यह कहानी है कियूट सी मुस्कान और अंडरकवर एजेंट अजय कपूर की मुस्कान को कोई जान से मारना चाहता है, इस लिए ज़ब मुस्कान को इस बात का पता चलता है तो तब मुस्कान वहा से अपनी जान बचा कर भाग जाती है, जान बचाने के चककर मे मुस्कान अजय कपूर की कार से टकरा जाती है।... यह कहानी है कियूट सी मुस्कान और अंडरकवर एजेंट अजय कपूर की मुस्कान को कोई जान से मारना चाहता है, इस लिए ज़ब मुस्कान को इस बात का पता चलता है तो तब मुस्कान वहा से अपनी जान बचा कर भाग जाती है, जान बचाने के चककर मे मुस्कान अजय कपूर की कार से टकरा जाती है। जिस मे उसकी याददास्त चली जाती है। जिस वजह से अजय कपूर को ही मुस्कान की जिम्मेदारी लेनी पड़ती है ज़ब तक मुस्कान ठीक नहीं हो जाती, पर अब अजय पर एक मुसीबत आ गयी थी, क्यों की मुस्कान अजय को अपना हस्बैंड समझ लेती है। अब आगे ये कहानी क्या मोड़ लेती है ? जानने के लिए पढ़ते रहिए "Kismat Se Mujhe Tum Mile "
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भाग 1: कार एक्सीडेंट!
एक लड़की अंधेरी रात में बेसुध सी दौड़ रही थी। बारिश बहुत जोर से हो रही थी। वह लड़की बार-बार पीछे मुड़कर देख रही थी। उसके चेहरे पर घबराहट और डर साफ झलक रहा था। उसका दिल बहुत तेज़ी से धड़क रहा था। उसके कपड़े जगह-जगह से फटे हुए थे, और उसके शरीर पर खून भी नज़र आ रहा था, जो बारिश की वजह से काफी हद तक धुल गया था।
रोड पर थोड़ी-थोड़ी देर में गाड़ियाँ आ जा रही थीं, पर वह लड़की गाड़ियों की परवाह ना करते हुए, बस दौड़ती ही जा रही थी। शायद उसके पीछे कुछ लोग पड़े हुए थे, जो देखने में गुंडे जैसे दिखाई पड़ रहे थे।
तभी एक गुंडे ने बहुत तेज आवाज़ में कहा, "देखो वो रही वो लड़की! आज वह ज़िंदा नहीं बचनी चाहिए। मारो उसे!"
जब उस लड़की ने पीछे मुड़कर उन गुंडों को अपने करीब आते हुए देखा, और उनकी आवाज़ें सुनीं, तो उसने बिना सामने देखे, अपने शरीर की पूरी ताकत लगाकर दौड़ लगा दी। और वह सामने से आ रही एक ब्लैक कलर की कार से टकरा गई।
वह कार ड्राइव कर रहा लड़का जल्दी से अपनी कार का दरवाज़ा खोलकर बाहर आया और दौड़कर उस लड़की के पास गया। जब उसने उस लड़की को पूरी तरह से खून में नहाए हुए देखा, तो उसने जल्दी से उस लड़की को अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और अपनी कार का दरवाज़ा खोलकर, उस लड़की को कार की बैक सीट पर लेटा दिया। फिर वह जल्दी से कार का दरवाज़ा खोलकर, खुद ड्राइवर वाली सीट पर जा बैठा। उसने अपनी कार को फुल स्पीड में सिटी हॉस्पिटल की दिशा में दौड़ा दिया।
कार फुल स्पीड के साथ रोड पर दौड़ रही थी। कुछ ही समय बाद, वह कार हॉस्पिटल के गेट के पास आकर रुकी। उस लड़के ने उस लड़की को अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और उसको हॉस्पिटल के अंदर ले जाने लगा।
डॉक्टर ने उससे पूछा, "ये लड़की आपकी क्या लगती है? और इनकी ये हालत कैसे हुई?"
उस लड़के ने अपने मन में सोचा, "अगर मैं इनको ये बोलूँगा कि इस लड़की का मेरी कार से एक्सीडेंट हो गया है, तो डॉक्टर ये सब सुनकर मुझसे ये बोल देंगे कि ये तो पुलिस केस है, और तब तक इसका इलाज नहीं करेंगे जब तक पुलिस नहीं आ जाएगी। तब तक इस लड़की का बहुत खून बह जाएगा। जब इस लड़की का इलाज हो जाएगा और ये होश में आ जाएगी, तब मैं इस लड़की से बोल दूँगा कि उसकी जान बचाने के लिए मेरा झूठ बोलना ज़रूरी था। तब ये मेरी बात ज़रूर समझ जाएगी।"
ये सब जब वह सोच रहा था, तो उसके कानों में फिर से डॉक्टर की आवाज़ सुनाई दी, "हैलो, मैं आपसे पूछ रहा हूँ, इनको इतनी चोट कैसे आई सर? और ये आपकी कौन है?"
डॉक्टर ने जब दोबारा से अपना सवाल दोहराया, तो उस लड़के ने झट से डॉक्टर को जवाब दिया, "ये मेरी वाइफ है और हमारी कार का रास्ते में एक्सीडेंट हो गया।" उस लड़के के चेहरे पर उस लड़की के लिए फ़िक्र साफ़ झलक रही थी। इसलिए डॉक्टर ने उससे शांत भाव से कहा, "ठीक है, हम ऑपरेशन की तैयारी करते हैं। तब तक आप फ़ॉर्म फ़िल कर दीजिए।"
थोड़े ही समय बाद ओटी में लाल बत्ती जल रही थी और वह लड़का परेशानी से इधर-उधर चक्कर काट रहा था। उसके चेहरे पर उस समय परेशानी के भाव साफ़ देखे जा सकते थे।
जब हॉस्पिटल में ओटी की रेड लाइट बंद होती है, तो डॉक्टर ओटी से बाहर निकल कर आते हैं। डॉक्टर को देखकर, वह कार ड्राइव कर रहा लड़का, जल्दी से दौड़कर डॉक्टर के पास गया और उनसे घबराते हुए सवाल पूछने लगा, "क्या वह ठीक है? उसको कुछ हुआ तो नहीं ना?" वह इस तरह से एक के बाद एक सवाल, एक साँस में सवाल करते ही जा रहा था। डॉक्टर उसको घबराया हुआ देखते हुए, उसको शांत करते हुए बोले और उसके सवाल का जवाब देते हुए बोले, "रिलेक्स मिस्टर कपूर, आपकी वाइफ ठीक है, ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा।"
डॉक्टर का जवाब सुनकर, उस लड़के को थोड़ी सी राहत सी मिली। फिर उस लड़के ने शांत भाव से डॉक्टर से पूछा, "क्या मैं उससे मिल सकता हूँ? या उनको देख सकता हूँ?"
डॉक्टर ने उस लड़के से गंभीरता के साथ बोला, "आप उनसे मिल सकते हैं, पर पहले आप रूम नंबर 203 में आइए। हमें आपसे पेशेंट की कंडीशन के बारे में कुछ बात करनी है।"
डॉक्टर की बात सुनकर वह लड़का डॉक्टर के पीछे अपने कदम बढ़ाते हुए रूम नंबर 203 की तरफ़ चल दिया।
जब उस लड़के ने रूम में एंटर किया, तो उसे रूम का टेंपरेचर ज़रूरत से ज़्यादा ठंडा लगा, जिसे देखकर उसे घबराहट सी होने लगी थी। डॉक्टर उसको टेबल के सामने की एक चेयर पर बैठने का इशारा करता है। वह घबराते हुए चेयर पर जाकर बैठ जाता है।
उस लड़के के मन में इस समय ये ही चल रहा था कि डॉक्टर अब क्या बोलने वाले हैं। तभी रूम की खामोशी को तोड़ते हुए डॉक्टर, उस लड़के से गंभीर भाव के साथ बोलते हैं, "मिस्टर कपूर, आपकी वाइफ को मॉर्निंग तक होश आ जाएगा।" डॉक्टर के इन शब्दों को सुनकर, उस लड़के को एक सकून मिला। फिर डॉक्टर अपनी बात जारी रखते हुए आगे बोले, "आपकी वाइफ के ब्रेन पर काफ़ी चोट आई थी, उनका काफ़ी ब्लड भी निकल गया था। हमने बहुत ही मुश्किल से उनकी जान बचाई है, पर..."
इतना बोलकर वह थोड़ा रुक जाते हैं, और फिर गहरी साँस ले कर फिर बोलना शुरू करते हैं, "पर उनके ब्रेन पर इतनी चोट आने के कारण, उनकी शॉर्ट टर्म मेमोरी लॉस होने के काफ़ी ज़्यादा चांस हैं। अगर उनके साथ ऐसा होता है तो आपको अपनी वाइफ का बहुत ध्यान रखना होगा। आप ये ध्यान रखना कि उन्हें किसी भी तरह का स्ट्रेस ना हो। उनसे ऐसी कोई भी बात ना की जाए जिससे उनको स्ट्रेस हो।"
"क्योंकि अगर उनसे ऐसी कोई भी बात की जाए जिससे उनको स्ट्रेस हो, तो वह स्ट्रेस की वजह से कोमा में भी जा सकती हैं। इसलिए आपको इन सब बातों का ध्यान रखना होगा।"
डॉक्टर की बात सुनकर, वह लड़का रूम से बाहर चला जाता है। इस समय उसका चेहरा भावशून्य था। उसके चेहरे को देखकर कुछ भी पता लगाना मुश्किल था कि इस समय उसके दिमाग में चल क्या रहा है।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
भाग 2: मुस्कान ने अजय को अपना हसबैंड समझ लिया!
थोड़ी देर बाद, वह लड़का उस लड़की के कमरे के बाहर खड़ा था। वह थोड़ी देर वहीं खड़ा रहा और फिर हिम्मत करके कमरे का दरवाजा खोला। अपने कदम बढ़ाते हुए, वह कमरे के अंदर चला गया।
वह अंदर गया और उस लड़की को देखने लगा। वह लड़की साँवली थी, पर उसके नैन-नक्श बहुत ही खूबसूरत थे, जो उसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे थे। उसकी आँखों के नीचे काले निशान नज़र आ रहे थे। चोट की वजह से काफी खून बहने के कारण उसका पूरा बदन पीला पड़ गया था। वह लड़की देखने में काफी कमज़ोर दिखाई पड़ रही थी। उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, जिससे खून साफ़ झलक रहा था। वह लड़का उस लड़की के पास एक स्टूल पर जाकर बैठ गया।
अगली सुबह, हॉस्पिटल में उस लड़की को अभी तक होश नहीं आया था। कुछ समय बाद उसकी पलकें हल्की-हल्की सी हिलने लगीं। इसका मतलब अब उसे होश आ रहा था। जब उस एक्सीडेंट वाली लड़की को होश आया, तो वह उठकर बैठ गई और एकदम से चिल्लाते हुए बोली, "मैं कौन हूँ? मैं कहाँ हूँ? मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है? मैं... मैं... मैं कौन हूँ?"
मिस्टर कपूर ने जब उसकी ऐसी हालत देखी, तो जल्दी से भागकर डॉक्टर को बुलाने चले गए और जल्दी से उन्हें बुलाकर ले आए। थोड़ी देर में डॉक्टर ने उस लड़की को नींद का इंजेक्शन लगा दिया। वह इंजेक्शन इतना हैवी था कि वह लड़की तुरंत ही नींद में चली गई और सो गई।
शाम के समय, हॉस्पिटल में जब उस लड़की की नींद खुली, तो उसे उसके एक हाथ पर कुछ भारी-भारी सा महसूस हुआ। उसने अपनी पलकें हल्की सी खोलकर देखा, तो उसे उसकी आँखों के सामने हैंडसम सा मिस्टर कपूर का चेहरा नज़र आया। मिस्टर कपूर ने उसके हाथ को अपने हाथ से पकड़ा हुआ था। मिस्टर कपूर के इतने हैंडसम चेहरे को देखकर उस लड़की के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल गई। फिर जैसे ही उसने याद करने की कोशिश की कि यह कौन है जो मेरा हाथ पकड़कर इतने प्यार से बैठा हुआ है, पर उसे कुछ भी याद नहीं आ रहा था। इसलिए फिर से वह चिल्लाने लगी और मिस्टर कपूर से पूछने लगी, "मैं... मैं कौन हूँ? मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है?"
मिस्टर कपूर ने पहले ही उसके चेहरे की प्यारी सी खिली हुई मुस्कान देख ली थी। इसलिए वह प्यार से उसकी तरफ देखते हुए बोले, "आपका नाम मुस्कान है।" उसके चेहरे की प्यारी सी मुस्कान को याद करके, इसलिए उन्होंने उसका नाम मुस्कान ही बता दिया।
मुस्कान ने जब मिस्टर कपूर के मुँह से अपना नाम मुस्कान सुना, तो वह उदास होते हुए बोली, "पर मुझे कुछ याद क्यों नहीं आ रहा है?"
मिस्टर कपूर ने जब मुस्कान की बात सुनी, तो उसकी तरफ देखते हुए एकदम शांत भाव के साथ बोले, "आपका एक्सीडेंट हो गया था, इसलिए आपकी याददाश्त चली गई है।"
मुस्कान ने मिस्टर कपूर की तरफ देखते हुए बड़ी ही मासूमियत से सवाल पूछा, "आप मेरे कौन हैं? आप मेरे क्या लगते हैं? क्या आप मेरे रिश्तेदार हैं?"
क्योंकि मुस्कान ने जब मिस्टर कपूर को अपने पास बहुत ही प्यार से अपना हाथ पकड़कर बैठे हुए देखा था, तो उसे यही लगा था कि वह कोई उसका रिश्तेदार है या उसका मिस्टर कपूर से कोई रिश्ता है, इसलिए उसने मिस्टर कपूर से यह सवाल किया।
उसके सवाल को सुनकर मिस्टर कपूर के चेहरे पर घबराहट और गंभीरता वाले भाव आ गए थे। मिस्टर कपूर को कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे क्या बताएँ? क्योंकि वह इतनी मासूमियत के साथ मिस्टर कपूर से सवाल कर रही थी।
तभी एक नर्स कमरे के अंदर आती हुई बोली, "ही इज़ योर हसबैंड।"
उसकी बातों को सुनकर जहाँ मिस्टर कपूर थोड़े हैरान परेशान हो गए थे, वहीं मुस्कान के चेहरे पर खुशी के साथ-साथ थोड़ी उदासी वाले मिले-जुले भाव आ गए थे।
मुस्कान ने खुशी और उदासी वाले मिले-जुले भाव के साथ मिस्टर कपूर को अपने पास आने का इशारा किया। उसका इशारा देखकर मिस्टर कपूर अपने स्टूल से उठकर, उसके बेड की तरफ अपने कदम बढ़ाते हुए, थोड़े घबराते हुए उसकी तरफ आ जाते हैं।
मुस्कान उनका हाथ पकड़कर, अपने बेड पर बैठने का इशारा करती है। तो मिस्टर कपूर बेड पर उससे थोड़ी दूरी बनाकर, उसके पैरों की साइड बैठ जाते हैं। मुस्कान उनको थोड़ा और पास बैठने का इशारा करती है, तो वह थोड़ा और घबराते हुए अपने मन में सोचते हुए बोलते हैं, "इस लड़की के दिमाग में क्या चल रहा है? क्या यह क्या करने वाली है? कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है।"
वह यह सब सोचते हुए ही, उसके बेड पर ही उसके थोड़े पास बैठ जाते हैं। जैसे ही वह बेड पर बैठते हैं, वैसे ही मुस्कान उनको एकदम से अपने गले से लगा लेती है और उनको गले लगाकर रोने लगती है। जब मिस्टर कपूर के कंधों पर उसके आँसुओं की बूँदें गिरती हैं, तो तब जाकर उनको जैसे होश आता है। उनको समझ ही नहीं आ रहा था कि अभी एकदम से क्या हुआ।
मुस्कान उनसे गले लगे हुए और रोते हुए ही बोलती है, "आप मेरे हसबैंड हैं, पर मुझे हमारी शादी और पिछला पूरा कुछ भी याद नहीं आ रहा है।"
मिस्टर कपूर को उसकी बात सुनकर थोड़ी हैरानी होती है। वह अपने मन में सोचते हुए बोलते हैं, "अच्छा, तो यह मुझे अपना हसबैंड समझ रही है, पर मैं तो इसका हसबैंड नहीं हूँ। एक काम करता हूँ, इसको सब सच बता देता हूँ।" पर फिर उनको डॉक्टर की बात याद आती है कि डॉक्टर ने बोला था कि इसको बिल्कुल भी स्ट्रेस नहीं लेने देना है, नहीं तो यह कोमा में भी जा सकती है।
फिर वह अपने मन में सोचते हुए ही बोलते हैं, "नहीं नहीं, यह इसके लिए सही नहीं होगा। मैं इसको स्ट्रेस नहीं लेने दे सकता हूँ। मुझे इसको खुश रखना होगा, नहीं तो यह मेरी वजह से कोमा में चली जाएगी। पहले ही मेरी वजह से इसकी याददाश्त चली गई है। नहीं नहीं, मैं ऐसा कुछ नहीं होने दूँगा।"
भाग 3: अजय की पहले से ही एक गर्लफ्रेंड है!
मिस्टर कपूर को अपनी बात सुनकर थोड़ी हैरानी हुई, और वह अपने मन में सोचते हुए बोले, "अच्छा, तो यह मुझे अपना हसबैंड समझ रही है, पर मैं तो इसका हसबैंड नहीं हूँ। एक काम करता हूँ, इसको सब सच बता देता हूँ।"
पर फिर उनको डॉक्टर की बात याद आई, कि डॉक्टर ने बोला था कि इसको बिल्कुल भी स्ट्रेस नहीं लेने देना है, नहीं तो यह कोमा में भी जा सकती है। "...यह बोलकर
फिर वह अपने मन में सोचते हुए ही बोले, "नहीं नहीं, यह इसके लिए सही नहीं होगा। मैं इसको स्ट्रेस नहीं लेने दे सकता हूँ। मुझे इसको खुश रखना होगा, नहीं तो यह मेरी वजह से कोमा में चली जाएगी। पहले ही मेरी वजह से इसकी याददाश्त चली गई है!" अपने मन में यह फैसला करके कि अभी मुस्कान को कुछ भी नहीं बताना है,
वह बहुत प्यार से मुस्कान के बालों को सहलाने लगे और फिर वह मुस्कान से प्यार से बोले, "शशशश चुप हो जाओ, आप ऐसे रो क्यों रही है? देखो, आप ऐसे रोओ मत, आप स्ट्रेस मत लो। आपके लिए स्ट्रेस लेना ठीक नहीं है। अभी आपकी हेल्थ ठीक नहीं है। देखो मैं बोल रहा हूँ ना, चुप हो जाओ, आप मेरी बात नहीं मानोगी।"
उसकी बात सुनकर मुस्कान चुप हो गई, और उसने रोना बंद कर दिया। और फिर उसने मिस्टर कपूर से गले मिलकर हटते हुए उदासी में बोला, "पर मुझे तो आपका नाम भी याद नहीं है।"
उसकी बात सुनकर मिस्टर कपूर बहुत प्यार से उसको देखते हुए, प्यारी सी मुस्कान के साथ बोले, "बस इतनी सी बात है, तो इतना रोने की क्या ज़रूरत है? मैं अभी अपना नाम बता देता हूँ। मेरा नाम अजय कपूर है।"
फिर उन्होंने मुस्कान को प्यार से समझाते हुए कहा, "अब आप रोना मत, ठीक है?" अजय की बात सुनकर मुस्कान उनकी तरफ मासूम नज़रों से देखने लगी और फिर उसने अजय को इनोसेंट भरी निगाह से देखते हुए अजय से कहा, "ठीक है, मैं नहीं रूंगी, पर मेरी एक शर्त है। क्या आप मेरी वह शर्त मानोगे?"
