लिए। जैसे हमारे पास तो पैसों का पेड़ लगा है ना! किस पेड़ पर से पैसे तोड़ो और इनको दे दो। जैसे हमारे पास तो मटके भर-भर के पैसे रखे हुए हैं! भला हमें भी तो अपना घर का ख़र्च चलाना होता है। और यह आते हैं मुँह उठाकर और पैसे माँगने लगते हैं।"
राशिद सबीना की सारी बातें सुन लेता है। उसकी जो भी बची-कुची उम्मीद थी, वह भी टूट गई। वह बहुत ज़्यादा हताश और उदास हो गया। वह अपने घर जाते समय पूरे रास्ते सबीना की बातों को ही याद करता रहा।
"जैसे हमारे पास तो पैसों का पेड़ लगा है ना, मटके भर-भर के पैसे रखे हुए हमारे पास तो, पेड़ पर से पैसे तोड़ो और इनको दे दो, हमारे पास तो पैसों का पेड़ लगा है ना,"
राशिद की पत्नी की ये बातें उसके दिमाग में घूमती रहीं। सिराज की सोचने-समझने की शक्ति ख़त्म हो गई। वह सीधा अपने घर गया और अपने कमरे में जाकर दरवाज़ा बंद कर लिया। सिराज के इस तरीके से दरवाज़ा बंद करने पर घर के सब लोग परेशान हो गए और दरवाज़े के पास जाकर दरवाज़ा खटखटाने लगे।
परेशान होते हुए रूही, सोनिया और उसकी अम्मी बोलती हैं, "दरवाज़ा खोलो।"
रूही बोली, "अब्बू, दरवाज़ा खोलो ना।"
सिराज के दरवाज़ा न खोलने पर रूही खिड़की के पास जाकर देखती है। वह देखती है कि सिराज खुद को फाँसी लगाने की कोशिश कर रहा है। यह देखकर वह जोर से चीख मारती है। रूही की आवाज़ सुनकर सोनिया और रूही की अम्मी भी खिड़की के पास आ जाते हैं।
कमरे के अंदर का नज़ारा देखकर रूही की मम्मी को चक्कर आने लगे। कुछ ही देर में वह जमीन पर बेहोश हो गई। अपनी अम्मी की ऐसी हालत देखकर रूही और सोनिया जोर-जोर से रोने लगीं। "आपको क्या हुआ अम्मी? आपको क्या हो गया अम्मी? अब्बू देखो ना, अम्मी को क्या हो गया?"
अपनी पत्नी की बिगड़ती हालत के बारे में सुनकर सिराज अपना फाँसी लगाने का इरादा छोड़कर दौड़ते हुए कमरे का दरवाज़ा खोलता है और रूही को तेज़ आवाज़ में बोलता है, "रूही, जा जाकर जल्दी से पानी लेकर आ।" और राशिद अपनी पत्नी शबनम का सिर अपने पैरों पर रख लेता है।
रूही दौड़कर एक गिलास में पानी ले आई। सिराज ने अपने हाथों में पानी लेकर अपनी पत्नी शबनम पर पानी की कुछ बूँदें डालीं। वह होश में आने लगी। शबनम होश में आकर सबसे पहले पूछती है, "रूही, तेरे अब्बू को कुछ तो नहीं हुआ ना? वो ठीक तो है ना?"
सिराज ने कहा, "हाँ, मैं ठीक हूँ।" सिराज नीचे जमीन पर बैठ गया और अपने हाथों से अपना सिर पकड़ लिया। "राशिद ने पैसे देने से मना कर दिया और कल मालिक पैसे लेने के लिए आ जाएगा। ऐसे में मेरी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा, मैं क्या करूँ?" वह अपने बच्चों और अपनी बीवी सबके सामने रोने लगा। यह देखकर रूही बोली, "मेरे पास एक आईडिया है जिससे हम बच सकते हैं।"
आपको क्या लगता है रूही के पास क्या आईडिया है?
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 8: रूही का आईडिया!
राशिद के पैसे मना करने के बाद, वह मदद नहीं कर सका। राशिद की पत्नी की बात सुनने के बाद, सिराज ने आत्महत्या का प्रयास किया जिसके कारण रूही ने अपने पिता से बात की।
रूही ने अपने पिता से कहा, "मेरे पास एक आईडिया है जिससे हम सब बच सकते हैं।" उसके अम्मी, अब्बू और सोनिया उसकी तरफ ऐसे देखने लगे जैसे वे अपनी आँखों से पूछ रहे हों, "क्या है वो आईडिया तेरे पास जिससे हम बच जाएँगे?"
रूही ने उनके देखने का मतलब समझते हुए कहा, "हम आज यहाँ से भाग जाते हैं।" रूही की बात सुनकर सबकी आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं। सिराज ने हैरानी से कहा, "रूही, तुम क्या बोल रही हो?"
सिराज के बोलने के तुरंत बाद शबनम बोली, "रूही, यह क्या बोल रही हो तुम? हम ऐसा कैसे कर सकते हैं?" अपनी अम्मी के ऐसा बोलने पर रूही ने जवाब दिया, "हाँ, मैं ठीक बोल रही हूँ अब्बा-अम्मी। यहाँ से भागने के अलावा हमारे पास और कोई दूसरा चारा नहीं है। अगर हम आज रात यहाँ से भागेंगे तो किसी को पता भी नहीं चलेगा क्योंकि रात के अंधेरे में हम आसानी से लोगों की नज़रों से बचकर भाग जाएँगे।"
रूही का आईडिया सिराज और शबनम को ठीक लग रहा था कि अब यहाँ से भागने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं बचा है। पर सिराज का ज़मीर उसे इस तरह चोरों की तरह मुँह छिपाकर भागने की इजाजत नहीं दे रहा था।
इस बात से परेशान होकर उसने रूही से कहा, "रूही, मैं तुम्हारी बात समझ रहा हूँ, पर क्या इस तरह से चोरों की तरह मुँह छिपाकर भागना ठीक होगा? मुझे यह ठीक नहीं लग रहा है!"
सिराज की बात में शबनम ने भी हामी भरी, "रूही बेटा, तेरे अब्बू ठीक बोल रहे हैं।" रूही ने अपनी अम्मी-अब्बू को समझाते हुए कहा, "अगर हम यहाँ रहे तो अम्मी, हम अब्बू को खो देंगे। आज आपने देखा ना? और हम फिर आपको भी खो देंगे और इस वजह से हम अनाथ हो जाएँगे। फिर यह भी तो ठीक नहीं होगा ना? बोलिए, आपको क्या लगेगा जब हम अनाथ हो जाएँगे?"
रूही की बात में हामी भरते हुए सोनिया, जो अब तक सब कुछ खामोशी से सुन रही थी, बोली, "जी अम्मी-अब्बू, रूही ठीक बोल रही है। हम दोनों आपको नहीं खोना चाहते हैं।" क्योंकि रूही की बातों से सोनिया भी सहमत थी क्योंकि वह समझ गई थी कि अगर यहाँ पर रहे तो अब्बा खुद को फाँसी लगा लेंगे और जिस वजह से अम्मी भी बीमार रहने लगेंगी और एक दिन वह भी उन दोनों को छोड़कर चली जाएँगी जिस वजह से वे अनाथ हो जाएँगी।
अपनी बेटियों को खुद को अनाथ कहते सुनकर सिराज और शबनम भी उनकी बातों को सही समझ रहे थे, और उनके दिल में भी दर्द सा हो रहा था। जिस वजह से सिराज ने कहा, "बेटा रूही, बात तो ठीक है कि हम यहाँ से आसानी से भाग जाएँगे, पर किसी के पैसे ऐसे लेकर कैसे भाग सकते हैं? यह ठीक नहीं है ना बेटा?"
रूही अपने पिता की बात को अच्छे से समझ रही थी कि उसके पिता का ज़मीर इस तरीके से भागने की इजाजत नहीं दे रहा है, किसी के पैसे लेकर। तो उसने अपने पिता को समझाते हुए कहा, "अब हम किसी के पैसे लेकर नहीं भागेंगे। अभी के लिए हम यहाँ से भाग जाते हैं और जब हमारे पास पैसे हो जाएँगे तो आप यहाँ आकर ब्याज के साथ मालिक के पैसे लौटा देना। क्यों? फिर तो सब ठीक रहेगा ना अब्बा?"
शबनम को रूही की बात ठीक लग रही थी। जिस वजह से शबनम सिराज से बोली, "जी, रूही ठीक बोल रही है। आप बाद में आकर मालिक के पैसे लौटा देना। फिर आपका भाई भी तो यहाँ पर ही रहता है। आप यहाँ पर आ सकते हो।"
शबनम के समझाने पर सिराज घर छोड़कर भागने के लिए तैयार हो गया और कहा, "ठीक है, मैं भागने के लिए तैयार हूँ।"
रात के 8:00 बजे तक, वे सभी मिलकर ज़रूरी सामान पैक कर लेते हैं, जैसे कपड़े, पैसे आदि।
और अब रूही और घर के सब लोग मिलकर रात 1:00 बजने का इंतज़ार करने लगे। आज की रात किसी के लिए भी आसान नहीं थी। आज की रात किसी की भी ठीक से नहीं बीत रही थी। एक-एक पल मानो हज़ार पलों के समान लग रहा था, जैसे घड़ी बहुत धीरे-धीरे चल रही हो। सब के दिलों में अजीब सी बेचैनी और घबराहट थी।
रात के 12:30 बजने को आये थे, पर किसी की भी आँखों में नींद का एक कतरा भी नहीं था। सबकी दिल की धड़कन जोरों से धड़क रही थी क्योंकि रात के 1:00 बजने ही वाले थे। शबनम सबके चेहरों की तरफ़ देख रही थी। घड़ी में 12:45 बजने को आये थे।
सब की घबराहट को दूर करने के लिए शबनम पानी लाकर पिलाती है, और सब बिना कहे पानी पी लेते हैं। इतने में घड़ी 1:00 बजने की तरफ़ इशारा कर रही थी, और सब घर से अपने हाथों में ज़रूरी सामान का बैग लेकर निकल पड़ते हैं। जब वे रेलवे स्टेशन के पास पहुँचने ही वाले थे, तो रूही चलते-चलते रुक गई और अचानक चिल्लाई, "हाय अम्मी! मैं तो दादी की पायल लाना भूल गई जो उन्होंने मेरी शादी के लिए बनवाई थी। मैं जल्दी से जाकर पायल लेकर आती हूँ, आप यही इंतज़ार करो।"
रूही की बात सुनकर रूही की अम्मी परेशान होते हुए बोलीं, "नहीं बेटा, मत जाओ अब वहाँ।" पर रूही अपनी अम्मी को बहुत समझाती है कि वह पायल उसके लिए बहुत खास है और वह जल्दी से जाकर पायल लेकर आ जाएगी। तो फिर सिराज बोल देता है, "ठीक है, जाने दो उसे शबनम।"
रूही पायल लेने के लिए अपने घर जाती है और जब वह घर पहुँचकर वापस पायल लेकर घर से बाहर निकल रही होती है, तो वह अपने मन में बोलती है, "शुक्र है कि मुझे किसी ने नहीं देखा।" और जब वह घर के दरवाज़े से निकल रही होती है, तो पीछे से कोई उसका हाथ पकड़ लेता है जिस वजह से रूही बहुत डर जाती है और सोचती है कि "अब तो वह पकड़ी गई, अब वह नहीं बचेगी।"
इतना बोलकर रूही ने एक गहरी साँस ली, जैसे वो खुद को तैयार कर रही हो आगे के सबसे बड़े हादसे को बताने के लिए। नील ने ये नोटिस कर लिया कि रूही को आगे बताने में तकलीफ हो रही है तो उसने कहा, "मिस, इट्स ओके। अगर आप नहीं बताना चाहती तो मत बताओ।" पर रूही, फिर खुद को मज़बूत करके आगे बताना शुरू किया, "ये मेरे चाचा-चाची थे। उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मेरे माता-पिता का इंतज़ार करने लगे। पर वो नहीं आए तो मेरे चाचा धोखे से मुझे ले गए चंडीगढ़। और यहाँ चाचा ने मुझे, मेरी इज़्ज़त को उस आदमी के हवाले कर दिया। और मैं उस आदमी को मारकर भाग गई और फिर आपसे जा टकराई। आगे का तो आपको पता ही है।"
रूही की बातें सुनने के बाद नील पूरी तरह से खामोश हो गया क्योंकि नील को किसी भी इंसान को दिलासा देने नहीं आता था और सिचुएशन बहुत अजीब सी हो गई थी। इस वजह से नील ने रूही से कहा, "मिस, अब आप जाकर गार्डनिंग करिए और पेड़-पौधों का ध्यान रखिए।" इतना बोलकर नील वहाँ से स्टडी रूम में चला गया और रूही बस उसे देखती ही रह गई क्योंकि नील बहुत तेज़ स्पीड से वहाँ से गया था।
लगभग सुबह के 8 बजे रूही पौधों को पानी दे रही थी, तभी वहाँ कुछ लोगों की एंट्री हुई जिनकी आँखें रूही को नील के घर में देखकर खुली की खुली ही रह गईं।
आपको क्या लगता है ये लोग कौन होंगे?
