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Mafia ki dulhan

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Bhavya

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ये कहानी है मही और नियम की। नियम ठाकुर जो माफिया किंग है और मही जो एक भोली भाली लड़की है। मही की शादी होने वाली थी रोहित शर्मा से नियम का सौतेला भाई लेकिन फिर ऐसा क्या होता है मही रोहित की जगह नियम से प्यार करने लगी?

Total Chapters (61)

Page 1 of 4

  • 1. Mafia ki dulhan - Chapter 1

    Words: 754

    Estimated Reading Time: 5 min

    सारिका किचन में काम कर रही थी, तभी पीछे से किसी ने उसकी आँखें बंद कर दीं।

    "महि उठ गई। आप जाइए, डाइनिंग टेबल पर बैठिए। हम अभी गरमागरम नाश्ता लेकर आते हैं।" सारिका ने बिना मुड़े कहा।

    महि ने सारिका को छोड़कर मुँह फुलाते हुए कहा, "क्या, भाभी माँ! आप भी ना, हर बार हमें पहचान लेते हो।"

    "आपसे बड़ा शैतान कौन है इस घर में?" सारिका ने प्यार से महि का गाल खींचते हुए कहा।

    "भाभी माँ, शैतानी की तो आप पूछो मत। ये अवार्ड तो आशु कब का अपने नाम कर चुका है।" महि ने पाँच साल के नन्हें आशु का राज खोलते हुए कहा।

    यह सुनकर सारिका भी हँसने लगी। तभी महि का फ़ोन बजा। स्क्रीन पर रोहित नाम फ्लैश हो रहा था। इसे देखते ही सारिका ने महि को छेड़ते हुए कहा, "उठाओ, उठाओ! तुम्हारे होने वाले पतिदेव का कॉल है।"

    "क्या, भाभी माँ! हमें छेड़ती रहती हैं।" इतना कहकर महि शर्माते हुए फ़ोन लेकर बाहर भाग गई। इसे देखकर सारिका को फिर से हँसी आ गई।

    "हेलो, रोहित जी।"

    महि इस समय घर से बाहर बने छोटे से गार्डन में आ गई थी।

    "एक तो तुम मुझे रोहित जी कहना बंद करो। इतना अच्छा नाम है मेरा, रोहित।" दूसरी तरफ से रोहित चिढ़ते हुए बोला।

    "हम कोशिश करेंगे।"

    "ओके, सुनो। आज तुम्हें मेरे साथ मेरे दोस्तों से मिलने चलना होगा। वो लोग तुमसे मिलने की जिद कर रहे हैं।"

    यह सुनकर महि कुछ जवाब नहीं दे पाई। तो रोहित ने फिर से कहा, "तुम्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मैं हूँ ना तुम्हारे साथ। मैं भी चाहता हूँ कि तुम मेरे दोस्तों से मिलो। प्लीज।"

    "ठीक है। हम भाभी माँ से परमिशन लेकर बताते हैं।"

    "ओके।"

    महि सारिका के पास आई जो टेबल पर नाश्ता रख रही थी। "भाभी माँ, रोहित हमें उनके दोस्तों से मिलाने ले जाना चाहते हैं। तो क्या हम जाएँ?"

    "यह भी कोई पूछने वाली बात है? जरूर जाओ। तुम्हारी शादी को एक महीना ही तो बचा है और तुमने तो रोहित को एक बार ही देखा है। जाओ और इन्जॉय करो।"

    "थैंक यू, भाभी माँ। यू आर द बेस्ट।" महि उछलते हुए सारिका के गले लग गई। जिससे सारिका मुश्किल से अपने आप को संभाल पाई।

    "हम अभी रोहित जी को बताकर आते हैं।" कहकर महि फिर से भाग गई।

    "अरे, नाश्ता तो कर ले, मेरी तूफ़ान मेल!"

    "हम बस आ रहे हैं, भाभी माँ।"

    "हम चलेंगे आपके साथ, रोहित जी।" महि ने रोहित को फ़ोन करके बताया। इसे सुनकर रोहित भी खुश हो गया। "वेरी गुड। मैं शाम को ठीक छः बजे तुम्हें लेने आऊँगा। तुम रेडी रहना।"

    "हम्म।"

    शाम को 5:30 बजे अभय आते हुए बोला, "अरे भई! घर इतना खाली-खाली क्यों लग रहा है? कहाँ हैं दोनों आफ़त?"

    सारिका ने अभय का कोट लेते हुए कहा, "महि को रोहित अपने दोस्तों से मिलवाने ले जा रहा है। तो महि तैयार हो रही है और आशु का तो आपको पता ही है, उसका पीछा ही नहीं छोड़ता। वो भी उसके साथ ही है।"

    दस मिनट बाद रोहित भी आ गया। देखने में रोहित हैंडसम और स्टाइलिश था। व्हाइट टी-शर्ट, ब्लैक डेनिम जींस और ब्लैक लेदर जैकेट में वो एकदम हीरो लग रहा था।

    अभय ने रोहित को सोफ़े पर बैठने को कहा और सारिका से कहा, "जाओ, छोटी को बुलाकर ले आओ।"

    "हम आ गए, भाई।" महि की आवाज़ से सबका ध्यान सीढ़ियों की तरफ़ गया।

    महि ने व्हाइट कलर का अनारकली सूट पहन रखा था जिसमें वो एकदम परी लग रही थी।

    सारिका जाकर महि के काजल लगाते हुए बोली, "बहुत खूबसूरत लग रही हो। कहीं मेरी ही नज़र न लग जाए।"

    "भाभी माँ, अपनों की भी कोई नज़र लगती है क्या?" महि थोड़ा शर्माते हुए बोली।

    "लग रही है ना ऐंजल, असली की परी?" पीछे से आशु बोला।

    अभय ने आशु को गोद में उठाकर कहा, "छोटी, जाओ जल्दी। ये बातें तो घर आकर होती रहेंगी।"

    "जी, भाई।" इतना कहकर महि रोहित के पास आई जो अभी भी बिना पलक झपकाए उसे देख रहा था। "रोहित जी, चलिए।" महि की आवाज़ सुनकर वो होश में आया और हल्का सा खांसते हुए बोला, "हाँ, चलो।"

    "रोहित, मेरी छोटी का ध्यान रखना।" अभय गाड़ी में बैठते हुए रोहित को देखकर चिंता में बोला।

    "डोंट वरी, भैया। मैं महि को सही-सलामत घर ले आऊँगा।" रोहित कहकर गाड़ी में बैठ गया।

  • 2. Mafia ki dulhan - Chapter 2

    Words: 656

    Estimated Reading Time: 4 min

    कार ड्राइव करते हुए रोहित की नज़र बार-बार महि पर जा रही थी। उसकी खुशबू उसे दिवाना बना रही थी।

    रोहित शर्मा, एक अमीर बाप का इकलौता बेटा होने के कारण, काफी घमंडी था। यह रिश्ता भी उसके दादा जी ने बताया था, जिसे सुनते ही रोहित ने साफ इंकार कर दिया था। कहाँ वो रोहित शर्मा, जिस पर एक से एक खूबसूरत लड़की मरती थी, और वो किसी गाँव की गवार से शादी? इम्पॉसिबल!

    पर उसके दादा जी की जिद्द थी कि बस एक बार लड़की को देख लो, फिर तुम्हारी इच्छा। आखिरकार, अपने दादा जी का मान रखने के लिए उसने 'महेशवरी' को देखने के लिए हाँ कर दी थी। जी हाँ, महेशवरी, महि का पूरा नाम; जिसे सुनते ही रोहित को पूरा विश्वास था कि ज़रूर कोई गाँव की अनपढ़ गवार होगी। पर उसे क्या लेना-देना उससे और उसके सो-कॉल्ड नाम से? वो वहाँ उसे देखेगा और अपने दादा जी से कह देगा कि लड़की उसे पसंद नहीं; बात खत्म।

    पर जैसा उसने सोचा था, वैसा नहीं हुआ। जब उसने पहली बार महि को रेड कलर की साड़ी में देखा, उसे जैसे चार सौ चालीस वोल्ट का करंट लगा हो गया।

    कसम से उसने आज से पहले इतनी खूबसूरत लड़की नहीं देखी थी।

    5'4" की हाइट, सुनहरे बाल, इकरा बदन, गोरी तो इतनी कि हाथ लगाने में भी डर लगे कि कहीं मैली न हो जाए। उस पर भी उसकी वो कातिलाना कथयी आँखें! हाय! उसका दिल इतनी तेज़ी से क्यों धड़क रहा है? रोहित अपने आप को कंट्रोल करते हुए सोचता है, 'ये सिर्फ़ दिखने में ही खूबसूरत होगी, बाकी होगी तो अनपढ़ ही।'

    उसे दूसरा झटका तब लगा जब उसे पता चला कि वो स्टेट टॉपर थी। खैर, वो तो कभी खुद की मेहनत से पास भी नहीं हुआ था; टॉप होना तो उसके लिए कोई सवाल ही नहीं था।

    इस सब के बाद इस रिश्ते से मना करना, मतलब अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना।


    "अरे रोहित जी, सामने देखिए!!!!!"


    महि के ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ सुनकर रोहित सामने देखता है; एक ट्रक सामने से उनकी तरफ ही आ रहा था। रोहित हड़बड़ाहट में कार मोड़कर ब्रेक लगाता है।

    गनीमत रही कि किसी को कोई चोट नहीं आई।

    "तुम ठीक हो?" रोहित महि से पूछता है।

    "हम ठीक हैं, पर आप बुरा न मानें तो एक बात कहें?" महि थोड़ा हिचकिचाते हुए कहती है।

    "बोलो ना?"

    "क्या हम कार ड्राइव कर सकते हैं?" महि को अब रोहित की ड्राइविंग स्किल्स पर डाउट था; कहीं वो शादी से पहले ही ऊपर न पहुँच जाए।

    "तुम्हें कार चलाना आता है?" रोहित हैरान होकर महि को देखता है।

    महि हाँ कहती है, तो दोनों सीट एक्सचेंज करते हैं। महि का ध्यान रोड पर था, तो रोहित का ध्यान महि पर। यह लड़की उसे शोक देने का कोई मौका नहीं छोड़ती, पर है बहुत प्यारी।

    महि ने अपना एक हाथ कार विंडो पर रखा हुआ था, तो दूसरे से स्टीयरिंग पकड़ रखा था। ठंडी हवा उसकी सुनहरी जुल्फों को उड़ा रही थी। सड़क से आती गाड़ियों की लाइट से उसका चेहरा चाँद की तरह चमक रहा था।

    "लेफ्ट जाना है कि राइट?"

    जब कोई जवाब नहीं आता, तो महि रोहित की ओर देखती है, जो उसे ही तल्लीनता से देख रहा था। महि शरमाते हुए थोड़ा ज़ोर से रोहित को आवाज़ देती है। रोहित होश में आकर उसे डायरेक्शन बताता है और दिल में खुद को टपली भी मारता है, "क्या रोहित, तू भी ना आशिकों वाली हरकतें करने लगा है, क्या सोचेगी महि मेरे बारे में?"

    आधे घंटे की लॉन्ग ड्राइव के बाद वे एक बार के बाहर पहुँच जाते हैं। यह जगह थोड़ी सुनसान जगह पर थी; चारों ओर जंगल से घिरी हुई, जिसे देखकर महि थोड़ा घबरा जाती है। तभी उसे अपने हाथ पर किसी की पकड़ महसूस होती है।

    "डरो मत, यह कोई ऐसा-वैसा बार नहीं है; यहाँ सब अच्छे लोग हैं। तुम देखोगी ना, तो इस जगह की फ़ैन हो जाओगी।" कहकर रोहित उसे अपने साथ अंदर ले जाता है।

  • 3. Mafia ki dulhan - Chapter 3

    Words: 982

    Estimated Reading Time: 6 min

    बार के अंदर का माहौल, बाहर की सुनसान सड़क से बिलकुल विपरीत था। लाउड म्यूज़िक पर लड़के-लड़कियाँ नाच रहे थे, और बाकी लोग पेय पदार्थ पी रहे थे।

    महि और रोहित के प्रवेश करते ही कई लोगों की नज़र उन पर पड़ी। महि ने रोहित का हाथ कसकर पकड़ लिया। तभी बार का मैनेजर आया। वह एक मध्यम आयु का व्यक्ति था।

    "आइये सर, आपके प्राइवेट रूम में आपके दोस्त आपका इंतज़ार कर रहे हैं।"

    रोहित और महि सीढ़ियों से होते हुए दूसरी मंज़िल पर पहुँचे। यह मंज़िल केवल वी.आई.पी. सदस्यों के लिए थी। यहाँ आकर महि को थोड़ा अच्छा लगा; यहाँ संगीत भी ज़्यादा तेज नहीं था।

    रोहित ने कमरे का दरवाज़ा खोला। महि ने देखा कि अंदर सोफ़े पर चार लोग बैठे हैं—दो लड़कियाँ और दो लड़के। वे सभी दरवाज़े की ओर देखने लगे और एक लड़की तुरंत आकर रोहित के गले लग गई।

    "रोहित डार्लिंग, तुम्हें पता है मैंने तुम्हें कितना मिस किया लंदन में?" वो लड़की बोली। उसका नाम तान्या था, रोहित की बचपन की दोस्त।

    रोहित ने भी तान्या को कसकर गले लगाते हुए कहा, "तान्या, तुम कब आई? तुमने तो मुझे सरप्राइज़ ही कर दिया।"

    महि को यह सब अच्छा नहीं लगा, लेकिन वह चुप खड़ी रही। तभी दूसरी लड़की उठकर आई और महि का हाथ पकड़ लिया।

    "रोहित, तुम्हारा तान्या से भरत मिलाप हो गया है तो हमें इस खूबसूरत हसीना से तो मिलवाओ।"

    यह सुरभि थी, जिसे तान्या का रोहित से बेहिचक गले मिलना पसंद नहीं आया।

    सुरभि का साथ देते हुए रोहित का दोस्त नील बोला, "रोहित भाई, हमें अपनी होने वाली दुल्हन से नहीं मिलायेंगे?"

    रोहित तान्या से अलग होते हुए महि को जल्दी-जल्दी समझाया, "महि, तुम गलत मत समझना, तान्या मेरी बचपन की दोस्त है और इतने साल बाद लंदन से आई है, इसलिए मैं थोड़ा इमोशनल हो गया था।"

    "हमें तुम पर गुस्सा नहीं है।" महि मुस्कुराकर बोली। उसे अच्छा लगा कि रोहित ने उसकी भावनाओं को समझा।

    महि की खूबसूरती देखकर तान्या जलने लगी। वह तंज कसते हुए बोली, "लगता है तुम अभी से ज़ोरू का गुलाम बन गए हो?"

    सारे दोस्त तान्या की जलन समझ रहे थे, सिवाय रोहित के। वह हँसते हुए महि को अपनी बाहों में खींचते हुए बोला, "जब होने वाली बीवी इतनी खूबसूरत हो तो कौन ज़ोरू का गुलाम बनना पसंद नहीं करेगा?"

    "वाह मेरे रोमियो! ये हुई ना बात!" नील सीटी मारकर दोनों को पकड़कर सोफ़े पर ले गया। सुरभि भी नील के पास बैठ गई; सुरभि और नील कपल थे। तान्या कुढ़कर रजत के पास बैठ गई।

    रजत ने तान्या के हाथ पर हाथ रखा, जिसे तान्या गुस्से में झटक दिया। रजत ने अपने होंठ चबाते हुए मुट्ठियाँ कस लीं।

    "जितनी तूने तारीफ़ की थी महि, उससे भी ज़्यादा खूबसूरत है।" सुरभि खुश होकर बोली।

    "तो फिर पसंद किसकी है?" रोहित घमंड से बोला।

    "पर मैंने तो सुना है कि महि तेरे दादा जी की पसंद है?" नील रोहित की नकल करते हुए बोला।

    सुरभि और महि हँसने लगे।

    तान्या अपनी बढ़ती जलन को नियंत्रित करते हुए बोली, "वैसे कहाँ तुम, द ग्रेट शर्माज़ के इकलौते वारिस, और कहाँ ये गाँव की... आय मीन, तुम मिले कैसे?"

    "ये तो सब किस्मत का खेल है। अगर दो लोगों का मिलना लिखा हो तो वे सात समुद्र पार भी मिल ही जाएँगे, और अगर न मिलना हो तो बचपन से साथ रहकर भी वे एक नहीं हो पाते।" सुरभि ने आखिरी वाक्य पर ज़ोर दिया।

    अब तक महि को भी समझ आ गया था कि तान्या रोहित को जिस तरह देख रही है, वह सामान्य नहीं है। वहीं सुरभि का करारा जवाब सुनकर तान्या का मन करता था कि वह सुरभि को वहीं से नीचे फेंक दे।

    तभी वेटर उन लोगों का खाना और बियर रखकर चला गया। सभी लोग मज़े से खाने लगे, पर महि ने अब तक एक निवाला भी नहीं खाया था। तान्या तो खुद खाने की जगह रोहित की प्लेट में व्यंजन रखने में व्यस्त थी।

    "रोहित, ये लो चिकन बर्गर, तुम्हारा फेवरेट है ना? ये स्पाइसी चिकन विंग्स, ये भी खाओ?"

    रोहित ने हँसते हुए "थैंक्स" कहकर खाना शुरू कर दिया। नील और सुरभि खुद में मशगूल हो गए और रजत तान्या और रोहित को देखकर गुस्से से पागल हो रहा था।

    महि को भी समझ आ गया था कि तान्या रोहित को पसंद करती है, इसलिए तान्या का यहाँ आना उसे अच्छा नहीं लगा। महि को इस बात का बुरा नहीं लगा कि कोई लड़की रोहित को पसंद करती है; आखिरकार दिल पर किसका बस चलता है? उसे इस बात का बुरा लगता है कि रोहित को उसकी कोई परवाह नहीं है।

    वह और सहन नहीं कर पाई और खड़ी हो गई। उसके अचानक खड़े होने से सभी उसकी ओर देखने लगे।

    "क्या हुआ महि? डिनर अच्छा नहीं लगा?" रोहित ने पूछा। उसे यह भी नहीं पता था कि महि ने कुछ चखा भी नहीं था। अच्छा लगना तो दूर की बात है। तान्या को महि का मुरझाया हुआ चेहरा देखकर बहुत सुकून मिला।

    "नहीं, सब अच्छा है। मैं वाशरूम जाकर आती हूँ।" मुश्किल से कहकर महि तुरंत कमरे से बाहर निकल गई।

    "रोहित, वो तुम्हारी होने वाली पत्नी है, तुम्हें यह भी नहीं पता लगा कि उसने कुछ नहीं खाया। मुझे तुमसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।" सुरभि गुस्से में बोली।

    "ओ कम ऑन बेबी, जस्ट चिल! महि कोई छोटी बच्ची नहीं है जो रोहित उसे अपने हाथ से खिलाएगा?" तान्या चिढ़कर बोली।

    "मैं उसे देखकर आता हूँ।" रोहित कहकर जाने लगा तो तान्या जल्दी से उठकर उसे रोकते हुए बोली, "तुम रुक; मैं जाती हूँ।" तान्या रोहित को मौका दिए बिना कमरे से बाहर निकल गई।

  • 4. Mafia ki dulhan - Chapter 4

    Words: 623

    Estimated Reading Time: 4 min

    इधर वाशरूम में जाकर महि ने अपना दिल हल्का करने के लिए अपना मुँह ठंडे पानी से धोया। उसे कुछ अच्छा महसूस हुआ।


    शीशे में अपने अक्स को देखते हुए महि ने खुद से कहा, "नहीं महि, तुम्हारा दिल इतना छोटा नहीं हो सकता। रोहित जी तान्या को सिर्फ़ दोस्त समझते हैं, इससे ज़्यादा कुछ नहीं। और तुम उनकी होने वाली दुल्हन हो। इतनी सी बात पर गुस्सा करना सही नहीं।"


    महि ने अपना चेहरा अपनी चुनरी से पोछकर, जैसे ही बाहर जाने के लिए गेट खोला, पाया कि दरवाज़ा बाहर से लॉक था। वह घबरा गई और दरवाज़े को तेज़ी से खटखटाते हुए चिल्लाई, "कोई है? कोई है क्या बाहर? प्लीज़ ये दरवाज़ा खोलिए, हम अंदर हैं!"


    बाहर खड़ी तान्या ने महि की दर्द भरी चीख़-पुकार सुनकर हँसते हुए कहा, "बहुत उड़ रही थी ना, रोहित की होने वाली बीवी! अब सड़ यहाँ पर अकेले! रोहित सिर्फ़ मेरा है।" तभी उसका फ़ोन बजा। तान्या ने जल्दी से उसे बंद करने की कोशिश करते हुए कहा, "इस स्टुपिड फ़ोन को भी अभी बजना था?"


    रिंगटोन सुनकर महि ने चिल्लाकर कहा, "सुनिए, हम यहाँ अंदर बंद हो गए हैं। प्लीज़ हमें यहाँ से निकाल दीजिये!"