मुस्कान की शर्त वाली बात सुनकर
अजय ने घबराते हुए बोला, "कैसी शर्त?" मुस्कान ने अजय की बात सुनकर उसको मासूमियत से देखते हुए कहा, "ये ही कि आप मेरे से 'आप' कहकर बात नहीं करेंगे, और ना ही मुझे 'आप' बोलेंगे।"
मुस्कान की बात सुनकर अजय के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान खिल गई, और फिर उसने मुस्कान को मुस्कुरा कर देखते हुए कहा, "ठीक, मैं तुम्हें 'तुम' कहकर ही बात करूँगा, पर तुम्हें भी मेरे से 'तुम' कहकर ही बात करनी होगी। बोलो, मंज़ूर है?" अजय के सवाल पर मुस्कान ने भी अपनी गर्दन हाँ में हिला दी और फिर वह अजय की तरफ देखकर स्माइल करने लगी।
कुछ टाइम बाद:
अजय मुस्कान के लिए रूम में खाना लेकर आया और जैसे ही मुस्कान ने खाने को देखा, तो खाने को देखकर मुस्कान ने अपना अजीब सा मुँह बना लिया। अजय ने जब मुस्कान के बिगड़े हुए मुँह को खाने को देखकर देखा, तो वह समझ गया कि मुस्कान को खाना अच्छा नहीं लगा, क्योंकि खाने में खिचड़ी थी। उसकी इस हरकत पर अजय के चेहरे पर अपने आप एक प्यारी सी मुस्कराहट खिल गई, और फिर अजय ने वह खाने की प्लेट बेड पर रख दी, और अपनी जेब से एक चॉकलेट निकालकर मुस्कान के सामने कर दी। जब मुस्कान ने अजय के हाथ में चॉकलेट को देखा, तो चॉकलेट को देखकर मुस्कान का बना हुआ मुँह एकदम से खिल उठा और वह छोटे बच्चों की तरह खुश हो गई। और जैसे ही मुस्कान अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर चॉकलेट पकड़ने वाली थी, वैसे ही अजय ने चॉकलेट को अपनी कमर के पीछे कर लिया, और अजय की इस हरकत को मुस्कान बड़ी-बड़ी आँखों से देख रही थी। जब अजय ने मुस्कान को खुद को ऐसे देखते हुए देखा, तो उसने प्यार से मुस्कान को देखते हुए मुस्कान से बोला, "तुम्हें यह चॉकलेट खानी है तो पहले अपना खाना खाओ, फिर जल्दी से अपनी दवाई खाओ, फिर तुम्हें यह चॉकलेट मिलेगी।" अजय की बात सुनकर
मुस्कान मुँह बनाकर अजय की तरफ देखी और फिर मुस्कान ने पहले अपना खाना खाया, और फिर अजय ने खुद अपने हाथों से मुस्कान को दवाई खिला दी। दवाई खिलाने के बाद, अजय ने मुस्कान को चॉकलेट दे दी थी। जैसे ही मुस्कान ने चॉकलेट को देखा, चॉकलेट को देखकर मुस्कान के चेहरे पर खुशी झलक आई, और मुस्कान ने अजय से चॉकलेट ले ली और फिर वह बिना किसी चीज़ की परवाह किए बिना, बहुत मज़े लेकर अपनी चॉकलेट खाने लगी। वह चॉकलेट बिल्कुल एक छोटे बच्चे की तरह खा रही थी, जिस वजह से उसके मुँह पर भी चॉकलेट लग गई थी। अजय तो बस उसकी क्यूटनेस में ही कहीं खो सा गया था, और उसकी हरकतों को देखकर मुस्करा रहा था।
ऐसे ही दिन बीतने लगे थे। रात का समय:
मुस्कान को हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया गया था। अजय उसको अपने घर लेकर चला गया था। इन दिनों में अजय ने मुस्कान का बहुत ही ध्यान रखा था। वह मुस्कान को हमेशा खुश रखने की कोशिश करता रहता था, हर समय मुस्कान के साथ ही रहता था, जिससे मुस्कान को भी अजय से प्यार होने लगा था। पर अजय तो मुस्कान के लिए यह सब सिर्फ़ अपनी गलती की वजह से कर रहा था। उसको लगता था कि मुस्कान की याददाश्त उसकी वजह से चली गई है, इसलिए वह बस मुस्कान को अपनी ज़िम्मेदारी समझ रहा था, और इसीलिए उसकी इतनी केयर कर रहा था।
शाम के समय:
अजय बहुत प्यार से मुस्कान को खाना खाते हुए देख रहा था। मुस्कान ने अपना खाना खत्म किया, तब अजय प्लेट लेकर जाने लगा, तब मुस्कान ने उसका हाथ पकड़कर उसको अपने पास बैठने का इशारा किया। अजय भी उसकी बात मानते हुए उसके पास बैठ गया, और मुस्कान के चेहरे को देखने लगा जो उसके पास बैठने की बात मानते ही खुशी की वजह से उसका चेहरा खिल गया था। इस समय उसका सौम्य, सुंदर चेहरा एकदम सोने की तरह दिख रहा था। अजय तो उसकी खूबसूरती में कहीं खो सा गया था।
बैकग्राउंड म्यूज़िक:
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना।
यूँ ही पहलू में बैठे रहो, यूँ ही पहलू में बैठे रहो।
आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो।
हम तो मर ही जाएँगे, हाय लूट जाएँगे।
ऐसी बात है कि या ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो, आज जाने की ज़िद ना करो।
तुम ही सोचो, क्यों ना रोके।
जान जाती है, उठ के जाते हो तुम।
जान जाती है, उठ के जाते हो तुम।
तुमको अपनी कसम, जानेजा।
बात इतनी मेरी मान लो, आज जाने की ज़िद ना करो,
आज जाने की ज़िद ना करो।
जैसे ही मुस्कान ने अपने आप को थोड़ा आगे झुकते हुए अजय को गले लगने की कोशिश की, तो अजय एकदम से पीछे हो गया, और उसने घबराते हुए मुस्कान से कहा, "मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ।" यह बोलकर वह जल्दी से उठकर वहाँ से बाहर चला गया। इस सब की वजह से मुस्कान का चेहरा रोना सा हो गया, उसके चेहरे पर उदासी साफ़ नज़र आ रही थी। पर फिर भी
मुस्कान आज अजय के पीछे-पीछे घर के बाहर चली गई। उसने घर के बाहर जाकर जो देखा, उसे देखकर उसकी आँखें गुस्से और हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं, क्योंकि अजय ने एक लड़की को अपने गले से लगाया हुआ था।
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
भाग 4: मुस्कान बेहोश हो गई!
जैसे ही मुस्कान ने अपने आप को थोड़ा आगे झुकाते हुए अजय को गले लगने की कोशिश की, अजय एकदम से पीछे हट गया। उसने घबराते हुए मुस्कान से कहा, "मुझे कुछ काम है, मैं अभी आता हूँ।" यह बोलकर वह जल्दी से उठकर वहाँ से बाहर चला गया। इस सब की वजह से मुस्कान का चेहरा रोता सा हो गया था। उसके चेहरे पर उदासी साफ नज़र आ रही थी। और उसके चेहरे पर उदासी आती भी क्यों ना, अगर किसी का पति उसे हग भी ना करने दे, और इस तरह से अचानक उठकर चला जाए तो बुरा तो लगता ही है ना।
पर फिर भी मुस्कान अजय के पीछे-पीछे चली गई। जब मुस्कान ने घर के बाहर जाकर जो नज़ारा देखा, उसे देखकर उसकी आँखें गुस्से और हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं। क्योंकि अजय ने एक लड़की को अपने गले से लगाया हुआ था।
शायद यह लड़की अजय की गर्लफ्रेंड थी। अजय, जिसको मुस्कान अपना पति मानती थी, उसने एक दूसरी लड़की को अपने गले से लगाया हुआ था। इसे देखकर मुस्कान के पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था। उसका तो दिल कर रहा था कि अभी जाकर वह उस लड़की को जान से ही मार डाले। पर जैसे-तैसे मुस्कान ने अपने गुस्से को कंट्रोल किया। अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए उसने अपने हाथों की कसकर मुट्ठी बंद कर ली थी। जिस वजह से मुस्कान के लंबे नाखून उसके हाथों की हथेलियों में चुभ रहे थे। हथेली में नाखून चुभने की वजह से मुस्कान के हाथों से खून भी आने लगा था, पर मुस्कान को इस सब का होश ही नहीं था।
अजय को किसी दूसरी लड़की के गले लगे हुए देखकर मुस्कान की आँखों में आँसू आ गए थे। वह आँसुओं से भरी हुई, रोती हुई आँखों से अजय को किसी दूसरी लड़की से गले लगे हुए देख रही थी। अब मुस्कान से अजय को दूसरी लड़की से गले लगे हुए देखा नहीं जा रहा था। उसे अपने दिल में एक तेज दर्द महसूस हो रहा था। उसकी आँखों से आँसू बारिश की बूँदों की तरह उसके गालों से लुढ़ककर नीचे ज़मीन पर गिर रहे थे। मुस्कान रोते हुए अपने निचले होंठ को अपने दाँतों से काट रही थी। ऐसा करने से उसे अपने होंठ पर बहुत दर्द हो रहा था, पर यह दर्द मुस्कान के दिल में हो रहे दर्द से ज़्यादा नहीं था। अब मुस्कान से अजय को किसी दूसरी लड़की से गले लगे हुए देखना बर्दाश्त नहीं हो रहा था।
जिस वजह से मुस्कान रोते हुए वापस घर के अंदर भाग गई और बेडरूम में जाकर बेड पर पेट के बल लेटकर रोने लगी। इस समय उसके दिमाग में बहुत कुछ एक साथ चल रहा था। वह रोते हुए अपने मन में सोच रही थी, "मैं सांवली हूँ, इसलिए अजय को मैं पसंद नहीं हूँ। वे मुझसे प्यार नहीं करते हैं, इसलिए इतने दिनों में जब भी मैंने अजय के नज़दीक जाने की कोशिश की है तो वह कोई ना कोई काम का बहाना बनाकर मुझसे दूर चले जाते हैं।" फिर मुस्कान ने खुद से सवाल किया, "क्या वह मुझसे प्यार नहीं करते?" और फिर अपने इस सवाल का मुस्कान ने खुद ही जवाब दिया, "हाँ, नहीं करते, वह मुझसे प्यार नहीं करते।"
"मैं यहाँ से यह घर छोड़कर चली जाऊँगी।" अपने मन में यह सोचकर मुस्कान बेड से उतर गई। (क्योंकि अजय ने एक गोरी लड़की को अपने गले से लगाया हुआ था) इसलिए मुस्कान सारा का सारा कसूर अपने साँवले रंग को दे रही थी।
जब अजय वापस घर के अंदर आया, तो घर में आकर अजय जैसे ही मुस्कान के रूम में गया कि क्या मुस्कान सो गई है या नहीं यह चेक करने के लिए, तो उसने देखा कि मुस्कान ज़मीन पर नीचे बेहोश पड़ी हुई है। वह दौड़कर मुस्कान के पास गया और मुस्कान को उठाने लगा। पर मुस्कान तो जाने कब से ज़मीन पर बेहोश पड़ी हुई थी। अजय जल्दी से एक गिलास में पानी ले कर आया और वह मुस्कान के चेहरे पर पानी के छींटे मारने लगा। पर पानी के छींटे मारने से भी मुस्कान को होश ही नहीं आ रहा था। मुस्कान को होश में ना आते देखकर अजय को अब बहुत ज़्यादा घबराहट होने लगी थी, और वह बहुत ही ज़्यादा घबरा गया था। घबराहट उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी।
मुस्कान को होश में ना आते देखकर अजय ने जल्दी से मुस्कान को अपनी मज़बूत बाहों में उठाया और अपनी काली कार का दरवाज़ा खोलकर उसे बैक सीट पर सावधानी से लेटाकर, खुद ड्राइवर वाली सीट पर जाकर बैठ गया। उसने कार को फुल स्पीड में हॉस्पिटल की तरफ दौड़ा दिया।
ऐसे ही 3 दिन बीत गए, पर अभी तक मुस्कान को होश नहीं आया था। अजय मुस्कान के लिए बहुत ही ज़्यादा परेशान था। 3 दिन से वह सोया तक नहीं था। वह बार-बार अपने भगवान से मुस्कान के होश में आने की प्रार्थना कर रहा था। वह मुस्कान का हाथ पकड़कर बैठा हुआ था। उसे देखने पर ऐसा लग रहा था जैसे वह सच में मुस्कान का पति हो, जो अपनी बीवी से बेपनाह प्यार करता हो। अब यह प्यार था या कुछ और, पर अजय के लिए सिर्फ़ मुस्कान उसकी ज़िम्मेदारी थी, जिसका उसको तब तक ध्यान रखना था जब तक उसकी याददाश्त वापस नहीं आ जाती। आगे उसकी ज़िन्दगी क्या मोड़ लेने वाली थी, वह उससे पूरी तरह से अनजान था।
कोई नहीं जानता था कि आगे क्या होने वाला था, इसलिए वह बस मुस्कान के होश में आने की दुआ कर रहा था कि मुस्कान को होश आ जाए, वह कोमा में ना चली जाए।
भाग 5: मुस्कान ने अजय से माँगा मंगलसूत्र!
जब अजय मुस्कान का हाथ पकड़कर बैठा हुआ था, तब मुस्कान की हलकी-हलकी पलकें हिलने लगीं। इसका मतलब था कि उसे होश आ रहा था। उसने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं। सामने उसे अजय का प्यारा सा और सुंदर सा चेहरा नज़र आया। उसके चेहरे को देखते ही मुस्कान की आँखों के सामने उस रात वाला पूरा दृश्य एक फिल्म के सीन्स की तरह नज़र आने लगा, जिसमें अजय ने एक लड़की को बहुत ही प्यार से अपने गले से लगाया हुआ था।
अजय की नज़र जब मुस्कान पर गई, तो उसने देखा कि मुस्कान अपनी आँखों से उसे ही बहुत ध्यान से देख रही थी। उसे होश में आया देख अजय के चेहरे पर एक प्यारी सी खुशी की मुस्कान खिल गई। उसने बहुत प्यार से उसे देखते हुए झट से मुस्कान से बोला, "तुम्हें होश आ गया? तुम्हें नहीं पता, मैं कितना ज़्यादा डर गया था। मुझे लगा कि मैंने तुम्हें खो दिया है।"
"क्यों डर गए थे तुम मुझे खोने से?" मुस्कान ने उसकी बात को सुनकर बेरुखी के साथ कहा।
मुस्कान का सवाल सुनकर अजय की खुशी एकदम से गायब हो गई। उसका चेहरा भावहीन हो गया, और उसने मुस्कान के सवाल का कोई जवाब नहीं दिया, क्योंकि उसके पास खुद इस सवाल का जवाब नहीं था। वह खुद इस बात से अनजान था कि वह मुस्कान की इतनी फ़िक्र क्यों करता है। उसके लिए तो वह मुस्कान की इतनी फ़िक्र सिर्फ़ एक ज़िम्मेदारी समझकर ही करता था। इसलिए उसने मुस्कान के सवाल को नज़रअंदाज़ करते हुए और बात पलटते हुए मुस्कान से पूछा, "क्या तुम्हें किसी चीज़ की ज़रूरत है? क्या तुम्हें कुछ चाहिए? पानी दूँ मैं? क्या तुम्हें पानी पीना है?"
मुस्कान ने जब अजय को बात पलटते हुए देखा तो उसने अजय की आँखों में झाँकते हुए बोला, "हाँ, मुझे जो चाहिए, क्या तुम मुझे दोगे?"
"हाँ, जो तुम्हें चाहिए, मैं दूँगा तुम्हें, बोलो क्या चाहिए?" अजय ने भी जल्दी से हाँ बोल दिया।
"तुम," मुस्कान ने एकदम शांत भाव के साथ अजय की नज़रों से नज़रे मिलाए हुए कहा।
अजय ये सुनकर हैरान हो गया। उसका मुँह खुला का खुला रह गया। मुस्कान ने जल्दी से अपनी बात संभालते हुए कहा, "तुम मुझे मंगलसूत्र और सिंदूर लाकर दो। मुझे मंगलसूत्र और सिंदूर चाहिए। मुझे भी अपनी माँग में सिंदूर चाहिए, मुझे भी हर सुहागन की तरह अपने गले में मंगलसूत्र चाहिए।"
इस समय मुस्कान की आवाज़ में एक अलग ही उदासी थी, जिसको अजय भी भली-भांति महसूस कर पा रहा था। उसके हर एक शब्द को अजय बहुत ही ध्यान से सुन रहा था। उसे भी मुस्कान के लिए बुरा लग रहा था। वह अपने दिमाग में यह ही सोच रहा था कि भला वह कैसे मुस्कान की इस इच्छा को पूरा कर सकता है। वह तो उसका पति भी नहीं है, फिर मुस्कान की माँग में वह अपने नाम का सिंदूर कैसे सजा सकता है, और उसके गले में अपने नाम का मंगलसूत्र कैसे पहना सकता है। वह यह सब ही सोच रहा था। फिर अचानक से उसे किसी के रोने की आवाज़ सुनाई देने लगी। उसने देखा तो पाया कि मुस्कान रो रही थी। मुस्कान को रोता देखकर वह बहुत ही ज़्यादा घबरा गया था। उसे लग रहा था कि कहीं मुस्कान स्ट्रेस की वजह से कोमा में ना चली जाए। इसलिए उसने जल्दी से अपने दोनों हाथों को आगे बढ़ाकर मुस्कान का रोता हुआ चेहरा अपने हाथों में थाम लिया, और एक हाथ से उसके आँसू पोछने लगा। दूसरे हाथ से उसने अभी भी मुस्कान के चेहरे को पकड़ा हुआ था। वह बहुत ही प्यार से मुस्कान की आँखों में झाँकते हुए बोला, "शशशश चुप, चुप हो जाओ, रो क्यों रही हो? देखो पहले से ही तुम्हारी हेल्थ ठीक नहीं है, फिर भी तुम रो रही हो। तुम्हें सिंदूर और मंगलसूत्र चाहिए ना, तो रो क्यों रही हो? मैं तुम्हें अभी लाकर देता हूँ, बस तुम चुप हो जाओ। देखो मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता हूँ।"
उसके चेहरे पर इस समय मुस्कान को खोने का डर साफ़ देखा जा सकता था। मुस्कान ने भी उसके चेहरे पर खुद को खोने का डर देख लिया था, इसलिए वह चुप हो गई, और अजय परेशान सा चेहरा लेकर रूम से बाहर चला गया। उसके चेहरे पर परेशानी साफ़ नज़र आ रही थी।
दूसरी तरफ अजय भी आज मायूस हो गया था। उसे मुस्कान के लिए मंगलसूत्र और सिंदूर जो लेना था, वह जब लिफ़्ट के पास जाकर खड़ा हुआ तो तभी लिफ़्ट का दरवाज़ा खुला। उसने अंदर का नज़ारा देखा। उसमें एक लड़का-लड़की एक-दूसरे को बहुत ही शिद्दत से किस कर रहे थे। पहले तो उसने अपनी नज़रें उन दोनों से हटा लीं, पर उसे कुछ खटका। उसने दुबारा अपनी नज़रें उस तरफ़ कीं। उसने उस लड़की के चेहरे को ध्यान से देखा तो पाया कि वह तो उसकी गर्लफ्रेंड है, जिसका नाम माया था।
उस नज़ारे को देखकर अजय की आँखों में खुद-ब-खुद पानी आ गया। उसकी आँखों से आँसू पानी की तरह ज़मीन पर गिरने लगे। आखिर वह माया से बहुत प्यार करता था। उसने माया से शादी करने के लिए भी कितनी ही बार बोला था, पर माया हमेशा ही मना कर देती थी या शादी के लिए कोई न कोई बहाना बनाकर टाल देती थी, जैसे यह बोलकर कि अभी तो उनकी इन्जॉय करने की उम्र है, इतनी जल्दी शादी-वादी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहती हूँ मैं।
वह बस अजय का इस्तेमाल कर रही थी, क्योंकि अजय एक अच्छी पोस्ट पर था, और वह हमेशा अपना सारा खर्च अजय से ही करवाती थी। अजय भी उसके प्यार में पागल होकर खुशी-खुशी उस पर खर्च कर देता था। उसके लिए तो वह उसका सच्चा प्यार था, और माया उसकी होने वाली वाइफ़ थी। वह हमेशा यह ही सोचता था कि शादी के बाद भी तो माया ने ही उसके पैसे खर्च करने हैं, तो अब क्यों नहीं? पर आज के इस नज़ारे को देखकर अजय के दिल के एक साथ हज़ार टुकड़े हो चुके थे। जिस लड़की से उसने इतना प्यार किया और जिस पर इतना ज़्यादा भरोसा किया था, आज उस लड़की ने उसके दिल के साथ फ़ुटबॉल खेली थी।
अजय बस रोती हुई आँखों से यह सब ही सोच रहा था। यह सब सोचते-सोचते ही उसकी आँखों में आँसुओं की जगह अब गुस्से ने ले ली थी। उसके चेहरे पर गुस्सा साफ़ नज़र आ रहा था। उसकी आँखों से अंगारे बरस रहे थे। उसे देखने में ऐसा लग रहा था कि वह अभी के अभी अपनी आँखों के घूरने मात्र से माया को जलाकर राख कर देगा। अजय ने गुस्से से दहकती हुई आँखों के साथ अपने क़दम माया की तरफ़ बढ़ा दिए, और उसने अपना हाथ ऊपर उठाकर माया का हाथ पकड़कर एक झटके में उस लड़के से दूर किया। और अजय ने एक जोरदार थप्पड़ माया के बॉयफ्रेंड के गाल पर जड़ दिया।
आपको क्या लगता है आगे क्या होने वाला है? अजय, माया और माया के बॉयफ्रेंड के साथ क्या करेगा?
भाग 6) अजय ने मुस्कान को किया हग!