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 9: रूही का गाना
7:30 बजे का समय था। रुही ब्रेकफास्ट करके वह काम करने गई जो नील ने उसे दिया था। रुही को पेड़-पौधों से बहुत प्यार था। रुही गार्डन में आई और फूलों को पानी देते हुए बोली, "प्यारे नन्ने फूलों, तुम हमेशा मुस्कुराते रहते हो, हमेशा खिले रहते हो और खुशबू फैलाते हो। तुम बहुत प्यारे हो, हमेशा ऐसे ही खिले रहना।"
नील रुही को देखने आया कि वह क्या कर रही है। नील गार्डन में आया और जब नील की नज़र रुही पर गई, तो वह अपने मन में सोचने लगा कि रुही किससे बात कर रही है? पर जब उसने देखा कि रुही खुद से ही बात कर रही है, फूलों को पानी देते हुए, और रुही के आस-पास कोई भी इंसान नहीं है, तो वह सोचने लगा कि यह कितनी अलग है। सबसे छोटी बच्ची की तरह मासूम है। नील उसे डिस्टर्ब नहीं करना चाहता था, इसलिए वह उसे देखकर वहाँ से अपने रूम में चला गया।
रुही अभी भी फूलों को बड़े प्यार से पानी दे रही थी। फूलों को पानी देकर उसने देखा कि गार्डन में एक पेड़ है, जिसके पास ग्रिल लगी हुई है और एक छोटा दरवाजा है। तो वह उसके पास गई और दरवाजा खोलकर पेड़ को पानी देना लगी और वह उस पेड़ से भी बात करने लगी और अपनी प्यारी और धीमी आवाज़ में बोली, "तुम कितने अच्छे होते हो, तुम पर विश्वास किया जा सकता है, तुम इंसानों की तरह नहीं होते, किस से कुछ नहीं लेते, उनकी तरह मतलबी नहीं होते, बिना किसी से कुछ लिए तुम बस देते हो अपनी ठंडी छाया और मीठे फल।" यह बोलकर वह रुक गई और एक गहरी साँस भरी, जैसे वह कुछ सोच रही हो। और फिर रुही पेड़ को पानी देकर अपना काम करने लगी।
गार्डन का काम ख़त्म करके वह गार्डन को देखने लगी और गुनगुनाते हुए गार्डन में घूमने लगी। दूसरी तरफ नील अपने रूम में लैपटॉप पर काम करता हुआ रुही के बारे में ही सोच रहा था कि कितना मुश्किल वक़्त देखा है इस लड़की ने, यह हारने वालों में से नहीं है। फिर नील स्माइल करते हुए अपने मन में बोला, "Really, this girl is very diligent." यह बोलकर वह एक फाइल पढ़ने लगा। यह पहला टाइम था जब नील किसी की तारीफ़ कर रहा था। यह बहुत बड़ी बात थी क्योंकि नील कभी किसी पर ध्यान तक नहीं देता है, किसी की तारीफ करना तो बहुत दूर की बात है।
वहीं रुही पेड़ों को देखते हुए अभी भी गाना गा रही थी।
गाना: जिंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा।
जिंदगी गम का सागर भी है, हँस के पार जाना पड़ेगा।
जिसका जितना हो आँचल, यहाँ पर उसको सौगात उतनी मिलेगी।
फूल जीवन में गर ना खिले तो काँटों से भी निभाना पड़ेगा।
जिंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा।
यह गाना गाते हुए रुही खुद ही खुश हो गई, जैसे वह अपने सारे ग़म भूल गई हो। और रुही ने गाना गाते हुए अपने दोनों हाथ अपनी दोनों साइड में फैला दिए, और वह गाना गाते हुए अपने हाथ फैलाकर गोल-गोल घूमने लगी। और उसने फिर आगे गाया:
है अगर दूर मंजिल तो क्या, रास्ते में क्यों है मुश्किल तो क्या।
ला ला ला
अगर दूर मंजिल तो क्या, रास्ता भी है मुझसे तो क्या।
रात तारों भरी ना मिली तो, दिल का दीपक जलाना पड़ेगा।
जिंदगी प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा।
तभी वहाँ पर तीन लोगों की एंट्री हुई। वे तीनों एक-दूसरे से बातें करते हुए नील के घर के अंदर आ रहे थे। जिस वजह से उनके कानों में एक मीठी सी गाने की आवाज़ गई, जिस वजह से उन तीनों की निगाह उस आवाज़ का पीछा करते हुए रुही तक पहुँची। जिस वजह से उन तीनों की निगाह रुही पर ही जम गई, और उन तीनों की आँखें रुही को नील के घर में देखकर खुली की खुली ही रह गईं। क्योंकि नील के घर में उन्होंने पहली बार किसी लड़की को देखा था, क्योंकि नील अपने घर में किसी लड़के को काम पर भी नहीं रखता था। ऐसे में नील के घर में लड़की का होना इस वजह से उन तीनों का रुही को देखकर इस तरह से हैरान होना तो लाज़मी था।
इसी बीच रुही ने आगे गाना गाया: जिंदगी एक पहेली भी है, सुख-दुख की सहेली भी है।
जिंदगी, जिंदगी एक वचन भी तो है, जिसे सबको निभाना पड़ेगा।
जिंदगी एक प्यार का गीत है, इसे हर दिल को गाना पड़ेगा।
जिंदगी गम का सागर भी है, हँस के पार जाना पड़ेगा।
यहाँ पर रुही का गाना ख़त्म हुआ, और रुही जो अपनी मस्ती में सब कुछ भूलकर गाना गा रही थी, जब उसने अपनी आँखें खोली तो अपने सामने तीन हैंडसम लड़कों को देखा, जो बहुत ही हैरानी से अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से उसे ही देख रहे थे और उसके पास ही आ गए थे। उसको देखते हुए वे रुही को ऐसे देख रहे थे, जैसे रुही कोई दूसरे प्लेनेट से आई हुई एलियन हो। अब रुही को उनका खुद को इस तरह से देखना, या यूँ कहें घूरना, अजीब लग रहा था। क्योंकि कोई किसी को भी इस तरह से देखे तो अजीब तो लगेगा ही। रुही से अब रहा नहीं गया और उसने उन तीनों के सामने अपना एक हाथ उठाकर अपना हाथ हिलाते हुए कहा, "Hello."
रुही के इस तरह से हाथ हिलाने की वजह से उन तीनों का ध्यान टूटा और वे तीनों अपने होश में वापस आए। और उन तीनों में से एक लड़के ने एक्साइटेड होते हुए रुही को देखकर कहा, "क्या आप नील की गर्लफ्रेंड हो?"
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 11: नील किस रूही?
प्रेम, कबीर और अभय को लग रहा था कि रूही नील की गर्लफ्रेंड है, और अप्रैल फूल डे होने की वजह से उन्हें लग रहा था कि वह उनसे मज़ाक कर रही है। इसलिए वे तीनों रूही को अप्रैल फूल बनाने के बारे में मन ही मन सोचने लगे, और इशारों से एक-दूसरे को अपनी प्लानिंग के बारे में बताने लगे। और वे तीनों एक-दूसरे की बात समझ भी गए; उन्हें क्या करना था। जिस वजह से उनके चेहरों पर एक शरारत से भरी मुस्कान तैर गई।
फिर अभय ने रूही से पूछा, "वैसे नील कहाँ है अभी?"
रूही ने भी अपनी प्यारी सी आवाज़ में अभय का जवाब दिया, "सर तो अंदर हैं। मैं आपको सर के पास लेकर चलती हूँ।"
रूही की बात पर उन तीनों ने सिर हिला दिया।
पर मन ही मन उन तीनों के दिमाग में रूही को अप्रैल फूल बनाने की खिचड़ी पक रही थी, जिस वजह से चलते-चलते उन तीनों के चेहरों पर एक शरारती स्माइल थी।
तभी कबीर चलता-चलता स्विमिंग पूल के पास चला गया, क्योंकि गार्डन के रास्ते में ही स्विमिंग पूल भी था, और फिर बाकी के लोग, अभय और प्रेम भी, पूल के पास से ही बंगले के अंदर जाने लगे। इस वजह से रूही भी उनके पीछे-पीछे चल दी। पर कुछ ही दूरी पर जाकर कबीर ने अपना पैर फिसलने का नाटक किया, और कबीर सीधा ही स्विमिंग पूल में जाकर गिर गया। और ना कबीर ने "बचाओ! बचाओ!" चिल्लाया और ना ही उसने स्विमिंग पूल में तैराकी की, बल्कि वह सीधा ही स्विमिंग पूल की तली में डूबता हुआ चला गया।
जिस वजह से रूही परेशान हो गई और रूही जल्दी से पूल के पास गई, और उसने नीचे पूल में झाँककर देखा। उसको कबीर पूल की तली में पड़ा हुआ नज़र आया। तो रूही ने कबीर के लिए परेशान होते हुए प्रेम और अभय से तेज आवाज़ में कहा, "देखो! तुम्हारा फ़्रेंड नीचे गिर गया है! जाओ जाकर उसको बचाओ! ऐसे आराम से यहाँ मूर्ति की तरह खड़े होकर क्या तमाशा देख रहे हो? वह मर जाएगा ऐसे तो!"
पर रूही के इतना तेज बोलने पर भी प्रेम और अभय के कानों पर जूँ भी नहीं रेंग रही थी। पर फिर प्रेम ने भी परेशान होने का नाटक करते हुए कहा, "हाँ यार! कबीर ऐसे तो मर जाएगा, पर हम दोनों को तो स्विमिंग नहीं आती है, और ऐसे में अगर हम उसको बचाने के लिए पूल में कूदें, तो हम दोनों भी स्विमिंग पूल में डूबकर मर जाएँगे।"
प्रेम की बात सुनकर रूही ने अपने मन में सोचा, "कैसे दोस्त हैं ये! ऐसे में भी इनको अपने दोस्त की जान बचाने की नहीं, अपनी खुद की मरने की फ़िक्र है।" रूही ने सोचा कि नील को तो स्विमिंग आती होगी, इस वजह से ही तो घर में स्विमिंग पूल है। यह सब सोचने के बाद रूही नए बंगले के अंदर अपनी पूरी ताकत से दौड़ लगा दी। और रूही को ऐसे परेशान होते हुए घर के अंदर भागते हुए देखकर प्रेम और अभय जोर से खिलखिलाकर हँस दिए।
और हँसते हुए उन्होंने कबीर को आवाज़ लगाई, "कबीर! ऊपर आजा! मेरे भाई! भाभी घबराकर अंदर चली गई!"
उनकी आवाज़ सुनकर कबीर भी झट से ऊपर आ गया, और फिर अभी-अभी जो हुआ उसके बारे में सोचकर फिर से वे तीनों जोरों से हँस दिए।
दूसरी तरफ, रूही नील को ढूँढ़ते-ढूँढ़ते नील के स्टडी रूम में बिना नॉक किए ही चली गई। और जब नील को यह एहसास हुआ कि उसके स्टडी रूम में कोई उसकी बिना परमिशन के आया है, तो नील के एक्सप्रेशन डार्क हो गए, और उसने दरवाज़े की तरफ़ देखा। दरवाज़े की तरफ़ देखने पर जब नील को पता चला कि रूही अंदर आई है और रूही के फ़ेस एक्सप्रेशन देखने पर पता चल रहा है कि वह डरी हुई है, तो वहीं साथ-साथ नील के डार्क एक्सप्रेशन रूही के लिए सौम्य बन गए। तो फिर नील झट से अपनी चेयर से उठा और जो उसके हाथ में फ़ाइल थी, उसे झट से टेबल पर रखा और लम्बे-लम्बे कदम लेते हुए वह रूही के पास आ गया।
रूही बहुत डरी हुई थी और वह बोलने की कोशिश कर रही थी, पर उसके मुँह से कुछ निकल ही नहीं रहा था। नील ने चिंता भरी आवाज़ में रूही से पूछा, "क्या हुआ रूही?"
नील का सवाल सुनकर रूही ने अपनी लड़खड़ाती हुई आवाज़ में कहा, "व-व-वो... प-प-पूल... म-म-म-में..."
नील बहुत ध्यान से रूही की बात सुन रहा था, पर फिर भी नील को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि रूही क्या कहने की कोशिश कर रही है। पर जब नील की नज़रें रूही के काँपते हुए, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होठों पर पड़ीं, तो नील का उनको किस करने का मन हुआ। पर नील ने बड़ी मुश्किल से अपनी फ़ीलिंग को कंट्रोल किया और रूही को घबराते हुए देखकर उसको थोड़ा सा और आगे आकर अपने सीने से लगा लिया।
नील एक हाथ से रूही की पीठ को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से वह रूही के बालों को सहला रहा था ताकि रूही का डर ख़त्म हो जाए। नील ऐसे ही थोड़ी देर रूही को शांत करता रहा, थोड़ी देर ऐसे ही रूही को अपने गले से लगाकर रखा। और जब नील को लगा कि रूही अब शांत हो गई है, तो उसने रूही को धीरे से अपने से दूर किया।
नील जब रूही को दूर किया, वहीँ रूही को भी एहसास हुआ कि वह नील के गले से लगी हुई थी, और फिर वह खुद ही नील से दूर होकर खड़ी हो गई। फिर नील ने रूही से पूछा, "हाँ, अब आप ठीक हो, मिस?"