    तान्या ने एक टेढ़ी मुस्कान के साथ बंद दरवाज़े की ओर देखा और अपनी हाई हील्स में खट-खट करते हुए बाहर निकल गई। बाहर आकर उसकी नज़र साइड में पड़े 'अंडर कंस्ट्रक्शन' के बोर्ड पर गई और वह उसे आगे लगा देती है। अब भुगतना था तान्या से पंगा लेने का नतीजा।


    रूम के अंदर आकर तान्या ने रोहित से कहा, "वो ठीक है, आती ही होगी।" रोहित ने हाँ में सिर हिलाया। तभी तान्या चक्कर खाकर अचानक से उसकी बाहों में गिर गई।


    सब शोक हो गए और रोहित घबराकर तान्या का चेहरा थपथपाते हुए बोला, "तान्या, तान्या, वेक अप!" पर तान्या को होश नहीं आया। रजत ने जल्दी से कहा, "हमें इसे हॉस्पिटल ले जाना होगा।" रोहित ने हाँ में सिर हिलाया और तान्या को गोद में उठाकर ले गया। सब लोग कार से हॉस्पिटल चले गए। किसी को यह एहसास नहीं हुआ कि महि उनके साथ नहीं है। रोहित तो कार में भी पीछे वाली सीट पर तान्या को अपनी गोद में लिए बैठा रहा और रजत कार ड्राइव कर रहा था।


    यहाँ चीख़-चीख़कर महि का गला बैठ गया था, पर उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। उसकी आँखों में बेबसी के आँसू आ गए और वह बिलखकर रो पड़ी। उसे बंद जगहों से वैसे भी डर लगता था। करीब एक घंटे तक रोने से उसका पूरा चेहरा लाल हो गया और आँखें सूज गईं, पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। उसका फ़ोन भी उसके पास नहीं था।


    "हे भोलेनाथ! यह हम कहाँ फँस गए? कोई तो रास्ता दिखाइये यहाँ से बाहर निकलने का।" महि ने अपने कलाई में बंधे रुद्राक्ष वाले महादेव के लॉकेट को पकड़कर कहा। तभी जैसे महादेव ने उसकी पुकार सुन ली हो और वह कह रहे हों, "पुत्री, उपाय तो तुम्हारे पास ही है।" महि के बंद दिमाग में एक धाँसू आइडिया आया। वह तुरंत अपने सुनहरे बालों में से काली पिन निकाली और दरवाज़े के लॉक की तरफ़ देखी। महादेव की कृपा से लॉक थोड़ी मशक्कत के बाद खुल गया।


    दरवाज़ा खुलते ही महि को ऐसा लगा जैसे वह जेल से रिहा हुई हो। "थैंक यू महादेव! एक आप ही हैं जो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते।"


    बाहर निकलते हुए महि को 'अंडर कंस्ट्रक्शन' का बोर्ड दिखाई दिया। "इसका मतलब किसी ने हमें जानबूझकर अंदर बंद किया था। पर हमने किसी का क्या बिगाड़ा है?" महि बुदबुदाते हुए रूम का दरवाज़ा खोला। अंदर कोई नहीं था, सिवाय एक वेटर के जो साफ़-सफ़ाई कर रहा था।

  • 5. Mafia ki dulhan - Chapter 5

    Words: 1201

    Estimated Reading Time: 8 min

    महि वेटर के पास गई और पूछा, "भैया, यहाँ जो गेस्ट थे वो कहाँ गए?"

    वेटर ने महि को देखा और कहा, "मेडम, उन लोगों को गए हुए तो एक घंटे से ज़्यादा हो चुका है।"

    "चले गए?" महि चौंक कर बोली। वेटर ने अपना सिर हाँ में हिलाया और फिर अपने काम में लग गया।

    महि कमरे से बाहर आकर मैनेजर को ढूँढते हुए नीचे गई। इससे पहले कि वह मैनेजर को ढूँढ पाती, उसे एक आवाज़ आई, "ओहो जानेमन, ऐसी जगह पर अकेले-अकेले कहाँ?"

    महि ने पलट कर देखा। एक लड़का, जो नशे में धुत था, उसे हवस भरी निगाहों से देख रहा था। उसके साथ उसके दो दोस्त भी थे, जो हँसते हुए उसका साथ दे रहे थे।

    "वाह विक्की भाई, क्या आइटम है!" पहले ने कहा।

    "अबे साले, आइटम नहीं, कतई जहर है!" दूसरे ने पहले वाले को आई विंक करते हुए कहा, और दोनों ठहाके मारकर हँसने लगे।

    महि घबराकर वहाँ से जाने लगी। तभी विक्की नाम का लड़का लपककर उसका हाथ पकड़ लिया। "अरे अरे, तुम दोनों ने इसे डरा दिया!" विक्की ने अपने दोस्तों की तरफ देखते हुए उन्हें फटकार लगाई। फिर वापस महि को अपनी तरफ खींचते हुए कहा, "जानेमन, तुम्हें डरने की ज़रूरत नहीं है। मैं तो बस तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।"

    महि अपना हाथ छुड़ाने के लिए छटपटाती रही। "छोड़िये हमें।"

    तेज़ म्यूज़िक में कोई उनकी तरफ़ ध्यान नहीं दे रहा था। विक्की ज़बरदस्ती महि को सोफ़े की तरफ़ खींचने लगा। महि को जब अपने बचने का कोई रास्ता नहीं दिखा, उसने विक्की का हाथ जोर से काट लिया। दर्द से चिल्लाते हुए विक्की की पकड़ छूट गई। मौके का फ़ायदा उठाते हुए महि पूरी तेज़ी से बार के बाहर भाग गई। विक्की और उसके दोस्त हक्के-बक्के रह गए। विक्की तुरंत होश में आते हुए उन्हें डाँटते हुए बोला, "सालों, यहाँ खड़े मेरे मुँह क्या देख रहे हो? जाओ और उसे पकड़ के लाओ!"

    "जी भाई," कहकर दोनों महि के पीछे दौड़ गए।

    महि सुनसान सड़क पर बेसुध होकर दौड़ती रही। पीछे दोनों लफंगे उसका पीछा कर रहे थे, पर थोड़ी ही देर बाद महि उनकी नज़रों से ओझल हो गई।

    "कहाँ गई वो लड़की?"

    "लगता है कि जंगल के अंदर छिप गई है। चल, वापस चलते हैं। इतने घने जंगल में कहाँ तक ढूँढ़ेंगे?"

    "हाँ, सही कह रहा है। चल।"

    पेड़ के पीछे छिपी महि ने राहत की साँस ली। बाहर कोई न होने का यकीन होने पर, वह पेड़ के पीछे से निकलकर रोड के किनारे चलने लगी।

    "क्या! पहले वो वाशरूम में बंद, फिर रोहित जी छोड़कर चले गए, वो भी कम नहीं था, तो गुंडे पीछे पड़ गए, और अब घर वापस जाने का कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा। ना हमारे पास फोन है, ना पैसे… आ… भूत… भूत!" अचानक से महि चिल्लाने लगी।

    महि धीरे-धीरे सड़क के किनारे चल ही रही थी कि कोई भारी बदन पीछे से उसके ऊपर गिर गया।

    महि ने कसकर अपनी आँखें बंद कर लीं। "जय हनुमान, जय हनुमान…"

    "सुनो," एक लड़के की आवाज़ आई।

    "नहीं, हम भूतों की नहीं सुनते," महि ने बिना आँखें खोले ही कहा।

    "मैं इंसान हूँ, भूत नहीं," लड़का इस बार थोड़ा गुस्से में बोला।

    महि ने पहले एक आँख खोली और चारों तरफ़ देखा। कोई नहीं था। "हे महादेव! ये ज़रूर भूत ही है। दिखाई नहीं दे रहा, पर आवाज़ आ रही है।" तभी आवाज़ फिर आई, "नीचे देखो।" इस बार लड़के के दाँत पीसने की आवाज़ भी साफ़ सुनी जा सकती थी।

    महि ने नीचे देखा। एक लड़का, लगभग 26-27 साल का, खून से लथपथ था। उसने अपने पेट पर हाथ रख रखा था। उसकी हालत नाज़ुक थी, पर फिर भी उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी। तभी कुछ कदमों की आहट आई।

    "ढूँढो उसे, वो घायल है। यही आस-पास होगा। ज़्यादा दूर नहीं भाग सकता।"

    "यही मौका है उसे मौत के घाट उतारने का।"

    आवाज़ें सुनकर महि को सारा माज़रा समझने में देर नहीं लगी। किस्मत से वो दोनों रोड के बिल्कुल किनारे कच्ची ज़मीन पर थे, और जंगल के अंधेरे में वो लोग महि और अपने शिकार को नहीं देख पा रहे थे।

    महि ने पूरी ताकत लगाकर उस लड़के को उठाया और पेड़ के पीछे छिपा दिया। "देखिये, आप यहीं रहना। हम अभी उन लोगों को भगाकर आते हैं।" कहकर महि उसका कोट उतारने लगी। वो लड़का, नियम ठाकुर, उसे रोकते हुए बोला, "क्या कर रही हो?" महि चिढ़ते हुए बोली, "पानी पूरी खा रहे हैं।" नियम घूरकर उसे देखता रहा, तो महि उसका कोट फिर से उतारते हुए बोली, "दिख नहीं रहा? हम आपका कोट उतार रहे हैं।" इसके बाद उसने बिना नियम की सुने कोट खींचकर उतार दिया, फिर खड़े होकर खुद उसका कोट पहन लिया और अपने बालों का जूड़ा बनाकर बाहर निकल गई।

    आगे सड़क पर मोड़ था। इसका फ़ायदा उठाकर महि आगे मोड़ की तरफ़ भागी और पत्थर फेंककर आवाज़ की। गुंडों को बस वाइट खून से सने कोट की झलक दिखाई दी। वे सोचे कि यह नियम है और महि के पीछे भागने लगे। वहीं दूसरी ओर महि फिर से जंगल के अंदर घुसकर वापिस नियम की तरफ़ आ गई। "देखा, कैसे चकमा दिया है हमने उन गुंडों को? भागने में तो हम एक्सपर्ट हैं।" जब कोई जवाब नहीं आया, तो महि ने नीचे देखा कि नियम बेहोश हो गया था।

    "अरे क्या हुआ आपको? कहीं ये… नहीं-नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है?" महि ने नियम का सिर अपनी गोद में रखकर, उसके सीने पर कान रखकर उसकी धड़कन सुनने की कोशिश की। नियम की साँसें हल्की चल रही थीं, जिसे सुनकर महि को अपने आप रोना आ गया। "उठिये ना… प्लीज़।"

    "मैं ठीक हूँ।" नियम ने मुश्किल से अपनी आँखें खोलीं। उसे महि का यूँ रोना अच्छा नहीं लग रहा था।

    महि ने नियम को होश में देखकर चैन की साँस ली। उसने नियम को घूरकर देखा। "आपने तो हमें डरा ही दिया था।" तभी उसे अपने हाथ पर गीला-गीला महसूस हुआ। देखती है तो वह खून था जो नियम के पेट से लगातार बह रहा था। लगता है, इनके पेट पर किसी ने किसी तेज धार वाली चीज़ से वार किया है।

    वो जल्दी से अपना सफ़ेद मखमली रुमाल नियम के घाव पर कसकर बाँध देती है। "आप उठने की कोशिश कीजिये। हम आपको हॉस्पिटल लेकर चलते हैं।"

    "मेरे आदमी आते ही होंगे।" नियम को उसका दुःखी चेहरा अच्छा नहीं लगा, तो वो अपनी बंद होती आँखें खोलते हुए उससे कहता है।

    तभी एक कार आकर रुकी, जिसमें से चार-पाँच लड़के उतरे।

    "नियम की लोकेशन तो यहीं बता रहा है, पर वो दिखाई क्यों नहीं दे रहा?" वीर ने कहा।

    "नियम…" साहिल नियम को देखते हुए बोला, जिसे महि मुश्किल से संभाल पा रही थी।

    वीर और साहिल जल्दी से नियम को संभालते हुए गाड़ी में बिठा देते हैं, पर नियम की नज़र सिर्फ़ महि पर रुकी रहती है। वो साहिल का हाथ पकड़कर कहता है, "उसे सही-सलामत उसके घर तक छोड़ के आना।" फिर वो अपने ऊपर हावी हो रहे चक्कर को हरा नहीं पाता और बेहोश हो जाता है।

  • 6. Mafia ki dulhan - Chapter 6

    Words: 781

    Estimated Reading Time: 5 min

    महि नियम की गाड़ी जाते हुए देखती रही, जब तक वह आँखों से ओझल नहीं हो गई। पता नहीं क्यों, पर इस एक पल की मुलाकात में कुछ तो बदल गया था क्या? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।


    "सुनिए? अरे, तुम्हें ही बुला रहे हैं?" साहिल की आवाज़ सुनकर महि उसकी तरफ़ देखती है।
    "जी।"


    "क्या जी? जल्दी से गाड़ी में बैठो। तुम्हें घर नहीं जाना? या पूरी रात यहाँ रुककर शेर का डिनर बनने का इरादा है?" साहिल गाड़ी का गेट खोलकर उसे बैठने का इशारा करता है।


    महि उसके साथ अकेले बैठने का सुनकर घबरा जाती है और वहीं खड़ी रहती है। साहिल को यह देखकर गुस्सा आ जाता है। फिर भी यह सोचकर कि इस लड़की ने नियम की जान बचाई है, वह खुद पर कंट्रोल करके कहता है, "देखो, अभी तुमने जिसकी जान बचाई है ना, वह हमारा दोस्त है और उसी ने हमें हुक्म दिया है तुम्हें सही-सलामत घर छोड़ना है। अब बैठो, नहीं तो हम तुम्हें उठाकर भी बिठा सकते हैं।"


    इस बार महि तुरंत गाड़ी के अंदर घुस जाती है और साहिल कार स्टार्ट करता है।


    दूसरी तरफ, रोहित और दोस्तों में टेंशन का माहौल था। हॉस्पिटल में आकर पता चलता है कि तान्या ब्लड शुगर लो होने की वजह से बेहोश हुई थी और अब बिल्कुल ठीक है। फिर भी सबसे पहले सुरभि ही कहती है कि महि कहाँ है? जिसे सुनकर रोहित एक पल के लिए ब्लैंक हो जाता है।


    "एक बात बताओ, हम सब तो फिर भी महि के लिए अंजान हैं, पर तुम्हारी तो उससे शादी होने वाली है ना? कैसे ध्यान रखोगे उसका ज़िन्दगी भर, जब तुम एक पल में उसे भूल जाते हो?" सुरभि गुस्से में कहती है। यहाँ आकर उसे एहसास होता है कि ज़रूर तान्या नाटक कर रही होगी, नहीं तो महि का वाशरूम जाना और उसका उसी वक़्त बेहोश होना कुछ ज़्यादा ही संयोग नहीं है।


    नील भी कहता है, "हाँ यार, यह कुछ ज़्यादा ही हो गया। अब तू खड़ा क्या है? वह बेचारी वहाँ अकेली, पता नहीं क्या करेगी? चल, जल्दी उसे लेकर आते हैं, नहीं तो वह तुझसे शादी तो क्या, दोस्ती भी नहीं करेगी।"


    "तुम घर चली जाना। जो होगा, मैं तुम्हें इन्फॉर्म कर दूँगा। और तान्या की चिंता करने की तो ज़रूरत ही नहीं, उसके लिए रजत ही काफी है।" आखिरी सेंटेंस नील चिढ़ते हुए कहता है, क्योंकि रजत को सिवाय तान्या के किसी की चिंता नहीं थी। वह तो अभी भी अंदर रूम में तान्या के पास बैठा था।


    सुरभि हाँ कहती है और अपने घर के लिए निकल जाती है।


    रोहित और नील जल्दी से गाड़ी में बैठकर बार की तरफ़ निकलते हैं। तभी रोहित को अभय का कॉल आता है।


    "हेलो, रोहित, तुम लोग कब तक आ रहे हो? दस बजने वाले हैं। मुझे और सारिका को महि की बहुत चिंता हो रही है।"


    रोहित सोचता है कि वह महि को मना लेगा कि वह घर पर ना बताए तो किसी को पता नहीं चलेगा।


    वह जवाब देता है, "भैया, हम बस आ ही रहे हैं। मैं रखता हूँ, यहाँ नेटवर्क सही नहीं आ रहे।" वह जल्दी से कॉल कट कर देता है और कार की स्पीड बढ़ा देता है।


    "रोहित, तू महि से प्यार करता है या तान्या से?" नील पूछे बिना नहीं रह पाता।


    रोहित भड़कते हुए कहता है, "यह कैसा बेहूदा सवाल है? तान्या मेरी अच्छी दोस्त है। मैंने उसे वैसी नज़र से कभी नहीं देखा। आज जो हुआ, वह इतनी भी बड़ी बात नहीं है। तान्या मेरी बचपन की दोस्त है, उसे उस हालत में देखकर मैं सब कुछ भूल गया।"


    "अपनी होने वाली बीवी भी?" नील टेढ़ी मुस्कान के साथ कहता है।


    "बचपन की दोस्त? सुरभि भी तेरी बचपन की दोस्त है, उसके तू इतना क्लोज़ नहीं है? चल, यह भी छोड़। तान्या मेरी भी तो बचपन की दोस्त है, पर मैं तो उसके लिए अपनी सुरभि को नहीं भूलता? और यह तुझे भी अच्छे से पता है कि रजत तान्या को पसंद करता है। वह है उसका ख्याल रखने के लिए। अच्छा होगा कि तू महि के बारे में सोच, ना कि तान्या के बारे में। महि को कैसा लगेगा कि तू उससे ज़्यादा अपनी दोस्त की परवाह करता है? हर रिश्ते की एक सीमा होती है, जिसे तुझे समझना होगा।" नील रोहित का महि के प्रति बर्ताव देखकर सोचने पर मजबूर था कि क्या सच में रोहित महि से प्यार करता है? और अगर हाँ, तो क्या वह सोच रहा है कि वह कुछ भी करता रहे, महि सब कुछ सहती रहेगी?


    रोहित थोड़ी देर चुप रहकर कहता है, "मैं आगे से ध्यान रखूँगा।" तभी उसकी कार की साइड से साहिल की कार निकल जाती है, लेकिन बंद शीशों की वजह से ना रोहित उसे देख पाता है, ना महि उसे।

  • 7. Mafia ki dulhan - Chapter 7

    Words: 779

    Estimated Reading Time: 5 min

    महि अपने घर पहुँचकर साहिल को धन्यवाद कहती है।

    "धन्यवाद की ज़रूरत नहीं है। तुमने नियम की जान बचाई है; उसके लिए ये तो कुछ भी नहीं। वो नियम को इतनी बुरी हालत में देखकर मैं गुस्से में था, इसलिए तुमसे ऐसे रूडली बात की। उसके लिए सॉरी।" साहिल अब पहले से ज़्यादा नम्रता से बात करता है। जिसे देखकर महि मुस्कुराकर कहती है, "कोई नहीं। हम महादेव से प्रार्थना करेंगे कि आपके दोस्त जल्दी से ठीक हो जाएँ। अब हम चलते हैं।" कहकर महि चली जाती है।

    "ये लड़की बहुत अलग है, और खूबसूरत भी।" कहकर साहिल के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। वह अपनी कार स्टार्ट करके चला जाता है।

    महि जैसे ही घर के अंदर आती है, देखती है कि अभय और सारिका हॉल में सोफे पर बैठे हैं।

    महि को देखते ही सारिका महि के पास आती है। "ये क्या हालत बना रखी है तूने अपनी? और ये खून? तुझे चोट लगी है?" सारिका महि को चारों ओर से घुमा-घुमा कर देखने लगती है।

    "हम ठीक हैं, भाभी माँ।" महि सारिका को रोकते हुए बोलती ही है कि एक औरत आकर उसे जोर से थप्पड़ मार देती है। जिसके कारण महि के गोरे बेदाग चेहरे पर तुरंत पाँचों उंगलियों के निशान छप जाते हैं।

    "माँ, क्यों मार रही हो उसे?" अभय जल्दी से महि और अपनी माँ के बीच आ जाता है। जी हाँ, ये है महि और अभय की माँ, कमला देवी।

    "तो क्या आरती उतारें महारानी की? इतनी रात में आ रही है, वो भी पता नहीं किस लड़के की गाड़ी में?" कमला देवी बिफरते हुए बोलीं। उन्होंने खिड़की में से महि और साहिल को बात करते हुए देख लिया था।

    "माँ, हमारी बात तो सुनो?" महि रोते हुए बोली।

    "अगर एक शब्द और बोली, ना तो दूँगी एक और थप्पड़।" कहते हुए कमला देवी महि को खींचते हुए ले जाकर कमरे में बंद कर देती हैं।

    "माँ, छोड़ो उसे।" कहते हुए अभय उन्हें रोकने की कोशिश करता है, तो कमला देवी उसे भी डाँट देती हैं। "तुम तो चुप ही रहो। तुम्हारे लाड़-प्यार की ही वजह से ये इतनी बिगड़ गई है।"

    इधर, रोहित और नील को यहाँ आकर पता चलता है कि महि बार से चली गई है। और वो दोनों सोच ही रहे होते हैं कि क्या करें, जब रोहित के फ़ोन पर मेसेज आता है। महि का था। लिखा था, "आई एम बैक होम।" रोहित जल्दी से महि को कॉल करता है, पर वह पिक नहीं करती।

    मेसेज नील भी पढ़ लेता है, तो वह बोला, "चल, अब हम भी घर चलते हैं। कल तू जाकर महि को मना लेना।"

    यहाँ, रोहित से गुस्सा होने के बाद भी महि उसे मेसेज कर देती है कि वह घर पहुँच चुकी है। बाथरूम में जाकर जब वह नियम का कोट देखती है, तो अपने सिर पर टपली मारते हुए बोली, "ओहो महि! ये तो तेरे पास ही रह गया। चलो, कोई नहीं। मैं इसे अच्छे से धोकर रख दूँगी।"

    महि नहाकर बाथरूम से नाइट सूट में निकलती है, तो उसकी सारी थकान निकल जाती है। तभी कोई दरवाज़ा खटखटाता है। "आइए।"

    अभय खाने की प्लेट लेकर अंदर आता है। तो महि जल्दी से उसके हाथों से प्लेट लेकर टेबल पर रखते हुए कहती है, "भाई, आओ बैठो ना।"

    अभय खींच कर महि को भी अपने साथ सोफ़े पर बिठा देता है और उसका हाथ पकड़कर बोला, "छोटी, माँ की तरफ़ से मैं माफ़ी माँगता हूँ। वो अचानक से आकर, उन्हें पता चला ना कि तू घर पर नहीं है, तो उन्हें गुस्सा आ गया।"

    "क्या भाई? आप भी? वो मेरी भी तो माँ है। मुझे उनकी मार का बुरा कैसे लग सकता है?" महि बोली।

    ये सुनकर एक पल के लिए अभय शांत हो जाता है। फिर अपने आप को संभालते हुए बोला, "चलो, पहले खाना खा लेते हैं। फिर मुझे बताना कि क्या हुआ था वहाँ।"

    दोनों भाई-बहन एक-दूसरे को अपने हाथ से खाना खिलाते हैं। और फिर महि अभय को जो हुआ वो सब बता देती है, क्योंकि अभय से वो कभी कुछ नहीं छिपाती थी।

    ये सुनकर कि रोहित वहाँ महि को अकेला छोड़कर चला गया था, अभय की आँखें गुस्से से लाल हो जाती हैं। "मैं छोड़ूँगा नहीं उसे।" वो उठकर जाने लगता है, तो महि उसका हाथ पकड़कर रोकती है। "भाई, प्लीज़ आप गुस्सा ना हो। हम खुद उनसे बात करेंगे।"

    "पर," अभय ने कुछ और बोलना चाहा।

    "परवर कुछ नहीं। और आप ये बात माँ को तो बिल्कुल मत बताना।"

    "ओके, पर तू प्रॉमिस कर कि कुछ भी बात हो, तू पहले मुझे बताएगी।"

    "हाँ भाई, प्रॉमिस।" महि कहकर अभय के गले लग जाती है। अभय उसे जल्दी सोने को बोलकर चला जाता है।

  • 8. Mafia ki dulhan - Chapter 8

    Words: 840

    Estimated Reading Time: 6 min

    महि सोने के लिए अपनी आँखें बंद करती है। उसकी आँखों के सामने नियम का चेहरा आने लगता है—सांवला रंग, गहरी काली आँखें, लंबी चौड़ी कद-काठी। वह बिल्कुल किसी राजा की तरह थे; उनकी आवाज़ भी कितनी गहरी थी!