इतने माया को यह समझ में आया कि अभी किया हुआ, उतने में ही अजय ने एक और थप्पड़ माया के बॉयफ्रेंड के दूसरे गाल पर भी जड़ दिया।
अजय को इस समय इतना गुस्सा आ रहा था कि वह अभी माया का खून ही कर दे। इसलिए उसने माया को एक शब्द भी नहीं बोला और बिना कुछ बोले वहाँ से गुस्से में चला गया। क्योंकि अगर माया उसकी नज़रों के सामने रहती, तो आज वह सच में माया का खून कर देता।
वह जो खरीदने आया था, उसने वह कुछ भी नहीं लिया। वह सब कुछ भूल गया था। अजय वहाँ से सीधा ही अपने कदम बढ़ाता हुआ मॉल से बाहर चला गया।
आज अजय ने अपने प्यार को खो दिया था। वह बहुत तेज स्पीड से कार चला रहा था। रह-रह कर उसकी आँखों के सामने फिल्म के दृश्यों की तरह माया का किसी और लड़के को किस करना याद आ रहा था। वह इस दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था कि उसकी माया ने उसको धोखा दे दिया है। उसको अभी भी यह ही लग रहा था कि उसकी माया उसके साथ ऐसा कैसे कर सकती है? जिस माया से वह इतना प्यार करता था, वह उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती थी।
असल में, माया हमेशा अजय की नज़रों में सिम्पल सी लड़की बनकर ही रहती थी। कॉलेज में ही उसको माया पसंद आ गई थी और धीरे-धीरे माया और अजय की दोस्ती भी हो गई थी। कॉलेज के लास्ट डे अजय ने हिम्मत करके माया को कॉलेज कैंटीन में सबके सामने प्रपोज कर दिया था। क्योंकि वह अपनी माँ को खोना नहीं चाहता था।
माया ने भी अजय को फ़ौरन ही हाँ बोल दिया। जिसे देखकर अजय की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। अजय ने जल्दी से खड़े होकर माया को अपने सीने से लगा लिया था। आज रह-रह कर बार-बार अजय को माया और उसकी सारी पुरानी बातें याद आ रही थीं। उसकी आँखों से आँसू पानी की तरह बह रहे थे। और जब अजय अपनी पुरानी यादों में ही खोया हुआ था, तभी उसको हॉस्पिटल से डॉक्टर का कॉल आया। अजय ने डॉक्टर का कॉल देखकर जल्दी से अपनी कार को रोड के साइड में लगाया और जल्दी से डॉक्टर की कॉल उठा ली। दूसरी तरफ से डॉक्टर की आवाज़ आई, "हैलो मिस्टर कपूर।"
"जी डॉक्टर," अजय ने जल्दी से घबराकर अपने एक हाथ से अपने आँसू पोछते हुए कहा। दूसरी तरफ से डॉक्टर ने कहा, "मिस्टर कपूर आपकी वाइफ ने..."
डॉक्टर की बात को बीच में काटते हुए अजय ने घबराकर डॉक्टर से कहा, "क्या हुआ मेरी वाइफ को? मेरी वाइफ ठीक तो है ना?"
डॉक्टर ने अजय की आवाज़ में घबराहट साफ़ महसूस कर ली थी। इसलिए उन्होंने अजय को शांत करते हुए कहा, "रिलैक्स मिस्टर कपूर, आपकी वाइफ एकदम ठीक है। उनके पास फ़ोन नहीं है इसलिए उन्होंने मेरे से कॉल करवाया है कि आप जल्दी से हॉस्पिटल आ जाइए। उन्हें आपकी बहुत फ़िक्र हो रही है।"
डॉक्टर की बात सुनकर अजय एकदम शांत भाव के साथ डॉक्टर से कहता है, "ठीक है, उनको कह दीजिए मैं आ रहा हूँ।"
अब अजय को अपने ऊपर ही गुस्सा आ रहा था कि वह मुस्कान को अकेला इस तरह से हॉस्पिटल में छोड़कर, यहाँ पर उस घटिया लड़की के बारे में सोच-सोच कर परेशान हो रहा है और वहाँ पर मुस्कान बेचारी अकेली हॉस्पिटल में एडमिट है।
इसलिए उसने जल्दी से अपनी कार हॉस्पिटल की तरफ़ दौड़ा दी। थोड़े ही समय बाद, वह हॉस्पिटल में पहुँच गया। जैसे ही वह हॉस्पिटल के उस रूम में दाखिल हुआ जहाँ पर मुस्कान को रखा गया था, उसको मुस्कान के चेहरे पर अपने लिए फ़िक्र साफ़ नज़र आ रही थी। इसलिए बिना कुछ सोचे-समझे उसने अपने कदम मुस्कान की तरफ़ बढ़ा दिए और सीधे ही जाकर मुस्कान को अपने गले से लगा लिया।
मुस्कान को तो कुछ समझ में ही नहीं आया था कि अभी-अभी उसके साथ क्या हुआ। पर जैसे ही उसको यह महसूस हुआ कि अजय ने उसको आज पहली बार खुद से अपने गले से लगाया था, तो उसके चेहरे पर खुद-ब-खुद एक प्यारी सी मुस्कान खिल गई। अजय ने मुस्कान को अपने गले से लगाए हुए ही मुस्कान से कहा, "सॉरी।" अजय उसको इतने टाइम तक हॉस्पिटल में अकेले छोड़कर गया था, इसलिए वह मुस्कान को सॉरी बोल रहा था।
दूसरी तरफ़ मुस्कान को यह लगा कि अजय उस दूसरी लड़की से गले लगने के लिए उसको सॉरी बोल रहा है। मुस्कान ने कुछ नहीं बोला और वह बस शांति से मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ अजय के सीने से लगी रही।
अजय के सीने से लगी हुई मुस्कान को आज एक अलग ही खुशी मिल रही थी, जिसे वह शब्दों में बयाँ नहीं कर सकती थी।
अजय ने मुस्कान के गले से लगे हुए ही पूछा, "तुमने खाना खाया?" मुस्कान ने भी धीरे से कहा, "हाँ, खा लिया।" अजय ने प्यार से कहा, "गुड गर्ल।" फिर उसने पूछा, "अच्छा, तुमने दवाई खाई?" मुस्कान ने धीरे से ना कहा। अजय ने भी थोड़े गुस्से वाले भाव के साथ मुस्कान के गले से मिलकर हटते हुए मुस्कान से पूछा, "क्यों नहीं खाई तुमने दवाई?" और फिर वह मुस्कान की फ़िक्र करते हुए बोला, "तुम्हें पता है ना दवाई खाना तुम्हारे लिए बहुत ज़रूरी है, फिर भी क्यों नहीं खाई तुमने दवाई?"
मुस्कान ने मासूम सा चेहरा बनाकर अजय को देखते हुए कहा, "क्योंकि तुम मेरे लिए चॉकलेट नहीं लाए थे।" और फिर उसने मुँह बनाकर अजय से कहा, "मुझे नहीं खानी वो कड़वी दवाई, वो बहुत कड़वी है।"
मुस्कान को ऐसे मुँह बनाता देख अजय को खुद-ब-खुद हँसी आ गई और उसने मुस्कान को प्यार से देखते हुए और ड्रॉअर की तरफ़ को इशारा करते हुए मुस्कान से कहा, "मैंने तो तुम्हारे लिए इस ड्रॉअर में बहुत सी चॉकलेट रखी हैं।" और फिर उसने अपने कदम ड्रॉअर की तरफ़ बढ़ाते हुए, ड्रॉअर में से एक चॉकलेट निकालकर मुस्कान को दे दी।
भाग 7: मुस्कान की प्यारी सी जिद!
चॉकलेट लेते ही मुस्कान के चेहरे पर एक प्यारी सी बच्चों वाली खुशी खिली। वह बहुत खुश होकर चॉकलेट खाने ही वाली थी कि अजय ने प्यार से कहा, "पहले अपनी दवाई खो लो, फिर चॉकलेट खाना।"
मुस्कान ने अजय की बात मानकर मुंह बनाते हुए दवाई खाई और फिर खुश होकर चॉकलेट खाने लगी। अजय मुस्कान को प्यार से चॉकलेट खाते हुए देख रहा था। मुस्कान को ऐसे चॉकलेट खाता देखकर, इस समय अजय के चेहरे पर भी एक प्यारी सी मुस्कान थी। मुस्कान के साथ वह थोड़ी देर पहले वाले गम को पूरी तरह से भूल गया था।
अगली सुबह:
मुस्कान की नींद सूरज की किरणों से खुली, जो खिड़की से छनकर उसके चेहरे पर पड़ी थीं। वह आलसी सी उठकर बैठ गई। फिर उसके दिमाग में कल रात वाली बात याद आई, कि अजय ने कल उसे खुद पहली बार अपने गले से लगाया था। यह सब सोच-सोचकर उसके गाल शर्म से लाल हो गए थे। हालाँकि पूरे कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था, पर फिर भी उसकी नज़रें शर्म से नीचे झुक गईं। इस वक्त उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान थी।
अजय जब कमरे में दरवाज़े से अंदर आ रहा था, तब उसकी नज़र बेड पर बैठी हुई मुस्कान पर गई, जो खुद ही कुछ सोचकर मुस्कुरा रही थी। अजय को मुस्कान को खुश देखकर एक अलग ही सुकून मिल रहा था। मुस्कान को मुस्कुराते हुए देखकर अजय के चेहरे पर भी अपने आप मुस्कान खिली। यह क्यों था, यह तो उसे भी नहीं पता था। उसने अपने कदम अंदर बढ़ाते हुए, चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान लिए हुए, मुस्कान से पूछा, "क्या हुआ? तुम इतनी खुश क्यों हो?"
अजय के सवाल को सुनकर मुस्कान अपने ख्यालों की दुनिया से बाहर आई और उसने अपनी तरफ आते हुए अजय को देखा। वह इस तरह से अजय से सवाल करने से थोड़ी सी घबरा गई और उसने इधर-उधर अपनी नज़रें देखते हुए कहा, "नहीं तो ऐसी तो कोई बात नहीं है?" अजय ने उसकी बात का जवाब देते हुए कहा, "अच्छा?" मुस्कान ने झट से अपनी गर्दन हाँ में हिला दी।
मुस्कान की इस हरकत पर अजय को हँसी आ गई। उसने हँसते हुए ही मुस्कान के पास बेड पर बैठते हुए मुस्कान से कहा, "तुमसे तो झूठ भी नहीं बोला जाता है। यह जो तुम्हारा चेहरा है ना, वह मुझे तुम्हारी खुशी साफ़ बता रहा है कि तुम आज खुश हो। अच्छा, चलो छोड़ो, तुम मुझे नहीं बताना चाहती हो तो तुम मत बताओ, मैं तो बस..." मुस्कान ने अजय की बात बीच में ही काटते हुए कहा, "नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है। मैं क्यों आपसे कुछ भी छुपाऊँगी? मैं इसलिए खुश हूँ क्योंकि आज हम घर जा रहे हैं ना?" और फिर वह अपना मुँह बिगाड़ते हुए बोली, "मुझे यहाँ पर रहना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता है। यहाँ की दीवारें वाइट वाइट कलर की हैं, और यहाँ पर हमेशा ही दवाइयों की गंध फैली रहती है। मुझे यह गंध बिलकुल भी अच्छी नहीं लगती है।"
अजय बहुत ध्यान से मुस्कान की नौटंकी देखकर मुस्कुरा रहा था। अजय ने मुस्कान की नौटंकी वाली हरकतों पर अपने मन में कहा, "पागल है पूरी की पूरी, कैसे बात बदल रही है!" फिर मुस्कान का नौटंकी वाला चेहरा देखकर अपने मन में बोला, "जो भी हो, ये कितनी क्यूट लग रही है, बिलकुल एक छोटे से खरगोश की तरह, और उसकी तरह ही प्यारी भी।" फिर वह गंभीर भाव के साथ मुस्कान की फ़िक्र करते हुए अपने मन में ही बोला, "मैं इसको कुछ भी नहीं होने दूँगा। यह बहुत ही मासूम है, मैं इसको इस बुरी दुनिया से बचाकर रखूँगा।"
मुस्कान ने जब अजय को खुद को इस तरह से एकटक देखते हुए देखा, तो वह एकदम से शर्मा गई और उसने अपना शर्म के मारे अपना चेहरा अपने दोनों हाथों से ढक लिया।
अजय ने जब मुस्कान को इस तरह से हाथों से अपना चेहरा ढकते हुए देखा, तो एकदम से लापरवाही से हँसते हुए बोला, "क्या हुआ? तुम अपना चेहरा इस तरह से क्यों ढक रही हो?" पर फिर जैसे ही उसे यह एहसास हुआ कि मुस्कान उसे खुद को इस तरह से अपलक देखने से शर्मा रही है, तो उसने अपनी जीभ अपने दाँतों तले दबा ली और फिर बात बदलते हुए बोला, "क्या तुम्हें बाथरूम जाना है?"
मुस्कान ने उसकी बात सुनकर अपने चेहरे पर से हाथ हटाकर हाँ में गर्दन हिला दी।
दिन में जब अजय कमरे में नहीं था:
मुस्कान आराम से हॉस्पिटल के अंदर अपने कमरे में अपने बेड पर दीवार से टेक लगाकर बैठी हुई थी। वह बहुत बोर हो रही थी। उसने खुद से ही अपने मन में कहा, "आज का दिन कितना बोरिंग है! अजय भी यहाँ पर नहीं है, मैं क्या करूँ अब?" इतना बोलते-बोलते उसने अपना फेस पाउट बना लिया। तभी उसकी नज़र दरवाज़े के बाहर कॉरिडोर से जा रही एक छोटी सी बच्ची पर गई। उस बच्ची ने अपने हाथ में आइसक्रीम पकड़ी हुई थी और वह आइसक्रीम को बड़े मज़े लेकर चाट-चाट कर खा रही थी। उस बच्चे को ऐसे आइसक्रीम खाते हुए देखकर मुस्कान के मुँह में पानी आ गया। पर उसके पास तो पैसे ही नहीं थे कि वह बाहर जाकर आइसक्रीम खरीद सके और ना ही उसे बाहर जाने की परमिशन थी क्योंकि अजय ने उसे बाहर जाने से मना किया हुआ था। इसलिए उसका मुँह रोता हुआ सा बन गया और उसने अपने मन में रोता हुआ मुँह बनाकर कहा, "अजय को आने दो, फिर मैं उसको बोलूँगी मुझे आइसक्रीम खानी है। वह मेरी बात ज़रूर मान जाएँगे और मुझे आइसक्रीम ज़रूर खिलाएँगे।" यह सब सोचते हुए ही उसके चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ खिली।
थोड़े ही समय के बाद अजय हॉस्पिटल पहुँच चुका था। जब वह उस कमरे के अंदर एंटर हुआ जहाँ पर मुस्कान बैठी हुई थी, तो उसके चेहरे पर अपने आप एक प्यारी सी मुस्कान खिली। उसे मुस्कान का चेहरा एक सुकून मिल रहा था।
मुस्कान की नज़र दरवाज़े से आते हुए अजय पर गई। उसके चेहरे पर भी एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। उसने अजय को देखते ही कहा, "मुझे आइसक्रीम खानी है, मुझे आइसक्रीम लाकर दो, पहले फिर आना अंदर।" अजय बड़ी-बड़ी आँखें करके बस मुस्कान को देखे जा रहा था। उसने एकदम सहज भाव के साथ अंदर आते हुए मुस्कान की तरफ़ देखते हुए कहा, "तुम आइसक्रीम नहीं मिलेगी?"
भाग 8: माया का मैसेज!
मुस्कान ने नादानी में कहा, "पर क्यों?" उसने मन ही मन सोचा, "अजय तो कभी भी मुझे किसी भी चीज़ के लिए मना नहीं करते, फिर इन्होंने मुझे आइसक्रीम के लिए क्यों मना किया? ये तो मेरा इतना ज़्यादा ध्यान रखते हैं, फिर ये मुझे आइसक्रीम के लिए मना क्यों कर रहे हैं?"
उसके दिमाग में यही चल रहा था। अजय ने फिर मुस्कान को प्यार से समझाते हुए कहा, "देखो, तुम्हें आइसक्रीम नहीं मिलेगी। आइसक्रीम खाना तुम्हारी हेल्थ के लिए ठीक नहीं है। डॉक्टर ने तुम्हें कुछ भी ठंडा खाने से मना किया है, और आइसक्रीम भी ठंडी होती है ना, इसलिए तुम्हें आइसक्रीम नहीं मिलेगी।"
पर मुस्कान कहाँ मानने वाली थी? इतने दिनों से, जब से उसकी याददाश्त गई थी, वह सिर्फ़ हेल्दी डाइट ही खा रही थी। अब तो उसके मुँह का स्वाद भी खराब हो चुका था। इसलिए उसने अजय से आइसक्रीम के लिए बच्चों की तरह ज़िद करना शुरू कर दिया।
वह बिल्कुल एक छोटे से, क्यूट से बच्चे की तरह अजय से ज़िद करने लगी और उसने मायूसी से अजय से बोला, "प्लीज़ मुझे आइसक्रीम दिलवाओ ना, मुझे आइसक्रीम खानी है।" अजय को उसे इस तरह उदास होते देखकर बुरा लग रहा था, पर वह क्या कर सकता था? डॉक्टर ने कहा था कि इलाज के साथ परहेज़ करना भी ज़रूरी है, कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं खाना है। इसलिए ही तो अजय ने मुस्कान को आइसक्रीम के लिए मना किया था।
अब तो मुस्कान बच्चों की तरह रोने भी लगी थी। रोती हुई वह एकदम छोटी सी बच्ची लग रही थी, जिसकी मम्मी उसे उसके बीमार होने की वजह से आइसक्रीम नहीं दे रही हो।
मुस्कान तो लगभग २० साल की ही थी। अजय से इस तरह मुस्कान को रोता हुआ देख नहीं जा रहा था। उसने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा, "चुप! एकदम चुप! अब तुम अपने मुँह से बिल्कुल भी आवाज़ नहीं निकालोगी, और तुम्हारी आँखों से एक भी आँसू नहीं आना चाहिए, समझी तुम? एक बार बोल दिया ना, तुम्हें आइसक्रीम नहीं मिलेगी।"
अजय के पहली बार इस तरह से खुद पर गुस्सा करने और चिल्लाने से मुस्कान बुरी तरह से डर गई थी। उसका तो दिल कर रहा था कि वह अभी दहाड़े मार-मार के रोए, पर अजय के ऐसे डरावने चेहरे को देखकर वह बिल्कुल चुप हो गई, और अपने होंठों पर अपनी उंगली रखकर बैठ गई। वह अपनी आँसुओं से भरी हुई बड़ी-बड़ी आँखों से बस अजय को ही देखे जा रही थी।
अजय को आज अपने किए पर बहुत बुरा लग रहा था। वह यह सोचता हुआ रूम से बाहर चला गया कि आज उसने मुस्कान को खुद रुलाया। उसे तो मुस्कान का मुस्कुराता हुआ चेहरा देखना अच्छा लगता है, उसे मुस्कान के चेहरे पर मुस्कान ही पसंद है। इसलिए ही तो उसने मुस्कान का नाम मुस्कान रखा था, पर आज उसकी ही वजह से मुस्कान रो रही है।
दूसरी तरफ़, हॉस्पिटल में अजय थोड़े टाइम के बाद दुबारा उस रूम में एंटर हुआ। उसके हाथों में आइसक्रीम थी। यह आइसक्रीम मिट्टी के मटके (घड़े) में बनाई गई थी और उसमें रखकर ही ठंडी की गई थी, जो हेल्थ को कोई भी नुकसान नहीं पहुँचाती थी। अजय ने अंदर आते हुए कहा, "मुस्कान, देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ।" मुस्कान ने अजय को नहीं देखा और अपना मुँह दूसरी साइड कर लिया, ताकि अजय को उसका चेहरा ना दिखे। मुस्कान की इस हरकत पर अजय के चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान आ गई।
अजय ने खुद से अपने मन में कहा, "पागल लड़की।" अजय ने फिर मुस्कान के चेहरे को देखने की कोशिश करते हुए कहा, "मुस्कान, देखो ना मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ।" मुस्कान ने गुस्से से अजय से बोला, "कुछ भी लाए हो, मुझे नहीं चाहिए। हुहू हूँ!" इतना बोलकर उसने अपना पाउट फेस बना लिया। अजय को वह बहुत ही क्यूट लग रही थी।
अजय ने फिर मुस्कान को चिढ़ाते हुए कहा, "देखो, मैं आइसक्रीम लाया था तुम्हारे लिए, पर अगर तुम्हें नहीं खानी है तो मैं ही इसे खा लेता हूँ।" इतना बोलकर वह एक आइसक्रीम की चम्मच अपने मुँह में डाल लेता है और बोलता है, "आह! हा! क्या आइसक्रीम है! कितनी टेस्टी आइसक्रीम है! इतनी टेस्टी आइसक्रीम तो मैंने आज तक नहीं खाई।"
मुस्कान तो चोर नज़रों से अजय को आइसक्रीम खाते हुए देख रही थी, और अजय के इस तरह से आइसक्रीम की तारीफ़ करने से उसके मुँह में पानी आने लगा था। अजय जैसे ही दूसरी चम्मच आइसक्रीम अपने मुँह में डालने वाला था, मुस्कान अजय के हाथों से आइसक्रीम छीन ली। मुस्कान अजय से आइसक्रीम छीनकर आइसक्रीम खाना शुरू कर दिया, और आइसक्रीम खाते हुए उसने अजय से बोला, "जब यह आइसक्रीम मेरे लिए आई है तो इसको मैं ही खाऊँगी, और कोई नहीं।" इतना बोलकर वह आइसक्रीम की दूसरी चम्मच भी अपने मुँह में डाल लेती है।
और आइसक्रीम को एकदम छोटे से बच्चे की तरह खाना शुरू कर देती है। अजय तो प्यार से मुस्कान को आइसक्रीम खाते हुए देखे जा रहा था। इस समय उसके चेहरे पर एक छोटी सी मुस्कान थी, जो मुस्कान को आइसक्रीम खाते हुए देखते-देखते जब बड़ी हो गई, उसे भी पता नहीं चला। तभी उसके फ़ोन में एक मैसेज आया। अजय ने मैसेज की आवाज़ सुनकर अपने फ़ोन को पॉकेट से निकालकर चेक किया। मैसेज को देखते ही उसके चेहरे पर एकदम से गुस्से वाले भाव आ गए।
मैसेज और किसी ने नहीं, बल्कि माया ने किया था। क्योंकि अजय माया का कॉल पिक नहीं कर रहा था। उसने माया का नंबर इसलिए ब्लॉक नहीं किया था, उसे यह देखना था कि माया उसे दुबारा फ़ँसाने के लिए कितनी बार कॉल करती है। जब अजय ने माया के कॉल पिक नहीं किए, तो माया ने अजय को मैसेज ही कर दिया। अजय का मन नहीं कर रहा था मैसेज रीड करने का, पर उसने यह सोचकर मैसेज रीड करने के बारे में सोचा कि देखूँ तो उस माया ने आखिर उसे मानने का क्या बहाना सोचा है। यह सब सोचकर उसने अपना व्हाट्सऐप ओपन किया और माया का मैसेज रीड करने लगा। उसने लिखा था:
आपको क्या लगता है माया ने अजय को क्या मैसेज किया होगा और किस लिए?