रूही ने सिर हिला दिया कि वह अब ठीक है। फिर नील ने रूही से पूछा, "तो अब बताइए मिस, आप मुझे क्या बताना चाहती थीं?"
रूही ने जैसे ही नील की बात सुनी, तो उसे याद आ गया कि वह यहाँ पर क्यों आई थी। इसलिए उसने जल्दी-जल्दी कबीर के स्विमिंग पूल में गिरने की बात नील को बताई। पर जैसे ही वह नील को कबीर को बचाने के लिए कहने वाली थी, तब रूही और नील के कानों में उन तीनों के हँस-हँसकर बात करते हुए आवाज़ आई। जिस वजह से रूही ने झट से उन तीनों की तरफ़ देखा। वहीं नील को अब तक सब समझ में आ गया था कि उन तीनों ने रूही के साथ मज़ाक किया था, क्योंकि नील को अच्छे से पता था कि उन तीनों को स्विमिंग आती है। जहाँ थोड़े समय पहले नील के चेहरे पर रूही के लिए फ़िक्र नज़र आ रही थी, वहीं अब नील के चेहरे पर गुस्सा नज़र आ रहा था। और उसके फ़िक्र वाले एक्सप्रेशन की जगह अब डार्क एक्सप्रेशन ने ले ली थी।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 12: अब क्या होगा?
अभय, प्रेम और कबीर को लगा कि रूही उनसे मज़ाक कर रही है। इसलिए, तीनों ने भी रूही को अप्रैल फूल बनाने का सोचा। फिर कबीर चलते-चलते स्विमिंग पूल में गिर गया। इससे रूही डर गई कि कहीं कबीर मर न जाए। इस वजह से वह नील के पास गई और सारी बात बताई। पर तभी, रूही और नील के कानों में तीनों के हँसते हुए बात करने की आवाज़ आई। रूही झट से उनकी तरफ़ देखी। नील को तब तक सब समझ आ गया था कि तीनों ने रूही के साथ मज़ाक किया था, क्योंकि उसे पता था कि तीनों को स्विमिंग आती है। थोड़ी देर पहले जहाँ नील के चेहरे पर रूही के लिए फ़िक्र नज़र आ रही थी, वहाँ अब गुस्सा नज़र आ रहा था। उसके फ़िक्र वाले एक्सप्रेशन की जगह अब डार्क एक्सप्रेशन आ गया था।
जब प्रेम, अभय और कबीर नील के पास पहुँचे, तो उसे देखकर उन्हें समझ आ गया कि वह गुस्से में है। पर उन्होंने उसके गुस्से पर ज़्यादा ध्यान नहीं दिया और हँसते हुए बोले,
"नील मेरे भाई, हम तो बस भाभी के साथ मज़ाक कर रहे थे।"
फिर, उन तीनों को सपोर्ट करते हुए कबीर बोला,
"हाँ भाई, क्योंकि भाभी जी भी हमारे साथ मज़ाक कर रही थीं।"
कबीर की बात सुनकर नील की आँखें छोटी हो गईं और उसने घूरकर एक-एक करके तीनों की तरफ़ देखा। फिर प्रेम हँसते हुए बोला,
"हाँ हाँ...वो बात यह है कि जब हमने भाभी से पूछा कि वह तेरी गर्लफ्रेंड है, तो उन्होंने साफ़ मना कर दिया कि वह तेरी गर्लफ्रेंड नहीं है। और उन्होंने हमें यह भी बोला कि वह तेरे से कल ही मिली है और तेरा नाम भी नहीं जानती।"
फिर अभय भी उनका साथ देता हुआ बोला,
"हाँ भला, भाभी ने तेरे कपड़े पहने हैं और वह हमें अप्रैल फूल बना रही थीं। हमने सोचा क्यों न हम भी भाभी को अप्रैल फूल बना दें।"
रूही को अपनी गर्लफ्रेंड सुनकर नील के चेहरे पर एक स्माइल आ गई, पर उसने उसे वहाँ खड़े सब लोगों से छुपा लिया।
पर नील के कुछ बोलने से पहले ही रूही बोली,
"मैंने आपको पहले भी तो बोला था, मैं सर की गर्लफ्रेंड नहीं हूँ।"
रूही की बात सुनकर नील उसे हैरानी से देखने लगा, क्योंकि उसने यह बात तीनों को बहुत ही तेज स्पीड में बोली थी। नील ने रूही को पहले इतनी तेज स्पीड में बोलते हुए नहीं सुना था, क्योंकि वह नील के साथ बहुत ही प्यार से बात करती थी।
पर फिर भी, नील ने अपनी हैरानी छुपाते हुए तीनों से कहा,
"हाँ, मिस रूही ठीक बोल रही है। ये मेरी गर्लफ्रेंड नहीं है।"
नील की बात सुनकर कबीर बोला,
"ऐसा कैसे हो सकता है मेरे भाई?"
पर कबीर की बात बीच में काटते हुए नील आगे बोला,
"पहले मिस रूही को सॉरी बोलो तुम सब। तुम्हें पता भी है मिस रूही कितना डर गई थीं?"
नील की बात सुनकर तीनों ने बिना किसी आर्ग्यूमेंट के एक-एक करके रूही को सॉरी बोल दिया।
फिर रूही ने एक प्यारी सी स्माइल करते हुए तीनों से बोला,
"कोई बात नहीं, गलती हर किसी से हो जाती है। गलती आपकी भी नहीं थी। मेरे पास कपड़े नहीं थे ना, तो शायद घर के सर्वेंट्स ने सर के ही कपड़े दे दिए होंगे।"
यह बात सुनकर कबीर ने झट से कहा,
"ठीक, फिर मैं आपको शॉपिंग पर ले कर चलूँगा। आपके साथ ऐसा मज़ाक करने के बदले में।"
कबीर को गर्ल्स को इम्प्रेस करना आता था। उसने रूही को शॉपिंग पर ले जाने की बात इसलिए कही थी क्योंकि उसे पता था कि गर्ल्स को शॉपिंग पर जाना बहुत पसंद होता है।
कबीर की बात सुनकर नील ने झट से उसे घूर कर देखा, क्योंकि उसे पता था कि कबीर प्लेबॉय है जो बस लड़कियों के साथ टाइम पास करने के बहाने ढूँढ़ता है। नील के ऐसे घूरने से कबीर ने अपनी सफ़ाई देते हुए कहा,
"मैं कौन सा अकेला चल रहा हूँ? ये दोनों भी तो मेरे साथ चलेंगे।"
प्रेम और अभय ने कबीर की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा,
"हाँ हाँ यार नील, हम भी मिस रूही के साथ शॉपिंग पर चलेंगे।"
उन्होंने ऐसा इसलिए कहा था क्योंकि वह भी रूही को डराने के लिए अब गिल्टी फील कर रहे थे, और रूही को शॉपिंग कराकर अपना गिल्ट कम करना चाहते थे।
रूही जो इतनी देर से चुपचाप खड़ी होकर उनकी बात सुन रही थी, शॉपिंग कराने के बारे में सुनकर झट से बोली,
"नहीं नहीं सर, आपको मुझे शॉपिंग कराने की कोई ज़रूरत नहीं है। मैं खुद अपने लिए शॉपिंग कर लूँगी। आप मेरी फ़िक्र मत करिए।"
रूही ने ये सब इसलिए बोला था क्योंकि वह अब किसी और का एहसान या मदद नहीं लेना चाहती थी। नील ने पहले ही उसकी इज़्ज़त बचाकर और अपने घर में रखकर उस पर इतना बड़ा एहसान कर दिया था, और वह अब किसी और के एहसान के बोझ तले नहीं दबना चाहती थी। पर रूही के मना करने पर भी तीनों कहाँ मानने वाले थे! आखिरकार, वह भी तो इतनी बड़ी फैमिली से बिलॉन्ग करते थे और बड़े-बड़े खानदानों से उनका सम्बन्ध था। और ऐसे में वह तीनों भी कुछ कम नहीं थे।
तीनों ने एक साथ एक-दूसरे की तरफ़ देखा और फिर प्रेम ने रूही से बोला,
"देखो ना, हम आपको डराने के लिए गिल्टी फील कर रहे हैं, और आपको शॉपिंग कराकर हम तीनों अपना-अपना गिल्ट कम करना चाहते हैं, इसलिए हमारे साथ चलो ना आप, प्लीज़।"
फिर प्रेम का साथ देते हुए कबीर और अभय ने भी हाँ में हाँ मिलाई।
फिर कबीर ने रूही को साथ चलने के लिए मनाने के लिए ऐसा कुछ बोलने का सोचा जिससे उसे पूरा यकीन था कि रूही यह सुनकर उनके साथ शॉपिंग पर चलने के लिए मान जाएगी। उसने बोला,
"अगर आपके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं हैं, तो क्या आप जब तक खुद कपड़े नहीं खरीद लेतीं, तब तक क्या आप नील के ही कपड़े पहनती रहेंगी?"
कबीर की बात सुनकर रूही ने अपने कपड़ों की तरफ़ देखा। उसे भी कबीर की बात ठीक लगी और फिर उसने तीनों के चेहरे को ध्यान से देखा। उसे तीनों के चेहरे देखकर यकीन हो गया कि वह तीनों सच में गिल्टी हैं।
तो रूही ने तीनों से अपनी प्यारी सी आवाज़ में बोला,
"अगर आप इतना ही बोल रहे हैं और गिल्टी हैं, तो मैं आपके साथ चलूँगी।"
इतना बोलकर वह नील के चेहरे की तरफ़ देखने लगी, जैसे पूछ रही हो कि क्या मैं इनके साथ शॉपिंग पर जा सकती हूँ?
नील ने भी रूही के इस तरफ़ देखने से समझ लिया कि वह उससे उनके साथ चलने की परमिशन माँग रही है। तो उसने भी अपना सिर हाँ में हिला दिया। वैसे, नील रूही को तीनों के साथ अकेला तो नहीं भेजना चाहता था, क्योंकि वह रूही को खुद अपने साथ शॉपिंग पर ले जाना चाहता था, पर अब क्या ही कर सकते थे जब रूही ने तीनों के साथ चलने के लिए खुद ही हाँ बोल दिया था।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 13) रूही की क्यूटनेस!
प्रेम, कबीर और अभय को रूही के साथ मज़ाक करने का पछतावा हो रहा था। इसलिए, वे तीनों रूही को अपने साथ शॉपिंग पर ले जाना चाहते थे। पर रूही ने मना कर दिया क्योंकि वह अब किसी का एहसान नहीं लेना चाहती थी। पर कबीर ने अपनी बातों से रूही को मना लिया। नील रूही को उन तीनों के साथ अकेला नहीं भेजना चाहता था क्योंकि वह खुद रूही को शॉपिंग पर ले जाना चाहता था। पर अब क्या कर सकते थे, जब रूही ने खुद ही उन तीनों के साथ जाने के लिए हाँ कह दिया था। इसलिए नील को भी हाँ कहनी पड़ी।
रूही को नील से परमिशन मिलने के बाद, उसने विनम्रता से कहा, "ठीक है, फिर मैं फ्रेश होकर आती हूँ।" इतना कहकर रूही सीढ़ियों से ऊपर अपने कमरे में चली गई। रूही के जाते ही, उन तीनों के मन में जितने भी सवाल थे, वे वहीं खड़े-खड़े पूछने लगे। उनकी आँखों में रूही के बारे में जानने की उत्सुकता साफ़ दिख रही थी।
सबसे पहले अभय ने नील से पूछा, "वैसे नील, अब तू हमें ये बताएगा कि रूही तुझे कहाँ से मिली?" फिर प्रेम बोला, "हाँ यार, बता ना। हम तीनों भी ये जानने के लिए बहुत एक्साइटेड हैं कि तेरे घर में आज पहली बार एक लड़की कैसे आई और हमें पहली बार देखने को मिली?" फिर कबीर ने मज़ाक करते हुए कहा, "कहीं तू इस लड़की को पसंद तो नहीं करता है? बता ना, कहीं ये लव-लव का चक्कर तो नहीं है?"