    "ये क्या सोच रही है, महि?"

    वह तुरंत उठकर बैठ जाती है, पर ना चाहते हुए भी अगले ही पल फिर वह नियम के बारे में सोचने लगती है। "वो कितने अच्छे हैं! इतने जख्मी होने के बावजूद हमारे लिए इतना सोचा। वरना हमें पूरी रात सड़क पर गुज़ारनी पड़ती।"

    "वैसे उनके दोस्त ने क्या बुलाया था उन्हें?" महि अपने दिमाग पर ज़ोर डालती है। "हाँ, याद आ गया—नियम।" महि नियम का नाम याद करते हुए खुश हो जाती है। फिर अचानक उदास होते हुए सोचती है, "पता नहीं वो अब कैसे होंगे? भोलेनाथ उनकी रक्षा करना।" महि अपने ब्रेसलेट के रुद्राक्ष को दिल से लगाकर वि‍श्व करती है।

    वही शायद उसकी प्रार्थना का असर ही था कि नियम का ऑपरेशन सफल हो जाता है। डॉक्टर ऑपरेटिंग रूम से बाहर आते हैं। साहिल और वीर तुरंत उनके पास गए।

    "कैसा है नियम?"

    "देखिए, उनके पेट पर जानलेवा घाव था। अगर थोड़ा और खून बह जाता, तो इनका बचना मुश्किल था। अब वह खतरे से बाहर है।" डॉक्टर ने बताया और चले गए।

    "उस कमीने ने हमारे नियम पर पीछे से हमला किया! मैं छोडूँगा नहीं उसे!" वीर गुस्से में गुर्राते हुए बाहर की ओर भागता है। साहिल उसे रोकता है।

    "वीर, शांत हो जा। भाई अब ठीक है ना? हम उन्हें इस हालत में अकेले छोड़कर नहीं जा सकते। हमें सही वक़्त का इंतज़ार करना होगा।"

    वीर एक नज़र साहिल को घूरता है और बेंच पर बैठ जाता है। वीर और साहिल नियम के विश्वसनीय आदमी थे, पर तीनों में भाइयों जैसा प्यार था।


    दूसरी ओर, रजत तान्या को बेड पर लेटा देखकर बोला, "और कितनी देर नाटक करोगी? वो सब जा चुके हैं, उठ सकती हो तुम अब।"

    तान्या उठकर बैठ गई और रजत की तरफ देखने लगी।

    "तुम मुझसे गुस्सा हो?"

    "तुम्हें पता है मैं तुमसे गुस्सा नहीं हो सकता।" रजत बेबसी से बोला। उसने भले ही कभी अपने प्यार का इज़हार ना किया हो, पर वह जानता था कि तान्या उसके प्यार को जानकर भी अनजान है। और रजत, दिल के हाथों मजबूर, उसे अपना प्यार अपनाने के लिए फोर्स तो नहीं कर सकता था?

    तान्या मुस्कुराते हुए रजत का हाथ पकड़ लेती है। "रजत, सिर्फ तुम ही हो जो मेरी सबसे ज़्यादा परवाह करते हो। तुम्हें तो पता है कि मैं कितना प्यार करती हूँ रोहित से; वो भी बचपन से। बीस सालों से जानती हूँ मैं उसे। मैंने हमेशा से माना कि बड़े होकर मैं उसकी दुल्हन बनूँगी।" तान्या का हर शब्द रजत को कितना चुभ रहा था, यह वह नहीं देखती। बेड से उतरकर वह खिड़की से चाँद को देखते हुए आगे बोली, "पर आज वो लड़की, महि—जिसे मिले हुए रोहित को एक महीना भी नहीं हुआ—वो उसकी दुल्हन बनने वाली है। रोहित कहता है कि वह उससे प्यार करता है, हाँ।" कहते हुए तान्या की आँखों में बेइंतेहा नफ़रत उभर आती है। "रोहित सिर्फ मेरा है! मैं उससे जितना प्यार करती हूँ, कोई भी इस दुनिया में नहीं कर सकता, और रोहित भी मुझसे प्यार करता है। तुमने देखा ना?" तान्या रजत को पकड़कर बोली, "कैसे वो उस सो कोल्ड अपनी होने वाली पत्नी को वहीं भूल आया मेरे लिए?"

    रजत को सिर्फ उसकी आँखों में जुनून और पागलपन दिख रहा था, जो उसने आज से पहले कभी नहीं देखा था। जानता तो वह था कि तान्या रोहित से प्यार करती है, पर उसे हमेशा वह मासूम और निश्छल प्यार लगता था, जिसे देखकर रजत को भी उससे प्यार हो गया था। पर आज यह क्या देख रहा है वह? उसकी आँखों में वो भोलापन नहीं, बल्कि एक जिद थी—रोहित को पाने की।

    रजत की आँखों में पहली बार अपने लिए प्यार नहीं, शक देखकर तान्या रजत को छोड़कर पलट जाती है। अपनी आँखों में आई नफ़रत और पागलपन को छिपाने के लिए वह गहरी साँस लेती है। तभी उसकी नज़र टेबल पर रखे फ्रूट नाइफ़ की तरफ़ जाती है।

    "ये क्या कर रही हो? छोड़ो इसे!" रजत तान्या के हाथ में नाइफ़ देखकर घबरा जाता है, जो उसने अपनी कलाई पर रख रखा था।

    "नहीं, पहले तुम मुझसे वादा करो कि तुम रोहित को पाने में मेरा साथ दोगे, चाहे उसके लिए तुम्हें कुछ भी करना पड़े; नहीं तो मैं अपने आप को खत्म कर दूँगी।" कहते हुए तान्या हल्के से चाकू दबा देती है, जिससे खून टपकने लगता है।

    रजत इतना घबरा जाता है कि वह बिना कुछ सोचे-समझे वादा कर देता है। "ठीक है, मैं जो तुम कहोगी, सब करूँगा। तुम बस यह चाकू छोड़ दो।"

    "पक्का? जो मैं कहूँगी, वो करोगे?"

    "हाँ।"

    तान्या दौड़कर रजत को गले लगा लेती है। "थैंक्यू रजत, थैंक्यू सो मच।"

    तान्या के चेहरे पर एक शातिराना स्माइल आ जाती है। अब देखना, मिस महि, कि तुम्हारे साथ क्या-क्या होता है! तुम्हारी ज़िन्दगी तबाह कर दूँगी मैं। पछताओगी तुम कि तुमने तान्या की चीज़ पर नज़र डाली?

  • 9. Mafia ki dulhan - Chapter 9

    Words: 887

    Estimated Reading Time: 6 min

    अगली सुबह रोहित महि के घर आया। बाहर गार्डन में उसे सारिका दिखाई दी। अभय ऑफिस गया था और आशु स्कूल।


    "हाय भाभी, महि कहाँ है?" रोहित ने सारिका के पास जाकर पूछा, जो गुलाब के फूल तोड़ रही थी।


    रोहित की आवाज़ सुनते ही सारिका का मूड खराब हो गया। फिर भी, वो अपने संस्कारों के कारण तहज़ीब से बोली, "महि घर पर नहीं है।"


    "सारिका, कैसे बात कर रही हो दामाद जी से? ना अंदर आने को कहा, ना चाय पानी पूछा?" कमला देवी ने आते ही सारिका को डाँटा।


    रोहित ने उनके पैर छुए। "नहीं आंटी, भाभी ने मुझसे सब पूछा, मैंने ही खाने के लिए मना किया।"


    "जो देखो इसकी और उस महि की पैरवी करता रहता है! चलो छोड़ो, महि पास ही के शिव मंदिर गई है। तुम चाहो तो मिल सकते हो।" कमला देवी ने कहा, एक नज़र सारिका को घूरते हुए। "अब क्या यहाँ गुलाब के उगने का इंतज़ार करोगी? चलो, मुझे नाश्ता परोसो।"


    "जी माँ जी," कहते हुए सारिका भी अंदर चली गई और रोहित मंदिर की तरफ चल दिया।


    "माँ जी, मुझे लगता है रोहित हमारी महि के लिए सही लड़का नहीं है।" सारिका ने कमला देवी को उनका मनपसंद पोहा खाते हुए कहा।


    कमला देवी यह सुनते ही सारिका पर भड़क गई। "शहर के सबसे बड़े घर का इकलौता लड़का है वो! अब का ऐसा लड़का ढूंढ़े जिसके ऊपर हीरे मोती लगे हों?"


    "माँ जी, हमारा वो मतलब नहीं था," सारिका घबराते हुए बोली।


    "हमें तुम्हारा कोई मतलब समझना भी नहीं है! एक बात कान खोलकर सुन लो, भाभी माँ कहने से तुम महि की माँ नहीं बन गई। महि की शादी किससे होगी यह फैसला हम करेंगे, और हमारा फैसला यह है कि महि की शादी सिर्फ़ रोहित से ही होगी!" कमला देवी ने पोहे की प्लेट पटक कर चली गई।


    यहाँ मंदिर में, महि शिव गौरी की पूजा करके सीढ़ियाँ उतर रही थी। उसने देखा कि नीचे रोहित खड़ा है और उसे देख रहा है। आज महि ने पीले रंग का पटियाला सूट पहना हुआ था, जिसमें वह एकदम पीले गुलाब की तरह लग रही थी।


    महि रोहित को इग्नोर करके जाने लगी। रोहित उसके पीछे चलने लगा। "महि, आई एम सॉरी। कल जो हुआ, सब मेरी गलती थी। अब ऐसा नहीं होगा, प्रॉमिस।"


    मंदिर के पास ही एक छोटा सा गार्डन था। महि वहाँ आकर बेंच पर बैठ गई, पर रोहित की तरफ ना देखी, ना जवाब दिया। रोहित भी उसके पास बैठ गया। "महि, कल वो तान्या को अचानक से चक्कर आ गए थे, तो हम सब उसे लेकर हॉस्पिटल गए। और इस चक्कर में किसी का तुम्हारी तरफ ध्यान ही नहीं गया।"


    यह सुनकर महि को बहुत अपमानित महसूस हुआ। उसने व्यंग्य से मुस्कुराकर पूछा, "तो आपकी नज़र में हमारी इतनी भी कीमत नहीं कि आपकी दोस्त के आगे आप हमें याद भी रख सकें?"


    "ऐसा नहीं है। मैंने कहा ना, आगे से ऐसा नहीं होगा। प्लीज़ इस बार मुझे माफ़ कर दो।" रोहित ने महि का हाथ पकड़ना चाहा, तो महि उठ खड़ी हुई।


    "हम आपसे बस एक सवाल पूछना चाहते हैं?" महि ने कहा। रोहित ने हाँ में सिर हिलाया।


    "क्या आप हमसे प्यार करते हैं?" महि ने रोहित की आँखों में देखते हुए पूछा। रोहित उसकी काँथी आँखों में फिर खो गया। "हाँ, मैं तुमसे प्यार करता हूँ।"


    "मुझसे? या सिर्फ़ मेरी सुंदरता से?"


    महि के इस सवाल पर रोहित निशब्द था। वह कुछ नहीं बोल पाया। तो महि दर्द भरी मुस्कान के साथ बोली, "हम समझ गए आपका जवाब।" कहकर वह जाने के लिए मुड़ी, तो रोहित ने उसका रास्ता रोकते हुए कहा, "यह कैसा सवाल है? मैं बस तुमसे प्यार करता हूँ। तुम्हें पता है, पूरी रात मुझे नींद नहीं आई क्योंकि तुम मुझसे गुस्सा थी?" रोहित ने महि का हाथ पकड़ लिया और महि भी उसे देखने लगी।


    "मैं मानता हूँ कि तुम्हारी खूबसूरती को देखकर ही मैंने इस रिश्ते के लिए हाँ की थी।" रोहित के कहते ही महि को फिर गुस्सा आने लगा और वह अपना हाथ छुड़ाने लगी। पर रोहित नहीं छोड़ा और आगे बोला, "पर अब मुझे लगता है कि मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ। तुम्हारे लिए मैं जो फील करता हूँ, वो मैंने पहले कभी नहीं किया। मैं अपने आप को बदल लूँगा, बस तुम मुझे इस बार माफ़ कर दो।" महि अपना मुँह फेर लेती है तो रोहित को वह बहुत क्यूट लगती है। वह हँसते हुए एक घुटने पर बैठ गया। "आई लव यू महि। जब तक तुम मुझे माफ़ नहीं करोगी, मैं यहाँ ऐसे ही रहूँगा।"


    अब दोनों को इस तरह देखकर पार्क में घूम रहे लोग रुक गए और हूटिंग करने लगे।


    "अरे बेटा, माफ़ कर दो! कितने प्यार से बेचारा माफ़ी माँग रहा है।" एक बुज़ुर्ग औरत बोली।


    "हाँ दीदी, आपकी जोड़ी बहुत ही सुंदर है! हाँ कर दो!" एक छोटा बच्चा भी बोला।


    महि रोहित को ऊपर उठाने की कोशिश करती है। "रोहित जी, क्या कर रहे हो? सब हमें ही देख रहे हैं?"


    पर रोहित नहीं हिला। "देखने दो, तुम पहले बोलो कि मुझसे नाराज़ नहीं हो?"


    "नहीं है नाराज़। अब चलो यहाँ से।" महि हार मानते हुए कहती है। तो रोहित उठकर उसे गले लगा लेता है और सब लोग तालियाँ भी बजाने लगते हैं। महि रोहित का हाथ पकड़कर उसे गार्डन से बाहर खींचकर ले जाती है।

  • 10. Mafia ki dulhan - Chapter 10

    Words: 878

    Estimated Reading Time: 6 min

    "तुम पक्का मुझसे गुस्सा नहीं हो?" रोहित ने महि से पूछा। वे पार्क के बाहर घूम रहे थे।

    "कितनी बार पूछेंगे आप?" महि परेशान होकर बोली।

    "ओके, फिर तुम्हें एक गुड न्यूज़ देता हूँ।" रोहित ने थोड़ा सस्पेंस बनाते हुए कहा।

    "कैसी गुड न्यूज़?"

    "आज मेरा बर्थडे है।" रोहित ने महि के चेहरे को गौर से देखते हुए कहा। उसे जितना देखता, उतना ही कम लगता था।

    "क्या? हैप्पी बर्थडे, रोहित जी।" महि ने जल्दी से उसे विश किया। रोहित मुंह बनाकर बोला, "बस हो गया? इतना रूखा-सूखा बर्थडे विश?"

    "हमें पता नहीं था ना, इसलिए इस वक्त तो हमारे पास आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है।" महि मायूसी से बोली। उसकी नाज़ुक उंगलियाँ अपने दुपट्टे के कोने से अठखेलियाँ करने में व्यस्त थीं।

    "एक चीज है तुम्हारे पास जो तुम अभी दे सकती हो?" रोहित ने शरारत से कहा।

    "क्या?" महि ने नादानी से पूछा। रोहित बोला, "तुम मुझे रोहित जी कहना छोड़कर सिर्फ रोहित बोलो? कर पाओगी?"

    "रोहित… जी।" महि ने तुरंत अपनी आँखें बंद कर लीं।

    "एक बार और ट्राय करो।" रोहित ने उसे प्यार से देखते हुए कहा।

    "रोहित…" इससे पहले कि महि 'जी' बोलती, रोहित ने उसके होठों पर अपनी उंगली रख दी।

    महि को उसका स्पर्श अच्छा नहीं लगा और वह दो कदम पीछे हट गई। "हम चलते हैं। माँ इंतज़ार कर रही होगी।"

    "डोंट वरी। मैं तुम्हें तुम्हारी इजाज़त के बिना टच नहीं करूँगा।" रोहित ने उसे घबराते देख कहा।

    "वैसे आज मेरी बर्थडे पार्टी है, तो तुम्हें आना है। मैं आंटी से भी कह दूँगा। आओगी ना? इस बार पार्टी मेरे घर पे ही है।" रोहित को डर था कि कल जो हुआ, उसके बाद महि उसके साथ कहीं जाना पसंद नहीं करेगी।

    "हम आ जाएँगे। आपको हमें पिक करने की ज़रूरत नहीं है।" महि ने कहा और चली गई।

    रोहित को एहसास हुआ कि महि आज कुछ अलग है। कल वह उसे देखकर कितनी शर्मा रही थी, उसे हाथ पकड़ने से भी मना नहीं कराया था। पर आज, भले ही उसने उसे माफ़ कर दिया हो, पर वह उसके साथ सहज नहीं है, उस पर विश्वास नहीं है उसे? कोई बात नहीं, आज वह फिर से उसका भरोसा जीत लेगा। रोहित ने मन में ठाना।

    इधर, हॉस्पिटल में, नियम को जब होश आया, उसके दिल और दिमाग पर एक ही चेहरा घूमता रहा—वह जो उसने कल रात देखा था।

    "हमें परी की सारी इंफॉर्मेशन चाहिए।" नियम बेड पर लेटा था क्योंकि उसका ऑपरेशन हुआ था, पर फिर भी वह किसी तानाशाह से कम नहीं लग रहा था।

    "कौन परी?" वीर ने नासमझी से पूछा।

    "अबे, हमें पता है। भाई, आप वो कल रात वाली लड़की की बात तो नहीं कर रहे हैं जिसने आपकी जान बचाई?" साहिल ने सोचा कि नियम उसे अपनी जान बचाने के लिए शुक्रिया अदा करना चाहता है, और परी वही हो सकती है। बाकी तो भाई किसी लड़की को जानते नहीं।

    "भाभी माँ बोलो उसे। हमने फैसला किया है कि हम उससे शादी करेंगे।" नियम ने बिना किसी भाव के कहा, जैसे मौसम की बात कर रहा हो।

    "क्या बोले???? आप शादी करना चाहते हैं????? "

    साहिल और वीर दोनों उछलकर नियम के पास आते हैं और उसका चेहरा देखने लगते हैं।

    नियम दोनों को जब खा जाने वाली नज़रों से घूरता है, तो वे होश में आते हैं।

    "ऐसे अचानक से शादी? भाई, आप उस लड़की को पैसे देकर भी तो शुक्रिया कह सकते हैं। इसमें उससे शादी करके खुद को ही दे देना कुछ ज़्यादा नहीं है?" साहिल होश में आकर बोला।

    "किसने कहा हम उससे शादी इसलिए कर रहे हैं कि उसने हमारी जान बचाई है?" नियम ने साहिल को हैरानी से देखा।

    "तो भाई फिर?" साहिल लगभग रोता हुआ पूछता है। कहाँ वह सपने देख रहा था कि वह उस लड़की को प्रपोज़ करेगा, कहाँ भाई ने उसे उसकी गर्लफ्रेंड से पहले भाभी बना दिया। हाय, मेरी फूटी किस्मत!

    "हमें उससे प्यार हो गया है। साला, जबसे उसे देखा है, बेहोशी में भी उसी का सपना आ रहा है। अब तो हम उसे अपनी दुल्हन बनाकर ही रहेंगे।" नियम मुस्कुराकर कहता है। फिर साहिल और वीर को वहीं खड़ा देखकर भड़कते हुए बोला, "अब बुत बने क्यों खड़े हो? जाओ, मुझे उसकी सारी इंफॉर्मेशन चाहिए, नहीं तो हम खुद ही चले जाते हैं।" कहते हुए नियम अपने हाथ से आईवी ड्रिप निकालने की कोशिश करता है। तो वीर नियम को रोकते हुए कहता है, "भाई, आपकी इच्छा हमारे लिए आदेश है। हम अभी जाते हैं, क्यों साहिल?" वीर साहिल के पैर पर पैर मारता है जिससे साहिल होश में आकर वीर की हाँ में हाँ मिलाकर बोला, "भाई, आप आराम करो। अभी डॉक्टर ने एक हफ्ते तक आपको बेड से उठने के लिए मना किया है।"

    "हम्म, जाओ जल्दी से।" नियम कहकर आँखें बंद कर लेता है और फिर उसके दिमाग में परी का चेहरा आने लगता है। जी हाँ, परी। अब क्योंकि नियम को महि का नाम नहीं पता था, तो उसने महि का नाम परी रख दिया था। रात में भी उसका रंग चाँद की तरह चमक रहा था और व्हाइट कलर की ड्रेस में एकदम परी ही लग रही थी। हमारी परी जितनी देखने में खूबसूरत है, उतना ही उनका दिल खूबसूरत है। हम जैसे अंजान के लिए भी उसकी आँखों में आँसू थे। अब तो हमारी ज़िंदगी का एक ही मकसद है, सिर्फ़ तुम।

  • 11. Mafia ki dulhan - Chapter 11

    Words: 1282

    Estimated Reading Time: 8 min

    महि की सगाई एक हफ़्ते में थी। "महि, आज तुम रोहित की बर्थडे पार्टी में चली जाओ। कल हम शॉपिंग करने जाएँगे। तुम अपनी पसंद का लहँगा लेना..." सारिका अलमारी में कपड़े रखते हुए महि से बातें कर रही थी। महि बेड पर बैठी थी। जब महि बहुत देर तक नहीं बोली, तो सारिका ज़ोर से आवाज़ दी,


    "हाँ भाभी माँ।" महि जैसे किसी सपने से होश में आई हो।


    सारिका महि के पास बैठकर उसका हाथ अपने हाथ में लेकर बोली, "महि, कोई परेशानी है?"