This is for you🌹🌹🌹 My dear reader.
भाग 9: अजय का मिशन!
"हैप्पी होली इन एडवांस बेबी, बेबी प्लीज क्या तुम कल मेरे से मिलने आ सकते हो? प्लीज बस एक बार मिलने आ जाओ, मैं तुम्हें मिलकर सब कुछ एक्सप्लेन करती हूँ। देखो, तुम्हें गलतफहमी हुई है।"
माया के मैसेज को पढ़ते हुए अजय के चेहरे पर गुस्से के भाव थे। अजय ने अपने मन में गुस्से से कहा, "तो सब मेरी गलतफहमी थी, बस और कुछ नहीं? उसको मेरी गलतफहमी बोल रही है! सब कुछ मैंने अपनी आँखों से देखा था।" यह सब सोचते हुए, उसके सामने फिर से वह सब एक फिल्म की तरह नज़र आने लगा; माया और उस लड़के का किस करना। यह सब सोचते हुए ही उसकी आँखों में नमी आ गई थी। मुस्कान ने भी आइसक्रीम खाते हुए अजय की आँखों में नमी को देख लिया। उसने मासूमियत से अजय से पूछा, "क्या हुआ? तुम रो क्यों रही हो?"
अजय ने मुस्कान के सवाल पर जल्दी से दूसरी तरफ मुँह मोड़कर अपने हाथों से अपनी आँखों की नमी साफ कर ली और फिर मुस्कान की तरफ मुँह करके, अपने आप को छुपाते हुए, एक फीकी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए बोला, "नहीं तो मैं कहाँ रो रहा हूँ?" मुस्कान ने अपनी नादानी में कहा, "ये लो, तुम मेरी आइसक्रीम खा लो। चाहे तो सारी की सारी खा लो, पर रोना मत।" यह सब वह एकदम प्यार से बोल रही थी। यह सब बोलते हुए ही उसने अपनी आइसक्रीम वाला हाथ अजय के सामने कर दिया। अजय को उसकी बातें सुनकर बहुत अच्छा लग रहा था। मुस्कान की इतनी प्यारी-प्यारी बातें सुनकर उसके चेहरे पर अपने आप एक प्यारी सी मुस्कान आ गई। जो मुस्कान अजय ने अपने चेहरे पर झूठी सजाई थी, वह अब असली और प्यारी बन गई।
अजय ने बहुत प्यार से मुस्कान से कहा, "नहीं, तुम खाओ। ये तुम्हारे लिए है। एक बात बताऊँ मुस्कान, तुम्हें कल क्या है?" मुस्कान ने पूछा, "क्या है?" अजय ने मुस्कान के सांवले-सलोने चेहरे को देखकर कहा, "कल होली है।" होली नाम सुनते ही मुस्कान के चेहरे पर खुशी झलक आई।
मुस्कान ने खुश होते हुए कहा, "तो फिर कल हम अपने घर जाएँगे?" अजय ने भी हाँ में अपनी गर्दन हिला दी।
अगले दिन मुस्कान को भी हॉस्पिटल से डिस्चार्ज मिल गया, या यूँ कहें कि अजय ने मुस्कान की खुशी को देखते हुए उसको डिस्चार्ज दिलवा दिया था। मुस्कान तो आज बहुत खुश थी। अजय और मुस्कान ने बहुत धूमधाम से होली मनाई। मुस्कान ने तो पूरे घर को रंगों से भर दिया था। अजय तो उसकी खुशी में इतना खुश था कि वह यह भी भूल गया था कि माया ने उसे मिलने भी बुलाया था। और वैसे भी, वह माया के बुलाने पर उसके पास जाने वाला नहीं था, पर फिर भी वह उसके और उसके धोखे के बारे में भूल गया था।
अजय ने किसी लड़की के पास फोन किया। दूसरी तरफ, अजय के कॉल करने पर, दूसरी तरफ से उस लड़की ने जब अपनी फोन की स्क्रीन पर अजय का नाम चमकता हुआ देखा, तो उसने झट से फोन को कान से लगा लिया।
उस लड़की के फोन पीस करते ही अजय ने उस लड़की की फ़िक्र करते हुए उस लड़की से पूछा, "क्या तुम अभी भी ऐसा करना चाहती हो?"
अजय की बात सुनकर उस लड़की ने अनजान बनते हुए कहा, "क्या करना चाहती हूँ?"
जब अजय ने उस लड़की को इस तरह से अनजान बनते हुए देखा, तो उसने उस लड़की की दुबारा से फ़िक्र करते हुए कहा, "हाँ, ज़्यादा अनजान मत बनो। मैं जानता हूँ आप मेरे साथ इस मिशन पर जाना चाहती हैं। देखो, उस मिशन में आपकी जान भी जा सकती है और कुछ भी हो सकता है।"
अजय की बात सुनकर उस लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, जानती हूँ। मेरे साथ कुछ भी हो सकता है, पर मैं ऐसा कर रही हूँ। मुझे अपनी फ़िक्र नहीं है।"
उस लड़की को फुल कॉन्फिडेंस में देखकर अजय ने उस लड़की से पूछा, "और आपकी फैमिली का क्या? आप इस सब में अपनी फैमिली को भी क्यों इन्वॉल्व कर रही हैं? इसमें आपकी फैमिली को भी खतरा है। उनको खतरे में क्यों डाल रही हैं आप?"
अजय की बात सुनकर उस लड़की ने पूरे जोश के साथ कहा, "मुझे अपनी या अपनी फैमिली की फ़िक्र नहीं है। फ़िक्र बस इस बात की है कि कहीं मैं अपना फ़र्ज़ निभाने से पीछे ना हट जाऊँ।"
यह बोलकर उस लड़की ने आगे कहा, "वैसे भी, इस देश के लोगों को अपना फ़र्ज़ निभाना चाहिए और इस सब में मेरा परिवार कुछ भी ना जानते हुए भी मेरा साथ देगा।"
उस लड़की की ऐसी बहादुरी भरी बातें सुनकर अजय के चेहरे पर भी एक प्यारी सी स्माइल आ गई। फिर अजय ने उस लड़की से थोड़े गंभीर भाव के साथ फोन पर कहा, "एक बार दुबारा से सोच लो आप?"
अजय के इस सवाल पर उस लड़की ने कहा, "सब कुछ सोच समझकर ही मैं आपके साथ इस मिशन पर जा रही हूँ।"
उस लड़की की इतनी कॉन्फिडेंट बातें सुनकर अजय के चेहरे की स्माइल और बड़ी हो गई। फिर उसने उस लड़की से मुस्कुराकर कहा, "वेल डन! मुझे आपसे कुछ इसी तरह के जवाब की उम्मीद थी। तो फिर कल से हमारा मिशन शुरू हो रहा है। तैयार रहना आप।"
अजय की बात सुनकर उस लड़की ने हँसते हुए कहा, "हाँ, बिलकुल। मैं तैयार रहूँगी। कल मेरी शादी है।"
उस लड़की की बात सुनकर अजय ने भी हँसते हुए कहा, "पर अफ़सोस, आप तैयार रहोगी और आपकी शादी भी है, पर मैं आपकी शादी में नहीं आ पाऊँगा।"
उस लड़की की बात सुनकर अजय ने कहा, "ठीक है, रख रहा हूँ। तुम अपनी शादी की मेहँदी लगवाओ।"
यह बोलकर अजय ने फोन रख दिया।
आपको क्या लगता है अजय और इस लड़की का कौन सा मिशन है? आगे की कहानी जानने के लिए पढ़िए कहानी "किस्मत से मुझे तुम मिले।" तब तक के लिए अलविदा। नव्या खान
भाग 10 सुहागरात! एक रूम में सन्नाटा छाया हुआ था,देखने पर लग रहा था कि वह किसी की सुहागरात का रूम हो, उस रूम को बहुत ही अच्छी तरीके से सजाया था, पूरे रूम में गुलाब के फूलों की खुशबू फैली हुई थी। तभी उस रूम की शांति को खत्म करती हुई, एक धीमी सी एक लड़की कीआवाज सुनाई देती है,"देखो मुझे छुना मत , मैं अभी इस के लिए तैयार नहीं हूं, फिर हम तो बस अभी पहली बार ही बात कर रहे हैं, हम तो एक दूसरे को जानते भी नहीं है, तो फिर यह सब कैसे, आई थिंक तुम समझ रहे हो, मैं क्या कहना चाहती हूं" कबीरा यह बोलती हुई, अपने शादी के लाल जोड़े में कयामत लग रही थी, आज अगर कोई उसे देखे तो बस देखता ही रह जाए, और आज उस की शादी एक फेमस बिजनेसमैन से हो गई थी, मोस्ट एलिजिबल बैचलर, लड़कियों का प्रिंस चार्मिंग, बहुत हैंडसम, एकदम फिट, हाइट 5 फुट 9 इंच, रंग गोरा, काले बाल, उम्र 28 साल, अपने घर का बड़ा बेटा, जिम्मेदार और समझदार, गलती बिल्कुल पसंद नहीं, अपने हर काम में परफेक्ट, नाम रूहान सिंघानिया। कबीरा , उम्र 25 साल, थोड़ी कत्थई सी उसकी आंखें थोड़ी सुरमे भरी, हल्के लाल बाल, बला की खूबसूरत, हाइट 5 फुट 6 इंच। रूहान सिंघानिया (धीरे से बोलते हुए),"अच्छा मैं समझ गया ,तुम क्या बोलना चाहती हो, तुम्हें जितना टाइम चाहिए उतना ले सकती हो। " यह बोलते हुए रूहान ने अपने कदम बाथरूम की तरफ़ को बढा दीए, और वह बाथरूम में चला गया, कबीरा ने जब उसको वॉशरूम में जाते हुए देखा तो तब उसने थोड़ी राहत की सांस ली, वह सोच रही थी "कि थैंक गॉड यह मेरी बात मान गया, वरना मेरा क्या होता। " इतने वह यह सब सोच रही थी,तब तक रूहान वॉशरूम का डोर बंद करके आया, और अपने लिए ओढ़ने की चादर लेकर अपने रूम के अटैच स्टडी रूम में चला गया। जब कबीरा ने उसको जाते हुए देखा, तो वह भी वॉशरूम में गई, और अपने कपड़े चेंज करके, अपने रूम के बेड पर सो गई, शादी की वजह से वह बहुत थक गई थी, इस लिए उसको जल्दी ही नींद आ गई। अगली सुबह जब कबीरा की नींद खुली तो उस समय 6:00 बजे हुए थे, दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था, देखने पर लग रहा था कि रूहान रूम के अंदर नहीं था... तभी बाहर से दरवाजा नोक करने की आवाज आती है, कबीरा ने थोड़ी धीमी आवाज में बोला "अंदर आ जाओ। " बाहर से एक लड़की अंदर आती है, और कबीरा के पास जा कर बैठ जाती है। वह लड़की बहुत प्यार से कबीरा से बोलती है"भाभी आपको यह कपड़े पहनने हैं", और यह बोल कर वह लड़की एक पिंक कलर की साडी कबीरा को दे देती है, वह कबीरा की तरफ देखते हुए बोलती है"आप नहा कर इसको पहन लीजिए, तब तक हम मेकअप आर्टिस्ट को आपके रूम में भेजते हैं, वह आपको तैयार कर देंगे। ", यह और कोई नहीं , बल्कि रूहान की छोटी बहन काव्या थी। आज कबीरा की पगफेरे की रस्म थी। जिसमे लड़की अपने मायके जाती है। शाम के 4:00 बजे हुए थे, कबीरा अपने घर जाने के लिए कार में बैठ रही थी, तभी उसकी नजर कार में बैठे हुए रूहान पर पड़ती है, जो कार की बैक सीट पर एकदम शांत बैठा हुआ था, उसने ग्रे कलर की पेंट, वाइट शर्ट के ऊपर ग्रे कलर का ब्लेजर पहना हुआ था, कुल मिला कर वह बहुत ही हैंडसम लग रहा था, उसको देखते हुए ही, कबीरा उसकी साइड वाली सीट पर बैठ जाती है, और कार चल पड़ती है। अपनी मंजिल की और। रूहान सिंघानिया की नजर ज़ब कबीरा पर जाती है तो वह देखता है की कबीरा ने बहुत ही हैवी , पिंक कलर की साडी पहनी हुई थी , जिस पर बहुत ही कढ़ाई की गई थी , और उसके बाल खुले हुए थे, फुल मेकअप के साथ पिंक डार्क लिपस्टिक लगाई हुई थी, आज कबीरा बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। जब कबीरा रूहान की साइड में बैठी हुई थी ,तब वह अपने मन मे कुछ सोच रही थी , वह अपने ख्यालों की एक अलग दुनिया में ही खोयी थी, जबकि रूहान सिंघानिया कबीरा को ही देख रहा था , वह कबीरा को देखते हुए अपने मन में बोलता है,"क्या यह मेरे से अब भी डर रही है, नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है। ये अब क्यों डरने लगी मेरे से। ", ज़ब रूहान अपने मन मे खुद से ही बाते कर रहा था तब अनजाने मे ही रूहान का हाथ कबीरा के हाथ से टच हो गया , और जब कबीरा को महसूस हुआ की रूहान का हाथ उसे के हाथ से टच हो रहा है तो तब कबीरा ने एक नजर रूहान और अपने हाथ की तरफ देखा और फिर उसने अपना हाथ जल्दी से रूहान के हाथ से हटा लिया, और फिर वह अपनी डरी हुई आँखो से रूहान की तरफ देखने लगी। कबीरा रूहान के फेस को देखते हुए अपने मन में सोचते हुए बोल रही थी " शायद ये अब कुछ बोलेगा, मेरे से, मुझे अपने अंदर से स्ट्रांग फीलिंग्स आ रही है। " और ज़ब कबीरा खुद से ही अपने मन मे बाते कर रही थी, तब ही रूहान ने कबीरा को देखते हुए बोला " सॉरी। " बस रूहान के मुँह से एक सॉरी ही निकलता है और कबीरा भी रूहान को बिना किसी भाव के साथ बोलती है " इट्स ओके " ऐसे ही कुछ घंटे बाद कबीरा का घर आ जाता है। कबीरा का घर:- लगभग रात के 8:00 बजे हुए थे, कबीरा को कबीरा की कजन सिस्टर ने चारों तरफ से घेरा हुआ था, वह उसको चारों तरफ से घेर कर बैठी हुई थी ।... तभी कबीरा की एक कजन सिस्टर ने कबीरा को छेड़ते हुए पूछा"हमारे जीजू कैसे हैं? उन के बारे में बताओ ना कुछ? " मतलब वे कबीरा के मजे ले रही थी और उसको परेशान कर रही थी। उनमें से एक लड़की ने हंसते हुए कबीरा पूछा " दीदी बता भी दो ना ,अब आप इतना क्यों शर्मा रही हो हम से, हम तो आपकी बहन ही है ना, हमारे जीजू तो नहीं है जो आप इतना शर्मा रही हो, और चुप होकर बैठी हो।" उस लड़की की बात सुन कर कबीरा ने अपने खामोशी को तोड़ते हुए बोला"अच्छे हैं।" इतना बोल कर वह चुप हो गई, पर फिर भी उसकी कजन सिस्टरस ने परेशान करना बंद नहीं किया, वह उससे कुछ ना कुछ सवाल पूछ ही रही थी और उसके मजे ले रही थी। तभी उस रूम में एक पतली लंबी गोरी लड़की एंटर हुई, उसने पिंक एंड स्काई ब्लू कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ था, उसके कमर तक लंबे बाल आ रहे थे, कुल मिलाकर वह बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उस लड़की ने कबीरा के पास बैठी हुई कजन सिस्टर से बोला"आप हमारी दी को क्यों परेशान कर रही है, देखिए आप सब हमारी दी को इस तरह से परेशान मत कीजिए।" यह लड़की और कोई नहीं कबीरा की छोटी बहन फलक थी। फलक की बात सुन कर उनमें से एक लड़की ने हस्ते हुए बोला "बड़ी आई अपनी दीदी की तरफदारी करने वाली, तेरा नंबर भी आने वाला है तब देखेंगे तुझे हम सब। " इतना बोल कर वह जोर-जोर से हंसने लगती है और उसकी बात पर बाकी की लड़कियां भी हंसने लगती है। उस की बात सुन कर फलक झट से बोला "हम तो आप सबको डिनर के लिए बुलाने के लिए आए थे आप सब नीचे आ जाइए और डिनर कर लीजिए। अब हम निचे जा रहे है। " इतना बोल कर वह जल्दी से तुम रुम से बाहर निकल जाती है और उसको रूम से इस तरह से बाहर जाते हुए देख कर बाकी की लड़कियां खिलखिला कर हंसने लगती है। उस रात कबीरा अपने रूम के सोफे पर सो जाती है और रूहान बेड पर। अगले दिन:- शाम के 4:00 बजे कबीरा अपने ससुराल जाने के लिए तैयार थी, जब वह कार में बैठ रही थी ,तो उसकी नजर कार में बैठे हुए रूहान पर गई ,जब उसने उसको देखा ,तो उसको देख कर ऐसा लग रहा था ,कि जैसे उसको पूरी रात नींद ना आई हो ,और पूरी रात करवटें लेते हुए ही बीती हो ,पर उसके चेहरे का चार्म तब भी बरकरार था , जब रूहान ने कबीरा को देखा तो अभी कबीरा ने एक येलो कलर की साड़ी पहनी हुई थी जिस मे वह बहुत खूबसूरत लग रही थी। कबीरा कार में बैठ गई और कार सिंघानिया मेंशन की तरफ को चल पड़ी , रास्ते में रूहान और कबीरा की नजरें एक दूसरे से मिली पर फिर वह दोनों अपनी अपनी साइट की विंडो से कार से बाहर देखने लगे । ऐसे ही कुछ घंटो बाद कार सिंघानिया मेंशन पहुंच गई । रात के 9:00 बजे:- जब रूहान अपने रूम में आया ,तो उसने देखा की उस समय कबीरा सो रही थी , तो कबीरा को इस तरह से सोते हुए देख कर रूहान ने अपने मन मे सोचते हुए बोला " शायद ये सफर मे आने जाने की थकान की वजह से सो गई है । " ज़ब रूहान अपने मन मे कबीरा को देख रहा था तो तभी उस का फ़ोन रिंग करने लगा, उस पर किसी का कॉल आ रहा था। रूहान ने फ़ोन उठाया और अपने कान से लगा लिया । दूसरी तरफ से ,कुछ कहा गया। और फिर रूहान ने कॉल कट कर दी। ,फिर रूहान अपने रूम से बाहर निकल गया। रूहान के जाने के बाद कबीरा ने झट से अपनी बड़ी बड़ी आंखे खोली और झट से बैलकनी से कूद कर बाहर चली गई। आपको क्या लगता है कहा गई होगी इस तरह से चोरी छुपे से कबीरा ? अब आगे ये कहानी क्या मोड़ लेगी , आगे की कहानी अगले भाग में जा रहेगी । Please like , comment,share my story जाने के लिए पढ़ते रहिए ये कहानी " किस्मत से मुझे तुम मिले " अलविदा नव्या खान
भाग 11) खून!
कबीरा छिप-छिप कर सिंघानिया मेंशन से बाहर चली गई। उसे सिंघानिया मेंशन से कुछ दूरी पर एक काले रंग की कार दिखाई दे रही थी। वह उस काले रंग की कार की ओर चल पड़ी और उसमें जाकर बैठ गई। कार में एक लड़का था जो कार चला रहा था। वह गोरा, लंबा, काले बालों वाला, और देखने में काफी हैंडसम लग रहा था। कबीरा ने उस लड़के से कहा,
"अजय, जल्दी चलो, और उस रुहान सिंघानिया की कार का पीछा करो। तब ही हमें कुछ पता चल पाएगा।"
कबीरा की बात सुनकर अजय ने कार स्टार्ट कर दी, और कार चल पड़ी अपनी मंजिल की ओर। फिर वह दोनों रुहान सिंघानिया की कार का पीछा करने लगे।
अब तक लगभग रात के 10:00 बज चुके थे, और अभी तक अजय और कबीरा बस रुहान की कार का पीछा ही कर रहे थे। तभी रुहान की कार रुक गई।
यह जगह जंगल के अंदर एक पुरानी सी फैक्ट्री थी, जो रात होने की वजह से और भी ज्यादा डरावनी लग रही थी। तभी रुहान सिंघानिया की कार के अंदर से एक लड़की बाहर निकली। उल्टी होने की वजह से उसका चेहरा तो दिखाई नहीं दे रहा था, बस उसकी कमर ही दिखाई दे रही थी। पर वह गोरी और लंबी थी, उसके बाल कंधों तक आ रहे थे। पीछे से देखने पर लग रहा था कि वह लड़की काफी खूबसूरत होगी।
रुहान ने उस लड़की को अपने हाथ के इशारे से अंदर जाने का इशारा किया। रुहान का इशारा देखकर वह लड़की अपनी हाई हील्स से टक-टक की आवाज करती हुई, उस जंगल में बनी फैक्ट्री के अंदर चली गई।
उस लड़की को अंदर जाता हुआ देखकर अजय ने हैरानी से कबीरा से पूछा,
"यह लड़की इस रुहान के साथ, ऐसी जगह पर, इतनी रात को क्या करने आई है? और यह लड़की रुहान की कार के अंदर कब गई?"