कबीर के ऐसा बोलने पर नील ने तिरछी निगाहों से उसे घूर कर देखा। जिससे कबीर घबरा गया और अपनी बात बदलते हुए बोला, "मेरा मतलब..." पर इस बार नील उसकी पूरी बात सुने बिना ही बोला, "मैं तुम्हें सब बताता हूँ, तुम पहले यहाँ से चलो।" नील की बात सुनकर वे तीनों हाल की तरफ़ चल पड़े और वहाँ बैठकर नील से रूही के बारे में पूछने लगे। सोफ़े पर बैठकर प्रेम ने कहा, "हाँ, अब तो हम बैठ भी गए, चल अब बता दे तू हमें सब कुछ।" नील ने एक गहरी साँस ली और बताना शुरू किया, "मैं अपनी आदत के अनुसार सुखना लेक पर जाकर बैठा हुआ था, तभी रूही वहाँ पर दौड़ती हुई आई।" और फिर नील ने उन तीनों को रूही के बारे में सारी बात बता दी। (जैसे कि वह नील को कैसे मिली और कैसे नील के घर में आई।) रूही के बारे में सुनकर उन तीनों को भी दुःख हुआ। फिर उन्होंने सोचा कि "रूही के साथ इतना सब कुछ हो गया, पर फिर भी रूही इतनी खुद्दार है, वह शॉपिंग पर उनके साथ जाकर उनसे अपना खर्च नहीं उठाना चाहती है।" इस वजह से उन तीनों की नज़रों में रूही के लिए इज़्ज़त बढ़ गई क्योंकि जो भी लड़की उन सबके करीब आने की कोशिश करती थी, उस लड़की का मुख्य मकसद उनका पैसा और उनका अमीर होना ही होता था, पर रूही ऐसी लड़की नहीं थी जो पैसों पर मरती हो।
कुछ समय बाद, लगभग 9:30 बजे, रूही नील के कपड़े पहनकर सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी। उसने नील का एक सफ़ेद कुर्ता और उसके ऊपर नील की गहरे नीले रंग की जीन्स पहनी हुई थी और उसने बालों को पोनीटेल में बाँधा हुआ था। इन कपड़ों में रूही बहुत ही प्यारी और क्यूट लग रही थी और रूही के चलने की वजह से उसकी पोनीटेल इधर-उधर हिल रही थी, जो रूही की क्यूटनेस को और बढ़ा रहा था।
सबसे पहले रूही पर नील की नज़र पड़ी। नील को रूही बहुत क्यूट और प्यारी लग रही थी। वह उसकी क्यूटनेस में ही खो सा गया था। नील को रूही की तरफ़ देखता देखकर, एक-एक करके वहाँ मौजूद बाकी तीनों लड़के भी नील की नज़रों का पीछा करते हुए रूही को देखने लगे। और वे भी रूही की क्यूटनेस में खो से गए और रूही को मुस्कुराते हुए देखने लगे।
रूही को जब उनकी नज़रों की तपिश महसूस हुई, तो उसने एक-एक करके उन सब की तरफ़ देखते हुए कहा, "क्या अब चलें हम मार्केट?" रूही की आवाज़ सुनकर वे सब अपने होश में वापस आ गए और सबसे पहले कबीर बोला, "हाँ हाँ चलो, हम तो कब से आपका ही इंतज़ार कर रहे थे।" कबीर की बात सुनकर रूही ने अपनी प्यारी सी आवाज़ में कहा, "अच्छा, तो फिर चलो, मैं तो अब तैयार हूँ।"
फिर वे सब भी रूही के साथ शॉपिंग पर चलने के लिए तैयार हो गए और सोफ़े से खड़े होने लगे। तो उनकी नज़र नील पर गई। जब उन्होंने नील को भी अपने साथ शॉपिंग पर चलने के लिए खड़ा होते हुए देखा, तो वे तीनों हैरानी से नील को देखने लगे।
और प्रेम ने नील से पूछा, "तू भी चल रहा है क्या हमारे साथ?" नील के जवाब देने से पहले ही अभय बोला, "अरे नहीं यार, ये थोड़ी हमारे साथ चलेगा! तुम सब को नहीं पता क्या? ये तो वर्कहॉलिक है, इसे हमारी तरह मज़े करने नहीं आते।" अभय की बात सुनकर कबीर ने भी कहा, "हाँ यार, इसके लिए तो शॉपिंग पर चलना भी टाइम वेस्ट करना होता है। क्या यार प्रेम, तू भी किससे शॉपिंग पर चलने के बारे में पूछ रहा है?" और फिर कबीर की बात सुनकर वे तीनों हँसने लगे। प्रेम ने हँसते हुए कहा, "ठीक कहा तूने कबीर।" प्रेम की बात सुनकर वे तीनों एक बार फिर से खिलखिलाकर हँस पड़े। हा हा हा।
उनके ऐसे हँसने और बोलने से नील ने बिना किसी भाव के कहा, "हाँ, मैं नहीं चल रहा हूँ तुम सबके साथ शॉपिंग पर, मैं तो ऑफ़िस जा रहा हूँ। ऑफ़िस का टाइम भी हो गया है और आज मेरी एक ज़रूरी मीटिंग भी है।" ये सब बातें नील ने अपना मन मारकर ही कही थीं क्योंकि आज तो नील का भी उन सबके साथ शॉपिंग पर जाने का इरादा था, क्योंकि आज वह भी रूही के साथ शॉपिंग पर जाना चाहता था, पर अब क्या ही कर सकते थे, उसके तीनों दोस्तों को उसकी हर एक आदत अच्छे से पता थी। अगर आज वह भी उन तीनों के साथ चलने के लिए हाँ बोलता तो उन तीनों को भी पता चल जाता कि दाल में कुछ तो काला है। इस वजह से नील ने उनके साथ जाने से मना कर दिया। नील की बात सुनकर अभय ने कहा, "देखा मैंने कहा था ना ये वर्कहॉलिक है, इसका अपने काम के बिना मन ही नहीं लगता है, इसका काम ही इसकी गर्लफ्रेंड है। हम तीनों खामाखा मिस रूही को इसकी गर्लफ्रेंड बता रहे थे।" अभय की ये बात सुनकर एक बार फिर वे तीनों हँस दिए। वहीं इस बार रूही और नील ने एक साथ उन तीनों को घूर कर देखा। उन दोनों के साथ घूरने से वे तीनों एक-एक करके बाहर की तरफ़ चल दिए।
फिर वे तीनों रूही के साथ शॉपिंग पर घर से निकल गए और नील अपना मन मारकर उन सबको खुशी-खुशी जाते हुए देखता रह गया।
(अब ये नील की किस्मत, इसमें हम क्या ही कर सकते हैं!😂😂🤣🤣)
आपको क्या लगता है, शॉपिंग पर क्या होने वाला है? आगे की कहानी जानने के लिए पढ़ते रहिए।
भाग 14: 3 बिलियनेर्स के लड़कों के साथ शॉपिंग!
नील ने अपने तीनों दोस्तों को रूही के बारे में पूछने पर, उनको रूही से मिलने के बारे में सब कुछ बता दिया था; रूही के साथ क्या हुआ और रूही उसे कैसे मिली। नील का भी शॉपिंग पर जाने का मन था, पर उसने अपने दोस्तों की वजह से शॉपिंग पर जाने से मना कर दिया था। उनको शक हो जाता कि दाल में कुछ काला है। और फिर रूही नील के तीनों दोस्तों, प्रेम, अभय और कबीर के साथ शॉपिंग पर चली गई।
प्रेम कार चला रहा था। प्रेम के बगल में कबीर बैठा था, और कार के पिछली सीट पर अभय और रूही बैठे हुए थे। रूही कार की खिड़की से बाहर की सड़कों को देख रही थी। उसे बाहर का नजारा देखने में बहुत अच्छा लग रहा था। पूरे रास्ते में सड़क के किनारे-किनारे पेड़ ही पेड़ लगे हुए थे, जो देखने में बहुत ही खूबसूरत लग रहे थे। कभी-कभी रास्ते में बड़े-बड़े पार्क और गार्डन भी आ जाते थे, और कभी-कभी मार्केट भी आने लगती थी, जिस पर रूही दुकानों को देखने लगती थी। रूही तो बस बाहर की खूबसूरती को निहार रही थी; यह सब देखकर वह बहुत ही एक्साइटेड और खुश लग रही थी। क्योंकि उसे चंडीगढ़ शहर का नजारा कार से देखने में भी बहुत खूबसूरत लग रहा था। चंडीगढ़ शहर है ही इतना खूबसूरत, जिसकी खूबसूरती में हर कोई खो जाए। रूही पहली बार चंडीगढ़ आई थी।
रूही ने एक्साइटिड होते हुए, अपने बगल में बैठे अभय से पूछा, "सर, यहां पर कितने सारे पेड़ हैं ना! पूरे रास्ते पर पेड़ ही पेड़ लगे हुए हैं, कितने प्यारे लग रहे हैं! सच में, यह बहुत ही ज्यादा खूबसूरत है।"
अभय ने रूही की तरफ प्यार से देखा। उसे रूही बहुत ही मासूम सी लगी, इसलिए उसने रूही को बताते हुए कहा, "हाँ, क्या तुम्हें नहीं पता है कि चंडीगढ़ को ग्रीन सिटी कहा जाता है? यह एक प्लान्ड सिटी है।"
फिर प्रेम, कबीर और अभय तीनों मिलकर चंडीगढ़ शहर के बारे में रूही को बताने लगे (जैसे रॉक गार्डन और रोज़ गार्डन आदि)। रूही एक्साइटमेंट के साथ उन तीनों की बातें सुन रही थी और चंडीगढ़ शहर के बारे में बताते-बताते ही वे सब मॉल पहुँच गए।
जब उनकी गाड़ी मॉल के बाहर जाकर रुकी, तो वहाँ पर मौजूद जितने भी लोग थे, वे उस कार को ही देखने लगे, क्योंकि यह कार बहुत महंगी थी। रूही, जो कार की खिड़की से बाहर का नजारा ही देख रही थी, वह अब उन लोगों को देखने लगी।
और जब प्रेम ने गाड़ी पार्क की, रूही कार से उतरी तो सब लोगों की निगाहें उन चारों पर ही टिकी हुई थीं। रूही को सब लोगों का खुद को ऐसे घूरना अच्छा नहीं लग रहा था, पर जब उसने पीछे मुड़कर देखा, तो तब उसे समझ में आया कि सब लोग उसे ऐसे क्यों देख रहे हैं। रूही को यह तो नहीं पता था कि वह कौन सी कार है, पर उसे इतना जरूर पता था कि यह बहुत महंगी कार है।
फिर रूही की नजर सामने बड़े से मॉल पर गई। मॉल को देखकर उसकी आँखें चमकने लगीं, क्योंकि यह मॉल कोई छोटा-मोटा मॉल नहीं था। यह चंडीगढ़ का सबसे महंगा और सबसे बड़ा मॉल था, जो बाहर से इतना अट्रैक्टिव लग रहा था, तो अंदर से कैसा होगा! रूही का अंदर जाने का मन करने लगा।
मॉल के सामने बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था: "आई लव चंडीगढ़"। रूही की नज़रें मॉल पर थीं और उन तीनों की रूही पर। उन तीनों को रूही इतनी एक्साइटेड होते हुए बहुत ही प्यारी और मासूम लग रही थी।
प्रेम, अभय और कबीर रूही को लेकर मॉल के अंदर गए। मॉल के बड़े से गेट पर दो गार्ड खड़े हुए थे। उन दोनों ने उन्हें देखकर ग्रीट किया। मॉल के सामने आते हुए एक शख्स की नजर उन तीनों दोस्तों पर पड़ी; उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं। उस इंसान की आँखों में चमक आ गई और वह हैरान नज़रों से उन तीनों को देखने लगा।
वह जल्दी से उनके पास आया और उन्हें ग्रीट करते हुए बोला, "सर, आप यहां! सर, आने से पहले बता दिया होता, हम मॉल खाली करवा देते।" उन तीनों ने उसकी बात का जवाब में कहा, "कोई बात नहीं।"
फिर प्रेम ने रूही की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा, "मैडम को पूरा मॉल दिखाइए।" वह आदमी "यस सर, यस सर" बोलने लगा। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसके चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी, और उसका खुश होना बनता भी था, क्योंकि सबको पता था कि ये तीनों कोई आम हस्ती नहीं हैं; ये तीनों बहुत बड़ी हस्तियाँ हैं। जिसमें से एक प्रेम आहूजा था, जो इंडिया के बेस्ट होटल्स का मालिक था (आहूजा होटल्स पूरी इंडिया में मौजूद थे)। दूसरा खुद अभय सिंघानिया था, जो दा ब्यूटी कंपनी का सीईओ था, तो तीसरे के क्या ही कहने, कबीर कपूर था, जो खुद कपूर फैमिली का इकलौता वारिस था।
उस आदमी ने रूही की तरफ देखते हुए अपने मन में सोचा, "यह मैडम कोई आम लड़की नहीं है। इतने बड़े-बड़े लोगों के साथ यह लड़की आई है, तो फिर यह भी कोई आम लड़की नहीं हो सकती है।" देखते ही देखते 5 मिनट के अंदर ही अंदर पूरा मॉल खाली करवा दिया गया ताकि वे लोग आराम से शॉपिंग कर सकें। पर एक लड़की की नज़र होटल से बाहर निकलते वक़्त उन चारों पर पड़ी; होटल से बाहर जाते-जाते भी, वह लड़की रूही को घूर रही थी। अगर उसके बस में होता, तो वह रूही को अपनी आँखों के देखने भर से ही मार देती, पर अफ़सोस वह ऐसा नहीं कर सकती थी। इसलिए वह रूही के लिए अपनी नज़रों में घृणा लिए होटल से बाहर निकल गई।
अब बस मॉल में मॉल का स्टाफ़ ही रह गया था: 10-15 सेल्स गर्ल्स और बॉयज़ रूही के पीछे-पीछे घूमने लगे।
एक तरफ़ रूही को बहुत अच्छा भी लग रहा था, दूसरी तरफ़ वह थोड़ी नर्वस भी हो रही थी। ऐसा पहली बार था कि रूही के लिए एक इतना बड़ा आलीशान मॉल खाली करवा दिया गया हो और इतने लोग उसे सामान दिखा रहे हों—"मैम, ये देखिए, ये आप पर बहुत अच्छा लगेगा, आप कितनी खूबसूरत हो!" ऐसे बोलते हुए, वे रूही की बस तारीफ़ ही कर रहे थे। रूही को बहुत ऑकवर्ड सा फील हो रहा था।
कुछ ही समय में रूही ने अपने लिए कुछ सलवार सूट, फ्रॉक सूट और प्लाज़ो सूट पसंद कर लिए। रूही इन चारों के ज़्यादा पैसे खर्च नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसने कम ही कपड़े लिए थे। रूही को अपने घर से बाहर कपड़े चेंज करना अच्छा नहीं लगता था, इसलिए उसने चेंजिंग रूम का इस्तेमाल नहीं किया। और फिर वह उन तीन बिलियनेयर फ़ेमस बॉयज़ के साथ मॉल से बाहर निकल गई।
पर अभी भी दो आँखें रूही को ही घूर रही थीं, और ये वही लड़की थी जो रूही को मॉल से बाहर निकलते हुए भी घूर रही थी। ऐसा लगता था जैसे वह रूही के ही बाहर आने का इंतज़ार कर रही हो। और फिर उस लड़की के चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ गई।
आपको क्या लगता है, कौन है यह लड़की?