    "भाभी माँ, हमें लग रहा है कि... सब कुछ बहुत ही जल्दी हो रहा है।" महि अपने दिल में चल रही उथल-पुथल को सामने रखा।


    "मतलब तुम्हारी शादी?"


    "हाँ भाभी माँ। माँ के कहने पर हमने इस रिश्ते के लिए हाँ किया था। फिर रोहित जी को देखकर हमें लगा कि हमें धीरे-धीरे उनसे प्यार हो जाएगा, पर..." महि कहते हुए रुक गई। उसकी आँखों के सामने नियम का चेहरा आने लगा।


    "पर क्या महि? तुम्हें रोहित पसंद नहीं?" सारिका ने पूछा।


    "भाभी माँ, हम उन्हें जानते ही कितना हैं? और जितना जानना है, हमें लगता है कि हम कभी उनकी दुनिया में खुश नहीं रह पाएँगे। हम उनके लिए कुछ फील ही नहीं करते और सिर्फ़ एक महीने में शादी? भाभी माँ, हमें बहुत डर लग रहा है।" कहते हुए महि उदास होकर सारिका की गोद में अपना सर रख लिया।


    सारिका महि का सिर सहलाने लगी और गहरी सोच में डूब गई। 'जिसका हमें डर था वही हो रहा है। महि को रोहित पसंद नहीं। हमें माँ जी से एक बार बात करनी ही होगी।'


    "माँ जी, हम अंदर आ जाएँ।" सारिका कमला देवी के कमरे का दरवाज़ा खटखटाया।


    कमला देवी रामायण का जाप कर रही थीं। सफ़ेद साड़ी, आँखों पर चश्मा, बाल हल्के सफ़ेद थे, पर उनकी स्किन एकदम चमकदार थी।


    "आ जाओ। भगवान का नाम भी शांति से नहीं लेने देतीं।" बड़बड़ाते हुए कमला देवी रामायण संभालकर रखा और कुर्सी पर बैठ गईं। "बोलो, क्या बात है?"


    "माँ जी, महि को रोहित बिलकुल पसंद नहीं, तो हम कह रहे थे..." सारिका हिम्मत करके बोली ही थी कि कमला देवी गुस्से में तमतमाते हुए खड़ी हो गईं। "हमने एक बार कहा ना कि महि की शादी रोहित से ही होगी, फिर चाहे उसे पसंद हो या नहीं।"


    "माँ, भाभी माँ को मत डाँटो। वो तो बस हमारे लिए परेशान थीं।" महि सारिका का बचाव करते हुए बोली। वो कमला देवी की आवाज़ सुनकर दौड़ते हुए अंदर आई।


    "ओहो, आ गई महारानी जी! तो एक बात कान खोलकर सुन लो, तुम रोहित से शादी करोगी, मतलब करोगी!" कमला देवी महि से मुँह बिचकाकर बोलीं।


    ये सुनते ही महि की आँखों में आँसू आ गए। वो कमला देवी का हाथ पकड़कर विनती करने लगी, "माँ, हम पहले कुछ समय चाहते हैं। हम कुछ समय बाद भी तो शादी कर सकते हैं ना? प्लीज, हमें रोहित जी से शादी नहीं करनी।"


    चटाक!!!!!


    एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ महि का गाल सुन्न हो गया।


    "क्या लगा रखा है? शादी नहीं करनी? नहीं करनी? हम कोई तुमको ऐसे-वैसे घर में धकेल रहे हैं? जो इतना ड्रामा कर रही हो? अच्छा-खासा अमीर और सुंदर लड़का है, पर इतने नखरे?"


    "जाओ अब यहाँ से!" कमला देवी के डाँटने पर महि दौड़ती हुई बाहर भाग गई और सारिका भी उसके पीछे गई।


    महि अपने कमरे का दरवाज़ा बंद करने से पहले सारिका वहाँ आ गई। "महि, दरवाज़ा खोल।"


    "भाभी माँ, हम ठीक हैं। थोड़ी देर अकेला रहना चाहते हैं बस।" कहकर वो दरवाज़ा बंद कर लिया और सारिका हार मानकर चली गई।


    शाम को कमला देवी सारिका से बोली, "जाओ देखो, वो महारानी तैयार हुई या अभी भी नखरे चल रहे हैं उसके?"


    "माँ, क्यों उसके पीछे पड़ रही हो? अगर नहीं है उसका मन?" अभय चिढ़ता हुआ बोला। वो तो यह शादी ही नहीं होने देना चाहता था, पर अपनी माँ के खिलाफ़ भी नहीं जा सकता था।


    "माँ, हम जा रहे हैं।" कहते हुए महि नीचे आ गई। उसने अबकी बार एक प्लेन सा बेबी पिंक कलर का पटियाला सूट पहन रखा था।


    "ये कैसे कपड़े पहने हैं? थोड़ा सज-सवर जाओगी तो क्या पहाड़ टूट पड़ेंगे?" कमला देवी उसके सादे से रूप को देखकर फिर फट पड़ी।


    "माँ, अब आप कुछ नहीं बोलोगी। वो जा रही है ना? चल छोटी, मैं चलता हूँ तुझे छोड़ने।" कहते हुए अभय महि का हाथ पकड़कर बाहर ले गया।


    "मेरी तो इस घर में कोई सुनता ही नहीं।" कमला देवी दोनों को साथ जाता देख फिर से बड़बड़ाने लगी।


    कार ड्राइव करते हुए अभय बोला, "छोटी, तू फ़िक्र न कर। तेरी इच्छा के खिलाफ़ मैं तेरी शादी नहीं होने दूँगा। तू बस जा और एन्जॉय कर। तू सोच कि तू सिर्फ़ एक दोस्त की बर्थडे पार्टी में जा रही है, हम्म।"


    महि जो कब से उदास थी, उसके चेहरे पर आखिरकार मुस्कान आ गई। वो अभय को साइड हग देते हुए बोली, "भाई, आप दुनिया के बेस्ट भाई हो।"


    "हम्म, और तू यूनिवर्स की बेस्ट बहन।" अभय हँसते हुए बोला।


    थोड़ी देर बाद कार एक शानदार व्हाइट बंगले के आगे रुकी।


    "छोटी, बिलकुल चिंता मत करना। जब तू कॉल करेगी, मैं दो मिनट में तुझे लेने आ जाऊँगा, ओके?" अभय ने बचपन से महि को बहन नहीं, बेटी की तरह प्यार किया था।


    "हाँ भाई, हम जा रहे हैं।" कहकर महि गाड़ी से उतरकर अंदर चली गई।


    अंदर से घर बाहर से भी ज़्यादा सुंदर था, पर अभी बात यह थी कि वहाँ कोई नहीं था। तभी एक बड़ी ही खूबसूरत सी मिडिल एज लेडी सीढ़ियों से उतरती हुई नीचे आई और महि को ऊपर से लेकर नीचे तक घूरने लगी। "कौन हो तुम? ऐसे कैसे शर्मा हाउस में आ गई?"


    "हमारा नाम महि है। रोहित जी की दोस्त।" महि को यकीन था कि यह लेडी रोहित जी की माँ है। दोनों के चेहरे में काफी समानता थी।


    "रोहित जी? रोहित कब से इतने शरीफ़ दोस्त बनाने लगा?" माया, रोहित की माँ, व्यंग्य करते बोली। तभी एक बुज़ुर्ग आदमी महि को देखते ही खुश होते हुए बोले, "अरे महि बेटी, आओ। वहाँ दरवाज़े के पास क्यों खड़ी हो?" ये थे रोहित के दादाजी, राजेंद्र शर्मा। सफ़ेद धोती-कुर्ता पहने वो अलग ही रौबदार व्यक्ति जान पड़ते थे।


    उन्हें देखते ही महि को थोड़ी शांति मिली। वो जल्दी से जाकर उनके पैर छुई। "प्रणाम दादाजी।"


    "खुश रहो। कितनी प्यारी बच्ची है।" दादाजी खुश होते हुए महि के सिर पर हाथ रखा।


    तो वहीं माया जलभुनकर कहती है, "बाऊजी, कौन है ये लड़की? इतने प्यार से तो आज तक इन्होंने कभी मुझसे भी बात नहीं की।"


    "बुढ़ा मैं हो रहा हूँ, पर याददाश्त तुम्हारी कमज़ोर हो गई है।" दादाजी माया को देखते हुए मुँह बनाते हैं।


    "क्या मतलब?" माया असमंजस में बोली।


    "तुम्हें रोहित की दुल्हन की फ़ोटो दिखाई थी ना? ये रोहित की मंगेतर है, महेशवरी।"


    "क्या?" माया फिर से महि को घूरने लगी। तो महि उनके भी पैर छुई, पर माया पीछे हटते हुए बोली, "हाँ ठीक है। मुझे कुछ काम याद आ गया, तो मैं चलती हूँ।" वो ऊपर चली गई।


    "बेटा, उसकी बात का बुरा मत मानना। वो ऐसे ही बात करती है।" दादाजी महि को समझाते हैं।


    "वो दादाजी, रोहित जी ने कहा था आज उनकी बर्थडे पार्टी है, तो वो कहाँ हैं?"


    "हाँ, वो पीछे पूल साइड पार्टी कर रहे हैं। तुम रमेश के साथ चली जाओ।" कहकर दादाजी एक नौकर को बुलाते हैं और महि उसके साथ चली जाती है।


    "ये लड़का भी ना! इतनी भी अक्ल नहीं है कि खुद आकर महि को लेकर जाए। पता नहीं क्या होगा इस लड़के का?" दादाजी रोहित पर गुस्सा होते हुए बोले।

  • 12. Mafia ki dulhan - Chapter 12

    Words: 1516

    Estimated Reading Time: 10 min

    महि जब पुल के किनारे पहुँची, तो रोहित उसे देखकर तुरंत उसके पास आया।

    "महि, आओ। गाइज़, अटेंशन! यह है मेरी फ़िआंसे, महि।" रोहित ने अपने दोस्तों से महि का परिचय कराया। उसके सभी दोस्तों ने महि से हाथ मिलाया। ये सभी रोहित के कॉलेज के दोस्त थे।

    तभी तान्या आई और रोहित को गले लगाते हुए बोली, "हैप्पी बर्थडे, रोहित।"

    रोहित मुस्कुराते हुए उसे अलग करते हुए बोला, "थैंक्यू, तान्या।"

    तान्या ने एक नज़र रोहित के पास खड़ी महि को देखा। महि ने साधारण कपड़े पहने हुए थे। तान्या ने कहा, "तुममें कोई क्लास है या नहीं? अगर कोई अच्छी ड्रेस नहीं थी तो मुझे कह देती, मैं भेजवा देती। रोहित को इम्बैरेस्ड तो नहीं होना पड़ता।"

    यह बात उसने इतनी धीरे बोली कि सिर्फ़ रोहित और महि ही सुन पाए। महि ने तान्या की ड्रेस देखी; काले रंग की वन-पीस शॉर्ट ड्रेस जिसमें उसका फिगर साफ़ दिख रहा था। तान्या बहुत सुंदर थी, अपने दोस्तों के ग्रुप में सबसे सुंदर; पर महि के आने से उसका यह खिताब छिन चुका था।

    "तान्या! महि जो मन करे वो पहन सकती है, वो खूबसूरत ही दिखती है।" रोहित ने यह कहकर महि को देखकर मुस्कुराया। इसे देखकर तान्या आग-बबूला हो गई। तभी नील और सुरभि आते हुए बोले, "चलो ट्रुथ एंड डेयर खेलते हैं।"

    सब लोग पीछे बने गार्डन में घास पर गोल घेरा बनाकर बैठ गए। महि सुरभि और रोहित के बीच बैठी थी; रोहित की तरफ़ तान्या, रजत, रॉकी, मोना, लिली और फिर नील। कुल मिलाकर नौ लोग थे।

    "गेम के रूल्स तो सबको पता हैं, तो पहले मैं घुमाता हूँ।" नील ने यह कहकर बोतल घुमाई जो घूमकर सुरभि पर रुकी।

    मोना ने सवाल किया,

    "तो सुरभि, टेल अस, तुम्हारा और नील का रिलेशन कहाँ तक प्रोग्रेस किया? तुम समझ रही हो ना?"

    सुरभि शर्माते हुए नील को देखी, तो नील भी उसे प्यार से देखने लगा।

    "ओहो, इसका मतलब..."

    "नहीं, गाइज़, ऐसा कुछ नहीं है। पहले हम शादी करेंगे, अभी हम सिर्फ़ फ्रेंड्स की तरह ही हैं।" सुरभि ने जल्दी से कहा।

    "जस्ट फ्रेंड्स?" सब ने उँगलियाँ क्रॉस करके उन्हें चिढ़ाया। फिर सुरभि ने बोतल घुमाई। इस बार बोतल रोहित पर रुकी। रॉकी ने कहा,

    "रोहित, तेरा टास्क है तान्या को किस करना।"

    यह सुनते ही तान्या तो सातवें आसमान पर पहुँच गई और बाकी सब महि को देखने लगे।

    रोहित ने महि का हाथ पकड़कर कहा, "महि, तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना?"

    महि को यह सवाल मज़ेदार लगा। 'ये भी कोई कहता है, मेरे ही सामने किसी और लड़की को किस करेंगे तो मुझे क्या तालियाँ बजाने का मन करेगा?'

    वो रोहित की नज़रों में देखते हुए बोली, "आपको क्या लगता है, मुझे बुरा लगना चाहिए?"

    "महि, इसमें बुरा मानने की बात नहीं है। वैसे भी, फ़ॉरेन कंट्रीज़ में तो ये सब नॉर्मल है।" रोहित ने अपनी दिल की बात कह दी।

    "मुझे बुरा नहीं लगेगा।" महि ने कहा और अपना हाथ छुड़ा लिया। "जब हम आपसे प्यार नहीं करते, ना शादी करनी है, तो हमें क्या फ़र्क पड़ेगा? चाहे किसी को भी किस करो।"

    रोहित गया और झुककर तान्या के गाल पर किस करने ही वाला था कि तान्या ने उसका सिर पकड़कर अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए। रजत की आँखें गुस्से से लाल हो गईं और वह उठकर चला गया।

    रजत!!

    सबके चिल्लाने की आवाज़ से रोहित तान्या को धक्का देकर अलग किया। "ये क्या किया तान्या? रजत क्या सोचेगा हमारे बारे में?"

    "मैं तो बस मज़ाक कर रही थी।" तान्या बेपरवाह होकर बोली। और सब ने रजत की किस्मत पर अफ़सोस किया।

    इसके बाद सब लोग डांस करने का फ़ैसला किया। रोहित ने महि से हाथ आगे करके कहा, "मे आई डांस विद यू?"

    "हमारा मन नहीं है।" महि ने सीधा जवाब दिया और जाने लगी, तो रोहित ने उसे वापस अपनी तरफ़ खींचकर कहा, "मन क्यों नहीं है? क्या तुम्हें जलन हो रही है तान्या से?"

    महि उसकी बाहों में कसमसाते हुए बोली, "छोड़िए हमें, हमें कोई जलन नहीं हो रही। आप चाहे तो उनके साथ डांस कर सकते हैं।"

    "मुझे तो तुम्हारे साथ ही डांस करना है।" रोहित ने यह कहकर उसे स्टेज पर ले गया और डांस करने लगा। इतने लोगों के सामने महि रोहित का मज़ाक नहीं बनवाना चाहती थी, इसलिए वह भी उसके साथ कपल डांस करने लगी, स्लो रोमांटिक म्यूज़िक पर।

    दोनों ने बहुत अच्छा डांस किया। इसे देखकर तान्या गुस्से में स्टेज पर आकर रोहित को अपनी तरफ़ खींच लिया, जिससे महि लगभग गिरते-गिरते बची।

    तान्या रोहित के चारों ओर घूमकर बड़े ही सेक्सी स्टाइल में डांस करने लगी। इसे देखकर महि खुद ही नीचे आ गई।

    अब डीजे ने भी म्यूज़िक बदल दिया और गाना प्ले हुआ, "टिप-टिप बरसा पानी।"

    और फिर क्या था? तान्या जो शुरू हुई तो रुकने का नाम नहीं लिया। कभी अपनी उँगलियाँ रोहित के चेहरे पर घुमाती, तो कभी खुद उसके हाथ अपनी कमर पर रखती और रोहित भी उसका साथ देने लगा। दोनों ही अपने में गुम थे। ना रोहित को महि नज़र आई, ना तान्या को रजत।

    महि को यहाँ दम घुटने लगा, तो वह वहाँ से अलग स्वीमिंग पूल के पास खड़ी हो गई जहाँ इस वक़्त कोई नहीं था। खुली ठंडी हवा में उसे अच्छा लगा। कि तभी वहाँ एक मेड आई और पहले तो थोड़ी दूरी से महि को घूरती रही और आस-पास देखती रही कि कोई देख तो नहीं रहा। धीरे-धीरे वह महि की ओर बढ़ने लगी। महि को अपने ऊपर किसी की बुरी नज़र का एहसास हुआ और वह पीछे मुड़कर देखने ही वाली थी कि तभी किसी ने पीछे से उसे जोर का धक्का दिया और वह पानी में गिर गई।

    छपाक!!!!!!!

    महि को स्वीमिंग नहीं आती थी, जिसके कारण वह पानी में छटपटाने लगी। "हेल्प… प्लीज़… हमें बाहर निकालो।"

    इतने ज़ोर के म्यूज़िक में कोई उसकी आवाज़ नहीं सुन पा रहा था। पूल के अंदर महि लगातार पानी में डूबती जा रही थी। 'हे महादेव, क्या हम मरने वाले हैं? अभी तो हमारा सपना भी पूरा नहीं हुआ, ना प्यार।' उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा रहा था। धीरे-धीरे उसकी आँखें बंद हो रही थीं कि उसे गहरे पानी में एक परछाई अपनी तरफ़ आती दिखी। यह कोई जाना-पहचाना सा चेहरा था, वही जिसे वह सपनों में बहुत बार देख चुकी थी। "नियम…"

    नियम यहाँ अपने दादाजी के कहने पर आया था। उसे स्वीमिंग पूल के पास वह दिखी। वो कौन? अरे भाई, वही जिसका उसे दिन-रात ख़ुमार था, जो उसकी धड़कन बन चुकी थी। वह पिंक कलर के पटियाला सूट में चाँद की रोशनी में खड़ी थी। हवा में उसके बाल लहरा रहे थे। नियम को लगा कि वह फिर एक खूबसूरत धोखा है जो छूते ही ग़ायब हो जाएगी। वह अपना सिर झटककर दो कदम आगे बढ़ा ही था कि उसे किसी के पानी में गिरने की आवाज़ आई, जिससे उसके दिल में एक अजीब सी बेचैनी हुई। वह बिना सोचे-समझे पानी में कूद गया।

    स्वीमिंग पूल में पानी काफी गहरा था। बिलकुल गहराई में जाकर उसे वह दिखी, उसकी परी, जिसके बाल सीवीड की तरह पानी में तैर रहे थे और उसकी आँखें बंद हो रही थीं। नियम को लगा कि उसका दिल सीने से बाहर आ जाएगा। वह पूरी ताकत से उसे अपनी बाहों में खींच लेता है और उसे गोद में उठाकर पानी से बाहर लाता है।

    बाहर सब लोग महि को ढूँढ़ रहे थे और यह नज़ारा देखते हैं: मुंबई शहर का सबसे बड़ा माफ़िया किंग, उसकी बाहों में एक खूबसूरत लड़की। सब उसे देखते ही साइड हट जाते हैं। नियम महि को किनारे पर रखकर उसके गाल थपथपाता है। "परी… परी।" महि के मुँह से बहुत सारा पानी निकला। वह खांसते हुए आँखें खोलती है तो नियम उसे कसकर गले लगा लेता है। सुरभि आकर अपना ओवरकोट महि को पीछे से पहना देती है। "महि, तुम ठीक हो?" महि अपना चेहरा ऊपर करके नियम को देखती है। यहीं थे वो जिन्होंने उसे आज फिर बचाया। नियम को महि एकदम छोटे बच्चे की तरह लगती है; कितनी मासूमियत थी उसके चेहरे पर। उसके चेहरे से अभी भी पानी टपक रहा था। तो वह उसे गोद में उठाकर ले जाने लगता है कि तभी रोहित उसके सामने दीवार की तरह खड़ा हो जाता है। "छोड़ उसे।" वह गुस्से में बोला।

    "देख, अभी मेरा दिमाग गरम है तो तू सामने से हटले नहीं, तो तुझे मैं दुनिया से हटा दूँगा।" नियम की आँखों में रोहित को देखते ही गुस्से की लहर दौड़ पड़ती है।

    "वो मेरी गर्लफ़्रेंड है, तो तूने उसे क्यों थाम रखा है? महि, उतरो नीचे।" रोहित महि को छूने ही वाला था कि नियम रोहित के पेट पर ज़ोरदार किक मारता है, जिससे वह कुछ दूरी पर उछलकर गिर गया। नियम के इतनी तेज़ किक मारने पर भी महि को बिलकुल असहज महसूस नहीं हुआ। नियम था ही इतना मज़बूत, एकदम चट्टान की तरह। तान्या रोहित के मुँह से खून निकलता देख उसे उठाने की कोशिश करती है। "रोहित, आर यू ओके?"