अजय की बात सुनकर कबीरा ने अजय को अजीब नज़रों से देखा, वह उसे इस तरीके से देख रही थी जैसे किसी बुद्धू को देख रही हो।
फिर उसने अजय की तरफ देखते हुए, उसे समझाते हुए बोला,
"इडियट, ये ही तो कार चला रही थी, मेरे कहने का मतलब समझ रहे हो ना।"
अजय ने अपनी नासमझी पर शर्माते हुए, हाँ में अपना सिर हिला दिया। जैसे उसे अब सब कुछ समझ में आ गया हो।
कबीरा और अजय ने अपनी कार उस पुरानी फैक्ट्री से थोड़ी दूरी पर रोक दी थी, ताकि किसी को भी उन पर शक ना हो। तभी कबीरा ने उत्साहित होते हुए अजय से बोला,
"चलो चलें अंदर, आज इस रुहान सिंघानिया के बारे में हमें कुछ ना कुछ पता चल ही जाएगा। आखिर इसके खिलाफ सबूत भी तो इकट्ठे करने हैं, फिर हम इसकी असलियत जल्दी ही सबके सामने ले आएंगे।"
फिर कबीरा और अजय धीरे-धीरे कदमों से फैक्ट्री के अंदर की तरफ जाने लगे। अजय और कबीरा ने अपने हाथों में गन पकड़ी हुई थी और अपनी आँखों पर चश्मा लगाया हुआ था। वह वैसा चश्मा था जिससे अंधेरे में भी साफ-साफ देखा जा सकता था। उन्होंने अपने चेहरे पर मास्क लगाए हुए थे, ताकि कोई उन्हें पहचान ना सके। यह सब उन्होंने अपनी सेफ्टी के लिए किया था। अगर उन्हें किसी ने देख लिया तो वे खतरे में पड़ सकते थे, इसलिए उन्होंने यह सब अपनी सुरक्षा के लिए किया था।
जब वे दोनों धीरे-धीरे अंदर जा रहे थे, तभी उन्हें चीखने की आवाज सुनाई दी, और साथ ही चिल्लाने की भी जोरों की आवाज सुनाई दे रही थी। अंदर से किसी के कुछ पूछने की आवाज आ रही थी,
"बता, तूने उस ठाकुर के बच्चे को क्या बताया है? बता नहीं तो यह तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।"
जी हाँ, यह आवाज रुहान की थी जिसमें रुहान एक लड़की से सवाल पूछ रहा था। यह लड़की और कोई नहीं, वही लड़की थी जो अभी रुहान की कार में से निकल कर फैक्ट्री के अंदर गई थी। रुहान ने उस लड़की को एक कुर्सी पर बैठाकर रस्सियों से बाँध रखा था।
रुहान के सवाल करने पर भी वह लड़की कुछ बोल ही नहीं रही थी। बस रुहान से डरने की वजह से वह लड़की डर से कांप रही थी। क्योंकि उसे यह बात बहुत अच्छे से पता थी कि रुहान किसी को भी जान से मारने से पहले सोचता भी नहीं है। बस जान से मार देता है।
रुहान ने अपने एक आदमी की तरफ अपने हाथ से इशारा किया। रुहान का इशारा देखकर, उस आदमी ने उस गोरी लड़की की कनपटी पर अपनी गन रख दी। अब तो उस लड़की की डर से मारे हालत ही खराब हो गई थी। उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था, उसकी साँसें अटक गई थीं।
तभी रुहान सिंघानिया ने बहुत ही गुस्से से उस लड़की की तरफ देखते हुए कहा,
"बता नहीं तो यह तेरे लिए अच्छा नहीं होगा।"
उस लड़की ने रुहान से डरते-डरते, लड़खड़ाती हुई आवाज में बोला,
"कु…कु…कुछ…भ…भ…भी…न…नहीं।"
उस लड़की को इतना ज्यादा डरते हुए देखकर रुहान को बहुत ज्यादा इरिटेशन फील हो रही थी। इसलिए उसने उस गोरी लड़की को गुस्से से बोला,
"जल्दी बता, अब तेरी कु-कु ने-ने के लिए मेरे पास इतना टाइम नहीं है।"
रुहान की बात सुनकर वह लड़की डर से थर-थर कांपने लगी, और उसे डरने की वजह से पसीना आने लगा था। जिस वजह से उस लड़की ने डरते-डरते रुहान से बोला,
"कुछ भी नहीं बताया मैंने उस ठाकुर से।" उसने डर के मारे यह लाइन एक साँस में बोल दी थी।
उस लड़की की बात सुनकर रुहान के फेस पर एक शैतानी मुस्कान आ गई, और फिर वह वहाँ से वापस जाने लगा। और फिर बिना पीछे पलटे, उसने अपने आदमियों से ऑर्डर देने वाले लहजे में कहा,
"आगे तुम अच्छे से जानते हो क्या करना है। डू इट नाउ।"
उन आदमियों ने रुहान की बात सुनकर उस लड़की को गोली मार दी। गोली लगने की वजह से उस लड़की के मुँह से दर्द की वजह से एक असहनीय जोर की चीख निकली,
"आह!"
और फिर रुहान के आदमी ने उस लड़की को एक और गोली मार दी। उस गोली के लगते ही वह लड़की दर्द की वजह से मर गई। अब खून से लथपथ उसकी लाश चेयर पर मौजूद थी।
अब आगे क्या होने वाला है? क्या कबीरा और अजय पकड़े जाएँगे? आखिर कौन है ठाकुर? और रुहान की ठाकुर के साथ क्या दुश्मनी है? आखिर क्यों की कबीरा ने रुहान के साथ शादी? कौन है रुहान जिसका कबीरा और अजय इस तरह से पीछा कर रहे हैं? कबीरा और अजय कौन हैं दोनों?
आगे की कहानी अगले भाग में।
भाग 12) समीर की एंट्री!
कबीरा और अजय दोनों, अपने जोर-जोर से धड़कते दिलों को थामकर, बिलकुल खामोशी से उस मर्डर को होते हुए देख रहे थे। उन्होंने अपने सीक्रेट कैमरे से वीडियो भी बनाया, पर वे दोनों इतनी दूर थे कि उन्हें कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था।
रूहान दरवाजे से बाहर गया। वह इतने गुस्से में था कि जैसे अभी इस पूरी दुनिया को आग लगा देगा। उसने अपनी कार में बैठकर अपने घर की तरफ निकल गया। उसके जाने के बाद कबीरा और अजय भी अपनी कार में बैठ गए। कबीरा ने बिना किसी भाव के अजय से कहा, "जल्दी चलो, नहीं तो यह शैतान मेरे घर पर ना होने पर क्या करेगा?"
कार चलाते हुए अजय ने कबीरा की तरफ देखते हुए कहा, "मैं तो डर ही गया था। अगर उसको थोड़ा सा भी पता चलता कि हम वहाँ पर हैं, तो वह हमें भी मार डालता। क्या ज़रूरत थी तुम्हें कबीरा, इतने खतरनाक आदमी से शादी करने की? वह तो किसी को मारने से पहले सोचता भी नहीं है।"
रूहान की हरकत पर कबीरा को पहले से ही बहुत गुस्सा आ रहा था, जो अजय की बात सुनकर और बढ़ गया। उसने अजय की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा, "चुप! एकदम चुप! चुप होकर बैठो और अपनी ड्राइविंग पर ध्यान दो बस।"
कबीरा के गुस्से को देखकर अजय ने जल्दी से अपने होठों पर अपनी एक उंगली रख दी और शांत भाव से कार चलाते हुए कबीरा को देखने लगा। अजय के ऐसा करने से कबीरा को हँसी आ गई। उसने धीरे से अजय से कहा, "सॉरी। मैं भी ना कभी-कभी... आई अंडरस्टैंड तुम मुझसे क्या कहना चाहते हो। तुम मेरे से अपनी बड़ी बहन की तरह प्यार करते हो। तुम्हें मेरी फ़िक्र है।"
अजय ने कबीरा को प्यार से देखते हुए कहा, "कोई बात नहीं। तुम मुझ पर गुस्सा कर सकती हो। आखिर तुम बड़ी जो हो।"
इतना बोलकर वह हँसने लगा। अजय को हँसता हुआ देखकर कबीरा भी हँसने लगी और उसने अजय से हँसते हुए कहा, "बात तो तुम ठीक कह रहे हो। मैं तुम पर गुस्सा कर सकती हूँ, मैं बड़ी बहन जो हूँ तुम्हारी। अब तुमने मुझे बहन बनाया है तो अब झेलो मुझे।"
कबीरा की बात सुनकर अजय ने हँसते हुए कहा, "झेल ही तो रहा हूँ मेरी बहन, तुझे और तेरे गुस्से को।" यह बोलकर अजय हँसने लगा। अजय की बात सुनकर कबीरा भी हँसने लगी। फिर ये दोनों खिलखिलाकर हँसते हुए एक-दूसरे से बातें करने लगे और कार अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ गई।
सिंघानिया मेंशन में:
रूहान सिंघानिया अपने घर पहुँच चुका था। जब वह दरवाज़े से अंदर आ रहा था, तब काव्या ने दरवाज़े से आते हुए रूहान को देख लिया। काव्या ने अपने कदम रूहान की तरफ बढ़ा दिए और वह रूहान की तरफ इस तरह से देखती हुई आई, जैसे उससे कुछ बताना चाहती हो। उसके चेहरे पर खुशी साफ़ झलक रही थी, जिससे यह पता चल रहा था कि वह बहुत खुश है।
रूहान के पास आकर उसने खुश होते हुए कहा, "भैया आप आ गए? आपको पता है समीर भैया भी घर आए हैं। मुझे तो उनसे मिलकर बहुत ही ज़्यादा खुशी हुई। आखिर इतने टाइम के बाद समीर भैया घर जो आए हैं।"
काव्या यह सब बहुत ही खुश होते हुए रूहान से बोल रही थी।
काव्या की बात सुनकर रूहान ने काव्या से प्यार से बोला, "अच्छा, तो मैं भी अभी उससे जाकर मिलकर आता हूँ। बताओ, कहाँ पर है समीर?"
काव्या ने रूहान के समीर के बारे में पूछने पर, रूहान की तरफ़ मुस्कुरा कर देखते हुए बताया, "समीर भैया तो अपने रूम में चले गए। आप उनसे उनके रूम में जाकर ही मिल लीजिए।"
रूहान ने काव्या की बात सुनकर प्यार से काव्या के बालों पर अपना हाथ फेरा और फिर वह समीर के रूम की तरफ़ अपने कदम बढ़ाते हुए काव्या से बोला, "ठीक है। चल, जाकर तू भी सो जा। बहुत रात हो गई है।" इतना बोलकर रूहान समीर के रूम की तरफ़ जाने लगा।
जब रूहान समीर के रूम में गया, तो समीर के रूम का दरवाज़ा खुला हुआ था। जिस वजह से रूहान सीधा ही समीर के रूम में एंटर हो गया।
समीर दरवाज़े की दिशा से उल्टा खड़ा हुआ था। जिस वजह से रूहान को एक शरारत सूझी। रूहान ने धीरे-धीरे कदमों से जाकर समीर की आँखों पर अपने हाथ रख दिए और फिर वह मुस्कुराने लगा।
रूहान की हरकत पर समीर मुस्कुराते हुए बोला, "रूहान भैया आप ही हो। मैं जानता हूँ।"
रूहान समीर की आँखों पर से अपने हाथ हटाते हुए पूछा, "तुझे हर बार कैसे पता चल जाता है कि मैं ही हूँ छोटे?"
रूहान के सवाल करने पर समीर पलटा और फिर उसने रूहान को टाइटली अपने गले लगाते हुए कहा, "भैया, क्योंकि मैं आपका छोटा भाई जो हूँ, और मैंने अपना पूरा बचपन आपके साथ ही बिताया है, इसलिए मुझे पता चल जाता है कि आप ही हो या नहीं।"
फिर वह रूहान से झूठा नाराज़ होने का नाटक करते हुए बोला, "कुछ समय से मैं आपसे दूर था। इसका यह मतलब तो नहीं ना कि मैं आपको पहचान भी ना पाऊँ? बोलो आप भैया।"
रूहान समीर की झूठी नाराज़गी अच्छे से समझ रहा था। इसलिए वह समीर के गले से हटते हुए और समीर से उल्टा झूठा नाराज़ होते हुए बोला, "तू मेरी शादी में नहीं आया ना? मैंने तुझे बहुत मिस किया छोटे।"
रूहान की बात सुनकर समीर उदास हो गया और फिर उसने रूहान से मुरझाए हुए चेहरे के साथ कहा, "आपकी शादी के 2 दिन पहले ही मेरे बेस्ट फ्रेंड का एक्सीडेंट हो गया था। उसकी कंडीशन बहुत नाज़ुक थी, जिसकी वजह से मैं आपकी शादी में नहीं आ पाया। मेरा उसके साथ रुकना बहुत ज़रूरी था भैया। मैं उसको ऐसी हालत में अकेला छोड़कर नहीं आ सकता था। आप तो जानते ही हो ना भैया, मैंने आपकी शादी के लिए कितने सपने देखे थे, कि मैं कितनी मस्ती करूँगा, आपको परेशान करूँगा, डांस करूँगा, पर मैं नहीं आ पाया। सॉरी भैया।"
जब रूहान को यह महसूस हुआ कि समीर उदास हो गया है, तो वह समीर को समझाते हुए बोला, "तू टेंशन मत ले छोटे, मैं नाराज़ नहीं हूँ तेरे से। अच्छा किया तूने जो तू अपने फ्रेंड के साथ रुक गया। उसको तेरी ज़्यादा ज़रूरत थी उस टाइम।"
फिर माहौल को थोड़ा हल्का करने के लिए रूहान ने समीर को छेड़ते हुए बोला, "वैसे भी मेरी शादी तो हो ही गई ना, तेरे ना होने से शादी थोड़ी ना रोक दी थी मैंने अपनी। तू होता तो तू मुझे इतना परेशान करता कि मेरा बुरा हाल हो जाना था। और तेरे यहाँ होने पर मैं शादी भी नहीं कर पाता ठीक से। अच्छा हुआ जो तू यहाँ पर नहीं था।"
यह सब रूहान ने समीर की उदासी दूर करने के लिए कहा था।
रूहान की बात सुनकर समीर रूहान को घूरने लगा और फिर उसने रूहान को घूरते हुए ही कहा, "अच्छा, आप मेरे आपकी शादी में ना आने पर खुश थे, और मैं आपकी शादी को इतना मिस कर रहा था। जाओ आप यहाँ से, मुझे आपसे बात ही नहीं करनी है अब।"
समीर को इस तरह से गुस्से से मुँह फुलाते हुए देखकर रूहान को हँसी आ गई और फिर वह हँसते हुए ही समीर को बाय बोलकर अपने रूम की तरफ़ जाने लगा।
आपको क्या लगता है क्या कबीरा अपने रूम में होगी? क्या वह रूहान से पहले पहुँच गई होगी घर? और अगर कबीरा अभी तक रूम में नहीं पहुँची होगी तो तब रूहान क्या करेगा? अब आगे इस कहानी में क्या मोड़ आते हैं, जानने के लिए पढ़ते रहिए यह कहानी "किस्मत से मुझे तुम मिले"।
अब आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक के लिए अलविदा दोस्तों।
नव्या खान
भाग 13: रूहान और कबीरा की गुस्से भरी नोकझोंक!
जब रूहान अपने कमरे में पहुँचा, तो उसे कबीरा कहीं दिखाई नहीं दी। उसने मन ही मन सोचा, "ये लड़की इतनी रात को कहाँ गई?"
रूहान ये सब सोच ही रहा था कि बाथरूम से कुछ आवाज़ सुनाई दी। रूहान ने अपने कदम बाथरूम की ओर बढ़ा दिए।
पर जैसे ही वह बाथरूम के दरवाज़े के पास रुका, कबीरा ने बिना देखे दरवाज़ा खोल दिया। रूहान समीर से बात कर रहा था। इतने में कबीरा बालकनी से बाहर गई थी और वापस आ गई थी।
कबीरा बाथरूम से आगे आने लगी, पर सामने ना देखने की वजह से वह रूहान से टकरा गई। रूहान ने उसे पकड़ने की नाकाम कोशिश की, पर सब इतनी जल्दी हुआ कि उसे संभलने का मौका ही नहीं मिला और वह कबीरा के साथ धड़ाम से ज़मीन पर गिर गया।
वह दोनों ज़मीन पर गिर गए थे। कबीरा रूहान के ऊपर थी और उसके हाथ रूहान के सीने पर थे। रूहान कबीरा की कत्थई और सुरमे रंग की आँखों में खो गया था। वह बिना पलक झपकाए उसे देख रहा था।
कबीरा भी रूहान की काली आँखों में एकटक देख रही थी। दोनों ही इस वक़्त एक-दूसरे को देख रहे थे और एक-दूसरे में खोए हुए थे।
जब कबीरा का ध्यान टूटा और उसे एहसास हुआ कि वह रूहान के ऊपर है, तो वह उठने की कोशिश करने लगी।
पर वह रूहान के ऊपर से उठ नहीं पा रही थी क्योंकि रूहान ने उसकी कमर कसकर पकड़ी हुई थी।
जब कबीरा को लगा कि रूहान उसे छोड़ने के मूड में नहीं है, तो उसने गुस्से से कहा, "छोड़ो मुझे।"
रूहान के कानों में कबीरा की गुस्से भरी आवाज़ पड़ी, तो वह अपने होश में आया। उसे एहसास हुआ कि वह क्या कर रहा है।
यह ध्यान में आते ही उसने कबीरा की पतली कमर को अपने हाथों की पकड़ से छोड़ दिया। वह एकदम से उठकर सीधा खड़ा हो गया और कबीरा को उठाने के लिए हाथ बढ़ाते हुए बोला, "आई एम सॉरी कबीरा।"
पर कबीरा ने रूहान का हाथ नहीं पकड़ा और गुस्से से बोली, "हम खुद उठ सकते हैं, हमें आपकी मदद की ज़रूरत नहीं है। बड़े आए हमें संभालने वाले! अगर आप हमारी मदद करने की कोशिश ना करते, तो हम खुद को संभाल लेते। आपके संभालने के चक्कर में हम नीचे गिर गए।"
कबीरा रूहान पर इसलिए गुस्सा थी क्योंकि उसने उस लड़की को फैक्ट्री में जान से मरवा दिया था।
दूसरी तरफ, रूहान को भी कबीरा की बातों से गुस्सा आने लगा था। उसने थोड़ी गुस्से भरी आवाज़ में कहा, "मैं तो सिर्फ़ आपकी मदद करने की कोशिश कर रहा था। आप इतना गुस्सा क्यों हो रही हैं बिना वजह?"
पर कबीरा बिना रूहान की बातों पर ध्यान दिए उठकर सीधे बिस्तर की तरफ़ गई और ब्लैंकेट ओढ़कर लेट गई।
रूहान कबीरा की इस हरकत को अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से देख रहा था। फिर वह अलमारी की तरफ़ गया, अपने नाइट कपड़े लिए और कबीरा को देखते हुए बाथरूम में कपड़े बदलने चला गया। कपड़े बदलकर वह अपने कमरे के अटैच्ड स्टडी रूम में गया और सोफ़े पर लेट गया।
वह लेटा हुआ था तो उसे बार-बार कबीरा के साथ हुई घटना याद आ रही थी। उसने मन ही मन सोचा, "रूहान, आज क्या हो गया था तुझे? क्यों तू उसकी आँखों में इस तरह से खो गया था? क्यों तू उस लड़की को ऐसे देख रहा था? तू तो नहीं है ऐसा, तो फिर क्यों? क्यों आज पहली बार तू उस लड़की के इतने करीब गया? जब वह गिर रही थी तो उसे नीचे गिरने देता, वैसे भी तूने ये शादी सिर्फ अपनी माँ के कहने पर की है। तो फिर ऐसा क्या है उस लड़की में, जिससे मैं खुद दो दिन पहले ही मिला हूँ? क्यों खींचा जा रहा हूँ मैं उस लड़की की ओर?"