आगे की कहानी आगे भाग में जारी रहेगी।
नव्या खान
भाग 15: 3 बिलियनेयर्स के लड़कों के साथ दोस्ती!
रूही, प्रेम, अभय और कबीर के साथ शॉपिंग करने गई थी। पूरे रास्ते में रूही ने उन तीनों से चंडीगढ़ शहर के बारे में जाना। मॉल पहुँचकर रूही को बहुत अच्छा लगा क्योंकि आज पहली बार उसके लिए पूरा मॉल खाली करवा दिया गया था। मॉल खाली हो रहा था, तभी एक लड़की मॉल से बाहर जाते समय रूही को घूर-घूर कर देख रही थी। रूही जब उन तीन बिलियनेयर फेमस बॉइज़ के साथ मॉल से बाहर निकली, तब भी दो आँखें रूही को घूर रही थीं। यह वही लड़की थी जो रूही को मॉल से बाहर निकलते हुए भी घूर रही थी। ऐसा लगता था जैसे वह रूही के बाहर आने का इंतज़ार कर रही हो।
रूही ने उन तीनों को देखते हुए कहा, "सर, अब घर चलते हैं हम।"
रूही की बात सुनकर प्रेम ने कहा, "मिस रूही, आपको हमें सर बोलने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि हम थोड़े ही आपके सर हैं। आपका सर तो नील है।"
बाकी दोनों ने भी प्रेम की हाँ में हाँ मिलाते हुए कहा, "हाँ प्रेम, बिल्कुल ठीक बोल रहा है। आप हमें हमारे नाम से भी बुला सकती हैं।"
रूही ने मुस्कुराते हुए कहा, "तो फिर आपको भी मुझे मिस रूही बोलने की ज़रूरत नहीं है। आप सब मुझे बस रूही कह सकते हैं।"
रूही की बात सुनकर कबीर झट से बोला, "हाँ यार, मैं भी थक गया था मिस-मिस बोलते हुए। अब से मैं तुम्हें रूही ही बोलूँगा।"
रूही कबीर को हैरानी से देखने लगी और मन ही मन सोचने लगी, "अभी तक तो मिस रूही और अब सीधा यार! इसका भी कोई जवाब नहीं।"
रूही ही नहीं, उसके बाजू में खड़े उसके दो दोस्त भी उसे इतना बिंदास बोलते हुए देखकर हैरान होकर देख रहे थे।
रूही और बाकी दो लोगों के ऐसे देखने से कबीर ने अपनी सफ़ाई देते हुए कहा, "ऐसे क्या देख रहे हो? अब तो हम सब फ्रेंड्स हैं।"
कबीर के दोस्त बनने की बात सुनकर रूही एकदम से बोली, "पर हम कब फ्रेंड्स बने?"
कबीर ने रूही से उल्टा सवाल करते हुए पूछा, "क्यों हम फ्रेंड्स नहीं हैं?"
कबीर के ऐसे उल्टे सवाल पर रूही मुस्कुराते हुए बोली, "हाँ, अब हम सब फ्रेंड्स हैं।"
रूही की फ्रेंड्स बनने की बात सुनकर उन तीनों (अभय, प्रेम और कबीर) के चेहरे पर मुस्कान आ गई। वैसे भी रूही को ये तीनों अच्छे लगे थे, इस वजह से रूही ने उनकी दोस्ती एक्सेप्ट कर ली।
तभी कबीर ने उन तीनों को देखते हुए कहा, "मुझे तो बहुत तेज भूख लगी है, और भूख की वजह से मेरे पेट में चूहे उछल-कूद कर रहे हैं। अब अगर मैंने लंच नहीं किया ना, तो मेरे पेट के सारे चूहे उछल-कूद कर थक जाएँगे और कहीं भूख की वजह से मर ही ना जाएँ!"
कबीर की ऐसी नौटंकी देखकर प्रेम हँसते हुए बोला, "बस कर यार, और कितना ड्रामा करेगा? हमें बहुत अच्छे से पता है, तूने मॉर्निंग में मुँह भर-भर के खाना खाया था।"
प्रेम और कबीर की बातों पर अभय भी हँसते हुए बोला, "क्या प्रेम, क्यों उसकी टाँग खींच रहा है? तुझे नहीं पता क्या? ये एक नंबर का भूखड़ है।"
फिर वे दोनों कबीर को और ज़्यादा चिढ़ाने के लिए जोर-जोर से खिल-खिलाकर हँस दिए। कबीर ने छोटे बच्चों की तरह अपना मुँह फुला लिया।
उनके साथ खड़ी रूही उन तीनों दोस्तों की प्यारी सी नोक-झोंक देखकर मन ही मन हँस रही थी।
रूही भी कहाँ पीछे रहने वाली थी। उसने भी कबीर की बॉडी को ऊपर से नीचे तक देखने की एक्टिंग करते हुए कहा, "वैसे मुझे लगता है कि तुम लोग झूठ बोल रहे हो, क्योंकि मुझे तो कबीर बिल्कुल भी मोटे नहीं लगते। अगर ये इतना ज़्यादा खाना खाते हैं तो वो खाना जाता कहाँ है?"
रूही की बात सुनकर प्रेम ने झट से जवाब दिया, "वो क्या है ना रूही, मैं भी आज तक इस सवाल के जवाब की खोज कर रहा हूँ। जब मुझे इस सवाल का जवाब मिलेगा, तब मैं तुम्हें भी बता दूँगा।" फिर वे तीनों (रूही, प्रेम और अभय) खिल-खिलाकर हँस दिए।
रूही और प्रेम की बात सुनकर और उन तीनों को खुद पर हँसते हुए देखकर कबीर उन तीनों को अपना मुँह फुलाकर देख रहा था। कबीर का ऐसा मुँह फुलाकर देखना उन्हें और ज़्यादा हँसी आ रही थी, जिस वजह से वे पहले से भी और तेज़-तेज़ कबीर पर हँसने लगे।
उन तीनों के ऐसे हँसने की वजह से कबीर बोला, "क्या मतलब तुम्हारा कि मेरा खाना जाता कहाँ है? मैं रोज़ एक्सरसाइज़ करता हूँ। तुम सब ने मेरी बॉडी नहीं देखी, बहुत मेहनत लगती है इस बॉडी बनाने में।"
अभय बोला, "पर भाई, हमारी बॉडी भी कुछ कम नहीं है।"
यह सुनकर फिर से एक बार कबीर का मुँह फूल गया और उसने घूरकर अभय को देखा। रूही ने माहौल नॉर्मल करते हुए अभय से पूछा, "वैसे टाइम क्या हुआ है? वो क्या है ना, मुझे भी अब भूख लग रही है।"
रूही के ऐसे पूछने पर अभय ने अपने हाथ में बंधी वॉच में टाइम देखा और टाइम देखने के बाद बोला, "हाँ, भूख का टाइम भी हो गया है। 1 बजने वाला है।"
कबीर झट से बोला, "देखा, ऐसे ही मुझे भूख नहीं लग रही है, रूही को भी भूख लग रही है। तुम सब को यहाँ पर ऐसे ही खड़े रहना है तो रहो। मैं तो पार्किंग एरिया से कार लेने जा रहा हूँ।"
इतना बोलकर कबीर चाबी का छल्ला अपने दाएँ हाथ की उंगली में घुमाते हुए वहाँ से कार लेने चला गया। उसके जाने के बाद अभय और प्रेम ने रूही को देखते हुए कहा, "क्या तुम भी? रूही, तुमने उसे क्यों बचाया? उसकी खिंचाई करने में कितना मज़ा आ रहा था।"
फिर वे तीनों ऐसे ही बात करते रहे। तब तक कबीर भी कार लेकर वहाँ आ गया और कार में बैठकर एक बार फिर वे चारों अपनी मंज़िल की तरफ़ निकल गए।
वहीं वो लड़की जो रूही को घूर-घूर कर देख रही थी, उसकी दो आँखें अभी भी रूही पर ही थीं। फिर वह लड़की भी अपनी कार में बैठकर उन चारों की कार का पीछा करने लगी।
आपको क्या लगता है?
ये लड़की उनकी कार का क्यों पीछा कर रही है?
इसकी रूही से क्या दुश्मनी है?
क्योंकि रूही तो अभी ही चंडीगढ़ आई है।
बाकी इन तीनों के साथ तो रूही की दोस्ती हो गई। बस हमारा हीरो ही रह गया बेचारा! आपको क्या लगता है रूही की नील से भी इतनी आसानी से दोस्ती हो जाएगी?
भाग 16) नील का रूही के लिए कंसर्न
मोल से निकलकर रूही और तीनों लड़के अपनी रेड कलर की कार में बैठकर वहाँ से निकल गए। फिर उन्होंने एक बड़े से रेस्टोरेंट में खाना खाया। खाना खाने के बाद रूही ने उन तीनों से अपनी प्यारी सी आवाज में बोला, "मुझे अब घर जाना है, क्योंकि अब मेरी जोहर (दोपहर की नमाज का समय) की नमाज का टाइम हो गया है। मुझे घर पहुँचकर सही टाइम पर अपनी नमाज भी अदा करनी है।"
प्रेम ने हैरानी से रूही से पूछा, "तुम नमाज पढ़ती हो?" फिर कुछ सोचकर उसने बोला, "इसका मतलब तुम मुस्लिम हो?"
रूही ने बहुत ही प्यार से प्रेम से कहा, "हाँ, क्यों? कोई प्राब्लम है, मेरे मुस्लिम होने से?"
ये सवाल करती हुई रूही बहुत ही क्यूट एंड प्यारी लग रही थी, क्योंकि यह सवाल रूही ने बहुत ही मासूमियत से प्रेम से पूछा था। रूही की इतनी मासूम और भोली-भाली सूरत देखकर प्रेम ने मुस्कुराते हुए कहा, "नहीं, मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है तुम्हारे मुस्लिम होने से।"
रूही और प्रेम की बातें कबीर और अभय भी सुन रहे थे। वे भी अब मैदान में कूद पड़े और कबीर ने भी रूही से कहा, "हाँ रूही, हमें क्या प्रॉब्लम होगी तुम्हारे मुस्लिम होने से? हम आज के जमाने के हैं, तुम्हें क्या लगता है, हमें धर्म से कोई फर्क पड़ता होगा?"
फिर अभय ने कहा, "हम सब भारतवासी भाई और बहनें हैं।"
अभय की 'भाई और बहनें' वाली बात सुनकर कबीर ने तुरंत ही बोला, "नहीं-नहीं, भाई तो ठीक है पर बहन नहीं यार! अगर सब इंडिया की सारी लड़कियाँ मेरी बहन हो गईं, तो मैं तो कुंवारा ही मर जाऊँगा यार! इसलिए इस बहन वाले रूल को मैं तो फॉलो नहीं करूँगा।"
कबीर की बात सुनकर एक बार फिर से वहाँ पर मौजूद बाकी के तीनों लोग हँसने लगे। और उन तीनों को एक बार फिर से खुद पर हँसता देखकर कबीर का मुँह बन गया।
और फिर कबीर ने अपनी बात को दुबारा से रिपीट करते हुए कहा, "ज़्यादा हँसो मत मुझ पर, आई एम सीरियस यार।" फिर उसने अपनी बात को आगे कंटिन्यू करते हुए कहा, "और हाँ, एक बात और सुन लो मेरी, तुम जो इतना मुझ पर हँस रहे हो, अगर इंडिया की सारी लड़कियाँ तुम्हारी बहन हो गईं तो तुम भी शादी किससे करोगे? बताना जरा मुझे?"
जिस पर प्रेम और अभय ने तुरंत जवाब दिया, "मेरी वाली को छोड़कर सब मेरी बहनें हैं।" फिर उन्होंने कबीर से सवाल पूछते हुए कहा, "अब तो खुश है तू कबीर?"
जिस पर तुरंत ही कबीर ने ना में अपना सिर हिला दिया। जिस पर रूही, प्रेम और अभय अपनी बड़ी-बड़ी आँखें करके कबीर को ही देखने लगे। वे सोच रहे थे, अब क्या दिक्कत है इसे?