  • 13. Mafia ki dulhan - Chapter 13

    Words: 734

    Estimated Reading Time: 5 min

    नियम तेज़ कदमों से अपने कमरे में गया और महि को बड़े बिस्तर पर किसी गुड़िया की तरह संभालकर बिठा दिया। "आप रुकिए, मैं किसी मेड को भेजता हूँ।" महि ओवरकोट को और कसकर चारों ओर लपेटते हुए सिर हिला दी।


    नियम के जाने के बाद तुरंत एक मेड आई। महि जब तक कपड़े बदलती तब तक नियम भी कपड़े बदलकर आ गया। डार्क ग्रीन रंग की टीशर्ट और ब्लैक लॉवर पहने उसके बाल अभी हल्के गीले ही थे।


    महि ने एक हल्के नीले रंग की ड्रेस पहन ली।


    "दो कप कॉफी," नियम ने मेड को आदेश दिया।


    मेड चली गई। महि और नियम कमरे में अकेले रह गए, और उनकी खामोशी।


    "थैंक्यू," महि ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।


    "आप यहां कैसे?" नियम ने उसके 'थैंक्यू' को अनसुना कर मुख्य बात पर आ गया, जो उसे काफी परेशान कर रही थी। वह रोहित का बात भूला नहीं था। रोहित ने महि को अपनी गर्लफ्रेंड बताया था, फिर भी वह यह बात महि के मुंह से सुनना चाहता था।


    "हम रोहित जी की मंगेतर हैं," महि ने कहा। अभी तक सब क्लियर नहीं हो जाता, जब तक तो रोहित ही उसका मंगेतर था।


    "क्या???" नियम चौंक गया।


    महि नियम को अति-प्रतिक्रिया करते देख भ्रमित हो गई। "क्या हुआ?"


    "कुछ नहीं, हम अभी आते हैं," कहकर वह जैसे ही जाने लगा, महि ने उसका हाथ पकड़ लिया। नियम उसे सवालिया निगाहों से देख रहा था। वह उसका हाथ छोड़ते हुए बोली, "क्या हम आपके फोन से एक कॉल कर सकते हैं?" नियम ने चुपचाप अपना फोन अनलॉक करके उसकी ओर बढ़ा दिया। महि ने अभय का नंबर डायल किया।


    "भाई, हम महि, आप हमें पिक करने आ जाइए।"


    "छोटी, ये तू किसके फोन से कॉल कर रही है?"


    "हम आपको बाद में सब बताएँगे।"


    "ओके।"


    महि ने फोन नियम को दे दिया। "आपको फिर से थैंक्यू, अब हम चलते हैं," कहकर महि जैसे ही जाने लगी, तभी मेड कॉफी लेकर आ गई।


    नियम ने कॉफी लेकर टेबल पर रख दी और कहा, "जब तक आपके भाई आ रहे हैं, क्यों ना एक कप कॉफी हो जाए?"


    महि और नियम सोफे पर एक-दूसरे से थोड़ी दूरी पर बैठकर कॉफी पीने लगे। तभी महि को अचानक कुछ याद आया। "हे महादेव, आपके तो चोट लगी थी ना? फिर भी आप पानी में कूद गए?" उसकी नज़र नियम के पेट पर टिक गई। हालाँकि टीशर्ट में उसे पता नहीं चल पा रहा था कि कहीं उनका घाव तो नहीं खुल गया है।


    नियम को महि का अपने लिए फिक्र करते देख बहुत अच्छा लगा। "मैं ठीक हूँ," उसने झूठ बोला। सच तो यह था कि उसके घाव से खून आने लगा था।


    "आप सच कह रहे हैं?" महि ने उस पर शक करते हुए कहा।


    "साफ-साफ कहिए कि आप जब तक खुद नहीं देखेंगी, आपको तसल्ली नहीं होगी?" कहकर नियम अपनी टीशर्ट ऊपर करने लगा तो महि की आँखें बड़ी हो गईं। वह घबराते हुए उसका हाथ पकड़ ली। "नहीं, हम तो ऐसे ही पूछ रहे थे।" नियम मुस्कुराकर उसकी आँखों में देखते हुए बोला, "ऐसे ही?"


    महि!!!


    तभी रोहित के चिल्लाने की आवाज आई। जो उन दोनों को इतने करीब देखकर लगभग पागल हो गया था। वह जाकर महि का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींच लिया। "चलो मेरे साथ," कहकर वह एक कदम आगे नहीं बढ़ पाया कि पीछे मुड़कर देखा तो महि का दूसरा हाथ नियम ने पकड़ रखा था और आँखों में आग लिए उसे ही घूर रहा था।


    रोहित ने महि का हाथ छोड़कर नियम का कॉलर पकड़ लिया। "महि से मेरी शादी होने वाली है। होने वाली बीवी है वो मेरी, दूर रह उससे।"


    नियम ने भी महि का हाथ छोड़ दिया और रोहित का सीधे गला पकड़ लिया। "होने वाली में और होने में बहुत फासला होता है, उतना ही जितना रोहित शर्मा और स्वर्गवासी रोहित शर्मा में, समझे कि समझाऊँ?" नियम की पकड़ रोहित के गले पर इतनी कस गई कि उसके पैर ज़मीन से एक इंच ऊपर उठ गए। महि यह देख घबरा गई और दोनों को अलग करने की कोशिश करने लगी। "नियम जी, छोड़िए उन्हें।"


    महि रोहित का बचाव कर रही थी, यह देखकर नियम का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुँच गया। उसने रोहित को झटककर बाहर निकल गया। महि भी उसके पीछे जाने लगी, "नियम जी," कि तभी रोहित ने उसका हाथ पकड़ लिया।

  • 14. Mafia ki dulhan - Chapter 14

    Words: 1111

    Estimated Reading Time: 7 min

    महि रोहित की तरफ देखती थी, जो अभी भी लंबी-लंबी साँसें ले रहा था।

    "महि, तुम जानती नहीं हो, वो कितना खतरनाक है। मैं तुम्हारे भले के लिए कह रहा हूँ, उससे दूर रहो।"

    "मैं नहीं जानती कि वो कितना खतरनाक है, पर इतना ज़रूर जानती हूँ कि जब आप मुझे उस अनजानी जगह पर अकेला छोड़कर गए थे, तब इसी खतरनाक इंसान ने हमें बचाया। जब हम आज मरने वाले थे, तब भी आप नहीं आए। इसी खतरनाक इंसान ने हमें बचाया, तो हमारे लिए वो आपसे ऊपर है।"

    रोहित जड़वत हो गया। महि अपना हाथ उसके हाथ से छुड़ाकर नियम को ढूँढ़ने निकल गई।

    बाहर निकलते ही उसे एहसास हुआ कि वह दूसरे फ्लोर पर थी। नियम जब उसे यहाँ लाया था, तब उसका ध्यान सिर्फ उसके चेहरे पर था, जिससे उसे इस जगह को देखा नहीं था। इतने बड़े घर में वह उसे कहाँ ढूँढ़ेगी? सोचते हुए वह नीचे आती ही थी कि एक कमरे से तान्या के चीखने की आवाज़ आई।

    "यू इडियट! 50,000 रुपये मैंने तुम्हें क्या भजिया तलने के लिए दिए थे? इतना छोटा सा काम नहीं हुआ तुमसे?" तान्या गुस्से में तमतमाती बोली।

    "मेडम जी, मैंने उस लड़की को धक्का दिया था, पर पता नहीं अचानक से नियम साहब कहाँ से आ गए?"

    "हूँह! अब जाओ यहाँ से और अपना मुँह बंद रखना, नहीं तो..." तान्या ने कातिल नज़रों से उस मेड को घूरा, जिससे वह बुरी तरह से सहम गई।

    "नहीं बोलूँगी मेडम जी।"

    महि को तान्या पर बहुत गुस्सा आया। वह अंदर घुसने ही वाली थी कि कोई उसे खींचकर दीवार से लगा दिया। महि छटपटाने की कोशिश करती रही, क्योंकि उसका मुँह भी बंद था। लेकिन एक जानी-पहचानी खुशबू से वह शांत होकर ऊपर देखती है; वह नियम था।

    नियम ने, जब देखा कि वह शांत हो चुकी है, तो अपनी हथेली उसके मुँह से हटाकर बाहर ले ली।

    "नियम जी, आपने हमें क्यों रोका?" अब वे शर्मा हाउस से बाहर आ चुके थे।

    "आप रोहित से दूर रहिए।" नियम ने चेतावनी भरे स्वर में कहा।

    "वो कहते हैं आपसे दूर रहिए, आप कहते हैं उनसे दूर रहिए? हमें आप दोनों से कोई लेना-देना नहीं रखना, हम कभी यहाँ आएंगे ही नहीं।" महि नाराज़ होकर बोली। उसके गाल फूलकर गोलगप्पे की तरह हो गए।

    नियम, जो महि के रोहित को बचाने से गुस्से में था, उसका गुस्सा एक पल में छूमंतर हो गया। उसकी परी कितनी क्यूट है! "मेरा वो मतलब नहीं था," कहते हुए जैसे ही उसने समझाना चाहा, महि भाग गई।

    "कहाँ तक भागेंगी परी? आना तो आपको मेरे पास होगा।" नियम उसे चूहे की तरह भागते देख मुस्कुराया।


    यहाँ तान्या रोहित के कमरे में गई। दरवाज़ा भी खुला था, पर रोहित दिखाई नहीं दे रहा था। "रोहित, कहाँ हो तुम?" कहते हुए तान्या उसे अंदर ढूँढ़ती है, तभी उसे बालकनी में एक आकृति दिखी।

    "रोहित, मुझे तो लगता है कि महि तुम्हारे लायक है ही नहीं। देखा ना? एक तो उसमें कोई क्लास है, ना कोई स्पेशियलिटी। सिर्फ रूप-रंग से तो सब कुछ नहीं होता?" तान्या रोहित की बाजू पकड़कर बोली। उसे एहसास नहीं हुआ कि रोहित के चेहरे के भाव बिगड़ते जा रहे थे। इस समय वहाँ कोई लाइट नहीं जली होने से काफी अंधेरा था।

    "अपनी बकवास बंद करो!" गरजते हुए रोहित ने तान्या को दूर धकेला।


    तान्या सकते में थी। यह पहली बार था जब रोहित ने उससे इतनी ऊँची आवाज़ में बात की थी। इससे पहले रोहित तो क्या, किसी ने उससे डाँटा तक नहीं था, उसके अपने माँ-बाप ने भी नहीं। उसका जीवन एक राजकुमारी की तरह रहा था, जिसपर वह इतराती थी। पर आज ना केवल रोहित ने उसे डाँटा, बल्कि उसे धक्का भी दिया?

    "रोहित, मैं सिर्फ तुम्हारे अच्छे के लिए बोल रही हूँ।" अबकी बार उसने कुछ धीमी आवाज़ में कहा।

    "मैं प्यार करता हूँ महि से, उसके खिलाफ़ एक शब्द नहीं!" रोहित ने तान्या को उंगली दिखाते हुए कहा।

    "ओह! प्यार करते हो उससे? पर महि तो नहीं करती। देखा था ना कैसे तुम्हारे सौतेले भाई नियम की बाहों में थी वो? देखा भी नहीं उसने तुम्हें?" तान्या ने तंज कसते हुए कहा।

    "गलती उसकी नहीं, तुम्हारी थी। तुमने उसके सामने मुझे किस किया। फिर अच्छा-खासा मैं उसके साथ डांस कर रहा था, तो तुम बीच में आ गई? नहीं तो उस नियम की जगह वो मेरे साथ होती!" रोहित तिलमिलाते हुए बोला और तान्या को पकड़कर कमरे के बाहर धकेल दिया। "आगे से दरवाज़ा खटखटाकर आना!" और एक ज़ोरदार आवाज़ के साथ दरवाज़ा बंद कर दिया। तान्या खड़ी बहुत देर तक उस बंद दरवाज़े को देखती रही। दो बूँद आँसू उसके गालों पर लुढ़क आए।


    "तान्या?" रजत ने तान्या को पुकारा, जो बाहर गार्डन में लकड़ी की बेंच पर बैठी थी।

    जब उसने कोई जवाब नहीं दिया, तो रजत उसके पास चुपचाप बैठ गया। "तान्या," उसने फिर से पुकारा, तो इस बार वह पलटी। उसकी आँखें लाल थीं। रजत को उसका आँसुओं से भीगा चेहरा देख बहुत बुरा लगा, और वह उसे अपनी ओर खींच लेता है।

    तान्या जोर से रोने लगी। "रोहित... क्यों नहीं समझता... मैं उसे कितना चाहती हूँ..." वह अटकते हुए बोली।

    "शांत हो जाओ। तुम उसे भूलने की कोशिश क्यों नहीं करती? अगर वह उस लड़की से प्यार करता है, तो तुम्हें उसकी खुशी में खुश होना चाहिए।" रजत ने उसे समझाते हुए कहा।

    तान्या झटके से खड़ी होकर अविश्वास से रजत को देखती है। "भूल जाऊँ? अपने बीस साल के प्यार को उस दो-कोड़ी की लड़की की वजह से भूल जाऊँ?"

    रजत तान्या का यह रूप देख हैरान था। इतनी पढ़ी-लिखी, समझदार, मॉडर्न लड़की होकर एक दूसरी मासूम लड़की के लिए इतनी अभद्र भाषा? रजत को यकीन नहीं होता कि यह वही तान्या है जिससे वह बेहद प्यार करता है। इस वक्त उसे तान्या की आँखों में बस एक पागलपन दिख रहा था। क्या यह उसका प्यार था या कुछ और? एक डरावना ख्याल उसके ज़हन में आया। "कहीं महि को स्विमिंग पूल में तुमने..." आगे वह बोल ना सका।

    एक पल के लिए तान्या सिहर गई, पर तुरंत खुद को नॉर्मल किया और रोते हुए बोली, "रजत, तुम्हें क्या लगता है कि मैंने उसे मारने की कोशिश की? मैं एक चींटी तक नहीं मार सकती और तुम..." कहते हुए वह फूट-फूट कर रोते हुए ज़मीन पर गिर गई।

    रजत का मन अफ़सोस से भर उठा। सही तो कह रही है तान्या। वह झुका और तान्या को गले लगाते हुए माफ़ी माँगने लगा। "मुझे माफ़ कर दो तान्या, आगे से मैं ऐसा कभी नहीं बोलूँगा।"

    "रजत, तुम मेरा साथ कभी मत छोड़ना, नहीं तो मैं टूट जाऊँगी।" तान्या ने रजत के ऊपर अपनी पकड़ कसते हुए कहा, तो रजत को और भी गिल्टी फील हुआ।

  • 15. नियम के सपने - Chapter 15

    Words: 661

    Estimated Reading Time: 4 min

    बिस्तर पर सो रही महि की आँखों से आज नींद गायब थी। उसके दिल और दिमाग में बार-बार एक ही चेहरा घूमता रहा, नियम का।

    "रोहित ने ऐसा क्यों कहा कि नियम जी खतरनाक हैं? हमें तो वो बहुत नेकदिल लगते हैं, पर नियम जी रोहित के घर? आखिर क्या रिश्ता है उन दोनों का?" महि उठी और अलमारी खोलकर कुछ ढूँढ़ने लगी।

    हाथों में नियम का वाइट कोट लिए, वह बाल्कनी में आ गई और उसे अपने सीने से लगाए चाँद को देखने लगी। अचानक किसी ने उसे पीछे से बाहों में भर लिया।

    "मेरे बारे में सोच रही हो?" उसने दिलकश आवाज़ में महि के कान में कहा। महि को एक मीठा सा एहसास हुआ।

    "हाँ, जबसे हम आपसे मिले हैं, आपका चेहरा ही हमारे दिमाग में घूमता रहता है," उसने खोई हुई आवाज़ में कहा। नियम हँस पड़ा।

    "आप हँस क्यों रहे हैं?" महि, उसके सामने होकर आँखें दिखाते हुए बोली।

    "हर समय अगर कोई किसी के बारे में सोचता रहे, तो उसका एक ही मतलब होता है?" नियम ने कुछ रहस्यमयी तरीके से कहा।

    "क्या मतलब?" महि झट से बोली।

    "बता दूँ?" नियम ने महि की आँखों की गहराइयों में देखते हुए कहा। महि ने मंत्रमुग्ध होकर अपना सिर हिला दिया।

    "तुम्हें मुझसे प्यार हो गया है।"

    महि की आँखें हैरानी से बड़ी हो गईं।

    "प्यार?"

    "हाँ, महि राजपूत को नियम ठाकुर से प्यार है।" उसने फिर एक मुस्कान के साथ दोहराया। महि डरम की तरह अपना सिर ना में हिलाती हुई अंदर भागी।

    "ऐसा कैसे हो सकता है? दो मुलाकात में भी किसी को प्यार होता है क्या?" उसने अपना तर्क देते हुए सिर उठाया, तो वहाँ कोई नहीं था।

    "नियम कहाँ गए? नियम जी?" कोई जवाब नहीं आया।

    बेचैन होकर महि ने आँखें मलीं और दोबारा पूरे कमरे में नज़र दौड़ाई। सिवाय उसके, कोई नहीं था।

    "इसका मतलब मैं खुली आँखों से सपने देखने लगी हूँ, और वो भी नियम जी के," महि बुदबुदाई और देखा कि उसके हाथ में अब भी नियम का कोट था। जैसे उसमें चार सौ चालीस वोल्ट का करंट हो, महि ने उसे दूर धकेला।

    "ये सिर्फ़ उनका कोट ही तो है, हम भी ना।"

    उसने जल्दी से वो कोट वापस अलमारी में रख दिया।

    "मेरा कोट अंदर बंद करने से मेरी यादें बंद नहीं होंगी।" यह वही दिलकश आवाज़ थी जिसने महि के दिल का चैन छीन लिया था।

    धड़कते दिल के साथ उसने पीछे देखा तो वह किसी राजा की तरह वहीं बैठे थे, हाथ बिस्तर पर टिकाए, उसकी तरफ एक मीठी मुस्कान लिए हुए।

    "आप मेरे बिस्तर पर क्यों बैठे हैं?" महि खीझती हुई सी उसका हाथ पकड़कर खींचने लगी, लेकिन वह हिमालय पर्वत की तरह टस से मस नहीं हुआ।

    उल्टा, नियम के एक ही झटके में वह उसके ऊपर आ गिरी। अब दोनों ही बिस्तर पर गिरे हुए थे, नियम नीचे, महि उसके ऊपर। उसका छोटा सा चेहरा उसके सीने के अंदर था। नियम ने बड़े ही प्यार से उसकी सुनहरी लटों को कान के पीछे किया। महि को होश आया। उसने उसके सीने पर हाथ रखे और उठने लगी, तो वापस गिर गई, क्योंकि नियम ने उसकी कमर पर हाथ लपेट लिए थे। दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखते हुए खो गए, कि सुबह के अलार्म के बजने से महि हड़बड़ाकर उठी। उसकी घनी काली पलकें अब भी भारी हो रही थीं। आँखें मसलते हुए उसने अलार्म उठाया; पाँच बजे थे।

    "सुबह-सुबह इतना भयानक सपना! सुबह के सपने तो सच होते हैं ना? नहीं-नहीं, हर सपना सच थोड़ी ही होता है," महि ने खुद को समझाया और ट्रेकिंग सूट पहनकर जॉगिंग के लिए निकल गई।

    उनके घर जिस कॉलोनी में था, वहीं एक सुंदर पार्क था; चारों ओर हरे-भरे पेड़-पौधे, रंग-बिरंगी तितलियाँ, ताज़ी ठंडी हवा। सुबह-सुबह बहुत लोग वहाँ जॉगिंग करते थे।

    महि को बचपन से ही एक्सरसाइज़ करना बहुत पसंद था; एकदम ज़ीरो फिगर था उसका।

    अभी उसने दो राउंड ही दौड़े थे कि पीछे से एक आवाज़ आई,

    "महि, आप यहाँ?"

  • 16. रजत ने की मही की मदद - Chapter 16

    Words: 1347

    Estimated Reading Time: 9 min

    महि, क्या आप यहाँ हैं?

    महि ने देखा तो ये उसके कॉलेज के प्रोफेसर थे, मिस्टर ब्रिजेश पाठक, लगभग चालीस वर्ष के।

    महि के चेहरे पर मुस्कान आ गई और वह उनके पैर छूती हुई बोली, "सर, आप यहाँ?"

    "हाँ, वो अभी हमारा घर पिछली कॉलोनी में शिफ्ट हुआ है, तो यहाँ थोड़ा व्यायाम करने आया था। चलो, उधर बैठते हैं। मुझे तुमसे ज़रूरी बात करनी है।" उन्होंने पास ही बनी लकड़ी की बेंच की ओर इशारा किया। दोनों वहाँ बैठ गए।

    "बोलिये सर, क्या बात है?"