यह सब सोचते-सोचते वह नींद में चला गया और गहरी नींद में सो गया।
दूसरी तरफ, कबीरा भी रूहान के बारे में सोच रही थी, पर उसके मन में उसके लिए कुछ अच्छा नहीं चल रहा था। वह उस लड़की के बारे में सोच रही थी जिसे अली ने मरवाया था। वह खुद से बातें करते हुए कह रही थी, "उसकी फैमिली को जब उनकी बेटी नहीं मिलेगी तो उनका क्या हाल होगा? कितना बुरा इंसान है ये रूहान सिंघानिया! नहीं नहीं, इंसान है ही नहीं ये, ये तो पूरा का पूरा शैतान है। ये तो इंसान कहलाने के लायक ही नहीं है। इसको शैतान कहना ही सही है। मैंने भी इसको सबक नहीं सिखाया ना तो मेरा नाम भी कबीरा नहीं, हाँ कसम से।"
यह सब सोचते-सोचते और रूहान को बुरा-भला कहते हुए कबीरा भी गहरी नींद में चली गई।
अगली सुबह सिंघानिया मेंशन में...
एक कमरे में सूरज की किरणें आ रही थीं। उस कमरे में एक लड़की सोई हुई थी। सूरज की किरणों की वजह से उसकी नींद खुल गई। वह फिर से तकिए को गले लगाकर सोने की कोशिश करने लगी।
पर जब उसकी नज़र दीवार पर लगी घड़ी पर गई तो वह एकदम से उठकर बैठ गई और खुद पर गुस्सा करते हुए बोली, "कबीरा, आज तू उठने में इतना लेट कैसे हो गई? देख तो 8 बज रहे हैं।"
इतना बोलकर वह जल्दी से बिस्तर से उठ गई और जल्दी से अलमारी से अपने कपड़े लेकर नहाने चली गई। फिर वह नहाकर जल्दी-जल्दी तैयार होने लगी। जब वह अपने कमरे से नीचे हॉल में आ रही थी तो वह सीढ़ियों पर ही रुक गई और अपनी हैरानी भरी नज़रों से नीचे हॉल का नज़ारा देखने लगी।
आखिर नीचे ऐसा क्या देख लिया कबीरा ने, जो उसके कदम सीढ़ियों पर ही रुक गए?
आगे ये कहानी क्या मोड़ लेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले!"
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तब तक आप खुश रहिए और सही-सलामत रहिए।
तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
भाग 1, 4: कबीरा की समीर से मुलाक़ात!
जब कबीरा अपने कमरे से निकलकर सीढ़ियों से नीचे आ रही थी, तो वह हॉल का नज़ारा देखकर हैरान रह गई और अपनी आँखें बड़ी-बड़ी करके हॉल का नज़ारा देखने लगी। जहाँ समीर दौड़ रहा था और काव्या उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग रही थी, वहीं रूहान सिंघानिया उन दोनों को मुस्कुराते हुए देख रहा था।
तभी काव्या ने रूहान की तरफ़ देखते हुए रूहान से कहा, "रूहान भैया, ये समीर भैया मुझे हमेशा ही बिल्ली बोलते हैं। और बिल्ली बोलकर मुझे चिढ़ाते हैं।"
ये बोलते हुए भी वह समीर को पकड़ने की नाकाम कोशिश कर रही थी। काव्या की बात सुनकर समीर ने काव्या को चिढ़ाने के लिए बोला, "जब तू बिल्ली है तो बिल्ली ही बोलूँगा ना, बिल्ली केहि की।"
समीर की बात सुनकर काव्या ने समीर को घूरते हुए कहा, "बड़े आए, खुद को नहीं देखते, बंदर केहि के, पूरे बंदर दीखते हो आप।"
समीर ने काव्या की बात सुनकर अपनी एक भौंह ऊपर उठाकर उसे देखते हुए कहा, "क्या कहा तूने मुझे अभी? बंदर? क्या मैं बंदर की तरह दिखता हूँ तुझे?"
तो समीर का सवाल सुनकर काव्या ने भी झट से समीर से बोला, "बंदर, बंदर बोला मैंने आपको, अब बंदर को बंदर ही बोलूँगी ना।" ये बोलकर काव्या हँसती हुई दौड़कर रूहान की एक साइड वाली चेयर पर जाकर बैठ गई।
जब समीर उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे-पीछे गया, तो काव्या रूहान की तरफ़ मासूमियत भरी नज़रों से देखने लगी, जैसे वह बहुत मासूम हो। काव्या को खुद को ऐसे देखते हुए रूहान ने समीर को अपनी आँखें दिखा दीं, जिस कारण समीर डाइनिंग टेबल के रूहान के सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया और काव्या को घूरते हुए बोला, "आज तो तू रूहान भैया की वजह से बच गई। मैं तुझे बाद में देख लूँगा, काव्या की बच्ची।"
इन तीनों बहन-भाई को इस तरह से मस्ती करते हुए देखकर कबीरा सीढ़ियों पर खड़ी हुई ये सोच रही थी, "देखो तो ये शैतान अपने बहन-भाई को देखकर कैसे मुस्कुरा रहा है, जो दूसरों की फैमिली में से किसी को मारने से पहले सोचता भी नहीं है कि उनकी भी फैमिली होगी, वे भी उस इंसान से प्यार करते होंगे।"
जब कबीरा ये सब अपने मन में सोच रही थी और अपनी ही एक अलग ख्यालों की दुनिया में थी, तभी किचन से कुछ सर्वेंट के साथ रूहान की माँ, सोफ़िया जी, आ रही थीं और उन दोनों बहन-भाई को डाँटते हुए बोल रही थीं, "अब तुम दोनों छोटे बच्चे नहीं रहे, फिर भी अब भी छोटे बच्चों की तरह लड़ते रहते हो। चुपचाप बैठो और अपना नाश्ता करो।"
तभी उनकी नज़र सीढ़ियों पर खड़ी हुई कबीरा पर चली गई, तो वह कबीरा को बहुत प्यार से देखते हुए बोली, "आओ बेटा, वहाँ पर क्यों रुकी हुई हो? आओ यहाँ आकर बैठ जाओ।"
उनके बुलाने पर कबीरा अपने ख्यालों की दुनिया में से बाहर आई और फिर उसने अपने कदम डाइनिंग टेबल की तरफ़ बढ़ा दिए। कबीरा समीर की साइड वाली चेयर पर जाकर बैठ गई। कबीरा को समीर की साइड वाली चेयर पर बैठते हुए देखकर काव्या ने कबीरा को देखते हुए मुस्कान के साथ कहा, "ये क्या, भाभी आप वहाँ पर क्यों बैठ गई हो?"
इतना बोलते हुए वह कबीरा के पास आ गई और फिर उसने कबीरा का एक हाथ पकड़कर कबीरा को उसकी चेयर से उठाकर रूहान की साइड वाली चेयर पर बैठने का इशारा किया। काव्या के इशारे को देखकर कबीरा भी बिना किसी ना-नुकर किए, रूहान को बिना देखे ही रूहान की साइड वाली चेयर पर बैठ गई।
फिर तभी कबीरा के कानों में काव्या की प्यारी सी आवाज़ सुनाई दी, जिसमें काव्या कबीरा से बोल रही थी, "अब से आपको यहीं पर ही बैठना है, भाभी।"
काव्या की बात सुनकर कबीरा ने भी एक प्यारी सी मुस्कान के साथ काव्या की तरफ़ देखा। रूहान की नज़र कबीरा पर पड़ गई, तो रूहान कबीरा को देखता ही रह गया, क्योंकि अभी कबीरा ने महरून कलर का पंजाबी सूट पहना हुआ था, उसके बाल खुले थे, उसने अपने कानों में झुमके पहने हुए थे, हाथों में चूड़ा पहना हुआ था, वह देखने में नई-नवली दुल्हन लग रही थी और बहुत ही ज़्यादा खूबसूरत भी लग रही थी।
जब समीर ने रूहान को कबीरा को ऐसे देखते हुए देखा, तो वह रूहान को छेड़ते हुए बोला, "क्या बात है भाई? किसी की किसी पर से नज़र भी नहीं हट रही है?" और इतना बोलकर वह हँसने लगा। रूहान ने जब समीर की बात सुनी, तो वह समीर के बोलने से वापस अपने होश में आ गया और वह समीर के ऐसे बोलने से झेंप गया, जैसे किसी ने अभी उसकी कोई चोरी पकड़ ली हो।
रूहान ने समीर को थोड़ा घूरकर देखा। समीर रूहान के घूरने पर ध्यान नहीं दिया और फिर वह कबीरा की तरफ़ प्यार से देखते हुए कबीरा से बोला, "हैलो मेरी ब्यूटीफुल भाभी, मैं आपका प्यारा सा छोटा सा इकलौता देवर हूँ। मैं किसी रीज़न से आपकी शादी में नहीं आ पाया था, बट अब मैं आपके साथ ही रहूँगा। घर पर ही बहुत मज़ा आएगा। बोलिए, आप भी हमारी कंपनी इन्जॉय करेंगी ना भाभी?"
समीर की बात सुनकर कबीरा को भी समीर काफी प्यारा लगा, तो उसने भी समीर की तरफ़ मुस्कुराते हुए बोला, "क्यों नहीं करेंगे हम आपकी कंपनी इन्जॉय? हम आपकी कंपनी ज़रूर इन्जॉय करेंगे। हमारा भी आपकी तरफ़ एक छोटा भाई है, पर वह अभी यहाँ पर नहीं है, पर वह बिल्कुल आपकी ही तरह क्यूट है, इस लिए आप हमारे छोटे भाई ही हैं।"
फिर कबीरा ने समीर से प्यार से पूछा, "वैसे आप करते क्या हो?" हालाँकि कबीरा को समीर के बारे में सब कुछ पहले से ही पता था, क्योंकि वह तो इस घर में रूहान की जासूसी करने के लिए ही आई थी।
समीर ने भी कबीरा के सवाल करने पर कबीरा से अपने बारे में बताते हुए कहा, "भाभी, मैं लॉयर हूँ और अब मैं मिस्टर खन्ना से ट्रेनिंग ले रहा हूँ।"
कबीरा ने समीर से बोला, "मिस्टर खन्ना वही ना जो सबसे बेस्ट एडवोकेट है?" तो समीर ने भी हाँ बोल दिया। फिर उन सब ने अपना-अपना लंच किया और सब अपनी-अपनी मंज़िल की तरफ़ निकल गए।
एक पुरानी हवेली में एक बड़े से कमरे के अंदर एक आदमी राजा की तरह कुर्सी पर बैठा हुआ था। उसके आस-पास दो लाइनों में कुछ लोग अपनी नज़रें झुकाए खड़े हुए थे। देखने पर लग रहा था जैसे वे उस कुर्सी पर बैठे हुए आदमी से डरे हुए हों। वह कुर्सी पर बैठा हुआ आदमी गुस्से से उनकी तरफ़ देखते हुए बोला, "उस लड़की को हमने कितनी मेहनत से उस रूहान सिंघानिया के पास भेजा था, ताकि वह हमें उस रूहान सिंघानिया की इन्फॉर्मेशन देती रहे। पर न जाने कैसे उस रूहान सिंघानिया को उसके बारे में सब पहले ही पता चल गया, और उस लड़की ने अब तक हमें कोई इन्फॉर्मेशन दी भी नहीं थी। उस रूहान सिंघानिया ने उस लड़की को अब तक तो जान से मार भी दिया होगा।"
यह बोलकर उसने अपने आदमियों से गुस्से से कहा, "तुम लोग किसी भी काम के नहीं हो। बेकार हो सारे के सारे।"
फिर वह अपने मन में गुस्से से बोला, "इस बार भी मेरा प्यादा मार दिया तुमने, रूहान सिंघानिया, पर हर बार ऐसा नहीं होगा।"
फिर वह आगे अपने मन में सोचता हुआ कुटिल मुस्कुराहट के साथ बोला, "अब मैं ऐसी चाल चलूँगा कि तुम उससे बच ही नहीं पाओगे। यह वार मैं तुम पर नहीं करूँगा, पर यह वार भी तुम्हारे ऊपर ही होगा।"
इतना बोलकर वह जोर-जोर से भयंकर हँसी के साथ हँसने लगा। यह आदमी और कोई नहीं, बल्कि ठाकुर होता है।
तभी दरवाज़ा खुलता है और एक लड़का अंदर आता है; गोरा, लंबा, बड़ी-बड़ी भूरी आँखें, बाल जेल से खड़े किए हुए, ब्लू जींस पर रेड कलर की शर्ट पहने हुए। वह लड़का बहुत ही हैंडसम लग रहा था।
वह ठाकुर की तरफ़ देखते हुए ठाकुर से बोला, "आपने मुझे बुलाया?" ठाकुर उस लड़के की तरफ़ देखते हुए शांत भाव से बोला, "हाँ, मुझे तुमसे कुछ काम था।"
ठाकुर की बात सुनकर उस लड़के ने ठाकुर से पूछते हुए कहा, "जी बोलिए, क्या काम है आप को मुझसे?"
उस लड़के के ऐसा बोलने पर ठाकुर ने उस लड़के की तरफ़ मुस्कुराते हुए बोला, "हर्ष खन्ना, तुम रूहान सिंघानिया के दोस्त हो ना, और रूहान सिंघानिया तुम्हें अपना दोस्त मानता भी है, इस लिए यह काम मैं तुमसे करवा रहा हूँ। तुम मेरे बहुत काम के हो अभी फिलहाल, इस लिए तुम्हें रूहान सिंघानिया की बहन से प्यार करने का झूठा नाटक करना होगा, और रूहान तुम्हारा दोस्त होने के नाते अपनी बहन की शादी तुम्हारे साथ करवाने के लिए तैयार हो जाएगा। जब बात शादी तक पहुँच जाएगी, तो तुम शादी वाले दिन रूहान की बहन से शादी करने के लिए मना कर देना, समझे?"
ठाकुर की पूरी बात सुनकर हर्ष खन्ना ने रेस्पेक्ट के साथ कहा, "ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा जैसा आप बोल रहे हो।"
इतना बोलकर हर्ष खन्ना वहाँ से चला जाता है। अब क्या करेगा काव्या को अपने प्यार के जाल में फँसाने के लिए? क्या काव्या हर्ष के प्यार के जाल में फँस जाएगी? आगे ये कहानी क्या मोड़ लेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले!"
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। तब तक आप खुश रहिए और सही-सलामत रहिए। तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
भाग 15) काव्या की हर्ष से पहली मुलाक़ात!
जब काव्या अपनी कार में बैठकर कॉलेज जा रही थी, वह बहुत बोर होने लगी। इस कारण उसने अपनी कार की विंडो से बाहर का नजारा देखना शुरू कर दिया। उसने देखा कि कुछ लड़के एक लड़की के साथ बदतमीजी कर रहे थे। यह देखकर काव्या ने जल्दी से अपने ड्राइवर से कार रोकने को कहा। वह जल्दी से अपनी कार का दरवाजा खोलकर बाहर आ गई। पर काव्या के उस लड़की के पास पहुँचने से पहले ही एक लड़का वहाँ आ गया और उसने उन लड़कों की पिटाई करनी शुरू कर दी जो उस लड़की को परेशान कर रहे थे।
वह लड़का लंबा, गोरा था, और उसकी आँखें भूरी थीं। उसके बाल जेल से खड़े किए गए थे। जी हाँ, यह और कोई नहीं बल्कि हर्ष ही था जो उस लड़की को बचाने का नाटक कर रहा था। यह सब वह काव्या को इम्प्रेस करने के लिए कर रहा था।
वह लड़की हर्ष को "थैंक यू" बोलकर वहाँ से चली गई। काव्या मुस्कुराते हुए हर्ष की तरफ अपने कदम बढ़ा रही थी, और हर्ष काव्या को अपनी तरफ आता हुआ देखकर दिल ही दिल में बहुत खुश हो रहा था।
काव्या जब हर्ष के पास पहुँची, तो वह मुस्कुराते हुए उससे बोली,
"अरे वाह! आप तो बहुत ही बहादुर हैं! क्या मज़ा चखाया आपने उन लोगों को! हम तो आपके जबरदस्त वाले फैन हो गए हैं। वैसे हमारा नाम काव्या सिंघानिया है, और आपका?"
जब काव्या यह सब बोल रही थी, तो हर्ष को अंदर-अंदर बहुत खुशी हो रही थी। वह अपने मन में खुश होते हुए बोला, "अरे वाह! लगता है मेरा प्लान काम कर गया।"
जब काव्या को उसके सवाल का जवाब नहीं मिला, तो उसने अपना हाथ उठाकर और हर्ष के सामने हिलाते हुए पूछा,
"हेलो? हम आपसे कुछ पूछ रहे हैं। आपका नाम क्या है?"
हर्ष काव्या के दोबारा सवाल करने पर अपनी ख्यालों की दुनिया से बाहर आया और काव्या की तरफ मुस्कुराते हुए बोला,
"मेरा नाम हर्ष खन्ना है।"
काव्या उससे प्यार से बोली, "बहुत अच्छा नाम है आपका।" फिर वह अपने हाथ में बंधी काले रंग की घड़ी की तरफ देखती है, और जल्दी से हर्ष की तरफ देखते हुए बोली, "हम कॉलेज के लेट हो रहे हैं। हमें आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा।" इतना बोलकर वह जल्दी से अपनी कार की तरफ दौड़ी और अपनी कार में बैठकर वहाँ से कॉलेज के लिए निकल गई।
काव्या को कार जाते हुए देखता रह गया। एक कुटिल मुस्कान के साथ, वह अपने मन में बोला, "अभी तो शुरुआत की है। तुम अभी से इम्प्रेस हो गईं। आगे-आगे देखती जाओ क्या-क्या होता है।" फिर वह एक कुटिल मुस्कान के साथ वहाँ से अपनी कार में बैठकर निकल गया।
कबीरा अपने कमरे में बैठी हुई थी। तभी उसने अपना फ़ोन उठाकर अजय को कॉल किया। 1-2 रिंग के बाद ही अजय ने कॉल उठा लिया। दूसरी तरफ़ से अजय की धीमी सी आवाज़ आई,
"हेलो।"
अजय का "हेलो" सुनकर कबीरा ने भी उससे कहा,
"हेलो अजय, तुमने वह कल वाला वीडियो संभालकर तो रख लिया ना?"
अजय कबीरा की फ़ोन पर आवाज़ सुनकर बोला,
"हाँ रख लिया है।"
कबीरा: "देखो, तुम रूहान पर अपनी नज़रें बनाए रखना कि वह क्या करता है? और कहाँ जाता है? क्योंकि मैं दिन में तो तुम्हारी हेल्प नहीं कर सकती हूँ, बस इस घर में रूहान पर नज़र ही रख सकती हूँ।"
अजय: "हाँ मेरी प्यारी बहन, मैं सब कुछ कर लूँगा। तुम फ़िकर मत करो।"
कबीरा अजय की बात सुनकर हँसते हुए बोली,
"हाँ मेरे भाई, मैं सब समझ गई।"
फिर वह थोड़ा अजय के लिए परेशान होते हुए बोली,
"तुम अपना ध्यान रखना और हर काम ध्यान से करना। उस रूहान को शक मत होने देना खुद पर।"
अजय ने भी कबीरा को उसके लिए टेंशन लेते देखा तो उसने कबीरा से बहुत प्यार से कहा,
"हाँ मैं ध्यान रखूँगा अपना। तुम भी अपना ध्यान रखना, ठीक है।"
अजय की बात सुनकर कबीरा ने भी प्यार से अजय से फ़ोन पर कहा,
"ठीक है मेरे भाई, मैं भी अपना पूरा ध्यान रखूँगी।"
फिर वह दोनों कॉल डिस्कनेक्ट कर देते हैं।
रूहान का ऑफिस:
एक बड़ी सी बिल्डिंग के सामने एक कार आकर रुकी। उस कार के अंदर से एक बहुत ही हैंडसम सा लड़का बाहर निकला। जब वह बिल्डिंग के अंदर जाने लगा, तो उस बिल्डिंग के अंदर काम करने वाली सारी लड़कियाँ उस लड़के को ही देख रही थीं, या यूँ कहें, ताड़ रही थीं।
वह लड़का उन लड़कियों पर ध्यान ना देते हुए सीधे ही एक केबिन का दरवाज़ा खोलकर अंदर चला गया। जब उस केबिन के अंदर बैठे हुए दूसरे हैंडसम लड़के की नज़र उस सामने आ रहे लड़के पर पड़ी, तो वह खुशी से खड़ा हुआ और सीधे ही जाकर उस सामने से आ रहे लड़के को गले लगा लिया।
वह केबिन में बैठा हुआ लड़का, उस सामने से आ रहे लड़के से गले मिलकर हटते हुए झूठी नाराज़गी में बोला,
"हर्ष! तू मेरी शादी में नहीं आया ना? मैं तेरे से बहुत नाराज़ हूँ।"
हर्ष खन्ना केबिन में बैठे हुए लड़के की नाराज़गी देखकर उससे प्यार से बोला,
"रूहान! अब आ गया ना मैं। मैं अब कुछ टाइम के लिए इस शहर में ही रहूँगा। मुझे कुछ काम है यहाँ पर। फिर तो तू मेरे से नाराज़ नहीं रहेगा ना? तो अब खुश हो जा मेरे दोस्त।"
हर्ष के इतना बोलने पर भी रूहान ने हर्ष से थोड़ा और नाराज़गी का झूठा नाटक करते हुए कहा,
"हाँ, पर मेरी एक शर्त है, फिर मैं तेरे से नाराज़ नहीं होऊँगा।"
रूहान सिंघानिया की बात सुनकर हर्ष ने अपनी एक भौंह ऊपर उठाकर रूहान से पूछा,
"कैसी शर्त?"
हर्ष के शर्त के बारे में पूछने पर रूहान ने उसकी तरफ़ प्यार से देखते हुए कहा,
"कुछ नहीं। बस जब तक तू यहाँ पर ही रहेगा ना, तब तक तुझे मेरे घर पर ही रुकना होगा। बोल, मंज़ूर है?"