उन तीनों को खुद को ऐसे देखते हुए कबीर ने कहा, "मुझे ऐसे क्या देख रहे हो? जब तक मेरी शादी नहीं हो जाती, तब तक मैं किसी भी लड़की को अपनी बहन नहीं बोलूँगा। समझे तुम? और वैसे भी मैं किसी एक लड़की के प्यार में नहीं पड़ने वाला, दुनिया में इतनी खूबसूरत-खूबसूरत लड़कियाँ हैं तो मैं एक ही लड़की से क्यों प्यार करूँ?"
कबीर की बात सुनकर एक बार फिर से वे तीनों हँसने लगे, और अभय ने हँसते हुए कबीर से कहा, "तू कभी नहीं सुधर सकता यार।"
अभय की बात सुनकर प्रेम ने भी अभय की हाँ में हाँ मिलाते हुए हँसते हुए कहा, "इसका कुछ नहीं हो सकता अभय, ये रहेगा ही एक प्ले—"
इसके आगे प्रेम कुछ कह पाता, कबीर ने प्रेम के मुँह पर अपना हाथ रख लिया, जिस वजह से प्रेम जो कहने वाला था, उसके वह आगे के शब्द उसके मुँह में ही रह गए। (क्योंकि कबीर को पता चल गया था कि प्रेम उसको आगे क्या बोलने वाला है। प्रेम उसको प्लेबॉय बोलने वाला था, पर रूही के वहाँ पर होने की वजह से कबीर ने प्रेम के मुँह पर हाथ रख लिया।)
और फिर कबीर ने रूही का ध्यान इस टॉपिक से भटकाने के लिए कहा, "चलो अब हमें घर चलना चाहिए, रूही को भी लेट हो रहा है। उसको सही टाइम पर घर जाकर अपनी नमाज भी तो पढ़नी है।" फिर उसने रूही से सवाल पूछते हुए आगे कहा, "क्यों है ना रूही?"
रूही जो बस उन तीनों की मस्ती देखकर मन ही मन मुस्कुरा रही थी, कबीर के सवाल करने पर मुस्कुराते हुए अपना सिर हाँ में हिला दिया।
और फिर से चारों ऐसे ही मस्ती करते हुए नील के घर की तरफ निकल गए।
जो लड़की रूही पर नज़र रख रही थी, उसको मौका ही नहीं मिला रूही से बात करने का या उसके साथ कुछ भी गलत करने का, क्योंकि हर समय रूही उन तीनों के साथ ही थी।
दूसरी तरफ नील जो अपने ऑफिस में अपने केबिन में बैठा हुआ अपना काम कर रहा था, उसका आज अपने काम में मन ही नहीं लग रहा था। वह बस रूही के बारे में ही सोच रहा था। उसको रूही की बहुत फ़िक्र हो रही थी कि रूही उन तीनों के साथ कम्फ़र्टेबल तो होगी? कहीं उसको उन तीनों के साथ अनकम्फ़र्टेबल तो फ़ील नहीं हो रहा होगा।
नील जानता था कि उसके फ्रेंड्स बहुत अच्छे हैं, एंड फ्रेंडली हैं, पर रूही के साथ कल ही तो इतना बड़ा हादसा हुआ है, तो इस वजह से रूही उन तीनों के साथ अनकम्फ़र्टेबल फ़ील कर रही होगी क्योंकि वे तीनों भी तो आखिरकार बॉयज़ ही हैं। बस इसलिए ही नील को रूही की फ़िक्र हो रही थी।
नील ने अपने मन में सोचा, "क्यों ना मैं प्रेम से फ़ोन करके पूछ लूँ कि रूही ठीक तो है।" और यह सोचकर नील ने टेबल से अपना फ़ोन उठाया, पर जैसे ही वह प्रेम का नंबर डायल करने वाला था, कुछ सोचकर उसने प्रेम का नंबर डायल ना करके अपने घर का नंबर डायल कर दिया।
एक-दो रिंग के बाद ही रमेश अंकल ने फ़ोन पिक कर लिया। उन्होंने बहुत ही पॉलाइट वॉइस में नील से कहा, "येस सर।" जिस पर नील ने रमेश अंकल से पूछा, "क्या मिस रूही घर आ गई?"
जिस पर रमेश अंकल ने जवाब में कहा, "येस सर।" फिर नील ने 'अच्छा' कहा, फिर नील ने आगे पूछा, "मिस रूही क्या कर रही है?" जिस पर रमेश अंकल ने दूसरी तरफ से कुछ जवाब में कहा, जिसे सुनकर नील की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं।
आपको क्या लगता है रमेश अंकल ने नील से ऐसा क्या कहा होगा, जिसे सुनकर नील की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं?
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
रूही का डांस!
नील को रूही की बहुत फिक्र हो रही थी। क्या रूही उन तीनों के साथ कंफर्टेबल होगी? कहीं रूही को उन तीनों के साथ अनकंफर्टेबल तो नहीं लग रहा होगा?
नील ने अपने मन में सोचा, "क्यों ना मैं प्रेम से फोन कर के पूछ लूँ कि रूही ठीक तो है।"
पर उसने प्रेम को फोन ना करके रमेश को फोन कर दिया। रमेश अंकल से उसने पूछा, "क्या मिस रूही घर आ गई?"
"येस सर," रमेश अंकल ने जवाब दिया। नील ने "अच्छा" कहा और आगे पूछा, "मिस रूही क्या कर रही है?" रमेश अंकल ने दूसरी तरफ से कुछ जवाब दिया, जिसे सुनकर नील की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं।
अंकल ने नील को बताया था कि रूही उन तीनों के साथ हँस-हँसकर बातें करती हुई घर आई थी, और ऐसे ही मज़ाक-मस्ती करते-करते वह नमाज़ पढ़ने के लिए अपने रूम में चली गई थी। और फिर अभय, प्रेम और कबीर भी अपने-अपने घर चले गए थे।
नील जब घर के अंदर आया तो उसकी नज़र अंदर के नज़ारे पर गई। अंदर का नज़ारा देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह गईं। नील सोफे पर बैठकर घर के सभी नौकरों के साथ हँस-हँसकर बातें कर रही थी।
नील ने अपने मन में सोचा, "मैं बेकार में इस लड़की के लिए परेशान हो रहा था। ये तो यहाँ पर सब लोगों से हँस-हँसकर बातें कर रही है, और आज ही आज में इसने सब लोगों को अपना फ़्रेंड्स भी बना लिया।"
नील ने जब देखा कि रूही को एक यंग सर्वेंट बड़े ही ध्यान से देख रहा है, तो नील को पता नहीं क्यों उस सर्वेंट पर गुस्सा आ गया। उसने अपनी गुस्से वाली आवाज़ में कहा, "क्या चल रहा है यहाँ?" नील की गुस्से भरी आवाज़ सुनकर सभी सर्वेंट्स वहाँ से अपने-अपने काम पर चले गए। नील ने सभी सर्वेंट्स को अपनी जलन की वजह से वहाँ से भेज दिया था क्योंकि नील को रूही के पास इतने सारे बॉय को देखकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
रूही ने जब नील की आवाज़ सुनी तो उसने पीछे मुड़कर नील को देखा। नील जाकर चुप होकर रूही के सामने वाले सोफ़े पर बैठ गया क्योंकि नील को ज़्यादा बात करने की आदत नहीं थी। पर हमारी रूही कहाँ चुप रहने वाली थी! उसने खुद ही नील को आज पूरे दिन की बातें बतानी शुरू कर दीं।
"और पता है सर, अभय, प्रेम और कबीर ने तो वो इतना बड़ा मोल खाली करवा दिया था!" रूही ने चहकते हुए कहा। जिस सुनकर नील ने अपने मन में बोला, "हाँ, क्योंकि वो मोल मेरा ही है।"
और फिर रूही ने ऐसे ही खुश होते हुए नील को मोल की और आज की सारी बातें बतानी शुरू कर दीं। नील बस स्माइल करते हुए रूही की बातें सुन रहा था, और मन ही मन मुस्कुरा रहा था। नील को रूही बहुत ही क्यूट एंड प्यारी लग रही थी। वह बस उसकी क्यूटनेस को ही निहारे जा रहा था।
नील ने अपने मन में रूही को देखकर कहा, "कितना बोलती है ये लड़की! बिल्कुल छोटी बच्ची है।" फिर रूही की बात पूरी होने के बाद नील फ़्रेश होने के लिए अपने रूम में जाने के लिए खड़ा हो गया, और वहाँ से मन ही मन स्माइल करते हुए चला गया।
नील के वहाँ से जाने के बाद रमेश अंकल ने रूही को बताया कि वह मोल नील सर का ही है। यह बात सुनकर रूही ऊपर जाते हुए नील को अपनी बड़ी-बड़ी आँखें करके हैरानी से देखने लगी।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए।
कुछ दिन बाद शाम का समय:
लगभग शाम के 6 बज चुके थे। रूही गार्डन में पौधों को पानी दे रही थी, और वह अपना मनपसंद गाना गुनगुना रही थी। तभी एक ब्लैक कलर की कार वहाँ पर आकर रुकी। एक सर्वेंट ने दौड़कर जाकर कार का दरवाज़ा खोला, जिसके अंदर से एक मोस्ट हैंडसम बैचलर बाहर निकला।
यह मोस्ट हैंडसम बैचलर और कोई नहीं, बल्कि खुद नील ओबरॉय था। नील अपने घर के अंदर जाने लगा, पर तभी बहुत तेज बारिश होने लगी।
रूही ने जब बारिश की बूँदों को अपने ऊपर महसूस किया, तो उसने पेड़ों की तरफ़ देखकर उनसे बात करते हुए कहा, "अब तो तुम्हें खुद ही पानी मिल जाएगा। अब तो मुझे तुम्हें पानी देने की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि बादल भैया जो तुम्हें पानी देने खुद ही आ गए।"
यह बोलते हुए वह बहुत खुश हो गई और अपना मनपसंद गाना गाते हुए बारिश में भीगने लगी।
गाना: छम छम छम,
जुल्फ़ों से बाँध लिए बादल,
सीने पर से उड़ने लगा आँचल,
मुझसे नैना मिला के मौसम होने लगे पागल,
सबसे होकर बेफ़िक्र मैं नाचूँ आज छम छम छम,
छम छम छम, छम छम छम
मैं नाचूँ आज छम छम छम छम छम,
छम छम छम छम छम छम।
नील के कानों में जब एक प्यारी सी लड़की के गाने की आवाज़ पड़ी, तो वह गाने की आवाज़ सुनकर नील के कदम अपने आप ही गार्डन की तरफ़ बढ़ गए क्योंकि नील को अच्छे से पता था कि इस घर में सिर्फ़ एक ही लड़की है, जो रूही है, इसलिए आवाज़ सिर्फ़ और सिर्फ़ रूही की ही होगी।
नील की नज़र रूही पर चली गई। रूही खूबसूरत लग रही थी। आज उसने पिंक कलर की सलवार के ऊपर स्काई ब्लू कलर की कमीज़ पहनी हुई थी और उसके ऊपर पिंक कलर का दुपट्टा ओढ़ रखा था।
साथ में उसने अपने हाथ में मेटल की सिल्वर कलर की चूड़ियाँ पहनी हुई थीं और दूसरे हाथ में वाटरप्रूफ़ एक पतले से पट्टे की ब्लैक कलर की वॉच पहनी हुई थी। उसने अपने बाल खुले छोड़ रखे थे, और बस मेकअप के नाम पर लिप्स बाम लगाया हुआ था। इसमें भी वह बला की खूबसूरत लग रही थी।
नील की नज़र जैसे ही रूही पर पड़ी, नील तो बस रूही को ही देखता ही देखता रह गया। वह रूही को अपनी बिना पलक झपकाए देख रहा था: वो रूही की झील जैसी बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाब की पंखुड़ियों जैसे गुलाबी होंठ, लम्बी गर्दन, पतली सी कमर, ऊपर से रूही का दूध जैसा सफ़ेद रंग कहर ढा रहा था।
नील तो बस अपने आस-पास का सब कुछ भूलकर बस अपनी साँसें रोक रूही को ही एकटक निहारे जा रहा था। उसकी तो साँसें ही रुक गई थीं।
दूसरी तरफ़ रूही इन सब से बेख़बर थी कि नील उसको देख रहा है। वह बारिश में भीगते हुए अब गाना गाते हुए डांस भी करने लगी और डांस करते हुए उसने आगे गाया:
Rain drop bouncing, my heart is announcing,
You got to take me away, Let's start jumpin',
My heart goes pumpin', I love you in every way,
धड़कनों पर बूँदें जो गिरी, तो नाचूँ आज छम छम छम छम,
छम छम छम छम छम छम छम, मैं नाचूँ आज छम छम छम, छम छम छम छम छम छम।
रूही जो कब से बेख़बर होकर डांस कर रही थी, अब उसने नील की तरफ़ टर्न कर लिया। अभी भी उसने नील पर ध्यान नहीं दिया और आगे गाना गाते हुए डांस करने लगी।
गीली हवाएँ झूमती हैं, तन को मेरे चूमती हैं,
छोड़ के यह शर्म-हया झूमे जिया।
कुछ भी कहे, कोई भी यहाँ
मैं तो कभी सुना कहाँ। दिल ने मेरे जो भी कहा,
मैंने वह किया। इस पल को आज मैं जी लूँ,
जो भी होगा, देखा जाएगा कल।
मुझसे नैना मिला के मौसम होने लगे पागल,
सबसे होकर बेफ़िक्र मैं नाचूँ आज छम छम छम,
छम छम छम, छम छम छम
मैं नाचूँ आज छम छम छम छम छम,
छम छम छम छम छम छम।
पर तभी डांस करते-करते रूही की नज़र दूर खड़े नील पर चली गई। रूही ने जैसे ही नील को खुद को देखते हुए पाया, तो रूही को शर्म आ गई। तो वह डांस करते-करते रुक गई। कुछ पल के लिए वह नील को ही देखने लगी, और नील जो कब से रूही को देख रहा था।
रूही के नील को ऐसे देखने से उन दोनों की नज़रें कुछ पल के लिए आपस में मिल गईं, जिससे दोनों का आई कांटेक्ट हो गया। Ruhi को जब समझ आया कि वह क्या कर रही है, तो वह शर्माकर बगले के अंदर भाग गई।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।
भाग: 18) कबीर एक लड़की के साथ!