    "तुम्हारा सिंगर बनने का क्या ख्याल है?" सीधे मुद्दे पर आते हुए उन्होंने कहा।

    यह सुनते ही महि चुप हो गई। कॉलेज की फेयरवेल पार्टी में मुख्य अतिथि के रूप में बहुत ही मशहूर सिंगर अभिजित रायचंद आए थे। महि को बचपन से सिंगिंग का बहुत शौक था, तो उसने सिंगिंग कॉम्पिटिशन में भाग लिया था और प्रथम भी आई थी। तभी अभिजित रायचंद को महि की सिंगिंग इतनी अच्छी लगी कि वे उसे अपने शिष्य बनाना चाहते थे। वे और ब्रिजेश पाठक सर दोस्त थे, तो उन्होंने इस सुनहरे मौके के बारे में महि को बताया। उस समय महि को जीवन में पहली बार इतनी खुशी हुई थी, पर कमला देवी ने उसके सिंगर बनने से साफ़ इनकार कर दिया था।

    "महि, क्या जवाब है तुम्हारा?" सर के बोलने से महि अपनी तंद्रा से बाहर आई।

    "देखो, कॉलेज में भी तुम मेरी फेवरेट स्टूडेंट रहीं हो। तुम्हारा भविष्य बहुत उज्जवल है। अभिजित जब भी कॉल करता है, तुम्हारे बारे में पूछता है।" वे आगे बोले।

    "सर, मैं बहुत खुश हूँ कि अभिजित सर जैसे महान गायक मुझे शिष्य बनाना चाहते हैं, पर यह खुशकिस्मती शायद मेरे नसीब में नहीं।" एक दर्द उसकी खूबसूरत भूरी आँखों में फैल गया।

    "मुझे यकीन है कि तुम एक दिन बहुत बड़ी सिंगर बनोगी। जब भी तुम्हें मेरी मदद की ज़रूरत हो, तुम मुझे बता सकती हो।" कहकर ब्रिजेश सर चले गए, तो महि भी घर आ गई।

    वह जल्दी से नहा-धोकर, पूजा करके किचन में घुस गई और गरमागरम आलू के पराठे और कड़क मसाला चाय बनाई।

    "ऐंजल, आशु के लिए क्या बनाया है?" छोटा सा आशु महि के पैरों से लिपटता बोला। महि ने उसे गोदी में उठाया। "ऐंजल ने आलू के पराठे और अपने आशु के लिए चॉकलेट मिल्क बनाया है। पर पहले आपको ऐंजल स्कूल के लिए तैयार करके लाती है, ओके?"

    "ओके ऐंजल।" खिलखिलाकर हँसते हुए आशु ने उसके गाल पर किस किया। तभी सारिका आते हुए बोली, "अरे वाह महि, तूने तो सारा नाश्ता ही बना दिया! ला, आशु को मैं तैयार कर देती हूँ।" कहते हुए सारिका ने जैसे ही आशु को अपनी गोद में लेने की कोशिश की, आशु ने कसकर महि को पकड़ लिया। "नहीं, ऐंजल मुझे तैयार करेगी।"

    "पर आशु, महि की जल्द शादी होने वाली है, फिर तो वह नहीं आएगी ना आपको तैयार करने के लिए?" सारिका ने आशु की ज़िद देखते हुए थोड़ा सख्त होकर कहा। तो आशु के गोल-गोल गालों पर मोटे-मोटे आँसू आ गए। "ऐंजल... आप मुझे छोड़कर... चली जाओगी?" सुबकते हुए आशु ने महि को देखा। महि को बहुत बुरा लगा। "क्या, भाभी माँ? क्यों सुबह-सुबह हमारे प्यारे आशु को रुला दिया? नहीं आशु, ऐंजल आपको छोड़कर नहीं जाएगी। चलो हम चलते हैं।" कहती हुई महि उसे ऊपर तैयार करने ले गई।

    थोड़ी देर बाद सब नाश्ता कर रहे थे। तभी अभय अपनी उंगलियाँ चाटते हुए बोला, "वाह छोटी, तेरे हाथों में तो जादू है! क्या पराठे बनाए हैं!"

    "और चाय भी एकदम कड़क मसालेदार, मज़ा आ गया।" सारिका ने भी तारीफ करते हुए कहा।

    महि ने खुश होते हुए कमला देवी की प्लेट में एक और पराठा रख दिया। "माँ, और लो ना।" कमला देवी ने मुँह बनाते हुए कहा, "हमें यह घी-तेल वाला नाश्ता नहीं जमता, हमारा हो गया।" कहते हुए वह उठ खड़ी हुई। "तो हम कुछ और बना लाते हैं।" महि कहती रही, पर कमला देवी अनसुनी करती चली गई। महि ने सिर झुका लिया। उसे खुद समझ नहीं आता था कि माँ उसे इतना नापसंद क्यों करती है?

    "कोई बात नहीं महि, बुरा मत मानना।" अभय ने समझाते हुए कहा। तो महि ने मुस्कुराकर ना में सिर हिला दिया। तभी अभय का फ़ोन आया। रखकर उसने कहा, "सारिका, ऑफिस में कुछ ज़रूरी काम आ गया है। आज आशु को स्कूल तुम छोड़ देना।"

    "पर मुझे तो आज अपनी सहेली के यहाँ जाना था। उनके यहाँ पूजा है।" परेशान होती सारिका बोली। तो महि ने कहा, "भाई, भाभी माँ, डोंट वरी। मैं ले जाती हूँ आशु को स्कूल।"

    "ठीक है, तो मैं चलता हूँ।" कहते हुए अभय निकल गया। और महि आशु को लेकर स्कूल अपनी स्कूटी से गई।

    गाँव में रहने के बाद, महि जबसे कॉलेज की वजह से मुंबई आई थी, उसका अधिकतर समय यहीं बीता था।

    स्कूल के सामने स्कूटी रोककर महि आशु को बाय कहती है, तो आशु मुँह फुलाते हुए बोला, "ऐंजल, आप कुछ नहीं भूल रही हैं?"

    महि हँसते हुए उसके माथे को चूमती है, "इतना छोटा बच्चा और इतनी शैतानी?"

    "मैं गुड बाय कह रहा हूँ।" आशु ने इठलाते हुए कहा। तभी उसके दो दोस्त आ जाते हैं। "आशु, यह तेरी दीदी है, यह एकदम परी जैसी है।" मानव ने कहा।

    "तभी तो यह मेरी ऐंजल है।"

    "अच्छा बच्चों, अब जाओ, जल्दी नहीं तो लेट हो जाएगा।" महि ने कहा, तो सभी भागते हुए स्कूल के अंदर चले गए।

    महि ने अपनी स्कूटी स्टार्ट की। अभी थोड़ी दूर वह आई थी कि सामने से एक तेज रफ्तार गाड़ी आई। महि ने काफी कोशिश की साइड होने की, पर कार की स्पीड इतनी तेज थी कि टक्कर हो गई और महि नीचे गिर गई। उसकी गोरी हथेलियाँ छिल गई थीं और उनमें से खून रिसने लगा था। उसे अपने घुटनों में भी दर्द हो रहा था, पर उसने जैसे-तैसे उठने की कोशिश की। तभी एक लड़का गाड़ी से उतरा। अपनी महंगी कार पर बड़ा सा स्क्रैच देखकर उसकी भौंहें तन गईं। गुस्से से उबलते हुए वह महि के सामने उंगली दिखाते हुए बोला, "हाउ डेयर यू? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी कार खराब करने की? जानती भी हो कितनी महंगी है?"

    महि ने उस बदतमीज़ को ऊपर से नीचे तक देखा। पैसों की दुकान लग रहा था वह मोटा-सा लड़का। गले में मोटी सोने की चैन, ब्रांडेड घड़ी। महि ने उसकी उंगली मोड़ते हुए कहा, "देखो मिस्टर, पहली बात तो यह कि गलती हमारी नहीं, आपकी थी जो इतनी स्पीड से कार चला रहे थे। और दूसरी बात, दोबारा अगर हमें उंगली दिखाई तो कभी दिखाने लायक नहीं छोड़ेंगे।" कहती हुई महि ने और तेजी से उसकी उंगली मोड़ी, जिससे मोटे की चीख निकल गई। "तुझे तो मैं छोड़ूँगा नहीं।" कहता हुआ उसने महि पर हाथ उठाना चाहा, कि किसी ने उसका हाथ पकड़ लिया। दोनों ने ही आश्चर्य से देखा, तो यह रजत था।

    महि तो शॉक हो गई। यह इंसान उसे देखते ही गुस्से से उबलने लगता है, उसने उसकी मदद की। रजत ने महि की ओर नहीं देखा, उसकी आग बरसती आँखें तो उस मोटे पर टिकी थीं, जो अब थर-थर काँप रहा था। "भाई, मुझे माफ़ कर दो।" वह गिड़गिड़ाया। सारे मुंबई शहर में रजत अग्रवाल का गुस्सा फेमस था। कोई उससे पंगा नहीं लेना चाहता था।

    "इस लड़की से सॉरी बोल और निकल यहाँ से।" रजत ने उसे धकेलते हुए कहा। उस मोटे लड़के ने कई बार महि को सॉरी कहा और दौड़कर अपनी कार में बैठकर फुर्र हो गया। पूरे समय रजत ने महि को एक बार भी नहीं देखा। वह अपने ऑफिस जा रहा था कि उसकी नज़र बाहर हो रहे हंगामे पर पड़ी। वैसे तो वह महि की मदद हरगिज़ नहीं करना चाहता था, तान्या की दुश्मन, मतलब उसकी दुश्मन। पर पता नहीं क्यों, जब उसने देखा कि वह मोटा महि पर हाथ उठाने वाला है, उसे बर्दाश्त नहीं हुआ।

    वह अपनी कार की ओर बढ़ा, तो महि उसके सामने आ गई। "थैंक यू।" उसने कहा, तो रजत ने मुँह बनाते हुए कहा, "तुम रोहित की मंगेतर हो, इसीलिए मैंने मदद की। मुझसे ज़्यादा दोस्ती बढ़ाने की ज़रूरत नहीं।" कहते हुए वह अपनी कार में बैठकर चला गया।

    महि अचरज से उसे जाते देखती रह गई। "अजीब इंसान है।"


    महि जब घर पहुँची, तो सामने का नज़ारा देख चौंक गई।

  • 17. नियम ने मांगा मही का हाथ - Chapter 17

    Words: 1722

    Estimated Reading Time: 11 min

    सामने रोहित के परिवार को देखकर महि चौंक गई। सोफे पर रोहित, रोहित के दादाजी राजेन्द्र शर्मा, रोहित के पापा महेंद्र शर्मा और रोहित की माँ माया बैठे थे। सामने कमला देवी बेहद खुश नज़र आ रही थीं, और साथ में सारिका जिसके चेहरे पर चिंता के भाव थे।

    "अरे महि बेटा, आओ," दादाजी महि को देखते ही खुश होते हुए उसे बुलाया।

    "महि, देखो तुम्हारे लिए कितनी बड़ी खुशखबरी है। सुनते ही खुश हो जाओगी," कमला देवी भी हंसते हुए बोलीं।

    महि असमंजस की स्थिति में जाकर सारिका के पास बैठ गई।
    "भाभी माँ, रोहित का परिवार अचानक?" महि धीरे से सारिका से कहती है। सारिका कुछ बोलती, उससे पहले ही रोहित खुश होते हुए बोला, "महि, दो दिन बाद हमारी सगाई की डेट फिक्स हो गई है।"

    "देखो तो कितना उतावला हो रहा है," दादाजी ने छेड़ते हुए कहा। पर महि का तो दिमाग सुन्न हो गया था। दो दिन में सगाई?

    "इतनी जल्दी?" उसने मुश्किल से कहा। तो दादाजी ने सशंकित होकर पूछा, "क्या हुआ महि बेटा, तुम खुश नहीं हो?"

    "अरे, महि तो बहुत खुश है, इसलिए थोड़ा पगला गई है, है ना महि बेटा?" कमला देवी ने महि को आँखें दिखाईं। तो महि चुप हो गई।

    रोहित महि के चेहरे को देखता है, जो साफ बता रहा था कि वह इस सगाई से खुश नहीं है। रोहित अपने दाँत किटकिटाने लगा। वही हुआ जिसका उसे डर था। उस नियम ने उसकी महि के मन में मेरे लिए पता नहीं क्या ज़हर भर दिया है कि यह मुझे देखती तक नहीं। पर मैं भी रोहित शर्मा हूँ, इतनी आसानी से उस नियम को जीतने नहीं दूँगा। सगाई होते ही मेरा और महि का रिश्ता और पक्का हो जाएगा। फिर वह नियम कुछ नहीं कर पाएगा।

    रोहित सोचते हुए खुश हो ही रहा था कि एक आवाज़ ने उसे हिला दिया।

    "यह सगाई नहीं हो सकती।" एक रौबदार आवाज़ ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। यह था नियम। वाइट कलर के थ्री पीस सूट में वह एकदम राजा लग रहा था। उसके पीछे साहिल और वीर भी थे।

    नियम को देखते ही महि का दिल असामान्य गति से धड़कने लगा।

    "तुम यहाँ क्या कर रहे हो?" महेंद्र शर्मा ने नियम को घूरते हुए कहा। उनके लिए नियम आँखों में काँटे की तरह था, जो बस चुभ सकता था।

    "अरे मिस्टर महेंद्र, आप तो सिर्फ अपने बेटे रोहित के बारे में सोचेंगे। मेरे लिए तो मुझे खुद ही कुछ करना पड़ेगा ना, क्यों सही कहा ना, मिसेज़ माया?" नियम ने महेंद्र और माया को कुटिल मुस्कान दी। बोलते हुए वह वीर द्वारा रखी गई चेयर पर पैर पर पैर चढ़ाकर राजा के माफ़िक बैठ चुका था।

    "नियम, यह क्या तरीका है अपनी माँ-बाप से बात करने का?" महेंद्र जी गुस्से में खड़े होते बोले।

    "कौन माँ-बाप? मुझे तो कोई माँ-बाप दिखाई नहीं देते?" नियम ने चारों तरफ देखते हुए कहा। तो महेंद्र जी का पारा चढ़ गया। "तुम..." तभी माया ने उनका हाथ पकड़कर आँखों से शांत रहने का इशारा किया। तो महेंद्र जी नियम को घूरते हुए बैठ गए। नियम के चेहरे की शैतानी हँसी उनके दिल में चुभती थी।

    "नियम, यहाँ क्यों आए हो? देखो, यह तमाशा करने की जगह नहीं है। हम घर चलकर बात करेंगे," दादाजी ने नियम को समझाते हुए कहा। तो नियम हँसते हुए बोला, "दादाजी, मैं यहाँ बहुत ज़रूरी काम के लिए ही आया हूँ। मैंने कहा ना, यह सगाई नहीं हो सकती।"

    "तू क्यों मेरे पीछे पड़ा है? मेरी सगाई महि से क्यों नहीं होगी?" रोहित खड़े होकर फटते हुए बोला। नियम उसके लिए जानी दुश्मन था, जिसके आने से उसकी ज़िंदगी में कभी कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता था। और अब तो उसे पता था कि नियम की बाज़ जैसी नज़र महि पर पड़ चुकी है।

    नियम जोर-जोर से तालियाँ बजाते हुए खड़ा हो जाता है। "वाह! क्या जोक मारा है? मैं तेरे पीछे पड़ा हूँ? देख, मुझे लड़कों में कोई इंटरेस्ट नहीं है कि मैं तेरे पीछे पड़ूँगा? मुझे तो अपनी महि में इंटरेस्ट है।" कहते हुए वह प्यार से महि की तरफ देखता है, जो आँखें फाड़े सब कुछ हज़म करने की कोशिश में थी। पहले तो नियम जी और रोहित भाई निकले, और अब नियम जी ने सबके सामने यह क्या कहा? वह मुझमें इंटरेस्टिड है? क्या यह इज़हार था? पर ऐसे सबके सामने? महि को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। पर नियम के आने से उसके दिल में एक अलग सी शांति आ गई थी कि अब कुछ भी गलत नहीं होगा।

    "क्या कह रहे हो नियम? महि रोहित की होने वाली पत्नी है," दादाजी इस बार गुस्से में बोले।

    "लगता है आप सब सबूत देखकर ही मानेंगे कि रोहित चीज़ क्या है? लगाओ वह सीडी," नियम ने कहा। तो वीर ने टीवी में एक सीडी लगाई और ऑन कर दिया।

    रोहित को अब बेचैनी होने लगी। वह गुस्से में चिल्लाते हुए टीवी बंद करने लगा। "हमें तुम्हारे ड्रामे में कोई इंटरेस्ट नहीं है। बंद करो इसे और निकलो यहाँ से।"

    "चोर की दाढ़ी में तिनका सुना तो था, आज देख भी लिया," साहिल ने हँसते हुए कहा और रोहित के सामने खड़ा हो गया। इतने में ही कुछ तस्वीरें चलने लगीं, जिसे देखकर सब जड़ हो गए।

    पहली फ़ोटो में तान्या और रोहित किस कर रहे थे। वह भी सबके सामने। महि ने तो खुद अपनी आँखों से देखा था। पर बाकी सब सदमे में थे। अगली फ़ोटो में दोनों के ही बड़े क्लोज़ पोज़ थे, जो तब के थे जब तान्या और रोहित डांस कर रहे थे। महि को लगा इतना ही काफी है। पर अगली बार कोई फ़ोटो नहीं, बल्कि एक वीडियो स्टार्ट हुआ, जिसे देखकर सबकी आँखें बड़ी हो गईं। तान्या और रोहित किसी रूम में पैशनेटली किस कर रहे थे। उनके कपड़े भी अस्त-व्यस्त थे, और फिर वह बेड पर गिर जाते हैं। आगे क्या हुआ होगा सोचना मुश्किल ना था।

    स्क्रीन ब्लैक हो जाती है। तो नियम मुस्कुराते हुए बोला, "इतना काफी है या फ़ुल पिक्चर देखनी है? मेरे पास है। अगर किसी को डाउट हो तो?" नियम ऐसे बोला जैसे फ़्री में पिक्चर के टिकट बाँट रहा हो।

    "साले कमीने, मैं तुझे छोड़ूँगा नहीं," कहते हुए रोहित नियम की ओर लपका। पर इससे पहले वह नियम को छू पाता, साहिल और वीर ने उसे दोनों तरफ़ से पकड़ लिया।

    दादाजी इतने गुस्से में थे कि उनका पोर-पोर काँप रहा था। उन्होंने एक झन्नाटेदार थप्पड़ रोहित को मारा। "बेशरम! यही संस्कार दिए हैं हमने तुम्हें?" महेंद्र जी का सिर भी शर्म से झुक जाता है। वही माया को अपने बेटे का अपमान बर्दाश्त नहीं हो रहा था। आखिर जो भी किया हो, उसने कोई अपराध तो नहीं किया। इस महि की किस्मत थी जो रोहित जैसे लड़के का रिश्ता आया।

    रोहित ने महि की तरफ़ देखा, जो उसे सिर्फ़ नफ़रत से देख रही थी। भले ही उसने रोहित से प्यार ना किया हो, पर एक समय ऐसा था जब उसे लगा कि रोहित अच्छा इंसान है और उसका पति बनने वाला है। अब सोचते हुए ही महि को रोहित से नफ़रत हो रही थी। जब पहले से ही रोहित और तान्या इतना आगे बढ़ चुके थे, तो उससे शादी क्यों?

    "महि, मुझे एक बार समझाने का मौका दो। तुम जैसा समझ रही हो वैसा नहीं है। वह सिर्फ़ कॉलेज में हुई एक गलती थी। मैं बस तुमसे प्यार करता हूँ," रोहित ने एक ही साँस में सब कह डाला। उसे सच में महि से दूर होने का डर सता रहा था। महि की आँखों में अपने लिए नफ़रत उसे सहन नहीं हो रही थी।

    "पर हम नहीं करते आपसे प्यार," महि ने उसे घूरते हुए कहा। हिम्मत तो देखो ज़नाब की! इतना सब देखने के बाद भी कहते हैं मुझसे प्यार करते हैं। महि को अब रोहित का चेहरा देखना भी गवारा ना था।

    वही यह सुनकर नियम के दिल में लाखों फूल एक साथ खिल उठे। उसके चेहरे की हँसी देखते ही बन रही थी। साहिल और वीर भी बहुत खुश थे रोहित की हालत देखकर।

    महेंद्र जी रोहित का हाथ पकड़कर घसीटते हुए बाहर ले गए। माया ने एक नज़र महि को घूरा और वह भी निकल गई।

    "माफ़ करना महि बेटा, रोहित ऐसा कर सकता है। मैंने सपने में भी सोचा नहीं था," दादाजी ने महि के आगे हाथ जोड़ते हुए कहा। तो महि ने तुरंत उनके हाथ पकड़ते हुए कहा, "दादाजी, आप माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा ना करिए। आप मुझे बस आशीर्वाद दीजिए।" कहते हुए महि ने उनके पैर छू लिए। तो दादाजी के उदास चेहरे पर भी हँसी आ गई। "मेरा आशीर्वाद तो हमेशा तुम्हारे साथ है," कहकर वह भी चले गए।

    कमला देवी तो सदमे में थीं। उन्हें कुछ फ़र्क नहीं पड़ता कि रोहित ने क्या किया क्या नहीं? पर सब इतनी जल्दी उनके हाथों से फिसल गया जैसे रेत। और यह सब इस लड़के नियम की वजह से हुआ है। सोचते हुए उन्होंने खा जाने वाली नज़रों से नियम को घूरा।

    नियम ने उनके और सारिका के पैर छुए। "तो आंटी, देखिए महि का रोहित से तो रिश्ता टूट गया। अब तो मैं महि का हाथ मांग सकता हूँ ना?"

    तभी बाहर से कुछ बॉडीगार्ड हाथ में बड़ी-बड़ी थाली लेकर आए, जिन पर लाल रेशमी कपड़ा ढका था। उन्होंने उन थालियों को टेबल पर रख दिया, जिससे पूरी टेबल भर गई। नियम ने साहिल को इशारा किया, तो उसने सभी थालियों पर से कपड़ा हटा दिया। किसी में सोने के सिक्के, किसी में चाँदी के, फल-फ्रूट, गहने से लेकर बहुत कीमती सामान था, जिसे देखकर सब चौंक गए। कमला देवी थूक निगलते मुश्किल से अपनी निगाह गहनों पर से हटाईं। बोलीं, "यह सब क्या है?"