रूहान की बात सुनकर हर्ष खन्ना को दिल ही दिल में खुशी महसूस हो रही थी और वह मन में बोल रहा था, "अरे वाह! इसने तो कुल्हाड़ी पर अपना पैर खुद ही मार दिया।"
पर वह रूहान को इतनी आसानी से उसके घर पर रुकने के लिए हाँ नहीं कर सकता था। इसलिए उसने रूहान को मना करने का झूठा नाटक करते हुए कहा,
"पर तेरे घर मैं कैसे रुक सकता हूँ?"
हर्ष के यह सवाल करने पर रूहान ने हर्ष की तरह अपनी आँखों से घूरते हुए ऑर्डर देने वाले लहज़े में कहा,
"पर वर कुछ नहीं। तू बस मेरे साथ मेरे घर पर ही रहेगा। अब और बहस नहीं, बात ख़त्म।"
हर्ष खन्ना ने रूहान सिंघानिया की बात सुनकर रूहान के घर रहने के लिए मानते हुए कहा,
"अच्छा, चल। जब तू इतना बोल ही रहा है तो मैं तेरे घर पर रुक जाता हूँ।"
हर्ष की बात सुनकर कि हर्ष अब उसके घर पर ही रहेगा, रूहान खुश हो गया।
और उसने खुश होते हुए हर्ष से कहा,
"अब ये ही ना मेरे दोस्त वाली बात!" यह बोलकर रूहान ने हर्ष को ख़ुशी में अपने गले से लगा लिया।
रूहान सिंघानिया के गले से लगे हुए हर्ष के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गई थी।
तो क्या काव्या हर्ष खन्ना के प्यार के झूठे जाल में फँस जाएगी?
क्या रूहान काव्या को हर्ष खन्ना के झूठे प्यार के जाल से बचा पाएगा?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले"
आगे की कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तब तक आप खुश रहिए और सही-सलामत रहिए।
तब तक के लिए अलविदा।
नव्या खान
एक महीने बाद!
जब रूहान सिंघानिया ने हर्ष खन्ना को अपने घर रहने के लिए कहा, तो पहले हर्ष ने झूठे नखरे किए। पर फिर रूहान के कहने पर वह उसके घर रहने के लिए मान गया। और वैसे भी उसका दिल उस समय खुशी से उछल रहा था; उसका नाचने का मन कर रहा था। वो उस समय रूहान सिंघानिया के साथ था, इसलिए वह अपनी खुशी अपने चेहरे पर नहीं आने दे रहा था।
ऐसे ही वह दिन बीत गया और शाम हो गई। रूहान और हर्ष भी घर आने के लिए निकल गए।
सिंघानिया मेंशन:-
जब रूहान और हर्ष खन्ना सिंघानिया मेंशन के दरवाज़े से अंदर आ रहे थे, तब उनकी नज़र हॉल में बैठे हुए सभी लोगों पर गई। सब लोग हँसी-खुशी बात कर रहे थे, पर वहाँ उस समय काव्या मौजूद नहीं थी; वह अपने कमरे में थी।
रूहान तो सीधा ही अंदर चला गया, पर हर्ष खन्ना दरवाज़े पर ही रुक गया था। इसलिए जब सोफिया जी की नज़र दरवाज़े पर खड़े हर्ष खन्ना पर गई, तो उन्होंने उसे आवाज़ लगाकर कहा, "बेटा, दरवाज़े पर क्यों रुके हो? इस तरह से अंदर आ जाओ।"
और फिर उन्होंने एक सोफे की तरफ़ बैठने का इशारा करते हुए हर्ष से प्यार से कहा, "यहाँ आकर बैठो बेटा।"
सोफिया जी के इतने प्यार से बुलाने पर हर्ष खन्ना अंदर आ गया और जिस सोफे की तरफ़ सोफिया जी ने बैठने का इशारा किया था, वहाँ आकर बैठ गया।
सोफिया जी ने रूहान से इशारे से पूछा, "यह कौन है?"
तो सोफिया जी के इशारे को समझते हुए रूहान ने उनकी तरफ़ देखते हुए हर्ष के बारे में बताते हुए कहा, "मोम, यह मेरा बेस्ट फ्रेंड है। यह मेरे साथ मेरे कॉलेज में पढ़ता था। इसे इस शहर में कुछ काम है, तब तक यह हमारे साथ ही, हमारे घर में रहेगा। अरे हाँ, मैं तो इसका नाम बताना ही भूल गया, मोम। इसका नाम हर्ष खन्ना है।"
सोफिया जी ने रूहान की पूरी बात सुनकर मुस्कुराते हुए हर्ष की तरफ़ देखते हुए कहा, "यह तो अच्छी बात है कि यह यहाँ पर ही रुकने वाला है।"
ऐसे ही कुछ देर वे सब बात करते रहे और फिर सोफिया जी ने समीर से कहा, "जाओ समीर बेटा, इसको गेस्ट रूम दिखा दो। यह जाकर फ़्रेश हो जाएगा।"
सोफिया जी की बात सुनकर समीर ने सोफिया जी से इज़्ज़त के साथ कहा, "यस मोम, मैं हर्ष जी को उनका रूम दिखा देता हूँ।"
सोफिया जी से यह बात बोलकर समीर ने हर्ष से कहा, "तो चलिए हर्ष जी, हमारे साथ। मैं आपको आपका रूम दिखा देता हूँ।" यह बोलकर समीर हर्ष को अपने साथ उसका रूम दिखाने ले गया।
शाम 8:00 बजे:-
शाम 8:00 बजे सब लोग डिनर के लिए डाइनिंग टेबल के सामने अपनी-अपनी कुर्सियों पर बैठे हुए थे। बस वहाँ पर काव्या नहीं थी। तो सोफिया जी ने कबीरा की तरफ़ बहुत प्यार से देखते हुए कहा, "जा बेटा, काव्या को भी बुला ला। अपने एग्ज़ाम की वजह से, बस एग्ज़ाम की तैयारी ही करती रहती है।" तो कबीरा भी मुस्कुराते हुए काव्या को बुलाने के लिए चली गई और उसे बुलाकर ले आई।
काव्या बिना किसी को देखे अपनी चेयर पर बैठ गई और अपना डिनर करने लगी। जब हर्ष को यह महसूस हुआ कि क्या काव्या ने उसे देखा ही नहीं है, तो हर्ष जान-बूझकर काव्या की तरफ़ देखते हुए और अनजान बनते हुए बोला, "आप यहाँ पर?" जैसे उसको पता ही नहीं था कि काव्या भी यहाँ पर ही रहती है।
हर्ष खन्ना के सवाल पूछने से काव्या का भी ध्यान उसकी तरफ़ हो जाता है और एकदम से उसके चेहरे पर खुशी झलक आती है। वह खुश होते हुए बोलती है, "मैं तो यहीं पर ही रहती हूँ, यह मेरा घर है। आप बताओ आप यहाँ पर कैसे?"
हर्ष के जवाब देने से पहले ही रूहान बोल पड़ा, "यह मेरा बेस्ट फ्रेंड है, और मेरे साथ मेरे कॉलेज में पढ़ता था।"
कबीरा हर्ष और काव्या की तरफ़ सवालिया निगाहों से देखते हुए पूछा, "वैसे तुम दोनों एक-दूसरे को कैसे जानते हो?" हर्ष ने कबीरा के सवाल का जवाब देते हुए बोला, "भाभी, हम आज सुबह ही मिले थे।"
तो हर्ष उन दोनों के बीच में टपक पड़ती है और एक्साइटेड होते हुए बोलती है, "अरे अरे भाभी, मैं बताती हूँ, ये अपनी तारीफ़ खुद थोड़ी ना करेंगे, यह तो सुपर हीरो की तरह है, आज इन्होंने एक लड़की की हेल्प सुपर हीरो बनकर की।" फिर वह सबको एक्साइटेड होकर सुबह वाली घटना की सारी बात बता देती है।
काव्या की बात सुनकर समीर ने अपना मुँह बनाते हुए काव्या से कहा, "मैं भी सुपर हीरो हूँ, मैंने भी बहुत सी लड़कियों की ऐसे हेल्प की है, कभी मेरी भी तारीफ़ कर लिया कर।" तो काव्या समीर को चिढ़ाने के लिए सबकी तरफ़ देखती हुई बोलती है, "समीर भैया की तारीफ़ तो कोई तब करेगा ना, जब वह अपनी तारीफ़ खुद करना बंद करेंगे।" इतना बोलकर वह हँसने लगी।
सब अपना डिनर करके अपने-अपने रूम में जाने लगे। कुछ समय बाद सब लोग अपने-अपने रूम में चले गए थे। जब काव्या सीढ़ियों से चढ़कर अपने रूम की तरफ़ जा रही थी, तब हर्ष ने काव्या को जान-बूझकर अपना पैर अड़ाकर गिरा दिया था। जब काव्या को यह लगा कि वह सीढ़ियों से नीचे गिरने वाली है, तो उसने डर की वजह से अपनी आँखें जोर से बंद कर ली थीं, जैसे वह उसे आगे मिलने वाले दर्द के लिए तैयार हो रही हो। पर जब काव्या गिरने वाली थी, तो तब हर्ष ने बहुत ही तेज़ी से काव्या को उसकी कमर पर से अपने मज़बूत हाथों से पकड़कर उसे सम्भाल लिया था, ताकि वह काव्या को यह दिखा सके कि काव्या सीढ़ियों से नीचे गिरने वाली थी, पर उसने उसे नीचे गिरने से बचा लिया।
जब काव्या को यह महसूस हुआ कि वह नीचे नहीं गिरी है और उसे कोई दर्द महसूस नहीं हुआ, तो वह अपनी आँखें हल्के-हल्के खोलकर देखती है; उसे अपनी आँखों के सामने हर्ष का हैंडसम सा चेहरा नज़र आता है।
हर्ष सम्भालकर उसे सीधा खड़ा करता है। काव्या हर्ष को मुस्कुराकर देखते हुए बोलती है, "थैंक यू।" हर्ष भी अपने मन की एक कुटील मुस्कान के साथ उसे देखते हुए बोला, "मोस्ट वेलकम।" फिर काव्या अपना राइट हैंड थोड़ा आगे बढ़ाती हुई बोली, "फ्रेंड्स।" काव्या के हाथ को देखकर हर्ष ने भी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसके हाथ से हाथ मिलाते हुए बोला, "फ्रेंड्स।" फिर वे दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराकर देखते हुए अपने-अपने रूम में चले गए।
ऐसे ही दिन बीतने लगे थे। काव्या और हर्ष एक-दूसरे के नज़दीक आने लगे थे, या यूँ कहें, काव्या के हर्ष के प्यार के जाल में फँसने की शुरुआत हो चुकी थी।
वहीं दूसरी तरफ़ कबीरा अजय के साथ मिलकर रूहान के ख़िलाफ़ एक के बाद एक सबूत इकट्ठा कर रही थी। जिन-जिन लोगों को रूहान मरवा रहा था, वह वे सब सबूत इकट्ठा कर रही थी और दिन प्रतिदिन कबीरा की नज़रों में रूहान के लिए नफ़रत बढ़ती जा रही थी। कबीरा का नज़रिया रूहान के प्रति और गुस्से वाला होने लगा था; वह उसके लिए इस दुनिया का सबसे बड़ा शैतान बन गया था।
एक महीने बाद:-
दोपहर के 12:00 बजे थे। सूरज सिर पर चढ़ा हुआ था और अपनी गरमी बिखेर रहा था। एक रूम में शांति छाई हुई थी। एक लड़की आराम से बेड पर बैठी हुई, अपने हाथों में फ़ोन पकड़कर उसमें कुछ कर रही थी। तभी उस लड़की का फ़ोन बजता है; उस पर किसी का कॉल आ रहा था। उस लड़की ने झट से कॉल पिक कर लिया और बोली, "हैलो अजय।" दूसरी तरफ़ से आवाज़ आई, "हैलो कबीरा।" फिर अजय ने उससे कुछ कहा, जिसको सुनकर कबीरा की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं और उसने अपना डाउट क्लियर करने के लिए पूछा, "सच में उस शैतान (शैतान मतलब रूहान) ने ऐसा किया?"
कबीरा के यह सवाल करने पर अजय ने कबीरा को हाँ में जवाब देते हुए कहा, "हाँ, उसने बिलकुल ऐसा ही किया है।"
तो अब ऐसा क्या कर दिया रूहान ने, जो अजय की बात सुनकर कबीरा की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं? आगे की कहानी अगले भाग में।
कबीरा का रूहान को गले लगाना!
जब कबीरा के पास अजय का कॉल आया, तब कबीरा ने अजय की कॉल पिक कर ली और अपना फ़ोन अपने कान के पास लगाते हुए बोली, "हेलो।"
दूसरी तरफ से, अजय ने भी कबीरा की आवाज सुनकर कबीरा से "हेलो" कहा। हैलो-हाय के बाद, अजय ने कबीरा को कुछ बताया, जिसे सुनकर कबीरा की आँखें हैरानी से बड़ी-बड़ी हो गईं।
पर फिर भी, कबीरा ने एक बार दुबारा अपना डाउट क्लियर करने के लिए अजय से पूछा, "क्या सच में उसे शैतान ने ऐसा किया? मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है, तुम्हारी इस बात पर कि वह शैतान ऐसा भी कर सकता है?"
दूसरी तरफ से, कबीरा की बात सुनकर अजय ने कबीरा को अपनी बात पर यकीन दिलाते हुए कहा, "हाँ कबीरा, उसने बिलकुल ऐसा ही किया है।"
जब कबीरा ने अजय की बात सुनी और उसका दुबारा जवाब हाँ सुना, तब उसने अजय से बोला, "अच्छा, तुम मुझे पूरी बात बताओ।"
कबीरा की बात सुनकर, अजय कबीरा को पूरी बात बताने लगा।
फ्लैशबैक:-
रूहान अपनी कार ड्राइव करता हुआ जंगल वाले रास्ते से जा रहा था। वह ऐसी जगह थी जहाँ पर बहुत कम लोग आते-जाते थे। तभी उसकी नज़र लेफ्ट साइड के जंगल वाली जगह पर गई। पहले तो उसने ध्यान नहीं दिया, फिर दोबारा उसने उस तरफ ध्यान से देखना शुरू किया। उसने देखा कि एक लड़की के हाथ-पैर रस्सी से बाँधे गए थे और उसके मुँह पर भी कपड़ा बाँधा गया था। और उस लड़की के सामने चार-पाँच लड़के खड़े थे। वे लड़के उस लड़की की तरफ़ गंदी नज़रों से देखते हुए हँस रहे थे और कुछ बात कर रहे थे। रूहान को उनकी बातें तो सुनाई नहीं दे रही थीं, पर वह यह समझ गया था कि वे लोग क्या करना चाहते थे और क्या करने वाले थे।
यह सब देखते ही उसने अपनी कार एक झटके में रोक दी और जल्दी से लेफ्ट साइड के जंगल वाली जगह की तरफ़ दौड़कर जाने लगा, जहाँ पर वह लड़की और वे लड़के मौजूद थे।
जैसे ही उन सब लड़कों में से एक लड़के ने उस लड़की की तरफ़ अपने कदम बढ़ाते हुए, उस लड़की की ओढ़ी हुई चुनरी खींचने की कोशिश की, वैसे ही रूहान ने एक झटके में उस लड़के का हाथ अपने हाथों से पकड़कर तोड़ दिया और बहुत ही प्यार से उस लड़की की चुनरी, उस लड़की को वापस ओढ़ा दी। तभी उन लड़कों में से एक लड़का रूहान को गुस्से से देखते हुए बोला,
"देख क्या रहे हो? सब मिलकर इसको मारो।"
पर जैसे ही वे सब लड़के रूहान को मारने के लिए आगे बढ़े, रूहान ने सबको मारना-पीटना शुरू कर दिया। थोड़े ही समय बाद वे सब लड़के जमीन पर पड़े हुए थे और दर्द के मारे तड़प रहे थे।
फिर रूहान ने अपने कदम उस लड़की की तरफ़ बढ़ा दिए और गंभीर भाव के साथ उसने उस लड़की का मुँह खोला और फिर एक-एक करके वह उस लड़की के हाथ-पैर खोलने लगा।
तभी उन लड़कों में से एक लड़का उठा और उसने अपने हाथ में शराब की एक बोतल पकड़ ली और पीछे से रूहान को गुस्से से देखते हुए अपने कदम उसने रूहान की तरफ़ बढ़ा दिए। जैसे ही उस लड़की की नज़र उस बोतल को हाथ में पकड़े हुए लड़के पर गई, तो वह एकदम से चिल्लाई, "अपने पीछे देखो!"
जैसे ही रूहान मुड़कर अपनी पीछे देखने लगा, तब तक उस लड़के ने अपने हाथ में पकड़ी हुई शराब की काँच की बोतल रूहान के सिर पर दे मारी। काँच की बोतल उसके सिर पर लगने के कारण रूहान के कदम थोड़े से लड़खड़ा गए और उसके सिर से खून निकलने लगा था।
पर फिर भी उस टूटी हुई काँच की बोतल को अपने हाथ में पकड़े हुए लड़के ने उस बोतल से रूहान के सीने पर वार कर दिया, जिस कारण रूहान का सीना खून से लथपथ हो गया था और उससे खून आने लगा था।
जब उस लड़के ने रूहान को ज़ख्मी देखा, तो वह लड़का वहाँ खड़ा होकर जोर-जोर से हँसने लगा, जैसे रूहान का मज़ाक बना रहा हो।
पर अब तक रूहान भी थोड़ा सा होश में आ गया था और जिस वजह से उसने उस लड़के को खूब मारा और उस लड़के को मार-पीटकर उन सब लड़कों को एक पेड़ से लगाकर उस रस्सी से बाँध दिया, जिस रस्सी से उन लड़कों ने उस लड़की के हाथ-पैर बाँधे हुए थे।
फिर रूहान ने पुलिस को फ़ोन करके वहाँ पर बुला लिया और उन बदमाश लड़कों को पुलिस को सौंप दिया और फिर रूहान ने उन लड़कों की तरफ़ गुस्से से देखते हुए पुलिस से बोला, "इनको सख़्त से सख़्त सज़ा मिलनी चाहिए। इन सब पर इतने केस लगाओ कि पूरी ज़िंदगी बाहर की दुनिया ही न देख पाएँ।"
और फिर वह आगे गंभीर भाव के साथ पुलिस से बोला, "और हाँ, इन सब में इस लड़की का कोई ज़िक्र नहीं आना चाहिए।" क्योंकि वह जानता था कि इन सब में अगर इस लड़की का ज़िक्र आया तो इस लड़की की बहुत बदनामी होगी और पूरी ज़िंदगी भर इस लड़की को इस बदनामी को सहना पड़ेगा और इसके बारे में लोग तरह-तरह की बातें बनाएँगे, क्योंकि लोगों को सिर्फ़ मौक़ा चाहिए होता है कुछ कहने का, जो उन्हें मिलना चाहिए बस, फिर वे किसी को ताने मारने से पीछे नहीं हटते हैं।
उसके बाद रूहान ने उस लड़की को सही-सलामत उस लड़की के घर पर छोड़ दिया और खुद हॉस्पिटल चला गया।
प्रजेंट टाइम:- अजय की पूरी बात सुनने के बाद कबीरा ने उससे पूछा, "वैसे तुम्हें यह सब कैसे पता चला?" तो अजय ने कबीरा से कहा, "तुम्हें तो पता ही है कि मैं हमेशा ही रूहान पर अपनी नज़र बनाए रखता हूँ, इसलिए आज भी मैं उसका पीछा कर रहा था। रास्ते में मेरी कार में पंक्चर हो गया, जिस कारण मुझे अपनी गाड़ी का टायर चेंज करना पड़ा, इसलिए मैं लेट हो गया। और जब मैंने पुलिस वालों को उन सब लड़कों को ले जाते हुए देखा और रूहान को उस लड़की के साथ कार में जाते हुए देखा, तो तब मैंने उन पुलिस वालों से पूरी बात पूछी, तो उन्होंने मुझे यह सब बता दिया।"
अजय की बात सुनकर कबीरा ने शांत भाव से कहा, "अच्छा।"
और फिर दोनों ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दिया।
शाम के 8:00 बजे:-
कबीरा बेचैनी से अपने रूम में इधर-उधर टहल रही थी। शायद उसको आज पहली बार रूहान की फ़िक्र हो रही थी, क्योंकि उसको अजय ने पहले ही बता दिया था कि रूहान के सिर पर और सीने पर काफ़ी चोट आई है। शायद आज पहली बार उसकी नज़र रूहान को सही-सलामत देखना चाहती थी। आज पहली बार ऐसा था कि कबीरा के चेहरे पर रूहान के लिए गुस्सा नहीं, बल्कि उसके प्रति फ़िक्र झलक रही थी।
तभी दरवाज़े से आ रहे रूहान पर कबीरा की नज़र चली गई। रूहान को एकदम से अपने सामने सही-सलामत देखकर, कबीरा बिना कुछ सोचे-समझे भागती हुई रूहान के पास आई और उसके गले से लग गई।
तो क्या कबीरा और रूहान के बीच की दूरियाँ कम हो पाएँगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले।"
कबीरा और रूहान के सकून भरे पल और कार एक्सीडेंट!