रूही पौधों को पानी दे रही थी। तभी बारिश होने लगी। रूही भीगने लगी और गाना गाने लगी, "मैं नाचूँ आज छम छम छम।" पर तभी वहाँ नील आ गया। नील रूही को गाना गाते हुए और नाचते हुए, बारिश में भीगते हुए देखने लगा।
डांस करते-करते रूही की नज़र दूर खड़े नील पर गई। रूही ने जैसे ही नील को खुद को देखते हुए पाया, उसे शर्म आ गई। वह नाचते-नाचते रुक गई, कुछ पल के लिए वह नील को ही देखने लगी, और नील जो कब से रूही को देख रहा था।
रूही के नील को ऐसे देखने से उनकी नज़रें कुछ पल के लिए मिल गईं; दोनों का आई कांटेक्ट हो गया। "रुही को जब समझ आया कि वह क्या कर रही है," तो वह शर्माकर बगले के अंदर भाग गई।
नील ने जब रूही को ऐसे शर्माकर बगले के अंदर भागते हुए देखा, तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई, और फिर वह भी मुस्कुराते हुए बगले के अंदर जाने लगा।
नील को मुस्कुराते हुए देखकर वहाँ खड़े सभी नौकर और बॉडीगार्ड हैरान नज़रों से नील को अंदर जाते हुए देखने लगे। क्योंकि उन्होंने नील को आज से पहले मुस्कुराते हुए नहीं देखा था, इसलिए नील को मुस्कुराते हुए देखना उन सब के लिए बहुत ज़्यादा चौंकाने वाला था।
नील के वहाँ से जाने के बाद एक बॉडीगार्ड ने, जिसका नाम रवि था, वहाँ खड़े दूसरे बॉडीगार्ड, जिसका नाम अरमान था, से पूछा, "क्या मैंने सच में बॉस को मुस्कुराते हुए देखा? या मैं कोई सपना देख रहा हूँ?" दूसरे बॉडीगार्ड, अरमान ने कहा, "हाँ भाई, मुझे भी अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा है कि बॉस अभी-अभी मुस्कुरा रहे थे।"
रवि ने कहा, "हाँ भाई, मुझे भी अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा है। मुझे ऐसा लग रहा है जैसे ये सच में सपना ही है।" तभी अरमान ने रवि की बात सुनकर रवि के हाथ पर जोर से एक चिट्ठी काटी। अरमान के ऐसे चिट्ठी काटने पर रवि के मुँह से एक चीख निकली, "आ!"
अरमान ने हँसते हुए रवि से कहा, "अब आया यकीन या मैं और चिट्ठी काटूँ?" रवि ने अरमान की बात सुनकर झट से कहा, "हाँ आ गया यकीन, अब और चिट्ठी मत काट तू मुझे।"
नील को मुस्कुराते हुए देखकर अरमान और रवि जैसा ही हाल वहाँ खड़े सभी लोगों का था। वे सब भी उतने ही हैरान थे जितने रवि और अरमान। उनको भी अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था।
दूसरी तरफ, एक लड़की हड़बड़ी में एक विला से बाहर निकली। विला जंगल में बना हुआ था। वह नशे में लग रही थी; ऐसा लग रहा था जैसे उसे कोई हैवी ड्रग दिया गया हो। उसके कदम भी अब लड़खड़ा रहे थे। तभी उसे अपने पीछे से एक आदमी की आवाज़ सुनाई दी, "ढूँढो साली को, यहीं कहीं होगी आस-पास।" यह आवाज़ सुनकर वह लड़की और ज़्यादा डर गई।
उस लड़की को थोड़ी ही दूरी पर एक विला दिखाई दिया। उस लड़की से अब चला भी नहीं जा रहा था और उसकी आँखें भी अब बंद होने लगी थीं, पर फिर भी उसने हिम्मत करके उस विला के दरवाज़े तक पहुँच गई और उसने डोर बेल बजाई।
और फिर वह लड़की वहीं दरवाज़े के सहारे टिककर खड़ी हो गई क्योंकि अब उस लड़की में ठीक से खड़े होने की भी हिम्मत नहीं थी। अंदर से किसी ने दरवाज़ा खोला और अंदर से एक हाथ बाहर आया। उस हाथ ने उस लड़की को एक झटके में विला के अंदर खींच लिया।
वह लड़की इस तरह अचानक अंदर खींचे जाने से बहुत ज़्यादा डर गई। जब उसने अपने सामने देखा तो वहाँ एक बहुत खूबसूरत लड़का खड़ा था, जिसे देखकर लग रहा था कि उसने भी ड्रिंक की हुई है। उसके इस तरह घर के अंदर खींचने की वजह से और उस लड़के के इस तरह ड्रिंक करने की वजह से वह लड़की बहुत ज़्यादा डर गई थी।
और डर की वजह से वह लड़की अपने कदम पीछे लेने लगी, पर वह लड़का अपने कदम आगे बढ़ाने लगा। आखिर में वह लड़का उस लड़की के बहुत ज़्यादा करीब आ गया, और वह लड़की उस लड़के और उस दीवार के बीच में फँस गई।
जिसे देखकर वह लड़की अब बहुत डर गई। उसने अपनी पूरी कोशिश करके अपनी आँखें खोलकर, अपनी डगमगाती हुई आँखों से उस लड़के को देखा क्योंकि ड्रग की वजह से उसकी आँखें बार-बार बंद हो रही थीं। उस लड़की के इस तरह नशीली आँखों से देखने पर उस लड़के ने अपना काबू खो दिया।
और उस लड़के ने फिर अपने सख्त होंठ उस लड़की के कोमल होंठों पर रख दिए, और फिर धीरे-धीरे वह लड़की के होंठों का रस पीने लगा। और फिर धीरे-धीरे वह लड़का उस लड़की को डीपली किस करने लगा। पर नशे की हालत में भी उस लड़की ने अपने होंठों को मज़बूती से बंद कर रखा था, इसलिए उस लड़के ने उस लड़की के होंठों पर अपने दाँतों से काट लिया।
जिस वजह से उस लड़की की दर्द से एक चीख निकल गई, और उस लड़की का मुँह खुल गया। इस मौके का फ़ायदा उठाकर उस लड़के ने अपनी जीभ उस लड़की के मुँह में डाल दी और फिर वह उस लड़की को बिना रुके किस करने लगा।
पर 2 मिनट में ही उस लड़की की साँसें उखड़ने लगीं और उसे साँस लेने में दिक्कत होने लगी। जिस वजह से वह लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी। उस लड़की की साँसें उखड़ती देखकर उस लड़के ने उसके होंठों को छोड़ दिया और उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
जिसकी वजह से उस लड़की की जोर से एक चीख निकल गई, और फिर उस कमरे में उसकी सिसकियों की आवाज़ें रात भर गूँजने लगीं। और फिर इसी तरह वे दोनों नशे की हालत में एक-दूसरे में खो गए।
अगली सुबह जब उस लड़की की नींद खुली तो उसे दो मज़बूत हाथों ने घेर रखा था, और खुद से उसे चिपकाया हुआ था। उसके सिर में बहुत तेज दर्द हो रहा था और उसका पूरा शरीर भी दुख रहा था।
जब उसने अपनी आँखें खोली और खुद को एक लड़के की बाहों में होने का एहसास हुआ, तो उसने खुद को उसकी पकड़ से छुड़ाया और फिर उसने खुद की तरफ़ देखा, जिस वजह से तुरंत ही उसने खुद को चादर से अच्छे से ढक लिया, क्योंकि उन दोनों के ऊपर कपड़ों के नाम पर बस ओढ़ने के लिए बस एक पतली सी चादर ही थी।
जिस वजह से उस लड़की को कल रात की बातें याद आ गईं कि कल उन दोनों के बीच में क्या हुआ था। इस वजह से ये सब बातें सोचकर उसके मुँह से खुद ही जोर से एक चीख निकली, "नहीं!" और फिर उसने उस लड़के को जोर से अपनी लात मारी, जिस वजह से वह लड़का सीधा ही बेड से नीचे गिर गया।
और उस लड़के के ऐसे अचानक नीचे गिरने की वजह से नींद खुल गई, पर उसकी अभी भी पूरी तरह से नींद नहीं खुली थी। जिस वजह से उसने गुस्से में, बिना सामने देखे ही, हलकी-हलकी नींद के नशे में अपने हाथों से अपनी आँखें मसलते हुए कहा, "किसकी इतनी हिम्मत हुई जो कबीर कपूर को मारे?" जी हाँ, यह लड़का और कोई नहीं बल्कि हमारा कबीर ही था।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
कबीर की बातें उफ़!
एक लड़की कबीर के साथ अंतरंग हो गई थी। अगली सुबह उस लड़की ने खुद को एक लड़के के पास पाया। कल रात की सारी बातें याद आने पर, गुस्से में उसने उस लड़के को जोर से लात मार दी।
"😂 🤣"
जिस वजह से वह लड़का सीधा ही बेड से नीचे गिर गया।
"😂 🤣"
उस लड़के की नींद ऐसे अचानक खुल गई, पर पूरी तरह से नहीं। हल्की नींद के नशे में, आँखें मसलते हुए उसने कहा, "किसकी इतनी हिम्मत हुई जो कबीर कपूर को मारे?" वह लड़का और कोई नहीं, बल्कि कबीर ही था।
कबीर ने अपनी आँखें आधी खोलीं और उस लड़की का चेहरा देखा। हैरानी से उसके मुँह से निकला, "रूही तुम यहाँ क्या कर रही हो?" वह सोचने लगा कि रूही यहाँ कैसे आ सकती है। उसने आँखें पूरी तरह खोलकर उस लड़की को ध्यान से देखना शुरू कर दिया।
कबीर ने उस लड़की को ध्यान से देखकर, थोड़ी राहत की साँस ली और मन ही मन बोला, "थैंक गॉड ये लड़की रूही नहीं है। वरना नील को पता चलता तो वह मुझे जान से मार देता। जब मैंने रूही को शॉपिंग पर चलने के लिए बोला था, तब से नील मुझे ऐसे घूर रहा था जैसे मैंने कोई कांड कर दिया हो। पर थैंक गॉड मैं बच गया।"
दूसरी तरफ, कबीर के खुद को देखने के तरीके से उस लड़की ने मन में सोचा, "कितना बेशर्म लड़का है! एक तो इसने मेरे नशे में होने का फायदा उठाया, और अब मुझे ऐसे आँखें फाड़कर देख रहा है जैसे आज से पहले कोई लड़की नहीं देखी हो।" यह सोचकर उसने अपना चेहरा कबीर से दूसरी तरफ कर लिया।
कबीर ने मन में सोचा, "अगर ये रूही नहीं है तो ये कौन है? इसका चेहरा रूही से मिलता-जुलता है। चलो कोई बात नहीं, मैं इस लड़की से पूछ लेता हूँ कि ये कौन है।" फिर उसने अपनी पैंट उठाई और पहन ली। सवाल पूछने का फैसला करते ही उसे याद आया कि इस लड़की ने थोड़ी देर पहले उसे लात मारी थी जिससे वह बेड से गिर गया था। इस बात को याद करते ही कबीर को फिर से गुस्सा आ गया।
गुस्से से उसने उस लड़की से पूछा, "ए लड़की, तुम कौन हो और मेरे घर में कैसे आई? मेरे घर आई तो आई, मेरे साथ सोई भी, मेरी हॉटनेस का फायदा भी उठाया और ऊपर से मुझे लात भी मारी! कबीर कपूर को मारने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? बोलो!" कबीर के सवाल सुनकर वह लड़की हैरानी से उसे देखने लगी।
उस लड़की ने मन में सोचा, "क्या इसको पता नहीं है मैंने इसे क्यों मारा? यह ऐसे बोल रहा है जैसे मैंने इसका फायदा उठाया हो। इसने ही तो मेरे साथ वह सब किया था, और अब ऐसे बोल रहा है जैसे मैंने इसका फायदा उठाया हो। उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। (जी हाँ, इस लड़की का नाम इशिका है, इसको सब प्यार से इशू बोलते हैं।)"
उस लड़की को खुद को इस तरह देखते पाकर कबीर ने इशू से कहा, "अब कुछ बोलोगी भी या ऐसे ही चुप रहना है?"