    "मैं महि का हाथ मांग रहा हूँ, तो यह शगुन है। अगर कुछ कमी हो तो आप बता सकती हैं," नियम ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कहा। उसकी लाइफ़ में पहली बार ऐसा मौका आया था, तो कोई अनुभव नहीं था।

    "पर अभी हमने हाँ नहीं कहा?" सारिका ने कहा। तो नियम ने खतरनाक वाली स्माइल के साथ कहा, "ना सुनना मेरे लिए नहीं बना। यह सब तो फ़ॉर्मेलिटी है। बाकी दुल्हन तो हम ही लेकर जाएँगे।" नियम ने महि को देखा, जिसके गाल अब टमाटर की तरह लाल हो चुके थे और पलकें झुकी हुई थीं।

    "चलते हैं। याद रखिएगा, महि सिर्फ़ मेरी दुल्हन बनेगी, बहुत जल्द," नियम ने कहा। तो साहिल बोला, "भाभी, बाय। जल्दी मिलेंगे।" वीर कम बोलता था, पर वह भी नियम के लिए बेहद खुश था।

  • 18. मही से मैं शादी करके रहूंगा किसी भी कीमत पर - Chapter 18

    Words: 2115

    Estimated Reading Time: 13 min

    एक बड़े से आलीशान बंगले में एक लड़का गुस्से में लिविंग रूम में घुसा। उसे देखकर हॉल में बैठे मिस्टर एंड मिसेज रॉय खुश हुए। मिसेज रॉय प्यार से बोलीं, "रोहित, बहुत दिनों बाद आए हो। मैं अभी तुम्हारी पसंद का लंच बनवाती हूँ।"

    रोहित ने अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए गहरी साँस ली और बोला, "आंटी, तान्या कहाँ है? मुझे कुछ ज़रूरी बात करनी है।"

    "वो ऊपर अपने रूम में है।" मिसेज रॉय ने कहा। रोहित ऊपर की ओर दौड़ गया।

    "ये आजकल के बच्चे भी ना, हर समय जल्दी में रहते हैं।" मिस्टर रॉय रोहित को ऊपर भागते देख बोले।

    इधर, तान्या किसी से फ़ोन पर बात कर रही थी कि रूम का दरवाज़ा ज़ोरदार आवाज़ के साथ खुला। तान्या की पीठ गेट की तरफ थी, तो वह सोची कि कोई मेड है और चिल्लाई, "क्या बदतमीज़ी है ये????... आउच!"

    "रोहित, तुम?" तान्या हैरानी से रोहित को देखती है, जिसने उसे पकड़कर दीवार से सटा दिया था।

    "तुमने उस रात की वीडियो रिकॉर्ड की?" रोहित ने जबड़े भींचते हुए कहा।

    "क्या कह रहे हो? कौन सी वीडियो?" तान्या ने नज़रें चुराते हुए कहा।

    "ज़्यादा होशियारी नहीं। तुमने ही वो वीडियो नियम को दी ना, जिससे मेरी महि के साथ सगाई टूट जाए?" रोहित ने तान्या का हाथ ज़ोर से मोड़ते हुए कहा, जिससे तान्या की चीख निकल गई।

    "रोहित, पहले मेरा हाथ छोड़ो। मुझे दर्द हो रहा है।" तान्या ने दर्द से कराहते हुए कहा। रोहित ने उसे झटककर छोड़ दिया।

    "रोहित, मैंने कोई वीडियो नहीं दी नियम को। इन्फैक्ट, मेरे पास कोई वीडियो नहीं है। मेरा भरोसा करो।" तान्या ने रोहित के कंधों पर पकड़ बनाते हुए कहा। जिस पर रोहित ने एक पल उसे घूरा और ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा, "वाओ, तान्या! तुम्हें क्या, मैं बेवकूफ लगता हूँ? उस दिन कॉलेज की फेयरवेल पार्टी के बाद मेरी ड्रिंक में तुमने ही कुछ मिलाया था, जिससे वो सब हुआ। पर मैंने तुम्हें माफ़ किया क्योंकि तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो।"

    ये सुनते ही तान्या की मुट्ठी कँप गई।

    "जो हुआ सो हुआ, पर तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गई हो। वो सिर्फ़ वन नाइट मिस्टेक थी। ये मत सोचना कि तुम मुझे ब्लैकमेल कर सकती हो।" रोहित ने तान्या को उंगली दिखाते हुए धमकाया।

    रोहित का यह रूप देख तान्या भी डर गई थी, पर फिर भी वह यह कबूल नहीं करेगी, कभी नहीं। वह रोहित का हाथ पकड़ते हुए गिड़गिड़ाई, "रोहित, मैं क्यों ऐसा करूँगी? यह बात सच है कि मैं तुमसे प्यार करती हूँ, पर उससे भी बड़ा सच यह है कि मैं तुम्हें हर्ट नहीं कर सकती।"

    "तुम क्या कर सकती हो, क्या नहीं, मैं सब समझ गया हूँ। और एक बात कान खोलकर सुन लो, महि से तो मैं शादी करके रहूँगा, चाहे मुझे कुछ भी करना पड़े।" रोहित ने एक बार फिर तान्या को धकेलते हुए कहा। उसके बाल बेढंगे तरीके से माथे पर बिखर गए थे, जो उसे और भी मनमोहक बना रहे थे। तान्या के लिए रोहित एक ऑब्सेशन बन चुका था, जिसे वह हर कीमत पर पाना चाहती थी।

    धाड़ की आवाज़ के साथ एक बार फिर कमरे में शांति छा गई। तान्या उठकर अपनी शानदार वैनिटी टेबल के सामने खड़ी होकर खुद को आईने में देखती है। सामने एक खूबसूरत लड़की का अक्स था, जिसे देखकर कोई भी मर-मिटने को तैयार हो जाए। बचपन से अब तक सबने तान्या और रोहित को बेस्ट कपल कहा। तान्या को टक्कर देने वाला कोई नहीं था। जिसने कोशिश की, उसका हाल तान्या ने बेहाल कर दिया। क्या कुछ नहीं किया उसने रोहित के लिए? हाँ, वो ड्रिंक भी तान्या ने ही स्पाइक की थी और वो वीडियो भी उसने ही रिकॉर्ड की, पर उसे कोई अफ़सोस नहीं। रोहित के लिए अगर उसे रोहित के दुश्मन नियम का भी साथ देना होगा, तो वह देगी। सिर्फ़ नियम ही है जो रोहित को हरा सकता है।

    "ऐसा क्या है उस महि में जो रोहित और वो नियम, जो संत बना घूमता है, दोनों ही उसके पीछे पड़े हैं? पर कोई नहीं। मुझे एक बार रोहित मिल जाए, फिर उस महि का तो मैं वो हाल करूँगी कि उसकी रूह काँप उठेगी।" तान्या इस समय एक खतरनाक साइकोकिलर लग रही थी। तान्या के दिल में महि के लिए जो बेहिसाब नफ़रत थी, वो उससे और क्या-क्या करवाएगी?

    महि के घर, रात का समय।

    दूसरी ओर, महि आज बहुत खुश थी। उसे अब एहसास हो गया था कि वह नियम को पसंद करने लगी है। उसके चेहरे पर एक अलग ही नूर था।

    महि ऊपर छत पर खड़ी चाँद को निहार रही थी। रात के समय ठंडक थी, तो उसने नाइट सूट के ऊपर हल्का सा शॉल लपेट रखा था। उसे वो पल याद आता है जब पहली बार उसने नियम को देखा था। 'हमने तो उन्हें भूत समझ लिया था।' सोचते हुए वो हँसने लगती है।


    अरे जाने कैसे कब कहाँ इकरार हो गया
    हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया
    हो जाने कैसे कब कहाँ इकरार हो गया
    हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया

    अपनी मीठी आवाज़ में गुनगुनाते हुए वो झूमने लगती है।

    गुलशन बनी गलियाँ सभी
    फूल बन गई कलियाँ सभी
    गुलशन बन गई गलियाँ सभी
    फूल बन गई कलियाँ सभी
    लगता है मेरा सेहरा तैयार हो गया
    हम सोचते ही रह गए और प्यार हो गया

    महि पहले तो मुस्कुराती है, फिर अचानक से उछल पड़ती है, "ये तो नियम जी की आवाज़ है!" तभी पीछे से कोई उसे अपनी मज़बूत बाहों में घेर लेता है।

    "आप तो बहुत अच्छा गाती हैं।" नियम ने उस पर अपनी पकड़ कसते हुए कहा। तो महि अपनी आँखें बंद करके ज़ोर से सिर झटकती है, "नहीं, ये नियम जी नहीं, हमारा भ्रम है। वो यहाँ कैसे आ सकते हैं?"

    नियम महि को अपनी तरफ घुमाया, तो देखा कि उसकी परी की आँखें अब भी बंद हैं। नियम के सख्त चेहरे पर एक मीठी सी मुस्कान बिखर गई। "परी, देखिए हम हैं, सच में।"

    "नहीं, हम सपना देख रहे हैं। हमारी आँखें खोलते ही आप गायब हो जाएँगे।" महि ने मुँह फुलाते हुए शिकायत की। तो नियम को उस पर इतना प्यार आया कि उससे कंट्रोल नहीं हुआ। उसने धीरे से उसकी नाज़ुक उंगली काटी, जिससे महि को दर्द नहीं हुआ, बल्कि करंट लगा। उसने फट से अपनी आँखें खोलीं और देखा कि उसकी उंगली अब भी नियम के मुँह में है। "आप तो सच में यहाँ हैं??.. कैसे?" महि ने अपनी उंगली छुड़ाई, जो अब सुन्न हो गई थी।

    "आपको अपने दिल की बात कहने के लिए आए हैं।" नियम ने फिर उसे अपने करीब खींचते हुए कहा।

    "क्या बात?" महि को शायद एहसास था कि वह क्या कहना चाहता है, लेकिन यह फीलिंग कुछ अलग ही थी। वह सुनना भी चाहती थी, पर नियम से नज़रें भी नहीं मिला पा रही थी।

    हया से उसके गाल लाल हो चुके थे। नियम ऊपर चाँद को देखता है और सोचता है कि यह आसमान का चाँद भी फीका है मेरे चाँद के सामने। उसने महि का चेहरा ऊपर किया, पर वह ज़िद पर अड़ी, अब भी नियम की नज़रों में नहीं देख रही थी। "हमारी तरफ देखिए परी।" जैसे वह सम्मोहित हो, महि अपनी पलकें उठाकर नियम की गहरी काली आँखों में देखने लगती है। "परी?" उसने अपनी पलकें झपकाईं। नियम बहुत बार उसे परी बुला चुका था। कहीं यह परी नाम की लड़की इनका पहला प्यार तो नहीं? इस लिए ये मुझसे शादी करना चाहते हैं क्योंकि मुझमें इन्हें अपनी परी दिखाई देती है। 'हे महादेव! ये तो हमने सोचा ही नहीं?' महि को कुछ टूटता हुआ महसूस होता है, जैसे उसके दिल पर किसी ने वार किया हो। वह नियम को धक्का देकर दूर कर देती है, जिससे नियम शॉक हो जाता है। "क्या हुआ?" फिर वह देखता है कि उसकी परी अचानक से रोने लगी है। नियम घबराकर उसे अपनी तरफ करता है। "अचानक से आप रो क्यों रही हैं? आप बताएँगी नहीं तो मैं कैसे समझूँगा?"

    "ये परी आपका पहला प्यार है ना?" महि ने नियम को गुस्से में घूरते हुए कहा।

    नियम को कुछ सेकंड लगे यह बात समझने में कि महि खुद से ही जल रही है। उसे सोचकर हँसी आ जाती है, जिसे देखकर महि और भी चिढ़ जाती है। वह नियम से मुँह फेरकर बोली, "हमें नहीं करनी आपसे शादी। जाइए अपनी परी के पास।"

    "आप ही मेरी ज़िंदगी की पहली लड़की हैं और आखिरी भी।" नियम ने गहरी आवाज़ में कहा, तो महि का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। नियम ने उसके सामने आकर उसका चेहरा अपने हाथों में लिया। "जब आपको पहली बार देखा था, तो आप बिलकुल एक परी की तरह लग रही थीं और जब मुझे आपका नाम भी नहीं पता था, इस लिए आप मेरी परी।"

    "सच्ची?" महि ने खुश होकर पलकें झपकाईं।

    "सच्ची-मुच्ची।" कहकर नियम ने महि को गले लगा लिया।

    "नियम जी, एक बात पूछें?"

    "हम्म।"

    "आप और रोहित भाई हैं?" महि ने अपना सर उठाकर पूछा, तो नियम कड़क आवाज़ में बोला, "नहीं।"

    "पर रोहित के पापा आपको अपना बेटा बोल रहे थे?" महि को एहसास था कि नियम का रिश्ता अपने परिवार के साथ ठीक नहीं है, पर वह अब नियम के बारे में और जानना चाहती थी।

    "आप बस इतना समझिए कि शर्मा हाउस में दादाजी के अलावा मेरे लिए कोई नहीं है। मैं फिर कभी आपको सब बताऊँगा।" नियम ने उसे प्यार से समझाते हुए कहा, तो महि भी मुस्कुरा दी।


    महि छत पर क्या हो रहा है?


    तभी सारिका की आवाज़ आई, जो शायद ऊपर ही आ रही थी। महि हड़बड़ाते हुए नियम को दूर करती है, "भाभी माँ? अब क्या करें? उन्होंने हमें ऐसे देख लिया, तो वो क्या सोचेंगी?"

    नियम को कोई खास फ़र्क नहीं पड़ा। आखिरकार वो माफ़िया किंग था, पर इस समय उसे महि का डरा हुआ चेहरा देखकर कुछ खुराफ़ाती आइडिया ज़रूर आ गया था।

    उसे इतना शांत खड़ा देख महि उसे झँझोरने लगी, "अरे कुछ करिए, भाभी माँ आने वाली है।"

    "ठीक है, पर उसके बदले..." नियम ने झुककर अपने गाल पर इशारा किया, तो महि का मुँह फूल गया। "यहाँ हम टेंशन में हैं और आपको रोमांस की पड़ी है।" नियम ने अपनी तीखी भौहें चढ़ाते हुए कहा। "कोई नहीं, भाभी माँ यहाँ आएंगी, हमें साथ देखेंगी, फिर..."

    नियम की शैतानी मुस्कान देखकर और सारिका के नज़दीक आते कदमों की आहट सुनकर महि बेमन से नियम के गाल को अपने नर्म होठों से छू लेती है कि तभी छत का गेट खुलता है। "महि, किससे बात कर रही थी?" सारिका महि के पास आते हुए बोली। महि की साँसें अभी तक तेज़ चल रही थीं, जिन्हें सामान्य करने की वह पूरी कोशिश में थी। "किसी से भी नहीं, भाभी माँ।" उसने ज़बरदस्ती मुस्कुराते हुए कहा। वह बार-बार नीचे देख रही थी, जहाँ नियम ने डायरेक्ट सेकंड फ़्लोर से छलांग लगायी थी, जिसे देखकर सारिका शक़्की निगाहों से नीचे देखती है, जहाँ उसे कोई नहीं दिखता।

    "वैसे, भाभी माँ, आपको कुछ बात करनी थी हमसे?" महि सारिका का ध्यान अपनी तरफ करने की कोशिश में बोली।

    जैसे सारिका को कुछ याद आया हो, वह महि के कंधे पकड़ते हुए बोली, "महि, क्या तुम नियम को पसंद करती हो?"

    "हाँ, भाभी माँ।" महि ने छोटे बच्चे की तरह सिर झुकाकर कहा। उसे डर था कि सारिका उसे गलत ना समझ ले।

    सारिका ने हँसकर महि का हाथ पकड़ लिया। "तो इसमें डरने की क्या बात है?" महि ने हैरान नज़रों से सारिका को देखा, तो सारिका ने आगे कहा, "हम तो खुश हैं कि आखिरकार तुम्हें किसी से प्यार हो गया। मुझे भी वैसे तुम्हारे लिए रोहित से ज़्यादा नियम पसंद आया।"

    महि का दिल यह सुनकर एकदम हल्का हो गया। उसने सारिका को हग करते हुए कहा, "थैंक्यू, भाभी माँ।"

    सारिका ने महि की पीठ थपथपाते हुए कहा, "वो सब तो ठीक है, पर बात यहाँ तक पहुँची कैसे?"

    "भाभी माँ, वो तो हमें भी पता नहीं चला कि हमें कब नियम जी से प्यार हो गया?" महि ने खोए हुए अंदाज़ में कहा। उसे खुद यकीन नहीं हो रहा, जो इंसान दो दिन पहले उसके लिए अंजान था, वो अब उसके दिल में बसने लगा है। पर एक बात तो पक्की है, उसे नियम का साथ बहुत अच्छा लगता है, जो पहले कभी किसी के साथ रहकर उसने फील नहीं किया, वो नियम के साथ होता है। नियम का मुस्कुराना, नियम का उस पर हक़ जताना, उसका छूना, उसे सब अच्छा लगता है।

    महि को खुद में ही हँसते देख सारिका जाते हुए बोली, "चलो, जल्दी से नीचे आ जाना। कहीं पूरी रात खड़े-खड़े अपने नियम जी के सपने देखती रहो।"

    सारिका के जाते ही महि ने जल्दी से नीचे देखा, तो नियम उसे फ़्लाइंग किस देकर आँख मारता है और गार्डन की दीवार कूद जाता है। महि चैन की साँस लेती है कि नियम ठीक है। "इतना उछल-कूद करके आने की क्या ज़रूरत थी?" महि ने नियम को धीरे से डाँटा, पर उसके चेहरे की मुस्कान कुछ और ही कह रही थी।

  • 19. प्यार में इनोसेंट नियम - Chapter 19

    Words: 2167

    Estimated Reading Time: 14 min

    अभय का घर, सुबह का समय था।


    अभय का मूड आज कुछ खराब लग रहा था। सबने सोचा कि ऑफिस की कुछ टेंशन है, पर नाश्ता करने के बाद अभय सबको हॉल में इकट्ठा करता है।


    "क्या हुआ अभय? आज आप कुछ परेशान लग रहे हैं?" सारिका ने चिंता जताई।


    "कल जो नियम शगुन देकर गया, वो कहाँ है?" अभय ने गंभीर होते हुए कहा।


    "वो तो माँ जी कमरे में हैं।" सारिका ने एक नज़र कमला देवी की ओर डालते हुए कहा। तो कमला देवी बिदकते हुए बोली, "तो?"


    "माँ, आप ऐसे कैसे वो शगुन रख सकती हैं? मैं उस नियम को जानता नहीं, पहचानता नहीं और एक दिन में रिश्ता पक्का?" अभय भड़कते हुए बोला।


    "वो तू अपनी लाडली बहन से पूछ ना कि ये पहले से ही उस नियम को जानती है या नहीं? नहीं तो कोई ऐसे कैसे हमारे घर में घुस जाएगा?" कमला देवी ने महि को घूरते हुए कहा।


    "छोटी, ये क्या सुन रहा हूँ मैं?" अभय ने महि से मुखातिब होते हुए कहा।


    "भाई, नियम जी अच्छे इंसान हैं। उन्होंने ही हमें उस रात घर पहुँचाया था, पर वो शादी की बात करेंगे, हमें भी नहीं पता था।" महि ने अभय को समझाते हुए कहा।


    "ओहो, देखो महारानी का उस लड़के नियम के साथ पहले से ही चक्कर है, तभी तो इसे रोहित से रिश्ता तोड़ने की लगी थी।" कमला देवी महि को ताना मारते हुए बोली।


    "नहीं माँ, ऐसा नहीं है। हमने जानबूझकर कुछ नहीं किया। हम नियम जी से सिर्फ दो दिन पहले ही मिले थे।" महि अपनी माँ का हाथ पकड़ते हुए बोली। उसकी आँखों में डर समा गया था कि कहीं उसके परिवार वाले उसे गलत ना समझ लें।


    "ये रिश्ता नहीं हो सकता।" अभय ने खड़े होते हुए कहा। सारिका अभय को समझाने की कोशिश करती है, "पर अभय.."


    "परंतु कुछ नहीं। और तुम छोटी," अभय ने थोड़ा सख्त होकर कहा, "भूल जाओ उस नियम को, फिलहाल शादी को भी और ये शगुन हम वापिस शर्मा हाउस भेज देंगे।" आखिरी लाइन अभय ने कमला देवी की तरफ देखते हुए कही, जिससे उनका मुँह बन गया। "सबको बस अपने मन की करनी है।" भुनभुनाते हुए वो अपने कमरे में चली गई। भले ही उन्हें वो नियम अच्छा ना लगा हो, पर शगुन वो वापिस नहीं देना चाहती थी। आखिरकार इतना महंगा तोहफा तो रोहित के तरफ से भी नहीं मिला था, पर उनका लड़का अभय ठहरा स्वाभिमानी।


    यहाँ महि नियम को भूल जाने की बात सुनकर उदास हो जाती है। तो सारिका उसके कंधे पर हाथ रखकर समझाती है, "महि, तू चिंता मत कर। तेरे भाई अभी बहुत गुस्से में हैं। एक तो वो रोहित की वजह से और फिर नियम का ऐसे अचानक से तुझसे शादी की बात करना। तू समझ रही है ना, महि?"


    सारिका की बात सुनकर महि सोच में पड़ जाती है। हाँ, भाभी माँ ठीक ही तो कह रही हैं। कल तक हमारी शादी रोहित जी से होने वाली थी और अब अचानक से नियम जी ने सबके सामने हमारा हाथ माँग लिया और हम भी पागलों की तरह खुश होने लगे? नहीं, ये सही नहीं। हम नियम जी को समझाएंगे कि हम जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं ले सकते। महि ने अपने आँसू पोछे और सारिका से बोली, "भाभी माँ, हम समझ गए। गलती हमारी है। हमारे लिए आप और भाई से बढ़कर कोई नहीं। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिसमें हमारे परिवार की खुशी ना हो।"


    "मुझे तुम पर पूरा विश्वास है।" सारिका महि का सिर सहलाकर चली जाती है।


    महि अपने रूम की बालकनी में बैठी थी कि एक अननोन नंबर से कॉल आया।


    "हेलो।"


    "महि।" नियम की प्यार भरी आवाज़ सुनकर एक बार फिर महि का दिल धड़कने लगा।


    "नियम जी, हम आपसे मिलना चाहते हैं।"


    "आप हमें मिस कर रही हैं ना?" नियम के चेहरे पर स्माइल आ गई।


    "हमें कुछ ज़रूरी बात करनी है आपसे। आज शाम पाँच बजे, स्टार कैफे में।" कहकर महि ने कॉल कट कर दिया।


    उधर नियम अपनी ब्लैंक हो चुकी स्क्रीन को घूरता है और उसे बेचैनी सी होने लगती है। वो अपने हाईटेक ऑफिस में अपनी डेस्क पर बैठा था, तभी साहिल एंटर करता है।


    "भाई, क्या हुआ? कोई प्रॉब्लम है?" वैसे पूछने की ज़रूरत नहीं थी क्योंकि जबसे नियम और महि मिले थे, नियम के चेहरे के सारे इमोशन महि से ही जुड़े थे।


    "महि हमसे मिलना चाहती है।" नियम ने कहा तो साहिल खुश होते हुए बोला, "ये तो अच्छी खबर है ना?"


    "पर हमें उनकी आवाज़ से लगा कि वो हमसे गुस्सा है।" नियम छोटे बच्चे की तरह चिढ़कर बोला।


    साहिल नियम का ये रूप देख हैरान था। उसने कभी भी नियम के चेहरे पर ऐसे भाव नहीं देखे थे। पहले तो वो एक रोबोट की तरह था, जिसे हँसना क्या होता है, शायद ये भी नहीं पता था। पर जबसे महि नियम की ज़िन्दगी में आई है, नियम बदलने लगा है। क्या प्यार में इंसान इतना बदल सकता है? साहिल ने अपने सामने बैठे आशिक को देखकर सोचा। फिर नियम जिस तरह से अभी भी नियम फोन को घूर रहा था, जैसे फोड़ ही देगा, वो जल्दी से बोला, "भाई, महि गुस्सा तो होगी ही ना? आपने अभी तक ठीक से उसके साथ टाइम स्पेंड नहीं किया, कोई गिफ्ट नहीं दिया?"


    "महि??" नियम ने सारी बात में से इस एक शब्द पर गौर किया।


    "भाभी, मेरा मतलब महि भाभी।" साहिल ने अपने दाँत चमकाते हुए कहा।


    "हम्म, भाभी बोला करो। तुम्हारे मुँह से अच्छा लगता है।" नियम ने सिर हिलाते हुए कहा तो साहिल ने बुरा सा मुँह बना लिया। "क्या भाई, आप भी?"


    "गिफ्ट? महि इस लिए गुस्सा है?" नियम ने सोचा तो उसे भी ठीक लगा। नियम अपने बालों में उंगलियाँ फिराते हुए बोला, "ये बात थी तो बताना चाहिए ना। हम रोज़ परी को गिफ्ट दे सकते हैं।"


    "भाई, लड़कियाँ ना ये बात बताती नहीं है, पर सभी को पसंद होता है अपने बॉयफ्रेंड के साथ शॉपिंग करना, डेट पर जाना..." साहिल ज्ञान का पिटारा बनते हुए बोला।


    "हम्म, समझ गया।" नियम के चेहरे पर स्माइल आ गई, जैसे उसने लगभग इमेजिन कर लिया हो कि उसकी परी कितना खुश हो जाएगी।


    शाम के पाँच बजे, स्टार कैफे।


    महि अपनी स्कूटी बाहर पार्क करके कैफे के अंदर एंटर करती है। उसने रेड कलर की लॉन्ग स्कर्ट कुर्ती, गले में रेड स्कार्फ, बालों की हाई टेल, आँखों में गहरा काजल, और उसके नेचुरली सूर्ख लाल होंठ, बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वो कि आने-जाने वाले भी एक नज़र दोबारा देखे बिना नहीं रह पाते।


    इस कैफे में महि पहले भी आ चुकी थी, पर जैसे ही आज महि अंदर एंटर करती है तो देखती है कि अंदर तो अंधेरा ही अंधेरा है। एक बार को तो उसे लगा कि वो किसी गलत जगह पर तो नहीं आ गई?


    "पर ऐसा कैसे हो सकता है? कोई है यहाँ?" महि चारों तरफ नज़र दौड़ाते हुए बोली, कि तभी एक स्पॉटलाइट उस पर गिरी और एक सामने खड़े शख्स पर, नियम।


    सामने ब्लैक कलर के थ्री पीस सूट में नियम खड़ा था, जो बहुत ही दिलकश लग रहा था। एकदम गज़ब पर्सनैलिटी का मालिक था वो।


    दोनों की नज़रें एक-दूसरे से मिलती हैं और दोनों एक-दूसरे में खो जाते हैं। भले ही महि सोचकर आई थी कि वो नियम को समझाएगी, पर नियम की गहरी काली आँखों में देखते ही उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगता है। उसे सिर्फ नियम ही नज़र आता है और दिमाग बंद हो जाता है।


    वही नियम का हाल भी कुछ कम ना था। उसका दिल भी तेज़ी से धड़क रहा था। उसकी परी कुछ ज़्यादा ही सुंदर है। जितना देखो, पहले से भी ज़्यादा। उस पर परी का उसकी आँखों में देखना उसे लग रहा था कि वो बस उसकी रूह में समा गई है। धीरे-धीरे वो महि के पास जाता है और एक रोमांटिक म्यूज़िक स्टार्ट हो जाती है। अब पूरे कैफे में लाइट्स जलने लगती हैं और कुछ ब्लैक कलर का कोट-पेंट पहने गिटारिस्ट चारों तरफ फैल जाते हैं। महि ने देखा कि पूरा कैफे बड़ी ही खूबसूरती से सजा है। सब कुछ एकदम सपने जैसा। तभी उसे एहसास होता है कि नियम उसके सामने आ गया है और उसका हाथ अपने मज़बूत हाथों में ले लिया है। "नियम जी.." महि आगे कुछ बोलती, कि नियम ने उसके नाज़ुक होठों पर अपनी उंगली रख दी। "शश्श्, अभी कुछ नहीं। पहले हमें महसूस करने दो कि आप हमारे पास हैं।" कहकर नियम महि का हाथ पकड़कर उसे बीचों-बीच बने गुलाब के फूलों से बने दिल के ऊपर आ जाता है।


    नियम अपने एक घुटने पर बैठकर बिलकुल प्रिंसेस स्टाइल में महि का हाथ पकड़ लेता है। अब महि को एहसास था कि आगे क्या होने वाला है, इसलिए वो नियम से दो कदम दूर पीछे हो जाती है। "नियम जी, हमारी बात सुनिए।" वो अभी पीछे ही हुई थी कि नियम उसे अपनी तरफ खींचता है, जिससे वो उसकी गोद में गिर जाती है। अब महि नियम के एक पैर पर ही बैठी थी और उसका दिल लग रहा था सीने से ही बाहर आ जाएगा। नियम महि के चेहरे पर बिखरी सुनहरी लटों को कान के पीछे करते हुए बोला, "आप मुझसे दूर क्यों जा रही हैं? आपको पता है हमारा मन करता है कि आपको हर पल अपने साथ रखूँ।" नियम महि के चेहरे पर उंगलियाँ फेरता है। उसकी त्वचा एकदम रूई जैसी थी, जिससे नियम का मन कर रहा था कि ये पल यहीं रुक जाए। पर महि अपने होश में आते हुए नियम को धक्का देकर उठ जाती है। नियम उसमें इतना खोया हुआ था कि वो उसे पकड़ नहीं पाता। होश में आते ही वो महि को देखता है जो उसे गुस्से से घूर रही थी।


    "ये क्या लगा रखा है आपने? हम कोई शूटिंग कर रहे हैं कि एक ही नज़र में प्यार हो गया और अगले दिन शादी?" महि अपनी तीखी नज़रों से नियम को घूरते हुए बोली।


    नियम उठकर महि का हाथ पकड़कर बोला, "महि, हमारा विश्वास करो। हम आपसे बहुत प्यार करते हैं। हम शब्दों में नहीं बता सकते। जबसे आपको देखा है, आप हमारी रूह में बस गई हैं। सोते-जागते हर पल बस आप ही आप ज़हन में रहती हैं।" नियम की आवाज़ में जो प्यार था वो महि को ये बताने के लिए काफी था कि नियम सच्चे दिल से बोल रहा है। उसने भी नियम का हाथ पकड़ते हुए थोड़े प्यार से कहा, "नियम जी, हम भी आपको पसंद करते हैं, पर हमारा परिवार नहीं। और आपने उस दिन हमसे बिना पूछे सबके सामने हमसे शादी की बात की। पर ऐसा नहीं होता। सब क्या सोचेंगे हमारे बारे में?"


    नियम की आँखों में अब जुनून आ गया। उसने महि की कमर पकड़कर उसे अपनी बाहों में खींचते हुए कहा, "कोई क्या सोचेगा? हमें फर्क नहीं पड़ता। हमें बस आप चाहिए।" महि के हाथ नियम के सीने पर आ गए। उसने नियम को फिर से समझाने की कोशिश की, "नियम जी, हमें फर्क पड़ता है। हम चाहते हैं कि हमारी शादी हमारे परिवार की इच्छा से हो। हम अपने परिवार से बहुत प्यार करते हैं। उनके खिलाफ जाने का सोच भी नहीं सकते।"


    नियम महि के मासूम से चेहरे को देखता है। उसकी मीठी सी आवाज़ में शायद जादू था या नशा, पर वो कुछ हद तक शांत हो गया था। उसने महि के माथे को चूमते हुए कहा, "महि, आप मेरी कमज़ोरी बन चुकी हैं। जितना मैं चाहता हूँ कि अभी इसी पल आपसे शादी कर लूँ और हमेशा के लिए अपना बना लूँ, उतना ही आपको खुश देखना चाहता हूँ। मैं इंतज़ार करूँगा जब तक आपका परिवार हमारे रिश्ते के लिए राज़ी ना हो जाए।"


    महि के चेहरे पर बड़ी सी स्माइल आ जाती है और वो नियम के गले लग जाती है। "थैंक्यू नियम जी, हमारी बात समझने के लिए।" उसे नहीं पता था कि उसके इतने करीब होने से नियम का क्या हाल हो रहा था। अपनी भावनाओं को कंट्रोल करते हुए उसने भी कसकर उसे अपनी बाहों में समेट लिया।


    "पर आपको एक वादा करना होगा?" कुछ पल एक-दूसरे के गले रहने के बाद नियम महि के बालों में उंगलियाँ घुमाता हुआ बोला।


    "कैसा वादा?" महि ने अपना चेहरा उसके सीने से बाहर निकालते हुए पूछा, जिस पर नियम ने उसका चेहरा फिर अपने सीने से लगा लिया। "आप मेरे सिवा किसी और से शादी करने की सोचेंगी भी नहीं, नहीं तो?" नियम चुप हो गया तो महि अबकी बार ऐसे ही उसके सीने से सिर टिकाए बोली, "नहीं तो?"


    "नहीं तो ये कि मैं आपको ऐसे उठाकर ले जाऊँगा।" नियम ने अचानक से महि को अपनी गोद में उठा लिया, जिससे महि की चीख निकल गई और उसने जल्दी से अपने हाथ उसकी गर्दन पर लपेट लिए। उसने देखा कि नियम उसे घूर रहा है तो महि हँसते हुए बोली, "वादा, हम आपके सिवा किसी और के बारे में सोचेंगे भी नहीं।" नियम ने संतुष्टि से अपना सर हिलाया और सोचने लगा कि उसकी परी इतनी खूबसूरत है, वो तो उसे अपने दिल में बीवी भी मान चुका है। ऐसे में अगर किसी लफंगे ने उसकी परी पर लाइन मारने की कोशिश की तो? हम्म, कुछ जुगाड़ तो करना ही होगा अपनी परी को जल्द से जल्द महि नियम ठाकुर बनाने के लिए।

  • 20. Mafia ki dulhan - Chapter 20

    Words: 1344

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    महि और नियम आमने-सामने बैठे थे। बीच में, बहुत ही खूबसूरत कांच की मेज़ पर स्वादिष्ट खाना रखा था।

    "इस सब की क्या ज़रूरत थी, नियम जी?" महि ने अपने सामने रखी एक से बढ़कर एक डिशेज को घूरते हुए कहा। देखकर ही लगता है कितनी महंगी होगी! और फिर, पूरे कैफे में सिवाय कुछ वेटर्स के कोई नहीं था। नियम ने पूरा कैफे बुक किया था।

    "ज़रूरत है। हम पहली बार ऐसे टाइम स्पेंड कर रहे हैं। ऐसे रूखा-सूखा कैसे जाने दे सकता हूँ? अगर आपको ये डिशेज पसंद नहीं हैं, तो मैं कुछ और मँगवा देता हूँ?" नियम ने दो ग्लास में ऑरेंज जूस डालते हुए कहा।

    महि ने वैसे भी लंच नहीं किया था। इसलिए, ज्यादा देर ना करते हुए उसने खाना शुरू कर दिया। पूरे टाइम नियम ने उसे छोटे बच्चे की तरह उसका ध्यान रखा। जिससे हुआ यह कि ज्यादातर खाना महि ने ही खाया और उसका पेट अब फूलकर गुब्बारा हो गया था। अपने पेट को सहलाते हुए वह चेयर से टिक गई।
    "हमने कुछ ज़्यादा ही खा लिया।"

    नियम को उसकी हालत देखकर हँसी आ गई। वह उसका हाथ पकड़ते हुए बोला, "चलिये, हम आपको शॉपिंग कराते हैं। फिर आपको अच्छा लगेगा।"

    महि ने अपना हाथ छुड़ाते हुए खड़ी हो गई।
    "नियम जी, अब हमें जाना होगा। हम घर पर सिर्फ़ भाभी-माँ को बताकर आए थे, इसलिए ज़्यादा देर नहीं रुक सकते।" नियम का चेहरा यह सुनते ही लटक गया। फिर उसने भी खड़े होते हुए कहा, "चलिये, मैं आपको घर छोड़ देता हूँ।"

    "नहीं, हम स्कूटी से आए हैं। अपने आप चले जाएँगे।" महि के फिर से इंकार करने पर नियम को इस बार गुस्सा आ गया। उसने महि को अपनी ओर खींचते हुए कहा, "आखिर कब तक यह चलेगा? हम आपको घर भी नहीं छोड़ सकते? आपको हमारा साथ इतना बुरा लगता है?" नियम की आँखों में गुस्से के साथ दर्द भी था, जिसे देखकर महि को भी बुरा लगा।

    महि ने नियम का हाथ पकड़ा और उसकी नज़रों में देखते हुए बोली, "नियम जी, हमें आपका साथ अच्छा लगता है। आपके साथ बिताया हर पल हमें बहुत खूबसूरत लगता है। पर जब तक भाई इस रिश्ते को सपोर्ट नहीं करते, हमें दूर ही रहना चाहिए।" महि ने देखा कि नियम को फिर से गुस्सा आने लगा है और वह भड़कने वाला है। तो वह जल्दी से उसके गले लग जाती है।
    "पर आप गुस्सा मत करिये। हमारे भाई हमसे बहुत प्यार करते हैं। हम उन्हें मना ही लेंगे, पक्का।"

    नियम को समझ नहीं आ रहा था कि वह गुस्सा कैसे हो? उसने महि को अपनी बाहों में कसते हुए कहा, "हम खुद बात करेंगे आपके परिवार से।" महि को यह सुनते ही पिछली बार की याद आ गई। वह नियम से अलग होते हुए बोली, "पर आप…" नियम ने उसके चेहरे को अपने हाथों में भरकर कहा, "विश्वास है ना हम पर?" महि अपने आप को नियम के साथ बहुत ही सुरक्षित महसूस करती है। उसकी आँखों में अपने लिए इतना प्यार देखकर उसे यकीन था कि नियम कुछ गलत नहीं करेगा।
    "हाँ, हमें विश्वास है।"

    नियम के चेहरे पर खूबसूरत सी स्माइल आ गई।
    "हमने आपसे प्यार किया है, तो हमारी ज़िम्मेदारी है कि आपके परिवार को मनाएँ। चलिये, हम आपको छोड़ देते हैं। आपकी स्कूटी पहुँच जाएँगी।" नियम बिना उसकी सुने बाहर निकल गया, तो महि भी उसके पीछे-पीछे चल पड़ी।

    बाहर एक ब्लैक कार पार्क थी। जिसमें नियम ने पहले महि को बिठाया और फिर खुद ही ड्राइव करने लगा। इधर साहिल और वीर महि को नियम के साथ हँसते हुए जाते देख खुश हो जाते हैं।

    साहिल वीर के कंधे पर हाथ रखकर बोला, "लगता है भाई और भाभी के बीच खिचड़ी पकनी शुरू हो ही गई?"

    वीर ने असमंजस से साहिल को देखा।
    "भाई इतनी देर से अंदर खिचड़ी बना रहे थे? तो हमें बाहर क्यों रोका? मुझे तो खिचड़ी बहुत पसंद है।"

    साहिल ने वीर को उल्लू की तरह देखा, फिर सिर झटकते हुए बोला, "रहने दे, तेरा कुछ नहीं हो सकता।"


    महि ने देखा कि कार भले ही लो प्रोफाइल है, पर है बहुत महंगी, एकदम हाईटेक। अचानक से उसके मन में एक सवाल आता है, पर नियम से पूछने में उसे हिचकिचाहट होती है।

    "आपको मुझसे कुछ पूछने के लिए इतना सोचने की ज़रूरत नहीं है।" नियम की आवाज़ सुनकर महि ने चौंककर नियम की ओर देखा।
    "पर आपको कैसे पता हम आपसे कुछ पूछना चाहते हैं?" जवाब में नियम ने उसे दिलकश सी हँसी के साथ कहा, "अब तो आपको यकीन है ना कि हम आपसे सच में बहुत प्यार करते हैं?"

    महि को ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। शर्म से उसके गाल लाल हो गए। 'ये नियम जी भी ना! कभी भी फ़्लर्ट करने लगते हैं और हमारा बुरा हाल हो जाता है।'

    नियम ने महसूस किया कि उसकी परी बहुत जल्दी शर्मा जाती है। फिर उसके गोरे-गोरे गाल एकदम लाल हो जाते हैं।

    "आप काम क्या करते हैं?" महि ने टॉपिक चेंज करने के लिए जल्दी से पूछा। फिर उसे लगा कि यह थोड़ा रूड लग रहा है।
    "हमारा मतलब था कि आप अपनी फैमिली से भी अलग हैं। लेकिन आपने वह पूरा कैफ़े भी बुक कर लिया और यह कार भी तो बहुत महंगी लगती है?" वह जल्दी से एक साँस में ही बोल गई और नियम का चेहरा देखने लगी कि वह गुस्सा तो नहीं हो गया।

    नियम को महि का ऐसे सहमी नज़रों से देखना बहुत ही क्यूट लगता है और वह जोर-जोर से हँसने लगता है।
    "परी, आप ना बहुत ज़्यादा ही क्यूट हैं।" फिर वह थोड़ा सीरियस होकर बोला, "मैं एक बिज़नेसमैन हूँ। और रही बात परिवार की, तो मेरे दोस्त साहिल और वीर, उनके अलावा मेरे दादाजी, जिनसे आप मिल चुकी हैं। बाकी महेंद्र शर्मा मेरे बायोलॉजिकल पिता हैं, पर मिसेज़ माया मेरी माँ नहीं है।" अब नियम के चेहरे पर शून्य भाव थे, जैसे वह किसी और की बात कर रहा हो।

    "फिर आपकी माँ?" महि अपनी उत्सुकता को कंट्रोल नहीं कर पाई।

    "शी इज़ नो मोर।" नियम ने एक बार फिर शून्य भाव से सामने नज़र रखे हुए कहा।

    थोड़ी देर के लिए दोनों में से कोई कुछ नहीं बोलता। एक खामोशी सी छा गई। महि नियम के हाथ पर अपना हाथ रख देती है। तो नियम उसकी तरफ़ देखकर स्माइल करते हुए बोला, "आपको हमारे लिए बुरा फील करने की ज़रूरत नहीं है। अब तो हमारे पास आप हैं, हमारी खुशी।"

    "हम हैं आपके साथ हमेशा।" महि ने दिल से कहा। उसे लग रहा था कि जैसे नियम उसके लिए इतना सब करता है, उसकी कितनी केयर करता है, वह भी नियम की खुशी बन सके।


    महि के घर से कुछ दूरी पर ही वह कार रुकवा देती है।
    "हम चलते हैं, ड्राइव सेफली।" महि सीटबेल्ट खोलकर उतरते हुए बोली। नियम कुछ नहीं बोला, सिर्फ़ उसे देखता रहता है। महि जब दो कदम आगे चलती है, तो नियम अचानक से उतरकर उसे खींचकर गले लगा लेता है। महि नियम की पीठ पर थपथपाते हुए बोली, "अरे नियम जी, हमें जाने तो दीजिये, कोई देख लेगा?" उसने चारों तरफ़ देखते हुए कहा।

    "हम आपको अभी से मिस कर रहे हैं।" नियम ने उससे अलग होकर उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, तो महि को हँसी आ गई।
    "नियम जी, आप हमें क्यूट कहते हैं ना, पर आप ना हमसे भी ज़्यादा क्यूट हैं। आप अपनी आँखें बंद करिये।" महि ने कहा तो नियम ने अपनी आँखें बंद कर लीं। महि ने एक बार फिर चारों तरफ़ देखा और जल्दी से नियम के माथे पर किस करके भाग गई।

    यहाँ नियम स्टैच्यू बनकर अपने माथे पर हाथ रखकर दो मिनट तक ऐसे ही खड़ा रहता है और फिर उसके चेहरे पर मुस्कान बिखर जाती है।


    दूर अपनी कार में बैठा रोहित यह सब देख रहा होता है। गुस्से और जलन में उसकी आँखें दहकती लाल हो गईं। स्टीयरिंग व्हील पर अपनी मुट्ठी उसने इतनी ज़ोर से भींच रखी थी कि उसके हाथों की सारी नसें भी उभर आईं।
    "नियम ठाकुर, तू मुझे रास्ते से हटाकर खुद महि के ये जो सपने देख रहा है ना, जल्द, बहुत जल्द टूटने वाले हैं। मैं तुम दोनों को कभी एक नहीं होने दूँगा।"