कबीरा बेचैनी से अपने कमरे में इधर-उधर टहल रही थी। शायद आज उसे पहली बार रूहान की फिक्र हो रही थी क्योंकि अजय ने पहले ही उसे बता दिया था कि रूहान के सिर और सीने पर काफी चोट आई है।
शायद आज पहली बार उसकी निगाहें रूहान को सही-सलामत देखना चाहती थीं। आज पहली बार ऐसा था कि कबीरा के चेहरे पर गुस्सा नहीं, बल्कि रूहान के प्रति चिंता झलक रही थी।
कबीरा बार-बार दरवाजे को देख रही थी। वह बार-बार दरवाजे को क्यों देख रही थी, यह तो वह भी नहीं जानती थी, पर उसकी निगाहें दरवाजे से हट ही नहीं रही थीं। तभी उसकी नज़र दरवाजे से आ रहे रूहान पर गई।
और उसने देखा कि रूहान के सिर पर पट्टी बंधी हुई है और उस पट्टी से खून साफ-साफ झलक रहा था। जिसे देखकर यह पता लग रहा था कि रूहान के सिर पर काफी चोट आई होगी, पर कबीरा को अभी उसके सीने की चोट दिखाई नहीं दे रही थी क्योंकि रूहान ने अभी शर्ट पहनी हुई थी।
कबीरा ने जैसे ही रूहान को देखा, वह बिना सोचे-समझे भागती हुई रूहान के पास आई और उसके सीने से लग गई। क्योंकि उस टाइम रूहान को सही-सलामत देखकर कबीरा को एक अलग ही सकून मिल रहा था।
दूसरी तरफ, रूहान तो बस कबीरा को अपने गले लगे हुए हैरानी से देख रहा था। उसे तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि ऐसे अचानक से कबीरा को क्या हो गया।
"क्योंकि कबीरा ने उसे भागते हुए आकर इतनी जल्दी अपने गले से लगा लिया था कि रूहान को कुछ समझ में ही नहीं आया कि अभी उसके साथ क्या हुआ।" वह बस अभी अपने सीने से लगी हुई कबीरा को ही एकटक देख रहा था और यह समझने की कोशिश कर रहा था कि अभी उसके साथ क्या हुआ।
कबीरा को जब यह एहसास हुआ कि उसने अभी क्या किया, तो वह एकदम से हड़बड़ाहट में रूहान के सीने से हटती हुई उससे दूर जाने लगी और अपने कदम पीछे हटाती हुई रूहान को देखने लगी। वह अपनी बिना पलकें झपकाए रूहान को देख रही थी और दूसरी तरफ रूहान तो बस कबीरा की बड़ी-बड़ी आँखों में ही खोया जा रहा था।
रूहान का एक हाथ खुद ही कबीरा की तरफ बढ़ गया और उसने कबीरा के हाथ को पकड़कर कबीरा को अपनी तरफ खींच लिया। रूहान के ऐसे अचानक से खींचने की वजह से कबीरा एकदम से खींचे जाने से संभल नहीं पाई और रूहान के सीने से लग गई। रूहान ने अपने मजबूत हाथ कबीरा की कमर पर रख दिए।
"तेरे सामने आ जाने से, यह दिल मेरा धड़का है,
यह गलती नहीं है तेरी, कसूर नज़र का है,
तेरे सामने आ जाने से, यह दिल मेरा धड़का है,
यह गलती नहीं है तेरी, कसूर नज़र का है,
जिस बात का तुझ को डर है, वो करके दिखा दूँगा।
ऐसे ना मुझे तुम देखो, सीने से लगा लूँगा।
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे, दिल में छुपा लूँगा।
ऐसे ना मुझे तुम देखो, सीने से लगा लूँगा।
तुमको मैं चुरा लूँगा तुमसे, दिल में छुपा लूँगा।
तुमसे पहले, तुमसा कोई, हमने नहीं देखा।"
रूहान के ऐसा करने से कबीरा के पूरे शरीर में एक सिरहन सी दौड़ गई थी। उसकी धड़कनें किसी बुलेट ट्रेन की स्पीड की तरह बढ़ गई थीं। उसे उस टाइम ऐसा लग रहा था जैसे उसका दिल एक ही झटके में उसके सीने से निकल कर बाहर आ जाएगा।
कबीरा रूहान से दूर होने के लिए झटपटाने लगी, पर उसकी रूहान से दूर होने की सारी कोशिशें नाकाम हो रही थीं क्योंकि उस समय रूहान ने उसकी कमर को बहुत ही मजबूती से पकड़ा हुआ था।
जब रूहान को यह एहसास हुआ कि कबीरा उससे दूर होने की नाकाम कोशिश कर रही है, तो तब उसने कबीरा से बहुत ही शांत भाव से बोला, "रिलैक्स, बस थोड़ी देर शांति से ऐसे ही खड़ी रहो, प्लीज़।"
रूहान की बात सुनकर कबीरा ने रूहान से दूर होने की कोशिश करनी बंद कर दी और उसकी बाहों में शांत होकर खड़ी हो गई।
शायद आज पहली बार ऐसा था कि कबीरा रूहान के पास होने पर भी आज कबीरा को ना तो रूहान पर गुस्सा आ रहा था और ना ही किसी भी तरह की घबराहट महसूस हो रही थी। वह तो बस शांति से रूहान के सीने से लगी हुई खड़ी थी और रूहान की धड़कनें सुन रही थी।
दूसरी तरफ, रूहान को कबीरा को अपने सीने से लगाकर आज एक अलग सुकून मिला था। चाहे जो भी हो, वह इस सकून को आज जी भर के जी लेना चाहता था।
ऐसा क्यों था, इस बात से दोनों ही अनजान थे। वे बस एक-दूसरे को अपने सीने से लगाए शांत खड़े हुए थे। पूरे कमरे में एक अलग ही शांति छाई हुई थी। बस उस कमरे में उन दोनों की बढ़ी हुई धड़कनों का शोर ही सुनाई दे रहा था।
"तुमसे पहले, तुमसा कोई, हमने नहीं देखा।
तुम्हें देखते ही, मर जाएँगे, यह नहीं था सोचा।
बाहों में तेरी मेरी, यह रात ठहर जाए,
तुझ में है कहीं पे मेरे, सुबह भी गुज़र जाए।
बाहों में तेरी मेरी, यह रात ठहर जाए।
तुझ में ही कहीं पर मेरी, सुबह भी गुज़र जाए।
जिस बात का तुझ को डर है, वो करके दिखा दूँगा।
ऐसे ना मुझे तुम देखो, सीने से लगा लूँगा।
मुझको मैं चुरा लूँगा तुझसे, दिल में छुपा लूँगा।"
कबीरा की रूहान के लिए फ़िक्र!
कबीरा रूहान के सीने से लगी हुई, एकदम शांति से खड़ी थी। बस एक ही चीज थी जो बिल्कुल भी शांत नहीं थी—वह थी उसकी बढ़ी हुई धड़कन। उसका दिल उस टाइम किसी बुलेट ट्रेन की स्पीड के साथ धड़क रहा था और उसकी साँसें बहुत ही तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थीं।
दूसरी तरफ़, रूहान को कबीरा के सीने से लगकर एक अलग ही सुकून मिला रहा था। उसके हाथ अभी कबीरा की कमर पर कसते ही जा रहे थे, पर जब उसने कबीरा की बेकाबू हो रही धड़कनों को महसूस किया, तो उसने कबीरा की कमर पर से अपने हाथों की पकड़ थोड़ी ढीली कर दी और अपने हाथों को उसकी कमर से हटाते हुए धीरे से उससे दूर हो गया।
वह, बिना कबीरा से कुछ बोले, सीधे ही अलमारी की तरफ़ चला गया और अलमारी के अंदर से अपने कपड़े लेकर बाथरूम में चेंज करने चला गया।
कबीरा तो अभी भी उस जगह पर ही बर्फ की तरह जमी हुई खड़ी थी जहाँ पर रूहान उसे अभी-अभी छोड़कर चला गया था।
थोड़ी देर बाद कबीरा अपने होश में वापस आई। वह थोड़ी देर पहले उसके और रूहान के बीच में क्या हुआ था, वह सब सोचने लगी। उसकी आँखों के सामने थोड़ी देर पहले वाले सारे दृश्य किसी फ़िल्म के सीन की तरह चलने लगे।
फिर वह यह सब सोचते हुए, कबीरा ने अपने मन में बोला, "ये क्या किया हमने? हमने उस रूहान को अपने सीने से क्यों लगाया? और जब उसने हमें उसके सीने से लगे रहने के लिए कहा, तो हम क्यों उससे अलग नहीं हो पाए?"
खुद से अपने मन में यह सवाल करके कबीरा ने आगे अपने मन में खुद ही जवाब देते हुए कहा, "उसे काफी चोट आई है, शायद इसीलिए ही हमने उसकी बात मान ली होगी।"
फिर उसने खुद अपने किए पर खुद को तसल्ली देते हुए खुद से ही कहा, "हाँ हाँ, शायद इसीलिए ही हमने उसकी बात मान ली होगी, हम उस शैतान की तरह पत्थर दिल थोड़ी हैं ना!"
फिर उसने रूहान की और उस लड़की को बचाने वाली बात सोचकर कहा, "नहीं, पत्थर दिल तो वह भी नहीं है, तभी तो उसने उस लड़की को उन बदमाश लड़कों से बचाया था।" फिर दूसरे ही पल उसको रूहान का उन सब लोगों को जान से मरवाना याद आ गया जिनको रूहान खुद मरवा देता था।
यह याद आते ही कबीरा के चेहरे पर फिर से गुस्सा दिखाई देने लगा और उसने गुस्से वाले भाव के साथ अपने मन में कहा, "नहीं नहीं, वह एक शैतान ही है।"
फिर उसने खुद से ही कहा, "कबीरा, तू उसके बारे में इतना क्यों सोच रही है? छोड़ उस रूहान को, तू।"
यह बोलकर उसने रूहान के ख्यालों को एक तरफ़ झटक दिया और बेड की तरफ़ अपने कदम बढ़ा दिए।
फिर उसने बेड की तरफ़ जाते हुए अपने मन में सोचते हुए कहा, "रूहान को बहुत चोट आई है, उसे आराम से सोने की ज़रूरत है। आज मैं बेड पर नहीं सोती, रूहान ही सो जाएगा बेड के ऊपर।"
यह सोचकर उसने एक ब्लेन्किट उठाया और वह उस रूम के अंदर रखे सोफ़े पर जाकर लेट गई।
सिंघानिया मेंशन:-
रूहान और कबीरा अपने रूम में शांति से सो रहे थे। दूसरी तरफ़, बाकी सब हॉल में बैठकर हँसी-खुशी नाश्ता कर रहे थे। समीर को मिस्टर खन्ना का इम्पॉर्टेन्ट कॉल आया था, तो वह जल्दी से वहाँ से निकलकर जाने लगा। सोफिया जी उसे पीछे से आवाज़ लगती ही रहीं, "कै बेटा, रुक जा, नाश्ता तो कर के जा।" पर समीर जल्दी-जल्दी से अपने कदम दरवाजे की तरफ़ बढ़ाते हुए सोफिया जी से बोला, "अभी इम्पॉर्टेन्ट काम है, मोम, मैं ऑफ़िस में ही ब्रेकफ़ास्ट कर लूँगा।" ये बोलते हुए ही वह वहाँ से बाहर निकल गया।
सोफिया जी ने मुँह बनाते हुए बोला, "इस लड़के का कुछ नहीं हो सकता।" तभी वहाँ बाहर भागते हुए एक अधेड़ उम्र का आदमी आया। उसके चेहरे पर परेशानी भरे भाव थे। सोफिया जी ने उनसे पूछा, "क्या हुआ राम भाई? आप इतने परेशान क्यों हो?"
राम ने परेशान होते हुए ही सोफिया जी से बोला, "मालकिन, हमार औरत की बहुत तबीयत खराब है। हमार बिटिया ने अभी फ़ोन किया था। हमें घर जाना होगा अभी।"
उसकी बात सुनकर सोफिया जी ने उनको तसल्ली देते हुए कहा, "राम भाई, भाभी को कुछ नहीं होगा। आप घर जाइए।"
ये बोलते हुए ही उन्होंने अपने पर्स से निकालकर कुछ पैसे भी उनके हाथों में थमा दिए। राम भाई वहाँ से चले गए।
काव्या सोफिया जी की तरफ़ को देखते हुए, काफी परेशानी भरे भाव के साथ बोली, "मोम, पर अब हम कॉलेज कैसे जाएँगे? समीर भैया भी यहाँ पर नहीं है और रूहान भैया को तो काफी चोट लगी है। और हम तो आज कॉलेज से छुट्टी भी नहीं ले सकते हैं। हमें हमारा एक असाइनमेंट आज ही कॉलेज में सबमिट करना है, नहीं तो हमारे प्रोफ़ेसर सर 4 दिन के लिए हॉलिडे पर ही रहने वाले हैं और अगर उसके बाद हमने अपना असाइनमेंट सबमिट किया तो तब तक उसकी सब्मिशन डेट निकल जाएगी। अब हम क्या करें?"
काव्या की बात सुनकर हर्ष खन्ना झट से बोला, "अरे अरे, आप इतनी टेंशन क्यों ले रही हैं? मैं हूँ ना, मैं छोड़ने चलता हूँ आप को आपके कॉलेज।"
हर्ष की बात सुनकर काव्या उसको देखते हुए बोली, "पर मैं कैसे जा सकती हूँ आपके साथ?"
काव्या के सवाल को सुनकर, उससे उल्टा सवाल करने वाले लहजे में हर्ष ने काव्या से बोला, "क्यों? मेरे साथ जाने में आपको क्या प्रॉब्लम है?"
हर्ष के सवाल का काव्या अब क्या जवाब देगी?
जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले।"
हर्ष ने कव्या को प्रपोज किया!
कहानी अब तक आपने पढ़ा:
काव्या सोफिया जी की तरफ देखते हुए, काफी परेशानी भरे भाव के साथ बोली, "मोम, अब हम कॉलेज कैसे जाएँगे? समीर भैया भी यहाँ पर नहीं है और रुहान भैया को तो काफी चोट लगी है। और हम तो आज कॉलेज से छुट्टी भी नहीं ले सकते हैं। हमें हमारा एक असाइनमेंट आज ही कॉलेज में सबमिट करना है, नहीं तो हमारे प्रोफेसर सर 4 दिन के लिए हॉलिडे पर ही रहने वाले हैं और अगर उसके बाद हमने अपना असाइनमेंट सबमिट किया, तो तब तक उसकी सबमिशन डेट निकल जाएगी। अब हम क्या करें?"
काव्या की बात सुनकर हर्ष खन्ना झट से बोला, "अरे अरे! आप इतनी टेंशन क्यों ले रही हैं? मैं हूँ ना, मैं छोड़ने चलता हूँ आपको आपके कॉलेज।"
"पर मैं कैसे जा सकती हूँ आपके साथ?" काव्या ने हर्ष को देखते हुए कहा।
काव्या के सवाल को सुनकर, हर्ष ने उल्टा सवाल करने वाले लहजे में कहा, "क्यों? मेरे साथ जाने में आपको क्या प्रॉब्लम है?"
हर्ष के उल्टे सवाल से काव्या थोड़ा सा लड़खड़ाते हुए आवाज़ में बोली, "नहीं, हमें क्यों प्रॉब्लम होगी आपके साथ जाने में?"
उसका जवाब सुनकर हर्ष झट से बोला, "तो फिर क्यों नहीं जा रही हैं आप हमारे साथ?"
काव्या उसकी तरफ देखते हुए, उसके सारे सवालों का जवाब देते हुए बोली, "ठीक है, हम चलते हैं आपके साथ कॉलेज। अब तो खुश हैं आप?"
काव्या की हाँ सुनकर हर्ष ने एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ खुश होते हुए उससे बोला, "हाँ, बहुत खुश। अब चलें?"
काव्या ने मुस्कुराते हुए कहा, "पहले हम अपना बैग लेकर आ जाएँ।"
हर्ष ने काव्या के सवाल का जवाब देते हुए कहा, "ठीक है, जाओ लेकर आ जाओ। तब तक मैं जाकर कार स्टार्ट करता हूँ।"
उन दोनों की बात सुनकर सोफिया जी के चेहरे पर भी एक प्यारी सी स्माइल आ गई। फिर उन्होंने अपने मन में सोचते हुए कहा, "चलो, यह तो अच्छा हुआ कि अब काव्या अपना असाइनमेंट सबमिट करने हर्ष के साथ चली जाएगी। मुझे काव्या की फिक्र करने की ज़रूरत नहीं है।"
इतना सोचकर वह रुकी और फिर उन्होंने अपने मन में आगे सोचते हुए कहा, "सच में हर्ष अच्छा लड़का है, हेल्प करने के लिए तैयार हो जाता है। अगर इस से मैं काव्या की शादी की बात करूँ तो..."
यह सब अपने मन में सोचकर उन्होंने खुद ही अपने मन में सोचते हुए आगे कहा, "नहीं नहीं, मुझे काव्या को खुद ही हर्ष को पसंद करने का और अपना साथी चुनने का मौका देना चाहिए। आखिर यह उसकी ज़िंदगी है, अपनी ज़िंदगी उसे बितानी है, उसकी पसंद का जीवन साथी होना चाहिए।"
यह सब अपने मन में सोचकर सोफिया जी ने अपने मन से हर्ष की काव्या के साथ शादी के बारे में आगे कुछ भी सोचने से अपना सर झटक कर आगे कुछ भी सोचने से रोक दिया।
वहीं दूसरी तरफ, काव्या हर्ष की बात सुनकर जल्दी से अपना बैग लेने के लिए अपने रूम में गई और कुछ ही समय बाद वह हर्ष के साथ उसकी कार में बैठकर अपने कॉलेज के लिए अपने मेंशन से निकल गई।
रास्ते में हर्ष पहले ही उसे प्रपोज करने की पूरी प्लानिंग करके बैठा हुआ था। जब उनकी कार एक पार्क के पास से होकर गुज़र रही थी, तो काव्या की नज़र एक लड़की और लड़के पर पड़ती है। एक लड़का एक लड़की को घुटनों के बल बैठकर प्रपोज कर रहा था और वह लड़की मुस्कुरा कर उसे देख रही थी। फिर वह लड़की उस लड़के को अपने हाथ से पकड़ कर उठाती है और उस लड़के के गले से लग जाती है।
दूसरी तरफ, उन दोनों लड़की और लड़के को देखकर काव्या के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ गई थी। हर्ष सिंह भी उन दोनों लड़के-लड़की को एक कुटिल मुस्कुराहट के साथ मुस्कुराते हुए देख रहा था। ऐसे ही कुछ समय बाद उनकी कार कॉलेज के पास जाकर गई।
तो फिर से उनकी नज़र एक दूसरे लड़के-लड़की पर पड़ती है। यहाँ पर भी लड़का लड़की को घुटनों के बल बैठकर प्रपोज कर रहा था। वह लड़की उस प्रपोज करने वाले लड़के को गुस्से से देखती हुई पकड़कर उसे खड़ा करती है और एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देती है और गुस्से से वहाँ से कॉलेज के अंदर चली जाती है।
इस नज़ारे को देखकर काव्या उदास हो जाती है। उसे उस लड़के के लिए बहुत बुरा लग रहा था जिसका दिल अभी थोड़ी देर पहले ही इतनी बुरी तरह से टूटा था।
वह हर्ष को देखते हुए बोली, "एक सवाल पूछूँ आपसे?"
काव्या ने हाँ में जवाब दे दिया। हर्ष ने काव्या को देखते हुए सवाल पूछा, "अगर कोई आपको इस टाइम प्रपोज करता इस तरह से, तो आप क्या करती? फिर उस पहली वाली लड़की की तरह खुश होते हुए उस लड़के को गले लगा लेती या उस दूसरी लड़की की तरह उस लड़के को थप्पड़ मारकर चली जाती?"
हर्ष का सवाल सुनकर काव्या उसको सवालिया निगाहों से देखते हुए बोली, "हम कुछ समझे नहीं आप क्या कहना चाहते हैं? और वैसे भी हम आज तक कभी भी ऐसी सिचुएशन में नहीं पड़े हैं, इसलिए हमें नहीं पता हम क्या करते उस टाइम।"
काव्या का जवाब सुनकर हर्ष उसे मुस्कुरा कर देखते हुए अपने मन में बोला, "ठीक है, तो फिर अभी पता लगा लेते हैं इस बारे में।" उसने काव्या की तरफ अपना एक हाथ आगे बढ़ाया और उसके एक हाथ को पकड़ कर अपनी दूसरे हाथ की हथेली पर रख लिया और अपने दूसरे हाथ से उसके हाथ को ढकते हुए, उसकी तरफ बहुत ही प्यार से देखते हुए उसने उससे बोला, "आई लव यू। मुझे...मुझे आप पहली नज़र में ही पसंद आ गई थी। मुझे आपका ऐसे एक अनजान लड़के के साथ ऐसे बिंदास होकर बोलना बहुत ही अच्छा लगा था। पर तब आप मुझे ओनली पसंद आई थी। फिर आपके साथ इतने दिनों से रहते-रहते मुझे आपसे कब प्यार हो गया, मुझे इस बात का पता ही नहीं चला। I love you। आई लव यू सो मच काव्या।"
तो काव्या हर्ष के प्रपोजल को एक्सेप्ट करेगी? या रिजेक्ट करेगी? जानने के लिए पढ़ते रहिए "किस्मत से मुझे तुम मिले।"