कबीर ने स्माइल करते हुए इशू से आगे कहा, "Don't worry baby, you are very lucky कि तुम मेरे साथ सो पाई। लड़कियां तरसती हैं मेरे साथ one night stand करने के लिए। ये देखो मेरा फेस, लड़कियां दीवानी हैं इस चेहरे की। बोलो, हूँ ना बहुत स्मार्ट?"
"अब मुझे ऐसे आँखें फाड़कर देखती ही रहोगी क्या? या कुछ बोलोगी भी। अब इसमें तुम्हारी भी कोई गलती नहीं है, मैं हूँ ही इतना हॉट एंड सेक्सी कि तुम मेरे पर से अपनी नज़रें भी नहीं हटा पा रही हो।"
फिर कबीर ने कुछ सोचकर उस लड़की से आगे बोला, "अच्छा, तुम call girl हो? क्या मैंने कल रात नशे में होने की वजह से कॉल करके तुम्हें यहाँ बुलाया था? पर मुझे तो ऐसा कुछ याद भी नहीं आ रहा कि मैंने किसी को कॉल किया था। पर जब तुम यहाँ आईं और अपना काम किया, तो अब बताओ तुम्हारे काम के पैसे कितने हुए?"
फिर कबीर ने बिना रुके इशू से आगे कहा, "वैसे मैं इतना हैंडसम हूँ कि तुम तो मेरे से बिना पैसों के ही इम्प्रेस हो गई होगी, हाँ ना? मेरी बेड स्किल्स बहुत अच्छी हैं। अक्सर girls मेरी बेड स्किल्स से ही इम्प्रेस हो जाती हैं। हे बताओ ना, मैंने तुम्हें satisfied किया क्या?"
इशू, जो कब से कबीर की बातें सुन रही थी, अब जाकर थोड़ी अपने होश में वापस आई और उसने चिल्लाते हुए कबीर से कहा, "कब से तुम्हारी बकवास बातें सुन रही हूँ! तुम अपने आप को बहुत स्मार्ट समझते हो। कब से बस बोलते ही जा रहे हो, खुद की तारीफ कर-कर के मियाँ मिट्ठू बन रहे हो। तुम्हें कुछ अंदाजा भी है तुमने क्या किया है मेरे साथ?"
"जो तुमने किया है ना, उसको रेप कहते हैं। तुमने मेरे साथ कल अपनी हैवानियत दिखाई। ऐसे इंसान से कौन प्यार कर सकता है? तुम तो इंसान कहलाने के लायक भी नहीं हो, शैतान हो तुम तो। हाँ माना तुम बहुत हैंडसम हो, पर तुम बस अपनी शक्ल देख रहे हो।"
"उसके पीछे छिपी हैवानियत नहीं। मैं चाहूँ तो तुम्हारी पुलिस कंप्लेंट कर सकती हूँ और तुम्हें सबक सिखा सकती हूँ तुम्हारी गलती का। तुम समझते क्या हो खुद को? कोई सुपरस्टार हो तुम? या कोई तोप हो? देखो अब जाओ यहाँ से, मैं तुम्हारे साथ बात नहीं करना चाहती।" इतना बोलकर इशू ने साँस लिया।
और फिर इशू गुस्से से कबीर को देखकर आगे बोली, "तुम्हें किसने अभी तक इतना नहीं सिखाया कि एक लड़की की इज़्ज़त की कोई कीमत नहीं होती है? तुम अपनी पूरी ज़िन्दगी भी अपने पैसे मुझे दो ना तब भी वह कम पड़ जाएँगे। समझे तुम?"
इशू की बातें सुनकर कबीर ने हैरानी से कहा, "वाओ! तुम बोलती भी हो, मुझे लगा तुम गूंगी हो।" कबीर की बातें सुनकर इशू को और भी ज्यादा गुस्सा आ गया। उसने गुस्से से झल्लाते हुए कबीर से कहा, "देखो जाओ यहाँ से नहीं तो मैं खुद नहीं जानती मैं तुम्हारा क्या हाल करूँगी! इसलिए पहले ही कह रही हूँ, अभी के अभी मेरी नज़रों से दूर हो जाओ। वरना बाद में पछताना मत, समझे तुम?"
फिर इशू की बात सुनकर कबीर ने हँसते हुए इशू से कहा, "रिलैक्स, मैं जा रहा हूँ baby, काम डाउन।" इतना बोलकर कबीर वहाँ से चला गया।
कबीर की मॉम का इशू से मिलना!
अपनी आँखें बंद करके इशू ने अपने गुस्से को शांत करने की कोशिश की। और फिर से कल की सारी घटनाएँ याद करके रोने लगी। उसको याद आया कि कल वह कितनी खुश थी, कल उसका जन्मदिन था। खुशी में उसने अपना पूरा घर सिर पर उठा रखा था।
"वाओ! मॉम, मेरे बर्थडे के लिए हम यहाँ जाएँगे और एक महीने तक यहाँ रहेंगे," यह बात उसने एक फोटो की तरफ़ इशारा करते हुए कही थी। "मैं हमेशा से यहाँ आना चाहती थी।"
एक साड़ी पहनी हुई एक औरत उसके पास आकर बोली, "हाँ इशू बेटा, हम यहाँ जा रहे हैं। चल, तू तैयार हो जा।" यह बोलकर उस औरत ने इशू को एक शॉर्ट और एक शॉर्ट टॉप दिया।
इशू इन कपड़ों को देखकर हैरान हो गई और उसने अपनी माँ से पूछा, "मॉम, आपको पता तो है मैं ऐसे कपड़े नहीं पहनती, फिर आपने मेरे लिए ऐसे कपड़े क्यों लिए?" फिर उसकी माँ ने प्यार से उसे समझाते हुए कहा, "इशू, तुझे पता है, अमीर घरों की सारी लड़कियाँ ऐसे ही कपड़े पहनती हैं, और फिर इन कपड़ों में क्या बुराई है? अच्छे तो हैं, चुपचाप से इनको पहन ले। और जल्दी से इनको पहनकर आ, हमें निकलना भी है।"
ना चाहते हुए भी इशू ने वे कपड़े पहन लिए और तैयार होकर अपनी माँ के साथ अपनी मंज़िल की तरफ़ निकल गई। पूरे रास्ते इशू खुश हो रही थी। जल्दी ही इशू उस जंगल वाले घर में पहुँच गई, जो उसने उस फोटो में देखा था।
इशू जब उस घर के अंदर जा रही थी, तो वह खुश होते हुए बोल रही थी, "वाओ! कितना सुंदर है? कितने सुंदर फूल हैं, वेरी ब्यूटीफुल!" ऐसे ही खुश होते हुए वह एक कमरे के बाहर जाकर रुकी। उसकी माँ ने उसको कहा, "बेटा, यह रूम तुम्हारा है।"
अपनी माँ की बात सुनकर इशू खुशी से उछल पड़ी और खुश होते हुए उसने बालकनी की खिड़की खोली और वहाँ से सामने का नज़ारा देखने लगी। यह नज़ारा बहुत सुंदर था, जो किसी को भी अपनी तरफ़ खींच सकता था। इसलिए इशू ने छोटे बच्चों की तरह खुश होते हुए कहा, "थैंक यू मॉम, मुझे इतना अच्छा रूम देने के लिए।"
उसकी माँ ने भी कहा, "यह रूम मेरी प्यारी सी बेटी के लिए ही तो है।" फिर इशू ने खुशी-खुशी अपनी माँ के साथ अपना बर्थडे सेलिब्रेट किया। इशू की माँ ने उसे ड्रिंक करने को बोला। इशू बार-बार ड्रिंक करने से मना करती रही। उसकी माँ ने कहा, "इशू, अमीर घरों की लड़कियाँ ड्रिंक करती हैं।" मानी तो उसने अपनी माँ से कहा, "ठीक है मॉम, मैं बस एक ही गिलास पिऊँगी।" जिस पर इशू की माँ मान गई। फिर इशू की माँ ने उसकी ड्रिंक में चुपके से ड्रग मिला दिया।
जब इशू को नशा होने लगा, तो वह अपनी माँ को बाय बोलकर अपने रूम में चली गई। इशू के अंदर जाने के कुछ ही देर बाद एक आदमी इशू के रूम में आया।
और फिर वह आदमी इशू के बहुत नज़दीक आने लगा। वह उस समय शैतान की तरह नज़र आ रहा था, और उसकी नज़रों में लस्ट साफ़-साफ़ दिखाई दे रहा था। और फिर वह आदमी उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करने लगा। पर इशू ने टेबल पर रखा टेबल लैंप उस आदमी के सिर पर दे मारा जिस वजह से इशू उस आदमी से छूट गई। और इशू उस रूम से बाहर की तरफ़ भाग गई।
वहीं दूसरी तरफ़ इशू की माँ अपने रूम में बैठकर नोट गिन रही थी। खुश हो रही थी।
इशू भी अपनी माँ के रूम की तरफ़ भागी, क्योंकि मुसीबत आने पर हर कोई बच्चा अपने माँ-बाप की तरफ़ भागता है। पर इशू जब अपने माँ के रूम में पहुँची तो उसकी माँ ने उसे देखकर गुस्से से कहा, "इशू, तू यहाँ पर क्यों आ गई? चल जा वापस अपने रूम में। देख तो, हमें पैसे कमाने का मौका मिला है, ऐसा मौका मैं हाथ से नहीं जाने दूँगी। चल जा वापस अपने रूम में।" अपनी माँ की ऐसी बातें सुनकर इशू के पैरों तले जमीन खिसक गई।
और इशू ने बिना कुछ सोचे-समझे हवेली से बाहर की तरफ़ भाग लगा दी, और फिर एक हैवान इंसान के साथ फँस गई। कहाँ तो इशू इस कबीर से मदद माँगने के लिए आई थी, और वही मदद की जगह इस कबीर ने उसकी इज़्ज़त लूट ली।
यह सब सोच-सोचकर इशू अपनी किस्मत पर फूट-फूट कर रोने लगी। रोते-रोते कब उसकी आँख लग गई, उसे पता ही नहीं चला, और वह दोबारा से रोते-रोते सो गई।
इशू जब सोकर उठी तो उस सुबह के 9 बज गए थे। इसलिए वह फ्रेश हुई और नहाते हुए उन लाल निशानों को देखने लगी जो उसे कल रात मिले थे। इन निशानों को देखते हुए इशू की आँखों में एक बार फिर से आँसू आ गए, पर वे आँसू पानी की वजह से दिखाई नहीं दे रहे थे। इशू फिर फ्रेश होकर बाथरूम से बाहर आई, तो उसके पास पहनने के लिए कपड़े नहीं थे। इसलिए उसने अलमारी से निकालकर एक जींस और उसके ऊपर टीशर्ट पहन ली।
जब वह उस बंगले के दरवाज़े से बाहर जा रही थी, तो उसे एक पेड़ के नीचे कबीर आराम से सोता हुआ दिखा। इशू को कबीर को देखकर घृणा हो रही थी। इशू का कबीर से झगड़ा करने का अब बिल्कुल भी इरादा नहीं था। अब जो हो चुका था, वह उसे वापस तो नहीं पा सकती थी, इसलिए वह चुपचाप से बंगले से बाहर जाने लगी।
जब वह बंगले से बाहर जा रही थी, तभी एक औरत, जिसकी उम्र लगभग 50 सालों की थी, बंगले में दाखिल हुई। उस औरत ने बहुत ही महंगी सी साड़ी पहनी हुई थी और अपने गले में हार भी डाला हुआ था, और वह पतली थी। उन्होंने एक लड़की को देखा जिसके बाल कमर तक लम्बे थे और जिनका रंग हल्का भूरा था और उस लड़की की आँखें भी हल्के सुरमेई रंग की थीं। वह लड़की बहुत ही सुंदर और पतली सी थी, उम्र 19 साल। और उस लड़की को देखकर बहुत गुस्से भरी आवाज़ में उन्होंने इशू को बोला, "ए लड़की, जहाँ पर खड़ी हो वहीं पर ही रुक जाओ।" उनके इस तरह से बोलने पर इशू वहीं पर ही रुक गई। उसने एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाया।
फिर उस औरत ने कबीर को आवाज़ लगाई, "कबीर, इधर आओ।" अपनी माँ की आवाज़ सुनकर कबीर ने एकदम से आँख खोली और डरते-डरते अपनी माँ के पास आया। और वह बहुत ही प्यार से घबराते हुए बोला, "जी मॉम।" माँ सुनकर उस औरत ने कबीर के कान पकड़कर कहा, "मॉम नहीं, माँ बोलो मुझे।" जी हाँ, यह कबीर की माँ वसुंधरा जी थीं।
फिर वसुंधरा जी की नज़र पास में खड़ी इशू पर गई, तो उन्होंने इशू की तरफ़ इशारा करके कबीर से पूछा, "शैतान लड़के, यह बताओ कि यह लड़की कौन है?" अपनी माँ से इशू के बारे में पूछने पर कबीर घबरा गया।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान